Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 01:51 PM,
#61
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मुझे सबा के ये अदा बड़ी पसंद आ रही थी…वो खुद मज़े से चुदवा रही थी…और मुझे भी मज़ा दे रही थी….नही तो ज़्यादातर औरतें सिर्फ़ टांगे खोल कर आँखे बंद करके लेट जाती है….पर सबा को चुदाई का मज़ा लेना और देना दोनो आता था….हालाकी चुदवाते हुए उसकी आँखे भी बंद थी….पर उसका पूरा बदन हरक़त कर रहा था…उसने अपना एक बाज़ू मोड़ कर हाथ से मेरे सर को पकड़ा हुआ था…और उसकी उंगलियाँ मेरे सर के बालो मे घूम रही थी…मैने इस पोज़िशन मे सबा को 10 मिनट तक चोदा…और जब मेरे लंड ने सबा की फुद्दि को अपना माल नही पिला दिया… मैं सबा के ऊपेर से नीचे नही उतरा…सबा भी इस दौरान मेरे साथ फारिग हुई….

जब मेरा लंड ढीला होकर सबा की फुद्दि से बाहर आया तो, मैं उसके ऊपेर से उतर कर बेड पर लेट गया…सबा ने मेरे तरफ फेस करके करवट बदल ली…..”थक गये हो…” सबा ने मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए कहा….”हां थोड़ा सा…” मैने ऊपेर छत के तरफ देखते हुए कहा……”वैसे तुम हो पूरे एक्सपर्ट….” सबा ने हंसते हुए कहा….तो मैने उसके फेस की तरफ देखा….”एक्सपर्ट…किस्मेत….?” मैने जानते हुए भी अंजान बन कर कहा….”औरतों की फुद्दि मारने मे हाहाहा और हहा हा…”

मैं: और किसमे…..

सबा: उनकी फुद्दि से पानी निकालने मे….(सबा क़हक़हे के साथ हस्ते हुए बोली….)

मैने घड़ी की तरफ देखा तो, 12 बज रहे थे….सबा बेड से उठी और बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली….”तुम लेट कर आराम करो….मैं नहा कर खाना बनाती हूँ…” सबा बाथरूम मे चली गयी….मैं वही बेड पर लेटा रहा….करीब 15 मिनट बाद सबा बाथरूम से बाहर आई….वो एक दम नंगी थी…उसने बाथरूम से बाहर आकर अपनी अलमारी खोली और अपने कपड़े निकालते हुए बोली….”समीर तुम भी नहा लो… पानी गरम है….मैं तब तक खाना बनाती हूँ….”

मैं वहाँ से उठा और बाथरूम मे चला गया….जब नहा कर बाहर आया तो, सबा रूम मे नही थी…..वो रूम को सेट करके किचन मे चली गयी थी…मैं बाहर हॉल मे आया और किचन की तरफ गया…..सबा ने मुझे डाइनिंग टेबल पर बैठने को कहा….करीब 30 मिनट बाद सबा खाना बना कर ले आई…हम दोनो ने खाना खाया और फिर मैं घर जाने के लिए उठा तो सबा ने मुस्कुराते हुए कहा….”कल आओगे….कल भी मैं घर पर अकेली ही हूँ….” 

मैं: कॉसिश करूँगा…लेकिन कल कॉलेज नही मिस करूँगा….ये ना हो कि मॅनेज्मेंट वाले अबू को फोन करके बता दें….

सबा: ठीक है कॉसिश करना….कॉलेज के बाद इधर का चक्कर लगा कर देख लेना..

मैं: ठीक है चाची जान…

सबा: समीर जब हम दोनो अकेले हो तो, मुझे चाची तो मत कहा करो….मुझे बड़ी शरम आती है…..

मैं: ठीक है मेरे जान….आगे से नही कहूँगा…..

सबा मेरे साथ तक नीचे आई….उसने पहले ही ऊपेर से देख लिया था…गली मे कोई नही था…सबा ने गेट खोला और मैं बाहर आ गया….और अपने घर की तरफ चल पड़ा….घर आकर मैं सो गया….नींद तब खुली जब बाहर डोर बेल की आवाज़ सुनाई दी..मैं उठा तो देखा 3 बज रहे थे…..नजीबा के स्कूल से लौटने का वक़्त था.. मैं बड़ी हसरत से गेट की तरफ बढ़ा….और जब गेट खोला तो, मेरा चेहरा एक दम उतर गया….नजीबा के साथ साँवले रंग की एक लड़की और थी…..
Reply
03-08-2019, 01:51 PM,
#62
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
वो दोनो अंदर आई तो, मैने गेट बंद कर दिया…उस लड़की ने अंदर आते हुए मुझे सलाम किया तो मैने भी जवाब दिया….नजीबा और वो लड़की मेरी तरफ पलटी… “ये साना है…मेरी कज़िन…..उस दिन जो मम्मू और मामी आए थे…उनकी बेटी है…” इंट्रोडक्षन के बाद दोनो नजीबा के रूम मे चली गयी,…..स्कूल यूनिफॉर्म चेंज करने के बाद नजीबा बाहर आई और जब वो बरामदे की तरफ आ रही थी….तो साना भी उसके पीछे आ गयी….नजीबा ने हाथ मे एक पॅकेट सा पकड़ा हुआ था…

“मैं खाना बाहर से ही लाई हूँ….थोड़ी देर मे लगा देती हूँ….” मैं बरामदे मे चारपाई पर बैठा था….”मुझे भूक नही है….मैं फ़ैज़ के घर गया था…वही से खाना खा लिया आप दोनो खा लो….” मैं वहाँ से उठ कर अपने रूम मे आ गया… और कोई ख़ास बात ना हुई शाम के 5 बज चुके थे…सूरज सर्दियों के वक़्त हिसाब से डूब चुका था….मैं जब अपने रूम से बाहर आया तो, दोनो सहन मे चारपाई पर बैठी हुई बातें कर रही थी….मैं उनसे कुछ दूर बरामदे मे चारपाई पर लेट गया…..मैं सोच रहा था कि, आज नजीबा की कज़िन ऐसे अचानक कहाँ से आ गयी…

उसकी एज तकरीबन 20 के करीब थी….मैं चारपाई पर लेटा हुआ उन दोनो की तरफ देख रहा था कि, नजीबा ने साना से आँख बचाते हुए मुझे ऊपेर छत पर जाने का इशारा किया…..क्योंकि दोनो सहन मे बैठी हुई थी….और साना की पीठ सीडीयों की तरफ थी…अगर मैं बिना आवाज़ किए ऊपेर जाता तो, उसे अंदाज़ा भी नही होता कि, कोई ऊपर गया है….नजीबा ने दोबारा से मुझे ऊपेर जाने का इशारा किया तो, मैं धीरे से चारपाई से उठा और सीडीयों पर चढ़ते हुए ऊपर जाने लगा…अभी मे आधी सीडीयाँ ही चढ़ा था कि, मुझे नजीबा की आवाज़ सुनाई दी…..

नजीबा: आपी मैं ऊपेर से कपड़े उतार कर लाती हूँ…आप इधर ही बैठो….

मैं जल्दी से ऊपर आ गया….और ऊपर खड़ी चारपाई को बिछा कर बैठ गया…थोड़ी देर बाद ही नजीबा भी ऊपेर आ गयी,……उसने मेरी तरफ देखा..उसके चेहरे से ही जाहिर हो गया था कि, वो कुछ परेशान है……उसने रस्सी पर टाँगे कपड़ों को उतारना शुरू किया….”अम्मी को शक हो गया है….” नजीबा ने कपड़े उतारते हुए मेरी तरफ देखा और बोली…..

मैं: क्या शक हो गया है…

नजीबा: उस रात जब आप ने…..(नजीबा बोलते-2 चुप हो गयी….)

मैं: क्या उस रात…..

नजीबा: (शरमाते हुए….) उस रात आपने मुझे लिप्स पर किस किया था….तो मेरे लिप्स के नीचे सुर्ख निशान पड़ गया था….उस पर अम्मी की नज़र पड़ गयी,….

मैं नजीबा की बात सुन कर बुरी तरह घबरा गया….हालाँकि नजीबा की अम्मी ने हमे देखा नही था….पर फिर भी उनका शक था तो सही….

मैं: तो तुमने उन्हे कुछ बताया तो नही….

नजीबा: नही….

मैं: फिर क्या हुआ….तुम्हारी अम्मी ने तुमसे कुछ कहा….

नजीबा: हां पूछ रही थी कि ये निशान कैसे बन गया…कही हम दोनो के बीच कुछ चक्कर तो नही चल रहा…

मैं: फिर तुमने क्या कहा….

नजीबा: मैने कहा कि, मुझे नही पता कि ये निशान कैसे बन गया….मैं सो रही थी… जब आप आए….और आप भी तो समीर को जानती है….कि वो हम दोनो से सीधे मूह बात नही करता…तो फिर हम दोनो के बारे मे आप ऐसा सोच भी कैसे सकती है…

मैं: तो फिर क्या बोली…..

नजीबा: उस वक़्त तो वो चुप हो गयी…..लेकिन मुझे लगता है कि, उनको अभी भी मुझ पर शक है…इसलिए तो अम्मी ने साना को मेरी रखवाली पर लगा कर यहाँ बुलवा लिया….

मैं: तो क्या ये अब यहाँ रहेगी….

नजीबा: हां….

मैं: पर कितने दिनो तक…

नजीबा: पता नही…वैसे साना आपी की अगले महीने शादी होने वाली है…तो ज़्यादा दिन तो नही रहेंगी यहाँ पर….जब तक अम्मी का शक दूर नही हो जाता हमें एक दूसरे से दूर रहना चाहिए….

मैं: मैं तो सोच रहा हूँ….कि हमें ये सब करना ही नही चाहिए था….तुम मुझे भूल जाओ….अभी तो तुम्हारी अम्मी को शक है….कही अब्बू तक ये बात पहुच गयी तो, बात बहुत बढ़ जानी है….
Reply
03-08-2019, 01:52 PM,
#63
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेरी बात सुन कर नजीबा का चेहरा रुन्वासा हो गया…”उस दिन जब मैं मामा मामी के साथ शॉपिंग पर गयी थी….तो आपके लिए एक जीन्स और टी-शर्ट लाई थी….वो मैने आपके रूम मे रख दी है….”वो पलट कर नीचे चली गयी….थोड़ी देर बाद मैं भी नीचे आ गया….उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई….7 बजे अब्बू और नाज़ी दोनो आ गये….मैं थोड़ा डरा हुआ भी था….लेकिन नाज़ी ने ऐसा कुछ जाहिर नही होने दिया….वो रात बड़ी बेचैनी से कटी….


अगली सुबह मे जब उठा…तो बाकी के सभी घर वाले उठ चुके थे….मैं उठ कर बाथरूम मे चला गया,….और 15 मिनट मे फ्रेश होकर जब बाहर आया तो, मुझे नाज़ी ने खाने का पूछा तो, मैने हां मे सर हिला दिया….और खाने के टेबल पर बैठ गया….हम सब ब्रेकफास्ट कर रहे थे….सिर्फ़ नाज़ी ही किचन मे ब्रेकफास्ट तैयार कर रही थी…..आज मैने एक बात नोटीस कि, आज नाज़ी का मूड कुछ खराब है.. अबू बार-2 किसी बहाने से नाज़ी से बात करने के कॉसिश कर रहे थे….लेकिन नाज़ी सीधे मूह उनसे बात नही कर रही थी….मुझे ऐसा लगा कि जैसे रात को दोनो के बीच कुछ झगड़ा हुआ हो….और अबू उसे मनाने के कोसिश कर रहे हो…..

अबू नजीबा और साना मुझसे पहले से ही ब्रेकफास्ट कर रहे थे….इसलिए वो तीनो मुझसे पहले फारिग होकर टेबल से उठ गये…..साना ने झूठे बर्तन उठाए और अपनी फूफी नाज़ी को देने के लिए किचन मे चली गयी…..अबू बॅंक जाने की तैयारी मे मसगूल हो गये….नजीबा भी स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी थी….जबकि साना किचन मे अपनी फूफी के साथ काम मे मदद कर रही थी….थोड़ी देर बाद अबू तैयार होकर बरामदे मे आए….और नाज़ी से बोली…..”नाज़ी जल्दी करो….बॅंक के लिए देर हो रही है…..”

नाज़ी: आप नजीबा के साथ चले जाएँ…..उसे रास्ते मे स्कूल पर छोड़ दें…मैं बाद बस से आ जाउन्गि…..(नजीबा ने उखड़ी हुई आवाज़ मे जवाब दिया….) 

सॉफ जाहिर हो रहा था कि, नाज़ी अबू से सख़्त नाराज़ थी….अबू बिना कुछ बोले बाइक की तरफ गये….और बाइक स्टार्ट करके नजीबा को आवाज़ दी….वो नजीबा को लेकर चले गये…मैं भी नाश्ता करके उठा और अपने रूम मे आ गया….मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा….तो मुझे किचन से साना की आवाज़ आई….”फूफी आप जाकर तैयार हो जाइए…बाकी का काम मे कर लेती हूँ….वारना आप को लेट हो जाएगा…’

नाज़ी अपने रूम मे चली गयी….मैने साना को उसके रूम मे ब्रेक फास्ट लेजाते हुए देखा…मेरी नज़र उस शॉपिंग बॅग पर पड़ी….जो कल नजीबा ने मेरे रूम मे रखा था….मैने उस शॉपिंग बॅग मे से कपड़े निकले….उसमे एक ब्लू कलर की जीन्स पेंट और ग्रीन कलर की फुल स्लीव टी-शर्ट थी…..और साथ मे एक जॅकेट थी…. मैने सोचा क्यों ना आज इन्हे ही पहन लेता हूँ…अभी मैं कपड़े पहनने ही वाला था.. कि नाज़ी और साना रूम से बाहर आए….नाज़ी साना को कुछ हिदायतें दे रही थी… और फिर नाज़ी बाहर चली गयी…..मैं भी कॉलेज से लेट हो रहा था…बस भी मिस होने का डर था….इसलिए मैने जल्दी -2 कपड़े पहने और साना को बता कर मैं घर से निकल कर मेन रोड की तरफ चल पड़ा…मैने नजीबा की खरीदी हुई जीन्स टी-शर्ट और जॅकेट पहनी हुई थी…..
Reply
03-08-2019, 01:52 PM,
#64
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
बाहर सर्दी बहुत ज़्यादा थी….जैसे जैसे मैं गाओं से बाहर आकर मेन रोड की तरफ जाने वाले रोड के पास पहुच रहा था….वैसे-2 धुन्ध बढ़ती जा रही थी….रोड के दोनो तरफ खेत थे…..मैने सर्दी से बचने के लिए अपने चेहरे पर अपना रुमाल बाँध लिया….और मैं रोड की तरफ जाने लगा….करीब 5 मिनट पैदल चलने के बाद मैं मेन रोड पर पहुचा और वहाँ खड़ा होकर बस का वेट करने लगा….रोड पर कुछ लोग और भी खड़े थे….उनमे से कुछ स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स थे…. और कुछ शहर मे काम पर जाने वाले लोग थे….मैं एक साइड मे खड़ा बस का वेट ही कर रहा था कि, अचानक से मेरी नज़र नाज़िया पर पड़ी….मेरी सौतेली अम्मी और मेरे अब्बू की दूसरी बीवी…..वो भी मुझे कुछ देर पहले ही घर से निकली थी….

वो वहाँ खड़ी बस का वेट कर रही थी….कुछ देर वेट करने के बाद बस आ गयी… जैसे ही बस आकर रुकी….तो बस पर चढ़ने वाले लोग बस की तरफ ऐसे भागे… जैसे उसमे कोई ख़ैरियत बताने वाला बैठा हो…दरअसल सब लोग यही चाहते है कि, उन्हे किसी ना किसी तरह बस मे सीट मिल जाए….लेकिन लोकल बस तो पीछे से ही फुल होकर आती है….जब मैं बस पर चढ़ने के लिए आगे बढ़ा…तो नाज़िया मेरे आगे आ गयी… और बस मे चढ़ने लगी….मैं उसके पीछे बस मे चढ़ गया….

बस मे चढ़ तो गये थे….लेकिन अंदर तो पावं जमाने की भी जगह नही थी… बस एक दम भरी हुई थी…बंदे पर बंदा चढ़ा हुआ था…पीछे डोर से अभी कुछ और बस मे चढ़ रहे थे….बस का कंडक्टर बस मे चढ़े हुए लोगो को आगे होने की हिदायत दे रहा था…नाज़िया बिल्कुल मेरे आगे खड़ी हुई थी….अचानक पीछे से धक्का लगा तो, मैं नाज़िया से जा टकराया….उसने अपना चेहरा घुमा कर मेरी तरफ गुस्से से देखा…..” सीधे खड़े रहो….” नाज़िया ने गुस्से से कहा…. मैने चेहरे पर रुमाल बाँधा हुआ था….इसलिए नाज़िया को मेरी आँखो और माथे के अलावा और कुछ दिखाई नही दिया….तभी पीछे से एक और धक्का लगा….मेरी फ्रंट साइड नाज़िया की बॅक से टकरा गयी…और इस बार तो, मेरी बॉडी की पूरी फ्रंट साइड उसके बॅक के साथ प्रेस हो गयी….”सॉरी वो पीछे से धक्का लग रहा है….भीड़ बहुत है….” मैने अपने पीछे इशारा करते हुए कहा….तो नाज़िया ने एक बार पीछे देखा और फिर फेस आगे करके चुप चाप खड़ी हो गयी….

नाज़िया: मेरा दिमाग़ खराब हो गया था….जो बस मे आ गयी….मुझे पता होता कि बसों मे ये हाल होता है तो, तोबा मैं कभी भूल कर भी बस मे ना आती….

नाज़िया ने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा….बस चल पड़ी….मेरी बॉडी का पूरा फ्रंट साइड नाज़िया के बॅक से टच हो रहा था…नाज़िया की बड़ी सी और गोल बुन्द मेरे लंड वाली जगह पर दबी हुई थी…..जब बस चलते हुए हिलने लगी तो उसने बुन्द मेरी जीन्स के ऊपेर से मेरे लंड वाले हिस्से पर इधर उधर मटक कर रगड़ खाने लगी…जब मुझे उसकी बुन्द की नरमी का अहसास और रगड़ अपने लंड पर महसूस हुई तो, मेरे लंड ने जीन्स के अंदर से अपना सर उठाना शुरू कर दिया…..पता नही क्यों मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगा था….कुछ ही पलों मे मेरा लंड एक दम हार्ड हो गया…

जो नाज़िया की बुन्द के एक पार्ट पर दबा हुआ था….नाज़िया ने उस दिन ब्लू कलर की कमीज़ और लाइट ब्लू कलर की मॅचिंग शलवार पहनी हुई थी…ऊपेर से उसने एक मोटी सी शाल को लिया हुआ था….इसी दरमिया बस एक गड्ढे मे से गुज़री तो, बस मे सवार सभी लोग उछल पढ़े….इस झटके मे मेरा लंड जो कि नाज़िया की बुन्द के एक पार्ट पर दबा हुआ था..खिसक कर नाज़िया की बुन्द की दरार के बीचो- बीच आ गया… अब मेरा लंड उसकी बुन्द की लाइन के बीच मे फँस कर रह गया था…नाज़िया ने चोंक कर पीछे की और देखा…लेकिन वो कुछ ना बोली…और ना ही मैने उसकी तरफ देखा…. वो फिर से आगे की तरफ देखने लगी….उसे तो पता भी ना था कि, उसके शोहार का बेटा उसके पीछे खड़ा है…और उसका लंड वो अपनी बुन्द मे लिए हुए खड़ी है….
Reply
03-08-2019, 01:53 PM,
#65
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उसकी पीठ मेरे पेट और उसके कंधे मेरे चेस्ट पर एक दम दबी हुई थी….हम इस क़दर एक दूसरे से जुड़े हुए थे….कि बीच मे से हवा का भी गुजर ना मुनकीन लग रहा था….पर भीड़ ज़्यादा होने की वजह से कोई किसी की तरफ ध्यान नही दे रहा था….मुझे नाज़िया के बदन का कांपना सॉफ महसूस हो रहा था….मुझे नही पता था कि, उस वक़्त उसके दिल मे क्या चल रहा था….शायद वो मेरे लंड को अपनी बुन्द की लाइन मे महसूस करके गरम हो रही थी….या उससे दिक्कत हो रही थी…ये उस वक़्त मुझे नही मालूम था….पर भीड़ होने का फ़ायदा मुझे मिल रहा था…और ऐसा मोका मैं कैसे हाथ से जाने देता….एक नाज़ुक नरम और गरम बुन्द मेरे लंड को और गरम कर रही थी…..

मैने हिम्मत करके बस के झटको के साथ -2 अपनी कमर को भी आगे की तरफ पुश करना शुरू कर दिया….जैसे कि मैं पीछे खड़ा-2 उसकी बुन्द मार रहा हूँ….वो बीच -2 मे पीछे की तरफ अपना चेहरा घुमा कर देखती….और फिर बस मे खड़ी भीड़ का जायज़ा लेकर आगे की तरफ देखने लग जाती….मैं अभी इससे ज़्यादा आगे बढ़ना नही चाहता था….इसलिए मैं वैसे ही खड़ा रहा….और साथ मे मेरा लंड भी…इस दरमिया बस कंडक्टर टिकेट देकर चला गया….20 मिनट बाद मेरे कॉलेज का स्टॉप आ गया….और काफ़ी स्टूडेंट्स बस से उतर गये….पर नाज़िया को बॅंक के लिए अगले स्टॉप पर उतरना था…उस दिन और कोई ख़ास बात ना हुई….मैं कॉलेज से वापिस आया तो, साना ने गेट खोला…..

मैं सीधा अपने रूम मे चला गया…..और वहाँ जाकर अपने कपड़े चेंज किए… तो थोड़ी देर बाद साना मेरे रूम के डोर तक आई…..”मैने खाना टेबल पर लगा दिया है….” वो इतना बोल कर चली गयी….मैने भी उससे ज़्यादा बात नही की. और खाना खा कर सबा चाची के घर की तरफ चल पड़ा….जब मैं सबा चाची के घर के बाहर पहुँचा तो, वहाँ आज बिल्लू नही था….शायद उसे अहसास हो गया था कि, ये माल उसके हाथ नही आने वाला….मैने गेट के सामने जाकर डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद सबा ने ऊपेर से आवाज़ दी….मैने ऊपेर देखा तो, सबा ने मुस्कुराते हुए मुझे रुकने का कहा….मैं वहाँ खड़ा होकर इंतजार करने लगा….थोड़ी देर बाद सबा ने नीचे आकर गेट खोला….और मुझे जल्दी से अंदर आने को कहा….

मैं अंदर दाखिल हुआ तो सबा ने गेट अंदर से बंद कर दिया….”तो तुमने टाइम निकाल ही लिया हम ग़रीबो के लिए….” सबा ने मुस्कुराते हुए कहा…सबा की बात सुन कर मुझे हँसी आ गये…ग़रीब कहाँ से ग़रीब….आसपास के इलाक़े का सबसे रहीस खानदान था उनका…”क्या हुआ ऐसे हंस क्यों रहे हो….” सबा ने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा….तो मैने ना मे सर हिलाते हुए कहा….”कुछ नही…”

सबा ने मेरे हाथ को पकड़ा हुआ था…सबा ने एक हाथ से अपनी कमीज़ के पल्ले को थोड़ा सा सरकाया और मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी सलवार के तरफ खेंचा तो मेने अपना हाथ ढीला छोड़ दया…फिर जैसे ही मेरा हाथ सबा की कमीज़ के पल्ले के नीचे हुआ, सबा ने कमीज़ का पल्ला छोड़ते हुए, अपनी शलवार और पैंटी के जबरन को पकड़ कर खेंच कर मेरे हाथ को अंदर डाल कर अपनी फुद्दि पर रख दिया….

जैसे ही मेरे हाथ की उंगलियाँ सबा की फुद्दि के लिप्स पर लगी, तो मैं एक दम से हैरान रह गया….”सबा की फुद्दि एक दम पानी से भीगी हुई थी…”देखो समीर मेरी फुददी की कितनी बुरी हालत है…” मेरा हाथ सबा की फुद्दि पर लगाते ही सबा एक दम से सिसक उठी….सबा की शलवार ढीली थी….मुझे पता नही चला कि कब उन्होने अपनी सलवार का नाडा ढीला कर खोल दिया था…सबा अभी भी शरमा रही थी…मेने सबा की आँखो में देखते हुए एक उंगली सबा की फुद्दि के छेद मे घुसा दी….

सबा एक दम सिसक उठी…”सीईईईई समीररर कुछ करो ना इसका….” सबा ने मुझसे पागलो की तरह लिपटाते हुए कहा

…”यही पर….” मेने सबा के कान में सरगोशी करते हुए कहा…तो सबा ने मेरी आँखो में झाँकते हुए मुस्कुराना शुरू कर दिया…फिर मेरा हाथ अपनी शलवार से बाहर खेंचा…और नाडे को पकड़ के अपनी बूँद मटकाते हुए, सीडयों के पास जाकर खड़ी हो गयी….सबा ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और इशारे से मुझे पास आने को कहा…

मैं सबा की तरफ बढ़ने लगा…सबा ने अपनी कमीज़ के अंदर हाथ डालते हुए, अपनी शलवार और पैंटी के अंदर उंगलियों को फसा कर अपनी जाँघो तक सरका दिया…मैं ये सब बड़ी हसरत भरी नज़रों से देख रहा था…. मेने अपनी शलवार के नाडे को खोला और शलवार को पकड़ कर नीचे सरकाया और अपना लंड बाहर निकाल लिया…सबा पीछे गर्दन घुमा कर मेरे तने हुए 8 इंच लंबे लंड को देख रही थी…सबा ने अपनी कमीज़ के पल्ले को अपनी बुन्द से ऊपेर उठा दिया….सबा की बड़ी और मोटी बुन्द देखते ही मेरे लंड ने झटका खाया….और मेने आगे बढ़ कर सबा की बुन्द के नीचे से लेजाते हुए अपने लंड के मोटे टोप्पे को सबा की फुद्दि के सूराख पर टिका दिया….
Reply
03-08-2019, 01:53 PM,
#66
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेरे लंड के टोप्पे की गरमी को सबा ने अपनी फुद्दि के सूराख पर महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….और अपने दोनो हाथों को सीडयों की रेलिंग को पकड़ते हुए कांपति हुई आवाज़ में बोली….”ह्म्म्म्म म सीईईई समीरररर जल्दी डाल दीईए….” मेने जैसे ही अपने लंड के टोप्पे को सबा की फुद्दि के सूराख पर दबाया….सबा की फुद्दि से निकल रहे गाढ़े चिकने पानी की वजह से लंड फिसलता हुआ फुद्दि में घुसने लगा….सबा का बदन एक दम से काँप उठा…सबा की शलवार और पैंटी उनकी जाँघो में अटकी हुई थी…मेने सबा की कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….

लंड फिसलता हुआ अंदर बाहर होने लगा….सबा की मस्ती भरी सिसकारियाँ लगतार जारी थी….और वो भी पीछे की ओर अपनी बुन्द को दबाते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि में ले रही थी..”सीईइ हइईए समीररर चोद मुझीईईई और ज़ोर से मार मेरी फुद्दि फाड़ दे समीर ओह्ह अहह हइई…..देख समीररर तुम्हारे लंड ने मुझे और मेरी फुद्दि को पागल बना दिया है…..हइई मैं अपने बेटे के दोस्त के लंड से अपनी फुद्दि मरवा रही हूँ…मेरे बेटे का लंड मेरी फुद्दि में ह्म्म्म्मनम सीईईई समीर….देख बेटे तेरा दोस्त कैसे मुझे गस्तियो की तरह चोद रहा है…कैसे मैं तेरे दोस्त के लंड को अपनी फुद्दि में लिए हुए चुदवा रही है….”

सबा: समीर सीईईई अहह अहह मुझी रोज चोदेगा ना…..रोज मेरी लेगा ना तूँ मेरी फुद्दि रोज मारेगा ना….?

मैं: हां सबा जब तुम दोगी तो रोज मारूँगा….

सबा: ह्म्म्म्म समीररररर मैं चाहे ना करूँ….पर तुम मेरी फुद्दि रोज मारना ज़बरदस्ती अपना घोड़े जैसे लंड मेरी फुद्दि में घुसा देना….हइईए समीर देख मेरी फुद्दि बजी अहह समीर अहह अहह हइईए….मेरा हो गया…बज गयी तुम्हारी सबा की फुद्दि ओह….देख छोड़ दिया तेरी सबा की फुद्दि ने पानी….

मैं: आहह सबा तुम्हारी फुद्दि सच में बहुत गरम है….ऐसा लगता है मेरा लंड पिघल जाएगा….ओह्ह्ह सबा मेरा भी निकलने वाला है….

सबा: हाँ छोड़ दे अंदर है…भर दे अपनी सबा की फुद्दि को अह्ह्ह्ह…..

मेरे लंड से एक दम से माल की पिचकारियाँ निकल कर सबा की फुद्दि को भरने लगी. हम दोनो तेज साँसे लेते हुए फारिग होने लगे….जब साँसे दुरस्त हुई तो मैने अपने लंड को सबा की फुद्दि से बाहर निकाल लिया…सबा जल्दी से मेरी तरफ घूमी….और अपने बरामदे मे पड़ी चारपाई पर रखे कपड़े को उठा कर पहले मेरे लंड को सॉफ किया और फिर अपनी फुद्दि को…”चाची आज तुम्हे क्या हो गया…तुम बार -2 फ़ैज़ का जिकर क्यों कर रही थी….”

मैने अपनी शलवार का नाडा बाँधते हुए कहा….सबा के गाल शरम से लाल सुर्ख हो गये….उसने नज़रें झुकाते हुए कहा…”फिर कभी बताउन्गि…अभी तुम जाओ…फ़ैज़ और उसके दादा दादी किसी भी वक़्त वापिस आ सकते है….वो लोग वहाँ से 2 बजे के निकले हुए है….अब मुझे समझ मे आया था कि, सबा आज इतनी जल्द बाजी मे क्यों थी….मैं वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा…जब घर पहुचा तो नजीबा स्कूल से वापिस आ चुकी थी…साना की माजूदगी मे अब हमारे दरमिया बात चीत बंद हो गयी थी….सिर्फ़ आँखो – 2 मे बात होती थी….वो भी उसकी तरफ से… उस दिन और कोई बात नही हुई…..अगली सुबह मैं रोज की तरह उठा….और बाथरूम मे चला गया….जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, देखा कि, नाज़िया नजीबा अब्बू और साना सब डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे…मुझे देख नाज़िया ने खाना बीच मे छोड़ा और मेरे लिए प्लेट मे खाना डालने लगी….मैं वही बैठ गया….और फिर सब के साथ नाश्ता करके अपने रूम मे आ गया….कल की बस वाली बात मेरे जेहन मे थी….लेकिन मैं उससे ज़्यादा उम्मीद नही लगा कर बैठा था…

आज नाज़िया की अबू से बात करने के लहजे मे थोड़ी नर्मी थी….जब खाने के टेबल पर दोनो नॉर्मल होकर बात कर रहे थी,….तब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि, नाज़िया आज अबू और नजीबा के साथ बाइक पर ही जाएगी….इसलिए मैने तैयार होने मे कोई जल्दबाजी नही की…और अपने रूम मे आकर बैठ गया….अभी कुछ ही वक़्त गुज़रा था कि, मुझे बाहर से अबू की आवाज़ सुनाई दी…वो नजीबा को बुला रहे थे….

अबू: बेटा जल्दी करो….तुम्हे स्कूल के लिए देर हो रही है….

नजीबा: आई अबू जी….

उसके बाद मैने अपने रूम के डोर पर आकर देखा तो, अबू अपनी बाइक घर से बाहर निकल रहे थे…..नाज़िया भी बरामदे मे तैयार खड़ी थी….नजीबा अपने रूम से बाहर आए बाहर चली गयी…मैं ये देख कर हैरान रह गया कि, नाज़िया आज भी अबू के साथ नही गये थे….कल तो अबू और नाज़िया के बीच अनबन लग रही थी…और कल तो नाज़िया बस का हाल भी देख चुकी थी….फिर भी मेरी समझ से बाहर था कि, नाज़िया अबू के साथ क्यों नही गयी….तभी मेरे दिल मे आया कि, कही वो मेरी वजह से यानी उस नकाब पोश लड़के की वजह से तो नही रुकी…..जैसे ही ये ख़याल मेरे मन मे आया…तो मेरा लंड ऐसे शलवार मे टाइट हुआ कि पूछो मत….आज तक मेरा लंड इतनी शिद्दत से कभी सख़्त नही हुआ था…लंड की नसें फटने को हो गयी थी….दिल जोरो से धड़क रहा था…कि आज क्या नया होने वाला है….
Reply
03-08-2019, 01:53 PM,
#67
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
बस का टाइम हो रहा था….मैं जल्दी से तैयार होने लगा…..मैने नजीबा के दिए हुए कल वाले कपड़े ही पहन लिए….क्यों कि मेरे पास कपड़ो का वही एक जोड़ा था… जिसकी पहचान नाज़िया को नही थी….नजीबा के अलावा कोई भी उन कपड़ो को देख कर ये नही कह सकता था कि ये समीर है….जिसने चेहरे को रुमाल से ढक रखा है… मैने अपने रूम का डोर बंद किया हुआ था,…..मुझे बाहर से नाज़िया की आवाज़ सुनाई दी….”साना मैं जा रही हूँ….” 

साना: जी फूफी….

उसके बाद मुझे गेट के खुलने के आवाज़ आई….मैने जल्दी -2 कपड़े पहने और अपना बॅग उठा कर रूम से बाहर आ गया…साना बाहर बरामदे मे ही बैठी हुई थी… मैने एक बार उसकी तरफ देखा तो उसने नज़रें झुका ली….मैं बिना कुछ बोले गेट खोल कर बाहर आ गया….और तेज कदमो से मेन रोड की तरफ जाने लगा…चलते-2 मैने अपने चेहरे पर रुमाल भी बाँध लिया….तकरीबन 10 मिनट पैदल चलाने के बाद मैं मेन रोड पर पहुचा तो, मैने देखा कि, आज सिटी के तरफ जाने वाले लोगो के भीड़ पहले के मुक़ाबले थोड़ी कम थी…..वो मुझे बाद मे पता चला था कि, एक नयी बस और शुरू हो गयी है…जिसकी वजह से अब कुछ लोग 15 मिनट पहले पहली वाली बस से जा चुके थे….

मेरी नज़र नाज़िया को तलाश कर रही थी…तभी नाज़िया मुझे एक पेड़ के नीचे खड़ी नज़र आई….उसने भी अपने चेहरे को चद्दर से कवर किया हुआ था…मैं उसे उसके लिबास से पहचान गया था….नही तो मैं उसे कभी पहचान भी ना पाता….नाज़िया को जब मैने तैयार देखा तो उसने पिंक कलर का शलवार कमीज़ पहना हुआ था…. उसके शलवार कमीज़ को देख कर ही मैं उसे पहचान पाया था….मैं उसकी तरफ ही देख रहा था कि, उसकी नज़र भी मुझ पर पड़ी….जाहिर सी बात थी कि, वो भी मुझे मेरी ड्रेस से पहचान गयी हो ….पहचाने जाने का मतलब कि वो पहचान गयी थी कि, मैं कल वाला लड़का ही हूँ…जो उसके पीछे खड़ा था…उसने कुछ पलों के लिए मेरी तरफ देखा और फिर इधर उधर देखने लगी….

मैने भी अपने नज़रें दूसरी जानिब कर ली….जहाँ पर स्कूल की कुछ लडकयाँ खड़ी थी… बीच-2 मे जब मैं नाज़िया की तरफ देखता तो, उसकी नज़र मुझ पर ही होती… वो अजीब सी नज़रो से मुझे देख रही होती…और जब हमारी नज़रें टकराती तो, वो अपना फेस घुमा कर इधर उधर देखने लग जाती…मेरे दिल मे तूफान उठा था….लंड पेंट के अंदर ऐसे झटके मार रहा था….कि जैसे नाज़िया मुझे अभी . देने के लिए तैयार खड़ी हो…हालाकी उस वक़्त तक मैं ये नही जानता था कि, आख़िर नाज़िया के दिल मे है क्या…जो मैं सोच रहा था…वो मेरा वेहम भी हो सकता था…..थोड़ी देर मे बस आ गयी,…..आज भी बस मे भीड़ थी…बैठने को जगह तो नही थी….लेकिन फिर भी कल के हिसाब से भीड़ थोड़ी कम थी…

सब लोग बस मे चढ़ने लगे…तो मैने नाज़िया की तरफ देखा…वो बस के डोर की तरफ जाते हुए मुझे ही देख रही थी…जैसे ही वो बस के डोर के पास पहुची तो, मैं भी उसके पीछे आ गया…और उसके पीछे ही बस मे चढ़ गया….आज भी कई लोग खड़े थे….लेकिन कल की तरह धकम मुक्का नही था….मेरे पीछे कुछ और लोग चढ़े….और बस चल पड़ी…नाज़िया ठीक मेरे आगे खड़ी थी….आज हम दोनो के बीच चन्द इंच का फँसला था…मैने कुछ देर तक वेट किया..और एक बार बस मे माजूद सभी लोगो का जायज़ा लेकर थोड़ा सा आगे सरका….तो मेरी बॉडी का फ्रंट पार्ट गैर मामूली तरीके से नाजिया के बॅक के साथ टच होने लगा…लंड तो घर से निकलते वक़्त से ही खड़ा था….मैं सब पर नज़र रखते हुए थोड़ा आगे की ओर खिसका तो मेरा लंड नाज़िया की शलवार और कमीज़ के पल्ले के ऊपेर उसके मोटी से बुन्द पर टच हुआ तो, उसने अपना फेस घुमा कर पीछे की तरफ ऐसे देखा कि, किसी को अहसास ना हो कि वो मेरी तरफ देख रही है…

उसके आँखो कितनी गहरी थी…क्यों उस वक़्त मुझे उसकी आँखे ही नज़र आ रही थी…नक़ाब की वजह से….आँखो मे गहरे काले रंग का सूरमा उसकी आँखो को और दिलकश बना रहा था….उसे देख कर कोई ये नही कह सकता था कि, उसकी एक बेटी है जो कि 9थ क्लास मे पढ़ती होगी….उसकी तरफ से कोई हरक़त ना पाकर मेरी हिम्मत और बढ़ी… और मैं आगे की तरफ खिसक कर मजीद पीछे से उससे चिपक गया… अब मेरा लंड जो कि फुल हार्ड था…नाज़िया की कमीज़ के पल्ले और शलवार के कपड़े को उसकी बुन्द की लाइन मे दबाता हुआ अंदर जा घुसा….लेकिन मैं उसकी बुन्द की लाइन को टच नही कर पाया….
Reply
03-08-2019, 01:53 PM,
#68
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
क्योंकि उसकी पैंटी बीच मे आ गयी थी…जो सारा मज़ा खराब कर रही थी….लेकिन मेरे ऐसे करने से नाज़िया का पूरा बदन थरथरा गया…उसने अपने साथ वाली सीट की पुस्त पर लगे लोहे के पाइप को कस्के पकड़ लिया….

उसकी उंगलयों की गिरफ़्त उस पाइप पर कस्ति जा रही थी….जिससे जाहिर हो रहा था की, उसे मेरे लंड का अपनी बुन्द मे अहसास ज़रूर हो रहा है…मैं ये भी नोट कर रहा था कि, नाज़िया . आगे आधे फुट की जगह खाली है…अगर उसे कोई परेशानी या ऐतराज होता तो, वो आगे की तरफ खिसक सकती थी….लेकिन वो वही खड़ी थी….मैं भी बस के झटको के साथ -2 बीच -2 मे अपनी कमर को हरकत देकर आगे की तरफ घस्सा मार देता…तो नाज़िया का जिस्म बुरी तरह काँप जाता…नाज़िया भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी….और मेरा भी बुरा हाल था…तकरीबन 10 मिनट बाद पहला स्टॉप आया… जो कि एक फॅक्टरी के बाहर था…उस फॅक्टरी मे काम करने वाले बहुत सारे लोग वहाँ उतरे तो, बहुत सारी सीट्स खाली हो गये….मैने जल्दी से विंडो सीट पर बैठते हुए अपने आगे वाली सीट की पुस्त पर हाथ रख दिया…

मैं दिल ही दिल मे दुआ कर रहा था कि नाज़िया मेरा इशारा समझ जाए कि, मैं उसे अपने से आगे वाली सीट पर बैठने को कह रहा हूँ….और हुआ भी वैसे ही, नाज़िया मुझसे आगे वाली सीट पर बैठ गयी…ये सब मैने इस लिए किया था की, उस बस मे मैं कई दफ़ा आ जा चुका था…फ़ैज़ भी कई बार मेरे साथ बस मे ही कॉलेज जाया करता था. क्यों कि रास्ते मे बस मे लड़कियों के साथ छेड़खानी करने का मोका मिल जाता था… मुझे मालूम था कि, बस की सीट और पुस्त के बीच 3 इंच का गॅप है… जिसमे से हम अकसर हाथ डाल कर लड़कियों की गान्ड मसल कर मज़े लेते थे…

और कुछ लड़कियाँ तो खुद अपनी बुन्द उठा कर अपनी फुददी पर उंगलियाँ रगड़ कर मज़े करती थी…जैसे ही नाज़िया मेरे से आगे वाली सीट पर बैठी…तो मेरा दिल घबराहट और अंज़ानी सी खुशी मे धक धक करने लगा…मैने अपनी जाँघो पर अपना बॅग रखा हुआ था….कि मेरे हाथ की हरक़त किसी को नज़र ना आए….जैसे ही बस दोबारा चली….मैने अपना एक हाथ बॅग के नीचे से लेजा कर सीट और पुस्त के गॅप की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया…मेरी बगल वाली सीट पर एक बुजुर्ग आदमी बैठा हुआ था.. इसलिए मुझे उसकी कोई ज़्यादा परवाह नही थी….मैने धीरे-2 अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए सीट और पुस्त के गॅप से आगे की तरफ पुश किया तो, मेरी उंगलियाँ किसी इंतहा नरमो नौजक चीज़ पर जाकर दब गयी….नाज़िया ने चोन्कते हुए पीछे की तरफ फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा…तो मैं थोड़ा घबरा भी गया…लेकिन मैने अपना हाथ पीछे नही किया…कुछ पल मेरी तरफ देखने के बाद उसने अपना फेस आगे की जानिब कर लिया….

मैने अपने हाथ को और आगे की तरफ बढ़ाया…और नाज़िया की बुन्द पर अपना हाथ फेरने लगा…..ये सब करने मे मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी…नाज़िया अपनी बुन्द सीट पर टिकाए बैठी थी…जिससे मुझे बिल्कुल भी मज़ा नही आ रहा था…मैने अपना हाथ वापिस खेंच लिया….और सोचने लगा कि मेरा अगला स्टेप क्या होगा…..अचानक मेरे दिमाग़ मे कुछ आया…मैने अपना बॅग खोला उसमे से एक कॉपी निकाली और पेन भी निकाल लिया…मैने एक पेज पर लिखा….

”मेरा नाम विकी है…..क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ…मुझे पता है कि, तुम्हे भी मेरे साथ मज़ा आ रहा था….आ रहा था ना…मुझे पूरा यकीन है कि, तुम्हारी पैंटी कल और आज दोनो दिन ज़रूर गीली हो गयी हो गी…लेकिन सच कहूँ तो, तुम्हारी पैंटी की वजह से पूरा मज़ा नही आता…..कल अपनी शलवार के नीचे से पैंटी मत पहन कर आना….कसम से ऐसा मज़ा दूँगा कि, दिन मे तारे नज़र आ जाएँगे तुम्हे….” 
Reply
03-08-2019, 01:54 PM,
#69
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने वो पेज फाडा और उसे फोल्ड करके अपनी जेब मे डाल लिया….फिर कॉपी और पेन बॅग मे डाला और वेट करने लगा….थोड़ी देर बाद मेरा कॉलेज आ गया….लेकिन मैं वहाँ पर नही उतरा….मैने टिकेट पहले से आगे तक ले रखी थी….करीब 5 मिनट बाद वो स्टॉप आया….जहाँ पर नाज़िया ने उतरना था…..वो अपनी सीट से खड़ी हुई…अपने पर्स को कंधे पर टांगा और बस के डोर की तरफ जाने लगी…मैं भी जल्दी से खड़ा हुआ अपना बॅग कंधे पर टाँग करके उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया…जब वो सीट से उठ कर घूमी थी तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी थी…उसे सब मालूम था कि, मैं अभी भी उसके पीछे खड़ा हूँ…अभी बस रुकी नही थी कि, सारे लोग लाइन मे खड़े हो चुके थे….मैने अपनी जेब से वो पर्ची निकाली और अपना हाथ नीचे करके आगे की तरफ खिसका दी…और मैने वो पर्ची नाज़िया के हाथ मे जैसे ही पकड़ाई तो, नाज़िया ने चोंक कर नीचे की तरफ देखा…मैं उसके हाथ की मुट्ठी को बंद करने पर लगा हुआ था….

उसने वो पर्ची को पकड़ ली…..लेकिन शायद उसके ख्यालातो से उसे रोका हुआ था…लेकिन फिर कुछ देर बाद मैने जब अपना हाथ हटाया तो, उसने वो पर्ची पकड़ रखी थी… उसके बाद लोग नीचे उतरने लगे…..मैं भी नाज़िया के पीछे उतर आया…और बिना उसकी तरफ देखे…रोड की दूसरी तरफ चला गया…वहाँ रिक्सा पकड़ कर अपने कॉलेज के लिए चल पड़ा…..कॉलेज तो पहुच गया था…लेकिन आज मेरा दिल किसी भी काम मे नही लग रहा था…मैं यही सोचता रहा कि, वो मंज़र कैसा होगा जब नाज़िया मेरे नीचे लेटी हुई मेरा लंड अपनी फुद्दि मे लेकर मुझसे चुदवा रही होगी…

मैं ऐसा क्या करूँ….कि नाज़िया मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो जाए….फ़ैज़ भी कॉलेज आया हुआ था….लेकिन मैने उससे कोई ज़्यादा बात चीत नही की अपने ही ख्यालों मे खोया रहा;…और सोचता रहा कि, नाज़िया को कैसे पटाऊ…पूरा दिन मेरे दिमाग़ मे यही सब चलता रहा…एक बात मेरे दिमाग़ मे ये भी थी कि, नाज़िया नही जानती कि वो लड़का मे हूँ…और वो सब इन कपड़ो की वजह से है…जिसमे उसने मुझे कभी नही देखा है…नाज़िया की नज़र घर पर कभी भी इन कपड़ो पर नही पड़नी चाहिए… और मुझे ऐसे दो तीन जोड़े और चाहिए होंगे….जो नये हो….लेकिन मेरे पास इतने पैसे नही थे कि, मैं नये कपड़े खरीद सकता…..बहुत देर सोचने के बाद मैने सोचा क्यों ना आज अब्बू के बॅंक जाकर उनसे पैसे माँग लूँ…लेकिन अगर वहाँ जाता तो, नाज़िया के सामने आने का भी ख़तरा था…

कॉलेज ख़तम हुआ तो फ़ैज़ और मैं कॉलेज से बाहर निकले तो, फ़ैज़ स्टॅंड से अपनी बाइक लेकर आ गया…”यार फ़ैज़ तेरे पास कुछ पैसे है क्या…..?” मैने आज तक किसी दोस्त से ऐसे पैसे उधार नही लिए थे…

..”क्या हुआ कितने पैसे चाहिए….?” फ़ैज़ ने मेरी तरफ देख कर हैरत से पूछा….

मैं: 2000 रुपये है तुम्हारे पास….

फ़ैज़: है लेकिन इतने पैसे का क्या करना है तुमने…..

मैं: यार वो कुछ नये कपड़े लने है…3-4 दिन बाद अब्बू से लेकर तुम्हे वापिस कर दूँगा….

फ़ैज़: कोई बात नही तूँ पैसे ले ले….जब तेरे पास हो तब वापिस कर देना….

फ़ैज़ ने मुझे 2000 रुपये दिए….और मैं फ़ैज़ के साथ मार्केट की तरफ चला गया…वहाँ अपने लिए 2 पेंट्स और 2 शर्ट्स खरीद लिए…..और एक जॅकेट भी खरीद लिया…अब रोज एक ही जोड़ा पहना कर तो कॉलेज नही जा सकता था….हम वहाँ से फारिघ् होकर गाँव की तरफ चल पड़े….जब हम गाओं पहुचे तो, गाओं के एक आदमी ने इशारा करके फ़ैज़ को बाइक रोकने को कहा….”क्या हुआ चाचा….” फ़ैज़ ने उस घबराए हुए आदमी की तरफ देखते हुए कहा….

आदमी: बेटा तुम्हारे दादा जी की मौत हो गयी है….तुम जल्दी से अपने घर जाओ…..

फ़ैज़ ने बाइक मे गियर डाला और तेज़ी से हम फ़ैज़ के घर पहुचे…तो वहाँ गाओं की कुछ औरतें नीचे बैठी हुई थी….फ़ैज़ के नजीदक रहने वाले रिस्तेदार भी आ चुके थे….बातो बातो मे पता चला कि 1 घंटे पहले ही फ़ैज़ के दादा की मौत हुई है….मैं थोड़ी देर वहाँ रुका और घर वापिस आ गया…..मैने डोर बेल बजाई तो साना ने गेट खोला….मैं उसकी तरफ देखे बिना वहाँ से अपने रूम मे आ गया….अपनी अलमारी खोली और वो सारे कपड़े रख कर अपने कपड़े चेंज किए…

अब मैं आपको थोड़ा शॉर्ट मे बता रहा हूँ….उस दिन और कुछ ख़ास ना हुआ…मेरा सारा दिन फ़ैज़ के घर गुज़रा….अम्मी अबू भी फ़ैज़ की अम्मी से मिलने के लिए आ गये…..अगले दिन सुबह जनाज़ा था….रात को अब्बू खाने के टेबल पर बड़े परेशान दिखाई दे रहे थे….मैने जब उनसे पूछा तो, उन्होने ने बताया कि, उनका ट्रान्स्फर दूसरी सिटी मे हो गया है….अब उनको दूसरी तरफ वाली सिटी मे जाना पड़ेगा… जिस तरफ से बस सुबह आती थी….उस तरफ….नजीबा का तो उसकी अम्मी ने पक्का बंदोबस्त कर दिया था…नजीबा के स्कूल की बस थी…जो सुबह मेन रोड पर आकर रुकती थी….और वही से वो बच्चो को स्कूल लेकर और ड्रॉप करके जाती थी…

उस दिन मैने नाज़िया पर बड़ी तवज्जो दी….उसकी किसी भी हरक़त से जाहिर नही हो रहा था कि, आज उसके साथ बस मे क्या हुआ था…और ना मुझे कोई हिंट मिल रहा था कि, जो उसके साथ मैं नक़ाब की आड मे कर रहा हूँ…वो उससे खुस है या परेशान… खैर अगले दिन सुबह मुझे मजबूरन कॉलेज से छुट्टी करनी पड़ी…क्यों कि फ़ैज़ मेरा बड़ा करीबी दोस्त था…वो सारा दिन भी फ़ैज़ के घर मे गुज़रा…जनाज़े के बाद घर आए लोगो के लिए खाने पीने का इंतज़ाम मे इधर उधर दौड़ते रहे…. 
Reply
03-08-2019, 01:54 PM,
#70
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उस शाम मे जब घर पहुचा तो देखा कि, साना के अम्मी अबू आए हुए थे…बातों बातों मे पता चला कि साना के निकाह की तारीख लड़के वालो के कहने पर उन्होने थोड़ा और पहले कर ली है….4 दिन बाद ही साना का निकाह था….क्यों कि साना का होने वला शोहार भी निकाह के एक महीने बाद दुबई जाने वाला था…उसका वीज़ा अचानक से लग गया था….और इसीलिए वो साना को लेने आए थे….साना को क्या लेने आए थे… अगले दिन वो साना के साथ -2 नाज़िया और नजीबा दोनो को भी ले गये….अब्बू ने कहा कि वो और मैं शादी से एक दिन पहले पहुच जाएँगे…

अगले दिन सुबह साना उसकी अम्मी अब्बू नाज़िया और नजीबा चले गये…आज अब्बू और मेरी दोनो की छुट्टी थी….मैं अबू के रूम मे गया…तो अबू ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा….”तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है बेटा….?”

मैं: जी ठीक चल रही है…

अबू: कोई काम था…..

मैं: जी….

अबू: बोलो क्या बात है….

मैं: अबू मुझे 2000 रुपये चाहिए थे….

अबू: ले लो…लेकिन इतने पैसे क्यों चाहिए….

मैं: अबू वो मुझे कुछ नये ड्रेस लेने थे अपने लिए….

अब्बू ने कोई और बात ना की और मुझे पैसे निकाल कर दे दिए…क्यों कि मैं बहुत कम पैसे माँगता था…कॉलेज आने जाने और फीस के अलावा मेरा और कोई खरचा भी ना था….मैने अब्बू से पैसे लिए फ़ैज़ के घर जाने का बोल के फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा….जब फ़ैज़ के घर पहुचा तो गेट खुला ही था…अंदर कुछ लोग माजूद थे… मेरी नज़र सबा पर पड़ी…जो औरतों के बीच बैठी हुई थी…वो उठ कर मेरे पास आई…और मुझे सीडीयों की तरफ लेजाते हुए बोली…”क्या हुआ…?”

मैं: चाची वो फ़ैज़ कहाँ है….

सबा: वो मार्केट गया है घर का कुछ समान लाने….किसी काम से आए थे क्या….

मैं: हां वो फ़ैज़ को ये पैसे दे देना….मैने उससे उधर लिए थे….

मैने जेब से पैसे निकाल कर सबा की तरफ बढ़ा दिए….सबा ने इधर उधर देखा और धीरे से बोली…”तुम ये पैसे अपने पास रखो….मैं अपने पास से फ़ैज़ को पैसे दे दूँगी और कह दूँगी कि समीर पैसे लौटा कर गया है….:”

मैं: ये क्या बात हुई चाची जी….मैने ये पैसे उधार लिए थे उससे…

सबा: अच्छे बच्चे ज़िद्द नही करते….मेरी इतनी से बात नही मनोगे….मैं उसे अपने पास से पैसे दे दूँगी…कितने है वैसे….

मैं: 2000रुपये….

सबा: बस 2000 ही है ना…मैं उसे दे दूँगी….अगर तुम्हे आगे से पैसो की ज़रूरत पड़े तो मुझे कह दिया करो….किसी से माँगने की ज़रूरत नही…

मैं: ठीक है….

मैं वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा….मुझे पता था कि, अब 2-3 दिन और फ़ैज़ के घर मे कोई ना कोई रिस्तेदार आ जाते रहेंगे…इसलिए मेरा वहाँ ज़्यादा जाना ठीक नही है….मैं वहाँ से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा….मैं जैसे ही अपनी गली मे पहुचा तो, मेरी नज़र सुमेरा और रीदा पर पड़ी…दोनो अपने घर से निकल कर सामने अपनी हवेली की तरफ जा रही थी…जहाँ वो अपनी भैसे बाँधती थी….मैं दिल ही दिल मे सोच रहा था कि, वो दोनो जल्दी से अंदर चली जाएँ. कि उनकी नज़र मुझ पर ना पड़े..रीदा के साथ जो सलूक उस दिन मैने किया था… उसकी वजह से मैं बहुत डरा हुआ था…इसलिए उनका सामना करने से डर रहा था…

लेकिन शायद मेरी किस्मत मे कुछ और ही लिखा था….सुमेरा चाची की नज़र मुझ पर पड़ गयी.,….सुमेरा चाची ने रीदा से कुछ कहा तो रीदा ने एक बार मेरी तरफ देखा और उस हवेली के अंदर चली गयी…पर सुमेरा चाची हवेली के दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गयी….जब मैं उसके पास पहुचा तो, सुमेरा चाची ने स्माइल करते हुए मुझे आवाज़ दी…”क्या हुआ समीर…..नज़रें चुरा कर कहाँ जा रहे हो…” मैने स्माइल होंटो पर लाते हुए सुमेरा की तरफ देखा और बोला…”कुछ नही चाची वो फ़ैज़ के घर गया था….घर वापिस जा रहा हूँ…..”
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,619 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,909 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,496 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,595 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,002 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,108,975 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,153 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,216,502 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,023 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,515 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)