Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:36 PM,
#71
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को अपनी जीब से चोदती रही. और दोनो एक साथ झाड़ पड़ी, दोनो ही एक दूसरे के रस की एक एक बूँद पी गई और हाँफती हुई एक दूसरे की बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगी.

सोनल उठ के कविता को चूमती है और चाट चाट कर उसका चेहरा सॉफ कर देती है. कविता भी उसके चेहरे को चाट्ती हुई सॉफ करती है और अपने रस का स्वाद चाटकरे ले ले कर करती . फिर दोनो एक दूसरे की बगल में चिपकती हुई लेट जाती हैं.
सोनल : चल तेरी प्यास भुजा दी. अब आगे सुना.
कविता : बड़ी छिनाल होती जा रही है, दूसरों की चुदाई की दास्तान सुनने में बड़ा
मज़ा आता है तुझे.
सोनल : हाय मेरी जान अब तुझे क्या बताउ क्या क्या हो गया है मेरे साथ. चल
अब जल्दी बोलना शुरू कर
कविता : फिर क्या था मैं उसका लंड चूस रही थी और वो मेरी चूत में अपनी जीब डाल
कर मुझे जीब से ही चोदने लगा और मेरे जिस्म में करेंट दौड़ती जा रही थी. उसका लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी चूत को चाट चाट कर उसने लाल कर दिया था और उसका लंड मेरे मुँह में फूलने लगा. तब उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और मुझे चूमने लगा. उसके होंठों पे मेरी चूत का रस लगा हुआ था मुँझे अपने ही रस का स्वाद मिलने लगा.

कविता--मेरी आग बहुत भड़क चुकी थी और मैं उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत पे लगाने लगी. वो मेरा इशारा समझ गया.
सोनू : डाल दूं अंदर
कविता : अब और कितना तडपाएगा, अब नही रहा जाता, मेरी चूत में तूने बहुत खुजली मचा दी है अब उसे मिटा दे.
सोनू : सोच ले पहली बार दर्द होता है.
कविता : अब बक बक मत कर और चोद डाल मुझे.

सोनू ने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पे रख लिया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. मेरी चूत और उपर उठ गई फिर उसने अपने लंड का सूपड़ा मेरी चूत में फसाया और मेरी कमर को पकड़ एक ज़ोर का धक्का मारा

आआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी , इतना तेज़ दर्द हुआ. उसका लंड थोड़ा सा ही अंदर घुसा था. मैं छटपटा रही थी कि उसने फिर एक तेज़ धक्का मारा और अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.

मैं फिर चीखी उूुुुुउउइईईईईईईईईई म्म्म्म मममाआआआआआ निकाल बाहर

सोनू : बस हो गया मेरी जान
फिर सोनू मेरे आँसू चाटने लगा और मेरे होंठ चूसने लगा. मुझे थोड़ा आराम मिला तो वो धीरे धीरे अपने आधे घुसे हुए लंड को अंदर बाहर करने लगा . मुझे दर्द तो हो रहा था पर इतना नही और दर्द भी बहुत मीठा सा लग रहा था. मेरी सिसकियाँ निकलने लगी.

आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ सी सी उम उम ओह हाई आह

मुझे मज़ा आने लगा और मेरी गंद उपर नीचे होने लगी. विक्की ने तब अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और बीच में एक तेज़ धक्का मार कर अपना पूरा लंड अंदर घुसा दिया. इससे पहली मेरी चीख निकलती उसके होंठ मुझ से चिपक गये.

सोनल मासूम बनते हुए : हाई इतना दर्द होता है क्या?
कविता : शुरू में तो होता है फिर मज़ा भी बहुत आता है. और ये दर्द सिर्फ़ पहली बार होता है.
सोनल : कितनी देर चोदा उसने तुझे.
कविता : जब उसका पूरा लंड अंदर घुस गया तो मेरा ध्यान दर्द से दूर करने के लिए मेरे होंठ चूमता मेरे बूब्स चूस्ता. जब दर्द कम हुआ तो उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे स्पीड पकड़ता गया.

अब वो किसी मशीन की तरहा मुझे चोद रहा था और मेरी चूत भी अपना रस छ्चोड़ती जा रही थी. मेरी सिसकियों के साथ साथ मेरी चूत भी राग अलपने लगी. फॅक फॅक फॅक की आवाज़ होती जब उसका लंड बाहर आकर फिर अंदर घुसता. 10 मिनट तक वो ऐसे ही तेज़ गति से मुझे चोदता रहा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर मज़े लेती रही.
फिर मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मैं उसके साथ चिपक गई. मेरी चूत ने अपना पहला बाँध तोड़ दिया और मेरे नाख़ून उसकी पीठ पे गढ़ते चले गये. ओर्गसम में इतना मज़ा आता है मुझे पहले नही पता था. उसने मुझे मेरे पहले मज़े को आराम से अपने अंदर समेटने दिया.

मैं निढाल हो कर बिस्तर पे चित हो गई और वो सतसट फिर मुझे चोदने लगा. जब उसका छूटनेवाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मूठ मारने लगा एक मिनट के अंदर ही उसके वीर्य की पिचकारी मेरे उपर गिरने लगी.
जब उसका वीर्य निकल गया तो वो मेरे साथ गिर पड़ा और अपनी साँसे संभालने लगा. मज़े के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी.

सोनल : हाई मेरी बन्नो कली से फूल बन गई और भाई को ही बेह्न्चोद बना दिया.
कविता : साली तू भी तो मरी जा रही है फूफा को बेटीचोद बनाने के लिए.
सोनल : काश पापा इस बार आ के चोद डाले बस, चाहे रेप ही कर दे.
कविता : तू तो तैयार बैठी है फिर रेप कैसा.
सोनल : उसे तो रेप ही लगेगा ना, उसे क्या मालूम कि मैं तैयार हूँ, और इतनी जल्दी थोड़ी ना मान जाउन्गि, साला फिर रंडी समझने लगेगा मुझे. खैर देखते हैं कब तक वो मेरे हुस्न की तलवार से खुद को बचाएगा. तू अपना जारी रख , आगे क्या हुआ.
कविता : अब चुद गई तो आगे क्या, उसके बाद जब उसका दिल करा उसने चोदा जब मेरा दिल करा तो उसके उपर चढ़ गई.
सोनल : अरे जब वो तुझे चोद के अलग हुआ तो फिर क्या किया तुम दोनो ने बाद में. सिर्फ़ एक बार तो चुदि नही होगी उस दिन.
कविता : अब सोने दे यार बाकी का किस्सा कल सुनाउन्गि.


दोनो बहने ऐसे ही नंगी सो जाती हैं.
अगले दिन कविता फिर जल्दी निकल पड़ती है और सोनल भी अपने स्कूल चली जाती है.
दोपहर को जब सोनल घर वापस आती है तो देखती है कि आरती आज फैक्टरी नही गयी थी और कुछ उदास सी लग रही है.

सोनल जा के आरती के गले लगी गई और बोली ' क्या बात है मोम डार्लिंग ये सुंदर मुखड़ा आज उदास क्यूँ है.'

आरती : ये तेरी की वजह से है, बाहर कुछ करने नही दे रही है और खुद उस कविता के चिपक कर सो जाती है, मुझे रात को अकेले सोना पड़ रहा है और मुझे अब नींद नही आती अकेले.
सोनल : अपने माँ के बूब्स दबाते हुए ' ओह हो डॅड की बहुत याद आ रही है क्या,करूँ फोन जल्दी से आ के मम्मी की लेलो बहुत तड़प रही है'
आरती : आई है बड़ी अपने पापा से ऐसे बोलने वाली, हिम्मत है तुझ में, खाल उधेड़ देंगे तेरी. मुझे तेरे डॅड की नही अब तेरी ज़रूरत महसूस हो रही है.

सोनल : ओ तेरी की , ये तो गड़बड़ हो गई, अब डॅड का क्या होगा आप मेरे साथ चिपक जाओ गी तो उनका कौन ख़याल रखेगा.

आरती : वो तो वैसे भी बाहर मुँह मारते रहते हैं. जब आएँगे तो उनका भी ले लुँगी.

सोनल : क्या लेलो गी?

आरती : तुझे जैसे पता नही , उनका लंड अपनी चूत में और क्या.

अब आरती बहुत ज़यादा खुल गई थी , सोनल को अपने रास्ते सॉफ होते हुए दिख रहे थे. जब जिस्म की प्यास भड़कती है तो सारे रिश्ते नाते ख़तम कर देती है. बस एक ही बात याद रहती है अपने जिस्म की प्यास को बुझाना.

सोनल : तो आज रात को मेरे कमरे में आ जाना, जब हम सोने जाएँ उसके आधे घंटे बाद.
आरती : पागल है क्या कविता के सामने......
राम्या : जो मैं कह रही हूँ वो करो बस, कविता की तुम चिंता मत करो.

सोनल ने कविता का राज अपनी मम्मी को नही बताया. अभी कविता से बहुत काम निकालने थे उसको और वो कविता को नाराज़ नही करना चाहती थी.

आरती : चल तू फ्रेश हो के आ मैं रामु को कहती हूं खाना लगाने को . ( आरती के चेहरे पे हसी लॉट आई थी, शायद रात के बारे में अभी से सोचने लगी थी)

सोनल अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई और आरती किचन में.।

सोनल कमरे में फ्रेश होती है और बाहर चली जाती है. तब तक कविता भी आ जाती है. सोनल कविता को फ्रेश होकर बाहर आने के लिए कहती है और खुद हाल में जा कर आरती की मदद करने लगती है टेबल लगाने में.
आरती के चेहरे पे हसी देख सोनल भी अंदर से बहुत खुश होती है और आरती के गले लग जाती है.

खाना खाने के बाद आरती सोनल को गहरी नज़रों से देखती है और फिर अपने कमरे में चली जाती है.

सोनल और कविता भी कमरे में चले जाती हैं.
कमरे में पहुच कर दोनो एक दूसरे से चिपक जाती हैं. कविता को भी अब सोनल के जिस्म के साथ खेलना अच्छा लगने लगा था, जब तक लंड नही ऐसे ही सही.


दोनो के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं . दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगती हैं. दोनो के ही जिस्म गरम होने लगते हैं. होंठ ऐसे चिपकते हैं जैसे कभी जुदा ना होंगे. सोनल कविता का निचला होंठ चूसने लगी और कविता उसका उपरवाला. एक गहरा स्मूच दोनो में शुरू हो गया.


दोनो के जिस्म से कपड़े कब उतरे पता ही ना चला. दोनो बिल्कुल एक दूसरे में खो चुकी थी ,कविता सोनल के पीछे आगाई और उसके साथ चिपक कर उसके चुचे मसल्ने लगी, सोनल ने अपनी गर्दन घुमा कर अपने होंठ कविता के होंठों से मिला दिए.


दोनो की मस्ती बढ़ने लगी और दोनो बिस्तर पे गिर पड़ी. दोनो का स्मूच फिर शुरू हो गया और सोनल कविता की चूत में उंगली करने लगी.
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08-27-2019, 01:36 PM,
#72
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल ने दरवाजा लॉक नही किया था ताकि आरती अंदर आ सके. आरती काफ़ी देर से दोनो की हरकतें दरवाजे में बनी झिरी से देख रही थी. आरती का दिल तो कर रहा था अंदर जाने के लिए पर दिमाग़ रोक रहा था कविता के सामने इस तरहा खुलने के लिए.
दोनो की हरकते देख कर आरती गरम होती जा रही थी और सोनल कविता के साथ चिपकी हुई सोच रही थी कि अब तक तो मम्मी को आ जाना चाहिए.
कविता अपने होंठ सोनल से अलग करती है.दोनो की साँसे फूल चुकी थी.
कविता : अहह सोनल की बच्ची आग लगा के रख दी तूने.
सोनल : अभी भुजा दूँगी यार, आग तो मेरे जिस्म में भी लग चुकी है
कविता : चल आजा फिर एक दूसरे को ठंडा करते हैं .
सोनल दरवाजे की तरफ एक नज़र देखती है पर कविता उसे खींच लेती है. दोनो 69 के पोज़ में आ जाती हैं.



सोनल कविता की चूत पे झुकने से पहले फिर एक नज़र दरवाजे पे डालती है. आरती का कोई निशान नही था. सोनल ये समझ लेती है कि आरती को शरम आ रही है कविता के सामने आने में . उसे नही पता था कि आरती तो बाहर खड़ी सब कुछ देख रही है, पर उसकी अंदर आने की हिम्मत नही हो रही.
आरती चाह कर भी अंदर नही घुस पाती और इतनी गरम हो चुकी थी कि उससे और देखा नही गया. अपनी चूत मसल्ते हुए आरती अपने कमरे में चली जाती है और बिस्तर पे गिर कर तड़पने लगती है
कुछ देर तो आरती बिस्तर पे पस्से मारती रही, जब सहा नही गया तो उठ के अपने कपड़े उतार डाले.



और बिस्तर पे गिर कर अपने चूचो को दबाने और निचोड़ने लगी. उसकी आँखों के सामने सोनल और कविता के जुड़े हुए जिस्म लहराने लगे और उसके जिस्म की प्यास बढ़ती चली गई.


चुचियो को सहलाते, दबाते, निचोड़ते उसे सोनल के हाथों की कमी महसूस होने लगी. कल तक जो सिर्फ़ लंड लिया करती थी, आज उसे अपनी ही बेटी के जिस्म की चाहत होने लगी. शायद इसलिए की उसका पति उसे चोदने के लिए मौजूद नही था और बाहर के साथ करने से बेटी ने मना किया था। जिस्म की प्यास जब भड़कती है तो इंसान अच्छा या बुरा भूल जाताहै, बस याद रहती है तो सिर्फ़ एक बात, इस प्यास को भुजाना है कैसे भी.


काफ़ी देर तक वो अपने चुचिया से खेलती रहती है और फिर आँखें बंद कर अपने ही हाथों से अपनी चूत सहलाने लगती है और मन ही मन कल्पना करने लगती है कि सोनल उसकी चूत सहला रही है.

कल्पना करते करते अपनी ही उंगलियाँ अपनी चूत में घुसा लेती है और तेज़ी से अपनी उंगलियाँ अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगती है.जिस्म का उन्माद बढ़ता ही रहता है और मुँह से सिसकियाँ फूटने लगती है.
आह सोनल कर और कर, और अंदर डाल, हां हां उफ़ उफ़ उफ़ ओह और तेज़ और तेज़

जो मुँह में आया वो निकलता रहा और काफ़ी देर तक उंगलियाँ चलाने के बाद उसका जिस्म अकड़ने लगा. बंद आँखों के आगे एक अंधेरा सा छा गया और चिंगारियाँ से लहराने लगी.

अहह एक चीख के साथ उसने अपना बाँध तोड़ दिया और उसकी उंगलियाँ उसके कम रस से भीग गई, बिस्तर पे एक तालाब सा बनने लगा. जिस्म निढाल सा पड़ गया और वो अपने आनंद में खो गई.




ऊपर आरती खुद को अपनी ही उंगलियों से राहत पहुँचती है , नीचे दोनो बहने 69 पोज़ मे एक दूसरे की चूत को चूस, काट और चाट रही थी. दोनो पे एक पागलपन सवार था.

कविता ने सोनल की चूत में अपनी उंगली घुसा दी और उसकी क्लिट को ज़ुबान से कुरेदने लगी. उफफफफफफफफफफफ्फ़ सोनल के जिस्म में झुरजुरी फैल गई, उसे ऐसे महसूस होने लगा जैसे लहरों की तपड़ों के साथ उसका जिस्म उपर नीचे हो रहा है. कविता की चूत तो काफ़ी खुली हुई थी आसानी से सोनल की तीन उंगलियाँ निगल गई. सोनल ने उसकी चूत के अंदर अपनी उंगलियों की हरकतें शुरू करदी और जीब से उसके क्लिट को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी. एक तेज़ लहर कविता के जिस्म में उठी और उसने सोनल की चूत पे दाँत गढ़ा दिए.

आधे घंटे तक दोनो के जिस्म उत्तेजना से तड़प्ते हुए एक दूसरे की चूत में जीब और उंगलियों का प्रहार करते रहे. लहरें जिस्म में उठती गिरती रही.

सोनल ने कविता की चूत को पूरा मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गयी जैसे पंप चला कर चूत में से कुछ निकलना चाहती हो. कविता तड़प उठी और उसने सोनल के क्लिट को दांतो से पकड़ लिया . एक करेंट सा लगा सोनल को और उसके चूसने की गति और ताक़त यकायक बढ़ गई जिसका सीधा असर कविता की चूत की दीवारों पे हुआ और वो अंदर इकट्ठा होते हुए सैलाब को बहने रोकने में पूरी ताक़त लगा बैठी.

भूखी प्यासी बिल्लियों की तरहा दोनो एक दूसरे की चूत को चूस रही थी और दोनो के जिस्म इस आनंद को सह पाने की अपनी क्षमता पार कर चुके थे.

दोनो का जिस्म अकड़ने लगा और और दोनो की चूत एक साथ कुलबुलाती हुई अपने कमरस को रोकने मे असमर्थ एक तेज़ भाव के साथ बहने लगी, जिससे दोनो ही लपलप चाटते हुए चूसने लगी और अपने होंठ एक दूसरी की चूत से चिपका कर निकलते हुए कमरस को अंदर गटकने लगी.


जब दोनो का सैलाब रुक गया तो असीम आनंद को महसूस करते हुए दोनो एक दूसरे की बगल में गिर कर हाँफने लगी और अपनी साँसे दुरुस्त करने लगी.



जब दोनो की साँसे सम्भल गई तो दोनो एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के चेहरे पे फैले हुए अपने रस को चाटने लगी और दोनो ने एक दूसरे का चेहरा चाट चाट कर सॉफ कर दिया.
सोनल कविता के पीछे पड़ गई आगे की दास्तान जानने के लिए.
सोनल : अब आगे बता क्या क्या. चुदने के बाद तूने क्या किया.
कविता : तू मेरा पीछा छोड़ेगी नही, बड़ा मज़ा ले रही है मेरी चुदाई के बारे मे जान कर . जब खुद चुदेगि तब पता चलेगा कितना मज़ा आता है.
सोनल : उसी केलिए तो पापा को पटा रही हूँ.अब तू मेरी बात छोड़ और अपनी बता.
कविता : अच्छा बाबा ले सुन.
चुदने के बाद थोड़ी देर तो मैं अपनी साँसे संभालती रही. जब साँस ठीक हुई तो मुझे ज़ोर से पिशाब आया और में बाथरूम जाने के लिए उठने लगी. ज़रा सा ही उठी थी कि कमर में ज़ोर का दर्द हुआ और में वापस बिस्तर पे गिर पड़ी. सोनू मेरी हालत समझ गया और मुझे उठा कर बाथरूम ले गया और Wc पे बिठा दिया. बेशार्मो की तरहा मेरे सामने ही खड़ा रहा. मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मुतना भी मुश्किल हो रहा था. मेरे पास आ कर मेरे चूची सहलाता हुआ बोला 'शरमा किसलिए रही है, अब भी कुछ बचा है छुपाने के लिए'

मैं शर्म से दोहरी होती जा रही थी वो मेरे मम्मों से खेल रहा था, बड़ी मुस्किल से मैने मुता और फिर उसने मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया. ठंडा ठंडा पानी मेरे जिस्म को राहत देने लगा.

उसने मुझे बड़े प्यार से नहलाया. उसके हाथ मेरे जिस्म पे जब घूम रहे थे मेरी साँसे तेज़ होने लगी एक सैलाब मेरे अंदर फिर से उठने लगा.


वो नीचे बैठ गया और अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया उफफफफफफफफफफफफ्फ़ एक तेज़ सरसराहट मेरी चूत मे होने लगी . उसने अपनी जीब मेरी चूत में घुसा दी. उूुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईई माआआआआआ मैं चीख पड़ी . मेरी चूत में हज़ारों चीटी एक साथ रेंगने लगी मेरा बुरा हाल होने लगा और वो मज़े से मेरी चूत को अपनी जीब से रोन्दने में लगा रहा. उफ़फ्फ़ क्या बताऊ क्या हाल हो रहा था मेरा. खड़ा होना भी भारी लग रहा था. बस दिल कर रहा थे वो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे. मैं ज़्यादा देर तक उसकी जीब के करतब अपनी चूत में सह ना सकी मेरा जिस्म अकड़ता गया और मैं उसके मुँह में ही झाड़ पड़ी. वो चटकारे लेकर मेरा कामरस पीने लगा और तब तक पीता रहा जब तक आखरी बूँद भी उसके गले के नीचे उत्तर ना गई.

इतना मज़ा आया कि क्या बताऊ . मैं और खड़ी ना रह सकी और फर्श पे ढेर हो गई. वो मेरे साथ लिपट गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा.



जब थोड़ी जान में जान आई तो वो खड़ा हो गया. अब मेरी बारी थी उसे मज़ा देने की. मैं घुटनो के बल बैठ गई और उसके लंड को पकड़ कर चाटने लगी. वो आँहें भरने लगा.

मैं उसके लंड को अपने मुँह के अंदर घुसाती चली गई और वो मेरे गले तक पहुँच गया. मुझे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी, फिर भी मैं उसके लंड को थोड़ा बाहर निकालती फिर गले तक ले जाती, उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे चूत में ही उसका लंड घुसा हुआ हो. मैं ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी. दिल कर रहा था कि वह मेरे मुँह में ही झाड़ जाए और में उसके रस से अपनी प्यास भुजा सकूँ. पर उसके मन में कुछ और ही था.


उसने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल लिया और मुझे झुका कर मेरे पीछे आ गया. मैं समझ गई अब ये मुझे चोदेगा. मेरे पीछे आ कर अपना लंड मेरी चूत पे घिसने लगा. मेरा हाल तो बुरा हो ही चुका था मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. उसने मेरी कमर को पकड़ा और अपना लंड मेरी चूत मे एक झटके में ही पेल दिया. मैं सिर्फ़ एक बार ही तो चुदि थी,मेरी चूत काफ़ी टाइट थी इसलिए मुझे बहुत दर्द हुआ पर इतना नही जितना पहली बार हुआ था.

वो सतसट मुझे पेलने लगा . मैं दर्द से कराहती रही, थोड़ी देर में मेरा दर्द गायब हो गया और मज़ा आने लगा. मैने भी अपनी गान्ड उसके लंड पे मारनी शुरू कर दी. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता मैं अपनी गान्ड पीछे कर फिर उसका लंड अंदर लेलेति.

10 मिनट तक वो मुझे बिना रुके चोदता रहा और फिर मेरी चूत में झाड़ गया. हम दोनो की साँसे फूल चुकी थी. उसके झाड़ते ही मेरी चूत भी उसके साथ झाड़ पड़ी और मैं फर्श पे ही ढेर हो गई.

कविता की कहानी खत्म होते ही दोनो चिपक कर सो जाती है।
अगले दिन कविता के घरवाले पहुँच जाते हैं, इसलिए कविता अपने नये घर चली जाती है. सोनू बेसब्री से उसका इंतेज़ार कर रहा था. ये दिन बड़ी मुस्किल से उसने निकाले थे. अब दोनो को ही रात का इंतेज़ार था एक दूसरे की बाँहों में समाने के लिए.

रवि भी घर वापस आ जाता है और आरती से गुफ्तगू करता है,
आरति के दिल के एक कोना के अंदर एक उथल पुथल मचा रही थी। उसका शरीर का हर कोना जगा हुआ था और कुछ माँग रहा था।

आरती के अंदर का शैतान का कहिए आरती का शरीर जाग उठा था अपने आपको संभालती हुई वो किसी तरह से सिर्फ़ रवि का इंतजार करती रही

रात को बहुत देर से रवि आया घर का हर कोना साफ था और सजा हुआ था रवि के आने का संकेत दे रहा था रवि के आने के बाद तो जैसे फिर से एक बार घर में जान आगई थीपूरा घर भरा-भरा सा लगने लगा था नौकर चाकर दौड़ दौड़ कर अब तक काम कर रहे थे
पर आरती का हर कोना खाली था और उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिला था अब तक उसे वो चाहिए ही था रवि के आते ही वो फिर से भड़क गया था एक तो पूरा दिन घर में फिर इस तरह के ख्याल उसके दिमाग में घर कर गये थे की वो पूरा दिन जलती रही थी

पर कमरे में पहुँचते ही रवि का नजरिया ही दूसरा था वो जल्दी-जल्दी सोने के मूड में था बातें करता हुआ जैसे तैसे बेड में घुस गया और गुड नाइट कहता हुआ बहुत ही जल्दी सो गया था आरती कुछ कह पाती या कुछ आगे बढ़ती वो सो चुका था कमरे में एक सन्नाटा था और वो सन्नाटा आरती को काटने दौड़ रहा था किसी तरह चेंज करते हुए वो भी सोने को बेड में घुसी थी की रवि उसके पास सरक आया था एक उत्साह और ललक जाग गई थी आरती में मन में और शरीर में पर वो तो उसे पकड़कर खर्राटे भरने लगा था एक हथेली उसके चूचों पर थी और दूसरा कहाँ था आरती को नहीं पता शायद उस तरफ होगा पर रवि के हाथों की गर्मी को वो महसूस कर रह थी एक ज्वाला जिसे उसने छुपा रखा था फिर से जागने लगी थी
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08-27-2019, 01:37 PM,
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RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
पर रवि की ओर से कोई हरकत ना देखकर वो चुपचाप लेटी रही अपनी कमर को उसके लण्ड के पास तक पहुँचा कर उसे उकसाने की कोशिश भी की पर सब बेकार कोई फरक नहीं दिखा था आरती को रात भर वो कोशिश करती रही पर नतीजा सिफर सुबह उठ-ते ही रवि जल्दी में दिखा था कही जाना था उसे। आरती को भी जल्दी से उठा दिया था उसने और बहुत सी बातें बताकर जल्दी से नीचे की ओर भगा था नीचे जब तक आरती पहुँची थी तब तक तो रवि नाश्ते के टेबल पर अकेला ही नाश्ता कर रहा था
रवि शोरूम के लिए जल्दी निकल जाता है
आरती रवि के जाने के बाद एक बार सोनल के रूम में जाति है, सोनल अभी तक सोई हुई थी, सोनल को सोता देख कर आरती किचन की तरफ वापिश आ जाती है,
किचन में रामू काका उसे नास्ता बनाते दिखता है, रामु काका की नजर जब उस पर पड़ी थी तो कयामत सी आ गई थी उसके शरीर में। एक अजीब सी जुनझुनी और सिहरन ने उसके शरीर में जन्म लिया।
और आरती की हालत खराब थी। आरती वापिश मुड़ने लगी। लेकिन पीछे जैसे ही रामु ने आकर जकड़ लिया था वो कुछ बोल भी नहीं पाई थी जैसे उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी और उसने अपनी साड़ी की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया वो कब धलक गयी थी उसे पता ही नहीं चला था यह तो जैसे रामु काका को न्योता देने वाली बात हो गई थी पर उसने कभी नहीं सोचा था कि रामु काका सोनल के घर मे रहते ही किचन में ही अटेक कर लेगा उसने तो अभी इस बात का ध्यान नहीं किया था

लेकिन अब क्या रामु काका तो उसको के
जकड़े हुआ था एकटक उसकी ओर ही देख रहा था और वो बिना कुछ कहे बिल्कुल सिमटी हुई सी खड़ी हुई थी जैसे मालिक वो नहीं रामु काका हो। पर रामु काका के शरीर से उठ रही वो स्मेल अब धीरे धीरे उसके नथुनो को भेद कर उसके अंतर मन में उतरती जा रही थी उसने अपनी सांसें रोके और आखें बाहर की ओर करके चुपचाप खड़ी हुई अगले पल का इंतजार कर रही थी जैसे उसके हाथों से सबकुछ निकल गया है

इतने में रामु की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी

रामु-- क्या हुआ बहु।

आरती की नजर एक बार रामु की ओर उठी थी पर उस नजर में एक जादू सा था बड़ी ही खतरनाक सी दिखती थी उसकी आखें भूखी और सख़्त सी थी और एक जानवर सा दिख रहा था वो सांसें भी उसकी फूल रही थी पर कर कुछ नहीं रहा था
आरती का शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ रहा था पर वो बड़े ही , तरीके से खड़ी हुई रामु को नजर अंदाज करने की कोशिश कर रही थी पर हल्के से एक उंगली ने उसके हाथ के उल्टे साइड को टच किया था चौंक कर उसने अपने हाथ को खींच लिया था वो एक नजर रामु की ओर ना देखती हुई दरवाजे की ओर देखा था वहाँ उसकी हथेलिया थी मोटी-मोटी उंगलियां और गंदा सा हाथ था उसका मेल और काला पन लिए हुए वो फिर दरवाजे की ओर देखने लगी थी उसे सोनल का डर था।


आरती की नजर बाहर जरूर थी पर ध्यान पूरा अंदर था और रामु काका जो उसके पास खड़ा था क्या करेगा आगे सोच रही थी तभी उसकी कमर के साइड में उसे रामु काका के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ था वो सिहर उठी थी और अपने आपको हटाना चाहती थी उसके छूने से पर कहाँ वो बस थोड़ा सा हिल कर ही शांत हो जाना पड़ा था उसे क्योंकी रामु काका की उंगलियां उसके पेटीकोट के नाडे पर कस्स गई थी थोड़ी सी जगह पर से उसने अपनी उंगली को अंदर डालकर उसे फँसा लिया था वो कुछ ना कर सकी बल्कि सामने की ओर एक बार दरवाजे की ओर देखा और फिर रामु काका की ओर

पर रामु काका की पत्थर जैसी आखों में वो ज्यादा देर देख ना सकी कंधे पर सिर टिकाए हुए वो आरती की ओर एक कामुक नजर से देख रहा था वही नजर थी वो जो उसने पहली बार और जाने कितनी बार देखा था उस नजर के आगे वो कुछ नहीं कर सकती थी चाहे वो कही भी हो वो क्या कर सकती है अब यह जानवर तो उससे किचन में ही सबकुछ कर लेना चाह रहा था वो तो एक अबला सी नारी है वो कैसे इस जानवर से लड़ सकती है कैसे इस वहशी को बाँध सकती है पर उसकी हालत भी खराब थी उसके टच ने ही उसे इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो अपने गीले पन को रोक नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वो अपनी जाँघो को खींचकर आपस में जोड़ रखा था पर रामु काका को मना नहीं कर पाई थी और नहीं शायद वो मना करना चाहती थी उसे भी वो सब चाहिए था और वो अभी तो सिर्फ़ रामु काका ही दे सकता था और उसने भी अभी उसने हाथों को बढ़ाकर एक आखिरी ट्राइ करने की कोशिश की और उसके उंगलियों को अपने पेटीकोट के नाडे पर से निकालने की कोशिश की पर यह तो उल्टा पड़ गया था रामु काका ने उसकी हाथों को कस्स कर पकड़ लिया था और उसे अपनी ओर खींच लिया था एक ही झटके में वो रामु काका के ऊपर गिर सी पड़ी थी



और रामु काका ने अपने मजबूत हाथों के सहारे आरती को उठाया था और दूसरे हाथों से उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खींच लिया था बहुत ही पास लगभग अपनी गोद में और अपनी हाथों का कसाव को निरंतर बढ़ते हुए उसे और पास खींचते जा रहा था आरती जितना हो सके अपने आपको रोकती जा रही थी अपने कोहनी से वो रामु को अपने से दूर रखना चाहती थी पर रामु काका की ताकत उससे ज्यादा थी।
आरती- प्लीज नहीं सोनल है अभी घर पर।

रामु कुछ ना कहते हुए उसे एक झटके से अपने ऊपर अपनी जाँघो पर सीने के बल फर्श पर लिटा लेता है आरती भी कुछ नहीं कर सकी उसकी जाँघो के सहारे लेट गई हे भगवान उसने अपने लण्ड को कब निकाला था अपने पैंट से आआह्ह अपने सीने पर उसके लण्ड का गरम-गरम स्पर्श पाते ही आरती हार गई थी वो और भी उसके लण्ड से लिपट जाना चाहती थी पर उसकी जरूरत नहीं थी रामु का लण्ड इतना सख़्त था कि वो खुद ही उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को आराम से छू सकता था और वो कर भी यही रहा था रामु काका के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके अंदर के हर तार को छेड़ते हुए उसके हर अंग में एक उत्तेजना की लहर भर रहा था वो अपने आपको उसके सुपुर्द करने को तैयार थी वो भूल गई थी कि वो कीचन में है और सामने कमरे में सोनल सो रही है

वो अब अपने आप में नहीं थी एक सोई हुई शेरनी को रामु काका ने जगा दिया था और वो अब रुकना नहीं चाहती थी रामु काका उसकी पीठ के हर हिस्से को जो की खुला हुआ था अपने सख़्त हाथों से सहलाते हुए उसकी कमर तक जाता था और फिर उसके पीठ पर आ जाता था उसके हाथों का जोर इतना नहीं था कि वो उठ नहीं सकती थी पर वो उठी नहीं और रामु काका के लण्ड का एहसास अपनी चुचियों के चारो ओर करती रही वो गरम-गरम और अजीब सा एहसास उसे और भी मदमस्त करता जा रहा था वो उठती क्या बल्कि उसकी हथेली धीरे-धीरे रामु काका के लण्ड की ओर बढ़ने लगी थी एक भूख जो कि उसने दबाकर रखा था वो फिर जाग गया था और वो अब आगे ही बढ़ना चाहती थी उसका हाथ धीरे से रामु काका की जाँघो से होता हुआ उसके लण्ड तक पहुँच चुका था और धीरे से अपनी गिरफ़्त में लेने को बेकरार था और उस गरम-गरम और सख़्त चीज को उसने अपने नरम और कोमल हाथों के सुपुर्द कर दिया

रामु काका - आआआआह्ह ऐसे ही बहु।
आरती चुपचाप अपने काम में लग गई थी धीरे उसके लण्ड को अपनी गिरफ़्त में सख्ती से पकड़कर मसलने लगी थी और खुद ही अपने सीने पर घिसने लगी थी और अब भी वैसी ही उसके जाँघ पर लेटी हुई थी और रामु काका को पूरी आजादी दे रखी थी जो चाहे करे और रामु काका भी कोई चूक नहीं कर रहा था अपने हाथों को पूरी आजादी के साथ आरती के शरीर पर फेर रहा था उसके नितंबों तक अपने हाथों को ले जाता था अब तो वो और धीरे से दबा भी देता था उसके लण्ड को पूरा समर्थन आरती की ओर से मिल रहा था सो वो तो जन्नत की सैर कर रहा था पर आरती की भूख थी जो सिर्फ़ इससे ही मिटने वाली नहीं थी वो खुद थोड़ा सा आगे हो जाती थी ताकि रामु का हाथ उसके नितंबों के आगे भी बढ़ सके रामु एक खेला खाया खिलाड़ी था


वो जानता था कि आरति को अब क्या चाहिए पर वो तो इस खेल को आराम से खेलता था और फिर बाद में जोर लगाता था पर अभी वो समय नहीं था उसे जल्दी करना था सो उसने अपने हाथों से आरती की साड़ी को
पीछे से ऊपर की ओर खींचना शुरू किया आरती ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि अपने नितंबो को उठाकर उसे और भी आसान कर दिया था उसके हाथों पर आए हुए लण्ड को वो बुरी तरह से निचोड़े जा रही थी और जब, कुछ आगे का नहीं सूझा तो उसे अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी रामु क अंदर ही अंदर खुश हो रहा था और बहु की पैंटी को थोड़ा सा नीचे की ओर खिसका कर अपनी उंगली को उसके चुत तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा था आरती ने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसे आसान कर दिया था

और धीरे से वो उंगली उसकी चुत में समा गई थी ् गीली और तड़पती हुई वो जगह जहां रामु कई बार आचुका था फिर भी एक नया पन लिए हुए थी आरती के होंठों का स्पर्श इतना अग्रेसिव था कि रामु को लगा कि वो कही उसके मुख में ही ना झड जाए वो भी जल्दी में था सो उसने आरती को खींचकर बिठा लिया था और एक ही झटके में उसकी पैंटी को उसकी कमर से निकालने के लिए नीचे की ओर झुका था आरती बैठी हुई रामु को झुके हुए देख रही थी कि उसकी नजर सामने दरवाजे की ओर उठी दरवाजे पर खड़ी सोनल उसे हिरकत भरी नजर में देख रही थी, वो अपनी नजर झुकाती इससे पहले ही बंद हो गई थी, आरती चाह कर भी नही रुक सकी, उसने सोनल को इग्नोर कर दिया।

रामु उसकी जाँघो को किस करता हुआ उसकी चूचियां दबाने लगा था उसकी ब्लाउसको उसने कंधे से गिरा लिया था ब्लाउस इतना खुला हुआ था कि उसे हुक खोलने की जरूरत ही नहीं थी वो कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी और कमर के चारो ओर उसकी साड़ी और पेटीकोट लपेटी हुई थी जांघे खाली थी और उसपर रामु की किस और जीब का आक्रमण था

आरती की आखें बंद थी और सांसो की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी आरती के शरीर का हर हिस्सा जीवित था और बस एक ही इच्छा थी कि रामु का लण्ड उसे चीर दे और रामु के उठते ही वो आसान दिखने लगा था पर रामु उठकर वापस बैठ गया था आरती का एक हाथ उसके कंधे पर था वो उसे किस करता हुआ एकटक आरती की ओर देखता हुआ उसे सामने की ओर झुका कर उसे अपनी गोद में लेने की कोशिश करने लगा था आरती जानती थी कि वो क्या चाहता है उसने भी थोड़ा सा उठ कर उसे आसान बनाया था और वो खुद उसकी गोद में बैठ गई थी रामु का लण्ड किसी बटर को छेदते हुए छुरी की तरह उसकी चुत में उतर गया था आरती के होंठों से एक मदमस्त सी आह निकली थी जो की सोनल के बहुत ही पास उसके कानों तक गई थी आरती अपने दोनों हाथों को रामु के घुटनो पर टिकाए हुए और दोनों टांगों के बीच में बैठी हुई अपने आपको सहारा देने की कोशिश करती जा रही थी रामु काका के धक्के धीरे नहीं थे पर उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी सोनल को जरूर बैचेंन कर रही थी वो दरवाजे पर खड़ी अपनी मम्मी का रंदीपना देख रही थी।

आरती ने आखें खोल कर उसे देखा था और फिर उन झटको का मजा लेने लगी थी रामु काका का हर झटका उसे टांगो से ऊँचा उठा देता था और फिर वापस उसके लण्ड के ऊपर वही बिठा देता था उसके होंठों से निकलने वाली हर सिसकी किचन के अंदर के वातावरण को और भी गरमा रही थी पर आरती को इस बात की कोई चिंता नहीं थी वो आराम से अपनी काम अग्नि को शांत करने की कोशिश में लगी थी रामु जो की अब शायद ज्यादा रुक नहीं पाएगा उसकी पकड़ आरती की कमर के चारो ओर कस्ती जा रही थी और उसके होंठों ने उसकी पीठ पर कब्जा जमा लिया था उसके हाथों ने उसकी चुचियों को पीछे से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था और आरती जो कि अब तक दोनों घुटनों का सहारा लिए हुए थी धीरे से पीछे की ओर गिर पड़ी थी और पूरी तरह से रामू के सहारे थी वो अपने हाथों को इधर-उधर करती हुई सहारे की तलाश में थी कि रामु के सिर को किसी तरह से पकड़ पाई थी पर ज्यादा देर नहीं

आरती- रुकना नहीं और चोदो प्लीज

रामु काका- बस बहु थोड़ी देर और मजा आ गया आज तो बहु
आरती- करते रहो जोर-जोर से रामु एयाया आआआआआआआआअह्ह
और एकदम निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई थी आरती
रामु काका- बस बहु थोड़ा सा और साथ दे दो आगे हो जाओ

आरती ने उसकी बात मान ली थी और आगे की ओर होती हुई फिर से दोनों घुटनो को कस्स कर पकड़ लिया था और हर एक सांस उसकी सोनल के कानों में पड़ रही थी। रामु काका भी अपने मुकाम पर जल्दी ही पहुँच गया था

रामु- वाह बहु वाह मजा आआआआआआआआआअ हमम्म्मममममममममममममममममममम
और आरती की पीठ पर झुक गया था वो आरती भी थक कर टांगो पर झुकी हुई थी पर वो थकान एक सुख दायी थकान थी हर अंग पुलकित सा था और हर वक़्त एक नया एहसास को जगा रहा था आरती की चुत अब भी सिकुड कर रामु के लण्ड को अपने अंदर तक समेट कर रखना चाहती थी रामु की आखिरी बूँद भी नीचूड़ गयी थी और
वो सांसों को कंट्रोल करते हुए वास्तविकता में लौट आया था और आरती की कमर और जाँघो को एक बार अपने खुरदुरे और सख़्त हाथों से सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने आपको शांत करने में लगा हुआ था आरती भी थोड़ा बहुत शांत हो गई थी और धीरे-धीरे सामान्य होने लगी थी। रामु काका अपने आपसे ही धीरे से आरती को उठाकर अपने अलग किया था और
सामने सोनल को खड़ी देखकर अपनी औकात में आ गया। आरती और रामु काका ने अपना चेहरा झुका लिया था
सोनल--कितने बेशर्म है दोनो, कोई चिंता ही नहीं कोई देख ले तो क्या सोचे।
सोनल गुस्से में मुड़कर अपने कमरे में चली जाती है,

सोनल कमरे में जाकर सोचती है ये रामु ऐसे नही मानेगा। ये मम्मी को बहकाता रहेगा इसका कुछ न कुछ करना ही होगा,
सोनल कुछ सोचक्र कविता के पास फ़ोन करती है, और उसको मिलने को कहती है,
सोनल कुछ देर बाद कविता से मिलने को निकल जाती है, दोनो एक रेस्टोरेंट में मिलती है,
सोनल कविता को विस्वास में लेकर अपनी मम्मी की रामू के साथ कि सभी गतिविधिया बता देती है,
कविता चोंकते हुए की उसकी बुआ एक नॉकर से चुदती है,
कविता-- क्या सोनल सच मे आरती बुआ तुमारे बुड्ढे नॉकर से चुदतीहै?
सोनल-- हम्म।
कविता-- फिर अब क्या चाहती है,
सोनल-- मैं चाहती हु कि इस रामु को सबक सिखाया जाए कैसे भी करके बस।
कविता--- क्या सोच रही है इसके लिए।
सोनल कविता को अपना प्लान समझाती है।
कविता भी उससे सहमत होती है, दोनो प्लान करके घर वापिश आ जाती है, शाम को ही कविता अपने घर पर ये बोल देती है कि अभी उसका यहा मन नही लग रहा इसलिए वो सोनल के पास रहेगी कुछ दिन और सोनल के पास आ जाती है, सोनल और कविता अपना प्लान स्टार्ट कर देती है, प्लान के अनुसार कविता को रामु काका को उस्काना था

कविता एकदम सेक्सी गोरी चिट्टी है। जिसके इतने गोरे बूब्स है कि दूध का रंग भी कविता के बूब्स के आगे फीका लगने लगे। कविता ने ब्रा डालना छोड़ दिया और डिल्ली टीशर्ट डालकर हमेशा रामु के सामने रहने लगी। रामु भी नजर बचाकर कविता के बूब्स को देखा करता था और सोचता रहता था कि काश में भी इन बूब्स को चूसकर अपनी प्यास बुझाऊँ। कविता की गांड तो गोल गोल तरबूज जैसी हो गयी थी.. जब भी कविता किसी बहाने से झुकती तो रामू काका कविता के बूब्स देखने के लिए तैयार रहता और कविता ने उसके बूब्स को देखते हुए रामु काका देख लिया था.. इसलिए वो जानबूझ कर अपने बूब्स दिखाने की कोशिश करती।
अब रामु की लगने लगा कि शायद ये लड़की उससे चुदना चाह रही है, जैसे आरती कर रही थी।

फिर कविता जब भी नहाती थी तो रामु उसके नहाने के बाद उसके बाथरूम में घुस जाता था किसी बहाने से और उनकी ब्रा जो की 36 नंबर की थी और वो उनकी पेंटी को जमकर चूसता था और उसकी पेंटी में रामु को तो ना जाने उसकी चूत के रस की ऐसी क्या सुगंध थी कि कई कई बार तो पेंटी को अपने मुहं में पूरा डाल लेता था। कविता की बाजुओ के नीचे के हिस्से में से जो सुगंध थी वो रामु उसके कपड़ो में से सूंघता था। कविता के जिस्म की मदहोश कर देने वाली खुश्बू रामु उसके कपड़ो में सूंघता था और रामु एक दो बार कविता को कपड़े बदलते हुए भी देख चुका था। फिर इतनी गोरी और सेक्सी लड़की को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था। एक दिन कविता अपने कपड़े बदल रही थी तो रामु खिड़की में से कविता के बूब्स और उनकी गोरी और मोटी गांड को देख रहा था और कविता की गोरी गांड को देखते ही उसके मुहं में पानी आ गया और रामु उसकी गांड देखकर मदहोश सा हो गया था।
कविता के गोरे चूतड़ो ने रामु काका को दीवाना बना दिया था और रामु कविता के चूतड़ो को चाटने के ख्याल मन ही मन सोचने लगा और रामु इन ख्यालो में खो गया और रामु ख्यालो से तब बाहर आया जब सोनल ने अपने कमरे से बाहर आकर रामु को एक जोरदार चांटा उसके मुहं पर मारा तो रामू के तो होश ही उड़ गए इतना ज़ोर से चांटा मारने के बाद सोनल का मुहं पूरा गुस्से से लाल था और वो रामु को बालों से घसीटते हुए अपने कमरे में ले गयी और सोनल ने रामु को खींचकर एक और चांटा मारा और बोली कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि अब मेरी बहन को खिड़की से कपड़े चेंज करते हुए देख रहे थे.. यह तो अच्छा हुआ कि मुझे दिख गया।

तो रामू काका बोले कि सोनल बिटिया सॉरी मुझे माफ़ कर दो.. में आपसे हाथ जोड़कर माफी माँगता हूँ.. प्लीज मुझे माफ़ कर दो।

तो सोनल ने उसके दोनों गालो पर थप्पड़ो की बरसात कर दी और कहने लगी कि आज तक मैने जो देखा इसलिए चुप रही थी कि मेरी मम्मी खुद शामिल थी लेकिन आज तुम ने तो इस घर की मेहमान को नंगा देखने की हिम्मत की.. तुम्हारा तो में आज वो हाल करूँगी कि पूरी जिंदगी में कभी भी तुम किसी लड़की को आँख उठाकर भी नहीं देखोगे और रामु काका को फिर एक कसकर उसके मुहं पर चांटा मारा। फिर रामु के मुहं पर चांटो से जलन होने लगी थी।

रामु सोनल के आगे हाथ जोड़ने लगा प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. लेकिन सोनल ने तो उसका मुहं लाल करने की कसम खा रखी थी। चार और झनझनाते थप्पड़ उसके मुहं पर बरसे और रामु ने अपने मुहं पर हाथ रखा तो सोनल ने एक जोरदार लात उसके लंड पर मारी और बोली कि जब तक मैं ना कहूँ तुम्हारा हाथ चहरे पर नहीं आना चाहिए।
तो रामु काका ने कहा कि जी और रामु ने अपना हाथ नीचे कर लिया। उसके बाद तो सोनल ने एक हाथ से सीधे रामु काका के कान को पकड़ा और उल्टे गाल पर कम से कम जमकर 40 ज़ोर से चांटे मारे.. फिर उल्टे गाल का भी यही हाल किया। फिर रामु तो सोनल के चांटो से बहुत परेशान हुआ पड़ा था और जब उसके गाल पूरे लाल हो गये तो सोनल बोली कि शीशे में देखो। फिर रामु काका शीशे में देखते ही डर गया और उसका मुहं सोनल के चांटो से लाल हुआ पड़ा था। तो सोनल बोली कि अभी तो कुछ भी नहीं हुआ अभी तो तुम्हारा वो हाल करूँगी कि पूरी जिंदगी याद रखोगे। फिर सोनल बोली कि चलो मेरे पैरो पर अपनी नाक रगड़ो।
तो रामु बोला कि बिटिया नहीं मैं यह सब नहीं करूँगा।

फिर सोनल बोली कि तो ठीक है आने दो पापा को मैं उन्हें यह सब बता दूँगी कि तुम कविता को नंगा देख रहे थे और तुम्हारी माशूका आरती को भी। मैने इसलिए तुमारी फ़ोटो खिंच ली थी झांकते की।

तो यह बात सुनते ही रामु काका तो सोनल के पैरो में गिर पड़ा और उसके पैर पकड़ कर बोला कि नहीं बिटिया प्लीज आप यह सब किसी को मत बताना।

तो सोनल बोली कि जैसा में कहूँ चुपचाप वैसा करते जाओ।
तो रामु बोला कि ठीक है बिटिया।

तो सोनल बोली कि चलो मेरे पैरो पर नाक रगड़ो फिर रामु सोनल के पैरो पर नाक रगड़ने लगा।

तो सोनल बोली कि एक नहीं दोनों पैरो पर और फिर रामु उसके दोनों पैरो पर नाक रगड़ने लगा।
कभी सीधे तो कभी उल्टे पैर पर और सोनल ने यह देखते ही उसके बालों को ज़ोर से खींचा और ताबड़तोड़ उसके मुहं पर थप्पड़ो की बरसात कर दी। रामु काका चहरे पर सोनल के थप्पड़ो का पहले से ही इतना दर्द हो रहा था और सोनल ने तो थप्पड़ो की ऐसी बरसात कर दी कि रामु काका तो बस रो ही पड़े।
Reply
08-27-2019, 01:37 PM,
#74
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वैसे तो रामु काका बहुत सहनशील थे लेकिन सोनल ने इतनी कसकर थप्पड़ मारे थे कि उनकी शक्ति अब जवाब दे गयी और उनकी आँखो से आँसू आने लगे।

तो सोनल बोली कि तुमने मेरे पैरो और सेंडल को गंदा कर दिया है इन्हे साफ करो।

तो रामु काका के मना करने पर सोनल ने अपने सेंडल खुद ही उतारे और उसके बाद तो उनके मुहं पर सोनल के सेंडल बरसने लगे। जितने सोनल ने रामु काका के चेहरे पर थप्पड़ मारे थे उससे भी ज़ोर से उसने सेंडल मारे जिससे उसके मुहं पर भी सोनल के सेंडलो के निशान पड़ गये और रामु काका के चेहरे पर सोनल के सेंडल का नंबर 8 भी छप गया था।

फिर सोनल बोली कि अब मेरे तलवो को चाट कर साफ करो।
तो रामु काका सोनल के तलवे चाटने लग गया.. लेकिन सोनल के तलवे बहुत ही गोरे और मुलायम थे जीभ लगते ही रामु को सोनल के तलवो का टेस्ट बहुत अच्छा लगने लगा था। फिर रामु काका ने सोनल के तलवे चाट चाटकर साफ किए ।

और फिर सोनल बोली कि यदि तुम यह चाहते हो कि मैं पापा को यह बात ना बताऊँ तो जो मैं कहूँ आज के बाद वही करना और यह बात ध्यान रखना कि औरो के सामने तो में तुम्हारी वही सोनल बिटिया हूँ और तुम्हारे सामने तुम्हारी मालकिन.. समझे?

रामु काका बोले कि जी बिटिया समझ गया। फिर एक करारा थप्पड़ गाल पर पड़ा और सोनल बोली.. कहा ना कि तुम्हारे सामने तुम्हारी मालकिन।

तो रामु बोला कि जी मालकिन।

तो सोनल बोली कि आज के बाद मेरे गुलाम बनकर रहना वरना में तुम्हारा क्या हाल करूँगी.. यह तुम बहुत अच्छी तरह जान गये होगे?

फिर रामु बोला कि जी मालकिन में हमेशा आपका गुलाम ही बनकर रहूँगा।

फिर सोनल बोली कि चलो अब पानी लेकर आओ और मेरे पैरो को भी साफ करो।

तो रामु काका सोनल के पैरो को धोने के लिए पानी लेने गया और अपना चेहरा भी साफ करने लगा और जैसे ही रामु अपने चहरे को धोने लगा तो पीछे से सोनल ने एक जोरदार लात उसकी गांड पर मारी.. जिससे उसका चेहरा नल की टूटी पर लगा जिससे उनके नाक पर खून आने लगा। फिर सोनल जोर से चीखते हुए बोली कि मैंने तुम्हे अपने पैरो को धोने के लिए कहा था और तुम अपने चहरे को धो रहे हो.. तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई?

रामु ने कहा कि बिटिया वो..
तो इस बार सोनल ने उसके लंड पर लात मारी और बोली कि मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि मैं तुम्हारी मालकिन हूँ।
तो रामु ने कहा कि माफ करना मालकिन और दर्द से उसके लंड का बुरा हाल हो रहा था।
तब सोनल बोली कि गुलाम हो गुलाम बनकर ही रहो और जैसा में कहूँ वैसा ही करो.. चलो पानी की बाल्टी उठाओ और मेरे साथ रूम में चलो।

तो रामु बाल्टी उठाकर सोनल के रूम में चल पड़ा और रूम में जाकर सोनल सोफे पर बैठ गयी और उसे अपने पैर धोने के लिए कहा।
तो रामु उसके पैरो को धोने लगा और धो धो कर रामु ने उसके पैरो को पहले से भी अधिक खूबसूरत बना दिया जिससे सोनल का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ।

फिर सोनल बोली कि अब तुम इस पानी से अपना मुहं धो सकते हो। फिर जिस पानी में रामु काका ने अभी सोनल यानी कि उसकी मालकिन के पैरो को साफ किया था.. रामु ने उस पानी में अपने चहरे को साफ किया और उसे अब थोड़ा दर्द भी कम होने लगा.. ना जाने सोनल के पैरो में ऐसी क्या ताक़त थी कि पानी से धोते ही उसका चेहरा पहले से भी साफ हो गया था। फिर सोनल बोली कि जाओ और याद रखना तुम मेरे गुलाम बनकर ही रहोगे।
तो रामु बोला कि जी मालकिन।

जैसे तैसे करके उस दिन रामु काका ने अपना काम खत्म किया,
रात को सब खाना खाकर कुछ देर बाद सो गये और फिर रामु काका भी अपना दर्द भुलाकर सो गये।
कुछ देर बाद सोनल रामु काका के कमरे में आई और उसके मुहं पर सोते हुए एक तमाचा जड़ दिया। सोनल के तमाचे से रामु काका की नींद उड़ गयी और रामु काका जाग गये और रामु काका बोले कि क्या हुआ बिटिया.. आपने अब क्यों मारा?
बस रामु काका का इतना ही कहना था कि सोनल ने रामु काका को बालों से पकड़कर बिस्तर से नीचे खींचा और धनाधन थप्पड़ो की बरसात कर दी.. करीब 5 मिनट तक उनके मुहं का भुर्ता बनाने के बाद वो बोली कि मैंने कहा था ना कि में तुम्हारी मालकिन हूँ.. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे बिटिया कहने की?

तो रामु काका बोले कि मुझे माफ़ कर दो मालकिन.. में भूल गया था आपका थप्पड़ खाकर मेरा दिमाग काम करना बंद कर गया था।

तो सोनल बोली कि आज में तुम्हारा दिमाग सही कर देती हूँ और उसके बाद सोनल रूम से बाहर गयी और दो मिनट बाद ही वापस आ गयी और अब उसके हाथ में एक गोल डंडा था और रूम में आते ही सोनल बोली कि चल कुत्ता बनकर दिखा। तो रामु तुरंत ही अपने दोनों हाथों और पैरो को ज़मीन पर रखकर कुत्ता बन गया और जैसे ही वो कुत्ता बना सोनल ने खिचकर उसकी गांड पर डंडा मारा और रामु काका दर्द से चीख उठे। सोनल ने खींचकर चार बार और मारा तो दर्द से उनकी जान निकल गई। तो रामु काका बोले कि प्लीज़ मालकिन इस बार माफ़ कर दो आगे से में हमेशा ध्यान रखूँगा कि आप मेरी मालकिन हो।

तो सोनल ने उनकी गांड पर डॅंडो की बौछार कर दी और करीब 10 मिनट तक उनकी गांड लाल करने के बाद सोनल बोली कि इस बार छोड़ रही हूँ.. लेकिन अगली बार ग़लती हुई तो याद रखना तुम बैठने के काबिल भी नहीं रहोगे
तो रामु बोला कि जी मालकिन में याद रखूँगा
और थोड़ी देर में फिर रामु बोला कि मालकिन आप इतनी रात मेरे रूम में क्यों आ गयी?
तो सोनल बोली कि मेरे पैरो में आज पूरा दिन सेंडल पहनने के कारण दर्द हो रहा है तो मैंने सोचा कि मेरा गुलाम किस काम आएगा इसलिए में तुम्हारे पास आ गयी।
फिर सोनल बेड पर बैठ गयी और अपने पैरो को मिनी टेबल जो कि गुलदस्ता या टेबल फेन रखने के काम आता है उस पर पैरो को रखकर बैठ गयी और रामु काका को बोली कि चलो मेरे तलवो को चाटो और याद रखना जब तक में ना कहूँ तुम्हारी जीभ मेरे पैरो से अलग नहीं होनी चाहिए।
फिर रामु बोला कि जी मालकिन जैसी आपकी आज्ञा।

फिर रामु काका ने सोनल के तलवो को चाटना शुरू कर दिया सोनल के पैर बिल्कुल गोरे और एकदम साफ दिख रहे थे। तो रामु ने जैसी ही सोनल के तलवो को चाटना शुरू किया उनके तलवो का स्वाद चखकर रामु काका तो अब पागल सा हो गये थे और कुत्तो की तरह सोनल के तलवो को चाटने लगे और अब उनको सोनल के तलवो को चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर रामु काका सोनल के तलवो को अब अपने मुहं से चूसने लगे थे.. ऐसे स्वाद से तो रामु काका पागल हो रहै थे और करीब आधे घंटे तक सोनल के तलवे चाटने के बाद सोनल बोली कि बस रुक जाओ। अब मेरा दर्द खत्म हो गया है और एक बात और आज के बाद हर सुबह उठते ही मेरे कमरे में आ जाना समझे।

तो रामु काका बोले कि क्यों मालकिन?

फिर सोनल बोली कि क्योंकि अब से तुम्हे हर सुबह मेरे पैरो को चाटना है समझे..
रामु काका बोले कि जी मालकिन जैसा आपका हुक्म।

फिर सोनल बोली कि कल कविता के सामने मेरा पालतू कुत्ता बनकर रहना और अगर ज़रा भी तुमने कोई बात मानने से इनकार किया तो अपना चेहरा याद कर लेना कि मैंने तुम्हारा क्या हाल किया था?

तो रामु ने कहा कि जी मालकिन जैसा आप हुक्म देंगी मैं वैसा ही करूँगा और फिर सोनल अपने रूम में चली गयी और रामु अपने बिस्तर पर सोने लगा तो उनकी गांड में बहुत दर्द होने लगा.. क्योंकि सोनल ने डंडे मार मारकर उनकी गांड को लाल कर दिया था। उनसे अब सोया भी नहीं जा रहा था। फिर करीब दो घंटे बाद दर्द कम हुआ और वो सो गये।

फिर सुबह उठते ही पहले रामु सीधा अपनी मालकिन सोनल के रूम में गया तब सोनल रूम में नहीं थी और कविता नहा रही थी। सोनल बाहर गार्डन में योग कर रही थी, रामु सीधा गार्डन में चला गया।
सोनल खड़े होकर योग कर रही थी और रामु सीधा उसके पैरो में गिर पड़ा और उसके पैरो को चाटने लगा और दोनों पैरो को चाटने के बाद उसने कहा कि गुड मॉर्निंग मालकिन।
तो सोनल के चहरे पर हल्की सी मुस्कान आई और बोली कि मेरी मम्मी के आशिक़ की यही जगह सही है मम्मी का आशिक़ अब मेरा गुलाम बनकर रहेगा क्यों रामु काका जी?
तो रामु काका बोले कि जी मालकिन
तो सोनल बोली कि वाह्ह्ह् क्या बात है? तुम अब पूरी तरह मेरे गुलाम बन चुके हो और मेरे इशोरो पर नाचने लगे हो.. तुम मेरे पूरे पालतू कुत्ते बन चुके हो।

फिर रामु काका बोले कि जी मालकिन मैं तो हूँ ही आपका पालतू कुत्ता.. जैसा आप कहती है यह कुत्ता वैसा ही करता है आपके हर हुक्म को मानता है।

तो सोनल बोली कि चलो जाओ अब तुम्हारी मालकिन के लिए खाना बना दो.. उसके बाद तुम मेरे रूम में जाकर झाड़ू पोछा लगाना।
तो रामु बोला कि जी मालकिन अभी करता हूँ और किचन में चला गया। नास्ता रेडी करके सोनल के रूम में पहुँचे रामु काका और आधे घंटे में सोनल के फर्श को पूरा चमका दिया और अब फर्श पर मिट्टी का एक दाना भी नहीं दिखाई दे रहा था।

फिर उसके बाद रवि और आरति खाना खाकर ऑफिस चले गये, सोनल और कविता स्कूल चली गयी

और दोपहर को सोनल और कविता वापिश आ गयी। कविता ने लाल कलर की जिन्स और भूरे कलर की टी-शर्ट पहन रखी थी और बहुत सेक्सी लग रही थी। उसके बूब्स बड़े बड़े और जिस्म एकदम मस्त था और रामु अब भी घूर घूरकर उसके बूब्स देख रहा था और रामु उसके बूब्स देखकर पागल हो गया और उसे देखकर उसका लंड खड़ा हो गया।
फिर उस वक़्त सोनल फ्रेश हो रही थी और कविता हाल में बैठ कर tv चालू कर लीया और वहीं सोफे पर बैठकर रामु के साथ बातें करने लगी। फिर कुछ देर बाद सोनल हाल में आई और रामु को देखते ही एक जोरदार थप्पड़ उसके मुहं पर मारा और बोली कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन से बात करने की? तुम्हे तुम्हारी औकात पता होनी चाहिए तुम्हारी औकात पैरो में बैठने की है.. चलो कुर्सी से खड़े हो जाओ और मेरी बहन के पैरो में जाकर बैठो।
तो रामु अपने मुहं पर हाथ रखकर कविता के पैरो के पास जाकर बैठ गया और कविता भी यह सब देख रही थी। वो बोली कि सोनल यह सब क्या है? आप अपने बुजुर्ग नॉकर को क्यों मार रही हो?
तो सोनल बोली कि अरे नहीं मेरी प्यारी बहना.. यह बुजुर्ग नॉकर नहीं अब मेरा गुलाम है और इस गुलाम को वही करना होगा जो में इसे करने को कहूँगी। इसे मेरा हर हुक्म मानना पड़ेगा यही इसकी सज़ा है तूझे देखने की।
फिर कविता बोली कि देखने की क्या देखने की?

तो सोनल बोली कि यह तूझे खिड़की से कपड़े चेंज करते हुए देख रहा था और
और वो तो शुक्र है कि मैंने शीशे में से इसे देख लिया था और उसके बाद मैंने इसका वो हाल किया है कि जिंदगी भर यह कभी तूझे देखने की हिम्मत नहीं करेगा और यह गुलामी भी इसे इसी वजह से करनी पड़ रही है।

तो कविता बोली कि दीदी यह तो सच में बहुत कमीना है.. ऐसे इंसान को तो चप्पलो से मारना चाहिए। तो सोनल बोली कि तुम ठीक कह रही हो बहना.. वैसे तो में इसे अपने सेंडलो से मार चुकी हूँ.. लेकिन तुम चाहो तो तुम भी अपने अरमान पूरे कर सकती हो।
तब कविता बहुत खुश हो गयी और सोनल ने मुझे कविता के पैरो में बैठने को कहा।
रामु बोला कि नहीं मालकिन जब से मैंने इनको कपड़े चेंज करते हुए देखा है तब से आप पहले ही मेरा बहुत बुरा हाल कर चुकी हो.. अब तो मुझ पर रहम करो।

तभी सोनल ने आगे आकर एक जोरदार तमाचा रामु के मुहं पर मारा और बोली कि तुमसे जितना कहा गया है उतना ही करो मेरे आगे ज़्यादा ज़बान चलाने की कोशिश मत करो.. वरना में तुम्हारी खाल खींचकर रख दूँगी।
तब रामु कविता के पैरो के सामने आकर बैठ गया और कविता ने अपना सीधे पैर का सेंडल उतारा और मुझे दिखाते हुए बोली कि आज इन सेंडलो से तुम्हारे चहरे का वो हाल करूँगी कि कभी किसी की बहन को देख नहीं पाओगे और ताबड़तोड़ रामु के मुहं पर सेंडल मारने चालू कर दिए।

सोनल का थप्पड़ खाकर पहले ही रामु के गाल पर दर्द हो रहा था.. लेकिन कविता ने तो इतने खींचकर उसके मुहं पर सेंडल मारे कि मारे जिसके दर्द से उसकी तो जान ही निकल रही थी.. लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकता था। कविता ने तो सेंडलो से मार मार कर रामु का पूरा चेहरा लाल कर दिया था और वो बोली कि कमीने तेरा तो चेहरा बिगाड़ दूँगी।

यह रामु की जिंदगी में पहली बार हुआ था कि दो लड़कियों ने उसे अपने सेंडलो से पीटा था और उसे गुलामी करनी पड़ रही थी। कविता का सेंडल कभी उसके सीधे गाल पर पड़ता तो कभी उल्टे गाल पर कविता ने सच में सेंडल मार मारकर रामु के चेहरे का नक्शा ही बिगाड़ दिया था और सेंडलो से पिटने के कारण रामु काका की आँख के नीचे सूजन आ गयी थी.. लेकिन कविता थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसके सेंडल तड़ातड़ रामु काका के गालो पर बरस रहे थे। फिर रामु काका की जान में जान तब आई जब उसे कविता मार मारकर थक चुकी थी.. क्योंकि उसका शरीर थोड़ा हैल्थी था जिसके कारण वो जल्दी ही थक जाती थी।

उसके जिस्म पर अब पसीने की लहर चल पड़ी थी.. फिर वो रुकने के बाद बोली कि जाओ और मेरे लिए पानी लेकर आओ
रामु को तब थोड़ा चैन मिला था। रामु काका पानी लेने गया और फिर वापस आया और उन्हें पानी दिया। तब जाकर उन्होंने उस पर रहम खाया और उसे मारना रोक दिया और उसके मुहं पर थूक थूककर बोली कि तू कमीना है और दोबारा उसके मुहं पर थूककर बोली कि कमीना कुत्ता है।
फिर रामू ने अपने चहरे से थूक साफ किया तो सोनल ने पीछे से आकर उसकी कमर पर एक लात मारी और बोली कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपना चेहरा साफ करने की?
तो रामु बोला कि सॉरी मालकिन ग़लती हो गयी।

तो सोनल ने रामु काका के बालों को पकड़कर ऊपर खींचा और उसके मुहं पर थूकने लगी और बोली कि ले मेरा भी थूक। तो रामु काका का पूरा चहरा सोनल ने अपने थूक से भर दिया था और उसके बाद उसे कविता ने अपने पास बुलाया और कविता ने फिर से रामु काका मुहं पर थूक दिया।

फिर कविता ने ज़मीन पर थूक दिया और हाथ से इशारा करके बोली कि अगर फर्श पर मुझे ज़रा सा भी थूक नज़र आया तो मैं तुम्हारी चमड़ी उधेड़ दूँगी और बोली कि जहाँ जहाँ पर मेरा थूक गिरा है.. उसे अपने मुहं से चाटना।
फिर सोनल ने एक जोरदार लात रामु काका के पैरो के ऊपर मारी जिससे उसकी पैरो की उंगलियों में दर्द होने लगा क्योंकि उसने उस वक़्त चप्पल वगेरह कुछ पहन नहीं रखा था। उसके बाद सोनल ने उसके दोनों पैरो पर दो बार और खींचकर लात मारी और बोली कि चलो कविता शुरू हो जाओ।
कविता ने पहले अपने सेंडल पर थूक दिया जिसे उसने चाटकर साफ कर दिया। फिर कविता ने सोनल के सेंडलो पर भी थूक दिया उसे भी चाटकर उसने साफ किया। तभी सोनल के मन मे पता नही किया हुआ और उसने एक दम से अपनी पजामी नीचे सरकाई और नीचे बैठ गयी, नीचे उसने पैंटी नही पहनी हुई थी, नीचे बैठते ही उसने मूतना शुरु कर दिया, एक दम से अपने मुह पर पानी की बौछार देख कर रामु काका ने सामने देखा तो उनको सोनल की छोटी से चुत से पानी का फवारा फूटता दिखा, रामु काका इस हसीन नजारे में खो गए उनको ये भी नही मालूम चला कि सोनल का पेशाब उनके मुह में जा रहा है, उसने इसकी परवाह भी नही की और आराम से सोनल का पेशाब अपने मुह में लेने लगा। कविता भौचक्की रह गयी इस दृश्य को देख कर , फिर उष्को भी पता नही क्या सूझी की वो भी अपनी स्कर्ट उठा कर रामु के मुह पर अपनी चुत टिका कर उसके मुह में मूतना शुरू कर दिया। रामु भी घटाघट सब मुत पी गया।
फिर सोनल ने रामु को सब साफ करने को बोल कर दोनो कमरे में चली गयी।
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08-27-2019, 01:37 PM,
#75
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अगले दिन सोनल और आरति अपने अपने समय पर उठती है और फ्रेश होकर नीचे डाइनिग टेबल पर मिलती है, सोनल आरति को गुड मॉर्निंग विश करती है, और दोनो चाय पीते है,
जैसे ही चाय खत्म होती है

सोनल जा के आरती के गले लग गई. ‘ मम्मी चलो थोड़ा बाहर घूम के आते हैं, आज दोपहर को बाहर ही खाएँगे’
आरति थोड़ा चौक जाती है फिर भी बोलती है

आरती: सोनल के सर पे हाथ फेरते हुए ‘ आज स्कूल नही जाना क्या – तूने आज तक अपनी कोई क्लास नही मिस की, ये आज क्या हो रहा है तुझे’


सोनल : ‘ना मम्मी आज कोई ज़रूरी क्लास नही है, चलो ना प्लीज़.’ सोनल आरती से और भी चिपक गई और अपने उरोज़ आरती की पीठ में गढ़ाने लगी.

आरती : अच्छा मुझे कुछ काम है फैक्टरी का, ख़तम करने दे फिर चलते हैं

सोनल खुशी से चिल्लाते हुए ‘ ठीक है माँ, एक घंटे मे जो करना है कर लो, मैं तब तक तैयार होती हूँ’ और सोनल भागती हुई अपने कमरे में चली गई.

एक घंटे बाद दोनो शॉपिंग मॉल के लिए निकल पड़े, वहाँ एक इंग्लीश फिल्म चल रही थी, सोनल ने ज़िद करी तो आरती मान गयी. फिल्म में कुछ उत्तेजक सीन्स ज़्यादा थे, सोनल हालत बिगड़ने लगी वो बार बार कनखियों से आरती को देख रही थी, कि उसपे क्या असर होता है, उसे लगा कि आरती भी कुछ गरम हो रही है, क्यूंकी वो बार बार अपनी सीट पे हिल रही थी और अपनी टाँगें बींच रखी थी.

मूवी के बाद दोनो होटल में लंच के लिए चले गये. सोनल ने हिम्मत करते हुए आरती से पूछा. ‘मम्मी कभी बियर पी है क्या’

आरती चोन्कते हुए ‘ नही , ये क्या बक रही है तू, चुप चाप लंच करते हैं और घर चलते हैं’

सोनल : ‘मम्मी अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ, और बड़ी लड़कियों के लिए उनकी माँ सबसे अच्छी दोस्त होती है, और दोस्त से कुछ छुपाया नही जाता’ सोनल का चेहरा उतर चुका था.

आरती कुछ पलों तक मुझे देखती रही फिर ‘ अरे तू उदास क्यूँ हो गई, ऐसा नही करते, चल आज से हम पक्के दोस्त’ और आरती ने सोनल के साथ शेक हॅंड किया, सोनल के चेहरे पे मुस्कान दौड़ गयी.

सोनल ने फिर सवालिया नज़रों से आरती को देखा तो इस बार आरती बोल पड़ी ‘ हां कभी कभी तेरे पापा के साथ पी लेती हूँ जब वो ज़्यादा ज़िद करते हैं’

सोनल : ‘मममी मैं भी आज ट्राइ कर लूँ थोड़ी सी प्लीज़
शायद आरती चाहती थी कि सोनल भी उसके साथ और खुले तो इसलिए मान गई. एक माँ के दिल में हमेशा ये डर बना रहता है, कि जवान बेटी कहीं ग़लत रास्ते पे ना निकल पड़े.
दोनो ने एक बियर की बॉटल मँगवाई आरती ने आधी खुद ली और आधी सोनल को दी. सोनल ने घुट भरा तो बहुत कड़वी लगी और सोनल का मुँह बन गया, आरती खिलखिला के हंस पड़ी

आरती : ‘शुरू शुरू में कड़वी ही लगती है, नही पी जा रही तो रहने दे’

अब सोनल पीछे कैसे रहती, उसे तो अपनी मम्मी के और करीब जाना था. मन कड़ा करते हुए धीरे धीरे पी गई तीन चार घूँट लेने के बाद उतनी कड़वी नही लग रही थी.

फिर दोनो ने लंच ख़तम किया और घर आ गये. ये आधी बॉटल भी सोनल के सर चढ़ रही थी, सोनल अपने कमरे में जा कर सो गई.

शाम को जब सोनल सो कर बाहर आई तो आरती को डाइनिंग हाल में बैठे देखा। सोनल आरती के पास हाल में चली गई.

‘मम्मी क्या कर रही हैं।

‘कुछ नही बेटा - मैं बस अभी आई थी सो कर , सब डिनर तैयार हो चुका है तो यहा आकर बैठ गयी’

सोनल सोफे पर जा के बैठी ही थी कि उसका सेल बजता है. कॉल रिसीव करती है तो

‘ववओूऊऊऊओवव्वव कविता कितने दिनो बाद फोन कर रही है’

कविता : और तू जैसे मुझे फोन करती रहती है. अच्छा सुन मैं परसों आ रही हूँ, तेरे ही स्कूल में अड्मिशन लेने. बाकी लोग भी कुछ दिनो में आ जाएँगे. पापा का ट्रान्स्फर तुमहारे शहर में हो रहा है.

सोनल : अरे वाह , फिर तो मज़ा आ जाएगा, अकेले बोर हो जाती हूँ मैं,तेरी कंपनी मिल जाएगी तो सच में बहुत मज़ा आएगा.

कविता : अच्छा मैं रख रही हूँ, तुझे ट्रैन डिटेल्स एसएमएस कर दूँगी, स्टेशन पर मिलना. बाइ टेक केअर

सोनल :टेक केअर
सोनल : मम्मी! मम्मी!
आरती : अरे क्यूँ चिल्ला रही है, आ रही हूँ बस

आरती खाने की प्लेट्स ले के टेबल तक आती है, सोनल प्लेट्स ले कर टेबल पे रखती है.

‘हां बोल क्यूँ चिल्ला रही थी’

‘कविता आ रही है मम्मी, मज़ा आ जाएगा’

आरती : हां पता है तेरे विनोद मामा का ट्रान्स्फर हो गया है. पहले कविता आ रही है फिर कुछ दिनो में बाकी सब भी आ जाएँगे.

सोनल : कयययययययाआआअ आपको मालूम है और मुझे बताया भी नही.

आरती : अरे बेटा कल रात ही तो फोन आया था तेरे मामा का. सारा दिन तू मुझे घूमाती रही तो दिमाग़ से निकल गया.

दोनो खाना ख़तम कर के वाश बेसिन में हाथ धोती हैं और सोने की तैयारी करती हैं.



सोनल : मम्मी आज मैं आपके पास सो जाऊ.

आरती : जा कपड़े बदल के आजा.

सोनल भागती हुई जाती है और उसका ये अल्हाड़पन देख आरती हंस पड़ती है और अपने कमरे में जा कर अपनी नाइट ड्रेस निकाल के पहन लेती है.
नाइट ड्रेस ज़्यादा तो नही पर कुछ ट्रॅन्स्परेंट थी और आरती का खूबसूरत जिस्म उसमे से झलक रहा था.

सोनल भी अपनी नाइटी पहन के आ जाती है. और दोनो बिस्तर पे लेटी हुई सोनल के मामा और उसके परिवार के बारे में बातें करती रहती हैं. सोनल की नींद तो कोसो दूर थी. बातें करते करते वो आरती से चिपक जाती है और जब दोनो के उरोज़ आपस में टकराते हैं तो दोनो के जिस्म में एक लहर दौड़ जाती है.

सोनल अपने उरोज़ अपनी मम्मी के उरोजो से रगड़ने लगती है और आरती चाहते हुए भी उसे रोक नही पाती.

आरती की बाँहें भी सोनल के इर्द गिर्द कस जाती हैं और वो सोनल की पीठ सहलाने लगती है. सोनल अपनी मम्मी की गर्दन चूमने लगी और धीरे धीरे गालों को चूमने लगी.
दोनो के होंठ कब आपस में मिले पता ही ना चला और आरती ने सोनल के होंठ चूसने शुरू कर दिए. सोनल के जिस्म में आग भड़क उठी और वो अपनी मम्मी से अमरबेल की तरहा चिपक गई.

आरती को जैसे कुछ होश आया और वो सोनल से अलग हो गई और सीधी हो कर लेट गई.

पर सोनल अब कहाँ रुकने वाली थी. सोनल अपनी मम्मी के उपर आ गई और अपनी मम्मी के चेहरे को हाथों में पकड़ उसके होंठों को अपने होंठों में जाकड़ लिया.

आरती ने हिलने की कोशिस करी पर सोनल ने हिलने नही दिया और आरती के होंठ चुस्ती रही. धीरे धीरे आरती भी रंग में आने लगी और सोनल का साथ देने लगी.

अपने जिस्म की बढ़ती हुई प्यास से मजबूर हो कर सोनल की मम्मी उसके साथ आगे बढ़ने लगी. सोनल यही तो चाहती थी, कि सारे बंधन खुल जाएँ .
सोनल के हाथ अपनी मम्मी के चुचियो तक पहुँच गये और वो उन्हें सहलाने लगी. प्रत्युत्तर में आरती ने भी सोनल के चुचियो पर धावा बोल दिया.
अब दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और एक दूसरे के चुचियो का मर्दन कर रही थी.

जब साँस लेना भारी हो गया तो दोनो के होंठ अलग हुए और आँखों से आँखें मिली. दोनो ही हाँफ रही थी, पर चुचियो पे हाथ अब भी चल रहे थे. दोनो की आँखों में नशे की लाली उतर चुकी थी. आरती समझ गई कि बेटी अब उस दौर पे आ चुकी है, जहाँ उसे भी जिस्म की प्यास लगने लगी है, अगर अभी से उसे नही संभाला तो आगे क्या होगा ये कोई नही जान सकता, क्यूकी वो बहुत ही खूबसूरत हो गयी है.

दोनो ही आँखों ही आँखों में बाते कर रही थी. आरती ने तब उठ कर अपने कपड़े उतार डाले और नग्न हो गई. सोनल के भी कपड़े उतार उसे नग्न कर दिया और उसे पीठ के बल बिस्तर पे लिटा कर उसके चेहरे को चूमने लगी और चूमते हुए उसकी गर्दन को चूमने चाटने लगी.

धीरे धीरे वो नीचे बड़ी और सोनल के निपल को चूसने लगी और दूसरे को अपने अंगूठे और उंगली के बीच ले कर मसल्ने लगी.

अहह म्म्म्मनममममाआआआआ उूुुुुउउइईईईईईई

सोनल की सिसकियाँ निकालने लगी और जिस्म में उत्तेजना बादने लगी . सोनल ने अपनी मम्मी के सर को अपने चूची पे दबा दिया और आरती कभी एक निपल चुस्ती और कभी दूसरा. अच्छी तरहा निपल चूसने के बाद आरती उसके जिस्म को चूमते चाटते हुए उसकी चुत तक आ पहुँची और अपनी ज़ुबान उसकी चुत पे फेरने लगी.

अहह ककक्क्क्ययय्याआ कााआआ र्रर्राही हूऊऊ उफफफफफफफफफ्फ़ उउम्म्म्ममममम

जैसे ही आरती ने उसकी चूत पे अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू की सोनल और भी ज़ोर से सिसकने लगी और खुद ही अपने चुचिया दबाने लगी.

आरती ने सोनल की चूत की फांकौ को अलग किया और अपनी ज़ुबान बीच में घुसा दी, चूत की हालत देख कर आरती समझ गई थी कि बेटी ने एक या दो बार से ज्यादा चुदाई नही की है.
जैसे ही सोनल की चूत में आरती की जीब घुसी उसका बाँध टूट गया और भरभराती हुई उसकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया, आरती वो सारा रस पीती रही और अपनी ज़ुबान से सोनल की चूत को चोदने लग गई.
सोनल की कमर खुद बा खुद उपर उचकने लगी और वो अपनी चूत अपनी मम्मी के मुँह पे मारने लगी.

आधे घंटे तक आरती उसे अपनी जीब से चोदती रही और इस दोरान सोनल तीन बार झड गई. अब सोनल के जिस्म में ताक़त ही ना बची और वो निढाल पड़ गई. आरती भी हाँफती हुई उसके बगल में लेट गई.

थोड़ी देर में सोनल को होश आया और वो अपनी मम्मी के चुचियो पर टूट पड़ी, अब सोनल की बारी थी अपनी मम्मी को खुश करने की.

सोनल अपनी मम्मी के निपल ऐसे चूस रही थी जैसे बहुत दिनो के भूखे बच्चे को माँ का दूध नसीब हुआ हो. आरती की आँखों में सोनल का बचपन घूमने लगा ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से उसके निपल चूसा करती थी.

अहह आरती की सिसकी निकल जाती है और वो सोनल के सर को अपने चुचियो पर दबा देती है. वो पहले अपने सहेली के साथ कई बार लेज़्बीयन कर चुकी थी पर आज बेटी का असर कुछ और ही पड़ रहा था, उसके जिस्म का पोर पोर मज़े की इंतेहा से खिल उठा था और उसकी उत्तेजना अपनी सारी सीमाएँ लाँघ रही थी.

सोनल अपनी मम्मी के दोनो चुचियो को एक के बाद एक चुस्ती रहती है और साथ साथ हल्के हल्के दाँत भी लगा देती थी.

जब भी सोनल के दाँत निपल पे गढ़ते आरती की चूत में साथ साथ खलबली मचना शुरू हो जाती और उसकी जोरदार सिसकी निकल पड़ती उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

अपनी मम्मी के चुचिया अच्छी तरहा लाल सुर्ख कर सोनल अपनी मम्मी के नेवेल को चूमने लगी और अपनी जीब बीच में डाल कर गोल गोल घुमाने लगी.

नेवेल शायद आरती का सबसे वीक हिस्सा था, और उसे भी खुद आज ही पता चला क्यूंकी पहले किसी ने भी उसके नेवेल के साथ छेड़ खानी नही की थी. इधर सोनल की जीब नेवल में घूमती उधर आरती की चूत अपना रस छोड़ने लगती. आरती ने सोनल के सर को ज़ोर से दबा दिया ताकि उसकी हरकतें रुक जाएँ, पर सोनल लगी रही और आरती उत्तेजना में अपनी टाँगें पटाकने लगी.

सोनल धीरे धीरे चूमते हुए नीचे बढ़ती है और अपनी मम्मी की चूत पे अपनी ज़ुबान फेरने लगती है.

जैसे ही सोनल की ज़ुबान आरती की चूत को छूती है एक तरंग दोनो के जिस्म में दौड़ जाती है. सोनल आज पहली बार किसी रिस्ते की चूत पे अपनी ज़ुबान चला रही थी वो भी अपनी मम्मी की और मम्मी पहली बार अपनी बेटी की ज़ुबान का असर अपनी चूत पे महसूस कर रही थी.

आरती सोनल को उपर खींचती है और दोनो 69 में आ जाती हैं. अब आरती सोनल की चूत पे फिर से अपनी ज़ुबान का कहर बरसाने लगती है और उधर सोनल अपनी मम्मी की चूत को पूरा मुँह में भर लेती है.

दोनो एक दूसरे के जिस्म को आपस में रगड़ते हुए एक दूसरे को अपनी टाँगों से भीच लेती है और ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूत चूसने लगती हैं
सोनल की पूरी ज़ुबान आरती की चूत में घुस जाती है जबकि सोनल की चूत टाइट थी तो आरती की ज़ुबान थोड़ा ही अंदर घुस पाती है. दोनो एक दूसरे की चूत को चूस्ते हुए अपनी ज़ुबान से चोदने लग गई. दोनो की सिसकियाँ अंदर ही अंदर दम तोड़ने लगी. रूम में एक ज़लज़ला आ गया, एक ऐसा तूफान जो थमने का ना ही नही ले रहा था.

साँसे लेना दूभर होता जा रहा था पर ज़ुबानो का चलना नही . ये मंज़र कोई आदमी देख लेता तो बस एक ही दुआ माँगता, एक और लंड , ताकि वो दोनो को एक साथ चोद सके.

दोनो एक दूसरे को ज़ुबान से चोद रही थी, बीच बीच में अपने दाँत भी गाढ रही थी, एक अपने दाँत गढ़ाती तो बदला लेने के लिए दूसरी भी अपने दाँत गढ़ा देती.

दोनो की चूत रस बहा रही थी और दोनो ही उसे पीते हुए रुकने का नाम नही ले रही थी.
अपनी मम्मी की चूत को चूस्ते हुए सोनल सोच रही थी कि जब मम्मी के साथ इतना मज़ा आ रहा है तो एक साथ मम्मी पापा के साथ सेक्स करेगा तो कितना आएगा. उसकी आँखों के सामने उसके पापा का चेहरा घूमने लगा और उसकी पकड़ अपनी मम्मी की चूत पे और भी सख़्त हो गई है.

आधे घंटे से दोनो एक दूसरे पे कहर ढा रही थी. और संवेदना सहती हुई दोनो चूत अपने चर्म पे पहुँच गई और दो बाँध एक साथ टूट पड़े. उफ्फ आरती का ज़्यादा बुरा हाल था इतना रस तो अपनी पूरी जिंदगी में नही बहाया था जितना आज बहा रही थी.

जिस्म से जान निकलती जा रही थी और वो सातवें आसमान पे कहीं उड़ने लगी . सोनल भी पीछे नही रही और अपनी मम्मी के साथ ताल में ताल मिलाती हुई आनंद की गहराइयों में सराबोर हो गई.

दोनो ने एक बूँद भी बर्बाद नही होने दी. और दोनो का पेट इतना भर गया कि सुबह नाश्ता करने की नौबत नही आने वाली.

हाँफती हुई दोनो अलग हुई और अपनी साँसे संभालने लगी.
रात भर दोनो एक दूसरे को नोचती खसोट्ती रही . मुस्किल से एक घंटा ही सोई होंगी. सोनल के नींद जैसे ही खुली वो फिर अपनी मम्मी पे चढ़ गई.

जिस्म की प्यास फिर भड़क गई और दोनो 69 पोज़ में आकर एक दूसरे की चूत चूसने लगी


आधे घंटे तक माँ बेटी एक दूसरे की चूत चुस्ती रहती है एन्ड मे दोनो एक साथ झड जाती हैं. सोनल आज फुल मस्ती के मूड में आ चुकी थी, वो अपनी मम्मी को बाथरूम में खींच के ले जाती है और दोनो बाथ टब में घुस एक एक दूसरे के जिस्म पर साबुन रगड़ने लगती हैं.

एक घंटे तक माँ बेटी एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर नहलाती हैं. ऐसे लग रहा था जैसे जिंदगी में पहली बार नहा रही हों.

नहाने के बाद दोनो तैयार होती हैं और आरती फैक्टरी जाने की तैयारी में लग जाती है. नाश्ता करने के बाद सोनल थोड़ी बाद स्कूल के लिए निकल जाती है और जब स्कूल से वापस आई तो उसने अपनी नाक छीदवा कर एक नोज रिंग पहनी हुई थी. इस रूप में सोनल और भी कातिलाना लग रही थी.



सोनल जब अपने नये रूप में घर पहुँची तो रामु काका भी उसे देखता ही रह गया. आस पास रहने वाले लड़को और मर्दों की तो जान आफ़त में पड़ने वाली थी.

सोनल तब अपने कमरे में चली गई और अपने लिए नया डिज़ाइन तैयार किया . जिस्म की प्यास जब बढ़ती है तो इंसान क्या क्या रूप नही धारण करता.

अपनी ड्रेस का नया कलेक्षन करने के बाद सोनल अपने कमरे में वही डीवीडी लगा के बैठ गई जो उस दिन मोनिका के साथ देख रही थी।
डीवीडी में चुदाई देख कर सोनल की चूत भी रोने लग गई.
उससे और आगे देखा नही गया.

लॅपटॉप बंद किया और बाथरूम में घुस गई
बाथ टब में लेटी सोनल काफ़ी देर तक अपनी चूत में उंगली करती रहती है जब तक वो झड नही जाती.

फिर नहा कर बाहर आती है। फिर कपड़े पहन कर तैयार होती है
शाम को आरती को फ़ोन करके सोनल शोरूम से जल्दी घर बुला लेती है, फिर फ्रेश होकर आरती नीचे आती है और सोनल आरती को फिर खींच कर बाहर घूमने निकल पड़ती है.

सोनल आरती को फिर बार ले जाती है, दोनो फिर एक एक बियर पीते हैं, बैठ कर इधर उधर की बातें करतें हैं. सोनल की अभी हिम्मत नही पड़ रही थी कि वो आरती से उसकी बाहर चुदाई के कारण के बारे में पूछ ले. उसको समझ नही आ रहा था कि वो जानती है कि रवि चुदाई में अच्छा है तो क्यो उसकी मम्मी बाहर चुद रही है।
बियर पीने के बाद दोनो हाट चली जाती हैं, जहाँ सोनल कुछ शॉपिंग करती है. उसे कविता के लिए कुछ गिफ्ट खरीदना था.

मौज मस्ती करते हुए दोनो सारी शाम निकाल देती हैं और वापस घर आ जाती हैं.

शॉपिंग वगेरह के बाद सोनल और आरती जैसे ही घर पहुँचते हैं. सोनल आरती को बाँहों में भर लेती है और दोनो के होंठ फिर जुड़ जाते हैं. अब आरती को भी सोनल के साथ मज़ा आने लगा था. पर लंड की कमी सोनल कहाँ पूरा कर पाती और वो तो सारे राज जानने के लिए ही तो अपनी मम्मी से चिपक रही थी. दोनो 10 मिनट तक स्मूच करते हैं फिर दोनो आरती के कमरे में चली जाती हैं।
दोनो माँ बेटी एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के कपड़े उतार देती हैं और चूमते हुए ही आरती के कमरे की तरफ बढ़ जाती हैं. आज आरती ज़्यादा आक्रामक रूप ले रही थी. वो सोनल के पीछे आ कर उसके चुचियो का मर्दन करती हुई अपने चुचिया उसकी पीठ से रगड़ने लगती है और उसके होंठ चूसने लगती है.
शायद आरती आज खुल के मज़े लेना चाहती थी और देना चाहती थी.


थोड़ी देर बाद दोनो माँ बेटी 69 पोज़ में आ जाती हैं और एक दूसरे की चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगती हैं. आरती कुछ ज़्यादा मज़े से सोनल की चूत को चूस रही थी. और सोनल भी अपना पूरा ज़ोर लगा रही थी आरती को पूरा मज़ा देने के लिए.
सोनल अपनी मम्मी की चूत को चूस्ते हुए अपनी दो उंगली चूत में डाल देती है और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगती है. मस्ती के मारे आरती सोनल की चूत को काट लेती है और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल देती है. आधे घंटे तक दोनो माँ बेटी लगी रहती हैं और एक दूसरे का पानी निकाल कर पी जाती हैं. दोनो ही हाँफ रही थी और एक दूसरे की बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगती हैं.

सोनल की जब साँसे संभलती हैं तो वो अपनी मम्मी के चुचियो को चूसने लगती है. आरती भी अपनी पोज़िशन बदलती है और सोनल के चूचो को चूसने लग जाती है. सारी रात दोनो एक दूसरे के साथ मस्ती करती रहती हैं.
इधर सोनल और आरती जब सुबह उठते हैं तो दोनो का ही जिस्म टूट रहा था पर चेहरों पर रॉनक थी. सोनल तैयार हो कर नाश्ता करती है और फिर अपने स्कूल चली जाती है. आरती भी तैयार होकर फैक्टरी निकल जाती है, रामु काका भी सोच में था कि अब बहु उसके पास नही आ रही है,

दोपहर में सोनल स्कूल से जल्दी वापस आ जाती है, जैसे ही डाइनिग हाल में एंट्री करती है तो उसे किचन में रामु काका मोनिका की चुदाई करते हुए मिलते है, मोनिका किचन में स्लैब के सहारे झुकी हुई थी, और पीछे से रामू काका अपनी बेटी की साड़ी और पेटीकोट उठा कर अपना लण्ड उसकी गांड में गुकाये हुये चोद रहा था, सोनल कुछ देर उनकी चुदाई का लुफ्त उठाती है और फिर अचानक ऊची आवाज में बोलती है,
"अब इस घर को रण्डी खाना ही बनाना है क्या, "

रामु और मोनिका चोंकते हुए हड़बड़ा कर अपनी चुदाई रोक कर अपने कपड़ो को ठीक करते है, सोनल जानती थी कि इनको ज्यादा नही धमका सकती क्योंकि दोनों ही उसके मम्मी पापा से जुडे हुए थे, ज्यादा रियेक्ट करती तो पूरी फैमिली में भूचाल आ जाता,
सोनल मोनिका को पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है,
"क्या मोनिका तुझे इतनी ही आग लगी है तो कमसे कम अपने कमरे में तो मर जाती, यहा खुले में किचन में ही अपने बाप के साथ शुरू हो गयी।"

मोनिका-- क्या बताऊँ सोनल बेबी ये बापू को पता नही क्या सनक चढ़ी थी, मै तो उनका काम मे हाथ बाटने आयी थी कि जैसे ही बर्तन धोने को बेसिन पर झुकी मेरी गण्ड में अपना लण्ड गुसा दिया। मैं क्या करती।

सोनल-- ठीक है ठीक है, लगता है तेरे बापू की गर्मी निकालनी ही पड़ेगी वरना ये इस घर को रंडीखाना बना ही देगा।

मोनिका-- हाँ बहुत गर्मी है बापू में, मेरी गांड को सूजा दिया चोद चोड कर।

सोनल-- हाँ जानती हूं तुझे कितनी सरीफ है जा अब मुझे आराम करने दे और सीधे अपने कमरे में जाना कहि फिर बाहर शुरू हो जाओ।

मोनिका-- नही कमरे में ही जा रही हु, मैं भी समझती हूं कि खुले में ये सब कितना खतरनाक है, ये तो तुम थी कहि कोई और होता तो गए थे काम से। आगे से बापू को साफ बोल दूँगी कि ध्यान रखे ऐसी गलती दोबारा न हो।
मोनिका अपने कमरे पर चली जाती है और सोनल कपड़े बदल कर बिस्टेर पर आराम करने लग जाती है,
थोडी देर में कविता का sms आता है कि वो आ रही है उसकी ट्रैन शाम तक पहुच जाएगी।
सोनल आरती के पास फ़ोन कर देती है, तो आरती भी काम निपटाकर जल्दी आ जाती है


शाम को सोनल और आरती तैयार हो कर कविता को लेने स्टेशन चले जाते हैं.
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08-27-2019, 01:37 PM,
#76
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
शाम को आरति और रवि शोरूम से वापिश आ गए, दोनो अपने रूम में फ्रेश होने गए, फिर डाइनिग टेबल पर आ गए, सोनल और कविता भी टेबल पर आ गयी, सबने ने मिलकर डिन्नर किया। आरती और रवि खाना खत्म करके अपने रूम में चले गए। सोनल ने उनके जाने के बाद किचन में जाकर रामु को अपने कमरे में आने को बोला। रामु ने जी मालकिन कह कर हा भरी।
रामु सब काम खत्म करके पहले उप्पेर अपने रूम में गया और फ्रेश होकर कुछ सोचते हुए सोनल के कमरे की तरफ नीचे चल दिया।
रामु काका रूम के दरवाजे पर गया और उसने दरवाजा बजाया। तो अंदर से आवाज़ आई कि लंड हिलाता हुआ आजा.. यह सुनते ही रामु काका का लंड खड़ा हो गया और फिर उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि सोनल अपने कमरे में एक सेक्सी नाइटी में खड़ी है। और कविता वहा नही थी उस समय। फिर रामु सोनल के पास जाते जाते एकदम गरम हो गया था
रामु काका बोला कि क्या हुआ मालकिन इस समय क्यो बुलाया?
तो सोनल बोली कि तूझे कोई समस्या है क्या?
तो उसने बोला कि नहीं ऐसा कोई बात नहीं है

फिर सोनल ने पूछा कि कल तूने क्या क्या देखा कमरे में ?
तो रामु बोला कि मैंने कुछ नही देखा कि आप आ गयी थी।
तभी सोनल बोली कि तुझे क्या लगता है कि तेरी बातो का यकीन कर लुंगी मैं ?
तो रामु बोला कि नहीं मालिकन मेरी औकात कहा कि आपसे झूठ बोलू। अब आपसे ऊपर कोई नहीं है.. बल्कि मैं तो आपके चरणों के बीच में रहने के लायक हूँ।
तो सोनल एकदम से बोली कि तुझ जैसे कुत्तो को मैंने बहुत ठीक किया है और हाँ तू मुझको सच बोल।

फिर रामु काका बोले कि जी मालकिन।
फिर सोनल रामु काका को बोली कि तू अब जल्दी से अपने कपड़े उतार और अपने घुटनों के बल मेरे सामने आ।

तो उसने ऐसा ही किया जैसे ही सोनल उसकी तरफ बढ़ी.. रामु एकदम से बोला कि मालकिन क्या में आपके तलवे चाट सकता हूँ?
तो सोनल ज़ोर से हंस पड़ी और बोली कि कुत्ते तलवे क्या तुझसे तो मैं सब चटवाऊँगी और उसने अपना पैर आगे किया और बोली कि मेरे सेंडल चाट और धीरे धीरे ऊपर की तरफ चाटता हुआ आ।

फिर रामु ने उसकी नाइटी को ऊपर उठाया..सोनल के पैर एकदम चिकने थे और वो जन्नत की एक परी लग रही थी.. रामु ने करीब 5 मिनट उसके सेंडल को चाटा और धीरे धीरे उसके घुटनों को चाटा और जैसे ही रामु काका ऊपर बढ़ने लगे।
सोनल ने अपने सेंडल से उसके गाल पर धक्का मारा और रामु गिर गया तो सोनल हंसने लगी।
फिर धीरे धीरे सोनल रामु काका की तरफ बड़ी और उसे फर्श पर सीधे लेटने को कहा और रामु काका ने बिल्कुल ऐसा ही किया।
फिर सोनल ने अपने दोनों पैर रामु काका के सर के दोनों तरफ रखे और नाइटी को थोड़ा सा उठाया और बोली कि उफ्फ्फ बहनचोद क्या देख रहा है?
रामु काका बोला कि नहीं ऐसे ही मालकिन मुझे प्लीज वो पेंटी चाटने दो।
सोनल बोली कि पहले भीख माँग कुत्ते.. गिड़गिड़ा मेरे सामने।
रामु बहुत खुश हो गया और खुसी से कांप रहा था.. रामु काका ने अपने दोनों हाथ जोड़े और बोले कि मालकिन अपने इस कुत्ते को अपनी पेंटी साफ करने का मौका दो प्लीज।
तो सोनल ने अपनी एक सेंडल उसकी गर्दन पर रखी और बोली कि उसको चाटकर क्या करेगा?
तो रामु ने कहा कि मालकिन में आपकी पेंटी और आपकी चूत को अपनी जीभ से चाट चाटकर साफ करूँगा?
यह सुनते ही सोनल ने रामु काका के मुहं पर ज़ोर से सेंडल मारा और रामु दर्द से चिल्ला उठा.. तभी वहाँ पर कविता आ गयी और देखते ही बोली कि अरे सोनल यह कौन सा खेल खेल रही है?
फिर सोनल बोली कि पता नहीं कविता आजकल के बुड्ढों को क्या हो गया है? सब कुत्ते बनना चाहते हैं मैं क्या करूँ?
और तू बता क्या हुआ तेरा पेट खराब था टॉयलेट नहीं गयी अभी तक?
तो कविता बोली कि अरे मत पूछ बहुत मुश्किल से पेट साफ हुआ है। आज तो वो इतना भयानक पेट दर्द था बड़ी मुश्किल से गया है, तबसे टॉयलेट सीट पर बैठी हु, बार बार टॉयलेट जाने से पानी भी खत्म हो गया है। ऐसे ही उठ कर आ रही हु कि पूरी पेंटी और गांड में टट्टी ही टट्टी भरी पङी है और मैं अभी इसको ही साफ़ करने जा रही हूँ बाहर वाले टॉयलेट में।
तभी यह सुनते ही रामु काका कांप गये और पता नहीं सोनल ने यह कैसे गौर कर लिया और सोनल बोली कि कविता साफ करने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है यह जो कुत्ता है ना.. इसको चाटना बहुत पसंद है। फिर यह बात बोलकर नाइटी थोड़ी और ऊपर की और बोली कि चाटेगा ना बहनचोद।

रामु काका के पास वैसे भी अब और कोई चारा नहीं था और उसने सिर्फ़ सर हिलाते हुए हाँ का इशारा किया।
सोनल ने उसे घुटनों के बल बैठने को कहा और रामु भी बैठ ही रहा था कि कविता उसकी तरफ आई और अपनी स्कर्ट को उठाया और उसे देखकर कहने लगी कि क्यों रे मादरचोद क्या तूने कभी किसी लड़की की टट्टी चाटी है?
फिर रामु काका ने सर हिलाते हुए ना का इशारा किया.. कविता फिर बोली कि आज तू यह बात ध्यान रख तुझे सिर्फ़ चाटना ही नहीं है बहुत कुछ साफ भी करना है और पीना भी है।
यह बात बोलते हुए उसने रामु काका के बाल पकड़े और उसका मुहं अपनी पेंटी पर रख दिया और रामु जल्दी जल्दी चाटने लगा।
उसे थोड़ा थोड़ा टट्टी का स्वाद आ रहा था।
फिर कविता ने पूछा कि क्यों रे कुत्ते मजा आ रहा है ना?
तो रामु कुछ नहीं बोला और फिर उसने अपनी पेंटी को साईड में किया और अपनी गांड को रामु के मुहं पर रख दिया और बोली कि अगर अब मुहं हटाया तो मैं तेरा लंड काट लूँगी।
तो रामु जल्दी जल्दी चाटने लगा.. तभी उसने रामु को ज़ोर से थप्पड़ मारा.. रामु चुपचाप उसकी गांड पर होंठ लगाकर चाटता रहा। तभी कविता ने रामु काका के मुहं में मूत दिया और रामु काका ने एकदम से मुहं हटाया.. लेकिन कविता ने उनके बाल खींचे और उसे फिर से अपनी चूत के नीचे कर लिया और बोली कि अबे ओ भोसड़ी के.. गांड की टट्टी तो तू चाट गया.. लेकिन अब मेरा मूत क्या तेरा बाप पियेगा? चुपचाप पी इसको।
तो रामु काका बहुत डर गया। रामु काका ने अपना मुहं खोला और उसने एकदम रामु के मुहं के अंदर मूतना शुरू कर दिया। रामु काका ने जितना हो सका उतना उसका मूत पिया बाकी सारा उनके ऊपर गिर गया।

तभी सोनल बोलने लगी कि बड़ा किस्मत वाला है कुत्ते जो कविता का मूत पी रहा है एक भी बूँद नहीं बचनी चाहिए।
फिर रामु काका ने जैसे तैसे उसका मूत पिया पीते ही कविता ने अपनी सेंडल उसके सर पर रखी और बोली कि जल्दी से इस फर्श को चाट और पूरा मूत साफ कर दे।
तो रामु अपनी गर्दन झुकाए कविता के मूत को फर्श से पीने लगा और साफ करने लगा।
फिर जब मूत साफ हुआ तो कविता ने उसके बाल पकड़े और उसे अपनी चूत में घुसा लिया और कहने लगी कि चाट.. अब तुझे मेरी चूत चाटनी है और अच्छे से साफ भी करनी है।
तो रामु काका चुपचाप रानी की चूत अपनी जीभ से चाटने लगा.. उसके पास अब कोई भी रास्ता नहीं था। रामु काका ने चाट चाटकर उसकी गांड से पूरा का पूरा टट्टी और चुत से मूत्र साफ किया और उसे ऐसा करता देख सोनल बोली कि कविता तेरी चूत और गांड तो पहले से बहुत ज्यादा साफ दिखने लगी है.. इसकी जीभ में तो कोई जादू लगता है.. मुझे भी अपनी चूत साफ करवानी पड़ेगी और सोनल भी अपनी चूत रामु काका के मुहं के सामने रखकर बोली कि मेरे नौकर आज तू हम दोनों की चूत साफ कर।
फिर सोनल और कविता उठी और उन्होंने झुककर रामु की तरफ अपनी बड़ी सी गांड झुका दी और कहा कि आजा मेरे गुलाम हम दोनों की गांड चाट डाल। फिर रामु ने कुत्ते की तरह दोनों की गांड चाटने लगा। रामु एक की गांड और चूत चाटता और दूसरी की गांड में उंगली करता रहा। अब उनकी मादक सिसकारियों से कमरे का माहौल गर्म हो गया था।
तो रामु काका अब उन दोनों की चूत बारी बारी से चाटने लगा और साफ करने लगा और वो दोनों सिसकियाँ लेने लगी और सोनल कहने लगी कि कविता हमारा गुलाम तो बड़े काम का है इसने तो मुझे थोड़ी ही देर में गरम कर दिया।
तभी सोनल वहाँ से खड़ी हुई और रामु काका को पूरा नंगा किया और उसका लंड चूसने लगी.. उसने रामु का लंड चूसकर खड़ा कर दिया और इसी बीच कविता रामु काका के मुहं में झड़ गई और रामु काका सोनल के मुहं में झड़ गया। फिर रामु काका ने कविता की चूत का सारा माल चाट लिया और पी गया और उधर सोनल ने भी ऐसा ही किया.. वो रामु काका के उस लंड को आईसक्रीम की तरह चूस रही थी जिसको देख कर उसे घिन आती थी और रामु काका लंड अब भी खड़ा उनकी चूत को सलामी दे रहा था।
रामु काका दोनों के बीच में लेट गया था तो वो दोनों लड़कियों से जोंक की तरह लिपट गया। अब रामु काका उनके कोमल शरीर के बीच सैंडविच बन गया था। फिर सोनल बोली कि गुलाम अब कंट्रोल नहीं हो रहा है तो अब तो चोद ही डाल। फिर कविता बोली कि चल बे लोड़े पहले दीदी को शांत कर दे और मैं सेक्स लीला देखूँगी और फिर मेरी बारी, वैसे भी ये मुझसे बड़ी है तो तेरे लंड पर पहला अधिकार इनका है।
फिर रामु काका ने अपना लंड हाथों में लिया और सोनल की टांगो के बीच में बैठ गया । फिर रामु काका ने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। फिर एक साँस में पूरा का पूरा 8 इंच का लंड सोनल की चूत में उतार दिया तो वो कसमसा गई और रामु काका ने धक्के मारना शुरू कर दिया। अब सोनल की चूत बिल्कुल गर्म हो रही थी और पीछे से कविता भी रामु की गांड सहला रही थी और अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

फिर कविता अपने मुँह को बिल्कुल नीचे लाकर लेट गयी और रामु के आंड और सोनल की गांड को नीचे से चाटने लगी। वो बीच-बीच में रामु काका का गीला लंड सोनल की चूत से निकालकर चूस रही थी और कमरे में आवाज़े गूँज रही थी, फ़चह फ़चह पुच पुच आाईईई ओईईईई में मर गई मेरे राजा आआआआआअ मेरे राजा चोद और तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ सीई आआआआआआआआईईई उईईईईईईईई उम्म्म्मममममममममममम। फिर सोनल ज़ोर से चिल्लाई, ये मेरी गांड क्या तेरा बाप मारेगा? फिर रामु काका ने अपना लंड सोनल की चूत से निकाला और सोनल की टाईट गांड पर रख दिया और एक जोर से धक्का मारा तो रामु का लंड सोनल की गांड में फिट हो गया था। अब वो कुत्तिया बनकर रामु से गांड मरवा रही थी और चिल्ला रही थी, मार ले मार ले मेरी गांड मार ले, मेरा अच्छा गुलाम, मेरा प्यारा लंड मजा आआआआ गया आाआईईई और तेज़ और तेज़ करो।

फिर 15 मिनट के बाद सोनल ने रामु काका का लंड वापस चूत में घुसा दिया और वो अपने चूतड़ो को नीचे से एक एक फुट तक उछालने लगी और नीचे से रामु को चोदने लगी, सस्स्स्स्स्स्सई अब में झड़ रही हुउऊुउउ आआआआआआ कहते हुए पिचकारी मारी और शांत हो गई। अब रामु सांस ले पाता इससे पहले कविता ने उसे बेड पर धक्का दिया और रामु का गीला लंड अपने मुँह में लेकर पागल कुत्तिया की तरह चूसने लगी और बोली कि बेटा तेरा लंड तो वाक़ई में ताक़तवर है चल ज़रा अपनी इस मालकिन की चूत को भी चोद डाल और चूची खींचकर तोड़ दे प्लीज। अब वो रामु काका के ऊपर अपनी घुड़सवारी करने लगी और अब उसका 8 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था और उधर सोनल चुपचाप लेटी अपनी गांड में उंगली कर रही थी। फिर रामु काका ने कविता की गांड भी उन्हें खड़े करके मारी। फिर जब कविता झड़ गई तो सोनल बोली कि हमें अपने लंड के शेम्पियन से भी तो भीगो दो। फिर रामु काका ने उन दोनों रंडियों को अपने पैरों के पास बैठाया और पिचकारी मारकर उनके गोरे-गोरे बोबो पर अपना पानी झाड़ दिया।

अब वो दोनों चुदक़्कड़ रंडियाँ रामु काका के लंड को आखरी हिस्से तक चूस रही थी। चूस चूस कर दोनो ने रामु काका का लण्ड फिर से खड़ा कर दिया। फिर सोनल ने रामु काका के लंड को अपने एक हाथ से पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया और उसे कहने लगी कि दे मादरचोद जोर से धक्के.. तो रामु ने जोश में आकर धक्के लगाने शुरू किए और साथ में सोनल ने रामु के धक्को का जवाब धक्को से दिया और वो खुद ही अपनी चूत की चुदाई रामु के लंड से करने लगी और रामू बस कविता की चूत पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। फिर कविता की चूत एक बार फिर से झड़ गई तो कविता कहने लगी कि सोनल तेरे नौकर ने तो मेरी और तेरी चूत दोनों को ही हरा दिया.. अब क्या करें?
फिर सोनल कहने लगी कि करना क्या है अब यह बारी बारी से हमारी गांड भी चाटेगा।
तो कविता ने ज्यादा देर ना करते हुए जल्दी से अपनी गांड फिर से रामु काका के मुहं पर चिपका दी और कहा कि चाट अब तू गांड और मजे ले..
रामु एक तरफ गांड चाट रहा था और दूसरी तरफ चूत चोद रहा था।
फिर करीब एक घंटे तक रामु काका ने उन दोनों की चूत, गांड चाटी और एक एक करके चोदी और दोनों की आग को ठंडा किया। फिर पूरी रात रामु काका ने उन दोनों को जमकर चोदा और उन दोनों ने उसकी भी प्यास बुझा दी..
सुबह होने से पहले सोनल ने रामु को वहा से जाने को कहा और दोनो चिपक कर सो गई।

अगले दिन सुबह आरती और रवि अपने समय अनुसार उठे और अपने नित्यकर्मों को निपटा कर नीचे आ गए, च्याय के लिए,
निचे आरति ने देखा कि आज किचन में रामु काका की जगह जया काकी और मोनिका काम कर रही है।
आरती--काकी आज आप नास्ता बना रही है, काका कहा गए,
जया-- बहु, आज उनकी तबियत खराब है तो अभी तक सोए है,
आरती--अच्छा, क्या हुआ उनको।
जया-- मालूम नही बहु, सुबह होने से पहले ही उप्पेर कमरे से क्वाटर में आये और अपनी तबियत खराब का बोला और हमे सब काम करने को कहा और फिर खटिया में सो गये।
आरती--हम्म
आरती ज्यादा छानबीन करने उचित नही समझा, फिर रवि और आरती ने चाय पी और फिर उप्पेर अपने कमरे में चले गए तैयार होने,
कुछ देर में दोनो फिर से नीचे आये डाइनिग टेबल पर नास्ते के लिए, आरती ने नोट किया कि आज अभी तक सोनल और कविता भी नही उठी है,
वो सोनल के रूम में जाती है तो जैसे ही दरवाजा धकेलती है तो डोर ओपन हो जाता है, आरती अंदर झांकती है, अंदर सोनल और कविता अभी तक न्नगी ही एक दूसरे से चिपके हुए सो रही थी।

आरती जैसे ही उनको देखती है तो अपना माथा पिट लेती है,ये लड़कियां भी न कभी नही सुधरेगी , कितना समय हो गया ये ऐसे न्नगी सो रही है, कहि रवि आ जाता इनके कमरे में तो क्या देखता, उफ्फ क्या करूँ मैं इनका।
आरती डोर को अछे से बंद करती है और वापिश टेबल पर आ जाती है, रवि पूछता है तो आरती बोल देती है कि दोनों अभी सो रही है।
फिर दोनों नास्ता करते है और फैक्टरी के लिए निकल जाती है, जाते जाते आरती मोनिका को सोनल को उठाने को बोल देती है,
उनके जाते ही मोनिका सोनल को जगाने उसके कमरे की तरफ़ जाती है, और डोर नोक करती है, लकीन अंदर से कोई रेस्पॉन्स नही आता तो मोनिका डोर खोल लेती है तो अंदर का नजारा वही था दोनो अभी भी न्नगी सो रही थी चिपके,
मोनिका उनदोनो को इस हालत में देखकर मचल उठती है, उसे भी कई दिनों से चुदाई नही मिली थी, रवि बाहर था और रामु तो आरती के पीछे पागल, वो धीरे से डोर बंद करके बेड की तरफ आगे बढ़ती है और अपने कपड़े निकाल कर सोनल के पास लेट जाती है,
सोनल की नंगी चूत में मोनिका अपनी उंगली घुसा देती है, सोनल हड़बड़ा कर उठी, मोनिका ने उसकी चूचियाँ दबाते हुए चुटकी ली और बोलीं-बहुत दिन हो गये थे बिना मर्द के स्पर्श के और तो और तुमने भी मुझे सिर्फ़ उत्तेजित कर छोड़ दिया था। सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमने ही मेरी उत्तेजना को शांत की थी। आज तुम दोनों को न्नगी देखा तो मैं भी आ गयी तुम्हारे साथ सोने।
सोनल ने देखा कि मोनिका उसके साथ कुछ ज्यादा ही चिपक रही थी और पूरी न्नगी थी। कभी उसके गालों को सहलाती, कभी चूम लेती, उसके मम्मों को हल्के हाथों से सहला रही थी।

“मोनिका आज क्या बात है? क्या आज पापा के लण्ड की याद आ रही है?” सोनल ने उससे पूछा।

“नहीं ! कुछ नहीं, तुमको न्नगी देखा तो बस ऐसे ही तुझे प्यार करने का दिल कर रहा है !!” मोनिका सोनल को चूमती हुई बोली।

सोनल ने मोनिका को अपने साथ चिपका कर उसकी पीठ सहलाने लगी। मोनिका सोनल के साथ लेटे लेटे उसे चूमते चाटते हुए उसके ऊपर आने लगी। सोनल ने अपने उन्नत मोम्मे दबा कर मोनिका को कहा,”ले अब जहाँ पर प्यार करना है कर ले !!”

मोनिका सोनल के मोम्मे चूसती हुई उसकी चूत को सहलाने लगी। कुछ देर के बाद मोनिका अपनी एक उंगली सोनल की चूत में डालने लगी और फिर नीचे की ओर जाकर उसकी चूत चाटने लगी।

सोनल भी धीरे धीरे उत्तेजित हो रही थी सोनल बोली,”एक मिनट ! मैं जरा बाथरूम हो कर आती हूँ।”

जब सोनल वापिस आई तो फिर से मोनिका सोनल की चूत को चाटने लगी और अपनी उँगली डालने लगी। सोनल की आँखें उत्साह से बंद थीं, तभी उसे लगा कि उसकी चूत में मोनिका की उँगलियों की जगह कुछ और ठण्डा ठण्डा सा घुसने की कोशिश कर रहा है।

“यह क्या डाल रही है मोनिका?” सोनल ने पूछा।

“कुछ नहीं बस चुपचाप मज़ा लेती रह !” मोनिका ने जवाब दिया।

परंतु जब वो डंडा सा कुछ और अंदर जाने लगा तो सोनल ने हाथ बढ़ा कर उसको पकड़ा और देखा कि मोनिका ने अपनी कमर पर एक डिल्डो बांधा हुआ था और उसे ही उसकी चूत में डाल रही थी।

सोनल ने उसे पूछा,”यह डिल्डो कहाँ से ले कर आई है?”

“ तुम्हारे पापा अभी जब बाहर गए थे , उन्ही से मंगवाया है। तेरी पसंद का है ! पूरा आठ इंच लंबा और रंग भी तेरी पसंद का है हल्का भूरा बिल्कुल असली लण्ड जैसा !! और आज तू सोच ले कि तुझे असली लण्ड ही चोद रहा है और यह लण्ड ना तो झड़ेगा और ना ही ढीला पड़ेगा और हमेशा खड़ा रहेगा ! सदाबहार !!” मोनिका उसे सोनल की चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाते हुए बोली।

जैसे ही उसने धक्का मारा, डिल्डो का सिरा सोनल की चूत के अंदर घुस गया. कुछ देर रुक कर मोनिका ने थोड़ा और जोर लगाया तो सोनल के मुह से एक हल्की सी चीख निकली और सोनल ने उसे कहा,”बस मोनिका ! इसको बाहर निकाल ले ! बहुत दर्द हो रहा है।”

“जब तुम्हारे पापा तेरी चूत में अपना लण्ड पेलता है तो तुझे दर्द नहीं होता!!! आज मेरे लण्ड से तुझे दर्द हो रहा है!!!” कहते हुए मोनिका और जोर से धक्का मारा और पूरा डिल्डो उसकी चूत में डाल दिया।

जब सोनल ने उसे जोर देकर बाहर निकालने की कोशिश की तो मोनिका बोलने लगी,”आज तो मैं तुझे चोद कर ही रहूंगी। अगर अभी प्यार से नहीं चोदने देगी तो रात को जब तू सो जायेगी तो तेरी गांड में घुसेड़ दूँगी !!!”

“नहीं गांड नहीं!!! तू मेरी चूत चोद ले, पर आराम से धीरे धीरे चोदना !” सोनल के मुँह से निकला।
इस बीच सोनल की आवाज से कविता भी उठ गई थी और आंखे फाडे दोनो की रासलीला देख रही थी,वो भी आज पहली बार लड़की को डिलडो पहन कर चुदाई करते देख रही थी।

“हाँ ! अब तू मेरी प्यारी सोनल की तरह बात कर रही है ! अब तू देखना, मैं तुझे कैसे प्यार से चोदती हूँ!!!” कहते हुए मोनिका सोनल के ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसने लगी।

अपने दोनों हाथों से उसके मोम्मे दबाती हुए उसे चूमने-चाटने लगी। सोनल जानती थी कि आज हर हालत में मेरी चूत की धुनाई होनी है इसलिए सोनल भी अब चुदाई का आनन्द लेने लगी। सोनल ने अपनी टांगों को पूरा खोल लिया और मोनिका की पीठ पर अपनी बाहें लपेट कर उसको अपने साथ चिपका लिया और उसको चूमने-चाटने लगी।

अब मोनिका ने धीरे धीरे अपना डिल्डो सोनल की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ ही धक्कों के बाद मोनिका ने डिल्डो बाहर निकाल लिया और फिर से सोनल की चूत पर रगड़ कर उसे छेड़ने लगी।

“आह्हह्ह ! मोनिका प्लीज़, ऐसे मत कर !!! अपना लण्ड बाहर मत निकाल !!! अंदर डाल कर पूरा चोद दे मुझे !” सोनल ने अपनी लरज़ती हुई आवाज़ में कहा।

“चोदती हूँ ! पहले मेरा लण्ड तो चूस मेरी जान!!!” मोनिका ने सोनल के चेहरे पर अपना डिल्डो मारते हुए बोली।

“डाल दे ! अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल कर पहले मेरा मुँह चोद दे !!!” सोनल अपना मुँह खोलते हुए बोली।

फिर सोनल ने मोनिका का डिल्डो पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया। सोनल उस डिल्डो को ऐसे ही चूस चाट रही थी जैसे किसी लड़के के बड़े से लण्ड को चूस रही हो।
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08-27-2019, 01:38 PM,
#77
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
मोनिका अपनी हथेली से सोनल की चूत को रगड़ने लगी। कुछ देर बाद मोनिका सोनल के नीचे की ओर आ गई और उसने सोनल की टाँगें खोल कर एक बार दोबारा अपना डिल्डो उसकी चूत में डाल दिया। मोनिका सोनल के ऊपर लेट कर उसके मोम्मों को जोर जोर से मसल मसल कर उसे चोद रही थी।

“मोनिका ! और जोर से चोद !! अपने लण्ड से मेरी चूत को भर दे !!! और जोर जोर से धक्के मार !!!” सोनल उन्माद में भरी हुई बोल रही थी।

मोनिका के जोरदार धक्कों से सोनल कुछ ही देर में झड़ गई और मोनिका को अपने पूरे जोर से अपने साथ दबाने लगी।

मोनिका ने सोनल को घोड़ी की तरह होने को कहा। सोनल बाँहों और घुटनों के बल घोड़ी बन गई तो मोनिका ने उसकी टाँगें थोड़ी सी खोल दीं और सोनल की बाहर निकली हुई चूत के मुँह पर डिल्डो रगड़ने लगी। फिर उसने अपना डिल्डो धीरे धीरे सोनल की चूत में डाल दिया और उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगी। मोनिका कभी उसके मोम्मे दबाती, कभी उसकी गाण्ड सहलाती, कभी गाण्ड पर चपत मारती हुई सोनल को चोद रही थी। कभी जोर जोर से धक्के मारती तो कभी धीरे धीरे डिल्डो सोनल की चूत के अंदर बाहर करती। मोनिका रुक-रुक कर सोनल को चोदती रही और कुछ ही मिनटों में सोनल फिर से झड़ गई।

सोनल जोर जोर से सिसकारियाँ भर रही थी।

“मज़ा आया या और चोदूँ?” मोनिका ने डिल्डो हिलाते हुए पूछा।

“नहीं, अब और ताकत नहीं है मेरे अन्दर !!! प्लीज़ अब इसे बाहर निकाल ले !!!” सोनल ने कहा।

मोनिका ने डिल्डो बाहर निकाला तो उसे ऐसा लगा जैसे जान में जान आ गई हो, सोनल पेट के बल बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से साँसे भरने लगी। जब सोनल की साँसे संयत हुईं तो सोनल ने देखा एक तरफ कविता उसके साथ चित्त लेटी हुई थी और दूसरी तरफ मोनिका और उसके डिल्डो का मुँह छत की ओर था।

कविता पलट कर सोनल और मोनिका के बीच आ गयी और डिल्डो पकड़ कर हिलाने लगी तो मोनिका ने उसे देखा और उसे चूम लिया। कविता ने भी हाथ बढ़ा कर उसको अपने साथ खींच लिया और उसको चूमने लगी।

तभी मोनिका इस बार कविता के ऊपर चढ़ गई और उसकी गर्दन के पीछे और उसके कानों को चूमने चाटने लगी. मोनिका की जीभ कविता की पीठ से होते हुए उसकी गाण्ड को चाट रही थी। कविता को लगा कि उसका शरीर एक बार फिर से वासना से गर्म हो गया है। कुछ देर तक कविता को चूमने चाटने के बाद मोनिका ने अपना डिल्डो कविता की गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाना शुरू कर दिया।

“मोनिका, प्लीज़ गाण्ड में मत डाल ! बहुत दर्द होगा !! चहे चुत मार लो” कविता ने मोनिका को कहा।

“मैं बिल्कुल धीरे धीरे और रुक रुक कर डालूंगी !! और जब तू कहेगी बाहर निकाल लूँगी !!!” मोनिका ने डिल्डो को और दबाते हुए कहा।

“ठीक है, पर प्लीज़ मेरी गाण्ड धीरे धीरे मारना !!” कविता ने अनुरोध किया।

मोनिका ने धीरे धीरे और रुक रुक कर दबाते हुए अपना डिल्डो कविता की गाण्ड में पूरा डाल दिया और अंदर बाहर करने लगी।

“कविता तू ठीक है ना? दर्द तो नहीं हो रहा? देख मैं कितने प्यार से और धीरे धीरे तेरी गाण्ड मार रही हूँ !” मोनिका कहने लगी।

कविता सिर्फ हाँ-हूँ की आवाजें कर रही थी। मोनिका ने अपने हाथ उसके कंधों पर रखे हुए थे और उसकी गाण्ड मार रही थी। कुछ देर के बाद उसने अपने हाथ कविता के दोनों ओर से नीचे किए और उसके मोम्मे दबाते हुए उसकी पीठ को चूमने चाटने लगी।

कविता जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।

“कविता, थोड़ी सी अपनी गाण्ड ऊपर उठा, मैं तेरी चूत में उंगली डालना चाहती हूँ !!” मोनिका कविता के कान को चूमते हुए बोली।

कविता ने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर की तो मोनिका का डिल्डो पूरा जड़ तक उसकी गाण्ड में घुस गया और मोनिका उसका एक मोम्मा छोड़ कर अपनी उंगली उसकी चूत में डालने लगी।

एक ओर से चूत में उंगली और पीछे से गाण्ड में मोनिका का डिल्डो ! कविता दोनों ओर से चुदाई का मज़ा लेते हुए धीरे धीरे अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी।

कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसका पानी मोनिका की हथेली को भिगोने लगा। जब कविता झड़ गई तो मोनिका ने अपना हाथ कविता के नीचे से निकाल लिया और एक बार दोबारा उसके मोम्मे को दबाने लगी।

“मोनिका अब तो तूने मेरी गाण्ड भी मार ली, अब तो अपना लण्ड बाहर निकाल ले !” कविता ने मोनिका को कहा।

“हाँ बस अभी निकाल रही हूँ !” कहते हुए मोनिका ने अपनी गति बढ़ा दी और अब जोर जोर से डिल्डो कविता की गाण्ड के अंदर-बाहर करने लगी।

दो-तीन मिनट के बाद मोनिकाने अपना डिल्डो बाहर निकाला और उसके साथ ही बिस्तर पर निढाल हो कर गिर गई।

“मोनिका, तू क्यों निढाल हो गई, गाण्ड तो मेरी चुदी है और पानी भी मेरी चूत से निकला है!!!” कविता ने मोनिका को चूमते हुए कहा।

फिर दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेट कर सुस्ताते रहे फिर मोनिका ने धीरे से सोनल से पूछा,”सोनल क्या मुझे चोदेगी?”

“हाँ चोदूँगी ! ला मुझे यह डिल्डो उतार कर दे फिर देख कैसे मैं तेरी चूत और गांड का भुरता बनाती हूँ।” सोनल ने कहा।

सोनल उठी और उसके कमर पर देखा तो कोई आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा काले रंग का एक डिल्डो बंधा था, सोनल ने उसे निकाला और मोनिका के बाथरूम से निकलने का इंतज़ार करने लगी।

फिर सोनल बाथरूम होकर आई और उस काले डिल्डो को अपनी कमर पर बांध कर मोनिका के साथ लेट गई। सोनल ने मोनिका को चूमना-चाटना शुरू कर दिया।

मोनिका धीरे धीरे सिसकारियाँ भर रही थी, सोनल ने मोनिका को कहा- आज मैं तेरे साथ वैसा ही करूँगी जैसे कोई लड़का चोदने से पहले मुझे चूमता-चाटता है।

“ठीक है और मैं भी तेरा लण्ड ऐसे चूसूँगी जैसे लड़के का लण्ड चूसती हूँ !” मोनिका बोली।

“ले फिर पहले मेरा लण्ड चूस कर खड़ा कर !” कहते हुए सोनल उसके साथ लेट गई।

मोनिका ने डिल्डो के सिरे को चाटना शुरू कर दिया, फिर उसे हाथ में पकड़ कर ऊपर से नीचे तक चाटते हुए सोनल की जांघों को चाटने लगी। अब मोनिका डिल्डो को अपने मुँह में लेकर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करती हुई चूस रही थी, अपने हाथों में थूक लगा कर कभी सोनल की जांघों पर मलती और कभी उसके मोम्मों पर मलती हुई उन्हें मसल रही थी।

सोनल की जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। थोड़ी देर के बाद मोनिका सोनल के ऊपर लेट गई और उसके होठों को काटती हुई चूसने लगी।

कुछ देर के बाद सोनल मोनिका के ऊपर चढ़ गई और उसके होठों को चूसते हुए उसके मोम्मे मसलने लगी। सोनल ने मोनिका को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटना और चूमना शुरू कर दिया, उसके मोम्मे चूस चूस कर लाल कर दिये, उसके होठों को अपने होठों में दबा कर चूसने लगी।

सोनल ने उसको उल्टा लिटा कर उसकी पीठ को चाट चाट कर अपनी थूक से गीला कर दिया. उसकी गांड को चाट चाट कर जोर जोर चपत मार मार कर लाल कर दिया। सोनल ने उसे सीधा लिटाया और उसे चूमते हुए नीचे उसकी चूत पर पहुँच गई, उसकी जांघें खोल कर उसकी चूत के ऊपर चाटने लगी।

मोनिका की चूत से पानी निकल रहा था, वह सिसकारते हुए कहने लगी, “ओह्ह्ह सोनल मेरी जान !!! चोद दे मुझे !!”

सोनल अपने डिल्डो को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगी और फिर उसे मोनिका की चूत के मुँह पर लगा कर सोनल ने धक्का मारा जिससे आधा डिल्डो मोनिका की चूत में घुस गया।

“आह्हह्ह!!! ओह्ह्ह्ह!!! सोनल तेरा लण्ड घुस गया मेरी चूत में!!!” मोनिका की जोरदार आह निकली।

सोनल ने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये और पूरा डिल्डो मोनिका की चूत में डाल दिया। एक बार पूरा डिल्डो मोनिका की चूत में डालने के बाद सोनल कुछ सेकंड के लिये रुकी ताकि मोनिका की साँसे संयत हो जायें और फिर उसकी चूत में डिल्डो अंदर-बाहर करने लगी।

“मोनिका अब बता, तुझे कैसे चोदूँ !! धीरे धीरे या जोर जोर से !!” सोनल ने मोनिका की टाँगें पकड़ कर चौड़ी कर लीं।

“मेरे ऊपर लेट कर चोद !!” मोनिका बोली।

सोनल ने उसकी टाँगें छोड़ दीं और मोनिका के ऊपर लेट कर उसके मोम्मे अपने हाथों में दबा लिये और उसके होठों को चूसते हुए उसे चोदने लगी।

कोई दस मिनट के बाद मोनिका ने अपनी दोनों टाँगें सोनल की कमर पर लपेट लीं और उसकी गाण्ड को जोर जोर से दबाते हुए झड़ गई। कुछ देर तक मोनिका के ऊपर लेटे रहने के बाद सोनल दोबारा उठी और उसकी टाँगें खोल कर उसको जोर जोर से धक्के मार कर चोदने लगी।

थोड़ी देर में मोनिका फिर से झड़ गई,”अग्ग्ग्ग!!! आह्हह्ह!!! सोनल मैं गई!!!”

सोनल ने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपने पूरे जोर से उसे धक्के मारने लगी। मोनिका की चूत से पानी बह कर बाहर निकल रहा था और उसकी गाण्ड के छेद को भी भिगो रहा था।

कविता ने उस पानी को अपनी उँगलियों पर लगाया और मोनिका की गाण्ड के छेद पर लगाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डालने लगी।

“ओह्ह्ह्ह ! कविता नहीं प्लीज़ मत कर !!” मोनिका जोर से कराही।

“जब तक लड़की की गाण्ड ना मारी जाये, चुदाई पूरी नहीं होती !!” कविता उसकी गांड में उंगली अंदर-बाहर करते हुए बोली।

सोनल ने अपना डिल्डो बाहर निकाला और उसे उतार कर कविता को बोली-- ले कविता इसे पहन और अपनी गांड चुदाई का बदला ले।
कविता तुरंत खड़ी हुई और सोनल से डिलडो लेकर अपनी कमर पर बांध लिया और मोनिका की गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाने लगी।

जैसे ही डिल्डो का सिरा अंदर गया मोनिका चिल्लाई,”ओह्ह्ह्ह !! कविता प्लीज़ धीरे धीरे डाल !!!”

“जब तूने मेरी गाण्ड मारी थी तो तुझे बहुत मज़ा आया था अब मेरी बारी है तो प्लीज़ धीरे धीरे डाल? आज मैं तेरी गांड फाड़ दूँगी !!” कविता ने जोर से एक धक्का मार कर डिल्डो मोनिका की गांड में घुसेड़ते हुए कहा।

कविता ने मोनिका की गाण्ड के नीचे हाथ डाल कर उसकी गाण्ड और थोड़ी सी ऊपर की ओर उठा ली ताकि उसे आसानी हो जाए और दनादन उसकी गाण्ड मारने लगी।

मोनिका की आहें भी अब कम हो गईं थी। कोई पन्द्रह मिनट तक मोनिका की गाण्ड मारने के बाद कविता ने अपना डिल्डो बाहर निकाल लिया और कविता की चूत में डाल दिया और उसकी चूत चोदने लगी। सोनल उसके मोम्मे दबाने लगी. जैसे ही सोनल के हाथों का दबाव उसके मोम्मों पर बढ़ता, वो भी नीचे से अपनी चोदने की गति बढ़ा देती।

तभी सोनल ने अपनी पूरी शक्ति से उसके मोम्मे दबा दिये।

“ओहहह!!! आह्हह्ह!!! आह्हह्ह!!! सोनल मेरे मोम्मे छोड़!!!” कहते हुए मोनिका उसके हाथ हटाते हुए कविता की तरफ ऊपर हो गई और अब मोनिका ने अपनी उँगलियाँ कविता की पीठ में गड़ा दीं और झड़ने लगी।

जब उन दोनों की साँसे संयत हुईं तो दोनो सोनल के साथ चिपक कर सो गईं।
उनकी नींद दोपहर में जया काकी के दरवाजे को खटखटाने से खुली।
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08-27-2019, 01:38 PM,
#78
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
मोनिका अपनी माँ की आवाज सुनकर एकदम से खड़ी होती है और अपने कपड़े पहनती है, और दरवाजा खोलकर बाहर निकल जाती है,
बाहर जया गुस्से में खड़ी होती है,
जया--करमजली तुझे बेबी को जगाने भेजी थी, और लगता है तू भी जाकर उसके साथ हो सो गई।

मोनिका--- मा, मैं तो उठा ही रही थी सोनल को, उसने ही मुझे खिंच लिया और अपने से चिपका कर लिटा लिया तो मेरी भी आंख लग गयी।

जया--अच्छा अच्छा चल अब बेबी को उठा और उनको खाना दे।
मोनिका-- ठीक है माँ। अभी नहाकर आती हु।
सोनल और कविता भी नहाकर हाल में टेबल पर आ जाती है।
जया उनको पहले चाय देती है, फिर कुछ देर में खाना परोस देती है,
सोनल और कविता दोनो खाना खा कर कविता के घर चली जाती है,
शाम को आरती और रवि शोरूम से वापिश आते है, और जया से सोनल का पूछते है तो काकी उनको बताती है कि दोनों कविता के यहा गयी है,
दोनो रूम में चले जाते है, और खाने के वक़्त नीचे आते है, तब तक सोनल और कविता भी आ जाती है, और सीधे डाइनिग टेबल पर बैठ जाती है।
सोनल और कविता दोनो आरती और रवि को गुड़ eveing बोलती है।
रवि दोनो से पढ़ाई का पूछता है तो दोनो अछि का जवाब दिया।
आरती आज कुछ गुमशुम सी थी। तभी रामु भी आ जाता है और खाना परोसने लगता है,
नहीं आज नहीं आज रवि नहीं है वो आज अपने को कैसे रोके पुराने दिन खाते खाते उसे याद आने लगे थे कैसे रामु ने उसकी पहले मालिश किया था और फिर कैसे वो खुद रामु के पास गई थी और कैसे वो रात को रामु और लाखा के पास गई थी किचेन से लेकर हर बात उसे याद आने लगी थी खाते खाते आरती इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि उसे खाते नहीं बना और पता नहीं क्यों यह खाना भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था किसी तरह सब का मन रखने के लिए उनका साथ देती रही थी


किसी तरह खाना खतम होते ही आरती उठकर वाशबेसिन में हाथ धो कर जल्दी से अपने कमरे में पहुँच गई थी और चेंज करने लगी। फिर ड्रेस उतार कर वही एक छोटा सा कपड़ा जो की उसके बैग में था उसे कंधे में डालकर पहन लिया था जोकि घुटनों के ऊपर तक आता था वो कमर में एक मोटी सी गोलडेन कलर का रस्सी से कस्स कर बाँधना था उसे बाँध कर उसने अपने आपको मिर्रर में देखा था गजब जाँघो से लेकर टांगों तक का चमचमाता हुआ एक एक अंग साफ छलक रहा था चुचे बिना ब्रा के भी तने हुए थे आखें मदमस्त और गहरी थी होंठों पर लालिमा बिना लिपीसटिक के ही दिख रही थी बाल जुड़े की शेप में बँधे थे पर कही कही से लंबे से निकले हुए थे कंधा भी खाली था सिर्फ़ वो कपड़े से जितना ढका हुआ था बस उतना ही साइड से उसका शरीर कमर तक साफ-साफ दिख रहा था देखते देखते वो अपने शरीर की रचना में ही खो गई थी कितनी सुंदर और कामुक लग रही थी किसी अप्सरा के जैसी कोई भी सन्यासी और देव पुरुष तक उसके इस शरीर का दीवाना हो सकता था सच में किसी ने सच ही कहा है औरत के पास जो एक हथियार है वो है उसका शरीर आज तक इतिहास गवाह है की इस शरीर के लिए कितनी ही लड़ाइया हुई है और कितने ही कत्ल हुए है आज एक वैसा ही शरीर फिर से इस संसार पर राज्य करने के लिए तैयार हो रहा था


आरती सोचते सोचते अपने आप में इतना खो गई थी कि उसे टाइम का ध्यान ही नहीं रहा था फिर अचानक ही उसने घड़ी की ओर नजर उठाई तो देखा करीब एक घंटा हो चुका था, रवि पता नही कब का आकर उसके पास सो चुका था। पता नहीं रामु कहाँ होगा क्या करू देखूँ क्या उसके कमरे में नहीं नहीं वो सोनल को मालूम चला तो। रामु की भी तो इच्छा होगी कैसे देख रहा था नजर चुरा कर पर वो तो रुक नहीं पा रही है एक बार धीरे से आरती ने अपनी जाँघो को देखते हुए अपने आपको सहलाया था एक सिसकारी उसके मुख में दब कर रह गई थी नहीं वो नहीं रुक सकती उसे कोई मर्द तो चाहिए ही चाहे वो रामु ही हो।

दूसरी तरफ रामु सोनल के रूम की तरफ जा रहा था,

रामु ने सोनल के दरवाजे को धीरे से खटखटा दिया तो सोनल दरवाजा खोलने आई और जैसे ही वो ठीक रामु की आखों के सामने आई। रामु तो उसको देखकर बिल्कुल हैरान हो गया क्योंकि सोनल सीधा बाथरूम से नहाकर बाहर आई थी और उस समय उसका बदन सिर्फ़ एक टावल से ढका हुआ था जिसकी वजह से रामु को उसका एकदम गोरा, सेक्सी बदन दिख रहा था वो बहुत ही हॉट लग रही थी। कुछ देर देखने के बाद उसके कहने पर रामु अंदर चला गया और सोनल ने रामु से आने की वजह पूछने पर रामु ने उससे कहा कि मालकिन मैं तो पूछने आया था कि आपको कोई काम तो नही अभी मुझसे इसलिए मैं आपके रूम पर चला आया,
लेकिन रामु का पूरा पूरा ध्यान तो अब भी सोनल की बाहर से दिखती हुई उभरी हुई छाती और गोरी गोरी चिकनी जांघो पर ही था। रामु उसे लगातार घूर रहा था और इस बात को शायद सोनल भी बहुत अच्छी तरह से जानती थी। फिर सोनल मुड़कर कपड़े लेने के लिए अलमीरा की तरफ चली गई और रामु पीछे से उसकी मटकती हुई गांड को देख रहा था और बहुत मज़े लेने लगा।
सोनल वापस रामु के पास आई और उसने अपने कपड़े बेड पर रख दिये तो रामु ने तुरंत अपनी नज़रों को नीचे झुका दिया, लेकिन तभी सोनल ने जानबूझ कर ब्रा को नीचे गिरा दिए और फिर रामु ब्रा लेने के लिए थोड़ा नीचे झुक गया। रामु ने टावल के नीचे से अंदर की तरफ देखा तो उसने पेंटी पहन रखी थी रामु वो देखकर बहुत उदास हो गया, लेकिन शायद सोनल को पता चल गया था कि रामु नीचे की तरफ झुककर क्या देख रहा है। फिर जब रामु उठकर खड़ा हुआ तो सोनल ने रामु से पूछा कि नीचे बैठकर तुम ऐसा क्या देख रहे हो? उसके मुहं से यह बात सुनकर रामु एकदम से बहुत डर गया था।

रामु : कुछ नहीं मालकिन में तो वो नीचे गिरी हुई आपकी ब्रा उठा रहा था।

सोनल : तू मुझसे अब ज्यादा झूठ मत बोल, मुझे पता है क्या देख रहा था।

रामु ने उनकी बात सुनकर डरते हुए कहा कि मालकिन प्लीज मुझसे ग़लती हो गई है आप प्लीज मुझे माफ़ कर दो में कभी ऐसा नहीं करूंगा प्लीज।

फिर सोनल बोली कि चलो अब जाओ यहाँ से, कुछ देर बाद आना। और रामु जल्दी से उलटे पैर अपने कमरे पर आ गया।
रामु के दिल की धड़कने बहुत तेज हो चुकी थी और रामु ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा पसीने से नहाया हुआ था।
अब रामु अपने कमरे में आकर उस घटना के बारे में सोचकर परेशान था कि सोनल का क्या मिजाज है कभी कुछ कभी कुछ। फिर उसके थोड़ी देर बाद सोनल उसके रूम पर आई और रामु से बोली कि कमरे पर आ जाओ। रामु को थोड़ा डर तो जरुर लगा, लेकिन फिर भी कुछ देर बाद रामु उसके कमरे पर चला गया और तब सोनल ने उससे बैठने को कहा। रामू सोफे पर अपनी नजर को नीचे झुकाए बैठ गया और तब सोनल रामु से बोली कि उस गलती की सजा के लिए तैयार हो।
रामू-- जी मालकिन

सोनल-- इधर आओ और जल्दी से मेरे पैर दबाओ और रामु ने उसके पैर दबाए।
फिर सोनल बोली कि इधर देखो तुम, मैंने तुम्हे किस लिए बुलाया है क्या तुम्हे पता है?
तो रामु ने कहा कि नहीं।
फिर सोनल ने कहा कि इधर बेड पर आओ और रामु चला गया और अब सोनल उसे अपने बेड पर बैठाकर वो खुद उसकी जांघो पर बैठकर उसे किस करने लगी। अब रामु ने पूछा कि यह सब क्या है मालिकन? आज आप खुद इस गुलाम पर मेहरबान तो सोनल तुरंत बोली कि तुम कल दिन में जो करके गए थे वो सब बहुत अच्छा था,
रामु कुछ नहीं बोला बिल्कुल चुपचाप उनकी बातें सुनता रहा।
अब सोनल उससे बोली कि जल्दी से करो,
रामु बोला कि मालिकण क्या करूँ।
तो सोनल बोली कि वही जो कल दिन में किया था।फिर दोनों किस करने लगे और सोनल अपनी जीभ रामु के मुहं में डालकर चूसने लगी। रामु कहने लगा कि मालकिन आप बहुत गंदी हो। एक गुलाम के साथ ये सब।
अब सोनल उससे बोली कि तुम्हारी बात किसी को ना बताने के लिए तुम्हे भी यह सब कुछ करना होगा और रामु भी अब उन्हें किस करने लगा। रामु ने भी अपनी जीभ को उसके मुहं में डाल दिया और दोनों एक दूसरे के मुहं को भी चूमने लगे, रामु को बहुत मज़ा आ रहा था, और दोनो करीब 15 मिनट तक लगातार किस करते रहे। फिर कुछ देर बाद सोनल ने रामू की शर्ट को खोल दिया और उसे चूमती रही और कुछ देर बाद में उसकी पेंट को भी उसने उतार दिया। रामु अब सिर्फ़ अपनी अंडरवियर में था और अब तक रामु का लंड खड़ा हो चुका था, लेकिन अब तक सोनल ने अपने एक भी कपड़े नहीं उतारे थे।

फिर रामु ने थोड़ी हिम्मत करके उसकी ड्रेस के हुक को खोल दिया तो सोनल रामु से बोली कि मैंने अभी तक तुम्हे मेरे कपड़े उतारने की अनुमति नहीं दी है तो रामु चुपचाप लेटा रहा और उसने उसकी अंडरवियर को उतार दिया अब वो रामु के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी और धीरे धीरे हिलाने लगी। अब रामु ने कहा कि मालकिन आप इसे अपने मुहं में डालो ना प्लीज,
तो सोनल बोली कि नहीं
रामु-- मालकिन मेरा लंड बहुत स्वादिष्ट है
और फिर सोनल बोली कि ठीक है।
फिर सोनल ने सबसे पहले उसके लंड पर थूक लगाया और उसके बाद धीरे धीरे मुहं में लेना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद सोनल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी
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08-27-2019, 01:38 PM,
#79
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
लेकिन कुछ देर बाद सोनल ने रामु के लंड को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया और करीब दस मिनट तक उसका लंड चूसा। उसके बाद वो रामु के ऊपर चड़ गई और उसे फिर से किस करने लगी, रामु ने उससे कहा कि अब तो मुझे आपके कपड़े उतारने की आज्ञा दे दो मालिकन, वो बोली कि ठीक है।
फिर रामु उसके ऊपर आकर किस करने लगा और उसके बाद रामु ने धीरे से सोनल की ड्रेस और पजामा उतार दिया। अब सोनल रामु के सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी और रामु उसकी ब्रा को उतारकर बूब्स को चूसने लगा। सोनल उसके मुहं को अपने बूब्स पर दबाने लगी और कुछ देर बाद रामु ने सोनल की पेंटी को भी उतार दिया।
वाह क्या मस्त गुलाबी चूत है, रामु बोला और उसकी चूत को हाथ से सहलाने लगा।
सोनल बोली कि मेरी चूत को अपने मुहं में लो।
रामु के मुहं को सोनल ने अपने हाथों से अपनी चूत में दबा दिया,
सोनल-- तुम मेरी चूत को चाटो
करीब 15 मिनट तक रामु ने उसकी चूत को चाटा। सोनल उससे कहने लगी कि अब तुम मुझे चोदो। रामु धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।सोनल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। सोनल के मुहं से अब आवाज़ आने लगी थी उहहह्ह्ह ओहह्ह्ह्ह चोदो मुझे आहह और ज़ोर से चोदो। फिर रामु अब बहुत तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा और उसे किस भी करने लगा। कुछ देर बाद सोनल डॉगी स्टाईल में हो गई और उसने रामु से बोला कि तुम मुझे पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डालकर चोदो और अब रामु वैसे ही चोदने लगा, रामु ने महसूस किया कि सोनल की गांड बहुत मोटी थी, जिसको देखकर उसका मन उसकी तरफ ललचाने लगा, रामु ने कहा कि मालकिन मैं अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।
तो सोनल उससे बोली कि नहीं, रामु ने कहा कि प्लीज में एक बार उसको चोदकर मज़े लेना चाहता हूँ।
तभी सोनल बोली कि नहीं उसमे बहुत दर्द होता है।
फिर रामु ने कहा कि प्लीज एक बार उसके बाद दोबारा कभी नहीं कहूँगा।
अब सोनल बोली कि ठीक है, लेकिन थोड़ा रूको। सोनल फोन करने लगी। तभी कविता और मोनिका दोनो रूम में आ गयी। रामु उन्हें देखता ही रह गया। और अब वो दोनों बेडरूम में आ गई। रामु तो उसको देखकर बहुत हैरान हो गया और फिर सोनल ने उससे कहा कि तुम इसे चोदो मोनिका को। तभी मोनिका ने अपने सभी कपड़ों को जल्दी से उतार दिया और एकुदम से रामू के उप्पेर 69 पोज़िशन में आ गयी। उसने अपने बापू के लंड को बहुत देर तक चूसा और वो अब डॉगी स्टाइल में आ गई। रामु ने गचक के अपना लण्ड अपनी बेटी की चुत में गुसा दिया, और जोर जोर से चोदने लगा, कुछ देर में जब रामु का पानी छूटने को हुआ तो फिर रामू ने उसके मुहं में लण्ड गुसा दिया और मुह को चोदने लगा। रामु अब झड़ने वाला था तो मोनिका ने अपने मुहं में रामु का पूरा वीर्य ले लिया और चूसने लगी। रामु अब तक बहुत ज्यादा थक गया था इसलिए रामु तो मोनिका के ऊपर ही लेट गया। सोनल और कविता उनके पास में लेट गयी और पांच मिनट लेटने के बाद मोनीका उसे किस करने लगी और सोनल उसका लंड चूसने लगी। रामु का लंड कुछ देर चूसने हिलाने के बाद एक बाद फिर से खड़ा हो गया था।
रामु ने फिर सोनल से कहा कि मालकिन में आपकी गांड मारना चाहता हूँ। तो सोनल ने कविता को इशारा किया, लेकिन रामु वो इशारा समझ नहीं पाया। अब कविता ने अलमारी में से कुछ बाहर निकाला,
कविता के हाथ में एक कुत्ते का पट्टा था. कविता ने वो पट्टा रामु के गले में बाँध दिया और तीनों सोफे पे आराम से बैठ गईं. उन्होंने रामु से कहा- तुम्हें बहुत बुरा लग रहा होगा लेकिन अगर तुम हमारे साथ सहयोग करोगे तो हम तुम्हारी लाइफ बना देंगी.
रामु कुछ नहीं बोला.
फिर सोनल ने कहा- चल मादरचोद यहाँ हमारे पास आके हमारे तलवे चाट.
रामु ने सोनल के तलवे चाटना शुरू किए.कोई 5 मिनट तक चाटने के बाद एकदम से उसने रामु के मुँह पे लात मारी और रामु नीचे गिर गया. फिर सोनल और कविता ने रामु के मुँह पर थप्पड़ों की बारिश शुरू कर दी. रामु 10-12 तक तो गिन पाया, फिर भूल गया. रामु के गाल एकदम लाल हो गए थे. रामु की आँखों से आँसू निकल रहे थे और वो तीनों हंस रही थीं.


तभी कविता बोली- आज इसके लण्ड को छोटा कर देते हैं.साले का ज़्यादा ही बड़ा है.
यह सुन कर रामु की हालत खराब हो गई. तभी कविता बोली- नीचे लेट जा.
रामु फर्श पर लेट गया तो तीनों उसे घेर कर खड़ी हो गईं. फिर मोनिका तो उसके ऊपर अपना पूरा वजन रख कर खड़ी हो गई,कविता उसकी बाल्स को दबाने लगी और सोनल ने तो उसके मुँह पर अपनी गांड रख दी और चाटने को बोला.
रामु बिना कुछ कहे उसकी गांड चाटने लगा. तभी रामु की बॉल्स पे लगातार लातें पड़ रही थीं जिससे रामु दर्द से कांप रहा था.
ये सब लगभग आधा घंटा तक चला.
फिर कविता अपनी गांड रामु के मुँह पे रख कर बैठ गई और बोली- चाट मादरचोद..
रामु उसकी गांड चाटने लगा, उसे मजा आ रहा था. सोनल ने उसकी दोनों टांगें फैला दीं और रामु की गांड में उंगली डालने लगी. मोनिका उसका लंड चूसने लगी.
अब रामु की हालत एकदम खराब हो चुकी थी. दो मिनट में ही रामु का लंड छूट गया, जिसको देख कर एक बार फिर से उसके ऊपर लातों और थप्पड़ों की बरसात शुरू हो गई.
फिर उन तीनों ने रामु को बेडरूम में कुत्ते की तरह चलने को कहा. सोनल बोली- बेड पर लेट जाओ.
रामु ने वैसा ही किया, फिर कविता ने उसके दोनों हाथ बेड के साइड से रस्सी से बाँध दिए, रामु को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ अब क्या होने वाला है.
मोनिका उसके मुँह पर अपनी गांड रख कर बैठ गई और उसे चाटने को बोला. कविता उसके निप्पलों को काटने लगी और सोनल उसके लंड को पागलों की तरह चूसने लगी. बीच-बीच में वो उसे मारती और गालियाँ देती रहीं.
काफ़ी देर तक ऐसा होने के बाद उसके साथ जो हुआ, रामु कभी सोच भी नहीं सकता था. मोनिका उसके मुँह पर बैठी थी वो रामु के मुँह पर ही पूरी झड़ गई और उसे अपना चुत रस चाटने को बोला. रामु ने वैसा ही किया.
क्या मस्त टेस्ट था उसके चुत रस का. मजा आ गया.
फिर उन तीनों को पेशाब आई और उन्होंने रामु से कहा कि तुम काफ़ी प्यासे हो गए हो और हम सब तेरे मुँह में ही मूतना चाहेंगे.
ये सुन कर रामु डर गया.
और उन्होंने धमकी दी कि मादरचोद यदि हमारा बेड खराब हुआ हो तुम्हारी खैर नहीं.
रामु और भी डर गया.
फिर एक-एक करके तीनों ने उसके मुँह में मूता, रामु ने बड़ी सावधानी से एक-एक ड्रॉप पी लिया.
रामु ने अपनी लाइफ में दूसरी बार किसी का मूत पिया था. अजीब तो था लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था.
उसके बाद सोनल ने उसे बाथरूम में जाकर फ्रेश होने को बोला और कहा- अभी 15 मिनट का ब्रेक है..
सुबह के 4 बज चुके थे और ये सब थकने का नाम नहीं ले रही थीं. 15 मिनेट बाद सोनल ने सबको छत पर चलने को बोला, वहाँ काफ़ी जगह थी. सोनल ने रामु के पैर को हवा में करके सामने वाली विंडो में बाँध दिया और उसके हाथ बाल्कनी की साइड से बाँध दिए. अब रामु एक तरह से हवा में लटका हुआ था. जैसे लोगों के गाडर्न में रस्सी वाला झूला होता है. रामु बिल्कुल भी अनुमान नहीं लगा पा रहा था कि अब क्या होने वाला है.
तभी कविता ने उसकी गांड पर जोर-जोर से मारना शुरू किया और सोनल ने रामु के मुँह पर.रामु दर्द से चिल्ला रहा था. कोई 15-20 मिनट तक मारने के बाद रामु का बुरा हाल था. फिर उन्होंने उसे छोड़ा करीब 2 मिनट बाद रामु ने नोटिस किया कि उसकी गांड पर सोनल कोई जैल लगा रही है. रामु की हवा खराब हो गए कि अब पता नहीं ये क्या करने वाली हैं.
तब कविता मुस्कुराई और बोली- अबे गान्डू इतना मत सोच. अभी सब समझ आ जाएगा.
रामु डर गया.
कुछ देर तक जैल लगाने के बाद उसे आराम फील हो रहा था लेकिन वो आराम नहीं, उसके लिए हराम था. उसे वहीं छोड़ कर तीनो नीचे चली गईं. उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था. करीब 20 मिनट वो तीनों आईं. अब तक अब तक बाहर थोड़ी थोड़ी रोशनी हो गई थी तो कुछ लोग अपार्टमेन्ट में दिखने लगे थे. रामु की तो हालत खराब हो गई.ये शायद उन्हें भी सही नहीं लगा तो उन्होंने उसे वहाँ से नीचे अन्दर ले जाकर बेड पे लेटा दिया. और वैसे ही उसके हाथ बाँध दिए. फिर कविता और मोनिका उसके पैर के पास आईं और उसके पैर को काफ़ी फैला कर अपने हाथ से जोर से पकड़ लिया. सोनल वहाँ नहीं थी, उसकी कुछ समझ नहीं आ रहा था.
तभी सोनल वहाँ आई. उसने स्कर्ट पहना हुआ था, वो रामु के पास आई और अपनी पेंटी उतार कर उसके मुँह में अन्दर तक भर दी और बोली- सुन बे मादरचोद ज़रा भी आवाज़ की ना तो समझ जाना.
रामु ने हाँ में सिर हिला दिया. सोनल ने अपनी स्कर्ट उठायी तो देख कर रामु की तो हालत खराब हो गई. सोनल ने बहुत बड़े साइज़ का डिल्डो वाले लंड लगाया हुआ था.
अब रामु समझ गया की उसकी गांड मारने वाली हैं. ये सोच कर ही उसकी फट रही थी. फिर उसने अपना डिल्डो रूपी लंड रामु के मुँह में दे दिया और कहा- चूस इसे कुत्ते.
रामु नकली लंड चूसने लगा.
उसे काफ़ी देर चूसने के बाद कविता और मोनिका ने पहले के जैसे ही उसके पैरों को फैलाया और सोनल ने अपना डिल्डो में उसकी गांड में डालना शुरू किया. रामु की हवा खराब थी, रामु चिल्ला भी नहीं सकता था. पहले तो सोनल धीरे-धीरे अन्दर डालने की कोशिश कर रही थे. लेकिन एकदम से उसने बहुत तेज झटका मारा और पूरा लंड रामु की गांड में चला गया. रामु के मुँह से चीख निकल गई.
रामु की चीख आरती के कानों तक पहुची। आरती जल्दी से अपने कमरे से बाहर की ओर भागी और डोर खोलकर एक बार बाहर की ओर देखा कोई नहीं था सबकुछ शांत था धीरे से उसने नजर ऊपर की ओर जाती हुई सीढ़ियो पर ले गई थी वहां भी शांति थी

आरती बाहर निकलकर सीढ़िया चढ़ने लगी थी रामू काका के कमरे में वो पहले भी आई थी आरती ने कमरे में देखा पर रामु तो कमरे में नहीं है कहाँ है शायद नीचे होगा क्या करे वही वेट करे नहीं नहीं ऐसा नहीं वो जल्दी से अपने कमरे की ओर जाने लगी थी पर थोड़ी दूर जाकर वो रुक गई थी क्या कर रहा है रामु नीचे अभी तक। आरती से नहीं रहा गया और वो धीरे-धीरे नीचे की ओर चल दी किचेन में लाइट नही जल रही थी रामु कहा होगा। डाइनिंग स्पेस में आते ही उसे रामु की आवाज सोनल के कमरे में सुनाई दी। आरती तुरन्त सोनल के रूम की तरफ गयी। सोनल के रूम का डोर लॉक नही था, आरती ने रूम के अंदर झांका तो उसकी आंखें फटी रह गयी,
अंदर जिस इंसान ने अपनी चुदाई से उसे रण्डी बना दिया था उस इंसान की गांड में उसकी बेटी एक नकली लन्ड गुसा कर उसकी गांड को चोद रही थी, साथ मे रामु की खुद की बेटी और कविता भी मौजूद थी।
आरती ने देखा सोनल अब आगे पीछे होने लगी। रामु दरद से बिलबिलाने लगा।कुछ देर बाद में रामु को बहुत मज़ा आने लगा। मोनिका की चूत भी बहुत अच्छी थी, रामु उसकी चूत में अपनी जीभ को अंदर तक घुसाकर चूसने लगा। फिर करीब दस मिनट जीभ से चोदने के बाद मोनिका झड़ गई और रामु लगातार चूसता रहा। अब कुछ देर बाद सोनल रामु को किस करने लगी और अब कविता ने वो अपनी कमर पर बांध कर रामु की गांड में डाल दिया तो रामु को बहुत दर्द हुआ।
फिर क्या था. वो तीनों बारी-बारी से उसकी गांड मारती रहीं. कम से कम 1 घंटा से ज़्यादा उन्होंने उसकी गांड मारी होगी.
अब लगभग सुबह के 7 बज रहे थे, तीनों ने उसके मुँह में अपना चुत रस छोड़ा. और पूरा चाट जाने को कहा. रामु ने वैसा ही किया.
फिर रामु को वहाँ से भेज दिया, लड़खड़ाते हुए रामू अपनी घायल गांड को लेकर अपने कमरे में आ गया। वहा वो तीनों बिस्तर पर पसर गयी और सो गई।
आरती ने पुरी महाभरत अपनी आँखों से देखी और फिर रामु के आने से पहले अपने रूम में गयी।
रूम में पहुच कर आरती अपने बेड पर लेट गयी, रवि अभी भी सो रहा था, आरती ने जो देखा था उसे यकीन नही आ रहा था कि सोनल जैसे लड़की रामु जैसे आदमी की गांड मार साख्ति है, रामु जैसा मजबूत व्यक्ति ऐसा करवा सकता है, उष्को ये भी नही समझ आ रहा था कि जिस नकली लण्ड का उसने सुना भी नही था, उसकी बेटी उष्को अपने पास रखती है। क्यो रामु कुछ नही कर रहा था। क्यो वो उन लड़कियों के सामने बेबस था।
सोचते सोचते आरती की आंख लग गयी।
सुबह आरती की आंख लेट खुलती है, जब वो उठती है तो देखती है कि रवि कमरे में नही है, आरती फ्रेश होकर नीचे आती है, नीचे आज भी जया काकी ही किचन में थी,
जया-- उठ गई बहु रानी, वो रवि बाबू बोल कर गए है कि वो फैक्टरी जा रहे है,और अगर आप जब उठे तो बोल दु कि अगर आपका मन हो तो फैक्टरी आ जाना वर्ना रेस्ट कर सकती है।
आरती कुछ नही कहती और डाइनिग टेबल पर चली जाती है, जया काकी आरती को चाय देती है
आरती-- काकी आज फिर काका नही दिख रहे है,
जया-- हां बहु आज भी उनकी तबियत ठीक नही है।
आरती मन मे सोचती है, हा कहा से ठीक होगी रातभर गांड चुदाई करवाने पर।
आरती चाय पीकर अपने कमरे में चली जाती है, और बिस्तर पर लेट जाती है,
उसके माइंड में अब भी रात का नजारा ही था, कैसे रामु झुका हुआ अपनी गांड मरवा रहा था,
आरती झुंझलाते हुए उठती है ओर बाथरूम में गुस जाती है,
नीचे सोनल की आंख खुलती है तो देखती है कि कविता और मोनिका अभी तक सो रही है, सोनल उठकर बाथरूम में चली जाती है, और फ्रेश होकर बाहर आती है और कविता और मोनिका को उठाती है।
कविता और मोनिका उठती है और दोनो एक साथ बाथरूम में गुस जाती है, दोनो की हालत देखकर सोनल की हंसी छूट जाती है।
मोनिका बाथरूम से बाहर निकलती है और अपने कपड़े पहनकर बाहर चली जाती है।
जब मोनिका बाहर निकलती है तो किचन में जया काकी मिलती है, मोनिका उनको अनदेखा करके क्वाटर में चली जाती है। जया उष्को जाते हुए देखती रह जाती है।
कुछ देर में सोनल और कविता बिना खाना खाएं बाहर निकल जाती है,
आरती जब नीचे आती है तो जया उष्को बता देती है,
आरती का पूरा दिन ऐसे ही गुजर जाता है, रामु उष्को दिखाई नही देता, उसका मन बैचैन था उससे मिलने को,लेकिन वो पूछेगी क्या की क्यो वो लड़कियों से गण्ड मरवा रहा था,
आरती अपने मन मे , नही अभी कुछ नही पुछुगी रामु से। पहले निगाह रखती हूं कि चक्कर क्या है।

शाम को सोनल का फोन आता है कि वो कविता के घर पर रुकेगी। आरती की आंखों में चमक आ जाती है कि आज वो रामु से चुदगी बिना डर से।
लेकिन रामु तो आज किचन में आया ही नही,तो क्या हुआ मैं खुद चली जाऊँगी कमरे में, आरती मन मे सोचती है।
Reply
08-27-2019, 01:38 PM,
#80
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कुछ देर में रवि भी आ जाता है, रवि अपने कमरे में जाकर फ्रेश होकर नीचे डाइनिग टेबल पर आ जाता है, आरती और रवि मिलकर डिनर करते है और वापिश कमरे में चले जाते है। दोनो में कुछ खाश बात नही हो जाती है और रवि सो जाता है।
आरती कुछ देर बाद उठती है और बाहर आ जाती है,
आरती को नीचे किचन में लाइट जलती दिखती है।
आरती नीचे आती है, और किचन में देखती है
रामु काका प्लॅटफार्म की सफाई कर रहा था उसका ध्यान बिल्कुल भी पीछे की ओर नहीं था पर अचानक ही पीछे की पदचाप से रामु पलटा था। आरती स्वर्ग से उतरी हुई एक अप्सरा परी सुंदरी और ना जाने क्या-क्या एक साथ उसके दिमाग में चल पड़ा था जाँघो तक एकदम खाली वो सुंदरी उसके लिए ही यहां आई थी

आरती- क्या आज ही सारा काम खतम करना है

एक उत्तेजित और हुकुम देने वाली आवाज किचेन ने गूँज उठी थी रामु की नजर एक बार आरती के चहरे पर गई थी कितना रुआब था उसके चहरे पर कितनी निडर हो गई थी वो पहले तो आवाज ही नहीं निकलती थी सिर्फ़ हाँ हूँ और उऊफ और आह के सिवा कुछ नहीं

आरती- लाखा कहाँ है …

रामु (हलकता हुआ)- जी वो गांव वाले घर पर चला गया है

बड़े ही डरे हुए और धीमी आवाज में उसने कहा था

आरती- पानी दो
एक कड़क आवाज में आर्डर था

रामु डरा हुआ सा जल्दी से ग्लास लिए हुए फ़्रीज खोलकर पानी का ग्लास लिए हुए आरती के पास पहुँचा था आरती तब तक किचेन के अंदर आ गई थी और बीच में पड़े हुए टेबल पर कूल्हे टिकाकर खड़ी थी गोरी गोरी टाँगें एकदम साफ चमक रही थी रामु नजर झुकाए पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाकर अपनी नजर उठाने की कोशिश करता पर आरती की दाईं टाँग को उठकर उसकी टांगों के बीच में आता देख रहा था वो थोड़ा दूर खड़ी थी पर उसकी टाँगें उसके पास पहुँच रही थी आरती ने एक हाथ से उसके हाथो से ग्लास ले लिया था और अपनी टाँग को उठा कर उसकी जाँघो के बीच में फँसा लिया था और उसके नितंबों तक पहुँचा कर उसे अपने पैरों से अपने पास खींच रही थी

रामु निस्तब्द सा आगे की और हो गया था उसकी हथेलियाँ आरती की जाँघो को छू रही थी गोरी और कोमल जांघे कितनी सुंदर है उउफ्फ… हाथ में आई यह छुई मुई सी औरत कितनी कोमल और नाजुक है उसके दोनों हाथ आरती की उस जाँघ पर एक बार घूम गई थी और उसके चिकने पन के एहसास को अपने दिल में संजोने की कोशिश भी कर रहा था


रामु की हालत खराब थी आरती की टाँगें उसके लण्ड से टकरा रही थी जो की उसके जाँघो के बीच में थी पर वो तो जैसे एक पत्थर की मूरत की तरह एकटक उसकी ओर ही देखे जा रही थी आरती से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी। आरती की कड़कती हुई आवाज उसके कानों में गूँज उठी थी

आरती- खोलो इसे और याद रहे आज के बाद तुम हर काम सिर्फ़ मेरे लिए करोगे जब मैं इस घर में रहूं तो ठीक है

रामु- जी
और वो अपने हाथों को आगे बढ़ा कर आरती की कमर में बँधे उस रोप को खोलने लगा था आरती की टाँगें अब नीचे हो गई थी और एक हथेली रामु के लण्ड को टटोलने लगी थी उसके धोती के ऊपर से ही उसकी नाजुक सी उंगलियां रामु के लण्ड को कस्स कर पकड़ती और फिर ढीला छोड़ देती थी रामु अपनेआपको संभालता और करता क्या डरा हुआ सा रामु उस परी का दीवाना तो था पर आज जो कुछ वो देख रहा था और झेल रहा था उससे यह तो साफ था की आज वो इस नारी को शांत कर नहीं पाएगा उसका शरीर कब तक उसका साथ देगा उसे नहीं पता पर कोशिश जरूर करेगा यह सोचते हुए जब तक वो आरती की कमर से वो रोप खोलकर अलग करता तक तक तो आरती ने उसके लण्ड पर पूरा काबू पा लिया था धोती के ऊपर से ही उसे अपनी पतली पतली उंगलियों से कस्स कर पकड़ी हुई अपने एक हाथ से अपने सामने से उस कपड़े को हटा दिया था

आरती- उतारो इसे
और रामू ने धीरे से आरती के ऊपर से वो कपड़ा हटा दिया था एक स्वप्नसुंदरी उसके सामने खड़ी थी गोरा रंग जैसे दूध में थोड़ा सा लाल रंग मिला दिया हो वैसा रंग था, उसके पर सिर पर बालों के सिवा कही कोई बाल नहीं थे एकदम साफ और चमक दार थी वो अपने आपको नहीं रोक पाया था और आरती की ओर देखते हुए उसके पैर पर अपने हाथ टिकाकर सहलाने लगा था पर एक डर था उसके दिल में कही सोनल ना आ जाए या कोई देख ना ले किचेन में थे वो लोग बाहर से भी नजर नहीं पड़ जाए पर आरती को कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था हिम्मत जुटा कर रामु बोल ही उठा
रामु- बहू रानी अंदर चलते है

पर बीच में ही आरती ने उसकी बातें काट दी थी
आरती- पहले यहां करो फिर अंदर जाएँगे जल्दी करो और खोलो इसे क्या फालतू की चीज को बाँधे खड़े हो

रामु कुछ कहता इससे पहले ही आरती ने एक झटके से उसकी कमर से उसकी धोती खींचली थी बड़े से अंडर वेयर में फसी हुई उसकी धोती लटक गई थी और आरती का हाथ फिर से उसके लण्ड को कस्स कर पकड़ लिया था और एक हल्की सी आवाज में रामु के होंठों के पास आते हुए बोली
आरती- खोलो जल्दी से नहीं तो तोड़ दूँगी

रामु जल्दी से अपने अंडरवेयर को खोलने लगा था आरती की मजबूत पकड़ उसके लण्ड पर और कस गई थी पागल सी हो उठी थी वो लाइट में उसका गोरा शरीर चमक रहा था और रामु की हालत उसके आपे से बाहर हो रही थी आरती के हाथों में अपने लण्ड को छुड़ा नहीं पा रहा था पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रहा था वो जानता था कि आरती कुछ देर और उसके साथ यही खेल खेलती रही तो वो बिना कुछ करे ही झड जाएगा सो वो जल्दी से आरती को खींचकर अपनी बाहों में भरने लगा था उसके होंठ जो की उसके पास ही थे झट से उनपर कब्जा जमा लिया था पर कब्जा रामु ने नहीं आरती ने जमा लिया था एक जोर दार, तरीके से आरती ने रामु के होंठों के साथ-साथ उसकी जीब को झट से खींचकर अपने मुख में भर लिया था और बहुत जोर-जोर से चुबलने लगी थी उसके हाथ अब भी रामु के लण्ड को निचोड़ रहे थे ना जाने कैसे और जैसे रामु की जान पर बन आई थी आज रामु जिस जिश्म के लिए इतना पागल था वो आज उसकी जान पर बन आई थी वो नहीं जानता था कि आरती को क्या हुआ है पर उसकी दीवानगी के आगे वो झुक गया था वो और ज्यादा देर तक अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाया था और वही आरती के हाथों में ही झड़ गया था आरती ने एक बार, उसे देखा था बहुत ही गुस्से में पर लण्ड को छोड़ा नहीं था किसी मेमने की तरह वो आरती के होंठों की बलि चढ़ गया था उसके हाथों की बलि चढ़ गया था और अपने आप को शांत करके आरती की कमर को पकड़े हुए खड़ा उसपर टिका हुआ लंबी-लंबी सांसें छोड़ रहा था आरती एक शेरनी की तरह से उसे देख रही थी जैसे की कह रही हो बस हो गया इतना ही दम है

आरती- क्या काका बस

रामु- नहीं बहू रानी डर के मारे निकल गया है आप जिस तरह से कर रही थी वैसा आज तक किसी ने नहीं किया इसलिए संतुलन नहीं रख पाया माफ किर दीजिए
और नजर झुकर खड़ा हो गया था पर अपने लण्ड को आरती के हाथों से छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं किया था आरती की हथेली में उसका लण्ड पानी छोड़ने के बाद सिकुड़ने लगा था पर उसके हाथों में उसका वीर्य अब भी चमक रहा था वो नीचे सिर किए हुए आरती के हाथों में अपने लण्ड को देख रहा था और उसकी गोरी गोरी जाँघो को धीरे से सहलाते हुए इंतजार कर रहा था कि कब आरती उसके लण्ड को छोड़े

आरती- फिर अब क्या करोगे जाकर सो जाओगे हाँ…

रामु- नहीं बहू जब तक आपको मेरी जरूरत है में यही हूँ

आरती- पर तुम तो गये फिर

रामु- नहीं बहू रानी अभी बहुत कुछ है रुकिये और धीरे से अपने आपको आरती की जाँघो के बीच में ले गया था और अपनी जीब से उसकी चुत को सहलाते हुए आरती को धीरे से उस टेबल पर बिठा लिया था आरती ने भी कुछ नहीं कहा था जैसा रामु चाहता था वही किया

अपने आपको उसने टेबल पर रखे ही अपनी कमर को इतना आगे कर चुकी थी कि रामू काका की जीब उसके अंदर तक चली जाए अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो इतने दिनों बाद उसके शारीर को किसी मर्द ने छुआ था एक पहचाना हुआ सा स्पर्श था वो पर एक भूख को और भी बढ़ाता हुआ सा भी अलग अलग तरीके से छूने की दशा में भी आरती अपने आपको हिलाकर और कमर को उँचा करते हुए रामु काका को पूरा समर्थन दे रही थी


होंठों में दबी हुई आवाज अब तेज होती जा रही थी अंदर का उफान बढ़ता जा रहा था एक चिरपरिचित सी मादकता उसके अंदर तक एक तूफान को जनम दे रही थी आरती चाह कर भी अपने को रोक नहीं पा रही थी उसकी कमर या कहिए चुत अपने आप रामु के होंठों के सुपुर्द होने को आतुर थी टेबल पर टिके हुए भी वो आगे की ओर होने लगी थी रामु जो की पूरे तन मन से अपनी बहू के सौंदर्य को चूसने में लगा था एक भड़की हुई आग से खेलने को तैयार था अपने बुढ़ापे को भूलकर जवान बनने की कोशिश कर रहा था तन की शक्ति जबाब दे देने के बाद भी वो उस हसीना को छोड़ने को तैयार नहीं था


या कहिए अपने मन में छुपी हुई आकांक्षा को दबा नहीं पा रहा था अपने होंठों के साथ-साथ वो अपनी जीब को जितना अंदर तक हो सके और जितना दम उसमें था वो निरंतर प्रयासरत था आरती को खुश करने में हर एक बार जैसे ही उसकी जीब अंदर से बाहर की ओर आती थी आरती के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकलजाति थी उसकी जांघे खुलकर इतना फेल गई थी कि रामु के माथे के साथ-साथ उसके दोनों हाथ भी उनमें समा गए थे आरती के मुख सी निकलने वाली सिसकारी से रामु और भी उत्तेजित होता जा रहा था

आरती- और जोर-जोर से चूसो काका और जोर से उंगली भी डालो अंदर तक डालो और अंदर
आरती लगातार रामु को उकसा रही थी की वो उसके साथ हर संभव प्रयास करता रहे और रामु भी पीछे नहीं हट रहा था पर आरती को आज संभालना मुश्किल था उत्तेजना में वो पागल हो चुकी थी उसके हाथ अब धीरे-धीरे रामु के बालों पर कसने लगे थे उसकी उत्तेजना की हालत यह थी की लगता था कि रामु के बाल खींचकर अलग कर देगी मुख से निकलने वाली सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी और साथ में उसके हाथों का खिचाव भी रामु अपने बालों को उससे अलग करना चाहता था पर अचानक ही आरती टेबल से उतर पड़ी और अपनी जाँघो को खोलकर लगभग उसके ऊपर बैठ ही जाती पर बीच में ही रुक गई थी थोड़ा सा बैठी हुई वो लगातार रामु के बालों को खींचकर अपनी चुत से जोड़े रखना चाहती थी।रामु इस हमले को तैयार नहीं था वह गिर जाता अगर आरती के दोनों हाथों ने उसके बालों को पकड़ ना रखा होता तो वो भी अपने एक हाथ को पीछे लेजाकर अपने आपको सहारा दिए हुए और दूसरे हाथ से आरती की जाँघो को पकड़े हुए लगातार उसकी चुत को चूसे जा रहा था और उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था पर आरती का शरीर इस तरह से आगे पीछे की ओर हो रहा था कि उसे अपना संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा था उसने एक बार जोर लगा के आरती को पीछे की ओर धकेलने की कोशिश की पर आरती तो जैसे उसपर हावी हो चुकी थी लगातार आगे की ओर बढ़ते हुए उसे लिटाने की कोशिश में थी रामु जानता था की अगर वो लेट गया तो आरती उसके ऊपर बैठी तो उसका सांस लेना दूभर हो जाएगा इसलिए वो भी लगातार कोशिश मे था कि वो किसी तरह से बैठा ही रहे पर आरती के अंदर का शैतान एक बार फिर उसपर हावी हो गया था आरती अपने आपको मोड़ चुकी थी और आगे झुकते हुए रामु के सिर को टेबल के किनारे पर टिका दिया था
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