Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
08-23-2018, 11:42 AM,
#21
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना चूत भींच कर झड़ने लगी, कभी चूत खोलती कभी भींचती… अमर भी चूत की गर्मी से बच ना सका और स्पीड से दो-तीन झटके मार कर झड़ने लगा।
अमर- अई आह अई लो आ मेरा भी अई आ पानी निकल गया…!
झड़ने के बाद अमर बेड पर लेट गया और रचना भी वहीं उसके पास ढेर हो गई थी।
दोस्तो, रचना की गाण्ड का तो मुहूर्त हो गया, चलो अब ललिता का भी देख लें.. शरद उसके सवालों का क्या जवाब देता है..? आप भी सोच रहे होंगे कि अब क्या होगा तो चलो उनके रूम में चलते हैं क्या हो रहा है…!
शरद बीयर की पूरी बोतल एक साथ पी गया।
ललिता- क्या हुआ शरद.. किस सोच में पड़ गए हो तुम.. बताओ न.. सच क्या है प्लीज़ यार…!
शरद- जान मैं तुमको सरप्राईज देना चाहता था, पर तुम हो कि नहीं मानोगी…! तुमने सही कहा वो आदमी रूम में आया था और जानती हो वो कौन है…!
ललिता- मैंने कहा था न.. किसी को देखा है पर आप मुझे टाल रहे थे.. अब बताओ कौन है वो और क्यों आया था यहाँ पर और कैसा सरप्राईज…!
शरद- जान वो सचिन था, जिस फिल्म में रचना काम कर रही है उसका सेकेंड हीरो, उसके लिए मैंने तुम्हें हिरोइन चुना है और तुम हो कि शक कर रही हो…!
ललिता- क्या रियली वो हीरो था.. ओह माई गॉड आप मुझे भी चान्स दे रहे हो फिल्म में.. थैंक्स थैंक्स थैंक्स…!
दोस्तो, इसे कहते है बेवकूफ़ इंसान, पता नहीं इन दोनों बहनों को फिल्म का इतना क्या क्रेज है कि अपनी चूत का भोसड़ा बनवा रही हैं पर इनके दिमाग़ में यह बात नहीं आ रही कि शरद इनके साथ क्या खेल खेल रहा है।



ये बात सुनकर ललिता एकदम खुश हो गई और शरद से लिपट गई। शरद उसके बाल पकड़ कर उसके होंठों पर चुम्बन कर देता है और उसे बाँहों में लेकर बेड पर लेट जाता है।
ललिता- आ…हह..आ.. शरद- आप कितने अच्छे हो…!
शरद उसके होंठों को पागलों के जैसे चूसने लगता है। उसके मम्मों को दबाने लगता है।
ललिता- आ…हह..आ.. उफ्फ उई… आराम से आ करो न.. उफ अई आउच उफ़फ्फ़…!
शरद पाँच मिनट तक उसको चूसता रहता है, वो एकदम गर्म हो जाती है। शरद- जानेमन देखो मेरा लौड़ा कैसे झटके खा रहा है… आ जाओ इसको चूसो न…उस समय तो नशे में थीं.. पर अब पूरे होश में लौड़ा चूसो, मज़ा आएगा।
ललिता- हाँ मेरे साजन… अभी लो, आप भी मेरी चूत चाटो न… बहुत दर्द कर रही है।
शरद- ओके मेरी रानी… आ जाओ तुम लौड़ा चूसो मैं चूत को चाट कर इसका दर्द कम करता हूँ।
दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि इस कमरे में 4 कैमरे लगे हैं, एक जो मेन कैमरा था उसको शरद ने बन्द कर दिया था। बाकी तीन चालू थे, ये सब रेकॉर्ड हो रहा था। अब उसको मास्क की जरूरत नहीं थी। क्योंकि बाकी के वीडियो उसके काम के नहीं थे। उसको तो बस ललिता की सील टूटने का वीडियो चाहिए था, तो आप ये सोचेंगे अब मास्क क्यों नहीं लगाया है। आप कहानी पढ़ते रहिए, सब साफ़ हो जाएगा। दोनों 69 के पोज़ में आ जाते हैं।
ललिता बड़े प्यार से लौड़ा चूसने लगती है। हालांकि उसके मुँह में लौड़ा नहीं के बराबर जा रहा था, पर फिर भी वो चूस रही थी और शरद अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था, जो सूजी हुई थी। ललिता को दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था। दस मिनट की इस चुसाई के कारण ललिता अपना आपा खो बैठी, वो बहुत गर्म हो गई थी। उसने लौड़ा मुँह से निकाला।
ललिता- आ…हह..आ.. उफ शरद आ…हह..आ.. मेरी चूत में आग लग रही है… उफ जल्दी से इसे ठंडा करो न… आ…हह..आ.. प्लीज़ उफ..!
शरद उसकी हालत समझ जाता है और उसे लेटा कर दोनों पैर कंधे पर रख लेता है।
शरद- जान बस एक बार और दर्द सह लो अबकी बार चूत को पूरा लूज कर दूँगा, उसके बाद मज़े ही मज़े हैं।
ललिता- आ…हह..आ.. आ…हह..आ.. डाल दो उफ अब जो होगा एयेई हो जाएगा आ…हह..आ…..!
शरद का लौड़ा ललिता ने चूस-चूस कर पूरा गीला कर दिया था। शरद ने चूत पर टोपी टिकाई और धीरे से लौड़ा अन्दर सरका दिया। 3″ लौड़ा तो आराम से घुस गया, पर ललिता को दर्द भी बहुत हुआ।
ललिता- अएयाया एयाया उ मा.. आ…हह..आ.. शरद अईए बस ऐसे ही धीरे-धीरे डालना दर्द तो हो रहा है, पर मज़ा भी आ रहा है।
शरद 3″ लौड़े को आगे-पीछे करने लगा, जैसे ही ललिता मस्ती में आती, वो थोड़ा और अन्दर कर देता। फिर उतने से चोदता फिर थोड़ी देर बाद ललिता का दर्द कम होता गया। वो और आगे डाल देता, ऐसा करते-करते पूरा 9″ लौड़ा चूत में समा गया। अब शरद आराम से आगे-पीछे हो रहा था।
ललिता- आ आ…हह..आ.. उ शरद उफ्फ कितना बड़ा है तुम्हारा… आ…हह..आ.. चूत की तो जान निकाल दी इसने… आ…हह..आ.. उई हाँ ऐसे ही आ…हह..आ.. धीरे-धीरे आ…हह..आ.. मज़ा आ रहा है… उफ्फ आ…हह..आ.. थोड़ा और डाल दो आ…हह..आ.. अब दर्द कम है आ…हह..आ.. उई…!
शरद- जान मैंने पूरा डाल दिया है, अब और कहाँ से डालूँ उहह उहह हा..अब तो बस स्पीड बढ़ा सकता हूँ उहह उहह…!
ललिता- आआ आआ उईईइ सच में आ…हह..आ.. पूरा चला गया अई आ आ…हह..आ.. कितने आराम से डाला आ…हह..आ.. मुझे दर्द तो है आ आआ आआ पर इतना नहीं जितना पहले हुआ था… उफ्फ.. अब तो मज़ा भी आ आआ आ रहा है आ…हह..आ.. बढ़ाओ स्पीड उफ्फ आह…!
शरद अब स्पीड से झटके मारने लगा था। लौड़ा अब भी टाइट ही जा रहा था। ललिता को दर्द तो हो रहा था, पर वो ओर्गज्म पर आ गई थी। वो दर्द को भूल कर चुदाई का मज़ा ले रही थी।
ललिता- आआ एयाया आआ फास्ट…फास्ट अई आ आ उ आ ई व्हाट ए बिग कोक आ…हह..आ.. सो हॉट यू फक मी.. शरद आ फास्ट आ…हह..आ.. मेरी चूत आह उ बहुत गुदगुदी आआ आआ हो रही है अई म म एमेम मेरा अई प्प पानी अई नि निकलने ओ वा..वाला है उफ्फ…!
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08-23-2018, 11:42 AM,
#22
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद जानता था कि पानी निकलते समय कितना भी दर्द हो, ये सह लेगी और वो एकदम स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगता है। ललिता कमर को उठा-उठा कर झड़ने लगती है। पाँच मिनट बाद ललिता एकदम शान्त पड़ गई, लेकिन शरद तो अब भी लौड़ा पेलने में लगा हुआ था।
अब ललिता की चूत में जलन होने लगी थी। उसको दर्द का अहसास भी हो रहा था, मगर वो शरद का साथ दे रही थी और दस मिनट तक शरद लौड़ा पेलता रहा। अब ललिता दोबारा गर्म हो गई थी।
ललिता- आ…हह..आ.. आ आह अब मज़ा आ रहा है… फक मी आ…हह..आ.. फक मी हार्ड आ…हह..आ.. आह उ उईईइ आआ आआ…!
शरद की कमर दुखने लगती है, कितने समय से वो झटके मार रहा था। वो ललिता पर लेट जाता है और लौड़ा निकाले बिना, उसको अपने ऊपर ले आता है। खुद नीचे लेट जाता है।
शरद- जान अब तुम मेरे लौड़े पर झटके दो मज़ा आएगा तुमको…!
दोस्तों ललिता हिम्मत वाली लड़की थी, वो इतने दर्द को सहन कर रही थी और अब लौड़े पर भी कूदने लगी थी।
पाँच मिनट तक ललिता कूदती रही, मगर उसको ज़्यादा अनुभव नहीं था, तो शरद को मज़ा नहीं आ रहा था। शरद ने उसको उतारा।
ललिता- अई.. क्या हुआ मज़ा आ रहा था शरद…!
शरद- जान जल्दी से घोड़ी बन जाओ, अब मेरा पानी निकालने वाला है, तुम धीरे-धीरे कूद रही थीं, अब देखो कैसे तुम्हें घोड़ी बना कर सवारी करता हूँ।
ललिता घोड़ी बन जाती है, शरद उसकी गोरी गाण्ड पर हाथ फेरता है।
शरद- वाह जान.. तुम्हारी गाण्ड भी बहुत मस्त मुलायम है, इसको भी मारने में मज़ा आएगा, फिलहाल तो तेरी चूत का मज़ा ले लूँ।
शरद ने लौड़ा चूत में पेल दिया और ललिता के बाल पकड़ कर सटा-सट शॉट मारने लगा।
ललिता- आआआआआ आआआआअ आआआअ एयाया आराम से आ उ आ उफ़फ्फ़ सस्सस्स आह धीरे आ आ…!
शरद- थोड़ा उहह उहह उहह.. सब्र कर ले जान उहह आह उहह उहह मेरा पानी निकलने वाला है ह..उहह अब स्पीड कम नहीं होगी आ…हह..आ.. क्या मस्त घोड़ी बनी है.. आ मज़ा आ गया आ…!
ललिता भी इतने तेज़ झटकों को सह नहीं पाई और उसकी चूत का बाँध भी टूटने लगा। अब दोनों चुदाई को एन्जॉय कर रहे थे।
ललिता- आआ आआ आ…हह..आ.. फक मी आ म मेरा भी आआ प..प..पानी आ न..नि निकाल आ आ…हह..आ.. र रहा है उफ्फ आ…!
करीब तीन मिनट तक ये तूफ़ान चलता रहा और दोनों एक साथ झड़ गए। ललिता की पूरी चूत पानी से भर गई थी। अब उसमें जरा भी ताक़त नहीं थी, वो उसी हालत में बेड पर ढेर हो गई। शरद भी उसके पास लेट गया और दोनों हाँफने लगे।
चलो दोस्तों इनका भी कार्यक्रम खत्म हुआ अब वापस रचना के पास चलते हैं। उन दोनों का अब तक रेस्ट पूरा हो गया होगा।
अमर- रचना तुम बहुत मस्त हो यार… कितने अच्छे से चुदवाती हो… अब तो बता दो वो कौन है, जिसने तुम्हारी सील तोड़ी थी.. मुझको तो साले से जलन होने लगी है।
रचना- भाई समय आने पर बता भी दूँगी और मिला भी दूँगी.. अब खुश अब थोड़ा आराम करने दो यार बहुत थक गई हूँ।
अमर- अभी कहाँ थकी हो यार.. थोड़ी देर रुक जाओ मेरा पप्पू फिर खड़ा होगा और चालू हो जाएँगे। मैं अबकी बार पानी गाण्ड में ही निकालूँगा।
रचना- नहीं भाई आपने बहुत बुरी तरह से गाण्ड मारी है, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी गाण्ड ठीक से टिक भी नहीं रही है।
अमर- अबकी बार आराम से मारूँगा, आज मेरा पप्पू बहुत पावर में है।
रचना- हाँ भाई कर लेना, मैंने कब मना किया है, आज तो आपका पप्पू पास हो गया हा हा हा हा हा…!
दोनों खिल-खिला कर हँसने लगते हैं।
रचना- भाई भूख लगी है, चलो शरद के पास चलते हैं, इसी बहाने ललिता को भी देख लेंगे।
अमर- हाँ ये ठीक रहेगा।
दोनों वैसे ही अन्दर बिना कुछ पहने, कपड़े पहन कर शरद के रूम की ओर चल पड़ते हैं।
रूम के पास जाकर रचना नॉक करती है, तो शरद उठ कर डोर खोल देता है। वो वैसे ही नंगा वापस आकर बेड पर लेट जाता है और एक चादर अपने और ललिता पर डाल लेता है।
रचना अन्दर आती है, उसके पीछे-पीछे अमर भी अन्दर आ जाता है।
ललिता उन दोनों को देख कर मुस्कुरा रही थी।
अमर- अरे वाह ललिता रानी.. उस समय तो आँखों में आँसू थे और अब होंठों पर मुस्कान क्या बात है..!
रचना- भाई ये सब शरद का कमाल है, जादूगर है वो ये देखो…!
इतना बोलकर रचना चादर खींच लेती है और वो दोनों नंगे उनकी आँखों के सामने आ जाते हैं। ललिता शरमा जाती है और अपने पैर मोड़ कर चूत छुपा लेती है और हाथों से मम्मों को ढक लेती है।
अमर- वाउ यार.. ललिता तुम तो बिना कपड़ों के मस्त लग रही हो… उस समय तो खून की वजह से मैंने ध्यान नहीं दिया और ये शरमा क्यों रही हो, मुझे भी तो दिखाओ अपनी जवानी।
ललिता- भाई प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है।
रचना- ओये..होये.. मेरी छोटी बहना को शर्म आ रही है.. क्या बात है…!
अमर- क्यों जब शरद के साथ नंगी बैठी है उससे चुदाई की है तब शर्म नहीं आई तुमको..! अब शर्म आ रही है…!
शरद- अरे तुम दोनों क्यों बेचारी को छेड़ रहे हो.. तुम दोनों भी कपड़े निकाल दो, तब इसको शर्म नहीं आएगी, सही है ना ललिता…!
ललिता ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ कही।
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08-23-2018, 11:42 AM,
#23
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
फिर क्या था वो दोनों भी नंगे होकर बेड पर आ गए। रचना सीधे शरद के पास जाकर लेट गई और अमर ललिता के पास लेट गया।
शरद- अरे रचना क्या बात है.. सीधे मेरे पास आ गई… तेरे भाई ने मज़ा नहीं दिया क्या…!
रचना- आज तो पता नहीं भाई को क्या हो गया… बहुत मज़ा दिया मुझे…!
ललिता- सच्ची दीदी… भाई ने मज़ा दिया आपको…!
अमर बड़े प्यार से ललिता के मम्मों को सहलाता हुआ बोला- मेरी रानी अब मज़ा लेने की तेरी बारी है, देख कैसे तुझे चोदता हूँ आराम से…!
ललिता शरमा कर अपना हाथ चेहरे पर लगा लेती है।
अमर- हय हय… तेरा ये शरमाना.. क्या गजब है रानी.. अपनी चूत तो दिखाओ ना…!
ललिता पैर खोल कर अमर के साथ बैठ जाती है, रचना भी चूत को देखती है। चूत एकदम क्लीन थी और लौड़े की ठाप से गोरी चूत एकदम लाल हो रही थी, सूजी हुई भी थी।
अमर- यार शरद तुमने तो ललिता की चूत का हाल बिगाड़ दिया, कैसे सूजी हुई है ये…!
शरद- थैंक्स बोल मुझको, इसको चुदने के काबिल बना दिया मैंने… अब तू देख कितना मज़ा आता है तुझको, मैंने तो रास्ता बनाया है बस गाड़ी तो तू चलाएगा, अब जितना तेरी मर्ज़ी उतना स्पीड से गाड़ी चलाना।
ये सुनकर रचना ज़ोर से हँसने लगती है, उसके साथ सब हँसने लगते है। अमर ललिता के निप्पल को चूसने लगता है। शरद बेड से उतर कर टेबल की दराज से एक गन निकाल कर अमर पर तान देता है।
शरद- नहीं अमर.. अभी नहीं नीचे उतरो बेड से जल्दी।
अमर- अर र शरद ये क्या है… नीचे करो इसे ये कैसा मजाक है…!
शरद- नीचे आता है, या चला दूँ इसे…!
अमर बिना कुछ बोले बेड से उतर जाता है दोनों बहने भी उतरने लगती हैं। उनकी तो जुबान ही बन्द हो गई थी।
शरद- तुम दोनों नहीं, वहीं बेड पर रहो… आओ अमर तुम मेरे पास आओ…!
शरद अमर के सर पर गन लगा देता है। अमर को कुछ समझ नहीं आता है कि ये क्या हो रहा है।
शरद- एक गोली और तेरा भेजा बाहर हा हा हा हा…!
अमर को एसी रूम में भी पसीना आने लगता है।


रचना- शरद जी क्या हो गया… प्लीज़ अमर के सर से गन हटाओ, ये कोई मजाक नहीं है। अगर चल गई तो…!
शरद- चुप साली रंडी तुम दोनों वहीं रहो वरना आज इसका खेल खत्म कर दूँगा हा हा हा हा हा…!
ललिता- प्लीज़ शरद जी मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़…!
ललिता की आँखों में आँसू आ गए, तब शरद ने गन हटाई और ज़ोर से हँसने लगा। अमर को कुर्सी पर बिठाते हुए बस वो हँस रहा था।
शरद- हा हा हा हा अरे यार तुम तो सच में डर गए, मैं तो रचना की फिल्म का एक सीन कर रहा था। धरम अन्ना ने स्टोरी सुनाई थी मुझे, बस वो ही कर रहा था…!
तीनों की जान में जान आती है।
अमर- अरे बाप रे, मेरी तो गाण्ड फट गई थी कि आज तो गया…!
शरद- अबे साले पागल है क्या..! तू तो मेरा यार है, तुझे थोड़ी ना मारूँगा मैं..!
रचना- उफफफ्फ़ सच में शरद जी हालत खराब कर दी आपने तो…!
ललिता- हाँ और नहीं तो क्या… बताना तो चाहिए न एक्टिंग है…!
शरद- अगर बता देता तो इतनी रियल एक्टिंग नहीं होती, कैसा खौफ आ गया था तुम्हारी आँखों में..!
अमर- अच्छा ठीक है भाई… अब चलो बेड पर मुझे ललिता का रस पीकर ही चैन आएगा मेरा गला सूख गया है।
शरद- नहीं अमर हम फिल्म का सीन करेंगे मान लो रियल में मैंने तुमको गन पॉइंट पर रखा है और तेरी दोनों बहनों को नंगा लेसबो कराने को कहा, मज़ा आएगा…!
रचना और ललिता भी खुश हो जाती हैं।
अमर- ओके यार मज़ा आएगा, जब दोनों गर्म हो जाएँगी, तब हम दोनों इनको ठंडा करेंगे।
शरद- हाँ यार तुम दोनों शुरू हो जाओ, तब तक हम थोड़ी बाहर जाकर पी लेते हैं।
दोनों वहीं बाहर बैठ कर पीने लगते हैं और रचना ललिता के मम्मों को दबाने लगती है।
ललिता- आ…हह.. उई दीदी आ…हह.. आराम से… आज शरद ने बहुत मसला है इनको… उफ़फ्फ़…!
शरद और अमर बाहर पीने में मस्त थे और दोनों के ही लौड़े तनाव में आने
लगे थे, उनको लैसबो करते देख कर।
रचना- सस्स आ…हह.. ललिता तुम मेरी चूत चाटो मैं तुम्हारी चाटती हूँ।
दोनों 69 के पोज़ में हो जाती हैं।
रचना- वाउ.. ललिता तुम्हारी चूत पहले कितनी टाइट और वाइट थी, आज तो पूरी लाल हो रही है और खुल भी गई है, शरद ने मज़ा दिया या नहीं…!
ललिता- अई अ..औच दीदी.. चूत में बहुत दर्द है, आ…हह.. दबाओ नहीं.. प्लीज़ कककक आ…हह.. सस्स शरद ने तो वो मज़ा दिया है कि आपको बता नहीं सकती मैं…!
रचना- आ…हह.. क्या चूत है ललिता.. तुम्हारी आ…हह.. कैसे रस छोड़ रही है।
ललिता- आई ईइआ उ दीदी आ…हह.. आपकी चूत तो एकदम खुल गई है एइ.. पूरी 3 ऊँगली आराम से जा रही हैं… भाई ने खूब खोल दिया है…!
रचना- आ…हह.. उफ्फ ललिता की बच्ची आ…हह.. चाटने को कहा था.. ऊँगली करने को नहीं.. उफ्फ सी.. चूत का ये हाल भाई ने नहीं, शरद ने किया है.. उफ्फ उसका लौड़ा नहीं पूरा बम्बू है, जो चूत को फाड़ कर भोसड़ा बना देता है… अई आह..चाटो उफ्फ आह आ…हह…..!
ये सब देख कर तो अमर का तो हाल खराब हो गया, उसका लौड़ा एकदम टाइट हो गया था, जब उसकी नज़र शरद के खड़े लौड़े पर गई तो।
अमर- वाउ यार तेरा हथियार तो बहुत भारी है, तभी मेरी दोनों बहनें तेरे गुण गा रही हैं।
शरद- हा हा हा चल अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होता, ये बियर की बोतल साथ ले आज तुझे नये तरीके से बियर पिलाता हूँ।
अमर- कौन सा तरीका यार…!
शरद- अबे साले बहनचोद तेरी जो दो रंडी बहनें है ना.. उनकी चूत पर बियर डाल कर चाट.. बहुत मज़ा आएगा तुझे हा हा हा हा…!
शरद की बात सुनकर अमर भी हँसने लगा और रचना भी हँसने लगी।
अमर- यार एक बात तो है, मैंने सुना है गलियाँ देकर सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है।
शरद- हाँ आता है, इसी लिए तो दे रहा हूँ। अब चल और तुम दोनों भी अपनी रासलीला बन्द करो, सीधी लेट जाओ.. हम आ रहे हैं।
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08-23-2018, 11:42 AM,
#24
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
दोनों सीधी अपनी टाँगें खोल कर लेट जाती हैं।
रचना- आ आ…हह.. जाओ शरद जी मेरी चूत आपका इन्तजार कर रही है।
ललिता- ससस्स भाई जल्दी आ…हह.. आ जाओ आपका लौड़ा मुझे चूसना है… आ…हह.. बहुत मन हो रहा है।
शरद- आ रहा हूँ साली कुतिया… आज तुझे कुतिया बनाकर ही चोदूँगा मैं और साली छिनाल तेरा मन नहीं भरा मेरा लवड़ा चूस कर जो इस हरामी भाई को बुला रही है।
अमर- आ रहा हूँ मेरी बहना, अब ये लौड़ा तेरा हो गया, जब चाहो मुँह में ले लेना।
दोनों बेड पर चढ़ गए और उनकी चूतों पर बियर डाल कर चूसने लगे।
शरद अपनी जीभ से रचना की चूत को चाट रहा था, वहीं अमर ने तो ललिता के मम्मों से लेकर चूत तक बियर डाल दी थी और बड़े ही बेसबरे अंदाज में चूस रहा था।
रचना- आ आ…हह.. उई शरद जी आ…हह.. आप कितना अच्छा आ…हह.. चूसते हो आ…हह.. उफ्फ…!
शरद- क्यों साली राण्ड अभी तो चुसवा और चुदवा कर आई है अपने भाई से… वो अच्छा नहीं चूसता क्या…!
ललिता- अई उफ्फ भाई अई आप तो बड़े बेसबरे अई उई हो.. क्या चूत को खा जाओगे.. क्या.. पहले ही बहुत दर्द है आ…हह.. उफ्फ सी ससस्स आ…!
अमर- चुप साली एक ने तो अपने यार से सील तुड़वा ली और अभी तूने अपने यार से सील तुड़वा ली… उस समय तेरे को दर्द नहीं हुआ, जो अब उई उई कर रही है आ…हह.. उफ़फ्फ़ क्या रस आ रहा है तेरी चूत से आ…हह…..!
दस मिनट तक दोनों ने चूतों को इतनी ज़बरदस्त चूसा कि उनका पानी निकल गया, पर उनका सेक्स भी चरम सीमा पर आ गया। अब उनकी चूत लौड़े लेकर ही शान्त होने वाली थी। तो दोनों ने उनको हटाया और उनके लौड़े झट से मुँह में ले लिए।
अमर- आह उफ्फ ललिता आ…हह.. मज़ा आ गया.. तुम भी बहुत अच्छा चूस रही हो आ…हह.. रचना ने तो आ…हह.. कमाल किया ही आ…हह.. तुम भी आ…हह.. कम नहीं हो आ…हह…..!
शरद- उफ्फ रचना आ…हह.. सुना तुमने.. तेरा भाई क्या बोल रहा है.. उफ्फ दाँत मत लगाओ न.. जान साले ऐसी एटम-बम्ब बहनें हैं तेरी.. तो ऐसे ही मज़ा देगी न…!
अमर- आ…हह.. उफ़फ्फ़ ऐसी बहनें आ…हह.. नसीब वालों को मिलती हैं आ आ…हह.. काश ऐसी दस बहनें होतीं तो मज़ा आ जाता।
अमर की बात सुनकर रचना से रहा नहीं गया और लौड़ा मुँह से निकाल कर कहती है।
रचना- भाई हम दो ही आप पर भारी पड़ जाएंगी, दस का क्या अचार डालना है, होता तो कुछ है नहीं आपसे… ये तो शरद जी ने आपको इस लायक बना दिया कि आज आप हमें चोद रहे हो, नहीं तो बस खेल-खेल में ही मज़ा लेते, अगर आप में हिम्मत होती तो आज दोनों की सील आप ही तोड़ते… समझे…!
शरद- अरे जान गुस्सा क्यों होती हो, इसने तो ऐसे ही बोल दिया था, आ…हह.. हरामी अब चुपचाप ललिता के मज़े ले, मेरी रानी को गुस्सा मत दिला।
अमर- सॉरी बहना.. आ…हह.. ललिता अब बस भी कर आ चल, अब तेरी चूत का स्वाद चखने दे, मेरे लौड़े को।
ललिता को लेटा कर अमर अपना लौड़ा चूत पर टिका देता है, वो भी एकदम गर्म थी एक ही झटके में अमर पूरा लौड़ा चूत में घुसा देता है।
ललिता- एयाया आआआ… मर गई उ..मा एयाया भाई आआ…हह.. एक साथ ही पूरा अई डाल दिया उफ़फ्फ़ ककककक…!
अमर- आ…हह.. मज़ा आ गया, ललिता शरद के बम्बू से चुदने क बाद भी तेरी चूत कितनी टाइट है आ…हह.. मज़ा गया।
ललिता- आह..प्प पागल हो आप आ…हह.. मेरी दर्द से जान निकल रही है आआ..आपको अई आ..आ…हह.. मज़े की पड़ी है।
अमर- चुप कर साली कुतिया, अभी मूसल जैसा लौड़ा चूत में घुसवाई है। फिर भी नाटक कर रही है… उहह उहह ये ले आ…हह.. उहह उहह ले ले…!
दरअसल अमर रचना के गुस्सा हो जाने से नाराज़ था और गुस्सा ललिता पर निकाल रहा था।
ललिता- आआ आआ आ…हह.. भाई आ…हह.. आराम से आ…हह.. मानती हूँ शरद का लौड़ा अई आ…हह.. बड़ा है अई अई पर चूत सूजी हुई है अई आह…!
शरद- उफ्फ बस भी करो जान, अब घोड़ी बन जाओ आज घोड़ी बना कर चोदूँगा। देख अमर कैसे मज़ा ले रहा है, चल बन जा जल्दी से…!
अमर- आ आ…हह.. उहह उहह चूत सूजी हुई है, तो आ…हह.. मैं क्या करूँ आ…हह.. मुझे तो मज़ा आ रहा है… ललिता क्या टाइट चूत है आ…हह.. रचना ने तो चुदवा चुदवा कर ढीली करवा ली, पर आ…हह.. तेरी बहुत टाइट है आह…!
अब इतने झटकों के बाद ललिता का दर्द कम हो गया था, वो भी मस्ती में आ गई थी और अब अमर का साथ देने लगी।
शरद ने लौड़े को रचना की चूत में डाल कर उसकी गाण्ड पर गौर किया।
शरद- जान क्या बात है, इस हरामी ने तेरी गाण्ड भी मार ली.. क्या..! होल खुला हुआ है…!
अमर- उह ओह आ…हह.. हाँ यार सील तो नहीं मिली तो आ…हह.. गाण्ड का ही मुहूरत कर दिया.. उहह आ…हह….!
शरद- अच्छा किया तूने, रचना की गाण्ड बहुत मस्त है, मेरा बहुत मन था मारने का आज सोचा मारूँगा, पर तूने पहले ही इसको खोल दिया। कोई बात नहीं, अब मुझे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, आ…हह.. अभी तो चूत से काम चलाता हूँ आ आ…हह.. ललिता की चूत बहुत टाइट थी यार, अब इसकी गाण्ड मारूँगा तो लौड़ा दर्द करने लगेगा, आ…हह.. चूत से ही आ आ…हह.. काम चलाता हूँ।
रचना- आ आ…हह.. उफ्फ कितनी बार भी अई आ…हह.. मरवा लूँ आ…हह.. मगर तुम्हारा लौड़ा घुसते ही आ आ…हह.. जान निकल जाती है, आ…हह.. उफ्फ उह…
शरद- आ…हह.. ले उफ्फ साली आ…हह.. दोनों की दोनों आ जलवा हो आ…हह.. ले।
दोस्तों 35 मिनट तक ये धाकड़ चुदाई चलती रही, रूम में आ…हह.. आह एयाया
उईईई उफफफ्फ़ सस्स्सस्स ककककक पूछ पूछ आह पूछ ठाप ठाप ठाप फक मी आ फक मी आ उफ़फ्फ़ बस ऐसी आवाजें आती रहीं और चारों झड़ गए व बेड पर ही ढेर हो गए।
दोस्तों एक तो शराब और बियर की वजह से और दूसरी चुदाई की थकान ने चारों को जल्दी ही नींद के आगोश में ले लिया।
रात के 2 बजे थे, ये चारों मस्त नींद में थे, तभी रूम का डोर खुलता है, अशोक और सचिन अन्दर आते हैं और रचना के पास आकर खड़े हो जाते हैं। रचना नंगी सोई थी, उसके मम्मों को और चूत देख कर अशोक आपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से दबा रहा था।
सचिन ने अशोक को आँखों से इशारा किया और दोनों ने रचना को हाथ-पांव पकड़ कर उठा लिया और वहाँ से बाहर ले गए।
सचिन- ये लो अशोक लगा लो घूँट और चोद दो साली को यही है वो मस्त रंडी, जिसके कारण हमारे लौड़े तन्ना रहे हैं।
सचिन ने एक बोतल अशोक के हाथ में दे दी और मुस्कुराने लगा।
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08-23-2018, 11:42 AM,
#25
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सचिन- ये लो अशोक लगा लो घूँट और चोद दो साली को यही है वो मस्त रंडी, जिसके कारण हमारे लौड़े तन्ना रहे हैं।
अशोक- हाँ आज मैं इसकी चूत और गाण्ड का मज़ा लूँगा।
सचिन- हाँ भाई मैं भी इसकी जवानी के मज़े लूँगा। चलो इसे ऊपर ले चलते हैं।
ये दोनों रचना को उठाने ही वाले थे कि शरद बाहर आ गया।
शरद- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या… कहाँ ले जा रहे हो इसे….!
अशोक- मैं आज इसको चोद कर इसका काम लगा दूँगा।
शरद समझ गया कि दोनों नशे में चूर हो रहे हैं। अब इनको प्यार से ही समझाना होगा।
शरद- मेरी बात मानो, तुम ऊपर चलो मैं तुम्हें सब समझाता हूँ। ये उठ गई तो सब गड़बड़ हो जायेंगी।
अशोक- नहीं शरद, तुमने तो इन्हें चोद कर मज़ा ले लिया और हमें अब तक बताया भी नहीं कि सिमी के साथ हुआ क्या था? लगता है तुम्हारा मन बदल गया है..!
शरद- प्लीज़ धीरे बोलो…. मैं सब बताता हूँ ओके… चलो इसको रूम में सुला दो। ऊपर चलो…. पक्का सब बताता हूँ भाई प्लीज़…!
अशोक मान जाता है, तब शरद और सचिन रचना को वापस रूम में बेड पर सुला देते हैं और बाहर से डोर लॉक करके ऊपर के रूम में चले जाते हैं। जहाँ शरद अब गुस्सा हो जाता है।
शरद- तुम दोनों नशे में पागल हो गए हो, अगर मेरी आँख नहीं खुलती तो मेरा पूरा प्लान चौपट हो जाता, अशोक तुमने क्या कहा कि मेरा मन बदल गया है..! साले तू अच्छी तरह जानता है, कि मेरा इरादा क्या है?
अशोक- लेकिन यार तुम ना तो कुछ बताते हो और ना ही हमें कुछ करने देते हो।
शरद- ओके यहाँ बैठो, मैं बताता हूँ कि क्या बात है..!
सचिन- हाँ भाई बताओ सिमी अशोक की सग़ी बहन थी, पर मेरी भी सग़ी से कम नहीं थी। दिल से उसको बहन मानता था, अब बताओ प्लीज़…!
शरद- ओके, सुनो जिस दिन सिमी ने खुदकुशी की, उसके 20 मिनट पहले उसने
मुझे फ़ोन किया और वो बहुत रो रही थी। मेरे लाख पूछने पर उसने बताया कि शरद मैं तुम्हारे क़ाबिल नहीं रही, मैं बरबाद हो गई हूँ मेरी बेस्ट-फ्रेंड ने मेरे साथ धोखा किया है। मैं अब जीना नहीं चाहती हूँ।
मैंने बहुत ट्राइ किया, पूरी बात जानने के लिए, पर बस उसने रचना का नाम बताया और कहा कि उसके दो दोस्तों ने मुझे खराब कर दिया, मैं मर रही हूँ।
अशोक- ओ माई गॉड… ऐसा कहा उसने…!
शरद- हाँ यार मैं मजबूर था, उसे रोकना चाहता था, पर उसने फ़ोन काट दिया और खुद को आग लगा ली। इसी लिए मैंने फ़ौरन तुमको फोन किया कि जल्दी घर जाओ, सिमी की जान को खतरा है, उसको बचाओ।
अशोक- ओह्ह मेरी बहन ओह्ह सिमी आई मिस यू.. मैं जब आया तो सब खत्म हो चुका था.. आह.. मैं तुमको बचा ना पाया।
शरद- प्लीज़ अशोक रो मत, ये वक़्त रोने का नहीं है, उनको रुलाने का है। अब बस एक बार उन दो हरामियों के बारे में पता चल जाए।
सचिन- भाई हम रचना को चोद-चोद कर इतना तड़पायेंगे, अपने आप सब बता देगी साली रंडी…!
शरद- नहीं ऐसा करना होता, तो पहले दिन ही कर लेता मैं, पता है सिमी की मौत के बाद मैं टूट गया था, पर उसका बदला लेना था, सो मैं इंडिया आ गया और रचना का पीछा करने लगा। इत्तफ़ाक़ देखो अमर मेरा दोस्त निकला। अब मैंने सोचा आसानी से रचना को प्यार के जाल में फँसा कर बदला लूँगा, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, इसका भाई इतना बड़ा हरामी निकला, साला अपनी ही बहन को चोदने के लिए मेरी हेल्प ले ली और मेरे जाल में खुद फँस गया। अब बस कल देखो मेरे गेम का आखरी दांव मैं खेलूँगा और उन दो कुत्तों के बारे में पता चल जाएगा।
सचिन- हाँ भाई और कल हम भी दोनों बहनों को चोदेंगे।
शरद- हाँ चोद लेना, ला यार बियर ला, मूड खराब हो गया सारा…!
अशोक- हाँ सचिन ला मुझे भी बियर दे और वो वीडियो शरद को दिखा, साली ने कैसे अपने भाई से गाण्ड मरवाई थी। शुरू से लगाना हा हा हा मैंने भी शुरू से नहीं देखा था।
सचिन भी ज़ोर से हँसने लगता है और वो वीडियो लगा कर बैठ जाता है।
दोस्तों आपको समझ आ जाए, इसलिए स्टोरी थोड़ा रिपीट कर रही हूँ।
जब अमर रचना को कहता है कि तेरी गाण्ड बड़े प्यार से मारूँगा, जैसे पूनम की मारी थी। ये सीन देखकर शरद के साथ-साथ अशोक और सचिन भी हैरान हो गए और उन दोनों की पूरी बात सुनकर अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। वो उठकर बाहर जाने लगा।
शरद- सचिन पकड़ो इसे…!
सचिन जल्दी से अशोक को पकड़ लेता है।
अशोक- छोड़ दो मुझे, उस हरामी ने मेरी बहन के साथ इतना गंदा काम किया, छोडूँगा नहीं कुत्ते को…!
शरद- अशोक तू बैठ, मेरी बात सुन… हम साथ मिलकर उसको ऐसा सबक सिखायेंगे कि न वो जिन्दा रहना चाहेगा और न मर सकेगा। तू बात तो सुन, अब तो उन दोनों के बारे में भी पता चल गया है। अब तू देख हम मिलकर कल इनका क्या हाल करते हैं।
सचिन- भाई में उन दोनों को जानता हूँ। अंकित और सुधीर दोनों एक नंबर के हरामी हैं।
शरद- गुड सचिन कल सुबह किसी भी तरह उन कुत्तों को यहाँ ले आओ और उस रंडी ललिता को तो इतना तड़पाऊँगा कि जिन्दगी भर याद करेगी वो, अब बस वो कुत्ते आ जाएं, पूरी बात उनसे पता चलेगी कि आख़िर वहाँ हुआ क्या था और उसके बाद इन सब का वो हाल करेंगे कि दुनिया देखेगी।
अशोक- हाँ शरद सचिन के साथ उन को लाने मैं जाऊँगा।
शरद- नहीं अशोक तू कहीं नहीं जाएगा… तेरा गुस्सा बहुत तेज है, कहीं कुछ कर देगा तू..! सचिन अकेला लाएगा उनको, समझे..! तू यहीं रहेगा, इसी कमरे में… ओके…!
अशोक- मैं कुछ नहीं करूँगा, मुझे जाने दो। वो दो हैं सचिन अकेला उनको कैसे लाएगा..!
सचिन- मैं ले आऊँगा यार, वो मुझे जानते हैं कई बार उनके साथ हरामीपन्थी की है, एक नम्बर के लड़कीबाज हैं साले… बड़े आराम से ले आऊँगा उनको…!
अशोक- फिर भी यार साथ जाने में क्या हर्ज़ है…!
शरद- नहीं बोला ना.. बस सचिन को जाने दो ओके…!
अशोक- ओके…!
शरद- सचिन तुम पहले धरम अन्ना से मिल लेना। उसको ये बोलना कि सुबह अमर आएगा उसको वहीं रोकना है और देखना उन कुत्तों को पता ना चले समझ गए न… कैसे लाना है…!
सचिन- हाँ भाई आप बे-फिकर रहो मैं सब सम्भाल लूँगा।
शरद- ओके, अब तुम दोनों भी सो जाओ। कल बहुत काम करना है, मैं भी जाकर सोता हू।
शरद वहाँ से वापस रूम में आ जाता है और वो दोनों भी सो जाते है।
सुबह जल्दी उठकर सचिन बाहर चला जाता है अशोक अभी भी सो रहा था।
उधर शरद उठ गया था और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।
शरद के आने के बाद अमर की आँख खुली। तब शरद कपड़े पहन रहा था। उस
समय करीब 9 बजे होंगे।
अमर- गुड मॉर्निंग शरद, वाउ यार तुम तो नहा भी चुके..!
शरद- उबासी लेना बन्द करो, जाओ फ्रेश हो जाओ, उसके बाद इन रण्डियों को भी
उठा देना, साली कैसे चूत खोले सो रही हैं।
अमर- हा हा हा अभी डाल दूँ क्या लौड़ा चूत में.. आपने आप उठ जायेंगी।
शरद- अबे बस भी कर साले, बाद में डाल देना, आज फिल्म की शूटिंग है, धरम अन्ना अपनी टीम के साथ आता ही होगा।
अमर- ओ हाँ सॉरी, अभी गया बस, रेडी होकर आता हूँ।
शरद- ओके तुम रेडी होकर इनको भी उठा देना, सामने वो अल्मारी में कपड़े रखे हैं तुम सब के लिए। मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
शरद वहाँ से सीधा ऊपर के रूम में जाता है, जहाँ अशोक अब तक सो रहा था।
शरद- अशोक ओ अशोक उठ यार, समय बहुत हो गया है, चल जल्दी फ्रेश हो जा सचिन भी आता ही होगा।
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08-23-2018, 11:43 AM,
#26
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
अशोक उठ कर शरद को गुड मॉर्निंग कहता है और वो भी बाथरूम में घुस जाता है।
शरद मोबाइल लेकर बाहर चला जाता है और फ़ोन पर बात करने लगता है।
शरद- हैलो कहाँ हो सचिन… अब तक आए क्यों नहीं…!
सचिन- हाँ भाई काम हो गया, दोनों मिल गए सालों को चूत का चस्का दिखा कर ला रहा हूँ, पर अन्दर कैसे लाऊँ, अब तक तो सब उठ गए होंगे..!
शरद- पीछे के गेट से ले आ और हाँ गेट में एंटर करके लेफ्ट साइड से आना, थोड़ी दूर बेसमेंट का गेट है, उनको वहाँ ले आ, मैं और अशोक वहीं आते हैं ओके…!
सचिन- ओके, भाई बस पाँच मिनट में आया।
शरद अशोक को सब समझा देता है और खुद वापस नीचे के रूम में जाता है, जहाँ तीनों रेडी हो रहे थे।
शरद- गुड मॉर्निंग… सेक्सी गर्ल्स…!
“हे गुड मॉर्निंग..!” दोनों एक साथ बोल पड़ीं।
शरद- क्या हाल है जान…!
ललिता- हाल तो खराब ही हैं… चूत में बहुत दर्द हो रहा है, चलने में मुश्किल आ रही है।
रचना- ओह शरद जी मैंने इसको बताया कि थोड़ा वॉक करो, सब ठीक हो जाएगा, अभी गर्म पानी से चूत का सेक भी किया है।
अमर- हाँ यार, मैंने भी कहा ये तो बस बैठी है, चल ही नहीं रही।
शरद- जान ये सही कह रहे हैं, चलो खड़ी हो जाओ और धीरे-धीरे वॉक करो, ओके यस गुड गर्ल…!
शरद- अमर तुम मेरे साथ आओ और तुम दोनों का नाश्ता यहीं भिजवा रहा हूँ, बाहर मत आना। धरम अन्ना के लोग आने वाले हैं, तुम उनके सामने ऐसे ही आ जाओगी तो, हिरोइन वाली वो बात नहीं रहेगी। ओके यहीं रहना, हम कुछ देर में आते हैं।
रचना- ओके… बाबा नहीं आएँगे, पर जल्दी से नाश्ता भिजवा दो, बहुत भूख लगी है यार।
शरद- बस दस मिनट रूको नाश्ता आ जाएगा।
अमर को लेकर शरद बाहर निकल जाता है और उसको धरम अन्ना का पता बता कर वहाँ जाने को बोलता है।
अमर- मगर अभी तो कहा धरम अन्ना यहाँ आने वाला है, तो मुझे वहाँ क्यों भेज रहे हो? बात क्या है यार?
शरद- तुम जाओगे, तब धरम अन्ना आएगा ना..! वहाँ कुछ पेपर साइन करने हैं जाओ कर दो, धरम अन्ना तुमको वहाँ पर सब कुछ समझा देगा ओके…!
अमर को कुछ समझ में नहीं आया और वो चुपचाप शरद के बताए पते पर जाने के लिए वहाँ से निकल गया।
इधर अमर के जाते ही शरद ने किसी को फ़ोन किया।
शरद- हैलो हाँ सुनो वो आ रहा है, इंतजाम कर देना, समझ गए ना…!
शरद ने सामने वाले से दो मिनट बातें की और उसके बाद किसी और को फ़ोन किया
और नाश्ते के बारे में समझा कर फ़ोन काट दिया।
अब वो खुद बेसमेंट की तरफ चल दिया।
अंकित- वाउ… यार किसका फार्म है, बड़ा मस्त है यार, लेकिन ये बेसमेंट में कहाँ ले आया यार, आइटम कहाँ है? बता ना यार?
सुधीर- हाँ यार सचिन बता ना, तूने कहा था एकदम कच्ची कली है, बता न.. यार कहाँ हैं।
सचिन- वो देख सीढ़ियों पर आ रही है और मैंने एक कहा था ना, यहाँ दो कच्ची कलियां आ रही हैं। अब तो तुम दोनों के मज़े हैं यारों, ऐश करो…!


शरद- यहाँ हैं आइटम… गौर से देखो, एक नहीं दो हैं, क्यों पसन्द आई क्या?
उन दोनों की तो गाण्ड ही फट गई थी, क्योंकि शरद के हाथ में गन थी और आँखों में गुस्सा भरा हुआ था।
अंकित- ये ये ये क्या है… सचिन कौन है ये..? अई..ईई… और इसने गन क्यों तान रखी है?
अशोक- मैं बताता हूँ मादरचोदो तुमको रूको…!
इतना बोलकर अशोक उनके पास जाता है और दोनों को डराने लगता है।
शरद- बस अशोक रुक जाओ, इनको खुराक मिलेगी तभी ये तोते की तरह बोलेंगे, छोड़ दो इनको।
दोनों साइड में हो जाते हैं और उन दोनों की तो हालत खराब हो रही थी। उनको कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।
शरद- हाँ तो अब शुरू हो जाओ, बताओ रचना के साथ मिलकर क्या प्लान बनाया था और पूनम के साथ रचना की क्या दुश्मनी थी, जो उसने उसको तुम कुत्तों के पास मरने के लिए छोड़ दिया।
सुधीर- क क कौन रचना..कौन पूनम.. हमें कुछ नहीं पता..ह ह..हमें तो ये सचिन लाया यहाँ स साला बोला आज झकास आइटम हाथ लगी है चलो मज़ा करते हैं।
सचिन आगे बढ़कर उसको एक मुक्का दिखाता है।
सचिन- बता साले, भाई जो पूछ रहा है वरना तुम दोनों की लाश भी कोई पहचान नहीं पाएगा समझे…!
अंकित- ओके बताता हूँ, पर तुम हो कौन आख़िर ये सब क्यों जानना चाहते हो?
शरद- देखो हमको रचना से बदला लेना है इसलिए ये सब पूछ रहे हैं। हम जानते हैं तुम दोनों ने पूनम के साथ क्या किया था, पर इसमें रचना का क्या रोल था.. वो बताओ?
सुधीर- भाई कसम से, उस रंडी के साथ तो हमको भी बदला लेना है साली सारा गेम खुद बनाई, वो लड़की को मारने के बाद कई महीनों तक छुपते हम फिरे और अब साली बोलती है कि कौन हो तुम… मैं तुमको नहीं जानती…!
सचिन- ऐसा क्यों कहा उसने…!
अंकित- भाई आप तो जानते हो, हम दोनों टपोरी लड़के हैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। रचना के कहने पर हमने ये सब किया, साली ने पैसे देने से इन्कार कर दिया और कहा ज़्यादा बात की तो सब कुछ पुलिस को बता देगी। मादरचोदी ने मोबाइल में हमारी वीडियो बना लिया था। जब हम पूनम के साथ मज़ा कर रहे थे।
ये सुनते ही अशोक को गुस्सा आ गया और वो उन दोनों को मारने के लिए आगे बढ़ा। बड़ी मुश्किल से शरद ने वहाँ से उसको हटाया और एक साइड बैठा दिया।
शरद- अरे यार प्लीज़ रूको, पूरी बात तो जान लो पहले…!
सुधीर- पानी आ पानी पिला दो, बहुत प्यास लगी है आह…!
सचिन उनको पानी पिलाता है और आगे की बात बोलने को कहता है।
अंकित- देखो भाई मैं शुरू से आपको बताता हूँ रचना और उसकी बहन ललिता स्कूल की सबसे टॉप की आइटम थीं और कई लड़के उनके पीछे लट्टू की तरह घूमते थे। मैं और सुधीर तो हर वक़्त मौके की तलाश में रहते कि कब इनकी चूत को चोदें, लेकिन साली रंडी बहुत तेज़ है, हाथ ही नहीं आती। कोई 6 महीने पहले दुबई से पूनम यहाँ आई और पता नहीं कैसे पर कुछ ही दिनों में रचना की वो बेस्ट-फ्रेंड बन गई।
पूनम की उम्र कोई 18 की होगी और उसका फिगर क़यामत था क़यामत, 32″ के नुकीले मम्मे, जिनको देखते ही आदमी का लौड़ा झनझना जाए और उसकी कमर 28″ की उसकी एकदम हिरनी जैसी चाल थी और गाण्ड का क्या बताऊँ, 34″ की बाहर को निकली हुई। ये तो वो शरीफ किस्म की थी, जो सलवार-कमीज़ पहनती थी। अगर जींस पहन कर चले तो कसम से लौड़ा उसको देखते ही पानी छोड़ देता।
अपनी बहन के बारे में ये सब गंदी बातें अशोक को बर्दाश्त नहीं हुई और वो दोबारा उठ कर उसको मारने के लिए आगे बढ़ा, पर शरद ने उसको रोक दिया।
शरद- अशोक प्लीज़ रूको, इनको बोलने दो अगर ये शॉर्ट में बताएँगे तो हमें अधूरी बात पता चलेगी, प्लीज़ थोड़ा सब्र करो।
सचिन- हाँ साले बोल, सिमी की तारीफ बहुत हो गई, रचना की बेस्ट फ्रेण्ड होने के बाद ऐसा क्या हुआ, जो उसने ये सब किया? वो बता..!
सुधीर- भाई आप शुरू से सुनोगे, तब समझ आएगा न…! अंकित पूनम की तारीफ कर रहा है, सारी बात इसी बात से जुड़ी है। आप सुनो तो प्लीज़…!
शरद- ओके बोलो अंकित, अब अशोक कुछ नहीं कहेगा।
अंकित- भाई पूनम बहुत ज़्यादा खूबसूरत थी। उसकी नीली आँखे लंबे-लंबे बाल और सबसे ज़्यादा उसकी सादगी पर सब फिदा थे रचना उसके आते ही उसकी दोस्त बन गई थी। एक बात है पूनम के आने के बाद रचना की वैल्यू कम हो गई। अब लड़के पूनम के नाम की ‘आह’ भरने लगे थे। एक दिन स्कूल के किसी दोस्त की बर्थ-डे की पार्टी में पूनम ने ब्लैक साड़ी पहनी थी और साज-सिंगार करके आई थी।
बस सब ने जो पूनम की तारीफ की, मैं क्या बताऊँ आपको दोनों बहनों की झाँटें सुलग कर राख हो गईं थी।
सुधीर- हाँ भाई मैंने कहा पूनम तुम्हारे सामने तो रचना की चमक फीकी पड़ गई है। कहाँ तुम स्कूल की हिरोइन बनी फिरती थीं और अब देखो ये कोई राजकुमारी लगती है और तुम इसकी दासी हा हा हा हा हा।
अंकित- हाँ भाई सब के सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। पूनम ने सब को डांटा भी। रचना के पास जाकर उसको तसल्ली भी दी, पर वो बहुत गुस्सा हो गई थी।
दोनों बहनें वहाँ से चली गईं। पूनम का मूड भी ऑफ हो गया और वो भी चली गई।
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08-23-2018, 11:43 AM,
#27
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सुधीर- अब आपको बताता हूँ उस दिन के एक दिन बाद रचना हमारे पास आई थी।
दोस्तों ऐसे आपको शायद मज़ा नहीं आ रहा होगा, तो चलो स्टोरी को सीधे वहीं ले चलती हूँ, ताकि आपको आराम से सारी बात समझ आ जाए।
अंकित- ओह्ह वाउ रचना आज तो मस्त लग रही हो।
रचना- बस अपनी बकवास बन्द करो, रात को तो बड़े दाँत निकाल कर हंस रहे थे तुम दोनों…!
सुधीर- सॉरी बाबा, एक बात कहूँ बुरा ना मानना पूनम खूबसूरत तो बहुत है, पर तुम्हारी तरह स्टाइलिश नहीं है। वो सीधी-साधी है बेचारी…!
रचना- बस अब मेरे सामने उसकी तारीफ मत करो और वो कोई सीधी नहीं है कुत्ती, जानबूझ कर इतना तैयार होकर आई थी ताकि सब उसके पीछे लट्टू हो जाएं। अब तुम दोनों मेरी मदद करो, मुझे उससे अपनी इस बेइज्जती का बदला लेना है।
अंकित- ओह्ह वाउ रानी को बदला लेना है, पर इसमे हमारा क्या फायदा होगा ये तो बताओ?
रचना- पैसों से बढ़ कर इस दुनिया में कुछ नहीं है, अपना मुँह खोलो कितना लोगे?
अंकित- वो बाद में पहले करना क्या होगा वो बताओ?
रचना- देखो प्लान तो मेरे पास नहीं है, पर कल रात मैंने गुस्से में घर में तोड़-फोड़ की, तब ललिता ने कहा कि तेज़ाब से उसका चेहरा जला दो, मगर मेरा भाई अमर कहता है पुलिस का चक्कर हो जाएगा। स्कूल में सब के सामने उसका मुँह काला कर दो अपने आप जलील हो जाएगी… साली।
अंकित- तो तुमने क्या सोचा?
रचना- ये सब नहीं मुझे कुछ बड़ा करना है ताकि वो किसी को हमारा नाम भी ना बताए और सारी उमर लोग उसको देख कर हँसे भी।
अंकित- ऐसा क्या सोचा है बताओ तो?
रचना- देखो हम उसे नींद की गोली देकर उसका न्यूड एमएमएस बना लेंगे और उसके चेहरे पर तेज़ाब की एक-दो बूंदे गिरा देंगे जिससे चेहरा जलेगा भी नहीं और दाग भी हो जाएगा और वो किसी को ये नहीं बता पाएगी क्योंकि हम उसको एमएमएस की धमकी देंगे।
सुधीर- वाउ.. क्या प्लान है, पर इसमें हम क्या करेंगे..? ये सब तो तुम खुद भी कर सकती हो और न्यूड एमएमएस वाउ.. मज़ा आ जाएगा…!
रचना- नहीं इतना सब मुझसे नहीं होगा, मैं उसको ले आऊँगी, बाकी काम तुमको ही करना है ओके…!
अंकित- ओके हो जाएगा 20000 लगेंगे और कब करना है कहाँ लाओगी उसको?
रचना- जगह का भी तुम ही बताओ?
सुधीर- मेरे अंकल के घर में ले आना, वहाँ कोई नहीं है सब कुछ दिनों के लिए गाँव गए हैं।
रचना- ओके कहाँ है, पता बता दो मुझे? कल सुबह ही उसको ले आती हूँ नींद की गोली तुम ले आना ओके..!
अंकित- ओके, पर उसको लाओगी कैसे?
रचना- वो मेरा टेन्शन है, बस कल तैयार रहना, तेज़ाब लाना भूलना मत, कल सुबह 9 बजे वहाँ पर मैं उसको ले आऊँगी।
सुधीर उसको पता बता देता है और उसके जाने के बाद।
सुधीर- यार अंकित न्यूड एमएमएस मतलब पूनम नंगी हमारे सामने होगी। यार अच्छा मौका है साली को रगड़ देंगे कल।


अंकित- लेकिन रचना का क्या करेंगे?
सुधीर- अरे उसके प्लान का उसी पर इस्तेमाल करेंगे, एक गोली उसको भी टिका देंगे, साली बहुत ज़्यादा स्मार्ट बनती है, पूनम के साथ-साथ उसका भी एमएमएस बना देंगे भाई सोचो दोनों टॉप की आइटम कल हमारे हाथ लगने वाली हैं, मज़ा आ जाएगा…!
अंकित- हाँ यार अब तू देख मैं कल नींद की नहीं, कोई और ही गोली लाता हूँ। दोनों को खिला कर मज़ा करेंगे हा हा हा हा हा…!
इन दोनों की बातें सुनकर शरद का तो सर चकरा गया था। रचना इस हद तक जा सकती है, ये तो उसने सोचा भी नहीं था। अशोक भी एकदम चुप उनकी बातें सुन रहा था।
सचिन- अरे बाप रे साली राण्ड ऐसा गेम खेली और मादरचोदो तुम उसके भी बाप निकले। हाँ आगे बताओ, क्या रचना के साथ भी उस दिन तुमने खेल खेला? कौन सी गोली लाए थे? बताओ सालों मुझे जानना है सारी बात?
अंकित- हाँ बताता हूँ भाई, मैंने वो गोली लाया था जो ड्रग्स की तरह काम करती है। इसे लेने के बाद इंसान होश में तो रहता है लेकिन दिमाग़ सुन्न हो जाता है और इससे सेक्सी फीलिंग्स आती हैं। कपड़े निकाल फेंकने का मन करता है। बड़ी मुश्किल से मैंने गोलियों का बंदोबस्त किया था। दूसरे दिन सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ आ गए।
शरद- चुप क्यों हो गया, बोल साले आगे क्या हुआ?
अंकित ने सीढ़ियों की तरफ इशारा किया। वहाँ कोई खड़ा आराम से इनकी बात सुन रहा था। सब की नज़र एक साथ सीढ़ी की ओर गई।

शरद- ललिता… तुम यहाँ क्या कर रही हो? कब आईं..?
ललिता- ओह शरद, तुम कहाँ चले गए, सभी जगह ढूँढ़ कर ही यहाँ आई हूँ और ये सब कौन है और सुधीर, अंकित तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
शरद धीरे से बोलता है, “इसने कुछ नहीं सुना शायद सब नॉर्मल रहना..!”
शरद- आओ ललिता यहाँ आओ, तुमको सब से मिलवाता हूँ।
ललिता नीचे आ जाती है, ब्लैक टी-शर्ट और ब्लू स्कर्ट में बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसको देख कर अंकित और सुधीर की तो लार टपकने लगी थी।
ललिता सब को ‘हाय’ बोलती है।
शरद- ललिता ये अशोक है और ये सचिन रचना की फ़िल्म का हीरो और अशोक अब तुम्हारा हीरो बनेगा, फिल्म में…. ‘हाय’ करो…!
ललिता बड़ी नजाकत से अशोक के पास जाकर हाथ आगे बढ़ा कर उसको ‘हैलो’ कहती है। अशोक भी उसका हाथ पकड़ कर चूम लेता है।
ललिता- इन दोनों को मैं जानती हूँ, ये यहाँ क्या कर रहे हैं?
शरद- व वो दरअसल ये धरम अन्ना के आदमी हैं फिल्म में इनका भी काम है, इसलिए यहाँ आए हैं।
ललिता- ओह्ह वाउ.. सब एक साथ काम करेंगे तो मज़ा आएगा।
शरद- अभी हम फिल्म की ही बात कर रहे थे तुमने सीन तो सुन हे लिया होगा..!
ललिता- नहीं तो, मैं आई तब अंकित चुपचाप मेरी तरफ देख रहा था। आप ने इसको आगे बोलने को कहा और अंकित ने मेरे आने का इशारा कर दिया बस…!
शरद- ओह्ह मैं समझा तुमने स्टोरी सुन ली है, कोई बात नहीं तुम चलो ऊपर, मैं सब समझाता हूँ।
ललिता को कुछ समझ नहीं आता है, वो शरद के साथ वापस ऊपर चली जाती है और जाते-जाते शरद सचिन को इशारा करके जाता है कि इनका ख्याल रखना।
अंकित- ओह्ह मा.. ये क्या है, सचिन कौन सी फिल्म और कौन धरम अन्ना यहाँ कौन सा गेम चल रहा है? यार पटाखा यहाँ क्या कर रही है?
सुधीर- माँ कसम.. क्या लग रही थी साली, मन तो किया अभी उसकी गाण्ड पकड़ लूँ। साली हमेशा तड़पाती है, पर हाथ नहीं आती है।
सचिन- रचना भी यहीं है, अगर तुम दोनों शरद की बात मानोगे, तो दोनों बहनें तुमको मिल सकती हैं.. बोलो क्या बोलते हो?
अंकित- सचिन भाई गर्दन उड़ा देना, अगर मैं शरद भाई की बात मानने से इन्कार करूँ तो… बस रचना की दिला दो, उस रंडी को पटक-पटक कर चोदना चाहता हूँ। साली का सारा गुरूर उसकी चूत से पानी बना कर निकाल दूँगा और ललिता की तो गाण्ड मारूँगा हर बार साली गाण्ड हिला कर लौड़ा खड़ा कर जाती है।
सुधीर- हाँ मैं भी रेडी हूँ बस ललिता और रचना को नंगी आपने आजू-बाजू सुलाना चाहता हूँ उनको बेदर्दी से चोदना चाहता हूँ।
अशोक की आँखों में गुस्सा था, पर पता नहीं, वो क्या सोच कर चुप था। शरद और ललिता वापस रूम में चले जाते हैं।
रचना- कहाँ चले गए थे आप?
शरद- मैंने रूम से बाहर आने को मना किया था न…! हम फिल्म के बारे में ही बात कर रहे हैं। धरम अन्ना भी अभी तक नहीं आया।
रचना- अमर कहाँ है?
शरद- वो धरम अन्ना के पास गया है, उसके साथ वापस आएगा। अब तुम दोनों यहीं रहना ओके..! मैं आता हूँ।
इतना बोलकर शरद बाहर निकल जाता है। रचना को कुछ समझ नहीं आता है।
बाहर आकर शरद किसी को फ़ोन करता है कि अन्दर आओ।
एक आदमी अन्दर आ जाता है। शरद उसको कमरे के पास खड़ा कर देता है और उसको समझा देता है कि इनको बाहर मत आने देना और खुद धरम अन्ना को फ़ोन करता है।
शरद- कहाँ हो धरम अन्ना? अब तक आए नहीं..!
धरम अन्ना- हम थोड़ा समय बाद आता जी यहाँ थोड़ी गड़बड़ हो गई है, आकर बताता हूँ। अभी फ़ोन रखता हूँ।
शरद सीधा नीचे जाता है।
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08-23-2018, 11:43 AM,
#28
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद- अशोक तुम ऊपर के रूम में जाओ। मुझे ललिता पर शक है वीडियो में देखो, उसने यहाँ कुछ सुना तो नहीं न.. हम यहाँ संभालते हैं और प्लीज़ ऐसा-वैसा कुछ मत कर देना। कुछ भी बात हो, मुझे इन्फॉर्म करना ओके…!
अशोक ‘ओके’ बोल कर वहाँ से निकल जाता है।
सचिन- अच्छा किया उसको भेज दिया, ये दोनों ललिता को देख कर पागल हो गए, सब
करने को तैयार हैं।
शरद- पहले पूरी बात बताओ, तुम दोनों ने क्या किया? रचना कैसे बच गई थी? और पूनम ने तुम दो को ही देखा था क्या? अमर ने भी तो किया था न? उसका नाम उसने क्यों नहीं लिया?
अंकित- भाई आप पूरी बात सुनो, आप खुद समझ जाओगे?
दोस्तों अंकित के मुँह से सुनने में मज़ा नहीं आ रहा चलो खुद देख लेते हैं कि वहाँ क्या हुआ था।
सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ पहुँच जाते हैं।
रचना ने जींस और टी-शर्ट पहनी थी और पूनम ने पिंक सलवार-कमीज़ पहनी थी। क्या क़यामत लग रही थी वो…!
पूनम- रचना ये कहाँ ले आई मुझे..! तुमने कहा था कि किसी फ्रेण्ड से मिलवाओगी, जो
बहुत बीमार है, पर ये किस का घर है? तुमने कहा था कि हॉस्पिटल जा रहे हैं?
रचना- अरे यार, आओ तो… सब पता चल जाएगा।
रचना डोर नॉक करती है। सुधीर डोर खोल देता है।
रचना- हाय सुधीर कैसे हो, निमा कहाँ है? अब उसकी तबीयत कैसी है?
रचना आँख से सुधीर को इशारा कर देती है।
पूनम को देख कर सुधीर की तो आँखों में चमक आ जाती है।
वो उस ड्रेस में वो बहुत मस्त लग रही थी।
सुधीर- आओ ना… अन्दर आओ, वो रूम में है।
दोनों अन्दर आ जाती हैं। तभी सुधीर के फ़ोन पर रिंग आती है। वो साइड में होकर फोन सुनता है।
सुधीर- हैलो कौन?
अमर- अमर बोल रहा हूँ, रचना वहाँ आई है न.. पूनम को लेके.. मैं जानता हूँ रचना ने तुम दोनों के साथ मिल कर कोई प्लान बनाया है, पर तुम दोनों ध्यान रखना, मेरी नज़र तुम दोनों पर ही है। रचना के साथ डबल-गेम खेलने की कोशिश मत करना। मैं तुम दोनों को अच्छे से जानता हूँ..!
सुधीर-. ओके बाबा, विश्वास करो, हम बस उसकी हेल्प कर रहे हैं।
अमर- ओके मैं यहीं तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूँ कोई गड़बड़ हुई ना, तो देख लेना…!
सुधीर- ओके बाबा, अब बाय।
रचना और पूनम हॉल में सोफे पर बैठ जाती हैं। सुधीर बात करके आता है।
सुधीर- सॉरी, वो एक दोस्त का फ़ोन था निमा के बारे में पूछ रहा था, मैं अभी आया।
सुधीर अन्दर जाकर अंकित को अमर की बात बता देता है।
अंकित- साली रंडी अपने बॉडीगार्ड को साथ लाई है, नहीं तो आज उसकी जवानी का मज़ा ले ही लेते।
सुधीर- जाने दे ना यार, एक गिलास में गोली डाल दे, उसको फिर कभी चोद लेंगे। आज पूनम का मज़ा लेते है न..!
अंकित- ओके, तू बाहर जा.. मैं आता हूँ।
सुधीर बाहर आ जाता है और आकर बैठ जाता है।
पूनम को कुछ अजीब सा महसूस होता है।
पूनम- यार, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हम किससे मिलने आए हैं और ऐसे बाहर क्यों बैठे हैं? चलो ना अन्दर, तुम्हारी फ्रेण्ड को मिल कर वापस चलते हैं।
रचना- हाँ सही कहा तुमने।
रचना आगे कुछ बोलती अंकित ट्रे में जूस लेकर आ गया।
अंकित- लो भाई ठंडा-ठंडा जूस पियो।
पूनम- अरे अंकित, तुम भी यहीं हो और ये जूस तुम क्यों लाए हो? ये क्या चल रहा है, समझ नहीं आ रहा है।
रचना- अरे यार निमा अंकित की बहन है और सुधीर इसका चचेरा भाई है। इसमें अजीब क्या है यार? सुधीर निमा को बुलाओ ना..!
अंकित- मैंने उसको बोल दिया है, वो बाथरूम में है, बस आती होगी। लो तब तक ये जूस पियो।
पूनम को अजीब तो लग रहा था, पर वो उनकी साजिश को समझ ना पाई और उसने वो जूस पी लिया। दोस्तों आप शायद जानते नहीं, अंकित ने उसमें फुल डोज डाली थी, जिससे एक मिनट में ही उसका सर घूमने लगा और साथ में अंकित ने उसमें सेक्स उत्तेज़ित करने की गोली भी डाली थी, जिससे पूनम के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी।
पूनम- उफ्फ रचना… मेरा सर घूम रहा है। ये क्या हो रहा है मुझे?
रचना- ओह्ह माय गॉड… क्या हुआ तुमको, सुधीर इसे रूम में ले चलो, इसको क्या हो गया है?
सुधीर फट से खड़ा हुआ और पूनम को सहारा देते हुए बेडरूम तक ले गया और बेड पर लेटा दिया।
पूनम- उहह न न… नहीं, मुझे नहीं सोना य य यहाँ मु..मु..झे घर ज..ज..जाना है।
रचना- अरे यार ऐसी हालत में कैसे जाओगी? थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में हम घर चलेंगे।
पूनम- उफ्फ कितनी आ..हह.. गर्मी है यहाँ। मुझे ब बहउत ग..ग..गर्मी लग रही है…आ..हह.. मेरे बदन में आ..हह.. कुछ हो रहा है..आ..हह.. अजीब सा दर्द हो रहा है।
रचना- ओहह ये क्या हो गया तुमको.. अरे तुम दोनों खड़े क्या देख रहे हो, थोड़ा बदन दबाओ, इसके कपड़े निकालो.. पूनम को इन कपड़ों में गर्मी लग रही है।
पूनम का सर घूम रहा था, पर वो होश में थी, ये सुनते ही रोने लगी।
उसके हाथ-पांव में बिल्कुल ताक़त नहीं थी कि उनका विरोध कर सके।
दोनों बेड पर बैठ गए, अंकित पूनम के मम्मों को सहलाने लगा और सुधीर उसकी कमीज़ को निकालने में लग गया।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ उउउ उउउ ऐसा आ म मत करो आ आ रचना आ इनको रोको ना…!
रचना- चुप छिनाल, अब दवा का पूरा असर हो गया है, अब सुन यहाँ कोई निमा नहीं है यहाँ आज तेरा एमएमएस बनेगा। मेरी बेइज़्ज़ती करवाई थी न तूने, उन के बीच.. अब देख मैं क्या करती हूँ..!
सुधीर उसका कमीज़ निकाल देता है। गोरे बदन पर ब्लैक ब्रा क्या मस्त लग रही थी। उसके 32″ के नुकीले मम्मे बाहर निकालने को बेताब थे और सेक्स की गोली ने भी अपना काम चालू कर दिया था। पूनम के निप्पल एकदम खड़े ब्रा में से भी साफ दिख रहे थे।
पूनम- प्लीज़ उउउ भगवान के लिए मु..म मु..मुझे छोड़ दो आ..आ..उउ आ..हह.. आ रचना मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…!
रचना- चुप रंडी… रोना बन्द कर तू, जब आई उसी दिन मैंने कसम खाई थी कि तुझ से बदला लूँगी। सब मेरे हुस्न के दीवाने थे, पर तूने अपनी अदाओं से सब को अपना बना लिया। तू किसी रंडी की औलाद है, जो तेरे पास सब अदायें हैं। इसी लिए मैंने तुझसे दोस्ती की, तेरा भरोसा जीता, पर तू जानबूझ कर तैयार होकर आती थी। ताकि मेरा क्रेज कम हो, पार्टी में तूने ही लड़कों को इशारा किया था कि मेरी बेइज़्ज़ती करें। अब तू देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ..!
अंकित- क्या मस्त आइटम है यार…!
रचना- अब मेरा मुँह क्या देख रहे हो, जल्दी से इसको नंगा करो। मुझे वीडियो बनानी है।


सुधीर- अभी लो बॉस.. मैं इसका नाड़ा खोल देता हूँ।
पूनम- न न नहीं प्लीज़ प्प प्लीज़ रचना तू तू तुम गलत समझ रही हो..
मैंने कभी तुमको नीचा न..नहीं दिखाना चाहा।
सुधीर ने नाड़ा खोल कर सलवार भी निकाल दी। सिम्मी ने पैन्टी भी ब्लैक पहनी थी, जो ब्रा की तरह पतली और जालीदार थी, उसमें से उसकी बड़ा-पाव जैसी फूली हुई चूत साफ दिख रही थी।
सुधीर- वाउ…. क्या सीन है यार..! मेरा पप्पू का तो हाल खराब हो रहा है।
रचना- बस बस ये फिल्मी डायलोग बन्द करो और पूरी नंगी कर दो इसको, मैं मोबायल ऑन करती हूँ।
अंकित ने सिम्मी की ब्रा खोल दी, उसके मदमस्त कर देने वाले मम्मे आज़ाद हो गए और सुधीर ने पैन्टी निकाल दी, एकदम क्लीन-शेव्ड चूत सामने आ गई। शायद कल ही उसने शेव की होगी।
रचना- गुड अब पोज़ लेने दो, बड़ी शरीफ बनती फिरती है, चूत को कैसे साफ किया हुआ है… जरूर इसका किसी के साथ चक्कर होगा रंडी कहीं की..!
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08-23-2018, 11:43 AM,
#29
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
अंकित को अफ़सोस हो रहा था कि रचना एक लड़की होकर इतने खुले अंदाज में बोल रही थी, पर इतना सोचने का उन दोनों के पास समय कहाँ था, वो तो भूखे कुत्तों की तरह सिम्मी पर टूट पड़े।
सिम्मी सिसकारे जा रही थी और वो दोनों उसको चूमने में लगे हुए थे। अंकित उसके निप्पल चूस रहा था और सुधीर उसकी चूत चाटने में लगा हुआ था।
दो मिनट तक ये चलता रहा, अब सिम्मी को शायद मज़ा आ रहा था। वो मुँह से अजीब आवाजें निकालने लगी थी।
रचना- अब बस भी करो… जाओ तेज़ाब लेकर आओ, इसके चेहरे और जिस्म पर दो-तीन दाग लगा दो, ताकि इसे पता चल जाए मैं क्या चीज हूँ…!
अंकित- पागल हो गई हो क्या..! नहीं हमें इसकी जवानी तो लूटने दो..और तुम भी देखो सेक्स कैसे होता है..! क्या पता तुम्हारा भी मन हो जाए चुदने को और तुम भी नंगी होकर यहीं आ जाओ।
रचना- चुप रह कुत्ते, तेरी इतनी औकात नहीं कि तू मुझे छू भी कर सके और तुमने इतनी बड़ी बात बोल दी। अब मैं जा रही हूँ तुमको इसके साथ जो करना है करो, आई डोंट माइंड बस ये छिनाल को अपना मुँह नहीं खोलना चाहिए। जब ये होश में आए तो इसे बता देना की हमने इसका वीडियो बना लिया है और तेज़ाब से दाग लगाना मत भूलना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा।
रचना गुस्से में पैर पटकती हुई रूम से बाहर निकल जाती है।
सुधीर- अरे यार वो तो चली गई।
अंकित- जाने दे यार, साली को फिर कभी पटा लेंगे, अभी इसको देख कितना गोरा बदन है, यार मेरा लौड़ा तो पैन्ट में तूफान मचा रहा है। यार इसके होंठ तो देख, कितने पतले हैं आ..हह.फ अपना लौड़ा साली के होंठों पर फेरता हूँ… तू चूत को चाट कर गीला कर… साली की अभी सील तोड़ता हूँ.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
दोस्तो, बीच में आने के लिए सॉरी। मैं आपको बता दूँ कि अंकित तो सारी बात शॉर्ट में ही बता रहा है, इतना डीप में नहीं। मगर आप लोगों को चुदाई का भरपूर मज़ा मिले इसलिए वहाँ क्या हुआ, ये मैं आपको विस्तार से बता रही हूँ ओके…एंजाय…!
अंकित आपने कपड़े निकाल देता है। उसका 7″ का लौड़ा आज़ाद हो जाता है।
पूनम- उउउ आ..हह.. उफ्फ धीरे… अईआइ आ..हह.. प्लीज़ आ उई आईए आह…!
अंकित लौड़े को पूनम के होंठों पर घुमाने लगता है, वो पूनम का मुँह खोल कर लौड़ा अन्दर डाल देता है। वो चूस नहीं रही थी, अंकित बस मुँह में आगे-पीछे करने लगता है।
सुधीर- वाउ क्या टेस्टी चूत है यार.. आज तक सील-पैक चूत नहीं चाटी, मज़ा आ रहा है। इसकी चूत बहुत टाइट है, ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा हूँ, पर जा ही नहीं रही।
अंकित- आह उफ़फ्फ़ साली के मुँह में इतनी गर्मी है, तो चूत में कितनी होगी आहह आ क्या मज़ा आ रहा है… तू बस चूत को चाट यार ऊँगली मत कर, मेरे लौड़े से आपने आप इसकी सील टूट जाएगी और चूत खुल भी जाएगी।
सुधीर- यार रुक मुझे भी नंगा होने दे, अन्दर साला लंड, मचल रहा है।
सुधीर भी नंगा हो जाता है, इसका लौड़ा भी अंकित की तरह मोटा और 7″ का ही था। उसने लौड़ा चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अंकित- अबे साले क्या कर रहा है? हट वहाँ से तेरा क्या भरोसा चूत पर रगड़ता-रगड़ता कहीं अन्दर डाल देगा। ला अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब साली को चोदने दे।
सुधीर वहाँ से हट जाता है और सिम्मी के मम्मे चूसने लगता है। अंकित लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर चूत पर टिका देता है।
पूनम- उउउ आआ आह न नहीं प्लीज़ आ आ उफ्फ आ मत तड़पाओ उहह आ प्लीज़ आ..हह.. नहीं आ…!
अंकित लौड़े पर दबाव बनाता है, पर वो ऊपर निकल जाता है। दोबारा ट्राई करता है, तो नीचे फिसल जाता है।
अंकित- उफ साली चूत है या तिजोरी… खुलती ही नहीं.. अबे सुधीर साले हिला मत, एक तो लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा और तू कुत्तों की तरह मम्मे को दबा रहा है, चूस रहा है…!
सुधीर- रूको यार मैं ऊँगली से चूत की फाँक खोलता हूँ तुम टोपी अन्दर फँसा कर ज़ोर का झटका मार दो… लौड़ा आपने आप घुस जाएगा।
अंकित- अबे साले तू तो ऐसे बोल रहा है, जैसे मैं पहली बार किसी को चोद रहा होऊँ। भूल गया क्या रागिनी की कैसी दमदार चुदाई की थी मैंने और अनिता तो मेरे लंड की दीवानी है।
सुधीर- यार तुम भी ना किन रण्डियों की बात कर रहे हो..! दिन भर में ना जाने कितने लौड़े उनकी चूत में जाते हैं। वो उनका धन्धा है ऐसी सील पैक चूत मारी है कभी.. जो बात कर रहे हो..! चलो हटो मैं मदद करता हूँ..!
सुधीर ऊँगली से चूत को खोल देता है और अंकित दोबारा से बहुत सारा थूक चूत के अन्दर तक लगा देता है और आपने लौड़े को भी चिकना कर लेता है। फिर टिका देता है चूत के मुँह पर।
अंकित- आ..हह.. उफ्फ हाँ टोपी अन्दर फंस गई। अब धक्का मारता हूँ.. तू हाथ हटा लेना जल्दी से…!
सुधीर- ओके.. मार दे यार।
अंकित ज़ोर से एक धक्का मारता है, आधा लौड़ा सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस जाता है। सिम्मी आधी होश में और आधी बेहोशी में थी, पर उस वक़्त वो अपनी पूरी ताक़त लगा कर चीखी।
सिम्मी- आआआ आआआआअह आ आआआआअ…!
अंकित- साले मुँह बन्द कर इसका… पूरे मोहल्ले को सुनने के बाद बंद करेगा क्या…!
सुधीर जल्दी से आपने होंठ सिम्मी के होंठों पर टिका देता है और अंकित आधे लौड़े को पीछे खींच कर एक और ज़ोर का धक्का मारता है। पूरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ अन्दर समा जाता है। सिम्मी के होंठ बन्द थे, पर उसकी साँसें अटक गई थीं, इस फोर्सफुल एंट्री से उसकी आँखें बाहर को आ गई थीं और सबसे मज़े की बात आपको बताऊँ दोस्तों कि रचना गई नहीं थी। वो वहीं रूम के डोर के पास खड़ी थी, डोर थोड़ा सा खुला हुआ था और वो आराम से ये सब रिकॉर्ड कर रही थी। उसकी हालत भी खराब हो रही थी। ये सब देख कर उसकी चूत गीली हो गई थी।
सुधीर- वाह यार.. एक ही बार में पूरा लौड़ा घुसा दिया। क्या अब चूस लूँ इसके निप्पल.. मैंने हाथ रखा हुआ है इसके मुँह पर…!
अंकित- आ..हह.. आह चूस ले साले जो चूसना है उफ्फ इसकी चूत बहुत टाइट है, यार लौड़ा छिल गया लगता है…. उफ्फ बहुत गर्मी है इसकी चूत में लौड़ा फँस सा गया है…!
सुधीर- उफ़फ्फ़ क्या रसीले मम्मे हैं साली के… आ..हह.. मज़ा आ रहा है, यार जल्दी कर मेरा लौड़ा अब ज़्यादा देर टिका नहीं रह सकता। मुझे भी इसकी चूत का मज़ा लेना है।
अंकित- आ आ..हह.. हाँ यार आ..हह.. बस मैं झड़ने वाला हूँ आ..हह.. उफ़फ्फ़ मैं गया आह ह…!
अंकित ने पूरा पानी सिम्मी की चूत में भर दिया और लौड़ा बाहर निकाल लिया।
सुधीर- अरे यार तूने तो सारी चूत खराब कर दी अब पानी साफ करके ही डालूँगा और ये क्या इसकी सील टूटी, पर खून इतना सा ही आया, ये कैसे…!
अंकित- हाँ यार बस ना के बराबर खून आया है। कहीं इसकी सील पहले ही तो नहीं टूटी हुई थी…!
सुधीर- नहीं यार मैंने चूत को गौर से देखा है। पहली बार आज तूने ही चोदा है। एक बात हो सकती है, शायद बचपन में खेल-कूद में इसकी सील टूट गई होगी।
अंकित- हाँ ये हो सकता है, ले आजा डाल दे लौड़ा चूत में मुझे ज़ोर की लगी है मैं आता हूँ बाथरूम होकर।
सिम्मी की आँखों से आँसू लगातार जारी थे। वो इस चुदाई और दर्द से टूट गई थी, मगर पता नहीं उन कुत्तों ने उसको कौन सी दवा दे दी थी कि बेचारी के हाथ-पाँव में जान ही नहीं थी।
सुधीर ने लौड़े पर थूक लगाया और एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में डाल दिया। इस बार सिम्मी को दर्द इतना ज़्यादा हुआ कि एक चीख के साथ वो बेहोश हो गई। 20 मिनट तक सुधीर उसको चोदता रहा और आख़िर उसका भी पानी निकल गया।
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08-23-2018, 11:43 AM,
#30
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना ने आपने मोबायल से पूरी क्लिप बना ली थी, मगर वो खुद भी काफ़ी गर्म हो गई थी। उसकी चूत रिसने लगी थी, मन तो उसका हुआ चुदने का, पर वो इन दोनों को आपने लायक नहीं समझती थी और वो मौका देख कर चुपके से वहाँ से निकल गई।
अमर वहीं बाहर खड़ा था। रचना को जाता देख कर वो चुपके से अन्दर घुस गया।
अंकित- क्यों यार चोद दिया क्या साली को..! अब मेरी बारी है।
सुधीर- हाँ आजा यार साली बेहोश हो गई है, मैंने झटका मारा तो गई काम से…!
अमर- अबे सालों ये क्या है, क्या कर रहे हो तुम सिम्मी के साथ…!
अमर को देख कर दोनों चौंक जाते हैं।
अंकित- त..तू यहाँ कैसे…!
अमर- मैंने कहा था न… मेरी नज़र तुम दोनों पर है।
सुधीर- अरे सब बातें छोड़… ये देख सिम्मी की जवानी तुझे आवाज़ दे रही है, जा मज़े कर डाल दे चूत में लौड़ा…!
अमर- नहीं यार इसकी गाण्ड मुझे बहुत पसन्द है… मैं तो गाण्ड ही मारूँगा और रचना यहाँ इतनी देर तक क्या कर रही थी…!
सुधीर- अरे कुछ नहीं इसका एमएमएस बना रही थी।
अमर- भाड़ में जाने दो सब.. यार इसके मम्मे क्या मस्त खड़े हैं आ..हह.. मैं तो पहले इनका रस पीऊँगा…!
अमर ने पहले कपड़े उतारे और सीधा बेड पर लेट कर सिम्मी के मम्मे चूसने लगा। वो दोनों भी कहाँ पीछे थे, वो भी साथ हो लिए अंकित चूत चाटने लगा और सुधीर उसके होंठों पर लौड़ा फेरने लगा।
सिम्मी को होश आने लगा था। अमर का लौड़ा भी तन गया था। उन तीनों ने सिम्मी के जिस्म पर जगह-जगह काट लिया था, जिसके कारण उसके शरीर पर निशान पड़ गए थे।
अमर- बस अब लौड़ा बहुत गर्म हो गया है। साली की गाण्ड को फाड़ता हूँ अभी, मेरी बहन से ज़्यादा खूबसूरत बनने की सज़ा तो इसको मिलनी ही चाहिए…!
अमर उसको पेट के बल लेटा देता है और लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर गाण्ड पर टिका देता है। सुधीर गाण्ड का होल ऊँगली से खोलकर उसकी मदद करता है।
सुधीर- डाल दे अमर…. कुँवारी गाण्ड है। मज़ा आ जाएगा।
अमर एक ही झटके में लौड़ा गाण्ड में घुसा देता है। सिम्मी का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया था। वो चीख भी नहीं पाई और फिर से बेहोश हो गई।
अमर ज़्यादा समय गाण्ड की गर्मी बर्दाश्त ना कर सका और झड़ गया।
अमर- आ मज़ा आ गया.. क्या टाइट गाण्ड थी साला पानी जल्दी निकल गया, मज़ा खराब हो गया।
अंकित- कोई बात नहीं राजा, अभी देख लौड़ा कैसे डालते है।
सुधीर- हाँ देख हम दोनों साथ में डालते हैं आगे और पीछे..!
दोस्तों सिम्मी बेहोश थी, उसकी हार्ट-बीट कम हो गई थी, वो पहली बार चुद रही थी।
अमर- आ..हह.. मैं थक गया हूँ… तुम चोदो मैं तो जाता हूँ अब 3 बार मेरा पानी निकल गया अब हिम्मत नहीं है।
सुधीर- हाँ जाओ हम भी थक गए, थोड़ा रेस्ट करेंगे, उसके बाद दोबारा इसको चोदेंगे।
अमर वहाँ से चला गया और सिम्मी बेहोश पड़ी थी। थोड़ी उसको पूरी तरह होश आ गया था, बदन पूरा अकड़ गया था। चूत और गाण्ड का ऐसा हाल था कि जरा सा हिलाने से जान निकल रही थी।
आख़िर पूरी हिम्मत जुटा कर बैठ गई। तभी सुधीर की आँख खुल गई, उसने अंकित को भी उठा दिया।
अंकित- क्यों रानी… कहाँ जा रही हो, मज़ा आया न.. चुदाई में साली बेहोश बहुत होती है तू… आ..हह.. बदन अकड़ गया तेरे को चोदते-चोदते पर साली प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती। साली मेरा मन था, एक बार और तेरी गाण्ड मारूँगा… उठ साली कपड़े पहन और निकल यहाँ से…!
सिम्मी- मेरी हिम्मत नहीं हो रही, मुझे कपड़े पहनने दो ना प्लीज़…!
सुधीर- क्यों साली अकड़ निकल गई सारी… चल मैं पहना देता हूँ अब जब हम बुलाएं चुपचाप आ जाना। एमएमएस याद है ना, सब को पता चल जाएगा की तू रंडी है।
सुधीर उसको कपड़े पहना देता है उसकी हालत ठीक करके उसको चलने के लिए बोलता है। आधा घंटे की मेहनत के बाद वो उसको थोड़ा चलने के काबिल बना देता है।
अंकित- अरे यार क्या नाटक है, साली को धक्का मार कर बाहर निकाल दे न….!
सुधीर- नहीं यार काम की चीज है, बेचारी की चूत और गाण्ड फट गई है, कहाँ चल पाएगी? इसलिए इसको बाइक पर छोड़ कर आता हूँ। तू घर को लॉक कर देना ओके.. चल जानेमन अब बाहर तक तो चल सकती है न…!
सिम्मी बड़ी मुश्किल से चल कर बाहर तक गई। सुधीर किसी तरह उसको उसके घर कर तक ले गया। वहाँ उस समय कोई नहीं था, वो उसको अन्दर ले गया। रूम में बेड पर लिटा कर वो जाने लगा।


सुधीर और अंकित पूरी बात शरद को बता देते हैं लास्ट में सुधीर बोलता है।
सुधीर- बस भाई यही कहानी है, इतना बोलकर मैं वहाँ से निकल गया था। रात को पता चला उसने अपने आप को खत्म कर लिया। हम बहुत डर गए थे इसलिए कई दिन तक छुपे रहे।
ये सब सुनकर शरद की आँखों में आँसू आ गए, सचिन को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो आगे बढ़ा तो वक़्त रहते शरद ने उसको रोक दिया।
सचिन- नहीं भाई मैं इन कुत्तों को…!
शरद- हाँ सचिन इन्होंने मेरी सिम्मी को इतनी तकलीफ़ दी, उस बेचारी को कैसे नोचा है। इनको इतनी आसान सजा देना, सिम्मी का बदला नहीं होगा और सबसे बड़ी बात उस रंडी ने जिसने सिर्फ़ जलन में अंधी होकर ये कांड करवाया, उसको तो ऐसी सज़ा दूँगा कि दोबारा कोई ऐसा करने की सोचेगा भी नहीं…!
अंकित- हमें माफ़ कर दो, प्लीज़.. जो आप कहोगे, हम करेंगे प्लीज़ उसने हमारे साथ धोखा किया है।
सुधीर- हाँ भाई पूनम के साथ ये सब करने के बाद हमने उससे पैसे माँगें, तब हमें पता चला कि उस समय वो गई नहीं थी, उसने हमारा वीडियो बना लिया था।
वो हमें बोल रही थी कि तुम्हारी औकात से ज़्यादा तुमको मिल गया है अब ज़्यादा बात की तो पुलिस को ये वीडियो दिखा दूँगी रेप और मर्डर के चार्ज में अन्दर हो जाओगे दोनों… अब जाओ यहाँ से। भाई प्लीज़ प्लीज़ माफ़ कर दो ना…!
शरद- ठीक है, मगर जिस तरह सिम्मी के साथ किया उससे भी ज़्यादा रचना के साथ करना, उसको तड़पाना…! मैं उसको तड़पता हुआ देखना चाहता हूँ। उसे
सिम्मी के दर्द का अहसास दिलाना चाहता हूँ।
अंकित- हम तैयार हैं भाई बस आप बताओ, हमें क्या करना होगा…?
सचिन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब कौन सा गेम बाकी है। सब तो पता चल गया है हमें, वो कुछ बोलना चाहता है, पर शरद आँखों से उसको इशारा कर देता है और वो चुप हो जाता है।
एक मिनट बाद ही शरद का फ़ोन बज उठता है। शरद फ़ोन उठा कर हैलो बोलता है।
धरम अन्ना- तुम कहाँ होना जी.. हम गेट के अन्दर आ गया जी…!
शरद- बस पाँच मिनट रूको मैं आता हूँ।
सचिन- भाई इनका क्या करना है…?
शरद- इन दोनों ने जो किया उसके लिए इनको माफ़ करना तो नामुमकिन है, पर रचना को सबक़ सिखाने के लिए हमें इनका गुनाह भूलना होगा।
सुधीर- हाँ भाई प्लीज़ हमें माफ़ कर दो…!
शरद- ओके ओके… लेकिन अभी तुम यहीं रहो मैं बाहर सम्भालता हूँ जब बुलाऊँ, तब आना सचिन तुम भी यहीं इनके साथ रहो।
शरद बाहर चला जाता है। धरम अन्ना पाँच-सात लोगों के साथ बाहर खड़ा था। कैमरा वगैरह भी उनके पास था और पता नहीं बॉक्स में क्या था।
धरम अन्ना- हैलो जी कैसा होना तुम..! हम सब संभाल लिया जी, बस वो छोकरा थोड़ा टेढ़ा होना जी। उसके कारण हमको थोड़ा समय होना जी..!
शरद- अच्छा किया, ये लोग भरोसे के तो है ना…!
धरम अन्ना- क्या बात करता जी ये 100% पूरे हम अपने आप पर शक कर सकता, इन पर नहीं जी…!
शरद- आओ सब अन्दर आओ।
बाहर शरद के भी आदमी थे। उनको कोल्ड ड्रिंक्स का कह कर वो सब अन्दर अलग
रूम में बैठ जाते हैं और नॉर्मल बातें करने लगते हैं।
दोस्तों इनको ठंडा-वंडा पीने दो, हम ललिता और रचना के पास चलते हैं। जब शरद ललिता को छोड़ कर गया। उसके बाद वहाँ क्या बातें हुईं, वो जानते हैं।
रचना- ललिता शरद जी कहाँ थे और तुम इतनी देर बाद क्यों आई…!
ललिता- ओह्ह दीदी शरद जी बाहर के गेट पर धरम अन्ना का वेट कर रहे थे। मैं रूम्स में ढूंढ रही थी, तो समय लग गया।
रचना- अच्छा अभी तो तेरे को चलने में तकलीफ़ हो रही थी, अब कैसी है चूत…!
ललिता- अब ठीक है दर्द तो, पर एक बात कहूँ दीदी आप के हाथ और पैर पर
चमक नहीं है आप हेयर-रिमूव करके आओ। क्या पता आज शूटिंग के समय धरम अन्ना को अच्छा ना लगे।
रचना- अरे कहाँ है.. कल ही तो किए थे मैंने…!
ललिता- ओह्ह शूटिंग आज है, आपकी मर्ज़ी वैसे उस बड़े कैमरे में ये साफ दिखेंगे।
रचना- ओके यार मैं बाथरूम जाती हूँ।
ललिता- हाँ अच्छे से कर आओ, मैं दूसरे रूम के बाथरूम में गर्म पानी से चूत को सेक आती हूँ।
रचना- ओके जाओ।
रचना बाथरूम में घुस जाती है और ललिता रूम से बाहर निकल कर ऊपर जाने लगती है और एक रूम के बाहर जाकर रुक जाती है। दोस्तों ये वही रूम है, जहाँ से अशोक इनको देख रहा है।
ललिता रूम नॉक करती है।
अशोक- कौन है… रूको, एक मिनट आता हूँ..!
जब अशोक डोर खोलता है उसके होश उड़ जाते हैं। ललिता यहाँ कैसे आ गई..!
वो कुछ बोलता इसके पहले ललिता अन्दर आ जाती है। लेकिन अशोक ने डोर खोलने के पहले वीडियो बन्द कर दिया था।
ललिता- मुझे आप से जरूरी बात करनी है, प्लीज़ डोर बन्द कर दो।
अशोक डोर बन्द कर देता है और चुपचाप ललिता को देखने लगता है।
ललिता- अशोक मेरी बात ध्यान से सुनना और प्लीज़ पूरी सुनना। उसके बाद जो तुम्हारा मन हो से वो करना।
अशोक- तुम यहाँ कैसे आ गईं..!
और.. वो आगे कुछ बोलता इसके पहले।
ललिता- पहले मेरी बात सुन लो, उसके बाद सब समझ आ जाएगा। आप वहाँ आराम से बैठो।
अशोक बेड पर बैठ जाता है।
ललिता- मैं जानती हूँ तुम पूनम के भाई हो और तुम सब उसकी मौत का बदला लेने के लिए यहाँ आए हो।
अशोक ये सुनकर बेड से उठ जाता है।
ललिता- प्लीज़ आप बैठ जाओ, मेरी पूरी बात तो सुन लो पहले प्लीज़…!
अशोक- ओके कहो…!
ललिता- आप ये मत सोचो कि मैंने तुम लोगों की बात सुन ली हैं। मुझे पहले से सब पता है, डरो मत, मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है, बस तुमसे ये कहने आई हूँ कि पूनम की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है। उसके साथ क्या
हुआ, ये भी मैं नहीं जानती हूँ। हाँ अभी सुधीर और अंकित जब बता रहे थे, तब थोड़ी बात मैंने सुनी थी और मेरी बस एक ग़लती है कि मैंने उस दिन रचना दीदी को ये कह दिया था कि उस पर तेज़ाब डलवा दो, पर आप मेरा यकीन करो मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैंने तो बस ऐसे ही कह दिया था। उसके पीछे कुछ और ही वजह थी। अब आप चाहो तो मुझे मार दो मैं उफ्फ तक नहीं करूँगी और चाहो तो मुझे माफ़ कर दो मैं आप लोगों का साथ दूँगी। रचना दीदी को सज़ा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने काम ही ऐसा किया है।
अशोक- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या बोल रही हो। हाँ शक तो मुझे हुआ, जब तुमने रचना से झूट कहा कि शरद बाहर था, जबकि तुम
जानती हो हम सब कहाँ थे। दूसरी बात तुमने सुधीर और अंकित का नाम भी
नहीं लिया। मैं कब से बैठा यही सोच रहा हूँ कि आख़िर चक्कर क्या है…!
ललिता- मैं जानती हूँ आप लाइव वीडियो में देख रहे हो, ये बात भी मुझे
पता है। आप सब बहुत सावधानी से सब कुछ कर रहे हो, पर मैं सब जानती हूँ और कैसे जानती हूँ ये अभी नहीं बताऊँगी। पहले आप अपना फैसला
बताओ कि मेरे साथ क्या करना है। चाकू मारकर मेरा पेट फाड़ना है या लौड़ा
डालकर मेरी चूत… फैसला आपका है, पर मैं बेकसूर हूँ… ये याद रखना बस…!
अशोक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।
ललिता उसके करीब जाकर उसके लौड़े पर हाथ घुमाने लगती है।
ललिता- आप अगर मुझे मारना चाहते हो, तो पहले इसकी प्यास बुझा लो मैं समझूँगी मरने से पहले आपके कुछ तो काम आई।
अशोक चुपचाप बैठा रहता है। इससे ललिता का हौसला और बढ़ जाता है।
वो लौड़े को अब दबाने लगती है। अशोक के मुँह से ‘उफ्फ’ निकल जाती है।
ललिता उसकी पैन्ट खोलने लगती है तो अशोक उसका हाथ पकड़ लेता है।
ललिता- अशोक प्लीज़ ज़्यादा मत सोचो मेरी बात मान लो।
ललिता पैन्ट का हुक खोल देती है। अशोक कुछ नहीं बोलता है। अब ललिता समझ जाती है कि अशोक को मज़ा आ रहा है, वो जल्दी से उसका लौड़ा बाहर निकाल लेती है, जो धीरे-धीरे कड़क हो रहा था। ललिता बिना कुछ सोचे जल्दी से उसको मुँह में ले लेती है और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ सीईई ललिता हटो आ..हह…..!
ललिता बात को अनसुना कर देती है। लौड़ा अपने आकार में आ जाता है। पूरा 8″ का लौड़ा ललिता चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ आ..हह.. ललिता हटो आ..हह.. आह…!
दोस्तों चाहे कुछ भी हो एक जवान लड़की और खास कर ललिता जैसी सेक्सी आइटम लौड़ा चूसे तो उसे मना करना मुमकिन नहीं है। यही हाल अशोक का था, वो बस बोल रहा था कि हट जाओ ये ठीक नहीं है, मगर मज़ा पूरा ले रहा था और ललिता भी शातिर थी। होंठों को भींच कर लौड़े को ऐसे अन्दर-बाहर कर रही थी, जैसे लौड़ा चूत में जा रहा हो।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ फक यू बेबी आ गुड यू… कसम से पहली बार पता आ..हह.. चला कि देखने में और करने में कितना फ़र्क है उफ्फ…!
अशोक बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो जाता है और अपने हाथ से लौड़े को हिलाने लगता है।
ललिता- क्या हुआ जानू फास्ट चाहिए मैं हूँ ना रूको।
इतना कहकर ललिता स्पीड से लौड़े को हाथ से हिलाने लगती है और मुँह से चूसने लगती है। अब तो अशोक की हालत खराब हो गई थी। मुँह और हाथ के
मज़े में वो डूबता चला गया। उसका बाँध टूटने वाला था।
अशोक- ह ह उफ़फ्फ़ ललिता आई एम कमिंग आ आई एम कमिंग…!
ललिता ने आँखों से इशारा किया, “आने दो” अशोक के लौड़े ने पिचकारी पर पिचकारी मारनी शुरू कर दी। ललिता का पूरा मुँह वीर्य से भर गया सारा पानी वो गटक गई। अशोक ने लंबी सांस लेते हुए लौड़ा बाहर निकाला और बेड पर बैठ गया।
ललिता- क्यों जानू मज़ा आया ना…!
अशोक- हाँ जान बहुत मज़ा आया, तेरे मुँह में इतना मज़ा आया तेरी चूत में कितना आएगा…!
ललिता- वो भी आजमा कर देख लो, कहो तो निकालूँ कपड़े…!
अशोक- नहीं अभी रहने दो और तुम चाहती क्या हो वो बताओ इतना तो मैं समझ गया कि तुम जितनी मासूम दिखती हो, उतनी हो नहीं…!
ललिता- मेरी चाहत तो बहुत है, फिलहाल बस मेरी एक बात मान लो मुझे अपने इन्तकाम से आज़ाद कर दो, मैंने कुछ नहीं किया है और बाकी जो करना चाहो, सो करो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।
अशोक- मैं कैसे मान लूँ कि इसमें तुम्हारी कोई चाल हुई तो…!
ललिता- चाल होती, तो मैं यहाँ नहीं आती, सीधे पुलिस के पास जाती समझे..! मुझे पता है, दीदी ने गलत किया है पर मेरा तो कोई कसूर नहीं है न…! बस यही समझाने आई हूँ।
अशोक- ये बात तो तुम शरद को भी बता सकती थी, फिर मेरे पास क्यों आई हो…!
ललिता- जानती हूँ, शरद को बताती, तो वो मेरी बात आराम से मान लेते पर तुमको ये लगता कि शरद को क्या फ़र्क पड़ता है, उसको तो सिम्मी गई और मिल गई…। बहन तो तुम्हारी खोई है, इसलिए मैंने सोचा तुम मान गए तो सब मान जाएँगे।
अशोक- ओके ठीक है, पर अभी किसी को कुछ मत बताना, मैं शरद को मौका
देख कर खुद बता दूँगा। अब तुम जाओ यहाँ से।
ललिता- ओके जानू बाय थैंक्स मुझे माफ़ करने के लिए एंड आई लव यू।
अशोक- ओके लव यू टू जान, जाओ अब…!
ललिता ये सुनकर ख़ुशी से अशोक से लिपट जाती है और उसके होंठों पर चुम्बन कर के वहाँ से चली जाती है।
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