Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:17 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
अपनी सबका शादी शुदा जिंदगी में शाज़िया के कमज़ोर जिस्म वाले शोहर ने शाज़िया को कभी इस स्टाइल में चोदने की हिम्मत भी नही की थी. इसीलिए शाज़िया के लिए चुदाई का ये अंदाज़ बिल्कुल नया और मज़े दार था.



अपने भाई के प्यार का ये वलिहाना अंदाज़ देख कर शाज़िया ने भी फेरते जज़्बात से अपना एक बाज़ू ज़ाहिद की गर्दन के गिर्द लपेट लिया. जब कि उस का दूसरा हाथ उस के भाई की सख़्त और चौड़ी छाती पर रेंगने लगा.

अपनी बहन को यूँ अपने साथ चिमटा देख कर ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया को चुदाई का ये तरीका अच्छा लगा है.

इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनो हाथों से अपनी बहन की गुदाज रानों को थाम कर शाज़िया के बाहरी जिस्म को एक मोम की गुड़िया समझ कर हवा में उछाल उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दि में अपना पूरा लंड डालना शुरू कर दिया.

अपने भाई की इस चुदाई से शाज़िया को भी मज़ा आने लगा.और वो भी अपने मोटे मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर अपने भाई का मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी.

शाज़िया की चूत ज़ाहिद की पहली चुदाइ के दौरान छोड़े हुए पानी की वजह से पहले की काफ़ी गीली हो चुकी थी.

इसीलिए उस की फुद्दि अब ज़ाहिद के हर हर धक्के पर फ़च्छाक फ़च्छाक की आवाज़ निकाल कर कमरे के माहौल में एक निहायत माशूक किस्म की मौशिकि (म्यूज़िक) पैदा कर रही थी.

“ऊऊओिईई ज़ाहिद भाई, अह्ह्ह्ह्ह्ह,ऐसा मज़ा तो मुझ है कभी भी नही आया मेरे राजा,अह्ह्ह्ह,मैं शायद छूटने वाली हूँ ज़ाहिद भाई अह्ह्ह्ह” कहते हुए शाज़िया ने अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया.

ज्यों ही शाज़िया फारिग हुई.तो शाज़िया की गीली चूत से पानी बह बह कर ज़ाहिद के लंड के साथ साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर गया.

कोई 15, 20 सेकेंड्स तक शाज़िया के जिस्म को झटके लगते रहे.और फिर वो निढाल हो कर ज़ाहिद के बाजुओं में ही झूल गई.

ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया इस वक़्त चूत (ऑर्गॅज़म) गई है. इसीलिए ज़ाहिद ने आहिस्ता से अपनी बहन को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया. और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया.

ज़ाहिद चूँकि अभी तक फारिग नही हुआ था . इसीलिए उस का लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा शाज़िया की चूत में घुस कर खड़ा था.

ज़ाहिद अपनी बहन के जिस्म के ऊपर लेटा बहुत प्यार से शाज़िया की कमर और चुतड़ों पर अपना हाथ फेर रहा था. जब कि शाज़िया ज़ाहिद के जिस्म के नीचे लेटी हुई गहरे गहरे साँस लेती रही.

थोड़ी देर बाद ज़ाहिद ने शाज़िया की फुद्दि से अपना मोटा और खड़ा हुआ लंड निकला. और अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ अपना मुँह रख कर अपनी बहन की ताज़ा ताज़ा चुदि हुई चूत का बगौर जायज़ा लेने लगा.

ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया की चूत उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से बेशक काफ़ी खुल गई थी.

लेकिन इस के बावजूद उस की बहन की चूत का गुलाबी पन अब तक मंद नही पड़ा था.

शाज़िया की फुद्दि के लब ज़ाहिद के मोटे और बड़े लंड को अपने अंदर लेने की वजह से फैल चुके थे.मगर अभी भी वो उस की चूत के गिर्द बड़ी ही खूबसूरती से फैले हुए थे.

अपनी बहन की फूली हुई चूत को देखते देखते ज़ाहिद ने अपना मुँह आगे बढ़ाया. और शाज़िया की गान्ड के सुराख के सामने अपना मुँह ला कर अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई भीनी भीनी खुशुबू को सूंघने लगा.



अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई महक ने ज़ाहिद के दिल-ओ-दिमाग़ को पागल कर दिया.

"वाह शाज़िया तुम्हारी गान्ड की खुशहू तो बहुत मस्त है मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी नाक के रास्ते अपने अंदर खैंचते हुए कहा.

शाज़िया के सबका शोहर ने कभी उस की गान्ड तो क्या चूत की तारीफ भी नही की थी. इसीलिए शाज़िया को अपने भाई के मुँह से अपनी गान्ड की महक की तारीफ सुन कर अच्छा लग रहा था.

कुछ देर तक अपनी बहन की गान्ड की महक सूंघने के बाद ज़ाहिद ने बिस्तर पर सीधी लेटी हुई अपनी बहन शाज़िया को करवट बदल कर लेटने का कहा.

अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने ज्यों ही करवट बदली तो उस की भारी गान्ड की बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ पीछे से उठ गईं.

जिस की वजह से शाज़िया की गान्ड में पोषीदा उस की गान्ड का ब्राउन सुराख ज़ाहिद की आँखों के सामने अपनी पूरी आबो-ताब से खुल कर सामने आ गया.




ज़ाहिद थोड़ी देर यूँ की आँखें फाड़ फाड़ कर खामोशी से अपनी बहन की कसी हुई गान्ड का दीदार करता रहा.

जब शाज़िया ने अपने पीछे लेटे हुए भाई की खामोशी को महसूस किया तो वो बोली”“आप इतनी खामोशी से क्या देख रहे हो भाई?”

“कुछ नही मैं बस तुम्हारी चौड़ी बुन्द (गान्ड) की खूबसूरती देख रहा हूँ जान” ज़ाहिद ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए शाज़िया को जवाब दिया.

“मेरी गान्ड में ऐसी क्या खास बात है तो आप इतने गौर से उसे देख रहे है भाई” अपने भाई से ये सवाल पूछते हुए शाज़िया मुस्कुरा दी.

“उफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ शाज़िया ये तुम्हारी मज़े दार गान्ड ही थी, जिस ने मुझे पहली ही नज़र में अपनी ही सग़ी बहन का दीवाना बना दिया था. हाईईईईई ऐसी मक्खन जैसी मुलायम और गदराई हुई गान्ड तो किसी किस्मत वाले मर्द को ही मिलती है” .ये कहते हुए ज़ाहिद अपने हाथ शाज़िया की भारी गान्ड के नीचे ले जा कर शाज़िया की गुदाज बुन्द (गान्ड) की पहाड़ियों को हाथ में ले कर दबाना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन की भारी पहाड़ियों को अपने हाथ से पकड़ कर खोला. तो शाज़िया की भारी गान्ड का कंवारा ब्राउन सुराख मज़ीद खुल कर ज़ाहिद की नज़रों के सामने आ गया.

अपनी बहन की गान्ड की इस बुन्द (क्लोज़) सुराख को देखते ही ज़ाहिद की आँखों में चुमक सी आ गई.और उस का लंड अपनी बहन की अन चुदि गान्ड की सील फाड़ ने के लिए बे ताब हो गया.

ज़ाहिद ने अपनी एक उंगली अपने मुँह में डाल कर उसे अपने थूक से अच्छी तरह गीला किया. और फिर अपने थूक से गीली उंगली को अपने मुँह से निकाल कर अपनी बहन की गान्ड के छेद को दुबारा सहलाया.

अपने भाई की उंगली को अपनी भारी और कंवारी गान्ड के सुराख कर महसूस करते ही शाज़िया फिर तड़प उठी.

ज़ाहिद ने अपने हाथ से अपनी बहन की गान्ड की एक पहाड़ियों को हाथ से छेड़ते हुए बहुत आहीस्तगी से थूक से तर अपनी उंगली को अपनी बहन की गान्ड के सुराख में डाल कर हल्का सा पुश किया.

अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया तो उछल पड़ी “ हाइी भाई आप को पहले भी कहा है कि यहाँ नही प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज”.

“उधर क्यों नही जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन को छेड़ते हुआ पूछा.

“इसीलिए कि मेने कभी इधर कभी नही करवाया भाई” शाज़िया ने अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपनी गान्ड के सुराख से ज़ाहिद की उंगली को हटा दिया.

“शाज़िया तुम को पता है कि सुहाग रात में एक शोहर अपनी बीवी से हमेशा उस की कंवारी चूत हासिल करने की तवक्को रखता है, अब तुम्हारी चूत तो कंवारी नही रही, मगर कोई बात नही में आज ज़रूर तुम्हारी कंवारी गान्ड में ही अपना लंड डाल कर सुहाग रात में सील तोड़ने वाली रसम तो पूरा करूँगा जानू” ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए अपने इरादे अपनी बहन के सामने ज़ाहिर कर दिए.

“नही भाई आप जानते हैं कि आप के मोटे लंड ने मेरी पहले से चुदि हुई फुददी की क्या हालत की है.और अब आप मेरी कंवारी गान्ड को भी फाड़ देना चाहते हैं?” अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया घबड़ाहट में बोल उठी.

“फिकर ना करो जान मैं तुम को आज तुम्हारी गान्ड मार का वो मज़ा दूँगा जिस का तुम ने कभी जिंदगी में तसव्वुर भी नही किया हो गा” ये कहते हुए ज़ाहिद नीचे झुका. और शाज़िया की गान्ड के पीछे लेट कर अपनी बहन की गुदाज और मोटी गान्ड की पहाड़ियों को अपने होंठो से चूमने और चाटने लगा.


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“अहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” अपने भाई की गरम ज़ुबान को अपनी गान्ड की पहाड़ियों पर फिसलता हुआ पा कर शाज़िया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लग गईं.

ज़ाहिद पागलों की तरह अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों को अपने दाँतों से काट रहा था.

थोड़ी देर अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों पर अपनी ज़ुबान फिराने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया को घोड़ी बनने को कहा.

तो शाज़िया अपने भाई की बात पर अमल करते हुए अपनी कोहनियो के बल उल्टी लेट कर घोड़ी बनते हुए बिस्तर पर लेट गई.

शाज़िया के इस तरह लेटने से उस की भारी और चौड़ी गान्ड पीछे से पूरी तरह हवा में उठ गई.
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08-12-2019, 01:17 PM,
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अपनी बहन को यूँ घोड़ी बनने देख कर ज़ाहिद बिस्तर से उठ कर फिर फर्श पर आया. और अपनी बहन की हवा में उठी हुई गान्ड के नीचे बैठ कर शाज़िया की गरम चूत के मोटे लबों को अपनी नुकीली ज़ुबान से दुबारा चाटने लगा.



ज़ाहिद एक साँप (स्नेक) की मानिंद अपनी ज़ुबान निकाल कर अपनी बहन की चूत को ऊपर से नीचे तक चाट रहा था.

"आहह श्ह्ह्ह” अपने भाई की नोकिली ज़ुबान और गरम होन्ट अपनी चूत पर लगते ही शाज़िया के सारे बदन में चिंटी रेंगने लगीं.

"क्या हुआ शाज़िया तकलीफ़ हो रही है क्या?", ज़ाहिद ने अपनी बहन की चूत से अपने होंठो को हटाते हुए पूछा. और फिर से अपने होन्ट अपनी बहन की चूत पर रखते हुए उस की चूत से निकलता हुआ पानी अपने होंठो से चूसने लगा.

"ऊहह दर्द कहाँ, इस्शह बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है भाईईईईईईई", शाज़िया अपने भाई की जीभ अपनी चूत पर महसूस कर के अपने चुतड़ों को उछालते हुए बोली.

शाज़िया की चूत से पानी की नदियाँ बहने लगीं. जिसे उस का भाई ज़ाहिद अपनी ज़ुबान से “शार्प शार्प” कर के चाटने लगा.

अपनी बहन की चूत को चाटते चाटते ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता अपने को मुँह ऊपर लाया.

ज़ाहिद ने अपने हाथों से अपनी बहन के मोटे चुतड़ों को खोलते हुए अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर ज़ोर से थूका. और इस के साथ ही उस ने एक दम से ने अपनी गरम और नोकिली ज़ुबान को अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर रखते हुए अपने थूक से भरे अपनी बहन की गान्ड के सुराख को चाटना शुरू कर दिया.

अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया भी पागल सी हो गई. और मज़े की शिद्दत से शाज़िया मचलते हुए चिल्लाई “ उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”.

शाज़िया के लिए अपनी गान्ड पर किसी की ज़ुबान फेरवाने का ये पहला मोका था. इसीलिए अपने भाई के मुँह से ये अनोखा स्वाद हासिल करते ही शाज़िया तो मज़े से बे हाल होने लगी.

शाज़िया की गान्ड की महक ने तो ज़ाहिद को पहले ही पागल कर रखा था. इसीलिए अब अपनी बहन की कंवारी गान्ड के सुराख पर ज़ुबान रखते ही ज़ाहिद ने शाज़िया की गान्ड के सुराख को पागलों की तरह चाटना शुरू कर दिया था.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड को अपने हाथों से खोलते हुए दीवाना वार शाज़िया की गान्ड को चूसने लगा.वो शाज़िया की गान्ड को खोल कर काफ़ी गहराई तक अपनी ज़बान पहुँचा रहा था.

जिस की वजह से शाज़िया सिसक रही थी,मचल रही थी. और ज़ाहिद भी मज़े से जज़्बाती हो कर अपनी बहन की गान्ड के नमकीन ज़ायक़े को चाटे जा रहा था.

ज़ाहिद ने इतने जोश और मज़े से अपनी बहन की गान्ड के साँवले सुराख को चाटा. कि शाज़िया की गान्ड उस के भाई ज़ाहिद के थूक से पूरी तरह तर हो गई.

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की गरम और मज़े दार गान्ड को चाटने के बाद ज़ाहिद फर्स से उठा.और उस ने पीछे से शाज़िया की टाँगें चीर कर के अपने लंड की मोटी टोपी को अपनी बहन की छूट पर रगड़ना शुरू कर दिया.

भाई के लंड की मोटी टोपी ने ज्यों ही शाज़िया की पानी छोड़ती चूत के सुराख को छुआ तो शाज़िया मचल कर बोली,” उूुुउउफफफफफफफफ्फ़ भाई आप क्यों तड़पा रहे हैं, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत मे डालो ना, में तो चुदवाने के लिए मेरी जा रही हूँ”.

ज़ाहिद शैयद अपनी बहन को तड़पाने के मौूद मे था. इसीलिए वो अपनी बहन की बात को अन सुनी करते हुए अपना लंड अपनी बहन की चूत पर मसलता रहा.

शाज़िया से अब अपनी भाई की ये हरकत बर्दाश्त नही हो रही थी. इसीलिए वो फिर सिसकी “ हाई भाईईईईई मेरे हाल पर रहम करो और मुझे चोदो प्लीज़”

अपनी बहन की बेताबी देख कर ज़ाहिद मुस्कुराया और बोला “अच्छा अभी चोदता हूँ तुम्हारे लंड की भूकि चूत को जान”. ये कह कर ज़ाहिद ने अपना मस्त और मोटे लंड के मोटे टोपे को एक दम अपनी बहन की पानी पानी होती गरम चूत में घुसा दिया.
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08-12-2019, 01:17 PM,
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घुडप की तेज आवाज़ शाज़िया की चूत से निकली और ज़ाहिद का लंड उस की बहन की गरम फुद्दि में फिसलता चला गया.

लज़्जत की शिद्दत से शाज़िया ने सिसकारी ले कर अपनी आँखें बंद कर ली.

ज़ाहिद ने अब पीछे से अपनी बहन की चौड़ी और भारी गान्ड को अपनी हाथों में थामते हुए अपनी बहन की चूत में ज़ोर दार किसम के धक्के मारने शुरू कर दिए. तो शाज़िया अपने भाई की मस्त चुदाई के आगे हर मानते हुए सिसकियाँ लेने लगी.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड की भारी पहाड़ियों को थामे हुए अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके मारे जा रहा था.

औरतों के मामले में ज़ाहिद पहले से ही एक मंझा हुआ खिलाड़ी था.

इसीलिए जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि शाज़िया उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से मज़े से बे हाल हो रही है. तो ज़ाहिद ने सोचा कि ये सही मोका है.जब वो अपनी बहन की गान्ड में अपना मोटा लंड डाल कर अपनी बहन की गान्ड की कंवारी सील तोड़ कर सुबह होने वाला वालिमा सही तौर पर जायज़ बना सकता है.

ये खेल ज़हन में आते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से बाहर निकाला.

उस वक्त ज़ाहिद का लंड शाज़िया की फुद्दि के गरम पानी और जूस से पूरा तरह भरा हुआ चमक रहा था.

ज़ाहिद को पता था कि एक तो उस का लंड शाज़िया की फुद्दि के पानी से भीगा हुआ है. जब कि शाज़िया की गान्ड के सुराख को भी ज़ाहिद ने अपने थूक से अच्छी तरह गीला कर के तर कर दिया था.

इसीलिए ज़ाहिद को अंदाज़ा था. कि उस के लंड को अपनी बहन की भारी गान्ड की कंवारी सील तोड़ने में ज़्यादा दिक्कत नही हो गी. और फिर इस से पहले कि शाज़िया कुछ समझ पाती. ज़ाहिद ने अपने गीले लंड को शाज़िया की गान्ड के मुँह पर रखा और एक ज़ोर का धक्का दिया.



ज़ाहिद का कड़क लंड उस की बहन की थूक से गीली कुँवारी गान्ड के सुराख को चीरता हुआ शाज़िया की गरम गान्ड में आधा अंदर चला गया.

अपने भाई के इस अचानक हमले से शाज़िया उछल पड़ी. शाज़िया को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की गान्ड में किसी ने लोहे का गरम राड डाल दिया हो. जिस की तपिश से उस की गान्ड की सारी नसें (वाइन्स) जल कर राख हो गई हों.

ज़ाहिद का अपनी बहन की कंवारी गान्ड पर ये हमला इतना अचानक और ज़ोर दार था. कि शाज़िया को यूँ महसूस हुआ. जैसे उस के भाई का लंबा और मोटा लंड उस की गान्ड में घुस कर उस के मुँह के ज़रिए बाहर निकल जाएगा.

अपने भाई के इस धक्के की वजह से दर्द की शिद्दत से शाज़िया की आँखो से आँसू निकल आए और उस के मुँह से एक लंबी चीख निकल गई “हीईीईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईईईई मार डाला”



इस के साथ ही शाज़िया ने बिस्तर पर पड़े हुए तकिये (पिल्लो) को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. ताकि इस तरह शायद उसे अपनी गान्ड में समाते हुए भाई के बड़े लंड की तकलीफ़ का अहसास कुछ कम महसूस हो.

“कुछ नही होगा शाज़िया,मेरी जान.अब तो अंदर डाल दिया है,अभी मज़ा आएगा” ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को मज़ीद अंदर जाने से रोक लिया .



ताकि एक तो शाज़िया की गान्ड में उठा हुआ दरद कुछ कम हो जाए. और साथ ही साथ उस का बड़ा लौडा शाज़िया की गान्ड में अपनी जगह बना सके. तो उस के बाद वी अपनी बहन की गान्ड को आसानी से चोद सके गा.

"नहियिइ मुझे बहुतत्तत्त दर्द हो रहा है,आप बहुत ज़ालिम हो मुझे बिना बताए ही इतना बड़ा लंड मेरी कंवारी गान्ड में डाल दिया आप ने.मेने 2 साला शादी में कभी अपनी गान्ड में लंड नही डलवाया,अह्ह्ह्ह मैं मर जाउन्गी,निकाल लो,प्ल्ज़्ज़,बहुत दर्द हो रहा है”. दर्द की शिद्दत से चिल्लाते हुए शाज़िया ने अपने भाई से कहा.

ज़ाहिद खूब जानता था कि ऐसे मोके पर किसी भी औरत को लंड अपनी गान्ड में लेने के लिए कैसे राज़ी किया जाता है.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपने एक हाथ को नएचए से ला कर शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ रखा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से अपनी बहन शाज़िया की चूत का दाना (क्लिट) मसलना शुरू कर दिया.

ज़ाहिद की इस हरकत से चन्द लम्हों में ही अपनी गान्ड का दर्द भुला कर शाज़िया गरम होते हुए फिर से सिसकारियाँ लेने लगी.

साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी उंगली को शाज़िया की चूत में घुसा दिया और स्लो मोशन में शाज़िया की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा.

शाज़िया की सिसकियाँ सुन कर ज़ाहिद को अंदाज़ा होने लगा. कि अब शाज़िया को दर्द नही बल्कि मज़ा आ रहा है. इसीलिए ज़ाहिद ने फिर से एक और धक्का मारा. और अपना बचा हुआ लंड अपनी बहन की कंवारी गान्ड में डाल कर अपनी बहन की गान्ड की सील पूरी तरह से खोल दी.



“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईई लगता है आज तो आप मेरी जान ही ले लोगे” अपनी गान्ड की तह में अपने भाई का मोटा और बड़ा लंड पूरे का पूरा जाता हुआ महसूस कर के शाज़िया फिर चिल्लाई.

“शाज़िया मेरी जान बस थोड़ा सबर करो अभी थोड़ी देर में जब तुम्हारा दर्द ख़तम हो गा तो तुम्हें गान्ड मरवाने में भी मज़ा आने लगेगा मेरी जान. ज़ाहिद ने अपनी बहन को तसल्ली देते हुए कहा.

शाज़िया की गान्ड अंदर से बहुत ही तंग और गरम थी. जिस में अपना लंड डालते ही ज़ाहिद को यूँ लगा. जैसे उस ने अपना लंड किसी गरम तंदूर में डाल दिया हो.
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08-12-2019, 01:18 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज़ाहिद ने आज तक ना जाने कितनी ही औरतों की चूत और गान्ड मारी थी. और आज से पहले वो नीलोफर की गान्ड की सील भी अपने इसी मोटे ताज़े लंड से खोल चुका था.

मगर जो मज़ा आज उसे अपनी ही सग़ी बहन की कंवारी गान्ड की सील खोलने में आ रहा था. वो मज़ा आज से पहले ज़ाहिद को कभी हासिल नही हुआ था.

ज़ाहिद अपनी बहन की गान्ड में अपना पूरा लंड डाले कुछ देर यूँ ही खड़ा रहा.

फिर वाकई ही थोड़ी देर बाद जब शाज़िया को अपनी गान्ड का दर्द कुछ कम होता हुआ महसूस हुआ. तो उस ने अपनी गान्ड ढीली छोड़ दी.

जिस पर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया. कि अब शाज़िया अपने भाई के लंड को अपनी गान्ड की गहराइयों में कबोलियत का शरफ बख़्श रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपने दोनो हाथों से शाज़िया के मोटे मोटे सेक्सी चूतड़ पकड़े और अपनी पूरी स्पीड और ताक़त से शाज़िया की गान्ड को चोदना शुरू कर दिया .

साथ ही साथ ज़ाहिद अभी तक अपने हाथ से शाज़िया की फुद्दि के दाने (क्लिट) को भी रगड़ने में मसरूफ़ था.

“मेरी जान, तुम अपनी चूत में अपनी उंगली मारो ताकि तुम्हे भी मज़ा आता रहे” ज़ाहिद ने कुछ देर बाद अपने हाथ को शाज़िया की फुद्दि से अलग करते हुए अपनी बहन से कहा.

अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने भी अपना एक हाथ अपने जिस्म के नीचे ला कर अपनी फुद्दि के मुँह पर रखा और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया.



वैसे तो आज से पहले अपनी दो साला तलाक़ याफ़्ता जिंदगी में शाज़िया ने रात के अंधेरे में बेशुमार दफ़ा खुद ही अपने हाथों से अपनी गरम फुद्दि के साथ खेला और मसला था.

मगर आज जैसा मज़ा उस पहले कभी नही मिला था. क्यों कि उस वक्त उस के भाई का मोटा और सख़्त लंड उस की गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर बाहर हो रहा था.

और इस के साथ साथ वो खुद अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को मसल कर मज़ा लेने में मसरूफ़ थी.

गान्ड चुदाइ और साथ में फुद्दि रगड़ाई के इस नये अंदाज़ को शाज़िया अब पूरी तरह से एंजाय कर रही थी.

ज़ाहिद अब शाज़िया के गोरे गोरे टाइट चूतड़ अपने दोनो हाथों से पकड़ कर अपनी पूरी ताक़त से धक्के मार कर शाज़िया की गान्ड के तंग सुराख को चोद रहा था.

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद ज़ाहिद ने दोनो हाथों से शाज़िया की गान्ड खोली और अपना लंड आहिस्ता से बाहर निकाल लिया.

ज़ाहिद का लंड “पुक्क्कक" की आवाज़ के साथ शाज़िया की मोटी गान्ड के तंग छेद से बाहर निकला. तो ज़ाहिद ने देखा कि उस का मोटा और बड़ा लंड उस की बहन की गान्ड में जाने के बाद शाज़िया की गान्ड का मुँह "ओ" जैसा खुल गया था.

फिर दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद ने पीछे से शाज़िया की गरम फुद्दि पर अपने लंड को रख कर एक झटका दिया. तो ज़ाहिद का मोटा ताज़ा लंड शाज़िया की फुद्दि के दाने पर फिरते हुए उस के हाथ से टच होता हुआ शाज़िया की फुद्दि में समा गया.

अपनी बहन की तपती चूत में अपना लंड डाल कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे चूतड़ पकड़े और अपनी बहन की गरम फुद्दि को चोदने लगा.

कुछ देर बाद ज़ाहिद ने फिर से अपना लंड शाज़िया की चूत से निकाल कर उस की मोटी गान्ड में उडेल दिया.

अब ज़ाहिद कभी अपनी बहन की गान्ड को चोदने लगता और कभी उस की गरम फुद्दि में लंड पेल कर शाज़िया की चूत के मज़े ले रहा था.

इस के साथ साथ शाज़िया अभी तक बदस्तूर अपने हाथ से अपनी फुद्दि के दाने को रगड़ने में मसगूल थी.

अपने भाई की इस जबर्जस्त चुदाई ने शाज़िया को तो जैसे पागल ही कर दिया था.और उस के मुँह से निकलती हुई सिसकियाँ पूरे कमरे में ज़ोर ज़ोर से गूँज रही थी.

कुछ देर तक इसी अंदाज़ में अपनी बहन शाज़िया की गान्ड और चूत एक साथ चोदने के बाद ज़ाहिद भी छूटने के करीब आ गया था

“शाज़िया मेरी पानी बस अब निकलने ही वाला है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड में धक्के मारते हुए कहा.

और फिर ज़ाहिद ने एक ज़ोर दार आखरी धक्का मार कर अपना लंड जड (रूट) तक शाज़िया की गान्ड में डाला.और अपने लंड के आतिश फिशन को खोल कर अपनी बहन शाज़िया की गान्ड में पानी का एक सैलाब बना दिया.



दोनो बहन भाई मज़े और चुदाई की शिद्दत से निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़े.

ज़ाहिद का बड़ा और मोटा लंड अपनी बहन की गान्ड और चूत के जूस से भरा हुआ था. और उस की टाँगों के दरमियाँ अब थोड़ा ढीला हो कर हिचकोले खा रहा था.

जब कि शाज़िया की गान्ड अपने भाई के मोटे और बड़ा लंड को अपने अंदर समेटे अभी तक “फक फक” करते हुए खुल और बंद हो रही थी.
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08-12-2019, 01:18 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
आज अपनी ही सग़ी बहन से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के बाद ज़ाहिद के ज़हन में ये ख्याल आया. कि जैसे वाकई ही उस की सग़ी बहन उस के लिए बनी थी.

क्यों कि अगर ऐसा ना होता. तो शायद या तो शाज़िया का तलाक़ ना होता. और अगर होता भी तो उस के बाद अब तक वो किसी और से शादी कर कर अपना घर दुबारा बसा चुकी होती.

और शायद ज़ाहिद ने अपनी ही सग़ी बहन से नकली शादी कर के उस को अपनी बीवी का दर्जा देना था. इसी लिए अम्मी के हज़ार बार कहने के बावजूद ज़ाहिद ने अभी तक शादी नही की थी.

ये ख्याल ज़हन में आते ही ज़ाहिद अपनी बहन की पीठ पर लेटे लेटे इंडियन मूवी का ये गाना अपनी बहन के कान में गुनगुनाने लगा कि,

“कभी कभी मेरे लंड को ख्याल आता है
कि जैसे तेरी चूत को बनाया गया है मेरे लिए
तू इस से पहले बस रही थी,इस घर में कहीं
तुझे अम्मी ने घुसाया है,इस कमरे में मेरे लिए
सुहाग रात है,गान्ड फाड़ रहा हूँ में
क्यों कि इसे तू ने अभी तक बचाया था, सिर्फ़ मेरे लिए”

शाज़िया अपने भाई के मुँह से ये गाना सुन कर शर्म से लाल हो गई.फिर उस के बाद सारी रात दोनो बहन भाई ने खूब दिल खोल कर चुदाई की.

और फिर रात के आखरी पहर दोनो बहन भाई थक हार कर एक दूसरे की बाहों में ही सो गये.


उधर उस रात ज़ाहिद के घर की ऊपर वाली मंज़िल में जमशेद भी अपनी ही बहन के दूल्हा के रूप में अपने कमरे में दाखिल हुआ.

जिधर उस की अपनी ही सग़ी बड़ी बहन आज उस की दुल्हन बनी हुई जमशेद के इंतिज़ार में बैठी थी.

वैसे तो जमशेद इस से पहले भी कई सुहाग रातें अपनी बहन नीलोफर के साथ गुज़ार चुका था.

मगर आज मुकम्मल तौर पर एक दूल्हा दुल्हन के रूप में सज धज कर सुहाग की सेज पर अपनी सुहाग रात मनाने का ये तजुर्बा उन दोनो बहन भाई के लिए भी बिल्कुल नया ही था.

जमशेद को आज अपनी बहन की चूत का मज़ा चखे हुए काफ़ी दिन हो चुके थे.

जिस की वजह से कमरे में दाखिल होते वक्त जमशेद का लंड फुल तन कर उस की शलवार में खड़ा हो चुका था.

फिर कमरे में आ कर ज़ाहिद की तरह जमशेद ने भी अपनी दुल्हन बहन को मुँह देखाई में सोने का एक सेट दिया.

ज्वेलरी तो वैसे ही दुनिया की हर औरत की कमज़ोरी होती है. इसीलिए शाज़िया की तरह नीलोफर भी अपने ही सगे दूल्हा भाई से अपनी मुँह दिखाई का तोहफा वसूल कर के बहुत खुश हुई. और उस ने अपने भाई जमशेद को बिस्तर पर लेटा कर उस के गालों को चूम लिया.



“आज सिर्फ़ गालों पर प्यार करने से काम नही चलेगा बाजी” ये कहते हुए जमशेद ने अपनी बहन के जिस्म से उस के सारे कपड़े एक एक कर अलग कर दिए और फिर खुद भी फॉरन ही नंगा हो गया.

जमशेद के लंड की तरह नीलोफर की गरम चूत भी पिछले चन्द दिन से लंड से महरूम रही थी. इसी लिए अब इस वक्त नीलोफर की चूत भी काफ़ी गरम और प्यासी हो कर अपना पानी छोड़ रही थी.

जमशेद के कपड़े उतरते ही उस का लंड नग्ना हो कर नीलोफर के सामने आया. तो अपने भाई के लंड को देख कर नीलोफर उस के सामने बैठ गई. और उस ने अपने भाई के जवान और आकड़े हुए लंड को अपनी ज़ुबान से सक करना शुरू कर दिया.



जमशेद का सख़्त लंड ज्यों ही उस की बहन की गरम ज़ुबान और उस के नरम होंठो से रगड़ ख़ाता हुआ नीलोफर के मुँह के अंदर बाहर हुआ. तो मज़े की शिद्दत से जमशेद बे हाल हो गया.

अपने भाई के लंड को बेचैनि से चुसते हुए नीलोफर का दिल चाहा कि उस का भाई जमशेद जल्द आज़ जल्द उस की पानी छोड़ती चूत में अपना खड़ा हुआ लंड डाल कर उस की चूत की गर्मी को दूर कर दे.

उधर अपनी बहन नीलोफर की तरह जमशेद की भी दिली ख्वाहिश कुछ ऐसी ही थी.मगर उस के इरादे आज थोड़े मुक्तलिफ से थे.

असल में बात कुछ यूँ थी. कि अपनी बहन की चूत को पहली बार चोदने के बाद से जमशेद अपनी बहन नीलोफर की गान्ड को चोदने का ख्वाहिश मंद रहा था.

लेकिन एएसआइ ज़ाहिद से अपनी गान्ड की सील तुड़वाने के बावजूद नीलोफर ने आज तक कभी अपने भाई को अपनी बुन्द (गान्ड) का मज़ा नही चखाया था.

इसी लिए जमशेद आज अपनी बहन के साथ अपनी शादी शुदा जिंदगी का आगाज़ उस की मोटी गान्ड के छेद में अपना लंड डाल कर करना चाहता था.

फिर कुछ देर अपने भाई के लंड को चूसने के बाद नीलोफर बिस्तर पर लेट गई.और उस ने लेटते ही अपनी गुदाज जाँघो को खोल कर अपनी गरम फुद्दि के देने पर अपने हाथ को रखा कर ज़ोर से रगड़ते हुए अपने भाई से कहा“उफफफफफफफफफफफ्फ़ जमशेद अब आ कर डाल भी दो ना अपना लंड मेरी फुद्दि में भाईईईईईईईईईई”.

नीलोफर अब अपने भाई के लंड को अपनी फुद्दि में जज़्ब करने के लिए इतनी बेताब हो चुकी थी. कि अब उस को एक लम्हा भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

जब जमशेद ने अपनी बहन को उस के लंड के लिए यूं बेचैन होते देखा. तो उस के होंठो पर एक मुस्कराहट पहली.

जमशेद ने अपने मोटे लंड को अपने हाथ से मसल्ते हुए बिस्तर पर नंगी बैठी अपनी बहन नीलोफर से कहा “निलो बाजी क्यों ना आज हम अपनी सुहाग रात का आगाज़ गान्ड चुदाई से करें मेरी जान”.

नीलोफर की चूत में उस वक्त गरम आग के शोले भड़क रहे थे. इसीलिए वो चाहती थी कि उस का भाई पहले उस की फुद्दि में लंड डाल कर उस की गर्मी को दूर करे. इसीलिए वो मज़े से सिसकारी लेती हुई बोली “ नहियीईई पहले मेरी फुद्दि में लंड डालूऊऊऊऊऊ, नहियीईईईईईईईईई तो में मररर्र्र्र्ररर जाओंन्नोनणणन् गी भाईईईईईईईईईईईई”.
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08-12-2019, 01:18 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
जमशेद ये बात अच्छी तरह जानता था. कि अगर उस ने अपनी बहन की बात मानते हुए उस की चूत की खुराक (चूत की खारिश ख़तम) कर दी.तो फिर हमेशा की तरह नीलोफर उसे अपनी गान्ड का मज़ा नही चखने देगी .

इसीलिए जमशेद के लिए ये सुनहेरी मोका था. जब वो अपनी बहन से अपनी बात मनवा कर उस की मोटी गान्ड की गहराइयों की सैर कर सकता था.

ये ही वजह थी कि नीलोफर के इसरार के बावजूद जमशेद बिस्तर के किनारे पर खड़ा हो कर अपने लंड को मसलता रहा. और अपनी बहन के जज़्बात को भडकाता रहा.

जब नीलोफर ने देखा कि उस का भाई जमशेद आज अपनी ज़िद पूरी करने पर तूल गया है. तो उस ने भी अपने भाई के लंड के आगे हर मानते हुए सुहाग की सेज पर उल्टा लेट कर अपनी गान्ड को हवा में खड़ा कर दिया.

ज्यों ही नीलोफर बिस्तर पर घोड़ी बन कर लेटी.तो जमशेद फॉरन अपनी बहन की मस्तानी गान्ड के पीछे आया. और अपनी बहन की कमर को पकड़ते हुए बोला, "हाईईईईईईईईईईईईई, मेरी बहन क्या ज़ालिम गान्ड हैं तुम्हारी,नीलो बाजी में तुम्हारा बहुत शूकर गुज़ार हूँ कि आज तुम ने मुझे अपनी गान्ड का ये तोहफा दे ही दिया मेरी जान”

इस से पहले कि नीलोफर कुछ कह पाती. जमशेद ने अपनी बहन की गान्ड के सुराख पर थूक लगाया. और अपना लंड नीलोफर की बंद के सुराख पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.

तो जमशेद का लंड अपनी बहन की पहले से खुली हो गान्ड की गरम तह में “गुप्प्प्प” की आवाज़ के साथ दाखिल हो गया.

नीलोफर की गान्ड को ज़ाहिद के मोटे लंड ने पहले से की चोद चोद कर रवाँ कर दिया था.

मगर इस के बावजूद आज पहली बार अपनी बहन की गान्ड में लंड डाल कर जमशेद की बरसों की ख्वाहिश पूरी हो रही थी.

इसीलिए अपनी बहन की चुदि हुई गान्ड में अपने लंड को पहले ही जमशेद के मुँह से एक सिसकारी निकली “हाईईईईईईईईईईईईईईईई”. और उस का लंड फिसलता हुए उस की बहन की गान्ड में धँस गया.

जब के जमशेद के मोटे टूटे नीचे से उस की बहन की गरम और पानी छोड़ती फुद्दि से टकराई. तो नीलोफर भी सिसक उठी “ओह भाई”.

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ा है तुम्हारी गान्ड में मेरी बहन, में अब कभी बिना तुम्हारी गान्ड मारे तुम को नही छोड़ूँगा मेरी जान,हाआआआअ तुम्हारी इस गान्ड ने तो मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त में ले कर पागल बना दिया है जानू”. जमशेद ने ज्यों ही अपने बहन की गान्ड में घुसे हुए अपने लंड पर अपनी बहन की गान्ड की गर्मी महसूस की. तो वो भी मस्ती में आते हुए सिसकार उठा.

अब कमरे में सूरते हाल कुछ यूँ थी. कि नीलोफर अपने सुहाग के बिस्तर पर पेट के बल हुई थी. जिस की वजह से पीछे से उस की गान्ड पूरी तरह ऊपर को उठी हुई थी.

अब जमशेद अपनी बहन के कंधे पकड़ कर उसे पीछे से ढके पा धक्का लगा कर ज़ोर से अपनी बहन की मस्तानी गान्ड को पहली बार छोड़ कर मज़े ले रहा था.

कुछ देर अपनी बहन की गान्ड मारने के बाद जमशेद ने अपना लंड निकाल कर नीलोफर की पानी छोड़ती चूत में दाखिल कर दिया.

तो नीलोफर को यूँ सकून मिला. जैसे किसी ने सख़्त गर्म दोपहर में उस के तपते जिस्म पर बरफ (आइस) वाला पानी उडेल दिया हो.

अपने भाई के गरम जवान लंड को अपने अंदर समेट कर शाज़िया की तरह नीलोफर की गरम और प्यासी चूत भी बाग बाग हो गई.

जमशेद अब अपनी बहन की चूत में झटके पर झटके लगा रहा था.

फिर कुछ देर बाद नीलोफर अपने भाई के इन ज़ोर दार झटको के आगे हर मान गई. और उस की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया.

तो जमशेद ने उस के साथ ही अपना पानी भी अपनी बहन नीलोफर की चूत में फारिग कर दिया.

यूँ ज़ाहिद के साथ साथ जमशेद ने भी अपना सुहाग वाला पानी अपनी बहन नीलोफर के जिस्म में डाल कर उसे अपनी बीवी का दर्जा दे दिया.

उधर आज उस घर में सिर्फ़ दोनो बहन भाई कि ये जोड़ियाँ ही नही थी. जो रात के इस वक्त तक जाग रही थी.

बल्कि उन के अलावा उस घर में एक तीसरी हस्ती भी ऐसी थी. जो रात के उस पहर अपने बिस्तर पर पड़ी करवट बदल रही थी.

और वो सख्सियत कोई और नही बल्कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी थी.जिसे आज अपनी नींद की गोली खाने के बावजूद भी नींद नही आ रही थी.

इस की वजह ये रही थी. कि ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद को “वालिमा जायज़ होना चाहिए” कह कर रज़िया अपने कमरे में आई. तो कमरे तक आते आते रज़िया बीबी की साँसे फूल चुकी थी.

आज रज़िया बीबी ने अपने रेग्युलर कमरे में सोने की बजाय घर के दूसरे कोने में बने हुए गेस्ट रूम में सोने का इरादा किया था. इसीलिए वहाँ तक आते आते रज़िया बीबी थक गई थी.

असल में रज़िया बीबी जान बूझ कर आज गेस्ट रूम में इसीलिए सोना चाहती थी. क्यों कि ये कमरा ज़ाहिद के कमरे से दूर होने की वजह से रज़िया बीबी को इस कमरे में अपने बच्चो की आवाज़ें आने का ख़तरा कम था.

रज़िया बीबी की सांस के फूलने की दूसरी वजह ये थी. कि ज्यूँ ही रज़िया बीबी ने अपने बेटे से वालिमे वाली बात कही.तो रज़िया बीबी को फॉरन अहसास हुआ कि उस ने बे ख्याली में अपने ही सगे बेटे को ये किया कह दिया है.

इसीलिए रज़िया बीबी को ज्यों ही अपनी बात के मतलब का अहसास हुआ.तो उसे शरम के मारे अपने बेटे के साथ आँखे मिलाने की हिम्मत नही हुई.और वो तेज़ी से चलती हुई गेस्ट रूम की तरफ बढ़ी.

मेहमान खाने (गेस्ट रूम) की तरफ आते आते रज़िया बीबी ने अपने कमरे से अपनी मेडिसन की बॉटल्स और पानी का ग्लास लिया.

फिर गेस्ट रूम में दाखिल हो कर रज़िया बीबी ने जल्दी से दरवाज़ा लॉक किया. और खुद बिस्तर पर बैठ कर अपनी बिखरी सांसो को संभालने लगी.

कुछ देर बाद अपनी हालत ठीक होने के बाद रज़िया बीबी ने अपनी दवाई खाई.और उस के साथ ही वो सोने के लिए बिस्तर पर लेट गई

बिस्तर पर लेटे हुए बे इख्तियारि में रज़िया बीबी एक हाथ उस की शलवार के ऊपर से आ कर उस की फुद्दि पर टिक गया.

अपनी फुद्दि पर हाथ पड़ते ही रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ जैसे उस की चूत थोड़ी नम (वेट) है.

रज़िया बीबी ने सोचा कि शायद कुछ देर पहले पिशाब करने के बाद चूत को धोने की वजह से उस की चूत इस हालत में है.

इसी लिए रज़िया बीबी ने इस बारे में कुछ और सोचने की बजाय बिस्तर पर ढेर हो कर सोने के इरादे से अपनी आँखे बंद कर लीं.

मीडिसन में नींद की दवाई शामिल होने की वजह से आम तौर पर रज़िया बीबी दवाई खाने के कुछ टाइम बाद ही सो जाती थी.

मगर आज घर में मेहमान दारी की वजह से रज़िया बीबी काफ़ी थकि होने के बावजूद अब बिस्तर पर लेटने के काफ़ी देर तक सो नही पा रही थी.

रज़िया बीबी जब बिस्तर पर लेटे लेटे थक गई. तो उसने बे इख्तियारी में बेड के साइड टेबल से टीवी का रिमोट हाथ में उठा लिया.
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08-12-2019, 01:18 PM,
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रज़िया बीबी की आँखों से नींद आज मीलों दूर थी. इसीलिए रज़िया बीबी ने कमरे का टीवी ऑन कर के कोई ड्रामा देखने के इरादे से टीवी ऑन कर दिया.



टीवी पर कोई नया ड्रामा चल रहा था. जिस को देखते देखते ना जाने कब रज़िया बीबी को नींद ने आ घेरा.इस का उसे खुद भी पता ना चला.

रज़िया बीबी आज कहने को सो तो गई थी. मगर आज उस को लग ऐसे रहा था. कि अपनी आँखे बंद करने के बावजूद आज उस का ज़हन जैसे जाग रहा है.

इसी लिए आधी रात को जब ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की भारी और कंवारी गान्ड की सील को अपने मोटे लंड की फूली हुई टोपी से तार तार किया.

तो घर के दूसरे कोने में होने के बावजूद अपनी बेटी की स्वाद भरी चीख ने रज़िया बीबी को उस की नींद से उठा दिया.

घर के दूसरे हिस्से से आती अपनी बेटी की ये चीख सुन कर नींद के खुमार में मुब्तला रज़िया बीबी को पहले ये समझ नही आई कि ये चीख किस की और क्यों थी.

मगर कुछ देर बाद जब रज़िया बीबी थोड़ी होश में आई.तो उसे समझ आने लगी कि उस के कानू में पड़ने वाली आवाज़ किस की और नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेटी शाज़िया की है.

रज़िया बीबी ने आज से पहले भी रात की खामोशी में अपनी बेटी शाज़िया के कमरे में से आती आवाज़ और सिसकियाँ सुनी हुई थी.

लेकिन अपनी बेटी शाज़िया की पहले वाली सिसकियों और आज की सिसकियों में जो फरक था.

वो रज़िया बीबी ने एक माँ के साथ साथ एक औरत होने के नाते फॉरन महसूस कर लिया था.

रज़िया बीबी एक जहनितौर समझ दार औरत थी. जो कि अच्छी तरह से जानती थी. कि रात की तर्कि में एक प्यासी औरत अपने जिस्म की गर्मी पूरी ना होने की वजह से जब तड़पती है.तो उस के मुँह से निकलने वाली सिसकियाँ केसी होती हैं.

जब कि कोई जवान मर्द किसी औरत की जवानी के जज़्बात को अच्छी तरह से ठंडा करता है.तो उस वक्त उस औरत के होंठो से निकलने वाली सिसकियों की आवाज़ कैसी होती है. इस बात का भी अंदाज़ा रज़िया बीबी को बहुत अच्छी तरह से था.

इसीलिए अपने बच्चो के कमरे से आती हुई इन आवाज़ों को सुन कर रज़िया बीबी ने कुछ ना देखने के बावजूद भी अपनी तसवरती आँख से सब कुछ देख लिया.

इसी दौरान बिस्तर पर लेटे लेटे और अपनी बेटी की गरम सिसकियों को सुनते हुए रज़िया बीबी को अपनी चूत पर खारिस महसूस हुई.

अपनी फुद्दि पर खारिस करने के लिए रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने हाथ से दुबारा अपनी फुद्दि को छुआ.तो ना सिर्फ़ रज़िया बीबी की शलवार उसी की चूत के पानी से गीली हो गई.बल्कि रज़िया बीबी का अपना हाथ भी उस की अपनी फुद्दि के बहते पानी से भीग सा गया.

अपनी फुद्दि की इस काफियत पर रज़िया बीबी सन्न रह गई. क्यों कि उस ने तो कभी खवाब में भी नही सोचा था. कि बेवगी के इतने सालों बाद और उम्र के इस हिस्से में भी उस की बरसों से खुश्क फुद्दि अपना पानी इस तरह छोड़ने लगे गी. कि उस की फुद्दि से निकलता हुआ पानी उस की चूत से निकल निकल कर उस की मोटी और चौड़ी गान्ड की तरफ बहने लगे गा.

रज़िया बीबी को अपनी आज की इस केफियत पर बहुत हैरत हुई.

इस दौरान ही अपनी चूत की मजूदा हालत के बारे में हेरान होते और सोचते हुए रज़िया बीबी थोड़ी देर के लिए अपने माज़ी की यादों में गुम हो गई.

अपनी ज़िंदगी की पुरानी यादों में खोते हुए रज़िया बीबी को वो दिन याद आया.जब उस के प्यारे शोहर की लाश उस के घर में आई थी.

अपने शोहर की लाश देख कर उस दिन रज़िया बीबी को यूँ लगा था. कि जैसे आज शोहर के साथ साथ उस की अपनी मौत भी वाकीया हो गई हो.

और फिर जब उस के घर से उस के शोहर जनाज़ा उठाया गया. तो उस लम्हे रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ था. कि जैसे उस के शोहर की मौत के साथ साथ रज़िया बीबी का अपना जनाज़ा भी उठ गया हो.

क्यों कि अपने शोहर के मरने के बाद रज़िया बीबी ने अपने जिस्मानी जज़्बात को मार कर अपना मुकम्मल ध्यान अपने बच्चो की परवरिश में लगा दिया था.

अपने शोहर की वफात के बाद जब कभी रात की तेन्हाई में रज़िया बीबी का जिस्म अपने शोहर के प्यार के लिए अगर मचला भी.

तो रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया की तरह अपने ही हाथ से अपनी फुद्दि से कभी खेलना कभी पसंद नही किया था.

उस की एक वजह तो बिरादरी का खोफ़,फिर ज़ेहनी तौर पर कुछ महज़बी होना और सब से बढ़ कर अपने बच्चो को संभालने के ख्याल ने रज़िया बीबी को सब जिन्सी मामलात से जैसे बे ज़ार सा कर दिया था.

इसी दौरान अपनी यादों में खोते हुए रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद और बेटी शाज़िया के प्यार और आपस में ही शादी करने की अनोखी ख्वाहिश का किस्सा याद आया.

तो रज़िया बीबी को वो वक्त भी याद आया जब उस ने शाज़िया को कराची फोन कर के अपनी रज़ा मंदी ज़ाहिर की थी.

ये बात सोचते सोचते रज़िया बीबी के ज़हन में अपनी बेटी शाज़िया के ये इलफ़ाज़ गूँजे कि “आप शादी को एक हफ़्ता रोक दो, क्यों कि मेरे पीरियड अभी अभी शुरू हुए हैं अम्मी”.

उस वक्त तो रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की इस बात पर ना तो ज़्यादा सोचा था. और ना ही उस बात को कोई अहमियत दी थी.

लेकिन आज अपनी बेटी की कही हुई बात को याद करते हुए रज़िया बीबी को अपने जिस्म में एक अजीब किस्म की गरमी महसूस होने लगी थी.

अपनी बेटी की ये बात ज़हन में लाते वक्त रज़िया बीबी का अपनी चूत के ऊपर पड़ा हाथ खुद ब खुद हल्का सा सरक गया.

जो कि बे इख्तियारि में उस की चूत के दाने से टच हुआ. तो अपने ही हाथ की रगड़ से रज़िया बीबी की चूत में एक हल चल सी मच गई. और आज कई सालों बाद रज़िया बीबी के मुँह से भी एक सिसकारी फूटी "हाईईईईईईईईईई”.

साथ ही साथ रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद से कही हुई अपनी वालिमे वाली बात भी याद आई.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ अपने ही बेटे से ये बात करते हुए मुझे ज़रा भी शरम नही आइईईईई” ये सोचते हुए रज़िया बीबी और भी मस्ती में आ गई.

रज़िया बीबी को अब समझ आ गई कि सोने से पहले उस ने जो वेटनेस अपनी चूत पर महसूस की थी. वो वेटनेस चूत पर पानी लगने की वजह से नही आई थी.

बल्कि उस की चूत का गीले पन की असल वजह उस का अपने ही बेटे को अपनी ही बेटी से हम बिस्तरी करने का मशवरा था.

रज़िया बीबी ने इस से पहले कभी अपनी जवानी में भी यूँ अपनी चूत को नही छुआ था.
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08-12-2019, 01:18 PM,
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लेकिन आज जब उस की उम्र तक़रीबन 57 साल की होने लगी थी. तो वो रात के अंधेरे में अपने बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपने ही सगे बेटा और बेटी की गरम सिसकियों को सुनते सुनते गरम हो कर अपनी प्यासी चूत से इस किसम का खिलवाड़ पहली दफ़ा करने पर ना जाने क्यों मजबूर हो गई थी.

बेवा होने के इतने अरसे बाद तो आम औरतों की फुद्दियां मुरझा जाती हैं.मगर आज उन आम औरतों के मुक़ाबले रज़िया बीबी की फुद्दि में दबी हुई उस की सदियों पुरानी आग फिर से हल्की हल्की सुलगने लगी थी.

रज़िया बीबी की गरम होती चूत से निकलती हुई गर्मी से उस का जिस्म को भी पसीना आने लगा.

ये शायद इस गर्मी का ही असर था. कि रज़िया बीबी ने सोचे समझे बिना अपने कपड़े उतार कर अपने बिस्तर पर फैंके.और खुद सिर्फ़ ब्रेज़ियर और चड्डी में मलबोस हो कर कमरे के शीशे के सामने आन खड़ी हुई.



महमान खाने में लगे हुए आईने में अपने जिस्म का जायज़ा लेते हुए रज़िया बीबी ने अपने 42ड्ड मम्मे और पीछे से मोटी और उठी हुई गान्ड का बगौर जायज़ा लिया.

रज़िया बीबी के बड़े बड़े मम्मे उस के काले ब्रेज़ियर में से छलक छलक कर बाहर आने की कॉसिश कर रहे थे.

उस का पेट 5 बच्चे पेदा करने और ऊपर से उम्र ज़्यादा होने की वजह से थोड़ा ढीला ज़रूर पड़ चुका था.

मगर इस के बावजूद उस के पेट पर ना तो चर्बी चढ़ि हुई थी और ना ही रज़िया बीबी का पेट लटका हुआ था.

अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी की गान्ड भी पीछे से काफ़ी भारी और चौड़ी थी. और चलते वक्त रज़िया बीबी की गान्ड की पहाड़ियाँ भी उस की शलवार में से उछल उछल कर देखने वालों को अपनी तरफ मतवज्जो करती थी.

रज़िया बीबी और उस की बेटी शाज़िया दोनो माँ बेटी के जिस्म का साइज़ और शेप तकरीबन बिल्कुल एक ही जेसी थी. फरक सिर्फ़ इतना था कि शाज़िया अपनी अम्मी की मुक़ाबले थोड़ी साँवली थी.

जब कि रज़िया बीबी के चेहरे और जिस्म की रंगत काफ़ी फेयर और सॉफ थी. जो उस के हुष्ण को बुढ़ापे में भी मज़ीद दिल कश बना देती थी.

रज़िया बीबी जिस्मानी तौर पर मोटी ज़रूर थी. मगर इस के बावजूद उस के मोटापे में भी मर्दो के लिए एक अजीब ही ख्वाहिश का समान पोषीदा था.

रज़िया बीबी की जवानी का ज़्यादा तर हिस्सा चूँकि ग़ुरबत में गुज़रा था.

इसीलिए उस ने अपनी जवानी में ना तो कभी अपने आप पर को तवज्जो दी थी. और ना ही उस के मेरहूम शोहर की कमी इतनी होती थी. कि वो अपने लिए कुछ मेक अप या अच्छे कपड़े खरीद सके.

अब जब से रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद की हराम की कमाई का चस्का लगा था. तब से उस ने अच्छे कपड़े और चीज़े खरीद कर इस्तेमाल करना शुरू की थी.

इसीलिए आज इतने सालो बाद अपने जिस्म को शीशे में से यूँ देखते हुए रज़िया बीबी को अहसास हुआ. कि ये उस का अपने आप का ख्याल रखने का असर है.जिस की बदोलत इस उम्र में भी उस का जिस्म किसी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ में ये क्या सोचने लगी हूँ” रज़िया बीबी अपने इस ख्याल पर खुद ही शर्मा गई.

रज़िया बीबी अब शीशे के सामने से हाथ कर बिस्तर पर दुबारा लेट गई.

बे शक आज रज़िया बीबी के सगे बेटा और बेटी की गरम सिसकियों ने उस की अरसे से पूर सॅकून फुद्दि में एक नई गरमाइश तो पेदा कर दी थी.

मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी की हिम्मत नही पड़ रही थी. कि अपनी बेटी शाज़िया की तरह वो भी अपनी फुद्दि को रगड़ रगड़ कर अपनी चूत को थोड़ा ठंडा कर ले.

फिर कुछ देर बाद अपने दिल और जज़्बात को काबू में करते हुए रज़िया बीबी नींद की आगोश में चली गई.

दूसरी सुबह शाज़िया की आँख पेशाब आने की वजह से अपने भाई ज़ाहिद से पहले ही खुल गई.



अपनी नींद से उठते ही शाज़िया की नज़र सब से पहले बिस्तर पर अपने साथ लेटे हुए अपनी भाई ज़ाहिद पर पड़ी. जो उस वक्त कंबल ओढ़े अपनी नींद में मगन सो रहा था.

अपने भाई को देखते हुए शाज़िया के जहन में ख्याल आया कि “वाह रे शाज़िया तेरी किस्मत, तुम तो बचपन से ले कर कल रात तक ज़ाहिद की छोटी बहन के रिश्ते से इस घर में रह रही थी,और आज अपने ही बड़े भाई की बीवी की हैसियत से अपने भाई की सुहाग की सेज पर आँख खोल रही हो”.

ये ख्याल ज़हन में आते ही शाज़िया के तन बदन मे गर्मी और हवस की एक नई लहर दौड़ गई.

रात भर में ज़ाहिद की चुदाई ने शाज़िया की दो साल से प्यासी चूत को चोद चोद कर ना सिर्फ़ अपनी बहन की बंजर चूत को अपने लंड के ट्यूब वेल से पानी दे दे कर इतना भर दिया था. जो कि अब शाज़िया की चूत और गान्ड से बह बह कर उस की टाँगों पर घूम कर खुशक भी हो चुका था.

ज़ाहिद की ज़ोर दार चुदाई ने तो शाज़िया के जिस्म के अंग अंग को अपने ताकतवार धक्कों से हिला कर रख दिया था.

शाज़िया को सब से ज़्यादा दर्द इस वक्त अपनी भारी गान्ड में हो रहा था.

जो कि रात को अपने भाई के मोटे और बड़े लंड से पहली दफ़ा फाडवाने के बाद एक नेचुरल सी बात थी.

मगर उस की गान्ड के साथ साथ शाज़िया की चूत भी बुरी तरह सूज गई थी. जिस की वजह से शाज़िया को अपनी चूत में भी ऐसा दर्द महसूस हो रहा था. जैसा दर्द अपनी पहली सुहाग रात के बाद की अगली सुबह किसी कुँवारी चूत वाली दुल्हन को अपनी पहली चुदाई के बाद महसूस होता है.

शाज़िया का पूरा बदन अपने भाई की रात भर की चुदाई की वजह से टूट रहा था.

इसी लिए ज्यों ही शाज़िया नंगी हालत में, बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से उठी. तो उसे अपने पावं ज़मीन पर रखने में दिक्कत महसूस होने लगी.

शाज़िया को बाथरूम तक जाते हुए भी काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही थी.

वो बोझल कदमों के साथ लड़ खड़ाती हुई बहुत मुश्किल से बाथरूम में जा कर कमोड पर बैठी.
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08-12-2019, 01:18 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
बातरूम के कॅमोड पर बैठ कर ज्यों ही शाज़िया ने पिसाब कर शुरू किया. तो पिशाब का गरम पानी उस की रात भर की चुदाई की वजह से सूजी हुई फुद्दि के किनारों से टकराया.

अपनी फुद्दि के किनारों से पिशाब का तेज और गरम पानी टकराते ही शाज़िया को अपनी फुद्दि में से दर्द की हल्की हल्की टीस उठती हुई महसूस हुई. जिस वजह से शाज़िया के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई. “हाईईईईईईईईईईई”.

शाज़िया ने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से निकलती हुई चीख को रोका .और फिर पिशाब से फारिग होने के बाद शाज़िया बाथ रूम के शीशे के सामने खड़े हो कर अपने नंगे वजूद का जायज़ा लेने लगी.

शाज़िया ने देखा कि उस के भाई ज़ाहिद के काटने की वजह से ना सिर्फ़ उस के बड़े बड़े मम्मे और उस के साँवले बड़े निपल्स पर निशान बन चुके थे.

बल्कि शाज़िया की चूत,उस की गान्ड और उस की मोटी रानों पर भी उस के भाई के वलिहणा और वहशियाना प्यार के निशान पूरी तरह वज़िया हो रहे थे.

अपनी ये हालत देखते हुए शाज़िया के ज़हन में उस की पहली और असली सुहाग रात के दूसरे दिन की यादें घूमने लगीं.

शाज़िया को ख्याल आया कि उस की ये हालत तो उस के सबका शोहर ने उस की पहली चुदाई में भी नही की थी. जिस हालत में उस के अपने ही भाई ने आज उसे पहुँचा दिया था.

ज़ाहिद ने तो उसे एक ही रात में इतना ज़्यादा और इतना जबर्जश्त तरीके से चोदा था. कि उस के भाई का लंड अब उस की चूत में ना होने के बावजूद शाज़िया को अभी तक अपने भाई के लंड की सख्ती और गर्मी अपनी गरम और मोटी फुद्दि की दीवारों में महसूस हो रही थी.

शाज़िया को बाथरूम के आईने में अपना नंगा जिस्म इस बुरी हालत में देख कर अपने आप से शरम आने लगी.

वो अपने आप को शीशे में से देखते हुए सोचने लगी. कि वाकई ही नीलोफर ने शाज़िया को जो अपने और अपने भाई जमशेद के बारे में बताया था.वो इस लम्हे लफ़्ज ब लफ़्ज बिल्कुल सच साबित हो रहा था.

शाज़िया को अपनी सहेली नीलोफर की कही हुई बात याद आने लगी. कि शाज़िया जो मज़ा अपने ही साथ जनम लेने वाले भाई के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने में है.वो मज़ा किसी भी आम मर्द से चुदवाने से हासिल नही होता.

क्यों कि अपनी ही माँ की कोख से पेदा होने वाले बहन या भाई से अपनी जिसनी ताल्लुक़ात कायम करने का अपना एक अलग ही मज़ा है

और अपने ही खून वाले सगे बहन भाई से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने में जो लज़्ज़त और स्वाद मिलता है वो स्वाद लफ़्ज़ों में भी बयान नही किया जा सकता था.

शाज़िया सोचने लगी कि उस के भाई ने उसे रात भर चोद कर ना सिर्फ़ उस की सुनसान चूत को फिर से आबाद कर दिया था.

बल्कि अपने ही सगे भाई से रात भर की चुदाई के बाद शाज़िया अब अपने आप को एक मुकम्मल औरत तस्वर करने लगी थी. “क्यों कि अब वो सिर्फ़ एक औरत नही बल्कि अपने ही भाई की औरत थी”

अपनी इन ही सोचो में गुम शाज़िया जब बाथरूम से निकल कर बेड रूम में दाखिल हुई. तो उस ने बिस्तर पर लेटे हुए अपने भाई पर नज़र दौड़ाई.

शाज़िया ने देखा कि उस का भाई ज़ाहिद अपनी नींद में इतना बे खबर सो रहा था.कि सोते वक्त ज़ाहिद के जिस्म से कंबल उतर चुका था. जिस की वजह से उस का पूरा वजूद अब नंगा हो चुका था.

अपने भाई के नंगे जिस्म पर नज़र दौड़ाते हुए शाज़िया की निगाह ज़ाहिद की टाँगों के दरमियाँ आ कर गुम गई.

जहाँ उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद के ढीले पड़े लंड पर पड़ी.

जो इस वक्त ज़ाहिद की टाँगों के दरमियाँ नीम मुर्दा हालत में पड़ा था.

ज़ाहिद का लंड पूरी रात की चुदाई के बाद अब थोड़ा सुकूड तो चुका था. लेकिन सिकुड़ने के बावजूद इस हालत में भी इस वक्त ज़ाहिद का लंड काफ़ी बड़ा और मोटा ताज़ा नज़र आ रहा था.

ज़ाहिर सी बात है कि ज़ाहिद का लंड इस वक्त मोटा और ताज़ा होता भी क्यों ना. क्यों कि आख़िर कार उस ने गुज़शता रात अपनी ही सग़ी बहन की जवान और प्यासी चूत का ना सिर्फ़ रस पिया था.

बल्कि अपनी ही बहन की गान्ड की कंवारी सील तोड़ कर उसे चुदाई के एक नये मज़े से वाकिफ़ करवा चुका था.

शाज़िया अभी अपने भाई के लंड को बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी अपनी नज़रों से निहार रही थी.कि इतने में ज़ाहिद की भी नींद से आँख खुल गई.

ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी नंगी बहन को बाथरूम के दरवाज़े खड़ी हो कर उस के नंगे जिस्म का जायज़ा लेते देखा. तो ज़ाहिद के चेहरे पर मुस्कराहट सी फैल गई.

“क्या देख रही हो मेरी जान” ज़ाहिद ने जब शाज़िया की नज़रें अपने लंड पर जमी देखीं.तो उस ने अपनी बहन से शरारती लहजे में पूछा.

“कुछ नही भाई” शाज़िया ने शरमाते हुए अपने भाई के लंड से अपनी नज़रें हटाते हुए उसे जवाब दिया. और फिर खुद आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई बिस्तर पर लेटे हुए अपने भाई के पास आ कर बेड पर बैठ गई.

“अपनी शादी की पहली सुबह मुबारक हो मेरी जान” ये कहते हुए ज़ाहिद ने शाजिया को खैंच कर अपने साथ बिस्तर पर लिटा लिया. और उस के गरम होंठो पर अपने सख़्त होंठ रख कर अपनी बहन के नरम होंठो को प्यार से चूमने लगा.
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08-12-2019, 01:18 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया को भी अपने भाई के प्यार का ये अंदाज़ भाया और उस ने भी खुशी से अपने होंठो को अपने भाई के होंठो से मिला कर उस का साथ देना शुरू कर दिया.

“शाज़िया क्या रात को मुझ से चुदवा कर मज़ा आया मेरी जान को” ज़ाहिद ने अपनी बहन के होंठो को चूमते हुए उस से पूछा.

“भाईईईईईईई बस करो और मुझे उठ कर कपड़े पहने दो ना” शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब नही दिया. बल्कि उस की कॉसिश थी कि वो अपनी अम्मी के उठने से पहले भाई के कमरे से निकल कर किचन में काम काज में मसरूफ़ हो जाय.

जब ज़ाहिद ने देखा कि शाज़िया उस से अपनी जान छुड़ाने के चक्कर में है और उस के सवाल का जवाब भी नही दे रही.तो उस ने शाज़िया के नंगे जिस्म को अपनी बाहों में भरते हुए दुबारा कहा “ जब तक जवाब नही दो गी मैं तुम को बिस्तर से हिलने भी नही दूँगा ”

“बस ठीक ही था” शाज़िया ने जब देखा कि उस का भाई आसानी से उसे छोड़ने वाला नही. तो अपने भाई को तंग करने के इरादे से जान बूझ कर उस ने ऐसा जवाब दिया.

“अच्छा तो इस का मतलब है कि तुम को मज़ा नही आया मुझ से चुद कर शाज़िया” ज़ाहिद अपनी बहन के जवाब से वाकई ही थोड़ा परेशान हुआ.

“मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा तो इतना आया है कि पूछो मत,काश मुझे पता होता कि आप के लंड में इतना मज़ा है, तो में अपनी चूत की असल सील भी आप से ही तुड़वाती भाईईईईईईई”.शाज़िया ने जब अपने मज़ाक पर अपने भाई को परेशान होते देखा. तो वो जोश में अपने जिस्म को अपने भाई के नंगे जिस्म से रगड़ते हुए सिसकारी ली.

“उफफफफफफफ्फ़ आइ लव यू वेरी मच मेरी जान, यकीन मानो में तुम से बहुत मोहब्बत करता हूँ मेरी बहन” ज़ाहिद ने जब अपनी बहन का जवाब सुना. तो उस ने भी जोश में अपने बहन के जिस्म को अपनी बाहों में कसते हुए कहा.

अभी दोनो बहन भाई एक दूसरे की बाहों में गुम हो कर एक दूसरे के होंठो और गालों को चूसने में मसरूफ़ ही हुए थे. कि कमरे दरवाज़े पर होने वाली एक “ठक ठक” (दस्तक) ने उन दोनो बहन भाई के रंग में भंग डाल दी.

“कौन” कमरे के दरवाज़े पर ये दुस्तक सुन कर दोनो बहन भाई एक दम से हैरान हो कर एक दूसरे से अलग हुए और फिर ज़ाहिद ने बुलंद आवाज़ में पूछा.

“बेटा में हूँ तुम्हारी अम्मी,दरवाज़ा खोलो में चाय ले कर आई हूँ तुम दोनो के लिए” बाहर से उन की अम्मी रज़िया बीबी की आवाज़ उन दोनो के कानों में पड़ी.

वैसे तो रज़िया बीबी की आँख हर रोज़ सुबह जल्दी ही खुल जाती थी. लेकिन अक्सर नींद से जागने के बावजूद वो देर तक बिस्तर पर लेट कर टीवी पर चलते हुए मॉर्निंग शोस देखती रहती थी.

मगर आज जैसे ही रज़िया बीबी की आँख खुली.तो गुज़री रात अपनी जवानी बेटी की गरम सिसकियाँ को सुन कर उस की चूत में से उठने वाले तूफान का असर अभी तक उस के तन बदन में बाकी था.

इसीलिए अपनी नीद से बे दर होते ही रज़िया बीबी के दिल में उत्सुकता पैदा हुई.कि वो जा कर देखे तो सही कि उस के बेटा और बेटी किस हाल में हैं.

इसी लिए अब अपने बच्चो को चाय देने के बहने वो उन के कमरे तक चली आई थी.

“अच्छा एक मिनट अम्मी” ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी की आवाज़ सुनी.तो उस ने फॉरन अपनी अम्मी की आवाज़ का जवाब देते हुए कहा.

“भाई ये अम्मी को क्या सूझी कि वो चाय ले कर हमारे पास चली आई हैं” शाज़िया ने अपनी अम्मी की उन के कमरे में आमद पर हेरान होते हुए अपने भाई से शरगोशि की.

"उफफफफफफफफफफ्फ़ अम्मी ने भी सुबह सुबह ही चाय पीला देनी है,अभी तो में उन की बेटी का ताज़ा दूध पीने के मूड में था” ज़ाहिद ने अपनी बहन के बड़े मम्मे को अपने हाथ से कसते हुए अपनी बहन के निपल पर तेज़ी से अपनी ज़ुबान फेरते हुए जवाब दिया.

“हाईईईईईईईई भाई छोड़ो मुझे ,मगर अभी दरवाज़ा मत खोलना प्लीज़, मुझे जल्दी से पहले कुछ पहन लेने दो भाई”शाज़िया ने अपने आप को अपने भाई की बाहों से आज़ाद करते हुए बिस्तर से छलाँग लगाई. और ज़ाहिद की अलमारी से अपना एक पुराना शलवार कमीज़ सूट निकाल कर शलवार पहनी.

ये सूट शाज़िया ने कल शाम ही अपने भाई की अलमारी में टांगा था. और फिर वो नंगी हालत में ही जल्दी जल्दी बिस्तर पर पड़े कंबल को ठीक करने लगी.



“भाई खोलो भी दरवाज़ा” बाहर से उन की अम्मी की आवाज़ दुबारा आई. तो शाज़िया ने जल्दी से बिस्तर को उसी हालत में छोड़ कर अपनी कमीज़ भी ज़ेबे तन कर ली.

कपड़े पहनने की जल्दी में शाज़िया के गले से उस का दुपट्टा सरक कर फर्श पर जा गिरा. जिस का ईलम उस वक्त शाज़िया को नही हुआ,
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