10-07-2021, 04:45 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"हन, अब से तुम बिल्कुल एक सुहागन की तरह साज धज के रहो, शृंगार करो, मान से सारी नेगेटिव बातें निकाल दो और एक गर्ल की तरह बेबाक निसफ़िक़ार जिंदगी जियो और निर्मल आनंद लो." यह कह कर मेने मा के गाल का चुम्मा ले लिए. मा मेरी और देख कर हंस रही थी. में मा के हंसते होंठ पर एक उंगली रख कर अपने होंठ पर अपनी जीभ फिराने लगा. मेने अपनी ओर से इशारा दे दिया की में तुम्हारे होंठों का रस पॅयन करना चाहता हूँ.
"तर्क करना तो कोई तुमसे सीखे. पर तुम्हारी बातें है बहुत गहरी. हम उचित-अनुचित, भले-बूरे, पाप-पुण्या इन दुनिया भर के लफडों में उलझे पड़े रहते हैं, और जो मान चाहे वा कर नहीं पाते और सोचते ही रह जाते हैं की दूसरे क्या सोचेंगे. किसी को भी कष्ट पाहूंचाए बिना जिस भी काम में मान को शांति मिले, आत्मा प्रसन्न हो वही निर्मल आनंद है." मा ने एक दार्शनिक की भाँति कहा.
में: "हन मा, यही तो में तुम्हें कहता रहता हूँ. तुम्हारी और मेरी सोच कितनी मिलती है. जो में सोचता हूँ ठीक तुम भी वही सोचती हो. तभी तो तुमसे मेरा इतना मान मिलता है. जब से तुम यहाँ आई हो मुझे सिर्फ़ तुम्हारी कंपनी में ही मज़ा आता है. तभी तो स्टोर से सीधा तेरे पास आ जाता हूँ. घर से बाहर भी जितना मज़ा मुझे तुम्हारे साथ आ रहा है उतना आज तक नहीं आया."
हम मा बेटे इस प्रकार कई देर बातें करते रहे. फिर रोज की तरह मा अपने कमरे में सोने के लिए चली गई. में बिस्तर पर कई देर पड़े पड़े सोचता रहा की मा मेरी कोई भी चीज़ का तोड़ा सा भी विरोध नहीं करती है. पर में मा को पूरी तरह खोल लेना चाहता था की मा की मस्त जवानी का खुल के मज़ा लिया जाय. मा आधुनिक विचारों की, घूमने फिरने की, पहनने ओढ़ने की तथा मौज मस्ती की शौकीन थी.
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-15
दूसरे दिन में रोज वेल समय पर घर आ गया. आज कहीं भी बाहर जाने का प्रोग्राम नहीं बनाया क्योंकि आज में मा बेटे के बीच की दीवार गिरा देना चाहता था. खाने का काम समाप्त होने पर मा बातरूम में नहाने चली गई और में कई देर सोफे पर बैठा सोचने लगा की आज मा का कौनसा रूप देखने को मिलेगा. कल मा मुझसे बहुत खुल के पेश आई थी, तो क्या जितना आतुर में हूँ उतनी ही आतुर मा भी है. फिर में भी अपने कमरे में जा बातरूम में घुस गया. अच्छे से शवर लिया और बहुत ही मादक हल्की सी क्रीम अपने बदन पर लगा ली. में तैयार होकर बेड पर बैठा फिर माके बारे में सोचने लगा. में आँखें मूंडे माकी सोच में डूबा हुवा था की माकी इस आवाज़ से मेरी तंद्रा टूटी,
"लगता है बड़ी बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है." मेने आँखें खोली और जैसे ही माकी तरफ देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई. माने शादी का जोड़ा पहन रखा था जो शायद उसने अब तक संभाल रखा था. माने सच्ची जारी का लाल घाघरा कमर में काफ़ी नीचे बँधा हुवा था और उसीका मॅचिंग ब्लाउस पहन रखा था. इन सबके उपर उसने हल्के लाल रंग की झीनी चुनर ओढ़ रखी थी जिसे घूँघट के जैसे सर पे ले रखा था. माथे पर लाल बिंदिया भी लगा रखी थी. गले में हार, हातों में कंगन; कहने का मतलब मा पूरी एक नाव व्यहता दुल्हन के रूप में थी. में आश्चर्यचकित हो माके इस अनोखे रूप को निहारे जा रहा था.
मा: "ऐसे क्या देख रहा है? क्या कभी कोई दुल्हन देखी नहीं? वैसे तो बहुत बोलता रहता है की में एक सुहागन के रूप में रहूं, साजून धाजून, शृंगार करूँ और जब तेरी इच्छा का मान रखते हुए इस रूप में आ गई तो तेरी सारी बोलती बंद हो गई."
मा की बात सुन में माके सामने खड़ा हो गया और मा को ज़ोर से बाँहों में भर लिया. फिर में माको साथ ले बेड पर बैठ गया और मेरी बाँहों में मा की पीठ अपने सीने पर कस ली. मुझे पक्का विश्वास हो गया की मेरी मा सजधज के अपने बेटे से चूड़ने के लिए आई है लेकिन यह करने की मुझे जल्दी नहीं थी. यह करने से पहले में उसे बिल्कुल खोल लेना चाहता था और पूरी बेशर्म बना देना चाहता था. मेने कहा,"लो मा कल मेने कहा और आज तुम मेरी सुहागन बन के आ गई."
"तेरी सुहागन. क्या मतलब?" मा ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा.
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10-07-2021, 04:47 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-16
मुझे माँ के साथ पूरा बेशरम हो कर इस प्रकार खुली बातें करने में बहुत मज़ा आ रहा था और उससे भी बढ़कर इस बेतकल्लूफ़ी और बेशर्मी में माँ मुझसे भी बढ़ कर साबित हो रही थी. मुझे पूरा भरोसा हो गया की में माँ के साथ नये वासनात्मक खेल खुल के खेल सकूँगा.
"जैसा मेरा लंबा तगड़ा शरीर है और लॉडा है, उसे झेलना हल्की फुल्की लड़की के बस की बात नहीं है. इसलिए मेरी लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी भी नहीं है. मुझे तो मेरे जैसी ही लंबी, तगड़ी, मस्त और बेबाक खेली खाई हुई औरत चाहिए. माँ तुम ठीक मेरा ही प्रतिबिंब हो. बिल्कुल मेरे जैसी गठीली, मज़े लेने की शौकीन, खुल के बात करने वाली हो. किसी नई लड़की को चोद दूं तो लेने के देने पड़ जाएँगे; साली की एक बार में ही फॅट के भोसड़ा बन जाएगी. मुझे तो ठीक तुम जैसी ही औरत चाहिए थी." मेने भी मज़े लेते हुए कहा.
"तो तुम मेरी 15 साल से बचा के रखी बिना चूत का भोसड़ा बना देगा. ना बाबा मुझे तुमसे नहीं चुदवाना." माँ ने इठलाते हुए कहा.
"अरे मम्मी जैसा तुम्हारा लंबा चोडा शरीर है उसी अनुपात में तुम्हारी चूत भी तो बड़ी सारी होगी; बल्कि चूत नहीं माल्पूवे सा फुद्दा है फुद्दा. फिर तुम तो मेरी जान हो. तुम्हारी चूत को में बहुत प्यार से लूँगा. चिंता मत करो मेरी राधा डार्लिंग, खूब प्यार से तुम्हें मज़े ले ले के धीरे धीरे चोदुन्गा." मेने माँ की जवानी के चटकारे लेते हुए कहा.
"हाय; ऐसी खुली खुली बातें मेने आज से पहले ना तो कभी सुनी और ना ही कभी कही. तुम्हारी सुहागन बन के मुझे तो मेरे मन की मुराद मिल गई. ऐसी बातें करने में तो काम से भी ज़्यादा मज़ा आता है. ऐसी ही खुली खुली बातें करते हुए मेरी इस तड़पति जवानी को खुल के भोगो मेरे राजा." माँ ने कहा.
"में जानता था कि तुम्हें असली खुशी में तुम्हारा सुहाग यानी की तुम्हारा पति, सैंया, साजन, बालम बन के ही दे सकता था. अब लोगों के सामने तो हम माँ बेटे रहेंगे और रात में खुल के रंगरेलियाँ मनाएँगे. जवानी के नये नये खेल खेलेंगे. क्यों मेरी रानी तैयार हो ना मेरे से खुल के मज़े लेने के लिए. कहीं कोई डर तो मन में नहीं है ना." मेने खुला आमंत्रण दिया.
माँ: "नहीं मेरे राजा मुझे ना तो कोई डर है और ना ही कोई शंका. में तुझसे मस्त होके चुदने के लिए पूरी तैयार हूँ. मेरी चूत गीली होती जा रही है. वह तुम्हारे लंड को तरस रही है."
में बेड पर से खड़ा हो गया और माँ को भी हाथ पकड़ के मेरे सामने खड़ा कर लिया. माँ को मेने आगोश में ले लिया. माँ की खड़ी चूचियाँ मेरे सीने में चुभने लगी. माँ के तपते होंठों पर मेने अपने होंठ रख दिए. माँ के अमृत भरे होंठों का रस्पान करते करते मेने पीछे दोनों हथेलियाँ माँ के उभरे विशाल नितंबों पर जमा दी. माँ के गुदाज चुतड़ों को मसल्ते हुए में माँ के पेल्विस को अपने पेल्विस पर दबाने लगा.
"अब इस सौन्दर्य की प्रतिमा को अपने हाथों से धीरे धीरे निर्वस्त्र करूँगा. तुम्हारे नंगे जिस्म को जी भर के देखूँगा, तुम्हारे काम अंगों को छ्छूऊंगा, उन्हें प्यार करूँगा." चुंबन के बाद माँ की ठुड्डी को उपर उठाते मेने कहा और एक एक करके पहले माँ के गहने उतार दिए. फिर माँ का ब्लाउस खोला और उसके बाद उसके घाघरे का नाडा खींच दिया. नाडा ढीला होते ही भारी घाघरा नीचे गिर पड़ा. अब माँ उसी मॉडर्न हल्के गुलाबी रंग की पैंटी ओर ब्रा में थी जो उस दिन मुझे सप्लाइयर ने दी थी.
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10-07-2021, 04:49 PM,
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RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-17
थोड़ी देर बाद में बिस्तर से खड़ा हो गया और एक एक करके अपने कपड़े खोलने लगा. कुच्छ ही पल में में भी मा की तरह पूरा मोतेर्जात नंगा था. मा बिस्तर पर बैठी थी. मेरा 11 इंच का लंड लोहे की रोड की तरह टन कर खड़ा था. बड़ा सा गुलाबी रंग का सुपरा एक दम चिकना था. मेने एक पाँव मा के बगल में बिस्तर पर रखा और अपना लंड हाथ से पकड़ कर मा के चेहरे से टकराने लगा. मा ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को मुट्ठी में ले लिया. लंड के सुपरे को मा अपने होंठों पर फिरने लगी. दूसरे हाथ से मा मेरे अंडकोषों को मसल रही थी.
"वा! क्या शानदार शाही लंड है. ऐसे लंड पर तो में बलि बलि जौन. आज से तो में तेरे लंड की कनीज हो गई. अब ओर मत तड़पाव, इस मस्ताने लंड से मेरी प्यासी छूट की पयश बुझा दो. इस लंड को मेरी छूट में पूरा उतार दो मेरे साजन, मेरी योनि का अपने विशाल लंड से मंथन करो. अपनी तड़पति मा की जवानी को खुल के भोगो. अपने लिंग के रस से मेरी योनि को सींच दो. आओ मेरे प्यारे आओ. मेरे उपर आ जाओ और मेरी खुशी खुशी लो. में तुम्हें देने के लिए बहुत आतुर हूँ" मा तड़प तड़प कह रही थी.
"हन मेरी राधा रानी में तेरा दीवाना हूँ, तेरी छूट का रसिया हूँ. जब से तू यहाँ आई है तब से में तुझ पर फिदा हूँ. सोते जागते में हरदम तेरी मस्तानी छूट का ही ख्वाब देखा करता था. अब जब मेरे सामने तेरी यह छूट नंगी पड़ी है तो में इसे मनचाहे ढंग से छोड़ूँगा, तुझे तडपा तडपा तेरी जवानी को भोगुंगा." यह कह मेने मा को लिटा दिया और मा की गांद के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया ताकि छूट उभर जाय.
मा: "हन मेरे वीजू प्यारे अपने इस मातृ अंग का, अपनी इस जन्मस्थली का खुल के उपभोग करो. अपने विशाल लिंग से मेरी योनि का भेदन करो. हन मेरे स्वामी अपनी इस प्यासी चरणों की दासी को आपना वीर्या दान दो, मेरी वर्सों से सुखी पड़ी इस बावड़ि में अपने रस का नाला बहा दो और इसे लबालब भर्डो."
में: "हन मेरी रानी में तेरी टाँगों के बीच तेरी लेने आ रहा हूँ." में मा की टाँगों के बीच आ गया और मा की छूट के च्छेद पर अपने लंड का सुपरा रख दिया. मा की छूट पूरी लसलासी थी. तोड़ा सा ज़ोर लगते ही सुपरा 'पच' करके अंदर फिसल गया. अब में मा के उपर पूरा झुक गया और मा को होंठों को अपने होंठों में ले लिया. 4-5 बार केवल सुपरा अंदर डालता और पूरा बाहर निकल लेता. इसके बाद सुपरा अंदर डालने के बाद मेने लंड का दबाव मा की छूट में बढ़ाया. में दबाव बहुत धीरे धीरे दे रहा था . अगले 2-3 मिनिट में मेरा आधा लंड मा की छूट में समा चुका था. उधर मा के होंठ मेरे होंठों में थे. नीचे मा कसमसा रही थी. अब में मा की छूट में आधा के करीब लंड डालता और वापस निकाल लेता. कई बार ऐसा करने से छूट अंदर से अच्छी तरह से गीली हो गई. इसके बाद आधा लंड डालने के बाद मेने छूट में दबाव बनाए रखा और मेरा लंड छूट में धीरे धीरे सरकने लगा. मा का शरीर नीचे अकड़ रहा था. अब मा के होंठ छ्चोड़ कर मेरे हाथ मा की चूचियों को गूँध रहे थे.
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