05-06-2019, 11:43 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा ने अपना एक पैर बढ़ा कर किनारे से टीपू के नीचे खिसका दिया और उसके लंड को अपने सैंडल के तले से सहलाने लगी। फिर उसने पैर घुमा कर टीपू के लंड को अपने पैर के ऊपरी हिस्से से छुआ। नजीबा की गहरी आखें वासना और खुशी से। फैल गयीं जब उसे एहसास हुआ की कुत्ते का लंड कितना सख्त और गर्म था। नजीबा ने अपना दूसरा पैर भी टीपू के नीचे खिसका दिया और उसके लंड को अपने दोनों पैर के सैंडलों के तलों के बीच में धीरे से सहलाने लगी। टीपू के लंड का पारदर्शी चिपचिपा रस उसके सैंडलों और पैरों पर बहने लगा।
टीपू भी नजीबा की चूत चाटते हुए आगे पीछे हिल कर नजीबा के सैंडलों के बीच में अपना लंड चोदने लगा। एक बार तो नजीबा के मन में ख्याल आया कि अपने पैरों और सैंडलों से ज़ोर-ज़ोर से कुत्ते का लंड सहलाते हुए उसे स्खलित कर दे पर फिर उसने सहलाने की गति कम कर दी। औरंगजेब कहीं दिखायी नहीं दे रहा था तो उसे चुदाई के लिये टीपू का लंड ही उपलब्ध था। साथ ही नजीबा एक बार फिर कामानंद की चोटी की तरफ अग्रसर होने लगी थी। कामानंद की लहरें उसके बदन में उठ रही थीं और उसके कड़क निप्पलों से शुरू हो कर उसकी चूत से होती हुई उसके टाँगों में दौड़ने लगी थीं।
“चाट ले... चाट ले मेरी चूत... सक इट... ओह गॉड' वो चिल्लायी। उसकी आवाज़ नशे में डगमगा रही थी।
वो भाप के इंजन की तरह हाँफ रही थी। टीपू भी वैसे ही हाँफ रहा था और उसकी गरम साँसें नजीबा की चूत के अंदर लहरा रही थीं। नजीबा इतनी गरम थी कि उसे लगा कि उसका बदन जलने लगेगा।
|\
चरम कामानंद की तीसरी लहर उसके बदन में दौड़ गयी और फिर चौथी लहर। उसके बाद कामानंद की मीठी लहरें उसके अंदर इतनी तीव्रता से एक के बाद एक उठने लगीं की सब लहरें आपस में मिल कर परमानंद का विस्तृत कंपन बन गयीं। नजीबा स्वर्गिकसुख की चोटी पर थी। नजीबा का पूरा बदन काँपने लगा और उसे लगा कि जैसे वो पिघल रही है। उसकी संपूर्ण चेतना, कुत्ते की जीभ पर पिघलती हुई अपनी चूत पर केंद्रित थी।
“चाट ले मेरी चूत की मलाई नजीबा फिर चींखी।
कुत्ते के जीभ चूत का पूरा रस समेट रही थी। नजीबा के चूत-रस को बेसब्री से पीते हुए टीपू का कण्ठ धड़क रहा था।
आआआआआईईईईईई ऊऊऊआआआआआआ...” नजीबा आनंद की चोटी पर पहुँच कर जोर से चीखी और उस चरम आनंद की आखिरी लहरें उसके अंदर फूट पड़ीं। उसकी चूत पूर-द्वार (फ्लड-गेट) की तरह खुल गयी और चूत-रस का दरिया कुत्ते की अधीर जीभ और मुँह के अंदर बहने लगा।
नजीबा के शरीर की ऐंठन और कंपन कम हो कर फिर बंद हो गयी। उसके होंठों पर आनंदमय मुस्कुराहट आ गयी और उसकी नशे में बोझल आँखें स्वप्नमय हो गयीं। उसने टीपू के सिर पर हाथ फिराया। वो कुत्ता अभी भी निष्ठा से उस गर्म चुदक्कड़ औरत की स्वादिष्ट चूत चाट रहा था। नजीबा कि इच्छा तो हुई कि उसका चाटना जारी रहने दे क्योंकि वो जानती थी कि कुत्ते के चाटने से वो उसकी चूत कुछ ही पलों में फिर से कामानंद की चोटी पर चढ़ाई शुरू कर देगी। परंतु नजीबा को बहुत जोर से पेशाब लगी
उसने अपनी बगल में रखी बोतल उठा कर व्हिस्की के दो-तीन बड़े पैंट पिये और फिर वो बोतल वहीं रख कर बेडरूम से अटैच्ड बाथरूम की तरफ लड़खड़ाती हुई लगभग दौड़ पड़ी। परंतु नशे में होने के कारण वो हाई हील सैंडलों में अपना संतुलन खो बैठी और रास्ते में ही लुढ़क गयी। उसका पेशाब वहीं कार्पेट पर निकलने लगा तो पहले तो उसने रोकने की कोशिश की पर फिर यह सोच कर कि ‘जाने दो.. क्या फर्क पड़ता है, उसने वहीं मूतना शुरू कर दिया और खिलखिला कर हँसने लगी।
|
टीपू जो पहले से तैयार था, नजीबा को घुटनों और हाथों के बल गिरी हुई देख कर लपक कर पीछे से उसके चूतड़ों पर सवार हो गया। टीपू भी चुदाई के दूसरे दौर के लिये नजीबा जितना ही उत्तेजित था। नजीबा के कुल्हों पर अपनी अगली टाँगें कस कर लपेट कर टीपू उसके चुतड़ों चिपक कर हाँफने लगा। नजीबा को उसका लंड अपनी चूत में घुसता महसूस हुआ।
ठेल दे मेरी चूत में अंदर तक, नजीबा बड़बड़ायी, “भर दे अपना बड़ा चोदू लंड मेरी... ऊऊघघघ.... फक माय चूत, कुत्ते साले! भर दे अपने चोद बड़े कुत्ते-लंड स! ओहहहह, ० हाँ! चोद डाल मेरी चूत को... मादरचोद... कुत्ते के लंड! फिर एक बार अपने वीर्य से मेरी चूत को निहाल कर दे।” नजीबा अपने चूतड़ और ऊपर उठा कर कुत्ते से अपनी चूत में लंड चोदने के लिये जिद्द करने लगी।
टीपू उत्तेजना से भौंका। अब चूंकि उसके लंड का सुपाड़ा चूत में घुस चुका था, टीपू के लिये आगे आसान था। उसका शरीर उत्तेजना से कांप रहा था और वो बुरी तरह हाँफते हुए नजीबा की कमर पर राल बहाने लगा। फिर उसने अपना पूरा लंड नजीबा C की दहकती चूत में घुसेड़ना चालू कर दिया।
ओओहहहह” नजीबा ठिनठिनायी, जब उसे अपनी चूत में कुत्ते का लंड धंसता हुआ महसूस हुआ। उसने अपनी गाँड उसके गदा जैसे लंड पर पीछे की तरफ ढकेल दी। टीपू ने घरघराहट की आवाज़ के साथ फिर से एक धक्का लगा कर पूरा लंड नजीबा की चूत में ठेल दिया। अब उसका लंड जड़ तक नजीबा की चूत में गड़ा हुआ था।
-
|
|
05-06-2019, 11:44 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
कुछ देर पश्चात जो कि अनंतकाल की तरह था, कुत्ते के लंड की गाँठ थोड़ी और फूल गयी और वो रिरियाने लगा। औरंगजेब ने पूरी ताकत से अपना लंड जितनी गहरायी तक संभव था उतना ठेल दिया और उसके गाढ़े वीर्य की धार नजीबा की गाँड में फूट पड़ी। नजीबा को ऐसा लगा जैसे इस बार तो उसकी गाँड फट कर जरूर पड़ेगी। कुत्ते का गरम वीर्य गाँड में छूटने से और उस पीड़ा से स्वतः ही एक और चरम कामोन्माद ट्रिगर हो गया और अपनी कमर ऐंठ कर वो बहुत जोर से चिल्ला पड़ी, ऊऊऊऊआआआआआआआआहहहह... मैं गयीईईईईईईईईई, और फिर उसने जोर से अपने दाँत भींच लिये और उसका जिस्म थरथर काँपने लगा। करीब दो-तीन मिनट तक कुत्ता उसकी गाँड में गाढ़ा वीर्य, गोला-बारी की तरह दागता रहा।
नजीबा को पूरा जिस्म झनझना उठा और उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। उसे इतने जबरदस्त कामानंद की अनुभूति हुई कि कुछ पलों के लिये वो अचेत सी हो गयी। जब उसे होश आया तो उसने पाया कि औरंगजेब ने चुदाई बंद कर दी थी पर अभी भी वो उसके ऊपर सवार था। नजीबा की चूत उसके लंड और गाँठ के इर्द-गिर्द जकड़ी हुई थी और नजीबा को अपनी गाँड आश्चर्यजनक रूप से भरी हुई महसूस हो रही थी। यह । सनसनाहट उसे बहुत अच्छी लग रही थी।
दूसरे कुत्ते से दो बार अपनी चूत चुदवाने के बाद वो समझ गयी थी कि उसे औरंगजेब के लंड की गाँठ के सिकुड़ने तक ऐसे ही कुत्तिया बने हुए इंतज़ार करना पड़ेगा। उसकी गाँड अभी भी हवा में थी क्योंकि उसमें कुत्ते का लंड और गाँठ फैंसी हुई थी। इसलिए नजीबा ने अपनी बांहें ज़मीन पर फैला दी और अपना सिर भी ज़मीन पर टिका दिया।
औरंगजेब में टीपू जैसा सब्र नहीं था और संतुष्ट होने के बाद वो अपनी गाँठ नजीबा की गाँड में से आज़ाद करने के लिये खींचने की कोशिश करने लगा। नजीबा फिर चिल्लायी। उसे अपनी गाँड फिर फटती हुई महसूस हुई। कुत्ते ने आज़ाद होने का कई बार प्रयत्न किया और फिर जैसा टीपू ने पहले किया था, औरंगजेब ने भी अपना जिस्म नजीबा से परे धकेला और अपनी पिछली टाँगें के बल कूद कर पीछे मुड़ गया। नजीबा को अपनी गाँड | और ऊपर उठानी पड़ी क्योंकि औरंगजेब की ऊँचाई ज्यादा थी और इसका नतीजा यह हुआकी नजीबा की गाँड कुत्ते के लंड से लटकी हुई प्रतीत होने लगी।
नजीबा को बहुत दर्द हो रहा था पर मजेदार बात यह थी की उसे यह अच्छा लग रहा था। हालाँकि वो पहले कभी भी ‘स्व-पीड़न या पर-पीड़न कामुक्ता' में आकृष्ट नहीं हुई थी, पर कुत्ते के लंड से लटके होने का आभास, गाँठ द्वारा अपनी गाँड में जोरदार खिंचाव की पीड़ा मिश्रित सनसनी, कुत्ते के पूरे लंड का अपनी गाँड में अहसास, और इन सबका संयोजन उसकी काम-विकृत वासना को भड़का कर उसे पागल कर रहा था।
|
|
|