Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी शोभा दीदी बोल पड़ी,,,,,,,,,,क्या हुआ कविता इतनी उदास क्यूँ हो,,,,,,,,,,

कविता--जी नही दीदी वो मैं बस,,,

तुमको देख कर लगता है तुम रोई थी,,,,,कोई प्राब्लम है क्या,,,,,,,,

इस से पहले कविता कुछ बोलती सोनिया ने शोभा की तरफ देखा ऑर फिर मेरी तरफ इशारा करते 
हुए ये जताया कि सन्नी के सामने कोई बात नही करो,,,,,,,,

इतने में कविता की आँखों मे फिर से आँसू आने शुरू हो गये,,,,,,,,,,,,

कविता--मुझे भूख नही है सोनिया मुझे कुछ नही खाना ,,,कविता ने खाने की प्लेट को साइड करते हुए नम आँखों
से आँसू पोन्छते हुए बोला,,,,,,,,,,


क्यूँ नही खाना ,,,,,,,,कल से तूने कुछ नही खाया है,,,ऐसे कैसे होगा भला,,,,,,सोनिया
थोड़ा प्यार से उसको समझाते हुए खाने की प्लेट को वापिस उसकी तरफ करते हुए बोली,,,,,,,,,

तभी शोभा दीदी बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी तुम अपना खाना लेके अपने रूम मे जाओ,,,,,हमे
कुछ बता करनी है,,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी ने आँखों ही आँखों मे मुझे इशारा कर दिया ऑर
मैं अपनी खाने की प्लेट लेके अपने रूम मे उपर की तरफ चला गया,,,,,,,,,,,,

मैने जाते टाइम सीडियों मे खड़े होके उनकी बात सुनने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही
हुआ वो लोग बहुत स्लोली बात कर रही थी मुझे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था,,,,

तो हार कर मैं अपने रूम मे चला गया ऑर खाना खाने लगा,,,,,,,,,,करीब 15-20 मिनट
बाद जब मैं खाने की प्लेट लेके नीचे आया तब तक वो लोग खाना बीच मे ही छोड़ कर
माँ के रूम मे चली गई थी,,,,ऑर दरवाजा बंद था,,,मैने सोचा क्यूँ ना दरवाजे के पास
जाके सुनूँ तो सही आख़िर मामला क्या है सारा लेकिन जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा तो
दरवाजा खुल गया ऑर सब लोग बाहर आ गई फिर शोभा दीदी अपने रूम मे उपर की तरफ चली
गई ऑर कविता ऑर सोनिया बाहर सोफे पर बैठ गई मैं भी तब तक सोफे पर जाके बैठ गया
कुछ देर बाद शोभा दीदी ड्रेस चेंज करके वापिस नीचे आई फिर सोनिया ऑर कविता के साथ 
चली गई,,,,,

,सन्नी मैं ज़रा कविता के घर जा रही हूँ दरवाजा बंद कर्लो मुझे टाइम 
लग जाएगा,,,,,,,,इतना बोलकर वो तीनो वहाँ से चली गई जबकि मैं टेन्षन मे सोफे पर
बैठ कर सोचने लगा कि आख़िर पंगा क्या है,,,ऐसी क्या बात हो गई कविता के घर जो शोभा 
दीदी भी उसके घर चली गई है,,,,,,,,,,खैर मैने ज़्यादा टेन्षन भी नही ली ऑर आराम से बैठ
कर टीवी देखने लगा,,,,,,,



डॅड अपने टाइम पर घर आ गये ऑर आके फ्रेश होने लगे इतने मे मैने कॉफी तैयार करदी 
डॅड के लिए,,,,,,,,,,,डॅड बाहर आए ऑर कॉफी पन लगे,,,,,,,,,,,,,

डॅड--तुम अकेले हो घर पे बाकी लोग कहाँ है,,,,,,,,,,

सन्नी--डॅड शोभा दीदी ऑर सोनिया कविता के घर गई है ,,,शायद कविता के घर मे कोई प्राब्लम है 
डॅड इसलिए शोबा दीदी भी सोनिया के साथ गई है,,,,,,,,थोड़ी देर मे आ जाएगी,,,,,,,,,,

फिर ना डॅड ने कोई बात की ऑर ना मैने,,,वैसे भी हम लोगो मे कम ही बात होती थी,,,डॅड
मेरे से तब बात करते थे जब मेरे बारे मे कोई खबर मिलती थी उसको,जैसे पेपर मे 
नंबर कम आए हो या कोई शरारत की हो मैने,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर मैं डॅड से तभी बता करता
था जब कुछ चाहिए होता था,,,,,,या पॉकेट मनी लेने के टाइम,,,,,,,,,,,

डॅड ने अपनी कॉफी ख़तम की ,,,,,,,,,,,ओके बेटा मैं भी चलता हूँ मुझे क्लब जाना है,,,

डॅड भी चले गये ओर मैं फिर से अकेला हो गया,,,,,,,,


रात को बुआ ने खाना बनाया ऑर हम लोग बैठ कर खाना खा रहे थे ,,,,,,,,

कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या बेटी,,,,,,,,,डॅड ने सोनिया से पूछा,,,,,,

डॅड की बात का जवाब देने से पहले सोनिया ने पूरे गुस्से मे घूर कर मुझे देखा मानो
आँखों ही आँखों मे बोल रही हो कि सन्नी तुमने डॅड को क्यू बताया,,,,,,,,,

जी नही डॅड वो स्टडी की टेन्षन कुछ ज़्यादा थी इसलिए ,,,,वैसे कोई प्राब्लम नही है,,,,, सोनिया ने डॅड को बताया

हाँ डॅड बड़ी क्लास मे है तो थोड़ी टेन्षन होनी तो लाजमी है,,,शोबा ने जवाब दिया ऑर
फिर सब खाना कहने लगे लेकिन सोनिया अभी भी मुझे ही घूर रही थी,,,,,,

अभी खाना खा ही रहे थे तभी फोन बजने लगा,,,,बुआ फोन के ज़्यादा करीब वाली
चेयर पर बैठी हुई थी इसलिए बुआ ने उठ कर फोन उठाया,,,,ऑर एक पल मे ही फोन को
वापिस टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,,,,,शोबा तुम्हारी माँ का फोन है गाँव से,,,,,,,,,,,,,

शोबा से पहले सोनिया उठके फोन की तरफ भागी ऑर फोन उठा कर बात करने लगी,,,,,
बात करते करते ही वो रोने लगी,,,,मुझे लगा कि शायद माँ के चाचा जी का काम हो गया है
इसलिए सोनिया रोने लगी है,,,,,,,,,कुछ देर फोन पर बता करने के बाद सोनिया चेयर पर बैठ
गई,,,,,,,,,,,,

क्या हुआ बेटी सब कुछ ठीक तो है ना,,,,,,,,,,सोनिया रोने लग जाती है तभी शोबा उसके सर को
पकड़ कर अपनी छाती से लगा लेती है ऑर उसको चुप करवाने लग जाती है,,,रो मत पगली बता
ना क्या हुआ,,क्या बोला माँ ने फोन पर,,,,,,,,,,,,,

चाचा जी की तबीयत बहुत खराब है,,,,डॉक्टर ने बोला है कि अब बस 2-4 दिन के मेहमान है
चाचा जी,,,,,वो हम लोगो से मिलना चाहते है आखरी बार इसलिए माँ ने फोन किया है कि 
हम सब लोग वहाँ आ जाए,,,,,,,,,,,,,, सोनिया ने रोते हुए बताया

ठीक है सोनिया हम सब लोग कल सुबह ही चलते है गाँव ,तू रो नही ,,,कुछ नही होगा 
चाचा जी को,,,,,,,,,,,,,, मैने सोनिया को कहा

तभी डॅड गुस्से मे ,,,,,,,,,मुझे कहीं नही जाना ऑर ना ही गीता को,,,,,,,जिसको जाना है जाओ
,,,,,,,,,इतना बोलकर डॅड खाना छोड़ कर अपने रूम एम नीचे की तरफ चले जाते है,,,,

सोनिया रोती रहती है ,,,,,,,,,,,,,,जिसको नही जाना मत जाओ मुझे तो जाना है ऑर अभी जाना है,,,
सोनिया भी गुस्से मे एक तरफ से अपना फ़ैसला सुना देती है,,,,वो भी कम गुस्से वाली नही है

डॅड अभी सीडियों तक पहुँचे ही थे कि सोनिया की बात सुनके वापिस पलट गये,,,,,,,,

जिसको जाना है जाओ लेकिन मुझे मत बोलो जाने को,,,,,,,,डॅड ने फिर से गुस्से मे बोला ऑर 
नीचे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,तभी बुआ ने सोनिया को गले से लगा लिया,,,,,,,,,बेटी तुम अपने डॅड
की बात का गुस्सा मत करना तुमको पता ही है कि वो गाँव जाने को कभी तैयार नही होंगे,,,,
तुम ज़िद्द मत करो ,,,ऑर तुमको जाना है तो जाओ कोई नही रोकेगा तुमको,,,,,,,,अगर अभी जाना है
तो अभी जाओ,,,,,,,,,,,

शोभा,,,,,,,,,,,,लेकिन बुआ अभी ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी इतनी जल्दी मे,,,,,,,,,,,

तभी मैं उठा ऑर सोनिया के पास जाके उसको बाहों मे लेके चुप करवाने लगा,,तू रो मत 
पगली ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी तो क्या हुआ मैं हूँ ना मैं लेके जाउन्गा तेरे को तू बस 
रो मत प्लीज़,,,,,,तेरी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते मुझे,,,,मैं अभी बोल ही रहा था
तभी बुआ बोलने लगी,,,,,

कोई बात नही तुम लोग मेरी कार ले जाओ ऑर अभी चले जाओ,,,,तभी बुआ अपने रूम मे गई ऑर 
अपनी कार की चाबी मेरी तरफ बढ़ाते हुए ,,,,,,,,,,,,,,,ये लो सन्नी मेरी कार ले जाओ ऑर सोनिया को
गाँव ले जाओ,,,,,,,,,,,,,

मेरे ऐसे दिल्लासा देने से सोनिया की आँखों से आँसू कुछ कम हो गये थे...

लेकिन बुआ मेरे पास तो लाइसेन्स नही है ऑर इतना लंबा सफ़र,,,,,,,,,,,,,,,,,

कोई बात नही बेटा,,,,,तुम कार ले जाओ कोई टेन्षन मत लो किसी बात की,,,,,,,,,बुआ ने सोनिया की
तरफ इशारा करते हुए बोला,,,मानो मुझे बोल रही हो कि सोनिया को चुप करवाने का यही 
तरीका है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ठीक है बुआ ,,,,,,,,तभी सोनिया रोते हुए अपने रूम मे चली गई ओर साथ मे शोबा दीदी भी

सन्नी तुम कार आराम से ड्राइव करना ओर बाकी किसी चीज़ की टेन्षन मत लेना,,,अगर कुछ
गड़बड़ हुई तो मुझे फोन कर देना मैं सब संभाल लूँगी,,,,,,बुआ ने बड़े यकीन
के साथ बोला,,,,,,,,,,,

ठीक है बुआ,,,,,,,,,
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12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
शोबा दीदी जाने को तैयार नही हुई,,,क्यूकी उनका कोई एग्ज़ॅम था कल जो बहुत ज़रूरी था,,,,इसलिए
मैं ऑर सोनिया रत को निकल पड़े बुआ की कार मे गाँव जाने के लिए,,,,कार से गाँव तक की ड्राइव
कम से कम 8 अवर्स की थी,,,,,मैने अपने 2-3 जोड़ी कपड़े बाग मे डाल लिए थे ओर सोनिया ने
भी पता नही किटन आतिमे लगना था गाँव मे,,,,,,,,,,,हम लोग वहाँ से चल पड़े रास्ते भर
सोनिया रोती रही,,,,वो चुप होने का नाम ही नही ले रही थी,,,मैं तो बस चुप चाप ड्राइव 
करता रहा,,,,वो पूरा सफ़र इतना रोती रही कि मैं उसकी तरफ वासना या सेक्स की नज़र से नही बल्कि
पूरा रास्ता उसको तरस ऑर दया की नज़रो से देखता रहा,,,लानत थी जो अब इस हालत मे भी उसको
ऐसी नज़र से देखता,,,,,,,,हालाकी वो रोती हुई भी बहुत मासूम लग रही थी लेकिन मुझे उसके
मासूम चेहरे पर आँसू अच्छे नही लग रहे थे,,,,,रात को करीब 11 बजे हम घर
से चले थे ऑर अगले दिन 9 बजे गाँव मे चाचा जी के घर पहुँच गये थे,,,,वैसे तो
8 अवर्स लगने थे लेकिन गाँव की सड़क बहुत ख़स्ता हालत मे थी इसलिए हमे ज़्यादा टाइम
लग गया था गाँव आने मे,,,,,,,,,,,वैसे भी रात को हल्की बारिश हुई थी जिसस से गाँव की सड़कें
ऑर भी ज़्यादा खराब हो गई थी,,,





मैने घर के गेट के सामने कार रोक दी ,,,गाँव का घर बहुत पुराना बना हुआ था लेकिन 
था बहुत बड़ा,,,,लेकिन रहने के लिए 4 रूम थे बाकी सारा आँगन खुला था,,,4 मे से 2 रूम
ही थे जिसमे सोया जा सकता था,,,,एक स्टोर रूम था जबकि एक गोदाम था जहाँ फसल की कटाई
के बाद आनाज़ रखा जाता था,,,,घर के आस पास बहुत सारी ज़मीन थी ऑर गाँव मे घर भी
बहुत कम थे वो भी बहुत दूर दूर थे जो सबसे करीबी घर था वो भी कम से कम 
500 मीटर दूर था,,,,,लेकिन ये क्या ,,,,,जैसे ही मैं कार से उतरा सामने देखा कि एक नया घर
बना हुआ था जो गाँव के हिसाब से नही किसी शहर घर के हिसाब से बना हुआ था ऑर इस 
घर के करीब ही था,,,,मैं गाँव पहले करीब 4 साल पहले आया था तब ये घर नही था
लगता था अभी अभी बना है,,,वैसे भी देखने से ही लग रहा था कि ये घर कुछ टाइम 
पहले ही बना था,,,,,मैं अभी घर को देख रहा था कि सोनिया गेट पर चली गई ऑर गेट पर
नॉक करने लगी,,,,जब तक मैने कार मे से कपड़ो वाला बॅग निकाला तब तक माँ ने गेट खोल
दिया था ऑर सोनिया माँ के गले लग कर रोने लगी थी,,,इतने मे मैं भी गेट पर पहुँच गया
लेकिन मैं रोया नही बस उन माँ बेटी को रोते देख थोड़ा उदास ज़रूर हो गया था,,,,,,,

मैं भी माँ के गले लगा ऑर हम लोग अंदर चले गये ,,,माँ हमे चाचा जी के रूम मे
ले गई चाचा जी का रूम बहुत बड़ा था वैसे घर के सारे रूम ही इतने बड़े बड़े थे कि
शहर मे हमारे घर के 2 रूम ऑर गाँव मे चाचा जी के घर का एक रूम ,,,,रूम मे
चाचा जी बेड पर लेटे हुए थे जो बेड हॉस्पिटल का बेड लग रहा था ऑर साथ मे ही एक चेयर
पर चाची बैठी हुई थी ऑर उनके साथ मामा जी बैठे हुए थे,,,,,मामा जी के पीछे एक
बंदा ऑर खड़ा हुआ था जो देखने मे चाचा जी का बेटा लग रहा था,,,,वैसे इन जनाब को
मैने पहले भी देखा था लेकिन बहुत टाइम पहले आज कल ये शहर मे रहते है अपनी फॅमिली
के साथ,,,,शायद चाचा जी की वजह से ही ये यहाँ आया होगा,,,,,,,,चाचा जी के बेड के पास एक
वेंटिलेटर मशीन पड़ी हुई थी जिस से एक ऑक्सिजन मास्क चाचा जी को लगा हुआ था,,,,चाचा
जी उसकी वजह से साँस ले रहे थे,,,,,,,,सोनिया कमरे मे एंटर होते ही चाचा जी के गले लग कर
रोने लगी,,,,,,तभी चाचा जी ने हल्के हाथों से मास्क उतारा ,,,,,,अभी मैं ज़िंदा हूँ बेटी
अभी तो मत रो,,इतने टाइम बाद आई हो यहाँ अब तो हंस कर मिलो ,,,,,,,तभी चाचा जी ने धीरे
धीरे हाथ उठाकर सोनिया के आँसू पोछे ऑर माँ को बाहर जाके चाइ नाश्ते का इंतज़ाम 
करने को बोला,,,,,माँ बाहर चली गई ऑर मैं मामा जी को मिलके चाचा जी के बेटे से मिला
मुझे उसकी शकल कुछ अजीब लग रही थी,,,कुछ जानी पहचानी,,,ये मतलब नही कि मैं 
उसको पहले भी मिल चुका था लेकिन अब मैं बड़ा हो गया था ऑर अब मुझे उसकी शकल 
कुछ अजीब लग रही थी,,,,उधर सोनिया चाचा जी के गले से हटके चाची के गले लग गई 
चाची गाँव की औरत थी छोटी छोटी बात पे जल्दी ही एमोशनल होने वाली औरत सोनिया के गले
लगते ही वो भी मेरी माँ की तरह रोने लग गई,,,,,जबकि चाचा जी हल्की आवाज़ मे गुस्सा करते
हुए चाची को बोल रहे थे कि क्यूँ रुला रही है पगली मेरी बेटी को इतने टाइम बाद शहर से
क्या रोने आई है ये अपने चाचा के पास,,,,,,,वो बंदा चाचा जी का बेटा हमे मिलके बाहर 
चला गया ,,फिर मैं चाचा जी को मिला तब तक मामा जी बाहर से 2 चेयर ऑर एक टेबल लेके
आ गये ,,मैं चाचा जी को मिलके चेयर पर बैठ गया ऑर मेरे साथ वाली चेयर पर मामा जी 
फिर चाची ऑर सोनिया भी बैठ गई,,,इतने मे माँ चाइ ऑर कुछ बिस्कुट लेके अंदर आ गई ऑर
सामने टेबल पर रख दिए,,,,हम लोग चाइ पीने लगे ऑर बातें करने लगे,,,

आपको बता दूं कि शहर मे कॉन कॉन हैं,,,

किशन लाल,,,,,,,,,,मेरी माँ के चाचा जी जो अभी 65 से उपर की उमर के है,,,गाँव मे खेती 
करते है बहुत अच्छे इंसान है,,,ज़मीन भी काफ़ी है घर के साथ लगती जितनी भी ज़मीन
है सब इनकी है,,,ऑर बाकी क्या प्रॉपर्टी है ये मुझे नही पता,,इतना ही पता है कि ज़मीन
पर खेती करते है ऑर उसी की फसल को बेचकर काफ़ी पैसा कमा लेते है लेकिन अभी कुछ टाइम
से बहुत बीमार है,,,

पुस्पा देवी,,,,,,चाची जी,,,,,उमर 60 के आस पास,,,,,,,,गाँव की सीधी साधी औरत है,,हर टाइम
अपने पति की सेवा करती है बस,,,वही इसका धरम है ओर वही कर्म है,,इस से ज़्यादा ऑर कुछ
नही लिखूंगा इनके बारे मे,,,,

केवल किशन,,,,ये चाचा जी का एक्लोता बेटा है 38 ,,आज कल यही रहता है शायद चाचा जी की
वजह से लेकिन वैसे शहर मे रहता है अच्छी नोकरी है ,,अपनी फॅमिली के साथ वही रहता है
इसका इस कहानी से कुछ लेना देना नही है ऑर ना ही इसकी फॅमिली का इसलिए ज़्यादा कुछ नही 
लिखूंगा,,,,
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12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
हम लोग चाइ पी रहे थे तभी चाचा जी ने फिर से अपने हाथ से अपना मास्क निकाला ऑर 
मेरे से कुछ बोले लेकिन वो बड़ी स्लो आवाज़ मे बोल रहे थे कि मुझे कुछ समझ नही आ 
रहा था इसलिए मैं अपनी चाइ के कप को हाथ मे लेके चाचा जी के पास हो गया ऑर उनकी बात
सुनने लगा,,,,,,,,


तुम दोनो ही आए हो बेटा ,,,कोई ऑर नही आया,,,,,,चाचा जी ने बड़ी आराम से स्लो आवाज़ मे
पूछा,,,,

चाचा जी को भाई का तो माँ ने बता दिया होगा की वो बाहर चला गया है,,,,शोबा के बहुत
ज़रूरी पेपर था इसलिए नही ,,,,,पापा को बॅंक से छुट्टी नही मिल रही थी आना तो वो भी
बहुत चाहते थे लेकिन आपको तो पता ही है,,,ऑर बुआ 

अभी बुआ के बारे मे बोलने ही लगा ताकि चाचा जी ने मेरे मुँह पे हाथ रख दिया,,,ऑर
मुझे चुप करवा दिया,,,

तेरे बाप के पास कभी टाइम नही हुआ मेरे लिए ना पहले होता था ऑर ना अब पहले भी वो
तभी मैने देखा कि चाचा के हाथ को चाची ने अपने हाथों मे लिया ऑर तभी बोलते
बोलते चाचा ने चाची की तरफ देखा ऑर चाची ने चाचा को चुप रहने का इशारा किया ऑर
चाचा भी चुप हो गये ऑर एक दम से बात पलट दी चाचा जी ने,,,,,,,,,,,

अच्छा ये बताओ तुम लोगो की पढ़ाई कैसी चल रही है,,,,,,,,,चाचा जी के एक दम बात पलटने से
ऑर चाची के द्वारा चाचा के एक दम चुप हो जाने से जहाँ मैं ऑर सोनिया कुछ सोच मे पड़
गये थे वहीं माँ ऑर मामा सर झुका कर चाइ के कप को मुँह लगा कर चाइ पीने मे लगे थे
मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था ,,,,,,,,,,,,,,स्टडी ठीक चल रही है चाचा जी ,,,,बस आज कल
कुछ ज़्यादा ही बिज़ी रहते है स्टडी मे तभी तो इतना टाइम लग गया गाँव आने मे 

हाँ बेटा तुम शहर वाले कुछ ज़्यादा ही बिज़ी हो गये हो जो इस बूढ़े को देखने भी नही
आते ,,,,बड़ी बड़ी इमारतों मे ऑर अपने ऑफीस मे घुटे रहते हो कभी इस गाँव की ठंडी ऑर
सॉफ हवा का लुफ्त उठाने भी आ जाया करो,,,,, चाचा जी ने कहा

नही चाचा जी ऐसी बात नही है,,पहले छोटी क्लास थी तो माँ के साथ कभी कभी आ जाता
था लेकिन अभी बड़ी क्लास मे हूँ तो स्टडी का बोझ कुछ ज़्यादा हो गया है,,,,,ऑर वैसे भी
बड़ी इमारतें अब सिर्फ़ शहर तक ही नही रह गई अब तो गाँव मे भी बड़ी इमारतें बनने
लगी है,,,,,मैने अभी देखा आपके घर से थोड़ी दूर भी एक नया घर बना है जो शहरी
अंदाज मे बना हुआ है,,,,,,,,,,, मैने चाचा जी से कहा 

वो घर केवल ने बनाया है,,,,हर रोज गाँव मे आना मुश्किल था मेरे लिए इसलिए 15-20 दिन
मे एक बार आ जाता है 2 दिन के लिए लेकिन शहर वाले को गाँव के घर मे रहना अच्छा नही
लगा इसलिए नया घर बना लिया वो भी शहरी अंदाज़ वाला ,,मुझे भी बोल रहा था उस घर
मे जाने को लेकिन बेटा मैं देसी बंदा इसी घर मे रहने लाएक हूँ,,,,यहीं जन्मा हूँ
ऑर जितना दाना पानी लिखा है इसी घर मे खाउन्गा ऑर मरके ही निकलूंगा इस घर से,,,,,

तभी चाची बोली,,,,,,,,,,,,,,अजी शुभ शुभ बोलो ऐसे गंदे अल्फ़ाज़ मत लाओ अपनी ज़ुबान पर,,इतना
बोलते ही चाची की आँखें फिर से नम हो गई,,,,,,,,,

इस औरत को तो छोटी छोटी बात मे रोना आ जाता है,,,,आख़िर एक ना एक दिन तो मुझे जाना ही है
ना तो इसमे रोना क्या,,,तभी चाचा जी को खाँसी आने लगी ऑर माँ ने जल्दी से उनके हाथ से 
मास्क पकड़ा ऑर उनको पहना दिया,,,,,,,,,,

आपको डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से माना किया है आप आराम करो बस,,,अब कोई बात नही करनी,,
तभी माँ ने मुझे ऑर सोनिया को भी रूम से बाहर जाने को बोला,,,,,,,,चलो बच्चों अब इनको
आराम करने दो तुम यहाँ रहोगे तो ये बातें ही करते रहेंगे,,,,,,,मैं चाइ ख़तम कर
चुका था ऑर सोनिया ने भी अपना चाइ का कप टेबल पर रखा ऑर हम लोग रूम से बाहर आ 
गये,,,मामा जी उसी रूम मे चाचा जी के पास रहे जबकि माँ ऑर चाची जी बर्तन लेके रसोई
मे चली गई,,,मैं ऑर सोनिया बाहर आँगन मे चारपाई पर बैठ गये हमारा कपड़ो वाला
बॅग भी वही पड़ा हुआ था,,,,,,,

चलो तुम दोनो को तुम्हारा रूम दिखा देती हूँ,,,,,,,तभी चाची हमारे पास आती हुई
बोली,,,,,,चलो बच्चो मेरे साथ,,,,,मैं ऑर सोनिया चाची के साथ चल पड़े वो हमे घर से
बाहर ले जाने लगी तो मैने पूछा चाची कहाँ लेके जा रही हो आप हमे,,,,,,,,,,

बेटा तुम शहरी लोग हो गाँव के घर मे कहाँ रहोगे इसलिए तुम लोगो को केवल के घर मे
लेके जा रही हूँ जो पास मे है,,केवल ने अपने तरीके से नया बनवाया है अभी कुछ ही
महीने पहले,,,,मैने पीछे मूड कर माँ की तरफ देखा तो माँ भी हमे चाची के साथ
जाने का इशारा करने लगी ऑर हम लोग चाची के साथ चल पड़े,,,,,,,,,,,,
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12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
ये घर चाचा जी के घर से करीब 200 मीटर दूर था लेकिन सबसे करीबी घर यही था
बाकी के घर तो ऑर भी ज़्यादा दूर थे,,,,,,हम लोग अंदर गये तो देखा कि ये घर बहुत
अच्छा बना हुआ था,,,घर मे एक बड़ा सा हाल था जो काफ़ी खुला था जबकि रूम सिर्फ़ 2 ही थे 
उपर भी कुछ बना हुआ था लेकिन अभी तक मैं उपर नही गया था,,,,ये घर चाचा जी के
घर से एक दम अलग था जैसे सहरी घर होते है,,,,जहाँ गाँव के घर मे एक तरफ 4 रूम
थे ओर एक खुला आँगन था जहाँ से आसमान सॉफ नज़र आता था,,,वहीं ये घर एक दम से
बंद था चारो तरफ से हॉल तो बहुत बड़ा था लेकिन सारे घर मे छत थी कहीं भी खुली
जगह नही थी गेट के उपर भी जंगला लगा हुआ था कहीं से भी ताजी हवा आने का कोई रास्ता
नही था,,,चाची हमको हमारे रूम मे ले गई,,,,,,,,,,,

ये लो बेटा ये तुम लोगो का रूम है,,साथ वाला रूम केवल का है,,,,

चाची ये घर तो बहुत अच्छा बना हुआ है,,,,,,,,,,मैने चाची से कहा,,,,

क्या खाख अच्छा बना हुआ है,,मुझे तो चिड़ीखाना लगता है हर तरफ से घुटन होने
लगती है,,,,ऑर भला अकेले को ही रहना था तो इतना बड़ा क्यू बनाया एक ही कमरा बना लेता
काफ़ी था,,,,खुद तो यहाँ रहने आ जाता है लेकिन परिवार अभी भी शहर मे है,,वो लोग 
नही आते कभी गाँव शहर का कुछ ज़्यादा की असर हो गया है उन लोगो पे ये तो केवल भी 
तेरे चाचा जी की वजह से आता है यहाँ,,,,वैसे तो ये भी 1 -1 साल मुँह नही दिखाता अपना,,
चलो अब तुम लोग आराम करो थक गये होगे रात के सफ़र से,,,,,

हम लोग अपने रूम मे गये तो चाची अपने घर को चल पड़ी वापिस,,,,,,,रूम काफ़ी अच्छा था,
बड़ा सा बेड लगा हुआ था एसी भी था रूम मे जबकि चाचा के घर तो चाचा के रूम मे
एक पंखा भी नही था उन लोगो को बिना पंखे के ही नींद आ जाती थी वैसे भी गाँव मे
तापमान सहर के मुक़ाबले काफ़ी कम होता है कम से कम 8 % डिग्री का फ़र्क होता है ये
मुझे भी महसूस हो रहा था,,,इस रूम मे ऑर चाचा के घर जब बैठ कर चाइ पी
रहे थे तब भी इतनी गर्मी का एहसास नही हुआ था,,,जबकि शहर मे तो बिना एसी के कुछ
पल मे ही बुरा हाल हो जाता है,,,,

चाची चली गई ओर सोनिया बेग से अपने कपड़े निकालने लगी ऑर फ्रेश होने बाथरूम मे चली
गई जबकि मैने बेग को बेड पर रखा ऑर घर देखने के लिए रूम से बाहर आ गया नीचे तो
2 रूम ऑर एक किचन के अलावा कुछ नही था तो सोचा क्यू ना घर की छत पे चला जाए तो 
मैं उपर की तरफ़ चला गया उपर वाले फ्लोर पर भी कुछ नही बना हुआ था जस्ट एक बड़ा सा
हॉल था ऑर एक सोफा सेट पड़ा हुआ था ऑर कुछ नही था,,,,,मैं वहाँ से भी उपर चल पड़ा
ऑर छत पे चला गया छत भी पूरी खुली थी बस एक रूम था जो सीडियों के उपर ही बना
हुआ था ऑर उसपे लोहे का गेट लगा हुआ था लेकिन जैसे ही मैं छत पर एक तरफ आगे को गया
तो दिल खुशी से झूम उठा,,,,,हर तरफ़ हरे भरे खेत थे दूर दूर तक जहाँ भी नज़र 
जाती खेत ही खेत थे वैसे भी जहाँ मैं इस टाइम खड़ा हुआ था ये घर गाँव के सभी 
घरों से उँचा था जहाँ से गाँव का एक दम अलग ऑर खुश कर देने वाला नजारा देखने
को मिल रहा था,,मैं बहुत खुश था ये सब देख कर,,,इतनी शांति थी गाँव मे कि यहाँ 
खड़े होके एक अजीब सा सकून मिल रहा था दिल को एक अजीब सी खुशी हो रही थी ,शहर के
शोर शराबे से दूर एक शांत जगह आके बड़ा मज़ा आ रहा था,,,,मैं करीब 20-25
मिनट से यहाँ खड़ा हुआ गाँव के शांत ऑर खूबसूरत नज़ारे से दिल को खुश कर रहा था'
तभी सोनिया भी छत पर आ गई ऑर मेरे करीब खड़ी होके छत से गाँव के नज़ारे लेने
लगी,,,,,उसके चेहरे से लग रहा था कि वो भी गाँव आके बहुत खुश थी,,,,,,,

थॅंक्स भाई,,,,,,,,सोनिया ने बड़े ही प्यार भरे अंदाज मे बोला 

इसमे थॅंक्स्क्स की क्या बात है,,,,,,,मैने भी उसको जवाब दिया,,,

मुझे यहाँ लेके आने के लिए,,आपको नही पता मैं कितनी खुश हूँ यहाँ आके ऑर मेरे
से भी ज़्यादा खुश है चाचा जी हमारे यहाँ आने से,,,,,चाची मुझे बोल रही थी कि तुम
लोगो के यहाँ आने से आज कितने दिनो या पता नही महीने बाद ही चाचा जी के चेहरे पर
खुशी नज़र आई है,,वो बार बार चाचा जी की वजह से मुझे गले लगा कर शुक्रिया अदा
कर रही थी ऑर बोल रही थी कि हम लोग कुछ दिन यहाँ रुक जाए ताकि चाचा जी को आखरी दिनो मे
कुछ खुशी नसीब हो जाए,,,,,,,,ये सब आपकी वजह से हुआ भाई ना आप मुझे यहाँ लेके
आते ऑर ना चाचा चाची इतने खुश होते,,,,थॅंक्स्क्स्क्स भाई,,,,

इतना बोलते ही सोनिया मेरे गले लग गई ,,,,,गाँव की ठंडी हवा ऑर उपर से सोनिया जैसी लड़की मेरे
गले लगी तो ना जाने एक दम से कितने झटके लगे मेरे बदन को एक ही पल मे एक अजीब सी आग
भड़कने लगी मेरे अंदर दिल मे बेचैनी से भरे तूफान उठने लगे,,उसकी बाहें मेरे
गले मे थी ओर उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी छाती से दबने लगे थे ऑर मुझे पागल करने'
लगे थे मेरा दिल चाहा कि कस्के उसको अपनी बाहों मे भर लूँ लेकिन मेरी हिम्मत नही
हुई ,,क्यूकी अगर मैं उसको प्यार से अपनी बाहों मे भर लेता तो पता नही वो क्या करती कहीं
गुस्सा ही ना हो जाती ,,वैसे भी अगर मैं उसको बाहों मे भरता तो शायद होश मे ना रह
पाता ऑर मदहोशी मे कुछ ऐसी वैसी हरकत कर देता इसलिए मैने उसको शोल्डर से पकड़ा ऑर
एक ही झटके मे अपने से दूर कर दिया,,,,,वो दूर होते ही अजीब नज़रो से मुझे देखने लगी
मुझे डर लगने लगा था उसके ऐसे देखने से ओर मैं ज़्यादा बेचैन होने लग जाता था जब
भी वो ऐसे मुझे देखती थी,,,,,,
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12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तू मेरे से दूर रहा कर मेरे इतने करीब मत आया कर,,पता नही मुझे क्या हो जाता है जब'
भी तू मेरे करीब आती है,,,तू मेरी बेहन है ओर मैं तेरा भाई लेकिन जब भी तू करीब आती
है तो पता नही मुझे क्या हो जाता है एक अजीब से बेचैनि होने लगती है,,,ओर प्लीज़ तू ऐसे
मत देखा कर मेरी तरफ मुझे डर लगने लगता है तेरे से दिल ऑर ज़्यादा बेचैन हो जाता है
,,,ऑर मैं तुझे तेरे लिए नही चाचा जी के लिए यहाँ लेके आया हूँ ,,,,,,,,,ऑर प्लीज़ दोबारा से'
कभी मेरे करीब आने की कोशिश भी मत करना ये मेरी रिक्वेस्ट है तेरे से प्लीज़,,,


मैने इतना बोला ऑर छत से नीचे चला गया ऑर सोनिया वहीं खड़ी मुझे देखती रही ,,,, 


मुझे पता नही क्या हो गया था मैं नीचे अपने रूम मे गया ऑर जल्दी से कपड़े लेके 
बाथरूम मे चला गया ऑर शवर ऑन करके उसके नीचे खड़ा हो गया ,,,,मेरा जिस्म इतना
ज़्यादा गर्म हो गया था ऑर बेचैनी इतनी ज़्यादा हो गई थी कि मुझे गबराहट होने लगी थी जैसे
ही शवर के नीचे खड़ा हुआ तो कुछ शांति मिली मुझे,,,,,,,,,,उस एक पल मे आग लग गई थी
मेरे जिस्म मे जब सोनिया मेरे से चिपक कर खड़ी हुई थी,,,पता नही मैने खुद पर क़ाबू
कैसे किया ,,मुझे तो लगा था कि मैं मदहोशी मे कुछ पागलपन कर दूँगा लेकिन नही
मैने उस हालत मे खुद को क़ाबू कर लिया था लेकिन अब क़ाबू नही हो रहा था जल्दी से
लंड को पकड़ा ओर मूठ मारने लगा ऑर 2 मिनट मे ही पानी निकल गया क्यूकी सोनिया के साथ
चिपक कर खड़े होने से ही लंड का पानी निकलने वाला हो गया था ,,एक अजीब से कशिश थी 
उसमे एक अजीब खुश्बू थी उसकी जिसने लंड के पानी को एक ही मिनट मे निकाल दिया था,,,,

नहा धो कर जब बाहर निकला तो सोनिया भी नीचे आके बेड पर टांगे ज़मीन पर लटकाए
बैठी हुई थी,,,मैं सिर्फ़ टॉवेल मे था तो सोनिया ने एक नज़र मेरी तरफ देखा ऑर फिर से फेस
को दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैने भी उसकी तरफ ध्यान नही दिया ऑर कपड़े चेंज करके 
वहाँ से बाहर चला गया,,,,,जैसे ही उस घर से निकल कर चाची जी के घर की तरफ जा रहा था 
तभी चाचा जी के घर से माँ निकल कर मेरी तरफ आ गई,,,,,

सोनिया कहाँ है,,,,,,,,माँ ने आते ही पूछा,,,,,,,,,

वो अपने रूम मे है शायद आराम करने लगी है,,,,,,,मैने जवाब दिया,,,,

तभी माँ ने मेरा हाथ पकड़ा ऑर चाची जी के घर की तरफ वापिस लेके जाने लगी लेकिन वो 
मुझे चाची जी के घर नही लेके गई बल्कि चाचा जी के घर के पीछे ले गई जहाँ पर उनकी
गाय भेंसे बँधी हुई थी ,,,,,,,वो एक बड़ा सा आँगन था जिसमे करीब 30-40 गाय
थी ,,,माँ मुझे अंदर ले गई ऑर सामने एक छोटा सा रूम था जहाँ अंदर मामा खड़ा हुआ
था ,,माँ मुझे उसी रूम मे ले गई ऑर जाते ही दरवाजा बंद कर लिया,,,,,,,इस से पहले मैं
कुछ समझ पाता माँ ने मेरे लिप्स को कस्के अपने लिप्स मे जाकड़ लिया ऑर पागलो की तरह किस
करने लगी ऑर जल्दी से अपने ब्लाउस के बटन भी खोल दिए ऑर मेरे हाथ पकड़ कर अपने बड़े
बड़े बूब्स पर रख दिया,,,,,,,

कितना तड़प रही थी मैं तेरे लिए बेटा अच्छा हुआ तू यहाँ आ गया पीछे कुछ दिनो से सिर्फ़ तेरे
मामा के लंड से गुज़ारा कर रही थी आज तो जमके मज़ा लूँगी अपने बेटे ऑर भाई के लंड से
इतने बोल कर माँ ने मेरे लंड को पॅंट के उपर से ही पकड़ कर कस्के दबा दिया,,,,,,

रूको माँ कोई आ जाएगा यहाँ ,,,,,,मैने कहा

तभी मामा बोला,,,,,,,,,,,,,कोई नही आता बेटा यहाँ,,,बस एक काम वाली है जो यहाँ आके जानवरों
को चारा डालती है लेकिन वो सुबह 4 बजे आती है चारा डालके ऑर दूध निकाल के 7-8 बजे
चली जाती है फिर शाम को 5-6 बजे आती है,,,यहीं पर तो पिछले दिनो से मैं ऑर तेरी माँ 
मस्ती कर रहे है,,

मैं--लेकिन चाचा ऑर चाची जी,,,,,,,,,,

माँ--बेटा तू टेन्षन मत ले कोई नही आता यहाँ वैसे भी चाचा मेडिसिन लेके सो चुका है ऑर
चाची सारी रात चाचा के पास बैठ कर जागती रहेगी इसलिए अब वो भी सो गई है तू किसी बात
की फ़िक्र मत कर बस मस्ती कर 

मैं अभी मामा से बात कर रहा था कि माँ ने मेरी पॅंट को खोल कर मेरे लंड को मुँह 
मे भर लिया मेरा लंड तो पहले से सोनिया की वजह से आग मे जल रहा था अब तो बस अपना
जलता हुआ लावा उगलने का इंतजार कर रहा था अब माँ की वजह से पूरी आग भुजा दूँगा 
अपने लंड की ओर माँ की चूत की भी मैने भी जल्दी से मस्ती मे आके माँ के सर को कस्के 
पकड़ लिया ओर उधर मामा ने अपें कपड़े निकल दिए ओर नंगा हो गया ऑर लंड को हाथ मे
लेके मसल्ते हुए माँ के करीब आ गया माँ ने मेरे लंड को चूस्ते हुए अपना ब्लाउस ऑर
ब्रा निकाल दी थी ऑर उपर का जिस्म नंगा हो गया था ,,,ऑर मुझे भी आँखों से इशारा कर दिया
कि मैं भी अपने कपड़े निकाल दूं मैने भी इशारा मिलते ही अपनी टी-शर्ट निकाल दी जबकि 
माँ ने मेरी पॅंट को मेरी टाँगों से अलग करके साइड मे फेंक दिया अब मैं ऑर मामा जी
बिल्कुल नंगे थे जबकि माँ पेटिकोट पहने उपर वाला जिस्म नंगा करके घुटनो के बल बैठ
कर मेरे लंड को मुँह मे लेके चूस रही थी ऑर साथ ही एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए 
एक हाथ से मामा के लंड को मूठ मार रही थी फिर कुछ देर बाद माँ ने मेरे लंड को 
हाथ से हिलाना शुरू किया ऑर मामा के लंड को मुँह मे भर लिया ऑर पूरा अंदर लेके चूसने
लगी माँ तो बहुत अच्छी खिलाड़ी थी इस खेल की जो पूरा लंड मुँह मे लेके चुस्ती थी चाहे वो 
लंड 9 इंच लंबा ही क्यूँ ना हो माँ पूरे लंड को मुँह मे लेके अपनी ज़ुबान को मुँह से
बाहर निकाल देती ताकि ऑर ज़्यादा लंड मुँह मे ले सके लेकिन ऑर लंड बचा ही कहाँ था पहले
से मामा का पूरा लंड माँ के मुँह मे था ऑर मामा के लंड की बॉल्स माँ के चेहरे के नीचे
टकरा रही थी ,,माँ बारी बारी से कभी मेरा ऑर कभी मामा का लंड चूस रही थी जब एक
लंड को चुस्ती तो दूसरे को हाथ मे लेके मसल्ने लगती ऑर एक हाथ से चूत को सहलाती रही,,

फिर कुछ देर बाद माँ उठी ऑर पीछे की तरफ जाके एक पुराना मॅट्रेस निकाला जो चारे की
बोरियों के पीछे पड़ा हुआ था ऑर उसको ज़मीन पर बिछा दिया ऑर तभी मामा आगे होके
मॅट्रेस पर पीठ के बल लेट गया ऑर माँ जल्दी से मामा के उपर चढ़ गई ऑर लंड को अपनी
चूत मे ले लिया फिर मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया ऑर मेरे लंड को मुँह मे भर
लिया ,,,

,नीचे से मामा माँ की चूत मे लंड डालके चोदने लगा हुआ था ऑर उपर से मैं 
माँ के मुँह मे लंड डालके माँ के मुँह को चोद रहा था,,माँ लंड चूसने मे काफ़ी स्पीड
दिखा रही थी जिस से लंड के तेज़ी से अंदर बाहर होने से माँ के मुँह से थूक निकल कर
उनके चेहरे से होता हुआ उनके बूब्स पर गिरने लगा था माँ एक हाथ को मामा की छाती से
लगा कर एक हाथ से अपने बूब्स को मसल रही थी ,,बूब्स पर थूक गिरने से बूब्स काफ़ी 
चिकने हो गये थे ऑर गोरे रंग के बूब्स तो काफ़ी चमकने लगे थे ,,मामा माँ की गान्ड
को कस्के अपने हाथों से पकड़ कर माँ को तेज़ी से उपर नीचे करते हुए अपने लंड पर ज़ोर
ज़ोर से उछाल रहा था ऑर पूरे जोश से माँ की चुदाई कर रहा था जबकि मैने माँ के सर को
कस्के अपने हाथों मे पकड़ा हुआ था ऑर तेज़ी से लंड को माँ क मुँह मे घुसा रहा था अब
माँ ने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला हुआ था ऑर मेरा लंड पूरा माँ के मुँह मे घुसने 
लगा था मेरा आधा लंड माँ के मुँह मे जबकि आधा लंड गले से नीचे उतरने लगा था 
ऑर मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था तभी माँ ने मेरे लंड को मुँह से निकालने के लिए
अपने सर को थोड़ा पीछे कर लिया जिस से मेरा लंड माँ के मुँह से निकल गया ऑर तभी माँ ने
मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उनके पीछे जाने को बोला ऑर खुद मामा की छाती पर सर रखके
आगे की तरफ़ झुका कर गान्ड को हल्का सा उपर उठा दिया मैने भी पीछे जाके थोड़ा सा थूक
हाथ मे लगाया ऑर फिर उसको माँ की गान्ड पर लड़ा दिया फिर लंड को हाथ मे पकड़ कर एक
ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया माँ की गान्ड मे ,,,,,,,,,,,

आआआहह उउउउउउउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हहययइईईईई
द्ढहीररी द्दाल ब्बेटया ददार्रद्द हूटता हहाइी त्त्ीररीई माआ कककूऊ आआअहह
उउउहह ,,,,,,,,,,,,,,सॉरी मा वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,क्कूविईई बाआटततटटटटतत्त
न्नाहहिि ब्बीत्त्ताअ ईीससीई ददार्र्र्दद्द म्मीई तत्तूओ आस्सल्लीइीइ माज्ज़जाअ आट्टाअ हहाइईइ
अओउर्रातत्ततत्त ककूऊव गगाआंन्ँदडड़ म्मार्रव्वाननी क्काअ ग्ग्गाअन्न्ंदड़ म्मईए
ददाआर्र्र्द्दद्ड न्ना हहूओ ततुउउउ क्क्य्या फ्फाय्यददाअ ग्गाअंन्दड़ म्मार्रांनी कक्का
ततुउउउ म्मीरीईइ फ्फीककरर म्मात्त्ट क्कार्र बास्स एआईसी हहिि टीज़्जजिि ससीए ल्लुउउन्न्ड्ड़ कूऊव
म्मीरीइ ग्गाअंन्दड़ म्मी ग्घूउसाताअ ररीह ऊरर जजूर्र ददार्ररर द्ड़हाककक्क्ीई
ल्ग्गाअत्ता ररीहह ततुउुज्झहही न्नाहहीी पपाटता त्तीररी ल्लुउन्न्ड्ड़ सीसी ल्लीइयईए म्‍मैईन्न
क्कीिट्त्न्ना त्टाद्दाप्प र्राहहीी टहिईीई ,,,,आआहह आब्ब्ब्बबब त्तीज्ज्ज्जीइ सस्सीए
कचछूड्द ब्बीतता म्मूउज़्झहही ऊरर जजूर्र ससी द्ड़हाक्का ल्लाग्गाअ ररूउक्कणन्ना
न्नाहहिईीई,,,,,,,,,,,,,मैने भी माँ की बात सुनते हुए तेज़ी से पूरा लंड माँ की गान्ड मे पेलते
हुए ज़ोर से धक्का मारना शुरू कर दिया ,,नीचे से मामा भी खुद को उपर उछाल उछाल
कर माँ की चूत मे लंड पेलने लगा माँ बस सिकियाँ लेती रही,,,,,,,,,,,,आज्ज्जज्ज एयेए र्राहहा
हहाइईइ ईत्त्न्ना ंमाज़्जाआ ज्जू ब्बतता न्नाहही स्साककत्तिीई ककब्बसससे त्तर्रस्स र्राहहीी
त्तहिि 2 लुन्न्ञन्ँद्द्द्द्ड ल्लीन्‍नी ककूऊव आहह ऊओररर ज्जूओर्र ससीए छ्छूड्डू 
आपपननीी माआ क्कूव ब्बीत्ताअ ,,तुउउंम बभीी आपपननीी ब्बीहानं क्कूव ऊर्रर्ररर
त्टीजजिई ससीए छ्छूड़दूव ब्बाहहिईीईई आअज्ज ततुउउंम द्दूओन्णनू ममिल्ल्लककाररर्र्र्र्र्ररर
पफहाआअद्दद्ड द्दद्ड़ूऊव म्मईररीि कचहूवततत ऊओरर गगाणनदडड़ कककूऊऊऊ
जज़ार्रा बभहिि ररीहहाआंम्म म्मात्ट क्कारंनाआ र्रांन्दडीई ब्बाआंन्ना क्कारररर
कच्छूड़दूव म्मूउज़्झहीई ,,,आअहह क्क्कीिट्त्न्ना ंमाज़्जा आ र्रहहा हहाऐईइ
आअहह उूुुउऊहह हहययययययईई,,,,,,,,मेरा लंड भी ऑर उधर
मामा का लंड भी तेज़ी से माँ की चुदाई करने मे लगा हुआ था उधर माँ की सिसकियाँ भी तेज़ी 
से निकल कर अपनी मस्ती को बयान कर रही थी,,,लेकिन माँ ज़्यादा ज़ोर से नही बोल रही थी उसकी आवाज़
उसी कमरे तक सीमित थी बस,,,,,,,,,,,
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12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कुछ देर बाद माँ ने मुझे हटने को बोला ओर मैने भी लंड को माँ की गान्ड से निकाल
लिया ऑर माँ भी उठकर खड़ी हो गई ऑर जल्दी ही पलट कर पीठ को मामा की तरफ कर दिया जबकि
अपनी चूत को मेरे सामने पेश कर दिया ऑर खुद के हाथों को बेड पर लगा कर सहारा लेते 
हुए पीठ की तरफ झुक कर मामा के उपर हो गई मामा ने अपने लंड को माँ की गान्ड मे 
डाल दिया ऑर उपर से मैं माँ के उपर चढ़ गया ऑर लंड को माँ की चूत मे घुस दिया ऑर
जल्दी से माँ के एक बूब को मुँह मे भर लिया,,,,,माँ ने अपनी टाँगों को पूरी तरह खोल
दिया था ऑर मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर माँ के हल्का सा उपर की तरफ झुक गया था ऑर 
माँ के बूब को चूस्ते हुए माँ की चूत मारने लगा ,,,,,आअहह ीसस्सीए हहिि ब्बीत्ताअ
त्तीज्जीइ ससीए छ्छूड़दूव आपपनन्ी माआ ककूऊ ऊओरर त्तीज्जी ससी ,,बहाररल्लूऊऊ
म्मेररीए प्पूउर्रीए ब्बूबब क्कू आपपंनी म्मूउउहह म्मीई ऊरर क्खहाआ ज्जाऊओ
ईसस्क्कूऊ आअहह ,,,,,,,,, मैने माँ के एक बूब को तो कभी दूसरे को तेज़ी से चूसने ऑर
काटने लगा माँ भी मुझे ऑर तेज़ी से चूत चोदने को ऑर बूब्स चूसने को बोल रही थी मैने
माँ के चेहरे की तरफ देखा तो वो मुझे देख कर खुश थी उसने चेहरे पर खुशी ऑर एक
पूरी तरह से संतुष्टि की झलक थी वो बहुत ज़्यादा खुश थी आज मेरे से ऑर मामा से एक साथ'
चुदने के बाद,,,,मैं भी बहुत खुश था क्यूकी कुछ देर पहले छत पर सोनिया के गले 
लगने के बाद जो आग लगी थी मेरे जिस्म मे वो आग ना तो बाथरूम मे शवर के नीचे ठंडी
हुई थी ना ही बाथरूम मे मूठ मारने के बाद लेकिन अब वो आग माँ की चुदाई करके ठंडी
करने वाला था मैं अपने लंड के सुलगते लावे को माँ की चूत या मुँह मे निकालकर ऑर
माँ भी उस गर्म लावे को किसी शरबत की तरह पीने वाली थी,,,,,,,माँ इतनी ज़्यादा मस्त ऑर
खुश हो गई थी कि तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए माँ की चूत ने पानी छोड़ दिया था लेकिन माँ ने
मुझे या मामा को रुकने को नही बोला था बल्कि आगे भी चुदाई के मज़ा लेना शुरू कर 
दिया था

चुदाई करते टाइम मामा तो कुछ नही बोलता था ऑर ना ही सिसकियाँ लेता था वो बस चुप चाप
शांति से चुदाई करता था लेकिन उसकी चुदाई शांत नही होती थी बल्कि जोरदार ऑर धमाकेदार
होती थी,,,,,,माँ तो पक्की खिलाड़ी थी इसलिए टिकी रहती थी मामा के सामने लेकिन अगर कोई नया
खिलाड़ी दे दिया जाए मामा को तो पक्का वो जान ही निकाल देगा उसकी,,,एक तो 9 इंच का काला लंबा
लंड उपर से किसी फ़ौजी की तरह भरा हुआ शरीर,,,,अगर गली से कोई सील बंद लड़की मिल जाती
मामा को तो आज की डेट मे वो चोद चोद कर ही मार डालता उसको,,,,लेकिन मैं भी कम नही '
था जहाँ मामा का लंड काला ऑर लंबा था 9 इंच का वही मेरा लंड सांवला ऑर 9 इंच के 
करीब ही लंबा हो गया था अब तक लेकिन मोटा तो मामा के लंड से कहीं ज़्यादा था,,मेरे
को अगर किसी लड़की की सील तोड़नी पड़ती तो मुश्किल होती क्यूकी लड़की इतना दर्द नही बर्दाश्त कर
पाती ऑर इसका एक उदाहरण मनीषा से मिल चुका था मुझे जिसकी गान्ड से बहुत खून निकला था
जब मेरा मूसल गया था उसकी गान्ड मे ,,,,,,,लेकिन माँ को तो मेरे मूसल से प्यार हो गया
था वो खुद कहती थी कि इतना मज़ा विशाल ऑर मामा के लंड से नही आता जितना मेरे लंड से
आता है लेकिन एक साथ 2 लंड लेने मे ऑर भी ज़्यादा मज़ा आता है बल्कि माँ तो एक साथ 3 लंड
लेना चाहती थी एक टाइम पर,,,,,एक गान्ड मे एक चूत मे ऑर एक मुँह मे,,,,,,,,,,,

काफ़ी चुड़क्कड़ हो गई थी मेरी माँ लेकिन एक बात थी कि घर से बाहर किसी मर्द से नही 
चुदवाया था आज तक,,क्यूकी घर मे ही उसकी सारी खुजली दूर हो जाती थी बाहर जाने की कभी
ज़रूरत ही महसूस नही हुई थी,,,,,,,,


मैं माँ के उपर झुक कर माँ के बूब्स को चूस्ता हुआ लंड को तेज़ी से माँ की चूत मे पेल
रहा था जबकि मामा नीचे से माँ की गान्ड की धज्जियाँ उड़ा रहा था लेकिन माँ को चूत
ऑर गान्ड की धज्जियाँ उड़वाने मे ही असली मज़ा आता था इसलिए तो लगातार सिसकियाँ निकल रही 
थी माँ के मुँह से,,,,,,,,


,हम लोग करीब 20 मिनट से ऐसे ही चुदाई कर रहे थे इसी
बीच माँ एक बार पानी निकाल चुकी थी लेकिन ना तो मेरा ना ही मामा का पानी निकला था अभी
तक ,,,,तभी मुझे लगा कि माँ फिर से झड़ने वाली है ऑर मामा भी सिसकियाँ लेने लगे है
मामा तभी सिसकियाँ लेता है जबा पानी निकालने वाला होता है इसलिए मैने भी अपनी स्पीड
तेज करदी ताकि सबके साथ झड सकूँ ,,तभी माँ ने फिर से पानी निकाल दिया ऑर मामा ने भी
शायद पानी निकाल दिया था क्यूकी मुझे महसूस हो रहा था कि मामा अब रुक गया है ऑर माँ
की चुदाई नही कर रहा है तभी माँ ने मुझे हटने को बोला लेकिन मैने माँ की इशारा किया
कि मेरा भी बस होने ही वाला है तो माँ ने बोला कि बस कर बेटा बाकी का मेरे मुँह मे करले
मेरी चूत अब ऑर बर्दाश्त नही कर सकती इतना बोलते ही माँ ने मुझे साइड किया ऑर जल्दी से 
मामा के उपर से उतर गई मैने देखा कि माँ की गान्ड से मामा का पानी रिस्ता हुआ नीचे
मॅट्रेस पर गिरने लगा था लेकिन मेरा अभी तक नही हुआ था इसलिए माँ के नीचे उतरते ही
मैं वापिस माँ पर चढ़ गया इस से पहले माँ मुझे रोकती मैने लंड को माँ की चूत मे
घुसा दिया ऑर जल्दी से चुदाई करने लगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,ब्ब्ब्बासस्स क्कार्र ब्बीतता आब्ब्ब ऊरर
बबार्रददासशहतत न्नाहहिि हूत्ताआ ,,,हहययययईईई आआहह
आब्ब्बबब क्क्कय्या ज्जानन्न ल्लीगगाआ आआपपनन्िईीईई म्माआ क्क्कीईईई आअहह
म्‍म्माअरर्र्ररर गगग्गययईीीईई ,,,,,,,,,तभी माँ ने मामा की तरफ़ देखते हुए मामा को मुझे
हटाने को बोला लेकिन मामा वही लेटा हुआ हँस कर हमारी तरफ देखता रहा,,,,,,,,,,,क्यू बड़ा
दिल कर रहा था ना बेटे का लंड लेने को अब भुगतो ,,,,,,,,मामा फिर से हँसने लगा,,,,,,,,

बाआसस्स क्कार्र ब्बेटया म्माअरर ज्जाोउन्नगगीइ म्माईिईन्न्णणन् आहह ऊओरर न्नाहहीी
हूत्ताअ आब्ब्ब म्मीररीए ससीई आअहह हहाआत्तज्जा म्मेररीए उऊप्पाररर ससीए
आहह म्मार्र गगयइी,,,,,,,,,माँ ब्बास 2 ममिंनुउठती म्मीर्रा हहूननी हहिि
व्वाल्लाअ हहाइईइ इत्टना बोलके मैने स्पीड तेज करदी ऑर माँ के हाथों को मॅट्रेस पर 
दबा कर माँ के लिप्स मे अपने लिप्स जाकड़ दिए ताकि माँ कुछ बोल नही सके लेकिन फिर भी माँ
की दबी दबी दर्द भरी हल्की सिसकियाँ निकल रही थी,,,,मेरा बस होने ही वाला था इसलिए मेरी
स्पीड भी बहुत तेज थी लेकिन माँ से मेरा मूसल ऑर ज़्यादा बर्दाश्त नही हो रहा था अपनी 
चूत मे वो तड़प कर इधर उधर हिल रही थी लेकिन मैने भी कस्के पकड़ा हुआ था अपनी
माँ को ऑर तेज़ी से चुदाई कर रहा था तभी मुझे लगा कि मेरा पानी निलकलने वाला है तो मैं
जल्दी से उठा ऑर लंड को हाथ मे लेके माँ के मुँह के पास चला गया ऑर हाथ से लंड को तेज़ी
से सहलाते हुए सारा पानी माँ के मुँह मे निकाल दिया ऑर माँ ने भी सारा पानी पी लिया मैं'
वही साइड पर ज़मीन पर गिर गया ऑर तेज़ी से हाँफने लगा,,,,,,,माँ की हालत बहुत खराब हो गई
थी लेकिन मैं खुश था क्यूकी जितनी गर्मी थी मेरे जिस्म मे अब सब निकल चुकी थी माँ के
मुँह मे


जब हालत ठीक हुई तो माँ उठकर कपड़े पहनने लगी,,,,,,,,,,

सन्नी-अरे रूको ना माँ अभी मुझे ऑर करना है,,,,,,,,,

माँ--नही बेटा ये घर नही है जहाँ पूरा दिन नंगे रहके मस्ती करते रहे यहाँ तो बहुत ही
मुश्किल से टाइम मिलता है मस्ती करने का ,,,वैसे भी आज के लिए इतना काफ़ी है ऑर चूत चुदवा 
कर तेरे से चूत का भोसड़ा नही बनवाना मुझे,,,,एक बार मे ही जान निकाल दी मेरी दूसरी 
बार मे तो पक्का मार ही डालेगा,,,,,इतना बोलते बोलते माँ ने कपड़े पहन लिए ऑर मामा ने 
भी अपने कपड़े पहन लिए माँ अपनी साड़ी बाँध रही थी जबकि मामा तो कपड़े पहन कर
दरवाजे तक चला गया था माँ ने भी साड़ी के पल्लू को सेट किया ऑर मामा की तरफ बढ़ कर बाहर
जाने लगी तभी मैने माँ को हाथ पकड़ कर रोक लिया,,,,,,,जब तक मामा दरवाजा खोलकर 
बाहर जा चुका था ,,,,,

मामा--चलो बहना जल्दी करो कोई आ जाएगा,,,,,,,,,,,

माँ--देखो ना भाई ये सन्नी बच्चो की तरह ज़िद्द कर रहा है,,,,चल जल्दी कपड़े पहन ले सन्नी 
बेटा बाकी का हम बाद मे कर लेंगे,,लेकिन अभी नही अभी मुझे जाना है,,,,,लेकिन मैं नही
माना,,,,,मेरे अंदर तो आग लगी हुई थी जो इतनी जल्दी नही भुजनी थी इसलिए माँ ने मेरी हालत 
देखी ऑर मुझे लेटा कर जल्दी से मेरे लंड को हाथ मे लेके सहलाने लगी जबकि बाहर खड़े 
मामा को इशारा किया कि बाहर ध्यान रखे ऑर मेरे लंड पर झुक कर मेरे लंड को मुँह मे 
ले लिया ओर अच्छी तरह से चूस कर पानी निकाल दिया तब जाके मुझे चैन मिला ,,,फिर मैने भी
कपड़े पहने जब तक माँ ऑर मामा जी वहाँ से जा चुके थे,,,,,,

मैं वहाँ से बाहर निकला ऑर चाचा जी के घर चला गया ,,वहाँ मामा बाहर आँगन मे 
बैठा हुआ था जबकि माँ रसोई मे चली गई थी,,,दोपेहर का खाना तैयार करने ,,मुझे थोड़ी
थकान तो थी लेकिन माँ की चुदाई से सब थकान दूर हो गई थी लेकिन सोनिया शायद थकान
से चूर होके सो चुकी थी,,,,,,,,तभी चाची भी रूम से निकल कर बाहर मेरे ऑर मामा जी के
पास आ गई,,,,,हम लोग बैठ कर बातें करने लगे,,,,,,,ऑर माँ खाना तैयार करती रही,,,,

खाने बना कर माँ बाहर आई ऑर मुझे सोनिया को जगाने को बोला ऑर खाना खाने को बोला लेकिन
मैने माँ को मना कर दिया ऑर बोल दिया कि आप खुद जाके उसको उठा दो मुझे नही जाना,,,तो
माँ ने दोबारा मुझे नही बोला ऑर खुद जाके सोनिया को लेने चली गई,,,,,,,,कुछ देर बाद सोनिया
माँ के साथ वहाँ आ गई फिर हम लोगो ने खाना खाया ऑर चाचा जी के रूम मे चले गये 
ऑर वहीं बैठ कर बातें करते रहे,,,,दोपेहर से शाम कब हो गई पता ही नही चला,मैने
रूम मे सबका मनोरंजन करने के लिए एक से बढ़ कर एक जोक सुनाया सब लोगो का हँस हँस के
बुरा हाल था चाचा जी भी बहुत खुश थे लेकिन एक शक्स था जो झूठी हसी हँस रहा था वो
थी सोनिया,,,दिल से उदास थी लेकिन चेहरे पर झूठी मुस्कान लेके सबको जता रही थी कि वो भी
बहुत खुश है,,,,,,,,,,,शाम को डॉक्टर आ गया चेक-अप करने के लिए उसने हम सब लोगो को रूम से
बाहर निकाल दिया ऑर खुद चाचा जी का चेक-अप करने लगा,,,,,,,,,,,,कुछ देर बाद वो भी 
बाहर आ गया,,,,,,,,,
Reply
12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
डॉक्टर--आज तो कमाल ही हो गया ,,,,किशन लाल जी की तबीयत मे तो बहुत फरक आ गया है,,,,,,

क्या मतलब डॉक्टर साहब,,,,,,,चाची जी ने पूछा,,,,,,,,,

डॉक्टर--मेरा मतलब है कि आज उनकी हालत मे बहुत सुधार है पहले के मुक़ाबले,,,लगता है किसी वजह
से वो बहुत खुश है,,,,,

तभी चाची ने मेरे ऑर सोनिया की तरफ़ उंगली करते हुए बोला,,,,,,,,डॉक्टर साहिब ये दोनो है उनकी
खुशी की वजह ,,,,,,

मैने ऑर सोनिया ने डॉक्टर को नमस्ते बोला ऑर उसने भी हमे रिप्लाइ किया,,,,,,,,

डॉक्टर--अच्छा तो ये शहरी लोगो ने हमारे चाचा जी को इतना खुश किया है कि उनकी हालत सुधरने लगी
है,,,,ये तो बहुत अच्छी बात है क्यूकी खुशी से एक आस जगी है उनके दिल मे फिर से जीने की आस
उनका फिर से दिल कर रहा है अपनी ज़िंदगी जीने को,,,,,

चाची---क्या मतलब डॉक्टर,,,,,,,,,

डॉक्टर--देखिए पुष्पा देवी जी किशन लाल वैसे तो बहुत बीमार है अभी लेकिन जैसे पहले वो जीने की
आस ही खो चुके थे ऑर ज़्यादा बीमार हो गये थे ,,लेकिन अब उनके दिल मे फिर से जीने की
आस पैदा हो गई है,,,जैसे इंसान को जीने के लिए सिर्फ़ साँस लेने की ज़रूरत नही बल्कि जीने का
कोई मकसद भी होना चाहिए जैसे परिवार मे हसना खेलना ,,,,बच्चों से प्यार करना,,मुझे
लगता है इन बच्चो के आने से उनको जीने की नयी उम्मीद मिली है शायद इसलिए उनकी हालत मे आज
बहुत सुधार हुआ है,,,अगर ऐसा ही रहा तो कुछ दिनो मे वेंटिलेटर मशीन की भी ज़रूरत
नही रहने वाली आपको,,बस वो ऐसे ही हँसते रहे ऑर खुश रहे,,हो सके तो अपने मेहमानो को
कुछ दिन तक यहीं रोक लीजिए,,,इतने मे केवल भी वहाँ आ गया ऑर डॉक्टर की बात सुनके बहुत 
खुस हो गया,,,,,

लेकिन डॉक्टर साहिब बच्चे तो आज ही आए है कुछ देर पहले ऑर इतनी देर मे भी चाचा जी की तबीयत
मे सुधार आ गया क्या,,,,,चाची ने डॉक्टर से पूछा,,,,,,

डॉक्टर--जी पुष्पा देवी जी,,,मैने चेच अप किया है हालत पहेल से बेहतर है इनकी,,,आप खुद सोचो कि कुछ
ही देर पहले ये लोग आए है ऑर चाचा जी की तबीयत मे इतना सुधार हो गया है तो ज़रा सोचो कि अगर
ये लोग कुछ दिन यहीं रुक जाए तो चाचा जी की तबीयत ऑर भी ज़्यादा ठीक हो जाएगी,,,,इसलिए तो मैं आपको
बोल रहा हूँ इनको यहाँ रोकने के लिए,,,,,,

चाची---जी डॉक्टर हम इन बच्चो को जल्दी नही जाने देंगे यहाँ से,,इनकी ही मेहरबानी से ये 
आज इतने खुश है,,,,,,,,,,तभी चाची ने उठकर मुझे ऑर सोनिया को फॉरहेड पर चूम लिया 
क्यू बच्चो क्या बोलते हो अब जल्दी शहर जाने की बात तो नही करोगे ना,,,,,,,

मामा--चाची जी सन्नी को तो कोई प्राब्लम नही है जितनी मर्ज़ी छुट्टियाँ करवा लो कॉलेज से लेकिन इस 
सोनिया का कुछ नही कह सकते इसको तो खुद बुखार हो तो भी कॉलेज चली जाती है,,,,

क्यूकी बेटी तू कुछ दिन रुकेगी ना अपने बूढ़े चाचा चाची के पास,,,,इतना बोलते ही चाची 
ने सोनिया को बाहों मे भर लिया,,,,,,,,

सोनिया--क्यू नही चाची जी मैं ज़रूर रुकूंगी अगर मेरे रुकने से चाचा जी ठीक होते है तो जब तक
आपका दिल करे मैं रुकने को तैयार हूँ,,,,,,,,,,

तभी डॉक्टर ने सबसे अलविदा ली ऑर हम दोनो को कुछ दिन यहीं रहने की बात बोलके वहाँ से 
चले गये,,,,,,,,,,,,,,


मैं तो बहुत खुश था गाँव आने से ,,,अब ज़्यादा नही तो कम से कम 10 दिन तो पक्का छुट्टी
होने वाली थी कॉलेज से,,,,,वैसे अगर चाहते तो मुझे तो एक महीना भी रोक लेते तो कोई टेन्षन
नही थी मुझे,,,,


रात को हम लोगो ने खाना खाया ऑर कुछ देर वही चाचा जी के पास बैठ कर बातें करने
लगे,,,,मैने भी एक बात नोट की थी कि सुबह चाचा जी को बार बार वेंट्लेटर से साँस लेनी
पड़ रही थी लेकिन अभी वो आराम से साँस ले रहे थे ऑर अभी आवाज़ भी थोड़ी उँची हो गई थी
डॉक्टर सच कह रहा था उनकी हालत मे सुधार हो रहा था,,,,,,फिर रात ज़्यादा हो गई ,,केवल
तो कबका जाके सो चुका था चाची ने हम सब लोगो को भी आराम करने को बोला ताकि अब चाचा 
जी भी आराम कर सके,,,,,

मामा तो बाहर आँगन मे सो गया था जबकि माँ एक साइड वाले रूम मे चली गई ऑर चाची
चाचा के रूम मे ही रहने वाली थी,,,,मैं ऑर सोनिया भी अपने रूम की तरफ चल पड़े,,,,रूम
मे जाते ही मैने बाथरूम मे जाके शवर लिया ओर चेंज कारके एक पिल्लो ऑर एक चद्दर
उठाई ऑर रूम से बाहर आने लगा,,,,,,


सोनिया--कहाँ जा रहे हो भाई,,,,,,,

,मैं जाते जाते दरवाजे पर रुक गया सोनिया की आवाज़ सुनके,,,,,,लेकिन
मैं वापिस नही पलटा ऑर वैसे ही उसकी बात का जवाब देने लगा,,,,,

सन्नी--मैं बाहर सोने जा रहा हूँ,,,,,,,,मुझे नही लगता कि अब हम दोनो को एक रूम मे सोना 
चाहिए,,,,,,,,इतना बोलकर मैं वहाँ सेचला गया,,,,,,,,,,,मैं रूम से निकल तो गया था लेकिन
अब सोना कहाँ था ये नही पता था मैं उपर वाले फ्लोर की तरफ चला गया जहाँ एक बड़ा
हॉल था जिसमे सोफा पड़ा हुआ था मैं उसी सोफे पर लेट गया,,,वहाँ कोई एसी नही था लेकिन गाँव 
मे गर्मी शहर के मुक़ाबले बहुत कम थी फिर भी छत वाले फॅन के नीचे सोने मे मुझे
दिक्कत हो रही थी क्यूकी हॉल मे विंडो क्लोज़ थी मैने विंडो इसलिए ओपन नही की थी क्यूकी
गाँव मे मच्छर बहुत थे,,,गर्मी मे तो सो सकता था लेकिन मच्छरों मे तो बिल्कुल भी नही,,,
काफ़ी देर तक लेटा रहा लेकिन नींद नही आई,,,मोबाइल निकाला ऑर मोबाइल पर गेम खेलने लगा 
टाइम देखा तो रात के 1 बजे थे,,,,

मैं गेम खेल रहा था तभी मुझे सीडियों की तरफ से एक साया मेरी तरफ आता नज़र आया ऑर
वो साया मेरे पास आ गया,,वो सोनिया थी,,,,,,,

सोनिया--भाई तुम उपर क्यूँ आ गये,,,,,,,उसने बड़ी उदासी से पूछा,,,,

सन्नी-कुछ नही बस ऐसे ही ,,,मेरा दिल नही किया नीचे सोने को,,,,,मैने बड़े रूखे ओर रूड अंदाज़
मे उसको जवाब दिया,,,,,,,,,,

सोनिया--भाई मुझे अकेले नींद नही आ रही,,,जैसे आपको भी नही आ रही ,,तभी तो मोबाइल पर गेम
खेल रहे हो,,,,,,,उसने फिर से उदासी से बोला,,,,,,,,

सन्नी--नींद बस आने ही वाली थी कि तुम आ गई,,,,अब जाओ नीचे मुझे सोने दो ,,मैने फिर से रूड 
तरीके से बोला उसको,,,,,

सोनिया--भाई मुझे नींद नही आ रही बोला ना,,,अब उसका लहज़ा थोड़ा गर्म था,,,आपको पता है ना
मैं बचपन से आपके साथ सोती हूँ ,,,,,,,,,,अकेले सोना मुश्किल है मेरे लिए,,,

सन्नी--जानता हूँ लेकिन नीचे रूम मे एक ही बेड है जबकि अपने रूम मे 2 बेड है तुम्हारा ऑर मेरा
बेड अलग अलग था,,,मुझे एक बेड पर नही सोना तेरे साथ,,,,,,,,

तभी उसने नज़रे झुका ली,,,ऑर बड़े शांत अंदाज़ मे बोली,,,,,,,,हम लोग बेड अलग कर लेते है
भाई लेकिन प्ल्ज़्ज़ तुम नीचे चलो मुझे अच्छा नही लग रहा अकेले सोना ऑर तुम्हारा ऐसे यहाँ
बिना एसी के सोना,,,देखो कितनी गर्मी है यहाँ,,,उसने अपने माथे से पसीना पोछते हुए बोला,,
भाई चलो ना नीचे,,,,मुझे नींद नही आएगी अकेले,,,,,,,,,

सन्नी--जब कविता के घर जाती है तब भी तो नींद आती है ना तुझे तो अब भी जाके चुपचाप सो जाओ
मुझे तंग मत करो,,,,,,,,,,,

सोनिया--तब कविता होती है ना साथ मे भाई,,,,इसलिए नींद आ जाती है,,,,,,,

सन्नी--ठीक है तो मेरे को तंग ना कर जाके माँ को बुला ले नही तो चाची को मुझे नही जाना
नीचे ,,,मुझे यहीं सोना है,,,,तू समझती क्यूँ नही मेरी बात को,,,,,जा यहाँ से अब गुस्सा मत
दिला मुझे,,,,,,,,

तभी उसने मेरे हाथ से मेरा मोबाइल छीन लिया ऑर मेरी चद्दर भी खींच ली,,,,,,अब सही
तरीके से नीचे चलता है ब्लककी या 2 कान पे मार कर लेके चलूं,,,,,,उसने अपने हिट्लर वाले
अंदाज़ मे बोला तो मैं थोड़ा डर गया लेकिन मैने भी हिम्मत नही हारी ऑर उसको ये भी शो
नही किया कि मैं डर गया हूँ,,,,,,,,,,

सन्नी--मुझे नही जाना कहीं तुम जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,वो मेरी चद्दर खींच रही थी ऑर मैं 
भी अपनी चद्दर को अपने हाथों से उसको खींचने से रोक रहा था तभी मेरा ज़ोर कुछ 
ज़्यादा लग गया चद्दर पर ऑर वो मेरे उपर गिर गई,,,,उसका आधा जिस्म मेरे जिस्म के उपर था
जबकि जिस चद्दर की वजह से ये सब हुआ वो ज़मीन पर पड़ी थी,,,उसके गिरने से उसके छोटे-2
बूब्स मेरी छाती से दब गये ऑर एक ही पल मे मेरी हालत खराब होने लगी,,उसका फेस मेरे
शोल्डर के पास था जबकि मेरा फेस उसके शोल्डर के पास था,,,मेरी साँसे उसके कान के
पास गले के करीब टकरा रही थी ऑर उसकी साँसे भी मेरी गर्दन पर टकरा रही थी मैने कुछ
अजीब महसूस किया,,,उसकी हार्टबीट तेज हो गई थी जिसकी हलचल मुझे मेरी छाती पर महसूस
हो रही थी ऑर साथ मे उसकी साँसे भी कुछ गरम हो गई थी,,,,उसकी गर्म साँसे मेरे कान मे
उतर कर मेरे पूरे जिस्म मे दौड़ रही थी ऑर मुझे पागल कर रही थी,,,ये सब कुछ ही पल
मे हो गया था लेकिन कुछ पल मे ही मेरे दिल मे एक तूफान उठने लगा था,,तभी उसने अपने
हाथ मेरी चेस्ट पर रखे ऑर खुद को उपर उठाने की कोशिश की लेकिन वो उपर नही उठ पा रही
थी तभी मेरी गान्ड फॅट गई मैने महसूस किया कि मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे,,,ये कैसे
हुआ ,,,मेरे हाथ इसकी पीठ पर कैसे गये ,,अब तो मैं गया काम से ,,,ये नही छोड़ने वाली अब
मुझे मैं अपने हाथ उसकी पीठ से हटाना चाह रहा था लेकिन मेरे हाथों को कुछ ऑर ही
मंजूर था,,,वो उसकी पीठ से हटने की जगह उसकी पीठ के मखमली एहसास का लुफ्त लेना
चाहते थे ऑर एक ही पल मे मेरे हाथ उसकी पीठ पर प्यार से सहलाने लगे ऑर उसको मेरे उपर
से उठने के लिए रोकने लगे,,,इतनी देर मे मैने महसूस किया कि उसकी हार्ट बीट पहले से भी 
ज़्यादा तेज हो गई थी ऑर उसकी साँसे भी पहले से ज्याद गर्म होने लगी थी लेकिन साथ ही उसकी
साँसे उखाड़ने भी लगी थी उसने फिर से अपने हाथों के हल्के ज़ोर को मेरी छाती पर लगा कर
उपर उठने की कोशिश की ऑर अब वो कामयाब भी हो गई थी,,,,अब उसका फेस मेरे फेस से करीब 
6 इंच दूर था ,,,,वो मेरी आँखों मे देख रही थी ऑर मैं उसकी आँखों मे मेरी आँखों मे
तो वासना थी जबकि उसकी आँखों मे भी हल्की मदहोशी छाने लगी थी तभी मेरे दोनो
हाथों मे से एक हाथ जो उसकी पीठ को सहला रहे थे उनमे से एक हाथ उसके सर की तरफ़ जाने
लगा ऑर देखते ही देखते मेरे हाथ ने उसके बालों को सहलाना शुरू कर दिया ऑर इस से पहले
वो ऑर उपर उठती मेरे हाथ ने उसके सर को सहलाते हुए नीचे मेरे सर के करीब लाना शुरू 
कर दिया वो हल्का ज़ोर तो लगा रही थी लेकिन मेरे ज़ोर के आगे उसका ज़ोर बेकार था तभी मैने 
देखा कि उसकी आँखें बंद हो गई ऑर उसने ज़ोर लगाना भी बंद कर दिया था तब तक मेरे हाथ
ने उसके सर को सहलाते हुए मेरे करीब कर दिया था ऑर एक ही पल बाद मेरे जिस्म मे एक तेज
तूफान उठा जिस से मेरे पूरे बदन मे आग लग गई उसके सॉफ्ट लिप्स मेरे लिप्स के उपर थे ,,,


मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरे लिप्स पर जलता हुआ कोयला रख दिया था लेकिन फ़र्क सिर्फ़
इतना था कि ये कोयला गुलाब की पंखुड़ी की तरफ पिंक ओर सॉफ्ट था मैने हाथ से उसके सर को 
बड़े प्यार से सहलाते हुए उसके लोवर लिप्स को बड़े आराम से बिना कोई जल्दी किए अपने लिप्स मे भर
लिया तभी उसने मेरी चेस्ट को अपने हाथों की फिंगर्स से कस्के जकड लिया उसके बड़े बड़े 
नाख़ून मेरी चेस्ट के मास मे धँसने लगे थे,,जैसे ही मैने उसके लोवर लिप्स को पूरा अपने
लिप्स मे भरके चूसना शुरू किया उसके हाथों की पकड़ भी मेरी चेस्ट पर कसने लगी ऑर उसकी
उंगलिया पूरे ज़ोर से अपने नाखूनो से नोच कर मेरी चेस्ट पर से माँस को अलग करने लगी
थी,,,मुझे बहुत दर्द ऑर जलन महसूस हो रही थी लेकिन ये जलन ऑर दर्द उस मस्ती के आगे
कुछ नही था जो मुझे उसके लिप्स को किस करने से मिल रही थी,,मैने उसके लोवर लिप्स को पूरा 
मुँह मे भर लिया ऑर चूसने लगा ऑर तभी मेरे हाथ भी उसके सर ऑर पीठ पर सहलाने मे
लगे हुए थे,,,मस्ती मे आके उसने भी अपने मुँह को थोड़ा सा खोल दिया लेकिन ऑर कोई हरकत नही
की लेकिन मेरे लिए उसका इतनी हरकत करना ही काफ़ी था,,उसके लिप्स हल्के से खुले ही थे कि मैने
अपनी ज़ुबान को उसके मुँह मे घुसा दिया ऑर उसकी ज़ुबान को उसके मुँह के अंदर अपनी ज़ुबान से
टच करने लगा ओर फिर अपने दोनो लिप्स उसके लिप्स से जाकड़ दिए ऑर किस करके लगा लेकिन बड़े
प्यार ऑर सॉफ्ट्ली तरीके से उसके हाथ अब मेरी चेस्ट पर चलने लगे थे वो भी ज़ोर से नही बल्कि
बड़े प्यार भरे अंदाज़ से लेकिन ये प्यार भरा अंदाज़ एक ही पल मे ख़तम हो गया ,,,उसने 
जल्दी से ज़ोर लगा कर खुद के लिप्स को मेरे लिप्स से आज़ाद कर लिया ऑर जल्दी से उठकर बैठ गई ऑर
मेरी तरफ देखने लगी,,,,मैं भी उसकी तरफ देख रहा था तभी उसने मेरी छाती पर कस कस
के थप्पड़ मारने शुरू कर दिए मुझे दर्द होने लगा था लेकिन दर्द का एहसास नही हो 
रहा था ,,,जबकि वो थप्पड़ मार रही थी ऑर खुद दर्द से तड़प रही थी मुझे थप्पड़ 
मारते हुए उसकी आँखें नम होने लगी थी ,,,,थप्पड़ मारने से मुझे कोई दर्द नही हुआ लेकिन
उसकी आँखों मे आँसू देख मुझे बहुत हर्ट हुआ,,,,उसने करीब 15-20 थप्पड़ मारे मेरे
फिर उठकर अपनी आँखों से आँसू पोछते हुए तेज़ी से वहाँ से नीचे भाग गई ऑर मैं सोफे
पर लेटा-लेटा अब जो कुछ भी हुआ उसके बारे मे सोचने लगा,,,,,,,,ये क्या हो गया था एक ही पल 
मे ,,,,मेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि मैं हिट्लर सोनिया के साथ ऐसा कर गया ,,ऑर उसको क्या हो
गया था जो इतने गर्म ऑर तेज मिज़ाज की लड़की एक ही पल मे मेरी बाहों मे पिघल गई थी,,,,क्या 
उसको अच्छा लगा ये सब,,,या उसको अच्छा नही लगा इसलिए वो भाग गई,,,मुझे डर लगने लगा था
लेकिन अच्छा भी लग रहा था ,,,अजीब सी बेचैनी होने लगी थी,,,कुछ समझ मे नही आ रहा था
क्या ये ठीक हुआ जो मैने भी किया,,,,या ग़लत हुआ,,,लेकिन एक बात ने मुझे हर्ट कर दिया था
उसकी नम आँखों ने,,,उसके मासूम चेहरे पर आँसू अच्छे नही लगते थे,,,मुझे खुद 
पर गुस्सा आने लगा ,,,,इसी गुस्से ऑर बेचैनी मे मैं पूरी रात जागता रहा,,,,,,,,,
Reply
12-20-2018, 04:11 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
डॉक्टर--आज तो कमाल ही हो गया ,,,,किशन लाल जी की तबीयत मे तो बहुत फरक आ गया है,,,,,,

क्या मतलब डॉक्टर साहब,,,,,,,चाची जी ने पूछा,,,,,,,,,

डॉक्टर--मेरा मतलब है कि आज उनकी हालत मे बहुत सुधार है पहले के मुक़ाबले,,,लगता है किसी वजह
से वो बहुत खुश है,,,,,

तभी चाची ने मेरे ऑर सोनिया की तरफ़ उंगली करते हुए बोला,,,,,,,,डॉक्टर साहिब ये दोनो है उनकी
खुशी की वजह ,,,,,,

मैने ऑर सोनिया ने डॉक्टर को नमस्ते बोला ऑर उसने भी हमे रिप्लाइ किया,,,,,,,,

डॉक्टर--अच्छा तो ये शहरी लोगो ने हमारे चाचा जी को इतना खुश किया है कि उनकी हालत सुधरने लगी
है,,,,ये तो बहुत अच्छी बात है क्यूकी खुशी से एक आस जगी है उनके दिल मे फिर से जीने की आस
उनका फिर से दिल कर रहा है अपनी ज़िंदगी जीने को,,,,,

चाची---क्या मतलब डॉक्टर,,,,,,,,,

डॉक्टर--देखिए पुष्पा देवी जी किशन लाल वैसे तो बहुत बीमार है अभी लेकिन जैसे पहले वो जीने की
आस ही खो चुके थे ऑर ज़्यादा बीमार हो गये थे ,,लेकिन अब उनके दिल मे फिर से जीने की
आस पैदा हो गई है,,,जैसे इंसान को जीने के लिए सिर्फ़ साँस लेने की ज़रूरत नही बल्कि जीने का
कोई मकसद भी होना चाहिए जैसे परिवार मे हसना खेलना ,,,,बच्चों से प्यार करना,,मुझे
लगता है इन बच्चो के आने से उनको जीने की नयी उम्मीद मिली है शायद इसलिए उनकी हालत मे आज
बहुत सुधार हुआ है,,,अगर ऐसा ही रहा तो कुछ दिनो मे वेंटिलेटर मशीन की भी ज़रूरत
नही रहने वाली आपको,,बस वो ऐसे ही हँसते रहे ऑर खुश रहे,,हो सके तो अपने मेहमानो को
कुछ दिन तक यहीं रोक लीजिए,,,इतने मे केवल भी वहाँ आ गया ऑर डॉक्टर की बात सुनके बहुत 
खुस हो गया,,,,,

लेकिन डॉक्टर साहिब बच्चे तो आज ही आए है कुछ देर पहले ऑर इतनी देर मे भी चाचा जी की तबीयत
मे सुधार आ गया क्या,,,,,चाची ने डॉक्टर से पूछा,,,,,,

डॉक्टर--जी पुष्पा देवी जी,,,मैने चेच अप किया है हालत पहेल से बेहतर है इनकी,,,आप खुद सोचो कि कुछ
ही देर पहले ये लोग आए है ऑर चाचा जी की तबीयत मे इतना सुधार हो गया है तो ज़रा सोचो कि अगर
ये लोग कुछ दिन यहीं रुक जाए तो चाचा जी की तबीयत ऑर भी ज़्यादा ठीक हो जाएगी,,,,इसलिए तो मैं आपको
बोल रहा हूँ इनको यहाँ रोकने के लिए,,,,,,

चाची---जी डॉक्टर हम इन बच्चो को जल्दी नही जाने देंगे यहाँ से,,इनकी ही मेहरबानी से ये 
आज इतने खुश है,,,,,,,,,,तभी चाची ने उठकर मुझे ऑर सोनिया को फॉरहेड पर चूम लिया 
क्यू बच्चो क्या बोलते हो अब जल्दी शहर जाने की बात तो नही करोगे ना,,,,,,,

मामा--चाची जी सन्नी को तो कोई प्राब्लम नही है जितनी मर्ज़ी छुट्टियाँ करवा लो कॉलेज से लेकिन इस 
सोनिया का कुछ नही कह सकते इसको तो खुद बुखार हो तो भी कॉलेज चली जाती है,,,,

क्यूकी बेटी तू कुछ दिन रुकेगी ना अपने बूढ़े चाचा चाची के पास,,,,इतना बोलते ही चाची 
ने सोनिया को बाहों मे भर लिया,,,,,,,,

सोनिया--क्यू नही चाची जी मैं ज़रूर रुकूंगी अगर मेरे रुकने से चाचा जी ठीक होते है तो जब तक
आपका दिल करे मैं रुकने को तैयार हूँ,,,,,,,,,,

तभी डॉक्टर ने सबसे अलविदा ली ऑर हम दोनो को कुछ दिन यहीं रहने की बात बोलके वहाँ से 
चले गये,,,,,,,,,,,,,,


मैं तो बहुत खुश था गाँव आने से ,,,अब ज़्यादा नही तो कम से कम 10 दिन तो पक्का छुट्टी
होने वाली थी कॉलेज से,,,,,वैसे अगर चाहते तो मुझे तो एक महीना भी रोक लेते तो कोई टेन्षन
नही थी मुझे,,,,


रात को हम लोगो ने खाना खाया ऑर कुछ देर वही चाचा जी के पास बैठ कर बातें करने
लगे,,,,मैने भी एक बात नोट की थी कि सुबह चाचा जी को बार बार वेंट्लेटर से साँस लेनी
पड़ रही थी लेकिन अभी वो आराम से साँस ले रहे थे ऑर अभी आवाज़ भी थोड़ी उँची हो गई थी
डॉक्टर सच कह रहा था उनकी हालत मे सुधार हो रहा था,,,,,,फिर रात ज़्यादा हो गई ,,केवल
तो कबका जाके सो चुका था चाची ने हम सब लोगो को भी आराम करने को बोला ताकि अब चाचा 
जी भी आराम कर सके,,,,,

मामा तो बाहर आँगन मे सो गया था जबकि माँ एक साइड वाले रूम मे चली गई ऑर चाची
चाचा के रूम मे ही रहने वाली थी,,,,मैं ऑर सोनिया भी अपने रूम की तरफ चल पड़े,,,,रूम
मे जाते ही मैने बाथरूम मे जाके शवर लिया ओर चेंज कारके एक पिल्लो ऑर एक चद्दर
उठाई ऑर रूम से बाहर आने लगा,,,,,,


सोनिया--कहाँ जा रहे हो भाई,,,,,,,

,मैं जाते जाते दरवाजे पर रुक गया सोनिया की आवाज़ सुनके,,,,,,लेकिन
मैं वापिस नही पलटा ऑर वैसे ही उसकी बात का जवाब देने लगा,,,,,

सन्नी--मैं बाहर सोने जा रहा हूँ,,,,,,,,मुझे नही लगता कि अब हम दोनो को एक रूम मे सोना 
चाहिए,,,,,,,,इतना बोलकर मैं वहाँ सेचला गया,,,,,,,,,,,मैं रूम से निकल तो गया था लेकिन
अब सोना कहाँ था ये नही पता था मैं उपर वाले फ्लोर की तरफ चला गया जहाँ एक बड़ा
हॉल था जिसमे सोफा पड़ा हुआ था मैं उसी सोफे पर लेट गया,,,वहाँ कोई एसी नही था लेकिन गाँव 
मे गर्मी शहर के मुक़ाबले बहुत कम थी फिर भी छत वाले फॅन के नीचे सोने मे मुझे
दिक्कत हो रही थी क्यूकी हॉल मे विंडो क्लोज़ थी मैने विंडो इसलिए ओपन नही की थी क्यूकी
गाँव मे मच्छर बहुत थे,,,गर्मी मे तो सो सकता था लेकिन मच्छरों मे तो बिल्कुल भी नही,,,
काफ़ी देर तक लेटा रहा लेकिन नींद नही आई,,,मोबाइल निकाला ऑर मोबाइल पर गेम खेलने लगा 
टाइम देखा तो रात के 1 बजे थे,,,,

मैं गेम खेल रहा था तभी मुझे सीडियों की तरफ से एक साया मेरी तरफ आता नज़र आया ऑर
वो साया मेरे पास आ गया,,वो सोनिया थी,,,,,,,

सोनिया--भाई तुम उपर क्यूँ आ गये,,,,,,,उसने बड़ी उदासी से पूछा,,,,

सन्नी-कुछ नही बस ऐसे ही ,,,मेरा दिल नही किया नीचे सोने को,,,,,मैने बड़े रूखे ओर रूड अंदाज़
मे उसको जवाब दिया,,,,,,,,,,

सोनिया--भाई मुझे अकेले नींद नही आ रही,,,जैसे आपको भी नही आ रही ,,तभी तो मोबाइल पर गेम
खेल रहे हो,,,,,,,उसने फिर से उदासी से बोला,,,,,,,,

सन्नी--नींद बस आने ही वाली थी कि तुम आ गई,,,,अब जाओ नीचे मुझे सोने दो ,,मैने फिर से रूड 
तरीके से बोला उसको,,,,,

सोनिया--भाई मुझे नींद नही आ रही बोला ना,,,अब उसका लहज़ा थोड़ा गर्म था,,,आपको पता है ना
मैं बचपन से आपके साथ सोती हूँ ,,,,,,,,,,अकेले सोना मुश्किल है मेरे लिए,,,

सन्नी--जानता हूँ लेकिन नीचे रूम मे एक ही बेड है जबकि अपने रूम मे 2 बेड है तुम्हारा ऑर मेरा
बेड अलग अलग था,,,मुझे एक बेड पर नही सोना तेरे साथ,,,,,,,,

तभी उसने नज़रे झुका ली,,,ऑर बड़े शांत अंदाज़ मे बोली,,,,,,,,हम लोग बेड अलग कर लेते है
भाई लेकिन प्ल्ज़्ज़ तुम नीचे चलो मुझे अच्छा नही लग रहा अकेले सोना ऑर तुम्हारा ऐसे यहाँ
बिना एसी के सोना,,,देखो कितनी गर्मी है यहाँ,,,उसने अपने माथे से पसीना पोछते हुए बोला,,
भाई चलो ना नीचे,,,,मुझे नींद नही आएगी अकेले,,,,,,,,,

सन्नी--जब कविता के घर जाती है तब भी तो नींद आती है ना तुझे तो अब भी जाके चुपचाप सो जाओ
मुझे तंग मत करो,,,,,,,,,,,

सोनिया--तब कविता होती है ना साथ मे भाई,,,,इसलिए नींद आ जाती है,,,,,,,

सन्नी--ठीक है तो मेरे को तंग ना कर जाके माँ को बुला ले नही तो चाची को मुझे नही जाना
नीचे ,,,मुझे यहीं सोना है,,,,तू समझती क्यूँ नही मेरी बात को,,,,,जा यहाँ से अब गुस्सा मत
दिला मुझे,,,,,,,,

तभी उसने मेरे हाथ से मेरा मोबाइल छीन लिया ऑर मेरी चद्दर भी खींच ली,,,,,,अब सही
तरीके से नीचे चलता है ब्लककी या 2 कान पे मार कर लेके चलूं,,,,,,उसने अपने हिट्लर वाले
अंदाज़ मे बोला तो मैं थोड़ा डर गया लेकिन मैने भी हिम्मत नही हारी ऑर उसको ये भी शो
नही किया कि मैं डर गया हूँ,,,,,,,,,,

सन्नी--मुझे नही जाना कहीं तुम जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,वो मेरी चद्दर खींच रही थी ऑर मैं 
भी अपनी चद्दर को अपने हाथों से उसको खींचने से रोक रहा था तभी मेरा ज़ोर कुछ 
ज़्यादा लग गया चद्दर पर ऑर वो मेरे उपर गिर गई,,,,उसका आधा जिस्म मेरे जिस्म के उपर था
जबकि जिस चद्दर की वजह से ये सब हुआ वो ज़मीन पर पड़ी थी,,,उसके गिरने से उसके छोटे-2
बूब्स मेरी छाती से दब गये ऑर एक ही पल मे मेरी हालत खराब होने लगी,,उसका फेस मेरे
शोल्डर के पास था जबकि मेरा फेस उसके शोल्डर के पास था,,,मेरी साँसे उसके कान के
पास गले के करीब टकरा रही थी ऑर उसकी साँसे भी मेरी गर्दन पर टकरा रही थी मैने कुछ
अजीब महसूस किया,,,उसकी हार्टबीट तेज हो गई थी जिसकी हलचल मुझे मेरी छाती पर महसूस
हो रही थी ऑर साथ मे उसकी साँसे भी कुछ गरम हो गई थी,,,,उसकी गर्म साँसे मेरे कान मे
उतर कर मेरे पूरे जिस्म मे दौड़ रही थी ऑर मुझे पागल कर रही थी,,,ये सब कुछ ही पल
मे हो गया था लेकिन कुछ पल मे ही मेरे दिल मे एक तूफान उठने लगा था,,तभी उसने अपने
हाथ मेरी चेस्ट पर रखे ऑर खुद को उपर उठाने की कोशिश की लेकिन वो उपर नही उठ पा रही
थी तभी मेरी गान्ड फॅट गई मैने महसूस किया कि मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे,,,ये कैसे
हुआ ,,,मेरे हाथ इसकी पीठ पर कैसे गये ,,अब तो मैं गया काम से ,,,ये नही छोड़ने वाली अब
मुझे मैं अपने हाथ उसकी पीठ से हटाना चाह रहा था लेकिन मेरे हाथों को कुछ ऑर ही
मंजूर था,,,वो उसकी पीठ से हटने की जगह उसकी पीठ के मखमली एहसास का लुफ्त लेना
चाहते थे ऑर एक ही पल मे मेरे हाथ उसकी पीठ पर प्यार से सहलाने लगे ऑर उसको मेरे उपर
से उठने के लिए रोकने लगे,,,इतनी देर मे मैने महसूस किया कि उसकी हार्ट बीट पहले से भी 
ज़्यादा तेज हो गई थी ऑर उसकी साँसे भी पहले से ज्याद गर्म होने लगी थी लेकिन साथ ही उसकी
साँसे उखाड़ने भी लगी थी उसने फिर से अपने हाथों के हल्के ज़ोर को मेरी छाती पर लगा कर
उपर उठने की कोशिश की ऑर अब वो कामयाब भी हो गई थी,,,,अब उसका फेस मेरे फेस से करीब 
6 इंच दूर था ,,,,वो मेरी आँखों मे देख रही थी ऑर मैं उसकी आँखों मे मेरी आँखों मे
तो वासना थी जबकि उसकी आँखों मे भी हल्की मदहोशी छाने लगी थी तभी मेरे दोनो
हाथों मे से एक हाथ जो उसकी पीठ को सहला रहे थे उनमे से एक हाथ उसके सर की तरफ़ जाने
लगा ऑर देखते ही देखते मेरे हाथ ने उसके बालों को सहलाना शुरू कर दिया ऑर इस से पहले
वो ऑर उपर उठती मेरे हाथ ने उसके सर को सहलाते हुए नीचे मेरे सर के करीब लाना शुरू 
कर दिया वो हल्का ज़ोर तो लगा रही थी लेकिन मेरे ज़ोर के आगे उसका ज़ोर बेकार था तभी मैने 
देखा कि उसकी आँखें बंद हो गई ऑर उसने ज़ोर लगाना भी बंद कर दिया था तब तक मेरे हाथ
ने उसके सर को सहलाते हुए मेरे करीब कर दिया था ऑर एक ही पल बाद मेरे जिस्म मे एक तेज
तूफान उठा जिस से मेरे पूरे बदन मे आग लग गई उसके सॉफ्ट लिप्स मेरे लिप्स के उपर थे ,,,


मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरे लिप्स पर जलता हुआ कोयला रख दिया था लेकिन फ़र्क सिर्फ़
इतना था कि ये कोयला गुलाब की पंखुड़ी की तरफ पिंक ओर सॉफ्ट था मैने हाथ से उसके सर को 
बड़े प्यार से सहलाते हुए उसके लोवर लिप्स को बड़े आराम से बिना कोई जल्दी किए अपने लिप्स मे भर
लिया तभी उसने मेरी चेस्ट को अपने हाथों की फिंगर्स से कस्के जकड लिया उसके बड़े बड़े 
नाख़ून मेरी चेस्ट के मास मे धँसने लगे थे,,जैसे ही मैने उसके लोवर लिप्स को पूरा अपने
लिप्स मे भरके चूसना शुरू किया उसके हाथों की पकड़ भी मेरी चेस्ट पर कसने लगी ऑर उसकी
उंगलिया पूरे ज़ोर से अपने नाखूनो से नोच कर मेरी चेस्ट पर से माँस को अलग करने लगी
थी,,,मुझे बहुत दर्द ऑर जलन महसूस हो रही थी लेकिन ये जलन ऑर दर्द उस मस्ती के आगे
कुछ नही था जो मुझे उसके लिप्स को किस करने से मिल रही थी,,मैने उसके लोवर लिप्स को पूरा 
मुँह मे भर लिया ऑर चूसने लगा ऑर तभी मेरे हाथ भी उसके सर ऑर पीठ पर सहलाने मे
लगे हुए थे,,,मस्ती मे आके उसने भी अपने मुँह को थोड़ा सा खोल दिया लेकिन ऑर कोई हरकत नही
की लेकिन मेरे लिए उसका इतनी हरकत करना ही काफ़ी था,,उसके लिप्स हल्के से खुले ही थे कि मैने
अपनी ज़ुबान को उसके मुँह मे घुसा दिया ऑर उसकी ज़ुबान को उसके मुँह के अंदर अपनी ज़ुबान से
टच करने लगा ओर फिर अपने दोनो लिप्स उसके लिप्स से जाकड़ दिए ऑर किस करके लगा लेकिन बड़े
प्यार ऑर सॉफ्ट्ली तरीके से उसके हाथ अब मेरी चेस्ट पर चलने लगे थे वो भी ज़ोर से नही बल्कि
बड़े प्यार भरे अंदाज़ से लेकिन ये प्यार भरा अंदाज़ एक ही पल मे ख़तम हो गया ,,,उसने 
जल्दी से ज़ोर लगा कर खुद के लिप्स को मेरे लिप्स से आज़ाद कर लिया ऑर जल्दी से उठकर बैठ गई ऑर
मेरी तरफ देखने लगी,,,,मैं भी उसकी तरफ देख रहा था तभी उसने मेरी छाती पर कस कस
के थप्पड़ मारने शुरू कर दिए मुझे दर्द होने लगा था लेकिन दर्द का एहसास नही हो 
रहा था ,,,जबकि वो थप्पड़ मार रही थी ऑर खुद दर्द से तड़प रही थी मुझे थप्पड़ 
मारते हुए उसकी आँखें नम होने लगी थी ,,,,थप्पड़ मारने से मुझे कोई दर्द नही हुआ लेकिन
उसकी आँखों मे आँसू देख मुझे बहुत हर्ट हुआ,,,,उसने करीब 15-20 थप्पड़ मारे मेरे
फिर उठकर अपनी आँखों से आँसू पोछते हुए तेज़ी से वहाँ से नीचे भाग गई ऑर मैं सोफे
पर लेटा-लेटा अब जो कुछ भी हुआ उसके बारे मे सोचने लगा,,,,,,,,ये क्या हो गया था एक ही पल 
मे ,,,,मेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि मैं हिट्लर सोनिया के साथ ऐसा कर गया ,,ऑर उसको क्या हो
गया था जो इतने गर्म ऑर तेज मिज़ाज की लड़की एक ही पल मे मेरी बाहों मे पिघल गई थी,,,,क्या 
उसको अच्छा लगा ये सब,,,या उसको अच्छा नही लगा इसलिए वो भाग गई,,,मुझे डर लगने लगा था
लेकिन अच्छा भी लग रहा था ,,,अजीब सी बेचैनी होने लगी थी,,,कुछ समझ मे नही आ रहा था
क्या ये ठीक हुआ जो मैने भी किया,,,,या ग़लत हुआ,,,लेकिन एक बात ने मुझे हर्ट कर दिया था
उसकी नम आँखों ने,,,उसके मासूम चेहरे पर आँसू अच्छे नही लगते थे,,,मुझे खुद 
पर गुस्सा आने लगा ,,,,इसी गुस्से ऑर बेचैनी मे मैं पूरी रात जागता रहा,,,,,,,,,
Reply
12-20-2018, 04:12 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
सुबह के करीब 4:30 बजे थे ,,,पूरी रात मुझे नींद नही आई थी डर ऑर बेचैनी से पूरी ही
रात तड़प्ता ऑर करवट लेता रहा था मैं ,,अभी सूरज तो नही निकला था लेकिन रोशनी होने लगी
थी हल्की हल्की ,,,मैं सोफे से उठा ऑर डरते डरते नीचे गया ,,दिल किया कि एक बार सोनिया से मिलू ऑर
माफी मांगू उस से लेकिन जैसे ही मैं नीचे गया तो देखा कि उसका दरवाजा अंदर से बंद था


सुबह इतनी जल्दी दरवाजे पर नॉक करना अच्छा नही लगा मुझे ,,लेकिन दिल बहुत बेचैन था तो
सोचा क्यू ना बेचैनी को दूर करने के लिए गाँव की सुबह मे ताजी हवा का लुफ्त उठाया जाए हो 
सकता है बेचैनी कुछ कम हो जाए,,,,इसलिए गेट खोलकर घर से बाहर चला गया ,,गाँव की
सुबह सच मे बड़ी मस्त थी इतनी गर्मी का मोसम था लेकिन गाँव मे तो सुबह के टाइम ठंड
लगने लगी थी मुझे,,इतनी ज़्यादा सन्नाटा था लेकिन परिंदो की मीठी आवाज़ ने सब ठंड को दूर
कर दिया सहर मे सुबह का नजारा इतना अच्छा नही होता वहाँ घर से निकलो तो सुबह हो या रात
कार के हॉर्न के अलावा कुछ सुनाई नही देता था लेकिन यहाँ कार तो दूर मुझे तो कोई इंसान भी
नज़र नही आ रहा था सुबह के आलम ने कुछ बेचैनी दूर कर दी थी सोचा क्यू ना गाँव मे
थोड़ा घूम लिया जाए मन भी बहल जाएगा ऑर मॉर्निंग वॉक भी हो जाएगी यही सोच कर 
गाँव मे घूमने ऑर ताजी हवा मे मन को बहलाने के लिए जिस से दिल की बेचैनी ऑर ज़्यादा कम 
हो जाए इसलिए मैं घर से आगे की तरफ निकल चला लेकिन अभी थोड़ा ही दूर गया था कि दिल की
बेचैनी वापिस बढ़ने लगी थी,,,सुबह की हल्की रोशनी मे एक साया देखा जो छुपता हुआ चाचा
जी के घर के पीछे की तरफ जा रहा था मन मे उत्सुकता होने लगी देखु तो सही ये कॉन है इसलिए
दबे कदमो से मैं भी छुपता हुआ उस साए का पीछा करता हुआ उसी जगह पहुँच गया
जहाँ गाएँ भैंसे बँधी हुई थी,,,,वहाँ अंदर गया तो देखा वहाँ पर कोई नही था वो
साया भी कहीं गुम हो गया था फिर सोचा कहीं वो साया उसी रूम मे तो नही गया जहाँ 
कल मैने ऑर मामा ने माँ की चुदाई की थी लेकिन वहाँ भी कोई नही था तभी मैने देखा कि
कमरे के पीछे एक छोटा रास्ता था वो रास्ता पता नही कहाँ जाता था लेकिन उत्सुकता बढ़ने लगी
थी तो मैं उसी रास्ते चल पड़ा क्यूंकी जिस किसी का भी मैं पीछा कर रहा था वो उसी रास्ते गया
गया था मैं भी निकल पड़ा उसी रास्ते ऑर रास्ता ज़्यादा लंबा भी नही था बस 25-30 कदम ही
चलना पड़ा था मुझे ऑर रास्ते पर चलके मैं मंज़िल पर भी पहुँच गया ऑर मंज़िल बड़ी
ही मस्त थी ऑर सुबह सुबह ही मेरा दिल जो अब तक बेचैनी से भरा हुआ था अब वो मस्ती मे 
भर गया था मैने देखा कि वो रास्ता चारे की मशीन की तरफ जाता था जहाँ गाय ऑर
भैंसो के लिए चारा काटा जाता था ऑर वहाँ चारा काटने की मशीन के पीछे मामा खड़ा
हुआ था ऑर उसका पयज़ामा ज़मीन पर था ऑर एक औरत उसके पास ही ज़मीन पर बैठी हुई थी ऑर
मामा के लंड को चूस रही थी,,,,,,मामा चुप चाप खड़ा मस्ती मे लंड चुस्वा रहा था ऑर
वो औरत भी बड़ी मस्ती मे लंड चूसने लगी हुई थी मैं दीवार के पीछे छुप गया देखु तो 
सही वो औरत थी कॉन,,,,,कुछ ही देर बाद वो औरत उठी ऑर अपनी सलवार खोलकर मामा के आगे
झुक गई ऑर मामा ने अपने लंड को पीछे से उसकी गान्ड मे घुसा दिया ,,तभी मुझे उस औरत
का चेहरा देखने को मिला इसका चेहरा तो जाना पहचाना था ये तो चाचा जी के घर की नौकरानी
थी रेखा जो चाचा जी के घर काम करती थी ,,,,उसकी शकल भी जानी पहचानी लग रही थी शायद
इसलिए कि मैने पहले भी उसको चाचा जी के घर मे देखा था लेकिन तब मैं बच्चा था जबकि
आज उसकी शकल मुझे कुछ ज़्यादा जानी पहचानी लग रही थी ,,,,वो दिखने मे ज़्यादा अच्छी नही 
थी मोटी थी ऑर थोड़ी काली भी थी रंग की लेकिन जिस्म बहुत अच्छा लग रहा था उसका हाइट ऑर जिस्म
से मेरी माँ जैसा था लेकिन जहाँ मेरी माँ दूध जैसी गोरी वहीं ये थोड़े हल्के काले रंग की
मानो की साँवले रंग की थी ,,,


मामा उसकी गान्ड को बड़ी तेज़ी से चोद रहा था मैने सोचा कि मामा अभी सो कर उठा है ऑर
अभी इतनी तेज़ी से मस्त चुदाई करने लगा है साला कुछ ज़्यादा की चुड़दक़्कड़ है मेरा मामा .उन
लोगो को देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी ऑर बिना किसी डर के मैं उसने सामने चला गया वो
औरत मुझे देख कर डर गयी ऑर सीधी होने लगी लेकिन मामा ने उसको वापिस झुका दिया ऑर मेरी
तरफ हसके देखा मैने मामा के हँसते ही लंड को पयज़ामे से बाहर निकाल लिया जो अभी तक
ओकात मे आ चुका था मैने लंड को हाथ मे लिया ओर मसल्ने लगा उसी औरत के सामने उस
औरत का ध्यान भी जब मेरे बड़े ऑर मोटे मूसल की तरफ गया तो उसकी आँखें फॅटी की फॅटी
रह गई मैं उसके बहुद करीब था तभी उस औरत ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे लंड को
अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर अपने करीब खींच लिया मैं भी मस्ती मे उसके करीब हो गया
ऑर देखते ही देखते मेरा लंड उसके मुँह मे चला गया ,,,उस औरत का अंदाज़ भी बहुत निराला 
था लंड चूसने का वो भी किसी रंडी की तरह पूरा लंड मुँह मे लेने लगी थी एक ही बार मे ऑर
वो भी गले से अंदर तक पहली बार मे ही मेरा लंड उसके गले से नीचे चला गया था कुछ
ज़्यादा ही माहिर औरत थी वो उमर मे कोई 33-35 के आस पास थी ,,,,,मामा पीछे से उसकी गान्ड को
तेज़ी से चोद रहा था जबकि आगे से वो मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ कर बाकी के लंड को 
मुँह मे लेके चूसने लगी हुई थी लेकिन मैने उसके हाथ को लंड से हटा दिया ऑर उसको ऐसे ही 
लंड चूसने को बोला उसने अपने दोनो हाथों को अपने घुटनो पर रख लिया ऑर खुद को झुकी
हुई हालत मे रखने के लिए सहारा लिया ऑर अपने सर को तेज़ी से मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी 
लेकिन तभी मैने उसके सर को पकड़ा ऑर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए लंड को उसके गले से
नीचे तक घुसा कर उसकी मुँह चुदाई करने लगा उसको मेरे ऐसा करने से कोई दिक्कत नही हो 
रही थी वो तो उल्टा अपनी जीब को बाहर निकाल कर ऑर भी ज़्यादा लंड को मुँह मे लेने लगी थी
मैं भी तेज़ी से सुके मुँह को चोदने मे लगा हुआ था ऑर मामा भी तेज़ी से उसकी गान्ड चोदने
मे लगा हुआ था हल्की हल्की रोशनी होने लगी थी क्यूकी हमको करीब 20 मिनट हो गये थे 



ऐसे ही यहाँ पर खड़े हुए उसने अपने हाथ को मामा की तरफ करके मामा को स्पीड तेज 
करने को बोला ऑर मामा ने स्पीड तेज करदी ऑर इधर उसने अपने हाथों को मेरी कमर पर 
रखा ऑर मुझे कमर से पकड़ कर तेज़ी से हिलाने लगी ऑर मेरे लंड को तेज़ी से अपने मुँह मे 
लेने लगी मानो वो मुझे भी स्पीड तेज करने को बोल रही थी मैने भी उसके सर को कस्के अपने
हाथों मे पकड़ा ऑर स्पीड तेज करदी वैसे भी मैं झड़ने ही वाला था इसलिए खुद-ब-खुद ही
मेरी स्पीड तेज हो गई थी तभी मामा ने हल्की हल्की सिसकियाँ लेना शुरू कर दिया मैं समझ
गया कि मामा का होने वाला है इतने मे मैने भी तेज़ी से लंड को उसके मुँह मे पेलना शुरू
कर दिया ऑर कुछ ही पल मे मामा का तो काम हो गया ऑर मामा ने अपने पानी से उसकी गान्ड को
भर दिया शायद वो भी पानी छोड़ चुकी थी क्यूकी ज़मीन पर पानी गिरने लगा था जो स्पर्म 
नही लग रहा था उसने मेरी कमर पर कस्के हाथ मारा ऑर मुझे ज़्यादा तेज करने को बोला
ऑर मैने भी लंड को तेज़ी से झटके के साथ उसके गले से टकराना शुरू कर दिया जिस से 2 मिनट
मे ही मेरा भी पानी निकल गया ऑर मैने उसके मुँह मे लंड को गले के अंदर तक घुसा कर
सारा पानी उसकी हलक से नीचे उतार दिया था तब तक मामा अपना पयज़ामा ठीक से बाँध 
चुका था ऑर उसकी सलवार को भी उपर उठा चुका था उसने मेरी कमर से अपने हाथ उठा लिए
लेकिन अभी तक वो ऐसे ही मेरे लंड को मुँह मे लेके झुकी रही ऑर अपने हाथो से अपनी सलवार के
नाडे को बाँधने लगी वो मेरे लंड के पानी की एक एक बूँद के निकलने का ऑर मेरे खुद के 
पीछे हटने का इंतजार कर रही थी जब लंड ने सारा पानी उसके गले से नीचे उतार दिया तो मैने 
लंड को थोड़ा पीछे किया तब तक वो सलवार बाँध चुकी थी ऑर उसने मेरे लंड को हाथ मे 
पकड़ा ऑर जितना भी पानी लंड पर लगा था उसको अच्छी तरह चाट कर सॉफ कर दिया ऑर फिर खड़ी
होके मुझे एक किस करी माथे पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज तो रोशनी हो गई ऑर टाइम कम है किसी ऑर टाइम
तेरे को अच्छी तरह निचोड़ूँगी मैं याद रखना ,,,,उसने हसके मुझे इतना बोला ऑर वहाँ से
चली गई मामा भी उसके पीछे चला गया,,,,


मैं तो हैरान हो गया कि मेरा मामा कहीं भी चक्कर चला लेता है साला ,,,,चाचा के घर
काम करने वाली को भी नही छोड़ा,,,,,तो मैं भी कॉनसा कम हूँ मैने भी तो मस्ती करी
है अभी उसके साथ लेकिन सिर्फ़ मुँह चुदाई की है चूत ऑर गान्ड चुदाई नही की,,,,कोई बात नही
अभी कुछ दिन तो हूँ यहाँ पर इसको भी पूरी तरह चखके जाउन्गा यहाँ से वैसे भी साली
खुद बोलके गई है कि मुझे टाइम मिलने पर निचोड़ेगी अब देखते है टाइम मिलने पर कॉन
किसको निचोड़ता है,,,,,,,,,,,,,,,

मैं भी वहाँ से घर जाने की बजाए वही से खेतो के बीच मे होता हुआ आगे चला गया अब
तक बेचैनी तो कबकि दूर हो गई थी ऑर सुबह सुबह हल्का होके बड़ा अच्छा लग रहा था बड़ा
मज़ा आया इतनी सुबह सुबह उसको लंड चुस्वा कर,,,मैं खुशी खुशी गाँव मे इधर उधर
घूमने लगा ऑर मस्ती करने लगा जब वापिस घर पहुँचा तो सब लोग आँगन मे बैठे 
हुए थे टाइम कोई 9 के आस पास हो चुका था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
12-20-2018, 04:12 PM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अरे बेटा कहाँ चले गये थे तुम,मैं तुझे तेरे रूम मे लेने भी गई थी पर सोनिया ने 
बोला कि तुम सुबह सुबह बाहर चले गये थे,,,,,माँ मेरे से पूछ रही थी जबकि मेरा 
ध्यान सोनिया की तरफ था जो मेरे से नज़रे चुरा रही थी वैसे उसकी पीठ थी मेरी तरफ ऑर उसका
चेहरा भी झुका हुआ था अगर कहीं वो मेरी तरफ देख रही होती तो पता चलता कि कॉन किस से
नज़रे चुरा रहा है वो मेरे से या मैं उस से,,,,,,,,,,,,,,,,,,

माँ मैं सुबह सुबह गाँव की सैर करने चला गया था ,,,,सोचा शहर मे तो कभी इतनी 
ताजी ऑर मस्त हवा कभी नसीब नही होनी आज गाँव आया हुआ हूँ तो क्यू ना इस ताजी हवा का
लुफ्त उठाया जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,

माँ--ताजी हवा का लुफ्त उठा लिए हो सन्नी बेटा तो जाके जल्दी फ्रेश हो जाओ ऑर आके खाने का लुफ्त भी
उठा लो हम सब तो नाश्ता कर चुके है एक तुम ही रहते हो,,,,,,,,,,,,,

मैं--ठीक है माँ मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ आप प्ल्ज़्ज़ मेरा नाश्ता वहीं रूम मे भेज दो 

माँ==ठीक है बेटा तुम जाओ मैं नाश्ता वहीं लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,

मैं दूसरे घर मे चला गया ,,,,,देखा कि वहाँ केवल की कार नही थी ऑर उसके रूम को भी
लॉक लगा हुआ था,,,,,,शायद वो कहीं बाहर गया होगा,,,,खैर मुझे क्या मैं अपने रूम मे
गया ऑर फ्रेश होके बाहर निकला ऑर कपड़े चेंज करने लगा तभी दरवाजे पर किसी ने नॉक
किया ,,,तब तक मैं अपना पयज़ामा पहन चुका था ,,,,,,,,,मैने दरवाजा खोला तो 
देखा सामने सोनिया खड़ी थी हाथ मे नाश्ता लेके,,,,,,,,,मैं एक दम से डर गया उसको देख 
कर लेकिन वो सर को नीचे झुका कर खड़ी थी मैं जल्दी से दरवाजे से हट गया ऑर वो अंदर आ
गई ऑर नाश्ता बेड पर रख कर वापिस मुड़ने लगी तो मैने उसको सॉरी बोला लेकिन उसने कोई
ध्यान नही दिया मैने उसके हाथ को पकड़ लिया ऑर डरते डरते अपनी तरफ़ खेंचा तो उसने अपने
फेस को मेरी तरफ़ किया मेरी आँखो मे देखा ऑर फिर अपने उस हाथ को देखा जो अभी मेरे
हाथ मे था फिर उसने अपना हाथ छुड़वाया ऑर कस्के मेरे मुँह पे थप्पड़ मारा,,,,,,,,,,

सोनिया--खबरदार अगर दोबारा कभी मुझे हाथ लगाया ,,,,मुँह तोड़ दूँगी तेरा,,,,ऑर जितना हो सके
मेरे से दूर रहना तू सन्नी अगर ग़लती से भी मेरे करीब आया तो वो हाल करूँगी तेरा की याद
रखेगा ,,इतना बोल कर वो गुस्से से मुझे घूर कर वहाँ से चली गई और मैं अपने चेहरे
पर उसके थप्पड़ की ,,,ओह सॉरी जोरदार थप्पड़ की जलन को लेके वहीं खड़ा रहा साला मैं तो
इतना डर गया था कि लगा कि पयज़ामे मे ही पेशाब निकल जाएगा मेरा,,,,जिस से सारा घर डरता
था उसी से थप्पड़ लगा है मेरे मुँह पे,,,,अब तो सन्नी बेटा ये हिट्लर तेरी जान लेके ही दम
लेगी खैर इसी मे है कि इस से दूर ही रहना तू,,,,,,,मैने डरते हुए अपने मुँह पर हाथ लगाया 
अभी तक मेरा मुँह गर्म था उसके जोरदार थप्पड़ से,,,,साला खुद के हाथ भी जलन कर रहा
था मुँह पर,,,,,,,,खैर मैने नाश्ता किया ऑर बेड पर लेट गया ,,,,भूख तो सारी ख़तम हो
गई थी उसके एक थप्पड़ से लेकिन फिर भी गाँव की मक्की की रोटी को देसी घी से खाने को कॉन
मना करता है ऑर जब साथ मे लस्सी हो तो मज़ा ही मज़ा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैने नाश्ता किया ऑर
बेड पर लेट गया ,,रात भर सोया नही था इसलिए थकान से कब आँख लगी पता ही नही चला,,,



रात को नींद नही आई थी इसलिए शाम तक सोता रहा जब आँख खुली तो शाम के करीब 7 बजे
थे ,,,,फ्रेश होके रूम से बाहर निकला तो केवल के रूम मे अभी भी लॉक लगा हुआ था ,,,मैं
घर से निकल कर चाचा जी के घर चला गया जहाँ चाची ऑर मामा जी चाचा जी के पास थे
जबकि माँ ऑर सोनिया किचन मे रात का खाना तैयार कर रही थी,,,,मैं मामा ऑर चाची के साथ
चाचा जी के रूम मे बैठ गया,,,,,,,,,,

चाचा--अरे बेटा आज तो पूरा दिन ही सोता रहा तू,,,,क्या बात है रात को सोया नही था क्या,,,,,,,,,

मैं--जी चाचा जी,,,एक तो कल सफ़र मे थक गया था उपर से रात को भी नींद नही आई,,,अब थकान
कुछ ज़्यादा हो गई थी इसलिए इतनी देर तक सोता रहा,,,,,

चाचा जी--ठीक है बेटा अच्छा हुआ जो आराम कर लिया वर्ना तबीयत बिगड़ जानी थी अगर नही सोते तो,,इतने
बोलते ही चाचा जी ने मुझे अपने पास बुलाया ऑर मैं उठके उनके पास चाल गया,,,,

चाचा--ये तेरे चेहरे पर क्या हुआ है ,,इतना लाल क्यूँ है,,,उन्होने उसी गाल पर हाथ लगाते हुए पूछा 
जिसमे सुबह थप्पड़ लगाया था सोनिया ने,,,थप्पड़ इतना कस्के लगाया था कि अभी तक मेरा गाल
लाल हुआ पड़ा था,,,,,,,,,,,

मैं--जीई वववूओ ,,पता नही चाचा जी क्या हुआ सोया था तो ठीक था सॉकेआर उठा तो गाल पर ये लाल निशान
था,,,,,,,,,,,मैने झूठ बोला,,,,,,,,,,ऑर क्या बोलता कि सोनिया की पप्पी ली थी उसने भी थप्पड़ से पप्पी
का जवाब दे दिया,,,,,,,,

--लगता है बेटा कुछ मच्छर वाच्छर लड़ गया होगा जब तू सुबह घूमने गया था गाँव मे,,
मामा ने बोला ऑर हँसने लगा,,,,,साथ मे चाचा ऑर चाची जी भी,,,,

मैं--हाँ हाँ मामा जी मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,,,मैने जल्दी से मामा की हाँ मे हाँ मिला दी

तभी सोनिया ऑर माँ भी उसी कमरे मे आ गई,,,,,,

क्या बातें हो रही है ज़रा हमे भी तो पता लगे,,,,,माँ ने सबको हँसते देख कर पूछा

कुछ नही बेटी ये सन्नी के लाल हो गये गाल को देख कर हंस रहे थे लगता है गाँव मे आते
ही मच्छरों से दोस्ती हो गई ,,किसी मच्छर ने तोहफा भी दिया है इसकी गाल पे,,,,चाचा जी ने 
मेरे फेस को माँ की तरफ टर्न करते ह्यू बोला,,,,,,माँ भी मेरा फेस देख कर हँसने लगी,,,

तभी मेरा ध्यान सोनिया की तरफ़ गया जो अभी तक मुझे ऐसे ही घूर रही थी जैसे सुबह को
थप्पड़ लगाते टाइम घूर रही थी,,,,,,मैने जल्दी से नज़रे घुमा ली,,,,,

माँ--चलो सब लोग खाना खा लो ऑर चाचा जी को भी मेडिसिन देने का टाइम हो गया है,,,फिर इनको
आराम भी करना है,,,,,,,,

अरे बेटी कुछ देर रहने दे सबको यहाँ दिल लगा हुआ है इस बूढ़े का,,,,चाचा ने माँ से 
बोला,,,,,

बिल्कुल नही चाचा जी,,,,डॉक्टर ने बोला है कि मेडिसिन टाइम पर लेनी है ऑर आराम भी करना है
तभी सेहत मे सुधार होगा जल्दी से,,,,,,,,,

इतना बोलते ही माँ ने चाचा जी को मेडिसिन दी ऑर आराम करने को बोला जब तक हम सब लोग सिवा
चाची के बाहर जाके बैठ गये ऑर मा बाहर खाना लगा चुकी थी पहले से,,,,,,
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