Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
09-01-2018, 11:56 AM,
#61
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और नीचे गिरा उसका दुपट्टा उठाकर उसके सर पर उढा देता हैं. अब इस बार राधिका को झटका लगता हैं. उसने तो कभी नही सोचा था कि उसके भैया उसके रेस्पॉन्स का ऐसे जवाब उसे देंगे.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका मैं बहक गया था. अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता......

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं..........................

राधिका- क्या कहूँ भैया इसे अपना नसीब या मेरी बदक़िस्मती. कितनी हैरानी की बात हैं ना भैया की इतने सालों से आप मुझे पाना चाहते थे तो मैं आपको हमेशा रोकती रही और आज मैने अपने आप को आपके हवाले करना चाहती हूँ तो आप भी मुझसे मूह फेर रहें हैं.

कृष्णा- मैं तो बस अपना फ़र्ज़ निभा रहा हूँ ........ये ग़लत हैं.......

राधिका- किस फ़र्ज़ की बात करते हो आप. वो फ़र्ज़ जो आपको बहुत पहले निभाना चाहिए था. उसे तो आपने कभी निभाया नहीं. कम से कम मुझे तो अपना भाई का फ़र्ज़ निभाने से मत रोको. आज ऐसा क्या हुआ है भैया कि आपको ये सब ग़लत लग रहा हैं. मैं आज जमाना पीछे छोड़कर बस आपके पास आई हूँ. आज मुझे ना ही इस दुनिया की फिक्र हैं ना ही इस दुनिया की परवाह. अब मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता कि ये दुनिया हमारे इस रिस्ते को क्या कहेगी. और वैसे भी कोई आप पर उंगली नही उठाएगा. जो कुछ भी लोग कहेगे वो मुझे कहेंगे. और मुझे इस बात की कोई परवाह नही हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हैं. हां मैं मानता हूँ कि मैं तेरे लिए दिन रात हमेशा बेचैन रहता था. मुझे बस तेरे जिस्म की भूक थी. मगर आज मैं भाई बेहन के इस रिश्ते को पहली बार महसूस किया हैं. और अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता. अब मैं जान चुका हूँ कि ये रिश्ता कितना पवित्र होता हैं.

राधिका- भैया मुझे तो लगता हैं कि बात कुछ और हैं. कल तक जो आदमी मेरे बदन को पाने के लिए दिन रात बेचैन रहता था आज मैं खुद उसके सामने अपना बदन को सौप रहीं हूँ तो आज आप मना कर रहे हैं. आख़िर क्या बुराई हैं मुझ में.

कृष्णा- राधिका प्लीज़ अब तुम इस बारे में मुझसे कोई भी बात ना ही करो तो बेहतर हैं. मैं अब इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता.

राधिका- आप ऐसे नही कर सकते भैया. आप आपने कदम बढ़कर वापस नही खीच सकते. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत हैं.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. कल को तुम्हारी शादी होने वाली हैं राहुल से. आज उसे इस बात की भनक भी लग गयी तो तुम्हारी ज़िंदगी तबाह हो जाएगी. राहुल तुम्हें कभी नही आपनाएगा.

राधिका- मैने कहाँ ना मुझे दुनिया की कोई फिक्र नही हैं. मैं आपसे आखरी बार पूछती हूँ कि आप मेरे साथ सेक्स करेंगे या नहीं.

कृष्णा कुछ देर सोचकर - नही राधिका मैं अब तुम्हारे साथ सेक्स नही कर सकता. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं..

कृष्णा के मूह से ऐसा जवाब सुनकर राधिका का चेहरा गुस्से से एक दम लाल हो जाता हैं

राधिका- फिर ठीक हैं तो यही आपका फ़ैसला हैं तो अब मेरा फ़ैसला भी सुन लीजिए. अब मैं राहुल से शादी नही कर सकती. अब मैं उस बिहारी से ही शादी करूँगी. अगर वो मुझे अपनी बीवी बनाए तो ठीक ,नही तो मैं उसकी रखैल बनने को भी तैयार हूँ. कम से कम बीवी ना सही उसकी रंडी तो बनूँगी ही...........................

कृष्णा एक दम गुस्से से पागल हो जाता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि राधिका का सिर घूम जाता हैं और उसके आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं.

आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के उपर अपना हाथ उठाया था. वो किसी भी सूरत में नही चाहता था कि वो उसपर हाथ उठाए. मगर आज राधिका ने उसके सामने ऐसी बात कर दी थी कि वो अपना सब कुछ भूल गया था.. कमरे में बस राधिका के सिसकने की आवाज़ आ रही थी. कृष्णा का भी मूड खराब हो गया था. वो भी वहाँ से तुरंत घर से बाहर निकल जाता हैं..

फिर कुछ देर तक राधिका यू ही रोती रहती हैं और फिर बेडरूम में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. आज वाकई में राधिका बदल गयी थी.. ये बात कृष्णा ने भी नोटीस किया था. मगर वो राधिका के ऐसे बदलाव की वजह नही जान पा रहा था.
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09-01-2018, 11:56 AM,
#62
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण थी निशा. उसे लग रहा था कि वो शायद राहुल और निशा के बीच में आ गयी हैं. किस्मेत भी इंसान के साथ अजीब खेल खेलती हैं. जहाँ आज एक तरफ राधिका की 8 साल पुरानी दोस्ती थी वही दूसरी तरफ उसका नया नया प्यार था. आज वो ऐसे मझदार में फँसी हुई थी कि उसे कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो क्या करे. मगर यहाँ पर अब फ़ैसले की घड़ी थी. उसे दोनो में से उसे किसी एक को चुनना था या........दोस्ती.......या.........प्यार.

यही वो वजह थी कि वो आज कृष्णा के साथ सोना चाहती थी ताकि वो खुद को राहुल की नज़रों में गिरा दे. मगर आज कृष्णा भी बदल गया था. ऐसे ही बहुत देर तक वो रोती रहती हैं और फिर वही पर सो... जाती हैं.

उधेर आज राहुल भी हॉस्पिटल से डिसचार्ज हो गया था. आज वो भी घर पर ही था. वो बहुत देर से राधिका को कॉंटॅक्ट कर रहा था मगर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. उधेर निशा भी राधिका के लिए परेशान थी. उसका फोन भी नही मिल रहा था. राधिका ने जान बूझ कर अपना फोन स्विच ऑफ कर रखा था...................

वहाँ से दूर बिहारी के गेस्ट हाउस में...........

विजय और बिहारी दोनो आपस में बातें कर रहे थे..

विजय- मैने कहा था ना कि अगर वो ट्रक और उसका ड्राइवर अगर पकड़े भी गये तो भी पोलीस हमारा कुछ नहीं बिगड़ पाएगी..

बिहारी- हां मानना पड़ेगा तेरे पास सच में दिमाग़ हैं. अच्छा वो लड़की का क्या हुआ.

विजय- तू कहे तो अभी बुला लेता हूँ. फिर हम दोनो पूरी रात मज़े करेंगे.

बिहारी- अगर कहीं पकड़ा गया या किसी ने हमे देख लिया तो???

विजय- यार तू इतना डरता क्यों हैं. वैसे यहाँ पर कोई नही आता.

बिहारी भी उसे हां में इशारा कर देता हैं और विजय फिर एक नंबर पर फोन करता हैं.........

विजय ने फोन मोनिका के पास ही किया था.यही वो लड़की थी जो विजय बिहारी से उसे चुदवाना चाहता था.वो भी यहाँ पर डबल गेम खेल रहा था. एक तो वो बिहारी से अपना काम निकलवाना चाहता था और दूसरा वो राधिका से भी बदला लेना चाहता था. और यहाँ पर तो अब बिहारी भी राधिका की दुश्मन बन गयी थी. तो देखना ये था कि वो दोनो किस हद्द तक राधिका को पाने के लिए गिर सकते थे. और आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि उनका मकसद क्या हैं....

विजय- कैसी हैं मेरी रांड़!!!

मोनिका ना चाहते हुए भी विजय का फोन रिसेव करती हैं.

मोनिका- बोलो कैसे याद किया???

विजय- चल आ जा मेरे पास. लेकिन आज मेरे घर पर नहीं तुझे कहीं और आना हैं.

मोनिका- कहाँ ???

विजय- डर मूत मेरी जान अगर तू मेरे चंगुल से सच में आज़ाद होना चाहती हैं तो तेरे लिए ये आखरी मौका हैं. नही तो काजीरी हैं ना तेरे लिए दूसरी ऑप्षन. और विजय हँसने लगता हैं.

मोनिका- इस बात का क्या सबूत हैं कि तुम मुझे आखरी बार बुला रहे हो.

विजय- सारी बातें फोन पर ही करेगी क्या. अगर तुझे विश्वास है तो चली आ. फिर बाद में ना कहना कि मैने तुझे कोई मौका नहीं दिया. और विजय उसको अड्रेस बता देता हैं.

करीब 2 घंटे के बाद मोनिका भी बिहारी के फार्म हाउस में आ जाती हैं. जैसे ही बिहारी की नज़र मोनिका पर पड़ती हैं उसके लंड में हलचल होना शुरू हो जाती हैं. अब मोनिका भी वहाँ पर बिहारी को देखकर लगभग चौंक जाती हैं. वो तो ये जानती थी कि आज फिर से उसके साथ वाइल्ड सेक्स होना हैं मगर आज विजय उसको किसी गैर मर्द से चुदवायेगा उसने कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी.

विजय- आख़िर आ ही गयी मेरी रंडी.???? मैं जानता था कि तू ज़रूर आएगी. आख़िर तेरी चूत भी तो प्यासी रहती हैं और बस उसकी प्यास तो सिर्फ़ मेरा लंड ही भुजा सकता हैं.

मोनिका- ये क्या तमाशा हैं विजय. अगर मुझे पता होता कि तुम मुझे इस आदमी के साथ भी ...........तो मैं यहाँ कभी नही आती.

विजय- तू क्या जाने ये चूत होती हैं ऐसी. एक लंड जाए चाहे दस लंड इसको कोई फरक नही पड़ता.

मोनिका- लेकिन मैं कोई रंडी नहीं हूँ कि तुम जब चाहे जिससे चाहो ..............

विजय- चल कोई बात नही लेकिन तू बस आज के लिए हमारी रांड़ बन जा. इसके बाद मैं तुझसे वादा करता हूँ कि मैं तुझे हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- इस बात की क्या गारंटी हैं कि तुम मुझे ये सब करने के बाद आज़ाद कर दोगे???

विजय- याद हैं मैने तुझसे एक बार डील की बात की थी. विजय मोनिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

मोनिका को भी वो बात याद आ जाती है और वो हैरत से विजय की ओर देखती हैं.

मोनिका- हां मुझे याद हैं .

विजय- तो अब समय आ चुका हैं इस डील को पूरा करने का. और मैं तुझसे यही उमीद करूँगा कि तू ये काम बखूबी निभाएगी. अगर ऐसा नही हुआ तो तू कजरी के यहाँ पर रंडी का धंधा करेगी. अब तुझे फ़ैसला करना हैं कि तू कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.

मोनिका- लेकिन इस बात की क्या गॅरेंटी हैं कि जब मैं ये डील पूरा कर लूँगी तब तुम मुझे आज़ाद कर दोगे.
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09-01-2018, 11:57 AM,
#63
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
विजय पास ही रखी एक अलमारी में से कुछ फाइल्स निकालता हैं और मोनिका को देता हैं. ये लो अग्रीमेंट पेपर्स. मैं जानता था कि तू मुझपर बिल्कुल भी विश्वास नही करेगी. इस लिए मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया हूँ.

विजय फिर वो पेपर्स मोनिका को पकड़ा देता हैं.

मोनिका- अगरेमेंट..........कैसा अग्रीमेंट...............मैं कुछ समझी नहीं.???

विजय- नहीं समझी ना, कोई बात नहीं मैं समझा देता हूँ. फिर विजय बोलना शुरू करता हैं...............

विजय- याद हैं जब मैं एक बार तेरी चुदाई कर रहा था तब मेरे मूह से राधिका शब्द निकल गया था. तूने मुझसे पूछा भी था कि ये राधिका कौन हैं लेकिन मैने तुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताया था. तभी तुझे मुझपर शक़ भी हो गया था. आज मैं तुझे बताता हूँ कि ये राधिका कौन हैं..

मोनिका- हैरत से कौन हैं????

विजय- राधिका वो बला हैं जिसको पाने के लिए मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. जब से मैने उसे देखा हैं बस मैं उसे अपने ख़यालों से नहीं निकाल पा रहा हूँ. जानती हैं राधिका उस हरामज़ादे इनस्पेक्टर राहुल की गर्लफ्रेंड हैं. और कुछ ही दिनों में वो उसकी बीवी बनने वाली हैं. और ये मैं नही चाहता कि वो किसी और की बीवी बने. इस लिए मुझे तेरी मदद चाहिए.

मोनिका- तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ.

विजय- तू चाहे तो सब कुछ कर सकती हैं.

मोनिका- देखो विजय मेरे साथ पहेलियाँ मूत भुजाओ. जो भी बात हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- देख मोनिका. हम तो बस यही चाहते हैं कि तू हमारी मदद करे. राधिका को बस कैसे भी करके हमारे कदमों के नीचे झुका दे बस. उसे इतना मज़बूर कर दे कि वो हमसे चुदवाने के लिए हमसे भीक माँगे.अगर ऐसा हुआ तो समझ ले तू हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद हो जाएगी वरना....................

मोनिका- भला ऐसे कैसे हो सकता हैं. वो क्यों तुमसे वो सब करने को कहेगी. ये काम मुझसे नहीं होगा.

विजय- फिर ठीक हैं मैं अभी कजरी को यहाँ पर बुला लेता हूँ फिर तू जाने और तेरा काम......... और विजय झट से अपना मोबाइल निकालता हैं और काजीरी का नंबर डाइयल करने लगता हैं.

मोनिका दौड़ कर उसके कदमों में गिर जाती हैं... भगवान के लिए रुक जाओ विजय. मुझे सोचने के लिए कुछ वक़्त तो दो.

मोनिका को ऐसे नीचा अपने कदमों में देखकर विजय वही रुक जाता हैं और उसके मूह पर थूक देता हैं.....

विजय- तू हैं ही इसी लायक. तेरी औकात भी एक मामूली रंडी से ज़्यादा कुछ नहीं हैं. मेरे ख़याल से तो तुझे अब रंडी का ही धंधा करना चाहिए... और एक ज़ोरदार लात विजय मोनिका के पेट पर मार देता हैं और मोनिका दर्द से वही ज़मीन पर लेट जाती हैं.

फिर बिहारी आगे बढ़ता हैं और उसके बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. मोनिका फिर से दर्द से चीख पड़ती हैं और जैसे ही मोनिका दुबारा चीखने के लिए अपना मूह खोलती हैं बिहारी वही उसके मूह में थूक देता हैं....

आज वाकई में मोनिका के आँखों से आँसू निकल गये थे. उसे इतना शरमांदगी महसूस होती हैं कि उसका जी करता हैं वो कहीं जा कर अपनी जान दे दे.

बिहारी- देख आखरी बार कह रहा हूँ अब हम दोनो में से तुझे कोई भी नही समझाएगा. आगे तू खुद समझदार हैं. आगे तेरी मर्ज़ी............

मोनिका भी आब उनके सामने सरेंडर करना बेहतर समझती है और वो भी हालात से समझौता करने को तैयार हो जाती हैं.

मोनिका- ठीक हैं जैसा तुम चाहते हो मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ. मोनिका कुछ ज़्यादा टेन्षन और परेशान होकर बोली.

बिहारी- देख मोनिका कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है.तू क्यों उस राधिका की इतनी चिंता करती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं.?? अरे इस दुनिया का यही दस्तूर है यहाँ पर कोई किसी का नही हैं. सब अपने मतलब के लिए एक दूसरे को पूछते हैं. सब इंसान बस अपना अपना स्वार्थ एक दूसरे से निकालते हैं. अरे जब खाली हाथ ही आए हैं इस दुनिया में तो तेरा मेरा , अपना पराया. ये सब तो बस मोह-माया की बातें हैं. मरने के बाद इंसान सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए दूसरों पर आँसू बहाता हैं. ना कि मरने वाले के लिए.
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09-01-2018, 11:57 AM,
#64
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
अब तू ही बता जब तू उसे जानती नहीं है ना ही तेरे उससे कोई नाता हैं, ना रिश्ता हैं तो तू क्यों उसके बारे में इतना सब कुछ सोचती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं????

मोनिका- हां मैं मानती हूँ कि वो मेरी कोई नही लगती पर एक इंसानियत भी कोई चीज़ होती हैं. ये कौन सी बात हुई की मैं अपने फ़ायदे के लिए दूसरे की ज़िंदगी तबाह करूँ.

विजय एक ज़ोरदार थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं- वाह मेरी रंडी. आज तू इंसानियत का पाठ हमे पढ़ा रही हैं. तेरी तो मैं साली आज ऐसी मा चोदुन्गा कि तू भी क्या याद करेगी. और इतना कहकर वो अपने दोनो हाथों से मोनिका के बूब्स को कसकर मसल देता हैं. और मोनिका के मूह से एक बार फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

मोनिका- मैं मान तो रही हूँ ना तुम्हारी बात. फिर तुम मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रहे हो.बस मुझे एक बात बता दो कि आपका राधिका से क्या दुश्मनी हैं.

बिहारी- तू बस आम खा. पेड़ गिनना हमारा काम हैं. तुझे बस जितना बोला जाए उतना ही करना हैं. और हां अगर हमसे कोई होशियारी करने की कोशिश की तो तेरा अंजाम बहुत बुरा होगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

मोनिका- ठीक हैं मैं तैयार हूँ. करना क्या होगा मुझे???

विजय फिर वो अग्रीमेंट पेपर लेकर मोनिका को थमा देता हैं और एक कॉपी अपने पास रख लेता हैं.

मोनिका- ये कैसा अग्रीमेंट हैं???

विजय- इसमें लिखा हैं कि हम तुझे एक कॉंटॅक्ट के तौर पर हम तुझसे कोई भी काम करवा सकते हैं.. और वो कॉंटॅक्ट सिर्फ़ एक महीने का हैं. और जैसे ही एक महीना पूरा होता हैं तू अगर हमारा काम ख़तम कर देगी तो तू सच में आज़ाद हो जाएगी नहीं तो तू खुद काजीरी से बोलकर उसके रंडी के धंधे में अपनी मर्ज़ी से शामिल हो जाएगी. और इसके पीछे ना किसी का तुझपर कोई दबाव रहेगा ना किसी से तुझे शिकायत रहेगी. सब कुछ तू अपनी मर्ज़ी से करेगी.

मोनिका ये सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं. वो समझ चुकी थी कि अगर वो सच में ये काम को नही अंजाम दिया तो ज़िंदगी भर के लिए रंडी बनकर बस रह जाएगी. विजय ने तो उसे फसाने का पूरा खेल रच लिया था.

बिहारी- चल इस पेपर पर साइन कर दे. और आज से ही तेरा ये कांट्रॅक्ट शुरू हो जाएगा. और जितना जल्दी तू उस राधिका को हमारे पास लाएगी उसकी सारी इनफॉर्मशन हमे देगी उतना ही तेरे लिए भला होगा. आगे तेरी मर्ज़ी.

मोनिका भी आख़िरकार उस अग्रीमेंट पेपर पर साइन कर देती हैं. मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.

विजय- अब इस कांट्रॅक्ट के मुताबिक आज से तू बस हमारे लिए ही काम करेगी. राधिका से जुड़ी सारी इन्फर्मेशन हमको पल पल देगी. समझ गयी ना सब कुछ .................

मोनिका- ठीक हैं जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मगर इस काम में कहीं भी मेरा नाम नहीं आना चाहिए. बस इस बात का पूरा ख्याल रखना.

बिहारी- उसकी चिंता मत कर. तेरा नाम कभी नही आएगा....

विजय- चल आब बातें ही करेगी या जिसके लिए मैने तुझे यहाँ पर बुलाया हैं वो भी करेगी. चल अपनी साड़ी और ब्लाउस उतार कर नंगी हो जा.

बिहारी- अरे विजय पहले इसे थोड़ा गरम तो करो. फिर देखना ये अपने कपड़े अपने आप उतारेगी. और बिहारी उसके नज़दीक जाता हैं और पीछे से जाकर अपने दोनो हाथों से मोनिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल देता हैं. मोनिका के मूह से फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

विजय वही पर रखा ड्रग्स का एक इंजेक्षन उठाता है और अपने हाथ में लगाने लगता हैं. बिहारी भी वहाँ रखा दूसरा इंजेक्षन वो भी अपने हाथ में लगाता हैं. ये नज़ारा देखकर मोनिका के दिल में एक अजीब सा डर बैठ जाता हैं. वो आज जान गयी थी कि आज ये दोनो मिलकर उसकी बहुत बुरी चुदाई करने वाले हैं. उसके लिए तो अकेला विजय ही भारी पड़ता था मगर आज साथ में बिहारी भी ड्रग्स के नशे में था. पता नहीं आज उसके साथ क्या होने वाला था.

बिहारी फिर से मोनिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके दोनो बूब्स को अपनी दोनो मुट्ठी में लेकर कसकर मसल देता हैं. मोनिका की सिसकारी फिर से निकल जाती हैं.

बिहारी- वैसे तो ये तेरे दूध बहुत मस्त हैं. कसम से जी कर रहा हैं कि इन्हें ऐसे ही मसलता रहूं.

विजय- अरे बिहारी ज़रा प्यार से इसकी मारना अभी तो साला पूरी रात बाकी हैं. कहीं बेचारी की .......... इतनी बोलकर विजय हँसने लगता हैं.

बिहारी- तू इसकी चिंता मत कर एक बार अगर ये मेरे लंड से चुद गयी तो दुबारा मेरे को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली. वैसे बिहारी का लंड करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा था.और वो किसी भी लड़की को पूरी तरह से बेशरम बनाकर चोदने में उसे अलग ही मज़ा आता था. पहले तो वो किसी भी लड़की को इतना तड़पाता की वो खुद उसके लंड के लिए पागल हो जाती. फिर वो जैसे चाहे उसके साथ सेक्स का खेल खेलता था.

विजय और बिहारी पर भी अब ड्रग्स का खुमार छाने लगा था.

बिहारी फिर मोनिका के करीब जाता हैं और अपना होंठ मोनिका के होंठ से सटा देता हैं और अपना एक हाथ लेजाकर उसकी गान्ड को कसकर मसल्ने लगता हैं. मोनिका भी आब धीरे धीरे गरम होने लगी थी. काफ़ी देर तक बिहारी उसके होंठों को ऐसे ही चूस्ता हैं फिर उसके नीचे होंठ को कसकर अपने दाँतों से काट लेता हैं. और मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

विजय- चिंता मत कर मेरी रंडी आज तो तुझे हम दोनो मिलकर असली जन्नत का मज़ा देंगे. आज तेरी ऐसी चुदाई होगी कि तू भी कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. और वो भी मोनिका के करीब जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं.

मोनिका के मूह से आ...........ह .........एयेए......हह. की तेज़्ज़ सिसकारी लगातार निकलती रहती हैं.

फिर विजय उसके साड़ी के पल्लू को उसके सीने से हटा देता हैं और उसके साड़ी को अपने हाथों में लेकर खीचने लगता हैं और कुछ देर में उसकी साड़ी उसके जिस्म से अलग हो जाती हैं. मोनिका का भी शरम से चेहरा लाल पद जाता हैं. आज वो दो मर्दों के बीचा में नंगा होने वाली थी. इस वक़्त वो सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोआट में उन दोनो के सामने थी.

फिर विजय मोनिका के पास जाता हैं और अपना होंठ उसके होंठ पर रख देता हैं और अपने दोनो हाथों से कसकर मोनिका के दोनो बूब्स को मसलने लगता हैं.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस.

मोनिका भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पेंट का ज़िप खोलती हैं और फिर उसके पेंट को उसके बदन से अलग कर देती हैं. फिर वही पर बिहारी भी उसके नज़दीक खड़ा हो जाता हैं. मोनिका भी समझ जाती हैं कि बिहारी क्या चाहता हैं. फिर वो भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पायजामा खोलने लगती हैं. कुछ देर में दोनो बस अंडरवेर में उसके सामने थे. फिर विजय अपना शर्ट और बिहारी अपना कुर्ता और बनियान निकाल देते हैं. अब दोनो बस अंडरवेर में थे.

मोनिका भी आगे बढ़कर विजय के अंडरवेर को निकाल कर उसके बदन से अलग कर देती हैं. अब विजय मोनिका के सामने पूरा नंगा था.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल अब इसे अपने मूह में पूरा ले. और इतना कहकर वो उसके मूह में अपना लंड पेलना सुरू कर देता हैं.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और ना चाहते हुए भी विजय का मूसल को अपने हलक में उतारने लगती हैं. विजय उसी तरह बिना रुके अपने लंड पर ऐसे ही प्रेशर बनाए रखता हैं. जैसे जैसे मोनिका के मूह में विजय का लंड जाने लगता हैं मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और उसका दम भी घुटना शुरू हो जाता हैं.

करीब 6 इंच तक वो अपना लंड को मोनिका के मूह में डाल देता हैं. फिर तुरंत वो उसे बाहर निकालता हैं और बिना रुके अपना लंड को उतनी ही तेज़ी से फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं. अब उसका लंड करीब 8 इंच तक मोनिका के मूह में चला जाता हैं. और मोनिका की हालत खराब होनी शुरू हो जाती हैं. मगर मोनिका इस बात को अच्छे से जानती थी कि आज कुछ भी उसकी मर्ज़ी से नही होने वाला. इसलिए वो भी आपने आप को उन्दोनो के हवाला कर देती हैं.
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09-01-2018, 11:57 AM,
#65
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
विजय फिर अपना लंड बाहर निकालता हैं और इस बार फिर से वो मोनिका का सिर को पकड़कर अपना लंड पूरी गति से उसके मूह में पूरा पेल देता हैं. इस बार मोनिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं और उसकी आँखें बाहर को आने लगती हैं. अब विजय का लंड पूरा मोनिका के हलक में जा चुका था. वो ऐसे ही कुछ देर तक अपने लंड को मोनिका के हलक में रहने देता हैं. मगर मोनिका की बेचैनी लगातार बढ़ने लगती हैं. उसे ऐसे लगता हैं कि उसका दम घूट जाएगा. और वो भी अपना दोनो हाथ विजय के पैर पर मारने लगती हैं. ये नज़ारा देखकर बिहारी भी मुस्कुरा पड़ता हैं.

बिहारी- अरे विजय रहने दे साली मर जाएगी. देख कैसे मछली की तरह तड़प रही हैं. निकाल ले अपना लंड.

विजय भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं और मोनिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं.

मोनिका- लगता हैं कि तुम मुझे आज मार ही डालोगे. मोनिका घूर कर विजय को देखते हुए बोली.

अब बिहारी उसके पास जाता हैं और मोनिका आब उसका अंडरवेर भी निकाल देती हैं. जब वो बिहारी का लंड देखती हैं तो उसकी हालत खराब हो जाती हैं. बिहारी का लंड विजय से तो छोटा था मगर उससे कहीं ज़्यादा मोटा था. फिर बिहारी उसके बाल को कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड को मोनिका के मूह में डालने लगता हैं. बिहारी का सूपड़ा वाकई में काफ़ी मोटा था. मोनिका बड़े मुश्किल से उसे अपने मूह में ले पाती हैं.. फिर वो कुछ देर तक उसका सूपड़ा को चाटती हैं. बिहारी के मूह से भी सिसकारी निकल पड़ती हैं.

बिहारी- चल अब इसे भी अपने मूह में पूरा ले.

मोनिका- नही ये बहुत मोटा हैं. मैं इसे नही ले पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर तुझे बहुत मज़ा आएगा.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और बिहारी भी धीरे धीरे अपना लंड मोनिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. इस बार मोनिका को वाकई में तकलीफ़ होती हैं. वो कैसे भी करके बस 4 इंच तक बिहारी का लंड को अपने मूह में ले पाती हैं.

बिहारी उसे बिस्तेर के पास नीचे बैठा देता हैं और फिर उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर फिर से प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे मोनिका के मूह में बिहारी का लंड जाना शुरू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड मोनिका के गले के नीचे जाने लगता हैं उसकी तकलीफें बढ़ने लगती हैं. वो बड़े मुश्किल से उसका पूरा लंड अपने मूह में लेने की कोशिश करती हैं उधेर बिहारी भी अपने लंड पर पूरा प्रेशर बनाता हैं. फिर वो एक झटके से अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अंदर डाल देता हैं. इस बार बिहारी का पूरा लंड मोनिका के हलक तक फिर से पहुच जाता है. फिर वो उसी तरह अपना लंड ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. मोनिका की इतनी ही देर में हालत खराब हो जाती हैं.

जब मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं तो वो भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. उसके लंड से एक डोर की तरह मोनिका के मूह से होते हुए बिहारी के लंड तक एक लकीर जैसी लाइन बन जाती हैं.

बिहारी- वाह सच में तू किसी रांड़ से कम नही हैं. अगर तू मार्केट में आ जाए तो बड़ी बड़ी रंडियों को पानी पिला देगी..

विजय- अब बस उसका ही लंड चूसेगी या मेरा भी. देख ना मेरा लंड तो पूरा सूख गया हैं. फिर विजय अपने मूह से ढेर सारा गाड़ा थूक निकाल देता हैं वो अपने लंड पर थूक गिरा देता हैं.

मोनिका भी बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल आकर मेरा लंड चूस ना...

विजय आकर उसके बाल को कस कर पकड़ कर मोनिका के मूह में अपने लंड डाल देता हैं. अब उसका थूक से सना हुआ लंड मोनिका को ना चाहते हुए भी लेना पड़ता हैं. फिर वो ऐसे ही कुछ देर तक उसका लंड चुस्ती हैं. फिर बिहारी भी उसके पास आज जाता हैं और मोनिका का एक हाथ को अपने लंड पर रख देता हैं अब मोनिका एक तरफ विजय का लंड चूस रही थी वही दूसरी तरफ बिहारी का लंड को अपने हाथों से उपर नीचे कर रही थी.

आज मोनिका भी ज़िंदगी में पहली बार इस तरह से एक साथ दो लंड ले रही थी उसे ऐसा लग रहा थी वो सच में कोई बहुत बड़ी बाज़ारु रंडी हैं.फिर से विजय अपना पूरा लंड को मोनिका के गले के नीचे पहुचाने में कामयाब हो जाता है और ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. फिर बिहारी मोनिका के गले को कसकर दबाता हैं और विजय का कंट्रोल ख़तम हो जाता हैं और वो अपना पूरा वीर्य मोनिका के गले के नीचे उतारने लगता हैं. मोनिका को तो लग रहा था कि उसका गला फट जाएगा.

उसकी आँखों से आँसू फिर से निकल पड़े थे. ऐसे ही जब तक विजय का पूरा माल नही निकल जाता तब तक वो मोनिका के गले में ही अपना लंड फँसाए रखता हैं. फिर वो तुरंत उसे बाहर निकाल देता हैं. अब बिहारी विजय की जगह ले लेता हैं. फिर वो भी उसकी पोज़िशन में अपना लंड मोनिका के हलक में पहुचा देता हैं और कुछ देर ऐसे ही आगे पीछे करने के बाद वो भी उसके हलक में अपना पूरा कम निकाल देता हैं. मोनिका भी ना चाहते हुए उसके वीर्य को पूरा पी जाती हैं.

थोड़े देर तक वो दोनो ऐसे ही शांत बैठे रहते हैं. मोनिका भी सोचने लगती हैं कि आज वाकई में वो किसी बाज़ारु रंडी से बिल्कुल कम नही हैं..
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09-01-2018, 11:57 AM,
#66
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
थोड़ी देर के बाद वो दोनो फिर से उठते हैं और मोनिका के पास जाकर उसके बदन से खेलना शुरू कर देते हैं.

विजय- अपने लंड की ओर इशारा करते हुए.. चल अब मेरे लंड को फिर से खड़ा कर.

मोनिका अच्छे से जानती थी कि विजय उससे क्या करवाना चाहता हैं. वो भी चुप चाप जाकर उसके गान्ड के पास अपना मूह करके बैठ जाती हैं.

विजय- अब क्या ऐसे ही बैठी रहेगी या मेरी गान्ड भी चाटेगी. चल शुरू हो जा और हां अच्छे से मेरे आँड भी चाटना. नही तो आज तेरी क्या हालत होगी वो तू सपने में भी नहीं सोच सकती.

मोनिका भी चुप चाप जाकर विजय की गान्ड को चाटना शुरू कर देती हैं. जैसे जैसे वो आगे बढ़ती हैं विजय को धीरे धीरे मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. बिहारी भी वही बैठा ये नज़ारा देखता हैं फिर वो भी मोनिका के पास जाकर उसके पेटिकोट का नाडा खोल देता हैं और एक उंगली लेजा कर उसके पैंटी पर रख देता हैं. फिर वो उपर से ही मोनिका की चूत को मसल्ने लगता हैं.

अब वो अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके ब्लाउस के बटन्स को खोलना शुरू कर देता हैं. अब इस वक़्त मोनिका भी बस ब्रा और पैंटी में उन्दोनो के सामने थी. और उधर वो अपनी जीभ धीरे धीरे फिराते हुए विजय के बॉल्स पर लेजा कर उसे अपने मूह में लेकर चूस रही थी. विजय तो जैसे सातवे आसमान में था.

फिर बिहारी भी अपना लंड मोनिका के मूह के पास लेजाता हैं और उसे भी चूसने का इशारा करता हैं. अब एक बार वो बिहारी का लंड चुसती है तो फिर थोड़ी देर में वो विजय का लंड चुसती हैं. ऐसे ही वो दोनो कुछ देर तक अपनी गान्ड और अपने बॉल्स भी उससे चटवाते हैं और मोनिका के ना चाहते हुए भी उसे वो सब करना पड़ता हैं.

बिहारी फिर आगे बढ़ता हैं और उसकी ब्रा के हुक्स को खोल देता हैं और विजय भी एक हाथ लेजा कर उसकी पैंटी को नीचे खीच देता हैं. बिहारी की आँखों में तो जैसे चमक सी आ जाती हैं. मोनिका की वेल शेव्ड चूत उसकी आँखों के सामने थी. उसे बिल्कुल भी सब्र नही होता और वो अपनी एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं. मोनिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

इधेर विजय अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स को कसकर मसलता हैं फिर उसे अपने मूह में लेकर बारी बारी चूसने लगता हैं. मोनिका को भी दोहरा मज़ा आने लगता हैं और उसके मूह से सिसकारी तेज़ होने लगती हैं.
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09-01-2018, 11:58 AM,
#67
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी फिर मोनिका को बिस्तेर पर लेटा देता हैं और झुक कर उसकी चूत पर अपना जीभ फेरने लगता हैं. मोनिका तो जैसे एकदम से बेचैन होने लगती हैं. और इधेर विजय भी उसके दोनो बूब्स को और निपल्स को अपने दाँतों में कसकर कुरेदने लगता हैं.

बिहारी फिर एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं और फिर उसे खूब अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में उसकी उंगली पर मोनिका की चूत का रस पूरा लग जाता हैं. फिर वो अपना वही उंगली निकालकर उसे मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका भी बड़ी हैरानी से बिहारी को देखने लगती हैं.

बिहारी- ऐसे क्या देख रही हैं. आज तूने हम दोनो का कम चखा हैं. तो आज ज़रा अपना भी तो टेस्ट कर ले. बुरा नहीं लगेगा. इतना कहकर बिहारी अपनी वही उंगली मोनिका के मूह में डाल देता है. मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे चूसना पड़ता हैं. और वो बुरा सा मूह बनाती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक अपनी उंगली मोनिका को चुसवाने के बाद बिहारी वही उंगली इस बार मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं.

मोनिका- ये क्या कर रहे हो बिहारी. इतना गंदा खेल मुझसे नहीं होगा. भला ऐसे भी कोई सेक्स करता हैं क्या.

विजय एक कस कर थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं. हरामी रंडी साली , तू कौन होती हैं हम से ये सब सवाल करने वाली. हम जो भी करे तेरे साथ जैसे भी करें तुझे बस हमारा हुकुम मानना है. वरना तेरा हम दोनो वो हाल करेंगे कि साली आज के बाद सही से धंधा भी नही कर पाएगी.

मोनिका भी कुछ नहीं बोलती हैं और चुप चाप उनका कहाँ मानने लगती हैं. फिर बिहारी अपनी वही उंगली को धीरे धीरे मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं और मोनिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.कुछ देर में वो ऐसे ही आगे पीछे अपनी उंगली घुमाता हैं और फिर वही उंगली वो बाहर निकालकर मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका ना चाहते हुए भी अपनी गान्ड का स्वाद उसे अपने मूह में लेना पड़ता हैं.

मोनिका तो बस यही चाह रही थी कि कैसे भी सुबह हो और मैं इन दोनो के चंगुल से आज़ाद हो जाऊ. मगर शायद आज़ादी अभी उससे इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली थी. ऐसे ही कुछ देर तक वो बिहारी की उंगली चाटती हैं फिर विजय भी एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और बिहारी अपनी दूसरी उंगली उसकी गान्ड में डाल देता हैं. और दोनो अपनी उंगलियों को हरकत करना शुरू कर देते हैं. मोनिका को सच में बहुत मज़ा आने लगता हैं. और उसके मूह से सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं.

बिहारी- अरे ये साली तो तो सच में मज़ा आ रहा हैं. अभी तो हम ने उंगली डाली है तो इसे इतना मज़ा आ रहा हैं. अगर पूरा लंड इसके दोनो छेदों में एक साथ डालेंगे तो कितना मज़ा आएगा. इतना कहकर बिहारी हँसने लगता हैं.

मोनिका की आँखों में भी हवस सॉफ छलक रही थी .वो कुछ बोलती नही मगर आने वाली चुदाई को सुनकर उसके रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

विजय भी अपना उंगली मोनिका की चूत से निकाल कर मोनिका के मूह की तरफ बढ़ाता हैं और बिहारी भी अपना उंगली उसकी गान्ड से निकाल कर उसके मूह की तरफ कर देता हैं.

विजय- कौन सी उंगली पहले टेस्ट करना चाहेगी ....बता.

मोनिका मंन ही मंन में उन दोनो को बहुत गालियाँ देती हैं.

मोनिका तो कुछ कहती नहीं पर बिहारी बोल पड़ा हैं..

बिहारी- चल विजय आज इसे दोनो का टेस्ट एक साथ करते हैं. और इतना बोलकर वो दोनो अपनी एक एक उंगली को मोनिका के मूह में दल देता हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो की उंगाली एक साथ चुसनी पड़ती हैं.

विजय- बता ना किसका टेस्ट ज़्यादा . हैं. तेरी गान्ड का या तेरी चूत का....

मोनिका भी बड़ा बुरा सा मूह बनाती हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो उंगली एक साथ चुसनी पड़ती हैं. .

फिर विजय उठकर आता हैं और अपने लंड को फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं और बिहारी उसकी कमर के नज़दीक आता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत पर रख देता हैं. कुछ देर ऐसा रखने के बाद वो एक झटके से अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और फेच की आवाज़ के साथ बिहारी का लंड मोनिका की चूत में थोड़ा सा घुस जाता हैं. फिर वो धीरे धीरे अपना लंड को आगे पीछे करने लगता हैं और एक झटके के साथ अपना पूरा लंड मोनिका की चूत में पेल देता हैं. मोनिका की चीख वही पर घुट कर रह जाती हैं.

बिहारी भी उसी पोज़िशन में ऐसे ही मोनिका की चूत मारने लगता हैं. बिहारी को सच में बहुत मज़ा आता हैं. मोनिका की चूत काफ़ी टाइट थी. उसे भी अब मज़ा आने लगता हैं. और इधेर वो विजय का लंड भी चूस रही थी. फिर वो दोनो अपनी पोज़िशन बदलते हैं और अब बिहारी अपना लंड उसके मूह में डाल देता हैं. और विजय जाकर उसकी चूत चोदने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर की चुदाई के बाद विजय अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर वो अपने लंड को मोनिका की गान्ड के होल पर रखकर धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. मोनिका चाह कर भी नही चीख पाती और उसकी आवाज़ बिहारी के लंड के साथ दब कर रह जाती हैं.

विजय पहले धीरे धीरे फिर काफ़ी स्पीड से उसकी गान्ड मारने लगता हैं और मोनिका को भी थोड़ी देर में मज़ा आने लगता हैं. फिर वो दोनो ऐसे ही कुछ देर तक चुदाई करते हैं फिर बिहारी अपना लंड उसके मूह से निकाल लेता हैं और मोनिका को पीठ के बल सोने को कहता हैं. विजय भी जल्दी से पहले बेड पर लेट जाता हैं और फिर मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं.

जैसे ही मोनिका उसके उपर आती हैं वो अपना लंड उसकी गान्ड में फिर से डाल देता हैं और फिर से चुदाई करना शुरू कर देता हैं. मोनिका के मूह से भी आ.......ह............आ........ह. की आवाज़ें निकालने लगती हैं. और इधेर बिहारी अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल देता हैं. पहले तो मोनिका थोड़ा चिहुनक पड़ती हैं मगर वो भी अब मज़ा लेने लगती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक वो उसकी चूत के दानों को कसकर मसलता हैं और मोनिका ना चाहते हुए भी फारिग हो जाती हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाती हैं. मगर बिहारी अपनी उंगली नही निकालता और फिर कुछ देर के बाद मोनिका फिर से गरम होने लगती हैं.
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09-01-2018, 11:58 AM,
#68
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
अब बिहारी भी उसके उपर चढ़ जाता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत में डाल देता हैं. थोड़ी मुश्किल से मगर एक झटके में बिहारी का लंड पूरा मोनिका की चूत में चला जाता हैं. और फिर मोनिका की यहाँ पर एक साथ दोहरी चुदाई शुरू हो जाती हैं. आज तक उसने कभी ज़िंदगी में एक साथ कभी दो लंड नहीं लिए थे. उसे तो सच में लगता हैं कि वो जन्नत में हैं. कभी विजय का लंड आगे जाता तो कभी बिहारी का ऐसे ही करीब 30 मिनिट्स की ख़तरनाक चुदाई के बाद मोनिका भी करीब 3 बार फारिग होती हैं और विजय और बिहारी भी उसकी चूत और गान्ड में अपना वीर्य पूरा निकाल देता हैं और दोनो उसके उपर पसर जाते हैं............

दोनो बिल्कुल पसीने से लथपथ एकदम शांत होकर मोनिका के उपर चढ़े हुए थे और उन दोनो के बीच मोनिका भी एक दम शांत पड़ी हुई थी. ऐसे ही दोनो बदल बदल कर पोज़िशन और रात के करीब 12 बजे तक मोनिका की तीन बार जम्कर चुदाई होती हैं और वो तीनों थक कर वही पर सो जाते हैं..

सुबह के करीब 10 बजे तीनों की आँखें खुलती हैं. मोनिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लेती हैं और बिहारी और विजय भी जल्दी से तैयार होने लगते हैं. थोड़ी देर के बाद........

मोनिका- अब मुझे चलना चाहिए. अब मैं तुमसे 1 महीने के बाद मिलूंगी अपना कांट्रॅक्ट ख़तम करने के बाद.

विजय हंसते हुए- ये तुझे किसने कह दिया कि हम तुझे एक महीने तक हाथ भी नहीं लगाएँगे.

अब चौकने की बारी मोनिका की थी- क्या??? तुम ऐसा नहीं कर सकते...

विजय- अरे मेरी जान ज़रा ध्यान से पढ़ ना इस कांट्रॅक्ट लेटर को. मैने कहीं भी इस बारे में कोई भी ज़िकरा नहीं किया हैं कि हम दोनो तुझे एक महीने तक हाथ नही लगा सकते. हां मैने इस बात का ज़रूर ज़िकरा किया हैं कि तू पूरे एक महीने तक हमारे लिए काम करेगी. चाहे कोई भी काम क्यों ना हो. उसके बाद तू आज़ाद हैं.

मोनिका- फिर से धोका!!!! सच में विजय तुम बहुत बड़े कमिने हो. मैने आज तक तुम जैसा कमीना इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा.

विजय- और देखोगी भी नहीं अगर तुमने अपना कांट्रॅक्ट टाइम से ख़तम नही किया तो. और हां हमारा जब जी चाहे जहाँ जी चाहे जब भी हम तुम्हें बुलाएँगे तुम्हें आना होगा. बाकी तुम खुद समझदार हो. और इतना कहकर बिहारी और विजय दोनो हँसे लगते हैं.

मोनिका जितना चाहती थी कि वो इस दलदल से बाहर निकले वो अब उतनी ही इसमें फँसती जा रही थी. और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं. मगर वो वहाँ से चुप चाप उठती हैं और बाहर निकल जाती हैं. अब उसके मंन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो ये बात अच्छे से जानती थी कि जो हाल उन्दोनो ने मेरा किया वो तो कोई दुश्मन भी किसी से नही कर सकता. पता नहीं उस राधिका से इनलोगों की क्या दुश्मनी हैं. अगर वो उससे अपनी दुश्मनी निकालेंगे तो पता नहीं उसके साथ ये लोग क्या सुलूक करेंगे.अब उस राधिका का क्या होगा ये तो बस भगवान ही जानता हैं.

जैसे ही मोनिका वहाँ से बाहर निकलती हैं किसी और की नज़र उस पर पड़ जाती हैं. पर किसकी ये बात अभी कुछ देर में पता लगने वाली थी.

जी हां वो और कोई नही बल्कि बिहारी की पत्नी पार्वती थी जिसकी उमर करीब 43 साल थी ,थोड़ी मोटी और हेल्ती शरीर की रंग थोड़ा गेहुआ था. और तो और उसने मोनिका को जाते हुए भी नही बल्कि बिहारी और विजय की सारी बातें भी सुन ली थी. वो छत पर से नीचे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आती हैं............

पार्वती अपने दोनो हाथों से ताली बजाते हुए नीचे सीढ़ी से उतर कर बिहारी और विजय के पास आती हैं. और जैसे ही बिहारी की नज़र अपनी पत्नी पर पड़ती हैं उसके होश उड़ जाते हैं और घबराहट की वजह से उसका गला सूखने लगता हैं.

बिहारी- आँखें फाड़ कर देखते हुए- .....तू....तुम यहाँ पर.........कैसे????

पार्वती- क्यों मुझे इस वक़्त यहाँ पर नहीं होना चाहिए था क्या???

बिहारी- लेकिन तुम तो........ अपने मायके जाने वाली थी........फिर????

पार्वती- नही गयी.. चलो अच्छा ही हुआ कि यहाँ पर आकर तुम क्या गुल खिला रहे हो कम से कम मुझे इस बात का तो पता चला. तुमपर शक़ तो मुझे बहुत पहले से था लेकिन आज यहाँ पर ये सब देखकर मुझे यकीन भी हो गया...

बिहारी- तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मैं वो लड़की को नहीं जानता. वो तो बस मेरे दोस्त से मिलने आई थी..

पार्वती बिहारी के एकदम करीब आती है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देती हैं. फिर उसके बाद एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ देती हैं. बिहारी का चेहरा एक दम लाल हो जाता हैं.

पार्वती- शरम करो 50 साल के हो गये और अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ ये सब काम करते हो. और तो और ना जाने कैसे कैसे दोस्त हैं तुम्हारे. जी तो करता हैं कि अभी पोलीस स्टेशन जाकर तुम्हारी सारी पोल पट्टी खोल दू. फिर तुम जानो और तुम्हारा काम.

बिहारी पार्वती की बातों से एक दम घबरा जाता हैं और वो तुरंत उसके पाँव में गिर पड़ता हैं.
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09-01-2018, 11:58 AM,
#69
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी- मुझे माफ़ कर दो पार्वती. ये जो कुछ भी हुआ ये सब अंजाने में हुआ. अब दुबारा ऐसी ग़लती नहीं होगी. मैं अब तुम्हारे लिए ये सब छोड़ दूँगा. मैं तुम्हारी कसम ख़ाता हूँ. मैं आज के बाद हमेशा हमेशा के लिए सुधार जाउन्गा.

पार्वती- मुझे अब कुछ नहीं सुनना हैं. मैं अब तुम्हारे पास डाइवोर्स पेपर भेज दूँगी. बस चुप चाप तुम वहाँ पर साइन कर देना. नहीं तो मैं सीधा कोर्ट में जाउन्गि. फिर तुम जानते हो कि तुम्हारी कितनी बदनामी होगी. और हां एक बात और मैं ये भी जान चुकी हूँ कि तुम्हारा ये दोस्त रंडियों का भी धंधा करता हैं और ड्रग्स का भी सप्लाइयर हैं.

और मेरे ख्याल से तुम भी ये सब में इसके साथ बारबार के हिस्सेदार हो. चिंता मत करो जब मेरा डाइवोर्स हो जाएगा तो मैं तुम्हारे और तुम्हारे इस दोस्त दोनो की पोलीस एंक्वाइरी करवाउंगी. फिर पता लग जाएगा कि तुम कितने दूध के धुले हो..

इतना सुनते ही बिहारी की डर के मारे हालत खराब हो जाती हैं और वो फिर से पार्वती की पैरों में गिर पड़ता हैं. और विजय भी उसी डर से सहम जाता हैं.

पार्वती- बंद करो अपने ये मगरमच्छ के आँसू बहाना. मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता. तुम जैसे बेवफा इंसान के साथ अब मैं और नहीं रह सकती. मैं अगले हफ्ते डाइवोर्स का पेपर वकील के हाथों तुम्हारे पास भेजवा दूँगी और तुम चुप चाप उसपर अपना साइन कर देना. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.... और इतना कहकर पार्वती गुस्से से वहाँ से निकल जाती हैं.....

बिहारी अब भी वही फर्श पर बैठा हुआ अपनी किस्मेत को कोष रहा था.

विजय- चुप हो जा यार कुछ नही होगा. भाभी इस वक़्त गुस्से में हैं. गुस्सा कुछ कम हो जाए तो जाकर प्यार से मना लेना. वो मान जाएगी.

बिहारी- मदर्चोद जी तो करता हैं कि तेरा गला दबा डू. साला मेरा घर दाँव पर लग गया और मेरी गर्दन पर अब कुछ दिनों में फाँसी का फंदा लटकने वाला हैं और तू कहता हैं कि चुप हो जाऊ. अगर मैं चुप हो गया तो पार्वती हमेशा हमेशा के लिए मुझे चुप करवा देगी..साला मेरी तो किस्मेत ही खराब हैं.मैने तुझे पहले भी बोला था कि उस रंडी को यहाँ पर मत लेकर आ मगर तूने ही कहा था ना कि यहाँ पर कोई नहीं आता. अब तो हमारी सौर्य गाथा मेरी पत्नी जान ही चुकी हैं. देख लेना अब पोलीस वाले मेरे गले में अपना फूलों का माला चढ़ाएँगे.
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09-01-2018, 11:58 AM,
#70
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
विजय- यार तू मरने से इतना डरता क्यों हैं. देख लेना कुछ नहीं होगा.

बिहारी- अरे मैं ही बेवकूफ़ था जो मैने तेरी बात मानी. साला तू तो अभी भी पांक सॉफ हैं. फँसा तो मैं हूँ ना. मैं अपनी पत्नी को अच्छे से जानता हूँ वो सच में जाकर पोलीस को सब कुछ बक देगी..

विजय- अपना मज़ा लिए तो कुछ नही अब फँस गया तो कह रहा हैं कि मैने ही फँसाया हैं.

विजय- ठीक हैं मुझे कुछ सोचने दे देखता हूँ कि कोई सल्यूशन निकलता हैं कि नहीं.

बिहारी- एक बात कान खोलकर सुन ले विजय. ये मेरा मॅटर हैं. और मैं नही चाहता कि तू इसमें कोई भी दखल अंदाज़ी करे. अब जो भी करूँगा मैं करूँगा और अपने तरीके से करूँगा.

विजय- भूल मत बिहारी कि अगर तू फँसा तो मैं भी तेरे साथ साथ फसूँगा. और अगर मैं फँसा तो तू भी नही बचेगा.

बिहारी- आख़िर दिखा ही दी ना अपनी औकात. साला मुझे तो कहता हैं कि डरता हैं और बात अपनी पे आई तो साले तेरी पहले ही फट के हाथ में आ गयी.

विजय- छोड़ ना यार अब बेकार में बहस करने से क्या फ़ायदा. अब जल्दी से इसका कोई सल्यूशन निकाल वरना पता नही आगे हमारे साथ क्या होगा. एक काम करते हैं क्यों नहीं भाभिजी को इस दुनिया से ही विदा कर देते हैं..और उससे अपना रास्ता भी सॉफ हो जाएगा.

बिहारी मुस्कुराते हुए- मोनिका सही कह रही थी कि तू वाकई में बहुत बड़ा हरामी हैं. साला......... कई हरामी मरे होंगे तो तू अकेला पैदा हुआ होगा.

विजय- तो तू ही बता हैं कोई दूसरा रास्ता है हमारे पास. और वैसे भी तो अब वो तुझे तलाक़ देने ही वाली हैं तो तेरा उसके साथ रिश्ता वैसे भी ख़तम हो जाएगा. तो क्या ज़रूरत हैं पुराने रिस्ते ज़बारजस्ति निभाने की.

बिहारी- वाकई में मानना पड़ेगा तेरे कामीने दिमाग़ को. लेकिन वो तो मेरी सोने की आंडे देने वाली मुर्गी हैं. उसका क्या???

विजय- मैं कुछ समझा नहीं.??? ज़रा खुल कर बता??

बिहारी- यहाँ नहीं. यहाँ पर बताना सेफ नहीं हैं. चल मैं तुझे रास्ते में अपनी अत्तीत के बारे में बताता हूँ. वो राज़ जो मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. आज तू भी जान जाएगा.

बिहारी और विजय दोनो वहाँ से बाहर निकल जाते हैं और जाकर अपनी कार में बैठ जाते हैं. विजय गाड़ी ड्राइव करता हैं और बिहारी उसकी बाजू वाली सीट पर बैठ जाता हैं.

विजय- अब बता बिहारी. मैं बहुत बेचैन हूँ तेरे अत्तीत के बारे में जानने के लिए.

बिहारी- बात उस वक़्त की हैं जब मैं 21 साल का था और मैं एक छोटे से गाँव में रहता था. मेरे परिवार पूरा ग़रीबी में रहता था. ना खाने को सुद्ध खाना , ना पहनने को ढंग के कपड़े. मेरे पिताजी एक मज़दूर थे. और मज़दूरी करके वो अपना घर का खर्चा चलाते थे. उन्होने मुझे कैसे भी करके बी.ए करा दिया. और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने अपने हाथ पीछे खीच लिए.

मुझसे सॉफ सॉफ कह दिया कि अब मैं तेरा बोझ नही उठा सकता. अगर तुझे हमारे साथ रहना हैं तो तुझे भी मेहनत और मज़दूरी करनी होगी. लेकिन मेरा सपना तो बड़ा आदमी बनने का था. मैं भला कैसे मेहनत मज़दूरी करता. ऐसे ही एक महीना बीत गया और मैं अपने पिताजी की बात को ज़रा भी सीरीयस नही लिया.

पिताजी ने मुझे एक दिन आख़िर कह ही दिया कि अगर तुझे इस घर में रहना हैं तो तुझे इस घर का खर्च भी उठाना होगा. नहीं तो तू कहीं और जा सकता हैं. बस फिर क्या था मेरा मूड भी घूम गया और मैं उसी शाम को मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ा और मुंबई चला आया. मगर मुंबई में भी मेरी किस्मेत ने मेरा साथ नहीं दिया. कहते हैं ना कि मुंबई सिर्फ़ पैसे वालो के लिए होती है. और जब मैं मुंबई में आया था उस वक़्त मेरी जेब में मात्र 100 रुपये था. फिर मुझे मेरे एक दोस्त जो यहाँ मनाली में उसका खुद का बिजनेस हैं मैं तुरंत उसके पास चला आया.

यहाँ पर मेरी किस्मेत ने मेरा साथ दिया. और मैं यही मनाली में हमेशा हमेशा के लिए बस गया. कुछ दिन तक तो मैं उसके घर पर ही रहा मगर मैने उसे कह दिया कि मुझे कैसे भी काम दिला. तो वो वही पर ठाकुर शौर्या सिंग जो उस जमाने में बहुत बड़ा ज़मींदार था मैं उसके यहाँ पर नौकर का काम करने लगा.
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