Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
11-07-2017, 11:46 AM,
#41
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
विदाई होने मे थोड़ी देरी थी इसलिए मैं अपने कमरे मे जा के बैठ गयी.सुबह हो ही रही थी. मैने सोचा कि नहा धो कर फ्रेश हो जाउ, क्योंकि थोड़ी ही देर मे बिदाई की हड़बड़ शुरू हो जाएगी. बाथ टब मे पानी भर के मैं बाहर आई तो देखा, वो. और जब मैने उसकी हालत देखी तो मुस्कराए बिना नही रह सकी. कोई भी देखे तो यही कहता, कि जबरदस्त चुदवा के आ रही है. बाल बिखरे, गालों पे दाँतों के निशान, टांगे फैली, और गोरी जाँघो पे वीर्य के दागकपड़े लिथड़े, 

मैने पूछा, " हे क्या तुम जनवासे नही गयी और क्या दुबारा"

" हाँ भाभी हम लोग पैकेट लेके निकल ही रहे थे, कि दीदी की जेठानी मिल गयी.वो जनवासे जा रही थी. उन्होने सारे पैकेट लेलीए और कहा वो बँटवा देंगी.और दुबारा जीजू के पास आपने भेजा था तो वो तो होना ही था भूके शेर के पास आपशिकार भेजेंगी तो वो क्या छोड़ेगा. हंस कर वो बोली.

" अच्छा चलानहा के फ्रेश हो जा, मैं भी नहाने जा रही थी. फिर बताना शेर ने शिकार कैसे किया."
बाथरूम मे जाकर मैने उसका टॉप एक झटके मे खींच के उतार दिया. एक रात मे ही उसके जोबन पे फरक आ गया था. मसल मसल के उसके जीजा ने लाल कर दिया था और निपल भी और उनके दाँतों के निशान, खूब कस के उभार के कयि जगहों पे. और तब तक उसने खुद अपनी स्कर्ट सरका के उतार दी. मैने नीचे देखा तो चूत की पुट्तिया उभर के सामने आ गई थी और लंड के धक्कों से चूत अच्छी तरह लाल हो गयी थी. और गाढ़े सफेद थक्कों मे वीर्य जगह जगह जमा था. चूतड़ पर मट्टी लगी थी. मैने उसे तब मे लिटा दिया और खुद फ्रेश होने लगी.

" थोड़ी देर टब मे लेटी रहेगी तो थकान भी मिट जाएगी और सफाई भी हो जाएगी. हाँ जाँघो अच्छी तरह फैला ले, जिससे अंदर तक सफाई हो जाए." मैं बोली. मैने भी अपना मेक अप उतारना शुरू कर दिया. बिना पूछे वो शिकार की कहानी सुनाने लगी.

"जब मैं वहाँ पहुँची तो जीजा कैटरसे के पास बैठे थे.खूब मौज मस्ती चल रही थी.जीजू पकौड़ा टेस्ट कर रहे थे. मैने उन्हे चिढ़ाया, " क्यों जीजू, अकेले अकेले"

" अरे नही, तुम भी खाओ," वो बोले और अपने मूह से अधाखाया पकौड़ा निकाल के, मेरे मूह मे डाल दिया और मैं गडप भी कर गयी. उन्होने खीच कर मुझे अपने पास सटा कर, थोड़ा सटा, थोड़ा अपनी गोद मे कर के बैठा लिया. उनका एक हाथ मेरे कंधे पे था. मुझे देख कर शांत हो गये लोगों से वो बोले अरे गाओ ना यार अपना ही माल है. और जैसे अपनी बात पे ज़ोर देते हुए, उनका हाथ सरक कर मेरे कंधे से मेरे उभार पर आ गया और उन्होने कस के दबा दिया. जैसे, मौन सहमति देते हुए मैं और उनसे चिपक गयी. तब तक एक वेटर कटलेट ले आया. जीजू ने फिर थोड़ा खा के मेरे होंठो के बीच दे दिया. अब मैं भी मूड मे आ गयी थी, मैने रोल को अपने गुलाबी होंठो के बीच घुमाया और फिर थोड़ा थोड़ा कर के, जैसे मैं कोई मोटा शिश्न चूस रही हों अपने मूह मे ले लिया. उसका स्वाद एक दम अलग था, वैसा मैने पहले कभी नही खाया था, बहोत टेस्टी लग रहा था. उधर जीजू अब खुल के टॉप के उपर से मेरे जोबन का मज़ा ले रहे थे. और केटरिंग वाले भी मस्ती मे एक पुराने फिल्मी गाने की पैरोडी गा रहे थे,

रम्मैया वस्ता वैया, मैने बुर तुझको दिया, मैने बुर तुझको दिया

मैं भी जीजा के साथ गाने पे ताल दे रही थी. तभी वेटर ने मुझसे पूछा,
" कैसा टेस्ट था, मटन कटलेट का,"
" क्या, मटन नान वेज था." मैने घबरा कर पूछा.
( बेचारी मेरी ननद वह एकदम प्योर् वेज थी.)
" और क्या, और पकोड़ा जो तुमने इतते स्वाद से खाया वह भी तो चिकेन पकौड़ा था. क्या तुम्हारा धरम भ्रष्ट हो गया,

अरे धरम तो तुम्हारा थोड़ी देर पहले ही मैने भ्रष्ट ही कर दिया था, अब बचा ही क्या है.और एक बार भ्रष्ट हो गया तो अब पूरा मज़ा लो." फिर सब के सामने खुल के मेरी चूंची मीजते हुए, वेटर से बोलो,

" ज़रा फिश छाप भी तो टेस्ट करा दो, ले आओ ." मेरे लाख ना नुकुर करते हुए भी उन्होने मुझे खिला के खुद बाकी ले लिया और नीचे रखी एक बोतल उठा कर जिसमे दारू लग रही थी, पी और फिर मेरी ओर बढ़ा दी. मैं हिच किचा
रही थी पर उन्होने मेरे मूह मे लगा, बड़े प्यार से इसरार किया, " अरे मेरी जान मेरे कहने से दो घूँट बस दो घूँट." और जैसे ही मैने होंठ खोल के बोतल लगाई, उन्होने अपने तगड़े हाथ से मेरी ठुड्डी पकड़ के, मेरा चेहरा उपर उठा दिया और पूरी ताक़त से बोतल उठा दी. धीरे धीरे करके मेरे हलक से वह नीचे उतरने लगी.जैसे तेज़ाब सी तेज थी. और एक तिहाई बोतल वो खाली करवा के माने. फिर प्यार से मेरे गाल पे चुम्मा ले के बोले," अरे मेरी जान ज़्यादा नखडा नही दिखाते वरना ज़बरदस्ती करना पड़ता है." और फिर उन्होने एक प्लेट मटन बिर्यानी भी मंगाई और अपने हाथ से और दारू के साथ, दो घूँट वो लेते, दो घूँट मैं. थोड़ी ही देर मे मैं खुद अपने हाथ से खाने लगी. मैं सब कुछ भूल सा गयी .मेरे पूरे तन बदन मे एक मस्त आग सी लग गयी थी.भाभी. 

जीजू ने मुझे अपने गोद मे अब पूरी तरह बिठा लिया था, खूब खुल के मेरी चूंचिया मसल रहे थे और पायजामे मे
उनका खुन्टा अच्छी तरह खड़ा था. उन्होने मेरे हाथ मे उसे पकड़ाने की कोशिश की थोड़ा तो मैं झिझाकीपर उन्होने ज़बरदस्ती पकड़ा दिया. एकदम कड़ा लग रहा था, और खूब लंबा"

" अरे असली बात बताओ तू चुदि कैसे." मैने हंस के पूछा.

" बताती हू भाभी थोड़ी देर मे कैटर्स ने चाभी माँगी, स्टोर कीतो उन्होने मुझे चाभी देकर कहा, जाओ खोल के दे दो इनको जो माँगे. मैं कमरे मे गयी..

" वही छोटा सा कमरा ना जिसमे मिठाई, बाकी सब सामान रखा है, मिट्टी का फर्श है" मैने पूछा.

" हाँ वही जब वो सब सामान निकाल के गया तो मैने देखा कि पीछे से जीजू आ गये और उन्होने अंदर से कमरा बंद कर लिया और मुझे पीछे से कस के बाहों मे भर लिया. मेरी स्कर्ट उठा के वो मेरे रसीले चुतडो को सहला रहे थे. हम दोनों वही देख रहे थे, पर कोई जगह नही दिख रही थी. तभी एक बेंच पर उनकी निगाह पड़ी और वो मुझे झुकाकर स्टूल पकड़ने के लिए बोले और मेरी स्कर्ट कमर तक उठा दी, और ज़ोर से बोले, " साली, निहुर." ( झुक जा )

मैं अपना चूतड़ और उपर उठा कर झुक गयी. मेरे चूतड़ पे दो हाथ कस के मार के वो बोले, " अरे साली, जैसे कुतिया चुदवाती है ना, वैसे चुदवा." और जब मैने अपना मूह पीछे कर उनसे आँखो से ये कहने की कोशिस की , कि जीजू बाहर सब लोग सुन रहे होंगे. तो उन्होने जबरन मेरा सर नीचे दबाकर मेरा टॉप भी पूरी तरह से उठा दिया और कस के चूंची मसलते हुए बोले, " अरे साली को चुदवाने मे शरम नही और चुदाइ के बारे मे सुनने मे शरम है."

उन्होने एक हाथ मेरी जांघों के बीच मे कर के मेरी बुर कस के मसल दी. कस के चूंची और बुर दोनो की रगड़ाई से , मेरी जांघे अपने आप फैल गयी. उनके पाजामे के नीचे उतरने की सरसराहट से मैं समझ गयी थी लेकिन उन्होने अपनी एक उंगली मेरी बुर मे धीरे धीरे कर एक पेल दी और फिर उसे अंदर बाहर करने लगे. उनका दूसरा हाथ कस के मेरी चूंचियों को रगड़ रहा था. जल्द ही मेरी चूत गीली हो गयी पर वो उसे बिना रुके जैसे उंगली से ही मेरी चूत चोद के मुझे झाड़ना चाहते हों कस कस के चोदते रहे. मैं भी मस्ती मे चूतड़ हिला रही थी, कुछ देर मे जब मैं आलमोस्ट झडने के कगार पे पहुँच गयी तो गप्प से उन्होने अपनी उंगली निकाल ली और मेरे होंठ से सटा के कस के बोले, " ले चूस चाट अपनी चूत का रस." 
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11-07-2017, 11:46 AM,
#42
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मैं भी भाभी एकदम बेशरम हो के उसे चूसने लगी और फिर उन्होने अपनी दूसरी उंगली भी चुसवानी शुरू कर दी,
और कुछ देर मे दोनो उंगली निकाल के उन्होने मेरी बुर मे घुसेड दी.

" नही जीजू, नही एक साथ दोनो नही" मैं चीखी.

" अरे देखती जा तू"
 वो बोले और पहले टिप फिर बीच के पोर तक उन्होने दोनों ज़ोर लगा के घुसेड दी और फिर उसे धीरे धीरे गोल गोल मेरी बुर मे घुमाने लगे. थोड़ी देर मे मस्ती के मारे मेरी बुरी हालत हो गयी. नशे मे मेरी आँखे बंद हो रही थी. वह कभी गोल गोल, कभी कस के अंदर बाहर लंड की तरह मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. बस मन कर रहा था, जीजू चोद दे. उनका मोटा कड़ा लंड अब मेरे चूतड़ से ठोकर भी मार रहा था. अब मुझसे रहा नही गया और बोल पड़ी,
" जीजू, प्लीज़ करो ना"

" क्या करू, खुल के बोल.साली."

" डाल दोना, जीजू चोद दो ना."

" अरे कस के बोल ना, मुझे सुनाई नही पड़ता खुल के बोल."
 और जीजा ने कस के मेरी क्लिट भी मसल दी. 

अब तो मेरी चूत मे आग लग गयी. मैं कस के बोल पड़ी, " जीजू, अरे कस के चोद, चोद दे अपनी साली की चूत प्लीज़ जीजू चोदो ."

जीजू आस पास लुब्रीकेंट ढूंड रहे थे, पर कुछ नज़र नही आ रहा था. पास मे मलाई रखी थी उन्होने वही लेके अपने मोटे मूसल मे खूब पोत ली, और फिर मेरी चूत मे लगा के कस के धक्का मारा. एक ही धक्के मे उनका मोटा सुपाड़ा मेरी चूत मे समा गया. दर्द से मेरी चीख निकल गयी. पर वह कस के धकेलते रहे, घुसेड़ते रहे जब तक पूरा उनका मोटा लंड मेरी चूत मे नही समा गया. अब वह कस कस के मेरी चूंची मीजते, दबाते, कभी मेरी क्लिट छेड़ते. जल्द ही मेरा दर्द मज़े की सिसकियों मे बदल गया. भाभी, जीजू इत्ति जबरदस्त चुदाई कर रहे थे कि पूछो मत. पूरा लंड बाहर तक निकाल कर एक धक्के मे पूरा अंदर धकेल देते. जब चूत के अंदर सॅट सॅट कर रगड़ रगड़ कर जाता तो मज़े और दर्द से मेरी जान निकल जाती.

" फिर क्या हुआ" मैं भी उत्तेजित हो गयी थी और कपड़े उतार के उसके साथ टब मे घुस गयी.

" थोड़ी देर बाद उन्होने मुझे वैसे ही, लंड अंदर डाले उठा लिया और ज़मीन पे लिटा दिया. और उन्होने मुझे आलमोस्ट दुहरा कर दिया. मेरी चूत एक दम चिपक गयी थी और अब जैसे ही उन्होने सुपाड़ा पेला दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी. भाभी जीजू इत्ते दुष्ट है, उन्होने मिठाई की एक ट्रे से लड्डू निकाल के मेरे मूह मे डाल दिया. अब मैं चीख भी नही सकती थी. अब वो पूरी ताक़त से चोद रहे थे. उस दिन आप और अल्पी कह रही थी ना, कि दूसरी बार की चुदाई मे ज़्यादा टाइम लगता है बस वही. दर्द से मैं गान्ड पटक रही थी, मिट्टी मे अपने चूतड़ रगड़ रही थी पर वो. कभी पूरा लंड मेरी बुर मे डाले गोल गोल घुमाते, अपनी कमर से रगड़ते और कभी पूरा निकाल निकाल के फ़चा फ़च चोदते और साथ मे कस के मेरी चूंची मसल के रगड़ के "


मैने उसके उभारों को कस के दबा के पूछा, "क्यों ऐसे." 

हंस के दुगुनी ताक़त से उसने मेरी चूंची दबा के वो बोली, " नही भाभी ऐसे. भाभी, मैं कम से कम दो बार झड़ी होउंगी, उसके बाद जीजू झाडे. और बहोत देर झड्ने के बाद भी जब उन्होने लंड बाहर निकाला तो उसमे इत्ता वीर्य बचा था कि उसे दबा के उन्होने मेरे चेहरे और जोबन पे कस के वीर्य मसल दिया. जब हम लोग बाहर निकले तो पॅकिंग पूरी हो गयी थी और जैसा मैने कहा कि दीदी की जेठानी ने कहा कि वो बाँट देंगी, तो मैं यहाँ आ गई.'

" अच्छा चलो, अब तुम्हे साफ सुथरा तो कर दू." साबुन ले के उसकी चूंचियों चूतड़ हर जगह मैने कस कस के मला और फिर ठंडे पानी के शावर से हम दोनों साथ साथ नहाए. नॉजल लेके चूत की दरारों के बीच मैने ख़ास कर के साफ किया. जगह जगह वीर के निशान थे उसे रगड़ के साफ किया. मुलायम तौलिए से रगड़ के हम लोगों ने एक दूसरे को सुखाया. फिर मैने उसके गालों ब्रेस्ट हर जगह क्रीम लगाई और जहाँ नाख़ून और दाँत के निशान थे, वहाँ नो मार्कस लगा दिया. हाँ जान बुझ कर गाल पे जो सबसे बड़ा निशान था और चूंचियों पे उपर के हिस्से पे जो निशान थे, वो छोड़ दिए. आख़िर कुछ तो निशान रहे जीजा से चुदाई का.

मैने एक क्रीम निकाली, जो मेरी भाभी ने दी थी, मेरी सुहाग रात के पहले अगले दिन सुबह लगाने को. उसकी बुर फैला के मैने कस के अंदर तक क्रीम लगाई, और कुछ बाहर उसके पुट्तियों पर भी लथेड दी.मैने उसे बताया कि इस क्रीम के तीन फ़ायदे है, एक तो इससे दर्द एकदम ख़तम हो जाता है. और दूसरे, इससे कित्ता भी चुदवाओ, चूत वैसे ही टाइट बनी रहती है, साथ साथ इसमे स्परमसाइडल असर भी होता है और वह भी ऐसा कि चुदाई के 12 घंटे बाद भी लगाओ तो पेट ठहरने का ख़तरा नही रहता. हाँ एक बात मैने उसे नही बताई, कि इससे चूत के अंदर एक मीठी मीठी खुजली उठती है और लगाने के बाद लड़की एकदम चुदासी रहती है.

गुड्डी ने एक धानी रंग का शलवार सूट पहना और अंदर एक सफेद टीन, हाल्फ कप पुश आप ब्रा जो उसके उभारों को और उभार के दिखा रही थी. मैने हल्का सा उसका मेक अप भी कर दिया, लकी गुलाबी लिपस्टिक, थोड़ा सा गालों पे रूज और पतला सा काजल और उसके चुतडो तक उसकी चोटी तो गजब ढा रही थी. जब तक मैं तैयार हुई, बाहर दरवाजे से मेरी जेठानी और देवरानी गूंजा तकथक कर रही थी. जैसे उन्होने हम दोनों को साथ देखा तो चिढ़ाने लगी ,अच्छा ननद के साथ अकेले अकेले मज़ा लूटा जा रहा था. 

मैं हंस के बोली नही नही आप लोग भी आइए ना. तब तक बाहर से आवाज़ आई कि लड़के वाले विदाई के लिए आ रहे है फिर उन लोगों को तैयार होने के लिए छोड़ के हम दोनो निकल आए. मैं मंडप मे बिदाई की तैयारी करने मे जुट गयी.थोड़ी ही देर मे दूल्हा, अपने भाइयो, बहनों के साथ आया. मैं मंडप मे लड़की के साथ ही बैठी थी. उधर मैने देखा कि गुड्डी दूल्हे के उस कजन के साथ बात कर रही थी जो रात मे उसे छेड़ रहा था. सादे शलवार सूट मे वह गजब की लग रही
थी. उसका कैशोर्य, भोलापन और जवानी की आहट, गर्दन की ज़रा सी जुम्बिश की अदा, और वह बार बार अपना दुपट्टा जिस तरह संहालती, हल्के से मुस्कुराती

उधर मंडप हिलाने और विदाई की बाकी रस्मे चल रही थी साथ ही रोना भी चालू होगया. मैने उधर ध्यान दिया. कि क्या बाते हो रही थी. वो लड़का बोला, " अरे, दीदी की इत्ति याद आरहि है तो तुम भी साथ चलो ना."

" अरे दीदी तो जीजा जी के साथ चिपकी रहेंगी, और मैं" मुस्करा के,दुपट्टे को मूह मे दबा के वो बड़ी अदा से बोली.

" अरे मैं हू ना तुम मेरे साथ चिपकी रहना."

"धत्त" 
वो शर्मा गयी और ब्लश से उसके गालों पे गुलाब खिल गये.

तब तक दूल्हा दुल्हन भी बाहर निकलने के लिए वहाँ आगये. उस लड़के ने दूल्हे से कहा, " भैया इनको अपने दीदी की बहोत याद आ रही है, इनको भी साथ ले चले."

दूल्हे ने हंस के कहा, " मैं तो अपनी साली जी का साथ दूँगा, इनको ले चलना है तो तुम्हे शहनाई और बाजे के साथ आना होगा."

सब लोग हँसने लगे और वह और झेंप गयी. बात बदल कर उसने दूल्हे से कहा, " जीजा जी होली मे ज़रूर आईएगा, कुछ ही दिनों मे तो है.",

" और, इसको भी साथ ले आउन्गा." और दूल्हे ने हामी भरते हुए, उस लड़के कीओर इशारा करते हुए कहा. दूल्हा और बाकी सब लोग आगे बढ़ गये और वो दोनों पीछे रह गये. मैं ज़ोर लगाकर उनकी मजेदार छेड़छाड़ सुन रही थी.

" होली मे आउन्गा तो बिना डाले छोड़ूँगा नही, मना तो नही करोगी." वो हल्के से बोला.

" जैसे कि बड़े सीधे है, मेरे मना करने से मान जाएँगे" वो हंस के बोली.

"डरोगी तो नही मेरी पिचकारी से." अब वह खुल के द्वियार्थी डायलाग बोल रहा था और उससे चिपक गया था.

" मैं नही डरने वाली, ना तुमसे ना तुम्हारी पिचकारी से होली मे देखना क्या हालत करती हू तुम लोगों की, देखा जाएगा कौन डालेगा और कौन डलवायेगा, भूल गये वो नमक की चाय और जबरदस्त गालियाँ." आँख नचाके मुस्काराके वो अदा से बोली.

" हाँ, तुम्हारा नमक खाया है, तुमसे किया वादा कैसे तोड़ सकता हू, पर होली तक इंतज़ार करना पड़ेगा."


"इंतजार का फल मीठा होता है." 
वो बड़ी अदा से बोली.
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11-07-2017, 11:46 AM,
#43
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
तब तक दुलहा दुलहन कार मे बैठ चुके थे और दोनो दौड़ कर आगे आ गये. मौका देख के मैने अपने नंदोई जी से पूछा, " कल तो आपने दुबारा नंबर लगा दिया." 

हंस के वो बोले. " और क्या, और खूब रगड़ कर और अब तुम्हारी ननद कितनी चुदासी है पूरे शहर मे मशहूर हो जाएगा, जब वो मस्त होकर चीख कर चुदवा रही थी तो सब कैटर्स सुन रहे थे और कयि तो झाँक भी रहे थे, और ये तो सब के पार्टियों मे जाते है और खबर फैलाते है इसलिए 10 दिन मे देखना,"

विदाई होने के साथ ही एक एक कर सारे रिश्तेदार जाने लगे और घर जो इत्ता भरा भरा लग रहा था, एकदम खाली लगने लगा जब नंदोई जी जा रहे थे तो वो गले मिले और कान मे बोले, " मान गये तुम्हे, मेरी गुरु हो"

" तो मेरी गुर दक्षिणा"


" होली मे आउन्गा तो दूँगा और होली मे आओगी ना" 
और कस के अपने शिश्न को मेरी कमर के नीचे रगड़ते बोले. तब तक राजीव वहाँ आगये थे. उन्होने मेरी ओर से जवाब दिया कि होली मे हम लोग ज़रूर आएँगे. मैं समझ गयी कम्मो के बारे मे जो उनकी प्लानिंग थी. मैने भी कहा हाँ.

मैने देखा कि मेरी छोटी ननद अपने कमरे मे उदास अकेले बैठी थी. मैने उसकी ठुड्डी पकड़ के उठा के कहा,
" अरे मेरी बन्नो, दीदी के जाने से उदास हो या जीजू के."

" धत्त, भाभी आप को तो हमेशा मज़ाक सुझता है." हल्के से हंस के वो बोली.

" अरे, पगली अभी ख़लील के पेमेट के लिए भी जाना है, और वो रास्ते मे तुम्हारा यार मिलेगा , उसके कल के खत का जवाब भी तो देना हैचल उठ."

" हाँ भाभी, मैं तो भूल ही गयी थी, मैं लेटर पॅड निकालती हू और ज़रा हॉट लिखिएगा." 
अब उसके चेहरे पे चमक वापस आ गयी थी.

लेटर लिख के..मैने उसकी ओर बढ़ाया," हे चल साइन कर"

"पर भाभी आप ने तो मेरी हॅंड राइटिंग मना किया था."


"अरे बुद्धू होंठों से साइन कर ना." मैं हंस के बोली और लेटर बढ़ा दिया.

उसने अपने लिपीसटिक लगे होंठो को कस के लेटर के अंत मे दबा कर साइन कर दिया. जब हम लोग बाहर निकले तो मैने उससे कहा कि हे चल आज रिक्शे से चलते है तेरे यार का साथ रहेगा. और सचमुच जैसे ही हम लोग रिक्शे से निकले,
थोड़ी ही देर मे पीछे साइकिल पे वो था. मैने कनखियों से देखा, वो बार बार पीछे मुड़कर देख रही थी और
नैन मटक्का चालू हो गया था. मैने फुसफुसा कर बोला, " हे चारा डाल"

उसने आँखों से इशारा किया, और देखते देखते वो हम लोगों के रिक्शे के बगल मे आ गया था. अब वह बहोत बोल्ड हो गया था, और उसने हल्के से उसके दुपट्टे को पकड़ लिया. गुड्डी ने , जैसे मेरी आँख बचाकर, चिट्ठी
निकाली और उसे दिखाकर रुमाल मे रख, पहले तो अपने सीने से लगाया और फिर चूम कर उसे हाथ बढ़ा के पकड़ा दिया.
बीच मे भीड़ भाड़ के कारण वो शायद पीछे हो गया, पर हमारे बाबी टेलर्स तक पहुँचने के पहले वह फिर हमारे साथ था. अब मेरी ननद भी बेताब हो बार बार मूड मूड के देख रही थी. पास आके उसने उसकी ओर एक गुलाब की कली फेंकी जो सीधे उसके उभारों पे लगी.हंस के मेरी ननद ने उस गुलाब को पहले तो होंठो से लगा लिया और फिर उसे दिखाते हुए,
अपने कुर्ते की टॉप बटन खोल के अपनी ब्रा के अंदर रख लिया.

जब हम लोग टेलर के यहा पहुँचे तो वो बाहर खड़ा रहा. हमे ख़ास तौर पे मेरी ननद को देख के ख़लील के चेहरे पे चमक दौड़ गयी. हमने बहोत तारीफ़ की. मैने पेमेट करते हुए कहा, ये तो आपकी फीस है, इनाम मेरी ननद से वसूल कर लीजिएगा.
उस समय दुकान पे कई और लोग बैठे थे. बेचारे ख़लील वो ललचाई नज़रों से देख रहा था.

" बाद मे इनाम दे दूँगी बकाया नही रखूँगी."

"मैं इंटरेस्ट के साथ लूँगा." उसके किशोर उभारों को घूरते हुए, वो धीमे से बोला.

" मुझे मालूम है कि मेरी ननद की किस किस चीज़ मे आपको इंटरेस्ट है, जल्द ही मैं आउन्गि अपने ब्लाउज का नाप देने और इसको भी टॉप सिलवाना है."

जब हम बाहर निकले तो वो खड़ा था.मैने उसे छेड़ा," तेरे यार मे खड़े रहने की ताक़त काफ़ी मालूम होती है."

" और क्या भाभी, असली सीज तो वही है, कित्ति जल्दी और कित्ति देर खड़ा रह सकता है"
 हँसके वो बोली.

" पूरी एक्सपर्ट हो गयी है."


" भाभी, आपकी ट्रैनिंग का नतीजा है."

हम लोगों ने तय किया कि पास के किसी रेस्टोरा मे चल के समोसे खाते है. उसने बताया कि पास मे बारात रेस्टोरा है, वहाँ के समोसे अच्छे है हम लोग वहाँ चल के बैठे. जैसा हम लोग सोच रहे थे, थोड़ी देर मे वो भी आ गया और पास की एक टेबल पे बैठ गया.
हम लोगों ने आर्डर दिया और कुछ देर मे उसको सुनाके, वो बोली, " भाभी, कल पिक्चर चलते है ना, 12 से 3 सूरज टाकीज़ मे."

" नही नही कल तुम्हारे भैया भी नही रहेंगे" मैने बहाना बनाया.

" मेरी अच्छी भाभी, प्लीज़ भैया नही रहेंगे तो और अच्छा है, हम लोग मौज मस्ती करेंगे. परसों से तो मेरा स्कूल चालू हो जाएगा."


" अच्छा ठीक है, तू इत्ता कह रही है तो , पर पिक्चर कौन सी लगी है."

" देखती हू, रिवाल्वर की रानी अरे भाभी मज़ा आएगा कोई भी पिक्चर हो और इसमे तो भीड़ भी नही होगी." टेबल पर पड़े, एक लोकल अख़बार मे देखते हुए वो बोली.

" ठीक है तेरी मर्ज़ी." समोसा ख़तम करते मैं बोली.

" कल 12 से 3, सूरज टाकीज़," उसको सुनाते हुए वो बोली.

जब मैं काउन्टर पर बिल दे रही थी, तो वो उसके टेबल के पास रुक गयी, जैसे उसकी कोई चीज़ गिर गयी हो और फुसफुसाकर, बोली. " कल 12 से 3, सूरज टाकीज़"

शेष भाग मेअगर आप ये जानना चाहते हों टाकीज़ मे क्या हुआ , क्या मेरी ननद का उसके यार के साथ, या बाबी टेलर्स के ख़लील या फिर राजीव आगे उसकी ट्रैनिंग कैसे हुई.तो अपने विचार लिखे. 
- रानी
कंटिन्यूड…
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11-07-2017, 11:47 AM,
#44
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 5
(लेखिका - रानी कॉर) 

अगले दिन सुबह ही गुड्डी हमारे घर आ गयी। मेरे जेठ जेठानी और सभी लोग पन्द्रह दिन के लिये, विदाई वाले दिन की शाम को ही बाहर चले गये थे। सिर्फ मैं और राजीव बचे थे, इसलिये मैंने रिक्वेस्ट किया कि मुझे अकेलापन लगेगा तो गुड्डी कुछ दिन मेरे साथ रह ले। उसका स्कूल भी हमारे घर के पास था। सब लोग मान गये और अगले दिन सुबह ही वो आ गयी। उसका कमरा मैंने नीचे गेस्टरूम में सेट किया, जिसका एक दरवाजा सीधे बाहर खुलता था। राजीव को भी आज आफिस के काम से बाहर जाना था और हमीं दोनों घर में थे।

उसने मुझसे मुश्कुराकर आँख नचाकर कहा- “भाभी, 12 से 3 भूली तो नहीं…”

“कैसे भूल सकती हूं, पिया मिलन को जाना… चल नहा के आ, फिर मैं तुझे तैयार करती हूं…” उसके गाल पे कसकर चिकोटी काटकर मैं बोली।

जब वह नहा के लौटी तो आज रोज से भी गोरी लग रही थी। लगता था, खूब मल-मल के नहाया है। मैंने उसके लिये जींस और गुलाबी टी-शर्ट निकालकर रखी थी। पर पहले मैंने उसे लेसी थांग पहनाया, जो उसके चूतड़ों के बीच में फँसी थी और फिर एक लेसी पुश-अप फ्रांट ओपेन, हाफ कप ब्रा। जींस एकदम हिप हगिंग और टाइट थी। उसके रसीले चूतड़ साफ-साफ दिख रहे थे। टी-शर्ट भी मैंने उससे कहा की जींस के अंदर टक करके पहने। कसी टी-शर्ट और टाईट हो गयी और उसके उभार खुलकर छ्लक रहे थे।

“भाभी बड़ी टाईट है…” वो बोली।

“क्यों चिंता करती हो वो ढीला कर देगा…” पर मैंने शर्ट की ऊपर की दो बटन खोल दीं। ढीली तो ज्यादा नहीं हुई, पर उसके गोरे मदमाते जोबन की झलक साफ-साफ दिखने लगी और गहराई भी। फिर मैंने उसके बाल भी खींचकर बन की तरह बांध दिये, जिससे उसकी गोरी सुराहीदार लंबी गरदन भी साफ-साफ दिख रही थी। उसके गुलाबी होंठों पे गुलाबी लिपिस्टक, हल्की सी क्रीम, बड़ी-बड़ी आंखों में हल्का सा काजल और आई शैडो, और सबसे आखिर में एक एरोटिक इंपोर्टेड परफ्यूम थोड़ा सा लगाया और उसके जोबन की गहराई के बीच भी हल्का सा लगा दिया।

“तुझे देखकर खड़ा हो जायेगा उसका…” उसके निपल्स को कसकर पिंच करते हुए मैंने बोला।

जब हम लोग पहुंचे तो वो खड़ा था, पिक्चर ऐसी थी की जैसा मैंने सोचा था। पिक्चर हाल में सन्नाटा था- “हे टिकट कहां मिलेगा? लाईन में लगना पड़ेगा, कोई परिचित होता तो…” मैं बनकर बोली।

“भाभी, ये हैं अंशू, मेरे मुहल्ले के ही हैं…” गुड्डी ने उसकी ओर इशारा किया।

“अरे तो फिर क्या, प्लीज जरा बाल्कनी के…” कहकर मैंने पैसे उसकी ओर बढ़ाये।

“पर ये तो ज्यादा हैं, दो टिकट के तो…”

“अरे तो क्या तुम्हें पिक्चर नहीं देखनी है, तीन टिकट ले लेना, और कोने का मिले तो और अच्छा…”


मैंने देखा की वो बात तो मुझसे कर रहा था, पर उसकी निगाहें मेरी ननद के चेहरे पर गड़ी थीं और बार-बार फिसलकर उसकी शर्ट से छलकते उभारों पे आ जा रही थीं। और वो बड़ी मुश्किल से अपनी मुश्कान दबा पा रही थी। हम लोग अंदर पहुंचे तो हाल खाली था। मैं जाकर पीछे वाली लाइन में सबसे कोने वाली कुर्सी पे बैठ गयी। मेरे बगल में गुड्डी और उसकी बगल में वो बैठा। बालकनी पूरी खाली थी। पिक्चर शुरू होने के बाद एक दो लोग आये और वो लोग आगे की ओर बैठ गये।

पर्दे पे पिक्चर चालू हो गयी थी, पर मैं तो हाल में हो रही पिक्चर में इंट्रेस्टेड थी और वो भी थोड़ी देर में शुरू हो गयी। सीट के हत्थे पे गुड्डी ने हाथ रखा था, उसपर उसने भी हाथ रख दिया। जैसा मैंने समझाया था, गुड्डी ने कुछ देर में अपना हाथ हटा लिया। सामने एक रोमांटिक सीन चल रहा था। कुछ देर बाद जब फिर गुड्डी ने हत्थे पे वापस हाथ रखा, तो कुछ देर बाद जैसे अनजाने में उसका हाथ पड़ गया हो, उसने हाथ रख दिया। जब अबकी गुड्डी ने हाथ नहीं हटाया तो थोड़ी देर में वह उसकी उंगलियां सहलाने लगा। हम तीनों बड़े ध्यान से सामने पर्दे पे देख रहे थे, जैसे कुछ ना हो रहा हो।
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11-07-2017, 11:47 AM,
#45
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी कुछ सरक कर और उसकी ओर बैठ गयी। अब उसकी हिम्मत बढ़ गयी। उसने उसकी कलाई कसकर पकड़ ली और धीरे-धीरे उसका हाथ सहलाते हुए ऊपर बढ़ने लगा। जब गुड्डी ने कुछ रेज़िस्ट नहीं किया तो कुछ देर रुक कर उसने उसकी कुहनी पकड़ ली और हल्के से प्रेस करने लगा। कुछ देर में ही उसकी उंगलियां टी-शर्ट से निकली सुंदर गोरी बांहो पर फिसल रहीं थीं।


सीट पे अपने को एडजस्ट करने के लिये, वो थोड़ा और उसकी ओर सरक गयी और उसकी ओर देखकर हल्के से मुश्कुरा दी।

बस क्या था, जैसे गलती से उसकी उंगलियां छू गयी हों, उसने उसके चूचियां के उभार को साइड से छू दिया। गुड्डी को जैसे 440 वोल्ट का करेंट लग गया हो। वो सिहर उठी और उसने तुरंत अपनी उँगली हटा ली। पर थोड़ी देर में गुड्डी ने फिर उसकी ओर मुश्कुराकर देखा और अपनी टांगें एक पे एक रख लीं और खुद उसका हाथ पकड़ लिया। अब पूछना क्या था। उसने दुबारा उसका हाथ सहलाना शुरू कर दिया और अबकी जब उसकी उंगलियां, चूचियां के साइड में पहुंची तो हटी नहीं, हल्के-हल्के उसे सहलाती रहीं।


" हे, मैं रात भर ठीक से सो नही पाई थी, मुझे नींद सी आ रही है. मैं अगर सो जाउ, तो तुम खर्राटो से डिस्टर्ब तो नही होओगी". मैं पुश बॅक चेर को पीछे की ओर धकेलति, आँखे बंद करती बोली.

" नही भाभी, वैसे मुझे मालूम है कि आप रात भर क्यों नही सो पाई, और फिर रात को भैया लौट ही आएँगे, इसलिए फिर आप एक झपकी ले ही लीजिए. मैं ज़रा भी डिस्टर्ब नही होउंगी और पिक्चर की कहानी भी आपको सुना दूँगी."
मुझे छेड़ती हुई मेरी ननद बोली.

थोड़ी ही देर मे मेरी नाक बोलने लगी. अब क्या था उसकी तो चाँदी हो गयी. उसने अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पे रख लिया और गुड्डी ने भी अपना हाथ उसके कंधे पे रख दिया. अब जो उंगलिया, चुपके से उसके बूब्स के साइड को छेड़ रही थी, बोल्ड होकर सीधे उसके उभारों पे आ गयी. गुड्डी ने भी उसकी हिम्मत को बढ़ाते हुए, उसका हाथ अपने उरोजो पे हल्के से दबा दिया. बस अब क्या था. उसका दूसरा हाथ उसके दूसरे जोबन को भी हल्के हल्के सहलाने लगा और एक हाथ तो कस कस के उसके उभार का रस ले ही रहा था. गुड्डी उससे कस के चिपक के बैठी थी. जोबन का रस लेते लेते, उसने हल्के से उसके गुलाबी गालों पे चुम्मि भी ले ली.

" धत्त क्या करते हो, बेशरम." गुड्डी ने हल्के से उसे झिड़का.

जवाब मे उसने उसे और अपनी ओर खींच लिया, और अब खुल के कस के उसके जोबन को दबाने लगा और फिर एक चुम्मि ले ली. थोड़ी देर तक शर्ट के उपर से वो उसके दोनों कबूतरों का रस लेता रहा. मैं समझ गई कि मेरे रहते ये इसके आगे बढ़ने की हिम्मत नही कर पाएँगे. अंगड़ाई लेके मैं उठी. वो दोनों ठीक से बैठ गये.

" मेरा पेट गड़बड़ लग रहा है, यहा पता नही टाय्लेट कैसे होंगे, मैं ज़रा घर जाके आती हू. इंटरवल तक आजाउन्गि." मैं बोलते हुए उठी.

" ठीक है, भैया रात को आएँगे तो इलाज करवा लीजिएगा." चहकती हुई वो बोली. मैं बाहर निकल कर फिर पीछे के दरवाजे से आकर थोड़ा दूर ऐसी सीट पे बैठ गयी जहाँ से पूरा नज़ारा साफ साफ मिल रहा था. सब कुछ से बेख़बर वो अब खुल के चालू हो गया था. बीच का आर्म रेस्ट खुल जाता था उसे उसने खोल दिया और गुड्डी को कस के अपनी ओर खींच लिया और वह भी उसके बाहों मे आ गयी थी. एक हाथ अब खुल के उसके उभार को दबा, सहला, मसल रहा था और दूसरे ने बिना किसी देर के उसकी गुलाबी टी-शर्ट के बचे खुचे बटन खोल दिए और अंदर घुस गया.

" नही नही प्लीज़ खोलो नही, उपर से बस" वो मना कर रही थी. पर वो अब कहाँ मानने वाला था. जवाब मे उसने उसे पास मे खींच लिया और अब वह आधी उसकी गोद मे थी. वह बार बार उसके प्यारे गुलाबी गाल चूम रहा था .उसका हाथ खुल के शर्ट के अंदर उसके जोबन मसल रहे थे. टी-शर्ट उसने उपर खींच लिया. कुछ ही देर मे उसके दोनो हाथ अंदर थे. साफ था कि उसने उसकी ब्रा भी खोल दी थी और कस के अब वह स्तन मर्दन कर रहा था. गुड्डी के चेहरे से लग रहा था कि वह भी अब एकदम जोश मे है. अब वह भी उसके चुंबनो का जवाब दे रही थी. कुछ देर मे ही उसने एक हाथ गुड्डी की जीन्स मे भी डाल दिया. दूसरा हाथ अभी भी खुल कर उसकी चूंचिया रगड़ मसल रहा था और वह भी उसी मस्ती से चूंची मसलवा रही थी. तब तक अचानक इंटर्वल हो गया, और मैं जल्दी से निकल के बाहर आ गयी.

मैं गेट से ऐसे घुसी जैसे अभी आ रही हू. दोनो स्नैक बार पे खड़े थे. मुझे देख के एक बार वो झेंप सी गयी. उसकी टी-शर्ट अब जींस से बाहर थी. मैने उन दोनो के लिए कोक और अपने लिए काफ़ी बोली. मैने देखा कि कोक पीते पीते गुड्डी ने जान बुझ कर बोतल बदल ली और जहाँ उसके यार के होंठ लगे थे, वही उसे दिखा के होंठ लगा के पी रही थी. मैने स्टॉल वाले को, क्रीम रोल और पोप कार्न के लिए ऑर्डर दिया और हम दोनो लॅडीस टाय्लेट मे चले गये. अंदर घुसते ही मैने उससे पूछा,

" हे मैडम जी, आपकी टी-शर्ट बाहर क्यों है."

" भाभी वो असल मे ये बहोत टाइट थी. इसलिए मैने"

"अच्छा, बताती हू .मुझे मालूम है." और, मैने उसके दोनो मम्मे कस के दबोच लिए.
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11-07-2017, 11:47 AM,
#46
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
" छीनाल, पूरी बात बतानी पड़ेगी और सिर्फ़ बतानी नही पड़ेगी बल्कि इंटर्वल के बाद भी वही चलना चाहिए, मेरे सामने जो अब तक चल रहा था. वरना तेरी शर्ट खोल के तेरे यार के हाथ मे तेरे मम्मे पकड़ा दूँगी." अब मैं पूरे रंग मे आ गयी थी.

" अरे भाभी, वो तो खुश हो जाएगा. ठीक है, जैसा आप बोले." तब तक पिक्चर शुरू हो गयी.

अंदर पहुँच कर हम लोग पॉप कार्न खाने लगे . थोड़ी देर मे मैने देखा कि गुड्डी ने जो रोल वो खा रहा था वह उसके हाथ से ले,रोल उसे दिखाते हुए ऐसा चाटा जैसे वो कोई मोटा शिश्न चाट रही हो. उसको चिढ़ाते हुए, रोल का उपर का हिस्सा, खूब बड़ा सा मुँह खोल कर जैसे लंड चूस रही हो, गडप कर गयी . मैं अपनी मुस्कान नही रोक पाई. मैने अपना शाल निकाल कर ओढ़ लिया और उन दोनों से भी कहा कि ओढ़ लें, जाड़ा लग रहा है. थोड़ी ही देर मे शाल के अंदर उनका कार्यक्रम फिर चालू हो गया.

घर लौट कर मैने उससे एक एक बात खोद खोद कर पूछी. उसने माना कि उसकी जींस के अंदर उसके यार ने हाथ डाला था पर जब मैने ये पूछा कि उसने उसका हथियार पकड़ा था कि नही और कितना मोटा और बड़ा है, तो वो शरमा गयी. मैं कहाँ छोड़ने वाली थी. उसने अंत मे कबुल किया कि पैंट के उपर से उसने पकड़वाया था और उसने हल्के से दबाया भी था. जीजा के ही साइज़ का लग रहा था और बहोत कड़ा था.

उसका कमरा मैने सेट कर दिया था. एक फुल साइज मिरर वाला ड्रेसिंग टेबल जिसपर मेक अप के सारे समान, खिड़कियों पे पिंक परदे, बेड पे एक सिल्कन गुलाबी बेडशीट, और फिर मैं अपनी " किताबों' का कलेक्शन ले आई, और उसकी टेक्स्ट बुक्स की जगह लगा दिया. उसने पास आ के पूछा," भाभी ये कौन सी किताबे है."

" जब तक तुम यहाँ हो यही तुम्हारी टेक्स्ट बुक्स हैं और रोज तुम्हे ध्यान लगाकर पढ़ना और मैं रोज तुम्हारा टेस्ट लूँगी, और हम एक किताब रोज अपने स्कूल बैग मे भी ले जाना. जिससे जब समय मिले तो वहाँ भी पढ़ाई कर सको." हँस के मैं बोली.

उसने देखा. किताबों मे, हाउ टू बिकम आ सेन्ल्युवस वुमन, आर्ट ऑफ सेक्स, हाउ टू प्लीज़ आ मॅन, सचित्र कामसुत्र, असली कोक शास्त्र, ऐसी देर सारी किताबों के साथ साथ, एक दरजन मस्तराम की कहानियाँ और चुदाई के कई एलबम, प्लेब्वाय, हसलर,हयूमन डाइजेस्ट और अगड़ाई ऐसी मॅगज़ीन थी. उसकी टेबल पर भी मैने प्रेम पत्र कैसे लिखे रख दिया. एक कॅंडल स्टॅंड मे एक खूब मोटी सी एक फुट लंबी मोमबत्ती लगा दी और उसके गाल पे चिकोटी काट के बोली,
" और बन्नो, ये मोमबत्ती, जलाने के लिए नही आग बुझाने के लिए है." और बगल मे वैसलीन का जार रखती हुई बोली, और हां कुछ भी डालने के पहले इसे इस्तेमाल करना मत भूलना."

शाम को राजीव थोड़ी देरी से आए लेकिन आते ही उतावले हो गये. हम लोगों ने जल्दी डिन्नर किया और उपर जाते हुए वो बोले, हे जल्दी आना. उनकी बेताबी देख के वो अपनी मुस्कान नही रोक पाई. जल्दी काम समेट के मैं दूध का एक ग्लास लेकर अपनी ननद के कमरे मई गयी. वो बोली, " भाभी, मैं दूध नही पीती और आज आप इत्ति जल्दी? क्या बात है."

" अरे दूध नही पियोगी, तो यारों को दूध कैसे पिलाओगी मेरी जान." 
उसके मम्मों को मसलती मैं बोली. और उसकी किताब बंद करके, मैने अलमारी मे रख दी और वहाँ से मस्तराम की दो किताबे निकाल कर देते हुए कहा, " अब रानी बायलोजी बंद कर सेक्शोलॉजी पढ़ो. और हाँ सोने के पहले उंगली करना मत भूलना. और ये तुम्हारे उपर है कि तुम अपने यार के बारे मे सोचती हो या मेरे सैया के बारे मे."
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11-07-2017, 11:47 AM,
#47
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अगले दिन स्कूल से जब वह लौटी तब मैने कहा चलो आज से तुम्हारी रेग्युलर ट्रैनिंग शुरू. पहली चीज़ है नो युवर बॉडी, आज तुम सारे कपड़े उतार कर कम से कम एक घंटे शीशे के सामने खड़ी रहो. हर अंग को छुओ और सोचो और बोलो, मेरी आँखे कितनी सुंदर है, मेरे होंठ कितने सुंदर है और हाँ जब अपने जोबन को छुओ ना तो साफ साफ बोलो, मेरी चुचियाँ कित्ति सेक्सी है. सीना उभार, छाती कुछ नही सिर्फ़, चुचिया. बोलो मेरे सामने,

" चूंची" बहोत धीरे से वो बोली.

" उंह ऐसे नही ज़ोर से " मैने हड़काया.

" चूंची" अबकी वो कुछ ज़ोर से बोली.

" हा ऐसे और उसको, नीचे से पहले धीरे धीरे सहलाना और फिर पूरे जोबन पे और सबसे अंत मे निपल्स को अंगूठे और उंगलियों के बीच लेकर पहले हल्के हल्के सहलाना और फिर कस के मसलाना. सोचना कि वो तुम्हारा यार मसल रहा है. और इसी तरह चूत पे भी, पहले बाहर की ओर छूना फिर अपने लिप्स को और उसे फैला के अंदर भी, और शीशे मे क्लिट को ज़रूर देखना.हाँ अपने चूतड़ भी देखना शीशे मे. तुम्हारी गान्ड वास्तव मे बहोत मस्त है. और झुक कर चूतड़ फैला कर शीशे मे गान्ड का छेद भी देखना."

" ठीक है, भाभी." वो मुसकरा के बोली.

" हाँ एक चीज़ और मैने तुम्हे केजल के बारे मे बताया था ना, पेशाब रोकते समय जैसे बुर भींचते हैं, तुम हर दो घंटे मे, चाहे कहीं भी रहो,

क्लास रूम मे भी दस बार अपनी बुर भींचोगी कस कस के कम से कम 30 सेकेंड के लिए हर बार, और उस समय तुम्हारा पूरा ध्यान अपनी बुर पे रहना चाहिए. और फिर एक मिनट रुक के. 7 बार फिर और समय तुम्हे सोचना होगा कि तेरी बुर मे किसी का लंड है और तू उसे भींच रही है कस कस के. एंड योर टाइम बिगिन्स नाउ 


आज तो तुम्हारा म्यूजिक का क्लास भी होगा ना, वो मिलेगा.तू आ मैं नाश्ता बना रही हू." जब वह एक घंटे बाद निकली तो एकदम 'गरम' लग रही थी. जल्दी जल्दी नाश्ता कर के वो निकल गयी. जब वो लौट के आई तो मैने पूछा, "क्यों मिला था तेरा यार."

" हाँ, भाभी लेकिन"

"लेकिन क्या, बात नही हुई क्या मुझे तो लग रहा है चुम्मा चाटी भी कस के हुई है." उसके गालों की ओर देखते हुए मैं बोली.

" हाँ भाभी. लेकिन वो कह रहा था कहीं मिलने के लिए जहाँ हम लोग खुल के बात चीत कर सकें, एकाध घंटे बहुत रिकवेस्ट कर रहा था."

" पर अभी तो. कल तुम दोनों पिक्चर हाल मे तो" मैने कहा.

" हाँ भाभी लेकिन, ....मैने कहा उससे. पर बेहोट मिन्नत कर रहा था."

" अरे कुछ तड़पा उसको, तेरा भी मन कर रहा है, क्या उससे मिलने को."

सर हिला के उसने हामी भरी.

" ठीक है, कल कुछ प्लान करते है कल तो तेरा म्यूजिक क्लास है ना.वो तो मिलेगा ही तब उसे बता देना."
 मुस्कराहट रोकते हुए मैने कहा. और. तू आज से सोने के पहले ये नाइटी पहनेगी. जब रात मे मैं उसे दूध देने गयी तो वो नाइटी मे ही थी और आज दूध पीने मे उसने कोई ना नुकुर नही की. जब मैने उसकी नाइट रीडिंग के बारे मे पूछा तो मुस्करा कर उसने एक आल्बम और मस्तराम की किताब निकाल के दिखाई. खुश होके मैने उसे चूम लिया और चलने के पहले बोली,
" हाँ एक बात और आज से तुम हर चार घंटे पे, एक बार कम से कम 7 मिनिट के लिए अपनी बुर मे उंगली करोगी. पहले तुम थोड़ी देर पैंटी के उपर से हल्के हल्के सहलाओगी, और फिर अगर तुम क्लास मे हो या कहीं बैठी हो तो पैंटी साइड से सरका के उंगली अंदर डाल के सहलाओगी और फिर टिप अंदर करोगी. और उसके बाद 7 मिनट तक धीरे धीरे. ध्यान रखना तुम्हे झड़ना नही है, और तुम अपने यार के बारे मे, उसके लंड के बारे मे, उससे चुदवाने के बारे मे सोचोगी. आज से तुम सोते समय कुछ नही पहानोगी और जब हम लोगों का 'कार्यक्रम' चालू होता है तो तुम्हे पता चल जाता है क्या."

" और क्या, आप इत्ति ज़ोर से आवाज़ करती है और भैया भी.... और पलंग की आवाज़," वो मुस्करा के बोली.

" दुष्ट. आज जब हम लोग चालू होंगे तो तू भी उंगली करना. पर पहले उसे गीली कर लेना, वैसलीं लगा के. पहले धीरे धीर, फिर स्पीड से, जैसे तेरा यार कस कस के चोद रहा हो. और हाँ... अगर तूने मेरी सब बातें मानी ना तो... जल्द ही तेरे यार से तेरा मिलन करा दूँगी."
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11-07-2017, 11:47 AM,
#48
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अगले दिन सुबह मैने उससे पूछा, " क्यों कल रात किसके बारे मे सोच के उंगली की, अपने यार के या मेरे."

वो शर्मा गयी.

" अरे अगर राजीव के बारे मे सोचा तो क्या हुआ, आख़िर वो भी तो तेरे पुराने यार है ." और वैसे भी जानती हो कल रात उन्होने दो बार मुझे, तुम्हे मान के चोदा और क्या जबरदस्त चुदाई की, एक बार चुदवा ले ना राजीव से भी." 
मैने उसे छेड़ा.

ब्रेकफास्ट पे मैने देखा दोनो एक दूसरे को नयी निगाहों से देख रहे थे. जब वह स्कूल के लिए जा रही थी, तो मैने उसके उभारों को नीचे से छूकर देखा, और बोली. सब चेक चेक है ना.

वह मुस्कुराने लगी. मैं राजीव को सुना कर बोली, मैं देख रही थी ब्रेस्ट मसजर है कि नही.

उस दिन शाम को वो स्कूल से लौटी तो बहोत उत्तेजित थी. बोली, " भाभी वो मिला था और बहोत रिकवेस्ट कर रहा था और उसने चिट्ठी भी दी है, कह रहा था किसी तरह कहीं भी मिल लो बस थोड़ी देर को." 
मैने चिट्ठी उससे लेके पढ़ी. लिखा था, " खत लिखता हू, खून से स्याही मत समझना, मरता हू तेरे प्यार मे."

" मान गयी. चल कुछ करती हू. तू भी क्या याद करेगी. आज तो मिलेगा ना, म्यूज़िक क्लास के रस्टो मे."

उसने हामी भरी.

" ठीक है मैं तुम्हे ड्राप कर दूँगी. आज इसी स्कूल ड्रेस मे चल चलना. पर ये पैंटी पहन लो. मैं नाश्ता लगाती हू."मैने उसे एक क्रचलेस पैंटी दे दी.

नाश्ते के समय ही मैं उसकी स्कर्ट उठा के उसकी बुर` सहलाने लगी. रास्ते मे कार मे उसकी क्रैच लेस पैंटी मे मे उंगली कर रही थी और उसे समझा रही थी कि उसे क्या कहना है.थोड़ी ही देर मे वह अच्छी ख़ासी गीली हो गयी.मैने उसे समझाया, " देख, अपने इन उभारों के बारे मे ज़रूर उससे बात करना.थोड़ा तड़पाना, अदाएँ दिखाना, और फिर मिलने के लिए मान जाना." उसके मम्मों को मसल कर और निपल्स को पिंच करते मैने कहा. जोश से उसकी चुचियाँ एकदम पत्थर
हो रहीं थीं और निपल्स भी खड़े खड़े दिख रहे थे. अब मैं कस कस के, उसकी कसी चूत मे उंगली कर रही थी .वो सिसकियाँ भर रही थी. मैने अपने अंगूठे से उसके क्लिट को रगड़ना शुरू कर दिया. वह एकदम झड़ने के कगार पे थी. तभी हम वहाँ पहुँच गये जहाँ उसे उतरना था. उसका यार इंतजार कर रहा था. मैने उसे उतरते हुए कहा, " जा. अब आगे का कम उसीसे करवा...."

वह मेरे देखते देखते' अपने शार्ट कट से चल दी, जो लम्बे लम्बे गन्ने के खेतों के बीच से जाता था. मेरे घर लौटने के थोड़ी देर बाद, वो वापस आ गयी.

" हे क्या हुआ, क्लास नही हुआ क्या."

" नही भाभी. आज गुरुजी कहीं बाहर गये थे. इसीलिए"

" अच्छा, तो फिर तुझे इत्ता समय कहाँ लग गया. कहीं गन्ने के खेत मे अच्छा चल बता क्या बातें हुई." उसके किशोर उभारों को छेड़ते मुस्खूऱा कर मैने कहा.

" भाभी पहले तो मैने मना कर दिया, वह बेचारा इत्ता उदास हो गया कि फिर मैने ह्ँस के कहा ठीक है कल मिलते है. कल भैया दिन मे घर पे नही है, मेरी भी छुट्टी है और भाभी को कल दो बजे से दो घाण्टे के लिए जाना है, तुम बाहर खड़े रहना और जब भाभी चली जाय तो आ जाना. हाँ लेकिन तुमने बात चीत के लिए कहा था, इसलिए सिर्फ़ बातचीत करना. तंग ज़रा भी मत करना. पिछली बार तुमने पिकचर हाल मे इत्ता तंग किया था, अब तक दर्द हो रहा है, मैने अपने उभारों की ओर देखते हुए बोला."

" तो क्या हुआ, आगे बोलो ना." मै बड़ी बेताब थी.

" अरे भाभी वो इत्ता खुश हुआ कि जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो. मुझे पकड़ के कस कस के चूमना शुरू कर दिया."

" अरे कल लाटरी तो लगेगी ही, बोल देगी कि नही उसको."

" धत्त भाभी, कल देखा जाएगा, वैसे वो बेचारा छ: महीने से ज़्यादा से पीछे पड़ा है."
 और शरमाती हुई वो कपड़े बदलने चली गयी.
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11-07-2017, 11:47 AM,
#49
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अगले दिन सुबह से ही वो उतावली थी.खूब जम कर नाहया. और मैने उसे हल्का लेकिन जबरदस्त मेक अप भी कराया. उसने अपने स्कूल की यूनिफॉर्म ही पहन रखी थी पर वो पुरानी होने के कारण कसी कसी थी और उसके उभार उभर के दिख रहे थे. दो बजे मैं घर से बाहर निकली उसे बता के कि मैं 6 बजे तक आउन्गि. राजीव तो थे ही नही और उन्हे देर शाम लौटना था.

मेरेनिकलने के तुरंत बाद वो आया." गप्पू है क्या." उसने पहले से तय कोड मे पूछा.

" नही, पर उसकी बहन है." गुड्डी ने इठलाते हुए दरवाजा खोल के कहा.

" उसी से काम चल जाएगा." उसने उसे बाँहों मे भरते हुए कहा.

" बड़े बेसबरे हो. ज़रा दरवाजा तो बंद कर लेने दो." और उसने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया. वह उसे अपने साथ घर के अंदर ले आई. " एक मिनट रूको, भाभी अभी गयी है मैं ज़रा पीछे का दरवाजा तो चेक कर लू." दरवाजा तो बंद था पर उसका मतलब सिर्फ़ ये दिखाने को था कि घर मे कोई नही है.

" अच्छा चलो अपने कमरे मे बैठते है और हाँ मैने तुम्हारे लिए ये गुलाब जामुन बनाए है ये तो ले लूँ" कह के फ्रिड्ज से एक डोंगे मे रखे गुलाब जामुन निकाले और उसे लेके अपने कमरे मे चल दी. उसे सोफे पे बिठा के सामने डोंगा रख दिया और खुद सट कर बैठ गयी.

" ये गुलाब जामुन मैने खुद तुम्हारे लिए बनाए है. चलो पहले अपनी शर्ट निकालो, कहीं बुद्धू जी अपनी शर्ट पे रस ना गिरा लें" ये कहते हुए उसने खुद अपने हाथ से उसकी शर्ट निकाल कर उपर टाँग दी.

" मुझे मालूम है कि रस कहाँ गिरना है." मुस्कुरा कर, चिढ़ाते हुए वो बोला.

" दुष्ट चालू हो गये, तुम नही सुधरोगे. तुमने प्रामिस किया था कोई शरारत नही. लो मेरे हाथों से खाओ," कह के उसने अपनी मीठी उंगलियों से एक पूरा गुलाब जामुन उसके होंठो के बीच डाल दिया. गप्प से वह पूरा घोंट गया.
( गुलाब जामुन मे भंग की डबल डोज़ थी और ये बात गुड्डी को भी नही मालूम थी. भंग से जो दोनों मे थोड़ी बहोत हिचक शर्म बाकी होगी, वो भी मैने सोचा था कि ख़तम हो जाएगी.)

" हे, तुम भी तो खाओ." वो चुभलते हुए बोला.

" लेती हू पर आज तुम मेरे मेहमान हो और मेहमान को खुश करना चाहिए लो एक और" और ये कह के उसने एक और उसके मूह मे दे दिया. पर अबकी उसने आधा ही मूह के अंदर किया और उसे पकड़ के बाकी अपने होंठों से गुड्डी के होंठों के बीच डाल दिया. उसके होंठ गुलाब जामुन खिलाने के साथ ही उसके होंठों का रस लेने लगे. जल्द ही गुड्डी उसकी गोद मे थी और वह कस कस के उसके होंठ चूम रहा था, उसकी जीभ मूह मे घुस अंदर रस ले रही थी.गुड्डी ने थोड़ा बहोत छुड़ाने की कोशिश की पर वो जानता था कि वो कोशिश कित्ति असली है.उसके शरारती होंठ, अब बेताब हो कभी उसके गालों को चूमते, कभी होंठों का रस चुसते.उससे छुड़ाते हुए वो बोली, " हे लो एक और खाओ."

" ठीक है पर ऐसे नही, " उसका इशारा समझ गुड्डी ने गुलाब जामुन अपने गुलाबी होंठों के बीच ले उसकी ओर बढ़ाया. अबकी बार उसने अपने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ कस के अपनी ओर खींच, उसके दोनों मस्त होंठों को अपने होंठों के बीच ले, कस के दबा दबा के चूसना शुरू कर दिया. अब वह भी धीरे धीरे चुंबन का जवाब दे रही थी.और उसके होंठ, मूह मे घुसी जीभ को हल्के से चूसने लगे. ये रिस्पांस पा के वो और भी उत्तेजित हो गया और टाप के उपर से उसने कस के उसके उभारों को दबाना शुरू कर दिया. मज़े से गुड्डी के उभार भी एकदम कड़े हो रहे थे. एक हाथ टाप के उपर से रगडन मसलन कर रहा था और दूसरा धीरे से टाप के अंदर घुस गया. लेसी ब्रा का स्पर्श पा उसका खुन्टा एकदम तन के खड़ा हो गया और लगा रहा था कि वो पैंट फाड़ के निकल जाएगा. जोश मे उसने, कस कस के, ब्रा के उपर से ही उसके उभार को पकड़ के सहलाना , दबाना शुरू कर दिया. गुड्डी का टाप काफ़ी उपर उठ गया था. अब होंठो को छोड़, उसके गले को चूम रहे होंठ नीचे आके ब्रा मे बंद उसके कबूतरों को छेड़ने लगे. गुड्डी ने नीचे देखा तो पराभासी लेसी, पुश अप ब्रा से उसके उभार खुल के झाँक रहे थे. शरमा के उसने अपनी आँख बंद कर ली. स्कर्ट हट जाने से उसकी किशोर गोरी झंघे झाँक रही थी. उसका एक हाथ अब खुल के उसके किशोर जोबन का रस ले रहा था और दूसरा गोरी गुदाज जाँघो पे आ गया. अपने आप उसने कस के झंघे सिकोड ली. पर जबरन सहलाते सहलाते, उसका हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा. गुड्डी ने कस के उसके हाथ पे अपनी जांघे भींच ली.

उसके एक उरोज हाथ से दबाए मसले जा रहे थे और दूसरे के निपल को ब्रा के उपर से ही वो चूस रहा था. अंगूठा प्यार से जाँघ को दबा रहा था और हाथ धीरे धीरे आगे फिसल रहा था. जैसे स्वागत मे कोई बाँहें फैला दे, गुड्डी की जांघे अपने आप हल्के हल्के खुल गयी. उसके यार की उंगलियाँ पहले तो लेसी डीप कट पैंटी के किनारे से छेड़ती रहीं, और फिर एक बार मे ही उसने अचानक, पैंटी के उपर से ही, उसकी चुनमुनिया को पकड़ कर दबोच लिया. वह मस्ती से गनगना गयी.

पैंटी के उपर से ही वह थोड़ी देर सहलाता रहा, और फिर हल्के से पैंटी सरका कर एक उंगली से वह मस्ती लेने लगा और फिर उन्हे फैला के उंगली का टिप गुड्डी की रसीली योनि के अंदर कर दिया.वह हल्के से अंदर बाहर कर रहा था. मस्ती से गुड्डी की हालत खराब थी. उसके उभार पत्थर की तरह कड़े हो रहे थे, नीचे भी वो गीली हो रही थी. किसी तरह उसने अपने को छुड़ाया और उठ के खड़ी हो गयी. वो सवाल भरी निगाहों से उसे देखता रहा, जैसे किसी बच्चे के हाथ से मिठाई छीन गयी हो. 

" मेरे बेसबरे बलम कहीं भागी नही जा रही हू,ज़रा इसको रख आऊ, अभी आती हू." उसके होंठों पे पे गुड्डी ने एक छोटी सी चुम्मि दी और गुलाब जामुन का डोंगा उठा के चूतड़ मटकाते चल दी. लौट के जब वह आई तो उसने मूड के, दरवाजे की सिटकिनी अच्छी तरह बंद कर दी. जब वह मूडी तो, उसकी नाचती आँखे, और गुलाबी होंठों पे ताज़ा लगी, गाढ़ी, लाल लिपस्टिक उसके इरादे साफ थे. शरारत भरे अंदाज़ मे, वह जा के सीधे, घुटने मोड़ के पलंग पे बैठ गयी.

" हे मेरे पास आओ ना यहाँ बैठो." बुलाते हुए वो बोला.

" ना बाबा ना, तुम बहोत तंग करते हो, तुमने प्रॉमिस किया था कि सिर्फ़ बात करोगे लेकिन तुम चालू हो गये." अपने जोबन को और उभारते, शरारत से वो बोली.

" डरती हो क्या मुझसे."

" तुमसे नही लेकिन तुम्हारे उससे"

अपने घुटने और फैला कर, उसके पॅंट फाड़ते उत्थित शिश्न की ओर इशारा करते हुए, वो मुस्कारके बोली. स्कर्ट सिमट कर जाँघो के बिलकुल उपर अ गई थी. और जांघे पूरी तरह फैलाने से, उसके जाँघो के बीच के लोअर लिप्स अब अच्छी तरह दिख रहे थे.

( मैने ही उसे ये ट्रिक बताई थी झलक दिखाने की और उसने जैसा मैने बताया था, वहाँ थोड़ा लिपस्टिक भी लगा ली थी और उसके बाद कोई भी लड़का रुक नही सकता था.)

और यही हुआ, जैसे उसकी नज़र वहाँ पड़ी, उसकी हालत खराब हो गयी.
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11-07-2017, 11:48 AM,
#50
RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
वो बोला- “अब इससे डरने से काम नहीं चलेगा और तुम क्या सोचती हो कि मैं वहां पहुँच नहीं सकता?” यह कहते हुये वो पलंग की ओर बढ़ा। 

कातर हिरनी की तरह वह बिस्तर पे एक कोने में दुबक गयी और उसने तकिया उठाकर एक किनारे कर दिया। तकीये के नीचे वैसलीन की शीशी रखी थी। वैसलीन की शीशी खुले आमंत्रण से भी बढ़कर उसके इरादे को बता रही थी। 

पलंग पर पहुँच के उसने उसे दबोच लिया। गुड्डी ने एक चादर उठाकर उसके अंदर छिपने की कोशिश की। पर उसने वहां उसके अंदर घुसकर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कस-कसकर चूमने लगा। जैसे ही उसने अपना हाथ टाप के अंदर किया तो वहां ब्रा न पाकर वो खुशी से पागल हो गया। उसका टाप उठाकर उसने कस-कसकर उसके छोटे-छोटे किशोर उभारों को दबाना मसलना शुरू कर दिया। जैसे किसी बच्चे को उसका चिर प्रतीक्षित खिलौना मिल गया हो, वह कभी उसे सहलाता, कभी दबाता, कभी चूमता, कभी अपने होंठ उसकी चूचियों के बीच लेजाकर रगड़ता और उसने थोड़ी ही देर में उसके टाप को हटाकर बाहर फेंक दिया। 

“हे मुझे तो टापलेश कर दिया और खुद…”
 गुड्डी ने भी उसकी बनियान को पकड़कर उतार फेंकी। 

अब उसने कसकर एक बार फिर गुड्डी को अपनी बांहो में ले लिया और उसकी चौड़ी छाती कस-कसकर उसके उभारों को दबा रही थी। कभी वो उसे चूम रहा था, कभी उसके उभार दबा, मसल रहा था और कभी उसके होंठ, खड़े उत्तेजित निपल को कस-कसकर चूस रहे थे। फिर उसने एक हाथ गोरी किशोर जंघाओं पे रखकर सहलाना शुरू किया। 

शरमाकर गुड्डी ने अपनी जांघों को कसकर भींचने की कोशिश की, पर जब मन ही सरेंडर कर चुका हो तो शरीर की क्या बिसात। और अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था। थोड़ी ही देर में उसकी चुन्मुनिया, उसके यार के पंजों में थी। 

थोड़ी देर तक प्यार से सहलाने के बाद उसने अपनी एक उँगली से उसके निचले गुलाबी होंठों को थोड़ा सा फैलाया और उँगली अंदर पैबस्त कर दी। पहले धीरे-धीरे, फिर तेजी से वो उसकी किशोर कली को फैला रहा था। इस रगड़ाई मसलाई से अब वो भी नशे में आ गयी। उसके मुँह से कस-कसकर सिसकियां निकल रहीं थीं। उसने गुड्डी का हाथ पकड़कर अपने लिंग पे रखा। 

शरमाते, झिझकते गुड्डी ने उसे पकड़ लिया। खूब मोटा और एकदम कड़ा। वैसलीन की शीशी खोलकर उसके यार ने पहले उसकी गुलाबी कसी योनि में लगाया और फिर अपने मोटे लण्ड पे। उसकी गुलाबी सहेली पे लगाकरके उसने पूछा- “आप हमें आदेश करें तो हम प्यार का…” 

“धत्त…” शर्माकर गुड्डी बोली और अपनी बड़ी-बड़ी आँखें बंद कर ली। 

उसकी गोरी जांघें अच्छी तरह फैलाकर उसने टांगें कंधे पे रखकर उसकी कसी-कसी चूत की पुत्तियों को फैलाया और अपना मोटा सुपाड़ा सटाकर, कसकर एक धक्का मारा। दो तीन धक्कों में उसका सुपाड़ा अंदर था। दर्द के मारे उसकी हालत खराब थी। पहले तो किसी तरह अपने होंठ दांत से काट उसने किसी तरह रोका, पर चीख निकल ही गयी। 

(मेरे कहने पे, पिछले तीन दिनों से वो लगातार टाईट अगेन लगा रही थी और उँगली भी बंद कर रखी थी।) 

लेकिन वो आधा लण्ड अंदर डालकर ही रुका और फिर प्यार से उसके गाल, जोबन सहलाने लगा। थोड़ी देर में जब दर्द कम हुआ तो उसने पूछा- क्यों? 

और गुड्डी हल्के से मुश्कुरा पड़ी। 

इतना काफी था। अब तो उसने उसकी पतली कमर पकड़कर धका-पेल चुदाई शुरू कर दी। दर्द तो अभी भी हो रहा था पर जब सुपाड़ा और लण्ड चूत के अंदर रगड़ के घुसता तो अब गुड्डी को भी कसकर मजा आने लगा और वो भी हल्के-हल्के अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। कभी वो कस-कसकर चोदता, कभी रुक के उसकी चूचियों और क्लिट को रगड़ता और कभी पूरा लण्ड बाहर निकालकर धक्के देता। आधे घंटे से ज्यादा चोदने के बाद कहीं वो झड़ा। 

जब उसने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वीर्य की सफेद धार निकलकर उसकी गोरी जांघों पे बह गयी। बहुत देर तक वो दोनों ऐसे ही चिपके पड़े रहे। कुछ देर बाद जब वो अलग हुये तो गुड्डी उसके ऊपर चढ़कर लेट गयी। वो घड़ी की ओर देख रहा था। घड़ी में साढ़े तीन बज रहे थे। 

गुड्डी ने उसकी पलकों पे चूमकर उसकी आँखें बंद कर दीं। फिर गुड्डी के रसीले होंठ, उसके गालों को हल्के-हल्के चूमने लगे। गुड्डी ने, अपने यार के दोनों हाथ पकड़ रखे थे और हल्के से उसके कानों के लोब चूमकर काट लिये और उसकी जीभ कान में सहलाने लगी। थोड़ी देर में उसके होंठों को कसकर चूमने के बाद, वो कुछ नीचे सरकी और उसके गले पे उसने चुम्बन जड़ दिये। चद्दर कब की सरक चुकी थी। अब सजनी के उभार साजन की छाती को दबा रहे थे। 

थोड़ा और नीचे आकर उसने फिर अपनी गुलाबी जुबान से उसके एक निपल को हल्के से छेड़ दिया, (मैंने उसे अच्छी तरह समझा दिया था की मर्द के निपल भी उसी तरह सेन्सिटिव होते हैं जैसे हम औरतों के) जब तक वो बेचारा सम्हले, उसके दोनों होठों के बीच उसका निपल था। वह चूसने के साथ, जीभ से छेड़ भी रही थी। और इत्ते से ही उसे संतोष नहीं था, लाल नेल-पालिश लगे नाखून उसके दूसरे निपल को भी फ्लिक कर रहे थे। बारी-बारी से दोनों निपलों को वो वैसे ही तंग करती रही और जल्दी ही गुड्डी की गोरी जांघों के बीच दबा उसका हथियार फिर जोश में आ गया। 

थोड़ा और नीचे सरक कर उसने एक चुम्मी उसके पेट पे सीधे नाभी पे ली और फिर बिना रुके और नीचे आकर उसने उसके लगभग पूरी तरह उत्तेजित लिंग को गीला करके, उसके बेस, काली घुंघराली झांटों पे, छोटी-छोटी कई चुम्मी ले लीं। और फिर, दोनों हाथों को उसके चूतड़ के नीचे लगाकर दो चुम्मी उसके बाल्स पे भी ले ली। अब तो उसकी हालत एकदम खराब हो गयी। और फिर उसे उसी हालत में छोड़कर गुड्डी उसके ऊपर आ गयी। उसकी किशोर जांघों के बीच ठीक उसकी योनि के नीचे, बेचारे का पूरी तरह जोश में खड़ा लण्ड दबा था। वह हल्के-हल्के अपनी जांघों से उसे दबा भी रही थी।
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