Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
09-01-2018, 12:01 PM,
#81
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका-आप क्यों आपना आँसू बहा रहें हैं भैया. आपने तो सब कुछ एक ही पल में ख़तम कर दिया. मैं तो अब आप पर विश्वास करने लगी थी. शायद यही मेरी ग़लती थी...........

कृष्णा- आज तेरे दिल में मेरे लिए जितने शिकवे गीले हैं सब कह दे राधिका मैं तुझे आज नहीं रोकुंगा. ग़लती मेरी ही हैं. नहीं करना चाहिए था मुझे ये सब.

राधिका- भैया जिस तरह एक औरत की इज़्ज़त एक बार लूट जाने पर उसकी इज़्ज़त उसे दुबारा नहीं मिलती उसी तरह अगर आदमी का विश्वास अगर एक बार टूट जाए तो वो दुबारा नहीं जोड़ा जा सकता. देखिए ना भैया मेरे नसीब में सब कुछ होकर भी अब मेरे पास कुछ नहीं हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका क्यों तू इन सब बातों को अपना पाप का भागीदार अपने आप को बना रही हैं. इसमें तेरा कोई दोष नहीं हैं. सारा कसूर मेरा हैं............बस मेरा.

राधिका- भैया क्या बुराई हैं मुझ में कि आपको मेरे होते हुए आपको उस रंडी के पास जाना पड़ा. अगर इतना ही आपका खून गरम था तो एक बार मुझसे कह दिया होता. राधिका आपकी खुशी के लिए आपने आपको आपके कदमों में बिछा देती. मगर आपने तो मुझे उस रंडी के बारबार भी नहीं समझा. आज जान गयी हूँ कि मेरी औकात आपकी नज़र में क्या हैं. और इतना कहते कहते राधिका की आँखें बंद हो जाती हैं और वो नशे में फिर से बेहोश हो जाती हैं..............

कृष्णा आज दिल खोल कर रोना चाहता था. आज उसकी वजह से ही राधिका की ये हालत हुई थी. आज इन सब बातों का ज़िम्मेदार भी वो ही था. और वो राधिका को अपनी बाहों में लेकर उसे बड़े प्यार से अपने सीने से लगा लेता हैं.

कृष्णा के मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे....... कैसे समझाऊ राधिका कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ. अरे तू नहीं जानती कि जब तक मैं तुझे एक नज़र देख नहीं लेता मुझे चैन ही नहीं मिलता हैं. आज जिस प्यार का एहसास मैने किया हैं वो बस सिर्फ़ तेरी वजह से. तूने ही मुझे जीना सिखाया हैं. मेरे इस बदलाव का सबसे बड़ी वजह भी तू हैं. मैं कसम ख़ाता हूँ राधिका कि आज के बाद मैं तुझे किसी भी तरह का कोई दुख नहीं दूँगा. आज से मेरी जिंदगी का मकसद हैं तेरी खुशी. अगर तेरी खुशी के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूँगा.तेरी खुशी के लिए वो सब करूँगा जो तू मुझसे उमीद करती हैं. मैं दूँगा तुझे वो प्यार , वो खुशी. सब कुछ राधिका ..................सब कुछ.......और कृष्णा की आँखों से भी आँसू फुट पड़ते हैं.....................

घंटों वो भी बस राधिका को ऐसे ही अपनी गोद में लिए रहता हैं और फिर उसे अपने बाहों में लेकर सो जाता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह नशे में थी.उसे तो कोई भी होश नहीं था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी राधिका के बगल में सो जाता हैं.

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा उसके बगल में सोया रहता हैं. वो अपना दुपट्टा सही करती हैं और उठकर बाथरूम में जाती हैं. रात के नशे से अभी भी उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी और उसका सिर भी थोड़ा घूम रहा था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठ जाता हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो उसे राधिका वहाँ नहीं दिखती हैं. वो तुरंत घबराकर पूरे घर में उसे ढूँडने लगता हैं. आख़िर कर किचन में राधिका उसे दिख ही जाती हैं. और उसकी जान में जान आती हैं.

कृष्णा फिर धीरे से जाकर राधिका को अपनी बाहों में पीछे से पकड़ लेता हैं. और बड़े प्यार से उसकी गर्देन को चूम लेता हैं. राधिका की तो जैसे साँसें रुक जाती हैं. कृष्णा का ऐसा बदलाव देखकर उसे हैरानी भी होती हैं और खुशी भी.

राधिका- भैया आप यहाँ पर इस वक़्त किचन में क्या कर रहें हैं.???

कृष्णा- देख नहीं रही हो अपनी बेहन को प्यार कर रहा हूँ.

राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा- कल जो भी हुआ राधिका वो तो सच में मुझे माफी के लायक नहीं हैं मगर मैं तेरे सर की कसम खाकर कहता हूँ कि मैं आज के बाद ये सब कभी नहीं करूँगा. अगर तुझे थोडा भी यकीन हो मुझपर तो....

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं- ठीक हैं भैया मैं आपको माफ़ कर देती हूँ. जाओ आप भी क्या याद करोगे. और राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा उसे तुरंत अपने गोद में उठा लेता हैं और अपना लब राधिका के लब पर रख देता हैं और बड़े प्यार से उसके होंठो को चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो भी कृष्णा के होंठ को धीरे धीरे चूसने लगती हैं. आज जो एहसास और मज़ा होंठ चूसने में राधिका को मिल रहा था वो मज़ा उसे अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं मिला था. पता नहीं क्या था उसके भैया में कि जब भी वो उनके करीब आती थी वो मदहोश होने लगती थी. आज राधिका भी पूरी तरह से बहकना चाहती थी.

करीब पाँच मिनिट के बाद राधिका कृष्णा को अपने से दूर करती हैं और कृष्णा भी उसे नीचे ज़मीन पर रख देता हैं.

राधिका- आज इतना मस्का किस लिए. बहुत प्यार आ रहा हैं मुझपर बात क्या हैं.कहीं आज मेरी इज़्ज़त तो लूटने वाले नहीं हो ना.............

कृष्णा- हाँ इरादा तो कुछ ऐसा ही हैं. आज तो सोच ही रहा हूँ कि आज मैं अपनी बेहन को चोद कर बेहन्चोद बन ही जाउ.
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09-01-2018, 12:03 PM,
#82
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--25

राधिका हैरत से कृष्णा की तरफ देखने लगती हैं.कृष्णा ने आज पहली बार उसके सामने इतना ओपन्ली वर्ड यूज़ किया था.

राधिका- आप सच में बहुत बेशरम हो.आपको थोड़ी भी शरम नहीं हैं कि एक जवान बेहन के सामने आपको क्या बोलना चाहिए.

कृष्णा हंसते हुए- अरे बेहन को चोदुन्गा तो बेहन्चोद ही कहलाउँगा ना. इसमें शरम की क्या बात हैं.

राधिका का चेहरा शरम से एक दम लाल पड़ जाता हैं- आप तो हो ही बेशरम और लगता हैं अब साथ साथ मुझे भी अपनी तरह बनाने वाले हो. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती.

कृष्णा- नाराज़ क्यों होती हो मेरी जान. मैं तो बस मज़ाक कर रहा था. एक बात कहूँ राधिका मेरा बहुत मन कर रहा हैं तुझे प्यार करने को.......अगर तुझे कोई आपत्ति ना हो तो मैं.......................

राधिका- नहीं भैया इस वक़्त नहीं. आज शाम को जो आप कहेंगे मैं वो करूँगी. अक्सर बापू भी इस वक़्त घर पर आते रहते हैं. अगर उन्होने हमे ऐसी हालत में देख लिया तो बेवजह बात बिगड़ जाएगी. और तो आप जानते हो ना बापू का गुस्सा. मुझे तो बहुत डर लगता हैं उनसे..

कृष्णा- ठीक हैं जैसे इतने दिन इंतेज़ार किया वैसे आज शाम तक ही सही. मुझे आज शाम का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और थोड़ी देर के बाद उसका पिताजी भी घर पर आ जाते हैं. राधिका का भी कॉलेज का आज आखरी दिन था. क्यों कि कल से उसका कॉलेज बंद होने वाला था एग्ज़ॅम्स की प्रेप्रेशन की वजह से. अगले महीने उसके भी पेपर शुरू होने वाले था. इस वजह से एक महीना का एग्ज़ॅम्स की प्रिपेशन के लिए छुट्टी थी. वो तो बस कॉलेज आज निशा से मिलने जाने वाली थी.

करीब 10 बजे उसके पिताजी भी घर से निकल जाते हैं. और राधिका भी कॉलेज चली जाती हैं. आज कितने दिनों के बाद उसके चेहरे पर खुशी लौटी थी. और इन खुशियों के पीछे कृष्णा का उसके प्रति बदलाव था. थोड़ी देर के बाद वो भी कॉलेज पहुचती हैं तो सामने उसे निशा बैठी मिलती हैं.

निशा- आ गयी राधिका. मुझे लगा कि तू नहीं आएगी.

राधिका- मेरी जान मुझे याद करेगी और मैं ना आऊँ. ऐसा हो ही नहीं सकता. बता मुझसे क्या ज़रूरी काम हैं.

निशा- वो सुबह राहुल का फोन आया था. वो कह रहा था कि कल मुझे उसके ऑफीस जाना है. कल उसका प्रमोशन जो होने वाला हैं.

राधिका को भी तुरंत याद आ जाता हैं. हां तो ठीक तो हैं चली जाना. तेरे जाने से राहुल के डिपार्टमेंट की शोभा और बढ़ जाएगी....... और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं...

निशा- जा मैं तुझसे बात नहीं करती. हर वक़्त तू मुझे सिर्फ़ ताने मारती रहती हैं.

राधिका- अच्छा बाबा आइ आम सॉरी. नही बोलूँगी बस...............

एक्सक्यूस मी........इतने देर में एक मधुर आवाज़ राधिका और निशा के कानों में पड़ती हैं.एक औरत पिंक कलर की साड़ी में उन्दोनो के करीब आती हैं ये औरत और कोई नहीं बल्कि मोनिका ही थी.

मोनिका- कॅन आइ सीट हियर.. मोनिका ने राधिका की ओर इशारा करते हुए पूछा.

राधिका- यस शुवर ... बैठिए. प्लीज़.

मोनिका- थॅंक्स फॉर जाय्निंग मे. मेरा नाम तान्या हैं. और मैं एक ग़रीब अनाथ बच्चो के लिए काम करती हूँ. मैं एक ट्रस्ट चलाती हूँ जिसमें कुछ सरकार की तरफ से ये बच्चे अपनी जीवन बसर करते हैं.

राधिका- ये तो बहुत अच्छी बात हैं. कहिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ. फिर राधिका अपने पर्स में से एक 100 का नोट निकालकर मोनिका को थमा देती हैं.

मोनिका- मुझे आपके पैसे नहीं चाहिए. आप मुझे ग़लत समझ रहीं हैं. आइ आम ऑलरेडी आ गवर्नमेंट एंप्लायी. बस आपसे मुझे मिलना था बस.

राधिका चौुक्ते हुए- मुझसे मिलना था. मतलब??? क्या आप मुझे जानती हैं.

मोनिका- हां आप ही राधिका हैं ना.??? और आप बी.कॉम 2न्ड एअर की स्टूडेंट हैं और आप इसी कॉलेज में पढ़ती हैं.

राधिका- मगर आपको कैसे ये सब मालूम. क्या हम पहले भी मिल चुके हैं??
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09-01-2018, 12:03 PM,
#83
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
मोनिका- नहीं आप मुझसे आज पहली बार ही मिल रहीं हैं. वही पास बैठी निशा को मोनिका कुछ ठीक नहीं लगती और वो डाइरेक्ट्ली उसके मूह पर बोल देती हैं.

निशा- देखिए आप सीधा काम की बात कीजिए. कहिए आपको राधिका से क्या काम हैं और आप इसे कैसे जानती हैं.

मोनिका-जी आप दोनो की दोस्ती के बारे में काफ़ी सुना हैं. काफ़ी लोग आपकी दोस्ती की मिसाल देते हैं. बस इससे अंदाज़ा लगाया कि ...

राधिका- ठीक हैं कोई बात नहीं. मुझे आप से मिलकर बहुत खुशी हुई. अगर मेरी लायक कोई सेवा हो तो ज़रूर बताइयेगा. मुझसे जो बन पाएगा मैं करूँगी.

मोनिका- ठीक हैं मुझे अभी बहुत सारे काम हैं. मैं आपसे बाद में मिलती हूँ और मोनिका वहाँ से निकल जाती हैं.

मोनिका के जाने के बाद निशा आख़िर बोल पड़ती हैं.

निशा- यार मुझे तो ये औरत कोई फ्रॉड लग रहीं हैं. इसे तो तेरे बारे में सब कुछ पता हैं. कहीं ये कोई तेरी रिश्तेदार तो नहीं हैं ना ये.

राधिका- तू भी कैसी बात करती हैं. लगता हैं कि तू मेरे खानदान के बारे में नहीं जानती.

निशा- एक बात कहूँगी राधिका किसी पर भी आँख मूंद कर तुरंत विश्वास मत कर लेना. आज कल के लोगों का कोई भरोसा नहीं. पता नहीं भेड़ की खाल में कहीं भेड़िया हो..

राधिका- मुझे अपनी चिंता करने की क्या ज़रूरत हैं. जब तू हैं ही मेरी फिकर करने वाली.

निशा- आइ आम सीरीयस राधिका. हर बात तू मज़ाक में मत लिया कर. कभी कभी तो मुझे ना जाने किसी आंजान ख़तरे से डर लगा रहता हैं. कहीं तुझे कुछ हो गया तो..............

राधिका बड़े प्यार से निशा की बाहों में अपनी बाहें डाल देती हैं. यार तू तो बिल्कुल सीरीयस हो गयी. घबरा मत मुझे कुछ नहीं होगा.

निशा- यार वैसे तू आज बहुत जच रहीं हैं. आज किस पर ये बिजलियाँ गिराने का इरादा है.

राधिका बस जवाब में मुस्कुरा देती हैं वो जानती थी कि आज वो किस पर अपनी बिजलियाँ गिराएगी. फिर वो निशा से विदा लेकर अपने घर की ओर चल देती हैं. वैसे आज राधिका सच में किसी अप्सरा से कम नहीं लग रहीं थी. उपर नीला सूट और नीचे वाइट कलर की शलवार. शलवार पूरा उसके बदन से चिपका हुआ था. और उसका बदन का हर कटाव उसमें सॉफ सॉफ छलक रहा था. कोई अगर राधिका को बस एक नज़र देख लेता तो वो सच में घायल हो जाता. और उपर से हल्का मेकप. कुल मिलकर वो बस एक कयामत लग रही थी.

जैसे जैसे घर उसका नज़दीक आता हैं उसकी धड़कनें वैसे वैसे बढ़ने लगती हैं. करीब 3 बजे वो अपने घर पहुँची हैं. घर पर कोई नहीं था. वो अपने घर का लॉक खोलती हैं और अंदर आ जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. फिर एक रॅज़र लेकर अपने जिस्म के पूरे बालों को सॉफ करने लगती हैं. कुछ देर में वो अपने जिस्म के पूरे बाल एक दम सॉफ कर देती हैं. आर्म्पाइट्स से लेकर अपनी चूत तक के सारे बाल पूरी तरह से सॉफ हो जाते हैं. उसके बाद वो बाथ लेती हैं और कुछ देर के बाद वो अपने रूम में आकर अपने भैया की लाई हुए लाल कलर की साड़ी को निकालकर पहनने लगती है. फिर हल्का सा मेकप और थोड़ा सिंगार करके वो अपने भैया के आने का इंतेज़ार करती हैं. फिर किचन में जाकर कुछ खाना भी तैयार करती हैं. आज उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.

करीब 5 बजे उसकी इंतेज़ार की घड़ियाँ ख़तम हो जाती हैं और उसके भैया घर पर आ जाते हैं. कल की तरह आज भी मेन डोर सटा हुआ था. कृष्णा को फिर ऐसा लगने लगता हैं कि आज राधिका ने फिर से शराब तो नहीं पी रखी हैं. उसका दिल भी ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाकर अंदर कमरें में आता हैं. और सामने जो नज़ारा उसकी आँखों के सामने पड़ता हैं वो हैरत से उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं.
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09-01-2018, 12:03 PM,
#84
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका इस वक़्त घूँघट ओढ़े बिल्कुल जैसे सुहागरात में कोई दुल्हन अपने पति के आने का इंतेज़ार करती हैं उसी तरह राधिका भी बिस्तेर पर बैठी हुई अपने भैया के आने का इंतेज़ार कर रही थी.आज कमरा भी पूरा सज़ा हुआ था.हर तरफ पर्फ्यूम की खुसबू और साथ में बिस्तेर पर कुछ गुलाब के फूल भी बिखरे पड़े थे. कृष्णा ने तो ऐसा नज़ारा कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं मगर राधिका का चेहरा नहीं देख पाता हैं.

बढ़ते कदमों से वो एकदम धीरे धीरे वो राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं.

कृष्णा- ये सब क्या हैं राधिका.???

राधिका- भैया आओ ना मेरे करीब और आज अपनी दुल्हन को अपना बना लो. मैं आज के बाद आपकी बेहन नहीं बस आपकी दुल्हन हूँ.

कृष्णा की धड़कने एक दम तेज़ हो जाती हैं. और वो भी झट से रूम के बाहर जाता हैं और करीब 5 मिनिट के बाद वापस राधिका के पास आता हैं. और आते वक़्त वो मेन डोर का दरवाज़ा बंद कर देता हैं. फिर रूम में आकर सारे खिड़की दरवाजे सब बंद कर देता हैं. और ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर देता हैं. हल्की नीली रोशनी में कमरा एक दम रोमॅंटिक जैसे लगने लगता हैं. फिर अपना हाथ बढ़ाकर वो राधिका के घूँघट की तरफ ले जाता है. फिर एकदम धीरे धीरे वो उसका घूँघट हटाने लगता हैं. और जब उसकी नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो भी बस एक टक देखता रह जाता हैं.

राधिका बिल्कुल किसी अप्सरा सी लग रही थी. आँखों में काजल. हल्का लिपस्टिक. चेहरे पर हल्की लालिमा.और एक लंबी बिंदी. कुल मिलकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी. कृष्णा भी उसके खूबसूरत चेहरे को एक टक देखने लगता हैं. राधिका अपना चेहरा झुकाए और नज़रें नीचे झुकाए बैठी हुई थी. फिर कृष्णा अपने हाथ में गुलाब का फूल राधिका के चेहरे पर ले जाता हैं और उसके होंठ और चेहरे पर बड़े प्यार से फिराने लगता हैं.

कृष्णा- मुझे विश्वास नही होता राधिका कि तू मेरे लिए ये सब कर सकती हैं. इतना तू मुझसे प्यार करती हैं और मैं पागल आज तक तेरे प्यार को कभी समझ ही नही सका. मेरी किस्मेत हैं कि तू आज मेरे पास हैं मगर तू मेरी बीवी होती तो इस दुनिया में मुझसे बड़ा ख़ुसनसीब और कोई नहीं होता.

राधिका- भैया मैं आपकी बीवी बनने को भी तैयार हूँ.मैं आज अपना बदन अपनी आत्मा सब कुछ आपके हवाले करती हूँ. आइए आपका जो दिल करे जैसे दिल करे मेरे बदन को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं आज अपना बदन आपको सौपति हूँ. आइए भैया आज अपने राधिका को हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लीजिए. मेरे जिस्म का हर एक अंग अंग को अपने प्यार से सीच दीजिए.मैं तैयार हूँ...................

कृष्णा भी झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और बड़े प्यार से अपनी उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं.

कृष्णा-मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका जिसके लिए तू इतने दिनों से तडपी थी. आज तुझे एक औरत के सुख का एहसास भी मैं दूँगा.आज तेरी सारी प्यास को मैं शांत करूँगा. मैं करूँगा राधिका......................मैं.

फिर कृष्णा अपने उंगली को राधिका के लिप्स पर धीरे धीरे फिराते हुए उसके गाल तक घूमने लगता हैं और राधिका धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. उसकी आँखें बंद होने लगती हैं. और धड़कने बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर कृष्णा आगे बढ़कर अपने जलते हुए होंठ राधिका के होंठों पर रख देता हैं और बड़े ही प्यार से उसे चूसने लगता हैं. और करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के होंठो को चूस्ता हैं. फिर अपने दाँतों से राधिका के नीचे होन्ट को धीरे धीरे कुरेदने लगता हैं. और राधिका की सिसकारी एक दम धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं.

उसके बाद कृष्णा अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए वो राधिका के हाथों में दे देता है और फिर अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रखकर उसको हल्के दाँतों से काटने लगता हैं. राधिका की आँखें पूरी तरह से नसीली हो चुकी थी वो भी अब आने वाले सुख में पूरी तरह से डूबना चाहती थी..............................................

राधिका और कृष्णा का मिलन अभी बाकी है साथ बने रहिएगा.......
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09-01-2018, 12:04 PM,
#85
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--26

राधिका अब धीरे धीरे मदहोश हो रही थी और उसके जिस्म से उसका पूरा कंट्रोल भी ख़तम हो रहा था. और उधेर कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी कानों से लेकर गर्देन तक लगातार अपना जीभ फिरा रहा था. फिर वो एकदम से कृष्णा को अपने आप से दूर कर देती हैं जिससे कृष्णा एक दम चौंक जाता हैं. और हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- क्या हुआ राधिका??? मुझसे कोई खता हो गयी क्या.??

राधिका- नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस मुझे घबराहट हो रही हैं. समझ में नहीं आ रहा कि मैं ये सब आपके साथ .............इतना बोलकर राधिका खामोश हो जाती हैं.

कृष्णा- अगर ऐसी बात हैं तो मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आख़िर तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं.

राधिका- नहीं भैया मैं तो बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैं होश में रहकर ये सब नहीं कर सकती.

कृष्णा राधिका को बड़े गौर से देखने लगता हैं और वो राधिका का इशारा भी समझ जाता हैं कि राधिका उससे क्या डिमॅंड कर रही हैं.

कृष्णा- नहीं राधिका तू अब शराब को हाथ भी नहीं लगाएगी. तुझे मेरी कसम. मैं तेरी सर की कसम ख़ाता हूँ कि मैं आज के बाद कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैं तेरे लिए ये ज़हर पीना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दूँगा.

राधिका- नहीं भैया अब बहुत देर हो चुकी हैं. अब मैं अपने बढ़ते कदम को वापस नहीं खीच सकती. इसके बदले चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े मुझे सब मंजूर हैं.

कृष्णा भी कुछ बोल नहीं पाता और चुप चाप राधिका को एक टक देखने लगता हैं. राधिका तुरंत बिस्तेर से उतरकर अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर शराब की एक बॉटल ले आती हैं.

कृष्णा- मत कर ऐसा राधिका. क्यों तू मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दे रही हैं. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ मेरी बात मान जा.

राधिका एक नज़र अपने भैया को देखती हैं फिर वो ग्लास में शराब और थोड़ा सोडा मिलाकर अपने होंठ पर लगाकर धीरे धीरे पीने लगती हैं. और देखते देखते तीन पेग कृष्णा के सामने पी जाती हैं. फिर वही सिगरेट निकालकर जलाती हैं और उसका धुवा भी अपने अंदर लेती हैं और एक तेज धुवा अपने भैया के चेहरे पर छोड़ती हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका.................

राधिका एक टक कृष्णा को देखती हैं फिर धीरे से मुस्कुरा कर कृष्णा के एक दम करीब चली जाती हैं.

राधिका- भैया आज मैने आपके लिए आपकी फेवोवरिट डिश बनाई हैं......... चिकन. आपको बहुत पसंद हैं ना.

कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं क्यों कि हैरानी की बात तो थी ही राधिका कभी भी नोन-वेग नही खाती थी और ना ही घर पर बनाती थी. कृष्णा और उसके पिताजी को जब मन करता वो बाहर से खा कर आते थे.

कृष्णा को विश्वास नही होता और वो तुरंत किचन में चला जाता हैं और जब उसकी नज़र चिकन पर पड़ती हैं तो उसका माथा घूम जाता हैं. तभी पीछे से राधिका भी वहाँ आ जाती हैं.

राधिका- आज मैं अपने हाथों से अपने भैया को खाना खिलाउन्गि और आप मुझे अपने हाथों से खिलाना.

कृष्णा- लेकिन तू तो...........

राधिका- जानती हूँ कि मैं पूरे वैजेटियरन हूँ. क्या मैं अपने भैया के लिए इतना नहीं कर सकती.और राधिका कृष्णा के करीब आती हैं और उसके लब चूम लेती हैं.

राधिका- भैया मुझे प्यार करो ना. इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाऊ. मुझे कुछ भी याद ना रहे. बस आप मेरे में और मैं आपके में खो जाऊ. बस..................

कृष्णा फिर राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और फिर राधिका को अपने बेडरूम में ले जाता हैं और वही फूलों से सजे बिस्तेर पर राधिका को बड़े प्यार से सुला देता हैं.

कृष्णा- तू आख़िर ये सब क्यों कर रही हैं. मुझे बस इतना बता दे मैं तुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछूँगा.

राधिका- बता दूँगी भैया मगर समय आने पर. अभी नहीं. इस वक़्त मुझे आपके प्यार की ज़रूरत हैं. आओ भैया आपकी राधिका आपका इंतेज़ार कर रही हैं. आओ मेरे पास और मुझे प्यार करो. अब मैं आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
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09-01-2018, 12:04 PM, (This post was last modified: 12-10-2023, 01:24 AM by desiaks.)
#86
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े प्यार से देखता हैं और राधिका के एक दम करीब जाकर उसका माथा चूम लेता हैं. फिर अपने होंठो को धीरे धीरे राधिका के गाल पर फिराते हुए उसके लिप्स पर रख देता हैं और बड़े हौले हौले उसे चूसने लगता हैं. राधिका की आँखें एक दम लाल हो जाती हैं फिर कृष्णा अपनी एक उंगली धीरे धीरे सरकाते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाता हैं और खुद भी राधिका के पीछे चला जाता हैं और उसकी नंगी पीठ पर अपने जलते होंठ रख देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.

फिर बहुत धीरे धीरे कृष्णा अपना जीभ निकाल कर राधिका की पीठ पर से उसकी गर्देन तक फिराने लगता हैं और राधिका की धड़कनें बढ़ने लगती हैं. वो भी अपने भैया को झट से अपनी बाहों में जाकड़ लेती हैं. फिर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर वो राधिका के ब्लोज़ की डोरी को खोल देता हैं. राधिका की धड़कनें बहुत तेज़ हो जाती हैं.

राधिका- भैया आज राधिका अपने आप को पूरा समर्पण करती हैं.मुझे बस प्यार करो. इतना प्यार कि इस प्यार की कोई सीमा ना रहे.और तब तक करो जब तक आपकी प्यास ना भुज जाए. इतना बोलकर राधिका अपने लब कृष्णा के होंठो पर रख देती हैं................................

कृष्णा भी राधिका की गरम साँसों को महसूस कर रहा था.वो भी अपनी जीभ निकालकर राधिका के लिप्स पर फिराता हैं और थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपना जीभ बाहर निकालकर कृष्णा की जीभ को टच करती हैं. थोड़ी देर तक वो दोनो आपस में इसी तरह अपनी जीभ एक दूसरे का छुसाते हैं. कृष्णा फिर राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने सीने से चिपका लेता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए पहले उसके गालों पर फिराता हैं फिर अपना हाथ नीचे की ओर सरकाने लगता हैं. फिर गर्देन पर और कुछ देर में अपना हाथ को वो राधिका के राइट बूब्स पर लाकर पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- आउच................................भैया भला कोई ऐसा मसलता हैं क्या इन्हें?

कृष्णा- क्या करूँ राधिका तेरा जिस्म एक कयामत हैं मुझे तो बिल्कुल सब्र नहीं होता . जी तो करता हैं कि............

राधिका- क्या??? आपका जी क्या करता हैं भैया.....

कृष्णा सवालियों नज़र से राधिका को देखने लगता हैं. उसे कभी भी आशा नहीं थी कि राधिका उससे ये सवाल पूछेगी.

कृष्णा- नहीं मैं तुझे नहीं बता सकता. आभी थोड़ी देर के बाद तुझे खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या चाहता हूँ.

राधिका- करने में शरम नही आएगी और बताने में शरमा रहे हो.

कृष्णा भी समझ चुका था कि राधिका उसके मूह से क्या सुनना चाहती हैं. वो भी अब अपनी शरम छोड़ कर पूरी बेशर्मी पर उतार आता हैं.

कृष्णा- मैं तो हमेशा से तुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता था. इस वजह से मैं कई बार तेरे बाथरूम में छुप छुप कर तुझे नहाता हुए देखा करता था. मगर आज तक पूरा सफल नही हो पाया.

राधिका मुस्कुरा हुए- मुझे पता हैं कि आप मुझे बाथरूम में छुप छुप कर देखते थे. चलिए कोई बात नहीं आज मैं आपकी ये इच्छा भी पूरी करूँगी.

कृष्णा हैरत से राधिका को देखता हैं- तो क्या तुझे पता था कि मैं तुझे छुप छुप कर देखता रहता था. लेकिन तूने तो मुझे कभी कुछ नहीं बोला.

राधिका जवाब में बस मुस्कुरा देती हैं और अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा की शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. फिर एक एक करके उसके सारे बटन को खोल देती हैं. कुछ देर में वो उपर से नंगा हो जाता हैं. कृष्णा के सीने पर घने बाल थे और उसका रंग भी सांवला था. राधिका बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं फिर उसके पास जाकर अपनी जीभ उसके निपल्स पर रखकर उसे हौले हौले चूसने लगती हैं. कृष्णा एक दम से सिहर जाता हैं.

कृष्णा- लगता हैं मेरी बेहन इन सब मामलों में काफ़ी समझदार हो गयी हैं. अब मुझे कुछ सिखाना नहीं पड़ेगा.

राधिका- नहीं नहीं मैं आपकी तरह एक्सपर्ट नहीं हूँ. ना जाने अभी तक आप कितनी रंडियों के साथ सो चुके हैं. मेरा भला आपके साथ कैसा मुकाबला.

कृष्णा- ठीक हैं आज मैं तुझे सिखाउन्गा कि चुदाई कैसे की जाती हैं. देख लेना तू भी मेरी तरह एक्सपर्ट हो जाएगी.

राधिका- नहीं बनना मुझे एक्सपर्ट. मुझे बस प्यार करो मुझे कोई धंधा थोड़ी ही ना करना हैं.

कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और झट से अपना एक हाथ राधिका की पीठ पर और दूसरा हाथ उसके बूब्स पर रखकर ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाना शुरू करता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी बढ़ने लगती हैं और मदहोशी में उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.

कृष्णा थोड़ी देर के बाद उसकी साड़ी को खोल कर उसके जिस्म से अलग कर देता हैं और राधिका बस ब्लाउस में और साए में कृष्णा के सामने बैठी रहती हैं. उसकी नज़रें शरम की वजह से झुक जाती हैं और वो नीचे देखने लगती हैं.

कृष्णा उसके ब्लाउस के बटन को धीरे धीरे खोलने लगता हैं और राधिका बिना कुछ बोले कृष्णा की हरकतों को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो उसका ब्लोज़ भी उसके जिस्म से अलग कर देता हैं. कृष्णा आज पहली बार अपनी बेहन को इस अवस्था में देख रहा था. उसका लंड भी पूरा खड़ा हो चुका था. वो बस राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में समेटने लगता हैं.

थोड़ी देर में कृष्णा अपनी पेंट उतार कर बस अंडरवेर में रह जाता हैं.राधिका को उसके अंडरवेर में कृष्णा का टेंट सॉफ दिखाई देता हैं. वो भी बस बिना पलके झपकाए देखने लगती हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसके साए का नाडा खोल देता हैं और धीरे धीरे सरका कर राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. इस वक्त राधिका बस ब्रा और पैंटी में कृष्णा के सामने थी और शरम से उसकी पलकें झुकी हुई थी.

कृष्णा अब राधिका के पीछे चला जाता हैं और अपना जलते हुए होंठो को राधिका की गर्देन पर रखकर धीरे धीरे चाटने लगता हैं और बहुत धीरे धीरे उसकी पीठ तक नीचे सरकता हुआ नीचे आता हैं. राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी सिसकारियों से सुनाई दे रही थी.कृष्णा आज उसे पूरा पागल करने के मूड में था. वो चाहता था कि राधिका पूरी तरह से बेकरार होकर उसकी बाहों में अपने आप को पूरा समर्पण कर दे. वैसे तो राधिका ने ये बात बोल दी थी मगर करने और कहने में बहुत फ़र्क होता हैं.

कृष्णा बहुत देर तक राधिका के ऐसे ही पूरे बदन पर जीभ फिराता हैं और उधेर राधिका का सब्र जवाब देने लगता हैं.

राधिका- भैया अब बस भी करो. क्या आप मुझे पागल करना चाहते हैं. अब मुझसे बर्दास्त नही होता.

कृष्णा- इतनी जल्दी भी क्या हैं राधिका अभी तो पूरी रात पड़ी हैं. अभी तो मैने सिर्फ़ चिंगारी भड़काई हैं.अभी तो आग लगाना बाकी हैं.अब देखना ये हैं ये आग कितनी जल्दी शोले में बदल जाती हैं.

राधिका- ये तो वक़्त ही बताएगा कि आप के अंदर कितनी आग हैं. आज मैं भी देखूँगी कि आप में कितना दम हैं और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.........

साथ बने रहिएगा राधिका और कृष्णा का मिलन अभी बाकी हैं..
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09-01-2018, 12:04 PM,
#87
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा- तू मुझे चॅलेंज कर रही हैं देख लेना मैं दावे से कहता हूँ कि तू मेरे सामने टिक नहीं पाएगी. मैं अच्छे से जानता हूँ कि किसी भी लड़की को कैसे वश में किया जाता हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- ये तो वक़्त ही बतायेगा कि आपका पलड़ा भारी हैं या मेरा.

कृष्णा- फिर ठीक हैं लग गयी बाज़ी. अगर तू मेरे सामने अपनी घुटने ना टेक दे तो मैं आज के बाद हमेशा के लिए तेरी गुलामी करूँगा ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.

राधिका- सोच लो भैया कहीं ये सौदा आपको महँगा ना पड़ जाए.
कृष्णा- मर्द हूँ एक बार जो कसम ले ली तो फिर पीछे नहीं हटूँगा. मगर तू मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करेगी. बोल मंजूर हैं.

राधिका मुस्कुराते हुए- फिर ठीक हैं मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं.

कृष्णा कुछ देर ऐसे ही खामोश रहता हैं फिर गहरे विचार के बाद वो राधिका के बिल्कुल करीब आता हैं. वैसे कृष्णा मंझा हुआ खिलाड़ी था वो ना जाने आब तक कितनी रंडियों को आपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर चुका था. इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत सैयम से काम लेता था. किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नही होता था. इस लिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा. हालाकी राधिका की रगों में भी उसका ही खून था मगर राधिका इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी. उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस राहुल के साथ सेक्स किया था. इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.

कृष्णा एक दम धीरे से राधिका के पीछे आता हैं और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता हैं और अपने दोनो हाथों को धीरे से बढ़ाकर राधिका के दोनो बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता हैं. राधिका मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और उसके मूह से सिसकारी निकल जाती हैं.

कृष्णा फिर अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता हैं. राधिका की पैंटी पूरी भीग चुकी थी. वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

राधिका- भैया बस भी करो मुझे कुछ हो रहा हैं.
कृष्णा- बता ना राधिका यही तो मैं जानना चाहता हूँ कि तुझे क्या हो रहा हैं.पहले भी तुझसे मैं कई बार पूछ चुका हूँ मगर तूने बताने से इनकार कर दिया. आज तो मैं जानकार ही रहूँगा.

राधिका- मुझे शरम आती हैं भैया मैं आपको नहीं बता सकती.

कृष्णा- आरे तू तो मेरी अपनी हैं. और अपनों से कैसी शरम. अब बता भी दे.

राधिका- वो .................नीचे............ मेरी सी........चूत. इसके आगे राधिका कुछ बोल नहीं पाती और शरमा कर अपनी नज़रें नीची झुका लेती हैं.

कृष्णा- क्या हुआ तेरी चूत को. क्या मेरे छूने से तेरी चूत में कुछ होता हैं. कृष्णा के ऐसे ओपन वर्ड्स सुनकर राधिका शरम से पानी पानी हो जाती हैं.

कृष्णा- चुप क्यों हैं बता ना. क्या तेरी चूत गीली हो गयी हैं. हां शायद यही वजह हैं और इतना कहकर कृष्णा एक पल में अपना हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है. फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ राधिका की पैंटी के अंदर सरका देता हैं और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसल्ने लगता हैं. राधिका एक दम से बेचैन हो जाती हैं और जवाब में वो अपना लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती हैं.

एक हाथ से वो राधिका के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो राधिका की चूत को सहला रहा था. और राधिका उसके लिप्स को चूस रही थी. माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में कृष्णा का हाथ पूरा गीला हो जाता हैं.

राधिका- भैया.............. अब बस भी करो मुझसे अब बर्दास्त नही हो रहा. आप शर्त जीत गये.

कृष्णा- अरे मेरी जान तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली. अभी तो शुरूवात हैं. देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ. इतना बोलकर कृष्णा अपने दोनो हाथ राधिका की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता हैं और अगले पल राधिका झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनो हाथों से थाम लेती हैं.

कृष्णा अगले पल राधिका के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता हैं और राधिका भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्देन झुका लेती हैं. कृष्णा भी झट से राधिका के सामने आता हैं और वो राधिका के बूब्स को देखने लगता हैं. फिर वो अपना लिप्स को राधिका के निपल्स पर रखकर उसे एक दम हौले हौले चूसने लगता हैं. ना चाहते हुए भी राधिका कृष्णा की हरकतों को इनकार नही कर पाती और वो अपना एक हाथ कृष्णा के बालों पर फिराने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं. जी तो करता हैं इन्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं.

राधिका- तो चूसो ना मैने कब मना किया हैं. जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूस्ते रहो.

फिर कृष्णा एक हाथ से उसके निपल को अपनी उंगली में मसल्ने लगता हैं और दूसरी तरफ वो अपना मूह लगाकर राधिका के बूब्स पीने लगता हैं. राधिका को तो लगता हैं कि अब उसकी जान निकल जाएगी. कृष्णा सब कुछ एक दम आराम से कर रहा था. उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी. और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में राधिका का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता हैं.

करीब 10 मिनिट के बाद आख़िर राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर कृष्णा का लंड थाम लेती हैं और उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसल्ने लगती हैं. कृष्णा ये देखकर मुस्कुरा देता हैं और अपना अंडरवेर उतारने लगता हैं और कुछ पल में वो एक दम नंगा उसके सामने हो जाता हैं.

राधिका वैसे तो अपने भैया को पूरा नंगा देख चुकी थी मगर उस वक़्त हालत दूसरे थे. वो एक टक कृष्णा के लंड को देखने लगती है. राधिका को ऐसे देखता पाकर कृष्णा भी अपना लंड उसके सामने कर देता हैं.

कृष्णा- ऐसे क्या देख रही हैं राधिका पसंद नहीं आया क्या.
राधिका अपना थूक निगलते हुए- भैया इतना बड़ा भला ये कैसे मेरे अंदर जाएगा.

कृष्णा-चिंता मत कर बाकी औरतों की तरह तू भी इसे अपनी चूत में आराम से ले लेगी.

फिर कृष्णा राधिका को बिस्तेर पर सीधा लेटा देता हैं और उसकी पैंटी भी सरकाकर उसे पूर नंगा कर देता हैं. अब राधिका की चूत अपने भैया के सामने बे-परदा थी. कृष्णा का अरमान अब पूरा हो गया था राधिका को पूरा नंगा देखने का. वो बड़े गौर से राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद करने लगता हैं. कृष्णा को ऐसे देखकर राधिका फिर से शरमा जाती हैं.
कृष्णा फिर राधिका के उपर आता हैं और अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर फिर से उसे चूसने लगता हैं और फिर बहुत धीरे धीरे अपना जीभ फिराते हुए वो नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं. और राधिका बेचैन होने लगती हैं. आज कृष्णा ने उसकी चूत इतनी गीली की थी कि राधिका खुद हैरान थी. इतनी आग तो आज तक राहुल ने भी नहीं लगाई थी. आज उसे महसूस हुआ था कि जिस्म की आग क्या होती हैं. राधिका के मूह से भी सिसकारी लगातार निकल रही थी और उधेर कृष्णा की हरकतों से भी उसे मज़ा आ रहा था.

फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता हैं और फिर एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसल्ने लगता हैं और और दूसरी उंगल उसकी चूत पर फिराने लगता हैं. और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता हैं. अब राधिका का सब्र जवाब दे देता हैं और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती हैं.

राधिका- बस........ भैया.........आज .. मेरी ....जान लोगे.......क्या. मैं....मर .जाउन्गि............आह... और इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता हैं और राधिका का ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं वो वही एक लाश की तरह कृष्णा की बाहों में पड़ी रहती हैं. उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती हैं और अपनी आँखें बंद करके कृष्णा के लबों को चूम लेती हैं.........
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09-01-2018, 12:04 PM,
#88
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं और जवाब में राधिका बस मुस्कुरा कर अपनी निगाहें नीची कर लेती हैं.

कृष्णा- अब तेरी बारी हैं. चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर. और इतना बोलकर कृष्णा अपना लंड राधिका के मूह के एकदम करीब रख देता हैं. राधिका बड़े गौर से कृष्णा के लंड को देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सूपड़ा को नीचे से लेकर उपर तक चाट लेती हैं. कृष्णा के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.

फिर वो राधिका के सिर के बालो को खोल देता हैं और अपना हाथ राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं.राधिका धीरे धीरे कृष्णा के लंड पर अपना जीभ फिराती हैं. अचानक कृष्णा को ना जाने क्या सुझता हैं वो तुरंत राधिका के मूह से अपना लंड बाहर निकल लेता हैं. राधिका हैरत भरी नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं. कृष्णा उठकर किचन में चला जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो एक जॅम की सीसी लेकर वापस आता हैं.

जॅम की सीसी को देखकर राधिका के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो भी कृष्णा का मतलब समझ जाती हैं. कृष्णा फिर जॅम की सीसी को खोलता हैं और और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता हैं. कृष्णा का लंड बिल्कुल लाल कलर में दिखाई देने लगता हैं.फिर वो राधिका के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता हैं. राधिका मुस्कुरा कर आगे बढ़ती हैं और अपना मूह खोलकर जॅम से लिपटा कृष्णा का लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं. एक तरफ नमकीन का स्वाद और एक तरफ जॅम का स्वाद दोनो का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था. थोड़ी देर के बाद राधिका कृष्णा के लंड पर पूरा जॅम चाट कर सॉफ कर देती हैं.

कृष्णा- राधिका एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना. तुझे भी बहुत मज़ा आएगा.

राधिका- आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया भैया. भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मूह में कैसे जाएगा. नहीं मैं इसे पूरा अपने मूह में नहीं ले सकती.

कृष्णा- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फरक होता हैं. ठीक हैं मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. आगे तेरी मर्ज़ी. और कृष्णा के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं.

अपने भैया को ऐसे मायूस देखकर राधिका तुरंत अपना इरादा बदल लेती हैं.

राधिका- क्यों नाराज़ होते हो भैया. मेरा कहने का ये मतलब नहीं था. मैं तो बस......................अच्छा फिर ठीक हैं अगर आपकी खुशी इसी में हैं तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी. कर लो जो आपका दिल करता हैं.आज मैं साबित कर दूँगी कि राधिका जो बोलती हैं वो करती भी हैं.

कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल जाती हैं.

कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मूह में लेकर चूसे. मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा. हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मूह में ले लेगी.

राधिका- जैसा आपका हुकुम सरकार.. मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा. बोलो......................

कृष्णा-अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा. पहले दर्द तो होता ही हैं फिर मज़ा भी बहुत आता हैं. बस तू मेरा पूरा साथ देना फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा.

कृष्णा फिर जॅम अपनी उंगली में लेता हैं और अपने टिट्स पर मलने लगता हैं और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा जॅम लगा देता हैं.

कृष्णा राधिका को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तेर के नीचे झुका देता हैं. राधिका को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद कृष्णा के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने भैया की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था.
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09-01-2018, 12:05 PM,
#89
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा भी राधिका के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर राधिका की ओर देखने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. कृष्णा राधिका के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड राधिका के मूह के अंदर जाने लगता हैं. कृष्णा करीब 5 इंच तक राधिका के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.

राधिका की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. राधिका की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये राधिका का फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो राहुल का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. करीब कृष्णा 7 इंच तक राधिका के मूह में लंड डाल देता हैं और राधिका की साँसें उखाड़ने लगती हैं.

कृष्णा एक टक राधिका को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा राधिका के मूह में चला जाता हैं. राधिका को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने भैया के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. राधिका को कुछ राहत मिलती हैं मगर कृष्णा कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो राधिका के मूह में पूरा पेल देता हैं.

इस बार कृष्णा अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. राधिका के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी. कृष्णा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक राधिका के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. राधिका के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से कृष्णा के पैरों पर मारने लगती हैं कृष्णा को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड राधिका के हलक से बाहर निकाल देता हैं. राधिका वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.

कृष्णा के लंड से एक थूक की लकीर राधिका के मूह तक जुड़ी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा राधिका के मूह तक बाँध दिया हो. वो घूर कर एक नज़र कृष्णा को देखती हैं.

राधिका- ये क्या भैया भला कोई ऐसे भी सेक्स करता हैं क्या. आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे. मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम. देखो ना अभी तक मेरा मूह भी दर्द कर रहा हैं.

कृष्णा- तू जानती नहीं हैं राधिका मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मूह में अपना पूरा लंड पेलने का. मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया. ना जाने मैं कितनी रंडियों के साथ सोया हूँ मगर उनमें से किसी ने भी मेरे लंड अपने मूह में नहीं लिया. आख़िर अपना अपना ही होता हैं.

राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए- तो आपके और क्या क्या ख्वाब हैं. ज़रा मैं भी तो जानू. सोचूँगी अगर पूरा करने लायक होगा तो ज़रूर पूरा करूँगी.

कृष्णा- मेरा तो सबसे ज़्यादा मन तेरी गंद मारने को करता हैं. अगर तू मुझे इसकी इज़्ज़ज़त दे तो.................

राधिका- नहीं भैया मैं वहाँ पर नहीं दूँगी. सुना हैं बहुत ताकीफ़ होती हैं. मुझसे सहन नही होगा. और आज तक मैने कभी भी वहाँ पर नहीं दिया हैं. राधिका की बातें सुनकर कृष्णा की आँखें चमक जाती हैं और वो ये जान जाता हैं कि राधिका की गंद अभी तक कुँवारी हैं.

कृष्णा- मैं एक दम धीरे धीरे करूँगा राधिका. तुझे अगर तकलीफ़ हुई तो मैं बाहर निकाल लूँगा. बस एक बार करने दे ना वहाँ पर...............

राधिका- आप भी ना भैया. देखेंगे पहले मेरा तो कुछ इलाज़ करो. मेरे अंदर भी आग लगी हुई हैं.

कृष्णा फिर राधिका की चूत के एक दम करीब आता हैं और उसकी चूत पर अपने दोनो हाथ रखकर उसके लिप्स को फैलाने लगता हैं और बड़े गौर से अंदर देखने लगता हैं. अंदर गुलाबी कलर उसे सॉफ दिखाई देता हैं. वो अपनी एक उंगली चूत में डाल देता हैं और राधिका के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.फिर वो जॅम को अपने उंगली पर लगाता हैं और उसे राधिका की चूत पर पूरी तरह से मलने लगता हैं और नीचे उसकी गान्ड के छेद पर भी लगा देता हैं. फिर अपनी जीभ निकाल कर राधिका की चूत से लेकर गान्ड तक चाटना शुरू कर देता हैं.

राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. एयेए.ह......................भैया.................ऐसे..........ही चाटो...............आआआआआआआहह.

कृष्णा लगातार राधिका की चूत और गान्ड को चाट रहा था जिससे राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी आवाज़ और सिसकारी से सुनाई दे रही थी. करीब 10 मिनिट तक वो उसकी चूत और गान्ड को ऐसे ही चाट्ता हैं और राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो कसकर कृष्णा के सिर के बाल को पकड़कर झरने लगती हैं और उसकी आँखें बंद हो जाती है और वही बिस्तेर पर पसर जाती हैं.

कृष्णा उठकर राधिका के लिप्स को चूसने लगता हैं और और राधिका भी अपनी चूत और गान्ड का मिला जुला स्वाद अपने मूह में महसूस करती हैं. आज उसे ये सब गंदा नहीं लग रहा था. और आज के जितना मज़ा तो उसे राहुल के साथ भी नहीं मिला था. कृष्णा फिर अपना एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और दूसरा उंगली राधिका की गान्ड में डालने लगता है और फिर अपना मूह राधिका की चूत पर रखकर उसके क्लिट को फिर से चाटना शुरू कर देता हैं. अब कृष्णा की दोनो उंगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी वो भी धीरे धीरे फिर से गरम होने लगती हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियाँ राधिका की चूत और गान्ड में पूरा पेल देता हैं.

थोड़ी देर के बाद वो दो उंगली उसकी चूत में डालता हैं और दो उंगली उसकी गान्ड में डालकर अपना जीभ उसके दोनो छेदों पर फिराने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर में वो अपना दोनो उंगली पूरा पेल देता हैं और राधिका फिर से अपने चरम पर पहुँचने लगती हैं और थोड़ी देर तक चूत और गान्ड चूसने के बाद राधिका का फिर से बाँध टूट जाता हैं और वो चिल्लाते हुए झरने लगती हैं. राधिका तो बिना चुदे हुए करीब तीन बार फारिग हो चुकी थी. वो बड़ी मुश्किल से अपनी साँसों को कंट्रोल कर रही थी.
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09-01-2018, 12:05 PM,
#90
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--28







राधिका की आँखे बंद थी और वो पूरी तरह से सन्तुस्त होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी.करीब 15 मिनिट के बाद वो उठती हैं और फिर अपने भैया के सीने पर सिर रखकर लेट जाती हैं. कृष्णा भी उसके बालों में अपना हाथ फिरा रहा था.

कृष्णा- अपनी तो प्यास बुझा ली अब मेरा क्या होगा. तुम्हें तो बिल्कुल भी मेरा ख्याल नहीं हैं.

राधिका- नहीं भैया ऐसी बात नहीं हैं. मैं आपकी प्यास भी बुझा दूँगी बस मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो.

कृष्णा- तूने तो बिस्तेर पर मुझसे जल्दी हार मान ली. अभी तो मेरा एक बार भी नहीं निकला और तू अब तक तीन बार फारिग हो चुकी हैं. तू मेरा सामना क्या करेगी.

राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं उसको ऐसा शरमाता देख कृष्णा के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं.

राधिका- नहीं भैया अब की बार मैं आपको हरा दूँगी. मैं आपकी तरह एक्सपर्ट थोड़ी ना हूँ.

कृष्णा फिर राधिका को अपने लंड की ओर इशारा करता हैं - प्लीज़ एक बार फिर से इसे अपने मूह में पूरा डालने दे ना. मैं इसे पूरा तेरे मूह में डालकर चोदना चाहता हूँ. राधिका प्लीज़ मुझे मना मत करना.

राधिका घूर कर कृष्णा को देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं और अपनी बाँहे कृष्णा के गले में डाल देती हैं- ठीक हैं मैं आपका लंड पूरा अपने मूह में लूँगी भला मैं अपने भैया को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ. आपका जैसे दिल करे आप अपनी राधिका को मसल सकती हैं.

कृष्णा फिर एक हाथ लेजा कर राधिका के निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं और उसके होंठो पर अपना होंठ रख देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो राधिका को अपनी दोनो जाँघो के बीच अपने नीचे सुलाने वाली पोज़िशन में लाता हैं और उसका सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता हैं. और अपना लंड राधिका के मूह पर रख देता है अब कृष्णा खड़े होकर राधिका को अपने लंड के नीचे लेटा देता हैं और फिर राधिका की पहले वाली स्थिति में आ जाती हैं. इस पोज़िशन में भी वो कुछ नहीं कर सकती थी. सब कुछ उसके भैया के हाथों में था उसे जैसे चाहे रगड़े.

कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और राधिका की तकलीफ़ शुरू हो जाती हैं. और वो तब तक नहीं रुकता जब तक वो अपना पूरा लंड राधिका के हलक में नहीं उतार देता. इस बार कृष्णा पूरी तरह से वेहशीपन पर उतर आया था. राधिका की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो लगातार उसी पोज़िशन में अपना लंड राधिका के हलक के नीचे पहुँचाने में लगा हुआ था. आख़िरकार राधिका की भी हिम्मत जवाब देने लगती हैं और उधेर कृष्णा का भी बाँध टूट पड़ता हैं और वो एक तेज़्ज़ झटके के साथ अपना वीर्य राधिका के हलक में डालने लगता हैं.

राधिका की तकलीफें उसके चेहरे से सॉफ बयाँ हो रही थी. और शायद अब उसे भी ऐसे सेक्स में मज़ा आने लगा था. वो भी पूरा अपने भैया का कम पीने लगती हैं मगर आधा से ज़्यादा कम उसके मूह के किनारे से बहता हुआ ज़मीन पर गिरने लगता हैं और कृष्णा तुरंत उसको रिलीस करता हैं. राधिका की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और लगभग हाम्फते हुए वो वही ज़मीन पर बैठ जाती हैं.

करीब 1/3 ही वो अपने भैया का कम पी पाती हैं और आधा से ज़्यादा नीचे फर्श पर गिरा रहता हैं.

कृष्णा-राधिका क्या कमाल का तू लंड चुसती हैं. सच में मज़ा आ गया. तूने आज मेरे लिए वो किया हैं जो आज तक किसी ने नहीं किया.

राधिका- भैया मैने पूरी कोशिश की थी कि मैं आपका कम पूरा पी जाऊ मगर मैं नाकाम हो गयी. अभी मैं नयी हूँ ना मुझे थोड़ा टाइम दो मैं आपके लिए सब कुछ धीरे धीरे सीख जाउन्गि.

राधिका का ऐसा जवाब सुनकर कृष्णा झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.
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