Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 03:55 PM,
#21
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
रात के 1 बजे करण अपने बिस्तर पे नंगा लेटा अपना लंड हिलाते हुए अपने मोबाइल से नंबर डाइयल कर रहा था.थोड़ी देर बाद किसी ने कॉल रिसीव किया तो उसके होंठो पे मुस्कुराहट फैल गयी & वो और तेज़ी से लंड हिलाने लगा.

इस रात सभी जाग रहे थे & किसी ना किसी तरीके से अपने जिस्म की आग को शांत कर रहे थे बस 1 इंसान था जिसे शायद इस काम से कोई मतलब नही था-अब्दुल पाशा.वो पाशा जिसकी 1 नज़र अच्छे-अछो का खून जमा देती थी,जिसकी हरी आँखे किसी ठंडी झील के जैसी थी वो इस वक़्त 1 मासूम बच्चे की तरह अपने कमरे मे गहरी नींद मे सो रहा था.

काश सभी उसकी तरह निश्चिंत होते!
Reply
12-31-2018, 03:56 PM,
#22
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--8

लाल रंग की स्लीव्ले वेस्ट& काले रंग की शॉर्ट्स मे अपनी गोरी बाहो & टाँगो की नुमाइश करती कामिनी जॉगिंग कर रही थी की सामने से उसे करण आता दिखा.उसके ज़हन मे कल सुबह की गोल्फ कोर्स की घटना घूम गयी & उसे करण का सामना करने मे थोड़ी झिझक महसूस होने लगी.

"हाई!कामिनी.",कारण उसके करीब पहुँच चुका था.

"हेलो!",दोनो साथ-2 जॉगिंग करने लगे.जॉगिंग ट्रॅक 1 फुटबॉल फील्ड के गिर्द बना था & इस वक़्त कुच्छ बच्चे वाहा फुटबॉल खेल रहे थे.

"ऑफ..ओह!..",किसी बच्चे की किक से बॉल ट्रॅक के किनारे जमे पानी मे गिरी & उसकी वजह से उड़े कीचड़ के छ्चीनटे कामिनी के उपर पड़े,"..ये बच्चे भी ना!"

"सॉरी,आंटी!",1 बच्चा आया & बाल लेके वापस भाग गया.कीचड़ कामिनी के शॉर्ट्स & जाँघो पे पड़ा था & वो खड़ी सोच रही थी की अब क्या करे.

"इधर आओ,कामिनी.",थोड़ी दूर 1 बड़े से पेड़ के से थोड़ा हट के किसी माली ने घास के लिए पानी का पाइप लगा छ्चोड़ा था,कारण उसी ओर चलने को कह रहा था.

"यहा खड़ी हो जाओ.",कामिनी पेड़ से सॅट के खड़ी हो गयी.कारण ने पाइप उठाया & उसकी हल्की फुहार से उसकी नंगी जाँघो पे छ्चोड़ दी.कामिनी को गुदगुदी सी हुई.फिर करण ने अपने हाथो मे पानी ले उसकी शॉर्ट्स पे डाला,"..कीचड़ तो हट गया...पर मैं गीली हो गयी."

"इसका भी उपाय कर देता हू.",कारण ने अपनी जेब से रुमाल निकाला & झुक कर कामिनी के सामने बैठ गया,"..अरे मैं कर लूँगी,करना."

"कोई बात नही!मैं ही कर देता हू.",कामिनी के जवाब का इंतेअज़र किए बगैर कारण उसकी जंघे पोच्छने लगा.कामिनी के चेहरे का रंग ही बदल गया.कारण का सर उसके पेट से बस 2-3 इंच की दूरी पे था,उसकी गरम साँसे सीधा उसकी चूत पे पड़ रही थी & वो हाथ दबा-2 के उसकी जंघे सूखा रहा था.करण ने सहारे के लिए अपने बाए हाथ से उसकी दाई जाँघ को पकड़ लिया & दाए से उसकी बाई जाँघ को रगड़ कर पोंच्छने लगा.

कामिनी की चूत ने बदतमीज़ी करना शुरू कर दिया & वो मदहोश होने लगी.उसका जी कर रहा था की वो करण का सर पकड़ कर सीधा अपनी चूत पे भींच दे.अब कारण अपने हाथो की पोज़िशन बदल कर उसकी बाई जाँघ पोंच्छ रहा था.उसका दाया हाथ अब उसकी बाई जाँघ के पीछे था & उसकी गरम साँसे उसकी चूत को बस गीला किए जा रही थी.

"लगता तो है की सुख गयी.",करण ने अपने हाथ बारी-2 से उसकी दोनो जाँघो पे घुटने तक फिराए.कामिनी की टाँगो मे तो जान ही नही बची थी & वो बस पेड़ से लग कर किसी तरह खड़ी थी."..यहा पे कुच्छ मिट्टी अभी भी है.",कामिनी की शॉर्ट्स पे उसकी चूत की बाई तरफ अभी भी कुच्छ कीचड़ लगा हुआ था.कारण ने अपने हाथ से वाहा पे झाड़ा & ऐसा करते वक़्त हाथ उसकी चूत के उपर भी लगा.कामिनी की चूत मस्ती मे और गीली हो गयी.बड़ी मुश्किल से उसने अपने होंठो को काट अपनी आह को रोका.

"अब चलें..",कारण खड़ा हो गया.

"ह्म्म...",कामिनी के मुँह से बस इतना ही निकला.

"कामिनी.".दोनो स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के मैं गेट से बाहर निकल आए थे,"..आज दोपहर को क्या कर रही हो?"

"कोर्ट जाऊंगी.क्यू?"

"पर कोर्ट से 2 बजे तक तो फ्री हो जाओगी ना?"

"हां."

"मैं सोच रहा था की अगर तुम फ्री हो तो क्यू ना आज हम लंच पे चलें...वो जो ए&एम माल हैं ना तुम्हारे कोर्ट के पास!"

"हां.."

"..वाहा 1 नया चाइनीस रेस्टोरेंट खुला है,वही जाने की सोच रहा था अगर तुम हां कहो तो."
Reply
12-31-2018, 03:56 PM,
#23
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी का दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था..क्या मतलब था इसका?..क्या करण भी उसमे दिलचस्पी लेने लगा है?..या फिर वो बस 1 दोस्त की हैसियत से ऐसा कह रहा है..पर थोड़ी देर पहले वो उसकी जंघे साफ करा रहा था-अब कोई मर्द इतना भी भोला तो नही होता की 1 औरत के बदन के सबसे नाज़ुक अंग के आस-पास हाथ लगाए & उसके दिल मे ऐसे-वैसे ख़याल ना आएँ!जो भी हो,फायडा तो उसी का होना था ना!आख़िर उसके अकेलेपन के दिन ख़त्म होने के आसार दिखाई देने लगे थे,"ओके.मैं 2:30 बजे तक माल पहुँच जाऊंगी."

"थॅंक्स,कामिनी."

------------------------------

-------------------------------------------------

"मिलॉर्ड!त्रिवेणी ग्रूप ने 1000 टन आइरन ओर एक्सपोर्ट किया पर उसपे ड्यूटी पे की बस 10 टन की कीमत की जब की असल मे ड्यूटी होनी चाहिए थी 50 टन की कीमत के बराबर.",सरकारी वकील जड्ज के सामने अपनी दलील पेश कर रहा था.

"..इसलिए मिलॉर्ड!मेरी आपसे दरखास्त है की ना सिर्फ़ त्रिवेणी ग्रूप से बकाया ड्यूटी वसूली जाए & नियमानुसार फाइन ली जाए,बल्कि इस बात के लिए ज़िम्मेदार इनके मॅनेज्मेंट के लोगो को भी सज़ा दी जाए."

"मिलॉर्ड!मेरी समझ मे नही आता की सरकारी महकमे के अफसरो के साथ-2 वकील साहब भी कैसे ऐसी बात कर सकते हैं.मेरे क्लाइंट ने जब ये ओरडर एक्सपोर्ट किया था उस वक़्त ड्यूटी बस 1% थी.उसके बाद ये ड्यूटी सरकार ने बढ़ा कर 5% कर दी.ड्यूटी पे करने के वक़्त नया रेट लागू हो चुका था मगर एक्सपोर्ट के वक़्त तो पुराना रेट लागू था,फिर कैसे मेरे क्लाइंट पे ये बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाया जा रहा है की उन्होने ड्यूटी चोरी की है."

"..मगर फिर भी मेरे क्लाइंट ने सरकारी नोटीस मिलने के बाद अपना केस समझते हुए सारे दस्तावेज़ो के साथ लेटर्स भेजे थे,मगर इन लोगो ने उन्हे 1 बार भी सुनवाई के लिए नही बुलाया & केस ठोंक दिया.ये उनपपेर्स की कॉपी है.",मुकुल ने सारे पेपर्स की कॉपीस कोर्ट पीयान को दी जिसने उन्हे जड्ज तक पहुँचा दिया.

"..मिलॉर्ड,ये 1 सॉफ-2 हरासमेंट का केस है.सरकारी मुलाज़िम ये भूल जाते हैं कि वो जनता की सेवा के लिए है,उन्हे परेशान करने के लिए नही.इसीलिए मेरी आपसे गुज़ारिश है की प्लीज़ आप इस केस से जुड़े सभी अफसरो की जाँच के ऑर्डर्स दे & मेरे क्लाइंट को बरी कर इस हरासमेंट से छुटकारा दिलाएँ."

जड्ज ने सारे पेपर्स देखे & फिर दोनो वकिलो से कुच्छ सवाल किए.थोड़ी देर बाद दोनो वकील उनका फ़ैसला सुन रहे थे,"..त्रिवेणी ग्रूप ने कोई ग़लती नही की क्यूकी एक्सपोर्ट के वक़्त नयी ड्यूटी लागू ही नही हुई थी.इसलिए उन्हे इस मामले से बरी किया जाता है.मगर अदालत को 1 बात बहुत चिंताजनक लगी है & वो ये की त्रिवेणी ग्रूप के बार-2 लेटर्स भेजने पर भी सरकार ने उनकी कोई सुनवाई नही की & मामला यहा तक ले आई.अगर उन्होने लेटर्स पे ध्यान दिया होता तो अदालत का कीमती वक़्त & जनता का पैसा,दोनो की बचत होती.इसलिए अदालत सरकार को मामले से जुड़े अफसरो की जाँच का हुक्म सुनाती है."

क्रमशः................
Reply
12-31-2018, 03:56 PM,
#24
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--9



"मुकुल,तुम यहा से ऑफीस चले जाओ,मैं 2 घंटे बाद वाहा पहुँच जाऊंगी.",कामिनी ने अपना बॅग उठाया & कोर्ट कॉंप्लेक्स मे बने अपने चेंबर से बाहर जाने लगी.



"ओके,मॅ'म."



जिस वक़्त कामिनी चेंबर से बाहर निकल रही थी,ठीक उसी वक़्त कोई उसमे दाखिल हो रहा था & वो उस इंसान से टकरा गयी,"ओह!आइ'म सॉरी.",वो षत्रुजीत सिंग था & उसने टकराने से लड़खड़ाई कामिनी को आगे बढ़ अपनी बाहो मे थाम लिया.उसकी बाई बाँह कामिनी की कमर को पकड़े थी,"ओह!आप हैं!"



कामिनी के बदन मे सिहरन दौड़ गयी क्यूकी शत्रुजीत ने अपना हाथ हटाते हुए उसकी कमर को हल्के से दबा दिया था,"कंग्रॅजुलेशन्स!"उसने कामिनी से हाथ मिलाया तो वो फिर बेचैन हो उठी.शत्रुजीत के च्छुने से उसका हाल तो बुरा हो जाता था मगर सच्ची बात ये थी की उसे भी इस एहसास का इंतेज़ार रहता था,"आपने हुमारे ग्रूप के लिए पहला केस जीता है."



"थॅंक्स.आप सिर्फ़ इसलिए यहा आए थे?",शत्रुजीत अभी भी उसका हाथ थामे था & अब उसे यकीन होने लगा था की उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना केवल 1 बिज़्नेस को ध्यान मे रख कर किया गया फ़ैसला नही था,शत्रुजीत भी ज़रूर उसके नज़दीक आना चाहता था वरना इतने बड़े ग्रूप का मालिक इतने मामूली से केस की जीत के लिए बधाई देने खुद क्यू आएगा-ये काम तो 1 फोन कॉल से भी हो सकता था.



"जी,हां.मैं सुभाष नगर की तरफ जा रहा था,कोर्ट रास्ते मे पड़ा तो सोचा की इसी बहाने आपको खुद बधाई दे दू."



"..और 1 बार फिर आपको इसी बहाने छु लू!",कामिनी मन ही मन मुस्कुराइ.उसे भी इस प्लेबाय के साथ इस खेल को खेलने मे मज़ा आने लगा था.शत्रुजीत के च्छुने से वो मदहोश हो जाती थी & उस वक़्त उसकी चूत मे जो मीठी कसक उठती थी,वैसा एहसास उसे अब तक ज़िंदगी मे नही हुआ था.



"अछा,अब मैं चलता हू.बाइ!",आख़िरकार उसने कामिनी का हाथ छ्चोड़ा & वाहा से चला गया.उसके जाने के बाद कामिनी भी करण से मिलने के लिए निकल पड़ी.



------------------------------



-------------------------------------------------



"कामिनी,अगर बुरा ना मानो तो 1 बात पुच्छू?"



"हां-2,कारण",कामिनी ने काँटे से नूडल्स उठा कर अपने मुँह मे डाला.



"देखो,मुझे ग़लत मत समझना.मैं बस 1 दोस्त की हैसियत से पुच्छ रहा हू."



"करण!सवाल पुछो."



"कामिनी,तुम इतनी खूबसूरत हो.इतनी समझदार & अपने पेशे मे भी तुम्हे कामयाबी हासिल है,फिर तुमने अभी तक शादी क्यू नही की?"



कामिनी ने अपना काँटा नीचे रख दिया & 1 पल खामोश रही,"मैने शादी की थी,करण पर...मेरा डाइवोर्स हो गया."



"ओह...ई'एम सॉरी,कामिनी...शायद मैने ग़लत सवाल पुच्छ लिया.."



"कम ऑन,करण!इट'स ओके.तुमने खुद कहा ना की दोस्त के नाते पुच्छ रहे हो..तो दोस्तो को हक़ होता है बेझिझक सवाल पुच्छने का!",कामिनी ने चिकन के 1 टुकड़े को काँटे से अपने मुँह मे डाला,"अब तुम बताओ.तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है?",जवाब का कामिनी को धड़कते दिल से इंतेज़ार था.



करण के होंठो पे हल्की सी मुस्कान खेल गयी,शायद उसमे थोड़ी शरारत भी मिली थी,"फिलहाल तो नही."



"फिलहाल?"



"हां..1 लड़की तो है...1 दिन उस से पुच्हूंगा देखते हैं क्या कहती है!",उसका जवाब सुन कामिनी कुच्छ नही बोली बस खामोशी से खाना खाती रही मगर उसके दिल मे बड़ी उथल-पुथल मची हुई थी....करण किस लड़की के बारे मे बोल रहा था?...कही उसी के बारे मे तो नही?...कोई और भी तो हो सकती है..अब जो भी हो...अब तो करण ही से इस बारे मे पता चल सकता है...उसने अभी खामोश रहना ही बेहतर समझा 7 दूसरी बाते करने लगी.



खाना ख़त्म कर दोनो माल से बाहर निकल रहे थे.उनके करीब पहुँचते ही माल के अटमॅटिक स्लाइडिंग डोर्स अपनेआप खुल गये,"ओह्ह..!",दोनो बाहर तो आ गये थे पर कामिनी की सारी का लहराता आँचल बंद होते स्लाइडिंग डोर्स मे फँस गया था.कामिनी फँसे आँचल को पकड़ कर थोड़ा झुकती हुई सी पलटी & ऐसा करते ही उसका गोरा सपाट पेट & कसे ब्लाउस के गले से झँकता उसका बड़ा सा दूधिया क्लीवेज कारण की नज़रो के सामने आ गये.



करण की निगाहो ने थोड़ी देर तक उसके जवान जिस्म को निहारा,फिर वो दरवाज़े के पास गया.करीब जाते ही दरवाज़े खुले & आँचल छूट गया.करण ने उसे थामा & वापस कामिनी के पास आ उसे उसके कंधे पे डाल दिया.



-------------------------------------------------------------------------------



केयी साल पहले पंचमहल के बाहर 1 कपड़े की काफ़ी बड़ी मिल खुली थी.मिल खुली तो उसमे काम करने वाले कारीगर & बाकी लोग मिल के पास रहने की जगह तलाशने लगे.मज़दूरो ने तो मिल के पास की खाली सरकारी ज़मीन पे ही अपनी झोपडिया डाल ली.धीरे-2 कर के मिल के पास की सारी सरकारी ज़मीन पे ऐसे ही काई सारी इल्लीगल कॉलोनीस बस गयी.



वो मिल ज़्यादा दीनो तक चल नही पाई & बंद हो गयी पर वो कॉलोनीस जस की तस बनी रही.धीरे-2 शहर ने पाँव पसारे & वो मिल & कॉलोनीस जो कभी शहर के बाहर हुआ करती थी,आज शहर का हिस्सा थी.



शत्रुजीत ने सरकार को 1 प्रपोज़ल दिया जिसमे मिल & उसके पास की सारी कॉलोनीस को तोड़ कर शूपिंग माल,अपार्टमेंट्स & ऑफीस कॉंप्लेक्स बनाने का सुझाव था.सरकार को उस पूरे इलाक़े से ना कोई टॅक्स मिलता था ना कोई रेवेन्यू-उल्टे ये सब सरदर्द ही बनी हुई थी.शत्रुजीत ने सभी कॉलोनीस के लोगो को उनके घरो के एवज मे मोटा हर्ज़ाना & दूसरे घर देने की बात कही थी.प्रपोज़ल मंज़ूर हो गया & उसपे काम भी शुरू हो गया.धीरे-2 करके सभी कॉलोनीस के लोग भी उसकी बात मान गये.



इन्ही कॉलोनीस मे से 1 थी सुभाष नगर,यहा कुल 40 मकान थे जिनमे से सभी उसकी बात मान चुके थे सिवाय 1 के-नत्थू राम,"अब्दुल,ये नत्थू राम आदमी कैसा है?",शत्रुजीत ने कार की पिच्छली सीट पे बैठे खिड़की से बाहर झाँका.


"भाई,1 नंबर का शराबी & सनकी है.पता नही क्यू हमारी बात नही मान रहा.1 तो साले का घर कॉलोनी के बीचोबीच है...जब तक वो नही मानता वाहा का काम अटका रहेगा.",बाजुओ को कोहनियो तक मोडी हुई शर्ट,जीन्स & काले चश्मे मे अब्दुल पाशा किसी फिल्मस्टर जैसा खूबसूरत लग रहा था.
Reply
12-31-2018, 03:56 PM,
#25
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कार सुभाष नगर पहुँच गयी तो दोनो उतर कर नत्थू राम के घर पहुँचे & उसका दरवाज़ा खटखटाया.दरवाज़ा खुला & 1 50-55 साल का लगभग पूरा गंजा हो चुका आदमी-उसके कानो के उपर & पीछे की तरफ बस थोड़े से बाल थे- 1 बनियान & मैला सा पाजामा पहने बाहर आया,"नमस्कार,मैं शत्रुजीत सिंग हू."

"मुझे आपसे कोई बात नही करनी.इन साहब को मैने पहले ही अपना फ़ैसला सुना दिया है.",थयोरिया चढ़ाए उसने पाशा की ओर इशारा किया.

"नत्थू राम जी!1 बार मुझे भी तो बताइए की आख़िर क्या बात है?आप क्यू नही बेचना चाहते अपना घर?आख़िर आपके सारे पड़ोसी भी तो अपने-2 घर बेच रहे हैं."

"कोई कुच्छ भी करे,मैं तो यही रहूँगा.इस जगह से मेरी बहुत सारी यादे जुड़ी हैं...अब मुझे और परेशान नही कीजिए.जाइए.",उसने शत्रुजीत & पशा के मुँह पे दरवाज़ा बंद कर दिया.दोनो ने 1 दूसरे की ओर देखा & फिर कार मे बैठ गये,"क्या करोगे भाई?"

"कुच्छ सोचता हू,बेटा.",शत्रुजीत खिड़की से बाहर देख रहा था.

-------------------------------------------------------------------------------

देर शाम कामिनी क्लब पहुँची.रिक्रियेशन रूम मे उसे उसकी पहचान वाले 1-2 लोग मिल गये,थोड़ी देर तक उनसे बाते करने के बाद वो छत पे आ गयी.वाहा की ठंडी हवा ने उसे तरोताज़ा कर दिया.वेटर को बुला उसने खाने का ऑर्डर दिया & उसके खाना लाने पर वही बैठ कर खाना खाया.

खाना ख़त्म करने के बाद हाथ मे पानी का ग्लास लिए वो छत पे टहलने लगी उसके कानो मे म्यूज़िक की हल्की आवाज़ सुनाई दी.आवाज़ पीछे की तरफ से आ रही थी जिधर स्विम्मिंग पूल था.वो उधर की रेलिंग की तरफ बढ़ गयी & नीचे देखने लगी,"ये नीचे क्या हो रहा है?,पास से गुज़रते 1 वेटर को उसने अपना खाली ग्लास थमाया.

"किसी मेंबर ने अपने गेस्ट्स के लिए पूल पार्टी दी है,मॅ'म.",नीचे पूल के पास कोई 40-45 लोग स्विमवेर पहने इकट्ठे थे-कोई पूल मे तेर रहा था तो कोई उसके किनारे बैठा पार्टी का लुत्फ़ उठा रहा था.

तभी उसने केवल 1 बर्म्यूडा शॉर्ट्स पहने 1 मर्द को 1 बिकिनी ब्रा & सरॉंग पहने 1 लड़की का हाथ पकड़े पार्टी से थोड़ा अलग जाते देखा,उसे वो मर्द कुच्छ जाना-पहचाना लगा...अरे!ये तो शत्रुजीत था!

कामिनी ने पहली बार उसका नंगा सीना देखा.यू तो उपर से इतनी ठीक तरह से दिखाई नही दे रहा था पर फिर भी कामिनी को उसके गथिले,कसरती बदन का अंदाज़ा तो हो ही गया.....अफ...कितने घने बॉल थे उसके सीने पे..& बाहो के मज़बूत बाइसेप्स कैसे चमक रहे थे!

पूल से थोडा हट के कुच्छ बड़े-2 पौधे लगे हुए थे,शत्रुजीत उस लड़की को उन्ही के पीछे ले गया.ऐसा करने से वो दोनो पार्टी मे शरीक लोगो की नज़रो से तो छिप गये थे पर छत पे खड़ी कामिनी को सब सॉफ-2 दिख रहा था.

शत्रुजीत लड़की के हाथो को पकड़ कर बार-2 उस से कुच्छ कह रहा था पर लड़की मानो हंस के मना कर रही थी.अचानक शत्रुजीत ने लड़की को खींच कर अपनी बाहो मे भर लिया & चूमने लगा.थोड़ी देर चूमने के बाद लड़की ने हंसते हुए शत्रुजीत को परे धकेल दिया.शत्रुजीत ने उसकी ना सुनते हुए उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया & इस बार अपने बड़े-2 हाथो से उसकी नाज़ुक सी गंद को सरोन्ग मे हाथ घुसा कर उसकी बिकिनी की पॅंटी के उपर से ही मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा,लड़की अभी भी हंस रही थी.

ये सब देख कर कामिनी के बदन मे भी मस्ती की लहर दौड़ गयी & उसका 1 हाथ उसकी जीन्स के उपर से ही अपनी चूत सहलाने लगा,"ऊओवव...!",लड़की की हँसी के साथ मिली-जुली चीख की मद्धम आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,शत्रुजीत ने उसकी गर्दन चूमते हुए 1 हाथ उसकी गंद से हटा उसकी बिकिनी ब्रा को खींच उसकी 1 छाती बाहर निकाल ली थी & उसे अपने मुँह मे भर लिया था.लड़की थोड़ी देर तक तो अपनी चूची चुस्वाति रही,फिर उसे परे धकेल दिया.

इस बार शत्रुजीत ने उसे फिर से अपनी बाहो मे क़ैद करने की कोशिश की तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ के उसके कान मे ना जाने क्या कहा.फिर दोनो 1 दूसरे की कमर मे हाथ डाले वापस पार्टी मे चले गये.कामिनी ने भी अपनी चूत से हाथ हटाया & आस-पास देखा-कोई भी उसकी तरफ नही देख रहा था.वो छत से उतरी & अपनी कार मे बैठ अपने घर को रवाना हो गयी.

-------------------------------------------------------------------------------

रात कामिनी अपने बिस्तर पे नंगी लेटी थी,उसका हाथ उसकी चूत को हौले-2 सहला रहा था.उसने आज पहली बार प्लेबाय शत्रुजीत सिंग को देखा था.उस लड़की के साथ की गयी शत्रुजीत की कामुक हर्कतो ने कामिनी को बहुत गरम कर दिया था.साथ ही उसे उस लड़की से थोड़ी जलन भी हो रही थी.उसकी जगह अगर वो होती तो!...& शत्रुजीत उसकी छाती को मुँह मे भर कर चूस रहा होता तो...!

उसका दूसरा हाथ उसकी चूचियो को दबाने लगा.उसने बेचैनी से करवट बदली तो उसे सवेरे जॉगिंग वाली बात याद आ गयी..करण कैसे उसकी जंघे सॉफ कर रहा था& उसकी साँसे कैसे उसकी प्यासी चूत को तडपा रही थी....& फिर माल के बाहर उसकी निगाहे कैसे उसके पेट & सीने से चिपक सी गयी थी...काश वो इस वक़्त यहा होता & उसकी प्यासी चूत को चाटते हुए अपने मज़बूत हाथो से उसकी चूचिया मसल रहा होता,"आहह...",इस ख़याल से ही कामिनी की आह निकल गयी & वो तेज़ी से हाथ चला अपनी बदन की गर्मी को ठंडा करने लगी.

-------------------------------------------------------------------------------
Reply
12-31-2018, 03:56 PM,
#26
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
दूसरे दिन करण ने कामिनी को रात का खाना साथ खाने को कहा.कामिनी फ़ौरन मान गयी...उसे अब यकीन हो चला था की उस दिन लंच पे कारण उसी के बारे मे कह रहा था.कितने दीनो बाद कामिनी 1 ढंग की डेट पे जा रही थी & वो आज करण को रिझाने मे कोई कसर नही छ्चोड़ना चाहती थी.करीब आने के लिए पहल तो करण को ही करनी थी लेकिन अगर वो कातिलाना अंदाज़ मे तैय्यार होकर इसमे उसकी मदद करे,तो इसमे हर्ज़ ही क्या था!

वो लंच टाइम मे नरकेट गयी & काफ़ी देर ढूँढने के बाद 1 बुटीक मे उसे 1 काले रंग की घुटनो तक की स्ट्रेप्लेस्स ड्रेस पसंद आई.शाम को नहा कर जब उसने उस ड्रेस को पहन कर खुद को आईने मे देखा तो उसे अपने उपर थोडा गुरूर हो आया.काले रंग की ड्रेस मे उसका गोरा रंग और भी खिल उठा था.कसी हुई ड्रेस मे उसके बदन के कटाव & भी कातिलाना अंदाज़ मे उभर आए थे.उसने बालो को ड्रेस के मुताबिक 1 खास अंदाज़ मे बाँधा & निकल पड़ी करण से मिलने के लिए.

"हाई!यू'आर लुकिंग गॉर्जियस.",करण ने सर से पाँव तक उसे निहारा.ऊँची हाइ हील सॅंडल्ज़ मे उसके नाज़ुक पाँव & गोरी,सुडोल टांगे बड़ी मस्त लग रही थी.स्टरप्लीस ड्रेस की वजह से उसकी भारी बाहे,उपरी पीठ & चूचियो से उपर का हिस्सा रेस्टोरेंट की रोशनी मे चमक रहे थे.

हाइ हील्स के कारण चलते वक़्त उसकी कमर कुच्छ ज़्यादा ही मटक रही थी.शायद उसकी नशीली चल देख कर ही करण के दिल मे 1 ख़यला आया,"कामिनी,चलो पहले डॅन्स करते हैं."

उसके जवाब का इंतेज़ार किए बगैर ही वो उसे डॅन्स फ्लोर पे ले गया.बड़े दिन बाद कामिनी ऐसे नाच रही थी.तभी म्यूज़िक बदला & काफ़ी धीमी सी रोमॅंटिक धुन बजने लगी,बत्तिया भी मद्धम हो गयी.कारण ने अपने बाए हाथ मे उसका डाय हाथ पकड़ा & दाए मे उसकी पतली कमर,कामिनी ने भी अपना बाया हाथ उसके कंधे पे रख दिया & दोनो खामोशी से थिरकने लगे.

कामिनी को अपनी कमर पे कारण के हाथ का दबाव थोड़ा बढ़ता हुआ महसूस हुआ तो वो उसके थोड़ा और करीब खिसक आई. करण बस लगातार उसे देखे जा रहा था.शर्म के मारे कामिनी उस से नज़रे नही मिला पा रही थी.कारण उस से कद मे लंबा था & ना केवल वो अपनी बाहो मे थिरक रही उस खूबसूरत लड़की के चेहरे को निहार रहा था बल्कि बीच-2 मे उसकी निगाहे नीचे उसके सीने से भी टकरा रही थी.

थोड़ी देर बाद म्यूज़िक बदन हुआ तो दोनो जैसे सपने से बाहर आए & अपनी टेबल पे बैठ खाने का ऑर्डर दिया.खाने के बाद दोनो करण की कार मे वाहा से घर के लिए निकले.आज उसने कामिनी को उसके घर से ही पिक कर लिया था.

कुच्छ देर बाद कार 1 अपार्टमेंट बिल्डिंग के बाहर पहुँची,"मैं यही रहता हू,कामिनी.अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो 1-1 कप कॉफी हो जाए?इसी बहाने तुम्हे अपना ग़रीबखना भी दिखा दूँगा."

क्या करण बस 1 कोफ़फे के लिए कह रहा था...और कोई इरादा नही था उसका?...अगर था भी तो उसे इसी का इंतेज़ार नही था?...तो फिर अब क्यू घबराहट हो रही है उसे?...काब्से वो 1 मर्द के साथ के लिए तरस रही थी & आज जब मौका आया है तो वो 1 कुँवारी लड़की की तरह झिझक रही है!...और फिर करण जैसा सजीले & सुलझे हुए इंसान से अच्छा शख्स & कौन मिल सकता था उसे,"..ओके.करण.चलो."

-------------------------------------------------------------------------------

"ये है मेरा छ्होटा-सा घर,कामिनी.",बिल्डिंग के दसवे माले के फ्लॅट के अंदर दोनो ने कदम रखा..ड्रॉयिंग-कम-डाइनिंग हॉल बड़े अच्छे अंदाज़ मे सज़ा हुआ था.हर चीज़ काफ़ी कीमती थी पर कही से भी दौलत के दिखावे की झलक नही थी.

"आओ तुम्हे मेरे घर का सबसे पसंदीदा हिस्सा दिखाता हू..",दोनो 1 कमरे मे दाखिल हुए जहा करण ने 1 हल्की रोशनी वाला लॅंप जला दिया,"..ये मेरा बेडरूम है.",करण कमरे के दूसरे छ्होर पे 1 शीशे का दरवाज़ा खोल रहा था,"आओ."कामिनी उसके पीछे-2 दरवाज़े के बाहर बाल्कनी मे चली गयी.

"वाउ!",सामने का नज़ारा देख कर उसके मुँह से बेसखता तारीफ निकल गयी.करण की 15 मंज़िला अपार्टमेंट बिल्डिंग पंचमहल के उस इलाक़े की शायद सबसे ऊँची इमारत थी.पास ही पंचमहल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ने सैलानियो & लोगो की तफरीह के लिए 1 बहुत बड़ा बाग बनाया था जिसके बीच मे 1 आर्टिफिशियल झील थी,जिसमे लोग बोटिंग करते थे.आज पूनम की रात थी & पूरे चाँद की सफेद रोशनी मे नीचे बाग & झील बड़े खूबसूरत लग रहे थे.इस वतक़ बह बिल्कुल खाली था & ऐसा लग रहा था मानो उपरवाले ने बस उन्ही दोनो के लिए ये नज़ारा पहा किया हो & उपर से चाँद की शक्ल मे उनपे मुस्कुरा रहा हो.

"कितना खूबसूरत नज़ारा है,करण!..& आसमान मे चाँद भी कितना सुंदर दिख रहा है!"

"आज तक मैं भी यही सोचता था पर अभी-2 एहसास हुआ की मैं कितना ग़लता था.",कामिनी ने सवालीयो नज़रो से उसे देखा.

"इस चाँद,इस नज़ारे से भी खूबसूरत कुच्छ है."

"क्या?"

"तुम",हया से कामिनी के गाल सुर्ख हो गये & उसने करण से नज़रे फेर ली & झील की ओर देखने लगी.उसका दिल बड़े ज़ोरो से धड़क रहा था.शहर की कामयाब,मशहूर क्रिमिनल लॉयर कामिनी शरण इस वक़्त किसी स्कूल की लड़की की तरह घबरा रही थी.

करण ने हाथ बढ़ा के उसके बँधे बॉल खोल दिए तो वो कमर तक लहरा गये,"..ये देखो..ये भी तो काली रात से घिरा चाँद है..",उसने उसकी ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखा तो शर्म के बोझ से कामिनी की आँखे बंद हो गयी,"..पर वो आसमान का चाँद तो इस चाँद के आगे कही भी नही ठहरता!"

करण उसके करीब आ उसके उपर झुक गया था.अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस करते ही कामिनी ने अपनी पलके खोली तो देखा की करण के के होठ उसके होंठो पे झुक रहे हैं & जैसे ही करण के नर्म होंठ उसके गुलाबी होंठो से टकराए उसकी आँखे फिर बंद हो गयी & बदन मे रोमांच की लहर दौड़ गयी.

काफ़ी देर तक करण वैसे ही उसकी ठुड्डी थामे उसके लबो को चूमता रहा & वो भी वैसे ही खड़ी उस लम्हे का लुत्फ़ उठाती रही.दोनो के जिस्मो की बेताबी बढ़ रही थी.करण ने हाथ उसकी नंगी उपरी पीठ के गिर्द डाल उसे बाहो मे भरा तो कामिनी ने भी अपनी बाहे उसकी कमर मे डाल दी.

उसके होंठ चूमते हुए करण ने उनपे अपनी जीभ से दस्तक दी तो कामिनी ने अपने लब खोल उसे अंदर आने का न्योता दिया & जैसे ही करण की जीभ अंदर आई,कामिनी ने अपनी जीभ उस से लड़ा दी.दोनो की बाहे 1 दूसरे पे और मज़बूती से कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.कभी करण उसके मुँह मे अपनी जीभ डालता तो कभी वो करण के.

चूमते हुए करण उसे वापस बेडरूम मे ले आया.अब उसने अपने हाथ कामिनी की पतली कमर मे डाल दिए & कामिनी ने अपनी बाहे उसके गले मे.करण के हाथ उसके पूरे जिस्म पे फिसला रहे थे & उसकी ड्रेस के ज़िप को ढूंड रहे थे.कामिनी को उसकी ये पशोपेश समझ मे आ रही थी पर उसने अपने प्रेमी को छेड़ने की गरज से उसकी कोई मदद नही की. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही ख़तम करता हूँ आगे की कहानी जानने के लिए पार्ट १० पढ़ना ना भूले

क्रमशः..................................
Reply
12-31-2018, 03:57 PM,
#27
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--10

करण अब उसकी गर्दन & ड्रेस के उपर के खुले हिस्से को चूम रहा था.बेचैन करण के हाथ कामिनी की कमर से फिसल कर उसकी गंद पे पहुँच गये.भारी,मांसल गांद हाथ मे आते ही उसने उसकी फांको को ज़ोर से दबा दिया,"..ऊऊहह..!"

कामिनी सिहर के शोख मुस्कान होंठो पे लिए उसकी बाहो से छितक के निकल गयी.करण ने आगे बढ़ 1 बार फिर उसे अपनी बाहो मे कस लिया.इस बार उसने उसे खुद से ऐसे सताया हुआ था जैसे की वो हवा को भी बीचे मे नही आने देना चाहता हो.उसके हाथ उसे बाँहो मे कसे हुए उसकी बगल मे फिसल रहे थे की तभी उसके दाये हाथ को कामिनी के बदन के दाई तरफ बगल मे छुपि ड्रेस की ज़िप मिल गयी.

"सर्र्र्र्र्र्ररर....",1 ही झटके मे उसने ज़िप खोल दिया.कामिनी ने शर्मा के उस से अलग होना चाहे पर करण इस बार उसे काफ़ी मज़बूती से पकड़े था.उसने उसकी गर्दन के नीचे चूमते हुए दोनो हाथो से पकड़ कर ड्रेस को इतनी ज़ोर से नीचे खींचा की वो उतर कर सीधा कामिनी के पाँवो मे जा फाँसी.कामिनी उसे धकेल उस से अलग हुई & अपने पैरो को ड्रेस से निकल कर दो कदम पीछे हट गयी.

करण का मुँह खुला का खुला रह गया.काले सॅटिन के चमकते स्ट्रेप्लेस्स ब्रा & मॅचिंग छ्होटी सी पॅंटी जोकि बस उसकी छूट को ढँके भर थी,मे कामिनी का मादक बदन और भी नशीला लग रहा था.ब्रा मे से उसकी च्चातियो का उपरी भाग दिख रहा था जो उसकी तेज़ सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी.नीचे सपाट,चिकने पेट के बीच गोल,गहरी नाभि नज़र आ रही थी & पतली कमर के नीचे काली पनटी जोकि जन्नत को च्चिपाए हुए थी.उसकी भारी जंघे & सुडोल,गोरी टाँगे जैसे कारण को अपने बीच आने का बुलावा दे रही थी.

कारण की आँखो मे अब उसके बदन की तारीफ & चाहत,दोनो सॉफ दिख रहे थे.उसकी नज़रो की गर्मी से शर्मा के कामिनी मुस्कुराते हुए घूम गयी & ये नज़ारा देख कर कारण बस बेकाबू हो गया.कामिनी ने अभी भी अपनी सॅंडल्ज़ पहनी हुई थी & उनकी वजह से उसकी भारी गंद और उठी नज़र आ रही थी & गोरी पीठ के बीच बस 1 काला ब्रा स्ट्रॅप दिख रहा था.

करण पीछे से उस से जा सटा & उसे बाहो मे भर उसके दाए गाल & फिर उसकी गर्दन & दाए कंधे को चूमने लगा.उसके हाथ कभी कामिनी की कमर के बगल मे सहलाते तो कभी उसके सपाट,गोल पेट को,"ओह्ह..कामिनी,मैने जितना सोचा था तुम उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत हो!",उसकी नाभि कुरेदते हुए वो अब उसके बाए गाल को चूम रहा था.कामिनी ने भी अपनी बाहे पीछे ले जाके उसके गले मे डाल दी थी & उसकी हर किस का जवाब उसके चेहरे को चूम कर दे रही थी.

"..मुझे यकीन नही होता की तुम मेरी बाहो मे हो,कामिनी.",उसने उसके कान को काट लिया.

"..ऊव्वव..!",अपनी तारीफ सुन कामिनी का दिल खुशी से भर उठा था,"..हां,अमीन तुम्हारी बाहो मे हू कारण..ऊहह...मुझे जैसे मर्ज़ी प्यार करो...जितना मर्ज़ी प्यार करो..!"

उसकी बातो को सुन करण और जोश मे आ गया.उसने उसे घुमाया & फिर उसकी मखमली पीठ & कमर को अपने हाथो से रगड़ते हुए उसे चूमने लगा.कामिनी के होंठो,गालो,माथे-पूरे चेहरे पे & उसकी लंबी गर्दन पे उसने किस्सस की बौच्हार कर दी.

करण ने बेसब्री से आगे झुकते उसके क्लीवेज को चूमा तो कामिनी पीछे झुकते हुए लड़खड़ाई & उसकी गांद पीछे रखे शेल्फ से टकराई.करण ने उसकी कमर से पकड़ उसे उठाया & शेल्फ पे बिठा दिया.फिर आगे बढ़ वैसे ही खड़े हुए उसने कामिनी को बाहों मे भर फिर से चूमना शुरू कर दिया.कामिनी भी अब बेचैनी से उसके सीने & पीठ पे हाथ फिरा रही थी.

उसने 1-1 करके करण की शर्ट के सारे बटन खोल उसे उतार दिया.करण की बालो से भरी छाती नंगी होते ही वो उसे बेताबी से सहलाने लगी.वो दोनो हाथो से उसके निपल्स पे हाथ फेरने लगी,फिर झुकी & सीने को चूमने लगी.करण उसके सर & पीठ पे हाथ फिराए जा रहा था.

करण ने उसका हाथ पकड़ा & अपनी बेल्ट पे रख दिया.कामिनी उसका इशारा समझ गयी,उसने शोखी से मुस्कुराते हुए उसकी बेल्ट खोल दी.करण ने आँखो से उसे पॅंट भी खोलने का इशारा किया तो कामिनी ने उसकी पॅंट खोलना शुरू किया.ज़िप खुलते ही पॅंट सरक कर करण की आएडियो पे गिर गयी.करण ने पैर निकला कर पॅंट को परे कर दिया.

अब वो केवल अंडरवेर मे कामिनी के सामने खड़ा था.कामिनी ने नज़र भर कर उसे देखा,अंडरवेर काफ़ी फूला हुआ था....अफ!...थोड़ी ही देर मे इसमे क़ैद लंड उसके अंदर होगा!...उसकी चूत अब तक पूरी गीली हो चुकी थी,ये ख़याल आते ही उसमे 1 मीठी सी कसक उठी.

करण ने फिर से उसे बाहो मे भर चूमना शुरू कर दिया.अब उसका लंड बैठी हुई कामिनी की पॅंटी से ढाकी चूत से पूरा सटा हुआ था & वो हल्के-2 अपनी कमर हिला रहा था.इन हल्के धक्को से मस्त हो कामिनी अपने प्रेमी से और चिपक गयी.दोनो के बीच बस अब उनके अनडरवेर्ज़ की दीवार थी.

दोनो मस्ती मे पागलो की तरह 1 दूसरे को चूम रहे थे& 1 दूसरे के पूरे बदन पे हाथ फिरा रहे थे.करण के हाथ उसकी पीठ पे ब्रा स्ट्रॅप से टकराए तो उसने उसे झट से खोल ब्रा को कामिनी के खूबसूरत जिस्म से अलग कर दिया.करण उसके हाथो को छ्चोड़ सीधा खड़ा हुआ & पहली बार कमरे मे जल रहे लॅंप की मद्धम रोशनी मे कामिनी की 38द साइज़ की बड़ी कसी हुई गुलाबी निपल्स से सजी छातिया को देखा.

सांसो के साथ उपर-नीचे होते उसके उरोज़ मस्ती मे शायद थोड़े और बड़े हो गये थे.करण झुका & उसकी बाई चुचि को अपने दाए हाथ मे भर कर हल्के से दबाया & फिर निपल & उसके आस-पास के हिस्से को अपने मुँह मे भर उनपे ज़ुबान फेरने लगा,"..उउउन्न्ञनह......!",

मस्ती मे आ भर कामिनी ने आँखे बंद कर अपना सर पीछे कर लिया & अपने दोनो हाथो से करण के सर को अपनी चूची पे और भींच दिया.उसकी टांगे खुद बा खुद उसकी कमर पे कस गयी.केयी लम्हो तक करण उसकी छाती का लुत्फ़ उठता रहा.कामिनी ने उसके बॉल पकड़ कर हल्के से उसके सर को उठाया,फिर अपने दाई चूची पकड़ी & करण का सर झुका कर उसे उसके मुँह मे दे दिया.

उसकी इस अदा ने करण की मस्ती को और बढ़ा दिया & वो इस बार और जोश के साथ उसकी छाती को चूसने लगा.उसका 1 हाथ उसकी बाई चुचि को मसलने लगा.कामिनी मज़े मे पागल हो आँखे बंद किए बड़ी मस्त आहे भरने लगी.कभी उसके हाथ उसके सर पे चले जाते & उसके बालो से खेलने लगते तो कभी वो पीछे की दीवार पे बेचैनी से फिसलने लगते & कभी उसके प्रेमी के बदन से.

उसकी चूचियो से जम कर खेलने के बाद करण नीचे झुका & उसकी पॅंटी निकालने लगा.धड़कते दिल से गंद उठा के कामिनी ने इसमे उसकी मदद की.उसकी प्यासी चूत कब से इस पल का इंतेज़ार कर रही थी,"..वाउ..!"

कामिनी ने कल ही चूत के बाल सॉफ किए थे & मद्धम रोशनी मे उसकी कसी,गुलाबी चूत अपने ही रस से भीगी हुई बड़ी प्यारी लग रही थी.विकास के बाद करण दूसरा मर्द था जिसके सामने कामिनी ऐसे नंगी हुई थी.उसकी आँखो मे अपने जिस्म के सबसे खूबसूरत अंग के लिए तारीफ देख उसे शर्म आ गयी.

करण बैठ कर उसके नर्म घुटनो को चूमने लगा.उसने उसकी जंघे उठा कर अपने कंधो पे रखी तो कामिनी मस्ती मे उसके सर को पकड़ कर बालो मे उंगलिया फिरने लगी.उसकी अन्द्रुनि जंघे चाटता हुआ करण उसकी चूत तक पहुँच गया.अपने हाथो से उसकी जाँघो को पकड़ कर सहलाते हुए जब उसने पहली बार अपनी जीभ उसने कामिनी की छूट की डरा पे फिराई तो कामिनी ने मज़े मे अपना बदन मोड़ कर सर पीछे की ओर झुका दिया.अपनी जाँघो से करण को भींचते हुए उसने अपने हाथो से उसके सर को अपनी चूत पे और भींच दिया,"ऊहह....हा..अन्न्न्न..!"
Reply
12-31-2018, 03:57 PM,
#28
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
करण की जीभ लपलपाति हुई उसके दाने को छेड़ रही थी.महीनो की प्यासी कामिनी थोड़ी ही देर मे झाड़ गयी.वो लंबी साँसे भर अपने को संभाल रही थी पर करण वैसे ही बैठा हुआ उसकी चूत से बह रहे पानी को चाटता रहा.पूरा पानी चाट लेने के बाद वो खड़ा हुआ & कामिनी के चेहरे को अपने हाथो मे भर चूमने लगा.कामिनी ने भी उसे बाहो मे भर लिया & उसकी किस्सस का जवाब देने लगी.

करण अब पूरे जोश मे आ चुका था,उसने कामिनी का हाथ पकड़ अकर अपने अंडरवेर के वेयैस्टबंड पे रख दिया,फिर उसके चेहरे को हाथो मे भरा,"इसे उतार दो,कामिनी."

कामिनी उस के सामने नंगी पड़ी हुई थी,1 बार उसकी ज़ुबान से झाड़ चुकी थी-फिर भी इस हाल मे भी उसे शर्म आ गयी.मगर उसका दिल भी तो उसके लंड के दीदार के लिए तड़प रहा था.उसने अपना चेहरा उसके बालो भरे सीने मे च्छूपा लिया & धीरे से उसके अंडरवेर को नीचे सरका दिया.पॅंट की तरह करण ने इसे भी पाँव निकल कर अपने जिस्म से अलग कर दिया.

कामिनी ने सर झुका कर पहली बार करण के लंड का दीदार किया.काली,चमकती झांतो से घिरे 2 बड़े अंदो के उपर उसके जिस्म की तरह ही उसका 7 1/2 इंच लंबा लंड हल्के-2 ठुमके लगा रहा था.प्रेकुं की वजह से उसका गुलाबी सूपड़ा चमक रहा था.विकास के लंड के बाद ये दूसरा लंड था जिसे कामिनी ऐसे देख रहे थी.उसे ये देख के खुशी हुई की लंड उसके पूर्वपति के लंड से कुच्छ बड़ा ही था.बस कुच्छ ही देर मे उसकी चूत की प्यास बुझने वाली थी.

करण ने बाए हाथ से उसके प्यारे चेहरे को पकड़ कर चूमा & दाए हाथ से लंड को थाम कर उसकी चूत पे लगा दिया & फिर 1 ज़ोर का धक्का दिया,"..आनन्नह...!",1 ही झटके मे आधा लंड उसकी गीली चूत मे सरर से घुस गया.कामिनी ने फ़ौरन अपनी मरमरी बाहे उसकी गर्दन मे डाल दी.

हाइ हील्स से सजे पाँवो को उसने आएडियो पे क्रॉस करते हुए कारण की गंद के नीचे लगा उसे अपनी गिरफ़्त मे कस लिया.शेल्फ पे सहारे के लिए हाथो को रख करण उसके रसीले होंठो को चूमते हुए धक्के लगा लंड को जड़ तक उसकी चूत मे धसने लगा,"आँह...आँह...आअंह...

आआअननह..."

कामिनी को विकास के लंड की आदत थी & करण का लंड उस से 1 1/2 इंच बड़ा था सो जब लंड पूरा अंदर गया तो उसे थोडा दर्द हुआ पर उस से भी कही ज़्यादा उसे वो मज़ा आया जिसे वो भूल ही चुकी थी.वो बेचैनी से अपनी कमर उचकाने लगी तो करण ने अपने हाथ उसकी गंद की फांको के नीचे लगा उन्हे थाम लिया & ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.

कामिनी की आहे बहुत तेज़ हो गयी & वो मस्ती मे पागल हो करण से चिपक गयी & उसे चूमते हुए अपनी कमर हिलाने लगी.उसकी प्यासी चूत ने अरसे बाद लंड की रगड़ाहट महसूस की थी & वो बस पानी पे पानी छ्चोड़ रही थी,"ओह्ह्ह...!",करण करहा,मस्ती मे कामिनी ने अपनी सॅंडल्ज़ की हील्स की नोक उसकी गंद मे धंसा दी थी & दर्द से उसके धक्के और तेज़ हो गये & कामिनी दुबारा झाड़ गयी.

करण उसे वैसे ही गंद से उठाए हुए बिस्तर पे ले आया & वैसे ही उसे लिएट उसके उपर लेट गया.उसकी गंद की फांको को मसलते हुए वो उसके प्यारे चेहरे को चूम रहा था.थोड़ी देर मे कामिनी फिर से मस्त होने लगी तो वो उसके होंठो को चूमने लगी.करण काफ़ी देर से अपने उपर काबू रखे हुए थे-अब उसकी बारी थी.अपनी प्रेमिका की गंद मसलते हुए उसने फिर से धक्के लगाना धुरू किया.

शुरू मे धक्के काफ़ी हल्के थे,फिर उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर गहरे धक्के लगाना शुरू किया तो कामिनी फिर से पागल हो गयी...वो अपने हाथो से उसकी पीठ & गंद को सहलाने लगी & अपनी टांगे उसेन फिर से उसकी कमर पे कस दी.कारण उसकी छातियो को चूस्ता हुआ बस उस चोदे जा रहा था.उसे तो बस अब इस कसी,गुलाबी चूत को अपने पानी से भर देना था.

कामिनी फिर से मस्ती की खुमारी मे आ गयी थी,उसकी आँखे बंद हो गयी थी & वो बस अपने प्रेमी की चुदाई का मज़ा लेते हुए ज़ोर-2 से आहे भर रही थी.कारण का लंड उसकी चूत की गहराईयो मे तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था.मज़ा बढ़ा तो उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गाड़ा दिए.उसका दिल किया की वो बस उसके लंड को अपनी चूत मे भींच दे...उसने अपनी टांगे उसकी कमर पे और कस दी & ऐसा करते ही उसकी हील्स करण की गंद की दोनो फांको मे धँस गई.

"..आहह...",करण करहा & उसकी चूचियो से मुँह हटा उसने अपना सर उपर उठा लिया & उसके धक्के और तेज़ हो गये.

"हन...हान्ं....हान्न्न...हा...आअन्न्‍नणणन्....!",कामिनी ने उसकी पीठ मे अपने नाख़ून धंसा दिए & अपना जिस्म बिस्तर से उठती हुई झाड़ गयी.उसकी हर्कतो,उसके चेहरे के भाव & उसकी चूत की सिकुड़न ने करण का भी सब्र तोड़ दिया & वो भी आहे भरता हुआ,तेज़ धक्के लगाता उसकी चूत को अपने पानी से भरने लगा.

झड़ते ही वो हांफता हुआ कामिनी के सीने पे गिर गया...कितने दीनो बाद कामिनी की चूत की प्यास बुझी थी...उसके होंठो पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी & दिल मे करण के लिए बहुत प्यार उमड़ पड़ा.उसने उसके सर को बाहो मे भर लिया & उसके सर को हल्के-2 चूमने लगी.

क्रमशः...........................
Reply
12-31-2018, 03:57 PM,
#29
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--11

करण ने सर उठाया तो दोनो 1 दूसरे को देख मुस्कुरा दिए.बढ़िया चुदाई से दोनो के जिस्मो की आग ठंडी हो गयी थी & अब दोनो के चेहरो पे संतोष & खुशी के भाव थे.कामिनी करण के चेहरे को अपने हाथो से सहलाने लगी.

करण के हाथ अभी भी उसकी मस्त गंद के नीचे दबे हुए थे.उसने उन्हे वाहा से खींचा तो तो वो कामिनी के पैरो से टकरा गये जिन्हे उसने उसकी कमर से उतार कर अब घुटनो को मोड़ बिस्तर पे रख लिया था,"इन्होने तो मेरी हालत खराब कर दी!",उसने उसकी हाइ हील सॅंडल्ज़ की ओर इशारा किया तो दोनो हँस पड़े.

कामिनी अपनी 1 टांग उठा हाथ बढ़ा के उस पैर की सॅंडल खोलने लगी तो करण,वैसे ही उसके उपर लेटे उसकी चूत मे अपना सिकुदा लंड डाले उसकी दूसरी सॅंडल उतारने लगा.थोड़ी ही देर बाद दोनो सॅंडल्ज़ ज़मीन पे गिरी हुई थी.

दोनो 1 दूसरे के चेहरो पे हाथ फेरते हुए 1 दूसरे को चूमने लगे,"आइ लो-.."

"प्लीज़ करण..",कामिनी ने उसके होंठो पे हाथ रख दिया & उसे अपने उपर से हटते हुए उठ बैठी.

"क्या हुआ कामिनी?",करण भी उठ गया & उसकी बगल मे बैठ उसे अपनी बाई बाँह के घेरे मे ले लिया.

"करण.."

"हां,कामिनी कहो."

"करण,प्लीज़ हुमारे रिश्ते को कोई नाम मत दो...प्लीज़!"

"मगर..-"

"प्लीज़ करण,ऐसा करना कोई ज़रूरी तो नही.देखो मुझे ग़लत मत समझना.जितनी खुशी मैने तुमसे अभी पाई है,उसे मैं लफ़ज़ो मे बयान नही कर सकती..",कामिनी थोडा घूम कर उसके सीने को सहला रही थी.करण का बाया हाथ तो अभी भी कामिनी के बाए कंधे पे था,मगर दाया अब उसकी भारी दाई जाँघ पे फिसल रहा था.

"..लेकिन मैं रिश्तो के पचदे मे पड़ हुमारे इस खूबसूरत एहसास को खोना नही चाहती....मुझे नही पता कल मेरी ज़िंदगी क्या मोड़ लेगी...हो सकता है,मैं फिर से शादी कर लू....या फिर हो सकता है ऐसे ही रहू...",उसका हाथ करण के सीने से सरक नीचे उसकी गोद मे लटक रहे लंड पे आ गया था,सिकुदे लंड को मुट्ठी मे भरने उसे बहुत अच्छा लगा.

करण भी अब उसकी जाँघो से आगे बढ़ हाथ को उसकी दोनो के रसो से भीगी चूत पे ले गया था.कामिनी ने थोडा आगे बढ़ जैसे उसकी उंगलियो को चूत के अंदर लेने की कोशिश की,"..मगर आज मैं बस अपनी ज़िंदगी भरपूर जीना चाहती हू..इसका पूरा लुत्फ़ उठना चाहती हू..बिना किसी बंधन के.",उसके हाथो की हर्कतो से करण का लंड 1 बार फिर खड़ा हो गया था & उसकी चूत भी करण की उंगलियो की रगड़ से कसमसने लगी थी.

"मैं तुम्हारी बात समझ गया,कामिनी.तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा.मैं हुमारे इस रिश्ते को कोई नाम नही दूँगा.",उसका जवाब सुनते ही कामिनी ने अपने होंठ उसके होंठो से सटा दिए.कारण ने चूमते हुए उसे लिटाया & उसकी टांगे फैला उसके उपर सवार हो 1 बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसाने लगा.

------------------------------

-------------------------------------------------

जगबीर ठुकराल अपनी ऐसह्गह के फूलो से सजे बिस्तर पे अपनी 1 रखैल के उपर चढ़ा हुआ था.उस लड़की ने 1 बहुत ढीली,झीनी नाइटी पहनी थी जोकि उसके घुटनो के उपर तक आती थी.वो लड़की पीठ के बाल लेटी थी & केवल 1 अंडरवेर पहने ठुकराल उसके उपर लेट उसकी नाइटी के गले मे से उसकी 1 चूची निकाल कर चूस रहा था.3 लड़किया बिस्तर पे ही उनके पास बैठी उनके बदनो को सहलाती हुई उनका कामुक खेल देख रही थी.पाँचवी लड़की अभी-2 शवर क्यूबिकल से नहा के निकली थी & तौलिए से अपना बदन पोंच्छ रही थी.

तभी ठुकराल का मोबाइल बजा तो उसने लड़की की छाती से सर उठा कर फोन लाने का इशारा किया.वो नहा कर आई लड़की केवल 1 पॅंटी पहने आगे बढ़ी & मेज़ से मोबाइल उठाकर ठुकराल की पीठ पे अपनी नंगी चूचिया दबाती लेट गयी.अब 1 लड़की के उपर ठुकराल था & उसके उपर ये दूसरी लड़की.

लड़की ने मोबाइल ऑन कर पीछे से ठुकराल के दाए कान पे लगा दिया & उसके सर को चूमने लगी,"हेलो....अच्छा...ठीक है,मैं अभी नीचे आता हू,माधो..तुम गाड़ी निकालो.",ठुकराल लड़की के उपर से उठने लगा तो उसके उपर सवार लड़की भी उसकी पीठ से उतर गयी.ठुकराल बिस्तर से उतर कर खड़ा हुआ & उसकी ओर हाथ बढ़ाया.लड़की मुस्कुराती हुई उसकी बाहो मे आ गयी,"चलो घूमने चलते हैं."

-------------------------------------------------------------------------------

कोई भी इंसान अपने दिल मे खुद के कितने भी राज़ च्छूपा ले,उसे 1 राज़दार की ज़रूरत तो पड़ती ही है.ठुकराल का राज़दार था माधो.ठुकराल ने उसपे कभी कोई बहुत बड़ा एहसान किया था,उस दिन से माधो बस उसका भक्त बन गया.अब तो वो उसका सेक्रेटरी,बॉडीगार्ड,ड्राइवर सभी कुच्छ था...यू कहिए की वो ठुकराल की परच्छाई था.

दुनिया उसे उसका खास नौकर समझती थी.निचली मंज़िल की देख-रेख उसी के ज़िम्मे थी मगर उसे उपरी मंज़िल के बारे मे भी सब पता था & ठुकराल के बाद वही दूसरा मर्द था जो कभी भी वाहा जा सकता था.लंबा,तगड़ा घनी मूच्छो वाला माधो हुमेशा सफेद कुर्ते-पाजामे मे रहता था & उसकी सबसे बड़ी ख़ासियत-ठुकराल के लिए वफ़ादारी के अलावा ये थी की वो कभी भी औरतो पे गंदी नज़र नही डालता था.

पर उसे अपने मालिक की अययाशिया बुरी नही लगती थी,उसने उसपे एहसान किया था & अब वो उसके लिए हर काम करता था-अच्छा या बुरा.ठुकराल भी पूरी दुनिया के साथ कमीनपन करता पर माधो के साथ कभी भी नही.उसका & गाँव मे बसे उसके परिवार का उसने हुमेशा खास ख़याल रखा.

वही माधो इस वक़्त अपने मालिक को कार ड्राइव कर पंचमहल के बाहर अरना के जुंगलो की तरफ ले जा रहा था.शहर छ्चोड़ते ही 1 बस स्टॅंड दिखा,उस से थोड़ा आगे बढ़ माधो ने कार 1 कच्चे रास्ते पे उतार दी.

कार की पिच्छली सीट पे ठुकराल बैठा था & उसकी गोद मे वही लड़की.लड़की ने घुटनो तक की कॅप्री & बिना ब्रा के टॉप पहना था.ठुकराल को अपने लंड पे उसकी नाज़ुक मगर चौड़ी गंद का कोमल एहसास बड़ा मज़ेदार लग रहा था.उसने लड़की का टॉप उठा कर उसकी चूचिया नुमाया कर दी थी.उसका बाया हाथ उसकी कमर को मसल रहा था & दाए से उसकी बाई चुचि दबाते हुए वो उसकी बाई चुचि चूस रहा था.लड़की उसके बालो को खींचती आहे भर रही थी.

"हम पहुँच गये,मालिक.",जंगल के अंदर 1 वीरान जगह पे कार रुक गयी थी.

"वो आ गया मलिक.."

"अच्छा..",ठुकराल ने लड़की को गोद से उतारा,"..यही बैठो..मैं अभी आया.",ठुकराल कार से उतर कर उस अंजन शख्स से थोड़ी दूर पे खड़ा हो बाते करने लगा.माधो वही कार के पास खड़ा दोनो को देख रहा था & लड़की कार के काले शीशो के पीछे बैठी ठुकराल का इंतेज़ार कर रही थी.

"..समझ गये ना.किसी को कानोकान खबर नही होनी चाहिए की तुम मुझे जानते हो.इसीलिए इस वीराने मे तुम्हे बुलाया था.बस कुच्छ ही दीनो मे प्लान शुरू हो जाएगा..& माधो तुम्हे खबर करेगा.कोई तकलीफ़ हो उसे बताना,वो तुम्हारी पूरी मदद करेगा.अब जाओ."

वो आदमी निकला तो ठुकराल वापस गाड़ी मे बैठ गया.लड़की वैसे ही टॉप उठाए उसका इंतेज़ार कर रही थी.ठुकराल ने पॅंट की ज़िप खोल अपना लंड निकाला तो लड़की सीट पे अपने घुटनो पे बैठ झुक गयी & उसका लंड मुँह मे ले लिया.ठुकराल उसकी नंगी पीठ पे हाथ फेरने लगा.कार तेज़ी से वापस शहर की ओर जा रही थी.

उस बस स्टॅंड को पार करते ही 1 बूढ़ा सा आदमी दिखा.उसे देखते ही माधो ने कार उसके पास लेक रोक दी.ठुकराल ने लड़की को लंड से उठने का इशारा किया,"..ज़रा वो पैसे तो दो.",लड़की उठी & पास रखे अपने पर्स मे से 1 100 के नोटो की गद्दी निकली.

"अब करो..",ठुकराल ने पैसे ले लड़की को वापस लंड चूसने को कहा तो लड़की ने फिर से उसके लंड से अपने होंठ चिपका दिए.ठुकराल ने खिड़की का शीशा बस इतना नीचे किया की बस उसकी आँखे बाहर खड़े बुड्ढे को नज़र आए & वो अंदर की कोई भी हरकत ना देख पाए,"..ये लो..बाकी पैसे काम पूरा होने के बाद तुम्हे मिल जाएँगे.",बुड्ढे को पैसे थमाते ही कार का शीशा बंद हुआ & कार वाहा से तेज़ी से निकल गयी.

-----------------------------------------------------------
Reply
12-31-2018, 03:57 PM,
#30
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
अगले दिन कामिनी शाम को क्लब गयी,आज करण काम के सिलसिले मे 2 दीनो के लिए बाहर चला गया था.पिच्छली रात दोनो ने 3 बार चुदाई की थी & कामिनी को लगा था की कम से कम आज रात उसे करण की कमी नही खलेगी,पर शाम से ही उसकी चूत ने उसे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया था.

आज वो क्लब के पीछे बने स्विम्मिंग पूल पे चली गयी.पूल के पास कुर्सियो पे कुच्छ लोग बैठे हुए थे.पूल के अंदर भी 2 लोग तेर रहे थे.कामिनी 1 टेबल पे बैठ गयी & 1 ऑरेंज जूस का ऑर्डर दिया.वेटर जूस ले आया तो वो उसे धीरे-2 पीने लगी.आज उसने 1 ढीली सफेद,घुटनो तक की स्कर्ट &1 काली छ्होटी बाजुओ वाली शर्ट पहनी थी.

तभी कामिनी की जैसे साँस अटक गयी,पूल के दूर वाले छ्होर से 1 आदमी तेर के निकल रहा था-वो षत्रुजीत था.उसका चौड़ा सीना बालो से भरा था & उसके सारे एबेस सॉफ झलक रहे थे,उसने पास की 1 लाउंज चेर से तौलिया उठा कर अपने सर से लगा बाल पोंच्चे तो उसके बाजुओ की मांसपेशिया फदक उठी.यू लग रहा था मानो कोई बॉडी बिल्डर पोस्टर से बाहर निकला आया हो.उसकी लंबी टाँगो & मज़बूत जाँघो के उपर काले स्विम्मिंग ट्रंक मे उसकी पुष्ट,कसी गंद देख कामिनी की चूत और बेचैन हो गयी,उसका दिल तो किया की बस वो अभी अपने इस गथिले मर्दाना जिस्म के नीचे उसके नाज़ुक बदन को बस मसल ही दे.

उसने टांग पे टांग चढ़ा उसे शांत करने की कोशिश की.तभी शत्रुजीत की नज़र उसपे पड़ी & उसने उसे हाथ हिलाया.जवाब मे कामिनी ने भी हाथ हिलाया.शत्रुजीत ने 1 छ्होटा सा रोब अपने बदन पे डाल लिया.उसका उपरी बदन तो ढँक गया मगर जंघे & बालो भरी टांग अभी भी दिख रहे थे.

"हेलो.क्या मैं यहा बैठ जाऊं?"

"ज़रूर,मिस्टर.सिंग."

क्रमशः..........................................
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,449,147 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,502 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,211,144 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,595 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,623,044 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,055,649 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,909,374 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,918,161 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,978,012 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,986 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)