Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
12-30-2018, 01:34 PM,
#21
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
जैसे उसके मूह को साइकिल की सीट बनाकर सवारी कर रही हो. जब शोभा ने दाँतों मे प्राची के क्लिट को ले कर हल्के से चबाया तो बेचारी प्राची को सहन नही हुआ. वह इतना झाड़ चुकी थी कि उसकी बुर मे कुछ नही बचा था. अब अपनी चूत या क्लिट पर किसी तरह का स्पर्ष उसे सहन नही हो रहा था. बेचारी छूटने के लिए हाथ पैर मारते हुए शोभा को कहने की
कोशिश कर रही थी कि दीदी अब छोड़ो, मैं मर जाऊंगी. पर शोभा ने उसका मूह अपनी बुर से कस के बंद कर रखा था.

उधर शोभा अपना पूरा कामकौशल लगा रही थी कि प्राची को और झड़ाए, उसकी बुर को पूरा निचोड़ ले. खुद उसकी बुर अभी भी मस्त थी और ज़बरदस्ती वह प्राची को अपनी चूत का पानी पिला रही थी. आख़िर बेचारी प्राची को अपनी चूत की नसों पर पड़ता यह अति सुख का बोझ सहन नही हुआ और एक लंबी साँस लेकर वह बेहोश हो गयी. उसके शरीर के ढीले पड़ने के बाद शोभा ने उसे छोड़ा. उठ कर शोभा ने प्राची के निस्तेज पड़े भोगे हुए गोरे बदन को देखा. उसके होंठों पर एक मुस्कान थी, कुछ मीठी और कुछ कुटिल. आज वह पूरी तृप्त थी, आख़िर उसने अपनी इस पड़ोसन को फँसा कर उसे मन चाहे वैसा भोग लिया था. उसे अपने इस मीठे जाल मे फँसाने का उसका इरादा पूरा हो गया था. अब इस जाल मे से प्राची का छूटना असंभव था. प्राची के ढीले पड़े शरीर को बाहों मे लेकर वह सो गयी जैसे वह शरीर किसी औरत का नही, बल्कि कोई बड़ा टेडि बीयर हो, खिलौना हो. प्राची के बदन से खेलते खेलते शोभा की भी आँख लग गयी.
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12-30-2018, 01:52 PM,
#22
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
सुबह प्राची बहुत देर से उठी. वह भी तब जब सुबह दर्शन ने बेल बजाई. उसका अंग अंग टूट रह था. पैरों मे मानों जान ही नही थी. पर मन मे एक अजीब सी तृप्ति और सुख की भावना थी.

दर्शन सुबह अपने मित्र के यहाँ से लौट आया था. अपने फ्लॅट पर ताला देख कर उसे याद आया कि मा शोभा मौसी के यहाँ होगी. उसने शोभा के फ्लॅट की बेल बजाई.

शोभा ने दरवाजा खोला. दर्शन को देखकर मुस्कराई और उसे अपने घर की चाबी दी. कहा कि रात भर उन्होने गप्पें मारी और देर से सोई इसलिए उसकी मा अभी अभी उठी है और अभी आती है.

दर्शन की नज़र शोभा के गाउन पर गयी. ऊपर के दो बटन खुले थे, उनमे से शोभा के उरोजो का ऊपरी भाग दिख रह था. उसने ब्रा भी नही पहनी थी. शोभा मन ही मन मुस्कराई और जान बूझकर नीचे पड़ा न्यूज़ पेपर उठाने को झुकी. उसकी करीब करीब पूरी चून्चिया, निपलों को छोड़कर, दर्शन को दिखाने लगीं. वह बेचारा शरमा कर नज़र हटाकर बोला "शोभा मौसी, मा को आराम करने दो, कोई जल्दी नही है, मैं घर खोलता हूँ, मा को फिर भेज देना.

शोभा कुछ देर उसे देखती रही जब तक वह अपने घर के अंदर नही चला गया. 'बड़ा स्वीट लड़का है, एकदम गोरा और चिकना, प्राची पर गया है. लगता नही है कि इंजिनियरिंग के पहले साल मे होगा, लगता है जैसे हाई स्कूल मे हो. इसे भी फँसाना पड़ेगा, माल है' मन ही मन शोभा ने सोचा. 

शोभा ने अंदर जाकर प्राची को बताया कि दर्शन आ गया है. वह वैसे ही नंगी पड़ी थी. शोभा की नज़र अपने बदन पर गाड़ी हुई देखकर शरमा कर उठी और जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगी. शोभा के सामने वह ऐसे शरमा रही थी जैसे रात भर चुदने के बाद कोई नववधू सुबह अपने पति से शरमाये. उसका अंग अंग दुख रह था पर यह पीड़ा भी उसे एक अलग तृप्ति का
एहसास दिला रही थी.


शोभा का एक चुंबन लेकर वह जाने को तैयार हुई. अपना पल्लू संभालते हुए वह बोली "शोभा दीदी, तुमने तो मुझे पूरा निचोड़ लिया, कुछ नही छोड़ा मेरे बदन मे. लगता है कि जान ही नही है पैरों मे."

शोभा उसे दरवाजे पर छोड़ने आई. उसके कान मे बोली "आराम कर मेरी रानी. जल्दी फिर से रस बना अपने शरीर मे. मेरे मूह को स्वाद लग गया है, अब तू मुझसे नही बच सकती." प्रेम और अधिकार से कहे गये इस वासना भरे वाक्य से प्राची का चेहरा लाल हो गया. लज्जा भरी एक मुस्कान शोभा को देकर वह अपने घर मे चली गयी.


वह दिन ऐसे ही बीत गया. दर्शन ने कॉलेज को बंक किया और घर मे ही पढ़ाई करता रहा. इसलिए उस दिन दोनो सखियों की यह कामलीला आगे नही बढ़ सकी. दूसरे दिन भी दर्शन घर मे ही था. प्राची ने दो दिन बस आराम किया, सोई ही रही, बस दर्शन को चाय नाश्ता या खाना बना देने के लिए उठती थी. दर्शन को लगा मा की तबीयत ठीक नही है इसलिए वह भी कुछ नही बोला.


दूसरे दिन दोपहर तक उसके बदन मे फिर ताज़गी लौट आई थी. आराम करने से उसकी थकान दूर हो गयी थी पर कामाग्नि फिर से धधकने लगी थी. उस रात की रति ने जैसे उसकी दबी कामवासना को फिर से सुलगा दिया था. उसे बार
बार लगता था कि जाए और शोभा की बाहों मे खुद को झोंक दे. पर दर्शन घर मे होने से बेचारी कुछ कर नही पा रही थी. इतना अच्छ मौका था, शोभा भी अकेली थी, नेहा भी नही थी. मन मार कर प्राची रह गयी. बस बीच बीच मे गप्पें लड़ाने के बहाने आधे घन्टे को वह शोभा के यहाँ जा आती थी. उस आधे घन्टे मे दोनो औरते चूमा चाटि और स्तनमर्दन कर लेती थीं, पर इससे शांत होने के बजाय प्राची की कामाग्नि और धधक उठी थी. शोभा की मादक भूखी नज़र और नटखट मुस्कान
उसे और परेशान कर रही थी. शोभा खुश थी, वह अपनी वासना पर नियंत्रण रख सकती थी, उसे मज़ा आ रह था कि उसकी यह सहेली कैसे उसके पीछे पागल हो गयी है.


कामदेव शायद प्राची पर मेहरबान थे. उस शाम को दर्शन ने उसे जल्दी खाना बनाने को कहा. खाना खाकर उसने अपनी किताबें उठायि और अपने दोस्त के यहाँ चला गया. प्राची को कह गया की आज रात वह फिर से अपने दोस्त के यही रहकर पढ़ाई करेगा. प्राची की खुशी का पारावार ना रहा. दर्शन के जाते ही वह अपना फ्लॅट बंद करके शोभा के यहाँ जा पहूंची और जल्द ही शोभा के बेडरूम मे उन दो नारियों की रति लीला फिर से शुरू हो गयी.
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12-30-2018, 01:52 PM,
#23
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पहली रात की धुआँधार कामक्रीड़ा के बाद उनकी वासना की धार थोड़ी कम हो गयी थी इसलिए आज उन्होने बड़े प्यार से और धीरे धीरे आपस मे प्रणय किया. खूब चुंबन लिए, एक दूसरे के कपड़े उतार कर नग्न शरीर को देखने और छूने का आनंद लिया और फिर आधे घन्टे तक प्रेम से सिक्सटी नाइन किया.

पहले स्खलन के बाद जब वे लिपट कर बिस्तर पर पड़ी थी तब शोभा अपनी दो उंगलियाँ प्राची की बुर मे डालकर उसे धीरे धीरे चोदने लगी. प्राची मचल कर बोली "शोभा, तीन उंगली डाल ना, दो से मेरा मन नही भरता"


"लगता है की पति के लंड की याद आ रही है, क्यों" शोभा ने चुटकि ली.

"हां दीदी, इनका लंड बहुत मस्त है, मोट और लंबा. जब भी चोदते हैं तो मज़ा आता है. पर पिछले दो साल मे इन्होने मुझे दस बार भी नही चोदा होगा, ये यहाँ रहते ही कहाँ है मुझे चोदने को, और रहते हैं तब मूड हो ना हो" प्राची ने शिकायत की.

"मेरे पास इसका भी नुस्ख़ा है. मैं डिल्डो लाती हूँ ठहर. वैसे इसका इस्तेमाल मैं कम ही करती हूँ. स्त्रियों को आपस मे संभोग के लिए मर्दों के इस नकली भाग की भी ज़रूरत नही पड़ना चाहिए ऐसा मुझे लगता है. हां कभी कभी ठीक है, मज़ा आता है" कहकर शोभा उठी और अपनी अलमारी से एक डिल्डो निकाल लाई. प्राची उसे देखती ही रह गयी. उसने एक दो
फोटो मे सादे डिल्डो देखे थे पर ऐसा कभी नही देखा था. वी शेप का डिल्डो था, करीब डेढ़ इंच मोटा. वी के दोनो ओर के भाग करीब करीब आठ इंच के थे. बीच मे बाँधने के लिए स्ट्रप्स थे.


प्राची के चहरे के भाव देखकर शोभा हँसने लगी. "अरे यह ख़ास औरतों के लिए है, याने लेस्बियनो के लिए. दोनो अपनी अपनी चूत मे एक एक हिस्सा डालकर चोद सकती हैं" शोभा टाँग फैलाकर उसके पास बैठ गयी और एक भाग उसने अपनी बुर मे घुसेड लिया. उसकी बुर मे वह आराम से समा गया. शोभा ने फिर स्ट्रप्स अपने चूतडो के चारों ओर बाँध लिए. प्राची की आँखों के प्रश्न को देखकर उसने समझाया. "अरी मेरी बुद्धू रानी, अगर औरत को मर्द की तरह चोदना है तो ऐसे बाँधना पड़ता है एक को. नही तो दोनो की बुर से बार बार बाहर आ जाता है. उसमे भी मज़ा आता है पर जमा के चुदाई नही होती. जो मर्द बनना चाहती है वह ये स्ट्रैप बाँध लेती है और उसकी बुर मे यह डिल्डो फँसा रहता है, इसलिए वह मन लगाकर अपनी साथिन को चोद सकती है. जैसे अब मैं तुझे चोदून्गि.


प्राची के मन मे एक प्रश्न था. "शोभा दीदी, एक बात पूछूँ, तुम्हे ऐसे डिल्डो की क्या ज़रूरत है?"

"मज़ा आता है प्राची. वैसे मुझे बिना डिल्डो के मस्ती करना ज़्यादा अच्छा लगता है दूसरी औरतों के साथ. पर इससे चुदवाने मे भी मज़ा आता है. और कभी कभी अपने प्रिय व्यक्ति के लिए ये सब करना पड़ता है"
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12-30-2018, 01:53 PM,
#24
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"पर तेरे पति तो तुझे चोदते होंगे ना, याने अभी वे नही हैं पर जब यहाँ थे तब. तेरे जैसी गरमागरम औरत पर तो वे रोज चढ़ते होंगे, उन्हे डिल्डो की क्या ज़रूरत है?" प्राची ने पूछा. डिल्डो देख कर उसकी चूत और पसीजने लगी थी. उधर शोभा ने जिस आसानी से आठ इंच का एक भाग आराम से बिना रुके पूरा अपनी चूत मे घुसेड लिया था उससे प्राची सोचने लगी कि
क्या गहरी होगी छोभा की चूत, बिना रुके इस डिल्डो को खा गयी. शोभा ने उसे मुठ्ठी मे पकड़ा कर हौले हौले आगे पीछे कर रही थी जैसा मर्द हस्तमैथुन के समय करते है. बिलकुल ऐसा लगता था कि जैसे उसका लंड ऊग आया हो.


"नही रानी, उन्होने तो एक बार भी नही चोदा आज तक, असल मे वे ज़रा अलग किस्म के आदमी हैं, मुझे या किसी और औरत को चोदने मे उन्हे कोई रूचि नही है. तू समझ तो गयी उन्हे क्या अच्छ लगता है, बस मेरी और तेरी कहानी है
समझ ले उलटे किस्म की. हमारी शादी तो बस एक दिखावा है, हमने मिल कर सोच समझ कर की है कन्वीनियेन्स के लिए. वे भी खुश और मैं भी खुश. इसलिए उन्होने आराम से दुबई की नौकरी पकड़ ली. चल बहुत बाते हो गयीं, लेट नीचे और अपने नीचे वह तकिया ले ले. अब तुझे दिखाती हूँ कि चोदना क्या होता है"

वह प्राची की फैली हुई टाँगों के बीच घुटनों पर बैठ गयी. बिलकुल मर्द के अंदाज मे डिल्डो पकड़कर उसने उसका गोल सिरा प्राची की चूत पर रगड़ कर गीला किया और फिर चूत के मूह पर रखकर पेलने लगी. प्राची की तपती चूत के लिए वह नकली लंड मानों एक वरदान था. उसने आँखे बंद कर ली और लंड अंदर घुसने का आनंद लेने लगी. छः इंच डिल्डो आराम से अंदर गया फिर रुक सा गया. शोभा ने किसी सधे चोदु के जैसे प्राची की कमर पकड़कर एक धक्का मारा और बाकी बचा भाग भी सप्प से प्राची की बुर मे समा गया. शोभा अब उसे सपासप चोदने लगी. वेदना और सुख की मिली जुली अनुभूति से प्राची चीख पड़ी. पर वह इतनी मस्ती मे थी कि अपनी टांगे उसने प्राची शोभा की कमर के इर्द गिर्द लपेट ली और उससे चिपट कर नीचे से अपने चूतड़ उछालने लगी.


शोभा अब शातिर चोदु जैसी उसे चोद रही थी, बिलकुल एक मर्द की तरह. कस कस के डिल्डो अंदर पेलति और अचानक रुक कर हौले हौले उसे अंदर बाहर करती. फिर हचक हचक कर चोदने लगती. प्राची को उसने अपने रति कौशल से पाँच मिनिट मे खलास कर दिया. 

प्राची उससे लिपट कर चूमते हुए बोली. "शोभा, क्या मस्त चोदति हो तुम! मेरे पति ने भी आज तक ऐसा नही चोदा
मुझे. लगता है काफ़ी प्रैक्टिस है तुझे"

शोभा उसे फिर से चोदने लगी थी. प्राची के होंठों को चूमते हुए बोली "हां, बार बार करके मुझे अच्छि प्रैक्टिस हो गयी है"

प्राची को कुछ समझ मे नही आ रहा था. कुछ देर वह कमर उछाल कर चुदने का आनंद लेती रही फिर शोभा के गालों को अपनी हथेलियों मे पकड़कर बड़ी उत्सुकता से पूछा. "शोभा बता ना. किसके साथ प्रैक्टिस करती है? मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है, तेरे पति यहाँ है नही, उनके साथ वैसे भी ये डिल्डो बेकार है, तुझे कही ज़्यादा आते जाते नही देखा कि छिप कर किसी से मिलने जाती हो, किसी औरत को तेरे यहाँ आते भी नही देखा. यहाँ अकेली रहती है अपनी बेटि के साथ, फिर तुझे मौका ही कब मिलता है डिल्डो से प्रैक्टिस करने का?"


शोभा हँसने लगी. उसने उठ कर अपने हाथ प्राची के दोनो बाजू मे टेके और ज़ोर ज़ोर से डिल्डो पेलते हुए बोली "यह देख, अब इस तरह चोदति हूँ, इसमे धक्के ज़ोर के लगते हैं. हां तो तू पूछ रही थी कि प्रैक्टिस कब करती हूँ. अरे भाई करीब करीब रोज रात को करती हूँ, वीक एन्ड मे तो दोपहर को भी मौका मिलता है"

"अरे पर नेहा रात मे और वीक एन्ड मे दोपहर को घर मे रहती है तब तू कैसे ...." कहते कहते प्राची रुक गयी. शोभा के चेहरे के नटखट भाव को देख कर वह चुप हो गयी. सहसा उसके दिमाग़ मे बिजली सी कौंध गयी.
"शोभि दीदी! याने नेहा तो नही! उई मा ये कैसा छिछोरापन है! ये तो उसकी मा है ना? सौतेली भले ही सही?"
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12-30-2018, 01:53 PM,
#25
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची की बुर मस्ती से पसीज उठी. इस तरह के नाजायज़ संबंध की उसने कभी कल्पना भी की थी. ये ऊँची पूरी साँवली औरत और वह दुबली पतली गोरी कमनीय युवती? प्राची की चूत अब इतनी गीली हो चुकी थी कि डिल्डो फिसल कर चूत के बाहर आते आते बचा. अब उसे काफ़ी बाते सॉफ हो गयी थी. उसे पहले ही मालूम था कि मा बेटी मे बहुत प्यार है, सौतेले होने के बावजूद. नेहा इतनी सुंदर इक्कीस साल की युवती थी पर उसने कभी उसे लड़को के साथ नही देखा था. कॉलेज छूटते
ही नेहा सीधी घर आती थी, कभी ग्रूप मे घूमने नही जाती थी. कही जाना होता तो मा बेटि साथ साथ जाते. 

परसों दोपहर को ब्रा के हुक प्राची से खुलवाते समय शोभा बोली थी कि नेहा हमेशा उसे ब्रा के हुक लगाने और निकालने मे मदद करती है. तब उसे ज़रा अजीब सा लगा था कि जवान हुई बेटी से वो ऐसे काम करवाती है. अब सब सॉफ हो गया था.


शोभा को प्राची की स्थिति देखकर मज़ा आ गया था. मा बेटी की यह नाजायज़ रति की बात सुनने के बात प्राची के चेहरे पर झलक आई कामुकता से वह भी खुद उत्तेजित हो गयी थी. उसने अपनी कमर के स्ट्रप्स निकाले और डिल्डो भी पुक्क की आवाज़ से बाहर खींच लिया. प्राची को बोली "चल बहुत मज़ा ले लिया तूने मेरी रानी, मैं थक गयी अब, मेरी भी बुर कुलबुला रही है. अब तू मुझे चोद, ज़रा मेहनत कर अपनी दीदी की खातिर"


शोभा अपने चूतडो के नीचे तकिया लेकर लेट गयी और चूत खोल कर लेट गयी. प्राची ने स्ट्रप्स अपनी कमर मे बाँधे और फिर वो नकली रबर का लंड शोभा की बुर मे ज़ोर से घुसेड़ा दिया जैसा शोभा को चाहिए था. शोभा ने सुख की सिसकारी छोड़ी और प्राची शोभा को चोदने लगी "अब बता ना दीदी, पूरी कहानी बता. सच लगता है कि मेरी बुर आज मुझे मार डालेगी, इतना मीठा मज़ा आ रह है. बताओ ना दीदी" प्राची से चुदते हुए शोभा ने अपनी और नेहा की कहानी बताई..........
कंटिन्यूड…
भाग 1 समाप्त
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12-30-2018, 01:53 PM,
#26
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 2


मैं नेहा को तब से जानती हूँ जब से वह स्कूल मे थी और मैं उसी स्कूल के जूनियर कॉलेज मे मैथ पढ़ाती थी. तब वह काफ़ी छोटी थी. पर मुझे वह तब से बहुत अच्छी लगती थी. सच कहती हूँ प्राची, मैं उसे देखती थी तो मेरी चूत गीली हो जाती थी. बचपन से मैं बहुत सेक्सी हूँ और मुझे दूसरी स्त्रियाँ और लड़किया बहुत अच्छी लगती है. इसलिए शादी करने की मैने कभी सोची भी नही थी.


किसी तरह मन मारकर मैने दिन काटे, वैसे कॉलेज की दूसरी बड़ी लड़किया थी मेरी ख़ास सहेलिया, एक दो लेडी प्रोफ़ेसर भी थीं, मैं मज़े मे थी. पर नेहा की बात और थी. कभी मन हुआ कि उस कमसिन बच्ची को ही फँसा लूँ पर फिर सोचा कि बहुत प्यारी लड़की है, ठीक से धीरे धीरे उसे बस मे करना पड़ेगा कि किसी को कुछ पता ना चले. इसलिए वह जूनियर कॉलेज मे आने तक मैं रुकी.


जब वह जूनियर कॉलेज मे आई, मैने उसपर नज़र रखना शुरू कर दिया. मुझे पता चला कि वह एक दो लड़कियों के साथ रहती थी हमेशा, उनके साथ होस्टल मे समय बिताती थी, जब कि उसका घर यही था कॉलेज के पास. वो लड़किया किस टाइप की थीं, मुझे मालूम था, सब लेस्बियन थी. वैसे मैं उनके साथ इन्वोल्व नही थी पर यह बात मुझे पता चल गयी कि नेहा भी शायद उसी टाइप की हो. इस बात से मुझे बहुत राहत मिली.


मैने किसी तरह से उसे अपनी क्लास मे ट्रान्स्फर करवा लिया. मैं मैथ सिखाती थी. बार बार उसकी ओर देखती, क्या मस्त लड़की थी. वह भी मेरी ओर देखती, उसकी नज़रों मे एक अजीब सा भाव होता. जब हमारी नज़र मिलती तो वह झेंप कर
इधर उधर देखने लगती. एक दिन मैने फ़ैसला किया कि अब आगे कदम बढ़ाया जाए. एक दिन जब उसे मैथ मे कम मार्क्स आए तो मैने उसे डांटा. वह रोने को आ गयी. क्लास के बाद मैने उस प्यार से समझाया कि अगर कोई डिफीकाल्टी हो आकर मेरे घर मे मिले.


मैने कॉलेज के पास ही एक छोटा फ्लॅट किराए पर ले रखा था. मुझे बहुत खुशी हुई जब मैने उसे उसी शाम को अपने घर के सामने वेट करते हुए पाया. मेरी ओर देखकर वह झेंप गयी और सिर नीचे करके बोली कि उसे एक दो मैथ के सवाल पूछना है. मैं उसे अपने घर ले गयी. बिठाया, चाय पिलाई और फिर मत समझाए, उसका तो सिर्फ़ बहाना था, उसका ध्यान नही थी, वह बस बार बार मेरी ओर देखती और शरम सी जाती.


मैने जाल डाला, जानबूझ कर अपना पल्लू गिराया और उसे पास बिठाकर एक प्राब्लम सॉल्व करने लगी. वह बार बार मेरी उस छाती को देखती. उसकी साँसे भी ज़ोर से चल रही थी. मैने सोच लिया कि समय आ गया है. उसे बाहों मे लेकर मैने चूम लिया. मुझे टेंशन था कि क्या कहेगी पर वह तो शायद तैयार बैठी थी. उसने मेरी गर्दन मे बाहे डालकर मुझे ऐसा चूमा कि मैं भी अचंभे मे आ गयी.


उस दिन मैने पहली बार उससे रति की. जल्दी मे की गयी वह रति मुझे हमेशा याद रहेगी, उस दिन पहली बार मैने उस षोड़शी की जवानी का रस चखा. मेरी अपेक्षा के अनुसार नेहा मेरे लिए एक अप्सरा ही थी, बिल्कुल स्वर्गिक आनंद देने
वाली. उसने भी जिस अधीरता से मेरे शरीर के हर भाग को प्यार करने की कोशिश की, उससे मुझे पता चल गया कि मैं उसे कितनी अच्छी लगती हूँ. बाद मे शरमाते हुए उसने स्वीकार किया कि वह कब से मुझे देखती थी. उसने यह भी बताया कि उसे बस लड़कियों और ख़ास कर बड़ी औरतों के प्रति बहुत यौन आकर्षण होता है.


हमारा अफेर शुरू हो गया और बहुत दिन चला. उसने अपने पिता से कहकर मेरी ट्यूशन ही लगवा ली जिससे वह खुले आम रोज दो तीन घंटे मेरे घर पर आ सके. शनिवार रविवार को तो वह दिन भर रहती थी. कभी कभी पढ़ाई के बहाने से वह मेरे घर रात को भी रुक जाती थी. पढ़ने मे वह होशियार थी, मैने उसे सचमुच मे मैथ ओर फ़िज़िक्स सिखाया. बाकी समय मे मैं उसे कामकला सिखाती थी, प्रॅक्टिकल करा करके. उसकी कामुकता देख कर मैं हैरान रह गयी. क्या गरम लड़की थी, मुझे भी पीछे छोड़ देती थी, मैं थक जाती थी, वह नही थकती थी. मुझे बार बार कहती कि मा की उम्र की औरते
उसे बहुत अच्छी लगती थी. मुझपर तो वह मरने लगी थी, अब और कही नही जाती थी, बस जितना समय मिले मेरे साथ बिताने की कोशिश करती थी.

नेहा का मा बचपन मे ही गुजर गयी थी और वह यहाँ अपने डॅडी के साथ रहती थी. एक साल हमारा यह प्रेम प्रकरण एकदम ठीक से चला. पर एक दिन उसके डॅडी मुझसे मिलने आए. मेरा माथा ठनका. कुछ इधर उधर की बाते करने के बाद अचानक वे मुझसे पूछ बैठे कि क्या उनकी बेटी नेहा के साथ मेरे यौन संबंध है. मैं घबरा गयी और सॉफ मना कर दिया. उन्हे बाहर जाने को भी कहा कि आप ने ऐसी बाते ही कैसे की.


वे शांति से मेरी बाते सुनते रहे और फिर बोले की मैं उन्हे ग़लत समझ रही हूँ, उन्हे इस बात पर कोई आपत्ति नही है बल्कि खुशी है कि कम से कम नेहा किसी बड़ी रिस्पांसिबल औरत के साथ है. उन्हे नेहा के बारे मे मालूम था और वे बस ये चाहते थे कि वह बिगड़ ना जाए. उन्होने मुझे आग्रह किया कि मैं खुद नेहा का ख़याल रखूं, एक मा की तरह भी.


मैं बहुत खुश हुई. उस दिन से मैने नेहा का पूरा जिम्म ले लिया. वह अक्सर मेरे साथ रहने भी लगी. मैं अब नेहा को मा का प्यार भी देती थी और एक प्रेमिका का भी. दो साल के बाद जब नेहा सेकेंड ईयर मे पहूंची तो वे एक बार फिर मेरे
पास आए. बोले कि उन्हे बाहर दुबई मे बहुत अच्छी नौकरी मिल रही है पर नेहा के बारे मे चिंता है कि वह यहाँ अकेले कैसे रहेगी. फिर एक दो मिनिट के बाद वे बोले कि क्या मैं उनसे शादी कर सकती हूँ? मैं चकरा गयी. उन्हे मालूम तो था कि मैं किस तरह की औरत हूँ याने लेस्बियन हूँ.


वे बोले कि शादी नाम मात्र की होगी, बस इसीलिए कि मैं उनके साथ नेहा की मा की तरह रह सकूँ. खुद उन्होने भी बता दिया कि उन्हे भी औरतों मे कोई दिलचस्पी नही है. मैं तैयार हो गयी. शादी के बाद हमने ये फ्लॅट ले लिया और यहाँ रहने आ गये. शादी के एक महने के अंदर वे दुबई चले गये. अब नेहा मेरे पास दिन रात होती है. क्या बताऊं प्राची कितने सुख मे हूँ मैं. और अब तुम भी मिल गयी हो, मेरे तो भाग्य खुल गये......
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12-30-2018, 01:53 PM,
#27
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची शोभा की कहानी सुनते सुनते उसे चोद रही थी. बीच मे रुक जाती और फिर दुगने ज़ोर से चोदने लगती. कहानी ख़तम होते ही उसने शोभा के होंठ अपने होंठों मे दबा लिए और हचक हचक कर चोदने लगी. उसकी आँखों मे भरी वासना से शोभा को पता चल गया कि इस कहानी से वह कितना गरम गयी है. झड़ने के बाद वे पाँच मिनिट वैसी ही पड़ी रही. आख़िर चुप्पी तोड़ कर प्राची बोली "क्या लड़की है ये नेहा, इतनी कम उम्र मे इतनी आगे पहुँच गयी! ये सब तुम्हारा कमाल है शोभा दीदी"

शोभा प्रेम से प्राची के बालों मे उंगलियाँ चलाती हुई बोली. "अरी पगली, इस उमर मे बच्चे होते ही है ऐसे, उनके हॉर्मोन बढ़ रहे होते है, जो ज़्यादा कामुक होते है वे तो क्या क्या सोचते है. कुछ बच्चे इसीलिए तो बिगड़ जाते है. वैसे नेहा ज़रा ज़्यादा ही कामुक है. मुझे मालूम है कि काफ़ी लड़के भी ऐसे होते है. उन्हे बड़ी औरतों का आकर्षण होता है. कुछ का तो मा के
प्रति ऐसा प्रेम होता है पर बेचारे बताते नही है. अब तुम ही देखो, बुरा मत मानना, पर कभी गौर किया है कि दर्शन तेरी ओर कैसे देखता है!"


सुनकर प्राची चमक कर बोली "कुछ भी क्या बोलती है शोभा! अरे मेरे जिगर का टुकड़ा है वो, मैने पेट मे रखा है नौ महने. वह कभी अपनी मा के बारे मे ऐसा नही सोचेगा"

शोभा ने उस समझाते हुए कहा "अरे मैं कहाँ कहती हूँ कि वह बिगड़ा हुआ है. बहुत अच्छा लड़का है. जान बूझ कर नही करता वह. उसे शायद खुद मालूम नही होगा कि उसके मन मे क्या है. पर मैने बहुत बार गौर किया है कि जब तेरी नज़र और कही होती है तो वह चुप चाप तेरी ओर देखता है. बहुत प्यार करता है मा से. पर प्यार के साथ बड़ी सुंदर औरत के प्रति होने वाला यौन आकर्षण भी होता है उसकी नज़र मे, मैने तो बहुत बार देखा है"

शोभा ने उसके मन मे यह बात डाल दी थी इसलिए प्राची चाह कर भी उस बात को भुला ना पाई. उसे अचानक याद आया कल की सुबह जब शोभा के साथ रात भर की चुदाई के बाद वह अपने कपड़े ठीक से पहन कर अपने घर वापस आई थी, दर्शन पहले ही आ गया था. वह नज़र गढ़ाकर प्राची को देखता रह गया था, शायद मा को इतने अच्छे कपड़ों मे कभी नही देखा था. उसने तब कहा था कि "मा आज बहुत खुश लग रही हो, लगता है शोभा मौसी से अच्छी गप्पें हुई है तुम्हारी रात भर. आज तुम अलग ही लग रही हो, यह साड़ी कितनी अच्छी है, ये नयी हेर स्टाइल भी तुमको सूट करती है". उसकी नज़रों के भाव जब प्राची को याद आए तो उसे लगने लगा कि शायद शोभा ठीक कह रही है. "मेरा बेटा, मेरा दर्शन, ऐसा सोचता होगा मेरे बारे मे?" सोचकर लाज से उसका मूह लाल हो गया.


बात बदलने के लिए वह शोभा से बोली "शोभा, हमारी ये प्रेमलीला नेहा के आने तक तो चलेगी, उसके बाद? उसे पता चल गया तो नाराज़ हो जाएगी."

शोभा पहचान गयी कि प्राची पूरी उसके वासना जाल मे फँस चुकी है, यहाँ तक कि उसे अब यह कल्पना सहन नही हो रही है कि नेहा के आने के बाद वह शोभा के साथ कुछ नही कर पाएगी. उसको दिलासा देते हुए शोभा बोली. "चिंता मत कर प्राची, कोई रास्ता निकाल लेंगे. पर मुझे विश्वास है कि नेहा नाराज़ नही होगी. वह इस मामले मे काफ़ी ओपन माइंडेड है और मुझे बहुत प्यार करती है, मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर लेगी. पिछले हफ्ते दो दिन उसका सिर दुख रहा था, तबीयत खराब थी, इसलिए मैं उसके सिर मे मालिश कर के वैसे ही उसे सुला देती थी, हमारी रति मैने बंद कर दी थी. नेहा को मेरा गरम स्वाभाव मालूम है, कि मुझे बिना संभोग किए नींद भी नही आएगी. कहने लगी मा, तुम बोर हो रही हो. स्वाद बदल कर क्यों नही देखती? वो प्राची मौसी ही कितनी सुंदर है, उसीको पटा लो. फिर हँसने लगी. पर मुझे लगता है कि वह आधा मज़ाक कर रही थी और आधा सीरियस्ली बोल रही थी. इसलिए मुझे लगता है कि वह नाराज़ नही खुश होगी"


फिर प्राची के स्तनों को हल्के हल्के मसलते हुए शोभा बोली "वैसे प्राची, सम्भल जा अब से. उसे पता चल गया कि हमारे बीच ये लफडा चल रहा है तो हो सकता है कि वह भी अपने इस खेल मे शामिल होने की हट करे, बोलेगी कि मा अकेले अकेले? मुझे भी तो ज़रा चखने दो प्राची मौसी का स्वाद"


अब प्राची बेचारी काफ़ी बौखला गयी थी. ये सब क्या हो रहा है? शुरू तो हुआ था बस शोभा के साथ एक सुंदर स्त्री स्त्री संभोग के रूप मे, एक 'तबू' संबंध पर जो उसके इस रसहीन जीवन मे ढेरों बहारे लेकर आया था. अब क्या नेहा के साथ भी? उस सुंदर युवती के साथ? और दर्शन के बारे मे क्या बोल रही है शोभा? बौखलाहट और लज्जा के साथ साथ उसके मन मे अब एक अपूर्व कामुकता और वासना की लहर उठ रही थी. शोभा ने चलाया कामदेव का बान उसे पूरा घायल कर गया था. उसने डिल्डो अपनी और शोभा की चूत से निकाला और शोभा से बोली "दीदी, बहुत हो गया, कुछ भी बके जा रही हो. ऐसा कभी होता है? चलो अब अपनी बुर चुसवाओ, मूह सूख रहा है"


शोभा ने डिल्डो उठा लिया और उस भाग को चाटने लगी जो प्राची की बुर मे घुसा हुआ था. चाट कर सॉफ करने के बाद डिल्डो उलटा करके प्राची को दिया "ले चाट ले. इस कामरस को वेस्ट करना पाप है. इतनी मेहनत से हम निकालते है" फिर
प्राची को बाहों मे लेकर फिर से बिस्तर पर लेट गयी. बाकी बचे दो दिन दोनो पड़ोसन मौका मिले तब मिलकर इसी तरह कामदेव की पूजा करती रही. आख़िर शनिवार का दिन आया. नेहा उसी दिन वापस आने वाली थी.


नेहा शाम को वापस आई. शोभा राह ही देख रही थी. जैसे ही उसने नेहा को घर मे लेकर दरवाजा लगाया, नेहा उससे लिपट कर उसे चूमने लगी. "ओह्ह्ह मम्मी, कितना अच्छा लगता है घर आ कर. मैने तुम्हे बहुत मिस किया. लगता था कब घर वापस जाऊं और मेरी मम्मी की गोद मे घुस जाऊं"

शोभा ने उसके चुंबनों का जवाब देते हुए उसे भींच कर छाती से लगा लिया. वह भी अपनी लाडली बेटी की राह देख रही थी. सौतेली मा होते हुए भी उसे अपनी इस बेटी से बहुत प्रेम था, एक प्रेमिका की तरह भी और एक मा की तरह भी. अपनी बाहों मे नेहा के उश्न मुलायम जवान बदन को भींच कर उसकी चूत मे तुरंत एक मीठी गुदगुदी होने लगी. "कैसी हुई तेरी ट्रिप नेहा? मज़ा आया?" अपनी वासना को दबाते हुए उसने पूछा.


"अच्छी हुई पर पूरी तरह से नही. लीना के साथ बस दो दिन अकेले मे मज़ा करने मिला, बाद मे इतने रिश्तेदार आ गये शादी मे कि घर मे जगह ही नही थी, हमारे कमरे मे दो बूढ़ी औरते आ कर रहने लगी. उसके बाद तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आई. वैसे मम्मी, तुम सच कह रही थी, लीना हम दोनो जैसी ही है, तुमने बिल्कुल ठीक पहचाना उसे. पहली रात को मैने पहल की तो वो इस तरह से मुझसे लिपट गयी जैसे राह ही देख रही हो. मुझे छोड़ती ही नही थी. बहुत मस्त है उसका बदन, बहुत कसा हुआ, आख़िर स्टेट लेवेल की वॉलीबॉल प्लेयर है. हम दो रात सोए ही नही, बिस्तर मे वॉलीबॉल और कुश्ती खेलते रहे. बाद मे दिन मे भी जब मौका मिलता अपने कमरे मे आ जाते. फिर जब लीना की नानी और बुआ आ गयी हमारे कमरे मे तो सब बंद हो गया. क्या बोरियत हुई! उसके बाद बस खाना और सोना. बीच बीच मे थोड़ा अकेलापन मिलता तो किस कर लेते." नेहा ने बताया. 
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12-30-2018, 01:53 PM,
#28
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"मेरी नज़र की दाद दे, मैने तो लीना को देखते ही पहचान लिया था कि किस तरह की लड़की है और तुझ पर कितनी फिदा है. खैर आगे भी मौका मिलेगा तुझे उसके साथ. तब तक हम मा बेटी तो है ही. लीना को कभी घर पे बुला ले एक दो
दिन रहने को. मैं भी तो देखूं कि तेरी सहेली कितनी नमकीन है" शोभा ने चुटकी ली.


"क्या मम्मी, बड़ी हरामी हो तुम. मेरी सहेली पर निगाहे है तेरी अब! चलो, बुला लूँगी, अभी तो दो महने वा वापस नही आने वाली. पर मम्मी एक बात बताओ, तुम इतनी खुश और तृप्त कैसे दिख रही हो, नही तो क्या हालत हो जाती है तुम्हारी जब मैं नही होती हू. मेरे आते ही भूखी शेरनी सी झपट पड़ती हो मुझ पर, आज मुझे आकर इतनी देर हो गयी फिर भी प्यार से बाते कर रही हो! क्या बात है, कोई मिला गया था क्या, मेरा मतलब है कोई मिल गयी थी क्या?" नेहा ने शोभा के चेहरे के भावों को ताकते हुए उत्सुकता से पूछा.


शोभा ने यह कहकर कि ऐसा कुछ नही है, बाद मे बताऊँगी, बात बदल दी. नेहा ने एक दो बार फिर पूछा, फिर मचल कर शोभा को धकेलकर बेडरूम ले गयी. "चलो मम्मी, मुझसे रहा नही जा रहा है, मेरी ये दुश्मन, ये जो मेरी टाँगों के बीच है, बहुत सता रही है, रो रही है बेचारी, इसे दिलासा दो"


"अरी पागल हो गयी है क्या, शाम को? कोई आ जाएगा, बेल बजेगी तो वैसे ही उठना पड़ेगा. उससे कह की रात तक रुक, फिर उसे भरपूर मज़ा चखाऊंगी, अच्छी खबर लूँगी कि मेरी लाडली बेटी को इतना क्यों सताती है."शोभा प्रेम से नेहा के स्तनों को हौले हौले सहलाते हुए बोली. "हां एक बात बताने की रह ही गयी. तेरे कॉलेज से फोन आया था. तुझे कल ही नासिक जाना है, सोमवार को सुबह इंटरकॉलेज क्विज़ है, तेरा नाम दिया है कॉलेज ने"

नेहा मचल उठी "मैं नही जाऊंगी. क्या बोरियत है, ये लोग तुम्हारे साथ रहने भी नही देते. मेरा जीके अच्छा है यह जी का जंजाल हो गया. कितनी बार बाहर भेजते है मुझे ये कॉलेज वाले. तुम भी चलो ना मम्मी"


"मुझे यहाँ काम है नेहा. ऐसा कर, तू प्राची मौसी के साथ क्यों नही चली जाती? दो दिन रहकर, नासिक घूमकर मज़ा करना और आ जाना. प्राची मौसी का भी घूमना हो जाएगा. वह बेचारी वैसे ही घर मे अकेली बोर होती है"शोभा ने निर्विकार चेहरे से कहा.


"क्या फ़ायदा मा! और क्या मज़ा करूँगी? तुझे मालूम है कि मुझे रोज क्या लगता है! वैसी मज़ा तो सिर्फ़ तुम ही मुझे दे सकती हो मम्मी. मुझे और कोई नही चाहिए साथ मे. तुम्हारे बिना मैं पागल सी हो जाती हूँ. प्राची मौसी के सामने कुछ कर भी नही सकती" नेहा नाक भौं सिकोड कर बोली.


"ठीक है, उसके सामने नही कर सकती, उसके साथ तो कर सकती है?" तू ही तो कह रही थी कि प्राची मौसी तुझे बहुत अच्छी लगती है" शोभा ने मुस्कराते हुए कहा.


"मुझे चलेगा, चलेगा क्या दौड़ेगा. वह सच मे बहुत सुंदर है. बहनजी जैसा रहना छोड़ दे तो एकदम चिकना माल दिखेगी. पर मम्मी, वह बेचारी सीधी साधी औरत, वह तो शॉक से मर ही जाएगी अगर मैं ऐसा कुछ करने जाऊंगी उसके साथ. अच्छा मज़ाक करती ही तुम मम्मी, क्या क्या सूझता है तुम्हें" नेहा ने हँसते हुए कहा. 
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12-30-2018, 01:55 PM,
#29
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा कुछ बोली नही, बस मुस्कराती रही. उसके मन मे एक मस्त प्लान था. रात को खाना खाने के बाद दोनो मा बेटी चिपट कर सोफे पर बैठकर टीवी देखते हुए चूमा चाटी कर रही थीं, तभी बेल बजी. नेहा ने दरवाजा खोला. प्राची थी. वह ऐसे ही पूछने आई थी कि नेहा की ट्रिप कैसी रही. इसी बहाने शोभा से भी मिलना चाहती थी, भले ही दूर से, अब शोभा के बिना उसे चैन नही पड़ता था. शोभा के साथ हुई पिछले दिनों की उन्मत्त रति ने मानों उसे शोभा की दासी बना दिया था. इसलिए कम से कम शोभा को देख तो सकेगी और उससे गप्पें मार सकेगी इस इरादे से वह आई थी. भले ही नेहा वहाँ थी.
उसे अब शोभा और नेहा के आपसी संबंध के बारे मे मालूम था पर बड़े कौशल से उसने अपने चेहरे पर शिकन तक ना आने दी. आँखों आँखों मे शोभा से भी सवाल किया कि नेहा को कुछ बताया तो नही. शोभा ने हल्के से गर्दन हिला कर जब कह कि नही तब उसकी जान मे जान आई.


उधर नेहा प्राची के बदले रूप को आश्चर्यचकित होकर देख रही थी. प्राची आज जानबूझकर सलवार कुरती पहनकर आई थी. सलवार तंग और चूड़ीदार थी जिसमे से उसकी सुडौल टाँगों का आकार दिख रह था. चौड़े कूल्हे और चौड़े लग रहे थे पर सेक्सी दिख रहे थे. उसने दुपट्टा भी नही लिया था. लो कट कमीज़ के सामने के खुले भाग मे से प्राची के गोरे गुदाज
स्तनों का ऊपरी भाग और उनमे की खाई दिख रही थी. आज उसने शोभा जैसा स्टाइलीश जूड़ा बाँधा था. पैर मे ऊँची एडी के सैंडल थे.


नेहा उसकी ओर घूर रही है यह देखकर प्राची ने नेहा से पूछा "क्या देख रही है नेहा? नयी ड्रेस? तुझे अच्छी लगी क्या, अभी कल की लाई हूँ" नेहा किसी तरह अपने आप को संभालते हुए बोली "प्राची मौसी, क्या लग रही हो आज! एकदम सेक्सी! कितना अच्छा ड्रेस है! पर ड्रेस से ज़्यादा तुम अच्छी लग रही हो. हमेशा क्यों नही पहनती सलवार कमीज़?"


प्राची हँसकर बोली "तुझे अच्छा लगा? पहनूँगी अब हमेशा, ख़ास कर तेरे सामने. वैसे मुझे साड़ी ज़्यादा अच्छा लगती है. क्यों शोभा दीदी?"

नेहा की आँखों मे झलक आई कामुकता को देखकर शोभा खुश थी. आख़िर प्राची का रूप उसीने बदला था. नेहा को भी प्राची के प्रति आकर्षण लगने लगा था. उसे जैसा चाहिए था वैसा ही हो रहा था. वह प्राची से सहज मे बोली. "अरे प्राची, नेहा को दो दिन के लिए नासिक जाना है. मैं जा नही सकती, कॉलेज मे ज़रूरी मीटिंग है. तुम चली जाओ ना. ये अकेली जाएगी नही. मैं भी निश्चिंत रहूंगी की कोई उसके साथ है"


नेहा ने भी आग्रह किया. प्राची का नया रूप देखकर उसे आशा बँध गयी थी कि प्राची मौसी के साथ अब कुछ करने की गुंजाइश है. "मौसी चलो ना, प्लीज़. मज़ा करेंगे दो दिन" उसकी बात मे छिपे अर्थ ने प्राची की चूत मे कुलबुली मचा दी. उसे समझ मे आ गया कि शोभा क्यों ऐसा कह रही है. वह खुद भी इस बात के लिए तैयार थी. शोभा के साथ हुई चुदाई ने उसके मन के सब बाँध तोड़ दिए थे.


नेहा उस समय बस एक टॉप और स्कर्ट पहने थी. स्कर्ट घुटने तक थी, घुटने के नीचे नेहा की गोरी चरहरी टांगे, पिंडलियाँ और नाज़ुक पाँव दिख रहे थे. टॉप मे से उसके यौवन के प्रतीक, तने कड़े उरोज जैसे बाहर आने को कर रहे थे. सेब है सेब, वैसे ही कड़े भी होंगे, प्राची ने सोचा. नेहा का सुंदर चहरा, उसके वे पतले गुलाबी होंठ.... उनका स्वाद कैसा होगा?..... उसके वे बाब काट रेशमी बाल, जब नेहा का सिर मेरी जांघों के बीच होगा तो इनका स्पर्श कैसा लगेगा ... सोच कर और नेहा के दमकते रूप को देखकर वह कल्पना कर रही थी कि इसके साथ अगर वह सब करने को मिले जो शोभा के साथ किया था तो !


प्राची ने किसी तरह अपनी इच्छा को लगाम दी और बोली "पर दर्शन है ना. वह अकेला रहेगा."
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12-30-2018, 01:55 PM,
#30
RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"अरे तो वह छोटा थोड़े ही है! कॉलेज मे फ़र्स्ट ईयर मे है. पर तू चिंता ना कर. ऐसा करते है कि उसे दो दिन मैं यहाँ अपने ही घर मे रख लेती हूँ, मैं भी अकेली हूँ, यहाँ बाजू के फ्लॅट भी खाली है. दर्शन यहाँ रहेगा तो मुझे भी दिलासा रहेगा. दोपहर को चाहे तो वह पढ़ाई करने को अपने घर चला जाएगा पर रात को सोने को यही आ जाएगा, अपनी शोभा मौसी को
कंपनी देने को" हँसते हुए शोभा ने कहा. वह बड़े नटखट अंदाज़ मे प्राची की ओर देख रही थी


प्राची समझ गयी कि शोभा के दिमाग़ मे क्या चल रह है. दर्शन के साथ वह अकेले मे क्या करेगी यह भी तय था. क्षण भर उसके मन मे बात आई कि यह जो हो रह है क्या ठीक है? पर फिर उसने जब नेहा की ओर देखा तो वह सोफे मे पीछे की ओर लुढ़क गयी थी और तिरछी आँखों से उसकी ओर देख रही थी. नेहा का स्कर्ट खिसक कर घुटने के ऊपर पहून्च गया था और उसकी गोरी चिकनी जांघे आधी दिख रही थी. नेहा के चेहरे पर एक बड़ी मीठी मुस्कान थी कि मानों प्राची को आमंत्रित कर रही थी कि आओ आंटी, देखो और चखो मेरी जवानी को. उसका मन डोल गया. उसकी चूत मे अब बड़ी मीठी अगन लगी थी. उसने हथियार डाल दिए, सोचा जो होगा देखा जाएगा, इतने मादक सुख के आगे बाकी कुछ भी मायने नही रखता था. और दर्शन को भी शायद बहुत सुख मिलेगा, आख़िर जवान लड़का है, मैं क्यों उसके चैन मे बाधा डालूं! "ठीक है,
मैं दर्शन को बता दूँगी" वह नेहा की ओर देखते हुए बोली. नेहा से उसकी नजरे मिली और प्राची के अंग अंग मे एक रोमाच की लहर दौड़ गयी.


कुछ देर और गप्पें मार कर प्राची घर आ गयी. घर आ कर उसने दर्शन को बताया कि वह नेहा के साथ नासिक जा रही है. "दर्शन बेटे, जाना ज़रूरी है, उसके साथ कोई चाहिए. पर यहाँ शोभा मौसी अकेली रह जाएगी. तू रहेगा वहाँ दो दिन? मौसी को भी कंपनी हो जाएगी और मुझे भी चिंता नही रहेगी तेरे खाने पीने की चिंता नही करनी पड़ेगी.


दर्शन तैयार था "हां मा, तुम हो आओ, बहुत दिनों से कही गयी नही हो. मैं रह लूँगा मौसी के यहाँ." उसकी नज़र अनजाने मे प्राची के वक्षस्थल पर थी, तंग कुरती मे से उभर कर दिखती हुई मा की चून्चियो पर बार बार उसकी नज़र जा रही थी.
उसकी नज़र मे झलक आए आकर्षण और कामना के भाव से प्राची थोड़ी अस्वस्थ हो गयी. दो दिन से वह देख रही थी कि दर्शन के बर्ताव मे फरक आ गया है. उसी दिन से जब से उसने अपना पहनावा बदला था और नयी ब्रा और पैंटी ले आई थी. उसे लगता था कि अक्सर दर्शन उसके पीछे से उसे घूरता रहता है. एक दो बार उसे ये भी लगा कि शायद वह चोरी छिपे उसे देखने की कोशिश कर रहा है जब वह बेडरूम का परदा लगाकर कपड़े बदल रही होती है. 'शोभा सच कहती थी, ये जवान लड़के क्या सोचते है कोई कह नही सकता' उसके मन मे आया. दर्शन के इस अजीब से बर्ताव के कारण हो रही चिंता के साथ साथ प्राची के मन मे बड़े कामुक और नाजायज़ से विचार आने लगे. 


शोभा कहती थी वैसा कुछ अगर सच मे दर्शन के दिमाग़ मे हो? क्या दर्शन भी नेहा जैसे अपनी मा के साथ ....? 'होने दो जो होना है, मैं नही सोचती इस बारे मे, जिस बात मे इतना सुख मिलता है उसमे कुछ भी नाजायज़ नही हो सकता" उसने अपने आप को समझाया.

दर्शन का मन भी मा मे दो दिन से आए बदलाव से काफ़ी भटक गया था. पहले ढीले ढाले कपड़ों मे सादे रहन सहन की प्राची को देखकर उसे वह सिर्फ़ मा लगती थी. फिर उसका बदला रूप जब से उसने देखा था, बालों को जूडे मे बाँधना, हल्का मेकअप, लिपस्टिक, सुंदर नाभि दर्शना साड़ी, स्लीवलेस ब्लाउस मे से दिखती गोरी लंबी बाहें, अचानक उभर कर दिखने लगे उसके उरोज, यह सब देखकर उसके मन मे अब मा के प्रति एक अजीब कामुकता भरा आकर्षण जाग उठा था. नेहा उसे बहुत अच्छी लगती थी पर उस स्मार्ट रूपवती लड़की को देखकर वह थोड़ा सकुचाता था. मासल भरे पूरे बदन की शोभा आंटी तो उसे बहुत पहले से अच्छी लगती थी. उसके नाम से वह अक्सर हस्तमैंतुन भी किया करता था. परसों तो जब झुक कर पेपर उठाते समय शोभा की चून्चिया उसे दिखी थीं, तो उसका लंड खड़ा हो गया था.


कल उसने अपने आप को संभालने की काफ़ी कोशिश की थी. पर सुबह अचानक उसे बेडरूम के पर्दे मे से सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने मा की झलक दिख गयी थी जब वह कपड़े बदल रही थी. ख़ास कर पीछे से दिखते प्राची के मोटे विशाल नितंबों को देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया था. नहाते समय उसने मूठ मारी तब आँखों के सामने अपनी मा की वही अर्धनग्न
मूर्ति थी. नहाने के पहले उसने धोने के कपड़ों मे मा की ब्रा और पैंटी ढूंढी थी पर बेचारे को नही मिली. प्राची ने खुद धोकर वे सुखाने को डाल दी थीं, अपनी महँगी ब्रा और पैंटी का वह ख़ास ख़याल रखती थी. अब मा ने जब उसे बताया कि उस दो दिन शोभा आंटी के साथ रहना पड़ेगा, तो वह अपने नसीब पर फूला नही समा रहा था. मन मे बड़ी मीठी सी आशा थी,
क्या कुछ करने का मौका मिलेगा? कम से कम शोभा आंटी को पास से देख तो सकेगा, हो सकता है कि कल जैसे मा दिखी, वैसे शोभा आंटी का भी अर्धनग्न रूप दिख जाए. लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाता दर्शन ख़याली पुलाव पकाने मे लग गया था.


उस रात शोभा के बेडरूम मे करीब हफ्ते भर के बाद मा बेटी की रति हुई जो बहुत रंग लाई. आख़िर इतने दिन के बाद दोनो मिली थी. प्राची के जाने के बाद नेहा से ना रह गया और वह शोभा को हाथ पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गयी, छोटे बच्चों के अंदाज मे, जब वे ज़िद करते है. बेडरूम मे जाकर वा शोभा से लिपट गयी और उसे बेतहाशा चूनने लगी.
चूमते चूमते नेहा के हाथ बड़े सधे अंदाज मे अपनी सौतेली मा के कपड़े निकाल रहे थे जैसे उन्हे इस काम की अच्छी प्रैक्टिस हो. दो मिनिट मे शोभा पूरी नंगी हो चुकी थी. उसे बिस्तर पर धकेलकर नेहा उसपर चढ़ गयी और उसके मम्मे चूसने लगी. एक दो मिनिट उन बड़े स्तनों की घून्डिया चूसकर उसने जैसे एक मा के प्रति बेटी का प्रेम व्यक्त किया और
फिर नीचे सरककर मौके की जगह पर पहून्च गयी जिसके लिए वह भूखी थी.
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