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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश रानी को चोद कर उसके साथ ही लेटा हुआ था, उसके दिमाग़ से रिया निकल ही गई थी. उसे ये नही पता चला कि दरवाजे की ओट में रिया खड़ी सारा खेल देख रही थी आँखों में आँसू थे और उंगलियाँ अपनी चूत पे चला रही थी.
वो समझ चुकी थी कि रमेश एक ऐसा चुड़दकड़ इंसान है जो किसी का नही हो सकता, उसे बस चूत चाहिए, चाहे किसी की भी हो. पर रिया ये नही समझ पा रही थी कि जब वो चुदने को तैयार बैठी थी तो रमेश फिर उसे छोड़ कर रानी को चोदने क्यूँ चला आया.
रानी की इतनी भयंकर चुदाई हुई थी, कि वो अपनो की दुनिया में खो गई थी और रमेश की भी आँखें बंद हो गई थी. रिया की आँखों के सामने रमेश का लंबे मुरझाया हुआ लंड था जो रानी की चूत के रस से भीगा हुआ चमक रहा था.
रिया कुछ सोच कर अंदर कमरे में चली गई और रमेश के पास नीचे बैठ कर उसके लंड को घूर्ने लगी और उसके हाथ रमेश के लंड पे चले गये, गीला लंड उसे अजीब लगा, पर वो अपने अंदर उठते हुए तूफान की आगे मजबूर हो चुकी थी. वो भूल चुकी थी कि साथ में रानी भी लेटी हुई है और जब उसकी नज़र रिया पे पड़ेगी तो वो क्या सोचेगी.
रिया रमेश के लंड पे झुकती चली गई और उसकी ज़ुबान रमेश के लंच को चाटने लगी पहले तो रानी की चूत का रस उसे अज्जीब लगा और साथ रमेश का मिला हुआ वीर्य एक अलग ही टेस्ट दे रहा था ना तो उसे सिर्फ़ रानी की चूत के रस का अलग टेस्ट मिल रहा था और ना ही रमेश के वीर्य का, उसके मुँह में दोनो का मिलाजुला टेस्ट आ रहा था. थोड़ी ही देर में रिया ने रमेश का पूरा लंड चाट डाला जो अब रिया की थूक से सन चुका था.
सोए सोए रमेश का लंड खड़ा होने लगा और अपने आकार में आ गया और रिया लोलीपोप की तरहा रमेश का लंड चूसने लग गई.
रिया के होंठों की गर्मी पा कर रमेश की आँखें खुल गई और रिया को अपना लंड चूस्ता हुआ देख कर वो घबरा गया. उसने एक नज़र रानी पे डाली जो सो रही थी.
रमेश ने फटाफट रिया को खुद से अलग किया और उसे उठा कर कमरे में ले गया.
‘क्या कर रही थी तुम, अगर रानी तुम्हें देख लेती तो.’
‘देख लेती तो क्या होता, एक रंडी दूसरी रंडी को कुछ नही कहती है’ और रिया लपक कर रमेश के पास गई और झुक कर उसके लंड को मुँह में ले लया..
रमेश ने उसे अपने से अलग किया
‘बेटा ये ग़लत है – बाप- बेटी में ये…..’
‘अगर ग़लत होता तो अभी तक तुम्हारा लंड खड़ा नही रहता – भूल जाओ मैं तुम्हारी बेटी हूँ – बस एक औरत जिसके पास चूत है और तुम्हारे पास लंड- आगे बढ़ो और चोद डालो मुँझे’
‘रिय्ाआआआआआ’ रमेश ज़ोर से चिल्लाता है – उसे इस बात की कतई भी उम्मीद नही थी कि रिया इस तरहा खुल कर चुदने की बात करेगी.
‘चिल्लाओ मत – मज़ा लो और मज़ा दो – कुँवारी चूत मिल रही है – तुम्हें तो खुश होना चाहिए’
रमेश के दिमाग़ का फ्यूज़ उड़ गया उसे रिया से डर लगने लगा फटाफट अपने कपड़े पहने और बाहर निकल गया.
‘ठीक है तुम यही चाहते हो सड़क पे चूत खोल के बैठ जाउ – तो यही सही’ उसके निकलते ही रिया ज़ोर से चिल्लाती है और नंगी कमरे से बाहर निकल पड़ती है.
रिया की बात सुन रमेश के पैर बाहर ही जम गये थे और जब उसने रिया को नंगा ही बाहर निकलते देखा तो उसके होश उड़ गये और उसकी नज़रें रिया के सुडोल उरोजो पे जम गई.
रिया चलती हुई उसके करीब पहुँच गई और उसके साथ चिपक कर अपना एक हाथ नीचे ले जाकर पॅंट के उपर से उसका लंड दबाने लगी.
‘कब तक दूर भागोगे – मैं फ़ैसला कर चुकी हूँ – मेरी सील तुम ही तोड़ोगे और कोई नही और आज ये मोका मैं हाथ से नही जाने दूँगी.’
रमेश बस रिया को घूर कर देखता रह गया. रिया के मसलने से उसका लंड फिर खड़ा होने लगा.
‘देखा तुम्हारा लंड भी मुझे छोड़ना चाहता है- कैसे कड़क हो रहा है बेटीचोड़’ और रिया और भी ज़ोर से रमेश के लंड को मसालने लगी.
फिर रिया करीब करीब धकेलते हुए रमेश को फिर कमरे में ले गई और उसकी पॅंट खोल नीचे उसके पैरों में गिरा डाली. रमेश का लंबा मोटा लंड अंडरवेर फाड़ के बाहर निकलने को तयार था और रिया ने और वक़्त ना जाया करते हुए नीचे बैठ कर उसके अंडर वेअर को सरका कर लंड को आज़ाद कर दिया., रिया की आँखों में वो चमक थी जैसे कई दिनो के बाद भूके को रोटी देख कर होती है और रिया ने उसके लंड को सहलाते हुए चाटना शुरू कर दिया.
रमेश इतना बढ़ा चुड़क्कड़ था फिर भी रिया के सामने उसकी एक ना चल रही थी, यूँ लग रहा था उसे जैसे आज उसका बलात्कार हो रहा हो और वो भी उसकी बेटी के द्वारा. उसकी मानसिक हालत का कोई भी अंदाज़ा नही लगा सकता था.
तभी रिया की नज़र रानी पे पड़ जाती है जो आँखें फाडे बाप बेटी की रासलीला देख रही थी.
रिया रमेश का लंड मुँह से बाहर निकालती है और एक तूफान आ जाता है.
‘इधर आ ओ रंडी – हरम्जादी – जो लंड मेरी चूत में जाना था उसे तू ले गई – इधर आ और मेरी चूत को तैयार कर’
रमेश की गान्ड और फट गई और रानी की सबसे ज़्यादा – उसे तो उस पल पे अफ़सोस होने लगा जो अपने बिस्तर से उठ के यहाँ तक चली आई.
‘इधर आ हराम जादी कपड़े उतार और मेरी तरहा नंगी होज़ा और फटाफट मेरी चूत को चुदने के लिए तयार कर’
और रिया की बातें सुन कर रमेश की गान्ड और फटने लगी- उसका खड़ा लंड बैठने लगा -
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश अब रुका नही और उसने ज़ोर ज़ोर से रिया को पेलना जारी रखा
हाई हाई हा आह आह आह उम्म्म्ममममम ओह ओह
रिया दर्द भरी सिसकियाँ फिर से लेने लगी और खचाखच रमेश का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
दर्द भरी सिसकियाँ मस्ती में बदलने लगी रिया की चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया
और कमरे में फॅक फॅक फॅक का संगीत गूंजने लगा
यस यस हार्डर हार्डर, फास्टर --------चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो
अब तक इतना क्यूँ तडपाया – ये मज़ा पहले क्यूँ नही दिया
जो मुँह में आ रहा था रिया बोले जा रही थी और ज़ोर ज़ोर से अपनी गान्ड उछाल रही थी.
कमरे में तूफान आ चुका था जो जिस्म बिजली की गति से टकरा रहे थे.
आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
एक ज़ोर की चीख के साथ रिया झाड़ गई और बुरी तरहा रमेश से चिपक गई.
रिया को उसके ओर्गसम का मज़ा देने के लिए रमेश थोड़ी देर रुक गया और उसके निपल चूसने लग गया.
रिया की चूत में एक सैलाब सा आ गया था जो रमेश के लंड को नहला रहा था.
रिया थोड़ी ढीली पड़ी और रमेश के धक्के फिर चालू हो गये. फिर से रिया को मस्ती चढ़ने लगी और सिसकियाँ भरते हुए रमेश का साथ देने लगी.
दोनो के होंठ फिर जुड़ गये और रमेश के धक्के बहुत तेज हो गये रिया भी उसी स्पीड के साथ रमेश का साथ देने लगी और थोड़ी देर बाद
दोनो ही एक चीख के साथ साथ साथ झड़ने लगे. रिया की चूत ने रमेश के लंड को जाकड़ लिया जो उसके अंदर अपने वीर्य की बौछार कर रहा था.
दोनो बुरी तरह एक दूसरे से चिपक के हाँफने लगे.
मस्ती का आलम जब शांत हुआ तो रमेश रिया के उपर से हट के उसकी बगल में लेट गया.
दोनो को इतना सकुन पहुँचा था कि दोनो की आँखें उस आनंद को समेटते हुए बंद हो गई और दोनो ही नींद के आगोश में चले गये.
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उधर ऋतु रवि की गोद में बैठी हुई थी और रवि उसके होंठ चूस रहा था.
ऋतु के हाथ उसके सर को सहला रहे थे . धीरे धीरे दोनो गरम होने लगे और ऋतु ने उठ कर रवि के कपड़े उतार डाले.
अब दोनो नंगे एक दूसरे के सामने थे, दोनो की आँखों में एक दूसरे का नंगा जवान जिस्म लहरा रहा था.
पता ही नही चला दोनो फिर एक दूसरे से चिपक गये.
दोनो के होंठ फिर आपस में जुड़ गये और रवि का लंड ऋतु की चूत पे दस्तक देने लगा. ऋतु अपना हाथ नीचे ले जाकर रवि के लंड को अपनी चूत पे रगड़ने लगी और रवि उसकी गान्ड को मसल्ने लगा.
साँसे उखाड़ने लगी तो दोनो के होंठ मजबूरन अलग हो गये.
‘मुझ से कितना प्यार करता है हाई’
‘मेरी जान माँग ले ना नही करूँगा’
‘जान ले लूँगी तो मैं कैसे जीउन्गि पगले’
ऋतु रवि के लंड को मसलती जा रही थी.
‘मेरी एक फॅंटेसी पूरी करेगा?’
‘फॅंटेसी ….?’
‘हां मेरा बहुत दिल करता है एक रंडी की तरहा दो लंड एक साथ लेने के लिए’
‘ऋितुउुुुुुउउ!’ रवि लगभग चिल्ला पड़ा
‘ठीक है तुझे अच्छा नही लगता तो कोई बात नही मैने तो अपने दिल बात करी थी’
‘ऋतु ये कैसे…..’
‘हो सकता है भाई – बस तू हां कर दे’
‘लेकिन दूसरा कौन?’
‘सब बता दूँगी – पहले तू हां तो कर’
‘मैं हमेशा तुझे खुश देखना चाहता हूँ- जो तुम चाहेगी वो होगा बस मुझे कभी माँ के साथ….’
‘नही कहूँगी और ये भी सिर्फ़ एक बार ही करेंगे…. अगर तुझे मज़ा आ गया तो तेरी खातिर मैं ना नही करूँगी’
‘ठीक है जैसा तेरे दिल करे’
‘ओह रवि मेरी जान’ ऋतु चिल्लाते हुए रवि से चिपक गई और उसके चेहरे को चुंबनो से भर दिया.
‘जानू आ तुझे एक तोहफा दूँगी – जो हर मर्द चाहता है’
‘क्या?’
‘अपनी कुँवारी गान्ड – मैं चाहती हूँ मेरे हर छेद में तू ही पहले घुसे’
‘ओह ऋतु मेरी रानी – मेरी जान – सच में तू मुझ से अपनी गान्ड मरवाएगी’
‘हां मेरे यार – मेरे हर छेद पे पहले तेरा ही हक़ है – तुमने ही मेरी चूत की सील तोड़ी थी आज गान्ड की भी तोड़ दे’
और दोनो भाई बहन पागलों की तरहा एक दूसरे को चूमने लग गये
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08-11-2018, 02:30 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
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आधी रात को विमल की नींद खुल जाती है, इस वक़्त तीन नंगे बढ़न एक साथ सोए पड़े थे, उसके एक तरफ सुनीता थी और दूसरी तरफ कामया , एक की उसने गान्ड मारी थी और दूसरी की चूत.
विमल सुनीता के उरोज़ सहलाने लग गया और उसके एक निपल को चूसने लग गया. कुछ देर बाद सुनीता की नींद खुल गई और उसने विमल को अपना निपल चूस्ते हुए पाया.
‘तेरा दिल नही भरा अभी’
‘तुम से कभी दिल भर सकता है’
‘अभी रहने दे यार मेरी गान्ड अभी भी बहुत दर्द कर रही है’
‘ अभी तुम्हें आराम मिल जाएगा’ और विमल फिर से सुनीता के निपल पे टूट पड़ता है.
सुनीता भी गरम होने लगी और उसकी सिसकियाँ निकालने लगी
अहह विमू हाआआऐययईईईईईईईईईईईईईईई उूुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
कुछ देर बाद विमल उसके उरोज़ छोड़ कर उसके होंठों को चूसने लग गया
सुनीता के होंठों को चूस्ते हुए विमल ने अपना हाथ कामया के उरोज़ पे रख दिया.
सुनीता ने अपने हाथ से उसका हाथ हटाने की कोशिश करी तो विमल ने सुनीता होंठ आज़ाद कर दिए.
सुनीता : क्या कर रहे हो, दीदी को क्यूँ जगा रहे हो?
विमल ने कामया के उरोज़ को ज़ोर दबा दिया और बोला ‘मैं तुम दोनो को एक जैसा प्यार करता हूँ इसलिए आज एक साथ ही दोनो के साथ प्यार करना चाहता हूँ.
सुनीता : नही नही ये ठीक नही.
विमल : मुझ से प्यार करती हो तो मेरा साथ दोगि.
और सुनीता चुप रह जाती है. उसे वो दिन याद आ जाता है जब रमेश ने दोनो को एक साथ चोदा था आज इतिहास खुद को दोहरानेवाला था उसका बेटा भी वही करने जा रहा था.
विमल फिर सुनीता के होंठ चूसने लग गया और साथ साथ कामया के उरोज़ सहलाने लगा कभी आराम से दबाता तो कभी ज़ोर से, एक हाथ से वो सुनीता के उरोज़ का भी मर्दन करने लग गया.
कामया की भी नींद टूट गई और जब उसने देखा विमल सुनीता के होंठ चूस रहा है और दोनो के उरोज़ दबा रहा है, पल भर को तो हैरान रह गई, फिर दिमाग़ में बात आई आख़िर खून तो रमेश का है वही हरकतें करेगा.
कामया की आँखों के सामने भी वो रात लहराने लगी जब रमेश ने दोनो को एक साथ चोदा था. कामया के चेहरे पे मुस्कान आ गई. आज बरसों बाद दोनो बहने नंगी एक साथ लेटी हुई थी और उनका बेटा ही उनके मज़े ले रहा था. कामया की चूत गीली होनी शुरू हो गई दिमाग़ में मस्ती चढ़ने लगी.
कामया ने विमल का हाथ अपने उरोज़ से हटाया और उठ कर विमल का लंड चूसने लग गई जो अब तक खड़ा हो चुका था.
विमल ने कामया को रोका और उसे उपर खींच लिया, कामया हैरानी से उसे देखने लगी विमल के चेहरे पे मुस्कान थी और सुनीता के चेहरे पे शरम.
विमल ने कामया को इस तरहा खींचा और साथ में लिया कि तीनो के होठ आपस में जुड़ गये और विमल साथ साथ दोनो के उरोजो का मर्दन करने लग गया.
अब कौन किसको चूम रहा था ये पता नही चल रहा था.
थोड़ी देर बाद कामया फिर विमल के लंड के तरफ बढ़ गई और उसे चूसने लग गई.
विमल ने सुनीता की चूत को चूसना शुरू कर दिया और सुनीता ने कामया की चूत को अपने मुँह में भर लिया.
तीनो ही सिसकियाँ ले रहे थे पर आवाज़ दब्ति जा रही थी. थोड़ी देर बाद पोज़िशन बदलती है अब सुनीता ने विमल के लंड को चूसना शुरू कर दिया और विमल के मुँह के आगे कामया की चूत आ गई.
तीनो अपने मज़े की दुनिया में खो गये थे.
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08-11-2018, 02:30 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल झड़ने के करीब पहुँच गया तो उसने सुनीता को अपने लंड से दूर कर दिया.
कामया भी विमल से अलग हो गई और दोनो बहने विमल के लंड को चूसने लग गई.
दोनो के होंठों के बीच विमल का लंड हो गया.
विमल से और सहा नही गया , उसने सुनीता को नीचे लेटने को कहा और कामया को उसके उपर, दोनो बहने एक दूसरे के होंठ चूसने लग गई और विमल सुनीता की टाँगों के बीच में आ गया और एक ही झटके में सुनीता की चूत में लंड पेल दिया सुनीता की चीख कामया के होंठों में दब गई.
विमल सततत सुनीता को चोदने लगा और फिर अपने लंड बाहर निकाल कर उसने कामया की चूत में घुसा डाला अब कामया की बारी थी चिल्लाने की
बार बारी विमल दोनो को चोदने लगा, जितनी ज़ोर से वो अपना लंड उनकी चूत के अंदर पेलता उतनी ही ज़ोर से वो चिल्लाती, एक पल सुनीता की चीख निकल ती तो दूसरे पल कामया की.
अपनी उत्तेजना में फसि दोनो चीखती चिल्लाती एक दूसरे के उरोज़ का ज़ोर से मर्दन करने लगी.
आज जो मज़ा दोनो को एक साथ मिल रहा था वो उस मज़े से कहीं आगे था जब रमेश ने दोनो को चोदा था. बेटा बाप से कहीं आगे निकल गया था.
सबसे पहले सुनीता झड़ी और फिर कामया लेकिन विमल सतसट दोनो को ही चोद्ता रहा, वो एक मशीन बन चुका था – एक अनियंत्रित मशीन जिसमे कोई ब्रेक नही था. दोनो औरतों की हालत खराब हो चुकी थी और दोनो ही एक बार और झाड़ गई लेकिन विमल अपनी धुन में था जब उसे लगा वो झड़ने के करीब आ गया है तो उसने दोनो को अपने आगे बिठा लिया और दोनो ही उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी और विमल के वीर्य की पिचकारियाँ दोनो के चेहरे पे गिरने लगी.
फिर दोनो ने उसके लंड को चाट के सॉफ किया और दोनो एक दूसरे के चेहरे से विमल के वीर्य को चाट कर गई. तीनो ही बहुत थक गये थे और बिस्तर पे लूड़क पड़े अपनी साँसे संभालते हुए नींद की आगोश में खो गये.
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राम्या से मोबाइल पे बात कर सोनल अपने बिस्तर पे लेट गई. उसे बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था.
आज बस में जो उसके साथ हुआ वो सोच सोच कर वो गरम हो रही थी, जिस्म की प्यास बढ़ती जा रही थी पर उसे बुझाने का कोई रास्ता उसे नज़र नही आ रहा था.
सुबह जब उसकी स्कूटी खराब हो गई तो वो अपने कॉलेज बस में गई. बस में भीड़ बहुत थी और वो दो बूढ़ो के बीच फस गई.
एक ने तो अपना लंड पीछे से उसकी गान्ड में लगा दिया और घर्षण करने लगा.
सामने जो दूसरा था वो पलट कर बिल्कुल उसके सामने हो गया और भीड़ की वजह से तीनो जैसे चिपक गये थे. सोनल दो बूढ़ो के बीच संड्वीच बन के रह गई थी. एक का लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था और दूसरे का पीछे से उसकी गान्ड को. भीड़ के धक्को की वजह से वो आगे पिछे हो रहे थे, सोनल को यूँ लग रहा था जैसे वो दोनो तरफ से चुद रही हो.
उसे बिल्कुल भी हिलने की जगह नही मिल रही थी. चेहरा शर्म और ग्लानि से लाल पड़ता जा रहा था. साँसे तेज होने लगी थी, दोनो बुड्ढे समझ गये कि उसे भी मज़ा मिल रहा है और पीछे वाले ने उसकी कमर को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसकी गान्ड में घुसाने की कोशिश करने लगा. गनीमत ये थी कि सोनल ने जीन्स पहनी हुई थी. अगर सलवार पहनी होती तो….. ये सोच कर ही वो सिहर उठी.
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