06-16-2017, 11:11 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
कुछ सन्नाटे के बाद मनीषा बेहताशा हँसने लगी- “तो ये बात है… तुम जल रही हो… तुम्हारी इतनी हिम्मत कि यहाँ आकर मुझे शिक्षा दो जबकि तुम खुद अपने बेटे को चोद रही हो… लोगों को क्या ज्यादा बुरा लगेगा… मेरा सजल को चोदना या तुम्हारा…”
“हम घर जा रहे हैं…” कोमल बोली।
“नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो… जब तुम यहाँ आई हो तो मेरी भी सुनती जाओ… तुमने सालों से मुझे कचरे की तरह समझा है, जबसे मेरा पति मुझे छोड़कर चला गया। तुम्हें हमेशा यह डर रहा कि मैं तुम्हारे पति को न चोदूं। मैं तुम्हें एक अच्छी खबर देना चाहती हूँ… न सिर्फ मैंने सजल को चोदा है बल्कि मैं सुनील को भी चोद चुकी हूँ… क्या तुम्हें इस बारे में कुछ कहना है…”
“हरामजादी…” कोमल ने गुस्से से हाथ घुमाया, पर सजल ने अपनी फुर्ती दिखाई और उसे बीच में ही पकड़ लिया।
“अब इतनी भोली न बनो, कोमल…” मनीषा ने व्यंग्य किया- “तुम जो सजल को चोदती हो, और उस दिन तुम्हारे घर से सजल के कालेज का प्रिन्सिपल जो जा रहा था…”
“वो तो सजल से मिलने आया था, हमारे बीच में कुछ नहीं हुआ…”
पर सजल की शक भरी निगाहें उसे भेद रही थीं- “तुमने मुझे बताया नहीं कि कर्नल मान आए थे…” सजल ने पूछा।
“इसीलिये नहीं बताया क्योंकी इसने उसे चोदा था, सजल…” मनीषा ने मुश्कुराते हुए कहा- “मुझे पता है क्योंकी उस दिन ये परदे डालना भूल गई थी और मैंने पूरी चुदाई इन आंखों से देखी थी…”
कोमल को यह पता नहीं था कि मनीषा ने कुछ देखा नहीं था, पर अंधेरे में तीर मार रही थी। पर मनीषा ने बात कुछ इस अंदाज़ में कही थी जैसे कि वह सच ही बोल रही हो। मनीषा ने अब अपने वार को और तीखा करने की ठानी। उसने अपने नहाने वाले गाऊन का नाड़ा खोलकर उसे उतार फेंका और अब वो सिर्फ सैंडल पहने उसी अवस्था में आ गयी जिस अवस्था में थोड़ी देर पहले सजल ने उसे चोदा था। उसका नंगा तन चमकने लगा।
“मुझे आश्चर्य है कि सजल मुझे चोदने के लिये क्यों आया… क्या वो तुम्हें चोदने से ऊब गया है…” उसने अपने शरीर को सजल के जिश्म से रगड़ते हुए कहा।
वो दोनों मम्मी बेटे कुछ कहने की हालत में नहीं थे।
मनीषा ने कोमल को और छेड़ते हुए इठलाते हुए कहा- “अब तुम समझ सकती हो कि सजल और सुनील दोनों को मेरे पास आने की ज़रूरत क्यों पड़ी। मेरे पास वो सब कुछ है जिसकी उन्हें आस है। बड़े मम्मे और एक तंग गाण्ड… अब जब तुम यहीं हो सजल तो क्यों न हम उस काम को अंजाम दें जो हमने शुरू कर दिया है… मेरे ख्याल से तुम्हारी मम्मी यह जानने को उत्सुक होगी कि मैं कैसे चुदवाती हूँ…”
|
|
06-16-2017, 11:11 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
सजल ने अपने आपको वहीं कारपेट पर लिटा लिया और अपनी मम्मी को अपने ऊपर इस तरह खींचा कि उसकी चूत उसके मुँह पर आ लगी। उसने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी। अब वह इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि मनीषा उसका लण्ड चूसने लगेगी।
मनीषा के चेहरे पर मुश्कुराहट फैल गई। उसने झुककर उस झुलते हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और झट से मुँह में भर लिया। और बोली- “इसका लण्ड बहुत स्वादिष्ट है, कोमल…” उसने कोमल को हिम्मत देते हुए कहा।
इससे कोमल का यह डर कि वह उसके लड़के को काबू में ले लेगी शांत हो गया। कोमल ने भी देखा कि मनीषा सजल के लण्ड से जलपान कर रही थी। हालांकि वो इस दृश्य को देखना चाहती थी पर उसकी चूत में छाए तूफान पर उसका बस नहीं था।
“मुझे ज़रा मुड़ने दो सजल…” कहकर कोमल तेजी से घूम गई जिससे उसका मुँह मनीषा की ओर हो गया- “अब मेरी चूत चाटो सजल…”
उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया जिससे उसका सिर मनीषा के सिर से जा टकराया। कोमल भी उस लण्ड का स्वाद लेना चाहती थी। मनीषा ने भी दरियादिली दिखाई और अपने मुँह से उस चिपचिपाते लण्ड को निकालकर कोमल के मुँह की ओर कर दिया।
मनीषा- “इसका स्वाद लो कोमल, तब तक मैं इन टट्टों का स्वाद लेती हूँ…”
कोमल ने अपनी जीभ सजल के लण्ड के सुपाड़े पर फिराई और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया। इस समय उसे खाने और खिलाने का दोहरा मज़ा आ रहा था।
सजल उन दोनों सुंदरियों की जिह्वाओं के आघात से तड़प रहा था। उसकी तमन्ना पूरी हो गई थी। पर उसका अपने ऊपर काबू खत्म हो गया था। कुछ ही मिनटों की चुसाई और चटाई से उसके लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। कोमल ने अपने मुँह में छूटते हुए रस को पीना शुरू कर दिया। मनीषा ने कोमल को हटाने के उद्देश्य से उसके मम्मों को पकड़कर धक्का सा दिया। पर कोमल इसका कुछ और ही अर्थ समझी।
“और जोर से भींचो इन्हें मनीषा… और तुम मुझे खाओ सजल…” यह कहते समय उसे भी शिखर प्राप्ति हो गई।
मनीषा उन दोनों को झड़ते हुए बस देखती ही रह गई। पर उसे यकीन था कि इंतज़ार का फल मीठा होगा। पर उसको मम्मी-बेटे के प्यार की गहराई का अनुभव जरूर हो गया था।
जब कोमल झड़कर शांत हुई तो मनीषा उसकी ओर देखकर बोली- “मैं तुम्हारे मम्मों को तुमसे पूछे बिना नहीं दबाना चाहती थी। शायद तुम्हें ये पसंद न आया हो…”
“कोई बात नहीं, मनीषा, मुझे वाकई अच्छा लगा था। मैं हमेशा अचरज करती थी कि दूसरी औरत के साथ यह सब करना कैसा लगेगा…” उसने मनीषा के तने हुए मम्मों पर आंखें जमाते हुए जवाब दिया।
“हम दोनों भी नमूने हैं, कोमल… कुछ देर पहले हम एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे और अब प्रेमी बनने की बात कर रहे हैं…” दोनों औरतें साथ-साथ हँसने लगीं।
“शायद मैं तुमसे इसीलिये दूर रहना चाहती थी। मुझे डर था कि मैं कहीं तुम्हारे साथ सम्बंध ना बना लूँ…” कोमल बोली।
सजल का लण्ड सामने के दृश्य को देखकर फिर से तनतना गया था। उसने अपने सामने नाचती हुई अपनी मम्मी की गाण्ड देखी तो वो उसके पीछे झुका और अपना दुखता हुआ लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलने लगा।
“नहीं सजल…” कोमल ने अपनी चूत से उसका लण्ड बाहर निकालते हुए कहा- “मैं तुम्हें मनीषा को चोदते हुए देखना चाहती हूँ। उसके पीछे जाओ और उसे चोदो… जाओ…”
सजल का लण्ड इस समय इतना अधिक दुख रहा था कि उसे इस बात से कतई मतलब नहीं था कि उन दोनों में से किसे उसके मोटे लण्ड का आनंद मिलेगा। उसने मनीषा के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लम्बा लण्ड जड़ तक, एक ही धक्के में ठोंक दिया।
मनीषा की पनियाई हुई चूत ने भी आसानी से पूरे मूसल को अपने अंदर समा लिया। हालांकि मनीषा अभी ही झड़ के निपटी थी, पर वो एक बार फिर तैयार थी। बोली- “धन्यवाद, कोमल, जो तुमने मुझे इसे चोदने दिया। मुझे खुशी है कि अब तुम सारी बात को समझती हो। मैं इतनी अकेली थी, इतनी चुदासी… मुझे इसके लण्ड की सख्त जरूरत थी…”
कोमल की चूत में भी आग बदस्तूर लगी हुई थी। उसने अच्छे पड़ोसी का कर्तव्य तो निभा दिया था पर वो इंतज़ार कर रही थी कि सजल मनीषा को निपटाकर उसकी चूत की प्यास बुझाए। कुछ ही देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद सजल के झड़ने की बारी आखिर आ ही गई।
“मैं झड़ रहा हूँ, मम्मी…” सजल चीखा और अपना रस मनीषा की चूत में भरना शुरू कर दिया।
कोमल अपने सामने का दृश्य देखकर ही झड़ गई। मनीषा आखिर में झड़ी। मम्मी-बेटे के बीच में सैंडविच की तरह चुदने का आनंद अपरंपार था।
“मेरे साथ झड़ो, तुम दोनों… दोनों… सजल… कोमल… मैं तुम्हारी चूत के स्वाद से प्यार करती हूँ। मैं तुम्हारी घनघोर चुदाई से भी प्यार करती हूँ। सजल, चोदो मुझे… चो…दो… मैं झड़ी रे… हाय रे… मैं मरी…”
जब सब शांत हुए तो मनीषा को ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो भी सिंह परिवार का हिस्सा हो गई हो।
क्रमशः.....................................
|
|
06-16-2017, 11:11 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
सजल ने अपने आपको वहीं कारपेट पर लिटा लिया और अपनी मम्मी को अपने ऊपर इस तरह खींचा कि उसकी चूत उसके मुँह पर आ लगी। उसने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी। अब वह इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि मनीषा उसका लण्ड चूसने लगेगी।
मनीषा के चेहरे पर मुश्कुराहट फैल गई। उसने झुककर उस झुलते हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और झट से मुँह में भर लिया। और बोली- “इसका लण्ड बहुत स्वादिष्ट है, कोमल…” उसने कोमल को हिम्मत देते हुए कहा।
इससे कोमल का यह डर कि वह उसके लड़के को काबू में ले लेगी शांत हो गया। कोमल ने भी देखा कि मनीषा सजल के लण्ड से जलपान कर रही थी। हालांकि वो इस दृश्य को देखना चाहती थी पर उसकी चूत में छाए तूफान पर उसका बस नहीं था।
“मुझे ज़रा मुड़ने दो सजल…” कहकर कोमल तेजी से घूम गई जिससे उसका मुँह मनीषा की ओर हो गया- “अब मेरी चूत चाटो सजल…”
उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया जिससे उसका सिर मनीषा के सिर से जा टकराया। कोमल भी उस लण्ड का स्वाद लेना चाहती थी। मनीषा ने भी दरियादिली दिखाई और अपने मुँह से उस चिपचिपाते लण्ड को निकालकर कोमल के मुँह की ओर कर दिया।
मनीषा- “इसका स्वाद लो कोमल, तब तक मैं इन टट्टों का स्वाद लेती हूँ…”
कोमल ने अपनी जीभ सजल के लण्ड के सुपाड़े पर फिराई और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया। इस समय उसे खाने और खिलाने का दोहरा मज़ा आ रहा था।
सजल उन दोनों सुंदरियों की जिह्वाओं के आघात से तड़प रहा था। उसकी तमन्ना पूरी हो गई थी। पर उसका अपने ऊपर काबू खत्म हो गया था। कुछ ही मिनटों की चुसाई और चटाई से उसके लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। कोमल ने अपने मुँह में छूटते हुए रस को पीना शुरू कर दिया। मनीषा ने कोमल को हटाने के उद्देश्य से उसके मम्मों को पकड़कर धक्का सा दिया। पर कोमल इसका कुछ और ही अर्थ समझी।
“और जोर से भींचो इन्हें मनीषा… और तुम मुझे खाओ सजल…” यह कहते समय उसे भी शिखर प्राप्ति हो गई।
मनीषा उन दोनों को झड़ते हुए बस देखती ही रह गई। पर उसे यकीन था कि इंतज़ार का फल मीठा होगा। पर उसको मम्मी-बेटे के प्यार की गहराई का अनुभव जरूर हो गया था।
जब कोमल झड़कर शांत हुई तो मनीषा उसकी ओर देखकर बोली- “मैं तुम्हारे मम्मों को तुमसे पूछे बिना नहीं दबाना चाहती थी। शायद तुम्हें ये पसंद न आया हो…”
“कोई बात नहीं, मनीषा, मुझे वाकई अच्छा लगा था। मैं हमेशा अचरज करती थी कि दूसरी औरत के साथ यह सब करना कैसा लगेगा…” उसने मनीषा के तने हुए मम्मों पर आंखें जमाते हुए जवाब दिया।
“हम दोनों भी नमूने हैं, कोमल… कुछ देर पहले हम एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे और अब प्रेमी बनने की बात कर रहे हैं…” दोनों औरतें साथ-साथ हँसने लगीं।
“शायद मैं तुमसे इसीलिये दूर रहना चाहती थी। मुझे डर था कि मैं कहीं तुम्हारे साथ सम्बंध ना बना लूँ…” कोमल बोली।
सजल का लण्ड सामने के दृश्य को देखकर फिर से तनतना गया था। उसने अपने सामने नाचती हुई अपनी मम्मी की गाण्ड देखी तो वो उसके पीछे झुका और अपना दुखता हुआ लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलने लगा।
“नहीं सजल…” कोमल ने अपनी चूत से उसका लण्ड बाहर निकालते हुए कहा- “मैं तुम्हें मनीषा को चोदते हुए देखना चाहती हूँ। उसके पीछे जाओ और उसे चोदो… जाओ…”
सजल का लण्ड इस समय इतना अधिक दुख रहा था कि उसे इस बात से कतई मतलब नहीं था कि उन दोनों में से किसे उसके मोटे लण्ड का आनंद मिलेगा। उसने मनीषा के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लम्बा लण्ड जड़ तक, एक ही धक्के में ठोंक दिया।
मनीषा की पनियाई हुई चूत ने भी आसानी से पूरे मूसल को अपने अंदर समा लिया। हालांकि मनीषा अभी ही झड़ के निपटी थी, पर वो एक बार फिर तैयार थी। बोली- “धन्यवाद, कोमल, जो तुमने मुझे इसे चोदने दिया। मुझे खुशी है कि अब तुम सारी बात को समझती हो। मैं इतनी अकेली थी, इतनी चुदासी… मुझे इसके लण्ड की सख्त जरूरत थी…”
कोमल की चूत में भी आग बदस्तूर लगी हुई थी। उसने अच्छे पड़ोसी का कर्तव्य तो निभा दिया था पर वो इंतज़ार कर रही थी कि सजल मनीषा को निपटाकर उसकी चूत की प्यास बुझाए। कुछ ही देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद सजल के झड़ने की बारी आखिर आ ही गई।
“मैं झड़ रहा हूँ, मम्मी…” सजल चीखा और अपना रस मनीषा की चूत में भरना शुरू कर दिया।
कोमल अपने सामने का दृश्य देखकर ही झड़ गई। मनीषा आखिर में झड़ी। मम्मी-बेटे के बीच में सैंडविच की तरह चुदने का आनंद अपरंपार था।
“मेरे साथ झड़ो, तुम दोनों… दोनों… सजल… कोमल… मैं तुम्हारी चूत के स्वाद से प्यार करती हूँ। मैं तुम्हारी घनघोर चुदाई से भी प्यार करती हूँ। सजल, चोदो मुझे… चो…दो… मैं झड़ी रे… हाय रे… मैं मरी…”
जब सब शांत हुए तो मनीषा को ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो भी सिंह परिवार का हिस्सा हो गई हो।
क्रमशः.....................................
|
|
06-16-2017, 11:12 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
मनीषा के चेहरे पर रंगत वापस आ गयी। उसे कोमल का प्लान समझ में आ गया- “हम्म्म्म… तब सुनील बहुत ही अजीब सी हालत में होगा… उसे हमारे बारे में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं होगी… है न…”
“एकदम सही…” कोमल ने एक विषैली मुसकराहट से कहा- “अब जाओ और जैसा मैंने कहा है… वैसा करो। हम यहाँ छुपते हैं, तुम जाकर उसके लण्ड को अपनी चूत में घुसवाओ…” ऐसा कहकर कोमल ने मनीषा की नंगी गाण्ड पर प्यार भरी एक चपत लगाई।
कोमल ने एक झिरी सी रखकर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। इसमें से वो बाहर चल रहे प्रोग्राम को देख-सुन सकती थी। उसने सुनील के गोल्फ के सामान की आवाज़ सुनी। कुछ ही देर में उसने मनीषा को अतिथि कक्ष के सामने से सुनील को अपने शयन कक्ष में हाथ पकड़कर जाते हुए देखा।
उसने मनीषा की बात सुनी- “मैंने सोचा था कि आज सुबह की चुदाई से तुम्हारा दिल भर गया होगा… तुम्हें कोमल के घर में रहते हुए यहाँ आने में कोई खतरा नहीं महसूस हुआ…”
“मेरे ख्याल से उसने राकेश को मुझे छोड़ते हुए नहीं देखा… पर अब इस बात की चिंता करने से कुछ नहीं होगा। मैं अगले हफ्ते काफी व्यस्त हूँ। इसलिए आज कुछ समय तुम्हारे साथ बिता लेता हूँ। सारे समय मैं गोल्फ की जगह तुम्हारे बारे में सोचता रहा…”
कोमल ने ये सुना तो उसे अपने पति पर गुस्सा आ गया और अब वो उस वक्त का इंतज़ार करने लगी जब वह उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ेगी। उसने सजल की और मुखातिब होकर कहा- “देखना जब हम तुम्हारे पापा को पकड़ेंगे… वो हर बात जो हम कहेंगे, उसे मानेंगे…”
कुछ देर सुनील और मनीषा की चुदाई शुरू होने के बाद वो बोली- “अब और नहीं ठहरा जा रहा। चलो हम हमला बोलते हैं…”
जब कोमल ने मनीषा के शयनकक्ष में झाँका तो कुछ समय के लिए वो सामने का मंजर देखकर ठिठक गयी। उसने सजल को अपने पास खींचा जिससे कि वो भी देख सके। उसके मन में एक बार ईर्ष्या आ गयी।
“वाह… अपनी चूत को मेरे लण्ड पर और जोर से दबाओ… मनीषा…” सुनील कह रहा था। उसका मोटा लण्ड मनीषा की चूत में गड़ा हुआ था। मनीषा के सैंडल युक्त पाँव आसमान की ओर थे और सुनील उसे पुराने तरीके से ही ऊपर चढ़कर चोद रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
“मुझे जोर से चोदो सुनील… और जोर से…” मनीषा अब सब भूलकर अपनी चूत का भुर्ता बनवाने में मशगूल थी। उसी समय उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी और उसके मुँह पर एक शैतानी मुश्कान आ गयी।
वहाँ सजल और कोमल उनका ये चुदाई का खेल देख रहे थे।
उसने उन दोनों का थोड़ा मनोरंजन करने की ठानी- “जोर से चोदो मुझे सुनील… बिल्कुल रहम मत करो… फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से…” ये कहकर मनीषा ने सुनील की गाण्ड भींचते हुए उसकी गाण्ड में एक अँगुली घुसा दी।
“हरामजादी…” सुनील के मुँह से गाली निकली- “अगर ऐसा किया तो मैं झड़ जाऊँगा…”
कोमल के संयम का बांध टूट गया। हालांकि देखने में बहुत मज़ा आने लगा था, पर वो अपने हाँफते और काँपते पति को रंगे हाथों पकड़ने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।
“क्या हुआ सुनील… घर पर मेरी चूत चोदकर मन नहीं भरता क्या…” कोमल ने अंदर घुसकर बिस्तर की ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी आवाज़ माहौल के विपरीत काफी शाँत स्वर में थी।
कोमल की आवाज़ सुनकर, सुनील को काटो तो खून नहीं। उसका जिश्म जैसे जड़ हो गया और धक्के बंद हो गये। उसका मुँह खुला का खुला रह गया जब उसने अपनी पत्नी और बेटे, दोनों को वहाँ नंगा खड़ा देखा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। शायद ये कोई सपना ही था।
“तुम्हें शायद मुझे देखकर आश्चर्य हो रहा है… प्रिय पति महाराज…” कोमल मुश्कुराई और बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गयी।
सजल को अपने पापा से डर लग रहा था और वो अपनी मम्मी के दो-तीन फीट पीछे ही खड़ा रहा।
“पर आश्चर्य तो मुझे होना चाहिये… है न… ये देखकर कि तुम मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो…”
सुनील ने मनीषा की चूत से अपना तना हुआ लौड़ा बाहर खींच लिया। उसने बिस्तर पर बैठकर कुछ समय सोचकर अपनी आवाज़ को पाया- “पर तुम यहाँ पर क्या कर रही हो कोमल… और वो भी सजल के साथ… और फिर तुम दोनों नंगे क्यों हो…” वो अपनी आवाज़ में कठोरता पैदा करने की असफल कोशिश कर रहा था।
“मेरे साथ ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो…” कोमल उसे ऐसे नहीं बख्शने वाली थी, न वो अपने ऊपर कोई बात लेने वाली थी। सुनील उस समय उसी परिस्थिति में था जैसा वो उसे चाहती थी- “वो तुम हो जो गलत चूत में अपने लण्ड के साथ पकड़े गये हो… मैं नहीं…”
“ठीक है कि मैं पकड़ा गया हूँ और मेरे पास कोई सफाई भी नहीं है। पर सजल तुम्हारे साथ यहाँ क्यों आया है और तुम दोनों नंगे क्यों हो…” सुनील ने अपने नंगे बेटे की ओर देखते हुए पूछा।
|
|
06-16-2017, 11:12 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
सजल का लण्ड इस समय खड़ा था।
“ये मत समझो कि सजल ये सब देखने समझने के लिये बड़ा नादान है… सजल, इधर आओ…”
जब सजल अपनी जगह से हिला भी नहीं तो कोमल ने दोबारा कहा- “सजल, इधर आओ… तुम्हारे पापा तुम्हें छुयेंगे भी नहीं, ये मेरा वादा है…”
सजल धीमे कदमों से अपनी मम्मी के साथ आकर खड़ा हो गया पर उसकी सहमी नज़र अपने पापा के चेहरे पर ही रही। कोमल ने मनीषा की ओर आश्वासन के लिये देखा। उसकी नई सहेली ने गर्दन हिलाकर अपना समर्थन दिया।
“तुम्हें याद है सुनील… जब तुमने मुझे अपनी मम्मी को चोदने की इच्छा के बारे में मुझे बताया था…” कोमल ने सँयत शब्दों में भूमिका बाँधी।
“कोमल…” सुनील चिल्लाया- “तुम ऐसे समय वो बात यहाँ कैसे कर सकती हो… मैंने तुम्हें वो बात दुनिया को बताने के लिये थोड़े ही बताई थी…”
कोमल ने अपना हाथ उठाकर उसे शाँत रहने का इशारा किया। उसने सजल की ओर अपना हाथ बढ़ाया और उसे अपनी ओर खींचा।
“मैं सिर्फ तुम्हें उस समय की याद दिला रही थी जब तुम सजल की उम्र के थे। इससे तुम्हें वो समझने में आसानी होगी जो मैं तुम्हें बताने वाली हूँ…” कोमल ने एक गहरी साँस भरी और अपने स्वर को संयत किया- “मैं सजल से उसकी छुट्टियों के कुछ समय पहले से चुदवा रही हूँ…”
कमरे में एक शाँती छा गयी। अगर सुंई भी गिरती तो आवाज़ आती।
फिर सुनील ने हिकारत भरे स्वर में कहा- “कितनी घृणा की बात है ये… तुम अपने बेटे से कैसे…”
मनीषा, कोमल का साथ देने के लिये, सुनील की बात काटते हुए बोली- “अब ऐसे मर्यादा वाले मत बनो तुम सुनील। तुम भी कोई बड़े भले मानस नहीं हो। अगर कोमल को तुम घर में उसके मन मुताबिक चोदते रहते तो वो क्यों सजल की ओर जाती… हो सकता है कि शायद वो फिर भी सजल से चुदवाती ही, कौन कह सकता है… अगर मेरा सजल जैसा लड़का होता तो मैं तो उसको जरूर चोदती…”
“पर मुझे यह मंजूर नहीं…” सुनील बोला।
“बकवास…” मनीषा ने जवाब दिया- “तुम्हारे पास कोई विकल्प भी नहीं है सुनील… कोमल क्षमा नहीं माँग रही है… वो तुम्हें बता रही है कि या तो तुम इसे स्वीकार करो या…” मनीषा ने अपने शब्द अधूरे छोड़कर अर्थ साफ कर दिया।
“अरे ये सब बेकार की बातें छोड़ो… हम सब चुदासे हैं और एक दूसरे की चुदाई क्या गलत, क्या सही की बातें चोदने में लगे हैं… इधर आओ सुनील और मुझे चोदो, जो तुम कह रहे थे… अपने लौड़े को देखो, ये अब पहले से भी ज्यादा तना हुआ है। मैंने इतना सख्त पहले इसे नहीं देखा…” ये कहते हुए मनीषा ने अपने हाथों से सुनील का विशाल मोटा लण्ड हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
“इसे यूँ ही चलने दो सुनील… कोमल और मेरे पास तुम्हारे लिये बहुत कुछ विशेष है…” ये कहकर मनीषा ने सुनील का हलब्बी लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
|
|
06-16-2017, 11:12 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: rajsharmastories घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ने भी अपना तीर फेंका। उसने बिस्तर पर झुकते हुए अपनी बांहें उसकी गर्दन में डाल दीं। उसके विशाल मम्मे अब सुनील के चेहरे के पास थे। बोली- “बोलो मत सुनील… मेरे मम्मों को चूसो… मनीषा को अपना लण्ड चूसने दो। हम दोनों को तुम्हें चोदने चाटने दो… मेरी जान, अब चीज़ें दूसरे नज़रिये से देखो। अब तुम्हें छुपकर अपने पड़ोस में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हारी जब इच्छा हो, हम दोनों तुमसे चुदवाने के लिये तैयार रहेंगी…”
सुनील अपने दोनों ओर फैले हुए नंगे गर्म जिस्मों में खो गया। कोमल ने अपने मम्मों को उसके मुँह में डाल दिया। सुनील इतना ताकतवर था कि इन दोनों औरतों को परे धकेल सकता था, पर उसने ऐसा किया नहीं। उसे दोगुने आनंद की प्राप्ति हो रही थी।
“ठीक है… मैं हार मानता हूँ…” सुनील ने अपना मुँह कोमल के मम्मों से हटाते हुए कहा- “हम बाद में बात करेंगे… पर मुझे अभी भी सजल और तुम्हारे बीच का…”
“अपना मुँह बंद रखो, सुनील, अगर खोलना है तो मेरे मम्मों को चूसने के लिये… हाँ अब ठीक है… जोर से चूसो…”
“अब ये सब बहुत हो चुका…” मनीषा सुनील के लण्ड की चुसाई रोकती हुई बोली- “अब मुझे इस मोटे लण्ड से अपनी चूत चुदवानी है। इस पूरे सीन से मेरी चुदास बेइंतहा बढ़ गयी है। अरे सुनील तुम्हारा लण्ड तो जबर्दस्त फूल गया है। हम्म्म… अब ये मत कहना कि तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा…” ये कहकर मनीषा ने पूरा लौड़ा एक ही झटके में अपनी चूत में पेल डाला।
अब चूंकि सुनील का लण्ड एक समय में एक ही चूत चोद सकता था, कोमल को अपनी प्यासी चूत के लिये कोई दूसरा इंतज़ाम करना लाज़मी हो गया। वो बिस्तर से खड़ी हो गई और अपने बेटे से बोली- “ज़मीन पर लेटो सजल… मैं तुम्हें वैसे ही चोदना चाहती हूँ, जैसे मनीषा तुम्हारे पापा को चोद रही है…”
सजल की हिम्मत अब धीरे-धीरे वापिस आ रही थी। अब जब उसने अपने पापा को चुसाई और चुदाई में मशगूल देखा तो वो जाकर ज़मीन पर चौड़ा होकर अपनी पीठ के बल लेट गया और अपनी चुदासी मम्मी का अपने तन्नाये लौड़े की सवारी के लिये इंतज़ार करने लगा।
सुनील स्तब्ध होकर अपनी पत्नी को अपने बेटे के तनतनाये हुए लण्ड पर सवार होते हुए देख रहा था। उसने कोमल को सजल से चुदवाने से रोकने के लिये एक शब्द भी नहीं कहा। इस समय वो इतना रोमाँचित था कि उसके लिये ऐसा करना संभव ही नहीं था। नाराज़गी की जगह उसके मन में विस्मय अधिक था।
“ये मेरे लिये ही खड़ा है न, बेटे…” कोमल ने अपनी गर्म प्यासी चूत को सजल के लण्ड पर सरकाते हुए सरगोशी की। उसने सजल के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत को उसपर आहिस्ता से उतार दिया- “मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में फुदकता हुआ लग रहा है। मेरे लाडले बेटे…”
सजल ने अपने हाथ बढ़ाकर अपनी मम्मी के फुदकते हुए मम्मों को पकड़ लिया। कोमल की गर्म चूत अब उसके गर्माये हुए लण्ड पर नाच रही थी। उसने अपने पापा की ओर देखा तो वो इस नज़ारे से बहुत मज़ा लेते हुए लगे।
“है न देखने लायक सीन, सुनील…” मनीषा ने अपने विशाल मम्मों को पकड़कर सुनील के लण्ड पर अपनी चूत सरकाते हुए पूछा- “तुमने सोचा भी न था कि ये देखकर तुम्हें इतना मज़ा आयेगा…”
कोमल ने अपना सिर घुमाकर अपने पति की आँखों में देखा- “देखो, कितना बढ़िया है ये सब… अब तुम्हें ये बुरा नहीं लग रहा होगा… है न मेरी जान… ज़रा सोचो तो कि अब हम लोग क्या-क्या और कर सकते हैं… सजल को चोदते हुए देखो सुनील… देखो मैं अपने बेटे को कितना सुख दे रही हूँ…”
|
|
|