Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
11-07-2017, 11:48 AM,
#51
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
उसकी आँखें एक बार फिर घड़ी पे थीं। घड़ी में पौने चार बज रहे थे- “भाभी कब लौटती हैं, तुमने क्या बताया था?” उसने पूछा। 

गुड्डी- “चार बजे…” गुड्डी के चेहरे पे एक मुश्कान तैर गयी। उसके होंठों को उसने एक बार कसकर चूमकर बोला- “हे एक बात कहूंगी बुरा तो नहीं मानोगे?” 

“नहीं बोलो ना, बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और तुमने तो आज मुझे खुश कर दिया है…” 

गुड्डी- “गुस्सा तो नहीं होगे?” 

“नहीं…” कसकर उसने अपनी बांहों में भींच लिया। 

गुड्डी- “भाभी रोज चार बजे लौटती थीं, लेकिन आज पौने छ: बजे आयेंगी, मैंने तुम्हें पूरी बात नहीं बतायी थी… और अभी भी तुम्हारे पास पूरे दो घंटे बचे हैं…” अपनी मस्त किशोर चूचियां उसकी छाती पे कसकर रगड़ के और बुर को उसके खड़े लण्ड पे सहला के, वो शरारत से बोली। 

मारे जोश के उसका यार उठकर बैठ गया और उसे अपनी गोद में बिठाकर कसकर दबोच के बोला- “फिर तो…” 

गुड्डी- “और क्या…” वो मुश्कुराकर हामी भरती बोली। वो प्यार से उसके गोद में बैठी थी। सामने शीशे में साफ-साफ दिख रहा था, उसके किशोर उभारों के नीचे उसका यार हाथ लगाकरके हल्के-हल्के सहला रहा था, और उसका खड़ा खूंटा भी उसकी जांघों के बीच झलक रहा था। 

“इन्होंने बहुत तड़पाया मुझे, मेरा बहुत मन करता था की…” उसके किशोर उरोजों को सहलाते वो बाला। 

गुड्डी- “मालूम है मुझे, अब लो ना, कसकर सहलाओ, दबाओ, रगड़ो, मसलो, जो चाहे वो करो, अब ये तुम्हारे हैं। कर लो अपने मन की, दे दो सजा इन्हें इत्ते दिन तड़पाने की…” उसका हाथ खींचकर अपने रसीले जोबन पे रखकर दबाते हुये वो बोली। 

बस अब क्या था। अब तो कसकर वह उसकी चूची कभी दबाता, कभी मसलता, कभी कस-कसकर रगड़ता, कभी कसकर उसके उत्तेजित खड़े निपल भी खींच लेता। थोड़ी देर में उसने अपनी एक उँगली गुड्डी के निचले होंठों के बीच भी डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। शीशे में ये सब देखकर वो और जोश में आ गयी और सिसकियां लेने लगी। अब उसको उठाकर उसके यार ने मोड़कर गोद में बैठा लिया जिसस गुड्डी का मुँह उसके सामने हो गया और फिर दोनों कस-कसकर एक दूसरे को चूमने लगे। उसका एक हाथ अभी भी कसकर जोबन रगड़ रहा था और दूसरा उसकी कसी किशोर चूत के अंदर-बाहर तेजी से उँगली कर रहा था। 

उसके होंठों पे कसकर चुम्मा लेती, वो बोली- “हे, मुझे दो बातें कहनी हैं...“

“बोलो ना…” उसे वो अपनी बाहों में कसकर भींचते हुये बोला। 

गुड्डी- “पहली तो ये कि तुम मेरे साथ जो कुछ, जैसे भी, जितनी बार, जहां भी, जो भी सब कुछ कर सकते हो, बिना पूछे और हां अगर तुमने पूछा ना तो मैं गुस्सा हो जाऊँगी। ये सब, मेरी सारी देह, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है…” उसके हाथ को अपने उभारों पे से लेकर अपनी बुर तक ले जाकर वो बोली। 

उसके यार ने कसकर उसे अपनी बाहों में भींच लिया।

तो गुड्डी ने अपनी चूत को उसमें घुसी उँगली पे सिकोड़ लिया- “और… और जाने दो मुझे शरम लगती है…” वो शरमाकर बोली। 

“क्या बोलो ना अब क्या शरम?” 

गुड्डी- “तुम मुझे प्यार करते हो ना?” 

“ये भी कोई पूछने की बात है? हां बहुत…” उसे कसकर चूमते हुये वो बोला। 

गुड्डी- “तुम्हें मेरे प्यार की कसम, अब आगे से ना, चाहे मुझे कित्ता भी दर्द क्यों ना हो, चाहे खून निकल आये, चाहे मैं दर्द से चीखूं, चिल्लाऊँ, बेहोश हो जाऊँ पर… पर तुम रुकना मत, बस तुम्हें जो भी अच्छा लगे, पूरी ताकत से, मन भर, पूरा अंदर तक, चाहे जैसे, जहां चाहे करना। मैं रोकूं भी उस समय तो जबरदस्ती…” और ये कहकर उसने कसकर चूम लिया। 

“तो करूं?” मुश्कुराकर वो बोला। 

गुड्डी- “एकदम…” और अबकी वो खुद लेट गयी अपनी गोरी-गोरी टांगें फैलाकर। 

उसने वैसलीन की शीशी से थोड़ा वैसलीन निकालकर, गुड्डी की चूत में लगाना शुरू कर दिया। और मुश्कुराकर गुड्डी ने भी वैसलीन लेकर उसके मोटे कड़े लण्ड पे खुद लगा दिया। उसके यार ने, अपने हाथ से उसकी चूत के पपोटों को थोड़ा फैलाया और फिर अपना मोटा लण्ड सटाकरके कमर पकड़कर कसकर धक्का लगाया। अबकी धक्का इत्ता करार था की एक बार में ही पूरा सुपाड़ा अंदर चला गया। गुड्डी के मुँह से चीख निकल गयी पर उस पे कोई असर नहीं हुआ और वो उसी तरह कमर पकड़कर कस-कसकर धक्के लगाता रहा। 

थोड़ी ही देर में आधा से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में था। अब जिस तरह सुपाड़ा, उसकी चूत में रगड़ता, घुस रहा था गुड्डी को भी खूब मजा आने लगा। और वो “हां हां… ऐसे ही ओह… ओह…” सिसकियां ले रही थी।
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11-07-2017, 11:48 AM,
#52
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अबकी उसके यार को कोई जल्दी नही थी. जैसे किसी भूखे को बहोत दिनों के बाद खाना मिले और वह पहले तो खूब जल्दी जल्दी खाए और फिर एक एक नीवाले को मज़ा ले ले के खाए वही हालत उसके यार की हो रही थी.

वह कभी उसे चूमता, कभी उसकी रसीली किशोर चूंचियों को दबा के कस कस के रस लेता, कभी क्लिट छेड़ता. जल्द ही गुड्डी को उसने दीवानी बना दिया था और वह खुद चूतड़ उठा उठा के उसका साथ दे रही थी. थोड़ी देर तक इस तरह चोदने के बाद उसने गुड्डी की टाँग मोड़ के दोहरा कर दिया, और कंधा पकड़, लंड को पहले सुपाडे तक बाहर निकल के फिर एक झटके मे पूरी ताक़त से घुसाया और दो चार धक्कों मे जड़ तक पेल दिया.

बेचारी गुड्डी, अबकी वो चिल्ला भी नही सकती थी, क्योंकि उसने न सिर्फ़ उसके होंठ अपने होंठों के बीच दबा दिया था बल्कि अपनी जीभ भी उसके मूह मे घुसा रखी थी. वह गोंगिया कर के रह गयी. अब जब दुबारा उसने फिर उसी तरह
से कस के घुसेड़ा तो सुपाडा सीधे उसकी बच्चेदानी से टकराया और दर्द और मज़े से वो कराह उठी. अब तो धका पेल चुदाई शुरू हो गयी. कभी वो कस कस के जिन जवान रसीले उभारों के लिए अब तक पल पल तरसता था, उसे कचकचा के काट लेता. कभी क्लिट को मसल देता, कभी चूंचियों को खरोंच लेता. और गुड्डी भी पीछे नही थी. वह भी कस के अपने लाल नेल पलिश लगे लम्बे नाखूनों से, उसकी पीठ पे सीने पे कस के निकॉट रही थी, नीचे से चूतड़ उठा उठा के उसके धक्को का जवाब दे रही थी. पूरा लंड फिसल के बार अंदर बाहर हो रहा था. वो पॉज़ बदल बदल के चोद रहा था. उसकी कमसिन मुलायम छोटी छोटी चूंचियाँ पकड़ के कभी गोद मे बैठा के चोदता. कभी प्यार से, कभी कस के रगड़ के चोद्ता, और वो एक बार झाड़ चुका था तो घंटे भर रस ले के चोदने के बाद ही वो झाड़ा और गुड्डी तब तक कम से कम दो तीन बार झाड़ चुकी थी. बहोत देर तक दोनों ऐसे ही चिपके रहे पर जब अचानक अबकी गुड्डी की निगाह घड़ी पे पड़ी तो साढ़े पाँच बज रहे थे. उसने उसको हटाया. लंड बाहर निकलने के साथ ढेर सारा वीर्य गुड्डी की गोरी थकि जाँघो पे गिर पड़ा. चलने से पहले उसने कस के गुड्डी को अपनी बाहों मे भर के एक चुम्मा लिया. उसके जाते ही उसने किसी तरह अपनी स्कर्ट और टाप पहनी और बिस्तर पे लेट गयी.



जब मैं लौटी तो वो उसी तरह लेटी थी. जब मैने उसका टॉप उठाया तो उसके कुचले मसले जोबन देख के मुझसे नही रहा गया और मैने उसके निपल चूम लिए. उसने आँखे खोल दी. " हे, लगता है यार ने कस के चोदा है"

बिना कुछ बोले वो मुस्करा दी. उसकी थकि थकि मुस्कान ही सारी कहानी कह रही थी. मैने उसका स्कर्ट जब उठाने की कोशिश की तो उसने रोकना चाहा,पर वो इत्ति थकि थी कि मैने एक झटके मे स्कर्ट उठा दी. ताजी चुदि बुर को देखने का अपना अलग ही मज़ा है. लंड के धक्के खा खाकर, उसकी चूत लाल हो गयी थी. पपोटे थोड़े खुले थे और हल्की छोटी झान्टो के बीच सफेद गाढ़ा वीर्य लगा था. मैने एक उंगली से उसकी चूत फैलाई और थोड़ी सी उंगली अंदर डाल दी और हल्के हल्के अंदर बाहर करने लगी.

" हे भाभी क्या कर रही है.म प्लीज़ निकाल लीजिए ना" वो बोली.

" साली छिनार, अभी यार का लौंडा हँस हँस के घोंट रही थी, और अब ज़रा सी उंगली से चिहुंक रही है." मुस्करा के मैं बोली. वो भी मुस्कराने लगी.

" क्यों कित्ता बड़ा, कित्ता मोटा था." मैने पूछा.

" मोटा था और लंबा भी." हँस के वो बोली. तभी मुझे याद आया कि लौटते हुए मैं सब्जी भी ले आई थी और उसमे एक सफेद पतला बैंगन भी था. उसे निकाल के उसे दिखाते हुए मैने पूछा, " क्यों, ऐसा था क्या."

" हाँ भाभी लेकिन थोड़ा मोटा ज़्यादा था." वो बोली.

मैने बैगन को उसकी बुर के मूह पे लगा दिया और थोड़ा सा ज़ोर लगा के उसे अंदर घुसेड दिया. वह चिहुन्कने लगी.

" चल मैं तुझे बताती हू तेरे भैया कम सैयाँ कैसे चोदते है." और ये कह के मैने उसकी टाँगें चौड़ीं की और बीच मे बैठ के बैगान थोड़ा और घुसेड़ा और कभी गोल गोल घुमा के, कभी अंदर बाहर कर के चोदने लगी. मैं दूसरे हाथ से उसका निपल और क्लिट भी छेड़ रही थी. फिर अचानक एक बार मैने बाहर निकाल के, एक बार मे ही पूरा अंदर धकेल दिया.

" उई", वह चीख पड़ी.

" अरे साली अभी कह रही थी कि तेरे यार का इससे भी मोटा था और हँस हँस कर दो बार चुदवाया तो इस पतले बैगान से क्यों छिनलापना दिखा रही है. घोंट चुपचाप,अरे अभी तो तुझे मोटा केला घुटवाउन्गा. तब जाके राजीव का घोंट पाओगि. उनका तो इस से दुगना मोटा है और क्या ताक़त से चोदते है." अब मैं हचक के पूरी स्पीड से चोद रही थी. थोड़ी ही देर मे मुझे लगा कि वह झड़ने के कगार पे पहुँच गयी है तो मैं रुक गयी .उसका गाल सहला के पुचकार के कहने लगी,
" हे एक बार राजीव से चुदवा ले ना तो असली मज़ा मिलेगा चुदाई का, अरे मैं कहती हू शादी के पहले और बाद मे भी मैने बहुतों से चुदवाया लेकिन जो मज़ा उनसे चुदवाने का मिलता है ना और एक बार उनका लंड घोंट लेगी ना तो फिर और.... तुम लोगि कि तो पुरानी यारी भी है"


" धत्त भाभी" शरमा के वो बोली.पर उसके खड़े निपल बता रहे थे कि उसे कित्ता मज़ा आ रहा है.
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11-07-2017, 11:48 AM,
#53
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
" मन मन भावे मूड हिलावे अरे मन तो कर रहा होगा कि कैसे चुदवाऊ भैया से चल तुझे बताती हू कि तेरे भैया कैसे हर रात मुझे चोदते है" और फिर मैने हचक के उसे गपगाप चोदना शुरू कर दिया और वो भी चूतड़ उठा के लील रही थी. आँखे बंद थीं और शायद वो सोच रही हो कि भैया कम बचपन के यार से चुदवाने मे कैसा लगेगा. मैं भी शरारत के मूड मे थी. दो तीन बार मैं उसे झडने के कगार पे ले जाती और फिर रोक देती. अब वो बिलबिला रही थी. पर मैं कहाँ मानने वाली थी. मैने पूरा बैंगन उसकी बुर मे घुसा छोड़ दिया और बोली, " अब तुम्हारा टेस्ट है, मैने तुमसे कहा था कि तुम रोज अपनी चूत स्क्विज करने की प्रैक्टिस करो..

" करती हू भाभी" बात काट कर वो बोली.

" तो ऐसे ही अपनी चूत मे इस बैगान को डाले किचन तक मेरे साथ चलो." किचन मे जा के मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया. उसकी स्कर्ट उठा के मैने चेक किया बैगन वास्तव मे अंदर था और वो चूत को कस के सिकोडे थी. मैने क्लिट को छेड़ना शुरू किया और वो तुरंत ही झाड़ गयी. उसकी बुर से बैगन बाहर निकाल के मैं बोली, " राजीव को बैगन बहुत पसंद है, इस बैगन की तुम उनके लिए बैंगनी बनाओ. मैं पकौड़ी का बाकी समान तैयार करती हू."

" ठीक है भाभी" हँस कर बैगन लेते हुए वो बोली. वो ड्रेस ठीक करने लगी तो मैने मना कर दिया और कहा कि तुम बिना ब्रा और पैंटी के ही जैसे हो वैसे ही रहोगी ये मेरा हुक्म है,और उसके टाप के जो बटन उसने बंद किए थे वो सब मैने खोल दिए.

राजीव के आने पे मैने नाश्ता लगाया. बैगनी थोड़ा सा ही खा के मुझे देख के बोले, " वाह क्या टेस्ट है, मन करता है बनाने वाले का हाथ चूम लू."

" अरे हाथ क्या जो चाहता है, वो चूम लीजिए, आख़िर माल आपका है." हँस कर मैं बोली और मैने आवाज़ लगाई,
" गुड्डी आना ज़रा देखो तुम्हारे भैया बुला रहे है."

उसको देखते ही उनकी हालत खराब हो गयी. टॉप के खुले बटनों से उसकी गहराई, कटाव सब दिख रहे थे और उसके उठे हुए उभार भी छोटी स्कर्ट से उसकी गोरी गोरी जांघे गजब ढा रहीं थी. उनकी निगाहे तो जैसे उसके किशोर जोबन से चिपक गयीं थी. मैने 'वहाँ' हाथ लगाया तो उनका 'हथियार' 90 डिग्री खड़ा था. मैने शरारत से उसे हल्के से दबा दिया.

"क्या भैया ," उसने बड़े भोलेपन से पूछा.

" ये तुमने बनाया है" उन्होने पूछा.

" आपको पसंद है." उसने बड़ी अदा से अपने दोनो उभारों को और उभार के पूछा. 

राजीव की आँखे तो उसके रसीले मम्मों पे लगी थीं थूक गटाकते हुए वो बोले, " हम" जैसे उसके किशोर उभारों की तारीफ कर रहे हो.

" चल तेरी चीज़ तेरे भैया को पसंद है तो गुड्डी, कल से तू ही देना." उसे छेड़ते हुए मैं बोली.

" और क्या भाभी आप सोचती है कि आप ही भैया को खुश कर सकती है, देखिए मेरी चीज़ भी भैया को कित्ति अच्छी लगती है."
 और ये बोलती हुई जब वह बड़ी अदा से प्लेट उठाने के लिए झुकी तो खुले टाप से उसका पूरा क्लिवेज और गोलाइयाँ उनको उसने दिखा दिया. मैं भी उनकी शार्ट के अंदर हाथ डाल कर उनकी उत्तेजना पूरी तरह नाप रही थी. वह पूरी तरह खड़ा था.
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11-07-2017, 11:50 AM,
#54
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“और है? ऐसी बैगनी मैंने पहले कभी नहीं खायी…” उन्होंने पूछा। 

“नहीं भैया, भाभी एक ही बैगन लाई थीं…” वो बोली। 

“चल मैं कल ढेर सारे बैगन लाऊँगी। इसी स्टाइल से बनाकर मन भर, अपने भैया को खिलाना…”
 हँसकर मैं बोली। 

“एकदम…” गुड्डी मुड़कर बोली। उनकी निगाहें उसके छोटे-छोटे मटकते चूतड़ों पे लगी थीं। 

रात को सोने से पहले जब मैं गुड्डी के लिये दूध लेकर गयी तो वो आर्ट आफ सेन्सुअस वीमेन पढ़ रही थी। मैं उससे बोली- “इसमें ‘आर्ट आफ ओरल सेक्स’ वाला अध्याय ठीक से पढ़ लेना, कल मैं टेस्ट लूंगी और हां ये दूध के साथ ये खजूर भी खा लेना, इससे ये तेरे थन और जल्दी बड़े और मस्त हो जायेंगे…” और, मैंने उसकी चूचियां भी दबा दीं। 

अगले दिन मैं दोपाहर में लेटी अपने बेडरूम में एक ब्लू फिल्म देख रही थी, तभी सब्जीवाली की आवाज आई और टीवी बंद करके मैं नीचे आ गयी। 

सब्जी खरीदते समय मेरी नजर सफेद बैगनों पे पड़ी और मुझे गुड्डी की याद आ गयी और मैं मुस्कुरा पड़ी। तभी मैंने सामने देखा तो, ‘थिंक आफ डेविल’ सामने से वो चली आ रही थी। 

“क्यों स्कूल में मन नहीं लग क्या? चलो ठीक टाईम पे आ गयी हो अपनी पसंद का बैगन खरीद लो…” 

वो बोली- “नहीं भाभी, आज स्कूल में छुट्टी जल्दी हो गयी थी…” 

“अरे मेरे पास लंबा भी है और मोटा भी कैसा चाहिये और तुम तो मेरी ननद लगोगी। छिनाल ननदों के लिये स्पेशल कंसेसन है…” सब्जीवाली ने भी उसे छेड़ा। 

बाकी सब्जी उठाकर घर में आते मैं बोली- “अरे इसे तो लंबा भी चाहिये और मोटा भी। हां, मैं ऊपर बेडरूम में हूं तू सीधे वहीं आ जाना…” और किचन में सब्जी रखकर मैं ऊपर आ गयी। 

कुछ ही देर में गुड्डी भी बेडरूम में आ गयी, उसके हाथ में दो लंबे मोटे सफेद बैंगन भी थे। गुड्डी ने पूछा- “क्यों भाभी पिक्चर देख रही थीं, अकेले-अकेले…” 

“हां आ जा रजाई में, तुझे भी दिखाती हूं…” मैं हँसकर बोली और उसे अपने पास खींचकर टीवी फिर से आन कर दिया। 

फिल्म के शुरू में एक ख़ूबसूरत लंबा आदमी आया और उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसकी तगड़ी पावरफुल मसल्स देखकर गुड्डी बोली- “कित्ती पावरफुल मसल्स हैं…” 

मैं हँसकर बोली- “अरे अभी असली मसल देखोगी तो बोलना…” और जब उसने अपनी चड्ढी खोली, तो उसका बित्ते भर से भी बड़ा मोटा लण्ड झटके से बाहर निकल आया। 

गुड्डी अवाक रह गयी और थोड़ी देर में जब उसने हाथ से दबाया तो वो और बड़ा और मोटा हो गया। उसकी नजरें वहीं गड़ी थी। 

“क्यों पसंद है, घोंटोगी इत्ता बड़ा?” मैंने छेड़ा। 

गुड्डी- “धत्त भाभी मुझे विश्वास नहीं है की इत्ता लंबा और मोटा हो सकता है पर…” वो बोली। 

“अरे तुम जब चाहे तब दिलवा दूं, राजीव का इत्ता ही बड़ा और मोटा है…” मैं बोली। 

और जैसे उसे विश्वास दिलाने के लिये एक लड़की भी स्क्रीन पे आ गयी। उसने अपने कपड़े उतारे और उसके मोटे लण्ड के सुपाड़े पे किस किया। धीरे-धीरे चूमकर उसने सुपाड़ा अपने होंठों के बीच कर लिया। 

मैं इधर गुड्डी की पीठ सहला रही थी और पीठ सहलाते-सहलाते, मैंने उसकी ब्रा के हुक खोलकर उतार दिया। अब मेरे हाथ उसके छोटे नरम उरोजों को सहला रहे थे। 

सामने टीवी पे वो लड़की अब पूरा सुपाड़ा घोंट चुकी थी। वो मर्द उसका सर पकड़कर कसकर दबा रहा था और धीरे-धीरे उसने आधा लण्ड अंदर ढकेल दिया। वह गपागप चूस रही थी, और एक हाथ से उसके लण्ड के बेस को पकड़कर हल्के से दबा रही थी। कभी-कभी वह उसके पेल्हड़ (बाल्स) को भी छेड़ दे रही थी। 

गुड्डी के निपल्स पूरी तरह खड़े थे जिससे पता चल रहा था वह कितनी उत्तेजित है। उसके जोबन दबाते-दबाते एक हाथ मैं नीचे ले गयी और जब तो वो सम्हलती, मैंने उसकी लेसी पैंटी नीचे खींच दी और उसकी चूत हाथ से दबा दी और उसकी चिकनी चूत सहलाते हुये मैं बोली- “हे ये क्या? एकदम सफाचट… तुमने अपनी झांटें कब साफ कर दीं, क्यों?” 

वो बस चुपके से मुस्कुरा दी। 
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11-07-2017, 11:51 AM,
#55
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“अच्छा मैं समझी। तुम्हें मालूम है की राजीव को चिकनी पसंद है, इसलिये…” उसकी चूत में एक उँगली हल्के से धंसाती मैं बोली। 

“भाभी, आपको तो सब मालूम ही हो जाता है तो फिर पूछती ही क्यों हैं?” शरमाती हुई हल्के से मुस्कुराती वो बोली। 
उधर स्क्रीन पे अब वो लड़की लगभग पूरा लिंग घोंट चुकी थी, और खुश निगाहों से उस आदमी को देख रही थी। उस लड़की का एक हाथ लण्ड के बेस पे और दूसरा उसके बाल्स पे था। 

मैंने गुड्डी से पूछा- “अच्छा चल अब तेरा टेस्ट लेती हूं, कल तूने आर्ट आफ ओरल सेक्स पढ़ा था ना, चल ये बता कि ये लड़की अपने किस-किस अंग का इश्तेमाल ओरल सेक्स में कर रही है?” 

गुड्डी- “भाभी, होंठों का और जीभ का…” 

“और…” मैंने फिर पूछा। 

गुड्डी- “और हाथ का…” 

“शाबास और…” 

गुड्डी- “आँख…” कुछ सोचकर वो बोली। 

“एकदम सही…” कसकर उसकी चूची दबाते हुए मैंने तारीफ की- “जिस तरह से वो खुशी भरी आंखों से देख रही है वो मर्द का मजा दूना कर देती है…” और मैंने उसे स्लो कर दिया कि वो ठीक से देख सके। अब स्क्रीन पे उसने लण्ड काफी बाहर निकाल लिया था और हल्के-हल्के चूस रही थी। 

“पहले पढ़ के सीख, फिर देख कैसे करते हैं, और फिर प्रैक्टिस…” मैंने उसे समझाया। 

गुड्डी- “पर भाभी, प्रैक्टिस कैसे…” उसकी आँखें टीवी पे गड़ी थी की वो कैसे चूस और चाट रही है। 

“बताती हूं…” और मैंने फिल्म को पाज़ करके ड्राअर खोला। उसमें तरह-तरह के डील्डो, वाईब्रेटर, लोशन और सेक्स ट्वाय रखे थे। मैंने दो तीन डिल्डो निकाले। एक मोटा सा जो एकदम लण्ड के शेप का था यहां तक की उसमें ‘बाल्स’ भी थे, उसे दिया और बोली- “इसे मुँह में लेकर तू चूस… कम से कम दस मिनट तक कोशिश कर ज्यादा से ज्यादा अंदर लेने का। धीरे-धीरे 20 मिनट तक कम से कम मुँह में लेने की प्रैक्टिस होनी चाहिये। पहले जो सुपाड़ा है, उसे हल्के-हल्के चाट…” 

उसने उसे लेकर पहले तो चाटा फिर मुँह में घुसेड़ लिया। 

“हां और थोड़ा अंदर, थोड़ा सा और मैंने उसकी हिम्मत बढ़ायी। हां, ऐसे ही करेगी तो कुछ ही दिनों में उस लड़की जैसे प्रैक्टिस हो जायेगी…” (उसका मुँह बंद करने की अच्छी ट्रिक थी।) 

अब मैंने एक पतला सा डिल्डो लेकर उसकी बुर में हल्का सा घुसेड़ दिया, और फिल्म फिर चला दी। टीवी में लण्ड की चुसाई देखते हुए, वो कस-कसकर प्लास्टिक का लण्ड-नुमा डिल्डो चूस रही थी। 

मैंने उसे समझाना शुरू किया- “देख, लण्ड चूसते समय ये ध्यान रखते हैं की पहले तो तुम्हें खुद कम्फर्टेबल होना चाहिये, पहले उसको हाथ से पकड़ो, छुओ, थोड़ा सहलाओ, और फिर सुपाड़ा होंठों से खोलो, और हां अपने होंठों का खास ख्याल रखो, अगर तुम गाढ़े लाल या गुलाबी रंग की लिपिस्टक और वेट-लुक के साथ लगाओगी तो और अच्छा लगेगा। तो पहले सुपाड़े को चूमो, पी-होल को जीभ से छेड़ो, जीभ से सुपाड़े को हल्के-हल्के चाटना शुरू करो, जैसे आईसक्रीम कोन को करते हैं। और हां सुपाड़े का पिछला भाग जो बाकी लण्ड से मिलता है, उसे फ्रेनुलम कहते हैं। (फिर मैंने उसे एक लण्ड की आकृति का बना डिल्डो दिखाया की कैसे सुपाड़े के पीछे एक स्कार सा होता है) वो जगह बहुत सेंसीटिव होती है, उसे जीभ से छेड़ो। 

और हां, एक बात और मुँह में लेते समय ध्यान रखो की होंठों को थोड़ा सा दांतों के ऊपर कर लो जिससे किसी भी हालत में लण्ड पे दांत न लगने पाये…” 

उसने लण्ड के माडेल के डिल्डो को ध्यान से देखते हुए स्वीकृती में सर हिलाया। 

और मैंने उसे समझाना जारी रखा- “और देखो, चूसने से पहले चाटना जरूरी है, सुपाड़े में सबसे ज्यादा नर्व एंडिंग्स होती हैं इसलिये पहले हल्के-हल्के, फिर कसकर उससे चाटो। उस समय एक हाथ से उसके लण्ड का बेस या बाल्स पकड़ो और बाल्स हमेशा हल्के से पकड़ना चाहिए। ज्यादातर मर्द, खुद बोलेंगें की उन्हें कहां चटवाना अच्छा लगता है। इसके बाद धीरे-धीरे लण्ड अंदर लो। उसे धीरे से फिसलकर आने दो। ध्यान रखो की तुम्हारे होंठ उसके लण्ड को हल्के से रगड़ते रहें और नीचे से जीभ से उसे तुम चाटो। और सहारे के लिये लण्ड को अपने हाथ से पकड़े रखो। लड़कों को लड़की के हाथ में लण्ड का एहसास बहुत अच्छा लगता है। और उसका एक दूसरा फायदा ये है की जब वह झड़ने के करीब होगा तो तुम बेस पे जो ये नस है (मैंने डिल्डो पे उसे दिखाया), उसे तुम दबा सकती हो और फिर वो झड़ नहीं पायेगा। एक दो बार ऐसे रोकने से जब वह फाइनली झड़ेगा तो उसे बहुत मजा आयेगा। और एक बात ये है की तुम कित्ता देर लण्ड मुँह में रख सकती हो। ज्यादातर लड़कियां 4-5 मिनट में ही थक जाती हैं। पर प्रैक्टिस से तुम 15-20 मिनट तक भी चूस सकती हो। रोज ये डिल्डो जो तुम चूस रही हो उसे चूस करके टाईम बढ़ा सकती हो। पर जब मुँह थक जाय ना तो उसे निकालकर, उसे साईड से, बाल तक चूम चाट सकती हो, ये देखो सामने…” 
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11-07-2017, 11:51 AM,
#56
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
सामने स्क्रीन पे वो लड़की लण्ड बाहर निकालकर पहले तो चाट रही थी फिर उसने अपनी दोनों मस्त चूचियों के बीच दबाकर रगड़ना शुरू किया और कुछ देर करने के बाद फिर मुँह में ले लिया। 

“हां ऐसे ही, इससे मर्द को कभी ये नहीं लगेगा की तुम थक गयी हो। और हां ज्यादातर लड़कियां पूरा लण्ड मुँह में नहीं ले पाती क्योंकी मुँह 3 से 4 इंच तक गहरा होता है और कहीं तुम्हारे भैया ऐसा लण्ड हो तो और… उसके लिये प्रैक्टिस चाहिये। गले में एक गैग रिफ्लेक्स होता है, उसे ओवरकम करने की प्रैक्टिस होनी चाहिये। हां ऐसे और ऐंगल जरा ठीक से। हां इससे करो फिर कच्चे केले से। 7-8 इंच तक तो मैं घोंट सकती हूं, तुम भी घोंट लोगी…” 

तब तक स्क्रीन पे सीन बदल गया था। वह झुक के अपने पैरों और हाथों के बल होकर लण्ड चूस रही थी। तब तक पीछे से एक और आदमी आ गया, वैसा ही तगड़ा, और उसका लण्ड खूंटे सा खड़ा था। उसने पीछे से उसकी कमर पकड़ी और उसकी चूत के मुहाने पे रगड़ने लगा।

गुड्डी का मुँह तो डिल्डो से भरा था, उसने हाथ के इशारे से कहा- “दो-दो…” 

मैं मुस्कुरायी। उसके मुँह पे थकान के निशान लग रहे थे तो मैंने कहा- “अब निकाल लो, 7-8 मिनट हो गये हैं चूसते हुये। पहली बार के लिये काफी है, लेकिन रेगुलर प्रैक्टिस करो तो कम से कम 10-15 मिनट तक चूस सकती हो। हां इसके लिये तुम्हें गाल की मसल्स और जबड़े की कुछ रेगुलर कसरत करनी पड़ेगी, वो मैं तुम्हें सिखा दूंगी…” उसके गालों को सहलाते मैं बोली। 

गुड्डी- “भाभी, एक साथ दो-दो, बड़ी ताकत है इसमें…” चकित होकर वो बोली। 

“अरे तुम मेरी ननद को कम समझती हो क्या? जल्द ही तुम भी एक साथ दो क्या तीन-तीन को घांटने लगोगी…” मैंने उसे चिढ़ाया। उधर वो लड़की फिल्म में कसकर चूस रही थी। उसने पूरा लण्ड घोंट लिया था और दूसरी ओर उसकी चूत में भी दूसरे आदमी ने अपना मोटा लण्ड पैबस्त कर दिया था। 

“देख कैसे उसने कम से कम 8 इंच घोंट लिया है। पूरे हलक तक इसे ही डीप थ्रोट कहते हैं, मर्दों को इसमें बहुत मजा मिलता है, तुम्हारे भैया को तो पूछो मत, जब तुम उनका चूसोगी…” 


गुड्डी- “भाभी, क्या मैं भी इत्ता मोटा ले पाऊँगी?” हल्की अवाज में वो बोली। 

“एकदम… बस तुम मेरी बात मानती जाआ। और मैं जैसे ट्रेनिंग दूं वैसे सीखो…”

“हां भाभी…” 
वो बोली। 

तब तक उस आदमी ने झड़ना शुरू कर दिया था। थोड़ी देर तो वो उसके मुँह में झड़ा और कुछ गाढ़े सफेद वीर्य की बूंदें गिर के उसकी ठुड्डी से होते हुए चूचियों तक पहुँच गयीं। फिर उसने अपनी मोटी पिचकारी की तरह के लण्ड को बाहर निकालकर उसके मुँह और चूचियों पे सारा रस बरसा दिया। वो हँसकर उसे ले रही थी। 

“हां, एक बात और… लण्ड झड़ते समय कभी उसे निकालने की जल्दी नहीं करनी चाहिये, क्योंकी उसी समय मर्द को असली मजा मिलता है। और खूब मजे ले-लेकर, स्वाद के साथ उसे घोंट लेना चाहिये और कहीं इधर-उधर गिरे भी ना, तो उसे लेकर चाट लेना चाहिये या चूचियों पे मसल लेना चाहिये। चूचियों के लिये बहुत अच्छा टानिक है ये…” समझा के मैंने कहा। 

फिल्म में भी, जैसे वो हमारी बात सुन रही थी, उसने अपने गालों से गाढ़े वीर्य का एक बड़ा सा थक्का हटाया और उसे अपने गुलाबी होंठों पे लगाकरके चाट लिया। पीछे की उसकी चुदाई चालू थी। लण्ड सटासट अंदर जा रहा था। मैंने भी गुड्डी की चूत में डिल्डो अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। पर तभी मेरी निगाह सामने रखे बैगन पे पड़ी और उसे पकड़कर, डिल्डो निकालकर अंदर कर दिया। चूत अच्छी तरह गीली थी इसलिये एक झटके में आधा बैगन अंदर चला गया।

उधर फिलम में वो लड़की जिस मर्द ने उसके मुँह में चोदा था, उसके लण्ड को पकड़कर सहला रही थी। 

“देखो, कैसे प्यार से हल्के-हल्के सहला रही है। याद रखो, लण्ड को चाहे हाथ में लो या मुँह में या चूत में, उसे बहुत प्यार से ट्रीट करना चाहिये…” मैं मुस्कुराकर बोली। 

गुड्डी- “हां भाभी, इत्ता मजा जो देता है, हमें…” हँसकर वो बोली। 

पर उसकी निगाहें चुदाई पे ही लगी थीं। कैसे उसकी चूत गपागप लण्ड घोंट रही थी, कैसे वो लड़की खुद पीछे से धक्के दे रही थी। क्लोज अप में लग रहा था की जैसे कोई पिस्टन अंदर-बाहर हो रहा हो। मैंने गुड्डी के हाथ में बैगन पकड़ा दिया और अब वो जिस तरह से लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था उसी स्पीड से अपनी चूत में उसे घुसेड़ रही थी। मैं गुड्डी की उत्तेजित चूचियों को कसकर मसल रही थी। तभी वो लड़की पोज बदलकर आदमी के ऊपर अ गयी। 

गुड्डी- “भाभी ये?”

“अरे देखती जाओ…”
 मैं बोली। 

देखते-देखते वो ऊपर से सारा लण्ड घोंट गयी और फिर क्लोज अप में वो दिखा रही थी की कैसे फुल स्पीड में लण्ड गपागप जा रहा था। 

गुड्डी भी उसी तरह अपनी बुर में बैगन को अंदर-बाहर फुल स्पीड में कर रही थी। 

तभी उस आदमी ने उसे अपने पैरों से बांध लिया और पहला आदमी पीछे आकर खड़ा हो गया। अब उसने अपना फिर से खड़ा लण्ड उस लड़की की गाण्ड में लगा दिया था। दोनों हाथों से जबर्दस्ती गाण्ड चियार के उसने मोटा सुपाड़ा उसकी दुबदुबाती गाण्ड पे लगा दिया और कमर पकड़कर इत्ता कसकर धक्का मारा की एक बार में ही वो पूरा सुपाड़ा लील गयी। लड़की के चेहरे पे हल्का-हल्का दर्द साफ झलक रहा था। लेकिन बिना रुके उसने दो तीन धक्के और कसकर मारे और आधा लण्ड बड़ी बेरहमी से घुसेड़ दिया। क्लोज अप में कसी गाण्ड में मोटा मूसल सा घुसता लण्ड… 

गुड्डी की निगाहें वहीं चिपकी थीं और गुड्डी हल्के से बोली- “भाभी, घोंट पायेगी ये इतना मोटा, पिछवाड़े…” 

“अरे देखती जाओ मेरी बन्नो, हम औरतें क्या-क्या कहां-कहां लील सकती हैं, ये हमीं जानती हैं और हां अगर कोई ना-नुकुर करे ना तो इसका मतलब है कि वो छिनारपना कर रही है और जबरदस्ती उसको पेलना चाहिये। तुम्हारे भैया तो कहते हैं- “भरपेट हो… तो गाण्ड मारने का मजा ही और है…” उसकी चूची दबाते-दबाते, निपल कसकर खींचकर मैं बोली। 

गुड्डी- “मतलब, भाभी…” 


तभी फिल्म में उसने गाण्ड से लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया। क्लोज़ अप में लण्ड में लगी गाण्ड की मक्खन मलाई भी हल्की-हल्की दिख रही थी। उसने उस लड़की की दोनों चूचियों को कसकर रगड़ते मसलते, एक झटके में ऐसा पेला की उसका पूरा लण्ड जड़ तक समा गया और उसने धका-पेल गाण्ड मराई शुरू कर दी। अब वो लड़की भी, कस-कसकर पीछे की ओर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी। 

“समझी मतलब मेरी बन्नो, अपने भैया की बात का… जब एक बार लण्ड अच्छी तरह से गाण्ड में घुस जाता है तो अंदर का लुब्रीकेंट उसे अपने आप मिल जाता है। इसलिये वो कहते हैं की इत्ता अच्छा नेचुरल लुब्रीकेंट कहां मिलेगा। बस एक बार गाण्ड में घुसने की देर थी, देख अब कैसे सटासट गाण्ड मरा रही है…” उसकी क्लिट को छेड़ते हुये मैं बोली।

अब वो दोनों ओर से कस-कसकर चुदा रही थी। जब नीचे का लण्ड बुर में अंदर जाता तो गाण्ड में घुसा लण्ड बाहर आ जाता और जब वो गाण्ड में पूरी ताकत से अपना मूसल अंदर ठेलता तो नीचे वाला बुर से बाहर निकाल लेता। 

गुड्डी की आँखें वहीं गड़ी थी और उसका हाथ अपने आप बैगन को उसी तरह फुल स्पीड में बुर में अंदर-बाहर कर रहा था। मैं प्यार से उसके दोनों किशोर उभारों सहला रही थी। 

“स्साली कैसे गपागप लण्ड घोंट रही है…” गुड्डी बोली। 

मैं मन ही मन बहुत खुश हुई की अब वो भी मेरी भाषा बोलने लगी है, अपने आप ही- “अरी बन्नो, देखना एक दिन तू भी ऐसे ही सटासट घोंटेगी। बस तू मेरी बात मानती रही तो तुझे तो मैं ऐसी ट्रेन्ड करूंगी की बड़ी से बड़ी चुदक्कड़ रंडी भी मात खा जाये…” 

मेरी ओर मुड़के सहमति में उसने मीठी निगाह से देखा और मैंने कसकर उसके गुलाबी होंठों का चुम्मा ले लिया। वह कसकर अपने चूतड़ उछाल रही थी। थोड़ी देर में सामने फिल्म में दोनों मर्द झड़ने लगे और उसी के साथ वो भी कसकर झड़ गयी और देर तक झड़ती रही। 

सामने दोनों मर्दों ने अपने झड़ते हुये लण्ड बाहर निकाले और उसकी चूचियों और चेहरे पे वीर्य की बारिश कर दी। और फिल्म में उस लड़की ने भी मजे ले-लेकर दोनों का लण्ड, उसमें लगी मक्खन मलाई, खूब प्यार से चाट चूट के साफ कर दिया। 

गुड्डी का झड़ना जैसे ही रुका, शरारत से मैंने उसकी क्लिट कसकर रगड़ दी और वो दुबारा झड़ने लगी। मैंने देखा की बैगन उसकी गुलाबी चूत आल्मोस्ट पूरा घोंट चुकी थी। जब वो रुक गयी तो मैंने हल्के से उसकी चूत से रस से लिथड़ा, बैगन निकालकर मेज पे रख दिया। मैंने प्यार से उसे अपनी बांहों में बांध लिया था, मैं उसे दुलरा सहला रही थी। और सामने स्क्रीन पे एक नया सीन चालू हो गया था। 

एक लड़की अपने को छू रही थी, थोड़ी देर उसने अपनी चूत पे अपनी हथेली रगड़ी, दूसरा हाथ उसकी चूची पे था। और फिर थोड़ी देर में जब वो जोश में आ गयी तो उसने अपनी बीच की उंगली अपनी चूत में डाल दी और बाकी दोनों उँगलियां चूत के साथ दोनों भगोष्ठों को सहला रहीं थी। 
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11-07-2017, 11:51 AM,
#57
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी की चूत दबोचती मैं बोली- “देख ये उंगली कैसे कर रही है? सीख ले उँगली करना। तुम्हारे भैया भी उँगली बहुत अच्छी करते हैं। कभी तेरी की है की नहीं?” 

तब तक फिल्म में लड़की ने अपना अंगूठा क्लिट पे लगाकर रगड़ना शुरू कर दिया। 

गुड्डी- “धत्त, लेकिन भाभी भैया को आपको उँगली करने की जरूरत कैसे पड़ गयी?” 

“अरे एक बार हम लोग बस में जा रहे थे, रात का समय था। बस तुम्हारे भैया, उन्होंने मेरे ऊपर मेरी शाल से ढंका और लगे उँगली करने, पर मैं क्यों उन्हें छोड़ती। मैंने भी उनके पाजामें में हाथ डालकर… पूरी खचाखच भरी बस में हम दोनों झड़ गये…” 

गुड्डी- “पर भाभी, आपका ठीक है लेकिन भैया का…” 

“अरे पाजामे से बाहर निकालकर शाल में ढंके, मैंने उनका अपनी अंजूरी में रोप लिया…” 

गुड्डी- “फिर?”

“फिर क्या, मैं गटक गयी सीधे अंजूरी से…” और हम दोनों हँसने लगे। 

अब सामने सीन में एक लड़का भी आ गया था। पहले तो वह उसका लण्ड चूसती रही फिर उसके बाल्स और धीरे-धीरे वह बाल्स और उसके पिछवाड़े के बीच की जगह कस-कसकर चाटने लगी। 

गुड्डी- “भाभी ये क्या?” 

“हां… अरे ये जगह तो लड़कों के लिये सबसे सेंसिटिव है। पेरीनियम, इसे हल्के-हल्के चाटकर पूरी तरह गीला कर दो, देखना गाण्ड भी मजे में आकर कैसे बुर की तरह दुबकती है…” 

तब तक मुझे सामने रखा दूसरा बैगन दिख गया। उसे लाकर मैंने सीधे गुड्डी की बुर में हँसकर घुसा दिया, ये कहते हुये की इसे भी तो मैरिनेट करना है। फिर मैंने उसे समझाया- “इसे अंदर-बाहर मत करना, जैसे तुम्हें समझाया है ना, बस कस-कसकर अपनी चूत सिकोड़ के छोड़ना, बिना छुये। और हां सामने देख, सीख बड़ी अच्छी चीज है ये…” 

अब वो आदमी पेट के बल था और लड़की ऊपर। वह उसको कमर से चूमते हुये सीधे उसके नितम्बों तक पहुँच गयी और वहां कस-कसकर चूमने चाटने लगी। उसने कसकर दोनों नितम्बों को फैलाकर बीच में सीधे उसकी गाण्ड पे चुम्मा ले लिया। 

गुड्डी- “भाभी, वो तो उसकी…” 

“अरे देखती जा मर्दों को बहुत अच्छा लगता है इस तरह…” तब तक उसने उसकी गाण्ड फैला दी थी और एक छोटे से लण्ड की तरह जीभ से उसकी गाण्ड सहला रही थी। चेहरे से लग रहा था की वो आदमी कितना उत्तेजित है, उसका लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था। उस लड़की ने अचानक उसकी गाण्ड, अपनी कोमल उंगलियों से फैलाकर अपनी जुबान अंदर घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगी। धीरे-धीरे उसकी सारी जुबान अंदर थी और क्लोज में साफ दिख रहा था की वो जीभ को गाण्ड के अंदर-बाहर कर रही है। 

गुड्डी- “भाभी, वो तो… उसने तो जीभ उसकी गाण्ड में डाल दी…” 

“देख, अरे वो मर्द जोश से कैसे पागल हो रहा है…” मैंने जवाब दिया। 

गुड्डी- “पर भाभी गाण्ड के अंदर और वो भी जुबान अंदर, वो सब लोग…” 

“अरे पगली उस समय ये सब नहीं सूझता। तेरे भैया को भी बहुत अच्छा लगता है ये। और मैं तुम्हें बता दूं की उत्तेजित करने की सबसे तगड़ी तरकीब है ये। जब वियाग्रा भी न काम करे तो ये काम आती है, एन्लिगुअस। एक बार तो तुम्हारे भैया मुझे चोद-चोद के थक चुके थे, 3-4 बार कस-कसकर चोदा होगा उन्होंने और लग रहा था की अबकी फिर से खड़ा होने में टाइम लगेगा, लेकिन मैंने यही किया। उन्हें छेड़ते-छेड़ते पूरी तरह उनकी गाण्ड में जीभ डाल दी और कसकर चाटा, चूसा, और उस समय डर, झिझक, घिन सब गायब हो जाती है बस मजा आता है सिर्फ मजा और वैसे तो लण्ड भी कोई इसी बहाने मुँह में लेने से मना कर सकता है, उससे भी तो?”


गुड्डी- “सच भाभी, भैया को अच्छा लगता है?” 

“बहुत… कई बार तो वो आफिस से जब थक के आते हैं तो उनकी पीठ पे मसाज करने के साथ, जब मैं उनकी गाण्ड का रगड़ के मसाज करती हूं और फिर उन्हें छेड़ते हुए वहां चूमकर एनलिंगुअस करती हूं ना तो उनकी सारी थकान तो गायब हो ही जाती है, वो उल्टे पटक के मुझे चोद देते हैं…” 


गुड्डी- “तो ये कहीये ना कि आप चुदवाने के लिये ये सब करती हैं। बेकार में मेरे भैया को बदनाम कर रही हैं…”हँसकर वो बोली। 

“अरे ये कहो की इसी बहाने मैं तेरे भैया की गाण्ड मार लेती हूं। हां, एक बात और… गाण्ड में उँगली करवाने का भी अलग मजा है। जब वह बहुत देर तक कभी नहीं झड़ते हैं ना और चुदवा-चुदवा के मैं थक जाती हूं ना, तब उनकी गाण्ड में उँगली डालकर मैं उनका प्रोस्ट्रेट दबा देती हूं, ब्लैडर के ठीक नीचे होता है ये और फिर वो ऐसा झड़ते हैं, झड़ते हैं की पूछो मत…” उसकी क्लिट छेड़ते मैं बोली। 

इन मजेदार बातों से और सामने चल रहे सीन से उसकी चूत ने कसकर पानी फेंक दिया था। अच्छी तरह गीली हो गयी थी वो।
सामने सीन बदल गया था। एक औरत एक कमसिन लड़की (गुड्डी के बराबर की उमर की लग रही थी वो) के साथ प्यार कर रही थी, उसे बांहो में भर के। कभी वो उसे चूम लेती होंठों पे, कभी कंधे पे और हल्के से उसका गाल सहला रही थी। धीरे से उसने उसके छोटे-छोटे उभारों को सहलाना शुरू किया और अब वो लड़की भी रिस्पांड कर रही थी। 

अनजाने में हम दोनों भी वही फालो करने लगे, हमने भी एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया और जब उस औरत के होंठ उसकी कसी चूत तक पहुँच गये थे तो मेरी निगाह घड़ी पे पड़ी। उफ्फ… शाम हो गयी थी और राजीव के आने का समय होने वाला था तो मैं उठ गयी।

कॉन्टिन्यू......................................
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11-07-2017, 11:51 AM,
#58
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 6
(लेखिका - रानी कौर)

" भाभी आप ने अभी ये पाठ तो पढ़ाया ही नही" उन दोनों के चूत चाटने के दृश्य की ओर इशारा कर के वो बोली.

" वो भी बता दूँगी पर अभी इस बैगन से चल के अपने भैया कम यार के लिए बैगनी तो बना, उनके आने का समय होने वाला है." और ये कह के मैने उसकी चूत से बैगन खींच लिया. 'गप्प' की आवाज़ के साथ तो वो निकल आया पर उसकी चूत अभी भी पानी से भरी थी. मुझे एक शरारत सूझी. मैने एक पतली कॅंडी पे उसकी लेसी पैंटी लपेट दी और पूरी तरह उसकी चूत मे घुसेड दी.

थोड़ी देर मे उसने सारा रस सोख लिया. उसकी चूत की दीवारों से रगड़ रगड़ के मैने सारा उसका पानी पैंटी मे लपेट दिया, और निकाल के अपने बेड के पास रख दिया और हम दोनों नीचे किचन मे आ गये. गुड्डी ने जल्दी से बेसन घोला और दोनो अपनी चूत रस से लिपटे बैगन काटने लगी. लेकिन मैं उसको उसी तरह छेड़ रही थी. उसकी स्कर्ट उठा के कभी उसके गोरे चूतडो को सहलाती, कभी जाँघो के बीच मे हाथ डाल के, चूत के दाने को छेड़ देती.

" भाभी करना है तो ठीक से करिए नयी क्या" बनावटी गुस्से से वो बोली.

" ठीक है, मेरी बन्नो चल तू अपना काम कर, मैं अपना काम ." और मैं उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी और उसने भी अच्छी तरह अपनी टाँगे फैला दी.

मैने उसकी गोरी गोरी जाँघ पे एक छोटी सी चुम्मि ली और फिर धीरे धीरे धीरे उसे सताते, छेड़ते आगे बढ़ने लगी. मेरी जीभ उसकी जाँघ को सहलाती उसके निचले गुलाबी होंठों तक पहुँच गयी. मैने जान बुझ कर सीधे उसकी योनि को नही छेड़ा बल्कि जीभ से उसके भगोश्ठो को किनारे से सहलाती रही और उपर जाके क्लिट को छेड़ दिया. बेचारी वो, वो चिल्ला पड़ी, " भाभी प्लीज़. करिए ना."

" क्या, मेरी बन्नो" भोली बन के मैने पूछा.

" चुसिये ना कस के मेरी मेरी चूत."

मैं कौन होती थी अपनी प्यारी ननद की इच्छा न पूरी करने वाली. मैने अब एक झटके मे कस के उसकी कसी किशोर चूत को अपने होंठों के बीच मे दबा लिया और लगी कस कस के चूसने. थोड़ी ही देर मे बेचारी की हालत खराब थी. पर मैं, मुझे भी मज़ा आ रहा था उसकी सिसकिया सुनने मे और मैने उंगली से उसके भगोश्ठ फैला के उसकी चूत मे अपनी मोटी जीभ घुसेड दी.सक, बहोत अक्चा लग रहा था उसकी गीली चूत का स्वाद, मैं जीभ को गोल अंदर घुमा रही थी, कभी लंड की त्तरह उसे कस के अंदर बाहर कर जीभ से ही चोदति. अपने होंठ से ही मैं क्लिट भी छेड़ रही थी. थोड़ी देर तक मैं इसी तरह से रस लेती रही. फिर मैने जीभ निकाल के उसकी चूत के पीछे चाटना शुरू किया और जब तक वो सम्हलती, मेरी जीभ उसकी गान्ड तक पहुँच गयी और वहाँ भी मैने कस कस के चुम्मि ली.

बेचारी गुड्डी और उस समय मेरी उंगलियाँ उसकी क्लिट छेड़ रही थी.वह खुद अब अपनी चूत से धक्के मार रही थी. मेरे होंठों ने एक बार फिर उसकी चूत की ओर ध्यान दिया .वह झड़ने के कगार पे थी. उसकी चूत अच्छी तरह गीली हो गयी थी. पर मैं अपनी प्यारी ननद को इते सस्ते मे थोड़ी छोड़ने वाली थी. जब मुझे लगा कि बस अब वो झड़ने वाली है, मैं रुक गयी वो बेचारी पानी से बाहर मछली की तरह तड़पति रही. जब वो थोड़ा रुकी तो फिर मैने कस कस के चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत अब पानी पानी हो गयी थी दो तीन बार कगार तक पहुँचा के मैं रुक गयी पर अब वो इत्ति दीवानी हो गयी थी कि उसने अपने बेसन लगे हाथों से ही मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत कस कस के मेरे मूह पे रगड़नी शुरू कर दी अब वह कस कस के, लाज शरम छोड़ के, चीख रही थी.

" भाभी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह, प्लीज़ चूसो... और कस के हन्ंननननननननननननणणन् ऐसे ही चूस लो मेरी चूत हन्णन्न् हाईईईईईईईईईईई कस के चूसो..."

तभी बाहर घंटी बजी. राजीव आ गये थे.

लेकिन ऐसे मे घंटी की आवाज़ कहाँ सुनाई पड़ती. मैने कस के उसकी क्लिट चूस ली और अब वह कस कस के झाड़ रही थी. उसकी चूत के पानी से मेरे होंठ, मेरा चेहरा सब भर गया था. मैने अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल के अंदर का भी सब रस चाट लिया. और चूत दुबारा पानी फेंकने लगी. एक एक बूँद मैने अपने होंठो से पी लिया. तब तक दुबारा घंटी बजी.

" आती हूँ " मैं बोली पर उठने के पहले एक बार बचा खुचा चूत रस, मैने फिर से चाट लिया. जोश मे गुड्डी की चुचियाँ भी पत्थर हो रही थी और कड़े निपल तो... साफ साफ टॉप फाड़ रहे थे. मैने कस के उसके निपल पिंच किए और बाहर आ गयी.

राजीव कुछ पूछते, उसके पहले ही मैने उन्हे अपनी बाहों मे भर के कस के चूमना शुरू कर दिया. उनकी बहन का सारा चूत का रस जो मेरे होंठों पे लगा था, उनके होंठों पे लीथेड दिया और अपनी जीभ भी उनके मूह मे घुसेड दी. थोड़ी ही देर मे वो भी कस कस के मेरे चूत रस से लगे होंठों को कस कस के चूसने लगे. शलवार सूट मे मेरे कसे कसे जोबन, मेरे टाइट कुर्ते से झाँक रहे थे. मैने उन्हे कस के अपनी बाहों मे भर लिया और लगी अपने उभार उनके सीने पे रगड़ने. उनका खुन्टा भी उनके जीन्स के अंदर से पूरी तरह सर उठा रहा था. मैने उसे, कस के अपनी जाँघो से रगड़ के अपने इरादे का अहसास करा दिया.

तब तक गुड्डी किचन से निकल के आ गयी. अभी भी, उसके उत्तेजित कड़े कड़े किशोर निपल, टॉप को फाड़ रहे थे और ब्रा के बिना जोबन का उभार साफ झलक रहा था. और उसके दोनों हाथों मे बेसन लगा था.

मैं थोड़ा अलग हो गयी. और राजीव उनकी निगाहें तो उसकी चुचियों को ऐसे घूर रही थी बस लग रहा था ...टॉप फाड़ के अभी चूस लेंगे. उसके बेसन लगे हाथों की ओर उन्होने देखा और फिर मेरे सर मे लगे बेसन की ओर और वो भी जैसे ललचाइ नज़रों से जीन्स मे उठे उनके उभार को देख रही थी.

" क्यों चाहिए क्या." उनके अब पूरी तरह खड़े खुन्टे को मैने हाथ से पकड़ उसे दिखाते हुए पूछा.

" धत्त" वो बोली. दोनो झेंप गये

" मैं तो सिर्फ़ ये बताने आई थी कि पकौड़ी बनाने मे अभी थोड़ा टाइम है"

" कोई बात नही तब तक तुम्हारे भैया कपड़े चेंज कर लेंगे."


जब वो मूडी तो मैने आँखे नचा के उनसे पूछा, " क्यों कैसा लगा स्वाद"

अबकी उन्होने मुझे बाहों मे भर लिया और कस के मेरे होंठों पे बचे खुचे रस को चूम के, गुड्डी के मटकते चूतडो को घुरते बोले, " बहोत स्वादिष्ट." और अपने होंठों पे जीभ फेर ली. जीन्स के उपर से,उनका लंड पकड़े पकड़े मैं उन्हे कमरे मे ले गयी और पैर से मारकर दरवाजा बंद कर दिया. मैं उनके घुटनों के बीच बैठ गयी और उन्होने अपने पैर फैला दिए. लंड तो लग रहा था कि जीन्स फाड़ के ही दम लेगा.मैं उनका इरादा अच्छी तरह समझ रही थी पर मैं भी शरारत के मूड मे थी.

पहले मैने उनका जूते उतारे, फिर मोजे. फिर मैने उनके तलुओं पे किस किया फिर पैरों पे , फिर जीन्स के उपर से किस करते हुए मैं उनके बुर्ज तक पहुँची और बुर्ज के चारों ओर किस किया पर'वहाँ' नही. उनकी हालत देखने लायक थी. मैने फिर धीरे धीरे उनकी शर्ट के बटन खोले और फिर एक साथ शर्ट और बनियान उतार दी. मैं अब खड़ी हो गयी थी. उनकी पलकों पे किस करके मैने उसे मोड़ दिया और फिर हल्के से कानों के लुब्स को काट लिया. मेरी ज़ुबान उनके कानों के अंदर छेड़ रही थी और वहाँ से चुम्मि लेते हुए माब् सीधे उनके सीने पे आ गयी. जीभ से मैने उनके निपल के चारो ओर हल्के हल्के सहलाया, और फिर प्यार से खड़े निपल को हल्के से काट लिया. वो मस्ती से सिसकियाँ भर रहे थे. 

थोड़ी देर इसी तरह, उन्हे तड़पाने के बाद मैं फिर उनके पैरों के बीच बैठ गयी और हथेली से जीन्स के उपर से ही उनके खुन्टे को कस के दबा दिया. फिर झुक के मैने अपने होंठो से उनकी जिप खोल दी. उधर मेरे हाथ बेल्ट ढीली कर रहे थे. उनका लंड इत्ते झटके से बाहर निकाला कि मैं भी चौंक गयी.मस्ती के मारे उसकी हालत खराब थी. लेकिन मैने पहले उनके उत्थित लिंग के बेस पे एक चुम्मि ली. छोटी छोटी चुम्मि लेते सुपाडे के ठीक पहले आके रुक गयी. सुपाडा गुस्से से जैसे फूल के आग हो रहा था. मैने उनके बॉल्स को चूमना ,जीभ बाहर निकाल के कस कस के चाटना शुरू किया और मेरा एक हाथ उनके विशाल के लंड को सहला रहा था. वो इत्ता मोटा था कि बड़ी मुश्किल से मेरी मुट्ठी मे आ रहा था.
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11-07-2017, 11:52 AM,
#59
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
मैने कुछ देर उनकी एक बॉल को मूह मे ले के चूसा. पर मैं देख रही थी कि जोश के मारे वो इत्ता कड़ा हो गया था कि उसकी एक एक नसें साफ दिख रही थी.अब मेरा मन भी ललचा रहा था. मैने अपने रसीले,लाल लिपस्टिक लगे होंठो से ही उनके सुपाडे को पकड़ के, उसके चमड़े को धीरे से हटाया, जैसे कोई सुहागरत को दुल्हिन का घूँघट हटाए. 

एक हल्की सी चुम्मि मैने उनके लाल मोटे सुपाडे पे ली और फिर अपनी जीभ से उनके पी हॉल को छेड़ा. मेरी जीभ नीचे जाके सुपाडे के निचले हिस्से को चाट रही थी और फिर मैने एक झटके मे होंठों से उनके सुपाडे को रगड़ते हुए एक बार मे पूरा सुपाडा गप्प कर लिया. मेरे होंठ उनके कोरोना (जहाँ सूपड़ा बाकी लंड से जुड़ता है.) को कस के रगड़ रहे थे और नीचे से जीभ लपलप चाट रही थी. मेरे हाथ कभी उनका लंड सहलाते कभी बाल्स.



उत्तेजित होके मेरा सर पकड़ के मेरे सैयाँ ने जो धक्का मारा कि एक बार मे ही उनका आधा लंड मेरे मूह मे समा गया. मैं कस कस के उसे चूस रही थी चाट रही थी और मेरा एक हाथ लंड के बेस से दबाते हुए उसे ऐसे निचोड़ रहा था जैसे कोई गाय के थन से दूध दुहे.

थोड़ी देर मे ही आँख बंद कर के वो कस कस के सिसकियाँ भर रहे थे. काफ़ी देर पूरी ताक़त से चूसने के बाद मैने लंड मूह से बाहर निकाला तो एक हल्की सी आवाज़ ने मेरा ध्यान दरवाजे की ओर खींचा. वहाँ गुड्डी खड़ी थी और खूब ध्यान से देख रही थी. मैने उसके भैया के लंड को मुट्ठी मे पकड़ के उसे दिखाते हुए इशारे से पूछा, चाहिए. उसने मुस्करा के सर हिला के उसी तरह, इशारे से जवाब दिया, हाँ.

मैने उसे दिखा के पूरा सूपड़ा होंठों के बीच ले के चूस लिया और फिर उसे दिखाया. उसने भी अपने होंठ गोल कर उसी तरह आक्षन किया मानो वही चूस रही हो. उसे दिखाते हुए मैं साइड से चूम रही थी जिसे उसे अपने भैया के लंड का पूरा दर्शन मिले. मैने अपने कुर्ते के बटन भी खोल लिए थे और फिर मैने लंड को अपनी चुचियो के बीच हलके से रगड़ना चालू किया. फिर गुड्डी को दिखा के मैने अब आधा लंड गडप कर लिया और कस कस के चूसना शुरू कर दिया.

उसने दूर से लंड को एक फ्लाइयिंग किस लिया और वापस किचन मे चली गयी. अब वो झड़ने के बहोत करीब थे. मैं भी कस कस के चूस रही थी उनका लगभग पूरा लंड अंदर था और मैं अपने हलक पे उनके सुपाडे की चोट महसूस कर रही थी. दो चार बूंदे प्री कम की निकली और लंड मे सुरसूराहट महसूस होने से मैं समझ गयी कि अब वो झड़ने के करीब हैं. मैने थोड़ा सा लंड बाहर निकाला और उसके बेस के पास दबा के कस कस के चूसने लगी. जैसे ही मैने प्रेशर थोड़ा हल्का किया, लंड से गाढ़ी सफेद क्रीम जैसी वीर्य की धार फुट पड़ी. मैने सब अपने मूह मे लेलिया पर घोंटा नही. वीर्य से मेरे गाल फूल के कुप्पा हो गये. मेरी शरारती उंगलियों ने, पीछे जाके उनकी गान्ड पे छेड़ दिया और वो फिर दुबारा झड़ने लगे. अबकी बार बहोत रोकने पे भी कुछ मेरे होंठों से होता हुआ ठुड्डी पे पहुँच गया.. मैने उसे भी उंगली से लपेट के अपने होंठों पे लगा लिया और किचन मे पहुँच गयी.


वहाँ गुड्डी को पकड़ के अपनी बाहों मे भिच के, मैने उसे कस के चूम लिया और अपने होंठ उसके होंठों से सटा, सारा का सारा उसके भैया का वीर्य उसके मूह मे धकेल दिया. मेरी जीभ उसके मूह के अंदर थी और मेरे एक हाथ ने उसके टॉप के सब बटन खोल के उसकी चूंचियो को कस के मसलाना रगड़ना भी शुरू कर दिया था. वो भी नंबरी छिनार.उसने मज़े से सब गटक लिया. जब मैने मूह हटाया तो कुछ उसकी ठुड्डी पे लगा था और एक धार गले पे भी थी.


मैने सब समेट कर उसके होंठो पे लगा दिया और टॉप के अंदर हाथ डाल के उसके एक निपल को कस के पिंच कर दिया.

( मेरे मायके मे किसी ने शायद मेरी मम्मी ने ही बताया था कि अगर किसी लड़के को लड़की . चूत का और लड़की को लड़के के लंड का रस चखा दो तो वो उसका दीवाना हो जाता है. और ये तो ..अगर सिर्फ़ लड़की के चूत से लगा कपड़ा भी लड़के को लगा दो या लड़की को लड़के के रस से लगा कपड़ा...तो भी वो दोनों एक दूसरे के दीवाने हो जाते हैं और शर्म लिहाज भूल के एक एक द्वार को चोदते हैं. कोहबार मे ये ट्रिक मेरी बुआ और भाभी ने राजीव के साथ की थी. उनको कोहबार मे जो पान खिलाया था, उसमे मेरे रस से लिथाडी सुपाडि डाली हुई थी. मुझे पक्का अंदाज था कि इस टोटके का असर गुड्डी और मेरे सैयाँ पर भी होगा.)
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11-07-2017, 11:54 AM,
#60
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
हम लोगों ने मिल जुल के नाश्ता लगाया और मैं राजीव को बुलाने के लिए चली गयी.वो मूह धो के निकले तो मैने देखा जो छोटा सा बरमूडा और एक ट्रॅन्स्ल्यूसेंट स्लीव्लेस्स टी-शर्ट निकाल ली गयी थी वही वो पहने थे. नाश्ते की मेज पे मैं उनके बगल मे बैठी थी और गुड्डी ठीक सामने. उनकी निगाहें गुड्डी के खुले टॉप से झमकती गहराइयों और उभारों पे गढ़ी थी. उसने अपनी उस 'खास' बैगनी को प्लेट मे निकालते हुए झुक के दिया,

" भैया, ये आप को कल पसंद आई थी ना आज मैने ढेर सारी बनाई है, मन भर के लीजिए." और जब उसने ये कहा तो दोनों की निगाहें मिल गयी. जैसे दोनों ने एक साथ उसका दुहरा मतलब समझ लिया हो ,दोनो शरमा गये. 

पर मैं कहाँ छोड़ने वाली थी, " हाँ मन भर के लेना, आज तुम लेते लेते थक जाओगे पर ये देते देते नही थकेगी." और ये कहते हुए मैने, बरमूडा के अंदर हाथ डाल के उनके लंड को हल्के से दबा दिया और अब वह फिर तन तनाने लगा.

" धत्त भाभी आप तो बस" शरमा के वो बोली

" वाकाई बहोत अच्छा है, आज तो मैं मन भर के खाउन्गा, "
 बैगनी खाते हुए वो .बोले

" यही बात तो मैं भी कह रही थी पर आप की ये बहन ना,... जिसके मन मे चोर होता है वो वैसा ही समझता है."
 मैं ने जड़ा.

मैं देख रही थी कि न सिर्फ़ राजीव उसके किशोर उभारों को मन भर के घूर रहे थे बल्कि वो भी उनकी बाइसेप्स और तगड़ी मसल्स को प्रशंसा भरी निगाहों से देख रही थी. अबकी बार जब वो देने के लिए झुकी ,तो कुछ ज़रूरत से ज़्यादा ही झुक गयी थी. और राजीव के लिए तो सुनहरा मौका था. उसका पूरा कटाव और क्लिवेज दिख रहा था. गहराई के बीच मे फँसा एक सफेद बड़ा सा थक्का फँसा था. गुड्डी ने पूरी प्लेट खाली कर दी और बेचारे को खाना पड़ा.

" देखा तुम दे रही तो कैसे प्यार से"

" अरे भाभी और क्या आप तो मेरे भैया से सिर्फ़ मेहनत करवाती हैं खिलाती तो है नही'


" तो ठीक है आज खाना तुम्ही बनाना और अपने भैया को खूब प्यार से देना."

" नही मुझे भूख नही है और जल्दी से सोना है." वो बात काट के बोले.

" भैया सोने की जल्दी है या भूख कम है."वो बड़ी अदा से बोली.

मेरी ओर देख के बड़े अर्थ पूर्ण ढंग से वो बोले , " दोनो."

उनका मतलब समझ के मैने बरमूडा मे उनके लंड को इस तरह से कस के खींचा की, सूपदे से चमड़ा हट गया और अब तो वो पूरी तरह से फिर खड़ा हो गया था.

" कोई बात नही भैया, अभी मैं बस आधे घंटे मे चाइनीस बना देती हूँ मुझे मालूम है आपको बहोत पसंद है बस आप लोगो को बेडरूम मे कोई देर नही होगी."


वो अपने कमरे मे चले गये और हम दोनो किचन मे. उसके चूतड़ पे कस के मार के मैं बोली, " भैया की दुलारी, चली है जल्दी से "

" अरे भाभी भैया को वो वाली भूख नही है लगता है किसी और चीज़ की भूख है," मुझे कस के पकड़ के वो बोली.

" अरे तू ये वाली भूख मिटाने मे एक्सपर्ट हो गयी है तो वो वाली भी मिटा दे ना...." मैने चिढ़ाया.

" मिटा दूँगी भाभी मिटा दूँगी बस देखती रहिए अपनी इस ननद को." 
कड़ाही मे नूडल्स डालते वो बोली.

मैं उपर आई. बेडरूम ठीक करने पर उन्होने पकड़ लिया. " हे जल्दी आना ना"

" अरे बाबा अभी घंटा भर भी नही हुया हॉंगा. इसका मन भरता ही नही" बरमूडा के उपर से शरारत से उनके लंड को सहलाते मैं बोली.

" बहोत मन कर रहा है." 
वो बोले. वास्तव मे उनका लंड लोहे की रोड की तरह सख़्त था.

" मुझे मालूम है क्यों कर रहा है, अपने उस किशोर माल के उभार देख के, कहो तो उसी को भेज दूं जिसने इसका ये हाल किया है." मैने बरमूडा के अंदर हाथ डाल के कस के उसे दबाते हुए कहा.

खाना तैयार है नीचे से ज़ोर से गुड्डी की आवाज़ आई. डिन्नर टेबल पे अबकी बार मैं उनके और गुड्डी के बीच बैठी थी.

" तुमने तो कमाल कर दिया" वो बोले.

वाकई, नूडल्स, फ्राइड राइस चिल्ली पनीर सब कुछ और इत्ति जल्दी. उसने राजीव की प्लेट मे तोड़ा तोड़ा दिया.

" हे भैया को देने मे इत्ति कंजूसी कर रही हो." मैने उसे छेड़ा.

" अरे तो आप दे दीजिए ना" अब वो भी द्वियार्थी संवाद बोलने मे एक्सपर्ट हो रही थी.

जब वो मेरी प्लेट मे डालने लगी तो राजीव बोले, " आज अपनी भाभी को भर पेट खिलाना."
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