Hindi Sex Stories By raj sharma
02-25-2019, 01:31 PM,
#71
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
अब सारे दिन शीला आंटी भी मेरे कॉलेज से लौटने का इंतज़ार करती और मैं भी कॉलेज के आखिरी समय में शीला आंटी से मिलने के सपने देखने लग जाता. उधर अंजना और मंजुला भी मुझे अपनी और आकर्षित करने कि बहरापुर कोशिश करने लगी थी. एक दिन तो अंजना ने तो हद ही कर दी. वो नहाने के बाद रात के वक्त सोते वक्त पहनने वाला हाल्फ पन्त पहनकर मेरे कमरे में अपनी कोई किताब खोजने का बहाना करते हुए आ गई. मैं उसे देखते ही एक बार तो अपने होश खो बैठा. उसकी टांगें चमक रही थी. एकदम चिकनी और सपाट. उसने मुझे ललचाने कि कोशिश भी कि लेकिन शीला आंटी का ख़याल आते ही मैंने अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली. अंजना गुस्से से कमरे से बाहर निकल गई.

शीला आंटी के पति एक सप्ताह के लिए अहमदाबाद गए हुए थे. जिस दिन वे अहमदाबाद गए उस दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि शीला आंटी कि आँखों में कुछ अलग तरह की चमक थी. मैं समाजः गया की शीला आंटी अब हम दोनों को सवेरे मिलने वाले खली समय के बारे में सोचकर खुश हो रही होगी. मैंने तेजी से अपनी कमीज और बनियान निकला दिया. इसके बाद मैंने शीला आंटी का ब्लाउस खोला और फिर आखिर में चोली. हमेशा की तरह हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों कुछ इस तरह से लिपटे थे कि हमें समय का पता नहीं चला और हम दोनों ही यह भूल गए कि अंजना और मंजुला के आने का समय हो चुका है. आज विशेष रूप से शीला आंटी बेकाबू हो गई थी. मैंने एक दो बार खुद को उनसे अलग करने कि कोशिश भी की लेकिन वो असफल रही. जिस बार का मुझे डर था वो ही हुआ. अंजना लौट आई. वो सीधे मेरे कामे की तरफ ही आई. उसने जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा धीरे से खोला तो वो मुझे और शीला आंटी को इस हालत में एक दुसरे से लिप्त हुआ देखकर हैरान रह गई. शीला आंटी की पीठ दरवाजे की तरफ होने से शीला आंटी को तो कुछ पता नहीं चला लेकिन मेरी नजरें अंजना से मिल गई. अंजना कुछ ना बोली और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए चली गई. मैंने शीला आंटी को यह बताना सही नहीं समझा. कुछ देर बाद मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को शीला आंटी से अलग किया.

रात को खाना खाते वक्त अंजना बार बार मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ देखे जा रही थी. मैं लगातार उससे नजर चुरा रहा था.

जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया तो कुछ ही देर बाद अंजना मेरे कमरे में दाखिल हुई. अंजना बहुत ही खुले गले का टी शर्ट और जाँघों तक की लम्बाई वाला हाल्फ पैंट पहने हुई थी. मैं उसे इन कपड़ों में देखते ही उसके इरादे को समझ गया. मैं सचेत होकर बैठ गया. अंजना ने मेरे बहुत करीब आकर मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली " तुम्हारा सीना कुछ ज्यादा ही मुलायम नहीं लग रहा आज!" मैं उसका इशारा समझ गया. अंजना अब मेरे बहुत करीब आ चुकी थी. उसकी साँसें मुझे छूने लगी थी. मैंने उसे दूर जाने के लिए कहा. अंजना ने एक शैतान नजर मुझ पर डाली और बोली " अगर तुमने मेरा कहा नहीं मन तो मैं पिताजी से सारी बात कह दूंगी." मैं घबरा गया. अंजना ने धेरे से मेरे शर्त के बटन खोलने शुरू किये. मैं मजबूर था इसलिए कुछ नहीं कर सकता था. उसने मेरा शर्ट उतर दिया और फिर बनियान भी खोल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ संभल पता वो मुझे लिपट गई. मैंने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया था. अचानक उसने मुझे कुछ इस तरह से धकेला कि हम दोनों पलंग पर गिर गए. मैंने उसे दूर धकेला. अंजना ने अब अपनी हाफ पैंट उतार दी और टी शर्ट को खोलना शुर कर दिया था.

मैं अब समझ गया था कि उससे बच पाना मुश्किल है. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलने वाला कि हुस्न का दरिया मेरे सामने आकर खुद मुझे डूबने को कह रहा है. मैंने अब अंजना को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने से अपने सीने को लगा दिया. अंजना ने भी वापस इसी अंदाज में जवाब दिया. मैं और अंजना अब उसी मुद्रा में थे जिस तरह अंजना ने मुझे शीला आंटी के साथ देखा था. अब अंजना ने अपने होठों को मेरे होठों के बहुत करीब लाकर एक लम्बी सांस छोड़ी. मुझ पर जैसे एक नशा छा गया. मैंने अचानक अपने होंठ अंजना के होंठ पर रख दिए. अंजना ने मेरे होठों को चूम लिया. हम दोनों के शारीर में एक बिजली कि लहर जैसे दौड़ गई क्योंकि हम दोनों के लिए इस तरह के चुम्बन का यह पहला ही मौका था. हम दोनों को ऐसा लगा जैसे एक साथ ढेर सारी शक्कर की मिठास एक साथ मुंह में घुल गई हो. हम दोनों लगभग पांच मिनट तक एक दुसरे के होठों को चूमते रहे. अब मैंने अंजना को पलंग पर सीधा लिटा दिया और मेरी मनपसंद उसकी चिकनी टांगों और जांघों को बेतहाशा चूमने लगा. अंजना को यह बहुत ही पसंद आ रहा था. वो बार बार मुझे अपनी जांघें चूमने को कहती रही और मैं उसे चूमता रहा.

अंजना ने इसके बाद मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने स्तनों को चूमने को कहा. मैंने शीला के आंटी के स्तनों को बहुत करी से देखा था लेकिन कभी चूमा नहीं था. अब मुझे पहली बार किसी के स्तनों को चूमने का मौका मिल रहा था. मैंने उसके दोनों स्तनों को चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मलाई के सागर में तैर रहा हूँ. अंजना को तो ऐसा लगा जैसे वो बादलों में उड़ रही हो. अब अंजना ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. हम दोनों इसी तरह लगभग आधी रात तक एक दुसरे को चूमना जारी रखा. इसके बाद अंजना ने यह कहते हुए कि मंजुला को कोई शक ना हो जाए; अपने कपडे पहने और अपने कमरे में चली गई. मैं अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था.
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02-25-2019, 01:31 PM,
#72
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
अगली सुबह जहाँ एक तरफ मैं और शीला आंटी एक दुसरे को शरारती नज़रों से देख कर हंस रहे थे वहीँ अंजना और मैं भी इसी तरह मुस्कुरा रहे थे. अब मैं मंजुला की तरफ अपनी नजर गड़ा रहा था कि यह मुझे कब मिलेगी. लेकिन अब मुझे यह विश्वास हो चला था कि बहुत जल्दी मंजुला भी मेरी बाहों में आने वाली है.

अगले दिन अब मैं शीला आंटी और अंजना दोनों से मिलने के लिए बेताब हो रहा था. सवेरे जब मैं कोलेगे जाने के लिए तैयार हो रहा था तो अंजना मेरे कमरे में आ गई. उसें आते ही मेरे होंठ चूम लिए और भाग गई. मैं सवेरे सवेरे ही उत्तेजित हो गया.शाम को कॉलेज से आते ही शीला आंटी से सामना हो गया. आज शीला आंटी खुद के कमरे में मुझे ले गई. कुछ ही पलों में हम दोनों ने अपने ऊपर के कपडे खोल दिए और हमेशा कि तरह एक दुसरे से चिपट गए. अंजना के साथ अपने होठों के चुम्बन कि याद आते ही मैनुतावाला हो गया और मैंने शीला आंटी के होठों कि तरफ ललचाई नजर से देखा. शीला आंटी के होंठ कुछ सांवले रंग के थे लेकिन काफी रसभरे लग रहे थे. मैंने अब बेहिचक होकर अपने होंठ उनकी तरफ बाधा दिए और बहुत धीरे से उनके होंठो को सिर्फ छु लिया. शीला आंटी शायद इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. उन्होंने तुरन्त जोरों से मेरे होठों को अपने होठों से भींच लिया और मेरे होठों से रस खींचने लगी. मेरा बदन सरसरा उठा. शीला आंटी ने अब बेतहाशा मेरे होठों को चुसना शुरू कर दिया था. काफी मेहनत के बाद ही में शीला आंटी के होठों से रस चूस सका. मैं एकदम बेकाबू हो गया. शीला आंटी ने मुझे अब पलंग पर लेटने के लिए कहा और वो भी लेटकर मुझे लिपट गई. अब हम एक दुसरे के गालों; होठों और गर्दन के सभी हिस्सों को चूम रहे थे. आज मुझे अंजना का डर नहीं सता रहा था. शीला आंटी भी चूँकि बेकाबू हो चुकी थी इसलिए उसे भी समय का कुछ ध्यान नहीं रहा हौर हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे रहे और पागलों की तरह एक दुसरे को यहाँ वहां चूमते रहे. इसी बीच अंजना भी आ चुकी थी और हम दोनों को बाहर से चोरी छुपे देख रही थी. लगभग एक घंटे के बाद जब हम दोनों को ही संतुष्टि महसूस हुई तो हम दोनों एक दुसरे से अलग हो गए और मैं अपने कमरे में लौट आया. शीला आंटी ने जल्दी जल्दी कपडे पहने और ड्राइंग रूम में आ गई.

अंजना मेरे कमरे में आई और बोली " आज तो तुमने बहु जोरदार चुम्बन लिए हैं दोस्त. आओ मैं भी तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हूँ." यह कहकर उसने तुरंत मुझे गालों और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. फिर हमने इक दुसरे के होंठ चुसे और सावधानी से दूर हो गए.

अब रात का इंतज़ार था. अंजना रात को एक किताब लेकर कुछ पूछने के बहान एमेरे कमरे में आ गई. कुछ ही देर बाद जब हम दोनों को यह विश्वास हो गया कि मजुला सो गई है तो हम दोनों बिस्तर में गुस गए और एक चद्दर ओढ़ ली और अपना काम शुरू कर दिया. लगभग आधे घंटे तक हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा और फिर अंजना अपने कमरे में लौट गई.

अगले दिन अंजना और मंजुला अपनी किसी सहेली के जनम दिन कि पार्टी में कॉलेज से सीधे ही जानेवाली थी और रात को ही लोटने वाली थी. इसलिए शाम से लेकर रात तक मैं और शीला आंटी अकेले ही रहनेवाले थे औए मैं यही सोचकर रोमांचित हो रहा था. सच कहूँ तो अब मुझे सारा सारा दिन शीला आंटी का उभरा हुआ सीना अपनी आँखों के सामने घूमता हुआ दिखाई देता था.

शाम को घर आते ही मैं शीला आंटी के कमरे में गया. शीला आंटी ने एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मैंने हमेशा कि तरह शीला आंटी के उपरी कपडे उतार दिए और फिर शीला आंटी ने मेरे उपरी कपडे खोल दिए. मैं जैसे ही उनकी तरफ बाधा शीला आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेटीकोट के नाड़े की तरफ ले गई और मुस्कुराने लगी. मैंने पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया. शीला आंटी मेरा हाफ पैंट खोलने में लग गई. अब मेरे दिल की धडकनें बढ़ने लगी. मैंने देखा कि शीला आंटी ने इसके बाद मेरा अंडरवेअर खींचकर नीचे लेकर खोल दिया और मरे हाथ से अपना अंडर वेअर छुआ दिया. मैंने उनका अंडरवेअर भी खोल दिया. अब हम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र एक दूसरे के सामने खड़े थे. मैंने शीला आंटी को पहली बार निर्वस्त्र देखा था. उनका एक एक अंग गदराया हुआ था और हर अंग से रस टपक रहा था. शीला आंटी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और लिप्त लिया. मेरा पूरा शरीर कांपने लगा. हम दोनों ने धीरे धीरे हमेशा कि तरह एक दूजे को चूमना शुरू किया. कुछ देर बाद एक दूजे को होठों को खूब चूसा. शीला पीछे मुड़ी और मैंने उनकी पीठ को भी चूमा. अब शीला आंटी ने अपनी एक टांग उठाई और कुर्सी पर रखकर खड़ी हो गई. मैंने उनकी जांघ को जब चूमा तो शीला आंटी के मुंह से सिसकी निकल गई. मैं बेतहाशा उनकी जांघ को अह यह. शीला आंटी एक झटके से मुझे पकड़ पलंग की तरफ ले गई और हम दोनों पलंग पर लेट गए और लिपट गए.
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02-25-2019, 01:31 PM,
#73
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
काफी देर तक हम एक दूसरे से युहीं लिपटे चूमते रहे और बीच बीच में समझ दूजे के होठों का रस भी पीते रहे. अब मुझ पर बहुत नशा छा गया था लेकिन शीला आंटी सामान्य नजर आ रही हती. ये शायद उनकी उमर और अनुभव का असर था. तभी शीला आंटी ने तकिये के नीचे हाथ डाला और एक पैकेट निकाला. मैंने देखा वो कंडोम था. शीला आंटी ने उसे मेरे ताने हुए गुप्तांग पर चढ़ा दिया. मेरी घबराहट अब चरम सीमा पर थी. मेरी जिन्दगी में ये पहली बार होने जा रहा था. अब शीला आंटी ने अपनी दोनों टांगो को अंग्रेजी के वी टी तरह फैलाया और मुझे अपनी तरफ खींचा. अब मेरे शरीर का निचला हिस्सा शीला आंटी के उस वी के बीच में जा चुका था. अगले ही पल मुझे बहुत ही गुदगुदी जगह पर मेरे गुप्तांग के स्पर्श हो जाने का अहसास हुआ. शीला आंटी ने अपना एक हाथ उस स्थान पर ले गई और मेरे गुप्तांग को पकड़ लिया औए थोडा आगे की तरफ ले जाकर थोडा जोर लगाया. मुझे अचानक ही ऐसा लगा जैसे मेरा गुप्तांग किसी छेद में घुस रहा है. वो शीला आंटी का गुप्तांग था जिसमे मेरा गुप्तांग अब पूरी तरह से समां चुका था. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी रस से भरे तालाब में कूद गया हूँ. शीला आंटी ने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और बोली " बहुत अच्छा लग रहा है ना. मुझे भी एक लम्बे अरसे के बाद बहुत मजा आया है." फिर उन्होंने मुझे पीठ से दबा दिया और मुझे उपर नीचे करने लगी. मुझे एक अलग तरह का आनंद आने लगा और फिर मैं अपने आप ही जोर लगा लगाकर अपने गुप्तांग को शीला आंटी के गुप्तांग में और अन्दर की तरफ ले जाने लगा. फिर मैंने अपने गुप्तांग को पूरी तरह बाहर निकाला और फिर अन्दर डाला. अब लगातार मैं ऐसा करता रहा और शीला आंटी के मुंह से हरबार सिसकी और आह आह की आवाजें आती रही. शीला आंटी थोड़ी थोड़ी देर के बाद ही मुझे रोक देती और कुछ ठहरकर मुझे करने को कहती. मेरा पहला मौका था लेकिन मैंने शीला आंटी के साथ यह सम्भोग लगभग आधे घंटे तक जारी रखा. अब शीला आंटी ने मेरे दोनों होठों को इतनी जोर से चूसा कि मैं सब कुछ भूल गया और इतना जोर लगाया कि कुछ ऐसा महसूस हुआ कि मेरा गुप्तांग शीला आंटी के गुप्तांग कि आखिरी गहराई तक पहुँच गया है. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि शीला आंटी के गुप्तांग में बहुत नमी हो गई और मेरा गुप्तांग उस नमी से पूरी तरह भीग चुका है. अचानक ह शीला आंटी ने मुझे जोर से अपने सीने से दबा दिया. उनके बड़े बड़े स्तनों के गुदगुदे दबाव , मेरे और इनके होठों के रसों के आपसी मिलन और एक दूसरे से पूरी तरह से चिपटा होने का यह परिणाम निकाला कि मेरे गुप्तांग से एकदम ही कुछ बहने लगा.

क्रमशः....
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02-25-2019, 01:31 PM,
#74
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
शीला आंटी और उनकी दो बेटियाँ-2

गतान्क से आगे............. ......

मुझे अपना सारा शरीर तड़पता हुआ लगा और शीला आंटी ने मुझे इतना कसकर दबाया कि मेरे मुंह से भी आह और सिसकी निकल गई. अचानक ही शीला आंटी का शरीर बिन पानी की मछली की तरह कांपने लगा था. हम दोनों ने एक दूजे को बहुत कसकर दबा दिया और बेतहाशा एक दूजे के होठों को जोर जोर से चूसने लगे. कुछ ही सेकण्ड के बाद जैसे सब कुछ शांत हो गया. हम दोनों के शरीर बेजान हो गए. हम दोनों के शरीर के निचले हिस्से पूरी तरह से हिलाने डुलने बंद हो गए थे लेकिन शीला आंटी अब भी मेरे होठों को चुसे जा रही थी. हम दोनों के पुरे शरीर पर ढेर सारा पसीना आ गया था. शीला आंटी और मेरी छातीयों के बीच पसीना इतना अधिक हो गया था कि गीलेपन का अहसास बहुत आसानी से हो रहा था और हमारी छातीयाँ बार बार आपस में रगड़कर फिसल रही थी. लगभग दो मिनट के बाद शीला आंटी के होंठ भी हिलने बंद हो गए, अब भी लेकिन हम दोनों ने पाने अपने होंठ एक दूसरे से सटा रखे थे. काफी देर तक युहीं लेते रहने के बाद जब थोड़ी ताकत हमारे जिस्मों में लौटी तो मैंने अपने गुप्तांग कू शीला आंटी के गुप्तांग से बाहर निकाला. हम दोनों ने ही देखा कि कंडोम में बहुत सारा लिक्विड भर चुका था और वो पूरी तरह से लटक गया था. हम दोनों एक दूसरे को देखकर एक संतुष्ट हंसी हंसने लगे. शीला आंटी ने कहा " तुम्हें मजा आया." मैं बोला " बहुत ही ज्यादा मजा आया है. अब अगली बार कब करेंगे फिर से ?" शीला आंटी ने मुझे एक बाद फिर चिपटा लिया और मेरे होठों को एक बार फिर चूसा और बोली " मुझे भी आज बरसों बाद ऐसा मजा आया है. जब भी मौका मिलेगा हम पूरा फायदा उठाएंगे." हमने देखा कि रात के दस बज चुके थे. हम दोनों जब मिले थे तब केवल छः बजे थे. यानी कि हमने लगभग चार घंटे तक सम्भोग का मजा लूटा था. शीला आंटी ने कहा " उन दोनों के आने का वक्त हो गया है. जाओ अपने कमरे में जाओ." सीके बाद शीला आंटी ने मुझे कंडोम का पूरा पैकेट देते हुए कहा " इसे तुम अपने पास ही रखो. फिर काम आयेगा." मैं अपने कमरे में आ गया. सारी रात मैं शीला आंटी के सपनों में ही खोया रहा.

अगले दिन सवेरे फिर वो ही हुआ अंजना मेरे कमरे में तेजी से दौडती हुई आई. मैं पलंग पर ही लेता हुआ था क्योंकि मेरा सारा शरीर टूट रहा था और मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी. अंजना ने जब मुझे लेते देखा तो तो वो अचानक से मेरे ऊपर लेट गई और मेरे होठों को चूसने लगी. तभी कुछ आहट हुई और वो जिस तेजी से आई थी उसी तरह से बाहर दौड़कर चली गई.

शाम को जब मैं घर लौटा तो शीला आंटी नहीं थी. घर पर ताला लगा हुआ था. मेरे पास दूसरी चाबी नहीं थी. कुछ ही देर में मुझे मंजुला आती दिखी. उसने आते ही कहा " मां; अपनी किसी सहेली के जन्मदिन कि पार्टी में गई हुई है. सवेरे वो जल्दी जल्दी में तुम्हें बताना भूल गई थी. मुझे बता रखा था इसलिए मैं जल्दी आ गई हूँ." हम दोनों घर में दाखिल हो गए. ना जाने मुझे ऐसा क्यूँ लगने लगा कि आज मंजुला और मेरा मिलन भी हो जाएगा. मैं अपने कमरे में आ गया. मैंने जल्दी जल्दी अपने कपडे बदले और हाफ पैंट तथा बनियान पहनकर मंजुला के कमरे कि तरफ चला आया. उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. मैंने देखा वो कपडे बदल रही थी. उसने नीचे तो शोर्ट पहन ली थी लेकिन ऊपर पहनने के लिए आलमारी में कुछ ढूंढ रही थी. वो उस बक्त केवल अपनी ब्रा में थी. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. मैं बिलकुल नहीं घबराया और बड़े ही आताम्विश्वास के साथ कमरे में घुस गया. मैं उसके पीछे जाकर उसके बहुत करीब खड़ा हो गया. उसकी पीठ का खुला हिस्सा मेरे सामने था. उसके जिस्म से भीनी सी महक आ रही थी. मैंने धीरे अपना मुंह उसके कान के पास ले जाकर उसके कानों में फुसफुसाया " अब कुछ मत पहनो तुम युहीं बहुत अच्छी लग रही हो." मंजुला ने डरते हुए पलट कर देखा तो मैं सामने खड़ा था. वो एक थडी सांस के साथ मुस्कुराई और बोली " तुमने तो मुझे डरा ही दिया था. क्यूँ नहीं पहनूं कुछ और ? " मैंने कहा " बस युहीं." मंजुला ने शरारत भरी आवाज में कहा " इस युहीं का मतलब?" मैंने अपनी बाहें उसके गले में डाल दी और बोला " अब और समझाऊं क्या?" मंजुला ने अपना चेहरा अब मेरे चेहरे के बहुत करीब कर लिया था. मैंने उसके रसीले होठों को बहुत ही करीब से देखा. उनमें से रस तो जैसे छलक रहा था. उसकी साँसें अब तेज चलने लगी. मैंने बहुत धीरे से अपने होठों को उसके होठों से सिर्फ छूने दिया. आगे का काम मंजुला ने कर दिया. उसने तुरंत मेरे होंठ अपने होठों के बीच में दबा दिए और उन्हें बहुत जोर से चूस लिया. मैंने भी वापस जोर लगाकर उसके होठों का सारा रस एक साथ हो चूस लिया. मंजुला अब कुछ बेकाबू होने लगी थी. मुझे इसी का इंतज़ार था. मेरी नज़र शुरू से उसके रसीले होठों पर थी इसलिए मैंने उसके होठों को चुसना लगातार जारी रखा. इसके बाद जब मंजुला थोड़ी ढीली पड़ने लगी तो मैंने उसे पलंग पर गिरा दिया. हम दोनों अब पलंग पर लोट रहे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे. काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा. मंजुला ने मेरे कान में कहा " क्या तुम और आगे बढ़ना चाहोगे?" मैं कुछ कहत उसके पहले ही उसने मेरे हाथ खींचे और अपनी अंडरवेअर को मेरे हाथ में थमाया. मैं समझ गया लेकिन तभी दरवाजे कि घंटी बज गई. हम दोनों ही घबरा गए. मंजुला बाथरूम में दौड़ गई. मैंने तुरन्त अपने कपडे पहने और दरवाजा खोल दिया. शीला आंटी लौट आई थी. हम दोनों एक दूजे को देखकर मुस्कुराए. मंजुला काफी देर तक बाहर नहीं आई. मैं थोडा घबराया लेकिन तभी वो कपडे बदलकर बाहर आई और शीला आंटी से यह कहते हुए कि वो अपनी किसी सहेली के यहाँ जाकर आ रही है और बाहर निकल गई.
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02-25-2019, 01:31 PM,
#75
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
अब मेरा हौसला बहुत बढ़ चुका था. इससे पहले कि शीला आंटी अपने कमरे की तरफ बढ़ती मैंने उनके पीछे दौड़कर उन्हें अपनी बाहों में भर लिया. शीला आंटी चौंक गई और बोली " तो अब तुम इतनी हिम्मत जुटा चुके हो?" मैंने उनके गले को चूमते हुए कहा " ये सब आप ही ने मुझे सिखाया है." अब शीला आंटी ने मेरा गला चूम लिया. हम दोनों ही यह जानते थे की अंजना कभी भी आ सकती है इसलिए हमने अपने कपडे उसी तरह रहने दिए और एक दूसरे के जिस्म के अलग अलग हिस्सों को चूमने लगे. तभी दरवाजे की घंटी बजी. अब अंजना के आने की आवाज भी सुनाई दी. शीला तुरंत अपने कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया. मैंने दरवाजा खोला. अंजना मुझे देखते ही हंसी और बोली " तुम मां के साथ थे क्या?" मैंने मन करते हुए कहा " नहीं; वे तो अभी अभी ही लौटी है और अपने कमरे में गई है." अंजना ने शीला के कमरे का दरवाजा बंद देखा और मुझे अपनी बाहों में भरते हुए कहा " तो चलो अपने कमरे में. जब तक मां बाहर नहीं आ जाती हम ...." मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया. हम एक साथ पलंग पर गिर पड़े और चूमने चाटने का दौर शुरू हो गया. मैं अपने आप को आज बहुत ही खुश-किस्मत समझ रहा था. मैंने आज केवल आधे घंटे के अन्दर अन्दर ही शीला आंटी , मंजुला और अंजना के होठो का रस पिया था. आज तक शायद कोई ऐसा नहीं कर सका होगा. मैं ये सोच रहा था और उधर अंजना मेरे होठों और गालों को चूमे जा रही थी. तभी शीला आंटी के कमरे के खुलने की आवाज आई. अंजना अपने कमरे में दौड़ कर चली गई. शीला ने देखा की अंजना ने अपने कमरे में प्रवेश कर लिया है तो उसने मेरी तरफ एक मुस्कराहट फेंक दी. मैं भी मुस्कुरा दिया. अब मैं अपने कमरे में लौट आया था.

रात को जब मैं सोने लगा तो मुझे डर सा लगने लगा. इसका कारन यह था की अंजना और मंजुला दोनों ही कभी भी एक साथ आ सकते हैं. अगर ऐसा हो गया तो सारी पोल खुल जायेगी. दोनों बहनों में झगडा भी हो सकता है. मेरे दिल काँप उठा. फिर यह ख़याल भी आया कि कभी शीला आंटी भी आ सकती है. अब हर आहट पर मैं डरने लगा. पहली रात को कोई नहीं आ पाया.

अगले दिन सवेरे शीला आंटी के पति लौट आये. मैं एकदम से उदास हो गया. जब तक मैं कॉलेज गया तब तक शीला आंटी को मैं एक बार भी मुस्कुराते हुए नहीं देख सका था. वो भी कुछ उदास लग रही थी.

शाम को मैं कॉलेज से लौटा तो चाचा घर पर ही थे और शीला आंटी के साथ बैठे चाय पी रहे थे. अब तो मुझसे रहा नहीं गया. अब मैं शीला आंटी को कैसे अकेले में मिलूं यही सोचने लगा. लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. सारा दिन युहीं बीत गया. चाचा के घर होने के कारण अंजना और मंजुला भी मुझसे नहीं मिल पाई. यह पहला दिन था जब मैंने किसी एक को भी ना तो अपने सीने से लगा पाया था और ना ही चूम सका था. मेरा शरीर बेजान हो चला था. मैं झुंझलाते हुए अपने कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि शीला आंटी के कमरे कि लाईट बंद हो चुकी है तो मैं ड्राइंग रूम में आ गया. अंजना और मंजुला के कमरे के बाहर मैं खड़ा हो गया और उनके कमरे के भीतर झाँकने कि कोशिश करें लगा. मैंने देखा कि दोनों ही शायद अपने कॉल्लेग का कोई होम वर्क कर रही थी. मैं अब हर तरह से हार कर लौट आया और चद्दर ओढ़ कर सो गया.

मैं गहरी नींद में था. अचानक मेरी आँख खुल गई. कोई मेरे बिस्तर पर बैठ कर मेरी चद्दर खींच कर मेरी चद्दर में घुस रहा था. मैं खुश हो गया. मैंने सोचा कोई भी हो पूरा दिन तड़पा हूँ. अचानक मेरी कानों में अंजना कि आवाज आई " सो रहे हो! चलो उठो जल्दी! मैं हूँ अंजू." मैंने तुरंत अंजू कि तरफ अपना मुंह किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया. अंजू ने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

मैंने और अंजू ने अपने कपडे उतार दिए और हम दोनों अब केवल अपने अंडर गारमेंट्स में ही रह गए थे. हम दोनों ने के दूजे को चूमना शुरू किया और जल्दी ही हमने एक दूजे के लगभग सारे जिस्म को गीला कर दिया था. अंजना अब मदहोश हो चली थी. मैंने उसे पलंग पर सीधा लिटाया और उसकी ब्रा खोल दी. मैंने अपने कमरे कि लाईट जला दी. अब अंजू का जिस्म लाईट में दमकने लगा. अंजू को भी अपने दमकते जिस्म को देखकर बहुत ख़ुशी हो रही थी. उसने अपनी गठीली टांगों और रसीली जाँघों को बार बार अपने हाथों से मसलना शुरू किया. मैंने उसकी जांघें चूम चूमकर लाल और गीली कर दी. मैं और अंजू अब पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे. अंजू मुझे पागलों कि तरह चूम रही थी. मैंने अपनी आलमारी से शीला आंटी का दिया हुआ कंडोम का पैकेट निकाला और अंजू कि तरफ फेंक दिया., अंजू ने उसे देखा और बोली " तो तुम हर वक्त तैयार रहते हो?" मैंने कहा " तुम्हें देखते ही मैं तैयार हो जता हूँ." अंजू ने एक शर्त भरी नजर मुझ पर डाली और बोली " इसमें एक कंडोम कम है. क्या तुम ने ....." मैंने अंजू के गालों को चूमा और कहा " तुम अपनी बात कहो." अंजू ने मेरे होठों पर अपनी ऊंगलीयाँ फेरते हुए कहा " अब पूछकर वक्त बर्बाद मत करो." इतना कहकर अंजू ने मेरा अंडर वेअर उतार दिया और मैंने उसका. मैंने कंडोम को अपने गुप्तांह पर चढ़ाया और अंजू ने अपनी टांगें फैला दी. मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने गुप्तांग को अंजू के जननांग के अन्दर धकेलने लगा. शीला आंटी के जननांग के अन्दर मेर अगुप्तांग बहुत जल्दी चला गया था जबकि अंजू के अन्दर जाने में काफी परेशानी हो रही थी और अंजू को दर्द भी होने लगा. हम दोनों डर गए. मैं कुछ देर के लिए रुक गया लेकिन अंजू ने जिद की कि मैं बिलकुल ना रुकूँ. मैंने थोडा रुक रुक कर धकेलना जारी रखा. लगभग तीन-चार मिनट कि मेहनत औए दर्द के बाद मैं कामयाब हो गया. अंजू का जिस्म पसीने में पूरी तरह भीग गया था. लेकिन उसके होठों पर सफलता और आनद कि मुस्कान थी. मैंने अंजू के होठों पर अपने होंठ रख दिए. हमने एक दूजे के होठों को आपस में बहुत देर तक चूसा. मैंने मेरे गुप्तांग को अंजू के जननांग के अन्दर धीरे धीरे धकेलना और निकलना जारी रखा. अब हम दोनों का मजा अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था. तभी अचानक अंजू ने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया औए मेरे होठों को अपने होठों से लगभग भींच लिया. मैंने देखा कि अंजू के शरीर में बहुत तेज हलचल होने लगी थी. मैंने ही अंजू को अब उतने ही जोर से पकड़ा और अपनी जीभ से उसकी जीभ सटा दी. हम दोनों अब पूरी तरह से एक दूसरे में सिमट चुके थे. अचानक अंजू बेकाबू हो उठी. मैंने भी अपने गुप्तांग को अब उसके जननांग में दूर तलक पुरे जोर से धकेल दिया. कुछ ही पलों के बाद मेरे गुप्तांग से रस की धारा निकल पडी और अंजू के मुंह से एक जोर की सिसकी निकल गई. हम दोनों अब पूरी तरह से थक कर चूर हो गए थे. हम इसी तरह से कुछ देर तक लेटे रहे. आखिर में मैंने अंजू के होठों को चूमा औए अंजू ने मेरे होठों को चूमा.. अंजू और मैंने अपने अपने कपडे पहने औए अंजू अपने कमरे में चली गई.
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02-25-2019, 01:31 PM,
#76
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
अब मैं मंजुला के साथ सम्भोग का इंतज़ार करने लगा. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि अगले दिन ही मुझे ये मौका मिल जाएगा. मुझे कॉलेज नहीं जाना था क्यूंकि मेरे गाइड आज आनेवाले नहीं थे. मैं घर पर ही था. चाचा अपने काम पर चले गए. अंजना और मंजुला दोनों कॉलेज चली गई. इनके जाते ही शीला आंटी मेरे कमरे में आ गई. मैं भी उन्ही का इंतज़ार कर रहा था. शीला आंटी ने आते ही मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैं छुट्टी के मूड में था इसलिए एक अलग तरह का जोश था. मेरे और शीला आंटी के पास करीब पूरा दिन था. हम शुरू ही हुए थे कि शीला आंटी को कोई काम याद आ गया और वो मुझे छोड़कर पड़ोस में चली गई. तब तक मैं भी बाज़ार कुछ खरीदने चल अगया. जब मैं लौट कर आया तो शीला आंटी बाथरूम में थी और नहा रही थी. दरवाजा खुलने कि आवाज से उन्होंने मुझे आवाज लगाईं. मैंने कह दिया कि मैं ही हूँ. शीला आंटी ने फिर आवाज लगाई और मुझे अपना तौलिया लाने के लिए कहा. मैं उनका तौलिया लेकर उन्हें देने लगा तो शीला आंटी ने मुझे बाथरूम में खींच लिया. शीला आंटी पूरी तरह से भीगी हुई थी और उनके सारे बदन पर पानी की बूंदें चमक रही थी. मैं उन्हें देखता ही रह गया. शीला आंटी ने मेरे कपडे खोलने शुरू किये. मैंने भी मदद की. अब हम दोनों ही निर्वस्त्र थे. शीला आंटी ने शोवर चला दिया. मैं और शीला आंटी पानी की बौछारों में नहाने लगे. मैंने फिर शीला आंटी को अपनी तरफ खींच लिया. शीला आंटी ने तुरंत मेरे गीले बदन को अपने गरम गरम होठों से चूमना शुरू कर दिया. शीला उन्ती के बदन से बह रहा पानी मुझे किसी अमृत से कम नहीं लग रहा था. मैं उन्हें जगह जगह चूमने लगा. शीला आंटी ने हँसते हुए कहा " तुम पागल तो नहीं हो गए." मैंने कहा " पागल ही समझ लें." शीला ने अचानक मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए. उनके गरम होंठ ने मेरे बदन में ज्वाला जगा दी. बाथरूम काफी बड़ा था. उसमे बात टब भी लगा हुआ था. उसमे पानी भरा हुआ था. मैं शीला आंटी को लेकर उस टब में उतार गया. हम दोनों उसमे बैठ गए. हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाना शुरू किया. शीला आंटी के चिकने जिस्म पर मेरे हाथ फिसलने लगे. शीला आंटी को बहुत मजा आने लगा था. अब हम पानी से भरे हुए टब में दोनों लिपट कर लेट गए. हम दोनों के एक दूजे को चूमना शुरू कर दिया. आपस में होठों को भी खूब चूसा. अचानक शीला आंटी ने मेरे गुप्तांग को अपने हाथ में लिया और अपनी जाँघों के बीच में फंसा लिया. मैंने धीरे धीरे उसे हिलाने लगा. हम दोनों को यह बहुत ही अच्छा लगा. बहुत देर तक यह सब चलता रहा फिर अचानक ही मेरे गुप्तांग से रस की धारा बाहर आ गई और मैंने शीला आंटी को जोर से दबा दिया. उन्होंने भी मुझे होठों से चूम लिया. पुरे दो घंटों तक हम दोनों साथ साथ युहीं खेलते रहे.

मंजुला कॉलेज से थोडा जल्दी आ गई थी. शीला आंटी बाहर गई थी और अंजना कॉलेज से सीधे उन्हें किसी दूकान पर मिलने वाली थी. मेरा रास्ता साफ़ था. मंजुला के आते ही मैं तियार हो गया. उसे देखते ही मैं मुस्कुराया. वो भी मुस्कुरा दी. मैं उसके करीब गया. उसका हाथ पकड़ा. उसने कहा " क्या कर रहे हो?" मैं बोला " जो काम कल अधुरा रह गया था वो अज कर डालते हैं." मंजुला बोली " तो चलो देर किस बात की." मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया.

मैंने मंजुला के सारे कपडे उतार दिए, उसने मेरे उतार दिए. हम दोनों बिस्तर में थे और बुरी कदर एक दूसरे को चूम रहे थे. बहुत जल्दी ही मैंने मंजुला को तैयार रहने को कहा क्यूंकि वक्त कम था. शीला आंटी और अंजू कभी भी आ सकती थी. मैंने तुरंत कंडोम लगाया और मंजुला के जननांग में धकेल दिया. उसे अंजना की तरह से दर्द हुआ लेकिन उसने भी रुकने के लिए नहीं कहा और बोली " मां आ जायेगी. तुम रुको मत." मैंने थोडा ज्यादा जोर लगाया और तुरंत मैंने उसके बहुत भीतर तक गुप्तांग को पहुंचा दिया. मजुला के चेहरे पर एक ख़ुशी और संतोष की लहर दौड़ गई. हम चरम सीमा पर आ गए और मैंने अब रस छोड़ दिया. मंजुला ने अपने रस भरे होंठ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा " अब जल्दी से तुम भी रस पीओ और मुझे भी पिला दो. " हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत ही जोर से चूमा. हम दोनों में अब बिलकुल ताकत नहीं बची थी. मंजुला कुछ देर बाद अपने कमरे में चली गई. मैं ये सोच सोचकर मन ही मन खुश हो रहा था कि कितना कुछ हो गया है अब तक. विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने एक मां और उसकी दोनों बेटियों के साथ संभोग सम्बन्ध बना लिए हैं.

ये सिलसिला अब तक जारी है. हाँ यह जरुरु है कि मुझे बहुत चौकन्ना रहना पड़ता है कि कहीं किसी को एक दूसरे पर शक ना हो जाए.
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02-25-2019, 01:31 PM,
#77
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मिली और मैं 



यह कहानी मैं अपनी मिली के लिए लिख रहा हूँ. मिली मेरी जान है, और उसके पास मेरी सबसे प्यारी चूत है. कुछ ही दिनो में उसकी शादी होने वाली है अर्जुन नाम के एक लड़के से. अर्जुन एक 6 फुट का नौजवान है जो मिली को बिस्तर में बहुत मज़े देता है. अर्जुन भी मेरी मिली की तरह बहुत चुदासु है. वो तो लड़कों को भी चोद्ता है, और इससे मिली बहुत गरम हो जाती है.

उस दिन मिली और मैं चुदाई के बाद बात कर रहे थे. तब मुझे मिली ने कहा कि उसकी बड़ी इच्छा है कि स्मृति ईरानी (क्योंकि सास भी कभी बहू थी की तुलसी वीरानी) उसकी सास हो और रक्षंदा ख़ान उसकी ननद. यही नही, उसकी एक चुदाई-सहेली है, रेणु, जिसे वो अपने पति के घर में नौकरानी रखना चाहती है. तब मैने अपने होंठो से मिली की आँखों पर हल्के से चूमा और अपना हाथ उसकी गीली चूत पर रख दिया. फिर मैने उसकी आँखें बंद की और उसे उसकी सुहाग रात के अगले दिन की कहानी बताना शुरू की.

मिली और मेरा एक अग्रीमेंट है कि उसकी सुहाग रात के दिन उसे अर्जुन के सामने मैं चोदून्गा. आक्च्युयली, जब अर्जुन ने मिली से शादी करनी चाही तो मिली ने यह शर्त रखी थी. अर्जुन के मान जाने पर ही वो शादी के लिए राज़ी हुई. खैर, सुहाग रात के दिन मैने नंगे अर्जुन के सामने उसकी पत्नी को बहुत चोदा. फिर उसी के बिस्तर में मिली और मैं सो गये. अर्जुन को ज़मीन पर ही सोना पड़ा.

अगले दिन, मिली सबसे पहेले उठी. उसने अपने नंगे बदन पर एक नाइटी डाली और कमरे से बाहर गयी. वहाँ जो उसने देखा, उससे तो उसकी चूत इतनी गरम हो गयी वो ऑलमोस्ट झाड़ ही गयी. उसकी सास, स्मृति, सिर्फ़ सफेद रंग के अंदर के कपड़ों में सोफा पर बैठी थी. उसका गोरा बदन, वो बड़े बड़े उभार, और वो चिकनी मोटी जांगें जैसे बुला रही हो, "आओ, मुझे चोदो. मैं बहुत दिनो से चुद्ने के लिए बेकरार हूँ."

स्मृति अकेली नही थी. रेणु भी थी. और उसके तन पर एक भी कपड़ा नही था. इस घर का यह नियम था कि नौकरानी कभी भी कपड़े नही पहेन सकती, और जो भी चाहे उसे चोद सकता है. वैसे तो मिली ने रेणु को कई बार चोदा था पर उसे अपनी सास के पैर दबाते हुए इस हाल में देखना उसे कुछ ज़्यादा ही मज़े दे रहा था. रेणु का बदन भी बहुत गोरा है, और उसके मम्मे पके हुए आमों से कम नही है - उतने ही बड़े और उतने ही रसीले. उसकी गांद तो लगता है कि उपर वाले ने बड़ी नज़ाकत से बनाई है.

तभी वहाँ रक्षंदा आती है. अपनी ननद को यूँ वस्त्र-हीन देखकर मिली की चूत एक बार तो झाड़ ही गयी. अगर रेणु का रंग गोरा है, तो रक्षंदा का तो मैदे जैसा है. चिकना बदन है, और उसके निपल्स बहुत पिंक हैं. और उन रसीले होंठो के बारे में तो पूछो ही मत.

स्मृति: अर्रे, मिली आओ. कैसी रही तेरी सुहाग रात? मिली: अच्छी थी मम्मी. रक्षंदा: सिर्फ़ अच्छी? मिली: नही. बहुत अच्छी थी. इतना मज़ा तो मुझे कभी नही आया.

रक्षंदा मिली के पास आती है और उसकी नाइटी उतार देती है. फिर वो उसके सावले बदन पर अपनी नाक रगड़ती है. मिली की सिर्फ़ चूत ही नही, उसके मम्मे भी एकदम मस्त हैं. पर इस समय रक्षंदा मिली की चूत सूंघ रही थी.

रक्षंदा: मम्मी, इसकी चूत से सुपादे की गंध तो आ रही है लेकिन यह सुपाड़ा भैया का नही है. स्मृति: क्या? मिली, कल किससे चुदी तू? मिली: अपने आशिक़ से. अगर आप नही जानती तो यह मेरी अर्जुन से शादी करने की शर्त थी. स्मृति: अर्जुन! अर्जुन, बाहर तो आ रे.

अर्जुन अपनी मा की आवाज़ सुनकर नंगे बदन आता है. उसका काला लॉडा खड़ा हुआ है, और उससे हल्की सी पानी की रेखा छ्छूट रही है. उसके आँड एकदम तने हुए हैं.

अर्जुन: आपने बुलाया मा? स्मृति: हां. मिली क्या कह रही है? कि कोई शर्त थी? तब भी तूने शादी की इससे? अर्जुन: मा, आपको तो पता है कि इस घर में कोई रांड़ ही बहू बन सकती है. मुझे इससे बड़ी कोई भी रांड़ नही मिली. इसका मूह तो देखिए. इससे अच्छा कोई लॉडा नही चूस्ता है. और, अगर मैं इसकी चुदाई-सहेलियों की बात पर यकीन करूँ तो इससे अच्छी चूत भी कोई चाट ती नही है. इसके घर आने से रक्षंदा और आपकी चूत, और मेरे और पिताजी के लॉड सब खुश रहेंगे. स्मृति: ह्म... यह तो तूने ठीक कहा. अब मालूम हुआ कि मैने एकदम रंडवे बेटे को जनम दिया है. चूत खुश हो गयी यह जानकार.

स्मृति अपने हाथ में अर्जुन का अंग पकड़ लेती है और उसे अपनी मूह की तरफ लेती है. होन्ट से चूमती है और फिर चूसने लगती है. मा बेटे का यह प्यार देखकर मिली बहुत खुश हुई. उसकी दिल्ली तमन्ना थी कि उसका पति उसकी सास को चोदा करे.

वैसे तो अर्जुन और मिली का समझौता सिर्फ़ सुहाग रात तक ही सीमित था लेकिन अपनी जान की सास की गोरी जांगें देखकर मेरी नियत बदल गयी. फिर जब मैने उन्हे अपने ही बेटे का लंबा अंग चूस्ते देखा तब तो बस मुझे मालूम हो गया कि मुझे इस 48 वर्षीए चूत में अपना 7 1/2 इंच का लंड मारना ही है. मैने स्मृति की ओर प्रस्थान किया. सबसे पहेले मुझे रक्षंदा ने आते देखा.

रक्षंदा: ओह, तो यह है मेरी भाभी का आशिक़.

स्मृति भी अर्जुन को चूसना रोक कर मेरी ओर देखने लगती है. उसकी आँखें बता रही थी कि उसे मेरा शरीर पसंद आ रहा है.

रक्षंदा: वैसे, मिस्टर. आशिक़, तेरा लॉडा खड़ा कैसे है? भाभी ने तो कम से कम कल रात तुझे सात बार चोदा होगा. अब भी तेरे में इतनी शक्ति है चोद्ने की? मैं: सच बोलूं तो मुझे भी नही पता था कि मेरी मर्दानगी इतनी जल्दी जाग जाएगी. ये तो तेरी मा की गोरी जांगें और उनके मूह में अर्जुन के लॉड का कमाल है. स्मृति: यहाँ तो ला अपना अंग. मैं भी तो देखूं कि इसमें ऐसा क्या मिला मेरी बहू को जो मेरा बेटा नही दे पाया इसे.

स्मृति मेरा लॉडा अपने कोमल हाथों में लेती है, और दो तीन बार हिलाती है. क्योंकि मैं खड़ा था और वो बैठी मुझे उसकी ब्रा के अंदर तक दिखाई दे रहा था. मुझसे अब और नही रहा गया और मैने उसकी ब्रा खोल दी. इससे पहेले कि वो कुछ भी बोल सके, मेरे हाथ उन चूचों पर थे और उन्हे दाब रहे थे. इतने बड़े और तने हुए मम्मे मैने आज तक कभी भी अपने हाथों में नही लिए थे. मैने अपना दाया पैर उठाकर उसकी चूत के पास रखा और उसकी चड्डी के उपर से ही अपने पैर के अंगूठे से उसकी चूत घिसने लगा. उसकी आँखें बंद हो गयी और उसने मेरा लॉडा अपने मूह में ले लिया.

अब तक मैं मिली को सबसे अच्छा लॉडा चूसने वाली समझता था. अब भी मेरी फॅवुरेट वोही है. लेकिन अगर थोड़ी प्रॅक्टीस करे तो स्मृति मिली से आगे निकल सकती है. उसके होन्ट जब मेरा लंड चूस रहे थे तब उसके दाँत हल्के हल्के काट रहे थे और ज़बान उन जगहों पर घूम रही थी जिनके बारे में मुझे पता ही नही था. मैने भी उसकी चूत रगड़ना जारी रखा. जब मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है तब मैं रुक गया. इससे स्मृति एकदम बौखला गयी.

स्मृति: कैसा मर्द है रे, भद्वे? औरत के छूटने से पहेले ही रुक गया? मैं: रुका नही, मेरे मन में इस समय एक आइडिया है. चलिए, आप चड्डी उतारिये और कुतिया बन जाइए.

इस समय तो स्मृति को अगर मैं रेणु की चूत चाटने कहेता तो वो भी करती. यह तो उसके लिए बहुत ही आसान था. बहुत जल्दी उसकी गोरी चिकनी गांद हवा में थी और मेरा मूह उसकी चूत पर. यहाँ भी मैने यही सिलसिला जारी रखा. उसकी योनि को मैं चाट ता लेकिन उसके झड़ने से पहेले रुक जाता. वो पागल हो रही थी और झड़ने के लिए बेताब थी.

स्मृति: साले, तू चाहता क्या है? मेरी जान निकालेगा क्या इस तरह से? मैं: नही. सब आपके हाथ में ही है. मैने अपने आप से एक वादा किया था कि जिस भी घर में मिली शादी करेगी, वहाँ पर उसकी सास का नही उसका हुकुम चलेगा. आपको अभी यह मान ना हो गा कि आज से मिली आपकी मालकिन है और आप उसकी दासी. घर का हर सदस्य मिली की हर बात मानेगा. मिली के सामने कोई भी कभी भी कपड़े नही पहेनेगा. मिली जो चाहे किसी के भी साथ कर सकती है. स्मृति: पागल हो गया है क्या? यह कभी नही हो सकता.

मैने कुछ कहा नही. सिर्फ़ स्मृति को तड़पाता गया. उसकी सबर की सीमा ख़तम होने आ रही थी. फिर जब मैने एकदम से उसकी गांद में दो उंगली दी तब वो चीख उठी.

स्मृति: अबे ठीक है, भद्वे. तू जीता. तेरी हर शर्त मंज़ूर है मुझे.

मैं: गुड. तो शूरवात अभी से करते हैं. मिली, लेट जा अपनी सास के नीचे और अपनी चूत इसके मूह पे रख. स्मृति, अपने होंठो से इसकी चूत को बंद कीजिए. मिली, अब तू मूतेगि और तेरी सास इसे पिएगी. अगर एक भी बूँद बाहर तपकी तो इसे मैं झड़ने नही दूँगा.

अपनी मा को इस हाल में देखकर, भाई-बहेन आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे थे. रक्षंदा ने अर्जुन का लॉडा अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और अर्जुन की उंगलियाँ अपनी बहेन की चूत को चोद रही थी. उनके मूह आपस में जुड़े हुए थे और ज़बानें एक दूसरे के मूह के अंदर थी. ऐसा काले और गोरे बदन का संगम मैने कभी नही देखा था. रेणु से भी बर्दाश्त नही हुआ और उसने भी अर्जुन की काली गांद को चाट ते हुए अपनी चूत घिसना शुरू कर दिया.

जब मिली ने मुझे इशारा दिया कि उसकी सारी पेशाब उसकी सास ने पी ली है तब मैने उसकी चूत में तीन उंगली, और गांद में दो, देते हुए उसे चाटना शुरू किया. बहुत ही जल्दी वो झड़ने लगी और एक ज़ोर की चीख के बाद वहीं पर मदहोश हो गयी.

वैसे, मैने मिली के कहेने पर अर्जुन की काफ़ी गांद मारी है. उसे दो लड़कों को चोद्ता देखा बहुत ही मज़ा आता है. लेकिन, इस बार मुझे बड़ी इच्छा हो रही थी अर्जुन की लेने की. मैने भाई-बहेन को अलग किया और एक ही झटके में अपने पुरुषांग अर्जुन की गांद में दे मारा. रक्षंदा ने अपने भाई का यह रूप पहेले नही देखा था. वो इतनी गरम हो गयी कि झाड़ ही गयी.

मैने अर्जुन का लॉडा हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया. और उसकी गांद मारता ही गया. मैं रुकने के मूड में था नही लेकिन रेणु का अपनी मालकिन के सामने खुले आम मूठ मारना मुझसे देखा नही गया. मैने अर्जुन को सोफा पर बैठा दिया और रेणु को उसके लॉड पर. फिर मैने अर्जुन का लॉडा रेणु की गांद में डाला और सामने से मैने उसकी चूत संभाली. रेणु की चीखें करुणा वाली भी थी और मज़े वाली भी.

वहीं, मिली अपनी ननद के मूह पर बैठी हुई थी और अपनी चूत चुस्वा रही थी. मिली के हाथ रक्षंदा के गोरे बड़े मम्मों पर थे जिन्हे वो बड़े ही बेदर्दी से दाब रही थी. उसकी गोरी टाँगें बार बार खुल-बंद हो रही थी. जब मिली ने यह देखा तो उसने पास ही रखे एक रुमाल से अपनी नंद की चूत पर कस्के वार किया. उसकी सफेद चूत पर एक लाल निशान तो पड़ गया लेकिन उस वार से रक्षंदा झाड़ भी गयी.

दुगनी चुदाई से रेणु की गांद और चूत फटने को आ रही थी. पर साथ ही वो झड़ने के बहुत करीब थी. उसे झाड़ने के लिए मैने उसके मूह पर ज़ोर का चुम्मा दिया और अर्जुन ने पीछे से उसके गोरे चूचे दाब दिए. रेणु तो झड़ी ही, साथ में अर्जुन ने भी अपना सारा सुपाड़ा रेणु की गांद में छ्चोड़ दिया.
अब सिर्फ़ एक ही काम बचा था. मैने मिली को अपनी बाहों में भर लिया और अपना हाथ उसकी गांद के नीच रख कर उसे गोदी में उठाया. फिर मैने उसकी चूत अपने लॉड पर रखी और पूरा अंदर घुस गया. मिली ने भी अपनी टाँगें मेरी कमर पर लॉक कर ली और हमारे होन्ट आपस में मिल गये. एक दीवार पर मिली की पीठ टिका के मैने उसे चोद्ना शुरू किया.

मैं छ्छूटने के बहुत करीब था पर मुझे पता था कि मिली को थोड़ा टाइम है. मुझे पता नही था कि मैं इतनी देर रुक पाऊँगा कि नही. पर तभी मिली की मा वहाँ पर आती है. उसका इस तरह आना मिली के लिए झटका भी था और एग्ज़ाइटिंग भी. कभी अपनी मा के सामने नही चुदी थी वो. अपनी मा को देखकर मिली बहुत ज़्यादा थिरक गयी और उसकी चूत ने मेरे लॉड पर अपना पानी छ्चोड़ दिया. मैं भी बहुत दूर नही था और मैने अपना सारा लंड-रस मिली के चूत में झाड़ दिया.
आगे की कहानी फिर कभी आपका दोस्त राज शर्मा
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02-25-2019, 01:31 PM,
#78
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मस्त गांड की कहानी

मेरा नाम राज शर्मा है, ३5/ साल का हूँ और मैं दूसरी स्टेट में नौकरी करता हु मैं ६ महिना में एक बार घर आता हूँ और महिना भर रुक कर फिर चला जाता हूँ. जब भी घर आता हूँ हर बार कोई न कोई लड़की की चुदाई करता हूँ. मैं करीबन २५ औरतो को चोद चुक्का हूँ और वो मेरी चुदाई से बहूतखुश भी हुई है अब मैं आपनी कहानी सुरु करता हूँ एकबार ट्रेन से डेल्ही से हावड़ा आ रहा था तो मेरा बर्थ साइड लोवेर था एंड मेरे ऊपर वाली बर्थ में एक औरत की बर्थ थी. दिन में उनके साथ मेरा बर्थ में बैठ के बात करते करते चल रहा था मैंने उनके बारे में पूछा तो वो बोली वो विधवा है और ३ साल पहले उसके पति का स्वर्गवास हुआ, वो मायके आये थी अभी घर जा रही है उनके पति सरकारी जॉब में थे और अब उन्हें उनकी जगह सर्विस मिल गयी है.

उनके दो बच्चे है एक बेटा और एक बेटी, बेटा १० साल का और बेटी ७ साल की, दोनों स्कूल जाते है.उनको देखके लगा उनकी एज ४३/४४, सीधी सादी सभ्य महिला, उनका सरीर बहुत सेक्सी लग रहा था ब्लाउज में से झाकती उनकी मोटी मोटी चुचिया बहुत मस्त लग रही थी बार बार उनकी चुचियो की झलक देखके मुझे बहोत अच्छा लगने लगा. रास्ते दोनों एकही बर्थ में दोनों बैठ के बात करते करते टाइम पास कर रहे थे . उन्होंने आपना फ़ोन नंबर मुझे दिया मैंने भी आपना नंबर उनको दिया. मैं आप को फ़ोन करूंगी तो आप बात कर लेना. हावड़ा में पहुच के वो बोली मेरा घर हावड़ा स्टेशन से लोकल ही दो स्टेशन बाद में ही है आप आजाना एकदिन बोलके वो हावड़ा में दूसरी लोकल ट्रेन में बैठ गयी. दो दिन बाद उनका फ़ोन आया और मुझे उनके घर आने केलिए रिक्वेस्ट कर रही थी, मैं भी घर में फ्री था तो मैं भी जाने केलिए हा कर दिया और नेक्स्ट डे शाम को चल दिया.

उनके घर करीब ८ बजे पंहुचा और देखा की घर में कोइ नही तो मैंने पूछा आप के बच्चे लोग कहा है तो वो बोली आज सुबह मेरे पति का भतीजा आया था वो बच्चो को ले गया. बात करते करते ९ बज गए.मैं सोफे पर बैठा था वो एकदम से मेरे पास आयी और मेरा हाँथ पकड़ कर मुझसे उठने को कहा, मैं उठ गया तो उन्होंने एक रूम की तरफ इशारा करके बोला की आप वहा रूम में बैठो . में आती हूँ ..मैं उस रूम की तरफ बढ़ने लगा और तभी उन्होंने ने पहले रूम की लाइट ऑफ कर दी ..मैं जिस रूम में पहुंचा बो बेडरूम था , वो भी ५ मिनिट के बाद आ गयी, बेड पर दिवार से पीठ टिका कर आराम से बैठ गयी .मैं भी उसके साथ पैर फेलाकर बैठ गया अब वो मेरी तरफ देखके बोली आप मुझे अच्छे लगे हो मैं बहुत परेसान हूँ मुझे अकेलापन बर्दास्त नहीं हो रहा है इस लिए मेने आप को आने केलिए रिक्वेस्ट करके बच्चो को भेज दिया.

फिर मेने उसका हाँथ आपने हाँथ में लेकर उसे चूमा तो उसकी आँख बंद हो गयी साँसे तेज चलने लगी ..मेने उसे गोर से देखा ..उनका बदन इतना सेक्सी था की में बता नहीं सकता बूब्स बड़े थे और पेट की चमड़ी मुड़ी हुई थी जिसे देख कर मेने उनकी बुर की गहराई का अंदाज लगा लिया ..मांस से भरी हुयी जांघें साडी में से दिख रही थी बो सफ़ेद ब्लाउज पहने हुए थी उसमे से दूध का आकार साफ़ दिख रहा था ..मैं हाँथ चुमते हुए आगे बढ़ा और उसकी गर्दन से होते हुए उसके होंठो पर आपने होंठ रख दिए बो सिहर उठी और आपनी आँख खोल कर मुझे देखा और झट से मुझसे लिपट गयी ..वो लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी ?उसने मुझे इतनी जोर से. ताकत के साथ मुझे आपनी बांहों में लिया के एक समय मेरी भी साँसे रुकने लगी.

करीब १५ मिनिट तक हम दोनों एक दुसरे के होंठ चूस रहे थे ..फिर मेने आपने होंठ उसके होंठो से आलग किये तो बो जोर से हांफ रही थी मेने अपने होंठ उसके गालो से रगड़ ते हुए उसकी गर्दन पर उसके कान पर चूमना सुरु कर दिया.बो मचल उठी फिर मेने एक हाँथ से उनके दूध को सहलाना सुरु किया तो उसने एक हाँथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर मेरा सर आपने सीने की तरफ खीच लिया और बिस्तर पर लेट गयी ..मेने ब्लौसे के ऊपर से ही दोनों दूध पर आपने होंठ फिराना चालू किया और एक हाँथ से उनकी साडी पकड़ कर जांघो तक ऊपर कर दी, अब में दूध से होते हुए पेट पर और उनकी नावेल को चूमने लगा बो आँख बंद किये हुए लेटी थी और आपने होंठ चबा रही थी ..जोर जोर से साँसे ले रही थी फिर मेने आपने होंठ साडी के ऊपर से ही उसकी बुर पर लगा दिए और जोर जोर से रगड़ने लगा..फिर मेने उसकी जांघो को देखा तो देख ता ही रह गया ..वो सबसे जयादा सेक्सी जाँघों के कारन ही लग रही थी ..क्या मसल जांघे थी उनकी.

मैं तो देख कर मस्त हो गया मैंने साडी और ऊपर उठाई तो मैं और हैरान रह गया वैसा लगा की उसके सरीर से सेक्स फट कर बाहर आने को बेताब हो रहा था ..बो ब्लू रंग की पेंटी पहने हुए थी मैंने उसकी जाँघों को खूब चूसा फिर मेने उनकी पेंटी निकाल दी सामने बिलकुल साफ़ चूत थी मेने आपने होंठ बहन रख दिए उसकी बुर गीली थी ..फिर मैं उसे चूत से चूमते हुए फिर जाँघों पर आया और जाँघों से होते हुए पूरे पैरो को चूमा. वो मुझे अजीब सी निगाहों से देख रही थी फिर मैं उन्हें आपनी बांहों में लेकर उठा कर खड़ा किया आब हम बिस्तर पर दोनों खड़े हुए थे ..मेने उन्हें आपने सीने से लगया और उसकी पीठ पर और गंद पर हाथ फिराने लगा. उनके चूतड बड़े बड़े थे उन्हें दबाने में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैंने उनकी साडी खोल दी आब बो सफ़ेद ब्लाउज और पेटीकोट में थी उसका तो जो हाल था सो था मेरा भी बुरा हाल था मुझे मेरी पसंद का सरीर जो मिलगया था बो खड़ी थी में नीचे बिस्तर पर बैठ गया और पों से चूमते हुए जाँघों पर आगया बो मेरे सर के बाल पकडे हुए थी आब मेने आपना मुह चूत पर लगाया तब उसने मेरा सर जोर से चूत के ऊपर दबा दिया ..उसे भी बहुत मजा आ रहा था वो मचल रही थी में चूत चूस रहा था वो बेकाबू हो रही थी और उसने खड़े रहते हुए एक पैर ऊपर उठा कर मेरे कंधो पर रख दिया जिस से आब में उसकी चूत के बिलकुल नीचे था आब उसने लगभग आपना पूरा बजन मेरे मुह पर चूत के सहारे रख दिया.

मैं भी लगातार चूस रहा था फिर उसने पैर नीचे किया और मेरा सर चूत पर जोर से दबाते हुए आपने दोनों पैर फेलाकर मेरे ऊपर आपना पूरा बजन डाल कर जोर लगाकर मुझे बिस्तर पर लेटने के लिए मजबूर कर दिया और मेरा मुह आभी भी उसकी चूत से सटा हुआ था और बो ताकत से मेरा सर आपनी चूत पर दबाये हुए थी आब में बिस्तर पर लेटा हुआ था और वो मेरे मुह पर आपनीचूत रखे हुए बेठी था.आब बो जोर जोर से मेरेमुंह पर आपनी चूत रगड़ने लगी बो मेरे बाल पकडे हुए थी जोर जोर से हिल रही थी करीब ५ मिनिट वैसा करने के बाद वो झड गई आब में हांफ रहा था वो वो कुछ नीचे खिसकी और मेरे सारे कपडे उतार दिए सबसे आखरी में उसने मेरा निक्कर उतारा मेरा खड़ा लंड देख कर वो मदहोश हो गयी.

पहले तो उसने मेरे लंड को प्यार से सहलाया और फिर मेरे लंड के आजू बाजू चूमती हुई लम्बी सांस ली और एक दम से मेरा लंड आपने मुह में ले लिया आब वो मेरा लंड चूस रही थी करीब ५ मिनिट लंड चूसने के बाद मुझे लगा आब वो और चूसले तो मैं झड जाऊँगा तब मैंने उसे ऊपर खीच लिया लेकिन ऊपर आने के बाद भी उसने मेरा लंड नहीं छोड़ा, वो मेरे दोनों तरफ पैर डाले घुटनो के बल बैठ कर मेरा लंड आपनी चूत से रगड़ने लगी कुछ देर बाद उसने एक दम से मेरा लंड अपनी चूत के दरबाजे पर घुसा दिया और खुद ही चीख पड़ी ..क्युंकी लंड अंदर नहीं गया था फिर मेने कुछ देर रुक कर जोर दार झटका दिया अह्ह्ह्हह्ह क्या गरम गरम गुफा थी बो मेरे लंड को तो मजा आ गया साथ ही बो भी दूसरी दुनिया में चली गई जोर से आपना पूरा बजन मेरे लंड पर रख दिया उनकी आँखे बंद थी और मुह खुला था अंदर साँसे ले रही थी कुछ देर बाद मैंने फिर एक दो धक्के मारे आब मेरा लंड सही जगह पर आ गया आब बो आपने दोनों हाथो के सहारे कुछ उप्पर उठी और आपनी गांड जोर जोर से हिला कर आगे पीछे होने लगी.

वो बहुत जोर जोर से धक्के लगा रही थी बहुत ताकत थी उसमे में, पागलो की तरह मुझे चोद रही थी मेरे मुह के सामने उसके दूध लटक रहे थे जिनका मैं लगातार रस पी रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था.फिर आचानक उसने आपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से अह्ह्ह्ह??..हूऊऊऊओ??हह सी हम्म सीई?..म्म्म्माआआआअ की आवाज़ निकाल रही थी आब बो आपने एक हाँथ के सहारे थी और एक हाथ से मेरा सर आपने बूब्स पर दबाये हुए थी और बहुत स्पीड से पागलो की तरह आबाज़ निकालते हुए जोर जोर से धक्का मार रही थी, आचानक उसने बहुत जोर से चीखा अह्ह्हह्ह. ?..म्म्म्म्माआआ??गूऊऊऊ??.. सीई ???..उससे अह्ह्ह ??..हम्म?..हम्म. अह्ह्ह्ह और वो झड चुकी थी ..उसको जबरदस्त ख़ुशी हुयी थी? उसे पूरा आनद मिल गया था वो मेरे ऊपर लेट गयी, मेरा लंड आभी भी उसकी चूत में था वो मेरे सीने पर लेट रही थी मैं प्यार से उस के सर पर हाँथ फेरने लगा करेब १० मिनिट बाद हम उठे और एक एक करके बात रूम हो कर आये हम दोनों नंगे ही रूम में घूम रहे थे वो आ कर बेड पर लेट गयी उनके चुत्तर मुझे बुला रहे थे मैं पैर से फिर चूमते हुए आसली जगह पर आ गया फिर आपने दोनों होंठो से उसके चूतरो पर प्यार से किस किया और , मैंने एक गहरी सांस लेते हुए उसके चुत्तर को आपने दोनों हाँथ में लेकर दबाया और आपने होंठ और गाल चूत्तारों से रगड़ने लगा करीब १५ मिनिट तक जी भर कर उसके चुत्तर से खेलता रहा फिर मैं बिलकुल उनके उप्पर आ गया और आपना पूरा वज़न उनके उप्पर रख दिया और उनके चुत्तर पर आपना लंड रगड़ ने लगा.

फिर मैंने उनकी गांड के छेद में लंड डालना चाह तो उन्होंने ने मना कर दिया ..बोली प्ल्ज़ यहाँ नहीं मैं मान गया फिर मैंने उन की दोनों जांघें मोड़ कर घोड़ी स्टाइल में कर दिया और आपना लंड अंदर कर दिया ..आब में उनके चुत्तर पर दोनों हाँथ रखते हुए धक्के मार रहा था बो भी हिल हिल कर मेरा साथ दे रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था ?करीब १० मिनिट बाद मेने उनके पैर उठा कर आपने कंधे पर रख लिए और जोर जोर से चुदाई करने लगा, मेरा चुदाई से उसे भी मजा आ रहा था ..बो अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह सीईईए सिस्कार रही थी ?कुछ देर बाद मेने उन्हें सीधा लिटा दिया ?.मेने इतनी जोर से चुदाई की के..उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था आब करीब २० मिनिट की चूदाई के बाद मैंने और उन्होंने एक साथ जबरजस्त पानी छोडा

मेरे मुह्ह से भी जोर से आबाज़ निकल गयी..अह्ह्ह्हह्ह्ह उन्होंने तुरत मेरे मुह पर आपना हाँथ रख दिया और सीने पर खीच लिया हम बहुत हांफ रहे थे.हम इसे ही करीब १५ मिनिट एक दुसरे की बांहों में बाहें डाले और मेरा लंड उनकी बुर में था हम लेटे रहे फिर हम उठे बो बहुत खुस थी मुझे बहुत चूमे जा रही थी, बहुत प्यार किया मुझे भी उनपर बहुत प्यार आया खेर फिर हम बाथरूम गए और आकर मैं कपडे पहनके निकलने को तैयार था बो अब साडी पहन चुकी थी वो मेरा सीने आके चिपक गयी और चुमते हुए कहा फिर आप को बुला सकती हूँ क्या तो मेने कहाँ की हाँ क्यूँ नहीं मैं अभी एक महिना घर पर रहूँगा आप जब चाहे बुला लेना कहते हुए मैं दरवाजा के बाहर आ गया
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02-25-2019, 01:32 PM,
#79
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
ट्यूशन वाले सर की पत्नी की चुदाई --1

मैं उस वक़्त इंजिनियरिंग के 1स्ट्रीट एअर में था और मेरे जो ट्यूशन टीचर थे 
मेद्स के वो मरवारी थे. मैं उनके घर पर ट्यूशन पढ़ने जाता था. उनकी उमर 
करीब 35 साल की थी. वो अपनी बीवी के साथ रहते थे. उनका एक लड़का था जोकि 
हॉस्टिल मे रहकर पढ़ाई कर रहा था. उसे किसी ने देखा नही था.उनकी बीवी की 
उमर शायद 28-30 की होगी. लेकिन वो अपनी उमर से काफ़ी छोटी दिखती थी. जब भी 
मैं उनके घर जाता था तो वो मेरा बहुत ख्याल रखती थी. मेरे दिल मे भी उनके 
लिए बहुत इज़्ज़त थी. लेकिन एक दिन मैने उन्हे नहाने के बाद सिर्फ़ पेटिकोट मे 
देखा जो कि उनकी चूंचियाँ पर बँधा हुआ था. उनके गोरे पैर और पिंडलियाँ 
खुली थी.. कितने गोरे और गदराए पैर थे. मैं उनकी चूंचियाँ को देखता ही 
रह गया. उन्होने मुझे देखते हुए देखा ,वो थोड़ा मुस्कुराइ और अंदर चली 
गयी. मेरा मन अब पढ़ाई मे नही लग रहा था. मेरा लंड कड़क होने लगा. किसी 
तरह मैं उसे दबा रहा था. सर ने पूछा क्या हुआ? 
मैने डरते हुए कहा मुझे बाथरूम जाना है उन्होने अपनी बीवी से कहा इसे बाथरूम दिखा दो. 
वो तब तक सारी पहन चुकी थी, मरवरी स्टाइल मे. याने पेटीकोत मे लप्पेट कर 
बाकी आँचल था. उनकी चूंचियाँ बड़े गले के ब्लाउस से आधी से ज़्यादा दिख रही 
थी. ये देख कर मेरा लंड और कड़क हो गया. और मेरे 7.5 इंच के मोटे लंड को 
सम्हालना मुश्किल हो गया. मैं बुक्स रखकर जैसे ही खड़ा हुआ, मेरे लंड ने 
नाइट पाजामा मे टेंट बना दिया और उसने ये देखा और बड़ी अदा से मुस्कुराइ. 
मुझसे कहा जल्दी आओ इधर है बाथरूम. मैं अंदर गया लेकिन जल्दी मे 
दरवाजा बंद नही किया. 
लंड को बाहर निकाला और पेशाब करने लगा लेकिन लंड ठंडा नही हो रहा था, सो मैं मूठ 
मारने लगा.. 2 मिनिट मे ही उसने ज़ोर की पिचकारी मारी.. जो सामने दीवाल पर 
गयी. उसको अच्छे से धोया और लंड को पॅंट के अंदर किया. जैसे ही मैं पीछे 
घुमा मैने देखा दीवार के किनारे सर की वाइफ खड़ी है. इसका मतलब उसने 
मुझे मूठ मारते हुए देखा था, क्यूकी वाहा से मेरा लंड पूरा दिखता था.मैं 
सिर नीचा करके बाहर निकल आया. तब उसने धीरे से कहा.. बहुत मोटा और लंबा 
है. ये कहकर वो जल्दी से चली गयी. वैसे मुझे वो अच्छी लगती थी और वो 
भी मुझे पसंद करती थी. लेकिन उसके साथ सेक्स के लिए मैने कभी भी सोचा 
नही था. मेरे सर मेद्स मे एक्सपर्ट थे. और उनसे पढ़ने के लिए बहुत लड़के 
ट्यूशन लगवाना चाहते थे. लेकिन उन्होने सिर्फ़ मुझे ही चुना क्यूकी ट्यूशन उन्हे 
पसंद नही था. ही ऑल्वेज़ उसेद टू बी बिज़ी इन सॉल्विंग मेद्स प्रॉब्लम्स आंड डूयिंग 
सम अदर स्टफ्स . उनकी वाइफ को ये पसंद नही था. वो तो मुझे बहुत सेक्सी 
लगती थी. उन्हे अच्छी चुदाई की चाहत थी और वो किसी को ढूँढ रही थी. 
जबकि सर को लगता था कि अब सेक्स की कोई ज़रूरत नही है. ये बातें मुझे तब 
पता चली जब मैं उनकी वाइफ के संपर्क मे आया और उनकी डाइयरी पढ़ी. मैने ये 
डाइयरी उनके कपबोर्ड से निकाल के पढ़ी थी. उस डायरी मे मेरे बारे मे भी लिखा 
था. तब मैं एक कमसिन लड़का हूँ और बहुत ही गरम लड़का हूँ, जो भी लड़की मुझ 
से चुदवायेगि उसकी किस्मत खुल जाएगी. जिस लड़की को मेरा लंड मिलेगा वो बहुत 
ही नसीब वाली होगी. अगर मुझे मौका मिले तो मैं इस लड़के से एक बार ज़रूर 
चुदवाउन्गि और अपनी चूत की प्यास बुझाउन्गि. तब से उसकी डाइयरी की ये लाइन मेरे 
दिमाग़ मे घूम रही थी.वो मुझसे चुदवाना चाहती थी लेकिन अपने पति से डरती 
थी.और फिर उस दिन के बाद मेरी नज़र भी बदल गयी . उसकी उफनती हुई जवान 
बदन को याद करके मैं अब रोज ही मूठ मारता था. मैने भी सोचा इसे एक मौका 
दिया जाए, लेकिन कैसे? एक दिन मैने उन्हे सेल फोन पर कॉल किया और कहा कि 
आज मैं 4 बजे आउन्गा.ये बात आप सर को बता दीजिए.मुझे मालूम था की सर 4 
बजे लाइब्ररी जाते है और रात के 10 बजे वापिस आते है. मैने ये बात 
जानबूझकर उसका सेल फोन पर कही थी. ये मेरी तरफ से इशारा था. क्यूकी इसके पहले मैने उसका सेल पर कभी कोई मेसेज नही दिया था. और जब से उसने मेरा लंड देख लिया था तब से मैने उसकी आँखो मे भी एक तड़प देखी थी. मैं उनके घर ठीक 4.30 पर पहुँचा. उसने दरवाजा खोला. मैने देखा आज उसने एक ट्रंपारेंट सारी पहनी थी और खुले गले का ब्लाउस. उसका फिगर 34 26 36 है. उसकी चूंचियाँ ब्लाउस फाड़ कर बाहर निकल रही थी. ब्लाउस छोटा था. और लहंगा नाभि के बहुत नीचे बँधा था.. जिससे आज उसका गोरा गोरा पेट और पतली कमर सॉफ दिख रहे थे. 
उसका गोरा पेट और चिकनी कमर देख कर मेरा लंड हरकत मे आ गया. उसने मुझे बैठने को कहा और पानी लाने अंदर गयी. पानी देते हुए वो इस तरह झुकी की उसकी मदमस्त चुचियाँ मेरे सामने आ गयी. उफ्फ वो घाटी. रस दार चूंचियाँ देख कर मेरे मुँह मे पानी आ गया.. वो सोफे पर मेरे करीब ही किनारे पर बैठ गयी.मैने उन्हे हिचकिचाते हुए पूछा सर कहाँ है.. क्या आपने मेरे आने के बारे मे सर को बताया है? या वो भूल गयी? उसने कहा मैने सर को कुछ नही कहा. मैने पूछा क्यू? उसने कहा आज वो मुझे पढ़ाएँगी. ये कहते हुए वो अपने रसीले होंटो को दाँत से दबा रही थी और कोने मे काट रही थी. मैने तब कहा आप मज़ाक कर रही है उसने कहा नही मैं सीरियस्ली कह रही हूँ. तब मैने कहा आप कौन सा यूनिट सिखाएँगी? उसने कहा मैं सीरीयस हूँ लेकिन तुम्हे मेद्स नही पधाउन्गि ये बात उसने बड़े नटखट अंदाज़ मे कही. मैने पूछा फिर क्या पधओगि? वो चुप रही और मेरे करीब आगाई.और मेरा हाथ पकड़ लिया. उसने कहा आज तुम मेरे मेहमान हो . आज मैं तुम्हारी परीक्षा लेने वाली हूँ. मैने कहा कैसी परीक्षा?. उसने कहा बुद्धू मत बनो मैं जानती हू तुम मुजपे पे फिदा हो. मुझे मालूम था कि वो भी चुदवाने के लिए बेताब हो गयी है और तय्यार है.उसने मेरा हाथ पकड़ा और खड़ी हो गयी और मुझे अपने बेडरूम मे ले गयी.फिर उसने मेरे गाल पर किस किया.. 
और मेरे शर्ट और पॅंट खोल दिए. मुझे भी मज़ा आ रहा था.. उसका नरम हाथ 
मेरे बदन पर घूम रहा था. उसने मेरी बनियान भी निकाल दी. मैने अब उसका 
पल्लू नीचे गिरा दिया. उसकी बड़ी बड़ी रस भरी चूंचियाँ मेरे सामने थी. मैं 
थोड़ा नर्वस था लेकिन मुझे मज़ा भी आ रहा था. उसकी नॉकदार चुचियों को 
देख कर मेरा लंड और कड़क होने लगा. उसकी तनी हुई चूंचियाँ किसी भी मर्द 
को गरम कर देने लायक थे.अब मैने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसका होंटो 
को अपने होंटो मे क़ैद कर लिया और चूसने लगा..
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02-25-2019, 01:32 PM,
#80
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
उसके हाथ मेरी पीठ और सीने 
पर घूम रहे उसका ब्लाउस पीछे से सिर्फ़ 2 इंच का होगा. मेरा हाथ उसकी पीठ 
पर घूम रहा था. उसके गोल गोल चूतड़ मैने दबाए. उसका मुँह से सिसकारी निकल पड़ी..आआआः. .ससस्स मैं उसकी होंटो को बहुत ज़ोर से चूस रहा था. फिर मैने 
अपनी जीभ उसका मूह के अंदर डाल दी. वो चूसने लगी. उसकी चूंचियाँ मेरे 
सीने मे दब गयी थी. बहुत कस के लिपटी हुई थी वो. मैने पीछे से उसका 
ब्लाउस के हुक खोल दिए.वो बेड पर बैठ गयी. मेरे गले और छाती को चूमने 
लगी.मैने उसे थोड़ी देर ऐसा करने दिया.. लेकिन मैं भी गरम हो गया था, अब 
और सब्र नही हो रहा था.मैने उसे दूर धकेला और उसका ब्लाउस निकाल 
दिया.उसने गुलाबी रंग की जालीदार ब्रा पहनी थी..मैने उसका ब्रा के अंदर मेरी 
उंगलियाँ डाल दी.. और उसकी चूंची हाथ मे पकड़ ली.उसके बूब्स मेरे हाथो मे 
थे, मैने उसके होंटो को चूमना शुरू किया.और उसके नीचे के होन्ट को काट लिया 
वो सिसक उठी..उम्म..आहह. . मैने उसके गले पर होंठ रखे और वाहा किस किया 
फिर जीभ से सहलाया.. उसकी आँख बंद हो गयी.आहह ऊऊओहू.. ऐसी आवाज़े 
निकालने लगी मैने अब दोनो चूंचियाँ के बीच मे होंठ रखे थोड़ा जीभ से 
चटा और फिर हल्के से दाँत लगा दिए.. इष्ह..उउईईईई. .करके वो चिल्ला 
उठी.. मैं चूमते हुए नीचे जाने लगा.मैने अब उसकी ब्रा निकाल दी और निपल को 
उंगलियों से छेड़ा.. वो कड़क हो गये थे. क्या मस्त चूंचियाँ थी. उसे ब्रा की 
ज़रूरत ही नही थी. एकदम भरे हुए दूध के बर्तन. 
मैने निपल मेरे मुँह मे लिया और चुभलने लगा. उसने मेरा सिर अपनी सीने मे 
दबाया और कहा..पूरा मुँह मे लेलो. आह पूरा खलो .मैं समझ गया कि अब वो भी 
मज़ा ले रही है और गरम हो गयी है.. मैने पूरी चूंची मेरे मुँह मे लेने 
की कोशिश की.. फिर निपल अरोला के साथ मुँह मे ले लिया. दूसरी तरफ की 
चुचि को मैं सहला रहा था और निपल को उंगली से मसल रहा था. ये सिलसिला 
एक एक कर दोनो चूंचियाँ के साथ कर रहा था.मैं हल्के से काट लेता तो वो 
चिल्ला उठती थी..आहह काटो मत.. चूसो..ज़ोर से.. ह.. उसका मरवरी बदन 
गोरे से लाल हो रहा था.मैं उसकी चूंचियाँ के साथ पूरी बेदर्दी से पेश आ 
रहा था. उसे देख देख कर मैने बहुत बार मूठ मारी है. इधर मेरा लंड भी कड़क हो चुक्का था..और बाहर आने को तड़प रहा था. मैने उसे इशारा किया. 
उसने मेरा अंडरवेर नीचे खींचा और मेरा लंड उछलकर बाहर आ गया. उसने 
कहा राज सच मे तुम्हारी लंड बहुत मस्त है.. मैने उस्दिन कहा था ना. इतना 
लंबा और मोटा लंड मैने नही देखा कभी..उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाना शुरू किया फिर सूपदे को किस किया, जीभ से चटा और फिर उसे मुँह मे 
ले कर होंटो से चूसने लगी. उसके चेहरे को देख कर ऐसा लगा जैसे किसी भूके को 
पकवान की थाली मिल गयी हो. वो बहुत आराम से चूसने लगी.. उसके चेहरे पर 
समाधान नज़र आ रहा था. वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं सातवे आसमान मे था.. आहह.. मैने उसका मुँह को चोदना शुरू किया. उसने अपने होन्ट गोल कर लिए और अंदर बाहर जाते लंड पर दबा रही थी. वो लंड चूसने मे माहिर थी.. .. और फिर मुझे लगा कि मेरा लावा निकल जाएगा..मैने उसका सिर पीछे 
हटाना चाहा.. उसने इशारे से पूछा क्या है. मैने कहा.. 
मेरा निकलने वाला है.. उसने इशारे से कहा मेरे मुँह मे निकालो.. और मेरे लंड से बहुत सारा सीमेन उसके मुँह मे जा गिरा उसने एक एक बूँद चाट लिया अब मैने उसकी सारी पूरी निकाल दी और ल़हेंगे का नाडा खींच दिया.. ओह उसने अंदर कुछ नही पहना था.. मैने उसे धकेल कर बेड पर लिटाया और उसकी चूत को देखा..एकदम गुलाबी चूत थी.. किसी 18 साल की लड़की जैसी.. और उसकी चूत 
पर एक भी बाल नही था.. ऐसा लगा आज ही साफ़ किया है.. मैने उसके पैर 
फैलाए और चूत के दोनो होंठ फैलाए.. जैसे वो गुलाब की पंखुड़ी हो.. चूत 
का मुँह एकदम छोटा था.. मुझे थोड़ा शक़ हुआ, मैने पूछा सर क्या चोदते नही? उसने कहा.. मेरी चूत कुँवारी है.. मैं कुछ समझ नही पाया.. कुँवारी चूत और एक लड़का.. खैर मैं अभी तो खुश हो गया.. क्यूकी चूत कुँवारी नही भी हो फिर भी एकदम टाइट चूत थी.वो मेरे सामने नंगी पड़ी थी साँचे मे ढला बदन.. चूंचियाँ आसमान देख रही थी.. और पैर फैलाए उसकी बंद चूत मेरे सामने थी.. मैने चूत के दाने को ढूँढा और हल्के से रगड़ने लगा.. वो इश्..आअहह.. अफ.. राज.. मत तडपा मुझे मैं अपना चेहरा उसकी चूत के पास लाया आह उसके पेशाब और जूस की क्या मस्त खुश्बू थी.. मैने उसकी चूत पर जीभ फिराई और वो उछल पड़ी..आऐईयइ. . ऊहह..उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था.. और वो उसकी गांद की तरफ बह रहा था..
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