Kamukta Story बदला
08-16-2018, 02:25 PM,
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..

क्षोटन चौबे की हर्कतो से भले ही लोगो को ये गुमान हो की वो 1 ढीला-ढाला
शख्स था मगर कोई भी उसे काम करते देख लेता तो फ़ौरन समझ लेता की वो 1 पेन
दिमाग़ का मालिक था.सहाय एस्टेट मे भी जब उसने कदम रखे & प्रसून की
गुमशुदगी की गुत्थी सुलझानी शुरू की & इस बाबत खोजी दल चारो ओर भेजे उस
वक़्त भी वो एस्टेट के गार्ड्स & अपने आदमियो के ज़रिए एस्टेट की हदे सील
करना नही भुला था.

जब प्रसून की लाश बरामद हुई तो उसने फ़ौरन पंचमहल से डॉग स्क्वाड बुलवाया
& उन्हे काम पे लगा दिया.कोई 2 घंटे तक उसने प्रसून की लाश को मिलने की
जगह से नही हटाया & कुत्तो को उसकी गंध सूँघा के च्छुड़वा दिया.जब कुत्ते
एस्टेट मे चारो ओर फैल गये तभी उसने उसकी लाश पोस्ट-मॉर्टेम के लिए भेजी.

शाम को कोई 5 बजे चौबे की मेहनत रंग लाई.छ्होटी नाम की 1 कुतिया मॅनेजर'स
कॉटेज के पास पहुँच के भौंक रही थी.उसके हॅंड्लर ने फ़ौरन चौबे को इस बात
की खबर दी.चौबे वाहा पहुँचा तो उसने देखा की कॉटेज के दरवाज़े पे ताला तो
काफ़ी पुराना लगा हुआ है मगर कॉटेज के सामने ऐसा लगता था जैसे किसी ने
झाड़ू मारा हो.

चौबे सोच मे पड़ गया.उसने अपने 1 आदमी को बाइक स्टार्ट करने कहा & उसके
पीछे बैठ गया,"अब यहा से ज़रा टीलवा तक चलो तो मगर रास्ते के
किनारे-2.",चौबे की पैनी निगाहे सारे रास्ते का बारीकी से मुआयना कर रही
थी.वो टीले तक जाकर वापस आ गया & फिर इंदर को तलब किया.

"आइए मॅनेजर साहब..",इंदर के चेहरे के सवालिया भाव देख चौबे ने आगे
बोला,"..ई झोपडिया किसका है?"

"जी,है तो ये मॅनेजर'स कॉटेज मगर मैं यहा नही रहता तो ये तो काफ़ी दीनो
से बंद पड़ी है."

"हूँ..",चौबे ने 1 हाथ पीछे किया तो 1 हवलदार ने 1 पेपर कप उसे
थमाया,उसने पान की पीक उसमे थुकि.कॉटेज शक़ के घेरे मे थी & वाहा थूक
चौबे क्राइम सीन को गंदा नही करना चाहता था,"..ऐसा काहे भाई?इतना बढ़िया
कॉटेज मे काहे नही रहते हैं आप?"

"अकेला आदमी हू,जनाब.अब इतने बड़े कॉटेज मे अकेले क्या करूँगा इसीलिए मैं
तो उधर बने क्वॉर्टर्स मे से 1 मे ही रहता हू.मेरे लिए वही काफ़ी है."

"बहुत समझदार आदमी लगते हैं आप,इंदर बाबू."

"शुक्रिया.और कुच्छ पुच्छना है?"

"नही,आप जाइए.यहा की चाभी भिजवा दीजिए बस.",उसके जाते ही चौबे मुड़ा &
अपने नीचे काम कर रहे ऑफीसर को बुलाया,"हसन..",ये वही अफ़सर था जिसकी
बाइक पे चौबे थोड़ी देर पहले टीले तक का चक्कर लगा के आया था.

"जी,जनाब."

"कुच्छ गौर किए रास्ते पे?"

"ऐसा कुच्छ खास तो नही.,सर.",हसन अपना सर खुजा रहा था.

"धात!अरे 1 जीप का टाइयर का निशान भी है मगर ऊ हम लोग के गाड़ी सब के
निशान मे दब गया है.यहा झाड़ू लगा हुआ है मतलब कोई नही चाहता है की हम
लोग जाने की यहा कोई आया था."

"तो सर,उस टाइयर के निशान से गाड़ी का पता लगाते हैं.",हसन ने जोश मे कहा.

"हम पता लगा लिए हैं,हसन साहब."

"कैसे सर?"

"तुम भी यार..",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था,"..अरे एस्टेट मे 1 ही
मॉडेल का जीप सब लोग इस्तेमाल कर रहा है उसी का निशान है.खूनी चालक आदमी
है भाई.घर से लड़का को उठाके उसी के गाड़ी मे ले जाके उसी के एस्टेट के
अहाता के दूसरा घर मे या तो बंद करता है या मारता है & फिर लाश भी एस्टेट
के अंदर फेंक देता है.अब खोजते रहो तुम की कौन मारा!"

तब तक इंदर चाभी लेके आ गया था.कॉटेज खुलते ही छ्होटी अंदर घुसी & भूंकने
लगी,उसका हॅंड्लर चौबे से मुखातिब हुआ & बस सर हिलाया.चौबे अंदर आया &
खाली पड़े कॉटेज का मुआयना करने लगा.अंदर फर्श पे जमी धूल पे किसी को
घसीटने के निशान थे.छ्होटी बहुत रोमांचित हो अंदर घूम रही थी.

तभी वो अंदर जाने वाले दरवाज़े के पास गयी & उसके चौखट के जोड़ को सूंघ
के भूंकने लगी,उसका हॅंड्लर पास गया & दरवाज़े के नीचे फँसे 1 छ्होटे से
कपड़े के टुकड़े को खींच के निकाला & चौबे को दिया.काले रंग के पॅंट के
कपड़े के टुकड़े को चौबे ने 1 प्लास्टिक के छ्होटे से पाउच मे डाला &
अपने हवलदार को थमाया.

अब इतना साफ था की प्रसून को इसी कॉटेज मे लाया गया था & या तो यहा बेहोश
किया गया या मारा गया क्यूकी ज़मीन पे घसीटने के निशान ऐसे थे मानो किसी
इंसान को घसीटा गया है.1 बात चौबे को बहुत परेशान कर रही थी,आमतौर पे
क़त्ल होने पे क़ातिल अपने निशान च्छुपाने की कोशिश करता है मगर यहा तो
जैसे वो चाहता था की लाश बरामद हो & पोलीस को सारे सबूत भी मिल जाएँ वो
भी जल्दी से जल्दी,मगर क्यू?

हसन ने देखा की उसका बॉस तेज़ी से जबड़े चला रहा था..यानी की छ्होटन चौबे
का दिमाग़ क़ातिल को पकड़ने मे जुट गया है,वो मुस्कुराया & फोरेन्सिक टीम
को अंदर के फोटो लेने & बाकी सॅंपल्स लेने के लिए बुलाने चला गया.

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कामिनी जब पहुँची तब तक अंधेरा घिर आया था.वो वीरेन के पास पहुँची & दोनो
बाते करने लगे.कामिनी ने वीरेन को ऐसे अपने बड़े भाई की मौत पे भी नही
देखा था,"..क्यू कामिनी?किस लिए मारा उस बेचारे को?..वो मासूम
बच्चा....",वीरेन का गला भर आया तो कामिनी ने उसे गले से लगा लिया.इतनी
देर से जो गुबार वीरेन अपने सीने मे दबाए था वो अब आँसुओ की शक्ल मे निकल
पड़ा. देविका & रोमा के सामने रोकर वो उन्हे और कमज़ोर नही करना चाहता था
मगर कामिनी के साथ ऐसी कोई बात तो थी नही.अपने सीने पे अपने प्रेमी के सर
को दबा कामिनी उसे दिलासा दे रही थी.

जब वीरेन का मन हल्का हो गया तो कामिनी ने उस से सारी बाते तफ़सील से
पुछि & देविका से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.वीरेन उसे अपनी भाभी के पास
ले गया.देविका को देख के कामिनी की आँखो मे भी पानी आ गया.ऐसा लगता था
मानो देविका 10 साल बूढ़ी हो गयी.आँखो मे ना चमक थी ना चेहरे पे कोई
भाव.कामिनी उसके करीब गयी & उसके हाथ को थाम बैठ गयी.देविका बस बुत बनी
उसे देखे जा रही थी.

कामिनी की समझ मे नही आय की वो क्या कहे?..कुच्छ कहना ज़रूरी था
भी?..कामिनी के आँसू उसके गालो पे ढालाक गये & उसे बहुत ज़ोर का गुस्सा
आया,"देविका जी,आप यकीन मानिए,पोलीस पता लगाए ना लगाए मैं उस नीच इंसान
को सज़ा ज़रूर दिलवाऊंगी.",कामिनी उठी & अपने आँसू पोछ्ते वाहा से निकल
गयी.

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08-16-2018, 02:25 PM,
RE: Kamukta Story बदला
मोहसिन जमाल & सुखी 1 बार फिर से शिवा की तलाश मे जुट गये थे.सुखी का तो
गुस्से से बुरा हाल था.शिवा के नाम की गालिया निकलते हुए वो कार ड्राइव
करता चला जा रहा था.1 बार फिर शिवा के मोबाइल पे मोहसिन की सेक्रेटरी से
1 बॅंक लोन बेचने की झूठी कॉल करवा उसकी लोकेशन निकलवा ली थी.शिवा अब
पुराने पंचमहल के उस हिस्से मे थे जिसे मोहसिन बड़े अच्छे तरीके से जानता
था-आख़िर उसका बचपन जो बीता था वाहा.अब तो वो यहा नही रहता था मगर उसके
रिश्तेदार & काई दोस्त अभी भी वाहा रहते थे.

मोहसिन रहमत बाज़ार पहुँचा & वाहा के इज़्ज़तदार बाशिंदे & अपने अब्बा के
ममुज़द भाई हाजी सार्वर हूसेन के घर पहुँचा,"आदाब,भाभी जान.",घर का
दरवाज़ा खोलने वाली औरत को आदाब करता मोहसिन अंदर दाखिल हुआ,"..घबराती
क्यू हो भाभी!मेरा दोस्त है,वैसे भी इस बिचारे को तुमसे घबराना
चाहिए!",मोहसिन ने अपनी भाभी को छेड़ा.

"हां जी!क्यू करू!अब आपके जैसा नूर तो है नही हमारे चेहरे पे.",उसकी भाभी
ने सुखी के आदाब का जवाब देते हुए मोहसिन को जवाब दिया.

"अरे भाभी!क्या बात करती हो?तुमसे ज़्यादा हसीन कोई हो सकता है भला!मैं
तो अभी भी यहा तुम्हे भगाने ही आया हू.चलो ना,रशीद भाई को पता भी नही
चलेगा!"

"धात!बदतमीज़.",उसकी भाभी शर्मा गयी.तीनो घर की बैठक मे आ गये थे जहा
सरवर हूसेन अपनी बेगम के साथ बैठे थे.मोहसिन की चाची ओर देखते ही उठ खड़ी
हुई & क़ुरान की आयात पढ़ उसके माथे को चूमा,"कितने दीनो बाद आया,मेरा
बच्चा.चल बैठ.",चाचा-चाची का हाल पुच्छने के बाद मोहसिन ने वाहा आने का
मक़सद बताया.

"ह्म्म..",सरवर हूसेन सोच मे पड़ गये,"..1 काम करते हैं,मैं पूरे मोहल्ले
मे इस शख्स के हुलिए & नाम के बारे मे बता देता हू & सबको नज़र रखने को
कहता हू.देखते हैं क्या होता है.",मोहसिन के आने की खबर सुन उसके कुच्छ
रिश्ते के भाई भी वाहा आ पहुँचे.थोड़ी ही देर मे सुखी भी सबसे खुल गया था
& उस खुशदील सरदार ने अपनी बातो से समा बाँध दिया.रात के 9 बजे 1 17 साल
का लड़का भागता हुआ बैठक मे आया,"आदाब,भाई जान..",लड़का ने हान्फ्ते हुए
मेज़ पे रखी पानी की बॉटल को उठाया & मुँह से लगा लिया.

"ओये,रेहान,आराम से पी बेटा.",मोहसिन की चाची ने उसे नसीहत दी.

"मोहसिन भाई..",लड़का अभी भी हाँफ रहा था.

"पहले साँस ले ले जवान.",मोहसिन ने उसे बिताया.

"भाई,आप जिसे ढूंड रहे हैं वो अभी मस्जिद के पास वाले होटेल मे बैठा खाना
खा रहा है."

"क्या?!किसके यहा?जमाल के ढाबे पे?"

"नही,भाई,जान.जमाल के छ्होटे भाई कमाल के ढाबे पे."

"दोनो भाइयो मे झगड़ा हो गया था,मोहसिन.",सरवर हूसेन ने बात सॉफ
की,"..जमाल के ढाबे के पीछे ही कमाल ने खुद का ढाबा खोल लिया है."

"मोहसिन & सुखी उठ खड़े हुए & वाहा बैठे सारे लड़के भी,"देखो
भाइयो,मस्जिद की तरफ चार गलिया जाती हैं & 1 अपना मैं रोड.हम सब इधर से
अलग-2 गलियो से वाहा पहुँचते हैं.सुखी,तू वाहा से मैं रोड पे चले
जाना.अगर वो वाहा से भागता है तो उसे रोकने की ज़िम्मेदारी तेरी & रशीद
भाई की."

"ठीक है,सर."

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शिवा होटेल मे बैठा खाना खा रहा था.शाम को टीवी पे उसने वो मनहूस खबर
सुनी थी & उसका दिल देविका के लिए तड़प उठा था.उसे पता था की देविका अगर
सबसे ज़्यादा किसी को चाहती थी तो वो था प्रसून.शिवा का दिल कर रहा था की
फ़ौरन एस्टेट पहुँचे & अपनी जान के गम को दूर कर दे.उसे पता था की ये सब
इंदर का किया हुआ है.उसने तय कर लिया था की अब इंदर को वो खुद सज़ा
देगा.प्रसून के खून की खबर सुनके शिवा की भूख-प्यास मर गयी थी लेकिन 1
फ़ौजी होने के नाते वो जानता था की भूखे पेट कोई भी लड़ाई नही जीती जा
सकती इसलिए वो अपने होटेल से निकल यहा खाना खाने आया था. उस बेचारे को ये
कहा पता था की कामिनी उसे ही क़ातिल समझ रही थी & ढाबे के बाहर खड़ा
मोहसिन उसे देख रहा था.

"मोहसिन,पकड़ साले को."

"नही,अभी नही.उसके पास हथ्यार भी हो सकता है."

शिवा खाकर बाहर आया & काउंटर पे बैठे कमाल को पैसे देने लगा,"अरे मोहसिन
भाई,कब आए?",कमाल मोहसिन को देख के चौंका.

"बस अभी-2.",शिवा बाकी पैसे वापस लेने के इंतेज़ार मे खड़ा था.

"आओ ना,बैठो.आप तो पहली बार आए हो मेरे होटेल मे.आपको अपना स्पेशल पान
खिलाता हू.",कमाल ने गल्ले से बाकी पैसे निकल शिवा को दिए.

"आज नही,कमाल.आज कुच्छ काम है."

"कैसा काम,मोहसिन भाई?"

"इन भाई साहब को जैल की सलाखो के पीछे पहुचाना है.",उसने शिवा का गिरेबान
थाम लिया मगर शिवा चौकन्ना था उसने अपनी बाई कोहनी मोहसिन की ठुड्डी के
नीचे मारी & गिरेबान छुड़ा भागा.लड़को की भीड़ उसके पीछे पड़ गयी.शिवा
तेज़ी से भागता मैं रोड पे पहुँचा..बस 1 बार वो यहा से निकल जाए तो फिर
इंदर को & उसके इन कुत्तो को भी देख लेगा मगर तभी उसका पाँव किसी चीज़ से
टकराया & वो औंधे मुँह गिरा.

उसने उठने की कोशिश की मगर तब तक उसकी पीठ पे सुखी सवार हो चुका था &
उसके हाथो मे हथकड़ी डाल रहा था,"साले!क़ातिल.फौज के नाम पे धब्बा है
तू!",तब तक वाहा बाकी लोग भी आ पहुँचे.मोहसिन पोलीस का आदमी तो नही था
मगर तब भी वो हथकड़ी ज़रूर रखता था & अपने आदमियो को भी रखने को कहता
था.उसका मानना था की किसी भी ख़तरनाक आदमी को काबू मे करने के लिए हथकड़ी
से बेहतर कुच्छ भी नही था.लड़के शिवा की पिटाई करना चाहते थे मगर मोहसिन
ने उन्हे रोका & शिवा के पैरो को रस्सी से बाँधा & कार की पिच्छली सीट पे
डाल दिया & फिर सुखी के साथ निकल गया.

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क्रमशः...............
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08-16-2018, 02:25 PM,
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..

क्षोटन चौबे की हर्कतो से भले ही लोगो को ये गुमान हो की वो 1 ढीला-ढाला
शख्स था मगर कोई भी उसे काम करते देख लेता तो फ़ौरन समझ लेता की वो 1 पेन
दिमाग़ का मालिक था.सहाय एस्टेट मे भी जब उसने कदम रखे & प्रसून की
गुमशुदगी की गुत्थी सुलझानी शुरू की & इस बाबत खोजी दल चारो ओर भेजे उस
वक़्त भी वो एस्टेट के गार्ड्स & अपने आदमियो के ज़रिए एस्टेट की हदे सील
करना नही भुला था.

जब प्रसून की लाश बरामद हुई तो उसने फ़ौरन पंचमहल से डॉग स्क्वाड बुलवाया
& उन्हे काम पे लगा दिया.कोई 2 घंटे तक उसने प्रसून की लाश को मिलने की
जगह से नही हटाया & कुत्तो को उसकी गंध सूँघा के च्छुड़वा दिया.जब कुत्ते
एस्टेट मे चारो ओर फैल गये तभी उसने उसकी लाश पोस्ट-मॉर्टेम के लिए भेजी.

शाम को कोई 5 बजे चौबे की मेहनत रंग लाई.छ्होटी नाम की 1 कुतिया मॅनेजर'स
कॉटेज के पास पहुँच के भौंक रही थी.उसके हॅंड्लर ने फ़ौरन चौबे को इस बात
की खबर दी.चौबे वाहा पहुँचा तो उसने देखा की कॉटेज के दरवाज़े पे ताला तो
काफ़ी पुराना लगा हुआ है मगर कॉटेज के सामने ऐसा लगता था जैसे किसी ने
झाड़ू मारा हो.

चौबे सोच मे पड़ गया.उसने अपने 1 आदमी को बाइक स्टार्ट करने कहा & उसके
पीछे बैठ गया,"अब यहा से ज़रा टीलवा तक चलो तो मगर रास्ते के
किनारे-2.",चौबे की पैनी निगाहे सारे रास्ते का बारीकी से मुआयना कर रही
थी.वो टीले तक जाकर वापस आ गया & फिर इंदर को तलब किया.

"आइए मॅनेजर साहब..",इंदर के चेहरे के सवालिया भाव देख चौबे ने आगे
बोला,"..ई झोपडिया किसका है?"

"जी,है तो ये मॅनेजर'स कॉटेज मगर मैं यहा नही रहता तो ये तो काफ़ी दीनो
से बंद पड़ी है."

"हूँ..",चौबे ने 1 हाथ पीछे किया तो 1 हवलदार ने 1 पेपर कप उसे
थमाया,उसने पान की पीक उसमे थुकि.कॉटेज शक़ के घेरे मे थी & वाहा थूक
चौबे क्राइम सीन को गंदा नही करना चाहता था,"..ऐसा काहे भाई?इतना बढ़िया
कॉटेज मे काहे नही रहते हैं आप?"

"अकेला आदमी हू,जनाब.अब इतने बड़े कॉटेज मे अकेले क्या करूँगा इसीलिए मैं
तो उधर बने क्वॉर्टर्स मे से 1 मे ही रहता हू.मेरे लिए वही काफ़ी है."

"बहुत समझदार आदमी लगते हैं आप,इंदर बाबू."

"शुक्रिया.और कुच्छ पुच्छना है?"

"नही,आप जाइए.यहा की चाभी भिजवा दीजिए बस.",उसके जाते ही चौबे मुड़ा &
अपने नीचे काम कर रहे ऑफीसर को बुलाया,"हसन..",ये वही अफ़सर था जिसकी
बाइक पे चौबे थोड़ी देर पहले टीले तक का चक्कर लगा के आया था.

"जी,जनाब."

"कुच्छ गौर किए रास्ते पे?"

"ऐसा कुच्छ खास तो नही.,सर.",हसन अपना सर खुजा रहा था.

"धात!अरे 1 जीप का टाइयर का निशान भी है मगर ऊ हम लोग के गाड़ी सब के
निशान मे दब गया है.यहा झाड़ू लगा हुआ है मतलब कोई नही चाहता है की हम
लोग जाने की यहा कोई आया था."

"तो सर,उस टाइयर के निशान से गाड़ी का पता लगाते हैं.",हसन ने जोश मे कहा.

"हम पता लगा लिए हैं,हसन साहब."

"कैसे सर?"

"तुम भी यार..",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था,"..अरे एस्टेट मे 1 ही
मॉडेल का जीप सब लोग इस्तेमाल कर रहा है उसी का निशान है.खूनी चालक आदमी
है भाई.घर से लड़का को उठाके उसी के गाड़ी मे ले जाके उसी के एस्टेट के
अहाता के दूसरा घर मे या तो बंद करता है या मारता है & फिर लाश भी एस्टेट
के अंदर फेंक देता है.अब खोजते रहो तुम की कौन मारा!"

तब तक इंदर चाभी लेके आ गया था.कॉटेज खुलते ही छ्होटी अंदर घुसी & भूंकने
लगी,उसका हॅंड्लर चौबे से मुखातिब हुआ & बस सर हिलाया.चौबे अंदर आया &
खाली पड़े कॉटेज का मुआयना करने लगा.अंदर फर्श पे जमी धूल पे किसी को
घसीटने के निशान थे.छ्होटी बहुत रोमांचित हो अंदर घूम रही थी.

तभी वो अंदर जाने वाले दरवाज़े के पास गयी & उसके चौखट के जोड़ को सूंघ
के भूंकने लगी,उसका हॅंड्लर पास गया & दरवाज़े के नीचे फँसे 1 छ्होटे से
कपड़े के टुकड़े को खींच के निकाला & चौबे को दिया.काले रंग के पॅंट के
कपड़े के टुकड़े को चौबे ने 1 प्लास्टिक के छ्होटे से पाउच मे डाला &
अपने हवलदार को थमाया.

अब इतना साफ था की प्रसून को इसी कॉटेज मे लाया गया था & या तो यहा बेहोश
किया गया या मारा गया क्यूकी ज़मीन पे घसीटने के निशान ऐसे थे मानो किसी
इंसान को घसीटा गया है.1 बात चौबे को बहुत परेशान कर रही थी,आमतौर पे
क़त्ल होने पे क़ातिल अपने निशान च्छुपाने की कोशिश करता है मगर यहा तो
जैसे वो चाहता था की लाश बरामद हो & पोलीस को सारे सबूत भी मिल जाएँ वो
भी जल्दी से जल्दी,मगर क्यू?

हसन ने देखा की उसका बॉस तेज़ी से जबड़े चला रहा था..यानी की छ्होटन चौबे
का दिमाग़ क़ातिल को पकड़ने मे जुट गया है,वो मुस्कुराया & फोरेन्सिक टीम
को अंदर के फोटो लेने & बाकी सॅंपल्स लेने के लिए बुलाने चला गया.

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कामिनी जब पहुँची तब तक अंधेरा घिर आया था.वो वीरेन के पास पहुँची & दोनो
बाते करने लगे.कामिनी ने वीरेन को ऐसे अपने बड़े भाई की मौत पे भी नही
देखा था,"..क्यू कामिनी?किस लिए मारा उस बेचारे को?..वो मासूम
बच्चा....",वीरेन का गला भर आया तो कामिनी ने उसे गले से लगा लिया.इतनी
देर से जो गुबार वीरेन अपने सीने मे दबाए था वो अब आँसुओ की शक्ल मे निकल
पड़ा. देविका & रोमा के सामने रोकर वो उन्हे और कमज़ोर नही करना चाहता था
मगर कामिनी के साथ ऐसी कोई बात तो थी नही.अपने सीने पे अपने प्रेमी के सर
को दबा कामिनी उसे दिलासा दे रही थी.

जब वीरेन का मन हल्का हो गया तो कामिनी ने उस से सारी बाते तफ़सील से
पुछि & देविका से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.वीरेन उसे अपनी भाभी के पास
ले गया.देविका को देख के कामिनी की आँखो मे भी पानी आ गया.ऐसा लगता था
मानो देविका 10 साल बूढ़ी हो गयी.आँखो मे ना चमक थी ना चेहरे पे कोई
भाव.कामिनी उसके करीब गयी & उसके हाथ को थाम बैठ गयी.देविका बस बुत बनी
उसे देखे जा रही थी.

कामिनी की समझ मे नही आय की वो क्या कहे?..कुच्छ कहना ज़रूरी था
भी?..कामिनी के आँसू उसके गालो पे ढालाक गये & उसे बहुत ज़ोर का गुस्सा
आया,"देविका जी,आप यकीन मानिए,पोलीस पता लगाए ना लगाए मैं उस नीच इंसान
को सज़ा ज़रूर दिलवाऊंगी.",कामिनी उठी & अपने आँसू पोछ्ते वाहा से निकल
गयी.

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मोहसिन जमाल & सुखी 1 बार फिर से शिवा की तलाश मे जुट गये थे.सुखी का तो
गुस्से से बुरा हाल था.शिवा के नाम की गालिया निकलते हुए वो कार ड्राइव
करता चला जा रहा था.1 बार फिर शिवा के मोबाइल पे मोहसिन की सेक्रेटरी से
1 बॅंक लोन बेचने की झूठी कॉल करवा उसकी लोकेशन निकलवा ली थी.शिवा अब
पुराने पंचमहल के उस हिस्से मे थे जिसे मोहसिन बड़े अच्छे तरीके से जानता
था-आख़िर उसका बचपन जो बीता था वाहा.अब तो वो यहा नही रहता था मगर उसके
रिश्तेदार & काई दोस्त अभी भी वाहा रहते थे.

मोहसिन रहमत बाज़ार पहुँचा & वाहा के इज़्ज़तदार बाशिंदे & अपने अब्बा के
ममुज़द भाई हाजी सार्वर हूसेन के घर पहुँचा,"आदाब,भाभी जान.",घर का
दरवाज़ा खोलने वाली औरत को आदाब करता मोहसिन अंदर दाखिल हुआ,"..घबराती
क्यू हो भाभी!मेरा दोस्त है,वैसे भी इस बिचारे को तुमसे घबराना
चाहिए!",मोहसिन ने अपनी भाभी को छेड़ा.

"हां जी!क्यू करू!अब आपके जैसा नूर तो है नही हमारे चेहरे पे.",उसकी भाभी
ने सुखी के आदाब का जवाब देते हुए मोहसिन को जवाब दिया.

"अरे भाभी!क्या बात करती हो?तुमसे ज़्यादा हसीन कोई हो सकता है भला!मैं
तो अभी भी यहा तुम्हे भगाने ही आया हू.चलो ना,रशीद भाई को पता भी नही
चलेगा!"

"धात!बदतमीज़.",उसकी भाभी शर्मा गयी.तीनो घर की बैठक मे आ गये थे जहा
सरवर हूसेन अपनी बेगम के साथ बैठे थे.मोहसिन की चाची ओर देखते ही उठ खड़ी
हुई & क़ुरान की आयात पढ़ उसके माथे को चूमा,"कितने दीनो बाद आया,मेरा
बच्चा.चल बैठ.",चाचा-चाची का हाल पुच्छने के बाद मोहसिन ने वाहा आने का
मक़सद बताया.

"ह्म्म..",सरवर हूसेन सोच मे पड़ गये,"..1 काम करते हैं,मैं पूरे मोहल्ले
मे इस शख्स के हुलिए & नाम के बारे मे बता देता हू & सबको नज़र रखने को
कहता हू.देखते हैं क्या होता है.",मोहसिन के आने की खबर सुन उसके कुच्छ
रिश्ते के भाई भी वाहा आ पहुँचे.थोड़ी ही देर मे सुखी भी सबसे खुल गया था
& उस खुशदील सरदार ने अपनी बातो से समा बाँध दिया.रात के 9 बजे 1 17 साल
का लड़का भागता हुआ बैठक मे आया,"आदाब,भाई जान..",लड़का ने हान्फ्ते हुए
मेज़ पे रखी पानी की बॉटल को उठाया & मुँह से लगा लिया.

"ओये,रेहान,आराम से पी बेटा.",मोहसिन की चाची ने उसे नसीहत दी.

"मोहसिन भाई..",लड़का अभी भी हाँफ रहा था.

"पहले साँस ले ले जवान.",मोहसिन ने उसे बिताया.

"भाई,आप जिसे ढूंड रहे हैं वो अभी मस्जिद के पास वाले होटेल मे बैठा खाना
खा रहा है."

"क्या?!किसके यहा?जमाल के ढाबे पे?"

"नही,भाई,जान.जमाल के छ्होटे भाई कमाल के ढाबे पे."

"दोनो भाइयो मे झगड़ा हो गया था,मोहसिन.",सरवर हूसेन ने बात सॉफ
की,"..जमाल के ढाबे के पीछे ही कमाल ने खुद का ढाबा खोल लिया है."

"मोहसिन & सुखी उठ खड़े हुए & वाहा बैठे सारे लड़के भी,"देखो
भाइयो,मस्जिद की तरफ चार गलिया जाती हैं & 1 अपना मैं रोड.हम सब इधर से
अलग-2 गलियो से वाहा पहुँचते हैं.सुखी,तू वाहा से मैं रोड पे चले
जाना.अगर वो वाहा से भागता है तो उसे रोकने की ज़िम्मेदारी तेरी & रशीद
भाई की."

"ठीक है,सर."

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08-16-2018, 02:25 PM,
RE: Kamukta Story बदला
शिवा होटेल मे बैठा खाना खा रहा था.शाम को टीवी पे उसने वो मनहूस खबर
सुनी थी & उसका दिल देविका के लिए तड़प उठा था.उसे पता था की देविका अगर
सबसे ज़्यादा किसी को चाहती थी तो वो था प्रसून.शिवा का दिल कर रहा था की
फ़ौरन एस्टेट पहुँचे & अपनी जान के गम को दूर कर दे.उसे पता था की ये सब
इंदर का किया हुआ है.उसने तय कर लिया था की अब इंदर को वो खुद सज़ा
देगा.प्रसून के खून की खबर सुनके शिवा की भूख-प्यास मर गयी थी लेकिन 1
फ़ौजी होने के नाते वो जानता था की भूखे पेट कोई भी लड़ाई नही जीती जा
सकती इसलिए वो अपने होटेल से निकल यहा खाना खाने आया था. उस बेचारे को ये
कहा पता था की कामिनी उसे ही क़ातिल समझ रही थी & ढाबे के बाहर खड़ा
मोहसिन उसे देख रहा था.

"मोहसिन,पकड़ साले को."

"नही,अभी नही.उसके पास हथ्यार भी हो सकता है."

शिवा खाकर बाहर आया & काउंटर पे बैठे कमाल को पैसे देने लगा,"अरे मोहसिन
भाई,कब आए?",कमाल मोहसिन को देख के चौंका.

"बस अभी-2.",शिवा बाकी पैसे वापस लेने के इंतेज़ार मे खड़ा था.

"आओ ना,बैठो.आप तो पहली बार आए हो मेरे होटेल मे.आपको अपना स्पेशल पान
खिलाता हू.",कमाल ने गल्ले से बाकी पैसे निकल शिवा को दिए.

"आज नही,कमाल.आज कुच्छ काम है."

"कैसा काम,मोहसिन भाई?"

"इन भाई साहब को जैल की सलाखो के पीछे पहुचाना है.",उसने शिवा का गिरेबान
थाम लिया मगर शिवा चौकन्ना था उसने अपनी बाई कोहनी मोहसिन की ठुड्डी के
नीचे मारी & गिरेबान छुड़ा भागा.लड़को की भीड़ उसके पीछे पड़ गयी.शिवा
तेज़ी से भागता मैं रोड पे पहुँचा..बस 1 बार वो यहा से निकल जाए तो फिर
इंदर को & उसके इन कुत्तो को भी देख लेगा मगर तभी उसका पाँव किसी चीज़ से
टकराया & वो औंधे मुँह गिरा.

उसने उठने की कोशिश की मगर तब तक उसकी पीठ पे सुखी सवार हो चुका था &
उसके हाथो मे हथकड़ी डाल रहा था,"साले!क़ातिल.फौज के नाम पे धब्बा है
तू!",तब तक वाहा बाकी लोग भी आ पहुँचे.मोहसिन पोलीस का आदमी तो नही था
मगर तब भी वो हथकड़ी ज़रूर रखता था & अपने आदमियो को भी रखने को कहता
था.उसका मानना था की किसी भी ख़तरनाक आदमी को काबू मे करने के लिए हथकड़ी
से बेहतर कुच्छ भी नही था.लड़के शिवा की पिटाई करना चाहते थे मगर मोहसिन
ने उन्हे रोका & शिवा के पैरो को रस्सी से बाँधा & कार की पिच्छली सीट पे
डाल दिया & फिर सुखी के साथ निकल गया.

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क्रमशः...............


बदला पार्ट--44

गतान्क से आगे..
कामिनी ने तय कर लिया था की वो पोलीस को शिवा के बारे मे बता देगी ताकि
वो जल्द से जल्द पकड़ मे आए.चौबे इस वक़्त कही एस्टेट मे ही छान-बीन मे
मशगूल था & उसने बोला था की वापस जाने से पहले वो ज़रूर उस से मिल के
जाएगा.तभी उसका मोबाइल बज उठा,"हां,मोहसिन बोलो?"

"मेडम,वो मिल गया है मगर आप यहा फ़ौरन आ जाइए."

"क्यू,मोहसिन?"

"मेडम,शिवा आपसे कुच्छ कहना चाहता है."

"मगर क्या?"

"वो कहता है की आपके आने पे ही बोलेगा लेकिन आपको फ़ौरन आना होगा."

"ओके,मैं अभी आती हू.",कामिनी ने वीरेन से इजाज़त ली & अपनी कार मे बैठ
ड्राइवर को पंचमहल वापस चलने को कहा.

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चौबे के हुक्म से एस्टेट की सारी लाइट्स जला दी गयी थी & उसने फ़िल्मो मे
इस्तेमाल होने वाली लाइट्स मँगवा के पूरे एस्टए को रोशनी से भर दिया
था.छ्होटी को कुच्छ भनक लगी थी & वो कॉटेज के आस-पास की झाड़ियो मे घूम
रही थी.थोड़ी देर बाद वो झाड़ियो से निकल आगे बढ़ने लगी.चौबे की भी छटी
इंद्री उसे ये कह रही थी की अभी कोई और सुराग भी ज़रूर मिलेगा.

छ्होटी ने कॉटेज को आने वाले रास्ते को पार किया & थोड़ी दूर पे बने
पेड़ो के झुर्मुट के बीच घुस गयी.सारे पोलिसेवालो ने रोशनी का रुख़ उधर
ही कर दिया.पेड़ो के बीचोबीच छ्होटी अपने अगले पंजो से ज़मीन खोदे जा रही
थी.सभी दम साधे उसे देख रहे थे.कुच्छ पॅलो बाद छ्होटी ने छ्होटा आस गड्ढा
कर दिया था & उस गड्ढे मे कुच्छ चमक रहा था जिसे देख वो भोंक रही थी.

क्षोटन चौबे आगे बढ़ा & वो चमकती चीज़ उठाई-वो 1 छुरि थी मगर रसोई की
छुरि नही.उसकी साइज़ वैसी ही थी मगर आकार नही.अपने रुमाल से चौबे ने उसकी
बँटे पे लगी मिट्टी सॉफ की & उसे उसपे लगे खून के जम चुके धब्बे सॉफ
दिखाई पड़े.

"सर,यही होगा मर्डर वेपन.",हसन उसके साथ गड्ढे के किनारे अपने पंजो पे बैठा था.

"ह्म्म....",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था....मर्डर वेपन तो यही है मगर
क़ातिल ने इसे यहा क्यू दबाया?कही और क्यू नही?....ये तो लगता है मानो वो
चाहता है की हम उसे पकड़ लें या फिर....चौबे समझ रहा था की आख़िर क़ातिल
का मक़सद क्या था.उसने चाकू को फोरेन्सिक टीम के हवाले किया & बंगल की ओर
बढ़ गया.
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08-16-2018, 02:25 PM,
RE: Kamukta Story बदला
बंगल के अंदर उसकी मुलाकात कामिनी से नही हुई,"वीरेन जी,आप सोच-समझ के
बताईएएगा क्या सच मे आपके परिवार का कोई दुश्मन नही?"

"नही,ऑफीसर.बिल्कुल नही."

"ह्म्म..",चौबे सोच मे पड़ गया,"खैर..आप इतमीनान से सोचिए & हो सके तो
दोनो औरत से भी पुच्हिए..",वीरेन कुच्छ कहता इस से पहले ही चौबे ने उसे
रोका,"..हमको पता है उनकी हालत,वीरेन जी लेकिन आपके भतीजे के क़ातिल को
सज़ा दिलाना भी ज़रूरी है की नही & आपको 1 बात बता दू.जुर्म होने के बाद
जितनी देर करेंगे उतना ही मुजरिम को भागने का मौका मिलता है.मेरा बात पे
ज़रा गौर कीजिएगा.अच्छा अब चलते हैं.कल आएँगे."

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"क्या बात है,मोहसिन?क्या कहना चाहता है वो मुझसे?",कामिनी मोहसिन के
दफ़्तर पहुँची.

"आप खुद ही पुछिये,मेडम.",मोहसिन उसे 1 दूसरे कमरे मे ले गया जहा शिवा 1
कुर्सी से बँधा था.

"बोलो शिवा."

"आपको लगता है मैने किया है प्रसून का क़त्ल?"

"हां."

"आप ग़लत हैं,कामिनी जी."

"अच्छा,तो ये बताओ की तुम फ़र्ज़ी बॅंक खाते के ज़रिए पैसे क्यू चुरा रहे
थे?",जवाब मे शिवा ज़ोरो से हँसने लगा.तीनो उसे हैरत से देखने लगा.

"कामिनी जी,अगर चुराना ही चाहता तो मैं पूरी एस्टेट हथिया लेता & किसी को
पता भी ना चलता.उन चंद रुपयो मे क्या रखा था!",शिवा की ह्नसी रुक गयी &
वो बहुत संजीदा हो गया,"..अफ़सोस ये नही की मुझे चोर समझा,ये भी नही की
मुझे प्रसून का क़ातिल समझा....अफ़सोस तो ये है की उसने मुझे ऐसा समझा
जिसे मैं अपनी ज़िंदगी से भी ज़्यादा चाहता था."

"तुम देविका जी की बात कर रहे हो?"

"हां."

"देखो,शिवा तुम्हारी ये आक्टिंग कुच्छ साबित नही करती?"

"आपको सबूत चाहिए.वो भी है मेरे पास.",शिवा ने गर्दन घुमाई,"सरदार
जी,आपने मेरी तलाशी मे जो भी समान बरामद किया ज़रा मेडम को दिखाइए.",सुखी
ने 1 बास्केट कामिनी के सामने रखी.उसमे 1 मोबाइल,1 वॉलेट,कुच्छ काग़ज़ &
1 डिबिया पड़े थे.डिबिया देख कामिनी जैसे सब समझ गयी,"ये क्या है?"

"आपके चेहरे से लगता है की आप इस डिबिया के बारे मे जानती हैं,कामिनी
जी.",शिवा मुस्कुराया.

"वो ज़रूरी नही ये ज़रूरी है की तुम क्या जानते हो इसके बारे मे?"

"ये मेरे बॉस सुरेन सहाय की दवा है कामिनी जी.आप इस दवा की जाँच
कराईए,इसमे ज़रूर कुच्छ गड़बड़ है.मुझे पूरा यकीन है कि इस दवा की असलियत
से ना सिर्फ़ प्रसून बल्कि उसके पिता के क़त्ल पे से भी परदा उठ जाएगा."

"क्या?!!",मोहसिन & सुखी चौंक पड़े मगर कामिनी पे कोई असर नही हुआ.

"ये भी तो हो सकता है शिवा की तुमने इस दवा से छेड़-खानी की हो & अब
पकड़े जाने पे चालाकी दिखा रहे हो."

"हो सकता है.आप मुझे यहा बंद रखिए.मेरे कपड़े तक उतार लीजिए.मैं इस कमरे
मे नंगा बंद रहूँगा जब तक आपको मुझपे यकीन नही हो जाता.",शिवा की आँखो मे
तो सच्चाई झलक रही थी मगर कामिनी को अभी भी पूरा यकीन नही था.

"तुम्हे ये डिबिया कैसे मिली?"

"जो आदमी सहाय परिवार को बर्बाद कर रहा है वोही इस डिबिया को फेंक रहा था."

"तुमने उसे पकड़ा क्यू नही?कौन था वो?मेरे पास पहले क्यू नही आए?पोलीस के
पास क्यू नही गये?",कामिनी ने सवालो की झड़ी लगा दी.

"उस शख्स का नाम है इंदर धमीजा..",& शिवा सारी बात तफ़सील से कामिनी को बताने लगा.

कामिनी ने शिवा से दवा ले ली & उसे मोहसिन जमाल के आदमियो की निगरानी मे
1 फ्लॅट मे रख दिया.कामिनी ने पंचमहल सिविल हॉस्पिटल के लब मे उस दवा को
जाँच के लिए भेजा.उसकी रिपोर्ट आने मे 2 दिन लगने थे.करीब इतना ही वक़्त
प्रसून की पोस्ट-मोर्टें रिपोर्ट & बाकी सबूतो की फोरेन्सिक रिपोर्ट आने
मे लगना था.क्षोटन चौबे भी उस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था.

प्रसून की बॉडी हॉस्पिटल से छूटने पे वीरेन ने उसका सारा क्रिया-कर्म
किया.श्मशान घाट पे शायद ही कोई आँख उस वक़्त सुखी थी.कामिनी ने अभी तक
वीरेन को इंदर के बारे मे नही बताया था क्यूकी उसे डर था की जज़्बाती
वीरेन कही इंदर को खुद सज़ा ना देने लगे.ऐसे मे बहुत ज़्यादा चान्सस थे
कि इंदर क़ानून के हाथो से निकलने मे कामयाब हो जाता.

कामिनी ये भी जानती थी की अब इंदर के निशाने पे देविका होगी मगर साथ ही
ये भी एहसास था उसे की इतनी जल्दी इंदर उसे कोई नुकसान नही
पहुचाएगा.आख़िर रोमा भी तो थी घर मे.शिवा का सोचना था की इंदर पहले
देविका & फिर रोमा को किनारे करेगा जयदाद को पाने के लिए मगर कामिनी का
मानना था की इंदर उसके पहले वीरेन को रास्ते से हटाएगा ताकि वो उन दोनो
औरतो की हिफ़ाज़त ना कर सके.

कामिनी कितनी सही थी उसे ये बस 2 दीनो बाद पता चलने वाला था.प्रसून की
मौत के बाद से वीरेन एस्टेट मे ही रुका था & उस दिन भी वो बंगल के
ड्रॉयिंग रूम मे बैठा किसी मॅगज़ीन के पन्ने पलट रहा था जब क्षोटन चौबे
वाहा दाखिल हुआ.

"नमस्ते,वीरेन बाबू!कैसे हैं?"

"बढ़िया,ऑफीसर.आप कैसे हैं?"

"हम भी अच्छे हैं & आज आपसे कुच्छ पुच्छने आए हैं?"

"क्या?"

"ई च्छुरी के बारे मे कुच्छ जानते हैं?"

"हां,ये तो मेरी पॅलेट नाइफ है जोकि गुम गयी थी."

"अच्छा,गुम गयी थी.हां भाई,खून करने के बाद हथ्यार तो गुम करना ही पड़ता है."

"आपका मतलब क्या है ऑफीसर?",वीरेन की थयोरिया चढ़ गयी.

"यही की आप मारे हैं प्रसून को."

"क्या बकवास करते हो?!!!!",वीरेन ने चौबे का गिरेबान पकड़ लिया,"..मैं
मारूँगा अपने भतीजे को..उस मासूम को!",साथ आए हसन & अबकी हवलदरो ने उसे
अलग किया.

"अब आप चिल्लाइए चाहे रोइए हमको तो आपको शक़ के बेसिस पे अरेस्ट तो करने
पड़ेगा.",चौबे पे जैसे वीरेन की हरकत का कोई असर ही नही हुआ था,"..पहनाओ
रे सरकारी कंगन चाचा जी को."

"ऑफीसर,तुम भूल कर रहे हो....किसी की चाल है..कोई फँसा रहा है
मुझे!",ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े पे खड़ी देविका पे वीरेन की नज़र गयी तो
वो चुप हो गया,देविका की आँखो मे गम के अलावा सिर्फ़ नफ़रत
थी,"..देविका..ये सब ग़लत है..मैने नही किया ये सब!"

देविका बस उसे घुरती रही.चौबे ने उसे जीप मे डाला & थाने ले गया.बाहर
खड़ा इंदर ये सब देख मन ही मन मुस्कुरा रहा था.हसन जीप चला रहा था & चौबे
उसकी बगल मे बैठा पान चबा रहा था....कुच्छ भी सही नही था..मुजरिम हमेशा
हथ्यार पहचानने से इनकार करता है....वीरेन सही था..कोई तो फँसा रहा है
मगर कौन?

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"देखा,कामिनी जी..",शिवा बैठा था जबकि कामिनी बेचैनी से चहलकदमी कर रही
थी,"..कितना शातिर है वो.उसने वीरेन जी को भी फँसा दिया.अब तो आपको मुझपे
यकीन हो गया होगा की मैं सच कह रहा हू.",थोड़ी देर पहले हॉस्पिटल से दवा
से छेड़-छाड की बात को सही साबित करती रिपोर्ट मिलने की सारी खुशी काफूर
हो गयी थी & अब उसे बस वीरेन की चिंता सता रही थी.

"आप बस मुझे 1 मौका दीजिए उस कामीने को मैं अपने हाथो से सज़ा
दूँगा.",शिवा ने दाए हाथ के मुक्के को बाई हथेली पे मारा.

"नही शिवा,वो बहुत चालक है,उसे हम उसी के खेल मे हराएँगे.देविका जी को
उसपे बहुत भरोसा है,1 बार ये भरोसा टूट गया तो आधा काम हो गया समझो."

"मगर ये होगा कैसे?"

"थोड़ी जासूसी करनी पड़ेगी."

"तो अब मुझे सहाय एस्टेट जाना होगा?",मोहसिन मुस्कुराया.

"नही,मोहसिन तुम नही,इस बार ये काम मैं करूँगी.",वो शिवा से मुखातिब
हुई,"शिवा,इसमे मुझे तुम्हारी मदद चाहिए."

"ज़रूर कामिनी जी."

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रात के 11 बज रहे थे जब इंदर ने बंगल के पीछे रसोई के दरवाज़े को अपनी
ड्यूप्लिकेट चाभी से खोला & दबे पाँव अंदर हुआ.रोमा का भाई संजय भी आजकल
आया हुआ था & उपरी मंज़िल के गेस्ट रूम मे ही ठहरा था.देविका & रोमा के
कमरो के बीच 2 कमरे और थे जोकि मेहमआनो के लिए ही थे.इंदर दबे पाँव
सीढ़िया चढ़ने लगा.वो सीधा देविका के कमरे तक पहुँचा & उसका दरवाज़ा
धकेला.दरवाज़ा खुला था & फ़ौरन खुल गया.अंदर देविका बिस्तर पे लेटी
थी.दरवाज़ा खुलते ही उसने इंदर को देखा मगर उसकी आँखो या चेहरे पे कोई
भाव नही आया.

इंदर आगे बढ़ा & बिस्तर पे उसके बगल मे लेट गया & उसके बालो को सहलाने
लगा.देविका भी भी जैसे बुत बनी हुई थी.इंदर उसकी दाई तरफ लेटा था.इंदर ने
उसे उसकी दाई करवट पे किया & बाहो मे भर लिया & उसके बाल सहलाने लगा.दोनो
ने अभी तक 1 लफ्ज़ भी नही बोला था.इंदर बस उसे प्यार से थपकीया देता जा
रहा था.थोड़ी ही देर मे देविका नींद के आगोश मे थी.इंदर सवेरा होने तक
वैसे ही उसके साथ लेटा रहा.पौ फटने से पहले उसने देविका के बदन से अपनी
बाहे अलग की & जाने लगा की तभी देविका ने उसका हाथ पकड़ लिया.

इंदर चौंक पड़ा,उसे तो लगा था की देविका गहरी नींद मे है,"मत
जाओ.",प्रसून की मौत के बाद शायद देविका पहली बार कुच्छ बोली थी.इंदर
उसके करीब आया & प्यार से उसके माथे को सहलाने लगा.

"फ़िक्र मत करो कुछ दीनो बाद तुम्हे 1 पल के लिए भी खुद से जुदा नही
करूँगा.मगर आज नही.",देविका बिस्तर से उठी & उसके गले से लग गयी & उसके
सीने मे चेहरा छुपा फुट-2 के रोने लगी,"यहा से ले चलो
मुझे,इंदर.प्लीज़!!!!मैं यहा नही रहूंगी अब."

"ज़रूर देविका.बस थोड़ा इंतेज़ार करो.",इंदर उसे बाँहो मे भरे उसके बॉल
सहला रहा था.देविका अब उसपे और भी भरोसा करने लगी थी.उसके होंठो पे 1
शैतानी मुस्कान खेलने लगी & उसने देविका & ज़ोर से अपनी बाँहो मे कस
लिया.

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08-16-2018, 02:26 PM,
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
"युवर ऑनर,ये है वो चाकू जिस से मुलज़िम ने अपने भतीजे का क़त्ल
किया..",सरकारी वकील के हाथो मे 1 पॅकेट था जिसके अंदर से वीरेन की पॅलेट
नाइफ सॉफ दिख रही थी,"..हुज़ूर,मुलज़िम ने बड़ी चालाकी से एस्टेट से शहर
जाने का बहाना बनाया & फिर चोरी-छुपे आके खाली पड़े मॅनेजर'स कॉटेज मे
छिप गया,फिर बहला-फुसला के प्रसून को बंगले से बाहर बुलाया & उसका क़त्ल
कर लाश को एस्टेट के टीले पे फेंक दिया.."

"मिलर्ड!मुलज़िम ने बहुत ही घिनोना जुर्म किया है.अपने भतीजे का जोकि
मंदबुद्धि था & जिस बेचारे को तो दुनियादारी के बारे मे कुच्छ भी पता नही
था,उसका क़त्ल किया है.मेरी आप से गुज़ारिश है की आप इसे कोई भी रियायत
ना दें बल्कि कड़ी से कड़ी सज़ा दें & इसकी ज़मानत की अर्ज़ी खारिज कर
दें.",सरकारी वकील ने अपनी दलील पेश कर दी थी & अब कामिनी की बारी थी.

"मिलर्ड!ये छुरि यक़ीनन मेरे मुवक्किल की ही है मगर आपको पैंटिंग सीखने
वाला कोई बच्चा भी बता देगा की इस से किसी इंसान को गहरे ज़ख़्म भी नही
पहुचाए जा सकते क्यूकी इस च्छुरी पे धार नही होती.मेरे मुवक्किल अपने
बयान मे ये कह चुके हैं की उनकी छुरि एस्टेट की झील के पास पैंटिंग करते
वक़्त गुम हो गयी थी."

"युवर ऑनर!",सरकारी वकील फिर खड़ा हुआ,"..मैं कुच्छ कहने की इजाज़त चाहता हू."

"इजाज़त है."

"मिलर्ड!फोरेन्सिक रिपोर्ट मे सॉफ लिखा है की प्रसून की हत्या इसी छुरि
से हुई थी & मुलज़िम ने अभी तक कोई सबूत भी पेश नही किया है की ये छुरि
उसके पास से गुम हो गयी थी."

"मिलर्ड!मैं ये नही कहती की खून इस छुरि से नही हुआ..",कामिनी की बात सुन
सभी चौंक पड़े & कोर्ट मे ख़ुसर-पुआसर होने लगी.

"ऑर्डर!ऑर्डर!",जड्ज ने अपना हथौड़ा पटका.

"क़त्ल तो यक़ीनन इसी च्छुरी से हुआ है मगर उस से ये कहा से साबित हो
जाता है की क़त्ल वीरेन सहाय ने किया है.मिलर्ड!आमतौर पे ये छुरि जिसे
पॅलेट नाइफ कहते हैं बिल्कुल बोथर होती है मगर इस च्छुरी को देखिए इसकी
धार कितनी तेज़ है & आप उसी फोरेन्सिक लॅब से जहा से ये रिपोर्ट आई है की
यही मर्डर एवपोन है,पुच्छ के इस बात का पता लगवा लीजिए की इस च्छुरी पे
धार उसी फॅक्टरी से बेक आई थी या फिर किसी राह चलते धार लगाने वाले ने
अपनी मशीन से बनाई है."

"मिलर्ड!मैं 1 गवाह को पेश करना चाहती हू."

"इजाज़त है."

"अपना परिचय दीजिए?"

"मैं एस.के.शर्मा हू पेंकला कंपनी का प्रॉप्रीटर."

"आपकी कंपनी क्या बनती है मिस्टर.शर्मा?"

"स्टेशनेरी के समान."

"ये पॅलेट नाइफ आप ही की कंपनी की प्रॉडक्ट है.",कामिनी ने च्छुरी वाला
बॅग शर्मा को दिया.

"जी,हां. ये हमारी आर्टिस्ट'स असिस्टेंट सीरीस की पॅलेट नाइफ. ये सीरीस
बहुत ही एक्सक्लूसिव सीरीस है & इसमे हमने बस कुच्छ 200 पीसस ही बनाए
थे."

"अपनी बात तफ़सील से कहें."

"इस सीरीस के तहत पूरी दुनिया मे बस 200 आर्टिस्ट'स असिस्टेंट कीट्स बनी
थी जिसमे से 1 की ये नाइफ है."

"तो उस सीरीस के किसी नाइफ मे धार थी जैसे इस च्छुरी मे है?"

"जी बिल्कुल नही."

"थॅंक्स,मिस्टर.शर्मा."

"मिलर्ड!बात सॉफ है.मेरे क्लाइंट की च्छुरी गुमी नही बल्कि चुराई गयी &
फिर उसकी धार बनाके उस से प्रसून का क़त्ल किया गया & मेरे क्लाइंट को
फँसा दिया गया."

"मगर कोई बिना वजह क्यू फँसाना चाहेगा वीरेन सहाय को?",सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ.

"उनकी एस्टेट के लिए.",कामिनी ने जड्ज से कहा,"..अगर प्रसून & वीरेन जी
रास्ते से हट जाते हैं तो फिर देविका जी & उनकी बहू को रास्ते से हटाना
किसी शातिर इंसान के लिए कौन सी बड़ी बात है?वैसे मेरे काबिल दोस्त ने
अभी तक मेरे मुवक्किल पे बस इल्ज़ाम ही लगाया है,ये नही बताया है की
आख़िर मेरे क्लाइंट अपने ही भतीजे का क़त्ल क्यू करेंगे जब आधी जयदाद तो
वैसे ही उनके नाम है.ऐसे तो उन्हे अपने हिस्से से भी हाथ धोना पड़ेगा."

अब सरकारी वकील बगले झाँक रहा था.कामिनी ने मौका देखा & आगे बढ़ी.

"मिलर्ड,अगर वीरेन जी ने इस छुरि से प्रसून का क़त्ल किया है तो वो ये
छुरि वही एस्टेट मे क्यू दफ़ना देंगे जबकि वाहा से वापस पंचमहल भागने पे
उनके पास बीसियो उस से बेहतर जगहे इस छुरि को ठिकाने लगाने की."

"..मिलर्ड!ना तो छुरि पे वीरेन जी के हाथो के निशान हैं ना ही तो ये छुरि
उनके पास या उनके समान से बरामद हुई है फिर पोलीस ने कैसे वीरेन सहाय को
गिरफ्तार कर लिया!मिलर्ड!मेरी आपसे गुज़ारिश है की आप मेरे मुवक्किल को
ज़मानत दें & पोलीस को सही दिशा मे तफ़तीश करने का हुक्म दें."

थोड़ी ही देर बाद वीरेन अपनी ज़मानत की रकम कोर्ट मे जमा करा रहा था.

"जिसने भी ये किया है मैं उसे छ्चोड़ूँगा नही,कामिनी."

"रिलॅक्स,वीरेन.मैं तुम्हे सब बताउन्गि तुम बस अपने गुस्से पे काबू
रखो.",कामिनी ने उसका हाथ थाम लिया & ड्राइवर ने गाड़ी कोर्ट के अहाते से
बाहर निकाल ली.


कामिनी की कार चंद्रा साहब के बंगल के अहाते मे रुकी.कार से उतर कामिनी
ने बंगल के अंदर कदम रखा तो उसे देख उसके गुरु की खुशी का ठिकाना ही नही
रहा,"आओ,कामिनी कैसी हो?",आगे बढ़ उन्होने उसके हाथ अपने हाथो मे ले लिए.

"अच्छी हू.",उसकी नज़रो ने चंद्रा साहब से हाथ छ्चोड़ने का इशारा किया
ताकि कही उनकी बीवी ना उनकी ये हरकत देख लें.

"घबराओ मत..",चंद्रा साहब हँसे,"..तुम्हारी आंटी शहर से बाहर हैं & इस
वक़्त हमे कोई भी परेशान नही करेगा.",उसका हाथ थामे हुए उन्होने उसे अपनी
बाई तरफ सोफे पे बिठा लिया.कामिनी ने आज पीले रंग की झीनी सारी स्लीव्ले
ब्लाउज के साथ पहनी थी जिसकी बॅक बहुत लो थी. इस लिबास मे उसका हुस्न &
भी मदहोश करने वाला लग रहा था.

"आजकल तो तुम बड़ी मसरूफ़ होगी?",दोनो सोफे पे थोड़ा घूम के 1 दूसरे को
देखते हुए बाते कर रहे थे.

"हां,सर.आपको तो पता ही है सहाय एस्टेट का केस.",चंद्रा साहब के दाए हाथ
की उंगलिया कामिनी के बाए हाथ की उंगलियो मे फँसी हुई थी.आज दोनो तन्हा
थे & इसलिए चंद्रा साहब की हर्कतो मे कोई बेचैनी नही थी.

"किसी ने वीरेन सहाय को अच्छा फँसाया है?",चंद्रा साहब के दाए हाथ की
उंगली उसकी हथेली पे घूमते हुए उसकी अन्द्रुनि कलाई पे आ पहुँची थी.

"हां,सर.",बहुत हौले-2 उनकी उंगली कामिनी की अन्द्रुनि बाँह से उपर उसके
कंधे की ओर जा रही थी.उसके बदन मे हल्की सिहरन उठने लगी थी.तभी उसे अपने
बाए पाँव पे कुच्छ महसूस हुआ,नीचे देखा तो चंद्रा साहब के दाए पैर का
अंगूठा उसके टखने & टांग के निचले हिस्से को सहला रहा था.कामिनी शोखी से
मुस्कुराइ.

"तो कौन है वो शख्स?",चंद्रा साहबने उसके बाई बाँह को हवा मे उठा दिया &
थोड़ा आगे बढ़ उसकी नंगी बाँह को अपने दाए हाथ से सहलाने लगे.कामिनी को
उनकी हरकते बड़ी भली लग रही थी.

"उम्म....इंदर धमीजा,एस्टेट मॅनेजर.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी बाँह पे
उपर-नीचे हो रहा था. इस बार जब हाथ उसकी कलाई से नीचे उसकी बाँह पे आया
तो बाँह के अंत पे ना रुक उसके नीचे उसकी चिकनी बगल पे फिराने लगा.

"आ..हाअ..हा..हाअ..!",गुदगुदी से कामिनी को हँसी आ गयी & उसने झट से बाँह
नीचे कर उनके हाथ को अपने जिस्म से अलग किया.चंद्रा साहब ने उसकी दोनो
उपरी बाहो को अपने हाथो से थाम लिया & बस उन्हे थोड़ा मज़बूती से सहलाने
लगे. इस बार जिस्म की सिहर्न कामिनी की चूत तक भी पहुँची & वो थोड़ा
कसमसाई.

"इतने यकीन से कैसे कह सकती हो की ये धमीजा ही इस सबके पीछे है?",चंद्रा
साहब के हाथो की हर्कतो से बेचैन हो कामिनी ने अपने कंधे थोड़े उचका दिए
तो उसका पल्लू उसके सीने से ढालाक गया.ब्लाउस का गला गहरा नही था फिर भी
लगभग 1 इंच गहरा क्लीवेज तो नज़र आ ही रहा था.कामिनी को लगा की अब वो
उसके सीने पे अपने होंठ रखेंगे मगर चंद्रा साहब ने ऐसा कुच्छ नही किया
बल्कि उनके हाथ उसकी मांसल बाँहो को रगड़ते हुए उसके कंधो पे आ गये& फिर
पीछे जा उसकी पीठ पे फिराने लगे.

"उनह..सभी कुच्छ उसी की ओर इशारा करता है.",कामिनी अपने गुरु के थोड़ा और
करीब खिसक आई थी.उसकी मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी & अपने चेहरे पे जैसे ही
उसने अपने गुरु की गरम सांसो को महसूस किया वो उनके होंठ चूमने को आगे
झुक गयी मगर चंद्रा साहब ने मुस्कुराते हुए अपने होंठ पीछे खींच
लिए,कामिनी तड़प उठी.चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी पीठ पे ही घूम रहा था
जबकि दाया उसके बाए कंधे से होता हुआ आगे आ गया था & उसकी गर्दन के
नीचे,ब्लाउस के उपर की जगह को सहला रहा था.

"यानी की तब तो वो भी असली मुजरिम नही है.",चंद्रा साहब के हाथो की रगड़
ने कामिनी की चूत को गीला कर दिया था.अपनी बाई टांग दाई पे चढ़ा अपनी
भारी जाँघो के बीचा अपनी चूत को भींच कामिनी ने उसकी कसक को काबू मे
किया.चंद्रा साहब का बाया हाथ पीठ से नीचे उसकी नंगी कमर पे जा पहुँचा था
& उसकी बगल के मांसल हिस्से को दबा रहा था.दाए हाथ को उसके ब्लाउस के
बीचो बीच ऐसे फिराते हुए वो नीचे लाए की वो बस ब्लाउस के हुक्स की लाइन
पे ही रहा,उसकी दोनो छातियो मे से 1 को भी उसने ना च्छुआ.

जोश के मारे कामिनी की छातिया बिल्कुल कस गयी थी & उन्हे अब ब्लाउस &
ब्रा के बंधन बिल्कुल रास नही आ रहे थे.उसके निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके
थे & उनका उभार उसके गुरु को उसके ब्लाउस मे से दिख रहा था,"ऐसा कैसे कह
सकते हैं आप?",कामिनी उन्हे बताने लगी की शिवा ने उसे क्या बताया था &
कैसे इंदर ने किसी तरह वीरेन की पॅलेट नाइफ चुरा के उसी से प्रसून का
क़त्ल किया.चंद्रा साहब उसकी बाते गौर से सुनते हुए उसके पेट & कमर को
सहलाए जा रहे थे.
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08-16-2018, 02:26 PM,
RE: Kamukta Story बदला
"आन्ह्ह्ह....!",उनके दाए हाथ की उंगली ने जब उसकी गोल नाभि के गिर्द
दायरा बनाते हुए जब उसमे दाखिला लिया & फिर उसे कुरेदा तो कामिनी की आह
निकल गयी.उसने उनकी दाई कलाई पकड़ ली & उस हाथ को खींच अपने चेहरे से लगा
लिया.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को सहलाने लगे तो कामिनी ने उनके हाथ को
अपने बाए हाथ से पकड़े हुए अपने गाल से सताये उसकी हथेली चूम ली.चंद्रा
साहब ने भी जवाब मे उसके दाए हाथो को चूमा & फिर अपने दाए हाथ की उंगली
उसके मुँह मे घुसा दी जिसे कामिनी बड़ी खुशी से चूमने लगी.उसके गुलाबी
होंठो मे फँसी उंगली,उसके चेहरे की मस्ती ने चंद्रा साहब के पाजामे मे भी
तंबू बना दिया था.

कामिनी अपने बाए हाथ से उनकी दाई कलाई पकड़ उस हाथ की उंगलिया बारी-2 से
चूस रही थी & दाए को उसने चंद्रा साहब के कुर्ते मे घुसा दिया था & उनके
सीने & पेट पे फिरा रही थी.चंद्रा साहब ने बाया हाथ उसके कंधे पे रखा &
उसके ब्लाउस के स्ट्रॅप को नीचे कर दिया तो कामिनी का ब्रा स्ट्रॅप
नुमाया हो गया.उन्होने उसे भी नीचे किया & उसके दाए पे अपने तपते होंठ रख
दिए.आह भर कामिनी ने अपना सर पीछे कर लिया & उनकी उंगलिया चूसना भूल उनके
सर को बाए हाथ से थाम लिया.

चंद्रा साहब ने पहले उसके कंधे के 1-1 हिस्से को चूमा & फिर उपर उसकी
गर्दन पे बढ़ गये.कामिनी को उनके तपते होंठो का एहसास पागल कर रहा
था.चंद्रा साहब ने अपने दाए हाथ से उसके ब्लाउस & ब्रा के दूसरे
स्ट्रॅप्स के साथ भी वही हरकत दोहराई & उसकी गर्दन के उपर उसकी ठुड्डी के
नीचे चूमते हुए उसके बाए कंधे तक पहुँच गये,"ऊन्नह.....उउंम....अब बताइए
की इंदर कैसे नही हुआ असली मुजरिम....आनह..?"

चंद्रा साहब ने जैसे उसका सवाल सुना ही नही.वो उसकी बाई बाँहो को चूमने
लगे थे. उस बाँह को दाए हाथ मे पकड़ उन्होने फैला लिया था & उसकी पूरी
लंबाई पे चूम अपनी शिष्या को पागल कर रहे थे.उनका बाया हाथ अब कामिनी की
पतली कमर को कसे हुए था & कामिनी बेचैनी से उनकी गिरफ़्त मे कसमसाते हुए
आहे भर रही थी.चंद्रा साहब ने उसकी बाई बाँहो को अपने गले मे डाला तो
कामिनी उनसे चिपक गयी & उनके सर को पागलो की तरह चूमने लगी.चंद्रा साहब
का दाया हाथ अब नीचे उसकी सारी उठाकर उसकी बाई टांग को उपर उठा रहा
था.कामिनी ने खुद अपनी टांग को उपर कर अपने गुरु की गोद मे कर दिया & वो
उसकी गोरी टांग को सहलाने लगे मगर उनका हाथ घुटने के उपर नही आ रहा
था.कामिनी अब तड़प से बहाल थी.अभी तक उसके गुरु ने ना उसके होंठ चूमे थे
ना ही उसकी चूत को छेड़ा था.वो अब अपने नाज़ुक अंगो पे उनकी छुअन महसूस
करने को बेताब हो उठी थी..

बेचैन हो उसने उनके सीने से लगे हुए उनका कुर्ता निकाल दिया & फिर सर
झुका उनके बालो भरे सीने को चूमने लगी.उनके बाए निपल को अपनी जीभ से छेड़
उसने अपने मुँह मे भर वैसे ही चूसा जैसे चंदर साहब उसकी चूचियो को चूस्ते
थे.चंद्रा साहब ने आह भारी & झुकी हुई कामिनी के बदन को सहलाने लगे,"अगर
कोई मुजरिम जुर्म करता है तो उसका सबसे बड़ा डर होता है पकड़े
जाना..",कामिनी तो भूल ही गयी थी की उसने कोई सवाल भी किया था.

"इस केस मे इंदर तो जुर्म पे जुर्म कर रहा है मगर वो हर बार कुच्छ ऐसे
सुराग भी छ्चोड़ रहा है की उसपे शक़ जाए.1 तरफ तो वो वीरेन को फँसा रहा
है मगर कोई भी बड़ी आसानी से ये समझ सकता है की इस सबके पीछे इंदर का हाथ
है.उसकी साज़िशो मे वो सफाई नही है....आअहह..नही.",कामिनी उनके सीने को
चूमते हुए नीचे तक पहुँच गयी थी & पाजामे मे से झलक रहे उनके लंड को उभार
को दबोच वो पाजामे की डोर खींचने लगी थी.चंद्रा साहब ने उसे खड़ा किया &
फिर अपनी बाहो मे भर लिया.जब उनके सीने से उसकी जोश से कसी चूचिया पीसी
तो कामिनी के दिल को जैसे थोड़ा करार मिला.उसने अपने गुरु को बाहो मे भर
लिया & अपने पंजो पे उचक उनके होंठ चूमने लगी.जहा कामिनी की किस मे उसकी
तड़प & प्यास की शिद्दत थी वही चंद्रा साहब के जवाब मे बहुत धीरज था.

कामिनी ने जब अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे दाखिल कराई तो उन्होने बड़ी
गर्मजोशी से उसका इस्तेक्बाल किया. कामिनी की चूत मे तभी मानो जैसे बहुत
ज़्यादा तनाव बन गया.उसके बदन की छट-पटाहट & उस छट-पटाहट के पीछे छुपा
तनाव चंद्रा साहब ने भाँप लिया.उन्होने बड़ी मज़बूती से उसे खुद से
चिपताया & उसकी कमर को मसलते हुए उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा
दी.कामिनी उनके गले को अपनी बाँहो से कसे अपनी चूत को उनके लंड पे यू
रगड़ती मानो उनके जिस्म पे चढ़ जाना चाहती हो झड़ने लगी.उसका बदन बिल्कुल
अकड़ गया & उसने किस तोड़ दी & अपने गुरु की बाहो मे झूल गयी.चंद्रा साहब
उसे मज़बूती से थामे थे & उनका 1 हाथ उसकी कमर से अटकी सारी को निकाल रहा
था.

जब कामिनी अपने झड़ने की खुमारी से बाहर आई तो उसने पाया की उसकी सारी
फर्श पे पड़ी है & उसके गुरु उसे अपनी बाहो मे उठाए अपने बेडरूम मे ले जा
रहे हैं.बिस्तर पे लिटा की चंद्रा साहब ने अपना पाजामा निकाल दिया & पूरे
नंगे हो गये,फिर बिस्तर पे चढ़े & उसकी दाई तरफ घुटनो पे बैठ उसके
पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा उसकी टाँगो को सहलाने लगे.1 बार फिर कामिनी
मस्त होने लगी,"तो फिर कौन हो सकता है असली मुजरिम?"

"ये कहना मुश्किल है.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी कसी जाँघो को सहला रहा
था,"..जो भी है वो इंदर को ढाल बनाके काम कर रहा है & मुझे कोई हैरत नही
होगी जब उसका मक़सद पूरा होने पे वो इंदर को भी दूध मे गिरी मक्खी की तरह
निकाल फेंके.",कामिनी ने चंद्रा साहब के सहलाने से बेताब हो अपने घुटने
मोड तो उसका पेटिकोट उसकी कमर तक आ पहुँचा & उसकी पीली लेस पॅंटी दिखने
लगी.कामिनी की छातियो मे मीठा दर्द हो रहा था.उसने अपने हाथो से ब्लाउस
के उपर से ही उन्हे दाना शुरू कर दिया.

"तुम्हारा डर की अभी देविका से भी ज़्यादा ख़तरा वीरेन को है बिल्कुल सही
है..",चंद्रा साहब उसकी दोनो जाँघो को उपर-नीचे,अंदर-बाहर हर तरफ से
सहलाए जा रहे थे & कामिनी की पॅंटी पे दिख रहा गीला धब्बा पल-2 बड़ा होता
जा रहा था.कामिनी अपनी चूचिया दबाती अपनी कमर उचका रही थी पर चंद्रा साहब
तो जैसे उसकी चूत च्छुने के मूड मे ही नही थे,"..ज़मानत देने के बाद
तुमने वीरेन को कहा छ्चोड़ा?",वो उसके पेटिकोट की डोर को खींच रहे थे.

"मैने उसे 1 होटेल मे ठहराया है & कमरा किसी & के नाम से बुक्ड
है.",कामिनी ने अपनी गंद उठा पेटिकोट को अपने जिस्म से अलग करने मे
चंद्रा साहब की मदद की.वो अब उसके ब्लाउस के बटन्स खोल रहे थे.

"बहुत अच्छे. ये तुमने बड़ी समझदारी का काम किया है..",कामिनी बिस्तर पे
उठ बैठी & जल्दी से ब्लाउस को अपनी बाहो से निकाला & अपने गुरु को गले से
लगा लिया.उसे बाँहो मे भरे चंद्रा साहब बिस्तर पे लेट गये & उसे चूमने
लगे.उनकी बाई बाँह के घेरे मे कामिनी पीठ के बल लेटी थी.चंद्रा साहब बाई
करवट पे हुए & उसे चूमते हुए अपनी उंगली उसकी पॅंटी के बगल से अंदर घुसाई
& उसकी चूत मे दाखिल करा दी.

"अओउन्न्ञनह....!",खुशी & मस्ती से भरी कामिनी की ज़ोर की आह कमरे मे
गूँजी.चंद्रा साहब तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहे थे & उनके
होंठ अब कामिनी के क्लीवेज पे थे & उसकी बाई छाती के नुमाया उभार को चूस
रहे थे.कामिनी ने भी जोश मे अपनी दाई टांग चंद्रा साहब की टाँगो के बीच
फँसा दी थी & अपनी बाहो को उनकी गर्दन मे डाल उनके सर को अपने सीने पे
दबा रही थी.चंद्रा साहब की उंगली की रफ़्तार तेज़ हुई तो कामिनी का बाया
हाथ उनके सर से नीचे उनकी पीठ पे पहुँचा & फिर उनकी गंद पे.चंद्रा साहब
उसकी छाती चूस्ते हुए उसकी चूत मार रहे थे & जोश मे अपनी कमर हिला के वो
अपना लंड उसकी कमर के बगल मे रगड़ रहे थे.

"ऊओह...उऊन्ह....आननह.....हाइईईईईईईई.....!",कामिनी मस्ती मे कमर उचका
रही थी.उसके सीने & चूत मे जैसे चंद्रा साहब की हर्कतो ने बिजली के कोई
ज्वालामुखी जगा दिए थे.उन दोनो जगहो से उठती मस्ती ने उसे पागल कर दिया
था.उसकी चूत से रस बहे चला जा रहा था & उसे जो मज़ा अभी महसूस हो रहा था
ऐसा ना जाने कितने दीनो बाद उसने महसूस किया था.उसने चंद्रा साहब की गंद
को मसला & फिर उसकी दरार पे अपनी उंगली फिराने लगी.चंद्रा साहब बड़ी
तेज़ी से उसकी चूत मार रहे थे की तभी कामिनी ने अपनी उंगली उनके गंद के
छेद मे घुसा दी.
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08-16-2018, 02:26 PM,
RE: Kamukta Story बदला
"आहह..!",उसकी छाती से सर उठा आँखे बंद कर उन्होने आह भारी & उनकी उंगली
कामिनी की चूत मे थोड़ा और अंदर घुस गयी.

"आईय्य्यीई.....!",कामिनी ने 1 आख़िरी बार कमर उचकाई & फिर अपने गुरु को
परे धकेलते हुए,उनकी गंद से अपना हाथ अलग करते हुए दाई करवट पे लेट तकिये
मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की उनकी शिष्या बड़ी
शिद्दत से झड़ी है.तभी कमरे के दूसरे छ्होर पे शेल्फ पे रखा उनका फोन बजा
तो वो उसे उठाने चले गये,"हेलो...हा कैसी हो?....कुच्छ नही कामिनी आई
है.उसी के साथ बाते हो रही थी."

कामिनी समझ गयी की मिसेज़.चंद्रा का फोन है....ये इत्तेफ़ाक़ था या कुच्छ
और?!..अब भी कामिनी चंद्रा साहब के साथ चुदाई कर रही होती मिसेज़.चंद्रा
या तो वही कही आस-पास मौजूद रहती या फिर उनका फोन आ जाता.बात चाहे जो भी
हो हर बरा की तरह इस बार भी कामिनी की मस्ती इस बात से बढ़ गयी,चंद्रा
साहब उसकी ओर मुँह किए बीवी से बात कर रहे थे.कामिनी बिस्तर से उतरी &
उन्हे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ उनकी पीठ चूमने लगी.चूमते हुए उसने
दोनो हाथ उनके पेट पे बाँध दिए & फिर नीचे ले जाके उनके लंड को थाम
लिया.अगर आंटी को पता चल जाए की इस वक़्त वो उनके पति के लंड को हाथ मे
पकड़ हिला रही थी तो उनका रिक्षन क्या होगा?!!

"लो बात करो.",चंद्रा साहब ने उसे पकड़ कर सामने किया & फोन उसे
थमाया.अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाली & उसका ब्रा खोलने लगे.कामिनी ने
फोन को 1 हाथ से दूसरे हाथ मे ले जाके ब्रा को निकालने दिया,"हां,आंटी.बस
काम ही करते रहता हैं सर तो.अभी भी 1 केस मे जुटे हैं.मेरी दलीलें तो 2
बार हार मान चुकी हैं,अब आगे देखे क्या करते हैं.",चंद्रा साहब नीचे बैठ
उसकी पॅंटी उतार रहे थे.पॅंटी निकाल उन्होने उसकी कमर को अपने बाजुओ मे
कस लिया & उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसके गोल पेट को चूमने लगे.1
हाथ से कामिनी उनके सर के बॉल सहलाते हुए बात कर रही थी.

"हा,आंटी.वो सब तो ठीक है...आआईययईी..!",चंद्रा साहब ने उसकी चूत मे अपनी
जीभ घुसा दी थी,"..क-कुच्छ नही आंटी..वो आपके यहा का चूहा फिर नज़र आ गया
तो डर गयी थी.अच्छा अब रखती हू.",फोन किनारे कर कामिनी ने शेल्फ से पीठ
लगा दी.चंद्रा साहब उसकी चूत को चाते ही चले जा रहे थे.कोई 2-3 मिनिट तक
चाटने के बाद जब उसने उसकी चूत से बह आया सारा रस पी लिया तो वो खड़े हुए
& कामिनी की बाई टांग को उठा उसके पैर शेल्फ पे जमा उसकी चूत को थोड़ा
खोल दिया & अपना दाया हाथ उस से लगा दिया.

"आनह...ओई..मा......हाईईइ...ऊहह....!",चंद्रा साहब बड़ी तेज़ी से उसके
दाने पे अपनी उंगली दायरे मे घुमा रहे थे.कामिनी उनकी बाहे पकड़े किसी
तरह से खड़ी थी.उसकी चूत 1 बार फिर उसी तनाव को महसूस कर रही थी जो झड़ने
के पहले बनता था.उसकी चूचिया बिल्कुल कस चुकी थी & उनके निपल्स बिल्कुल
सख़्त हो चुके थे.दाने को रगड़ते हुए चंद्रा साहब ने दूसरे हाथ से उसकी
दाई चूची को मसला तो कामिनी की मदहोशी और भी बढ़ गयी.

"तब आगे क्या करना है सहाय एस्टेट के केस मे?"

"ऊओन्नह....अब मैं खुद एस्टेट जाउन्गि & हाईईईई....",कामिनी बेचैनी से
कमर हिला रही थी,"....इंदर के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करूँगी...आनह.. &
अगर मुमकिन हुआ तो उसे देविका की नज़रो से...ओह...गिरा भी
दूँगी.....",उसने चंद्रा साहब का सर पकड़ अपनी छाती से लगा दिया & अपनी
कमर पागलो की तरह हिलाने लगी.चंद्रा साहब वैसे ही उसके दाने को रगड़ते
रहे.कामिनी अब झड़ने के करीब थी.चंद्रा साहब को भी इस बात का इल्म
था,उन्होने तभी अचानक 1 ऐसी हरकत की कामिनी ना केवल चौंक उठी बल्कि उसकी
चूत से तो रस का दरया बह निकला-चंद्रा साहब ने उसके दाने को अपनी उंगली &
अंगूठे के बीच पकड़ के हल्के से उसपे चिकोटी काट ली & उसी वक़्त उसके
निपल को भी दन्तो से हल्के से काट लिया.कामिनी हैरत से भरी झड़ने लगी &
अपने गुरु के गले लग गयी.

चंद्रा साहब उसे बाहो मे भरे उसके बालो को चूम रहे थे,"बहुत एहतियात
बरतना बल्कि मैं तो कहूँगा किसी पेशेवर जासूस को भेज दो अपनी जगह.",वो
उसकी पीठ सहला रहे थे.कामिनी अपनी साँसे संभाल रही थी.वो खामोश हाँफती
हुई उनके सीने से लगी खड़ी थी.चंद्रा साहब का प्री कम से गीला लंड उसके
पेट से दबा था.उसकी चूत तीन बार झड़ने के बावजूद इस लंड की चुदाई की
प्यासी थी,"नही सर,जाना तो मुझे ही होगा. ये काम मैं किसी और पे नही
छ्चोड़ सकती."

उसने लंड को पकड़ के हिलाया,"..& अब ये बाते छ्चोड़िए & जल्दी से इसे
मेरे अंदर डालिए वरना मैं मर जाउन्गि!",उसने लंड को मसल दिया तो चंद्रा
साहब उसे बाहो मे भरे हुए बिस्तर तक ले गये.सच तो ये था की उनका भी बुरा
हाल था.इतनी देर से वो खुद पे काबू रखे हुए थे & अब उनका जी भी यही कर
रहा था की बस जल्द से जल्द अपनी शिष्या की नाज़ुक सी निहायत कसी चूत मे
अपने लंड को घुसा उसे अपने रस से सराबोर कर दें.चंद्रा साहब उसे बाहो मे
भरे हुए बिस्तर पे लेट गये तो कामिनी ने अपने घुटने मोड़ अपनी टाँगे फैला
दी.चंद्रा साहब उसे चूम रहे थे & वो अपने दाए हाथ से उनके लंड को अपनी
चूत का रास्ता दिखा रही थी.

"आअनह...!",लंड जैसे ही अंदर गया अपने गुरु के सर को बाहो मे भरे कामिनी
ने आँखे बंद कर जोश से आ भर सर पीछे किया.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन
चंद्रा साहब की नज़रो के सामने चमक उठी & वो उसे चूमने लगे.उनकी कमर बहुत
तेज़ी से हिल रही थी & वो बहुत ज़ोर-शोर से अपनी शिष्या को चोद रहे
थे.दोनो प्रेमियो की बस अब 1 ही ख्वाहिश थी-जल्द से जल्द अपनी मंज़िल
पाना वो भी 1 दूसरे के साथ-2.

कामिनी ने अपनी दाई तंग उठाई & पैर को चंद्रा साहब के बाए घुटने के
पिच्छले हिस्से पे जमा दिया.बाई टांग को उसने उसकी कमर पे लपेटा,ऐसा करने
से उसकी चूत थोड़ा और खुल गयी थी & चंद्रा साहब के धक्के और गहरे जा रहे
थे.उसके हाथो के नाख़ून उनकी पीठ से लेके गंद तक हर तरह की लकीरें बना
रहे थे.चंद्रा साहब उसकी चूचियो को मसलते हुए उसके चेहरे को चूमते हुए
बहुत ज़ोरो से धक्के लगा रहे थे.उनके लंड की रगड़ ने कामिनी की नाज़ुक
चूत को 1 बार फिर से झड़ने की कगार पे पहुँचा दिया था.

अचानक चंद्रा साहब के धक्के बहुत ही तेज़ हो गये.कामिनी की चूत ने भी
उनके लंड के सिकुड़ने-फैलने की मादक हरकत शुरू कर दी.दोनो प्रेमी समझ गये
की दोनो ही अपनी मंज़िलो के करीब है.चंद्रा साहब ने उसकी चूचियो से हाथ
हटा के बिस्तर पे जमाए & उसके बाए कंधे & गर्दन मे मुँह च्छुपाए वाहा पे
चूमते हुए अपना सारा ध्यान अपने धक्को पे लगा दिया.कामिनी भी उनकी गंद मे
अपने नाख़ून धंसाए अपनी टाँगो से उनके जिस्म को जकड़े नीचे से कमर हिला
रही थी.तभी कामिनी की चूत कुच्छ ज़्यादा ही कस गयी उसके गुरु के लंड पे &
वो बिस्तर से उठती हुई उनकी गंद मे और नाख़ून धँसाती हुई आहे भरती हुई
झड़ने लगी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी उनके रस की धार च्छुटी
जिसने कामिनी की चूत को नहला दिया.

दोनो प्रेमी 1 दूसरे की बाहो मे पड़े हुए उस मस्ताने एहसास के 1-1 पल की
मदहोशी को महसूस करते हुए पड़े हुए थे.कामिनी ने घड़ी की ओर देखा अभी तो
बस शाम के 4 बजे थे,वो जानती थी की रात होने तक वो आज अपने गुरु की बाहो
मे ही रहने वाली है.उसने आँखे बंद की & अपनी बाहे अपने उपर पड़े हुए
चंद्रा साहब के गले मे डाल उनके गाल को चूम लिया.


"ऊऊहह.....आऐईईईई.....हाआंणन्न्...हान्न्न्न्न.....!",कामिनी आज तीसरी
बार चंद्रा साहब से चुद रही थी.वो बिस्तर पे पेट के बल पड़ी थी & चंद्रा
साहब उसकी पीठ पे सवार उसके दोनो तरफ बिस्तर की चादर को भींचते उसके हाथो
के उपर से हाथ लगाए,उनकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसाए उसकी चूत मे अपना
पूरा लंड धंसाए उसकी चुदाई कर रहे थे.

कोई 10 मिनिट से वो लगातार धक्के लगा रहे थे & अब दोनो प्रेमी 1 बार फिर
साथ झड़ने की तैय्यारि मे थे,"..कामिनी..आहह..",चंद्रा साहब ने उसके दाए
कंधे के उपर से सर ले जा उसके गाल को चूम लिया,"..मेरी 1 बात
मानो..",कामिनी ने उनके होंठो को अपने गुलाबी लाबो की क़ैद मे ले उन्हे
आगे बोलने से रोक दिया.

"कौन सी बात?",कुच्छ पलो बाद लाबो को छ्चोड़ आहे भरते हुए वो बोली.

"तुम एस्टेट मे छुप के सबकी जासूसी करोगी ये बात किसी को भी नही बताना
यहा तक की वीरेन सहाय को भी नही.",उनके धक्के और तेज़ हो गये थे.कमरे मे
उनके आंडो की कामिनी की गंद से टकराने की ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.

"क्यू?"

"क्यूकी जो भी वीरेन को नुकसान पहुचाना चाहता है वो आज नही तो कल वो कहा
च्छूपा है ये तो पता लगा ही लेगा साथ ही ये भी मुमकिन है की वो उसके फोन
टॅप कर रहा हो या फिर किसी और तरह से उसपे नज़र रखे हो..",चंद्रा साहब ने
कामिनी के हाथो को और कस के भींच लिया,उनके आंडो मे मीठा दर्द हो रहा था
जो की बस थोड़ी ही देर मे मज़े मे बदलने वाला था.

"..अब जब वीरेन को पता ही नही रहेगा की तुम कहा हो तो उसके दुश्मन को ये
बात कैसे पता चलेगी..आअहह..!"

"हाईईईईईईई......!",दोनो प्रेमियो की आहो ने इस बात का एलन किया की दोनो
1 बार फिर साथ-2 मस्ती की मंज़िल तक पहुँच चुके थे.

थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी सारी बाँध रही थी & चंद्रा साहब बिस्तर पे
लेटे उसे निहार रहे थे,"आपकी सलाह मेरे कितने काम आती है आपको तो अंदाज़ा
भी नही.",कामिनी ने सारी कमर मे अटकाई & आँचल अपने सीने से कंधे पे डाला
फिर अपने गुरु के नज़दीक आई & उन्हे चूम लिया,"अब चलती हू."

"अपना ख़याल रखना कामिनी & कोई भी परेशानी हो तो मुझे खबर करना.."

"ज़रूर सर."

इंदर आज रात फिर देविका के बिस्तर मे उसे बाहो मे ले सोया हुआ था.1 बार
फिर देविका रोते-2 नींद की बाहो मे चली गयी थी.इंदर उसे थपकीया देता हुआ
आगे के बारे मे सोच रहा था,देविका बेटे की मौत से बिल्कुल बेज़ार हो गयी
थी.उसे ना कारोबार मे दिलचस्पी रह गयी थी ना ही ज़िंदगी मे.ऐसे मे बस 1
इंदर ही उसे अपना लगता था.

इंदर ने उसकी इस हालत का पूरा फाय्दा उठाया & हर रात बिना चुदाई किए उसे
बाहो मे ले ये भरोसा दिला दिया की वो उसे सच्चे दिल से चाहता है.देविका
ने भी उसकी बात मान ली थी की दोनो कुच्छ दीनो बाद इस मनहूस जगह से कही
दूर चले जाएँगे.

कितनी आसानी से ये उसके जाल मे फँस गयी थी!....सोचती थी की वो उसे इस गम
से उबारेगा जबकि वो तो....इंदर ने आँखे बंद की & सो गया.

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क्रमशः......................
Reply
08-16-2018, 02:27 PM,
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
कामिनी बहुत गहरी नींद मे थी जब उसे अपने पेट पे कुच्छ महसूस हुआ..वो तो
अपने बेडरूम मे सोई थी फिर ये क्या था?!घबरा के उसने अपना हाथ पेट पे रखा
तो उसके हाथो मे वीरेन का हाथ फँस गया तब उसे याद आया की रात वो अपने घर
नही गयी थी बल्कि चंद्रा साहब के साथ पूरी शाम उनकी बाहो मे गुज़ारने के
बाद वो वीरेन को देखने होटेल आ गयी थी & यही रुक गयी थी.

वीरेन ने जब उसे बाहो मे भर चुदाई की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी तो उसने अपनी
थकान के चलते उसे मना कर दिया था & सो गयी थी. इस वक़्त वो अपनी बाई करवट
पे लेटी थी.रात को उसने होटेल के ही स्टोर से जो स्लीव्ले घुटनो तक की
नाइटी खरीदी थी वो उसकी कमर के उपर आ चुकी थी & उसके पीछे से उसके बदन से
लगा वीरेन अपने दाए हाथ से उसके चिकने पेट को सहलाते हुए उसकी गर्दन के
पीछे उसके बालो मे चेहरा च्छुपाए चूम रहा था.

"उम्म्म....",कामिनी ने अपना दाया हाथ पीछे ले जाके वीरेन के सर को थाम
उसके बाल सहलाते हुए अंगड़ाई ली तो वीरेन का हाथ उसकी पॅंटी मे घुस
गया,"....उउन्न्ञन्..!",कामिनी ने अपने घुटने आगे की तरफ मोड़ लिए.ऐसा
करने से उसकी गंद पीछे को तोड और निकल गयी & उसकी दरार मे वीरेन का कड़ा
लंड चुभ गया.वीरेन की की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी.कामिनी
ने गर्दन दाई तरफ उपर घुमाई तो वीरेन के तपते होंठ उसके चेहरे पे आ गये.

उसके दाए हाथ की उंगलिया अब वीरेन के बालो मे घूम नही रही थी बल्कि उन्हे
खींच रही थी.वीरेन की उंगलियो की रगड़ ने उसकी चूत से रस बहाना शुरू कर
दिया था.& वो अपनी कमर पीछे हिलाके उसके लंड को अपनी कसी गंद से दबा रही
थी.कामिनी को चंद्रा सहाब ने इतना चोदा था की उसे लगा था की अब 2-3 दीनो
तक उसका जिस्म किसी मर्द के लिए नही तडपेगा मगर वीरेन की हर्कतो ने 1 बार
फिर उसके बदन की आग को भड़का दिया था.होटेल के अंधेरे कमरे की तन्हाई मे
पीछे से गंद पे दबाता वीरेन का लंड & चूत मे खलबली मचाती उसकी
उंगलिया..आख़िर कामिनी कब तक सह पाती & थोड़ी ही देर मे वो झाड़ गयी.

वीरेन ने उसकी पॅंटी से हाथ बाहर निकाला & उसे दिखा के अपनी दोनो उंगलियो
को बारी-2 से चाट के उनपे लगा कामिनी की चूत का पानी सॉफ किया. इस हरकत
से कामिनी के दिल मे अपने प्रेमी के लिए प्यार का सैलाब उमड़ पड़ा & उसने
वैसे ही करवट से लेटे हुए उसके सर को नीचे खींच उसके होंठो को शिद्दत से
चूमने लगी.उसे चूमते हुए वीरेन उसकी पॅंटी को नीचे सरका रहा था.कामिनी ने
घुटने मोड़ के उपर किए & वीरेन ने 1 झटके मे पॅंटी को उसकी टांगो से
निकाल दिया.

उसके हाथ अब कामिनी की नाइटी को उपर खींच रहे थे.कामिनी ने उसके मन की
बात समझते हुए उसके होंठो को छ्चोड़ा & थोड़ा सा उठी & 1 ही पल मे उसकी
नाइटी भी उसके बदन से अलग हो गयी.वो फिर से अपनी दाई करवट पे लेट गयी &
उसके पीछे वीरेन उसकी पीठ चूमते हुए उसके ब्रा के हुक्स खोल रहा था.हुक्स
खुलते ही उसने कामिनी की नंगी पीठ पे किस्सस की झड़ी लगा दी.कामिनी उसकी
हर किस पे ऐसे छट-पटाती मानो उसके बदन से किसी ने कुच्छ बहुत गरम चीज़
सटा दी हो.उसका बदन पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुका था & उसे वीरेन की
हर्कतो से बहुत मज़ा मिल रहा था.

अपने दाए हाथ को कामिनी के बदन पे फिसलाते हुए उसने ब्रा स्ट्रॅप्स को
उसके कंधो से नीचे किया तो कामिनी ने खुद ही अपनी बाँहो से उन्हे निकाल
दिया.वीरेन ने कामिनी को पेट के बल किया तो कामिनी अपनी कोहनिया बिस्तर
पे जमाए उल्टी हो गयी & वीरेन उसकी पीठ से लेके कमर तक अपने होंठो के
निशान छ्चोड़ने लगा.कामिनी की खुमारी पल-2 बढ़ती जा रही थी.वीरेन के तपते
होंठ उसके बदन की आग और भड़का रहे थे & उसके हाथ जोकि कभी उसकी पीठ
सहलाते तो कभी कमर या फिर कभी उसकी गंद की मांसल फांको को मसल देते.वो
हल्के-2 अपनी चूत को बिस्तर पे रगड़ रही थी.

वीरेन की नज़रो से कामिनी की ये हरकत च्छूपी नही थी & वो भी अपनी प्रेमी
की मस्ती देख और जोश मे आ रहा था.1 बार फिर उसने अपनी प्रेमिका को उसकी
दाई करवट पे किया & पीछे से उस से चिपक गया.कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले
जाके टटोला तो पाया की वीरेन केवल अंडरवेर मे था.उसने उसके उपर से ही
उसके लंड को दबोचा.उसके हाथो ने महसूस किया की अंडरवेर के वेस्ट बंद के
उपर से वीरेन का लंड निकालने की कोशिश मे है तो उसने अंडरवेर नीचे कर
दिया.वीरेन ने अपनी प्रेमिका की बात मानते हुए झट से अंडर वीयर को निकाल
फेंका.कामिनी वैसे ही गर्दन घुमा उसे चूमते हुए उसके लंड को हिलाने
लगी.वीरेन ने अपनी बाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे लगाई & उसे घुमाते हुए
उसकी चूचियो को दबोच लिया & दाए से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.

कामिनी अब फिर से हवा मे उड़ रही थी,वीरेन का लंड भी अब बस उसकी चूत से
मिलना चाहता था.वीरेन ने उसका हाथ लंड से अलग किया तो कामिनी ने दोनो हाथ
आगे कर बिस्तर पे रख दिए & अपने घुटने मोड़ लिए.ऐसा करने से उसकी चूत तो
पीछे से नुमाया हो गयी मगर पहले से ही कसी चूत अब थोड़ी और सांकरी भी हो
गयी.वीरेन जानता था की ऐसे मे जब लंड चूत मे दाखिल होगा तो दोनो आशिक़ो
का मज़ा दोगुना हो जाएगा.उसने अपने दाए हाथ से अपने लंड को थामा & उसे
धीरे-2 कामिनी की गीली चूत मे घुसाने लगा.

"ऊवन्न्‍णणन्.....आन्न्‍नननणणन्......!",कामिनी की आहे तेज़ हो गयी.वीरेन
का दाया हाथ कामिनी के घुटने से लेके उसकी कमर तक घूम रहा था & उसकी कमर
तेज़ी से हिल रही थी.उसके होंठ अपनी महबूबा के हसीन चेहरे पे घूम रहे थे
& वो भी बेचैनी से कभी उसके सर को थामती तो कभी अपना बाया हाथ पीछे ले जा
उसकी बाई जाँघ सहलाने लगती.

"जानेमन..",वीरेन ने कामिनी के बाए कान पे काट लिया.

"ह्म्म्म...".कामिनी अभी भी उसकी जाँघ सहला रही थी.

"तुम्हारे कहने पे आज तो मैं यहा रुक गया मगर कल से मैं अपने घर मे ही
रहूँगा.अगर कोई मुझे नुकसान पहुचाना चाहेगा तो इस बार मेरे हाथो मरेगा
वो!",अपने परिवार के अंजान दुश्मन के लिए दिल की नफ़रत कामिनी ने उसके
तेज़ हो रहे धक्को मे महसूस की.

"नही वीरेन..",उसने सर को थोड़ा घुमाया & उसके सर को अपने बाए हाथ मे
थामा,"..तुम्हे मेरी कसम तुम ऐसी कोई बेवकूफी नही करोगे.हम उसे ढूंड
निकलेंगे,जान..बस थोड़ा तो सब्र रखो. ये मेरा वादा है की अब वो नीच इंसान
अपने गुनाहो की सज़ा पाके रहेगा.",वीरेन का लंड आज कामिनी की कोख तक
पहुँच गया था & उसका हर धक्का लंड के सुपाडे को कोख के मुँह से टकराता तो
कामिनी के बदन मे मस्ती की बिजलियो की अनगिनत फुलझड़िया छूट जाती.

"अपनी कसम देके तुमने मुझे बाँध दिया है,मेरी जान.",कामिनी अपनी बाई
कोहनी पे बदन को संभाले उचक गयी थी & उसने अपनी बाई बाँह वीरेन की जाँघ
से वैसे ही लगाई रखी थी.वीरेन ने उसकी मस्त,कसी चूचियो को अपने बाए हाथ
मे दबोचा & उन्हे चूस्ते हुए गहरे धक्के लगाने लगा.कामिनी की आहे बहुत ही
तेज़ हो गयी & साथ ही वीरेन के धक्के भी.मस्ती से बहाल उसने अपने घुटने
अपनी छातियो की तरफ & मोड & वीरेन ने लंड को चूत मे थोडा और अंदर धकेला.
इस बार के धक्को ने कामिनी को पछाड़ दिया & वो 1 बार फिर झाड़ गयी.झाड़ते
ही वो बिस्तर पे निढाल हो गयी.

वीरेन ने उसे सीधा लिटा दिया,उसका लंड अभी भी चूत के अंदर था.पीठ के बल
लेटी कामिनी की बाई जाँघ को उपर उठा वीरेन सीधा हो अब उसके उपर आ गया &
अपने हाथ बिस्तर पे जमा उसके उपर से उठ के उसे चोदने लगे. इस बार उसके
धक्के काफ़ी धीमे थे.वो लंड को सूपदे तक बाहर निकलता & फिर बहुत धीरे-2
अंदर घुसता था.ऐसी चुदाई से कामिनी की चूत मे फिर से कसक उठने लगी,कामिनी
की मदहोशी का तो अब कोई अंत ही नही था.उसने वीरेन की मज़बूत बाहे थाम ली
थी & बीच-2 मे सर को उठा वो उसके तगड़े & मोटे लंड को अपनी चूत की सैर
करते देखती.
Reply
08-16-2018, 02:27 PM,
RE: Kamukta Story बदला
थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद अचानक वीरेन उसके उपर लेट गया & उसके
सख़्त निपल्स को अपने दन्तो से काटने लगा.कामिनी के बदन मे तो जैसे करेंट
दौड़ गया.वो छत-पटाती हुई आहे भरने लगी,"..हाईईईईईई...ऊओह....",वीरेन
उसके निपल्स को छ्चोड़ अपने मुँह मे उसकी मानो पूरी छाती भर लेना चाहता
था & उसे बस चूसे जा रहा था.कामिनी का उपरी जिस्म बिस्तर से उठ जैसे
वीरेन के मुँह मे अपनी छाती को और धकेल रहा था.

उसकी चूत से रस की 1 नयी धार बह रही थी & बेचैनी से अपनी टाँगे हवा मे
उठाए वो वीरेन के बदन को नोच रही थी.वीरेन ने उसकी चूचियो को अपने हाथो
से मसला & दबाया & उनके निपल्स पे चिकोटी काटी.कामिनी ने जवाब मे अपनी
टाँगे उसकी कमर पे बाँधी & अपने नखुनो से उसकी पीठ & गंद को छल्नी कर
दिया.वीरेन उसे अपने बदन से पूरा दबाए हुए था & वो भी नीचे से अपनी कमर
इतनी तेज़ी से उच्छाल रही थी की बिस्तर से 1-2 इंच उपर उठ जाती थी.

वीरेन ने अपने हाथ उसके बदन के नीचे ले जा उसे अपने आगोश मे भर लिया &
अपने होठ वाहा पे लगाए जहा से उसके सीने पे चूचियो का उभार शुरू होता
था.होत लगाके चूमने के बाद उसने इतनी ज़ोर से चूसा की कामिनी की सांस अटक
गयी & उसने अपने नाख़ून वीरेन की पीठ मे और धंसा दिए.बिस्तर से उठती हुई
वो उसके उस को पागलो की तरह चूमती 1 बार फिर झाड़ गयी.

उसके झाड़ते ही वीरेन अपने घुटनो पे बैठ गया & कामिनी की बाहे पकड़ उसे
उठाया & अपने सीने से लगा उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.कामिनी उसके गले मे
बाहे डाल उस से चिपक के बैठ गयी.वीरेन की चुदाई से मिला चैन उसके चेहरे
पे था.वो जानती थी की वीरेन अभी नही झाड़ा है & इसलिए गोद मे बैठते ही
उसने कमर हिलाके फिर से चुदाई शुरू कर दी.वीरेन उसकी ज़ुल्फो को सँवारने
लगा तो उसने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसे चूम लिया.दोनो 1 दूसरे को
चूमते सरगोशिया करते बहुत इतमीनान से चुदाई कर रहे थे.

"वीरेन..",कामिनी ने उसके बालो मे उंगलिया फिराई.

"ह्म्म..",वीरेन सर झुका के अपने बाए हाथ से उसकी दाई चूची को पकड़ के चूस रहा था.

"मैं आज दिन मे पंचमहल से बाहर जा रही हू....बॉमबे,1 केस के सिलसिले
मे.काम मे 2 दिन भी लग सकते हैं..ऊओवववववव..!",वीरेन ने अपने दाए हाथ से
उसकी गंद को बहुत ज़ोर से मसला था,"..& 4 दिन भी.तब तक तुम यही रहोगे.ठीक
है."

"ठीक है.",कामिनी अब बहुत तेज़ी से कमर हिला रही थी & काफ़ी देर से उसकी
चुदाई कर रहा वीरेन का लंड भी अब बहुत बेताब ही उठा था.अपनी बाहो मे भरे
अपने सीने पे वीरेन के सर को दबाए कामिनी उसकी कमर पे टाँगे लपेटे बहुत
ज़ोर से कमर हिला रही थी मगर इस पोज़िशन मे वीरेन मनचाही रफ़्तार से
धक्के नही लगा पा रहा था.उसने फ़ौरन कामिनी को बिस्तर पे लिटाया & 1 बार
फिर उसपे सवार हो उसे चोदने लगा.कामिनी का सर बिस्तर से नीचे लटक गया था
& उसके नीचे उसके घने,लंबे बाल लहरा रहे थे.वीरेन उसके गले को चूमता आहे
भरता ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.कामिनी की चूत मे इतना ज़्यादा तनाव बन
गया था की उसे तकलीफ़ होने लगी थी.उसने वीरेन के बदन को और भींच लिया &
चीखने लगी.उसकी चूत की सिकुड़ने-फैलने की हरकत शुरू हो गयी थी जिसने
वीरेन को मज़ा दिलाया जो उसे हर बार हैरान कर देता था.उसका बदन झटके खाने
लगा & उसका गरम,गाढ़ा विर्य कामिनी की चूत मे भरने लगा.विर्य की फुहार से
कामिनी की चूत भी झाड़ गयी & इस बार झड़ने की शिद्दत इतनी ज़्यादा थी की
कामिनी की आँखो से आँसू निकल पड़े & गले से सिसकियाँ.

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क्रमशः......................
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