Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
11-07-2017, 12:04 PM,
#91
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
सीन में एक लड़की दूसरी लड़की के साथ अपनी टांगें फैलाकर उसकी चूत से सुनहरी धार टपका रही थी। और एक लड़की उसे अपने होंठों से गटक रही थी, खूब स्वाद लेकर। 

“हे, तूने अपनी ननद को इस खारे शरबत का स्वाद चखाया की नहीं?” 
दूबे भाभी बोल पड़ीं। 

मैंने उन्हें कसकर घूरा। वो तो सारा काम चौपट करने में लगी थीं, चखाना क्या मेरा प्लान तो उसे इसकी पक्की आदत लगा देने का था। पर हर चीज धीरे-धीरे अच्छी लगती है, जिससे वो भी ना बिचके।


“हे भाभी, कित्ती गन्दी, क्या कर रही हैं ये?” मेरी ननद बिचक के बोली। 

“अरे इसमें गन्दी क्या बात है? आखिर तुम लण्ड को मजे से लालीपाप की तरह चूसती हो उसमें से निकली मलाई गटागट लीलती हो। आखिर वो भी तो इसी लण्ड से निकलता है और अगर वो गंदा नहीं हुआ तो ये कैसे गंदा है। और फिर ये तो कई लोग इलाज के लिये इश्तेमाल करते हैं। गो-मूत्र तो ढेर सारी आयुवेर्दिक दवाओं में पड़ता है तो गाय का पीना ठीक है? और देख ये सब मन की बातें हैं। बंद कमरे में औरत मर्द क्या करते हैं, या दो औरतें क्या करती हैं? अगर उनको इसमें मजा आता है तो आता है, इसमें अच्छे या बुरे की कोई बात नहीं। देख कैसे मजे से गटक रही है वो। एक बार स्वाद लगने की बात है…” मैंने भी दूबे भाभी का साथ दिया। 

तब तक उस सीन में एक लड़का भी आ गया था और अब सामुहिक… पहले लड़के के ऊपर एक लड़की ने जम के तेज धार घलघल सुनहले रंग की धार और फिर लड़के ने। अब गुड्डी भी टकटकी लगाकरके देख रही थी और उसके चेहरे पे उत्तेजना साफ झलक रही थी। 

गुड्डी- “पर क्या भाभी आप भी भैया के साथ और भैया भी आपके साथ?” 

“अरे और क्या? मैं तो उन्हें अक्सर… और आखिर जब वो चूत चाटते हैं तो कई बार लगा होता है उसमें तो क्या फर्क पड़ता है। और तू भी एक बार ट्राई कर ना… अच्छा लगेगा…” अबकी दूबे भाभी ने मोर्चा संभाला। 

सवाल मुझसे पूछा गया था लेकिन मैं जवाब गोल कर गयी। अगला सीन तो “उसके भी आगे” के स्टेप का था। अगर वो मेरी ननद देख लेती तो उसे जोर का झटका जोर से लगता, इसलिये मैंने बात टाली और दूबे भाभी से कहा- “अरे भाभी, ये पिक्चर तो बहुत डाइवर्ट कर रही है और इसके चक्कर में ये ननद साल्ल्ली बच जायगी। इसको बंद करते हैं और जो काम हम लोग कर रहे थे वो शुरू करते हैं। आपने तो इसकी शहद की कटोरी चाट ली। अब जरा इसे भी तो कस-कसकर रगड़ के चटाइये अपनी और मैं इसकी चाटती हूं…” 

दूबे भाभी को भी तो यही चाहिये था। वो लेटी गुड्डी के ऊपर चढ़ गयी और अपनी चूत सीधे उसके मुँह पे रख दी और मैं उसकी फैली टांगों के बीच। दूबे भाभी अपनी झांटों भरी चूत उसके मुँह पे कस-कसकर रगड़ रही थी और मैं उसकी संतरें की फांक ऐसी रस भरी चूत चूस रही थी। रात भर चुदने के बाद उसकी चूत हल्की सी खुल गयी थी। मैंने अपनी जीभ उसकी कोमल किशोर चूत में पेल दी। चूत की दीवालें, मखमल की तरह मुलायम, मादक और रसीली थीं और उन्होंने मेरी जुबान को इस तरह जकड़ लिया जैसे कोई बिछुड़ा हुआ यार बहुत दिनों बाद मिला हो। 

मेरी जीभ भी उसका चूत-रस चख के सुख से पागल हो रही थी और होंठ उसके भगोष्ठों को जकड़ के कस-कसकर चूस रहे थे। तभी मैंने देखा की दूबे भाभी ने चूत चटवाते हुये फिल्म फिर से शुरू कर दी और अब गुड्डी भी टकटकी लगाके देख रही थी। मेरे होंठों ने जैसे ही उसकी क्लिट छूई कि वो उत्तेजना से कांपने लगी और दूबे भाभी ने मौके का फायदा उठाया। 

जैसा मैं डर रही थी वही हुआ। दूबे भाभी ने चूत जरा आगे सरका के अपने बड़े-बड़े चूतड़ उसके मुँह पे रख दिये पीछे वाले छेद के लिये, पर गुड्डी जरा घबड़ा और हिचक रही थी। दूबे भाभी कच्ची कलियों के साथ जोर जबर्दस्ती करके सब कुछ ‘खिलाने पिलाने’ में एक्स्पर्ट थीं। उन्होंने बिना झिझके अपने चूतड़ थोड़े ऊपर किये और उसकी नाक पकड़कर ‘पिंच’ कर दी। बेचारी… मजबूरन उसको जल्द ही अपना मुँह खोलना पड़ा और दूबे भाभी ने तुरंत अपनी गाण्ड उसके मुँह पे रख दी। 

फिर बोली- “चाट… चाट ठीक से। हां हां चूस और जीभ लगा वरना नाक बंद ही रहेगी…” 
Reply
11-07-2017, 12:04 PM,
#92
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
मजबूरन उसने चाटना शुरू कर दिया और तब उन्होंने नाक छोड़ी। उसके होंठों पे अब वो कस-कसकर अपनी गाण्ड रगड़ रही थीं। उसकी एक चूची उनके हाथ में थी और दूसरी मेरे, और उनकी भी कस-कसकर रगड़ाई मसलाई हो रही थी। अब मैंने फिर कस-कसकर उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी। मेरा एक हाथ उसकी गाण्ड सहला रहा था। अब तक मैं क्लिट को सिर्फ छेड़ रही थी पर अब मैंने रुक-रुक के उसे चूसना भी शुरू कर दिया था। एक क्षण के लिये मैं रुकी और देखा तो फिल्म में वो सीन चल रहा था जो मैं नहीं चाहती थी की मेरी ननद अभी देखे। गोल्डेन शावर से आगे का। 

मैं डर रही की कहीं वह भिनक गयी तो मेरी अब तक की सारी ट्रेनिंग बेकार हो जायेगी पर ये क्या? उसकी आँखें तो चुम्बक की तरह चिपकी थीं, टीवी से और बजाय भिनकने के वो खूब उत्तेजित लग रही थी। और दूबे भाभी भी। उन्होंने दोनों हाथों से अपने चूतड़ को कसकर छितरा लिया था और उससे जबरदस्ती कर रही थी की वो अपनी जीभ और… और अंदर तक डाले, घुसेड़कर अंदर तक चाटे, चूसे। 

मैं चकित होकर देख रही थी। गुड्डी, फिल्म के सीन का पूरा अनुकरण करके उनकी गाण्ड में अंदर जीभ घुसेड़कर चूस चाट रही थी। मैं कितना भी उसे एनलिंगुअस दिखाती समझाती, शायद ही इतना जल्दी सिखा पाती, जितना दूबे भाभी ने उसे सिखा दिया था। 

जोश में आकर दूबे भाभी बोल रही थीं- “हां, गुड्डी हां और कसकर अरे जीभ अंदर ठेल और अंदर। हां अब जरा अंदर के माल का मजा ले। चाट जरा, कसकर चूस हां… हां चूस कसकर गाण्ड के रस को…” बहुत देर तक गाण्ड का स्वाद उसके किशोर होंठों और मुँह को लगाकर फिर उन्होंने उसे चूत चटाना शुरू किया।

मैं उसे खूब रगड़ के चूस रही थी और वह भी दूबे भाभी की चूत को उसी तरह बुर में जुबान डाल के। भाभी उसे गाइड भी कर रही थीं। और जब वह झड़ने के पास पहुँची तो मैं रुकी नहीं। यहं तक की जब वह कस-कसके झड़ रही तब भी मैं चालू थी। दो बार झाड़ने के बाद ही जब उसकी चूत की हालत खराब हो गयी तभी मैंने उसे छोड़ा। 

पर मेरी ननद भी कम नहीं थी उसने भी दूबे भाभी की बुर को दो बार कसकर झाड़ के ही छोड़ा। शाम हो गयी थी। जब वो वापस जाने लगीं तो गुड्डी से मुश्कुराकर कभी अपने घर आने की दावत दी। हँसकर वो एकदम मान गयी। दूबे भाभी ने मुझसे कान में कहा की मैं उसे कभी रात भरकर लिये उनके पास भेज दूं, आज तो उन्होंने सिर्फ चटा के छोड़ दिया है फिर उसे खिला पिला के पक्की कर देंगी। 

हँसकर मैं बोली की जैसे मैं वैसे आप। बीच में मुझे एक दो दिन के लिये राजीव के साथ बाहर जाना है तो मैं गुड्डी को उन्हीं के पास पूरे समय के लिये छोड़ दूंगी। उनकी आँखों में चमक जाग गयी। गुड्डी से जब मैंने कहा तो वो भी एक दो दिन दूबे भाभी के यहां रहने के लिये खुशी से राजी हो गयी। 

उनके जाने के बाद गुड्डी बोली- “भाभी, मैं जरा नहा के आती हूं, सुबह भी मैंने नहीं नहाया था…” 

“नहाना धोना जरूर पर ब्रश मत करना। होंठों का स्वाद गायब हो जायेगा, और कहो तो मैं भी आ जाऊँ नहला दूं तुम्हें रगड़-रगड़कर…” 

गुड्डी- “जो हुकुम भाभी। ब्रश क्या मैं तो कुल्ला भी नहीं करूंगी। नया-नया स्वाद मुँह में लगा है। पर नहा मैं अकेले लूंगी। मुझे मालूम है, आप क्या-क्या रगडेंगी और नहाने के साथ क्या-क्या चालू हो जायेगा…” खिलखिला के वो बोली। 

“पर ये बहुत फाउल है, तुम्हे मैंने दो-दो बार मजा दिया। दूबे भाभी ने भी दो बार मजा लिया। पर मैं सूखी रह गयी…” शिकायत भरे स्वर में मैंने कहा। 

गुड्डी- “अरे भाभी कोई बात नहीं… रात में भैया आयेगें ना तो मैं उनसे कह दूंगी ना… दो क्या चार बार, छ: बार…”हँसकर मजाक भरे लहजे में वो बोली। 

“पर अगर तुम्हारे भैया आज नहीं लौटे तो? उन्होंने कहा था की शायद आज रात भी वो नहीं आयें। पर चलो कोई बात नहीं, मैं उनकी बहना से काम चला लूंगी…” 
Reply
11-07-2017, 12:04 PM,
#93
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी- “नहीं भाभी नहीं, आज मुझे सोना है। कल रात भर चुदी तो पूरी देह दुख रही है…” और हँसते हुए तौलिया लेकर वो बाथरूम में चली गयी और मैं किचेन में चाय बनाने चली गयी। 

मैं उसके बारे में सोच रही थी कि 24 घंटे में कितना आगे बढ़ गयी और खास तौर से अभी, जो दोपहर में हुआ। मैं सोच रही थी मैंने सोचा उसे धीरे-धीरे आगे बढ़ाऊँगी, उसकी कोमलता, उसका बाल सुलभ। पर शायद यही ठीक था। कभी-कभी फास्ट होना ही अच्छा होता है, लेकिन सेक्स के साथ उसे और भी चीजें सिखानी होंगी उसकी पर्सनाल्टी की ग्रूमिंग के लिये उसे ढेर सारी किताबें पढ़नी होंगी, जिससे वो हर जगह हर विषय पे बात कर सके, कन्वर्सेशन स्किल, ड्रिंक्स तो उसने करना शुरू कर दिया है पर उसके बारे में, फिर देह के विकास के लिये। लेकिन मैंने सोचा की सबसे जरूरी चीज है सोच, एट्टीट्यूड और वो उसका सही विकसित हो रहा है, हर चीज को उसकी स्पिरिट में लेना, इंजवाय करना। 

तब तक वो नहा के आ गयी। प्याजी रंग के चिकन के शलवार सूट में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। कोमल गुलाबी, खुले-खुले बाल उसकी पीठ पे लहरा रहे थे। 

“हे सिर्फ नहाया या धोया भी…” मुश्कुराकर शरारत से मैंने पूछा। 

गुड्डी- “धोया भी और खूब रगड़करके अंदर तक…” मेरी बात समझ के नटखट अंदाज में वो बोली। 

“और क्रीम…” मैंने उससे कहा था की वो टाइट-अगेन क्रीम को खूब अंदर तक नहाने के बाद लगा ले। 

गुड्डी- “लगा लिया भाभी, ऊपर भी और नीचे भी…” हँसकर वो बोली। 

साथ-साथ चाय पीते हुये मेरी निगाह उसके चेहरे पे पड़ी- “अरे तुमने मेक-अप जरा भी नहीं किया…” मैं उसे हड़का के बोली। 

गुड्डी- “क्या करना है भाभी, कहीं बाहर तो जाना नहीं है और ना कोई आने वाला है…” हँसकर वो बोली। 

“क्या पता, पर मेरी बिन्नो थोड़ा लाइट मेक-अप तो हमेशा करना चाहिये, कम से कम लाइट लिपस्टिक, आंखों पे काजल, चिक-बोन्स को हाइलाइट कर लो, थोड़ा रूज, थोड़ा ब्लशर…” 

चाय के बाद वो तुरंत गयी और जब लौटी तो इतनी सुंदर लग रही थी की… रसीले होंठों पे हल्की गुलाबी लिपिस्टक, हल्का सा रूज गालों पे, काजल की पतली सी रेखा, उसके बड़े-बड़े रतनारे नैनों में और मेंहदी अभी भी उसके हाथ में दमक गमक रही थी।
.
Reply
11-07-2017, 12:04 PM,
#94
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 9
(लेखिका - रानी कौर)


वो अपने कमरे मे बैठ के कल स्कूल मे होने वाले ड्रेस रिहर्सल की स्क्रिप्ट याद कर रही थी, जिसमे वो एक बार डॅन्सर का रोल कर रही थी. मैने उसे एक वाय्स कल्चर की भी किताब दी और थोड़ा समझाया कि डीप ब्रीदिंग कैसे करते है, आवाज़ थ्रो कैसे करते है. वो प्रेक्टिस कर रही थी और मैं किचन मे नाश्ता बना रही थी, फ्रेंच सॅंडविच और एग फ्रॅंकी. एक प्लेट मे दे आई थी और दूसरी तैयार कर रही थी कि उसकी खिलखिलाती आवाज़ आई," भाभी, देखिए.... कौन साला आया है."


मैं समझ गयी गूंजा, मेरी गाव की देवरानी का भाई अजय होगा. गूंजा की शादी के बाद से हो वो इसे साला कह के छेड़ती थी और वो भी मज़े लेता था, उमर मे उससे तीन चार साल बड़ा. वह गाव का था, लेकिन बड़ा ही तगड़ा और गबरू जवान, मांसपेशिया सॉफ झलकती . गुड्डी नखडे दिखाती थी, उसको छेड़ती थी लेकिन लिफ्ट ज़रा कम देती थी..लेकिन वो भी हारने वाला नही था पीछे लगा ही रहता था.


जब मैं कमरे के पास पहुँची तो गुड्डी की चीख सुनाई दी," भाभी, देखिए ...ले लिया ...साले ने ज़बरदस्ती."

कमरे मे घुस के मैने जान बुझ के अपनी ननद की शलवार की ओर देखते हुए पूछा, " अरे क्या ले लिया, मुझे तो कुछ दिख नही रहा है, हर चीज़ वैसे ही बंद और पैक है"

" भाभी आप भी, आप को भी हर दम वही एक चीज़ सुझति है, ये देखिए." नखड़े से वो बोली.

तब मैने देखा, उसने गुड्डी जो फ्रैंकी खा रही थी, उसने उसके मूह से छीन ली थी और मज़े से खा रहा था.

" अरे ये.. मैं तो कुछ और ही समझी थी कि... मेरे भाई ने तुम्हारी क्या ले ली"
 हंस के मैं बोली.

" अरे दीदी, आप इसको इतनी चिकनी चीज़े देती है, देखिए कैसे मोटी हो रही है." उसके गदराए जोबन को कस के घुरता अजय बोला.

" अरे जा के अपनी गूंजा दीदी का देखो ना शादी के बाद कैसे ...मेरे भैया की मेहनत से अब देखो कुछ दिनों मे पेट भी मोटा जाएगा." हंस के चिढ़ाते हुए वो बोली.

" अच्छा तुम दोनों झगड़ा मत करो, मैं और ले आती हू." कह के मैं वापस किचन मे आ गयी. जब मई लौटी तो मैने देखा कि दोनों खूब घुल मिल के बात कर रहे थे. अजय का हाथ गुड्डी के कंधे पे था और उंगलिया उरोजो के उपरी हिस्से को छू रही थी और वो भी उस से एकदम सट के बैठी थी.

मैने प्लेट सामने की मेज पे रख दी और हम तीनों मिल के खाने लगे. मैने पूछा, " क्या प्रोग्राम है तुम्हारा, अजय."

" अरे भाभी सॉफ सॉफ क्यों नही पूछती, कब जाओगे."
 हंस के गुड्डी बोली.

" हे, ऐसा नही बोलते मेहमान को." मैने कहा और गुड्डी को घूरा.

" नही दीदी, बस थोड़ी देर मे, एक घंटे मे बस मिलेगी. रात तक गाव पहुँच जाउन्गा."

" अरे ये कुछ नही, खाना खा के जाओ ना, अब ये मेरी ननद बहोत अच्छा खाना बनाती है."

" अरे ये खाना बनाती है तब तो कतई नही. मुझे एक दम भूख नही है." हंस के वो बोला.

" अरे इतना नखडा दिखा रहे हो ,रुक जाओ ना आज रात." बड़ी अदा से गुड्डी बोली.

" अरे इतनी सुंदर लड़की रात की दावत दे रही है, तब भी नही रूको तो..."
 मैने छेड़ा.
Reply
11-07-2017, 12:04 PM,
#95
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“ठीक है दीदी, अगर आप इतना कहती हैं तो रुक जाता हूं…” मुश्कुराकर वो बोला। 

“झूठे, मेरे कहने से या अपनी… इसके कहने से…” 

अब गुड्डी के झेंपने की बारी थी लेकिन गुड्डी ने पलट वार किया- “अच्छा, तो ये दीदी भैया की मिली भगत है। मेरे भैया कल से नहीं है तो आज रात बिताने के लिये आपने अपने भाई को बुलवा लिया। क्यों भाभी एक दिन में ही इतनी खुजली मच गयी…” 

“अच्छा मैं मान लेती हूं की तुम्हारी बात सही है लेकिन तुम्हें मेरी एक बात मंजूर करनी पड़ेगी, बोल?” 

गुड्डी- “एकदम मंजूर, भाभी आपको तो मालूम ही है की मैं आपकी बात टालती नहीं…” 

“पक्का?” 

गुड्डी- “एकदम पक्का भाभी…” 

“तो ठीक है अगर तुम्हारे भैया आ गये तो, जो काम वो मेरे साथ रात भर करेंगें वो तुम्हें भी मेरे भैया के साथ करना पड़ेगा। अरे यार, मैं रोज तुम्हारे भैया के साथ तो एक दिन तुम भी मेरे भैया के साथ… और अजय ये वादा कर चुकी है तुम्हारे सामने तो अगर ये जरा भी ना-नुकुर करे ना तो उसके साथ जोर जबर्दस्ती करने का तुम्हारा एकदम पूरा हक बनता है…” 

“एकदम दीदी…” और ये कहकर उसने कसकर उसे अपनी मजबूत बांहों में पकड़ लिया और दबाने लगा। 

“देखिये भाभी, ये साल्ला… दबा रहा है कस के, कितनी ताकत है तुममें, दंगल लड़ते हो क्या?” वो चीख के बोली। 

“अरे तुम लोग दबाओ, दबवाओ, पकड़ो, पकड़वाओ। मैं चली किचेन में…” किचेन में उनके हँसने खिलखिलाने की आवाजें आ रहीं थीं। मैं खाना बनाने में लगी थी। 

तभी हँसती मुश्कुराती, गुड्डी मेरी हेल्प करने किचन में आई। 

मैंने मुश्कुराकर पूछा- “हे क्या हो रहा था? बड़ी हँसी आ रही है…” 

गुड्डी- “अरे आपके भैया, बड़े वो हैं…” मुश्कुराकर वो बोली। 

“अरे जानती है हँसी तो फँसी। मालूम है, तेरा वो पुराना दीवाना है…” मैंने कहा। 

गुड्डी- “मालूम है, भाभी…” फिर से हँसकर वो बोली। 

“और बहुत तगड़ा भी है…” 
मैंने और कहा। 

गुड्डी- “ये भी मालूम है, भाभी…” सलाद काटते हुये मुश्कुराकर वो बोली। 

“तो दे दे ना बिचारे को इत्ता क्यों तड़पाती है? तेरा कौन सा घिस जायेगा…” 

गुड्डी- “ना ना भाभी कल रात भर जगी हूं मैं, अब तक टांगों में दर्द हो रहा है…” 

“अरे तो कोई जरूरी है रात भर दो। एक बार भी दे दो तो उसका तो… और फिर तेरा यार तो 5 दिन के लिये गांव गया है। तो वैसे भी तेरी 5 दिन तक छुट्टी है तो फिर? और ये कौन सा रोज-रोज आता है…” 

गुड्डी- “वो बात तो आपकी सही है भाभी, लेकिन…” 

“अरे अब लेकिन वेकिन कुछ नहीं बस दे दो बिचारे को, खुश हो जायेगा…” 


गुड्डी- “देखूंगी, चलिये भाभी आपका भाई भी क्या याद करेगा किसी दिलदार से पाला पड़ा था…” और वो बड़ी अदा से टेबल पे प्लेटें लगानें चूतड़ मटकाते चल दी।

मैंने उससे कहा की वो खाने में अजय का साथ दे दे। फिर अगर राजीव लेट आयें तो मैं उनके साथ खा लूंगी। खाना शुरू करते ही मेरी ननद को कुछ याद आया और वो रुक कर बोली- “भाभी, जब मेरे भैया खाते हैं तो आप जम के गालियां सुनाती हैं तो आज चुप क्यों हैं?” 

“अरे, तुम्हारे भैया को मैं सुनाती हूं तो मेरे भैया को तू सुना, वो भी अच्छी वाली, जबर्दस्त…” 

गुड्डी- “नहीं भाभी पहले आप, फिर मैं सुनाऊँगी पक्का, इस साल्ले को तो वैसे भी मुझे जमकर गालियां सुनानी हैं…” 

“अच्छा चल तू इत्ता कह रही है तो मैं सुना देती हूं पर उसके बाद तुम…” और मैं शुरू हो गयी- 
Reply
11-07-2017, 12:05 PM,
#96
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“मोरे भैया, अजय भैया, आंगन में आये।
आने को आदर, बैठन को कुर्सी,
खाने को खाना, पीने को पानी और
और सोवन को, संग सोवन को,
मजा देने को, टांग उठाने को। अरे,
हमरी ननदी रानी राजी रे, संग सोवन को,
अरे रात चुदावन को गुड्डी रानी राजी,
अरे हमरे भैया से, अजय भैया से चुदावन को
गुड्डी ननदी राजी रे। 



“अरे, थैंक यू, तुम राजी हो। तो खुद ही कह देती ना दीदी से कहलवाने की क्या जरूरत थी?” अजय ने उसे छेड़ा। 

गुड्डी- “धत्त भाभी, आप भी। ये तो पूरी बेइमानी है। मैंने आपसे इस साल्ले को गाली सुनाने के लिये कहा था, उलटे आपने मुझे ही गाली सुना दी। ये नहीं चलेगा। कम से कम आप एक और गाली सुनाइये…” मुँह फुलाकर वो बोली। 

“तो ये क्यों नहीं कहती कि तुम्हें अजय का नाम लगाकरके और गाली सुनने का मन है लेकिन इसके बाद तुझे सुनाना पड़ेगा…” मैंने उसे चिढ़ाया। 

“अरे भाभी ये क्या सुनायेगी, इसे कुछ आता भी है बेचारी शहर वाली, हां एम टीवी के गाने कहिये तो जरूर… या रिमिक्स पे नाच देगी…” अजय ने उसे फिर छेड़ा। 

गुड्डी- “अरे बड़े आये हो तुम… अभी देखना ऐसी सुनाऊँगी ना कि तुम दोनों भाई-बहन पनपनाते फिरोगे। पर पहले भाभी। लेकिन ये अजय के नाम से नहीं शुरू होनी चाहिये की…” 

“अच्छा चल, अजय के नाम से नहीं तेरे नाम से शुरू करती हूं सुन…”

डलवाय लो गुड्डी आई बाहर, डलवाय लो,
डलिहें भैया हमार, डलिहे अजय तोर यार, डलिहें भैया तोहार,
डलवाय लो अरे गुड्डी आई बाहर, चुदवाय लो,
डलिहें तेलवा लगाई, नहीं तनिको दुखाई,
मजा तोहें खूब आई, देइहें नोट चुदवाई,
डलवाय लो, अरे गुड्डी आई बाहर, चुदवाय लो,
चोदिहें चूचियां दबाई, चोदिहें टंगिया फैलाई, डलवाय लो,
पड़ी चूतड़े पे थाप, मजा आई दिन रात, चुदवाय लो।



“चल अब तेरा नंबर है…” मैंने गुड्डी से कहा। 
“ठीक है भाभी…” और वो मुश्कुराकर शुरू हो गई- 


अजय की बहना बिकाय, कोई लै लो,
अरे हमरी भाभी बिकाय कोई लै लो,
अठन्नी में लै लो, चवन्नी में लै लो,
अरे दिल जर जाय मुफत में लै लो, अजय की बहना। 


“अरे ये कौन सी गाली हुई, मैं कह रहा था ना दीदी की आपकी इस ननद को कुछ नहीं आता, हां थोड़े बहुत फिल्मी गाने और रिमिक्स पे कमर मटका लेती हैं बस…” अजय ने उसको चिढ़ाया। 

“अच्छा साले। कान खोलकर रख सुनाती हूं तुझे…” और गुड्डी फिर से चालू हो गयी- 

“अरिया अरिया साल्ले सब बैठे, बीच में बैठा अजय साल्ला जी।
अरे उनकी बहिना, हमरी भाभी चलीं फुलवां चुनने, गिरी पड़ीं बिछलाई जी।
खुलि गई साड़ी, फटि गई चोली, अरे बुरिया में, अरे भोंसड़ी में घुस गई लकड़िया जी।
दौड़ा दौड़ा अजय भय्या, अरे दौड़ा दौड़ा अजय साल्ला, मुंहवा से खींचा लकड़िया जी,
अरे आवा आवा अजय भंड़ुए, होंठवा से खींचा लकड़िया जी।
अरिया अरिया साल्ले सब बैठे, बीच में बैठा अजय साल्ला जी,
अरे बहना तुम्हारी, अरे भाभी छिनरौ, एक पग चलली, दूसर पग चललीं,
अरे गिरी पड़ीं भहराई जी, अरे उनकी गंड़ियां में घुस गयी लकड़िया जी।
दौड़ा दौड़ा अजय भय्या, अरे दौड़ा दौड़ा अजय साल्ला, मुंहवा से खींचा लकड़िया जी।
 



और इन रसीली गालियों के साथ और छेड़-छाड़ भी चल रही थी। मैंने अजय से कहा की ये डिश गुड्डी ने बनाई है इसे जरूर टेस्ट कर लेना। 

तो उसने बोला- “नहीं दीदी, मुझे स्वाद खराब नहीं करना है…”

गुड्डी भी कम नहीं थी। उसने अपने हाथों में लेकर उसे खिलाया और जैसे ही उसने मुँह खोला, सब उसके गालों पे लपेट दिया और हँसकर बोली- “अब अपनी बहना से चाट के साफ करा। उनके होंठों के स्वाद के साथ ये बहुत मीठा लगेगा…” 

पर अजय भी उसे ऐसे थोड़े ही छोड़ने वाला था। उसने कसकर उसका सर पकड़ा और अपने गाल कस-कसकर उसके होंठों पे रगड़ दिये और बोला- “जरा तेरे होंठों का स्वाद तो चख लूं…” 

दुबारा जब गुड्डी ने उसे अपने हाथों से खिलाया तो उसने कसकर उसकी उंगलियां काट लीं। 

वो बेचारी बड़ी जोर से चीखी- “देखो भाभी, इस साल्ले ने कितने जोर से काट लिया। मना करिये अपने भैया को…” 

“अरे मेरे मना करने से क्या होगा? अभी तो देख वो आगे क्या-क्या काटता है…” मैं क्यों चुप रहती। 

दोनों एक दूसरे को लालच भरी निगाह से देख रहे थे, वो उसकी मस्त चूचियों को बेशरमी से खुलकर घूर रहा था और उधर वो भी उसकी मसल्स, तगड़ी गठी देह को ललचाई नजर से देख रही थी। उसके उँगली काटने का जवाब गुड्डी ने अपने ढंग से दिया। उसके ग्लास में पानी डालते हुए, उसने ढेर सारा पानी उसके पाजामें पे गिरा दिया। जाड़े की रात… वो बिचारा अच्छी तरह भीग गया। 

ऊपर से बड़े भोलेपन से उसने सारी बोल दिया। 
Reply
11-07-2017, 12:05 PM,
#97
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
मैंने अजय को तौलिया दिया सुखाने को तो वो बोला- “दीदी, जिसकी गलती है वही सुखाये, सिर्फ सारी बोलने से नहीं होता…” 

गुड्डी- “एकदम भाभी, लाइये तौलिया मुझे दीजिये अभी एकदम रगड़कर सुखाती हूं…” 

और उस दुष्ट ने तौलिया मुझसे ले के, उसके ना सिर्फ गीले पाजामें पे रगड़ा, बल्कि कस-कसकर उसके उभरे टेंट पोल को भी। और उसके तने खूंटे को अपने मेंहदी लगे हाथों से हल्के से दबा भी दिया। इस छेड़छाड़ के बीच वो दोनों खाना खतम ही करने वाले थे की राजीव आ गये।

अजय को देखकर वो बोले- “हे साले जी, कब आये तुम? अकेले माल उड़ा रहे हो…” 

मैंने पूछा- “हे अभी मैंने भी आपके इ्ताजार में खाना नहीं खाया है। आप बैठ जाइये मैं खाना लगा देती हूं…” 

“नहीं मैं बहुत थका हूं, ऐसा करना कि तुम एक थाली लगाकरके ऊपर ले आना, साथ-साथ खा लेंगें…” 

और अजय से बोले- “अरे जिसकी बहना अंदर उसका भाई सिकंदर, सारा माल तो तुम्हारा ही है…” और ऊपर जाने लगे। 

गुड्डी- “भैया, आपके लिये एक खुश खबरी। अल्पना, आपकी साली नरसों आ रही है। और उसी दिन उसके पैरंटस कहीं बाहर जा रहे हैं तो वो दो-तीन दिन हम लोगों के पास ही रहेगी…” गुड्डी बोली। 

“अरे ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई तूने बहुत दिन हो गये उससे मिले। और जल्दी आना…” मुझसे बालते हुए वो ऊपर चले गये। 

अजय ने अब और कसकर गुड्डी को अपनी ओर खींच लिया और कसकर खुल के, अपनी बांहों में भरकर बोला- “देख अब तेरे भाई ने भी कह दिया की सारा माल मेरा है, तो ये माल भी मेरा ही है…” और कसकर उसकी चूची दबा दी। 

बजाय बिदकने के गुड्डी और उसकी बांहों में सिमट गयी। 

खाने के बाद मैं और गुड्डी टेबल समेटने में लग गये। गुड्डी ने मुझे चिढ़ाया- “भाभी जल्दी ऊपर जाइये, भूखा शेर मिलेगा। बेचारा दो दिन का भूखा है…” 

“लगता है चीते ने नाखून लगा दिये हैं, खाने के पहले ही…” उसके उरोजों के खुले हिस्से पे अजय के नाखूनों के निशान पर उँगली फेरते हुए मैं बोली। 

वो बेचारी शर्मा गयी। 

“हे नाइटी पहनकर आ ना, अपनी। क्या यही पहनकर सोओगी…” और मैं दूध बनाने लगी। 

जब वह लौट के आई तो गुलाबी बेबी डाल में बहुत उत्तेजक लग रही थी। उससे मैंने कहा की ये दूध तुम्हारे और अजय के लिये है। तब तक हम दोनों उसके कमरे में पहुँच गये थे। 

गुड्डी बोली- “क्या भाभी, आपके भैया अभी तक दूध पीते बच्चे हैं जो दूध पीते हैं…” 

“अगर कोई तुम सा दूधारू मिल जाय दूध पीने के लिये तो, जरूर…” अजय क्यों चुप रहता। 

“अरे दूध देने लायक तो ये पूरी हो गयी है अगर आज रात तुम मेहनत कर दो तो। थोड़ा कस-कसकर दुहना…”हँसकर उसकी कड़ी-कड़ी चूचियां दबाकर मैं बोली। 

“अरे हमारे गांव में जो गाय दूध दुहाने में थोड़ी भी ना निकुर करती है ना तो उनके पैर छान के मैं दुहता हूं…” 
वो भी अब खुलकर बोल रहा था। 

“अब ये बछिया तुम्हारे हवाले है, जो करना है करो…” और फिर अजय के कान में मैं बोली- “कल ये टांगें छितरा के ही चले, ऐसा रगड़ के…” 

“हां दीदी, बहुत नखड़ा करती थी, कल सुबह देखना इसकी क्या हालत होगी…” वो भी धीमे से बोला। 

“अभी 10:00 बज रहे है, मिलते हैं कल सुबह 7:00 बजे। पूरे 9:00 घंटे हैं तुम लोगों के पास। और तुम्हारा समय शुरू होता है अब…” ये कहके मैंने दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा दी। 

जब मैं थाली में खाना लेकर ऊपर पहुँची तो वो इतने बेताब थे की खाना तो बाद में, उन्होंने मेरा भोजन पहले शुरू कर दिया। और फिर खाना भी हम लोगों ने चुदाई करते हुए ही खाया। 4 घंटे तक रगड़ के 3 बार चोदने के बाद 2-3 बजे के करीब उनकी नींद लगी। 

लेकिन मेरी आंखों में नींद कहां, मैं तो बस ये सोच रही थी की मेरी ननद के साथ क्या हो रहा होगा? दबे पांवों से मैं नीचे आई और बगल के कमरे से जहां कल रात भर चुदाई देखी थी, पीप-होल से देखने लगी। गुड्डी बिस्तर के सहारे झुकी हुई थी, उसकी आधी देह बिस्तर पे थी और चूतड़ हवा में थे, दोनों टांगें बहुत ज्यादा लगभग अप्राकृतिक ढंग से फैली हुई थीं या अजय ने जबरदस्ती फैलवा दी थीं, और वह उसको कुतिया की स्टाइल में चोद रहा था, वह उसके बीच में था।


तभी मुझे वहां पड़ा अपना हैंडीकैम दिख गया। कल रात जो मैंने उसकी चुदाई की रिकार्डिंग के लिये रखी थी। मैंने उसे लेकर फिर से रिकार्ड करना शुरू कर दिया। अजय का लण्ड पूरी तरह अंदर पैबस्त था और वो बहुत बेरहमी से उसकी चूचियां कुचल मसल रहा था। उसकी चूत गाढ़े सफेद वीर्य से लथफथ थी और उसकी धार बहकर उसकी गोरी दूधिया जांघों और चूतड़ों पे पड़ रही थी। उसके चेहरे पे दर्द और मस्ती दोनों साफ झलक रही थी। उसके होंठों से रह-रह के सिसकियां निकल रही थीं। 
और जब अजय ने अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं सिहर गयी। बीयर कैन ऐसा चौडा, मोटा था उसका लण्ड। अब मैं समझ गयी की उसने उसकी टांग इतनी कसकर क्यों फैलवा रखी थीं। इसके बिना तो इत्ता मोटा लण्ड वो उसकी किशोर कसी चूत में घुसेड़ ही नहीं सकता था। वह 5-6 धक्के धीरे-धीरे मारता जो चूत को रगड़ते अंदर जाते और फिर 2-3 धक्के पूरी ताकत से कस-कसकर कमर पकड़कर मारता, जो मैं श्योर थी कि सीधे उसकी बच्चेदानी पे लग रहे होंगें। गुड्डी पत्ते की तरह कांप जाती और कसकर पलंग पे रखा तकिया भींच लेती। दर्द रोकने के लिये वो बार-बार अपने होंठ दांत से काट लेती। 


मुझे लग रहा था की जिस तरह से उसने उसकी टागें फैलावा रखी थीं उससे, उसकी चूत को थोड़ा आराम जरूर मिल रहा होगा। पर टांगें और जांघें दर्द से चूर हो रही होंगी। थोड़ी देर तक इस तरह कस-कसकर चोदने के बाद उसने अपना लण्ड पूरी तरह अंदर घुसेड़कर, उसकी टांगें सटवा दीं। वो इतने पे ही नहीं रुका, उसने उससे जबरदस्ती किया की वो अपनी टांगें कैंची की तरह एक दूसरे में फंसा ले। 

मेरा तो दिल दहल गया। मैं समझ गयी की वो कौन सा आसन इश्तेमाल करने जा रहा है। इस तरीके से चोदने से तो दो बच्चों की मां को भी पशीना आ जाता है और एकदम कुंवारी कच्ची चूत की तरह चुदती है वो। अगर ऐसे, किसी भोंसडीवाली को भी चोदें तो उसे सुहागरात का मजा आ जाता है और ये बिचारी तो वैसे ही किशोर कच्ची कली है और ऊपर से अजय का लण्ड भी। 

अब अजय ने अपनी टांगें चौड़ी करके, उसके बीच में उसकी टांगें कसकर दबोच लीं। वो बिचारी अब अपनी टांग एक इंच भी नहीं फैला सकती थी। अजय ने अब कस-कसकर उसकी चूचियां बिस्तर पे ही रगड़ना शुरू कर दिया, पूरी ताकत से। दर्द के मारे वो चीख उठती थी। अजय ने एक हाथ आगे बढ़ाकर उसकी जांघ के बीच में करकर, लगता है कसकर उसकी क्लिट को मसल दिया, क्योंकी मस्ती के मारे जोर से उसकी सिसकी निकल गयी। अब वह कभी बेरहमी से उसकी चूचियां कसकर बिस्तर पे रगड़-रगड़ के उसकी चीख निकाल देता, तो कभी क्लिट को रगड़ के सिसकी। 

लगता है वो इस चक्कर में, अपनी कसी चूत में फंसे लण्ड को भूल चुकी थी। 

तभी अजय ने उसके चूतड़ पकड़कर अपना लण्ड धीरे-धीरे बाहर किया। 

जैसे कुतिया की चूत में कुत्ते के लण्ड की गांठ बन जाती है एकदम वही हाल गुड्डी की हो रही थी। उसने उसकी टांगें चिपका के अपनी टांगों से ऐसे बांध रखी थीं की उसे सचमुच कुतिया का ही मजा मिल रहा होगा। और फिर जब उसने वापस अपना लण्ड अंदर किया तो उसका मोटा हलब्बी लण्ड, उसकी कसी चूत की दीवाल को रगड़ता, घिसता, छीलता अंदर बड़ी मुश्किल से जा रहा था। लेकिन वो भी पूरी ताकत से ठेल रहा था और उधर गुड्डी बेचारी… चीख-चीख के उसकी बुरी हालत हो रही थी। एक आँसू का कतरा उसकी हिरणी सी आँख से सरक के उसके गोरे गुलाबी गाल पे आ गया। 

बेरहम ने चूमकर वो आँसू साफ कर दिया। लेकिन साथ ही कचकचा के जिस तरह से उसका गाल काटा, वो दाग दो-तीन दिन तक तो जाने वाला नहीं। धीरे-धीरे उसका आधा लण्ड हचक के, चूत में फंसा-फंसा जाने लगा। अब उसने उसकी गोरी पीठ पे छितराये फैले खूबसूरत काले बालों को लपेट के चोटी सी बनाई और एक हाथ से पकड़कर इस तरह खींचा की जैसे कोई खूबसूरत अरबी घोड़ी की लगाम पकड़कर खींचें। 

जैसे ही दर्द से उसका मुँह खुला, उसने अपनी एक उँगली उसके मुँह में घुसेड़ दी, और जोर से बोला- “चोप, जरा भी आवाज बाहर निकली तो… चूस मेरी उँगली… जरा दर्द का मजा लेना सीख। इस दर्द में ही तो असली मजा है। दर्द को सिर्फ बर्दाश्त ना करो उसे मजे की तरह लो। आखिर दर्द और मजे में कोई अंतर नहीं है सिर्फ तुम्हारा मन उसे किस तरह लेता है। अगर तुम उसको भी मजे की तरह लेना शुरू करोगी ना तो नये-नये तरह-तरह के मजे तुम्हें मिलने शुरू हो जायेंगें। तेरी चूत, चूची, चूतड़ सब मजे देने के लिये हैं। अब एकदम आवाज बंद और कसकर चूस मेरी उँगली। जितना कसकर इसे चूसेगी उतना ही तुझे आसानी होगी…” 
Reply
11-07-2017, 12:05 PM,
#98
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अब वो सचमुच कसकर जैसे कोई लण्ड चूस रही हो, उसकी उँगली चूस रही थी। वो दूसरे हाथ से प्यार से उसके उभरे हुए कोमल नितंब सहला रहा था। अचानक उसने कसकर एक दोहत्थड़ उसके चूतड़ पे लगाया। उसके मुँह में उसकी उँगली घुसी हुई थी इसलिये बेचारी चीख क्या पाती, लेकिन उसके चेहरे पे दर्द की लहर दौड़ गयी। पर वह इतने पे रुका नहीं… दो, तीन, चार वो और ताकत से मार रहा था। उसके गोरे-गोरे चूतड़, चोट से लाल हो गये। पर मेरी आँखें विस्मय से फैल गयी जब मैंने गुड्डी के चेहरे को ध्यान से देखा। दर्द के साथ एक नये किस्म का मजा उसके चेहरे पे फैल रहा था, एक ऐसा मजा जो उसने पहले कभी ना चखा हो।

अजय ने चोदना कुछ देर के लिए रोक दिया था. उसका आधा लंड उसकी चूत मे अटका था और चुतडो पे पड़ता उसका हाथ अब सीधे गान्ड के छेद पे पड़ रहा था. वह एक उंगली से उसे रगड़ भी रहा था. कैमरे को मैने वहाँ ज़ूम किया. उसकी कसी कसी गान्ड का टाइट छेद. तभी उसने वो उंगली जिसे गुड्डी चूस रही थी, उसके मूह से बाहर निकाला, और उसके गान्ड पे लगा के रगड़ने लगा और फिर पूरी ताक़त से अंदर घुसेड दिया. दर्द के मारे उसकी हालत खराब थी पर वो इसका भी मज़ा ले रही थी.

मैं सोचने लगी कि इसका मतलब है इसे दर्द मे भी मज़ा..इस बात ने तो उसकी ट्रैनिंग और मज़े की नयी ढेर सारी सम्भावनए खोल दी थी. पहले दूबे भाभी ने और अब अजय...लगता है ये सब चीज़े वास्तव मे इसे अच्छी लगती है और राजीव को तो बी.डाइस.एम. बहोत पसंद है. मैने फिर ध्यान दिया तो अजय की उंगली अब उसकी गान्ड मे पूरी तरह घुसी थी. मुझे लगा कि रात जिस तरह इसने अजय के साथ भर पेट खाया है, इसका पेट तो एकदम और गान्ड भी...और मेरा अंदाज़ा एक दम सही निकाला, जब अजय ने उंगली गान्ड से बाहर निकाली तो उस पे सॉफ गान्ड का... माल दिख रहा था. सतसट...सतसट...गान्ड से उंगली अंदर बाहर हो रही थी.


दूसरे हाथ से वो कस कस के उसकी क्लिट को रगड़ मसल रहा था और थोड़ी देर मे उसी पॉज़ मे उसने अपना पूरा पूरा लंड बाहर निकाल के चोदना भी शुरू कर दिया. गान्ड मे उंगली अंदर जाती तो लंड बाहर आता और चूत मे लंड अंदर जाता तो गान्ड से उंगली बाहर..गुड्डी कमर हिला हिला के सिसकारी भर भर के मज़े ले रही थी. थोड़ी देर मे उसने अंदर बाहर के साथ उंगली गान्ड मे गोल गोल भी घुमाना शुरू कर दिया और अब तो जब वो बाहर आती तो उसमे...और कुछ देर बाद
उंगली पूरी तरह, पेल के छोड़ दी और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ के गोल गोल घुमाने लगा. मैं सोच सकती थी कि.अजय की मजबूत टाँगों के बीच फँसी, उसकी चिपकी टाँगे और फिर गुड्डी की कच्ची चूत ...उसकी बुर की क्या बुरी हालत हो रही होगी. तभी अचानक उसकी पीठ पे उसके बालों को फिर लगाम की तरह खींचा और अब की कस के दर्द के मारे उसका मूह खुल गया.


अजय ने उसी के साथ उसकी गान्ड से अपनी उंगली निकाल ली थी...और उसके ...तभी एक खटका हुआ . मुझे लगा कि कही राजीव की नींद ना खुल गयी हो और मुझे अपने बगल मे ना पाकर वो कही नीचे ना आ जाय. मैने कैमरे को ऑटो पे लगा दिया और सोचा कि चलो बाकी का हाल कल फिल्म मे देख लूँगी. और मैं उपर चली आई.


सुबह मेरी नींद जल्दी खुल गयी. बेड टी ले के जब मैं उपर राजीव के पास जा रही थी तो उसके कमरे के पास से गुज़री तो जो आवाज़े निकल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था कि 'मैराथन' अभी चल रहा है. 7 बजे , 8 बजे, आख़िर मैने जा के बाहर से जो रात मे कुण्डी बंद की थी खोल दी. मैने ब्रेकफास्ट लगा लिया और उनके दरवाजे पे जा के हल्की सी दस्तक दी. मैने और राजीव ने ब्रेकफास्ट शुरू भी कर दिया, कि अजय बाहर आया और हम लोगों के साथ बैठ गया. मैने उसके प्लेट मे ओमलेट और सॅंडविच रखा. थोड़ी ही देर मे गुड्डी भी बाहर आई. मेरी निगाहे उस पे टिक के रह गयी. चितरि फैली टांगे, जैसे चलने मे उसे तकलीफ़ हो रही हो, गालों पे कच-कचा के काटने के निशान और सबसे बढ़ के उसके उरोजो के उपरी भाग पे लगी खरोचे, जैसे जबरदस्त सुहाग रात के बाद कोई दुल्हन निकल के बाहर आए बल्कि उससे भी ज़्यादा... अजय के मूह से उसने ओमलेट छीन के एक झटके मे गप्प कर लिया, उसकी प्लेट से सॅंडविच भी उठा ली और उसके बगल मे बैठ गयी. अजय ने भी अब बड़े अधिकार पूर्वक हाथ उसके कंधे पे रख दिया बल्कि उसके हाथ, थोड़ा और नीचे झुक के उसके उरोजो को छेड़ने भी लगे. बजाय उसका हाथ अपने सीने से हटाने के वो और उसके पास आ के सट गयी और उसके प्लेट से ले के खाने लगी. 


अजय ने शिकायत की," दीदी, देखिए अपनी लालची ननद को, सब मेरी प्लेट का खा ले रही है."

मेरे मूह से निकलते निकलते रह गया कि रात भर घोंट के पेट नही भरा, पर मैं बोली , " अरे कोई बात नही तू और ले और ये फ्रूट क्रीम भी लो ना कल गुड्डी ने बनाई थी तेरे लिए." 

तभी मेरी निगाह घड़ी पे पड़ी और मैं चीख पड़ी, " अरे गुड्डी तेरे स्कूल का टाइम हो गया है. देर हो रही है. एसा कर मैने तेरी यूनिफॉर्म प्रेस कर दी है, झट से पहन ले, अब नहाने धोने का टाइम तो है नही. लौट के नहा लेना.'
Reply
11-07-2017, 12:05 PM,
#99
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी- “ठीक है भाभी, तब तक आप इस गांव के साल्ले को खिलाइये। बड़ा भूखा है, बेचारा…” और उठते हुए उसने अजय के मुँह से फिर आमलेट का बचा टुकड़ा छीन के गड़प कर लिया।

मैं सोच रही थी की चलो कम से कम स्कूल यूनीफार्म में उसके उरोजों के दाग तो नहीं दिखेंगे। 

वो तैयार होकर आई और बोली- “भाभी, आज तो मेरे प्ले की ड्रेस रिहर्सल भी है। उसकी ड्रेस…” 

“हां हां, रखी है तेरे बैग के पास ले ले…” मैं बोली पर मैं सोच रही थी की वो ड्रेस तो ‘सब दिखता है’ स्टाइल की है और आज तो स्कूल में सब दांत के, नाखून के निशान। 

तभी अजय बोल पड़ा- “चल मैं तुझे अपनी बाइक पे छोड़ देता हूं, मुझे भी निकलना ही है…” और मैं उन दोनों को छोड़ने बाहर तक आई। 

मैंने हल्के से गुड्डी से पूछा कल कितनी बार हुआ? 

तो मुश्कुराकर उसने एक हाथ से 4 उंगलियां दिखाकर इशारा किया, 4 बार।

वो दोनों धीमें धीमे बातें कर रहे थे पर मुझे सब कुछ सुनाई दे रहा था। 

गुड्डी- “हे कब आओगे?” गुड्डी बड़े प्यार से उसका हाथ पकड़कर बोली। 

“तुम जब कहो…” बाइक स्टार्ट करता वो बोला। 

गुड्डी- “मैं तो कहती हूं, तुम जाओ ही नहीं…” लरजते हुए वो बोली। 

“हे मन तो मेरा भी यही करता है पर… अगले हफ्ते पक्का है। टांग फैलाकर बैठ…” अजय ने उससे कहा। 

गुड्डी- “रात भर टांग फैलवाये रहा। चैन नहीं मिला जो बाइक पे भी… दुखता है यार…” 

मैं समझ रही थी की इस तरह स्कर्ट फैलने के बाद जो छोटी सी पैंटी उसने पहनी है, उसके चूतड़ रास्ते भर सीट से रगडेंगें। अजय अपनी स्प्लेंडर स्टार्ट करके उसे लेकर चल दिया। और मुड़कर मैं सोचती रही, दिल की बस्ती भी अजीब बस्ती है, लूटने वाले को तरसती है। 

जब तक मैं मुड़ती राजीव ने मुझे पकड़ लिया और अंदर ले जाकर नाश्ते की टेबल पे ही सीधे लिटा दिया। मेरा गाउन इसी बीच उतर चुका था। उसने टेबल पे से फ्रूटट क्रीम का बाउल उठाया और सीधे मेरी चूत पे उड़ेल दिया। चूत फैलाकर अपनी उँगली से काफी कुछ उसने दो उंगलियों से चूत के अंदर ठेल दिया और बाकी मेरी चूत पे लपेट दिया। लेकिन उसको इससे संतोष नहीं था। बाउल में क्रीम के साथ-साथ कुछ फ्रूटट की पीसेज बची थीं, कुछ मैंगों, संतरे और चेरी। वो भी उसने चूत के अंदर कर दिये। कुछ क्रीम सरक के मेरे पिछवाड़े तक भी पहुँच गयी। 

अब उसने उपनी जीभ से क्रीम चाटनी शुरू की। पहले चूत के आस-पास, फिर मेरे चूत के होंठों पे। और जब उसने देखा की कुछ बहकर पीछे की दरार में पहुँच गया है, तो वह वहां भी क्यों छोड़ता। उसने अपनी जीभ मेरी गाण्ड की दरार में डालकर खूब कस-कसकर चाटना शरू किया और एक-एक बूंद चाट गया। अब फिर चूत का नंबर था और उसने जैसे कोई चम्मच से स्कूप निकाले, उसी तरह अपनी लंबी मोटी जुबान मेरी चूत में घुसेड़ दी और लपेट के चाटने लगा। 


मेरी मस्ती के मारे हालत खराब हो रही थी और मैं कस-कसकर चूतड़ पटक रही थी। पर वह क्यों छोड़ता, अपनी जीभ से उसने मेरी चूत से मैंगो की कुछ पीसेज निकालीं और उन्हें मजे से चूस के मेरे मुँह में दे दिया। मैं भी उन्हें रस लेकर चुभलाने लगी। तब तक उसकी निगाह बाउल पे पड़ी जिसमें फ्रेश क्रीम रखी थी। वो उसने सारी की सारी मेरी चूचियों पे उड़ेल दी। अब जब उसके होंठ मेरी चूत चूस रहे थे, जीभ अंदर क्रीम साफ कर रही थी। उसके हाथों ने कस-कसकर मेरी चूचियों पे क्रीम लिथेड़नी, रगड़नी, मसलनी शुरू कर दी। तभी उसकी जुबान को चेरी मिल गयी। उसने टिप पे लेकर उसे बाहर निकालकर दोनों होठों पे लेकर उसे क्लिट पे रगड़ना शुरू कर दिया। 
Reply
11-07-2017, 12:05 PM,
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
थोड़ी देर में ही मैं झड़ने के कगार पे थी। बिना रुके, उसनी मेरी टांगें मोड़कर मुझे दोहरा कर दिया, और एक ही धक्के में हचाक से अपना लण्ड इतना कसकर पेला की मेरी बच्चेदानी तक कांप गयी और मैं तेजी से झड़ने लगी, और मेरे हाथ ऐसे कांपें की सारी प्लेटें, क्राकरी टेबल के बाहर खनखनाती हुई नीचे। पर हम लोग अभी इन चीजों पे ध्यान देने की हालत में नहीं थे। उसका लण्ड कचकचा के मुझे हचक-हचक के चोद रहा था। उसके हाथ, मेरी बड़ी-बड़ी क्रीम में लिपटी चूचियों को कसकर मसल रहे थे, और थोड़ी देर में मैं भी अपने चूतड़ कस-कसकर उछाल रही थी, अपनी चूत सिकोड़ के उसके मोटे मूसल को अपने अंदर भींच रही थी। उसका हर धक्का सीधे मेरी बच्चेदानी पे लग रहा था और लण्ड का बेस मेरी क्लिट को रगड़ रहा था।


मेरी चूची को कसकर रगड़ते हुए उसने कहा- “हे, तेरी ननद अब बड़ी चुदवासी हो गयी है, लगता है अब हर समय लण्ड के लिये प्यासी रहती है…” 

“मेरी ननद या तेरी प्यारी बहन?” हँसकर अपनी टांगों से उसे अपनी ओर खींचकर मैं बोली। 

“जो भी कहो…” 
और लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकालकर एक धक्के में अंदर तक ठेल दिया। 

“अरे जब तक ये असली लण्ड तेरी बहना को नहीं मिलता ना, उसकी छिनाल चूत की प्यास नहीं बुझेगी…” 
मैंने कसकर चूत में उसके लण्ड को स्क्वीज किया। 

“तो दिलवा दे ना… उसकी मस्त चूचियां और चूतड़ देखकर ही ये फनफना जाता है…” वो बोले। 

“तो चोद दे ना साली को इंतजार किस बात का? परसों से तो मेरे ‘वो दिन’ शुरू हो जायेंगें तब तो तुम्हें उसे ही चोदना पड़ेगा। वो भी तो तुमसे चुदवाने के लिये बेताब है…” 

फिर तो उन पे वो जोश चढ़ा की सटासट मुझे चोदने लगे, फुल स्पीड से, और तब तक चोदते रहे जब तक मैं और वो दोनों एक साथ झड़ नहीं गये। और जब उन्होंने लण्ड बाहर निकाला तो मेरे होंठों ने उसे गप्प कर लिया। वीर्य से सना मोटा लण्ड, साथ में मेरी चूत के रस के साथ में चूत में बची फ्रूट क्रीम का एक अजब स्वाद मिल रहा था मुझे उनका लण्ड चूसने में आज। और थोड़ी देर में वो भी मेरे चूत का रस। 

वहीं फर्श पर ही हम दोनों सिक्स्टी-नाइन का मजा लूट रहे थे। थोड़ी देर चूसने चाटने का मजा लेने के बाद उन्होंने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाला। बुरी तरह फनफना रहा था वह। एक कुर्सी के सहारे मुझे झुका के उन्होंने फिर कसकर चोदना शुरू कर दिया। मैं भी चूतड़ मटका के पीछे से धक्के लगाके उनकी चुदाई का जवाब दे रही थी। रात की पूरी कसर निकाल रहे थे वो। दो बार कसकर और चोदकर ही छोड़ा उन्होंने। और फिर नहाना धोना भी हम लोगों ने साथ-साथ किया, जिसमें ‘सब कुछ’ शामिल था। वो मेरी चूत कसकर चूस रहे थे और मैं उनके मुँह पे बैठी थी। 

तभी मुझ ‘लगी’ तो मैंने उनसे कहा- “हे हटो जरा, मुझे उठने दो। जरा मैं करके आती हूँ, बड़ी जोर से लगी है…” 

“अरे तो यहीं कर लो ना, पहले कभी किया नहीं है क्या?” मेरे मूत्र छिद्र को छेड़ते वो बोले। 

“हे नहीं प्लीज, यहां ठीक नहीं। अपने घर की बात और थी। तब तो रोज पिलाती थी…” मैंने हठ किया। 

“अरे भूल गयी, अपने मायके में बिना नागा। चल…” 

और अबकी जब उन्होंने वहां छेड़ा तो मैं रूक नहीं पायी, और शुरू हो गयी और कहा- “हे जब वो हमारे यहां चलेगी ना तो जब उसे तेरी रखैल बनाऊँगी, तो उसे भी पिलायेंगें खारा शरबत…” मैंने अपने मन की बात कही। 

“एकदम और मैं भी। तेरी गुड़िया रहेगी जो चाहे खिलाना पिलाना…”

नहाने के बाद खाना खाकर वो अपने एक दोस्त के यहां चल दिये और मैं गुड्डी का इंतजार करने लगी। कुछ ही देर में वो आई, चहकती, खुश, जैसे बादल पे चल रही हो और उसी बार डांसर वाली ड्रेस में। क्या मस्त माल लग रही थी। गहरी कटी कसी चोली में उसकी गोलाइयों का कसाव, गहराई, पूरी अंदर तक दिख रही थ। पतली कमर, कूल्हों तक बंधी साड़ी, खुली पीठ, गोरे कंधों से सरकता बरबस आंचल। उसके हाथ में एक गिफ्ट रैप्ड पैकेट था। 

“हे आज चिड़िया कुछ ज्यादा ही चहक रही है। और ये पैकेट, किसने दिया, क्या है?” मैंने उसके मस्त मटकते चूतड़ों को, दबोच के मुश्कुराकर पूछा। 

गुड्डी- “नीरज मिला था, भाभी। इंतेजार कर रहा था बिचारा, स्कूल के गेट पे। सारी सहेलियां जल गयीं। सईदा ने तो ये भी कहा है की, सुबह छोड़ने कोई और, और लेने कोई और, तुम तो सबका नंबर डका गयी। बात ये है, भाभी कि कितनी लड़कियां खुद उसका इंतजार करती हैं और यहां वो मेरा इंतजार कर रहा था। उसी की बाइक पे आई हूं, इत्ता ख़ूबसूरत डैशिंग लग रहा था। झांटें सुलग रही थीं सालियों की। उसके पैरेंटस आज ही गये हैं और आज ही वो स्कूल के गेट पे। बेचारा बहुत सीधा है। कह रहा था कि बस थोड़ी देर के लिये मेरे घर पे आ जाओ। शाम को तो उसको दुकान पे बैठना होता है ना। उसी ने दिया है ये पैकेट, चाकलेट हैं। इम्पोर्टेड…” 

हम दोनों ने मिलकर पैकेट खोला। उसमें वास्तव में इम्पोर्टेड लिकर चाकलेट थे, रम भरा। एक उसने अपने मुँह में गड़प किया और एक मैंने। 

“हे पर इस ड्रेस में, तुम्हारी सहेलियों को तुम्हारी रात की दास्तान का अंदाज़ तो नहीं लगा?” उसके उरोजों पे लगी खरोंचों और निशान पे उँगली सहलाते हुये मैंने पूछा। 

गुड्डी- “अरे भाभी, हमाम में सभी नंगे। वहां किसकी साबूत बची है, सभी तो चुदवाती फिरती हैं, फँसी हैं किसी ना किसी से। हां देख सब रही थीं पर इसका फायदा भी हुआ। जो जज करने बाहर से आयीं थीं ना, सबने जम के तारीफ की मेरी। एक तो कह रही थीं, कितने परफेक्ट निशान हैं, एकदम लगता है रात भर कहीं ‘बैठ के’ आई है और मेरे ठुमके की तो सब दीवानी हो गयीं। भाभी, सब कह रही थीं की हमारा प्ले तो फर्स्ट आयेगा ही, बेस्ट ऐक्ट्रेस मेरा पक्का है…” 

और होता भी क्यों ना, मुज़रा से लेकर शकीरा तक, सबकी अदायें तो मैंने उसे सिखायीं ही थी और ऊपर से झुक के, अदा से, गहराई दिखाना, उचका के जोबन की झलक, चूतड़ ग्राइंडिंग। सब कुछ। 

“पर तू ये ड्रेस क्यों पहनकर आई, ऐसी खुली-खुली। तेरी यूनीफार्म?” मैंने अचरज से पूछा। 

गुड्डी- “भाभी, अरे वो साली सईदा और दिया। सईदा देखने में तो चुहिया जैसी, सीधी। पर पहले उन सबका प्रोग्राम खतम हो गया और फिर जब हम लोग चेंज करके स्टेज पे गये तो उन दुष्टों ने हमारी यूनीफार्म छिपा दी और कहा की यही पहनकर जाओ। हम भी बोले- अरे डरते हैं क्या? और ठसके से चल दिये…” 

“अच्छा, तू चलकर नहा धो। सुबह ऐसे ही चली गयी थी। ठीक से नहाना। नीरज पे अच्छा इम्प्रेशन पड़ना चाहिए। मैं तब तक खाना लगाती हूं और तेरे लिये ड्रेस निकालती हूं।

गुड्डी- “ठीक है भाभी…” कहकर मचलकर वो नहाने चल दी। 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,552,009 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,143 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,254,137 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 948,270 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,683,353 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,105,537 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,993,596 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,196,200 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,083,608 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,860 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)