Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:44 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अगले दिन ही निशा लौटी कल रात को ही उसने आदम को कॉल किया और बोल दिया था कि वो सहेली के घर रुक रही है...आदम ने कुछ नही कहा.....जब घर पहुचि तो निशा चल नही पा रही थी जब वो घर पहुचि तो काफ़ी टांगे खोल खोल के फैला फैला के चल रही थी झट से कमरे में लौटी और लाज्जो को कही कि उबला पानी मेरे कमरे में छोड़के आ मुझे सिकाई करनी है पीठ की दर्द हो रहा है....

लज्जो शातिर औरत थी वैसे ही उसकी चाल वो समझ रही थी लाज्जो के इनकार करने के बाद कि वो मालिश कर दे...निशा ने उससे उबला पानी का बर्तन लिया और अपना कमरा लगा लिया....

लाज्जो चुगलखोर औरत थी...उसने झट से ये बात अंजुम को बताई....

अंजुम एक उम्रदराज पक्की मिचयोर्ड औरत थी..उबले पानी के बर्तन को कमरा बंद करके लगाने का क्या मतलब? ससुर तो कभी कमरे में झाँकते भी नही उसके और बेटा तो घर पे भी नही होता था सुबह को...अंजुम ने उससे मिलना भी था कल रात वो क्यूँ सहेली के यहाँ ठहरी...अंदर निशा अपनी चूत की सिकाई कर रही थी उसकी चूत एकदम लाल हो गयी थी..वो आह भर रही थी तो इतने में अंजुम ने दस्तक दी...आवाज़ लगाते ही जैसे निशा चिड गयी उसकी आवाज़ सुनके..वो उठी और अपनी पाज़ामी की डोरी को बाँधा....उसने जैसे दरवाजा खोला तो अंजुम को थोड़ा नाराज़ पाया

अंजुम : वैसे तो नही पूछना चाह रही थी पर पूछ रही हूँ पार्टी के बाद सहेली के यहाँ क्यूँ तुम ठहरी?

निशा : मैं जवाब देना मुनासिब नही समझती आपको

अंजुम : तुम मुझसे इस लहज़े में बात करोगी

निशा : घर आके करती भी क्या रोज़ रोज़ तो आपका बेटा मुझसे झगड़ता है और आजकल तो आपके कमरे में !

अंजुम : निशा तुम इस घर की बहू हो इसका ये मतलब नही कि तुम मुझसे ऐसे लहज़े में बात करोगी क्या हुआ है तुम्हें लाज्जो ने बताया कि तुमने उबला पानी सिकाई करने के लिए उससे माँगा (मन ही मन निशा लाज्जो को गाली दे रही थी)

लाज्जो चुपचाप पीछे खड़ी एकात में सब सुन रही थी....निशा ने अंजुम से थोड़ी बहसा बहसी की और कहा कि वो खुद अपना इलाज कर लेगी उन्हें और आदम को उसकी फिकर करने का कोई ज़रूरत नही...वो इतनी कॉन्फिडेंट्ली ये सब इसलिए कह पा रही थी क्यूंकी उसके दिल में कही ना कही डर था तो हिम्मत संजीब के भरोसा देने की वजह से...अंजुम ने कुछ नही कहा वो गुस्से में तमतमाए बाहर लौटी क्यूंकी उसका गुस्सा जब चढ़ता था तो निशा बच नही पाती


गुस्से पे काबू किए वो सोफे पे आके बैठ गयी सर पकड़े....लाज्जो ने देखा यही वक़्त है उसने आगे बढ़ कर अंजुम से कहा कि वो संजीब को जानती है और ये भी कह डाला कि उसकी सहेली उसके यहाँ काम करती थी...वहाँ वो भी एक दिन काम के लिए गयी थी बहुत बड़ा अय्याश आदमी है दस बार जूते भी औरतो से खा चुका....किसी के साथ ज़बरदस्ती के केस में अंदर भी हुआ था पर पिता जी ने उसे छुड़ा दिया था उसके...अकेले रहता है इसलिए फ़ायदा उठाता है...उसने ये तक कहा कि उसकी सहेली उसी की वजह से गर्भवती हुई थी..

लाज्जो : उस दिन जब वो आया तो मुझे लगा कि कहीं इसे देखा देखा लग रहा है उसने किसी औरत को नही छोड़ा बूढ़ी जवान उसने हमारी सहेली को प्रेग्नेंट करके छोड़ दिया...वो तो उसके माँ बाप ने काफ़ी ज़ोर जबरन मुआवज़ा भी लिया उस लड़के से और फिर उसके बाद हमारी सहेली की दो बिहाए से शादी करवा दी

अंजुम : और तू मुझे ये सब अब कह रही हैं बेवकूफ़ लड़की पहले नही कह सकती थी

लज्जो : आदम बाबू नाराज़ होते हुए मुझपे सोचते मैं झूठ कह रही हूँ

अंजुम : अफ इसका मतलब कि उसी से ये कमीनी फसि हुई है (आदम की ज़िंदगी को जैसे बर्बाद होते देख अंजुम को धक्का सा लगा था)

लाज्जो ने कुछ कुछ इशारा तो अंजुम को दिया कि ऐसे टाँगें फैलाना और सिकाई करवाना ये सब का मतलब चुदाई से रिलेटेड होता है...दो औरतें थी इसलिए खुल्लम खुल्ला इशरार बार बार सेक्स के उपर ही दोनो का आ रहा था....अंजुम ने कुछ नही कहा ये उसका घरेलू मामला था....लाज्जो ने निशा की ज़िंदगी में आग लगा दी थी वो वहाँ से निकल गयी...उसके जाते ही अंजुम ने फ़ैसला कर लिया कि वो ये बात बेटे से नही कहेगी वरना क्या पता उसके दिल पे क्या गुज़रे? फिर भी उसे तो शक़ था लेकिन उसकी ममता आज उसे धिक्कार रही थी कि उसके चलते ये सब कुछ हुआ आज उसे अपने बेटे से सिर्फ़ उसकी बदौलत दूर होना पड़ा कहीं आदम को धोका तो नही दे रही थी निशा क्या यही उसकी चिड़चिड़ेपन का कारण था...अंजुम ने ठान लिया कि अब निशा के राज़ो से पर्दाफाश अब वो खुद करेगी और उसे अपने बेटे की ज़िंदगी से खुद अलग करेगी...

वो सीधे उठी और तेज़ कदमो से सीडियाँ चढ़ते हुए चौथे माले पे पहुचि और फिर ज्योति के घर पहुचि...जहाँ राजीव दा उन्हें देखके चौंक उठे..

“ऊफ्फ यानी कि मेरा शक़ सही निकला अंजुम आंटी”……राजीव के कदम ठहरे और उन्होने अंजुम की तरफ देखते हुए कहा….पीछे ज्योति भाभी भी खड़ी सबकुछ सुन रही थी…


अंजुम : कैसा शक़?


ज्योति : दरअसल उस दिन ये आपके यहाँ यही बताने आ रहे थे….(ज्योति भाभी ने अंजुम को बताया कि कैसे उसने उस दिन डॅन्स क्लास के वक़्त निशा को संजीब के साथ बाइक पे जाते देखा)


अंजुम का जैसे शक़ अब और गहरा होता जा रहा था…उसने मुँह पे हाथ रखके एक बार ज्योति की ओर देखा…फिर राजीव से कहा “कुछ भी करो राजीव बेटा पर आदम की ज़िंदगी बचा लो मुझे अगर पहले मालूम होता तो मैं अपने बेटे का रिश्ता कभी इस गंदी औरत से तय नही करती इसकी माँ ने इतना बड़ा झूठ छुपाया मुझसे”….राजीव ने माँ को शांत किया


राजीव : सुनिए अंजुम आंटी आप फिकर ना कीजिए आदम मेरे छोटे भाई जैसा है भला उसे मैं कैसे गुमराह रहने दे सकता हूँ मैं नोटीस भी कर रहा हूँ कि जबसे शादी हुई है घर में आते ही उसने आपके और आपके बेटे के बीच तफरीह पैदा कर दी है मैं अब तक इसलिए चुप था कि शायद बात सम्भल जाएगी मिया बीवी का मामला घरेलू मामला है पर अब पानी सर से उपर जा रहा है आपकी बात सुनके तो अब मुझे पूरा यकीन है कि लाज्जो झूठ नही कह रही….ये तो अच्छा ही हुआ जो हमे मालूम चल गया
!
Reply
12-09-2019, 02:44 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम : बस बेटा अब किसी तरीके से ये पता करवाना है कि कैसे करके निशा का भेद खुले? ताकि उसकी असलियत हम सबके सामने आए…


राजीव फिर अंजुम की तरफ गंभीरता से देखता है...."ह्म लेकिन इसके लिए हमे भी उसके जैसी कोई चाल खेलनी पड़ेगी"........

."चाल".....अंजुम ने बेसवरी से कहा


राजीव : जी आंटी चाल ताकि संजीब की जो हिस्टरी हमारे हाथ लगी है ठीक उसी तरह निशा की भी हिस्टरी मैं निकलवा लूँगा किसके साथ उसका संबंध था पहले या कभी कोई निक़ाह या फिर सगाई टूटी या फिर कोई और चक्कर तो नही घटा उसके पास्ट में..ये सब



अंजुम : बस निशा को शक़ ना हो


ज्योति : हाहाहा आंटी राजीव एक पोलिसेवाले है भला वो पकड़ में निशा की आ पाएँगे बल्कि निशा उनकी पकड़ में आ जाएगी देख लेना


राजीव : आप लोग शांत रहिए सब मुझपे छोड़ दीजिए मैं पता करता हूँ ना कि उस रात पार्टी के बाद उसे देरी क्यूँ हुई? क्लास ख़तम करने के बाद डॅन्स स्कूल से वो बाइक पे बैठी अपनी सहेली उर्फ संजीब के साथ कहाँ जाती है? वग़ैरा वग़ैरा सब डीटेल्ड मिल जाएगा मुझे (रणजीव की बातों से अंजुम को हौसला दिया आख़िरकार बेटे को गुमराहीयत से बाहर जो निकालना था)


________



अंजुम अपने पति के साथ अपने ससुराल गयी थी...आदम की दादी के मिलने की बहुत इच्छा थी अंजुम से...घर पे कोई नही था हाफ-डे किए पर्चेस ऑफीसर का काम निपटाए आदम घर लौटा....लाज्जो बर्तन मान्झ्ते हुए खाना पका रही थी...उसे कढ़ाई में सब्ज़ी चलाते हुए देख आदम ने पूछा


आदम : अरे लाज्जो माँ कहाँ है?


लाज्जो : आप इतने जल्दी आज


आदम : हां वो ऑफीस से जल्दी छुट्टी ले ली माँ किधर है? आवाज़ लगाया पर कोई जवाब नही मिला


लज्जो : कहाँ से होंगी बाबू वो आपके ददिहाल गयी है आपके पिताजी के साथ



आदम : अच्छा अच्छा



लाज्जो : बाबू चाइ पानी कुछ दूं


आदम : अरे नही नही तुम काम निपटाके चली जाना ठीक है (आदम ने मुस्कुराया लाज्जो ने भी मुस्कुरा कर उत्तर दिया)


आदम अंदर दाखिल हुआ तो बाहर रसोईघर में खड़ी लाज्जो उसे देख आहें भरने लगी....काश उस जैसा उसका पति होता मन ही मन सोच लाज्जो जैसे शरम से पानी पानी हो गयी...आदम कमरे में आया तो पाया कि निशा के गले में एक कीमती हार लटक रहा है...उस पर वो उंगलिया फेरते हुए मुस्कुराइ..वैसे तो आदम कुछ कहता नही उसे लेकिन जैसे ही निगाह उसके हार पे हुई तो जैसे एक पल के लिए उसे घुरते और सवालात दोनो निगाहो से देखा


आदम : अरे निशा ये हार ?



निशा : वो सहेली ने दिया है (निशा सकपकाई लहज़े में बोली)


आदम : अच्छा तुम्हारी कौन सी सहेली इतनी अमीर है जो तुम्हें इतनी बेशक़ीमती सोने की हार गिफ्ट कर सकती है ज़रा नाम तो बताओ



निशा : व..ओह्ह दी है रानी दी है



आदम : अच्छा रानी जो कोई अमीर घर से नही मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती है जिसके पिता सरकारी बॅंक में क्लर्क है वो इतनी अमीर हो गयी उसका तो वो क्या नाम है संजीब है ना उसका नाम (अंजुम और उसके पति ने बेटे को संजीब के घर आने की बात नही कही थी)


निशा : न..नहिी वो दरअसल


आदम : झूठ मत कहो मुझसे


निशा : क्यूँ तुम्हें क्यूँ आग लग रही है? अगर मैं कहूँगी तो तुम्हे विश्वास तो होगा नही ना


आदम : ठीक है रानी को फोन करो मैं उससे पूछता हूँ कि इतना कीमती गिफ्ट देने की आख़िर क्या वजह थी? नंबर मिलाओ ज़रा


निशा सकपकाए लहज़े में आदम को ना ना करने लगी...आदम ने आगे बढ़के उसके हार को टटोला तो जैसे निशा ने उसे धकेल दिया..."अब प्ल्ज़्ज़ तुम फिर मुझे फटकारने मत लगो अगर किसी ने भी दिया तो तुम्हें क्या इससे? क्या तुमने मुझे कभी ऐसा कुछ तोहफे में दिया है"......

."अगर परिवार कहती तो मान जाता पर सहेली हुहह इतना बड़ा झूठ कहने से पहले ये तो सोच लो किसके सामने कह रही हो तुमने बिना मुझे बताए ये हार ले लिया और अब झूठ कह रही हो?"........आदम जैसे आग बाबूला हुआ
Reply
12-09-2019, 02:44 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
निशा : ठीक है चलो मैं कह रही हूँ तो तुम क्या कर लोगे मारोगे मुझे पीटोगे अब बस यही तो तुम्हारी माँ चाहती है


आदम : निस्सा यू बेटर नोट इन्वॉल्व मोम इंटो दिस मॅटर यू आर जस्ट आ स्माल टाउन गर्ल दट डज़न'ट मीन दट यू बिकेम आ स्मार्ट वुमन इन फ्रंट ऑफ मी बहुत हो गया नाटक तुम्हारा जवाब दो किसने दिया ?


निशा क्या कहती संजीब ने हार दिया? किस हैसियत से दिया? ये कि वो उसकी गर्लफ्रेंड है...हाहाहा निशा से बोला ना गया..वो अपने ही जाल में फँस गयी


आदम : तुमने वो कहावत तो सुनी होगी ना चोरी और छीनाल कभी नही छुपते अगर तुम्हारे अंदर सच्चाई होती तो ये निगाहें लरखड़ाती नही (निशा के डरी आँखो की ओर देखते हुए)


निशा : याकीन मानो मेरा मैं नाम नही बता सकती वरना !


आदम : एनफ मीन्स एनफ (ज़ोर से चिल्लाते हुए) क्या कमी दे रखी है मैने तुम्हें? क्या तुम्हारे अंदर इस घर के लिए सेल्फ़-प्रेस्टीज नही कि मैं ऐसे तोहफे नही ले सकती किसने दिया तुम्हें तुम्हारे यार ने जिसके साथ कल रात चुदवा के आई थी तुम


निशा : अद्दमम्म शट अप


आदम : यू बेटर शट अप बिच तू क्या जानती नही कि मुझसे कुछ छुप नही सकता



निशा की जैसे आँखे बड़ी बड़ी हो गयी...

."शॉक लगा आइ विल टेल यू व्हाट? याद है डॅन्स क्लास वहाँ से बनस्बादी यानी ये जगह मेरा घर जहाँ है...यहाँ से सीधा एक रोड पौष इलाक़े की तरफ जाती है उस बाइक पे मैने उस संजीब को जो रानी का बाय्फ्रेंड बन रहा था तुम्हारी सहेली उसके साथ तुम्हें बाइक पे मटरगश्ती देखते हुए पकड़ा मैं उस वक़्त सॅंपल्स के लिए स्टोर कीपर हेड से मिलने उसके घर जा रहा था तुमने तो देखा नही क्यूंकी तुम उसकी बाहों में सर रखके उसकी पीठ पे नाक घिस्सते हुए ना जाने कैसी ठरक अदाओ से उसे लुभा रही थी और वो दोस्त है हाहहाहा"..........इतना सब सुनने के बाद जैसे निशा के पाँव के नीचे की ज़मीन खिसक गयी..


कहाँ अंजुम बेटे के रिश्ते को लिए शक़ में थी? यहाँ तो खुदा ने उसके बेटे को ही संजीब और उसके रिश्ते का सच दिखा दिया था किसी ने ठीक ही कहा है चोरी और छिनाला कभी नही छुपता


निशा ने विरोध करना चाहा इन बातों को झुठलाना भी चाहा लेकिन आदम टॅस से मस नही हुआ उसने कस कर निशा के बाज़ू को थामा उसकी आँखो के ख़ौफ़ को देख निशा की माँ चुद गयी उसकी फॅट गयी..."मैं अब तक तुमसे अच्छे से ही पेश आया ये सोचके कि शायद तुम सुधर जाओ लेकिन मुझे दुख होता है कि मैं अपने अंदर ही अंदर घूंटता रहा कि क्यूँ मैने तुझ जैसी बडज़ात गिरी हुई 3र्ड क्लास औरत के लिए अपनी ज़िंदगी खराब की...मेरी माँ ने मुझे नही समझा जिसकी खुशी की खातिर मैने इतना सब किया बता है तेरे पास कोई जवाब कि ये सब झूठ नही..".........आदम ने उसके बाज़ू को सख्ती से जकड रखा था दर्द और ख़ौफ़ दोनो निशा की आँखो में सिमटे हुए थे


तेरे उस यार की पार्टी थ्रू फार्महाउस पार्टी तक पहुचा था...वहाँ से तेरी सहेली रानी को देखा..मुझे उसने ऐसी ख़ौफ्फ भरी निगाहो से देखा कि जैसे उसे भूत देख लिया हो...मैने पूछा तो क्या कहती है पता है? वो यहाँ नही आई कहीं और है? वाहह जबकि मैने तो खुद तुझे अंदर जाते देखा था..मैने उसे दबाव दिया कि सच बात कह दो वरना मैं अभी उसके घरवालो को बताता हूँ कि तुम सबकुछ जानते हुए भी निशा का राज़ राज़ रखी हुई हो..


और जानती हो फिर क्या हुआ डर के मारे उसने सबकुछ एक के बाद मेरे उगलना शुरू किया...मैं तो इसी ताक में था कि माँ इस वक़्त यहाँ ना हो मुझे झेलना बीमारी है वहशियाना है मेरी मुहब्बत....तो चलो आज असली मर्दानगी दिखाता हूँ तुम्हें मैं औरत की बहुत इज़्ज़त करता हूँ उस रंडी चंपा जो कि मेरी हां मेरी एक मात्र सहेली थी जिसके साथ दिल से रिश्ता जुड़ा था मेरा उसकी मौत के बाद भी वो मेरी नज़रों आज भी उस देवी की मूरत है जो पवित्र है जो पाक है जिसका दिल सॉफ है अरे तो मज़बूरी है ऐसे शाप की उसे अपने घर को चलाने के लिए जिस्म को बेचना पड़ता है...अरे तुझ जैसी रंडी क्या समझेगी? जिसने कभी पैसो की कदर ही ना की क्या समझेगी? बोल".........आदम का बदला रूप आज निशा के सामने था उसका राज़ एक एक कर आदम ने सामने प्रस्तुत किया
Reply
12-09-2019, 02:45 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
निशा अंदर से हिल गयी...वो खामोश चुपचाप सहमी ये सोचती रही कि अब क्या करे? आदम ने कस कर उसके गले से हार छीन कर फ़ैक् डाला...निशा ज़ोर से चीखी उसके गले पे खरॉच आ गयी आदम अपना आपा खो बैठा था...


आदम : बहुत नखरे कर लिए तूने साली बहुत बीवी की तरह तुझे माना अब तुझे वेश्या की तरह मैं देख कैसे ट्रीट करता हूँ


निशा : नही आदंम प्लज़्ज़्ज़ प्ल्ज़्ज़ आदम छोड़ दो माफ़ कर दो मुझे ग़लती हुई मेरे से


आदम : ग़लती तो मैने की तुझसे निक़ाह करके अरे उस दिन क्यूँ झूठ कहा मुझसे कि मैं वर्जिन हूँ अरे अगर वर्जिन होती तो बेतहाशा खून निकलता ना कि पहेल कर पाती लेकिन तेरे अंदर का कुंवारापन उस संजीब ने पहले ही तुझसे छीन लिया...जब उसे चाहा तो मेरी ज़िंदगी क्यूँ बर्बाद की? खा लेती ज़हर धमकी देती अपने परिवार को कि मुझे उसी से शादी करनी है मैं उसके बगैर जी नही पाउन्गी तो भला मुझसे क्यूँ शादी की


निशा : मैं डर गयी थी


आदम : डर गयी थी तो ये भी सुन (आदम ने पीछा करते वक़्त दोनो को रेस्टोरेंट में बात करते तक सुना जो उसने ब्यान करना शुरू किया...."वो कमीना मेरा पति कहलाने लायक नही बस सोचा था कि रिश्ता उससे रखूँगी और संबंध तुमसे उसके पास देने को है क्या सिर्फ़ मोटा लंड छूटता सांड़ बन जाता है कमीना हाहाहा"..ये सब निशा ने बात कही जो आदम ने उसके सामने दोहराई)


निशा रोए जा रही थी कैसे करके किसका नाम पुकारे जो उसे बचाए पर आज तो साक्षात भगवान भी नीचे उतरके उसे नही बचाने वाले थे...

."आज तुझे बताता हूँ कि आदम क्या चीज़ है? संजीब बहुत संतुष्ट करता है ना मेरे पैसे से प्यार है बस और अपनी ख्वाहिशो से आज मैं तेरी ख्वाहिश तुझसे छीनता हूँ और तुझे इस तरीके से चोदुन्गा कि तू संजीब तो क्या किसी भी मर्द का लॉडा अपने अंदर नही ले पाएगी"........इतना कहते हुए निशा को आदम ने धकेलके बिस्तर पे गिरा डाला


आल्मिराह से बेल्ट निकाला निशा भागने को हुई आदम ने गेट लगा दिया..शोर सुन लाज्जो ने दरवाजे पे ही कान लगाया....निशा को लगा जैसे आज आदम उसे बहुत मारेगा पीटेगा उसके हाथ में बेल्ट था...वो उसके करीब आ रहा था..


"नही आदम छोड़ दो मुझे प्लीज़ मुझे मत मारो हाथ जोड़ती हूँ तुमसे खुदा का वास्ता'......

."माँ की झूठी कसम खा ली अब वास्ता खुदा ना दे तो ही बेहतर है मैं तुझे मारूँगा नही तुझे ऐसा दर्द दूँगा कि तू खुद ब खुद इन चार दीवारियों से बाहर ना जा पाएगी".....

."नहिी नहिी"......वो बिस्तर पे ही रैन्गते हुए पीछे हुए जा रही थी...


बाहर लाज्जो ख़ौफ्फ से सिहर उठी उसने कभी आदम का ऐसा गुस्सा नही देखा था...फिर उसके बाद निशा की चीख सुनाई दी उसके कपड़े के फटने की आवाज़ आई...लाज्जो बर्दाश्त नही कर पा रही थी वो देखने को जैसे पग्लाई...कमरे के बाहर एक खिड़की बनी हुई थी उस पर कपड़ा और शीशा था जो मिट्टी की धुंल से ही जैसे दबा हुआ था उसे उसने जैसे तैसे करके हटाया तो पाया कि अंदर का नज़ारा कितना ख़ौफ़ से भरा था उसकी तो जैसे साँसें काँप उठी...


आदम : आज बोलके देख कि दर्द हो रहा है मुझे दर्द हो रहा है मैं नही लूँगी


निशा के गले को दबोचा आदम ने और उसे बिस्तर पे फ़ैक् दिया....उसके घर देरी से आने की बात लाज्जो ने आदम को बताई थी....आदम आग बाबूला अपने कपड़े उतार एक ओर फ़ैक् देता है....एक दम सुर्ख निगाहो से उसे देखता है "तू बीवी नही आज एक रंडी है जिसे मैं चोदुन्गा साली"....इतना कहते हुए उसने निशा के बालों को समेटते हुए उसके गले को कस कर दबोचा निशा का गला लाल पड़ गया


उसकी ब्रा पैंटी कपड़े एक ओर पड़े हुए थे..आदम ने निशा के सर को बिस्तर पे जैसे दबा दिया..फिर एक हाथ से बेल्ट को उसकी दोनो कलाई फिर दोनो हाथो से पकड़े दोनो को बाँध दिया जिससे निशा हाथ बँधे बिस्तर पे उलटी लेटी हुई थी...


आदम ने जैसे ही अपने जीन्स कच्छा सहित उतारा...तो उसका 8 इंच का मोटा लंबा सख़्त लंड उछलके बाहर आया...उसे देख लाज्जो ख़ौफ्फ से . उठी....थूक घोटने लगी..

."नहिी नही आहह सस्स उम्म्म"....निशा को अपने तरफ झुकाते हुए आदम ने उसके मुँह में अपना लंड ठूंस दिया...निशा उसे बार बार उगल देती तो आदम ने बालों को सख्ती से पकड़ा और उसे बुरी तरीके से अपना लंड चुस्वाया


आदम : नाउ यू विल सी दा होर फक्स इन आ हार्डकोर वे बिच


निशा का गला घूँट गया...उसके आँखे बड़ी बड़ी हो गयी तब जाके आदम ने लंड उसके मुँह से बाहर खीचा जो थूक से गीला था...बाहर निकालते ही मुँह से जैसे निशा साँस भरने लगी...फिर उसने दुबारा बालों को जकड़े निशा के मुँह में अपना लंड ठूँसा..निशा उसे मज़बूरन चूसने लगी..."चूस अच्छे से चूस"...उसके ज़ुल्फो को चेहरे से समेटते हुए आदम ने कहा


निशा लंड चूस्ते चूस्ते जैसे हाँफने लगी पर साँस भरने तक की उसे फ़ुर्सत नही दी आदम ने....जब उसकी हसरत चुस्वाई तक ख़तम हुई तो आदम ने उसे सीधा लेटा दिया.उसकी टांगे खोली और उसकी चूत को बेतरतीब ढंग से चाटने चूसने लगा..

."एम्म नहिी नहिी सस्सस्स नहियिइ आहह आहह अहहह".....चूत को चुसते हुए आदम कस कस कर उसके होंठो को दाँतों से खीच रहा था उसकी पाँव रोटी जैसी फूली चूत के हिस्से को इतना फैलाक़े उसमें दो-तीन जितना हुआ उंगली डाल डालके उसे चौड़ा किया

पिछली रात की चार बूढ़ों की जलन जो हल्की हुई थी वो और गहरी हो गयी...निशा चीखती रही चिल्लाती रही...लाज्जो का बुरा हाल था ब्लाउस से ही उसके निपल्स सॉफ सख़्त हुए दिख रहे थे..निशा के दाने को लगभग चबाते हुए आदम ने उसे खीचा तो निशा ज़ोर से दाहडी...आदम ने फिर ज़ुबान से उसकी चूत से आ रहे खून पे अपनी जीब चलाई उसने बेदर्दी से उसकी चूत को चाटा था...


जब वो चाट चाटके थक गया तो उठ खड़ा हुआ...अपने सामने जैसे यमराज को देख रही थी निशा..उससे गुहार लगाती रही....उसे सहना उसके बस की नही थी..अपने मोटे लंड पे बिना कॉंडम चढ़ाए आदम ने उसके दोनो पाँवो को सख्ती से हाथो में जकड़ा...और उसे इतना हद तक फैलाया जिससे उसे खुद अपने पाँव क खीचने से दर्द होने लगा....


"न्नो नूओ नाअ अहहह".....एक ज़ोरदार चीख गूँज़ उठी...और मोटा लंड चूत की दरारों में घुसता दाखिल होता अंदर जड़ तक जैसे जा बैठा....निशा रोती बिलखती रही सर इधर उधर मारने लगी....
Reply
12-09-2019, 02:45 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम ने उसके मुँह पे कस कर हाथ भीच लिया निशा अपने पाँव के नाखुनो को जैसे आदम की पीठ पे गढ़ा रही थी उससे छूटने के लिए...पर आदम वैसी ही सख्ती के साथ चूत की दरारों में लंड को और अंदर गहराई तक ले जाता रहा इससे चूत की परत काफ़ी खुल गयी...जब आदम ने हल्के से लंड बाहर निकाला तो खून जैसे अंदर से बाहर बहने लगा...लाज्जो ने ये देख आँखे मूंद ली उसकी तो जैसे गान्ड में किसी ने वैसा ही लंड डाल दिया हो ऐसे ख़ौफ्फ से सेहेम उठी वो...


निशा का पति उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को बेदर्दी से करने लगा...धक्के करारे बेदर्दी से पेलते हुए उसने निशा के होंठो पे अपने होंठ रखकर उसे जबरन चूसा और उसे दाँतों से जैसे खीचा भी जैसे वो उसके होंठ चबा जाना चाहता था..


निशा की दर्दभरी आवाज़ उसके गले में ही जैसे घुट गयी....उसके होंठ आदम के मुँह में थे...वो उन्हें चुस्सता चबाता लगभग निशा की चूत में सतसट लंड अंदर बाहर करता.....लौडे और चूत से खून निकल रहा था...आदम का लंड सख़्त चूत से छिल चुका था पर वो बर्दाश्त किए हुए था...


"आहह आहह सस्स आहह उम्म्म"......आदम गरजा फिर उसने निशा की चूत से अपना लॉडा बाहर खीचा...चूत खुल रही थी और बंद हो रही थी उसका मुंहाना काफ़ी खुल चुका था और अंदर से खून बाहर निकल रहा था...निशा की टाँगों में जैसे जान नही रही...


वो बेहोश जैसे हो गयी बदहवास जैसी हो गयी...आदम ने उसे उल्टा लिटाया फिर नितंबो पे थप्पड़ जड़ते हुए उन्हें जैसे खरोचा और मसला...निशा छटपटाई दर्द से दाहडी...लेकिन आदम थमा नही...उसने फिर निशा को कुतिया बनाया बालों को फिर जकड़ते हुए उसे मुद्रा पोस्चर में किया..


और उसके नितंबो के छेद पे ढेर सारा थूक डाला....निशा कुछ कहने लायक तो थी नही...उसे होश तब आया...जब आदम का मोटा लंड उसकी दरार में अंदर दाखिल हो रहा था उसकी मोटाई और सख्ती झेलने लायक नही थी निशा के..वो ज़ोर से बिस्तर को हाथो से पकड़े ऐसे दर्द भरे अंदाज मे चिल्लाई कि एक पल को लाज्जो भी चीख उठी उसने मुँह पे हाथ रख लिया...


मुँह वैसे ही खुला का खुला निशा का रह गया और वो रोती टूटती हुई बिस्तर पे सर रखके आगे पीछे हिलने लगी...उसकी चूत में तो दर्द था ही अब उसकी गान्ड के भीतर भी दर्द कर रहा था...आदम ने लंड को अंदर बाहर करके घुसाया...फिर निकाला फिर सिकुड़ते खुले छेद के अंदर डाला....जैसे जैसे लंड अंदर जाता गया छेद एकदम खुलता गया...जब अंडकोष ही सिर्फ़ लटके नितंबो के पीछे रह गये....तो जैसे निशा का पूरा बदन काँप उठा इस बीच आदम भी काँप उठा...


उसने निशा को एक बाज़ू गले पे गिरफ़्त किए उठाया और ताबडतोड़ धक्के पेले...उसके नितंबो पे अंडकोष थपा थप आवाज़ किए हिल रहे थे नितंबो को कस्के जकड़े हुए भी कुतिया कम और रांड़ बनाए निशा को आदम ने काफ़ी देर तक उसकी गान्ड की चुदाई की...गान्ड चोदते चोदते उसने निशा के चेहरे को जैसे नीला पाया दर्द से...


निशा बेशुध बिस्तर पे जैसे उसकी गिरफ़्त के छूटने से ही गिर गयी...आदम धक्के पेलता रहा...निशा आँखो से आँसू बहाती रही....आदम जैसे ही करारे धक्के अंदर जड़ तक मारता तो जैसे बच्चे दानी का अहसास उसे लगता छूते हुए अपने सुपाडे से..


जब आदम ने निशा के छेद से लंड बाहर निकाला तो उसके नितंबो की गोलाइयाँ एकदम लाल लाल हो गयी खरॉच और दबोचने से...उसका छेद कयि ज़्यादा खुल गया था...छेद सिकुड के जैसे छोटा भी नही हो रहा था....निशा को पाँव से पकड़े जैसे आदम ने पलंग से नीचे गिरा डाला..घुटनो के बल जैसे निशा गिर पड़ी...उसे हल्की चोट आई


उसके नितंबो और चूत के छेदों में जैसे दर्द की एक टीस उठी...जिससे वो रो पड़ी....आदम ने उसके मुँह में लंड आगे पीछे करते हुए मसला...अओउ अओउ ओओूउ अओउ उम्म्म ओउूउ.."पी पूरा ले पूरा ले भीतर गले तक हलक तक चूस पूरा का पूरा"....करते करते जैसे आदम गर्ज उठा और उसके लंड की गरम गरम वीर्य की धार निशा के मुँह के अंदर गहराई तक चली गयी...जब आदम ने निशा को उठाए बेड पे किसी फूल की तरह फैका...तो जैसे कोई लाश बिस्तर पे नंगी पड़ी हो...


निशा के बदन पे कोई घाव नही था जिससे ये लगे कि उसके साथ मारपीट हुई हो पर गुप्तांगो की इस कदर बुरी हालत कर दी थी..कि अब उसका सख़्त होना शायद नामुमकिन था...


निशा किसी लाश की तरह खामोश सदमे में घिरी पड़ी हुई थी आदम हांफता हुआ उसके उपर चादर डाल गया...."अब तेरा यहाँ इस चार दीवारी से बाहर निकलने का कोई हक़ नही अगर जाएगी भी तो मेरे साथ आजसे तेरा डॅन्स क्लासस जाना बंद अब यही चार दीवारी में तू क़ैद रहेगी..और हां याद रखना अबसे घर का कोई काम काज से भी तुझे हाथ लगाने की ज़रूरत नही तू मेरी नज़र से गिर चुकी है तुझे जीते जी ही मारूँगा मैं यूँ ऐसे ही हर रात तू मर नही पाएगी समझी मेरी ज़िंदगी उजाड़के मैं तुझे मरर्ने नही दूँगा"......इतना कहते हुए जैसे आदम कमरे से बाहर निकल गया...उसे जाते देख लाज्जो जैसे सिहर उठी...उसने एक बार निशा को लेटे देखा और उसकी हालत देख मुँह पे हाथ रखते हुए...वहाँ से चलती बनी....ये दृश्य देखके उसे महसूस तो हो गया कि उसका आदम से संबंध बनाना मतलब मौत को दावत देने जैसा था

रात को डिन्नर के लिए अंजुम पति और बेटे तीनो उपस्थित थे..माँ ने जैसे ही खाना परोसा..बेटे ने घप्प से नीवाला लेना शुरू कर दिया..एक तो बहू पे बढ़ता शक़ और ऊपर से बेटे को लेके चिंता कि उसे मालूम ना चल जाए....पर आदम तो जैसे चुपचाप किसी सदमे में घिरा हुआ था अपनी कशमकश में खा रहा था...आज उसने जो कुछ किया निशा के साथ शायद गुस्से में किया पर वो ऐसा लड़का नही था जो किसी औरत के साथ ऐसे पेश आए लेकिन आज क्रोध उसका जायेज़ था .....उसने माँ की तरफ देखा जो खोई हुई सी सिर्फ़ प्लेट पे हाथ फेर रही थी..."माँ दाल की कटोरी पास करना तो"......

.."ह..हाँ ये ले".....माँ ने बेटे के थाली में डाल डालते हुए कहा

आदम के पिता : अरे निशा नही आई

अंजुम : क्या हुआ आज फिर झगड़ा हुआ क्या तुम दोनो के बीच शाम से देख रही हूँ कि कमरे से बाहर नही निकली

आदम : कुछ नही माँ बस फिर कोई ज़िद पकड़ी हुई है इसलिए मुँह फुलाए बैठी है आप चुपचाप खाओ और डॅड आप प्ल्स उसका ज़िक्र मेरे आगे मत करो खाने की प्लेट में उसके कमरे में ले जाउन्गा

अंजुम : तू क्या नौकर है बैठ तू चुपचाप मैं देके आती हूँ (अंजुम वैसी ही खिजलाई हुई थी निशा पर आदम ने उसके हाथ पे हाथ रखके उसे चुपचाप बैठ जाने को कहा माँ समझ नही पाई)

पिता जी खाना पीना खाते हुए वापिस अपने कमरे में चले गये...तो आदम उठा उसने झूठे और बाकी के बर्तनो को उठाया और किचन में रखके वापिस लौटा...अंजुम ने बेटे से ज़्यादा कुछ नही पूछा...आदम को शक़ भी हुआ कि कहीं माँ-बाप की मज़ूद्गी का अहसास पाए वो कमरे से निकलके अपने उपर हुए ज़ुल्म की आप बीती ना सुनाने लग जाए...लेकिन अगर वो ऐसा कुछ करती भी तो संजीब की पोल खोलने की धमकी आदम वैसे ही उसे दे चुका था....डर तो उसे लग रहा होगा कि कही उसका पति आदम उसके माँ बाप के आगे भी ये सब बात ना खोल दे...

इसी कशमकश में उलझा आदम मुँह हाथ धोके थाली में खाना सज़ाया कमरे में दाखिल हुआ और फुरती से दरवाजा लगाया....दरवाजे की आहट पा निशा जो घुटनो के बल सर रखके आँखे मूंदी हुई थी एकदम से सर उपर उठाए आदम की ओर देखके सहम उठी...उसकी आँखो के नीचे जैसे काले घेरे हो गये थे...

निशा वैसी ही बैठी रही...आदम ने उसे घुरते हुए स्टूल उसके सामने रखा और उस पर खाने की थाली रखी...."खा लो सुबह से भूकि हो"..

."नही खाउन्गी क्या करोगे?"..निशा ने गुस्से अंदाज़ में जैसे घुर्राते हुए कहा....

"सस्स्शह ज़ोर से नही माँ-बाप सो रहे है अगर यहाँ आए तो आज दिन का वाक़या जानेंगे ही साथ साथ तेरे राज़ से भी परदा उतर जाएगा"....

.निशा सहम गयी....वो फिर रोने लगी
Reply
12-09-2019, 02:45 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
निशा ने उठना चाहा लेकिन जैसे ही उसने एक एक पाँव पलंग से नीचे रखके जैसे खड़ा होना चाहा वैसे ही धप्प से फर्श पे गिर पड़ी..ऐसा लगा जैसे उसकी दोनो टाँगों में जान ना हो..अपंग जैसी हालत हो गयी वो वहीं रोने लगी..आदम खड़ा हुआ और उसने झुकके निशा को उठाना चाहा निशा ने उसे पीछे धकेला जिससे आदम की हथेली पे खरॉच के निशान उसके नाख़ून के लग गये...

आदम ने दाँत को भीचा उसके पास आया उसके दोनो बाज़ू में अपने हाथ फँसाए और उसे एक ही झटके में सीधा खड़ा करते हुए वापिस बिस्तर पे जैसे गिरा दिया..वो वापिस बिस्तर पे गिरके रोने लगी..

."खाओ"......

"नही खाउन्गी कह दिया ना".....

"ज़िद्द छोड़ दो अपनी वरना इस बार हाथ सचमुच का उठा दूँगा"....

"फक यू".......

निशा की ज़ुबान ज़्यादा चलते देख आदम का पारा चढ़ते जा रहा था...

उसने थाली से एक नीवाला जैसे ही निशा के मुँह के पास लाया निशा ने ना ही सिर्फ़ उस हाथो में लिए नीवाले को जैसे झटका बल्कि आदम के चेहरे पे थप्पड़ भी जड़ दिया..हाथो से गिरा खाना फर्श पे...और आदम के गाल पे निशा के हाथो की चूड़िया भी जैसे लग गयी हो..निशा को सोचने का वक़्त भी नही मिला और ठीक उसी पल चटाक़...निशा गाल पकड़े रोने लगी नज़रें झुकाए

आदम ने कस्के उसके बालों को जकड़ा...और फिर खाने का नीवाला ज़बरदस्ती उसके मुँह में एक के बाद ठूँसना शुरू किया..निशा नही खाना चाह रही थी फिर भी सहमते हुए उसे एक एक नीवाले को खाते हुए अपने गले से निगलना ही पड़ा...जब आदम ने उसे पूरा खाना खिला दिया तो उसने ग्लास से पानी लिया और निशा के मुँह ज़ोर से पोछा...जिससे निशा के होंठ जैसे छिल गये उसकी हालत किसी दंड पाते कैदी सी हो गयी थी..

आदम ने उसे घूरा सख्ती से "कभी पेट भी गिराया था तूने".....

."क्या?"...

चटाक़ .....फिर से एक थप्पड़ निशा के चेहरे पे जैसे लगा वो अब ज़ोर से रोने लगी...आदम ने उसके मुँह को कस कर जकड़ा और उसके पास अपना चेहरा लाए दाँत भीचते हुए फिर वहीं सवाल दोहराया...

"न..नहिी संजीब ने मुझे महेज़ छुआ था"......

"छुआ था कभी तेरे अंदर बीज नही डाला उसने अपना कभी कॉंडम यूज़ नही किया दोनो छेदों में डाला बोल ना साली बोल".....

"मैं हाथ जोड़ती हूँ तुमसे मुझे ऐसी सज़ा मत दो मैं तुम्हारी बीवी हूँ"........

."ह्म सज़ा उसे दी जाती है जो अपराधी होता है बीवी का हक़ तूने खो दिया अब तेरी औकात यहाँ किसी वेश्या से कम नही वेश्या के भी नाम की जैसे तोहीन है तू किसी छिनाल से कम नही उसे क्या कहते है इंग्लीश में जो अपने मर्ज़ी से चुदवाये बिना पैसा लिए हां स्लट"...आदम जैसे निशा को बेज़्ज़त करता रहा....और निशा जैसे सुबक्ते हुए बेज़्ज़त होती रही...

आदम ने मुस्कुराया और फिर एक सीडी लगाई..."मैं तेरे साथ चुदाई नही कर रहा तुझे मेरे साथ किए हर बेवफ़ाई की सज़ा दे रहा हूँ ये मत समझना कि वेश्या ही बनाउन्गा तुझे तू रांड़ बनेगी तो सिर्फ़ मेरी....समझी साली".....

निशा ने चाहा कि वो पलंग से कूदे और बाहर निकल जाए...पर इतना आसान कहाँ था आदम के चंगुल से निकलना ये वो आदम नही था मासूम भोला माँ के प्यार का सिर्फ़ दीवाना ये वहीं पुराना आदम था वहीं आदम जिसने प्यार को सिर्फ़ वासना ही माना था...ना जाने कितनी औरतों के साथ व्याबचार रिश्ते बनाए...आदम जो कुछ भी कर रहा था खुन्नस में आके...आज उसकी माँ के इनकार की वजह से वो उससे दूर हो गया कल्तक हुआ उसका दीवाना बेटा किसी गैर औरत को घर में लाया था...सिर्फ़ उसके मजबूरियो की खातिर...
Reply
12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम जानता निशा कि दोनो छेद मे दर्द से टीस मार रही थी...उसके कुल्हो में वो ताक़त नही थी कि वो अपनी टाँगो पे भी खड़ी हो जाए वो आधे तौर से अपंग ही हो गयी और हो भी क्यूँ ना? उसने चोद चोद्के अपनी पत्नी की बुर और गान्ड दोनो फाड़ दी थी...निशा ने फिर उठने का प्रयास किया तो आदम ने उसे गिरने से जैसे बचाया उसे थामते हुए उसे खड़ा किया वो आदम की बाँह को ना चाहते हुए भी कस कर पकड़ी हुई थी..


निशा : मुझसे चला नही जा रहा बहुत दर्द हो रहा है वहाँ पे

आदम : हाहाहा तुझे सज़ा दे रहा हूँ तेरा इलाज नही कर रहा जो मुझे सुना रही है (जैसे आदम मलम तक उसके गुप्तांगो पे लगाना नही चाह रहा था वो उसे कोई राहत नही देना चाहता था उसका दर्द और दुगना करना चाह रहा था)


उसने ठीक वहीं किया...निशा को उसने बाज़ुओं से अपने गिरफ़्त में खीचते हुए गोदी में उठाया...और उसे उसी अवस्था में टाय्लेट पिट के पास ले जाके खड़ा हो गया...निशा उतर के बैठ तक नही सकती थी...निशा ने खुद ही जैसे तैसे साड़ी जो महेज़ उसने पहन रखी थी उसे अपनी चूत से हटाते हुए दोनो टांगे फैला ली पीछे से आदम ने उसकी छातियो को बुरी तरह जकड़ा हुआ था..उसने कुल्हो को जैसे सख़्त किया तो आदम को अपने हाथो में जैसे उसके कुल्हो की सख्ती का अहसास हुआ...

"नही हो रहा मुझसे अकेले में ही होता है"....

."चुपचाप मूत ले वरना यही तुझे छोड़ दूँगा वक़्त नही है मेरे पास तुझे थामने का का"....खुद ही आदम ने जैसे उसकी चूत पे हाथ रखा तो निशा ने सिसकी ली जैसे उसकी जलन उसे लगी हो...आदम ने गौर किया चूत पूरी तरह से छिल चुकी थी...ज्यो ज्यो निशा ने ज़ोर लगाया तो उसकी चूत के मुआने से पेशाब की मोटी धार फाउंटन की तरह सीधे हवा से होते हुए पिट पे गिरने लगी....प्सस्स की एक आवाज़ आई निशा के पेशाब को निकलते देख आदम बस गौर कर रहा था..उसका लंड एकदम अकड़ गया था...


जब उसने मूत लिया तो आदम ने उसकी साड़ी से ही उसके गुप्तांगो को पोंछ दिया..फिर उसे अंदर लाया गोदी में लिए फिर बिस्तर पे पटका...निशा वैसी ही लेटी ही थी कि उसने खीचके उसकी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया निशा फिर सहम सी गयी उसने चादर अपने उपर ओढ़ ली....सामने टीवी पे ब्लू फिल्म चल रही था म्युट की वजह से आवाज़ नही आ रही थी..


आदम ने ब्लू फिल्म को देखा फिर निशा के नंगे बदन की ओर

निशा अपने गुप्तांगो के बीच हाथ रखके उसे मना करने लगी..."नहिी आदम आदम प्ल्ज़्ज़ बक्श दो मुझे मैं तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ तुम प्ल्स जो चाहोगे सो करूँगी".....

."ठीक है तो अपनी टांगे खोल लो".....निशा जैसे फिर रोई रोई सी हो गयी...


आदम ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...कुछ ही पल में निशा के आगे उसका भयंकर मोटा लंड झूलने लगा....निशा हाथ जोड़ने लगी...पर आदम ने नही सुना.....


उधर अंजुम को किसी की दबी चीख सुनाई दी...वैसे ही सो नही रही थी...बेटे को लिए चिंता में थी...राजीव दा की उम्मीद में थी कि वहीं कोई हल निकाले और इस बीच ये आवाज़..."ये कैसी आवाज़ है?"....फिर जैसे आवाज़ आहों में तब्दील हो गयी पर हल्की हल्की उसके कमरे में सुनाई दे रही थी...अंजुम ने पति की तरफ देखा उसे तो दीन दुनिया का होश नही था...पर अंजुम उठी और बाहर आई आवाज़ कमरे से आ रहा था....अंजुम का चेहरा जैसे लाल हो गया ये तो चुदाई की आवाज़ें थी तो क्या इसका मतलब आदम अपनी पत्नी को! जैसे अंजुम के सीने पे साँप लोटने लगे...उसे अहसास हुआ एक पल को अरे कमीनी तेरी ही मज़बूरीओ की खातिर तेरे दीवाने बेटे ने किसी का हाथ थामा अब वो उसकी पत्नी चाहे जो करे तुझे इससे क्या? और तुझे बुरा क्यूँ लग रहा है?......कही ना कही अंजुम का दिल गवाही दे रहा था कि चाहत तुझको भी थी आदम का यूँ तुझसे दूर होना तेरे अकेलेपन को खल रहा था अंजुम को तो बस यही समझ आया कि क्यूँ उसका बेटा उसके प्रति आकर्षित हुआ? कही उस औरत का भांडा फूटने से पहले ही वो किसी और मुसीबत में ना फस जाए...अंजुम का इशारा उन दोनो के बीच तीसरे से था
Reply
12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम मुँह कड़वा सा किए वापिस अपने कमरे में लौटी करवट बदले पति को एक बार देखा और खुद भी गहरी नींद में जैसे डूब गयी सोचते सोचते...पर उसे क्या मालूम बेटा कितने सितम उसकी बहू पे कर रहा था बुरा वक़्त तो उसकी बहू निशा का शुरू हुआ था...जिसे इतने आसानी से आदम बकशने वाला नही था...उसे उसकी मर्दानगी को ना सिर्फ़ ललकारा बल्कि साथ साथ उसकी दीवानगी उसकी हवस उसकी औरत उसकी माँ को भी उससे दूर किया जिसका बदला एक एक हिसाब किए ले रहा था :


निशा नंगी पड़ी हुई मज़बूरी में आदम के लंड से चुदती रही जब 4 बज गये तब जाके पष्ट पड़े आदम ने जैसे उसे अपने से दूर धकेल दिया और हाफने लगा..."जानती है कुतिया जब मेरा निकल जाता है ना तो सोचता हूँ कि कितना बड़ा गुनाह हो गया मुझसे...ऐसे ही हर रात हर दिन तुझे तडपाउंगा"....

निशा जैसी बुत बनी लाश की तरह तहरी आँखे खोले नंगी पड़ी हुई थी...उसकी चूत से निकला बेहिसाब पेशाब जैसे चादर पे लगा हुआ था...आदम वैसे ही करवट मुन्दे सो गया...एक पल को हुआ निशा से कि उठे और ज़हेर खा ले पर थी तो वो एक कायर ही ना आख़िर करती भी क्या


अगले दिन जब आदम बाथरूम से बाहर आया...तो उसने जायेज़ा लिया कि उसकी बीवी साड़ी पहने बाहर आके रोटिया बना रही थी....एकदम चुपचाप जैसे प्रायश्चित कर रही हो जैसे समझ चुकी हो कि अब पति से भागने का कोई रास्ता नही...वो रोटिया पकाए रख रही थी की इतने में माँ किचन में आईइ...उसने निशा की तरफ देखा तो जैसे उसे हैरत हुई कि वो आज बिना कोई शृंगार किए एक विधवा की तरह लग रही थी अगर लाल वो साड़ी भी ना पहनती तो ऐसा लगता जैसे कोई विधवा ही हो...


"अरे आदम तू यहाँ?".....आदम निशा को घूर रहा था वो सहमी हुई चुपचाप नज़रें झुकाए खड़ी हुई थी..


"बस माँ निकल ही रहा हूँ".........

"अच्छा अच्छा".....निशा को देखते हुए जैसे अंजुम कोई शक़ सा हुआ कि ऐसे चुपचाप क्या आदम ने उसे फिर फटकारा था....वैसे भी निशा से उसने बात करना छोड़ दिया था...फिर भी वो आज काम करने रसोईघर आई तो उसने बात को आगे नही बढ़ाया वैसे ही उसको लेके उसके दिल पे ना जाने क्या क्या शक़ और नफ़रत उमड़ रहा था....


आदम तो वैसे ही माँ पे नाराज़ था कि उसकी वजह से वो उससे दूर हुआ अगर बता भी देता कि उसने निशा की कैसे कुटाई की तो क्या मालूम महानता का एक और डाइलॉग उसके आगे कर देती और उसे रोकती...पर आदम ने निशा से कहा "जाओ जाके रेस्ट करो तबीयत ठीक नही है ना तुम्हारी जाओ"....

जैसे आदेश का पालन करते हुए निशा वापिस वैसा मायूसी भरा चेहरा लिए कमरे में चली गयी...


अंजुम ने जैसे आदम से पूछना चाहा वो वहाँ से जा चुका था....अंजुम कुछ कह नही पाई..आदम चला तो गया पर निशा के कदम घर से बाहर नही निकल पा रहे थे....फोन छोड़के गया था कि घड़ी घड़ी कॉल किए उससे पूछता रहे कि वो कहाँ है? इसलिए फोन डर से ऑन ही रखा हुआ था....7 दिनो तक आदम ने ऐसे ही घर आके ऑफीस से फारिग हुए कमरे में निशा को बंद करते हुए....उसकी तेज़ चुदाई शुरू की...इस बीच उसने तरह तरह से उसे दर्द पहुचाया ताकि हर झटको में हर सिसकियो में हर चुदाई में उसे जर्रे जर्रे में आदम के साथ की ग़लती का अहसास हो....


धीरे धीरे निशा को उसकी जैसे लत लग गयी....अब खुद ब खुद उसके हाथ आदम के लंड को सहलाते और चूत उसके छूने से पहले ही पानी छोड़ती...वो खुद ब खुद आदम के साथ सहयोग करने लगी बिस्तर पे...लेकिन आदम ने कोई रहमियत नही करी उस पर...उसे रंडी की तरह चोदता था..पश्त पड़ता उसे बेज़्ज़त करता और कभी कभी तो उसके नितंबो पे लात मारके उसे अपने से दूर धकेल्ता और हीनभावनाओ से देखता...फिर उठता गुसल करता और सो जाता...


इस बीच निशा ने काफ़ी कुछ दिमाग़ में घोड़े दौड़ाए..कभी उसने चाहा कि चाकू लेके सोए आदम पे हमला कर दे तो कभी प्लान किया कि जैसे भी हो संजीब को बता दे वहीं उसे बचाए...या फिर उसके सास ससुर या अपने माँ बाप को कह डाले...लेकिन क्या फ़ायदा पोलीस केस बनता निशा की असलियत सबके सामने आ जाती आदम तो फिर ना ही सिर्फ़ सरेआम उसकी इज़्ज़त उतारता बल्कि उसके कुकर्मो का भॅंडा फोड़ते हुए उसे तलाक़ भी दे देता कोई कुछ नही कर पाता उसी की हिनस्तयि (बेज़्ज़ती) होती..निशा ने हर दिन यही सोचा लेकिन सबकुछ आदम के ख़ौफ्फ के तले दब गया वो जब भी चुदती तो अपने आप लज़्ज़त से ज़बान होंठो पे फेरती उसने आदम के करीब खुद को लाना भी चाहा कि इज़हार करे कि मैं तुम्हे ही सच्चा प्यार करती हूँ पर रंडी के कहने से क्या कोई मर्द उसका हाथ थाम लेता चाहे वो जितना भी उसकी गान्ड मारे कत्तयि नही
Reply
12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
1 मास तक यही चलता रहा...निशा इस बीच नॉर्मल हुए परिवार के सामने बस संजीब को किसी तरह से कॉल करने के इन्तिजार में थी....कि उस पर क्या कुछ नही बीत रहा....उधर संजीब भी कयि दिनो से निशा को कॉल पे कॉल करता पर जब भी कॉल करता तो ऐसे वक़्त में जब निशा अपने पति के नीचे चुद रही होती...पति की निगाह एक आध बार पड़ी तो निशा पे जैसे आसमान से सीधा उस पर कहेर टूटा..उस रात चीखें कुछ ज़्यादा ही निकलती इतनी बुरी तरीके से आदम उसकी चुदाई करता कि कॉंडम फॅट जाता तो एक बार कॉंडम अंदर रह गया था...एक बार तो खून निकल गया था.....संजीब चिड गया उसे लगा शायद निशा उसे इग्नोर कर रही है पर कुत्ते के मुँह में खून लगा हुआ था...बस उसने इन्तिजार ही करना मुनासिब समझा..क्यूंकी अगर निशा आदम के आब्सेंट में उससे बात करती तो नंबर रिसीव्ड कॉल से वो डेलीट कर सकती थी पर उस बीच हर 1 घंटे में आदम कॉल किया करता था अगर नंबर बिज़ी देखता तो सोचो उसका कितना बुरा हाल करता?



__________________


सलाखो के पीछे से वो लंबी दाढ़ी वाला बाहर निकला...शकल से ही गुंडा था....राजीव दा ठीक वर्दी पहने हुए उसके सामने खड़े थे...दोनो ने एकदुसरे को घूरा...."सलाम साहेब".....

"देख जमशेद आज तेरी सज़ा पूरी हो गयी इसका ये मतलब नही कि तू फिर किसी के यहाँ धाँधली करे".......

"मांफ कर दो साब आगे से अपुन याद रखेगा"......

"ह्म लेकिन जाते जाते तुझे मेरे लिए एक फेवर करना होगा".......

"अरे बोल के देखो साहेब हमारी सज़ा तो आप ने ही कम करवाई वरना तो कमिशनर साहेब का तो था कि हमे लंबा खीचते वो तो आपने ही हमे"...

."बस बस मैने सिर्फ़ तुझे एक मौका दिया है सुधरने का ना कि तुझे बचाने का".......

"तुम काम बोलो ना साहेब"


राजीव : संजीब नाम का एक लड़का रहता है बसबदी में उसका घर है पता तो होगा वहीं आड्वोकेट पाटिल का बेटा

जमशेद : अरे उसको तो जानता है अपुन साब बोलो क्या काम करना है?

राजीव : उसका पीछा किससे मिलता है? किससे फँसा हुआ है? पहले बॅकग्राउंड क्या था


जमशेद : हाहहाहा बस इतनी सी बात हहा आप तो खुद ही अपुन से फिर वहीं लफडा करवाना चाहता है वैसे साला एक नंबर का ठरकी और अय्याश है नयी नयी कॉलेज की लड़की से लेके भाभी यहाँ तक कि आंटी लोगो को भी घर लाता है एक आध बार गया उसकी पार्टी में वैसे आप जानता है उसका बाप बहुत अमीर!

राजीव : अमीर है पर क़ानून से बढ़ कर नही



राजीव ने गुंडे जमशेद को समझा दिया कि उसे क्या क्या करना है? जमशेद सिर्फ़ हां हां में जवाब देता रहा...उसके बाद राजीव ने उसे जाने को कहा और ये बात गुप्त रखने को.....उसके जाते ही राजीव ने मन ही मन सोचा कि ये बहुत ही शातिर गुंडा है एक बार किसी की गान्ड के पीछे पड़ा तो कुछ ना कुछ करके ही दम लेगा...उसने जमशेद पे सिर्फ़ ये ज़िम्मेदारी नही छोड़ी की वो संजीब की पॉल पट्टी खोले...


वो खुद संजीब के आज़ु बाज़ू के मकान के मालिको से मिला...जिनका साफ कहना था..कि संजीब ज़्यादातर शराबी जुआरी और अय्याश मंद इंसान है बाप उससे आज़ीज़ आ चुका एक बार किसी अपने ही घर की कामवाली को प्रेग्नेंट कर दिया था उसने...तो एनजीओ के हेड ने उस पर ग़रीब के साथ सोशण करने का केस ठोक दिया था...पिता ने बड़ी जद्दो जेहेद से उसे बचाया था....उस रात पार्टी में आई निशा की सहेलियो से भी राजीव ने कॉंटॅक्ट करना चाहा तो उसने बताया वो नशे में थी उसके बाद कुछ मालूम नही क्यूंकी बाद में वो वहाँ से रुखसत हो गयी...पर इस बीच निशा की सहेली ने बताया कि आदम ने उस रात निशा का पीछा किया था और उससे ये सच उगलवाया था हार पछता के रानी को बताना पड़ा...राजीव ने आदम वाली बात छुपा तो ली पर बाकी की सारी इन्फ़ॉर्मेशन जानके पुष्टि तो हो गयी राजीव दा को कि निशा और संजीब का चक्कर तो पक्का होगा....वो जो भी पता करे अंजुम को डाइरेक्ट कॉल करके बता देते....जिससे अंजुम का शक़ दिन ब दिन यकीन मे बदलते जा रहा था...लेकिन राजीव दा को एक बात खली आदम निशा का पीछा करते हुए उस पार्टी हाउस तक आया आख़िर क्यूँ? रानी के बताए अनुसार उन्हें ये मालूम चला कि संजीब और निशा का कॉलेज डेज़ से चक्कर चल रहा था सुनके जैसे राजीव दा को शक़ हुआ कि कही आदम को सब मालूम तो नही अगर मालूम है तो चुप क्यूँ है?


उधर अंजुम ने निशा को इन बातों की कोई भनक तक लगने नही दी....ना वो जानती थी कि आदम को सबकुछ मालूम चल गया था..

कुछ ही दिनो में...राजीव दा के हाथ में जमशेद गुंडे ने सारे संजीब के सबूत तथा मोबाइल उसके पास लाके दिया....राजीव ने उससे पूछा कि वो ये मोबाइल कहाँ से उठा लाया?.....तो जमशेद ने बताया कि संजीब के घर उसको चोरी छुपे दाखिल होना पड़ा..उसके बाद वो सीधा घर की तलाशी लेने लगा.
Reply
12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
संजीब गुसलखाने में नहा रहा था तो तब तक उसने पूरे कमरे की जैसे तैसे छानबीन शुरू की...उसे छानबीन में ना सिर्फ़ उसके खिलाफ सबूत मिले...बाल्की कुछ ऐसा भी मिला जिससे वो सकते में पड़ गया..

राजीव ने उन सीडीज़ को घुर्रा जो आल्मिराह से जमशेद ने निकाली थी...साथ में जमशेद ने अपने फोन से उसे दीवार के ठीक उपर गोपनीय तौर से लॅंप के पास लगा छोटा सा कॅम दिखाया....

राजीव ने तुरंत लॅपटॉप पे सीडीज़ डाल डालके चेक की तो उसके जैसे कान से धुआ निकलने लगा....एक एक सीडी इतनी अश्लील और गंदी थी उसमें संजीब के कमरे का पूरा वीडियो फुटेज था कि वो बिस्तर पे कयि कयि लॅडीस को लाके उन्हें चोद रहा है...राजीव ने झट से सीडी'स निकाली और फिर अपने सीडी डिस्क प्लेट पे रखी और लॅपटॉप में डाला...हर सीडी में वो बस ये पुष्टि करना चाहता था कि किसी में तो उसे आदम की वाइफ दिखेगी....और वहीं हुआ करीब 3 सीडी में निशा की चुदाई संजीब के साथ दिखी राजीव को...उसका तो जैसा माथा फॅट गया हो...

उसने जमशेद की मज़ूद्गी पे लॅपटॉप से सीडी निकाली

जमशेद मुस्कुराया.."अपुन ने पूरी रात वॉच किया साब साला बड़ा चुड़दकड़ आदमी है बिगड़े बाप की औलाद है ना मैने ये भी सुना है कि साला धोबन उमर दराज़ यहाँ तक कि कयि शादी शुदा औरत को ब्लॅकमेल करके चोद भी रखा है ये सीडी'स वो अपने मज़े के लिए रेकॉर्ड किए रखता है साहब".......जमशेद को राजीव ने जाने को बोला जाने से पहले उसने उसके हाथ में दो हज़ार के नोट भी थमा दिए

फिर मोबाइल में की निशा को सारी कॉल्स डीटेल नंबर्स पे भी राजीव को संजीब के मोबाइल से मिली..अब उसका शक़ यकीन में बदल चुका था..लेकिन दूसरे ही पल उसे डर भी सताया कि ना जाने आदम के परिवार पे क्या गुज़रेगी?.....

__________

"निशा निशा".....तभी लाज्जो गेट के पास आई उसने पाया कि संजीब आज फिर आदम के घर आया है उसकी गैरमज़ूद्गी में....लाज्जो को मालूम था निशा ने ही फोन करके बुलाया होगा या फिर अपने मर्ज़ी से आया होगा...इस वक़्त तो घर पे कोई था नही...

उसने झट से दरवाजा खोला और संजीब को पहचानते हुए मुस्कुराइ...संजीब भी चश्मा निकाले आज उसे बारीकी से घुरते हुए पहचान रहा था..

लाज्जो : अरे बाबू तुम यहाँ?

संजीब : अरे तू तो वहीं है ना कांता की सहेली एक बार आई थी ना मेरे घर (संजीब पहचान गया उसे उसकी ही तो सहेली को उसने पेट से किया था)

लाज्जो : हां बाबू पर यहाँ किससे मिलने आए हो?

संजीब : तुझे इससे क्या? तेरी निशा मेडम से मिलना है ? (ज़्यादा बात नही छेड़ा संजीब ने जैसे अपनी चोरी को छुपा रहा था उसे यही डर सता रहा था कि कही इस लाज्जो ने उसकी निशा को सबकुछ बता तो नही दिया)

लाज्जो : हाहः आइए ना हमे काहें को मतलब होगा मालकिन से मिलना है तो अंदर जाइए वैसे भी घर पे कोई नही है

संजीब एका एक शैतानी मुस्कुराहट उसे देता हुआ अंदर आया...फिर लाज्जो ने गेट लगा दिया..."मैं इधर ही हूँ अगर कोई आया तो आवाज़ दे दूँगी".....

."देख लज्जो तूने निशा को तो नही बताया ना कि मैने तेरी उस काता को".....

."नही नही संजीब बाबू भला आपसे क्यूँ दगा करेंगे? आप जैसे अमीर रहीस आदमी पे उंगली उठाने वाले हम कौन होते है?".......

."समझदार है तू ऐसे ही मुँह बंद रखना"......एका एक संजीब मुस्कुरा कर उसके स्तनो के बीच को ब्लाउस के उपर से घूर्रता हुआ अंदर दाखिल हुआ...

.लाज्जो बरामदे के रसोईघर में चली गयी...
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,891 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,942 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,614 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,706 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,175 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,104 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,375 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,217,303 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,364 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,545 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 14 Guest(s)