Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:12 PM,
#81
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज़ाहिद ने भी शाज़िया के भारी जिस्म के गिर्द अपने बाजुओं को लपेटा. और एक हाथ से अपनी बहन के भारी मम्मे को मसल्ते हुए अपनी बहन के गुदाज होंठो पे अपने होन्ट रख कर उन को चूसना शुरू कर दिया.

शाज़िया को अपनी सहेली नीलोफर और उस के भाई जमशेद की मौजूदगी में ज़ाहिद भाई की इस हरकत पर शरम तो आई. मगर वो चाहने के बावजूद अपने भाई को सब के सामने उसे प्यार करने से रो ना पाई.

इधर टीवी लवंज में बैठे ये सब लोग. तो अपनी खुशी के ये लम्हे एक दूसरे के साथ शेयर करने में मगन थे.

मगर वो सब इस बात से बे खबर थे.कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी टीवी लाउन्ज के साथ वाले कमरे से पर्दे की ओट में खड़े हो कर. अपने बच्चो का ये घिनौना तमाशा बड़ी खामोशी से देख देख कर अपने दिल ही दिल में कुढ रही है.

थोड़ी देर एक दूसरे से छेड़ छाड़ करने के बाद सब लोग अपनी अपने कमरों में जा कर सोने के लिए लेट गये.

दूसरे दिन सुबह शाज़िया सो कर उठी. तो उस ने पेशाब करते वक्त अपनी चूत पर लगे पॅड को अच्छी तरह चेक किया.

जब शाज़िया को यकीन हो गया कि उस का पीरियड मुकम्मल तौर पर ख़तम हो चुका था.तो शाज़िया ने सोचा कि उसे अब अपनी अम्मी को इस बारे में बता देना चाहिए.

ये सोच कर शाज़िया रज़ाई बीबी के कमरे में गई. और बिस्तर में लेटी हुई अपनी अम्मी से कहा“अम्मी मेरे पीरियड्स अब ख़तम हो चुके हैं और में आज ही नहा भी लूँगी”.

“अच्छा ठीक है फिर में ज़ाहिद ने बात करती हूँ” अपनी बेटी की बात को समझते हुए रज़िया बीबी ने बहुत धीमी आवाज़ में जवाब दिया.

फिर उसी दिन नाश्ते के बाद रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद से कहा “ज़ाहिद बेटा तुम्हारी बहन आज नहा कर पाक हो जाएगी ,इसीलिए अब तुम लोग जब चाहो अपना निकाह पढ़वा लो”

“हाईईईईईईईईई अम्मी आप कितनी अच्छी हैं” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने रज़िया बीबी को प्यार से कहा.

ज़ाहिद तो कब से इस लम्हे का मुंतीज़ार था. इसीलिए अपनी अम्मी की बात सुन कर उस का दिल खुशी से झूम उठा.

वो दौड़ता हुए शाज़िया के कमरे में पहुँचा.तो उस ने जमशेद और नीलोफर को भी शाज़िया के कमरे में ही माजूद पाया.

ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर को अपनी अम्मी से हुई बात के बारे में आगाह किया.

ज़ाहिद की बात सुन कर जमशेद ने खुशी से अपनी बहन नीलोफर को अपने गले से लगा लिया.

असल में जब से नीलोफर और जमशेद ज़ाहिद के घर में मूव हुए थे.तो उस दिन से ले कर अब तक ज़ाहिद की तरह जमशेद का भी अपनी बहन नीलोफर से “परहेज” ही था.

इस की वजह ये थी कि नीलोफर की भी ये ख्वाहिश थी. कि अब वो अपने भाई को अपनी चूत उस की बीवी बन कर ही देगी .

इसीलिए काफ़ी दिन से अपनी बहन की फुद्दि का मुँह ना देख पाने की वजह से ज़ाहिद की तरह जमशेद के दिमाग़ पर उस के लंड का खुमार चढ़ा हुआ था.

फिर सब के मशवरे से उसी रात 8 बजे निकाह का टाइम फिक्स कर दिया गया.

उन लोगो के पास वक्त बहुत कम था. इसीलिए सब उठ कर इकट्ठे ही शादी की तैयारी में मसरूफ़ हो गये.

सब से पहले ज़ाहिद और जमशेद ने बाज़ार जा कर फूलों की दुकान से बहुत सारे गुलाब के फूल खरीदे.और फिर घर वापिस आ कर ज़ाहिद और जमशेद ने मिल कर ऊपर की मंज़िल पर जमशेद और नीलोफर की सुहाग रात के लिए उन का कमरा सेट किया.

नीलोफर और जमशेद के कमरे को तैयार कर के ज़ाहिद, जमशेद और नीलोफर नीचे आ कर ज़ाहिद के कमरे में चले आए. जब कि शाज़िया किसी काम से अपने कमरे में चली गई.

ज़ाहिर सी बात है कि शादी के बाद दुल्हन “ब्याह” कर हमेशा दूल्हा के घर ही आती है.

इसीलिए ज़ाहिद ने भी अपनी बहन शाज़िया को अपनी दुलहन बना कर अपने कमरे में लेने और अपनी सुहाग रात उसी कमरे में मनाने का सोच रखा था.

इसी लिए ज़ाहिद ने जमशेद के साथ मिल कर पहले अपने पलंग को गुलाब के फुलो की पत्तियों से सजाया. और फिर मोतिया और गुलाब की लाडियाँ अपने बेड के इर्द गिर्द टाँग कर अपनी सुहाग की मसहरी भी बना ली.

जब ज़ाहिद और जमशेद और नीलोफर गुलाब की पत्तियों के साथ शाज़िया और ज़ाहिद के लिए सुहाग की मसेहरी बना रहे थे. तो उसी लम्हे शाज़िया बाहर से ज़ाहिद भाई के कमरे में दाखिल हुई.



उस वक्त ज़ाहिद के कमरे के फर्श पर चारों तरफ गुलाब की पत्तियाँ बिखरी पड़ी थी.जिन की खुसबू ने पूरे कमरे को महका दिया था.

ज़ाहिद के कमरे में दाखिल हो कर शाज़िया ने जब कमरे में बिछे हुए बेड पर नज़र दौड़ाई. तो वो अपने भाई के खूबसूरत से सजे हुए बेड से अपनी नज़रें ही ना हटा सकी.
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08-12-2019, 01:12 PM,
#82
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“उफफफफफफफफफफ्फ़ आज मेरे साथ अपनी सुहाग रात मनाने के लिए मेरे भाई ने किस प्यार और शौक से हमारे “सुहाग सेज” के बिस्तर को सजाया है, हाईईईईईईई बिस्तर की सजावट को देख कर दिल तो करता है, कि अभी अपनी शलवार उतार कर इस बिस्तर पर लेट जाऊ और भाई के लंड से अभी ही चुदवा लूँ” शाज़िया ने इतनी खूबसूरती से सजे अपने बिस्तर को देख कर दिल ही दिल में सोचा.



जब नीलोफर ने शाज़िया को कमरे में आ कर बहुत ही खोए हुए अंदाज में अपने भाई के बिस्तर की तरफ देखते पाया. तो नीलोफर ने मज़ाक में शाज़िया के सर के उपर से गुलाब की पत्तियाँ निच्छावर करते हुए उसे कहा “भाभी जान आप बड़ी बे शरम दुल्हन हैं,जो अपने निकाह से पहले ही अपनी सुहाग रात की महसेरी (बेड) देखने चली आई हैं,लगता है आप को बड़ी आग लगी हुई है”

“बकवास मत करो निलो की बच्ची,अभी तुम खुद अपने हाथ से अपना बिस्तर सेट कर के आई हो, और तंज़ तुम मुझ पर कर रही हो” शाज़िया ने भी मज़ाक में अपनी सहेली की बात का उसी अंदाज़ में जवाब दिया.

दोनो सहेलियों की ये नोक झोंक सुन कर ज़ाहिद और जमशेद भी अपनी बहनों का साथ देते हुए हस पड़े.

फिर दोनो कमरे सजाने के बाद ज़ाहिद और जमशेद बाहर के काम निपटाने चले गये. जब कि नीलोफर और शाज़िया अपने अपने कमरों में जा कर अपनी शादी की तैयारी में मसरूफ़ हो गईं .

इस दौरान रज़िया बीबी उन सब से अलग थलग अपने कमरे में ही मसूर (लॉक) हो कर बैठी रही.और उस ने अपने बच्चो के किसी काम में दखल अंदाज़ी नही की.

अपने कमरे में आ कर शाज़िया ने दरवाज़े को कुण्डी लगाई और अपनी कमीज़ उतार कर अपने कमरे के फर्श पर फैंक दी.

ज्यों ही शाज़िया ने अपनी कमीज़ को उतारा. तो उस की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे के ज़रिए अपने आधे नंगे जिस्म पर पड़ी.

अपनी कमीज़ उतार कर शाज़िया को ना जाने की सूझी. कि वो शीशे के सामने खड़े हो कर अपने बदन का जायज़ा लेने लगी.

शाजिया के मम्मे उस वक्त काले रंग के लो कट ब्रेजियर में कसे हुए थे.और अपने लो कट ब्रेज़ियर में मलबूस अपने आधे नंगे मम्मो को शीशे में से देख कर शाज़िया को खुद पर ही प्यार आने लगा.

थोड़ी देर अपने मम्मो को शीशे में निहारने के बाद शाज़िया ने अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने ब्रेजियर की हुक को खोल दिया. और आयने के करीब हो कर अपने मोटे और भारी मम्मो को ब गौर देखने लगी.

बे शक शाज़िया के मम्मो पर बे पनाह गोश्त होने की वजह से उस के मम्मे अपने ही वज़न से थोड़े नीचे को धलक से गये थे.

मगर 32 साल की होने के बावजूद भी शाज़िया के मोटे मम्मे अभी तक 18 सॅल की जवान किसी लड़की के मम्मो जैसे सख़्त और मज़े दार थे.

शाज़िया ने अपने मम्मो के ब्राउन निपल्स को शीशे में देखते हुए अपने नाडे को खोल कर अपनी शलवार भी उतार दी.

शीशे के सामने अपने आप को मुकलम नंगा कर के शाज़िया ने अपनी गोश्त से भरी हुई रानों का जायज़ा लेना शुरू कर दिया.

इस दौरान अपनी गुदाज रानों को देखते हुए शाज़िया की नज़र जब अपनी फूली हुई फुद्दि पर पड़ी. तो उसे अंदाज़ा हुआ कि पिछले एक हफ्ते से शेव ना करने की वजह से उस की चूत पर हल्की हल्की झान्टे आई हुई हैं.

ज़हिरी बात है आज तो शाज़िया की सुहाग रात थी. और ये वो रात होती है जिस को मनाने का सपना जवानी की दहलीज़ पर अपना पहला कदम रखते ही हर लड़की देखने लगती है.

बे शक शाज़िया इस से पहले भी अपनी कंवारी चूत के साथ एक सुहाग रात मना चुकी थी.

मगर उस वक्त और आज की सुहाग रात में फरक ये था. कि उस वक्त शाज़िया ने एक अजनबी मर्द के साथ अपनी जवानी शेयर की थी.

लेकिन आज की रात जिस मर्द ने शाज़िया की जवानी का रस पीना था. वो कोई आम मर्द नही बल्कि उस का अपना सगा भाई था.

जिस ने शाज़िया के साथ सुहाग रात मनाते हुए उस के गरम बदन को देखना,छूना,चूमना,चाटना और फिर चोदना था.

इसीलिए शाज़िया अपने जवान और प्यासे जिस्म को पूरी तरह से सॉफ और शॅफॉफ कर के उसे इस अंदाज़ में अपने भाई को पेश करना चाहती थी. कि उस के नंगे, जवान और गुदाज जिस्म को देखते ही उस के भाई के होश ही उड़ जाए.

ये ही बात सोच कर गरम होते हुए शाज़िया ने अपनी फूली हुई चूत के लबों पर आहिस्ता से हाथ फेरा. तो उस के हाथ की उंगलियाँ उस की फुद्दि से टपकते पानी से भीग गईं.

“बसस्स्स्स्स्सस्स थोड़ा सा सबर और कर ले बानो, आज तेरी ये दो साला प्यास मेरे सगे भाई के मोटे लंड से बुझने ही वाली है मेरी जान” शाज़िया ने पानी छोड़ती अपनी चूत को बड़े प्यार से समझाते हुए कहा.

फिर शाज़िया ने बाथरूम में जा कर अपनी चूत और अंदर आर्म्स पर हेर रिमूविंग क्रीम लगाई .और अपनी चूत की अच्छी तरह से शेव कर के अपनी फुद्दि को अपने भाई के लिए तैयार कर दिया.
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08-12-2019, 01:12 PM,
#83
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शवर के बाद शाज़िया ज्यों ही बाथरूम से बाहर आई. तो उसे अपने दरवाज़े पर एक दस्तक की आवाज़ सुनाई दी.

“कौन है” शाज़िया ने कमरे के अंदर से पूछा.

“शाज़िया में हूँ दरवाज़ा खोलो” शाज़िया को बाहर से नीलोफर की आवाज़ आई.

शाज़िया ने अपने जिस्म के गिर्द तोलिया बाँध कर दरवाज़ा खोला. तो नीलोफर अपने हाथ में मेहन्दी (हिना) की कोन और एक शॉपिंग बॅग उठाए हुए कमरे के अंदर चली आई.

“ये क्या है निलो” शाज़िया ने मेहन्दी की कोन और बॅग की तरफ इशारा करते नीलोफर से पूछा.

“यार ज़ाहिद ने ये ब्रेजियर और पैंटी तुम्हारे आज रात को पहनने के लिए दी है, और साथ में ये मेहन्दी दे कर मुझे कहा है कि मैं इसे तुम को लगा दूं” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए शाज़िया को जवाब दिया.

“यार ये भाई भी ना” शाज़िया ने अपनी भाई की बढ़ती हुई फर्माहिशों पर थोड़ा नकली गुस्सा करते हुए नीलोफर से कहा.

“समझा करो यार,तुम्हारा भाई तुम्हे एक पूरी तरह सजी सँवरी हुई दुल्हन के रूप में देखना चाहता है बन्नो” नीलोफर ने शाज़िया को छेड़ते हुए कहा.

“अच्छा टाइम कम है इसीलिए जल्दी से लगा दो मेहन्दी” शाज़िया ने दीवार पर लगी घेरी पर नज़र दौड़ाते हुए कहा. जिस पर उस वक्त शाम के 7 बजने वाले थे.


नीलोफर ने एक एक कर के शाज़िया के दोनो हाथो और पैरों पर मेहन्दी लगाई और उस के बाद शाज़िया को बिस्तर पर लेट जाने का कहा.

“मेहदी तो तुम ने लगा दी है,अब बिस्तर पर क्यों लिटा रही हो” शाज़िया ने नीलोफर की बात पर हेरान होते हुए पूछा.

“बताती हूँ पहले लेटो तो सही” नीलोफर ने ज्वाब दिया.

जब शाज़िया कमर के बल बिस्तर पर लेट गई. तो नीलोफर ने शाज़िया के पेट पर उस की “धुनि” (नेवेल) के बिल्कुल नीचे मेहन्दी के साथ “भाई की चूत” के इलफ़ाज़ लिखना शुरू कर दिए.

“ये क्या कर रही हो तुम” शाज़िया ने जब नीलोफर को अपने पेट पर मेहन्दी के साथ कुछ लिखते देखा तो हेरानी से पूछा.

“चुप चाप लेटी रहो अभी” नीलोफर ने शाज़िया को डाँटते हुए कहा. और साथ ही शाज़िया की चूत की तरफ “इशारा” करने के लिए मेहन्दी के साथ “तीर” (आरो) का एक निशान भी बना दिया.

कोन वाली मेहन्दी तो पहले ही थोड़ी खुशक थी. फिर मेहन्दी लगने के फॉरन बाद नीलोफर ने शाज़िया की मेहन्दी को हेर ड्रायर के साथ पूरी तरह से खुश्क कर दिया.

अपने काम से फारिग होने के बाद शाज़िया को उसी हालत में बिस्तर पर लेटा छोड़ कर नीलोफर खुद भी तैयार होने चली गई.

नीलोफर के जाने के बाद शाज़िया ने जल्दी से उठ कर अपने हाथ पाँव नीचे लिए.और फिर गीली तोलिए से अपना पेट सॉफ करने के बाद ,शीशे के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने जब अपने पेट पर अपनी सहेली की हुई “फन कारी” देखी.तो उस की पानी छोड़ती चूत और भी भड़क उठी.

रात के 8 बजने में अब टाइम काफ़ी कम रह गया था. इसीलिए शाज़िया ने जल्दी से अपने पूरे जिस्म और ख़ास तौर पर अपने गुदाज मम्मो और अपनी सॉफ्ट,चिकनी चूत पर एक खुसबूदार लोशन लगाया. तो लोशन की खुश्बू से शाज़िया की ना सिर्फ़ चूत और मम्मे बल्कि उस का पूरा जिस्म महक उठा.

फिर शाज़िया ने नीलोफर के हाथ अपने भाई का भेजा हुआ बॅग खोला. और उस में से सुर्ख रंग की ब्रेज़ियर और पैंटी को निकाल कर पहन लिया.

अपने भाई की खरीदी हुई 40ड्ड साइज़ की सुर्ख ब्रेज़ियर जिस की बॅक साइड में लेस और अड्जस्टबल स्टाप पर गोल्डन चैन लगी थी.ये ब्रेज़ियर शाज़िया के भारी मम्मो पर बिल्कुल फिट आई थी.

उस के बाद शाज़िया ने अपने भाई की उस की सुहाग रात के लिए स्पेशल खरीदी हुई पैंटी पहन ली.

इस पैंटी के फ्रंट में ब्रेज़ियर के साथ की मॅचिंग रेड कलर की लेस और साइड में पतली एलास्टिक के साथ गोल्डन हुक्स बनी हुई थी.

ज़ाहिद की भेजी हुई पैंटी का साइज़ इतना छोटा था. कि आगे से वो शाज़िया की फूली हुई गरम और प्यासी चूत के सिर्फ़ लिप्स को कवर कर रही थी. जब कि पीछे से पैंटी की तनी (स्ट्रॅप्स) शाज़िया की भारी गान्ड की पहाड़ियों में घुस गई थी.

असल में अपनी बहन के लिए खरीदी हुई ज़ाहिद की ये वेड्डिंग पैंटी कम और तोंग ज़्यादा थी.

शाज़िया ने आज जिंदगी में पहली बार इस किसम का ब्रेजियर और पैंटी ज़बे तन की थी.



जिस में से उस के भारी मम्मे,फूली हुई जवान चूत और गुदाज मोटी गान्ड की बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ

“सॉफ छुपते भी नही,
सामने आते भी नही”

का दिलकश मंज़र पेश कर रही थी.

इस के बाद शाज़िया ने अपना खरीदा हुआ सुर्ख रंग का लहनगा पहना कर मेक अप किया.और आख़िर में अपनी शादी के जेवरात (ज्वेलरी) पहन कर पूरी तरह से एक दुलहन बन गई.

अच्छी तरह से तैयार होने के बाद शाज़िया ने शीशे के सामने खड़े हो कर अपने आप को देखा. तो शीशे में अपने रूप को देख कर शाज़िया को खुद पर ही प्यार आने लगा.

शाज़िया अभी मिरर के सामने ही खड़ी हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लेने में मसरूफ़ थी. कि इतने में नीलोफर शाज़िया के कमरे में दुबारा चली आई.
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08-12-2019, 01:12 PM,
#84
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
नीलोफर ने जब अपनी सहेली को लहंगे में मलबूस हो कर फुल मेक अप और ज्वेलरी के साथ दुल्हन बने देखा. तो अपनी सहेली के जवान जिस्म का ये नज़ारा देख कर नीलोफर ने शाज़िया के पीछे आ कर अपनी बाहों के घेरे में भरते हुए कहा “ यार आज तो तुम्हारा ये रूप तुम्हारे भाई के लिए वियाग्रा का काम करे गा यारो”

“अच्छा अब ज़्यादा मसके मत लगाओ और तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ नीलोफर” शाज़िया ने नीलोफर की बात पर मुस्कराते हुए उसे कहा.

“यार में तैयार ना भी हुई तो क्या फरक पड़ता है, क्यों कि मेने तो आज भी वो ही लंड लेना है जो लंड एक साल पहले से में ले रही हूँ, असल शादी और सुहाग रात तो तुम्हारी है, जिसे आज एक नया लंड नसीब होना है,और वो भी अपने ही सगे भाई का मेरी जान” नीलोफर ने जाते जाते शाज़िया को फिर छेड़ा.और शाज़िया अपनी सहेली की बात सुन कर ज़ोर से हँसने लगी.

नीलोफर के जाने के बाद शाज़िया अपने बिस्तर पर बैठी अपनी शादी के जुते (सॅंडेल्ज़) पहन रही थी.



कि इतने में शाज़िया की अम्मी उस के कमरे में दाखिल हुई.

रज़िया बीबी की नज़र ज्यों ही शाज़िया पर पड़ी. तो नीलोफर की तरह रज़िया बीबी भी दुल्हन बन कर बैठी हुई अपनी बेटी शाज़िया के चढ़ते रूप को देख कर हेरान रह गई.

रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया. कि उस की दुल्हन बनी बेटी शाज़िया तो आज अपनी पहली और असल शादी वाले दिन से भी ज़्यादा खूबसूरत और प्यारी लग रही है.

रज़िया बीबी ने आज अपनी बेटी के चेहरे पर खुशी की वो लहर देखी थी. जिस को देखने के लिए रज़िया बीबी दो साल से तरस रही थी.

अपनी बेटी के खुशी से देहकते चेहरे को देख कर रज़िया बीबी समझ गई. कि उस की बेटी शाज़िया एक जाली निकाह के ज़रिए अपने ही भाई की बीवी बनेगी और अपने भाई को अपने शोहार के रूप में क़बूल करने पर पूरी तरह आमादा नज़र आ रही है.

अपनी बेटी को अपने ही भाई के लिए यूँ सज संवर कर तैयार हुआ देख कर रज़िया बीबी का दिल भी अपने बच्चो के प्यार में पिघल गया. और वो सोचने लगी कि उसे भी अब अपने बच्चो के लिए अपने दिल में छुपी नफ़रत को निकाल कर अपने बेटा और बेटी के इस गंदे अमल को कबूल कर लेना चाहिए.

ये ख्याल आते ही और थोड़ी देर यूँ ही अपनी बेटी को दरवाज़े पर खड़े हो कर देखने के बाद रज़िया बी आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई अपनी बेटी के पास आई और धीमी आवाज़ में बोली “चलो बेटी निकाह के लिए मोलवी साब इंतिज़ार कर रहे हैं”

शाज़िया ने अपनी नज़रें उठा कर अपनी अम्मी की तरफ देखा .तो उसे उस की अम्मी उसी सूट में मलबूस नज़र आईं. जो शलवार कमीज़ सूट रज़िया बीबी ने शाज़िया की पहली शादी पर पहना था.

अपनी अम्मी को पहली बार अपने इस सारे मामले में शरीक होता देख कर शाज़िया को बहुत अच्छा लगा.

असल में रज़िया बीबी को पता था.कि आज ज़ाहिद के कुछ करीबी दोस्त भी निकाह की रसम में ज़रूर शामिल होंगे . इसी लिए ना चाहते हुए भी रज़िया बीबी शादी वाले कपड़े पहन कर तैयार हो गई थी. ता कि निकाह में शरीक लोग बातें ना बना सकें.

रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया को साथ ले कर टीवी लाउन्ज में चली आई. जिधर नीलोफर दुल्हन बनी ज़ाहिद के साथ बैठी शाज़िया का इंतिज़ार कर रही थी.

अपनी बहन शाज़िया को यूँ उस के लिए साज धज कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी के साथ आते देख कर ज़ाहिद का लंड अपनी बहन की फुद्दि के लिए फुल खड़ा हो कर अपनी दुल्हन बनी बहन को अपने लंड की सलामी देने लगा.

रज़िया बीबी ने शाज़िया को ला कर जमशेद के पहलू में बिठा दिया. तो मोलवी साब ने एक एक कर के जमशेद का निकाह शाज़िया और ज़ाहिद का निकाह नीलोफर से पढ़वा दिया.

निकाह के दौरान जब मोलवी साब ने ज़ाहिद ने पूछा “ज़ाहिद क्या तुम को नीलोफर अपने निकाह में कबूल है”.

तो उस वक्त ज़ाहिद ने नीलोफर की जगह शाज़िया का नाम ज़हन में रखते हुए दिल ही दिल में अपनी बेहन शाज़िया को अपनी बीवी कबूल कर लिया.

इसी तरह शाज़िया ने भी जमशेद की जगह ज़ाहिद का ख्याल अपने दिल में रखते हुए मोलवी साब के आगे “हां” में अपना सर हिला दिया.

निकाह के बाद सब लोगो ने ज़ाहिद और जमशेद के साथ साथ रज़िया बीबी को भी उन के बच्चो की शादी की मुबादक दी. और फिर हर रवायती शादी की तरह दुल्हो और दुल्हनो के एक साथ और फिर अलग अलग मेहमानो के साथ फोटो सेशन शुरू हो गया.



मेहमानो के सामने जमशेद के साथ उस की दुल्हन के रूप में बैठी हुई अपनी बहन शाज़िया को देख देख कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में मचल रहा था.उस का दिल चाह रहा था कि किसी तरह वो अपनी बहन के नज़दीक हो सके.

जब सब लोगो के सामने ज़ाहिद को अपनी बहन के करीब होने का कोई और बहाना ना सूझा.तो वो शाज़िया की कुर्सी के पीछे खड़े हो कर अपनी फोटो बनवाते हुए जमशेद के पास गया. और जमशेद को अपनी जगह से हटा कर खुद कुर्सी पर बैठी अपनी बहन के पीछे खड़ा हुआ. और उस ने फोटो ग्राफर से कह कर दुल्हन के लिबास मलबोस में अपनी बहन शाज़िया के साथ में अपनी भी तस्वीरे खिचवा लीं.

फोटो सेशन से फारिग होने के बाद रज़िया बीबी ने पहले नीलोफर को उस के कमरे में छोड़ा. और फिर अपनी बेटी शाज़िया को साथ ले कर अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे में चली आई.

ज़ाहिद के कमरे में दाखिल होते ही सुहाग के बिस्तर की सजावट देख कर शाज़िया की तरह उस की अम्मी रज़िया बीबी भी हेरान रह गई.

“हाईईईईई मेरे बेटे ने अपनी दुल्हन बहन के लिए अपने कमरे को कितने प्यार से सजाया है” कमरे की सजावट देख कर बे इकतियार रज़िया बीबी के दिल में ये बात आई.

रज़िया बीबी के वहमो गुमान में भी ये बात नही आई थी.कि उस का सगा बेटा अपनी ही सग़ी बहन के साथ अपनी सुहाग रात मनाने के लिए अपने कमरे और बिस्तर को फूलो की पत्तियों से इस तरह भर देगा . कि उस की अपनी अम्मी भी ये तैयारी देख कर अपने बेटे की चोइस की दाद दिया बगैर नही रह सके गी.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#85
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
उधर जब ज़ाहिद और जमशेद ने अपने दोस्तों और मोहल्ले दारों को खाना खिला कर फारिग किया.तो उस वक्त रात के 10 बज चुके थे.



उस वक्त तक नीलोफर ऊपर वाले कमरे में जब कि शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के कमरे में सुहाग की सेज पर बैठ कर अपने अपने दूल्हा भाइयों का इंतिज़ार कर रही थी.

मेहमानो को रुखसत कर के जमशेद अपनी बहन के साथ अपनी सुहाग रात मनाने ऊपर चला गया.जब कि शेरवानी में मलबूस ज़ाहिद तेज़ी से अपने कमरे की तरफ लपका.

ज़ाहिद ज्यों ही अपने कमरे के दरवाज़े के करीब पहुँचा. तो उस ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी को अपने कमरे से बाहर निकलते हुए देखा.

अपनी अम्मी को अपने सजे हुए कमरे से बाहर आता देख कर ज़ाहिद को पहली बार अपनी अम्मी से झिझक और शरम महसूस हुई. और उस के अपने कमरे की तरफ बढ़ते कदम रुक से गये.

जब रज़िया बीबी ने अपने बेटे को तेज़ी से अपने कमरे की तरफ आता देखा.तो वो समझ गई कि उस का बेटा उस अपनी बहन की जवानी का रस पीने के लिए बे ताब हो रहा है. मगर वो अपनी अम्मी को यूँ अचानक सामने देख कर बोखला सा गया है.

अपने बेटे की अपनी बहन के लिए ये बे ताबी देख कर रज़िया बीबी ने ज़ाहिद को मज़ीद इंतिज़ार की ज़हमत देना मुनासिब ना समझा.

इसीलिए रज़िया बीबी ने ज़ाहिद के सामने से हटते हुए अपने बेटे को कमरे में जाने का इशारा किया.

ज़ाहिद शरमाते हुए ज्यों ही अपनी अम्मी के पास से गुज़र कर अपने कमरे के दरवाज़े पर पहुँचा. तो उसे अपनी अम्मी की हल्की सी सरगोशी अपने कानों में सुनाई दी “ज़ाहिद बेटा ये ख्याल रखना कि सुबह वालिमा जायज़ होना चाहिए ”.

(मुझे यकीन हैं कि आप में से ज़्यादा तर दोस्त “वालिमा जायज़ होने” की इस टर्म का मतलब अच्छी तरह जानते होंगे .मगर जो दोस्त इस बात को नही समझते तो उन के लिए अर्ज़ है. कि पाकिस्तान में आम तौर पर लोगों का ये विस्वास है. कि शादी को पहली रात ही को लड़का और लड़की का आपस में जिन्सी मिलाप हर सूरत मे होना चाहिए.ता कि नेक्स्ट डे दूल्हा की तरफ से दी गई खाने की दावत को जायज़ और बरकत वाला समझा जाए,)

(रज़िया बीबी अपने बेटे को “वालिमा जायज़ होना चाहिए” का कह कर,दूसरे लफ़ज़ो में अपने बेटे ज़ाहिद को अपनी ही बेटी शाज़िया के साथ आज ही की रात चुदाई करने की तलकीन कर रही थी)

अपनी अम्मी की ये बात सुन कर कमरे में जाते ज़ाहिद के कदम रुक गये .और उस ने तेज़ी से पलटते हुए अपनी अम्मी की तरफ देखा.

तो रज़िया बीबी ने मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ अपने बेटे ज़ाहिद को कहा “मेरा मुँह क्या देख रहे हो, जाओ मेरी बेटी शाज़िया तुम्हारे इंतिज़ार में पागल हो रही है बेटा”

“अंधे को क्या चाहिए दो आँखें” की तरह अपनी अम्मी की इजाज़त पाते ही ज़ाहिद ने अपने कमरे की कुण्डी लगाई.और सुहाग की सेज पर बैठी अपनी दुल्हन बहन की तरफ बढ़ता चला गया

दरवाज़े की कुण्डी लगा कर ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ अपने बेड के करीब आया.

उस वक्त ज़ाहिद का कमरा उस के बेड की चादर पर बिखरे हुए फूलो और बिस्तर के इरद गिर्द लटकी हुई गुलाब और मोतिए की लड़ियों की खुश्बू से पूरी तरह महक रहा था.

ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया “अपने ब्रदर की दुल्हन” के रूप में अपना घूँघट निकले मसहरी पर बैठी हुई उस का इंतिज़ार कर रही है.

ज़ाहिद ने सुर्ख लहंगे में मलबूस अपनी बहन के जवान और बाहरी जिस्म का जायज़ा लेते हुए अपना कूला (पगड़ी) और शेरवानी उतार कर बिस्तर के पास पड़ी टेबल पर रखी. और फिर आहिस्ता से अपनी बहन के साथ ही बिस्तर पर बैठ गया.

वैसे तो आज इतना सज संवर कर अपने ही भाई की दुल्हन बनी शाज़िया बहुत बे करारी से अपने भाई ज़ाहिद का कमरे में आने और उस के साथ “मिलाप” करने की मुंतीज़ार थी.

मगर अब रात की तनहाई में अपने भाई को अपने साथ बैठा हुआ महसूस कर के ना जाने क्यों शरम के मारे शाज़िया के जिस्म से पसीने छूटने लगे थे.

जब के दूसरी तरफ ज़ाहिद का हाल भी बिल्कुल अपनी बहन शाज़िया जैसा ही था.

इस बात के बावजूद के औरतों के मामले में ज़ाहिद एक मंझा हुआ खिलाड़ी था.

जो आज से पहले तक नीलोफर समेत ना जाने कितनी ही औरतों से हम बिस्तरी कर चुका था.

लेकिन आज अपनी ही बहन के साथ अपनी सुहाग रात मनाने के इरादे से शाज़िया के नज़दीक आते ही ज़ाहिद को भी ना जाने क्यों एक अजीब किस्म की घबड़ाहट शुरू हो गई थी.

असल में आज इन दोनो बहन भाई की इस घबड़ाहट की वजह शायद ये रही होगी. कि दोनो के जिस्मो में जवानी की “आग” चाहिए जितनी भी शिद्दत से जल रही हो.

मगर इस के बावजूद अपने ही खूनी रिश्ते के साथ अपने जिस्मानी ताल्लुक को कायम करने और अपनी जिन्सी सोच को अमली जामा पहनाने की खातिर पहला कदम उठाना आज उन दोनो के लिए बहुत मोहल हो रहा था.

ज़ाहिद और शाज़िया को अब ये समझ आ रही थी. कि रात की तन्हाई में अपनी बहन या भाई के मुतलक सोच कर अपने लंड की मूठ लगाना या अपनी चूत में उंगली मारना एक बात है.

लेकिन हक़ीकत में अपनी ही बहन या भाई से चुदाई करना एक दूसरी बात होती है.

शायद मिर्ज़ा ग़ालिब ने ये शेर इस मोके के लिए फ़रमाया था कि,

“ये इश्क की मंज़िल आसान नही ग़ालिब
गान्ड फट जाती है जुल्मत सहते सहते”.

बिल्कुल इसी तरह अब दोनो बहन भाई के एक दूसरे से कुछ इंच के फ़ासले पेर बैठे होने के बावजूद. ज़ाहिद और शाज़िया दोनो की आगे बढ़ कर पहल करने और अपने आज तक सोचे हुए ख्यालात को अमली जमा पहनाने में उन दोनो की गान्ड फॅट रही थी.

कमरे में इतनी खामोशी थी.कि दोनो बहन भाई की तेज तेज और घबराई हुई साँसों की आवाज़ भी उन दोनो को सॉफ साफ सुनाई दे रही थी.

ज़ाहिद जानता था कि चाहे कुछ भी हो. अपने मुश्राकी माहौल के मुताबिक एक मर्द होते हुए पहल तो हर सूरत में अब उसे ही करनी है.

इसी दौरान बिस्तर पर बैठ कर अपनी बहन के गुदाज और भरे हुए मस्त बदन का जायज़ा लेते लेते ज़ाहिद को ये फिल्मी गाना याद आ गया कि,

“रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना
भूल कहीं हम से ना हो जाए”

इस गाने के बोलों को ज़ाहिद ने अब अपनी बहन के मस्ताने रूप में खोते हुए अपनी ही बहन के साथ “भूल” करने की ठान ली थी.और फिर अपनी शलवार में खड़े हुए लंड के इसरार पर ज़ाहिद ने आहिस्ता से अपना हाथ आगे बढ़ाया. और फिर अपने काँपते हाथो से अपनी बहन शाज़िया के चेहरे पर पड़े हुए उस के घूँघट को उठा दिया.

शाज़िया का घूँघट उठाने के बाद ज़ाहिद ने अपनी बहन की ठोडी (चिन) के नीचे अपना एक हाथ रख कर अपनी बहन की झुकी हुई ठोडी को उपर की तरफ किया.और शाज़िया के चेहरे की तरफ देखते हुए बोला “शादी मुबादक हो मेरी जान”.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#86
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया ने जब अपने भाई को अपना घूँघट उठा कर देखा. तो उस ने एक रवायती दुल्हन की तरह शरमाते हुए अपनी आँखे बंद कर लीं. और अपना मुँह अपने मेहन्दी भरे हाथों से ढक लिया.

“चश्में बद्दूर ,शाज़िया आज मेरी दुल्हन बन कर तुम तो पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही हो मेरी बहन” ज़ाहिद ने जब अपनी बहन को शरम से अपनी आँखे बंद करते देखा. तो उसे अपनी बहन का उस से यूँ शरमाना बहुत अच्छा लगा.

ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन के हाथों को उस के चेहरे हटाया. और अपनी बहन के मेक अप से फुल चेहरे पर अपनी नज़रें जमाते हुए अपनी बहन के हुष्ण की तारीफ की.

अपनी भाई के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर शाज़िया की पहले से गरम चूत में लगी आग और बढ़ गई. और उस ने भी जज़्बात में आते हुए अपनी आँखे खोल कर अपने भाई की तरफ देखा.

अपनी बहन का यूँ आँखे खोल कर उसे देखना ज़ाहिद के दिल में तीर से चला गया.

ज़ाहिद शाज़िया के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए बड़े प्यार से बोला “शाज़िया तुम को मालूम है कि सुहाग रात में “मुँह दिखाई” की रसम की जाती है, और इस रसम को पूरा करने की खातिर मैं तुम्हारे लिए दो तोहफे लाया हूँ, मुझे उम्मीद है मेरे दिए हुए ये तोहफे तुम को पसन्द आएँगे मेरी जान”

ये कह कर ज़ाहिद ने अपनी कमीज़ की पॉकेट से ज्वेलर से खरीदी गई चूड़ियाँ निकालीं.और बहुत प्यार से एक एक कर उन चूड़ियों को अपनी बहन की कलाई मे चढ़ा दिया.



सारी चूड़ियाँ चढ़ाने के बाद ज़ाहिद ने अपने हाथ में पकड़े हुए शाज़िया के हाथ को शाज़िया की आँखों के सामने किया और बोला “अच्छा ज़ेरा देख कर बताओ कि मेरी जान को मेरा दिया हुआ “मुँह दिखाई” का ये तोहफा कैसा लगा है”

शाज़िया अपने भाई के हाथ से अपनी कलाई छुड़ा कर भाई की पहनाई हुई चूड़ियों का जायज़ा लेने लगी. तो बे इख्तियारी में शाज़िया की कलाई हिलने की वजह से चूड़ियों की “छुन छुन” की गूँज पूरे कमरे में फैल गई.

अमिताभ बच्चन ने अपनी एक मूवी का ये गाना शायद इसी मोके के लिए पिक्चराइज़ करवाया था कि

“चूड़ियाँ खन्की खनकाने वाले आ गये”

(ज़ाहिद आज अपनी ही बहन की चूड़ियाँ खनकाने के लिए ही अपनी बहन शाज़िया के बिस्तर पर मौजूद था).

अपनी बहन को चूड़ियाँ पहना कर ज़ाहिद ने एसज़ेड (शाज़िया ज़ाहिद) के नाम वाला लॉकेट भी अपनी कमीज़ की पॉकेट से निकाला. और अपनी बहन के गले में पड़े हुए लहंगे के दुपट्टे को खिसका कर ज़ाहिद ने अपना प्यार भरा ये नेकलेस भी अपनी बहन शाज़िया की गर्दन में पहना दिया.

दुल्हन बनी शाज़िया ने तो उस वक्त पहले ही काफ़ी सारा ज़ेवर पहना हुआ था. मगर इस के बावजूद शाज़िया अपने भाई के दिए हुए ये तोहफे पहन कर बहुत खुश हुई.

खास तौर पर एसजेड (शाज़िया ज़ाहिद) के हरफो वाला लॉकेट पहन कर शाज़िया की खुशी की इंतहा ही ना रही.क्यों कि अपने नाम का लॉकेट तो शाज़िया को उस के असली सबका शोहर ने भी नही दिया था.

(जिस तरह नई कार खदीदने के बाद अक्सर लोग कार पर अपनी पसंद की नंबर प्लेट लगवाते हैं. इसी तरह अपने भाई के हाथों ये लॉकेट अपनी गर्दन में पहनवा कर शाज़िया को यूँ लगा. जैसे ज़ाहिद ने अब उस के जिस्म पर अपने नाम की नेम प्लेट लगा दी हो)

शाज़िया अपने भाई की उस से चाहत का इज़हार देख कर खुद भी अपने भाई के प्यार में खोई जा रही थी.

फिर अपनी बहन शाज़िया को सुहाग की रात में मुँह दिखाई के तोहफे दे कर ज़ाहिद ने दुबारा से शाज़िया के हाथ को अपने हाथ में था .और दहमे लहजे में बड़े प्यार से अपनी बहन से मुक़तब हुआ, “शाज़िया तुम ने मेरी बीवी बन के मेरे साथ अपनी जिंदगी गुजारने का ये जो फ़ैसला किया है. मैं इस के लिए तुम्हारा . दिल से शूकर गुज़ार हूँ मेरी बहन”.

अपने भाई के ये प्यार भरे अल्फ़ाज़ सुन कर शाज़िया के दिल में भी छुपी हुई उस के भाई की मोहब्बत ने जोश मारा. और उस ने भी उसी तरह प्यार भरे अंदाज़ में अपने भाई की बात का जवाब दिया “ भाई मुझे बहुत खुशी है, कि आप ने मुझे अपने दिल में एक बीवी का रुतबा दिया है,और में पूरी कोशिश करूँगी कि आप के लिए एक अच्छी बीवी साबित हो सकूँ”.

अपनी बहन शाज़िया के मुँह से ये इलफ़ाज़ सुन कर ज़ाहिद के सबर का पैमाना अब लबरेज हो गया.

ज़ाहिद अपनी जूतियाँ (शूस) उतार कर बेड पर चढ़ गया.और अपनी बहन के मज़ीद नज़दीक होते हुए

ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया के भारी जिस्म को अपने बाहों में भर कर अपने जिस्म के साथ लगाया.

ज़ाहिद का इस तरह अपनी बहन को अपनी छाती से लगाने की वजह से ऊपर शाज़िया के मोटे मम्मे ज़ाहिद की सख़्त जवान छाती से चिपक गये.

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड भी लहंगे के ऊपर से उस की बहन की गरम प्यासी फुद्दि पर आ कर टिक गया.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#87
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
अपने भाई के सख़्त और गरम लंड को अपनी चूत से छूता हुआ महसूस कर के शाज़िया के पहले से गरम बदन में एक झुरझुरी सी फैल गई.और अपने भाई की बाहों में आते ही शाज़िया समझ गई. कि उस का भाई उस के साथ भी मियाँ बीवी के दरमियाँ खेला जाने वाला सुहाग रात का असल खेल शुरू करने ही वाला है.

ये बात सोच कर शाज़िया का जिस्म ना जाने क्यों खुद ब खुद ही सख़्त हो कर काँपने लगा.और उस को यूँ लगा कि उस के हाथ पावं जैसे फूल रहे हों.

वैसे तो अपनी तलाक़ के बाद से अब तक शाज़िया अपनी जवानी के दिन और राते अपनी उंगलियों पर गिन गिन (काउंट) कर इस उम्मीद पर गुज़ार रही थी. कि उस की जिंदगी में कब वो वक्त आएगा जब कोई जवान लंड उस की गरम फुद्दि में दुबारा से जा कर उस की चूत को जिन्सी सकून बखसेगा.

मगर आज जब वो घड़ी (टाइम) आन पहुँची थी. जब उस के अपने भाई का बहुत मोटा, ताज़ा और सख़्त लंड उस की चूत के दरवाज़े पर खड़े हो कर शाज़िया से उस की फुद्दि के अंदर आने की इजाज़त तलब करने लगा था.

तो इस वक्त अपनी पानी छोड़ती चूत को नज़र अंदाज़ करते हुए शाज़िया का दिल चाहने लगा. कि अगर हो सके तो वो किसी ना किसी तरह अपने भाई को उस के साथ अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने से एक दो दिन मज़ीद रोक ले.

इस की वजह शायद ये थी. कि अपने गरम वजूद और बे चैन होती चूत की तलब पूरी करने की ख्वाहिश के बावजूद शाज़िया का दिल अब भी अपने ही भाई से चुदवाने से शरमा रहा था.

असल में शाज़िया की ये शरम बिल्कुल एक कुदरती अमल था. जिस पर चाहते हुए भी शाज़िया काबू नही पा सक रही थी.

इसीलिए शाज़िया ने झिझकते हुए अपने भाई ज़ाहिद से कहा,“भाई अगर आप बुरा ना माने तो मुझे एक आध दिन मज़ीद दे दो”.

“मगर क्यों” ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात को समझते हुए हैरत से पूछा.

“वो असल में आज हम दोनो में इतना कुछ होने के बावजूद ना जाने क्यों अब इस से आगे बढ़ने में मुझे एक अजीब किसम की घबड़ाहट हो रही है” शाज़िया ने अपने भाई के सवाल का जवाब देते हुए कहा.

ज़ाहिद ने भी अपनी बाहों में जकड़े हुए अपनी बहन के जिस्म में आती तब्दीली को महसूस कर लिया था. मगर उस का लंड अब अपनी बहन की चूत से मज़ीद दूरी बर्दास्त करने के मूड में हरगिज़ नही था.

इसीलिए उस ने अपनी बहन के बदन के गिर्द अपनी बाहों का घेरा मज़ीद तंग करते हुए कहा, “तुम को कुछ दिन मज़ीद देने में मुझे कोई मसला नही,मगर में अम्मी के हुकम का क्या करूँ मेरी जान”.

“अम्मी का हुकम,कैसा हुकम भाई” शाज़िया ने अपने भाई की बात पर हेरान होते हुए उस से पूछा.

“असल में अभी अभी तुम्हारे पास कमरे में आते वक्त ही अम्मी ने मुझे कहा था, कि बेटा ख्याल रखना कि कल का “वालिमा हलाल होना चाहिए” ज़ाहिद ने अपने होंठ अपने बहन के गाल पर चिस्पान करते हुए उसे जवाब दिया.

“किय्ाआआआआआआआअ” अपने भाई के मुँह से ये बात सुन कर शाज़िया तो मज़ीद हेरान हो गई.

“हां शाज़िया ये सच है, और तुम तो जानती हो कि अम्मी ने मेरी बात को मानते हुए मुझे तुम से शादी की इजाज़त दी है,इसीलिए अब उन की कही हुई बात को पूरा करना भी मुझ पर भी तो लाज़िम है ना” ज़ाहिद ने अपनी बहन के गुदाज और नरम गालों पर अपनी गरम ज़ुबान फेरते हुए कहा.

अपने भाई के मुँह से अपनी अम्मी की ये ख्वाहिस “ कि आज की रात उन का अपना सगा बेटा, उन की अपनी सग़ी बेटी की फुद्दि में अपना लंड डाल कर उसे ज़रूर चोदे ,ताकि सुबह होने वाला शादी का वालिमा हलाल हो” सुन कर शाज़िया की चूत से पानी का एक फव्वारा सा निकला. जो उस के छोटे और बडीक से तोंग में सी निकल कर शाज़िया की मोटी गुदाज रानो पर से फिसलने लगा.

अपनी अम्मी रज़िया बीबी की इस फरमाइश सुन कर तो शाजिया की रही सही सारी शरम और झिझक भी ख़तम हो गई.और उस ने भी जोश में आते हुए अपनी बाहें अपने भाई के गले में डाल दीं.

शाज़िया के जवान जिस्म से उठती हुई उस की प्यासी जवानी की खुसबू के साथ साथ परफ्यूम और मेहन्दी की खुसबू के मिलाप ने शाज़िया के बदन को और भी महका दिया था.

शाज़िया के गरम बदन से आती हुई ये मधुर खुसबू जब ज़ाहिद की नाक के ज़रिए उस के दिमाग़ में पहुँची. तो अपनी बहन की मचलती जवानी की ये खुसबू ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के लिए और भी बे चैन करने लगी.

ज़ाहिद ने अपनी बहन के चेहरे को अपने हाथों में थामा. और शाज़िया की नाक में पहनी हुई उस की नथ को अपने हाथ से हटाते हुए ज़ाहिद ने आहिस्ता से अपना मुँह आगे बढ़ा कर अपने होन्ट अपनी बहन के प्यासे होंठो पर रख दिए.

अपनी भाई के होंठो को अपने गरम होंठो पर पा कर शाज़िया के जवान जिस्म में एक अजीब सी हल चल मच गई.

इस से पहले भी एक दो दफ़ा ज़ाहिद ने ज़बरदस्ती शाज़िया के होंठो को अपने होंठो से चूमा था.मगर उस वक्त शाज़िया को अपने भाई की ये हरकत बहुत नागवार लगी थी.

लेकन आज अपने भाई के होंठो को अपने होंठो पर महसूस कर के शाज़िया को ऐसा लगा जैसे किसी ने उस की चूत में आग लगा दी हो.

ज़ाहिद ने अपनी बहन के गुदाज होंठो को अपने होंठो में ले कर चूसना शुरू तो किया. मगर शाज़िया की नाक में पहनी हुई उस की नथ की वजह से ज़ाहिद को अपने बहन के प्यारे होंठो के रस को सही तरह से पीने में दिक्कत हो रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपने होंठो को अपनी बहन के होंठो से अलग किया. और फिर बहुत आहिस्ता और प्यार से उस ने शाज़िया की नाक में पहनी हुई अपनी बहन की नथ को उतार दिया.

“उफफफफफफफफफ्फ़ शाज़िया आज की ये रात मेरी जिंदगी की एक यादगार रात रहे गी,क्यों कि आज की रात में अपनी ही बहन की नथ को उतार रहा हूँ मेरी जान” ज़ाहिद ने ये कहते हुए अपनी बहन शाज़िया के होंठो पर अपने होंठ दुबारा से चिस्पान कर दिए.

शाज़िया कोई बच्ची नही थी बल्कि अब एक तलाक़ याफ़्ता मेच्यूर औरत हो चुकी थी. इसीलिए अपने भाई ज़ाहिद की तरह शाज़िया भी ये बात अच्छी तरह से जानती थी. कि नथ उतराई का असल मतलब क्या होता है.

इसीलिए अपने भाई के मुँह से अपनी ही बहन की नथ उतारने की बात सुन कर शाज़िया भी बे काबू हो गई. और उस ने भी इस इंडियन गाने,

“ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तन बदन, में प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में”

की तरह गरम होते हुए और अपनी शर्म-ओ- हया को भुलाते हुए अपने भाई के जिस्म के गिर्द अपनी बाहों को लिपटा कर अपने होंठ अपने भाई के होंठो के इस्तकबाल करने के लिए खोल दिए.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#88
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज़ाहिद को तो बस इस लम्हे का ही इंतिज़ार था. ज़ाहिद को अपनी बहन की खुद सुपुर्दगी का ये अंदाज़ बहुत भाया. और उस ने जोश में आते हुए एक दम से अपनी बहन शाज़िया के होंठो, गाल और गर्दन पर अपने होंठो की चुम्मियों की जैसे बरसात सी कर दी.

“हाईईईईईईईईईईईई शाज़िया मेरी बहन मेरी बीवी,मेरी बहन, तुम्हारे होंठ बहुत ही नरम और मज़े दार हैं” ज़ाहिद ने अपने होंठो को अपनी बहन के मक्खन की तरह नरम होंठो पर रगड़ते हुए कहा.

शाज़िया इस से पहले अपने सबका शोहार और फिर अपनी सहेली नीलोफर से किस्सिंग का स्वाद चख चुकी थी.

मगर फिर भी अपने तलाक़ के बाद किसी भी मर्द के साथ आज वो पहली दफ़ा किस्सिंग कर रही थी.और आज उस के जवान प्यासे होंठो का रस चाटने वाला कोई और नही बल्कि उस का अपना सगा बड़ा भाई था.

इसीलिए आज अपने ही भाई के होंठो के साथ अपने होन्ट और अपने भाई की ज़ुबान के साथ अपनी ज़ुबान लहराने में शाज़िया को एक अलग किसम की खुशी और मज़ा नसीब हो रहा था.

और ये वो मज़ा था जिस का शाज़िया ने अपने सबका शोहर से हासिल करने का कभी तवस्सुर भी नही किया था.

दूसरी तरफ ज़ाहिद आज अपनी बहन के होंठो को ऐसे चूस रहा था. जैसे आज के बाद अपनी बहन के ये हसीन, गरम और जुवैसी लब उसे कभी नसीब नही होंगे .

दोनो बहन भाई के दरमियाँ किस्सिंग और चूमा चाटी का ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया था.

ज़ाहिद के लब और ज़ुबान अपनी बहन के मीठे होंठो और नरम ज़ुबान से अपनी जंग लड़ रहे थे. कि इस दौरान ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया के होंठो को चूमते हुए ज़ाहिद ने पहले शाज़िया के गले से उस का दुपट्टा उतार कर बिस्तर पर रख दिया. और फिर एक एक कर के अपनी बहन शाज़िया के कानो की बालियां, माथे का झूमर और गले में पहना हुआ सोने का हार उतार कर अपनी बहन के नाज़ुक जिसम को भारी जेवरात के बोझ से आज़ादी दिला दी.

अपनी बहन का सारा ज़ेवर उतारने के बाद ज़ाहिद ने अपने हाथ को आगे बढ़ा कर उसे अपनी बहन की छाती पर आहिस्ता से रखा. और बड़े आराम और सकून के साथ अपनी बहन की जवान,भरी और नरम छाती को अपनी गिरफ़्त में लेने की कोशिश करने लगा.

मगर शाज़िया का मम्मा इतना बड़ा था कि ज़ाहिद के हाथ अपनी बहन के मम्मे से फिसलने लगे.

शाज़िया के मम्मे बड़े और मोटे होने की वजह से उस के भाई के हाथ में नही समा पा रहे थे.

अपनी बहन के भारी मम्मे पर अपने हाथ रखते ही ज़ाहिद को ऐसे महसूस हुआ. जैसे उस ने किसी बड़े गुब्बारे (बलून) को अपने हाथ में पकड़ लिया हो.

अपनी बहन के मम्मे पर हाथ रखते हुए ज़ाहिद ने शाज़िया की आँखों में आँखे डालीं. और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के भारी मम्मे को अपने हाथ से दबाने और सहलाने लगा.

“ओह क्या मस्त और जवान मम्मे हैं मेरी बहन के” ज़ाहिद ने शाज़िया की छाती को अपनी हथेली में ले कर मसल्ते हुए कहा.

भीला शुबह शाज़िया कोई कंवारी लड़की तो थी नही. इस से पहले भी कई दफ़ा उस के सबका शोहर और उस की सहेली नीलोफर ने उस के बड़े और मोटे मम्मो को अपने हाथों में ले कर इसी तरह मसला और दबाया हुआ था.

मगर आज उस के अपने सगे भाई के हाथ पहली बार उस के जिस्म की इन उँचाइयो को छू रहे थे.

शाज़िया एक बहन होने के साथ साथ एक औरत भी थी.जिस के लिए अपने ही भाई से अपनी चुचियाँ मसलवाने का ये एक नया तजुर्बा था.

शाज़िया के जवान प्यासे जिस्म के साथ उस के भाई के हाथ आज एक मर्द और उस के “शोहर” के रूप में आ कर उस के साथ छेड़ छाड़ करने लगे थे.और अपने ही भाई से अपनी चुचियाँ मसलवाने के अमल को वो कितना पसंद कर रही थी. इस का अंदाज़ा शाज़िया की बंद आँखों और तेज़ी से ऊपर नीचे होते उस के सीने को देख कर बहुत अच्छी तरह लगाया जा सकता था.

ज़ाहिद के हाथ उस की बहन के भारी गुदाज मम्मे को हाथ से मसल रहे थे.और अपने भाई के हाथ की गर्मी को अपने लहंगे की चोली में से महोश कर के शाज़िया के जिस्म में लगी हुई आग मज़ीद भड़का रही थी. जिस की वजह से उस के मुँह से एक प्यार भरी सिसकारियाँ निकालने लगी थी.“अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह”

मुँह से निकलने वाली सिसकारियों के साथ साथ नीचे से शाज़िया की चूत भी गीली होने लगी थी.

दोनो बहन भाई अपनी सुहाग की सेज पर एक दूसरे की छाती से छाती मिला एक दूसरे से चूमा चाटी में मसरूफ़ थे.

फिर शाज़िया के होंठो और ज़ुबान को सक करते करते ज़ाहिद अपने हाथ को शाज़िया की कमर के पीछे ले गया. और एक एक कर अपनी दुल्हन बनी बहन के शादी वाले लहंगे की चोली की स्ट्रिंग को लूज करने लगा.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन की चोली की तनिया (स्ट्रिंग्स) को खोला. तो शाज़िया की चोली उस की जवान चुचियाँ से ढीली हो गई.

जिस के साथ ही ज़ाहिद ने बड़े आराम से अपनी बहन की चोली को उतार कर शाज़िया के जिस्म से अलहदा कर दिया.

आज जब ज़ाहिद ने अपनी बहन की चोली को अपने ही हाथों से उस के बदन से उतारा. तो ज़ाहिद को सुरख रंग के लेसी ब्रेजियर में अपनी बहन की कसी हुई छातियों का दिल कश नज़ारा देखने को मिल गया.


शाज़िया के भारी भरकम माममे पुश उप ब्रेज़ियर में से उभर उभर कर बाहर छलक रहे थे.और ज़ाहिद ही के दिए हुए तोफे में से आधे नंगे हो कर उस की भूकि आँखों के सामने मंडरा रहे थे.

अपनी बहन बड़े बड़े मम्मो को उस के ब्रेजियर में यूँ कसा हुआ देख कर ज़ाहिद के जिस्म में एक मस्ती सी छा गई. और उस ने बिस्तर पर पड़ी गुलाब की पतिया उठा कर बड़े प्यार से अपनी बहन की भारी छातियों के ऊपर बिखेर दीं.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#89
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
अपनी बहन के मम्मो पर फूलो की पत्तिया फैंकने के बाद ज़ाहिद फिर से अपनी बहन के भारी मम्मों का जायज़ा लेने लगा.

"उफफफफफफफफफफ्फ़ तुम को इस सुर्ख रंग के ब्रेजियर में देख कर मेरा लंड बहुत बे चैन हो रहा है" ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा.

“भाई मेने आप ही की फरमाइश पर, आप ही का दिया हुआ ये ब्रेज़ियर पहना है आज” शाज़िया ने भी उसे जोश में अपने भाई को जवाब दिया.

“हाईईईईईईईईई अच्छा तो फिर जल्दी से उतारो अपनी इस ब्रेज़ियर को, में कब से तरस रहा हूँ तुम्हारे बड़े बड़े जवान मम्मो को देखने और चूमने के लिए मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन के ब्रेज़ियर में कसे हुए मम्मे को हाथ से दबाते हुए कहा.

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया के बड़े ब्रेजियर को सामने से खैंच कर उस के दाए (राइट) मम्मे से नीचे किया. तो शाज़िया का दाया भारी मम्मा झट से उछल कर उस के ब्रेज़ियर से बाहर निकल आया.

वैसे तो नीलोफर की मेहेर बानी की बदोलत ज़ाहिद इस से पहले भी वीडियोस के ज़रिए काफ़ी दफ़ा अपनी बहन के मम्मो का दीदार तो कर चुका था.

मगर आज ये पहला मोका था. जब वो असली जिंदगी में अपनी खुली आँखों से अपनी बहन के जवान और बड़े मम्मो को देख रहा था.

इसीलिए ज्यों ही शाज़िया का मम्मा ज़ाहिद के सामने नंगा हुआ.तो ज़ाहिद बड़े शौक और लालची नज़रों के साथ अपनी बहन के नंगी मम्मे का जायज़ा लेने लगा.

उफ़फ्फ़ क्या नज़ारा था. कि शाज़िया की खूबसूरत भारी छाती पर, उस के हल्के साँवले रंग के तने हुए गोल गोल निपल्स , शाज़िया की 40ड्ड छाती पर बड़े फख्र से तन कर खड़े हुए अपने भाई ज़ाहिद की आँखों को दावत-ते-गुनाह दे रहे थे.

शाज़िया के लंबे निपल्स को यूँ अकड़ कर शाज़िया की छाती पर खड़ा देख कर ज़ाहिद को यूँ लगा. जैसे उस कि बहन के निपल्स इंतिज़ार कर रहे हैं कि कब ज़ाहिद आगे बढ़े और उन को अपने मुँह में ले कर उन की अकड़ को ख़तम कर दे.



इसीलिए ज़ाहिद ने अब अपनी बहन के मम्मे और निपल्स को मज़ीद इंतजार करवाना मुनासिब ना समझा.और उस ने बेताबी से अपना मुँह आगे बढ़ा कर शाज़िया के दाए मम्मे के निपल को अपने गरम होंठो में दबा लिया.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन के मम्मे को अपने मुँह में भरा. तो मज़े की शिद्दत से शाज़िया के मुँह से एक शहद भरी सिसकारी “कककककककक” निकल कर पूरे कमरे में गूंजने लगी.

अपनी बहन की लज़्जत भरी सिसकारी सुन कर ज़ाहिद को और जोश आया.और उस ने शाज़िया के ब्रेज़ियर को सामने से नीचे करते हुए अपनी बहन के दूसरे मम्मे को भी पूरा नंगा कर दिया.

अब शाज़िया के बड़े बड़े मम्मे उस के भाई की भूकि आँखों से सामने पूरी आबो ताब से नुमाया हो गये.

ज़ाहिद ने फिर से अपनी बहन की नंगी छातियों का बगौर जायज़ा लिया. तो उसे महसूस हुआ कि शाज़िया की चुचियाँ उस के सामने पूरी तरह नंगी होते ही जैसे फूल सी गई थी.

कुछ देर तो ज़ाहिद यूँ ही अपनी बहन शाज़िया की खूबसूरत भरी हुई छातियों को देखता रहा. फिर अगले ही लम्हे ज़ाहिद ने शाज़िया की भारी भारी छातियों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हे पागलों की तरह दबाने और फिर उन्हे हिला कर छोड़ने लगा.

ज़ाहिद की इस छेड़ छाड से शाज़िया के जवान बड़े मम्मे किसी जमी हुई जेल्ली की तरह उस की छाती पर हिलने लगे.

शाज़िया अपने भाई के इस खेल से इतनी लुफ्त अंदोज़ हो रही थी. कि उस के मुँह से हल्की हल्की सिसकारी निकल कर ज़ाहिद के जोश को मज़ीद दो आतिशा बना रही थी.

अपनी बहन की भारी छातियों से खेलते खेलते ज़ाहिद ने अपने गरम होन्ट दुबारा से अपनी बहन के निपल्स कर रख दिए.



अब ज़ाहिद का एक हाथ शाजिया के मम्मे पर था. जब कि शाज़िया का दूसरा मम्मे का निपल ज़ाहिद के मुँह में था.

ज़ाहिद अपनी बहन के मोटे तने हुए निपल को कभी सक करता और कभी पूरे ब्रेस्ट पे अपनी गर्म ज़बान को मूव कर देता.

अपने भाई के इस प्यार भरे अंदाज़ से शाज़िया तो बॅस तड़प कर रह जाती.



शाज़िया की दो सला शादी शुदा जिंदगी में उस के सबका शोहर ने कभी उस की छातियों को इतने प्यार, जोश और मज़े से नही चाटा था. जितने शौक से आज उस का अपना सगा भाई उस के बड़े मम्मो को चूस और चाट रहा था.

ज़ाहिद किसी छोटे बच्चे की तरह ऐसे जोश और तेज़ी से अपनी बहन के मम्मो को सक कर रहा था. जैसेज़ाहिद को ये उम्मीद थी.कि उस की बहन के मम्मो से अगले ही लम्हे उस का दूध निकल आएगा .और अपनी बहन का ये दूध पी कर एक बच्चे की तरह ज़ाहिद की भूक भी मिट जाएगी.

आआआआअहह मेरे भाई, मेरे शोहर,दबाओ, इन को चूसूऊओ, बहुत अच्छा लग रहा है,उफफफफफफफफफ्फ़ में तो इस दिन का कब से इंतेज़ार कर रही थी मेरे भाईईईईईईईई, आज के बाद मेरे ये मम्मे और मेरा ये जिस्म सिर्फ़ और सिर्फ़ आप का ही तो है, अब इन को चूमिएे या चाटिये ये आप की मेर्ज़ी है ” अपने भाई को यूँ पागलों की तरह अपने मम्मे चूस्ते हुए देख कर शाज़िया भी मज़े से पागल हुए जा रही थी.
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08-12-2019, 01:13 PM,
#90
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
कुछ देर अपनी बहन के निपल्स को चूसने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया की कमर के पीछे हाथ ले जा कर अपनी बहन के ब्रेज़ियर का हुक खोल कर शाज़िया के जिस्म से अलग कर दिया.

अपनी बहन का ब्रेज़ियर उतारने के दौरान भी ज़ाहिद मसलसल अपनी बहन शाज़िया के मम्मो को बड़े शौक से चूमने में मसरूफ़ रहा.

अपने भाई की गर्म जोशी देख देख कर कर शाज़िया भी जोश में सिसकते हुए बोल रही थी:“उूउऊफ़,भाई,चूसूऊओ,दबाओ मेरी इन बड़ी बड़ी छातियों को,बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे ”

ज़ाहिद इतने जोश और बेचैनि से अपनी बहन के मम्मो को सक कर रहा था. कि सकिंग के दौरान उस ने एक दो दफ़ा अपने दाँत (टीत) से भी अपनी बहन के मम्मे और निपल्स को काट भी लिया.

अपने भाई के दाँत अपने निपल्स पर लगते ही शाज़िया सिसकी: “अहह,उफफफफफफफफफ्फ़ मेरे निपल्स को तो ना काटो ना भाइईईईईईईई,निशान पड़ जाएँगे ”.

शाज़िया के मुँह से “आआआआहीन” निकल रहीं थी.और अपनी आवाज़ को कंट्रोल करते और अपने दोनो हाथ अपने भाई ज़ाहिद के सिर पे ला कर शाज़िया बहुत प्यार से अपने भाई के बालों में अपनी उंगलियाँ फैरने लगी.

अपनी बहन के मोटे मम्मो को चुसते वक्त ज़ाहिद के हाथ शाज़िया के भरे हुए बदन के हर हिस्से पर फिर रहे थे.

शाज़िया के जिस्म पर अपने हाथ को घुमाते हुए ज़ाहिद अपने हाथ को शाज़िया की जाँघ पर ले आया. और अपनी बहन के लहंगे के उपर से ही अपनी बहन की गुदाज जाँघ को अपने हाथ में ले कर मसल्ने लगा.

शाज़िया की रान पर हाथ फेरते फेरते ज़ाहिद का हाथ रेंगता हुआ उस की गरम और दोल साल से प्यासी चूत पर पहुँचा. और फिर एक दम से ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की मोटी फुद्दि को अपने हाथ में ले के उसे अपने काबू में कर लिया.

ज्यों ही शाज़िया की चूत पर उस के भाई ज़ाहिद का हाथ पहली बार फिरा.तो शाज़िया की चूत अपने भाई के हाथ की सख्ती और गर्मी को महसूस कर के पानी पानी हो गई.

आज दो साल के बाद किसी मर्द का हाथ शाज़िया की बे इंतिहा गरम चूत पर आ कर उस की चूत को सहला रहा था.

अपनी पानी छोड़ती फुद्दि पर अपने ही सगे भाई के हाथों की गर्मी पा कर शाज़िया के जिस्म की आग और भी भड़क उठी. और शाज़िया के मुँह से बे इख्तियार ये इलफ़ाज़ निकल गये. “हाईईईईईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईई जानंनननननननननणणन्”

ज़ाहिद ने नीलोफर की ज़ुबानी सुना हुआ तो था. कि उस की बहन शाज़िया की चूत निहायत गरम और प्यासी है.

और अब अपनी बहन की चूत को यूँ छूते ही ज़ाहिद को नीलोफर की कही हुई बात बिल्कुल सच महसूस होने लगी. इसीलिए शाज़िया की चूत पर अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुए ज़ाहिद बोला: ”शाज़िया, तुम्हारी चूत कितनी गरम और नरम है! उफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी फुद्दि से निकलती हुई गरमाइश तो मेरे हाथ को जला कर रख देगी मेरी जान”

अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया मुँह से तो कुछ ना बोली. मगर उस ने अपनी टाँगें ढीली कर के और चौड़ी कर दीं. ता कि उस की चूत पूरी की पूरी उस के भाई ज़ाहिद की मुट्ठी में आराम से समा सके.

ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की मोटी फुद्दि को उपर से ले कर नीचे तक मसलना शुरू कर दिया.

जब कि अपने भाई के हाथों के स्वाद अपनी चूत पर महसूस कर के शाज़िया खुद भी अपनी गान्ड को हल्के हल्के उपर नीचे हिला हिला कर अपने भाई के हाथ का मज़ा लेने लगी.

फिर कुछ देर मज़ीद अपनी बहन की चूत के साथ इस तरह खेलने के बाद ज़ाहिद ने अपनी बहन के लहंगे को उतार कर उसे अपने ही हाथो से पूरा नंगा करने का इरादा लकर लिया.

ये सोच के ज़ाहिद ने अपनी बहन की फुद्दि से खेलते हुए हाथ को ऊपर ला कर अपनी बहन के लहंगे का नाडा खोल दिया.

अपने भाई को अपने लहंगे का नाडा खौलते देख कर शाज़िया का दिल उछल कर उस के हलक में आ गया.

शाज़िया समझ गई कि अपने तलाक़ के बाद जिस लम्हे के इंतिज़ार में आज तक वो घुट घुट कर अपनी जिंदगी जी रही है वो लम्हा अब आन ही पहुँचा है. कि जब उस की गरम चूत की प्यास अब बस उस के अपने ही भाई के हाथों मिटने ही वाली है.

अपनी बहन के नाडे को खोल कर ज़ाहिद ने जब अपनी बहन के लहंगे को उस की गान्ड से खैंच कर नीचे उतारने की कोशिश की. तो शाज़िया के लहंगा की फिटिंग काफ़ी तंग होने की वजह से लहनगा शाज़िया के चौड़े हिप्स पर अटक गया.

“हाईईईईई क्या बड़े भारी चूतड़ और बड़ी गान्ड है मेरी बहन की” ज़ाहिद ने अपनी बहन के चूतड़ पर अटके हुए लहँगे को उतारते वक्त अपनी बहन की उभरी हुई गान्ड और भारी कुल्हो को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा.

“हीईीईईईईईईईई भाई नाआआआआअ करूओ” अपनी भाई के हाथ अपनी भारी गान्ड पर चलता हुआ महसूस कर के शाज़िया की चूत और मचलने लगी.

जब कोशिश के बावजूद ज़ाहिद शाज़िया के लहंगे को उस के जिस्म से ना उतार सका. तो ज़ाहिद ने बिस्तर पर लेटी हुई शाज़िया को अपनी भारी गान्ड और कूल्हे थोड़ा ऊपर की तरफ उठाने को कहा. और फिर बड़ी मुश्किल से खैंच कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे कुल्हों पर फँसा हुआ अपनी बहन का लहंगा उतार कर कमरे के फर्श पर फैंक दिया.

अपनी चोली,ब्रेज़ियर और लहंगे से महरूम होने के बाद अब शाज़िया अपने भाई की प्यासी निगाहों के सामने सिर्फ़ और सिर्फ़ एक थॉंग में मलबोस बिस्तर पर लेटी हुई थी.

अपनी बहन का लहंगा उतरते ही ज़ाहिद की नज़र ज्यों ही शाज़िया के पेट पर मेहन्दी से लिखे हुए इलफ़ाज़ “भाई की चूत” और नीचे शाज़िया की चूत की तरफ इशारा करने वाले तीर पर पड़ी. तो ज़ाहिद का लंड जोश से उस की शलवार में उछल उछल कर खलल डालने लगा.

“ये अल्फ़ाज़ किस ने लिखे हैं तुम्हारे पेट पर शाज़िया” ज़ाहिद ने अपनी बहन के पेट पर नज़रें जमाई, सिसकी भरे लहजे में अपनी बहन शाज़िया से पूछा.

“भाई ये कारनामा आप की चहेती नीलोफर के अलावा और कौन सर अंजाम दे सकता है भला” शाज़िया ने मुस्कुराते और हल्का सा शरमाते हुए अपने भाई को जवाब दिया.

“ वैसे सही तो लिखा है नीलोफर ने, क्यों कि आज के बाद तुम्हारी ये चूत सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी ही तो है मेरी जान” ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने गरम होंठो को अपनी बहन के पेट पर रख कर अपनी बहन की धुनि के नीचे लिखे हुए अल्फ़ाज़ को अपनी ज़ुबान से चूमना शुरू कर दिया.

“उफफफफफफ्फ़,हााअ भाई नही कर नाआआआआआ” शाज़िया को अपने भाई की गरम ज़ुबान अपने पेट पर फिरती हुई अच्छी तो लगी. मगर साथ ही साथ उसे गुदगुदी भी होने लगी. इसीलिए उस ने फॉरन अपने हाथ नीचे ले जा कर अपने भाई के मुँह को अपने पेट से हटा दिया.

“क्यों क्या हुआ” ज़ाहिद ने हेरान होते हुआ शाज़िया से पूछा.

“ वो असल में मुझे आप की ज़ुबान से गुदगुदी हो रही है भाई” शाज़िया ने सिसकते हुए जवाब दिया.

इस पर ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात मानते हुए उस के पेट से अपना मुँह अलग किया. और दुबारा से अपनी बहन के भरे हुए गरम बदन का जायज़ा लेने लगा.

अपनी बहन के आधे से नंगे वजूद पर नज़रें दौड़ाते हुए ज़ाहिद की नज़र तेज़ी से जा कर शाज़िया की मोटी और गुदाज रानो के दरमियाँ छुपी हुई उस की गरम और प्यासी फुद्दि पर टिक गई.

ये वो ही जगह थी. जहाँ उस की बहन ने अपनी जवानी का अनमोल खजाना अपने भाई की नज़रों से छुपा कर रखा था. और अपनी बहन के इस शाही ख़ज़ाने को हासिल करने के लिए ज़ाहिद आज अपनी बहन की चूत के समुंदर में डूब जाने को भी तैयार हो चुका था.
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