Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:31 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
किचन के दरवाज़े के बाहर पहुँच कर ज़ाहिद की नज़र किचन में अपने काम करती हुई अपनी अम्मी पर पड़ी.

रज़िया बीबी की कमर इस वक्त अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ थी. जिस वजह से ज़ाहिद ज्यों ही किचन के पास गया तो उस की नज़र सीधी अपनी अम्मी के भारी चुतड़ों पर पड़ी.

रज़िया बीबी ने किचन में अपने काम काज के दौरान दो तीन दफ़ा झुक कर सिंक के नीचे बने हुए हिस्से से आयिल की बॉटल उठाई थी.

इस तरह बार बार झुकने से रज़िया बीबी की कमीज़ पीछे से उस के भारी चुतड़ों में जा कर फँसी गई. जिस का रज़िया बीबी को ज़रा भी एहसास ना हुआ.



रज़िया बीबी की गान्ड में फँसी हुई कमीज़ की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड की शेप इतनी वज़िया हो गई थी.के अपनी अम्मी की मोटी गान्ड का ये दिल कश नज़ारा देखते ही ज़ाहिद का दिल में इंडियन मूवी देवदास का ये गाना गूंजने लगा.

“डोला रे डोला रे डोला
अम्मी की गान्ड पे मेरा लंड डोला”

हालाकी रात अपनी अम्मी के नाम की मूठ लगाने के बाद ज़ाहिद ये सोच कर सोया था. कि वो अब कभी दुबारा अपनी अम्मी के मुतलक कोई गंदी बात अपने दिमाग़ में नही ले गा.

मगर अब अपनी अम्मी की भारी गान्ड को देखते ही ज़ाहिद का ईमान दुबारा से डोलने लगा.

जिस वजह से उस का मोटा बड़ा लंड फिर से उस की पॅंट में अपना सर उठाने लगा था.

“काश मैं अपनी अम्मी की इस भारी गान्ड की इन उभरी हुई पहाड़ियों में अपने लंड को डाल सकता”अपनी अम्मी की बड़ी गान्ड को देखते हुए ज़ाहिद के दिल और लंड में दुबारा से एक अजीब सी हलचल मचने लगी. और ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फनफनाने लगा था.

अब जैसे जैसे रज़िया बीबी किचन में काम के दौरान मूव करती इधर उधर होती. पीछे से उस की गान्ड की मोटी पहाड़ियाँ भी उसी तरह थल थल करती हुई उपर उछल हो रही थी.

अपनी अम्मी की मटकती गान्ड को देख देख कर ज़ाहिद का लंड और सख़्त होने लगा. तो ज़ाहिद ने किचन के बाहर ही खड़े हो कर अपनी अम्मी की गान्ड को देखते हुए अपने लंड को अपनी पॅंट के ऊपर से ही आहिस्ता आहिस्ता मसलना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद कुछ देर तो किचन के बाहर खड़ा हो कर अपनी अम्मी के कसे हुए भारी जिस्म को अपनी आँखों से ही चोदता रहा.

फिर जब ज़ाहिद से अपनी अम्मी के जिस्म से दूरी मज़ीद बर्दास्त ना हुई. तो ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ किचन में एंटर हुआ. और बगैर कोई आवाज़ किए किचन में आ कर अपनी अम्मी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया.

रज़िया बीबी आज किचन में इतनी मसरूफ़ थी. कि उसे पता ही ना चला कि उस का बेटा ज़ाहिद उस के पीछे आ कर खड़ा हो चुका है.

“इस से पहले के ज़ाहिद आ जाए मुझे जल्दी से उस के लिए नाश्ता टेबल पर लगा देना चाहिए”ये बात अपने जहाँ में सोचते हुए रज़िया बीबी एक दम से अपने पीछे पड़े हुए टेबल की तरफ मूड गई.

इस तरह एक अचानक और एक दम से मुड़ने की वजह से रज़िया बीबी अपने बिल्कुल पीछे खड़े हुए अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म के साथ टकरा गई.

रज़िया बीबी चूँकि इस बात की तवक्को नही कर रही थी. इसीलिए ज़ाहिद के साथ टकराती ही वो अपना तवज्जो खो बैठी और एक दम से पीछे सिंक की तरफ गिरने लगी.

ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा.तो उस ने फॉरन अपनी अम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. और अपनी अम्मी की मोटी कमर के गिर्द अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा.

ज़ाहिद के हाथ का सहारा मिलते ही रज़िया बीबी का पीछे की तरफ गिरता वजूद एक दम से ऊपर की तरफ उठा. तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में पेवस्त होती चली गई.

बल्कि नीचे से भी ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अपनी अम्मी की शलवार में माजूद रज़िया बीबी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया.

“आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ” अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही रज़िया बीबी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी.

“हाईईईईईईईईईईई आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है ,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई” अपनी अम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के ज़ाहिद के दिल में भी ख्याल आया.

दोनो माँ बेटे के प्यासे वजूद ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराई. तो ज़ाहिद और रज़िया बीबी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ.

बल्कि ज़ाहिद और रज़िया बीबी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था.
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08-12-2019, 01:32 PM,
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“इस से पहले कि में अपने जवान बेटे के जिस्म की गर्मी से पिघल कर बहक जाऊं, मुझे अपने बेटे की बाहों से निकल जाना चाहिए” रज़िया बीबी के दिमाग़ में ख्याल आया. और उस ने अपने आप को संभालने हुए अपने वजूद को अपने बेटे की बाहों से आज़ादी दिला दी.

“तुम कब आई,मुझे तो पता ही नही चला बेटा” रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की बाहों से निकलते ही पूछा.

“में तो अभी अभी ही किचन में आप को ये बताने आया हूँ, कि मुझे ज़रा जल्दी जाना है, इसीलिए आप आज मेरे लिए नाश्ता मत बनाना अम्मी” ज़ाहिद ने जवाब दिया और साथ ही जल्दी से मूड कर किचन से बाहर निकलने लगा.

“कहाँ जा रहे हो तुम,नाश्ता तैयार है ज़रा ठहरो मैं अभी देती हो बेटा” ज्यों ही “देने" वाली ये ज़ू महनी बात रज़िया बीबी के मुँह से निकली. तो रज़िया बीबी को फॉरन ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ.इसीलिए शरम के मारे रज़िया बीबी ने अपना मुँह फॉरन किचन की शेल्फ की तरफ मोड़ लिया.

“अम्मी आप इतने प्यार से दो गी तो कौन कम बख़्त इनकार करे गा, वैसे जितने प्यार से आप देती हैं, उतने प्यार से शाज़िया कभी नही देती अम्मी” अपनी अम्मी के मुँह से इस तरह की बात सुन कर ज़ाहिद का लंड मज़ीद उठने लगा.

और उस ने भी जान बूझ कर ज़ू महनी अंदाज़ में ही अपनी अम्मी को जवाब दिया. और जल्दी से नाश्ते के टेबल पर बैठ गया. कि कहीं उस की अम्मी का ध्यान उस की पॅंट में खड़े हुए उस के लंड पर ना पर जाए.

“हां बेटा शाज़िया चाहे भी तो मेरा मुकाबला नही कर सकती,क्यों कि आख़िर में माँ हूँ तुम्हारी और वो मेरी बेटी,और बेटी कब अपनी माँ का मुकाबला कर सकती है भला”एक बार अंजाने में एक ज़ू महनी लफ़्ज अपने मुँह से निकालने के बाद रज़िया बीबी को शरम तो आई थी. मगर अपने बेटे ज़ाहिद के मुँह से भी इसी तरह का जवाब पा कर अब शायद रज़िया बीबी का होसला बढ़ गया था. इसीलिए वो अब ज़ाहिद से इस तरह की बात चीत में शरम कुछ कम महसूस करने लगी थी.

रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के लिए बनाया हुआ परान्ठा और चाय का एक कप ला कर अपने बेटे के सामने टेबल पर रखा और बोली “आज मेने बड़े प्यार से अपने बेटे के लिए आलू का परान्ठा बनाया है”

आलू का परान्ठा देख कर ज़ाहिद की भूक भड़क उठी. और उस ने तेज़ी से परान्ठे का एक नीवाला तोड़ का अपने मुँह में डाला.

“लगता है आज आप ने नमक थोड़ा सा ज़्यादा ही डाल दिया है आटे में अम्मी” ज़ाहिद ने ज्यों ही परान्ठे का टुकड़ा अपने मुँह में डाला. तो उसे परान्ठे का ज़ायक़ा कुछ नमकीन सा महसूस हुआ.

“नही मेने नमक ज़्यादा तो नही डाला,वैसी अगर परान्ठा मज़े दार नही तो मत खाओ बेटा”अपने बेटे की बात सुन कर रज़िया बीबी ने जवाब दिया.मगर इस के साथ ही रज़िया बीबी सोचने लगी कि ज़ाहिद ये क्यों कह रहा है कि परान्ठे में आज नमक थोड़ा ज़्यादा है.

“उफफफफफफफफफ्फ़ परान्ठा बनाते वक्त मेने अपनी पानी छोड़ती चूत में उंगलियाँ डाली थी और फिर बे ध्यानी में उन्ही उंगलियों से परान्ठा तवे से भी उतरा था, लगता है कि इस दौरान मेरी उंगलियों पर लगा हुआ मेरी चूत का पानी ज़ाहिद के परान्ठे पर भी लग गया था,और अब मेरा बेटा परान्ठे के साथ साथ परान्ठे पर लगा हुआ मेरी चूत के पानी का ज़ायक़ा भी चख लिया आज ” ये बात सोचते ही रज़िया बीबी की फुद्दि में फिर से नमी आने लगी.

“अम्मी लगता है आज आप ने कुछ स्पेशल किसम का मक्खन लगाया है इस परान्ठे पर,तभी तो परान्ठा इतना मज़े दार बना है आज” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को जवाब दिया.और मज़े ले ले कर अपनी अम्मी की चूत के रस से भरपूर परान्ठे को खाने लगा.

“उूुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” अपने बेटे ज़ाहिद को अपनी चूत के पानी से लबरेज परान्ठे को यूँ मज़े ले कर खाते देख कर रज़िया बीबी काँप ही उठी. और उस की चूत से बहता पानी उस के दोनो होंठो पर से बैठा हुआ नीचे को जाने लगा.

ज़ाहिद ने जल्दी से नाश्ता मुकम्मल किया और अपनी बहन के जागने से पहले ही पोलीस स्टेशन की तरफ रवाना हो गया.

ज़ाहिद के जाते ही रज़िया बीबी ने अपनी गरम फुद्दि पर हाथ फेरते हुए उसे तसल्ली दी. और फिर अपना ध्यान अपने बेटे के मोटे लंड से हटाने की खातिर रज़िया बीबी ने अपने आप को घर के काम काज में मसरूफ़ कर लिया.
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08-12-2019, 01:32 PM,
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उधर ज़ाहिद भी जब अपने पोलीस स्टेशन पहुँचा. तो उस वक्त तक भी उस का लंड “अम्मी अम्मी” पुकारता हुआ उसे बेचैन किए जा रहा था.

इसीलिए ज़ाहिद ने भी अपनी अम्मी की फुद्दि का ख्याल अपने जहाँ से निकालने के लिए पोलीस स्टेशन आते ही अपने आप को बिजी कर लिया.

उस रात जब ज़ाहिद अपने घर वापिस लोटा तो उस की नज़र टीवी लाउन्ज में बैठी हुई अपनी अम्मी पर पड़ी.

जो उस वक्त टीवी लाउन्ज के स्टूल पर इस हालत में बैठी थी. कि रज़िया बीबी ने उस वक्त अपने भारी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ था.

जिस वजह से रज़िया बीबी की तंग और कसी हुई कमीज़ में से उस के मोटे मोटे तरबूज़ नुमा मम्मे ज़ाहिद की आँखों को एक दिल कश नज़ारा दे रहे थे.



जब के छोटे से स्टूल पर बैठने से रज़िया बीबी के भारी और बड़े चूतड़ पीछे को लटक रहे थे.

“आ गये बेटा” ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे को घर में आते देखा तो उस ने मुस्करा कर अपने बेटे से पूछा.

रज़िया बीबी अपने जवान बेटे को देख कर ऐसे मुस्कुराइ जैसे कोई जवान माशूका अपने आशिक़ की आमद पर उस का इस्तिकबाल करते हुए अपने महबूब पर अपनी मुस्कुराहट के फूल न्योछावर करती है.

“जी अम्मी ”ज़ाहिद ने अपने बूट उतारते हुए बुलंद आवाज़ में अम्मी को जवाब दिया.

“आ गया हूँ आप के इन मोटे मम्मो और इस बड़ी गान्ड को अपनी आँखों से सेकने अम्मी” साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपने दिल में ये बात कही.

अपनी अम्मी के भारी जिस्म को देखते ही ज़ाहिद के जिस्म में लगी हुई जवानी की आग फिर से भड़कने लगी. और उस की पॅंट में माजूद उस का लंड अपनी अम्मी की फुद्दि के लिए फिर से टाइट होने लगा था.

“शाज़िया जल्दी से खाना लगा दो बेटा,तुम्हारा भाई आ गया है” रज़िया बीबी ने किचन में काम करती शाज़िया को आवाज़ दी.



और खुद स्टूल से उठ कर टीवी लाउन्ज के फर्श पर लेट गई.

रज़िया बीबी के फर्श पर एक साइड करवट ले कर लेटने से उस के भारी और गुदाज मम्मे उस के ढीले ब्रेज़ियर में से लटक कर ज़मीन से टच होने लगे.

“आप फर्श पर क्यों लेट गई हैं अम्मी” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को यूँ फर्श पर लेटते देखा. तो हैरान होते हुए उस ने अम्मी से पूछा.

“बेटा पता नही क्यों आज मेरा सारा जिस्म दर्द कर रहा है,और इस तरह फर्श पर लेटने से मुझे थोड़ा आराम मिलता है” रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया.

रज़िया बीबी ज्यों ही फर्श पर लेटी. तो एक दम उसे यूँ लगा कि जैसे फर्श पर लेटते ही किसी कीड़े ने उस की गान्ड पर काट लिया हो. जिस की वजह से रज़िया बीबी को अपनी गान्ड पर एक दम से खुजली महसूस होने लगी.

ये खुजली इतनी अचानक और शदीद थी. कि रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद की कमरे में मौजूदगी का एहसास ही ना रहा.

रज़िया बीबी एक दम से अपना एक हाथ अपने पीछे ले गई. और वो बे ध्यानी में अपने हाथ से अपनी चूत और गान्ड के सुराख के दरमियाँ वाली जगह पर खुजाने लगी.



रज़िया बीबी ने इस तरह अचानक अपनी गान्ड को खुजाने के दौरान ना सिर्फ़ अपनी टाँगे एक दम से हवा में उठा कर खोल दीं.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी टाँगे खोलीं. तो शलवार पहने होने के बावजूद ज़ाहिद को अपनी अम्मी की मोटी फुददी की मामूली से शेप नज़र आ ही गई.

अपनी अम्मी की फुद्दि के भारी होंठो की ये झलक देखते ही ज़ाहिद की तो साँस ही उस के गले में अटक गई.

इस दौरान कमरे में लगे पंखे की तेज हवा से रज़िया बीबी की कमीज़ भी उस के पेट से उठ गई.

जिस वजह से रज़िया बीबी का आधा पेट भी ज़ाहिद की नज़रों के सामने नंगा हो गया.

“उफफफफफफफ्फ़ अगर आप चाहें तो मैं अपनी ज़ुबान और लंड से आप की गान्ड और चूत की खारिश मिटा सकता हूँ अम्म्मिईिइ” अपनी अम्मी को अपनी गान्ड की खुजली करता देख कर ज़ाहिद मचल उठा.और उस ने एक सिसकी भरते हुए अपने दिल ही दिल में सोचा.

आज अपनी अम्मी को यूँ अपनी टाँगें खोल कर अपनी चूत और गान्ड की दरमियानी जगह पर खुजली करते हुए देखना ज़ाहिद के लिए वाकई ही काबले दीद मंज़र था.

ज़ाहिद ने आज तक अपनी अम्मी के जिस्म का कोई हिस्सा कभी नंगा नही देखा था.

इसीलिए ज्यों ही हवा की वजह से उस की अम्मी का पेट नंगा हुआ. तो ज़ाहिद को पहली बार अपनी अम्मी के बड़े और मोटे पेट को अपनी आँखों से देखने का सुनहरी मोका देस्तियाब हो गया.

आज ज़ाहिद अपनी खुली आँखों से अपनी अम्मी का वो मोटा पेट देख रहा था.जिस पेट में पूरे 9 महीने रह कर ज़ाहिद ने इस दुनिया में जनम लिया था.

अपनी अम्मी के नंगे पेट को पहली बार आधा नंगा देख कर ज़ाहिद के तो होश ही उड़ गये थे.
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08-12-2019, 01:32 PM,
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ज़ाहिद अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर अपनी अम्मी को अपनी भारी गान्ड खुजलाते देख रहा था. कि इतने में रज़िया बीबी की नज़र अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ उठ गई.

रज़िया ने जब देखा के उस का बेटा बहुत ध्यान से उसे अपनी गान्ड को खुजाते देख रहा है. तो ज़ाहिद की आँखों में अपनी माँ के लिए छुपी हुई हवस रज़िया बीबी के जहन दीदा आँखों से ओझल ना रह सकी.

अपने बेटे की आँखों में अपने लिए प्यार की इस तहरीर (लाइन) को पढ़ कर रज़िया बीबी की अपनी चूत भी बुरी तरह सुलग उठी.

“उधर ही बैठ कर अपनी अम्मी की चूत को देखते रहोगे,या फिर आगे बढ़ कर आज अपनी अम्मी की फुद्दि का मज़ा भी चखो गे बेटा” अपने बेटे को यूँ अपनी टाँगों के दर्र्मियाँ नज़रें गढ़ाए देख कर रज़िया बीबी ने सोचा.

मगर इस से पहले के दोनो माँ बेटे के दरमियाँ शुरू होने वाला ये खेल मज़ीद आगे बढ़ता .कि इतने में उन दोनो को शाज़िया के कदमों की आवाज़ सुनाई दी.

अपनी बेटी शाज़िया के टीवी लाउन्ज में आने का एहसास होते ही रज़िया बीबी ने अपनी टाँगें नीचे कर लीं.

जब कि ज़ाहिद फॉरन उठ कर अपने कमरे में चला गया.

अपनी अम्मी की भारी और मोटी रानों के बीच छुपी हुई चूत का अक्श देख कर ज़ाहिद की भूख मर चुकी थी.

वो सीधा अपने कमरे में चला गया और दरवाज़ा बंद कर के उस ने तकियों के बीच अपने सिर को छुपा लिया.

अपनी बंद आँखो से अपनी अम्मी की उठी हुई टाँगों को याद करते करते ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में पूरी तरह से अकड़ा हुआ था.

उस रात अपने अपने बिस्तर पर लेट कर रज़िया बीबी और ज़ाहिद दोनो माँ बेटा एक दूसरे का ख्याल अपने दिल से निकालने की ना काम कोशिश कर रहे थे.

मगर हक़ीकत ये थी. कि कल से ले कर आज तक होने वाले सारे वक्त ने दोनो माँ बेटा के जिस्मो में एक दूसरे के लिए वो आग भड़का दी थी.

जिस को ठंडा किया बगैर अब दोनो का गुज़ारा बहुत मुश्किल होने लगा था.

इस के बावजूद के रज़िया बीबी और ज़ाहिद दोनो माँ बेटे के जिस्म अब एक दूसरे को हासिल करने के लिए मचलने लग गये थे.

लेकिन दोनो में माँ बेटे के सगे रिश्ते के दरमियाँ होने वाली क़ुदरती शर्मो-हया की वजह से दोनो को ही ये समझ नही आ रही थी. कि वो कैसे और किस तरह एक दूसरे को अपने दिल का हाल बताएँ और अपने अपने प्यासे जिस्मो की प्यास को एक दूसरे से बुझाएँ .

रज़िया बीबी की ख्वाइश थी. कि जिस तरह ज़ाहिद ने खुद पहल करते हुए अपनी बहन शाज़िया के साथ अपने जिस्मे ताल्लुक़ात का आगाज़ किया था.

इसी तरह अब भी ज़ाहिद ही आगे बढ़ कर अपनी अम्मी के प्यासे वजूद को अपनी बाहों में भर कर रज़िया बीबी की प्यासी चूत को अपने मोटे लंड के पानी से शांत करे.

जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद एक तो अपनी बहन/बीवी शाज़िया से किए हुए वादे को तोड़ना नही चाहता था.

दूसरा ज़ाहिद को भी डर था कि कहीं वो अपनी अम्मी के जज़्बात को सही तरह से समझने में ग़लती तो नही कर रहा.

और अगर अपने जज़्बात में आ कर उस ने अंजाने में अपनी अम्मी से कोई ग़लत हरकत कर दी. जिस को उस की अम्मी रज़िया बीबी ने पसंद नही किया. तो फिर ज़ाहिद के लिए अपनी अम्मी का सामना करने की हिम्मत नही रहे गी.

इसीलिए एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद अब ना चाहते हुए भी दो प्यासे बदन एक दूसरे से अलग रहने पर मजबूर हो रहे थे.

ज़ाहिद और उस की अम्मी रज़िया बीबी के जिस्मो में लगी हुई आग तो आहिस्ता आहिस्ता सुलग ही रही थी.

मगर उन के साथ साथ उस घर के तीसरे शख्स को भी उस की जवानी की आग ने बे चैन किए हुए था. और वो तीसरा शख्स कोई और नही बल्कि रज़िया बीबी की बेटी और ज़ाहिद की अपनी सग़ी बहन और बीवी शाज़िया ही थी.
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08-12-2019, 01:32 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया को अपने भाई की दुल्हन बनने के बाद अपने भाई ज़ाहिद के मोटे और सख़्त लंड की इतनी आदत पड़ चुकी थी. कि अब ज़ाहिद की तरह शाज़िया को भी अपने भाई का लंड लिए बैगर सकून नही मिलता था.

लेकिन अपने पेट में परवरिश पाने वाले अपने भाई के बच्चे की हिफ़ाज़त की खातिर शाज़िया अब ना चाहते हुए भी लेडी डॉक्टर की हिदायत पर अमल करने पर मजबूर थी.

शाज़िया को अपने भाई के लंड का स्वाद चखे हुए दो हफ्ते होने लगे थे. और अब उस की चूत की आग भी उसे परेशान करने लगी थी.

शाज़िया की चूत अपनी तलाक़ के बाद में पूरा एक साल लंड के लिए इतना नही मचली थी. जितना उस की चूत अपने भाई ज़ाहिद के लंड के लिए इन दो हफ्तों में तडपी थी.

इन दो हफ्तों में शाज़िया ने रात की तन्हाई में एक दो दफ़ा अपनी चूत में उंगली करने की कोशिश भी की थी.

मगर आज कल अपनी अम्मी रज़िया बीबी के कमरे में सोने की वजह से शाज़िया डर्ती रही कि कही उस की अम्मी ना जाग जाए.

“काश नीलोफर इधर होती तो उस की गरम और नोकिली ज़ुबान से अपनी फुद्दि को ठंडा कर लेती” शाज़िया ने अपनी फुद्दि की गर्मी से तंग हो कर रात की खामोशी में अपने बिस्तर पर करवटें बदलते हुए सोचा.

मगर खराब क़िस्मत कि नीलोफर तो उस से कोसों मील दूर अपने भाई/शोहर जमशेद का बिस्तर गरम करने में मसरूफ़ थी.

इसीलिए शाज़िया अब अपनी सहेली की खिदमत भी हासिल करने से दूर थी.

इसीलिए हर रात की तरह इस रात भी चार-ओ-नचार शाज़िया को अपनी चूत की खुशियों का गला घौन्ट कर सोना ही पर गया.

दूसरे दिन दोपहर को शाज़िया और उस की अम्मी रज़िया बीबी अपने घर के काम काज में मसरूफ़ थी. कि इतने में पड़ोस की किसी आंटी ने रज़िया बीबी को फोन कर के अपने घर में किसी काम के सिलसिले में बुलाया.

“बेटी तुम बाकी का काम ख़तम कर दो में अभी तुम्हारी आंटी की बात सुन कर आती हूँ” ये कहते हुए रज़िया बीबी घर से बाहर चली गई.

अपनी अम्मी के जाने के कुछ देर बाद शाज़िया अपने और अपने भाई ज़ाहिद के कमरे में चली आई.

शाज़िया आज काफ़ी दिनो बाद “अपने” कमरे में आई थी.

कमरे में आते ही शाज़िया की नज़र कमरे में अपने भाई ज़ाहिद की इधर उधर बिखरी हुई चीज़ों पर पड़ी.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई ने भी क्या गंद मचा रखा है कमरे में” शाज़िया ज़ाहिद की बे तर्तीब चीज़ों को देख कर बडबडा उठी.

इस से पहले कि शाज़िया अपने भाई के कमरे की तरतीब ठीक करती. कि इतने में शाज़िया की नज़र अपने सोहाग के बिस्तर पर गई.

अपने बिस्तर पर नज़र डालते ही शाज़िया के ज़हन में अपने भाई के साथ गुज़ारे हुए सारे गरम लम्हात एक दम से फिल्म की स्लाइड की तरह घूम गये.

अभी शाज़िया अपने भाई/शोहर के साथ बिताई गई चन्द हसीन यादों में ही खोई हुई थी. कि इतने में शाज़िया की नज़र बेड की साइड टेबल पर पड़े हुए अपने भाई ज़ाहिद के मोबाइल फोन पर पड़ी.

ये ज़ाहिद का सॅमसंग गॅलक्सी फोन था. जिस में लगे हुए अच्छे कॅमरा की वजह से ज़ाहिद इस फोन को ज़्यादा तर फोटो खैंचने के लिए ही इस्तेमाल करता था.

अपने भाई के फोन को टेबल पर पड़ा देख कर शाज़िया के जेहन में एक आइडिया आया.

“आज कल मेरी चूत ना मिलने की वजह से भाई यक़ीनन बहुत बे चैन हो रहे होंगे ,चलो अगर भाई को मेरी लाइव चूत अभी नही मिल सकती तो क्यों ना उसे अपनी नंगी तस्वीरे दिखा कर ही उस के लंड की तसल्ली कर दूं” इस आइडिया के ज़हन में आते ही शाज़िया ने आहिस्ता आहिस्ता और एक एक कर के अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया. और साथ ही साथ अपनी नंगी तस्वीरो को खैंच खैंच कर अपने भाई के मोबाइल में महफूज़ करने लगी.




इस से पहले ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की जितनी भी नंगी फोटो देखी थी. वो सब नीलोफर और जमशेद की धोके से खैंची गई ख़ुफ़िया तस्वीरे थी.

मगर आज शाज़िया खुद अपने हाथ से अपनी नंगी फोटो खैंच कर अपने भाई के लिए सेव कर रही थी.और इस अमल के दौरान शाज़िया की चूत अपने भाई के लंड को याद कर के बहुत गरम हो चुकी थी.

“अम्मी अभी आती ही होंगी” ये सोच कर शाज़िया ने जल्दी से अपना काम ख़त्म किया और ज़ाहिद का कॅमरा वापिस उसी जगह रख दिया.

शाज़िया अपने कपड़े पहन कर अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई. और अपने हाथ अपनी कमर के पीछे ले जा कर अपनी कमीज़ की ज़िप बंद करने लगी.


“क्यों ना में जल्दी से अपना कमरा ही ठीक कर लूँ” अपने कपड़े पहन कर शाज़िया ने सोचा.और वो जल्दी जल्दी फर्श पर बिखरे हुए ज़ाहिद भाई के कपड़े और शूस को उठा उठा कर अलमारी और टोकरी में फैंकने लगी.

शाज़िया अपने भाई के कमरे में पड़े हुए गंद को समिटने में इतनी मसरूफ़ थी. उसे पता ही नही चला कि कब उस का भाई ज़ाहिद घर वापिस आ कर अपनी बहन को अपने कमरे की सफाई करता बहुत ध्यान से देख रहा है.

ज़ाहिद तो वैसे ही आज कल अपनी अम्मी के गुदाज बदन को छूने और अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मोटे मम्मो और चुतड़ों को सोच सोच कर बे इंतहा गरम हो रहा था.

इसीलिए जब ज़ाहिद ने शाज़िया को यूँ बे खबर उस के कमरे में आ कर काम करते देखा. तो अपनी बहन की मस्त जवानी देख कर ज़ाहिद भी बे काबू हो गया.

ज़ाहिद खामोशी से आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ शाज़िया के पीछे आया.
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08-12-2019, 01:32 PM,
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ज्यों ही ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के नज़दीक पहुँचा. तो उस की नाक में अपनी बहन की जवानी की खुसबू का एक झोंका सा आया.

अपने बच्चे की माँ बनने वाली अपनी ही सग़ी बहन के वजूद की इस मधुर महक को सूंघ कर ज़ाहिद का लौडा गरम हुआ.



ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया के बड़े बड़े मम्मो को अपने हाथों में थामा और अपनी बहन के कान में सेरगोशी की “क्या हाल है मेरी जाने मन”.

शाज़िया अपने भाई की इस तरह अचानक घर आमद की तवक्को नही कर रही थी.

इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपने मोटे मम्मो पर अपने भाई के सख़्त हाथों की गिरफ़्त महसूस की. तो उस के मुँह से एक सिसकारी फूट पड़ी” हाईईईईईईईईईई ”.

ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी बहन के मुँह से ये सिसकारी सुनी. तो उसे अंदाज़ा हो गया कि उस की तरह उस की बहन शाज़िया भी अपने जिस्म की गर्मी को काबू करने मे नाकाम है.

इसीलिए ज़ाहिद एक सेकेंड के लिए शाज़िया के जिस्म से अलग होते हुए अपनी कमीज़ को उतारा और दूसरे ही लम्हे अपनी बहन के वजूद के गिर्द अपनी बाहें लपेट दीं.



अपनी बहन शाज़िया को अपनी बाहों में दबोचते ही ज़ाहिद ने शाज़िया के मोटे मम्मों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हे ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया. और साथ ही साथ अपनी बहन की गर्दन पर अपने गरम होन्ट चिस्पान कर दिए.

“उूउउइईईईईई,अब बस भी करो, आप की ये बे सबरी कब ख़तम हो गी भाईईईईईईईईईईई” शाज़िया ने जैसे ही अपने गर्दन पर अपने भाई के होंठो और गरम ज़ुबान को रेंगता हुआ महसूस किया. तो अपने भाई ज़ाहिद की तरह शाज़िया के जिस्म में लगी हुई जवानी की आग भड़क उठी.लेकिन इस के बावजूद शाज़िया अपने भाई को मज़ीद आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश कर रही थी.

“ हाईईईईईई में क्या करूँ मेरी जान,तुम्हारे इस मक्खन जैसे बदन को देख कर मेरा लंड और भी बे करार हो जाता है” ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के मम्मो को एक हाथ से दबोचते हुए अपना दूसरा हाथ शाज़िया की शलवार के अंदर ले गया. और अपनी बहन की फूली हुई फुद्दि को अपने हाथ में दबोचते हुए शाज़िया की चूत में उंगली डालने लगा.

“उफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईई आप बड़े बेशरम हो रहे है, अम्मी पड़ोस में गई हैं अभी आती ही होंगी ,प्लीज़ अब बस करोन्ंननननणणन् नैईईईईईईईई” अपनी प्यासी गरम फुद्दि पर अपने भाई की उंगलियाँ घूमती हुई महसूस कर के शाज़िया मज़े से बे हाल होते हुए तडपी.

“हाईईईईईईईई में तरस रहा हूँ तुम्हारी इस मस्त फुद्दि का पानी पीने के लिया,बस मुझे एक बार अपनी इस प्यारी फुद्दि का नमकीन पानी पिला दो ना, में वादा करता हूँ कि में लंड अंदर नही डालूंगा”ज़ाहिद ने शाज़िया की अम्मी वाली बात को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी बहन की चूत के उपर अपनी उंगली को रगड़ते हुए कहा.

“आअहह,सस्सिईईईईईई, ओईइ,अब छोड़ो भी भाईईईईईईईई, नही तो में झड जाउन्गी,ऊओह,ओह्ह्ह्ह अमिीई बड़ा मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईई” ये कहते हुए ना चाहते हुए भी शाज़िया अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो गई. और शाज़िया अपने चूतड़ अपने भाई ज़ाहिद के लंड पर रगड़ने लगी.

शाज़िया ने ज्यों ही अपनी मोटी गान्ड को अपने भाई के बड़े लंड के ऊपर रगड़ा तो ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया भी गरम हो चुकी है. इसीलिए उस ने जल्दी से अपनी बहन के कपड़े उतारे और शाज़िया को मुकम्मल नंगा कर दिया.

जिस वक्त ज़ाहिद अपने हाथों से अपनी बहन के कपड़े उतार कर उसे नंगा करने में मसरूफ़ था. उसी लम्हे रज़िया बीबी अपने घर में दाखिल हुई.

घर में आते ही रज़िया बीबी को ज़ाहिद के कमरे से आवाज़ आती हुई सुनाई दी.

“लगता है ज़ाहिद दोपहर का खाना खाने घर आया है” रज़िया बीबी ने सोचा और अपने बेटे के कमरे के पास से गुज़र कर किचन की तरफ जाने लगी.

ज्यों ही रज़िया बीबी अपने बेटे के कमरे के सामने पहुँची तो अपने बेटे ज़ाहिद को अपनी बेटी शाज़िया के कपड़े उतार कर नंगा करने का मंज़र देख कर रज़िया बीबी के कदम उधर ही रुक गये.और वो दीवार की ओट में खड़े हो कर अपने सगे बेटा और सग़ी बेटी का आपस में मियाँ बीवी वाला खेल एक बार फिर से देखने में मसरूफ़ हो गई.

“उफफफफफफफफफ्फ़ लगता है कि लेडी डॉक्टर के मना करने के बावजूद मेरे बेटे ज़ाहिद का लंड अपनी बहन की फुद्दि से दूर नही रह पा रहा,इसी लिए तो वो अपनी प्रेगनेंट बहन से मस्ती करने पर तुला हुआ है” अपने बेटे ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के जिस्म से उस का ब्रेज़ियर उतारते देख कर रज़िया बीबी ने सोचा.और ये सोचते ही रज़िया बीबी के पूरे बदन में एक झूर झूरी सी फैल गई.

ज़ाहिद और शाज़िया की तरफ देखते हुए रज़िया बीबी ने शलवार के ऊपर से अपनी चूत को छुआ. तो उसे महसूस हुआ कि वो तो नीचे से गीली हो रही है.
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08-12-2019, 01:33 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
उधर कमरे में शाज़िया अपने भाई के हाथों नंगा होते ही बिस्तर पर बैठ गई.

शाज़िया के बिस्तर पर बैठते ही ज़ाहिद भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया.

ज़ाहिद की पॅंट ज्यों ही उतरी उस का काले नाग जैसा लंड एक दम से अपना फन उठा कर खड़ा हो गया.

ज़ाहिद के मोटे और जवान लंड को यूँ खड़े हुए देख कर रज़िया बीबी और शाज़िया दोनो माँ बेटी के मुँह से एक साथ सिसकारी निकली “हाईईईईईईईई”.

और दोनो की फुद्दियो से पानी बारिश की बंडों की तरह हल्का हल्का बहने लगा.

ज़ाहिद के नंगा होते ही शाज़िया बिस्तर पर लेट गई. और उस ने बिस्तर पर लेटे लेटे अपने भाई ज़ाहिद को अपने नज़दीक आने का इशारा किया.


ज्यों ही अपनी बहन का इशरा पा कर ज़ाहिद अपनी बहन के नज़दीक गया. तो शाज़िया ने बिस्तर पर लेटते ही अपना एक पावं आगे किया और अपने भाई के तने हुए लंड पर ला कर रख दिया.

“लगता है आज कल आप के लंड में कुछ ज़्यादा ही सख्ती आ गई है भाई” अपने भाई के लंड पर बहुत प्यार से अपने पावं का पंजा फिराते हुए शाज़िया ने कहा.

“जब मेरी अपनी बीवी अपने सरताज लंड से यूँ बे रूखी बरतेगी, तो गुस्से के मारे लंड आकड़े ही गा ना मेरी जान” अपनी बहन के पावं की गर्मी को अपने खड़े हुए लंड की नसों पर महसूस कर के ज़ाहिद सिसकारा.

“तो मुझे बताए कि में आप की नाराज़गी दूर करने के लिए क्या हल निकालूं भाई” शाज़िया अपने पावं को अपने भाई के लंड के नीचे हिस्से पर लाई. और ज़ाहिद के मोटे लंड के नीचे हिस्से पर अपने पावं की उंगलियों से ज़ाहिद के लंड का मसाज करने लगी.

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे लंड को राज़ी करने का एक ही तरीका है कि किसी तरह इस का पानी निकाल दो मेरी जान” अपने खड़े हुए लंड पर अपनी बहन के पाँव की मसाज का मज़ा पा कर ज़ाहिद फिर सिसकते हुए बोला.

“अच्छा आप भी क्या याद करो गे कि आप को कितनी अच्छी बीवी मिली है भाईईईईईईईईईईई” कहते हुए शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और बड़े लंड को अपने दोनो पाँव की गिरफ़्त में जकड़ा. और अपने पाँव को आहिस्ता आहिस्ता ज़ाहिद के सख़्त लंड पर रगड़ कर अपने पावं से अपने भाई की मूठ लगाने लगी.

“क्यों भाईईईईईईई मज़ा आ रहा है” शाज़िया ने अपने पाँव से भाई के लंड को रगड़ते हुए पूछा.



“हहान्ंनननननणणन् हाईईईईईईईईईई,ओह,मेरी बहन के इन नरम पाँव का भीअलग स्वाद हाईईईईईईईईईईईई,उफफफफफफफफफफ्फ़” अपनी बहन से इस तरह का लंड मसाज पा कर ज़ाहिद मज़े से बे हाल हो गया.

शाज़िया चूँकि आज काफ़ी दिनो बाद अपने भाई के लंड से यूं खेल रही थी.

इसीलिए शाज़िया के नर्मो नाज़ुक पावं की गर्मी और मसाज के इस नये अंदाज़ की वजह से ज़ाहिद को अपने उपर कंट्रोल रखना नामुमकिन होता जा रहा था.



फिर ज़ाहिद के मुँह से एक दम से जोश भरी एक सिसकारी निकली.और इस के साथ ही ज़ाहिद ने आज पहली बार अपनी बहन के पाँव के दरमियाँ अपने गरम लंड का लैस दार पानी का फव्वारा खोल दिया.

कमरे के अंदर तो ज़ाहिद अपनी बहन के पैरों के दरमियाँ अपना वीर्य उडेल रहा था.

जब कि कमरे के बाहर कराई रज़िया बीबी की चूत में भी अपने जवान बेटे के इतने मोटे और सख़्त लंड को देख कर पानी आ गया.

मगर सोई किस्मत कि रज़िया बीबी अपने बेटे के लंड को यूँ छुप छुप कर देख तो सकती थी.लेकिन इस से आगे वो कुछ भी करने से मजबूर थी.


अपने बच्चो की ये सब गरम हरकतें देख कर रज़िया बीबी का पूरा बदन पसीने से भीग गया था.

रज़िया बीबी अपने दोनो जवान बच्चो की मस्ती भरा खेल देखने में इतनी मगन हो चुकी थी. कि उसे पता ही नही चला कि कब उस का एक हाथ खुद ब खुद उसके मोटे मम्मे पर जब कि दूसरा हाथ उस की शलवार के अंदर जा कर उस की गरम और प्यासी चूत के उपर जा टिका था.

रज़िया बीबी इस वक्त ना सिर्फ़ अपनी साँस रोके अपने बच्चो को देखने में मसरूफ़ थी. बल्कि साथ ही साथ वो एक हाथ से अपने बड़े मम्मे को अपने ही हाथ में ले के मसल रही थी.

साथ ही साथ रज़िया बीबी सेक्स की आग में तारपटे हुए अपने दूसरे हाथ की उंगली को अपनी छूट में अंदर बाहर कर के अपनी जिस्मानी आग को ठंडा करने की नाकाम कोशिश में भी लगी हुई थी.

उधर ज्यों ही ज़ाहिद के लंड से उस का पानी निकला तो शाज़िया चीक पड़ी “आप्प्प्प्प तो आज एक दम ही फारिग हो गे,अब मेरे जिस्म की प्यास कैसे बजे गी भाईईईईईईईईईईईई”.

“जब तुम इतने दिन मुझे अपनी चूत से महरूम रखो गी तो ये तो हो गा,लेकन तुम फिकर मत कर मेरी जान, अभी तुम्हारे भाई की ज़ुबान सलामत है,बस तुम ज़रा बिस्तर पर लेट कर घोड़ी तो बनो मेरी शहज़ादी” अपनी बहन को यूँ मायूष होता देख कर ज़ाहिद ने शाज़िया से फरमाइश की. और साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ में ले कर मसलना शुरू कर दिया.

“उफफफफफफफ्फ़ देखो तो सही, अपने लंड का पानी निकलने के बावजूद मेरे बेटे का लंड कैसे अकड कर खड़ा है, जब कि ज़ाहिद के अब्बू का लंड तो अपनी जवानी में भी, एक दफ़ा फारिग होने के बाद एक दम से मुरझा जाता था” कमरे के बाहर खड़ी रज़िया बीबी अपने बेटे के जवान लंड को यूँ अकडा देख कर हैरत जदा रह गई थी.

“अच्छा भाईईईईईई” अपने जिस्म और फुद्दि की गर्मी के हाथों निढाल हो कर शाज़िया ने कहा.


और खुद बिस्तर पर उल्टी हो कर अपने भाई के सामने घोड़ी बन का लेट गई.



“उफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या ज़ालिम गान्ड है मेरी बहन की” ज़ाहिद ने अपने सामने झुकी हुई शाज़िया की गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों में थामे हुए था.



और अपनी बहन की चौड़ी गान्ड की भारी पहाड़ियों को खोलते हुए पीछे से अपना मुँह आगे बढ़ा कर ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर ढेर सारा थूक डाला और मज़े ले ले कर अपनी बहन कई गान्ड के सुराख को चाटने लगा.

“ओह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई” ज्यों ही ज़ाहिद की नोकिली ज़ुबान उस की बहन की गान्ड के सुराख से टकराई.तो मज़े की शिद्दत की वजह से शाज़िया सिसक उठी.

ज़ाहिद अब मज़े और जोश से अपनी बहन की गान्ड के सुराख को चाटने में मसरूफ़ था.और शाज़िया मज़े में पागल हो कर अपने भाई से कहे जा रही थी”आआआआआआ,ऊऊऊओ,ज़ाहिद भाई ओर तेज़ करो ना प्ल्ज़.. मज़ा आ रहा है,चाटते रहो मेरी गान्ड्द्द्द्द्द्द जनंननननननणन्नुऊऊुुुुुुुुउउ”.

हालाकी ज़ाहिद एक दफ़ा अपने लंड का पानी निकाल चुका था. मगर इस के बावजूद उस के लंड की तसल्ली नही हुई थी.

अब अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान घुमाते वक्त शाज़िया के मुँह से फूटने वाली सिसकियाँ सुन कर ज़ाहिद का मज़ा और जोश बढ़ता जा रहा था.

“डॉक्टर ने तो चूत में लंड डालने से मना किया है,तो क्यों ना में अभी अपनी बहन की गान्ड में लंड डाल कर उसे चोद लूँ” अपनी बहन शाज़िया की गान्ड पर प्यार करते हुआ ज़ाहिद ने सोचा.

ये ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद अपना मुँह शाज़िया की गान्ड से हटा कर थोड़ा से उपर की तरफ उठा.



और हवा में उठी हुई अपनी बहन शाज़िया की गान्ड के सुराख पर अपना लंड रखते ही एक दम से झटका मारा.तो उस का मोटा और सख़्त लंड फिसलता हुआ उस की बहन शाज़िया की गान्ड में चला गया.
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08-12-2019, 01:33 PM,
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हवा में उठी हुई अपनी बहन शाज़िया की गान्ड के सुराख पर अपना लंड रखते ही एक दम से झटका मारा.तो उस का मोटा और सख़्त लंड फिसलता हुआ उस की बहन शाज़िया की गान्ड में चला गया.



“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये आप ने वादा खिलाफी की हाईईईईईईईईईईई भाईईईईईईईईई” अपने भाई के मोटे लंड को अपनी गान्ड में उतरते हुआ महसूस कर के शाज़िया चीखी. और दर्द के मारे शाज़िया ने अपना सर अपने सामने पड़े तकिया पर रख दिया.

“मेने चूत में लंड ना डालने का वादा किया था,जब कि मेने लंड तो तुम्हारी गान्ड में डाला है मेरी जान” ज़ाहिद अपनी बहन की बात सुन कर बे शर्मी से मुस्कुराया.

अपना लंड अपनी बहन की गान्ड में डालते ही ज़ाहिद ने शाज़िया के पेट के नीचे से अपना एक हाथ अपनी बहन की चूत के मोटे दाने पर रख कर शाज़िया की चूत के छोले को मसलना शुरू किया.



और साथ ही साथ अपनी बहन की गान्ड में ज़ोर से झटके भी मारने लगा.

रज़िया बीबी चूँकि पुराने ज़माने की औरत थी. इसीलिए अपनी पूरी शादी शुदा ज़िंदगी के दौरान अपने महरूम शोहर के साथ गान्ड चुदाई करना तो एक तरफ, रज़िया बीबी या उस के महरूम शोहर ने तो कभी इस बारे में सोचा तक नही था.

इसी वजह से उधर कमरे में ज्यों ही शाज़िया अपनी गान्ड में ज़ाहिद का लंड लेते हुए दरद और स्वाद के हाथों मजबूर हो कर चीखी.

तो दूसरी तरफ कमरे के बाहर खड़ी रज़िया बीबी को अपने बेटे और बेटी की गान्ड चुदाई का ये मंज़र इतना दिल कश और हैरत अंगैज़ लगा. कि अपनी बेटी की मोटी गान्ड में अपने जवान बेटे का सख़्त और बड़ा लंड जाता देख कर शाज़िया के साथ साथ रज़िया बीबी के मुँह से भी एक चीख सी निकल गई.

कमरे में मौजूद शाज़िया उस वक्त बे शक अपनी जवानी के मज़े में डूबी हुई अपने भाई से अपनी गान्ड मरवाने में मसरूफ़ थी.

मगर इस के बावजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मुँह से निकलने वाली चीख शाज़िया के कान में गूँज ही गई.

“ये कमरे के बाहर से किस की आवाज़ आई है” शाज़िया ने अपने भाई के मोटे लंड को अपनी भारी गान्ड के छोटे से सुराख में दबोचते हुए सोचा.

इस के साथ ही शाज़िया ने हैरान होते हुए अपने झुके हुए सर को उपर उठाया.और अपने सर को पीछे की तरफ मोड़ कर कमरे से बाहर देखने की कोशिस की.

ज्यों ही शाज़िया ने अपना सर घूमते हुए पीछे की तरफ मोड़ कर अपने कमरे से बाहर देखने की कोशिश की.

तो इसी लम्हे ज़ाहिद ने पीछे से अपना मुँह आगे किया. और अपनी बहन के चेहरे पर अपने होंठ रख कर अपनी बहन के गुदाज गाल चाटने लगा.

अपने भाई के प्यार और उस के ज़ोर दार झटकों ने दूसरे ही लम्हे शाज़िया के कान में गूंजने वाली चीख की आवाज़ को दबा दिया. और शाज़िया ने अपने भाई के जबर्जस्त लंड के आगे हार मानते हुए अपना सर दुबारा अपने सामने पड़े हुए तकिया के उपर रख दिया.

अब शाज़िया पीछे से अपनी गान्ड को मज़ीद उपर उठा कर अपने भाई का बड़ा लंड अपनी गान्ड की पहाड़ियों में ले कर चुदाइ का मज़ा लेने लगी.

ज़ाहिद जोश और मस्ती से अपनी बहन की मोटी गान्ड के सुराख को चोद चोद कर अब अपने मज़े की आखरी मंज़ल पर आन पहुँचा था.


इसीलिए कुछ ही देर बाद ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड के अंदर ही अपने लंड का पानी निकाल दिया.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने लंड का पानी अपनी बहन की गान्ड में खारिज किया.तो इस के साथ ही उस ने शाज़िया की चूत के दाने पर चलती हुई अपनी उंगलियों का दबाब भी बढ़ा दिया.

अपनी चूत के दाने पर अपने भाई के हाथ की रगड़ ने शाज़िया को बे हाल कर दिया. और फिर दूसरे ही लम्हे शाज़िया भी झटके खाती हुई अपनी चूत का पानी छोड़ने लगी.

इधर कमरे में मजूद दोनो बहन भाई ने ज्यों ही अपने अपने जिस्मो का पानी रिलीस किया .

तो कमरे के बाहर खड़ी को कर अपनी चूत में उंगली करती हुई उन की अम्मी रज़िया बीबी की चूत के सबर का पैमाना भी लबरेज हो गया. और रज़िया बीबी ने अपने मुँह से हल्की सी आवाज़ में “ज़ाहिद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड” पुकारते हुए अपनी फुद्दि से भी पानी का फव्वारा छोड़ दिया..

उस वक्त रज़िया बीबी की चूत से इतना पानी निकला. कि रज़िया बीबी की चूत के पानी के चन्द कतरे रज़िया बीबी की टाँगों को भिगोते हुए नीचे फर्श (फ्लोर) पर गिर गये.

ये रज़िया बीबी,ज़ाहिद और शाज़िया की ज़िंदगी में पहला मोका था. जब एक बेटे,बेटी और उन की वल्दा ने एक ही घर में रहते हुए अपनी अपनी चूत और लंड का पानी एक साथ छोड़ा था.

फिर ज्यों ही शाज़िया का जोश ठंडा हुआ. तो उस ने जल्दी से अपने उपर पड़े अपने भाई को पीछे हटाया. और बिस्तर से उठ कर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी.

“तुम्हें इतनी जल्दी क्यों है जान,ज़रा और रुक जाओ ना” ज़ाहिद ने जब शाज़िया को यूँ तेज़ी से अपने कपड़े पहनते देखा तो बोला.

“मुझे अभी बहुत काम करने हैं,और वैसे भी अम्मी अभी आने वाली होंगी भाई” शाज़िया ने जवाब दिया और अपने बिखरे बालों में कंघी करने लगी.

उधर ज्यों ही रज़िया बीबी की चूत की आग थोड़ी ठंडी हुई तो उसे भी थोड़ी होश आया.

और अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी भी अपने कपड़े ठीक करती दुबारा घर से बाहर निकल गई. ताकि उस के बच्चो को ये पता ना चले कि उन की अम्मी घर वापिस आ कर उन दोनो बहन भाई की चुदाई देख चुकी है.
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08-12-2019, 01:33 PM,
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उधर ज्यों ही शाज़िया अपना हुलिया ठीक करने में मसरूफ़ हुई. तो ज़ाहिद अपना तोलिया उठा कर बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया.

ज़ाहिद के बाथरूम में जाते ही शाज़िया ने कमरे में बिखरी हुई चीज़ों को जल्दी से समेटा. और फिर फॉरन ही कमरे से नंगे पावं ही बाहर निकल आई.

शाज़िया अपने कमरे से तेज़ी से निकली.तो किचन की तरफ जाते हुए शाज़िया का पावं फर्श पर गिरे हुए अपनी अम्मी की चूत के लैस दार पानी पर आन पड़ा.

एक तो घर का फ्लोर वैसे ही काफ़ी चिकना था. उपर से रज़िया बीबी की चूत का लैस दार पानी गिरने की वजह से फर्श अब पहले से भी काफ़ी स्लिपरी हो गया था.

इसीलिए ज्यों ही शाज़िया का पावं अपनी अम्मी रज़िया बीबी की चूत के पानी पर पड़ा.तो शाज़िया का पावं एक दम से स्लिप हुआ. जिस वजह से शाज़िया अपना वज़न खो बैठी और एक दम से फर्श पर गिर पड़ी.

“घर में तो हम दोनो बहन भाई के सिवा कोई नही, तो फिर ये पानी इधर किस ने गिराया है” ज्यों ही शाज़िया फर्श पर गिरी तो उसे ख्याल आया.

शाज़िया को फर्श पर अचानक गिरने के बावजूद कोई चोट नही आई थी. इसीलिए वो अपने कपड़े झाड़ते हुए दुबारा से उठ कर खड़ी हो गई.

ज्यों ही शाज़िया ने किचन की तरफ जाने के लिए अपना पावं दुबारा से आगे बढ़ाया.तो शाज़िया को यूँ महसूस हुआ कि जैसे उस के पावं पर कोई लैस दार पानी लग गया है. जो कि अब उस के किचन की तरफ जाने के दौरान फर्श से लग कर “चिप चिप” कर रहा है.

शाज़िया ने एक दम से अपना पावं ऊपर करते हुए अपने पावं पर लगे हुए पानी को अपने हाथ से सॉफ करने की कोशिश की. तो वो लैस दार पानी शाज़िया के हाथ पर भी लग गया.

“ये पानी तो नही बल्कि कोई लैस दार चीज़ सी है” शाज़िया ने बे ख्याली में अपना हाथ अपनी नाक के करीब किया. और अपने हाथ पर लगे उस लैस दार पानी नुमा चीज़ को समझने की कोशिश की.

ज्यों ही शाज़िया ने अपने हाथो को अपनी नाक के नज़दीक किया. तो शाज़िया को अपने हाथ पर लगे हुए इस पानी से चूत के पानी की एक मखसोस की बू (स्मेल) आई.

शाज़िया चूँकि नीलोफर से अपने लेस्बियन ताल्लुक़ात कायम करने के बाद कई दफ़ा अपनी सहेली की चूत को चाट चुकी थी. इसीलिए वो चूत के पानी की इस मक्सोस बू को अच्छी तरह पहचानती थी.

“ये तो फुद्दि के पानी की स्मेल है” ज्यों ही शाज़िया के नथुनो ने चूत के पानी की इस खास बू को सूँघा. तो शाज़िया एक दम से हैरत जदा हो कर सोचने लगी.

“ वो जो चीख मेने सुनी थी,क्या वो अम्मी की तो नही थी,क्या अम्मी हम दोनो बहन भाई को देख कर अपनी “चूऊ” का पनीईईई” शाज़िया के ज़हन में ख्याल आया. मगर वो चाहते हुए भी अपनी अम्मी की “चूत” का पानी अपने जेहन में मुकम्मल ना कर सकी.

“नहियीईईईईईई भला अम्मी क्यों अपने बच्चो को यूँ छुप छुप कर देखेंगी, उफफफ्फ़ में अम्मी के मुतलक क्या वाहियात सा ख्याल अपने ज़हन में लेने लगी हूँ” दूसरे ही लम्हे शाज़िया ने अम्मी के मुतलक आने वाले इस गंदे ख्याल को अपने ज़हन से झटका. और किचन में घुस कर अपने हाथ को पानी से धोने लगी.

कुछ टाइम बाहर गुज़रने के बाद रज़िया बीबी दुबारा अपने घर वापिस आई.

ज्यों ही रज़िया बीबी किचन में काम करती हुई शाज़िया के सामने हुई. तो शाज़िया ने ना जाने क्यों आज अपनी अम्मी की आँखों में आँखे डाल कर देखने की कोशिश की.

शायद शाज़िया अपनी अम्मी रज़िया बीबी की आँखों में झाँक कर ये देखने की कोशिश करना चाहती थी. कि कहीं उस के कानों में पड़ने वाली चीख वाकई ही उस की अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तो नही थी.

या शायद शाज़िया ये जानने की कॉसिश में थी. कही उस की अम्मी रज़िया बीबी तो छुप छुप कर अपने बेटे और बेटी की चुदाई तो नही देखती रही?.

मगर रज़िया बीबी आख़िर कर शाज़िया की माँ थी. इसीलिए रज़िया बीबी ने अपनी किसी भी बात या हरकत से शाज़िया को ये महसूस नही होने दिया. कि वो ज़ाहिद और शाज़िया की चुदाई का मंज़र आज एक बार फिर देख कर अपनी फुद्दि की आग को अपने हाथों से ठंडा कर चुकी है.

इसीलिए घर वापिस आते ही रज़िया बीबी किचन में अपनी बेटी शाज़िया का हाथ ऐसे बंटाने लगी. जैसे उसे कुछ ईलम ही नही कि उस की गैर मौजूदगी में उस की बेटी शाज़िया और बेटा ज़ाहिद अपने घर में क्या “गुल” खिलाते रहे हैं.

“नहियीईईईई मुझे अपनी अम्मी पर यूँ शक नही करना चाहिए” रज़िया बीबी के चेहरे पर एक सकून और इतमीनान देख कर शाज़िया ने अम्मी के मुतलक अपने ज़हन में आने वाले शक को दूर किया.

“मगर हो ना हो आज किसी इंसान ने हम दोनो बहन भाई की चुदाई का शो ज़रूर देखा है,लेकिन वो शख्स कॉन हो सकता है? शाज़िया ने अपनी अम्मी के मुतलक अपने ज़हन में आने वाले ख्याल को तो झटक दिया था.

मगर इस के साथ साथ शाज़िया को अपनी चुदाई के वक्त किसी तीसरे शख्स की अपने घर में मौजूदगी का पूरा यकीन होने लगा था.

इस तरह एक हफ़्ता और गुज़र गया. और इस हफ्ते के दौरान घर के इन तीनो सदस्यों के लंड और चूत की गर्मी कम होने की बजाय मज़ीद बढ़ती ही जा रही थी.

एक हफ्ते बाद एक दिन ज़ाहिद हुस्बे मामूल सुबह सवेरे नहाने के लिए बाथरूम गया. तो नहाने के दौरान अपनी अम्मी और बहन के मोटे मोटे मम्मो और चुतड़ों को याद कर के ज़ाहिद का लंड अकड कर खड़ा होने लगा.

इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी हस्बे मामूल शाज़िया से पहले उठ कर किचन में आई. और अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाने लगी.

“क्यों न में ज़ाहिद को उस के कमरे में ही चाय दे आऊ” चूल्हे पर पड़ी चाय (टी) ज्यों ही बन कर तैयार हुई तो रज़िया बीबी ने सोचा.

इस के साथ ही रज़िया बीबी ने चाय को एक कप में डाला और फिर कप अपने हाथ में थामे अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ चल पड़ी.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे के दरवाज़े को हाथ लगाया. तो ज़ाहिद के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक ना होने की वजह से खुलता चला गया.

“लगता है ज़ाहिद रात को अपने दरवाज़े की कुण्डी लगा कर नही सोया” अपने बेटे के दरवाजे को यूँ खुला पा कर रज़िया बीबी ने सोचा.

रज़िया बीबी दरवाजा खोल कर ज़ाहिद के कमरे में दाखिल हुई. तो उसे ज़ाहिद तो अपने बिस्तर पर नज़र नही आया. मगर रज़िया बीबी को अपने कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी.

“लगता है कि ज़ाहिद बाथरूम में नहा रहा है” ज़ाहिद के बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर रज़िया बीबी समझ गई.

रज़िया बीबी ने चाय का कप ज़ाहिद के बिस्तर की साइड टेबल पर रखा और मूड कर वापिस किचन में जाने लगी.

“शाज़िया तो अभी सो रही है,तो क्यों ना आज सुबह सुबह में फिर से अपने बेटे के लंड का दीदार कर लूँ” रज़िया बीबी ज्यों ही किचन में जाने के लिए ज़ाहिद के बाथरूम के दरवाज़े के सामने से गुज़री. तो रज़िया बीबी को ख्याल आया.

अपने बेटे के मोटे लंड का ख्याल आते ही रज़िया बीबी की मोटी फुद्दि गर्म होने लगी.और उस के साथ ही रज़िया बीबी ने एक दम झुक कर ज़ाहिद के बाथरूम के की होल पर अपनी आँख लगा कर अपने बेटे ज़ाहिद के बाथरूम में झाँका.
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08-12-2019, 01:33 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
रज़िया बीबी की आँख ने ज्यों ही बाथरूम के अंदर का मंज़र देखा.तो बाथरूम का का नज़ारा देख कर रज़िया बीबी की साँसें उस के गले में अटकने लगीं.

रज़िया बीबी की सांस उस के गले में अटकने की वजह से रज़िया बीबी की भारी छातियाँ भी उस की बिखरी सांसो के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उपर नीचे होने लगी.

रज़िया बीबी ने देखा कि बाथरूम में उस का बेटा ज़ाहिद उस वक्त अपने लंड पर साबुन (सोप) लगा कर नहाते वक्त साथ ही साथ अपने लंड से भी खेल रहा था.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद को नहाने के दौरान यूँ अपने मोटे और बड़े लंड से खेलते देखा.

तो अपनी उपर नीचे होने वाली सांसो के साथ रज़िया बीबी भी दरवाज़े के बाहर खड़े हो कर अपनी शलवार के उपर से ही अपनी फुद्दि पर अपना हाथ फेरने लगी.

“काश मेरा बेटा मुझे भी एक दिन अपने लंड से यूँ खेलने का मोका दे” अपने बेटे ज़ाहिद के लंड को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए रज़िया बीबी का दिल कर रहा था. कि वो अपना हाथ बढ़ा कर अपने बेटे के तगड़े लंड को अपने काबू में कर ले.

मगर रज़िया बीबी जानती थी कि ये उस की एक ऐसी ख्वाहिश है. जो शायद कभी पूरी ना हो सकेगी.

इसीलिए अपनी तमन्नाओ को अपने दिल में ही मार कर रज़िया बीबी खामोशी से अपने बेटे को अपना लंड रगड़ता देखती रही. और साथ साथ अपनी फुद्दि को भी अपने हाथ से छेड़ती रही.

उधर उस दिन ज़ाहिद को चूँकि आज एक केस के सिलसिले में कोर्ट में हाज़िरी देनी थी. इसीलिए उस के पास सुबह सुबह अपने लंड की मूठ लगाने का भी टाइम नही था.

इसीलिए ज़ाहिद ने जल्दी से अपना शवर बंद किया. और अपने जिस्म को तोलिये से सॉफ करने लगा.



अपने जिस्म को खुश्क कर के ज्यों ही ज़ाहिद ने अपने जींस के गिर्द अपनी कमर पर टवल लपेटा.तो रज़िया बीबी समझ गई कि अब ज़ाहिद किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर निकल सकता है.

इसीलिए रज़िया बीबी जल्दी से पलटी और कमरे के बाहर निकलने लगी. मगर इस जल्दी के दौरान रज़िया बीबी ज़ाहिद के कमरे का दरवाजा खुला छोड़ गई.

ज्यों ही रज़िया बीबी ज़ाहिद के कमरे से बाहर आई.तो उसे अपने पीछे अपने बेटे ज़ाहिद के बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी.

“कहीं ज़ाहिद ने मेरी चोरी पकड़ ना ली हो” रज़िया बीबी के ज़हन में ना जाने क्यों ये डर बैठ गया. और इसी डर के मारे उसे पता नही किया सूझा कि रज़िया बीबी ज़ाहिद के कमरे के सामने बने हुए एक छोटे से कमरे नुमा स्टोर में जा घुसी.

स्टोर में जाते ही रज़िया बीबी की नज़र सामने बनी हुई कपड़ों की अलमारी पर पड़ी. इस अलमारी में कपड़े गुंजाइश से ज़्यादा होने की वजह से अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद नही हुआ था.

रज़िया बीबी को जल्दी में कुछ और ना सूझा तो वो कपड़े की अलमारी के खुले हुए दरवाज़े को ज़ोर से बंद करने लगी.

इधर बाथरूम से बाहर निकलते ही ज़ाहिद ने देखा कि उस के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है.

“ये मेरे कमरे का दरवाजा किस ने खोल दिया है.”अपने कमरे के खुले दरवाज़े को देख कर ज़ाहिद ने सोचा.

इस के साथ ही ज़ाहिद की नज़र अपने बिस्तर के साइड टेबल पर पड़े हुए “चाय” के कप पर पड़ी.

“ओह्ह्ह्ह अच्छा लगता है कि अम्मी या शाज़िया चाय का कप रखने के बाद दरवाजा खुला छोड़ गईं हैं” साइड टेबल पर रखे हुए कप को देखते ही ज़ाहिद ने दुबारा सोचा.

इस के साथ ही ज़ाहिद अपनी अलमारी की तरफ गया.और अलमारी में से अपनी एक पॅंट निकाल कर पहन ली.

अपनी पॅंट पहन कर ज़ाहिद ने टेबल पर पड़ा हुआ चाय का कप अपने हाथ में उठाया.तो उस की नज़र अपने कमरे के खुले दरवाज़े से सामने के कमरे में जा कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी.

जो उस वक्त कपड़ों वाली अलमारी के सामने खड़ी हो कर उस अलमारी को बंद करने की कॉसिश कर रही थी.

अलमारी को बंद करने के दोरान रज़िया बीबी का मुँह तो अलमारी की तरफ था. जब कि उस की पीठ अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ थी.

स्टोर की अलमारी को बंद करने की गर्ज से रज़िया बीबी को चूँकि अलमारी के दरवाज़े पर अपना पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था.



इस अमल के दौरान रज़िया बीबी आगे को झुकी हुई थी, जिस वजह से रज़िया बीबी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर की तरफ उठ गई थी.
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