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Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
सास हो तो ऐसी
मै सुजाता . मेरी शादी जब मै18 साल कि थी तभी हुई. जब मै 22 साल कि हुई तब मै २ बच्चो कि मा बनी थी. मेरा पती एक छोटी कंपनीमे क्लेर्क थे. बाद मे धीरे-धीरे उनकी प्रमोशन हुई और आज वो म्यनेजर बने है. आज मै मेरी उमर के ** साल मे एक दामाद कि सांस बनी हु. मेरी बेटी बडी है और बेटा छोटा है. बेटी के शादी को १ साल हुआ है और वो पेटसे है. शादी के बाद वो ३-४ बारहि मायके आई थी. वो और उसका पती मेरे गावसे काफी दूर रहते है. इसीकारण उनका ज्यादा आना-जाना नही हूआ. लेकिन हर एक बार उसने संभोग के दरमियान तकलीफ कि शिकायत मुझसे की. आमतौर लडकीया शुरू के कुछ दिन शिकायत करते है इसीलिये मैने उसपार ज्यादा ध्यान नाही दिया थामेरी बेटी मुझसे कुछ केहना चाहती थी पर मै हमेशा उसकी बात को टाल जाती थी. उसकी प्रोब्लेम क्या थी ये मैने जानना चाहिये था पर मुझसे गलती हुई. जब उसे सातवा महिना शुरू हो गया तभी मेरे पती कि फिरसे ट्रान्स्फर हुई और हमने घर शिफ्ट न करते हुए हमारे दामादजी को कुछ दिन के लिये बुला लिया. दामादजी को पत्नी से दूर रहकर काफी दिन हुए थे इसी लिये उन्होने भी ख़ुशी-ख़ुशी हमारा न्योता स्वीकार किया. पुरे रात का सफर तय करके दामाद जब ससुराल आये तो उनके स्वागत मे मैने कोई कमी नही रखी थी. मेरा बेटा कोलेज के लिये दुसरे गाव रहता है इसीकारण मुझे बहोत भागदौड करनी पडी पर बेटी के लिये किसी मा को ये ज्यादा नही लगता. . दामाद आनेके बाद तो जैसे जिंदगीहि बदल गयी थी. सुबह उनकी चाई फिर नाश्ता, सारा दिन उनकी तबियत खुश रखना मेरा कार्य बन गया था.
एक दिन ऐसेही सुबह दामाद- उनका नाम रवि है, रवीको चाई देने के बाद वो नहाने गया. उसने कहा वो आज बाथरूम कि खुलेमे नहायेंगे. मैने कहा ठीक है. मेरे पती और बेटाभी अक्सर खुले मे ही नहाते है. और मैने पानी खुले मे रखा. रवि नहाने लगा और मै किचेन चली गयी. किचेन से सामने नाहता हुआ रवि नजर आ रहा था. बदन पे सिर्फ कच्छी थी. शरीर बिल्कुल भरापुरा. वो नीचे बैठके नहा रहा था. उसका उपरका नंगा बदन देखके मेरे तन-मन मे कुछ-कुछ होणे लगा था. मै अपनेही मन को समझा रही थी. जो मेरे तन-मन मे हो रहा है वो गलत है. मेरा दमाद याने कि मेरे बेटी का पती. सब गालात था फिर भी बार बार नैन उसकी तरफ जा रहे थे. ध्यान उधरही जा रहा था. वो बदन पे साबुन मल रहा था. चेहरा - छाती -पेट -पीठ धीरे-धीरे उसने कच्चे मे हात डाला और रगड के साबुन लगा रहा था. पानी कि बालटी बीचमे होनेसे उसकी कच्छी ढंग से नही दिखती ठी पर वो मजा ले रहा है ये समझ मे आ रहा था. आखिर उसने पुरी बाल्टी अपने उपर ले ली और वो खडा हुआ. अनायास हि मेरी नजर उसके कछेपर गयी तो सामनेवाला पोर्शन बहोत हि आगे आया था- बहोत बडा दिख रहा था। उसने तोउलियेसे बदन पोछा और तोउलिया लंपटके कच्छा उतारने लगा. मन का विरोध ना मानते मै भी सब देखने लगी. उसने एक पैर निकाली और जैसेही दुसरे पैर से निकालने लगा अचानक टॉवेल उसके हाथ से छूटा और बाजूवाले बबुलके पेडमे अटक गया. मेरी नजर उसके हतियार पे गयी तो मै सुन्न हो गयी. इतना बडा हतियार मैने पहलीबार देखा था. वो हतियार मेरे जीवन मे आये सभी मर्दोमे सबसे बडा था. क्या बताऊ कितना प्यारा-सुंदर -फिर भी इतना बडा शायदहि होता है.
मेरी शादी के समय,जैसा मैंने बताया मेरी उम्र सिर्फ 18 साल थी। स्त्री-पुरुष सम्बधो के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी। किंतु स्कूल में बाकी लडकिया बाते करती थी वो सुनने में आती थी। दसवी की परीक्षा होते-होते मेरी शादी हो गयी। सेक्स के मामले में मेरे पती शुरू-शुरू में काफी उत्तेजीत होते थे। रोज रातको हमारा सम्भोग होता था। मेरे दोनों प्रेग्नन्सी के दरमियान भी हमारा सेक्स रेग्युलर था। मेरे शादी के बाद मेरा पतीके अलावा किसी और से संबध आने का चांस बिलकुल नहीं था। वैसे भी शादी से पहेले भी कम उम्र की वजह से ये संभाव्यता कभी नहीं थी।
मेरी दूसरी डिलिवेरी के बाद मेरे पति की पहली प्रमोशन हो गयी थी इसीलिए मै रेस्ट के लिए मायके में थी। उसी समय मेरा स्कूल का साथी, हमारे पंडितजी का बेटा कोलेज को छुट्टी लगनेसे गाव आया था। स्कूल में था तब वो साथवाले लड़कोके मुकाबले बहोत छोटा लगता था इसीलिए मै उसे छोटू नामसे बुलाती थी। जब मैंने उसे छोटू कहकर बार-बार पुकारा तो वो चिढने लगा। मुझसे कहने लगा, सुजाता मै अब छोटा नहीं हु, बड़ा हो गया हु। मैंने कहा , कैसे साबित करोगे की तुम अब छोटे नहीं हो। थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला , वक्त आनेपर मै दिखा दूंगा की मै कितना बड़ा हुआ हु। इतना कहके वो चला गया। कुछ दिन बाद मेरे बेटे को बुखार आया था, उस समय मुझे छोटू ने बहोत मदद की। चार दिन बाद जब सब ठीक ठाक हुआ तबतक मै छो
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RE: Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
रवि का लंड चूसनेके लिए कहना और बेटीका उससे मुकराना मुझे हमारे फिरसे बीते दिनों की याद दिला रहा था। हम लोग उस समय नागपुरमें थे। मेरे पति ऑफिसर थे। उन्हें बार-बार टूरपे जाना होता था। तब हम शर्माजी के मकानमें किरायेदार थे। शर्माजी ट्यूशन लेते थे और उनकी पत्नी स्टेट बैंक में थी। उनके भी दो बच्चे थे, हमारे बच्चोंके उमरके। बच्चे साथ-साथ खेलते थे और शर्माजीके क्लासमें पढ़ते थे। अच्छी फॅमिली मिलनेसे हम काफी खुश थे। वहीपर मेरा शर्माजीके साथ अफेअर हुआ।
शर्माजी का साथ मिलना मेरे लिए सौभाग्यकी बात थी।उस समय उन्होंने मुझे इतनी मदद की जिसका मुझे आजभी एहसास है। नागपुर हमारे लिए बिलकुल नया था। वहां जब हमलोग आये तब हमारी वहांपे कोई पहचान नहीं थी।ऐसेमे मेरे पतीकी मुलाकात शर्माजिसे हुई। अपने घरमे किरायेपर जगह दी। हमारे बच्चोको अपने बच्चोंके साथ स्कूलमे एडमिशन दिलवाया।हमारे बच्चे भी उनके साथही आते-जाते थे। बच्चोंके स्कूलके पेरेंट्स मिट में मुझे जाना पड़ता था। शुरुमे मै अकेली बससे जाती थी। मगर एक दिन स्कूल में पेरेंट्स मिट ख़तम होनेके बाद उन्होंने मुझसे कहा- भाभीजी दोनोंका मुकाम एक ही है , वैसेभी मै अकेला मोटर-साइकलपे जा रहा हूँ। आप भी आएँगी तो ज्यादा पेट्रोल जानेवाला नहीं है। जब मैंने लोग देखनेकी बात आगेकी तो उन्होंने कहा- जमाना बदल गया है , किसको फुर्सत है जो बाकी लोगोंको देखेगा। और वैसेभी मुझे यहाँ कौन जानता था। रही बात पति की ,तो वोतो टूर पे गए थे। मै उनके साथ गाडीपे पीछे बैठी।रस्तेमे मेरी कोशिश उनका स्पर्श टालनेकी थी। शायद ये बात उनके भी समझ में आई थी। वो थोडा संभलके बैठे। ट्राफिक और गड्ढे अपना काम कर रहे थे। जाने-अनजाने उनके पीठपर मेरी छाती रगड़ जाती थी। शर्माजी रंगमें आ रहे थे।थोडा सा चांस मिलनेपर ब्रेक लगते थे। दो मिनट के बाद मै भी फ्री हो गयी। खुद उनके पीठ पर मेरे बूब्स रगदने लगी।
रास्तेमे शर्माजी मुझपे बहोत मेहरबान थे। मेरे ना-ना बोलनेपरभी उन्होंने मुझे ज्यूस पिलाया। कहने लगे- भाभीजी नागपुर जैसा संत्रेका ज्युसे आपको पुरे भारतमे और कहीं मिलनेवाला नहीं। थोडा खट्टा- थोडा मिठा, एक बार चखोगी तो जिंदगीभर मांगोगी। मगर ये कहते समय वो मंद-मंद क्यों मुस्कुरा रहे थे यह मेरी समझ में तब नहीं आया।
हम वापस घर आये। शर्माजीकी ट्यूशन सिर्फ सुबह ६ से १ ० तक होती थी। इसीलिए वो दिनभर खाली रहते थे। मै भी दोनों बच्चोके स्कूल जानेके बाद खाली रहती थी। उन्होंने मुझे सुझाव दिया क्यों न मै उनके ट्यूशन का कुछ काम करू। मेरा भी टाइमपास हो जायेगा। मैंने भी उचित समझा और उनका काम बटाने लगी। ये सभी हमारे बीच नजदीकीया बढ़ाने में सहायक हुई। ऐसेमें एक दिन मिसेस शर्माजी बहोत खुशीसे नाचते हुई बैंक से घर आई। वो ऑफिसर का प्रमोशन पाने में कामयाब हुई थी। उसी शाम एक छोतीसी पार्टी उन्होंने घर पे दी। उनके ऑफिसके करीब बीस लोग आनेवाले थे। पार्टी अर्रंज करनेमें मैंने बहोत मदद की। रातको करीब दस बजे सभी गेस्ट गए। उसके बाद सब बाकि काम निपटाते हमें ग्यारह बज गए। सभी बच्चे सो गए थे। दोनों बच्चोको एक साथ ऊपर मेरे घर ले जाना मुझे कठिन था इस लिए शर्माजी मेरे साथ आये। बच्चोको बेडपर सुलाने के बाद वो निकल गए। जाते-जाते कह गए- भाभीजी आप की वजह से ये सभी इतना आसान हुआ वर्ना मेरी पत्नी को ये सब मुश्किल था। मैंने हसके हसीमेही इसका स्वीकार किया और उनसे पूछा- भैय्याजी, ऑफिसके लोगोमें एक नीला शर्ट पहना हुआ जो आदमी था वो कौन था। शर्माजी हसके बोले- यानेकी आपके भी समझमें आया। वो मिसेस शर्मा के पुराने और खास दोस्त है। इतना कहके वो चले गए। दुसरे दिन मैंने दोपहरमें फिरसे यही पूछा तब उन्होंने कहा मिसेस शर्मा और वो आदमी- कुमार बचपनके दोस्त है और शायद उन दोनोमे कुछ संबध भी है। मैंने सवाल किया आप ऐसे कैसे कह सकते है? तब उन्होंने बताया पिछले ६-७ सालोंसे शर्मा पति-पत्नी में सिर्फ समाजको दिखनेके संबध है। ये बात मेरे लिए एक धक्का था। पति -पत्नी एक घरमें रहकर भी अलग-अलग सोना कैसे मुमकिन है? खैर छोडो, वैसेभी हम मिया -बीबीमें भी कहा इतना शारीरिक प्रेम बचा था। मेरे पति तो महीने में एक-दो बारही मेरे करीब आते थे। दोनों, मै और शर्माजी एक ही दवाई के मरीज थे। लेकिन हमारे बीच शारीरिक संबध शुरू होने के लिए कारन बना नागपुर की ट्राफिक . हुआ ऐसे, एक दिन मै और शर्माजी उनके गाडीपे डबलसीट आ रहे थे। नागपुर के सीताबर्डी इलाकेमें ओवरब्रिज का निर्माण हो रहा था। रास्तेमे भीड़ बहोत थी,अचानक एक स्कूली बच्चा अपनी साईंकिल लेके पिछेसे आया और मेरे पैरसे टकराया। मुझे जोरसे लगा। मै चिल्लाई। शर्माजी तुरंत मुझे डॉक्टरके पास लेके गए। डॉक्टरने पेन किलर और तेल दिया। हम वापस घर आये।
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RE: Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
इन्दोरमें हमारा आना महज इत्तेफाक नहीं था। नागपुरमें मै पति और शर्माजी दोनोंके साथ बहोत खुश थी। मुझे दो मर्दोसे सुख मिल रहा था। मेरे पति सीधे-सादे इन्सान है। सेक्स याने कभी-कभार जब जरुरत लगे तो करने की चीज ऐसा उनका मानना था। इसीलिए वो सेक्स् में नया कुछ नहीं लाते थे या मै अगर कहू सेक्स में नया क्या होता है ऐसा उनका ख्याल था।मगर शर्माजी मुझे विभिन्न आसनोंमें चुदाई का आनंद देते थे। बेडपर सो कर- कुर्सीमे बैठकर - टेबलपे मुझे झुकाके पीछेसे चूतमें लंड डालकर -यहाँ तक की उन्होंने मुझे एक बार किचेनमें गैस-स्टोव के बाजूमें बिठाकर, खुद खड़े होकर, मुझे चोद दिया था। इसी लिए मै वहा बहोत खुश थी।मेरे पति वहा बहोत परेशान थे। उन्हें बार-बार टूर जानेसे तकलीफ होने लगी। उनका पेट ख़राब होने लगा। उन्हें शुगरकी बीमारी शुरू हुई। वो मेरेसे दस साल बड़े थे। अभी ४0 केही थे मगर हमेशा बाहर खाना, रोज नए जगह रुकना इसी कारन उन्हें शुगर की बीमारी लगी। फिर उन्होंने कंपनीको रिक्वेस्ट करके इन्दोर में तबादला मांग लिया।
इंदौर हम आ तो गए। कंपनी ने उन्हें फिर प्रमोशन देके मेनेजर बनाया और इंदौर तथा भोपाल दोनों ऑफिस का इनचार्ज बनाया। हमने फॅमिली शिफ्ट की। मै बच्चोके साथ इंदौर में रहने लगी और मेरे १५ दिन इंदौर और १५ दिन भोपाल रहने लगे। इससे उनके जीवनमें कुछ स्थिरता आई। हमारे नजदीक दूसरी कोलोनी में योगा क्लास चलता था। हमने उनके शुगर को दवाई के साथ योग का भी सहारा ले कर शुगर कम करने की कोशिश शुरू की।
शुरू के १५ दिन हम साथ-साथ गए। वहा कुछ लोगोसे परिचय हुआ। उनमे एक थे नीता और निलेश। निलेश की एक छोटीसी प्लास्टिक की फैक्ट्री थी और नीता जूनियर कॉलेजमें लेक्चरर थी। १६ वे दिन जब मेरे पति मेरे साथ नहीं थे तब नीता खुद आगे आके मुझसे बात करने लगी।उसने मुझसे हर एक सब्जेक्ट पे बात की। मगर उसका ज्यादा जोर मेरे फिजिक पे था। उसने मुझे मेरे और कुछ काम/डाइट और व्यायाम के बारे में पूछा। जब मैंने उसे सब कुछ बताया तो वो हैरान हो गयी। वो मेरे कमरपे हाथ रखके बोली भाभीजी , आइ डोंट बिलीव इट। आप कुछ भी नहीं कंट्रोल नहीं रखती फिर भी आप कितनी मेन्टेन है। यु कहू तो बुरा मत मानो के आप बहोत सेक्सी है। मै शर्मा के बोली, निताजी, झूट मत बोलो। आप भी बहोत स्लिम और मेन्टेन है। नीता बोली, भाभीजी मै योगा-डाइट सब करके ऐसी हु। फिर भी आप तो कमाल है। आपकी कमर बिलकुल पतली है और आपके बूब्स- वो तो मै औरत हो के इसे हाथ लगाना चाहती हु मर्द तो मर जायेंगे। और ऐसा कहके उसने मेरे चूचीके पॉइंट को दो ऊँगली से मरोड़ा। मेरे चूची को पहली बार किसी औरत ने हाथ लगाया था। मै एकदमसे चार्ज हो गयी। इतनेमें निलेश आये। आतेही उसने हम दोनोको छेड़ा - इंदौर की सबसे हसीन दो औरतोमें क्या खिचड़ी पाक रही है। मै चुप बैठी। नीता ही बोल उठी, कुछ नहीं निलेश, भाभीजी कितना मेन्टेन है न। मै उनसे इसी बात का राज पूछ रही थी। निलेश हसने लगा और मुझसे कहने लगा- भाभीजी फ्री में कोई सलाह मत दो। और फिर नितासे बोला-यार , तुम भी कमाल करती हो। भाभीजी को अपने घर बुलाओ, चाय-नाश्ता हो जाए फिर इनसे जानेंगे इनके फिटनेस का राज।
हा हा क्यों नहीं। नीता बोली - भाभीजी बुधवार को आप हमारे घर आइये। मैंने कहा -सोचके बताती हु कल।
फिर गुड बाई करके निलेश और निता निकले। जाते-जाते नीताने मेरे निताम्बोपे हाथ घुमाया और मुझे आँख मारके वो चले गए।
अगले दिन निलेश नहीं आया था। नीता अकेली टू-व्हीलर लेके आई थी। आज भी उसने मेरे शारीर को बार बार स्पर्श किया। पर ये सब मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसका सपोर्ट नहीं किया था पर ये भी सच है की मैंने कोई विरोध भी नहीं जताया। इसी से उसका साहस बढ़ गया। आखिर में वो मुझे छोड़ने मेरे घर तक आई। अब उसे घर के अन्दर तो बुलाना जरुरी था इसी लिए मैंने उसे अन्दर बुलाया और चाय बनाई। चाय पिने के बाद वो निकली। जैसे ही मै दरवाजा खोलने कड़ी हुई वो तेजी से आगे आई और उसने मुझे अपने आगोश में लिया और उसके होठ मेरे होठपे रखे। मेरे कुछ समझमें आता इस से पहले वो मेरे फ्रेंच किस ले रही थी। मुझे अपनी बाहोमे बड़ी जोर से बाँध लिया था। उसके बूब्स जो मेरे मुकाबले कुछ भी नहीं थे वो मेरे चूची पे दबे थे। धीरे धीरे उसका हाथ मेरे चुतड पे घूम रहा था। मैंने भी उसको रिस्पांस देना शुरू किया। मै भी उसके पीठ को सहलाने लगी। उसकी चुतड दबाने लगी। करीब ५ मिनट लंबा किस करने के बाद हम दोनों सम्हल गए।किन्तु उसने मुझे अपनी बाहों से अलग नहीं किया। कुर्सी की तरफ मुझे लेके वो कुर्सी पे बैठ गयी और उसने मेरा ब्लाउज उतरा। फिर ब्रा के ऊपर अपना मुह लेके ब्रा के उपर्सेही मेरे चुचिके पॉइंट्स चूसने लगी। फिर अपने हाथ पीछे लेकर उसने मेरे ब्राको उतारा। फिर मेरे चूची को बच्चे जैसा चूसने लगी। धीरे धीरे उसने मेरे साडीपे हाथ दाल कर पहेले साडी और बादमे बाकि बचे कपडेभी उतारे। फिर वो धीरे धीरे अपना मुह चूची से लेकर निचे लाती हुई मेरे चूत तक पहुंची। थोडा देर मेरी चूत चूसने के बाद वो रुकी। फिर कड़ी उसने मुझे चारो और घुमाके देखा। उसकी आंखोमे अजीब सा नशा और वासना थी। उसने अपने कपडे उतारे। मेरे बदन के सामने वो बिलकुल दुबली पतली सी थी। उसके चुचे बहोत छोटे थे मेरे ख्याल से उसको ३० नंबर ब्रा चलती होगी। उसके चुतड भी बड़े नहीं थे। शायद उसे ८५ नंबर चलता होगा। मुझे 38 डी लगता है और मेरे निकर का नंबर 95 है। शायद इसी लिए वो मुझे इतना गौर से देखती थी। हम दोनों बेड पर गए। ये खेल मेरे लिए नया था पर वो इसकी उस्ताद थी। उसने मुझे बाहोमे लेके फिरसे गरम किया पहले एक ऊँगली मेरे चूत में डाली और मेरे चूत को रगदने लगी। फिर धीरे धीरे दो उंगली और फिर तीन उंगली मेरे चूत में डाली। दुसरे हाथ से वो चूची दबाती थी। फिर जैसे ही मेरी चूत गीली ही गयी उसने मेरे चूत के उपरी तरफ उंगली ले कर दो उंगली में मेरी चूत की क्लियोरिट्स रगदने लगी। उसने अपना मुह चूत के निचेवाले हिस्से (जहासे लंड अन्दर जाता है ) पे जमाया और अपनी जीभसे मेरे चूत को चोदने लगी। कभी जीभ चूत के अन्दर तक डालती तो कभी ऊपर चारो और घुमती। उंगली से उसका चूत के छेद में ऊपर की तरफ छेडना चालू था। मै इस कदर satisfied हो गयी की मुझे मै कब मेरा पूरा पानी छोड़ चुकी इसका पता ही नहीं लगा। नीता को भी शायद मेरा पानी पिने के बाद ओर्गाजम मिला। वो भी निहाल हो के पड़ी थी। थोड़ी देर बाद हम उठे। कपडे पहने। फिर नीता ने मुझे पूछा -कैसा लगा। मै बोली जिंदगी में पहली बार इतना आनंद आया है। पर तुम ये सब कैसा जानती हो ? नीता बोली वो छोड़ दो तुम्हे ये पसंद आया की नहीं। मैंने कहा - बहोत, बहोत पसंद आया। तुरंत नीता ने कहा फिर हम कल और एक बार मिलेंगे? मैंने जवाब दिया हा-हा क्यों नहीं। मगर कल मै आपको सर्विस दूंगी। नीता ने कहा- जरुर, मुझे तो मर्द अच्छे लगते ही नहीं। मै तो औरत से ही संतुष्ट होती हु।
और फिर कल मिलनेका वादा दोहराके नीता चली गयी। मगर मेरे दिमाग में एक सवाल उठा- इसे अगर मर्द की जरुरत नहीं है तो इसका पति निलेश अपना सेक्स कहा पूरा करता होगा। वो भी तो जवान और सुन्दर है।
यही सवाल मन में लिए मै कल का इंतजार करने लगी।
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RE: Porn Sex Kahani सास हो तो ऐसी
जिंदगी हमें कैसे मोड़ पर लाती है इसका अंदाजा किसे होता है। मै मेरी जिंदगीका मेरे दामादसे जुडा हुआ पन्ना आपके सामने खोलना चाहती थी पर बाकि पन्ने भी अपनेआप खुल गए। बीती यादे जब सुनहरी होती है तो मौका मिलतेही वर्तमान को भुला देती है। कुछ ऐसाही मेरे साथ हुआ। नीता और निलेश- दोनोके साथ गुजरे थे वो मेरे लिए बहोत अनमोल थे इसीलिए जब मेरे दामादका इतना तगडा और बड़ा लंड मैंने देखा तो मेरे दिमागमें दामाद से चुदवानेकी इच्छा अपने आप जगी। मै कोई सती-सावित्री नहीं हु। मगर पतिको छोडके किसी और से सेक्स करनेमें कोई पाप नहीं ये मेरे दिमाग में नीता और निलेशनेही बिठाया था। पति छोडके बाकी मर्दोसे मैंने चुदवा लिया उनके किस्से मेरे दिमाग में इसीलिए आये।खैर छोड़ो।
दुसरे दिन नीता आई। आतेही हम दोनों रोमांसपे उतर आये। दोनों एक दुसरेके बाहोमे समां गए। एक दुजेके मुह में मुह डालकर हम किस कर रहे थे। दोनोंके के कपडे कब अलग हुए इसका पताही नहीं चला। एक दुसरेके बदन को हम चूम रहे थे, सहल रहे थे। नीता मेरे चूची को मुह में लेकर चूस रही थी। बीच-बीचमें कांट रही थी। उसके काटनेसे मै सिहरसी जाती। मेरा रोम-रोम बोल उठ रहा था। मेरे मुह से आवाज नहीं आ रही थी। मै बस आ-ऊँ -ओं करती रही। नीता सचमें सेक्सके इस हिस्सेमें मास्टर थी।मेरे पुरे बदनको वो चाट रही थी। इसका अंदाजा मुझे था इसीलिए मैंने सुबह बच्चे स्कूल जातेही मेरे चूत साफ़ की थी। मेरी चूत बिलकुल बाल-विरहित और चिकनी थी। नाभिपे जीभ घुमाते-घुमाते नीता मेरी चूत की तरफ जा रही थी। जैसेही उसने मेरे चूतको अपने जीभसे स्पर्श किया मै चिहुंक उठी। नीता ने मुह ऊपर करके मुझसे पूछा-भाभी, चूत के बाल अभी-अभी साफ़ किये है क्या ? चूतकी स्किन छोटी बच्ची जैसे नरम लग रही है। मैंने कहा- हा, उसे तुम्हारा स्वागत जो करना था।
अचानक मुझे याद आया। आज तो मै उसे सुख देनेवाली थी। मैंने नीता से कहकर पोझिशन बदली। अब मै उसके बदन से खेल रही थी। मुझे ये खेल बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जैसेही मेरा मुह उसके चूत पे लाया, मुझे उसके चूतसे बड़ी अच्छी खुशबू आई। इस खुशाबुसे मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मै उसके चूतके अन्दर अपनी जीभ डालके चाटने लगी। मेरे नाकमें खुशबू और मुहमें मीठा-मीठा पानी भर जा रहा था। नीता अपने चूत को क्या लगाके साफ़ रखती थी ये उसे पूछना जरुरी था। ५ मिनटके अन्दर नीता अपने दोनों पैर जोड़ने लगी। मेरा मस्तक दोनों जान्घोमे दबाने लगी। मेरे समझमें आया। नीता की संतुष्टी अब दूर नहीं थी। बस दो मिनट बाद नीता जोर से अपना बदन उठाके अस्फुट चिल्लाई और शांत हो गयी। कुछ देर दोनों ऐसेही पड़े रहे। फिर थोड़ी देर बाद नीताने फिरसे मेरे जान्घोमे अपनी उंगलिया घुमाने शुरू किया। मै तो पहलेसेही गरम थी। जैसेही उसने मेरे चूत में जीभ लगाई मै मेरा पानी छोड़ने लगी। उतनेमें अपना खेल रोकके नीता ने अपने बैगमेसे डिल्डो निकाला और अपने कमर को डिल्डो बांधके वो मुझपे चढ़ गयी। एक मर्द जैसे उसने वो लंड मेरे चूतमें डाला और जोर-जोरसे चोदने लगी। थोडीही देर में नीता थक गयी। वो निचे उतरके आराम करने लगी। उसके चूत चाटनेसे मै संतुष्ट हो रही थी मगर बिचमेही डिल्डोसे चुदवाना मुझे और प्यासा कर गया। मर्द का लंड छोटा हो या बड़ा, उसकी बात ही अलग होती है। वो लंड की मजा ये लंड में नहीं आती। मै प्यासी नजरोसे नीता की देखने लगी। नीता की समझ में बात आ गयी। उसने धीरेसे मुझे पूछा की वो मुझे अगर किसी लंड का प्रबंध करेगी तो मुझे स्वीकार्य होगा क्या? मै हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगी।
फिर मेरे पास आकर मुझे बाहोमे लेकर उसने मुझे समझाया। उसने कहा वो जिस मर्द का प्रबंध करेगी वो एक अच्छा इन्सान है वो बाहर कही मस्ती करनेवाला नहीं। वो कोई कॉलेजकुमार नहीं तो एक शादी शुदा आदमी है। फिर बादमे उसने धीरेसे कहा वो आदमी कोई और नहीं तो उसका पति ही है। नीता को मर्द से ज्यादा औरत के साथ सेक्स में मजा आता था इसलिए बेचारा भूका ही रहता था। मैंने भी सोचा ये सेफ गेम होगा। दोनों ही प्रतिष्ठित लोग थे इसीलिए अगर इनसे मेरे संबध होगा तो वो दोनों तो कही बाहर ये बात नहीं खोलेंगे।सभी तरफसे सोचानेके बाद मैंने हां कर दी।
दुसरेही दिन नीता और निलेश दोनों मिलके मेरे घर आये। दोनों के लिए ये बात ज्यादा नयी नहीं थी। पर मुझे निलेश से बात करने में शर्म आ रही थी। चाय बनाने के बहाने मै किचेनमें आई। मैंने अन्दरसेही निताको आवाज दी। वो उठके चली आई। उसे मेरी प्रॉब्लम समझमें आई थी। नीता खुद ही कहने लगी- भाभी, तुम चिंता मत करो। मैंने निलेश को सब समझा दिया है। वो भी आपके बारेमे सोचकर बहोत खुश है। आप वैसेभी उसे काफी पसंद हो। आपसे मिलने के बाद उसने दस बार आपके चूची के बारेमे मुझसे मुझसे बात की है। वो तो आपको चोदने के ख्यालसही पानी छोड़ रहा है। फिर मै चाय लेके बाहर हॉल में गयी। निलेश थोडा बेचैन नजर आ रहा था। नीता ने हम दोनोसे छेड़खानी शुरू की। उसने निलेश से सीधा पूछा के वो मुझे कैसे चोदना पसंद करेगा। निलेश इस सवाल के लिए तैयार नहीं था।
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