Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
02-06-2019, 05:16 PM,
#31
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
निधि की समझ से यह बात कोसों दूर थी.. वो तो बस मज़े लेने में लगी हुई थी। उसको कहा ध्यान था कि जेम्स की बातों का मतलब क्या है।
निधि- बस.. मेरा मुँह दुखने लगा है.. अब तुम मेरी फुद्दी चाटो ना..
जेम्स- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अब तू गर्म हो गई है.. तेरी फुद्दी चटकार तुझे आग की भट्टी बना दूँगा.. उसके बाद चोट करूँगा..
रानी के दोनों पैर मोड़ कर.. जेम्स उसके पैरों के बीच बैठ गया.. और उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी उंगली पर थूक लगा कर थोड़ा अन्दर घुसने लगा ताकि उसकी चूत थोड़ी खुल जाए।
निधि- आह्ह.. सस्स नहीं.. आह्ह.. क्या कर रहे हो.. दुख़ती है.. आह्ह.. नहीं उफ..
जेम्स- अभी कहाँ दुख़ती है मेरी जान.. जब ये बम्बू अन्दर जाएगा.. तब दुखेगा.. अभी तो तू बस मज़ा ले..
निधि- आह्ह.. अईह्ह.. चाटो.. मज़ा आ रहा है.. ये क्या आह्ह.. बोल रहे हो.. ये कैसे अन्दर आ जाएगा.. मेरी फुद्दी कितनी छोटी सी है.. आहह सस्स सस्स.. और ये कितना बड़ा है.. ना बाबा ना.. मैं तो मर ही जाऊँगी.. आह्ह.. बस ऐसे ही चाटो..
जेम्स अब ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा था.. निधि एकदम गर्म हो गई थी। वो कमर को हिलाने लगी थी।
बस जेम्स ने मौका देखा और चूत को चाटना बन्द किया.. खुद उसके पैरों के बीच बैठ गया.. लौड़े को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
निधि- आह उहह.. नहीं जेम्स.. ये ना जा पाएगा.. आह्ह.. नहीं आह्ह..
जेम्स- अरे डाल कहाँ रहा हूँ.. बस ऊपर रगड़ रहा हूँ.. मैंने कहा था ना इस लौड़े से तेरा पानी निकालूँगा।
निधि- उफ़फ्फ़ आह.. तब ठीक है.. अहह.. करते रहो.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़.. जेम्स ज़ोर-ज़ोर से रगड़ो.. आह्ह.. मुझे पहले जैसा हो रहा है.. मेरा सूसू आह्ह.. नहीं नहीं.. मेरा रस आ रहा है आह्ह..
जेम्स ने जल्दी से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया.. निधि झड़ने लगी थी। उसका रस बाहर आ रहा था.. यही मौका था.. उसकी चूत एकदम चिकनी थी, जेम्स ने हाथ से चूत को फ़ैलाया.. और सुपारा सैट करके एक धक्का मारा.. उसकी टोपी अन्दर फँस गई।
निधि तो कामवासना में तड़प रही थी.. उसका पानी अभी रुका भी नहीं था कि जेम्स का मोटा बम्बू.. उसकी चूत में घुस गया.. वो तड़प उठी..
निधि- आह नहीं.. जेम्स आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. नहीं ये ना जाएगा.. आह्ह.. निकालो आह्ह..
जेम्स- अरे रानी.. अभी तो बस मुँह अन्दर किया है इसका.. अभी से काहे छटपटा रही है.. अब देख.. बस थोड़ा सा सहन कर ले.. फिर हवा में ना उड़ने लगे.. तो कहना मुझे..
जेम्स ने निधि के निप्पल को मुँह में लिया और कमर को झटका मारा 3″ लौड़ा निधि की सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया और दिल को दहला दे.. ऐसी चीख निधि के मुँह से निकली..
वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.. अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. मगर जेम्स ने उसके दोनों हाथों को मजबूती से जकड़ लिया था।
जेम्स- अबे कितना चिल्लाएगी.. चुप.. कोई आ जाएगा..
निधि लगातार रोए जा रही थी.. जेम्स ने उसके होंठों को जकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.. उसकी चूत से खून रिसने लगा।
निधि दर्द के कारण बेहोश हो गई.. मौके का फायदा उठा कर जेम्स दनादन लौड़ा पेलने लगा.. वो जल्द से जल्द चूत को ढीला करना चाहता था ताकि होश में आने के बाद निधि को ज़्यादा दर्द ना हो और वो आराम से चुदवाए।
रानी- हे राम.. आदमी हो या शैतान उस पर ज़रा भी रहम ना आया तुझे?
जेम्स- अरे तू लौड़ा सहलाती रह.. अभी तो मज़ा आ रहा था और कैसा रहम.. उसको चोद कर मैंने कोई गुनाह नहीं किया.. बल्कि मज़ा लेने लायक बना दिया.. समझी..
रानी- अच्छा अच्छा.. बड़ा आया लायक बनाने वाला.. चल आगे बता..
जेम्स- साली निधि की चुदाई बताते हुए लौड़ा कैसे झटके खा रहा है.. तू कर ना.. मज़ा आ रहा है..
रानी दोबारा लौड़े को सहलाने लगी और जेम्स उसको आगे की कहानी सुनने लगा।
निधि को अब होश आने लगा था.. उसकी चूत दर्द से फटी जा रही थी और जेम्स उसको चोदे जा रहा था।
निधि- आह न..नहीं.. एयेए जेम्स.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
जेम्स- अरे बस.. थोड़ी देर रुक.. आह्ह.. उहह.. मेरा वीर्य निकलने ही वाला है.. उहह उहह.. तेरी फुद्दी अब मेरा पूरा लौड़ा निगल गई है.. अब कैसा दर्द.. आह्ह.. उहह..
निधि को उत्तेजना का पता भी नहीं चल रहा था.. वो तो बस दर्द से कराह रही थी। इधर जेम्स के लौड़े ने उसकी चूत को पानी से भर दिया और सुकून की लंबी सांस ली।
रानी- हाय रे बेचारी निधि.. कितना दुखा होगा उसको..
जेम्स- उसकी छोड़.. आह्ह.. तू ज़ोर से कर.. आह्ह.. मेरा रस आने वाला है.. आह्ह.. मुँह में लेके चूस आह्ह..
जेम्स ने ज़बरदस्ती अपना लौड़ा रानी के मुँह में ठूँस दिया और झटके देने लगा। कुछ ही देर में उसका रस निकल गया.. जिसे रानी पूरा गटक गई और मज़े से उसके लौड़े को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।
जेम्स- आह्ह.. मज़ा आ गया रानी.. बस ऐसे ही तू मेरे साथ रहना.. देखना तुम्हें ऐसा मज़ा दूँगा कि तू जिंदगी भर मुझे भूल नहीं पाएगी..
रानी- हाँ देखे तेरे मज़े.. खुद तो मेरे मुँह को पानी से भर दिया.. मेरी चूत का हाल पूछा कि उसको क्या चाहिए.. वो अभी कैसी है..
जेम्स- अरे जानता हूँ रानी.. तू निधि की बात सुनकर गर्म हो गई है.. अब पहले ही मान जाती तो तेरी फुद्दी को लौड़े से ठंडा कर देता.. ला अब चाट कर ही पानी निकाल देता हूँ।
रानी- हाँ ये सही रहेगा.. वैसे भी चूत बहुत गर्म है.. जल्दी पानी निकल जाएगा.. उफ़फ्फ़ गीली तो पहले से हो गई..
रानी ने कपड़े निकाले तो जेम्स ने जल्दी से चूत को चाटना शुरू किया जैसे बस वो उसका भूखा हो।
कुछ देर में ही रानी झड़ गई.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी।
जेम्स- वाह.. मज़ा आ गया तेरा रस तो कमाल का है, अब इतना सब हो ही गया तो एक बार कर लेते हैं ना..
रानी- अरे नहीं नहीं.. माई जाग गई तो शक करेगी.. अच्छा तूने आगे नहीं बताया कि निधि का क्या हुआ.. उसको खून निकल आया.. तो वो घर कैसे गई.. सब बताओ ना जल्दी से..
जेम्स- अच्छा.. अब तेरी माई को शक नहीं होगा.. ये सब बताने में समय कितना लगेगा.. अभी लंबी कहानी है।
रानी- जल्दी-जल्दी बता दे ना.. मुझे पूरी बात जाननी है?
जेम्स- अच्छा ठीक है.. सुन थोड़ी देर बाद निधि ने बैठने की कोशिश की तो उसकी फुद्दी में बहुत दर्द हुआ.. वो रोने लगी।
मैंने सहारा दिया.. तब जाकर बैठ पाई और जैसे ही उसने खून देखा.. उसकी हालत पतली हो गई।
मैंने बहुत समझाया कि ये तो तेरी फुद्दी के खुलने का सगुन है.. तब कहीं जाकर वो मानी।
रानी- उसके बाद दोबारा किया या नहीं.. या ऐसे ही छोड़ दिया उसको?
जेम्स- अरे किया ना.. पहले पास के कुंए से एक बाल्टी पानी लाया.. उसकी फुद्दी को अच्छे से साफ किया और अपने लौड़े को भी.. उसके बाद उसे दोबारा गर्म किया.. उसकी फुद्दी चाट कर… और बस दूसरी बार फिर से वही चीखने चिल्लाने का दौर शुरू हो गया।
रानी- इतने दर्द को झेलने के बाद भी.. वो दूसरी बार के लिए राज़ी कैसे हो गई?
जेम्स- अरे मैं किस मर्ज की दवा हूँ.. ऐसा चक्कर चलाया कि बस मान गई और ऐसा चोदा कि बस मज़ा आ गया। तू मानेगी नहीं मैंने उस दिन 4 बार उसकी चुदाई की.. तब कहीं जाकर मेरे लौड़े को सुकून मिला।
शाम को उसे घर तक ले जाने में बड़ी मुश्किल पेश आई.. साली से चला नहीं जा रहा था.. गोद में उठा कर लेके गया..
रानी- किसी ने देखा नहीं तुमको जाते हुए?
जेम्स- अरे नहीं शाम का समय था.. यहाँ से निकला.. तो कोई नहीं मिला.. उसके घर से कुछ पहले एक आध जन ने पूछा.. तो मैंने बता दिया कि मैं आ रहा था.. इसे रास्ते में रोता देखा… इसके पैर में मोच आई है.. तो उठा लाया..
रानी- बहुत चालाक है रे तू..
जेम्स- वो तो हूँ.. इसमें क्या शक है.. चल अब तू जा.. ऐसे बैठी रहने से क्या फायदा.. चुदवाती तो है नहीं..
रानी- अच्छा पहले मैं जाती हूँ.. उसके बाद तू जाना.. ठीक है..
जेम्स ने उसकी बात मान ली और उसके बाद वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. मैं ये कहानी कहाँ से कहाँ ले गई.. मगर ये पार्ट बताना जरूरी था। अब क्यों.. इसका जवाब बाद में मिल जाएगा। 
मगर ये सोचने की बात है कि निधि की भाभी ने अपनी हवस को पूरा करने के लिए कैसे उस बेचारी का इस्तेमाल किया। ये बहुत ग़लत है.. कभी भी अपने फायदे के लिए किसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सॉरी.. क्या लेके बैठ गई मैं.. अब वापस रश्मि के पास चलते हैं, जानते हैं कि वहाँ क्या हो रहा है।
आप तो जानते ही हो.. रश्मि अपने कमरे में आकर सो गई थी और वहाँ से आने के बाद उसको बड़ी मस्त नींद आई। वो घोड़े बेच कर सो गई..
करीब 9 बजे विजय के फ़ोन पर रंगीला का फ़ोन आया.. जिसकी रिंग से उसकी आँख खुली..
विजय- हैलो.. क्या यार.. सुबह-सुबह नींद खराब कर दी.. क्या हुआ?
रंगीला- अरे क्या हुआ.. 9 बज गए.. अब तो उठ जाओ… जल्दी फ्रेश होकर मुझे फ़ोन करना.. कोई जरूरी बात है..
विजय- क्या बात है.. बता ना यार?
रंगीला- नहीं पहले उठ.. नाश्ता कर.. जब फ्री हो जाए.. तो मुझे कॉल कर लेना..
रंगीला के फ़ोन काटने के बाद विजय बाथरूम चला गया। उधर जय रात से बेसुध सोया पड़ा था.. उसकी भी आँख जब खुली.. तब वजह थी कि उसको ज़ोर से पेशाब लगी थी। वो जल्दी से उठा और बाथरूम चला गया। जब वो पेशाब कर रहा था.. तब उसकी नींद टूटी और उसके लौड़े ने रात में क्या कांड किया.. उसको समझ में आ गया।
वो टेन्शन में आ गया.. और अपने आपसे बोलने लगा- ओह्ह.. शिट.. यह क्या हो गया साला लौड़ा कैसे फेल हो गया.. गुड्डी भी साथ सोई थी.. कहीं उसने देख तो नहीं लिया.. वो कहाँ चली गई.. साला ये क्या कांड हो गया।
जय इसी टेन्शन में फ्रेश होकर.. अपने कमरे से बाहर निकला.. तो काम्या उसे सामने मिली।
जय- मॉम गुड्डी कहाँ है?
काम्या- अरे बेटा.. बहुत दिनों के बाद आई है ना.. तो सो रही है.. मैंने भी उसको नहीं उठाया।
जय- ओके.. ठीक है.. आप ऊपर क्यों आई थीं.. कोई काम था क्या?
काम्या- अरे तुमको ही उठाने आई थी। मैं मंदिर जा रही हूँ.. वहाँ आज बाबाजी आए हुए हैं देर से आऊँगी… तुम नाश्ता कर लेना और अपनी बहन को कहीं बाहर ले जाना.. बेचारी हॉस्टल में कितना अकेलापन महसूस करती होगी.. तुम उसको कुछ शॉपिंग भी करवा देना.. ठीक है..
जय ने ‘हाँ’ कहा और विजय के कमरे में चला गया.. वो अभी बाथरूम में ही था।
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02-06-2019, 05:16 PM,
#32
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जय अभी भी टेन्शन में था कि रात को क्या हुआ होगा.. गुड्डी कब गई.. रात को.. या सुबह.. उसकी बेचैनी उसको रश्मि के कमरे में ले गई.. जहाँ रश्मि आराम से सोई हुई थी।
जय धीरे से उसके पास गया उसके सर पर हाथ फेरा.. तभी रश्मि की आँख खुल गई और वो जय को देख कर हल्का सा मुस्कुरा दी।
रश्मि- गुड मॉर्निंग भाई.. क्या बात है.. सुबह-सुबह मेरे कमरे में.. सब ठीक तो है ना?
जय- गुड मॉर्निंग.. मेरी गुड्डी.. सब ठीक ही है.. वैसे तुम यहाँ कब आई.. मुझे तो पता भी नहीं चला?
रश्मि बिस्तर पर बैठ गई और वो ऐसे बर्ताव कर रही थी.. जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है।
रश्मि- आपके सोने के कोई 10 मिनट बाद ही मैं वापस यहाँ आ गई थी.. वहाँ नींद ही नहीं आ रही थी।
जय- अरे अरे.. रात भर बिना एसी के सोई.. मेरी प्यारी बहना..
रश्मि- अरे नहीं भाई.. एसी चल तो रहा है.. बस ठंडक कम कर रहा था। मैं सो गई.. तो पता ही नहीं चला।
जय- अच्छा ठीक है.. चल जल्दी से फ्रेश हो ज़ा.. साथ में नाश्ता करेंगे, आज काफ़ी वक्त बाद ऐसा मौका मिला है।
रश्मि- ओके ब्रो.. आप नीचे जाओ.. मैं बस 10 मिनट में रेडी होकर आती हूँ।
जय जब कमरे से बाहर निकला तो विजय भी अपने कमरे से बाहर आ रहा था। जय को देख कर वो मुस्कुराने लगा।
जय- क्या बात है.. बड़ा खुश नज़र आ रहा है.. क्या कोई अच्छा सपना देख लिया रात को?
विजय- अरे नहीं भाई.. आपको देख कर मुस्कुरा रहा हूँ.. सुबह-सुबह गुड्डी के कमरे से जो आ रहे हो।
जय- तो इसमे हँसने की क्या बात है.. मैं अपनी बहन को उठाने गया था।
विजय- हाँ जानता हूँ.. आप अपने गेम के लिए कुछ भी कर सकते हो और मुझे पक्का यकीन है.. आप गुड्डी को मना भी लेंगे और गेम को जीत भी जाएँगे।
जय- थैंक्स मुझ पर भरोसा करने के लिए.. चल आ जा.. आज गुड्डी के साथ नाश्ता करेंगे..
विजय- हाँ चल यार मुझे भी बड़ी भूख लगी है।
वो दोनों नीचे बैठ कर रश्मि का वेट कर रहे थे.. तभी एक नॉर्मल सी मैक्सी पहन कर रश्मि नीचे आई।
जय- अरे गुड्डी.. ये क्या पहना है.. क्या घूमने ऐसे बाहर जाओगी?
रश्मि- भाई.. ये आपको किसने कहा कि मैं ऐसे बाहर जाऊँगी.. ये तो आप नाश्ते के लिए मेरा वेट कर रहे थे.. इसलिए जल्दी में पहन कर आई हूँ.. वैसे बाहर जाने का मेरा अभी कोई मूड भी नहीं है।
विजय- अरे क्या गुड्डी.. सारा दिन घर में ही रहोगी क्या.. अब छुट्टियाँ मनाने आई हो.. तो घूमो-फ़िरो थोड़ा लाइफ को एन्जॉय करो।
रश्मि- ओके.. मगर मेरी एक शर्त है.. वो आपको माननी होगी।
जय- कैसी शर्त गुड्डी.. बोलो?
रश्मि- भाई अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ.. घर में तो चलता है.. मगर बाहर आप मुझे गुड्डी नहीं कहोगे और मैं जो कहूँ.. करोगे.. जहाँ चाहूँ.. घुमाओगे.. बोलो है मंजूर?
जय- हा हा हा हा.. तू भी ना कमाल करती है.. अच्छा बाबा.. बाहर तुझे रश्मि ही बुलाएँगे और बाकी तू जो कहेगी वैसा करेंगे.. चल अब आजा.. नाश्ता कर ले, हमें तो बहुत जोरों की भूख लगी है।
तीनों ने नाश्ता किया और यूँ ही बातें करते रहे।
रश्मि- काका.. मेरा जूस कहाँ है.. आपको पता है ना.. मुझे सुबह जूस चाहिए..
काका- लो बिटिया.. आपका जूस तैयार है.. मैंने कभी देने में देर की है.. जो आज करूँगा।
रश्मि- काका आपकी यही बात मुझे पसन्द है.. आप बोलने के साथ हर चीज़ रेडी रखते हो।
काका- बेटी बरसों से यहाँ काम कर रहा हूँ.. इतना भी नहीं समझूँगा क्या.. कि किस वक़्त किसको क्या देना है।
दोस्तो, यह काका इनके यहाँ बहुत पुराना नौकर है.. इसके बारे में आगे बाद में बताऊँगी.. अभी इन पर ध्यान दो।
नाश्ते के बाद रश्मि रेडी होने के लिए अपने कमरे में चली गई और विजय ने बाहर आकर रंगीला को फ़ोन लगाया।
विजय- हाँ बोल भाई.. क्या बात है.. अब एकदम फ्री हूँ.. किसलिए फ़ोन किया था?
रंगीला- तुम अभी पिंक कैफे आ जाओ और हाँ.. अकेले ही आना.. जय को कहो वो रश्मि के करीब होने की कोशिश करे.. उसको दोस्त बनाओ.. तभी आगे का काम सही होगा.. समझे?
विजय- अरे यार इतनी सी बात के लिए मेरी नींद खराब कर दी तुमने.. यह बात तो तुम उस वक्त भी बता सकते थे।
रंगीला- उस वक्त बताता तो तू वापस सो जाता.. चल अब जल्दी कर.. वहाँ से निकल.. मैं यहाँ तेरा वेट कर रहा हूँ और हाँ सुन एक्टिंग आती है ना तुझे?
विजय- कैसी एक्टिंग.. मैं समझा नहीं?
रंगीला- यहाँ आकर खुद ब खुद समझ जाएगा.. तेरे अन्दर का कलाकार बाहर आ जाएगा.. हा हा हा.. चल जल्दी कर अब निकल वहाँ से..
विजय ने फ़ोन बन्द किया… कुछ सोचा फिर जय को अन्दर जाकर बता दिया कि रंगीला ने बुलाया है.. तुम गुड्डी के साथ दोस्ती करो.. ज़्यादा से ज़्यादा करीब हो जाओ।
जय- मैं सब संभाल लूँगा.. तू निकल.. मैं उसको शॉपिंग पर लेके जाऊँगा और उसके बाद थोड़ा घूम कर आएँगे… ओके..
विजय ने ‘बेस्ट ऑफ लक’ कहा और वहाँ से निकल गया।
जय नीचे बैठा हुआ रश्मि का वेट कर रहा था.. जब रश्मि कमरे से बाहर आई तो जय बस उसको देखता ही रह गया, वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
रश्मि ने सफ़ेद और लाल रंग का सलवार सूट पहना हुआ था.. हल्का सा मेकअप होंठों पर लाल लाली और खुले बाल… उसकी सुंदरता को और बढ़ा रहे थे।
रश्मि नीचे आकर जय के सामने खड़ी हो गई और एक सेक्सी स्माइल दी। जय अभी भी उसको निहार रहा था।
रश्मि- हैलो.. भाई.. कहाँ खो गए.. ऐसे क्या देख रहे हो मुझे?
जय- ओह्ह.. कुछ नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो..
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. थैंक्स भाई.. अब बोलो कहाँ चलना है?
जय- अरे तुम हुक्म करो.. जहाँ जाना चाहो.. मैं तुम्हें ले जाने को तैयार हूँ।
रश्मि- भाई मेरे सारे कपड़े ओल्ड फैशन हो गए हैं पहले कुछ शॉपिंग करेंगे उसके बाद सोचेंगे.. कि कहाँ जाना है.. ओके?
जय- जो हुक्म मेरी प्यारी बहना.. गाड़ी तैयार है.. आइए चलिए..
रश्मि- ये क्या भाई.. मेरा मजाक बना रहे हो क्या.. सीधे-सीधे बोलो ना.. ये क्या लगा रखा है?
जय- अरे मजाक कर रहा हूँ.. तू नाराज़ क्यों होती है.. चल अब आ जा..
दोनों बातें करते हुए घर से निकल गए.. थोड़ी देर बाद दोनों सिटी सेंटर में थे। 
रश्मि ने जय से कहा कि ड्रेस पसन्द करने में वो उसकी मदद करे..
जय- चलो वो सामने वाली शॉप में अच्छे कपड़े दिख रहे हैं।
दोनों वहाँ जाकर कपड़े देखने लगे.. रश्मि को अभी भी रात की बात से कुछ कन्फ्यूजन सा था.. वो अपने आपसे जूझने लगी।
रश्मि अपने मन में ही कहने लगी- अब तुम तो अपने भाई पर फिदा हो गई हो.. मगर वो तुम्हारे बारे में ऐसा सोचता है या नहीं.. ये भी देखना होगा। वैसे काजल ने कहा था कि दुनिया का कोई भी लड़का पहले लड़का है बाद में किसी का बेटा या भाई.. तो जय को आजमाना पड़ेगा।
जय- अरे क्या सोच रही है.. कुछ पसन्द आया तुम्हें?
रश्मि- भाई वो ड्रेस कैसा रहेगा?
रश्मि ने एक छोटे से टॉप और स्कर्ट की तरफ इशारा किया।
जय- अरे वो तो बहुत अच्छा है.. मगर थोड़ा छोटा नहीं है?
रश्मि- क्या भाई आजकल यही चलता है.. अगर आपको पसन्द नहीं तो जाने दो..
जय- अरे नहीं नहीं.. बहुत अच्छा है मैंने तो बस ऐसे ही कहा था..
रश्मि- ओके भाई.. मैं इसको ट्राई करके देखती हूँ… फिटिंग कैसी है!
जय- ओके जाओ.. देख आओ.. मैं तब तक कुछ और देखता हूँ।
रश्मि- नहीं आप ट्रायल रूम के बाहर खड़े रहो.. मुझे कैसे पता लगेगा.. आप देख कर बताना.. अच्छा है या नहीं.. ओके..
जय ने ‘ओके’ कहा.. तो रश्मि वो ड्रेस लेकर अन्दर चली गई और कुछ देर बाद जब वो बाहर आई.. तो जय बस रश्मि को निहारने लगा।
दोस्तो, वो ड्रेस रश्मि के जिस्म से चिपका हुआ था डार्क ब्लू टॉप.. जो बहुत शॉर्ट था.. उसमें से रश्मि की नाभि भी आराम से दिख रही थी और उसके कसे हुए मम्मे टॉप को फाड़ कर बाहर आने को बेताब थे। नीचे का ब्लैक स्कर्ट भी उसकी जाँघों तक मुश्किल से आ रहा था। उसकी गोरी-गोरी जाँघें देख कर एक बार तो जय की नियत भी बिगड़ गई.. मगर उसने जल्दी से अपने आपको संभाला।
जय- वाउ सो नाइस गुड्डी..
रश्मि- भाई.. मैंने क्या कहा था.. गुड्डी नहीं.. रश्मि.. ओके..
जय- ओह्ह.. सॉरी सॉरी.. रश्मि.. यह ड्रेस बहुत अच्छा है.. तुम इसमें किसी गुड़िया जैसी लग रही हो।
रश्मि कुछ नहीं बोली और वापस अन्दर चली गई.. उस ड्रेस को निकाला.. अपने कपड़े पहने और मुँह फुला कर बाहर आ गई।
जय को कुछ समझ नहीं आ रहा था.. कि आख़िर हुआ क्या..
रश्मि- चलो भाई.. मुझे कुछ नहीं लेना यहाँ से..
जय- अरे क्या हुआ.. इतना गुस्सा क्यों हो गई.. मैंने क्या कहा.. बता तो?
रश्मि- आपको तो तारीफ करना भी नहीं आता.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती।
जय- अरे यार, प्लीज़ अब नाराज़ मत हो.. पहले बता तो.. मैंने ऐसा क्या कहा.. जो तुझे बुरा लगा?
रश्मि- भाई मैंने इतना मॉर्डन ड्रेस पहना और अपने कहा मैं गुड़िया जैसी लग रही हूँ।
जय- अरे तो इसमे बुरा क्या है?
रश्मि- मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ.. जो गुड़िया जैसी लगूं.. ओके..
जय- ओह्ह.. तो ये बात है.. मैं तो भूल ही गया कि अब मेरी गुड़िया बड़ी हो गई है.. ओके बाबा कान पकड़ कर सॉरी.. बस अब तो मान जाओ..
रश्मि- नहीं.. पहले बताओ उस ड्रेस में अगर कोई और लड़की होती तो आप उसकी तारीफ कैसे करते?
जय- अरे दूसरी लड़की कौन यार?
रश्मि- मान लो आपकी कोई फ्रेण्ड हो तो?
जय- प्लीज़ डोंट माइंड.. हाँ अगर और कोई होती तो मैं कहता बहुत सेक्सी लग रही हो.. मगर तुम मेरी बहन हो ऐसे बोलना अच्छा नहीं लगता ना..
रश्मि- भाई ये क्या बात हुई.. मैं आपकी फ्रेण्ड नहीं हूँ क्या.. और मैं किसी से कम हूँ क्या.. क्या कमी है मुझमें…?
जय- अरे रश्मि.. तू तो मेरी बचपन की फ्रेण्ड है.. और तुझमे. क्या कमी होगी.. तू तो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है।
रश्मि- ओह्ह.. भाई थैंक्स.. अब मेरी तारीफ खुलकर करना.. हाँ तो मैं ये ड्रेस ले लूँ.. क्या कहते हो?
जय- अरे इसमे. पूछना क्या है.. ले लो ना.. अच्छा है वो.. और अब जो भी ड्रेस लो.. पहले मुझे पहन कर दिखाना ताकि मैं तेरी तारीफ करूँ.. अब खुश..
उसके बाद रश्मि ने दो और सेक्सी ड्रेस लिए।
अब जय भी खुलकर उसकी तारीफ करने लगा था.. मगर रश्मि अभी भी सोच में थी कि जय उसको किस नज़र से देख रहा है।
अचानक उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया!
रश्मि- भाई आप कुछ नहीं ले रहे क्या.. कब से मैं ही लिए जा रही हूँ।
जय- अरे नहीं.. कुछ दिन पहले ही मैंने शॉपिंग की है।
रश्मि- अच्छा जाने दो भाई.. आपको मेरी फ्रेण्ड की बात बताऊँ.. आपको बहुत हँसी आएगी।
जय- हाँ बताओ… ऐसी क्या बात है?
रश्मि- वो मिडल क्लास फैमिली से है.. तो वहाँ ऐसे हाई फैशन कपड़े नहीं पहनते हैं और खास कर शॉपिंग के वक्त उसके साथ उसके पापा या भाई हों.. तो बस पूछो मत..
जय- अरे इसमे हँसने की क्या बात है.. शॉपिंग तो ज़्यादातर घर वालों के साथ ही की जाती है।
रश्मि- हाँ पता है.. आगे तो सुनो.. एक बार वो अपने भाई के साथ गई.. उसको कुछ कपड़े और अंडरगारमेंट लेने थे.. अब कपड़े तो उसने ले लिए.. भाई के सामने वो ब्रा पैन्टी कैसे खरीदे.. ये दिक्कत की बात थी।
रश्मि ने ये बात एकदम नॉर्मल होकर कही.. इस पर जय ने भी ज़्यादा गौर नहीं किया कि रश्मि क्या बोल रही है.. मगर ये रश्मि की चाल थी।
जय- अरे जब भाई के साथ आ ही गई तो लेने में क्या हर्ज है.. अगर उसको शर्म आ रही थी.. तो भाई को दुकान के बाहर भेज देती.. इसमें क्या है.. खैर.. फिर क्या हुआ.. उसने लिए या नहीं?
रश्मि- नहीं.. भाई के सामने लेने में उसको शर्म नहीं आई.. मगर फिर भी उसने नहीं लिए..
जय- अरे ये क्या बात हुई.. शर्म भी नहीं आई.. फिर भी नहीं लिए..
रश्मि- हा हा हा हा.. आगे तो सुनो.. क्यों नहीं लिए.. हा हा हा हा!
जय- अरे तू हँसना बन्द कर पहले.. बात तो बता मुझे..
रश्मि- हा हा.. उसने दो ड्रेस लिए तो उसके भाई ने कहा.. पहन कर दिखाओ बराबर फिट हैं या नहीं.. तो उसने सोचा अब अंडरगारमेंट लूँगी तो कैसे दिखाऊँगी हा हा हा हा..
रश्मि की बात सुनकर जय भी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।
जय- हा हा हा वो भी कोई हा हा पागल ही थी हा हा.. कुछ भी सोच लिया उसने.. इस दुनिया में भी कैसे-कैसे लोग हैं हा हा हा..
रश्मि- बस बस भाई ऐसे ज़्यादा हँसना ठीक नहीं.. आपके पेट में दर्द हो जाएगा। 
जय- अब क्या इरादा है.. और कुछ लेना है या चलें?
रश्मि- लेना तो है मगर…
जय- अरे क्या लेना है.. ले लो.. ये मगर क्या है?
रश्मि- भाई मुझे अंडरगारमेंट लेने हैं मगर आपने तो कहा था.. अब जो भी लेना हो.. पहले मुझे पहन के दिखाना तो थोड़ी सोच रही हूँ…
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02-06-2019, 05:16 PM,
#33
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि की बात सुनकर जय ज़ोर से हँसने लगा। उसको लगा रश्मि मजाक कर रही है.. मगर रश्मि ने अपना पासा फेंक दिया था।
रश्मि- भाई इसमें इतना हँसने की क्या बात है.. मुझे सच में लेने हैं।
जय- हा हा हा.. अरे तो ले ले.. इसमें सोचना क्या है.. तू भी अपनी फ्रेण्ड की तरह बेवकूफ़ी करेगी क्या.. ड्रेस दिखाना अलग बात है.. ये कोई दिखाता है क्या.. हा हा हा..
रश्मि- अच्छा अच्छा.. अब ज़्यादा मत हँसो और चलो मेरे साथ.. वो सामने की शॉप से लेंगे..
जय- अरे मैं क्या करूँगा जाकर.. तू ले ले ना.. अपने हिसाब से..
रश्मि- अब आप मिडल क्लास वाले मत बनो.. वहाँ शॉप में सब आदमी होते हैं मैं वहाँ पर अकेली नहीं जाऊँगी.. मुझे डर लगता है..
जय- अरे इसमें डर कैसा.. पागल कुछ भी बोल देती है, मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था.. चल मैं तेरे साथ चलता हूँ।
रश्मि- ये हुई ना दोस्तों वाली बात.. अब लगा कि आप मुझे दोस्त मानते हो.. चलो अब देखते हैं वहाँ पर कुछ अच्छा है या नहीं..
दोनों शॉप में चले गए.. वहाँ सिर्फ़ नाईटी और अंडरगारमेंट्स ही मिलते थे। हर तरफ़ बस वही नज़र आ रहा था।
जय उस माहौल में थोड़ा सा घबरा रहा था।
रश्मि- अरे क्या हुआ.. आप ऐसे चुप-चुप क्यों हो?
जय- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमको जो लेना है.. ले लो..
रश्मि ने दुकान वाले को कहा कि कुछ न्यू डिज़ाइन दिखाओ।
दुकानदार- मेमसाब आप साइज़ बता दो.. उस हिसाब से मैं नये डिज़ाइन निकालता हूँ।
रश्मि ने जय की तरफ़ देखा और हल्की सी स्माइल देते हुए कहा- आप 32″ के न्यू डिज़ाइन निकालो और हाँ सैट ही दिखाना।
दुकानदार- अभी लो मेमसाब.. बस 5 मिनट में निकालता हूँ।
जय ने जब रश्मि के मुँह से साइज़ सुना.. तो उसकी नज़र अपने आप उसके मम्मों पर चली गई और एक अजीब सी बेचैनी उसके मन में होने लगी.. उसका लौड़ा थोड़ी हरकत करने लगा।
रश्मि इन सब बातों पर गौर कर रही थी मगर वो जय से नजरें नहीं मिला रही थी.. बस इधर-उधर देख रही थी ताकि जय को पूरा मौका मिले।
तभी उसकी नज़र एक रबड़ के पुतले पर गई.. जिसने काली ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी.. जो पारदर्शी थी और बहुत सेक्सी भी दिख रही थी।
रश्मि ने उसको गौर से देखा और जय को आँखों से इशारा किया कि कैसी है?
जय तो इस अचानक हुए हमले से घबरा गया और अचानक ही उसके मुँह से निकल गया- ये तो बहुत सेक्सी है.. तुम पर बहुत मस्त लगेगी..
इतना कहकर जय झेंप गया कि ये कुछ ज़्यादा हो गया और वो खांसने लगा.. जैसे उसने कोई मिर्ची खा ली हो।
रश्मि- अरे क्या हुआ आपको.. आप ठीक तो है ना?
दुकानदार- ये लो सर.. पानी पी लो।
जय एक सांस में पूरा गिलास गटक गया और संयत हो गया।
दुकानदार- ये लीजिए.. सब नये डिज़ाइन आपके सामने हैं जो अच्छा लगे.. लेलो अगर नहीं पसन्द आए हों.. तो और कुछ दिखा दूँगा..
रश्मि सब सैट को आराम से हाथ में लेकर देखने लगी और चोर नज़र से जय की और भी देखती रही।
रश्मि- सब बहुत अच्छे हैं मगर कलर कौन सा लूँ.. ये समझ नहीं आ रहा.. आप कुछ मदद करो ना मेरी..
जय- अरे कोई भी लेले.. सब अच्छे ही हैं इसमें इतना सोचना क्या?
रश्मि- आप प्लीज़ बताओ ना.. कलर के बारे में आप ज़्यादा अच्छा जानते हो.. मैंने आपकी टीशर्ट्स देखी हैं बहुत मस्त हैं सब.. प्लीज़ प्लीज़ बताओ ना..
जय- देखो रश्मि.. ये पिंक वाली अच्छी है और वो ब्लू भी मस्त लग रही है। एक ये क्रीम ले लो और वो ब्लैक तो मैंने पहले ही बता दिया कि अच्छी है.. हाँ इनमे. रेड कलर होता तो और भी मस्त रहता।
दुकानदार- लाल भी मिल जाएगा.. आप कहो तो ले आऊँ?
रश्मि- अरे पूछना क्या है.. जल्दी ले आओ और ये सब भी पैक कर दो और हाँ वो सामने वाला सैट भी पैक कर देना.. ठीक है..
दुकानदार- जी मेम.. अभी करवा देता हूँ और कुछ भी देख लो.. आज नया माल आया है। कुछ अच्छी डिज़ाइन की नाईटी भी हैं वो वहाँ सामने देखो उनमें से भी कुछ पसन्द कर लो।
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. पहले ही बहुत कुछ ले लिया.. अब नाईटी लूँगी तो ये साब हम दोनों को मार देंगे हा हा हा हा हा..
जय- अरे ये क्या बोल रही हो.. मैं क्यों मारूँगा और जितना खर्चा तुमने किया है.. वो सब मैं वसूल भी कर लूँगा.. समझी.. चल देख ले जो भी तुम्हें पसन्द आए।
रश्मि- अच्छा.. कैसे वसूल करोगे आप.. ज़रा बताओ तो?
जय- अरे पागल मजाक कर रहा हूँ.. तू कौन सा रोज-रोज खर्चा करवाती है.. चल अब देख ले.. कुछ पसन्द आए तो?
दुकानदार- हा हा हा, कुछ भी कहो मेम ये साब जी आपको प्यार बहुत करते हैं देखो कैसे सब चीजों के लिए फ़ौरन मान जाते हैं।
जय- अरे प्यार कैसे नहीं करूँगा ये तो मेरी जान है.. मेरी प्यारी…
जय आगे कुछ बोलता इसके पहले रश्मि ने बोल दिया।
रश्मि- बस बस.. अब सारी कहानी मत बताओ.. आओ मेरे साथ कुछ नाईटी पसन्द करते हैं।
जय को कुछ समझ नहीं आया कि ये रश्मि को क्या हो गया है.. उसने ऐसे बीच में क्यों रोका..
रश्मि ने 2 सेक्सी नाईटी भी पसन्द की.. उसके बाद वो जब जाने लगे.. तो दुकानदार ने कहा- सच्ची इतने लोग यहाँ आते हैं मगर ऐसी खूबसूरत जोड़ी आज तक मैंने नहीं देखी..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स.. वैसे हम बस दोस्त हैं ओके बाई..
रश्मि बाहर निकल गई तो दुकानदार ने धीरे से कहा.. – हाँ पता है.. आजकल दोस्ती में ही सारे कांड हो जाते हैं इतने महंगे सैट तुझे दिलवाए हैं तो लड़का मज़ा भी पूरा लेगा हाँ…

बाहर आकर जय ने सवालिया नज़रों से रश्मि की ओर देखा..
अब आगे..
रश्मि- क्या हुआ आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? 
जय- मुझे उस वक्त बोलने नहीं दिया और अभी उसने जो बकवास की.. उसका जवाब भी तुमने अजीब सा दिया.. ऐसा क्यों.. मेरी समझ के बाहर है।
रश्मि- अरे भाई.. उस वक्त आप मेरी प्यारी बहन बोलने वाले थे.. इसलिए मैंने रोका और अभी उसने कहा कि अच्छी जोड़ी है तो मैंने कहा ना.. कि हम बस दोस्त हैं अब ये नॉर्मल बात है..
जय- अरे उसको पता होता कि तुम मेरी बहन हो तो वो ऐसी बात बोलता ही नहीं.. मगर तुमने मुझे रोका क्यों ये बताओ..
रश्मि- ओह्ह.. भाई आप कैसी बातें कर रहे हो.. हम बिंदास हैं ये हमें पता है.. मगर उसको नहीं.. उस वक्त उसको पता लगता मैं आपकी बहन हूँ तो वो सोचता कैसी बहन है.. जो अपने भाई के साथ ब्रा लेने आई है.. ये मिडल क्लास लोग गलत ही सोचते हैं इसलिए मैंने दोस्त कहा.. समझे..
जय- रश्मि तू सच में बहुत बड़ी हो गई है.. ऐसी बातें तेरे दिमाग़ में आई कहाँ से?
रश्मि- बस ऐसे ही आ गईं.. चलो भाई कुछ ठंडा पीते हैं गला सूख रहा है और बेचैनी सी हो रही है।
जय- अरे क्या हो गया तेरी तबीयत तो ठीक है ना?
रश्मि- सच बताऊँ भाई… मुझे खुद नहीं पता.. रात को भी एक अजीब सी बेचैनी दिमाग़ में थी। सुबह नाश्ता किया उसके बाद दोबारा वेसी ही बेचैनी महसूस कर रही हूँ।
जय- अरे कुछ नहीं.. ऐसे ही कल तेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा था ना.. इसलिए ऐसा हुआ होगा.. चल वहाँ सामने कॉर्नर पे आइसक्रीम खाते हैं।
दोनों आइसक्रीम खाने लगे.. उस दौरान नॉर्मली इधर-उधर की बातें करने लगे।
हाँ एक बात कुछ अजीब हुई कि रश्मि के जिस्म में एक सनसनाहट सी होने लगी थी।
उसको बहुत गर्मी लग रही थी उसने जय से कहा- बस अब कहीं और नहीं जाएँगे.. सीधे घर चलो.. मुझे बहुत गर्मी लग रही है। 
जय ने ज़्यादा कुछ नहीं कहा और मान गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये सीधी साधी रश्मि को क्या हो गया। ऐसे अचानक इसके मन में ऐसे विचार क्यों आने लगे। ये बात कुछ हजम नहीं हो रही तो चलो आपको हाजमोला दे देती हूँ।
अरे जस्ट जोकिंग यार.. इसका कारण नहीं जानना क्या.. तो चलो..
रंगीला और साजन बैठे हुए आगे का प्लान बना रहे थे।
साजन- यह तो समझ आ गया कि तुमने दोनों भाइयों को मेरे बारे में ये सब कहकर मना लिया कि मैं रश्मि को गेम के लिए रेडी करने में हेल्प करूँगा.. मगर वो सीधी साधी लड़की मानेगी कैसे?
रंगीला- तू शायद मुझे नहीं जानता.. मैं कौन हूँ उसको ऐसा बना दूँगा कि तुम खुद समझ नहीं पाओगे।
साजन- अच्छा जरा कुछ मुझे भी यार बताओ तो.. प्लीज़ प्लीज़?
रंगीला- सुन.. मेरे दिमाग़ का खेल.. मैंने कल रात उसको वी****उ दी थी.. अब उसके दिमाग़ में सिर्फ़ सेक्सी बातें आएँगी.. उसका जिस्म तपने लगेगा, वो समझ ही नहीं पाएगी कि उसको क्या हो रहा है।
साजन- अरे बाप रे.. ये तो एक किस्म का मसाला होता है.. मगर अपने उसको दी कैसे.. ये पहेली भी तो सुलझाओ भाई..
रंगीला- बेटा हर घर में नौकर तो होते ही हैं अब उनकी सही कीमत लगाने वाला मिल जाए तो बस बेचारे बिक जाते हैं। आज सुबह नाश्ते में भी उसको वो गोली दे दी गई है। अब बस उसका तमाशा शाम को देखना..
साजन- वाह.. भाई मान गया क्या दिमाग़ लगाया आपने.. मगर इससे हमारा क्या फायदा.. वो साली सेक्स की प्यासी होकर पहले कहीं किसी और से ना चुदवा ले?
रंगीला- मैंने कहा ना.. मेरे दिमाग़ को तू नहीं समझ पाएगा.. कल रात वो दवा रश्मि को दी.. और साथ में मैंने जय को भी नींद की दवा दिलवा दी थी।
साजन- भाई मुझे अब चक्कर आने लगा है आप क्या बोल रहे हो.. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा? ये जय को नींद की दवा का क्या मामला बीच में आ गया?
रंगीला- सुन तेरे चक्कर ख़त्म करता हूँ। मैंने नौकर को कहा कि ये दो तरह की गोली हैं ध्यान से सुन आज रात किसी तरह ये सफ़ेद गोली जय को और लाल रश्मि को दे देना।
साजन- वो नौकर को काम देने का तो मैं समझ गया कि वो उसने किसी तरह दे दी होगी.. मगर क्यों..? सवाल ये है मेरा..
रंगीला- बस अब सारा मामला अभी जान लेगा.. तो आगे गेम का मज़ा नहीं आएगा। अब चुप कर.. सामने देख विजय आ रहा है।
रंगीला और साजन बैठे हुए विजय का वेट कर रहे थे। उसको आता देख वो खड़े हो गए।
विजय- अरे क्या बात है साजन.. तू भी यहाँ है.. कुछ खास बात है क्या?
साजन- बहुत जल्दी में लगता है.. थोड़ा सब्र कर.. बैठ यहाँ।
रंगीला- मैंने बताया था ना.. साजन ने बुलबुल में पार्टी रखी है.. वहाँ जाना है या नहीं.?
विजय- अरे जाना क्यों नहीं है.. बड़े दिनों बाद तो ऐसी पार्टी हो रही है।
रंगीला- गुड.. आज शाम को एंट्री करवा लेना.. वैसे कौन-कौन आ रहा है.. रश्मि भी आएगी क्या साथ?
विजय- अरे कौन से क्या मतलब है? मैं और जय आयेंगे.. रश्मि किस लिए आएगी.. तुझे पता है ना वहाँ क्या होता है?
रंगीला- पता है.. शायद जय ले आए.. वो गेम के लिए कुछ भी कर सकता है।
विजय- हाँ शायद.. मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा यार.. साजन तुम दोनों पागल हो गए हो.. बहन के साथ ये सब ठीक नहीं.. एक बार और सोच लो, यह बहुत गलत बात है।
साजन- देखो विजय शुरू से ही जय और मेरे बीच ‘तू तू.. मैं मैं..’ होती रही है। तुम हमेशा बीच-बचाव करते हो.. मगर इस बार मैंने कुछ नहीं किया। ये सब शुरूआत जय ने की.. पर अब इसको ख़त्म मैं करूँगा।
विजय- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. वैसे इस गेम के लिए तुम्हारी बहन मान जाएगी क्या?
साजन- वो मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। तुम शाम को क्लब में रश्मि को ले आना.. रंगीला ने मुझे सब समझा दिया है।
विजय- उसकी फिकर तुम मत करो.. पहले ये बताओ तूने इतनी बड़ी पार्टी रखी कैसे..? जहाँ तक मैं जानता हूँ.. तू साला एकदम लुच्चा है।
साजन- क्या विजय.. अपना तेरे को पता है ना.. बड़ा-बड़ा पैसा वाला फ्रेण्ड है.. बस सब कर लिया किसी तरह।
रंगीला- अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है.. तुम रात को बुलबुल जाकर एंट्री ले लेना.. ओके..
विजय- अरे यार तुम ले लेना ना.. हमारा आना जरूरी है क्या?
रंगीला- अरे हाँ यार.. अबकी बार नया रूल है.. जिसको पार्टी में आना हो.. वहाँ जाकर एंट्री करवानी होगी.. तभी सनडे को आ पाएगा।
साजन- अच्छा यार.. मैं चलता हूँ.. मुझे थोड़ा काम है।
रंगीला- ओके तुम जाओ.. मुझे विजय से कुछ बात करनी है।
साजन वहाँ से चला गया तो दोनों हँसने लगे कि साला कैसे शेखी बघार रहा था कि शुरू जय ने किया और एंड में करूँगा।
विजय- वो कुत्ता नहीं जानता.. कि शुरू हमने किया है तो एंड भी हम ही करेंगे हा हा हा हा।
अब आगे..
रंगीला- हाँ सही कहा तुमने.. अच्छा यार रविवार को इस बार पार्टी में कुछ धमाल करते हैं।
विजय- हाँ क्यों नहीं.. धमाल करने का कोई प्लान है क्या.. बता तो?
रंगीला उसको बताने लगा कि कैसे वो सब वहाँ मज़ा करेंगे..
अब यहाँ कुछ खास नहीं हो रहा.. तो चलो रश्मि की हालत देख लो.. अब तो आपको पता भी लग गया कि कैसे उसकी शराफत को कमजोर किया जा रहा है।
दोनों घर की तरफ़ जा रहे थे तो जय को याद आया कि रश्मि के कमरे का एसी भी ठीक करवाना है.. बस उसने फ़ोन पर एसी वाले को बता दिया कि अभी के अभी आना है.. वो उनके घर अक्सर आता रहता है.. तो उसने कहा- बस 10 मिनट में पहुँच जाऊँगा।
दोस्तो, ये घर पहुँचे.. उसके पहले आपको कुछ जरूरी बात बता देती हूँ.. जिसका आपको जानना जरूरी है।
सिंगापुर के एक होटेल के कमरे में प्रीति बैठी हुई थी.. तभी वहाँ रणविजय आ जाता है।
प्रीति- कहाँ रह गए थे.. भाई साहब, मैं कब से आपका वेट कर रही हूँ।
रणविजय- तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगी.. मैंने कितनी बार मना किया कि मुझे भाई मत कहा कर..
प्रीति- अरे क्या.. आप ऐसे नाराज़ होते हो.. जिस दिन से आपके घर में आई हूँ.. भाई ही कहती आई हूँ.. अब आकाश के सामने आपने ही कहा था कि यह मेरी छोटी बहन जैसी है।
रणविजय- हाँ कहा था.. क्योंकि तुझे देख कर मेरी नियत बिगड़ गई थी और तुझे छूने का बहाना था वो.. मगर अब आकाश तो मर गया.. और तू मेरे साथ कितनी बार चुद चुकी है.. अब तो ये भाई बोलना बन्द कर दे।
प्रीति- अच्छा जब पहली बार मेरे साथ ज़बरदस्ती की थी.. उस दिन मैंने कितना कहा था कि आप मेरे बड़े भाई जैसे हो.. ऐसा मत करो.. तो आपने क्या कहा था.. याद है?
रणविजय- हाँ याद है.. मैंने कहा था अगर बहन तेरी जैसी माल हो.. तो मैं बहनचोद भी बनने को तैयार हूँ.. मगर इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं है.. अब तो हम दोनों खुश हैं तो ये दिल जलाने वाली बात क्यों करती हो?
प्रीति- तो मैं क्या करूँ.. वो रश्मि मुझे क्या-क्या कहती है.. जबकि सारा कसूर तुम्हारा है।
रणविजय- चुप करो तुम.. और उसको क्या बताना चाहती थी तुम.. हाँ.. बोलो?
प्रीति- सब कुछ जो तुमने मेरे साथ किया है और आज तक कर रहे हो.. यही सब मैं उसको कहाँ चाहती थी।
रणविजय- लगता है तुम भूल रही हो कि मेरे पास क्या है.. अगर वो सबके सामने आ गया ना.. तो सारी दुनिया तुझ पे थूकेगी समझी?

प्रीति- अरे मेरे जानू.. को गुस्सा आ गया.. मैं तो मजाक कर रही थी.. आओ तुम्हारा मूड ठीक कर देती हूँ।
रणविजय- आ गई न पटरी पे.. चल अभी नहीं.. पहले मैं फ्रेश होकर आता हूँ उसके बाद तुझे बताऊँगा कि मुझसे ज़ुबान लड़ाने की सज़ा क्या होती है।
प्रीति- कई सालों से सज़ा ही तो भुगत रही हूँ.. अब जो देना है दे देना जाओ.. जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. मैं भी थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ।
दोस्तों ये रेस्ट करें, तब तक रश्मि के पास चलो.. देखते हैं कि अभी तक वो घर में पहुँची या नहीं।
जय और रश्मि जब घर पहुँचे तो रश्मि सीधे अपने कमरे में चली गई शॉपिंग का सामान जय के पास था। उसने रश्मि को आवाज़ लगाई कि ये तो लेती जाओ.. मगर तब तक रश्मि कमरे में जा चुकी थी।
जय ने सोचा शायद उसने सुना नहीं होगा.. वो उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में चला गया। तब रश्मि अपना कमीज़ निकाल रही थी.. जय को देख कर वो रुक गई।
रश्मि- अरे क्या भाई सीधे ही मेरे कमरे में आ गए।
जय- सॉरी रश्मि वो तुम ये सब नहीं लेके आई थी.. तो देने आ गया था।
रश्मि- अच्छा ठीक है.. कोई बात नहीं आप जाओ.. मुझे चेंज करना है इन कपड़ों में मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
जय- तुम नहा लो.. तो फ्रेश हो जाओगी और अच्छा फील करोगी।
रश्मि- हाँ ये सही रहेगा.. ओके आप जाओ.. मैं फ्रेश होकर आती हूँ।
जय- अरे रूको वो एसी वाला आता ही होगा.. तुम ऐसा करो मेरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ तब तक मैं एसी ठीक करवा देता हूँ।
रश्मि मान गई और सारे बैग्स लेके वहाँ से चली गई।
जय नीचे चला गया तभी वो आदमी वहाँ आ गया।
Reply
02-06-2019, 05:16 PM,
#34
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
जय उसको रश्मि के कमरे में ले गया और एसी दिखा दिया। वो अपने काम में लग गया और जय वहीं खड़ा होकर उसको देखता रहा।
एसी मिस्त्री- सर इस एसी की सर्विस करनी पड़ेगी और गैस पाइप भी बदलना होगा।
जय- तो कर दो किसने रोका है।
एसी मिस्त्री- वो बात नहीं है सर.. इसको दुकान पर लेके जाना होगा।
जय- ओह्ह.. अच्छा मगर शाम तक वापस लगाना होगा ओके..
जय की बात वो मान गया और उसने बाहर खड़े अपने आदमी को अन्दर बुला लिया.. जिसकी मदद से एसी निकाल कर वो ले गया। इन सब कामों में कोई आधा घंटा लग गया तो जय ने सोचा रश्मि अब तक फ्रेश हो गई होगी। वो अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ा। 
रश्मि बाथरूम में अपने आपसे बात कर रही थी।
रश्मि- ये क्या हो रहा है मुझे.. क्यों मैं ऐसे वासना के भंवर में फँसती जा रही हूँ क्यों अपने ही भाई के बारे में गंदे ख्याल मेरे दिमाग़ में आ रहे हैं?
वो ये सब सोच ही रही थी कि उसे याद आया कि वो अपने कपड़े और अंडर गारमेंट लिए बिना आ गई और उसने तौलिया भी नहीं लिया है.. तभी जय कमरे में आ गया।
जय- रश्मि कहाँ हो तुम.. अभी तक बाथरूम से नहीं निकली क्या?
रश्मि- ओह्ह.. थैंक गॉड भाई.. आप आ गए.. मैं जल्दी में अपना तौलिया और कपड़े लाना भूल गई हूँ.. प्लीज़ आप मेरे जल्दी से कमरे से मेरा तौलिया और कपड़े ला दो ना..!
जय- अरे मुझे क्या पता.. तुमको क्या चाहिए.. जो कपड़े पहने थे वही पहन कर बाहर आ जाओ.. उसके बाद चेंज कर लेना।
रश्मि- ओहो.. आप तो कुछ समझते ही नहीं.. मेरे अंडर गारमेंट्स भीग गए हैं कम से कम यहाँ जो बैग्स रखे हैं.. उनमें से ही दे दो और हाँ एक नाईटी भी दे दो.. अब वापस ये कपड़े नहीं पहनना मुझे..
जय- ओके.. वेट.. देता हूँ।
जय बैग्स में से ब्रा और पैन्टी देखने लगा.. उसके मन में शैतान ने दस्तक दी कि ये लाल ब्रा और पैन्टी में रश्मि क्या मस्त लगेगी.. साथ ही उसने एक ब्लैक नाईटी निकाली.. जो घुटनों तक आने वाली थी.. वो उसने हाथ में ली और बाथरूम के पास जाकर आवाज़ दी- ये लो..
उधर रश्मि के मन में एक शरारत ने जन्म लिया.. उसने दरवाजा खोला और कुछ इस तरह अपना हाथ बाहर निकाला कि उसके मम्मों की हल्की सी झलक जय को दिख गई.. उसका मन विचलित हो गया.. मगर फ़ौरन ही उसने ये ख्याल दिल से निकाल दिया कि नहीं यह ग़लत है.. यह मेरी बहन है।
रश्मि ने जब ब्रा और पैन्टी देखी.. तो उसके चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान आ गई, फिर उसने नाईटी पर गौर किया।
रश्मि- ओह्ह.. भाई आपने सब अपनी पसन्द के आइटम मुझे दिए हैं इसका मतलब आपके दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ है।
रश्मि रेडी हुई और बाहर आई.. भीगे हुए बाल.. उनसे गिरता पानी.. उसकी नाईटी को भिगो रहा था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसके कंधे से उसकी ब्रा की स्ट्रिप साफ नज़र आ रही थीं।
अब जय कोई शरीफजादा होता तो शायद नजरें घुमा लेता.. मगर वो ठहरा पक्का चोदू.. वैसे भी सुबह से इसने बहुत कंट्रोल कर लिया था।
अब रश्मि को इस रूप में देखकर उसके होश उड़ गए, लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा, उसकी आँखों में वासना साफ नज़र आ रही थी।
रश्मि- क्या हुआ भाई.. ऐसे घूर के क्या देख रहे हो?
जय- अरे बाल तो पोंछ लेती.. कैसे पानी टपक रहा है।
रश्मि- आपने तौलिया दिया ही कहाँ.. जो मैं बाल पोंछती.. वैसे आप ऐसे घूर क्यों रहे हो मुझे?
जय- ओह्ह.. कुछ नहीं.. इस लुक में तू बहुत सस्स..स्मार्ट लग रही है।
रश्मि- हा हा हा हा भाई क्यों झूठ बोल रहे हो.. स्मार्ट लड़कों के लिए कहते हैं। सीधे-सीधे कहो ना.. सेक्सी लग रही हूँ हा हा हा हा..
जय- ये तुझे क्या हो गया है रश्मि.. पहले तो तू ऐसी नहीं थी.. सुबह से देख रहा हूँ.. तू बहुत ओपन होकर बात कर रही है।
रश्मि- अरे नहीं भाई.. मैं तो शुरू से ही ऐसी हूँ.. बस मुझ पर आपकी नज़र नहीं गई।
जय- अच्छा ये बात है.. तो तू भी पहले कहाँ ऐसे कपड़ों में मेरे सामने आई है।
रश्मि- अब आपने अपनी पसन्द के कपड़े आज ही दिलाए हैं. ऐसे पहले दिला देते.. तो पहले पहन लेती..
जय- अरे मेरी पसन्द का क्या मतलब है.. तुम्हें लेने थे.. मैंने तो बस कलर बताए तुम्हें..
जय उसकी ब्रा की स्ट्रिप को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ बोला।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा बस कलर बताए यानि आपकी पसन्द का कोई खास कलर नहीं था.. बस ऐसे ही सब कलर बता दिए थे आपने.. क्यूँ?
जय- और नहीं तो क्या..
रश्मि- ओहो.. तो तब शॉप में ऐसा क्यों कहा था कि रेड कलर होता तो अच्छा रहता.. और अभी मैंने कपड़े माँगे.. तब भी अपने लाल रंग के कपड़े ही दिए.. इसका क्या मतलब समझूँ मैं..? सच बताना.. आपको मेरी कसम है..
जय- अरे यार.. इसमें कसम देने की क्या जरूरत है.. ऐसे ही पूछ ले।
रश्मि- कसम इसलिए दी.. ताकि आप मुझसे झूठ ना बोलो.. समझे..
जय- ओके सुन.. रेड और ब्लैक मेरा पसंदीदा कलर है.. और खास कर तुम्हारे गोरे जिस्म पर ये बहुत जंचेगा.. बस मैंने यही सोचा था।
रश्मि की नज़र उसकी पैन्ट में बने तंबू पर गई.. तो वो मुस्कुराने लगी।
रश्मि- अच्छा तो ये बात है भाई.. इसका मतलब आपके दिल में ये भी होगा कि लाल रंग के सैट में आप मुझे देखना चाहते हो।
जय- क्क्क..क्या पागल हो गई है क्या.. कुछ भी बोल रही है।
रश्मि- जस्ट चिल भाई.. मजाक कर रही हूँ.. वैसे इसमें बुराई भी क्या है.. स्विम सूट में भी तो अपने एक बार मुझे देखा है।
जय- वो बहुत पहले की बात है.. अब तू बड़ी हो गई है।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा.. मैं ‘बड़ी’ हो गई हूँ.. इसलिए नहीं देखना चाहते.. वैसे दिल में तो है कि काश एक बार देखने को मिल जाए.. क्यों सच कहा ना?
जय- रश्मि प्लीज़ चुप रहो.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम अपने कमरे में जाओ.. मुझे बाथरूम जाना है।
रश्मि- भाई आप भी मिडल क्लास लोगों की तरह बात करने लग गए हो.. जस्ट चिल.. ये सब नॉर्मल है। हम हाइ क्लास फैमिली से हैं, ये सब चलता है यार..
रश्मि की सेक्सी बातें और उसकी क़ातिल अदाएं जय को पागल बना रही थीं.. अफ़सोस इस बात का है कि जय जैसा ठरकी लड़का इतना कंट्रोल कैसे कर रहा था।
इसकी दो वजह हो सकती हैं. या तो उनके बीच भाई और बहन का रिश्ता है.. वो उसे रोक रहा था.. या फिर मौके की नजाकत उसे रोक रही थी। क्योंकि यह दिन का समय था.. कोई भी किसी भी पल आ सकता था।

अब वजह चाहे कुछ भी हो.. जय तो काबू में था.. मगर रश्मि पर तो ड्रग्स का नशा छाया हुआ था। वो कहाँ मानने वाली थी।
जय- अरे इसमें लो और हाई की बात कहाँ से बीच में आ गई। अब मुझे बाथरूम जाना है.. तो जा ना..इ
रश्मि- भाई आप टॉपिक चेंज कर रहे हो.. सच बताओ मुझे 2 पीस में देखने का आपका मन है या नहीं?
रश्मि तो ड्रग्स के नशे में ये सब बोल रही थी.. मगर अब जय पर रश्मि की सेक्सी बातों का.. उसकी क़ातिल अदाओं का नशा चढ़ गया था.. जिसे उतारना किसी के बस में नहीं है.. ये आप अच्छी तरह जानते हो।
जय अब उस नशे के वश में हो गया था.. कामवासना का नशा कुछ होता ही ऐसा है।
जय नशीले अंदाज में बोला- हाँ देखना चाहता हूँ.. मगर तुम मेरी बहन हो ये सब ठीक नहीं होगा।
रश्मि- अरे भाई.. देखने में कोई बुराई नहीं है.. जो लड़कियाँ मॉडलिंग करती हैं उनके भी तो घर वाले उनको देखते हैं ना.. ये सब चलता है। आप अपने मन को क्यों दुखी करते हो.. मैं अभी आपको दिखा देती हूँ।
जय कुछ बोल पाता.. उसके पहले रश्मि ने नाईटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी। उसका कसा हुआ जिस्म.. लाल ब्रा-पैन्टी में कयामत लग रहा था।
जय की आँखें फट गईं.. ऐसा लाजबाव हुस्न देख कर उसके मुँह से लार टपकने लगी।
रश्मि- भाई देखो.. आपकी बहन किसी एक्ट्रेस से कम है क्या..
जय- वाउ रश्मि.. रियली यू आर ए हॉट गर्ल.. बम्ब हो यार.. बिल्कुल.. अगर तुम मेरी बहन ना होती ना.. तो..
यकायक जय चुप हो गया।
रश्मि- हा हा हा… क्या हुआ.. बोलो.. बोलो.. अगर बहन ना होती तो.. तो क्या करते..? बोलो ना भाई?
जय- कुछ नहीं अब नाईटी पहन लो कोई आ रहा है। जल्दी करो.. मैं बाथरूम जाता हूँ ओके..
जय की हालत रश्मि से छुपी नहीं थी वो नाईटी उठाने गई तो गाण्ड को मटका कर चलने लगी.. जिसे देख कर जय का लौड़ा बेकाबू हो गया। वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।
रश्मि- भाई.. होता है.. होता है.. जाओ आराम से करना.. ओके हा हा हा हा..
जय- ओह्ह.. क्या होता है.. और क्या करना.. हाँ त..त.. तू कहना क्या चाहती है.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा।
रश्मि- अब इतने भी भोले मत बनो भाई.. आपकी पैन्ट आपके दिल का हाल सुना रही है.. हा हा हा हा..
इतना बोलकर रश्मि ने जल्दी से नाईटी पहनी और वहाँ से भाग कर अपने कमरे में चली गई।
जय बड़बड़ाता हुआ बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।
जय- ये रश्मि को क्या हो गया है.. ऐसी सेक्सी बातें क्यों कर रही है.. कहीं इसकी जवानी जोश तो नहीं खा रही.. उफ्फ.. अब क्या करूँ साली मेरी बहन ना होती.. तो अब तक कब का इसको ठंडा कर देता.. मगर इसका कुछ सोचना तो पड़ेगा। फिलहाल लौड़े को ठंडा करता हूँ… साला बहुत अकड़ रहा है।
जय बाथरूम में चला गया और लौड़े को सहलाने लगा.. उसके जेहन में बस रश्मि ही घूम रही थी। ना चाहते हुए भी उसने रश्मि के नाम की मुठ्ठ मारी और सुकून की सांस ली। उसके बाद वो नहाने में मस्त हो गया..
उधर रणविजय जब बाहर आया.. तो प्रीति आराम से लेटी हुई थी..
रणविजय- मेरी जानेमन.. क्या बात है नींद आ रही है क्या?
प्रीति- नहीं.. नींद तो नहीं आ रही.. बस पुरानी बातें सोच रही थी।
रणविजय- कौन सी पुरानी बातें.. मेरी जान.. जरा मुझे भी बताओ?
प्रीति- कुछ नहीं.. जाने दो.. अब आपका क्या इरादा है.. वो भी बता दो.. और हाँ मुझे जो सज़ा देने वाले थे.. उसके बारे में कुछ सोचा क्या?
रणविजय- इरादे तो बहुत नेक हैं और सज़ा भी दूँगा..
रणविजय आगे कुछ बोलता.. उसके पहले उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने फ़ोन उठाया दो मिनट बात की और काट दिया और जल्दी से अपने बैग में कुछ ढूँढ़ने लगा।
प्रीति- अरे क्या हुआ.. किसका फ़ोन था..? ऐसे जल्दी में क्या देख रहे हो?
रणविजय ने उसको बताया- जिस काम के लिए हम यहाँ आए हैं वो आदमी आ गया है और मैं उससे मिलने अभी जा रहा हूँ।
प्रीति समझ गई कि उसको क्या चाहिए। उसने जल्दी से एक फाइल रणविजय को दी.. जो उसके बैग में थी। उसके बाद रणविजय रेडी होकर वहाँ से चला गया।
प्रीति वापस अपने ख्यालों में खो गई.. वही पुरानी बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगीं..
दोस्तो, इन दोनों की बातों से ये तो पता लग गया कि प्रीति के साथ कुछ गलत हुआ है.. मगर ये सब हुआ कैसे.. ये आपका जानना जरूरी है.. तो जानते हैं।
प्रीति अपने समय की एक बेहद खूबसूरत लड़की थी.. दरअसल ये मॉडल बनना चाहती थी.. इसकी कदकाठी.. इसका फिगर.. सब एकदम दुरुस्त था.. लेकिन इसका ये सपना साकार होता.. इसके पहले घर वालों ने इसकी शादी आकाश से कर दी और ये अपने शादीशुदा जीवन में सब भूल गई।
रणविजय शुरू से इस पर गंदी नियत रखता था, किसी ना किसी बहाने से इसे छूना उसकी आदत बन गई थी। अपने छोटे भाई के घर जाना.. अब उसका रोज का काम हो गया था।
कुछ सालों तक ये चलता रहा। इस दौरान विजय पैदा हो गया और वक़्त धीरे-धीरे गुज़रता रहा।
एक दिन कार दुर्घटना में आकाश की मौत हो गई और प्रीति की दुनिया उजड़ गई।
कुछ दिन बाद रणविजय प्रीति और विजय को अपने साथ घर ले आया। उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा विजय को मिला.. तो बाकी दो जय और रश्मि के थे।
प्रीति को नीचे का कमरा दिया गया।
कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे।
एक रात काम्या जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो रणविजय चुपके से प्रीति के कमरे में गया, उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।
प्रीति ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?
रणविजय- प्रीति मुझसे तुम्हारा दर्द देखा नहीं जाता.. अरे आकाश नहीं है तो क्या हुआ.. मैं हूँ ना.. तुम बस ‘हाँ’ कह दो.. तुम्हें इतनी खुशियाँ दूँगा कि तुम सब गम भूल जाओगी।
प्रीति- यह आप क्या बोल रहे हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
रणविजय ने प्रीति के गालों को सहलाते हुए कहा- मैं जानता हूँ.. आकाश के जाने बाद तुम अकेली तड़प रही हो.. मगर अब मैं तुम्हें प्यार दूँगा.. तुम्हारी जरूरत को पूरा करूँगा।
प्रीति एक झटके से खड़ी हो गई- आपको शर्म आनी चाहिए.. ऐसी बातें करते हुए.. मैं आपको भाई कहती हूँ और आप मुझ पर नियत खराब कर रहे हो?
रणविजय- अगर बहन तेरी जैसी हो.. तो अच्छे अच्छों की नियत बिगड़ जाती है। अब ज़िद ना करो.. मान जाओ मेरी बात.. मुझे बहनचोद बनना मंजूर है। बस एक बार मेरी बाँहों में आ जाओ।
प्रीति- छी: कैसी गंदी बातें कर रहे हो आप.. चले जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.. सब को आपकी ये कुत्सित सच्चाई बता दूँगी।
रणविजय- आ जा साली.. ज़्यादा नखरे मत कर.. अगर मेरी बात ना मानी ना.. तो साली तुझको दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दूँगा। तेरे बेटे से भीख मंगवाऊँ मैं.. तुझे शायद पता नहीं.. सारा काम.. बैंक मनी.. और जायदाद सब मेरे नाम पर है.. तुम माँ-बेटे को इस घर से दूध में से मकखी की तरह निकाल फेंकूगा।
रणविजय की बात सुनकर प्रीति रोने लगी, उसकी खूब मिन्नतें की.. मगर रणविजय पर वासना का शैतान सवार था.. वो कहाँ मानने वाला था।
प्रीति- प्लीज़ भाई साहब.. मुझ पर रहम करो.. आप एक बेटी के बाप हो.. आपको भगवान से डरना चाहिए। कल को उसके साथ ऐसा हो गया.. तो क्या होगा? मैं भी किसी की बेटी हूँ.. एक बेटे की माँ हूँ.. प्लीज़..
रणविजय- चुप साली.. मुँह बन्द कर अपना.. मेरे बेटे और बेटी के बारे में एक शब्द भी मत कहना.. नहीं तो तेरी ज़ुबान खींच दूँगा.. अब जल्दी सोच ले.. मेरी बात मानेगी.. या घर से धक्के खाकर जाएगी?
प्रीति ने बहुत मना किया.. मगर रणविजय ना माना। आख़िर प्रीति को रणविजय की बात माननी पड़ी.. मगर उसने एक शर्त रखी कि विजय को वो सगे बेटे की तरह रखेंगे.. तभी वो उनकी हर बात मानेगी।
रणविजय पर हवस का भूत सवार था, उसने सब बात मान ली और प्रीति के साथ चुदाई करने लगा।
प्रीति जवान थी… उसके लिए भी ये शुरू में गंदा था.. मगर चुदाई का चस्का उसको भी लग गया। अब अपने ही पति के बड़े भाई की रखैल बनकर वो रहने लगी।
कुछ दिन विधवा बनी रही.. उसके बाद रंगीन साड़ी पहन ली.. पढ़ी-लिखी थी तो काम में भी रणविजय का साथ देने लगी.. या यूँ कहो कि अपने पति की जगह अब वो रणविजय की पार्ट्नर बन गई।
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02-06-2019, 05:16 PM,
#35
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
तो यह थी प्रीति की दास्तान.. अब इनकी चुदाई दिखाती.. तो कहानी लंबी हो जाती.. इसलिए शॉर्ट में आपको इनकी पिछली जिंदगी के बारे में बता दिया।
चलो अब यहाँ कुछ नहीं है.. वापस रंगीला के पास चलते हैं जहाँ आपके काम की बात है।
विजय के जाने के बाद रंगीला ने किसी को फ़ोन किया और उसको कहा कि जल्दी कैफे में आ जाए.. वो यहीं उसका वेट करेगा।
कुछ देर बाद एक आदमी जो करीब 40 साल के आस-पास का होगा.. वो कार से वहाँ आया। उसका नाम क्या था ये तो किसी को पता नहीं.. मगर सब उसको बिहारी कहते थे।
रंगीला- अरे आओ आओ बिहारी.. मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था। ये लो तुम्हारे पैसे.. मैंने कहा था ना.. तुम्हारे पैसे समय से पहले तुमको मिल जाएँगे।
बिहारी- अरे मिलेगा कैसे नहीं.. साला हम काम भी तो समय से पूरा करता हूँ ना.. और किसी की का मज़ाल जो बिहारी का पईसा खा जाए।
रंगीला- अच्छा ठीक है.. जानता हूँ तुमको.. और तुम्हारी ताक़त को.. अब सुनो ये कम बड़ी सावधानी से करना.. नहीं तो मैडम नाराज़ हो जाएगी।
बिहारी- का बात करत हो.. हम कोई बच्चा हूँ का.. जो बार-बार समझाना पड़ेगा.. हम कह दिया हूँ ना.. तुम एक बार इस बिहारी को काम दई दो.. उसके बाद भूल जाओ.. हम सब जानता हूँ.. कब क्या और कईसे करना है..
रंगीला- अच्छा ठीक है.. सुनो.. अब तक तुमने जो किया.. वो बस खेल की शुरूआत थी.. अब असली खेल का समय आ गया है.. इसमें कोई चूक हुई तो समझो.. अब तक किया सारा कम चौपट हो जाएगा और हमारी सारी मेहनत गई पानी में..
बिहारी- अरे टेन्शनवा ना लो.. हम हूँ ना.. सब संभाल लूँगा.. बस आप तो समय पर हमको पईसा देते रहो।
रंगीला ने उसको विश्वास दिलाया कि उसको समय पर पैसे मिलते रहेंगे। बस वो काम ठीक से करे।
उसके बाद बिहारी वहाँ से चला गया और रंगीला अपने रास्ते निकल लिया।
दोपहर तक ऐसा कुछ खास नहीं हुआ.. जो आपको बताऊँ।
लंच के समय रश्मि और जय आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी रश्मि ने थोड़ी गरम शरारत की.. विजय ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली रश्मि को फिर से दे दी.. शायद वो रश्मि के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद रश्मि अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो जय के पास चली गई।
जय- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई?
लंच के समय रश्मि और जय आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी रश्मि ने थोड़ी गरम शरारत की.. विजय ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली रश्मि को फिर से दे दी.. शायद वो रश्मि के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद रश्मि अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो जय के पास चली गई।
जय- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई..?
रश्मि- आपको पता है ना.. मेरे कमरे का एसी नहीं है.. तो वहाँ पर कैसे आराम करूँगी?
जय- ओह्ह.. सॉरी भूल गया था.. ऐसा करो.. तुम यहाँ आराम करो.. मैं विजय के पास चला जाता हूँ.. थोड़ा काम भी है मुझे..
रश्मि ने अभी टी-शर्ट और बरमूडा पहना हुआ था.. वो नाईटी उसने पहले ही बदल ली थी। अब दवा का असर तो आप देख ही चुके हो.. रश्मि के मन में बस जय ही आ रहा था।
रश्मि- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन बहन को छोड़कर कहाँ जा रहे हो?
जय- नॉटी गर्ल.. कहीं नहीं जा रहा हूँ.. तुम आराम करो.. बस अभी वापस आ जाऊँगा.. ओके..
जय ने किसी तरह रश्मि को समझाया और वहाँ से विजय के पास चला गया।
विजय- अरे आओ भाई.. क्या चल रहा है.. हो गई शॉपिंग?
जय चुपचाप उसके पास आकर बैठ गया। वो अभी भी रश्मि के बर्ताव के बारे में ही सोच रहा था।
विजय- हैलो भाई.. कहाँ खोए हुए हो.. मैंने कुछ पूछा आपसे?
जय- कुछ नहीं यार.. यह रश्मि को क्या हो गया है.. कल से ही बहुत अजीब तरह से पेश आ रही है।
विजय- ऐसा क्या हुआ और अजीब से आपका क्या मतलब है भाई?
जय- लगता है.. हॉस्टल में किसी बिगड़ी हुई लड़की के साथ रहकर आई है.. तभी ऐसी हरकतें कर रही है।
विजय- अरे भाई.. क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो.. सीधे से बताओ ना.. क्या हुआ और रश्मि कैसी हरकतें कर रही है?
जय- अरे यार.. वो थोड़ी बोल्ड हो गई है.. मेरे साथ शॉपिंग माल में गई.. कपड़ों के साथ ब्रा और पैन्टी भी ली.. मुझे कुछ अजीब सा लगा..
विजय- हा हा हा अरे भाई.. आप कब से इतने सीधे हो गए.. वैसे ये कोई बड़ी बात नहीं है.. हम मॉर्डन फैमिली के हैं ऐसी शॉपिंग कभी कभी हो जाती है.. जस्ट चिल..
जय को समझ नहीं आ रहा था.. कि वो विजय को पूरी बात बताए या नहीं.. फिर उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
विजय- अच्छा भाई वो रंगीला बता रहा था.. बुलबुल पार्टी में एंट्री के लिए शाम को वहाँ जाना होगा।
जय- हाँ ठीक है.. साथ चलेंगे.. वैसे शाम को रश्मि को क्लब भी ले जाएंगे ताकि उसको खेल के लिए बता सकें.. क्यों क्या कहते हो तुम?
विजय- भाई मेरे हिसाब से तो ये खेल का आइडिया ही बेकार है। भले आप जीत जाओ.. मगर ज़रा सोचो.. रश्मि को पता तो लग ही जाएगा कि वहाँ क्या होने वाला है।
जय- देखो विजय.. अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा.. मगर तुम जानते हो मेरा एक डायलॉग फिक्स है कि जय खन्ना ने ज़ुबान दे दी मतलब दे दी.. अब उसको बदलने का सवाल ही नहीं.. अब अगर में ना कहूँ.. तो साजन मेरी इज़्ज़त का भाजी-पाला कर देगा.. समझा तू?
विजय- अच्छा ठीक है.. मगर इसके ज़िम्मेदार आप ही होंगे.. प्लीज़ मुझे रश्मि को मनाने के लिए मत कहना।
जय- अरे नहीं कहूँगा तुझे.. यह मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। चल तू बता कहाँ गया था और रंगीला ने क्यों बुलाया था?
विजय ने उसको वहाँ की सब बात बताई..
जय- अच्छा ये बात है.. वैसे रश्मि को मनाना.. अब मुश्किल नहीं लग रहा.. उसकी बातें कुछ बता रही हैं कि इतने साल चुप-चुप रहने वाली हमारी बहन अब खुलना चाहती है।
विजय- अरे अब वो बड़ी हो गई है.. अच्छा है ना.. थोड़ा घूमेगी-फ़िरेगी तो दिल लगा रहेगा उसका.. वैसे क्या आपने शाम के लिए उसको बता दिया?
जय- अरे नहीं बताया.. भूल गया.. चल, मैं जाता हूँ.. नहीं तो वो सो जाएगी।
विजय- भाई.. बड़े पापा का फ़ोन आया था.. आपको याद दिला दूँ कि वो पेपर अंकल को देने हैं।
जय- ओह्ह.. थैंक्स यार.. मैं तो भूल ही गया था.. ओके मैं रश्मि को शाम के लिए बता कर अभी निकलता हूँ.. तू भी साथ आ रहा है क्या?
विजय- नहीं भाई.. आप जाओ मुझे थोड़ा आराम करना है।
जय जल्दी में वहाँ से निकल गया और अपने कमरे में गया.. तो देखा रश्मि चादर ओढ़े हुए लेटी हुई थी और उसकी निगाहें दरवाजे पर ही टिकी हुई थीं.. मगर बन्द थीं जैसे बहुत देर से किसी का वेट कर रही हो और थक कर सो गई हो।
जय उसके पास गया और.. 
अरे यार यहाँ थोड़ा सा ट्विस्ट है.. खुद देख लो..
जय- अरे तू सोई नहीं अब तक.. मैं समझा सो गई होगी।
रश्मि- क्या भाई.. आपने कहा था बस अभी आता हूँ और आपने कितनी देर लगा दी आने में?
जय- अरे मुझे विजय से कोई जरूरी बात करनी थी यार.. वैसे तुम मेरा इन्तजार क्यों कर रही हो?
रश्मि- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन लड़की आपका वेट कर रही है और आप उससे वजह पूछ रहे हो?
जय- रश्मि तुम्हें क्या हो गया है? मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ब्वॉय फ्रेण्ड नहीं.. जो ऐसी बातें कर रही हो..
रश्मि- अरे आपने ही तो कहा था.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड हो..
जय- अरे.. मैंने ऐसा कब कहा?
रश्मि- हा हा हा भाई आप भी ना देखो आपने ही कहा था कि हम फ्रेण्ड हैं.. सही है ना..
जय- हाँ कहा था.. मगर फ्रेण्ड.. ओके..
रश्मि- आप गर्ल हो या ब्वॉय.. ये बताओ?
जय- अरे ये कोई पूछने की बात है.. ब्वॉय हूँ यार..
रश्मि- गुड.. अब सुनो आप ब्वॉय हो और मेरे फ्रेण्ड भी.. तो हुए ना ब्वॉय फ्रेण्ड.. हा हा हा हा..
जय- बड़ी मजाकिया हो गई हो तुम रश्मि.. वैसे यह चादर क्यों ओढ़ी हुई है तुमने?
रश्मि- बेड पर आकर आराम से बैठो तब बताऊँगी..
जय बेड पर रश्मि के पास ठीक से बैठ गया और कहा- अब बोलो..
रश्मि ने जय का हाथ पकड़ा और धीरे से चादर के अन्दर अपने सीने पर रख दिया।
रश्मि- देखो भाई मेरा जिस्म आग की तरह जल रहा है.. अब आप खुद समझदार हो.. इस हालत में मुझे ब्वॉय फ्रेण्ड क्यों चाहिए..
जय का हाथ जब रश्मि के नर्म मम्मों से टच हुआ.. तो उसकी हालत बिगड़ गई लौड़ा बगावत पर आ गया।
जय को थोड़ी देर बाद समझ आया कि उसका हाथ रश्मि के मम्मों को सीधे स्पर्श हो रहा है.. यानि रश्मि के मम्मे एकदम नंगे हैं.. बस यह अहसास होते ही उसने जल्दी से अपना हाथ बाहर खींच लिया और खड़ा हो गया।
जय- यह क्या है रश्मि.. तुमने कपड़े नहीं पहने है क्या?
रश्मि- भाई मेरा जिस्म जल रहा है.. मुझे कपड़े काटने को दौड़ रहे थे.. मैंने निकाल दिए.. प्लीज़ कुछ करो ना.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
जय- ओह्ह.. क्या करूँ यार.. रियली तुम पागल हो गई हो.. मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ये सब गलत है..
रश्मि- मैं जानती हूँ भाई.. इसी लिए मैंने अब तक अपने आपको रोका हुआ है.. नहीं तो कब की ये चादर हटा कर आपसे लिपट जाती.. मगर पता नहीं क्यों मुझे आप बहुत अच्छे लग रहे हो.. बस दिल करता है मैं आपसे लिपट जाऊँ.. खूब प्यार करूँ आपको..
जय- रश्मि प्लीज़.. स्टॉप दिस नॉनसेन्स.. हद होती है किसी बात की..
रश्मि- भाई अगर आप इसको गलत समझते हो.. तो क्यों आपका ‘ये’ ऐसे बिहेव करता है.. क्यों आप मेरे जिस्म को देख कर मज़े लेते हो..?
रश्मि ने जय की पैन्ट की और इशारा करते हुए ये बात कही थी.. जहाँ अभी भी तंबू बना हुआ था।
जय- ओह्ह.. क्या कहना चाहती हो तुम.. मैं ऐसा कुछ नहीं सोचता..
रश्मि ने कुछ कहने की बजाय चादर अपने ऊपर से हटा दी। वो पूरी नंगी थी.. उसके जिस्म की झलक मिलते ही जय के सोचने समझने की ताक़त फुर्र हो गई, वो बस रश्मि को निहारने लगा।
रश्मि खड़ी हुई और जय के बिल्कुल करीब आकर उससे लिपट गई। उसने अपने सुलगते होंठ जय के होंठों पर रख दिए। बस यही वो पल था जब शैतान ने अपना काम शुरू कर दिया, वो जय के दिल और दिमाग़ पर हावी हो गया, उसने एक भाई को वासना के भंवर में ऐसा फँसा दिया कि अब वो भी उसको चूमने लगाम उसके जिस्म पर हाथ घुमाने लगा.. दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और किस करते रहे।
जय का दिमाग़ अब बन्द हो चुका था और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी हसीन अप्सरा जो उसकी बाँहों में थी।
जय ने रश्मि को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी मचलती जवानी को घूरने लगा। उसकी फड़कती चूत को देखकर उसके लौड़े में एक्सट्रा तनाव आ गया था.. वो बेकाबू हो गया और रश्मि पर टूट पड़ा, उसके मम्मों को दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा।
रश्मि- आह्ह.. भाई.. आह्ह.. नहीं उफ्फ.. ये सब आह्ह.. बाद में करना.. आह्ह.. पहले मेरी चूत की आ..आग मिटाओ.. आह्ह.. मसल दो मेरी चूत को.. आह्ह.. उहह..
रश्मि की तड़प देख कर जय ने फ़ौरन अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए और उसकी गुलाब की पंखुड़ी जैसे चूत के होंठों को चूसने लगा, अपनी जीभ की नोक से वो चूत को चाटने लगा।
रश्मि- आह्ह.. सस्सस्स भाई.. आह्ह.. नहीं.. यू उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आह्ह.. ज़ोर से करो आह्ह.. मेरी चूत में तूफान मचा हुआ है.. आह्ह.. सस्स मैं गई आह्ह.. उहह..
रश्मि पहले से ही बहुत गर्म थी। जय के गर्म होंठों का स्पर्श उससे सहन नहीं हुआ.. वो मस्ती में आ गई, उसकी चूत बहने लगी। आज एक कुँवारी कली की चूत पर पहली बार किसी के गर्म होंठ लगे थे, वो मस्ती में कमर हिला-हिला कर झड़ रही थी, उसकी आँखें मज़े में बन्द हो गई थीं.. जब जय ने उसकी चूत को अच्छे से चाट-चाट कर साफ कर दिया.. तो वो उठ गया और रश्मि के मासूम चेहरे को निहारने लगा, उसके गालों पर हाथ घूमने लगा।
जय- रश्मि.. ओ मेरी प्यारी गुड़िया.. सो गई क्या.. उठो ना..
रश्मि जैसे गहरी नींद से जागी हो.. उसने मुस्कुराते हुए आँखें खोलीं और जय के हाथ को चूमने लगी।
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई सच्ची.. आपने दुनिया का सबसे बेस्ट मज़ा मुझे आज दिया है.. थैंक्स थैंक्स भाई थैंक्स..
जय को एक झटका सा लगा कि उसने ऐसा क्या मज़ा दे दिया है रश्मि को.. जो वो ऐसे बिहेव कर रही है।
जय- ओ हैलो.. मेरी प्यारी बहना.. किस बात के लिए थैंक्स.. मैंने क्या किया है.. लगता है तुमने कोई सपना देखा है.. जिसमें मैंने तुमको कोई गिफ्ट दिया है.. हा हा हा हा.. उठो.. मुझे तुमसे कोई बात करनी है।
रश्मि को जब ये अहसास हुआ कि यह असल में एक सपना ही था.. मगर ऐसा सपना जो हक़ीक़त से भी ज़्यादा मज़ा देने वाला था। उसने अपनी चूत को छूकर देखा तो वो बहुत गीली थी। इसका साफ-साफ मतलब यही था कि उसका पानी सच में निकल गया था.. लोगों का नाइट फ़ाल होता है.. उसका चूत का फाल हो गया था और हाँ वो कोई नंगी नहीं थी, उसने अपने कपड़े पहने हुए थे।
चूत के रस से उसकी पैन्टी के साथ उसका बरमूडा भी गीला हो गया था। अगर चादर हटा दो तो देखने वाला फ़ौरन समझ जाए कि उसका अभी-अभी रिसाव हुआ है।
रश्मि ख्यालों में खोई हुई यही सोच रही थी कि जब सपने में इतना मज़ा आया तो ये रियल में होगा.. तब उसको कितना मज़ा आएगा।
जय- अरे उठो.. कहाँ खोई हुई हो.. ज़रा मुझे भी तो बताओ.. क्या सपना देखा.. मैंने ऐसा क्या गिफ्ट दिया.. जो तुम इतनी खुश हो गई।
रश्मि- ओह्ह.. भाई काश आप रियल में ऐसा करते.. सच में बहुत मज़ा आया।
जय- अरे बताओ तो.. क्या हुआ था?
रश्मि के होंठों पर क़ातिल मुस्कान थी.. अब उसका दिमाग़ सुकून में था।
रश्मि- कुछ नहीं भाई.. अभी बता दूँगी तो आप सच में मुझे वो कभी ना दे पाएँगे.. इसका वक़्त आएगा.. तब बताऊँगी। मगर प्लीज़ आप मुझे वो गिफ्ट दोगे ना.. मना तो नहीं करोगे अपनी बहन को?
जय- अरे कैसी बातें करती हो.. तुम मेरी स्वीट बहन हो.. मैं कभी तुम्हें किसी चीज के लिए मना कर सकता हूँ क्या.. जो बोलोगी दे दूँगा..
रश्मि- पक्का वादा? कहीं मुकर तो नहीं जाओगे आप?
जय- ओहो.. अच्छा पक्का वादा नहीं मुकुरूँगा.. जब चाहो माँग लेना.. बस खुश.. चलो उठो.. ये चादर हटाओ और ठीक से बैठो।
रश्मि- न्न्न..नहीं नहीं.. भाई ये रहने दो.. क्या बात है बोलो.. मैं सुन रही हूँ ना..
जय- ओके ओके.. रहने दो.. अच्छा सुनो.. शाम को क्लब में एक पार्टी है.. वहाँ मेरे साथ चलोगी ना तुम?
रश्मि- अरे मैं वहाँ जाकर क्या करूँगी भाई?
जय- अरे.. शाम को मेरे साथ क्लब चलोगी.. तो वहाँ मेरे कुछ दोस्तों से तुमको मिलवाना है।
रश्मि- मैं उनसे मिलकर क्या करूँगी?
जय- अरे बाहर जाओगी.. लोगों से मिलोगी.. तभी तो सब को पता लगेगा ना.. कि तुम जय खन्ना की बहन हो.. उसके बाद किसी की क्या मज़ाल जो तुमको परेशान करे.. जैसे उन लड़कों ने किया था.. हॉस्टल के बाहर..
रश्मि- हाँ ओके.. चलेंगे वो आपका दोस्त साजन भी आएगा क्या वहाँ?
जय- हाँ आएगा ना.. क्यों उसके बारे में क्यों पूछ रही हो तुम?
रश्मि- अब आप तो मेरे भाई हो और इस उमर में एक लड़की को ब्वॉयफ्रेण्ड की जरूरत होती है.. सोच रही हूँ साजन को ही बना लूँ लड़का अच्छा है..
जय- रश्मि तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या… वो साजन ठीक नहीं है.. तुम उसको जानती ही कितना हो?
रश्मि- ओह्ह.. ये बात है.. तो ठीक है ना.. आज शाम को जान लूँगी.. क्यों ठीक कहा ना मैंने भाई?
जय- नहीं रश्मि प्लीज़.. ऐसा मत कहो वो साजन सही लड़का नहीं है.. तुम बात को समझो..
रश्मि- ठीक है भाई.. मगर एक शर्त पर.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड तो नहीं बन सकते.. मगर मेरी हेल्प तो कर सकते हो.. कोई अच्छा लड़का चुनने में?
जय- ओके.. मैं ये कर सकता हूँ.. मगर ये अचानक तुमको ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत क्यों पड़ गई.. आज से पहले तो तुम इन सब से दूर रहती थी।
रश्मि- भाई अभी सपने में मेरी आपसे बहस हो रही थी और हक़िक़त में भी आप ऐसे ही कर रहे हो.. ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत नहीं होती.. ये तो एक फैशन है.. अब मुझे कहीं बाहर जाना हो.. घूमना हो.. तो सेफ्टी के लिए एक लड़का तो साथ होना चाहिए ना.. और वैसे भी आजकल की लड़कियाँ ब्वॉय फ्रेण्ड बनाती इसलिए हैं ताकि एटीएम मशीन और उसका बॉडी गार्ड उसके साथ ही रहे और ये दोनों खूबी ब्वॉय फ्रेण्ड में होती हैं।
जय- अरे ये मिडल क्लास लड़कियों की तरह क्यों सोच रही हो.. तुम्हें पैसे की क्या कमी है.. जो किसी उल्लू का सहारा लोगी.. और रही बात सेफ्टी की.. तो मैं किस लिए हूँ.. तेरा भाई हाँ?
रश्मि- ओह्ह.. भाई आपसे बहस करना बेकार है.. जाओ नहीं चाहिए ब्वॉय फ्रेण्ड.. ओके खुश लेकिन आप मेरे पक्के वाले फ्रेण्ड तो बन सकते हो ना?
जय- अरे इसमें पूछने की क्या बात है.. मैं तो हूँ ही तेरे पक्का दोस्त.. चल अब तू आराम कर.. मैं बाहर जाकर आता हूँ थोड़ा काम है..
रश्मि- क्या भाई.. अभी आए और अभी वापस जा रहे हो?
जय- अरे कुछ अर्जेंट काम है.. शाम को रेडी रहना.. ओके वहाँ जाना है..
रश्मि- ओके.. माय स्वीट ब्रो.. जाओ शाम को मिलते है बाय..
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02-06-2019, 05:17 PM,
#36
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
जय वहाँ से चला गया और रश्मि सपने के बारे में सोचने लगी कि कैसे इसे हक़ीकत का रूप दिया जाए। जय के जाने के बाद रश्मि बाथरूम में गई.. अपने आप को साफ किया और आकर वापस सो गई।
उधर रंगीला वहाँ से साजन और उसके दोस्तों के पास गया। शायद आगे के लिए कोई प्लानिंग करनी होगी.. तो आओ देखते हैं वहाँ क्या खिचड़ी पक रही है।
साजन- अरे आओ भाई.. हम अभी आपके बारे में ही बात कर रहे थे।
आनंद- भाई आपने तो इस खेल को बहुत उलझा दिया है.. कैसे-कैसे आइडिया लगा रहे हो आप?
रंगीला- दोस्तो, जिस खेल से किसी की जिंदगी बदल जाए.. वो कोई छोटा-मोटा खेल नहीं होता.. समझे.. इसलिए ये सब आइडिया लगाना पड़ता है। आज तुम्हें एक राज़ की बात बताता हूँ.. गौर से सुनो..
साजन- बताओ भाई बताओ.. आपकी कहानी में राज़ बहुत होते हैं.. वैसे लग रहा है कि आगे मज़ा बहुत आने वाला है..
रंगीला- सही कहा.. जैसे-जैसे राज़ खुलेंगे.. मज़ा बढ़ता जाएगा। देखो ताश की गड्डी में 4 इक्के होते हैं.. जिसके पास 3 इक्के आ जाते हैं उसको कोई हरा नहीं सकता.. सही है ना?
सुंदर- सोलह आने सच है भाई..
रंगीला- गुड.. अब सुनो इस खेल में तुम तीनों 3 इक्के हो.. और चौथा इक्का मैं हूँ.. यानि इस खेल के खिलाड़ी के पास चारों इक्के मौजूद हैं.. सामने वाला लाख सर पटक कर मर जाए.. वो किसी हाल में जीत ही नहीं सकता.. समझे ये है मेरा राज़..
साजन- भाई बुरा ना मानना.. मगर अपुन के सर के ऊपर से निकल गया.. हम 3 इक्के.. ये समझ आ गया.. मगर आप चौथे इक्के हो.. ये खोपड़ी में नहीं घुसा.. आप तो खिलाड़ी हो.. हाँ कोमल को चौथा इक्का कहते.. तो बात भेजे में फिट हो जाती..
रंगीला- अबे साले.. ऐसे तो बड़ा तेज बनता है.. कोमल और रश्मि तो इस खेल के कॉइन हैं जिन पर दांव लगाया जा रहा है.. अब देख विजय और जय समझते हैं कि मैं उनके साथ हूँ.. मगर असल में यह खेल मैं उनके खिलाफ खेल रहा हूँ.. तो हुआ ना चौथा इक्का..
साजन- हाँ भाई.. एकदम सही है.. अब बात समझ आ गई है।
रंगीला- अब सुनो.. शाम को रश्मि क्लब में आएगी.. तुम किसी तरह सनडे पार्टी के लिए उसको मना लेना.. या ऐसा समझो उसके दिमाग़ में ये बात डाल देना ताकि वो पार्टी में आने के लिए जय के पीछे पड़ जाए.. उसके बाद मुझे क्या करना है.. मैं देख लूँगा। यह खेल तो बाद में होगा.. उसके पहले ही मैं रश्मि को नंगा कर दूँगा हा हा हा हा..
साजन- हाँ भाई.. एकदम सही है.. अब बात समझ आ गई है।
रंगीला- अब सुनो.. शाम को रश्मि क्लब में आएगी.. तुम किसी तरह सनडे पार्टी के लिए उसको मना लेना.. या ऐसा समझो उसके दिमाग़ में ये बात डाल देना ताकि वो पार्टी में आने के लिए जय के पीछे पड़ जाए.. उसके बाद मुझे क्या करना है.. मैं देख लूँगा। ये खेल तो बाद में होगा.. उसके पहले ही मैं रश्मि को नंगा कर दूँगा हा हा हा हा..
वो सभी काफ़ी देर तक वहीं बैठे हुए बातें करते रहे।
दोस्तो, शाम तक ऐसा कुछ नहीं हुआ जो बताऊँ.. वहाँ रानी के साथ भी कुछ खास नहीं हुआ.. तो चलो सीधे आप शाम का सीन देख लो।
रश्मि सुकून की नींद लेकर उठी.. अब उसका माइंड फ्रेश था.. वो नहा कर रेडी हो गई थी। आज उसने एक बहुत ही सेक्सी ब्राउन मैक्सी पहनी थी.. जो स्लीवलैस थी और पीछे कमर लगभग पूरी खुली हुई थी.. देखने वाला बस देखता रह जाए..
रश्मि विजय के कमरे में गई.. वो अभी बाथरूम जा ही रहा था कि रश्मि को देख कर वो रुक गया।
विजय- अरे आओ आओ गुड्डी.. क्या बात है.. बहुत अच्छी लग रही हो तुम!
रश्मि- थैंक्स भाई.. मगर मैंने क्या कहा था.. नो गुड्डी अब आप मुझे रश्मि कहोगे ओके..
विजय- ओके मेरी प्यारी बहना.. अब से रश्मि कहूँगा ओके.. वैसे तुम रेडी होकर कहाँ जा रही हो?
रश्मि- वो जय भाई ने कहा था शाम को हमारे साथ क्लब चलना.. तो बस इसी लिए रेडी हुई हूँ।
विजय- ओह्ह.. अच्छा मगर रश्मि सॉरी बुरा मत मानना.. ये ड्रेस कुछ ठीक नहीं है.. वहाँ ज़्यादातर लड़के होते हैं प्लीज़ अगर हो सके तो ये ड्रेस चेंज कर लो।
रश्मि- अरे क्या भाई.. इतना अच्छा तो है.. आजकल यही सब चलता है..
विजय- पता है रश्मि.. मैंने कब कहा ये बुरा है.. अब अपने भाई की बात नहीं मानोगी क्या.. जाओ चेंज कर लो ना प्लीज़ मेरे लिए..
रश्मि- ओके भाई अभी करती हूँ.. तब तक आप भी रेडी हो जाओ।
रश्मि वहाँ से वापस अपने कमरे में चली गई और बड़बड़ाने लगी।
रश्मि- उहह कितना अच्छा ड्रेस था.. मगर विजय भाई भी ना बस कोई लड़का मुझे घूरेगा.. ये सोच कर चेंज करने को बोल दिया.. अजीब सी उलझन है एक भाई मुझे ब्रा-पैन्टी में देख चुका है और दूसरा थोड़ा सा भी ओपन नहीं देख सकता।
रश्मि ऐसे ही बड़बड़ाती हुई चेंज करने लगी। अब उसने फुल स्लीव का ब्लू टॉप जो एक जैकेट टाइप था.. यानि गले पर 3 बटन थे और ब्लैक लॉन्ग स्कर्ट पहना था.. वो बहुत प्यारी लग रही थी।
उधर विजय भी रेडी हो गया था मगर जय अभी तक आया ही नहीं था.. तो विजय ने उसको फ़ोन लगाया.. तो जय ने कहा वो 5 मिनट में आ रहा है तुम दोनों रेडी हो जाओ।
विजय ने उसको बता दिया वो लोग रेडी हैं तुम जल्दी आ जाओ। उसके बाद विजय नीचे चला गया.. उसके पीछे-पीछे रश्मि भी आ गई।
विजय- वाउ अब लग रही हो ना किसी परी के जैसे.. आओ यहाँ बैठ जाओ जय बस आता ही होगा..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई, ये भाई कब का गया है.. मुझे तो कहा था जल्दी रेडी हो जाना.. मगर खुद देर कर रहा है।
विजय- अरे आ जाएगा.. तब तक हम यहाँ बैठकर बातें करते है ना..
काका- बिटिया आपको कुछ चाहिए क्या.. बताओ तो ला दूँ?
रश्मि- हाँ काका.. रात को हम बाहर खाकर आएँगे.. आप मॉम को बता देना.. और अभी हम दोनों के लिए जूस बना दो.. ठीक है ना भाई?
विजय- हाँ ठीक है.. पी लेंगे.. वैसे भी तुम कहो और मैं ना कह दूँ.. यह कभी हो सकता है क्या?
काका ने जल्दी ही दोनों के लिए जूस तैयार कर दिया। तभी जय भी वहाँ आ गया और ‘बस 5 मिनट में आया..’ कहकर अपने कमरे में चला गया।
रश्मि और विजय वैसे ही बैठे बातें करते रहे.. कुछ देर बाद जय भी आ गया और वो तीनों क्लब के लिए एक साथ घर से निकल गए।
कुछ देर बाद वो वहाँ पहुँच गए और जय ने वहाँ अपने कुछ खास दोस्तों से रश्मि को मिलवाया.. जिनमें साजन और उसके दोस्त भी थे।
शुरू के 20 मिनट तो बस ऐसे ही मिलना मिलाना चलता रहा। उसके बाद रंगीला ने साजन को इशारा किया कि आगे के प्लान को अंजाम दे।
वैसे आपको याद तो होगा ही.. रंगीला ने विजय और जय को कोई आइडिया बताया था.. वो अब अंजाम में आ रहा है। आप खुद देख कर समझ जाओगे।
साजन- अरे यार यहाँ ऐसे कब तक खड़े रहोगे.. चलो कुछ खेल खेलते हैं.. वैसे रश्मि तुमको क्या पसन्द है बताओ?
रश्मि- अरे यहाँ तो बहुत से खेल हैं कुछ भी खेल लो.. मुझे क्या पूछना वैसे आप हमेशा क्या खेलते हो.. आज भी वही खेल लो..
विजय- अरे रश्मि तुम कौन सा रोज यहाँ आती हो। आज तुम्हारी पसन्द का खेल खेलेंगे.. वैसे तो हम सब कार्ड खेल खेलते हैं।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. वैसे आप को पता है ना.. मुझे भी ये खेल पसन्द है..
साजन- ओहो.. तब तो कोई प्राब्लम ही नहीं है.. चलो सब मिलकर खेलेंगे..
रंगीला- हाँ रश्मि.. आज तुम हमारी टीम में हो.. बड़ा मज़ा आएगा..
साजन- हैलो रंगीला भाई ये टीम क्या है.. सब अलग-अलग खेलेंगे.. वो सामने देखो बड़ी टेबल पर.. चलो सब अपना-अपना खेल खेलो.. ओके..
जय- हाँ यही सही रहेगा.. आज तो सब को कंगल बना कर ही जाएँगे हम..
खेल शुरू हो गया.. सब हँसी-ख़ुशी खेल खेलने लगे.. मगर रश्मि को फिर वही बेचैनी शुरू हो गई.. उसका जिस्म जलने लगा।
जय सबसे अच्छा खेल रहा था.. सब उसके सामने फीके पड़ रहे थे। एक-दो राउंड रश्मि ने भी जीते.. मगर उसका मन अब खेल में नहीं था। उसको ये फुल स्लीव के कपड़े चुभने लगे थे, वो इधर-उधर देखने लगी थी।

रंगीला समझ गया कि गोली अपना काम कर रही है.. उसने साजन को इशारा कर दिया कि आगे क्या करना है।
साजन- यार जय तुम तो जीतते ही जा रहे हो.. लगता है आज सारा माल तुम लेके जाओगे..
जय- मैंने कहा था ना.. मुझसे पंगा मत लेना… अब देख तू मेरा कमाल.. आगे-आगे क्या होता है..
साजन- अच्छा इतना ही भरोसा है खुद पर.. तो तुम्हारे फार्म वाले खेल के लिए रश्मि को साथ ले आ.. तब मानूँगा तुझे पक्का खिलाड़ी..
विजय- ये बकवास कर रहे हो तुम साजन.. वो हमारे बीच की बात है। उसमें मेरी बहन को बीच में क्यों ला रहे हो तुम??
रश्मि- कैसा खेल भाई.. मुझे बताओ.. मैं तैयार हूँ। आप पर मुझे पूरा भरोसा है।
जय- नहीं रश्मि.. तुम्हें कुछ नहीं पता.. तुम चुप रहो, वो हम लड़कों का खेल है।
रश्मि- नहीं भाई कुछ तो बात है.. ये साजन ने मेरा नाम क्यों लिया?
रंगीला- अरे रश्मि.. वो वहाँ हर बार हम लड़की लेके जाते हैं.. मतलब पार्ट्नर बना के.. इस बार कुछ चेंज है तो ये पागल साजन ने तुम्हारा नाम ले लिया।
रश्मि- तो इसमें गलत क्या है.. मैं भी तो एक लड़की हूँ.. नहीं भाई आप इसका चैलेन्ज एक्सेप्ट कर लो।
विजय- रश्मि.. नहीं तुम वहाँ नहीं जा सकती.. समझो बात को..
साजन- अरे क्या विजय.. तुम बीच में क्यों बोल रहे हो.. जय को बोलने दो ना.. वैसे तो ये बहुत कहता रहता है। जय खन्ना ने जो एक बार कह दिया.. वो कह दिया..
रश्मि- हैलो प्लीज़.. आप बुरा मत मानना.. मगर ये सच है मेरा भाई कोई ऐसा-वैसा नहीं है.. आज मैं कहती हूँ हम फार्म पर खेल खेलने जाएँगे। यह रश्मि खन्ना की ज़ुबान है.. जो मेरे भाई से कम नहीं है।
रश्मि की इस बात पर सबके चेहरों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी उनका प्लान कामयाब हो गया था। मगर ये आधा प्लान था.. बाकी का आधा अब जय को पूरा करना है। मगर यहाँ नहीं वो बाद में इसे अंजाम देगा।
जय- रश्मि तुमने जल्दबाज़ी कर दी.. पहले मुझसे तो पूछती..
रश्मि- नहीं भाई.. यह हमारी इज़्ज़त का सवाल था.. अब जो होगा देखा जाएगा.. आप बस ‘हाँ’ कह दो।
जय- ओके ठीक है.. अबकी बार रश्मि वहाँ जाएगी.. तुम भी अपनी बहन को ले आना समझे?
साजन- ठीक है यार.. अब जो होगा देखा जाएगा.. इसी बात पर हो जाए एक राउंड और..
खेल फिर से शुरू हो गया। अब रश्मि की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.. रंगीला ने इस बात को नोट कर लिया और साजन को वहाँ से जाने का इशारा कर दिया। यह उनके दूसरे प्लान का हिस्सा है.. जो सुबह उन्होंने बनाया था।
साजन ने बाथरूम का बहाना बनाया और वहाँ से निकल गया.. बाकी सब खेलते रहे।
कुछ देर बाद रश्मि खड़ी हो गई।
रश्मि वहाँ से उठ कर बाहर खुली हवा में आ गई और मौके का फायदा उठा कर साजन भी उसके पीछे बाहर आ गया।
विजय- अरे क्या हुआ रश्मि.. बैठो मज़ा आ रहा है।
रश्मि- नहीं भाई आप लोग खेलो.. मुझे थोड़ी घबराहट हो रही है.. मैं खुली हवा में जाती हूँ।
जय- अरे क्या हुआ.. अगर तबीयत ठीक नहीं है तो घर चलें हम?
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं.. बस थोड़ी खुली हवा में जाऊँगी तो ठीक हो जाऊँगी.. आप खेलो में अभी वापस आ जाऊँगी।
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02-06-2019, 05:17 PM,
#37
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि वहाँ से उठ कर बाहर खुली हवा में आ गई और मौके का फायदा उठा कर साजन भी उसके पीछे बाहर आ गया।
साजन- अरे क्या हुआ रश्मि.. तुम बाहर क्यों आ गई? अन्दर मज़ा आ रहा था.. वैसे आप भी अच्छा खेल लेती हो। लगता है पहले भी खेली हुई हो।
रश्मि- अरे ऐसे ही थोड़ी घबराहट हो रही थी.. इसलिए आ गई और हाँ हम लोग हॉस्टल में खूब खेलते थे।
साजन- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. वैसे यहाँ इतना मज़ा नहीं आता.. फार्म पर जो मज़ा आता है।
रश्मि- अच्छा वैसे फार्म पर पैसों से ही खेलते हैं या कुछ और चीज से?
साजन- सॉरी यार.. बुरा मत मानना, यह सवाल तुम जय से पूछ लेना.. तो अच्छा रहेगा..
रश्मि- क्यों कोई खास बात है क्या?
साजन- हाँ बहुत खास बात है.. अच्छा ये जाने दो.. क्या तुम सनडे को पार्टी में आ रही हो?
रश्मि- सनडे को कौन सी पार्टी.. मुझे कुछ नहीं पता?
साजन- वहाँ खूब मज़ा आता है.. सब नाचते-गाते हैं.. मस्ती करते हैं.. कसम से ऐसी पार्टी रोज होनी चाहिए।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. मैं भी आऊँगी.. मगर भाई ने कुछ बताया नहीं..
साजन- ओह्ह.. सॉरी यार.. मैंने तुमको बता दिया.. प्लीज़ तुम अपने भाई को मत कहना कि ये सब मैंने बताया..
रश्मि- अरे इतना डर क्यों रहे हो पार्टी ही तो है..
साजन- सॉरी यार मगर ये कोई नॉर्मल पार्टी नहीं है।
रश्मि- तो कैसी पार्टी है.. मुझे बताओ वरना मैं भाई को बता दूँगी कि तुमने मुझे बताया है? 
साजन ने अपना नाटक शुरू किया कि वो अपने भाई को ना बताए और उसने पार्टी के बारे में विस्तार से रश्मि को सब कुछ बता दिया।
रश्मि- ओह्ह.. तो ये बात है.. मेरे भाई अकेले-अकेले मज़ा लेना चाहते हैं। वैसे अच्छा किया तुमने मुझे बता दिया कि आज ही एंट्री लेनी होगी.. अब देखती हूँ मेरे भाई कैसे मुझे मना करते हैं।
बातों के दौरान रश्मि की आँख में नशा छाने लगा था.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। कपड़े तो जैसे उसको ऐसे लग रहे थे जैसे फुल गर्मी में किसी ने उसको स्वेटर पहना दिया हो।
रश्मि- उफ्फ.. कितनी गर्मी है.. ये कपड़े भी काटने को दौड़ रहे हैं।
रश्मि ने टॉप के ऊपर के 2 बटन खोल दिए.. उसके मम्मों की हल्की झलक साजन को दिखने लग गई थी। यह नज़ारा देख कर उसका मन डोलने लग गया था। 
साजन- क्या हुआ रश्मि.. सब ठीक तो है ना.. मैं कुछ हेल्प करूँ?
रश्मि- पता नहीं क्या हो रहा है.. गर्मी लग रही है.. एक अजीब सा दर्द सता रहा है मुझे..
वो इन्हीं बातों के दौरान अपने होंठ पर जीभ घुमा रही थी.. बहुत सेक्सी अदा के साथ वो अपने हाथ अपने गले से लेकर पेट तक मसल रही थी।
साजन से रहा नहीं गया.. उसने डरते हुए अपना हाथ रश्मि के मम्मों पर रख दिया।
साजन- यहाँ दर्द हो रहा है क्या?

रश्मि कुछ कहती उसके पहले रंगीला वहाँ आ गया और उसने झटके से साजन का हाथ वहाँ से हटा दिया।
रंगीला- साजन ये क्या कर रहे हो?
साजन- क्क्क..कुछ नहीं भाई.. रश्मि को घबराहट हो रही है तो बस..
रंगीला- चुप रहो तुम.. लो रश्मि ये नींबू-पानी पी लो.. आराम मिलेगा..
रश्मि ने रंगीला के हाथ से गिलास लिया और एक झटके में पूरा गिलास गटक गई, तब जाकर उसको थोड़ा सुकून मिला।
रंगीला- अब कैसा महसूस हो रहा है तुम्हें?
रश्मि- हाँ अब थोड़ा ठीक है..
रंगीला- ऐसा करो वो सामने वॉशरूम है.. वहाँ जाकर थोड़ी फ्रेश हो जाओ.. अच्छा लगेगा..
रश्मि वहाँ से चली गई तो रंगीला गुस्से से साजन को घूरने लगा।
साजन- क्या हुआ भाई ऐसे गुस्से में क्यों घूर रहे हो.. आपने जैसा कहा था मैंने उसको बता दिया।
रंगीला- कुत्ता है तू साला कुत्ता.. जहाँ बोटी देखी नहीं.. कि लार टपकाना शुरू.. मैंने सिर्फ़ बात करने को कहा था, उसके मम्मों को दबाने को नहीं कहा था..
साजन- अरे सॉरी भाई.. वो नजारा देख के माइंड हिल गया.. कंट्रोल नहीं हुआ मेरे से..
रंगीला- तेरे चक्कर में अभी सारा किया कराया बेकार हो जाता। यह तो अच्छा हुआ जय ने मुझे बाहर रश्मि को देखने भेज दिया। अब जल्दी से अन्दर जाकर बैठ जा.. नहीं उनको शक हो जाएगा।
साजन- भाई सॉरी.. वैसे ये गोली तो बहुत ख़तरनाक है.. सीधी-साधी लड़की को रंडी बना दिया। वैसे हमारा काम तो हो गया इसका माइंड ब्लॉक करके हमने खेल के लिए ‘हाँ’ करवा ली.. अब ये सेक्स की आग में जल रही है.. कहीं अपने भाई के सामने ही ना नंगी हो जाए हा हा हा हा।
रंगीला- इसका टेन्शन तू मत ले.. जैसे में नशा चढ़ाना जानता हूँ.. वैसे ही उतारना भी मुझे आता है.. अभी नीबू जूस दिया ना.. समझ ले उसका माइंड ठिकाने आ गया.. अब जा तू अन्दर..।
साजन वहाँ से अन्दर चला गया। जय के पूछने पर उसने बहाना बना दिया और हाँ ये भी कहा कि अभी आने के समय गेट के बाहर रश्मि को देखा.. उसके पास गया.. तभी रंगीला भी रश्मि के लिए नींबू जूस लेकर आ गया था।
विजय- भाई अब ये खेल बन्द करो.. रश्मि की तबीयत ठीक नहीं लगती.. चलो घर चलते हैं।
जय- अरे रंगीला ने जूस दे दिया ना.. अब सब ठीक हो जाएगा। रश्मि को ऐसे बाहर रहने की आदत नहीं है ना.. तो थोड़ी घबरा जाती है।
विजय- वो तो ठीक है.. यहाँ से बुलबुल भी जाना है.. एंट्री के लिए..
जय- हाँ तो क्या हुआ.. वहाँ भी चले जाएँगे ना..
विजय- आप कुछ समझते ही नहीं.. पहले रश्मि को घर छोड़ देंगे.. उसके बाद वापस आ जाएँगे। वैसे भी फार्म पर लास्ट बार बियर को मुँह से लगाया था.. आज मौका है.. थोड़ा गला गीला कर लेते हैं।
जय- तू पागल है.. पहले घर जाएगा बाद में वापस आएगा.. हम यहाँ से बियर साथ ले लेंगे। वैसे भी रश्मि को पता है.. हम ड्रिंक करते हैं और रही बात एंट्री की.. तो बुलबुल के बाहर गाड़ी रोक कर रश्मि को कह देंगे.. तुम यहाँ बैठो हम अभी आते हैं। एंट्री में कितना समय लगता है। उसके बाद घर पर दोनों तेरे रूम में आराम से पिएँगे।
विजय- जैसा तुम ठीक समझो भाई.. वैसे ये रश्मि अभी तक आई नहीं.. मैं देख कर आता हूँ।
जय- अरे क्यों इतना टेन्शन लेता है। मैंने रंगीला को भेजा है ना.. वो उसको ले आएगा.. तू बैठ आराम से चल.. तेरी बारी आ गई है।
विजय बुझे मन से वापस बैठ गया और खेल खेलने लगा। कुछ ही देर में रंगीला और रश्मि भी अन्दर आ गए और अपनी जगह बैठ गए।
साजन- अब कैसी तबीयत है रश्मि?
विजय- तू अपनी चाल पर ध्यान दे.. वो ठीक है.. ज़्यादा स्मार्ट मत बन..
साजन- अरे यार मैंने बस ऐसे ही पूछा.. तू इतना भड़क क्यों रहा है?
रश्मि- हे कूल गाइस.. ऐसे झगड़ा मत करो.. और प्लीज़ अब अपना ये खेल बन्द करो.. बहुत समय हो गया है मुझे बड़े जोरों की भूख भी लगी है।
विजय- हाँ मैं भी कब से यही कह रहा हूँ.. मगर भाई तो खेल में एक बार बैठ जाएं.. तो उठने का नाम ही नहीं लेते।
जय- बस बस ये लास्ट राउंड है.. उसके बाद जाएँगे.. मेरी प्यारी बहन को अच्छे से होटल में लेकर जाएँगे.. खाना खाएँगे.. उसके बाद सीधे घर.. क्यों ठीक है ना रश्मि?
रश्मि- जैसा आपको ठीक लगे भाई.. वैसे भी आपकी बात में कैसे टाल सकती हूँ.. मगर आप भी याद रखना.. कभी मेरी बात को इग्नोर मत करना।
जय- अरे नहीं करूँगा मेरी प्यारी बहना.. चलो भाई खेल ओवर.. अब हम जाते हैं।
रंगीला- मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ.. इसी बहाने रश्मि के साथ थोड़ा वक़्त भी बिता लूँगा। एक-दो बार बस घर पर देखा था इसे.. तब तो बहुत चुप-चुप रहती थी मगर आज तो एकदम फ्रेंडली लग रही है।
सब उठकर बाहर जाने लगे.. इस दौरान कुछ देर के लिए रश्मि और साजन साथ हो गए।
साजन- आई एम सॉरी रश्मि.. वो मैंने बाहर तुम्हारे साथ बदतमीज़ी की।
रश्मि- क्या किया तुमने.. मुझे तो कुछ याद नहीं..
साजन समझ गया कि उस समय शायद रश्मि पर नशा कुछ ज़्यादा हावी था.. तो उसने उस बात पर गौर नहीं किया और वैसे भी कुछ पल के लिए ही उसने मम्मों को टच किया था.. तभी रंगीला आ गया था।
साजन- ओह्ह.. कुछ नहीं.. मजाक कर रहा था मैं.. तो ओके.. बाइ.. फिर मिलेंगे..
इसके बाद साजन अलग हो गया और वो चारों एक साथ गाड़ी में एक होटल गए। वहाँ खाने का ऑर्डर दिया और बातें करने लगे।
जय- अरे यार हमारा तो दूसरा प्रोग्राम था ना.. अब क्या करें?
विजय- उसको कैन्सिल कर दो.. अब खाना खाओ और जाकर सो जाओ।
रंगीला- अरे भाई क्या प्रोग्राम था.. कोई मुझे भी बताएगा?
जय- अरे यार कुछ नहीं थोड़ा बियर पीने का मूड था लेकिन रश्मि साथ है तो ठीक नहीं लग रहा।
रश्मि- भाई प्लीज़ मेरी वजह से अपना मूड खराब मत करो.. वैसे भी मुझे पता है आप कई बार ड्रिंक करके घर आते हो.. शुक्र मनाओ.. मॉम का.. जो वो आपको बचा लेती हैं.. नहीं पापा तो पता नहीं क्या करते..
जय- ओह्ह.. थैंक्स माय स्वीट सिस्टर अब यही खाने के साथ थोड़ी सी लगा लेते हैं.. क्यों विजय सही है ना?
विजय- अब रश्मि ने कहा है.. तो मना कैसे कर सकते हैं.. हो जाए क्यों रंगीला.. तुम्हारा क्या इरादा है?
रंगीला- ये भी कोई पूछने की बात है.. रश्मि तुम्हारे लिए कोई जूस ऑर्डर कर दूँ?
रश्मि- हाँ मैं तो खाने के साथ जूस ही लेती हूँ।
जय ने खाने के साथ ड्रिंक का ऑर्डर भी दे दिया और वो सब बातें करने लगे। इस दौरान रंगीला किसी बहाने कुछ देर के लिए उनसे अलग हुआ ताकि अपने शैतानी दिमाग़ का इस्तेमाल कर सके।
थोड़ी देर बाद सब टेबल पर खाना खा रहे थे। इन तीनों ने पहले थोड़ी ड्रिंक ली उसके बाद खाना खाया।
रश्मि तो जूस के साथ ही खाना खा रही थी.. जिसमें रंगीला ने दोबारा गोली मिला दी थी।
खाने के बाद वो बुलबुल के सामने जाकर रुक गए।
जय- चलो भाई विजय जो काम अधूरा है.. पूरा कर आते हैं।
रश्मि- कहाँ जा रहे हो भाई?
जय- अरे बस अभी गए.. और अभी वापस आए.. तुम यहाँ बैठो और रंगीला भी तो यहीं है ना..
रश्मि- नहीं जहाँ आप जा रहे हो.. मुझे भी साथ जाना है..
विजय- अरे रश्मि बस 2 मिनट की तो बात है.. यहीं बैठो ना तुम..
रश्मि- मैंने कहा ना.. मुझे आपके साथ आना है।
जय- अरे यार ये क्या ज़िद हुई?
रश्मि- अगर अब ना कहा ना.. वरना आज के बाद मैं तुम दोनों से बात नहीं करूँगी.. देख लेना हाँ..
विजय- भाई अब रश्मि को नाराज़ भी नहीं कर सकते.. हम ऐसा करते है हम भी नहीं जाते.. चलो घर चलो..
विजय की बात सुनकर रंगीला बस उसके चेहरे की ओर देखने लगा.. जैसे उसके किए कराए पर वो पानी फेरना चाहता हो.. मगर हमारा ईडियट जय जो साथ है.. वो कहाँ ये होने देगा। ये भी रंगीला को पता था.. उसने इशारे से जय को कहा कि कुछ बोलो.. ये क्या कह रहा है?
जय- नहीं.. हम घर नहीं जाएँगे और रश्मि मेरी बात सुनो.. रविवार को यहाँ एक पार्टी है.. हम बस उसकी एंट्री लेने जा रहे हैं।
रश्मि- ओह्ह.. वाउ.. पार्टी है.. मैं भी आऊँगी आपके साथ.. मज़ा आएगा।
विजय- रश्मि वो पार्टी.. तुम्हारे लायक नहीं है.. यहाँ जूस नहीं बियर.. रम.. वोदका.. ये सब पीना पड़ेगा और भी बहुत कुछ होगा यहाँ..
रश्मि- तो क्या हुआ.. थोड़ा पी लूँगी.. मगर आपके साथ आऊँगी जरूर..
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02-06-2019, 05:17 PM,
#38
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
मतलब गोली अपना असर शुरू करने लगी थी.. अब रश्मि का दिमाग़ उसके काबू में नहीं था.. उसके जिस्म में वही बेचैनी शुरू हो गई थी।
जय- अगर तुम्हारी यही मर्ज़ी है.. तो चलो आ जाओ.. तुम्हारी भी एंट्री करवा देते हैं।
विजय- भाई ये क्या बात हुई.. अब आप यहाँ भी रश्मि को लेकर जाओगे?
जय- अरे इसमें क्या बुराई है.. और भी तो लड़कियां आएँगी ना यहाँ.. और वैसे भी जब रश्मि ने खुद फार्म पर गेम के लिए ‘हाँ’ कह दी है.. तो ये तो उसके सामने छोटी सी बात है।
विजय- वो भी आपकी वजह से ही सब हुआ है.. मगर इसका अंजाम बहुत बुरा होगा.. ये खेल परिवार की इज़्ज़त से बढ़कर नहीं है।
जय- अरे यार लगता है.. तुझे चढ़ गई है.. तो बहुत जज्बाती हो रहा है.. जस्ट चिल यार.. अब चलो..
रश्मि और जय के समझाने पर विजय मान गया.. तीनों साथ में अन्दर गए.. अपनी एंट्री करवाई और आ गए।
रंगीला ने पहले ही अपनी और बाकी दोस्तों की एंट्री करवा दी थी।
वहाँ से निकल कर वो घर की तरफ़ जाने लगे। रास्ते में रंगीला को उसके घर छोड़ दिया और आगे निकल गए।
दोस्तो, ये अपने घर पहुँचे.. तब तक रंगीला के बारे में कुछ जान लो..
शुरू से आप बस रंगीला का नाम सुन रहे हो.. मगर इसके घर में अभी तक हमने कोई चर्चा नहीं की.. तो आज हम सब जानकारी कर लेते हैं।
रंगीला एक अच्छे परिवार से है.. मगर ये यहाँ दिल्ली का नहीं है.. इसका पूरा परिवार पंजाब में है। ये स्टडी के लिए दिल्ली आया था.. उसके बाद यहीं का होकर रह गया। इसने यहाँ अलग-अलग एरिया में बहुत से कमरे और फ्लैट्स किराए पर लिए हुए हैं। इसकी एक बहुत खास वजह है.. जो अभी नहीं बता सकती हूँ। वो आपको आगे पता चल जाएगी। मगर इस बात का पता इसके किसी दोस्त को नहीं है.. सब यही समझते हैं कि ये यहाँ अपने पापा के काम के लिए रहता है। उनका भी प्रॉपर्टी का धन्धा है। जिस घर के पास जय ने इसको छोड़ा है.. यही इसका घर है.. जहाँ कुछ नौकर हैं बस.. इसके अलावा ये यहाँ अकेला ही रहता है।
चलो अब ये बात यहीं ख़त्म करो.. आगे सब समझ जाओगे। 
वो तीनों घर पहुँच गए और अपने-अपने कमरों में चले गए।
रश्मि कमरे में गई और पूरे कपड़े निकाल कर फेंक दिए.. तब जाकर उसको सुकून आया। मगर जब उसने देखा कि कमरे में तो एसी है ही नहीं.. तो उसके होंठों पर एक मुस्कान आ गई। उसने अपने बैग से हेयर रिमूवर लिया और वो बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर अपने हाथ पैर के साथ चूत पर भी क्रीम लगा ली। वैसे कुछ दिन पहले ही उसने बाल साफ किए थे.. मगर पता नहीं आज उसके मन में क्या बात थी कि वो बड़े आराम से बाल साफ करने लगी और बड़बड़ाने लगी।
रश्मि- भाई आपने तो मुझे पागल बना दिया है.. आज तो मैं आपके लंड को देख कर ही रहूँगी।
रश्मि ने चूत की सफ़ाई की.. उसके बाद नहाने में मस्त हो गई।
उधर वो दोनों भी अपने कपड़े चेंज करके सोने की तैयारी में लग गए।
कुछ देर बाद विजय को कुछ याद आया तो वो कमरे से निकला और रश्मि के कमरे की तरफ़ चला गया।
दरवाजे पर दस्तक करके विजय ने रश्मि को आवाज़ दी।
उस वक्त रश्मि बाथरूम से बाहर निकली ही थी, उसने सिर्फ़ तौलिया लपेटा हुआ था।
रश्मि- कौन है?
विजय- मैं हूँ रश्मि.. मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
रश्मि- दरवाजा खुला है भाई.. आ जाओ।
विजय जब अन्दर गया तो वो पिंक तौलिया में रश्मि के गोरे जिस्म को बस देखता ही रह गया। वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी.. मगर विजय ने जल्दी से अपनी नजरें उसके जिस्म से हटा लीं।
विजय- अरे कपड़े तो पहन लेतीं.. ऐसे तौलिये में क्यों खड़ी हो?
रश्मि- अरे अभी तो नहा कर निकली हूँ.. इतने में आप आ गए।
विजय- अरे तो मुझे बोल देतीं.. मैं बाहर वेट कर लेता।
रश्मि- अब जाने भी दो भाई.. जो कहना है.. कहो.. ऐसे बहस से क्या होगा.. ऐसे ही टाइम खराब करेंगे क्या?
विजय- अच्छा सुन.. तू बड़े पापा को आज की बात के बारे में मत बताना और आज के बाद जो भी हम करेंगे.. जहाँ भी जाएँगे.. वो सब हमारे बीच ही रखना.. नहीं तुम जानती हो ना.. क्या हो सकता है?
रश्मि- हा हा हा भाई.. आप भी ना बहुत भोले हो.. ऐसी बातें बताई जाती है क्या.. और वैसे भी अब हम फ्रेण्ड हैं.. तो ये राज हमारे बीच ही रहेगा।
विजय बार-बार रश्मि के जिस्म को देख रहा था.. मगर उसकी हिम्मत नहीं हो पाई कि वो खुल कर कुछ देखे या ऐसा हो सकता है कि उसके अन्दर का भाई उसे ये सब करने से रोक रहा हो..
विजय- ओह्ह.. थैंक्स.. तुमने तो मेरी टेंशन ख़त्म कर दी.. पता नहीं मैं क्या क्या सोच रहा था.. ओके अब सो जाओ गुड नाईट।
रश्मि- ओके भाई गुड नाईट..
विजय के वहाँ से जाने के बाद रश्मि मुस्कुराने लगी, वो बुदबुदाई- भाई आप भी बहुत सीधे हो ये बातें तो कुछ भी नहीं.. अब आगे-आगे देखो.. क्या होता है.. और वैसे भी आपका तो पता नहीं.. मगर मेरी नाइट जरूर आज गुड होने वाली है।
रश्मि के दिमाग़ में वासना का जन्म हो गया था.. वो कुछ सोच कर मुस्कुरा रही थी। विजय के जाने के बाद उसने अपने बाल पोंछे और सिर्फ़ एक शॉर्ट नाइटी पहन ली.. उसके अन्दर उसने जानबूझ कर कुछ नहीं पहना और धीरे से अपने कमरे से निकल कर जय के कमरे के पास चली गई।
पहले उसने सोचा कि दस्तक दूँ.. मगर बाद में सीधे अन्दर चली गई।
तब तक जय ने लाइट ऑफ कर दी थी और सिर्फ़ बरमूडा पहने बिस्तर पर लेटा हुआ था।
दरवाजा खुलने से वो सीधा हुआ..
जय- कौन है वहाँ..?
रश्मि- भाई मैं हूँ और कौन होगा?
जय- अरे रश्मि तुम.. रूको मैं लाइट जलाता हूँ।
रश्मि- नहीं नहीं.. भाई.. रहने दो..
जय कुछ कहता.. तब तक रश्मि बिस्तर पर आकर बैठ गई थी।
जय- क्या हुआ.. क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही है?
रश्मि- कैसे आएगी.. कमरे में एसी कहाँ है।
जय- क्या..? उसने शाम को लाने का कहा था.. लाया नहीं वो..? अभी उसकी खबर लेता हूँ.. ऐसा कैसे किया उसने?
रश्मि- अरे जाने दो भाई.. कोई प्राब्लम होगी.. तभी नहीं आया.. मैं आपके साथ सो जाऊँगी।
जय- तुझे यहाँ भी नींद कहाँ आएगी.. कल रात में भी तू यहाँ से 5 मिनट में चली गई थी।
रश्मि- नहीं आज नहीं जाऊँगी.. कल तो एसी था.. हाँ कम ठंडा कर रहा था.. मगर था तो.. आज तो है ही नहीं.. तो जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता और वैसे भी आज मुझे गर्मी कुछ ज़्यादा महसूस हो रही है।
जय- अच्छा कोई बात नहीं.. कल मैं उसकी खबर लेता हूँ।
रश्मि- अरे जाने दो भाई.. वैसे आज आपने एकदम अंधेरा क्यों किया हुआ है.. नाइट बल्ब भी नहीं जलाया?
जय- बस ऐसे ही.. लाइट से नींद नहीं आ रही थी.. तो मैंने बन्द कर दी।
रश्मि- ओके.. अच्छा भाई वो फार्म पर किस तरह का खेल होता है? आपने मुझे बताया ही नहीं?
जय- ओह्ह.. कुछ ख़ास नहीं.. अब तुमने ‘हाँ’ कह दी है.. तो तुम्हें वहाँ जाकर पता चल ही जाएगा ना..
रश्मि- अरे क्या भाई.. आज बता दोगे तो क्या बिगड़ जाएगा.. प्लीज़ प्लीज़.. बताओ ना..
जय- नहीं रश्मि.. वो बात सुनकर तुम मुझसे नफ़रत करने लगोगी।
रश्मि- ऐसी क्या बात है भाई.. जो मुझे आपसे नफ़रत करने पर मजबूर कर दे.. अब तो आपको बतानी ही पड़ेगी।
जय- सॉरी रश्मि.. मैं साजन की बातों में फँस गया था.. इसलिए इस गेम के लिए ‘हाँ’ कह दी.. मगर तुम घबराओ मत.. हम ही जीतेंगे..
रश्मि- भाई पहेली मत बुझाओ.. सीधे-सीधे बोलो ना.. क्या बात है?
जय- ये दरअसल त..त..तुमने ‘स्ट्रीप पोकर’ का नाम सुना है ना.. बस कुछ-कुछ वैसा ही है।
स्ट्रीप पोकर का नाम सुनकर रश्मि की उत्तेजना और बढ़ गई.. मगर वो झूठमूट का नाटक करने लगी।
रश्मि- ओह्ह.. ओह माय गॉड.. भाई वहाँ सब कपड़े निकालेंगे क्या?
जय- नहीं सब नहीं.. बस तुम और साजन की बहन कोमल..
रश्मि- क्या.. सिर्फ़ हम दोनों.. और बाकी सब नहीं.. ऐसा क्यों..? मुझे जरा ठीक से समझाओ भाई।
जय ने पूरी बात रश्मि को विस्तार से बताई.. मगर चुदाई वाली बात नहीं बताई। वो जानता था कि ऐसी गंदी बात रश्मि बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।
रश्मि- नहीं नहीं भाई.. मैं वहाँ नहीं जाऊँगी.. ऐसे सबके सामने नंगा होना छी:.. छी:.. आपने मेरे बारे में ये सब सोच भी कैसे लिया?
रश्मि की ‘ना’ सुनकर जय की गाण्ड फट गई। उसको लगा कि अब उसका खेल ख़त्म हो गया है.. रश्मि तो गुस्सा हो गई।
जय- अरे सॉरी रश्मि… मगर त..त..तुम मेरी बात तो सुनो.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं एक भी राउंड नहीं हारूंगा प्लीज़ तुम.. ना मत कहो।
रश्मि अंधेरे का फायदा उठा कर जय के एकदम करीब आ गई और अपना सर जय के सीने पर रख दिया।
रश्मि- मैं जानती हूँ भाई.. आप नहीं हारोगे.. मगर ऐसे गेम का क्या भरोसा अगर आप हार गए.. तो सब मेरे जिस्म को देखेंगे.. नहीं नहीं..
रश्मि कुछ इस तरह जय से लिपटी हुई थी कि उसका सर सीने पर और नंगी टांगें जय की जाँघ पर थीं।
जय- अरे कुछ नहीं होगा.. और वैसे भी तू ही तो कहती है.. तुम एक मॉर्डन लड़की हो और मेरे सामने कैसे ब्रा-पैन्टी में आ गई थीं। बस ऐसा समझो एक राउंड हार भी गया.. तो ज़्यादा से ज़्यादा सब तुम्हें ब्रा और पैन्टी में देख लेंगे.. प्लीज़ यार ना मत कहो.. अब ये हम दोनों की इज़्ज़त का सवाल है।
रश्मि अब जय के सीने पर हाथ घुमाते हुए बोली- भाई, आपके सामने तो मैं बिना कपड़ों के भी आ जाऊँ.. तो घर की बात घर में रहेगी.. मगर ऐसे सबके सामने आना.. मुझे तो सोच कर ही बहुत शर्म आ रही है..
जय- अच्छा मेरे सामने बिना कपड़ों के आएगी.. तब शर्म नहीं आएगी?
जय अब वासना के जाल में फँस रहा था। रश्मि का स्पर्श.. उसका हाथ घुमाना.. उसको अच्छा लग रहा था, उसके लंड में अकड़न शुरू हो गई थी। तभी तो उसके मुँह से ऐसी बात निकल पड़ी।
रश्मि तो वैसे भी अपने होश में नहीं थी, जय की बात सीधे उसकी चूत पर लगी यानि उसकी चूत ये सोच कर गीली हो गई कि जय के सामने जब वो नंगी होगी.. तो क्या होगा?
रश्मि- आपके सामने तो अभी नंगी हो जाऊँ.. बस एक बार बोल के तो देखो..
जय- रश्मि सच बताओ.. आजकल तुम्हें क्या हो गया है? ऐसी बातें क्यों करने लगी हो तुम? मैं तुम्हारा भाई हूँ मगर तुम मुझसे ऐसे चिपकी हुई हो.. जैसे मैं तुम्हारा ब्वॉयफ्रेण्ड होऊँ.. ये सब क्या चल रहा है?
रश्मि- भाई आप लड़के भी तो हो ना.. और ऐसे हैण्डसम लड़के के लिए तो लड़कियां लाइन लगा के खड़ी रहती हैं और मेरी किस्मत तो अच्छी है.. जो सीधे आप मिल गए भाई.. सच्ची आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो..
जय- सच में.. तुम्हें इतना अच्छा लगता हूँ क्या?
रश्मि- हाँ भाई सच्ची मेरे दिल की धड़कनें तो आपके बारे में सोच कर ही बढ़ जाती हैं।
जय- चल पगली.. कुछ भी बोलती है..
रश्मि ने जय का हाथ अपने सीने पर रख कर दबा दिया और बड़े प्यार से कहा आप खुद देख लो।
नाइटी के अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था। उसके मस्त मम्मों और जय के हाथों के बीच बस पतला सा नाइटी का कपड़ा था। इस अहसास से ही जय की धड़कनें बढ़ गईं.. वो हाथ हटाना चाहता था.. मगर रश्मि ने उसके हाथ को अपने हाथ से दबाया था।
रश्मि- देखो भाई.. कैसे मेरी धड़कनें तेज चल रही हैं।
जय- हाँ ये तो बहुत तेज है.. अब अपना हाथ हटाओ।
रश्मि- रहने दो ना भाई.. मुझे अच्छा लग रहा है।
रश्मि अब मस्ती के मूड में आ गई थी और जय का भी ईमान कुछ-कुछ बिगड़ गया था।
जय- अच्छा रश्मि रहने देता हूँ.. मगर एक बात तो बता.. वहाँ हॉस्टल में तुम कुछ करती थीं क्या.. जो इतनी फास्ट हो गई हो?
रश्मि- आपके कहने का क्या मतलब है भाई.. मेरी समझ के बाहर है?
जय अब धीरे-धीरे रश्मि के मम्मों को उंगली से सहलाने लगा था। उसको ऐसा करने से मज़ा आ रहा था।
जय- कुछ नहीं जाने दे.. तू नहीं समझेगी.. वैसे तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो..
रश्मि ने अपना हाथ धीरे से हटा लिया था। अब जय उसके मम्मों से आराम से खेल रहा था।

रश्मि- अच्छा ये बात है.. सेक्सी हरकतें आप कर रहे हो.. और सेक्सी मुझे बता रहे हो।
जय समझ गया और जल्दी से उसने अपना हाथ मम्मों से हटा दिया।
रश्मि- अरे रहने दो ना भाई.. मुझे अच्छा लग रहा था.. मैं तो बस मजाक कर रही थी.. आप तो नाराज़ हो गए?
जय- देखो रश्मि.. ये गलत है.. हम भाई-बहन हैं.. जैसा तुम सोच रही हो वैसा नहीं हो सकता।
रश्मि- क्या गलत है भाई.. और वैसे भी मैंने अब तक कुछ नहीं सोचा.. हाँ इतना जरूर है कि हम एक-दूसरे की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.. इसमें कुछ गलत नहीं है।
जय- रश्मि मानता हूँ तुम बड़ी हो गई हो.. तुम्हारे जिस्म की जरूरतें हैं मगर मैं ही क्यों?
रश्मि- भाई आप तो जानते ही हो.. मेरा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है और इतनी जल्दी कोई बनेगा भी नहीं.. वैसे भी हम आपस में एक-दूसरे को समझ सकते हैं.. मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकती। प्लीज़ आप मान जाओ ना..
इतना कहकर रश्मि एकदम से जय के सीने पर आ गई। उसके मम्मे अब जय के सीने में धँस रहे थे.. उसकी गर्म साँसें जय की साँसों से मिल रही थी। 
अब जय इस सेक्स की हूर के प्रकोप से कहाँ तक अपने आपको बचा सकता था। 
वैसे तो वो पक्का चोदूमल था.. मगर वो कहावत है ना.. डायन भी एक घर छोड़ती है। अब यह चुदासी हो रही रश्मि तो उसकी अपनी सग़ी बहन थी.. वो कैसे अपनी बहन चोद सकता था, मगर होनी को कौन टाल सकता है और वो तब जब रश्मि जैसी सेक्स बम्ब खुद चलकर कहे कि आओ अपनी बहन चोद दो… मुझे फोड़ दो.. एकदम नामुमकिन सी बात है।
जय का जिस्म भी अब गर्म होने लगा था, रश्मि की साँसों की महक उसको अच्छी लग रही थी, उसका मन तो बहुत किया कि अभी उसके होंठों का पूरा रस पी जाए.. मगर थोड़ा सी हिचक अब भी उसके मन में थी।
रश्मि- भाई.. अब क्या सोच रहे हो.. एक लड़की आपके इतने करीब है.. आपका मन नहीं करता.. उसको कुछ करने का.. किस करने का?

रश्मि अब पूरी तरह से जय के ऊपर चढ़ गई थी। उसकी नंगी चूत बरमूडे में तने जय के लंड से टच हो रही थी। जिसका अहसास जय को भी हो रहा था।
अब जय की सहन करने बर्दाश्त दम तोड़ गई थी.. उसने रश्मि की पीठ पर हाथ रखे और सहलाने लगा.. उसके थिरकते होंठों पर धीरे से अपने होंठ लगा दिए।
रश्मि तो जैसे बरसों की प्यासी थी। उसने फ़ौरन उसके होंठों को मुँह में लिया और चूसने लगी। अब जय भी कहाँ पीछे रहने वाला था.. वो भी शुरू हो गया अब दोनों की चूमाचाटी शुरू हो गई।
लगभग 5 मिनट तक दोनों एक-दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
अब कमरे का माहौल गर्म हो गया था।
जय ने रश्मि को अपने ऊपर से नीचे उतारा और खुद उसके ऊपर आ गया। अब उसका लौड़ा बरमूडा में तना हुआ था और रश्मि की चूत से सटा हुआ था।
जय- ओह्ह.. रश्मि.. ये तूने क्या कर दिया.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा।
रश्मि- तो रोका किसने है.. मेरे भाई.. खा जाओ आज अपनी बहन को.. आह.. बना लो मुझे आपकी महबूबा..
जय- ऐसे नहीं रश्मि.. रूको मुझे लाइट ऑन करने दो.. तुम्हारे जिस्म को कपड़ों में देख कर ही मैं सोचता रहता था कि मेरी बहन इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है.. आज अपने हाथों से तेरे एक-एक कपड़े को उतार कर.. मैं तेरे जिस्म का दीदार करना चाहता हूँ.. तेरे जिस्म को अपने होंठों से चूमना चाहता हूँ।
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02-06-2019, 05:17 PM,
#39
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि- ओह्ह.. भाई.. ऐसी बातें ना करो.. मुझे शर्म आ रही है.. पहले ऐसे ही प्यार कर लो.. बाद में देख लेना मेरे जिस्म को.. जितना चाहो चूम लेना..
जय- नहीं रश्मि.. तुम अभी कच्ची कली हो.. मैं इसी रूप में तुमको देखना चाहता हूँ.. उसके बाद तुम्हें इतना प्यार करूँगा कि तुम एक खिला हुआ गुलाब बन जाओगी।
रश्मि- ठीक है भाई.. जैसा आप चाहते हो.. वैसा ही होगा.. जला दो लाइट.. कर लो अपना अरमान पूरा..
जय ने एक पल की भी देर नहीं की और लाइट चालू कर दी और रश्मि को उस सेक्सी नाइटी में देख कर उसकी वासना और भड़क गई।
जय- ओह्ह.. रश्मि तुम सच में सेक्स की देवी हो.. इस ड्रेस में तुम क़ातिल हसीना लग रही हो।
रश्मि- भाई यह रूप किस काम का जो आपको तड़पा रहा है.. आ जाओ.. मिटा लो अपनी प्यास.. मेरे इस जलते हुए जिस्म से..
जय- नहीं रश्मि.. तुम अगर मेरी गर्ल फ्रेण्ड होती.. तो शायद अब तक मैं तुम्हें जन्नत की सैर करा देता.. मगर तुम मेरी सग़ी बहन हो और दुनिया में शायद ही किसी भाई को तुम जैसी सेक्सी बहन को ऐसे देखने का मौका मिलता होगा। पहले मैं तुम्हारे इस यौवन को जी भर के देख तो लूँ.. सच में जब से तुमने मेरे सामने उस दुकानदार को अपना साइज़ बताया था.. तब से मेरी नज़र बार-बार तुम्हारे इन रसीले मम्मों पर ही अटक जाती है। आज इन्हें खुली आँखों से देखना चाहता हूँ।
रश्मि- ओह्ह..ससस्स भाई.. देर किस बात की है.. आ जाओ ना.. पी जाओ इनका सारा रस आह..
जय ने रश्मि का हाथ पकड़ कर उसको बेड से नीचे उतार लिया और उसे इधर-उधर चलने को कहा।
रश्मि गाण्ड को मटकाती हुई कमरे में चलने लगी.. जैसे कोई मॉडल हो।
जय- उफ़फ्फ़.. ये क़ातिल अदाएं कहीं मेरी जान ना ले लें.. तेरी ये ठुमकती गाण्ड तो बहुत ही लचीली है.. कैसे ठुमक रही है.. जैसे मेरे लौड़े को बुला रही है कि आ जाओ.. घुस जाओ.. उफ़.. रश्मि आज तुम्हारा ये रूप देख कर मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. आ जाओ मेरी बाँहों में समा जाओ..
रश्मि शर्माती हुई जय से लिपट गई और जय उसकी गर्दन को चूमने लगा उसके कान को हल्के से दाँतों से काटने लगा।
रश्मि- उफ़फ्फ़.. कककक.. भाई प्लीज़ मत तड़पाओ ना.. आह.. ये प्यार बाद में कर लेना.. पहले अपनी बहन की प्यास तो बुझा दो।
जय उससे अलग हुआ और उसने रश्मि की नाइटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी और उसका नंगा जिस्म देख कर वो पागल सा हो गया। रश्मि के निप्पल उत्तेजना से एकदम कड़क हो गए थे उसकी चूत रिसने लगी थी।
रश्मि- उफ़फ्फ़ भाई.. मुझे तो आपने नंगा कर दिया.. आप अपना बरमूडा कब निकालोगे.. आह.. मुझे आपका लंड देखना है.. इसस्स.. आह.. प्लीज़..
जय को थोड़ी हैरानी हो रही थी कि रश्मि कितनी आसानी से लंड का नाम ले रही थी.. जैसे बहुत पक्की चुदक्कड़ हो। उसको एक बार तो शक भी हुआ कि कहीं रश्मि पहले किसी से चुदवाई हुई तो नहीं.. जो इतनी बिंदास बोल रही है। मगर उसको क्या पता ये सब गोली का कमाल है।
जय- अरे तुमने अन्दर कुछ भी नहीं पहना.. ये क्या सितम कर दिया.. मैं तुम्हारे एक-एक कपड़े को अपने हाथों से निकालना चाहता था।
रश्मि- वो सब फिर कभी कर लेना.. प्लीज़ अब बातें बन्द करो.. मुझे मत तड़पाओ.. मेरे सब्र का बाँध टूट रहा है भाई..
इतना कहकर रश्मि नीचे बैठ गई और एक झटके से जय का बरमूडा खींच कर निकाल दिया, जय का 7″ का लौड़ा झटके से आज़ाद हो गया.. जो रश्मि के मुँह के एकदम करीब था।
रश्मि- ओह्ह.. वाउ भाई मेरी कब से तमन्ना थी.. आपके लौड़े को देखने की.. इसे टच करके ही मुझे कितना मज़ा आया था.. आज चूसके तो पता नहीं कितना मज़ा आएगा।
रश्मि की बात जय की समझ के बाहर थी कि उसने इसे कब टच किया था.. मगर ये वक़्त सवाल जबाव का नहीं.. मज़े लेने का था।
जय- चूस ले मेरी बहना जान.. अब तुम्हारे सामने खड़ा है.. मज़े लेकर चूस और देख कैसा है तेरे भाई का लौड़ा और उसका रस..
रश्मि ने जल्दी से सुपारे को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी.. जैसे पता नहीं वो लंड के रस को पीने के लिए कितने सालों से प्यासी हो।
जय- उफ़फ्फ़ आह.. मज़ा आ गया आह.. ऐसे ही चूस आह..
रश्मि पागलों की तरह अपने भाई के लौड़े को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी, हाथ से उसकी गोटियों को सहलाने लगी।
जय- आह..इसस्स.. बस कर जान.. पानी निकाल कर दम लेगी क्या.. आह.. आह..।
रश्मि ने लौड़ा मुँह से निकाला और सेक्सी स्माइल देते हुए कहा- आह.. भाई.. मैं जानती हूँ आप बहुत गर्म हो गए हो.. आपका लंड किसी भी पल पानी फेंक देगा.. ऐसे में मेरी प्यास अधूरी रह जाएगी। इसलिए पहले इसे मेरे मुँह में ठंडा करूँगी उसके बाद दोबारा तैयार करके अपनी आग बुझाऊँगी।
जय- आह.. ऐसी बात है.. तो चूस आह.. मेरी जान.. मज़ा आ रहा है.. चूस ले.. ज़ोर से.. आह.. पूरा ले आह्ह..
रश्मि फुल स्पीड से लौड़े को मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
अब जय के लौड़े की नसें फूलने लगी थीं.. वो झड़ने के करीब था.. तो उसने रश्मि के सर को कसके पकड़ लिया और स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
रश्मि का दम घुटने लगा.. उसकी आँखें लाल हो गईं.. आँखों में आँसू आ गए। तभी जय के लौड़े से पिचकारी उसके मुँह में गिरी.. उसने जय को ज़ोर से धक्का दिया और लौड़ा मुँह से निकल गया, मगर तब तक जय का रस पूरा उसके मुँह में आ गया था।

रश्मि तेज़ी से उठी और बाथरूम की ओर भागी.. जल्दी से सारा लंड रस थूका और पानी से मुँह साफ किया।
जय- अरे क्या हुआ रश्मि.. तुम ठीक तो हो ना?
रश्मि थोड़ी गुस्से में बाथरूम से बाहर निकली.. उसकी आँखें लाल थीं।
रश्मि- उफ़.. क्या भाई.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. सांस ही नहीं ले पा रही थी.. और आप दनादन मेरे मुँह को चोदे जा रहे थे।
जय- ओह्ह.. सॉरी यार.. जोश में पता ही नहीं लगा.. वैसे तुम्हारा मुँह ही किसी टाइट चूत से कम नहीं था। अब मुँह ऐसा है.. तो तेरी चूत क्या कमाल की होगी.. उफ़फ्फ़ आज तो मैं सारी रात तेरे साथ मज़ा करूँगा।
रश्मि- मज़े के लिए ही तो मैं तड़प रही हूँ.. अब जल्दी से मेरी चूत की आग मिटा दो भाई।
जय- तू बिस्तर पर लेट जा.. देख कैसे मैं तेरे जिस्म को चाट कर मज़ा देता हूँ। पहले दरवाजा बन्द तो कर दूँ कहीं कोई आ गया.. तो गड़बड़ हो जाएगी..
रश्मि- ओह्ह.. शिट.. हम कब से मस्ती कर रहे हैं अगर कोई आ जाता तो.. जल्दी बन्द करो भाई.. और प्लीज़ जल्दी कुछ करो.. मेरी आग बढ़ती ही जा रही है।
रश्मि बिस्तर पर सीधी लेट गई और जय दरवाजा बन्द करके उसके ऊपर कुत्ते की तरह टूट पड़ा, उसकी मदमस्त चूचियां दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा।
रश्मि- सस्स भाई.. आह.. अब मैं आपकी ही हूँ.. ये सब बाद में कर लेना.. आह.. पहले मेरी चूत को चाटो.. आह.. बहुत दर्द हो रहा है.. तड़प रही है ये.. आह.. उईईइ आह.. प्लीज़ भाई..
रश्मि की बेकरारी देख कर जय उसकी टाँगों के दरमियान लेट गया और जब उसकी नज़रें रश्मि की बन्द चूत पर गई उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। अब तक उसके मन में शक था कि कहीं रश्मि पहले से चुदी हुई तो नहीं है.. मगर अब उसको यकीन हो गया कि इसकी तो फाँकें बहुत टाइट चिपकी हुई हैं। बस इसी ख़ुशी में वो चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।
रश्मि तड़फती और सिसकती रही और जय मज़े से उसकी चूत को चाट-चाट कर मज़ा लेता रहा। अपनी जीभ की नोक से वो रश्मि की चूत के छोटे से सुराख को चोदने लगा।
रश्मि- आह..कककक.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ नहीं आआई.. ज़ोर से चाटो.. आह.. भाई उफ़फ्फ़.. मैं गई.. आह.. न्न्न..नहीं आह.. भाई आईईईई..इ
रश्मि का बाँध टूट गया, वो कमर हिला-हिला कर झड़ने लगी और जय ऐसे चूत रस को चाटने लगा कि एक बूँद भी नीचे ना गिर जाए।
दो मिनट तक जय अच्छे से चूत को चाट कर साफ करता रहा।
अब रश्मि शान्त हो कर लेट गई थी।
जय अब उसके बगल में आकर लेट गया और दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
जय- मज़ा आ गया रश्मि, सच्ची तेरा रस तो बहुत टेस्टी था।
रश्मि- सच्ची.. मुझे तो आपके रस से उल्टी सी आई.. तभी तो भाग कर गई थी थूकने.. वैसे भाई आपने मज़ा बहुत दिया.. कैसे चूसते हो आप.. मज़ा आ गया मुझे तो.. उफ़.. मुझे तो अब जाकर सुकून मिला है।
जय- तू इतनी सेक्सी होगी.. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.. तेरे ये मम्मे कैसे नुकीले हैं और कितने कड़क भी हैं.. आज तो इनको खा ही जाऊँगा मैं..
रश्मि- भाई सच बताऊँ.. कल रात को आपके लंड को टच किया.. तो बस एक करंट सा लगा था.. मैंने तभी सोच लिया था.. कि अब तो कुछ भी हो जाए.. इसको देखना ही है.. इसका मज़ा लेना ही है और देखो आज ये मेरी मुठ्ठी में है.. ओह्ह.. क्या लुत्फ़ आ रहा है..
जय का हाथ रश्मि के मम्मों को सहलाने में बिज़ी था.. तो वहीं रश्मि उसके लंड को हाथ से दबा कर मज़ा ले रही थी।
जय- क्या कल रात को तुमने ‘मेरा’ पकड़ा था.. मगर मुझे तो पता भी नहीं चला।
रश्मि ने रात की सारी बात उसको बताई और सुबह उसका रस देख कर वो वहाँ से गई।
यह जान कर जय थोड़ा शरमिंदा हुआ.. मगर रश्मि की रात की हरकत के बाद वो तो होना ही था। यह सोच कर वो नॉर्मल हो गया।
जय- चुसाई में तो मज़ा आ गया.. अब आगे भी करना है या बस?
रश्मि- जब इतना सब हो ही गया.. तो चुदाई तक करते हैं ना.. और वैसे भी इस चुसाई से ना आप संतुष्ट हुए.. ना ही मैं.. तो क्यों ना आज आप मेरी सील तोड़ कर मुझे लड़की से औरत बना दो.. और चुदने का लाइसेन्स दे दो हा हा हा..
जय- बहुत बदमाश हो गई है तू.. ऐसे मानेगी नहीं.. मगर क्या तुझे पता है.. सील ऐसे ही नहीं टूटेगी.. बहुत दर्द होगा तू सह पाएगी?
रश्मि- आज नहीं तो कल.. मेरी चूत की चुदाई तो होगी ही.. तो अब इस खेल का पूरा मज़ा लेकर ही रहूँगी.. दर्द चाहे कितना भी हो जाए.. आप बस आज मेरी सील तोड़ ही दो।
जय- यार एक बात तो बता.. तू पहले तो ऐसी नहीं थी.. अब ऐसा क्या हो गया.. जो इतनी बिंदास हो गई?
रश्मि- पता नहीं भाई.. ये सब कल रात ही मेरे दिमाग़ में आया और मैंने आपके लंड को पकड़ा और बस आज आपके सामने हूँ… मगर जो भी हुआ अच्छा हुआ। किसी और से करने से अच्छा है कि आप ही मुझे मज़े दो ताकि घर की बात घर में रहे।
जय- अच्छा ये बात है.. इसका मतलब तुम मुझे बहनचोद बना कर ही दम लोगी? तो ठीक है आज तुम्हें छोड़ कर ऐसा मज़ा दूँगा कि बस तुम रोज मेरे पास आ जाओगी..
रश्मि- अच्छा.. ये बात है.. तो ठीक है आ जाओ.. दिखा दो अपनी पॉवर..
जय- बस थोड़ा सा वेट करो.. मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद अपना चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे ताकि बीच में कोई रुकावट ना आए..
रश्मि- ओके भाई.. जैसा आप चाहो जाओ और जल्दी आ जाना..
जय बाथरूम चला गया और रश्मि वहीं लेटी हुई आने वाले पल को सोच कर मुस्कुराने लगी।
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02-06-2019, 05:17 PM,
#40
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
दोस्तो, यहाँ प्रोग्राम शुरू होने में थोड़ा टाइम लगेगा। तब तक हम लोग गाँव की सैर कर आते हैं।
जेम्स को दोबारा मौका ही नहीं मिला कि वो रानी के साथ कुछ कर सके.. क्योंकि रानी को अचानक तेज बुखार हो गया था.. इसलिए अब जेम्स अपनी प्यास मिटाने निधि के घर की तरफ़ चला गया। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.. जब वो छुपते-छुपाते निधि के घर के पास गया.. तो अन्दर से रोने की आवाज़ सुनकर वो घबरा गया कि आख़िर अचानक यह क्या हो गया है।
जेम्स जल्दी से दरवाजे के पास गया और आवाज़ लगाई- क्या हो गया.. ऐसे सब रो क्यों रहे हो?
निधि ने जल्दी से दरवाजा खोला।
जेम्स- अरे क्या हुआ..? मैं यहाँ से जा रहा था.. तो रोने की आवाज़ सुनकर रुक गया। कोई बताएगा मुझे.. यहाँ हुआ क्या है?
निधि- जेम्स उउउ उउउहह.. मेरे भैया उउउ.. देखो ना उउ…
घर में सभी रो रहे थे.. मगर कोई ठीक से नहीं बता रहा था। जेम्स समझ गया कि हो ना हो निधि के भाई ने कुछ किया है.. मगर ऐसा क्या किया जो सब ऐसे रो रहे हैं।
जेम्स- ओह्ह.. कोई ठीक से बताएगा?
जेम्स के सवालों का जबाव निधि के बापू ने दिया कि ज़्यादा शराब पीने से उसके बेटे का लीवर ख़त्म हो गया है.. आज शाम से बहुत हालत खराब है.. गाँव के डॉक्टर ने जबाव दे दिया और ये भी कहा कि कल सुबह तक शहर ले जाओगे तो ये बच जाएगा.. नहीं तो ये मर जाएगा। अब जैसा भी है आख़िर है तो मेरा बेटा ही.. अब क्या करें.. कैसे इसको शहर लेकर जाएं.. घर में कौन रहेगा.. कुछ समझ नहीं आ रहा..
जेम्स ने समझाया- अरे चाचा.. मैं किस दिन काम आऊँगा.. मैं लेकर जाऊँगा इसको..
बस फिर क्या था आनन-फानन में जेम्स ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया।
जेम्स रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।
अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो जय को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।
जय जब बाहर आया तो रश्मि को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
रश्मि बिस्तर पर आँखें बन्द किए हुए सीधी लेटी हुई थी.. उसके पैर मुड़े हुए और ऐसे फैले हुए थे.. जैसे चुदाई के वक़्त किसी रण्डी के होते हैं। वो कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी और बड़बड़ा रही थी- आह सस्स आह.. भाई.. चोदो.. आह.. पूरा डाल दो.. आह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह.. उई.. मज़ा आ रहा है..
जय धीरे से बिस्तर पर चढ़ गया और रश्मि की टाँगों के बीच बैठ गया। जैसे ही उसने लौड़ा चूत पर सैट किया.. रश्मि ने आँखें खोल दीं और अपनी हरकत पर शर्मा गई।
रश्मि ने जल्दी से करवट ली और अपना मुँह हाथों से छुपा लिया।
जय- अरे क्या हुआ.. शर्मा क्यों रही हो.. मुझे नहीं पता था मेरी गुड्डी की चूत में इतनी आग लगी है.. नहीं तो कब का.. मैं अपने लौड़े से इसकी आग को मिटा देता..
रश्मि- क्या भाई, आप चुपके से क्यों आ गए.. जाओ अब मैं आपसे बात नहीं करती..
जय- अरे मेरी जान.. ये शर्माना छोड़ो.. जो अकेले-अकेले कर रही थी ना.. अब मेरे साथ करो.. तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा।
रश्मि- भाई आपको मेरे मम्मे अच्छे लगते हैं ना.. अब इनका रस पीलो.. मुझे प्यार दो.. मेरे जिस्म को नोंच डालो.. मैं तैयार हूँ.. आपके प्यार को पाने के लिए.. उसके बाद अपने लंड से मेरी चूत को ठंडा करना..
जय- मेरी जान.. कसम से तू ऐसी क़यामत होगी.. मैंने सोचा भी नहीं था। अब तू अपने भाई का कमाल देख.. कैसे तेरी वासना को मिटाता है।
जय अब रश्मि के मम्मों को दबाने लगा और रश्मि के मुँह में अपनी जीभ डाल कर उसको मज़ा देने लगा। कभी वो रश्मि के मम्मों को चूसता.. कभी निप्पल पर जीभ घुमाता.. बेचारी वो तो पहले से बहुत गर्म थी, अब जय उसको और गर्म करने लगा था।
कुछ देर ये चलता रहा.. उसके बाद रश्मि सिसकारियाँ लेती हुई बोली- उफ़फ्फ़ भाई.. आह.. मेरी चूत की आग मिटा दो.. आह.. फाड़ दो इसे.. बहुत इसस्स स्स.. परेशान कर रही है.. आह.. भाई कुछ करो आह..
जय ने चूत को चाटने का आसन बदला और 69 की अवस्था में आकर वो रश्मि की चूत चाटने लगा। इधर प्यासी रश्मि लौड़े को कुल्फी समझ कर चाटने लगी।
दोनों कुछ देर तक ये खेल खेलते रहे। अब जय के भी बस के बाहर हो गया था। वो बैठ गया.. उसने रश्मि की टांगें फैला दीं और चूत पर उंगली घुमाने लगा।
रश्मि- आह..इससस्स.. भाई.. घुसा दो आह…. अब बस बर्दास्त नहीं होता भाई.. उफफफ्फ़..
जय उंगली से चूत को खोलने की कोशिश करने लगा.. पर चूत बहुत टाइट थी। उसने थोड़ी सी उंगली चूत के अन्दर डाली.. तो रश्मि ज़ोर से उछली।
रश्मि- आअऊच भाई.. आराम से उफ़.. दुखता है ना..
जय- अरे ये क्या रश्मि.. तुमने आज तक अपनी चूत में उंगली भी नहीं डाली.. इतना सा दर्द से नहीं पा रही हो.. लौड़ा जाएगा तो कैसे सह पाओगी?
रश्मि- आह.. पता नहीं भाई.. मगर जैसे भी डालना है.. अब डाल दो.. मेरे सर में दर्द होने लगा है.. एक अजीब सा भारीपन मुझे महसूस हो रहा है.. पता नहीं मुझे क्या हो रहा है… मेरी चूत में बहुत खुजली होने लगी है। अब तो आप डाल ही दो बस..
जय- ठीक है रश्मि.. अब मेरा लौड़ा भी बहुत अकड़ कर दर्द करने लगा है। अब तो इसको चूत की गर्मी ही ठंडा कर सकती है।
रश्मि- भाई प्लीज़.. जरा आहिस्ते से पेलना.. ये मेरा पहली बार है।
जय- तू फिकर मत कर मेरी जान.. तेरा पहली बार है.. मगर मैंने बहुत सी चूतें खोली हैं.. मैं सब जानता हूँ कि कैसे करना है.. और तू तो मेरी प्यारी बहन है.. तुझे थोड़ी ज़्यादा तकलीफ़ दूँगा।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. मुझे तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि आप ऐसे होंगे मगर आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले..
जय- अरे तुझे कैसे पता होगा.. तू कौन सा यहाँ रहती है.. चल अब बातें बन्द कर.. पैर ठीक से फैला.. ताकि तेरी चूत की आज ओपनिंग कर दूँ।
रश्मि ने घुटने मोड़ कर पैर फैला लिए.. जिससे उसकी चूत थोड़ी सी खुल गई, जय ने टेबल से आयली क्रीम ले ली और अपने लौड़े पर अच्छे से लगा ली।
रश्मि- क्या कर रहे हो भाई..
जय- अरे लौड़े पर क्रीम लगा के चिकना कर रहा हूँ ताकि आराम से फिसलता हुआ अन्दर घुस जाए.. इससे तुझे तकलीफ़ कम होगी.. समझी..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई.. आप मेरी कितनी फिकर करते हो..
जय ने थोड़ी क्रीम रश्मि की चूत पर भी लगाई.. थोड़ी उंगली से चूत के अन्दर भी लगाई।
रश्मि- आह.. आराम से भाई.. कहीं नाख़ून ना लग जाए..
जय अब कुछ बोलने के मूड में नहीं था उसने लौड़े को चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा.. मगर चिकनाई से लौड़ा ऊपर को फिसल गया। रश्मि की चूत बहुत टाइट थी.. उसका सुपारा भी अन्दर नहीं घुस पा रहा था। मगर जय कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था.. उसने उंगली से चूत को थोड़ा सा खोला और सुपारा अन्दर फँसा दिया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा।
रश्मि- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़.. जरा आराम से.. डालना.. आह्ह.. आपका बहुत मोटा है.. ओह्ह.. गॉड.. मेरी जान निकल जाएगी.. इस दर्द से.. आह.. भाई आह..
जय- अरे अभी डाला कहाँ है.. बस लंड का टोपा चूत में फँसाया है मैंने.. अब तू दाँत भींच ले.. बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद हमेशा के लिए मज़े ही मज़े।
रश्मि ने बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया और डर से अपनी आँखें बन्द कर लीं..
जय को पता था दर्द के कारण रश्मि शोर करेगी, वो उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों पर जोरदार किस शुरू कर दी।
जय अब लौड़े पर दबाव बनाता जा रहा था.. धीरे-धीरे उसका सुपारा अन्दर घुसने लगा और दर्द के कारण रश्मि का बदन मचलने लगा।
रश्मि की टाइट चूत में लौड़ा घुसना आसान नहीं था। अब जय को थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ रहा था और रश्मि की सील ऐसे प्यार से टूटने वाली थी नहीं.. तो जय ने एक झटका मारा, इस प्रहार से 3″ लौड़ा चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया।
रश्मि को दर्द की एक तेज लहर जिस्म में होने लगी। उसकी चीख निकली.. मगर जय के होंठों के नीचे दब कर रह गई। वो छटपटाने लगी।
जय ने कस कर उसके हाथ पकड़ लिए और लौड़े को दोबारा पीछे किया, अबकी बार का धक्का पहले से ज़्यादा तेज़ था, पूरा लौड़ा झटके से चूत की गहराई में समाता चला गया।

रश्मि ज़ोर से चिल्लाई.. मगर आवाज़ बाहर कहाँ से आती.. उसका मुँह तो जय ने होंठों से बन्द किया हुआ था।
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