06-14-2021, 11:51 AM,
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desiaks
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RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
नेहा- भइया आपने अभी तक मेरी शर्त वाली बात पूरी नहीं की।
समीर- हाँ मुझे याद है। चल बता क्या करना है मुझे?
नेहा- भइया एक बात कहूँ?
समीर- बोल नेहा।
नेहा- आपका मन कभी सेक्स की तरफ नहीं जाता?
समीर- नेहा हम भाई बहन हैं, और हम इस तरह की बातें आपस में नहीं कर सकते।
नेहा- अच्छा भइया, तो तुम मुझे ये बताओ की मैं बाहर जाकर ये बातें किससे करूं?
समीर- तू पागल हो गई है? घर की इज्जत मिट्टी में मिलायेगी।
नेहा- वाह भइया... कभी कहते हो घर में ये बातें नहीं होती, और अब कह रहे हो बाहर करोगी तो घर की इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी।
समीर- अच्छा बाबा बोल तू क्या चाहती है?
नेहा- "भइया मैं आपसे खलना चाहती हूँ। मुझे आपका वो देखना है...” और ये सब नेहा ने एकदम से बोल दिया।
समीर को नेहा से इतनी उम्मीद नहीं थी, कहा- "तू जरूर पागल हो गई है। तू जो कह रही है वो मैं नहीं कर सकता। क्या तू मुझे अपनी नजरों में गिराना चाहती है? मैं कैसे ये सब करके तुझसे नजर मिला पाऊँगा?"
नेहा- "भइया ये सब इसीलिए तो आपसे कह रही हैं। अगर मैं ये सब बाहर करूँगी तो जरूर इज्जत चली जायेगी।
आपके साथ तो किसी को शक भी नहीं होगा..."
समीर- "देख नेहा, अगर तू कहती है तो मैं तुझे अपना वो दिखा सकता हूँ। लेकिन ये बात सिर्फ तुझ तक ही रहनी चाहिए। टीना से भी इस बात का जिकर नहीं करेगी..." और समीर ने अपने ऊपर से चादर हटा दी।
नेहा को जैसे खजाना मिलने वाला था। बेसबर सी खुद ही समीर के लोवर में देखने लगी।
समीर- नेहा सिर्फ देखने की बात की है, तुम टच नहीं करोगी।
नेहा- ओके भइया चलो आप ही दिखा दो।
समीर नेहा से थोड़ा फासले पर चला गया, और अपना लोवर नीचे कर दिया, सिर्फ अंडरवेर पहने हए था। समीर को नेहा बड़ी ललचाई नजरों से देखने लगी।
समीर- अब तो खुश है तू?
नेहा- बाहर निकालकर दिखाओ इसे?
समीर- आज ऐसे ही देख लो।
नेहा- ऐसे क्या पता चलेगा आपका साइज कितना है?
समीर- तू साइज जानकार क्या करेगी?
नेहा- ये मेरी फैंटेसी है।
समीर- देख ज्यादा आगे बढ़ने की कोशिश ना कर।
नेहा- मैं आगे नहीं
आप वहीं से दिखा दो।
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RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
नेहा तो लण्ड को देखकर बेहोश होते-होते बची- “बाप रे... भइया इतना बड़ा है आपका?" और नेहा का गला सूख गया। नेहा लण्ड को देखकर खुद ही डर गई- “ओह माई गोड... शुकर है... मैं तो आगे बढ़ने की सोच रही थी, ये तो मेरी जान ही ले लेता। बस भइया देख लिया मैंने... आप कपड़े पहन लो, मैं अपने रूम में ही सो जाऊँगी..."
नेहा मन में सोचने लगी- “इतना डर तो भूत देखकर भी नहीं लगेगा..." नेहा बुदबुदते हुए अपने रूम में चली गई
समीर- इससे क्या हआ? बड़ी बहादुर बन रही थी एक झलक ने ही सीधा कर दिया।
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सुबह नेहा ने जल्दी उठकर नाश्ता बनाया, और समीर को आवाज लगाई- “भइया नाश्ता तैयार है, आ जाओ..." दोनों नाश्ते की टेबल पर थे, नाश्ते में नेहा ने आलू के परांठे और चाय बनाई थी।
समीर- “वाह नेहा... तू तो सचमुच बड़ी हो गई है.." समीर ने मुश्कुरा कर कहा- “फिर भी एक चूहे से डर गई.."
नेहा- “भइया अब मैं इतनी भी बड़ी नहीं हो गई की कोई चूहा सामने आ जाय, और मैं अपनी बहादुरी दिखाऊँ" कही काट लिया तो मैं तो मर ही जाऊँग...”
समीर- भला कोई चूहे के काटने से मरता है?
नेहा- भइया एक बहुत बड़ा चूहा है घर में।
समीर- तू फिकर ना कर, मैंने पिंजरे में बंद किया किया हुआ है।
नेहा- भइया कभी चूहे को पिंजरे से बाहर मत निकलना।
समीर हँसने लगा, और कहा- "हाँ मेरी प्यारी बहना मैं कभी चूहे को पिंजरे से बाहर नहीं निकालूंगा। वैसे मम्मी पापा किस टाइम आयेंगे? तू उन्हें फोन कर लेना मैं कंपनी के लिए निकल रहा हूँ..”
समीर कंपनी जा चुका था। नेहा ने पापा के पास फोन लगाया- "हेलो पापा किस टाइम तक आओगे?"
पापा- बेटा हमें आने में शाम हो जायेगी।
नेहा- "ठीक है पापा.." और नेहा ने काल डिसकनेक्ट कर दिया। फिर टीना का नंबर मिलाया और उससे घर बुला लिया।
टीना- क्या बात है आज अकेली हो?
नेहा- हाँ। कल मम्मी पापा समीर के लिए लड़की देखने गये थे।
टीना- वाओ... समीर की शादी होने वाली है।
नेहा- अगर लड़की पसंद आई तो जल्दी शादी कर देंगे।
टीना- तेरी समीर से कहा तक बात पहुँची? शर्त का क्या रहा?
नेहा- "शर्त वर्त को गोली मार। रात मैंने जो देखा है, अगर तू देख लेती तो शायद तू भी। मैं तो सोच रही हूँ की जिस लड़की से समीर की शादी होगी, उसका क्या हाल होगा?"
टीना- ऐसा क्या देख लिया तूने?
नेहा- भइया का लण्ड देखा मैंने। बाप रे बाप... कितना लंबा... उईईई सोचकर ही फुरेरी सी चढ़ती है।
टीना- तू तो बिल्कुल पागल है। पता है जितना बड़ा लण्ड होता है, उतना ज्यादा मजा आता है। जो भी समीर से
शादी करेगी वो तो धन्य हो जायेगी। मेरा भी दिल कर रहा है, अब तो समीर का लण्ड देखने को..."
नेहा- क्या बोल रही है तू? तुझे कैसे पता बड़े लण्ड से ज्यादा मजा आता है?
टीना- मेरी जान, अभी तू इस खेल में मुझसे दो कदम पीछे है।
इनकी यूँ ही सारा दिन सेक्स टापिक पर बातें चलती रही।
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RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
समीर अपनी बाइक से कंपनी जा रहा था, सामने से आती हुई कार ने बाइक के सामने ब्रेक लगा दिया। समीर जब तक संभलता बाइक टकरा गई। कार से दो आदमी बाहर निकले, और समीर को पीटने लगे। वो आदमी वही थे, जिनको समीर ने पकड़वाया था। मगर समीर ने भी किसी हीरो की तरह उन्हें उठा-उठाकर पटका, और दोनों को उठाकर कार की डिग्गी में डाल दिया, और संजना में को फोन मिलाया।
संजना मेडम पोलिस को लेकर पहुँच गई।
संजना- समीर तुम्हें तो कहीं चोट नहीं आई?
समीर- नहीं,
तभी संजना की नजर समीर की कोहनी से बहते खून पर चली गई- “तुम्हें तो खून बह रहा है। चलो मेरे साथ हास्पिटल.." और संजना समीर को हास्पिटल ले गई।
डाक्टर ने शर्ट उतारकर देखा तो हल्की सी खरोंच आई थी। एक छोटी सी पट्टी करवा कर संजना समीर को अपने आफिस में ले आई।
संजना- तुम तो बहुत बहादुर हो।
समीर- थैक्स मेडम।
संजना- आज से तुम इस कंपनी के चीफ मैनेजर हो।
समीर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मारे खुशी के समीर ने संजना का हाथ चूम लिया।
संजना को बड़ा ही अच्छा लगा। संजना की बरसों की प्यास जाग उठी। संजना ने कहा- “समीर क्या थैक्स बोलना चाहते हो?"
समीर- जी मेडम थॅंक यू। आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया।
संजना- “समीर, तुम्हें थॅंक यू और तरीके सेअदा करना है। बोलो करोगे?"
समीर- जी मेडम, मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
संजना- “मेरे साथ सेक्स करोगे? मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी ये प्यास बुझा दो.." और संजना समीर से लिपट गई।
समीर कुछ ना बोल सका, और संजना ने अपने होंठ समीर के होंठों से लगा दिए। आज पहली बार समीर को ये अनुभव मिल रहा था। वो भी इतनी बड़ी कंपनी की मालेकिन के साथ।
संजना बरसों की प्यास बुझाना चाहती थी। भूखी शेरनी की तरह समीर के होंठों को चूम रही थी। अब समीर भी अपने होंठ चलाने लगा और अपनी जीभ डाल दी। संजना ने जीभ को होंठों में दबा लिया और चूसने लगी। दोनों सिर्फ और सिर्फ एक दूजे में लिपटेचिपटे चूसते रहे।
संजना- समीर चलो।
समीर- कहां मेडम?
संजना- मेरा थॅंक यू करने। करोगे मेरा थॅंक यू?"
समीर- जी मेडम, जैसा आप कहें।
संजना समीर को लेकर एक फाइव-स्टार होटल पहुँच गई। बरसों की प्यासी संजना को आज जैसे समुंदर मिल गया था। आज वो इस समंदर में डूबना चाहती थी। दोनों होटेल के रूम में पहुँच गये। संजना ने दरवाजा बंद किया और समीर को बाँहो में भर लिया।
संजना- समीर आज मुझे ऐसा थॅंक यू बोलना की मेरी बरसों की प्यास बुझ जाय।
समीर ने बिना कुछ कहे अपने होंठों को संजना के होंठों से जोड़ लिया, समीर ने आज पहली बार सेक्स की दुनियां में खदम रखा था, और संजना के उभारों को देखकर समीर ने कहा- “मेडम आपकी चूचियां पकड़ लूँ?"
संजना- ये भी कोई पूछने की बात है? जो भी करना है बिना पूछे करो। मैं आज बस तुम्हारी सेक्रेटरी हूँ, और तुम मेरे बास.."
समीर संजना के उभारों पर हाथ फेरने लगा क्या मस्त चुचियां थी संजना की? समीर का तो लौड़ा टाइट होने लगा। समीर ने संजना की चूचियां खोल दी।
संजना भी लण्ड देखना चाहती थी, कहा- “समीर कपड़े पहने हुए थेंक यू बोलोगे क्या?"
समीर- “पहले मैं आपका थॅंक यू कर दूं। देखो कैसे करता हूँ?" और समीर ने संजना को उठाकर बेड पर पटक दिया और उसकी सलवार उतार फेंकी। सामने गुलाबी बरसों की प्यासी चूत थी, ऐसा लग रहा था बंद कली हो, और समीर झुकता चला गया। अपने होंठ चूत की दरार में लगा दिया।
संजना- “अहह... हाँ समीर्रर ऐसे ही बोलते हैं थैक्क यू.."
संजना की चूत में रस बह निकला, जो समीर बड़े मजे में चूस रहा था।
संजना- “आहह... समीर आज सीई तुम मेरे मालक्क हूँ ओर मैं तुम्हारी गुलाम्म..” कितना मजा आ रहा था संजना को।
समीर भी मेडम को खुश करना चाहता था। मेडम ने समीर को कहां से कहा पहुँचा दिया था। इतना तो समीर का भी फर्ज बनता है, आज मेडम को तृप्त करना है। क्या चुसाई कर रहा था समीर। जैसे इस खेल का माहिर खिलाड़ी हो। संजना भी समीर के बालों में हाथ फेरने लगी। समीर की जीभ अपना कमाल कर रही थी। जीभ अंदर तक घुस जाती।
संजना की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। अपनी चूत को ऊपर उठा-उठाकर चुसवा रही थी- “ओह्ह... समीर आई आम कमिंग..." और संजना का फौवारा छूट गया।
समीर का पूरा मुँह चिपचिपे चूत-रस में सन गया।
संजना- मजा आ गया समीर, ऐसा थेंक यू बोला तुमने।
समीर के पैंट में ऐसा टेंट बन चुका था की बस बाहर आने के लिये फाड़ ना दे।
संजना की आँखें चमक गई टेंट देखकर, और कहा- "इसे क्यों सजा दे रहे हो? बाहर निकालो..." कहकर संजना ने लण्ड बाहर निकाल लिया। और इतना लंबा लण्ड देखकर संजना की खुशी का ठिकाना ना रहा और गप्प से मुँह में भर लिया।
समीर की सिसकी निकाल गई- "ओहह... इस्स्स्स
."
संजना जितना अंदर ले सकती थी लण्ड को ले लिया, बड़ी ही मस्ती में ब्लो-जाब कर रही थी। संजना की चूत में एक बार फिर उबाल आने लगा। अब संजना की चूत लण्ड लेना चाहती थी।
संजना ने लण्ड बाहर निकाल लिया, और पैर फैलाकर लेट गई। चूत एकदम समीर की नजरों के सामने आ गई, जैसे कह रही हो यहां डाल दो। समीर का लण्ड भी अब सबर नहीं कर पा रहा था। आगे बढ़कर चूत पे टिका दिया। संजना की चूत में इतना गीलापन आ चुका था, ऊपर से समीर भी जोश में था। समीर ने लण्ड पर इतनी जोर से दबाओ दिया की चूत को चीरता हुआ आधा घुस गया
संजना की दर्द भरी चीख निकल गई- उईई मर गई... आहह... इसे डाल्लो... बहुत बड़ा है तुम्हारा समीर, अभी इतना ही रहने दो। रुक जाओ दो मिनट, मुझे सांस लेने दो..."
समीर भी आधा लण्ड डाले रुका रहा। दो मिनट बाद समीर ने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा। संजना फिर दर्द से छटपटाई। ऐसा लग रहा था जैसे संजना कुँवारी हो।
समीर- मेडम आपने कभी पहले चुदाई नहीं की?
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समीर भी आधा लण्ड डाले रुका रहा। दो मिनट बाद समीर ने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा। संजना फिर दर्द से छटपटाई। ऐसा लग रहा था जैसे संजना कुँवारी हो।
समीर- मेडम आपने कभी पहले चुदाई नहीं की?
संजना- "समीर, उनके लण्ड में इतनी भी ताकत नहीं थी की एक इंच भी अंदर चला जाता। बस उंगली से ही करती आई हूँ आज तक। लण्ड तो आज पहली बार गया है.."
समीर- "फिर तो आज आपकी सुहागरात है..” और समीर ने बातों-बातों में एक झटका और मार दिया।
इस बार संजना को इतना दर्द नहीं हुआ। समीर ने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। समीर का स्टेमिना जवाब देने वाला था। मगर समीर चाहता था की पहले संजना झड़ जाय। समीर ने संजना को चूमना चाटना शुरू कर दिया, गर्दन को चूमने लगा। फिर एक निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा। संजना इस चुसाई और चुदाई में ऐसी बही की एक बार और झड़ गई।
समीर का भी बाँध टूट गया, और ढेर सारा लावा चूत की गहराई में उड़ेल दिया। दोनों ऐसे तृप्त हुए की संजना की जन्मों जन्मों की प्यास बुझ गई।
संजना- “तुम मुझे थॅंक यू करने आए थे, मगर तुमने मुझे आज ऐसा तृप्त किया है.. थॅंक यू समीर, मैं क्या कर सकती हूँ तुम्हारे लिए.."
समीर- "आपने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया मेडम। आपके लिए तो मेरी जान भी हाजिर है..."
फिर दोनों ने साथ में फ्रेश होकर खाने का आर्डर किया। शाम के 7:00 बज चके थे, और फिर दोनों होटल से निकल गये।
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समीर सीधा घर पहुँच गया। पापा मम्मी आ चुके थे।
नेहा- "अरे... भइया आओ देखो, मेरी होने वाली भाभी कैसी है?" नेहा के हाथ में एक फोटो था।
समीर- “मम्मी मुझसे तो पूछ लेती पहले?"
अंजली- क्यों बेटा, क्या कोई और लड़की पसंद कर रखी है तूने?
तभी समीर को संजना की बहन दिव्या का चेहरा याद आ गया। समीर बोला- “मम्मी पहले नेहा के लिए लड़का ढूँढ़ लो, उसके बाद मेरी सोचना..."
नेहा- “भइया मुझे नहीं करनी शादी वादी..." और दोनों भाई बहन में नोक झोंक चलती रही।
पापा फोटो समीर को दिखाते बोले- “समीर बेटा, पहले इस फोटो को तो देख ले। उसके बाद लड़ना तुम दोनों..."
समीर ने फोटो पर नजर डाली। लड़की तो खूबसूरत थी। मगर दिव्या की बात ही कुछ अलग थी। फिर भी समीर की जिंदगी का सवाल था, सोचने के लिये कुछ वक्त चाहिए था।
समीर- पापा मुझे एक महीने का टाइम चाहिए। इतने हम नेहा के लिए भी लड़का ढूँढ लेंगे।
पापा- बेटा सिर्फ एक महीना... एक भी दिन ऊपर हुआ तो मैं लड़की वालों से हाँ कर दूंगा।
समीर- “जी ठीक है पापा...” और फिर सबने मिलकर डिनर किया।
रात को समीर अपने बेड पर लेटा सोच रहा था- "कैसे दिव्या से अपने प्यार का इजहार करूं? क्या दिव्या मेरा प्यार कबूल करेगी? और कहीं दिव्या ने संजना मेडम को बोल दिया तो क्या होगा? संजना मेडम नाराज हो गई तो मेरी नौकरी भी जा सकती है। क्या करूं मेरे पास तो टाइम भी नहीं है। अगर मेरे प्यार में सच्चाई है तो दिव्या सिर्फ मेरी होगी..." और यही सब सोचते-सोचते कब समीर की आँख लग गई, पता नहीं चला।
सुबह 8:00 बजे नेहा ने आकर समीर को उठाया- “भइया कब तक सोते रहोगे? कंपनी नहीं जाना आपको?"
समीर ने आँखें मलते हए नेहा को देखा- उफफ्फ... शार्ट टी-शर्ट और हाफ निक्कर में नेहा को देखकर समीर का लण्ड सुबह-सुबह झटके मार रहा था। समीर ने टाइम देखा- “ओह गोड... आज तो मैं लेट हो जाऊँगा..." और जल्दी से बाथरूम में घुस गया।
समीर- "नेहा प्लीज्ज... मेरे कपड़े पकड़ा दे...”
नेहा ने अलमारी से भाई के कपड़े निकाले, और पूछा- “भइया अंडरवेर भी चाहिए?"
समीर- हाँ और बनियान भी ले आ।
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टीना- "जी मम्मी T?" और टीना जैसे ही बाहर आई तो नजर अजय पर गई। टीना के हाथ में केला था।
अजय को देखकर मुंह में रख लिया।
उफफ्फ... अजय की हालत खराब हो गई। टीना तो किरण से दो हाथ आगे थी। अजय बोला- "टीना केला अकेले थोड़े खाया जाता है..."
टीना- अंकल कहो तो आज आपके साथ खा लूँ?
अजय- क्यों नहीं।
तभी किरण दो कप चाय ले आई, और बोली- “टीना बेटा, तुझे नेहा ने शापिंग के लिए बुलाया है। जा तू नेहा के साथ चली जा...”
टीना- “जी मम्मी..." और टीना नेहा के पास चली गई।
अजय- क्यों भाभी क्या इरादा है?
किरण- सब्जी तैयार है, अगर भूख लगी है तो परोस दूं?
अजय- "आपकी सब्जी में टेस्ट ही इतना है की मना करने का तो सवाल ही नहीं..." और अजय ने किरण को अपने ऊपर खींच लिया, और कहा- “पहले थोड़ा जलपान तो कर लूँ..."
अजय ने किरण को अपनी गिरफ्त में ले लिया, और होंठों को अपने होंठों से जोड़कर जलपान का आनंद उठाने लगा, और कहा- “क्या मस्त है किरण भाभीजी... मन तो करता है रोज ही मजे करूं..." और धीरे-धीरे अजय के हाथ किरण के साफ्ट उभारों पर पहुँच गये- “क्या मस्त माल है?"
अजय- भाभी दूध नहीं पिलाओगी? शुद्ध ताजा दूध.."
किरण- भाई साहब आपको लत लग जायेगी।
अजय के हाथ किरण के साफ्ट साफ्ट दूध को सहलाने लगे।
किरण- “हाय उम्म्म्म ... सीईई..."
अजय ने अपने होंठ निप्पल से लगा दिए और चूसने लगा, ताजा शुद्ध दूध, और कहा- "भाभी कितनी सेक्सी हो तुम... तुम्हें देखकर मेरा मुन्ना तो एकदम तैयार हो गया..."
किरण- “मुझे भी दिखाओ बाहर निकालकर अपने मुन्ना को। मैं भी तो देखू मुन्ना कितना तैयार हुआ है?" कहकर किरण अजय को बेड पर ले गई। अजय के कपड़े उतार फेंके और मन्ना को देखकर किरण की आँखें चमक उठी-
“कितना प्यारा मुन्ना है? लाओ मैं इससे प्यार कर लूँ..."
अजय- “सस्स्सी ... भाभीss अहह... ओहह... सस्स्स्स्सी ... हाँ हाँ इस्स्स ... बस्स भाभी बस करो..."
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06-14-2021, 11:52 AM,
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RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
किरण ने मुन्ना को और प्यार से अंदर तक कर लिया। अजय किरण को रोकता रह गया। मगर किरण भी आज पूरे मूड में लग रही थी। मुँह से ऐसी चुदाई शुरू की कि अजय को दोनों रूम भुला दिए, और अजय का फौवारा छूट गया। जिसे किरण ने बड़े ही जायके के साथ गटक लिया।
अजय- उफफ्फ... भाभी मजा आ गया... आपके तो तीनों कमरे शानदार हैं।
किरण- भाई साहब, अभी तो आपने दो ही कमरे देखे हैं, तीसरा तो देखना बाकी है।
अजय- आज तो वहां के दर्शन भी करके जायेंगे।
तभी अजय का मोबाइल बज उठा। फोन अजय की दुकान से था। नेहा और टीना दुकान पर पहुंच चुकी थी।
नेहा- पापा आप कहां हो? मुझे आपसे पैसे चाहिए।
अजय- बेटा रास्ते में हैं बस दो मिनट बैठ, अभी आया..." और मोबाइल डिसकनेक्ट कर दिया। फिर अजय ने किरण से कहा- “भाभी, आपके इस रूम को फिर कभी देखेंगे। नेहा और टीना दुकान पर हैं.."
किरण- ठीक है भाई साहब।
शाप पर बैठे हुए टीना और नेहा को 15 मिनट हो गये थे।
टीना- यार तेरे पापा कहां रह गये?
नेहा- मुझे क्या मालूम? हो सकता है आंटी ने रोक लिया हो?
टीना- भला मेरी मम्मी इतनी देर अंकल को क्यों रोकने लगी?
नेहा- क्या पता, जैसे तुझे केला पसंद हैं तेरी को मम्मी भी हो?
टीना- आगे बोली तो तू जरूर मार खायेगी मुझसे।
नेहा- चल तेरे पापा की दुकान पर चलते हैं। कुछ कपड़े वहीं से पसंद कर लेंगे।
टीना- "चलते हैं। इतने में तेरे पापा भी आ जायेंगे.." और दोनों दुकान से निकलने लगे।
तभी रोहित, जो अजय की दुकान पर काम करता था, कोल्ड ड्रिंक ले आया और कहा- “अरे... मेडम आप कहां चल दी? पहले कोल्ड ड्रिंक पी लीजिए..” रोहित ने बड़े ही नरम दिली से आग्रह किया।
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