10-06-2018, 01:33 PM,
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RE: Kamukta Kahani जुआरी
कामिनी तो उसकी बात सुनकर ही काँप सी गयी....
रोज उसकी गांड में ये लंड गया तो उसकी गांड का चबूतरा बनते देर नही लगेगी...
पर मज़ा भी तो मिलेगा कितना.....
इसलिए उसके मुँह से सिर्फ़ यही निकला...
''मार लियो मेरे राजा....रोज मार लियो....''
उसकी गांड में अपना लोड निकाल कर वो अपने आप को खाली-2 सा महसूस कर रहा था..
बाद में दोनों सहेलियों ने मिलकर कुणाल के लंड को मुंह में भर लिया और उसे साफ़ करके अच्छे से चमका दिया
कामिनी उठकर बाथरूम में जाकर नहाने लगी...
कुणाल को भी उसने वही बुला लिया...
पीछे-2 इंद्राणी भी पहुँच गयी और तीनो एकदूसरे को रगड़ -2 कर नहाए..
कुछ देर बाद इंद्राणी तैय्यार होकर निकल गयी...
कुणाल भी अपने क्वार्टर में वापिस आकर सो गया...
कामिनी भी बेसूध सी होकर बिस्तर पर नंगी ही सो गयी...
आज उसके बदन का हर अंग दुख रहा था...
अभी तो सिर्फ़ कुणाल ने उसे चोदा था पर ऐसा लग रहा था जैसे उसका गैंग रेप हुआ है...
और पायल बेचारी, किचन में बैठी अपनी चूत मसल रही थी और सोच रही थी की काश वो भी शामिल हो पाती उनके गेंग-बेंग में...
पर उसे विश्वास था की आज की रात जो दीवाली की रात वाला धमाल होने वाला है, उसके बाद उसे अपनी चूत को ऊँगली से रगड़ने की नौबत नही आएगी...
कभी नही आएगी.
शाम होते-2 पूरा बंगला रोशनी से नहा उठा...
विजय भी घर आ चुका था और उसी वजह से अब वहां दीवाली के गिफ्ट देने वालो का ताँता लगा हुआ था..
और लोग इतने ज़्यादा थे की कामिनी मेडम को भी अलग बैठकर मिलने वालो से गिफ्ट लेने का काम करना पड़ा..
कामिनी ने कुणाल को अपने साथ बिठा लिया और विजय ने पायल को, ताकि वो उनकी मदद कर सके..
और पूरा समय दोनो जोड़े एक दूसरे को आँखो से चोदने में लगे रहे..
रात को पूजा के वक़्त कामिनी ने कुणाल और पायल को नये कपड़े और दीवाली का इनाम दिया...
उन दोनो के लिए ख़ास तौर से इनाम दिया गया था इस बार..
और पूजा के बाद थोड़े बहुत बम्ब पटाखे जलाए और फिर विजय पेग लेकर बैठ गया.
आज की रात उसका जम कर दारू पीने का और पायल की बजाने का मन था पर आज की रात जुआ खेलने की प्रथा भी तो निभानी ही थी, और उसी की आड़ में वो चुदाई का डबल मज़ा भी लेना चाहता था.
इसलिए उसने कुणाल और पायल को ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में आने को कहा और कामिनी को भी कपड़े चेंज करके वहीं बुला लिया...
कामिनी एक सेक्सी सी नाईटी पहन कर वहां आ गयी, अंदर उसने कुछ भी नही पहना हुआ था, उसे अच्छे से पता था की थोड़ी देर में ये भी उतारना पड़ेगा.
पायल ने कामिनी की दी हुई नयी साड़ी पहनी हुई थी और कुणाल ने कुर्ता पायज़ामा.
विजय ने ताश की गड्डी निकाली और कुणाल के साथ खेलने बैठ गया...
कामिनी ने सबके लिए पेग बनाए और पायल उन्हे सर्व करने लगी.
वैसे तो सभी के मन में इस वक़्त सिर्फ़ सैक्स ही सैक्स घूम रहा था फिर भी मंत्री जी की इजाज़त के बिना वो खेल अभी शुरू नही हो पा रहा था..
और उपर से विजय ने जब ताश की गड्डी निकाली तो सभी समझ गये की एक बार फिर से वही चूतिया राग शुरू होने वाला है... जिसमें बाजी जीतने वाले को मज़े मिलेंगे...
पर किसी की समझ में ये नही आ रहा था की एक दूसरे के सामने नंगे होकर चुदाई करने के बावजूद भी ये जुआ खेलने की क्या ज़रूरत है, सीधा ही चुदाई कर लेनी चाहिए ना..
पर विजय के सामने किसी की सवाल पूछने की हिम्मत नही थी..
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10-06-2018, 01:34 PM,
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RE: Kamukta Kahani जुआरी
विजय ने कुणाल को अपने पास बिठाया और 3-3 पत्ते बाँट दिए...
और पत्ते उठाने से पहले वो बोला : "आज दीवाली है,इसलिए कुछ धमाकेदार होगा यहाँ पर, जो आज से पहले शायद नही हुआ होगा...''
ऐसा कहते हुए उसने अपनी बीबी और पायल के चेहरों की तरफ देखा, क्योंकि आज उन दोनो की जम कर लगने वाली थी..
विजय : "आज का खेल हमेशा की तरहा कुणाल और मेरे बीच चलेगा... लेकिन इस खेल मे हारने वाला खुद ही अपनी बीबी से वो सब जीतने वाले के लिए करवाएगा, जो वो अगली गेम जीतने पर खुद के साथ करवाने की इच्छा रखता हो...''
सभी एक दूसरे के चेहरों को देखने लगे...
कुणाल और कामिनी तो समझ गये पर वो बोडम महिला पायल नही समझ पाई...
फिर कामिनी ने उसे समझाया
कामिनी : "इनके कहने का मतलब है की अगर तुम्हारा पति कुणाल हार गया तो वो खुद तुम्हे कुछ करने को कहेगा और वो तुम्हे करना भी पड़ेगा विजय के साथ...और वो इसलिए की विजय अगली गेम में जब हारेगा तो मुझे भी सेम तो सेम कुणाल के साथ करना पड़ेगा...''
कुणाल ने मन में सोचा 'सीधा बोलो ना मेंमसाब्, चुदाई करनी पड़ेगी...ये कुछ-2 क्या होता है...'
सारी बात सुनकर पायल भी शरमा कर रह गयी...
इस गेम के बाद होने वाली पॉसिबिलिटीस को सोचकर शायद उसकी चूत फिर से पनिया रही थी....
आज तक तो ऐसा नही हुआ था की उसके पति कुणाल ने खुद उसे किसी और से चुदने के लिए बोला हो...
आज वो भी देखने को मिलेगा..
और देखते है की इन मर्दों में कितनी हिम्मत है अपनी ही बीबी को दूसरे मर्द के सामने किस हदद तक पेश कर सकते है वो...
कुणाल ने अपने पत्ते उठा कर देखे और पहली बार में ही वो समझ गया की वही जीतेगा...
उसके पास 8,9,10 का सीक़वेंस आया था.
विजय ने अपने पत्ते देखे, उसके पास K का पेयर आया था.
दोनो मुस्कुरा दिए...
विजय को लग रहा था की वो जीत गया है, इसलिए उसने बड़ी ज़ोर से अपने पत्ते टेबल पर पटके और एक ठहाका भी लगाया...
पर कुणाल ने जब अपने पत्ते फेंके तो उसकी वो हँसी गायब हो गयी...
और कुणाल मुस्कुरा दिया.
कुछ वैसी ही मुस्कुराहट इस वक़्त कामिनी के चेहरे पर भी थी...
आज वो पहली बार अपने पति के कहने पर कुणाल के पास जाएगी...
पर शायद विजय ने इस बारे में भी सोच रखा था, क्योंकि अगली बार जीतने पर उसे भी तो पायल को उसी तरह से भोगने का अवसर मिलना था जैसा इस वक़्त कुणाल को मिल रहा था..
वो कामिनी से बोला : "तुम कुणाल के पास जाओ और कुणाल तुम्हारी गांड को चूमेगा...''
कामिनी के बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी ये सुनकर...
भले ही सुनने में थोड़ा अजीब सा लगा की उसका खुद का पति उसे ऐसा करने के लिए कह रहा है पर फिर भी उसे सुनकर जो रोमांच उसके अंदर दौड़ा उसका कोई और मुकाबला ही नही था...
कामिनी ने तो एक पतली सी नाईटी पहनी हुई थी जिसके अंदर भी कुछ नही था, उसने वो बड़ी ही बेबाकी से उतार दी
उसका नंगा और मदमस्त बदन कुणाल की प्यासी आँखो के सामने लहराने लगा..
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10-06-2018, 01:34 PM,
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RE: Kamukta Kahani जुआरी
वो जानबूझकर विजय की तरफ घूमी और अपनी फेली हुई गांड मटकाती हुई उल्टी चलकर कुणाल की तरफ जाने लगी... कुणाल को ऐसा लग रहा था जैसे शेर के मुँह में माँस खुद चल कर आ रहा है...
वो अपनी गांड को मतकाते हुए उसके करीब आई और फिर झुककर घोड़ी बन गयी....
कुणाल ने अपना ऊँट जैसा मुँह आगे किया और उसके मखमली बदन को किसी गली के कुत्ते की तरह सूँघा...
और फिर उसने कामिनी मेडम के कुल्हों पर अपने पंजे जमा कर अपने दाँत उसकी गांड पर गाड़ दिए..
वो दर्द से कराह उठी...
कुणाल के दांतो से उसके गोरे बदन पर लाल निशान बन गये...
दूर बैठा विजय अपनी पत्नी के उपर ऐसा अत्याचार होता देखकर भी कुछ नही बोल सका...
उसे तो अपनी बारी का इंतजार था, जिसमे वो उसका बदला लेने वाला था..
कुणाल ने अपनी जीभ निकाली और उसकी गांड को चाटने लगा...
जैसे उसपर शहद लगा हो...
और चाटते-2 वो उसकी गांड के छेद तक पहुँच गया
अंदर से आ रही भीनी खुहबु उसे दीवाना बना रही थी
उसे सुबह की गांड मराई याद आ गयी, उसने उसी पल को सोचकर, उत्तेजना में भरकर अपनी जीभ को कड़क किया और उसकी गांड के छेद में उतार दिया.
कामिनी का पूरा शरीर काँप रहा था
आज तक ऐसी तरंगे उसके बदन से नही निकली थी जैसी अब निकल रही थी...
पायल भी वो सब देखकर, अपनी आने वाली चुसाई के बारे में सोचकर, उत्तेजित होने लगी....
और उसी उत्तेजना में भरकर वो अपनी चूत को रगड़ने लगी..
कुणाल ने उसकी गांड को अच्छी तरह से चूसा, उसमे अपनी लार डालकर उसे अच्छे से रंवा कर दिया...
और फिर नीचे झुककर उसने चूत को भी चूसा...
कुछ देर रुककर उसने विजय को देखा, जैसे उनके अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहा हो..
विजय : "ओके ...अब आ जाओ, अगली बाजी के लिए...''
बेचारे कुणाल का दिल टूट सा गया....
उसका तो मन अच्छे से चूस्कर चुदाई करने तक का था, पर विजय था की खेल के माध्यम से वो सब धीरे-2 करवाना चाहता था..
विजय ने अगले पत्ते बिछाए और इस बार उसकी किस्मत अच्छी थी, फिर से उसके पास पेयर आया, इस बार 4 का पर फिर भी कुणाल के मुक़ाबले वो अच्छे पत्ते थे, क्योंकि कुणाल के पास तो 4,9,11 नंबर आए थे जो किसी काम के नही थे.
इसलिए विजय की नज़रें अब पायल की तरफ घूम गयी....
उसने तो बिना किसी के बोले अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी....
और ब्लाउस और पेटीकोट उतार कर एक किनारे फेंक दिया...
और हमेशा की तरह आज भी उसने अंदर ब्रा-पेंटी नही पहनी थी..
अब कुणाल की बारी थी..
वो पायल को बोला : "वही सब करो...जो विजय साहब ने पहले कहा था....जाओ...''
अपनी पत्नी को अपने मलिक के पास जाकर अपनी गांड चटवाने के लिए बोलना किसी पति के लिए आसान काम नही होता...पर आज इस दीवाली के जुए में वो सब बड़ी आसानी से हो रहा था.
पायल सीधा जाकर सोफे पर उल्टी होकर लेट गयी और पीछे गर्दन घुमा कर उसने विजय को अपनी आँखो के इशारे से बुलाया...
विजय मुस्कुराता हुआ आया और उसने अपना मुँह सीधा लेजाकर उसकी काली और सुगंधित गांड में डाल दिया... और ज़ोर से सूँघकर उसने अपनी जीभ को किसी चाक़ू की नोक की तरह उसकी गांड के छेद में उतार दिया..
''आआआआआआआआआआआआआआआहह .......... उम्म्म्मममममममममम''
ठंडे और कड़क छेद में गर्म जीभ का जाना ऐसा लग रहा था जैसे आइस्क्रीम में गर्म छुरी डाल दी हो...
वो खुद ही अपनी गांड को मटकाती हुई उसके मुँह पर दबाने लगी...
जैसा विजय ने सोचा था ठीक वैसा ही फील हो रहा था उसे...
उसने सुबह से ही सोच रखा था की आज उसकी गांड के छेद को चूस्कर वो उसे इतना चिकना कर देगा की उसका लंड उसमे आसानी से उतार जाए...
यानी वो उसकी कुंवारी गांड मारने के मूड में था आज.
ये वो काम था जो आज तक कुणाल भी नही कर पाया था..
वो सीधा सैक्स करने में विश्वास करती थी, पर आज विजय उसकी गांड की सील तोड़कर उसका स्वाद भी लेना चाहता था..
वो बुरी तरह से उसकी गांड को चूस रहा था...
उसके अंदर जीभ डालकर उसे ज़्यादा से ज़्यादा खोलने की कोशिश कर रहा था.
और इसी बीच उसने अपने लंड को भी बाहर निकाल लिया...
और पायल को खींचकर उसने थोड़ा उपर किया, उसे घोड़ी बनाया और अपने लंड को उसने गांड के छेद पर लगा दिया.
कुणाल की बारी में तो उसने खेल को वहीं रोक दिया था पर अपनी बारी आई तो उससे सब्र ही नही हुआ...
नौकर और मालिक में यही फ़र्क होता है..
और दूसरी तरफ अपनी गांड से आ रही करंट वाली फीलिंग से वो उभरी भी नही थी की उसे उसी छेद पर कुछ कड़क सा महसूस हुआ...
और इससे पहले की वो कुछ सोच पाती एक जोरदार झटके ने उसकी गांड के अंदर सजी बैठी कौमार्य की देवी के परखच्चे उड़ा दिए...
और एक तेज आवाज़ के साथ वो छटपटा उठी...
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10-06-2018, 01:34 PM,
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RE: Kamukta Kahani जुआरी
''आआआआआआआआआआआआआआआआहह माआआआाअलिइीईईईईईईईिक...... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईई अहह''
बेचारी ज़्यादा विरोध भी नही कर पाई....
और एक-2 इंच करता हुआ वो बेखौफ़ लंड उसकी गांड की टनल में उतरता चला गया...
बेशक पायल तड़पति रही पर ना तो विजय को उसपर दया आई और ना ही उसके पति कुणाल ने उसे रोका...
सभी को पता था की ये तो होना ही था...
कुणाल तो उल्टा खुश हो रहा था की चलो इसी बहाने पायल की गांड भी मारने को मिलेगी बाद में.
विजय ने जब अपना पूरा लोढ़ा उसकी गांड में उतार दिया तो उसने विजयी मुस्कान से सभी को देखा, जैसे किसी किले पर विजय पा ली हो...चित्तौरगढ़ किला फतह कर लिया था उसने
और फिर एक गहरी साँस लेकर वो उसकी गांड को बुरी तरह से मारने लग गया..
जैसा चूत के साथ होता है, वैसा ही गांड के साथ भी हुआ...
पहले दर्द हुआ फटने का और फिर मज़ा मिलने लगा....
और उसकी लय में आकर पायल भी अपनी गांड मटकाने लगी और चीखने चिल्लाने लगी..
''ओह मैय्य्य्ययाआआअ मज़ा आ गया.....साआब....... कसम से....... आप शहर वाले कितने तरीक़ो से मज़े लेते हो...... ऐसन मज़ा तो आगे से भी नही मिला आज तक..... मारो साब जोर से मारो..... आज से ये गांड आपके नाम हुई......''
ऐसी बेशरम औरत कम ही होती होंगी जो अपने पति के सामने होते हुए अपनी पहली गांड मरवाई अपने आशिक के नाम कर दे.
पर इस वक़्त कुणाल पर भी कोई ख़ास असर नही पड़ रहा था.....
उसकी और कामिनी मेडम की नज़रें मिल चुकी थी...
और अपनी आँख का इशारा करके कामिनी ने अपने पालतू कुत्ते को एक बार फिर से अपने करीब बुला लिया...
यानी जो जुए का खेल पूरी रात चलने वाला था, वो पहली गेम में ही ख़त्म होकर रह गया...
और अब जो पूरी रात चलने वाला था वो था सैक्स का नंगा नाच.
कुणाल ने कामिनी के पास पहुँचने से पहले ही अपने सारे कपड़े उतार फेंके...
और अपनी टाँगो के बीच झूलता हुआ काला भूसंद लंड लेजाकर उसने कामिनी मेडम के चेहरे के सामने पेश कर दिया...
वो उसपर ऐसे झपटी जैसे बरसों की प्यासी हो...
और हाथ में पकड़ते ही उसे मुँह में ले जाने में भी देर नही लगी.
लंड को अच्छी तरह से चूसने के बाद उसने अपनी टांगे फेला दी....
उसे पहले तो अपनी चूत में रेंग रही चिंटीयों को उसके मूसल से रोंदना था, उसके बाद कोई दूसरा काम करना था..
कुणाल को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी
उसने उसकी दोनो टाँगो को पूरब और पश्चिम की दिशा में ऐसे फेलाया जैसे वो उसे चीर ही डालेगा...
और फिर उसकी उभर कर बाहर निकली चूत में जब उसने अपना लंड पेला तो वो बेचारी चरमरा कर रह गयी....
''आआआआआआआआआअहह कुणालाआआआआआआआआआअ.... मेरी ज़ाआाआआआन्णन्न्''
ये 'जान' उसने विजय को सुनाने के लिए ही बोला था जो बड़ी मस्ती में भरकर पायल की गांड मार रहा था....
कामिनी अक्सर बेड पर विजय को भी ऐसे ही बुलाती थी....
विजय ने वो सुना और उसे अनसुना सा करता हुआ अपनी वाली जान की तरफ ध्यान लगा दिया यानी पायल की तरफ...
क्योंकि अपनी गांड का कुँवारापन लूटाकार वो उसकी जान जो बन चुकी थी.
वो भी चिल्लाया : "ओह मेरी जान ..... क्या मस्त गांड है तेरी पायल..... मज़ा आ गया इस दीवाली का...
उधर कुणाल का लंड तो कामिनी की चूत में तबाही मचा रहा था....
उसने अपनी दोनो टांगे उसकी कमर में लपेट दी और खुद को कुणाल के जिस्म से बाँध सा लिया...
जैसे उसमें समाकर , पूरी की पूरी उसी की होकर रह जाना चाहती हो...
कुणाल भी उसके फूल जैसे बदन को हवा में लेकर चोदने लगा....
उसे गोद में उठाकर वो उसकी गांड पर हाथ लगाकर उसकी चुदाई कर रहा था.
दूसरी तरफ विजय के लंड से बर्दाश करना मुश्किल हो रहा था....
कुँवारी गांड का छल्ला होता भी बड़ा टाइट है, उसकी पकड़ से लंड को ओर्गास्म के करीब पहुँचने में ज़रा
भी टाइम नही लगा और वो ज़ोर -2 से चिल्लाता हुआ उसकी गांड में झड़ने लगा..
''आआआआआआआआआआआआअहहउहह माय गॉड ........ वॉट ए फीलिंग..... मज़ा आ गया........ ऐसी टाइट गांड आज तक नही मारी .......... कमाल की चीज़ है तू पायल......... आअहह..... सच में .... मज़ा आ गया.....''
अपने मालिक को खुश करके पायल भी काफ़ी खुश थी....
उसे भला और क्या चाहिए था.
कुछ देर बाद जब विजय का सारा पानी उसकी गांड ने सोख लिया तो वो पलटी और अपने मालिक के लंड को मुँह में लेकर उसने उसे अच्छे से सॉफ किया....
और उसे चमकाकर उनसे लिपट कर गहरी स्मूच में डूब गयी...
कुणाल अपना लंड बाहर निकाला और कामिनी मेडम को टेबल पर लिटा कर उनकी चूत मारने लगा...
और उसके मोटे-2 मुम्मो से खेलता हुआ, वो कामिनी की चूत का बाजा बजाने लगा..
करीब आधे घंटे से चल रहे उनके चुदाई के खेल को कभी ना कभी तो ख़त्म होना ही था, उनका भी हो गया जब कुणाल के लंड ने कामिनी की चूत में पानी बरसाना शुरू कर दिया....
उसने अपना लंड बाहर निकाला और पीछे -२ ढेर सारा माल भी बाहर निकल आया, जिसे कामिनी ने अपनी चूत पर मल लिया
कामिनी के पूरे शरीर को उसने अपने लंड के पानी से सींच डाला..
कामिनी भी करीब 4 बार झड़ चुकी थी....
जब से कुणाल ने उसकी मारनी शुरू की थी तब से वो हमेशा 3-4 बार झड़ जाया करती थी...
इसलिए शायद उसे भी इस नये खेल में काफ़ी मज़ा मिल रहा था.
कामिनी ने भी कुणाल के लंड को अपने मुँह में लेकर सॉफ किया और उससे लिपट कर, उसकी गोद में चढ़कर एक सोफे पर बैठ गयी.
कामिनी ने ताश के पत्तो की तरफ देखा और मन ही मन उन्हे थेंक्स कहा क्योंकि उन्ही की वजह से ये नयी जिंदगी सबको जीने को मिली थी...
और सबसे बड़ा थेंक्स उसने कुणाल के मोटे लंड को कहा जिसने उसे चुदाई की नयी परिभाषा सिखाई थी.
विजय अपना पेग बनाकर कामिनी के मोम्मे चूसता हुआ फिर से मस्त होने लगा...
और कामिनी भी एक पेग लगाकर अपनी गांड मराई की तैयारी करने लगी.
वो खेल पूरी रात चला, कभी मुँह में लंड तो कभी गांड में...
कभी चूत में तो कभी नर्म हाथ में ....
ऐसे ही उन दोनो मादकता से भरी जवानियो ने अपने-2 पति के सामने दूसरे से जी भरकर मज़े लिए और दिए भी...
ताश के खेल ने और दीवाली के जुए ने उन सबकी जिंदगी को रंगीन बना दिया था, जिसका वो आने वाले कई सालो तक मिल-जुलकर मज़ा लेने वाले थे.
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समाप्त
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