Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:08 PM,
#61
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
झाड़ियो के छुपाव में खड़ी गाड़ी वैसे सड़क से किसी को नही दिखती अनलेस कोई साइकल पे या पैदल हो. वैसे भी अंधेरा ढल चुका था और रूट पे इक्का दुक्का गाडियो के सिवाए किसी भी पैदल चलने वाले की उम्मीद करना ही बेकार था. पर अगर कोई होता और गाड़ी के नज़दीक आ के देखता तो कसम से उसका लंड या चूत अंदर का नज़ारा देख के ज़रूर पनिया जाती. ड्राइवर सीट में सुजीत आधी खुली शर्ट और बनियान में बैठा था. पॅंट और अंडरवेर पैरों में थे. सीट पिछे को हुई पड़ी थी और आधी लेटी अवस्था में उसके राइट हॅंड्ज़ की उंगलियाँ सरला के मोटे चुतडो से खेल रही थी. कभी चूत तो कभी गांद में घुसती. कभी चूत का रस लेके सुजीत के मूह में चली जाती. सुजीत के लंड का हाल बुरा था. पिच्छले 10 मिनट से लगतार उसपे सरला के मूह के हमले हो रहे थे. इतना थूक किसी औरत के मूह से पहली बार उसके लंड और टट्टों पे लगा था. क्या कमाल का लोडा चूस्ति थी. 20 मिनट पहले उसकी पॅंट के उभार को देख के सरला मचल गई थी. उसके बाद पहले हाथों से पॅंट के उपर से मसल के और फिर चलती गाड़ी में ज़िप खोल के जो उसने चूसना शुरू किया था कि पुछो मत.

सुजीत भी कम नही था. चलती गाड़ी में लंड चुस्वाते हुए ही सरला की चोली की डोरी खींच दी थी. गियर बदलने की ज़रूरत नही थी तो खाली हाथ बगल से होते हुए खुली चोली में नीचे से मम्मे निचोड़ने में बिज़ी हो गया. निपल का पहला एहसास आते ही लंड ने मूह में एक झटका लिया था. गाड़ी 1 सेकेंड के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हुई तो जगह देख के यहाँ झारीओं में पार्क कर दी. सीट पिछे की और मस्ती में घाघरा उठा के पॅंटी साइड में करके उंगली चलाने लगा. सरला की चूत का नशा अजीब था. हल्की झाटों वाली चूत ऐसे लिसलिसाई हुई थी कि पुछो नही. पॅंटी तो पहले से ही गीली थी. थाइस पे भी काफ़ी जूसज़ लगे हुए थे.

''हाआँ जाआं...आंटी नही कहूँगा..अब से अकेले में तू मेरी जाअँ ही हुई...आंटी सबके सामने....ऊऊहह आराम से जान....चूत में भी डालना है अभी तो...चल आजा थोड़ा ब्रेक ले ले ..मूह दुख गया होगा...मोटा है ना ...थोड़ा आराम करले और मम्मे चुस्वा ले...फिर पिच्छली सीट पे लूँगा तेरी....आआर्र्घह...'' सुजीत के सुपादे पे जैसे ही सरला के नमकीन होंठो का आख़िरी चुप्पा पड़ा तो वो काँप उठा.

''हां जानू...मूह थक गया तेरा मोटा डंडा लेके पर सच्ची नीयत नही भरी...अगर इस निगोडी चूत का ख़याल नही होता तो पहले तेरे लंड का रास्पान करती...हाए क्या जालिम चीज़ है....उउंम्म ...चल अब आजा और आंटी के मम्मे चूस ले......उउम्म्म्मम...हाआआन्न्‍नणणन्..ऊओह....मर्द के होंठ मर्द के ही होते हैं...कोई औरत वो एहसास नही दे सकती....ऊऊहह चाहे फिर वो तेरी छिनाल बीवी ही क्यों ना हो........''' अपनी चूत को पॅंटी के उपर से रगर्ते हुए सरला मम्मे चुस्वाते हुए गांद को सीट पे गोल गोल रगड़ रही थी. चोली उसकी गर्दन के आस पास थी और दोनो भारी भरकम चूचे नीचे से बाहर लटके हुए थे. लेफ्ट चूचा सुजीत के मूह में था और राइट वाले को वो मस्त तरीके से भींच रहा था. राखी के मोटे मम्मो पे की हुई प्रॅक्टीस आज सही काम आ रही थी. वैसे भी दोनो के मम्मो के साइज़ में तो फरक था नही..40सी...बस फरक था तो शेप में. जहाँ राखी के अभी भी गोल गोल थे वहीं सरले के थोड़े लंबे नीचे को झुके हुए. पर उमर के हिसाब से अभी भी मस्त थे. उसके स्किन में अभी अभी बहुत कसाव था.

''ह्म्‍म्म्मम.....मेरी आंटी जान...सब समझता हूँ....तेरे चूचे को जब पहली बार छ्छू के उंगली मूह में ली थी तभी राखी की लिप ग्लॉस की महक और स्वाद आ गया था. और जब तू ट्राइयल रूम से महकती हुई चूत ले के बाहर आई थी तो तेरी ये तीव्र गंध मेरी नाक से बची नही थी. मैं तो तभी से तेरे को चोद्ने का मन बना चुका था..पर मुझे क्या पता था कि हालात और तेरा छिनाल पन मुझे इतनी जल्दी तेरी चूत की गहराइयो में घुसने का मौका दे देंगे....सच्ची बहुत बढ़िया चूचे हैं जान...मस्सस्त एक दम...पर तेरी बेटी तेरे पे नही है...उसके इतने छ्होटे क्यों हैं....?? '' सुजीत मम्मे मूह में भर भर के लंबे लंबे चूसे ले रहा था. निपल्स की लंबाई काफ़ी अच्छी थी. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

''हां बेटा...तेरी आंटी जान को तेरी रंडी बीवी ने थर्का दिया और फिर तेरे बाबूजी का वापिस आने से मना कर देना...उफ़फ्फ़ ऐसा मौका कैसे छोड़ती जानू जब क़ि पिक्निक से ही तेरे लंड को तरस रही हूँ. तुझे तो कैसे ना कैसे मैने आज अंदर लेना ही था....ऊओहमाआआअ.......कितना अच्छे से चूस्ता है मेरे मम्मे....पसंद आए मेरे बेटे को....ऊओ....??? बता ना...मेरे जानू बेटे.......तेरे रंडी आंटी जान पसंद आई कि नही....??? जितनी तेरे लंड की भूखी हूँ उतनी ही तेरी नज़रों और गंदी तारीफ़ की भी....बता ना...मुझे अपनी छिनाल बनाएगा....???''' दोनो हाथों से पकड़ पकड़ के अपने मम्मे चुस्वाते हुए सरला ने पुछा.

''हाआँ बहुत सेक्सी जान है तू आंटी...सच्ची तेरी चूत के दर्शन होते ही मेरे लंड को अजीब सा सुकून मिल गया....और क्या बोलूं...तेरे मम्मे चूसे तो राखी की याद आ गई....मेरी राखी नही...वो मोटे मम्मो वाली राखी सावंत....उम्म्म्मम.....जान चल अब पिछे चलते हैं....अब जब बाबूजी की बदौलत इतना अच्छा मौका मिल ही गया है तो तस्सली से नंगे होके एक दूसरे को मस्ती दे दें...सच्ची में तुझे नंगी करने का बहुत मन है....बस ये राजस्थानी जूती पहने रखना.....चल ना खोल दे अब ये सब ....अब डंडा डाल के साथ में दूध पीऊंगा'' सुजीत ने चोली खोलते हुए सरला की कमर की तरफ हाथ बढ़ाया. सुजीत के बड़े बड़े हाथों का स्पर्श अपने नंगे पेट पे महसूस कर सरला ने एक अंगड़ाई ली और अपने चूतर उपर को किए. उसका एक हाथ अभी भी अपने मम्मो से खेल रहा था और दूसरा सुजीत के सिर और कंधों को सहला रहा था.

''हां जानू...आग लगी पड़ी है...डंडा डालने से ही ख़तम होगी..और दूध तो क्या तू कहे तो चूत का रस भी पिलाउन्गि तुझे..आज भी पी और आगे पिछे घर में जब भी मौका मिलेगा तो भी पी लेना...और हां सखी की चूचियाँ इसलिए छोटी हैं क्योंकि वो बचपन से ही शरीफ थी...मम्मे सही उमर में पुटवाए होते तो मेरे जैसी निकलती..पर तू भी देखना बच्चा हो गया तो उसके भी बाद बड़े हो जाएँगे.....ऊहह ना कर ना...उतार दे कछि और ले चल पिछे ...यहाँ बैठ के उंगली करेगा तो झर जाउन्गि...जाअनुउऊउ....मत कार्रर्र्र्ररर...ऊऊहह...'' घाघरा और चोली तो उतार चुके थे और पॅंटी को साइड में कर के 2 उंगलियाँ अंदर बाहर हो रही थी. सुजीत चाहता था कि पहला राउंड जल्दी ख़तम हो. उसको पता था कि वो खुद बहुत जल्दी झरेगा. इतनी चुसाई में तो कोई भी मर्द खल्लास हो जाए. उसने कितना कंट्रोल किया था ये उसे ही पता था. सो इसलिए सरला आंटी को भी चरम सीमा तक पहुँचना ज़रूरी था.
Reply
09-03-2018, 09:08 PM,
#62
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
करीब 2 - 3 मिनट तक अच्छे से उसने चूत और उसके आस पास के हिस्से की अपने हाथ, उंगली और हथेलिओं से मालिश की. मालिश करते हुए सुजीत अपने भाग्य पे खुश था. दोस्तो हमने वो सीन मिस कर दिया कि सरला और सुजीत यहाँ तक पहुँचे कैसे चलो कोई बात नही पीछे चल कर देख लेते हैं कि आख़िर इन दोनो के बीच हुआ क्या था .................... माल पार्किंग में संजय की गाड़ी चले जाने पे बाबूजी ने उसे कहा था कि वो थोड़ी देर में माल आएँगे. वापिस कॉफी शॉप में जाके सरला के साथ एक और कॉफी ख़तम ही की थी कि बाबूजी का फोन आया. उसे जल्दी से मेन रोड पे आने को कहा आज ट्रॅफिक ज़ियादा था और गाड़ी देर तक पार्क नही कर सकते थे. सुजीत फटाफट सरला को बोल के भागा. पीछे पीछे सरला भी तेज़ी से चल पड़ी. जब सुजीत मेन रोड पे पहुँचा तो बाबूजी एक बड़ी गाड़ी की पिच्छली सीट पे बैठे थे. अगली सीट पे उनके दोस्त और उनकी वाइफ बैठी थी. सुजीत उन्हे पहचानता था तो नमस्ते कही और फिर बाबूजी से पुछा कि क्या हुआ. बाबूजी ने कहा कि आज उनके दोस्त ने देल्ही के लिए जाना था. पर अब प्रोग्राम चेंज हो गया है और कल दोपहर की ट्रेन से बाबूजी और उनका दोस्त दोनो देल्ही जाएँगे. 3 दिन बाद वापिसी होगी और बाबूजी रात दोस्त के घर पे ही रुकेंगे. अभी वो लोग एक काम ख़तम करके बाबूजी के लिए थोड़ी शॉपिंग करेंगे. बाबूजी ये सब समझा ही रहे थे कि अचानक एक पोलीस वाला आ गया और गाड़ी हटाने को कहने लगा. जल्दी जल्दी बाबूजी को अलविदा कहने के बाद सुजीत वापिस माल की तरफ मुड़ा और उसे मेन गेट पे खड़ी सरला नज़र आई. सरला की नज़रें उसको ढूँढ रही थी. उसके चेहरे पे थोड़ी परेशानी के भाव थे. चोली घाघरे में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी और सुजीत के लंड नेएक दम से करवट ली.

शाम के 6 बज चुके थे और हल्का अंधेरा हो चला था. सुजीत 2 सेकेंड वही खड़ा सरला को देखता रहा और फिर अचानक से सरला ने उसे देखा और हाथ हिलाने लगी. हाथ हिलाने से उसके मम्मे और चूतर दोनो हिल रहे थे और ये नज़ारा सुजीत के लिए और भी सेक्सी था. उसका लोडा पूरा सलामी देने लगा और उसने अपने को कंट्रोल करने के लिए इशारे से सरला को पार्किंग में गाड़ी के पास पहुँचने को कहा. खुद वो दूरे रास्ते से पार्किंग में पहुँचा और गाड़ी में बैठ गया. शर्ट से किसी तरह से लंड के उभार को ढका. एसी ऑन किया और रुमाल निकाल के पसीना पोन्छा. इतने में सरला आ गई. दरवाज़ा खोलते हुए जब वो बैठने लगी तो पहले अपने घाघरे को अच्छे से समेटा. अन्यास ही सुजीत की नज़र उसके चुतडो पे चली गई. जो लंड थोड़ा सा शांत हुआ था वो फिर मचल उठा. तंबू में बॅमबू एक बार फिर दिखने लगा. इतने में सरला दरवाज़ा बंद करने के लए मूडी तो आधी धकि हुई और आधी नंगी साँवली चिकनी पीठ देख के तो प्री कम की बूँदें निकल आई. फटाफट सुजीत ने गाड़ी स्टार्ट की और 10 मिनट में ही शहेर के बाहर निकल आया. अब रास्ता सुनसान था पर घबराहट बहुत थी. इतनी सेक्सी औरत साथ में थी और लंड और मन दोनो में खलबली मची हुई थी. सरला ने उससे पुछा कि क्या प्रोग्राम है पर सिर्फ़ इतना ही कह पाया कि बताता हूँ लेट हो रहा है.

शहेर के बाहर आते ही सरला ने एक बार फिर पुछा कि बेटा बात क्या है बताओगे. इतनी जल्दी में क्यों हो. तब सुजीत ने गाड़ी धीमी करके बाबूजी के प्रोग्राम की बात बताई. सरला बात सुन के चिहुनकि और फिर उसकी आँखों में एक चमक उतर आई.

''तो ठीक है इसमे इतना घबराने वाली बात क्या थी बेटा..तुम इतनी स्पीड में गाड़ी चला के लाए....आराम से चलो कोई जल्दी नही है....घर ही तो जाना है...''

''नही आंटी आप नही समझोगे...जल्दी है...वैसे भी बाकी सब भी घर पहुँचने वाले होंगे....मुझे भी बहुत से काम है और फिर सड़क खाली है तो स्पीड से चलने में क्या है...'' सुजीत का हाथ अनायास ही अपने चेहरे पे चला गया. उसके माथे पे हल्का पसीना था.

''तुम तो ऐसे कर रहे हो जैसे पता नही तुम्हे कितना ज़रूरी काम है...आराम से चलो थोड़े मौसम का मज़ा लेते हुए...'' सरला समझ चुकी थी. लंड का उभार उसकी आँखों से बचा नही था. सुजीत को किस बात की जल्दी है ये उसे महसूस हो गया था. एक शादी शुदा मर्द और वो भी उससे उमर में छ्होटा और उपर से रिश्तेदार....मेरी चूत को लेके घर जाके मूठ मारेगा...ऐसे ख़याल मन में आते ही सरला की चूत पनिया गई थी.

जैसे ही सुजीत ने 5थ गियर में डालने के लए हाथ बढ़ाया तो सरला ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया. सुजीत हड़बड़ाया और उसकी तरफ देखा. सरला मुस्कुराइ और फिर हाथ को बढ़ाते हुए पॅंट के उपर ले गई. उभार पे हाथ फेरते ही सरला की आँखे फॅट गई और सुजीत तो जैसे स्टॅच्यू बॅन गया था. खुला मूह और चेहरे पे आश्चर्या के भाव. सोच समझ सब ख़तम हो गई थी. दिमाग़ सुन्न पड़ गया था. झटका तो तब लगा जब सरला ने पॅंट को पकड़ के ज़ोर से भींचा और एक सिसकी निकाली.

''ऊओह माआआअ.....तो इसस्स बड़े मोटे डंडे को शांत करने की जल्दी है बेटे को....ऊओह इतनी तेज़ गाड़ी ना चलाओ ...धीरे चलाओ और इसको शांति मैं देती हूँ ...यही अभी.....और इसको कहो कि ये मुझे भी शांति दे.....ख्हाअर्रच्छ की आवाज़ के साथ ज़िप खुल गई और हाथ अंडरवेर में से लंड को पकड़ के बाहर खींचने लगा. उसके बाद होंठ, जीभ, थूक और गालों से चूमते और सहलाते हुए सरला ने अपना रांड़पन दिखा ही दिया...और अब ये......ये खूबसूरत चुदी चुदाई चुड़क्कड़ चूत सुजीत की उंगलिओ के जादू से खिली जा रही थी.

''ऊऊऊओह बस कर जानू...चल पिछे हट...मुझे लंड पे झरना है...उंगली पे नही...ऊओह..'' सरला ने तेज़ी से सुजीत को धक्का मारा और फटाफट से घाघरे में से टांगे निकाल के दरवाज़ा खोला और नंगी बाहर निकल गई. पिच्छली सीट का दरवाज़ा खोल के वो झट से नंगी लेट गई और दोनो टांगे अगली और पिच्छली सीट्स के बॅक रेस्ट पे टिका के खोल दी. उसका उतावलापन देख के सुजीत को हल्की सी हँसी भी आई और उसका जोश भी दुगना हो गया. आराम से अपनी पॅंट निकाल के उसने दरवाज़ा खोला और फिर अपनी शर्ट और बनियान को धीरे धीरे उतारने लगा. उसे सरला को थोड़े तरसाना था.

''अबे कुत्ते...भोसड़ी के...क्या मस्ती ले रहा है...साले हरामी डाल ना जल्दी...उउफ़फ्फ़.. दे मुझे अपना गधे का लंड ...घोड़े का नही ...टत्तूओ का लंड ...घोड़ा तो तेरा सबसे बड़ा भाई है और ..वो मेरा हरामी दामाद है घोड़ा....तुम तीनो भाई एक ही नसल के हो...ऊओम्मा...मैं जल रही हूँ और तुझे मज़ा आ रहा है हरामी...आजाअ नाअ.. जानुउऊ...पेल ना मुझी...प्लेआासी...'' सुजीत की सुस्ती को देख के सरला की आग और भड़क रही थी और अब उसके मूह से भद्दी भद्दी बातें सुन के सुजीत और भी उत्तेजित हो गया. आआव ना देखा ताव और सुजीत ने झट से जगह बनाते हुए सरला की कमर पकड़ ली और अपना फनफनाता हुआ लोडा उसकी चूत के मुख्य द्वार पे लगा दिया. सुजीत का लंड आगे से थोड़े पतला और बीच से बहुत मॉटा था. उसका लोडा मोटाई में सखी की कलाई के बराबर था. सरला के चहरे पे उत्तेजना के भाव देख के सुजीत से रहा नही गया. फुउूऊच की आवाज़ के साथ एक ही झटके में भीगी हुई मुनिया ने 9 इंच का मॉटा लंड निगल लिया.

''ऊओहमाआआअ.....मर गेयीईयियी........''' सरला काफ़ी ज़ोर से चिल्लाई.

''ऐसे थोड़े मरने दूँगा जान...अभी तो तुझे बहुत चुदना है...मेरे और मेरे गधे भाई से और फिर मेरे घोड़े भाई से भी...सबके लंड खाने हैं तेरी इस रंडी चूत ने...और सबका बीज लेना है तूने..जहाँ तू एक तरफ दादी बनेगी वही हम तीनो भाई तुझे मा भी बनाएँगे इस उमर में...'' सुजीत ने उसके मम्मे निच्चोड़े और 2 - 3 लंबे धक्के लगाए. चूत पूरी खुल चुकी थी और सरला दर्द और सुकून के मारे अपना सिर दोनो तरफ हिला रही थी.

''साले मदर्चोद ..तेरे लंड से बचूंगी तभी तो बाकी दोनो के लूँगी ....जालिम कैसे पेल रहा है...तेरी मा जैसी आंटी हूँ...जन्न्नुऊऊउ...ऊहह धीरे हां ऐसे ..ऊहह माआ....इतना सुख...इतना सुकूओन.....सखी मैके क्यों नही आती अब समझ में आता है...जिस घर में ऐसे घोड़े गधे हों वहाँ से कौन जाना चाहेगा.....और उसका घोड़ा तो सबसे शानदार लंबा है...ऊओ हां चोद और कस के..ज़ाआण्णूऊउ...ऊओ सुजीत बेटा चूड्दद..मस्स्टटत्...ऊहह..एस्स.....फक मी.. यू बस्टर्ड..यस ...अँग्रेज़ी में बोलूँगी तुझे...फक मी ..क्या कहते हैन्न...चोद मदर्चोद ज़ियादा बढ़िया है...या आंटी चोद...ऊहह एस्स...चूस साले हरामी और चूस मेरे मम्मे भी चूस...एस्स....लगा रह ऊहह माआ.....झरँगिइइ...ऊओह हाआंन्‍णणन् ली झर गई .......सखी तेरे जेठ ने तेरी माआ चोद दी........ऊऊआहह..आअनन्नह....''' सरला इतना ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी कि अगर दिन होता तो पक्का भीड़ इकट्ठी हो जाती.

''हां आंटी...तेरी जैसी आंटी हो तो कौन छोड़ेगा...सभी पेलेंगे...और तू मा जैसी है तो मदर्चोद तो हो ही गया.....ऊओह जनन्न मैं भी आया.....लेले....ऊओ ईससस्स.......'' दोनो मम्मे निचोड़ते हुए सुजीत भी धक्के लगाने बंद करके अपने लंड की धारें चूत में डालने लगा. अपनी गांद को टाइट करके उसने काफ़ी सारी पिचकारियाँ छोड़ी और हर पिचकारी पे उसको चूत का सिकुड़ना महसूस होता रहा. निगोडी चूत कोई भी रस छोड़ना नही चाहती थी. ऊफ्फ इतनी उमर में भी चूत में इतना कसाव था. पर क्या ये कसाव ज़ियादा दिन तक रहेगा अब जबकि 3 - 3 मुश्टंडे लंड इस चूत को बजाएँगे.......?? जो भी हो अभी तो मेरी है और अब इसको चाटना भी है....ऊओह क्या खींचती है लंड को अंदर..
क्रमशः.........................................
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#63
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--21

गतान्क से आगे..............

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का इक्कीसवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ

सुजीत अपनी नंगी गांद को हल्के हल्के मचकाते हुए सरला के उपर लेटा हुआ था. लंड अभी भी काफ़ी कड़क था और सरला अपने खुले बालों को सिर के पिछे समेटते हुए सुजीत को निपल चूस्ते हुए देख रही थी. आज कई दिनो के बाद उसे ऐसा सुख मिला था. उसकी चूत को थोड़ी शांति मिली थी पर पूरी अभी भी नही. सुजीत के लंड में बहुत जान थी और था भी अच्छा मोटा. सरला को अपनी अधेड़ उमर की जवानी पे नाज़ हो रहा था जो कि अभी भी अपना जलवा दिखा सकती थी. आज तो सिर्फ़ सुजीत घुसा है अब जल्दी ही उसे राजू और संजय के लंड लेने थे. संजय..हाए मेरा अपना दामाद जब मुझे चोदेगा तो कैसा नज़ारा होगा....उउउम्म्म्ममम........ये भी मस्सस्त है....कैसे काटता है मेरे निपल...ऊहह माआ...एक बार और करवाउंगी....

ये सब सोचते हुए अनायास ही सरला की गांद हिलने लगी और उसकी दोनो बाहें सुजीत के सिर पे पिछे थी. सुजीत ने सिर उठाया और मुस्कुराते हुए उसे देखा और फिर उसने गांद को खींचते हुए अपने लंड को चूत में हिलाया. लंड फिर से कड़क होने लगा था. खून की रफ़्तार जिस्म में फिर से बढ़ने लगी थी और इस रफ़्तार को बढ़ाने के लए सुजीत ने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा सरला के चेहरे के नज़दीक कर दिया. अगले 2 सेकेंड में सरला और सुजीत का पहला थूक से भरा चुंबन शुरू हो गया................और खून की रफ़्तार बढ़ने से लंड फिर से लोहे की रोड हो गया.


''म्‍म्म्ममममम सुजीत बेटा ऐसे ना कर...मैं तेरी मा जैसी हूँ...मत चाट मेरी चूत...ऊओह हां अगर इतना ही मन है तो चाट ले...ऊऊहह ...ऊओ माआ.......सुजीत क्यों तडपा रहा है...डाल दे ना जान ...मेरे को एक बार और दे दे...अब रुक नही..ऊऊहह..एस्स.........एसस्स्स्सस्स डालल्ल्ल्ल........'' सरला सुजीत की जीभ के हमलों से कुलबुला रही थी. सुजीत ने 2 मीं पहले ही उसकी चूत से लंड बाहर किया था और उसकी चूत पे जीब लगाई थी. हल्की झांतों वाली चूत खिली पड़ी थी. सुजीत का वीर्य और सरला का रस टपक रहे थे. सुजीत ने बड़े ही प्यार से पहले उसकी जांघों को चॅटा था. और फिर जैसे जैसे वो चूत के नज़दीक पहुँचा उसकी जीभ का रगड़ना रफ होता गया. अब वो किसी भेड़िए की तरह सरला की चूत के होंठ उपर से नीचे तक चाट रहा था और सरला थी कि उसकी जीभ को अपनी चूत की फांकों के बीच में घुस्वाने के लिए तड़प रही थी.

सुजीत समझ चुका था कि एक चुदाई का दौर उसे और करना होगा. उसका लोडा भी रेडी था. पर उसे कुच्छ और भी चाहिए था. जो शायद अभी तो नही पर बाद में ज़रूर मिलेगा. सरला की गांद का छेद.....!!!! सुजीत ने मन बना लिया था कि सरला की कई सालों की बिन चुदी गांद को वो अपनी बनाएगा. पर उसका कॉंपिटेशन आने वाले समय में डाइरेक्ट्ली संजय और राजू से होना था. संजय के पतले पर लंबे लंड से शायद सरला गांद मरवा ले...और शायद मेरा मोटा लोडा अंदर बाद में ले...ऐसे विचार उसके मन में चल रहे थे.

''म्‍म्म्मम मेरी जान आज तो सब करूँगा...आज तेरी गांद भी लूँगा...थूक लगा लगा के..बस तू साथ देने वाली बन...'' चूत में उंगली और जीभ का साथ साथ प्रहार करते हुए सुजीत ने कहा.

''ऊओ जान गांद नही ..आज नहिी....फिर कभी ..अभी तो बस ऊट की जलन को शांत कर...मेरे रजाआ...ऊऊऊऊहह....सखी.....तेरा जेठ साला कुत्ता है..चूत का पुजारी और चूत चाटने वाला कुत्ता देख ना हरामी को कैसे अपनी जीभ की नोक से मुझे कुरेद रहा है...ऊऊऊऊहह...ले ना और ले मेरी चूत का रस लेले सुजीत बेटा...ऊओह...झारवाा दे बस 2 मीं और और फिर मैं तेरे मूह में झर जाउन्गी.......म्‍म्म्ममाआररर्ग्घह......'' सरला अब झरने की कगार पे थी.

''हान्णन्न् झर मेरी रानी अपनी इस 45 से उपर की चूत को मेरे मूह पे झाड़ जाने दे. फिर तेरी चूत का रस तेरी गांद में डालूँगा और साथ में अपना लोडा...मुझे तेरी गांद से तृप्ति चाहिए जान....दे दे मुझे...'' सुजीत ने अपनी जीभ की रफ़्तार को बढ़ाते हुए अपना पैंतरा चला.

''ऊओह माआ..ऊऊहह लगा रह पर आज गांद नही ज़ाआआअन्न्‍नणणन्...ऊऊओह...गांद बाद में...पहले चूत ऊओह...मा.....एसस्सस्स..एस्स..एसस्स....गांद बाद में ...वादा रहा तुझे ही दूँगी सबसे पहले...ऊहह..एस्स..एसस्स.मैंन्न आआी जानुउऊुुुउउ....ऊऊहह जाआनूऊऊऊऊओ....ईीस्स..........ऊवहाअरर्र्र्रररज्ग्घ....उउउंम्म......ऊओउउउइइ,'' सरला ने आख़िर में झरते हुए सुजीत को अपनी गांद देने का वादा कर ही दिया और शायद इसी चक्कर में उसकी गांद इतना उच्छली कि सुजीत को उसकी गांद के छेद की महक अपने नाक में बसाने का मौका भी मिला गया.

चूत की बौछार थमते ही सुजीत कार से बाहर निकल के मूतने चला गया. कार की पिच्छली सीट पे पड़ी सरला अपने मम्मे हल्के हाथों से निचोड़ती रही. उसकी आँखों में अब भी खुमारी थी. पर अभी उसे अपनी चूत में हल्की सी शांति भी मिली हुई थी. आज का दिन कितना बढ़िया गया था. बस ऐसे ही और 20 - 25 मीं चल जाए. उसे सुजीत का मोटा लोडा एक बार और अंदर जो लेना था. चूत पिच्छले 20 - 25 मीं में 2 बार झर चुकी थी. पर अभी भी एक अजीब सी प्यास बाकी थी. सरला को एक चीज़ का ख़याल बार बार मन में था. उसे सुजीत के लंड पे नाचना था. उसका लोडा अंदर लेके उसी को चोदना था. सुजीत के लंड की चुदाई करते हुए अपने मम्मे दब्वाने थे.
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#64
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
इसी ख़याल में कब सुजीत मूत के वापिस आ गया और अपने कपड़े पहनने लगा उसे पता ही नही चला. जब सुजीत ने अपनी बनियान और शर्ट पहेन ली थी तब नंगी सरला को होश आया.

''हाए मेरे मूह बोले दामाद जी...मेरे जानू..ये क्या कर रहे हो...मुझे प्यासा छोड़ के तुम कहाँ जाने की तैयारी कर रहे हो....अभी तो एक बार और कस के तुमसे चुदवाउन्गि है....ऊओ ऐसे ना करो सुजीत बेटा..तुम्हे मेरी चूत की कसम है...ये अंडरवेर मत पहनो..अपने मोटे सांड़ वाअले लंड को झूलने दो..प्ल्लसष्सस्स......'' सरला पिच्छली सीट से उठते हुए सुजीत की बाजू पकड़ के गिड़गिदाई.

''मेरी प्यारी मूह बोली सासू माआ..घड़ी देखो...टाइम क्या हो रहा है...क्या बोलेंगे ऑलरेडी 30 मीं लेट हो गए हैं...जल्दी करो और तुम्हारी इस हरामी चूत का क्या ये तो हमेशा ही लंड के लए तैयार रहेगी...इसे सम्भालो और जल्दी से कपड़े पहेन लो...अब घर जाना है...सब राह देखते होंगे.'' सुजीत ये सब कह तो रहा था पर सरला का हाथ पकड़ के अपने वीर्य और चूत के रस से भीगे लंड को रगडवा भी रहा था. उसका एक मिशन तो कामयाब हो चुका था. सरला ने उससे सबसे पहले गांद देने का वादा कर दिया था.

ट्रियीनंग्ज...ट्रिशिनंग्ज्ज...ट्रियीनंग्ग.... सरला के फोन की घंटी बज उठी. सखी का नंबर चमक रहा था.

''हेलो..हन्न्न बेटी ..बता क्या हुआ...?'' सरला ने फ़ोन को कान से लगाते हुए पुच्छा. सुजीत का आधे से ज़ियादा खड़ा लोडा उसके हाथ में था.

''मम्मी कहाँ रह गए आप लोग..बाबूजी का फोन भी नही लग रहा. आप लोग कितनी देर में आ रहे हो..डिन्नर रेडी है..बस आप लोगों का वेट है...'' सखी की आवाज़ किचन की आवाज़ों के बीच से गूँजी.

'' बेटी तेरे बाबूजी तो 3 दिन बाद आएँगे..और मैं और सुजीत रास्ते से आ रहे थे कि टाइयर पंक्चर हो गया. सुजीत बेटा उसे ठीक कर रहा है...दर्सल टाइयर काफ़ी पुराना है और ट्यूब में बड़ा छेद हो गया है. ट्यूब भी काफ़ी पूर्रानी है. सुजीत लगा हुआ है किसी तरीके से लोशन से उसे ठीक कर दे. बाकी अभी तो उसने रोड निकाली हुई है और ...(उउफफफ्फ़....उउउंम्म) वो उसे लगा रहा है..जैसे ही सब ठीक होगा हम चल पड़ेंगे.'' सरला ने बहुत ज़ोर से सुजीत का लोडा भींचा हुआ था. सुजीत के लंड का बुरा हाल हो रहा था. अपने हाल को कंट्रोल करने के लिए उसने आगे झुक के सरला का लेफ्ट वाला मम्मा मूह में ले लिया था.

संजय की हालत बहुत खराब हो चुकी थी. कानो पे लगे फोन में से क्या गजब की आवाज़ें आ रही थी. सखी किचन के काम में इतनी मसरूफ़ थी कि सरला से पूरी तरीके से बात नही कर पाई. सरला को फोन पे कह कि वो जल्दी घर पहुँचे उसने फोन संजय को पकड़ा दिया और खुद किचन में बिज़ी हो गई. उधर सुजीत सरला के हाथ में एक बार फिर कड़क हो चुका था. एक मम्मा मूह में दबोचे उसने सरला के हाथ से फोन खींच के ड्राइवर सीट पे डाल दिया. ना सरला, ना सुजीत और ना ही सखी को अंदाज़ा था कि कॉल अभी तक कटी नही थी. संजय फोन काटने लगा कि उसकी नज़र चालू कॉल पे पड़ी. एक सेकेंड के लिए उसने फोन कान पे क्या लगाया कि बस उसके बाद तो अगले 10 मीं तक फोन हटा ही नही.

''उफफफ्फ़ सुजीत डार्लिंग..यहाँ लेटे लेटे नही. इधर नही करेंगे. उधर बॉनेट पे बिठा के पेलना...एक नया एक्सपेरिमेंट..ऊहह माआ...काट डाल इतने साल से इनको किसी ने च्छुआ नही है..ऊऊहह माआ...आअहंंणणन्....क्या जालिम है तू और उपर से तेरा ये लोडा...उफ़फ्फ़....'' सरला की सिसकिओं से संजय का तन बदन जल उठा. ईर्ष्या और सेक्स का उन्मान्द उसके बदन मे दौड़ने लगा.

''हां मेरी प्यारी आंटी डार्लिंग...मेरी जान..चल आजा चूतर यहाँ टिका के टांगे खोल...ऊहह तेरी इस पकी पकाई चूत में तो जन्नत है...मुझे दाखिल करले इसमे..फिर तेरी इस बरसों की बिन चुदी चूत के रस से तृप्त कर दे मेरे लंड को...ओह्ह्ह्ह तेरे मोटे मम्मे राखी की याद दिलाते हैं...उउम्म्म्मम..उउम्म्म्म..''सुजीत की थर्कि हुई आवाज़ फोन में गूँजी.

''एसस्स...ओह एस्स.....घुस गया पूरा....पिच्छली बार से भी अच्छी तरह से घुसा है...मज़ा आ गया..अब थोड़ी देर रोक इसे...मुझे अड्जस्ट कर लेने दे...बहुत साल बाद लंड लिया है...दर्द है...पर पिच्छली बार से कम...'' सरला सुजीत की गांद को पकड़े हुए बॉनेट पे अपने को अड्जस्ट कर रही थी. लंड पूरा चूत में घुसा हुआ था और चूत पूरी खिली पड़ी थी. पिच्छली बार के मिश्रण की वजह से घुसने में तो कोई दिक्कत नही हुई. पर थोड़ी देर रुकने की वजह से सरला की चूत थोड़ी सिकुड सी गई थी. खैर जो भी हो अब उसे पूरा सुकून मिल रहा था. सुजीत का मोटा सूपड़ा उसकी चूत की दीवारों को अच्छे से घिसते हुए पूरा बच्चेदानी तक पहुँचा हुआ था.

''उम्म्म्म जान अब धक्के लगा...ऊहह हान्न्न...बहुत साल हो गए....उम्म्म्म तृप्ति दे दे. तुझे पता नही कि कितने सालों से तरस रही हूँ...ऊओ माआ...डाअल पापी चोद मुझे ..ऊहह हाआंणन्न् और ज़ोर से...फाड़...ऊहह..आनन्नह..आनन्ंह हान्णन्न्...कितना मन था..ऊओ कब से तर्सि हूँ..इनके जाने के बाद से सती सावित्री बनी हुई हूँ आज फिर से छिनाल बनने का मौका मिला है...वो भी अपनी बेटी के जेठ के साथ ...क्या चोदु सनम है मेरा...ऊऊहह मा.....झारवाएगा..ऊओह फाच फ़ाच...फ़ाच...हाआंणन्न् हाआंन्‍णणन्..ऊओह....लेलीई......ऊऊहह माआ....एससस्स......फुक्ककककककक...चहूओद्द्दद्ड.........हरी भारी कर्दे जान...जानुउऊ...सुजीत बएटााआआआ.........झार्रर रही हूँ...बेटा इतने सालों के बाद......ऊओह...एस्स........एस्स..'' सरला 5 मीं सुजीत के मोटे लंड के हमलों के नीचे टिक नही पाई और झरती रही. बदन से बदन मिला के कांपती रही. सुजीत कुत्ते की तरह चोद्ता रहा और सरला झरने के बावजूद कुत्ति की तरह टांगे फैलाए चुद्ति रही.
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#65
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
संजय के कान सुन्न पड़ गए थे. फोन के प्रेशर से कान लाल हो गया था. अपनी सास की चुदाई की चीखे और उन्माद उसको पागल कर रहा था. अपने कमरे में बैठे हुए उसका लोडा उसके हाथ को जला रहा था.

''कोई नई झाड़ जा..झाड़ जा लंड पे..नहला इसे...ऊओ एससस्स....और अच्छे से नहला...टटटे भी भिगो दे....छिनाल बन जा....मेरी प्यारी सती सावित्री मूह बोली सास...बन जा एक रंडी और दिखा दे अपनी अधेड़ जवानी का जलवा...ऊओह कैसे खींचती है तू लंड को अंदर..तेरी जैसी लूंदखोर तो राखी भी नही है....ऊओ एस्स..ये ले ..ये ले...साली कहती है कि सती सावित्री हू...पर ...साली ..झूठी...कुतियाअ...ये ले ..अपने नए यार का डंडा ले...येस्स...ऊओ कमीनी...'' सुजीत पूरे जोश में था और अब अपने दिल दिमाग़ पे कंट्रोल खो चुका था. उसका लंड उसके लिए सब सोच रहा था.

''क्या छिनाल...साअले हरामी तूने बनाया मुझे...मैं तो सती सावित्री थी...ना तू अपने लंड का उभार दिखाता ......ऊऊहह हान्ंनणणन् फिर से झारवाएगा.....ऊओह माआ........''' सरला एक बार फिर से तैयार थी. उसको यकीन नही हो रहा था. इतनी जल्दी 3सरी बार झरने वाली थी वो.

''साली मैने नही बनाया..तू तो पहले से ही रंडी है....2 - 2 लंड खाने का शौक है तुझे ...और अब मैं तेरा ये शौक भी पूरा करवाउँगा...ऊओह सब पता है मुझे..ये ले साली आज एक से काम चला ...ये ले ये ले ..येस्स्स..ये ले...आआयाअ....उउउन्न्नज्ग्घह...उउम्म्म्म स्लूउर्र्रप...पुच्छ..पुच्छ..उउंम्म...आआररर्रघह...एसस्स....ऊऊओ मययी गावववद्ड़...खााली हो गय्ाआ.....'' सुजीत ने लिटरली सरला को गोद में उठा लिया था और उसे अपने लंड पे कूदवा रहा था. सरला की चूत में सुजीत का ज्वालामुखी फूटा तो सरला उससे चिपक के एक बार फिर से झरने लगी.

अगले 2 मिनट तक संजय को कोई आवाज़ नही आई . फिर अचानक से उसे ज़ोर ज़ोर से किस्सिंग की आवाज़ आई. करीब 1 मीं तक किस्सिंग का सिलसिला चलता रहा. फिर अचानक सरला की आवाज़ आई.

''हाऐी सुजीत..मज़ाअ आ गया...तेरे लंड से उतरने का मन नही कर रहा. अभी भी कितना कड़क है...एक बार और चोद दे बेटा...ऊऊहह..उउउंम्म...ना कर ..मम्मे मत चूस...देख नाअ कितने लाल हो गए हैं.''
क्रमशः................................................................................
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#66
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--22

गतान्क से आगे..............


दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का बाईसवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ

संजय सोफा पे बैठे हुए सरला के बारे में सोच रहा था. 10 मिनट पहले सरला थोड़ा गुस्से और थोड़ी टेन्षन में घर में दाखिल हुई थी. सीधे अपने कमरे में चली गई. संजय को सरला की एक एक सिसकारी और बोले गए शब्द कान में गूँज रहे थे. उसे पता था कि उसकी सास चूडदकर है पर इतनी जल्दी वो उसके भाई पे डोरे डाल के पटा लेगी ये उसे उम्मीद नही थी. दूसरी तरफ सुजीत चुप चाप से अपने कमरे में जाके फ्रेश हो गया था. सुजीत के चेहरे पे भी टेन्षन सॉफ झलक रही थी. संजय को लगा था कि सुजीत और सरला को एक दूसरे की प्यास भुजा के संतुष्टि हुई होगी और दोनो खुशी खुशी घर आएँगे. उनकी बातों से सॉफ था कि दोनो को एक दूसरे के साथ संभोग करने में मज़ा आया था और जो भी हुआ मर्ज़ी से हुआ. फिर ऐसी क्या बात हो गई कि दोनो टेन्षन में घर लौटे. ये सोच के संजय का दिमाग़ घूम रहा था. एक बात उसे समझ आ गई कि जो भी है वो सुजीत के मूह से ही पता चलेगा. सरला तो कुच्छ बताने से रही.

इतने में राजू भी अपना ड्रिंक लेके वहाँ आ गया. टेबल पे खाना लग चुका था. बस घर की औरतों और सुजीत का इंतेज़ार था. इतने में सुजीत और सरला भी आ गए. सरला ने नाइट गाउन पहना हुआ था और बालों का जुड़ा बनाया हुआ था. सुजीत ने भी एक ड्रिंक बनाई और थोड़ा गुम्सुम सा अपने भाईओं के पास आ के बैठ गया. संजय उसे गौर से देखने लगा. उधर किचन से सखी सरला को और राखी सरला और सुजीत को घूर रही थी. सखी के दिमाग़ में राखी और सरला के बीच हुआ वाक़या घूम रहा था. उधर राखी के मंन में शक था कि कहीं सुजीत और सरला के बीच रास्ते में कुच्छ हुआ तो नही. इतने में संजय उठा और घर के बाहर चला गया. 5 मिनट बाद वापिस आया तो सब टेबल पे बैठ चुके थे. संजय ने सखी के बगल में अपनी जगह ली और खाना शुरू किया.

''माँ क्या हो गया था रास्ते में और बाबूजी क्यों नही आए..??'' सखी ने सहज स्वाभाव से सरला से पुछा.

सरला ने थोड़ा सा सीरीयस टोन में बाबूजी की बात बता दी. पर उसने आगे की कोई बात नही कही. इस्पे सखी ने दोबारा से लेट होने का कारण पुछा. तब सुजीत ने कहा कि रास्ते में टाइयर पंक्चर हो गया था और ट्यूब काफ़ी खराब हो गई थी जिसकी वजह से देरी हो गई. उनकी बातें सुन के राखी के मंन में शक और बढ़ गया. सखी ने 2 - 3 बार गौर से अपनी मा को देखा पर उसके दिमाग़ में राखी वाली बात ही घूम रही थी. शायद इसी वजह से मा परेशान है ऐसा सोच के वो चुप रही.

खाना ख़तम होने के बाद सभी लॅडीस ने मिलके टेबल क्लियर किया और किचन का काम निबटाने लगी. बीच बीच में मिन्नी हल्का मज़ाक करती रही पर सरला, राखी और सखी सब अपने ख़यालों में गुम थे. तीनो भाई ड्रॉयिंग रूम में बैठे ड्रिंक ले रहे थे. करीब 15 मिनट बाद सब लॅडीस अपने अपने रूम की तरफ चल दी. 3नो भाई भी उनके पिछे चलने लगे की अचानक से सुजीत ने राजू और संजय को 1 घंटे बाद दोबारा ड्रॉयिंग रूम में मिलने को कहा. संजय तो कुच्छ नही बोला पर राजू ने पुच्छ लिया कि किसलिए. तब सुजीत ने कहा कि काम के सिलसिले में बाबूजी ने कुच्छ बातें कहीं थी सो उसके बारे में बात करनी है.

करीब 1 घंटे के बाद जब लॅडीस सो गई तो राजू, संजय और सुजीत ड्रॉयिंग रूम में पहुँचे.

''भैया आओ बाहर चलते हैं गार्डन में सैर करेंगे. वहीं बात कर लेंगे. '' सुजीत ने कहा.

''अर्रे ऐसी भी क्या बात है ? यहीं बैठते हैं. चलने का मूड नही है. काफ़ी थक गया हूँ.'' राजू ने कहा.

''अच्छा भैया तो फिर गार्डन में बैठ जाते हैं. यहाँ बात नही करेंगे.'' सुजीत ने थोड़ी ज़िद्द की.

''अच्छा चल फिर बाहर चल.'' कह के राजू बाहर चला आया. उसके पिछे सुजीत और संजय भी आ गए. 3नो भाईओं ने कुर्ते पाजामे पहने हुए थे. बाहर हल्की चाँद की रोशनी थी. रात के करीब 12 बज चुके थे.

''हां बता कि क्या ख़ास बात है.'' राजू ने पुचछा.

''वो भैया बाबूजी 3 दिन के बाद आएँगे यहाँ. तो पिछे से काम कैसे चलेगा. दुकान के लए समान भी लाना है. उसके लिए भी शहर जाना होगा. बाकी हिस्सब किताब का भी देखना है. सो आप बताइए कि क्या करना है.'' सुजीत को कुच्छ सूझ नही रहा था कि वो आक्चुयल बात पे कैसे जाए.

''अरे बस यही बात है क्या ? ये तो सुबह भी कर सकते थे और फिर ऐसा पहली बार तो हुआ नही है. तू भी ना बेकार में रात काली करवा रहा है.'' राजू जो कि दिन भर की चुदाई के बाद थका हुआ था चिड़ते हुए बोला.
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#67
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
''भैया मुझे लगता है कि बात कुच्छ और ही है. सुजीत भैया कुच्छ कहना चाहते हैं पर झिझक रहे हैं.'' संजय ने बात आगे बढ़ाई.

''अगर ऐसा है तो खुल के बता .साफ साफ कह दे.'' राजू ने सुजीत को घूरते हुए कहा.

''संजय एक काम करेगा..जा अंदर से दारू और 3 ग्लास ले आ. पहले 1 - 2 पेग और अंदर चले जाएँ फिर बताता हूँ.'' सुजीत ने कहा.

संजय के आने तक दोनो भाई चुप बैठे रहे. फिर संजय ने 3 पेग बनाए. 3नो पेग अच्छे स्ट्रॉंग थे. इससे पहले कि वो पानी या सोडा डालता सुजीत ने एक ही घूँट में अपना ग्लास खाली कर दिया. संजय जो कि सुजीत की कहानी कुच्छ कुच्छ जानता था एक दम हैरान रह गया. आज पहली बार उसने सुजीत को इतना चिंतित देखा था. यही हाल कुच्छ राजू का भी था. पर वो अपनी थकान से भी परेशान था. मुन्नी और कम्मो ने उसे निचोड़ लिया था दिन में. कम्मो के दाँतों के निशान अब भी उसकी निपल्स के आस पास थे. मुन्नी उसका लंड चूसने में इतनी खो गई थी कि उसको 2 बार लगतार अपने मूह में झारवाया. उसके अलावा दोनो रांडे 1 - 1 बार चुदी थी. अगर उनका बस चलता तो दोनो 1 - 1 बार अपनी गांद भी मरवा लेती. पर 4 बार झरने के बाद राजू के हौसले पस्त हो गए थे. पर जब उन दोनो ने चूत चटाई की फरमाइश की तो जाने से पहले राजू उन्हे मना नही कर पाया. दोनो भीगी चूतो का रस अभी भी उसके मूह का स्वाद बना रहा था.

''अबे क्या कर रहा है..ऐसी क्या बात हो गई ..चल अब बता जल्दी जल्दी..'' राजू ने सुजीत को डांटा.

संजय ने एक और छ्होटा सा पेग सुजीत के लिए बनाया और उसमे सोडा डाला. एक दो सीप और लेने के बाद सुजीत थोड़ा संभला और कुर्सी से टेक लगा के अपनी बात कहने को तैयार हुआ.

''भैया वो ना आज कुच्छ ऐसा हो गया जिसकी उम्मीद नही थी. और इसमे मेरी कोई ग़लती भी नही थी. बस अचानक से हो गया सब...आप इस बात को ध्यान में रखें.'' सुजीत ने भूमिका बाँधी. संजय और राजू ने कोई कॉमेंट्स नही दिए. सुजीत ने दोनो के एक बार फिर से देखा और अपना शाम का 3सरा पेग भी अगले चंद सेकेंड्स में ख़तम कर दिया. अब उसपे अच्छा सुरूर हो गया था.

''भैया आज मैने आप लोगों की मर्ज़ी और इजाज़त के बिना ही एक औरत को चोद दिया.'' कह के सुजीत चुप हो गया.

''क्य्ाआ...ये क्याअ कह रहा है छ्होटे...ये तूने क्या कर दिया. बाबूजी को पता चला या किसी और को तो ना जाने क्या हो जाएगा..अबे साले थर्कि ये क्या कर दिया तूने.'' राजू थोड़ा गुस्से से चिल्लाया.

"'भैया पहले पूरी बात सुन लो..आख़िर इसमे मेरी ग़लती नही थी. ग़लती उस छिनाल सरला की थी जिसने मेरा लोड्‍ा पॅंट के उपर से सहला के चूसना शुरू कर दिया. मैं क्या करता उस हालत में. वैसे भी इतने दिन हो गए पिक्निक को और तब से ढंग से चूत भी नही मारी. मैने भी मौका देख के अपना पराठा गरमा गरम तवे पे सेक दिया.'' सुजीत ने बात आगे बढ़ाई. राजू उसको अवाक देख रहा था. उधर संजय भी खामोशी से सब सुन रहा था.

इसके बाद अगले 15 मिनट तक पूरे तासल्ली बक्श तरीके से संजय को उसकी रंडी सास की करतूत बयान की. संजय एग्ज़ाइटेड होने लगा और उसका लोड्‍ा तंन गया. ड्रिंक के 2 पेग उसने भी जल्दी जल्दी ख़तम कर दिए. राजू का लंड कड़क तो हुआ पर उसको मादकता कम हैरानी ज़ियादा हो रही थी. उससे यकीन नही हो रहा था कि आज के दिन उसने और सुजीत ने सबकी पीठ पिछे चूते मारी. राजू को यकीन था कि मुन्नी और कम्मो उसके बारे में किसी को नही बतायेन्गि. और अगर बता भी दिया तो कोई बड़ी बात नही होगी. पर सरला की बात अगर घर में खुल गई तो सब लॅडीस का घमासान हो जाएगा. आपस में चाहे कितनी भी चुदम चुदाई हो पर कोई तीसरी और वो भी सखी की मा जैसी बीच में आ गई तो कहर हो जाएगा.

''पर हां भैया एक बात है उसमे..उसकी चूत इतना भिगोति है लोड्‍े को की मज़ा आ जाता है. और तो और उसने मुझे गांद देने का भी वादा किया था..पर उसके बाद जो हुआ उसकी वजह से शायद वादा पूरा ना हो.'' सुजीत ने कहा.

''अबे साले तू तो बड़ा हरामी निकला..क्या भाई तूने तो कमाल कर दिया. देख ले संजय तेरी सास की करतूत. जितना मैं सुजीत को जानता हूँ उसने तो कुच्छ नही किया होगा. ये सब तेरी सास का ही कमाल है. साली बाबूजी और फूफाजी के मज़े तो लेती ही थी और अब घर के लोंडो के भी..लगता है कि जल्दी ही हम दोनो का भी नंबर लगाएगी. वैसे मुझे तो उसके चूचों के बीच लंड मसलना है...हाअए अगर मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा....'' राजू ठंडी आहें भरता हुआ बोला.

'' भैया आप सही कह रहे हो. मैने भी कभी कभी उनकी आखों में वासना देखी थी. बाबूजी की बात सुन के मुझे इतना आश्चर्या नही हुआ था. पर यहाँ तो बात ही अलग हो गई. वैसे अगर आज आप देखते तो समझ जाते कि क्या गजब माल है. चोली घाघरे में तो कसम से मेरा लंड भी मचल गया था. देखो अभी भी कैसे तना हुआ है. सास है तो होगी..पर साली नीचे आ गई एक बार तो फिर सिर्फ़ एक खुली चूत बन के रह जाएगी. उसके बाद तो मेरा लोड्‍ा और उसका छेद होगा...बॅस..'' संजय अपना लंड मसल्ते हुए बोला.

''सही कह रहे हो दोनो. पर आगे जो हुआ उसके बाद ये सब उम्मीदे छोड़ दो.'' सुजीत ने मूह बनाते हुए कहा.

''अबे ऐसा क्या कर दिया तूने.??'' राजू बोला.

''भैया जोश जोश में मैने उसे कह तो दिया कि तू लंड खोर है और 2 - 2 लंड लेती है एक साथ और मुझे पता है सब..पर गाड़ी चलने के कुच्छ देर बाद वो मेरे पिछे पड़ गई कि मेरा क्या मतलब है इन सब बातों से. मैं बात टालने की कोशिश की तो उसने पिच्छा नही छोड़ा. आख़िर में उसने धमकी दी कि वो राखी को इशारों में कह देगी कि हम क्यों रुके थे. तब मुझे समझ नही आया और मैने कंचन बुआ के घर हुए 4 सम के किस्से की बात कह डाली. उसके बाद मेरी तो बदन ही बज गई. पूरे रास्ते भर इस छिनाल ने अपनी ज़ुबान से जो गालियाँ दी हैं बाबूजी को कि मैं तो हैरान रह गया. उसपे मुझे गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर मुझे कंट्रोल भी करना था. बस ये सब अंडर प्रेशर मैने कह तो दिया पर अब मुझे डर है कि कुच्छ गड़बड़ ना हो जाए. '' सुजीत ने फाइनल बात कह दी.
Reply
09-03-2018, 09:09 PM,
#68
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
उसका ये कहना था कि राजू ने उससे 3 - 4 सटीक गालियाँ दे डाली. राजू का गुस्सा इस बात से नही था कि डर के मारे सुजीत ने बता दिया सब. ना ही उसे इस बात का गम था कि सरला ने बाबूजी को गालियाँ दी. वो दोनो समधी समधन हैं और उपर से बाबूजी उमर में छ्होटे हैं तो इतना तो उनके बीच का हक बनता है. राजू का मैं गुस्सा इस बात पे था कि इतनी अच्छी पकी पकाई चूत अब उसको नही मिलेगी और ना ही घर के किसी और सदस्य को. यही बात उसने 3 - 4 बार थोड़े उँचे स्वर में डाँटते हुए सुजीत को कह दी और उठ के घर के अंदर चला गया.

सुजीत भी राजू की बात से सहमत था. उसने अपना सिर अपने हाथों में लिया और सोचने लगा. संजय कुच्छ देर उसको देखते हुए अपने लंड को पाजामे के अंदर सहलाता रहा और फिर दारू और समान इकट्ठा कर के घर के अंदर चला गया. जाते जाते वो सुजीत को घर में आने को कह के गया. सुजीत ने आँखें बंद की और कुर्सी पे पीठ लगा के अपनी टांगे सेंटर टेबल पे रख दी. आँखे मून्दे वो सरला के बारे में सोचने लगा.
सुजीत आँखें बंद किए कुर्सी पे बैठा हुआ पाजामे को खोल के अपने लंड को सहलाने लगा. सरला की चुदाई का सोच के एक बार फिर से उसके लोड्‍े में नया जोश आ गया था. हल्के हल्के लंड को मसल्ते हुए उसे सरला के मूह में लंड डालने का मन हो रहा था. आँखें बंद थी...दिमाग़ में सरला के रसीले होंठ उसके लंड के मोटे सुपादे को घेरे हुए थे. टोपे में से रिस्ते हुए प्री कम को सरला की जीभ चाट रही थी...उफफफ्फ़ जान क्या जादू कर दिया है तूने ...हल्की से सिसकी और मॅन की बात सुजीत के मूह से निकली.

''हां जान यही जादू तूने भी कर दिया है मेरे पे..उफफफ्फ़ देख ना...अब तो मुझसे भी रहा नही जाता......'' सरला की मधुर आवाज़ कहीं दूर से आती हुई सुनाई दी. सुजीत की आँखें अभी भी बंद थी. ''तो चूस ले ना मेरी जान..आरर्रघह आजा मेरे लोड्‍े पे अपने होंठ लगा ले...तड़प रहा है तेरे थूक के लए......ऊओह सरला आंटी...सॉरी मेरी सरला जाअँ...आअज़ा पहले इसे थूक से गीला कर दे फिर तेरी गांद में पेल दूं इसे....जैसा तूने वादा किया था...'' सुजीत बंद आँखों से लंड सहलाते हुए बुदबुदाने लगा.

''हां चूसूंगी पर पहले तुझे नंगा कर दूं ..ठीक वैसे ही जैसी नंगी मैं हूँ..मेरे बलमा...मेरे चोदु मूहबोले दामाद'' इस बार आवाज़ कानों के नज़दीक थी, हल्की..फुसफुसाती हुई आवाज़ जिसमे की सेक्स की भूख थी और फिर अचानक से उसके कान पे गीला पन महसूस हुआ. एक झटके में सुजीत की आँखें खुल गई और वो कुर्सी से उठने लगा. पर सरला के दोनो हाथ उसके कंधों पे पड़े और फिर उसे वापिस खींच लिया. अब सुजीत फटी आँखों से मूड के उसे देखने लगा तो सरला ने उसकी आँखों को चूम लिया. फिर थोड़ा आगे को झुकती हुई बोली की आँखें बंद रखो और मुझे तुम्हे नंगा करने दो.

सुजीत ने ज़्यादा कुच्छ नही कहा और सरला को एक बार किस करके आँखें बंद कर के लंड को फिर से सहलाने लगा. 5 सेकेंड बाद उसे अपनी कमर से पाजामा उतरते हुए महसूस हुआ. गांद उठा के उसने पाजामा उतरने दिया. रात की हल्की हल्की ठंडक अब उसके काले चूतरो को सहला रही थी. कुर्सी ईज़ी चेर टाइप की थी तो गांद आधी कुर्सी पे और आधी हवा में थी. फिर सरला के हाथ उसकी टाँग को पकड़ के टेबल पे सेट करते हुए महसूस हुए. सुजीत उसके हाथों का एहसास लंड पे महसूस करना चाहता था. पर सरला ने ऐसा कुच्छ नही किया. बस सुजीत का हाथ पकड़ के उसकी साइड पे रख दिया. सुजीत ने वापिस लंड सहलाने की कोशिश की तो उसके हाथ पे एक चपत पड़ी और फिर से उसका हाथ दबा के साइड में रखवा दिया.

अब बारी सुजीत के बचे हुए कपड़ो की थी. 5 सेकेंड और ..और सुजीत की नंगी पीठ ईज़ी चेर की पीठ पे टिकी हुई थी. अब सुजीत के मंन में गुदगुदी उठ रही थी. आँखें खोलने का बहुत मंन था. पर जैसे सरला ने उसके मंन की बात को भाँप लिया.

''दामाद जी आँखें बंद रखना...सब्र का बहुत मीठा फल दूँगी..मेरी बात मनोगे तो 5 मिनट में ही स्वर्ग मिल जाएगा.'' सरला की मीठी आवाज़ एक बार फिर उसके कान पे पास आई. सुजीत ने हल्की से मोन करते हुए सहमति में सिर हिलाया.
क्रमशः..........................................
Reply
09-03-2018, 09:10 PM,
#69
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--23


गतान्क से आगे..............


दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का तेईसवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ


अचानक से सुजीत को अपने सिर के पिछे सरला के नरम खरबूजों का बोझ महसूस हुआ. बड़े बड़े मम्मो के बीच की दरार उसकी गर्दन पे थी. अचानक से उन मम्मो से निकलती हुई हल्की सी पर्फ्यूम ने उसकी नाक को भर दिया. फिर तभी सरला के दोनो खुले हाथ उसकी छाति और निपल्स को रगड़ने लगी. सुजीत के हाथ उपर की तरफ बढ़े और उसके हाथों पे आ गए. सरला ने फिर उसके हाथों को पकड़ के साइड में रख दिया.

''सुजीत जानू सब्र करो थोड़ा...जितना तुम तड़प रहे हो उससे कहीं ज़ियादा मेरी बुर में आग लगी हुई है. पर आज मुझे तुम्हे एक हसीन तौफा देना है...ऐसा तोहफा जो तुम ज़िंदगी भर याद रखो....और मैं भी...प्लीज़ जान अभी सिर्फ़ मुझे मेरी मर्ज़ी करने दो....उउउंम्म...पुच पुच..म्मूऊुआआववह'' सरला उसके हाथों को पकड़े हुए कुर्सी की सीट पे दबा रही थी और ऐसा करने में उसे अपनी बॉडी को सुजीत की साइड से स्ट्रेच करना पड़ा. उसके मम्मे अब सुजीत की छाती और साइड में रगड़ खा रहे थे. सरला के मोटे चूचों की गर्मी से सुजीत का बदन जल उठा. उसे बहुत मन था कि वो कुच्छ करे पर वो रुका रहा. सरला की टांगे अब हवा में आ चुकी थी और उसका पेट अब सुजीत के कंधे पे रेस्ट कर रहा था. उसकी चूत का रस उसकी जांघों के बीच से रिस के सुजीत के कंधों पे महसूस हो रहा था.

सुजीत ने अपना सिर सरला की जाँघ पे रगड़ना शुरू कर दिया. सरला को महसूस हो रहा था कि अब ना तो वो रुक पाएगी और ना ही सुजीत. जो होना है जल्दी होना होगा. ये सोच के सरला और आगे को झुकी और अब उसकी नाक सुजीत की छ्होटी झांतों के बीच में खुश्बू ले रही थी. उसका बॅलेन्स हल्का सा बिगड़ा और सुजीत ने उसके चूतड़ो को पकड़ के उसे संभाला. इसी समय सरला थोड़ा और आगे को खिसकी और फिर अपनी टांगे फैला के एक टाँग सुजीत के कंधों पे रख दी. उसकी मादक रसीले खुली हुई चूत सुजीत के मूह से मात्र 2 इंच की दूरी पे थी और सुजीत का लंड उसके होठों में जकड़ा हुआ था. चूत की तीखी महक ने सुजीत को पागल कर दिया और उसने सरला के चूतर जाकड़ के खोल दिए.

''हाां जानन्न ..अब अपनी आँखें खोल और देख तेरे लए तेरी रंडी सास क्या तोहफा लाई है. मेरे लोरु चोदु दामाद आज अपनी आंटी सास की भूरी गांद को अपनी जीभ से गीला कर दे. उसमे इतना थूक भर दे कि जब ये तेरा हसीन लोड्‍ा इस छेद पे लगे तो उसे फाड़ने में कोई दिक्कत ना हो. जल्दी कर जानू ...तेरी जीभ से कुरेद दे इसे और मज़ा दे दे. फिर तेरे लंड पे चढ़ के गांद मरवाउंगी और तू मेरी चूत कुरेद देना अपनी उंगलिओ से. ऊऊऊऊओह जानंनणणन् जल्दी कर.......उउउम्म्म्मम....तूऊ...
तूऊऊ..ऊऊहह तेरा ये हसीन काला नाग कैसे फूँकार रहा है...साले को अभी दबोच लूँगी...उउउम्म्म्म स्लुउउर्र्रप्प्प..स्लूउर्र्रप्प्प्प..उउउम्म्म्मम तूओ...उउउनगग्गगूऊँ उउन्नगगूऊवंन्न..'' सरला का मूह अचानक बिजली की स्पीड से सुजीत के काले लिंग को निगल गया. थूक से सारॉबार करके सरला ने उसको चमका दिया. हाथों होठों और जीभ का इस्तेमाल करते हुए जी भर के 30 - 40 चूपे मार डाले.

उधर सुजीत भी खाली नही बैठा था, सरला के मूह से गांद देने की बात सुन के उसके बदन में नया रोमांच आ गया था. अपने हलक से अच्छे से थूक निकाल के उसने 2 - 3 बार गांद के छेद का निशाना बनाया और फिर उसे चाटने लगा. गांद के छेद को चूस्ते हुए सुजीत को महसूस हुआ कि सरला ने राखी की लिप ग्लॉस छेद पे लगाई है. हल्का मीठा पन और हल्की स्मेल ने सुजीत को और भी पागल कर दिया. आज तक सिर्फ़ 4 - 5 बार ही उसे राखी की गांद मारने का मौका मिला था. मिन्नी और सखी तो गांद मरवाती ही नही थी. आज उसको एक कुँवारी गांद मारने का मौका फिर से हाथ लगा था. उसके टट्टों में हल्का हल्का उबाल शुरू हो गया था. सरला का थूक से भरा मूह उसके लंड को निचोड़ रहा था. इतना अच्छा लोड्‍ा और इतनी तन्मयता के साथ तो ना राखी चूस्ति थी ना ही कोई और. पर एक बात पक्की थी कि सखी को अपनी मा से विरासत में कुच्छ कुच्छ लंड चूसने के गुण मिले थे.

जिस तरीके से सरला की जीभ लंड को मूह में रख के अंदर ही अंदर चलती थी वो सखी भी करती थी. सखी की मा की गांद का छेद एक बार फिर सुजीत को पुकार रहा था और उसने अपने लंड पे होते हुए हमलो को रोकने के लए अपनी 2 उंगलियाँ धीरे धीरे गांद और चूत में घिसनी शुरू कर दी. कभी एक उंगली को चूत में डालता और फिर उसे गांद में भर देता. ऐसा करके गांद में भी चूत की तीखी खुश्बू समा गई. फिर से एक बार थूक के सुजीत ने पूरा ध्यान उसे टाइट भूरे च्छेद पे लगा दिया. अपनी 2 उंगलिओ से उसने गांद को उघेरना शुरू कर दिया और जीभ को भी हल्के हल्के चूत पे लपलपाना शुरू कर दिया.
Reply
09-03-2018, 09:10 PM,
#70
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
अब सरला के मूह से मोनिंग शुरू हो गई. उसका मूह लंड पे चलना बंद हो गया और लंड को मूह में रखे हुए उसके मूह से गूऊवन गूऊवंन्न आने लगी. धीरे धीरे गांद में उंगलियाँ दूर तक जाने लगी और छेद की मसल्स रिलॅक्स होने लगी. थूक इतना था कि अंदर तक उसका गीलापन महसूस हो रहा था. चूत का रस बह बह के छाती के बालों को चिपचिपा कर रहा था. सरला और सुजीत को इसी पोज़िशन में 4 - 5 मिनट हो चुके थे और सरला थोड़ा सा थकने लगी थी. उसके चूतर सुजीत के हाथों के हमलो से लाल हो गए थे और मम्मो में लगतार सुजीत के पेट के दबाव से हल्का दर्द होने लगा था. सरला ने महसूस किया कि अब उसकी गांद और सुजीत का लंड मिलन के लिए तैयार हैं और उसने अपनी पोज़िशन बदलने के लिए अपनी टांगे अड्जस्ट करने की कोशिश की. पर सुजीत तो जैसे उसकी गांद का दीवाना हो चुका था. उसकी मज़बूत पकड़ से बचना मुश्किल था.

''ऊऊओह दामाद जी अब छोड़ दो..अब मेरी गांद तुम्हारे लिंग की माँग कर रही है...कह रही है कि मेरी माँग भरो...इसस्स मोटे काले लोड्‍े से...ऊऊहह हाआँ डलवाना है अब...उउम्म्म्मम छोड़ो मुझे....मुझे अपनी जान को तोहफा देना है...उउंम्म ऊऊहह कुत्ते जालिम...हरामी तेरी मा जैसी हूओन्न...हराअमी गांद दे रही हूँ और छोड़ता ही नही...हाई सखी देख तेरे जेठ को बेटी....साला कुत्ताअ....'' सरला ने कराह कराह के बगीचे को सिर पे उठा लिया.

सुजीत जहाँ उसकी गांद और चूत के मज़े ले रहा था वही उसकी चीखों से थोड़ा दर गया. उसने सरला की गांद छोड़ दी और उसे अपनी पोज़िशन अड्जस्ट करने दी. सरला उसके कंधों से उतर के उसकी गोद में आ गई. सरला की पीठ अब सुजीत की छाती पे थी और सुजीत का लंड उसकी बुर पे रगड़ रहा था. सरला ने मूह मोड के सुजीत को किस करना शुरू कर दिया और सुजीत ने उसके मोटे चूचे दबा लिए और सहलाने लगा. सरला के भारी चूचे एक बार फिर शाम वाला आनंद महसूस करने लगे और उसके दाने कड़क हो गए. मूह में जीभ से जीभ मिलाते हुए सरला मोन करने लगी और सुजीत को गांद मारने के लिए उत्तेजित करने लगी.

सुजीत ने उसकी गांद को उठाया और धीरे धीरे अपने लंड का टोपा उसके भूरे छेद पे अड्जस्ट किया. टोपा उंगलिओ से कहीं ज़ियादा मोटा था और डर के मारे सरला की गांद भी सिकुड गई थी. थूक अभी अभी बहुत था और लंड 2 बार फिसल गया. सुजीत को अचानक ही एक चीज़ सूझी और उसने सरला को आगे झुकने को कहा. सरला ने टेबल पे अपना सिर रख दिया और गांद को हवा में लटका दिया. सुजीत ने लंड पकड़ के छेद पे टीकाया और हल्का दबाब दिया. पर डर से गांद में बहुत कसाव आया हुआ था. सुजीत ने हाथ टाँगों के बीच में डाल के चूत को घिसना शुरू किया और ज़ोर ज़ोर से थपथपाया. सरला मस्ती में झूम उठी और इसी समय सुजीत ने लंड को झटका दिया. मस्ती में सरला की गांद थोड़ी ढीली पड़ गई थी और लंड के टोपे ने अपनी जगह छेद में बना ली. करीब 1 इंच अंदर जाते ही सरला दर्द से चीखी और आगे की ओर होने लगी पर सुजीत ने उसकी कमर को कस के पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया.

सरला के मूह से भद्दी भद्दी गालियाँ निकलने लगी पर सुजीत रुका नही और अपनी गांद को मतकाते हुए धीरे धीरे करीब 5 इंच अंदर तक घुस गया. सरला का दर्द के मारे बुरा हाल था और वो लंड को बाहर करना चाहती थी . बार बार वो आगे को होने की कोशिश करती और बार बार सुजीत उसे पिछे खींचता. 2 मिनट की इस धक्का मुक्की में लंड 8 इंच जड़ तक घुस गया. आख़िर का बस 1 इंच बचा था और अब सुजीत ने सरला के उपर झुक के दबाव बदाया और पूरा लोड्‍ा जड़ तक पेल दिया. सरला के आँसू टेबल पे गिरे हुए थे. दर्द के भाव उसके चेहरे पे सॉफ थे और बदन दर्द से काँप रहा था. मूह से गालियाँ निकल रही थी पर दर्द में होने की वजह से हल्की हल्की बेहोशी आने लगी थी. सुजीत ने उसे बड़े प्यार से पकड़ते हुए धीरे धीरे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और वापिस कुर्सी पे आके बैठ गया. कहानी जहाँ से शुरू हुई थी वही वापिस आ चुकी थी. एक बार फिर सरला की पीठ सुजीत की छाती पे थी और उसकी चूचियाँ सुजीत के बड़े बड़े हाथों में.

पर फरक सिर्फ़ इतना था कि एक 9 इंच का मूसल एक नये छेद में सैर कर रहा था और थोड़ी ही देर में वो छेद एक सुरंग बनने वाला था. एक ऐसी सुरंग जिसमे कि आने वाले समय में कई शेर जाके रेस्ट करने वाले थे. 1 मिनट तक अपने अंदर तगड़ा रॉड महसूस कर लेने के बाद सरला की चूचिओ में उत्तेजना बढ़ने लगी और गांद हल्के हल्के गोल गोल घूमाने लगी. सुजीत का एक हाथ उसकी चूत के होठों से खेल रहा था और मूह में सरला की जीभ नाच रही थी.

''अब मत रुक्क सैयाँ.....फाड़ डाल और मुझे कुँवारी से सुहागन बना दे एक बार फिर....ऊऊहह जान्न्न्न्न.....चोद डाल इसी रंडी को और भूख मिटा मेरे जिस्म की....'' सरला ने अपना आदेश सुनाया.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,616,975 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 557,523 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,283,437 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 969,870 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,719,129 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,135,643 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,047,457 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,386,997 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,140,126 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 296,013 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)