Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:34 PM,
#61
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
और लगभग क्रॉस करते हुए और धीरेधीरे अपनी कमर को हिलाने लगी रामु तो जैसे पागल हो गया था और अपनी उत्तेजना को ज्यादा देर नहीं रोक पाया और अपनी गिरफ़्त में आई आरती को कस्स कर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसते हुए कस्स कर अपनी कमर को ऊपर की ओर चलाने लगा पर हर झटके में वो अपने आपको झड़ता हुआ पा रह था और हुआ भी ऐसा ही वो ज्यादा देर रुक नहीं पाया और आरती के अंदर और अंदर तक अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो गया पर आरती तो जैसे आज संतुष्ट नहीं होना चाहती थी वो अब भी अपनी कमर को उसी तरीके से चलाती जा रही थी और फिर थोड़ी देर बाद वो भी निढाल होकर उसके ऊपर फेल गई थी उसकी साँसे अब भी तेज चल रही थी पर हाँ… एक शांति थी बहुत ही शांत शांत होते हुए भी उसके हाथ और शरीर ऊपर पड़े होने के बावजूद रामू के शरीर से घिस रही थी आरती और अपने हाथों से भी उसके बाहों को सहलाते हुए अपने आपको शांत कर रही थी


रामू भी नीचे से आरती के शरीर को सहलाते हुए नीचे की ओर जाता था और अपने हाथों को उसकी हर उँचाई और घहराई को छेड़ते हुए ऊपर की ओर आ जाते थे आरती के मुख से एक हल्की हल्की सी सिसकारी के साथ अब बहुत ही धीरे-धीरे और हल्के से आवाजें आने लगी थी पर समझ में कुछ नहीं आरहा था पर हाँ… इतना तो पता था कि वो संतुष्ट है थोड़ी देर तक अपने को संभालने के बाद आरती साइड की ओर हुई और धीरे से उस गंदे से बेड पर वैसे ही नंगी लेट गई उसका चहरा अब दीवाल की ओर था


और रामु काका और लाखा काका उसके पीछे थे क्या कर रहे थे उसे पता नहीं और नहीं वो जानना चाहती थी वो वैसे ही पड़ी रही और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करती रही और पीछे लाखा काका अपने आपको दीवाल के सहारे बैठे हुए रामु की ओर देखता रहा लाखा ने अपने ऊपर अपनी लूँगी को डाल लिया था पर बाँधी नहीं थी

रामु भी धीरे से उठा और लाखा की ओर देखता हुआ एक बार पास लेटी हुई आरती की ओर नजर दौड़ाई और फिर लाखा की ओर और फिर नज़रों के इशारे से बातें
रामु- क्या और आरती की ओर इशारा करते हुए
लाखा- पता नहीं पूछ
रामू- बहू
और धीरे से अपनी हथेलियो को उसकी पीठ पर रखा और धीरे-धीरे सहलाते हुए कमर तक ले जाता रहा आरती के शरीर में एक हल्की सी हरकत हुई और उसका दायां हैंड पीछे की ओर हुआ और रामु काका की हथेली को पकड़कर सामने की ओर अपनी चुचियों की ओर खींच लिया और अपनी बाहों से उसकी कालाई को कस कर अपने साइड और बाहों के बीच में कस्स लिया रामु काका की हथेली अब आरती की गोल गोल चुचियों पर थिरक रही थी और अपनी मजबूत हथेली से उनकी मुलायम और सुदोलता का धीरे-धीरे मर्दन कर रही थी आरती तो जैसे अपने आपको भूल चुकी थी वो वैसे ही लेटी हुई रामु काका के हाथों को बगल में दबाए हुए अपने शरीर पर उनके हाथों को घूमते हुए एहसास करती रही थोड़ी देर में ही आरती का रूप चेंज होने लगा था वो जैसे उकूड़ू होकर सोई हुई थी धीरे-धीरे सीधी होने लगी थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना भरने लगी थी आज वो बिल्कुल फ्रेश थी उसे इन दोनों ने निचोड़ा नहीं था बल्कि उसने इन दोनों को निचोड़ कर रख दिया था वो दोनों अपने को अब तक संभाल रहे थे पर रामु तो फिर से आरती की गिरफ़्त में पहुँच चुका था और अपना खेल भी खेलना चालू कर चुका था और आरती का पूरा साथ भी मिल रहा था आरती का शरीर एक बार फिर से तन गया था और वो आखें बंद किए हुए ही धीरे-धीरे अपने आपको रामु की ओर धकेल रही थी आरती की पीठ अब रामु के सीने से चिपक गई थी और रामु का हाथ उसके शरीर के सामने से घूमते हुए उसके हर उतार चढ़ाव को समझते और एहसास करते हुए फिर से उसकी चुत की ओर जाने लगा था रामु अपने हाथों को घुमा ही रहा था कि नीचे पड़े बिस्तर पर एक जोड़ी पाँव ने भी दखल दिया वो लाखा काका थे वो भी अपना हिस्सा लेने आए थे और धीरे से आरती के पास ही बैठ गये और अपने हाथों से उसकी जाँघो को सहलाते हुए धीरे-धीरे ऊपर चलाने लगे थे आरती अब धीरे-धीरे सीधी होती जा रही थी और अपने को रामू काका के साथ सटाते हुए वो अब पीठ के बल लेट गई थी


पूरी तरह से आखें बंद किए अपने शरीर पर दो जोड़ी हाथों को घूमते हुए पाकर आरती शरीर एक बार फिर से उत्तेजना के सागार में गोते लगाने लगा था वो अब पूरी तरह से लाखा काका और रामू काका के साथ अपने आपको फिर से उस खेल का हिस्सा बनाने को तैयार थी अपने एक हाथ से उसने रामू काका की हथेली को अपनी चुचियों के ऊपर पकड़ रखा था और दूसरे हाथों को लाखा काक की जाँघो पर घुमाने लगी थी लाखा काका भी अपने आप पर हो रहे इस तरह के प्यार को नहीं झुठला सके और नीचे होकर अपनी प्यारी बहू के होंठों को अपने होंठों में दबाकर उनको थोड़ी देर तक चूसते रह आरती ने भी कोई शिकायत नहीं की बल्कि अपने होंठों को खोलकर काका के सुपुर्द कर दिया और उनके चुबलने का पूरा मजा लेती रही रामू काका भी आरती की चुचियों को दबाते दबाते अपने होंठों को उसकी चुचियों तक लेआए और उसकी एक चुचि को अपने होंठों के बीच में दबा के चूसने लगे आरती की नरम हथेली रामू काका के बालों पर से होते हुए उन्हें अपनी चुचियों पर और अच्छे से खींचती रही और अपने दूसरे हाथों से काका को अपने होंठों के पास दोनों के हाथ अब आरती के पूरे शरीर पर घूमते रहे और आरती को उत्तेजित करते रहे आरती की जांघे अपने आप खुलकर उन दोनों की उंगलियों के लिए जगह बना दी थी ताकि वो अपने अगले स्टेप की ओर बिना किसी देर और रुकावट के जा सके

दोनो ने अपने हिस्से की आरती को बाँट लिया था दायां साइड रामु के पास था और लेफ्ट साइड लाखा काका के पास था जो कि अपने आपको जिस तरह से चाहे अपने होंठों और हथेलियो को उसके शरीर पर चला रहे थे हथेलियो के संपर्क में आते हर हिस्से का अवलोकन और सुडोलता को नापने के अलावा उसकी नर्मी और कोमलता का मिला जुला एहसास रामू और लाखा के जेहन तक जाता था कोई मनाही नहीं ना कोई इनकार बस करते रहो और करो और कोई सीमा नहीं किसी के लिए भी पूरा मैदान साफ है और कोई चिंता भी नहीं बस एक बात की चिंता थी कि कब और कैसे


आरती लेटी लेटी अपने शरीर पर घुमाते हुए दोनों के हाथों का खिलोना बनी हुई थी और अपने शरीर पर से उठ रही तरंगो को सिसकारी के रूप में बाहर निकालते हुए अपने दोनों हाथों से रामू और लाखा को अपने पास और पास खींचती जा रही थी रामु और लाखा की उंगलियां आरती की चुत में अपनी जगह बनाने लगी थी और एक के बाद एक उसकी चुत के अंदर तक उतर जाती थी और आरती को एक और स्पर्धा की ओर धकेलती जा रही थी वो कामातूर हो चुकी थी एक बार फिर दोनों के चुबलने से और उंगलियों के खेल से


दोनों की उंगलियां बीच में भी कई बार आपास्स में टकरा जाती थी और फिर जो जीतता था वो अंदर हो जाता था पर एक समय ऐसा भी आया जब एक साथ दो उंगलियां उसकी चुत में समा गई थी और आरती को कोई एतराज नहीं था उसने अपनी जाँघो को और खोलकर उन्हें निमंत्रण दे दिया और अपने होंठों को पता नही कौन था उसके होंठों में रहा ही रहने दिया अपने चूचियां को सीना तान कर, और भी उँचा कर दिया ताकि वो पूरा का पूरा उसके हथेलियो में समा जाए अंदर गई उंगलियां अपना कमाल दिखा रही थी और आरती के मुख से एक बार फिर से
आरती- अब चोदो जल्दी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज
रामू- (जो कि उसके होंठों को अब चूस रहा था ) हाँ बहू बस थोड़ा सा रुक
आरती- नहीं चोदो जल्दी
एक अजीब सी गुर्राहट उसके गले से निकली जो कि रामु और लाखा दोनों के कानों तक गई थी उनकी उंगलियां चुत के अलावा उसके थोड़ी सी दूर उसके गांड से भी खेल रही थी और वो एक अजीब सी, आग आरती के शरीर में लगा रही थी वो अपनी गांड को सिकोड़ कर वहाँ कोई आक्रमण से बंचित रखना चाहती थी पर
शायद दोनों की उंगलियां वहाँ के दर्शन को भी आतुर थी और धीरे से एक उंगली उसके गांड से भी अंदर चली गई आरती एक बार अपने को नीचे दबाए हुए भी और नहीं किसी खेल को मना करती हुई एक आवाज उसके मुख से निकली
आरती-, नहीं वहां नहीं प्लीज वहां नहीं
हाँफती हुई सी उसके मुख से निकली थी पर उसके आग्रह का कोई भी असर उसे दिखाई नहीं दिया पर हाँ… उसका इनकार कमजोर पड़ गया था और उत्तेजना की ओर ज्यादा ध्यान था उसके शरीर को अब और इंतेजार नहीं करना था
एक ही झटके से वो उठ बैठी और दोनों की ओर देखती हुई लाखा काका पर लगभग कूद पड़ी लाखा काका जब तक कुछ समझते, वो उनके ऊपर थी और उनके सीधे खड़े हुए लण्ड के ऊपर आरती और धम्म से वो अंदर था
आरती- अहाआह्ह

जैसे ही वो अंदर गया आरती का शरीर आकड़ गया और थोड़ा सा पीछे की ओर हुई ताकि अपने चुत में घुसे हुए लण्ड को थोड़ा सा अड्जस्ट कर सके पीछे होते देखकर रामू ने उसे अपनी बाहों में भर कर उसे सहारा दिया और धीरे-धीरे उसके गालों को चूमते हुए
रामु- आज क्या हुआ है बहू हाँ…
और उसकी चूचियां पहले धीरे फिर अपनी ताकत को बढ़ाते हुए उन्हें मसलने लगा था लाखा काका तो नीचे पड़े हुए आरती की कमर को संभाले हुए उसे ठीक से अड्जस्ट ही करते जा रहे थे और आरती तो जैसे अपने अंदर उनके लण्ड को पाकर जैसे पागल ही हो गई थी वो बिना कुछ सोचे अपने आपको उचका कर उनके लण्ड को अपने अंदर तक उतारती जा रही थी

उसके अग्रसर होने के तरीके से कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि आरती कितनी उत्तेजित है
आरती के मुख से निकलती हुई हर सिसकारी में बस इतना जरूर होता था
आरती- और जोर्र से काका उूुउउम्म्म्मम और जोर से जल्दी-जल्दी करूऊऊऊ उूुउउम्म्म्म
और अपने होंठों से पीछे बैठे हुए रामु काका के होंठों पर चिपक गई थी उसकी एक हथेली तो नीचे पड़े हुए काका के सीने या पेट पर थी पर एक हाथ तो पीछे बैठे रामु काका की गर्दन पर था और वो लगा तार उन्हें खींचते हुए अपने सामने या फिर अपने होंठों पर लाने की कोशिश में लगी हुई थी लाखा काका का लण्ड उसके चुत पर लगातार नीचे से हमलाकर रहा था और दोनों हथेलियो को जोड़ कर वो आरती को सीधा बिठाने की कोशिश भी कर रहा था पर आरती तो जैसे पागलो की तरह कर रही थी आज वो उछलती हुई कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ हो जाती थी पर लाखा काका अपने काम में लगे रहे

रामु भी आरती को ही संभालने में लगा हुआ था और उसकी चुचियों को और उसके होंठों को एक साथ ही मर्दन किए हुए था और अपने लण्ड को भी जब भी तोड़ा सा आगे करता तो कामया के नितंबों की दरार में फँसाने में कामयाब भी हो जाता था वो अपने आप भी बड़ा ही उत्तेजित पा रहा था और शायद इंतजार में ही था कि कब उसका नंबर आएगा पर जब नहीं रहा गया तो वो आरती की हथेली को खींचते हुए अपने लण्ड पर ले आया और फिर से उसकी चुचियों पर आक्रमण कर दिया वो अपने शरीर का पूरा जोर लगा दे रहा था उसकी चूचियां निचोड़ने में पर आरती के मुख से एक बार भी उउफ्फ तक नहीं निकला बल्कि हमेशा की तरह ही उसने अपने सीने को और आगे की ओर कर के उसे पूरा समर्थन दिया उसकी नरम हथेली में जैसे ही रामू का लण्ड आया वो उसे भी बहुत ही बेरहमी से अपने उंगलियों के बीच में करती हुई धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी थी आरती का शरीर अब शायद ज्यादा देर का मेहमान नहीं था क्योंकी उसके मुख से अब सिसकारी की जगह, सिर्फ़ चीख ही निकल रही थी और हर एक धक्के में वो ऊपर की बजाए अपने को और नीचे की ओर करती जा रही थी लाखा की भी हालत खराब थी और कभी भी वो अपने आपको शिखर पर पहुँचने से नहीं रोक पाएगा

आज तो कमाल ही कर दिया था आरती ने एक बार भी उन्हें मौका नहीं दिया और नहीं कोई लज्जा या झिझक मजा आ गया था पर एक डर भी बैठ गया था पर अभी तो मजे का वक़्त था और वो ले रहा था
आखें खोलकर जब वो अपने ऊपर की आरती को देखता था वो सोच भी नहीं पाता था कि यह वही बहू है जिसके लिए वो कभी तरसता था या उसकी एक झलक पाने को अपनी चोर नजर उठा ही लेता था आज वो उसके ऊपर अपनी जनम के समय की तरह बिल्कुल नंगी उसके लण्ड की सवारी कर रही थी और सिर्फ़ कर ही नहीं रही थी बल्कि हर एक झटके के साथ उसे एक परम आनंद के सागर की ओर धकेलते जा रही थी वो अपनी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर और अप्सरा से भी ज्यादा कोमल और चंद्रमा से भी ज्यादा उज्ज्वल अपनी बहू को देखते हुए अपने शिखर पर पहुँच ही गया और एक ही झटके में अपनी कमर को उँचा और उँचा उठाता चला गया पर आरती के दम के आगे वो और ज्यादा नहीं उठा सका और एक लंबी सी अया के साथ ही ठंडा हो गया


आरती की ओर देखता पर वो तो जैसे शेरनी की तरह ही उसे देख रही थी दो बार झड़ने के बाद भी वो इतनी कामुक थी कि वो अभी तक शांत नहीं हुई थी लेकिन लाखा काका को छोड़ने को भी तैयार नहीं थी वो अब भी उसके लण्ड को अपनी चुत में लिए हुए अपनी चुत से दबाए जा रही थी और एक अजीब सी निगाहो से लाखा काका की ओर देखती रही पर उसके पास दूसरा आल्टर्नेटिव था रामु काका जो की तैयार था पीछे वो एक ही झटके से घूम गई थी और बिना किसी चेतावनी के ही रामु काका से लिपट गई थी अपनी बाँहे उनके गले पर रखती हुई और अपने होंठों के पास खींचती हुई वो उसपर सवार होती पर रामु ने उसे नीचे पटक दिया और ऊपर सवार हो गया था और जब तक वो आगे बढ़ता आरती की उंगलियां उसके लण्ड को खींचते हुए अपनी चुत के द्वार पर रखने लगी थी

रामु तो तैयार ही था पर जैसे ही उसने अपने लण्ड को धक्का दिया आरती के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो उचक कर रामु काका के शरीर को नीचे की ओर खींचने लगी रामु काका भी धम्म से उसके शरीर पर गिर पड़े और जरदार धक्कों के साथ अपनी बहू को रौंदने लगे पर एक बात साफ थी आज का खेल आरती के हाथों में था आज वो उनके खेलने की चीज नहीं थी आज वो दोनों उसके खेलने की चीज थे और वो पूरे तरीके से इस खेल में शामिल थी और हर तरीके से वो इस खेल का पूरा आनंद ले रही थी आज का खेल उसे भी अच्छा लग रहा था और वो अपने को शिखर को जल्दी से पा लेना चाहती थी वो रामु काका को खींचते हुए अपने शरीर के हर कोने तक का स्पर्श पाना चाहती थी उसके मुख से आवाजो का गुबार निकलता जा रहा था

आरती- करूऊ काका जोर-जोर से करो बस थोड़ी देर और करूऊऊ

और अपने बातों के साथ ही अपनी कमर को उचका कर रामु काका की हर चोट का जबाब देती जा रही थी पर अब तक अधूरा छोड़ा हुआ लाखा काका का काम रामु काका ने आखिर में शिखर तक पहुँचा ही दिया एक लंबी सी आहह निकली आरती के मुख से और रामु काका के होंठों को ढूँढ़ कर अपने होंठों के सुपुर्द कर लिया था आरती ने । और निढाल सी पड़ी रही। रामू काका के नीचे । रामु भी अपने आखिरी स्टेज पर ही था आरती की चुत के कसाव के आगे और चोट के बाद वो भी अपने लण्ड पर हुए आक्रमण से बच नहीं पाया था और वो भी थक कर आरती के ऊपर निढाल सा पसर गया

आरती की हथेलिया रामु काका के बालों पर से घूमते हुए धीरे से उनकी पीठ तक आई और दोनों बाहों को एक हल्का सा धकेला और हान्फते हुए वही पड़ी रही कमरे मे दूधिया नाइट बल्ब की रोशनी को निहारती हुई एक बार अपनी स्थिति का जायजा लिया वो संतुष्ट थी पर थकि हुई थी नजर घुमाने की, हिम्मत नहीं हुई पर पास लेटे हुए रामु काका की जांघे अब भी उसे टच हो रही थी आरती ने भी थोड़ा सा घूमकर देखा पास में रामु काका पड़े हुए थे और लाखा काका भी थोड़ी दूर थे लूँगी ऊपर से कमर पर डाले हुए लंबी-लंबी सानसें लेते हुए दूसरी ओर मुँह घुमाए हुए थे। आरती थोड़ा सा जोर लगाकर उठी और पाया कि वो फ्रेश है और बिल्कुल फ्रेश थी कोई थकावट नहीं थी हाँ थोड़ी सी थी पर यह तो होना ही चाहिए इतने लंबे सफर पर जो गई थी

वो मुस्कुराती हुई उठी और एक नजर कमरे पर पड़ी हुई चीजो पर डाली जो वो ढूँढ़ रही थी वो उसे नहीं दिखी उसका गाउन और पैंटी कोई बात नहीं वो थोड़ा सा लड़खड़ाती हुई कमरे से बाहर की ओर चालदी और दरवाजे पर जाकर एक नजर वापस कमरे पर डाली रामु और लाखा अब भी लेटे हुए लंबी-लंबी साँसे ले रहे थे

वो पलटी और सीडीयाँ उतरते हुए वैसे ही नंगी उतरने लगी थी सीढ़ियो में उसे अपना गाउन मिल गया पैरों से उठाकर वो मदमस्त चाल से अपने कमरे की ओर चली जा रही थी

समझ सकते है आप क्या दृश्य होगा वो एक स्वप्न सुंदरी अपने शरीर की आग को ठंडा करके बिना कपड़ों के सीढ़िया उतर रही हो तो उूुुुुुुउउफफफफफफफफ्फ़
क्या सीन है यार,

संभालती हुई उसने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और बिना पीछे पलटे ही पीछे से धक्का लगाकर बंद कर दिया और पलटकर लॉक लगा दिया और बाथरूम की ओर चल दी जाते जाते अपने गाउनको बेड की ओर उच्छाल दिया और फ्रेश होने चली गई थी जब वो निकली तो एकदम फ्रेश थी और धम्म से बेड पर गिर पड़ी और सो गई थी जल्दी बहुत जल्दी। सुबह कब हुई पता ही नहीं चला हाँ… सुबह चाय के समय ही उठ गई थी।



सोनल के ही साथ चाय पी थी नीचे जाकर
सोनल- मम्मी,आज क्या ऋषि आएगा आपको लेने
आरती- कहा तो था पता नहीं
सोनल- हाँ… मुझे तो आज स्कूल जाना है खाना खा के चली जाती हु आप फिर आराम से निकलना क्यों
आरती- ठीक है
सोनल- मम्मी मैं रुकु जब तक नहीं आता
आरती- क्या बताऊ कल तो बोला था कि आएगा
सोनल- फोन कर लो एक बार
आरती-नंबर नहीं है उसका
आरती- धत्त क्या मम्मी आप भी, नंबर तो रखना चाहिए ना अब वो आपके साथ ही रहेगा धरम पाल अंकल जी ने कहा है थोड़ा सा बच्चे जैसा है और कोई दोस्त भी नहीं है उसका

आरती- पर मेरे साथ क्यों

सोनल (थोड़ा हँसते हुए)- देखा तो है आपने उसे ही ही ही

आरती को भी हँसी आ गई थी कोई बात नहीं रहने दो उसे पर नंबर तो है नहीं कैसे पता चलेगा
देखा जाएगा
आरती- अगर नहीं आया तो लाखा के साथ निकल जाऊँगी गाड़ी में।
आरती- हाँ… ठीक है
और दोनों चाय पीकर तैयारी में लग गये ठीक खाने के बाद काम्पोन्ड में एक गाड़ी रुकने की आवाज आई थी रामु अंदर से दौड़ता हुआ बाहर की ओर गया और बताया कि धरंपाल जी का लड़का है
दोनों खुश थे चलो आ गया था
सोनल- उसे बुला लाओ यहां
रामु- जी
और थोड़ी देर में ही ऋषि उसके साथ अंदर आया था
आते ही सोनल को हेलो किया और आरती की ओर देखता हुआ नमस्ते भी किया था छोटा था पर संस्कार थे उसमें
सोनल- कैसे हो ऋषि
ऋष- अच्छा हूँ
सोनल- आओ खाना खा लो
ऋषि- जी नहीं खाके आया हूँ
सोनल- अरे थोड़ा सा डेजर्ट है लेलो
ऋषि- ठीक है
और आरती के साइड में खाली चेयर में बैठ गया और एक बार उसे देखकर मुस्कुरा दिया बहुत ही सुंदर लगा रहा था ऋषि आज महरून कलर की काटन शर्ट पहने था और उससे मचिंग करता हुआ खाकी कलर का पैंट ब्लैक शूस मस्त लग रहा था बिल्कुल शाइट था वो सफेद दाँतों के साथ लाल लाल होंठ जैसे लिपस्टिक लगाई हो बिल्कुल स्किनी सा था वो पर आदर सत्कार और संस्कार थे उसमें नजर झुका कर बैठ गया था सोनल के कहने पर और बड़े ही शर्मीले तरीके से थोड़ा सा लेकर खाने लगा था बड़ी मुश्किल से खा पा रहा था

सोनल- ऋषि अब से क्या तुम लेने आओगे मम्मी को

ऋषि- जैसा भाभी जी कहे
सोनल- नहीं नहीं वो तो इसलिए कि आरती ने बताया था कि तुम लेने आओगे इसलिए पूछा नहीं तो वो तो जाती ही है फैक्टरी का काम देखने

ऋषि- जी आ जाऊँगा यही से तो क्रॉस होता हूँ अलग रोड नहीं है इसलिए कोई दिक्कत नहीं है

सोनल- ठीक है तुम आ जाया करो हाँ कोई काम रहेगा तो पहले बता देना ठीक है और तुम्हारा नंबर दे दो
ऋषि - जी और खाने के बाद उसने अपना नंबर सोनल को दे दिया था और आरती को भी
आरती- तुम बैठो में आती हूँ तैयार होकर
सोनल के जाने के बाद ही आरती ने ऋषि से कोई बात की थी पर ऋषि टपक से बोला
ऋषि- तैयार तो है आप
आरती- अरे बस आती हूँ तुम रूको
ऋषि- जी झेपता हुआ खड़ा रह गया था
आरती पलटकर अपने कमरे की ओर चली गई थी सीढ़िया चढ़ते हुए ऋषि की बातों पर हँसी आ रही थी कि कैसे सोनल के हटते ही टपक से बोल उठा था वो शरारती है और हो भी क्यों नहीं अभी उम्र ही कितनी होगी उसकी 22 या 23 साल
उसने कमरे में पहुँचकर जल्दी से अपने कपड़ों को एक बार देखा और मेकप को सबकुछ ठीक था पलटकर चलती पर कुछ रुक सी गई थी वो एक बार खड़ी हुई कुछ देर तक पता नहीं क्या सोचती रही पर एक झटके से बाहर की ओर निकल गई थी

नीचे सोनल तो चली गयी पर ऋषि उसके इंतेजार में बैठा हुआ था ड्राइंग रूम में उसके आते ही वो खड़ा हुआ और एक बार मुस्कुराते हुए आरती की ओर देखा और उसके साथ ही बाहर की ओर चल दिया
गाड़ी में ड्राइविंग सीट के पास ही बैठी थी आरती ऋषि ड्राइविंग कर रहा था
ऋषि- फैक्टरी ही चले ना भाभी
आरती- हाँ… और नहीं तो कहाँ
ऋषि- नहीं ऐसे ही पूछा
आरती- हाँ… थोड़ा सा गुस्से से ऋषि की और देखा
आरती- मतलब
ऋषि झेपता हुआ कुछ नहीं कह पाया था पर ड्राइव ठीक ही कर रहा था बड़ी ही सफाई से ट्रफिक के बीच से जैसे बहुत दिनों से गाड़ी चला रहा हो
आरती- अच्छी गाड़ी चला लेते हो तुम तो
ऋषि- जी असल में बहुत दिनों से चला रहा हूँ ना 11 क्लास में ही चलाना आ गया था मुझे तो दीदी के साथ जाता था सीखने को दीदी से ही सिखाया है बिल्कुल चहकता हुआ सा उसके मुख से निकलता वो गुस्से को भूल गया था
आरती- हाँ… मुझे तो नहीं आती सीखने की कोशिश की थी पर सिख नहीं पाई
तपाक से ऋषि के मुख से निकाला
ऋषि- अरे में हूँ ना में सीखा दूँगा दो दिन में ही
आरती को उसके बोलने के तरीके पर हस्सी आ गई थी बिल्कुल चहकते हुए वो बोला था
आरती- ठीक है तुम सिखा देना और देखकर चलाओ नहीं तो टक्कर हो जाएगी
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08-27-2019, 01:34 PM,
#62
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
ऋषि मुस्कुराते हुए गाड़ी चलाता हुआ धीरे-धीरे फैक्टरी के अंदर तक ले आया था और आफिस बिल्डिंग के सामने खड़ी करके खुद बाहर निकला और दौड़ता हुआ साइड की ओर बढ़ा ही था कि आरती दरवाजा खोलकर बाहर आ गई थी
ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए
आरती- क्या कर रहे थे में दरवाजा नहीं खोल सकती क्या

ऋषि- ही ही ही नहीं नहीं वो बात नहीं है में तो बस ऐसे ही पहली बार आपको ले के आया हूँ ना इसलिए

आरती- तुम ड्राइवर नहीं हो ठीक है

ऋषि धीरे-धीरे उसके साथ होकर चलता हुआ उसके केबिन की ओर बढ़ता जा रहा था
ऋषि- ठीक है
आरती को उसका साथ अच्छा लग रहा था भोला भाला सा था और शायद इतनी इज़्ज़त उसे कभी नहीं मिली थी जो उसे मिल रही थी घर में छोटा था और कुछ लजाया सा था इसलिए भी हो सकता था पर अच्छा था

आरती अपने आफिस में घुसते ही अपने टेबल पर आ गई थी और वहां रखे हुए बहुत से बिल और वाउचर्स को ठीक से देखने लगी थी ऋषि भी उसके सामने वाली सीट पर बैठा हुआ था और बड़े गौर से आरती की हर हरकतों को देख रहा था आरती भी कभी-कभी उसे ही देख लेती थी और एक बार नज़रें चार होने से ऋषि बस मुस्कुरा देता था और आरती उसे और समर्थन भी देती थी

बहुत देर तक जब आरती उन कागजों में ही उलझी हुई थी तो ऋषि से नहीं रहा गया
ऋषि - भाभी कितना काम कर रही हो
बड़े ही नाटकीय और लड़कपन सी आवाज निकालते हुए उसने भाभी को कहा था आरती की हँसी फूट पड़ी थी उसके इस अंदाज से
आरती- तो यहां काम ही करने आए है

ऋषि- अरे यार यह तो बहुत बोरिंग काम है क्या खाली साइन कर रही हो आप कब से

आरती- हाँ… यह सब खर्चे है जो कि किए हुए है और होंगे भी वोही तो देखना है तुमको हम को
ऋषि- अरे यार में तो बोर होने लगा हूँ अभी से चलिए ना बाहर घूमते है
आरती- क्या
ऋषि- तो क्या कितनी देर से आप तो काम कर रही है और में बैठा हुआ हूँ
बड़े ही नाटकीय तरीके से अपने हाथों को घुमाकर और अपनी बड़ी-बड़ी आखों को मटकाकर उसने बड़े ही उत्तावलेपन से कहा आरती उसकी ओर बड़े ही प्यार से और एक अजीब सी नजर से देखने लगी थी सच में बिल्कुल लड़कियों जैसा ही था बातें करते समय उसकी आखें और होंठों को बड़े ही तरीके से नचाता था ऋषि और साथ-साथ में अपनी हथेलियो को भी गर्दन को भी कुछ अजीब तरीके से

हँसती हुई आरती का ध्यान फिर से अपने काम में लगा लिया था और ऋषि की बातों को भी सुनते हुए उसकी ओर देखती भी जा रही थी
ऋषि- भाभी प्लीज ना ऐसे काम से तो अच्छा है कि में घर पर ही रहूं क्या काम है यह बस बैठे रहो और साइन करो कुछ मजा ही नहीं

आरती- ही ही ही क्या मजा करना है तुम्हें हाँ…

ऋषि अपनी हथेलियो को थोड़ा सा मटकाता हुआ अपनी ठोडी के नीचे रखता हुआ आरती की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता रहा और बोला
ऋषि- यहां से चलिए ना भाभी कितनी बोरिंग जगह है यह

आरती- हाँ हाँ… चलते है अभी तो शोरुम जाना है जरा सा और बचा है फिर चलते है ठीक है अभी उनकी बातें खतम भी नहीं हुई थी कि डोर पर एक थपकी ने उनका ध्यान खींच लिया वो दोनों ही दरवाजे की ओर देखने लगे थे

पीओन अंदर घुसा और वही खड़े होकर बोला
पीओन- जी मेडम वो भोला आया है
आरती के मुख से आनयास ही निकला
आरती- क्यों
पीओन- जी कह रहा है कि मेमसाहब से मिलना है
वो कुछ और कहता कि भोला पीछे से अंदर घुस आया और दरवाजे को और पीओन को पास करते हुए टेबल तक आ गया
पीओन वापस चला गया पर आरती की नजर भोला की ओर नहीं देख पाई थी वो ऋषि की ओर देख रही थी और भोला के बोलने की राह देख रही थी ऋषि भी भोला को देखकर दूसरी तरफ देखने लगा था

इतने में भोला की आवाज आई
भोला- जी मेमसाहब वो दरखास्त देनी थी
उसके हाथों में एक कागज था और वो अब भी उसमें कुछ लिख रहा था और धीरे से एक बार आरती की ओर देखता हुआ आरती की ओर कागज को सरका दिया

आरती ने एक बार उस कागज को देखा फोल्डेड था पर उसकी मोटी-मोटी उंगलियों के नीचे से उस कागज को देखते ही नहीं जान पाई थी कि कैसी दरखास्त थी वो

भोला- जी सोच रहा था कि कल से ड्यूटी जाय्न कर लूँ खोली में पड़ा पड़ा थक गया हूँ और ड्यूटी जाय्न कर लूँगा तो आते जाते लोगों को देखूँगा तो मन लगा रहेगा और एक आवाज उसके पास से निकली जो कि किसी क्लिप के चटकने से हुई हो

आरती का ध्यान उसकी हथेलियो की ओर गया वो चौक गई थी उसकी एक उंगलियों में उसका ही वो क्लुचेयर था जिसे की वो एक हाथों से दबाता हुआ अपनी एक उंगली में लगाता था और खींचकर निकालता था आरती सहम गई थी और अपने हाथों को बढ़ा कर उस कागज को अपनी ओर खींचा और एक नजर ऋषि की ओर भी डाली जो कि अब भी अपनी ठोडी में कलाईयों को रखकर दूसरी ओर ही देख रहा था

बड़े ही संभालते हुए आरती ने उस कागज जो अपनी ओर खिचा था और खोलकर उस दरखास्त को पढ़ने लगी कि भोला की आवाज आई
भोला- साइन कर दो मेमसाहब अकाउंट्स में दे दूँगा नहीं तो तनख़्वाह बनते समय पैसा काट जाएगा
और फिर से वही क्लिप चटकने की आवाज गूँज उठी आरती भी थोड़ा सा संभली और उस पेपर को साइन करने के लिए अपना पेन उठाया पर वो सन्न रह गई उसको पढ़ कर लिखा था

आपको फूल कैसे लगे बताया नहीं बड़ी याद आ रही थी आपके जाने के बाद से ही इसलिए भेज दिए थे

और नीचे थोड़ा सा टेडी मेडी लाइन में भी कुछ लिखा था आप साड़ी में ज्यादा सुंदर दिखती है कसम से

आरती का पूरा शरीर एक अजीब सी सिहरन से भर उठा था सिर से लेकर पाँव तक सन्न हो गया था वो उस सिहरन को रोकने की जी जान कोशिश करती जा रही थी पर उसके हाथों की कपकपि को देखकर कोई भी कह सकता था कि उसका क्या हाल था पर भोला चालाक था आगे झुक कर उसने उसकागज को अपनी हथेलियो में वापस ले लिया और थोड़ा सा पीछे होकर कहा
भोला- जी में कल से काम पर आ जाउन्गा मेमसाहब और बाहर चला गया

आरती की सांसें अब भी तेज ही चल रही थी टांगों की भी अजीब हालत थी काप गई थी वो बैठी नहीं रहती तो पक्का था कि गिर ही जाती वो कुछ कहती पर ऋषि की आवाज उसे सुनाई दी
ऋषि- भाभी यह भैया का ड्राइवर है ना
आरती- हाँ…
ऋषि-आपकी तबीयत तो ठीक है भाभी
आरती- हाँ… क्यों
ऋषि नहीं वो आप हाफ रही थी ना इसलिए
आरती- नहीं ठीक है तुम इसे कैसे जानते हो
ऋषि- भोला को एक दिन ना वो भैया के साथ हमारे घर में आया था
आरती- क्यों
ऋषि- वो पापा से मिलने तब देखा था बड़ा ही गुंडा टाइप का है ना यह
आरती- क्यों तुम्हें क्यों लगा
आरती को ऋषि का भोला को गुंडा कहना अच्छा नहीं लगा जो भी हो पर गुंडा नहीं है।
ऋषि- असल में ना जब वो आया था तब ना रीना दीदी को बड़े ही घूर-घूर कर देख रहा था
आरती- यह रीना दीदी कॉन
ऋषि- अरे मेरी सबसे छोटी बहन रीना दीदी को नहीं जानती आप आपकी शादी में भी आए थे हम तो
आरती- अच्छा अच्छा अब कहाँ है
ऋषि- बिचारी की शादी हो गई
आरती के मुख से अचानक ही हँसी का गुबार निकल गया
और हँसते हँसते पूछा
आरती- बिचारी क्यों शादी तो सबकी होती है

ऋषि- हाँ… पर रीना दीदी मुझे बहुत मिस करती है फोन करती है ना तब कहती है
और ऋषि भी थोड़ा सा उदास हो गया था आरती को एक भाई का बहन के प्रति प्यार को देखकर बड़ा ही अच्छा और अपनी संस्कृति को सलाम करने का मन हुआ अपने को थोड़ा सा संभाल कर आरती ने कहा
- अरे रीना दीदी नहीं है तो क्या हुआ में तो हूँ तुम मुझे ही अपना दीदी मान लो है ना
ऋषि- हाँ… मालूम रीना दीदी ना मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी और में उनसे कभी भी कुछ नही छुपाता था मुझे बहुत प्यार करती थी वो हमेशा ही मेरा ध्यान रखती थी

आरती- चलो चलो अब इतने सेंटिमेंटल मत हो अब तुम बड़े हो गये हो और इतना सेंटिमेंटल होगे तो आगे कैसे बढ़ोगे चलो मुझे शोरुम छोड़ दो

आरती अब नार्मल थी पर उसकी नज़र उसकी उंगलियों पर पड़ गई थी शायद एक उंगली में नेल पोलिश लगाया हुआ था ऋषि ने और वो अपने शो रूम की ओर जाने को बाहर निकली थी जैसे ही आफिस को क्रॉस करती एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आके खड़ा हो गया
वो आदमी- मेडम
आरती- हाँ…
वो आदमी- जी मेडम भोला को क्या काम देना है
एक बार फिर से एक सनसनी सी मचा दी, भोला के नाम से ही
आरती- पता नहीं बोलना भैया से बात करले
वो आदमी- जी मेडम
और आरती पलटकर बाहर हो गई ऋषि भी उसके साथ था और बराबरी पर ही चल रहा था दौड़ता हुआ आगे बढ़ कर गाड़ी कर डोर खोलकर अपनी ओर चला गया
और गाड़ी शोरुम की ओर भागने लगी थी शोरुम में मिश्रा जी बाहर ही काउंटर पर किसी पुराने ग्राहक को अटेंड कर रहे थे पर वो वहां नहीं रुक कर सीधे अपने केबिन की ओर ही बढ़ी पीछे-पीछे ऋषि भी था केबिन के अंदर जाते ही वो एक बार चौंक उठी अंदर रवि बैठा हुआ था
आरती-अरे आप कब आए और फोन भी नहीं किया
रवि- अरे बाबा एक साथ इतने सवाल बैठो तो और ऋषि कैसा है
ऋषि- जी अच्छा हूँ भैया आप कैसे है
आरती और ऋषि भी वही बैठ गये आरती रवि की ओर ही देख रही थी कि कुछ तो कहे
रवि- सर्प्राइज नहीं दे सकता क्या कहा तो था कि दो दिन में आ जाऊँगा
आरती- हाँ… पर फोन तो करते
रवि- फोन करते तो सरप्राइज क्या होता हाँ…
ऋषि बैठे बातें दोनों को नोकझोक बड़े ही शालीनता से देख रहा था और एक मंद सी मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ रही थी कितना प्यार था भैया भाभी में
रवि- और ऋषि सुना है तू आज कल आरती को लेने जाता है घर
ऋषि- हाँ… ना
बड़े ही नाटकीय तरीके से उसने जबाब दिया रवि और आरती भी अपनी हँसी नहीं रोक पाए थे
रवि- चलो बढ़िया है मुझे तो फुरसत नही अबसे एक काम किया कर तू ही आरती को लाया और ले जाया करना ठीक है कोई दिक्कत तो नहीं
आरती- क्यों इस बच्चे को परेशान करते हो
ऋषि- नहीं नहीं भैया कोई परेशानी नहीं मुझे तो अच्छा है एक कंपनी मिल जाएगी
रवि- कंपनी तेरी, मेरी बीवी है पता है
ऋषि- जी हाँ… पता है मुझे पर मेरी तो भाभी है ना और वैसे भी मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता
रवि और आरती ऋषि की बातों पर हँसे भी जा रहे थे और मज़े भी लेते जा रहे थे रवि कहता था कि ऋषि लड़कियों की तरह ही बिहेव करता है पर देख आज रही थी आरती
पर था सीधा साधा भैया भाभी के साथ वो भी मजे लेरहा था उसे कोई बुरा नहीं लग रहा था वैसे ही हाथ नचाते हुए और आखें मटकाते हुए वो लगातार जबाब दे रहा था
रवि- तो ठीक है तो अब क्या करेगा कहाँ जाएगा तू
ऋषि- क्यों
तोड़ा सा आश्चर्य हुआ और रवि और आरती की ओर देखने लगा
आरती- अरे बैठने दो ना यही अभी घर जाके क्या करेगा
ऋषि तपाक से बोला
ऋषि- अरे फिल्म देखूँगा ना घर पर कोई नहीं है
रवि- हाँ… पता है कौन सी फिल्म देखेगा और यह तूने धोनी जैसे बाल क्यों बढ़ा रखे है
ऋषि- बाडी गार्ड सलमान खान वाली जी वैसे ही
रवि- क्यों उसमें तो करीना कपूर भी तो है
ऋषि मचलते हुए सा जबाब देता है
ऋषि- हाँ… पर सलमान खान कितना हैंडसम लगा है ना इस फिल्म में क्या बाडी है है ना भाभी
आरती अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी और हाँ में मुन्डी हिलाकर रवि की ओर देखने लगी थी और इशारे से ऋषि को छेड़ने से मना भी करती जा रही थी
रवि- क्या यार करीना भी तो क्या लगी है उसमें उधर ध्यान नहीं गया क्या तेरा
ऋषि- नहीं वो बात नहीं है हाँ… कितनी सुंदर लगी है ना वो और एक बार फिर से आरती का समर्थन लेना चाहता था वो आरती ने भी हाँ में अपना सिर हिला दिया था पर हँसी को कोई नहीं रोक पा रहा था

रवि- अच्छा ठीक है जा जाके सलमान खान को देख और सुन कल में तेरी भाभी को ले आउन्गा तू यहां से ले जाना फैक्टरी ठीक है

ऋषि जैसे बिचलित सा हो उठा था
ऋषि- क्यों आप क्यों

रवि- अबे काम है ना थोड़ा सा बैंक जाना है इसलिए और क्या और सुन हम परसो बॉम्बे जा रहे है
ऋषि उठते उठते फिर से बैठ गया उसका चहरा उदास हो गया था

आरती की हँसी बड़े जोर से फूट पड़ी और उसका साथ रवि ने भी दिया हँसते हँसते आरती का एक हाथ ऋषि के कंधे पर गया और उसे सांत्वना देने लगी थी

आरती- अरे ऋषि में तुम्हें फोन कर दूँगी अभी तुम जाओ ठीक है

ऋषि- पर आप चली जाएँगी तो में तो फैक्टरी नहीं जाऊँगा

रवि- अरे बाबा मत जाना घर में बैठकर फिल्म देखना पर रो तो मत

ऋषि- रो कहाँ रहा हूँ
और आरती की ओर पलट कर
ऋषि - बॉम्बे क्यों जेया रही है भाभी आप्
आरती रवि की ओर देखने लगी थी
रवि- अरे यार वो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट वाले बिज़नेस के लिए एक अकाउंट खोलना है एक फॉरेन बैंक में इसलिए
आरती ने एक बार ऋषि की ओर देखा

ऋषि का मन टूट गया था पर अचानक ही उसके मुख से निकला
ऋषि- में भी चलूं भाभी और कस्स कर उसका हाथ को पकड़ लिया आरती की हथेलियो को

रवि और आरती की हँसी अब तो उनके आपे से बाहर थी पर आरती ने बातों को संभाला और
- हाँ… हाँ… चलो क्यों

रवि- अरे यार घूमने नहीं जा रहे है चल ठीक है धरम पाल जी से पूछ लेता हूँ ठीक है

ऋषि आरती की ओर बड़ी ही गुजारिश भरी नजरों से देख रहा था जैसे कि कह रहा हो कि मुझे छोड़ कर मत जाना पर भैया से हिम्मत नहीं पड़ रही थी
रवि ने धरम पाल जी को फोन लगाया
रवि- कैसे हैं आप
धरम पाल जी की आवाज तो वहां बैठे लोगों तक नहीं पहुँची पर

रवि- अच्छा ठीक है हाँ… वो ऋषि को भी ले आता हूँ

रवि- अरे नहीं सुनिए तो अगर मान लीजिए कि आरती को कोई दिक्कत हुई तो कम से कम ऋषि के सिग्नेचर तो चलेंगे ना इसलिए सोचा था

रवि- ठीक है तो हम परसो सुबह की फ्लाइट पकड़ते है हाँ… ठीक है
और फोन काट कर वो ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखा
रवि- चल तुझे बॉम्बे घुमा लाता हूँ ही ही

ऋषि जैसे खुशी से पागल हो उठा था बड़े ही नाटकिये तरीके से
ऋषि ऊह्ह थॅंक यू भैया थॅंक यू आप कितने अच्छे है (और भाभी की ओर देखते हुए) कितना मजा आएगा ना भाभी है ना

आरती और रवि की हँसी एक साथ फूट पड़ी और जोर-जोर से हँसते हुए दोनों ने ऋषि को किसी तरह विदा किया और शोरुम के काम में लग गये कब रात हो गई और घर जाने का समय हो गया पता भी नहीं चला रात को खाने के बाद जब दोनों अपने कमरे में पहुँचे तो आरती ही रवि पर टूट पड़ी और एक अग्रेसिव खेल फिर शुरू हो गया आरती की हर हरकत मे रवि की जान निकलती जा रही थी इस बार भी रवि को दो बार झुकना पड़ा आरती को संतुष्ट करने के लिए

पर उसके जेहन में एक बात घर कर गई थी कि आरती उसके बिना नहीं रह सकती थी वो यह सोचकर उतावला हो रहा था कि दो दिन बाद मिलने से आरती कितनी उतावली हो जाती है पर एक पति को और क्या चाहिए था वो तो चाहता ही था की उसकी पत्नी उसे मिस करे और आते ही अपने मिस करने का गवाह इस तरीके से प्रस्तुत करे और आरती के लिए तो रवि था ही अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए जो आग रामु लाखा और भोला ने लगाई थी वो उसे ही बुझानी थी भोला की हरकतों से वो इतनी उत्तेजित हो गई थी आज कि जैसे ही अपने पति के आगोश में गई थी वो
बस उस राक्षस के बारे में सोचती रह गई थी और रवि पर चढ़ाई कर दी थी रात को आरती ने रामु को कपड़े भी नहीं पहनने दिए और अपनी बाहों में कस कर उसे वैसे ही सोने को मजबूर किया

रात तो कट गई और सुबह भी जैसे तैसे और फिर बैंक के चक्कर और फिर शो रूम ऋषि भी आया पर रवि के सामने कोई ज्यादा हरकत नहीं की बस चुपचाप बैठा रहा और काम देखता रहा
फैक्टरी में भी गया था पर वैसे हो लौट आया था शोरुम में आरती और रवि को देखते ही बोला
ऋषि- आज फैक्ट्री नहीं आई आप भाभी
आरती- हाँ… सीधे यही आ गई थे शाम को भैया के साथ चली जाऊँगी क्यों
ऋषि- नहीं में गया था आप नहीं थी तो चला आया
इतने में पास में बैठे रवि का फोन बजा
रवि- हेलो हाँ… अरे यार तुझे बड़े काम की पड़ी है

रवि- अच्छा एक काम कर गेट पर रहना और गाड़ी का हिसाब देख लेना ऊपर-नीचे मत होना और घाव कैसे है ठीक है

आरती- कौन था

रवि- भोला काम की पड़ी है ठीक हो जाता फिर आता नहीं

रवि अपने काम में लग गया पर भोला नाम से ही आरती का शरीर एक बार फिर से सुन्न पड़ गया था सिर से पाँव तक सिहरन सी दौड़ गई थी पर बैठी हुई अपने आपको संभालने की कोशिश करती रही

आरती- आपने भी तो उसे सिर पड़ चढ़ा रखा है

रवि- अरे यार तुम जानती नहीं उसे साले का सिर कट जाएगा पर काम चोरी नहीं करेगा मर जाएगा पर नमक हलाली नहीं करेगा
आरती- हाँ…
पर वो तो कुछ और ही सोचने में व्यस्त थी ऋषि भी वही बैठा रहा कोई काम नहीं था पर हर बार जब भी आरती या फिर रवि की नजर उससे मिलती तो अपने दाँत निकलकर एक मुश्कान जरूर छोड़ देता था आरती को उसके भोलेपन पर बड़ा ही प्यार आ रहा था अपनी रीना दीदी को मिस करता था वो घर पर भी अकेला था और साथ देने को कोई नहीं
खेर जैसे तैसे शाम भी हो गई ऋषि को उन्होंने सुबह 5 बजे तक एयरपोर्ट पहुँचने को कह कर रवाना किया और वो भी रात होने तक घर पहुँचे पर सुबह के इंतेजार और जाने का टेन्शन के चलते कोई भी ऐसा सर्प्राइज नहीं हुआ जो कि इस कहानी में नया मोड़ ला सके।
सुबह होते ही रवि और आरती जब एरपोर्ट पहुँचे तो ऋषि भी वही था मस्त सा काटन शर्ट और पैंट पहने था देखने में किसी अच्छे घर का लड़का लगता था और पढ़ालिखा भी बस खराबी थी तो जब वो बोलता था या फिर इठलाता था रवि और आरती को देखते ही मचल सा गया था और जल्दी से उनके पास आके नमस्कार करते हुए
ऋषि-कितनी देर करदी भाभी कब से खड़ा हूँ अकेला


वो अब उससे पूरी तरह से लड़कियों जैसा ही बिहेव करने लगा था उसकी बातें भी इसी तरह से निकलने लगी थी और हरकतें तो थी ही
तीनो फ्लाइट में बॉम्बे पहुच जाते है रवि उनको होटल में छोड़कर बाहर निकल जाता है,
आरती और ऋषि दोनो होटल के रूम में बैठे है, और हंसी मजाक करते हुए टाइम पास कर रहे थे। ऋषि आरति से उसे साड़ी पहनाने को कहता कि उसे साड़ी बहुत अच्छी लगती है, आरति ऋषि को बिलुकल एक लड़की की तरह रेडी कर देती है,जिसमे ऋषि बहुत ही कामुक ओरत लगती है, ऋषि एक लैस्बियन लड़की की तरह आरति के साथ हरकतें करने लगता है, ऋषि की छेड़छाड़ से आरती गर्म होती रहती है, तभी
बिना कुछ कहे ही ऋषि ने आरती की पीठ पर अपने हाथों के लेजाकर पीठ पर से उसके पिन को खोलकर उसकी साड़ी को आजाद कर दिया और फिर से उसके पिन को वही ब्लाउस में लगा दिया और आरती की ओर देखकर मुस्कुराने लगा था और झुक कर एक हल्की सी पप्पी उसके गालों में दे डाली

कोई पूछना नहीं ना कोई ओपचारिकता और नहीं कोई शरम हाँ शरम थी तो बस
ऋषि को छूने से,
पर जैसे ही आरती ने ऋषि को मुस्कुराते हुए देखा और उसे अपने करीब खींचा तो
ऋषि- उउउहह क्या है
आरती- मेरे पास आना
ऋषि सरक कर आरती के करीब हो गया आरती का चेहरा उसके कंधों के पास था और वो थोड़ा सा ऊपर
आरती- और पास शरमाता क्यों है हाँ
ऋषि- और कितना पास हूँ तो और नहीं बस
आरती का उल्टा हाथ उसकी बगल से निकाल कर उसके कंधों और पीठ पर घूमने लगे थे ऋषि को शायद गुदगुदी हो रही थी पर अच्छा लग रह आता
ऋषि- उउउंम्म मत करो ना
आरती- ही ही क्यों
ऋषि- उउंम्म गुड गुडी होती है
और उसकी सीधी हथेली आरती के गालों पर घूमने लगी और बड़े ही प्यार से आरती की नजर से नजर मिलाए हुए वो बोला
ऋषि- मालूम रीना दीदी भी मुझे ऐसे ही प्यार करती थी
आरती- हाँ और बता तेरी रीना दीदी क्या-क्या करती थी
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08-27-2019, 01:34 PM,
#63
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो ऋषि से सट कर लेट गई थी उसकी साड़ी उसकी चूची के ऊपर से हट गई थी और वो एकदम से बाहर की ओर देखने लगी थी ऋषि की हथेली अब धीरे-धीरे उसके गालों से लेकर उसके गले तक और फिर उसके सीने की ओर बढ़ रही थी आरती की सांसो से साफ पता चल रहा था कि अब वो किसी भी कंडीशन में रुकने वाली नहीं थी उसे जो चाहिए था पता नहीं वो उसे मिलेगा कि नहीं पर हाँ… वो ऋषि की हरकतों को तो मना नहीं कर सकती थी अब
ऋषि की हथेली अब उसके गले और ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को छूती जा रही थी और उसके होंठों से निकले शब्द आरती के कानों तक पहुँच रहे थे
ऋषि- कितनी साफ्ट स्किन है भाभी आपकी आअह्ह, कितनी साफ्ट हूँ आप और कितनी कोमल हो
उसका हाथ अब आरती के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को छू रहा था उसका हाथ ना तो उसकी चुचियों को दबा रहा था और नहीं उसे पिंच कर रहा था
जो उतावला पन आज तक आरती ने अपने जीवन में सहा था हर मर्द के साथ वो कुछ भी नहीं बस ऋषि के हाथ उसके आकार और गोलाइओ को नापने का काम भर कर रहे थे बड़े ही कोमल तरीके से और बड़े ही नजाकत से कोई जल्दी नहीं थी उसे जैसे उसे पता था कि आरती उसके पास से कही नहीं जा सकती या फिर कुछ और

आरती- अया उूउउंम्म क्या कर रह अहैइ उउउम्म्म्म
पर रोकने की कोई कोशिश नहीं हाँ… बल्कि अपने को और उसके पास धकेल जरूर दिया था
ऋषि- कुछ नहीं भाभी बस देख रहा था कि आपकी चुचे कितने सुंदर है ना मेरे तो है नही
आरती- लड़कों के नहीं होते पगले

ऋषि ---हां पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते है ये

आरती- हाँ… प्लीज ऋषि अब मत कर

उसका एक हाथ ऋषि के हाथों के ऊपर था पर हटाने को नहीं बल्कि उससे वो ऋषि को इशारा कर रही थी कि थोड़ा सा जोर लगाकर दबा पर ऋषि तो बस आकार और प्रकार लेने में ही मस्त था उसके हाथ अब उसके ब्लाउसको छोड़ कर उसके रिब्स के ऊपर से होते हुए नीचे की ओर जाने लगे थे आरती का शरीर अब तो अकड़ने लगा था वो कमर के बल उठने लगी थी घुटनों के ऊपर उसकी साड़ी आ गई थी और कमर पर ऋषि के हाथों के आने से एक लंबी सी सिसकारी उसके
होंठों से निकली थी
ऋषि- अच्छा लगा रहा है भाभी

आरती- हाँ… हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्शह

ऋषि---आप बहुत प्यारी है भाभी मन करता है में आपको इसी तरह प्यार करता रहूं कितनी साफ्ट हो आप
और उसके हाथों का स्पर्श अब तो आरती के लिए एक पहेली बन गया था आज जो आग ऋषि लगा रहा था क्या वो इसे भुझा पाएगा पर आरती तो उस आग में जल उठी थी उसे तो अब अपने आपको शांत करना ही था वो अपने चेहरे को ऋषिके सीने में सटा ले रही थी और अपनी लेफ्ट हाथ को ऋषि की पीठ पर घुमाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी हथेली ऋषि की खुली हुई पीठ पर से धीरे-धीरे अंदर की ओर जाने और ऋषि ने उसके ब्रा की
स्ट्रॅप्स को छू लिया था

आरती एकदम से मूडी और ऋषि से लिपट गई थी ऋषि ने भी भाभी को अपने से सटा लिया था नहीं जानता था कि क्यों पर आरती का लपेटना उसे अच्छा लगा था ऋषि की हथेलिया अब उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से से उसकी ब्रा को छूते थे तो वो उसके और पास हो जाता था
आरति के जीवन का यह एहसास वो कभी भी भूल नहीं पाएगी यह वो जानती थी पर ऋषि के थोड़ा सा अलग होने से वो थोड़ा सा चिड गई थी
आरती- क्या
ऋषि -- भाभी
आरती- क्या है रुक क्यों गया
ऋषि --आप बहुत उत्तेजित हो गई है है ना
आरती---हां क्यों तू नहीं हुआ
ऋषि कुछ कहता इससे पहले ही आरती ने उसे अपनी ओर खींचा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी ऋषि ने भी थोड़ी देर वैसे ही अपने होंठों को आरती के सुपुर्द करके चुपचाप उसे स्वाद लेने दिया फिर हटते हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ने लगा था
आरती- क्या हुआ हाँ…
ऋषि- कुछ नहीं एक बात कहूँ भाभी गुस्सा तो नहीं होंगी नाराज तो नहीं होंगी ना
आरती- क्या नाराज क्यों बोल ना
ऋषि साहस जुटा कर जैसे तैसे शब्दों को जोड़ कर आरती की ओर नजर गढ़ाए हुए एक विनती भरी आवाज में कहा
ऋषि--- जी भाभी कन आई टच यू, आइ वान्ट यू भाभी व्हाट टू लव यू प्लीज भाभी प्लीज यू आर सो साफ्ट भाभी आइ जस्ट वाना महसूस यू
आरती- यू जस्ट फेल्ट मी ऋषि
ऋषि- नो भाभी नोट दिस वे दा वे आई वॉंट प्लीज भाभी आई प्रॉमिस यू
आरती के पास जबाब नहीं था उसकी हालत खराब थी पर जिस तरह से ऋषि उससे गुजारिश कर रहा था वो एक अजीब सा तरीका था

आरती- आई म नोट गेटिंग यू ऋषि हाउ

ऋषि- जस्ट डू ऐज आई से भाभी प्लीज यू विल सी हाउ प्लेसुरबले इट ईज़ आई प्रॉमिस
आरती- प्लीज ऋषि आई म स्केर्ड व्हाट शुड आई डू प्लीज ऋषि
आरती ऋषि के गालों को छूते हुए उसके पास थी और ऋषि भी तेज सांसें लेता हुआ उसके बालों को छूता हुआ उसे बड़े प्यार समझा रहा था
ऋषि- भाभी प्लीज स्ट्रीप युवर साड़ी और ले डाउन आंड सी व्हाट आई डू जस्ट एंजाय
आरती- उूउउम्म्म्म ऋषि यू नो व्हाट यू आर सेयिंग कॅन यू मनेज आई म नोट शुवर अबाउत इट बॅट इफ यू से सो बट प्लीज ऋषि
आरती धीरे से ऋषि की ओर देखती हुई बेड से उतरी और साइड में खड़ी हुई ऋषि की ओर देखती हुई कमर से एक साथ ही पूरी साड़ी को खींच लिया और वही नीचे ही गिरने दिया वो अपनी पेटीकोट को उँचा करती हुई लगभग घुटनों तक उठाकर अपने आपको वापस बेड पर चढ़ा लिया और ऋषि की ओर देखती हुई उसके पास लेट गई

दोनों एक दूसरे को बड़े ही ध्यान से देख रहे थे आरती को श्योर नहीं था जो ऋषि ने उससे कहा था पर उसके पास अपनी काम अग्नि को बुझाने का कोई और रास्ता भी नहीं था ऋषि एक मर्द था शायद उसके अंदर का कोई चीज अब भी जिंदा हो या फिर वो सिर्फ़ दिखावा कर रहा हो असल में वो भी रवि रामु और लाखा के जैसा ही हो
पर ऋषि अपनी जगह पर ही बैठा रहा और मुस्कुराता हुआ आरती को बेड पर लेटा हुआ देखता रहा वो अभी साड़ी पहना था
आरती- तू नहीं उतारेगा साड़ी हाँ…
ऋषि---आप कितनी सुंदर हो भाभी कितनी गोरी कितनी कोमल हो भाभी
वो अपनी हथेली आरती की टांगों से लेकर धीरे-धीरे ऊपर उसकी जाँघो तक ले जा रहा था बड़े ही संभाल कर बड़े ही कोमलता से कही कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं कर रहा था और नहीं कोई उतावलापन बड़े ही शांत और नजाकत से ऋषि उसके शरीर की सुदोलता का एहसास कर रहा था आरती का पूरा शरीर जल रहा था वो जानती थी कि जो ऋषि कर रहा है वो एक छलावा है पर वो मजबूर थी उसे ऋषि का इस तरह से उसे छुना अच्छा लग रहा था वो आजाद थी इधर उधर होने को अपने आपको तड़पने को उसे ऋषि के मजबूत हाथ नहीं रोक रहे थे वो तो बस उसके शरीर की रचना को देख रहा था उसकी कोमलता का एहसास भरकर रहा था

आरती की पेटीकोट उसके कमर तक आ पहुँची थी और उसकी पैंटी उसके कमर पर कसी हुई और उसकी जाँघो के बीच में जाकर गुम हो गई थी वो अपनी कमर के सहारे अपनी टांगों को खोलकर बंद करके और इधार उधर होकर अपनी उत्तेजना को छुपा रही थी और ऋषि अपने हाथों से उसकी कमर के पास उसके पेट को सहलाता जा रहा था

आरती का हाथ एक बार ऋषि के चहरे तक गया और उसे अपनी ओर खींचने लगी थी वो उसे किस करना चाहती थी
ऋषि ने एक बार उठकर उसे देखा और मुस्कुराता हुआ उसके पास आ गया और अपने होंठों को धीरे से आरती के होंठों पर रखा आरती झट से उसके होंठों पर टूट पड़ी पर ऋषि उससे अलग हो गया

ऋषि- आआअम्म्म्म ऐसे नहीं बी जेंटल भाभी बी जेंटल
और धीरे से अपने होंठों से आरती के होंठों को किस किया और फिर अपनी जीब को निकाल कर धीरे-धीरे उसके होंठों पर फेरने लगा था कोई जल्दी नहीं कोई ताकत नहीं बस एहसास सिर्फ़ स्पर्श और कुछ नहीं आरती की जिंदगी का पहला किस्स जो की इतना मधुर और सौम्य था वो अपनी आखें खोलकर ऋषि की ओर देखती रही उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी उसकी एक हथेली ऋषि के पीछे उसके बालों से लेकर उसके गले से होते हुए उसके ब्लाउज के खुले हिस्से में घूम रही थी वो जान बूझ कर अपनी हथेली को उससे भी नीचे ले गई और उसके ब्लाउज के खुले हिस्से से उसके अंदर डाल दिया और ऋषि को फिर से अपनी ओर खींच लिया ऋषि ने भी कोई संघर्ष नहीं किया और चुपचाप अपने होंठों को फिर से उसके होंठों पर रख दिया इस बार बारी आरती की थी
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08-27-2019, 01:35 PM,
#64
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो भी ऋषि की तरह ही अपने होंठों से ऋषि के होंठों को धीरे-धीरे किस करती हुई उसके होंठों को चाटने भी लगी थी कोई ताकत नहीं थी बस उसके होंठों के रस्स को छूने और स्पर्श का खेल था वो ऋषि के ब्लाउज के अंदर आरती की उंगलियां उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गई थी वो अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रही थी

ऋषि- उूउउफफ्फ़ भाभी प्लीज डोंट डू दट आई महसूस सो गुड लेट मी महसूस यू भाभी यू आर ब्रेअसर्ट प्लीज भाभी

आरती- उूउउंम्म ओह्ह… ऋषि क्या कर रहे हो प्लीज यू आर सो साफ्ट डियर यू आर सो नाइस लव यू डियर
ऋषि- ऊवू भाभी यू आर सो लव्ली भाभी यू आर सो साफ्ट आई वाना बी यू आर डार्लिंग भाभी यू विल बी माइन
आरती- प्लीज ऋषि पुल आफ माइ ब्लाउस इट’स हरटिंग डियर प्लीज माइ डियर
सांसों की जंग के साथ और एक दूसरे को छुते हुए दोनों एक दूसरे में गुम थे और अपने मन की बातों को खोलकर एक दूसरे के सामने प्रेज़ेंट भी कर रहे थे दोनों ही एक दूसरे को समझ चुके थे और एक दूसरे की तमन्ना को शांत करने की कोशिश में लगे थे

आरती के हाथ अब ऋषि के गालों को पकड़कर उसके होंठों को किस कर रहे थे और ऋषि भी अपने हथेलियो को आरती के ब्लाउज के हुक पर उलझाए हुए आरती को धीरे से किस करता जा रहा था। आरती का एक हाथ ऋषि की साड़ी को भी खींचकर उसके कंधे से उतार चुका था और उसके पेट से लेकर उसकी पीठ तक उसे सहलाते हुए उसकी कोमलता को जान रही थी ऋषि भी उतावला हो चुका था पर वहशी पन नही था उसमे था तो बस जिग्यासा और कुछ नहीं और अपनी भाभी को छूने की इच्छा

वो भाभी के ब्लाउज के हुक से आजाद कर चुका था और दोनों पाटो को खोलकर फिर से उन्हें देखने लगा था ब्रा में कसी हुई उसके चूचियां बाहर आने को तैयार थी पर ऋषि को जैसे कोई जल्दी नहीं थी बड़े ही तरीके से वो उन्हें देखता हुआ अपनी हथेली से उनके आकार और सुडोलता को अपने हथेली से छूकर और सहलाकर देख रहा था उसका चेहरा अब भी आरती के होंठों के पास था और आरती अपनी जीब से उसके गाल को चाट लेती थी उसके हाथों में कोई जल्दी या फिर कहिए कोई सखतपन नहीं था था तो बस एक जिग्यासा और कुछ नहीं उसकी ब्रा को नहीं खोलकर वो आरती की पीठ पर हाथ लेजाकर उसे उठा लिया और खुद भी बैठ गया और मुस्कुराता हुआ आरती के होंठों को एक बार चूमने के बाद उसके ब्लाउसको उसके कंधों से निकालने लगा था आरती उसे ही देख रही थी


उसकी आखों में एक चमक थी जैसे कि अपने हाथों में एक खिलोना पा गया हो उसके मन के माफिक और वो जानता था की वो उसे जैसा चाहे वैसे खेल सकता था ऋषि उसके ब्लाउसको उसके शरीर से अलग करके उसे एकटक देखता रहा और धीरे से अपनी एक हथेली को लेजाकर ऊएकी दाईं चुचि पर रखा और उसे ब्रा के ऊपर से ही सहलाता जा रहा था

ऋषि- भाभी कन आई सी यू जस्ट इन लिंगरे प्लीज कन आई पुल युवर पेटीकोट अवे
आरती के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई और वो खुद ही बैठे बैठे अपने पेटीकोट का नाड़ा को ढीलाकर दिया और ऋषि की ओए देखने लगी
ऋषि- ऊऊह्ह भाभी यू आर जस्ट ग्रेट
और अपने हाथों से वो भाभी के पेटीकोट को खींचते हुए उसे उतारता चला गया आरती लेट गई थी ताकि ऋषि को आसानी हो ऋषि उसके पेटीकोट को निकलकर अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और आरती को लेटे हुए देखता रहा वाइट कलर की मचिंग सेट था वो कसे हुए थे उसके शरीर पर ऋषि ने भी एक झटके से अपनी साड़ी को उतार फेका और वो भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस पहने हुए आरती को पैरों से लेकर चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा

आरती के शरीरके हर हिस्से को वो बड़े ही प्यार से छूता और अपनी जीब से उसका स्वाद लेता हुआ वो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा था आरती की हालत खराब थी उसकी जाँघो के बीच में एक आग लग चुकी थी जिसे वो अब संभाल नहीं पा रही थी पर जो कुछ भी ऋषि कर रहा था वो एक आजूबा था इतने प्यार से और इतने जतन से आज तक आरती के शरीर को किसी ने भी प्यार नहीं किया था ऋषि के प्यार करने के तरीके से उसे एक बात तो पता चली थी वो यह कि
नारी का शरीर एक ऐसा खेलोना है जिसे जो चाहे जैसे चाहे खेल सकता है वो हर स्पर्श के लिए तैयार रहती है आरती से कोमल स्पर्श भी उसे शरीर में वही आग जला सकता है जोकि एक मर्दाना स्पर्श करता है वो अपने इस नये परिचय से इतना कामुक हो गई थी कि उसके मुख से पता नहीं क्या-क्या निकल रहा था

आरती- आआअह्ह ऋषि क्या कर रहा है प्लेआस्ीईईई ऋषि यह सब भी उतार दे बहुत कसते जा रहे है और इधर आ
ऋषि उसके पेट को चूम रहा था उसकी नाभि को छेड़ रहा था अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था बड़े ही हल्के ढंग से उसने आरती की कमर को अपनी हथेली से पकड़कर अपनी जीब को घुमाकर वो आरती के पेट के हर हिस्से को चूम रहा था

आरती---आआह्ह उउउंम्म उूउउफफ्फ़ ऊऊ ऋषि प्लीज आना इधर
ऋषि नहीं आया बल्कि थोड़ा सा और ऊपर उठा और अपने होंठों से उसके रिब्स के चारो ओर किस करता रहा और फिर अपनी हथेलियो को उठाकर उसके ब्रा के ऊपर रखते हुए उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा था उसे कोई जल्दी नहीं था पर आरती को थी वो अब नहीं सह पा रही थी वो जिस तरीके से उसे किस करता जा रहा था वो एक अजीब सी कहानी गढ़ रहा था आरती अपने आपको किस तरह से रोके हुए थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उसके प्यार करने का अंदाज निराला था
ऋषि- अच्छा लग रहा है ना भाभी
आरती- हाँ… इधर आना
ऋषि- हाँ भाभी उूउउम्म्म्ममम
ऋषि के होंठ आरती के होंठों के भेट चढ़ चुके थे और आरती का पूरा शरीर उसके शरीर से सटने की कोशिश करने लगा था वो ऋषि को खींचते हुए अपने साथ लिपट-ती जा रही थी पर ऋषि जैसे मचल गया था

ऋषि- उउउंम्म प्लीज ना भाभी रूको तो लेट मी डू इट इन माइ वे प्लीज वेट आई प्रॉमिस यू विल एंजाय जस्ट आ फेवव मोर मीं माइ लव
और ऋषि आरती की गिरफ़्त से आजाद हुआ और फिर से उसकी चुचियों को अपने होंठों से चूमता रहा ब्रा के ऊपर से
ऋषि- कॅन आई सी इट भाभी व्हाट यू हॅड इन इट हाँ…
आरती- गो अहेड माइ डियर
और वो थोड़ा सा उठी कि ऋषि उसके ब्रा के हुक को खोलेगा पर ऋषि ने उसे नहीं खोला बल्कि उसके कंधो से उसके स्ट्रॅप्स को धीरे-धीरे चूमते हुए उतरता चला गया
और जैसे ही उसके निपल्स उसके सामने थे वो धीरे से अपने होंठों को लेजाकर एक बार धीरे से उन्हें चूमकर वापस आ गया
आरती- आअह्ह उउउँ कर ना प्लीज कितना तडपा रहा है तू इधर आ
और वो ऋषि को खींचते हुए अपनी चुचियों पर उसके होंठों को रखने लगी थी

पर ऋषि तो अपने काम में ही मस्त था वो आरती की चुचियों को आजाद करके सिर्फ़ उनकी ओर ही देख रहा था और सहलाता हुआ उसकी गोलाई और कोमलता के एहसास को अपने अंदर समेट रहा था पर आरती का शरीर तो जैसे भट्टी बन चुका था वो अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि को कस कर अपने से सटा रही थी और उसे खींच रही थी कि वो कुछ करे पर ऋषि आरती के सीने पर अपना सिर रखे हुए अपने हाथों से उसे सहलाता जा रहा था और धीरे-धीरे उसकी गोल चुचियों को किस करता जा रहा था

आरती- क्या कर रहा है ऋषि प्लीज चूस ना प्लीज ऋषि चूस सस्स्स्स्शह उउउम्म्म्मममम
ऋषि- हाँ भाभी उउउम्म्म्म अच्छा लगा हमम्म्मममम
आरती-हाँ और जोर से ऋषि प्लीज और जोर से
ऋषि अपने मन से आरती की चुचियों को अपने होंठों से चूसता हुआ धीरे-धीरे उसे दबाता जा रहा था और एक हथेली को धीरे से उसके जाँघो के बीच में ले जा रहा था आरती कमोवेश की भेट चढ़ि हुई अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के अगले स्टेप का इंतेजार कर रही थी और जैसे ही ऋषि की उंगलियां उसके चुत से टकराई वो बिल्कुल सिहर कर ऋषि को कस कर अपनी चुचियो पर कस लिया ऋषि की सांसें बंद हो गई थी

ऋषि---उउउंम्म भाभी सांसें भी नहीं ले पा रहा हूँ छोड़ो आहह

आरती- प्लीज ऋषि कुछ कर में मर जाउन्गी प्लीज वहां कुछ कर जल्दी

ऋषि- मरे आपके दुश्मन में हूँ ना आप क्यों परेशान है

एक हल्की सी आवाज आरती के मुख से निकली और वो ऋषि को अपनी जाँघो पर कस्ती जा राई थी उसकी हथेलिया ऋषि के बालों को खींचती जा रही थी पर कुछ नहीं ऋषि अपने तरीके से उसकी चूचियां चूमता हुआ उसकी चुत पर हल्के-हल्के अपनी उंगलियां चलाता रहा

आरती- प्लीज ऋषि और नहीं प्लीज़ सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई आआह्ह
ऋषि के हाथों को पकड़कर उसने अपनी जाँघो को फिर से कस लिया और अपनी कमर को झटके देने लगी थी

ऋषि अब थोड़ा सा उससे अलग होता हुआ फिर से अपने घुटनों पर बैठा हुआ था आरती अपनी उखड़ी हुई सांसों से उसे एकटक देख रही थी ऋषि उसकी ओर देखता हुआ धीरे से उसकी पैंटी को नीचे कर रहा था ऋषि की आखें उसकी ओर देखती हुई जैसे पूछ रही थी कि उतारू या नही


आरती ने अपनी कमर को उँचा किया ताकि ऋषि अपने काम को अंजाम दे सके और हुआ भी वही झट से पैंटी बाहर लेकिन ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी वो धीरे से आरती की टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक धीरे से किस करता हुआ उसकी जाँघो के बीचो बीच पहुँच गया था और

ऋषि- ऊह्ह भाभी युवर स्मेल सो गुड कन आई टेस्ट इट हाँ… प्लीज भाभी

आरती क्या कहती अपने हाथ को जोड़ कर ऋषि के बालों के पास ले गई और उसे अपने जाँघो के बीच में खींच लिया उसके होंठों ने जैसे ही उसकी चुत को टच किया एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और उसकी जाँघो को चौड़ा करके जहां तक हो सके ऋषि को जगह बना के देदी थी आरती ने

ऋषि तो जैसे इस चीज में मास्टर था ना कोई कोई दाँत लगा और नही कुछ और नहीं कोई जल्दी और नहीं कोई वहशीपन और नहीं जोर जबरजस्ती और नहीं कोई चुभन बस उसके होंठों की ओर उसकी जीब की अनुभूति और वो भी उसके अपर लिप्स पर और कही नहीं धीरे-धीरे वो उसके इन्नर लिप्स तक पहुँची पर आरती हार गई और
आरती- आआआह्ह ओूऊह्ह ऋषि आई कॅनट स्टॅंड मोर डियर, आई म कोँमिंग उूुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममममाआआआआआआह्ह,

ऋषि गो अहेड माइ लव गो अहेड आई म हियर युवर आखिरी ड्रॉप ईज़ माइन आई लव यू डियर

आरती का सारा शरीर आकड़ गया था और अपने पैरों को उँचा करके वो अपने शरीर को उत्तेजना के आग में जलाकर बाहर की ओर निकल रही थी वो निरंतर झटके से अपने आपको रिलीस कर रही थी और ऋषि उसकी चुत से निकलने वाले हर ड्रॉप को खींचकर अपने अंदर लेता जा रहा था वो अब भी आरती की जाँघो के बीच में ही था और आरती शांत हो गई थी और बिस्तर पर गिरी गिरी अपने हाथों को पूरे बिस्तर पर घुमा रही थी


वो बहुत थकी हुई नहीं थी पर हाँ… एक अजीब सी उत्तेजना थी जो कि अब भी उसके अंदर सोई नहीं थी झटके लेती हुई अभी तक अपने को रिलीस कर रही थी

ऋषि अब तक उसे जाँघो के बीच में ही था और हर एक बूँद को चाट-ता और अपने होंठों से छूकर उसको लगातार सूखा रहा था आरती के होंठों से अब भी हल्की हल्की सिसकारी के साथ हाँफने की आवाज आ रही थी

ऋषि के बालों को पकड़कर वो लगातार अपने ऊपर और पास खींचने की कोशिश करती जा रही थी

आरती- उउउफफ्फ़ ऋषि अब बस कर नहीं तो फिर से शुरू हो जाएगा प्लीज अब मत कर

ऋषि- क्यों भाभी अच्छा नहीं लग रहा हाँ… प्लीज ना भाभी युवर स्मेल सो गुड आई कन’त रेजिस्ट माइसेल्फ प्लीज ना

आरती- प्लीज ऋषि थोड़ा सा रुक जा सांस लेने दे इधर आ ना प्लीज

ऋषि उसकी जाँघो के बीच से अपने सिर को बाहर निकालते हुए अपने चेहरे पर गिर रहे आरती के चुत रस्स को बेड पर ही पोंच्छ लिया और अपने हाथो से आरती की जाँघो से लेकर उसके गोल गोल नितंबों को छूता हुआ अपने चहरे को आरती की चूची के ऊपर रखकर लेट गया

आरती ने भी उसे कसकर अपने सीने के आस-पास जकड़ लिया था और उसके सिर को सहलाती हुई उसे प्यार करती रही

ऋषि के हाथ अब भी उसकी कमर से लेकर उसके पीठ पर हर कही घूम रहे थे एक हल्की सी सरसराहट उसके शरीर में अब भी उठ रही थी ऋषि आरती को अपनी बाहों में भरकर उसके नंगे शरीर को बड़े ही प्यार से सहलाता जा रहा था और अपने होंठों से उसकी चुचियों के चारो ओर किस करता जा रहा था

कोई प्रेशर या जल्दिबाजी नहीं थी उसे बड़े ही आराम से और नजाकत से आरती को भी उसका इस तरह से प्यार करना अच्छा लग रहा था और उसने भी ऋषि को अपनी बाहों में भर कर अपने से सटा रखा था
आरती- ऋषि
ऋषि- जी भाभी
आरती- एक बात पूच्छू तुम बुरा तो नहीं मनोगे

ऋषि- नहीं भाभी बिल्कुल नहीं पूछिए
और उसकी हथेलिया भाभी की पीठ के साथ-साथ उसकी चुचियों पर भी आ गई थी
आरती- आह्ह स तुम अपने आप को संतुष्ट कैसे करते हो?

ऋषि- भाभी आई म नोट डेवेलप्ड तट वे आई हव प्रॉब्लम्स फिजिकली ऐज वेल ऐज मेडिकली
आरती- व्हाट डू यू मीन

ऋषि- यॅज़ भाभी प्लीज डान’त टाक अबाउट दट भाभी प्लीज लेट मी महसूस यू आंड स्मेल यू डियर प्लीज़
आरती- उउउम्म्म्म सस्शह बॅट ऋषि यू हव टू कन्सल्ट सम वन में बी डाक्टर आई मीन
ऋषि- प्लीज ना भाभी वी विल टाक अबौट इट लेटर प्लीज लेट मी प्ले वित यू यू आर सो साफ्ट आंड हेरलेस सो स्वीट टू टेस्ट आंड नाइस टू टच
आरती- हमम्म्म प्लीज ऋषि वी आर डन आलरेडी लेट मी गो तो बाथरूम फर्स्ट

ऋषि- नही प्लीज ना अभी नहीं मेरा मन नहीं भरा प्लीज ना भाभी रोज थोड़ी मौका मिलता है कितना अच्छा मौका मिला है आज हाँ…

आरती- बहुत बोल रहा है तू तो हाँ… एक लगाउन्गी छोड़ मुझे आती हूँ

और आरती उठकर बाथरूम को जाने लगी नीचे पड़े हुए पेटिकोट को उठाकर उसने अपने सीने पर बाँध लिया और ऋषि की ओर मुस्कुराती हुई देखती हुई चली गई।


बाथरूम से निकलकर उसने देखा की ऋषि अब भी वैसा ही लेटा हुआ था जैसे छोड़ कर गई थी एक हाथ अपने सिर पर रखे हुए और ब्लाउस और पेटीकोट पहने हुए उसकी पेटिकोट भी घुटनों तक थी और ब्लाउस तो सामने से ढीली ही थी
आरती मुस्कुराते हुए उसके पास पहुँची और धीरे से अपने हाथो को उसकी टांगों पर चलाने लगी

और धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाने लगी थी मचलता हुआ ऋषि बोल उठा

ऋषि- उउउंम्म भाभी मत करो ना गुदगुदी हो रही है आप इधर आओ में आपको प्यार करता हूँ

आरती- क्यों में तुझे नहीं करसकती
आरती- क्या हुआ नाराज है
ऋषि- नहीं प्लीज भाभी आप मत करो मुझे करने दो

और वो उठकर आरती के होंठों को अपने होंठों से छूते हुए एक हल्की सी पप्पी दे दिया और उसके हाथ को खींचते हुए अपने पास बुलाने लगा

आरती ने भी कोई जोर नहीं लगाया और सरक्ति हुई उसके पास चली गई वो जानती थी कि ऋषि को आज वो समझा नहीं पाएगी सो कर लेने दो उसे जो करना है वो भी मस्त हो चुकी थी ऋषि के होंठों और जीब से जो आनंद उसे मिला था वो अकल्पनीय था

आज तक जो भी सेक्स उसने किया था उसमें ताकत और वहशीपन था पर आज का सेक्स तो कुछ अलग था ना कोई जोर आजमाइश और ना दर्द और ही निचोड़ना और ना ही ताकत ना ही जितने की इच्छा और नहीं समर्पण था तो बस आनंद और आनंद और कुछ नहीं बस अपने अंदर की आग को जलाओ और फिर बुझने का इंतजार करो कोई संघर्ष नहीं और नहीं शक्ति का प्रदर्शान

वो चुपचाप ऋषि के सामने बैठ गई थी और एकटक उसके और देखती जा रही थी ऋषि उसे अपने पास खींचकर अपनी छाती से लगाया हुआ था बहुत ही आराम से कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं बस एहसास था एक दूसरे को छूने का और एक सुखद आनंद था एक दूसरे के स्पर्श का

आरती की सांसें फिर से उखड़ने लगी थी वो अपने टांगों को मोड़कर ऋषि के साथ ही बैठी रही और उसके अगले स्टेप का इंतजार कर रही थी ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी अपने पास अपनी बाहों में आरती को लिए वो आरती के चहरे को देखता हुआ अपने हाथों से उसके बालों को ठीक कर रहा था और उसके गालों पर चिपके हुए एक दो बालों को अपनी उंगलियों से पकड़ पकड़कर वापस सिर पर ठीक कर रहा था बड़ी ही नजाकत से और बड़े ही प्यार से आरती भी उसकी बाहों में बिल्कुल एक निष्क्रीय और निश्चल की तरह बैठी हुई उसकी हरकतों को देख रही थी बड़े ही प्यार से वो भी अपना उल्टा हाथों को लेजाकर ऋषि के कमर के चारो ओर से उसे पकड़ लिया और उसके पीठ पर हथेलियो को फेरने लगी थी उसे बड़ा अच्छा लग रहा था एक कोमल सी त्वचा उसकी हथेलियो से स्पर्श कर रही थी उसके ब्लाउज की खुली जगह पर उसके हाथ अपने ढंग से घूम रहे थे कभी-कभीउसके हाथो के स्पर्श से ऋषि के होंठों से भी एक सिसकारी निकलते देखकर वो खुश होती थी ब्लाउज के खुले हिस्से से
वो अपनी उंगलियों को उसके अंदर ढालने की भी कोशिश करती थी और उसके ब्रा के स्ट्रॅप को छेड़ भी देती थी और ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखती भी थी पर ऋषि तो अपने दी दम में था आरती के शरीर की रचना को देखने में और टटोलने में ही व्यस्त था अपनी हथेलियो से वो आरती के टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक को सहलाते हुए ऊपर की ओर उठ-ता जा रहा था साथ साथ मे उसकी पेटीकोट को भी ऊपर की ओर उठाता जा रहा था आरती अंदर से वैसी ही थी पर उसे कोई शिकायत नहीं थी ऋषि के हाथो के स्पर्श से एक ज्वार फिर से उसके अंदर उफान भर रहा था पर जाने क्या हुआ कि अचानक ही आरती ऋषि से थोड़ा सा दूर हो गई और वैसे ही अपने पेटीकोट को ना नीचे करने की कोशिश की और ना ही ठीक करने की पेटीकोट सीने से चुचियों के ऊपर की ओर बँधा हुआ था और अब तो कमर के ऊपर उठ गया था और उसकी पूरी जाँघो का शेप और रंग साफ साफ दिखाई दे रहा था आरती अपनी पीठ पर एक तकिया रखे हुए ऋषि की ओर देख रही थी
आरती- तूने बताया नहीं अपने को कैसे संतुष्ट करता है

ऋषि- मैं खुद की संतुष्ट नही करता भाभी लेकिन मुझे पीछे लेना पसंद है।
आरती-- पीछे लेना मतलब।
ऋषि- यस भाभी मैं पीछे कुछ महसूस करना चाहता हु।
आरती-- मतलब
ऋषि- भाभी मतलब कोई इसके अंदर कुछ डाले।
अपनी गांड की तरफ इशारा करते हुए ऋषि ने बताया।
आरती- छि आर यू क्रेजी
ऋषि-नही भाभी आई महसूस ग्रेट देयर आई डिड नोट नो अबाउत दट थिंग बॅट
आरती- बट बट व्हाट
ऋषि- एक बार रीना दिदी और मैने पोर्न मूवी में देखा था
आरती- तुम और रीना
ऋषि-हां भाभी उस दिन शनिवार जब रीना दीदी ने मेरी गान्ड मे उंगली की
आरती- उसके बाद
ऋषि- उसके बाद बहुत कुछ और मैने मजा भी किया लेकिन इसमें मेरा कोई दोष नही।

आरती आश्चर्य से ऋषि की ओर देखती रही पर कहाँ कुछ नहीं पर हाँ… उसे भीमा और लाखा की हरकत पर गोर करना पड़ा एक बार या दो बार उन्होंने भी अपनी उंगली उसके वहां पर डाला था तकलीफ नहीं हुई थी पर कुछ ऐसा एहसास भी नहीं हुआ था
पर अगर ऋषि कह रहा है तो हो सकता है
आरती- क्या तुमारी दीदी ने भी ऐसे मजजे लिए थे।
ऋषि- एक बार फिर शादी हो गयी अब वो अकेलि महसूस कर रही है।
आरती-क्यो उसके पति अच्छे नही है ।
ऋषि-- हाँ भाभी है तो वो अच्छे पर सेक्स के मामले में थोड़ा सा भी एडवेंचर नहीं है
आरती- तुम्हें रीना दीदी ने बताया
ऋषि-हां वो मुझे बहुत मिस करती है
ऋषि के हाथ अब भी आरती की जांघो पर ही घूम रहे थे और बीच बीच में वो उसकी जाँघो को और कभी उसकी नाभि को किस करता जा रहा था

आरती लेटी हुई ऋषि को देखती रही बड़ा ही आजीब सा करेक्टर था पर एक बात तो क्लियर थी कि उसको बर्बाद करने में उसकी बहन रीना का बहुत बड़ा हाथ था पर बर्बाद क्या वो तो था ही ऐसा रीना नहीं करती तो शायद कोई और वो अपने ख्यालो में घूम थी कि उसे ऋषि की आवाज सुनाई दी

ऋषि- भाभी एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगी ना
आरती- कहो
ऋषि जो कि अब भी आरती के शरीर के हर उतार चढ़ाव को अपने हाथ से सहलाता हुआ उसके करीब ही लेटा हुआ था
ऋषि- वो भोला है ना वो कैसा आदमी है
आरती एक बार तो चौंक उठी उसकी बातों से ऋषि भोला के बारे में क्यों पूछ रहा है
आरती- क्यों नौकर है और क्या
ऋषि--नहीं भाभी बड़ा मन्ली है वो और
ऋषि ने बात बीच में छोड़ दिया था और आरती की चूचियां चूमने लगा था आरती के मुख से एक अया निकली और कही गुम हो गई थी पर उसका पूरा ध्यान ऋषि के बातों में था ना कि वो जो कर रहा था
आरती- और क्या
ऋषि- नहीं वो ऐसे ही पूछा था बस यू ही
आरती एक झटके से उठी और खड़ी हो गई
आरती- सुन अब जा अपने कमरे में बहुत देर हो गई है

ऋषि को अच्छा नहीं लगा आरती का इस तरह से हटना पर एक निगाह आरती पर डालते हुए वो भी धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया पर जाने का मन उसे नहीं था वो आरती देखकर ही समझ सकती थी
पर अचानक भोला का नाम आते ही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी और पूरे शरीर में फेल गई थी जो कि ऋषि के बूते के बाहर था उसे शांत करना उसे इंतजार था अपने पति का रवि का

ऋषि थोड़ी देर बाद बाथरूम से निकला और अपने कपड़े पहनकर वापस अपने कमरे में चला गया जाते समय एक किस करता गया था आरती को और ना जाने की इच्छा भी जाहिर किया था पर आरती ने जबरदस्ती उसे भेज दिया कि रवि और उसके पापा कभी भी आ सकते है

ऋषि अनमने ढंग से चला तो गया पर एक सवाल आरती के लिए छोड़ गया था वो था उसने क्यों पूछा था भोला के बारे में। आखिर क्यों? ऋषि को तो भोला बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है उस दिन तो बड़ा नाराज सा हो रहा था भोले के ऊपर पर आज कहता है कि बड़ा मन्ली है ।

क्या बात है भोला के बारे में सोचते ही आरती एक बार फिर से उसकी हरकतों के बारे में सोचने लगी थी कैसे उसने उसे पहली बार छत पर देखा था किसी लड़की या फिर औरत के साथ और फिर हास्पिटल में और फिर उसकी खोली में उूउउफफ्फ़

धत्त रवि क्यों नहीं आ रहा है आज क्या कर रहा है

रवि थका हुआ सा लग रहा था आते ही बाथरूम में घुस गया था हाँ या ना में ही जबाब दे रहा था। आरती भी उससे बहुत से सवाल पूछ रही थी पर ज्यादा बात ना करते हुए बस एक बात मालूम चली की धरमपाल जी ने वही एक फ्लैट ले लिया है

आने जाने में काम आएगा और उनके दोस्त के साथ भी एक कांट्रॅक्ट साइन किया था गारमेंट्स के लिए फ्लैट उन्हीं का था खाली था इसलिए उनको यूज़ करने को दिया था अब यह फैसला हुआ था कि अब जब भी आएँगे होटेल में ना रुक कर फ्लैट में ही रुकेंगे।

खेर आरती भी रवि की हालत देखकर अपने को भूल गई थी और खाना खाने के बाद तो रवि लेटते ही नींद के आगोश में ऐसा गया कि जैसे सदियो से सोया नहीं था आरती भी बिना किसी नोकझोक के अपनी तरफ होकर सो गई

सुबह जब वो लोग उठे तो जल्दी में बैंक का अधूरा काम समाप्त करके फ्लाइट से वापस अपने शहर आ गये थे अगले हफ्ते फिर से आना था बैंक के ही काम से और कुछ और भी काम बाकी था हाँ आरती को एक बात की संतुष्टि थी की अब वो भी फ्लाइट से अपने पति के साथ आना जाना करसकती है घर पहुँचकर सुबह को फिर वही जल्दी-जल्दी अपने काम पर जाने की जल्दी रवि अपनी गाड़ी से, सोनल अपने स्कूल और आरती ऋषि के साथ फैक्टरी।

फैक्टरी गये तीन दिन हो गये थे पर काम अपनी रफ़्तार से ही चाल रहा था लगभग पूरा होने को था शायद कुछ और एक दो महीने में ही होजायगा और काम ने तेजी भी पकड़ लिया था ऋषि के साथ आरती जैसे ही फैक्टरी पहुँची एक बार फिर से वहां खलबली मच गई थी

शायद उसे देखने की कोशिश थी या फिर मेमसाहब के आने का डर जो भी हो एक शांति और खलबली तो मची थी गेट के अंदर गाड़ी जाते हुए उनको भोला अब भी वही खड़ा मिला जो कि अब ठीक हो गया था काले चश्मे के अंदर से एक नजर आरती की उस पर पड़ी और गाड़ी आगे बढ़ गई थी आरती की नजर ऋषि की ओर भी गई थी

पर वो शांत था अपने केबिन में पहुँचते ही आरती अपने काम में लग गई थी बहुत से बिल्स और वाउचर्स थे साइन करने को और कुछ और भी पेपर्स थे कुछ स्टेट्मेंट्स थे और भी बहुत कुछ ऋषि को समझाते हुए आरती अपने काम में लगी थी ऋषि भी उसके साथ-साथ उन पेपर्स को देख भी रहा था और समझ भी रह था

बहुत इंटेलिजेंट था वो एक बार में ही सबकुछ साफ होता था उसे काम से फुर्सत मिलते ही आरती ने एक बार घड़ी की ओर देखा बाप रे 2 30 बज गये इतनी जल्दी

आरती- ऋषि कितनी जल्दी टाइम निकल गया ना,

ऋषि- कहाँ कितनी देर हो गई आप तो बस काम में लगी थी

आरती- अगर तुम मेरी हेल्प करते तो जल्दी नहीं हो जाता

ऋषि- हाँ… अब से में करूँगा भाभी पर मेरा मन नहीं करता

आरती- तो तेरा मन क्या करता है

ऋषि- बस वैसा ही करने को ही ही ही

आरती- एक जोर दार लगाउन्गी ना गलती से भी फिर कभी नहीं कहना

ऋषि- क्यों आप तो हमारी दोस्त थी ना फिर ऐसा क्यों

आरती- सुन ऋषि मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता

ऋषि मायूष सा हो गया उसके चहरे को देखकर लगता था कि उसका मन टूट गया था जिस चीज की आशा उसने की थी शायद वो अब उसे कभी नहीं मिलेगी भाभी उससे नाराज हो गई थी वो अपनी आखें ना उठाकर वैसे ही बैठा रहा
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08-27-2019, 01:35 PM,
#65
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती एकटक उसकी ओर देखती रही पर इतने में ही मोबाइल की घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया रवि का था
आरती- हाँ…
रवि- कहाँ हो
आरती- फैक्टरी में क्यों
रवि- अच्छा सुनो तुम कब आ रही हो शोरुम
आरती- अभी आ जाऊ
रवि- नहीं सुनो यार में चेन्नई जा रहा हूँ
आरती- क्यों अचानक
रवि- हाँ यार वो एक मोटिओ का फर्म की बात थी ना अरे धरमपाल जी ने की थी वो देखने जा रहा हूँ यार सारी
आरती- क्या यार तुम ना हमेशा ही ऐसा करते हो
रवि- सुनो में जा रहा हूँ एक काम करो ऋषि है ना तुम्हारे साथ
आरती- हाँ…
रवि- उससे कहना वो तुम्हें घर छोड़ देगा और यहां तो मिश्रा जी है ही तुम वहाँ का काम देखकर आ जाना ओके…
आरती- ओके…

खेर रवि के जाने के बाद घर में एकदम सुना सा हो गया था पर काम में जाने की जल्दी के कारण सब बेकार था आरती और सोनल जल्दी से तैयारी में लगे हुए थे चाय और खाना खाने के बाद आरती तैयार थी फैक्टरी जाने को इस बात से अनजान की रवि के पीछे घर पर तांडव आना है ..वजह कोई और नही सोनल थी

टाइट सी चूड़ीदार में गजब की लग रही थी लाइट कलर येल्लो और हल्की ब्लू फ्लॉरल डिजाइन था और वैसा ही टाइट कुर्ता और थोड़ा सा छोटा घुटनों तक हेर स्टाइल भी ढीला ढाला और सिर्फ़ एक कलुतचेयर से बँधी हुई और बड़ी-बड़ी आखें लिए आरती जब कमरे से बाहर निकली तो उसे सोनल की आवाज आई,
वहीं दूसरी तरफ से।

" मम्मी मेरी सारी फ्रेंड्स आज पब जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

स्कूल के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते सोनल काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका बाहर किसी से रीलेशन नही था पर ये शहर ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती
आरती-- क्या पब नही सोनल कहि नही जाना तुम्हे पापा भी नही है यहाँ,
सोनल--- मम्मी मैं सिर्फ बता रही हु, पब जा रही हु,
आरती सोनल की बात सुनकर गुस्से में बोलती है
" नही मायने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है अपना ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

आरती नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..वो रामु क्या करेगा अगर मैं सफाई करुँगी तो, मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

सोनल ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे इस समय उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

आरती ने पलट कर उसे रवि का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी और तुमहारी सारी काली करतूतो का पता है ' "

सोनल ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन आरती के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

आरती ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

सोनल को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मम्मी ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

आरती ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

सोनल ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख सोनल मेरे लिए तू मेरी ज़िंदगी बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

आरती को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी



सोनल अपनी बातों से आरती का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद किसी को भी नही मिलती होगी अपने घर मे।

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे जैसा कोई इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

आरती ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे सोनल का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मम्मी ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर सोनल ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम सोनल ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर आरती के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मम्मी ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मम्मी ..क्या हुआ ? "

सोनल ने एक नज़र आरती के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे सोनल ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

सोनल ने मुस्कुरा कर आरती के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मम्मी ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ध्क्का रहता है
सोनल के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन आरती का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..आरती ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

आरती ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मम्मी इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

सोनल ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

आरती ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो सोनल उससे थोड़ा दूर जा जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि आरती कमरे के अंदर और सोनल कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से सोनल की गांड कुछ सेकेंड के लिए आरती की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो आरती ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

आरती की बात सुन सोनल ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से आरती का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

आरती ने उसे फिर से डांटा

" ओह मम्मी ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे ass क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर सोनल ने अपने चूतडो को आरती की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांड की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

आरती ने भले ही कई बार अपनी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज आरती सोनल के बदन को सोचते हुए उसकी सोच रामू की लड़की मोनिका के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे मोनिका को उसने नंगा नही देखा था ..पर जब सोनल ऐसी है तो मोनिका के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही सोनल के मूँह से निकले सेक्सुअल शब्द और उसकी हरकतें आरती पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मम्मी "

सोनल ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस आरती की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरे पापा भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे पापा से बात करूँगी "

आरती इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात सोनल के मूँह से निकली उसने आरती को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम यही चाहती हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे पागलखाने में, मुझे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही, फिर अकेली रामू लाखा के साथ अपना पागलपन करना। "

सोनल ने एक साँस मे अपनी सारी भडास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख आरती की आँखों से आँसू बहने लगे ..सोनल ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के डायरेक्ट वार की उम्मीद आरती ने कभी नही की थी।
आरती की सांसे रुक गयी, रामु का मालूम था लेकिन ये लाखा का नाम क्यो ले रही है,
किचन में काम करते रामू को भी जैसे शोक लग गया सोनल की बात सुनकर, अभी तक जिसे वो मा बेटी की नोकझोक समझ रहा था , एक दम से उसने एक अलग ही रूप ले लिया,
आरती एकटक सोनल को ही देख रही थी जैसे जानना चाहती हो कि उसने लाखा का नाम क्यो लिया,
सोनल ने अपनी मम्मी को असमंजस में देख कर बोली, "क्या मम्मी पूरी रात इन बुड्ढे नोकरो के कमरे में न्नगी पड़ी रहोगी तो क्या घर मे किसी को मालूम नही चलेगा, चलो ठीक है चुदाई तो कमरे में करवाती हो फिर न्नगी अपने कमरे में आना, मम्मी मैं रात को सोती हु लेकिन कुंभकर्ण नही हु जोकि तुम्हारी विभत्स चीखे न सुन सकू।"
इतना कह कर सोनल अपने कमरे में घुस गई।

आरती मन मे सोचते हुए फैक्टरी के लिए निकल गयी ऋषि के साथ, वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..सोनल ने उसकी मम्मी की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना आरती अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम सोनल नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शावर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....
उधर आरती का सारा दिन इसी सोच में गुजर गया कि वो सोनल से कैसे बात करे,अगर उसने रवि को बता दिया तो, बस इसी उदेडबुन में शाम को घर आ गयी।
शाम को सोनल फूल रेडी होकर पार्टी के लिए निकली,
आरती डाइनिंग हाल में ही बैठी थी,
सोनल-- जा रही हु मैं मम्मी, और बाहर निकलने लगी।
आरती---सोनल बेटा रुको, जा रही हो तो जल्दी आना बोल देती हूं।
सोनल मुड कर दरवाजे से बाहर निकलते हुए
-- चिल्ल मम्मी, क्यो टेंसन लेती हो मै पार्टी एन्जॉय करती हूं, तुम भी मजे लो अपने बुड्ढे यारो के साथ।
आरती कुछ कहती इससे पहले ही वो निकल जाती है,
आरती बस देखती रह जाती है,
आरती सोचते हुए-- अब इस लड़की से खुलकर बात करनी ही होगी, इसे अगर बताना होता तो बता चुकी होती अपने पापा को, अगर इसे नही बताना तो क्या चाहती है ये, उफ्फ ये लड़की जान लेगी मेरी एक दिन।

आरती डिनर करके अपने रूम चली जाती है, कुछ देर में लाखा जिसको सुबह की बातों का मालूम नही था, धीरे से आरती के रूम में दाखिल होता है, उसकी आहत मिलते ही आरति दरवाजे की तरफ देखती है---
"चले जाओ काका मूड नही है"
लाखा-- बहु मूड तो बना देता हूं अभी।

आरती गुस्से में-- काका निकल जाओ अभी के अभी कमरे से और आइंदा यहा आने की कोसिस भी मत करना,
लाखा एक दम पहली बार आरति को गुस्से में देख कर डर जाता है लेकिन फिर भी वो आगे बढ़ने की कोसिस करता है लेकिन तभी रामु उसको खींच कर बाहर ले जाता है, और छत पर कमरे में जाकर सुबह की सब बात लाखा को बताई। और उसे समझाया कि अपने पर कंट्रोल करने सीखे।
"अगर बहु अपनी मर्जी से सब कर रही है तो जबरदस्ती करने की सोचना भी मत, इस घर मे रहकर रोटी , कपड़ा और चुत तीनो चीज मिल रही है,उसको बेवकूफी की वजह से खोना नही है,"
ऐसे ही दोनो बात करते हुए सो जाते है।
उधर आरति तीन दिनों से अपने बदन की आग में जल रही थी आज वो चाहती तो खुलकर मजा कर साख्ति थी, लेकिन उसने अपना मन मारकर कुछ नही किया और सोचते सोचते नींद की आगोश में चली गयी।

उधर सोनल पब में अपनि फ़्रेंड के साथ ड्रिंक और डांस का मजा ले रही थी। पब में काफी लड़के उनके साथ फ़्लर्ट की कोसिस कर रहे थे लेकिन उन्होंने किसी को भी अपने पास फटकने नही दिया, वैसे सोनल उस दिन
पहली बार जमकर ड्रिंक कर रही थीं। तभी सोनल को जोर से पेशाब की हाजत महसूस हुई, वो लड़खड़ाते हुए टॉयलेट में चली गयी।

सोनल वॉशरूम मे सूसू कर रही थी ..इस के बाद उसने खड़े हो कर अपने कपड़े सही किए और टाय्लेट से बाहर जाने लगी ..उसने देखा गेट अंदर से लॉक था

" अभी 5 मिनट पहले तो मैं यहाँ आई थी फिर ये गेट किसने बंद किया "

उसके मूँह से निकला और वो वापस गेट से अंदर की साइड लौट गयी ..थोड़ा आगे पहुच कर उसने महसूस किया कि वॉश बेसिन के पास कोई है ..वो दीवार के दूसरी तरफ बने टाय्लेट मे एंटर हुई और सामने बनी पट्टी पर वो सीन चल रहा था जिसे देख कर सोनल के होश उड़ गये ..उसके स्कूल की ही 2 लड़कियाँ टाय्लेट मे मौजूद थी ..सोनल ने देखा कि एक लड़की पट्टी पर अपनी टांगे चौड़ा कर बैठी है और दूसरी लड़की का मूँह उसने अपनी टाँगो मे फसा रखा था ..पट्टी पर बैठी लड़की ( जया ) की आँखें बंद और अपने हाथ से दूसरी ( निशा ) के बाल सहलाते हुए तेज़ी से साँसे भी ले रही थी ..सोनल के लिए ये पहला लैस्बियन सेक्स सीन था हालांकि वो मोनिका के साथ पहले लैस्बियन सेक्स कर चुकी थी लेकिन दूसरी लड़कियों को पहली बार करते देख रही थी ..वो हैरान हो कर दोनो की कारिस्तानी पर अपनी नज़रे जमाए खड़ी थी


" निशा मज़ा नही आ रहा ..अंदर तक जीभ डाल ना "

जया ने निशा से कहा और उसकी आँखें खुल कर सामने खड़ी सोनल से जा टकराई ..नज़रें मिलते ही जया ने निशा को अपने से अलग किया और सोनल फटी आँखों से उसकी नंगी चूत को देखने लगी ..स्कर्ट के नीचे जया नेकड़ थी ..निशा को तुरंत समझ नही आया कि मॅटर क्या है और जया ने उसे धक्का क्यों दिया

" चाट तो रही हूँ तेरी चूत को अगर मज़ा नही आ रहा तो साली लंड डलवा ले "

निशा ने नाराज़ हो कर कहा

" न ..निशा सोनल "

जया ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी वापस पहनते हुए कहा और निशा ने पलट कर पीछे देखा तो सोनल डर कर वहाँ से जा रही थी

निशा स्कूल की सबसे दम दार बंदियों मे से थी ..बिना किसी घबराहट के उसने सोनल को आवाज़ दी

" सोनल इधर आ फटाफट "

सोनल के कान मे निशा की आवाज़ पड़ते ही उसकी बढ़ते कदम रुक गये ..उसने पलट कर देखा तो निशा हाथ हिला कर उसे अपने पास बुला रही थी

" द ..द ..दीदी ..वो ..मुझे घर जाना है ..बाहर कोमल वेट कर रही है, देर हो जाएगी "

सोनल सिर्फ़ इतना बोल कर चुप हो गयी

" कोमल को जाने दे ..मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँगी ..अब आ मेरे पास "

निशा ने थोड़ा ऊँची आवाज़ मे कहा और सोनल धीरे - धीरे कदमो से चलती हुई उन दोनो के पास पहुच गयी

" हम जो कर रहे थे तुझे अच्छा लगा देखने मे ? "

निशा ने सोनल से सॉफ लफ़ज़ो मे पूछा

" पता नही दीदी मैं तो पेशाब करने आई थी "

सोनल ने लो वाय्स मे जवाब दिया

" जया ..एक काम करते हैं ..खाली कमरे मे चलते हैं ..टाय्लेट सेफ नही है "

निशा ने जया को आँख मारते हुए कहा ..खेली - खिलाई जया उसके इशारे को समझ मुस्कुरा दी और तीनो लड़कियाँ टाय्लेट से 3 कमरे छ्चोड़ चौथे मे एंटर हो गयी

" गेट लॉक कर दे "
निशा ने सोनल को ऑर्डर दिया और जया के साथ चलती हुई चेयर पर बैठ गयी

" सुन जया ..ये अभी कच्ची कली है ..आज इसकी जवानी का पहला रस पी कर मज़ा आ जाएगा और ये किसी से बोलने लायक भी नही रहेगी ..बस तू मेरा साथ देना "

निशा की बात सुन कर जया ने हां मे अपना सर हिला दिया। उनको ये नही मालूम था कि सोनल अपनी चुदाई करवा चुकी है वो भी अपने ही पापा से। तब तक सोनल भी गेट लॉक कर टेबल की दूसरी तरफ खड़ी हो गयी

निशा :- " देख सोनल तू मुझे दीदी बोलती है ना ? "

सोनल :- " जी दीदी "

निशा :- " लेकिन आज मुझे अपनि टीचर समझ "

सोनल ने सवालिया चेहरे से जया की तरफ नज़रें उठाई जो निशा के ठीक पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी

जया :- " तेरे साथ मैं भी आज निशा की स्टूडेंट हूँ "

जया ने प्लान को आगे बढ़ाया और सोनल को हां करनी पड़ी

निशा :- " पहली बात तो ये जो मैं कहूँगी वो तुम दोनो को करना पड़ेगा और दूसरी ये कि इस बात को तुम दोनो मे से कोई बाहर के आदमी को नही बताएगा "

जया :- " ओके मेडम "

निशा :- " सोनल तू भी नही बताएगी "

तनवी :- " नही बताउन्गि "

" तो फिर क्लास शुरू करते हैं ..सोनल तू इस बेड पर लेट जा "

निशा की बात सुन सोनल की घबराहट बढ़ गयी ..अगर वो निशा से डरती ना होती तो कतई उसके साथ इस खाली कमरे मे नही आती

निशा :- " मैने कहा लेट जा "

निशा ने स्टार्टिंग से सोनल पर अपना दवाब बनाते हुए कहा और चेयर से उठ कर उसे को बेड पर लिटाने मे मदद की

" जया तुझे पता है ना क्या करना है "

निशा की बात सुन जया ने सोनल का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए

सोनल के लिए ये एक नया एहसास था ..जया ने पूरी ताक़त लगा कर उसके होंठो को चूसना स्टार्ट कर दिया ..साथ ही उसने अपनी जीभ भी उसके मूँह मे डालने की कोशिश की लेकिन सोनल ने अपना मूँह नही खोला ना ही जया के होंठो को अपने होंठो का कोई रेस्पॉन्स दिया

पास खड़ी निशा की आँखें ताड़ गयी कि जब तक सेक्स का एहसास सोनल को नही होगा ऐसी हज़ार किस्सस उसके लिए बेकार हैं ..उसने प्लान मे से किस सीन को हटाया और जया के पास जा कर उसकी स्कर्ट उतार दी ..वहीं जया ने किस के साथ सोनल के बूब्स को भी ज़ोरो से मसला ताकि वो थोड़ी तो गरम हो सके ..लेकिन सब बेकार गया सोनल अभी भी किसी लाश की तरह बेड पर लेटी थी

" छोड़ो एक दूसरे को और अपने कपड़े उतार दो "

निशा ने उनका किस तूडवाया और खुद बेड पर बैठ गयी ..जया के हाथ अब अपनी टीशर्ट को खोल रहे थे लेकिन सोनल मूक खड़ी निशा को देखे जा रही थी

" ऐसे क्या देख रही है ..जो तेरे पास है वही तो मेरे पास भी है "

निशा ने बेड पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला रखी थी साथ ही पहनी हुई रेड पैंटी को साइड मे खिसका कर चूत का व्यू खोल दिया ..जिसे सोनल बड़े गौर से देखने मे लगी थी, सोनल उनको आभास नही होने देना चाहती थी कि उनको मालूम चले कि वो पहले से सेक्स कर रही है।

" कुछ नही दीदी "

सोनल ने शरमा कर जवाब दिया उसे लगा निशा ने उसकी चोरी पकड़ ली है

" जानती है इसे क्या कहते हैं ? "

निशा ने अपनी दो उंगलियों से चूत की फांको को स्प्रेड किया

" पुसी "

सोनल ने अपने मूँह पर हाथ रख स्लो वाय्स मे उसे जवाब दिया

" हां वो तो हर पढ़ने वाली लड़की को पता होता है ..पर लड़के इसे आम भाषा मे चूऊऊओत कहते हैं "

निशा ने चूत वर्ड को लंबा खीच कर कहा और सोनल ने हां मे अपना सर हिला दिया

निशा :- " क्या कहते हैं इसे ? "

सोनल :- " चूऊऊओट "

सोनल ने भी उसकी तरह वर्ड को खीचा तो जया और निशा ज़ोर से हस दी

" चूऊऊथ नही चूत "

जया ने उसे समझाया कि वर्ड छ्होटा है और इस बार सोनल के चेहरे पर भी हसी आ गयी

निशा :- " चल फटा फट अपने कपड़े उतार "

और सोनल ने इस बार उसकी बात को मान कर अपनी स्कर्ट ढीली कर दी

थोड़ी देर बाद तीनो लड़कियाँ सिर्फ़ लेगैंग्स मे आ गयी ..निशा के इशारे पर जया सोनल को थामे बेड पर बैठी थी और अगले ही पल कमरे मे बहुत ही हॉट अट्मॉस्फियर क्रियेट हो गया

निशा ने सोनल की दोनो टाँगो को अपने कंधे के पार निकाला और बिना किसी देरी के चेहरा आगे लाते हुए जीब से चूत को चाट कर गीला करने लगी

टाय्लेट मे जया और निशा के बीच जो भी कुछ चला उसे देख कर सोनल कन्फर्म थी कि अब उसके साथ भी वैसा ही कुछ होगा लेकिन ऐसा सुखद एहसास उसकी कल्पना से परे था ..मोनिका की चटाई ने भी ये मजा नही आया था उसे। अपनी चूत जिसे उसने अब तक सिर्फ़ मूतने, एक बार पापा के साथ या मोनिका के लिए यूज़ किया था उस पर निशा की गीली ज़ुबान टच होते ही सोनल के दिमाग़ की बत्ती जली और वो बुरी तरह से अपने हाथ पैर फटकारने लगी

" आहह..... ..द ..दीदी ..गुदगुदी हो रही है "

सोनल के मूँह से कप - कपाते बोल फूटे ..जया ने बड़ी मजबूती से उसके हाथो को अपने क़ब्ज़े मे किया हुआ था और टांगे चौड़ाने मे निशा ने सोनल पर कोई रेहेम नही बक्शा ..उसकी चूत का इतना खुला व्यू देख निशा की जीब अपने आप ही उसकी फांको पर मचलने लगी

" अच्छा लगा सोनल ? "

निशा ने आँखें मूंद रखी सोनल से लास्ट बार सवाल किया और जवाब सुने बगैर ही फांको के अंदर तक अपने जीब को घुसा दिया ..एक उंगली से वो गांड के छेद और चूत के मिड्ल हिस्से को खुज़ला रही थी

" आईईईईईईईई...... "

सोनल उस खुजली को महसूस कर सिहर उठी और दूसरी तरफ जया के हाथ उसके कोमल चुचियों को मसलने मे बिज़ी हो गये ..सोनल अब मस्त थी

निशा ने अपनी उंगली का प्रेशर उसके भग्नासे पर डाला और हल्के दांतो के स्पर्श से उसे काटने लगी

" डीडीिईईईईईई........ "

सोनल का रोम - रोम खिल उठा ..ऐसा मीठा दर्द तो हर लड़की को असीम आनंद की प्राप्ति कर देता है फिर सोनल उससे कब तक अछूति रहती ..उसने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए निशा के सर पर दवाब डाला

" लव मी...... "

सोनल ने चिल्लाया और निशा ने रस से सराबोर चूत पर अपने होंठ और तेज़ी से कस दिए ..जब भी वो चूत के रस को अपने गले से नीचे उतारती उसमे पुरज़ोर ताक़त का इस्तेमाल होता

" खा जाओ इसे..... "

इतना बोल कर सोनल का बदन अकड़ गया ..उसकी टांगे सुन्न हो गयी ..एक्सपीरियेन्स्ड निशा समझ गयी लड़की का काम होने वाला है और अगले ही पल उसने सोनल को करवट दिला दिया

" कंट्रोल सोनल.. ..अभी तो शुरूवात है "
निशा ने हँस कर चूत से अपना चेहरा हटाते हुए कहा ..जब स्त्री चर्म - सीमा पर हो और किसी तरह से उसका फॉल रुकवा दिया जाए तो वो रहम की भीख माँगने पर उतारू हो जाती है ..यही हाल सोनल का हुआ ..अपने आप ही उसके हाथ निशा के सर को वापस अपनी चूत पर दबाने लगे

" दीदी प्लीज़ रूको नही "

सोनल ने तड़प्ते हुए चिल्लाया

" मेरी गुड़िया रानी ..सबर कर सबर "

निशा ने उसकी तड़प को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी गरम साँसें गांड के मुलायम छेद पर छोड़ दी

" दीदी यहाँ नही ..डर्टी है "

सोनल ने अपना आस - होल सिकोडते हुए कहा

" कुछ डर्टी नही मेरी जान ..चल ढीला छोड़ खुद को "

निशा ने करवट ली सोनल के चूतडो की दरार को खोला और अगले ही पल उसकी जीब की थिकरण गांड के मुलायन छेद पर अपना कहर बरपा रही थी

" आईईईईईई मम्मी "

सोनल ने बेड पर उठ कर बैठना चाहा लेकिन जया ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया

" फॅक्त....... "
Reply
08-27-2019, 01:35 PM,
#66
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
निशा की उंगली ने चूत मे प्रवेश कर लिया और साथ ही गान्ड के छेद से वो सोनल की जान को अपने अंदर क़ैद कर रही थी ..चूत का मूँह एक बार की चुदाई से सिर्फ़ इतना खुला कि जिसमे उंगली घुमा कर निशा उसके अंदर छेड छेड़ सके

" हमम्म्ममम......... "

उंगली के अंदर बाहर होने से सोनल अपना सर पागलो की तरह बेड पर पटक देती और गांड हवा मे लहराते हुए काँप जाती ..निशा ने जया को इशारे से उसे छोड़ने को कहा और अगले पल जया टेबल से नीचे उतर गयी

" स्वीटी अब लास्ट राउंड है ..तू टेन्षन ना ले ..सब चंगा होगा "

निशा ने बेड पर चढ़ते हुए सोनल के घुटने मोड़ दिए जिससे उसका निचला यौवन खुल कर बाहर आ गया ..एक नज़र जया के चेहरे को देखा जो नीचे बैठ कर चूत पर अपनी लार गिराए जा रही थी ..दोनो मुस्कुराइ और फाइनल राउंड स्टार्ट कर दिया

चूत और आस - होल पर एक साथ झपट्टा मार दोनो लड़कियों ने सोनल को रुला दिया ..जहाँ निशा बेड पर बैठी उसके आस - होल को बेरहमी से चाट रही थी वहीं नीचे बैठी जया चूत चाट ते हुए अपनी एक उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करने मे लगी थी

सोनल इस दोहरे मज़े से अपने बाल नोचते हुए आँसू बहाने लगी ..उसके चेहरे पर खून का उबाल था और चीखों मे इतनी ताक़त की अगर कमरे के बाहर से कोई भी गुज़रता तो रेप होना समझ कर सिहर जाता ..सोनल ने 2 - 4 मुक्के बेड पर जड़ते हुए आह ली ..टाइम था उसकी लाइफ के पहले इतने जबरदस्त ऑर्गॅज़म का जोकि उसके पापा की चुदाई में भी नही हुआ था ..शरीर की ऐंठन उसके बस से बाहर हो गयी

" दिदीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......मै गईईईईककक........ "

सोनल ने इस बार प्रेयर की कोई रुकावट बीच मे ना आए और अपना कंट्रोल पूरी तरह से खोते हुए झड़ने लगी ..जया किसी बिल्ली की तरह चूत से चिपकी थी ..फव्वारे पर फवारे छूटे ..उसने अपने होंठो को खोलते हुए 3" की पूरी चूत अपने मूँह मे समा लिया ..निशा ने गांद के छेद को तुरंत ही छोड़ा और जया के पास फ्लोर पर बैठ गयी

" कमीनी रस को अकेले मत पी जाना ..मैं भी हूँ "

निशा ने हँसते हुए जया का सर चूत पर दबाते हुए कहा

सब कुछ भूल कर सोनल ने आनंद के सागर मे गोते लगाते हुए चूत रस की आख़िरी बूँद को भी जया मे मूँह मे छोड़ दिया

जब सोनल की साँसे थोड़ी नॉर्मल हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर चूत पर हाथ फेरा ..पूरी चूत रस से सराबोर थी ..एक सुखद एहसास पाने से उसका रोम - रोम पुलकित था ..उसे होश आया कि उसके साथ निशा और जया भी कमरे मे हैं तो वो उठ कर बेड पर बैठ गयी ..नज़र फ्लोर पर बैठी उन दोनो छिनालो पर डाली जो उसकी जवानी का पानी एक दूसरे को चूमने के ज़रिए गले से नीचे उतार रही थी, सोनल अनजान बनते हुए

" छ्ह्हीईईइ दीदी मेरा सूसू पी लिया "

सोनल की आवाज़ से दोनो की किस टूट गयी ..निशा ने हाथ के इशारे से सोनल को अपने पास बुलाया

" ये ले तू भी चख ले तेरी जवानी ..मेरी जान यही तो सेक्स है "

सोनल के लाख मना करने पर भी निशा ने उसे नही छोड़ा और 10 - 15 सेकण्ड तक अपनी जीभ से उसके पूरे मूँह का टेस्ट बदल दिया

" अब जल्दी करो हम काफ़ी लेट हो गये हैं और सोनल अगर तुझे सेक्स के बारे मे ज़्यादा जान ना है तो ये ले डीवीडी ..रात मे जब घर के सारे मेंबर सो जाएँ तब देखना "

जया ने सारे कपड़ो को इकट्ठा कर कहा और तीनो निशा की कार से अपने - अपने घर की तरफ चल दी।
सोनल लड़खड़ाते हुए घर पहुची, घर मे बिलकुल सन्नाटा था, वो अपने रूम में गयी और अपने कपड़े निकाल कर बेड पर लुढ़क गयी । कुछ देर उसने बैठकर अपने लैपटॉप पर जया की दी हुई डीवीडी देखी और फिर सो गई।
सुबह आरती की आंख खुलती है, वो फ्रेश होकर नीचे आती है और रामु काका को चाय के लिए बोलती है, कुछ देर में रामु काका चाय बनाकर लाते है। आरती तब तक सोनल के कमरे में जाकर देख आती है कि वो सो रही है, आरती कुछ सोचती है और दो कप में चाय डाल कर सोनल के कमरे की तरफ चल पड़ती है।
सोनल अपनी आदत अनुसार अभी गहरी नींद मे थी ..कल रात जो कुछ भी उसने किया था ..शायद उसी का सपना उसकी नींद मे चल रहा था ..रह - रह कर कुछ ना कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी
दो कप ले कर आरती सोनल के रूम की तरफ बढ़ रही थी ..जानती थी गेट अनलॉक है ..हलका ज़ोर लगाते ही दरवाज़ा पूरा खुल गया और आरती उसके बेड के सिराहने पहुच गयी

" मैं सोनल की वजह से इतने परेशान हू और ये यहा घोड़े बेच कर सो रही है ..इसी से पूछना पड़ेगा कि कल जब पब में गयी तो जल्दी आने की बात हुई थी तब ऐसी क्या बात हुई जो सोनल कल रात भर गायब रही और अभी भी उठी नही है "

इतना सोच कर उसने दोनो कप बेड के स्टॅंड पर रख दिए और सोनल को नींद से जगाने लगी

" उठ सोनल ..देख कितनी सुबह हो गयी है "

आरती ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर कहा ..सोनल ने उसे कोई जवाब नही दिया और कुछ बड़बड़ाती हुई करवट से सीधे पीठ के बल लेट गयी

" उठ जा राक्षस ..इस लड़की ने तो नाक मे दम कर रखा है "

आरती ने उसके बड़बड़ाने पर तो कोई गौर नही किया ..लेकिन उसके रूम की हालत देख उसे बहुत गुस्सा आया ..जगह - जगह फैले कपड़े ..कपड़े भी ऐसे जिसे देख कर तो रवि कतई उसके रूम मे नही घुसते ..बेड के बगल की स्टडी टेबल पर रखा लॅपटॉप चालू हालत मे था और स्क्रीन पर फ़ेसबुक का लोगिन पेज दिखाई दे रहा था

अचानक से सोनल की बॉडी मे हलचल हुई और उसकी एक टाँग जाँघ तक चादर से बाहर निकल आई ..आरती की नज़रें उसकी नंगी टाँग पर गयी तो उसे कल की अपेक्षा आज कुछ बदलाव नज़र आया

कल जब सोनल ने क्रॉच लेस पैंटी के ज़रिए आरती को परेशान किया था तब उसकी टाँगो पर हल्के - हल्के बाल थे ..लेकिन आज पूरी जाँघ एक दम चिकनी दिख रही थी और स्वतः ही आरती का हाथ उसकी जाँघ पर घूमने लगा ..आज पहली बार वो उसकी जाँघ को इतने गौर से देख रही थी

" कितना माँस भरा हुआ है इस लड़की मे ..उमर मे मोनिका से छोटी है लेकिन इस भराव के चलते उससे बड़ी ही दिखाई देती है "

इतना कह कर आरती के हाथ उसकी सुडोल जाँघ को सहलाने लगे ..ये आरती का अपनी बेटी के लिए प्यार था या जलन ..या शायद आज कयि सालो बाद आरती को इस नज़ारे से बड़ी बेचेनी हो रही थी

" हां हां चूसो ..ऐसे ही अंदर तक चाटो ..प्लीज़ "

सपने मे अपनी जाँघ पर रेंगते हाथ महसूस कर सोनल के मूँह से काँपते हुए शब्द निकले ..आरती ने उन शब्दो को सुनते ही अपना हाथ जाँघ से हटा लिया और उसके सोते चेहरे को देखने लगी

सोनल कल रात को पूरा मेकअप कर के गयी थी ..मास्कारा से उसकी पॅल्को पर नीले रंग के शेड्स ..गालो पर लस्टर जो बड़ा ही शाइन कर रहा था और होंठो पर इतनी लालामी जिसे देख आरती की आँखें उसके चेहरे की खूबसूरती मे लगभग खो सी गयी

" उउउम्म्म्ममम ..खा जाओ इसे "

सोनल के मूँह से एक हिचकी निकली और उसने अपनी टाँगो को काफ़ी स्प्रेड कर लिया ..शायद सपने मे सहेलियों की जगह अब रवि ने ले ली थी

जब कोई ताज़ी घटना वो भी ऐसी जिसे आपने पहली बार महसूस किया हो ..श्योर है कि वो कयि दिन तक आपके जेहेन मे घूमती रहती है ..यही इस वक़्त सोनल के साथ हो रहा था ..उस दिन जो पल उसने अपने पापा के साथ बिताए थे वो पल सोनल शायद लाइफ टाइम नही भूल पाती ..एक बाप के सामने उसकी बेटी का बे परदा होना और उत्तेजना मे बाप द्वारा उसके कोमल अंतरंग अंगो को चूमना ..उनसे छेड़ छाड़ करना ..यहाँ तक की रवि ने सोनल की चूत और आस होल को अपनी जीभ से चाटा भी था ..ख़ास कर कल जो बात पार्टी के दरमिया हो रही थी इस वक़्त सोनल उसे अपने ख्वाब मे पूरा करने को मचल रही थी

आरती उसके मूँह से निकली हिचकी सुन घबरा गयी और जब तक वो कुछ और सोच पाती सोनल ने हाथ के ज़ोर से अपने शरीर पर पड़ी चादर को अलग कर दिया

आरती के नज़रिए से ये तो तय था कि चादर के नीचे उसकी बेटी ने कुछ नही पहना होगा लेकिन जिस बात ने उसके दिमाग़ मे घर किया वो थी उसकी बेटी का बुरी तरह से मचलना और ऐसे उत्तेजक शब्दो से बड़बड़ाना

सोनल की चूचियाँ इस वक़्त ब्रा मे क़ैद थी लेकिन उस ब्रा के अलावा उसने कुछ और नही पहना था ..जाने क्यों आरती की नज़र उसके चेहरे से होती हुई उसकी चूत पर आ कर ठहर गयी ..वैसे तो उसकी बेटी ने कयि बार अपनी चूत का दीदार बड़ी बेशर्मी से उसे करवाया था लेकिन आज सोनल ने नींद मे जो व्यू अपनी चूत का दिया वो देख कर आरती सकपका गयी ..कल रात हेर रिमूवर का यूज़ सोनल ने अपनी पूरी निच्छली बॉडी पर किया ..तभी आज वो नीचे से एक दम चिकनी नज़र आ रही थी

" आआईयईईईईईईईईई .मर गईईईईककक
सोनल फिर बड़बड़ाई और इस बार उसने अपने हाथ से चूत को मसल कर रख दिया ..हाथ मे आए उसके चूत रस को देख कर आरती को चक्कर आने लगे

" हे भगवान ..ये तो सपने मे ..छ्ह्हीईईई "

आरती ने तेज़ी दिखा कर उसका हाथ चूत से हटाया लेकिन सोनल ने अगले ही पल वापस उसे वहीं रख लिया इसी तरह 2 - 3 बार और हुआ तो आरती के दिमाग़ की बत्ती जली

" कहीं ये मेरे साथ नाटक तो नही कर रही "

अक्सर सोनल के नेचर से आरती को यही शक़ होता कि वो नाटक कर रही होगी और तभी उससे जल्दी पीछा छुड़ाने के लिए आरती उसकी बात को मान जाती थी।

" हाथ हटा सोनल ..नही तो एक जड़ दूँगी "

आरती ने सोचा कि उसकी बात सुन कर सोनल अपनी आँखें खोल देगी और ये नाटक भी ख़तम हो जाएगा ..लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी बेटी ने तो अपने सपने मे चुदना भी शुरू कर दिया ..वो भी अपने पापा से

" नही मानेगी तू "

जब कयि बार उसका हाथ हटाने पर भी सोनल ने वही क्रिया दोहराई तो आरती ने सख्ती से उसका एक हाथ चूत से हटा कर अपने पैर के नीचे दबा लिया लेकिन इसका ये नतीज़ा हुया कि सोनल ने अपने दूसरे हाथ से आरती का हाथ पकड़ कर अपनी रस छोड़ती गरम चूत रख दिया

" उफफफफफ्फ़........ "

दोनो मा बेटी के मूँह से एक साथ सिसकी निकल गयी ..वाकई चूत इस वक़्त लावा उगल रही थी ..आरती ने तुरंत ही अपना हाथ चूत से हाटना चाहा लेकिन अब उसका ध्यान किसी और बात पर लग चुका था

" ये सपने मे ही है ..तभी इतनी गीली हो ....... "

आरती ने पूरी बात सोच भी नही पाई कि सोनल का बदन अकड़ गया ..उसने अपने दूसरे हाथ को ब्रा के अंदर डाला और बेतहासा अपना बूब भीचने लगी ..साथ ही पूरी ताक़त से आरती के पैर के नीचे दबा हाथ खीचना शुरू कर दिया

" हाए मेरी बच्ची "

आरती जान गयी कि सोनल का ऑर्गॅज़म नज़दीक है ..पैर के नीचे दबा सोनल का हाथ आज़ादी चाहने लगा ..लेकिन आरती ने अभी भी उसे अपनी गिरफ़्त मे रखा हुआ था ..जब सोनल झड़ने के बिल्कुल नज़दीक पहुचि और मन मुताबिक अपना हाथ आरती से नही छुड़ा पाई तो सहसा उसके मूँह से एक शब्द फूटा

" mummyyyyyममम्ममममम....... "

ये जग वीदित है कि जब कोई बच्चा किसी मुसीबत मे फँसता है तो उसकी ज़ुबान पर मदद के लिए सिर्फ़ एक ही नाम आता है " मा "

यहाँ सोनल ने जिस तरह से अपनी मा को मदद की गुहार लगाई .आरती का दिल उसकी तकलीफ़ से पसीजने लगा और उसके दिल ने सच का साथ दिया

" वैसे तो ये सरासर ग़लत है ..एक मा हो कर मुझे ऐसा नही करना चाहिए ..लेकिन अगर इस वक़्त इसका झड़ना ज़बरदस्ती रोका गया तो शायद बाद मे अंजाम बहुत ही घातक हो सकता है "

अपने मन मे ऐसा विचार कर उसने तुरंत ही अपने हाथ की पकड़ चूत पर कस दी ..सोनल को तो जैसे जन्नत का नज़ारा दिखाई देने लगा ..उसने अपने चूतडो को हवा मे उछाला और अगले ही पल एक चीख के साथ उसका ऑर्गॅज़म होने लगा

" आहह......... "

सोनल के चीखने पर आरती तेज़ी से अपने हाथ को चूत के दाने पर रगड़ने लगी ..ना जाने उसका दिल इतना क्यों बैठ गया कि उसकी आँखों से आँसुओ की बरसात शुरू हो गयी

" आजा आराम से ..तेरी मम्मी है तेरे पास "

अपने आँसुओ की परवाह ना करते हुए आरती अपनी बेटी को झड्वाये जा रही थी ..एक के बाद एक ..7 - 8 बार सोनल के जिस्म ने लावा बाहर फेका ..आरती का हाथ उस लावे की गर्मी को महसूस कर जल रहा था लेकिन एक पल को भी उसने अपना हाथ चूत से हटाने की कोशिश नही की ना ही हाथ को ढीला छोड़ा

कुछ वक़्त बीतने पर सोनल का बदन शांत पड़ गया ..आरती ने अपना हाथ चूत से हटाया जो उसकी बेटी की जवानी से भरा हुआ था ..वो हैरान थी कि सोनल ने इतना हेवी फॉल क्यों किया ..जाने कब से उसकी बेटी अपने सैलाब को अपने जिस्म मे समेटे हुए थी ..चूत रस से फैली खुश्बू पूरे कमरे को महकाने लगी ..आरती ने देखा रस सोनल की चूत से बहता हुआ उसकी गांड के छेद को पार कर ..बेड शीट को भी भिगो रहा था

" सुधर जा सोनल ..वरना एक दिन तुझे खुद पर बहुत पछ्तावा होगा, मेरी नकल मत कर बेटी, मैं बर्बाद हो चुकी हूं तुम मत होना "

आरती ने उसके सोते चेहरे को देख कर एक डाँट लगाई और अपनी साड़ी के आँचल से चूत को सॉफ करने लगी ..उसकी टाँगे फैला कर आरती ने ass होल और जाँघो पर से भी सारा पानी पोंछ दिया

" जब तू उठेगी तब मैं तुझसे बात करूँगी "

इतना कह कर आरती ने उसके माथे को चूमा और बेड से नीचे उतरने लगी ..अपने कदम ज़मीन पर रखते ही उसे एक और झटका लगा ..कमरे का पूरा गेट खुला हुआ था ..वो तेज़ी से दौड़ कर बाहर आई और हॉल मे झाक कर रामु काका को देखने लगी ..लेकिन रामु काका वहाँ नही दिखाई दिया

पलट कर आरती ने सोनल के रूम का गेट बाहर से लॉक कर दिया और शंकित मन से किचन की तरफ जाने लगी

किचन के अंदर झाका तो रामु अपने सर पर हाथ रखे कुछ सोचने की मुद्रा मे नीचे फर्श पर बैठा था ..आरती की साँसे रुक गयी

" इसका मतलब इसने ...... "

मूँह से निकले आधूरे वाक्य को उसने कयि बार अपने मन मे दोहराया ..बात ही कुछ ऐसी थी ..घर की बनावट के अनुसार अगर रामु काका ड्राइंगरूम से इस तरफ देखे तो उसे कमरे में अंदर तक दिखाई देगा। आरती का पूरा बदन इस बात से दरवाज़े की ओट लिए जम गया ..अब वो क्या जवाब देगी अपने आशिक रामु काका को ..एक तो रामू पहले से ही परेशान था सोनल को लेकर और तो और एक मा को अपनी बेटी के नंगे बदन से खेलते भी देख चुका था ..जाने वो क्या सोच रहा होगा आरती के बारे मे

" ज़रूर ये सोच रहा होंगा कि मैं अपनी सेक्स की भूख अपनी बेटी के साथ मिटाती हूँ ..नही नही मैने ऐसा कुछ नही किया ..हे भगवान ये कहाँ फसा दिया मुझे ..क्या जवाब दूँगी "

आरती इसी कशमकश मे थी कि उसके दिमाग़ ने कुछ सोचा और अगले ही पल अपनी उखड़ी सांसो को संभालते हुए वो किचन मे एंटर हो गयी

"काका हॉल से किचन मे कब आए ? "

आरती ने कहा ..साथ ही तेज़ी दिखाते हुए अपनी सारी का पल्लू ज़मीन पर गिरा दिया

" अभी थोड़ी देर पहले ही आया हूँ "

बात सच थी कि जब रामु टेबल साफ करते हुए किचन की तरफ आ रहा था तब उसने सोनल के कमरे मे चल रही सारी घटना देखी और जब आरती अपने पल्लू से सोनल के चूत रस को सॉफ कर रही थी तब रामु किचन मे आ गया।

इस समय आरती और रामु काका दोनो घबराए हुए थे लेकिन वक़्त की नज़ाकत के चलते चेहरे पर कोई भाव नही आने दिया

" आज गर्मी कितनी है "

ये बोल कर आरती ने अपनी साड़ी को उतार फेका ..साड़ी उतारते वक़्त उसने जो अदायें रामु को दिखाई उससे रामु काका तुरंत समझ गया कि या तो आरती गरम हो गयी है या उसे पता चल गया है कि उसने कमरे मे चलता सारा घटना क्रम देखा था और शायद तभी वो अपनी अदाओ से इस बात पर परदा डालना चाहती है

" यहा तो सब खुला है ..फिर भी गर्मी लग रही है "

रामु ने आरती की बात का जवाब दिया और खड़ा हो गया ..उसने बरत्न वाश करने शुरू कर दिए

" हां खुला है लेकिन आप नही समझोगे "

इतना बोल कर आरती अपनी गांड मटकाती हुई रामु काका के नज़दीक आई और बेसिन पर उसके बगल मे बैठ गयी

" क्या बात है आज बड़ी खुश हो बहु ? "

रामू काका ने उसके चेहरे को देख कर कहा जिसमे उसे उस वक़्त की आरती नज़र आने लगी जब उसने अपने आप पहली बार उससे चुदवाया था ..ये तो मजबूरी थी कि वो अभी तक शांत था।

" आप कितना ख्याल रखते हो घर का लेकिन..... "

लेकिन शब्द पर बात अधूरी छोड़ आरती ने अपना पेटिकोट धीरे - धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..जब वो घुटनो से ऊपर पहुचि तब उसने अपने चेहरे को रामु की तरफ घुमाया ..जानती थी ये रामु के लिए किसी झटके से कम नही होगा, आज पहली बार सुबह सुबह .. पूरे 3-4 दिन बाद दोनो इस तरह से आमने सामने थे

वैसे तो आरती ने चुदाई मे रामु काका का साथ हमेशा दिया ..जब भी दोनो सेक्स करने के लिए तैयार होते ..आरती हमेशा अपनी चूत खोल कर लेट जाती।
लेकिन आज सुबह सुबह इतनी खुलेआम जो आरति किचन में कर रही थी उझसे रामू उलझन में था।


" कहाँ खो गये ? "

आरती ने रामु काका को किसी सोच मे डूबा देख पूछा

" नही कुछ नही "

रामु ने उसे जवाब दिया और तभी किचन के गेट पर किसी ने नॉक किया

" मम्मी आज सुबह सुबह आग लगी है क्या, जो ऐसे एक क्या कहु अब मम्मी आपसे कहना ही बेकार है, एक बाजारू से बदतर हो गयी है, आप अब दिन में भी ऐसे नॉकर के साथ "

आवाज़ सोनल की थी जिसे सुन कर दोनो चौंकते हुए खड़े रह गये ..आरती ने तुरंत दौड़ लगाई और अपनी साड़ी को वापस पहेन ने लगी

" सोनल बात सुन मेरी बेटा "

घबराने मे आरती ना तो ठीक से साड़ी लपेट पाई ना ही अपनी चढ़ती सांसो को कंट्रोल ..उसके चेहरे पर शरम के भाव थे

गेट पर गुस्से में सोनल अपना टवल लिए बाहर खडी थी ..अपनी मा का ये रूप देख वो एक पल मे समझ गयी कि उसके आने से पहले किचन मे क्या चल रहा होगा

सोनल पलट कर वहाँ से जाने लगी ..शायद बीच मे आ कर उसने दोनो का गेम बिगाड़ दिया था और फिर आरती को भी समझते देर नही लगी कि सोनल क्यों वापस जा रही है?
" मेरी किस्मत ही खराब है कहा इससे समझने की सोच रही थी, कहा फिर से इसने मुझे पकड़ लिया और ये चाहती क्या है खुल कर बताती भी नही है "

मन मे ऐसा सोचते हुए आरती भी अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी। आज आरती का मूड फैक्टरी जाने का नही कर रहा था वो अपने रूम में जाकर बेड पर लेट कर सोचने लगी कि क्या करे।

खुद वो अपने को रोक नही पा रही थी कामाग्नि से, और उसकी बेटी बार बार उसको पकड़ कर नीचा दिखा रही थी। आरती को कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे।
सोचते सोचते आरती की आंख लग गयी, दो घण्टे बाद उसकी आंख खुलती है तो वो उठकर फ्रेश होकर नीचे जाती है, नीचे उसे कही भी रामू काका नजर नही आया। आरती किचन मे देखती है और फिर डाइनिग रूम में बैठ कर कुछ सोचने लगती है, तभी उसे सोनल के रूम से कुछ आवाज आती है,
"ये लड़की आज स्कूल नही गयी, और ये आवाजे"

आरती मन मे बड़बड़ाते हुए उठती है और सोनल के रूम की तरफ जाती, जैसे जैसे आरती रूम की तरफ जाती है आवाजे बढ़ती जाती है, आरती जैसी एक्सपीरियंस औरत के लिए ये समझ आने में मुश्किल नही हुई कि ये कैसी आवाजे है,

कमरे से सोनल के सिसकिया की आवाजें आ रही थी, आरती ने हल्के से सोनल के कमरे को नोब गुमायी तो दरवाजा धीरे से खुल गया, अंदर का नजारा देखते ही आरती की आंखे फटी रह गयी,
अंदर सोनल घोड़ी बनी हुई थी, और पीछे से एक लड़का अपना लण्ड गुसाये उसकी चुदाई कर रहा था

“आहऽऽऽ… ओह… आहऽऽऽ… फक…फक मी हार्ड बेबी… डीप… डीप और अंदर… आहऽऽऽ” हर धक्के के साथ सोनल की सिसकारियाँ बढ़ रही थी।
सोनल के मुँह से निकलती हुई कामुक सिसकारियाँ सुनकर लड़के ने अपने धक्के और तेज कर दिए, उसके हर धक्के से सोनल की चुचिया ज़ोरों से हिलने लगे। सोनल के हिलते हुए चूची को अपने हाथों में पकड़कर वह सोनल की चुत में सटासट लंड के वार करने लगा। उन दोनों की मादक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थी, चुत लंड की आवाजें भी उनमें घुल मिल रही थी।

पिछले दस मिनट से वह सोनल को ऐसे ही चोद रहा था,और आरती सांस रोके ये सब देख रही थी,

फिर सोनल सीधे पीठ के बल लेट गयी और लड़के को उप्पेर लेकर उसका लण्ड फिर से चुत में डलवा लिया, और लड़के ने फिर से सोनल की दमदार चुदाई शुरू कर दी।
आरती अभी भी सोक में खड़ी थी उसने सपने में भी नही सोचा था कि सोनल ये कर सकति है,

सोनल अब अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी, सोनल लड़के की पीठ को सहलाते हुए नीचे से कमर को हिलाते हुए लड़के का पूरा लंड चुत में ले रही थी। लड़के के मुख को देखते देखते अचानक सोनल की नजर दरवाजे पर पड़ी… दरवाजे पर आरती खड़ी थी।
वो कब आयी … सोनल को पता ही नहीं चला, सोनल को उस अवस्था में देख कर ग़ुस्से से आरती का चेहरा लाल हो गया था। सोनल ने आरती को देखते हुए दो तीन नीचे से जबरदस्त दकके लगाए और फ़ारिग़ हो गयी। सोनल ने लड़के को धक्का देकर अपने ऊपर से हटाया फिर चादर को अपने बदन पर लपेटकर सीधा बाथरूम में घुस गई।

सोनल जाकर कमोड पर बैठ गयी, तभी बाहर से उसको आरती की आवाज आई, आरती उस लड़के … सोनल के बोयफ़्रेंड को बहुत अपमानित कर रही थी। फिर उसके गाल पर दो चमाट मार कर उसको घर से बाहर निकाल दिया।

थोड़ी देर बाद रामु काका के बोलने की आवाज कानों में पड़ी, वो आरती को समझा रहे थे पर आरती उन पर ही चिल्ला रही थी।

थोड़ी देर बाद उनकी आवाजें बंद हो गयी तो सोनल बाथरूम में रखी ड्रेस को पहनकर बाहर आ गयी।

बाहर दोनों ही नहीं थे, शायद डाइनिंग हॉल में गए होंगे, इसलिए सोनल बेड पर बैठ गई। कुछ ही देर पहले इसी बेड पर उसका बॉयफ्रेंड उसे चोद रहा था और अब उसी बेड पर किसी रानी की तरह बैठी थी। हमेशा घर मे रंदीपना करने वाली आरती ने उसे उस अवस्था में देख लिया।

कुछ देर सोनल वैसे ही रूम में बैठी रही फिर थोड़ी देर बाद तैयार होकर बाहर जाने लगी।
आरती बाहर ही हाल में बैठी थी।

“किधर जा रही हो?” आरती ने सोनल से पूछा।

“तुमको क्या करना है?” सोनल ने आरती को आँखें दिखाते हुए कार की चाबी लेने लगी।

‘चटाक… चटाक…’ सोनल का जवाब सुनते ही आरती ने उसके दोनों गालों पर ज़ोरों से दो चांटे जड़ दिए।

“चाबी रखो नीचे और बैठो यहाँ!”


आरती की ऊंची आवाज सुनकर सोनल थोड़ा डर गई, चाबी फिर से टेबल पर रख कर सोनल अपने रूम में जाने लगी।
“तुम्हें रूम में जाने को नहीं बोला, यहां बैठो!” आरती के आवाज में गुस्सा साफ साफ झलक रहा था.

सोनल सहम कर वही बैठ गई।


“तुम कुछ बोलते क्यों नहीं सोनल? ये सब क्या था” आरती ने सोनल को बोला।

"कुछ नही मम्मी, ये छोटी छोटी बातें होती रहती है इस घर मे" सोनल बोली

“यह क्या छोटी गलती है… लड़कों को घर में बुलाकर गंदी हरकतें करती है… शर्म नहीं आई तुझे…”

“गंदी हरकत नहीं की… वी आर इन रिलेशनसशिप सिन्स सिक्स मंथ! और जो आप करती है उससे अच्छे ही है” सोनल गाल सहलाते हुए ग़ुस्से से आरती को बोली।

“कल कुछ हो गया तो कहाँ जाओगी… उसने तुम्हारी बदनामी की तो किसको मुँह दिखाओगी? कौन तुमसे शादी करेगा? ---आरती

“दैट्स नन ऑफ यूअर बिज़नेस, मैं मेरा देख लूंगी। तुम खुश रहो अपने यारो के साथ, चाहो तो मैं जाती हूँ दूसरी जगह। वैसे भी पापा ने जो फ्लैट मेरे जन्मदिन पर मेरे नाम किया था, खाली ही पड़ा है, मुझे नहीं रहना आपके साथ!” सोनल उठकर अपने रूम में जाने लगी.

तभी रामु काका ने सोनल का हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया- सोनल बिटिया, अच्छी बच्ची हो ना तुम, ऐसा कोई बोलता है अपनी मम्मा को।

तभी सोनल ने झटके से अपना हाथ छुटवाते हुए " दो कौड़ी के नॉकर तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की, ये मेरा मैटर है, तुम होते कौन हो, तुम्हारे कहने से ये तुम्हारी माशूका चलती होगी इसे समझा कि मेरे बीच मे मत आये वर्ना अच्छा नही होगा"
रामु सोनल की गरजती आवाज सुनते ही सदमे में पहुच गया, आजतक इस घर मे रवि तो क्या रवि के पिताजी ने भी ऐसे बात नही की थी जैसे सोनल ने उसे उसकी ओकात दिखाई है।

सोनल अपने कमरे में चली जाती है, आरती और रामु काका दोनो एक दूसरे का मुह देखते रह जाते है,
आरती--काका क्या करूँ मैं इस लड़की का कुछ समझ नही आ रहा
रामु-- अगर इसने रवि बाबू को बता दिया या ऐसी हरकत उसके सामने कर दी तो क्या करेंगे।
आरती-- वही सोचकर परेशान हु काका, आप कुछ सोचो कुछ करो।
रामू-- क्या सोचु क्या करूँ बहु मेरे कुछ समझ मे नही।
आरती-- आप इसे काबू में नही कर सकते।
रामु-- नही बहु ये लड़की कुछ अलग मिजाज की है, जब ये मुझसे इतनी नफरत करती है तो मुझे अपने पास भी नही आने देगी। कुछ और सोचना होगा।
आरती-- ठीक है सोचो, कुछ समझ आये तो बताना,
औऱ आरती उठकर अपने कमरे में चली जाती है,
Reply
08-27-2019, 01:35 PM,
#67
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
पूरा दिन आरती अपने कमरे में रहती है, शाम को आरती नीचे आकर रामु से डिनर के बारे में पूछती है,
फिर इशारे से सोनल के बारे में पूछती है, रामु उसे हल्की आवाज में बताता है कि कमरे में होगी। आरती वापिश डाइनिग हाल में आती है और सोफे पर बैठ जाती है, कुछ सोच कर सोनल के कमरे की तरफ बढ़ती है,

जैसे जैसे आरती देखने के लिए सोनल के रूम की तरफ जा ही रही थी कि उसे सोनल के रूम से कुछ सिसकियाँ और आहें बाहर आती सुनाई दी ..एक एक्सपीरियेन्स्ड औरत को समझते देर नही लगी की उसकी बेटी के बंद कमरे मे आख़िर चल क्या रहा है ..आरती को लगा कि सोनल ने वापिश उस लड़के को बुला लिया है।
उसने ना चाहते हुए भी डोर के की होल से अंदर झाँका तो उसकी आंखें चोंदिया गयी, अबकी बार

दो लड़कियाँ आपस मे चिपकी एक दूसरे को बुरी तरह से चूम रही थी ..बेड के पास रखे लॅपटॉप पर एक लेज़्बीयन मूवी के चलते सीन को दोनो हक़ीक़त का रूप देने मे व्यस्त थी

इस बात से पूरी तरह अंजान कि कमरे के बाहर खड़ी आरती बड़े आश्चर्य से उनकी करतूत पर नीगाह डाले हुए है ..

आरती ने देखा कि कुछ देर बाद दोनो ने अपने कपड़ो को उतार कर दूर फेक दिया ..दूसरी लड़की का चेहरा देखते ही आरती को झटका लगता है, दूसरी लड़की मोनिका थी रामु काका की लड़की।
अब सोनल मोनिका की गोद मे नंगी बैठी थी और मोनिका उसके बूब्स बड़ी बेरहमी से चूस रही थी

कुछ देर बाद नज़ारा तेज़ी से बदला मोनिका ने सोनल की चूत चाट कर उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया एक हाथ से वो खुद की चूत भी मसल रही थी

दोनो लड़कियों ने जी भर कर एक दूसरे की छेड़ - छाड़ का आनंद लिया और ये देख कर आरती बड़े भारी मन से वापिश डाइनिग हाल मे एंटर हुई लेकिन दिमाग मे उथलपुथल मची हुई थी ..आरती की हरकतों का इतना गहरा असर सोनल पर पड़ेगा। आरती ने इसकी कल्पना तक नही थी ..उसने तुरंत अपने पति को इस घटना से रूबरू करवाना चाहा लेकिन रवि का परेशान होना और उल्टा अगर सोनल का उसका राज का पर्दाफाश होने का ध्यान मे आते ही उसने खुद ही सोनल को इस तरह के अप्रकृतिक और बाहरी सेक्स संबंधो से बाहर लाने का विचार किया ..लेकिन कैसे बस वो इसी सोच मे डूबी थी।

तभी कुछ देर में मोनिका सोनल के रूम से बाहर आती है, जैसे ही आरती को हाल में बैठे देखते ही ठिठक जाती है, फिर नजर चुराते हुए आरती को बोलती है,
नमस्ते मालकिन,
आरती उसे घुर कर खा जाने वाली नजरो से देखती है,
तभी
रामू--- अरे मोनिका यहाँ क्या कर रही है।
मोनिका--- बापू वो सोनल बेबी के सर में दर्द था तो उन्होंने सर मालिश के लिए बुलाया था।
रामु-- अच्छा कब आयी मुझे तो मालूम ही नही चला।
तभी सोनल की आवाज आती है,
" क्या अब मोनिका मेरे बुलाने पर नही आ सकती?
रामु सोनल को देखते ही सहम सा जाता है,
नही बिटिया वो बात नही है।

" मम्मी आज खाना नही मिलेगा क्या ? "

तभी टेबल को पीट-ते हुए सोनल चिल्लायी


" क्यों नही मिलेगा ..तूम बैठो बिटिया "

रामू ने जवाब मे कहा और किचन से आकर सीधे ड्रेसिंग-टेबल के सामने आ कर खड़ा हो गया।

रात का खाना रामु काका ने फटाफट टेबल पर लगाया गया ..आरती भी वही आ गयी, बात का बतंगड़ ना बने इसके चलते उसने जल्दी - जल्दी 2 - 3 रोटियाँ अपनी गले से नीचे उतारी और अपने कमरे मे उठ कर जाने लगी ..ना तो एक नज़र उसने सोनल को देखा था ना रामु काका को

" मम्मी आपने तो कुछ खाया ही नही "

ये आवाज़ निकली सोनल के गले से ..जो सिर्फ़ आरती की जल्दबाज़ी पर गौर फर्मा रही थी
" मैने खा लिया है, कुछ फैक्टरी के पेपर्स रेडी करूँगी "
आरती ने जवाब दिया।

आरती हाल से बाहर जा पाती इससे पहले सोनल फिर से बोल पड़ी

" कल आपको मेरे साथ स्कूल चलना है, पैरेंटस मीटिंग है "

आरती बिना जवाब दिए ऊपर चली गयी अपने कमरे में,
सोनल भी खाना निपटा कर सोने के लिए रूम में चली गयी।

आरती के कमरे मे :-

रात के 3 बज गये, पर आरती सिर्फ़ करवटें बदलती रही ..नींद क्या, इस वक़्त तो उसकी आँखें अंगारों सी लाल थी ..रह - रह कर उसके जहेन मे वही नज़ारा घूम रहा था, जब उसकी ' बदचलन ' बेटी अपने से बड़ी एक नोकर की बेटी की चूत चाटने मे व्यस्त थी ..हलाकी अब भी वो सोनल के लिए अपनी ज़ुबान पर इस तरह का घिनोना शब्द प्रयोग मे नही ला पाती ..लेकिन उसकी सोच तो बार - बार यही कह रही थी .. ' उसकी बेटी लेज़्बीयन बन गयी है '

बरसो बीत गये, सोनल कभी घर से अकेली बाहर नही गयी, जाती भी थी तो अपने पापा या उसको साथ ले कर, यहाँ तक कि हर बार बाहर जाने से पहले उसका तर्क होता ' मुझे भीड़ - भाड़ पसंद नही आप लोग चले जाओ ' ..फिर उस पर ' बदचलन ' होने का आरोप लगाना तो स्वयं ब्रम्‍हा के लिए असंभव था ..आरती की क्या औक़ात

" सोनल पहले ऐसी नही थी ..फिर अब क्यों ? "

बस इसी सवाल पर आ कर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर देता ..बचपन से ले कर आज तक उसे सोनल से कोई शिक़ायत नही रही थी ..लेकिन आज वो चाहति थी, अभी और इसी वक़्त अपनी बेटी के कमरे मे जाए ..और जी भर के उससे लड़े ..अपने सवाल का जवाब पूच्छे .. ' आख़िर क्यों ? "

" रवि की ग़लती भी कम नही ..पैसे कमाने के चक्कर मे उन्होने अपनी बीवी और बच्चो पर कभी ध्यान नही दिया ..मुझे तो लगता है सोनल के इस अन-नॅचुरल बिहेवियर के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार मैं खुद हु और रवि भी "

अकेली सोनल पर उंगली उठाना आरती से नही हो पाया

लेटे लेटे उसे प्यास लगने लगी ..रात के खाने के बाद से उसने एक घूट पानी भी, गले से नीचे नही उतारा था

" आज तो बॉटल भी साथ नही रख पायी "

वो बेड से उठी ..ज़मीन पर पग धरते ही उसके सर मे तीव्र गति से दर्द महसूस होने लगा ..हलाकी दर्द सर मे नही उसके दिल मे है ..बस गेहन चिंतन मे डूबने से उसकी टीस, दिमाग़ की नसो पर वार कर रही थी

जैसे - तैसे वो अपने कमरे से बाहर आयी और नीचे जाकर किचन मे रखे फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर एक बार ही मे अपने प्यासे गले को तर करने लगी ..पानी से पेट भरना कितना मुश्क़िल होता है जब आप के सामने अन्न का अथाह भंडार रखा हो ..लेकिन सुबह सोनल के बदलाव और शाम में फिर सोनल की शर्मनाक हरक़त को देख कर उसने ठीक से खाना तक नही खा पायी थी

वापसी मे उसके मन मे लालसा उठी .. ' क्यों ना रामु काका से बात की जाए, दिन मे वो भी सोनल के कटाक्ष से चोटिल हुये थे ..लेकिन हादसे के बाद से आरती ने अब तक रामु काका से कोई बात नही की थी '

" कम से कम मैने खाने पर तो उससे पूछा होता ? ' "

उसके कदम रामु काका के कमरे की तरफ बढ़ गये ..ऊपर जाकर हल्के ज़ोर से उसने कमरे का दरवाज़ा खोला, जो अक्सर उसे खुला ही मिलता था ..
अंदर का नजारा देखकर उसकी सांसे थम गई '

कमरे की लाइट जलाने के बाद उसने रामु काका के बिस्तर की तरफ अपनी नज़रें घुमाई

" मोनिका !!!! "

उसके मूँह से ये शब्द बाहर आते - आते बचा ..रामु काका को अपनी बाहों मे समेटे न्नगी हालात में मोनिका उसे, रामु काका के साथ बिस्तर पर लेटी दिखाई दी

क्षन्मात्र मे आरति ने लाइट ऑफ कर दी ..और तेज़ी से दरवाज़ अटका कर अपने कमरे मे लौट आयी

उसके दिल मे लगे घाव को इस सीन ने और भी ज़्यादा ज़ख़्मी कर दिया ..वो तो भला हो उसके शांत स्वाभाव और सैयम का जो वो चीखी नही ..नही तो अभी हाल मोनिका को अपने प्यारे रामु काका के बिस्तर से अलग करवा देती

" लेकिन किस हक़ से ..वो बेटी है उसकी "

एक पल को आरती पॉज़िट्व सोचती और दूसरे पल उसकी थिंकिंग नेगेटिव मे बदल जाती

" वो अब बेटी नही रही उसकी ( मोनिका ) ..प्रेमिका बन गयी है। "

सहसा उसकी आँखों की किनोर छल्छला उठी ..इज़्ज़त बनाने मे ता-उमर बीत जाती है, लेकिन गवाने मे पल भर शेष नही लगता ..एक अच्छी ग्रहणी की सारी छवि धूमिल हो कर, मोनिका उसे अपनी सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देने लगी ..जिसकी वजह से उसका जीवन किसी अंधे कुँए मे दफ़न हो कर रह जाता

" भाड़ मे जाए शादी, बेटी .. ..मैं कतयि अपने रामु को दूसरे का होते नही देख सकती "

इसी के साथ ही उसने अपनी आँखों को ज़ोर से भींच लिया और झूट - मूट सोने का नाटक करने लगी ..सोनल से डरने की मेन वजह थी .. ' उसका कॅरक्टर, उसके उसूल, और सबसे बड़ा उसका दिल '

अब खुद सोनल ने ही ये सब शुरू कर दिया तो काहे का डर। अब सोनल को काबू में करना ही होगा।

खुद का साहस बढ़ा कर उसने सोने की कोशिश की और थोड़ी देर बाद इसमे कामयाब भी हो गयी।

सुबह आरती उठती है और फ्रेश होकर डाइनिग टेबल पर जाती है, रामु काका चाय लेकर आते है लेकिन आरती उसे तवज्जो नही देती। कुछ देर में सोनल भी वही आ जाती है, और चाय मंगाती है, दोनो अपनी अपनी सोच में डूबी हुई थी,
सोनल-- मम्मी चल रही हो न स्कूल?
आरती--क्या क्या कहा तुमने।
सोनल-- पूछ रही हु क़ि आज मेरे साथ स्कूल चलोगी क्या?
आरती-- चलना जरूरी है क्या,
सोनल-- जरूरी था इसलिए बोल रही थी, वर्ना---
आरती-- हम्म ठीक है मैं तैयार होकर आती हु,
कुछ देर में आरती तैयार होकर आ जाती है, सोनल भी रेडी थी, दोनो बाहर आती है तो लाखा कार से पास खड़ा होता है, दोनो को देख कर गाड़ी का गेट खोलता है और दोनो को बैठाकर कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता और दोनो कार से स्कूल चली जाती है,

स्कूल में आरती सोनल की टीचर से मिलती है और उनसे बातचीत करके आ जाती है, सोनल वही कंपाउंड में मिलती है, आरती सोनल को चलने का पूछती है तो वो बाद में आने का कहती है, आरती लाखा के साथ निकल आती है वहा से,
दो घण्टे बाद सोनल अपनी दोस्त के साथ उसकी स्कूटी से स्कूल से वापिस आ रहा थी कि उसने रास्ते मे अपनी मम्मी को एक गली मे पैदल जाते हुए देखा वो बड़ी हेरान हुई कि मम्मी यहाँ किस को मिलने आई हैं

सोनल ने अपनी दोस्त से कहा कि यार तू चल मैं बाद मे आती हू।
उस ने कहा कि क्या बात है सब ठीक तो है यहा क्या करेगी तू
सोनल ने कहा कि हां यार मैने किसी से मिलना है तू चली जा।

उस ने कहा ठीक है फिर मैं चलती हू और निकल गयी। उस के जाते ही सोनल तेज़ी से उस गली की तरफ भागी और देखा कि आरती किसी से बात कर रही हैं और तभी वो आदमी जिस से आरती बात कर रही थीं, उसका चेहरा दिखता है, उसका चेहरा देखकर सोनल चौक जाती है, वो भोला था, सोनल सोचती है कि मम्मी यहा इस भोला के साथ क्या कर रही है, तभी उसके दिमाग की घंटी बजती है, उसको सब समझ आ जाता है, तभी भोला ने अपनी पॉकेट मे से कुछ निकाल के दिया। सोनल क्यो कि दूर थी इस लिए देख नही सकी कि उस ने आरती को क्या दिया था और फिर आरती एक तरफ चल पड़ी और सोनल उन के पीछे। आरती ने थोड़ी दूर ही एक मकान का ताला खोला और अंदर चली गईं


सोनल समझ गयी कि भोला ने आरती को घर की चाबी ही दी होगी लेकिन समझ नही आ रहा था कि मम्मी और भोला का क्या चक्कर है और भोला आरती को चाबी दे के गया कहाँ है
सोनल ये सब ही सोच रही थी कि भोला किसी और आदमी को अपने साथ ले के आ गया और सीधा अंदर चला गया और डोर बंद कर दिया। सोनल ने सोचा कि देखना चाहिए कि अंदर क्या हो रहा है. सोनल तेज़ी से मकान की तरफ गयी लेकिन वहाँ कोई ऐसी जगह नही थी कि सोनल अंदर देख सके क्योकि वो जगह आबादी मे ही थी इसलिए सोनल वहाँ से हट के खड़ी हो गयी।
कोई 2 घंटे के बाद वो दोनो निकले और वहाँ से चल पड़े पता नही सोनल के दिल मे क्या आई कि वो भी उन के पीछे चल पड़ी वो बाते करते जा रहे थे .

बाद में आने वाला कह रहा था कि साले पता नही तेरे पास कोन सी बूटी है कि औरते तेरे पास भागी आती हैं
भोला ने कहा कि छोड़ इस बात को ये बता कि मज़ा आया कि नही दूसरे ने कहा कि क्या बताऊ यार क्या लंड चूसति है मज़ा आ गया.


सोनल तो उन की बाते सुन के हक्कीबक्की रह गयी कि मम्मी ये सब बाहर भी करती हैं और तभी पहले वाले ने कहा कि यार कब तक है ये यहाँ भोला ने कहा कि अभी कालू को लेने जा रहा हू कालू इस को चोद ले फिर चली जाएगी .
पता नही सोनल के दिल मे क्या आया कि वो वापिस उसी घर की तरफ चल पड़ी। सोनल को ये सब सुन के बहुत गुस्सा आ रहा था
सोनल जैसे ही उस घर के दरवाजे पे पहुची तो एक बार सोची कि क्या मुझे अंदर जाना चाहिए और फिर सोनल ने डोर को एक धक्का दिया और अंदर घुस गयी.


आरती वहाँ नही थीं। आरती ने वॉशरूम मे से कहा कि भोला रुक मैं आ रही हू। सोनल वहीं खड़ी हो गयी और तभी वॉशरूम का डोर खुला और आरती पूरी की पूरी नंगी बाहर आ गई. जैसे ही आरती बाहर आई। आरती की सोनल पे नज़र पड़ी। आरती को चक्कर सा आ गया। आरती के मुँह से बस इतना ही निकल सका कि तूमम्म्मममम।

सोनल आरती को इस तरह नंगा अपने सामने देख के भूल ही गयी कि वो कहाँ है और क्यो आयी है?

आरती ने जब देखा कि सोनल सिर्फ़ उन को घुरे ही जा रही है तो उसको एहसास हुआ कि वो अपनी बेटी के सामने नंगी खड़ी हैं और वो फॉरन वॉशरूम की तरफ भागी।

आरती के वॉशरूम मे जाते ही सोनल भी वहाँ से वापिस निकल कर घर को चल दी, सोनल के दिमाग़ मे आँधी चल रही थी

और सोनल ये सोचती हुई चली जा रही थी कि "मैने ये जो भी देखा है क्या वो सच था? क्या मेरी मम्मी इस हद तक भी गिर सकती है"
लेकिन कोई भी जबाब नही था उसके पास। उसके समझ नही आ रही थी कि अब वो क्या करे .

यही सोचते हुए सोनल घर के नज़दीक बने एक पार्क मे बैठ गयी . उसका घर जाने को दिल नही कर रहा था शाम तक वहाँ ही बैठी रही।

फिर शाम को सोनल उठी और हिम्मत कर के घर चली गयी।
घर जाते ही सामने आरति बैठी थी। उसने कहा कि कहाँ थी तुम। दिन से मैं कितनी परेशान थी
और सोनल को आरती ने सीने से लगा लिया .
आरती ने पहली बार आज ऐसे सिचुएशन के बाद सोनल से बात की थी और सीने से लगाया था।
आरती के सीने के लगकर सोनल को एक अजीब सा मज़ा आने लगा दिल कर रहा था कि सोनल आरती को यों ही अपने साथ लिपटाये रखे कि तभी वहाँ रामु आ गया।
रामु को देखते ही सोनल आगे बढ़ी बिना कोई जबाब दिये और आरती को घूरते हुए रूम मे चली गयी।
सोनल ने रात का खाना भी नही खाया और लेटी रही।
सोनल सोच रही थी कि अभी तक उसकी मम्मी घर मे ही ये सब काम कर रही थी, और उसने भी मम्मी को सुधारने के लिए की उसको देख देख कर वो भी बिगड़ गयी है,उसके सामने खुद को बिगड़ने के सबूत के तौर पे सेक्स किया, लेकिन इसके अस्सर होने के उलट मम्मी बाहर जाकर भी चुदने लगी।

सोनल सोचते सोचते सो गयी, रात को 10 बजे के करीब सोनल की आँख खुली तो आरती उसे उठा रही थी . सोनल के उठते ही आरती ने कहा बेटा मुझे माफ़ कर दो .

सोनल ने कहा कि मम्मी किस बात के लिए माफ़ करू मैं आपको

आरती ने कहा प्लज़्ज़्ज़ बेटा माफ़ कर दो

सोनल ने कहा कि अगर माफी माँगनी ही है तो पापा से माँगो जिन को आप धोखा दे रही हो।

आरती की आँखों से आँसू निकलने लगे और कहने लगी बेटा तुम तो माफ़ कर दो प्लज़्ज़्ज़्ज़

सोनल ने कहा सॉरी मम्मी सुबह पापा को सब बता के फिर बात होगी

आरती सोनल के पावं मे बैठ गईं और कहने लगी कि अगर तुम ने अपने पापा को कुछ भी बताया तो मैं कहीं की नही रहूंगी। पल्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर दो मैं दोबारा ऐसी कोई ग़लती नही करूँगी.

आरती को पैर पकड़े देख के सोनल को अच्छा नही लगा तो सोनल ने कहा कि मम्मी आप अभी जाओ मैं सोचती हू कि क्या करू ।

आरती ने कहा कि बेटा अगर तुम मुझे माफ़ कर दो और अपने पापा को कुछ नही बताओ तो मैं तुम्हारी हर बात माना करूँगी. तुम भी अपनी लाइफ जैसे चाहो गुजार लो, मैं कभी ऐतराज नही करुँगी।

सोनल ने कहा ओके अभी आप जाओ बाद मे बाते करेंगे और आरती अपने आँसू साफ करती हुई चली गईं

आरती के जाने के बाद सोनल काफ़ी देर सोचती रही कि क्या करू क्योकि अगर वो अपने पापा को बता देती है तो शायद उसके पापा उसकी मम्मी को तलाक़ दे देते और उनकी हर जगह बदनामी ही होती इसी लिए सोनल ने अभी पापा को ना बताने का फ़ैसला किया और सो गयी।

सुबह सोनल उठी और उठ के नहाने चली गयी। जब नहा के वापिस लौटी तो तैयार होकर डाइनिग टेबल पर चली गयी

सोनल जब टेबल पर गयी तो वहाँ आरती भी थीं। सोनल बैठ के नाश्ता करने लगी तो आरती ने कहा कि क्या सोची।

सोनल के मुँह से अचानक निकल गया कि आप मेरे लिए क्या कर सकती हो तो आरती का बुझा हुआ चेहरा एक दम खिल गया

आरती ने कहा कि तुम जो कहोगी मैं करूँगी बस किसी को बताना नही प्लज़्ज़्ज़्ज़

सोनल ने कहा कि ठीक है मैं स्कूल से वापिश आऊँगी तब बात करेंगे. और सोनल नाश्ता कर के उठ गयी।
और रूम में जाकर रेडी होने लगी स्कूल के लिए। और कुछ देर बाद स्कूल के लिए निकल गयी।
आरती भी फैक्टरी के लिए निकलने लगी। आरती जब दरवाजे से बाहर निकली तो भोला गाड़ी के पास एकदम तैयार खड़ा था (आज लाखा ने तबियत खराब का बोला था तो भोला को बुलाया था)ब्लैक कलर की टी-शर्ट और एक पुरानी जीन्स पहने पर लग रहा था एकदम गुंडा टी-शर्ट से बाहर निकली हुई उसकी बाँहे एकदम कसी हुई थी पेट सपाट था और सीना बाहर को निकला हुआ था एक बार देखकर लगता था कि किसी गली का कोई गुंडा हो पर आरती को देखते ही दौड़ता हुआ पीछे के दरवाजे को खोलकर खड़ा हो गया। आरती भी जल्दी से बैठने के लिए लपकी पर जाने क्यों उसकी सांसें एक बार फिर से तेज हो गई थी शायद कल की बातें याद आ गयी और सुबह सुबह भोला को देखते ही एक कसक सी उसके तन में जाग गई थी पर अपने आपको संभालते हुए वो अपनी हील चटकाते हुए पिछली सीट की ओर भागी जैसे ही वो सीट पर बैठने को हुई एक सख्त हथेली ने हल्के से उसके पिछले भाग को छू लिया


आरति के शरीर में एक लहर सी दौड़ गई थी और अचानक हुए इस हमले से वो एक बार घबरा गई थी उसके घर में और वो भी पोर्च में एक ड्राइवर ने इतनी आजादी से उसे छू लिया था और वो कुछ भी नहीं कह पाई थी पर तब तक डोर बंद हो गया था और भोला दौड़ता हुआ सामने ड्राइविंग सीट पर आ गया था

आरती का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर होंठ जैसे सिल गये थे उसे होंठों से बातों के सिवा सिर्फ़ सांसें ही निकल रही थी वो पिछली सीट पर किसी बुत के जैसे बैठी हुई थी और सांसों को कंट्रोल कर रही थी भोला ड्राइविंग करता हुआ गेट से बाहर गाड़ी निकाल कर रोड पर ले आया और
भोला- जी मेमसाहब ऋषि भैया को लेने जाना है ना
आरती- हाँ…
आवाज उसके गले में रुक गई थी वो क्यों नहीं इस गुंडे से बोल पाई कुछ उसकी इतनी हिम्मत कि उसकी कमर और नितंबों पर घर में ही हाथ फेर दे और उसके बाद इतना सीधा होकर गाड़ी चला रहा है वो अपने ख्यालो में ही गुम थी कि फिर से भोला की आवाज आई
भोला- मेमसाहब नाराज है हम से

आरती ने सिर्फ़ ना में अपना सिर हिला दिया या बाहर देखने के लिए सिर घुमाया पता नहीं

भोला- क्या करू मेमसाहब आपको देखता हूँ तो एक नशा सा छा जाता है मेरे ऊपर भाग्य देखिए मेरा कहाँ से कहाँ आ गया कहा वो रेत टीलों के बीच में पड़ा था और अब देखिए आपका ड्राइवर बन गया भाग्य ही तो है क्या कहती है आप
आरती ने कोई जबाब नहीं दिया क्या जबाब देती इस सांड़ को

भोला- नाराज मत होना मेमसाहब मजबूर हूँ नहीं तो कभी ऐसी गुस्ताखी नहीं करता

आरती ने सिर्फ़ एक बार उसे पीछे से देखा पर कहा कुछ नहीं सिर्फ़ बाहर देखती हुई अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिस करती रही

भोला- एक काम था मेमसाहब आपसे थोड़ा सा मदद करती तो

आरती की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी भोला गाड़ी चलाते हुए उसे बॅक मिरर में देख रहा था
भोला- कहूँ मेमसाहब बुरा तो नहीं मानोगी

आरती ने फिर से सिर हिला दिया

भोला-पता था मेमसाहब आप बुरा नहीं मानेन्गी

आरती फिर बाहर देखने लगी थी पर पूरा ध्यान उसी की तरफ था अब उसका डर थोड़ा काम हो गया था

भोला- वो मेमसाहब इस ऋषि को अपनी जिंदगी से दूर कीजिए ठीक नहीं है वो

आरती की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी ऋषि के बारे में जो यह कह रहा था वो ठीक था पर इसे कैसे मालूम

भोला- आपको लग रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम मुझे क्या नहीं मालूम मेमसाहब भैया जो मुझ पर विस्वास करते है वो क्या ऐसे ही मुझे सबकुछ मालूम है मेमसाहब

आरती एक बार फिर से सिहर उठी उसे तो मेरे बारे में भी मालूम था मनोज अंकल के ऑफिस गई थी वो तक इसने देखा था और कल इसने इसी बात का फायदा उठाया और मुझे दो आदमी के साथ सोना पड़ा पर ऋषि के बारे में इसे कैसे मालूम

भोला- मुझे तो मेमसाहब उसकी रीना दीदी और ऋषि के बहुत से किससे पता है आप अगार देखना चाहती है तो एक काम करना जब आप उसके घर जाओ तो मुझे उसके कमरे से कोई समान लेने भेजना फिर देखना

आरती का पूरा शरीर सनसना रहा था क्या कह रहा है यह और क्या करेगा वहाँ पर इतने विस्वास से कह रहा है तो हो सकता है कोई बात हो पर क्या

भोला- आपको कुछ नहीं मालूम मेमसाहब में आपको वो खेल दिखा सकता हूँ जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती।

आरती की नजर एक बार फिर से उसके पीठ पर थी पर इस बार हिम्मत करके बॅक मिरर की ओर भी देख ही लिया भोला के चेहरे पर एक सख़्त पन था और उसकी आखें पत्थर जैसी थी आरती ब्लैक ग्लासस पहने हुई थी फिर भी उसने नजर हटा लिया ऋषि का घर आ गया था आज पहली बार वो इस घर में आई थी पोर्च में गाड़ी खड़ी होते ही वहां का नौकर दौड़ता हुआ आया और पीछे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया

नौकर- जी भैया अपने कमरे में है मेमसाहब

आरती घर के अंदर घुस आई किसी रहीस का घर देखने में ही लग रहा था कीमती सामानो से भरा हुआ था नौकर दौड़ता हुआ उसके सामने से वहां पड़े बड़े से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला
नौकर- जी बैठिए मेमसाहब में बुलाता हूँ
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08-27-2019, 01:36 PM,
#68
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती को वही बैठाकर वो अंदर चला गया बूढ़ा सा था कमर झुकी हुई पर एकदम सॉफ सुथरा था एक और नौकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और वही टेबल पर रखता हुआ चला गया
नौकर- जी मेमसाहब आपको ऊपर बुलाया है
आरती उठी और ड्राइंग रूम से निकलकर सीढ़िया चढ़ती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी
ऋषि कॉरिडोर में ही खड़ा था
ऋषि- आइए भाभी बस मुझे आपको मेरा कमरा दिखाना था आइए ना
और बड़े ही नजाकत से आरती के हाथ को पकड़कर उसे अपने कमरे की ओर ले चला था जाते जाते उसने उसके हाथ को एक बार चूमा था आरती ने झटके से पीछे मुड़कर देखा

ऋषि- नहीं भाभी यहां नौकरो को ऊपर आना मना है जब तक बुलाया नहीं जाता यहां का मैं राजा हूँ अब पहले रीना दीदी और मैं थे अब सिर्फ़ मैं।

और उसे अपने कमरे में ले आया कमरा बहुत ही सजा हुआ था बहुत सी चीजे थी कुछ कलेक्ट किए हुए थे और कुछ खरीदे हुए भी फूल और गमले भी था बहुत सी पैंटिंग भी पर एक बात जो अजीब थी वो था रंग रेड पिंक और येल्लो कलर की चीजे ज्यादा थी

आरती- धरमपाल जी कहाँ है दिखे नहीं

ऋषि- अरे पापा तो भैया के साथ हैदराबाद गये है ना पर्ल्स की खेती देखने भैया ने नहीं बताया

आरती- हाँ… याद आया भूल गई थी चलो चलते है

ऋषि- बैठिए ना भाभी जल्दी क्या है
बड़े ही नाटकीय ढंग से उसने कहा था

ऋषि- वो गुंडा भी आया है


आरती- हाँ… बुलाऊ उसे तेरी बड़ी तारीफ़ कर रहा था

ऋषि- नहीं बाबा तारीफ मेरी क्या कह रहा था बताइए ना प्लीज।
आरती ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था
आरती- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है
आरती ने झूठ कहा

ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि

आरती- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या

ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ है

आरती- नीचे है बुलाऊ

ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के
झट से पलट गया था ऋषि। आरती के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था आरती वही पर सोफे पर बैठी थी

आरती- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना

ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना

आरती को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी आरती को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो

ऋषि- बुलाएँ भाभी

आरती- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है

ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा

दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी आरती की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा

ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज

भोला अंदर आ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया

आरती के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है

ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ…

लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो

आरती के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी

भोला- कुछ नहीं भैया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा

ऋषि एक बार आरती की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर

ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए

कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया। आरती अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा जिसने कल उसे अनजान दो आदमी के साथ चुदने पर मजबूर किया था आज अभी यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था

पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और, ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था

ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था

आरती बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी, जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि आरती भी इस कमरे में है

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज आरती की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ
से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो आरती के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे किसी भी बात से मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ


आरती की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि आरती की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी

वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर आरती की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था

ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही आरती दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी

भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने आरती की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था आरती किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि आरती भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की, उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले
आरती के देखते-देखते ही ऋषि का टी-शर्ट हवा में उछल गया और वो सिर्फ़ जीन्स पहने बैठा था बेड पर और भोला उसके सामने उसके खाली शरीर को अपने सख्त और कठोर हाथो से सहला रहा था ऋषि की सांसों से पूरा कमरा भरा हुआ था बहुत तेज सांसें चल रही थी उसकी

उसके हाथ भी भोला के शरीर पर घूमने लगे थे जो की आरती देख रही थी पतली पतली उंगलियों से वो भोला को कस्स कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था उसकी कमर के चारो ओर से और अपने हाथो को भोला की टी-शर्ट के अंदर भी घुसना चाहता था भोला ने भी देर नहीं की और एक बार में ही अपना टी-शर्ट उतार कर वही बेड पर रख दिया और फिर से ऋषि के सामने खड़ा हो गया था ऋषि के दोनों हाथ उसके पेट से लेकर उसके सीने तक घूम रहे थे और उसके होंठों जो की आरती को नहीं दिख रहे थे शायद उसकी नाभि और पेट और सीने के पसीने का स्वाद ले रहे थे आरती अपने सामने होते इस खेल को देख कर एकदम सन्न रह गई थी सुबह सुबह उसके शरीर में जो आग लगी थी वो अब भड़क कर ज्वाला बन गई थी अपने जीवन काल में उसने इस तरह का खेल कभी नहीं देखा था वो अपने सोफे में बैठी हुई एकटक दोनों की ओर देखती जा रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको काबू में रखने को कोशिश कर रही थी आरती की नजर एक बार भी नहीं हटी थी उनपर से हर एक हरकत जो भी उसके सामने हो रही थी वो हर पल की गवाह थी उसकी आँखो के सामने ही धीरे से भोला की जीन्स भी नीचे हो गई थी और जो उसने जीवन में नहीं देखा और सोचा था वो उसके सामने हो रहा था

ऋषि के हाथों में भोला का लण्ड था और भोला उसकी ठोडी को शायद पकड़कर सहला रहा था आरती ने थोड़ा सा जिग्याशा बस थोड़ा सा झुक कर देखने की कासिश की पर नहीं दिखा भोला की जीन्स के नीचे होने से उसकी मैली सी अंडरवेअर जो की बहुत जगह से फटी हुई थी और ढेर सारे छेद थे उभर कर उसके सामने थी पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने खेल में मग्न था और ऋषि के गालों को सहलाते हुए अपने लण्ड को उसके हाथो में खेलने को दे दिया था ऋषि भी शायद उसके लण्ड से खेल रहा था या क्या उसे नहीं दिख रहा था

पर इतने में भोला ने घूमकर एक बार आरती की ओर देखा और आखों से उसे अपने पास बुलाया आरती जैसे खीची चली गई थी कैसे उठी और कैसे वो भोला और ऋषि के करीब पहुँच गई उसे नहीं पता पर हाँ… उसके सामने अब सबकुछ साफ था उसे सबकुछ दिख रहा था ऋषि के लाल लाल होंठों के बीच में भोला का काला और तगड़ा सा लण्ड फँसा हुआ था दोनों हाथो से वो अपनी आखें बंद किए भोला के लण्ड का पूरा स्वाद लेने में लगा हुआ था आरती की ओर उसका ध्यान ही नहीं था पर आरती के नजदीक पहुँचने के साथ ही भोला ने आरती की कमर में अपनी बाँहे डालकर एक झटके में अपने पास खींच लिया और एकदम सटा कर खड़ा करलिया भोला की सांसें उखड़ रही थी और वो आरती के गालों को अपनी नाक और होंठों से छूते हुए
भोला- देखा मेमसाहब कहा था ना

आरती की नजर एक बार भोला की ओर गई और फिर नीचे ऋषि की ओर वो कितने प्यार से भोला के लण्ड को चूस रहा था अपनी जीब को बाहर निकाल कर और अपने होंठों के अंदर लेजाकर, बहुत ही धीरे धीरे बहुत ही प्यार से

आरती का हाथ अपने आप उठा और भोला के बाकी बचे हुए लिंग के ऊपर चला गया उसकी पतली पतली उंगलियां ने एक बार उसके उस पत्थर जैसे लण्ड को छुआ और भोला की ओर देखने लगी

जैसे पूछ रही ओ, छू लूँ में भी

भोला की आखों में एक चमक थी जो कि आरती सॉफ देख सकती थी वो अब भोला के सुपुर्द थी भोला वो भोला जो हमेशा से ही उसका दीवाना था और आज तो उसके सामने ही ऋषि के साथ वो खेल खेल रहा था जिसके बारे मे आरती ने जिंदगी में नहीं सोचा था

भोला की गिरफ़्त आरती की कमर में कस रही थी वो आरती को और नजदीक खींच रहा था जैसे की उसकी कमर को तोड़ डालेगा आरती एकदम से टेढ़ी सी होकर उसके साथ सटी हुई थी कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं बस थी तो सांसों की आवाज और कुछ नहीं भोला का लण्ड अब ऋषि के होंठों से लेकर उसके गले तक जाने लगा था आरती एक टक नीचे की ओर देखती जा रही थी भोला की पकड़ में रहते हुए और अपने एक हाथों से उसके कंधो का सहारा लिए भोला का उल्टा हाथ ऋषि के सिर पर था जो कि उसे अपने लण्ड पर डाइरेक्ट कर रहा था और ऋषि के सिर को आगे पीछे कर कर रहा था आरती खड़ी-खड़ी अपने हाथों से भोला के पेट को सहलाने लगी थी और एकटक देखती हुई नीचे उसके लण्ड की और बढ़ने लगी थी वो नहीं जानती थी कि क्या और कब और कैसे पर हाँ… उसके हाथ अब उसके लण्ड के चारो ओर थे ऋषि के दोनों हाथ अब भोला की जाँघो पर थे और भोला अपने उल्टे हाथ से उसके सिर को पकड़कर लगातार जोर-जोर से झटके दे रहा था शायद वो अपनी सीमा को लाँघने वाला था उसकी पकड़ आरती की कमर पर भी बढ़ गई थी और कमर को छोड़ कर अब धीरे धीरे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुँच चुकी थी आरती के नरम हाथ भी भोला के लण्ड को उसके गन्तव्य तक पहुँचने में मदद कर रही थी और फिर एक साथ बहुत सी घटनाए हो गई

आरती के होंठ भोला के होंठों से जुड़ गये और एक जबरदस्त चुभन से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि अपने चहरे को भोला के लण्ड से हटाने की कोशिश करने लगा और भोला के हाथ का जोर उसके सिर पर एकदम से सख्त हो गई थी और एक बहुत बड़ी सी सिसकारी और साथ में एक लंबी सी आअह्ह, और उुउऊह्ह, से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि बेड पर गिर गया था पर, अपने सामने भोला और आरती को जोड़े हुए एक दूसरे का लंबा सा चुंबन करते हुए देखता रहा ऋषि के मुख के चारो ओर भोला का वीर्य लगा हुआ था और उसका चहरा लाल था पर अपने सामने का दृश्य देखकर तो वो और भी बिचलित सा हो गया था

आरती को भोला कस कर अपनी बाहों में भर कर उनके होंठों को चूसे जा रहा था और उसके हाथ उसकी पूरी पीठ और बालों को छू रहे थे भोला के कसाव से ऐसा लगता था कि आखिरी बूँद शायद आरती के सहारे ही छोड़ना चाहता था आरती की सांसें रुक सी गई थी और अपने आपको उस खिचाव से बचाने के लिए वो जितना हो सके भोला के बालिश्ट शरीर से चिपक गई थी
पर साथ में ऋषि जो कि बिस्तर पर अढ़लेटा सा पड़ा हुआ उन्हें ही देख रहा था एक अजीब सी चमक के साथ एक आश्चर्य भरा हुआ चहरा था उसका आरती की नजर उसपर नहीं थी पर वो जानती थी कि ऋषि के लिए यह एक अजूबा था वो सोच भी नहीं सकता था कि भाभी भी उसका इस खेल में साथ देगी या फिर उसके सामने ही भोला उसे किस भी करेगा

आरती ने किसी तरह से अपने होंठों को चुराया और हान्फते हुए अपने सांसों को कंट्रोल करती हुई
आरती- यहां नहीं प्लीज़ भोला छोड़ो मुझे प्लीज

भोला- जी मेमसाहब पर आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो आआआह्ह उूुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममम

और शायद भोला की हिम्मत जबाब दे चुकी थी

भीमा खड़ा-खड़ा एक बार फिर से आरती के होंठों को सॉफ करता हुआ अपने आपको बेड के किनारे बिठा लिया

आरती अपने को अचानक ही आजाद पाकर जैसे चैन की सांसें ली हो पर वो ही जानती थी कि वो अपने को कैसे कंट्रोल किया था उसका शरीर जल रहा था पर मजबूर थी वो शायद ऋषि नहीं होता तो झट से तैयार भी हो जाती पर भोला को रोकने का मतलब उसका कही से नहीं था की वो रुक जाए पर भोला तो जैसे नमक हलाल आदमी था आरती के कहने भर से एक झटके में उसे छोड़ कर बैठ गया आरती किसी तरह लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर हुई और खाँसते हुए और अपनी सांसों
को कंट्रोल करते हुए जल्दी से चेहरा घुमाकर वापस सोफे की ओर रवाना हो गई अभी-अभी जो उसने देखा था वो एक अजूबा था वो इस तरह की कोई एपिसोड के बारे में आज तक सोच नहीं पाई थी और ऋषि जैसे लड़के के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं पर जो देखा था वो सच था कहीं से कहीं तक झूठ नहीं था उसकी नजर जब वापस भोला और ऋषि पर पड़ी तो वो दोनों ही उठकर अपने कपड़े ठीक कर रहे थे और वो एक मूक दर्शक के समान उनको देख रही थी

भोला झट से बिना कुछ कहे बाथरूम की ओर चला गया और थोड़ी देर में वापस आके कमरे में कुछ ढूँडने लगा फिर ऋषि की ओर देखता हुआ
भोला- इस डब्बे में क्या है
ऋषि कुछ बुक्स है क्यों
भोला- नीचे ले जा रहा हूँ और तुम्हारा बैग कहाँ है
ऋषि- जी वहाँ
भोला बिना किसी इजाज़त के ही बैग और वो बाक्स उठाकर कमरे से बाहर की ओर जाने लगा
भोला- देर हो गई है जल्दी करो
आरती और ऋषि के चहरे पर एक चिंता की लकीर खिंच गई थी हाँ… 12 00 बज गये थे बाप रे इतना टाइम हो गया
आरती भी अपने कपड़े ठीक करते हुए और ऋषि भी अपने कपड़े ठीक करता हुआ जल्दी से नीचे की ओर चल दिया और गाड़ी फैक्टरी की ओर दौड़ पड़ी ऋषि आरती और भोला सब चुप थे पर बहुत कुछ कहना और सुनना बाकी था शायद एक अजीब सी चुप्पी थी थोड़ी देर में ही फैक्टरी आ गयी और गाड़ी आफिस के सामने रुक गई जब तक भोला उतर कर आता तब तक दोनों जल्दी से उतर कर आफिस में घुस गये थे। और झट से अपने आफिस की ओर चल दी थी
आफिस में घुसते ही वो जल्दी से टाय्लेट की ओर भागी और रिलीस करके जब बाहर निकली तो ऋषि वही बैठा हुआ वाउचर्स को देख रहा था
ऋषि- आई म सारी भाभी
आरती- क्यों क्या हुआ
ऋषि- जी वो मेरे कारण आज भोला ने आपके साथ प्लीज भाभी माफ करदो
आरती- ठीक है अब काम कर और जल्दी
आरती उसे काम देकर अपने काम में उलझ गई थी पर हर बार उसकी आखों के सामने एक ही दृश्य घूम रहा था और बार-बार अपनी जाँघो को खोलकर टेबल के नीचे ही वापस चिपका रही थी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी उसे कोई ना कोई चाहिए भोला रवि रामु या फिर लाखा कोई भी पर चाहिए अभी
पर अभी कैसे आफिस में और यह ऋषि भी तो यही बैठा है मरता क्यों नहीं यह आज आरती को बहुत गुस्सा आरहा था ऋषि पर देखने में तो कोई हीरो जैसा था पर है हिजड़ा पर क्या करे। आरती आज तो वो बिल्कुल पागल हो जा रही थी जैसे कि वो खुद ही अपने सारे कपड़े खोलकर ऋषि को बोले की चाट कर मुझे रिलीस कर पर परिस्थिति उसके अनुरूप नहीं थी अभी वो आफिस में थी और यहां यह पासिबल नहीं था

पर ऋषि पर से उसका ध्यान नहीं हट रहा था बार-बार उसकी और अपना ध्यान ना ले जाने के लिए वो अपने आपको पेपर्स में उलझा रही थी पर जाने क्यों गुस्सा बढ़ता जा रहा था और फिर पेन को टेबल पर पटक-ते हुए
आरती- ऋषि जा थोड़ा घूमकर आ
थोड़ी उची आवाज थी उसकी
ऋषि- कहाँ जाऊ
बड़े ही भोलेपन और आश्चर्य से आरती की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता हुआ वो बोला
आरती- कही भी पर मेरे सामने से हट और हाँ… कल से तेरे लिए में दूसरा केबिन खुलवा देती हूँ तू उसमें ही बैठना ठीक है
ऋषि- क्यों भाभी
आरती- बस ऐसे ही
ऋषि एकदम से रुआसा सा हो गया था कुछ नहीं समझ में आया पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि भाभी उससे नाराज है और गुस्से में भी पर क्यों उसे नहीं पता टुकूर टुकूर आरती की और देखता रहा पर कोई नतीजे पर नहीं पहुँचा।
फिर आरती पूरा दिन फैक्टरी और शोरूम के काम मे बिजी रही।
आरती किसी तरह से अपना काम खतम करते हुए जल्दी से घर जाना चाहती थी ऋषि को घर छोड़ कर आरती को भी अपने घर ड्रॉप करके भोला चला गया पर आरती के शरीर में जो आग वो लगा गया था उसने आरती को जलाकर रख दिया था घर पहुँचते ही उसकी नजर फिर से रामु की ओर चली गई थी पर सोनल के होते यह बात कम से कम अभी तो पासिबल नहीं थी।

घर पहुँचकर भी आरती अपनी आग में जलती रही पर सोनल को उसने इतना एंगेज कर लिया था अपने साथ की वो थोड़ा सा अपने आपको भूल गई थी पर खाना खाने के बाद तो जैसे उससे रुका नहीं गया था।
तभी सोनल बोली कि मम्मी अब करे बात।


आरती-- मैं कुछ देर बाद मे तुमारे रूम में आउन्गि फिर बताना कि तुम क्या चाहती हो .

आरती के जाने के बाद सोनल सोचने लगी कि मम्मी से क्या कहू कि वो क्या करें मेरे लिए लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था। फिर सोनल अपने रूम में जाकर आराम से लेट गयी कि जब मम्मी आएगी तब देखा जाएगा .

10 बजे के करीब आरती आ गई और सोनल उठ के बैठ गयी।

आरती भी सोनल के पास आ के बैठ गई। सोनल को कुछ भी समझ नही आ रहा था कि वो मम्मी से क्या बात करे।

फिर मम्मी ने कहा कि सोनल बताओ तुम क्या चाहती हो लेकिन सोनल चुप रही।

आरती ने फिर पूछा तो सोनल ने कहा कि मम्मी आप ये सब क्यो करती हो तो आरती ने कहा कि सोनल तुम इन बातों को छोड़ो और ये बताओ कि तुम क्या चाहती हो।

सोनल ने कहा कि मैं ये ही चाहती हूँ कि आप ये सब छोड़े दो

आरती ने उसकी बात का कोई जबाब नही दिया और चुप चाप बैठी रहीं

सोनल ने कहा कि मम्मी क्या हुआ तो आरती ने कहा कि सोनल तुम इस नशे को नही जानते ये बहुत बुरा नशा है

सोनल ने कहा कि मम्मी आप कोशिस तो करो मैं आप का साथ दूँगी.

सोनल की बात पे आरती कुछ देर उसे देखती रही और फिर बोली क्या तुम छोड़ दोगी सोनल ये सब।

तो सोनल ने अपना सर झुका लिया लेकिन कहा कुछ नही फिर बोली-- हां मम्मी साथ हु आपके ।

आरती ने कहा कि ठीक है मैं चलती हूँ और आरती चली गई

आरती के जाने के बाद सोनल के दिल मे आया कि अगर मम्मी बाहर जा के ये सब करना नही छोड़ेंगी तो लोगों को जैसे जैसे पता चलेगा वैसे ही हमारी बदनामी होगी . ये सब सोचते हुए सोनल लेट गयी और सोचते सोचते गहरी नींद में चली गयी।
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08-27-2019, 01:36 PM,
#69
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल और आरती कविता को स्टेशन से पिक करती हैं और सीधे अपने घर आती हैं. सोनल कविता का समान अपने कमरे में रख लेती है और उसका इंतेज़ाम उसने अपने साथ ही किया हुआ था. आरती अपने कमरे में कुछ काम करने चली जाती है और दोनो एक दूसरे के गले लग जाती हैं.

सोनल : कितने टाइम बाद मिल रही है. याद नही आती थी क्या मेरी?

कविता : तुझे कैसे भूल सकती हूँ मेरी जान, क्या करूँ अकेले आ नही सकती थी और पापा काम में बिज़ी होते थे. खैर अब सारी दूरियाँ ख़तम, अब तो हम यहीं रहेंगे मिलना जुलना तो अब होता ही रहेगा. ये बता तू इतनी बदल कैसे गई?

सोनल : क्यूँ क्या बदलाव नज़र आ रहा है तुझे?

कविता : नाक में ये सेक्सी रिंग, कपड़ों का रंग ढंग सब कुछ तो बदला हुआ है. कोई पटा लिया क्या? या किसी से पट गई?

सोनल : अरे नही यार. बाहर में मुँह मारती नही. बस कोशिश कर रही हूँ किसी को पटाने की कोई पट जाए. ये निगोडी जिस्म की प्यास बढ़ती ही जा रही है. तू बता तूने क्या गुल खिलाए हैं वहाँ.

कविता : यार बहुत थक गई हूँ. पहले नहा कर फ्रेश हो जाती हूँ. ( बात का रुख़ पलटती है)

सोनल कविता के कपड़े उतारने लगती है.
कविता : अरे क्या कर रही है.
सोनल : क्यूँ कोई लड़का हूँ क्या जो तुझे चोद डालूंगी , जो तेरे पास है वो ही मेरे पास है.
कविता भी उसके कपड़े उतारने लगती है.



दोनो नंगी हो कर बाथ रूम में घुस जाती हैं और एक दूसरे पे साबुन रगड़ने लगती हैं. अच्छी तरहा एक दूसरे के जिस्म को साबुन के साथ मल मल कर अपने हाथ साथ में फेरती हैं. दोनो के जिस्म की प्यास बढ़ने लगती है .


प्यास इतनी भड़क जाती है कि दोनो के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं. सोनल उसका निचला होंठ चूसने लगती है और कविता उसका उप्पर वाला. दोनो की ज़ुबाने आपस में लड़ने लगती हैं. और दोनो ही अपने चूचो को एक दूसरे से अच्छी तरहा रगड़ती है. दोनो के हाथ एक दूसरे की चूत को सहलाने लगती हैं और उंगलियाँ एक दूसरे की चूत में घुस्स जाती हैं.

शवर का ठंडा पानी भी इन दोनो की तपिश को कम नही कर पाता और होंठों की चुसाइ के साथ साथ उंगलियाँ भी तेज़ गति से एक दूसरे को चोदने लगती हैं. सोनल की चूत टाइट थी पर कविता की खुली हुई थी. सोनल भाँप जाती है कि कविता जमकर चुदवा चुकी है.
उंगलियों से ही दोनो एक दूसरे को झड़ा देती हैं और फिर साबुन उतार कर बाथरूम से बाहर निकलती हैं और अपने कपड़े पहन लेती हैं. सोनल सवालिया नज़रों से कविता को देख रही थी. कविता नज़रें चुराती है और आरती को मिलने का कह कर नीचे चली जाती है.
सोनल भी कुछ देर में हाल में आ जाती है. हाल में कविता उसकी मम्मी के पास बैठ कर बातें कर रही थी. सोनल भी उनके साथ लग जाती है.

रात को आरती को अकेले ही सोना पड़ा. वो कविता के सामने नही खुलना चाहती थी. सोनल कविता को अपने बेड रूम में ले गई और दोनो बिस्तर पे लेट आपस में बातें करने लगी.

सोनल : किस से चुदवा रही है तू ?
कविता : चुप क्या बकवास कर रही है.

सोनल : बन्नो हम से चालाकी नही चलेगी, तेरी चूत ने तेरा राज़ खोल दिया है. बता ना. कसम से ये राज़ सिर्फ़ मेरे पास रहेगा.

कविता : नही नही. कहीं ग़लती से भी तेरे मुँह से कुछ निकल गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे और बदनामी अलग.

सोनल : बता ना यार, तू मुझे अपना राज बता मैं तुझे अपना बताउन्गि. अब नखरे छोड़ जल्दी बता किसने तेरी सील तोड़ी.
कविता कुछ देर सोचती है फिर बोल पड़ती है 'सोनू ने'
सोनल : 'कया सोनू भाई ने, कब? कैसे हुआ ये?'



कविता : दो साल हो गये हैं इस बात को. जब भी मोका मिलता है हम चुदाई कर लेते हैं.
सोनल : बड़ी तेज़ निकली तू, बड़े भाई को ही पटा लिया.
कविता : अरे मैने नही, भाई ने ही मुझे पटाया था.
सोनल : शुरू से बता ना कैसे हुआ था, कैसे शुरू किया था.
कविता : अब तू पहले अपना राज बता.

सोनल : कोई खास राज नही है, बस पापा को पटाने की कोशिश कर रही हूँ. अब ये जिस्म की प्यास सही नही जाती और घर के बाहर मैं कुछ करना नही चाहती. एक ही रास्ता बचता है वो है पापा.
कविता : व्हाट कैसे पटा रही है, अभी कुछ हुआ क्या.
सोनल : अरे कहाँ यार, अभी दो दिन ही तो हुए थे, कोशिश करते हुए, फिर पापा बाहर चले गए। सब बताउन्गि पहले तू बता सोनू ने कैसे पहल करी और तू कब राज़ी हुई चुदने के लिए.
सोनल कविता से अपने पापा की चुदाई की बात छुपा जाती है। सिर्फ फ्यूचर में पॉसिबिलिटी दिखाती है।
अब कविता अपनी पहली चुदाई के बारे में बताति है : आधी रात को भाई मेरे बिस्तर में आ जाता था और मेरे बूब्स सहलाने लगता था. एक आध दिन तो मुझे पता नही चला. एक दिन मेरी नींद कच्ची थी और भाई आ कर मेरे बूब्स सहलाने लगा. मैं डर गई और चुप चाप पड़ी रही. मेरी तरफ से कोई हरकत होते ना देख भाई की हिम्मत बढ़ गई, और वो रोज रात को मेरे बिस्तर पे आता और कुछ देर मेरे बूब्स सहलाता फिर अपने बिस्तर पे चला जाता. धीरे धीरे मुझे भी मज़ा आने लगा और मैं इंतेज़ार करती कब भाई आएगा और मेरे बूब्स सहलाएगा.

सोनल : आगे बताना ना कविता, चुदाई तक कैसे पहुँचे तुम दोनो.
कविता : कुछ दिन तो सोनू सिर्फ़ मेरे बूब्स ही सहलाता रहा फिर एक दिन उसने मेरा टॉप उप्पर किया और मेरा पेट सहलाने लगा. मेरी तो जान ही निकलती जा रही थी. चूत से नदियाँ बहने लगी. बड़ी मुस्किल से अपनी आवाज़ को रोका.

सोनल : पूरा उतार दिया था क्या?
कविता : टॉप तो नही मेरा लोवर पूरा उतार दिया था. उफ्फ उसके हाथ जब मेरी जांघों को सहला रहे थे दिल कर रहा था उस से लिपट जाउ.
सोनल : फिर क्या हुआ? चोदा क्या उसने तुझे?
कविता : कोई रेप थोड़ी ना कर रहा था मेरा. बस उस दिन तो काफ़ी देर तक मेरी जंघे सहलाई और फिर मेरे साथ चिपक के मेरे बूब्स सहलाने लगा और अपना लंड मेरी गान्ड के साथ चिपका दिया. उसका लंड मेरी गांड के अंदर घुस्स रहा था. अगर वो नंगा होता तो ज़रूर मेरी पैंटी फाड़ देता.
सोनल : मज़ा आया क्या तुझे?
कविता : क्या बताऊ यार चूत में इतनी ज़ोर की खुजली मचने लगी थी कि मुझसे और सहन नही हुआ. मैं हिल पड़ी और वो भाग के अपने बिस्तर पे चला गया. मैने तो सोचा था मेरी पैंटी उतार देगा और आगे बढ़ेगा. पर उसने कुछ नही किया. थोड़ी देर बाद आया मेरा लोवर उप्पर किया और फिर अपने बिस्तर पे चला गया.
सोनल : तू ही खींच लेती ना उसको अपने उप्पर.
कविता : आई बड़ी , खींच लेती उसको, रंडी हूँ क्या मैं? मेरी तो समझ में ही नही आ रहा था क्या करूँ. रोज रात को आ कर छेड़ता और चला जाता. ना मैं उसे रोक पाती और ना ही आगे बढ़ पाती.
सोनल : अच्छा फिर आगे कब किया उसने तेरे साथ.
Reply
08-27-2019, 01:36 PM,
#70
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कविता : अगले दो दिन तो कुछ नही हुआ. बस मुझे घूरता रहता था और मैं नज़रें बचाती रहती थी.
सोनल : फिर
कविता : फिर की बच्ची अब सो जा, मेरी हालत खराब हो रही है, पता नही कैसे नींद आएगी.
सोनल : मैं तेरी हालत सुधार दूँगी, तू बस आगे बता
और सोनल कविता के उरोज़ सहलाने लगती है.
कविता : क्यूँ मेरी प्यास भड़का रही है. तेरे पास लंड कहाँ है जो मेरी प्यास भुजा सके.
सोनल कविता के होंठों पे होंठ रख देती है. और चूसने लग जाती है.

कविता भी सोनल का साथ देने लगती है, दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगती हैं और अपनी ज़ुबाने एक दूसरे से लड़ने लगती हैं. दोनो ही एक दूसरे के चुचियो को बहरहमी से मसल्ने लगती हैं. कपड़े जिस्म का साथ छ्चोड़ देते हैं.

दोनो के जिस्म की प्यास बढ़ जाती है और दोनो 69 पोज़ में आ कर सीधा अटॅक एक दूसरे की चूत पे करती हैं. कविता की चूत में सोनल की पूरी ज़ुबान घुस जाती है और वो लपलप उसे चाटने और जीब से चोदने लग गई.

कविता सोनल की चूत को अच्छे से चाटती है और फिर जितना हो सका अपनी ज़ुबान उसकी चूत में घुसा देती है. सोनल को थोड़ा दर्द होता है और वो कविता की चूत में दाँत गढ़ा देती है. जिसकी वजह से कविता भी उसकी चूत को पूरा मुँह में ले कर ज़ोर से अपने दाँतों में दबा कर चुस्ती है और अपनी ज़ुबान से उसकी तेज़ी से चुदाई शुरू कर देती है.

थोड़ी देर बाद दोनो पोज़िशन बदलती हैं. अब कविता उप्पर होती है और सोनल नीचे और एक दूसरे की चूत को चाटना, चूसना लगा रहता है, दोनो की ज़ुबाने भी एक दूसरे की चूत के अंदर बाहर होती रहती हैं.
आधे घंटे की मेहनत के बाद दोनो का जिस्म अकड़ने लगता है और दोनो ही अपना बाँध एक साथ छोड़ देती हैं. लपलप दोनो एक दूसरे का पानी पी जाती हैं और हाँफती हुई अलग लेट जाती हैं.
कविता ने आज पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स किया था और वो आँखें बंद कर उस अनुभव को अपने अंदर समेटती रहती है.

सोनल की साँसे जैसे ही संभलती हैं वो फिर कविता के चेहरे को चाट कर अपने रस का स्वाद चख़्ती है, सोनल भी उसका चेहरा चाट कर सॉफ कर देती है.


जब दोनो के चेहरे सॉफ हो जाते हैं तो सोनल उसे फिर सवाल करने लगती है.

सोनल : चल भुज गई तेरी प्यास, अब बता आगे क्या हुआ?
कविता : यार आज रहने दे बाकी कल बताउन्गि. मुझ से और सहा नही जाएगा मैं फिर से गरम हो जाउन्गि और कल बहुत काम करने हैं.

सोनल मन मसोस के रह जाती है और दोनो चिपक के सो जाती हैं.
सुबह सोनल जल्दी उठ गई. कविता अभी सो रही थी. सोनल फ्रेश होने जाती है और इसके बाद वो कविता को उठाती है. दोनो तैयार होती हैं नाश्ता करती हैं और स्कूल के लिए निकल जाती हैं.
कल रात आरती को नींद नही आई एक आदत सी पड़ गई थी सोनल के जिस्म की. दो रातों से लगातार सोनल के बदन के साथ खेलना और अपने बदान से खिलवाना आरती को अब अच्छा लग रहा था. आरती ने कभी लेज़्बीयन नही किया था

आरती का दिल काम में बिल्कुल नही लग रहा था वो इंतेज़ार कर रही थी सोनल के आने का.



यहाँ शाम को जब सोनल घर पहुँची तो सीधा आरती के गले लग गई. कविता साथ नही आई थी वो किसी काम का कहकर सोनल के स्कूल से निकल गयी थी।
आरती ने रात के खाने की कोई तैयारी नही करवाई रामु काका से, तो सोनल ने कहा बहुत अच्छा किया मम्मी इसी बहाने हम कविता को बाहर ट्रीट दे देंगे. अब दोनो कविता का इंतेज़ार कर रही थी.

रात को सोनल कविता को अपने कमरे में ले गई और फिर शुरू हुई कविता की दास्तान.
कविता : कुछ दिन तो सोनु मुझे सिर्फ़ सहलाता रहा मेरे बूब्स सहलाता, मेरी जंघे सहलाता अपना लंड मेरी गांड में रगड़ता. मैं भी रोज गरम हो जाती थी,पर मैं उसके आगे बढ़ने का इंतेज़ार कर रही थी. एक दिन मम्मी पापा कहीं गये थे और दो दिन बाद वापस आने का कह के गये. उस दिन दोपहर में मैं काफ़ी थक के आई थी और आते ही सो गई. सोनू भी उस दिन दोपहर में आ गया, रोज देर से आता था पर उस दिन जल्दी आ गया. उसके पास चाबी रहती है तो बिना बेल किए अपनी चाबी से ताला खोल के अंदर आ गया और सीधा मेरे रूम में आया. मैं सोई पड़ी थी, उसने अपनी शर्ट उतारी और मेरे साथ चिपक गया.



सोनल : अच्छा फिर ?
कविता : अरे बता रही हूँ ना.

कविता : उसने मेरे बूब्स इतनी ज़ोर से मसले कि मेरी चीख निकल गई और मैं उठ के बैठ गई. और उसे कुछ ना कह कर मैं पेट के बल लेट गई. मेरी चुप्पी को उसने रज़ामंदी समझा और मेरी टॉप उठा कर मेरी कमर चूमने लगा. दिल तो मेरा कर रहा था क़ि मैं उस से चिपक जाउ और सारी हदें तोड़ दूं. पर मैं उसे तड़पाना चाहती थी. ताकि वो सिर्फ़ मेरा ही बन के रहे कहीं और मुँह ना मारे.

सोनल : लड़के कभी किसी के सगे नही बन के रहते, जब तक उन्हें चूत मिलती है तब तक चिपके रहते हैं और जैसे ही शादी की बात करो तो छोड़ देते हैं किसी और चूत की तलाश में. और तूने कौन सी सोनू से शादी करनी है जो उसे बाँध के रखना चाहती थी.
कविता : बाँध के तो उसे मैने रख लिया है. जब तक हमारी शादी नही होती वो बाहर किसी लड़की के पास नही जाएगा. शादी के बाद उसे चूत मिल जाएगी और मुझे लंड. फिर सोचेंगे हम अपने इस रिश्ते को आगे कंटिन्यू रखे या नही.
सोनल : ओह हो गुलाम बना लिया है तूने सोनू को.
कविता : गुलाम नही अपने जिस्म का यार, कभी कभी तो दिल करता है कहीं दूर चले जाएँ जहाँ हमे कोई जानता ना हो और शादी कर लें. खैर बाद में देखेंगे क्या करना है.
सोनल : आगे बता ना.
कविता : वो मेरी टॉप उठाता गया कमर से लेकर पीठ पे चूमने लगा. फिर जब उसने मेरी ब्रा का हुक खोला तो मैं उठ के बैठ गई.
और हमारी बात इस तरहा हुई :
कविता : क्या कर रहा है सोनू, मेरी ब्रा क्यूँ खोल रहा है. तुझे शर्म नही आती मैं तेरी बहन हूँ. कितने दिनो से देख रही हूँ तू रोज रात को मुझे छेड़ता है, और अब तू इतना आगे बढ़ने लगा.
सोनू : कविता मैं तुझसे प्यार करता हूँ.
कविता : प्यार माइ फुट, तू सिर्फ़ मेरा जिस्म चाहता है और भाई बहन में ये सब नही होता.
सोनू : नही कविता अगर मैं सिर्फ़ तेरा जिस्म चाहता तो इतने दिन रुकता नही. मेरी आँखों में झाँक कर देख क्या तुझे इसमे वासना नज़र आती है. लड़कियों की कोई कमी नही है मुझे मैं सिर्फ़ तुझे पसंद करता हूँ.
कविता: नही सोनू ये ग़लत है
सोनू : कुछ ग़लत नही है, तू लड़की है और मैं एक लड़का, हम दोनो को एक दूसरे की ज़रूरत है.
कविता : आज तेरी ज़रूरत पूरी हो जाएगी तो फिर तू किसी और के साथ लग जाएगा, मेरा क्या होगा. और एक बार मेरी सील टूट गई तो शादी के बाद क्या मुँह दिखाउन्गि. क्या कहूँगी.
सोनू : आज कल कौन सी लड़की शादी तक कुँवारी रहती है. और मैं तुझ से वादा करता हूँ जिंदगी भर तुझे नही छ्चोड़ूँगा.
कविता : सच. अगर मुझे पता चला तू किसी और लड़की के साथ .....तो जान से मार दूँगी तुझे भी और खुद को भी.
सोनू : नही मेरी जान, मेरी जिंदगी में और कोई लड़की नही आएगी.

और सोनू मेरे करीब आ गया.मैने अपनी नज़रें झुका ली . उसने मेरा चेहरा उपर किया और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए. अहह मेरा पूरा जिस्म कांप उठा और मेरी आँखें बंद हो गई. मैं उसकी बाँहों में खो गई. हमारे कपड़े कब उतरे पता ही नही चला.
मुझे लिटा कर वो मेरे उपर आ गया और मेरे होंठ चूसने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी और उसके सर को थाम कर अपने होंठ खोल दिए. उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में घुस गई और हम दोनो गहरे स्मूच में खो गये.


मेरे होंठों को चूस्ते हुए वो मेरे निपल को निचोड़ने लगा. उसका हाथ लगते ही मैं सिसक पड़ी उफफफफफफ्फ़ क्या बताउ सीधा तरंगे मेरी चूत तक जाने लगी और मेरी चूत में हज़ारों चीटियाँ रेंगने लगी.

सोनल : अच्छा फिर
कविता : फिर क्या बच्ची तू चुस्कियाँ ले रही है और मुझे उसके लंड की याद आ रही है. अब सोने दे मुझे नही तो मेरी रात खराब हो जाएगी.
सोनल कविता के उपर चढ़ जाती है और उसके होंठ चूसने लग जाती है.
सोनल आनन फानन अपने और कविता के कपड़े उतार देती है और सीधे उसकी चूत पे हमला कर्देति है.
सोनल : तेरे जिस्म की प्यास मैं भुजाति हूँ, तू बस चालू रह.
कविता : औक्ककचह आराम से कर साली अहह बताती हूँ बाबा उफफफफफफ्फ़


सोनल : तू ऐसे नही मानेगी ( और ज़ोर से कविता की चूत चूसने लग जाती है)
कविता : आह आह आह उफ़ उफ़ उूुुुुउउइईईईइइम्म्म्मममाआआआआअ


कविता : आह आह उसके बाद वो मेरे बूब्स चूसने लग गया उूुउउफफफफफफफफ्फ़ आराम से कर खा जाएगी क्या ओह

सोनल : बोलती रह ( और फिर कविता की चूत को चूसने लगती है)

कविता : वो मेरे निपल्स को एक एक कर के चूसने लगा ऊऊउक्ककचह इतनी ज़ोर से चूस रहा था जैसे अभी दूध निकाल कर दम लेगा हाईईईईईईईईईईई उूुुुुउउम्म्म्मममम


कविता : मेरे दोनो बूब्स को दबा रहा था, निचोड़ रहा था और मेरे निपल्स को कभी चाट्ता, कभी चूस्ता और कभी काटता. मैं तो सातवें आसमान पे उड़ने लगी थी .
अहह क्या मज़ा आ रहा था. मेरा पूरा जिस्म थरथरा रहा था. जिस्म में तरंगे दौड़ रही थी. मैने उसका सर अपने बूब्स पे दबा दिया और वो मेरे बूब्स को ही निगलने की कोशिश करने लगा. काफ़ी देर तक वो मेरे बूब्स चूस्ता रहा और चूस चूस कर लाल सुर्ख कर दिए. जगह जगह उसके दाँतों के निशान भी पड़ गये.
फिर वो पीठ के बल लेट गया .
आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कामिनी आराम से
अहह फिर फिर उसने मुझे उल्टा कर अपने उपर लिया और मेरी चूत चूसने लगा उूुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी तो जान ही निकली जा रही थी . उसका लंड मेरी आँखों के सामने लहराने लगा और मैं उसे चाटते हुए अपने मुँह मे ले गई और चूसने लगी उूुुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़


कविता की दास्तान सुन सुन कर सोनल की तड़प बहुत बढ़ गई और वो कविता के उपर आ गई और अपनी चूत का रुख़ कविता के मुँह की तरफ कर दिया. कविता भी उसकी चूत चूसने लग गई . दोनो कभी अपनी जीब एक दूसरे की चूत में डालती तो कभी ज़ोर ज़ोर से चुस्ती तो कभी अपनी ज़ुबान फेरने लगती.
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