Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 03:54 PM,
#11
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
थोड़ी देर बाद उसने अपना सर उसके सीने से उठाया & फिर दीवार से टेक लगा के बैठ गया. सोना को उसने अपने साथ अपनी दाई बाँह के घेरे मे बैठा लिया & फिर उसका बाया हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया,"तुम तो इस खेल मे माहिर लगती हो,जानेमन!पर तुम्हारी सहेली इतना क्यू घबरा रही है?"उसने अपना दाया हाथ उसके कंधे के उपर से ला उसकी दाई चूची को दबोच लिया. "ह्म्‍म्म्म...आप ही को तो बिल्कुल आनच्छुई कली चाहिए थी.आप ही ने तो हमारी मेडम से कुँवारी लड़की माँगी थी उसकी नथ उतारने के लिए." "..तो ये सचमुच कुँवारी है?" "हाँ.",उसने उसकी झांतो को हल्के से खींचा,"..तभी तो मेडम ने इसकी दोगुनी कीमत ली है आपसे & मुझे साथ भेजा ताकि ये ज़्यादा घबराए तो इसे संभाल लू.बेचारी आई तो अपनी मर्ज़ी से है..पर पहली बार तो हर लड़की डरती है ना!" "अच्छा!और तुम्हे कितने दिन हो गये नाथ उतरवाए हुए?",उसने सोना के निपल को खींच दिया. "आईईईईई...आप बहुत बदमाश हैं!",उसने उसका हाथ अपनी चूची से हटा दिया,"..1 साल ही हुआ है अभी मुझे." "पर बदन देख कर तो लगता नही,जानेमन!मुझे तो तुम भी कुँवारी ही लगती हो!",ठुकराल ने उसकी चूचियो पे चपत मारी तो दोनो हँसने लगे. तभी वो पहले लड़की 1 ट्रे मे ग्लास,स्कॉच,सोडे & कोल्ड ड्रिंक की बॉटल & आइस-पेल लिए आ गयी. "आ गयी.आओ बैठो.",वो लड़की उसके पैरो के पास बिस्तर पे घुटने के बल बैठ गयी.ठुकराल की भूखी आँखे उसके जिस्म की सभी गोलैईयों को जैसे चबाए जा रही थी,"ड्रिंक बनाओ." लड़की ने ग्लास मे स्कॉच,सोडा & बर्फ डाल कर उसकी ओर बढ़ाया तो ठुकराल ने 1 हाथ से ग्लास & दूसरे से उसकी कलाई थम ली,"इधर हमारे पास आकर बैठो.नाम क्या है तुम्हारा." "जी..रा-रानी.",वो लड़की उसकी बगल मे वैसे ही घुटनो पे बैठ गयी. "वाह!कितना सुंदर नाम है!& आज की रात तो तुम मेरी रानी ही हो.",ठुकराल ने ठहाका लगे तो सोना भी उसके साथ हँसने लगी. "इतनी घबराई हुई क्यू हो?चलो..पैर पसार कर आराम से बैठो.",ठुकराल ने उसे अपपनी बाई बाँह के घेरे मे ले लिया,"आख़िर तुम्हे किस चीज़ से डर लग रहा है?इस से?",उसने अपने लंड की ओर इशारा किया,"..पर तुम्हारी सहेली तो इस से कितने मज़े से खेल रही है!" "तुम भी इस से दोस्ती कर लो,फिर ये तुम्हे जन्नत की सैर कराएगा!..चलो,सोना अपना हाथ हटाओ..आज रानी इस से खेलेगी.",सोना ने हाथ हटाया तो ठुकराल का लंबा,मोटा लंड रानी की नज़रो के सामने आ गया.लंड करीब 8 इंच लंबा था & मोटाई तो उफ़फ्फ़.रानी ने थूक निगला,उसे बहुत डर लग रहा था.आज पहली बार वो चुदने वाली थी & ये इतना बड़ा जनवरो सा लंड,पता नही उसका क्या हाल करेगा! "जानेमन!दूर से देखने & ज़्यादा सोचने से डर तो लगेगा ही,तुम इस खेल का पूरा मज़ा भी नही उठा पओगि.",ठुकराल ने जैसे उसका दिमाग़ पढ़ लिया,"चलो इसे अपने हाथ मे लो & सोचना छ्चोड़ो,भरोसा रखो मैने अब तक तुम्हारी जैसी कयि कलियो को फूल बनाया है & आज तक किसी को भी मुझसे शिकायत नही हुई बल्कि सब इसकी दीवानी बन गयी हैं.",गुरूर से भरे ठुकराल ने उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया. रानी ने जीवन मे पहली बार लंड को च्छुआ था.उसकी मेडम ने उसे चुदाई के बारे मे सब बताया था,उसे दूसरो की चुदाई दिखाई भी थी पर आज पहला मौका था जब वो खुद ये सब करने जा रही थी. "घबराओ मत.लो ये पियो,तुम्हे अच्छा लगेगा.",उसने शराब का ग्लास सोना के होंठो से लगाया तो उसने घूँट भर कर बुरा सा मुँह बनाया. "क्या हुआ?नही पसंद आया?कोई बात नही!सोना,चलो रानी को कोल्ड ड्रिंक पिलाओ.",उसने सोना को आँख मारी & फिर लंड हिलाती रानी को बाहो मे भर उसके चेहरे को चूमने लगा,"तुम कितनी खूबसूरत हो रानी.मैने आज तक तुम्हारे जैसी लड़की नही देखी.मैं तो तुम्हे अपने दिल की रानी बनाऊंगा." रानी ये नही देख पाई कि सोना ने कोल्ड ड्रिंक मे स्कॉच मिला कर ड्रिंक बनाया,"लीजिए सर,ड्रिंक तैय्यार है." "गुड!लाओ.",ठुकराल ने ग्लास लिया & रानी को पिलाया.थोड़ी देर मे रानी ने ग्लास खाली कर दिया.उसे कोल्ड ड्रिंक का स्वाद थोडा अजीब तो लगा पर उसे ये शक़ बिल्कुल नही हुआ कि उसमे शराब मिली थी.उसे अब थोडा हल्का महसूस हो रहा था & उतना डर भी नही लग रहा था. ठुकराल पुराना खिलाड़ी था & वो समझ गया था कि अब उसका डर दूर हो गया है.उसने उसे बाहो मे भरा & उसके होठ चूमने लगा.इस बार जब उसने अपनी जीभ से उसके होंठो पे दस्तक दी तो रानी ने होठ थोड़े से खोल दिए.ठुकराल के लिए इतना काफ़ी था,उसने अपनी जीभ झट से अंदर घुसा & रानी की जीभ से लड़ा दी.रानी के बदन मे तो बिजली सी दौड़ गयी,उसने ठुकराल से अलग होना चाहा पर वो उसे बहुत मज़बूती से थामे था.थोड़ी देर बाद उसे भी अच्छा लगने लगा & वो भी अपनी जीभ से उसे जवाब देने लगी.ठुकराल ने पहली सीढ़ी पार कर ली थी. उसने रानी को लिटा दिया & उसके उपर झुक कर उसे चूमने लगा.फिर वो उसके चेहरे से नीचे उसकी गर्दन पे आया & वाहा से उसके क्लीवेज पे.रानी अब मस्त होने लगी थी & उसके मुँह से आहे निकलने लगी थी.उनका खेल देख सोना भी गरम हो गयी थी & उनकी बगल मे बैठ उसने अपने होठ ठुकराल के लंड पे कस दिए थे.उसके ऐसा करते ही ठुकराल ने चौंक कर नीचे देखा & फिर मुस्कुरा दिया. उसने रानी को करवट से लिटाते हुए अपने सीने से चिपका लिया & उसके होठ चूमते हुए अपने हाथ पीछे ले जा कर उसके ब्रा के हुक्स खोल दिए.उसने ब्रा को उसकी बाहो से अलग कर उच्छाल दिया & फिर उसे पीठ के बल लिटा दिया,"वाह!कितनी मस्त हैं तुम्हारी चूचिया!",उसने उसकी बड़ी-2 चूचियो को अपने हाथो मे भर लिया & हल्के से दबाया. "उम्म्म....",रानी कराही तो उसने उसके काले निपल्स को अपनी उंगलियो की चुटकी मे ले लिया & मसल्ने लगा.रानी के बदन मे जैसे बिजली के झटके लग गये.वो अपना सीना उचकती हुई तड़पने लगी.ठुकराल ने उसका लंड चूस रही सोना को आँखो से उपर आने का इशारा किया.सोना आई तो उसने उसे रानी को चूमने को कहा.रानी का हाल इस दोहरे हमले से और बुरा हो गया.वो मचलती हुई ऊन्ह-आँह करने लगी तो सोना ने उसके होठ छ्चोड़ दिए.तभी ठुकराल ने अपने होठ उसके आनच्छुए उरोजो पे रख दिए.रानी के होठ "ओ" के आकर मे गोल हो गये पर उनसे कोई आवाज़ ना निकली,ये पहला मौका था जब किसी मर्द ने उसकी चूचियो को अपने मुँह मे लिया था.
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#12
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ठुकराल उसकी गोलैईयों को चाटने,चूमने लगा.कोई5-6 मिनिट तक जम के चूसने के बाद उसने अपना सर उठाया,"सोना.अपनी छातियो का स्वाद तो चखाओ अपनी सहेली को." सोना ने रानी के खुले मुँह मे अपनी 1 चूची घुसा दी तो रानी उसे चूसने लगी.अब मस्ती उस पे पूरी तरह हावी थी.ठुकराल अब उसके गोल पेट को चूम रहा था.चूमते हुए उसने अपनी जीभ रानी की नाभि मे उतार दी तो रानी चिहुनक गयी & हाथो से ठुकराल का सर भींच लिया.ठुकराल अब आख़िरी हमले की तैय्यारि कर रहा था.उसने नज़रे उपर की तो देखा की सोना अब अपनी चूचिया चुसवाने के बाद रानी को चूम रही है. ठुकराल ने रानी को उसकी पॅंटी के उपर से चूमना शुरू किया तो रानी ने सोना को धक्का दे कर अलग कर दिया & करवट लेकर अपने घुटनो को मोड़ सुबकने लगी.ठुकराल समझ गया कि ये अन्छुइ कली उनकी कामुक हर्कतो को नही झेल पाई & झाड़ गयी है.वो प्यार से उसकी पीठ से लग कर लेट गया & उसके बाल सहलाने लगा.थोड़ी देर बाद उसने उसे घुमाया & फिर से चूमने लगा. थोड़ी देर मे रानी को भी मज़ा आने लगा & वो भी उस से लिपट गयी & किस का जवाब देने लगी.ठुकराल ने हाथ उसकी पीठ पे घूमते हुए उसकी पॅंटी के अंदर घुसा दिया.रानी फिर छटपटाने लगी.पर ठुकराल उसकी भारी गंद की फांको को मसलता रहा,"सोना.ज़रा खुद को & अपनी सहेली को पूरा नंगा कर हमे दोनो के हुस्न का दीदार तो कराओ." "ज़रूर.",कह के उसने रानी की पॅंटी निकाल दी,फिर खड़ी हुई & अपनी भी पॅंटी उतार दी.ठुकराल की आँखो के सामने दोनो की नाज़ुक,गुलाबी,चिकनी चूत चमक उठी,"ये लीजिए...1 बार इसे भी तो प्यार कीजिए..",सोना ने अपनी चूत ठुकराल के चेहरे के सामने कर दी. "सोना,पहले तुम्हारी सहेली की चूत को प्यार कर लू.फिर इस से खेलूँगा.",ठुकराल ने उसकी चूत को थपथापया,"ऊन्नह...ठीक है.." रानी ठुकराल की ऐसी बातो & हर्कतो से शर्मा कर अपने हाथो से अपनी चूत को ढँके हुए,अपनी आँखे मीन्चे पड़ी ज़ोर-2 से साँसे ले रही थी.ठुकराल ने उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & अपने हाथो को उसकी गोरी जाँघो पे फिराने लगा.वो कसमसने लगी पर अपने हाथ चूत से नही हटाए.थोड़ी देर तक चूचियो से खेलने के बाद ठुकराल उसकी बाहो को चूमता चूत के उपर रखे उसके हाथो तक पहुँच गया & उन्हे ऐसे चूमने लगा जैसे वो उसकी चूत हो. वो उसकी उंगलियो मे लंबाई मे अपनी जीभ फिराने लगा,रानी का बुरा हाल हो गया & उसने उसे रोकने के लिए अपने हाथ उठा कर उसका सर पकड़ने की कोशिश की.ठुकराल के लिए इतना ही काफ़ी था.हाथ चूत से ज़रा सा उठे & उसने झट से अपने होठ उसकी आनच्छुई चूत की दरार से चिपका दिए. "आआहह.......!",रानी तो अब बस पागल हो गयी.वो छटपटाते हुए छूटने की कोशिश करने लगी पर उसके हाथ तो जैसे उसके थे ही नही-वो तो ठुकराल का सर पकड़ कर उसे अपनी चूत पे और दबा रहे थे.ठुकराल की जीभ उसकी गीली चूत की गहराइयों मे उतर कर चाते जा रही थी & जैसे ही वो उसके दाने से लगी रानी ने बदन मोडते हुए अपनी जाँघो मे ठुकराल के सर को दफ़न कर लिया. ठुकराल समझ गया कि अब थोड़ी देर मे वो फिर से झाड़ जाएगी & यही उसके लिए सही मौका है पहली बार उसकी चूत को 1 लंड का स्वाद चखाने का.वो उठा & उसके घुटने मोड़ उसकी जाँघो के बीच घुटनो पे बैठ गया & अपना लंड उसकी चूत पे लगा के 1 धक्का दिया पर लंड ज़रा भी अंदर नही गया. ठुकराल अब तक ना जाने कितनी कुँवारी चूत चोद चुका था फिर ये चूत क्या थी!उसने अपनी उंगली घुसाकर उसे थोड़ा सा फैलाया & इस बार लंड को पेला & सूपदे को पूरा अंदर घुसा दिया,"ओह.....",रानी ने कराह के ठुकराल की कलाइयाँ पकड़ ली. कुँवारी चूत ने जैसे उसके सूपदे को भींच लिया.ठुकराल ने मज़े से आह भरी & ज़ोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए.रानी की चीखो से फार्महाउस का लॉन गूँज उठा.ठुकराल ने लंड चूत मे जड़ तक धंसा कर ही दम लिया.रानी दर्द से छटपटाई हुई अपना सर हिला रही थी,ठुकराल झुक कर उसे चूमने लगा,"..घबराव मत मेरी जान." "बहुत दर्द हो रहा है..निकाल लीजिए ना..." "हां-हां...अभी निकलता हू...बस अभी निकालता हू..",कह के वो बैसे ही लंड डाले उसे चूमने लगा.थोड़ी देर मे रानी की सिसकिया रुकी तो उसने फिर से बहुत हल्के-2 धक्के लगाना शुरू किए.रानी ने सिसकना छ्चोड़ हौले से आहे भरना शुरू किया तो ठुकराल समझ गया कि अब उसे मज़ा आने लगा है.उसने अपना लंड पूरा निकाल कर ज़ोर से वापस अंदर पेल दिया. "आईइय्य्यीए.......!", ठुकराल के धक्के तेज़ होते गये & साथ ही रानी की आहें भी.वो बस उसके बदन पे झुका उसकी चूचिया चूस्ते हुए धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था.अचानक रानी के बदन मे अजीब सी हुलचूल होने लगी...उसकी चूत अपनेआप ठुकराल के लंड पे कस गयी..उसे वाहा बहुत तनाव सा महसूस हो रहा था & उसने बेचैन होकर अपनी टांगे मोड़ कर ठुकराल की कमर पे लपेट दी & उस से चिपत गयी.उसे होश भी नही था कि वो पागलो की तरह आहे भरती हुई अपने नाख़ून उसकी पीठ मे धंसा रही है & नीचे से ज़ोर-2 से अपनी कमर हिला रही है. ठुकराल इसीलिए तो कुँवारी चुतो का दीवाना था,उसका भी मज़ा दोगुना हो गया था & धक्के और तेज़.तभी रानी का सर पीछे झुक गया & उसका बदन कमान की तरह मूड गया.ठुकराल को अपने लंड पे उसकी चूत की कसावट & तेज़ होती महसूस हुई,वो समझ गया कि रानी झाड़ गयी है.उसी वक़्त उसने अपना गरम विर्य भी उसकी कुँवारी चूत मे छ्चोड़ उसके कुँवारापन का अंत कर दिया. क्रमशः...............
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12-31-2018, 03:54 PM,
#13
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--5



जगबीर ठुकराल भी उसी पार्टी का मेंबर था जिसके टिकेट पे अमरजीत सिंग चुनाव लड़ते थे.शुरू मे उसने बहुत कोशिश की,कि उनकी जगह उसे लोक सभा चुनाव का टिकेट मिले पर अमरजीत सिंग के होते ये नामुमकिन था.अमरजीत सिंग 1 शरीफ इंसान थे & उन्होने राजनीति मे कदम रखने से पहले 1 समाज सेवक के तौर पे काफ़ी नाम कमाया था,दूसरे वो 1 कामयाब बिज़्नेसमॅन थे & उनके पास पैसे की कमी नही थी.अब 1 ऐसा इंसान जिसे आवाम पसंद करती हो & जिसके पास पैसे भी हो-उसे कौन सी पार्टी एलेक्षन का टिकेट नही देती. ठुकराल चाहता तो वो कोई दूसरी पार्टी भी जाय्न कर सकता था-पर उसने ऐसा नही किया क्यूकी वो जानता था कि अमरजीत सिंग के रहते वो कभी भी कोई चुनाव नही जीत सकता.उसने बड़ी चालाकी से राज्य की असेंब्ली के एमलए का चुनाव लड़ा & जीत गया,फिर तो उसने कभी वो सीट नही हारी.पूरे पंचमहल मे अमरजीत सिंग के नाम से उनकी पार्टी को जाना जाता था-पार्टी के नाम से अमरजीत सिंग को नही.इसी बात का फ़ायदा पंचमहल के उनकी पार्टी के सारे एलएलए को होता था.वो सारे अच्छे काम करते थे & ये एमएलए चुपचाप उनका साथ देते थे & हर बार चुनाव जीत जाते थे. अमरजीत सिंग की मौत के बाद ठुकराल को उम्मीद की 1 किरण दिखाई दी थी पर षत्रुजीत सिंग ने उस किरण को भी बुझा दिया था.पर ठुकराल इतनी आसानी से हार मानने वाले मे से नही था.उसने उपरी तौर पे तो पार्टी हाइ कमॅंड की बात मान ली थी पर उसका शैतानी दिमाग़ शत्रुजीत को रास्ते से हटाने की तरकीब सोच रहा था. पिच्छली रात से ले के आज सवेरे पंचमहल की फ्लाइट पकड़ने से पहले तक उसने दोनो कल्लगिर्ल्स-रानी & सोना को 3-3 बार चोद कर अपना मूड ठीक कर लिया था.औरत का जवान,खूबसूरत जिस्म उसकी कमज़ोरी या कह लीजिए की उसका शौक था.शायद ही कोई ऐसी रात जाती हो जब उसका तगड़ा लंड किसी चूत मे घुस उसकी जम कर चुदाई ना करता हो.पर आज तक किसी को उसके इस रूप की झलक भी नही दिखी थी.सब जानते थे कि वो पैसे कमाने के लिए उल्टे-सीधे हथकंडे अपनाता रहता है,पर किसी को भी ये नही पता था कि वो औरतो का इतना बड़ा रसिया है. प्लेन पे बैठे-2 ठुकराल के खुरापाति दिमाग़ ने अपना एंपी बनाने का सपना पूरा करने का 1 प्लान तैय्यार कर लिया था.बेख़बर शत्रुजीत को पता नही था की उसका 1 दुश्मन खड़ा हो गया है.1 ऐसा दुश्मन जो शातिर,चालक,मतलबी & वासना & हवस का पुजारी है & जो शायद उसकी जान लेने मे भी नही हिचकिचायगा. ------------------------------


------------------------------------------------- सवेरे दफ़्तर के लिए तैय्यार होते वक़्त कामिनी के ज़हन कल रात चंद्रा साहब & उनकी बीवी से हुई बाते घूम रही थी.चंद्रा साहब से बात करने के बाद भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था कि शत्रुजीत केवल उसकी काबिलियत के चलते उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना चाहता था.उसके मन के किसी कोने मे ये शुभा था कि वो ऐसा उसके नज़दीक आने के लिए कर रहा है...आख़िर उसकी अय्याशि के किस्से पूरे शहर मे माशूर थे!पर चंद्रा सर ने तो कहा था कि वो अपनी ज़ाति ज़िंदगी को अपने काम से बिल्कुल अलग रखता है & आम लोगो की नज़रो मे चाहे उसकी जो भी तस्वीर हो,उसके रिवल्स & दोस्त अच्छी तरह जानते थे कि वो कितना समझदार & सुलझा हुआ बिज़्नेसमॅन है.उसका सबूत थी आज के अख़बार मे छपी उसके ग्रूप की क्वॉर्टर्ली रिपोर्ट जिसमे सॉफ लिखा था कि इस बार ग्रूप का मुनाफ़ा पिच्छली बार के मुक़ाबले 5% ज़्यादा था. फिर भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था,वो केवल 1 वकील ही नही 1 जवान लड़की भी थी & हर लड़की के पास वो ताक़त होती थी जिस से वो मर्दो के पाक-नापाक इरादे भाँप लेती है.और यही ताक़त उसके मन मे ये शुभा पैदा कर रही थी...पर अगर वो उसके जिस्म को पाने के लिए ऐसा कर रहा है तो इसमे बुराई क्या है?शत्रुजीत के छुने भर से ही उसके बदन मे बिजली दौड़ जाती है....अगर वो उसके साथ हुमबईस्तर होगी तो कैसा लगेगा? ये शरारती ख़याल आते ही उसकी चूत मे कसक सी उठी & उसने ड्रेसिंग टेबल सामने बैठे-2 अपनी जाँघो को भींच लिया...अगर शत्रुजीत ये खेल खेलना चाहता है तो वो भी तैय्यार है...उसने फोन उठाया & उसका नंबर डाइयल किया,"हेलो..मिस्टर.सिंग?..गुड मॉर्निंग!मैं कामिनी बोल रही हू...मुझे आपका ऑफर मंज़ूर है...थॅंक यू...ठीक है,मैं आज शाम अपने असिस्टेंट के साथ आपके दफ़्तर आऊँगी.ओके.सी यू." -------------------------------------------------------------------------------
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12-31-2018, 03:54 PM,
#14
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
- थोड़ी देर बाद ड्राइवर ने कामिनी की कार उसके दफ़्तर के बाहर रोकी,"मेडम.मैं पेट्रोल डलवा कर अभी आता हू." "ठीक है.",कामिनी अपने दफ़्तर मे दाखिल हुई.उसके दफ़्तर मे घुसते ही 1 हॉल था जिसमे 1 तरफ उसकी सेक्रेटरी रश्मि का डेस्क था & दूसरी तरफ लोगो के बैठने के लिए सोफे & कुर्सिया लगे हुए थे.उसी हॉल के 1 कोने को शीशे के पारटिशन लगा कर उसके असिस्टेंट मुकुल का कॅबिन बनाया गया था.और सामने 1 दरवाज़ा दिख रहा था जिसके उस तरफ कामिनी का कॅबिन था. कामिनी ने देखा कि हॉल मे ना उसकी सेक्रेटरी मौजूद थी ना ही उसका असिस्टेंट.इतनी देर तो दोनो कभी नही करते थे,लेकिन ऑफीस तो खुला हुआ है & यहा की चाभी तो इन दोनो के सिवाय बस उसी के पास थी,फिर है कहा ये दोनो?...सोचती हुई वो अपने कॅबिन की तरफ बढ़ी कि तभी रश्मि की आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,"...उउफफफ्फ़..नही कुर्ते के अंदर नही.." कामिनी ने हल्के से अपने कॅबिन का दरवाज़ा खोला,सामने दीवार से लगी रश्मि को बाहो मे भरे मुकुल चूम रहा था & अपना हाथ उसके कुर्ते मे घुसाने की नाकाम कोशिश कर रहा था. "..बस 1 बार दिखा दो...बस 1 बार 1!",मुकुल मिन्नते कर रहा था. "नही!पागल हो गये हो क्या?!मॅ'म अभी आती ही होंगी." "अभी बहुत वक़्त है उनके आने मे..प्लीज़ रश्मि बस 1 बार अपनी चूचिया दिखा दो ना..तुम्हे मेरी कसम!",दीवार से लगी रश्मि को मुकुल ने अपने जिस्म से पूरा दबा रखा था & रश्मि की भी आखें थोड़ी मदहोश होने लगी थी.आख़िर 1 जवान लड़की अपनी चूत पे दबे 1 जवान लंड के असर से कब तक सायंत रह सकती है. "तुम बड़े बदमाश हो!हर बार अपनी कसम खिलके अपनी मनमानी करते हो!",उसने उसके गाल पे 1 चपत लगाई. "क्या मनमानी की है भाई!आज तक तुमने चूमने से आगे बढ़ने ही कहा दिया है..प्लीज़ अब ज़्यादा देर ना करो..मॅ'म आ जाएँगी..बस 1 बार दर्शन तो करवा दो इनके..",उसने 1 हाथ से कुर्ते के उपर से ही उसकी छाती दबा दी. "औउ..!",तब तक 1 हाथ पीछे ले जा कर मुकुल ने उसके कुर्ते का ज़िप खोल दिया था & उसे कंधे से नीचे ढलकने की कोशिश कर रहा था. "नही!ऐसे नही!पागल कहीं के!",रश्मि ने उसके हाथ अपने कुर्ते से अलग किए & धीरे से कुर्ते को नीचे कर उसके गले को खोल दिया,"लो देखो!",उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था. "वाउ!",मुकुल ने कुर्ते के गले मे हाथ डाल उसके ब्रा मे से उसकी 1 चूची को निकाल लिया.रश्मि की चूचिया बहुत बड़ी तो नही थी मगर बहुत छ्होटी भी नही थी,उसकी नुमाया हुई चूची पे सज़ा भूरा निपल बड़ा प्यारा लग रहा था.मुकुल झुका & उस चूची को अपने मुँह मे भर लिया & तो रश्मि छटपटाते हुए आहें भरने लगी.ये सब देख कर कामिनी भी गरम होने लगी थी पर आज बहुत काम था & उसने सोचा कि अगर अभी ना रोका गया तो मुकुल तो आज रश्मि को चोदे बिना नही छ्चोड़ेगा. उसने दरवाज़ा बंद किया & वापस ऑफीस के मैं दरवाज़े पे आई & इस बार थोड़ी आवाज़ के साथ दरवाज़े को खोला,"अरे कहा हो भाई?मुकुल?रश्मि?" तुरंत उसका कॅबिन खुला & मुकुल बाहर आया,"गू-गुड मॉर्निंग,मॅ'म." "गुड मॉर्निंग.कॅबिन मे क्या कर रहे थे?" "वो केस फाइल पड़ी थी ना वही लेने गया था." "तो नही मिली क्या?",कामिनी ने उसके खाली हाथो की तरफ देखा. "जी..!ना-नही..वो रश्मि ढूँदने मे मेरी मदद कर रही है.रश्मि तुम्हे मिली फाइल?",उसने गर्दन घुमा कर कॅबिन की तरफ देखते हुए पूचछा. "हां..हां..ये लो..",रश्मि के चेहरे पे घबराहट सॉफ नज़र आ रही थी.कामिनी चुपचाप बिना कुच्छ बोले अपने कॅबिन मे दाखिल हो गयी.थोड़ी देर बाद उसने इंटरकम से रश्मि को अंदर बुलाया. "रश्मि,ये क्या है?",उसने अपने कॅबिन की ओर इशारा किया. "जी!मॅ'म?" "ये क्या है,रश्मि?",उसने सवाल दोहराया. "आपका ऑफीस,मॅ'म." "तो थोड़ी देर पहले तुम दोनो इसे अपना बेडरूम क्यू समझ रहे थे?",कामिनी अपनी कुर्सी से उठ खिड़की के पास खड़ी हो बाहर देख रही थी,उसकी पीठ रश्मि की तरफ थी.रश्मि को तो काटो तो खून नही!वो भागती हुई कामिनी के पास आ गयी,"आइ'एम सॉरी,मॅ'म.मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.प्लीज़ मॅ'म..मुझे निकालिएगा नही...प्लीज़...आइन्दा ये सब नही होगा.प्ल-.." कामिनी हंसते हुए घूमी तो रश्मि का मुँह आश्चर्या से खुल गया,"अरे पगली!मैने तुमसे 1 सवाल पुचछा & तुम तो पूरी रामायण पढ़ने लगी!मैने कब की तुम्हे निकालने की बात?",रश्मि की जान मे जान आई,"..वो..मॅ'म..",जल्दी मे कपड़े ठीक करने के कारण उसके कुर्ते के गले मे से उसके कंधे पे ब्रा स्ट्रॅप नज़र आ रहा था. "रश्मि,ये मर्द बड़े बेसबरे होते हैं..",कामिनी ने उसके ब्रा स्टरापको कुर्ते के नीचे कर उसके कुर्ते को सही किया,"..इन्हे हर वक़्त बस 1 ही बात सूझती है..पर हमे होश से काम लेना होता है..अगर मेरी जगह पीयान या कोई और तुम दोनो को देख लेता तो?" "..आगे से ध्यान रखना...& अपने दीवाने को मत बताना कि मुझे तुम दोनो के बारे मे पता चल गया है वरना मुझ से नज़रे नही मिला पाएगा & फिर काम भी ढंग से नही करेगा.चलो जाओ." "थॅंक यू,मॅ'म.",रश्मि घूम के जाने लगी. "और सुनो रश्मि,सॉरी." "जी,मॅ'म?" "आज शाम तुम्हे टॅक्सी से घर जाना पड़ेगा क्यूकी तुम्हारे ड्राइवर को मेरे साथ 1 मीटिंग मे जाना है.",मुकुल रोज़रशमी को अपनी बाइक से छ्चोड़ता था,कामिनी का इशारा उसी ओर था. "आप भी ना,मॅ'म.",रश्मि शरमाते हुए बाहर चली गयी. क्रमश.................. --
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गहरी चाल पार्ट--6


"गुड ईव्निंग,कामिनी.",त्रिववणी ग्रूप की ऑफीस बिल्डिंग के कान्फरेन्स हॉल मे कामिनी के मुकुल के साथ दाखिल होते ही षत्रुजीत सिंग ने आगे बढ़ के मुस्कुराते हुए उस से हाथ मिलाया.उसकी उंगलिओ के छुते ही कामिनी के बदन मे फिर से वही जाना-पहचाना मदहोशी का एहसास दौड़ गया,"हेलो..",वो बस जवाब मे इतना ही कह पाई. "आइए..",शत्रुजीत ने अपने दाए हाथ मे उसका हाथ थामे हुए बाया उसकी ब्लाउस के नीचे से झलकती नंगी कमर पे रखा & उसे टेबल की ओर ले चला जहा जयंत पुराणिक के साथ 5 और लोग बैठे थे.शत्रुजीत के हाथ मे हाथ होने से पहले ही कामिनी का हाल बुरा था & अब कमर पे हाथ रखने के बाद तो उसकी टांगे भी काँपने लगी.किसी तरह वो टेबल तक पहुँची & 1 कुर्सी पे बैठ गयी. "कामिनी,अंकल जय से तो आप पहले ही मिल चुकी हैं..",कामिनी ने उनकी तरफ देख कर मुस्कुरा के सर हिलाया तो उन्होने भी जवाब मे अपना सर हिलाया,"..& ये मेरी बाकी की टीम है जोकि त्रिवेणी को चलाती है..",शत्रुजीत ने उसका परिचय सभी से करवाया तो कामिनी ने भी उन सबको मुकुल से मिलवाया. कामिनी ने आँखो के कोने से देखा की कान्फरेन्स टेबल से थोड़ा हट के 1 कुर्सी पे अब्दुल पाशा बैठा है & उसकी ठंडी नज़रे बड़े गौर से उन सब को देख रही हैं....आख़िर क्यू उसकी आँखे ऐसी खून जमा देने वाली थी? कामिनी ने अपना ध्यान उसकी ओर से हटाया & शत्रुजीत की बातो पे लगाया,"..ये वो केसस हैं कामिनी जोकि ऑलरेडी कोर्ट मे हैं & ये वो हैं जोकि कोर्ट मे जा सकते हैं..",शत्रुजीत ने अपनी सेक्रेटरी से 2 फोल्डर्स ले कर उसकी ओर बढ़ाए. "मिस्टर.सिंग.कयि लोग समझते हैं कि 1 वकील आपको आपकी की हुई ग़लती से मिलने वाली सज़ा से बचाता है-उनका ये मानना सही भी है,पर कयि लोग जान बुझ कर ग़लतियाँ करते हैं & फिर वकील के पास जाते हैं उस सज़ा से बचने जिस से बचने का उन्हे कोई हक़ नही होता.मैं इन केसस को हाथ लगाने से पहले 1 बात सॉफ कर देना चाहती हू,मैं केवल उन लोगो के केसस को हाथ लगाती हू जोकि जान बुझ कर ग़लतियाँ नही करते...वो क्लाइंट्स जो मुझ से झूठ बोलें या फिर बातें च्छुपाएँ,मुझे बिल्कुल पसंद नही." "कामिनी..",शत्रुजीत उसके सामने टेबल की दूसरी ओए बैठा था,वो उठा & आकर उसके पास टेबल पे बैठ गया & उसकी आँखो से आँखे मिला दी,"..ये बिज़्नेस मैं अपनी एमबीए की डिग्री के बूते पे नही चलाता बल्कि अपने पिता की नसीहतो के बूते पे चलाता हू..",कामिनी की सारी का आँचल थोड़ा 1 तरफ था & शत्रुजीत जिस तरह से बैठा था,वो उसके ब्लाउस के गले से झँकते उसके हल्के से क्लीवेज & दोनो छातियो के बीच की गहरी दरार को सॉफ-2 देख सकता था,"..& उनकी दी हुई ऐसी ही 1 नसीहत जिसे मैं हमेशा मानता हू.उन्होने मुझ से कहा था कि इंसान को अपने डॉक्टर & वकील से कभी कुच्छ भी नही छिपाना चाहिए.." शत्रुजीत की नज़रे 1 पल को उसके सीने से टकराई तो कामिनी को यू लगा जैसे उसने उसे अपने हाथो से वाहा पे च्छुआ हो.शत्रुजीत ने अपनी नज़रे तुरंत उपर की & 1 बार फिर उसकी नज़रो से मिला दी,"आप बेफ़िक्र रहिए,मैं आपको कभी भी ऐसी शिकायत का मौका नही दूँगा." "ओके,मिस्टर.सिंग.तो मुझे भी आपके साथ काम करने मे कोई ऐतराज़ नही है.",कांट्रॅक्ट पेपर्स साइन कर दोनो ने फिर से हाथ मिलाया & 1 बार फिर उसका बदन रोमांच से सिहर उठा. ------------------------------
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12-31-2018, 03:55 PM,
#16
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सवेरे वो पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग कर रही थी.उसकी गोरी टांगे & भारी मखमली जाँघो को देख शायद ही वाहा के किसी मर्द-जवान या बुड्ढे,के दिल मे उसकी जाँघो के बीच मे अपना लंड धसने का ख़याल ना आया हो. "हेलो,कामिनी." "हाई!करण.आ गये टूर से?कैसा था?" "बढ़िया.",रोज़ की साथ-2 की जॉगिंग ने दोनो की जान-पहचान को दोस्ती मे तब्दील कर दिया था.दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए जॉगिंग करने लगे. "मुझे तो इस खेल का कुच्छ सर-पैर ही नही समझ आता!",दोनो कॉंप्लेक्स के मिनी गोल्फ कोर्स की बगल से गुज़र रहे थे. "क्यू?ऐसा क्या मुश्किल है इस खेल मे?..देखो,18 होल्स हैं.अब उनमे जो खिलाड़ी सबसे कम शॉट्स मे गेंद डाल देता है,वो जीत जाता है." "फिर भी...मुझे समझ नही आता." "तो आओ मैं समझाता हू..",करण ने उसका हाथ थामा & भागते हुए कोर्स मे दाखिल हो गया. 1 कॅडी को बुलाकर उसके बॅग मे से 1 क्लब लिया & उसे बॉल रखने को कहा,फिर 1 होल खेलने लगा,"..ये देखो.अब इसमे क्या है ऐसा जो समझ मे ना आए..",उसने गेंद को होल मे गिरा दिया,"..आओ तुम भी ट्राइ करो.ये लो." कामिनी ने क्लब ले कोशिश की पर उसकी बॉल होल तक पहुँच ही नही पाई,उसके शॉट्स आड़े-टेढ़े लग रहे थे.उसका खेल देख करण को हँसी आ गयी,"तुम तो बिल्कुल अनारी हो,यार!लाओ मैं बताता हू कैसे खेलते हैं.",करण हंसते हुए उसके पास आ गया. "पहले इस तरह खड़े हो..",उसके पीछे आ उसकी कमर पे हाथ रख उसने उसे सही तरीके से खड़ा किया,"..अब टांगे थोड़ी फैलाओ..हाँ!बस इतनी..",कारण ने झुक कर अपने हाथो से उसकी नंगे घुटनो को थाम टांगो को तोड़ा फैलाया तो कामिनी सिहर उठी.फिर कारण उसके ठीक पीछे खड़ा हो गया & उसके दाए कंधे के उपर से अपना चेहरा लाकर झुकते हुए अपनी बाहें उसकी बाहो से सटा दी & उसके गोल्फ क्लब थामे हाथो को उपर से थाम लिया,"..अब लगाते हैं शॉट." कामिनी तो जैसे होश मे ही नही थी,1 जवान मर्द का मज़बूत जिस्म उसे पीछे से बाहों मे भरे हुए था,उसके दिल की धड़कन वो अपनी पीठ पे महसूस कर रही थी,उसने अपने सख़्त हाथो मे उसके नाज़ुक हाथ कसे हुए थे-ऐसे हालात मे तो कोई बुढ़िया भी गरम हो जाए,फिर वो तो 1 जवान लड़की थी जिसके खूबसूरत जिस्म की आरज़ुएँ भी जवान थी. "हां..ऐसे..",करण ने उसके हाथो को थामे हुए शॉट लगाया तो कामिनी तो बस मस्ती मे डूब गयिक्युकि शॉट लगते वक़्त करण का निचला जिस्म उसके निचले जिस्म से टकराया & उसकी भारी गंद पे उसके लंड का दबाव पड़ा...कितने दीनो बाद उसने 1 लंड का एहसास किया था.कामिनी की आँखे मूंद गयी & वो बस करण के सहारे खड़ी हो गयी. "क्या हुआ कामिनी?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?",वो जैसे नींद से जागी,"ह्म्म...हा-हां..",वो उसके बदन से अलग हुई,"..अब चलना चाहिए वरना मुझे कोर्ट के लिए देर हो जाएगी..",करण उसे गहरी निगाहो से देख रहा था,शायद अपनी दोस्त का हालत का अंदाज़ा उसे हो गया था. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- "एमेस.शरण,मैं पंचमहल जिम्कआना & रिक्रियेशन क्लब का सेक्रेटरी बोल रहा हू.मुझे आपको ये बताते हुए काफ़ी खुशी हो रही है कि क्लब ने आपकी मेंबरशिप की अर्ज़ी को मंज़ूर कर लिया है." "थॅंक यू,मिस्टर.भाटिया." "मेडम,अगर आप फ्री हो तो आज शाम को क्लब आकर अपना मेंबरशिप कार्ड ले लें & मैं आपको क्लब के बाकी मेंबर्ज़ से भी मिलवा दूँगा." "ठीक है,मैं 9 बजे वाहा पहुँच जाऊंगी." "ओके,मेडम." "हेलो..हेल्लू..",कामिनी क्लब सेक्रेटरी भाटिया के साथ क्लब मेंबर्ज़ से मिल रही थी,"तो मेडम,मैने यहा रिक्रियेशन रूम मे बैठे मेंबर्ज़ से तो आपको मिलवा दिया & आपको यहा के बारे मे सारी बातें & यहा के नियम भी बता दिए.तो अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं अपने ऑफीस जाऊं,थोड़ा काम है." "ऑफ कोर्स,भाटिया जी.ज़रूर जाइए & थॅंक्स फॉर इंट्रोड्यूसिंग मे तो एवेरिवन हियर." क्लब काफ़ी बड़े एरिया मे फैला था.सामने बड़ा सा लॉन था जहा गर्मियो मे शाम को कुर्सिया & मेज़ें डाल दी जाती थी.क्लब के पीच्चे 1 स्विम्मिंग पूल भी था,वाहा भी मेंबर्ज़ के बैठने का इंतेज़ाम था,वही साथ ही 1 स्क्वॉश कोर्ट भी था.उपरी मंज़िल पे जिम था & 1 पूल रूम जहा बिलियर्ड्स टेबल्स लगी हुई थी..च्चत को 1 ओपन एर रेस्टोरेंट की शक्ल दी गयी थी.मेंबर्ज़ यहा सवेरे 6 बजे से लेके रात 12 बजे तक आ सकते थे.ज़्यादातर मेंबर्ज़ को अगर कभी भी खाना खाना होता तो वो रिक्रियेशन रूम का ही इस्तेमाल करते थे पर कुच्छ मेंबर्ज़ अच्छे मौसम के दीनो मे लॉन या छत पे भी खाना खाते थे. रिक्रियेशन मे कयि कार्ड टेबल्स लगी थी जिनका इस्तेमाल मेंबर्ज़ ताश खेलने के लिए करते थे.1 कोने मे 1 बार था & 1 तरफ बुक शेल्व्स लगी थी जिनके साथ ही रीडिंग रीडिंग एरिया भी था. कामिनी ने पहली मंज़िल पे जिम देखा जोकि इस वक़्त बिल्कुल खाली था & पूल रूम भी जहा कुच्छ मेंबर्ज़ खेल रहे थे.इसके बाद कामिनी छत पे चली गयी,"ओह!हेलो,कामिनी.वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!" "हाई!मिस्टर.सिंग.",षत्रुजीत सिंग मुस्कुराता हुआ उसके करीब आया.कामिनी ने आज 1 घुटनो तक की सफेद ड्रेस पहनी थी जिसपे छ्होटे-2 गुलाबी फूल बने हुए थे.ड्रेस की छ्होटी बाँह से निकलती उसकी गोरी बाहें & हाथ क्लब की लाइट्स मे चमक रहे थे.मौसम बड़ा अच्छा था & ठंडी हवा के 1 झोंके ने उसकी ज़ूलफे उड़ा कर उसके चेहरे पे ला दी तो उसने उन्हे अपने हाथो से पीछे किया. "मैने आपको यहा पहली बार देखा है.",शत्रुजीत ने उसके हुस्न को सर से पाँव तक 1 नज़र भर कर देखा. "मैने आज ही क्लब जाय्न किया है.",उसे ऐसा लगा जैसे की शत्रुजीत नज़रो से ही उसकी ड्रेस उतार रहा है. "दट इस ग्रेट!वेलकम टू दा क्लब...आइए,बैठिए.",छत की रेलिंग से सटकर कुच्छ कुर्सिया लगी थी.दोनो उन्ही पे आमने-सामने बैठ गये,"इसी खुशी मे आज का डिन्नर आप मेरे साथ कीजिए." "थॅंक यू,मिस्टर.सिंग पर प्लीज़ बेवजह तकल्लूफ ना करें." "अरे इसमे तकल्लूफ कैसा?कौन सा मुझे अपने हाथो से खाना बनाना है..",उसकी इस बात से कामिनी को हँसी आ गयी,"..वैसे आपके लिए खाना बनाने मे मुझे कोई तकलीफ़ होगी नही.",उसने गहरी निगाहो से कामिनी को देखा.कामिनी का दिल धड़कने लगा & उसने उसकी निगाहो से निगाह मिलने से बचने के लिए अपनी पोज़िशन थोड़ा बदलते हुए अपनी बाई टांग पे अपनी दाई टांग चढ़ा के बैठ गयी,"प्लीज़,आज नही.फिर कभी...वैसे भी अब तो हम मिलते ही रहेंगे." "ठीक है.जैसी आपकी मर्ज़ी.पर कम से कम 1 लेमनेड तो पी सकती हैं मेरे साथ?" "जी! ज़रूर.".शत्रुजीत ने इशारा किया तो 1 वेटर ने 1 छ्होटी तिपाई बगल मे रख दी & उनके लेमनेड के ग्लास उन्हे थमा दिए.तभी हवा का 1 झोंका आया & उसने कामिनी की ड्रेस को थोडा उठा दिया & शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली दाई जाँघ पे पड़ी.कामिनी को फिर से लगा की जैसे उसने अपने हाथो से उसकी जाँघ च्छू ली हो.उसने लेमनेड ख़तम कर ग्लास तिपाई पे रखा,"अच्छा..अब मैं चलती हू.",वो खड़ी हुई. हवा का 1 झोंका अपने साथ थोड़ी धूल ले आया & उसी धूल का 1 ज़ररा कामिनी की आँख मे घुस गया,"आउच..!",उसका हाथ अपनी आँख पे चला गया. "क्या हुआ?",शत्रुजीत खड़ा हो गया. "लगता है आँख मे कुच्छ पड़ गया." "लाइए,मैं देखता हू.",उसने उसका हाथ हटाया & फिर उसके चेहरे को हाथो मे भर उसकी पलके फैला कर फूँक मार कर ज़र्रे को निकालने की कोशिश करने लगा.कामिनी की टाँगो मे तो जैसे जान ही ना रही.शत्रुजीत उसके बहुत करीब खड़ा था & जब वो आगे झुक कर फूँक मारता तो उसका चौड़ा सीना उसकी चूचियो से टकरा जाता,"..लो निकल गया." मदहोश कामिनी के पैर लड़खड़ा गये तो शत्रुजीत ने उसकी कमर को घेरते हुए अपनी बाहो मे थाम लिया & थामते ही उसकी चूचिया शत्रुजीत के सीने से पीस गयी,"क्या हुआ?" "का-कुच्छ नही..ज़रा पैर फिसल गया...",कामिनी उस से अलग हुई तेज़ कदमो से चलती हुई वाहा से निकल गयी. उसके जाते ही शत्रुजीत का मोबाइल बजा,उसने नंबर देखा & मुस्कुरा कर कॉल रिसीव की,"हेलो,अंकल जे." "हेलो!सोन.कहा हो?क्लब मे?" "जी.और आप?वही बॉर्नीयो मे?",बॉर्नीयो पंचमहल का सबसे पुराना पब था & जयंत पुराणिक वाहा लगभग रोज़ ही जाते थे.
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12-31-2018, 03:55 PM,
#17
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"अभी-2 खबर मिली है कि पार्टी ने अमरजीत जी के बाद तुम्हे ही लोक सभा एलेक्षन का टिकेट देने का फ़ैसला किया है.थोड़ी देर मे मिश्रा जी तुम्हे फोन करेंगे." "ओके." "देखो बेटा मैं जो कहूँगा उसका बुरा मत मानना & मुझे ग़लत मत समझना.मैं चाहता हू कि तुम अपनी ज़ाति ज़िंदगी को ज़ाति ही रखो.मुझे तुम्हारी समझदारी पे पूरा यकीन है पर बेटे,अब मीडीया & ऑपॉस्षन पार्टी ही नही बल्कि तुम्हारी अपनी पार्टी के कुच्छ लोग तुम्हारी 1-1 हरकत पे नज़र रखेंगे & इस ताक मे रहेंगे कि कब तुम्हे नीचे लाया जा सके." "हमारी अपनी पार्टी के लोग अंकल?" "हां,बेटा." "कौन हैं वो,अंकल?" "बेटा,1 का नाम तो मैं दावे के साथ ले सकता हू-जगबीर ठुकराल." ------------------------------------------------------------------------------- पंचमहल 1 तेज़ी से बढ़ता हुआ शहर था जहा रोज़ नयी-2 कॉलोनीस बस रही थी.इन्ही मे से 1 थी विकास खंड,इस विकास खंड का सेक्टर-52 पंचमहल की सबसे नयी पॉश कॉलोनी थी.इसमे दाखिल होते ही चारो तरफ 1 से बढ़कर 1 आलीशान बंगल दिखाई देते मगर कोई इंसान नही,लगता मानो किसी वीरान बस्ती मे आ गये हैं.यहा बसने वाले या तो इन सुनहरी दीवारो के पीछे रहते & अगर कही बाहर जाना भी पड़ता तो गहरे काले शीशो से ढँकी गाडियो मे जाते.दिखते तो बस उनकी दौलत की हिफ़ाज़त करने वाले गार्ड्स. इसी कॉलोनी मे 1 2-मंज़िला बहुत बड़ा आलीशान बुंगला था जगबीर ठुकराल का.बंगल की दोनो मंज़िले जैसे ठुकराल की दोहरी ज़िंदगी की निशानी थी.निचली मंज़िल पे रहता था पॉलिटीशियन ठुकराल तो उपरी पे अय्याश.उस से मिलने-जुलने वालो से वो निचली मंज़िल पे ही मिलता था.सबको यही लगता था कि उपरी मंज़िल बंद पड़ी है.उपरी मंज़िल पे जाने की सीढ़िया नीचे घर के पीछे थी.उन सीढ़ियो की चाभी बस ठुकराल के पास थी.ठुकराल का बुंगला 2 प्लॉट्स को मिला कर बने 1 बड़े प्लॉट मे बना था.मगर साथ का 1 प्लॉट भी उसी का था जोकि इस उपरी मंज़िल के राज़ को राज़ रखने के लिए था.उस उपरी मंज़िल पे रहने वालो को अगर कभी बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती तो वो सीढ़ियो से नीचे आ कर 1 छिपे गलियारे से होते हुए उस तीसरे प्लॉटे मे पहुँचते जहा की 1 छ्होटा सा घर बना था.वाहा गाड़िया खड़ी रहती थी & उनमे बैठ वो उस तीसरे प्लॉट से बाहर निकल जाते दुनिया को लगता कि वो लोग इस तीसरे प्लॉट मे रहते हैं ना की ठुकराल के बुंगले मे. लोग तो ये समझते थे की ठुकराल निचली मंज़िल पे अकेला रहता था पर हक़ीक़त ये थी कि वो उपरी मंज़िल वीरान नही थी,बल्कि हुमेशा हुस्न की परियो से गुलज़ार रहती थी.ये उपरी मंज़िल ठुकराल की ऐषगाह थी,जिसकी देखभाल का पूरा ज़िम्मा केवल लड़कियो के हाथ मे था. ठुकराल को अगर कोई भी लड़की पसंद आ जाती तो वो उसे अपने बिस्तर तक लाके ही दम लेता-अब चाहे वो लड़की अपनी मर्ज़ी से आए या फिर ज़बरदस्ती.ज़बरदस्ती लाई गयी लड़की को वो अपनी हवस पूरी करने के बाद मौत की नींद सुला देता क्यूकी उसे डर रहता था कि कही उसका ये घिनोना रूप दुनिया के सामने ना आ जाए.और जो लड़की खुशी-2 उसकी बात मान लेती थी उसे वो पैसो से तोल देता था. इनमे से कुच्छ लड़कियाँ उसे इतनी पसंद आती थी कि उन्हे वो अपनी इस ऐषगाह मे ले आता जहा वो उसके जिस्म की भूख भी मिटती & साथ-2 ऐषगाह की देखभाल भी करती.इसके ऐवज मे इन लड़कियो को 1 मोटी रकम हर महीने दी जाती थी.जब किसी लड़की से ठुकराल का मन ऊब जाता तो वो उसे बहा से चलता कर देता पर जाते वक़्त भी उस लड़की की झोली नोटो से भर देता.इस वक़्त भी ऐसी 5 लड़कियाँ उसके हरम मे मौजूद थी. ठुकराल के इस हरम के बारे मे उसके & इन लड़कियो के अलावा वाहा आने वाली हाइ-क्लास कल्लगिर्ल्स & उन्हे हॅंडल करने वाले दलाल & मेडम्स को पता था.पर ये कभी भी उसके इस राज़ के बारे मे नही बोलते थे-लड़कियो & कल्लगिर्ल्स को पैसे मिल रहे थे तो वो क्यू किसी पचदे मे पड़ अपनी कमाई खटाई मे डालती!..& मेडम्स & दलाल इतने बढ़िया ग्राहक को नाराज़ कर अपने पैरो पे आप कुल्हाड़ी क्यू मारते! बंगले के उपरी मंज़िल पे 8 कमरे थे जिनमे से 5 मे वो लड़किया रहती थी & 1 बहुत ही बड़ा हॉल था जो था ठुकराल की ऐषगाह.उसे पहली बार देखने वालो की आँखे चौंधिया जाती थी.इटॅलियन मार्बल की टाइल्स से सजे फर्श पे ईरानी गाळीचे बिछे हुए थे.1 दीवार की पूरी लंबाई से लगा 1 बहुत ही लंबा गद्देदार सोफा रखा था.इस सोफे की उपर की पूरी दीवार पे खजुराहो की मूर्तियो की नकल बना के लगाई गयी थी-पर इन पत्थर की मूर्तियो को सोने से मढ़ा गया था.सोफे की ठीक सामने की दीवार से लगा 1 बड़ा एल्सीडी टीवी रखा था & उसके नीचे होमे थियेटर सिस्टम का डिस्क प्लेयर.होमे थियेटर के स्पीकर्स पूरे हॉल मे छुपे हुए थे.टीवी के अगल बगल के शेल्व्स मे हर तरह की ब्लू फिल्म्स की डिस्क्स भरी पड़ी थी..सोफे & टीवी के बीच मे 1 शीशे की मेज़ थी जिसके पैर नंगी लड़कियो के आकार मे तराशे हुए थे.सोफे के बाद 1 कोने मे 1 फ्रिड्ज रखा था & उसी के बगल मे बार भी था.वाहा से थोड़ा हट के 1 शीशे की डाइनिंग टेबल थी & उसके पैर भी उस छ्होटी मेज़ की तरह ही थे. दूसरे कोने मे 1 जक्यूज़ी टब लगा हुआ था जिसमे 1 साथ 5 लोग आराम से बैठ सकते थे.उसी के बगल मे 1 शवर क्यूबिकल भी बना हुआ था.कोई भी दीवार खाली नही थी.हर दीवार पे नंगी लड़कियो की अकेले या फिर किसी मर्द के साथ प्यार करते हुए नज़रो की बड़ी खूबसूरत पेंटिंग्स सजी थी. पर 2 चीज़े थी जोकि इस हॉल मे दाखिल होते ही किसी का ध्यान अपनी ओर सबसे पहले खींचती थी..पहली चीज़ थी 1 10फ्ट जे 6फ्ट की पैंटिंग जिसमे 1 नंगी लड़की झरने मे नहा रही थी.गौर से देखने पे पता चलता था कि जहा पे लड़की की चूत थी वाहा पे 1 छेद मे 1 बटन लगा था जिसे दबाने पे पैंटिंग बीच से 2 हिस्सो मे बँट जाती.दरअसल वो 1 वॉर्डरोब का दरवाज़ा थी जिस वॉर्डरोब के अंदर लड़कियो की पोशाके भरी पड़ी थी-मिनी स्कर्ट्स.माइक्रो मिनिस,बूस्तिएर्स,ट्यूब टॉप्स,नाइटी,बिकीनिस,सारिया-कोई भी ऐसा कपड़ा जिसमे 1 लड़की सेक्सी लग सके & जिसे पहने उस लड़की को देखने की ठुकराल की तमन्ना हो. और दूसरी चीज़ थी 1 गोल किंग साइज़ पलंग जिसपे तकिये & कुशान्स पड़े हुए थे & जो हुमेशा फूलो से ढँका रहता था. क्रमशः..............
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12-31-2018, 03:55 PM,
#18
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--7



इस वक़्त सोफे पे 1 जवान लड़की बैठी थी जिसके बाल सुनहरे & भूरे रंगो से कलर किए हुए थे.लड़की ने 1 हॉल्टर नेक टॉप पहना था जिस से की उसकी पूरी चिकनी बाहें & गोरे कंधो का हिस्सा & उपरी आधी पीठ नुमाया हो रहे थे & उनपे उसके ब्रा के ट्रॅन्स्परेंट स्ट्रॅप्स चमक रहे थे.इसके साथ उसने काली,सीक्विंड स्किन-टाइट जीन्स पहनी थी & पैरों मे हाइ हील सॅंडल्ज़ थी.उसके होंठो पे ग्लॉसी लाल लिपस्टिक चमक रही थी & हाथ-पाँव के नाखूनओ पे मॅचिंग लाल नेल पोलिश.उसके हुलिए से सॉफ ज़ाहिर था की वो 1 हाइ क्लास कल्लगिर्ल है.वो बैठी टीवी पे कोई म्यूज़िक चॅनेल देख रही थी.



तभी हॉल का दरवाज़ा खुला & जगबीर ठुकराल ने अंदर कदम रखा,उसने बंद गले का कोट पहना हुआ था,लग रहा था की वो अभी-2 कही बाहर से वापस लौटा है.उसे देखते ही लड़की मुस्कुराती हुई खड़ी हो गयी,"हेलो!"



जवाब मे ठुकराल ने केवल सर हिलाया & सर से पांब तक उसे घूर्ने लगा,लड़की भी किसी मॉडेल की तरह मुस्कुराती खड़ी थी.ठुकराल के होंठो पे 1 कुटिल मुस्कान तेर गयी & उसका लंड पंत मे नींद से जाग अंगडायाँ लेने लगा,"वाहा खड़ी हो जाओ.",उसने लड़की को टीवी & सोफे के बीच मे खड़े होने को कहा & खुद सोफे के पास आ गया.



उसी वक़्त 1 बार फिर दरवाज़ा खुला & 1 खूबसूरत लड़की हाथ मे ट्रे-जिसपे पानी का ग्लास था,लिए अंदर आई.ये उन 5 लड़कियो मे से 1 थी.लड़की ने 1 बहुत छ्होटा ट्यूब टॉप पहना था & उसकी छातियो का उपरी हिस्सा उस कसे टॉप से छलक सा जा रहा था.नीचे उसने 1 टाइट माइक्रो-मिनी स्कर्ट पहनी थी जो बस उसकी गंद को किसी तरह ढँके हुए थी.



ठुकराल ने ट्रे से ग्लास उठाया & पानी पीते हुए अपनी बाई बाँह उसकी पतली कमर मे डाल दी.पानी पीने के बाद उसने ग्लास लड़की को वापस किया तो उसने उसे किनारे रख दिया,"मेरे कपड़े उतारो.",हुक्म सुनते ही लड़की झुक कर उसके जूते खोलने लगी,"तुम भी अपने कपड़े उतारो.",उसने कल्लगिर्ल को कहा तो मुस्कुराते हुए उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर अपने टॉप को उठाया & साथ ही साथ घूम कर अपनी पीठ ठुकराल की तरफ करते हुए,उसे अपने सर से निकाल वही ज़मीन पे गिरा दिया.



ब्रा के ट्रॅन्स्परेंट स्ट्रॅप्स के चलते उसकी गोरी पीठ लगभग नंगी ही थी.लड़की ने भी ठुकराल का कोट & शर्ट निकाल दिए थे & अब वो उसकी पॅंट खोल रही थी.कॉल गर्ल घूमी & ठुकराल की मुस्कुराती नज़रो से अपनी नज़रे मिलाते हुए अपनी बेल्ट निकाल दी.लड़की ने ठुकराल की पॅंट उतार दी थी & अंडरवेर खींचने वाली थी,"इसे रहने दो & अब तुम जाओ."उसने लड़की की गंद थपथपाई & सोफे पे बैठ उसकी बॅक पे अपने हाथ पसार दिए.लड़की ने उसके कपड़ो से निकले 2 मोबाइल फोन्स & 1 ब्लूटूवाय्त हंडसफ़री कीट उसकी बाज़ू मे रख दिए & हॉल से बाहर चली गयी.



कॉल गर्ल ने अपनी जीन्स का बटन खोला & बहुत धीरे से ज़िप सर्काई & जीन्स को नीचे करते हुए 1 बार फिर घूम गयी.उसने अपने उपरी बदन को इस तरह झुकाया की उसकी गंद ठुकराल की आँखो के सामने और उभर गयी.अपनी जाँघो & टाँगो को हिलाते हुए उसने अपनी जीन्स को उतार दिया & फिर घूम कर खड़ी हो गयी.



अब वो 1 लेमन कलर के पुश-उप ब्रा & बहुत ही छ्होटी पॅंटी मे अपनी कमर पे हाथ रखे खड़ी थी.पुश-उप ब्रा ने उसके बड़े से क्लीवेज को और भी उभार दिया था & जब वो ज़रा भी हिलती तो उसकी चूचिया कातिलाना अंदाज़ मे छल्छला जाती.उसकी चूचिया इतनी कसी हुई नही थी& पेट भी हल्का सा निकला हुआ था,पर ये उसकी खूबसूरती को और बढ़ा ही रहा था.



ठुकराल की तजुर्बेकार निगाहो ने 1 नज़र मे ही भाँप लिया कि अगर वो लड़की कुच्छ साल और इस पेशे मे रही तो बहुत जल्द उसका बदन पूरा ढीला पड़ जाएगा & वो वक़्त से पहले ही बूढ़ी हो जाएगी.पर उसे उसके कल से क्या लेना-देना था!उसे तो उसके आज से मतलब था & आज वो लड़की वो फूल थी जिसका हुस्न अपने पूरे शबाब पे था.



तभी ठुकराल का 1 मोबाइल बजा.उसने नंबर देखा,फिर हंडसफ़री कीट अपने बाए कान मे लगाई,"ज़रा वॉल्यूम मूट कर पीएमन न्यूज़ चॅनेल लगाना.",फिर फोन ऑन किया,"ठुकराल स्पीकिंग."



"गुड ईव्निंग,सर!मैं पंन न्यूज़ चॅनेल से बोल रही हू."



"हां,कहिए."



"सर,आप लाइव टेलिफोन इंटरव्यू के लिए तैइय्यार है ना ?"



"जी,हां.",उसने अपने हाथ से कल्लगिर्ल को उसका काम जारी रखने का इशारा किया.वो उसके पास आई & उसकी तरफ अपनी पीठ कर अपनी गर्दन घुमा अपने कंधे के उपर से शरारत भरी नज़रो से अपने ब्रा के हुक की ओर इशारा किया.सामने टीवी पे न्यूज़ आंकर बोलता हुआ दिख रहा था.



ठुकराल ने हुक खोल लड़की की कमर थामनि चाही तो लड़की भाग कर वापस टीवी के सामने चली गयी,"..बस थोड़ी देर मे हुमारे एंकर आपसे बात करेंगे सर.आप प्लीज़ लाइन पे बने रहिएगा."



"ओके."



लड़की ने उसकी तरफ पीठ किए खड़ी हो अपने बाए कंधे के उपर से शरारती मुस्कान के साथ उसे देखते हुए अपने कंधो से ब्रा को सरका दिया तो वो भी वही उसके टॉप के पास ज़मीन पे गिर गया.



" न्यूज़ मे आपका स्वागत है,ठुकराल साहब.",सामने टीवी स्क्रीन 2 हिस्सो मे बनती हुई थी,1 मे एंकर बोलता दिखाई दे रहा था & दूसरे मे ठुकराल की फोटो,"शुक्रिया."



"ठुकराल साहब,आपकी पार्टी ने लोक सभा चुनाव का टिकेट षत्रुजीत सिंग को दे दिया है.खबर है की आप इस बात से खुश नही हैं & शायद पार्टी छ्चोड़ने तक की सोच रहे हैं?"



लड़की वैसी ही खड़ी अपनी पॅंटी मे अपने अंगूठे फँसा कर उसे अपनी गंद मटकाते हुए नीचे सरका रही थी,"देखिए,टिकेट ना मिलने का थोड़ा अफ़सोस तो मुझे है पर मैं पार्टी छ्चोड़ने की बिल्कुल भी नही सोच रहा.ये पार्टी मेरी मा के जैसी है कोई अपनी मा को छ्चोड़ता है क्या!",लड़की की हरकते देख ठुकराल की आँखो मे वासना की चमक & होंठो पे शैतानी मुस्कान आ गयी.



"..पर हमने तो सुना है की आपकी शत्रुजीत सिंग से नही बनती & आप उनके चुनाव प्रचार से अलग-थलग रहने वाले हैं?"



लड़की अब पूरी नंगी हो चुकी थी & ठुकराल की आँखो के सामने उसकी गोरी पीठ & चौड़ी गंद चमक रहे थे,"ये सरासर झूठी बाते हैं!सभी जानते हैं की मैने हमेशा अमरजीत जी के साथ मिल के काम किया है,फिर उनके बेटे से मुझे क्या परेशानी हो सकती है!पता नही कौन आपको ये ऊल-जलूल ख़बरे देता है.पार्टी के उमीदवार की मदद करना मैं अपना धर्म समझता हू & ठुकराल आज तक अपने धर्म से नही डिगा है."



लड़की घूमी,उसने अपनी बाई बाँह अपने सीने पे रख अपनी गोल छातिया ढँक ली थी & दाई हथेली से अपनी चूत को भी छिपा लिया था.वो धीमे कदमो से लहराती हुई ठुकराल की ओर बढ़ने लगी.दबे होने की वजह से उसकी छातिया जैसे बाँह के उपर से छलक्ने को बेताब थी.



"ठुकराल साहब,आपको क्या लगता है ऐसी ख़बरे क्यू आ रही हैं?आख़िर क्या कारण है?",लड़की ठुकराल के पास आई & वैसे ही अपने अंगो को ढँके हुए ठुकराल के दोनो ओर अपने घुटने सोफे पे टीका उसके उपर खड़ी हो गयी.ठुकराल ने उसके हाथो को हटा पहली बार उसकी बड़ी-2,गोल छातिया & चिकनी,गुलाबी चूत का दीदार किया.



"ये सब ऑपोसिशन वालो की साज़िश है,वो जानते हैं की पॅंचमहल मे हमारी पार्टी को चुनाव मे हराना नामुमकिन है..",उसने झुक कर लड़की की बाई छाती के काले निपल पे जीभ फिराते हुए पूरी चूची को अपने मुँह मे भर लिया,"आआआहह...",लड़की कराही.ठुकराल कोई 10-15 सेकेंड तक चूची चूस्ता रहा,"ठुकराल साहब..ठुकराल साहब?आपको मेरी आवाज़ सुनाई दे रही है क्या?"



"जी..माफ़ कीजिएगा,मैं ज़रा अपनी दावा की गोली निगल रहा था...हां तो मैं कह रहा था कि ये सब विरोधी पार्टियो की चाल है,वो चुनाव मे तो हमे हरा नही सकते तो अनप-शनाप बाते फैला रहे हैं,ये सोच के इस से हम मे फूट पड़ जाएगी.",ठुकराल ने लड़की की कमर पे हाथ रख उसे अपनी गोद मे बिठाया तो लड़की ने भी बैठते हुए अपनी नंगी गंद से उसके अंडरवेर मे च्छूपे लंड को ज़ोर से दबा दिया.



ठुकराल ने इस बार उसकी दाई चूची को मुँह मे भर लिया,"..तो आप का कहना है की आप शत्रुजीत सिंग का साथ देंगे?"



ठुकराल ने चूची को मुँह से निकाला,"जी!हां.बिल्कुल.वो हुमारे उमीदवार हैं & मैं उन्हे जीतने मे कोई कसर नही छ्चोड़ूँगा.",लड़की उसकी गोद से सरक कर नीचे कालीन पे घुटनो पे बैठ गयी & 1 झटके मे अंडरवेर को उतार ठुकराल के 8 इंच लंबे & मोटे लंड को बाहर निकाल लिया.



"मगर ठुकराल साहब,आपने ये माना है टिकिट ना मिलने का आपको अफ़सोस है.इसके बारे मे आपका क्या कहना है?",ठुकराल के मुँह से ज़ोर की आह निकल जाती मगर उसने बड़ी मुश्किल से उसे अपने हलक मे ही ज़ब्त कर लिया,दरअसल हुआ ये था कि लड़की ने उसका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया था,यहा तक की कुच्छ हिस्सा तो उसके हलक मे भी चला गया था,जबकि ठुकराल साहब ये सोच रहे थे की वो अभी लंड को केवल अपनी जीभ से छेड़ेगी.



उसने लड़की के सर को पकड़ लिया.कंठ मे उतरे होने की वजह से उसके लंड को वैसा ही मज़ा मिल रहा था जैसा उसे चूत मे मिलता,"देखिए,अफ़सोस तो बस थोड़ी देर के लिया था.उस से भी ज़्यादा मुझे इस बात की खुशी है की अमरजीत जी के लड़के ने उनके परिवार की पंचमहल की सेवा करने की परंपरा को आगे बढ़ाया है & इसमे उनका हाथ बताने का शुभ अवसर मुझे मिल रहा है."



"ठीक है,ठुकराल साहब.हम मान लेते हैं की आपको अपनी पार्टी से कोई गीला नही है & ना ही शत्रुजीत सिंग से आपके कोई मतभेद हैं.",लड़की ने कंठ से तो लंड को निकाल लिया था पर अभी भी वो उसे अपने हाथ से हिलाते हुए चूस रही थी.ठुकराल अब तक पता नही कितनी लड़कियो को चोद चुका था & उनमे भी सैकड़ो रंडियो को.उसने फ़ौरन भाँप लिया की ये लड़की भी अपने पेशे मे माहिर है & चाहती है की वो उसके हाथो & मुँह से ही झाड़ जाए & आगे उसे ज़्यादा मेहनत ना करनी पड़े.उस बेचारी को क्या पता था कि आज रात उसकी ली गयी रकम के 1-1 पैसे से भी कही ज़्यादा कीमत ठुकराल उस से वसूल करने वाला था.



"जी.अगर अब आपके पास और सवाल ना हो तो मैं इजाज़त चाहूँगा,मेरी बाकी दवा का भी वक़्त हो गया है."



"हां-2,ठुकराल साहब.हम आपका बहुत-2 शुक्रिया अदा करते हैं कि आपने अपना कीमती वक़्त हमे दिया."



"शुक्रिया.",ठुकराल ने फोन बंद किया & कानो से इयरपीस निकाल कर वही सोफे पे फेंक दिया.लड़की अब उसके लंड को मसल्ते हुए उसके आंडो को चूस रही थी.ठुकराल ने उसे उठा कर फिर पहले की तरह अपने सामने घुटनो पे खड़ा कर दिया & अपने हाथ की बड़ी उंगली उसकी चूत मे पूरी घुसा दी & अपने अंगूठे को उसके दाने पे लगा दिया,".आईईईईययईए...",लड़की बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी.


ठुकराल ने दूसरे हाथ से उसकी कमर को थाम उसकी गंद को मसल्ते हुए अपना मुँह उसकी छातियो के कड़े निपल्स पे लगा दिया.काफ़ी देर तक वो इसी तरह अपनी उंगली से उसकी चूत मारते हुए उसकी भारी चूचियो का स्वाद चखता रहा.तभी लड़की कुच्छ ज़्यादा बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी.ठुकराल समझ गया की वो झड़ने वाली है.
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12-31-2018, 03:55 PM,
#19
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
उसने तुरंत अपनी उंगली निकाली & लड़की की कमर को पकड़ उसे अपने लंड पे बिठाने लगा.लड़की पूरी तरह से मस्ती मे आ चुकी थी,उसने 1 हाथ नीचे ले जाके लंड को अपनी गीली चूत का रास्ता दिखाया.जुब लंड 2 तिहाई अंदर चला गया तो वो उच्छल-2 कर चुदाई करने लगी पर ठुकराल ने उसे रोक कर उसकी कमर को मज़बूती से पकड़ कर नीचे से 2-3 करार झटके लगा कर लंड को जड तक उसकी चूत मे घुसा दिया,"..ऊवुवयीयियी....माआ.....

"

उसके बाद ठुकराल शांत बैठ गया & अपने हाथो को उसकी पीठ पे फेरता हुआ उसकी चूचिया पीने लगा.लड़की ने उसे कुच्छ ना करता देखा खुद ही उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी,वो झड़ने को बेताब थी.ठुकारल के सर को पकड़ आहे भरती हुई वो अपने सर को पीछे झुका बड़ी तेज़ी से उच्छल रही थी.अचानक वो ज़ोर से चीखी & पागलो की तरह अपनी चूत को लंड पे दबाते हुए झुक कर ठुकराल के होंठो को चूमते हुए झाड़ गयी.ठुकराल उसकी पीठ & गंद को लगाता सहलाए जा रहा था.

लड़की लंबी साँसे लेती हुई ठुकराल के सीने पे झुकी हुई थी.ठुकराल वैसे ही बैठे हुए थोड़ा और नीचे हो सोफे पे अढ़लेता सा हो गया.सोफा काफ़ी लंबा चौड़ा था,इसी कारण ठुकराल को कोई परेशानी नही थी.उसने लड़की की कमर को बड़ी मज़बूती से अपनी बाहो के घेरे मे बाँध लिया & फिर नीचे से इतनी ज़ोर-2 के धक्के लगाए की लड़की पागलो की तरह चीखने लगी.

कुच्छ देर पहले ही झड़ी उसकी चूत इस कातिलाना हमले से फिर से मस्ती मे आ पानी छ्चोड़ने लगी थी.ठुकराल के मुँह पे उसकी छातिया दबी हुई थी & वो बस उन्हे चूमता-चूस्ता जा रहा था.उसके हाथ लड़की की गंद को मसले जा रहे थे.1 बार फिर लड़की की बेचैनी उस मक़ाम पे पहुँच गयी जहा से बस उसे मज़े के समंदर मे गिर जाना था & 1 बार फिर ठुकराल ने पैंतरा बदला.

उसने बिजली की तेज़ी से लड़की को अपनी गोद से उठाया & सोफे पे घोड़ी की तरह कर दिया,अब वो अपने हाथो & घुटनो के बल थी,थकान से उसने अपना चेहरा सोफे के मुलायम गद्दे मे छुपा लिया था.ठुकराल ने अपनी दाई टांग फर्श पे रखी & बाई को सोफे पे.लड़की बेचैनी से अपनी गंद हिला रही थी,उसकी चूत को बेसब्री से लंड का इंतेज़ार था.

ठुकराल ने बहुत धीरे से लंड को पूरा उसकी चूत मे धंसा दिया,फिर उसकी कमर पकड़ी & फिर से उसकी चुदाई शुरू कर दी.लड़की की भारी गंद से जब उसके लंड के आस-पास का हिस्सा टकराता तो उसके अंदो मे गुदगुदी सी होती.उसने 1 हाथ नीचे ले जाके उसकी चूचियो को मसलना शुरू किया & दूसरे से उसकी चूत के दाने के.लड़की के लिए ये दोहरी मार कुच्छ ज़्यादा थी & वो दोबारा झाड़ गयी.पर ठुकराल तो अभी शुरू ही हुआ था.उसने देखा की लड़की निढाल हो सोफे पे गिरने वाली है तो उसने अपने हाथ उसकी चूचियो & चूत से हटा उसकी कमर को मज़बूती से थाम कर चुदाई जारी रखी.

लड़की उसकी चुदाई से 1 बार और झड़ी,उसके बाद ही ठुकराल ने अपने अंदर उबाल रहे लावे को अपने लंड के रास्ते उसकी चूत मे गिरने दिया.लड़की हाँफती हुई सोफे पे पड़ी थी.ठुकराल ने उसे पानी बाहो मे उठाया & उसे साथ ले उस गोल बिस्तर पे लेट गया.फिर उसने 1 रिमोट उठा कर 1 बटन दबाया तो हॉल का दरवाज़ा खोल उसकी पाँचो रखैले पूरी नंगी वाहा आ गयी.

पाँचो मे कौन सबसे खूबसूरत है-ये तय करना मुश्किल था.सभी बेइंतहा हुस्न & जवानी की जीती-जागती मिसाले थी.1 ठुकराल की टाँगो के बीच लेट उसका लंड अपनी जीभ से सॉफ करने लगी तो दूसरी 1 गीले तौलिए से यही काम उस कल्लगिर्ल के साथ कर रही थी.ठुकराल बिस्तर के हेडबोर्ड से टेक लगाके बैठा था,तीसरी उसके पीछे आकर उसकी पीठ से लग कर बैठ गयी & उसके कंधे दबाने लगी.चौथी 1 ट्रॉली धकेलते हुए ले रही थी जिसपे खाने का समान था,उसने 1 प्लेट मे खाना निकाला & ठुकराल के दाई तरफ उसकी बाँह के घेरे मे बैठ उसे खिलाने लगी.पाँचवी के हाथ मे पानी का ग्लास था & वो ठुकराल के बाई बाँह के घेरे मे बैठ गयी & जब वो कहता वो उसे पानी पिलाती.

तभी ठुकराल का दूसरा मोबाइल बजा तो ठुकराल संजीदा हो उठा,उसने उस कल्लगिर्ल की चूत सॉफ कर रही लड़की को फोन लाने का इशारा किया,कॉल गर्ल थक कर नींद की गोद मे जा चुकी थी.

"हेलो..कहा थे तुम?मैं कब से तुम्हे फोन कर रहा था!...ह्म्म्म...अच्छा..ठीक है..तुम फ़ौरन यहा चले आओ..और हां..किसी को इस बात की भनक नही लगनी चाहिए...ठीक है..और किसी को किसी कीमत पे ये नही पता चलना चाहिए कि हम दोनो 1 दूसरे को जानते हैं..ओके.".ठुकराल ने फोन बंद किया तो लड़की ने फोन किनारे रख दिया & उसकी गोद मे बैठ उसकी छाती सहलाने लगी..पर वो तो अपने ख़यालो मे खोया हुआ था..."....शत्रुजीत सिंग जगबीर ठुकराल का हक़ छ्चीन कर तुमने कितनी बड़ी ग़लती की है ये तुम्हे अब पता चलेगा..",उसने मन ही मन सोचा,खाना ख़तम हो चुका था.उसने पानी पिया & उस छाती सहलाती लड़की को खींच कर उसकी मस्त चूचिया दबाते हुए उसे चूमने लगा.

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रात के 1 बजे बिस्तर पे कामिनी करवाते बदल रही थी.उसकी आँखो से नींद कोसो दूर थी.रह-2 के उसे अपनी ज़िंदगी मे 1 मर्द की कमी खल रही थी..कैसा होता अगर कोई अभी उसे अपनी मज़बूत बाहो मे भींच कर उसके मखमली बदन से खेलता उसकी चुदाई कर रहा होता!

उसे सुबह करण के साथ गोल्फ कोर्स वाली बात & शत्रुजीत के साथ हुई क्लब वाली बात याद आ गयी..विकास के बाद ये दोनो ही थे जिन्होने उसके जवान बदन मे उमंगे पैदा कर दी थी..पर 1 और इंसान भी तो था जिसे वो भूल रही थी-चंद्रा साहब.

उसे याद आ गयी वो शाम जब चंद्रा साहब ने पहली बार उसके जिस्म को च्छुआ था.वो उनकी कुर्सी के बगल मे खड़ी हो उन्हे फाइल मे कुच्छ दिखा रही थी की तभी पेन नीचे गिर गया.वो उठाने झुकी तो उसे लगा जैसे उसकी गंद पे किसी ने हाथ फिटाया है.क्या चंद्रा साहब ने ऐसा किया?उसे लगा की ये उसका वहाँ है.पर फिर तो ये लगभग रोज़ की ही बात हो गयी.जब उसका ध्यान कही और होता तो वो उसकी गंद च्छू देते.

कामिनी उनकी बहुत इज़्ज़त करती थी & उनकी ऐसी हर्कतो पे उसे बड़ी हैरत हुई पर उसे उस से भी ज़्यादा हैरत इस बात पे हुई की उसे ये बिल्कुल भी बुरा नही लगा,बल्कि जब भी वी चोरी से उसे छुते तो उसके बदन मे रोमांच की लहर दौड़ जाती.

1 बार वो विकास & उनके बीच उनकी कार मे बैठी कोर्ट जा रही थी.विकास को तो बस उस से चिपकने का मौका चाहिए था तो वो उस से सॅट कर बैठा था.दिखाने के लिए 1 फाइल खोल ली थी & उसके नीचे हाथ से उसकी सारी मे ढँकी जाँघ सहला रहा था.पर चंद्रा साहब भी अपनी जाँघ उस से सताए दूसरी ओर बैठे थे.अचानक उसने अपने पेट के बगल मे कुच्छ महसूस किया.उसने आँखो के कोने से देखा की चंद्रा साहब जो उसकी दाई ओर बैठे थे वो हाथ बँधे बैठे हैं & अपने दाए हाथ से उसके पेट को इस तरह सहला रहे हैं कि वो उसकी सारी से च्छूप गया है.
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12-31-2018, 03:55 PM,
#20
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी का हाल बुरा हो गया,ये दोनो मर्द उसके जिस्म से खेल रहे थे & उसकी चूत मे कसक उठने लगी थी.तभी चंद्रा ने 1 ऐसी हरकत की उसकी चूत ने बस पानी छ्चोड़ दिया.वो फाइल देखने के बहाने मुड़ते हुए झुके & अपने हाथ को उसकी सारी के नीचे किए हुए उसकी बाई छाती की बगलो को हल्के-2 दबाने लगे,वो भी इस तरह की विकास को भनक भी ना लगी.कोर्ट पहुँचते-2 कामिनी पागल सी हो गयी.जैसे ही कार रुकी वो भाग कर कोर्ट के बाथरूम मे गयी & अपनी उंगली से खुद को शांत किया.

उसके विरोध ना करने की वजह से चंद्रा साहब का हौसला और बढ़ गया था.1 दिन देर शाम ऑफीस मे लाइट चली गयी.चंद्रा साहब ने विकास को बाहर जा कर देखने को कहा की जेनरेटर क्यू नही शुरू हुआ.उसमे कुच्छ खराबी थी & विकास मेकॅनिक के साथ लग गया.इस कम मे 15 मिनिट लगे.

कॅबिन मे घुप अंधेरा था & उसका फयडा उठा कर चंद्रा साहब उठ खड़े हुए & खड़ी हुई कामिनी को पीछे से दबोच लिया.उनका 1 हाथ उसके पेट पे फिसलते हुए उसकी नाभि को कुरेदने लगा तो दूसरा उसकी ब्लाउस मे क़ैद चूचियो को उपर से ही मसल्ने लगा.दोनो बिल्कुल खामोश थे,कामिनी बस खड़ी हुई उनकी हर्कतो का मज़ा ले रही थी कि तभी विकास की आवाज़ आई,"हां..अब ऑन करो.",चंद्रा साहब ने फ़ौरन उसे छ्चोड़ दिया & अपनी कुर्सी पे चले गये.

तभी बत्ती भी आ गयी & वो ऐसे बैठे रहे जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.इसके बाद ही उन्होने उसे & विकास को अपनी प्रॅक्टीस शुरू करने को कहा था..शायद उन्हे खुद पे भरोसा नही था & अगर वो हमेशा उनके सामने रहती तो वो ज़रूर और हदो को भी पार कर जाते.

कामिनी के नज़रो मे उनकी इज़्ज़त और बढ़ गयी-वो ग़लती कर रहे थे,अपनी असिस्टेंट के साथ ये सब उन्हे शोभा नही देता था पर वक़्त रहते उन्होने खुद को संभाल लिया था.कोई और वकील होता तो अब तक उसे अपने बिस्तर मे घसीट चुका होता और फिर शायद उसकी विकास से शादी भी नही हुई होती.

अच्छा ही होता!..वो आज इस अकेलेपन,इस तन्हाई से तो बच जाती....पर वो फिर ऐसे क्यू सोच रही थी..2 जवान खूबसूरत मर्दो से उसका परिचय हुआ था & अगर किस्मत ने उसका साथ दिया तो वो किसी 1 के साथ या फिर दोनो के साथ फिर से अपनी राते रंगीन करेगी.ये ख़याल आते ही उसका हाथ अपनी नाइटी के नीचे नंगी चूत पे चला गया & उस से खेलने लगा.

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रात के 1 बजे शत्रुजीत अपने बेडरूम मे दाखिल हुआ.अंदर अंधेरा था & खिड़की से आती हल्की चाँदनी मे उसने देखा की नंदिता छ्होटी सी नेग्लिजी मे लेटी हुई है.वो उसकी तरफ ही देख रही थी.शत्रुजीत ने अपने कपड़े उतारे & पूरा नंगा हो उसके बगल मे चादर मे घुस गया पर उसने पत्नी को छुने की कोई कोशिश नही की ना ही नादिता ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया.दोनो को आज तक ये बात समझ मे नही आई थी-दोनो जवान & खूबसूरत थे,1 जैसे फॅमिली बॅकग्राउंड से थे,किसी और को चाहते भी नही थे फिर आख़िर क्यू उन्हे 1 दूसरे से प्यार नही हुआ था...बस अपनी भूख मिटाने के लिए दोनो चुदाई करते थे.उसमे भी बहुत मज़ा आता था उन्हे पर प्यार-प्यार उस वक़्त भी नही होता था उनके बीच.

शत्रुजीत ने गर्दन घुमाई तो पाया की नंदिता उसे देखा रही है.नज़रे मिलते ही जैसे कोई चिंगारी भड़की & दोनो घूम कर 1 दूसरे से चिपक गये.नंदिता ने खुद ही अपनी नेग्लिजी निकाल दी,उसने नीचे कुच्छ भी नही पहना था & शत्रुजीत उसके बदन को चूमने,चाटने लगा.हर बार ईयसे ही होता था दोनो ऐसे प्यार करते जैसे वक़्त ही ना हो उनके पास,ये आख़िरी रात हो उनके जीवन की.

शत्रुजीत उसकी चूचियो को चूस्ते हुए उसकी टाँगो के बीच आ रहा था की नादिता ने खुद अपनी जंघे फैला दी.शत्रुजीत ने 1 झटके मे अपना लंड अपनी बीवी की चूत मे उतार दिया.दोनो आहे भर रहे थे,1 दूसरे को चूम रहे थे,खरोंच रहे थे...पर 1 बार भी 1 दूसरे का नाम नही लिया..बस जैसे दो अजनबी 1 साथ 1 रात के लिए साथ हुए हो.पर वो अजनबी भी कुच्छ तो प्यार जताएंगे.

शत्रुजीत बस धक्के लगाए जा रहा था,बीवी की कसी चूत उसे हुमेशा पागल कर देती थी पर उसने कभी उसे ये नही बताया था.नंदिता भी पति की मर्दानगी की कायल थी.कितना भी थका हो जब तक वो ना झड़ती वो रुकता नही था.उसने हुमेशा उसे खुश किया था पर उसने भी कभी उसकी इस बात की तारीफ नही की थी.

"आहह....आअहह...",नंदिता अपने पति से चिपकी झड़ने लगी तो शत्रुजीत ने भी अपना वीर्या उसकी चूत मे गिरा दिया.फिर वो उसके उपर से अपना लंड निकाल कर उतर कर अपनी जगह पे लेट गया.नंदिता थोड़ी देर पड़ी रही फिर उठ कर बाथरूम चली गयी,अपनी चूत सॉफ करने के लिए.शत्रुजीत उसके लौटने का इंतेज़ार करने लगा ताकि फिर वो बाथरूम जा अपना लंड सॉफ कर सके.

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