Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
12-30-2018, 01:57 PM,
#41
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 4
(लेखक – कथा प्रेमी)

रात के ग्यारह बजे थे. नासिक के लॅडीस हॉस्टिल के रूम नंबर 369 मे प्राची और नेहा कामदेव और रतिदेवी की पूजा कर रहे थे. प्राची नग्नावस्था मे सिसकारियाँ भरती हुई एक कुर्सी मे बैठी थी. उसके हाथ कुर्सी के हथ्थो से बँधे थे जिससे वह बिल्कुल असहाय थी. असहनीय सुख की लहरे उसके शरीर की नस नस मे उठ रही थी. सोच रही थी कि नेहा याने, मा से बेटि सवाई इस कहावत का जीता जागता उदाहरण थी. उसके सामने नीचे जमी पर बैठकर उसकी जांघों मे सिर डालकर नेहा अपनी जीभ का जादू दिखा रही थी. मादक घटनाओ से भरा आज का दिन प्राची को बार बार याद रहा था कि यह सब कैसे हुआ ...........


नासिक के लिए रवाना होते समय प्राची ने सोचा था कि जो होगा वह रात को होगा, तब देखी जाएगी, अभी से उसका विचार करने का कोई मतलब नही था. पर नेहा के करतब तो बस के हाइवे पर आने के बाद ही शुरू हो गये थे. पहले
उसने मुस्काराकर प्राची की ओर देखा और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया. गप्पें लड़ाते लड़ाते दस मिनिट के अंदर उसने अपना हाथ प्राची के कंधे के पीछे रख दिया. कुछ ही देर मे वह हाथ खिसककर प्राची की छाती पर पहून्च गया और प्यार से उसके स्तनों को हल्के से छुआ. प्राची कुछ नही बोली, उसे लगा को शायद अनजाने मे हुआ होगा.

दस मिनिट के बाद नेहा साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तन हौले हौले दबाने लगी. प्राची थोड़ी चौंकी पर अब भी कुछ नही बोली, नेहा से बाते करती रही जैसे कुछ ना हुआ हो. कुछ देर के बाद नेहा ने उंगलियों मे साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तनाग्र पकड़कर टटोले और झुक कर प्राची के कान मे फुसफुसाई "प्राची मौसी, सच मे मूँगफली जैसे लंबे है! रात को चूसने मे मज़ा आएगा"

प्राची को समझ मे नही आया कि क्या कहे. ये लड़की तो एकदम चालू है, सीधे असली बात पर उतर आई है. शायद आजकल की पीढ़ी ही ऐसी है, उन्हे ज़्यादा झिझक नही होती अपनी पसंद व्यक्त करने मे ऐसा सोच कर उसने नेहा की ओर देखा. नेहा बड़े नटखट अंदाज मे मुस्करा रही थी. इतनी खूबसूरत लग रही थी की प्राची भी अपनी झिझक भूल कर मुस्कराने लगी. नेहा से बोली "नेहा, ज़रा रुक तो, रात मे अभी देर है, तब की तब देखी जाएगी"


"हां मौसी, दावत तो रात को है पर टेस्ट तो अभी कर सकती हूँ ना" कहकर नेहा ने उसकी एक चून्चि हथेली मे ले ली और मसलने लगी. प्राची भी अब थोड़ी उत्तेजित हो गयी थी, उसे बहुत अच्छ लग रहा था कि इस सुंदर युवती को वह इतनी
अच्छि लग सकती है कि उससे रहा नही जा रहा है. उसने आँखे बंद कर ली और अपने आप को नेहा के हवाले कर दिया.
नासिक पहून्चते पहून्चते प्राची की हालत खराब हो गयी. चूत एकदम गीली हो गयी थी, एक बार तो वह झाड़ भी गयी थी. जब बीच मे नेहा उसके चुंबन लेने लगी तो प्राची ने इधर उधर देखा. शाम हो गयी थी और बस के दूसरी ओर की सीट पर दो बूढ़ी औरते बैठी थी जो सो रही थी. सीट ऊँची होने की वजह से और कोई उन्हे देख नही सकता था. "कोई नही देख रहा है मौसी, ज़रा चूंम ने तो दो ना ठीक से" एक हल्का सा चुंबन दे कर प्राची ने जब उसे रोकने की कोशिश की तो नेहा ने अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया. जल्द ही वह हाथ उसकी साड़ी के अंदर घुस कर उसकी पैंटी के नीचे पहून्च गया और एक उंगली उसकी चूत को सहलाने लगी. अब दोनो ने एक शाल ले ली थे इसलिए उसके नीचे क्या हो रहा है किसी को पता चलने वाला नही था.


उंगली से नेहा ने इतने कौशल से प्राची की बुर को रगड़ा की बेचारी दस मिनिट मे झाड़ गयी. अपनी उत्तेजना मे प्राची ने भी अपना हाथ नेहा की सलवार मे डाल दिया. नेहा ने अपनी जांघे खोल कर खुद उसके हाथ मे अपनी बुर दे दी. बुर पर के राशमी बालों का स्पर्ष होते ही प्राची को रोमाच हो आया. इतनी मुलायम, इतनी मखमली, देखने मे कैसी होगी इस जवान छोकरी की चूत.

नेहा ने अपनी जांघे समेट्कर प्राची की उंगली अपनी बुर मे क़ैद कर ली और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए उससे हस्तमैन्थुन करने लगी. उसकी उंगली भी अब प्राची की चूत मे अंदर घुस कर प्राची को परेशान कर रही थी. बीच मे बस रुकी और लोग उठ कर उतरने लगे तो दोनो संभाल कर सीधे बैठ गयी. प्राची की ओर देखकर नेहा ने अपनी उंगली अपने मूह मे लेकर
चूसी और प्राची को आँख मार कर इशारा किया कि मौसी, स्वाद अच्छा है.


प्राची को हँसी आ गयी. क्या गजब की छोकरी है. उसने भी अपनी उंगली मूह मे लेकर चाटि और नेहा को बोली "नेहा, शहद एकदम टेस्टि है" 

नेहा बोली "मौसी, रात को मन भर कर चटाऊन्गि तुझे शहद, तू बस देखती जा. खुश कर दूँगी तुझे मा कसम"

हॉस्टिल पहून्च कर दोनो अपने कमरे मे गयी. रूम कम थे इसलिए दोनो को एक ही कमरा दिया गया. यही दोनो को चाहिए था. सामान रखकर जल्दी से आनलॉक करके दोनो मेस मे गयी क्योंकि खाने का समय हो गया था. नेहा तो उससे कमरे मे आते ही लिपट गयी थी पर प्राची ने ही कहा कि रुक जा, पहले नीचे चल नही तो भूखा सोना पड़ेगा.

वे जब खाना खाकर वापस कमरे मे आई तो दरवाजा लगाते ही नेहा झपटकर प्राची से लिपट गयी और उसे चूमने की कोशिश करने लगी. नेहा ने शोभा से प्रामिस किया था कि वह प्राची के साथ बहुत हौले हौले प्यार से आगे बढ़ेगी पर नेहा इतनी उत्तेजित थी कि उससे रहा नही गया.


करीब करीब बेटि की उमर की उस युवती के इस उत्तेजना और बेताबी भरा आक्रामक रुख़ पर प्राची ने कोई ऐतराज नही किया और चुपचाप आत्मसमर्पण कर दिया. वह भी नेहा की जवान सुंदरता का आसवाद लेने को बेताब हो रही थी, साथ ही मन मे उसे बड़ा अच्छा लग रहा था कि नेहा को वह अपनी अधेड़ उमर के बावजूद भी इतनी सुंदर लगती है.
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12-30-2018, 01:57 PM,
#42
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नेहा ने जल्दी जल्दी प्राची के कपड़े निकाले और उसे नंगा करके उसे धकेलते हुए बिस्तर तक ले गयी. प्राची को उसने बिस्तर पर पटक दिया और उसपर चढ़ कर उसके स्तन दबाते हुए उंगलियों मे उसकी लंबी लंबी घून्डिया लेकर मसलने लगी. "क्या निपल है तुम्हारे प्राची मौसी! एकदम लाजवाब है, मैने कभी नही देखे ऐसे निपल. कितने प्यारे लगते है, मा सच कहती थी, ये तो बने ही है चूसने ले लिए" कहकर वह बारी बारी से प्राची के दोनो निपल चूसने लगी.

प्राची ने एक दो बार नेहा को बाजू मे करने की कोशिश की पर नेहा उसपर चढ़ि रही. प्राची को मज़ा आ रहा था और वा नेहा के चुंबन लेना चाहती थी पर नेहा उसके स्तनों से मूह हटाने को तैयार नही थी. बीच मे उत्तेजना से वह प्राची के निपलों को हल्के हल्के चबाने लगी. कराहकार प्राची ने उसका सिर हटाने की कोशिश की "अरी पगली, काटती क्यों है, दुखता है ना!" 

तोनेहा ने नज़र ऊपर करके नज़रों से ही उसे धमकाया कि ज़्यादा चूं चपड की तो वह सच मे ज़ोर से काट खाएगी. प्राची चुप होकर पड़ी रही और नेहा को अपनी मनमानी करने दी. 'गरम जवान खून है, ये ऐसा करेगी ही' उसने सोचा. मन भरकर प्राची के स्तनों और निपलों का स्वाद लेकर नेहा ने अब प्राची की चूत पर निशाना साधा. उंगली से टटोलकर बोली "अच्छि गीली मखमली है मौसी तेरी यह पठ्ठि. उसे जी भर के देखने का मन करता है, वो बाद मे करूँगी, पहले ज़रा स्वाद चख लूँ." और वा प्राची की चूत पर टूट पड़ी.


उसे चाटने और चूसने लगी. बीच बीच मे उसकी लंबी नुकीली जीभ प्राची की चूत को किसी छोटे लंड जैसे चोदने लगती थी. प्राची कहाँ उसकी कला के आगे टिकने वाली थी, बस दो मिनिट मे ढेर हो गयी और नेहा के सिर को अपनी जांघों मे कसकर इधर उधर लुढ़काने लगी. नेहा ने उठाकर हान्फते हुए अपने कपड़े उतारे. गुलाबी छोटि ब्रा और पैंटी मे लिपट उसका जवान मादक रूप प्राची को घायल कर गया. उसका बहुत मन था की वैसी ही अर्धनग्न अवस्था मे नेहा को बाहों मे लेकर खूब प्यार करे, जैसा नेहा की मा ने प्राची से किया था. पर नेहा ऐसी मस्ती मे थी कि एक ना मानी. अपने पूरे कपड़े उतारकर वह प्राची की टांगे ज़बरदस्ती फैला कर वह फिर प्राची की चूत पर टूट पड़ी. प्राची ने हथियार डाल दिए.

नेहा के सिर को अपनी बुर पर दबाते हुए वह नेहा की इस उत्तेजना का मज़ा लूटने लगी 'जाने दो, अभी जवान बच्ची है, धीरे धीरे प्यार से नारी रूप को कैसे भोगा जाता है, इसकी उसे शायद समझ भी नही है और उतना धैर्य भी नही है.'

कुछ देर बर चुसवाने के बाद प्राची ने किसी तरह बड़ी मुश्किल से नेहा के शरीर को घूनाकर उसके पैर अपनी ओर किए. नेहा की पुष्ट चिकनी जवान जांघों को फैलाकर आख़िर उसने पहली बार उस युवती की रेशमी बालों से ढकि बुर देखी. उसकी जांघों और नरम नरम फूली बर का चुंबन लिया और फिर उंगली से नेहा की बुर के भगोष्ठ खोलकर उसके उस रूप को निहारने लगी. मन भर कर नेहा के लावण्य को देखकर प्राची ने भी अपनी जीभ की नोक से उसमे से निकल रहे अमृत को छुआ और धीरे धीरे चाटने लगी. 

कितनी देर यह खेल चला इसका भान ही उन्हे नही रहा. दोनो एक दूसरे की चूत की पूजा करने मे लगी थी. आख़िर झाड़ कर दोनो ज़रा शांत हुई. नेहा ने प्राची की जांघों मे सिर छुपाकर कहा "प्राची मौसी, तुम तो एकदम छुपी रुस्तम निकली. वैसे मैं पहले ही पहचान गयी थी कि तुम क्या चीज़ हो. मैने कब का मम्मी को कहा था कि प्राची मौसी को फँसा लो, वह तो रस की ख़ान है. मम्मी ने भी कमाल कर दिया, देखो कितनी चतुराई से तुम्हे हमारे चंगुल मे फँसा लिया. पर मौसी, ये बताओ कि सिर्फ़ हमने ज़बरदस्ती फांसा है तुम्हे कि मैं सच मूच अच्छि लगती हूँ तुम्हें? या मेरा मन रखने को कह रही हो?"
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12-30-2018, 01:57 PM,
#43
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"नेहा रानी, मैं क्या कहूँ, तू तो अप्सरा है है, लगता है कि फिर से रंभा या उर्वशी उतर आई है जमी पर पर इस बार किसी ऋषि को फँसाने को नही, बल्कि मुझे फँसाने को. तू बेजोड़ है बेटि, रूप के साथ साथ शोभा की कामुकता भी है तुझमे. मुझे नही लगा था कि मेरे जैसी अधेड़ा उमर हो चली औरत तुझे इतनी पसंद आएगी. तुम्हारा तो रूप ऐसा है कि कोई भी मर मिटेगा. तेरी जवान गर्ल फ्रेंड्स भी होंगी ना? और लड़के, वो तो मरते होंगे तुझपर, पीछे लगते होंगे?"

"
नही मौसी, कॉलेज के लड़कों को अब मालूम हो गया है कि मेरे यहाँ उनकी दाल नही गलने वाली. बेचारे अब दूर ही रहते है. असल मे मेरा ज़रा भी इंटेरेस्ट नही है मर्दों मे. एक गर्ल फ्रेंड है मेरी, उसीके यहाँ तो गयी थी पिछले हफ्ते. बहुत प्यारी है. पर सच बताऊं मौसी, मुझे असल मे उमर मे बड़ी औरते ही अच्छि लगती है. तभी तो स्कूल मे थी तभी से मम्मी पर
नज़र थी मेरी. मैं कितना खुश हुई जब डॅडी ने शादी कर ली मम्मी से. मम्मी से चोरी छिपे ट्यूशन के बहाने मिलने की चिक चिक ही ख़तम हो गयी.

मम्मी के बाद तुम हो जो मुझे इतनी अच्छि लगी हो. मैने तो तभी मम्मी को कहा दिया था जब हम तुम्हारे पड़ोस वाले फ्लॅट मे रहने आए थे." कुछ देर के बाद नेहा उठ बैठी और प्राची को भी हाथ पकड़कर बिस्तर से उठा दिया. "चलो मौसी, आगे का खेल शुरू करना है. तुम यहाँ बैठो, इस कुर्सी मे"

प्राची को कुर्सी मे बिठा कर वह खुद उसके आगे जमी पर बैठ गयी. उसकी टांगे फैलाते हुए नेहा ने कहा "अब मौसी, तुम्हे सिर्फ़ इतना काम करना है कि यहाँ आराम से बैठो और मुझे अपना काम करने दो. मैं मन भर के अब तेरा रस चखना चाहती हूँ. तेरे इस खजाने को ठीक से देखा भी नही है मैने" और वह अपने काम मे जुट गयी. दस मिनिट मे ही वह उठ बैठी. प्राची इतनी गरम गयी थी कि नेहा का सर अपनी जांघों मे जकाड़कर उस युवती का मूह अपनी बुर पर दबा कर अपनी टांगे फेक रही थी. नेहा ने एक दो बार उसके हाथ अपने सिर से हटाए और उसकी जांघे फिर से खोली पर प्राची फिर से उसका सिर पकड़ लेती थी. नेहा को उठाते देख कर वह सिसक कर बोली "क्यों उठ गयी नेहा? मत उठ ना बेटि, प्लीज़, ऐसे बीच मे मत छोड़ मुझे, मुझसे रहा नही जाता मेरी रानी बिटिया"


नेहा अपनी और प्राची की उतारी हुई ब्रा लेकर वापस आई. प्राची की टांगे उठाकर उसने कुर्सी के हत्थे पर रखी और फिर उसके हाथ उसकी टाँगों के साथ बाँध दिए. प्राची घबराकर बोली "ये क्या कर रही है नेहा? छोड़ मुझे. तेरे बदन को मैं हाथ नही लगा पाऊँगी तो पागल हो जाऊंगी." वह अब पूरी असहाय हो गयी थी, उसकी चूत एकदम खुली थी.


नेहा ने प्राची का प्यार से चुंबन लिया और फिर उसकी टाँगों के बीच बैठ गयी. "घबराओ मत मौसी, मैं कोई तुझे टारचर वार्चर नही करने वाली. देखो अब मैं तुझे सुख की किस ऊँचाई तक ले जाती हूँ. असल मे जब मैं इस तरह किसी अपने की प्यारी चूत का भोग लगा रही होती हूँ तो मुझे रोक टोक ज़रा भी नही अच्छि लगती. इसलिए तुम्हारे हाथ बाँध दिए. मम्मी के साथ भी पहले ऐसा ही करना पड़ता था. अब वह सीख गयी है, चुपचाप बैठी रहती है और मुझे अपनी मनमानी करने देती है. मुझे जैसा मन मे आए वैसा करना चाहती हूँ तेरे साथ. इसलिए अब चुप बैठो और मज़ा लो" ........
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12-30-2018, 01:57 PM,
#44
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
एक घन्टे के बाद प्राची बेचारी पागल होने को आ गयी थी. योनि मे से इतनी मादक टीस उठ सकती है यह उसने कभी सोचा भी नही था. उसने इस युवती के काम कौशल के आगे घुटने टेक दिए थे. इस एक घन्टे मे नेहा ने उसे बस एक बार झड़ाया था. बाकी समय उसने बड़ी चालाकी के साथ प्राची को मीठी तलवार की धार पर टाँग रखा था. प्राची की बुर को बहका बहका कर वह उसमे से रस निकाल रही थी और पी रही थी. जब इस सुख को ना सह पाने के कारण प्राची रोने को आ गयी तब नेहा ने उसका क्लिट होंठों मे लिया और एक मिनिट मे उसे झाड़ा दिया. एक हल्की सी चीख के साथ प्राची वही कुर्सी मे ढेर हो गयी. उसका स्खलन इतना तीव्र था कि वह करीब करीब बेहोश हो गयी और सिसकने लगी. नेहा बेरहमी से उसकी बुर से अपना इनाम वसूल करती रही.

दस मिनिट बाद जब नेहा ने उठाकर उसके हाथ पैर खोले और उसे उठाया तो प्राची से खड़ा भी नही हुआ जा रहा था. उसके हाथ पैरों मे मानों जान ही नही थी. नेहा उसे सहारा देकर बिस्तर तक लाई. बिस्तर पर लेटकर प्राची ने आँखे बंद कर ली. अब भी उसके बदन मे बीच बीच मे एक झटक सा लगता था. नेहा उसके पास उससे लिपट कर लेट गयी.

कुछ देर मे आँखे खोल कर प्राची ने नेहा को बाहों मे भर लिया "नेहा रानी, तुझे क्या कहूँ अब? गाली दूं या थैक यू कहूँ? क्या हालत कर दी तूने मेरी! इतना आनंद मुझे कभी नही आया! लगता था कि अब मैं पागल हो जाऊंगी. कहाँ से सीखी ये सब इतनी सी उमर मे? और तू खुद भी घन्टे भर से नही झड़ी, तेरी चूत भी तुझे बहुत तकलीफ़ दे रही होगी! चल मैं
चूस देती हूँ"

"मुझे बहुत अनुभव है मौसी, शौक भी है, बहुत दिनों से कर रही हूँ यह सब. मम्मी से मिलने के पहले भी. पर तुम पड़ी रहो, मुझे मालूम है तुम्हारी हालत, तुमसे अभी कुछ होगा नही. मैं ही करती हूँ जो करना है. तुम बस पड़ी रहो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करती रहो." कहकर नेहा उठकर अपने घुटने प्राची के सिर के दोनो ओर टेक कर बैठ गयी. उसकी
रसीली जवान चूत अब प्राची के चेहरे के ऊपर थी. इतनी गीली थी कि रस टपकने को आ गया था. जांघे भी गीली थी. नेहा हौले से प्राची के मूह पर बैठ गयी. उसके निचले होंठ प्राची के होंठों पर आ टिके. नेहा झुक कर एक तकिया अपनी छाती के नीचे लेकर सो गयी और अपनी कमर हिला हिला कर धीरे धीरे प्राची के मूह को छोड़ने लगी. "प्राची मौसी, ये अब
मैं रात भर करूँगी. चलेगा ना? नींद नही होगी ठीक से पर चलेगा. सुबह देर से सो लेना. प्रोग्राम तो बारह बजे है. अब अपनी जीभ निकालो और मेरी चूत मे डालो. चूसो और अपनी जीभ से चोदो मुझे. और मैं जब तक नही कहूँ, जीभ ऐसे ही बाहर रहने देना. नही तो क्या हाल करती हूँ तेरा तू ही देखना" इस मीठी धमकी के आगे प्राची ने चुपचाप अपनी जीभ बाहर
निकाली और उस मखमली बुर मे डाल दी. थकि हुई थी पर फिर भी उसे फिर से जोश आ गया था. इस सुंदर कन्या की चाहे जितनी गुलामी करने को वह तैयार थी.

अचानक उसके दिमाग़ मे आया कि वहाँ दर्शन के साथ क्या हो रहा होगा! 

सुबह दर्शन की नींद देर से खुली वह भी तब जब उसे अपने बदन पर काफ़ी वजन महसूस हुआ. आधी नींद मे उसे पता नही चल रहा था कि क्या हो रहा है, हां लंड मे फिर बड़ी मीठी मस्ती आ गयी थी, लंड फिर किसी गीली गरम नरम गिरफ़्त मे था. अचानक किसी ने उसके मूह पर अपना मूह रख कर ज़ोर का चुंबन लिया. "अब उठ जा बेटे, कितना सोएगा? नौ बज गये!" शोभा का प्यार भरा स्वर उसके कान मे पड़ा और वह जाग उठा.

शोभा उसपर चढ़ कर उसके प्यार भरे चुंबन लेते हुए उसे चोद रही थी. दर्शन को जगा देख कर हंस कर बोली "जाग गया तू? मज़ा आया कल रात? कैसी लगी अपनी शोभा मौसी की आव भगत?"
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12-30-2018, 01:57 PM,
#45
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन भी नीचे से धक्के लगाने लगा. क्या मस्त वेक अप काल दिया मौसी ने. वह बोला कुछ नही, बस हाथ मे शोभा के स्तन पकड़ लिए. उसकी आँखों मे ऐसा भाव था जैसे कोई कुत्ते का पिल्ला अपनी मालकिन की ओर देख रहा हो. सम्पूर्ण आत्मसमर्पण का वह भाव शोभा को बहुत प्यारा लगा.

दर्शन के उछलते लंड के दबाव से शोभा जान गयी कि लड़के का क्या हाल है "धीरे धीरे आराम से मेरे राजा, मुझे ज़रा झाड़ जाने दे, फिर तू जो चाहे कर लेना, अब इसके बाद सिर्फ़ रात को मिलेगा चोदने को. मैं तो अभी भी नही छोड़ने वाली थी पर तुझे जगाने को आई और ये तेरा मस्त तन्नाया हुआ लंड देखा तो रहा नही गया मुझसे. आख़िर इतना प्यारा चिकना छोकरा हाथ लगा है मेरे, मैं तो पूरा मज़ा लूँगी" कहकर वह पूरी दर्शन पर चढ़ कर लेट गयी और उसके होंठ चूसते हुए ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगी.

दर्शन की आँखों के सामने कल की मधुर रात के दृश्य घूम रहे थे. कल मौसी ने बहुत देर उससे अपनी चूत चटवायि और चुसवाई थी. मूह और जीभ से बुर पूजा की पूरी शिक्षा दी थी. अपने शिष्य से अपनी पूरी सेवा करवा ली थी. दो तीन बार स्खलित होकर दर्शन को खूब सारा रस पिलाया था. उस चूत के रस का थोड़ा नमकी कसैला पर बेहद मादक स्वाद अब भी उसकी जीभ पर था.

फिर जब दर्शन बेहद उत्तेजित हो गया तो शोभा ने उसे चोदने की इजाज़त दे दी थी. पहली बार बेचारा पाँच मिनिट भी नही टिक पाया था. शोभा की मखमली तपती बुर ने उसे ज़्यादा टिकने नही दिया था. उसे काफ़ी बुरा लगा कि इतनी जल्दी झाड़ गया पर शोभा ने उसकी साँत्वना की थी और उसे पकड़ कर रखा था. जल्द ही दर्शन का फिर खड़ा हो गया था और फिर उसने शोभा की इच्छा नुसार उसे खूब चोदा था, आसान बदल बदल कर चुदाई की थी.

मॅगज़ीन मे दिखा दिखा कर उसे सब आसान सिखाए थे. उनमे से पीछे से डॉगी स्टाइल वाले आसन मे ख़ास कर दर्शन को बहुत मज़ा आया था. पीछे से एक साथ दिखती शोभा मौसी की चूत और वे विशाल नितंबों ने जैसे उसके लंड को लोहे जैसा कड़ा कर दिया था. सामने आईने मे दिखते शोभा मौसी के इधर उधर डोलते उरोजो ने उसकी वासना की आग मे घी का काम किया था. आख़िर जब लास्ट होकर दर्शन बिस्तर पर गिर पड़ा था तब रात के तीन बज चुके थे.

कल रात की खूमारी को याद करते हुए उसने अभी अपने आप को किसी तरह से संभाला और बिना झाडे शोभा से चुदवाता रहा. शोभा जब आख़िर झड कर तृप्ति की साँसे भरते हुए उसके बदन पर लेट गयी तब उसने पलट कर शोभा को अपने नीचे लिया और हचक हचक कर चोद डाला. कुछ देर के बाद शोभा उठ बैठी और उसे भी उठाया. "बहुत प्यारा चिकना लड़का है तू दर्शन, मेरा मन ही नही भरता. अपनी इस मौसी को बहुत सुख देगा तू. चलो अब नहा लें. अब ज़रा अपने इस बदमाश को बोल कि कंट्रोल मे रहे. आज दिन भर मस्ती करना है इसके साथ. आज तेरी छुट्टि है ना? आज पढ़ाई मत कर, बाद मे कर लेना. तेरी पढ़ाई ज़रूरी है, तुझे इंजीनियर बनना है पर ये दो दिन अपनी मौसी के लिए बचा कर रख."


दोनो साथ साथ नहाए. एक दूसरे को साबुन लगाया, अंग अंग की मालिश की, खूब चुंबन लिए. दर्शन का फिर से कस कर खड़ा था पर उसे अब बहुत अच्छा लग रहा था, खुद पर कंट्रोल कर के भी. अपनी मौसी के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था. नहाने के बाद शोभा ने उसे कपड़े नही पहनने दिए "अरे ऐसा ही रह आज, अपने कमरे मे बैठ रह. कोई आया तुझे पूछने तो कह दूँगी कि बाहर गया है. तुझे ऐसा नंगा मेरी सेवा मे हमेशा तैयार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है. तुझे मालूम है, पुराने जमाने मे वे रोमन रानियाँ अपने साथ अपने चहेते गुलाम रखती थीं, ऐसे ही. आज मुझे लगता है जैसे मैं एक रानी हूँ जिसके पास ये खूबसूरत गुलाम है, उसकी हर इच्छा पूरी करने को"

नहा कर शोभा ने सिर्फ़ गाउन पहना, ब्रा और पैंटी रहने दी. चाय नाश्ते के बाद यह खेल फिर शुरू हुआ. शोभा को अब चुदाई का चस्का लग गया था, बहुत दिनों के बाद ऐसा प्यारा जवान शिश्न उसे नसीब हुआ था. उसने मन भर के चुदवाया, अपनी चूत की पूरी कुटाई करवा ली उस जवान लड़के से. हां उसे अपनी चूत मे झड़ने नही दिया. मन भर कर चुदने के बाद उसने दर्शन को आराम करने दिया. उसका वह फनफनाया शिश्न देखकर उसने मुस्करा कर पूछा "तकलीफ़ हो रही है
बेटे? वैसे अगर तू सब्र करेगा तो अच्छा होगा. मैं नही चाहती कि तू ज़्यादा झाडे, आज मुझे तेरा पूरा स्वाद लेना है. बोल करेगा ना मेरे लिए इतना?"
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12-30-2018, 01:57 PM,
#46
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन को होती मीठी पीड़ा के बावजूद वह तैयार था. अपनी इस मौसी के लिए वह कुछ भी कर सकता था. शोभा ने दोपहर के खाने की तैयारी की. चावल का कुकर लगा दिया और अपनी अलमारी से और मॅगज़ीन ले आई "आ जा दर्शन बेटे, अब आगे की पढ़ाई करना है. अभी बहुत कुछ सीखना है तुझे" वह बड़े लाड़ से दर्शन को गोद मे लेकर बैठ गयी. उसे अपना स्तनपान कराते हुए बाकी मॅगज़ीन दिखाई. उसमे हर तरह के संभोग के दृश्यह थे. एक चित्र मे गुदा संभोग बिल्कुल पास से दिखाया गया था. एक गोरी मासल गान्ड को चीरते हुए अंदर घुसे बड़े लंड को देखकर दर्शन को शोभा के बड़े बड़े नितंबों की याद आ गयी जो उसने कल रात उसे पीछे से डॉगी स्टाइल मे चोदते हुए देखे थे. कल उसने बस उन चूतडो का एक चुंबन भर लिया था, आगे कुछ नही किया था.


शोभा के उन मतवाले साँवले चूतडो मे अपना लंड घुसेडने की सिर्फ़ कल्पना से उसका लंड और उछलने लगा. धीरे से शोभा को वह बोला "मौसी, अब चलो ना चुदाने, रहा नही जाता. कल रात को पीछे से चोदा था वैसे चोदू आपको? आपको भी मज़ा आया था ना?"


शोभा समझ गयी थी कि वह क्यों पूछ रहा है. पर उसने कुछ दर्शाया नही, वही सोफे पर झुक कर तैयार हो गयी. दर्शन उसके पीछे खड़ा हो गया. उसे शोभा के चूतडो के बीच का गुदा का छेद और चूत एक साथ दिख रही थी. उसने चूतडो को दबाते हुए पीछे से शोभा की चूत मे जीभ लगाई. फिर उससे ना रहा गया और उसने जल्दी से शोभा की गुदा का एक
चुंबन ले लिया. शोभा की गान्ड को पाने के लिए वह मरा जा रहा था. गान्ड के छेद का यह चुंबन असल मे शोभा से उसकी एक मूक प्रार्थना थी. अब वह बारी बारी से धीरे शोभा की चूत और गान्ड को बार बार चूमा और चाट रहा था.


शोभा को उसकी यह हरकत बहुत प्यारी लगी. वह समझ गयी कि बिना किसी हिचक के जब यह लड़का उसकी गुदा मे मूह डाल रहा है तो उसे इसकी कितनी गहरी आसक्ति होगी. उसने दर्शन को एक मीठ उलाहना दिया "दर्शन, कितनी देर लगाएगा बेटे? अब चूमा चाटि बंद कर और अपना काम कर"

"मौसी, मैं आपकी .... याने .... प्लीज़ मौसी मुझे अपनी ...." शरमाता हुआ हकलाकार वह बोला.

"गान्ड मारने दो यही कहा रहा था ना? अरे बोल, शरमाता क्यों है"

"हां मौसी, प्लीज़, मारने दो ना मुझे, आप जो कहोगी मैं करूँगा" दर्शन रिरियाता हुआ बोला.

"आज नही. आगे देखूँगी. वादा नही कर सकती. मेरी कितनी सेवा करता है और मुझे कितना खुश करता है यह देखकर बताऊँगी. अब चल, जल्दी चोद डाल मुझे, और कस के ज़ोर से चोद जैसा मैने सिखाया था कल रात को" शोभा ने उसे
हुक्म दिया.

दर्शन ने मन लगा कर शोभा को चोदा, अपनी पूरी ताक़त लगाकर लंड ज़ोर ज़ोर से पेला. शोभा मौसी ने मना नही किया याने कभी न कभी वह गान्ड मारने देगी इस आशा से उसका उत्साह दुगना हो गया था. शोभा उस जवान लंड के धक्कों से एकदम तृप्त हो गयी. दर्शन बेचारा अब भी अपना फनफनाया लंड ले कर बैठा था, शोभा का कहना मान कर उसने अपने आप को झड्ने नही दिया था. शोभा को उसपर दया आ गयी और इनाम स्वरूप शोभा ने उसका लंड चूस कर उसे झाड़ा दिया.


दोनो ने थोड़ी देर आराम किया. एक झपकी के बाद दर्शन की नींद खुली तो शोभा बिस्तर पर नही थी. दर्शन के लंड मे फिर मीठी कसक होने लगी थी. बार बार उसे शोभा का वह पीछे से दिखता बदन याद आ रहा था. शोभा की चूत का स्वाद फिर से लेने की भी इच्छा हो रही थी. वह उठ कर वैसा ही नंगा बाहर आया. बाहर ड्राइंग रूम मे शोभा आराम कुर्सी मे पसरी
हुई पेपर पढ़ रही थी. दर्शन उसके सामने जमी पर बैठ गया और उसकी गोद मे सिर रख दिया. शोभा समझ गयी कि वह क्या चाहता है. "क्यों रे बेटे, भूख लगी है? या प्यास लगी है? खाने के पहले कुछ पिएगा?" हँसते हुए बोली.

फिर उसने अपना गाउन ऊपर किया और दर्शन को अंदर ले लिया "मौसी का रस भा गया तुझे लगता है, चल अच्छा है कि तू खुद ही आ गया, मुझे बहुत अच्छा लगा. बस ऐसे ही जब भी कोई इच्छा हो, आ जाया कर, शरमाना नही, जब मन हो
तो सीधे घुस जाया कर मेरी बुर मे, बिना पूछे. बहुत रस है मेरे इस खजाने मे, तू कभी प्यासा नही रहेगा." दर्शन का सिर अपनी साँवली गुदाज मासल जांघों मे दबोच कर उसने उसका मूह अपनी बुर पर दबा लिया और आगे पीछे होती हुई आराम कुर्सी मे झूलने लगी. दो बार झाड़ कर उसने अपना पानी दर्शन को पिलाया और फिर उसे अपने कमरे मे भेज दिया क्योंकि नौकरानी आने का समय हो गया था.


दोपहर को खाना खाने के बाद संभोग फिर शुरू हुआ. दर्शन को अपने ऊपर ले कर शोभा बिस्तर पर लेट गयी और बोली "अब आराम से धीरे धीरे खूब देर चोद मुझे. जल्दबाजी नही करना. ऐसे हौले हौले चुदने मे भी बड़ा मज़ा आता है." उसकी एक घून्डि मूह मे लेकर दर्शन शुरू हो गया. कुछ देर से शोभा सिसक कर बोली "ओह अह्ह्ह ओह हाईईइ कितनी ज़ोर से चूस रहा है मेरे बच्चे. दूध निकालने का इरादा है क्या?"
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12-30-2018, 01:57 PM,
#47
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन मूह से निपल को निकाल कर बोला "हां मौसी, मन तो यही करता है. आपके स्तनों मे दूध होता तो क्या मज़ा आ जाता!"

शोभा मुस्काराकर बोली "क्यों रे, मा का दूध पीकर मन नही भरा तेरा? प्राची बता रही थी कि तूने तीन साल का होने तक उसका दूध पिया था. मानता ही नही था, रो रो कर आसमान सिर पर उठा लेता था. तभी तो उसके निपल लंबे लंबे हो गये है"

दर्शन का चेहरा शरम से लाल हो गया "माँ ने बताया तूम्हे मौसी! ये लंबे निपल वाली बात भी?"

"नही उसने लंबे निपल होने की बात नही बताई मुझे, मैने जब देखे तब पूछा था"

दर्शन की आँखे फैल गयी "तुमने देखे है मा के निपल? पर कैसे ..."

शोभा नटखट अंदाज मे मुस्कराती हुई बोली "सिर्फ़ देखे ही नही, चूसे भी है, बहुत मज़ा आता है उन्हें चूसने मे. कुछ भी कह दर्शन बेटे, तेरी मा बहुत ही सेक्सी है. तुझे नही लगता ऐसा?"

दर्शन भोंचक्का होकर उसका मूह ताकता रहा गया. मौसी ने मा के निपल चूसे? याने मा ने कपड़े निकाले होंगे? पर क्यों? और क्या क्या किया होगा उन्होने? उसके मन मे कैसे कैसे ख़याल आने लगे.

शोभा ने उसे सताना चालू रखा. आगे बोली "अरे उसकी चूत का रस तो मेरी चूत से भी ज़्यादा जायकेदार है. मैने तो खूब चखा है. अब नेहा से पूछून्गि जब वह वापस आएगी तो, कि बता, किसकी चूत ज़्यादा रसीली है, मेरी या दर्शन की मा की?"


सुनकर दर्शन का सिर चकराने लगा. उसे विश्वास नही हो रहा था. ये क्या लफडे चल रहे है उसकी मा, शोभा मौसी और नेहा के बीच! उसके लंड ने ऐसी उछाल मारी कि वह अपना संयम भूल कर हचक हचक कर शोभा को चोदने लगा. शोभा ने हँसते हुए उसे काबू मे करने की कोशिश की पर दर्शन ने उसे घचाघाच चोद कर ही दम लिया. जब वह झड्ने के बाद हान्फता हुआ शोभा की बाहों मे पड़ा आराम कर रहा था तब शोभा ने प्यार से उसे धीरे धीरे सब बताया. सुनकर दर्शन
का चेहरा देखने लायक हो गया. मा और शोभा आंटी के बीच हुई रति का वर्णन सुनने के बाद वह पूरा बहक गया. बेचारा बड़े अनिश्चय मे भी पड गया. अब जब मा वापस आएगी तो? उसने काँपते स्वर मे शोभा से पूछा "मौसी, अब जब नेहा और मा वापस आएँगी तब? तब क्या करेंगे?"

" वो मैं तेरे ऊपर छोड़ती हूँ बेटे. मेरी तो यही इच्छा है कि हमारे परिवारों मे खूब मेल जोल बढ़े. सब आपस मे मिल कर खूब रति सुख लें"

"पर मौसी, मैं क्या करूँ? मा के सामने कैसे तुमसे चुदाई ... मेरा मतलब है यह सब करूँ?" दर्शन ने व्याकुल होकर पूछा.

"माँ के सामने ना सही, पर मा के साथ तो कर सकता है ना?" शोभा ने मुस्कराते हुए उसे पास खींच कर उसकी आँखों मे झाँकते हुए पूछा.

दर्शन का चेहरा गुलाबी हो गया. पर लंड भी धीरे धीरे फिर से उठने की तैयारी करने लगा. उसकी हालत देख कर शोभा ने उससे सीधे पूछा. "इस चतुर्कोण के तीन कोने तो पूरे हो गये है, याने मैं और तेरी मा, नेहा और तेरी मा और मैं और तू. अब बचा है तो सिर्फ़ तेरा और तेरी मा का मिलन, वो तू सोच कि तुझे अच्छ लगेगा या नही. सच बता दर्शन, मा तुझे अच्छि लगती है ना? याने मा की तरह नही, जैसे मैं अच्छि लगती हूँ, वैसी अच्छि लगती है कि नही? तेरी मा से चुदाई करने मे तुझे मज़ा आएगा या नही?" शोभा ने उसे उकसाते हुए कहा.
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12-30-2018, 01:58 PM,
#48
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन चुप था पर अनजाने मे वह अपना लंड पकड़कर हिलाने लगा था. उसे अपनी मा का कपड़े बदलते समय का वह अर्धनग्न रूप याद आ रहा था जो उसने कल चुपचाप देख लिया था. उसने चुपचाप शोभा की ओर देख कर आँखों आँखों मे हाँ कहा.

शोभा खुश होकर बोली "तो बस, तू भी शामिल हो जाना हम औरतों की मस्ती मे. तेरी मा को भी बहुत अच्छ लगेगा. तू नही जानता वह कितनी गरम तबीयत की है, बेचारी कब से तरस रही है किसी मस्त जवान लंड के लिए, और उसे तुझसे अच्छ लंड कहाँ मिलेगा? जब मेरे जैसी पक्की लेस्बियन को तेरा लंड इतना भा गया तो वह तो पागल हो जाएगी तेरे सोंटे पर."


दर्शन अब भी थोड़ा सकुचा रहा था यह देख कर शोभा ने एक और तीर चलाया. "दर्शन राजा, तू मेरे इन नितंबों के बारे मे पूछ रहा था ना? इन्हें प्यार करने के लिए, इनके बीच मे अपना लंड घुसाने के लिए मेरी कुछ भी सेवा करेगा यह तू कह रहा था ना?" दर्शन ने मूंडी हिला कर हां कहा "तो समझ ले कि मैं अब चाहती हूँ कि तू अपनी मा को खुश करे, उसे पूरा तृप्त करे. अगर वह खुश हुई तो मैं भी खुश हो जाऊंगी और तुझे तेरा इनाम मिल जाएगा."

शोभा की गांद मारने को मिलेगी इस विचार से ही दर्शन मस्त हो कर झूम उठा. शोभा से चिपट कर बोला "जैसे आप कहती है मौसी वैसा ही करूँगा. पर एक बात और मौसी. नेहा ... याने वह भी क्या ...."

शोभा थोड़ी गंभीर हो गयी "वैसे वह तेरी मा पर इतनी मर मिटी है कि उसे छोड़ने को सहसा तैयार नही होगी पर उसे भी मज़ा आएगा मा बेटे का प्यार देख कर. पर बेटे, तुझे वह शायद हाथ भी नही लगाने देगी अपने बदन पर. वह पक्की लेस्बियन है, हॅंड्र्ड परसेंट. पर तू परेशान ना हो, आख़िर तेरी मा और मैं हूँ ना तेरे सुख की चिंता करने को. नेहा आगे
शायद बदल भी जाए!"

दर्शन अब तक शोभा की जांघों के बीच घुस कर उसकी बुर चाटने मे लग गया था. "अरे रुक ना, धो तो लेने दे, तेरा ही पानी टपक रहा है उसमे से, तेरे को स्वाद पसंद नही आएगा" पर दर्शन ने अनसुनी कर दी. शोभा की चूत से टपकते रस को चाटने मे वह इतना टल्ली हो गया था कि उसे कोई फिकर नही थी कि शोभा की चूत के रस मे उसका वीर्य भी मिला हुआ है.
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12-30-2018, 01:58 PM,
#49
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दूसरे दिन शाम को नेहा और प्राची वापस आई. दोनो बहुत खुश थी. नासिक मे उन्होने सारा समय अपने कमरे मे ही बिताया था. घूमने जाने की तो बात अलग थी, वे तो कमरे के बाहर भी नही निकली थी सिर्फ़ क्विज़ के समय को और खाने के समय को छोड़कर. आपस मे मन भर कर रति करने मे दोनो जुटि रही थी. एक दूसरे के शरीर को मन चाहा भोग कर दोनो तृप्त थी. बीच मे बस एक बार प्राची ने मचल कर कहा था. "नेहा रानी, साथ मे तेरा वो डिल्डो ले आती तो मज़ा आ जाता. शोभा बता रही थी कि तू उससे चोदने मे माहिर है. तूने मेरी चूत को इतना प्यार किया है, इतना रस निकाला है कि मैं स्वर्ग मे आ गयी हूँ पर फिर भी कभी कभी लगता है कि कोई मोट तगड़ा लंड मिल जाता मेरी बुर को चोदने को तो मज़ा आ जाता. तू डिल्डो से चोदति तो मेरी बुर पूरी शांत हो जाती"

"जान बूझ कर नही लाई आंटी. पर तू चिंता मत कर. वापस जाकर देखना कैसे डिल्डो से तेरी बुर की कुटाई करती हूँ, तू सह नही पाएगी. वैसे एक बात यह भी है कि वापस जाने के बाद उस डिल्डो की उतनी ज़रूरत पड़ेगी नही, एक सच मुच का जिंदा मतवाला लंड तेरे लिए तैयार किया जा रहा है. मा उसी काम मे जुटि होगी."


प्राची का दिल धड़कने लगा. उसने अधीरता से पूछ. "सचमुच का लंड? पर किसका?" पर उसे अंदाज़ा हो गया था और उसके साथ उसके गालों पर एक खूबसूरत लाली छाने लगी थी.


उसका चुंबन लेते हुए नेहा बोली "वाह, ऐसे बन रही हो जैसे कुछ जानती ही नही आंटी. तेरे बेटे का, दर्शन का. मा तो अब तक उसे खा पीकर पचा गयी होगी. मुझे कह रही थी कि क्या मस्त छोकरा है. अब तक तो वह कुत्ते के पिल्ले जैसा मम्मी के सामने लेटकर दुम हिला रहा होगा. मम्मी ने उसे सब बता भी दिया होगा."

प्राची कुछ बोली नही पर नासिक से मुंबई वापस आते समय रास्ते भर वह यही सोचती आ रही थी कि शोभा ने दर्शन के साथ क्या क्या किया होगा और अब आगे उसने क्या प्लान बना कर रखे है. इसलिए देर शाम मुंबई वापस आकर जब वे घर वापस आए और शोभा ने दरवाजा खोला तो घर मे घुसते ही उसने पहला सवाल यही किया. "शोभा, दर्शन कहाँ है?"

"सोया है, दो रात से बेचारा मेरी सेवा मे जुटा है. आज भी सुबह से लेकर अब तक अपनी इस मौसी की सेवा कर रहा था बेचारा. मैने भी खूब मेहनत कराई बेचारे से. थक गया बेचारा. मैने ही कहा कि जा सो जा. मा आएगी तो मा से गप्पें कैसे मारेगा! जाओ देखो, अंदर नेहा के बेडरूम मे सोया है. वैसे तुम लोगों की ट्रिप कैसी हुई? वैसे पूछने की ज़रूरत नही है, नेहा
एकदम खुश दिख रही है और प्राची तू ऐसी दिख रही है जैसे किसी ने किसी गुलाब के फूल को मसल कर सब रस निकाल लिया हो. नेहा ने तेरी हालत कर दी है ना प्राची?"

"शोभा, तेरी यह नेहा याने साक्षात रति देवी है. मुझे आज तक इतना सुख किसी ने नही दिया जितना इसने पिछले दो दिनों मे दिया है." प्राची बोली और फिर अंदर चली गयी. दर्शन को मिलने की उसे बहुत उत्सुकता थी. दर्शन गहरी नींद सोया था. बिल्कुल नग्न था. नींद मे उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था. शोभा और नेहा भी उसके पीछे पीछे थी. 

शोभा बोली "देख प्राची, कैसे अपनी मा को तन कर सलामी दे रहा है! कल ही उसे तेरे और मेरे बारे मे बताया और फिर यह बताया की नेहा तुझे साथ क्यों ले गयी है. सुन कर ऐसा मचला कि उसे संभालना मुश्किल हो गया."

दर्शन की वह नंगी जवानी प्राची देखती रह गयी. कितना प्यारा और मादक रूप था उसके बेटे का! कितने दिनों बाद वह किसी पुरुष का ऐसा रूप देख रही थी. उसे रह रह कर एक बात खटकने लगी. शोभा से अगर पहले ही पहचान हो जाती तो अब तक दर्शन के साथ वह कितने सुख के दिन बिता लेती. इतने साल उसके बेकार नही जाते. वह दर्शन के पास बिस्तर पर बैठ गयी और उसका लंड हौले से पकड़ लिया और झुक कर प्यार से दर्शन के गाल को चूम लिया. हाथ मे थारथराते गरम गरम उछलते लंड ने उसे इतना मोह लिया कि बिना कुछ सोचे उसने नीचे झुक कर दर्शन के सुपाडे को चूम लिया और फिर मूह खोल कर लंड निगल लिया और चूसने लगी.
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12-30-2018, 01:58 PM,
#50
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
माँ बेटे के इस खेल को देखकर शोभा ने धीरे से नेहा का हाथ दबा कर इशारा किया और उसे खींच कर चुपचाप कमरे के बाहर ले आई. "नेहा बेटि. मा बेटे को कुछ देर अकेला ही छोड़ देते है. वैसे दर्शन इतनी गहरी नींद सोया है कि मुझे नही लगता वह उठेगा. चल, तू भी नहा ले तब तक. फिर आराम कर ले, कुछ सो ले. मुझे पता है कि तेरी भी नींद नही हुई होगी ठीक से. मैं खाना बना कर तुझे उठा दूँगी. प्राची को कहती हूँ कि आज की रात वो और दर्शन यही सो जायें."

"
याने आज की रात हम सब एक साथ मम्मी? ग्रांड मस्ती? मज़ा आ जाएगा" नेहा उत्साह से बोली.

"चल कुछ भी मत बोल नेहा. ऐसा कैसे होगा?" प्राची पीछे से बोली. वह भी दर्शन को छोड़ कर बाहर आ गयी थी. दर्शन के उस लंड को चूसने की जबरदस्त इच्छ को उसने बड़ी मुश्किल से दबा लिया था. सोचा था कि बेचारा इतना थका है, उसे क्यों उठाय जाए. फिर उसे इस बात का भी ध्यान हो आया कि शोभा और नेहा के सामने ही उसने दर्शन का लंड मूह मे ले लिया था, वे अब बहुत मज़ाक उड़ाएँगी.

"अरे तू क्यों आ गयी? हमे तो लगा था कि अब तक तो तू अपने बेटे को मा का पूरा लाड प्यार दे रही होगी. उस बेचारे को क्यों छोड़ दिया मौसी? मा से इस तरह से बच्चे को अलग करना ठीक नही है." नेहा ने चुटकि ली.

प्राची कुछ शरमा कर बोली "अरे वह बेचारा थक कर इतनी गाढ़ी नींद सोया है, मेरी मन नही हुआ की उसकी नींद खराब करूँ. वैसे शोभा, समझ मे नही आता कि कैसे तेरा शुक्रिया अदा करूँ, तूने मुझे अपने बेटे से इस तरह से मिलने की राह खोल दी. मुझसे तो यह कभी नही होता. वैसे अब क्या प्लान बन रहे है नेहा? तू ज़रूर कोई शैतानी से भरा प्लान बना रही होगी"

शोभा ने उसे धीरे धीरे बताया कि आज की रात क्या गुल खिलाने वाले है. पहले प्राची ना नुकुर करने लगी, पर मन मे वह फूली नही समा रही थी. आख़िर वह भी तैयार हो गयी. शोभा के समझाने पर कि थकान मिटाने को वे दोनो नहा कर सो ले, प्राची और नेहा नहा कर शोभा के बेडरूम मे सो गये.

रात को वे ग्यारह बजे के करीब उठि. उनकी थकान काफ़ी मिट गयी थी. उन्होने खाना खाया. दर्शन अब भी सोया हुआ था. शोभा ने उसके सिरहाने सॅंडविच और दूध रख दिया. फिर वे तीनों शोभा के बेडरूम मे आ गयी. जल्द ही वहाँ से हँसने खिलखिलाने की आवाज़े आने लगी. एक और रास लीला शुरू हो गयी थी.


- भाग 4 समाप्त –
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