Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:14 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ अब तक निवस्त्र होके मेरे सीने के निपल्स और बीच के हिस्से को चूमते हुए मेरे गाल,गले को चूमते हुए मेरे चेहरे को अपनी ओर किए मेरे होंठो का रस्पान करने लगी थी...हम दोनो एकदुसरे को स्मूच करते हुए बिस्तर पे लेट गये..मैं उसके पूरे बदन पे अपना हाथ फेर रहा था....मुझे वाहिनी कामसूत्र मुद्राओ में लिपटी वो शिल्पी आकृतियाँ दिखने लगी जो महिलाए वेशभूषा में थी और कैसे पुरुष उनके साथ आलिंगन में जकड़े हुए थे

मैने माँ के होंठो को चूस्ते हुए उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया फिर उसके नितंबो के बीच हाथ ले जाते हुए छेद को छेड़ना शुरू किया....ऐसा लगा जैसे माँ की गान्ड का छेद कुलबुला सी गयी....वो मेरे सीने पे हाथ दोनो रखते हुए मुझे धकेलके मेरे उपर सवार हो गयी इस बीच मैं टीवी पे चल रही ब्लूफिल्म को बंद कर दिया...

अब माँ मेरे लिंग को अपने चूत के द्वार में लेने से पहले उसे चूस लेना चाहती थी इसलिए वो नीचे सरसराते हुए मेरे लौडे को अपने मुँह में घप्प से लिए चूसने लगी उसने इस बीच अपना मुँह मेरे अंडकोष के नीचे भी रगड़ा और वहाँ जीब फेरी...जिससे मैं स्खलन भरी हालात में आ गया आँखे मुन्दे उसके बालों को समेटते हुए एक टाँग उसकी पीठ पे रख दी....

मेरी टाँग के भार से ही उसका जिस्म मेरे टाँगों के बीच दब गया....वो एक हाथ से मेरी बालों से भरी जाँघ को सहलाते हुए मेरे लंड को मुँह में लिए अंदर बाहर चूसने लगी....इस बीच जब उसने जड़ तक मेरे लंड को मुँह के भीतर लिए चूसा और फिर उसे उगला तो उसके मुँह की लार मेरे लंड के सुपाडे से जुड़ी हुई थी उफ्फ क्या शानदार नज़ारा था वो किसी भूकि औरत की तरह अपनी हवस को मिटा रही थी कैसे चाव से मेरे लंड को चुस्स रही थी?

आदम : आहह माँ ऐसे ही बड़े प्यार से बड़े प्यार से (मैं कहते हुए माँ के मुँह को पोंछता हुआ उसके मुँह में फिर लंड दिया...वो घपप से लंड में लेके चुसते हुए मेरी तरफ देखने लगी)

उसने चुसते हुए मुझे इस नज़रों से देखा जैसे कि मुझे मज़ा आ रहा था कि नही? मैने उसे बस इशारा किया कि तू बस चुस्ती जा मैं तो सातवें आसमान पे हूँ मेरी जान...तेरे गरम मुँह के अहसास से ही पगला रहा हूँ..माँ कुछ देर तक मेरे लंड को चुस्सती छोड़ती रही...उसने मेरे अंडकोषो को भी बारी बारी से प्यार से चूसा और फिर मेरे अंडकोष के सिरे से होते हुए मेरे लिंग के सुपाडे तक अपनी जीब फिराई....इससे मेरा लंड एकदम सख़्त हो गया...

फिर वो धीरे धीरे उठ खड़ी हुई....अब वो अपनी चूत के द्वार में मेरे लंड को टिकाने लगी जैसे ही उसने मेरे खड़े लंड को हाथो में लिए दबोचा ज्यो ज्यो टट्टी करने की मुद्रा में अपनी दोनो टांगे मेरे इर्द गिर्द फैलाई अपनी चूत को मेरे लंड के उपर उतारने लगी त्यो त्यो उसके चेहरे के भाव बदलने लगे और उसका चेहरा अँग्रेजिन जैसा गुलाबी हो गया उसे सख़्त अपनी दरारो में घुसता मेरा लंड महसूस हुआ...वो धीरे धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के भीतर तक सरकाने लगी और कुछ ही पल में मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर तक समा गया....उसने मेरे लंड पे बैठते हुए एक आहह भरी साँस ली मेरी तरफ देखके मुस्कुराइ तो मैने उसकी दोनो कमर की तोंद को मसल्ते हुए एक करारा धक्का मारा...जिससे उसने अपनी गान्ड सख़्त कर ली और सर उपर उठाए दर्द से अकड़ गयी...

आदम : ढीली ढीली छोड़ मेरी रानी ढीली करो ना

अंजुम ने बेटे की बात सुनते हुए अपने बदन को ढीला छोड़ना शुरू किया साथ ही साथ आदम को चूत की सख्ती कम होती जान पड़ी...मैने फिर एक करारा धक्का मारा तो माँ काँप उठी...उनके स्वर में फिर आहह फूटा...उसकी आँखो में दर्द के भाव प्रकट हुए और मैं मुस्कुराया...मैं माँ की नाभि और पेट को सहलाते हुए उसकी कमर कस कर हाथो में जकड़े....एक शॉट और करारा मारा इससे माँ काँपी ज़रूर पर इस बार सिसक उठी...

हम इसी मुद्रा में थोड़ी देर ठहरे रहे...फिर धीरे धीरे मैने धक्के मारने शुरू किए....और कुछ ही देर में माँ की चूत फ़चा फ़च मेरे लंड को अंदर गहराई तक लेते हुए उगल रही थी...उसकी चूत एकदम खुल चुकी थी मेरा लंड खाने की उसे जैसे आदत सी हो गयी थी...मैं उसकी गुलाबी चूत पेलता हुआ इस बार उसके छातियो को दबाते हुए उठके उस पर मुँह लगा लिया दोनो निपल्स को चाटते चुसते हुए मैने उसे अपने सीने से लगा लिया

अंजुम : ऑश बेटा आ उम्म्म आहह बेटा

आदम : हान्न्न मामा अहहह उहह उहगग (माँ ने मेरी पीठ और मैने माँ को कस कर पकड़ लिया हम एकदुसरे की पीठ को सहला रहे थे मैने इस बीच माँ के गले पीठ और चेहरे को चूमते हुए उसके चेहरे पे अपना चेहरा रगड़ा)

माँ को मेरी सख़्त दाढ़ी चुभ रही थी पर उसमें भी उसे मज़ा आ रहा था उसके कोमल गाल लाल हो गये और मेरी कामवासना की आग ऐसी भड़की कि मैं उसे अपने आलिंगन में जकड़े तेज़ तेज़ उसकी चुदाई करने लगा...उस पोस्चर में कुछ देर में ही माँ झरने लगी...जब उसने सख्ती से अपनी चूत मेरे लंड पे कस ली और लगभग चिल्लाते हुए झड गयी...मैने उसके शांत होने की प्रतीक्षा की फिर उसे अपनी बाहों में वैसी ही समेटे सीधा बिस्तर पे लिटाया...
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12-09-2019, 02:14 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उसकी टांगे खोली फिर उसकी चिकनी गीली गुलाबी चूत पे मुँह लगाया तो उस नमकीन स्वाद के अहसास के साथ मेरा लॉडा फिर उसकी चूत के दरारो में जाने को विवश हो गया मैने उसकी चूत को जीब लगाते हुए नीचे से उपर तक काफ़ी देर चूसा और चाटा जब देखा कि माँ पूरी तय्यार है और आहें भर रही है तो तुरंत लंड को चूत के मुआने में फिराया एक बार उसके दाने पे घिसते हुए उसके दरारो में अपने लौडे को एक ही साँस में घुसा दिया.....इससे माँ के शरीर में हल्की सी हरकत हुई जैसे अब उसे दर्द झेलने की आदत थी....मैं उसकी टांगे अपनी कमर में लपेटे हुए डन दन उसकी चुदाई करता रहा और बस करता रहा...

माँ : अहहह आहह आहह आहह आहह उहह उ आहह ससस्स (माँ जैसे रोते हुए सिसक रही थी वो किसी कम्सीन लौंडिया जैसी उस वक़्त मेरी बाहों में लग रही थी)

और कुछ ही पल में मैने उसकी चूत में ताबड़तोड़ एक दो बार और लंड अंदर बाहर किया.....मैने कस कर उसे अपने बदन से जकड लिया और ठीक उसी पल मैं उसकी चूत में ही फारिग हो उठा....उस वक़्त मेरे काँपते जिस्म को ही माँ ने कस कर अपने बदन से लगाया हुआ था उसके निपल्स की सख़्त चुभन का अहसास मुझे अब भी होता है तो सिहर जाता हूँ सोचके

कुछ देर बाद हम दोनो एकदुसरे से अलग हुए फिर मैं माँ को अपने बदन से ही लिपटाये रज़ाई ओढ़ लेता हूँ...माँ को अपनी चूत में बेटे के गरम वीर्य का अहसास होता है तो वो आदम को जगाती है..."बेटा वो टिश्यू पेपर दे तो"......

"ओह्ह अंदर चला गया सॉरी माँ आज कॉंडम नही पहना मैं शायद लाना भूल गया".......

"कोई बात नही तू कल मुझे दवाई लाके दे देना".....

."अच्छा वो 72 घंटे वाला ठीक है ला दूँगा"......मैने खुद ही उठते हुए दो तीन टिश्यू पेपर लिया और माँ की चूत से निकलते वीर्य को पोन्छा और फिर कुछ और टिश्यू पेपर लेके उसकी चूत के अंदर तक घुसाके हल्का सा पूरा चूत को सॉफ करके डस्टपिन में वो गंदे टिश्यू पेपर फैक दिए...माँ इस बीच एक टाँग मेरी टाँगों पे चढ़ाए मुझसे लिपटके सो गयी....मैं भी उसकी ज़ुल्फो पे हाथ फेरता हुआ उसके माथे पे चुम्के सो गया...

सुबह मेरी नींद तब खुली जब पेशाब का अहसास भी हुआ और रूम बॉय ने दस्तक दी...मैं झट से माँ के नंगे बदन पे रज़ाई ओढ़ा कर पहले टाय्लेट गया फिर फारिग होके माँ को पूरा रज़ाई से ढकते हुए लूँगी पहन ली और खुले बदन रूम बॉय को अंदर बुलाया वो जैसे झुकाए नज़र आया था वैसे ही चला गया मुझे नाश्ता देके....फिर मैने माँ को जगाया तो माँ पेशाब करके फ्रेश होके ब्रश व्रुश करके मेरे साथ नाश्ता करने लगी....

मैं इमदाद को एक बार कॉल कर के पूछा तो उसने बताया कि वो मालिश वाली दोपहर तक आ जाएगी अगर आपको जमे तो मैं बुला लूँ..तो मैने कहा ठीक है बुला ले इस बीच हमारे फोन वार्तालाप में माँ ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा कि क्या हुआ? तो मैने कहा कुछ नही इमदाद लेके आ रहा है मालिश वाली को पर अभी नही तू तब तक नहा धो ले फिर थोड़ा बीच साइड घूम फिरके होटेल आ जाएँगे.....

माँ ने कहा पर बेटा आज तो हमारा लास्ट डे है ना

आदम : अर्रे माँ एक दिन और स्टे कर लेंगे दट'स इट

माँ फिर कुछ नाही बोली वो मुझे अपने हाथो से खाने का नीवाला खिलाने लगी...हम दोनो खा पीके फारिग होके एक साथ नहाने लग जाते है...शवर के ठीक नीचे मैं माँ की पीठ गर्दन को चूमता हुआ उसे अपनी ओर किए साबुन मलने लगता हूँ उसके बदन पे फिर उसकी बगलो में फिर उसकी चिकने गुप्तांगो में...माँ इस बीच मेरे गाल को चूमते हुए साबुन मुझसे लेकर फिर मेरे शरीर पे साबुन मल्ति है..हम दोनो का बदन साबुन के झाग से सारॉबार होता है....फिर हम शवर ऑन कर उसके ठंडे पानी से नहाते भीगते एकदुसरे के बदन को सॉफ करने लगते है....इस बीच माँ मेरे लंड और अंडकोष को भी बड़े अच्छे से धो देती है...फिर हम दोनो एकदुसरे को किस करते हुए...पास रखे एक ही टवल से एकदुसरे को पोंछते है...फिर माँ उसे अपने बदन पे लपेट लेती है और मैं नंगा ही बाहर निकल जाता हूँ...हम अपने कपड़े पहनते हुए जब नीचे जाते है तो पाते है मॅनेजर खड़ा है...मैं मॅनेजर से बात करके कल हमारे घूमने का जो इंतेज़ाम उसने किया था उसकी फी पे कर देता हूँ...मॅनेजर कहता है इमदाद और भी जगह ले जाएगा...तो मैने कहा नही आज थोड़ा यहीं स्टे करते है कल बहुत थक गये थे फिर कल चले जाएँगे वैसे भी परसो हमे निकलना है..तो मॅनेजर चुप हो गया फिर माँ जो मेरा हाथ पकड़े थी हम दोनो फिर बीच के लिए निकल जाते है....आज धुंप बहुत कड़ी थी इसलिए कुछ देर केफे में जाके कॉफी की चुस्किया लेते हुए मेन रोड की गाडियो को आते जाते हम देख रहे थे आस पास काफ़ी लोग थे आपस मे सब बातचीत कर रहे थे...

इस बीच माँ ने मेरे हाथ को सहलाया तो मैने कहा क्या हुआ? तो उसने कहा तूने टिकेट करवा ली...मैने कहा हां एक ही कॉल मारूँगा तो एजेंट मुझे टिकेट ऑनलाइन भेज देगा...मैं प्रिंट आउट निकलवा लूँगा और बस हम चल लेंगे....माँ मेरे इंतेज़मात से बड़ी खुश हुई थी...हम कॉफी और कुछ खाने के बाद फिर बीच पे लौटे इस बीच बीच एकदम सुनसान हो गया था हो भी क्यूँ ना समुन्द्र का पानी गरम हो जाता है इस वक़्त और कढ़क धूप में कौन घूमेगा फ़िरेगा ...हमने देखा कि पास एक बोट है टूटी फूटी सी शायद कभी बाढ़ में किनारे पे आके पड़ी रह गयी होगी मैने चारो तरफ देखा दूर दूर होटेल्स और मेन रोड जहाँ से लोग भी ख़ास कोई नोटीस ना कर सके...

हम एकदुसरे का हाथ पकड़े बोट के पास आए फिर मैने माँ से कहा कि चल इधर ही ठहरते है....तो माँ मेरे इरादो से वाक़िफ़ होते हुए बोली हट बदतमीज़ कल तेरा जी नही भरा जो तू यहाँ भी शुरू हो रहा है....मैने कहा ये तो हनीमून है तेरे साथ माँ जो बिन शादी के मैं मना रहा हूँ फिर अगर तू राज़ी हो जाए तो हम शादी करके फिर कहीं और हनिमून मनाने जाए माँ ने कस कर मेरी पीठ पे थप्पड़ लगाया और मुझे धकेलते हुए दौड़ी तो मैं उसके पीछे दौड़ा...हम दौड़ते हुए समुन्द्र की लहरों पे चल रहे थे....मैने उसका हाथ पकड़ा उसे खीचके पानी में फैक दिया जिससे उसके कपड़े भीग जाते है उसने भी उठते हुए मुझे एक धक्का मारा तो मैं औंधे मुँह पानी में गिर पड़ा वो खिलखिलाके हंस पड़ी...हम ऐसे ही समुन्द्र के पानी में खेलते रहे एकदुसरे को गीला करते हुए मैने कॅमरा फोन निकाला और माँ की हर अदाओ में पिक्स निकाली...."माँ हां इस पॉज़ में माँ थोड़ा ऐसे हां ये हुई ना मेरी जान"........मैं हर तस्वीर उसकी निकालता रहा...कहीं वो डॉगी स्टाइल में नज़ाकत से मुझे देखते हुए ल़हेरो को रेत पे हाथ टिकाए अपनी साड़ी को समेटे हुए अपनी नितंबो को साड़ी के उभार से दर्शाए पोज़ देती है... तो कही पानी में लेटते हुए एक हाथ अपने बालों को समेटते हुए तो बड़ी अदा से अपने गीले ब्लाउस और बगल को दर्शाती है...कही पीठ पे हाथ रखके अपनी चिकनी कमर और पेटिकोट गीले हो जाने से नितंबो के उभार को सॉफ दर्शाती है...तो कही मेरे साथ लिपटके मेरे गाल में चूमते हुए मुस्कुरा कर पोज़ देती है हम दोनो हँसी खुशी वापिस उस टूटी बोट के पास आके अपने कपड़े सुखाने लगे

अंजुम : उफ्फ कपड़े तो गीले हो गये बेटा मेरी साड़ी तो पूरी भीग गयी है (अपने नितंबो से खींचते हुए अपने पेटिकोट और साड़ी को झाड़ते हुए माँ कहती है)

आदम : अर्रे मेरी जान धूप देख अपने आप कपड़े सुख जाएँगे

अंजुम : कोई देख तो नही रहा ना

मैने चारो तरफ देखा जगह एकदम सुनसान हो गयी थी...हम बोट के आड़े खड़े थे बोट काफ़ी बड़ी थी इसलिए हम दोनो को जैसे पीछे से छुपाए हुए सी थी...हम छाँव की आड़े ऐसे ही खड़े रहे....फिर मैने माँ को अपने तरफ खीचा तो माँ ने शरम से अपने दोनो चेहरे पे हाथ रख लिए मैने उसके दोनो हाथो को मज़बूती से हटाया और फिर उसके होंठो को चूमना शुरू किया...कुछ ही पल में हमारी गरम सासें एकदुसरे से टकराने लगी और माँ और मैं एकदुसरे को स्मूच करने लगे अपनी ज़बान एकदुसरे के मुँह में डालते हुए चूसने लगे मैं तो जैसे बेख़बर हो गया पर माँ नही हर चुंबन के बीच मुझे रोकते हुए वो इधर उधर नज़र फिरा रही थी फिर मैं ही उसके होंठो को वापिस मुँह में भरता हुआ उसकी ब्लाउस की डोरियो को सहलाते हुए उसे अपने एकदम बदन से लिपटा लिया...हम दोनो करीबन कुछ देर तक यूही सख़्त धूप में खड़े नाव की छाँव में एकदुसरे को स्मूच कर रहे थे कुछ देर में हम दोनो एकदुसरे से अलग हुए और हाफने लगे...माँ ने अपने होंठो को पोन्छा फिर मुझे कहा कि दो बुड्ढे गुज़र रहे है वो देख लेंगे मैने भी उनपे नज़र डाली और हम हाथ पकड़े बोट के पीछे से निकलते हुए वापिस होटेल आ गये इस बीच माँ और मेरे कपड़े काफ़ी हद तक सूख चुके थे...मैं अंदर आते ही रिसेप्षनिस्ट से कहा कि हमारे रूम नंबर .205 में खाना पहुचा दिया जाए...उसने हामी भरी...मैने माँ से कहा कि माँ मैं एक मिनट में आता हूँ इतना कहते हुए मैं बाहर चला गया माँ वापिस होटेल रूम में पर वो थोड़ी चिंतित हुई ऐसे यूँ अकेला छोड़के जा रहा था...
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12-09-2019, 02:14 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उसके बाद मैने एक आदमी से केमिस्ट के बारे में पूछा तो वो थोड़ा दूर बताया मैं मेन रोड क्रॉस किए केमिस्ट शॉप के पास आके उससे बर्त कंट्रोल पिल माँगी उसने मुझे दी फिर मैं उसे काग़ज़ में अच्छे से छुपाए वापिस होटेल रूम पहुचा...मैं जब आया तो पाया रूम बॉय लंच देके निकल रहा था मुझे सलाम करते हुए वो चला गया मैं अंदर आया तो माँ बेड पे बैठी बेंगाली गाने सुन रही थी टीवी पे...

मैं उसके बगल में बैठ गया और उसे पिल दी...उसने झट से पिल खाई और पानी पिया..फिर कुछ देर बाद हम लंच करने लगे...शाम तक इमदाद आ गया वो खुद ही मेरे रूम मालिश वाली को लेके आ गया था....उसने मेरा परिचय सुधा से कराया सुधा ओड़िया थी 40 बरस की औरत थी बदन एकदम गातीला छातिया और नितंब बाहर निकले हुए वो ओरिया साड़ी में थी थोड़ी साँवली थी उसने मुझे नमस्ते किया फिर माँ को भी....माँ चुपचाप थी मैं ही उससे उसकी चार्जस की बातचीत करने लगा तो इमदाद उसे मेरे पास छोड़ कर चला गया...

आदम : सुधा जी आपको मेरी बीवी की अच्छे से मालिश करनी है आइए अंदर

अंजुम : आदम अभी करना होगा? :फ़ौरन: (माँ जैसे झिझक रही थी)

सुधा : अर्रे अंजुम जी एक बार करवा लीजिए मेरे हाथो की मालिश आपको काफ़ी आराम देगी (माँ का चेहरा शरम से लाल हो गया)

सुधा को पहले ही शायद इमदाद ने बताया कि मांलीश मेरे सामने करना था अगर राज़ी ना होती तो मुझे सॉफ कह देती फिर उसने मेरी तरफ देखा मैने डोर लॉक्ड कर लिया...सुधा साथ में एक बोतल तेल की शीशी भी लाई थी...मैं बिस्तर के एक कोने पे बैठ गया तो उसने एक चद्दर बिछाई..फिर सुधा ने माँ को साड़ी उतारने को कहा तो माँ मुझे ने शरम से लाल गालो से घूरा ...तो मैने भी उसे कहा कि अर्रे अंजुम क्या फरक पड़ता है काहे की शरम मैं हूँ ना यहाँ और ये तो महिला है सुधा हंस पड़ी...माँ ने धीरे धीरे साड़ी उतारनी शुरू की और फिर अपनी पेटिकोट और ब्लाउस भी उतार दिया....सुधा मेरी माँ के बदन को घुरते हुए जैसे प्रशंसा कर रही थी कि क्या फिगर था उसने मुझे देखके मुस्कुराया

सुधा : आप नही जानते आपसे पहले हमने कयिओ के किए है अँग्रेजिन महिलाओ की भी

सुधा ने सिर्फ़ अपनी साड़ी उतार ली थी और अपनी पेटिकोट को कमर तक जैसे बाँध लिया..उसे मेरी मज़ूद्गी से भी कोई सवाल नही उठा...मैं जैसे चुपचाप बैठा उन दोनो को देख रहा था...सुधा ने माँ को ब्रा पैंटी भी उतारने कहा तो माँ झिझकते हुए हँसने लगी तो मैने खुद खड़ा होके उसकी पैंटी और ब्रा उतार दी...जिससे माँ एकदम शरम से पानी पानी हो गयी....अब सुधा को क्या मालूम कि मेरा और अंजुम का क्या रिश्ता था? वो तो हमे एक शादी शुदा जोड़ा ही समझ रही थी...

फिर माँ लेट गयी उसने माँ के एक बार नंगे बदन को घूरा फिर अपने हाथो में तेल लेते हुए माँ की नाभि पे एक दो बूँद तेल की डाली और उसकी छातियो के उपर...माँ उससे झिझकना कम करने लगी....उसने माँ के बदन की मालिशें शुरू की पहले दोनो कलाईयों से होते हुए बाजुओं की फिर उसके मोटी मोटी जांघों से होते हुए उसके फटे तालपेट की चमड़ी की फिर पूरे बदन पे हाथ हाथ घिसते हुए उसकी चिकनी बगलो पे हाथ ले जाते हुए उसकी छातियो को भी मसल्ने लगी....मैं माँ की ज़बरदस्त मालिश देखके सोचा कि यही कपड़े उतारके मूठ ही मार लूँ...पर सुधा को देखके काबू में था..

सुधा ने मेरी तरफ घूमते हुए कहा कि आपकी मिसेज़ का बदन काफ़ी फिट है ऐसा फिगर के लिए औरतें तरसती है...फिर वो हमारे शादी ब्याह के बारे में पूछने लगी मैं तो झूठ बातें बता रहा था...और माँ वहीं नंगी लेटे जैसे शर्मा रही थी...सुधा माँ की प्रशंसा कर रही थी माँ चुपचाप सुनते हुए मुस्कुरा रही थी

फिर उसने माँ की छातियो को मसलना शुरू किया तो माँ ने आँखें बंद कर ली मुझे ऐसा लगा जैसे वो गरम हो रही थी फिर सुधा ने माँ की टाँगों के बीच हाथ रखते हुए वहाँ पे भी मालिश करनी शुरू की....माँ चुपचाप बड़े मज़े से आनंद ले रही थी इस बीच जब सुधा के हाथ दाने को छेड़ते हुए चूत के मुआने पे कस गये तो माँ चिहुक उठी तो सुधा मुस्कुराइ..बोली मेडम जी मज़ा आ रहा है आपको.....माँ कुछ नही बोली उसका चेहरा लाल हो गया था वो तीन उंगली माँ की गुलाबी पावरोटी जैसी सूजी चूत की फांको के उपर घिस्सते हुए उसके छेद को टटोल रही थी...फिर उसने माँ को पलट जाने को कहा माँ के पलट जाने पे ही वो माँ के चूतड़ और पीठ पे तेल डालते हुए वहाँ भी अच्छे से मांलीश करने लगी उसने दोनो नितंबो की भी काफ़ी अच्छे से मालिश की फिर बीच में उंगली देते हुए माँ के छेद पे हाथ की एडी घिसी...माँ इस बीच पूरे बदन की मालिश से तेल से गीली हो चुकी थी उसका बदन चमक रहा था...


सुधा ने काफ़ी देर तक माँ की मालिश की तो माँ ने उससे कहा कि कमर में दर्द रहता है यहाँ भी कर दो सुधा ने माँ के नितंबो को छोड़ फिर उसकी कमर की मालिश की उसके बाद वो उठ खड़ी हुई मुझे बोली सर हो गया...तो मैने उसका सुक्रियादा करते हुए उसे पैसे दिए....उसने माँ की तरफ पलट के कहा कि गुनगुने पानी से कुछ एक आध देर बाद नहा लीजिएगा इतना कहते हुए वो पैसा गिन्के अपने ब्लाउस में ही डाले वहाँ से चली गयी जाते जाते उसने धीमें से कहा कि आप काफ़ी लकी हो बड़ी सेक्सी बीवी है आपकी तो मैने मुस्कुरा कर उसका शुक्रियादा किया और उसकी मालिश की भी तारीफ कर डाली...

उससे अपनी मालिश तो नही करवा सकता था अगर करवाता तो अपनी कामवासना पे काबू ना कर पाता और भला माँ के सामने उसके साथ कुछ भी करना मतलब माँ के साथ रिश्ते से हाथ धो बैठना था जो मैं कत्तयि नही चाहता था...सुधा के जाते ही माँ वैसी नंगी बिस्तर पे लेटी हुई थी उसने कहा कि उसे काफ़ी आराम मिला कमर के दर्द से भी तो मैने उसके तेल से लिपटे नितंबो पे हाथ से सहलाते हुए कहा कि मैं गुनगुना पानी कर देता हूँ...

मैने गीज़र से हल्का पानी गरम किया फिर अपने कपड़े उतारे और माँ के पास आया माँ सो चुकी थी....तो मैने सोचा थोड़ी देर ठहर जाए जब माँ की नींद टूटी तो मैने उसे गोद में उठाया और उसके गीले तेल से लथपथ बदन को अपनी बाहों में कसे बाथरूम मे आया और उसे लेटा दिया फिर गुनगुने पानी से उसके बदन को नहलाने लगा माँ को हॉट शवर लेने के बाद काफ़ी आराम मिला था वो नहा कर फारिग हुई मेरे साथ बाहर आई इस बीच वो पूरी नंगी थी मैने उसकी शेव्ड चिकिनी चूत और गान्ड को तौलिए से पोछा और फिर उसके बदन को भी फिर उसे बिस्तर पे लिटाते हुए उसके बगल में लेट गया...सोचा माँ के साथ एक राउंड और हो जाए

पर यार पिल खाया था माँ ने इसलिए थोडा एक दिन ठहर जाना मुनासिब समझा हम दोनो ने...माँ वैसे ही सुस्ताते हुए सो गयी और मैं उसके बगल में ही लेता रहा...अचानक मेरा फोन बज उठा तो मैं नंबर पे गौर किया...मेरे खुशी का ठिकाना नही रहा क्यूंकी ये मेरे दोस्त समीर का कॉल था ....
आदम : हेलो?

समीर : अबे ओह क्या हाल बे ? दिल्ली छोड़ते ही दोस्त को भूल गया

आदम : अर्रे नही यार क्या करूँ काम का प्रेशर बहुत ज़्यादा पड़ गया था

समीर : अच्छा जी या फिर कोई नयी लौंडिया को फ़सा लिए

आदम : नही यार अब तक तो किसी से भी संबंध नही बनाए

क्या कहता समीर को? कि माँ के साथ कितने आगे मेरी स्टोरी पहुच चुकी अब ये भी कह देता कि मैं माँ को लेके बिन शादी होनमून पे उड़ीसा आया हूँ तो पक्का मेरी जान खा लेता पूछ पूछके कि क्या कब कैसे? अर्रे महेज़ माँ और मेरे संबंध की अगर बात उसको पता लग जाती तो फिर वो चुप ना रहता और अपनी माँ सोफीया को छोड़ मेरे ही किस्से सुनने लग जाता

समीर : अच्छा तो भाई इस वक़्त है कहाँ तू घर पे?

आदम : नही यार दरअसल काम के पर्पस में उड़ीसा आया हूँ पूरी

समीर : अच्छा वहाँ पे ये तो सोनार्क सूर्य मंदिर के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है मैने सुना है वहाँ काम्सुत्र जैसी मुद्राओं में कयि प्रकार के स्टॅच्यूस है जो दीवार पे बने हुए है मंदिर के

आदम : हां हां वहीं अभी फिलहाल होटेल में हूँ यार अच्छा तू सुना? तू कहाँ पे है

समीर : वहीं जहाँ मुक़द्दर में लिखा था

आदम : क्या मुंबई? इतने जल्दी

समीर : हां यार कुछ महीना हुआ है शिफ्ट हुए तेरे जाने के तक़रीबन एक माज़ बाद ऑफीस खाली किया और उसके ठीक बाद मुंबई में कारोबार सेट अप करके फिर माँ को लिए बांग्ला बेचके ठीक यहाँ

आदम : अर्रे यार तूने इतना आलीशान बंगला बेच दिया दिल्ली का

समीर : अर्रे यार मेरे लिए घर कोई बड़ी बात नही रखती मेरे लिए मेरी माँ ही सारी धन दौलत है आज उसी के बिनाह पे मैं इतना कुछ पाया हूँ खैर मैं मुंबई में अपने पुराने फ्लॅट आ गया हूँ बाकी तेरे लिए एक खुशख़बरी भरा सर्प्राइज़ है

आदम : अबे तो खुशख़बरी भरा सर्प्राइज़ बताने में इतनी देर क्यूँ लगाई ?

समीर : हाहाहा सोचा पहले तेरे बारे में हाल समाचार जान लूँ

आदम : अर्रे मेरा तो जान लिया तूने अपना बता (मैने पाया माँ करवट लिए सो रही थी और उसकी नितंबो की फाँक मेरे सामने खुल गयी)

समीर : ह्म तो सुन अगले महीने ठीक 15 तारीख को मैं और माँ निक़ाह करने जा रहे है

आदम : व्हाट ? शादी?

समीर : तू इतना चौंक क्यूँ रहा है? जोक सुनाया थोड़ी है तुझे सच में शादी करने वाले है

आदम : पर यार किसी को कुछ
समीर : किसी को क्या न्योता भेजू ? भला कोई ऐसी शादी को शादी मानेगा कहेगा कोई अज़ीबो ग़रीब है लोग होंगे तू बाहर लोगो की छोड़ तूने प्रॉमिस किया था देख तू मुकरेगा नही साले

आदम : न..नही नही यार मैं तेरा राज़दार तेरा हमदर्द तेरा दोस्त भला तू निक़ाह करे और मैं आउ ना ऐसा हो सकता है कभी नही :वेरी हॅपी: अच्छा ये बता निक़ाह कहाँ रखा है

समीर : सोचा है कि घर में ही कर ले वैसे भी आएगा कौन ? तू होगा और बस हम तू पेशी के तौर पे भी निक़ाहनामा में साइन कर देना

आदम : विटनेस की फिकर ना कर मैं आ जाउन्गा और सुना आंटी बिल्कुल राज़ी क़ाज़ी अगर पूछेगा तो

समीर : सब फिक्स है बॉस माँ और मेरा परिचय उनके सामने कत्तयि होगा ही नही तो भला उन्हें क्या मालूम लगेगा?

आदम : यार पर इतना बड़ा इरादा करना ठीक है आइ मीन कि कही कुछ ग़लत तो नही कर रहा ना तू

समीर ये सुनके मुझपे हल्का गुस्सा हुआ फिर शांत होते हुए बोला.."देख यार मेरा ये पहला और आखरी फ़ैसला है मैं शादी करूँगा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ सोफीया से और मैं किसी की भी परवाह नही करता"..........मैं समीर के गुस्से को शांत करने लगा

आदम : अच्छा अच्छा भाई आइ आम सॉरी यार काये को गुस्सा होता है बस तेरी और आंटी की चिंता थी तो यूँ ही

समीर : मैं जानता हूँ कि तू मेरी बड़ी फिकर करता है तू बस इतना करना कि 15 तारीख से पहले मेरे यहाँ आ जाना बस रेलवे स्टेशन पहुच जाइयो बाकी मैं आके तुझे पिक कर लूँगा

आदम : अच्छा ठीक है बाबा ठीक मैं 15 तारीख से पहले ही आ धम्कुन्गा ठीक भला दोस्त की शादी में शारिक़ ना होउंगा तो लात जूते नही खाउन्गा

समीर : दट'स व्हाट आइ आम एक्सपेक्टिंग सो ब्रो चल जल्दी आना

आदम : ओके ब्रो चल रखता हूँ

समीर : ठीक है बाइ

आदम : बाइ आंड कोंग्रथस

समीर ने फोन कट कर दिया....पर मेरे मन में एक जिग्यासा जैसे छोड़ गया आख़िर वो दिन आ ही गया जिसका समीर को बेसवरी से इंतेज़ार था संबंध तक तो ठीक था पर शादी हाहाहा इस दीवाने बेटे को तो खुदा ही समझे कि ये कैसा है? एक बार मैने भी सोचा कि दिल्ली से लेके बेंगल तक मेरा भी तो रिश्ता अपनी अंजुम से कुछ समीर जैसा दीवाना सा हो गया था....पर शादी छी उसकी हिचकिचाहट तो अब भी थी मुझे माँ को इतने इकरार के बाद भी उसने हां ना कहा था...क्या पता माँ खुद ही पहेल कर दे? पर ऐसे अज़ीबो ग़रीब इरादे के लिए वो क्या कभी तय्यार होगी यही सोचते सोचते मेरी भी कब आँख लगी मुझे पता नही...
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12-09-2019, 02:14 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
जब अहसास हुआ तो माँ ने ही मुझे जगाया कहा कि तेरा फोन बजे जा रहा है और तू सोया पड़ा है....माँ ने सूट पहन रखा था शायद वो मुझसे पहले जाग गयी होगी और उस वक़्त ही चेंज किया होगा...मैं उठके अपने फोन को रिसीव करता हूँ उनके देते ही...फोन इमदाद का था उसने कहा कि कल रेडी रहिएगा सर फिर उसी वक़्त की तरह पूरा पुरी घुमा दूँगा आपको और आपकी मिसेज़ को...तो मैने कहा ठीक है मैं तय्यार रहूँगा इतना कह कर उसने फोन कट कर दिया...

हमने डिन्नर किया और फिर वापिस बिस्तर पे लेट गये....अगले दिन इमदाद की गाड़ी में मैं और माँ पुरी में घूमने का आनंद ले रहे थे....इस बार इमदाद ने मुझे और माँ को जगन्नाथ मंदिर भी दिखाया....दोपहर होते होते इमदाद हमे पूरी के सबसे बड़े मार्केट ले आया.....वहाँ इमदाद ने हमे छोड़ा और हम मार्केट की सैर करने लगे...वाक़ई काफ़ी बड़ा मार्केट था...माँ के लिए मैने एक एक संतरे रंग के फूलों का बना एक गजरा लिया और वहीं उसे पहनाया उसके बालों में गजरा बड़ा सुंदर लग रहा था...हम वैसे ही आगे बढ़े तो पाया कि वहाँ बड़ी साड़ी का सेंटर था...जहाँ से मैने माँ के लिए काफ़ी महेंगी बनारसी साड़ी एक दो खरीद ली मैने चाहा कि माँ उसे पहन्के एक बार देख ले वो तो मुझे होटेल आके ही देखना था कि उस पर कितना जचता ?

खैर फिर हमने वहाँ उड़ीसा की कुछ डिशस का रेस्टोरेंट में मज़ा लिया और फिर खा पीके मार्केट से एक आध माँ के लिए मैने शादी के जोड़े वाली चूड़िया और कुछ मेक अप का सामना जैसे लिपस्टिक फेस क्रीम ये सब खरीदा..फिर हम बाहर मार्केट से लौटे...अंधेरा हो चुका था चारो तरफ लाइट्स की जगमगाहट थी थोड़ी परेशानी हुए इमदाद को ढूँढने में क्यूंकी भीढ़ बहुत ज़्यादा लगी हुई थी और मेन रोड पूरा जाम था....इमदाद हमे खुद ही मिल गया....उसने कहा कि शाम को यहाँ ऐसे ही बहुत भीढ़ लग जाती है चलिए होटेल चला जाए....हम गाड़ी में बैठे और उस भीड़ भाड़ भरे इलाक़े से जल्द ही निकल गये...

होटेल आते आते एकदम शांत भरा वातावरण सा हो गया...जब हम रूम पहुचे तो मैं इमदाद को पैसे देते हुए गले मिला कहा कि उसका शुक्रिया कि उसने हमे ऐसी राइड करवाई काफ़ी घुमाया फिराया बड़ा मज़ा आया पुरी में....उसने कहा कि आप बस ऐसे ही आईएगा तो मैने कहा बिल्कुल..फिर हम होटेल रूम पहुचे..माँ ने घुसते ही ए सी ऑन कर लिया फिर बरामदे के पर्दे को हटते हुए बाहर की समुन्द्रि हवाओं और समुन्द्र की ल़हेरो को देखते हुए महसूस करने लगी...

"ह्म्म आज रात काफ़ी सुहानी है"........माँ ने मेरे बगल में होते ही कहा

"ह्म और आज दिन भी"......मैने माँ की पीठ पे चूमते हुए कहा तो वो शर्मा गई...मैने उसे फिर समीर और उसकी माँ सोफीया की शादी के बारे में बताया तो वो शरमाई बोली पगला है यह लड़का समीर भी मगर उसकी माँ भी तो राज़ी है अब जब दोनो ये इरादा कर ही चुके तो कौन बदल सकता है?

मैने माँ की तरफ सवालात से देखा कि क्या हम भी? ....पर माँ ने कहा भला मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हूँ? जिसकी उमर ढल रही है और वो अपने बेटे की ज़िंदगी महेज़ अपने लिए ही खराब कर दे ऐसी कन्सर्वेटिव वो नही थी...वो अब तक जो भी कि मेरी खुशियो के लिए उसने किया...तो मैं चुपचाप रहा...उसने मेरे मांयूस चेहरे पे हाथ फेरा...मैने कहा क्या सच में तुम? माँ नेमेरे होंठो पे उंगली रखते हुए कहा आज कुछ मत पूछ आज की इस आखरी रात को भी एंजाय कर ले फिर ये मौके बार बार हासिल नही होंगे

माँ की कॅटिली मुस्कान मुझे विवश कर दी कि मैने उसके पीछे पीछे कमरे में आते हुए दरवाजा लगाया....मैने गजरा चूड़िया शादी के जोड़ो वाला मेक अप का सामान साड़ी सब बिस्तर पे रखते हुए उसे दिखाते हुए कहा चल अब तय्यार भी हो जा...तो माँ ने मुस्कुराया हम दोनो के बीच शादी को लेके फिर कोई बात नही उठी क्यूंकी वो पल ही कुछ ऐसा था...

माँ ने मेरे कहे अनुसार मेरे ही सामने अपना सूट उतारते हुए गजरा बालों में लगाया साड़ी पहनी मेक अप किया लिपस्टिक लगाया काजल लगाया कलाईयों में चूड़िया डाली और फिर मुझे नज़ाकत से देखते हुए अपनी साड़ी ठीक करने लगी..मैं उसके इस रूप को देखके पगला सा गया था...मैने झट से अपने कपड़ों को उतारा और उसके सर पे प्यार से हाथ फेरते हुए उसे नीचे अपने झुका लिया

उसने झुकते के साथ मेरे लंड को अपने होंठो की लाली के बीचो बीच मुँह खोल के घप्प से लिया फिर उसे चूसा और मुझे बड़ी बड़ी काजल भरी आँखो से घूरा...मेरे लंड को चुसते हुए उसके एक हाथ मेरे हाथो में था मैने उसकी साड़ी खीचके उतारी उसके पेटिकोट और साड़ी दोनो को उसकी कमर तक किया उसकी पैंटी को उतारा और उसकी चिकनी गुलाबी चूत पे अपना मुँह लगाया जीब से चाटते हुए उसे पागल सा कर दिया....उसने अपनी दोनो जाघ इस बीच मेरे खुले बदन पे खूब रगड़ी...


मैने उसकी आइडियो को चूमते हुए उसकी पायल पहनी टाँगों से लेके जाँघो तक चूमा...फिर उसकी चूत पे मुँह दबाया तो वो सिसक उठी....फिर उसने अपने ब्लाउस से ही अपनी चुचियो को लगभग निकालते हुए मेरी ओर देखा मैने उसके मोटे ब्राउन निपल्स को एक एक करके चूसा और उसकी दोनो चुचियो को ब्लाउस के बाहर निकालते ही चूसा फिर उसकी चूत का भी हस्थ मैथुन करता रहा...इससे माँ पूरी गरम हो गयी....उसने कस कर भीचते हुए मेरी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ाए और मुझे अपने बदन से चिपका लिया

मैं भी उसके खुले पीठ वाले ब्लाउस में हाथ डाले उसकी पीठ को सहलाता हुआ मचल रहा था...मैने उसके कान के झूमकों पे चूमा और उसे अपने दाँतों से निकालके फ़ैक् दिया....फिर उसके रूज़ लगे दोनो गालो को बारी बारी से चूमा फिर उसके लाल लिपस्टिक लगे होंठो को चूस लिया...

अंजुम : उफ्फ इन्हें चबा जाएगा क्या? (माँ ने मेरे होंठो से खुद के होंठो आज़ाद करते हुए कहा)

आदम : अर्रे यही तो मज़ा है रानी ला दे ज़रा अपने होंठ (मैने माँ के होंठो को फिर चुस्सना शुरू किया)

अंजुम के होंठो चुसते हुए मैने उसकी चुचियों जो ब्लाउस से बाहर निकली हुई थी उन्हें भी दबाना शुरू किया जिससे माँ सिसकते हुए खुद ब खुद मुझसे लिपट गयी उसने खुद ही मेरा लिंग जो कि अकडा हुआ था उसे सहलाके फिर रोड जैसा खड़ा किया और फिर अपनी टांगे खोले बिस्तर पे लेट गयी मैने उसके खुले बालों को छूते हुए...उसके नितंबो को पीछे साड़ी उठाए दबाते हुए उसकी चूत पे मुँह लगाके फिर दाने को चूसा और चूत की गहराई को चाटना शुरू किया...उसकी फांको के बीच से सफेद रस बहे जा रहा था...वो स्खलन कर चुकी थी....और मेरे होंठ उसकी गीली चूत के पवरोटी जैसे दोनो मांसो को दाँत से खीच रहे थे....वो भरपूर कामवासना का आनंद ले रही थी...
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12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैने उसकी साड़ी कमर तक उठाई पेटिकोट की डोरी खोलते ही उसे अटका दिया और उसे लपेटते हुए माँ के गजरे पे हाथ रखके उसके बालों को समेटते हुए उसके माथे और होठों को चूमा और फिर उसे अपने उपर चढ़ा लिया...अब मैं उसे दोनो हाथो से नितंबो को कस कर जकड़े हुए गोदी में लिए खड़ा हो गया पलंग के किनारे और उसकी चूत में अपना लंड घुसाने लगा जिससे माँ ने दोनो टांगे और ज़्यादा फैला ली..

और मैं माँ को हिच हिच के चोदने लगा...उसके बाल हवा में खुल गये और लहराते हुए कंधो के इर्द गिर्द लपट गये... में उसे गजरा और अधखुली साड़ी में चोदते हुए अपनी गोदी में देख मेरे लंड ने तो लगभग पानी छोड़ ही डाला था....क्यूंकी वो मंज़र काफ़ी सेक्सी था....उसकी खनकती चूड़िया और उसकी आहों की आवाज़ मेरे कानो में गूँज़ रही थी....मैने पिस्टल की तरह लंड उसकी चूत के मुंहाने से अंदर बाहर करते हुए उसे लगभग उछलते उछलते अपनी गोद में ही 1-2 इंच जैसे उसकी चुदाई दबा कर करे जा रहा था...

वो मुझसे लिपटी जैसे असल मर्द के सुख का आनंद प्राप्त कर रही थी...कुछ ही पल में वो मुझे कस कर जकड़ी और मुझे अपने अंडकोषो और लंड पे गरम वीर्य की धार महसूस हुई वो पानी छोड़ चुकी थी...तो मैने फिर रफ़्तार बढ़ाई वो मेरे बदन से लिपटी एकदम लाश की तरह ढेर चुदे जा रही थी...कुछ ही पल में मैने उसके नितंबो को कस कर पकड़ा और उसे अपने बाज़ू में कस कर जकड़ा और इसी बीच मैं उसकी चूत में ही अपना रस उगलने लगा वो तो अच्छा हुआ कि मार्केट में केमिस्ट शॉप से कॉंडम ले लिया था...

मैने माँ को अपने गोद से उतारते हुए उसे आज़ाद किया और बिस्तर पे उसके शरीर को रख उसकी चूत के बीच की फाको से अपना कॉंडम चढ़ा लंड बाहर निकाला जो स्ररर से निकल गया उसमें सना मेरा लथपथ वीर्य से भरा लॉडा दबा हुआ था जैसे...मैने खीचके कॉंडम को चुटकी से निकाला और फिर लपेटते हुए डस्टपिन में फ़ैक् डाला वॉशबेसिन में थोड़ा उचकते हुए अपने लंड को साबुन से धोया इस बीच माँ एकदम बदहवास लेटी हुई थी....

जब हम अंदर आए तो कुछ देर पहले हुई हमारी भीषण चुदाई की गर्मी भरे पसीने हमारे शरीर ए सी की ठंडी हवाओं ने सोख लिए थे...हम माँ-बेटे एकदुसरे से लिपटे बिस्तर पे ही एकदुसरे के अंगो से खेल रहे थे माँ मेरे सर के बालों को समेटते हुए मेरे चेहरे पे एक चुम्मा देती है..उसके हाथ अब भी मेरे चेहरे को सहला रहे थे...तो मैने उसकी दोनो कलाईयों की चूड़ियो पे हाथ रखते हुए कहा माँ जाएगी ना तू शादी में समीर और आंटी के? माँ ने मुस्कुराते हुए कहा उसने सोफीया से वादा किया है अगर नही जाएँगे तो उन्हें बुरा लगेगा तो मैने कहा ठीक है फिर अगली 13 तारीख की टिकेट मैं निकलवा लेता हूँ....माँ ने मुस्कुराया

मैने एजेंट को फोन किया और उसे उड़ीसा टू मालदह की टिकेट जो कहा था निकलवाने को कहा....तो उसने तुरंत ही 2 घंटे में मेरे लिए 2न्ड एसी की ट्रेन की टिकेट सेंड की मैं नहाने चला गया और फिर रूम से निकल गया इस बीच माँ ने दरवाजा लॉक कर लिया था नंगे ही खड़े हुए....शायद फिर वो भी नहाने धोने चली गयी होगी

क्यूंकी मैने नीचे आके कंप्यूटर से प्रिंट आउट निकलवा लिया....मॅनेजर को कह दिया कि हम कल सुबह 10 बजे ही चेक आउट कर रहे है..वापिस कमरे में आया तो पाया माँ अब सजी धजी नही थी अब उसका चेहरे से मेक अप सॉफ हो चुका था और वो फिर घरेलू औरत बन सी गयी थी मैने कहा कि टिकेट आ चुका है कल दोपहर को वापिस बेंगल पहुच जाएँगे उसने कहा कि उसे ये ट्रिप हमेशा याद रहेगी...मैने उसे गले लगाया क्यूंकी मैं तो खुद इन दिनो के इन्तिजार में ना जाने कब से बैठा था?

हम अगले दिन चेक आउट कर लिए होटेल से....टॅक्सी ने हमे रेलवे स्टेशन छोड़ा...तो मैने माँ को लिए वेटिंग रूम में कोई आधा घंटा इन्तिजार किया जब ट्रेन प्लॅटफॉर्म में लग गयी तो हम अपने ट्रेन में सवार हुए...इस बीच मैने बोरियत मिटाने के लिए दो सुरेन्द्र मोहन पाठक की हिन्दी थ्रिल किताबें खरीद ली माँ जानती थी कि मैं नॉवेल्स पड़ने का शौकीन मिज़ाज़ हूँ

हमारी ट्रेन कुछ ही देरी में उड़ीसा राज्य से निकल गयी..रात का जब अंधेरा हुआ तो मैने उपन्यास छोड़ते हुए माँ को देखा जो बिस्तर लगा रही थी....हमने रात का डिन्नर कबका कर लिया था ट्रेन इस बीच काफ़ी तेज़ थी मैने कॅबिन रूम लिया था इसलिए दरवाजा लॉक्ड किया और माँ के पास आया और उसके गुदास पेट पे हाथ फेरा उसने मुझे मना किया कि सफ़र में ये सब करना ठीक ना रहेगा....लेकिन मैं नही माना

हम दोनो ने लाइट्स ऑफ की और जब तक बेंगल में ट्रेन नही घुसी तब तक पूरी रात ए सी की ठंडी हवा और बंद कॅबिन में सीट्स के भीतर ही चुद्दम चुदाई करते रहे...वाक़ई 1स्ट 2न्ड क्लास ए सी रूम्स की ट्रेन में बात ही जुड़ा है..जहाँ महेज़ दो ही सीट्स और एक रूम जैसा कॅबिन जिसके दरवाजा लगाते ही इतनी प्राइवसी

इस बीच माँ ने चादर उतार ली थी और वो करीब आधी नंगी ही खड़ी थी मैने अपनी सीट पे बैठते हुए उसकी दोनो टाँगों को फैलाया और झुकते हुए उसकी चूत में मुँह लगाके चूसा ट्रेन हिल रही थी काफ़ी तेज़ चल रही थी इसलिए माँ ने दीवारो का सहारा ले रखा था खड़े होने को और मैं उसकी चूत की अच्छी चुसाइ कर रहा था उसके फांको में मूँहघूसाते हुए जीब से उसे कुरेद रहा था...इस बीच मैने अपनी तीसरी उंगली माँ के छेद में करनी शुरू की तो माँ काँप उठी उसने मेरे हाथ में अपनी चूत का फवारा छोड़ दिया

इस बीच माँ की चूत को टिश्यू पेपर से पोंछते हुए मैने उसे सीट पे लेटा दिया फिर चादर आधी ओढ़ते हुए एक कॉंडम चढ़ा कर उसकी चुदाई करने लगा....माँ ने मुझे कस कर पकड़ लिया बाहर शायद हल्की हल्की बारिश की बूँदें पड़ रही थी इसलिए कमरे का माहौल काफ़ी ठंडा सा हो गया था लेकिन मेरी गरमी को कौन निकाल सकता था? माँ ने इस बीच टांगे लपेटे हुए मेरी कमर पे मुझे अपने आगोश में भर लिया...

जब कोई स्टेशन आके ट्रेन थमी थी तब हमे अहसास हुआ उस बीच ना जाने किस चूतिए ने दरवाजे पे दस्तक दी तो मैं और माँ हड़बड़ा उठे....मैने जीन्स कसी शर्ट पहना और फिर माँ ने तो सीधे चादर ओढ़ ली डर के मारे मैने आधा दरवाजा खोला और कहा क्या है? तो मालूम चला कि ग़लत बौगी में दो मियाँ बीवी घुस आए थे मैने उन्हें कहा कि आगे वाला कॅबिन हो सकता है आपका? वो आगे चले गये....मेरा मूड खराब हो गया था फिर मैने दरवाजा लगाया और एक बोतल पानी पीके सामने वाली सीट पे बैठ गया माँ ने पहले पूछा कि कौन थे? फिर जानते हुए कि को-पॅसेंजर्स थे उन्हें शांति मिली जल्दी जल्दी साड़ी पहनी और मुझे बोली कि अब सो जा....मैं भी बहुत थक गया सोया नही था ढंग से इसलिए हम दोनो कुछ घंटो के लिए सो गये....
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12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
जब आँखे खुली तो हमारा स्टेशन आ चुका था सुबह 9 बज चुके थे जिसकी तेज़ रोशनी कमरे में पड़ी...हम दोनो ने अपने सफ़र में खूब मज़े किए थे...हम जागे और अपना बॅग हाथो में लिए कॅबिन से निकले ट्रेन कुछ ही पल में स्टेशन पे आके रुकी...उसी बीच हम दोनो भी ट्रेन से उतरे सामान लिए कुली किए रिक्क्षा पकड़ा और फिर घर आए....राजीव दा उस वक़्त घर पे थे नही शायद इसलिए हमे अहसास नही हुआ...क्यूंकी उनकी वाइफ ने दरवाजा लॉक्ड रखा था श्याद अब भी सो रही हो...

वाक़ई ये सफ़र मेरे सबसे यादगार लम्हो में था इस सफ़र ने माँ और मुझे कितना नज़दीक ला खीचा था....उस दिन मैं फारिग होकर अपने नये फ्लॅट से एजेंट के पास गया क्यूंकी मुंबई की टिकेट निकलवा लेनी थी...उसने बताया कि सीट्स एकदम खाली नही है तो मैने कहा कि यार जैसे भी करके कर दो...पर उसने सॉफ इनकार कर दिया अगर होगा तो तारीख से बहुत आगे का..

मैने फ़ौरन समीर को कॉल लगाके बताना चाहा पर दिल नही माना मैने घर में माँ को आके ये बात सुनाई तो उन्हें बड़ा दुख हुआ... और संजोग देखो कि समीर का उसी दिन कॉल भी आ गया की टिकेट्स हुए कि नही? पर जैसे ही माँ ने उसे कारण बताया तो उसने निश्चिंत हो जाने को कहा...आज ऑफीस की छुट्टी कर ली थी इसलिए मैं पूरे दिन सोया आराम करता रहा...

माँ घर के काम काज में लग गयी थी..माँ फिर ज्योति भाभी से मिलने चली गयी और मैं पीसी पे ब्लूफिल्म देखने लगा....माँ वापिस लौटी तो बताया कि राजीव दा ड्यूटी के सिलसिले में कोलकाता गये है कोई केस आ पड़ा है अर्जेंट जिस वजह से गये है...मैने कहा अच्छा...तो माँ ने कहा कि अब क्या करेंगे? तो मैने कहा देखेंगे मैं और ट्रेन की कोशिश करता हूँ क्यूंकी घूमने के चक्कर में थोड़ा खर्चा हो गया है माँ मांयूस सी हुई एक तो नये फ्लॅट में हम शिफ्ट हुए और लग्ले लग्ले घूमने उड़ीसा चले गये...मुझे तो यही लग रहा था कि कहीं समीर को बुरा ना लग जाए...

अगले दिन ऑफीस में माँ का कॉल आया....माँ काफ़ी खुश लग रही थी उसने बताया कि तुझे समीर ने ईमेल किया है उसमें हम दोनो के लिए उसने दो एर टिकेट्स भेजा है...मैं ये सुनके चकित हो गया अब क्या कहूँ ये दोस्त था ही कुछ ऐसा

माँ बर्तन मांझ रही थी...और मुस्कुराते हुए किचन से मेरी और समीर की बात सुन रही थी...दरअसल शाम को ऑफीस से लौट आने के बाद माँ की खुशी का तो कोई ठिकाना नही रहा..इसलिए मैने तुरंत समीर को कॉल लगाया और एर टिकेट्स टेबल पे रखते हुए उससे बात करने लगा....समीर ने मुझे कहा था कि वो मुझे एक मात्र दोस्त मानता है चूँकि हम एक ही कश्ती के जैसे सवार थे हम एकदुसरे से अलग अलग कोई भी खुशी कैसे मना सकते थे

समीर : बस भाई बस इतना थॅंक्स कहने की ज़रूरत नही है मैं चाहता हूँ कि आंटी और तू जल्द से जल्द पहुच और देख मैने टिकेट भी तेरे 13 तारिक़ की निकलवा दी है बस 2 घंटे में यहाँ पहुच जाएगा बाकी कोलकाता तक तो पहुच जइयो

आदम : हन बिल्कुल यार पर कसम से इतना खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी? कम से कम एक बार मुझे तो कह देता फ़ौरन टिकेट काट लिए तूने

समीर : साले तेरे आने के चान्सस ट्रेन से तो नाही ही थे अच्छा हुआ आंटी ने मुझे इनफॉर्म कर दिया सुबह सुबह बस दौड़ा गया ट्रॅवेल एजेन्सी और बस काट आया

आदम : फिर भी यार थॅंक यू सो मच

समीर : मुझसे ज़्यादा सोफीया चाहती है कि आंटी उनके पास हो उस टाइम

आदम : हाहाहा सही सोचा है उन्होने मैं भी यही चाहता हूँ अच्छा सुन हनिमून में माँ को कहाँ ले जाने का प्लान बनाया है?

समीर : भाई हनिमून तो बहुत काट आए इसलिए अब हमे कोई जल्दी नही है सोच रहे है एक बार माँ स्विट्ज़र्लॅंड लेके जाउ

आदम : ह्म ये तो बहुत अच्छा आइडिया है चल ठीक है फिर मुंबई में ही मिलते है

समीर : अच्छा आदम चल रख बाइ फिर और हां अब नो बहाना

आदम : हा हा हा हा हां बिल्कुल अब नो बहाना चलेगा

समीर ने फोन कट कर दिया...मैने फोन रखते ही माँ को चाइ और मेरे लिए हॉट नूडल्स लाते देखा जो कि मेरे शाम के वक़्त खाने का नाश्ता ज़्यादातर हुआ करता था...मैने माँ को हाथ से खीचते हुए अपने बगल में बिठाया तो हँसने लगी...फिर मैने उसके चेहरे को सहलाते हुए उसकी बातें सुनने लगा...माँ काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी जाने को

अंजुम : पता है आदम मेरा तो दिली अरमान था कि मैं हवाई यात्रा करूँ और देख अब ये भी अरमान पूरा होने को है

आदम : हाहाहा अगर ना भी होता तो मैं किसी ना किसी दिन तेरी ये मुराद भी पूरी कर देता

अंजुम : फिर भी बेटा मैं तो कम पढ़ी लिखी हूँ कैसे ट्रॅवेलिंग करना होता है? मतलब तू भी तो कभी गया नही फ्लाइट में

आदम : अर्रे माँ मेरी ये कौन सा इंटरनॅशनल फ्लाइट है डोमेस्टिक ही होंगी इतना संकोच कैसा लेकिन सच में समीर ने बड़ा खर्चा किया है यार बुलाके ही माना साले ने

अंजुम : हट पागल उसे क्यूँ कोस रहा है? अच्छा ही तो किया इस बहाने मेरा मुंबई में भी तेरी माँसी के पास भी जाना हो जाएगा और हम फ्लाइट भी अटेंड कर लेंगे

आदम : ह्म ये तो है क्या करे माँ? ये सब तो सपने से देखे थे हमने और आज सबकुछ इतना हक़ीक़त में तब्दील हो गया

माँ मेरे सीने पे सर रखके मुस्कुराने लगी...मैं उसके ज़ुल्फो पे हाथ फेरते हुए...यही सोच रहा था कि कैसा ये ख्वाब सा हमारी ज़िंदगियो में हो रहा है...अब ज़िंदगी में क्या कुछ नही है हमारे पास? पैसा घर मुहब्बत लेकिन अभी भी मुझे जिस चीज़ की हसरत थी वो थी माँ के साथ अपना रिश्ता बनाना मैने माँ के चेहरे को अपनी तरफ उठाया और उसे सवाली निगाहो से फिर पूछा

आदम : अच्छा छोड़ तूने मेरा जवाब उड़ीसा में नही दिया था...पर आज तो दे सकती है कम से कम

माँ : कैसा जवाब बेटा? (माँ ने मेरी तरफ सवाली निगाहो से ही पूछा)

आदम : अर्रे माँ तेरे सामने एक बेटे और माँ पवित्र बंधन में बँधने जा रहे है और तू है कि मेरे प्रपोज़ल को अब भी नही समझ पाई

माँ जैसे होंठो पे ज़ुबान फेरते हुए शरमाई....उसने मेरे चेहरे को सहलाते हुए मेरे नज़दीक थोड़ा और पास आते हुए कहा देख बेटा मैं उस वक़्त इसलिए कुछ नही कही कि क्या मालूम वाकेशन में तेरा मूड थोड़ा खराब हो जाता...मैं ये फ़ैसला ले नही सकती हूँ मैने एकदम से कहा आख़िर क्यूँ माँ? माँ ने जवाब ढूँढने के आसार से नज़र झुका ली फिर उसने जब नज़र उठाई तो एक साँस में बोलना शुरू किया मैं चुपचाप सुनता रहा...माँ थी वो मेरी उसकी रज़ामंदी मेरे लिए अहम थी अगर वो राज़ी नही थी तो उसकी वजह जानना चाहता था...
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12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम : देख आदम तू मेरी औलाद है माँ-बेटे का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता होता है...तू मेरी एक मेल है मेरे माँस का एक टुकड़ा है जो कि मेरे शरीर से अलग होके एक नौजवान इंसान बना है...इसलिए तू मेरा खून है...लेकिन हमारे बीच जो रिश्ता बना है वो रिश्ता इन सारी मर्यादाओ से पार हो चुका है देख तू ग़लत ना समझ....कहीं ना कहीं ये हमारी ज़ाररूरत थी? तो कहीं ना कहीं हमारी मुहब्बत मैं जानती हूँ तू मुझसे अटूट प्यार करता है और तेरा प्यार कभी नापाक हो नही सकता लेकिन ये सारी सीमा लाँघ चुका है...मैं नही चाहती कि तू मेरे लिए अपनी ज़िंदगी ज़ाया करे मैं जानती हूँ तू नही समझेगा तू मेरा दीवाना है पर बेटा ज़िंदगी सिर्फ़ मेरी और तेरी कब तक कटेगी? ये एक ज़िमेदारी भरा फ़ैसला है कोई बचकाना फ़ैसला नही जहाँ बिना सोच समझ के बिना सूझ बुझ के हम ये तय कर लें क़ि हम एकदुसरे से शादी कर सकते है

तू कोई गैर मर्द नही मेरी औलाद है....मानती हूँ कि हमारे बीच मियाँ बीवी जैसे ही रिश्ते संबंधो में जुड़े है पर हम उन माँ-बेटों की तरह नही सोफीया और समीर की तरह ज़िंदगी जी रहे है एक लवर्स की तरह एक कपल की तरह....मैं नही कहती कि तू मुझसे संबंध ना बना बना बेशक बेझिझक बना इसमें मुझे भी अच्छा लगता है पर शादी मैं किसी की सोच से नही घबराती तो जो होगा सो होगा पर तू जानता है कि ये तेरा फ़ैसला दो ज़िंदगी बदल देगा...मैं कब तक यूँ जवान रहूंगी मानती हूँ तूने मुझे दिल से माना है प्यार किया है साथ रहने का ज़िंदगी भर का वचन दिया है...
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12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
पर क्या सच में? हम दोनो शादी कर सकते है तुझे पता है शादी के बाद क्या होता है? ज़िम्मेदारिया बढ़ती है कल को तेरी जो औलाद होगी वो बड़ा होगा जब उसे कल को बदनाम किया जाएगा या फिर उसे ही मालूम चले तो कितना ठेस पहुचेगा उसको क्या उसकी नज़र में माँ-बेटे का रिश्ता रिश्ता रहेगा नही वो इस रिश्ते से घिन करेगा क्यूंकी ये रिश्ता उसके लिए कोई अहमियत नही रखेगा....सोफीया और समीर की बात अलग है क्यूंकी सोफीया को उसके दिल में बेटे को छोड़ किसी के लिए फीलिंग्स नही है...मेरा भी सिर्फ़ तुझसे ही खिचाव है मुहब्बत है पर ये रिश्ता यही तक ठीक है बेटा उतना आगे पहुचना ये बस की नही हमारे हाथो में नही....हम कब तक मुँह छुपाए फिरेंगे कोई ना कोई जानेगा ही कि तू कौन है हमारा रिश्ता क्या था? कल को अगर मालूम चल गया तो कितनी बेज़्ज़ती होगी हमारी जानता है...

मैं चुपचाप खामोश माँ को सुन रहा था....माँ घबरा भी रही थी कि कहीं उस दिन की तरह मैं माँ पे ना बर्सू पर सच में उसकी मिचयोर्ड बातों ने मेरे अंदर भी समझदारी जैसे फूँकी...मैं चुपचाप माँ की बात सुनता रहा कोई गुस्सा कोई नफ़रत भरी बात कुछ ऐसा नही कहा कि माँ को चोट पहुचे...माँ ने मेरे चेहरे को अपनी तरफ खीचते हुए पाया कि मैं ज़ज़्बाती सा हो रहा था....माँ मुस्कुराइ

अंजुम : तूने मुझे वो सब दिया है जो कोई गैर भी अपनी औरत को ना दे...तूने वो खुशिया दी है जिनसे मैं सालो तक वंचित रही हूँ...आज तूने मुझे ज़िंदगी की सारी ऐश दी

आदम : पर माँ मेरी ये एक ख्वाहिश ही तो थी!

अंजुम : ख्वाहिश का क्या है? आज मैं और तू अकेले ही सारी ज़िंदगी क्या बिता लेंगे? हम समीर जैसे अमीर तो नही ना ही उसके जैसा तू उतना दीवाना है जो हालत की परवाह ना करता हो बोल ना क्या तू अपनी माँ पे व्याबचार रिश्तो की बेज़्ज़ती किसी के मुँह से सहन कर पाएगा

आदम : कतई नही

अंजुम : तो फिर मैं बस इतना चाहती हूँ कि तू खुश रह और मेरे साथ हमेशा रह जैसा तूने मुझसे वादा किया था....पर शादी करना ये सीमा मैं कभी नही लाँघ सकती हूँ ना तुझे लाघने दे सकती हूँ आजतक तेरी हर ख्वाहिश मैने मानी है और आज तुझे मेरी इस ख्वाहिश में रज़ामंद होना होगा अगर तू नही हुआ तो कर ले अपने मन की मैं नही रोकूंगी पर कल के भविश्य में तुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ यही डर लगा रहेगा कि कल को हमारा भेद ना खुल जाए....मैं गैरो की बात नही कर रही अपनो की बात कर रही हूँ सोच जो हमारे बीच तीसरा ग़लती से भी आएगा तो क्या रिश्ता रहेगा उसका हमसे? सोच ज़रा ज़िंदगी ऐसे ही नही कंटति कि जिससे प्यार हुआ उससे शादी हुई कभी कभी प्यार किसी और से और शादी किसी और से हो जाती है यही ज़िंदगी की रीत है क्यूंकी प्यार और शादी एक संग कभी टिकती नही ये हक़ीक़त है

आदम : तो तू चाहती क्या है? (मैने माँ से ये आख़िरी सवाल किया)

अंजुम : देख कल तक तुझे मेरे लिए कोई मुहब्बत नही थी फिर तेरे अंदर की हवस मेरे लिए सच्ची मुहब्बत में तब्दील हुई बस यही चाहती हूँ कि ये संभव नही हो सकता क्यूंकी हमारा संबंध कही तक भी पहुच जाए हम माँ और बेटे ही रहेंगे उस अनमोल रिश्ते को टूटने मत दे मत दे

इतना कहते हुए माँ भावुक हो उठी....मैं माँ के आँसू देख नही सकता था इसलिए उसे अपने गले लगा लिया...वो मेरे बाजुओं को सहलाते हुए मेरे शर्ट पे अपना सर रखके रोती रही...मेरे भी आँखो से जैसे आँसू छलक गये....काश काश ये रिश्ता हमारे बीच ना एग्ज़िस्ट करता लेकिन इसमें हमारा बस नही था...

हम फिर नॉर्मल हुए...तो मैने माँ को हंसते हुए कहा कि जो तू कह वहीं होगा चल मैं एर-टिकेटिंग वेरिफाइ करता हूँ नेट पे तू जल्दी काम निपटा....माँ मुझे जाते देख बेहद खुश हुई....ऐसा लगा जैसे अंजुम अपने बेटे को नही किसी समझदार इंसान को देख रही थी जो उसकी हर शरतो और इरादो पे इतना आँखे मुन्दे हां से हां मिलाता था...यही तो मुहब्बत थी...

कुछ वक़्त लगा मुझे नॉर्मल होने में....रात को ज्योति भाभी माँ से मिलने आ गयी तो माँ उससे गप्पे लड़ाने लगी....इस बीच ज्योति भाभी को मैने नमस्ते किया और पूछा राजीव दा कहाँ है? तो वो बोली आ गये वो सो रहे थे तुम जाओ मिल लो ना उनसे...मैं चला आया...पीछे पीछे सुनता गया कि ज्योति भाभी मेरी खूबसूरती और हॅंडसम पने की तारीफ़ कर रही थी माँ से मेरी शादी की बात कर रही थी कि मैं इतना बड़ा हो गया और इतना ज़िमीद्दार हो गया जवान हूँ तो लड़की क्यूँ नही देखती इसके लिए? माँ ने सिर्फ़ हँसी में ये बात टाल दिया...पर मुझे ये बात अच्छी नही लगी अगर माँ नही तो फिर कोई नही

राजीव : चियर्स बडी चियर्स

आदम : चियर्स राजीव दा

मैने और राजीव दा ने बियर की एक एक चुस्की लेते हुए कहा....राजीव दा काफ़ी थके हारे लग रहे थे वो पश्त पड़े आदम की तरफ देखते हुए मुस्कुराए...."और राजीव दा क्या हुआ आज? आप काफ़ी थके थके से ?

........राजीव दा मुस्कुराए

राजीव : हा हा हा हा तुम्हारी भाभी सोने देगी तब ना कोलकाता में एक हाफ मर्डर केस के सिलसिले में जाना पड़ा जब वापिस लौटा तो तो भाभी ने तो जैसे हुक्का पानी सर पे उठा लिया असल में खुजली होती है ना उसे

आदम : खुजली : ? (जब तक समझ आया मेरे दोनो गाल शरम से लाल हो गये )

राजीव : अब आई ना शरम हहहे

आदम : क्या राजीव दा भाभी के बारे मे में ऐसा ना कहो

राजीव : अच्छा जी उसके भाई को शरम आ रही है (राजीव दा ने टाँग खींचते हुए कहा)

आदम : नही ऐसी बात नही

राजीव : हाहाहा मज़ाक कर रहा हूँ यार मैं झूठ नही कहता जबसे तेरी भाभी से शादी की है हर वक़्त उसके नीचे खुजली होती रहती है अब तुम तो घर के हो यार तुम से क्या शरमाना? घर आते ही सोचा 2 घंटे की नींद मार लूँ हुहह नींद बेटा लेटने तक को नही दिया तेरी भाभी ने

आदम : मतलब पलंग पे ही पूरे टाइम बैठना पड़ गया

राजीव : हां यार उफ्फ मेरा तो लंड दर्द कर रहा है (राजीव दा ने आँख मारते हुए कहा)

आदम : क्या राजीव दा? (मैने बियर गटकते हुए कहा तो राजीव दा हँसे)

राजीव : अच्छा तुम भी आज चुप चुप से हो?

आदम : नही तो कोई बात नही

मुझे लगा राजीव दा को अहसास हो गया कि आज माँ और मेरे बीच ज़ज़्बातो का क्या सैलाब बहा था? माँ ने मुझे सॉफ इनकार कर दिया शादी के प्रस्ताव से....मैने कहा बस कुछ नही राजीव दा ऐसे ही किसी की याद आ गयी

राजीव : किसकी?

आदम : हाहाहा अर्रे ज़िंदगी में इतने औरतो का सामना किया हूँ कि किस का नाम कहूँ?

राजीव : कह भी दो यार हम कौन से गैर लगते है ?
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12-09-2019, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैने उन्हें क्या कहता? कि कौन कौन? किन किन व्याबचार रिश्तो को जनम दिया था मैने....अपने ही सग़ी संबंधियो से रिश्ता बनाया था पहले ताहिरा फिर रूपाली फिर तबस्सुम दीदी फिर अधेड़ उमर की वो काकी लगी रिश्तें मे सुधिया काकी.मैने बस बातों को गोल गोल घुमाते फिराते हुए यही कहा कि थी कोई? लेकिन राजीव दा छोड़ने वालो में से नही थे इसलिए मेरी हवस भरी हसरतों को जगाने वाली मेरी माँ की तरफ मेरा रुख़ करने वाली उस औरत का नाम मज़बूरी में ले डाला जिसका नाम था चंपा वहीं धंधे वाली जिसका मैं एक समय था कि आशिक़ बन गया था उसकी खूबसूरती का उसके गोरे चिकने जवान काटीले बदन का

राजीव : ह्म ये चंपा कौन थी?

आदम : बस थी यही रहती थी आपको बताया था ना कि मैं यहाँ पहले भी रह चुका हूँ अभी वापिस से शिफ्ट किया

राजीव : ओह हां हां

आदम : बस ऐसे ही संबंध बन गये थे उससे पर हमारा रिश्ता कुछ अलग ही मोड़ पे था

राजीव : क्यूँ?

आदम : बस वो एक प्रॉस्टिट्यूट थी और मैं एक घरेलू घर का लड़का

राजीव दा ने चौंकते हुए मुझे देखा ऐसा लग रहा था जैसे कह उठेंगे कि कोई नही मिली तो रंडी मिली तुम्हें चोदने को...जिससे इश्क़ लगा बैठे..पर सच पूछो तो चंपा के लिए फीलिंग्स थी दिल में वो सबसे पहली औरत थी मेरी लाइफ में और आज भी मैं उसे मिस करता हूँ कहा था उसने मुझसे कि भूलिएगा नही सरकार एक वहीं थी जो माँ और मेरे रिश्ते से वाक़िफ़ थी राजीव दा ने मुस्कुराते कहा ह्म नाइस पर भाई रंडी से संबंध तक ठीक था पर शादी कैसे करते ? सबसे पहली बात उसका तुम्हारा कोई मेल नही रहता तुम पढ़े लिखे समझदार लड़के सिर्फ़ तारक की हसरत थी तुम्हारी पर प्यार नही यार यहाँ तक कहानी ठीक नही लगती

आदम : प्यार अँधा होता है राजीव दा वाक़ई बेहद अँधा नही देखता जात पात रिश्ते नाते बस हो ही जाता है (माँ के चेहरे को सोचते हुए मैने कहा)

राजीव : ह्म सही तो कहा तुमने अब मुझे ही देख लो जिसको कल तक बहन कहा आज उसके साथ कितनी बार सोया हूँ अर्रे बीवी बन गयी वो मेरी पर देख यार माँ है तेरे पास तुझे काये को ऐसे लफडो में पड़ना जानता है रंडी के चक्कर में पड़ता तो एड्स हो जाता तुझे


आदम : रंडी तो हमने ही उसे बनाया है ना राजीव दा उसकी मज़बूरियो ने एक से नही दस से चुदवाती है सोती है उनके साथ उन्हें मज़ा देती है चाहे खुद कितने ही दर्द से ले....लेकिन ये फॅक्ट है कि आज घरो घर की लड़किया आमतौर पे इतने बाय्फरेंड्स बनाती है कि जितने धंधे वालियों के कस्टमर्स नही होते

राजीव : भाई दुनिया ही खराब हो चुकी है

आदम : ठीक है चलो मान लिया जाए कि ऐसा की जिस लड़की की ज़िंदगी में 3-4 लड़के बाय्फरेंड्स रहे हो उसकी शादी तय कर दी जाए तो फिर भी उसे घर की ही बहू माना जाता है पर अगर किसी कोठे में किसी लड़की के साथ एक मर्द भी सो जाए तो उसके पास्ट को जानते हुए भी उसका हाथ ना थामे बताइए ऐसा क्यूँ?

राजीव : क्यूंकी घरेलू औरतें कोई रंडी नही होती और ज़रूरी नही कि हर घरेलू औरत ऐसी हो

आदम : माना ना आपने वैसे ही एक रंडी भी किसी की बेटी होती है किसी की कोई लगती है फिर क्यूँ उसे शादी का हक़ नही सिर्फ़ इसलिए की वो धंधा करती थी या फिर किसी गैर मर्द से मिल ली सिर्फ़ इसलिए की वो एक धंधे वाली थी उसकी मज़बूरी थी या कोठे पे उसे रंडी बना दिया गया क्या ये उसका हक़ नही वो भी तो कल माँ बन सकती है

राजीव : पॉइंट में तो दम है दोस्त लेकिन कौन इतना बड़ा देवता होगा जो जाने सुनके ऐसा कदम उठाए लोग तो उसी से शादी करेंगे ना जिसे वो सुशील संस्कारी या घरेलू ही समझे

आदम : शायद इस सोच को कोई ना समझे पर प्यार को समझना ज़रूर है कि प्यार अँधा होता है

राजीव दा चुपचाप हो गये उन्होने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर कंधे पे थापि मारते हुए कहा मुझे यकीन है कि तेरी मुहब्बत उसके लिए भाग्यशाली होती पर यार मेरी मान भूल जा उसे...मैं सिर्फ़ मुस्कुराया और फिर कुछ देर बातचीत किए वापिस घर लौटा...ज्योति भाभी फिर उपर चली गयी...बोली राजीव दा को लेट ना हो जाए पर मैं जानता था राजीव दा से दूर होने का उनका कोई मन नही था..

मैं जब कमरे में लौटा तो मेरे उपर उदासी छा गयी खुदा से यही नाराज़गी थी कि क्यूँ तूने ऐसे रिश्ते बनाए जिसमें अँधा प्यार डाला अगर आज प्यार ना होता तो मुझे इतनी तक़लीफ़ नही होती माँ के इनकार से मुझे तक़लीफ़ हुई नही थी पहले रूपाली भाभी जो मुझ बेपनाह प्यार करती थी फिर मेरी माँ की तरफ बढ़ती हसरतें जिसने मुझे सारी हदें पार करने पे मज़बूर किया और चंपा जिसका मैं आशिक़ बन गया आज मैने अपने दिल को टटोला तो सच में उसे मैं सच में प्यार करने लगा था लेकिन राजीव दा ने ये बात सही की थी उसे भूल जाना ही मेरी समझदारी है...

अब मेरे जीवन में कुछ नही रहा था सबकुछ था मेरे पास माँ का प्यार भी...मेरे मूड को दुखी देख माँ ने भाँपा की शायद उसके ही लवज़ो से मैं हर्ट हुआ हूँ लेकिन मैं आज अपने व्याबचार रिश्ते और अपने कुछ नापाक रिश्तो के वजह से दुखी था....माँ ने मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए मेरी चुप्पी तोड़ी

आदम : क्या हुआ माँ?

माँ नज़ाकत से मुझे देखते हुए बोली कि आज उसे एक सीडी मिली है क्या मैं उसकी खातिर वो सीडी प्लेयर में चला सकता हूँ? मैने सोचा ये माँ शायद लगता है फिर प्यार करने के मूड में थी....हाहहाहा मैं वापिस बहेक गया उसकी बातों से...वो सीडी मेरी लाई हुई थी और वो एक पॉर्न फिल्म की सीडी थी
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12-09-2019, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
जब हमने उसे ऑन किया . माँ हैरानी भरी नज़रों से पोर्न्स्टार की चीख और उसके शरीर पे लाल लाल निशानो को घूर्र रही थी....."उफ्फ कितना बेदर्दी है यह रस्सियो से बाँधके उसे लटका दिया और ऐसे बेल्ट से मार रहा है ये सब तो ग़लत है".......

.."माँ ये भी एक मज़ा है".......

."वो कैसे? कोई सनकी पागल है क्या तू?".........

मैं मुस्कुराया

आदम : माँ तेरी समझ से परे है ये सब छोड़ ये सब देखना

अंजुम : नही तू बता क्या कहा था तूने बेड्सम ये क्या होता है ?

आदम : इसमें पार्ट्नर्स के साथ एंजाय करते है इसमें जैसे एक औरत मालकिन बनती है और अपने पार्ट्नर को टॉर्चर करती है उसे बेल्ट से मारती है या उसे पाओ की उंगलिया चाटने कहती है या फिर उसे कोई नीच काम करने को कहती है वैसे ही मर्द भी अपनी पार्ट्नर के साथ कोई ऐसी ही नीच हरकत करता है उसे बाँधके उसे बेतरतीब से चोदता है और ना जाने क्या क्या उसके साथ करता है तू ये फिल्म देख लेगी तो समांझ जाएगी मेरे कहने की बस की नही इसलिए कह रहा हूँ मत देख ये सब मुझे अच्छा नही लगता उस चूतिए सीडी वाले ने ग़लत पकड़ा दी

अंजुम : तो क्या मिया बीवी में ऐसा खेल होता है?

आदम : ह्म दुनिया में अज़ीबो ग़रीब फॅंटेसी होती है लोगो की हाथो को रस्सी से बाँध देना उन्हे हल्का हल्का हर्ट करना उन्हें रफ चुदाई का मज़ा देना यही सब रोल प्ले में होता है

मैं सोचते सोचते मेरा ध्यान आया कि मैने तो एक बार ताहिरा मौसी को स्ट्रेंजर बना कर चोदा था वो काला मास्क जो मैने दर्ज़ी से सिलाया था क्या वो मास्क मैं माँ के साथ उपयोग करूँ तो कैसा रहेगा?

आदम : चल माँ आज हम भी एक खेल खेलते है मज़ा आएगा

माँ : कैसा खेल?

माँ की भवे उठी उसे लगा कि मैं उसके साथ बेड्सम वाला कुछ हरकत करूँगा पर मैने कहा मैं उसे बाँधूंगा ज़रूर पर कोई वैसी गिरी हुई हरकत नही करूँगा बस हल्के हल्के से थोड़ा बहुत

माँ : तो कैसे खेलेगा? (माँ की भी उत्सुकता जैसे बढ़ गई)

मैने उसे कहा कि हम एक रोल प्ले करेंगे मैं तेरा दीवाना प्रेमी हुंगा तुझे मैं अगवा कर लूँगा तू किसी की पत्नी होगी मैं तेरे साथ प्यार से ही पर ज़बरदस्ती करूँगा तू पहले मानेगी नही फिर मैं तुझे उन दर्द में मीठा मज़ा दूँगा तू धीरे धीरे खुद ब खुद मेरी आगोश में आ जाएगी....

माँ : बाप रे क्या क्या फॅंटेसी सोचता है तू?

आदम : करके देखते है ना सबकुछ तो कर ही लिया अब ये फॅंटेसी भरी हसरत भी पूरी कर ले

माँ : ठीक है तो क्या करना होगा?

उसके बाद जो मैने उसे कहा एका एक उसकी दृष्टि में परिवर्तन हुआ और वो थोड़ी सेहेम उठी

माँ काफ़ी सहम उठी थी क्यूंकी जो तरीका मैने उसे करने को कहा था उन हरकतों को करना उसके बस की बात नही थी एक घरेलू समांजिक औरत जिसे सिर्फ़ बिस्तर पे चुदाई का मतलब ही पता था उस भला मासूम औरत को क्या पता? कि सेक्स भी एक कला है और उसे कैसे फॅंटसाइज़ किया जाता है .....जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैने उसके बालों की चोटी को लपेटते हुए एक हाथ से दूसरे हाथ से उसके चेहरे पे वहीं दर्जी का सिला काला मास्क पहनाने लगा मास्क पहनने के बाद माँ की सिर्फ़ दो आँखे और मुँह के छेद से नाक का निचला हिस्सा और होंठ दिख रहे थे..माँ मुझे बोली कि सास लेने में थोड़ी सी तक़लीफ़ हो रही है....मैं मुस्कुराया कहा कि तूने कभी ये सब पहना नही है ना थोड़ा आराम से धीमे एक गहरी साँस ले और कंफर्टबल हो जा अभी मैं जो करने जा रहा हूँ वो एक तेरे लिए नया अनुभव होगा समझ कि ये एक नाटक चल रहा है मैं वादा करता हूँ तुझे ज़रा सी भी दर्द नही पहुचाउन्गा.....माँ तो जानती ही थी इसलिए वो चुपचाप ब्लूफिल्म देखते हुए मुझे बाहर जाता देखती रही...

मैने जीन्स पहनी हुई थी शर्ट एक ओर उतार दिया....फिर स्टोर रूम के पास रखी उस रस्सी को सॉफ करते हुए कमरे में ले आया...माँ की ये देखते ही उसके आँखे बड़ी बड़ी हो गयी....मैने उसी बीच पहले उसे खड़ा किया और उसकी साड़ी उतारने लगा...उसकी साड़ी खीचके उतारने के बाद उसने खुद ही पेटिकोट की मज़बूत डोरी को खोला फिर खुद ही अपनी ब्लाउस भी उतार फैकि..

माँ कुछ ही देर में मेरे सामने नंगी खड़ी थी...मैं उसकी टाँगों के बीच की चिकनी चूत पे हाथ फेरता हुआ...उसकी छातियो पे हाथ रखके उसे जैसे नींबू निचोड़ते है ठीक वैसे ही अपने मज़बूत हात्थो से कस लिया तो वो हल्की सी सिसक उठी...मैने उसके मोटे ब्राउन निपल्स पे अपनी जीब एक आध बार फिराई फिर उसे शैतानी मुस्कुराहट दी....

आदम : हाथ सीधे कर (मैने खुद ही माँ की चूड़िया उतार दी और उसके दोनो कलाईयों में रस्सी बाँध दी) टाइट तो नही हो रहा (मैने फिर सवाल किया तो माँ ने कहा नही हल्का है)

फिर मैं निश्चिंत होता हुआ उसे हाथ बँधे हुए नंगा ही खड़ा किया कुछ देर तक उसके बदन का जायेज़ा लिया...इस बीच मेरे हाथ पीछे उसकी पीठ पर फिरते हुए कुल्हो पे आए...वहाँ माँ के चूतड़ काफ़ी मोटे और फैल से गये थे...बेटे की मेहनत का असर था

मैने माँ को एक ही झटके में अपने कंधे में उठा लिया...उसकी दोनो नंगी जांघें मेरे सीने पे लटक रही थी...उसका पेट मेरे कंधो पे दब रहा था...आयने में देखा कि उसकी छातिया भी हवा में लटक गयी थी...वो उचाई से घबराती थी इसलिए हंस पड़ी कहने लगी कि प्ल्स मुझे उतार दो....मैने कहा अभी कहाँ मेरी जान अभी तो खेल शुरू हुआ है...मैने उसके नितंबो पे हाथ फेरते हुए कहा....माँ ने कहा बेटा मुझे चक्कर आ जाएगा....मैने कहा तो आने दे....मैं उसके चुतड़ों को सहलाते हुए जो मेरे चेहरे के करीब थे उस पर हाथ फेरते हुए मैं कमरे का एक गोल चक्कर काटा...माँ इस बीच मेरे कंधो पे जैसे बोझ की तरह लटकी हुई थी....मैने दरवाजा खोल कर उसे लिविंग रूम में लाया फिर उसे गुसलखाने की तरफ लाते हुए बल्ब जलाया एक हाथ से

हम दोनो गुसलखाने में आए...मैने उसे तुरंत ही ज़मीन पे उतार दिया इससे वो मेरा सहारा लिए ही फर्श पे जैसे बैठ गयी....उसने मेरी तरफ नाटकिया तौर से ख़ौफ्फ से सहम्ते हुए देखा...मैं उसे इस बीच बड़े वाहियात तरीके से घूर्र रहा था...

माँ : क्या चाहिए तुम्हें? मुझे यहाँ अगवा करके क्यूँ लाए हो?

आदम : हाहहा जानेमन तूने मुझसे बेवफ़ाई की मेरे ही दोस्त के साथ शादी रचा कर उसके साथ मौज उड़ाएगी ऐसा कतई मैं होने नही दूँगा....सिर्फ़ मेरा हक़ बनता है तुझपे मेरी मलाई अब तो आज मैं तुझसे अपनी सारी हसरत मिटाउंगा मेरी जान (मैं देख रहा था माँ का शरम से चेहरा लाल हो उठा जिस लहज़े में मैं उसे कभी बात नही किया वो ऐसा कभी उम्मीद नही की होगी )

माँ : ना..ही तुम मुझे छोढ़ दो देखो ये तुम ठ..ईक नही कर रहे?

आदम : हा हा हा हा अब तो कोई नही तुम्हें मुझसे छुड़वा सकता कोई माई का लाल नही

माँ : देखो मेरा पति मुझे ढूँढते हुए आ जाएगा

आदम : तो आने दो उसे वो भी देखेगा कि मैं उसकी पत्नी का क्या हाल कर रहा हूँ...सोचो आज ही तुम्हारी शादी हुई और आज के ही दिन मैं तुम्हें उठा ले आया जानेमन अब तो सुहागरात मेरे साथ ही मनानी होगी

माँ एकदम शर्मा उठी...ये उसका बेटा आदम है? या कोई गैर मर्द...वाक़ई गंदी गंदी फिल्में और विलेन्स के डाइलॉग अच्छे ही बोल रहा था मैं....इस बीच मैने उसकी चुचि पे अपना एक पाँव रखा....वैसे तो मुझे ये ठीक नही लगा पर मैं उस वक़्त रॉल्प्ले कर रहा था इसलिए थोड़ा झिझकते हुए मैने माँ की एक चुचि पे पाँव की एडी रखते हुए उसे रगड़ना शुरू किया

माँ : देखो प्लस्स मैं तुम्हारे जोड़ती हूँ मैं कुँवारी हूँ मेरा सुहाग मुझसे छिन जाएगा प्ल्स मुझे जाने दो मैं तुम्हारी हर बात मानुगी पर मुझे बक्श दो

आदम : हाहहाहा नही मेरी प्यारी अंजुम तुझे तो मैं किसी भी कीमत में कुँवारा नही छोड़ूँगा तेरे दोनो छेदों में अपना लंड डालके पेलुँगा तेरे ज़ुबान पे मेरे वीर्य का स्वाद होगा और तेरे चेहरे पे हमारी चुदाई का दर्द

माँ और मैं काफ़ी अच्छी आक्टिंग कर रहे थे...इस बीच उसने मेरा नाम लेते हुए मुझे गुस्से भरी निगाहो से कहा आगे मत बढ़ना वरना मैं अपने आपको ख़तम कर लूँगी.......मैं मुस्कुराया माँ किसी विलेन के चंगुल में फसि मज़बूर हेरोयिन का रोल अदा कर रही थी...मैने झटके से उसके बाल जो मास्क के नीचे से लटक रहे थे उन्हें समेटते हुए जकड़ा और उसके चेहरे पे अपना चेहरा नज़दीक लाया....माँ तो जैसे मेरे छूने के स्पर्श से ही काँप उठी..
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