Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
08-04-2018, 12:04 PM,
#1
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किराया माफ़ (कहानी 01)

मेरा नाम संजय है, हरियाणा का रहने वाला हूँ। हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर यह मेरी पहली कहानी है। 
बात उन दिनों की है जब हमारे घर में एक कमरा किराये के लिए खाली था। हम कोई किरायेदार ढून्ढ रहे थे। एक दिन एक लड़की हमारी दुकान पर आई और मुझसे पूछने लगी- मुझे मालूम हुआ है यहाँ कोई कमरा किराये के लिए खाली है। 
मैंने हाँ कर दी और कमरा दिखाने ले गया। मैंने अपनी मम्मी को बुलाया और उन्होंने ही सारी बात की लेकिन लड़की ने मना कर दिया क्योंकि किराया ज्यादा था 1500 रूपये। कुछ देर बात करने के बाद मम्मी ने किराया थोड़ा कम कर दिया 1300 रूपये। 
उसने हाँ कर दी और बोली- कल से रहने आ जाऊँगी। 
अगले दिन वो अपना सामान लेकर आ गई। मैंने उसकी मदद की सामान रखने में, उसके साथ उसका भाई भी था, देखने ठीक था उससे काफी बड़ा था। 
वो उसी दिन चला गया था। लड़की करनाल की थी। उसका नाम पलक (बदला हुआ नाम) था। वो यहाँ से बी.टेक कर रही थी। जब उसका भाई चला गया तो मैं उसे देखने उसके कमरे में चला गया। मुझे वो बहुत पसंद थी, मैं उससे दोस्ती करना चाहता था। कुछ देर देखने के बाद वो बाहर आई और बोली- क्या देख रहे हो? 
और उसने मेरे बारे में पूछा। 
मैंने बताया- मैं भी डिप्लोमा पूरा कर चुका हूँ। अब अगले साल किसी कॉलेज में दाखिला लूँगा क्योंकि घर में दिक्कत थी। इसलिए नहीं लिया इस साल। 
मैं उसके लिए कॉफी बना कर लाया उसने पी ली। मैंने उससे उसके बारे में पूछा और कहा- आज रात खाना हमारे यहाँ खा लेना। कल से अपना अलग बना लेना। अभी तुम्हारा सामान सैट नहीं हुआ इसलिए। 
उसने मुझे थैंक्स कहा। मैं सोच रहा था कि उसे कैसे कहूँ कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। 
अगले दिन वो कॉलेज नहीं गई और मैं भी घर में अकेला था। मम्मी गई थी मार्किट, छोटा भाई स्कूल में और पापा अपने ऑफिस। 
मैं वैसे दुकान पर बैठता हूँ, मैं वर्कर्स को काम बताकर खुद उसके कमरे में चला गया और उससे बातें करने लगा और बातों-बातों में मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? 
तो वो शरमा गई, बोली- तुम जाओ यहाँ से, कोई हमें देखेगा तो क्या कहेगा। 
मैंने कहा- तुम डरो मत, कोई कुछ नहीं कहेगा और मेरे साथ खुल कर बातें करो, डरो मत। 
तो उसने कहा- नहीं है ! 
और उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई है? 
मैंने भी ना में सर हिला दिया और मैंने कहा- अगर मैं आपका बॉयफ्रेंड बनना चाहूँ तो आपको कोई हर्ज तो नहीं होगा? 
उसने कहा- इस बारे में मैंने कुछ सोचा नहीं है। आपको सोच कर बताऊँगी। 
मैंने कहा- ठीक है, कल बता देना। 
और चला आया। अब उसकी हाँ का इंतज़ार करने लगा। 
अगले दिन वो सुबह उठकर कॉलेज चली गई। जब वो आई तो मेरी हिम्मत नहीं हुई उससे पूछने की लेकिन वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा कर चली गई। 
मैं समझ गया कि हाँ है। मैं उसके कमरे में चला गया और उससे पूछा- क्या सोचा फिर आपने? 
तो उसने कहा- ठीक है। 
मैंने कहा- ठीक से कहो क्या है? 
तो वो बोली- आई लव यू। 
मैं खुश था। 
उसने कहा- वैसे इसमें मेरा ही फायदा है। 
"वो कैसे?" 
उसने कहा- देखो, एक तो कॉलेज में लड़के तंग नहीं करेंगे, दूसरा किराया भी बच जायेगा। 
मैंने कहा- किराया तो मम्मी लेंगी, मैं नहीं। 
वो बोली- मैं तुम्हें दे दूँगी, तुम मम्मी को दे दिया करो। 
मैंने कहा- देखो, किराया तो देना ही है, मेरे को या मम्मी को ! क्यों न मम्मी को ही दे दिया करो। 
उसने कहा- तुम बहुत बुद्धू हो। 
मैं समझ तो गया लेकिन जानबूझ कर ऐसा कर रहा था। मैंने कहा- चलो, फिर रात को मिलेंगे। 
और चला गया। 
रात को हम सब बाहर घूमने गए मार्कीट में। 
उसने कहा- मैं कल कॉलेज नहीं जाऊँगी,संजय तुम मेरे साथ मार्कीट चलोगे? 
तो मैंने कहा- मम्मी को ले जाना। 
और वो मान गई। 
अगले दिन पापा को फोन आया कि किसी रिश्तेदार की शादी है, सबको जाना है। 
मैंने मना कर दिया जाने से, कहा- अगर सब चले जायेंगे तो पलक अकेली रह जाएगी और वो अभी जानती भी नहीं यहाँ किसी को। 
तो पापा बोले- चल तू रह जीयो और दुकान भी खोल लियो। 
मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। 
मम्मी ने मुझे कहा- जा के पलक को बता दे। 
मैंने ऐसा नहीं किया, अगर बता देता तो वो शायद कह देती कि मैं भी अपने घर चली जाती हूँ थोड़े दिन के लिए। 
मैंने ऐसे ही नाटक किया घर वालों के सामने। 
अगले दिन सुबह ही घर वाले चले गए, जब पलक उठी तो उसने देखा कि कोई भी नहीं है। उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- शादी में गए हैं, सब शाम तक आ जायेंगे। 
लेकिन वो तो मैं जानता था कि घर वाले दो दिन तक नहीं आएंगे। मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया, तभी पलक आई और बोली- नीचे पानी नहीं आ रहा, ऊपर नहा लूँ? 
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन थोड़ा जल्दी नहाना, मैंने भी नहाना है। 
वो बाथरूम में चली गई। उसने अन्दर से बन्द कर लिया, मैं उसे दरवाजे के छेद से देखता रहा। मैं देखने में इतना मशगूल हो गया
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08-04-2018, 12:04 PM,
#2
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किराया माफ़ 2 पार्ट (कहानी 01)

कि मुझे पता ही नहीं चला, उसने कब दरवाजा खोल दिया। 
मेरे तो होश उड़ गए उसे ऐसे देखकर। 
वो घबरा गई और बोली- तुम मुझे देख रहे थे? 
मैं एकदम से अन्दर जाकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया। ताकि वो वापिस ना जा सके। मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया और चूमने लगा। 
वो बोली- मैं तुम्हारी मम्मी को बताऊँगी। 
मैंने कहा- जानेमन, किराया ऐसे मैं थोड़े ही दे दूंगा। 
तो वो बोली- अच्छा तो तुम समझ गए थे, नाटक कर रहे थे मेरे साथ। 
मैंने उसका तौलिया हटाया और कहा- जब सब पता चल गया है तो शर्म काहे की। 
मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा उसे नशा सा चरने लगा। मैंने भी अपने और उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, उसने मना कर दिया। लेकिन बाद में वो मान गई। 
मैंने उससे पूछा- तुम पहले कितनी बार चुद चुकी हो? 
उसने कहा- पहली बार चुद रही हूँ। 
यह सुनते ही मैंने उसे उठा लिया और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर पटक दिया और उसकी फुद्दी को देखने लगा जो अभी बंद थी। 
मैं उसे चूसने लगा, वो ऊऊउ अह्ह्ह्ह की आवाजे निकालने लगी और कहने लगी- बस अब नहीं रहा जाता, धीरज डाल दो मेरी फुद्दी में, फाड़ दो इसे। 
मैंने कहा- अगर इसमें डाल दिया तो बहुत रोएगी। 
उसने कहा- आज रुला दो मुझे ! 
मैंने तेल लिया और उसकी फुद्दी पर लगा दिया और लंड पर भी लगाया और लंड उसकी फुद्दी के मुख पर रख दिया। मैंने जोर से धक्का दिया और लंड थोड़ा सा उसकी फुद्दी में गया तो वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी- निकालो इसे ! 
मैंने उसके होंटों पर अपने होंट रख दिए ताकि आवाज ज्यादा ना आये और एक जोर का झटका और मारा, लंड उसकी फुद्दी को चीरता हुआ आधा अन्दर चला गया। 
कुछ देर मैं ऐसे ही रहा उसके बाद धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु किए। 
उसे भी मजा आने लगा, वो भी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगी। अब पूरे कमरे में पच पच पच की आवाजें आने लगी। वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना लंड निकाला और देखा चादर पर खून लगा था। उसे दर्द हो रही थी। उससे उठा भी नहीं जा रहा था। 
उसने कहा- अब कुछ और भी करना है क्या जो निकाल लिया। 
मैंने कहा- तुम्हें पता नहीं क्या मेरा पानी अभी नहीं निकला। 
वो बोली- अब यह क्या होता है मुझे नहीं पता। 
मैंने कहा- जैसे तुम्हारी फुद्दी में से निकला है ऐसे ही मेरे लंड में से निकलेगा। 
तो वो बोली- अब अन्दर मत डालना, दर्द हो रहा है। 
मैंने कहा- चलो नहीं डालता, कहीं और डाल लेता हूँ। 
पूछने लगी- कहाँ? 
मैंने उसकी गांड की तरफ इशारा किया तो बोलने लगी- नहीं ! सुना है यहाँ ज्यादा दर्द होता है। 
मैं उसकी गांड मारना चाहता था। मैंने अब तक जितनी भी लड़किया चोदी हैं सबकी गांड जरूर मारी है। गांड मारने का अपना अलग ही स्वाद है। मैंने उसे झूठा दिलासा दिया कि फुद्दी की बजाये गांड मरवाने में दर्द कम होता है। पहले ना नुकुर करती रही। बाद में मान गई। 
मैंने वेसलिन की डिब्बी उठाई और उसकी गांड पर लगा दी। 
वो बोली- यह क्या कर रहे हो। 
मैंने कहा- इससे दर्द नहीं होगा ! 
और एक उंगली उसकी गांड में धीरे से डाल दी। उसे दर्द होने लगी। 
मैंने कहा- अभी थोड़ी देर में मजा आयेगा मेरी जान ! 
मैंने उंगली निकाली और उसे घोड़ी बना दिया उसकी कमर कस कर पकड़ ली और लंड उसकी गांड में डालने लगा। लंड ज्यादा मोटा होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था, मैंने वेसलिन और लगा दी एक जोर का झटका दिया लंड आधा अंदर चला गया। 
वो चिल्लाने लगी। मैंने पीछे से उसका मुह बंद कर दिया हाथ से और चोदने लगा पाँच मिनट के बाद मैं तैयार था फारिग होने के लिए। मैंने अपना लंड निकाला और उसके मुंह में दे दिया और उसके मुंह में पानी छोड़ दिया। 
वो सारा पानी पी गई। उसे दर्द हो रहा था। मैंने उसे गोद में उठाया, बाथरूम ले गया और उसे फिर से नहलाया और खुद भी नहाया। उस दिन वो कॉलेज नहीं गई थी।
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08-04-2018, 12:05 PM,
#3
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जंगल में सेक्स चूत कला
एक दिन जेन जंगल में टार्जन से मिली। वह उससे बहुत लगाव रखती है, उसके जीवन के बारे में बातचीत के क्रम में जेन ने उससे पूछा कि उसने सेक्स का आनन्द कैसे लिया। उसने पूछा कि “सेक्स क्या है?” जेन ने उसे समझाया कि सेक्स क्या होता है, तो उसने कहा कि “ओह, मैं तो पेङ के तने में बने छेद का इस्तेमाल करता हूँ।”

जेन घबरा कर बोली, “तुम कुछ नहीं जानते, मैं तुम्हें दिखाऊँगी कि इसे सही तरीके से कैसे करते हैं। उसने अपने सारे कपङे उतारे और जमीन पर लेट गयी। उसने अपने पैर फैलाये और चूत की ओर दिखाकर बोली, “यहाँ, तुम्हें इसमें घुसाना होगा।”

टार्जन ने शेर की खाल उतारी, उसके थोङा समीप आया और उसकी टाँगों के बीच एक जोरदार लात मारी। जेन दर्द के मारे दोहरी हो गई और ज़मीन पर लोटने लगी। फिर किसी तरह उसने खुद पर काबू पाया और पूछा “तुमने ऐसा क्यों किया?”

“टार्जन डालने से पहले पता करता है कि छेद में कहीं मधुमक्खियाँ तो नहीं हैं!”
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08-04-2018, 12:05 PM,
#4
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
प्रियंका कहानी 2

मैं संजय आप सबका बहुत शुक्रगुजार हूँ कि आप सब मेरी कहानी पढ़ने के बाद मुझे comment करके मेरा हौसला बढ़ाते हैं। आप सबकी comment पढ़ कर मेरा भी मन मचल उठता है आप सबको चुदाई की दास्ताँ बताने के लिए।

आज जो कहानी मैं आप सबके लिए लेकर आया हूँ उसमें मैं शरीक नहीं हूँ पर यह मेरी आँखों देखी चुदाई की घटना है।

मैं तो अपनी ही मस्ती में रहता था। अड़ोस-पड़ोस की बातों पर मैं कभी गौर नहीं करता था पर तभी मुझे कुछ ऐसा पता लगा कि यह कहानी बन गई।


प्रियंका नाम है उसका। उम्र यही कोई चौबीस पच्चीस के आस पास। शादी को चार साल हो चुके है प्रियंका की। एक बच्चे की माँ है वो ! जब वो शादी करके ससुराल आई थी तो उसका बदन किसी कमसिन कली जैसा नाजुक सा था पर अब जब से वो माँ बनी है उसका शरीर कुछ भर सा गया है तो मस्त माल बन गई है प्रियंका।
अब आती है कहानी की बात...

प्रियंका का घर मेरे घर के बिल्कुल सामने ही है। उस दिन दोपहर में मैं छत पर किसी काम से गया तो मुझे प्रियंका के घर में कुछ हलचल सी महसूस हुई। तभी प्रियंका के घर से उसके चिल्लाने की आवाज आई। मैंने उसके चिल्लाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्यूंकि उसके घर में तो अक्सर झगड़ा होता रहता था।
पर उसी शाम को मेरे कॉलोनी के ही एक लड़के ने मुझे कुछ ऐसा बताया कि मैं समझ ही नहीं पाया कि यह सच है या झूठ।
उसने मुझे बताया था कि

प्रियंका के ससुर राम सिंह ने प्रियंका के चुच्चे मसल दिए थे इसीलिए प्रियंका दिन में चिल्ला रही थी।
"चुचे मसल दिए थे? और वो भी उसके ससुर ने...?"
मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था। मैंने उसकी बात को मजाक समझ कर नजरंदाज कर दिया। पर उसकी बात सुन कर मेरे अंदर सच जानने की बेचैनी बढ़ गई थी। प्रियंका का पति अक्सर हफ्तों के लिए घर से बाहर रहता था तो मुझे लगा कि बात सच भी हो सकती है।
अब तो मेरी नजर हर समय प्रियंका के घर पर लगी रहती। रविवार के दिन जब घर पर होता तो सारा दिन बस इसी काम पर लगा रहता। करीब पन्द्रह दिन हो गए थे नजर रखते हुए पर अभी तक कुछ नजर नहीं आया था। एक फायदा जरूर हो गया था कि प्रियंका से मेरी नजरें चार होने लगी थी। वो शायद यह समझ रही थी कि मैं उसको पटाने के मूड में हूँ पर उसे क्या पता था कि मेरा इरादा क्या है।
उस दिन भी रविवार था, मैं सुबह सुबह ही कुछ लेने के बहाने से उनके घर गया तो पता लगा कि घर में आज सिर्फ प्रियंका और उसका ससुर ही है। उसकी सास उसके देवर को लेकर किसी रिश्तेदारी में गई थी और पति तो पहले से ही बाहर गया हुआ था। मुझे एहसास हुआ कि आज कुछ ना कुछ देखने को मिल सकता है।
गर्मियों के दिन थे तो दोपहर के समय कॉलोनी की गलियाँ खाली पड़ी थी। हमारा घर भी एक बंद गली में है तो उसमे वैसे भी लोगों का आना जाना ना के बराबर ही होता है। मेरे कान और आँख दोनों प्रियंका के घर पर ही लगे थे। करीब दो बजे मुझे प्रियंका के जोर जोर से बोलने की आवाज आई तो मैं सतर्क हो गया।
मैं अपने घर से निकला और प्रियंका के घर की खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया।
"पापा जी... कुछ तो शर्म करो... बहू हूँ मैं तुम्हारी..."
"बहु जो मर्जी कह पर अब मुझ से नहीं रुका जाता... जब से तेरी जवानी देखी है मेरे लण्ड में दुबारा से मस्ती चढ़ने लगी है।"
"बुड्ढे कुछ तो शर्म कर... ज्यादा आग लगी है तो अपनी औरत के पास जा... मुझे क्यों खराब करने पर तुला है?"
"बस एक बार बहू... सारी उम्र तेरी गुलामी करूँगा..."
"आह्ह... पापा जी छोड़ो मुझे... आह चूची छोड़ो मेरी... दर्द हो रहा है.... उईई माँ... बहनचोद छोड़ मुझे !"
मैं समझ गया था कि बुड्ढा पूरी रौनक में है और आज तो वो प्रियंका की चूत फाड़ कर ही मानेगा। अंदर की आवाजें सुन कर मेरी बेचैनी बढ़ गई थी। अब तो मैं यह देखने को बेचैन था कि आखिर कमरे में हो क्या रहा है। मैं अंदर झाँकने के लिए जगह ढूँढ रहा था। तभी मुझे ध्यान आया कि प्रियंका के घर के पिछली तरफ खाली प्लाट है और उस तरफ की दीवार भी बहुत नीची है।
मैं दौड़ कर उधर गया। पर नजर फिर भी कुछ नहीं आया। मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
आखिर में मैंने थोड़ा खतरा मोल लेने का मन बना लिया और फिर बिना देर किये मैं दीवार फ़ांद कर प्रियंका के घर के अंदर घुस गया। दबे पाँव मैं उस कमरे के दरवाजे पर पहुँच गया जिसमें से उन दोनों की आवाजें आ रही थी।
"पापा जी मत करो ऐसा... अगर तुम्हारे बेटे को पता लग गया तो सोच लो वो तुम्हारी क्या हालत करेगा !"
"प्रियंका अब कुछ मत बोल बेटा... अब मैं नहीं रुक सकता..."
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08-04-2018, 12:05 PM,
#5
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प्रियंका कहानी 2

आह्हह्ह !" प्रियंका की बड़ी सी आह सुनकर मैं समझ गया कि बुड्ढा कुछ कर रहा है। मैंने कमरे के अंदर झाँका तो मेरा लण्ड जो पहले से ही खड़ा हो चुका था, फटने को हो गया। मैंने देखा कि बुड्ढा नीचे से बिलकुल नंगा होकर अपना लण्ड सहला सहला कर खड़ा कर रहा था।प्रियंका बेड पर बैठी हुई थी और रो रही थी। रामसिंह बीच बीच में उसकी चूची3 को पकड़ कर मसलता तो वो छटपटा उठती थी।
मुझे प्रियंका का ऐसे बेड पर बैठे रहना अजीब लग रहा था क्यूंकि अगर प्रियंका चुदवाना नहीं चाहती थी तो वो बेड पर इतने आराम से कैसे बैठी थी। वो उठ कर बाहर क्यों नहीं आ रही थी या क्यों नहीं वो बूढ़े का ज्यादा विरोध कर रही थी। दाल में कुछ काला जरूर था।
तभी राम सिंह ने प्रियंका का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा। प्रियंका ने एक बार तो हाथ पीछे खींच लिया पर जब राम सिंह ने दुबारा उसका हाथ पकड़ कर लण्ड पर रखा तो वो रोते हुए राम सिंह का लण्ड सहलाने लगी। राम सिंह अब आँखें बंद करके आहें भर रहा था।
कुछ देर बाद राम सिंह ने प्रियंका को लण्ड चाटने के लिए कहा तो प्रियंका ने मना कर दिया। राम सिंह ने जबरदस्ती लण्ड मुँह में घुसाया तो प्रियंका ने मुँह झटक कर लण्ड बाहर निकाल दिया।
राम सिंह थोड़ा नाराज हुआ और फिर वो प्रियंका के कपड़े उतारने लगा। नजारा बहुत मस्त तैयार हो रहा था तो मैंने झट से मोबाइल निकाला और उनकी मूवी बनाने लगा। प्रियंका थोड़ा विरोध कर रही थी पर राम सिंह ने कुछ ही देर में प्रियंका को नंगा कर दिया।
प्रियंका का नंगा बदन देख कर मेरी हालत खराब होने लगी थी। दिल कर रहा था कि अभी कमरे में घुस जाऊँ और बूढ़े की गाण्ड पर लात मार कर बाहर निकाल दूँ और खुद ही चोद डालूं उस मदमस्त जवानी को।
नंगी होने के बाद प्रियंका अपने हाथों से अपनी चूचियों और चूत को छुपाने की कोशिश करते हुए बेड पर बैठ गई। तभी राम सिंह ने उसको धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और खुद उसकी टांगों के बीच बैठ कर उसकी चूत चाटने लगा।
प्रियंका का विरोध अब लगभग खत्म हो गया था। अब रोने की आवाज सिसकारियों और सीत्कारों की आवाज में बदल गई थी।
"आह्ह... पापा जी... ओह्ह्ह... आह्ह्ह... मत कर कमीने..." प्रियंका बड़बड़ा रही थी। उसके हाथ अब राम सिंह का सिर अपनी चूत पर दबा रहा था जिससे एहसास हो रहा था कि प्रियंका भी अब चुदास से भरने लगी थी।
दो मिनट के बाद कमरे का नजारा ही बदल गया था। प्रियंका पूरी गर्म हो गई थी और उसने अब राम सिंह को अपने नीचे कर लिया था। अब वो राम सिंह के मुँह के ऊपर बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी।
"बहन के लण्ड... बेटी चोद... खा मेरी चूत को खा जा... आह्ह... खा मेरी चूत को खा...ओह्ह्ह..."
प्रियंका मस्ती में बड़बड़ा रही थी और राम सिंह की बोलती बंद थी। वो चुपचाप पड़ा प्रियंका की चूत चाट रहा था। कुछ देर बाद प्रियंका नीचे उतरी और राम सिंह के लण्ड को जोर जोर से मसलने लगी। राम सिंह का लण्ड पूरे शवाब पर आ चुका था। मुझे भी प्रियंका की चुदाई बहुत नजदीक लग रही थी। तभी प्रियंका नीचे बैठ कर राम सिंह के लण्ड को मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी और राम सिंह मस्ती के मारे बेहाल हो गया।
कुछ देर लण्ड चुसवाने के बाद राम सिंह ने प्रियंका को उठा कर फिर से बेड पर लेटा दिया और एक तकिया प्रियंका के चूतड़ों के नीचे लगा दिया। जैसे ही राम सिंह ने अपने लण्ड का लाल लाल सुपाड़ा प्रियंका की चूत पर रखा तो प्रियंका मस्ती से चिल्ला उठी।
"अब जल्दी से अंदर डाल बेटी चोद... अब किसकी इंतज़ार कर रहा है।"
राम सिंह ने बिना कुछ कहे एक जोरदार धक्का लगा दिया और लण्ड प्रियंका की चूत में उतार दिया। प्रियंका एकदम से चीख पड़ी थी।
"बहुत मोटा है कमीने तेरा तो... काश तेरे बेटे का भी तेरे जैसा होता..."
इससे आगे प्रियंका कुछ बोल पाती, इससे पहले ही राम सिंह ने दो तीन ताबड़तोड़ धक्के लगा कर पूरा लण्ड प्रियंका की चूत में उतार दिया।
प्रियंका दर्द के मारे छटपटा गई।
पूरा लण्ड घुसाने के बाद राम सिंह थोड़ा रुका और प्रियंका की चूचियों को चूसने लगा। प्रियंका की छटपटाहट कम हुई तो राम सिंह ने धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। प्रियंका का चुदक्कड़ रूप सामने आने लगा था। वो भी अब हर धक्के का जवाब अपने कूल्हे उठा उठा कर देने लगी थी।
"चोद मेरे बूढ़े राजा...चोद मुझे... तेरा बेटा तो आग लगा कर भाग जाता है... अब तू ही ठंडा कर इस आग को... चोद अपने मोटे लण्ड से मुझे जोर जोर से चोद... पूरा जोर लगा बूढ़े..." प्रियंका अब राम सिंह को जोर जोर से चोदने के लिए उकसा रही थी।
राम सिंह भी लंबे लंबे धक्के लगा लगा कर प्रियंका को चोद रहा था।
वो दोनों चुदाई में मग्न थे पर मेरा लण्ड अब दर्द करने लगा था। मन में आया कि वापिस चलूँ पर सजीव चुदाई देखने का मौका बार बार नहीं आता है सो वहीं खड़े खड़े लण्ड को बाहर निकाल कर मसलने लगा।
लगभग आठ दस मिनट की चुदाई के बाद प्रियंका झड़ गई तो राम सिंह भी चिल्ला उठा," मैं गया.... मैं गया..."
और आठ दस धक्कों के बाद ही वो प्रियंका के ऊपर औंधे मुँह गिर पड़ा। प्रियंका ने भी अपनी टांगों में जकड़ लिया अपने ससुर जी को और प्यार से उसके बालों में हाथ फेरने लगी। दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे।
चुदाई पूरी हो चुकी थी। अब मैं भी वहाँ खड़ा होकर क्या करता सो चुपचाप दीवार कूद कर अपने घर वापिस आया और बाथरूम में जाकर लण्ड को शान्त किया।
कुछ दिन बाद प्रियंका मुझे अकेली मिली। उसने मुझे बताया कि उस दिन उसने मुझे उन दोनों की चुदाई देखते देख लिया था। मुझे विश्वास नहीं हुआ। आज भी प्रियंका मुझ से चुदने को तैयार बैठी है पर ना जाने क्यूँ उसको चोदने का मेरा मन ही नहीं होता है। मुझे पता है कि वो आज भी अपने ससुर से चुदवाती होगी। बस यही सोच कर मैं पीछे हट जाता हूँ।
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08-04-2018, 12:05 PM,
#6
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भाभी का दूध कहानी 3

आज जब मैं अपने उन दिनो की याद करता हूं तो मुझे लगता है कि बचपन लौट आया लेकिन मैं यह जानता हूं कि यह हो नहीं सकता।बात उन दिनो की है जब मैं 11th में पढ़ता था। मेरे ठीक बगल वाले घर में अक भाभी रहती थी। उनकी फ़ीगर बहुत अच्छी थी वैसे यह अब मुझे लगता है, उस समय तो केवल उन्हें देखने का मन करता था और मैं उनके घर चला जाता था भाभी मुझे खूब प्यार करती थी।उनका एक छोटा बेबी था जो उनका दूध पीता था जब वो एक दिन दूध पी ही रहा था तो मैने भाभी से पूछा कि बेबी को दूध मीठा लगता है या फ़ीका? इस बात पर भाभी मुसकराते हुए बोली तुम थोड़ा पी कर देखो भाभी ने अपने हाथ पर थोड़ा सा दूध निकाला और मुझे पीने के लिए दिया मैने दूध पी कर कहा ये तो बहुत अच्छा लगता है। भाभी हंसने लगी उस दिन से मैं भाभी को और प्यार करने लगा। एक दिन जब मैं भाभी के घर गया तो भाभी कोई दवा की बोतल देख रही थी मैने भाभी से पूछा तो वह बोली तेरे भैया लाये है और यह तेरे काम की चीज नहीं है, मैं बोला देखूं तो, जब मैने बोतल देखी तो उस पर बूब्स बने हुए थे मैने भाभी से पूछा की यह क्या है तो भाभी उदास हो गई और कहा कि मेरे बूब्स बहुत छोटे हैं इसलिए तेरे भैया यह दवा लाये हैं जिससे यह बड़े हो जाएंगे। मैने कहा क्या इसे पीना पड़ेगा तो वह बोली नहीं इसे तो वहां लगाना पड़ता है, मैने भाभी से कहा चलो मैं लगा दुंगा तो वह कुछ नहीं बोली। दूसरे दिन मैं दोपहर में गया तो देखा भाभी दवा लगा रही थी मैने भाभी से कहा कि लाओ मैं लगा देता हूं कुछ सोचने के बाद भाभी ने कहा दरवाजा तो बंद कर आओ
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08-04-2018, 12:05 PM,
#7
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
भाभी का दूध कहानी 3


जब मैं दरवाजा बंद कर भाभी के पास गया तो भाभी ने मुझे अपने पास बुला लिया मैने देखा भाभी ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा नहीं पहने हुए हैं, उनके गोरे-गोरे मम्मे ठीक निम्बु के आकार के हैं मैने भाभी से कहा इतने छोटे मम्मे में तो दूध ज्यादा नहीं होता होगा और छओतू का पेट भी नहीं भरता होगा? तो उन्होनें कहा नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे यकीन ही नहीं आ रहा था तो उन्होनें कहा लो चेक कर लो, वो वहीं बेड पर लेट गई मैं उनके पास बेड पर झुक कर उनका दूध पीने लगा। ओह! उनका दूध तो वाकई मीठा था और दूध भी तेजी से निकल रहा था। भाभी के निप्पले भी तन गये थे अब मुझे अच्छा लग रहा था मैं भाभी के मम्मे तेजी से दबाने लगा भाभी भी आंख बंद कर न जाने क्या सोच रही थी, अब मैं भाभी से पुरी तरह सट गया और मेरे होंठ भाभी के होंठों से जुड़ गये, ये मुझे तब पता चला जब भाभी मुझे हटाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी तभी मुझे छोटू के रोने की आवाज सुनाई दी। भाभी ने छोटू को उठा कर अपनी गोदी में ले लिया, हम वहीं बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगे, पता नहीं क्यों आज मुझे घर जाने का मन नहीं कर रहा था, तब भाभी ने कहा अब तुम जाओ अभी भैया आ जायेंगे, तुम कल जल्दी आना और ये सब तुम किसी से नहीं बताना।दूसरे दिन मैं भाभी के घर गया तो भाभी ने मुस्करा कर कहा आज तो बहुत जल्दी आ गये अभी तो मैं नहाई ही नहीं हूं तो मैने कहा कोई बात नहीं मैं यहीं बैठ जाता हूं आप नहा लो। भाभी बेडरूम जा कर अपने बाथ रूम में नहाने लगी तभी छोटू के रोने की आवाज आई मैं भी बेडरूम में जा कर छोटू को थपकी देने लगा तभी भाभी नहा कर केवल टोवल लपेट कर बाहर आई और मुझे देख कर बोली मैने तो तुम्हे बाहर बैठने के लिये कहा था तो मैने कहा छोटू रो रहा था। भाभी ने मेरे सामने ही अपना गाउन पहन लिया अब हम दोनो बेड पर बैठ कर बातें करने लगे, क्योंकि हल्की ठंड लग रही थी इसलिये हम लोगो ने कम्बल ओढ रखा था सामने टीवी चल रहा था, बात करते करते हम दोनो एक दूसरे से सत गये थे और अचानक भाभी ने कहा तुमने कभी किसी को नंगी देखा है तो मैने कहा कि आप नाराज तो नहीं होगि तो उन्होनें कहा नहीं, तो मैने कहा रात में जब आप और भैया नंगे सोते हो तो मैने आप दोनो को देखा है तब भाभी ने कहा कि तुम तो अपने घर रहते हो तब कैसे देखते हो तो मैने कहा कि जब मैं छत पर जाता हूं तो अपके बेडरूम की खिड़की से सब कुछ दिखता है भाभी ने कहा तुम बहुत बदमाश हो, अब से हम अपनी खिड़की बंद रखेंगे भाभी से मैने कहा कि ऐसा मत करना।
टीवी पर कोई रोमांस सीन चल रहा था मैं भाभी से और सट गया और भाभी से बोला मुझे आपका दूध पीना है भाभी की सांसे गरम हो गई थी भाभी ने अपना गाउन के बटन खोल दिये और कम्बल के अन्दर मेरे पैंट को खोलने लगी, उनकी चूंचियां अब तन गई थी मेरे हाथ उनके गाउन के नीचे कुछ छूने का प्रयास करने लगे अब हम पूरी तरह से खुल चुके थे
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08-04-2018, 12:06 PM,
#8
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
भाभी का दूध कहानी 3 प्रेषक:संजय

भाभी ने मेरे पैंट के अन्दर हाथ डाल दिया था मेरा औजार बुरी तरह तन गया था, जब मैने भाभी की चूत पर हाथ रखा तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी अब हम एक दूसरे को पूरी तरह महसूस कर रहे थे। तभी भाभी ने कहा चलो अब मैं तुम्हे बताती हूं कि मजा कैसे लिया जाता है। हम दोनो ने अक दूसरे के कपड़े उतार दिए, मैं तो एक टक भाभी को देखने लगा भाभी ने कहा ऐसे मत देखो मुझे शरम आ रही है। भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था भाभी ने मुझे लिटा कर मेरे औजार को धीरे धीरे सहलाना शुरु किया, मैं भाभी की छोटी चूंचियों को मसल रहा था भाभी का बदन ऐंठता जा रहा था काफ़ी देर तक ये सब करने के बाद भाभी ने मेरे औजार को चूमते हुए कहा ये तो बहुत ही प्यारा सा है मैं इसे अब वो सारी तरकीबें सिखाउंगी जिससे तुम जिंदगी को जीना सीख जाओगे। मैने भाभी से कहा भाभी मैं भी आपकी चूत की चुम्मी लूंगा भाभी ने कहा ठीक है मैं लेट जाती हूं मैने भाभी की चूत की चुम्मी ली और अपने जीभ के आगे की नोक से अन्दर जाने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद भाभी को बहुत एक्साइटमेंट लग रहा था इस लिए उसने मेरे सिर को हटा दिया। अब हम दोनो बैठ गये मैं उनके गोद में लेट गया भाभी मेरे होंठों पर अपनी उंगलियां फ़िरा रही थी मैने उसकी एक उंगली अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा भाभी अपनी आंखों को बंद रखे हुए थी अचानक फोन की घंटी बजी मेरे घर से फोन था मुझे तुरन्त ही जाना पड़ा मैने भाभी की एक चुम्मी ले कर जाने लगा तो भाभी ने कहा कल फिर मिलेंगे।फ़िर जब मैं भाभी के घर गया तो उस समय लगभग दिन के 2 बज रहे थे भाभी ने मुझे देखते ही कहा, कितनी देर से मैं तुम्हारी ही प्रतिक्षा कर रही थी, चलो मेरी आज मालिश करो। ये कह कर भाभी ने एक बोतल निकाली और मुझे दे कर कहा चलो अपना चेहरा घुमा लो, जिससे मैं अपने कपड़े उतार दूँ, मैने भाभी को अपनी तरफ़ खींचते हुए कहा अब किससे शरम कर रही हो? मैं उसके ब्लाउज़ को खोलने लगा। मैने धीरे धीरे उसका ब्लाउज़ को उतारा, भाभी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी जो भाभी के गोरे बदन पर काफ़ी जँच रही थी। भाभी ने अपनी आँखें बंद कर दी थी अब मैने उनसे अपने दोनो हाथों को उठाने के लिए कहा, मेरी नजर भाभी की आर्मपिट पर पड़ी वहाँ पर एक भी बाल नहीं थे वो जगह काफ़ी सेक्सी लग रही थी मुझसे रहा नहीं गया मैने भाभी की आर्मपिट पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा भाभी भी सिसकारियां भरने लगी और बोली पहले मालिश कर लो उसके बाद ये सब करेंगे। मैने भाभी की ब्रा निकाल दी ओह क्या चूचियाँ थी गुलाबी रंग की चूचियों पर गहरे रंग के निप्पल सितम ढा रहे थे, मैने तुरन्त ही अपने हाथों से एक को पकड़ लिया और दूसरी को अपने जीभ से सहलाने लगा। 5 मिनट के बाद भाभी ने कहा चलो लेट जाती हूँ अब तुम मेरी मालिश करो, भाभी ने समझाया कि तेल निकाल कर सीधे चूचिओं पर गिराओ और क्लोकवाइज़ अपनी हथेलियों से मालिश करो, मैं अपनी हथेलियां फ़ैला कर कुछ तेल उस पर डाला और भाभी के बूब्स पर मालिश करने लगा। भाभी लेटी हुई थी और मैं उसकी बगल में बैठा था मेरे लंड में तनाव आने लगा, मैं बूब्स की तेजी से मालिश करने लगा भाभी बोली एक समान दबाव बना कर ठीक तरह से मालिश करो लेकिन थोड़ी देर बाद मैं फ़िर तेजी से मालिश शुरु कर देता, अब भाभी ने कहा मुझे समझ में आ गया है ऐसा क्यों हो रहा है, भाभी ने कहा तुम अपनी पैंट उतार दो मैने तुरन्त ही आज्ञा का पालन किया, भाभी ने मेरे लंड की तरफ़ देखते हुए कहा चलो मैं तुम्हारे लंड की मालिश करती हूँ तुम मेरे बूब्स की करो जिस तेजी से मैं करूंगी उसी तरह तुम भी करना, अब एक हाथ से भाभी मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी और मैं भाभी की चूचियों की मालिश कर रहा था अचानक मुझे लगा कि मेरे लंड से वीर्य निकलने वाला है और जब तक मैं कुछ समझता सारा वीर्य निकल कर भाभी की चूचियों पर फ़ैल गया.
भाभी ने आँखें खोल कर पूछा क्या झड़ गया क्या? मैं कुछ नहीं बोला तो भाभी ने कहा अब इससे भी मालिश कर दो मैने भाभी की चूचियों पर लग भग 25 मिनट तक मालिश की। उसके बाद भाभी ने कहा चलो लेट जाओ मैं जब लेट गया तो भाभी ने अलमारी से एक क्रीम निकाली और मेरे लंड और मेरे बाल्स पर लगा दिया मैने भाभी से कहा ये क्या लगाया है तो उसने कहा अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा करीब आधे घंटे तक भाभी मेरे लंड से खेलती रही उसके बाद उसने मेरे लंड को कपड़े से पोंछ दिया, आश्चर्य, मेरे लंड के चारों तरफ़ के बाल गायब हो गये थे भाभी ने कहा कल ये मेरे मुंह में घुसे जा रहे थे इस लिए मैने इन्हें साफ़ कर दिया है। अब मेरी समझ में आया कि भाभी की चूत पर कोई बाल क्यो नहीं थे भाभी ने मेरी नाभि और लंड पर उपर से तैल डाल दिया और मालिश करने लगी भाभी के मुलायम हाथ और जैतून के तैल ने मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ा दी मेरा लंड भाभी को सलामी देने लगा, मैं भी एक हाथ से भाभी की चूत खोजने लगा वातावरण गरम हो चुका था अब भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया, मैं भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा, ओह क्या खुश्बू आ रही थी। साइड से मैने जीभ घुसाने का प्रयास करने लगा तो भाभी ने अपने से ही पैंटी निकाल दी अब मेरे सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत सृष्टि थी भाभी ने कहा इसकी मालिश नहीं करोगे? मैने कहा क्यों नहीं, यह कह कर मैने चूत की मालिश शुरु कर दी चूत के दोनो भाग खोल कर देखे तो उनसे रस बह रहा था मैने उसका स्वाद चखने के लिए अपने होंठों को सही जगह फ़िट कर दिया वाह! क्या स्वाद था दुनिया की किसी चीज में ऐसा नशा नहीं होता जो मुझे मिल रहा था नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया और तभी भाभी ने अपने हिप्स को आगे पीछे ढकेलना शुरु कर दिया करीब 7 मिनट बाद भाभी ने मेरे सिर को पीछे ढकेल दिया और निढाल हो गई मैने उनके बूब्स छूने चाहे तो उन्होंने मना कर दिया, कुछ देर तक हम उसी तरह रहे फ़िर भाभी ने कपड़े पहनने शुरु कर दिये मैने भि अपने कपड़े पहन लिए फ़िर मैने कहा मेरा मन तुम्हारी चूत को चोदने को कर रहा है भाभी ने कहा फ़िर किसी दिन करेंगे मैं जब चलने लगा तो भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया हम दोनो एक दूसरे को पकड़ कर काफ़ी देर तक खड़े रहे तभी घड़ी ने 4 बजे की घंटी बजाई तो भाभी ने छूटते हुए कहा अब घर जाओ कल मैं नहीं रहुंगी जब मैं आ जाउंगी तो तुम आना। दूसरे दिन मुझे भाभी की याद आती रही
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08-04-2018, 12:06 PM,
#9
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
खूबसूरत सफर (कहानी 04)
मेरा नाम संजय है ये कहानी एक सच्ची घटना पर है जो मेरे दोस्त ने बताई उसकी कहानी उसकी जुबानी 

आज में आपको अपनी सच्ची स्टोरी बताता हूँ। में एक कॉंट्रेक्टर हूँ इसलिए अक्सर यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन इस ट्रेवलिंग में अगर आपकी किस्मत अच्छी हो तो कभी कभी आपको बहुत फायदा भी होता है। अब में आपको अपनी स्टोरी बताता हूँ।

एक बार में यात्रा कर रहा था, सुबह का समय था और सर्दिया चल रही थी तो ठंड भी काफ़ी थी। में बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रहा था। मेरी नज़र एक औरत पर गई, वो बार बार मुझे देख रही थी। उसकी उम्र करीब 35 साल के आस पास होगी। उसने साड़ी पहनी हुई थी और उसका फिगर भी अच्छा था। में आपको बता दूँ कि में बूब्स का बहुत दीवाना हूँ। मुझे बूब्स दबाना बहुत पसंद है उसे मसलना, चूसना मुझे बहुत पसंद है और बड़े बूब्स वाली औरतें मुझे बहुत पसंद है। उसके भी बूब्स बहुत बड़े थे, करीब 36 साईज़ के थे। में मन ही मन में सोच रहा था कि काश वो मेरी बगल वाली सीट पर बैठ जाये। तो अचानक मेरी बस आ गयी, वो भी उसी बस में आने के लिए उठी और में उसके पीछे पीछे ही बस में चढ़ने लगा। बस में बहुत भीड़ थी इसलिए में उसे चढ़ते वक़्त थोड़ा बहुत टच कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को साईड से टच करने की कोशिश कर रहा था। वो सीट पर बैठ गयी।

फिर में भी उसके पास में ही बैठ गया, अब असली मज़ा शुरू होने वाला था। बस स्टार्ट हो गयी और अपने सफ़र पर निकल पड़ी। थोड़ी देर के बाद वो थोड़ी मेरी तरफ आ गयी और सोने का नाटक करने लगी, मुझे भी लगा कि वो लाईन दे रही है तो में भी सोने का नाटक करने लगा। ठंड काफ़ी थी और खिड़की भी ठीक से बंद नहीं हो रही थी। उसकी वजह से ठंडी हवा अंदर आ रही थी और उसे ठंड लग रही थी, वो थोड़ी थोड़ी देर के बाद मुझे अपनी कोहनी मार रही थी। में अपनी उंगलियां उसके बगल में डालने की कोशिश कर रहा था, में जैसे ही उसे टच करता तो वो और नज़दीक आने की कोशिश करती और अपने हाथ की जगह खोल देती, जैसे वो मुझसे कह रही हो कि अपना हाथ अंदर डालकर उसके बड़े बड़े बूब्स दबोच लो। फिर थोड़ी देर के बाद उसे लगा कि अगर में खिड़की के पास बैठ जाऊं तो अच्छे से उसके बूब्स दबा सकता हूँ और पास की सीट वाला भी हमें ऐसा करते नहीं देख सकता था, तो उसने मुझसे खिड़की के पास वाली सीट पर बैठने को कहा और बहाना किया कि उसे ठंड लग रही है। तो मैंने भी कहा ठीक है और हमने जगह बदल दी।

अब में खिड़की वाली सीट पर था। उसने अपनी साड़ी से मेरी तरफ वाले बूब्स को ढक दिया ताकि पास वाला कोई देख ना सके और वो शाल डालकर बैठ गई और सोने का नाटक करने लगी। आज मेरी तो निकल पड़ी थी, में भी थोड़ी देर बाद सोने का नाटक करके शाल डालकर सोने का नाटक करने लगा और धीरे से अपने हाथ की उंगलीयां उसके हाथ पर फेरने लगा। वो भी धीरे धीरे कामुक होने लगी और मुझसे चिपककर बैठ गयी और अपने हाथ वाली बगल को थोड़ा और खोलकर बैठ गयी, जिससे मेरा हाथ उसके बड़े-बड़े बूब्स तक आसानी से पहुँच सके। में भी धीरे धीरे अपना हाथ उसके बूब्स तक पहुँचाने लगा। मेरे ऐसा करते ही, वो काफ़ी कामुक हो चुकी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बड़े बड़े बूब्स पर रख दिया। में तो काफ़ी उत्तेजित हो चुका था।
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08-04-2018, 12:06 PM,
#10
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
अब में अपना हाथ उसके बड़े बड़े बूब्स पर धीरे धीरे फेरने लगा। क्या बूब्स थे? काफ़ी बड़े और टाईट थे। अब में उसके बूब्स को दबाने लगा, बहुत मज़ा आ रहा था। में ऐसा सोच रहा था, जैसे कि ये सफ़र ख़त्म ही ना हो, मेरा लंड काफ़ी टाईट हो चुका था और वो भी बार बार उसे छूने की कोशिश कर रही थी, तो मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। ऐसा करते ही वो बहुत कामुक हो चुकी थी। फिर अचानक से उसने अपनी शाल अच्छे से ओढ़ ली और थोड़ी मेरी तरफ शाल दे दी, ताकि मेरा लंड उस शाल में ढक जाये, वो चाहती थी कि में अपना लंड बाहर निकालूँ। मैंने भी ऐसा ही किया और अपनी चैन खोली और अंडरवियर में से अपना लंड बाहर निकाला। वो उसे टच करते ही बहुत खुश हो गयी और उसने अपने ब्लाउज के बटन भी खोल दिए। ताकि में भी उसके खुले बूब्स का लुप्त उठा सकूँ। क्या निप्पल थी उसकी? बड़ी बड़ी और एकदम टाईट थी। मन तो कर रहा था कि उसे अपने मुँह में लेकर मसल डालूँ, लेकिन में बस में होने के कारण ऐसा नहीं कर सकता था।

में उसके बूब्स को खूब ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और वो मेरे लंड को मसल रही थी, हम दोनों बहुत उत्तेजित थे और उसने अपनी साड़ी नीचे से थोड़ी ढीली कर दी, ताकि में उसकी चूत में अपना हाथ डाल सकूँ। में धीरे धीरे अपना हाथ उसके नीचे पेट पर ले जाने लगा और हाथ फेरने लगा, मुझे धीरे धीरे सब करना बहुत पसंद है। में उसके पेट पर हाथ फेर रहा था और उसकी चूची को भी सहला रहा था। फिर मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी में डाल दिया और में पेंटी के ऊपर से हाथ फेर रहा था। उसकी पेंटी भी काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसकी चूत में से काफ़ी पानी निकल चुका था और अब भी निकल रहा था। वो सिसकियाँ ले रही थी, आअहह उहाआअ। अब मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाल दिया और अपनी उंगली को उसकी चूत में डाल दिया, वो एकदम कराह उठी। अब में उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर उसे चोद रहा था और वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी।

अब हम लोग इतने एग्ज़ाइटेड हो चुके थे कि दोनों अब झड़ने वाले थे। वो अब झड़ चुकी थी और मेरे हाथ पर उसका पानी लग चुका था और मेरे लंड में से भी अब पानी निकल गया और पूरा पानी उसके हाथ में निकल गया। फिर उसने धीरे से नीचे आकर एक कागज उठा लिया और अपने हाथ साफ कर लिए और फिर एक टुकड़ा मैंने भी लिया और अपने लंड और हाथ को साफ कर दिया और मैंने दोनों कागज के टुकड़े खिड़की से बाहर फेंक दिए। अब हम दोनों अच्छे से शांत हो चुके थे। फिर हमने एक दूसरे को अपना परिचय दिया और फोन नंबर दिया। फिर हम अपने स्थान पर पहुँच गये और अपनी अपनी गली निकल गये, लेकिन एक दिन मैंने उसे कॉल किया और बोला कि में उसके बिना नहीं रह पा हूँ और उसके साथ कहीं सेक्स करना चाहता हूँ। हम दोनों ने प्रोग्राम बनाया और हम एक दिन एक रिसोर्ट में मिले और एक दिन वही रहने का प्रोग्राम बना लिया था। उस दिन वो इतनी हॉट साड़ी पहनकर आई थी कि में तो देखकर पागल हो गया और में उसे सीधा रिसोर्ट में ले गया और हम अपने रूम में चले गये, जो मैंने पहले ही बुक कर रखा था, जैसे ही हम रूम में पहुंचे तो मैंने रूम को अन्दर से बंद कर लिया और सीधा उसके पास गया और उसे टाईट से हग किया। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

मुझे लड़कियां साड़ी में बहुत अच्छी लगती है और उसने उस दिन बहुत अच्छे से साड़ी पहन रखी थी, जैसे हिन्दी फिल्म में या धारावाहिक में लड़कियां पहनती है, तो में उसे हग करते करते उसे स्मूच करने लगा और उसके होठों को 15 मिनट तक चूसा और वो भी मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने अपना एक हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसके बूब्स पर रखा और दबाने लगा, वो भी मस्त होने लगी थी। में उसे इतनी जल्दी नंगा नहीं करना चाहता था, क्योंकि मुझे धीरे धीरे सेक्स बहुत पसंद है तो में साड़ी के ऊपर से ही उसके बूब्स से खेलने लगा। उसने पिंक ओरेंज मिक्स कलर की साड़ी पहनी हुई थी।

फिर उसके बूब्स से खेलते खेलते मैंने धीरे से उसके पल्लू को हटाया और उसके ब्लाउज के हुक को खोल दिया। अब वो ब्रा में थी। में बहुत देर तक ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाता रहा, अब वो गर्म हो गई थी और अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली कि प्लीज मुझे चोदो, में अब नहीं रुक सकती। ये सुनते ही मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसकी ब्रा खोल दी और उसकी साड़ी खोलने लगा। फिर में अपना मुँह उसके पेटीकोट के अन्दर ले गया और उसकी पेंटी खोलकर पेटीकोट के अंदर ही उसकी चूत को किस करने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उसका पेटीकोट खोल दिया और वो पूरी नंगी हो गई, उसने पहले ही मेरे लंड को हाथ से हिला हिलाकर इतना टाईट कर दिया था कि वो उसकी चूत के अंदर जाने के लिए बिल्कुल तैयार था।
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