Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:12 PM,
#61
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
मुझे दो मर्दों के बदन से खेलते देख जीवन के बदन मे और जोश भर गया. उसकी वैसे ही काफ़ी सालो से अपनी वाइफ को किसी अंजन आदमी से सेक्स करते हुए देखने की तमन्ना थी. जिस तमन्ना को मैने ही कोई लिफ्ट नही दे रही थी. ये अलग बात है की उनकी पीठ के पीछे मैं एक्सट्रामरिटल सेक्स के मज़े भी खूब ले रही थी. लेकिन मैं दूसरे से भरपूर मज़े लेते हुए भी उनको अंधेरे मे रख रही थी. वो कई बार मुझे स्वापिंग के लिए कुरेदते थे मगर मैं किसी पतिव्रता नारी की तरह उन्हे सॉफ मना कर देती थी. हां ये ज़रूर है कि हम सेक्स करते वक़्त अक्सर किसी और को भी शामिल कर लेते थे. चाहे वो मेरी कोई सहेली हो या उनका कोई दोस्त. 


आज जो झीना सा परदा था शर्म का हमारे संबंध मे वो तार तार हुआ जा रहा था. कुच्छ ही हाथ दूर मैं किसी और मर्द के साथ सेक्स के खेल मे लिप्त थी तो वो किसी दूसरी औरत को अपने जिस्म की गर्मी से तृप्त कर रहा था. 



काफ़ी देर से रंजन और दिवाकर मेरे बदन के एक एक अंग को सहला रहे थे. मसल रहे थे. मैं बुरी तरह उत्तेजित हो गयी थे. मैने रंजन और दिवाकर को अपनी ओर खींचा. 

"बस अब मुझे रगड़ डालो" मैने अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा,” अब उत्तेजना सहन से बाहर होती जा रही है. उफफफफफफफफ्फ़…..क्य्ाआ करते हूऊऊ…म्‍म्म्मम…..जीईएवआन क्य्ाआ सोचईएगाआ? बस करूऊऊ…..बुसस्स्स करूऊऊ” 

मैने दोनो को बाँह से पकड़ कर अपनी ओर खींचा. और अपने स्तनो को और अपनी जांघों को उनके बदन से रगड़ने लगी. लेकिन दोनो तो अभी सेक्स के खेल के लिए तयार ही नही थे. 



"नही पहले तुम गुरुजी को भोग लगओगि. पहले तुम्हारे जिस्म को स्वामीजी ग्रहण करेंगे. उनके संतुष्ट होने के बाद ही हम तुम्हारे बदन को च्छुएँगे. बिना तुम्हारी योनि मे उनका अमृत गिरे हम नही छ्छू सकते. ये हमारे उसूलों के खिलाफ है." उन्हों ने कहा. 

मैं उनका चेहरा देख रही थी. 



“उठो और आगे बढ़ कर स्वामी जी से अपने जिस्म को तृप्त करने के लिए निवेदन करो. बिना माँगे तो इस दुनिया मे कुच्छ भी नही मिलता चाहे वो स्वामीजी का संबंध ही क्यों ना हो.” दिवाकर कह रहा था 


मैं उठी और लड़खड़ाते कदमो से गुरुजी की तरफ बढ़ी. दिवाकर ने मुझे रोक कर मेरे बदन पर झूलता वो गाउन एक दम अलग कर दिया. 



“हां अब तुम्हारा नाज़ुक फूल सा जिस्म तैयार है स्वामीजी का आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए.” उसने मेरे गाउन को रंजन को दिया जिसने उसे तह कर के एक कॅबिनेट मे रख दिया. 

क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:12 PM,
#62
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -32 

गतान्क से आगे... 

मैं अब पूरी तरह नग्न हो गयी थी. किसी शर्म ओर लिहाज से अब मैं काफ़ी दूर हो 
गयी थी. अपने पति के सामने ही दूसरों के लिंगों पर एक भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी थी. जीवन भी बड़े ही नशीले अंदाज मे मुझे देखते हुए अपने अगाल बगल बैठी दोनो हूरों से खेल रहा था. उस वक़्त उसकी एक एक जाँघ पर दोनो बैठी हुई थी और जीवन अपने दोनो हाथो मे दोनो के एक एक स्तन को थाम कर उन्हे अपनी ओर खींच रहा था. दोनो उसके बदन से लिपटी हुई थी और उनके हाथ जीवन के जांघों के जोड़ पर फिर रहे थे. जीवन अपने चेहरे को झुका कर बारी बारी से दोनो के निपल्स चूसने लगा. 

मैं आगे बढ़ कर गुरुजी के सामने खड़ी हुई. गुरुजी ने अपनी बाहें फैला कर मुझे अपनी आगोश मे आने का न्योता दिया. मैं मुस्कुराते हुए उनकी गोद मे बैठ गयी. गुरुजी मेरे बदन को धीरे से सहलाने लगे. 



तभी शेखर उस जगह से कई ग्लासो मे मेरे स्तनो से निकाला हुआ दूध डाल कर ले आया. मैने ट्रे से एक ग्लास लेकर गुरुजी के होंठों से लगाया. 



“तुम्हारे इन वक्ष युगल के दूध को पीकर ऐसा लगता है जैसे पूरे बदन मे एक नयी स्फूर्ति जाग उठी हो. “ गुरु जी ने अपने होंठों को एक दूसरे से अलग करते हुए कहा. 



“मुझे भी तो अपना दूध से आपकी प्यास बुझाने मे मज़ा आता है.” मैने कहा 



मेरा दूध सबसे पहले गुरु जी ने पिया. फिर जीवन को छ्चोड़ कर सबने एक एक घूँट मेरे दूध को पिया. अभी भी ग्लास मे आधा दूध बचा रह गया था. उसे रंजन ने अपने हाथों से एक ओर रख दिया. 



जीवन का ग्लास तरुण लेकर खड़ा था. जीवन के ग्लास मे दूध नही था. उसके ग्लास मे वही कामोत्तेजक शरबत डाला हुआ था. जिसे रजनी ने अपने हाथों से जीवन को पिलाया. 



अब रंजन ने दोनो बर्त के बीच परदा खींच दिया था इसलिए जीवन और दोनो हूरों के बीच हो रहे संभोग को मैं देख नही पा रही थी. बस बगल से आती सिसकारियों की आवाज़ और चूमा चॅटी की आवाज़ से अपने बगल चल रहे खेल का अंदाज लगा रही थी. 



मैने अब जीवन की नज़रों से ओझल होते ही अपने अंदर के बचे खुचे झिझक को भी उतार फेंका. मैने उठ कर गुरु जी के होंठों और दाढ़ी पर लगे अपने दूध को अपने स्तनो से पोंच्छा. मैने अपने स्तन उनके चेहरे पर रगड़ दिए. 



“लो चूस लो अपने होंठों से. जो कुच्छ दूध बचा है उसे अपने होंठों से खींच लो.” कह कर मैने अपने एक निपल उनके होंठों से सटाया और अपने हाथों से ही उसे मसल्ने लगी. लेकिन इतनी देर तक उन चारों मर्दो के द्वारा दुहे जाने से दोनो स्तन बुरी तरह दुख रहे थे. 

"आआआअहह" मैं दर्द से कराह उठी. स्वामी जी ने मेरी नज़रों मे झाँका. 



" उन चारों ने मेरे चूचियो की बड़ी दुर्गति की है. गुरुजी थोड़ा प्यार से……थोड़ा आहिस्ते मसलना इनको." 

मैने गुरुजी के लबादे को सीने पर से हटा कर उनके घने बलों से भरे सीने को चूम लिया.मैने उनके लबादे को सामने से पूरी तरह खोल दिया. उन्हों ने मुझे 
उठाकर मेरे दोनो पैरों को अपनी जांघों के दोनो ओर फैला कर अपनी गोद मे बिठा लिया. 

अब मेरी योनि के उपर गुरुजी का लंड ठोकर मार रहा था. 



मेरा मुँह गुरुजी की तरफ था. मैं अपने निपल्स गुरुजी के सीने पर रगड़ने लगी. गुरुजी कभी मेरे चेहरे को, कभी मेरे होंठों को तो कभी मेरे सीने को चूम रहे थे. 
काफ़ी देर तक मेरे बदन के एक एक हिस्से को अपने होंठों से प्यार करने के बाद उन्होने मुझे उठाकर अपने सामने ज़मीन पर बिठा लिया. 



मैने अपने हाथों से उनके लिंग को सम्हाल लिया और उसके लिंग को सहलाने लगी. फिर होंठ खोल कर उनके उस प्यारे से मोटे ताजे लिंग को मुँह के अंदर लेना चाहा तो उन्होने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर से हटा दिया. मैं उनकी इस हरकत को समझ नही पाई. मैने उनकी आँखों मे झाँका तो पाया कि वो शरारत से मुस्कुरा रहे थे. 



वो मुझे परेशान करना चाहते थे. अपने लिंग से मेरे गालों पर ठोकर मारने लगे और मैने अपना मुँह पूरी तरह खोल कर उनके लिंग को अपने मुँह मे पकड़ने के लिया इधर उधर घुमाने लगी. मगर वो थे की मेरी पकड़ मे ही नही आ रहे थे हर बार अपने लिंग को मेरी पकड़ से बचा ले जा रहे थे. 

"प्लीईईईईआसए मुझे मत सताओ. मैं तो आपकी गुलामी स्वीकार कर ही चुकी हूँ. कितने दिनो से इस मूसल सरीखे लिंग की भूखी हूँ. आज तो मुझे अपनी कर लेने दो." 

गुरुजी मुस्कुरा दिए और अपने लिंग को इधर उधर हटाना छ्चोड़ कर मेरे होंठों पर फेरने लगे.
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12-10-2018, 02:12 PM,
#63
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
मैने लपक कर उनके लिंग को अपनी होंठो के बीच ले लिया और उसे किसी बरसों के भूखे की तरह चूसने लगी. काफ़ी देर तक यूँ ही चूसने के बाद उन्हों ने मुझे उठा 
कर अपनी तरफ सिर करके बर्त पर पेट के बल लिटाया. कुच्छ इस तरह की मेरा सिर बर्त से नीचे झूल रहा था. फिर उन्हों ने मेरे सिर को पकड़ कर इस तरह उठाया कि मुँह गले की लाइन मे आ जाए. फिर मुझे उसी अवस्था मे थामे हुए धीरे धीरे अपने लिंग को मेरे मुँह मे डालने लगे. जैसे ही उनका लिंग मेरे मुँह से गले की ओर सरकने लगा मैं चोंक कर उनकी ओर देखी. वो मुस्कुरा कर मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरने लगे. मैने 
अपने शरीर को ढीला छ्चोड़ दिया और उसे पूरी तरह अब गुरुजी के हवाले कर दिया. 



उनका लिंग गले के काफ़ी अंदर तक सरकता जा रहा था. जब वो काफ़ी अंदर घुस गया तो मुझे अपनी साँस रोकनी पड़ी. जब उन्हों ने दोबारा लिंग को बाहर खीचा तब जाकर मैने सांस ली. उनका लिंग मेरे गले की दीवारो को मानो छ्चीलता हुआ बाहर निकला और अगले ही पल उन्होने ने उसे वापस अंदर घुसेड दिया . अब वो एक निस्चित अंतराल से लगातार अपने लिंग को मेरे गले तक पेलने लगे. कुच्छ ही देर मे मेरी साँसे उनके धक्कों के ले मे व्यवस्थित हो गयी और मुझे अब कोई परेशानी नही महसूस हो रही थी. 

दिवाकर ने अचानक आगे बढ़ कर दोनो बर्त के बीच का परदा हटा दिया. मैने देखा कि जीवन मेरी तरफ देख रहा है. हम दोनो अगल बगल की बर्त मे लेटे दूसरों के साथ सेक्स के मज़े ले रहे थे. 



वो तीनो भी पूरे रंग मे थे. जीवन बर्त पर लेटा हुआ था और रजनी अपने दोनो हाथों को उसके छाती पर रख कर उसके लिंग पर ऊपर नीचे हो रही थी. करिश्मा जीवन के चेहरे पर बैठ कर अपनी योनि उसके मुँह पर रख रखी थी. दोनो लड़कियाँ उत्तेजना मे कभी एक दूसरे के स्तनो को मसल रही थी तो कभी एक दूसरे के निपल्स को खींचती. रजनी के बॉल जो पहले मोटी छोटी मे गूँथे हुए थे अब खुल कर चेहरे पर बिखर गये थे. वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. जीवन का चेहरा करिश्मा के मोटे मोटे नितंबों के बीच छिपा हुया था. उसकी जीभ करिश्मा की योनि मे फिर रही थी. जीवन का लिंग रजनी की योनि को मठ रहा था. रजनी बीच बीच मे अपने हाथ नीचे ले जा कर जीवन के गेंदों को सहला देती.



दोनो उत्तेजना मे जीवन के हाथों को लेकर अपने स्तनो पर रख कर मसल कर उसे वैसा करने का इशारा कर रहे थे. जीवन कभी रजनी के स्तनो को कभी मसलता तो कभी करिश्मा के. दोनो खूब उत्तेजित लग रही थी और कामग्नी मे बुरी तरह च्चटपटा रही थी. तभी रजनी के मुँह से संट्तुष्टि की सिसकारियाँ फूटने लगी. 



“म्‍म्म्ममम…….. ऊऊहह…….उईईईईईईई……..क्य्ाआअ……….जीईईवाआअँ मीईरीए साआअत एयाया जाआूओ……..माऐईइ…..आआआहह……म्‍म्

म्माइईईई झाआर रहीई हूऊंणन्न्……..ऊऊऊऊहह माआआअ…..” उसने अपने सिर को 
एक ज़ोर का झटका दिया. उसके सिल्की बॉल उसके पूरे चेहरे को ढक लिए थे. उसकी उंगलियाँ जीवन की छाती मे गढ़ गयी थी. वो दो झटके खा कर करिश्मा के ऊपर निढाल होकर गिर गयी. तभी करिश्मा भी अपने निचले होंठ को दाँतों के भींच कर अपनी सिसकारियों को रोकने की असफल कोशिश करने लगी. लेकिन उस अवस्था मे अपने जज्बातों पर काबू रखना बड़े सख़्त दिल वाले के ही बस मे होता है. 



“ऊऊऊऊऊऊओह…..राआज्न्‍न्न्नीईईईईई………बचाआ मुझीई” और इसके साथ ही उसकी आँखें उलट गयी. उसका बदन पीछे की ओर झुक गया. वो शायद गिर ही पड़ती अगर रजनी ने सम्हाल नही लिया होता. 



जीवन ने खुद उठते हुए रजनी को उठने मे सहयता की. उसके उठते ही करिश्मा की चूत ने जीवन के लंड पर हमला बोल दिया. उसने जीवन को गिरा दिया. उसे ज़बरदस्ती बर्त पर लेटने को मजबूर कर दिया. करिश्मा अब जीवन के लिंग पर उपर नीचे होने लगी. रजनी उठ कर पास की एक सीट पर नंगी ही पसर गयी. करिश्मा अब जीवन के लिंग का सारा माल अपनी योनि मे चूस लेना चाहती थी. 

इधर गुरुजी ने मुझे सीधा कर के लिटाया और मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लिया. 
क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:12 PM,
#64
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -33 

गतान्क से आगे... 


“ देवी क्या तुम मेरे लिंग को अपनी योनि मे समा लेना चाहती हो?” 



“हाआँ हाां.” मैने उनके सवाल के जवाब मे किसी उत्तेजित रांड़ की तरह हरकत की,” मैं भूखी हूँ देव…….मैं आप की शरण मे आई हूँ. मेरी भूख मिटाना अब आपका काम है.” 



“लेकिन देवी….ये भूख तो कोई भी मर्द मिटा सकता है. तुम यहाँ मौजूद किसी के भी पास जा सकती थी. मैं ही क्यों?” गुरुजी मुझे आज सताने के मूड मे थे. मुझे नही मालूम था कि मेरी एक एक बात रेकॉर्ड हो रही है. 



“ गुरु जी मेरी ये भूख सिर्फ़ और सिर्फ़ आप मिटा सकते हो. आपके आगे तो सब फैल हैं. आपका लिंग जब अंदर जाता है तो लगता है मानो मुझे चीर कर आधा कर देगा. गुरुजी जो संतुष्टि आपके साथ सहवास से मिलती है वो किसी और के साथ कहाँ.” 



“ठीक है देवी लेकिन तुम्हे जो चाहिए वो खुद लेना पड़ेगा. अगर तुम मेरे लिंग को अपनी योनि मे चाहती हो तो इसे अपने हाथों से अंदर कर लो.” गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा. मैने उनके लिंग को अपने एक हाथ मे थाम कर दो बार सहलाया फिर दूसरे हाथ की उंगलियो से अपनी योनि के मुँह को चौड़ा कर के उनके लिंग को अपनी योनि के मुँह से सटाया और फिर अपने बदन को आगे की ओर बढ़ा कर उनके लिंग को अपनी योनि मे घुस जाने दिया. उनका लिंग एक जोरदार झटके मे मेरी योनि को चीरता हुया अंदर घुसने लगा. 

"ओफफफफफफ्फ़…….उम्म्म्ममम गुरुजी धीरे धीरे अंदर करो. मैं आपके इस खंबे को अंदर जाते हुए महसूस करना चाहती हूँ. मैं चाहती हूँ कि ये सीधे मेरी कोख मे जाकर अपने रस की बोछार करे." मैने अपने हाथों से अपनी चूत की फांकों को और फैलाते हुए कहा. 

गुरुजी ने अपने लिंग को एक बार वापस बाहर निकाला फिर मेरी योनि के उपर उसे रख कर धीरे धीरे अंदर करने लगे. उनका लिंग अंदर जाता ही जा रहा था. ऐसा लग रहा था की मेरी योनि को उनका लिंग छील कर रख देगा. मैं भी इस दर्द को जीना चाहती थी इसलिए मैने अपनी योनि के मुस्सलेस सख्ती से भींच रखे थे जिससे उनके लंड को आगे बढ़ने के लिए मेरी योनि को बुरी तरह रगड़ना पड़े. 

"उउफफफ्फ़ कितना अंदर जाएगा ये. अब तो गले से निकलने की बारी है" मैने उनके सीने पर हाथ फेरते हुए कहा. धीरे धीरे उनका पूरा लिंग मेरी योनि मे समा गया. उनके अंडकोष मेरे अशोल को च्छू रहे थे. 



“घुस गया पूरा?” मैने उनसे पूछा जिसके उत्तर मे वो बस एक बार मुस्कुरा दिए. मैने अपने हाथ नीचे ले जाकर उनके लिंग को छ्छू कर देखा. उनका लिंग पूरा मेरी योनि के अंदर था. 



“ ये होता है लंड. ओफ्फ कितना बड़ा है आपका. आपको दूसरी औरतें कैसे झेलती होंगी? जब अंदर जाने लगता है तो लगता है गले के रास्ते बहांर निकल जाएगा.ऊऊओफफ्फ़ कितनी अंदर तक चोट करता हाईईईई…..म्‍म्म्माआ…….लगता है बस यूँ ही घंटो मुझे ठोकते रहो. हमारा ईईए संभोग कभी ख़त्म ना हूऊओ” मैने उनके होंठों को एक बार प्यार से चूम लिया. 



मेरी बातें सुन कर गुरुजी मुस्कुरा रहे थे. वो इस पोज़िशन मे कुच्छ देर रुके. उनके बदन का सारा बोझ अब उनकी बाँहों पर और उनके लिंग पर था. अब उन्हों ने अपने लिंग को बाहर खींचना शुरू किया. पूरे लिंग को मेरी योनि से बाहर खींच लिया. उनके लिंग पर मेरे योनि रस के कुच्छ कतरे लगे हुए थे.



“ऊऊफफफफफ्फ़…..इतना लंबा खंबा मेरी योनि मे घुस गया था. वो भी पूरा.” मैने उनके लिंग को अपने हाथ से दोबारा सहलाया. 



“ देवी तुम बहुत सेक्सी हो. तुमने मुझ जैसे सन्यासी के गर्व को भी चकना चूर कर दिया है. मुझे बहुत गर्व था अपने संय्याम पर अपनी ताक़त अपनी मर्दानगी पर मगर तूने मुझे भी अपने सामने झुकने पर मजबूर कर दिया है.” मैं उनके मुँह से अपनी बधाई सुनकर फूल कर कुप्पा हो गयी. 


उनका लिंग वापस मेरी योनि मे घुसने लगा. खुशी और संतुष्टि से मेरी आँखें फट गयी थी और मुँह खुला का खुला रह गया था. उत्तेजना मे मेरा मेरी आँखें उलट रही थी. मेरे बदन मे अकड़न सी आ गयी. और उनके लिंग को चूमने के लिए मेरी योनि से गर्म लावा बह निकला. उनके दो बार अंदर करते ही मेरा पहला डिसचार्ज हो गया. 
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12-10-2018, 02:12 PM,
#65
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
जब वीर्य का बहाव रुका तो मैने अपनी आँखों को बंद कर ली और उनके लिंग की रगड़ अपनी योनि मे महसूस करने लगी. मैने उनके लिंग को च्छुकर दोबारा तसल्ली की की उसके अब और अंदर जाने की कोई गुंजाइश नही है. 



गुरुजी अपने लिंग को वापस धीरे धीरे पूरा बाहर तक खींच लिए. उन्हों ने लिंग को पूरा बाहर निकाल कर अगले ही पल एक जोरदार झटके मे पूरा लिंग वापस मेरी योनि मे डाल दिया. उनका धक्का इतना जोरदार था कि मैं मचलते हुए उठ बैठी. मेरे मुँह से "ऊऊऊओंम्म्माआआअ " जैसी आवाज़ निकल पड़ी. 



गुरुजी अब ज़ोर जोए से धक्के मारने लगे. हर धक्के के साथ मेरे मुँह से "अयाया" "ऊवू", “हंफफ्फ़…..हूंफफफ्फ़” जीसी आवाज़ें निकलती थी. कुच्छ ही देर मे वापस मेरे पूरे बदन मे सिहरन सी होने लगी. अब आसपास की सारी घटनाओ से मैं अन्भिग्य हो गयी थी. मुझे सिर्फ़ अपनी तड़पति योनि और उसकी प्यास बुझाता गुरुजी का लंड याद था. मैं पूरी तरह बेख़बर थी की बगल मे जीवन और उन दोनो लड़कियों के बीच क्या चल रहा है. 



गुरुजी मुझे चोद्ते हुए मेरे बूब्स बुरी तरह मसल रहे थे. मैने अपने नाख़ून उनके मांसल बाहों मे गढ़ा दिए और अपना वजन अपने कंधे और टाँगो पर डाल कर अपनी कमर को उचकाने लगी जिससे कहीं उनके लिंग का कोई पोर्षन बाहर ना रह जाए. मैं ज़ोर ज़ोर से अपने सिर को झटकने लगी और मेरे योनि मे वापस रस की फुहार होने लगी. 



इस बार जब मेरा सारा रस निकल गया तो मैं निढाल होकर उस बर्त पर पसर गयी. लेकिन उनके धक्कों मे कोई अंतर नही आया. कुच्छ देर तक तो मैं अपनी उखड़ी सांसो को कंट्रोल करती रही. बस के हिचकॉलों से पहले से ही हिलता बदन अब उनके हर धक्के से आगे पीछे हो रहा था. मेरे बड़े बड़े उरोजो उनके धक्कों से इधर उधर उछल रहे थे. 



जब भी मैं स्वामी जी के साथ होती थी मेरे बदन मे कामग्नी इतनी तीव्र हो जाती थी कि उसे बुझा पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता था. मई किसी सेक्स मे आँधी निंफो की तरह घंटो तक उनसे लगातार छुड़वा सकती थी. मैं इस बार भी बस पाँच मिनिट मे वापस पहले की तरह कमातूर हो गयी और उनके झटकों का जवाब देने लगी. 



उन्हों ने मुझे उठा कर बर्त के साइड मे बिठाया और खड़े होकर मेरी टॅनजेंट उठा कर अपने कंधों पर ले ली. मैने सहारे के लिए पीछे बर्त पर अपने हाथ रख दिए. वो मुझे वापस ठोकने लगे. इस पोज़िशन मे मैं अपनी योनि के अंदर बाहर होते अपने गुरु के मोटे लंड को साफ साफ देख रही थी. उत्तेजना मे मेरी योनि से रस झाग के रूप मे बाहर आ रहा था. उनके लंड के जड़ के पास सफेद झाग की एक रिंग बन गयी थी. 


कुच्छ देर तक इस तरह चोदने से मैं वापस झाड़ गयी. अब उन्हों ने वापस मुझे बर्त पर लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर चोदने लगे. उनकी टाँगें बाहर की ओर फैली हुई थी. मैने अपनी टाँगों को एक दूसरे पर सख्ती से दाब रखा था. इस तरह से मैने 
उनके लिंग को अपनी योनि के मुस्सलेस से जाकड़ लिया था. मैं उनके लिंग का सारा रस आज अपनी योनि मे निचोड़ लेना चाहती थी. वो मुझे चोद्ते हुए मेरी छातियो को अपने मुँह मे लेकर चूस रहे थे. साथ साथ अपने हाथों से मेरी छातियो को नेचोड़े भी जा रहे थे. उनके मसालने से मेरी छातियो मे जो कुच्छ एक दूध के कतरे बच गये थे वो मोती की तरह मेरे निपल्स पर उभर आते. वो अपनी जीभ से उनको चाट कर साफ कर देते थे. जांघों तक मेरा रस फैल कर एक चिपचिपा अहसास दे रहा था. 



बिना रुके लगभग आधे घंटे तक मेरी योनि को ठोकते रहे इस दौरान मैं दो बार और झाड़ गयी थी. मैं उनकी चुदाई से अब हाँफने लगी थी. मगर उनका जोश घटने की जगह बढ़ता ही जा रहा था. 



अचानक मैने महसूस किया कि मेरी योनि मे उनका लिंग फूल रहा है. मैं समझ गयी कि अब और ज़्यादा देर वो रुक नही सकेंगे. 



“हां….हां… गुरुजी….भर दो मेरी योनि को….मेरी कोख आपके रस के लिए तड़प रही है….. मुझे अपना आशीर्वाद देदो……मैं आपको अपनी कोख मे भर लेना चाहती हूँ…” मगर उन्हों ने मेरी एक ना सुनी. उन्हों ने एक झटके से अपने लिंग को मेरी योनि से बाहर निकाल लिया. 

ये देख कर रंजन मेरे दूध के बचे हुए ग्लास को उनके लिंग के सामने ले आया. उनके लिंग से तेज़ गरम वीर्य निकल कर उस ग्लास मे भरने लगा. मैं किसी पागल की तरह रंजन का हाथ सामने से हटा कर अपने मुँह को उनके लंड के सामने ले आई. उनके रस की बूंदे अब मेरे खुले हुए मुँह मे गिरने लगी. मैं उनके लंड के नीचे लटकती उनकी गेंदों को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ति जा रही थी. मैं भी निचोड़ लेना चाहती थी उन्हे. 



सारा वीर्य निकल जाने के बाद वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गये. मैने उनके होंठों को चूम लिया और उनके बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरने लगी. 


अचानक मुझे अपने बगल मे चल रहे सेक्स के खेल का अहसास हुया. मैने देखा की जीवन भी करिश्मा को चोद्कर उस से लिपट कर बर्त पर लेटा हुआ था. करिश्मा जीवन के सीने पर लेटी हुई थी. तीनो पसीने से लथपथ बुरी तरह हाँफ रहे थे. उनका भी खेल कुच्छ ही देर पहले ख़तम हुया होगा. 



रंजन ने वो ग्लास जिसमे उसने गुरु जी के वीर्य को मेरे दूध के साथ मिलाया था जीवन को पीने के लिए दिया. 

मेरे दूध और गुरुजी के वीर्य से मिश्रित उस पेय को जीवन ने एक बार अपने माथे 
से लगाया और फिर अपने होंठों से लगा कर एक घूँट मे खाली कर दिया. मैने मुस्कुराते हुए गुरुजी की तरफ देखा. गुरुजी ने मेरे दुख़्ते बूब्स को और मसल्ते हुए 
कहा, 



" देवी अब तुम्हारे पति देव भी हमारे आश्रम मे शामिल होने लायक हो गये हैं. मैं उन्हे भी दीक्षा देकर अपने आश्रम का एक अंग बनाना चाहूँगा. अब तो उन्हे भी दीक्षा देनी पड़ेगी.” कह कर उन्हों ने अपना हाथ बढ़ा कर जीवन के सिर पर फेरा. 
क्रमशः............ 
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12-10-2018, 02:13 PM,
#66
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -34 

गतान्क से आगे... 


मैने देखा जीवन भी मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैने उनकी मुस्कान का जवाब और अपनी सहमति एक बार अपनी आँखों को बंद कर जताया. मैने बर्त पर लेटे लेटे ही जीवन के बर्त की तरफ अपना हाथ बढ़ाया. जीवन ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर हल्के से दबाया. 



ये उनकी तरफ से एक तरह से सहमति थी की जो कुच्छ भी हो रहा है उन्हे उससे किसी तरह का एतराज नही है. होंठों को हमे किसी तरह का कष्ट देने की ज़रूरत नही पड़ी. मूक रह कर भी हमने एक दूसरे को समझा दिया. अब जब दोनो ने एक दूसरे को अपनी सहमति जता दी तो फिर किसी तरह की झिझक या नाराज़गी के लिए कोई जगह नही बची थी. 



मुझे लगा मानो मेरे सीने पर रखा कोई बोझ उतर गया हो. अब तक जितनी भी चुदाई की थी गैर मर्दों से वो सब जीवन के पीठ के पीछे की थी. उनके बारे मे जीवन कुच्छ भी नही जानता था. इसलिए अपने हज़्बेंड से करती आ रही बेवफ़ाई कभी कभी मुझे चुभने लगती थी. आज उनकी रज़ामंदी से दिल पर लगा वो फाँस निकल गया. 



मैने गहरी गहरी साँसे लेते हुए अपनी आँखों को बंद कर लिया. मैं खुश हो कर गुरुजी के नग्न बदन से लिपट गयी और उनके चेहरे को चूमने लगी. 



उसके बाद तो पूरी बस का ही महॉल बदल गया. उन्मुक्त सेक्स का खेल तबतक चलता रहा जब तक हम सब थक के चूर नही हो गये. 



हम लोग सुबह तक आश्रम मे पहुँच गये. तब सुबह के पाँच बज रहे थे. रात भर मैं सो नही पाई थी. ना ही जीवन ने कोई झपकी ली थी. अब महॉल ही ऐसा था की मज़ाल किसिको झपकी भी आ जाए. पूरी रात ग्रूप सेक्स मे बीत गयी. तरह तरह के आसनो से पार्टनर बदल बदल कर हमने सेक्स का आनंद लिया. मैने अपने तीनो होल्स मे मर्दों से जी भर के वीर्य भरवाया. इस दौरान मुझे चोदने की बारी एक बार जीवन की भी आइ. 



स्वामी जी ने मेरे साथ दो बार संभोग किया और एक बार उन्हों ने मेरे योनि को अपनी जीभ से चाट ते हुए मेरे सामने ही रजनी को चोदा. तब मेरे मुँह मे शेखर का लंड धक्के मार रहा था. 



कुच्छ देर बाद जब पोज़िशन चेंज हुई तो मैं चौपाया हो कर अपनी योनि मे दिवाकर से धक्के लगवाते हुए रजनी की चूचियो को चूस रही थी. उस वक़्त रजनी जीवन के लिंग पर उपर नीचे हो रही थी. 

पाँचों मर्दों ने तो मेरे एक एक अंग को तोड़ कर रख दिया. पाँचों क्यों च्चः कहना चाहिए. मेरे हज़्बेंड जीवन ने भी मौका मिलते ही मुझे जम कर ठोका और काफ़ी देर तक चोदने के बाद उसने योनि से निकाल कर मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. मैं अपने चेहरे को मोड़ कर जीवन का लिंग चूस रही थी. उसने अपने दोनो हाथों से मेरे सिर को थाम रखा था. 

काफ़ी देर तक मेरे मुँह मे अपने लिंग को पेलने के बाद उसने अपना डिसचार्ज कर दिया. उनके लिंग के बाहर आते ही दिवाकर जो बर्त पर लेट गया था उसने मुझे खींच कर अपने उपर ले लिया और मैं दिवाकर के लिंग पर अपनी योनि को ऊपर नीचे कर रही थी. जीवन मेरे मुँह मे इतना वीर्य भरा की मैं उसे समहाल नही पाई और मैने सारे वीर्य को अपनी चूचियो पर उलीच दिया. उस वक़्त तरुण मेरी दोनो चूचियो को थाम कर उसके बीच अपने लिंग को रख कर मेरी चूचियो को उस पर दाब रखा था. उस अवस्था मे वो अपने लिंग को आगे पीछे कर रहा था. मैने उसके लिंग को भी जीवन के वीर्य से नहला दिया. 


सारी रात ऐसे ही एक दूसरे को संभोग करते हुए कब बीत गयी कुच्छ पता ही नही चला. सुबह पाँच बजे हम देल्ही के आश्रम मे उतरे. आश्रम देल्ही हरयाणा हाइवे पर सहर से दूर बना हुआ था. काफ़ी बड़े एरिया मे आश्रम फैला हुया था. चारों तरफ से पेड पौधों से घिरा हुआ आश्रम बहुत शांति प्रदान करने वाला लग रहा था. चारों ओर हरियाली से घिरी वो जगह मन को बहुत भा गयी. 



बस के वहाँ रुकते ही वहाँ के आश्रम के इंचार्ज सेवक राम जी ने आकर दूध और शहद से गुरुजी के पैर धोए और हमे पूरे आवभगत से आश्रम मे ले गये. 

" सेवकराम... ." गुरु जी ने कहा, “बहुत अच्छा मेनटेन कर रखा है आश्रम.” 



“ सब आपका आशीर्वाद है प्रभु” सेवक राम ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा. 

" बाकी सब को तो तुम जानते ही हो. अब इनसे परिचय करा दूं. ये हमारी सबसे खास शिष्या है रश्मि और ये इनके पति जीवन जी हैं. ये और इनके पति इस आश्रम के सबे नये मेंबर हैं. इनकी पूरी तरह से आवभगत होनी चाहिए." फिर उन्हों ने आगे बढ़ कर सेवकराम के कानो मे कुच्छ कहा. जिसके जवाब मे सेवक राम ने मुस्कुरा कर सिर्फ़ अपने सिर को हिलाया.
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12-10-2018, 02:13 PM,
#67
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
“ चलो देवी, तुम्हारा समान कमरे मे भिजवा देता हूँ” सेवक राम मेरे समान को उठा कर अपने एक शिष्य को थमाते हुए कहा, " इनका समान दिशा जी के कमरे मे रख दो. ये उनके साथ मे ही रहेंगी. वो कमरा मेरे और गुरु जी के बीच है इसलिए इनका वहाँ ठहरना ही शुभ होगा. इस तरह से ये हमारी सनिध्य मे रहेंगी.” 



एक दूसरे शिष्य को जीवन की तरफ इशारा करके कहा,” जीवन साहब का समान देवेंदर जी के साथ 14 नंबर कमरे मे रख देना. 14 नंबर कमरा देवेंदर्जी के साथ जीवन भाई शेर करेंगे.” 



हम दोनो अलग अलग दिशाओं मे अलग अलग कमरे के लिए रवाना हुए. मैने कमरे मे 
प्रवेश करके जो देखा तो अश्चर्य से मुँह खुला रह गया. वो एक निहायत ही खूबसूरत कमरा था. किसी की क्या मज़ाल जो उस कमरे मे और किसी फाइव स्टार होटेल के कमरे मे कोई अंतर निकाल दे. 



कमरे मे वॉल तो वॉल मुलायम कार्पेट बिच्छा हुया था. 
हल्की नीली रोशनी मे कमरा निहायत ही रहस्यमय बन गया था. उस कमरे मे एर कंडीशन की हल्की सी आवाज़ आ रही थी अन्यथा पूरी तरह शांति थी. बीचों बीच रखे लंबे चौड़े डबल बेड पर काफ़ी मोटा और नर्म गद्दा बिच्छा हुआ था. बिस्तर पर खोब्सूरत कढ़ाई किया हुआ रेशमी चादर बिच्छा था. उस चादर के उपर एक महिला जिसे महिला की जगह अप्सरा कहना ही ठीक होगा, सोई हुई थी. वो हमारे आगमन से बेख़बर वो गहरी नींद मे डूबी हुई थी. 

"देवी" उस आदमी ने आहिस्ता से पुकारा. मगर उस महिला के बदन मे किसी तरह की कोई हरकत नही हुई. 

"देवी…..दिशा….. दिशा जी" इस बार उसने कुच्छ ऊँची आवाज़ मे पुकारा तो वो महिला हड़बड़ा कर उठ बैठी. उसके बदन को ढका हुआ मखमली चादर सरक कर अलग हो गया था. मैने देखा वो महिला कमर तक बिल्कुल नग्न थी. उसने अपने सामने एक मर्द को देख कर भी अपने नग्न बदन को ढकने की कोई कोशिश नही की. 

वो कोई 30 -32 साल की निहायत ही खूबसूरत और गोरी-चिटी महिला थी. उसका बदन 
काफ़ी छर्हरा था लेकिन चूचियाँ काफ़ी भारी भारी थी. बड़े बड़े होने के बावजूद दोनो स्तन काफ़ी कसे हुए थे. बिल्कुल पेमेला आंडरसेन की तरह. निपल्स के चारों ओर का घेरे कमरे की हल्की रोशनी मे काफ़ी बड़े बड़े दिख रहे थे. उसके चेहरे पर रेशमी जुल्फे बिखरी हुई थी. ऐसा लग रहा था मानो कि चाँद बादलों की ओट से झाँक रहा हो. मैं लेज़्बीयन नही हूँ लेकिनूस सुंदरी को देख कर तो उसे प्यार करने का मन होने लगा. वो इतनी खूबसूरत थी की उसके सामने अच्छि अच्छि हेरोयिन पानी भरती नज़र आएँ. 



अचानक उसे अपनी नग्नता का अहसास हुया तो उसने अपनी हथेलियों से अपने दोनो स्तन ढँक लिए. सॉफ दिख रहा था की उसका बाकी जिस्म भी चादर के भीतर नग्न ही है. उसने झटके से चादर से अपने जिस्म को कंधे तक ढक लिया. 

" देवी दिशा... ये हैं रश्मि जी ये लनोव से आई हैं. स्वामीजी की खास शिष्याओं मे से एक हैं. ये आपके साथ इस कमरे मे रहेंगी. प्रभु का आदेश है. आपको किसी प्रकार की परेशानी तो नही?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा. 

" अरे नही नही... इसमे भला परेशानी की क्या बात है. ये स्वामी जी की छत्र छाया मे है इसलिए एक तरह से मेरी बहन ही तो हुई. इनका पूरे दिल से स्वागत है " उसकी आवाज़ मे इतनी मिठास थी कि किसी का भी दिल जीत ले. वो उठी और मेरे पास आकर मेरी बाहों को 
थाम कर पलंग तक ले गयी. वहाँ लाकर मुझे पलंग पर बिठा दिया. वो मुस्कुराती हुई मेरी आँखों मे झाँकने लगी. 



“ मैं दिशा हूँ दिशा गुजराँवाला. मैं लुधियाना पंजाब से हूँ." उसने मुझे अपना परिचय दिया. 



मुझे लग रहा था मानो उसका वजूद आँखों के रास्ते दिल तक उतरता जा रहा हो. 



“ तुम बहुत खूबसूरत हो.” उसने मुझे यह कहकर मेरे एक गाल को चूम लिया. 



“ ये आप कह रही हो. आपने कभी आईना देखा है क्या?” हम दोनो ऐसे मिल रहे थे जैसे कोई बरसों की सहेलियाँ हों. असल मे हम यहा पर हुमराज थे. उसकी हालत देख कर कोई भी समझ सकता है कि रात भर उसने सेक्स का खेल खेला होगा. और ये सब उसके लिए एक आम बात है इसलिए उसने अब तक अपने कपड़े पहनने की कोशिश नही की थी. उसका सेक्सी बदन अभी भी चादर की ओट मे छिपा था. 



वो आदमी मेरा समान रख कर जा चुका था. जाते जाते उसने अपने पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था. उसके जाते ही दिशा ने अपने चादर को कंधे से गिर जाने दिया. 

"जाओ रश्मि पहले नहा लो. सुबह की पूजा का समय हो रहा है. पहले तैयार होकर उसमे शामिल हो जाते हैं फिर बैठ कर खूब बातें करेंगे. देर होने से गुरुजी नाराज़ हो सकते हैं. चलो उठो.” उसने मेरी बाँह पकड़ कर उठाते हुए कहा. 

मैं उठ कर नहाने बाथरूम मे जाने लगी. 
क्रमशः............
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12-10-2018, 02:13 PM,
#68
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -35 

गतान्क से आगे... 


“ एक मिनिट. ये कपड़ा तो यहीं उतार जाओ. नही तो ये अपवित्र हो जाएगा.” उसने मुझे रोकते हुए कहा. 



“ सॉरी. मैं भूल गयी थी.” कह कर मैने अपने कमर पर बँधी डोर को खोल दिया. दिशा पास आकर मेरे बदन से उस गाउन को हटाने मे मदद करने लगी. मैं पूरी तरह नग्न हो गयी. दिशा तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी. दिशा ने मेरे नंगे बदन को निहार कर एक हल्की सी सीटी बजाई. 



“ क्या चीज़ हो तुम जानेमन.” उसने मुझे अपनी बाँहों मे भरते हुए कहा. मैं शर्म से लाल हो गयी. उसने मुझे अपनी बाँहों मे भर कर मेरे निपल्स से अपने निपल्स रगड़ दिए. मेरे निपल्स उसकी इस हरकत से फूल कर खड़े हो गये. मैं उसकी बाँहों से निकल कर बाथरूम मे चली गयी. मैं बाथरूम से बाहर आई तो मैने देखा दो बड़े दूध से भरे ग्लास टेबल पर रखे हुए थे. दिशा ने एक ग्लास मुझे दिया. 



“ ले जल्दी ख़तम कर इसे. मैं अभी आती हूँ.” कहकर वो अपने ग्लास को प्लेट से ढक कर तेज कदमो से बाथरूम मे चली गयी. 

वो जब तैयार होकर निकली तो निहायत ही खूबसूरत लग रही थी. हम दोनो ने अपने अपने नंगे बदन पर एक जैसा गेरुआ रंग के गाउन जो की सामने से खुलता था पहन कर बाहर निकल आए. 



आश्रम मे किसी को भी बदन पर सिर्फ़ एक वस्त्र के अलावा कुच्छ भी पहनना अलोड नही था. वो एक तरह की ड्रेस थी उस आश्रम की. मर्द नग्न बदन पर सिर्फ़ एक धोती पहनते थे और औरतें एक पतला सा गाउन बदन पर लपेटे रहती थी. इससे हर वक़्त दोनो के गुप्तांगों की झलक मिलती रहती थी.



हम औरतों के चलने फिरने तो क्या हल्के से हिलने डुलने से भी हुमारी आज़ाद चूचियाँ बुरी तरह हिलती रहती थी. गाउन के ऊपर से हमारे निपल्स भी दिखते थे. चलने फिरने से गाउन के दोनो पल्ले सामने से खुल जाते थे और हमारी नंगी टाँगें काफ़ी दूर तक दिखने लगी थी. मर्दों के भी लिंग का आभास सामने से होता रहता था. लिंग के खड़े हो जाने पर तो धोती मे एक तंबू जैसा तन जाता था. आश्रम मे हर तरफ सेक्स ही सेक्स बिखरा हुआ था. हर कोने उत्तेजना से भरे हुए थे और हर तरफ सिर्फ़ कामुकता की खुश्बू फैली हुई थी. ऐसे महॉल मे कोई कैसे अच्चूता रह सकता है. 

हम दोनो गलियारे से चलते हुए आगे बढ़ रहे थे. रास्ते मे जीवन एक आदमी के साथ बातें करते हुए जाते दिखे. उन्हों ने भी हमको देख लिया था. वो हमे आता देख कर रुक गये. 

" ये मेरे हज़्बेंड जीवन और ये दिशा गुजराँवाला. ये पंजाब से आई है. हम दोनो एक कमरे मे ठहरे हुए हैं." मैने दोनो का इंट्रोडक्षन करवाया. 

" और ये मेरे हज़्बेंड देवेंदर सिंग गुजराँवाला. इन्हे तो तुम समझ ही गये होगे? रश्मि……. रश्मि लाल" अपने हज़्बेंड की ओर देखती हुई दिशा बोली " रश्मि इनकी 
ही वाइफ हैं. ये हैं जीवन लाल." 

मैने देखा दोनो मर्द कुच्छ देर तक हमारा हुश्न अपनी आँखों ही आँखों से पीते रहे. देव मुझे नीचे से उपर तक निहार रहा था तो जीवन…..दिशा के बूब्स पर उसकी जो नज़रें चिपक गयी वो हटने का नाम ही नही ले रही थी. आख़िर दिशा ने देव को कोहनी से धक्का मार कर कहा, " अभी पूरा दिन पड़ा है रश्मि के हुस्न को पीने के लिए. ये मर्द होते ही ऐसे हैं. सुंदर कोई महिला देखी और अपना होश खो बैठते हैं. अभी जल्दी चलो वरना आरती के लिए देर हो जाएगी." 

हम लगभग दौड़ते हुए मंदिर मे पहुँचे. मंदिर बहुत ही खूबसूरत बना रखा था. देवता जी की एक भव्य मूर्ति वहाँ लगी थी. मूर्ति बहुत ही सुंदर थी. सारे आश्रमवसी मंदिर मे खड़े आरती गा रहे थे. आश्रम का ये एक नियम था कि दोनो आरती के वक़्त सबका वहाँ उपस्थित होना ज़रूरी था. पूजा और आरती के दौरान सबका मौजूद रहना अनिवार्या था. उस वक़्त वहाँ काफ़ी भीड़ थी. 

हम भी उनके साथ हो लिए. आरती ख़त्म होने के बाद सब धीरे धीरे वहाँ से विदा होने लगे. स्वामी जी ने मुझे और दिशा को रुकने का इशारा किया. हम दोनो वहीं रुक गये. सब के जाने के बाद हम दोनो औरतें, सेवकराम जी और दो उनके चेले रह गये थे जिनके नाम मोहन और जीतरं था. हां उनके अलावा स्वामी जी तो थे ही. सबके जाने के बाद सेवक राम जी ने हमे मंदिर के अंदर बुला कर मंदिर के कपाट बंद कर दिए. हम उनके और स्वामी जी के अगले आदेश का इंतेज़ार सिर झुका कर कर रहे थे. 

" रश्मि और दिशा अब देवता जी की सेवा की जाएगी. पहले देवता नहाएँगे. तुम दोनो मोहन और जीतरं के साथ मिलकर भगवान को नहलाओगे एवं इसके बाद भोग बना 
कर उनको भोग लगाना है. भोग बनाते वक़्त तन बिल्कुल शुद्ध रहना चाहिए. इसलिए इस दौरान तुम दोनो कोई भी वस्त्रा नही पहनॉगी. मोहन और जीत तुम दोनो इन देवियों की सेवा करोगे इसलिए तुम्हारे बदन पर भी कोई वस्त्रा नही रहना चाहिए. भगवान जी को दूषित तन एवं मन से भोग नही लगाया जा सकता." स्वामी जी ने कहा और हम दोनो की ओर देखा. उन्हों ने हमे अपने वस्त्र उतारने का इशारा किया. 
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12-10-2018, 02:13 PM,
#69
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
हम चारों ने अपने वस्त्र उतार कर रख दिए. हम चारों अब बिल्कुल नग्न अवस्था मे खड़े थे. मुझे इस अवस्था मे इतने सारे मर्दों के सामने खड़े होने मे कुच्छ शर्म आ रही थी. मैं पहले भी कई बार आश्रम भर मर्दों के सामने नंगी हो कर चुदवा चुकी हूँ इसलिए मेरे लिए ये कोई नामुमकिन नही था. 



“ देवी रश्मि और देवी दिशा आप लोगों की अभी ज़रूरत पड़ेगी देवता की सेवा के लिए इसलिए आप को कुच्छ देर और रुकना पड़ेगा.” स्वामी जी ने हम दोनो का हाथ अपने हाथों मे थाम लिया. 



मैने दिशा की ओर देखा लेकिन वो बिना किसी झिझक के उनके सामने बिल्कुल नग्न अवस्था 
मे खड़ी थी. किसी तरह के ढकाव च्चिपाव की कोई कोशिश नही की. उसे देख कर मुझमे भी हिम्मत आई. मैने भी अपने गुप्तांगों पर से अपने हाथ को झिझकते हुए हटा लिए. इसे देख कर स्वामी जी मुस्कुराए बिना नही रह सके. 



“ देवी अगर आश्रम के उन्मुक्त वातावर्ण का एवं काम की पवित्र अनुभूति का दिल से आनंद लेना चाहती हो तो झिझक और शर्म का त्याग करना होगा.” मैने उनकी बातों का सिर हिला कर सहमति जताया. उन्हों ने आगे कहा, “ तुम अभी नयी हो देवी ऱाश्मि, तुम्हे रजनी और दिशा सब समझा देंगी. तब आप भी यहाँ के वातावरण मे रम जाएँगी.” 



स्वामी जी हम दोनो के बीच आकर हमारी कमर मे अपनी बाहें डाल कर अपनी ओर खींचा. मैं और दिशा उनके नग्न सीने से लिपट गयी. हमारे स्तन उनके चौड़े सीने मे दब गये. उत्तेजना मे मेरे निपल्स कठोर होकर फूल गये थे. दिशा का भी वही हाल था. 

" आज देवता जी को तुम दोनो स्नान कर्वओगि. आज देवता जी का दुग्ध स्नान करवाना हमारे यहाँ का रिवाज है. हमारा आहो भाग्य है की तुम दोनो आश्रम मे मौजूद हो. इस बार दुग्धसनान के लिए किसी पशु का दूध इस्तेमाल नही किया जाएगा. इसबार इस वार्षिकोत्सव के हर रोज देवता जी का स्नान तुम दोनो के पवित्र दूध से ही किया जाएगा." स्वामी जी ने कहा. मैं समझ गयी की मेरी तरह दिशा के भी कुच्छ दिनो पहले डेलिवरी हुई होगी. 

हम दोनो को मोहन और जीतरं हाथ पकड़ कर देवता जी के दोनो ओर ले जाकर खड़े कर दिए. मोहन मेरे साथ था और जीत दिशा के साथ. फिर हम दोनो को उन दोनो ने बैठने का इशारा किया. हम दोनो देवता की मूर्ति के दोनो ओर बैठ गये. उन्हों ने हमारे कंधों पर हाथ रख कर देवता की मूर्ति के उपर झुकाया. स्वामी जी और सेवक राम जी देवता के बदन पर लिपटे वस्त्र को खोल कर हटा दिया. देवता की काले पत्थर से बनी मूर्ति अब वष्ट्रहीन थी. 



हम दोनो नेघुटनो के बल बैठ कर अपने अपने सीने सामने की ओर कर दिए. मोहन ने सबसे पहले मेरे एक स्तन को पकड़ कर देवता के सिर की ओर कर के मेरे निपल्स को खींचा जिससे मेरे स्तन से दूध की तेज धार निकल कर देवता के सिर पर गिरने लगी. निपल्स को मसल कर खींचते वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया कि मेरे स्तनो से दूध की धार सीधे मूर्ति के सिर पर और चेहरे पर ही गिरे. जैसे जैसे दूध की धार चेहरे पर गिर कर नीचे की ओर फिसल रही थी, स्वामीजी मूर्ति को अपनी उंगलियों से रगड़ कर स्नान करवा रहे थे. पहले मेरा एक स्तन खाली हुया फिर दूसरे स्तन से दूध दूहने लगे. 



साथ ही साथ दूसरी ओर से दिशा की चूचियो से जीतरं ने दूध दुहना शुरू कर दिया. दोनो ओर से दूध की गर्म धार देवता जी पर पड़ रही थी. मैने देखा की वहाँ मौजूद सभी के बदन कसमसा रहे थे. उनके जांघों के जोड़ पर लिपटे वस्त्र मे उनके लिंग के उभार सॉफ दिख रहे थे. 



हम दोनो भी गर्म होने लगे थे. मैने देखा की दिशा अपनी दोनो जांघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी. उसने अपने निचले होंठ को दाँतों के बीच दबा रखा था जिससे की मुँह से उत्तेजना भरी कोई आवाज़ ना निकल जाए. 

मेरी भी हालत खराब हो रही थी. दोनो हमारी चूचियो को किसी काउ के थनो की तरह ज़ोर ज़ोर से तब तक दूहते रहे जब तक ना उनमे से दूध आना बंद हो गया . हम दोनो की चूचियाँ उनके इतनी बुरी तरह निचोड़े जाने से लाल हो गयी थी. हमारे मुँह से दबी दबी सिसकारियाँ निकल रही थी. 



देवता जी की मूर्ति से हम दोनो का ताज़ा दूध टपक रहा था. स्वामी जी सेवक राम जी के साथ उस मूर्ति को दूध से रगड़ रगड़ कर नहलाए. जब हमारे स्तन खाली हो गये तो उन्हों ने देवता जी की मूर्ति को एक मखमल के कपड़े से पोंच्छने लगे. हमारा दूध मूर्ति के चारों ओर से बहता हुआ एक कटोरे मे जमा हो रहा था. उसके बाद मूर्ति को शहद और सूखे मेवों से स्नान करवाया गया और आख़िर मे सॉफ पानी से उनको अच्छि तरह नहलाया गया. 



एक दम प्रकितिक अवास्ता मे रहने से धीरे धीरे पराए सेक्स के लिए जिस्मानी भूख शिथिल हो जाती है. मैने देखा की हम दोनो को नग्न करके और हमारे स्तनो को मसालते रहने के कारण पहले जीत और मोहन के लिंग जैसे खड़े हो गये थे वो स्तिथि अब नही थी. पहले उनके वस्त्र के बाहर से ही उनके लिंग का उभार कोई भी देख सकता था. 
क्रमशः............
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12-10-2018, 02:13 PM,
#70
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -36 

गतान्क से आगे... 


हमे लगातार नग्न अवस्था मे अपने पास पाकर अब उनके लिंग शिथिल हो गये थे. 
वैसी ही कुच्छ हालत हमारी भी थी. हमारे निपल्स भी पराए मर्दों को देख कर पहले पहले तन गये थे, चुचियाँ कड़ी हो गयी थी और हमारी योनि से चिप चिपा प्रदार्थ बहने लगा था वो अब धहेरे धीरे ख़त्म हो गया था. अब हम बिना किसी सेक्षुयल डिज़ाइर के नग्न हो कर काम कर रहे थे. सेवक राम जी की नज़रें बराबर मेरे और दिशा के योवन को निहार रही थी. 

जब देवताजी का स्नान ख़तम हुआ तब उन्हों ने हमे वापस कपड़े पहनने का आदेश दिया. हमने अपने कपड़े पहन लिए. 

फिर देवता का फूलों से शृंगार किया गया . देवता जी के स्नान के बाद सारा दूध, सहद, मेवा इत्यादि को एक चाँदी के पात्र मे इकट्ठा किया गया . उसमे कुच्छ पानी भी मिला हुआ था. एवं कुच्छ गुलाब की पंखुड़ीयाँ भी थी. उसे लेकर सेवक राम जी ने हम सबको एक एक चम्मच प्रसाद दिया. फिर सेवकराम जी वो पात्र लेकर बाहर चले गये. शायद सबको प्रसाद देने. 


इसके बाद देवता के भोग की तैयारी करनी थी. इस काम का जिम्मा भी हम दोनो के साथ जीत और मोहन को मिला. स्वामी जी के आदेश देते ही हम चारों वहाँ से रवाना हुए. वहीं मंदिर के अंदर पीछे की तरफ एक कमरा बना हुआ था जिसे भोग प्रसाद बनाने के लिए काम मे लिया जाता था. हम दोनो उन दोनो शिष्यों के साथ उस कमरे के द्वार तक पहुँचे. 



“ ठहरो.” मोहन ने हम दोनो को दरवाजे पर रोक दिया. हम उसके अगले आदेश का इंतेज़ार करने लगे. 



“ ये पवित्र कमरा है. इसमे किसी तरह के कपड़े पहन कर प्रवेश का अधिकार स्वामीजी को भी नही है. हम सबको अपने वस्त्र यहाँ बाहर त्यागने पड़ेंगे.” कह कर उसने अपने जिस्म पर लिपटे गाउन को अलग कर दिया. उसे देख जीत ने भी अपना वस्त्र उतार दिया. दोनो हमारे सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे. उनके बलिष्ठ नंगे शरीर हमारी आँखों मे चुभ रहे थे. फिर दोनो ने हमारे कपड़ों की ओर हाथ बढ़ाया. अगले ही पल हम दोनो भी उनकी तरह ही हो गये थे. उस हालत मे हम उस कमरे मे प्रवेश कर गये. 



हम अंदर जा कर काम मे व्यस्त हो गये. थोड़ी देर मे रजनी भी हमारी मदद को आ गयी. उसे स्वामीजी ने भेजा था हमारी मदद के लिए. वो भी हमारी तरह बिल्कुल नंगी अवस्था मे थी. 



काम करते हुए कई बार अंजाने मे और कई बार जान बूझ कर एक दूसरे के नग्न शरीर को छ्छू लेते या रगड़ देते. तब हल्की सी तरंग बदन मे दौड़ जाती. हम पाँचों मिल कर खिचड़ी के अलावा कई तरह के व्यंजन बनाने लगे. 

कुच्छ देर बाद सेवक राम जी भी नंगी हालत मे वहाँ आ गये. सेवक राम जी भोग के लिए इन्स्ट्रक्षन दे रहे थे. वो वहीं हमारे पास बैठ गये और बीच बीच मे हमारे नग्न बदन पर हाथ फेर रहे थे. जब भोग बनाने का काम पूरा हुया तो तीनो मर्द उस भोग को थाली और कटोरियों मे सज़ा कर देवता जी के पास ले गये. 



हम भी अपने कपड़े पहन कर वहाँ पहुँचे. वहाँ जीवन भी आ गया था. वहाँ जीवन समेत सारे मर्द मंदिर की सॉफ सफाई मे जुटे थे. 



कुच्छ ही देर मे स्वामी जी आ गये. स्वामी जी देवता की मूर्ति के सामने अपने आसान पर बैठ कर पूजा पाठ मे व्यस्त हो गये थे. उन्हों ने मुझे पूजा की सामग्री का इंतेज़ाम करने को कहा. मैने सेवक राम के साथ मिलकर सारा समान एक थाली मे सज़ा कर स्वामीजी के पास रख दी. उस तली मे फूल, सिंदूर, चंदन, अगरबत्ती नारियल इत्यादि के अलावा 
एक छ्होटी सी कटोरी मे मेरे स्तनो से निकाला हुआ थोड़ा सा दूध था. जो थोड़ा बहुत कुच्छ देर मे बना था सेवकराम जी ने मसल मसल का सारा निकाल लिया था. उसके लिए वो पहले मुझे वापस किचन मे ले गये. वहाँ हम दोनो को ही वापस नग्न होना पड़ा. इस बार वहाँ हमारे सिवा और कोई तीसरा नही था. वो मुझसे कुच्छ ज़्यादा ही प्रभावित नज़र आ रहे थे.
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