Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
09-24-2019, 02:29 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय ने बाहर निकलते ही एक रिक्शा वाले को बुला लिया और दोनों माँ बेटे रिक्शा में बैठकर डॉ रवि की क्लिनिक में जाने लगे।
"माँ मुझे भी एक बाइक ले के दो। डेली कॉलेज जाने में तकलीफ होती है और वह दुसरे काम काज में भी आएगी जैसे आज अगर अपनी बाइक होती तो हम उस पर चलते" विजय ने रास्ते में अपनी माँ से बाते करते हुए कहा ।
"हाँ बेटा तुम्हारी बात है तो सही देखती हूँ तुम्हारे पिता से बात करनी होगी" रेखा ने विजय की बात सुनकर कहा। रिक्शा ठीक डॉ रवि की क्लिनिक पर आकर रुक गया और दोनों माँ बेटे रिक्शा से उतर गए । विजय ने रिक्शा वाले को पैसे दिए और अपनी माँ के साथ क्लिनिक में अंदर दाखिल हो गये।

रेखा ने डॉ से फ़ोन पर पहले ही बात कर ली थी की वह आ रही है इसीलिए डॉ रवि वहीँ पर था। मगर उस दिन की तरह आज भी क्लिनिक बिलकुल खाली था।
"आइये भाभी क्या हाल है और बेटा विजय तुम्हारा क्या हाल है" अंदर दाखिल होते ही डॉ ने दोनों माँ बेटों का स्वागत करते हुए कहा ।
"हम ठीक हैं डॉ साहब मगर क्लिनिक क्यों बिलकुल खाली है" विजय ने अपनी माँ के साथ कुर्सी पर बैठते हुए हैरानी से कहा।
"अरे बेटा इस वक्त मैं यहाँ नहीं होता। वह तो भाभी ने फ़ोन पर कह दिया तो मैं रुक गया" डॉ रवि ने मुस्कराते हुए कहा।

"क्या लोगे आप दोनों" रवि ने दोनों माँ बेटों की तरफ देखते हुए कहा।
"मैं तो ठण्डा लूँगी बुहत गर्मी है आज" रेखा ने अपनी साड़ी के पल्लु को अपनी चुचियों से हटाते हुए उसे अपने चेहरे पर हवा मारते हुए कहा । ऐसा करने से रेखा की चुचियों का उपरी उभार नंगा होकत डॉ रवि की आँखों के सामने आ गया।रेखा ने रास्ते में अपनी चुचियों को थोडा ऊपर की तरफ कर दिया था, रवि रेखा की गोरी चुचियों के उभारों को देखता ही रह गया।

"मैं भी ठण्डा लूँगा डॉ साहब क्या देख रहे हो माँ की तरफ" विजय ने डॉ को अपनी माँ की चुचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
"कुछ नहीं बेटा बुहत गर्मी है । अभी ठण्डा मँगवाता हू" डॉ रवि विजय की बात सुनकर घबराते हुए बोले और अपने पिओन को बुलाते हुए ठण्डा मँगवा दिया।

"भाभी इंजेक्शन लगवानी है न?" डॉ रवि ने रेखा के ठण्डा पीने के बाद उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"ड्र साहब इंजेक्शन तो लगवानी है मगर मुझे पेट में भी दर्द है उसकी भी कोई दवाई चाहिये" रेखा ने एक अदा से अपने पेट को पकडते हुए अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से काटते हुए कहा ।
"भभी आइये आपका चेकअप कर लुँ। कहाँ पर दर्द है" डॉ रवि रेखा के इस अन्दाज़ से बिलकुल बौखला गया और वह अपने गले में थूक को गटकते हुए बोला, रवि का लंड उसकी पेण्ट में अभी से उछलकूद मचाने लगा था । रेखा कुर्सी से उठकर सीधा जाकर पेशेंट टेबल पर लेट गई।
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09-24-2019, 02:29 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
डॉ भी कुरसी से उठते हुए रेखा के क़रीब पुहंच गया और परदे को खीच कर नीचे कर दिया । परदे के नीचे होते ही विजय को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। इसीलिए वह मन ही मन में डॉ रवि को गाली दे रहा था।
"भाभी जी आप अब आराम से बताइये की तकलीफ कहाँ है" रवि ने पर्दा नीचे करने के बाद रेखा को देखते हुए कहा।
"ड्र साहब अब क्या बाताऊँ दर्द तो पूरे पेट में है" रेखा ने डॉ की बात सुनकर अपनी साड़ी के पल्लु को अपने ऊपर से हटाते हुए कहा ।

साडी का पल्लु हटते ही रेखा का गोरा चिकना पेट डॉ रवि की आँखों के सामने आ गया जिसे देखते ही रवि का लंड बुहत ज़ोर से उसके अंडरवियर में उछल कूद मचाने लगा।
"ओहहहहह डॉ साहब क्या देख रहे हैं आइये देखिए न दर्द क्यों हो रहा है" रेखा ने रवि को घूरता हुआ देखकर अपने हाथ से अपने गोरे चिकने पेट को सहलाते हुए सिसकार कर कहा।
"हाँ भाभी जी आप बताइये न ज्यादा दर्द कहाँ है" रवि रेखा की बात सुनकर उसके क़रीब जाकर उसके गोरे चिकने पेट को यों ही घूरते हुए अपनी थूक को गटकते हुए कहा ।

रेखा सोयी हुयी थी और उसका पल्लु भी नीचे गिरा हुआ था जिस वजह से रवि को उसकी आधी चुचियां साफ़ नज़र आ रही थी।
"डॉ साहब वह वहां पर ज्यादा दर्द है" रेखा ने रवि की बात सुनकर अपनी ऊँगली को अपने नवल के नीचे की तरफ इशारा करते हुए कहा ।
"कहाँ भाभी जी ज़रा ठीक तरीके से बताइये" रवि रेखा की बात सुनकर उत्तेजित होते हुए बोला।
"आहहह डॉ साहब आप अपने हाथ को मेरे पेट पर रखिये ताकी मैं आपको बता सकुं की कहाँ ज्यादा दर्द है" रेखा ने डॉ की बात सुनकर सिसकते हुए कहा।

विजय वहां बैठे बैठे बोर हो रहा था ।।उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । विजय अंदर का हाल जानने के लिए बुहत उत्तेजित हो रहा था वह जानना चाहता था की अंदर क्या हो रहा है, अचानक विजय को एक आईडिया आया और वह कुर्सी से उठकर परदे के एक कोने में जाकर खडा हो गया और परदे को थोडा सा हटाकर अंदर देखने लगा ।

रवि रेखा की बात सुनकर अपना हाथ आगे बढाकर रेखा के पेट की तरफ ले जाने लगा । डॉ रवि का हाथ रेखा के पेट की तरफ जाते हुए बुहत ज़ोर से कांप रहा था।
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09-24-2019, 02:29 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
भाभी जी अब बताइये कहाँ दर्द है" डॉ रवि ने काँपते काँपते अपना हाथ रेखा के चिकने पेट पर उसके नॉवेल के ऊपर रखते हुए कहा ।
रवि ने अपना हाथ जैसे ही रेखा के गोर चिकने पेट पर रखा। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसका हाथ किसी नरम चीज़ पर रख दिया गया हो । रवि ने आज तक जाने कितनी औरतों का चेकअप किया था मगर उसने आज तक इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद इतना टाइट जिस्म नही देखा था जैसे रेखा का था।

"आह्ह्ह्ह डॉ साहब थोडा और नीचे" रेखा ने डॉ का सख्त हाथ अपने नरम पेट पर पडते ही सिसकते हुए कहा।
"भाभी जी मैं अपना हाथ नीचे करता हूँ। जब मेरा हाथ आपकी दर्द वाली जगह पुहंचे तो मुझे बता देना" रवि ने रेखा की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा । रवि की हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी उसका पूरा जिस्म पसीने में भीग चूका था और उसका लुंड उसकी पेण्ट में ही बुहत बड़ा तम्बू बनकर ऊपर नीचे हो रहा था ।

रवि अपने हाथ को आराम से नीचे करने लगा । विजय का हाथ रेखा के नावेल के नीचे उसकी चूत के थोडा ऊपर तक पुहंच चूका था और रवि अपना हाथ बगेर रोके नीचे करता जा रहा था।
"ओहहहहह डॉ साहब बस और नीचे नहीं यहीं पर दर्द है" रेखा ने अचानक अपने हाथ से डॉ रवि के हाथ को पकडते हुए चिल्लाकर कहा ।
रवि का हाथ अब रेखा की चूत के बिलकुल क़रीब था । विजय परदे के पीछे से यह सब देखकर बुहत उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड भी उसकी पेण्ट में तनकर झटके मार रहा था।
"भाभी जी यहीं पर दर्द है न अभी ठीक कर देता हूँ बस एक दवाई से थोडी मालिश करनी पडेगी" डॉ रवि ने अपने हाथ से रेखा की उस जगह को अपने हाथ से मालिश करते हुए कहा।

"ओहहहह डॉ साहब जल्दी से कुछ कीजिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही सिसकते हुए कहा।
"भाभी जी आप फिकर मत कीजिये मैं अभी दवाई लाता हू" रवि ने अपना हाथ रेखा के पेट से हटाते हुए कहा । विजय समझ गया की डॉ दवाई लेने ज़रूर बाहर आएगा। इसीलिए वह जल्दी से जाकर कुर्सी पर बैठ गया ।
"बेटे तुम्हारी मम्मी को पेट में दर्द है इसीलिए उसकी दवाई से मालिश करनी होगी। तब तक तुम भले बाहर घूम कर आओ" रवि ने अपने टेबल के खाने से एक दवाई निकालते हुए कहा।
"नही डॉ साहब आप मम्मी का सही तरीके से इलाज कीजिये मैं यहीं पर बैठा हूँ आप मेरी चिंता मत करो" विजय ने डॉ रवि की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरारकर कहा।
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09-24-2019, 02:30 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
रेखा ने डॉ के जाने के बाद अपने पेटिकोट को खीचकर थोडा नीचे कर दिया था ताकी डॉ रवि को उसकी काली झाँटों का दीदार हो सके । रवि भी जानता था की यह औरत बुहत ही सेक्सी है और उसको कोई दर्द नहीं है वह सिर्फ मज़ा लेने के लिए ऐसा कर रही है ।
"भाभी यह आयल है मैं अभी इससे आपके पेट की मालिश कर देता हू" डॉ रवि ने वापस अंदर जाते हुए कहा।
"ओहहहह हाँ डॉ साहब जल्दी से मालिश करिये बुहत दर्द हो रहा है" रेखा ने वैसे ही दर्द का नाटक करते हुए कहा।

रवि ने उस बोतल में से थोडा आयल निकालकर अपने हाथ पर मलते हुए उसे रेखा के पेट पर नावेल के नीचे मालिश करने लगा । रेखा की काली झाँटों को देखकर रवि का लंड बुहत ज़ोर से झटके खाने लगा, रवि भी मालिश करते हुए अपना हाथ जानबूझकर रेखा की चूत तक ले जाना लगा और अपने हाथ से रेखा की काली झाँटों को भी तेल से मालिश करने लगा ।
रेखा मालिश कराते हुए बुहत ज़ोर से सिसक रही थी। रेखा डॉ रवि के हाथ को अपनी चूत के इतना नज़दीक महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गई थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपक रहा था । विजय भी अपनी माँ की हालत देखकर बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो गया था।

"आह्ह्ह्ह डॉ साहब आपकी दवाई तो बुहत अच्छी है मेरा दर्द अभी से ही कम हो गया है । आप ऐसा करो इससे मेरी पीठ की भी मालिश कर दो वहां पर भी बुहत दर्द है" रेखा ने डॉ रवि से मज़े के मारे सिसकते हुए कहा।
"हाँ भाभी जी अभी कर देता हूँ आप उलटी हो जाइये" डॉ रवि ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा क्योंकी उसे अब रेखा के चिकने पीठ और मांसल चूतड़ों को बुहत नज़दीक से देखने का मोका मिल रहा था ।
"डॉ साहब मैं अपनी साड़ी उतार देती हूँ । कहीं यह गन्दी न हो जाए" रेखा डॉ की बात सुनकर उठकर सीधा खडी हो गई और डॉ रवि के सीधे सामने खडी होकर अपनी साड़ी को उतारते हुए वहीँ पर रख दिया । रेखा की साड़ी के उतरते ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियों और उसके मांसल चूतडों को इतना नज़दीक से देखकर डॉ की आँखें फटी की फटी रह गयी।
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09-24-2019, 02:31 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"भाभी जी आप कितनी सूंदर हैं इतनी उम्र होने के बावजूद भी आपका जिस्म कितना टाइट है। आपके पति तो शायद दुनिया के ख़ुशनसीब मरद होंगे" डॉ रवि रेखा के गठीले जिस्म को देखकर उसकी तारीफ किये बिना नहीं रुक सका।
"डॉ जी आप शादी क्यों नहीं करते" रेखा ने डॉ विजय को देखते हुए कहा ।
"क्या करुं भाभी जी आपके जैसी मिल नहीं रही है" रवि ने रेखा की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"डॉ साहब क्यों मज़ाक कर रहे हैं आप जैसे ख़ूबसूरत लड़के के पीछे तो ढेर सारी लड़कियां होंगी बेवजह क्यों इस बेचारे को तडपा रहे हो" रेखा ने इस बार सीधा डॉ रवि के लंड को उसकी पेण्ट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह भाभी सही कह रहा हूँ । मुझे आप जैसी ही लड़की चहिये" रवि ने रेखा के हाथ से अपने लंड को दबने से सिसकते हुए कहा।
"डॉ जी अगर मेरी शादी नहीं हुयी होती तो मैं ज़रूर आपसे शादी कर लेती मगर मेरी किस्मत खराब । तुम मुझे मेरी शादी के कितने सालों बाद मिले हो" रेखा ने रवि की आँखों में देखते हुए मुस्कूराते हुए कहा ।
"भाभी आपको ऐसा क्या दिख गया मुझ में जो आप मुझसे शादी कर लेती?" विजय ने रेखा की बात सुनकर मुस्कराते हुए उससे पूछा।
"डॉ जी आपको पता नहीं है औरत को किस चीज़ की ज़रुरत होती है और आपकी वह चीज़ तो बुहत बढिया है" रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को निकालकर अपने होंठो पर फिराते हुए कहा।

"भाभी जी हम अगर शादी नहीं कर सकते तो क्या हुआ मगर हम शादी के बगैर भी तो कुछ कर सकते हैं" रवि ने इस बार हिम्मत करते हुए रेखा को उसकी नंगी कमर से पकडते हुए अपने आप से बिलकुल सटा कर खडा कर दिया । रेखा रवि से इतना सटकर खडी थी की उन दोनों की साँसें एक दुसरे को महसूस हो रही थी और रेखा की साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे होने के कारण उसकी चुचियाँ भी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी,
"क्यों भाभी जी क्या ख़याल है" रवि ने रेखा को चुप खडा देखकर आगे बढकर रेखा की दोनों बड़ी चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकडकर ज़ोर से दबाते हुए कहा।
"नही यह सब ठीक नहीं है" अचानक रेखा ने रवि के दोनों हाथों को अपनी चुचियों से दूर झटक दिया और खुद उससे थोडा दूर होकर खडी हो गई ।
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09-25-2019, 01:46 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
भाभी जी आपकी मर्ज़ी । मगर मेरे ख्याल में इसमें कोई बुराई नहीं है आपका जिस्म बुहत सेक्सी है और आपको इसे पूरा मज़ा देना चाहिये" रवि ने रेखा को समझाते हुए कहा।
"आप मुझे इंजेक्शन लगाईये बुहत देर हो चुकी है" रेखा ने टेबल पर बेठते हुए कहा ।
"भाभी आपकी मर्ज़ी मगर आप एक बार मेरे इस इंजेक्शन को भी देख लिजीये। मैं आपसे कोई ज़बर्दस्ती नहीं कर सकता मगर जब आपका दिल हो मैं आपकी ख़िदमत में हाज़िर हो जाऊँगा" डॉ रवि ने अपनी पेण्ट की ज़िप को खोलते हुए अपने अंडरवियर से अपना लंड निकालकर रेखा को दिखाते हुए कहा।

"डॉ जी आप इसे अंदर कर दिजिये यह सही नहीं है" रेखा रवि के 9 इंच लम्बे और बुहत मोटे गोरे लंड को देखकर ज़ोर की साँसें लेते हुए बोली।
"भाभी मैंने कहा न आपकी मर्ज़ी के बिना मैं कुछ नहीं करूंगा। आप इसे जी भरकर देख लो" रवि ने रेखा की बात सुनकर उसके क़रीब जाते हुए कहा ।
"डॉ जी आपका बुहत बड़ा और मोटा है प्लीज अब इसे अंदर करो। मुझे कुछ हो रहा है" रेखा ने रवि के लंड को घूरते हुए तेज़ साँसें लेते हुए कहा।
"अरे भाभी हम कुछ नहीं कर रहे हैं आप घबरा क्यों रही है आप इसे अपने हाथ से छु कर क्यों नही देखती" डॉ रवि ने अचानक रेखा का हाथ पकडते हुए अपने लंड पर रख दिया।

"डॉ जी मेरे हाथ को क्यों वहां रख दिया। छोड़ो मेरे हाथ को ओहहहह यह बुहत गरम है" रेखा ने अपना हाथ रवि के लंड पर पडते ही अपने हाथ को वहां से हटाने की कोशिश करते हुए कहा।
"भाभी आप इतना क्यों डर रही हो आप इसे अच्छी तरह से महसूस करके देखिये" रवि ने अपने हाथ से रेखा के हाथ को पकडे हुए ही अपने लंड पर आगे पीछे करते हुए कहा ।

रेखा की हालत बुहत खराब हो चुकी थी उसकी चूत पानी टपका रही थी । रेखा का हाथ अब अपने आप डॉ रवि के लंड पर आगे पीछे होने लगा था, रवि ने रेखा के हाथ को अपने लंड पर आगे पीछे होता हुआ देखकर अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर से हटा दिया ।
विजय जो फिर से परदे के पीछे से अंदर की तरफ देख रहा था वह अपनी माँ की यह हालत देखकर हैंरान रह गया । वह जानता था की रेखा डॉ को तडपाने की बजाये खुद तडप रही है । रेखा का हाथ डॉ के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ ऊपर नीचे हो रहा था और वह ऐसा करते हुए बुहत ज़ोर की साँसें ले रही थी।
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09-25-2019, 01:46 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
डॉ रवि ने रेखा को गरम होता देखकर अपने दोनों हाथों से उसके सर को पकडते हुए अपने होंठो को रेखा के सुर्खी से लाल तपते होंठो पर रख दिये । रवि अपने होंठो से रेखा के दोनों गरम होंठो को बारी बारी चूसने लगा, रेखा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे। उसका पूरा जिस्म तपकर आग बन चूका था ।
रेखा का एक हाथ वैसे ही रवि के लंड पर आगे पीछे हो रहा था और वह अपने दुसरे हाथ से रवि को अपने आपसे दूर करने की नाक़ाम कोशिश कर रही थी।
"भाभी जी आपके होंठ कितने मीठे है" रवि ने कुछ देर तक रेखा के दोनों होंठो को चूसने के बाद अपनी साँसें फूलने की वजह से अपने होंठो को रेखा के होठो से जुदा करते हुए कहा । रेखा के होंठो की सुर्खी उसके होंठो और गालों पर बिखर चुकी थी और वह ज़ोर से हांफ रही थी।

"डॉ जी आप बुहत गंदे हैं मुझसे दूर हटिये" रेखा ने ज़ोर से हाँफते हुए रवि की तरफ देखते हुए कहा।
"क्यों भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?" रवि ने अपने होंठो को रेखा के मूह के क़रीब करते हुए कहा। रेखा ने जैसे ही रवि की साँसों को अपने मूह के क़रीब महसूस किया उत्तेजना के मारे उसने अपने होंठो को आगे करते हुए रवि के होंठो पर रख दिया और रवि को अपने ऊपर गिराते हुए खुद उसके होंठो को ज़ोर से चूसने लगी ।

रेखा रवि के उसके ऊपर गिरने से सीधा लेट गयी थी और रवि भी सीधा उसके ऊपर आ गया था ।जिस वजह से रेखा की चुचियां रवि के सीने में दब गयी थी और उसका फनफनाता हुआ लंड सीधा रेखा की चूत के ऊपर झटके मार रहा था ।
रवि ने रेखा को इतना गरम देखकर अपनी जीभ को उसके मूह में डाल दिया । रेखा भी बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो चुकी थी इसीलिए उसने अपने टांगों को थोडा सा फ़ैला दिया और रवि की जीभ को चाटने लगी, रवि अब रेखा के टांगों के बीच हो गया था इसीलिए उसका लंड सीधा पेटिकोट के ऊपर से ही रेखा की चूत में दब रहा था।

रेखा की चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था। इसीलिए वह एक्साईटमेंट में आकर अपने चूतड़ो को उछाल कर रवि के लंड को अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी । रवि ने अब अपनी जीभ को रेखा के मूह से निकालते हुए उसकी जीभ को पकडते हुए अपने मूह में भर लिया ।
विजय अपनी माँ की यह हालत देखकर खुद भी गरम होते हुए अपने लंड को अपनी पेण्ट से निकालकर सहला रहा था ।अचानक रेखा के चूतड़ ज़ोर से उछलने लगे और वह कुछ ही देर में चूतड़ उछालते हुए अपने दांतों से रवि के नीचे वाले होंठ को अपने मूह में लेकर काटते हुए शांत हो गयी।
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09-25-2019, 01:46 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
डॉ रवि समझ गया की रेखा झड चुकी है उसने अपने मुँह को रेखा के होंठो से उठाते हुए थोडा नीचे झुकते हुए उसके ब्लाउज के ऊपर निकली हुयी चुचियों पर रख दिया और वह रेखा की चुचियों के उपरी नरम हिस्से को चूसने और चाटने लगा।
"क्या कर रहे हो डॉ साहब। मैं यह सब नहीं कर सकती" रेखा थोडी देर शांत रहने के बाद अचानक रवि पकडकर अपने ऊपर से उठाते हुए बोली ।
"क्या हुआ भाभी थोडी देर पहले तो आप मजा लेकर सब कुछ करवा रही थी?" रवि ने सीधा खडा होते हुए हैंरानी से रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ मैं थोडी देर के लिए बहक गयी थी जल्दी से इंजेक्शन लगाओ मैं जाना चाहती हू" रेखा ने अपनी साड़ी को वापस पहनते हुए कहा।

विजय समझ गया की उसकी माँ झडने के बाद अपने आपको संभाल चुकी है इसीलिए वह भी अपने लंड को वापस अपनी पेण्ट में ड़ालने लगा।
"ठीक है भाभी जैसे आपकी मर्ज़ी मैं अभी इंजेक्शन लाया" रवि इतना कहकर अपने लंड को वापस अपनी पेण्ट में डालकर ज़िप को बंद करते हुए वापस अपनी टेबल की तरफ बढ़ने लगा । विजय रवि को बाहर की तरफ आता हुआ देखकर दौडता हुआ वापस कुर्सी पर बैठ गया ।
"बेटे बस अभी इंजेक्शन लगा देता हुँ फिर आप अपनी माँ को ले जा सकते हो" रवि ने इंजेक्शन उठाते हुए विजय से कहा और वापस अंदर चला गया । रेखा डॉ को देखकर उलटी होकर वहीँ पर लेट गई।
"भाभी मैं समझ सकता हूँ की यहाँ पर आपको मेरे साथ सब कुछ करने में परेशानी हो रही है। मैं आपको अपना कार्ड दे देता हूँ जब भी मेरी ज़रुरत हो बस मुझे कॉल कर देना । मैं आपके घर पर हाज़िर हो जाऊँगा" रवि ने रेखा की साड़ी को ऊपर खींचते हुए उसके पेटिकोट के ऊपर से ही इंजेक्शन को लगाते हुए कहा।

"उई डॉ जी आज इंजेक्शन से इतना दर्द क्यों हो रहा है" रेखा ने इंजेक्शन लगने से चिल्लाते हुए कहा।
"भाभी जी थोडी देर में ही आपका दर्द ख़तम हो जायेगा" डॉ रवि ने इंजेक्शन लगाने के बाद अपने हाथ से रेखा के मांसल चूतड़ो को सहलाते हुए कहा ।
"भाभी एक बात तो माननी पड़ेगी। इतनी उम्र होने पर भी आपने अपने फिगर को बुहत ज्यादा मेन्टेन रखा है" रवि ने अपने हाथ से रेखा के चूतडों को सहलाते हुए उसके दोनों चूतडों के बीच ड़ालते हुए बोला।
"डॉ साहब आपका कोई जवाब नहीं आप ने तो औरतों को पटाने में भी डिग्री हासील कर रखी है" रेखा ने रवि की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
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09-25-2019, 01:47 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"भाभी मैं सच कह रहा हूँ आपका जिस्म बुहत ज्यादा कसा हुआ है । इस उम्र में ज्यादा औरतों का जिस्म ढीला पड जाता है" डॉ रवि ने इस बार अपनी एक ऊँगली को बुहत ज़ोर से दबा कर रेखा के चूतड के बीच ड़ालते हुए कहा।
"ठीक है अब रहने दिजिये। आजके लिए इतना काफी है" रेखा ने जल्दी से सीधा होते हुए कहा ।
"भाभी फिर कब मोका मिलेगा आपकी ख़िदमत करने का" डॉ रवि ने अपने हाथों से रेखा की कमर को पकडते हुए अपने पास खींचकर कहा।
"बुहत जल्द लेकिन अब छोड़ो" रेखा ने रवि के होंठो पर एक चुम्बन देते हुए उसका हाथ अपनी कमर से निकालते हुए कहा।

"भाभी कम से कम इन्हें तो दिखा दिजिये ताकी मैं इन्हें याद करके ही अपना काम करता रहूं" रवि ने रेखा की दोनों चुचियों को अपने हाथों से पकडते हुए कहा।
"नही जितना देखा वही काफी है बाकी बाद में" रेखा ने रवि के हाथ को अपनी चुचियों से हटाते हुए उसके सामने झुककर अपने सैंडल को पहनते हुए कहा ।
"ओहहहह भाभी जी ऊपर से इतनी सूंदर है नीचे तो क़यामत होगी" रवि ने रेखा के झुकने के कारण उसकी चुचियों को ऊपर से ही देखते हुए कहा । रेखा अपने सैंडल पहनकर अपनी साड़ी को सीधा करते हुए बाहर निकल आई।

"बेटा सॉरी बुहत देर हो गई चलो अब चलते हे" रेखा ने बाहर निकालते ही अपने बेटे से कहा । डॉ रवि भी बाहर निकलकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया था।
"डॉ जी आपका कार्ड मिल सकता है । मेरे एक फ्रेंड ने कहा था के किसी अच्छे डॉ का पता बता दो। इसीलिए माँग रहा हू" विजय ने डॉ की तरफ देखते हुए कहा ।

"हाँ बेटे क्यों नहीं यह लो किसी और को भी चाहिए तो दे देना" डॉ रवि ने मुस्कराते हुए ४-५ कार्ड्स विजय को देते हुए कहा।
"थैंक्स डॉ रवि" विजय कार्ड लेने के बाद रवि का शुक्रिया अदा करते हुए कहा और अपनी माँ के साथ क्लीनिक से निकल गया।
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09-25-2019, 01:47 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
दीदी क्या बात है आज आप दूसरी बार नहा रही हो। लगता है कुछ ज्यादा ही आग लगी हुयी है आपके जिस्म में" शीला ने जैसे ही कंचन को बाथरूम से बाहर निकलता देखा उसे टोककर कहा।
"शीला की बच्ची यह सब तुम्हारा किया धरा है" कंचन ने अपने बालों को पोछते हुए कहा ।
"क्यों दीदी मैंने क्या किया?" शीला ने हैंरान होते हुए कंचन से पुछा।
"शीला अब इतनी भोली भी मत बनो तुमने ही विजय भैया को गरम किया था इसीलिए तो उसने मुझे देखते ही दबोच लिया" कंचन ने बेड पर शीला के पास बैठते हुए कहा।

"शीला तुम कह तो ऐसे रही हो जैसे तुम्हारा भाई दूध का धुला हो। मुझे देखते ही उसका गधे जैसे लंड ऐसे खडा हो गया था जैसे कोई खम्भा हो" शीला ने कंचन की बात सुनकर गुस्सा करते हुए कहा।
"अरे शीला तुम तो नाराज़ हो गई मुझे क्या पता वहां क्या हुआ था । वह तो भैया मुझे चोदते वक्त कह रहे थे की शीला ने मुझे बुहत गरम कर दिया है" रेखा ने शीला के गाल की एक चिकोटी लेते हुए कहा ।

"दीदी एक बात पूछुं?" शीला ने कंचन की बात सुनकर उससे कहा।
"हाँ पूछो दीदी क्या बात है" कंचन ने शीला की बात सुनकर कहा।
"दीदी वह विजय भैया का लंड तो नरेश के लंड से भी लम्बा और मोटा है आपको तो मुझसे भी ज्यादा मजा आता होगा" शीला ने कंचन को देखते हुए कहा ।
"ओहहहह दीदी तो तुम भी विजय भैया से चुदवाना चाहती हो मुझे तो बुहत मजा आता है" कंचन ने शीला की तरफ देखते हुए मुसकुराकर कहा।
"हाँ दीदी मगर मुझे डर लगता है। इसीलिए तो आज मैंने उससे अपने आप को बचा लिया" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"कैसा डर दीदी" कंचन ने उत्तेजित होते हुए कहा।
"दीदी उसने अगर किसी को बता दिया तो" शीला ने कंचन को देखकर कहा।
"अरे पगली उसे क्या किसी पागल कुते ने काटा है जो वह किसी को बतायेगा। उसे हमारी इज्ज़त का बुहत ख्याल है वह कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेंगा" कंचन ने शीला की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"दीदी आपको तो कोई ऐतराज़ नहीं है ना" शीला ने इस बार कंचन को चिढाते हुए कहा।
"दीदी तुम मेरे भाई से चुद्वाओगी तो मैं क्या पीछे रहूँगी। मैं भी नरेश भैया को फँसाने की कोशिश करती हू" कंचन ने शीला की बात सुनते ही कहा।
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