Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 02:41 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
वो मेरी बात सुनके हँसने लगी,,,मैं सब जानती हूँ भाई तूने कोई तैयारी नही करनी बस जब मोबाइल से थक जाना था
तो सो जाना था तूने,,,,

उसकी बात से मैं भी हँसने लगा,,,,

चलो मेरे साथ उपर भाई मैं आपको क्वेस्चन्स की एक लिस्ट बना देती हूँ आप उस पर ध्यान देना तो कल पक्का
आपका एग्ज़ॅम बहुत अच्छा होगा,,,,

तभी मैं थोड़ा गुस्से से,,,,मुझे नही जाना उपर ,,जो लिस्ट बना कर देनी है यहीं देदे मुझे,,,

वो थोड़ा सहम गई मेरे गुस्से से,,,,भाई मुझे डर लगता है,,,

डर लगता है ,,,किस से,,,,मेरे से डर लगता है क्या,,,,मैने थोड़ा घबरा कर पूछा उस से,,,,

उसने कुछ नही बोला बस सर को झुका कर ना मे हिला दिया,,,,और बता दिया उसको मेरे से डर नही लगता,,

तो फिर किस से डर लगता है तुझे,,,,

मुझे अकेले उपर रहने से डर लगता है भाई,,,,उपर वाला सारा फ्लोर खाली है ना इसलिए,,,

तो इसमे क्या है,,,पहले भी तो अक्सर तू अकेली ही सोती थी ना उपर कुछ दिनो से,,,


तब कोई ना कोई होता था भाई घर मे उपर,,,, भुआ और शोभा दीदी होती थी ना,,,,,लेकिन आज तो बस मैं हूँ घर
पर और आप हो,,,,और आप नीचे सो रहे हो तू मुझे डर लगता है अकेले उपर रहने मे ,,,,आप चलो ना मेरे साथ
उपर भाई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़

नही मुझे नही जाना उपर तेरे रूम मे मैं यहीं ठीक हूँ,,,,मैं फिर थोड़ा गुस्से मे बोला,,,,

मैं उपर जाने को बोल रही हूँ भाई लेकिन अपने रूम मे नही,,,,उसने इतना बोला और शरमा कर सर को झुका
लिया,,,

मैं उसकी इस बात से थोड़ा शर्मसार हो गया,,,,


आप उपर चलो भाई और शोभा दीदी के रूम मे रहना ,,आपके वहाँ होने से मुझे डर नही लगेगा,,,,,

मैं थोड़ा अजीब फील करने लगा था,,,उसने उपर जाने को बोला लेकिन मुझे लगा वो अपने रूम मे जाने को बोल
रही थी,,,,,लेकिन मैं ग़लत था और मेरी इस बात से वो शरमा गई थी और मैं तो पानी पानी हो गया था शरम से

ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ,,,,

वो उपर चली गई और मैं उसके थोड़ी देर बाद उपर चला गया,,,,,मैं उसके रूम के पास जाके डोर पर नॉक किया
तो उसने दरवाजा खोला ,,,,,मैने देखा रूम की लाइट ऑफ थी बस एक नाइट लॅंप चल रहा था जो सोनिया और मेरे
बेड के बीच मे पड़े हुए टेबल पर पड़ा था,,,,रूम मे हल्की रोशनी थी उस लॅंप की,,,,,

सोनिया ने दरवाजा खोला और मुझे एक पेपर पकड़ा दिया,,,,भाई इसमे कुछ ज़रूरी क्वेस्चन्स लिखे हुआ है आप बस
एक बार ध्यान से इन क्वेस्चन्स को देख लेना ,,,कल के एग्ज़ॅम मे बहुत हेल्प हो जाएगी आपकी,,,,

मैं वहाँ से जाने लगा तो सोनिया बोली,,,,भाई कोई हेल्प की ज़रूरत पड़ी तो पूछ लेना,,,,

मैने वो पेपर पकड़ा और अपनी बुक लेके शोभा के रूम मे चला गया और जाके बेड पर बैठकर स्टडी करने लगा
,,,मैं खुद के ध्यान को पूरी तरह बुक पर लगा रहा था ताकि मेरे दिमाग़ मे सोनिया का ख्याल तक नही आए
और ऐसा ही हुआ,,मैं स्टडी मे इतना खो गया था कि कब रात के 2 बज गये पता ही नही चला,,,और मुझे नींद भी
नही आ रही थी,,,,तभी स्टडी करते हुए मैं एक क्वेस्चन मे थोड़ा उलझ गया,,मुझे उसका जवाब नही मिल रहा
था ,,,,मैने सोचा सोनिया से पूछ लेता हूँ क्यूकी वो भी स्टडी कर रही होगी और अब तक जाग ही रही होगी,,

मैं शोभा के रूम से निकला और सोनिया के रूम मे चला गया,,,,मैने दरवाजे खोला और अंदर देखा तो रूम
मे लॅंप जल रहा था,,,,सोनिया बेड की बॅक से पीठ लगाकर बैठी हुई थी उसकी टाँगें बेड पर बिछि हुई थी और
उसने अपनी बुक को अपनी टाँगों पर रखा हुआ था,,उसका एक हाथ उसी बुक पर था जबकि दूसरा हाथ अपने बेड
पर था,,,मुझे लगा वो स्टडी कर रही है लेकिन जब मैं उसके पास गया तो देखा कि उसका सर झुका हुआ था ,,गर्दन
नीचे की तरफ मूडी हुई थी,,,,वो स्टडी करते करते ऐसी ही हालत मे सो गई थी,,,पहले तो मुझे उस पर हँसी
आने लगी लेकिन फिर मुझे उसकी मासूमियत पर प्यार आने लगा,,,,

मैने देखा कि उसने अपनी टाँगों पर कंबल को घुटनो तक ओढ़ रखा था ,,और घुटनो के पास ही उसकी बुक
पड़ी हुई थी,,,,उसका एक हाथ बुक के उपर पड़ा हुआ था,,,,मैने हिम्मत करके उसके हाथ को पकड़ा और बुक से
उठा दिया फिर बुक को बंद करके साइड के टेबल पर रख दिया,,,,,,मुझे ऐसा करते हुए डर तो लग रहा था लेकिन
फिर भी मैं हिम्मत करके उसको लिटाना चाहता था,,क्यूकी जिस हालत मे वो सो रही थी उस से लग रहा था कि वो कभी
भी बेड पर गिर सकती है,,,इसलिए उसके बेड पर गिरने से पहले ही मैं उसको लेटा देना चाहता था,,,

मैने बुक को बंद करके साइड टेबल पर रखा और फिर हिम्मत करके अपने एक हाथ को उसकी गर्दन के पीछे
रखा और दूसरे हाथ को उसकी टाँगों के नीचे घुटनो के पास रखा और उसको बेड से हल्का सा उपर उठा लिया ,,मेरे
ऐसे करते ही उसकी टाँगों पर जो कंबल था वो नीचे गिर गया और उसकी गोरी मखमली नंगी टाँगें मेरे सामने
आ गई,,,,मेरा कुछ ग़लत इरादा नही था मैं तो जितना हो सके उस से दूर रहने की कोशिश कर रहा था,,,लेकिन
कंबल नीचे होने से उसकी गोरी-गोरी टाँगें देखकर मुझे कुछ होने लगा और फिर मुझे अपने हाथ पर उसकी
टाँग का सपर्श भी मस्त करने लगा,,,,मैने उसको बेड से 2 फीट तक उपर उठा लिया था अब उसका जिस्म मेरी बाहों
मे था,,,,मेरा एक हाथ उसकी नंगी टाँगों पर था क्यूकी उसने एक निक्केर पहनी हुई थी,,लेकिन पहले तो इसने एक
पयज़ामा पहना हुआ था ये निक्केर कब पहन ली,,,हो सकता है मेरे जाने के बाद इसने चेंज किया होगा,,

वो बेड से उपर मेरी बाहों मे थी,,,उसका सर नीचे झुका हुआ था और उसकी सुराही जैसी गर्दन जो हल्की लाइट मे
भी चमक रही थी,,,उसकी मखमली टाँगें जो मेरा दिमाग़ खराब करने लगी थी,,,गोद मे होने की वजह से उसके
बदन की तेज खुश्बू मिलने लगी थी मुझे,,वो मुझे पागल करने लगी थी लेकिन फिर भी ना जाने कैसे मैने खुद
को क़ाबू मे किया हुआ था,,,,मैने खुद पर कंट्रोल करते हुए उसको बेड पर ठीक तरह से लेटा दिया फिर हल्के
से उसके सर को उपर उठा कर उसके सर के नीचे एक पिल्लो रखा और उसके बदन पर गर्दन तक कंबल ओढ़ा दिया
अब बस उसका क्यूट सा फेस ही कम्बल से बाहर था,,,

मैं उसके फेस मे इतना खो गया था कि जितना मैं उसके नंगे जिस्म मे भी नही खो सकता था,,वो सोती हुई किसी
छोटी बच्ची जैसी क्यूट लग रही थी,,,नींद मे भी मासूम फेस पर एक क्यूट सी स्माइल थी,,,,मैं इतना खो गया उसको
देखने मे की अपने बेड पर बैठ गया और उसके खूबसूरत क्यूट फेस को देखने लगा,,,,पता नही कितने टाइम से
मैं उसको देख रहा था ,,शायद मैने पलक भी नही झपकाई थी ,,,तभी सोनिया हल्की सी हिली और उसने आँखें
खोलकर मेरी तरफ देखा,,वो थोड़ा डर गई थी शायद,,,,,लेकिन जब उसने अपने बदन को कंबल मे पाया तो थोड़ी
खुश हो गई,,,,फिर लेटे लेटे ही बोली,,,,



तुम यहाँ क्या कर रहे हो भाई,,,,
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12-21-2018, 02:42 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
उसकी बात से मैं थोड़ा डर गया,,,अब इसको क्या बोलू,,ये पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी,,

क्या हुआ भाई ,,कहाँ खो गये,,,भाई,,,,भाई,,,,

तभी मे ख्यालों से बाहर निकला,,,,,,कुछ नही मैं तो बस कुछ पूछने आया था तेरे से,,,

क्या पूछना है भाई,,,,उसने उठते हुए बोला,,,और उठकर बैठ गई,,,

पता नही,,,,मैं भूल गया,,,तभी मैं उठा और वहाँ से जाने लगा,,,तू सोजा आराम से मैं चलता हूँ

तभी उसने रूम से बाहर जाते हुए मुझे आवाज़ लगाई,,,भाई ये कंबल तूने दिया मुझपर,,,

मैं वहीं खड़ा हो गया और कुछ नही बोला बस ऐसे ही खड़ा रहा उसकी तरफ पीठ करके,,

वो फिर से बोली ,,,भाई बोलो ना,,ये कंबल तुमने दिया मुझपे,,क्यूकी मैं तो स्टडी कर रही थी तो ये कंबल
कैसे आया मुझपे और मैं बेड पर कब लेटी भाई,,


तभी मैं वापिस पलटा और बोला,,,,मैं तेरे से कुछ पूछने आया था ,,यहाँ आके देखा तो तुम बेड पर बैठी
हुई ही सो रही थी,,,शायद स्टडी करते हुए तुम्हारी आँख लग गई थी,,,,सो मैने तुमको लेटा दिया और्र्र्र्ररर
इतना बोलते बोलते मैं चुप हो गया,,और सर को नीचे झुका लिया,,,और वापिस पलट कर जाने लगा,,,,

तभी सुने पीछे से बोला,,,,,,शुक्रिया भाई,,,,,

मैं रुका नही और वहाँ से चलके शोभा के रूम मे आ गया और आके अंदर से कुण्डी लगा ली और बेड पर लेट
गया,,,मैने लाइट भी ऑफ नही की थी,,,,तभी मैं लाइट ऑफ करने क लिए उठा तो देखा कि 4 बज रहे थे,,,ओह्ह
मययी गॉड ,,मैं जब सोनिया के रूम मे गया था तो 2 बजे थे और अब 4 भी बज गये ,,क्या मैं इतना खो गया
था उसके मासूम और क्यूट फेस मे की मुझे टाइम का पता ही नही चला ,,,सच मे उसकी खूबसूरती ने तो मेरी
ज़िंदगी मे टाइम को भी रोक सा दिया था,,,,2 अवर्स कैसे बीत गये उसको देखते हुए मुझे पता ही नही चला ,मुझे
तो ऐसे लगा जैसे अभी वो सोई थी और मैं उसको देख रहा था और तभी पलक झपकाने जितने टाइम मे वो उठ गई
थी,,,,,मेरे 2 अवर्स पलक झपकाने जितने टाइम मे बीत गये थे,,,


मैं फिर से उसके मासूस फेस के बारे मे सोचने लगा हालाकी मुझे वो पल भी याद आ रहे थे जब मैने उसको
गोद मे उठा लिया था कुछ पल के लिए और मदहोश भी होने लगा था उसके जिस्म की खुश्बू से ,,लेकिन उसके क्यूट
फेस ने उसके जिस्म को नज़रअंदाज़ करने पर मजबूर कर दिया था मुझे,,,


हयी अल्लाह ,,,,,,,,,क्या कोई इतना भी खूबसूरत हो सकता है कि कोई उसके संगमरमर जैसे तराशे हुए जिस्म को
भूलकर बस उसके मासूम और भोले भले चेहरे मे ही खो जाए,,,

हां हो सकता है कोई इतना खूबसूरत,,,और मेरी सोनिया ऐसी ही थी,, इतनी खूबसूरत थी कि उसको देखकर जन्नत की
हूर भी जलने लगे उसकी खूबसूरती से,,,अगर कामदेव भी उसको देखे तो अपनी मेनिका को भूल जाए और खो
जाए उसके चेहरे मे,,,,इतनी ज़्यादा खूबसूरत थी मेरी सोनिया,,,मैं भी खो गया था उसके ख़यालो मे और कब
उसके बारे मे सोचता हुआ नींद के आगोश मे चला गया पता ही नही चला ,,,,

पता चला सुबह जब सोनिया बाहर खड़ी होके रूम के दरवाजे पर नॉक करने लगी थी,,,,भाई उठ जल्दी कॉलेज
नही जाना क्या,,,भाई जल्दी उठ बहुत टाइम हो गया है,,,,

वो नॉक करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,,,,

मैं उठा और दरवाजा खोल दिया,,,,,

क्या भाई कब्से नॉक कर रही हूँ ,,,कितनी गहरी नींद सोते हो तुम,,,,अब जल्दी से फ्रेश होके तैयार हो जाओ मैने
नाश्ता बना दिया था,,,,इतना बोलकर वो नीचे चली गई,,,,और जाते जाते फिर से मुझे जल्दी नीचे आने को बोल गई

मैं भी फ्रेश होके तैयार होके नीचे चला गया,,,उसने नाश्ता लगा दिया था ,फिर हम दोनो ने नाश्ता किया और
फिर घर से बाहर चले गये,,,,मैने बाइक स्टार्ट की और तभी वो मेरी बाइक पर बैठने लगी,,,

तू यहाँ क्यूँ बैठ रही है,,,,कविता नही आ रही क्या तुझे लेने के लिए,,,,,,,

नही भाई उसकी तबीयत थी नही वो बोल रही थी वो ऑटो मे चली जाएगी,,,,

तभी मैने बाइक बंद किया और बोला,,,,कैसी दोस्त है तू,,,,वो तुझे घर से लेने आती थी और आज उसकी तबीयत खराब
है तो तुम उसको लेके नही जा सकती अपने साथ,,,,चलो शोभा दीदी की अक्तिवा ले जाओ और कविता को भी अपने साथ ले
जाना,,,,,

मैं उसको अपने साथ नही लेके जाना चाहता था,,,,

वो मेरी बात सुनके थोड़ा उदास हो गई फिर उदास चेहरा से शोभा दीदी की अक्तिवा लेके वहाँ से चली गई और जाते
हुए मुझे गुस्से से देखकर गई,,,,

उसके जाते ही मैने घर लॉक किया और बाइक लेके कॉलेज की तरफ चल पड़ा,,,,

एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन मे बैठ गया कुछ देर क लिए,,,कॅंटीन वाला बहुत इज़्ज़त करता था मेरी इसलिए मेरे
कहने पर उसने कुछ टेबल बाहर खुले मे लगवा दिए ,,,वैसे भी सर्दी हो गई थी और धूप मैं बैठने का
मज़ा ही कुछ और था,,,लेकिन धूप ज़्यादा गर्म लगती थी अभी इसलिए मैने एक टेबल को एक छोटे ट्री के पास लगवा
लिया था जहाँ ज़्यादा धूप नही थी,,,,मैं वहाँ बैठकर कॉफी लेने लगा था ,,वैसे तो करण को भी आना था
लेकिन वो सला अपनी नयी नवेली दुल्हन की वजह से घर भाग गया था,,उसके साथ चिपक कर जो बैठना था उसको,,,

करण तो नही था मेरे साथ देने के लिए लेकिन कोई और आ गया था मेरे साथ देने,,,,सोनिया और कविता दोनो मेरे
पास आ गई थी,,,,

मेरे पास आके कविता शरमा कर मुझसे मिली और मैं भी बड़े प्यार से उसको मिला,,,,वैसे तो मैं अक्सर उसके साथ
हाथ मिलता था लेकिन आज पता नही क्यू मैं उसके गले लग गया,,,,

मैने उसको बाहों मे भरा और बड़े प्यार से बोला,,,मैं उसको मिला तो प्यार से था लेकिन मुझे याद आया कि
सोनिया भी वहीं थी इसलिए मैने थोड़ा मज़ाक मे बात टाल दी,,,,क्या हाल है आपका कविता जी ,,मैने मज़ाक मे
इतना बोला तो कविता हँसने लगी और मेरी इस हरकत पर सोनिया भी खुश हो गई,,,

मुझे लगा था वो शायद गुस्सा करेगी लेकिन वो तो हँसने लगी थी,,शायद उसको पता चल गया था मैं मज़ाक कर
रहा हूँ,,,

कविता मेरे से अलग हुई और शरमा कर पीछे हट गई,,,,,

ओके कविता तू कुछ देर बैठ सन्नी के पास और मैं तब तक लाइब्ररी होके आती हूँ कुछ काम है,,,,,और तू इसको
ज़्यादा तंग नही करना सन्नी,,,उसने उंगली से इशारा करके ऐसा बोला जैसे मुझे धमकी दे रही हो,,,

नही नही सोनिया जी मैं इसको तंग नही करता कभी,,आप खुद ही पूछ लो,,मैं तो बहुत ज़्यादा केर करता हूँ
कविता जी की,,,मैने मज़ाक मे बोला तो कविता फिर से शरमा गई ,,,,

जानती हूँ सन्नी वो तो अभी देख ही लिया है मैने कि तू कितनी केर करता है कविता की,,,,सोनिया ने इतनी बात मज़ाक
मे बोली तो कविता फिर से शरमा गई,,,,

सोनिया वहाँ से चली गई और कविता मेरे पास बैठ गई ,,,,,,सोनिया के जाते ही कविता ने ज़ोर से मेरी कमर पर एक
चिमती काट दी ,,मेरे मुँह से आहह निकल गई,,,

ये क्या कर रही हो,,दुख़्ता है ,,मैने दर्द के मारे कविता से बोला,,,

अच्छा है दुखने दे,,,,तू भी तो हर्ट करता है ना सबको तुझे भी हर्ट होना सीखना होगा,,,

अब मैने क्या कर दिया,,,,जो इतना हर्ट करने लगी हो,,,,

अभी क्या हरकत की थी सोनिया के सामने,,,,उसको शक हो जाता तो,,,,ये तो अच्छा हुआ उसने सब मज़ाक समझ लिया
वर्ना पंगा हो जाता,,,,

मैने उसकी बात सुनी और सर को झुका लिया,,,,सौरी तुझे देखकर मैं इतना खो गया कि भूल गया था सोनिया भी
है साथ मे,,,अब गुस्सा मत कर ना प्ल्ज़्ज़

ओके नही करती,,,बट अगली बार ऐसी ग़लती नही करना ,,,अगर सोनिया को ज़रा भी शक हो गया तो वो जान ले लेगी मेरी,,
कविता ने ये बात डरते हुए बोली थी,,,उसके फेस से सॉफ पता चल रहा था वो कितना डरती है सोनिया से,,,,

तेरी क्या कविता वो मेरी भी जान ले लेगी अगर उसको ज़रा सा भी शक हो गया तो,,,,तुझे तो शायद माफ़ भी कर्दे वो
और आसान मौत देदे लेकिन मुझे तो तडपा तडपा कर मारेगी वो हिट्लर,,,,,मेरी बात से कविता हँसने लगी,,,

अच्छा अगर इतना डरता है तो ऐसे हरकते क्यूँ करता है फिर,,,आगे से ख्याल रखना इस बात का,,

ओक कविता मेडम जी,,,मैं ख्याल रखूँगा इस बात का,,,और आपका भी ,,,,मैने थोड़ा फ्लर्ट किया तो वो फिर से
शरमा गई,,,,,
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12-21-2018, 02:42 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मेरे दिमाग़ मे था कि कविता ने अपने बाप की हरकत के बारे मे सोनिया को बता दिया था क्यूकी सोनिया उसकी
बेस्टफ्रेंड थी तो क्या उसने मेरे बारे मे भी कुछ बता तो नही दिया होगा सोनिया को ,,,लेकिन मैं फालतू मे ही डर
रहा था ,,कविता ने कुछ नही बताया होगा सोनिया को क्यूंकी वो तो खुद बहुत बुरी तरह से डरी हुई थी सोनिया से,इतनी
बुरी तरह से तो शायद मैं भी नही डरता था सोनिया से,,,,,ओह्ह सौररी भूल गया,,,मैं भी बहुत डरता था सोनिया
से,,,,,


अच्छा बता तबीयत कैसी है अब,,,,मैने थोड़े शरारती अंदाज़ मे पूछा था तो कविता भी समझ गई मैं क्या
पूछ रहा हूँ इसलिए वो शरमा गई,,,

बोल ना तबीयत कैसी है,,,,,मैने फिर से पूछा,,,

उसने शरमा कर सर को झुका लिया और बोला,,,,,अब पहले से बेहतर हूँ भाभी की वजह से,,,

भाभी की वजह से,,,,कैसे?????

भाभी ने गर्म पानी से ठीक किया मुझे,,,,कविता ने फिर से शरमाते हुए बोला,,

गर्म पानी से,,,,वो भला कैसे,,,,क्या हुआ था तुझे जो गर्म पानी से ठीक हो गई,,,,मैने फिर से मज़ाक मे बोला

तभी उसने ज़ोर से च्युन्टी काट दी मेरे और इस बार पहले से भी ज़्यादा दर्द हुआ मुझे,,,मेरे मुँह से आहह निकल गई
और वो हँसने लगी,,

मैने फिर से मज़ाक मे बोला ,,,बता ना क्या हुआ था तुझे जो गर्म पानी से आराम मिला,,,मैने इतना बोला तो उसने'
फिर से हाथ आगे करके मुझे चींटी काटने की कोशिश की लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरे ऐसा करते ही
वो डर गई,,,,,,सन्नी प्ल्ज़्ज़ हाथ चूड़ ,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी,,,,,कॉलेज है सब देख रहे है,,,,प्लज़्ज़्ज़ सन्नी

उसको कॉलेज का डर नही था बल्कि उसको इस बात का डर था कहीं मेरे छूने भर से वो क़ाबू से बाहर नही हो
जाए और बहक कर कोई ग़लती नही कर दे,,,

मैने उसको छोड़ दिया और फिर नौरमल बातें करने लगा,,मुझे पता था वो वाली बात करूँगा तो कविता के
साथ-साथ मैं भी बहक जाउन्गा और फिर बहुत मुश्किल हो जाएगी,,,,,

ये क्या हुआ तेरी आँख पर ,,,कविता ने हाथ लगाते हुए पूछा,,,,

तभी मुझे याद आया कि कल जब मैं बुटीक पर गया था शिखा और अलका को लेके तो उन दोनो का ध्यान एक बार
भी नही गया मेरी आँख की चोर्ट पर लेकिन कविता ने आज भी ध्यान दिया था मेरी चोट पर,,,जबकि कल सूजन ज़्यादा
थी आज तो बहुत कम सूजन थी ,,,पास से देखकर ही पता चलता था कि आँख पर चोट लगी है,,,फिर मुझे समझ
आया कि शिखा और अलका तो बस चुदाई के लिए मेरे पास आती है उनका और मेरा रिश्ता बस चुदाई का है,,,लेकिन कविता
के साथ मेरा प्यार का रिश्ता है वो केर करती है मेरी ,,,,प्यार करती है मुझ से इसलिए तो हल्की से हल्की चोट पर भी
ध्यान चला गया था उसका,,,

कुछ नही बस हल्की चोट है,,,,,,मैने कविता को प्यार से बोला,,,,

फिर हम लोगो की बातें होती रही जब तक सोनिया नही आ गई और जब सोनिया आ गई तो कविता उसके साथ चली गई जबकि
मैं वहीं बैठा रहा कुछ देर,,,मैने सोनिया को घर की चाबी देने को कोशिश की लेकिन उसने बोला कि वो कुछ
देर कविता के घर रुकने वाली है और जब घर जाएगी तो मुझे कॉल कर देगी और जब मैं घर जाऊ तो उसको कॉल
कर दूं,,,,,

सोनिया चली गई और कुछ देर टाइम पास करने के बाद मैं भी घर की तरफ चल पड़ा,,,वैसे मेरा दिल नही था
घर जाने को,,क्यूकी मैं सोनिया से दूर रहना चाहता था,,,फिर सोचा कि घर चलता हूँ और सोनिया को कॉल नही
करूँगा ,,,,जब उसका दिल होगा आ जाएगी और जितना लेट आए उतना ही बेहतर है हम दोनो के लिए,,,,,

सोनिया जब जा रही थी कविता को साथ लेके तो कविता बार बार पीछे मूड के देख रही थी,,,वो थोड़ी उदास थी शायद
उसका दिल नही था मेरे से दूर जाने का ,,लेकिन सोनिया की वजह से उसको जाना पड़ा,,,,





मैं कॉलेज से निकला ही था कि थोड़ी दूरी पर मुझे करण सड़क पर खड़ा नज़र आया,,,मैने उसके पास जाके
बाइक रोक दिया,,,,,

आबे तू यहाँ क्या कर रहा है ,,,मैने बाइक करण के पास रोकते ही पूछा,,

कुछ नही सन्नी भाई घर जा रहा था तो बाइक खराब हो गई,,बाइक को ठीक करने के लिए दे दिया है अब घर जाने
के लिए ऑटो की वेट कर रहा था लेकिन अभी तक कोई ऑटो नज़र नही आया,,,,

चल आजा मैं छोड़ देता हूँ,,ऑटो का किराया मुझे दे देना,,,,मैने ये बात हंसते हुए बोली तो करण भी हँसने
लगा और हंसता हुआ बाइक पर आके बैठ गया,,,,

मैने बाइक वहाँ से करण के घर की तरफ मोड़ दिया और कुछ इधर उधर की बातें करते हुए हम लोग करण के
घर पहुँच गये,,,,

बेल बजाने पर शिखा ने आके गेट खोला और मुझे देखकर जल्दी से मेरे से चिपक गई और बिना हेलो बोले ही
मुझे किस करने लगी,,,,

क्या कर रही हो दीदी ,,,,रितिका देख लेगी ,,,,करण ने शिखा को मेरे से दूर करते हुए बोला लेकिन शिखा फिर से
वापिस मुझे चिपक गई और किस करते हुए बोली,,,,,,नही देखती तेरी रितिका वो उपर छत पर है माँ के साथ ,,धूप
सैक रही है,,,

इतना बोलकर रितिका मुझे डीप किस करने लगी ,,फिर कुछ देर हम ऐसे ही किस करते रहे और फिर घर के अंदर
चले गये ,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:42 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अंदर जाते ही शिखा सीधा अपने रूम मे ले गई मुझे और उसने करण को भी साथ चलने को बोला लेकिन करण रितिका
से डरता था शायद उसने जाने से सॉफ इनकार कर दिया,,,,लेकिन मैं चला गया शिखा के साथ तो शिखा ने करण को
बाहर पहरेदारी करने को बोल दिया,,,,करण वहीं शिखा के रूम के पास खड़ा हो गया और पहरेदारी करने लगा,,

अंदर रूम मे घुसते ही शिखा ने किस करते हुए मेरे लंड को पॅंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया था ,,,और
कुछ देर किस करने के बाद ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर लंड को मुँह मे भरके चूसने लगी थी,,हयी
रीए सन्नी कितना बड़ा है तेरा ,,,मुँह मे लेती हूँ तो मुँह मे नही घुसता ,,चूत मे लेती हूँ तो वहाँ भी
नही घुसता और जब गान्ड मे लेती हूँ तो फाड़ कर रख देता है गान्ड को,,,,आहह सन्नी मस्ती मे पागल
हो चुकी शिखा पता नही क्या क्या बोले जा रही थी और मेरे लंड को चुस्ती जा रही थी ,,मैं भी उसकी बातों को
अनसुना करके लंड चुसाइ का मज़ा ले रहा था,,,पहले उसका किस करने का अंदाज़ इतना निराला था कि मैं उसको लंड
तक पहुँचने से रोक नही पाया और अब लंड चूसने का अंदाज़ तो जान लेने लगा था मेरी ,,,वो बड़े प्यार से लंड
को मुँह मे लेके चूस रही थी और मुझे मस्त कर रही थी लेकिन मुझे डर था कहीं रितिका नही आ जाए ,,अलका
आंटी आती तो मुझे डर नही था लेकिन रितिका का डर था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था ,,क्यूकी अगर
इतनी मस्ती के बाद पानी नही निकला लंड का तो मुश्किल होगी इसलिए मैने पानी जल्दी निकालने के लिए अपनी कमर को आगे
पीछे हिलाना शुरू कर दिया ताकि जल्दी से पानी निकाल दूं अपने लंड का,,,,,


इस बात का एहसास शिखा को भी हो गया था इसलिए उसने भी अपने सर को थोड़ी तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर दिया
था,,,,उसने आधे लंड को मुँह मे भर लिया था जबकि आधे लंड पर अपने हाथ से मूठ मारने लगी थी वो भी पूरी
तेज़ी से,,,मैं बस खड़ा खड़ा आह आ करता जा रहा था ,,,शिखा भी मस्ती के लिए अपने एक हाथ से अपनी चूत को
मसल रही थी और उंगली कर रही थी चूत मे,,,करण दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ था और हम दोनो को देखकर
वो भी मस्त हो चुका था लेकिन वो डर रहा था लेकिन मस्ती डर पर हावी हो गई थी इसलिए उसका हाथ पॅंट के उपर
से उसके लंड पर चला गया था और उसने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,

इधर शिखा को लंड चूस्ते काफ़ी देर हो गई थी और अब मुझे और भी ज़्यादा डर लगने लगा था क्यूकी मैं झड़ने के
करीब था इसलिए मैने शिखा के हाथ को लंड से हटा दिया और अपने हाथों से उसको ज़मीन से उठा दिया और पकड़
कर बेड के पास ले गया और फिर उसको बेड के पास ज़मीन पर बिठा दिया और उसके सर को बेड पर रखके उसकी गर्दन
को पीछे बेड की तरफ मोड़ दिया जिस से उसके सर को बेड का सहारा मिल गया और उसकी गर्दन बेड पर टिक गई और मैने
जल्दी से अपने लंड को उसके मुँह मे डाला और आगे बढ़ कर अपने हाथ बेड पर रखे और बेड पर झुक गया और बेड का
सहारा लेके तेज़ी से शिखा के मुँह को चोदने लगा,,,मेरी स्पीड एक दम से बहुत तेज हो गई थी और मेरा धक्का भी
जोरदार था ,,,

मेरा लंड तेज़ी से शिखा मे मुँह मे गले से नीचे तक घुसने लगा था और वो भी पूरा का पूरा ,,मेरी बॉल्स उसके
लिप्स से टकरा रही थी ,,,वो भी मेरी गान्ड पर हाथ रखकर मुझे तेज़ी से उपर नीचे होके उसके मुँह को चोदने
का इशारा कर रही थी,,तभी कोई 4-5 मिनट बाद मेरी सिसकियाँ निकलने लगी थी ,,,मेरा लंड शिखा के गले से नीचे
घुसा हुआ था और 2 इंच लंड बाहर था मैने उसी 2 इंच लंड को अंदर बाहर करते हुए तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए
अपने लंड के पानी को शिखा के गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया और जब मेरे लंड का पानी निकल गया तो मैने
लंड को शिखा के मुँह से बाहर निकाल लिया और सिखा ने जल्दी से मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और जो थोड़ा बहुत
स्पर्म लगा हुआ था उसको भी चाट कर सॉफ कर दिया,,,,तभी उधर से करण की सिसकियाँ शुरू हो गई तो मैने पॅंट
की ज़िप लगाते हुए देखा कि करण अपने लंड को पॅंट से बाहर निकाल कर मूठ मार रहा था और शायद झड़ने वाला
ही था और तभी शिखा उठी और जल्दी से करण की तरफ चली गई और करण भी हल्के कदमो से उस रूम के अंदर आ
गया ,,


शिखा ने करण के पास जाके उसके लंड को मुँह मे भर लिया और जैसे ही लंड उसके मुँह मे घुसा लंड से स्पर्म की
पिचकारी लगनी शुरू हो गई और करण सिसकियाँ लेता हुआ झड गया अपनी बेहन के मुँह मे,,,,जब करण झड रहा था
तब मैं जल्दी से दरवाजे के पास चला गया था क्यूकी अब बाहर पहरेदारी करने वाला कोई नही था,,,

जब करण भी झड गया तो उसने अपने लंड को वापिस अपनी पॅंट मे घुसा लिया और कपड़े ठीक करने बाहर आ गया और
फिर हम तीनो उपर छत की तरफ जाने लगे,,,,मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था और करण भी लेकिन शिखा
अभी भी थोड़ी मस्ती मे थी क्यूकी वो अभी तक झड़ी नही थी,,,,,वो सीडियों पर जाते हुए फिर से मस्ती से कभी
मुझे तंग कर रही थी तो कभी करण को,,,


बस करो ना शिखा दीदी अब हो गया ना,,करण ने थोड़ा चिड़ते हुए बोला,,असल मे वो चिड नही रहा था उसको डर
था कहीं रितिका कुछ देख नही ले,,,,


हां हां अब तो ऐसा ही बोलोगे तुम लोग,,अपने लंड जो हल्के हो गये और मेरी इस चूत का क्या जो भरी हुई है

शिखा ने ताना मारा था करण को और साथ मे मुझे भी गुस्से से देखा था,,,,

अरे दीदी मुझे क्यूँ ऐसे देख रही हो,,कल का भूल गई क्या ,,कितनी मस्ती की थी बुटीक पर,,,

भूली नही हूँ सब याद है उसी को याद करके तो दोबारा से मस्त हो गई हूँ मैं,,सिखा फिर से मेरी तरफ
लपकी लेकिन करण से उसको टोक दिया,,,,बस करो दीदी ,,,हम लोग उपर आ गये है,,,

हम लोग सीडियों से उपर गये तो देखा कि अलका आंटी और रितिका दोनो धूप मे बैठी हुई थी,,,

अभी करण और हम लोग उपर आए ही थे कि रितिका ने मुझे हेलो बोला और करण को कुछ इशारा किया और नीचे चली
गई और उसके जाते ही करण भी नीचे की तरफ वापिस चला गया,,,,


मैं अलका आंटी के पास गया और उनको हेलो बोला,,,,लेकिन अलका आंटी अपनी चारपाई से खड़ी होके मेरे गले लग्के
मिली,,,,अरे क्या सन्नी बेटा ये दूर दूर से हेलो करते रहते हो,,,पास आके गले लग्के मिला करो तब चैन मिलता है
मेरे कलेजे को,,,,आंटी ने मुझे बाहों मे भर लिया और उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये और तभी
आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और हल्के से दबा दिया,,,,

अरे आराम से आंटी जी दर्द होता है,,,,

अभ कहाँ दर्द होने वाला तुझे सन्नी अभी तो हल्का होके आया है,,,,मैं आंटी की बात से हैरान रह गया इनको
कैसे पता चला मैं हल्का होके आया हूँ,,,

आपको कैसे पता आंटी जी,,मैं ये पूछने ही वाला था कि आंटी बोल पड़ी,,,,,,,ये देख शिखा के चेहरा की मुस्कान
बता रही है की कुछ ना कुछ तो हुआ है,,,,

हां माँ कुछ नही बहुत कुछ हुआ है ,,,,और अभी बहुत कुछ होना बाकी है,,,,,,,,,,इतना बोलकर अलका आंटी और
शिखा हँसने लगी,,लेकिन मैं डर गया ,,,,अब क्या होने वाला है ,,अब कहीं माँ बेटी उपर छत पर कुछ पंगा
तो नही करने वाली मेरे साथ वो भी मुझे नंगा करके,,,

अभी मैं डर ही रहा था कि रितिका उपर आ गई ,,उसने अलका आंटी और शिखा दीदी को हंसते हुए देखा तो बोली,,क्या
हुआ माँ इतना क्यूँ हंस रही हो आप लोग,,,,

रितिका को देखकर शिखा और अलका एक दम से चुप हो गई,,शायद वो थोड़ा डर गई थी,,,,,,,कुछ नही बेटी ये सन्नी
ने बहुत अच्छा जोक सुनाया जिसस से हँसी आने लगी,,,,

हां हां जानती हूँ माँ इसकी तो आदत है जोक सुनाने की और जोक बनाने की,,,इतना बोलकर रितिका ने मुझे गुस्से
से देखा ,,,,

फिर कुछ देर तक सब चुप हो गये ,,मुझे तो समझ आ गया था रितिका क्या बोल रही थी लेकिन शिखा और अलका आंटी
को कुछ समझ नही आया था शायद,,,

तभी अलका आंटी बोली,,,चल आजा सन्नी बैठ यहाँ और संतरे खा ले,,,,आंटी ने चारपाई पर पड़ी हुई प्लेट की
तरफ इशारा किया जिसमे 3-4 संतरे पड़े हुए थे,,

अरे वाह संतरे ,,मुझे बहुत अच्छे लगते है संतरे और सर्दी की धूप मे बैठकर संतरे खाने का मज़ा ही
कुछ और है,,,मैं जल्दी से बैठ गया रो संतरे खाने लगा,,अलका आंटी और शिखा भी बैठ गई लेकिन रितिका खड़ी
रही,,,मुझे तो संतरे वैसे भी बहुत अच्छे लगते थे,,,,वो भी बड़े बड़े 40 के साइज़ वाले,,


अरे भाभी आप भी बैठो ना,,संतरे खाओ बैठकर,,,,शिखा ने रितिका को बैठने को बोला,,,

मैं संतरे नही खाती शिखा दीदी ,,मुझे इनका जूस पीना ज़्यादा अच्छा लगता है,,

रितिका बेटी तुझे बोला था ना जूस निकाल कर पीने को अभी तक पिया या नही,,,ये बात बोली थी अलका आंटी ने

नही माँ अभी नही पिया,,वो जूसर उपर वाली शेल्व पर पड़ा हुआ है ना,,,अभी तक नीचे नही उतारा उसको

तो उतार लो ना बेटी,,कब उतारोगी,,,,

माँ वो बहुत उपर है वहाँ तक मेरा हाथ नही जाता,,,,शिखा दीदी आप उतार दो ना,,,

ना बाबा ना ,,वो बहुत भारी है और वैसे भी मेरा हाथ भी नही जाता उपर वाली शेल्व तक ,,तुम करण को बोलो
ना भाभी,,,,और वैसे भी मैं बहुत थक गई हूँ,,,


करण तो अभी थोड़ा काम से गया है बाहर,,कुछ समान लेने के लिए,,,

तो ये सन्नी कब काम आएगा,,,अलका आंटी ने इतना बोला ,,,,अरे सन्नी बेटा तुम जाओ ना भाभी के साथ और किचन की
शेल्व से वो जूसर उतार दो,,,

मैं मना नही कर सका ,,,वैसे मुझे रितिका के साथ अकेले नीचे नही जाना था लेकिन अलका आंटी ने बोला तो मुझे
जाना पड़ा,,

मैं आगे आगे चलने लगा सीडियों पर और रितिका मेरे पीछे थी,,,

हम लोग किचन मे गये तो रितिका ने सबसे उपर वाली शेल्व की तरफ इशारा किया जहाँ जूसर पड़ा हुआ था,,,मैने
देखा कि वो शेल्व बहुत उपर थी वहाँ तक मेरा हाथ भी नही जाने वाला था तभी रितिका बाहर गई और एक छोटा
टेबल लेके आ गई,,उसने टेबल रखा तो मैं टेबल पर चढ़ गया और जूसर उतार लिया ,,,जैसे ही मैने जूसर को हाथों
मे लिया तो पता चला कि ये तो सच मे बहुत भारी था,,शायद पुराने ज़माने का था इसलिए इतना वजनी था,,मैने
जूसर को हाथों मे पकड़ कर खड़ा हुआ था और फिर जूसर को नीचे किया ताकि भाभी को पकड़ा दूं जूसर लेकिन
फिर सोचा कि ये तो बहुत वजनी है भाभी इसका वजन नही संभाल पाएगी इसलिए मैने भाभी की तरफ देखा ताकि
और इशारा किया टेबल पकड़ने को क्यूकी मुझे डर था इतने वजन से कहीं मैं गिर नही जाउ टेबल से,,
Reply
12-21-2018, 02:43 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
लेकिन जैसे ही मैने भाभी की तरफ देखा तो दंग रह गया,,भाभी ने साड़ी पहनी हुई थी और अब भाभी ने साड़ी
के पल्लू को एक साइड किया हुआ था,उनके छोटे छोटे बूब्स जो कुछ दिन मे करण की मेहनत की वजह से थोड़े बड़े
हो गये थे वो बूब्स ब्लाउस से निकलकर बाहर झाँक रहे थे,,मुझे उपर से उनके बूब्स पूरे नंगे लग रहे
थे ,,,क्यूकी उपर होने की वजह से मुझे बूब्स ब्लाउस के अंदर तक नज़र आ रहे थे और बूब्स के क्लीवेज़ की
पूरी गहराई तक मेरी नज़र जा रही थी ,,मैं अभी कुछ देर पहले हल्का होके आया था लेकिन रितिका के बूब्स देख
कर मेरे लंड ने फिर से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था मुझे डर था कहीं भाभी की नज़र नही पड़ जाए मेरे
लंड पर लेकिन तभी कुछ ऐसा किया भाभी ने की मेरा डर मस्ती मे बदल गया और मेरी गान्ड फॅट गई,,,

भाभी ने अपनी साड़ी के पल्लू को पकड़ा और ज़मीन पर गिरा दिया और बड़े प्यार से मुझे अपने बूब्स के दर्शन
करवाने लगी ,,भाभी ने टेबल को हाथों से पकड़ा था इलसीए उनको थोड़ा झुकना पड़ा वो झुककर और भी ज़्यादा
बूब्स दिखाने लगी थी मुझे,,,,,मैने मन ही मन सोचा सन्नी बेटा अब ये तो पूरी लाइन दे रही है फिर तू क्यूँ
पीछे हट रहा है,,,,पकड़ ले साली को और ठोक दे ,,,,,लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था,,,,क्यूकी ये करण की अमानत
थी,,,अगर करण को सब पता होता और करण खुद कहता तो मुझे एतराज़ नही था लेकिन उसकी पीठ पीछे ऐसा करके
मैं दोस्ती को दाग नही देना चाहता था,,,,वैसे भी रितिका जैसा माल रोज रोज हाथ नही लगता,,,

रितिका टेबल को पकड़ कर झुकी हुई थी और उसने अपने साड़ी के पल्लू को भी ज़मीन पर फैंक दिया था अब उसके'
बूब्स पूरे नंगे थे मेरे सामने ,,मैं मस्ती मे पागल हो राह था मेरा लंड भी ओकात मे आने लगा था और
तभी रितिका ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद तक नही थी,,,उसने टेबल पर झुके हुए अपने चेहरे को मेरे लंड
के करीब कर दिया और अपने होठों से पॅंट एक उपर से मेरे लंड पर हल्की किस करदी,,मुझे लगा कि अब मैं
सच मे टेबल से गिर जाउन्गा और अगर नही गिरा तो भी भाभी गिरा के दम लेगी,,,,मैं जल्दी से टेबल के उपर से कूद
गया और जूसर को भी गिरते गिरते बड़ी मुश्किल से संभाला और फिर जूसर को शेल्व पर रखा और भाभी की तरफ पलटा


ये क्या बेहूदा हरकत थी रितिका,,,,मैने इतना बोला ही था कि रितिका मेरी तरफ बढ़ने लगी उसने मेरी आँखों मे देखा
'और मेरी तरफ बढ़ते हुए अपने हाथ अपने ब्लाउस पर रखे और सामने से अपने ब्लाउस के हुक को खोल दिया ,,,पहले
एक और फिर दूसरा,,,,2 हुक खुलते ही उसके बूब्स आधे से भी ज़्यादा बाहर निकल आए थे और मैं रितिका की इस हरकत
से दंग रह गया,,,लेकिन मुझे डर भी लगने लग था अभी कोई अगर आ जाता वहाँ तो क्या होता,,,,अगर करण आ
जाता तो क्या होता,,,वो सॉफ सॉफ समझ जाता कि क्या हो रहा है,,,,और वो मुझे कभी माफ़ नही करता ,,,

मैं थोड़ा मस्त हो गया था लेकिन फिर भी डर रहा था खुद पर क़ाबू कर रहा था,,,यी क्याअ हारकाट्त हाई
र्रितिक्काा,,,तुउम्मक्कू ष्हररामम न्हीई एयेए र्राहहीी ,,,,,,,,

रितिका मेरे पास आ गई और मेरे लिप्स पर अपनी उंगली रखते हुए बोली,,,,,,,चुप करो,,,बड़े आए शरम वाले,,तब कहाँ
थी तुम्हारी शरम जब टेबल पर खड़े होके इन बूब्स को देख रहे थे,,,,तब शरम नही आई थी क्या,,,और अब
जब मैने इनको आज़ाद कर दिया है तो अब भला कैसा शरमाना,,,रितिका ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर
रख दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रखके अपने हाथ को दबा दिया जिस से मेरे हाथ मे
पकड़ा हुआ उसका बूब भी दब गया और उसके मुँह से आहह निकल गई,,,,,,,हयी री कितनी गर्मी है तेरे हाथों मे आ
सन्नी एक बार खुद मसल ना मेरे बूब्स को,,,उसने मेरा दूसरा हाथ भी पकड़ा और अपने दूसरे बूब पर रखने
लगी,,,,लेकिन तभी मैने उसको धक्का दिया और वो पीछे हो गई और मैं खुद भी उस से पीछे हो गया,,,

मैने बड़ी मुश्किल से खुद पर क़ाबू किया था,,,,दिल तो कर रहा था अभी पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू
कर दूं उसके बूब्स को लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मैं डर रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,

तुमको शरम नही आती क्या,,,,ये सब करते हुए,,,,कोई आ गया तो क्या सोचेगा,,,चलो बंद करो अपने ब्लाउस को


कोई नही आएगा सन्नी तू डर मत,,,,माँ और शिखा तो उपर है और करण गया है बाहर,,,,तो कॉन देखेगा हम लोगो
को,,,,

कोई देखे या नही देखे लेकिन तुम बंद करो इसको ,,,,मुझे ये सब अच्छा नही लगता,,,

क्या अच्छा नही लगता,,,,मैं या मेरा ये जिस्म ,,,,बोलो ना सन्नी,,,

तुम ऐसा मत करो प्लज़्ज़्ज़्ज़ रितिका,,,,तुम करण की वाइफ हो वो तुमसे बहुत प्यार करता है तो भला क्यूँ तुम उसको धोखा
दे रही और मुझे भी मजबूर कर रही हो उसको धोखा देने को,,,,मत करो ऐसा प्लज़्ज़्ज़्ज़

प्यार तो मैं भी बहुत करती हूँ करण से और अपनी जान से भी ज़्यादा,,,,मैं कहाँ धोखा दे रही हूँ ,,धोखा
तो तब होगा जब उसको कुछ पता चलेगा,,,,ना तुम उसको कुछ बताने वाले हो और ना मैं,,फिर भला कॉन बताएगा
उसको,,,,


कोई बताए या नही लेकिन मैं फिर भी उसको धोखा नही दूँगा,,,,ना तुमको ऐसा करने दूँगा,,,,,और कैसी लड़की
हो तुम ,,,,,एक तरफ तो करण से प्यार की हवा मे उड़ती हो और उपर से मेरे साथ वासना के समुंदर मे गोते लगाना
चाहती हो,,,कुछ तो शरम करो,,,,


मैं कोई धोखा नही दे रही किसी को,,,बस एक ज़िद्द है तुम्हारे साथ हमबिस्तेर होने की वही ज़िद्द पूरी कर रही हूँ
और मैं अपनी ज़िद्द पूरी करके ही दम लेती हूँ,,,उसने इतना बोला और मेरी तरफ बढ़ कर आ गई,,,,और इस से पहले मैं
कुछ कहता या करता उसने मेरे गले मे बाहें डालके मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे लिप्स पर किस करने लगी
लेकिन मैने खुद को संभाला और उस से दूर हो गया ,,,,

इस से पहले मैं उसको कुछ कहता मेरी नज़र पड़ी किचन से बाहर की तरफ,,,जहाँ करण खड़ा हुआ था,,,मैने
उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से मुझे देखता हुआ वहाँ से चला गया,,,,

मैं उसके पीछे गया और रितिका भी जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुआ मेरे पीछे भाग कर आ गई,,,,मैं करण
के पीछे गया तब तक करण घर के बाहर खड़ी अपनी कार लेके वहाँ से चला गया,,,,मैने उसको आवाज़ भी दी लेकिन
वो नही रुका,,,

मैं वापिस पलटा तब तक रितिका भी वहाँ आ गई थी,,,,,,,,,वो भी थोड़ी परेशान हो गई थी,,,,

अब तो खुश हो तुम,,,,,अब चैन पड़ा तुमको,,,हम दोस्तो मे फुट डलवा कर,,,,वो मेरा दोस्त पता नही क्या सोच
रहा होगा मेरे बारे मे,,,,उसकी नज़रो मे गिर गया हूँ मैं,,,सब तुम्हारी वजह से हुआ है,,,

मैने क्या किया,,,,जो किया तुमने किया,,,,ना तुम ऐसे ज़िद्द करते और ना मैं इतना सब कुछ करती,,,,एक बार मान जाते
मेरी बात तो क्या हो जाता,,,,अब तुम्हारी वजह से करण पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा,,,

सब सही सोच रहा होगा,,,पता नही मेरे बारे मे क्या क्या ग़लत सोच रहा होगा,,,तुझे अगर इतनी ही आग लगी हुई थी'
तो बता देती करण को सब कुछ और फिर आती मेरे पास,,,,,फिर बताता तुझे कि आग कैसे भुज्ती है,,,,फिर बताता तुझे
की चुदाई किसको कहते है,,,,मैं गुस्से मे पता नही क्या क्या बोल गया,,,मुझे ये भी होश नही था कि मैं घर
के बाहर गेट पर खड़ा हुआ हूँ,,,,


लेकिन उसको कोई फ़र्क ही नही पड़ा रहा था,,,,,,

तो अब आ जाओ ना अंदर और बता दो चुदाई क्या होती है,,,मुझे भी तो पता चले कितना दम है तेरे मे,,,उसने
इतनी बात शरमाते हुए बोली लेकिन बिना किसी डर के,,,,

पहले वो परेशान लग रही थी लेकिन अब उसकी बातों से लग रहा था उसको करण से डर नही कोई,,,उसको कोई परेशानी
नही किसी बात की,,,,मुझे इस बात से और भी ज़्यादा डर लगने लगा क्यूकी ये औरत थी और करण की पत्नी भी,,कहीं
इसने करण की नज़रो मे खुद को सही साबित करने के लिए मुझे और भी ज़्यादा गिरा दिया करण की नज़रो मे तो क्या होगा

मुझे बहुत डर लगने लगा,,,

तुमसे तो बात करना ही बेकरार है,,इतना बोलकर मैं वहाँ से चल पड़ा अपनी बाइक की तरफ और मैं अपने मोबाइल से
करण को फोन भी किया लेकिन उसने फोन पिक ही नही किया,,,,,मैने बहुत परेशान हो गया था,,,मैने बार बार
करण का फोन ट्राइ किया लेकिन उसने रेस्पॉन्स ही नही दिया,,,फिर उसका फोन ही स्विच ऑफ हो गया,,,मैं घर आ गया
था ,,मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था ,,,,बहुत गुस्सा आ रहा था रितिका पर,,,,उसकी वहज से आज अपने दोस्त की नज़रो
मे गिर गया था मैं,,लेकिन फिर मुझे खुद पर भी गुस्सा आने लगा,,,,रितिका की ज़िद्द थी एक बार मेरे साथ चुदाई
करने की तो भला मैने उसकी चुदाई क्यूँ नही की,,,,पहले ही उसकी चुदाई कर देता तो आज ये सब नही होता,,,भला
करने की सोच रहा था और खुद का नुकसान कर लिया,,,,,

वो कहते है ना (खाया पिया कुछ नही ग्लास तोड़ा बारा आना),,,,,,वही हुआ मेरे साथ,,,,पहले रितिका की चुदाई कर
लेता तो चूत भी मिल जाती और किसी को पता भी नही चलता ,,,,ना मैं बताता करण को ना ही रितिका,,,,सब कुछ हो भी
जाता और किसी को कुछ पता भी नही चलता,,,,,आज कुछ हुआ भी नही और शहर मे शोर हो गया था,,,,करण ने ऐसी
हालत मे देख लिया था मुझे और रितिका को कि अब उसको मेरे पर यकीन नही होने वाला था,,,,,उसके कहने पर अगर
मैं उसकी वाइफ से चुदाई करता तो ठीक था क्यूकी मैं उसकी बेहन और माँ को भी तो चोदता था,,लेकिन उसके बारे मे
करण जानता था ,,,,लेकिन आज जो कुछ रितिका के साथ हुआ उसके बारे मे करण अंजान था,,,उसको कुछ पता नही था और
आज पता चला तो सब कुछ ख़तम हो गया,,,

वो बरसो का यकीन तोड़ दिया था मैने ,,,हलकी मेरी कोई ग़लती भी नही थी,,,,,,मैं काफ़ी टाइम से उसका फोन
ट्राइ कर रहा था ताकि उस से बात कर सकूँ लेकिन अब उसका फोन भी स्विच ऑफ हो गया था,,,,,


मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक,,,???
Reply
12-21-2018, 02:43 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक थोड़ा अजीब लग रहा था ,ऐसे लग रहा था किसी
ने इसको ज़बरदस्ती खोलने की कोशिश की हो ,,,बहुत ज़्यादा निशान पड़े हुए थे इस्पे,,हो ना हो ये उन्ही लोगो का काम
था जो लोग घर के बाहर खड़े हुए थे उस दिन,,,,साला आज नही छोड़ने वाला मैं इन लोगो को,,,मैने गेट खोला
और बाहर जाके देखा तो वो लोग वहाँ नही थे,,,मैने गेट खुला रहने दिया और भाग कर घर के पास वाली पार्क
तक गया,,,मुझे आज रितिका पर बहुत गुस्सा था और जब मुझे करण ने रितिका के साथ देख लिया था उस हालत मे किचन
मे तो मुझे बहुत अजीब लगा था ,,करण को पता था मैं चुदाई के मामले मे बहुत बड़ा कमीना हूँ इसलिए हो
सकता है करण मुझे ही ग़लत समझे और जब मैं करण के घर से निकला था तब रितिका को कुछ ज़्यादा टेन्षन नही
थी इस बात पर कि उसके पति ने उसको किसी गैर मर्द के साथ ऐसी हालत मे देख लिया था ,,शायद उसको करण का डर नही
था या शायद कहीं वो करण से झूठ नही बोल दे कि मैने उसके साथ बदतमीज़ी की थी,,क्यूकी अगर वो ऐसे बोल देती
तो शायद करण उसपे यकीन कर लेता और मैं ज़िंदगी भर के लिए करण की नज़रो मे गिर जाता,,,,मुझे यहीं सब बातों
पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अब घर का बिगड़ा हुआ लॉक देखकर मुझे और भी गुस्सा आने लगा था,,,,मैं उन लोगो
का सर फोड़ देना चाहता था इसलिए घर के गेट को खुला छोड़कर मैं पार्क की तरफ भाग कर गया और फिर पार्क
के अंदर भी देखकर आया लेकिन वो लोग कहीं नही थे,,,,

मैं वापिस घर आ गया लेकिन फिर भी मुझे उन लोगो पर बहुत गुस्सा था क्यूकी मुझे पक्का यकीन था क़ि वो लोग
अमित के बाप के आदमी थे,,,,

मैने घर को अच्छी तरह से हर दरवाजा और खिड़की चेक की कहीं कोई अंदर तो नही घुसा था लेकिन दोनो दरवाजे
ठीक थे,,,,फ्रंट वाला भी और बॅक वाला भी,,,,घर मे 2 ही रास्ते थे अंदर आने के ,,,,एक तो आगे से और एक पीछे से
लेकिन तभी मुझे याद आया कि एक रास्ता उपर छत पर भी है,,,,वहाँ से भी कोई आ सकता है इसलिए मैं घर की
छत पर गया तो वो दरवाजा भी अंदर से बंद था,,,,सब कुछ ठीक था कहीं कुछ गड़बड़ नही हुई थी,,,

हालाकी घर मे कोई गड़बड़ नही हुई थी लेकिन करण के साथ मेरी बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई थी और मुझे इस बात पर
बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था,,,,साले ने फोन भी स्विच ऑफ कर दिया था ,,,अब बात करूँ भी तो कैसे करूँ,,



मैं यही सोचता हुआ नीचे वाले फ्लोर पर ही बैठ गया,,,दिमाग़ टेन्षन से फटा जा रहा था तभी टेन्षन को और
ज़्यादा बढ़ाने के लिए सोनिया घर आ गई,,,,

उसने बेल बजाई और मैने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,

कब घर आया तू भाई,,आके मुझे फोन नही कर सकता था क्या,,तुझे बोला था ना घर आके मुझे फोन करने को
उसने घर मे घुसते ही एक दम से बोलना शुरू कर दिया,,

सौरी मैं भूल गया था,,,,

क्या हुआ भाई तू ठीक तो है ना,,,तबीयत ठीक है ना तेरी,,,

हां मैं ठीक हूँ तबीयत भी एक दम दुर्रुस्त है मेरी,,,,,

फिर तू इतना टेन्षन मे क्यूँ लग रहा है ,,इतना परेशान क्यूँ है तू,,किसी से झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,,सोनिया से कुछ नही
छुपा था आज तक,,,,,वो मेरी शकल देख कर बता देती थी कि मेरा मिज़ाज कैसा है,,


मैं ठीक हूँ सोनिया ,,किसी से कोई झगड़ा नही हुआ,,,बस सर मे हल्का दर्द है,,,

तभी वो चलके मेरे पास आई और मेरे फोरहेड पर हाथ लगा कर चेक करने लगी,,,,,बुखार तो नही है भाई शायद
मौसम चेंज होने की वजह से सर दर्द होने लगा होगा,,,,,बोलो तो सर दबा दूं भाई,,,,


नही मैं ठीक हूँ तुम जाओ उपर अपने कमरे मे,,,मैने उसका हाथ अपने सर से हटाते हुए बोला और थोड़ा गुस्से
से भी,,,,

गुस्सा मत कर भाई तबीयत ज़्यादा खराब हो जाएगी,,,,अगर बोलो तो कॉफी बना देती हूँ आराम मिलेगा,,,,

बोला ना मुझे कुछ नही चाहिए तू बस जा यहाँ से,,,,मैने फिर से गुस्से मे बोला,,,,मैं गुस्सा नही करना चाहता
था उस पर क्यूकी वो तो मेरी केर करती थी और अभी भी कर रही थी लेकिन मुझे वैसे ही बहुत गुस्सा था जो सब भी
आज हुआ था उस पर,,,,

वो मेरे से दूर हट गई लेकिन अपने रूम मे नही गई ,,वो गई किचन मे और मैं गुस्से से सोफे पर आके लेट गया
सच मे अब मेरा सर दर्द करने लगा था टेन्षन से,,,मैं सोफे पर लेटा हुआ पता नही क्या क्या सोच रहा था तभी
कुछ देर बाद सोनिया वहाँ आ गई उसने एक कप कॉफी रखी टेबल पर और साथ ही एक मॅडिसिन भी रख दी,,,,

भाई कॉफी पे लेना अगर फिर भी आराम नही मिला तो ये गोली खा लेना सर दर्द ठीक हो जाएगा,,,,उसने इतना बोला और
वहाँ से चली गई,,,,

उसकी इस हरकत से अब मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा,,,,ये बेचारी मेरी इतनी केर करती है और मैं बात बात पर
इसको हर्ट करता रहता हूँ,,,फिर भी ये मासूम मेरी केर करने से बाज़ नही आती,,,,

खैर मैं बैठकर कॉफी पीने लगा और जो आज हुआ उसके बारे मे सोचने लगा ,,साला दिमाग़ इतना ज़्यादा खराब हो
गया था कि कॉफी भी टी-शर्ट पर गिर गई ,,शूकर है ख़यालो मे खोया हुआ था जिस वजह से कॉफी थोड़ी ठंडी हो
गई थी अगर कहीं गर्म होती तो गान्ड फॅट जाती मेरी,,,,

मुझे इस बात की खुशी भी थी कि सोनिया को लॉक के बारे मे पता नही चला वर्ना वो स्वाल करती लॉक के बारे मे तो
मैं उसको क्या जवाब देता,,,,अच्छा ही हुआ कि उसने लॉक को नही देखा था,,,

कॉफी पीके सोचा क्यूँ ना ख़ान भाई के पास चला जाए और उनसे कुछ बात की जाए,,इस बहाने मैं घर से बाहर
भी चला जाउन्गा सोनिया से दूर और उसको फिर से हर्ट करने का कोई मोका भी नही होगा मेरे पास,,,आज रात से पहले
मैं घर भी नही आउन्गा ,,,,बाहर ही कहीं टाइम पास कर लूँगा,,,

यही सोच कर मैं उपर रूम मे गया ताकि टी-शर्ट चेंज कर लूँ,,,मैं उपर रूम मे गया तो देखा कि सोनिया
वहाँ नही थी,,,,शायद वो भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चली गई होगी स्टडी करने के लिए,,,,मैने जल्दी से टी-शर्ट
उतारी और दूसरी टी-शर्ट पहने लगा तो देखा कि कॉफी से चेस्ट कुछ चिपचिपी हो गई थी,,फिर सोचा चलो हल्का शवर
ले लेता हूँ गर्म पानी से शायद कुछ आराम मिले उस से और थोड़ा बेटर फील होने लगे,,,,यही सोच कर मैं शोभा के
रूम मे जाने लगा क्यूकी सोनिया के रूम का बाथरूम ठीक से काम नही करता था,,,

मैं टी-शर्ट उतार चुका ,,मेरा उपर का बदन नंगा था और मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा के रूम की तरफ जाने
लगा कहीं सोनिया मुझे नही देख ले मुझे इस बात का डर था ,,,इसलिए मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा दीदी के रूम
मे चला गया,,,,

जैसे ही मैं रूम मे घुसा मैने देखा कि सोनिया टवल मे शोभा दीदी के रूम मे खड़ी हुई थी,,,वो शायद अभी
नहा कर बाथरूम से बाहर निकली थी,,

मैने दरवाजा इतनी जल्दी से खोला था और इतनी तेज़ी से रूम मे घुसा था कि सोनिया को पता ही नही चला और जब तक पता
चला तब तक देर हो चुकी थी,,वो र्मिरर मे खुद को देखकर अपनी जुल्फे सवार रही थी ,,,उसका हेर ब्रश उसके हाथ
मे पकड़ा हुआ था ,,वो एक दम से मुझे देखकर इतना ज़्यादा डर गई की उसको कुछ समझ ही नही आ रहा था ,,और सबसे
बड़ा पंगा था कि अभी वो टवल मे थी जबकि मेरा भी उपर का जिस्म नंगा था,,,,


कुछ देर पहले मैं बड़ी टेन्षन मे था ,कितनी उलझन मे था,,,कितने सवाल और कितने जवाब घूम रहे थे मेरे
दिमाग़ मे ,,,कभी करण की टेन्षन तो कभी रितिका की,,तो कभी उन लोगो को जिन लोगो ने घर मे घुसने की कोशिश
की थी,,,लेकिन अब सोनिया को देखकर मैं सब कुछ भूल गया था,,,बस अब दिल और दिमाग़ मे वही छा गई थी,,,

उसको देखा तो देखता ही रह गया,,,,,,,डर के मारे उसका हेर ब्रश वाला हाथ उसके बालों मे ही उलझा रह गया
था,,वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मिरर मे मुझे देख रही थी,,,मैं भी उसको मिरर मे देख
रहा था,,,,कुछ पल के लिए उसको मिरर मे देखते हुए मैने सोचा क्यूँ ना मैं भी उस मिरर मे घुस जाउ
ताकि सोनिया को करीब से महसूस कर सकूँ,,उसको बाहों मे भर सकूँ जब तक दिल करे,,,,क्यूकी वो खुद तो '
मुझे अपने करीब नही आने देती थी लेकिन शायद उसका अक्स उसकी तस्वीर जो अभी मिरर मे थी उसकी परच्छाई जो अभी
मुझे मिरर मे नज़र आ रही थी वो मुझे उसके करीब जाने दे,,,सोनिया को ना सही उसके अक्स को सही उसकी परच्छाई
को सही बस एक बार अपनी बाहों मे भर लूँ मैं तो शायद इस दिल को कुछ राहत मिले कुछ सकून मिले,,,

यही सोचता हुआ मैं एक कदम आगे बढ़ा सोनिया की तरफ,,,,अब तक मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी और शायद सोनिया
की भी,,,उसकी हल्की नंगी पीठ पर मुझे पसीना दिखने लगा था,,वो नहा कर निकली थी और सर्दी का मौसम
था इसलिए उसने अच्छी तरह से अपने बदन को पोंच्छा होगा टवल से ,,उसके बाल भी गीले थे लेकिन पानी नही गिर रहा
था बालों से ,,,उसने बालों को भी अच्छी तरफ से पोंच्छ लिया होगा लेकिन फिर भी उसकी पीठ पर शोल्डर के पास से थोड़ी
गीली लग रही थी मुझे,,,,हो ना हो ये घबराहट का पसीना था,,,,


मैं अभी एक कदम उसकी तरफ बढ़ा था कि उसके हाथ मे पकड़ा हुआ हेर ब्रश उसके हाथ से छूट कर नीचे गिर गया
,,,वो घबराकर एक टक मुझे देखती जा रही थी,,मैं भी हल्के कदमो से उसकी तरफ बढ़ता जा रहा था और उसको मिरर
मे देखता जा रहा था,,,,तभी उसने अपने सर को ना मे हिलाना शुरू कर दिया,,,,शायद वो मुझे पास आने से मना
कर रही थी,,,,लेकिन मेरा ध्यान तो उसकी तरफ नही था मैं तो उसके अक्स को देख रहा था मिरर मे ,,,वो अपने सर
को हिला हिला कर मुझे मना करती जा रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,आगे बढ़ते हुए मैं ये भी सोचने
लगा कि सोनिया का अक्स भी मुझे अपने पास आने से रोकने लगा है,,,वो क्या उसका अक्स भी नही चाहता कि मैं उसके पास जाउ,,,

कुछ पल बाद मैं उसकी पीठ पीछे उसके पास पहुँच गया था,,,वो अभी तक मिरर मे मुझे देखती हुई अपने सर
को ना मे हिलाती जा रही थी ,,,उसके पास जाके मैने अपने राइट हॅंड को उसके राइट शोल्डर के पास उसकी नंगी पीठ
पर रख दिया,,,,,उसकी पीठ को टच करते ही एक अजीब मस्ती भर गई मेरे दिल मे मुझे इतना जोरदार झटका लगा कि
जैसे अभी मेरे लंड से स्पर्म निकल जाएगा,,,और उतना ही तेज झटका लगा था सोनिया को,,,इसलिए वो मेरे से आगे बढ़ गई
थी,,,वो आगे बढ़ कर मिरर के बिल्कुल पास जाके खड़ी हो गई थी,,,,

वो मिरर के इतनी पास चली गई थी की उसकी गर्म साँसे मिरर पर पड़ने लगी थी और मिरर पर हल्का कोहरा छाने लगा
था,,,उस कोहरे मे मुझे उसकी परछाई उसका अक्स ,,उसका फेस नज़र आना बंद हो गया था,,,,अब मुझे हल्का डर
लगने लगा था,,,क्यूकी अब तक मैं उसके अक्स को देखकर आगे बढ़ता जा रहा था जिस से मुझे इतना डर नही लग रहा
था लेकिन अब मैं सोनिया के करीब जाने वाला था इस बात से मुझे डर लगने लगा था,,लेकिन फिर भी उसके जिस्म को
देखकर मेरा डर हवा मे उड़ने लगा था,,मैं हिम्मत करके फिर से एक कदम आगे बढ़ा और फिर से अपने हाथ को
उसकी पीठ पर उसके शोल्डर के पास रख दिया,,,और ऐसा करते ही वो फिर से घबराने लगी,,,उसकी साँसे जो गर्म हो
चुकी थी अब आग उगलने लगी थी,,उसने अपने सर को हल्के से पीछे की तरफ टर्न किया और पीछे मूड कर अपनी पीठ पर
पड़े हुए मेरे हाथ को देखने लगी,,

उसका सर हल्का सा एक तरफ टर्न हो गया था ,,,,वो अपने सर को घुमा कर पीछे देख रही थी ,मेरे हाथ की तरफ देख
रही थी जो उसकी पीठ पर राइट तरफ के शोल्डर के पास था,,,जैसे उसकी मखमली पीठ का एहसास मुझे पागल कर
रहा था उसी तरह मेरे हाथ के एहसास से मस्त होके या मेरे से डर के उसकी भी हालत खराब हो गई थी,,,उसको साँस
लेना भी मुश्किल हो गया था,,,सिर्फ़ नाक से साँस लेने मे उसको मुश्किल हो रही थी इसलिए उसने लिप्स को थोड़ा सा खोल
दिया था और मुँह खोलके साँस लेने की कोशिश कर रही थी,,,,मुँह खुलते ही उसके मुँह से गर्म साँसे मुझे उसकी पीठ
पर पड़े हुए अपने हाथ पर महसूस हो रही थी,,मैने मस्ती मे अपने हाथ को थोड़ा उपर करके उसके शोल्डर की
तरफ बढ़ा दिया और उसके शोल्डर को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,,मेरे ऐसा करते ही उसने अपनी आँख को तिर्छि करके
मेरी तरफ देखा और फिर से अपने सर को ना मे हिला दिया और मुझे रोकने लगी ऐसा करने से,,,,लेकिन मैं कहाँ रुकने
वाला था,,

मैने अपने दूसरे हाथ को भी उसके दूसरी तरफ के शोल्डर पर रख दिया और उसको अपनी तरफ पलट दिया,,जिस से उसका
फेस मेरी तरफ हो गया,,,मेरी तरफ पलट कर वो फिर से पीछे की तरफ खिसक गई और जाके मिरर से पीठ लगा कर
खड़ी हो गई,,,,उसकी हार्ट बीट काफ़ी तेज थी और उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था,,,उसका टवल जो इसकी छाती पर उसके
बूब्स से थोड़ा उपर बँधा हुआ था वो टवल तेज़ी से साँस लेती उसकी छाती के साथ उपर नीचे होने लगा था और उसके
छोटे छोटे बूब्स भी हल्का हल्का उपर नीचे हो रहे थे,,,मैने दूर खड़े रहके उसको उपर से नीचे तक देखा

,,,वो मिरर से चिपक कर खड़ी हुई थी,,उसकी हालत खराब थी,,उसने अपने दोनो हाथों की उंगलियों को बंद करके
मुट्ठी बना ली थी और उस मुट्ठी मे उसने टवल को कस्के पकड़ा हुआ था दोनो तरफ से,,,लेकिन जैसे ही मेरी नज़रे उसके
पैरो से होती हुई उसके बूब्स के पास नंगी छाती पर जाके टिक गई तो इस बात के एहसास से कि मैं उसकी छाती को देख
रहा हूँ वो थोड़ी परेशान हो गई उसने अपने हाथों से अपने टवल को दोनो साइड से छोड़ा और अपने हाथों को
जल्दी से अपनी छाती के पास लेके आ गई और अपने दोनो हाथों से अपनी नंगी छाती को कवर कर लिया,,,मैं फिर भी
उसकी छाती की तरफ ही देख रहा था,,,

तभी मैने सर उठाकर उसके चेहरा की तरफ देखा तो वो सीधी मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,हम दोनो कुछ देर
ऐसे ही खड़े रहे,,,,फिर वो बड़ी धीरे से बोली,,,,,,,,,,,,,सुन्न्ञनी चले जाऊ य्याहहानं ससीई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़


लेकिन मैने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अपने हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया,,,,

रुक्क जाऊ सुउउउन्नयी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,वो फिर से डरती हुई बोली,,,,

मैने उसकी कोई बात नही सुनी और हाथ को आगे ले गया,,,फिर मैने अपने हाथ से उसके एक हाथ को पकड़ा और बड़े प्यार
से उसके हाथ को उसकी छाती से हटा दिया,,,उसका एक हाथ उसकी छाती से हट गया,,,,

फिर मैने उसके दूसरे हाथ को उसकी छाती से हटाने के लिए अपने हाथ को आगे किया और उसकी तरफ देखा तो वो डरी हुई
सहमी हुई मुझे ना मे सर हिला कर मना करती जा रही थी,,,,,
Reply
12-21-2018, 02:43 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं फिर भी नही रुका और उसके दूसरे हाथ को भी उसकी छाती से हटा दिया,,,उसके दोनो हाथ फिर से नीचे लटक गये
था,,,,फिर मैने हाथ को आगे बढ़ा कर उसके टवल को निकालने की कोशिश करते हुए अपने हाथ को जैसे ही उसकी छाती
पर रखा तो मेरा हाथ उसकी छाती के उपर उसके दिल के पास टच हो गया,,,,मैने अपने हाथ को उसके दिल के पास ही
रख दिया और उसके दिल की धड़कन को महसूस करने लगा,,,,उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था,,,,वो मस्ती मे थी
या डरी हुई थी ये तो पता नही था लेकिन उसके दिल की धड़कन बहुत ज़्यादा तेज थी,,,,उसके दिल की धड़कन को महसूस
करके मैने उसके एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ा और उसके हाथ को अपनी छाती पर अपने दिल के पास रख दिया और उसको
ये बता दिया कि सिर्फ़ तू ही नही जो दिल की धड़कन को क़ाबू मे करने की कोशिश कर रही है ,,मैं भी हूँ जो
अपने दिल की धड़कनो को संभालने की कोशिश मे खुद से जूझ रहा हूँ,,,,


मेरे दिल पर उसका हाथ लगते ही मेरे दिल की धड़कन और भी ज़्यादा तेज हो गई,,,,मेरा हाथ उसके दिल पर था जबकि उसका
हाथ मेरे दिल पर,,,,अब मैने अपने हाथ को उसके हाथ से हटा दिया और उसका हाथ खुद-ब-खुद मेरी छाती पर दिल
के पास टिका हुआ था,,,,हम दोनो एक दूसरे की नज़रो मे देख रहे थे तभी मैने अपने दूसरे हाथ से उसकी ज़ुल्फो
को उसके चेहरे से हटा कर एक साइड किया और तभी उसने अपने हाथ को मेरी छाती से उठा लिया,,

मैने उसकी ज़ुल्फो को उसके चेहरे से हटा कर साइड किया और उसकी गर्दन को अपने हाथ मे पकड़ लिया और ऐसा करते ही
उसने अपने सर को उपर उठा दिया और उसकी सुराही जैसी गर्दन मेरे सामने आ गई और मैने बिना देर किए अपने लिप्स को
उसकी गर्दन पर रख दिया और अपने लिप्स से हल्की किस करदी,,,,

मेरे ऐसे करते ही उसने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा और मेरे बालों को कस के अपनी मुट्ठी मे भरके मेरे
बालों को थोड़ा नोच दिया,,और बोली,,,,,,,,मत करो ऐसे सन्नी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ क्यू हवस मे पागल होके अपनी ही
बेहन को रुसवा करने जा रहे हो,,,ये बात उसने थोड़ी मायूसी मे बोली तो मुझे वो टाइम याद आ गया जब मैं
जाने अंजाने ही सही रितिका के साथ किचन मे था और करण ने मुझे देख लिया था,,,उस टाइम मैने करण की बरसो
पुरानी दोस्ती को रुसवा कर दिया था और अब मैं वही ग़लती जानभूज कर करने जा रहा हूँ वो भी अपनी छोटी और
मासूम बेहन के साथ,,,,यही बात दिमाग़ मे आते ही मैं एक दम से उस से दूर हट गया,,और खुद को क़ाबू करते
हुए उसकी तरफ देखने लगा,,,,

मैने देखा कि उसकी आँखों मे आँसू थे,,,लेकिन फिर भी थोड़ी हिम्मत के साथ वो मेरी नज़रो मे नज़रे डालके
देख रही थी,,,,उसकी हिम्मत से मैं थोड़ा खुश भी हुआ और मुझे खुद पर गुस्सा भी आया,,,,क्यू मैं हर बार
अपनी इस मासूम बेहन को रुसवा करता रहता हूँ ,,,,जानता हूँ मैं इसको अपनी बाहों मे भरना चाहता हूँ
लेकिन ज़ोर ज़बरदस्ती से नही,,,प्यार से,,,,उसकी रज़ामंदी से,,,,जितनी शिद्दत से मैं उसको बाहों मे भरना चाहता
हूँ अगर वो भी उतनी ही शिद्दत से मुझे अपनी बाहों मे भरेगी तो उस मिलन का मज़ा ही कुछ और होगा,,,अगर
मैं ज़बरदस्ती करूँगा तो मज़ा मुझे ही मिलेगा वो तो रुसवा ही होगी बेचारी,,और उसको रुसवा करके मैं कभी
खुश नही रह सकता था,,,,,


मैं जल्दी से उस से दूर हट गया,,,,,कुछ देर तक फिर रूम मे सन्नाटा रहा ,,,,ना वो कुछ बोली और ना मैं,,,वो
बस नम आँखों मे हल्के आँसू लेके मुझे देख रही थी,,,,,

मुझे उस पर बड़ा तरस आ रहा था,,,,आख़िर क्यूँ वो बेचारी मेरी वासना का शिकार हो रही थी बार बार,,,क्यू मैं
उसको हर्ट कर रहा था ,,,क्यूँ उसको रुला रहा था आए दिन,,,मैं दिल से कभी ऐसा नही चाहता था कि मेरी सबसे प्यारी
बेहन की आँखों मे कभी आँसू आए लेकिन फिर भी जाने अंजाने मैं उसको रुलाता रहता था,,,इस वक़्त भी वो मासूम
मिरर के पास ऐसे खड़ी हुई थी जैसे मैं शैतान हूँ और उसकी इज़्ज़त आबरू लूटने आया हूँ,,,

हम लोग ऐसे ही खड़े हुए थे रूम मे ,,,वो मिरर के पास खड़ी हुई थी जबकि मैं उस से 2-3 कदम की दूरी
पर खड़ा हुआ था,,,,मैं चुप चाप खड़ा हुआ था जबकि वो रोती जा रही थी,,,,रोते हुए भी वो मेरी आँखों मे
देख रही थी,,,,उसकी आँखों मे एक उदासी थी और चेहरे पर एक डर था ,,एक गम था,,,

तभी मैं उसके पास जाने लगा फिर से ,,किसी ग़लत मकसद से नही,,,मैं उसकी तरफ एक कदम बड़ा ही था कि वो बोल
पड़ी,,,,,,

प्ल्ज़्ज़ नही सन्नी,,,तुझे मेरी कसम वही रुकजा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

लेकिन इतनी देर मे मैं एक कदम और आगे बढ़ चुका था और उसके करीब चला गया था,,,,

मैं अब फिर से उसके करीब था ,,वो मेरी नज़रो मे देख रही थी,,,और मैं उस से शर्मिंदा हुआ जा रहा था,,,,

तुम यहाँ से चली जाओ सोनिया,,,,कुछ दिन के लिए कविता के घर पर रहने चली जाओ जब तक मोम डॅड वापिस नही आ
जाते,,,,,जब मोम डॅड आ गये तुम भी वापिस आ जाना,,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़ मेरी बात समझ जो भी मैं कह रहा हूँ,,

वो समझ गई मैं उसको ये सब क्यूँ बोल रहा हूँ लेकिन उसने ना मे सर हिला दिया और बोला,,,,मुझे कहीं नही जाना
सन्नी मुझे यहीं रहना है ,,इसी घर मे,,,

तू समझती क्यूँ नही मेरी भोली बहना,,,,तू बहुत मासूम है और मैं एक कमीना इंसान हूँ ,

तभी उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,तू कमीना नही है ,,तू मेरा भाई है और तू बहुत अच्छा है सन्नी,,,
इतना बोलते हुए वो फिर से आँसू बहाने लगी,,

तभी मैने उसके आँसू पोंछने के लिए उसके चेहरे पर अपना हाथ रखा और उसकी आँख से बहने वाले आँसू के एक
कतरे को सॉफ किया और अपने हाथ को घुमा कर उसकी गर्दन की तरफ ले गया और अपने हाथों की उंगलियों को खोलकर
अपने उंगलियों को उसके बालों मे घुसा दिया और अपनी उंगलियों को बंद करके उसके कुछ बाल अपनी मुट्ठी मे भर
लिए और उसके सर पर एक मजबूत पकड़ बना ली ,,,इस से उसके बाल थोड़ा खींच गये और उसको थोड़ा दर्द भी हुआ,,

अहह आराम से सन्नी तुम मुझे हर्ट कर रहे हो,,,,उसने अपने हाथों से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिस से मैने
उसके सर को पकड़ा हुआ था और मेरे हाथ को अपने सर से दूर करने लगी,,,,

देखा,,,,,मैं जब चाहूं तुझे हर्ट कर सकता हूँ,,,मैं सच मे बहुत कमीना हूँ,,इतना बोलकर मैने उसके
सर को पकड़ कर अपने करीब किया,,,,उसके होंठ फिर से थरथराने लगे,,,,ज़ुबान कँपने लगी,,,,साँसे भारी हो गई
और चेहरे पर डर की भाव आ गये,,,

मैं बहुत बड़ा कमीना हूँ सोनिया ,,तू सोच भी नही सकती मैं तेरे साथ अभी क्या कर सकता हूँ,,,,,,कितना हर्ट
कर सकता हूँ,,,

तभी वो हिम्मत करते हुए बोली,,,,,,,,,,,,तू कमीना नही है मैं जानती हूँ ,,,तू कमीना बनने की कोशिश कर रहा
है और तू जितनी भी कोशिश करले मुझे हर्ट नही कर सकता,,,तू मेरा भाई है,,,मेरा दर्द नही देख सकता तू,,,

ये तेरी ग़लत फहमी है सोनिया,,मैं कुछ भी कर सकता हूँ,,,मेरे अंदर जो शैतान बस्ता है उसके बारे मे तुझे
कुछ नही पता अभी,,,,आज तक तूने उस शैतान को देखा नही है कभी,,,और दुआ करूँगा कि तुझे वो कभी नज़र
भी नही आए ,,,,अभी तक मैने उसको क़ाबू मे किया हुआ है,,जिसस दिन उसने मुझे अपने बस मे कर लिया उस दिन मैं
कुछ नही कर पाउन्गा तेरे लिए,,और उस दिन मुझे बड़ा अफ़सोस होगा ,,,मुझे किसी बात का अफ़सोस नही करना,,,,और ना
ही उस शैतान को खुद पर हावी होने देना है,,,,तेरी भलाई इसी मे है कि तू कविता के घर चली जा,,,

तेरा शैतान तेरे बस मे रहे या ना रहे सन्नी लेकिन मैं जानती हूँ मेरा भाई अपने बस मे रहेगा हमेशा और
मुझे कभी हर्ट नही करेगा,,,

वो मेरी बात को समझ ही नही रही थी,,तभी मैने अपने दूसरे हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया और अपनी एक
उंगली को उसकी छाती के उपर उसकी गर्दन के पास रखा और हल्के से नीचे खिसका दिया और उंगली को उसके टवल मे
घुसा दिया जिस से उंगली उसके दोनो बूब्स के बीच की लाइन मे चली गई,,

मेरी इस हरकत से उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,,,
Reply
12-21-2018, 03:06 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अब भी तू यही कहेगी कि तेरा ये भाई अपने बस मे रहेगा,,,,,तुझे हर्ट नही करेगा,,,,

हां ,,यही कहूँगी,,,,मेरा भाई मुझे कभी हर्ट नही करेगा,,वो पता नही क्यूँ ये सब इतनी हिम्मत से बोल रही थी
जबकि मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,मैने टवल पर हल्का ज़ोर लगाया तो उसकी साँसे अटक गई,,,,

तू कुछ भी करले सन्नी मुझे हर्ट नही कर पाएगा,,वो डरी हुई थी ,,,फिर भी अपनी बची खुचि हिम्मत को
समेट कर मेरे से बात करती जा रही थी,,,,,

तभी मैने उसके लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया और पागलो की तरह किस करने लगा ,,,उसने मुझे किस का रेस्पॉन्स तो
नही दिया लेकिन मुझे रोका भी नही,,,,मैं करीब 2-3 मिनट तक उसको ऐसे ही किस करता गया,,उसके होंठों को
अपने मुँह मे भरके चूस्ता गया,,,फिर मैं उस से अलग हो गया,,पीछे हट गया

इस बार मैने देखा कि उसकी आँखें फिर से गंगा जमुना बहाने लगी थी,,रोते हुए वो खुद पर क़ाबू करने की
कोशिश कर रही थी,,,उसकी साँसे उखड़ रही थी दिल तेज़ी से धड़क रहा था,,,,

बोल अब क्या बोलती है तू क्या अब भी तुझे नही जाना कविता के घर,,क्या अब भी मेरे जैसे जानवर के साथ यहीं
रहना है तूने,,,,,

तभी वो भाग कर दरवाजे के पास चली गई,,,,,,,,,,और जाके दरवाजे के पास खड़ी हो गई,,,,,,,,,हां सन्नी अब भी
मुझे यहीं रहना है,,,,कहीं नही जाना मुझे,,,इसी घर मे रहना है,,इतना बोलकर वो वहाँ से भाग कर अपने
रूम मे चली गई,,,,

या अल्लाह ,,,,,,अब मैं क्या करूँ इस लड़की का,,,,कैसे समझाऊ इसको कि मैं इसको हर्ट तो नही कर सकता लेकिन मैं
खुद पर ज़्यादा देर तक कंट्रोल भी नही कर सकता,,,,कैसे समझाऊ इसको कि शेर और बकरी जैसे एक घाट पर पानी नही
पी सकते वैसे जन्नत की हूर से भी ज़्यादा खूबसूरत और किसी फूल जैसी नाज़ुक और मासूम सोनिया मेरे जैसे कामीने
और गिरे हुए इंसान के साथ मेरे जैसे शैतान के साथ एक छत के नीचे नही रह सकती,,,कैसे समझाऊ इसको,,कैसे?

तभी मैने कविता को फोन किया,,,,क्यूकी मैं कैसे भी करके सोनिया को यहाँ से भेजना चाहता था,,,,मैं रूम से
बाहर गया क्यूकी मेरा फोन नीचे पड़ा हुआ था,,,सोनिया के रूम मे दरवाजा बंद था,,,मैं उसके रूम के पास
से ग़ुजरकर नीचे चला गया,,,,नीचे आके पहले मैने डॅड के रूम से एक शर्ट पहनी और फिर कविता को फोन किया,,,

हेलो कविता,,,,,

हेलो सन्नी,,,कैसे याद किया ,,,

मुझे तेरे से थोड़ा काम है,,,क्या तू अभी घर आ सकती है,,,,

देख सन्नी तुझे पता है मेरी तबीयत अभी पूरी तरह से ठीक नही हुई है,,अभी मैं कुछ नही कर सकती प्लज़्ज़्ज़
कुछ दिन रुकजा ना तू,,,,

तू ग़लत समझ रही है कविता,,,,मैं उसके लिए तुझे नही बुला रहा मुझे कुछ और काम है,,,

और क्या काम पड़ गया तुझे मेरे से सन्नी,,,,बता ज़रा,,,,

फोन पर नही बात सकता,,,,,,, क्या तू आ सकती है घर पर प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़

ठीक है मैं शाम को आती हूँ,,,,

शाम को नही अभी और जितना जल्दी हो सके,,,

हुआ क्या है सन्नी,,,कहीं तेरा झगड़ा तो नही हुआ सोनिया से,,,,

बोला ना फोन पर नही बता सकता तू जितनी जल्दी हो सके घर पहुँच

ओके सन्नी मैं अभी आती हूँ थोड़ी देर मे


मैने फोन कट किया और वहीं बैठ गया कविता की वेट करने क लिए,,,,करीब 20-25 मींते बाद कविता आ गई



क्या हुआ सन्नी,,,इतनी भी क्या आफ़त आ गई थी जी इतनी जल्दी मे बुलाया मुझे,,,,पता है तबीयत ठीक नही है मैं नही
आ सकती फिर भी,,,

सौरी कविता ,,मैं जनता हूँ तेरी तबीयत ठीक नही,,,,और भला मेरे से बेहतर कॉन जान सकता है तेरी हालत को,,
लेकिन मुझे कुछ ज़रूरी काम था इसलिए बुलाया तुझे,,,,

वो थोड़ा शरमा गई मेरी बात सुनके,,,,,,,अच्छा बता क्या काम है,,,,

तभी मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने साथ सोनिया के रूम मे ले गया,,,जहाँ सोनिया बेड पर बैठकर रो रही
थी,,,

कविता रूम मे घुसी और जल्दी से सोनिया के पास चली गई,,,,अरे क्या हुआ तुझे सोनिया ,,ऐसे रो क्यूँ रही है,,,सोनिया
कुछ नही बोली बस कविता के गले लग्के रोने लगी,,,और कविता उसको चुप करवाने लगी,,,

इधर मैने एक बॅग लिया और सोनिया एक कुछ कपड़े डालने लगा उस बॅग मे,,,,,


सोनिया और कविता दोनो मुझे देखने लगी,,,,सोनिया फिर से रोने लगी,,,,

क्या हुआ कुछ तो बता सोनिया ,,क्या सन्नी ने कुछ कहा तुझे,,,कुछ तो बोल ना प्लज़्ज़्ज़्ज़

सोनिया कुछ नही बोल रही थी लेकिन कविता ने उसके आँसू पोछ दिए तो सोनिया थोड़ी चुप कर गई थी,,,लेकिन हल्की
नमी फिर भी बहती जा रही थी उसकी आँखों से,,,

इतनी देर मे मैने कुछ कपड़े बॅग मे डाल दिए और बॅग को सोनिया और कविता के पास रख दिया,,,,

ये क्या है सन्नी,,,,कविता ने मेरे से पूछा,,

ये सोनिया का बॅग है,,,,आज से ये तेरे घर पर रहेगी जब तक मोम डॅड नही आ जाते,,,,

मुझे नही जाना कहीं भी,,,सोनिया बेड से उठके खड़ी हो गई और रोते हुए बोली,,,

मैने तेरे से नही पूछा तुझे जाना है या नही,,,,मैने बस तुझे बताया है कि तू जा रही है कविता के साथ,,कविता
मैं नीचे जा रहा हूँ इसको लेके जल्दी नीचे आ जाना,,,,अब ये तेरे घर पर रहेगी,,,

लेकिन सन्नी कुछ बता तो सही आख़िर हुआ क्या है,,,,

कुछ नही हुआ,,,,बस ये तेरे घर रहने वाली है,,,मोम डॅड के आने तक,,,

मैने इतना बोला कि सोनिया फिर से मेरे पास आके बोली,,,,,,मैने कह दिया ना कि मुझे कहीं नही जाना,,

सोनिया ने इतना बोला ही था कि मैने कस के एक थप्पड़ लगा दिया सोनिया के गाल पर,,,,थप्पड़ बहुत कस के मारा मैने
जिसकी आवाज़ रूम मे गूँज उठी,,,,,,तू अपनी बकवास बंद रख ,,मैने तेरे से पूछा नही कि तूने जाना है या नही
,,,मैने तुझे बताया है कि तू कविता के घर जा रही है बस,,,,,आगे कोई बात नही करनी मुझे ,,,समझी,,,,,

मेरी इस हरकत से कविता भी सहम गई और सोनिया ने नज़रे झुका ली,,,,

कविता कुछ नही बोली बस सहम कर रह गई,,,सोनिया सर झुका कर खड़ी हुई थी,,,तभी मैने देखा कि सोनिया ने अपने
सर को उपर उठाया और मेरी तरफ देखा,,,,

मैं उसको देखकर थोड़ा हर्ट हो गया,,,थप्पड़ इतना ज़ोर से लगा था उसको की उसके लिप्स से खून बहने लगा,,मेरा
दिल भी पसीज गया लेकिन मैने खुद पर क़ाबू किया और कमजोर नही पड़ा सोनिया के सामने

तभी सोनिया ने हंस कर मेरी तरफ देखा और अपने हाथ से अपने लिप्स से बहने वाले खून को सॉफ किया ,,,,मैं उसकी इस
हरकत से हैरान रह गया,,,,इतनी कस के थप्पड़ लगा फिर भी हंस रही है ये पागल लड़की,,,,

तभी कविता मेरे पास आई,,,क्या हुआ सन्नी इसको मारा क्यूँ,,,तेरा दिमाग़ खराब हो गया है क्या,,,मैने आज तक नही
देखा कभी ऐसा कि तूने इसको हर्ट किया हो फिर आज क्या हुआ ऐसा जो तूने इसको थप्पड़ मार दिया,,,,

पता नही मुझे क्या हुआ है,,,,और तेरे को बताना ज़रूरी नही समझता मैं,,,,तू बस जल्दी से इसको लेके नीचे आजा और फिर
इसको तेरे घर जाना है आज ही,,,,मैने इतना सब गुस्से से बोला और रूम से निकलकर नीचे चला गया,,
Reply
12-21-2018, 03:06 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं नीचे आके खुद पर गुस्सा कारने लगा,,कोसने लगा खुद को,,,,आज तक जिस बेहन की आँखों मे आँसू देखकर
दिल रोने लगता था आज उसी बेहन को थप्पड़ मारा मैने वो भी इतनी कस कर कि खून निकलने लगा उसके मुँह से और
वो पगली थप्पड़ ख़ाके भी खुश हो गई थी,,,हँसने लगी थी,,,उसके हंसते हुए चेहरे से मैं थोड़ा और पग्ला गया
और अपने उस हाथ को कस कर दीवार पर दे मारा,,,,एक बार नही बार बार लगातार,,जिस से हाथ पर चोट लग गई और
खून बहने लगा,,जिस दीवार पर हाथ मारा था वहाँ पर भी थोड़ा खून लग गया था,,,वो दीवार घर के मेन
डोर के पास की दीवार थी,,,,

अभी मैं खुद को कोस ही रहा था कि कविता और सोनिया नीचे आ गई,,कविता गुस्से से देख रही थी मुझे जबकि सोनिया
हंसते हुए देख रही थी मेरी तरफ,,,मैने जल्दी से उस दीवार के सामने खड़ा हो गया जहाँ खून लगा हुआ था और
अपने उस हाथ को अपनी पीठ पीछे छुपा लिया जिस से खून बहने लगा था,,,,

सोनिया और कविता मेरे पास से ग़ुजरकर दरवाजा खोलकर घर से बाहर चली गई,,,कविता ने बाहर जाके अक्तिवा स्टार्ट की
मैने उसको दूसरे हाथ से बाइ का इशारा किया लेकिन उसने ध्यान ही नही दिया,,,सोनिया अपने बॅग पकड़कर अक्तिवा के पीछे
बैठ गई थी वो बस चलने ही लगे थे कि सोनिया एक दम से उतर गई कविता की अक्तिवा से और कविता के कान मे कुछ
बोलकर घर के अंदर भाग कर आ गई और उपर चली गई,,,,

उसके अंदर आते ही मैं जल्दी से उस दीवार के सामने खड़ा हो गया जहाँ खून लगा हुआ था,,,फिर वापिस दरवाजे
के पास आ गया और कविता को देखने लगा,,,,

सोनिया उपर गई थी इसलिए मैं बाहर कविता के पास चला गया,,,

सॉरी कविता मैं थोड़ा गुस्से मे था ,,,,सोनिया की वजह से तेरे से भी गुस्से से बात की मैने,,

इट्स ओके सन्नी,,,,,लेकिन मैं इस वजह से गुस्से मे नही हूँ कि तूने मेरे से गुस्से से बात की ,,और ना ही इस बात पर
गुस्सा है कि तूने सोनिया को थप्पड़ मारा,,मुझे तो गुस्सा इस बात पर है कि तू खुद अंदर से जलने लगा है,,खुद पर
गुस्सा करने लगा है,,,मैं जानती हूँ तू मुझे हर्ट नही कर सकता तो सोनिया को कैसे हर्ट कर सकता है,,अभी तूने
उसको थप्पड़ मारा ज़रूर लेकिन उस से ज़्यादा दर्द तुझे खुद को हो रहा होगा,,,,मैने देखा था तेरी आँखों मे वो
दर्द जो तुझे सोनिया को थप्पड़ मारने के बाद महसूस हो रहा था,,,

थन्क्ष्क्ष्क्ष कविता,,,,तू सब जानती है,,,तू मेरी बहुत अच्छी दोस्त है,,,,

हां सन्नी बहुत अच्छी दोस्त हूँ मैं तेरी,,और सब जानती हूँ तेरे बारे मे,,,लेकिन मुझे ये नही पता कि तूने
आज सोनिया से झगड़ा क्यूँ किया,,,,ऐसी क्या बात हो गई थी,,,

वो मैं नही बता सकता सोनिया से पूछ लेना शायद वो बता दे,,,

वो भी कुछ नही बताने वाली मुझे मैं जानती हूँ,,,तूने उसको हर्ट किया है ये बात तो वो कबकि भूल चुकी होगी
और तेरे उस थप्पड़ को भी,,,

थन्क्ष्क्ष्क्ष कविता,,,,वैसे अब ये अंदर क्यूँ गई है,,,,

वो अपना कुछ समान भूल गई है वो लेने गई है,,,,

फिर मैं और कविता इधर उधर की बातें करने लगे तभी कविता मुझे बोली,,,,,,,,,कितना टाइम लगा दिया सोनिया ने
,,सन्नी ज़रा जाओ और भेजो उसको बाहर,,,

नही मैं नही जाउन्गा ,,,,तुम खुद ही बुला लो उसको कविता,,,,

मेरे कहने पर नही आने वाली वो,,,तुम बोलोगे तभी आएगी वो बाहर,,,,

तभी मैं घर के अंदर की तरफ चलने लगा और तभी कविता को मेरे हाथ पर लगी चोट और उसे बहता खून नज़र
आ गया तो उसने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,

हयी मैं मर गई ये क्या हुआ सन्नी,,,,,,,,,कविता ने हाथ पकड़ते हुए बोला,,,,

श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे बोल कहीं सोनिया ना सुन ले,,,,ये कुछ नही हुआ बस हल्की चोट लगी है,,,

कविता सब समझ गई थी मेरी आँखों मे देखकर,,,,उसने हंस कर मुझे गले लगा लिया और जल्दी से अपनी अपनी चुनरी से
थोड़ा कपड़ा फाड़ कर उस हाथ पर बाँध दिया,,,,,,,,,,क्यूँ किया ये सब ,,,,जब खुद को हर्ट करना था बाद मे तो
सोनिया को क्यूँ मारा था पहले,,,,ह्म्म्म्मम बता ज़रा,,,,

मैं चुप करके खड़ा रहा,,,,


चल जा जल्दी अंदर जा और सोनिया को भेज बाहर,,,,और ये हाथ छुपा कर रखना उस से,,वरना तेरी शामत आ जाएगी,,,
कविता ने हंस कर इतना बोला और वापिस अक्तिवा पर बैठ गई,,,,

मैं अपने हाथ को पीठ पीछे छुपाकर घर एक अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं घर के अंदर गया तो देखा कि
सोनिया दरवाजे के पास उसी जगह पर खड़ी हुई थी जहाँ पर मैने अपने हाथ को दीवार पर मारा था और मेरे हाथ
पर चोट लगने की वजह से थोड़ा खून लग गया था उस दीवार पर,,,,

सोनिया दीवार पर लगे खून को अपनी उंगलियों पर लगा कर ध्यान से देख रही थी,,,,जैसे ही मैं अंदर गया उसका
ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,


अभी तक उसका चेहरा उदास था लेकिन अभी वो गुस्से मे आ गई थी,,,,वो दीवार पर लगे खून को अपनी उंगली पर
लगा कर ध्यान से देख रही थी फिर उसी उंगली को मेरी तरफ करके बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,ये क्या है सन्नी,,,,

मैने कुछ नही बोला बस चुप करके खड़ा रहा मेरा एक हाथ आगे की तरफ था जबकि एक हाथ पीछे पीठ की तरफ
था उसने आगे बढ़ कर मेरे उसी हाथ को पकड़ा और आगे की तरफ करने लगी,,,,,

मैं उसको रोकना चाहता था लेकिन देर हो गई थी,,,,मेरा वो हाथ उसके सामने आ गया था,,,,मेरे हाथ पर लगी चोट
और उसमे बँधा हुआ था कविता की चुनरी का कपड़ा लेकिन फिर भी उसमे से हल्का खून निकल रहा था,,,

सोनिया ने मेरे हाथ की ओर देखने लगी,,,,देखते देखते ही उसकी आँखें नम हो गई,,,,,फिर उसने मेरी तरफ देखा
मेरा चेहरे झुका हुआ था,,,,

ये क्या किया तूने सन्नी,,,,वो रोते हुए बोल रही थी,,,,,,,बोल सन्नी ये क्यूँ किया,,,,,,,मेरी बात का जवाब दो सन्नी
ऐसा क्यूँ किया तुमने,,,,,

मैं कुछ नही बोला बस सर झुकाकर खड़ा रहा,,,,

तभी उसने मेरे गाल पर हल्के से थप्पड़ मारा,,,,,,,,,जब खुद को हर्ट करना था तो मुझे क्यूँ मारा ,,पहले मुझे
मारा तब भी तू खुद ही हर्ट हुआ और अब फिर से खुद को हर्ट कर लिया भाई,,,,इतना बोलके वो रोने लगी,,,,तूने मुझे
थप्पड़ मारा मुझे उस बात का ज़रा भी दुख नही भाई ,,क्यूकी मैं जानती हूँ तूने मुझे क्यूँ मारा था,,,तू यही
चाहता था कि मैं घर से चली जाउ ताकि तू मुझे और ज़्यादा हर्ट नही कर सके,,,,मेरे ज़्यादा करीब नही आ सके,,
मुझे और ज़्यादा रुसवा नही कर सके,,,,,

बोल यही बात थी ना,,,,बोल अब बोलता क्यूँ नही,,,,

वो मेरे से जवाब माँग रही थी लेकिन मेरे मुँह से एक लफ्ज़ तक नही निकल रहा था,,,

बोल अब ,,,जब खुद को हर्ट करना था तो ये सब क्यूँ किया भाई,,,,इतना बोलते हुए वो मेरे हाथ से पट्टी निकालने लगी
,,,,

ये क्या कर रही हो,,,,,

कुछ मत बोलो अब तुम,,,,बस चुप रहो वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा,,,,,खुदको हर्ट करते हो और मेरी जान
निकाल कर रख देते हो,,,,,,,,अब चुप चाप मेरे साथ चलो और दवाई लगाओ इस्पे,,,,,

मैं उसकी तरफ देखता रह गया,,,,,,,,,,क्या चीज़ है ये लड़की,,,,मैने इसको इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारा था कि इसके मुँह
से खून निकल आया था लेकिन ये पगली मेरी चोट देखकर मेरे हाथ से निकलने वाले खून को देखकर दुखी हो
गई थी मायूस हो गई थी रोने लगी थी,,,,इतना दर्द इसको तब भी नही हुआ जब मैने इसको मारा था ,,,,मैं उसकी
मासूमियत देखकर उसके दिल मे अपने लिए इतना प्यार देखकर इतनी केर देखकर थोड़ा कमजोर पड़ने लगा था लेकिन
मुझे पता था कि अगर मैं कमजोर पड़ गया तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी,,,,,


मुझे कोई दवाई नही लगानी ,,,तुम जाओ यहाँ से,,,,इतना बोलकर मैने वो हाथ उस से दूर कर लिया और खुद भी
दूर हो गया,,,

हाँ हां जानती हूँ,,,,ज़्यादा करीब नही आना मेरे सोनिया,,,दूर रहना,,,, यही बोलना है ना अब तूने,,,,,,,तो ठीक
है नही आती तेरे करीब दूर ही रहूंगी और कविता के घर भी चली जाउन्गी,,,,लेकिन पहले तू इस चोट पर दवाई तो
लगा ले सन्नी,,,,,


तुम जाओ मैं लगा लूँगा बाद मे,,,,

पक्का ,,,लगाओगे ना,,,,उसने हंसते हुए बोला

हां बोला ना लगा लूँगा,,,,,अब तू जा यहाँ से ,,,दफ़ा हो,,,,,

मैने इतने गुस्से मे बोला लेकिन उसपे कोई असर ही नही हुआ,,,वो हँसती जा रही थी,,,,

उसने हंस कर मुझे देखा और जल्दी से मेरे गले लग गई और इस से पहले मैं कुछ कर पाता उसने मेरे गाल पर हल्की
किस करदी,,,,,,,,,,,

अब जा रही हूँ मैं,,,,अपना ख्याल रखना,,,,और स्टडी कर लेना ,,,,टीवी मत देखना और ज़्यादा सोना नही,,,और सबसे पहले
अपने इस हाथ पर कुछ मेडिसिन लगा लेना,,,,इतना बोलकर वो फिर से आगे हुई और मेरे गाल पर एक किस करदी और भाग कर बाहर चली गई,,,,

मैं दरवाजे पर खड़ा होके उसको बाहर जाते देखने लगा,,,वो भाग कर जाके अक्तिवा पर बैठ गई,,,कविता ने
अक्तिवा स्टार्ट की और दोनो मेरी तरफ हंस कर देखने लगी,,,,,,,,,

कविता का हँसना समझ मे आया लेकिन सोनिया क्यूँ हंस रही थी,,,अभी कुछ देर पहले इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारा था मैने
उसको की खून निकल आया था उसके लिप्स से ,,,,गुस्सा करने की जगह वो उल्टा हँसने लगी थी,,,खुश होने लगी थी,,,

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था इस लड़की का,,,,मेरा दिमाग़ खराब हुआ जा रहा था,,,,,,,

वो दोनो अक्तिवा पर बैठकर चली गई थी और दोनो ही खुश थी,,,जबकि यहाँ मेरा दिमाग़ खराब हुआ जा रहा था,
उनके जाने के बाद मैने गेट बंद किया और घर के अंदर जाने लगा तभी गेट के बाहर मुझे किसी कार या बाइक का
होरन बजने की आवाज़ सुनाई दी,,,,

मुझे लगा शायद कविता और सोनिया वापिस आ गई है और मैने जाके गेट खोला तो थोड़ा परेशान हो गया,,,,घर के
सामने कोई आदमी था बाइक पर,,,,उसने हेल्मेट पहना हुआ था और उसका बाइक जिस अंदाज़ से खड़ा हुआ था उस से लग रहा
था वो बाइक गेट के अंदर करने वाला है,,,,लेकिन मैं थोड़ा परेशान था मुझे नही पता चल रहा था ये कॉन है
क्यूकी हेल्मेट की वजह से मुझे उसका फेस नज़र नही आ रहा था,,,,इसलिए मैं गेट के आगे खड़ा हो गया ताकि वो
अंदर नही आ सके और तभी उसने अपने हेल्मेट का शीशा उपर उठा दिया और मैने देखा ख़ान भाई थे,,,,,,,मैं गेट से साइड हो गया 
ऑर ख़ान भाई ने बाइक अंदर किया ऑर बाइक स्टॅंड पर लगाकर अपना हेल्मेट निकाल दिया,,,

तब तक मैं गेट बंद कर चुका था,,,,अरे ख़ान भाई आप बाइक पर,,ऑर आज अपने वर्दी भी नही पहनी हुई ,,,क्या बात
है मैं तो डर ही गया था कि ये कॉन आ गया बाइक पर वो भी हेल्मेट पहन कर,,,
Reply
12-21-2018, 03:07 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
ख़ान भाई हँसने लगे,,,,,क्यूँ सन्नी भाई हम पोलीस वाले बाइक नही चला सकते क्या,,,,कहीं तुमको भी ऐसा तो नही 
लगता कि जैसे फ़िल्मो मे पोलीस वेल अक्सर ज़ीप पर आते है वैसे ही रियल मे भी वो ज़्यादातर ज़ीप ही चलते है,,,

ख़ान भाई की बात सुनकर मैं हँसने लगा,,,,,अरे नही ख़ान भाई ऐसी बात नही है,,,,,आज तक कभी आपको बाइक चलाते
हुए देखा नही ना ओर वर्दी के बिना भी शायद बहुत कम देखा है,,


तभी ख़ान भाई की नज़र भी मेरे हाथ पर पड़ गयी जहाँ चोट लगी हुई थी,,,,,ये क्या हुआ सन्नी,,किसी से पंगा हुआ 
क्या,,,,


नही ख़ान भाई ये बस हल्की सी चोट लगी है अपनी ही लापरवाही से,,,,,वैसे आज आपका यहाँ कैसे आना हुआ वो भी बाइक
पर बिना वर्दी के,,,

सन्नी भाई मैं कई बार गुजरा हूँ तेरे घर के आगे से मैने देखा था कुछ लोगो को साथ वाली पार्क के पास इसलिए
1-2 दिन से बाइक पर चक्कर लगा रहा हूँ,,,,


अपने भी देखा उनको ख़ान भाई,,,,,मैने भी देखा यही 2-3 दिन से ,,,वो लोग यही रहते है अक्सर,,,,अभी नही है
तभी मैने आगे बढ़ कर वो लॉक दिखाया ख़ान भाई को,,,,,ये देखो ख़ान भाई ,,,मुझे ये उन्ही लोगो का काम लगता
है,,,,

नही सन्नी अभी तो वो लोग बाहर ही है,,,मैने अभी देखा उन लोगो को पार्क के पास,,,

तभी मैं गेट की तरफ गया ऑर गेट को खोलकर सर बाहर निकाल कर देखा तो वो लोग वहीं थे,,

ख़ान भाई ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर बुला लिया ऑर मेन डोर के पास ले गये,,,,ऐसे मत देखो उनको शक
हो जाएगा कि हम लोगो को उनके बारे मे पता चल गया है,,,फिर ख़ान भाई ने भी लॉक को अच्छी तरह देखा,,,,,हां
मुझे भी इन्ही लोगो का काम लगता है,,,वो लोग मुझे कुछ ठीक नही लग रहे,,,क्या घर मे घुस गये थे वो,,,कुछ 
चोरी तो नही किया,,,,


नही ख़ान भाई वो लोग घर मे नही घुस सके,,,मैने अच्छी तरह चेक कर लिया था,,,लेकिन मुझे थोड़ी टेन्षन है
उन लोगो से,,,,

हाँ टेन्षन तो होनी चाहिए,,,,,अभी घर मे अकेला जो है तू,,,

आपको कैसे पता मैं घर पर अकेला हूँ ख़ान भाई,,,,,मैने थोड़ी हैरानी से पूछा

सन्नी भाई मैं पोलीस वाला हूँ भूल गये,,सबकी खबर रखता हूँ,,,,,मैं गया था करण ऑर रितिका से मिलने
वही से पता लगा कि तुम्हारे घर वाले गाँव गये है शादी मे,,,,

हां भाई इसलिए तो डर लगता है मुझे ओर अपने लिए नही अपनी छोटी बेहन सोनिया के लिए,,,,

वही ना जो अभी अपनी सहेली के साथ गयी है,,,,

हाँ ख़ान भाई ,,मुझे डर था कहीं वो लोग कुछ पंगा नही करे इसलिए मैने सोनिया को उसकी फ्रेंड के घर भेज दिया
है,,,,

ये तुमने अच्छा किया सन्नी भाई,,,क्यूकी वो लोग मुझे भी ठीक नही लग रहे ऑर हो ना हो वो लोग अमित ऑर उसके बाप 
के लोग ही हो सकते है,,ऑर शायद वो उन सीडीज़ के पीछे है ,,,,,अमित ऑर उसके बाप को लगता होगा कि सीडीज़ तुम्हारे पास है
,,,,

हां ख़ान भाई हो सकता है,,,,,

मुझे लगता है सन्नी अब हम लोगो को सुमित को बाहर लेके आना चाहिए ताकि तुम्हारी टेन्षन कम हो जाए,,ख़ान
भाई ने कुछ सोचते हुए ये बात बोली,,,,

नही ख़ान भाई इतनी जल्दी नही,,,,अभी सुमित को बाहर लेके आने का टाइम नही हुआ है,,,अभी सही टाइम नही आया है,,,

लेकिन सन्नी जब तक सही टाइम आएगा तब तक तुम्हारे साथ कुछ प्राब्लम नही हो जाए,,,,वो लोग कोई आम सड़क चलते
लोग नही है ,,,पेशेवर गुंडे है वो,,,,कुछ भी कर सकते है किसी भी हद तक जा सकते है,,,,अल्लाह ना करे कल
तुमको या तुम्हारी फॅमिली को कुछ नुकसान पहुँचा दिया उन लोगो ने तो क्या होगा ,,,,


ख़ान भाई अगर उन लोगो ने मेरी फॅमिली की तरफ आँख उठाकर भी देखा तो मैं उन लोगो की जान ले लूँगा ,,अमित ऑर 
उसके बाप को तो घर मे घुस कर गोली मार दूँगा,,,,

तभी ख़ान भाई ने मेरे शोल्डर पेर हाथ रखते हुए बोला,,,,तभी बोलता हूँ कि ज़्यादा देर होने से पहले हम लोगो
को सुमित को बाहर निकाल लेना चाहिए,,,वरना कुछ गड़बड़ हो सकती है,,,

नही भाई अभी नही,,,अभी थोड़ा इंतजार ऑर करना चाहिए,,,,ऑर सही मोका आने पर ही हम सुमित को बाहर लेके आएँगे
,,,,,ऑर गड़बड़ से याद आया कि मुझे आपको कुछ दिखाना है,,,

मैं ख़ान भाई को लेके घर के अंदर चला गया,,,तभी ख़ान भाई ने अंदर जाके अपने मोबाइल से किसी को फोन किया
ऑर मेरे घर का अड्रेस बता दिया ऑर घर एक बाहर खड़े लोगो का हुल्लिया भी बता दिया,,,

किस को फोन किया ख़ान भाई,,,,,मैने अपना लॅपटॉप खोलते हुए बोला,,,,,

कुछ नही सन्नी भाई अपने लोगो को बुलाया है ताकि वो लोग इन लोगो को अपने साथ ले जाए,,,,

पोलीस वालो को फोन किया है क्या,,,,,इस से तो शक हो जाएगा उन लोगो को,,,,

तुम घबराओ मत सन्नी भाई मैने स्पेशल ब्रांच के लोगो को फोन किया है,,,,वो इन लोगो को उठाकर अपने ठिकाने
पर ले जाएँगे फिर इन लोगो से पूछताछ करेंगे अपने तरीके से,,,,इतना बोलकर ख़ान भाई हँसने लगे,,,अच्छा बताओ
क्या दिखाना था मुझे,,,,,

मैने लॅपटॉप पर वो वीडियो दिखाई ख़ान भाई को जो कविता ने दी थी मुझे,,,,,ये देखो ख़ान भाई,,,,,,,,उस वीडियो मे
अमित ऑर सुरेश बातें कर रहे थे ,,,,,वो लोग उन लड़कियों की बातें कर रहे थे जिन लड़कियों ने ख़ुदकुशी की
थी ऑर उन लड़कियों की बात भी कर रहे थे जिनको उन लोगो ने वीडियो बना कर ब्लॅकमेल किया था,,,,,उन लोगो ने 
बातों ही बातों मे अपना जुर्म क़बूल किया था उस वीडियो मे,,,,,फिर उन लोगो ने ये बात भी की थी कि वो सीडीज़ वाला
बॉक्स कहाँ है जो अमित सुमित के घर से लेके आया था,,,,,

ख़ान भाई ऑर मैं बहुत खुश हुए वो वीडियो देखकर,,,ये बहुत अच्छा सबूत था हम लोगो के लिए ऑर अब हम लोगो 
को ये भी पता चल गया था कि वो सीडीज़ वाला बॉक्स कहाँ है,,,

ख़ान भाई मुझे ये बॉक्स चाहिए किसी भी कीमत पर,,,,,मैने थोड़ा उत्सुकता से बोला,,,

तुमको ये बॉक्स क्यूँ चाहिए सन्नी ,,,,वीडियोस तो वैसे भी है हम लोगो के पास,,,फिर बॉक्स की क्या ज़रूरत,,,

ख़ान भाई जब मैने इस बॉक्स की सीडीज़ ऑर पेनड्राइव का डाटा अपने लॅपटॉप मे कॉपी किया था तो उसपे मेरी उंगलियों के
निशान आ गये होंगे,,,,अगर इन्वेस्टिगेशन मे मेरी उंगलियों के निशान भी मिल गये तो मुझे पंगा हो जाएगा ना,,

तुम फ़िक्र नही करो सन्नी ,,,इन्वेस्टिगेशन तो मुझे ही करनी है ना,,,,ऑर वैसे भी इस बॉक्स को अभी वहीं रहने देते
है जहाँ ये पड़ा हुआ है,,,,क्यूकी इसका वही रहना ज़रूरी है,,,,ये एक पक्का सबूत बन जाएगा जब मैं तलाशी लेने
जाउन्गा उनके घर ,,,,,ख़ान भाई ने ये बात हंसते हुए बोली तो मैं ख़ान भाई की बात समझ गया,,,,

फिर मैने ख़ान भाई के लिए छाई बनाने चला गया ऑर चाइ पीते हुए हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे,चाइ
पीते हुए ही ख़ान भाई को फोन आ गया अपने लोगो का उन्होने बताया कि उनके लोग उन लोगो को उठाकर ले गये है जो
लोग अक्सर घर के बाहर पार्क के पास खड़े होते है,,,,

मैं बहुत खुश हुआ लेकिन तभी ख़ान भाई ने बोला,,,,,ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नही सन्नी,,,,अमित ऑर उसके बाप
के पास ऐसे बहुत लोग है जो उनके लिए काम करते है,,,,इन 2 लोगो को हमने पकड़ लिया है इस बात पर खुश होने
की ज़रूरत नही,,,आज इनको पकड़ा है कल कुछ ऑर लोग आ सकते है ,,,तुमको होशियार रहना होगा,,,वैसे घर मे कोई
पिस्टल पड़ी हुई है क्या सन्नी,,,,,,,

हां भाई लेकिन पिस्टल की क्या ज़रूरत ,,,,

सन्नी भाई ये लोग आम लोग नही मैं पहले भी बता चुका हूँ,,,जिस रास्ते पर तुम चल रहे हो तुमको पिस्टल की 
ज़रूरत कभी भी पड़ सकती है,,,,वैसे मैं तो दुआ करूँगा कि तुमको पिस्टल की ज़रूरत कभी नही पड़े,,,,इतना बोलते 
हुए ख़ान भाई ने अपनी पास से एक पिस्टल मुझे दी,,,,ये अपने पास रख लो सन्नी इसकी ज़रूरत पड़ सकती है,,,,वैसे
ज़रूरत ना ही पड़े तो बेहतर होगा,,,,

मेरे पास एक पिस्टल है ख़ान भाई,,,,मुझे इसकी ज़रूरत नही,,,,,,,,,

नही सन्नी,,,अगर गोली चलाने की ज़रूरत पड़ी तो इसी से गोली चलाना ,,ख़ान भाई ने ये बात किसी विश्वास के साथ बोली
तो मैने ख़ान भाई की पिस्टल पकड़ ली,,,,

फिर ख़ान भाई अल्लाह हाफ़िज़ बोलकर वहाँ से चल पड़े,,,,,

उनके जाने के बाद मैने गेट बंद किया ऑर गेट बंद करने से पहले पार्क की तरफ देखा तो वहाँ कोई नही था,,,
मुझे बड़ी खुशी हुई कि ख़ान भाई के लोग उन लोगो को पकड़ कर ले गये है,,,
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