Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-18-2019, 12:55 PM,
#91
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी पहले सोचती है कि मिनिबार से मिनियेचरर्स निकाल ले - पर एक दो पेग से बात कहाँ बननी थी - हाउस कीपिंग को रेड वाइन की दो बॉटल्स का ऑर्डर दे देती है. वैसे तो इस वक़्त तक बार बंद हो जाया करता है पर इनहाउस गेस्ट के लिए हाउस कीपिंग अपने पास स्टॉक रखता है - इसलिए दो बॉटल्स फ्रेंच वाइन की डेलिवर हो जाती हैं.

सूमी वाइन के दो ग्लास बनती है और बाहर सुनील के पास चली जाती है जो बाल्कनी में बैठा टिमटिमाते तारों को देख रहा था - पहाड़ों पे बने घरों की लाइट्स जो दूर से बहुत अच्छी लग रही थी एक अलग ही महॉल बना रही थी.

सूमी को देख सुनील को झटका लगता है - लंड महाराज उठना शुरू कर देते हैं.

तभी अंदर पड़ा सूमी का मोबाइल बजने लग गया. रात के इस वक़्त कॉन फोन कर सकता है - कहीं कोई एमर्जेन्सी ना हो गयी हो सोनल के साथ जो बंगलोर गयी हुई थी - ये सोच के वो डर जाती है और सुनील के पास ग्लासस रख अंदर भागती है.

कॉल सोनल का ही था - सूमी फट से कॉल रिसीव करती है

'हेलो बेटी - ठीक तो है ना -- रात के इस वक़्त...'

'ठीक हूँ मोम - बस नींद नही आ रही थी - सोचा आप से बात कर लूँ - डिस्टर्ब तो नही किया -- आप शायद सो चुकी होंगी'

'नही बिटिया मुझे भी नींद नही आ रही थी - ऐसे ही कोई नॉवेल पढ़ने बैठ गयी थी ( अब सोनल से सच तो बोल नही सकती थी)

'मोम....."

'क्या बात है सोनल ... मैं तेरी मोम भी हूँ और दोस्त भी ... क्या बात परेशान कर रही है तुझे'

'मोम ..... सुनील बदल गया है.....'

'मतलब - तेरी इतनी चिंता करता है - सब कुछ तो करता है तेरे लिए - उसने कुछ कहा क्या?'

(अब माँ को कैसे बोलती उसके दिल में क्या है और सुनील का जवाब क्या है)

'मोम - ना फोन करता है ना ढंग से बात करता है - दूरी बना ली है मुझ से .... उसके बिना मैं टूट जाउन्गि मोम'

(ना चाहते हुए भी इनडाइरेक्ट्ली माँ को बोल ही गयी सोनल)

'मैं उससे बात करती हूँ - अब रोज तुझे फोन करेगा ... ऐसी बातों पे दिल छोटा नही करते .... बहुत प्यार करता है तुझ से - अपनी जान तक देदेगा तेरे लिए'

'जानती हूँ मोम ... पर जब वो दूरी बना लेता है - मुझे कुछ होने लगता है'

'पगली ऐसा नही सोचते --- एक ही तो भाई है तेरा .... और सुनील जैसा भाई किस्मत से मिलता है'

सोनल अपने मन में ही बोलती है ' मैं उस से प्यार करने लगी हूँ मों --- कैसे समझाऊ आपको --- वो मेरी परवाह बिल्कुल नही करता ... दुतकार दिया मुझे'

'गुड नाइट मोम '

'गुड नाइट लव - टेक केर'

बाहर बैठा सुनील सब सुन रहा था - बातों से समझ गया था सोनल का फोन है --- उसका दिमाग़ गरम हो जाता है और पास पड़े दोनो ग्लास एक एक सांस में ख़तम कर डालता है 'क्यूँ कर रही हो दी ऐसा --- कितनी बार समझाया --- आइ लव ऐज ब्रदर ओन्ली कॅन'ट थिंक अनदर रिलेशन्षिप विद यू - कैसे समझाऊ - क्यूँ खुद को दुखी कर रही हो और साथ में मुझे भी - सूमी को सब बता भी तो नही सकता - टूट जाएगी -- बड़ी मुश्किल से संभली है'

सूमी बाहर आती है तो देखती है दोनो ग्लास खाली और सुनील किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.

जब से सुनील जवान हुआ था - उसे जब भी ऐसी मुद्रा में देखती थी तो उसे कुछ होने लगता था - और आज तो कुछ ज़यादा ही हो रहा था - एक माँ का दिल और एक बीवी का दिल दोनो ही तड़पने लगे. माँ को साइड कर उसने बीवी का ही रोल अपनाया - एक यही तरीका था उसके पास सुनील के दिल की गहराइयों तक पहुँचने का -- खुद को संभाला और पीछे से जा उसके गले में बाँहें डाल ' क्या बात है डार्लिंग - दोनो ग्लास डकार गये मेरी वेट भी नही करी - और क्या सोच रहे हो '

'सोनल के बारे में सोच रहा था - कुछ उदास सी रहने लगी है - मैं सोच रहा था कि उसके लिए अच्छा लड़का ढूंडना शुरू कर दिया जाए'

'उसकी एमडी तो होने दो'

' अरे वो तो शादी के बाद भी हो जाएगी'

'नही शादी के बाद ससुराल की ज़िमेदारियाँ बढ़ जाती हैं - पति के तरफ ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है --- पढ़ाई नही हो सकती ----- बस दो ढाई साल की ही तो बात है - एमडी के बाद लड़का भी अच्छा मिलेगा'

'ह्म्म'

'लव यू'

'मी टू'
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07-18-2019, 12:55 PM,
#92
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील अपने मन की बात छुपाने की पूरी कोशिश कर रहा था - वो सूमी से सोनल क्या चाहती है कभी नही बता सकता था. और कहते हैं कि जब हुस्न पहलू में आ जाए तो दिमाग़ सोचना बंद कर देता है - सूमी के जिस्म से निकलती हुई खुसबू उसे वापस सूमी की तरफ ले जा रही थी.

सूमी ने उसके गाल पे किस किया और सामने जा के बैठ गयी --- उसका जो रूप था इस वक़्त जो लाइनाये उसने पहनी हुई थी ---- वो तो मुर्दे को भी मजबूर कर दे कब्र से बाहर निकलने को - सुनील बेचारे की क्या हस्ती थी....सूमी को देखता देखता मदहोश होने लगा.

सूमी ने अब एक ही ग्लास बनाया और उसकी गोद में आ कर बैठ गयी.

सूमी के बाल सुनील के चेहरे पे लहरा रहे थे और उपर से देखता हुआ चाँद मस्त हो रहा था --- आज तो बड़े नज़दीक से और बिना कोई बाधा के दोनो को देख रहा था.

चाँद का दिल कर रहा था कि सुनील की जगह वो खुद आ जाए और इस रूप सुंदरी का रस पान करे - पर बेचारा अपनी बंदिशो में बँधा हुआ था - उसे एक दूरी बना के रखनी थी .....

सुनील सूमी के बालों को सूंघने लगा और सूमी ने यूँ ही बैठे बैठे आधा ग्लास वाइन का गटक डाला.

सूमी सुनील को देखने लगी - कुछ सीरीयस हो गयी थी पर चेहरे पे मुस्कान थी .

'कितना प्यार करते हो मुझ से'

'इम्तिहान लेलो'

'मेरी बात मनोगे'

'कॉन सी बात आज तक टाली है'

'तब तुम बेटे थे आज तुम पति हो'

'क्या चाहती हो'

'पहले वादा करो'

'यकीन नही'

'है पर फिर भी ... कहीं तुम मुकर ना जाओ'

अब सुनील के दिल की धड़कन बढ़ने लगी --- किस बात के लिए वादा चाहती है.

'क्या सोचने लग गये ... बस यही प्यार.....'

सुनील ने उसे आगे बोलने ना दिया - उसके मुँह पे हाथ रख 'करा वादा बोलो क्या चाहती हो'

सूमी के गाल लाल सुर्ख होने लगे ' कहते हुए शर्म आने लगी.

'अब बोलो भी'

'मुझे छोटा सुनील चाहिए'

सुनील को लगा जैसे उसके कान बेकार हो गये हों..... क्या उसने सही सुना था.

वो आँखें फाडे सूमी को देखने लगा

'ऐसे क्या देख रहे हो'

'तुम सारे हालत जानती हो.... फिर भी .... और अगर कोई रास्ता निकल भी आए ... क्या जवाब दोगि ... सोनल को ..... बाकी दुनिया गयी भाड़ में'

' वो मेरा दर्द और मेरी हालत ज़रूर समझेगी'

'समझेगी नही .... वो खुद टूट जाएगी.... पागल हो चुकी है वो....' अपने आप से मन ही मन बोला

'और अगर कोई मेडिकल कॉंप्लिकेशन हो गयी तो इस एज में'


'कुछ नही होगा.... तुम्हारा प्यार जो है .... मेरी रक्षा के लिए ......'

'डॉक्टर हो या कॉमपाउंडर' कुछ गुस्से से बोला


'ग्यानि हूँ मेरी जान और अपने जिस्म की हालत अच्छी तरहा जानती हूँ .... तुमने वादा किया है .... अब मुकरना मत'

' सुनो अभी मैं ये ज़िम्मेदारी नही उठा सकता .... अभी 3 साल हैं मेरी डिग्री कंप्लीट होने में ... उसके बाद देखते हैं'

'उसके बाद एक पल की डेले नही होने दूँगी'

'मंजूर ... अब मुस्कुरा दो'

'तीन साल लंबा समय होता है .... अकल ठिकाने आ जाएगी ... अभी बस ऐसे ही भूत चढ़ा हुआ है' अपने आप से बोला


'तुम औरत नही हो ना ... नही समझोगे ... औरत के दिल की बात... कितनी अधूरी होती है ... जब तक वो माँ ना बने'

' सोनल की तरहा ये भी पागल हो गयी है' वो अपने आप से बोला.

'अच्छा चलो सोते हैं बहुत देर हो चुकी है'

'ना मुझे यहीं बैठना है ... तुम्हारी गोद में.... अच्छा लग रहा है .... कितना अच्छा मोसम है... है ना ... कितनी प्यारी ठंडी हवा चल रही है'

मोसम की खुमारी ने सूमी के जिस्म के तार छेड़ दिए ..... उसके होंठ धीरे धीरे सुनील की तरफ बढ़ने लगे ......सुनील भी उसकी नशीली आँखों में देखता हुआ मदहोश होने लगा सूमी ने जब सुनील के होंठों पे अपनी ज़ुबान फेरी तो वो तड़प उठा उसने सूमी की ज़ुबान को अपने होंठों में क़ैद करना चाहा लेकिन वो फट से पीछे हो गयी.

सुनील को तड़पाने में सूमी को बड़ा मज़ा आ रहा था - खुले में बाल्कनी में - एक दूसरे से ये छेड़ छाड़ अलग ही रोमांच पैदा कर रही थी. कुछ सूमी यूँ ही सुनील को छेड़ती रही उसकी तड़प बढ़ाती रही और हाल ये हो गया कि उसका लंड सूमी को अपनी गान्ड में घुसता हुआ महसूस होने लगा.

आह्ह्ह्ह सिसक पड़ी वो और अपनी गान्ड सुनील के शॉर्ट में फसे लंड पे और दबाने लगी ... उसकी इस हरकत से सुनील की हालत और बिगड़ने लगी. सूमी ने फिर पास पड़े ग्लास से 2-3 घूँट वाइन के भरे और आखरी घूँट मुँह में ही रहने दिया ..... फिर सुनील के होंठों से अपने होंठ सटा वाइन उसके मुँह में उडेल दी.
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07-18-2019, 12:55 PM,
#93
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
करीब एक घटा ये खेल चलता रहा जब तक वाइन की बॉटल ख़तम ना हो गयी.

दोनो के होंठ मिलते बिछड़ते एक दूसरे को क़ब्ज़े में लेने की कोशिश करते .... जिस्मो में तुफ्फान उठने लगा .... सूमी के निपल कड़े हो कर सुनील की छाती में गाढ़ने लगे और इस बार जब सूमी ने अपने होंठ उसके होंठों से सटाये तो सुनील ने तेज़ी से उन्हें अपने होंठों की क़ैद में ले लिया और ज़ोर से चूसने लग गया.

यहाँ सूमी - सुनील के साथ हनिमून मना रही थी वहाँ घर पे सवी - अपने कमरे की जगह सूमी के कमरे में चली गयी - जहाँ बाथरूम में उसके वो कपड़े पड़े थे जो अभी धुलने थे..... सवी उसकी शर्ट को ले सूमी के बिस्तर पे ही आ के लेट गयी ...... और सुनील की शर्ट को सूंघ उसके बदन की खुश्बू लेने लगी ...... सुनील - जब तुम सागर बन ही गये हो - तो मैं भी तो तुम्हारी ज़िम्मेदारी हूँ .... सागर की जिंदगी में मैं भी तो थी...... क्यूँ नही बनते पूरी तरहा सागर .... क्यूँ मुझे मझधार में छोड़ दिया .... क्यूँ नही साली को उसका हक़ देते.

ओह सुनील.......लव मी...... लव मी.......

सुनील और सूमी उसे अकेला छोड़ गये थे ताकि वो अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोच सके..... लेकिन ये तो कुछ और ही दिशा में जाने को तत्पर थी.... ये जानते हुए भी कि सुनील ने सॉफ सॉफ मना कर दिया था... उसकी जिंदगी में सूमी के इलावा और कोई नही आ सकता.... फिर भी ये तड़प ... ये प्यसस ... सुनील के लिए क्यूँ...

इसका जवाब अगर कोई सवी से पूछता तो उसके पास नही था.....


यहाँ बाल्कनी में सूमी कातिलाना अंगड़ाई लेती है इस तरहा कि उसके उभार सुनील के चेहरे को ढक लेते हैं ... सूमी के बदन की खुश्बू .... सुनील की उत्तेजना को और भड़का देती है.

अपने उरोज़ सुनील के चेहरे से रगड़ने लगी .......तभी सामने वाले होटेल की एक कमरे की लाइट जलती है -- एक मर्द और एक औरत का साया नज़र आता है - दोनो पर्दे को हटा देते हैं और वहीं खड़े हो किस करने लगते हैं ...... वहाँ लाइट जलती देख सूमी घबरा जाती है और सुनील की गोद से उठ कर अंदर जाने लगती है ..... पर सुनील उसका हाथ थाम उसे खींच वापस अपनी गोद में बिठा लेता है.......खुले में रोमॅन्स का कुछ और ही मज़ा होता है .

'नही नही प्लीज़ अंदर चलो.... देखो वहाँ लाइट जल गयी है..... हाई कितने बेशर्म है वहीं खड़े हो कर किस कर रहे हैं...'

'तुम उनका चेहरा देख पा रही हो क्या.....'

'ना... पर तुम क्या चाहते हो....'

'तुम्हारे अंदर छुपी औरत को बाहर निकालना --- देखो कितना मस्त मौसम है.... कॉन जानता है हमे यहाँ.... कोई कुछ देख भी लेगा .... तो क्या ....हमारी वजह से थोड़ी मस्ती वो भी मार लेगा....'

'क्या हो गया है तुम्हें... खुले में... नही नही ' दिल से तो सूमी भी चाहती थी ... पर अभी इतना नही खुल पाई थी सुनील से इसलिए नखरे कर रही थी.

'कम ऑन स्वीट हार्ट - एंजाय दिस मोमेंट ' सूमी को थोड़ा उपर उठा अपनी शॉर्ट नीचे खिसका देता है और उसका लंड छलाँग लगाता हुआ खुल्ली हवा में चैन की सांस लेता है.


'पागल हो गये हो क्या' लेकिन उसके लंड की चुबन अपनी गान्ड पे महसूस कर मस्त होने लगी थी वो ... उसकी चूत में हलचल शुरू हो गयी थी - बड़े गौर से --- सुनील को देखने लगी

रहा नही गया उस से - अपनी पोज़िशन इस तरहा बदली के उसका चेहरा अब सुनील की तरफ था .... और सुनील का लंड उसकी जाँघो के बीच उसकी चूत से सट गया था ... दोनो टाँगें एक एक तरफ थी और उसकी पीठ सामने वाले होटेल को फेस करने लगी


सूमी ने अपनी बाहें सुनील की गर्दन में डाल दी और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए. धीरे धीरे दोनो एक दूसरे के होंठ चूमने लगे .... कोई जल्दी नही थी.... ठंडी ठंडी हवा उनके रोएँ खड़े कर रही थी ..... कभी अपनी ज़ुबान एक दूसरे के में में डाल देते चूसने के लिए तो कभी दूसरे के होंठ चाट लेते.

सुनील के हाथ सूमी की पीठ पे घूमने लगे ----- एक तरफ ठंडी हवा की सिरहन और दूसरी तरफ सुनील के गरम हाथों का ताप --- ये दोनो अहसास सूमी को मस्ती की वादियों में उड़ने को मजबूर करने लगे.

उसकी चूत से रस टपकने लगा और लाइनाये का वो हिस्सा जो उसकी चूत को ढक रहा था इतना गीला हो गया के सुनील को अपने लंड पे उसके गीलेपन का अहसास होने लगा.

सुनील ने उसकी पीठ पे बँधे लाइनाये के बंधन को खोल दिया और स्ट्रॅप्स सरकाते हुए उसके उरोज़ नग्न कर दिए .... सूमी ने अंदर ब्रा नही पहनी थी... ये लाइनाये थी ही ऐसी के ब्रा की ज़रूरत नही थी.

ठंडी हवा की छुअन जब उसके उरोजो को लगी उसके निपल और भी सख़्त हो गये और सुनील की छाती पे गढ़ उसे तड़पाने लगी.

सूमी ने धीरे धीरे हिलना शुरू कर दिया और अपनी चूत को सुनील के लंड पे घिसने लगी.

सिसकियों का सैलाब उमड़ पड़ा जो होंठों में दब के रह गया. सुनील के दोनो हाथ अब आगे कीतरफ सरकने लगे - सूमी थोड़ा पीछे हुई ताकि उसके हाथ दोनो के जिस्म के बीच में आ उसके उरोज़ थाम सके.
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07-18-2019, 12:55 PM,
#94
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने दोनो उरोज़ मसल्ने शुरू कर दिए अब उनके चुंबन में भी तेज़ी आ गयी. सुनील उसके उपरी लब को चूसने लगा और वो सुनील के निचले होंठ को चूसने लगी .... दोनो की आँखें एक दूसरे से भिड़ी हुई थी और पलक झपकने का नाम ही नही ले रही थी.

दोनो के जिस्म रोमांच से भर उठे थे. ये खुल्ला महॉल उन तरंगों को उजागर कर रहा था जिससे दोनो अंजान थे और आनंद की ऐसी लहरें उनके बदन में दौड़ने लगी थी ---- कि इस लम्हे को वो जीवन भर ना भूल पाएँगे.

जैसे ही सुनील ने उसके दोनो निपल को अपनी उंगलियों में मसलना शुरू किया सूमी तड़प उठी और बड़ी ज़ोर से अपनी चूत को उसके लंड की तरफ ठेला पर अभी पोज़िशन ऐसे थी कि वो सीधा दोनो के बीच था और सूमी की चूत लंड के शाफ्ट को अपने लबों से पकड़ने की कोशिश करने लगी.

सूमी अब उपर नीचे होकर अपनी चूत सुनील के लंड पे घिसने लगी.... सारी शर्मो हया अब वो भूल चुकी थी.... अब उसे कोई डर नही था की कोई देख रहा है या नही.....सूमी ने अपने होंठ आज़ाद किए .... वो खुद अपनी सिसकियों का मज़ा लेना चाहती थी.... अपने गाल उसने सुनील के गाल से स्टा दिए और सुनील के बर्दाश्त की सीमा भी अब टूटने लगी थी.... उसने सूमी की लाइनाये का आखरी बंधन भी खोल दिया और खींच कर उसे दोनो के बीच से हटा दिया.

अपनी चूत पे उसके रोड की तरहा सख़्त लंड का अहसास पा कर सूमी ससिहर उठी.

अहह उम्म्म्ममम

सुनील ने उसकी गान्ड को अपने दोनो हाथों में थाम लिया और उसे उप्पर नीचे करने लगा जिसकी वजह से सूमी की चूत पे उसके लंड का घर्षण बढ़ने लगा.

ऊऊओह माआआआ उूुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़

सूमी भी उसका साथ देने लगी ..... उसका जिस्म तेज़ी से उपर नीचे होने लगा ... टाँगों में कंपन बढ़ने लगा .... दिल की धड़कन तेज होती चली गयी और जैसे ही सुनील ने झुक के उसके निपल को मुँह में भरा और काटा सूमी का जिस्म अकड़ गया वो अपने चर्म पे पहुँच गयी

उूुुुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममममममममममममाआआआआआआआआआआ उसकी चीख वादियों में फैल गयी और वो जौंक की तरहा सुनील से चिपकते हुए झड़ने लगी.

ये लज़्ज़त - ये लम्हा दोनो की यादों में पैवस्त हो चुका था. धीरे धीरे अपना ऑर्गॅज़म का मज़ा लेते हुए वो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी .... उसकी रूह जैसे दूर कहीं आकाश में घूम रही थी और उसके बदन की छटपटाहट को महसूस कर हवा में विचारने लगी थी.

सूमी एक दम निढाल पड़ गयी और गहरी साँसे लेने लगी.
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माँ से बात करने के बाद भी सोनल की आँखों से नींद दूर थी … कितनी कोशिश करी के माँ को अपने दिल का हाल बता दे … बता दे उसे… के उसकी बेटी प्रेंपश से घायल हो चुकी है …. और जिससे वो प्यार करती है वो और कोई नही उसका अपना भाई है …. बता दे उसे कि दिल की गहराईयो में …. जिस्म के हर पोर में …. रूह की सांसो में बस एक ही है … एक ही है….. सुनील.

कभी कभी प्यार इतना कमजोर क्यूँ कर देता है – के अपनी दिल की बात अपनी माँ को ही ना बताई जा सके--- दुनिया वाले कहते हैं – ये पाप है --- खुद मेरा भाई कहता है – ये पाप है --- अगर ये पाप है तो दिल इस बात को क्यूँ नही समझता ….. प्यार का नाता तो दिल से ही होता है…. जब मेरा दिल ही इस प्यार को कबूल कर चुका है….. तो दुनिया की खोखली रस्मो के बंधन में क्यूँ तडपू…. क्या दुनिया जानती है प्यार क्या होता है…. क्या दुनिया जानती है प्यार क्यूँ होता है …… डरते हैं सब प्यार करने से… क्यूंकी समझते ही नही प्यार क्या होता है … खोखली रस्मो में खुद को बाँधे रखते हैं… दिल की उड़ान को क़ैद करके रखते हैं.

मेरी क्या ग़लती अगर मुझे सुनील से प्यार हो गया. अगर तड़पना ही मेरी जिंदगी का मक़सद है तो ये ही सही. सब कहते हैं उसके साथ जीवन बिताओ – जो तुम्हें समझे – तुम्हारी भावनाओं का आदर करे – जो तुम्हें दिल से प्यार करे – ऐसा और कोई सुनील के अलावा कभी नज़र ना आया .

निष्ठुर नही भावुक है वो
पत्थर नही हीरा है वो
चमक इतनी उसकी
शर्म आए चाँद को भी.
प्यार का सागर है वो
पर तरसाता है मुझको
चन्द बूँदो के लिए.
मैं करती हूँ प्रेम उसे
वो कहता है भूल जाओ
कैसे भूलूँ
अपनी रूह के देवता को
अपने रक्षक को
करती रहूंगी इंतेज़ार
करती रहूंगी इंतेज़ार
करती रहूंगी तुझ से प्यार
आखरी सांसो तक.

ये सब सोनल अपनी डाइयरी में लिख रही थी. साथ साथ सुनील की फोटो देख कभी मुस्कुरा देती तो कभी आँसू बहा देती.
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07-19-2019, 12:47 PM,
#95
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
इधर सोनल का ये हाल था वहाँ अपने आनंद को भोगती सूमी सुनील की गोद में सो जाती है – आज की पार्टी ने उसे काफ़ी थका दिया था . थक तो सुनील भी गया था. जब कुछ देर उसने सूमी को कोई हलचल करते ना पाया तो उसे लग गया कि यहीं इसकी गोद में सो गयी है. धीरे से उठा सूमी को अपनी गोद में लिए…. उठते ही उसका शॉर्ट नाइस सरक गया.

सुनील ने अपने पाँव बाहर निकाले और अंदर बढ़ गया – सूमी को आराम से बिस्तर पे लिटा कर उसने चद्दर डाल दी उसपे और खुद बाथरूम में घुस ठंडे पानी के शवर के नीचे खड़ा हो खुद को ठंडा करने लगा. कुछ देर बाद बाथरूम से बाहर निकला अपना नाइट सूट पहना और सोने की कोशिश करने लगा.
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सुनील छुट्टी ले कर यहाँ मसूरी आया हुआ था वहाँ कॉलेज में

कमल जो सुनील का 2 साल सीनियर था अपने दोस्त जयंत के साथ कॅंटीन में बैठा था. उसका ध्यान कहीं और था …. बातें वो जयंत से कर रहा था पर नज़रें रूबी पे गढ़ी हुई थी जो अपनी दो सहेलियों के साथ बैठी हुई थी.

एक बार कमाल लाइब्ररी से बाहर निकल रहा था और रूबी अंदर जा रही थी – दोनो अपने ख़यालों में थे एक दूसरे को देखना पाए और टकरा गये – दोनो की नज़रें चार हुई – फिर रूबी अंदर चली गयी . उसके लिए ये एक आक्सिडेंट था और वो भूल गयी इसे पर कमल ना भूल पाया. वो भी सुनील की तरहा किताबों में ही मस्त रहता था… पर जब से वो रूबी से टकराया था – रूबी की नशीली आँखों ने उसके दिल का चैन चुरा लिया था.

सब जानते थे कि वो सुनील की बहन है इसलिए कोई भी लड़का उसके साथ फ्लर्ट करने की हिम्मत नही करता था – और वो भी लड़कों से दूरी बना के रखती थी – उसने अपने आप को किताबों में डुबो दिया था और बस अपना करियर बनाना चाहती थी --- उसका विश्वास उठ चुका था लड़कों पे.

आज शाम को कॉलेज में वेलकम पार्टी थी नये बॅच के लिए. जिसमे सीनियर्स ने एंटरटेन करना था.

वैसे तो कमल लड़कियों से दूर रहता था पर रूबी उसके दिल में समा गयी थी – लव अट फर्स्ट साइट.

सुनील को वो भी अच्छी तरहा जानता था और इसीलिए उसकी हिम्मत नही पड़ रही थी की वो रूबी को अपने दिल का हाल ब्यान कर सके.

शाम को पार्टी में रूबी अपनी सहेलिओं के साथ बैठी थी…. कमल ने हिम्मत कर आज के मोके का फ़ायदा उठाने का सोचा – ये हिम्मत वो शायद इसलिए कर पाया क्यूंकी सुनील वहाँ नही था.

प्रोग्राम लिस्ट में उसका भी प्रोग्राम था और उसने एक गाना गाना था.
जब उसकी बारी आई तो उसने अपनी नज़रें रूबी की तरफ ही रखी – हॉल में बैठे सभी इस बात को देख चुके थे कि वो बस रूबी को ही देख रहा है.

इस बात को रूबी ने भी नोट कर लिया था.


आप के हसीन रुख़ पे आज नया नूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं
आप के निगाह ने कहा तो कुच्छ ज़रूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

खुली लटो की छ्चाँव में खिला खिला ये रूप हैं
घटा से जैसे छन रही, सुबह सुबह की धूप हैं
जिधर नज़र मूडी, उधर सुरूर ही सुरूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

झुकी झुकी निगाह में भी हैं बला की शोखिया
दबी दबी हसी में भी तड़प रही हैं बिजलियाँ
शबाब आप का, नशे में खुद ही चूर चूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

जहाँ जहाँ पड़े कदम वहाँ फ़िज़ा बदल गयी
के जैसे सरबसर बहार आप ही में ढल गयी
किसी में ये कशिश कहाँ जो आप में हुजूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

आप के हसीन रुख़ पे आज नया नूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं
आप के निगाह ने कहा तो कुच्छ ज़रूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर हैं

सबकी नज़रें कमल और रूबी पे टिक गयी. शर्म के मारे रूबी का बुरा हाल होने लगा. दिल की धड़कन बढ़ गयी.

ये तो एक खुल्ला प्रपोज़ल था – सबके सामने --- और सभी माजूद ये सोच रहे थे कि जो लड़का लड़कियों से दूर भागता था आज उसे क्या हो गया है….. यूँ खुल्लम खुल्ला इकरार कर रहा है. इतनी हिम्मत कैसे आ गयी इसमे – ये जानते हुए भी के रूबी सुनील की बहन है – जब सुनील को पता चलेगा तब….. कमल का क्या अंजाम होनेवाला था – ये सोच सब दहल गये थे.
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07-19-2019, 12:47 PM,
#96
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
3 साल – का लंबा समय – यही कह के गया था सुनील – 3 साल उसे रूबी से दूर रहना था – 3 साल बाद सुनील पूछेगा कि अब भी रूबी से प्यार करते हो – तो वो हमे मिलने देगा ---- जिस तरहा सुनील रूबी का ख़याल रख रहा है – एक कज़िन भाई – होने के नाते – मैं – क्यूँ नही रख सका – ये प्यार था – या ये वासना – कितना बड़ा सवाल छोड़ गया मेरे लिए- एक छोटा भाई – जिसे मुझे रास्ता दिखाना चाहिए – वो मुझे रास्ता दिखा गया ---- हज़ारों सवाल रमण के मन में खड़े हो गये – जैसे जैसे वो ठीक हो रहा था वैसे वैसे उसका चेहरा सख़्त होता जा रहा था – उसने कुछ सोच लिया था – उसे एक इम्तिहान लेना था – अपना इम्तिहान – और अपना इम्तिहान लेना कोई मज़ाक नही होता.

जब रमण ठीक हुआ – तो पहला काम उसने ये किया कि एमडी की पढ़ाई बीच में छोड़ दी – घर वो वापस नही जाना चाहता था – कुछ दिन अपने दोस्त के घर रहा – फिर एक दिन घर गया – अपना समान लेने के लिए ---- चाबी पड़ोसियों से मिली – जो उसका दोस्त उन्हें दे गया था….. समर का कुछ पता ना था.

रमण ने अपना समान पॅक किया – अपने पैसे जो उसने जमा कर रखे थे अपनी अलमारी में वो लिए और समर की अलमारी से भी कुछ पैसे ले लिए.

एक बार वो रूबी के कमरे में भी गया --- रूबी की सब चीज़ें गायब थी – कमरा बिल्कुल वीरान था – उसने एक ठंडी साँस ली – घर बंद किया --- और अपनी बाइक पे बैठ – किसी गाँव की तरफ चल दिया जहाँ उसने नोकरी ले ली थी--- वहाँ कोई डॉक्टर जाता ही नही था – इसीलिए उसे फटाफट ये नोकरी मिल गयी और वो चल दिया – दूर बहुत दूर मुंबई से .

एक छोटा गाँव जहाँ रमण को पहुँचने के लिए दो दिन लग गये अपनी बाइक पे. रात को रास्ते में जो भी जगह मिल जाती वहीं रुक जाता था. तीसरे दिन सुबह वो गाँव पहुँच चुका था और सीधा उस हॉस्पिटल गया जहाँ उसे काम करना था ---- हॉस्पिटल के केर टेकर ने उसे पूरा हॉस्पिटल दिखाया – करीब 20 कमरे थे वहाँ 2 नर्स थी 2 वॉर्ड बॉय थे और एक सफाई के लिए करम्चारी था. --- बहुत आधुनिक तो नही पर अच्छा इलाज़ करने के लिए वहाँ सब सहूलियत थी – नही था तो बस कोई अच्छा इलाज़ करनेवाला.

हॉस्पिटल के साथ ही एक अपार्टमेंट था डॉक्टर के लिए पूरा दो रूम का सेट. रमण को वही दे दिया गया.

ये हॉस्पिटल गाँव के सरपंच ने बनवाया था – अपने मरहूम अब्बा हज़ूर की याद में जिनका सपना था कि गाँव में हॉस्पिटल होना चाहिए.

रमण दिलो जान से वहाँ बिज़ी हो गया - गाँव की आबादी कोई 30,000 के करीब थी ....... रमण के आते ही मरीज आने शुरू हो गये ..... और रमण उनके इलाज़ में जुट गया.

रूबी के साथ क्या हो रहा है – रमण का बारे में तो सोचना ही छोड़ चुका था ….सबसे बेख़बर सुनील – हनिमून सूट में सोया पड़ा था ……दिन निकलने में दो ही तो घंटे बचे थे जब वो सूमी को बाल्कनी से बेडरूम तक लाया था ----जिस्म की प्यास अधूरी रह गयी थी --- पर दिल की प्यास पूरी हो चुकी थी ---- वो जानता था….. समझ गया था… कि सूमी को भरपूर आनंद मिला था…… और क्या चाहिए था उसे…. यही तो मक़सद था उसका… सूमी के जीवन में आने का.
और जो प्यार करते हैं वो अपनी इच्छाओं का गला घोंट लेते हैं …. अपने प्रेमी की खुशी से खुश हो अपने जीवन को सार्थक समझने लगते हैं … यही तो प्यार की असली परिभाषा है – कितने लोग समझते हैं ये ---- कहते हैं दो अंजान लोग – जब अरेंज्ड मॅरेज करते हैं तो वक़्त के साथ उनमे प्यार हो जाता है ---- ये प्यार होता है – या एक मजबूरी --- ये आज तक कोई समझ नही पाया ….. कहीं कहीं तो वाक़्य में प्यार हो जाता है …. सुना था किसी से …. अब क्या वक़यी में सच बोल रहा था या नही ---पता नही.

नयी पीढ़ी बदलाव ले के आई …. शादी …. ना ना … लेट्स फर्स्ट नो ईच अदर…. माँ बाप चीखते रहते हैं समझने की कोशिश करते हैं – पर ये तो … देखना चाहते हैं … कि इन्हें आपस में प्यार है या नही --- वाना ट्राइ लिव इन रिलेशन्षिप …… ….पासे पलट जाते हैं…. आदते … जो पहले पता ना थी … उनके सामने आते ही… दरारें पड़ने लग जाती हैं … फिर एक अलगाव और एक नया सफ़र…. कुछ ऐसे भी निकल जाते हैं जो वाक़्य में … एक दूसरे को समझ लेते हैं… प्यार करने लगते हैं…… पर आज तक …. कोई ये समझ नही पाया … कि प्यार होता .. क्या.. है.. कब होता है… क्यूँ होता है……..बस हो जाता है…. अब इसे बीमारी कहो …. या जिंदगी की सबसे बड़ी नैमत कहो ….. आज तक इसका कोई डाइयग्नोसिस नही हो पाया……..

अपना गाना ख़तम कर कमाल चुप चाप एक जगह बैठ गया जहाँ से वो रूबी को देख सकता था...... उसे खुद समझ नही आ रहा था ... कि उसके साथ ये क्या हो रहा है.... हमेशा अपनी किताबों में खोया रहने वाला आज एक लड़की के जादू का शिकार बन चुका था.

फेरमन्स .... हां यही तो कहते हैं.... इन्पे किसी का बस नही होता.... आँखें कब ... इनको आक्टीवेट ... कर दें.... ये आँखें.... याद है वो सुमन का दिया हुआ पहला लेसन... शुरुआत करती हैं फेरमन्स की आक्टिवेशन का.... जो सेक्स और प्यार की पहली सीडी होते हैं.... इनफाचुयेशन.... ये इनफाचुयेशन ही सेक्स की तरफ खींचता है... एक तलब को जनम देता है.... और कभी कभी ये तलब ... प्यार में बदल जाती है.... जब दिल की धड़कने किसी को देख ..... एक मधुर संगीत को जनम देने लगती हैं..... कमल भी इनका शिकार हो गया था.... रातों की नींद और दिन का चैन... सब गायब हो चुका था..... किताबें खोलता... तो रूबी की वो आँखें नज़र आती ... जिनमे डूब जाने का मन करता.... क्यूँ होता है किसी के साथ ऐसा ... ये नही पता... बस हो जाता है.
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07-19-2019, 12:47 PM,
#97
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
पार्टी ख़तम हो गयी . सब जाने लगे... रूबी और उसकी सहेलियों के कदम भी हॉस्टिल की तरफ बढ़ने लगे. कमल से रहा नही गया भागता हुआ रूबी तक पहुँचा.... रूबी जी --- कॅन वी हॅव कॉफी टुगेदर ....

कमल जी ::: जितना आपके बारे में सुना है... आप एक अच्छे इंसान हैं, पर आप ग़लत दरवाजा खटखटा रहे हैं.... फिर कभी इस तरहा मेरा रास्ता रोकने की कोशिश मत करना.

कमल को यूँ लगा किसी ने थप्पड़ो की बारिश कर दी हो उसपे.

जिंदगी में पहली बार एक लड़की पसंद आई और वो भी तिरस्कार कर चली गयी. कमल वहीं खड़ा रह गया ... रूबी को जाता हुआ देखता रहा .... टूटे हुए कदम और टूटा हुआ दिल उसे उसके कमरे तक ले गये.

क्या कमी है मुझ में... बस यही सोचता रहा.

ऐसा नही था के रूबी को कमल पसंद नही आया था... पर एक डर उसके अंदर समा चुका था... वो अपनी जिंदगी का कोई कदम सुनील से पूछे बिना नही उठा सकती थी .... चाहे वो कदम उसे प्यार की तरफ ही क्यूँ ना ले जाना चाहते हों... सुनील उसकी जिंदगी में सागर से भी बड़ा स्थान ले चुका था.... एक ऐसा भाई... जो उसे बरसों बाद मिला था... एक ऐसा भाई जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था....... यहाँ आ कर ही उसे पता चला था .... सुनील ने क्या किया था सोनल के लिए...... और तब से वो सुनील को अपने दिल में वो स्थान दे चुकी थी ... जहाँ तक कोई नही पहुँचा था...... लेकिन उसे खुद भी नही पता था ... कि सुनील को वो किस हद तक चाहने लगी है... दिल की कुछ बातें दबी रह जाती हैं... उनके मतलब समझ नही आते हैं.... और जबाब आते हैं बहुत देर हो चुकी होती है.
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सुमन की नींद जब खुली सुबह के 8 बज चुके थे …. इतने सकुन की नींद…..शायद बरसो बाद नसीब हुई थी…. वो बिल्कुल निर्वस्त्र थी… सुनील साथ में सोया हुआ था… अपने नाइट सूट में… रात की बातें ताज़ा होने लगी…. बाल्कनी में वो छेड़ छाड़….. एक मुस्कान आ गयी उसके चेहरे पे…. कैसे उसे धरती से उठा गगन की वादियों में ले गया था… ‘बेशर्म !! खुल्ले में… पता नही किस किस ने देखा होगा’ --- रात का वो रोमांच…. याद कर एक झुरजुरी सी आ गयी …. फिर ख़याल आया…. वो तो अपने चर्म पे पहुच कब आनद मे लेटी हुई सो गयी थी…. कब लाया ये कमरे में… और इसने कुछ भी नही किया…. मुझे सुख दे कर.. खुद तड़प्ता हुआ सो गया…. क्या कोई ऐसा भी होता है… किस पे गया है ये… ना सागर पे… ना समर पे…. दोनो में से कोई भी होता… रात भर सोने ना देता…. प्यार का ये रूप वो पहली बार महसूस कर रही थी.


आज भी वो दिन जब याद आता छटपटा के रह जाती थी वो - समर कब से स्वापिंग का मेसेज भिजवा रहा था सागर के थ्रू, सागर भी उसकी बातों में आता जा रहा था और वो हर बार मना करती थी - उस दिन जब सागर को सवी के साथ देखा - बहुत लड़ी थी सागर से --- इतना की घर छोड़ के जाना चाहती थी - पर सागर के आँसुओं और सोनल के भविश्य ने उसे रोक दिया और मजबूरन उसे समर के नीचे लेटना पड़ा - धीरे धीरे आदत हो गयी और इसमे उसे मज़ा आने लगा...... काश ये सब उसकी जिंदगी में ना होता..... फिर जब सुनील पे नज़र पड़ी तो लगा अच्छा ही हुआ .... अगर ये सब ना होता तो सुनील उसकी जिंदगी में ना होता.

चेहरे पे मुस्कान आ गयी और वो सुनील से लिपट गयी - उसके चेहरे को चूमने लगी ......सुनील की नींद भी खुल गयी और उसने सूमी को अपने उप्पर खींच लिया और उसके होंठ चूमने लग गया.

कितनी देर दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे फिर सूमी अलग हुई - गुड मॉर्निंग लव

'मेरी आदतें बिगाड़ रही हो तुम ...... अब हर रोज ऐसे कॉन उठाएगा ... जब हॉस्टिल में रहना पड़ेगा'

'कुछ साल की ही तो बात है' फिर सारी कसर पूरी कर दूँगी - सूमी थोड़ा सीरीयस हो गयी थी... ये जुदाई अब उस से बर्दाश्त नही होनेवाली थी.

'अब ये थोबड़ा मत सुजाओ' सुनील ने फिर सूमी को अपनी बाँहों में भर लिया .

'अच्छा चलो फ्रेश हो जाओ --- भूख लग रही है - ब्रेकफास्ट के लिए चलते हैं'

दोनो फ्रेश हुए और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे रेस्टोरेंट में चले गये .

आज सुनील के कहने पर उसने टॉप और जीन्स पहनी थी.

ब्रेकफास्ट के बाद दोनो घूमने चले गये - सुनील उसे केंप्टी फॉल ले गया ...... फॉल के ठंडे पानी में दोनो मस्ती करने लगे --- सूमी का भीगा बदन बहुत ही कामुक लग रहा था - टॉप थोड़ा ट्रॅन्स्परेंट थी तो उसके बूब्स सॉफ सॉफ नज़र आ रहे थे और कितने मनचलो की नज़र बस सूमी पे जम के रह गयी थी.

दोपहर तक दोनो वहीं फॉल पे रहे और अच्छी तरहा भीगने के बाद ये अहसास हुआ कि एक्सट्रा कपड़े तो लाए ही नही. फटाफट दोनो होटेल की तरफ चल पड़े - कार की सीट भी नहा गयी - कोई चारा ही नही था ... होटेल पहुँच सुनील ने कार सर्विसिंग के लिए भिजवा दी और दोनो रूम में घुस फटाफट गीले कपड़े उतार खुद को सुखाने लगे.

बदन तो सुख गये पर सूमी का थरथराना नही रुका - उसका पूरा बदन ठंड के कारण कांप रहा था - सुनील ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया और कंबल ऊढा दिया पर सूमी को कंबल की गर्मी का कोई असर ना पड़ा फिर सुनील भी कंबल में घुस्स के उसे बदन की गर्मी देने लगा --- उसके उरोज़ ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और और उसके होंठ चूसने लग गया.
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07-19-2019, 12:47 PM,
#98
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी धीरे धीरे गरम होने लगी – अह्ह्ह्ह --- उफ़फ्फ़ उसकी सिसकियाँ निकलने लगी ----- उसे रात की बात याद आ गयी --- फिर से ऐसा ना हो जाए --- सुनील उसे मस्त ही इतना कर देता है कि वो दुनिया भूल जाती है – उसका हाथ अपने आप सुनील के लंड पे चला गया – अपनी टाँगें उसने फैला दी और सुनील को अपने उप्पर खींचने लगी --- सुनील भी रात से प्यासा था – उसने भी देर नही लगाई और जैसे ही उसके लंड ने सूमी की चूत को छुआ उसने ज़ोर का धक्का लगा दिया…………..हहाआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मेमममममममाआआआआआ


सूमी की चीख निकल गयी ….. डाल दो – एक बार में डाल दो – बार बार दर्द मत दो

सुनील ने भी ताबड़तोड़ दो धक्के लगाए और सूमी के अंदर पूरा समा गया.

आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सूमी फिर चीखी उसकी आँखें दर्द के मारे उबल पड़ी --- आँसुओं की लड़ी बह निकली

सुनील अब रुक गया – सूमी की चूत ने उसके लंड को कस के पकड़ लिया था…. अहह वो भी सिसक उठा था.

सुनील ने सूमी के निपल चूसने शुरू कर दिए और धीरे धीरे सूमी को आराम मिलने लगा …. अभी भी उसकी चूत सुनील के लंड को झेलने लायक नही हुई थी.

सूमी ने सुनील को कस के खुद से चिपका लिया ताकि वो हिले नही…… काफ़ी देर तक सुनील उसके निपल चूस्ता रहा और उसके उरोज़ मसलता रहा तब कहीं जा के सूमी फिर से गरम होने लगी और मचलने लगी …. अपनी कमर हिला उसने सुनील को इशारा किया कि उसका दर्द कम हो चुका है और सुनील धीरे धीरे उसे चोदने लग गया. सूमी भी उसी ले में अपनी गान्ड उछाल रही थी.

सूमी की चूत की गर्मी सुनील को पिघला रही थी और उसके धक्के तेज होने लगे …. दो जिस्म एक दूसरे में पिघलने को तयार हो चुके थे … दिल के तार दिल से बँध चुके थे….. मस्ती के मारे सूमी की सिसकियाँ निकल रही थी…

तेज और तेज फाड़ दो आज मेरी चूत… आहह उफफफफफ्फ़ उम्म्म्मम यस यस फास्टर ….. फक मी हार्ड……

सुनील का जिस्म पसीने से भर चुका था … टॅप टॅप बूंदे सूमी पे गिर रही थी …. लेकिन जिस्म में बढ़ती कामग्नी उसे रुकने नही दे रही थी…..
पागलों की तरहा दोनो के जिस्म एक दूसरे से टकराने लगे .

आआहह और तेज मैं आने वाली हूँ……..

सुनील भी मंज़िल के करीब पहुँचने वाला था……… कुछ ही पल्लों में दोनो एक दूसरे से जोंक की तरहा चिपक गये और झड़ने लगे……… झाड़ते हुए दोनो ही उस असीम आनंद को महसूस करने लगे …. जो किस्मत से ही मिलता है.

ढोँकनी की तरहा दोनो की साँसे फूल चुकी थी….. जिस्म पसीने से तरबतर हो चुके थे…. लेकिन चेहरे पे खुशी ही खुशी थी.
ऐसे ही चिपके हुए दोनो सो गये.

उधर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अगले दिन कमल जल्दी ही हॉस्टिल से निकल गेट पे खड़ा हो गया – उसे इंतेज़ार था रूबी का ---- एक बार उस से मिल अपने दिल की बात करना चाहता था………बस एक मोका ….. अंजाम चाहे कुछ भी हो … देवी का प्रसाद मिले… या फिर क्रोध…….. जिंदगी में पहली बार किसी लड़की ने उसकी भावनाओं की जगाया था.

जयंत ने उसे रात भर काफ़ी समझाया था कि रूबी को भूल जाए अच्छी से अच्छी लड़कियाँ उसके पीछे पड़ी रहती थी जिनपे वो घास तक नही डालता था – उनमें से कोई पसंद कर ले … पर कमल अपने दिल के हाथों मजबूर हो गया था…. उसे सिवाय रूबी के कोई दिखता ही नही था.

रूबी अपनी सहेली के साथ जब गेट में घुसने लगी उसकी नज़र कमल पे पड़ी --- दोनो की फिर आँखें चार हुई ----- कमल जो कहना चाहता था कह नही पाया और रूबी भी सर झुका अंदर चली गयी. कमल बस उसे जाते हुए देखता रहा.

ये तो कमल ने कोई ग़लत हरक़त नही करी थी – इसलिए बचा हुआ था वरना सुनील के दोस्त जिनपे उसने अपनी गैर हाजरी में रूबी की ज़िम्मेदारी सोन्पि थी वही उसका कांड कर डालते.

अपनी क्लास में पहुँच रूबी कमल के बारे में सोचने लग गयी - उसका मूड नही था क्लास अटेंड करने का इसलिए वो कॅंटीन मे जा के बैठ गयी…. आज कमल का दिल भी नही कर रहा था क्लासस अटेंड करने का वो भी कॅंटीन में चला गया… अपने ख़यालों में गुम उसने देखा ही नही कि रूबी भी कॅंटीन में बैठी हुई है.

रूबी की नज़र उसपे पड़ गयी थी जब वो कॅंटीन में एंटर हुआ था--- उसने सोचा ये तो पीछा करने लग गया है … पर जब कमल सर झुकाए कॅंटीन के एक कोने में जा के बैठ गया तो रूबी हैरान रह गयी …. पल भर को तो उसे अपने हुस्न की बेइज़्ज़ती महसूस हुई …. फिर वो मुस्कुरा उठी… और कमल को देखने लगी …. जो यहाँ हो कर भी यहाँ नही था.

कमल कुर्सी पे पीछे टेक लगा के बैठ गया आँखें बंद कर ली उसकी कुर्सी के बिल्कुल सामने खिड़की थी जिससे ठंडी ठंडी हवा आ रही थी....... अपने आप ही उसके होंठ बुदबुदाने लगे ... आवाज़ पूरी कॅंटीन में गूंजने लगी --- बहुत दर्द था उस आवाज़ में

ओ हो हो
ओ हो हो ओ हो ओ हो
ओ हो हो हो
ओ हो हो ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो

ये हवा ये हवा ये हवा
ये फ़िज़ा ये फ़िज़ा ये फ़िज़ा
है उदास जैसे मेरा दिल मेरा दिल मेरा दिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा -2

आ के अब तो चाँदनी भी जर्द हो चली हो चली हो चली
धड़कानों की नर्म आँच सर्द हो चली हो चली हो चली
ढाल चली है रात आ के मिल आ के मिल आ के मिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा

राह में बिछि हुई है मेरी हर नज़र हर नज़र हर नज़र
मैं तड़प रहा हूँ और तू है बेख़बर बेख़बर बेख़बर
रुक रही है साँस आ के मिल आ के मिल आ के मिल
आ भी जा आ भी जा आ भी जा

ओ हो हो
ओ हो हो ओ हो ओ हो
ओ हो हो हो
ओ हो ओ हो हो हो हो हो हो


कमाल का गीत गूँज रहा था और रूबी के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी... ये दर्द भरी आवाज़ उसे अपनी तरफ खींच रही थी .... रूबी कुर्सी से उठ कमल के सामने जा के बैठ गयी.

कॅंटीन में सन्नाटा छा गया – कुछ स्टूडेंट्स जो बैठे हुए थे उनकी बातें भी बंद हो गयी – रूबी कमल के सामने बैठी बस उसे देख रही थी – ना चाहते हुए भी वो रमण और कमल की तुलना करने लगी – कमल के बारे में जितना उसने सुना था उसके हिसाब से वो रमण के एक दम विपरीत था. ये लड़कियों से दूर रहता था और रमण की जिंदगी में बहुत सी लड़कियाँ आई थी जिन्हें रमण इस्तेमाल कर छोड़ देता था बस जब से वो रूबी से जुड़ा था उसने किसी और लड़की की तरफ नही देखा था – लेकिन उस दिन जब रमण के मुँह से सोनल का नाम निकला --- रूबी को यही लगा कि बस अब रमण का दिल उससे भर चुका है – बहुत तकलीफ़ हुई थी रूबी को.

कमल की बंद आँखों के पोर से आँसू टपकने लगे तो रूबी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख थोड़ा दबा दिया और अपना हाथ तुरंत हटा लिया.

कोमल हाथों के स्पर्श पाते ही कमाल ने आँखें खोली तो सामने रूबी को देख खिल उठा.

‘तुम यहाँ !!!’

‘पहले तो ये लड़कियों की तरहा आँसू बहाने छोड़ो … मैं आपकी इज़्ज़त करती हूँ … इसलिए कह रही हूँ … सम्भल जाइए …. ये कांटो भरा रास्ता मत चुनिए…. मैं ऐसी लड़की नही जो बाय्फ्रेंड बनाती फिरे …. मेरी जिंदगी का फ़ैसला मेरा परिवार करेगा ….. और मैं आपके काबिल भी नही हूँ’ रूबी ने कह कर अपना सर झुका लिया.


‘मुझे खुद नही पता कि मैं इस रास्ते पे क्यूँ चल पड़ा. बहुत रोकने की कोशिश करी थी खुद को …. पर नही रोक पाया…. बस प्यार करने का गुनाह कर बैठा….. अब आगे जो भी किस्मेत में हो …. सब को सबकुछ तो नही मिल जाता …. पर मुझे इंतेज़ार करना आता है …. मेरी तरफ से तुम्हें कभी कोई तकलीफ़ नही होगी… कभी तुम्हारे रास्ते में नही आउन्गा….लेकिन तुम्हें प्यार करना और तुम्हारी कामना करना नही छोड़ सकता … अपनी आखरी सांस तक भी नही…’ ये कह कर कमल उठ के चला गया .

रूबी उसे जाते हुए देखती रही.

रूबी भी उठ के हॉस्टिल में अपने कमरे में जा कर लेट गयी और कमल के बारे में सोचने लगी.... आख़िर में उसने यही फ़ैसला लिया कि - सब कुछ सुनील को बता देगी - जैसा वो कहेगा ..... वैसे ही करेगी.

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07-19-2019, 12:47 PM,
#99
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
यहाँ शाम को ही सूमी और सुनील की नींद खुलती है --- दोनो नग्न एक दूसरे से चिपके हुए थे. सूमी शर्मा जाती है और उठ के बाथरूम भाग जाती है --- फ्रेश हो कर वो तयार होने लगी तो सुनील बाथरूम में घुस्स गया.

रेडी होने के बाद दोनो रेस्टोरेंट में चले गये पेट पूजा करने क्यूंकी दोपहर का लंच तो स्किप हो गया था.

स्नॅक्स और कॉफी लेते वक़्त सुनील ने रमण के बारे में बात छेड़ दी.

सुनील : सूमी मैने रमण को 3 साल का टाइम दिया है - इन तीन सालों में वो रूबी से बिल्कुल नही मिलेगा और तीन साल बाद अगर वो फिर भी कहता है के उसे रूबी से सच्चा प्यार है तो हमे दोनो को एक करदेना चाहिए.

सूमी : रूबी को खुल्ला छोड़ दो - उसे अपनी जिंदगी का फ़ैसला खुद लेने दो - बस उसके उपर नज़र रखो कहीं ग़लत रास्ते पे ना चल पड़े . उसका कोर्स पूरा होने दो - फिर बात करेंगे --- क्या तब भी उसके दिल में रमण है - या वो हमेशा के लिए उसे भूल चुकी है. तब तक रमण का टॉपिक मत छेड़ना किसी भी वजह से.

सुनील : ह्म्म्मे यू आर राइट -- मैं दिलेम में था - क्या करूँ रूबी को बताऊ या नही - सवी तो रमण के बारे में कुछ सुनने को तयार ही नही.

सूमी : छोड़ो ये सब ... बस इन 3 दिनो में और कोई बात नही केवल तुम और मैं अपनी ही बातें करेंगे.

सुनील : जो हुकुम मेरी जान का. ( सूमी के हाथ चूम लेता है)

सूमी : उफ़फ्फ़ कहीं भी शुरू होने लगे हो ... रेस्टोरेंट में बैठे हैं अपने कमरे में नही.

सुनील खिलखिला के हंस पड़ा और सूमी ने शर्मा के गर्दन झुका ली.





पेट पूजा करने के बाद सुनील और सूमी हाथों में हाथ डाले पैदल ही होटेल से बाहर निकल पड़े और दूर दूर तक फैली वादियों के नज़ारे देख देख मस्त होते रहे . ये वादियाँ ये फिजाये इनके हनिमून की , इनके प्यार की साक्षी बन रही थी , और इन फ़िज़ाओं को भी लुत्फ़ आ रहा था इस जोड़े के प्रेम की शक्सी बनने का . ठंडी ताड़ी हवा में लहराते सूमी के गेसू मोसम को और भी खुश नुमा बना रहे थे .

ढलता हुआ सूरज अपनी किस्मेत को रो रहा था – क्यूंकी चाँद की बारी आनेवाली थी इनकी मस्ती को देख खुद भी मस्त होने के लिए. पहाड़ों की चोटियाँ जैसे कह रही थी इतनी दूर क्यूँ हो और करीब आओ – हमे भी मस्त होने का मोका दो – ताकि और नये आने वाले जोड़ो को तुम्हारी दास्तान बता बता कर उन्हें भी मस्त कर दें ----- ये समा --- समा है ये प्यार का ---- इसे जाया मत जाने देना…. कुछ ऐसा कर जाओ कि याद रहे हमे भी एक वक़्त था जब सुनील और सूमी यहाँ हनिमून मनाने आए थे.

जिस सड़क पे ये चल रहे थे उसके करीब घना जंगल था जो अपने पत्तों को हिलता हुआ इन्हें इशारा कर रहा था – आओ छुपा लूँ तुम्हें अपने आँचल में – दो बूंदे अपने प्रेम रस की यहाँ भी छोड़ जाओ ताकि आनेवाली मेरी नस्लें सिर्फ़ प्यार ही प्यार का पेगाम दें.

दोनो एक दूसरे को देखने लगे – मानो सबकी पुकार सुन रहे थे समझ रहे थे और खास तौर पे जंगल की पुकार को --- इनके कदम जंगल की तरफ बढ़ चले ---- जैसे ही ये जंगल के करीब पहुँचे चिड़ियों ने इनके स्वागत में चहचाहना शुरू कर दिया ---- हवा तेज चलने लगी और पेड़ मस्ती में झूलते हुए अपने पत्ते फड़फड़ाने लगे. सूमी के गेसू लहराते हुए सुनील के चेहरे को ढकने लगे – मानो छुपा लेना चाहते हों ताकि किसी की नज़र ना लग जाए.

एक शरारत भरी मुस्कान सुनील के अधरों पे नृत्य करने लगी --- दोनो एक दम जुड़े हुए कदम से कदम मिला जंगल में घुसते चले गये.

सुनील ने सूमी को पगडंडी से हटा जंगल के अंदर खींच लिया – ओउुुुउऊचह क्या कर रहे हो….

सुनील ने सूमी को एक पेड़ के तने से सटा दिया और उसकी आँखों में झाँकने लगा……. जिस तरहा सुनील इस वक़्त सूमी को देख रहा था …. उसके पूरे बदन में सरसराहट फैल गयी ---- ये समझते देर ना लगी कि वो कुछ शरारत करने वाला है ….. बाल्कनी में गुज़री रात के बाद सूमी भी कुछ अड्वेंचरस हो गयी वैसे उसने एक रात बीच पे गुज़री थी समर के साथ.

लेकिन सुनील की अदा और उसका प्यार बस अब यही रहता था सूमी के दिमाग़ में . समर और सागर दोनो की यादें मिट चुकी थी उसके जेहन से.

सूमी के होंठ कमकपाने लगे ----- आँखों में नशीली शराब से भी ज़यादा नशा उतरने लगा ---- आने वाले पलों को महसूस कर उसके निपल तन गये … जिस्म का रोया रोया तड़पने लगा.

सुनील उसकी मरमरी बाँहों को उंगलियों से उपर तक धीरे धीरे सहला रहा था और नशे में सूमी की आँखें बंद हो चुकी थी --- उसे कोई डर नही था कि खुले जंगल में सुनील क्या करने की कोशिश कर रहा है – कोई आ भी सकता है.

पेड़ ने अपनी टहनियाँ ऐसे झुका ली जैसे उन्हें ढकने की कोशिश कर रहा हो.

दोनो एक जिस्म एक दूसरे से चिपके हुए थे ….. सूमी ने अपने होंठ खोल सुनील को दावतनामा पेश कर दिया जिसे सुनील ने बखुबी कबूल कर लिया और अपने होंठ सूमी के होंठों से चिपका दिए…… लरज उठी सूमी और उसके दोनो हाथों ने सुनील के बालों से खेलते हुए उसे अपनी और खींचना शुरू कर दिया.

आआआअहह सिसक पड़ी सूमी ---- बेचारा पेड़ उसकी सिसकी सुन ना सका क्यूंकी वो तो सुनील के होंठों तले दब के रह गयी थी.

हवा और तेज चलने लगी – पत्तों की फड़फड़ाहट बढ़ने लगी – . साय की आवाज़ जंगल में गूंजने लगी – चिड़िया अपने घोसलों में लॉट छुप छुप के इन दोनो को देखने लगी.
सुनील के हाथ सरकते हुए – सूमी के जिस्म को सहलाते उसमे छुपे संगीत को जागाते हुए उसके उरोजो तक पहुँच गये और सूमी अमरबेल की तरहा सुनील से लिपट गयी.

होंठों ने होंठों का स्वाद चखना शुरू कर दिया ------ दाँत भी पीछे नही रहे --- वो तो जैसे दूसरे के होंठ काट पूरा का पूरा निगलना चाहते थे – ज़ुबाने आपस में ऐसी मिली जैसे कभी ना बिछडेन्गी.

सूमी के उरोज़ अच्छी तरहा मसल्ने के बाद सुनील ने उसकी साड़ी को उठाना शुरू कर दिया.
सूमी ने फट से अपने होंठ हटाए ……. हाँफती हुई बोली ----- कोई आ गया तो.

‘मैं हूँ ना’ सुनील ने फिर सूमी के होंठों को अपने क़ब्ज़े में ले लिया. और उसकी पैंटी को नीचे सरकाने लगा जो अब तक बहुत गीली हो चुकी थी. पैंटी लूड़क के सूमी के पाँवों में गिर गयी और सूमी ने उसे अपने पैरों की मदद से अलग कर दिया.
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07-19-2019, 12:48 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने अपनी पॅंट की चैन खोली और अपने कड़क लंड को बाहर निकाल सूमी की चूत से भिड़ा दिया जो अब तक इतनी गीली हो चुकी थी के सुनील के लंड को निगलने को तयार बैठी थी.
सूमी ने उछल कर अपनी टाँगें सुनील की कमर से लपेट उसे कस लिया और सुनील ने उसकी गान्ड के नीचे दोनो हाथ दे कर उसके वजन को संभाल लिया.

दोनो के होंठ अब अलग हो गये और दोनो हाँफ रहे थे…..

सुनील अपने दोनो हाथों से उसका भर संभाले हुए उसकी गान्ड मसल्ने लगा.

आह्ह्ह्ह उूुउउफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममममम

सूमी की सिसकियाँ सुन पेड़ भी खुश होने लगे अपनी टहनियाँ हिला हिला के उनका जोश बढ़ाने लगे और सुनील ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड सूमी की चूत में घुसा दिया.

ना चाहते हुए भी सूमी की चीख जंगल में गूँज गयी आआआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जिसने हवा को और भी मस्त कर दिया – जो और भी तेज चलने लगी मानो कह रही हो इसीका तो इंतेज़ार था ---- अब जब भी मैं तेज चलूंगी ये चीख मेरे दम से लिपटी हुई – इस जंगल में हर बार गूंजेगी.

सुनील कुछ पल रुका और फिर उसने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ---- पेड़ की डाल सूमी को चुभ रही थी --- और पेड़ कह रहा था – बस थोड़ी देर और सहन कर लो --- मुझे इस अनोखे मिलन का आनंद लेने दो.

सुनील ने एक दम अपनी स्पीड बढ़ा दी ------ और जंगल में सूमी की गीली चुदती हुई चूत का संगीत गूंजने लगा ---- फॅक फॅक फॅक --- हवा भी मस्त होने लगी – पेड़ भी झूमने लगे.

अहह उफफफफ्फ़ सीईईईईईईईई ओह म्म्माकआआआ

सूमी की सिसकियों का संगीत वातावरण को और भी कामुक बना रहा था.

10 मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनो झड़ने लगे…….. जंगल की पावन ज़मीन बोल उठी टपका दो ये प्रेम रस मेरे आँचल में.

अपने आनंद की घटा को भरपूर्व भोगने के बाद --- सुनील ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सूमी की चूत ने दोनो के मिले जुले रस को नीचे टपका कर ज़मीन की पुकार को सुन उसे कृतार्थ कर दिया.

सूमी ने अपनी टाँगों के बंधन को खोल दिया और नशे में झूमती खड़ी हो कर सुनील से लिपट गयी.

‘मज़ा आया’

‘बहुत मेरी जान …. लव यू ‘ सूमी ने फिर अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिए.

आज का ये रोमांच – ये अहसास – दोनो जिंदगी भर नही भूलने वाले थे…..

कुछ देर बाद दोनो होटेल की तरफ बढ़ गये ---- जंगल को सूमी ने अपनी एक याद और दे दी – अपनी पैंटी वहीं छोड़ कर.
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