Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:53 PM,
#81
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दोनो के चिल्लाने की आवाज़ें बाहर बैठा सुनील सुन रहा था - पहले सोचा अंदर चला जाए --- फिर चुप रह गया - लेट दा टू सिस्टर्स सॉर्ट देम्सेल्व्ज़ ऑन देयर ओन.

- एक ठंडी साँस ले वहीं सोफे पे निढाल हो गया.

'क्या बताएगी --- स्क्रू ढीला हो गया है तेरा --- थू थू करेंगे सब '

'कमिनि बोले ही जा रही है - कहा आराम से बैठ सब बताती हूँ - समझ में नही आया क्या - कॉन सी भाषा समझती है तू'

' बड़ी है तू इसलिए चुप हूँ वरना अभी 2-3 धर देती ---- सॉफ कर ये सब ' सविता - सुमन की माँग से सिंदूर पोंछने के लिए अपना हाथ आगे बड़ा दिया.

'खबरदार ----- शादी करली है मैने' उसके हाथ को झटकते हुए सुमन चिल्लाई.

बॉम्ब फट गया---- सविता को अपने कानो पे यकीन ही ना हुआ - कि अभी उसने क्या सुना है.


आँखें फाडे वो सुमन को देखने लगी - मुँह खुला रह गया.

'अब आराम से बैठ और आवाज़ उँची मत करियो' चिल्लाने की वजह से सुमन की सांस तेज हो चुकी थी. वो अपनी सांस को संभालने के लिए बैठ गयी.

'श श शादी .......रातों रात कर ली शादी...... खुद पागल हो चुकी है अब मुझे भी करेगी'

'अरे बैठ ना मेरी जान सब बताती हूँ ' सुमन ने सविता को खींच अपने साथ बिठा लिया

सविता हैरानी से सुमन को देख रही थी --- उसे सुमन बिल्कुल पागल लग रही थी - उसने देखा था सागर के जाने के बाद कैसे टूट गयी थी - हर दम उदास रहती थी किसी काम में मन नही लगता था....... लगता है दिमाग़ पे बहुत ज़ोर पड़ गया है.... तभी ऐसी हरकत करी है...... सविता मन ही मन सोच रही थी.

'याद है तुझे सागर का वो एसएमएस जो उसने सुनील को भेजा था मरने से पहले'

सविता को रूबी वाली बात तो याद थी पर ये किस एसएमएस की बात हो रही है ------ 'क क कॉन सा ---- यही तो था सेव रूबी.....'

'साथ में उसने कुछ और भी लिखा था --- याद कर'

'इस सब का तेरी इस हरकत से क्या लेना देना'

'इसी का ही तो लेना देना है'

'सुनो - ज़रा अपना मोबाइल देना' सुमन ने सुनील को पुकारा और जिस तरहा पुकारा सविता को लगा ये तो बिल्कुल गयी - कैसे पुकार रही है अपने बेटे को.

सुनील अंदर आ गया और सुमन की तरफ अपना मोबाइल बढ़ा दिया, वो पहले ही समझ गया था कि सुमन मोबाइल क्यूँ माँग रही है - इसलिए उसने वो मेसेज ही खोल डाला था.

मोबाइल देते वक़्त 'अपनी वॉल्यूम कम रखो - यू आर शाउटिंग टू मच पड़ोसी तक आवाज़ चली जाएगी ......केर फॉर आ कॉफी आइ थिंक यू बोथ विल नीड इट'

'नेकी और पूछ पूछ - सर्टन्ली - थॅंक्स स्वीट हार्ट - अगर तुम्हें तकलीफ़ ना हो'

सविता देख रही थी दोनो कैसे बातें कर रहे हैं - कानो से धुआँ निकलना शुरू हो गया --- उसे लग रहा था ये तो गयी अब मेरी बारी है - ये हो क्या रहा है.

सुनील के जाते ही --- सुमन ने - सविता की तरफ देखा -- उसकी शकल पे पूरे 2.30 बजे हुए थे - हँसी निकल गयी सुमन की.

'ले ये देख '

हां - सविता अपने ख़यालों से बाहर निकली और सागर का मसेज देखा - जिसमे लिखा था - रीप्लेस मी.

सविता को ये मेसेज याद नही था. उसे अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था. एक बाप अपने बेटे को!!!!!! नही...... ये नही हो सकता...... पागल हो जाउन्गि मैं.

मतलब---- सूमी और - सुनील !!!!!!!!! सूमी ने सुनील से शादी......ओह गॉड......हाउ कॅन दिस बी पासिबल.

बवंडर उठ रहे थे सविता के दिमाग़ में --- आज उसे अपने कानो और आँखों से भरोसा उठता हुआ लग रहा था. गुस्से की तेज लहर उसके जिस्म में दौड़ गयी.

'आख़िर गंदा खून गंदा ही निकला....'

सुनील कॉफी ले कर आ रहा था और उसने ये अल्फ़ाज़ सुन लिए - आग लग गयी उसके तन बदन में.

धाड़ लात मार के उसने दरवाजा खोला .

हाथ में ट्रे थी जिसमे कॉफी के दो मग थे--- लेकिन उसका चेहरा .....उसका वो भोलापन गायब हो चुका --- एक दम पत्थर बन चुका था वो -- उसके अंदर बसा हुआ शेर - जिसे वो बंद के रखता था बाहर निकल आया.

सविता की नज़र उसपे पड़ी तो उसे वही सुनील दिखा जब उसकी और समर की भिड़ंत हुई थी.

कांप गयी सविता. और सुमन.... वो तो ये रूप पहली बार देख रही थी --- पत्ते की तरहा काँपने लगी.

सुनील ने ट्रे उन दोनो के बीच रखी - सविता को घूरा और बाहर निकल गया. उसने कैसे अपने पे कंट्रोल रखा था - ये वो ही जानता था.

सुनील एक घायल शेर की तरहा हॉल में इधर से उधर चल रहा था – अपने गुस्से को कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हुए उसने दीवार पे मुक्के बरसाने शुरू कर दिए ‘ गंदा खून’ ये अल्फ़ाज़ पिघले हुए शीशे की तरहा उसके कानो में उतरे थे.

जिस बात को वो भूलना चाहता था आज फिर वही बात सविता ने याद करवा दी – के उसके अंदर समर का खून है. तड़पने लगा वो .

कमरे में बैठी सुमन – जो सूखे पत्ते की तरहा काँपने लगी थी सुनील की दशा देख होश में आई और उसका हाथ उठ गया – सब कुछ बर्दाश्त कर सकती थी वो – पर कोई सुनील को ऐसी गाली दे – ये उसकी बर्दाश्त की सीमा से परे था.

क्या हालत हो रही होगी उसकी –इसका वो बखूबी अंदाज़ा लगा सकती थी.

‘गंदा खून ….. तेरी हिम्मत कैसे हुई …. सुनील के ये सब बोलने की – क्या जानती है तू उसके बारे में…. वो सिर्फ़ सागर का बेटा है --- सिर्फ़ सागर का’
सविता तो तब होश में आई जब उसके गाल पे सुमन का थप्पड़ पड़ा.

‘और क्या जैसा रमण निकला वैसा ये – वो रूबी के साथ लग गया – ये तेरे साथ’ तू ..
‘अच्छा – अगर इस्पे उस कुत्ते का असर है – तो आज तक तेरी रूबी बची कैसे हुई है – सब से पहले उसे ही पता चला था रमण और रूबी के बारे में --- क्या किया इसने रूबी के साथ – बराबर उम्र का होते हुए भी बड़े भाई की तरहा उसकी देखभाल कर रहा है --- क्यूँ नही ब्लॅकमेल किया इसने रूबी को और उसका फ़ायदा उठाया. वो वाहियात तस्वीर जो रमण ने भेजी थी – दिखा कर. रूबी की हालत किसने समझी और हमे समझने पे मजबूर किया.

और सुन… कामिनी… याद है इसे मैं खजुराहो ले गयी – सेक्स लेसन्स देने के लिए …. क्या किया इसने मेरे साथ ….. कुछ नही - मैं ही पीछे पड़ी रही … पर ये आगे नही बढ़ा.
और जानती है – सागर का ये हुकुम मानने को ये बिल्कुल तयार नही था….. मैं बिखर चुकी थी …. मेरे लिए … मेरी खुशी के लिए ये आगे बढ़ा … लेकिन फिर पीछे हट गया…. तब मैने इसे मजबूर किया मेरी माँग भरने के लिए’ ये कह सुमन रोने लगी.

'सागर मेरे लिए सही चाय्स कर के गया था. मुझे सागर पे गर्व है और उससे ज़यादा सुनील पे.' वो सुबक्ते हुए बोली.

धमाके पे धमाका हो रहा था सविता के अंदर . जिंदगी के कुछ ग़लत फ़ैसले – जिंदगा को कहाँ से कहाँ ले जाते हैं. इन्सेस्ट इस घर की जड़ों में आके बैठ गया.

सुनील के कॅरक्टर को सविता अब समझने लगी – वो खुद भी तो बिना अपने पति के इतने महीनो से रह रही है – सुनील ने एक बार भी उसे सिड्यूस करने की कोशिश नही करी.

सविता की आँखों से आँसू टपकने लगे वो सुमन के गले लग बिलखने लगी.
थोड़ी देर बाद दोनो संभली .

सविता के मन से अंधेरा दूर हो चुका था.

‘चल जीजू के पास चलते हैं – माफी माँगनी है मैने’ ( लेकिन अब भी उसके दिल में ये सवाल था - क्या ये ठीक हुआ ? -- माँ और बेटे का संगम???)

क्या वाक़ई में सविता कन्विन्स हो गयी थी - या ये तुफ्फान आने से पहली की शांति हो गयी थी.

दोनो हाल में गयी तो जो नज़ारा देखा वो सुमन की रूह तक को घायल कर गया.
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07-18-2019, 12:53 PM,
#82
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील एक बीफरे हुए शेर की तरहा दीवार पे मुक्के बरसा रहा था --- हाथ लहू लुहान हो चुके थे.

सविता तो वहीं पत्थर बन खड़ी रह गयी - पर सुमन की चीख निकल गयी.

'न्न्न्ना आआहहिईीईईईईईईईई' वो भागी सुनील की ओर उसे ज़बरदस्ती अपनी बाहों में समेट लिया.

'ये ये - जान नही... वो तो बेवकूफ़ है.......ये क्या तुमने..... मेरा तो सोचा होता.'

सुनील के चेहरे पे चुंबनो की बरसात कर उसे ठंडा करने की कोशिश करने लगी - आँखों से आँसू टपक रहे थे.

'छोड़ो मुझे .... लीव मी अलोन' सुनील ने छूटने की कोशिश करी सुमन की बाँहों के घेरे से.

'क्यूँ छोड़ूं.... क्या छोड़ने के लिए बंधन बाँधा था .... नही छोड़ूँगी... जिंदगी भर नही छोड़ूँगी - साए की तरहा चिपकी रहूंगी ... क्या हो जाता है तुमको .... क्यूँ इतना गुस्सा आता है.... कूल डाउन डार्लिंग.... देखो तो क्या हाल कर लिया है' सुनील के दोनो हाथ अपने हाथों में थामने की कोशिश करते हुए बोली.

'कुछ नही गंदा खून बहा रहा था .... बहने दो.....' दर्द था सुनील की आवाज़ में जो ना सिर्फ़ सुमन को दुखी कर गया --- थोड़ी दूर खड़ी पत्थर बनी सविता को भी अहसास हो गया --- कितने दर्द में है सुनील इस वक़्त .... टपकने लगे उसके आँसू भी - हिम्मत ही नही हो रही थी कि सुनील के करीब जा उससे माफी माँग सके.


'खड़ी खड़ी क्या टैन्सुये बहा रही है - जल्दी फर्स्ट एड बॉक्स ले के आ' सुमन गरज पड़ी

सविता भागी अंदर.

'सूमी प्लीज़ थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो मुझे'

'नही पहले तुम्हारी ड्रेसिंग करूँगी - फिर बात करेंगे....बस अब कुछ और मत कहना ... मेरी कसम'

सविता फर्स्ट एड बॉक्स ले आई और वहीं सुनील के कदमो में बैठ गयी.

सविता को देख फिर सुनील का पारा चढ़ने लगा.

'बस..... मेरी तरफ देखो' सुमन ने सुनील के चेहरे को अपनी तरफ मोड़ा. और उसके हाथों की ड्रेसिंग करने लगी.

सविता की आँसू टप टप सुनील के पैरों पे गिरने लगे - सुनील पे इसका कोई असर ना पड़ा... नफ़रत हो गयी थी उसे सविता से .... बस चलता तो अभी उसे कहीं उठा के फेंक देता.

सुमन ने ड्रेसिंग ख़तम कर ली -----' चलो अंदर चलो'

'मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दो प्लीज़'

सविता रोती हुई अंदर अपने कमरे में भाग गयी.

सुमन सुनील को लगभग खींचते हुए अपने कमरे में ले गयी. बिस्तर अभी तक वैसे का वैसा था.

सुमन अभी तक बाथरोब में थी.

'तुम आराम से लेटो मैं अभी आई' कह कर वो किचन में चली गयी.

सुनील ने बड़ी मुश्किल से उस कड़वे सच को अपने दिल के किसी कोने में दफ़न कर रखा था - जिसे सविता ने अंजाने में कुरेद कर बाहर निकाल दिया था.

सुमन ने फटाफट 3 कॉफी तयार करी और सुनील के पास पहुँच गयी.

सुनील सामने दीवार को घूर रहा था.

‘तुम शुरू करो – तुम्हारी साली को लेकर आती हूँ… लगा देना डाँट…’

सुनील ने गुस्से से सुमन की तरफ देखा.

‘इस प्यार की डगर पे कुछ काँटे तो मिलेंगे ही हमे जानू – बस चुन चुन के उनको निकाल के फेंकना है – यूँ अपने आप को सज़ा मत दिया करो …. उसकी जगह मैं भी होती तो गुस्से में कुछ भी बोल जाती …. प्लीज़ दिल पे मत लो… माफ़ करदो उसे. – अब भड़कना मत … ले के आ रही हूँ उसे.’ सुमन सविता को बुलाने चली गयी.

सविता आने को तय्यार नही थी पर सुमन उसे खींच के ले आई . सुनील तो सविता को देख हत्थे से उखड़ गया.

'ध्यान से रहना कहीं ये गंदा खून तुम्हें भी गंदा ना कर दे - और बढ़िया यही रहेगा तुम और तुम्हारी बेटी मेरे साए से भी दूर हो जाओ - इंतेज़ाम में कर दूँगा'


सविता और सुमन दोनो चुप - बारूद में आग लग चुकी थी उसे फटना तो था ही.

सुमन ने बोलने की कोशिश करी - पर सुनील के सख़्त चेहरे को देख चुप हो गयी - निकल जाने दो मवाद - यही बेहतर होगा -- उसने मन ही मन सोचा.


' क्या सोचती हो तुम - बहुत आसान था ये सब करना मेरे लिए --- मैने कही डॅड की कोई बात नही टाली --- लेकिन उनका आखरी हुकुम मेरे लिए जान लेवा था --- दूर चला जाना चाहता था मैं - पर रूबी और सोनल को अकेले नही छोड़ सकता था - गीध की तरहा सब नोच डालते उनको. रूबी को भी बचाने का हुकुम तो डॅड ने ही दिया था ..... उसमे मुझे कोई तकलीफ़ नही हुई ---- पर उनकी जगह लेना - मोम की जिंदगी में - मेरे लिए एक तरफ कुआँ और दूसरी तरफ खाई थी.........मेरे संस्कार ... मेरी मर्यादा मेरा गला घोंट रहे थे..... वहाँ सूमी की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी .... इसने जिंदगी जीना ही छोड़ दिया था.... बार बार सपने आते - डॅड मुझे उनका हुकुम याद दिलाते.... पागल हो चुका था मैं......'

सुनील कुछ पल रूका सांस लेने के लिए.

सुमन तो सब जानती थी ... सब उसकी नज़रों के सामने से गुजरा था ... पर सविता.....वो देखने की कोशिश कर रही थी .... जिससे उसका दिमाग़ मानने को तयार ना था .... पर जो अहसास उसे इस वक़्त हो रहा था वो उस तकलीफ़ को बयांन कर रहा था जिससे सुनील कयि महीनो गुजरा.

'क्या समझा था तुम सब ने - पत्थर का बना हूँ मैं --- वो तुम्हारा हरामज़ादा पति मेरी सुमन को उकसाता है - मुझे सेक्स लेसन्स देने के लिए --- और ये आँखों पे पट्टी बाँध शुरू भी हो गयी ....... क्या भुगता था मैने उस वक़्त समझ सकती हो क्या - जब मेरी अपनी माँ ने मुझे पहली बार चूमा था...... पहली बार किसी औरत के होंठों ने शिद्दत से मेरे होंठों को चूमा था..... क्या करता मैं ..... बढ़ सकता था आगे - नर्क की आग में - लेकिन डॅड के सिखाए उसूलों ने मेरे कदम रोक दिए --- पर ये दिल --- ये नही भुला पाया उस अहसास को --- ना चाहते हुए भी प्यार करने लग गया था मैं सूमी से'
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07-18-2019, 12:53 PM,
#83
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
'बहुत आसानी से डॅड ने हुकुम दे दिया.... बहुत आसानी से समर ने माँ को मेरी तरफ ठेल दिया.... बहुत आसानी से ये भी आगे बढ़ गयी....... और मैं .... क्या हूँ मैं.... क्या समझती हो मुझे .... क्या ग़लत किया मैने'

सन्नाटा छा गया कमरे में बस तीन लोगो के साँस लेने की आवाज़ आ रही थी.

जाने कॉन सी ताक़त सविता को सुनील के करीब ले गयी. सविता ने उसके दोनो हाथ थाम लिए -- सुनील ने झटकने की कोशिश करी पर सविता ने मजबूती से थाम रखे थे '

'क्या है ... क्यूँ हाथ ... छुड़ा रहे हो... साली अपने जीजा का हाथ पकड़ सकती है'

सुनील भोचक्का सा उसे देखने लगा --- सविता के चेहरे पे आँसू थे जो शायद अब सूख रहे थे एक मनचली मुस्कान उसके चेहरे पे आने लगी थी.

सुमन के चेहरे पे मुस्कान आ गयी - एक बाधा को उसने पार कर लिया था.

सविता ने अपने दोनो कान पकड़ लिए ' सॉरी जीजू बहुत बड़ी ग़लती होई गयी - तुम्हें दुख नही देना चाहती थी - पर जो देखा उसे सहन नही कर पाई - जो मुँह में आया बोलती चली गयी'

'अच्छा जीजू 1+1 की स्कीम अच्छी लगेगी क्या - बीवी के साथ साली फ्री' सविता बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुरा रही थी

सुनील को करेंट लग गया एक दम उठ खड़ा हुआ.

सुमन खिलखिला पड़ी --- सुनील की शकल ही ऐसी बन गयी थी.

'चुप कर शैतान की खाला -- फिर तंग करना शुरू कर दिया'

'ये तो मेरा जनम सिद्ध अधिकार है -- क्यूँ जीजा जी'

रिश्तों के बीच - होती चुहल बाजी आज सुनील के सामने आ रही थी - एक और रिश्ता खुद को बदलने को तयार हो गया था - मासी --साली का रूप ले चुकी थी.

सविता जितना महॉल को हल्का करने की कोशिश कर रही थी - सुनील उतना ही सीरीयस होता जा रहा था - क्या हो रहा है ये - क्या हर रिश्ते की मर्यादा को ताक पे रखना पड़ेगा----आँधिया चल रही थी उसके दिमाग़ में.


'क्यूँ री - कैसा जीजू ढूँढा तूने मेरे लिए - बड़ा शर्मिला है --- कोई और होता तो अब तक दो-तीन चूमियाँ तो ले ही चुका होता'

'चुप कर वो ऐसा नही है' सुमन अपनी मुस्कान दबाते हुए बोली.

'मैं ट्रेन कर दूँगी' सविता खिलखिला पड़ी पर जब सुनील के चेहरे को देखा तो चुप हो गयी.

'साली के साथ हसी मज़ाक चलता रहता है जीजू - क्यूँ इतना सीरीयस हो रहे हो - एंजाय दा लाइफ डियर'

'अरे इस तुफ्फान के चक्कर में कॉफी तो ठंडी हो गयी --- मैं और ले के आती हूँ'

'तू बैठ आज मैं पिलाउन्गि दूध वाली कॉफी अपने जीजा को' सविता जान भुज कर अपने खुल्हेी मटकाती हुई कमरे से बाहर चली गयी.

तब सुमन को ध्यान आया अभी तक बाथरोब में है ' उउउइइ माँ मैं कपड़े बदल के आई' भाग गयी वो बाथरूम में कुछ कपड़े वॉर्डरोब से निकाल कर.

जब तक सविता कॉफी ले के आई सुमन तयार हो चुकी थी - उसने एक डीप गले वाला कुर्ता और सलवार पहनी थी - घर में थी तो चुन्नी नही डाली थी. ये सूट बिल्कुल नया था - जो उसने बड़े चाव से सिलवाया था पर सागर का हादसा होने के बाद ऐसे का ऐसा पड़ा रह गया था. बहुत सुंदर लग रही थी वो इस सूट में.

तीनो कॉफी पीने लगे - सविता मस्त के मूड में थी पर सुमन ने इशारे से रोक लिया - अभी सुनील तयार नही था - नये रिश्तों को झेलने के लिए .

कॉफी के बाद - सविता ने सुमन को बिस्तर की हालत की तरफ इशारा किया.

'क्या करती सुबह साहब जी ने मूड ऑफ कर दिया फिर तेरा ड्रामा शुरू हो गया. बिस्तर कहाँ से ठीक करती. '

'चल तू बिस्तर वगेरह ठीक कर मैं जीजा जी को ले कर जा रही हूँ थोड़ी देर के लिए.'

'कहाँ? '

'तुझ से मतलब - मुझे कुछ काम है - प्राइवेट'

सुनील - मैं कहीं नही जा रहा.

सविता : आई हाई जोरू के गुलाम - देखती हूँ कैसे नही चलोगे --- तुम्हारा ही फ़ायदा होगा

सुमन : अच्छा चल ले जा अपने जीजा को पर कुछ शरारत मत करना.

सविता : काश मेरी इतनी अच्छी किस्मत होती.

सविता उठ खड़ी हुई मजबूरन सुनील भी खड़ा हो गया.

सुमन : दरवाजे को बाहर से लॉक कर देना.

दोनो बाहर से दरवाजा लॉक कर चले गये. सविता सुनील को शॉपिंग माल ले गयी - असल में वो चाहती थी कि सुनील कुछ अच्छी ड्रेसस सुमन को ले कर दे.

सुमन पीछे घर संभालने में लग गयी - मैड को तो उसने छुट्टी दे दी थी 10 दिनो के लिए.

सविता एक मॉडर्न लाइनाये की शॉप में घुस्स गयी - सुमन का साइज़ उसे पता था इसलिए ये प्राब्लम नही होनेवाली थी - पर सुनील को प्राब्लम हो रही थी - अपनी मासी कम साली के साथ ऐसी शॉप में जाते हुए उसका बुरा हाल हो रहा था - शर्म आ रही थी उसे - जिंदगी का ये एक्सपीरियेन्स वो भी मासी के साथ ----- बोखला रहा था - कुछ समझ नही आ रहा था - पहले तो वो रेडी ही नही था अंदर जाने को - पर सविता चाहती थी कि वो अपनी पसंद की ड्रेसस ले.

जब सविता ने देखा वो बहुत हिचकिचा रहा है - तो सविता उसके कान में बोली ' ये शरमाना छोड़ो और जल्दी से कुछ ड्रेसस पसंद करो - बीवी को कैसे खुश रखते हैं सीख लो'

मरता क्या ना करता सुनील ड्रेसस पसंद करने लग गया और अब सविता की हालत खराब होने लगी - सुनील की चाय्सस देख उसे अपनी किस्मत पे रंज आने लगा --- वक़्त ने सुमन की जिंदगी को किनारा दे दिया था और वो समर को छोड़ने के बाद किनारे की तलाश में थी.

सुनील ने कुछ ऐसी ड्रेसस पसंद करी थी जिन्हें देख और सुमन को वो ड्रेसस को पहने हुए की कल्पना करने मात्र से ही सविता के जिस्म में हलचल शुरू हो गयी थी.

सुनील ने ज़यादा वक़्त नही लगाया था --- काउंटर गर्ल तक हैरान थी कि क्या फटाफट ड्रेसस चूज़ करी वरना लोग तो चाय्स करने में आधा दिन लगा देते हैं और ड्रेसस भी क्या पसंद करी थी - एक से बढ़ कर एक.

इसके बाद दोनो घर आ गये और सविता लंच तयार करने लगी.
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07-18-2019, 12:53 PM,
#84
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील अपने कमरे में चला गया और पढ़ने लगा.

सुमन ने भी सविता की मदद करी लंच के लिए - भूख के मारे बुरा हाल था - ब्रेकफास्ट की तो लग गयी थी.

सुमन - सुनील के दिल की हालत समझ रही थी - वो अभी सविता के साथ बदलते हुए रिश्ते को अपनाने के लिए मानसिक रूप से तयार नही था - दूसरा जब उसने सुनील को पढ़ते हुए देखा तो उसे उसपे नाज़ होने लगा - उसका लक्ष्य उसके सामने बिल्कुल सॉफ था और जिंदगी में हो रही उथल पुथल उसे बहकने नही दे रही थी - कोई और लड़का होता तो सुमन को ले कमरे में बंद हो जाता.

सुमन उसे लंच के लिए बुलाने गयी तो उसने वहीं कमरे में मंगवा लिया - सुनील के दोनो हाथ में चोट लगी हुई थी - तो सुमन ने पहले उसे अपने हाथों से खाना खिलाया - जिसके बाद वो फिर पढ़ने बैठ गया.

सुमन और सविता ने साथ साथ लंच किया और फिर दोनो बहने सुमन के कमरे में आ के लेट गयी.

सुमन थोड़ी देर सोना चाहती थी - क्यूंकी रात भर जागी थी और फिर सुबह का ड्रामा - वो वाक़ई में थक चुकी थी .

पर सविता ने उसे कहाँ सोने देना था इतनी जल्दी - उसे तो खलबली मची हुई थी.

'हां तो मेरी जान कैसा है मेरा जीजू बिस्तर में'

'चुप कर - और कोई बात नही तुझे करने को'

'आई है ऐसे कर रही है जैसे कल पहली बार चुदि हो ... बता ना कैसा है वो... कितना बड़ा है उसका...'

सविता के सवाल सुमन के जिस्म में झुरजुरी पैदा कर रहे थे.... शर्म के मारे उसके गाल लाल होने लगे.

'तेरी हालत बता रही है तेरी रात का अफ़साना - पर एक बात समझ नही आई - बिस्तर पे खून देखा था मैने - गधे का लंड है क्या जीजू का ---- कसम से जलन होने लगी है तुझ से'

सुमन चुप रही - उसके होंठों पे मुस्कान थी - सुनील के प्यार करने का तरीका वो एक एक अहसास - उसे तड़पाने लग गया.

अहह वो सिसक पड़ी - जब उसे वो दर्द याद आया जब सुनील उसके अंदर समाया था.

'बता ना . प्लीज़ .... बता ना ... जान निकल रही है मेरी ..... और तू तो ऐसे लाल पड़ रही है जैसे पहली बार जिंदगी में सुहाग रात मनाई हो'

'हां पहली बार ही समझ ले --- पहली बार किसी ने मुझे अपने प्यार के सागर में डुबो दिया ... पहली बार किसी ने मेरी रूह तक पे अपना क़ब्ज़ा कर लिया.....मेरा पूरा अतीत - उसका वजूद जो मेरे जेहन में था - उसे नेस्तोनाबूद कर दिया ..... आइ लव हिम ---- आइ लव हिम' और सुमन शरमाती हुई सविता से लिपट गयी.

सविता उसकी पीठ पे हाथ फेरने लगी. ' इतना अच्छा है वो'

'पगली मेरे पास वो अल्फ़ाज़ ही नही जो बता सकें वो क्या है .... पता है सारी रात मेरे जिस्म के तार छेड़ता रहा... अपने पे इतना कंट्रोल रखा था उसने कि सिर्फ़ एक ही बार किया .... और सारी रात मुझे ऐसे ऐसे अनुभव दिए ... जिनसे मैं बिल्कुल अंजान थी... वो आनंद दिया जिसे अब तक मैने नही भोगा था .... ही ईज़ टू गुड'

'काश मुझे भी कोई ऐसा मिल जाए'

'आमीन'

सुमन अब थोड़ा सीरीयस हो गयी ' सवी किसी तीसरे को ये बात पता नही चलनी चाहिए'

'कैसे छुपाएगी तू'

फिर सुमन ने वही सब जो सुनील को बताया था उसे बता के कन्विन्स किया.

इस अनहोनी को अपने सामने होते देख सविता के मन में रमण और रूबी का रिश्ता आने लगा - अगर माँ बेटे का संबंध हो सकता है तो भाई बहन का क्यूँ नही और कॉन सा वो सगे हैं - सौतेले हैं - उसने रूबी के मन की थाह लेने का सोच लिया - कई बार ज़रा सी ग़लतफहमी से जन्मा गुस्सा कुछ का कुछ कर डालता है - कहीं यही तो नही हुआ दोनो के बीच.

बातें करते करते कब शाम हुई पता ना चला.

सुमन की नज़र जब घड़ी पे पड़ी ' उफ़फ्फ़ इतना टाइम हो गया - वो कॉफी का इंतेज़ार कर रहा होगा - चल उठें - मैं कॉफी बनाती हूँ - तू रातके खाने की तैयारी कर'

दोनो बहने उठ के किचन की तरफ बढ़ गयी.

सही टाइम पे ड्रेसिंग होने से सुनील को काफ़ी आराम मिल चुका था. जख्म इतने गहरे भी नही थे. सुमन जब कॉफी ले के आई तो उस वक़्त तक वो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका था.

‘बैठो अभी आया’ वो बाथरूम में घुस्स गया.

सुमन उसका इंतेज़ार करने लगी.

कॉफी पीते वक़्त.

‘सूमी मुझे कुछ बात करनी है रमण और रूबी के बारे में – एक काम करो सविता को भी बुला लो’

सुमन हैरानी से सुनील को देखने लगी – दिमाग़ में दस सवाल खड़े हो गये --- पर इतना वो जानती थी – कि सुनील बिना वजह कुछ नही बोलता .

वो सविता को बुलाने चली गयी.


थोड़ी देर में दोनो आ गयी और सुनील के सामने बैठ गयी – सविता अपनी कॉफी का कप साथ लाई थी.
सुनील बहुत सीरीयस मुद्रा में बैठा था.
सविता पहले तो डर गयी थी जब सुमन ने उसे चलने को कहा पर जब रमण और रूबी का नाम आया तो उसे कुछ तसल्ली मिली …. पर दिल धक धक कर रहा था … कि क्या बात होगी. क्या कहना चाहता है सुनील.
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07-18-2019, 12:54 PM,
#85
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील कुछ पल दोनो को देखता रहा फिर उसने बोलना शुरू किया.

‘कल तक मैं जिंदगी को कुछ और नज़रिए से देखता था – आज कुछ और है …. कल तक इन्सेस्ट मेरे लिए पाप था … गुनाह था… आज शायद उतना नही …. क्यूंकी मैं खुद उसका एक शिकार बन चुका हूँ.

जब मैं रूबी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट लेने गया था – तो एक दोस्त ने मजबूरन मुझे रमण से मिलवाया था – जो उस वक़्त हॉस्पिटल में अड्मिट था – समर ने बुरी तरीके से उसे मारा था. मेरा कोई इंटेरेस्ट नही था उसे मिलने का… पर अपने उस दोस्त की खातिर मिलना पड़ा.

दो साल दोनो के बीच संबंध चले थे…. दो साल … ये कोई छोटा वक़्त नही होता… ये रिश्ता दोनो के बीच क्यूँ शुरू हुआ … कैसे हुआ… ये सब ना जानता हूँ ना ही जानना चाहता हूँ. सवी शायद तुम जानती होगी ( सुनील ने सविता को सवी कह के बुलाना शुरू कर दिया था – एक पल को सवी चोन्कि – पर सम्भल गयी – रिश्ता बदल जो चुका था) आइ थिंक नाउ आइ कॅन कॉल यू ऐज सवी … इफ़ यू माइंड इट लेट मी नो --- विल मेंड माइसेल्फ.
(सवी चुप रही)

रमण का कहना था कि वो रूबी से प्यार करता है.’

सुनील चुप हो गया और दोनो की तरफ देखने लगा – क्या प्रतिक्रिया होती है दोनो की.

सविता : तुम दोनो के बीच जो हुआ उसकी बुनियाद प्यार है वासना नही और हालत ऐसे बने कि तुम दोनो को इस रास्ते पे चलना पड़ा. रमण का तो मैं अब नाम भी नही सुनना चाहती – मेरे लिए वो मर गया अपने बाप की तरहा. और रूबी के दिल में कुछ नही बचा उसके लिए सिवाए नफ़रत के. आज मैने भी सोचा था कि एक बार रूबी से फिर बात करूँ – पर उसके जख्म फिर से हरे नही करना चाहती --- वो टूट जाएगी – उसका करियर दाव पे लग जाएगा- बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला है.प्लीज़ अब कभी इस टॉपिक को मत छेड़ना – दफ़न होने दो इसे इतहास में.

सुनील सोचने लगा – उसने रमण को 3 साल वेट करने को कहा था – 3 साल वो रूबी से नही मिलेगा – उसके बाद भी अगर उसके अंदर रूबी के लिए प्यार की भावना होती है – तो देखेंगे – और खुद भी तो कह के आया था कि रूबी को उसके पास ले जाएगा.

क्या अभी सब कुछ बोलना चाहिए या नही – सवी जो रूबी के बारे में कह रही है वो भी ठीक है.

सविता के तेवर रमण के बारे में देख – सुनील चुप हो गया.

‘ठीक है छोड़ो फिर – मेरी जो बात हुई थी वो बताना भी ज़रूरी था --- चलो चिल करो – बेगम आज डिन्नर से पहले वाइन हो जाए – साली साहिबा का मूड मेरी वजह से खराब हो गया है – उसे ठीक कर देंगे’

‘आई हाई … साली की चिंता होने लग गयी और सुबह मेरा जो मूड खराब किया था….’

‘वो भी ठीक कर देंगे … तुम साथ तो दो’

‘देखा सवी कितने बेशर्म हैं…. जुम्मा जुम्मा आज साली से मुलाकात हुई और चालू होने की तयारि करने लगे – वो भी मेरे सामने’

‘छुप के कुछ करो तो बेवफ़ाई होती है – सामने कुछ करो तो अंदाज़े मोहब्बत होता है- और मैं बेवफा नही’ सुनील हँस पड़ा और सवी आँखें फाड़ देख रही थी – सुबह के

सुनील इस सुनील में कितना फरक था.

‘तोबा तोबा – अब तो डर लगने लग गया है जीजू से --- तू संभाल अपने मिया को मैं चली’ सवी हँसती हुई कमरे से बाहर निकल गयी और सूमी थयोरियाँ चढ़ा सुनील को देखने लगी.

‘क्या हो रहा था ये?’

‘क्या कुछ भी तो नही ‘ सुनील ने सुमन को खींच अपनी गोद में बिठा लिया.

‘अरे छोड़ो वो आ गयी तो क्या सोचेगी’

‘आएगी तो चुप चाप शर्मा के चली जाएगी’

‘हो हाई …. तुम तो रोज ही रंग बदलते जा रहे हो’

‘कल शादी हुई – तो धीरे धीरे ही पता चलेगा ना मियाँ कैसा मिला – और बीवी से प्यार करना कोई गुनाह नही’

‘ऐइ याई ओ – इतना बड़ा झटका – अब मुझे धीरे धीरे पता चलेगा तुम्हारे बारे में ..हाँ!’

‘और नही तो क्या….तुम जिसे जानती थी … वो तुम्हारा बेटा था….अब जिसकी गोद में बैठी हो … वो तुम्हारा पति है … उसे कब तुमने जान लिया’

‘नाराज़ मुझे होना चाहिए … और जनाब अपने रंग दिखा मेरी और जान निकालने पे तूल गये हैं --- छोड़ो मुझे …. वो अकेली किचन में लगी हुई है’

‘ना जाओ साईयाँ छुड़ा के बाइयाँ . कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगा … रो पड़ूँगा.’

सुनील की शक्ल ऐसी थी की सुमन खिलखिला के हँसने लगी --- उसका ये रूप सुमन के दिल को छू गया था…. सारा गुस्सा हवा अब सिर्फ़ प्यार ही प्यार रह गया था सुमन के दिल में.

‘लो कर लो बात --- हमारी इल्तीज़ा पे मेम्साब को हँसी आती है…क्या बीवी मिली है’

‘धत्त – बहुत बड़े नोतंकी हो … जाने क्या क्या रंग दिखाओगे… डर लगने लग गया है..’

‘डर के आगे जीत है मेरी जान ‘ और सुनील ने सुमन को बाँहों में कस उसके होंठों पे अपने होंठ चिपका दिए.

उम्म्म उउउंम्म वो छूटने की कोशिश करने लगी – पर धीरे धीरे ढीली पड़ती गयी और इस चुंबन का मज़ा लेने लगी.

इतने में सवी आ जाती है और दोनो को इस हालत में देख उसके कदम वहीं रुक जाते हैं …. उसकी महीनो से सोई हुई कामनाएँ जागने लगती हैं….गला सूखने लगता है… कदम वहीं जाम हो जाते हैं..

सुनील की नज़र उसपे पड़ जाती है… वो सुमन को छोड़ देता है…..

इससे पहले वो कुछ बोलता सुमन भड़क जाती है ‘ ये क्या मतलब हुआ – जब दिल किया पकड़ लिया … जब दिल किया छोड़ दिया… अब मेरा मूड है ‘ और झपट पड़ती है सुनील पे और पागलों की तरहा उसके होंठ चूसने लग जाती है …..

सुनील की सिचुयेशन बड़ी ऑक्वर्ड हो गयी थी …..

वो हाथ हिलाते हुए सवी को इशारा करता है जाने के लिए … पर वो तो किसी और दुनिया में पहुँच चुकी थी … उसे सुनील क्या कहना चाहता है नज़र ही नही आता … वो तो बस … उनके प्रेम भरे चुंबन की मिठास में खो चुकी थी.

जब सुनील को अहसास हुआ कि सविता तो कहीं और ही पहुँच चुकी है --- उसके पास कोई रास्ता ना बचा कि सूमी को ज़बरदस्ती अलग करे.

सुनील ने सूमी को अलग किया इससे पहले वो भड़कती --- उसने सवी की तरफ इशारा कर दिया.

सूमी ने गर्देन घुमाई और सवी को देख – शर्म से लाल पड़ गयी .

‘कहा था ना तुम से मत शुरू करो’ वो फुसफुसाई.

‘अरे मुझे क्या पता था उसे लाइव शो का शोक है – कब से इशारे कर रहा था कि चली जाए – पर वहीं जम के रह गयी है – मजबूरन अपनी भूक को बीच में छोड़ना पड़ा’ वो भी फुसफुसाया.

सूमी अभी तक उसकी गोद में बैठी हुई थी.

‘यार अब उठो भी और उसे देखो … कहाँ खो गयी है….. मैं फ्रेश होता हूँ तुम वाइन निकाल के रखो’

सुमन उठ खड़ी हुई … सुनील बाथरूम भाग गया…. सूमी जा के सवी के सामने उसकी आँखों की आगे हाथ हिलाने लगी पर सवी का कोई रियेक्शन नही हुआ.

सूमी को मजबूरन उसे हिलाना ही पड़ा --- अरे कहाँ खो गयी तू

‘हाउ पॅशनेट्ली यू गाइस किस ---- आइ आम फीलिंग जेलस ऑफ यू’ सवी के मुँह से दिल की बात निकल गयी …. अभी भी वो होश में नही आई थी.

सुमन घबरा गयी …. एक डर उसके सीने में समा गया.

‘ओ हेलो’

सूमी जब ज़ोर से बोली…. तो सवी होश में आई… उसकी नज़रें झुक गयी…..

‘मैं मैं कहने आई थी कि खाना रेडी है ‘---- वो पलट के चली गयी – उसकी आँखों में आँसू थे.

सुमन को सवी का बिहेवियर कुछ अजीब लगा – ऐसी भी क्या बात हो गयी थी – कितनी बार उसने सागर को चूमते देखा था और समर को --- आज ऐसा क्या हो गया.
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07-18-2019, 12:54 PM,
#86
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुमन ये ना समझ पाई कि उसे तो साथी मिल गया – जो उसके लिए नायाब था – उसकी जितनी तारीफ उसने सवी से करी थी वो सवी को दूसरे मुकाम तक ले गयी थी – जहाँ जलन अपनी जगह बना चुकी थी.

सुमन उसके पीछे चली गयी – सवी हॉल में बैठी चुप चाप आँसू बहा रही थी.

सुमन उसके पास जा के बैठ गयी – उसको खुद से सटाते हुए बोली ‘ क्या हुआ मेरी जान को’

‘कुछ नही दी’ सवी सूमी के गले लग रोने लग गयी.

आज सालों के बाद सवी ने सूमी को दी बोला था.

सुनील बाथरूम में खड़ा सवी के बारे में ही सोच रहा था – सूमी की जिस हालत ने उसे टूटने पे मजबूर किया था आज सवी की हालत उसे भी बुरी हो गयी थी.

उसे डर लगने लग गया – कहीं इतिहास खुद को दोहरा ना दे --- दोनो बहने स्वापिंग की आदि हैं --- कहीं फिर से …. ना … ये नही हो सकता… ना वो किसी की बाँहों में जा सकता था ना सूमी को किसी और की बाँहों में देख सकता था.

उसका चेहरा सख़्त हो गया – वो कुछ फ़ैसला कर चुका था

सुनील जब हाल में आया तो सूमी –सवी को चुप करने की कोशिश में लगी हुई थी.

‘ये तो होना ही था’ ये बोलता हुआ सुनील आराम से सोफे पे बैठ गया.

सूमी गुस्से से उसे देखने लगी .

‘ये अपना गुस्सा छोड़ वाइन की बॉटल ले के आ अभी साली साहिबा का दिमाग़ ठीक करता हूँ….. सवी इधर आ मेरे पास आ के बैठ – स्टॉप दिस स्टुपिडिटी'

सुबह का सुनील जो उसके मज़ाक को बर्दाश्त तक नही कर पा रहा था – कैसे रंग बदलता जा रहा था – सवी के दिमाग़ की धज्जियाँ उड़ गयी – सूमी तो उठ के चली गयी पर सवी आँखे फाडे सुनील को देख रही थी.

‘हां जो सुबह मेरे साथ हुआ था अब तेरे साथ हो रहा है – कट दा क्रॅप – कम हियर’ आवाज़ ऐसे थी जैसे बड़ा जीजा छोटी साली को बोलता है

सवी को कुछ समझ नही आया पल दो पल सोचती रही फिर उठ के सुनील के साथ आ के बैठ गयी – तब तक सूमी वाइन की बॉटल और ग्लासस ले के आ गयी थी.

सूमी ने सामने टेबल पे सामान रख दिया पर उसकी नज़र सवी पे टिकी हुई थी जो इस वक़्त सुनील के साथ चिपकी बैठी थी ……जलन की एक ऐसे लहर सूमी के अंदर कोंध गयी कि खुद को संभालना मुश्किल हो गया – क्या करे – क्या ना करे – आँखों से आँसू बहने लगे – जिसे वो रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी --- और सुनील सब देख रहा था.

‘ ऐसे क्या टुकूर टुकूर अपनी बहन को देख रही हो …. अपने जीजा के साथ चिपक के बैठी है तुम्हारे सामने ‘

हालत सवी और सूमी दोनो की खराब हो गयी …. एक तरफ सुनील पे विश्वास और दूसरी तरफ उसकी हरकत.

‘ आज साक़ी कॉन बनेगा --- साली साहिबा – यार तुम ही बन जाओ – मज़ा आ जाएगा पीने का’ असल में सुनील सुबह का गुस्सा निकाल रहा था – जब सवी मज़ाक पे मज़ाक किए जा रही थी और सुमन चुप रही थी बस एक आध बार बीच में बोली वो भी इस तरहा के कोई माइने ही नही रखता था.

सूमी मुँह बनाते हुए दूर बैठ गयी .

‘बीवी तुम्हारी जगह वहाँ नही – यहाँ है’ सुनील कुछ गुस्से से बोला.

सुमन चुप चाप पर गुस्से की नज़र से देखते हुए सुनील के पास आ के बैठ गयी – अब एक तरफ सवी थी और दूसरी तरफ सूमी .

सवी तो बस बैठी रह गयी थी – उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि हो क्या रहा है – आख़िर सुनील चाहता क्या है.

‘लानत है …. तुम्हारे हाथ क्यूँ कांप रहे हैं … कभी बॉटल नही खोली क्या ‘ सुनील गुस्से से बोला और सवी और सूमी बस एक दूसरे को देखती ही रही.

सुनील ने खुद बॉटल छीन ली और दोनो के बीच से उठ गया ‘ बड़ी बेकार साक़ी चुन ली आज’

सुनील ने खुद बॉटल खोली और तीन ग्लास डाल लिए अपना बड़ा रखा.

सवी - सुनील वाला उठाने लगी ‘ नो बेब्स …इट्स माइन’

तीनो के हाथ में ग्लास आ गये थे .

‘चियर्स न बॉटम्स अप’ सुनील बोला और पल में ग्लास खाली कर दिया .

‘ये क्या तरीका है पीने का’ – सुमन के अंदर बैठी माँ सामने आ गयी.

‘कूल बेबी अभी तो एक ही लिया है – फिनिश अप – आइ हॅव टू टॉक’

‘अब क्या बात करनी है इसने’ दोनो का माथा घूम गया और उसकी बात मानते हुए ग्लास खाली कर दिया, सुनील ने फिर से ग्लास भरे और अपना एक सेकेंड में खाली कर दिया .

आराम से पीना अब कोई जल्दी नही है – ये कह सुनील सामने पड़े पी नट्स चबाने लग गया.

गुस्से में दोनो बॉटम्स अप कर गयी और सुनील को देखने लगी जिसका चेहरा पल पल सीरीयस होता गया – ये वो सुनील नही था जो कुछ पल पहले दोनो को तडपा रहा था ……. उसके चेहरे की रंगत सवी तो नही समझ पाई थी पर सुमन उसे देख हिल गयी थी …. उसे एक तुफ्फान आता हुआ नज़र आ रहा था.

बीवी सामने आ गयी ‘जान ये क्या कर रहे हो – ऐसे कोई पीता है क्या – प्लीज़ बात क्या है – क्यूँ ऐसा कर रहे हो’
ह्म्म

‘ मैं चाहता हूँ – सवी की शादी कर दी जाए – कोई अच्छा आदमी ढूंड के – रूबी मेरी ज़िम्मेदारी है – मेरी ही रहेगी’

‘बॉम्ब फट गया कमरे में.

दोनो आँख और कान फाडे उसे देखने लगी.

‘ऐसे क्या देख रही हो दोनो – कुछ ग़लत बोला क्या’

सुमन रोने लगी…. और रोते हुए बोली ‘ क्या तू वही सुनील है’

‘ हां वही हूँ .. पर बदल चुका हूँ …….तुझे मैं मिल गया …..पर इसका क्या….रोज ये हमारे बारे में सोचेगी --- रोज और तडपेगी … इसकी शक्ल देख ली थी मैने… तुम आपस में डिसाइड कर लो’ सुनील बॉटल उठा सुमन के नही अपने कमरे में चला गया.
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07-18-2019, 12:54 PM,
#87
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यहाँ सुनील अपनी बीवी और नयी साली के साथ बिज़ी था - अपनी साली की शादी के बारे में सोच रहा था - वहाँ सोनल हर शाम थक हार कर - अपने सभी दोस्तों को मना कर - अपने कमरे में आती और सुनील की फोटो अपने बॅग से निकाल कर उस से बात करने लगती.

आज भी कुछ ऐसे ही हुआ.

सुनील की फोटो अपने पर्स से निकाली ---और बात करने लग गयी जैसे वाक़ई में सुनील सुन रहा हो .

जान जानता है मेरी सब सहेलियाँ अपने बॉय फ्रेंड्स के बारे में बोलती हैं -- उनके साथ बिताए लम्हे बताती हैं........मैं क्या.... और रोने लग गयी ... जब से सुनील ने उसे मर्यादा का पाठ सुनाना शुरू किया था ----तब से वो एक प्रतिमा बन के रह गयी थी.

अपने दिल की बातें - अपने दिल में ही रखती थी.

'जानू आज सुवीता बता रही थी के वो अपने बॉय/फ्रेंड के साथ फिल्म देखने गयी थी ....मुझ से पूछ रही थी .. कि मैं अपने बाय्फ्रेंड के साथ नही जाती क्या .... मैं क्या ...मैं क्या बोलती जानू ...मेरा बाय्फ्रेंड तो मेरी परवाह ही नही करता .......बस खुद से बोलती और रोती रहती - इस बात की जानकारी ना सुमन को कभी हुई ना ही सुनील को.

इसी तरहा रोज सोनल अपने दिन बसर कर रही थी - किसी से कुछ लेना देना नही - कान्फरेन्स के बाद होटेल का रूम उसकी तन्हाई - जिसे सिर्फ़ सुनील की फोटो ही बाँटति थी.

और उस तन्हाई को तोड़ते सिर्फ़ उसके आँसू .

यहाँ सुनील सवी की शादी का बॉम्ब फोड़ के अपने कमरे में आ गया और गाटा गट वाइन बॉटल से ही पीने लगा.

अपनी तरफ से जो बॉम्ब उसने फोड़ा था सही फोड़ा था .... आख़िर कब तक सवी तन्हाई बर्दाश्त कर पाएगी और अब तो और भी मुश्किल हो जाएगा उसके लिए जब वो सुमन को देखेगी सुनील की बाँहों में .... बाहर खड़ी उसकी सिसकियाँ सुनेगी तो उसके तन बदन में आग लग जाएगी.

इस आग को ही तो भुजाना चाहता था सुनील --- जिसका इलाज़ सिर्फ़ उसकी शादी था. रही बात समर से उसके डाइवोर्स की - जिसका अभी कुछ नही हुआ था - उसे वो देख लेता बस एक बार उसे मुंबई ही तो जाना था.

सुनील के कमरे से निकलने के बाद दोनो बहने एक दूसरे को मूर्ति बनी देखती रही कुछ देर - समझ ही नही आया ये क्या हो गया ---- मस्ती करने की जगह ब्लास्ट कर के चला गया.

'दी क्या हो गया है इसे .... इतना बदल गया है ..... मेरी शादी......'

'हां .... तेरी शादी.... मैने कभी नही सोचा .... उसने सोच लिया..... अब पता चला वो क्या है.... वो छोटा है उम्र में .... पर हम से बहुत आगे निकल गया है.....वो जो देख रहा है .... वो हम दोनो देख नही पाए.... वोई आनेवाला कल देख रहा है.... उसे तेरी चिंता है ... ये होता है फरक परवरिश का..... अब पता चला सागर ने उसे क्यूँ चुना मेरे लिए..... शायद अब समझ गयी होगी ... क्या क्या नही झेला होगा उसने सागर की जगह लेने से पहले....मैं चलती हूँ.... कहीं वो फिर से गम की वादियों में ना चला जाए.'

सवी को समझ नही आ रहा था कि क्या बोले ... सूमी भी सुनील की भाषा बोल रही थी.

'ऐसे मुझे मत देख.... आराम से सोच.... इतनी बड़ी जिंदगी आगे पड़ी है ... अकेले कैसे कटेगी'

सवी को भावनाओं के बवंडर में छोड़ सूमी अपने सुनील के पास चली गयी.

सवी को सोचने के लिए अकेला छोड़ सूमी अपने कमरे में गयी तो देखा सुनील वहाँ नही था.

उसे बहुत हैरानी हुई --- कुछ डर सा लगने लगा --- कहाँ गया वो --- अपने कमरे में --- पर क्यूँ ?

वो सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी - दरवाजा खुला था - कुर्सी पे बैठा कुछ सोच रहा था - टेबल पे वाइन की खाली बॉटल पड़ी थी.

सूमी का दिमाग़ फटने लगा ..... बॉटल डकार ली .

सूमी वहीं उसके पास जा के बैठ गयी .

'यहाँ क्यूँ चले आए?'

'हां' सुनील अपने ख़यालों से वापस आया और सूमी को अपने पास बैठे हुए देखा.

'क्या सोच रहे हो - यहाँ क्यूँ आए ... चलो अब तुम्हारा बेडरूम ये नही है'

'मेरे ख़याल से तुम्हें इस वक़्त सवी के पास होना चाहिए - शी नीड्स यू'

'आंड आइ नीड यू ऑल दा मोर --- चलो ना'

'पता नही मैने जो किया वो ठीक था या नही --- बात समझा करो --- बहन है तुम्हारी --- परेशान हो गयी होगी --- मेरी बातों से --- तुम्हें उसके साथ होना चाहिए --- आज उसे अकेला मत छोड़ो'

'बच्ची नही है वो .... तुम चल रहे हो ... या मैं यहाँ रुकु .... अब ये बेड चेंज करना पड़ेगा'

'क्यूँ बेड को क्या हो गया.... अच्छा भला है'

सूमी उठ के खड़ी हो गयी - कमर पे हाथ रख गुस्से से घूर्ने लगी.

'सुबह से तंग कर रहे हो ..... ठीक है करो अपनी मर्ज़ी ' उसकी आँखों में आँसू आ गये और वो पलट के जाने लगी.

'यार तुम औरतें ये बात बात पे रोना क्यूँ शुरू कर देती हो' सुनील ने उसका हाथ पकड़ लिया.

'छोड़ो मुझे ... देख लिया तुम्हारा प्यार .... कल चले जाओगे ... फिर एक हफ्ते बाद शकल दिखाई देगी .... तब भी ना आना हो तो मत आना'

'जान मेरी रूठ गयी जाने क्यूँ हमसे आफ़त में पड़ गयी जान' सुनील ने सूमी को खींच अपनी गोद में ले लिया .... वो खिंची चली आई जैसे इंतेज़ार कर रही हो... कब वो उसे खींचेगा.

दोनो एक दूसरे को देखने लगे .... सुमन की आँखों से आँसू बह रहे थे. सुनील उन्हें चाटने लग गया.

'छोड़ो मुझे - ये दिखावे का प्यार रहने दो'

सुनील उसके गले को चूमते हुए बोला ' छोड़ने के लिए थोड़े ही पकड़ा था तुम्हारा हाथ'

'ऐसे नाराज़ रहा करोगी तो मेरी जान निकल जाएगी'

सूमी ने फट उसके मुँह पे हाथ रख दिया ' जान निकले तुम्हारे दुश्मनो की'

'अच्छा चलो देखते हैं सवी क्या कर रही है - सोने चली गयी या अभी तक वहीं बैठी है'

सुनील - सुमन को अपनी गोद में ही उठा चल दिया.

'अरे छोड़ो नीचे उतारो - क्या बोलेगी वो'

सुनील यूँ ही गोद में उठाए सीडीयाँ उतरने लगा.

'प्लीज़ उतारो ना गिर जाउन्गि'

'इतना भी यकीन नही - मैं तुम्हें कभी गिरने दूँगा'

सुमन का दिल किया उसके गाल पे काट ले.

सुनील ने हॉल के बाहर ही उतारा - दोनो अंदर घुसे और देखा कि सवी वहाँ नही थी. वो अपने कमरे में जा चुकी थी --- सुनील ने फिर उसे गोद में उठा लिया और सुमन के कमरे की तरफ बढ़ गया - दरवाजा खुला था इसलिए कोई दिक्कत ना हुई और आराम से उसे बिस्तर पे लिटा दिया.

सुनील दरवाजा बंद करने जा रहा था कि सुमन को लगा वो अपने कमरे में वापस जा रहा है - हाथ पकड़ उसे खींच अपने उपर गिरा लिया ' रात को बीवी को अकेला नही छोड़ते.'

'मैं तो दरवाजा बंद कर रहा था - लगता है तुम्हें अब लाइव शो दिखाने का चस्का लगने लगा है'

'धत्त' मैं करती हूँ - कपड़े भी बदलने हैं'

' सुनील एक ठंडी साँस भर लेट गया और सूमी ने दरवाजा बंद किया और सुनील जो उसके लिए नयी लिंगेरिएस लाया था उनमे से एक चुन बाथरूम में घुस गयी.



सूमी - सुनील के पास आ कर लेट गयी और सुनील को उसके बदन की भीनी भीनी खुसबु आने लगी. अब उसे अपने आप पे गुस्सा आने लगा - क्यूँ दीवार पे मुक्के मारे - दोनो हाथों पे पट्टियाँ बँधी थी - बेबस हो गया सूमी के बदन का अहसास पाने को .

सूमी उसके गालों से अपने गाल रगड़ने लगी और धीरे धीरे अपने होंठ उसके होंठों की तरफ ले जाने लगी.

कुछ ही पलों में सूमी - सुनील के उपर थी और दोनो के होंठ जुड़ चुके थे. अपनी ज़ुबान से सुनील के होंठ खोलने की कोशिश करी तो फट से खुल गये और सूमी की ज़ुबान सुनील के मुँह के अंदर घूमने लगी जैसे कुछ ढूंड रही हो.

सूमी की इस हरकत से सुनील सिसक उठा और उसे अपनी बाँहों में इतनी ज़ोर से कसा कि सूमी को लगा उसकी हड्डियाँ चटक जाएँगी.

आआआआऐययईईईईईईईईईईई इतनी ज़ोर से नही दर्द होता है
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07-18-2019, 12:54 PM,
#88
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

दोनो ये नही जानते थे कि बाहर सवी आ चुकी है और अधखूली खिड़की से अंदर का नज़ारा देख रही है

उम्म्म्म चू च्त उम्म दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगे कमरे में आवज़ें फैलने लगी उनके चुंबन की और बाहर खड़ी सवी अपने होंठों पे जीब फिराने लगी.

सूमी ने जो लाइनाये पहनी हुई थी उसमे वो किसी सेक्सी मॉडेल से कम नही लग रही थी – आहह क्या चाय्स थी सुनील की ….. एक एक बात से उसे सूमी से जलन होने लगी और कमरे में जो हो रहा था उसे देख उसकी हालत खराब होने लगी – गला सुख गया- टाँगे काँपने लगी – जिस्म में उत्तेजना फैलने लगी – वो अपनी टाँगों को आपस में रगड़ने लगी .

अंदर सूमी ने सुनील के होंठ चूस्ते हुए उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए थे और अपने जिस्म को उसके जिस्म से रगड़ने लगी थी.

सवी से देखा नही जा रहा था – उसका दिल कर रहा था अंदर चली जाए – सूमी ने सुनील की शर्ट और बनियान उतार दिए और उसकी छाती पे चुंबनो की बरसात करते हुए उसके निपल चूसने लग गयी .

अहह ऊऊओह गगगगगगूऊऊऊऊओद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड
सुनील की तो चीख ही निकल गयी --- सुनील की बॉडी देख सवी को नशा चढ़ने लगा --- खुद अपने मम्मे मसल्ने लगी ……. अहह सुनील – बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आवाज़ पर रोक लगाई – कहीं दोनो सुन ना लें.

सूमी कभी एक निपल चूस्ति तो कभी दूसरा और जब एक निपल चूस्ति तो दूसरे को अपनी उंगलियों से मसल्ने लगती ……. सुनील तड़पने लगा – ये अहसास उसके लिए बिल्कुल नया था.

सूमी की भी हालत खराब हो गयी और उसने अपनी लाइनाये उतार फेंकी – अब वो बिकुल नग्न हो गयी थी.

सूमी ने अपने निपल को सुनील के होंठों से सटा दिया और उसके सर को पकड़ अपनी तरफ खींचने लगी.

सुनील ज़ोर ज़ोर से उसके निपल चूसने लगा……. अहह जानू खा जाओ चूस लो …… ओह्ह्ह्ह माआ उफफफ्फ़

सूमी ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी. उसकी हर सिसकी सवी के कानो में हथौड़े की तरहा पड़ रही थी.

सूमी कभी एक निपल उसके मुँह में डालती तो कभी दूसरा सुनील उसके जिस्म पे हाथ फेरना चाहता था – उसके मम्मे मसलना चाहता था – पर मजबूर था.

अपना ये गुस्सा वो सूमी के उरोज़ पे निकाल रहा था … जगह जगह उसके दाँतों के निशान पड़ने लगे --- सूमी को भी इसमे मज़ा आ रहा था – जब भी उसके दाँत लगते वो ज़ोर से सिसकती – और बाहर खड़ी सवी भी उतनी ज़ोर से अपने मम्मे मसल्ति --- सवी की आँखें एक दम लाल सुर्ख हो चुकी थी – यूँ लग रहा था जैसे उसपे बहुत तेज नशा चढ़ चुका हो – उसका जिस्म लहराने लगा था जैसे अंदर सूमी मचल रही थी.

कल जिस तरहा सुनील ने सूमी को नये नये आनंद का अनुभव करवाया था आज सूमी ने ठान लिया था कि वो सुनील को नये अनुभव करवाएगी. सूमी ने सुनील की पॅंट और अंडरवेर एक दम उतार दिया और प्यार से उसके खड़े लंड को देखने लगी जिसने कल उसकी हालत बुरी कर दी थी. आज भी कुछ ऐसा ही होने वाला था पर सूमी को यही चाहिए था.
वो सुनील के उपर इस तरहा आई कि उसकी चूत सुनील के मुँह पे थी झुक कर वो सुनील के लंड को सहलाने लगी .
सुनील ने देर नही लगाई और सीधा उसकी चूत में जीब घुसा दी और जीब से उसे चोदने लगा बीच बीच में उसकी चूत को मुँह में भर ज़ोर से सक करता.
सूमी ने सिसकते हुए सुनील के लंड को चाटना शुरू कर दिया. बाहर खड़ी सवी ने जब सुनील का लंड देखा तो डर गयी - कैसे लिया होगा ये सूमी ने अंदर.

ओह्ह्ह डार्लिंग ..... अहह हां चोदो मुझे अपनी जीब से अह्ह्ह्ह सक मी हार्ड उउउफफफफफफफफफ्फ़

सूमी की ये सिसकियाँ सुन सवी का दिल करने लगा कि सूमी को उठा फेंके और उसकी जगह लेले. एक हाथ से वो अपने उरोज़ को मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया.

सूमी सुनील के लंड को धीरे धीरे चाटते हुए अपने मुँह में लेने लगी. सूमी को तकलीफ़ हो रही थी इतने मोटे लंड को मुँह में लेने से पर वो लगी रही. सुनील को ये मज़ा पहली बार मिल रहा था - जितनी ज़ोर से सूमी उसका लंड चूस्ति उतनी ही ज़ोर से वो उसकी चूत चूस्ता.

सूमी की सिसकियाँ अब दब गयी थी. गन गुन कर वो पागलों की तरहा सुनील के लंड को चूस्ते जा रही थी और धीरे धीरे पूरे लंड को अपने गले तक ले गयी.

बाहर सवी आँखें फाडे ये सब देख रही थी.

एक पल तो ऐसा आया कि वो पकड़ी जाती जब सूमी की नज़र खिड़की पे गयी पर सवी ऐन टाइम पे हट गयी थी.

सवी हैरान थी किस तरहा सूमी सुनील के पूरे लंड को निगल गयी थी. सूमी का गला दर्द करने लगा था , उसका मुँह दुखने लगा था पर वो सुनील को किसी भी कीमत पे ये सुख देना चाहती थी. सुनील जिस तरहा उसकी चूत को चूस रहा था बीच बीच बीच में अपने दाँत गढ़ा देता और जब उसके क्लिट पे अपनी ज़ुबान रगड़ता सूमी की चीखें निकलने को होती पर गुन गुन करती रह जाती क्यूंकी मुँह तो लंड से भरा हुआ था.

सूमी तेज़ी से अपने चर्म की तरफ बढ़ रही थी पर सुनील था कि झड़ने का नाम नही ले रहा था, हालाँकि उसकी हालत भी बुरी हो चुकी थी...... वो अपने कमर उछाल उछाल सूमी के मुँह को चोदने में लगा हुआ था और सूमी अपने आँसू निकालती उसे सब कुछ करने दे रही थी.

थोड़ी ही देर में जब सूमी झड़ने को हुई तो उसने सुनील का लंड मुँह से निकाल दिया कहीं उन्माद में उसपे अपने दाँत ना गढ़ा बैठ ती.

उईईईईईईई आआआआऐययईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममममममाआआआआआआआआआआआअ

सूमी ज़ोर दार चीख के साथ झड़ने लगी और सुनील उसका सारा रस पीता रहा ..... सूमी मैं जान ही ना बची थी वो सुनील पे निढाल हो गयी, बाहर खड़ी सवी अपने पे ज़ुल्म ढाती तड़प रही थी - उसका अभी तक ऑर्गॅज़म नही हुआ था ...... उसकी हालत हर पल बत्तर होती जा रही थी.

सूमी निढाल हो गयी पर सुनील अभी तक नही झडा था- उसे तो पहले सूमी की ही खुशी चाहिए थी - लेकिन आज लंड चूस कर सूमी ने जो मज़ा उसे दिया था - उसकी करेंट अभी तक उसके जिस्म में दौड़ रही थी.

उसने सूमी को सीधा लिटाया और प्यार से उसके चेहरे को चूमने लगा.

थोड़ी देर में सूमी ने आँख खोल दी - और प्यार भरी नज़रों से उसे देखने लगी.

सूमी ने सुनील के चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और उसके चेहरे को चाल कर
अपने रस का मज़ा लेनी लगी

'बहुत स्टॅमिना है तुम में - जान ही निकाल दी मेरी.'

'तुमने मुझे आज जितना आनंद दिया है कभी नही भूल सकता - लव यू डार्लिंग'

'ऐसे ही सारी जिंदगी मुझे प्यार करते रहना' पता नही जब तुम हॉस्टिल जाओगे वो वक़्त मैं कैसे गुज़ारुँगी'

'अभी तो 5 दिन यही हूँ - मैं छुट्टी ले कर आया था'

'सच !!!!! लव यू लव यू लव यू' और पागलों की तरहा सुनील को चूमने लगी.

दो हँसो का जोड़ा जैसे बरसों बाद मिला हो - वही हाल था दोनो का - पागलों की तरहा एक दूसरे को चूम रहे थे.

इनका ये प्यार देख सवी की आँखों में आँसू आ गये - उसने क्या गुनाह किया था - जो ऐसा प्यार उसे नसीब नही हुआ.... उसका जिस्म जल रहा था ... उसकी चूत मे भयंकर खुजली मच चुकी थी .... उसे समझ नही आ रहा था कैसे खुद को शांत करे.

सुनील का स्टॅमिना देख तो उसे यकीन ही नही हो रहा था - जवान लड़का इतना बड़ा लंड और इतना स्टॅमिना - जो लड़की उसके नीचे आएगी हमेशा उसकी हो के रह जाएगी ---- वो सोचने लगी किस तरहा सूमी को राज़ी करे कि रात को वो भी इन दोनो के साथ आनंद के ये पल महसूस कर सके .... उसकी जिंदगी में जो वीराना छा गया था --- उसे दूर कर सके.

जितना वो सुनील को समझी थी - ये एक नामुमकिन काम था - पर अब वो हर कीमत पे सुनील को अपनी जिंदगी में चाहती थी .

कोई और होता तो अब तक सूमी की चूत में लंड घुसा चुका होता - पर इसे देखो - कैसे प्यार से बातें कर रहा है ...... हाई मेरा खोटा नसीब. सवी की आँखों से आँसू टपकने लगे.

अंदर सुनील और सूमी एक दूसरे को चूमते हुए बातें कर रहे थे और सूमी सुनील के लंड को अपने हाथ में ले कभी दबाती , कभी सहलाती , जब ज़ोर से दबाती तो उसकी अह्ह्ह्ह निकल जाती.

'एक बात पूछूँ - बुरा तो नही मानो गी'

'जो मर्ज़ी पूछो - तुम्हारी किसी बात का बुरा मान सकती हूँ क्या'

'कल तुम इतना टाइट कैसे.........'

सूमी हँस पड़ी - 'बुध्धु राम डॉक्टर बनने जा रहे हो - ये भी नही मालूम'

'अभी फार्मकॉलजी कहाँ पड़ी वो तो 6 महीने बाद शुरू होगी'

'आइ यूज़्ड अस्ट्रिंजेंट टू टाइटन माइ वेजाइना - टू गिव यू मॅग्ज़िमम प्लेषर....... इतना टाइम नही था वरना ऑपरेट कर सील भी लगवा लेती और तुम्हें कुँवारी लड़की का पूरा मज़ा देती - पर जो वक़्त था मेरे पास - यही सही लगा --- क्यूँ तुम्हें मज़ा नही मिला '

'मज़ा तो बहुत मिला बस हैरान था कि ये कैसे हुआ'

'अब बातें छोड़ो और मुझे प्यार करो - तुम्हारा मूसल कब से तड़प रहा है मेरे अंदर जाने के लिए - कम फक मी'

सुनील - सूमी को फिर गरम करने के लिए उसके निपल को चूसने लग गया --- पता नही आज क्या हाल होने वाला था सूमी का पहले ही काफ़ी लव बाइट्स के निशान पड़ चुके थे और सुनील ने बड़ी मुश्किल से खुद को रोका हुआ था ----- अगर अभी चढ़ जाता सूमी पे तो उसे काफ़ी तकलीफ़ होती .

सूमी के दिल में उसकी ये हरकत देख और भी प्यार बढ़ने लगा - उसे अपनी किस्मत पे नाज़ होने लगा - उसकी जिंदगी को फिर से सवारने वाला कितना अच्छा आदमी है.

उम्म्म्म यस लव मी - सक मी - सक मी हार्ड

सूमी की सिसकियाँ निकलने लगी - जिस्म में उतेज्ना का संचार होने लगा . बाहर खड़ी सवी ने अपनी नाइटी उतार डाली थी और पूरी नंगी हो अपनी चूत में उंगलियाँ डाल कर खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी.
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07-18-2019, 12:54 PM,
#89
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जिस तरहा सुनील - सूमी को प्यार कर रहा था --- वो प्यार हर औरत के नसीब में नही होता --- और सवी इस प्यार को पाने के लिए तड़पने लगी.

सूमी को तेज प्रेशर लगता है पिशाब का - वो सुनील को बोली

'जान थोड़ी देर मुझे बाथरूम जाना है'

सुनील उसके उपर से हट गया और पेट के बल ही लेट गया.

सूमी बिस्तर से उठने लगी तो उसकी सांस उपर की उपर नीचे की नीचे हो गयी - उसे सवी नज़र आ गयी एक दम नग्न अपनी चूत में उंगलियाँ करती हुई ---- वो घबरा गयी और पलट के सुनील को देखा - वो उल्टा लेटा हुआ था - उसकी जान में जान आई और लपकी खिड़की पर - ये सब इतनी तेज़ी से हुआ कि सवी को छुपने का मोका ना मिला और दोनो बहनो की आँखें चार हो गयी .

सवी ने हाथ जोड़ इशारा किया कि उसे देखने दे. पर सूमी तो आग बाबूला हो गयी - उसकी आँखें बरसने लगी - उसने फट से परदा कर दिया --- और बाथरूम में घुस्स गयी.

बाथरूम की दीवार के साथ लग खुद को संभालने लगी.

उसे सवी से उम्मीद बिल्कुल ना थी कि वो तान्क झाँक करेगी. कितना सही था सुनील --- आगे की सोच के बात करता है ..... वाह रे सागर क्या शिक्षा दी तुमने मेरे पति को . धन्य हो गयी में आज मेरे दोनो पति अव्वल दर्ज़े के इंसान हैं - बस सागर काश तुममे वो कमज़ोरी ना होती ...... आज दिल से तुम्हें माफ़ किया क्यूंकी तुमने मुझे सुनील दे दिया.

अपने आँसू संभाल वो खुद को रिलीव करती है - चेहरा धो के आँसू के निशान मिटाती है और बाहर निकल पहले खिड़की जाँचती है - सवी जा चुकी थी.

एक ठंडी साँस भर अपने प्रेमी के पास जा उससे लिपट जाती है.

'ओह सुनील - मैं बहुत खुश हूँ - बहुत खुश हूँ तुम मेरी जिंदगी में आ गये - अब और कुछ भी नही चाहिए'

'क्या बात है -- आज ....'

सूमी ने उसे बोलने ही नही दिया और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए ....... सूमी की आँखों से आँसू बहने लगे - जिन्हें देख सुनील फट से अलग हो गया.

'क्या बात है .... क्या छुपा रही हो मुझ से .... ये आँसू .....'

'खुशी के आँसू हैं .... जान ... आज बहुत खुश हूँ '

सुनील कुछ नही बोला पर इतना उसे लग गया था कि सूमी कुछ छुपा रही है ..... पर ये रात को बंद कमरे में उसके साथ होते हुए भी ऐसा क्या हो गया --- जो उसकी आँखों में आँसू आ गये.

'तुम झूठ नही बोल सकती .... खास कर मुझ से... जब दिल करे तब बता देना .... फिलहाल सोते हैं' सुनील का मूड ऑफ हो चुका था.

और सूमी पेशोपश में पड़ गयी कि क्या करे ..... सवी को सुनील की नज़रों के सामने गिराना भी नही चाहती थी और सुनील को दुखी भी नही करना चाहती थी.

सुनील उठ के खड़ा हो गया सूमी की लाइनाये उसके पास फेंक दी और अपने कपड़े पहनने लगा.

जैसे सुनील ने अपने कपड़े पहनने शुरू किए वो तड़प उठी - पति पहले - बाकी रिश्ते बाद में .

वो लपक के सुनील से चिपक गयी और उसके हाथ से कपड़े खींच फेंक दिए ' सॉरी जान .... सॉरी ... प्लीज़ माफ़ कर दो'


'डॉन'ट टॉर्चर युवरसेल्फ स्वीट हार्ट .... कूल डाउन .... कहा था ना . नो थॅंक्स ...नो सॉरी ... भूल गयी .... आज सवी की वजह से बहुत मानसिक थकान हो चुकी है - तुम्हें भी और मुझे भी - और देखो मेरे ये ज़ख्मी हाथ .... वाना रिलॅक्स फॉर सम टाइम नाउ ... लेट'स स्लीप ...... हां यार ये कपड़े पहन के तो सो नही पाउन्गा.... मेरा नाइट सूट मेरे कमरे में ही है... चेंज कर के आता हूँ......'

सूमी को यूँ लगा जैसे किसी ने उसे पहाड़ से नीचे धक्का दे दिया हो. वो पत्थर बन गयी ... मुँह खुला रह गया. सुनील अपने कपड़े पहन अपने रूम की तरफ चला गया. सूमी वैसे के वैसी नग्न खड़ी रही.

अपने कमरे की तरफ जाता हुआ सुनील बस यही सोच रहा था कि क्या वजह है जो सूमी की आँखों में आँसू भर आए - ऐसा क्या हो गया -- जो वो बताना भी नही चाहती --- वो भी रात के इस वक़्त ---- सोच सोच के उसका दिमाग़ फटने लगा .

(अब यहाँ एक बात क्लियर कर देता हूँ - सुनील के कमरे के साथ वाला कमरा सोनल का था और उसके साथ वाला गेस्ट रूम जो इस वक़्त सवी और रूबी को दिया गया था.

जैसे ही वो अपने कमरे में घुसने को हुआ गलियारे में आती लाइट ने बता दिया कि सवी जाग रही है .

सुनील के कदम उस कमरे की तरफ बढ़ गये ..... कमरे के पास पहुँच वो नॉक करने वाला था कि अंदर से उसे आवाज़ें सुनाई देने लगी

'ओह सुनील ...... फक मी..... अहह ' वो अंदर फिंगरिंग कर रही थी ..... सुनील का नाम ले ले कर.

सुनील को बहुत ज़ोर का झटका लगा .... उसका हाथ वहीं रुक गया चेहरे पे गुस्सा के भाव आने लगे .... दिल कर रहा था के अभी दरवाजा तोड़ अंदर घुस उसे 3-4 लगा दे .... पर उसे सूमी के आँसू पोंछने थे ..... खुद को रोक कर अपने कमरे की तरफ चला गया - फटाफट नाइट सूट पहना और एक नज़र गुस्से से गलियारे की तरफ डालता हुआ सूमी के कमरे की तरफ बढ़ गया.

कमरे में दाखिल हुआ तो सूमी उसी तरहा पत्थर बनी आँसू बहा रही थी.

सुनील की नज़र खिड़की पे गयी - उसे अच्छी तरहा याद था कि जब वो पहले कमरे में आया था - परदा पूरा नही था. ..... एक और एक जोड़ने में उसे वक़्त नही लगा... सूमी के आँसुओं का राज उसके सामने सॉफ हो गया --- सम वन वाज़ एंजायिंग बिकमिंग पीपिंग टॉम...... हँसी आ गयी उसे इतना गुस्सा चढ़ने के बावजूद भी.

दिन में सवी ने किस्सिंग करते देखा था और अब......सवी की हालत वो समझ सकता था --- इसीलिए तो शादी की बात छेड़ी थी.

सूमी की हालत उस से बर्दाश्त नही हुई और खुद को भी कोसने लगा .... सीधा सूमी के पास गया और उसके चेहरे को हाथों में ले ... उसकी आँखों में झाँकने लगा --- आँखों ने आँखों से बात कर ली और सूमी बिलख के उससे चिपट गयी.

'बस जो तुम छुपाना चाहती थी वो मैं जान गया हूँ'

सूमी की हिचक़ियों को ब्रेक लग गया .... और वो आँखें फाडे सुनील को देखने लगी --- आदमी है ---या अजूबा .

जहाँ लोग सोचना बंद कर देते हैं वहाँ से वो सोचना शुरू करता था --- और इसका सारा क्रेडिट कुछ सागर को जाता था और कुछ सुनील के अपने दिमाग़ को.

' सुनील ' बहुत दर्द था सूमी की आवाज़ में .

'जान सब कुछ से सकता हूँ -- पर इन आँखों में आँसू नही ..... सवी बाहर खड़ी देख रही थी ना... तभी तुमने परदा पूरा किया.'

सूमी ये सोचने लगी - ये लड़का अपने पालनेवाले बाप से भी आगे निकल गया ..... अब तो उसे डर लगने लगा --- कभी किसी हालत के तहत झूठ बोलना पड़ा - तो वहीं पकड़ लेगा ---- उसने दिल ही दिल में कसम खा ली कभी भी झूठ नही बोलेगी ---- ना इसने आज तक बोला - और अब मैं भी नही बोलूँगी -------- ये थी प्यार की माँग और सूमी तो बस प्यार ही करती थी - ये हादसा - जो वो छुपाना चाहती थी - वो भी तो प्यार की वजह से था - जो उसे अपनी बहन से था --- जो गुस्सा चढ़ा हुआ था - उसके उपर - वो अलग बात थी.


'सुनील'

'बस हो गया जो होना था ..... अब और तकलीफ़ मत दो खुद को ... मैं हूँ ना'


'ओह सुनील - मैं क्या करूँ गी तुम्हारे बिना'

'मुझे क्या होगा और जब तक उसका बुलावा नही....'


सूमी ने उसके मुँह पे हाथ रख दिया .

बस इतना काफ़ी था दोनो के लिए और उनके कदम बिस्तर की ओर बढ़ने लगे.... एक दूसरे की आँखों में देखते हुए

करीब आधे घंटे बाद दोनो की जान में जान आई.

सूमी के चेहरे पे जो रोनक आ चुकी थी वो देखने वाली थी. अंगड़ाई लेते हुए वो उठी - आह पूरा जिस्म तोड़ डाला - बड़े शैतान हो गये हो - चेहरे पे कामुक मुस्कान थी - जैसे दूसरे राउंड की तैयारी करना चाहती हो.

तभी सुनील को याद आता है - आज तो हनिमूनर'स नाइट है होटेल में. उसे सूमी के लिए कुछ खास लेना था वो फटाफट बाथरूम में भागता है और फ्रेश हो कर रेडी हो जाता है.

'जान मैं थोड़ी देर में आया --- कुछ देर बाद दो ब्युटीसियन आएँगे तुम्हें तयार करने और हां जो ड्रेस पहन्नी होगी वो मैं उनके हाथ भेज दूँगा. तुम बाथरोब पहन लेना और उनका वेट करना.'

'अरे ऐसा क्या हो गया -- ये सब'

'बस आ के बताता हूँ - टाइम कम है'

शाम के 6 बज चुके थे और पार्टी का टाइम 9 बजे का था.
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07-18-2019, 12:55 PM,
#90
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
आधे घंटे बाद 2 लड़कियाँ आती हैं- उनके सामने नग्न होने पर सूमी को शर्म आने लगी - जगह जगह लव बाइट्स जो थे - पर सुनील की बात टाल भी नही सकती- चेहरा लाल किए वो निर्वस्त्र हो जाती है. उसके जिस्म की खूबसूरती को देख एक लड़की आहह भर उठती है - हाई मेडम काश मैं लड़का होती.

'धत्त' सूमी लाल सुर्ख पड़ जाती है.

दोनो लड़कियाँ उसके जिस्म की अच्छी तरहा मसाज करती हैं फिर वॅक्सिंग और उसके बाद उसे कुछ परफ्यूम्स मिले हुए पानी से नहलाती हैं, उसका मेक अप करती हैं

जब ड्रेस पहनने की बारी आती है तो सूमी की आँखें फटी रह जाती हैं - बहुत ही मॉडर्न ड्रेस थी . उसे गुस्सा भी चढ़ता है सुनील पे और प्यार भी आता है.

खैर कोई चारा नही था तो ड्रेस पहन लेती है.



इस सारे कम को ख्तम होने में 8.30 बज जाते हैं तब तक सुनील भी आ जाता है वो एक नये पार्टी सूट में था.

वो सूमी को देखता रह गया और सूमी उसको.

फिर वो सूमी को पार्टी हॉल में ले गया जहाँ कुछ हनिमून कपल्स पहले से ही माजूद थे.

सूमी का तो सभी मर्द चक्षु चोदन करने लगे और सुनील की किस्मत से रक्श करने लगे - और लड़कियाँ तो सुनील पे फिदा हो रही थी.

दोनो कुल मिला के बहुत ही हॉट कपल लग रहे थे.

फिर शुरू हुआ पार्टी का प्रोग्राम जिसमे हर कपल को एक चिट दी गयी उसमे जो लिखा था वही स्टेज पे करना था.

सुनील के पास जो चिट आई उसमे लिखा था गाना गाने को.

वो स्टेज पे जा कर ये गाना गाता है और पार्टी का समा बन्ध जाता है.

नज़र ना लग जाए किसी की राहों में
छुपा के रख लूँ आ तुझे निगाहों में
तू खो ना जाए
ओ माइ लव
नज़र ना लग जाए...

देख कर तेरी तरफ बहार आज हो रही है बेकरार
छू रहे हैं फूल यून तुझे जैसे हो इन्हें भी तुझसे प्यार
यह हो ना जाए
ओ माइ लव
नज़र ना लग जाए...

आए मेरी हसीन दुलरुबा मेरे दिल में छुप के बैठ जा
तुझमें मुझमें फ़र्क ना रहे आ करीब आ करीब आ
तू खो ना जाए
ओ माइ लव
नज़र ना लग जाए...

सामने जो एक तू ना हो दिल में कोई आरज़ू ना हो
मंज़िलें हज़ार हों मगर मंज़िलों की जुस्तजू ना हो
यह हो ना जाए
ओ माइ लव
नज़र ना लग जाए....


इसके बाद होता है डॅन्स प्रोग्राम और मादक धुन पे जोड़े डॅन्स करने लगे.

सूमी और सुनील की जोड़ी का डॅन्स सबसे मस्त था.

आख़िर में अनाउन्स होता है बेस्ट हॉट कपल - जाहिर है - ये दोनो ही निकले और प्राइज़ में एक हफ्ते का ऑल पैड - आनेव्सरी सेलेब्रेशन की बुकिंग इन्हें मिले फॉर नेक्स्ट एअर.

प्रोग्राम ख़तम होते होते रात के 12 बज गये.


जब दोनो सुइट में पहुँचे तो सूमी - सुनील के गले लग गयी ' लव यू - आइ'म सो हॅपी -- मज़ा आ गया'

सुनील उसके गाल पे किस झाड़ देता है.

'पर तुमने ये ड्रेस क्यूँ ली - हाई कितनी शर्म आ रही थी - कैसे घूर रहे थे सब - जैसे चबा ही जाएँगे'

'क्यूँ सबसे सुंदर तुम हो - और वही तुम दिख रही थी पार्टी में - देखा नही सारी लड़कियाँ कैसे जल के कबाब हो रही थी'

'मुझे नही अच्छा लगता ऐसी ड्रेसस पहनना - ऐसा लग रहा था जैसे नंगी हूँ ----आज तुम्हारी खातिर [पहन ली - फिर कभी मत बोलना'

'अपने आप से एक सच बोलो - क्या तुम्हें खुद पे नाज़ नही हो रहा था - पूरी पार्टी की जान तुम्ही थी --- मुझे तो बड़ा गर्व महसूस हुआ - दुनिया की सबसे सुंदर - सबसे हॉट लड़की मेरे पहलू में है '

'लड़की.... हहा हहा- औरत हूँ जनाब 2 बड़े बच्चे हैं मेरे'

'अब 24-26 साल की लड़कियाँ तुमसे जलने लगे तो सोच लो तुम क्या लगती हो - लड़की या औरत'

'धत्त कुछ भी बोलते हो'

'सच बोल रहा हूँ मेरी जान- हो जाए एक आध ड्रिंक '

'जैसी तुम्हारी मर्ज़ी - मैं चेंज कर के आती हूँ - तुम भी चेंज कर्लो'

पूछ - सुनील के होंठों को चूम बेडरूम में घुस्स गयी.

सूमी जब फ्रेश हो कर आई तो कुछ इस तरहा दिख रही थी जैसे रति ने नया रूप धारण कर लिया था और स्वर्ग की अप्सराए जल के रख होने लगी थी.
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