Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
11-07-2017, 12:00 PM,
#81
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“चल बन्नो उठ, अब टाइम हो गया है…” मैंने उसे जगाया और बाथरूम में ले गयी। वहां गुनगुने पानी में मैंने बाथटब में गुलाब की पंखुड़ियां डालकर पहले ही तैयार कर रखा था। 

सब कपड़े उतारकर वो उसमें लेट गयी। उसके लंबे मोटे घने काले बाल बाहर छितरा रहे थे। एक सुगंधित आयुर्वेदिक शैम्पू से मैंने उसके बाल शैम्पू किये। उसके लंबे गोरे हाथों और पतली उंगलियों में अच्छी तरह मैनीक्योर किया, नाखून उसके लंबे थे तो उन्हें शेप किया और फिर उसे बैठाकर उसके पैर फूट-बाथ में डालकर रखा। उसकी पुरानी पालिश उतारी, पैर की उंगलियों के नाखून फाइल किये, अंगुलियों के बीच से रगड़-रगड़ के साफ किया और फिर अच्छी तरह स्क्र्ब किया। 

गुड्डी- “हां भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है…” 

“अभी और अच्छा लगेगा मेरी बन्नो…” तभी मेरी निगाह उसकी झांटों पे गयी। उसने साफ तो किया था पर हल्की-हल्की दिख रहीं थी। मैंने पूछा- “क्यों, कब साफ किया ये घास फूस?” 

गुड्डी- “भाभी 4-5 दिन हो गये…” 

अरे तो चल फिर मैं इन्हें साफ करती हूं और फिर मैंने सारे बाल, कांखों से लेकर नीचे तक क्रीम लगाकरके साफ किये और हालांकी उसके पैर चिकने थे फिर भी एपिलेटर से उन्हें एकदम ही चिकना किया। फिर कहा- “चल अब फिर से लेट जा टब में। अब मैं तेरे बाल धोती हूं…” और बाल धोने के बाद फिर चंदन के साबुन से उसे मल-मल के नहलाया। जब वह तौलिये से पोंछकर निकली तो एकदम फ्रेश लग रही थी। फिर मैं उसे अपने कमरे में ले गयी मेक-अप करने के लिये। 

जब मैं मेहंदी लगाने बैठी, तो गुड्डी बोली- “नहीं भाभी, ये नहीं इसकी क्या जरूरत है?” 

“अरे बन्नो इसकी तो सबसे ज्यादा जरूरत है, जब तुम अपने मेंहदी लगे हाथों से उसका लण्ड पकड़ोगी तो एकदम तन्ना के खड़ा हो जायेगा…” फिर मेकअप शुरू करने के साथ मैंने उसे समझाया की मेकअप की क्या खास बातें हैं। हर लड़की के चहरे में कुछ खास बातें हैं वो हाइलाइट करनी चाहिये इसी तरह शरीर में।

“भाभी मेरे चेहरे में और शरीर में क्या खास है…” 

“सब कुछ मेरी बन्नो, बस तुम जानती नहीं की तुम क्या हो। एक दिन तुम शहर में आग ना लगा दो तो कहना, सारे लौंडे तेरा नाम लेकर मुटठ मारेंगें। तेरी हाइ चीख बोन्स, ये शापर् होंठों जिसके लिये लड़कियां मरती हैं तेरे एकदम नेचुरल हैं। और तेरे शरीर में तेरे मम्मे, तेरी पतली कमर और स्लेंडर बाडी फ्रेम पे ये तो जान मारते हैं। तू थोड़ा सा ध्यान दे ना तो बस… तेरा शरीर एकदम मेच्योर हो रहा है और तेरा चेहरा भोला-भाला बच्चों सरीखा, बस इसी पे तो लोग मरते हैं। और हां, मेक-अप के पहले ये तय कर लो की क्या मौका है तुम्हें कैसा लुक देना है…” उसके चेहरे का फेसियल करते हुए मैंने उसे समझाया।

फेस-पैक लगाकरके थोड़ी देर के लिये मैंने छोड़ दिया। चंदन पाउड़र, मलाई और हल्दी की मैंने खास क्रीम बनाई थी। वो मैंने उसके पूरे देह में लगाई, खासकर उरोजों पे। फिर उसे पलट के उसके नितंबों, जंघाओं को अच्छी तरह गूंथ के मालिश करते हुए सारी थकान निकाल दी। 

गुड्डी- “भाभी बहुत आराम लग रहा है। मैं इतनी हल्की लग रही हूं कि मन कर रहा है जैसे सो जाऊँ…” 

“सो जा, रात भर तो रात-जगा होना ही है…” उसके गुलाबी चूतड़ों को दबाते और मसलते हुए मुझे एक शरारत सूझी और मैंने उस लेप में थोड़ा और सुगंधित चंदन का तेल मिलाया और उसे ढेर सारा, अपनी बीच की उँगली में लपेटकर उसकी गाण्ड थोड़ी फैलाकर अंदर तक घुसेड़ दिया। 

गुड्डी- “हे भाभी…” वो चिल्लायी। 

“अरे सारी रात गमकती रहेगी और वो तेरा यार ढूँढ़ता रहेगा की कहां से महक आ रही है…” मैं बाली। 

उसका फेस पैक सूख चुका था। उसे उतारकर मैंने मेक-अप शुरू किया। काली कजरारी आँखों से उसकी बड़ी घनी भौंहों को संवार कर, पलकों पे मस्कारा, बरोनियों में आई लैशेज, और फिर काजल की तीखी रेखा। ऊँची चीक-बोन्स को थोड़ा और हाईलाइट, शार्प करके गुलाबी भरे-भरे गालों पे थोड़ा सा रूज लगाकर, उसके होंठ यूं ही बड़े रसीले लगते थे। उसके गोरे चेहरे को ध्यान में रखकर मैंने गाढ़ी लाल लिपस्टिक चुनी और फिर ब्रस से लाइनर और गीले लुक के लिये लिप-ग्लास भी लगाया फिर मैचिंग नेल पालिश। फिर पूछा- “हे क्या पहनोगी? वैसे कित्ती देर तक तुम्हें पहने रहने देगा वो? लंहगा चलेगा?” 

गुड्डी- “नहीं भाभी, बहुत फारमल लगेगा…”

“तो ठीक है, साड़ी चलेगी? मेरे पास एक अच्छी ब्रोकेड की गुलाबी साड़ी है, लाल बाडर्र की…” 

गुड्डी- “हां भाभी, साड़ी ठीक है…” 

“आज जरा उसे मेहनत करने दो…” और ये कहकर मैंने उसे पैंटी और ब्रा दी। दोनों ही गुलाबी, और लेसी थीं। पैंटी बहुत डीप-कट और ब्रा हाफ थी और उसके उभारों को और उभार रही थी। मैं अपने गहनों का बाक्स और चूड़ी-केस उठाकर ले आई। कुहनी तक लाल लाल चूड़ियां, बीच-बीच में लाख के और अपने सोने के जड़ाऊदार कंगन, पतली लंबी उंगलियों में अंगूठियां। फिर मैंने कहा- “गुड्डी, मेरी तेरी साइज बराबर है। कभी मैं अपनी जगह तुम्हें तुम्हारे भैया के पास भेज दूंगी तो उन्हें पता नहीं चलेगा…” 

गुड्डी- “हां भाभी, लेकिन एक चीज छोड़ के…” मेरे सीने की ओर देखकर शरारत से वो बोली।

“अरे वो भी मेरे बराबर हो जायेंगें, बस इसी तरह यारों से रगड़वाती मसलवाती रहो…” उसका बाल बनाते मैं बोली। 

उसके बाल वैसे ही खूब मोटे और लंबे थे उसके नितंबों से भी नीचे। मैंने गजरे लगाकरके उसकी चोटी बनाई और फिर उसमें लाल सुनहला परिंदा लगाया। साड़ी तो मेरी हो गयी पर ब्लाउज का सवाल था। मुझे एक आइडिया आया- “हे वो चोली कैसे रहेगी जो तेरे लिये वो बार गर्ल वाले प्ले के लिये सिलवायी है…” 

गुड्डी- “नहीं भाभी, वो बहुत वैसी है, खुली-खुली है…” 

“अरे तो क्या हुआ? ले चल पहन…” और मैंने ब्रा के ऊपर लाल रंग की चोली पहना दी। सच में वो बहुत लो-कट थी और बैकलेस, नुकीले उभारों वाली, स्ट्रिंग से बंधी। मैंने उसे पीछे से कसकर बांध दिया। जोबन खूब उभर के सामने आ गये और पीठ तो पूरी की पूरी दिख रही थी, खूब गोरी और चिकनी, मस्त-मस्त। उसकी पीठ सहलाती मैं बोल पड़ी- “बड़ी सेक्सी और क्लासिक पीठ है तेरी…” 

गुड्डी- “क्यों भाभी, ऐसी क्या खास बात है मेरी पीठ में?” इठला के उसने पूछा। 

“काम शास्त्र में लिखा है कि जिस स्त्री की पीठ केले के पत्ते की तरह हो, चिकनी और बीच में गहराई हो, उसमें काम भावना बहुत प्रबल होती है। देख तेरी एकदम ऐसी ही है…” उसकी रीढ़ को उँगली से सहलाते हुये मैं बोली। 

गुड्डी- “धत्त भाभी…” शर्मा के वो बोली। 

साड़ी मैंने उसके चौड़े कूल्हों के नीचे बांध के पहनाई, और नाभी से तो बहुत नीचे, कम से कम एक बीत्ते नीचे बांधी और फिर बाकी श्रिंगार, कानों में झुमके, नाक में एक छोटी सी नथ और फिर उसकी सुराहीदार लंबे गले में एक लंबा सा हार जिसका बड़ा सा पेंडेट सीधे उसके, दोनों उरोजों के बीच जा टिका, बांहों में बाजूबंद और कमर में घूंघरुओं वाली सोने की पतली सी करधनी पहना दी।

जैसे ही मैंने उसके पांवों की ओर देखा तो मेरे मुँह से निकल पड़ा- “हे असल चीज तो छूट ही गयी…” 

गुड्डी- “क्या भाभी?” 

“अरे तू बैठ बताती हूं…” और मैं जाके अपनी महावर की शीशी ले आई और रच-रच के लगाने लगी। उसकी एंड़ियां वैसी ही गुलाबी थीं। खूब गाढ़ा महावर लगाते हुये मैं मुश्कुरा रही थी। 

मुझे मुश्कुराता देखकर उसने मुश्कुराने का कारण पूछा। 

मैंने हँसकर उसे बताया की जब मैं छोटी थी तो पड़ोस में मेरी एक नयी-नयी भाभी आयीं। उनकी सास, जेठानी और ननदें नाईन से कहकर रोज रात को नयी बहू को महावर लगवाती थीं और अगले दिन उसके पती को देखकर सब मुश्कुराती और उसे छेड़ती। 

जब मैंने एक दिन पूछा तो सब और हँसने लगी। और मेरी भाभी ने मुझसे पूछा- “देख उसके कान के पास लाल रंग लगा है ना?” 

मैंने तब ध्यान से देखा की उनके कान के पास महावर लगा था। 

भाभी ने हँसकर कहा- “देख इसके पैर का महावर इसके मर्द के कान में कैसे लग गया?” 

मेरी एक दूसरी भाभी ने छेड़ा- “अरे टांगें उठवाओगी तो सब पता चल जायेगा…”


भाग ७ समाप्त
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11-07-2017, 12:00 PM,
#82
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 8
(लेखिका - रानी कौर)

फिर मैने पैरों मे अपनी एक खूब चौड़ी सी घुंघरू वाली पायल पहनाई और उसके कमरे मे ले गयी. कमरा भी मैने सज़ा रखा था. साफ गुलाबी सिल्कन चादर, ढेर सारे तकिये और कुशण, दो खूब लंबी ऐयरोमैटिक कंडेल्स, ताज़ा गुलाब की महक का रूम फ्रेशनर और , पलंग के सामने एक खूब चौड़ा सा शीशा, मेज पे रखी खूब बड़ी सी एक वैसलीन की शीशी...

गुड्डी ने जब शीशे मे अपना रूप देखा तो खुद लजा गयी. बड़ी बड़ी, कानों से बाते करती काजल की रेख से सजी कजरारी आँखे, सुतवाँ नाक और उसमे हिलती डुलती नथ, जैसे कोई दूध मे दो बूँद गुलाबी रंग के के डाल दे, वैसा हल्का गुलाबी मदमाता रंग, पतले रसीले गुलाबी होंठ और गहरी ठुड्डी, और एक काला सा तिल, लंबी सी सुरहिदार गरदन मे जड़ाऊ हार और उसके नीचे तो बस, बार बार छलकते आँचल से झलकते, जैसे सोने के थाल मे दो सोने के लड्डू रखे हों, उसकी चोली भी उन्हे बाँध नही पा रही थी ऐसे रसीले छलक्ते मदमाते यौवन के रस कलश, और उसके नीचे, पतला खूब गोरा पेट और गहरी सी नाभि जिसे चारों ओर मैनें सज़ा दिया था और एक निशान नीचे की ओर बना दिया था, रस कूप की ओर. साड़ी खूब नीचे बँधी थी और उसकी जगहे और चौड़े कूल्हे साफ दिख रहे थे.

" हे इस रूप को देख के तो वो बेहोश हो जाएगा..." मैने चिढ़ाया."

" नही भाभी, वो बेहोश जाएगा तो आपने ये जो रच रच के शृंगार किया है वो तो बेकार हो जाएगा."

" अरे नही देख आज किस तरह वो तेरे शृंगार का दमन करता है. कल सुबह मैं पूछूंगी तुमसे इस रात का फसाना. हाँ एक आख़िरी बात गुर की, मैं तुम्हे समझा दूं. पहली चुदाई मर्द की होती है, शुरुआत उसे करने देना , शुरू मे थोड़ा शरमाना लजाना और धीरे धीरे साथ बढ़ाना, जैसे झूले की पेंग बढ़ाते है ना उसी तरह . दूसरी चुदाई दोनों की होती है, जब एक बार चुद गयी तो फिर क्या शरमाना.


हां अदाएँ नखडे तो ज़रूरी है. लेकिन इस बार उसके हर धक्के का जवाब धक्के से देना, एककम खोल के कचकचा के मज़े लेना. और तीसरी चुदाई औरत की होती है. ज़्यादातर मरद दो बार के बाद सुस्त हो जाते है. थोड़े आराम के बाद, तुम पहल करना. अपने रसीले होंठों का, हर अंग का ...इस्तेमाल कर के . जब एकदम बेकरार हो जाय तभी चुदाई शुरू करना. दो बार झडाने के बाद जल्दी झड़ने का कोई डर तो रहेगा नही."

" ठीक है भाभी..." वो बार बार घड़ी की ओर देख रही थी.

" हे, मुझे मालूम है वो आ गया होगा और हर पल उसके लिए पहाड़ हो रहा होगा लेकिन तुम 10 मिनट इंतजार करा के ही बत्ती बुझा के इशारा करना, और ये दूध और बखिर, पहले दूध पिलाना और फिर एक राउंड के बाद ये बखिर."

" बखिर, ये क्या है भाभी."

" याद है मैने तुमसे जो गन्ने का रस मँगवाया था, उसी से और गुड से ये बनती है. गाव मे जो गौने मे दुलहन आती है उसे और दूल्हे को खास तौर पे ये खिलाया जाता है. ये मानते है कि इसकी तासीर खीर से ज़्यादा गरम होती है. गौने की रात सारी दुलहनें बिना रुके चुदवाती है...अच्छा मैं चलती हू वरना तुम और तुम्हारा यार दोनो मुझे गाली देंगे'" और मैं कमरे से बाहर चली आई. मैने बाहर से ही उसके कमरे की संकल लगा दी और घर की बत्ती बुझा दी.

जैसा तय था. मैं बगल के कमरे मे आ गयी. ये उसके कमरे से सटा था और जिस की खिड़की से मैने एक बड़ा सा छेद दिन मे ही बना दिया था. थोड़े ही देर मे आहट हुई और गुड्डी ने दरवाजा खोला. उसका रूप देख के तो जैसे उसके यार के होश उड़ गये. जब वो पास आया तो शरमा के गुड्डी ने मूह फेर लिया, पर उसने कस के उसे अपनी बाँहों मे भर ,चूम लिया. आँचल तो उसका कब का धलक चुका था और तेज चलती साँसों के साथ, उसके सीने का उठना गिरना उसको और मादक बना रहा था. उसकी पलकें लाज से झुकी थी. उसके यार ने उसकी ठुड्डी पकड़ उसके रसीले होंठों को फिर चूम लिया और उसे उठा के, पलंग पे ले आ के, अपनी गोद मे बैठा लिया. " हे देखो ना ...." उसका चेहरा उठा के वो बोला.


" धत्त..." शरमा के फिर एक बार उसकी हिरण सी बड़ी बड़ी आँखे झुक गयी. उसने बिना रुके उसके गुलाबी रसीले होंठ चूम लिए. गुड्डी के होंठ स्पर्श होते ही लरज से गये, पर वह बिना रुके गुलाबी गालों पे, कभी गहरे चिबुक पे और कभी चिबुक पे चूमता रहा. थोड़ी देर रुक के जब उसने दुबारा कस के अपनी ओर खींच के, उसके होंठ चूमे तो बहोत हल्के से अबकी बार गुड्डी ने भी जवाब दिया. अब क्या था. जैसे अधिकार पूर्वक उसकी बाँहो ने उसे अपनी बाँहों मे भर रखा था उसी तरह, अब उसके होंठों ने गुड्डी के रसभरे अधरो को जाकड़ लिया और कस के उसका रस पान करने लगे, और फिर जीभ भी क्यों पीछे रहती, वो भी मूह मे घुस गयी. अब थोड़ी देर तक लगातार कस के रस पान कर के जो उसने छोड़ा, तो गुड्डी की हिम्मत बढ़ चुकी थी. उसने भी दो तीन छोटे चुंबन अपने यार के होंठों के ले लिए.

" तुम्हे देखु कि तुमसे बात करू... कि तुम्हे प्यार करू" उसके रूप मे खोए हुए उसने पूछा.

" मैं बताऊ....तीनो" हंस के गुड्डी बोली तो लगा जैसे हज़ार जलतरन्ग एक साथ बज गये हो.

अब वो दोनों बार एक दूसरे को चूम रहे थे, बाँहों मे दबा रहे थे. उसका हाथ कभी उसके ढलकते खुले कंधों को सहलाता कभी पीठ पे सरकता और वो भी उसे कस के अपनी बाँहों मे भींच लेती.

तभी गुड्डी की निगाह टेबल पे रखे दूध पे पड़ी. " हे मैं तो भूल ही गयी थी. तुम कहोगे कि मेहमान को कुछ खिलाया पिलाया नही सिर्फ़..." और वो उसे ले के फिर उसकी गोद मे बैठ गयी और अपने मेहंदी लगे हाथों से उसके होंठों से लगा दिया. दूध मे मैने केसर के अलावा शिलाजीत और अनेक ऐसी ही आयुरवैदिक चीज़ें मिला रखी थी. थोड़ा सा पी के उसने गुड्डी को पिलाया, पर उस बीच उसकी निगाहें उसके गदराए उभारों पे फिसल रही थी और उसकी चोली से झमकती गहराइयों पे. और उसकी उंगलियाँ भी उसकी निगाहों के साथ साथ बार उसके चोली के बँध पे जाके रुक जाती थी, पर गुड्डी उसके हाथों को रोक लेती थी. अब जब वो, बचा हुआ सारा दूध अपने दोनो हाथों से पकड़ के उसे पिलाने लगी तो पीठ पे टहलाती, उसकी शरारती अंगुलियों को मौका मिल गया और उसने चोली के बंधन खोल कर उसे दूर फेंक दिया. उसकी लेसी गुलाबी ब्राइडल ब्रा जोबन दिखा ज़्यादा रही थी, छिपा कम रही थी. पर वो भी कब तक... जल्द ही वो भी चोली के पास जा पहुँची. पर गुड्डी आज उसे इतज़र करने पे तुली थी. उसने अपने रस कलश अपने हाथों से छिपा लिए और कुछ इशारा कर के कहा जैसे कह रही हो कि मुझे तो टाप लेस कर दिया और खुद...और वो भी टाप लेस होगया. पर वो इत्ति जल्दी मानने वाली नही थी उसने बत्ती की ओर इशारा किया .उसने बत्ती भी बुझा दी. पर दोनो बड़ी ऐयरोमैटिक कंडेल की रोशनी मे मुझे सब कुछ साफ साफ दिख रहा था.
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11-07-2017, 12:01 PM,
#83
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
पलंग पे लेटकर अब वो उसके टेनिस बाल साइज के कड़े-कड़े किशोर उभारों का रस खुलकर ले रहा था। कभी वो उसे दबाता कभी सहलाता, जैसे किसी बच्चे को उसका फेवरिट खिलौना मिल जाये। और उसके होंठ भी खुश होकर उसका रसपान कर रहे थे। और गुड्डी… कभी शरमाकर अपनी भारी पलकें झुका लेती, कभी अपने यार के खुश चेहरे को निहारने लगती। उसकी देह की सिहरन, और खड़े निपल बता रहे थे की वो भी उसी तरह रस ले रही है। उसके उरोज जब कसकर उसकी चौड़ी छाती से दबते तो उसका चेहरा खिल उठता और वो भी उसे अपनी बाहों में बांध लेती। 

साड़ी तो कब की अलग हो चुकी थी थोड़ी देर में उसके यार की उंगलियां उसके साये के नाड़े पे भी पहुँच गयीं और गुड्डी के ना ना करने के बाद भी उसने उसे खोलकर ही दम लिया। वो अब बेताब था। थोड़ी ही देर में दोनों के सारे कपड़े बिस्तर से नीचे थे। उसका एक हाथ जोबन का रस लेता और दूसरा उसके निचले होंठों का। बार-बार जबरदस्ती करके उसने गुड्डी की टांगें अच्छी तरह फैलवा के ही दम लिया। कुछ ही देर में उसकी उँगली, उसके निचले गुलाबी रसीले होंठों को फैलाकर अंदर घुस चुकी थी और उसकी हथेली उसकी योनि को कस-कसकर रगड़ रही थी। 

दूसरी ओर, उसके किशोर निपल और जोबन को उसके होंठ कस-कसकर चूस रहे थे। मस्ती के मारे गुड्डी की आँखें बंद हो रही थीं। थोड़ी देर तक रस लेकर वो उठा और उसकी टांगों के बीच जा बैठा। टेबल से वैसलीन की शीशी उठाकर पहले तो उसने अपने उत्थित शिश्न पे लगाया। 

मैं बड़े ध्यान से देख रही थी, 6 इंच से ज्यादा ही लंबा रहा होगा और मोटा भी अच्छा था। 

और फिर दो उँगलियों में लपेट के उसकी योनि में काफी सारा वैसलीन लगाने के बाद उसने एक मोटा तकिया उसके नितंबों के नीचे लगाया, उसकी लंबी गोरी टांगें अपने कंधे पे रख लीं और अपना मोटा फूला हुआ लाल सुपाड़ा उसकी चूत पे रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में गुड्डी पूरी तरह से गीली हो रही थी। एक हाथ से उसकी किशोर गुलाबी कसी योनि के भगोष्ठों को फैलाकर, उसकी कमर को दोनों हाथों से कसकर पकड़कर जब उसने एक धक्का लगाया तो उसका सुपाड़ा थोड़ा सा फिसलकर अंदर घुसा। 

गुड्डी के चेहरे पे एक दर्द की रेखा उभर आई लेकिन उसने कसकर अपने होंठ भींच लिये। उसने दुबारा पूरी ताकत से धक्का मारा और उसका सुपाड़ा अब उसकी चूत में धंस गया। गुड्डी ने अपने होंठ दांत से काट लिये पर फिर भी उसकी चीख निकल गयी। 

तब तक मुझे याद आया की मैंने हैंडीकैम भी तो रख छोड़ा है और इससे बढ़ के क्या मौका हो सकता है अपनी प्यारी ननद की तस्वीर उतारने का। मैंने उसे छेद में लगाकरके चला दिया। 

वो कसकर कोशिश कर रहा था, उसका हाथ पकड़कर उसकी कुहनी तक भरी लाल चूड़ियां चुरमुर-चुरमुर कर रहीं थीं। फिर उसने गुड्डी के गुलाबी होंठों को अपने होंठों में लेकर न सिर्फ कसकर भींच लिया बल्की अपनी जुबान भी उसके मुँह में घुसेड़ दी और उसकी दोनों कलाइयां कसकर पकड़ ली। 

मैं समझ गयी कि अब असली हमला होने वाला है। उसने खूब करारा, जोरदार धक्का मारा। बेचारी मेरी किशोर ननद… वो बिलबिला रही थी, छटपटा रही थी, कस-कसकर अपने चूतड़ पटक रही थी। पर बिना रुके उसने दो-तीन और करारे जबरदस्त धक्के मारे। मुँह बंद होने पे भी वो गों-गों कर रही थी, पर अगले धक्के में पूरा लण्ड चूत के अंदर था। और उसकी गोरी कलाई की आधी दजर्न से भी ज्यादा चूड़ियां टूट गयीं। 

वो रुक गया। थोड़ी देर में उसने उसके मुँह को छोड़ा, और हल्के-हल्के उसके होंठों, गालों, पलकों पे चूमते हुए उसके जोबन सहलाता रहा। धीरे-धीरे जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किये। अभी भी उसने उसकी गोरी पतली कलाइयां पकड़ रखी थीं। उसके धक्कों की आवाज के साथ अब कमरे में उसके पैरों के पायल में की रुनझुन, चूडियों की चुरमुर गूंज रही थी। गुड्डी के चेहरे पे दर्द की जगह एक सुख ने ले ली थी। 

अब वो भी हल्के-हल्के अपने छोटे-छोटे चूतड़ उठा रही थी। उसके महावर लगे पैरों ने कसके उसके यार को भींच लिया था। 

फिर क्या था… उसने भी प्यार से कसकर उसकी रसीली चूचियों को मसलना रगड़ना चालू कर दिया और उसके धक्कों की रफ्तार और ताकत भी बढ़ गयी। वो पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक बार में ही पूरी ताकत से ठेल देता। जैसे कोई पिस्टन फुल स्पीड से अंदर-बाहर हो रहा हो, उसी तरह से उसका लण्ड भी अंदर-बाहर हो रहा था, सटासट-सटासट, और वो भी अपने चूतड़ उठा-उठा के उसे लील रही थी गपागप-गपागप। इस धका-पेल चुदाई के साथ-साथ उसने हाथों और होंठों से भी, कभी वो कसकर उसके खड़े निपल कसकर चूसता, तो कभी अपनी उँगलियों से उन्हें मसलता। और जब लण्ड आल्मोस्ट बाहर निकला होता तो उसकी चूत के रसीले फूल, पूरी तरह उभरे क्लिट को कसकर मसल देता। 

मस्ती से गुड्डी की हालत खराब हो गयी थी। तभी उसने उसकी टांगों को अपने कंधे से उतारकर बिस्तर पे रख दिया। गुड्डी ने अपने आप अपनी टांगें खूब चौड़ी फैला लीं। थोड़ी देर तक वो उसके चूतड़ों को पकड़कर मसलकर चोदता रहा और फिर अचानक उसने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया और चुदाई रोक दी। पर उसके हाथ कसकर उसके क्लिट और निपल को छेड़ रहे थे।

बेचारी गुड्डी… उसकी हालत खराब थी। वो बेताबी से बोली- “हे करो ना… रुक क्यों गये?” 

“क्या करूं? बोलो ना, तुम्हारा क्या करवाने का मन है? खुलकर बोलोगी, तो करुंगा…” उसने छेड़ा। 

गुड्डी- “अरे वही जो अब तक कर रहे थे…” और चूतड़ उठाकर और एक बार फिर से अपनी लंबी टांगें उसकी कमर में लपेट के, कसकर अपनी ओर खींचकर। उसने अपना इरादा साफ-साफ जाहिर किया। 

“हे मैंने सिखाया था ना तुम्हें पिछली बार कि शरम मत कर। बोल खुल के…” उसकी क्लिट को पिंच करते हुये वो बोला। 

गुड्डी- “हे चोदो ना मुझे…” फिर चूतड़ उठाते हुए, हल्के से वो बोली। 

“हे ऐसे नहीं, कसकर जोर से मेरी जान…” गाल काटते हुए वो बोला। 

गुड्डी- “हे चोद… चोद मेरी प्यासी चूत मेरे जानम, कसकर चोद…” अबकी वो पूरे जोर से बोली और अपने हाथ से उसे कसकर अपनी ओर खींचा। 

“हां जान, हां मेरी रानी, अब आयेगा मजा। ले, ले मेरा लण्ड… चोदता हूं, अब कस के। बहुत तड़पाया है तेरी इस चूत ने…” और अबकी उसका चूतड़ पकड़कर इस तरह से कसकर लण्ड पेला की इत्ती चुदवासी होने के बाद भी मेरी ननद बिलबिला गयी। और फिर तो जैसे तूफान आ गया हो। वह कचकचा के उसके रसीले गाल, भरी-भरी चूचियां काटता, बिस्तर पे चूतड़ रगड़-रगड़ के चोदता, कभी बेरहमी से उसकी चूचियां मसलता, कभी गाण्ड। लगातार उसका मोटा मूसल उसकी ओखली में बिना रुके चल रहा था। 

और मेरी ननद भी कम नहीं थी। वो भी उसी तरह उसका जवाब दे रही थी, उसके लंबे खूबसूरत नाखून उसके कंधे में गड़ जाते जब वो उसके धक्के के जवाब में कंधे पकड़कर चूतड़ उछालती, अपनी छोटी पर रसीली कड़ी चूचियां उसके चौड़े सीने पे रगड़ती, अपनी कसी गुलाबी चूत में उसका मोटा लण्ड कसकर भींच लेती। बहुत देर तक वो तूफान चलता रहा, बादल गरजते रहे, घुमड़ते रहे, दोनों में कोई पीछे हटने वाला नहीं था। लेकिन जब बारिश शुरू हुई तो लग रहा था कहीं बादल फट गया हो। 
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11-07-2017, 12:01 PM,
#84
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
देर तक, खूब देर तक वो बरसता रहा, वो भीगती रही और जैसे बहुत कड़ी गरमी के बाद बारिश हो रही हो। खुशी की वो हालत गुड्डी के चेहरे की थी, जैसे ताल तलैये भर जाने के बाद पानी बाहर निकलकर अगल-बगल के खेतों को भी डुबो देता है उसी तरह उसकी चूत से गाढ़े सफेद वीर्य की धार निकलकर उसकी गोरी मखमली जांघों पे बह रही थी। दोनों एक दूसरे की बाहों में उसी तरह बहुत देर तक पड़े रहे। उसका लण्ड भी उसकी चूत में गड़ा घुसा था। थोड़ी देर बाद वो उठकर उसकी बगल में लेट गया। कुछ देर में उठकर उसने उसकी ओर देखा। वो अभी भी थकी पस्त पड़ी थी। तकिये के पास टूटी लाल चूड़ियां, उसके कड़े रस भरे यौवन कलश पे नाखून और दांत के निशान और गोरी-गोरी थकी जांघों पे गाढ़े गाढ़े वीर्य के थक्के। 

“हे ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ?” उसने पूछा। 

गुड्डी- “हे पहले तो जान निकाल ली और अब…” थकी-थकी मुश्कान के साथ वो बोली। 

उसने झुक के उसे चूम लिया और गुड्डी ने भी अपनी बाहों में भरकर उसे हल्के से चूमकर जवाब दिया। 

उसे प्यार से पकड़कर उसने उठा लिया और गोद में बैठा लिया और कहा- “मैं क्या करता, तुमने इंतजार इत्ता करवाया…” वो शिकायत के अंदाज में बोला। 

गुड्डी- “झूठे, एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार और कितनी बार? और फिर…” 

“अरे यार, ये दिल मांगे मोर। तू इत्ती मस्त-मस्त है कि बस मन करता है की तुझे छोडूं ही नहीं…” उसके जोबन सहलाते हुये वो बोला। 

(तब तक हवा के एक तेज झोंके से खिड़की पूरी तरह खुल गयी। मस्त चांदनी अब उनके देह को नहला रही थी और अब मैं खुलकर सब कुछ देख और सुन रही थी।) 

गुड्डी- “अच्छा जी… बेइमान, झूठे। अगर ये बात थी तो मुझे छोड़कर गांव क्यों जा रहे हो? वहां भी कोई बैठी है क्या देने वाली? मैं मना थोड़े ही करती हूँ। जब चाहे तब ले लो, तुम्हारा ही है पर तुम खुद ही…” उसको हल्के से किस करती हुई बड़ी अदा से वो बोली। 

“अरे मजबूरी है यार, मेरी बहन चंदा की कल सगाई है। तुम्हारे बराबर ही या तुमसे थोड़ी ही बड़ी होगी। हम लोगों को उसके ससुराल जाना है। यहां से निकलकर मैं सीधे बस पकड़कर गांव ही जाऊँगा…” उसकी चूत में हल्के से उँगली करते हुए वो बोला। 

गुड्डी- “अच्छा… तो ये क्यों नहीं कहते की अपनी बहना के लिये ‘हथियार’ का पक्का इंतजाम करने जा रहे हो…”उसके खड़े होते लण्ड को हल्के से पकड़कर मरोड़कर वो उसे चिढ़ाते हुये बोली।

“हे क्या बोल रही है तू?” वो बोला। 

गुड्डी- “अरे मेरे राजा, नाराज क्यों होता है, जो तू मेरे साथ करता है ना, तो उस रिश्ते से तो वो मेरी ननद हुई ना… तो फिर उसके साथ मजाक क्या, मैं जम के उसे गाली भी दे सकती हूं…” उसके लण्ड को अब कसकर मुठियाते हुए उसने सुपाड़ा पूरी तरह खोल दिया था। उसकी इस बात से मैं बहुत खुश हुई। अब मेरी ननद पक्की तरह से ट्रेन्ड लग रही थी।

तब तक गुड्डी का ध्यान मेज पे रखी बखीर की ओर गया। उसे लाने के लिये वो उठते हुये बोली- “हे पर जरा चेक कर लेना अपने जीजू का लण्ड की चंदा के लायक है की नहीं…” उठते हुए उसने उसे फिर छेड़ा। 

कुछ उसकी बातों का असर, कुछ उसके नरम मुलायम चूतड़ की रगड़ाई और कुछ मेंहदी लगे हाथों की गरमी, उसके यार का टेंटपोल फिर खड़ा हो गया था। सुपाड़ा तो उसने शरारत में खोल ही दिया था। चूतड़ मटकाते बड़ी अदा से वो बढ़ी और फिर मुड़कर उसके लण्ड को देखते बोली- “और वैसे अगर तुम्हारे जैसा मूसल होगा तो, फिर तो चंदा रानी के मजे ही मजे हैं…” 

चांदी के कटोरे में रखी बखीर को लेकर वो आ गयी और अबकी खुद उसकी गोद में बैठकर बजाय चम्मच के अपनी लंबी नरम उंगलियों से ही उसे खिलाने लगी। 

“अरे ये तो बखीर है एकदम असली, ईख के रस में गुड़ में पगी ये तुमने कहां से सीखा? और तुम्हें मालूम है इसका असर? गौने की दुल्हन को ये खिलाया जाता है और वो रात भर रगड़ के चुदवाती है…” वो खुशी से बोला। 

गुड्डी- “अरे इत्ती कस-कसकर तुमने चोदा है, अभी कोई कसर बाकी है क्या? वैसे ये बताओ मेरे राजा कि इसके पहले तुमने किसको चोदा है?” मुंह में बखीर देते-देते शरारत से उसने थोड़ा उसके गाल पे भी लगा दिया और फिर चाट-चाट के साफ किया। 

उसका यार भी उसे क्यों छोड़ता। उसे खिलाते हुये उसने भी थोड़ा उसके उभारों पे पोत दिया और फिर चाट चूट के साफ किया। गुड्डी उसे एक हाथ से खिला रही थी और दूसरे हाथ से कस-कसकर उसको मोटे खड़े लण्ड को रगड़ रही थी। और वो भी… उसकी भी एक उँगली उसकी चूत में और अंगूठा क्लिट पे था। 

गुड्डी- “बता न, किसको चोदा है सबसे पहले तूने? मेरी कसम, सच में मैं एकदम बुरा नहीं मानूंगी। वैसे भी मेरी भाभी कहती हैं ‘अनाड़ी चुदवैया बुर की खराबी’ बता ना प्लीज, तुझे मेरी कसम…” बड़ी अदा से अपने जोबन उसकी छाती से रगड़ती कसकर के उसका एक चुम्मा लेकर उसने पूछा। 

“अच्छा बताता हूं। इसी पिछली होली में गांव में। मेरी एक रिश्ते की भाभी हैं उमर में मुझसे 4-5 साल बड़ी होंगी। उनके पती शादी के बाद ही कमाने के लिये दुबई चले गये। साल में एक बार ही आ पाते हैं। बच्चे कोई हैं नहीं। तुम्हें तो मालूम है कि होली में गांव में कितना खुल्लम-खुल्ला और वो भी देवर भाभी में। दिन में होली खेलते-खेलते उन्होंने मेरे पाजामें में हाथ डालकर खूब कसकर मेरे लण्ड में रंग लगाया। और फिर मैं क्यों छोड़ता… मैंने भी उनकी चोली के अंदर कस के उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां रगड़ी। उन्होंने मुझे चैलेंज किया की अगर असली मर्द हो तो शाम को आना होली खेलने। शाम को जब मैं पहुँचा तो पहले तो भांग पिला के उन्होंने मुझे एकदम नशे में कर दिया और फिर…” 

गुड्डी- “और फिर तुमने चोदा उनको…” गुड्डी बोल पड़ी। 

“अरे नहीं यार मैंने नहीं। उन्होंने ही, मुझे लिटा के मेरे ऊपर चढ़ गयी और जम के चोदा मुझे। हां नीचे से चूतड़ उठाकर धक्के मैं भी लगा रहा था और उनकी मस्त चूचियों का भी दबा-दबा के चूस-चूस के रस ले रहा था, पर चुदाई उन्होंने ही की। जब मैं घर लौटा तो मेरी भाभी ने, उन्हें सब कुछ पता चल जाता है, आँख नचाके पूछा- क्यों लाला, खा आये तुम भी सदाव्रत में। तब मुझे पता चला की उस भाभी ने गांव के किसी भी लड़के को नहीं छोड़ा है…” 

गुड्डी- “तो फिर तुमने सबसे पहले किसको…” आज वो बिना जाने नहीं छोड़ने वाली थी। 

“रजपतिया को। मेरे घर में काम करती थी, उसी की लड़की। चमाइन थी पर लगती नहीं थी। लोग कहते हैं की उसकी मां भी किसी ब्राहमण से फँसी थी और ये उसी की बेटी थी, गेंहुआ रंग, गुदाज गदरायी देह, चूचियां चोली फाड़ती रहतीं, उतान होकर चलती थी, कुछ दिन में ही गौना होने वाला था। किसी को हाथ नहीं रखने देती थी ना किसी के यहां जाती थी, पर उसकी मां चूंकी मेरे घर काम करती थीं इसलिये वो मेरे घर आती जाती थी बचपन से। मेरी आँख उस पे बहुत दिन से गड़ी थी, पर हिम्मत नहीं पड़ती थी। लेकिन होली में भाभी के साथ चुदाई के बाद मैं थोड़ा और बेधड़क हो गया था। इसलिये होली के दो चार दिन के बाद ही भूसे वाले घर में वह भूसा निकाल रही थी। मैंने उसे धर दबोचा…” 

वो मटक के बोली- “बाबू, अपने खेत का गन्ना खिलवाओ ना…” 

मेरे खेत में फारम का लाल गन्ना लग था। खूब मोटा और लंबा। सब उसके दीवाने, पर हम लोग उसकी जम के रखवाली भी करते थे। मैं हँसकर बोला- “एकदम… जब कहो और आजकल खेत में रखवाली भी तो मैं ही करता हूं…” पर मैंने देखा की वो मेरे पाजामें में तने तम्बू को देख रही थी और मैं समझ गया की वो किस गन्ने की बात कर रही है। 

हँसकर वो बोली- “बाबू, शहर जाके बड़े हो गये हो…” और निकलते हुए उसने मेरे तने लण्ड को पाजामे के ऊपर से दबा दिया। 

मैं क्यों पीछे रहता, मैंने भी चोली के ऊपर से उसकी चूची कसकर दबाके, बोला- “और तू भी तो बड़ी हो गयी है…” 

उसी दिन रात में खलिहान में मैं सोया था, आखिरी पहर होगा रात का, गन्ने के खेत में सरसराहट सुनायी दी। उठकर मैं चुपचाप खेत के अंदर घुसा, दबे पांव। काफी अंदर एक औरत हंसिये से गन्ना काट रही थी। मैंने पीछे से हचाक से जाके दबोच लिया और जिस कलाई में हंसिया थी उसे पहले पकड़ा की कहीं वार ही न कर दे पलट के। और दूसरे से उसकी भरी-भरी छाती। जब मुड़कर उसने देखा तो रजपतिया ही थी। 

मैंने पूछा- “हे मेरे ही खेत से गन्ने की चोरी…” 

“चोरी नहीं बाबू सीना जोरी। चोरी तो अब करूंगी…” और एक झटके में उसने मेरे पाजामें में हाथ डालकर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसका हाथ लगते ही वो मोटे गन्ने की ही तरह खड़ा हो गया। 

उसकी छाती दबाते-दबाते मैंने भी उसका ब्लाउज खोल दिया- “चल खिलाता हूं तुझे आज गन्ना…” और ये बोल के उसे वहीं पटक दिया और चढ़ गया उसके ऊपर। साड़ी उसकी कमर तक करके टांगें फैला दीं। काली घुंघराली झांटें थीं उसकी। चूत फैलाकर पेल दिया कस के, चूची मसलते मसलते। 

गुड्डी बोली- “मैंने तो सुना है कि गांव में खूब छुआ-छूत चलता है…”

“अरे अब नहीं, पहले था। लेकिन सब साल्ला फ्राड है, छुआ पानी नहीं पियेंगें लेकिन चुम्मा चाटी के लिये छुछियायेंगें। मैं वैसे भी ये सब नहीं मानता…” ये बातें सुनते ही गुड्डी गरम हो गयी। वो कसकर मुठठी में लण्ड दबाकर मुठिया रही थी, और उधर उसने भी चुदाई की बात सुनाते-सुनाते अब उसकी बुर में दो उँगली एक साथ डालकर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा, जैसे उसका लण्ड अंदर-बाहर हो रहा हो और गुड्डी की रसीली बुर भी अब अच्छी तरह पनिया गयी थी। 
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11-07-2017, 12:01 PM,
#85
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी- “फिर… उसने मना नहीं किया तुम्हें चोदने से?” उसके सुपाड़े को उँगली से रगड़ते हुये गुड्डी ने पूछा। 

“नहीं यार वो खुद चुदवासी हो रही हो थी। उसने अपनी तगड़ी टांगें मेरी कमर पे कर लीं और खूब कसकर चूतड़ उछाल के चुदवा रही थी। मैं भी उसकी रसीली चूची कभी काटकर, कभी चूस के, उसकी गाण्ड खेत में रगड़-रगड़ के पूरी ताकत से चोद रहा था। मैं जितना जोर से चोदता उतना वो और उकसाती। बहुत देर तक चोदकर मैं झड़ा। और फिर मैंने जितने गन्ने उसने काटे थे उसके अलावा 7-8 गन्ने और काटकर दे दिये। जब वो बाहर निकली तो खलिहान में गेंहू कटा रखा था। 

उसकी आँख में चमक देखकर मैं समझ गया और मैंने पूछा- “हे एक बार और…” 

और वो मान गयी। फिर मचान पे, एक बार और हम लोगों ने जम के चुदाई की। जब वो चलने लगी तो मैंने उसे 5 कट्टा गेंहूं भी दे दिया और छेड़ा- “हे रुक जा तू एक हफ्ते फिर तेरा मर्द रोज गन्ना खिलायेगा, लेकिन अभी तो बेचारा इंतजार कर रहा होगा…” 

तो वो चूतड़ मटका के बोली- “अरे क्या इंतजार बाबू, वो भी मेरी ननद के साथ फंसा है, दिन रात चोदता है…”

बखीर का आखिरी कौर खतम करते वो बोला- “मेरी भाभी बड़ी वैसी है… एकदम खुलकर एक से एक गंदे मजाक करती हैं। एक गौने की दुल्हन आई थी उसको खिलाने के बाद बची हुई बखीर उन्होंने चंदा को खिला दी और बोलीं- “ले आज तू भी चुदवा रात भर…” 

पर एक मेरी पड़ोस की भाभी बोली- “अरे कौन है इसका यार? किससे ये चुदवयेगी?”

तो मेरी भाभी हँसकर बोली- “अरे वो… जो मेरा देवर आया है शहर से, इसका भाई। हरदम पाजामा तना रहता है…” 

बखीर का कटोरा रखने के लिये जब वो उठी तो देखा की उसका लण्ड तो एकदम तन्नाया था और खुला हुआ सुपाड़ा, लाल, गुस्साया, मोटा एकदम बेताब लग रहा था। गुड्डी ने छेड़ा- “हे, तो क्या चोदा तुमने चंदा को रात भर…” 

वो बेताब हो रह था। अपना खड़ा लण्ड हाथ में पकड़कर उसे दिखाते हुये वो बोला- “चंदा की छोड़, तू जल्दी आ ये इंतजार कर रहा है…” 

पर गुड्डी भी… वो पलंग पे पेट के बल लेट गयी और बड़ी अदा से सिर मोड़कर बोली- “ना बाबा ना… मेरी चूत का एकदम हलवा बन गया है एक बार में। अब दुबारा नहीं…” 

“हे, तो मैं इसका क्या इलाज करूं…” हाथ में मोटा खड़ा लण्ड लिये वो बोला। 

गुड्डी- “मैं बताऊँ, तू ऐसा कर कि सुबह तो गांव जा ही रहा है, इसे चंदा को दे देना। उसकी प्रैक्टिस भी हो जायगी, और इसका इलाज भी…” नखड़े से उसे छेड़कर, वो हँसकर बोली।

“बताता हूं तुझे चंदा की…” और उसके बाद उसने कोई खूब भद्दी सी गाली हल्की से दी जो मैं नहीं सुन पायी पर गुड्डी खिलखिलाने लगी। वो उसके ऊपर आया, पकड़ने। 

पर गुड्डी पेट के बल ही किसी मछली की तरह फिसल निकली। लेकिन कब तक बचती वो। उसकी पीठ पे ही लेटकर उसने उसकी चूचियां कसकर पकड़ ली और लगा बेरहमी से कुचलने मसलने। उसका लण्ड उसके किशोर मचलते नितंबों के बीच धक्के दे रहा था। 

दो तीन कुशन लगाकरके उसने उसका पेट ऊपर कर दिया और गुड्डी ने खुद ही अपनी टांगें फैला दीं और उसका इरादा समझकर अपने हाथ और कुहनी के सहारे अपने चूतड़ उचका दिये। अब उसने उसकी चूत थोड़ी सी फैलाकर अपना सुपाड़ा सटाया और कमर पकड़कर एक कचकचा के करारा धक्का दिया। एक बार में ही पूरा सुपाड़ा अंदर था। 

गुड्डी- “उई मां… जान गयी…” गुड्डी जोर से चिल्लायी। 

“हे बहुत बोल रही थी ना, अब जान जाये चाहे बचे, बिना पूरा लीले बचत नहीं है…” वो बोला और कमर कसकर पकड़े-पकड़े दुबारा फिर ठूंस दिया। 5-6 जोरदार धक्कों में पूरा लण्ड अंदर। वो पूरी ताकत से पेल रहा था बिना उसकी चीख पुकार की परवाह किये। 

गुड्डी- “हे कैसा जालिम है तू? बस… प्लीज एक मिनट थोड़ी देर… ओह्ह… आह्ह… लगता है ना… रुक जाओ प्लीज प्लीज…” गुड्डी चीख रही थी, कराह रही थी।

उसकी चीखें सुन के मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मैने कैमरे को जूम करके उसकी चूत पे फोकस किया जैसे किसी छोटी बोतल मे कोई जबरन मोटा कार्क ठूस दे, उसकी चूत बुरी तरह फैली वैसे ही लग रही थी. एक हाथ से मे कैमरा पकड़े थी और दूसरा, मेरी बुर मे उंगली अंदर बाहर कर रहा था. कुछ ही देर मे उसके स्तन मर्दन और क्लिट की रगड़ाई के साथ, गुड्डी ने अपने चूतड़ हल्के से पीछे किए. इतना इशारा काफ़ी था और अब उसने कस के चुदाई शुरू कर दी.
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11-07-2017, 12:03 PM,
#86
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
उसकी चीखें सुन के मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मैने कैमरे को जूम करके उसकी चूत पे फोकस किया जैसे किसी छोटी बोतल मे कोई जबरन मोटा कार्क ठूस दे, उसकी चूत बुरी तरह फैली वैसे ही लग रही थी. एक हाथ से मे कैमरा पकड़े थी और दूसरा, मेरी बुर मे उंगली अंदर बाहर कर रहा था. कुछ ही देर मे उसके स्तन मर्दन और क्लिट की रगड़ाई के साथ, गुड्डी ने अपने चूतड़ हल्के से पीछे किए. इतना इशारा काफ़ी था और अब उसने कस के चुदाई शुरू कर दी.


उसे देखते हुए,मैं सोच रही थी जल्द ही ये मेरी प्यारी ननद इसी तरह मेरे सैयाँ से, हालाँकि राजीव का लंड इससे कम से कम दो तीन इंच तो लंबा ज़्यादा होगा ही और मोटा तो इससे बहोत ज़्यादा...लेकिन बहोत चीखेगी चिल्लाएगी मेरी ये ननद रानी अपने भैया से चुदवाने मे. मुझे उसकी छटपटाहट सोच के ही मज़ा आ रहा था. मैने पास मे देखा तो मेरा सबसे लंबा वायब्रेटर रखा था 9 इंच का मैने उसे उठा के अपनी चूत पे लगा लिया. चूत तो मेरी ये सब देख के उंगली कर के गीली थी ही, गपक से वो अंदर चला गया. मैने उसे फूल स्पीड पे ऑन कर दिया और कस के खचकच अपनी चूत छोड़ने लगी, चूतड़ उठा के ये सोचते हुए कि वो कस कस के मेरी इस ननद को चोद रहे है.

जब मैने कुछ देर बाद दुबारा देखा तो दोनों की चुदाई चरम सीमा पे पहुँच गयी थी. उसका लंड सतसट सतसट गपगाप उसकी चूत मे जा रहा था और वो भी गान्ड मटका के, चूतड़ से उसके धक्के के साथ धक्का मार के जवाब दे रही थी. वो कस के उसकी चूंचिया दबाते हुए पूरी तेज़ी से धक्के मार रहा था, उसका पिस्टन ऐसा मोटा लंड पूरा बाहर तक आ जाता और फिर उसे वो जड़ तक पेल देता. गुड्डी भी अपने चूतड़ पीछे कर उसके लंड की जड़ तक और कस के चिपका देती.


कभी वह लंड को हाथ से पकड़ के उसकी कसी किशोर चूत मे कस कस के गोल घुमाता और कभी एक झटके मे अंदर ठोंक देता. और मेरी ननद भी कम नही थी. जब वो रुक जाता तो वह अपने नित्म्बो को गोल गोल घुमा के, जैसे उसका लंड कोई मथानी हो और वो अपने अंदर कुछ मत रही हो, अपनी चूत को कस के सिकोड के मज़े ले रही थी. चीख का स्थान मज़े की सिसकारियों ने ले लिया था,

" हाँ हाँ बहोत मज़ा आ रहा है हाँ और चोद ..और चोद." वो बेशर्मी से बोल रही थी.

" ले ले... मज़ा आ रहा है कुतिया की तरह चुदवाने मे ...बोल बोल." एक हाथ से वो कस के उसके खड़े निपल मसल रहा था और दूसरे से उसकी पीठ पे लहराती नागिन सी छोटी को कस के खींच के उसने पूछा.

" हाँ हाँ खूब .चोद... चोद मेरी चूत. बहोत दिन से तड़प रहा था ना चोद.... जित्ता चाहे, जैसे चाहे."

कुछ देर बाद वो उसे घसीट के पलंग के किनारे ले गया. उसके चूतड़ बिस्तर के किनारे पे थे और वो नीचे खड़ा हो गया. लंड के धक्के खा खा के मेरी प्यारी ननद की चूत खुली खुली सी हो गयी थी. उसके पैर पकड़ के उसने मोड़ दिए थे और मुझे लग रहा था कि अब वो उसे खड़ा हो के चोदेगा. पर वो झुक गया. मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा था. मेरी ननद की सिसकारियों ने समझा दिया कि क्या हो रहा है. वह कस कस के उसकी चूत चाट रहा था, चूस रहा था. और फिर उसने अपनी जीभ उसकी बुर मे धकेल दी और उसे ऐसे ही उसे चोदने लगा. बेचारी गुड्डी, उसकी हालत खराब थी वो सिसक रही थी, चूतड़ पटक रही थी..पर वो... और जब उसने कस के उसकी मस्त उत्तेजित क्लिट चुसनी शुरू कि तो वो एकदम झड़ने के कगार पे पहुँच गयी, मस्ती से काँपने लगी तो ...वो हट गया.

" हे क्या करते हो, करो ना चूस लो मेरी चूत चोदो चोदो..ओह ओह..." 
. बेचारी. और वो भी इत्ता बेदर्दी नही था. उसने उसकी टाँगे फैला के एक बार मे ही अपना पूरा लंड खच्चाक से पूरी ताक़त से पेल दिया और जैसे ही उसका लंड जड़ तक घुसा और क्लिट से रगड़ खाया वो झड़ने लगी. उसकी आँखे बंद हो गयी थी, उसकी देह कस के कांप रही थी, चूत थरथरा रही थी चूतड़ अपने आप कांप रहे थे. 6-7 मिनट तक वो इसी हालत मे रही फिर धीरे धीरे सामान्य हुई. उसको देख के मैं भी इधर मोटा वायब्रेटर अपनी चूत मे घुसा के गपगाप पेल रही थी.

" हे , इट इज नाट फेयर..." शिकायत के स्वर मे, मुस्करा के वो बोली.

" ऐवरिथिन्ग ईज़ फेर इन लव आंड चुदाई माइ डार्लिंग." हंस के उसके होंठों को चूम के वो बोला और हल्के हल्के उसके उरोजो को प्यार से सहलाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो फिर मस्ती के मूड मे आ गयी और उसने अपनी टाँगें उसकी कमर मे बाँध के अपनी ओर खींचा बस क्या था इतना इशारा काफ़ी था और उसने चुदाई फिर चालू कर दी.
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11-07-2017, 12:03 PM,
#87
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
और क्या धकपेल चुदाई थी. एक हाथ से कमर और दूसरे से उसकी चूंची मसलते हुए, उसका गाथा तगड़ा बदन, हाथों की जबरदस्त माँस-पेशिया, बिजली की तेज़ी से लंड अंदर बाहर हो था. थोड़ी देर वो कस कस के धक्के लगाता और फिर मज़े लेता हुआ, थोड़ी देर मे मेरी ननद पे भी उसी तरह मस्ती सवार हो गयी और वो भी...और कुछ देर मे उसने फिर पॉज़ बदल दी. उसको ज़मीन पे खड़ा कर के बिस्तर के सहारे उसे झुका दिया. लगता था कुतिया वाला आसन उसे बहोत पसंद था. और फिर मेरी ननद की टाँगे फैला के चुदाई चालू कर दी. मैने जैसा उसे सिखाया था वैसे ही उसने, ...थोड़ी ही देर मे अपनी एक टाँग उठा के पलंग पे रख दी और अब उसकी चूत एकदम खुल गयी थी और वो उसे ढकधक चोद रहा था. काफ़ी देर तक इसी तरह चोदने के बाद उसने गुड्डी को उठा के पलंग पे लिटा दिया और अब उसकी टाँगे दुहरी करके इस तरह से धक्का लगाया कि लग रहा था हर धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी पे पड़ रहा. दोनों एक दूसरे को बाँहों मे भर के कस के चोद रहे थे. वो कभी उसके गाल काटता, कभी चूंचियाँ और वो भी अपने नाखूनों से उसके छाती, पीठ, कंधे को कस के खरोंच रही थी. देर तक ... और फिर झाडे तो दोनों साथ साथ. कस के उन्होने एक दूसरे को बाँहों मे भींच रखा था.


उधर वो दोनों झाड़ रहे थे और इधर मैं..वायब्रेटर पे..मेरा बदन भी कांप रहा था और चूत कस के सिकुड रही थी. वह दोनो इस तरह थके पड़े थे कि मुझे नही लग रहा था कि वो जल्दी उठेंगें. गुड्डी के उरोजो, जांघों, गालों पे नाख़ून , दाँतों के निशान पड़े हुए थे.

वीर्य की धार, सफेद गाढ़े थक्के उसकी जांघों पे भरे पड़े थे. खुली खिड़की से आती ठंडी हवा उनकी देह को सहला रही थी.
लेकिन मैनें अपनी ननद को कम करके आँका था. बड़ी पक्की चुदासि थी वो. करीब आधे घंटे इसी तरह पड़े रहने के बाद वो धीरे से उठी और एक खूब सूरत अंगड़ाई लेके, अपने यार की ओर देखा. वो अधसोया, अलसाया सा आँखे बंद किए पड़ा था. उसने हल्के से उसकी आँखो पे एक छोटा सा चुंबन लिया. जब उसने आँखे खोली तो मुस्करा के उसने इशारा किया कि तुम इसी तरह पड़े रहो. और झुक के उसके चेहरे पे ढेर सारे चुंबन बरसा दिए, जैसे कोई फूलों से लदी शाख खुद झुक के, फूल गिरा दे. चुंबन उसके चेहरे से सीने पे पहुँचे फिर गुड्डी ने बड़ी शरारत से उसके निपल, पहले तो हल्के से किस किए , फिर अपनी जीभ से थोड़ी देर फ्लिक करने के बाद , जैसे वो उसके निपल कुछ देर पहले कस के चूस रहा था, उन्हे चूसना शुरू कर दिया. बेचारा ...उसकी तो हालत खराब



..उसका सोया लंड भी अब जाग गया था और थोड़ी हरकत कर रहा था. गुड्डी के होंठ थोड़ी देर उसके निपल को छेड़ने के बाद नीचे आए और उसके पेट को किस करती हुई वो बढ़ी और सीधे उसकी काली काली झान्टो के झुरमुट मे खो गयी. उसकी जीभ जैसे वहां कुछ खोज रही हो.उत्थित होते लिंग के बेस पे उसने कस कस के चाटा. और जब उसने अपना लंड उपर किया कि गुड्डी उसे भी किस कर हट गयी और फिर सर झुका के उसनी अपनी चोटी मे अब उसके खड़े लंड को कस के बाँध लिया और कस के रगड़ने लगी. बेचारा लंड एकदम तैयार सर उठा के खड़ा...लेकिन उसके टारचर का यही अंत नही था. घुटनों के बल बैठ के, उसने अपने छोटे रसीले जोबन के बीच, उन्हे ले लिया और लगी दबाने. लंड अब एकदम खड़ा था. उसको दिखा के उसने अपने गुलाबी लिपस्टिक लगे होंठों पे जीभ फेरी और एक बार मे ही उसका सुपाडा अपने मूह मे लेने की कोशिश की. पर वो बहोत बड़ा था. फिर उसने होंठों से उसका चमड़ा खोला. उसके मेहंदी लगे हाथ बेताब लंड को थामे थे. खुले सुपाडे को पहले तो उसने अपनी जीभ से चाटा और फिर हल्के से किस किया. वो उठाने के लिए बेताब था लेकिन उसे धक्का दे के मेरी ननद खुद उसके उपर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके सुपाडे पे रगड़ने लगी.


इतना उसके यार के लिए बहोत था. उसने उसे बाँहों मे भर के नीचे खींच कर बगल मे कर लिया और साइड से ही उसकी टाँगे उठा, सीधे अपना लंड उसकी चूत मे प्यार से घुसेड दिया और हल्के हल्के चुदाई शुरू कर दी. वो भी ताल से ताल मिला रही थी. कुछ ही देर मे वो उसके उपर था और दोनों टाँगें फैला के कस कस के धक्के लगा रहा था. थोड़ी देर के बाद उसने गुड्डी को अपनी गोद मे खींच लिया और गोद मे बिठा के ही चोदने लगा, गुड्डी ने भी उसे कस के अपनी बाँहों मे भर रखा था. वो अपने उभर उसके सीने पे कस कस के रगड़ रही थी. दोनों एक दूसरे को कभी प्यार से चूमते कभी सहलाते.

धक्के कभी हल्के कभी ज़ोर से...लग रहा था जो तूफान अभी थोड़े देर पहले चल रहा था वह हल्के मंद समीर के झोंकों मे बदल गया, अभी थोड़ी देर पहले चुदाई जो किसी पहाड़ी नदी की तरह लग रही थी, बैचैन, उछलती हू हू करती, किनारों को तोड़ती, तेज अब लग रहा था, जैसे वही नदी मैदान मे आ गई हो, मन्थर, सत्वर, शांत लेकिन बहाव मे कोई कमी नही. मस्त हो के दोनों एक दूसरे के शरीर को भोग रहे थे. कभी दोनों अपने हाथ पलंग पे रख के, साथ साथ सिर्फ़ कमर के ज़ोर से धक्के लगाते.कभी दोनों अपने पैर क्रास करके झूले की तरह चुदाई का झूला झूलते. बहोत देर तक बिना किसी जल्दी के ये चलता रहा.फिर लगता है जब दोनों झड़ने के करीब हुए तो उसने फिर गुड्डी को अपने नीचे कर लिया और कस के चुदाई शुरू कर दी. और गुड्डी भी,... अब दोनों के शरीर के लय ताल सब एक हो गये थे. पहले गुड्डी ने झड़ना शुरू किया, उसका पूरी शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था, नितंब अपने आप उठ रहे थे और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भर रही थी और उसी के साथ उसने भी झड़ना शुरू कर दिया, दोनों साथ साथ...देर तक झाड़ते रहे झाड़ते रहे, जैसे कोई देह वीणा पे सितार बजा रहा हो और झाला बज रहा हो. वो वैसे ही उसके अंदर पड़ा रहा जैसे निकलने की इच्छा ही ना हो. कुछ देर मे सरक कर वो उसके बगल मे लेट गया और दोनों मुस्कराते हुए एक दूसरे को देख रहे थे.
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11-07-2017, 12:03 PM,
#88
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
पर तभी मुर्गे ने बांग दे दी. सुबह की पदचाप पूरब से हल्की सी सुनाई देने लगी. उसने जो सामने घड़ी देखी तो अचानक उठ गया, " हे मेरी बस मे सिर्फ़ 20 मिनट बचे है, मुझे चलना होगा" और कपड़े पहन के झट से तैयार हो गया.

गुड्डी भी उसके साथ उठी और उसको अंक वार मे भर के पूछा, " हे समान तो तुम्हारे पास कुछ है नही.. और फिर कितते दिनों मे आओगे"

" अरे घर ही तो जा रहा हू, समान की क्या ज़रूरत...बस 5 दिन मे लौट आउन्गा"उसेचुमते हुए बोला.

" ये 5 दिन मेरे लिए 5 साल लगेंगे."


" मुझे मालूम है जानम, पर मेरी भौजाई वैसे ही शक करती है कि मेरा शहर मे कोई चक्कर है इसलिए मैं घर नही आता और अगर,... पर तुम चिंता मत करो, लौटते ही मैं सारी कसर पूरी कर दूँगा." उसकी चुचियाँ कस के मींजते हुए वो बोला.

" मुझे मालूम है, पर मैं डरने वाली नही. मैं इंतज़ार करूँगी तुम्हारा." हंस के चुम्मि लेके वो बोली.

जब मैने उसके चेहरे को देखा तो बड़ी मुश्किल से मैं अपनी हँसी रोक पाई.

आज उसकी भौजाईयाँ... उसकी अच्छी दूरगत करने वाली थी, माथे पे जम के खूब गाढ़े महावर का निशान, गालों पे काजल और गुलाबी लिपस्टिक के दाग, दाँतों और नाखूनों के निशान...

गुड्डी उसे छोड़ के बाहर का दरवाजा बंद कर के लेट गयी और तुरंत ही सो गयी. मैं भी रात भर की जागी, थकि, थोड़ी ही देर मे नींद मे खो गयी. जब मैं उठी तो धूप खूब उपर तक चढ़ आई थी. आज वैसे भी घर पे हम दोनों ही थे और उसकी छुट्टी थी.

जब मैं उसके कमरे मे गयी, तो वो अभी भी गाढ़ी नींद मे थी और सोते मे मुस्करा रही थी जैसे सपने मे भी उसी की बाँहों मे चुद रही हो. साड़ी सरक गयी थी...उसके गालों पे कचकचा के काटे गये दाँतों के निशान, कड़े कड़े उरोजो पे भी दाँतों के और नाखूनों के चिन्ह, और उसकी गोरी दूधिया, थकि फैली,जांघों पे गाढ़े सफेद वीर्य की धार और गाढ़े थक्के, उसकी किशोर गुलाबी योनि के होंठ अभी भी अधखुले से, जैसे रात भर लिए गये लंड का स्वाद उन होंठों पे हो और वे अभी भी इंतजार कर रहे हों...

.मैं अपने को रोक नही पाई. एक डिजिटल कॅमरा लाकर मैने उसकी हर आंगल से ढेर सारी फोटो खींची, और चूत और चूंची के तो क्लोज़ अप भी. उसे उसी तरह सोता छोड़ के मैं जाके नहा धोके तैयार हुई. वो अभी भी सो रही थी और 12 बजने वाला था. मुझे उसे उठाना ही पड़ा.

" भाभी, बहोत थकान लग रही है...रगड़ के रख दिया उस ने" मुझे अपनी बाँहो मे भर के वो बोली.

" अरे चल झूठी...मज़ा आया कि नही" उस के उभारों को कस के दबाते मैं बोली.

" मज़ा तो बहोत आया... पर अब टाँगें नही उठ रही है"

" अरे रात भर उठवाए जो रही होगी... अच्छा चल ये काफ़ी पी...थकान उतर जाएगी." और मैने उसे एक बड़ा मॅग काफ़ी का दिया. फिर मैने कुछ सोचा और उससे बोली,

" ज़रा रुक.." और ब्रॅंडी ला के उसकी कोफ़ी मे ढेर सारा मिला दिया और बोला पी. हम दोनों साथ साथ कॉफी पी रहे थे और वो रात की दास्तान सुना रही थी. मैने उस से कहा कि हाथ मूह धो ले और मैं नाश्ता लगाती हू.

नाश्ता करने के बाद मैने उसे समझाया कि चाहे जित्ति थकि हो चुदाई के बाद, वो अपनी एक्सरसाइज ज़रूर करे खास तौर से केजल.यूज़ के बाद मैने उसे रिलैक्सेशन के तरीके भी सिखाए. वो रिलैक्स कर रही थी और मैं खाना बनाने मे लग गयी. मैने उसे बोला सिर्फ़ अभी फ्रेश हो ले, देर हो गयी है इसलिए नहाना शाम को. खाने के बाद हम दोनों आराम के मूड मे थी, जागी तो मैं भी थी, रात भर उसके चूत मंथन का दृश्य देखने मे.

मैने एक ब्लू फिल्म लगाई, लेज़्बीयन स्लट्स, और उससे कहा कि अपने भैया के स्टॅक से बीअर निकाल लाए. वो दो बोतल ले आई. हम दोनों हल्के गाउन मे थे और अंदर कुछ नही. आज वो भी मूड मे थे और बिना ना नुकुर के बीयर गटक रही थी. जब उसने एक बार फिर बोला कि रात मे तीन बार, तो हंस के मैने उसे हिम्मत बाँधते हुए कहा, " अरे तेरे भैया ने सुहाग रात के दिन, 5 बार लगातार, उनका हरदम खड़ा था और यही हालत अभी भी है...और उसके बाद हनीमून मे ....लगातार 25 दिन...मेरी मम्मी भी.. उन्होने शादी के पहले मुझे पीरियड पोस्ट्पोन होने वाली दावा दिलवा दी थी कि जिससे, वो 10 दिन आगे सरक जाय और मेरे हनीमून मे कोई डिस्टरबेंस ना हो. ...किसी भी दिन 5-6 बार से कम नही..तो रानी ये तो अभी शुरुआत है..."


" अरे भाभी, भैया को क्यों ब्लेम करती है.. आप चीज़ ही इतनी मस्त है" वो बोली.

" अरे तू भी कौन सी कम है...मेरी जान." कह के कस के मैने उसकी चूंचियाँ दबा दी. बीयर की दोनों बोतलें खाली हो गयी थी और एक से ज़्यादा उसी ने गटकी थी. फिल्म भी ख़तम हो गई थी,मैने दूसरी लगाई, युरोपियन हार्डकोर पार्ट 1. 

तभी दूबे भाभी आई. मुझसे उमर मे 4-5 साल बड़ी, गोरी, थोड़ी स्थूल, दीर्घ स्तन, और नितंब तो ऐसा कि कोई 40+ की गान्ड की साइज़ का कंपटिशन हो ना तो फर्स्ट आए..ऐसी. बहोत ही खुले स्वाभाव की. गालियाँ गाने और खुल के मज़ाक करने मे उनसे औरतें भी घबड़ाती थी.सेक्स मे कोई भी कर्म उनसे बचा नही था. खुल कर मज़ा लेने वाली, कन्या प्रेमी और खास तौर से कच्ची कलियों की, गुड्डी पे भी वो ..पर अभी तक हाथ लगा नही पाई थी .गुड्डी भी आलमोस्ट उनसे उतनी ही खुली थी जित्ति मुझसे. गुड्डी को देख के वो बोली, " अरे लगता है आज रात भर इस नन्ही कली की कस के रगड़ाई हुई है,"

उसके गाउन के बटन तो मैने ही खोल दिए थे, दूबे भाभी ने हाथ डाल के उसके किशोर उभार पूरी तरह खोल दिए. उसके जोबन सहलाती, मज़ाक मे बोली, " बड़ा जालिम और नासमझ था. कितनी कस के मसला और काटा है." और उसके
निपल दबा दिए. 

" अरे भाभी सारी रात,... तीन बार... अब तक दर्द कर रहा है.." 
और जैसे इसे दिखाते हुए ,कस के अपनी जांघे गाउन मे भींच ली.
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11-07-2017, 12:03 PM,
#89
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“अरे तो थोड़ी अपनी चुनमुनिया को हवा खिलाओ ना… क्या पिंजडे में बंद कर रखा है, मैं भी तो देखूं, चारा घोंटने के बाद कैसे लग रही है तेरी बुलबुल…” और उन्होंने उसके गाउन के नीचे के बटन भी खोल दिये। 

“अरे भाभी ये देखिये एक साथ दो-दो के। कैसे मजा ले रही है…” गुड्डी ने सामने की ओर उनका ध्यान बंटाया।
फिल्म में एक लड़की, झुक के एक मोटा लण्ड चूस रही थी और पीछे से कोई उसके ऊपर चढ़ा हुआ था, जैसे कोई गाय चारा खा रही हो और एक तगड़ा सांड आकर पीछे से उसके ऊपर चढ़ जाय। 

“अरे तू भी लीलेगी ऐसे एक साथ दो-दो, मेरी बिन्नो…” दूबे भाभी उधर देखती बोलीं, और कहा- “मैं तुझसे भी छोटी थी, 10वें में पढ़ती थी। अभी सोलहवां नहीं लगा था और होली में एक साथ तीन-तीन। मेरे बड़े जीजा, मेरे मझले जीजा और उनके एक दोस्त भी। बड़े जीजा ने तो होली में जब मेरी सील तोड़ी थी तो सिर्फ चौदह साल की थी मैं…” 

“पर भाभी एक साथ तीन-तीन कैसे…” आँखें फैलाकर गुड्डी बोली। 

“अरे बुद्धू, मझले जीजा ने पहले नंबर लगाया, फिर मुझे खींच के अपने ऊपर ले लिया, और कसकर अपने पैर मेरी कमर में बांध दिया, और फिर बड़े जीजा। वो तो शुरू से ही मेरे चूतड़ के दीवाने थे, उन्होंने गचागच मेरी गाण्ड में पेल दिया। सब मिली-जुली थी उन लोगों की। और मैं चीखी तो जीजा के दोस्त ने सीधे मेरे मुँह में…” दूबे भाभी ने अपना किस्सा सुनाया। 

“और क्या, बड़ा मजा आता है एक साथ दो-दो घोंटने में, मैंने तुम्हें बताया था ना की कुछ महीने पहले जब मैं अपनी कजिन की शादी में गयी थी तो मेरे दोनों जीजा ने एक साथ सारी रात मेरी सैंडिविच बनाई, कोई भी छेद नहीं छोड़ा। मेरी ऐसी की तैसी हो गयी, पर मजा भी बहुत आया…” 

गुड्डी- “अरे भाभी आप दोनों एक्स्पर्ट हैं…” हँसकर वो बोली। 

“चल तुझको भी दो-दो का एक साथ मजा देते हैं। दो-दो मर्द न सही, दो-दो भाभियां ही सहीं, क्यों…” मैं दूबे भाभी से बोली। 

उनकी तो मुँह मांगी मुराद मिल गयी- “एकदम…” उन्होंने बोला और उसका गाउन उतारने में हम दोनों लग गये।

और गुड्डी भी… कुछ बीयर का असर, कुछ रात की चुदाई की खुमारी, और कुछ फिल्म का। उसपर भी मस्ती चढ़ी हुई थी। उसने भी दूबे भाभी की साड़ी खींचकर उतार दी और थोड़ी ही देर में हम सब अपने प्राकृतिक ड्रेस में थे। हम दोनों एक साथ उसके छोटे-छोटे रसीले जोबन का मजा ले रहे थे। दूबे भाभी तो खूब कसकर उसे दबा रगड़ रहीं थी, जित्ता कसकर कल उसके यार ने भी नहीं मसला होगा। मैं उसके रस से भरे खड़े निपल को मुँह में लेकर चूस चुभला रही थी, जैसे कोई अंगूर चूस रही होंऊँ। बड़ा नशा था उसके चूचुकों में। 

थोड़ी देर चूची का मजा लेकर दूबे भाभी ने नीचे का रास्ता लिया। जिसके लिये वो इतने दिनों से राह देख रहीं थीं। जल्द ही उनके होंठ उसके शहद की कटोरी पे थे। वो कस-कसकर चूस रहीं थी, चाट रहीं थी। उनके हाथ कसकर उसके चूतड़ दबोच रहे थे। और जो चूची उन्होंने छोड़ी उस पे मेरे हाथ का क्ब्जा था। दूबे भाभी की जीभ अंदर थी और वो उसे जीभ से ही इतनी कस-कसकर चोद रहीं थीं की कोई मर्द क्या चादेगा। 



बेचारी गुड्डी,...उस की हालत खराब थी. वो कस कस के अपने चूतड़ पटक रही थी, चूत तो पूरी पानी पानी हो गयी थी.तभी वो बोली, " भाभी, देखिए उस को, पीछे से.... इतना मोटा बेचारी कैसे ले पाएगी"

हम सब की निगाह फिल्म की ओर मूड गयी. एक मोटा नीग्रो, जिसका मूसल ऐसा लंड वो चूस रही थी. अब उसके पीछे चूतड़ के पास खड़ा था और अपना लंड उसकी गान्ड पे रगड़ रहा था. फिर उसने लंड को हटा अपनी एक उंगली उसकी गान्ड मे पेल दी और इतने पे ही वो दर्द से चिल्ला उठी. लेकिन वो उंगली कस के घुसेड के अंदर बाहर कर रहा था..

" अरे ये सब छिनाल अपना है. जो लौंडिया ये कहती है कि वो गान्ड मे नही ले सकती है,गान्ड मराने मे नखडा करती है.मैं तो कहती हू उस साली का हाथ पैर बाँध के ...गान्ड मे मोटा खुन्टा ठोंक देना चाहिए." कनखियों से उधर देखते हुए, डूबे भाभी बोली.

" पर भाभी गान्ड का छेद इतना छोटा, कसा संकरा ...." गुड्डी बेचारी सहम के बोली.

" तो क्या तुम्ही लोगों की गान्ड संकरी पतली होती और बेचारे लड़को की चौड़ी.."
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11-07-2017, 12:03 PM,
#90
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी जिस तरह देख रही थी, ये साफ था की उसे दूबे भाभी की बात समझ में नहीं आई। 

दूबे भाभी ने अपनी बात जारी रखी- “अरे तू बता, आधे से ज्यादा मर्द कैसे चोदना शुरू करते हैं। बचपन में सब गाण्ड मरौवल करते हैं। जिन लौंडों की वो गाण्ड मारते हैं, उनकी गाण्ड कोई अलग किस्म की होती है। सब हँस-हँसकर गाण्ड मरवाते हैं, मजे ले ले के। तो लड़कियां क्यों नहीं मरवा सकतीं? उस उमर की लड़कियां तो पकड़ने पे ही उह्ह… आह्ह… करती हैं। ये सब नखड़ेबाजी है…” 

दूबे भाभी बोल रहीं थी तो गुड्डी की चूत में उनकी जीभ की जगह, उनकी सधी पुरानी एक्स्पर्ट उँगली ने ले ली थी, जिसने न जानी कितनी ननदों को बच्ची से औरत बनाया था। 

“हां और क्या अपने भैया को ही देखा। जब वह 8:00 में पढ़ते थे तो सबसे पहले उन्होंने सेक्स किया था, 7वें के एक लड़के की गाण्ड मारके, और उसके बाद 12वीं तक लगातार। और जब वो 10वीं में पढ़ते थे तो एक लड़का तो… वो कह रहे थे की इतना नमकीन था की सारे स्कूल के टीचर तक उस पे मरते थे। उसकी तो पता नहीं कितनी बार ली होगी उन्होंने, और इसी का नतीजा है देखो कितने जबरदस्त चोदू हैं…” मैंने भी दूबे भाभी की बात में टुकड़ा जोड़ा। 

दूबे भाभी ने तभी उसकी चूत से उँगली निकाली और उसकी गाण्ड में सहलाते-सहलाते थोड़ी सी अंदर ठेल दी। उधर फिल्म में जो आदमी उस लड़की की गाण्ड में उँगली कर रहा था उसने बाहर निकाला। साफ-साफ दिख रहा था कि उसमें कुछ माल मलीदा लगा हुआ है, और कैमरे की ओर दिखाकर सीधे उस लड़की के मुँह में ठेल दिया, और वो भी स्वाद से चाट रही थी। दूबे भाभी ने गुड्डी की गाण्ड में घुसी उँगली की ओर इशारा करके, इशारे में मुझसे पूछा की क्यों इसको भी चटनी चटा दूं। 

मैंने आँख तरेर कर मना किया। मैं नहीं चाहती थी कि वो बिदक जाय, शुरू में ही। चटनी क्या मेरा तो उसका पूरा मन भर हलवा खिलाने का प्रोग्राम था, पचा पचाया। पर पहले मैं चाहती थी की वो अपने भाई से एक बार चुद जाय, फिर तो मुझे उसे न सिर्फ उनकी पूरी रखैल बनाना था, बल्की जब एक बार वो हम लोगों के साथ-साथ रहने लगेगी तो फिर तो सीधे से नहीं मानेगी तो हाथ पैर बांध के सब कुछ खिलाऊँगी पिलाऊँगी, और कुछ उसके भैया से भी उसकी भोली बहना को। कुछ भी नहीं छोडूंगी। 

दूबे भाभी मेरा इरादा समझ गयीं और उन्होंने कसकर एक बार में उसकी चूत-रस से गीली अपनी उँगली गुड्डी की कोरी गाण्ड में पूरी अंदर तक पेल दी। वो बिचारी चिल्ला भी नहीं पायी क्योंकी उसके मुँह में मेरी जीभ घुसी थी और मेरे होंठ उसके गुलाबी होंठों को कसकर चूम चूस रहे थे। दूबे भाभी के होंठ गुड्डी के निचले होंठों को रगड़कर चूसने में जूटे थे। 

फिल्म में सटासट वो लड़की अपनी गाण्ड में जिस लण्ड को लेने में बिदक रही थी, उसे ही गपागप घोंट रही थी। उसी के साथ-साथ दूबे भाभी की उँगली भी उसी स्पीड से गुड्डी की गाण्ड में अंदर-बाहर हो रही थी। 

मैंने गुड्डी के कान में कहा- “देख ले ठीक से, तेरे भैया का भी ऐसा ही है और इसी तरह हचक के वो तेरी गाण्ड मारेंगें और जैसे उसने चटाया था ना, उसी तरह चटायेंगे, तू भी सोच-सोचकर स्वाद ले। थोड़ी देर में फिल्म में अगला सीन शुरू हो गया, गोल्डेन शावर का। मैंने सोचा इसे आगे बढ़ा दूं पर दूबे भाभी ने मुझे रोक दिया। इन चीजों में तो उनकी खास दिलचस्पी थी। 
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