Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
08-23-2018, 11:56 AM,
#41
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
दस मिनट तक ललिता लौड़े को चूस-चूस कर मज़ा लेती रही, अब उसका मुँह दुखने लगा था, तो उसने मुँह हटा लिया।
शरद- थक गई क्या… मेरी जान, आजा मेरी गोद में बैठ जा.. आज तुझे नई स्टाइल से चोदता हूँ..!
ललिता दोनों पैर शरद के साइड से निकाल कर बैठ जाती है। शरद अपने हाथ से लौड़ा पकड़ कर चूत पर सैट कर देता है, जैसे ही ललिता बैठी, लौड़ा चूत में घुस जाता है।
ललिता- ओई उफफफ्फ़…!
शरद- साली इतनी बार चुद चुकी है, अब भी उई उई कर रही है…!
ललिता- आ..हह.. क्या करूँ मैं कौन सा रोज चुदती हूँ? कल रात से लेकर अब तक चुदाई तो बहुत हो गई, पर चूत सूज कर ‘बड़ा-पाव’ बन गई है और आपका
लौड़ा कोई मामूली तो है नहीं, घोड़े जैसा मोटा है दर्द तो होता ही है।
शरद नीचे से झटके मारने लगता है ललिता को दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आ रहा था, वो भी लौड़े पर उछल रही थी और शरद ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। रूम में बड़ा ही रोमांच पैदा हो रहा था। दस मिनट तक शरद गोद में बैठा कर ललिता को चोदता रहा। उसकी जांघें दुखने लगीं, तब उसने ललिता को बेड पर लेटा दिया और कंधे पे पैर डालकर चोदने लगा।
ललिता- आ आ..हह.. उफ्फ शरद तेज और तेज आ..हह.. मेरा पानी निकलने वाला है ओई उ उफ्फ मई गईई…!
शरद पहले से ही उत्तेज़ित था, इतनी देर की लंड चुसाई और चूत चुदाई के बाद उसका पानी बस निकालने ही वाला था कि ललिता ने उसकी उत्तेजना और बढ़ा दी।
वो धका-धक लौड़ा पेलने लगा और दोनों एक साथ झड़ गए। काफ़ी देर तक शरद उसके ऊपर पड़ा हांफता रहा।
दोस्तों इनको थोड़ा आराम करने दो, चलो हम अमर और रचना को देख आते है कि वो अब तक घर पहुँचे या नहीं…!
दोनों घर पहुँच गए थे और रूम में बैठे बात कर रहे थे।
अमर- बहुत थकान हो रही है आज, तो वैसे रचना तुमने क्या सोचा है, अब क्या करना है…!
रचना- क..क्या करना से तुम्हारा क्या मतलब है… थके हुए हो, फिर भी चुदाई से मन नहीं भरा क्या…!
अमर- ओह अरे नहीं रे, आप समझी नहीं, मेरे कहने का मतलब है कि शरद ने जो इतना बड़ा गेम खेला है, उसको जवाब तो देना पड़ेगा ना…!
रचना- चुप रहो अमर, इतना सब होने के बाद भी तुमको समझ नहीं आया क्या..! मैंने जो किया उसका मुझे पछतावा है और शरद ने जो किया वो तो
आप भी चाहते थे।
अमर- अरे मेरे पर इल्जाम क्यों लगा रही हो? मैंने क्या किया..? मैं क्या चाहता था… हाँ..!
रचना- शर्म करो भाई, थोड़ी तो शर्म करो… मान लो शरद बदला नहीं लेना चाहता था, सिम्मी की बात को एक तरफ रख दो, उसके बाद सोचो आपने ही शरद
के साथ प्लान किया था ना.. कि मुझे फिल्म का झांसा देकर आप मुझे चोदना चाहते थे और शरद को किसने कहा था कि तुम भी चूत का स्वाद
चख लेना…!
अमर- व..व्व..वो तो बस तुम हाँ.. इसमें तुम्हारी ही ग़लती है, पता है घर में जवान भाई है और तुम इतने सेक्सी कपड़े पहनती थी, खेल में मेरा लौड़ा टच करती थी… तुम खुद चुदना चाहती थी या आसान शब्दों में कहूँ तो तुम अपनी चूत की प्यास मिटाना चाहती थीं..!
रचना- अब बस भी करो, इस ज़िद-बहस का कोई फायदा नहीं है। तुम चोदना चाहते थे और मैं चुदाना… तो शरद ने क्या गलत कर दिया..! अब बस सब
भूल जाओ, आज के बाद सब मिलकर प्यार से चुदाई करेंगे…!
अमर- ओके मान जाता हूँ, पर उस साले सचिन और धरम अन्ना की कौन सी बहन थी सिम्मी, उन लोगों ने फ्री में मज़े लिए। उनसे तो बदला लूँगा मैं और हाँ
ललिता के पास कुछ तो राज़ है धरम अन्ना का, तभी साला चुपचाप चला गया, वरना हरामी वो ललिता के भी मज़े लेता।
रचना- अच्छा बाबा ले लेना बदला, पर सिर्फ़ उनके घर की किसी लड़की को चोद कर… बस इससे ज़्यादा कुछ नहीं ओके…!
अमर- ओके बहना… अच्छा मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. पापा का फ़ोन आए तो आवाज़ देना…!
रचना- अच्छा ठीक है जाओ…!
अमर बाथरूम चला जाता है और रचना वहीं बेड पर बैठी सुसताने लगती है।


दोस्तों यहाँ कुछ मज़ा नहीं आ रहा, चलो वापस ललिता के पास चलते हैं, वहाँ शायद कुछ मज़ा मिले।
शरद बेड पर लेटा हुआ था, ललिता बाथरूम में पेशाब करने गई हुई थी।
शरद- अरे मेरी जान अब आ भी जाओ, मुझे आगे की बात जाननी है, अब तो लौड़ा भी शान्त हो गया।
ललिता हँसती हुई बाहर आती है।
ललिता- लो आ गई खुश…!
शरद- अरे साली रंडी, अब भी नंगी ही आई है कपड़े क्यों नहीं पहने…!
ललिता- ओह आप क्या मेरे पीछे पड़ गए, खुद तो नंगे बैठे हो मुझे नसीहत दे रहे हो.. नहीं चुदना अब आपसे, मैं बहुत थक गई हूँ … बस चूत में दर्द है, इसलिए हवा लगा रही हूँ।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है आ जा मेरी रानी मेरा लौड़ा भी थक गया। अब मुश्किल ही खड़ा होगा। आ जा बता आगे क्या हुआ?
ललिता- ओके बाबा सुनो, उन लोगों के जाने के बाद सब की सब रिलेक्स हो गईं, पर मुझे उन पर शक हुआ, क्योंकि वो कारटून एकदम साफ-साफ दिखाई दे रहा था,
जिसमें वाइन और बियर थी, मगर उन दोनों ने कोई रिएक्ट नहीं किया। आशा ने तो बोतल निकाल कर पीना शुरू कर दिया, पर मुझे किसी बुराई का अंदेशा हो
रहा था। मैंने बहुत न के बराबर पी, बाकी सब की सब टल्ली हो गई थीं और रूम में एक बड़ा डबल बेड था, उस पर लम्बलेट हो गईं। हम लोग हमेशा ऐसे
ही करते हैं… एक साथ एक ही बेड पर सोते हैं एक-दूसरे में घुस कर मज़ा आता है।
शरद- सब सो गईं, तुम क्या कर रही थीं?
ललिता- मैं बस वही सोच रही थी कि उन लोगों ने इग्नोर क्यों किया होगा। मुझे नींद नहीं आ रही थी फिर भी जबरदस्ती मैं सो गई…! रात कोई 11 बजे कमरे के बाहर आहट हुई, तो मेरी आँख खुल गई। बाहर वो दोनों ही थे।
शरद- तुमको कैसे पता वो ही थे।
ललिता- ओह वो एक-दूसरे का नाम लेकर बात कर रहे थे।
शरद- तो ठीक से बता ना, क्या बात कर रहे थे?
ललिता- अब आप चुप रहो सवाल पे सवाल अब मई ठीक से सब बताती हूँ…!
ललिता- बाहर उन दोनों की आवाज़ मैंने गौर से सुनी।
धरम अन्ना- अईयो नीलेश तुम पागल हो गया जी ऐसे चोरों के जैसा हमको हमारा ही घर में लाया तुम…!
नीलेश- अरे यार धरम अन्ना तुमको मैंने कहा था ना.. ये आज फुल पार्टी करेगी देख कार्टून खाली पड़ा है, सब पीकर टल्ली हो गई हैं।
धरम अन्ना- हम जानता जी लेकिन हमारा बेटी टीना भी अन्दर होना जी…!
नीलेश- ओह मैं जानता हूँ धरम अन्ना, हम तो बस उस लड़की के मज़े लेंगे… साली क्या पटाखा आइटम है।
धरम अन्ना- हमको डर होना जी… कहीं कुछ हो गया तो…!
नीलेश- अरे यार कुछ नहीं होगा, मैंने साली को चैक कर लिया था, वो खुद ऐसी ही है, बड़े आराम से चूचे दबवा रही थी।
धरम अन्ना- अईयो वो मेरी बेटी की फ्रेंड होना जी… अगर कुँवारी हुई तो पंगा हो जाएगा यार…!
नीलेश- अरे पक्का वो चुदी हुई होगी, साली बिगड़ी हुई लड़की है चुदे बिना नहीं रह पाती, अगर कुँवारी हुई भी तो, क्या हुआ नशे में धुत है सील टूटने का पता भी नहीं चलेगा। खून-वून आएगा तो हम साफ करके साली को वापस कपड़े पहना कर वापस रूम में सुला देंगे और चले जाएँगे, सुबह उठेगी तो चूत में दर्द होगा, मगर पता कैसे लगाएगी कि हमने चोदा है और मेरे ख्याल से तो उसको ऐसा लगेगा कि बस ऐसे ही कोई दर्द है, पक्का बोलता हूँ..!
धरम अन्ना- अईयो तुमको कितना भूख होना जी… मेरे को अब भी डर लगता जी अन्दर सब सोए हैं, उसको पहचानोगे कैसे..? लाइट ऑन करेगा तो क्या पता कोई जाग
जाएगा…!
नीलेश- तू मत आना अन्दर, मैं ले आऊँगा लाइट कौन पागल चालू करेगा..! मेरे को पता है साली को आराम से ले आऊँगा सब से अलग जैकेट पहना है
उसने और अगर नंगी भी सोई होगी तो भी उसके चूचे पकड़ कर देख लूँगा। अच्छे से मैंने नाप लिया था साली का।
धरम अन्ना- ओके जी हम को थोड़ा डर होना, तुम जाओ हम दूसरे रूम में शराब पीता, वहीं ले आना उसको…!
शरद- ओह माय गॉड साला धरम अन्ना इतना कमीना निकला, उसकी बेटी अन्दर है और वो उस कुत्ते को अन्दर भेज रहा है, जो कहता है कि मम्मे दबा कर पता कर
लेगा कि तुम कहाँ सोई हो..! ऐसे तो वो सबके मम्मे दबा कर मज़ा ले सकता है।
ललिता- हाँ शरद जी वो ही तो आप आगे तो सुनिए, उस कुत्ते की करतूत…!
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08-23-2018, 11:56 AM,
#42
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद- अच्छा बता, मेरा तो दिमाग़ घूम रहा है तू बच कैसे गई उनसे क्योंकि ये तो 100% मैं जानता हूँ तेरी चूत की सील मैंने तोड़ी है, अब बता उस दिन क्या हुआ? कैसे बची?
ललिता- आप सुनो तो सही..!
शरद- अच्छा ठीक है, बता..बता मैं कुछ भी नहीं बोलूँगा।
ललिता- उनकी बातें सुनकर मेरा तो सर चकरा गया, मैंने जल्दी से अपना जैकेट निकाल और बेड पर गिरा दिया और खुद बेड के लास्ट में जाकर सो गई ताकि वो आए भी तो मेरा नम्बर लास्ट में आए शायद किसी तरह बच जाऊँ।
शरद- गुड… आगे…!
ललिता- हाँ बता रही हूँ… डोर खुला तो नीलेश धीरे से अन्दर आया, रूम में अंधेरा था मगर डोर खुलने से बाहर की हल्की रौशनी अन्दर आ रही थी। सारी लड़कियाँ आराम से सो रही थीं। नीलेश धीरे से बेड के पास आया, उसकी निगाह जैकेट वाली लड़की को ढूँढ़ रही थी, तभी उसकी नज़र जैकेट पे गई और उसने धीरे से बोला।
नीलेश- बेबी ने जैकेट निकाल कर साइड में रखा है, गर्मी लग रही होगी। आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा मैं।
नीलेश धीरे से बेड पर थोड़ा ऊपर आया और जैकेट हटा कर किसी एक के मम्मे दबा कर देखा।
नीलेश- वाह क्या निशाना है मेरा, बराबर तेरे मम्मों पर ही हाथ आया, क्या मस्त बड़े-बड़े मम्मे हैं तेरे… और क्या कड़क भी हैं।
शरद- उसके बाद क्या हुआ, किसके मम्मे दबाए उसने..!
ललिता- आप भी ना बहुत उतावले हो, सुनो अब..!
शरद- ओके बाबा सॉरी रहा नहीं जा रहा यार…!
ललिता- उसने किसके मम्मे दबाए, ये तो मुझे भी पता नहीं चला, अंधेरा था ना वहाँ पर… उस कुत्ते ने एक लड़की को गोद में उठाया और आराम से बाहर
ले गया। मेरी तो जान में जान आई कि मैं तो बच गई, पर पता नहीं वो किसको ले गया।
नीलेश के जाने के बाद मेरे मन में ये ख्याल आया कि मैं तो बच गई, मगर पता नहीं, वो किस को ले गया। अब उसको कैसे बचाऊँ? मेरे दिमाग़ में एक आइडिया
आया। मैंने जल्दी से रूम के नाइट लैंप का तार निकाला दाँत से काटकर उसका प्लग कट करके दोनों तार एक साथ सॉकेट में डाल कर स्विच ऑन कर दिया।
पूरे फार्म की लाइट ट्रिप हो गई।
शरद- ओह माय गॉड… इतना रिस्क लिया तुमने और तुमको कैसे पता ये करने से लाइट ट्रिप हो जाएगी?
ललिता- बस क्या शरद जी मेरे को ऐसा-वैसा समझा है क्या? मेरी उमर कम है, पर दिमाग़ बहुत तेज़ चलता है, मेरा ये सब मुझे पता था मेरी फ्रेंड के पापा इलेक्ट्रिक का काम करते हैं तो उनकी बेटी को शौक है लाइट का काम सीखने का… बस उसी से मैंने सीखा…!!
शरद- साली दिखती कितनी मासूम सी हो और कारनामे बड़े-बड़े किए हैं तूने और मैं जानता हूँ दिमाग़ तो तेरे पास बहुत है, तभी तो अशोक को चूत दिखा कर अपने वश में कर लिया। वो सिम्मी की मौत को भूल कर तुम्हारे साथ हो लिया और मुझे भी अपनी बातों के जाल में फँसा लिया तूने….!
ललिता- नहीं शरद जी ये कोई जाल-वाल नहीं था हाँ मैं बस रचना को बचाना चाहती थी और मेरी कही एक-एक बात सही थी। रियली मेरा कोई कसूर नहीं था। बेगुनाह होते हुए भी मैं सब से चुदी, तो बस अपनी बहन को बचाने के लिए। वो ज़िद्दी है घमण्डी है, पर दिल की बहुत साफ है।
शरद- जानता हूँ इसी लिए तो मैंने उसको माफ़ कर दिया, उसकी जगह तुम होती तो कभी मेरे जाल में नहीं फँसती, वो भोली है इसी लिए जल्दी झाँसे में आ गई। अब उसकी बात कुंए में डाल तू। आगे क्या हुआ वो बता ना यार…!
ललिता- हाँ बताती हूँ लाइट जाने के बाद मैं जल्दी से उठी और डोर को धीरे से खोला, नीलेश वहाँ से जा चुका था। मैं धीरे-धीरे अंधेरे में रूम से बाहर निकली तो धरम अन्ना की आवाज़ सुनाई दी। वो शायद नशे में था। उसके बोलने के तरीके से अंदाज लगाया मैंने। वो कुछ ऐसे बोल रहा था।
धरम अन्ना- अईयो ये लाइट को क्या हुआ जी साला पूरा नशा खराब हो गया…!
नीलेश- अरे धरम अन्ना धीरे बोलो बुलबुल को मैं ले आया हूँ मेरी गोद में है। लाइट का क्या आचार डालोगे? मोबाइल है ना अब चुप रहो… नशे में है ये, लगता है बहुत ज़्यादा पी है साली को होश भी नहीं है…!
धरम अन्ना- अच्छा तुम बराबर देख कर लाया ना हिच…हिच साला मेरा बेटी भी हिच… अन्दर होना…!
नीलेश- हाँ धरम अन्ना अच्छे से चैक करके लाया हूँ जैकेट भी देखा और मम्मे भी दबा कर देखे, अब बस साली की चूत देखना बाकी है, बस दो मिनट रुको, अभी साली को नंगी करता हूँ…!
ललिता- उन कुत्तों के आगे मैं बेबस हो रही थी, एक तो अंधेरा इतना था और दूसरा वो किस को लाए, ये भी पता नहीं था मेरे को, अब अपनी दोस्त को बचाऊँ तो कैसे… अगर मैं कुछ बोलती तो मेरी इज़्ज़त को खतरा था। दोनों नशे में थे, क्या पता क्या करते मेरे साथ..! तो मैं बस चुप रही और उस रूम के डोर को हल्का सा खोल कर अन्दर देखने लगी। बड़ी मुश्किल से मैंने अंधेरे में नजरें जमाईं। धरम अन्ना कुर्सी पर बैठा अब भी पी रहा था और नीलेश ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और अब मेरी फ्रेंड को नंगा कर रहा था, इतना साफ तो नहीं मगर दिख सब रहा था मुझे, लेकिन वो कुत्ता लाया किसको था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था। अब नीलेश ने उसके पूरे कपड़े निकाल दिए थे और अपने हाथों से उसके मम्मों और चूत का मुआयना कर रहा था। मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया, मैंने अपने मोबाइल में रेकॉर्डिंग चालू कर दी। मैंने फ्लश ऑफ कर लिया था, ताकि उनको मेरे वहाँ होने का पता ना चले..! कुछ धुंधला सा रेकॉर्ड होने लगा, पर हाँ उनकी आवाज़ बराबर रिकॉर्ड हो रही थी।
नीलेश- उफ्फ साली क्या मक्खन जैसा बदन है धरम अन्ना आ जाओ, देखो क्या मस्त माल है?
धरम अन्ना- साला कुत्ता है तू, मेरे ही घर में मेरी ही बेटी की दोस्त के साथ गंदा कर रहा है। मुझे तो अब भी अच्छा नहीं लग रहा। कहीं कुछ हो गया तो, मैं अपनी बेटी के सामने कैसे जाऊँगा जी।
नीलेश- जाने दे तू मत आ मैं ही मज़ा ले लेता हूँ…!
धरम अन्ना- अबे रुक साले, शराब पीकर मेरे लौड़े में तनाव आ गया जी.. अब जो होगा देखा जाएगा… हम आता…!
धरम अन्ना भी उठकर बेड पर आ गया। अब दोनों उसके मम्मों और चूत से खेल रहे थे। धरम अन्ना मम्मों को चूस रहा था और नीलेश चूत को चाट रहा था।
इस दोहरे हमले से मेरी फ्रेंड को थोड़ा होश आया तो उसको अहसास हुआ कि ये क्या हो रहा है.. और वो ज़ोर से चीखी, “नहीं… आआ छोड़ दो… कौन हो… तुम उूउउ…. ललिता बचाओ… आशा मुझे बचाओ आआ…!”
नीलेश- अरे बन्द कर साली का मुँह जल्दी से…!
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08-23-2018, 11:56 AM,
#43
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
उस आवाज़ को सुनकर धरम अन्ना के होश उड़ गए वो टीना थी, धरम अन्ना की बेटी और मुझे भी कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या हो गया? धरम अन्ना अपनी ही बेटी के साथ छिछी… सोच कर ही घिन आ गई…!
धरम अन्ना को जब समझ आ गया तो जल्दी से उठकर नीलेश के कान में कहा, “चुपचाप बाहर की तरफ भागो… अपने कपड़े साथ लेकर ये मेरी बेटी टीना है…!”
एक मिनट के अन्दर दोनों दरवाजे की तरफ लपके, मैं एक कोने में खड़ी हो गई। जब वो भागे उनकी नज़र मेरे पर गई, नीलेश कपड़े हाथ में लिए आगे था
और धरम अन्ना पीछे मुझे देख कर उसने मुँह छुपाने की कोशिश की, पर मुझे तो सब पता था।
शरद- गॉड… धरम अन्ना अपनी बेटी के मम्मों को चूस रहा था..! कैसा फील हुआ होगा उसको… जब उसको पता चला…!
ललिता- उस कुत्ते के साथ सही हुआ ना.. जाने कितनी लड़कियों के साथ उसने गंदा किया होगा…!
शरद- अच्छा उनके जाने के बाद क्या हुआ?
ललिता- उनके जाने के बाद भी टीना चिल्ला रही थी। मैं जल्दी से अन्दर गई उसको संभाला, वो बहुत डरी हुई थी, मैं नहीं चाहती थी कि उसको पता चले कि उसका बाप ही वो वहशी था।
मैंने कहा- तेरे पापा को फ़ोन कर देती हूँ कि यहाँ ऐसा हो गया..!
टीना- नहीं नहीं तुम पागल हो क्या.. हमारा घूमना-फिरना सब बन्द हो जाएगा, तुम ऐसा कुछ मत करो और किसी को भी बताना मत जो हुआ…!
मैंने उसको कहा- अपने कपड़े पहन लो मैं लाइट ऑन करके आती हूँ, वो कपड़े पहनने लगी और मैंने मेन लाइन ऑन कर दी और हम जाकर सो गए।
शरद- लेकिन धरम अन्ना को कैसे पता चला तुमने वीडियो बनाई है?
ललिता- आप सुनो तो, उस रात के दो दिन बाद टीना के घर में मेरा सामना धरम अन्ना से हो गया। उस समय मैंने बहुत सेक्सी ड्रेस पहना था, उसकी आँखों की चमक
देख कर मेरा मूड खराब हो गया। मैंने उसको सुना दिया और बता भी दिया कि मुझे सब पता है। सब सुनकर उसके तो होश उड़ गए। उस दिन के बाद कई बार उसने मेरे पर हमला करवाया, ताकि मैं डर कर वो वीडियो उसको दे दूँ।
शरद- लेकिन धरम अन्ना मान कैसे गया कि तुमने वीडियो बनाई होगी।
ललिता- मैंने उसको हर वो बात बताई जो उन दोनों के बीच हुई थी, तब उसको मानना पड़ा और बस मेरे पीछे पड़ गया। तब मैंने राजू को झूठमूट का गुंडा बनाकर धरम अन्ना को फ़ोन पर धमकी दिलाई कि वीडियो मेरे पास है, अगर ललिता को टच भी किया ना, तो गर्दन काट दूँगा। बस धरम अन्ना आ गया लाइन पर…!
शरद- यार मान गया तेरे दिमाग़ को, साली तू रंडी ही नहीं माइंडेड भी है। तूने अशोक को भी अपने जाल में फँसा लिया। वैसे अच्छा ही किया तूने। मुझे दो खूबसूरत हसीनाओं को मारना पड़ता। अब मैं तुम दोनों बहनों को नहीं मारूँगा, बल्कि तुम्हारी मारूँगा हा हा हा हा…!
ललिता- हा हा हा सही कहा आपने, अब आप प्लीज़ वो पेपर धरम अन्ना से ले लो और उसको समझा दो, मेरे से दूर रहे, वरना टीना को सब बता दूँगी।
शरद- अच्छा अच्छा ठीक है, चल कपड़े पहन तेरे को घर छोड़ कर आता हूँ… चुदाई बहुत हो गई, अब थोड़ा काम करने दो…!
ललिता और शरद रेडी होकर निकल जाते हैं। ललिता को घर छोड़ कर शरद धरम अन्ना के पास उससे पेपर लेने के लिए जाता है और धरम अन्ना को सब बता देता है कि उसने उनको कैसे माफ़ कर दिया।
धरम अन्ना- अच्छा किया जी ऐसे बदला लेना ठीक नहीं… उनको सज़ा तो मिल ही गई, लो जी हम पहले ही रेडी रखा सब…!
शरद- थैंक्स, मैं इसे उन लोगों के सामने सब जला दूँगा। अच्छा धरम अन्ना एक बात तो बताओ, ललिता और तुम्हारा क्या है? तुमने कुछ बताया नहीं?
धरम अन्ना- अईयो शरद हमको शर्मिंदा मत करो जी हम अच्छे से जानता, तुम सब पता लगा कर आया जी…!
शरद- सॉरी धरम अन्ना, मेरा इरादा तुमको दर्द देने का नहीं था, मगर वो नीलेश कौन था? तुम जैसा समझदार आदमी ऐसी ग़लती कर बैठा।
धरम अन्ना- अईयो अब क्या बोलेगा जी, बस हो गई ग़लती लेकिन उस कुत्ते को हम सबक़ सिखा दिया जी, जो पापा हम किया उसकी सज़ा उस कुत्ते को देदी जी।
शरद- क्या मतलब उसका क्या किया?
धरम अन्ना- भगा दिया साला हरामी, उसकी वजह से हम अपनी बेटी को अब देख भी नहीं सकता जी इसी लिए पूरा फैमिली को गाँव भेज दिया जी। हमको बहुत
बुरा लगना जी। बस उस लड़की से वो वीडियो लेलो जी। हमारा एक ही बेटी, अगर उसको ये पता चला तो हम मर जाएगा जी…!
शरद- मैं वादा करता हूँ, ऐसा कुछ नहीं होगा मैं ललिता से वो वीडियो ले लूँगा। बस मेरा आख़िरी काम कर दो। कोई दो भाड़े से काले आदमी दे दो, जिनका
लौड़ा पावरफुल हो। उन दो लड़कों की गाण्ड मारनी है। सालों को जान से नहीं मार सकता, कम से कम सज़ा तो देनी ही होगी न… ताकि जिंदगी में याद
रखें।
धरम अन्ना अपने दो काले-कलूटे आदमी शरद के साथ भेज देता है। धरम अन्ना को समझा कर शरद दोनों आदमियों को लेकर वहाँ से चला जाता है। जब शरद फार्म पर पहुँचता है, तब अशोक और सचिन वहीं बाहर मिल जाते हैं।
अशोक- अरे यार कहाँ चला गया था? ललिता कहाँ है और ये दोनों कौन हैं?
शरद- सब बताता हूँ अन्दर तो चलो यारों।
सब के सब बेसमेंट में जाते हैं।
सुधीर- भाई प्लीज़ हमें जाने दो प्लीज़।
शरद- जाने दूँगा पहले दोनों नंगे हो जाओ।
दोनों ‘ना-नुकुर’ करते हैं, तो शरद उनको धमकाता है और दोनों नंगे हो जाते हैं।
सचिन- यार तुम कर क्या रहे हो बताओ तो…?
शरद- तू कैमरा ला, सब समझ आ जाएगा।
सचिन के जाने के बाद शरद उन दो हैवानों को इशारा करता है। दोनों नंगे हो जाते हैं, उनके काले नाग जैसे लौड़े देख कर सुधीर की हालत खराब हो जाती है। बहुत बड़े और मोटे जो थे।
अंकित- भाई ये क्या हो रहा है?
शरद- सालों तुमने बहुत मज़े लिए ना.. अब ये दोनों तुम्हारी गाण्ड मारेंगे और हम देख कर मज़ा लेंगे।
दोनों की हालत खराब हो जाती है। रोने लगते हैं पर उनके सामने कहाँ उनकी चलती। सचिन कैमरा ले आता है और अब उसको अपने सवाल का जबाव मिल गया था।
सचिन- बहुत खूब भाई… ये आइडिया अच्छा है सालों की गाण्ड मारने के लिए आदमी तो तगड़े लाए हो आप…!
वो दोनों आदमी उनको डरा-धमका कर उनकी गाण्ड मारने लगते है। एक घंटा तक दोनों की गाण्ड बदल-बदल कर मारते हैं और उनका दर्द के मारे बुरा हाल
हो जाता है। सचिन पूरा वीडियो बना लेता है, जब वो थक कर चूर हो गए, तब शरद ने उन दो आदमियों को बापस भेज दिया और उन दोनों को भी धमकी देकर
भगा दिया कि अब अगर कभी भी किसी की मजबूरी का फायदा उठाया तो ये वीडियो आम हो जाएगा। सब तुम्हारे इस कार्यक्रम को देख कर हँसेंगे।
वो दोनों भी हाथ जोड़कर माफी माँगते हुए वहाँ से भाग जाते हैं।
दोस्तों अब सब ठीक हो गया था। ये सब फ्रेंड बन गए थे और दोनों बहनों की रोज चुदाई करते थे। अब तो अमर घर पर भी दोनों बहनों को नंगी करके
उन दोनों के साथ ही सोता और चोद कर मज़े भी लेता। अब ये तो आप खुद समझदार हो कि अमर चोदता है या वो दोनों अमर को और हाँ अशोक और
सचिन भी इनके घर आने-जाने लगे हैं। अब तो बस सब को चुदाई का मज़ा मिलता है। अमर के दिल में था कि धरम अन्ना की बेटी या सचिन की बहन को
चोदे, पर सचिन तो अनाथ निकला, उसके आगे पीछे कोई है ही नहीं और टीना आपने गाँव में है, तो उसको चोदना भी मुमकिन नहीं। आप सोच रहे
होंगे, उसको टीना का कैसे पता चला, तो यारों ललिता ने बताया और कैसे पता होगा।
अब तो कभी-कभी इनमें ग्रुप-सेक्स भी होता है। ललिता का स्टेमिना रचना से ज़्यादा है। वो आजकल तो चारों को एक साथ ठंडा करने लगी है।
आइए उस दिन के एक महीने बाद क्या हुआ आपको बताती हूँ? शरद और अमर नंगे अपने लौड़े ललिता के मुँह में डाल रहे थे, तभी अशोक और सचिन भी आ जाते हैं।
अशोक- अरे वह भाई आपने तो प्रोग्राम शुरू भी कर दिया। रूको हम भी कपड़े निकाल कर आते हैं। आज साली रचना की चूत तो चोदने लायक नहीं है।
खून फेंक रही है रंडी…!
सचिन- अरे यार ये तो हर महीने का रोना है कभी ललिता तो कभी रचना साली दोनों का कभी एक साथ हो गया ना.. तो मज़ा खराब हो जाएगा….!
वो दोनों भी नंगे होकर ललिता को लौड़ा चूसने लगते है।
शरद- आआ आह चूस रानी आ..हह.. मज़ा आ रहा है उफ़फ्फ़ आ…!
अमर- उफ्फ साली मेरी बहन होकर मेरे लौड़े को कम चूस रही है..! आ..हह.. साली पक्की रंडी है तू, आ आ..हह.. हाँ बस ऐसे ही चूस आ..हह.. अरे क्या हुआ..!
बस इतना ही..! शिट साली… अशोक का ले लिया मुँह में उफ्फ मज़ा आ रहा था…!
सचिन से बर्दाश्त नहीं हुआ, तो वो नीचे लेट गया और लौड़ा चूत में डाल दिया। अब ललिता उकडूँ बैठी चुद भी रही थी और लौड़े चूस भी रही थी।
ललिता- आह आआआ..हह.. आईईइ फक मी ह ह ह छोड़ो आह सब चोदो आह मेरी चूत और गाण्ड का भुर्ता बना दो अहह आआआअ…!

समाप्त
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