08-04-2018, 12:06 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
फिर मैंने उसको उठने के लिये कहा और डॉगी स्टाइल में हो जाने के लिए कहा, फिर वो वैसे हो गई ताकि में चोदने के साथ साथ उसके बूब्स को भी दबा सकूँ, इसलिए मुझे ये स्टाइल बहुत पसंद है। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला और थोड़ी कोशिश करने के बाद वो पूरा अंदर चला गया। अब मेरा 7 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर था। फिर मैंने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया और वो मस्त होकर सिसकियां लेने लगी, डार्लिंग आह्ह्हह्ह ज़ोर से और ज़ोर से स्पीड बढाओ आह्ह्हह्ह चोदो ज़ोर ज़ोर से चोदो। फिर मैंने अपनी स्पीड तेज की और चोदने लगा, उसके साथ ही मैंने उसके बूब्स भी दबाने शुरू किए, उसे मज़ा आ रहा था और मुझे तो बहुत ही मज़ा आने लगा था।
फिर 10 मिनिट तक लंड को अंदर बाहर करने के बाद वो झड़ गई और आई लव यू, आई लव यू डार्लिंग आअहह मज़ा आ गया मज़ा आ गया, ऐसे बहुत धीमी आवाज़ में बोलने लगी। में बहुत खुश हुआ कि मैंने उसे पूरा संतुष्ट कर दिया था और थोड़ी देर के बाद मैंने उससे कहा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो उसने कहा कि प्लीज ये सारा वीर्य मेरी चूत के अंदर ही छोड़ो ताकि तुम्हारा प्यार हमेशा मेरे अंदर रहे। ऐसा कहते ही मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत के अंदर छोड़ दिया और उसने मुझसे धन्यवाद कहा। हमने उस दिन करीब 5 बार सेक्स किया और जाने से पहले मैंने उसको एक बार और चोदा और फिर हम वहां से निकल गये। हम दोनों ने बहुत अलग अलग स्टाइल में सेक्स किया और खूब मज़े किए और अभी भी हम बाहर होटल या रिसोर्ट में जाकर सेक्स करते है । दोस्तों कहानी कैसे लगी जरूर बताना आपके comment का इंतज़ार रहेगा
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08-04-2018, 12:07 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
भाभी
दोस्तो ! चुदाई ऐसा मज़ा है कि बार बार लेने का मन करता है। जब तक मोना मेरे साथ रही हमने सेक्स का बहुत मज़ा लिया पर उसके जाने के बाद मुझको नए साथी की तलाश थी, रोज रोज मुठ मार कर कब तक काम चलता !
पापा का ट्रान्सफर होने पर हम लोग नई जगह रहने आ गये। यहाँ पास ही में हमारे दूर के रिश्ते के भईया रहते थे। उनके घर में उनकी पत्नी यानि मेरी भाभी और उनकी दो लड़कियाँ रहती थी। पास रहने से हमारा उनके यहाँ आना जाना हो गया था। भाभी थोड़ी अच्छी सेहत की थी पर दिखने में बहुत सेक्सी थी। भाभी को देख कर मेरा मन उनको चोदने का होता था। भाभी से मेरी खुल कर बात होती थी और कई बार मैं उनको अश्लील चुटकले भी सुनाया करता था पर वो कुछ कहती नहीं थी। मुझको लगता था कि वो कुछ चाहती हैं पर रिश्ते के कारण कहने की हिम्मत नहीं होती थी।
भाभी के पैरों में बहुत दर्द रहता था तो कई बार मुझसे अपने पैर दबवा लेती थी। उनके पैर दबाते वक़्त मैं धीरे धीरे उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर देता था। उनके पैर बहुत गोरे थे तो उनकी तारीफ भी कर देता था। उन्होंने कभी मुझको कुछ नहीं कहा, मेरी हिम्मत बढती गई और एक दिन मैंने सोच लिया कि आज तो उनको अपने मन की बात कहनी ही है।
मैं दिन के वक़्त उनके घर गया, तब भैया ऑफिस गए हुए थे। उन्होंने मुझको अंदर बुलाया और हमने थोड़ी देर बाते की, फिर उन्होंने मुझसे अपने पैर दबाने को कहा। मैं तो इसी मौके की तलाश में था। वो पेट के बल लेट गई और मैं उनके पैर दबाने लगा और धीरे से उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर दी और पैर दबाने की जगह उनको सहलाने लगा। वो कुछ नहीं बोली
तो मैंने पूछा- भाभी, और ऊपर तक दबा दूँ?
उन्होंने कहा- हाँ !
तो मैंने धीरे धीरे उनकी साड़ी और ऊपर कर दी। अब उनकी गोरी-गोरी जांघें मेरे हाथों में थी और मैं उनको सहला रहा था। भाभी वैसे ही लेटी थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई। तब मैंने एक झटके में उनकी साड़ी पूरी ऊपर कर दी। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी और गोरी टांगों पर वो बहुत ही मस्त लग रही थी।
अब भाभी ने थोड़ा सो मुँह घुमा कर मुझको देखा तो मैं डर गया पर वो मुझको देख मुस्कुराई और फिर वैसे ही लेट गई। मैं समझ गया कि लोहा गर्म है। अब मैं धीरे धीरे उनके नितम्ब सहलाने लगा। सच में दोस्तो, उनके नितम्ब कितने चिकने और मुलायम थे आपको क्या बताऊँ !
थोड़ी देर मैं उनके नितम्ब सहलाता रहा और दोनों नितम्बों के बीच की दरार में ऊँगली करता रहा तो वो मुझको बोली- यही करते रहोगे या कुछ और भी करोगे?
अब मुझको कुछ करना था ताकि यह औरत मुझसे चुदने को तैयार हो जाये। सो मैंने उनकी पैंटी उतार दी और अपना मुँह उनकी दरार के बीच ले जाकर जीभ से उनकी गांड चाटने लगा और वो अपने मुँह से अजीब सी आवाजें निकालने लगी जो मुझको बहुत अच्छी लगी। अब मैं भी गर्म हो गया था और मेरा लण्ड पैंट में नहीं समा रहा था सो मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और वहीं खड़ा हो कर मुठ मारने लगा।
तब भाभी ने मुझको और मेरे लौड़े को देखा और कहने लगी- यह मेरा काम है ! तुम अपना काम करो !
इतना कह कर उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से उसको सहलाने लगी। उनके सहलाने का अंदाज इतना अच्छा था कि मुझको लगा कि मैं तुरन्त झड़ जाऊँगा।
अब भाभी करवट लेकर पीठ के बल लेट गई। उनकी गुलाबी, बिना बालों की चूत मेरे सामने थी और उनका आंचल भी हट चुका था जिसने आज तक उनके मोटे मोटे स्तनों को मेरी नजरों से छुपाये रखा था। आज मेरी एक और इच्छा पूरी होने वाली थी सो मैंने बिना देर किये अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और उसको चाटने लगा। मेरे दोनों हाथ उनके वक्ष को दबा रहे थे और वो अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं थक कर लेट गया तो वो मेरे ऊपर आई और मेरे पूरे शरीर को चूमने लगी और धीरे धीर उनका मुँह मेरे लंड पर चला गया। उन्होंने मेरे लण्ड को बड़े प्यार से चूमा और मेरा लंड लॉलीपोप की तरह उनके मुँह में उतर गया। वो बहुत देर तक मेरे लंड को चूसती रही। इस वक़्त मुझको उनके स्तनों के जो दर्शन हो रहे थे, क्या बताऊ आपको ! उनके दोनों चूचे बहुत जोर से हिल रहे थे।
थोड़ी देर बाद मैंने उनको बाहों में ले लिया और उनके होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उनकी साड़ी उतारने लगा। जल्दी ही भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई। क्या बला की सुंदर लग रही थी वो औरत उस वक़्त !
मैंने उनके स्तन हाथ में ले कर खूब दबाये और जल्द ही उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने लेटी थी और अब मेरा अपने ऊपर कोई वश नहीं था। शायद वो समझ गई थी, सो उन्होंने अपनी टाँगे चौड़ी कर मुझको अपना लंड डालने का निमंत्रण दे दिया। मैंने अपने लंड का टोपा उनकी चूत पर रखा और अपना वजन उन पर डाल दिया। मेरा लंड उनकी चूत में उतर गया। फिर मैंने धीरे धीरे धक्का मारना शुरु किया। वो भी अपने नितम्ब उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। भाभी के साथ सेक्स करके मुझको ऐसा लग रहा था कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ। थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए तो उन्होंने मेरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
अब बारी उनकी गांड मारने की थी, सो मैंने उनको घोड़ी बनाया और जल्दी से क्रीम लगा कर अपना लंड उनके छेद में डाल दिया। यह काम शायद वो पहली बार करवा रही थी इसलिए हम दोनों को बहुत दर्द हुआ। पर कहते हैं ना कि कुछ पाने के लिए कुछ सहन भी करना पड़ता है।
थोड़ी देर के दर्द के बाद हम लोगों को मज़ा आने लगा। अब मेरा लंड उनकी गांड में और हाथ उनके स्तनों पर थे। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गया और मैंने अपना लावा उनकी गांड में निकाल दिया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। उस दिन हमने दो बार और सेक्स किया और हर बार अलग अलग अवस्था में !
फिर तो यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। आज हम वहाँ नहीं रहते पर जब भी मौका मिलता है, मैं उनके घर जाता हूँ और हम एक दूसरे की दुनिया रंगीन बनाते हैं। अब उनकी बेटियाँ भी जवान हो गई हैं।
आगे क्या होता है !
मैं दुआ करुँगा कि आपको भी ऐसी ही कोई पड़ोसी, भाभी मिले या हो सकता है आपके पड़ोस में ऐसी भाभी हो जिस पर आपकी नज़र नहीं गई हो !
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08-04-2018, 12:07 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
घर मालिक की बहू
दोस्तो, मैं यह कहानी अपने जिगरी दोस्त राजेश
की तरफ से भेज रहा हूँ, यह
उसकी आपबीती है और यह बात मुझे, राजेश को और
उसके घर मालिक की बहू
रीना भाभी को ही मालूम है !
राजेश की उम्र 31 साल है, उसकी शादी 2009 में
हो गई और एक बच्चा भी है। वो दिखने में एकदम
गबरू जवान है और नंबर एक का चुदक्कड़ है ! उसने
अभी तक खुद की सगी चाची, बुआ,
चचेरी भाभियों और ममेरी बहनों को चोदा है और
मैं इसका अकेला राजदार हूँ ! कभी कभी तो साले
का डर भी लगता है
कि कहीं मेरी बीवी को भी चोद न दे ! लेकिन उस
पर भरोसा भी है कि ऐसे नहीं करेगा !
अब मैं कहानी पर आता हूँ !
उसकी शादी होने के बाद वो नागपुर में किराये
पर रहने लगा। घर-मालिक के रूप में उसे यहाँ एक
बुजुर्ग दम्पति, उनके दो बेटे, बड़ा बेटा पुलिस में
था उसकी पत्नी रीना और उन दोनों की एक
लड़की थी, रीना का एक 26 साल का देवर बबलू
था।
2-3 महीने बीत जाने के बाद राजेश की और घर-
मालिक के परिवार से अच्छी जमने लगी।
रीना भाभी भी कभी-कभी इनके कमरे राजेश
की बीवी के साथ बातें करने के लिए
आती रहती थी और जैसे ही राजेश
आता तो रीना चली जाती थी।
रीना भाभी की राजेश की बीवी के साथ
अच्छी पटने लगी थी।
इतने में राजेश की बीवी की गर्भवती हो गई और
अपने मायके चली गई। अब राजेश रात
को अकेला घर पर रहता था। वैसे ही वो चुदक्कड़
होने की वजह से उसकी नियत पहले से
ही रीना भाभी पर थी।
रीना भाभी थी भी ऐसी ही 25 साल
की 34-30-36 का गठीला बदन ऊपर से साड़ी में
तो एकदम सुंदरी दिखती थी !
अब आगे की कहानी राजेश की जुबानी !
मेरी रविवार को छुट्टी रहती थी तो मैं दिन भर
घर में ही रहता था। मेरी बीवी जाने के बाद
रीना अब मुझसे भी घुलमिल गई थी और बातें
करती थी ! उसका पति को पुलिस में होने की वजह
से उसे अक्सर दूसरे शहरों में जाना पड़ता था।
रीना का देवर बबलू भी कभी दिन तो कभी रात
की शिफ्ट की वजह से काम पर जाता था और
रीना के सास ससुर के लिए तो चलना मुश्किल
था इसीलिए वो नीचे ही अपने कमरे में रहते थे।
एक दोपहर को रीना ऐसे ही मेरे कमरे में आई, तब
मैं अपने बाथरूम में नहा रहा था।
रीना ने मुझे आवाज दी- अरे, कहाँ है आप?
मैं बोला- भाभी, मैं नहा रहा हूँ, आप बैठिये !
रीना- ठीक है !
मैं बाथरूम में अपने झांटें साफ कर रहा था। फिर
उसके बाद मैं नहा-धोकर सीधा अपने बेडरूम में
चला गया और कपड़े पहनकर हॉल में आया।
रीना बैठी टीवी देख रही थी।
मैं- और बोलिए भाभी, मैं आपके लिए क्या कर
सकता हूँ?
रीना- देखिये ना, ये ड्यूटी की वजह से 15 दिन आने
वाले नहीं हैं और बबलू भैय्या को भी समय नहीं मिल
रहा है !
मैं- किस बात के लिए भाभी?
रीना- गर्मी बढ़ गई है और कूलर का पता नहीं !
मैं- चलिए, मैं फिट कर देता हूँ, इसमें संकोच
की क्या बात है !
रीना- आपकी मेहरबानी होगी !
मैं- अरे क्या भाभी, इसमें मेहरबानी की क्या बात,
आज छुट्टी है, ख़ाली बैठा हूँ, आपका काम कर
दूँगा तो आप भी कभी हमारे काम आएँगी !
रीना- ठीक है, आप नीचे मेरे बेडरूम में आ जाईये ! मैं
कूलर निकाल कर रखती हूँ !
उस दिन घर पर कोई नहीं था, रीना के सास-ससुर
अपनी लड़की के यहाँ गए थे और बबलू ड्यूटी पर
गया था !
लगभग दस मिनट के बाद मैं नीचे हॉल में पहुँचा और
रीना को आवाज दी- भाभी, कहाँ हैं आप?
अन्दर से आवाज आई- मैं यहाँ हूँ, आप आ जाओ !
मैं भाभी के बेडरूम में पहुँचा और कूलर को फिट
करना शुरु किया, कूलर फिट करते-करते मैं भाभी के
साड़ी में ढके हुए ब्लाउज के उभार देख रहा था, आज
बड़े ही उठे-उठे दिख रहे थे !
कूलर अब तक फिट हो चुका था, अब बस उसे उठा कर
स्टैंड पर खिड़की में लगाना था ! मैंने भाभी को एक
हाथ लगाने को बोला और कूलर को उठाना शुरु
किया। भाभी की ताक़त कम होने की वजह से कूलर
ठीक से उठ नहीं रहा था। अब मैंने एक साइड से
अपना एक हाथ और दूसरा हाथ से भाभी के पीछे से
कूलर को उठा रहा था, भाभी साड़ी पहनी हुई
थी जिसकी वजह से मेरा हाथ बारबार उनकी पीठ
को रगड़ रहा था या बोलो कि मैं जानबूझ कर रगड़
रहा था।
रीना का स्पर्श होने की वजह से मेरी पैंट में तम्बू
बनने की शुरुआत हो गई थी और अच्छा खासा तम्बू
बन भी चुका था। कूलर हम दोनों ने मिल कर स्टैंड
पर रख दिया पर कूलर को छोड़ कर रीना पलटने
लगी तो वैसे ही उनका बैलेंस बिगड़ गया और मेरे
शरीर पर आ गई !
मैं रीना को गिरने देने वाला नहीं था इसीलिए
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और वो संभल
गई।
मैं अभी भी रीना को पकड़े हुए था, बोला- भाभी,
क्या हो गया अचानक आपको?
रीना- कुछ नहीं, बस बैलेंस बिगड़ गया !
हम ये बातें कर रहे थे लेकिन इधर मेरा तम्बू
रीना के गांड से सटा हुआ था। मैं हौले-हौले
अपना तम्बू रीना की गाण्ड से रगड़ रहा था ! जैसे
ही रीना को मेरे लंड का अहसास हुआ तो वो मुझसे
दूर हो गई
और बोली- अन्दर चलिए, मैं आपके लिए
चाय बनाती हूँ !
मैं फिर से अपना खड़ा लंड लेकर रीना के बेडरूम में
आया और कूलर चालू करके बैठ गया !
उधर रीना रसोई में मेरे लिए चाय बना रही थी !
मेरे अन्दर वासना भड़क चुकी थी अब बस मैं
रीना को चोदने के बारे में ही सोच रहा था, मुझे
रीना चोदने देगी या नहीं पता नहीं लेकिन इस
काले मोटे 7" के लंड का क्या? इसे तो शांत
करना ही पड़ेगा।
मुझे मालूम था कि चाय बनाने में करीब दस मिनट
तो लग ही जायेंगे !
मैं रीना के बेडरूम में छानबीन करने लगा तो मुझे
उसकी ब्रा और चड्डी दिखाई दी !
मैंने उसे उठा लिया और सूंघा तो उसमें से
बढ़िया सी भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। मैं
इतना बेखबर हो गया कि मुझे याद
ही नहीं रहा कि घर में भी कोई है यानि रीना !
मैं अपनी मदहोशी में गहराता जा रहा था और
इसी मदहोसी में मैंने अपनी पैंट की चेन खोली,
चड्डी से अपना लंड निकला जो अब पूरी तरह से 7"
का बन गया था, रीना की चड्डी और
ब्रा को अपने लंड के मुँह पर रख कर मैंने मुठ
मारनी शुरु कर दी। मैं अपनी आँखें बंद करके
रीना को सोच-सोच कर जोर-जोर से अपने लंड
को हिला रहा था। लगभग 5 मिनट के बाद
मेरा पूरा पानी रीना की ब्रा और चड्डी पर
गिर गया और तब मैंने अपनी आँखें खोली तो अपने
सामने रीना को खड़ा पाकर मेरे होशोहवास उड़
गए !
मैं- सॉरी भाभी !
रीना हँसते हुए- क्या सॉरी, आपने मेरी चड्डी और
ब्रा दोनों गन्दी कर दी ! ऐसा कोई करता है
क्या? आपको ये सब करना ही था तो मुझे
क्यों नहीं बोल दिया?
रीना के इतना बोलते ही मैंने उसको अपने बाँहों में
पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा !
वो भी मुझे एक प्यासी औरत की तरह चूम रही थी !
मैंने उसके साड़ी को निकाल फेंका और उसके
दोनों आमों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूसने, काटने
लगा।
मुठ मारने की वजह से मेरा लंड
ढीला हो गया था लेकिन रीना के स्पर्श से फिर से
उसमें जान आ रही थी !
लगभग 5 मिनट के बाद मैंने रीना को अपने सामने
खड़ा करके उसकी गांड से अपना लंड
चिपका दिया और होंठों से उसकी गर्दन,
कानों को चूम रहा था। इधर दोनों हाथों से
उसकी दोनों चूचियाँ मसल रहा था !
कभी दोनों हाथ तो कभी एक हाथ से
चूचियाँ सहला रहा था और एक हाथ उसके नंगे पेट
पर घुमा रहा था।
रीना काफी गर्म हो चुकी थी, वो अपनी गांड मेरे
लंड से रगड़ रही थी !
मैंने उसकी ब्लाउज के हुक खोल कर उसका ब्लाउज
और काला ब्रा निकाल कर उसके दोनों गोरे-गोरे
स्तन नंगे कर दिए। अभी भी मैं पीछे से ही उसके
दोनों चूचियाँ दबा रहा था और निप्पल
उंगलियों के बीच मसल रहा था।
रीना- चलो भी अब बेड पर या ऐसे ही खड़े खड़े
करने का इरादा है?
मैंने भी हाँ बोला और हम दोनों भी बिस्तर पर आ
गए। रीना ने मेरा शर्ट और पैंट उतार दिए और मैंने
उसका पेटीकोट उतार दिया। अब हम दोनों के
शरीर पर सिर्फ चड्डी के अलावा कुछ
भी नहीं था।
मैं रीना के बदन पर चढ़ गया और सिर से लेकर पाँव
तक उसके पूरे शरीर को पागलों की तरह चूम
रहा था ! उसकी दोनों चूचियों को एक-एक करके
अपने मुँह में भर कर चूस रहा था !
इधर रीना भी मेरी पीठ को सहला रही थी, अपने
पैरों से मेरे पैरों को रगड़ रही थी !
मेरा लंड अभी भी पूरे तरीके से खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने अपनी पोजीशन बदल ली, अब मेरा मुँह
रीना की चूत की तरफ और मेरा लंड रीना के मुंह
की तरफ था। मैंने रीना को मुँह में लेने के लिए
इशारा किया तो रीना ने मेरी चड्डी उतार
दी और मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।
इधर मैंने भी रीना की चड्डी उतार दी और
उसकी चिकनी चूत के दर्शन करने के बाद चूत
चाटना शुरु कर दिया। उसकी चूत ने
थोड़ा पानी छोड़ दिया था, बड़ा खट्टा-
खट्टा लग रहा था।
रीना मेरा लंड जोर-जोर से चूस
रही थी जिसकी वजह से मेरा लंड अब पूरा 7"
का हो गया था। इधर मैं रीना चूत को अन्दर तक
जाकर चाट रहा था उससे वो अब पूरी गर्म हो गई
और अपने पैरों को भींच रही थी- आह्ह्ह...
आःह्ह्ह... उम्म्म... उम्म... आह्ह्ह... की आवाजें
स्पष्ट सुनाई दे रही थी।
रीना- प्लीज राजेश जी, अब वक़्त मत जाया करो,
डाल दो लंड मेरी चूत में, बहुत दिन से लंड
नहीं खाया है, आज मेरी फाड़ डालो, जैसे चोदना है,
जिस तरीके से चोदना है, चोद डालो लेकिन
जल्दी... अब बरदाश्त नहीं हो रहा !
अब मैं और मेरा लंड भी रीना को चोदने के लिए
तैयार हो गया था। हम फिर से सीधी अवस्था में आ
गए और रीना को मैंने अपने लंड पर बैठा दिया!
रीना मेरे ऊपर पैरों के सहारे बैठी थी, मैंने
अपना एक हाथ अन्दर डाला और अपने लंड
को रीना की चूत के मुँह पर रख कर एक जोरदार
धक्का दिया ! वैसे ही रीना की चीख के साथ
मेरा पूरा लंड रीना की चूत में घुस गया।
रीना चिल्ला रही थी- ...प्लीज राजेश जी, दर्द
हो रहा है.. रुक जाईये...
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने अपने लंड को रीना चूत
में अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया !
अब रीना को दर्द नहीं हो रहा था और
वो भी अपनी गांड को हिला हिला कर मेरे लंड पर
दबा रही थी। इधर मैं अपने दोनों हाथों से
उसकी चूचियाँ मसल रहा था और वो आह्ह्ह...
आह्ह... जोर से चोदो... और जोर से !
चिल्ला रही थी।
5 मिनट के बाद मैंने अपना लंड निकाला और
रीना को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर
लिटा दिया और मैंने पीछे से उसकी चूत के द्वार पर
अपना लंड टिका दिया। अपने दोनों हाथों से
उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली एक जोर
का धक्का देकर पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया !
रीना जोर-जोर से चिल्ला रही थी-...प्लीज
निकालो.. इसमें दर्द हो रहा है.. पूरा अन्दर चुभ
रहा है !
मैं- रीना मेरी जान, तूने
ही तो बोला कि किसी भी तरीके से चोदो ! तो ले
मेरी जान खा ले मेरा लंड, ऐसा लंड तुम्हें मिलने
वाला नहीं !
और मैंने और जोर से चोदना शुरु किया ! इधर
रीना की आवाजें निकल रही थी, उधर मेरा लंड
रीना की चूत में हाहाकार मचा रहा था।
ठीक 5 मिनट के बाद रीना का पानी छुट गया,
फिर भी मैं रीना को चोदे ही जा रहा था ! फचक-
फचक करके लंड अन्दर बाहर हो रहा था।मैंने
अपनी स्पीड और बढ़ा दी और
अपना पूरा लावा रीना की चूत में छोड़ दिया !
हम ऐसे ही 5 मिनट पड़े रहे फिर हमने अपने कपड़े
पहन लिए !
रीना ने चाय बनाई, हम दोनों ने पी और रात
को मेरी कमरे में चुदाई का वादा करके मैं निकल
आया !
रीना आज बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि उसने
15 दिन से लंड नहीं खाया था और मैं
भी भूखा ही था तो मैं भी बहुत खुश था
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