Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:11 PM,
#81
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
ऋषि- असल में ना जब वो आया था तब ना रीना दीदी को बड़े ही घूर-घूर कर देख रहा था
कामया- यह रीना दीदी कॉन
ऋषि- अरे मेरी सबसे छोटी बहन रीना दीदी को नहीं जानती आप आपकी शादी में भी आए थे हम तो
कामया- अच्छा अच्छा अब कहाँ है
ऋषि- बिचारी की शादी हो गई
कामया के मुख से अचानक ही हँसी का गुबार निकल गया
और हँसते हँसते पूछा
कामया- बिचारी क्यों शादी तो सबकी होती है

ऋषि- हाँ… पर रीना दीदी मुझे बहुत मिस करती है फोन करती है ना तब कहती है
और ऋषि भी थोड़ा सा उदास हो गया था कामया को एक भाई का बहन के प्रति प्यार को देखकर बड़ा ही अच्छा और अपनी संस्कृति को सलाम करने का मन हुआ अपने को थोड़ा सा संभाल कर कामया ने कहा
कामया- अरे रीना दीदी नहीं है तो क्या हुआ में तो हूँ तुम मुझे ही अपना दीदी मान लो है ना
ऋषि- हाँ… मालूम रीना दीदी ना मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी और में उनसे कभी भी कुछ नही छुपाता था मुझे बहुत प्यार करती थी वो हमेशा ही मेरा ध्यान रखती थी

कामया- चलो चलो अब इतने सेंटिमेंटल मत हो अब तुम बड़े हो गये हो और इतना सेंटिमेंटल होगे तो आगे कैसे बढ़ोगे चलो मुझे शोरुम छोड़ दो

कामया अब नार्मल थी पर उसकी नज़र उसकी उंगलियों पर पड़ गई थी शायद एक उंगली में नेल पोलिश लगाया हुआ था ऋषि ने और वो अपने शो रूम की ओर जाने को बाहर निकली थी जैसे ही आफिस को क्रॉस करती एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आके खड़ा हो गया
वो आदमी- मेडम
कमाया- हाँ…
वो आदमी- जी मेडम भोला को क्या काम देना है
एक बार फिर से एक सनसनी सी मचा दी, भोला के नाम से ही
कामया- पता नहीं बोलना भैया से बात करले
वो आदमी- जी मेडम
और कामया पलटकर बाहर हो गई ऋषि भी उसके साथ था और बराबरी पर ही चल रहा था दौड़ता हुआ आगे बढ़ कर गाड़ी कर डोर खोलकर अपनी ओर चला गया
और गाड़ी शोरुम की ओर भागने लगी थी शोरुम में पापाजी बाहर ही काउंटर पर किसी पुराने ग्राहक को अटेंड कर रहे थे पर वो वहां नहीं रुक कर सीधे अपने केबिन की ओर ही बढ़ी पीछे-पीछे ऋषि भी था केबिन के अंदर जाते ही वो एक बार चौंक उठी अंदर कामेश बैठा हुआ था
कामया-अरे आप कब आए और फोन भी नहीं किया
कामेश- अरे बाबा एक साथ इतने सवाल बैठो तो और ऋषि कैसा है
ऋषि- जी अच्छा हूँ भैया आप कैसे है
कामया और ऋषि भी वही बैठ गये कामया कामेश की ओर ही देख रही थी कि कुछ तो कहे
कामेश- सर्प्राइज नहीं दे सकता क्या कहा तो था कि दो दिन में आ जाऊँगा
कामया- हाँ… पर फोन तो करते
कामेश- फोन करते तो सरप्राइज क्या होता हाँ…
ऋषि बैठे बातें दोनों को नोकझोक बड़े ही शालीनता से देख रहा था और एक मंद सी मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ रही थी कितना प्यार था भैया भाभी में
कामेश- और ऋषि सुना है तू आज कल कामया को लेने जाता है घर
ऋषि- हाँ… ना
बड़े ही नाटकीय तरीके से उसने जबाब दिया कामेश और कामया भी अपनी हँसी नहीं रोक पाए थे
कामेश- चलो बढ़िया है मुझे तो फुरसत नही अबसे एक काम किया कर तू ही कामया को लाया और ले जाया करना ठीक है कोई दिक्कत तो नहीं
कामया- क्यों इस बच्चे को परेशान करते हो
ऋषि- नहीं नहीं भैया कोई परेशानी नहीं मुझे तो अच्छा है एक कंपनी मिल जाएगी
कामेश- कंपनी तेरी बरा बझोउ मेरी बीवी है पता है
ऋषि- जी हाँ… पता है मुझे पर मेरी तो भाभी है ना और वैसे भी मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता
कामेश और कामया ऋषि की बातों पर हँसे भी जा रहे थे और मज़े भी लेते जा रहे थे कामेश कहता था कि ऋषि लड़कियों की तरह ही बिहेव करता है पर देख आज रही थी कामया

पर था सीधा साधा भैया भाभी के साथ वो भी मजे लेरहा था उसे कोई बुरा नहीं लग रहा था वैसे ही हाथ नचाते हुए और आखें मटकाते हुए वो लगातार जबाब दे रहा था
कामेश- तो ठीक है तो अब क्या करेगा कहाँ जाएगा तू
ऋषि- क्यों
तोड़ा सा आश्चर्य हुआ और कामेश और कामया की ओर देखने लगा
कामया- अरे बैठने दो ना यही अभी घर जाके क्या करेगा
ऋषि तपाक से बोला
ऋषि- अरे फिल्म देखूँगा ना घर पर कोई नहीं है
कामेश- हाँ… पता है कौन सी फिल्म देखेगा और यह तूने धोनी जैसे बाल क्यों बढ़ा रखे है
ऋषि- बाडी गार्ड सलमान खान वाली जी वैसे ही
कामेश- क्यों उसमें तो करीना कपूर भी तो है
ऋषि मचलते हुए सा जबाब देता है
ऋषि- हाँ… पर सलमान खान कितना हैंडसम लगा है ना इस फिल्म में क्या बाडी है है ना भाभी
कामया अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी और हाँ में मुन्डी हिलाकर कामेश की ओर देखने लगी थी और इशारे से ऋषि को छेड़ने से मना भी करती जा रही थी
कामेश- क्या यार करीना भी तो क्या लगी है उसमें उधर ध्यान नहीं गया क्या तेरा
ऋषि- नहीं वो बात नहीं है हाँ… कितनी सुंदर लगी है ना वो और एक बार फिर से कामया का समर्थन लेना चाहता था वो कामया ने भी हाँ में अपना सिर हिला दिया था पर हँसी को कोई नहीं रोक पा रहा था

कामेश- अच्छा ठीक है जा जाके सलमान खान को देख और सुन कल में तेरी भाभी को ले आउन्गा तू यहां से ले जाना कॉंप्लेक्स ठीक है

ऋषि जैसे बिचलित सा हो उठा था
ऋषि- क्यों आप क्यों

कामेश- अबे काम है ना थोड़ा सा बैंक जाना है इसलिए और क्या और सुन हम परसो बॉम्बे जा रहे है
ऋषि उठ-ते उठ-ते फिर से बैठ गया उसका चहरा उदास हो गया था

कामया की हँसी बड़े जोर से फूट पड़ी और उसका साथ कामेश ने भी दिया हँसते हँसते कामया का एक हाथ ऋषि के कंधे पर गया और उसे सांत्वना देने लगी थी

कामया- अरे ऋषि में तुम्हें फोन कर दूँगी अभी तुम जाओ ठीक है

ऋषि- पर आप चली जाएँगी तो में तो कॉंप्लेक्स नहीं जाऊँगा

कामेश- अरे बाबा मत जाना घर में बैठकर फिल्म देखना पर रो तो मत

ऋषि- रो कहाँ रहा हूँ
और कामया की ओर पलट कर
ऋषि - बॉम्बे क्यों जेया रही है भाभी आप्
कामया कामेश की ओर देखने लगी थी
कामेश- अरे यार वो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट वाले बिज़नेस के लिए एक अकाउंट खोलना है एक फॉरेन बैंक में इसलिए
कामया ने एक बार ऋषि की ओर देखा

ऋषि का मन टूट गया था पर अचानक ही उसके मुख से निकला
ऋषि- में भी चलूं भाभी और कस्स कर उसका हाथ को पकड़ लिया कामया की हथेलियो को

कामेश और कामया की हँसी अब तो उनके आपे से बाहर थी पर कामया ने बातों को संभाला और
कामया- हाँ… हाँ… चलो क्यों

कामेश- अरे यार घूमने नहीं जा रहे है चल ठीक है धरम पाल जी से पूछ लेता हूँ ठीक है

ऋषि कामया की ओर बड़ी ही गुजारिश भरी नजरों से देख रहा था जैसे कि कह रहा हो कि मुझे छोड़ कर मत जाना पर भैया से हिम्मत नहीं पड़ रही थी

इतने में पापाजी भी आ गये कुछ लेने को और जैसे ही ऋषि पर नजर पड़ी तो एक मुस्कुराहट उनके चहरे पर भी दौड़ गई थी कामेश और कमाया की ओर देखते हुए
पापाजी- कैसे हो ऋषि अपनी भाभी से कुछ सीखा कि नहीं
ऋषि- जी अंकल सीख रहा हूँ
पापाजी- हाँ… अच्छे से सीखना और देखना कही कोई गलती ना हो तुम्हारे पापाजी का बड़ा ही विस्वास है तुम पर और कल की ट्रिक में तुम्हें ही तो सब देखना है क्यों

ऋषि- जी अंकल
और पापाजी बाहर जाते हुए
पापाजी- क्यों कामेश क्या प्रोग्राम है
कामेश- जी धरम पाल जी से एक बार पूछ लूँ फिर बताता हूँ शायद परसो

पापाजी- हाँ जल्दी कर लो फिर मम्मीजी भी आने वाली है गुरु जी भी आरहे है इससे पहले ही तुम लोग आ जाओ तो ठीक रहेगा

कामया- मम्मीजी का फ़ोन आया था

पापाजी- हाँ… तभी तो उन्होंने ही तो कहा है कि कामया के नाम से ही अकाउंट खोलो गुरुजी का आदेश है
कामया कभी कामेश तो कभी पापाजी की ओर देखती रही और ऋषि को कुछ समझ नहीं आया था पर वो सबकी ओर बड़े ही उतावले पन से देख रहा था

पापाजी के बाहर जाते ही कामेश ने धरम पाल जी को फोन लगाया
कामेश- कैसे हैं आप
धरम पाल जी की आवाज तो वहां बैठे लोगों तक नहीं पहुँची पर

कामेश- अच्छा ठीक है हाँ… वो ऋषि को भी ले आता हूँ

कामेश- अरे नहीं सुनिए तो अगर मन लीजिए कि कामया को कोई दिक्कत हुई तो काम से काम ऋषि के सिग्नेचर तो चलेंगे ना इसलिए सोचा था

कामेश- ठीक है तो हम परसो सुबह की फ्लाइट पकड़ते है हाँ… ठीक है
और फोन काट कर वो ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखा
कामेश- चल तुझे बॉम्बे घुमा लाता हूँ ही ही

ऋषि जैसे खुशी से पागल हो उठा था बड़े ही नाटाकिये तरीके से
ऋषि ऊह्ह थॅंक यू भैया थॅंक यू आप कितने अच्छे है (और भाभी की ओर देखते हुए) कितना मजा आएगा ना भाभी है ना

कामया और कामेश की हँसी एक साथ फूट पड़ी और जोर-जोर से हँसते हुए दोनों ने ऋषि को किसी तरह विदा किया और शोरुम के काम में लग गये कब रात हो गई और घर जाने का समय हो गया पता भी नहीं चला रात को खाने के बाद जब दोनों अपने कमरे में पहुँचे तो कामया ही कामेश पर टूट पड़ी और एक अग्रेसिव खेल फिर शुरू हो गया कामया की हर हरकत मेकामेश की जान निकलती जा रही थी इस बार भी कामेश को दो बार झुकना पड़ा कामया को संतुष्ट करने के लिए

पर उसके जेहन में एक बात घर कर गई थी कि कामया उसके बिना नहीं रह सकती थी वो यह सोचकर उतावला हो रहा था कि दो दिन बाद मिलने से कामया कितनी उतावली हो जाती है पर एक पति को और क्या चाहिए था वो तो चाहता ही था की उसकी पत्नी उसे मिस करे और आते ही अपने मिस करने का गवाह इस तरीके से प्रस्तुत करे और कामया के लिए तो कामेश था ही अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए जो आग भीमा लाखा और भोला ने लगाई थी वो उसे ही बुझानी थी भोला की हरकतों से वो इतनी उत्तेजित हो गई थी आज कि जैसे ही अपने पति के आगोश में गई थी वो
बस उस राक्षस के बारे में सोचती रह गई थी और कामेश पर चढ़ाई कर दी थी रात को कामया ने कामेश को कपड़े भी नहीं पहनने दिए और अपनी बाहों में कस कर उसे वैसे ही सोने को मजबूर किया

रात तो कट गई और सुबह भी जैसे तैसे और फिर बैंक के चक्कर और फिर शो रूम ऋषि भी आया पर कामेश के सामने कोई ज्यादा हरकत नहीं की बस चुपचाप बैठा रहा और काम देखता रहा
कॉंप्लेक्स में भी गया था पर वैसे हो लौट आया था शोरुम में कामया और कामेश को देखते ही बोला
ऋषि- आज कॉंप्लेक्स नहीं आई आप भाभी
कामया- हाँ… सीधे यही आ गई थे शाम को भैया के साथ चली जाऊँगी क्यों
ऋषि- नहीं में गया था आप नहीं थी तो चला आया
इतने में पास में बैठे कामेश का फोन बजा
कामेश- हेलो हाँ… अरे यार तुझे बड़े काम की पड़ी है

कामेश- अच्छा एक काम कर गेट पर रहना और गाड़ी का हिसाब देख लेना ऊपर-नीचे मत होना और घाव कैसे है ठीक है

कामया- कौन था

कामेश- भोला काम की पड़ी है ठीक हो जाता फिर आता नहीं

कामेश अपने काम में लग गया पर भोला नाम से ही कामया का शरीर एक बार फिर से सुन्न पड़ गया था सिर से पाँव तक सिहरन सी दौड़ गई थी पर बैठी हुई अपने आपको संभालने की कोशिश करती रही

कामया- आपने भी तो उसे सिर पड़ चढ़ा रखा है

कामेश- अरे यार तुम जानती नहीं उसे साले का सिर कट जाएगा पर काम चोरी नहीं करेगा मर जाएगा पर नमक हलाली नहीं करेगा
कामया- हाँ…
पर वो तो कुछ और ही सोचने में व्यस्त थी ऋषि भी वही बैठा रहा कोई काम नहीं था पर हर बार जब भी कामया या पापाजी या फिर कामेश की नजर उससे मिलती तो अपने दाँत निकलकर एक मुश्कान जरूर छोड़ देता था कामया को उसके भोलेपन पर बड़ा ही प्यार आ रहा था अपनी रीना दीदी को मिस करता था वो घर पर भी अकेला था और साथ देने को कोई नहीं

खेर जैसे तैसे शाम भी हो गई ऋषि को उन्होंने सुबह 5 बजे तक एर पोर्ट पहुँचने को कहा कर रवाना किया और वो भी रात होने तक घर पहुँचे पर सुबह के इंतेजार और जाने का टेन्शन के चलते कोई भी ऐसा सर्प्राइज नहीं हुआ जो कि इस कहानी में मोड़ ला सके


सुबह होते ही कामेश और कामया जब एरपोर्ट पहुँचे तो ऋषि भी वही था मस्त सा काटन शर्ट और पैंट पहने था देखने में किसी अच्छे घर का लड़का लगता था और पढ़ालिखा भी बस खराबी थी तो जब वो बोलता था या फिर इठलाता था कामेश और कामया को देखते ही मचल सा गया था और जल्दी से उनके पास आके नमस्कार करते हुए
ऋषि-कितनी देर करदी भाभी कब से खड़ा हूँ अकेला


वो अब उससे पूरी तरह से लड़कियों जैसा ही बिहेव करने लगा था उसकी बातें भी इसी तरह से निकलने लगी थी और हरकतें तो थी ही

बिना कुछ कहे ही उसने कामया की पीठ पर अपने हाथों के लेजाकर पीठ पर से उसके पिन को खोलकर उसकी साड़ी को आजाद कर दिया और फिर से उसके पिन को वही ब्लाउसमें लगा दिया और कामया की ओर देखकर मुस्कुराने लगा था और झुक कर एक हल्की सी पप्पी उसके गालों में दे डाली

कोई पूछना नहीं ना कोई ओपचारिकता और नहीं कोई शरम हाँ शरम थी तो बस
ऋषि को छूने से,
पर जैसे ही कामया ने ऋषि को मुस्कुराते हुए देखा और उसे अपने करीब खींचा तो
ऋषि- उउउहह क्या है
कामया- मेरे पास आना
ऋषि सरक कर कामया के करीब हो गया कामया का चेहरा उसके कंधों के पास था और वो थोड़ा सा ऊपर
कामया- और पास शरमाता क्यों है हाँ
ऋषि- और कितना पास हूँ तो और नहीं बस
कामया का उल्टा हाथ उसकी बगल से निकाल कर उसके कंधों और पीठ पर घूमने लगे थे ऋषि को शायद गुदगुदी हो रही थी पर अच्छा लग रह आता
ऋषि- उउउंम्म मत करो ना
कामया- ही ही क्यों
ऋषि- उउंम्म गुड गुडी होती है
और उसकी सीधी हथेली कामया के गालों पर घूमने लगी और बड़े ही प्यार से कामया की नजर से नजर मिलाए हुए वो बोला
ऋषि- मालूम रीना दीदी भी मुझे ऐसे ही प्यार करती थी
कामया- हाँ और बता तेरी रीना दीदी क्या-क्या करती थी




वो ऋषि से सट कर लेट गई थी उसकी साड़ी उसकी चूची के ऊपर से हट गई थी और वो एकदम से बाहर की ओर देखने लगी थी ऋषि की हथेली अब धीरे-धीरे उसके गालों से लेकर उसके गले तक और फिर उसके सीने की ओर बढ़ रही थी कामया की सांसो से साफ पता चल रहा था कि अब वो किसी भी कंडीशन में रुकने वाली नहीं थी उसे जो चाहिए था पता नहीं वो उसे मिलेगा कि नहीं पर हाँ… वो ऋषि की हरकतों को तो मना नहीं करसकती थी अब
ऋषि की हथेली अब उसके गले और ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को छूती जा रही थी और उसके होंठों से निकले शब्द कामया के कानों तक पहुँच रहे थे
ऋषि- कितनी साफ्ट स्किन है भाभी आपकी आअह्ह, कितनी साफ्ट हूँ आप और कितनी कोमल हो
उसका हाथ अब कामया के ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को छू रहा था उसका हाथ ना तो उसकी चुचियों को दबा रहा था और नहीं उसे पिंच कर रहा था
जो उतावला पन आज तक कामया ने अपने जीवन में सहा था हर मर्द के साथ वो कुछ भी नहीं बस ऋषि के हाथ उसके आकार और गोलाइओ को नापने का काम भर कर रहे थे बड़े ही कोमल तरीके से और बड़े ही नजाकत से कोई जल्दी नहीं थी उसे जैसे उसे पता था कि कामया उसके पास से कही नहीं जा सकती या फिर कुछ और

कामया- अया उूउउंम्म क्या कर रह अहैइ उउउम्म्म्म
पर रोकने की कोई कोशिश नहीं हाँ… बल्कि अपने को और उसके पास धकेल जरूर दिया था
ऋषि- कुछ नहीं भाभी बस देख रहा था कि आपकी चुचे कितने सुंदर है ना मेरे तो है नही
कामया- लड़कों के नहीं होते पगले

ऋषि ---हां पर मुझे तो बहुत अच्छे लगते है ये

कामया- हाँ… प्लीज ऋषि अब मत कर

उसका एक हाथ ऋषि के हाथों के ऊपर था पर हटाने को नहीं बल्कि उससे वो ऋषि को इशारा कर रही थी कि थोड़ा सा जोर लगाकर दबा पर ऋषि तो बस आकार और प्रकार लेने में ही मस्त था उसके हाथ अब उसके ब्लाउसको छोड़ कर उसके रिब्स के ऊपर से होते हुए नीचे की ओर जाने लगे थे कामया का शरीर अब तो अकड़ने लगा था वो कमर के बल उठने लगी थी घुटनों के ऊपर उसकी साड़ी आ गई थी और कमर पर ऋषि के हाथों के आने से एक लंबी सी सिसकारी उसके
होंठों से निकली थी
ऋषि- अच्छा लगा रहा है भाभी

कामया- हाँ… हाँ… सस्स्स्स्स्स्स्स्शह

ऋषि---आप बहुत प्यारी है भाभी मन करता है में आपको इसी तरह प्यार करता रहूं कितनी साफ्ट हो आप
और उसके हाथों का स्पर्श अब तो कामया के लिए एक पहेली बन गया था आज जो आग ऋषि लगा रहा था क्या वो इसे भुझा पाएगा पर कामया तो उस आग में जल उठी थी उसे तो अब अपने आपको शांत करना ही था वो अपने चेहरे को ऋषिके सीने में सटा ले रही थी और अपनी लेफ्ट हाथ को ऋषि की पीठ पर घुमाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी हथेली ऋषि की खुली हुई पीठ पर से धीरे-धीरे अंदर की ओर जाने और ऋषि ने उसके ब्रा की
स्ट्रॅप्स को छू लिया था

कामया एकदम से मूडी और ऋषि से लिपट गई थी ऋषि ने भी भाभी को अपने से सटा लिया था नहीं जानता था कि क्यों पर कामया का लपेटना उसे अच्छा लगा था ऋषि की हथेलिया अब उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से से उसकी ब्रा को छूते थे तो वो उसके और पास हो जाता था

कामया के जीवन का यह एहसास वो कभी भी भूल नहीं पाएगी यह वो जानती थी पर ऋषि के थोड़ा सा अलग होने से वो थोड़ा सा चिड गई थी
कामया- क्या
ऋषि -- भाभी
कामया- क्या है रुक क्यों गया
ऋषि आप बहुत उत्तेजित हो गई है है ना
कामया---हां क्यों तू नहीं हुआ
ऋषि कुछ कहता इससे पहले ही कामया ने उसे अपनी ओर खींचा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी ऋषि ने भी थोड़ी देर वैसे ही अपने होंठों को कामया के सुपुर्द करके चुपचाप उसे स्वाद लेने दिया फिर हटते हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ने लगा था
कामया- क्या हुआ हाँ…
ऋषि- कुछ नहीं एक बात कहूँ भाभी गुस्सा तो नहीं होंगी नाराज तो नहीं होंगी ना
कामया- क्या नाराज क्यों बोल ना
ऋषि साहस जुटा कर जैसे तैसे शब्दों को जोड़ कर कामया की ओर नजर गढ़ाए हुए एक विनती भरी आवाज में कहा
Reply
06-10-2017, 03:11 PM,
#82
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
ऋषि--- जी भाभी कन आई टच यू, आइ वान्ट यू भाभी व्हाट टू लव यू प्लीज भाभी प्लीज यू आर सो साफ्ट भाभी आइ जस्ट वाना महसूस यू
कामया- यू जस्ट फेल्ट मी ऋषि
ऋषि- नो भाभी नोट दिस वे दा वे आई वॉंट प्लीज भाभी आई प्रॉमिस यू
कामया के पास जबाब नहीं था उसकी हालत खराब थी पर जिस तरह से ऋषि उससे गुजारिश कर रहा था वो एक अजीब सा तरीका था

कामया- आई म नोट गेटिंग यू ऋषि हाउ

ऋषि- जस्ट डू ऐज आई से भाभी प्लीज यू विल सी हाउ प्लेसुरबले इट ईज़ आई प्रॉमिस
कामया- प्लीज ऋषि आई म स्केर्ड व्हाट शुड आई डू प्लीज ऋषि
कामया ऋषि के गालों को छूते हुए उसके पास थी और ऋषि भी तेज सांसें लेता हुआ उसके बालों को छूता हुआ उसे बड़े प्यार समझा रहा था
ऋषि- भाभी प्लीज स्ट्रीप युवर साड़ी और ले डाउन आंड सी व्हाट आई डू जस्ट एंजाय
कामया- उूउउम्म्म्म ऋषि यू नो व्हाट यू आर सेयिंग कॅन यू मनेज आई म नोट शुवर अबाउत इट बॅट इफ यू से सो बट प्लीज ऋषि
कामया धीरे से ऋषि की ओर देखती हुई बेड से उतरी और साइड में खड़ी हुई ऋषि की ओर देखती हुई कमर से एक साथ ही पूरी साड़ी को खींच लिया और वही नीचे ही गिरने दिया वो अपनी पेटीकोट को उँचा करती हुई लगभग घुटनों तक उठाकर अपने आपको वापस बेड पर चढ़ा लिया और ऋषि की ओर देखती हुई उसके पास लेट गई

दोनों एक दूसरे को बड़े ही ध्यान से देख रहे थे कामया को श्योर नहीं था जो ऋषि ने उससे कहा था पर उसके पास अपनी काम अग्नि को बुझाने का कोई और रास्ता भी नहीं था ऋषि एक मर्द था शायद उसके अंदर का कोई चीज अब भी जिंदा हो या फिर वो सिर्फ़ दिखावा कर रहा हो असल में वो भी कामेश भीमा और लाखा के जैसा ही हो
पर ऋषि अपनी जगह पर ही बैठा रहा और मुस्कुराता हुआ कामया को बेड पर लेटा हुआ देखता रहा वो अभी साड़ी पहना था
कामया- तू नहीं उतारेगा साड़ी हाँ…
ऋषि---आप कितनी सुंदर हो भाभी कितनी गोरी कितनी कोमल हो भाभी
वो अपनी हथेली कामया की टांगों से लेकर धीरे-धीरे ऊपर उसकी जाँघो तक ले जा रहा था बड़े ही संभाल कर बड़े ही कोमलता से कही कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं कर रहा था और नहीं कोई उतावलापन बड़े ही शांत और नजाकत से ऋषि उसके शरीर की सुदोलता का एहसास कर रहा था कामया का पूरा शरीर जल रहा था वो जानती थी कि जो ऋषि कर रहा है वो एक छलावा है पर वो मजबूर थी उसे ऋषि का इस तरह से उसे छुना अच्छा लग रहा था वो आजाद थी इधर उधर होने को अपने आपको तड़पने को उसे ऋषि के मजबूत हाथ नहीं रोक रहे थे वो तो बस उसके शरीर की रचना को देख रहा था उसकी कोमलता का एहसास भरकर रहा था

कामया की पेटीकोट उसके कमर तक आ पहुँची थी और उसकी पैंटी उसके कमर पर कसी हुई और उसकी जाँघो के बीच में जाकर गुम हो गई थी वो अपनी कमर के सहारे अपनी टांगों को खोलकर बंद करके और इधार उधर होकर अपनी उत्तेजना को छुपा रही थी और ऋषि अपने हाथों से उसकी कमर के पास उसके पेट को सहलाता जा रहा था

कामया का हाथ एक बार ऋषि के चहरे तक गया और उसे अपनी ओर खींचने लगी थी वो उसे किस करना चाहती थी
ऋषि ने एक बार उठकर उसे देखा और मुस्कुराता हुआ उसके पास आ गया और अपने होंठों को धीरे से कामया के होंठों पर रखा कामया झट से उसके होंठों पर टूट पड़ी पर ऋषि उससे अलग हो गया

ऋषि- आआअम्म्म्म ऐसे नहीं बी जेंटल भाभी बी जेंटल
और धीरे से अपने होंठों से कामया के होंठों को किस किया और फिर अपनी जीब को निकाल कर धीरे-धीरे उसके होंठों पर फेरने लगा था कोई जल्दी नहीं कोई ताकत नहीं बस एहसास सिर्फ़ स्पर्श और कुछ नहीं कामया की जिंदगी का पहला किस्स जो की इतना मधुर और सौम्य था वो अपनी आखें खोलकर ऋषि की ओर देखती रही उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी उसकी एक हथेली ऋषि के पीछे उसके बालों से लेकर उसके गले से होते हुए उसके ब्लाउज के खुले हिस्से में घूम रही थी वो जान बूझ कर अपनी हथेली को उससे भी नीचे ले गई और उसके ब्लाउज के खुले हिस्से से उसके अंदर डाल दिया और ऋषि को फिर से अपनी ओर खींच लिया ऋषि ने भी कोई संघर्ष नहीं किया और चुपचाप अपने होंठों को फिर से उसके होंठों पर रख दिया इस बार बारी कामया की थी


वो भी ऋषि की तरह ही अपने होंठों से ऋषि के होंठों को धीरे-धीरे किस करती हुई उसके होंठों को चाटने भी लगी थी कोई ताकत नहीं थी बस उसके होंठों के रस्स को छूने और स्पर्श का खेल था वो ऋषि के ब्लाउज के अंदर कामया की उंगलियां उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गई थी वो अपनी उंगलियों से उसे छेड़ रही थी

ऋषि- उूउउफफ्फ़ भाभी प्लीज डोंट डू दट आई महसूस सो गुड लेट मी महसूस यू भाभी यू आर ब्रेअसर्ट प्लीज भाभी

कामया- उूउउंम्म ओह्ह… ऋषि क्या कर रहे हो प्लीज यू आर सो साफ्ट डियर यू आर सो नाइस लव यू डियर
ऋषि- ऊवू भाभी यू आर सो लव्ली भाभी यू आर सो साफ्ट आई वाना बी यू आर डार्लिंग भाभी यू विल बी माइन
कामया- प्लीज ऋषि पुल आफ माइ ब्लाउस इट’स हरटिंग डियर प्लीज माइ डियर
सांसों की जंग के साथ और एक दूसरे को छुते हुए दोनों एक दूसरे में गुम थे और अपने मन की बातों को खोलकर एक दूसरे के सामने प्रेज़ेंट भी कर रहे थे दोनों ही एक दूसरे को समझ चुके थे और एक दूसरे की तमन्ना को शांत करने की कोशिश में लगे थे

कामया के हाथ अब ऋषि के गालों को पकड़कर उसके होंठों को किस कर रहे थे और ऋषि भी अपने हथेलियो को कामया के ब्लाउज के हुक पर उलझाए हुए कामया को धीरे से किस करता जा रहा था कामया का एक हाथ ऋषि की साड़ी को भी खींचकर उसके कंधे से उतार चुका था और उसके पेट से लेकर उसकी पीठ तक उसे सहलाते हुए उसकी कोमलता को जान रही थी ऋषि भी उतावला हो चुका था पर वहशी पन नही था उसमे था तो बस जिग्यासा और कुछ नहीं और अपनी भाभी को छूने की इच्छा

वो भाभी के ब्लाउज के हुक से आजाद कर चुका था और दोनों पाटो को खोलकर फिर से उन्हें देखने लगा था ब्रा में कसी हुई उसके चूचियां बाहर आने को तैयार थी पर ऋषि को जैसे कोई जल्दी नहीं थी बड़े ही तरीके से वो उन्हें देखता हुआ अपनी हथेली से उनके आकार और सुडोलता को अपने हथेली से छूकर और सहलाकर देख रहा था उसका चेहरा अब भी कामया के होंठों के पास था और कामया अपनी जीब से उसके गाल को चाट लेती थी उसके हाथों में कोई जल्दी या फिर कहिए कोई सखतपन नहीं था था तो बस एक जिग्यासा और कुछ नहीं उसकी ब्रा को नहीं खोलकर वो कामया की पीठ पर हाथ लेजाकर उसे उठा लिया और खुद भी बैठ गया और मुस्कुराता हुआ कामया के होंठों को एक बार चूमने के बाद उसके ब्लाउसको उसके कंधों से निकालने लगा था कामया उसे ही देख रही थी


उसकी आखों में एक चमक थी जैसे कि अपने हाथों में एक खिलोना पा गया हो उसके मन के माफिक और वो जानता था की वो उसे जैसा चाहे वैसे खेल सकता था ऋषि उसके ब्लाउसको उसके शरीर से अलग करके उसे एकटक देखता रहा और धीरे से अपनी एक हथेली को लेजाकर ऊएकी दाईं चुचि पर रखा और उसे ब्रा के ऊपर से ही सहलाता जा रहा था

ऋषि- भाभी कन आई सी यू जस्ट इन लिंगरे प्लीज कन आई पुल युवर पेटीकोट अवे
कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई और वो खुद ही बैठे बैठे अपने पेटीकोट का नाड़ा को ढीलाकर दिया और ऋषि की ओए देखने लगी
ऋषि- ऊऊह्ह भाभी यू आर जस्ट ग्रेट
और अपने हाथों से वो भाभी के पेटीकोट को खींचते हुए उसे उतारता चला गया कामया लेट गई थी ताकि ऋषि को आसानी हो ऋषि उसके पेटीकोट को निकलकर अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और कामया को लेटे हुए देखता रहा वाइट कलर की मचिंग सेट था वो कसे हुए थे उसके शरीर पर ऋषि ने भी एक झटके से अपनी साड़ी को उतार फेका और वो भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस पहने हुए कामया को पैरों से लेकर चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा

कामया के शरीरके हर हिस्से को वो बड़े ही प्यार से छूता और अपनी जीब से उसका स्वाद लेता हुआ वो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा था कामया की हालत खराब थी उसकी जाँघो के बीच में एक आग लग चुकी थी जिसे वो अब संभाल नहीं पा रही थी पर जो कुछ भी ऋषि कर रहा था वो एक आजूबा था इतने प्यार से और इतने जतन से आज तक कामया के शरीर को किसी ने भी प्यार नहीं किया था ऋषि के प्यार करने के तरीके से उसे एक बात तो पता चली थी वो यह कि
नारी का शरीर एक ऐसा खेलोना है जिसे जो चाहे जैसे चाहे खेल सकता है वो हर स्पर्श के लिए तैयार रहती है कोमल से कोमल स्पर्श भी उसे शरीर में वही आग जला सकता है जोकि एक मर्दाना स्पर्श करता है वो अपने इस नये परिचय से इतना कामुक हो गई थी कि उसके मुख से पता नहीं क्या-क्या निकल रहा था

कामया- आआअह्ह ऋषि क्या कर रहा है प्लेआस्ीईईई ऋषि यह सब भी उतार दे बहुत कसते जा रहे है और इधर आ
ऋषि उसके पेट को चूम रहा था उसकी नाभि को छेड़ रहा था अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था बड़े ही हल्के ढंग से उसने कमाया की कमर को अपनी हथेली से पकड़कर अपनी जीब को घुमाकर वो कामया के पेट के हर हिस्से को चूम रहा था

कामया---आआह्ह उउउंम्म उूउउफफ्फ़ ऊऊ ऋषि प्लीज आना इधर
ऋषि नहीं आया बल्कि थोड़ा सा और ऊपर उठा और अपने होंठों से उसके रिब्स के चारो ओर किस करता रहा और फिर अपनी हथेलियो को उठाकर उसके ब्रा के ऊपर रखते हुए उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा था उसे कोई जल्दी नहीं था पर कामया को थी वो अब नहीं सह पा रही थी वो जिस तरीके से उसे किस करता जा रहा था वो एक अजीब सी कहानी गढ़ रहा था कामया अपने आपको किस तरह से रोके हुए थी वो नहीं जानती थी पर हाँ… उसके प्यार करने का अंदाज निराला था
ऋषि- अच्छा लग रहा है ना भाभी
कामया- हाँ… इधर आना
ऋषि- हाँ भाभी उूउउम्म्म्ममम
ऋषि के होंठ कामया के होंठों के भेट चढ़ चुके थे और कामया का पूरा शरीर उसके शरीर से सटने की कोशिश करने लगा था वो ऋषि को खींचते हुए अपने साथ लिपट-ती जा रही थी पर ऋषि जैसे मचल गया था

ऋषि- उउउंम्म प्लीज ना भाभी रूको तो लेट मी डू इट इन माइ वे प्लीज वेट आई प्रॉमिस यू विल एंजाय जस्ट आ फेवव मोर मीं माइ लव
और ऋषि कामया की गिरफ़्त से आजाद हुआ और फिर से उसकी चुचियों को अपने होंठों से चूमता रहा ब्रा के ऊपर से
ऋषि- कॅन आई सी इट भाभी व्हाट यू हॅड इन इट हाँ…
कामया- गो अहेड माइ डियर
और वो थोड़ा सा उठी कि ऋषि उसके ब्रा के हुक को खोलेगा पर ऋषि ने उसे नहीं खोला बल्कि उसके कंधो से उसके स्ट्रॅप्स को धीरे-धीरे चूमते हुए उतरता चला गया
और जैसे ही उसके निपल्स उसके सामने थे वो धीरे से अपने होंठों को लेजाकर एक बार धीरे से उन्हें चूमकर वापस आ गया
कामया- आअह्ह उउउँ कर ना प्लीज कितना तडपा रहा है तू इधर आ
और वो ऋषि को खींचते हुए अपनी चुचियों पर उसके होंठों को रखने लगी थी

पर ऋषि तो अपने काम में ही मस्त था वो कामया की चुचियों को आजाद करके सिर्फ़ उनकी ओर ही देख रहा था और सहलाता हुआ उसकी गोलाई और कोमलता के एहसास को अपने अंदर समेट रहा था पर कामया का शरीर तो जैसे भट्टी बन चुका था वो अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि को कस कर अपने से सटा रही थी और उसे खींच रही थी कि वो कुछ करे पर ऋषि कामया के सीने पर अपना सिर रखे हुए अपने हाथों से उसे सहलाता जा रहा था और धीरे-धीरे उसकी गोल चुचियों को किस करता जा रहा था

कामया- क्या कर रहा है ऋषि प्लीज चूस ना प्लीज ऋषि चूस सस्स्स्स्शह उउउम्म्म्मममम
ऋषि- हाँ भाभी उउउम्म्म्म अच्छा लगा हमम्म्मममम
कामया-हाँ और जोर से ऋषि प्लीज और जोर से
ऋषि अपने मन से कामया की चुचियों को अपने होंठों से चूसता हुआ धीरे-धीरे उसे दबाता जा रहा था और एक हथेली को धीरे से उसके जाँघो के बीच में ले जा रहा था कामया कमोवेश की भेट चढ़ि हुई अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के अगले स्टेप का इंतेजार कर रही थी और जैसे ही ऋषि की उंगलियां उसके योनि से टकराई वो बिल्कुल सिहर कर ऋषि को कस कर अपनी चुचियो पर कस लिया ऋषि की सांसें बंद हो गई थी

ऋषि---उउउंम्म भाभी सांसें भी नहीं ले पा रहा हूँ छोड़ो आहह

कामया- प्लीज ऋषि कुछ कर में मर जाउन्गी प्लीज वहां कुछ कर जल्दी

ऋषि- मरे आपके दुश्मन में हूँ ना आप क्यों परेशान है

एक हल्की सी आवाज कामया के मुख से निकली और वो ऋषि को अपनी जाँघो पर कस्ती जा राई थी उसकी हथेलिया ऋषि के बालों को खींचती जा रही थी पर कुछ नहीं ऋषि अपने तरीके से उसकी चूचियां चूमता हुआ उसकी योनि पर हल्के-हल्के अपनी उंगलियां चलाता रहा

कामया- प्लीज ऋषि और नहीं प्लीज़ सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई आआह्ह
ऋषि के हाथों को पकड़कर उसने अपनी जाँघो को फिर से कस लिया और अपनी कमर को झटके देने लगी थी

ऋषि अब थोड़ा सा उससे अलग होता हुआ फिर से अपने घुटनों पर बैठा हुआ था कामया अपनी उखड़ी हुई सांसों से उसे एकटक देख रही थी ऋषि उसकी ओर देखता हुआ धीरे से उसकी पैंटी को नीचे कर रहा था ऋषि की आखें उसकी ओर देखती हुई जैसे पूछ रही थी कि उतारू या नही


कामया ने अपनी कमर को उँचा किया ताकि ऋषि अपने काम को अंजाम दे सके और हुआ भी वही झट से पैंटी बाहर लेकिन ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी वो धीरे से कामया की टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक धीरे से किस करता हुआ उसकी जाँघो के बीचो बीच पहुँच गया था और

ऋषि- ऊह्ह भाभी युवर स्मेल सो गुड कन आई टेस्ट इट हाँ… प्लीज भाभी

कामया क्या कहती अपने हाथ को जोड़ कर ऋषि के बालों के पास ले गई और उसे अपने जाँघो के बीच में खींच लिया उसके होंठों ने जैसे ही उसकी योनि को टच किया एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और उसकी जाँघो को चौड़ा करके जहां तक हो सके ऋषि को जगह बना के देदी थी कामया ने

ऋषि तो जैसे इस चीज में मास्टर था ना कोई दाँत लगा और नही कुछ और नहीं कोई जल्दी और नहीं कोई वहशीपन और नहीं जोर जबरजस्ती और नहीं कोई चुभन बस उसके होंठों की ओर उसकी जीब की अनुभूति और वो भी उसके अपर लिप्स पर और कही नहीं धीरे-धीरे वो उसके इन्नर लिप्स तक पहुँची पर कामया हार गई और
कामया- आआआह्ह ओूऊह्ह ऋषि आई कॅनट स्टॅंड मोर डियर, आई म कोँमिंग उूुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममममाआआआआआआह्ह,

ऋषि गो अहेड माइ लव गो अहेड आई म हियर युवर आखिरी ड्रॉप ईज़ माइन आई लव यू डियर

कामया का सारा शरीर आकड़ गया था और अपने पैरों को उँचा करके वो अपने शरीर को उत्तेजना के आग में जलाकर बाहर की ओर निकल रही थी वो निरंतर झटके से अपने आपको रिलीस कर रही थी और ऋषि उसकी योनि से निकलने वाले हर ड्रॉप को खींचकर अपने अंदर लेता जा रहा था वो अब भी कामया की जाँघो के बीच में ही था और कमाया शांत हो गई थी और बिस्तर पर गिरी गिरी अपने हाथों को पूरे बिस्तर पर घुमा रही थी


वो बहुत थकी हुई नहीं थी पर हाँ… एक अजीब सी उत्तेजना थी जो कि अब भी उसके अंदर सोई नहीं थी झटके लेती हुई अभी तक अपने को रिलीस कर रही थी

ऋषि अब तक उसे जाँघो के बीच में ही था और हर एक बूँद को चाट-ता और अपने होंठों से छूकर उसको लगातार सूखा रहा था कामया के होंठों से अब भी हल्की हल्की सिसकारी के साथ हाँफने की आवाज आ रही थी

ऋषि के बालों को पकड़कर वो लगातार अपने ऊपर और पास खींचने की कोशिश करती जा रही थी

कामया- उउउफफ्फ़ ऋषि अब बस कर नहीं तो फिर से शुरू हो जाएगा प्लीज अब मत कर

ऋषि- क्यों भाभी आज नहीं लग रहा हाँ… प्लीज ना भाभी युवर स्मेल सो गुड आई कन’त रेजिस्ट माइसेल्फ प्लीज ना

कामया- प्लीज ऋषि थोड़ा सा रुक जा सांस लेने दे इधर आ ना प्लीज

ऋषि उसकी जाँघो के बीच से अपने सिर को बाहर निकालते हुए अपने चेहरे पर गिर रहे कामया के योनि रस्स को बेड पर ही पोंच्छ लिया और अपने हाथो से कामया की जाँघो से लेकर उसके गोल गोल नितंबों को छूता हुआ अपने चहरे को कामया की चूची के ऊपर रखकर लेट गया

कामया ने भी उसे कसकर अपने सीने के आस-पास जकड़ लिया था और उसके सिर को सहलाती हुई उसे प्यार करती रही

ऋषि के हाथ अब भी उसकी कमर से लेकर उसके पीठ पर हर कही घूम रहे थे एक हल्की सी सरसराहट उसके शरीर में अब भी उठ रही थी ऋषि कामया को अपनी बाहों में भरकर उसके नंगे शरीर को बड़े ही प्यार से सहलाता जा रहा था और अपने होंठों से उसकी चुचियों के चारो ओर किस करता जा रहा था

कोई प्रेशर या जल्दिबाजी नहीं थी उसे बड़े ही आराम से और नजाकत से कामया को भी उसका इस तरह से प्यार करना अच्छा लग रहा था और उसने भी ऋषि को अपनी बाहों में भर कर अपने से सटा रखा था
कामया- ऋषि
ऋषि- जी भाभी
कामया- एक बात पूच्छू तुम बुरा तो नहीं मनोगे

ऋषि- नहीं भाभी बिल्कुल नहीं पूछिए
और उसकी हथेलिया भाभी की पीठ के साथ-साथ उसकी चुचियों पर भी आ गई थी
कामया- आह्ह स हाउ यू रिलीस युवर सेलफ

ऋषि- भाभी आई म नोट डेवेलप्ड तट वे आई हव प्रॉब्लम्स फिजिकली ऐज वेल ऐज मेडिकली
कामया- व्हाट डू यू मीन

ऋषि- यॅज़ भाभी प्लीज डान’त टाक अबाउट दट भाभी प्लीज लेट मी महसूस यू आंड स्मेल यू डियर प्लीज़
कामया- उउउम्म्म्म सस्शह बॅट ऋषि यू हव टू कन्सल्ट सम वन में बी डाक्टर आई मीन
ऋषि- प्लीज ना भाभी वी विल टाक अबौट इट लेटर प्लीज लेट मी प्ले वित यू यू आर सो साफ्ट आंड हेरलेस सो स्वीट टू टेस्ट आंड नाइस टू टच
कामया- हमम्म्म प्लीज ऋषि वी आर डन आलरेडी लेट मी गो तो बाथरूम फर्स्ट

ऋषि- नही प्लीज ना अभी नहीं मेरा मन नहीं भरा प्लीज ना भाभी रोज थोड़ी मौका मिलता है कितना अच्छा मौका मिला है आज हाँ…

कामया- बहुत बोल रहा है तू तो हाँ… एक लगाउन्गी छोड़ मुझे आती हूँ

और कामया उठकर बाथरूम को जाने लगी नीचे पड़े हुए पेटिकोट को उठाकर उसने अपने सीने पर बाँध लिया और ऋषि की ओर मुस्कुराती हुई देखती हुई चली गई
Reply
06-10-2017, 03:11 PM,
#83
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
बाथरूम से निकलकर उसने देखा की ऋषि अब भी वैसा ही लेटा हुआ था जैसे छोड़ कर गई थी एक हाथ अपने सिर पर रखे हुए और ब्लाउस और पेटीकोट पहने हुए उसकी पेटिकोट भी घुटनों तक थी और ब्लाउस तो सामने से ढीली ही थी
कामया मुस्कुराते हुए उसके पास पहुँची और धीरे से अपने हाथो को उसकी टांगों पर चलाने लगी

और धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाने लगी थी मचलता हुआ ऋषि बोल उठा

ऋषि- उउउंम्म भाभी मत करो ना गुदगुदी हो रही है आप इधर आओ में आपको प्यार करता हूँ

कामया- क्यों में तुझे नहीं करसकती
ऋषि-
कामया- क्या हुआ नाराज है
ऋषि- नहीं प्लीज भाभी आप मत करो मुझे करने दो

और वो उठकर कामया के होंठों को अपने होंठों से छूते हुए एक हल्की सी पप्पी देदिया और उसके हाथ को खींचते हुए अपने पास बुलाने लगा

कामया ने भी कोई जोर नहीं लगाया और सरक्ति हुई उसके पास चली गई वो जानती थी कि ऋषि को आज वो समझा नहीं पाएगी सोकर लेने दो उसे जो करना है वो भी मस्त हो चुकी थी ऋषि के होंठों और जीब से जो आनंद उसे मिला था वो अकल्पनीय था

आज तक जो भी सेक्स उसने किया था उसमें ताकत और वहशीपन था पर आज का सेक्स तो कुछ अलग था ना कोई जोर आजमाइश और ना दर्द और ही निचोड़ना और ना ही ताकत ना ही जितनी की इच्छा और नहीं समर्पण था तो बस आनंद और आनंद और कुछ नहीं बस अपने अंदर की आग को जलाओ और फिर बुझने का इंतजार करो कोई संघर्ष नहीं और नहीं शक्ति का प्रदर्शान

वो चुपचाप ऋषि के सामने बैठ गई थी और एकटक उसके और देखती जा रही थी ऋषि उसे अपने पास खींचकर अपनी छाती से लगाया हुआ था बहुत ही आराम से कोई ताकत का इश्तेमाल नहीं बस एहसास था एक दूसरे को छूने का और एक सुखद आनंद था एक दूसरे के स्पर्श का

कामया की सांसें फिर से उखड़ने लगी थी वो अपने टांगों को मोड़कर ऋषि के साथ ही बैठी रही और उसके अगले स्टेप का इंतजार कर रही थी ऋषि को कोई जल्दी नहीं थी अपने पास अपनी बाहों में कामया को लिए वो कामया के चहरे को देखता हुआ अपने हाथों से उसके बालों को ठीक कर रहा था और उसके गालों पर चिपके हुए एक दो बालों को अपनी उंगलियों से पकड़ पकड़कर वापस सिर पर ठीक कर रहा था बड़ी ही नजाकत से और बड़े ही प्यार से कामया भी उसकी बाहों में बिल्कुल एक निष्क्रीय और निश्चल की तरह बैठी हुई उसकी हरकतों को देख रही थी बड़े ही प्यार से वो भी अपना उल्टा हाथों को लेजाकर ऋषि के कमर के चारो ओर से उसे पकड़ लिया और उसके पीठ पर हथेलियो को फेरने लगी थी उसे बड़ा अच्छा लग रहा था एक कोमल सी त्वचा उसकी हथेलियो से स्पर्श कर रही थी उसके ब्लाउज की खुली जगह पर उसके हाथ अपने ढंग से घूम रहे थे कभी-कभीउसके हाथो के स्पर्श से ऋषि के होंठों से भी एक सिसकारी निकलते देखकर वो खुश होती थी ब्लाउज के खुले हिस्से से
वो अपनी उंगलियों को उसके अंदर ढालने की भी कोशिश करती थी और उसके ब्रा के स्ट्रॅप को छेड़ भी देती थी और ऋषि की ओर मुस्कुराते हुए देखती भी थी पर ऋषि तो अपने दी दम में था कामया के शरीर की रचना को देखने में और टटोलने में ही व्यस्त था अपनी हथेलियो से वो कामया के टांगों से लेकर उसकी जाँघो तक को सहलाते हुए ऊपर की ओर उठ-ता जा रहा था साथ साथ मे उसकी पेटीकोट को भी ऊपर की ओर उठाता जा रहा था कामया अंदर से वैसी ही थी पर उसे कोई शिकायत नहीं थी ऋषि के हाथो के स्पर्श से एक ज्वार फिर से उसके अंदर उफान भर रहा था पर जाने क्या हुआ कि अचानक ही कामया ऋषि से थोड़ा सा दूर हो गई और वैसे ही अपने पेटीकोट को ना नीचे करने की कोशिश की और ना ही ठीक करने की पेटीकोट सीने से चुचियों के ऊपर की ओर बँधा हुआ था और अब तो कमर के ऊपर उठ गया था और उसकी पूरी जाँघो का शेप और रंग साफ साफ दिखाई दे रहा था कामया अपनी पीठ पर एक तकिया रखे हुए ऋषि की ओर देख रही थी
कामया- तूने बताया नहीं हाउ यू रिलीस युवर सेल्फ़

ऋषि- आई डोंट रिलीस माई सेल्फ़ भाभी बॅट आई लाइक इट इन माइ बॅक
कामया-इन युवर बॅक
ऋषि- यस भाभी आई महसूस सम्तिंग इन माइ बॅक
कामया-बॅक मीन्स
ऋषि- अनस भाभी आई महसूस ग्रेट इफ सम्तिंग गेट्स इन देयर
कामया- छि आर यू क्रेजी
ऋषि-नही भाभी आई महसूस ग्रेट देयर आई डिड नोट नो अबाउत दट थिंग बॅट
कामया- बट बट व्हाट
ऋषि- वन्स मी आंड रीना डिड वर सीयिंग एक्सएक्सएक्स मूवी
कामया-यू आंड रीना
ऋषि-हां भाभी उस दिन शनिवार जब रीना दीदी ने मेरी गान्ड मे उंगली की
काया- आंड दॅन
ऋषि- देन फ्यू मोर थिंग्स बट भाभी आई लाइक इट दट वे इट’स नोट माइ फौल्ट

कामया आश्चर्य से ऋषि की ओर देखती रही पर कहाँ कुछ नहीं पर हाँ… उसे भीमा और लाखा की हरकत पर गोर करना पड़ा एक बार या दो बार उन्होंने भी अपनी उंगली उसके वहां पर डाला था तकलीफ नहीं हुई थी पर कुछ ऐसा एहसास भी नहीं हुआ था
पर अगर ऋषि कह रहा है तो हो सकता है
कामया- डिड युवर रीना दीदी हॅड दट सार्ट आफ फन
ऋषि- एस वन्स बट आफ्टर मेरीज शी इज लोन्ली
कामया-व्हाई शी इस हविंग आ गुड पति
ऋषि हाँ भाभी है तो वो अच्छे पर सेक्स के मामले में थोड़ा सा भी एडवेंचर नहीं है
काया- तुम्हें रीना दीदी ने बताया
ऋषि-हां वो मुझे बहुत मिस करती है
ऋषि के हाथ अब भी कामया की जाँघो पर ही घूम रहे थे और बीच बीच में वो उसकी जाँघो को और कभी उसकी नाभि को किस करता जा रहा था

कामया लेटी हुई ऋषि को देखती रही बड़ा ही आजीब सा करेक्टर था पर एक बात तो क्लियर थी कि उसको बर्बाद करने में उसकी बहन रीना का बहुत बड़ा हाथ था पर बर्बाद क्या वो तो था ही ऐसा रीना नहीं करती तो शायद कोई और वो अपने ख्यालो में घूम थी कि उसे ऋषि की आवाज सुनाई दी

ऋषि- भाभी एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगी ना
कामया- कहो
ऋषि जो कि अब भी कामया के शरीर के हर उतार चढ़ाव को अपने हाथ से सहलाता हुआ उसके करीब ही लेटा हुआ था
ऋषि- वो भोला है ना वो कैसा आदमी है
कामया एक बार तो चौंक उठी उसकी बातों से ऋषि भोला के बारे में क्यों पूछ रहा है
कामया- क्यों नौकर है और क्या
ऋषि--नहीं भाभी बड़ा मन्ली है वो और
ऋषि ने बात बीच में छोड़ दिया था और कामया की चूचियां चूमने लगा था कामया के मुख से एक अया निकली और कही गुम हो गई थी पर उसका पूरा ध्यान ऋषि के बातों में था ना कि वो जो कर रहा था
कामया- और क्या
ऋषि- नहीं वो ऐसे ही पूछा था बस यू ही
कामया एक झटके से उठी और खड़ी हो गई
कामया- सुन अब जा अपने कमरे में बहुत देर हो गई है

ऋषि को अच्छा नहीं लगा कामया का इस तरह से हटना पर एक निगाह कामया पर डालते हुए वो भी धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया पर जाने का मन उसे नहीं था वो कामया देखकर ही समझ सकती थी
पर अचानक भोला का नाम आते ही उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी और पूरे शरीर में फेल गई थी जो कि ऋषि के बूते के बाहर था उसे शांत करना उसे इंतजार था अपने पति का कामेश का

ऋषि थोड़ी देर बाद बाथरूम से निकला और अपने कपड़े पहनकर वापस अपने कमरे में चला गया जाते समय एक किस करता गया था कामया को और ना जाने की इच्छा भी जाहिर किया था पर कामया ने जबरदस्ती उसे भेज दिया कि कामेश और उसके पापा कभी भी आ सकते है

ऋषि अनमने ढंग से चला तो गया पर एक सवाल कामया के लिए छोड़ गया था वो था भोला उसने क्यों पूछा था भोला के बारे में आखिर क्यों ऋषि को तो भोला बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है उस दिन तो बड़ा नाराज सा हो रहा था भोले के ऊपर पर आज कहता है कि बड़ा मन्ली है

क्या बात है भोला के बारे में सोचते ही कामया एक बार फिर से उसकी हरकतों के बारे में सोचने लगी थी कैसे उसने उसे पहली बार छत पर देखा था किसी लड़की या फिर औरत के साथ और फिर हास्पिटल में और फिर उसकी खोली में उूउउफफ्फ़

धत्त कामेश क्यों नहीं आ रहा है आज क्या कर रहा है जब कुछ नहीं सूझा तो कामेश को रिंग कर दिया
कामेश- हाँ… हो गई शापिंग
कामया- अरे नहीं कहाँ गई
कामेश- क्यों
कामया- बहुत थकी हुई थी इसलिए होटेल आ गई थी पर तुम कहाँ हो
कामेश-अरे थोड़ा सा टाइम लग जाएगा कुछ काम है
कामया- क्या यार तुम भी यहां भी काम
कामेश- कुछ जरूरी है आके बताउन्गा ऋषि कहाँ है
कामया- अपने कमरे में क्यों
कामेश- नहीं बस ऐसे ही तुम आराम करो आने से पहले फोन करूँगा
और कामेश ने फोन काट दिया और कामया भी थकी तो थी ही सुबह जल्दी बाजी में आना हुआ था और फिर अभी-अभी ऋषि ने भी उसे थोड़ा सा आराम दिया था शरीर में एक खाली पन सा था सो वो भी सो गई थी जल्दी ही नींद तब खुली जब फोन की घंटी बज उठी थी

कामया ने जब फोन उठाया तो कामेश था
कामेश- सो रही थी क्या
कामया-हां
कामेश- नीचे आ गया हूँ लाबी में हूँ आता हूँ
थोड़ी देर में ही कामेश भी कमरे में आ गया था बहुत थका हुआ सा लग रहा था आते ही बाथरूम में घुस गया था हाँ या ना में ही जबाब दे रहा था कामया भी उससे बहुत से सवाल पूछ रही थी पर ज्यादा बात ना करते हुए बस एक बात मालूम चली की धरमपाल जी ने वही एक फ्लैट ले लिया है

आने जाने में काम आएगा और उनके दोस्त के साथ भी एक कांट्रॅक्ट साइन किया था हीरा कटिंग के लिए फ्लैट उन्हीं का था खाली था इसलिए उनको यूज़ करने को दिया था अब यह फैसला हुआ था कि अब जब भी आएँगे होटेल में ना रुक कर फ्लैट में ही रुकेंगे

कामेश ने ही बताया कि मम्मीजी अकेली ही आ रही है गुरु जी अगले हफ्ते आएँगे कहते है कि अभी मुहूरत नहीं आया है
खेर कामया भी कामेश की हालत देखकर अपने को भूल गई थी और खाना खाने के बाद तो कामेश लेट-ते ही नींद के आगोश में ऐसा गया कि जैसे सदियो से सोया नहीं था कामया भी बिना किसी नोकझोक के अपनी तरफ होकर सो गई

सुबह जब वो लोग उठे तो जल्दी में बैंक का अधूरा काम समाप्त करके फ्लाइट से वापस अपने शहर आ गये थे अगले हफ्ते फिर से आना था बैंक के ही काम से और कुछ और भी काम बाकी था हाँ कामया को एक बात की संतुष्टि थी की अब वो भी फ्लाइट से अपने पति के साथ आना जाना करसकती है घर पहुँचकर सभी लोग मम्मीजी के स्वागत की तैयारी में लग गये थे शाम को मम्मीजी भी आ गई थी सभी ने उन्हें घेर रखा था और मम्मीजी भी सभी को उनके हिसाब की बातें और अपने टूर के बारे में बताती जा रही थी सबसे ज्यादा खुश तो वो कामया से मिलकर हुई थी जो कि अब अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही थी बहुत ही दुलार और प्यार पाया था कामया ने मम्मीजी से

मम्मीजी- बहू देखना एक दिन तुम बहुत नाम करोगी गुरुजी का कहना है वो कहते है कि तुम्हारी बहू इस घर में चार चाँद लगाने के लिए आई है देखना एक दिन वो कितना नाम कमाएगी

कामया- जी मम्मीजी आप लोगों का साथ रहेगा तो जरूर करूँगी

मम्मीजी- बिल्कुल करना बहू तेरी वजह से ही देख आज हम कहाँ से कहाँ पहुँच गये है

कामया-नहीं मम्मीजी आप लोगों की मेहनत और पापाजी और उनकी मेहनत भी है

मम्मीजी- हाँ… पर तेरी किस्मत भी तो है देख तेरे आते ही सबकुछ कितना जल्दी बदल गया है गुरुजी कहते है कि इस बार यहां आएँगे तो एक बहुत बड़ा काम करना है

कामया- क्या

मम्मीजी- नहीं पता बहू बताते कहाँ है वो बस कह देते है पर हाँ… जो कहते है वो होता जरूर है हमने तो देखा है

बस इस तरह की कुछ बातों के साथ ही मम्मीजी के आने की बातें चलती रही घर भरा-भरा सा लगने लगा था फिर से
सुबह को फिर वही जल्दी-जल्दी अपने काम पर जाने की जल्दी कामेश अपनी गाड़ी से पापाजी अपनी गाड़ी से और कामया ऋषि के साथ कॉंप्लेक्स

कॉंप्लेक्स गये तीन दिन हो गये थे पर काम अपनी रफ़्तार से ही चाल रहा था लगभग पूरा होने को था शायद कुछ और एक दो महीने में ही होजायगा और काम ने तेजी भी पकड़ लिया था ऋषि के साथ कामया जैसे ही कॉंप्लेक्स पहुँची एक बार फिर से वहां खलबली मच गई थी

शायद उसे देखने की कोशिश थी या फिर मेमसाहब के आने काडर जी भी हो एक शांति और खलबली तो मची थी गेट के अंदर गाड़ी जाते हुए उनको भोला अब भी वही खड़ा मिला जो कि अब ठीक हो गया था काले चश्मे के अंदर से एक नजर कामया की उसपर पड़ी और गाड़ी आगे बढ़ गई थी कामया की नजर ऋषि की ओर भी गई थी

पर वो शांत था अपने केबिन में पहुँचते ही कामया अपने काम में लग गई थी बहुत से बिल्स और वाउचर्स थे साइन करने को और कुछ और भी पेपर्स थे कुछ स्टेट्मेंट्स थे और भी बहुत कुछ ऋषि को समझाते हुए कामया अपने काम में लगी थी ऋषि भी उसके साथ-साथ उन पेपर्स को देख भी रहा था और समझ भी रह था

बहुत इंटेलिजेंट था वो एक बार में ही सबकुछ साफ होता था उसे काम से फुर्सत मिलते ही कामया ने एक बार घड़ी की ओर देखा बाप रे 2 30 बज गये इतनी जल्दी

कामया- ऋषि कितनी जल्दी टाइम निकल गया ना,

ऋषि- कहाँ कितनी देर हो गई आप तो बस काम में लगी थी

कामया- अगर तुम मेरी हेल्प करते तो जल्दी नहीं हो जाता

ऋषि- हाँ… अब से में करूँगा भाभी पर मेरा मन नहीं करता

कामया- तो तेरा मन क्या करता है

ऋषि- बस वैसा ही करने को ही ही ही

कामया- एक जोर दार लगाउन्गी ना गलती से भी फिर कभी नहीं कहना

ऋषि- क्यों आप तो हमारी दोस्त थी ना फिर ऐसा क्यों

कामया- सुन ऋषि मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता

ऋषि मायूष सा हो गया उसके चहरे को देखकर लगता था कि उसका मन टूट गया था जिस चीज की आशा उसने की थी शायद वो अब उसे कभी नहीं मिलेगी भाभी उससे नाराज हो गई थी वो अपनी आखें ना उठाकर वैसे ही बैठा रहा

कामया एकटक उसकी ओर देखती रही पर इतने में ही मोबाइल की घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया कामेश का था
कामया- हाँ…
कामेश- कहाँ हो
कामया- कॉंप्लेक्स में क्यों
कामेश- अच्छा सुनो तुम कब आ रही हो शोरुम
कामया- अभी आ जाऊ
कामेश- नहीं सुनो यार में चेन्नई जा रहा हूँ
कामया- क्यों अचानक
कामेश- हाँ यार वो एक मोटिओ का फर्म की बात थी ना अरे धरमपाल जी ने की थी वो देखने जा रहा हूँ यार सारी
कामया- क्या यार तुम ना हमेशा ही ऐसा करते हो
कामेश- सुनो में जा रहा हूँ एक काम करो ऋषि है ना तुम्हारे साथ
कामया- हाँ…
कामेश- उससे कहना वो तुम्हें घर छोड़ देगा और यहां तो पापाजी है ही तुम वहाँ का काम देखकर आ जाना ओके…
कामया- ओके…
Reply
06-10-2017, 03:18 PM,
#84
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
खेर कामेश के जाने के बाद घर में एकदम सुना सा हो गया था पर काम में जाने की जल्दी के कारण सब बेकार था कामया और पापाजी जल्दी से तैयारी में लगे हुए थे चाय और खाना खाने के बाद कामया तैयार थी कॉंप्लेक्स जाने को 
टाइट सी चूड़ीदार में गजब की लग रही थी लाइट कलर येल्लो और हल्की ब्लू फ्लॉरल डिजाइन था और वैसा ही टाइट कुर्ता और थोड़ा सा छोटा घुटनों तक हेर स्टाइल भी ढीला ढाला और सिर्फ़ एक कलुतचेयर से बँधी हुई और बड़ी-बड़ी आखें लिए कामया जब दरवाजे से बाहर निकली तो भोला गाड़ी के पास एकदम तैयार खड़ा था ब्लैक कलर की टी-शर्ट और एक पुरानी जीन्स पहने पर लग रहा था एकदम गुंडा टी-शर्ट से बाहर निकली हुई उसकी बाँहे एकदम कसी हुई थी पेट सपाट था 
और सीना बाहर को निकला हुआ था एक बार देखकर लगता था कि किसी गली का कोई गुंडा हो पर कामया को देखते ही दौड़ता हुआ पीछे के दरवाजे को खोलकर खड़ा हो गया कामया भी जल्दी से बैठने के लिए लपकी पर जाने क्यों उसकी सांसें एक बार फिर से तेज हो गई थी पिछले तीन चार दिनों से उसके तन को सुख उसे नहीं मिला था और सुबह सुबह भोला को देखते ही एक कसक सी उसके तन में जाग गई थी पर अपने आपको संभालते हुए वो अपनी हील चटकाते हुए पिछली सीट की ओर भागी जैसे ही वो सीट पर बैठने को हुई एक सख्त हथेली ने हल्के से उसके पिछले भाग को छू लिया 


कामया के शरीर में एक लहर सी दौड़ गई थी और अचानक हुए इस हमले से वो एक बार घबरा गई थी उसके घर में और वो भी पोर्च में एक ड्राइवर ने इतनी आ जादी से उसे छू लिया था और वो कुछ भी नहीं कह पाई थी पर तब तक डोर बंद हो गया था और भोला दौड़ता हुआ सामने ड्राइविंग सीट पर आ गया था 

कामया का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर होंठ जैसे सिल गये थे उसे होंठों से बातों के सिवा सिर्फ़ सांसें ही निकल रही थी वो पिछली सीट पर किसी बुत के जैसे बैठी हुई थी और सांसों को कंट्रोल कर रही थी भोला ड्राइविंग करता हुआ गेट से बाहर गाड़ी निकाल कर रोड पर ले आया और 
भोला- जी मेमसाहब ऋषि भैया को लेने जाना है ना 
कामया- हाँ… 
आवाज उसके गले में रुक गई थी वो क्यों नहीं इस गुंडे से बोल पाई कुछ उसकी इतनी हिम्मत कि उसकी कमर और नितंबों पर घर में ही हाथ फेर दे और उसके बाद इतना सीधा होकर गाड़ी चला रहा है वो अपने ख्यालो में ही गुम थी कि फिर से भोला की आवाज आई 
भोला- मेमसाहब नाराज है हम से 

कामया ने सिर्फ़ ना में अपना सिर हिला दिया या बाहर देखने के लिए सिर घुमाया पता नहीं 

भोला- क्या करू मेमसाहब आपको देखता हूँ तो एक नशा सा छा जाता है मेरे ऊपर भाग्य देखिए मेरा कहाँ से कहाँ आ गया कहा वो रेत टीलों के बीच में पड़ा था और अब देखिए आपका ड्राइवर बन गया भाग्य ही तो है क्या कहती है आप 
कामया ने कोई जबाब नहीं दिया क्या जबाब देती इस सांड़ को 

भोला- नाराज मत होना मेमसाहब मजबूर हूँ नहीं तो कभी ऐसी गुस्ताखी नहीं करता 

कामया ने सिर्फ़ एक बार उसे पीछे से देखा पर कहा कुछ नहीं सिर्फ़ बाहर देखती हुई अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिस करती रही 

भोला- एक काम था मेमसाहब आपसे थोड़ा सा मदद करती तो 

कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी भोला गाड़ी चलाते हुए उसे बॅक मिरर में देख रहा था 
भोला- कहूँ मेमसाहब बुरा तो नहीं मानोगी 

कामया ने फिर से सिर हिला दिया 

भोला-पता था मेमसाहब आप बुरा नहीं मानेन्गी 

कामया फिर बाहर देखने लगी थी पर पूरा ध्यान उसी की तरफ था अब उसका डर थोड़ा काम हो गया था 
भोला- वो मेमसाहब इस ऋषि को अपनी जिंदगी से दूर कीजिए ठीक नहीं है वो 

कामया की नजर एक बार फिर से उसकी पीठ पर टिक गई थी ऋषि के बारे में जो यह कह रहा था वो ठीक था पर इसे कैसे मालूम 

भोला- आपको लग रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम मुझे क्या नहीं मालूम मेमसाहब भैया और पापाजी जो मुझ पर विस्वास करते है वो क्या ऐसे ही मुझे सबकुछ मालूम है मेमसाहब 

कामया एक बार फिर से सिहर उठी उसे तो मेरे बारे में भी मालूम था लाखा काका के घर गई थी वो तक इसने देखा था पर ऋषि के बारे में इसे कैसे मालूम 

भोला- मुझे तो मेमसाहब उसकी रीना दीदी और ऋषि के बहुत से किससे पता है आप अगार देखना चाहती है तो एक काम करना जब आप उसके घर जाओ तो मुझे उसके कमरे से कोई समान लेने भेजना फिर देखना 

कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था क्या कह रहा है यह और क्या करेगा वहाँ पर इतने विस्वास से कह रहा है तो हो सकता है कोई बात हो पर क्या 

भोला- आपको कुछ नहीं मालूम मेमसाहब में आपको वो खेल दिखा सकता हूँ जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती में आपकी बहुत इज्ज़त करता हूँ मेमसाहब आपका और आपके घर का नमक खाया है आपका ख्याल रखना और आपकी देखभाल करना मेरा फर्ज़ है जान दे दूँगा पर पीछे नहीं हटूँगा 

कामया की नजर एक बार फिर से उसके पीठ पर थी पर इस बार हिम्मत करके बॅक मिरर की ओर भी देख ही लिया भोला के चेहरे पर एक सख़्त पन था और उसकी आखें पत्थर जैसी थी कामया ब्लैक ग्लासस पहने हुई थी फिर भी उसने नजर हटा लिया ऋषि का घर आ गया था आज पहली बार वो इस घर में आई थी पोर्च में गाड़ी खड़ी होते ही वहां का नौकर दौड़ता हुआ आया और पीछे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया 

नौकर- जी भैया अपने कमरे में है मेमसाहब 

कामया घर के अंदर घुस आई किसी रहीस का घर देखने में ही लग रहा था कीमती सामानो से भरा हुआ था नौकर दौड़ता हुआ उसके सामने से वहां पड़े बड़े से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला
नौकर- जी बैठिए मेमसाहब में बुलाता हूँ 

कामया को वही बैठाकर वो अंदर चला गया बूढ़ा सा था कमर झुकी हुई पर एकदम सॉफ सुथरा था एक और नौकर उसके लिए पानी का ग्लास ले आया और वही टेबल पर रखता हुआ चला गया 
नौकर- जी मेमसाहब आपको ऊपर बुलाया है 
कामया उठी और ड्राइंग रूम से निकलकर सीढ़िया चढ़ती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी 
ऋषि कॉरिडोर में ही खड़ा था 
ऋषि- आइए भाभी बस मुझे आपको मेरा कमरा दिखाना था आइए ना 
और बड़े ही नजाकत से कामया के हाथ को पकड़कर उसे अपने कमरे की ओर ले चला था जाते जाते उसने उसके हाथ को एक बार चूमा था कामया ने झटके से पीछे मुड़कर देखा 

ऋषि- नहीं भाभी यहां नौकरो को ऊपर आना मना है जब तक बुलाया नहीं जाता यहां का में राजा हूँ अब पहले रीना दीदी और में थे अब सिर्फ़ में 

और उसे अपने कमरे में ले आया कमरा बहुत ही सजा हुआ था बहुत सी चीजे थी कुछ कलेक्ट किए हुए थे और कुछ खरीदे हुए भी फूल और गमले भी था बहुत सी पैंटिंग भी पर एक बात जो अजीब थी वो था रंग रेड पिंक और येल्लो कलर की चीजे ज्यादा थी 

कामया- धरमपाल जी कहाँ है दिखे नहीं 

ऋषि- अरे पापा तो भैया के साथ हैदराबाद गये है ना पर्ल्स की खेती देखने भैया ने नहीं बताया 

कामया- हाँ… याद आया भूल गई थी चलो चलते है 

ऋषि- बैठिए ना भाभी जल्दी क्या है 
बड़े ही नाटकीय ढंग से उसने कहा था 
ऋषि- वो गुंडा भी आया है 

कामया- हाँ… बुलाऊ उसे तेरी बड़ी तारीफ़ कर रहा था 

ऋषि- नहीं बाबा तारीफ मेरी क्या कह रहा था बताइए ना प्लीज
Reply
06-10-2017, 03:18 PM,
#85
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था 
कामया- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है 
कामया ने झूठ कहा 

ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि 

कामया- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या 

ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ है 

कामया- नीचे है बुलाऊ 

ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के 
झट से पलट गया था ऋषि कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को 

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर 
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था कामया वही पर सोफे पर बैठी थी 

कामया- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना 

ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना 

कामया को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी कामया को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो 

ऋषि- बुलाएँ भाभी

कामया- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है 

ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा 

दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी कामया की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा 

ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज 

भोला अंदरआ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया 

कामया के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है 

ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ… 

लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो 

कामया के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी 

भोला- कुछ नहीं भाया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा 

ऋषि एक बार कामया की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर 

ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है 

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए 

कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया कामया अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा अभी तो क्या-क्या कहा रहा था पर यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया 

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है 
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था 

पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और, ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था 

ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था 

कामया बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी, जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि कामया भी इस कमरे में है 

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज कामया की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ 
से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो कामया के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ 


कामया की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि कामया की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी 

वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था 

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर कामया की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था 

ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है 
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था 

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही कामया दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी 

भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे 

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने कामया की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था कामया किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी 
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि कामया भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की, उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले 
Reply
06-10-2017, 03:18 PM,
#86
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया के देखते-देखते ही ऋषि का टी-शर्ट हवा में उछल गया और वो सिर्फ़ जीन्स पहने बैठा था बेड पर और भोला उसके सामने उसके खाली शरीर को अपने सख्त और कठोर हाथो से सहला रहा था ऋषि की सांसों से पूरा कमरा भरा हुआ था बहुत तेज सांसें चल रही थी उसकी 

उसके हाथ भी भोला के शरीर पर घूमने लगे थे जो की कामया देख रही थी पतली पतली उंगलियों से वो भोला को कस्स कर पकड़ने की कोशिश कर रहा था उसकी कमर के चारो ओर से और अपने हाथो को भोला की टी-शर्ट के अंदर भी घुसना चाहता था भोला ने भी देर नहीं की और एक बार में ही अपना टी-शर्ट उतार कर वही बेड पर रख दिया और फिर से ऋषि के सामने खड़ा हो गया था ऋषि के दोनों हाथ उसके पेट से लेकर उसके सीने तक घूम रहे थे और उसके होंठों जो की कामया को नहीं दिख रहे थे शायद उसकी नाभि और पेट और सीने के पसीने का स्वाद ले रहे थे कामया अपने सामने होते इस खेल को देख कर एकदम सन्न रह गई थी सुबह सुबह उसके शरीर में जो आग लगी थी वो अब भड़क कर ज्वाला बन गई थी अपने जीवन काल में उसने इस तरह का खेल कभी नहीं देखा था वो अपने सोफे में बैठी हुई एकटक दोनों की ओर देखती जा रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको काबू में रखने को कोशिश कर रही थी कामया की नजर एक बार भी नहीं हटी थी उनपर से हर एक हरकत जो भी उसके सामने हो रही थी वो हर पल की गवाह थी उसकी आँखो के सामने ही धीरे से भोला की जीन्स भी नीचे हो गई थी और जो उसने जीवन में नहीं देखा और सोचा था वो उसके सामने हो रहा था 

ऋषि के हाथों में भोला का लिंग था और भोला उसकी ठोडी को शायद पकड़कर सहला रहा था कामया ने थोड़ा सा जिग्याशा बस थोड़ा सा झुक कर देखने की कासिश की पर नहीं दिखा भोला की जीन्स के नीचे होने से उसकी मैली सी अंडरवेअर जो की बहुत जगह से फटी हुई थी और ढेर सारे छेद थे उभर कर उसके सामने थी पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने खेल में मग्न था और ऋषि के गालों को सहलाते हुए अपने लिंग को उसके हाथो में खेलने को दे दिया था ऋषि भी शायद उसके लिंग से खेल रहा था या क्या उसे नहीं दिख रहा था 

पर इतने में भोला ने घूमकर एक बार कामया की ओर देखा और आखों से उसे अपने पास बुलाया कामया जैसे खीची चली गई थी कैसे उठी और कैसे वो भोला और ऋषि के करीब पहुँच गई उसे नहीं पता पर हाँ… उसके सामने अब सबकुछ साफ था उसे सबकुछ दिख रहा था ऋषि के लाल लाल होंठों के बीच में भोला का काला और तगड़ा सा लिंग फँसा हुआ था दोनों हाथो से वो अपनी आखें बंद किए भोला के लिंग का पूरा स्वाद लेने में लगा हुआ था कामया की ओर उसका ध्यान ही नहीं था पर कामया के नजदीक पहुँचने के साथ ही भोला ने कामया की कमर में अपनी बाँहे डालकर एक झटके में अपने पास खींच लिया और एकदम सटा कर खड़ा करलिया भोला की सांसें उखड़ रही थी और वो कामया के गालों को अपनी नाक और होंठों से छूते हुए 
भोला- देखा मेमसाहब कहा था ना 

कामया की नजर एक बार भोला की ओर गई और फिर नीचे ऋषि की ओर वो कितने प्यार से भोला के लिंग को चूस रहा था अपनी जीब को बाहर निकाल कर और अपने होंठों के अंदर लेजाकर, बहुत ही धीरे धीरे बहुत ही प्यार से 

कामया का हाथ अपने आप उठा और भोला के बाकी बचे हुए लिंग के ऊपर चला गया उसकी पतली पतली उंगलियां ने एक बार उसके उस पत्थर जैसे लिंग को छुआ और भोला की ओर देखने लगी 

जैसे पूछ रही ओ, छू लूँ में भी 

भोला की आखों में एक चमक थी जो कि कामया सॉफ देख सकती थी वो अब भोला के सुपुर्द थी भोला वो भोला जो हमेशा से ही उसका दीवाना था और आज तो उसके सामने ही ऋषि के साथ वो खेल खेल रहा था जिसके बारे मे कामया ने जिंदगी में नहीं सोचा था 

भोला की गिरफ़्त कामया की कमर में कस रही थी वो कामया को और नजदीक खींच रहा था जैसे की उसकी कमर को तोड़ डालेगा कामया एकदम से टेढ़ी सी होकर उसके साथ सटी हुई थी कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं बस थी तो सांसों की आवाज और कुछ नहीं भोला का लिंग अब ऋषि के होंठों से लेकर उसके गले तक जाने लगा था कामया एक टक नीचे की ओर देखती जा रही थी भोला की पकड़ में रहते हुए और अपने एक हाथों से उसके कंधो का सहारा लिए भोला का उल्टा हाथ ऋषि के सिर पर था जो कि उसे अपने लिंग पर डाइरेक्ट कर रहा था और ऋषि के सिर को आगे पीछे कर कर रहा था कामया खड़ी-खड़ी अपने हाथों से भोला के पेट को सहलाने लगी थी और एकटक देखती हुई नीचे उसके लिंग की और बढ़ने लगी थी वो नहीं जानती थी कि क्या और कब और कैसे पर हाँ… उसके हाथ अब उसके लिंग के चारो ओर थे ऋषि के दोनों हाथ अब भोला की जाँघो पर थे और भोला अपने उल्टे हाथ से उसके सिर को पकड़कर लगातार जोर-जोर से झटके दे रहा था शायद वो अपनी सीमा को लाँघने वाला था उसकी पकड़ कामया की कमर पर भी बढ़ गई थी और कमर को छोड़ कर अब धीरे धीरे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुँच चुकी थी कामया के नरम हाथ भी भोला के लिंग को उसके गन्तव्य तक पहुँचने में मदद कर रही थी और फिर एक साथ बहुत सी घटनाए हो गई 

कामया के होंठ भोला के होंठों से जुड़ गये और एक जबरदस्त चुभन से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि अपने चहरे को भोला के लिंग से हटाने की कोशिश करने लगा और भोला के हाथ का जोर उसके सिर पर एकदम से सख्त हो गई थी और एक बहुत बड़ी सी सिसकारी और साथ में एक लंबी सी आअह्ह, और उुउऊह्ह, से पूरा कमरा गूँज उठा ऋषि बेड पर गिर गया था पर, अपने सामने भोला और कामया को जोड़े हुए एक दूसरे का लंबा सा चुंबन करते हुए देखता रहा ऋषि के मुख के चारो ओर भोला का वीर्य लगा हुआ था और उसका चहरा लाल था पर अपने सामने का दृश्य देखकर तो वो और भी बिचलित सा हो गया था 

कामया को भोला कस कर अपनी बाहों में भर कर उनके होंठों को चूसे जा रहा था और उसके हाथ उसकी पूरी पीठ और बालों को छू रहे थे भोला के कसाव से ऐसा लगता था कि आखिरी बूँद शायद कामया के सहारे ही छोड़ना चाहता था कामया की सांसें रुक सी गई थी और अपने आपको उस खिचाव से बचाने के लिए वो जितना हो सके भोला के बालिश्ट शरीर से चिपक गई थी 
पर साथ में ऋषि जो कि बिस्तर पर अढ़लेटा सा पड़ा हुआ उन्हें ही देख रहा था एक अजीब सी चमक के साथ एक आश्चर्य भरा हुआ चहरा था उसका कामया की नजर उसपर नहीं थी पर वो जानती थी कि ऋषि के लिए यह एक अजूबा था वो सोच भी नहीं सकता था कि भाभी भी उसका इस खेल में साथ देगी या फिर उसके सामने ही भोला उसे किस भी करेगा 

कामया ने किसी तरह से अपने होंठों को चुराया और हान्फते हुए अपने सांसों को कंट्रोल करती हुई 
कामया- यहां नहीं प्लीज़ भोला छोड़ो मुझे प्लीज 

भोला- जी मेमसाहब पर आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो आआआह्ह उूुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममम 

और शायद भोला की हिम्मत जबाब दे चुकी थी वो खड़ा-खड़ा एक बार फिर से कामया के होंठों को सॉफ करता हुआ अपने आपको बेड के किनारे बिठा लिया 

कामया अपने को अचानक ही आजाद पाकर जैसे चैन की सांसें ली हो पर वो ही जानती थी कि वो अपने को कैसे कंट्रोल किया था उसका शरीर जल रहा था पर मजबूर थी वो शायद ऋषि नहीं होता तो झट से तैयार भी हो जाती पर भोला को रोकने का मतलब उसका कही से नहीं था की वो रुक जाए पर भोला तो नमक हलाल आदमी था कामया के कहने भर से एक झटके में उसे छोड़ कर बैठ गया कामया किसी तरह लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर हुई और खाँसते हुए और अपनी सांसों
को कंट्रोल करते हुए जल्दी से चेहरा घुमाकर वापस सोफे की ओर रवाना हो गई अभी-अभी जो उसने देखा था वो एक अजूबा था वो इस तरह की कोई एपिसोड के बारे में आज तक सोच नहीं पाई थी और ऋषि जैसे लड़के के बारे में तो बिल्कुल भी नहीं पर जो देखा था वो सच था कहीं से कहीं तक झूठ नहीं था उसकी नजर जब वापस भोला और ऋषि पर पड़ी तो वो दोनों ही उठकर अपने कपड़े ठीक कर रहे थे और वो एक मूक दर्शक के समान उनको देख रही थी 

भोला झट से बिना कुछ कहे बाथरूम की ओर चला गया और थोड़ी देर में वापस आके कमरे में कुछ ढूँडने लगा फिर ऋषि की ओर देखता हुआ 
भोला- इस डब्बे में क्या है 
ऋषि कुछ बुक्स है क्यों 
भोला- नीचे ले जा रहा हूँ और तुम्हारा बैग कहाँ है 
ऋषि- जी वहाँ 
भोला बिना किसी इजाज़त के ही बैग और वो बाक्स उठाकर कमरे से बाहर की ओर जाने लगा 
भोला- देर हो गई है जल्दी करो 
कामया और ऋषि के चहरे पर एक चिंता की लकीर खिंच गई थी हाँ… 12 00 बज गये थे बाप रे इतना टाइम हो गया 
कामया भी अपने कपड़े ठीक करते हुए और ऋषि भी अपने कपड़े ठीक करता हुआ जल्दी से नीचे की ओर चल दिया और गाड़ी कॉंप्लेक्स की ओर दौड़ पड़ी ऋषि कामया और भोला सब चुप थे पर बहुत कुछ कहना और सुनना बाकी था शायद एक अजीब सी चुप्पी थी थोड़ी देर में ही कॉंप्लेक्स आ गया और गाड़ी आफिस के सामने रुक गई जब तक भोला उतर कर आता तब तक दोनों जल्दी से उतर कर आफिस में घुस गये थे कुछ पुलिस कान्स्टेबल भी वहां थे एक इनस्पेक्टर लेवेल का आदमी जल्दी से कामया की ओर लपका 
इनस्पेक्टर- जी मेडम नमस्ते वो में यहां आपकी सेक्योंरिटी के लिए आया हूँ 
कामया- जी वैसे मुझे जरूरत नहीं है हमारे पास अपनी सेक्योंरिटी है 
इनस्पेक्टर भोला की ओर देखता हुआ 
इनस्पेक्टर- जी मेडम ऊपर से आदेश है इसलिए बस 
कामया- ठीक है पर मेरे पीछे-पीछे ना घूमे आप लोग प्लीज 
और झट से अपने आफिस की ओर चल दी थी 
आफिस में घुसते ही वो जल्दी से टाय्लेट की ओर भागी और रिलीस करके जब बाहर निकली तो ऋषि वही बैठा हुआ वाउचर्स को देख रहा था 
ऋषि- आई म सारी भाभी 
कामया- क्यों क्या हुआ 
ऋषि- जी वो मेरे कारण आज भोला ने आपके साथ प्लीज भाभी माफ करदो 
कामया- ठीक है अब काम कर और जल्दी 
कामया उसे काम देकर अपने काम में उलझ गई थी पर हर बार उसकी आखों के सामने एक ही दृश्य घूम रहा था और बार-बार उसे भोला की कही बातें भी याद आ रही थी 

मैंने कहा था ना और आप साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो 
Reply
06-10-2017, 03:18 PM,
#87
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
उूउउफफफफ्फ़ यह जानवर तो जान लेलेगा कितना जंगली है सिड्यूस करना आता है उसे अभी तक तो जाने कितनी बार वो कामया को अपने नीचे कर चुका होता पता नहीं पर देखो तो एक बार भी अपने आपसे उसने कामया के साथ जोर जबरदस्ती नहीं की कामया को आज भी उसने ऐसे ही छोड़ दिया गुंडा कही का जानवर और ना जाने कितनी गालियाँ वो भोला को दे रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को खोलकर टेबल के नीचे ही वापस चिपका रही थी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी उसे कोई ना कोई चाहिए भोला कामेश भीमा या फिर लाखा कोई भी पर चाहिए अभी 
पर अभी कैसे आफिस में और यह ऋषि भी तो यही बैठा है मरता क्यों नहीं यह आज कामया को बहुत गुस्सा आरहा था ऋषि पर देखने में तो कोई हीरो जैसा था पर है हिजड़ा पर क्या करे कामया आज तो वो बिल्कुल पागल हो जा रही थी जैसे कि वो खुद ही अपने सारे कपड़े खोलकर ऋषि को बोले की चाट कर मुझे रिलीस कर पर परिस्थिति उसके अनुरूप नहीं थी अभी वो आफिस में थी और यहां यह पासिबल नहीं था 

पर ऋषि पर से उसका ध्यान नहीं हट रहा था बार-बार उसकी और अपना ध्यान ना ले जाने के लिए वो अपने आपको पेपर्स में उलझा रही थी पर जाने क्यों गुस्सा बढ़ता जा रहा था और फिर पेन को टेबल पर पटक-ते हुए 
कामया- ऋषि जा थोड़ा घूमकर आ 
थोड़ी उची आवाज थी उसकी 
ऋषि- कहाँ जाऊ 
बड़े ही भोलेपन और आश्चर्य से कामया की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता हुआ वो बोला 
कामया- कही भी पर मेरे सामने से हट और हाँ… कल से तेरे लिए में दूसरा केबिन खुलवा देती हूँ तू उसमें ही बैठना ठीक है 
ऋषि- क्यों भाभी 
कामया- बस ऐसे ही 
ऋषि एकदम से रुआसा सा हो गया था कुछ नहीं समझ में आया पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि भाभी उससे नाराज है और गुस्से में भी पर क्यों उसे नहीं पता टुकूर टुकूर कामया की और देखता रहा पर कोई नतीजे पर नहीं पहुँचा 
अभी यह सब चल ही रहा था की कामेश का फोन आ गया 
कामया- हाँ… 
कामेश- क्या हुआ गुस्सा हो क्या 
कामया- नहीं बोलो 
कामेश- कहाँ हो 
कामया- कॉंप्लेक्स क्यों 
कामेश- सुनो कल सुबह तुम्हें बॉम्बे जाना है 
कामया- क्यों 
कामेश- वो बैंक के कुछ पेपर्स पर साइन झूठ गये थे तो वो कर आओ और शायद 
कामया- और क्या कौन से पेपर्स 
कामेश- यार पता नहीं उन्हीं का फोन आया था तुम तो पहुँचो में टिकेट भिजवाता हूँ और हाँ ऋषि कहाँ है 
कामया- यही है 
कामेश- उसे भी जाना है 
कामया- और तुम 
कामेश-अरे यार तुम पहुँचो में भी आ रहा हूँ 
कामया- ठीक है 
और फोन कट गया 
कामया- ऋषि कल सुबह फिर से बॉम्बे जाना है और इस बार ध्यान रहे कुछ गड़बड़ नहीं 
ऋषि- जी 
वो अब तक डरा हुआ था कामया से पता नहीं क्यों भाभी ने उसे ऐसा कहा पर ठीक है वो फिर से भाभी के साथ बॉम्बे जा रहा था उसे इस बात की खुशी थी 

कामया को एक बार ऋषि पर तरश भी आया पर गुस्सा ज्यादा था पर मजबूरी थी की उसे साथ रखना ही था इतने में फिर से फोन बज उठा कामेश था 
कामया- जी 
कामेश- अच्छा वहां घर पर ही रुकना और वो भोला कहाँ है 
कामया- क्यों कौन सा घर 
कामेश- तुम छोड़ो वो गाड़ी आ जाएगी तुमको ले जाएगी हाँ… भोला को बोलो कि ट्रेन से तुमसे पहले बॉम्बे पहुँचे ठीक है रूको में फोन करदेता हूँ 
कामया- लेकिन भोला क्यों 
कामेश---अरे यार सेक्योंरिटी प्राब्लम है कुछ गुरुजी ने कहा है कि बहू को अकेला नहीं छोड़े और क्या बस इसलिए बहुत इंपार्टेंट हो यार तुम ही ही ही 

कामया- क्या यार तुम भी ना एक बोझ लाद देते हो तुम कब आओगे 
कामेश---तुम पहुँचो में आ जाऊँगा ठीक है रखता हूँ 
कामया हाथों में फोन लिए हुए एक बार ऋषि की ओर देखा और फिर से अपने पेपर्स में खो गई थी पर दिमाग़ में बहुत से सवाल उठ रहे थे क्या बात है अचानक गुरुजी यह सेक्योंरिटी और अकेले ना जाने वाली बात क्या है यह सब उनके घर में इस तरह की कोई बंदिश नहीं थी और नहीं कोई गुरुजी और नहीं बहुत पूजा पाठ 


खेर कोई बात नहीं जो है सो है अच्छे के साथ कुछ बुरा भी सोच में डूबी कामया अपने पेपर्स को देख रही थी कि डोर में एक हल्की सी आहट हुई ऋषि और कामया का ध्यान डोर की ओर गया भोला था आज पीओन नहीं आया था कहने 
भोला- जी मेमसाहब भैया का फोन था 
कामया- हाँ… ठीक है 
भोला- जी मेमसाहब आप घर कब जाएँगी 
कामया- क्यों 
भोला- जी मेरी ट्रेन 7 बजे है 
कामया- ठीक है तुम जाओ ऋषि ले जाएगा 
भोला- नहीं मेमसाहब भैया ने कहा है कि आपको घर छोड़ दूं पहले फिर जाऊ 
कामया- हर काम भैया से पूछकर ही करते हो क्या 
एकदम से उसकी आवाज उची हो उठी थी क्यों पता नहीं पर हाँ… उसे भी अजीब सा लगा था ऋषि तो जैसे सहम गया था लेकिन भोला वहां खड़ा-खड़ामुस्कुराता जा रहा था पर बोला कुछ नहीं 

कामया- ठीक है जाओ बता दूँगी 

भोला बाहर जाते हुए एक नजर ऋषि की ओर डाली और एक फ्लाइयिंग किस उसकी ओर करता हुआ कामया की ओर देखता हुआ बाहर की ओर जाने लगा उसके चहरे पर एक कमीनी सी मुस्कुराहट थी जो कि कामया की नजर से बच नहीं पाई थी वो जानती थी कि भीला उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है 

कभी उसे तड़पाटा है और सांड़ की तरह आके खड़ा हो जाता है 
पता नहीं क्यों पर भोला के आते ही और जाते ही कामया थोड़ा सा बेचैन हो उठ-ती थी उसके शरीर में एक अजीब सी सनसनाहट सी उठने लगती थी वो उसकी आखों में देख नहीं पाती थी उसके शरीर से उठने वाली एक अजीब सी गंध वहां भर जाया करती थी जो उसके जाने के बाद भी रहती थी खेर जो भी हो कामया ने जल्दी से अपना काम खतम किया और ऋषि को कहा 
ऋषि- जा भोला को बोल कि गाड़ी लगाए 
ऋषि- जी 
किसी आग्याकारी नौकर जैसे ऋषि सभी काम छोड़ कर बाहर की ओर भागा कामया ने अपना बैग लिया और एक बार टेबल पर नजर डालते हुए बाहर जाने को उठी कि तभी भोला वो बड़ा सा कारटन लिए अंदर आया कामया अपने टेबल के पास ही रुक गई थी और भोला को एकटक देखती रही पर भोला तो जैसे अपने मर्ज़ी का मालिक था बिना कुछ पूछे ही अंदर आया और एक बार बिना कामया की ओर देखे ही उसके टेबल के पास आते हुए उस बाक्स को कामया के टेबल के पीछे की ओर चेयर के पास रख दिया 

कामया उसकी और पीठ किए खड़ी थी वो नहीं जानती थी कि भोला क्यों यह बाक्स वहां रख रहा था पर हाँ इतना जरूर जानती थी कि उसका गला फिर से सुख गया था और वो खड़े-खड़े फिर से थर थर कप भी रही थी पता नहीं क्या हो जाता था कामया को इस भोला को देखते ही अपने दोनों हथेलियो को टेबल पर टिकाए हुए वो खड़ी थी कि पीछे से भोला के सख़्त हाथ उसकी टांगों से लेकर उसके नितंबों तक एक ही झटके से पूरा जायज़ा लेकर अलग हो गये थे कामया जब तक समझती या मुड़ती भोला के हाथ उससे अलग हो चुके थे जैसे ही वो घूमकर खड़ी हुई भोला उसके पास खड़ा हुआ उसे ही देख रहा था और फिर से अपने हाथ को उसकी जाँघो के बीच में लेजाकर धीरे से दबा दिया और वैसे ही धीरे से पेट से होते हुए उसकी चूचियां तक ले आया और हल्के से मुस्कुराते हुए 

भोला- सूट में मेमसाहब आपका फिगर तो खूब दिखता है पर आप नहीं दिखती साड़ी में खूब अच्छी लगती है आप 
और जैसे आया था वैसे ही झट से बाहर चला गया एक मिनट से भी काम वक़्त में वो कामया को फिर से एक ऐसी आग में धकेल कर जा चुका था कि जिसका किनारा कामया को नहीं दिख रहा था वो खड़ी-खड़ी जोर-जोर से सांसें लेती रही और अपनी जाँघो को खोलकर वापस बंद करती रही लड़खड़ा जाती अगर वो टेबल को नहीं पकड़ती 
इतने में ऋषि वापस आया और डोर खोलकर बोला
ऋषि- भाभी चलिए 
कामया- हमम्म चल आअह्ह सस्स्शह 
करती हुई किसी तरह से अपने पर काबू पाती हुई बाहर की ओर चल दी 
भोला ड्राइव करता हुआ शोरुम तक ले गया और कामया किसी तरह से अपना काम खतम करते हुए जल्दी से घर जाना चाहती थी ऋषि को घर छोड़ कर कामया को भी अपने घर ड्रॉप करके भोला चला गया पर कामया के शरीर में जो आग वो लगा गया था उसने कामया को जलाकर रख दिया था घर पहुँचते ही उसकी नजर फिर से भीमा की ओर चली गई थी पर मम्मीजी के होते यह बात कम से कम अभी तो पासिबल नहीं था 

घर पहुँचकर भी कामया अपनी आग में जलती रही पर मम्मीजी ने उसे इतना एंगेज कर लिया था अपने साथ की वो थोड़ा सा अपने आपको भूल गई थी पर पापाजी के आने के बाद और खाना खाने केबाद तो जैसे उससे रुका नहीं गया था पर सुबह जल्दी उठने की बात से ही वो फिर से अपने आप पर कंट्रोल करते हुए किसी तरह से अपने कमरे में ही रही 
और सुबह वो बॉम्बे की ओर रवाना भी हो गई थी ऋषि उसे एरपोर्ट पर ही मिला था उसके ड्राइवर ने छोड़ा था उसे और कामया को लाखा काका ने बॉम्बे एरपोर्ट पर उतरते ही उसे एक अजीब सी बात दिखाई दी उसे वहां भी हाइ सीकुरिटी में बाहर निकाला गया बाहर एरपोर्ट के भोला वैसे ही टाइट जीन्स और ब्लैक टी-शर्ट में खड़ा था और जैसे ही कामया और ऋषि को आते देखा जल्दी से उसके समान को गाड़ी में भर कर उन्हें वहां से ले चला था दिसाइड यह हुआ था कि जल्दी से घर पहुँचकर नाश्ता करके वो लोग बैंक जाएँगे और वहां का काम खतम करके वापस घर आ जाएँगे 
और किया भी वही जैसे ही बैंक का काम खतम हुआ 
ऋषि- भाभी अब और क्या बचा है 
कामया- क्यों 
ऋषि- नहीं वो रीना दीदी को आपसे मिलना है सो उन्होंने कहा था कि जब काम खतम हो जाए तो फोन कर दूं 
कामया- हाँ ठीक है कर्दे घर पर ही आ जाए 
ऋषि-ठीक है 
और दोनों गाड़ी में बैठ गये थे ऋषि रीना दीदी से बात कर रहा था बहुत ही चहकता हुआ वही लड़कियों जैसे अंदाज में कामया बाहर देख रही थी पर पूरा ध्यान ऋषि की बातों पर ही था कितना उत्तेजित था वो 

घर पहुँचकर जब वो लिफ्ट की ओर जा रही थी तो ऋषि और भोला को अपने थोड़ा सा पीछे होकर आते हुए उसने देखा था भोला कुछ ऋषि से कह रहा था या फिर पूछ रहा था ऋषि भी कुछ कह रहा था पर, उसके, चहरे को देखकर लगता था की जरूर कोई बात है जो कि वो कामया से छुपाना चाहते है पर कामया को इससे कोई फरक नहीं पड़ता वो चलती हुई लिफ्ट में घुस गई थी और ऋषि भोला भी झटके से अंदर आ गये और लिफ्ट ऊपर की चल दी 
Reply
06-10-2017, 03:19 PM,
#88
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
दोपहर का वक़्त था लंच का टाइम भी रीना दीदी के आने का इंतजार करते रीना दीदी ल्यूक लेते हुए आएँगी ऐसा बताया था ऋषि ने 

ऋषि और कामया ड्राइंग रूम में थे और भोला अपने रूम में चला गया था 3बेडरूम के साथ एक सेरवेंट रूम भी था उसे फ्लैट में जो की डाइनिंग स्पेस के पास था और अलग करने को वही डाइनिंग स्पेस पर एक डोर भी दिया था 

सो थोड़ी देर में ही रीना दीदी भी आ गई थी बड़ी ही चुलबुली किस्म की थी वो थोड़ा सा मोटापा था था भरा हुआ जिश्म था कदकाठी भी थोड़ा सा मध्यम था कामया से हाइट में थोड़ी सी छोटी थी पर एकदम मस्त थी आते ही जैसे घर में भूचाल आ गया था हँसी मजाक और बहुत सी बातें कहाँ गई थी कौन मिला था क्या किया और जाने क्या-क्या जैसे एक ही सांस में उसे कहना था और करते-करते खाना खाकर भी उठ गये थे पर रीना की बातें अब तक खतम नहीं हुई थी दोनों भाई बहन आपस में भी लगातार उलझते जा रहे थे और कामयाको भी उसमें घसीट रहे थे 

पर कामया खाने के बाद थोड़ा सा निढाल सी हो गई थी नींद के मारे पर ऋषि और कामया को देखकर उसे जरा भी नहीं लग रहा था कि वो कोई रुकने का नाम भी लेंगे 

कामया- रीना तुम दोनों बैठो और बातें करो में थोड़ा सा आराम कर लूँ 

रीना- जी भाभी बिल्कुल अभी हमें तो बहुत सी बातें करनी है आप आराम करो 

कामया मुड़कर अपने रूम में चली आई और वही सूट पहन कर ही बेड पर लेट गई थी आधी बेड पर और आधी नीचे बस थोड़ा सा कमर सीधा करने की चाहत थी पर वैसे ही कब वो सो गई थी उसे पता ही नहीं चला 

उठी तो पूरे घर में सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं और ही कोई आहट वो थोड़ा सा घबराई भी पर उठकर बाथरूम में फ्रेश होकर आई तो देखा की 4 बजे है वो रूम से बाहर निकली तो ड्राइंग रूम भी खाली था और कही कोई आहट भी नहीं था 
कहाँ गये यह दोनों और भोला वो कहाँ है वो एक बार डाइनिंग स्पेस के पास जाके भोला के कमरे की ओर देखा पर वो खाली था वापस आके उसके आगे बने दो बेडरूम की ओर देखा सन्नाटा था कोई आहट नहीं वो ऋषि के कमरे की ओर बढ़ी हाँ आवाज आ रही है ऋषि की 

तो क्या रीना चली गई वो तो रुकने वाली थी उसका पति आने वाला था डिनर पर जाना था फिर ऋषि के साथ कौन है भोला भोला तो नहीं शायद वो ही हो कल जो खेल उसने देखा था शायद वही खेल खेल रहे हो देखूँ कामया के अंदर से एक आवाज उठी पर रुक गई फिर मन नहीं माना वो आगे बढ़ी और ऋषि के कमरे के पास जाके खड़ी हो गई थी डोर के पास आते ही उसे अंदर से सिसकारी की आवाज और सांसों की आवाज के साथ ऋषि के कुछ कहने की बहुत ही धीरे से आवाज सुनाई दी कामया ने जरा सा जोर लगाकर डोर को धकेला पर वो नहीं खुला 

वो एकदम से आतुर हो गई थी यह जानने के लिए की अंदर क्या चल रहा है वो इधर उधर देखने लगी डोर के ऊपर उसे वेंटिलेटर दिखा वो लगभग दौड़ती हुई सी डाइनिंग रूम मे गई और वहां पड़े हुए चेयर को खींचते हुए वहां ले आई थी कार्पेटेड था इसलिए कोई आवाज भी नहीं हुई उसे देखकर लगता था कि वो कितनी बैचन है अंदर की घटना को देखने के लिए 
किसी तरह से उसने चेयर को अड्जस्ट किया डोर से थोड़ा सा दूर और थोड़ा सा मेहनत के बाद उसपर खड़ी हो गई थी और धीरे-धीरे अपने को उठाकर आखों को वेंटिलेटर के गॅप से अंदर का नजारा देखने के लिए तैयार किया 


अंदर का नजारा जो उसने देखा एक बार तो वो चौक गई पर अगले ही पल उसकी आतूरता बढ़ने लगी और वो पूरी तरह से उस खेल का हिस्सा बनने को तैयार भी होने लगी थी बाहर से ही सही पर हाँ… उसे भी यह खेल का हिस्सा बनना था और जरूर बनना था उसके शरीर में एक जलन सी उठ गई थी 

अंदर भोला बेड पर बैठा था और ऋषि उसके सामने खड़ा था रीना भोला के बगल में खड़ी थी और भोला का हाथ उसके नितंबों और जाँघो को सहलाते हुए उसके शरीर का जाएजा ले रहा था रीना आहे भरती हुई भोला के बालों से खेल रही थी और भोला से सटने की कोशिश करती जा रही थी 

रीना को देखकर ही लगता था कि वो कितनी उतावली है भोला के साथ इस खेल को खेल के लिए वो झुक कर भोला को किस भी कर रही थी और भोला साला यहां भी नहीं छोड़ा और देखो तो कैसे मालिक की तरह से बैठा हुआ है और थोड़ा सा चहरा उठाकर रीना को किस भी करने दे रहा है और अपने हाथों से सहलाते हुए वो रीना के अंदर की आग को किस तरह से भड़का रहा है कामया खड़ी-खड़ी उन्हें देखती हुई अपने आपको एक बार फिर से अड्जस्ट किया पर आखें नहीं हटाई वहां से वो एक भी सीन नहीं मिस करना चाहती थी ऋषि उसके सामने खड़ा था रीना और भोला का व्हहरा उसे नहीं दिख रहा था 


पर ऋषि का चेहरा दिख रहा था दोनों ऋषि को कुछ कह रहे थे और रीना और भोला एक दूसरे को सहलाते हुए हँस भी रहे थे तभी उसने देखा कि भोला ने अपनी जाँघो को थोड़ा सा आगे की ओर किया और ऋषि उसके आगे झुक कर बैठ गया कामया थोड़ा सा और ऊपर हुई और देखने की कोशिश करने लगी की ऋषि क्या कर रहा था पर उसे नहीं दिखा हाँ… अंदाजा लगाया शायद उसने भोला की जीन्स की जीप खोला होगा हाँ… थोड़ी देर बाद ऋषि को बैठे हुए ही थोड़ा सा पीछे हट-ते देखा भोला की जीन्स नीचे हो गई थी भोला ने चेहरा उठाकर एक बार रीना की ओर देखा और उसे कस कर अपनी बाहों में भरा कमर से पकड़कर रीना भी थोड़ा सा झुक कर भोला के होंठों को अपने होंठों में लेकर लगातार चूस्ते जा रही थी जैसे की कोई टाफी हो 


उसके किस करने के तरीके से ऐसा लगता था की वो बहुत उत्तेजित है पर जाने क्यों कामया को यह अच्छा नहीं लगा एक जलन सी उसके मन में उठी लगता था कि वो नीचे उतर जाए और चली जाए उससे देखा नहीं जा रहा था पर फिर भी वो वही खड़ी रही और अंदर का नजारा एक बार फिर से देखने लगी ऋषि खड़ा था हाथों में भोला की जीन्स लिए भोला ने कुछ कहा वो जीन्स को एक बार अपने चहरे पर लगाकर सूंघने लगा और फिर थोड़ा सा आगे बढ़ा और भोला के पास आकर खड़ा हो गया भोला के बिल्कुल पास उसकी सांसें भी तेज चल रही थी पर कुछ कर नहीं रहा था वो खड़ा रहा और थोड़ा सा आगे झुक कर उसने भी भोला के चहरे को अपने हाथों में लिया और एक किस गालों पर किया रीना तो उसके होंठों को किस्स कर रह थी और ऋषि उसके गालों को दोनों बाईं बहन भोला को मिल बाँट कर इस खेल का हिस्सा बने हुए थे भोला की हाथ अब दोनों के शरीर पर घूम रहे थे पर ज्यादा रीना के .


रीना अब भी साड़ी पहने हुई थी पर आँचल गिर गया था और उसकी दोनों चूचियां बिल्कुल ब्लाउससे बाहर आने की जिद पर थी सांसों के साथ-साथ उनके ऊपर-नीचे होने के ढंग से ही यह प्रतीत होता था कि वो अपनी आ जादी की जंग कैसे लड़ रही होंगी पर भोला को कोई जल्दी नहीं थी वो अपनी बाहों में रीना को कसे हुई ऋषि को अलग किया और कुछ कहा ऋषि थोड़ा सा झुका और भोला ने फिर से एक बार अपनी जाँघो को सीधा किया भोला का अंडरवेर ऋषि के हाथ में था अब भोला नीचे से नंगा था 


रीना जैसे इसी का इंतजार कर रही थी वो झुके झुके ही अपने लेफ्ट हैंड को उसके लिंग पर ले गई और उसके खड़े खड़े ही सहलाने लगी थी रीना की उत्तेजना का अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो लगभग भोला के ऊपर ही चढ़ने वाली थी पर भोला उसे रोके हुए था ऋषि खड़ा हुआ दोनों को देख रहा था वो भी फिर से आगे बढ़ा अपनी दीदी के कंधे को सहलाता हुआ और उसकी पीठ को सहलाता हुआ वो भी आगे बढ़ा रीना ने अपने होंठों को भोला के होंठों से आजाद किया और ऋषि को खींचा और अपने होंठों को ऋषि के सुपुर्द कर दिया ऋषि रीना दीदी के होंठों को बड़े ही प्यार से और बड़े ही आदर से प्यार से चूमते हुए भोला के पास आते जा रहा था 

पर भोला के आदेश के साथ ही वो थोड़ा सा रुका और रीना के होंठों को छोड़ कर भोला और रीना की ओर देखने लगा रीना भोला के साइड से हटकर बिल्कुल उसके सामने खड़ी ही गई थी और एकटक अपनी बड़ी-बड़ी नशीली आँखों से भोला की ओर देख रही थी उसका आँचल के ढलने से उसकी चूचियां किसी पादरी की छोटी के समान उसके आगे खड़ी थी और एक मूक निमंत्रंण दे रही थी कि खेलो और दब्ाओ और चूसो जो कर सकते हो करो पर हमें आजाद करो इस घुटन से इस समय के लिए तो कम से कम वो एकटक भोला की ओर देखती हुई उसके बहुत नजदीक खड़ी हो गई थी ऋषि और भोला के बीच में उसकी चूचियां भोला के चहरे पर टच हाँ रही थी और पीछे से ऋषि ने धीरे-धीरे रीना की साड़ी को खोलकर नीचे फेक दिया था अब रीना पेटीकोट और ब्लाउसमें थी 


भोला के बड़े-बड़े हाथ रीना के शरीर पर घूमकर उसके राशन का परिचय पा रहे थे और उसकी रचना की तारीफ भी कर रहे थे और पीछे से ऋषि रीना दीदी के ब्लाउज के हुक को धीरे-धीरे खोल रहा था जैसे अपने आप ही अपनी दीदी को इस भोला के लिए प्रेज़ेंट कर रहा था उसे भी कोई जल्दी नही थी वो भी अपने तरीके से और अपनी बहन की रचना को सहलाते हुए और छूते हुए एक-एक करके काम को उंजाम दे रहा था भोला भी बड़ी ही शालीनता से रीना के शरीर को धीरे-धीरे सहलाता हुआ जाँघो से लेकर कमर के ऊपर तक बड़े ही आराम से अपनी हाथों को घुमाकर रीना की मादकता का एहसास कर रहा था रीना कीसांसें बहुत ही तेज चल रही थी और शायद कुछ कहती भी जा रही थी पर क्या कामया को सुनाई नहीं दे रही थी पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि रीना को जल्दी थी उसके शरीर के अंदर उठ रही उत्तेजना की लहरो को वो ज्यादा देर तक नहीं झेल सकती थी यह बात तो कामया को समझ में आ रही थी पर भोला और ऋषि अपने आपसे अपने तरीके से रीना को देख और एहसास करते हुए धीरे-धीरे उसे नंगा कर रहे थे ऋषि ने जब रीना का ब्लाउस खोलकर साइड में फेका तो कामया एक बार तो जलन की आग में जल उठी कितने सुडोल थे रीना के ब्रेस्ट्स अगर ब्रा में नहीं होते तो भी बिल्कुल तने हुए थे ब्रा ने तो बस उसके आकार को ही ढका था या कहिए ब्रा ने तो उसके चुचियों के आकार के अनुरूप ही अपने आपको ढाल रखा था 


उसके नीचे चिकना और गदराया हुआ सा उसका पेट और उसपर गहरी सी नाभि में वो एक कयामत सी लग रही थी कामया को पहली बार किसी औरत का शरीर देखकर जलन हुई थी नहीं तो वो कहाँ काम थी जो भी हो उसके सामने सब फैल थे 
पर रीना सच में बहुत सुंदर थी हल्के गुलाबी रंग की शार्ट टाइप की ब्रा पहने थी जिससे की उसके उभार बाहर की ओर निकले हुए थे आधे से ज्यादा सांसों के साथ उसकी चूचियां ब्रा से भी आजाद होने की जिद में थी पर ऋषि और भोला के हाथ जब उसके ब्रेस्ट्स को ब्रा के ऊपर ही छूते हुए जा रहे थे तो रीना एकदम से पीछे की ओर अपने सिर को ले गई थी और ऋषि के होंठों के सुपुर्द हो गई थी भोला अपने हाथों से रीना को सहलाते हुए धीरे से उसके पेट पर झुक गया था और अपनी जीब से उसकी नाभि और पेट के हर हिस्से को किस करता हुआ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठ रहा था भोला के हाथों ने ऋषि के हाथों को पकड़कर रीना की चुचियों से हटा दिया और उसे रीना के पेटीकोट तक लाकर छोड़ दिया और खुद रीना के अधखुले हुए उभारों को अपने होंठों से किस करता हुआ धीरे-धीरे फिर से नीचे की ओर चला जा रहा था ऋषि के हाथ जैसे ही रीना के 
पेटीकोट के पास पहुँचे तो वो भी रीना के पेटीकोट को खोलने में व्यस्त हो गया और शायद भोला को रीना का वो हिस्सा भी जल्दी से खोलकर देदेना चाहता था और जब तक भोला उसे किस करता हुआ वापस उसकी नाभि तक पहुँचा तब तक ऋषि अपने काम को अंजाम दे चुका था अब रीना सिर्फ़ और सिर्फ़, पैंटी और ब्रा में इन दोनों के बीच में खड़ी हुई अपने शरीर का नज़ारा उन दोनों को करा रही थी


भोला तो जैसे अपने हाथों को रोक ही नहीं पा रहा था वो भी शायद जल्दी में था शायद हर जगह को छूकर देखना चाहता था उसके हाथों के स्पर्श से रीना बार-बार अपने होंठों को दबा लेती थी शायद भोला के सहलाने में ताकत भी थी और शायद वो उसे जोर से दबा भी देता था पर कोई शिकायत नहीं थी उसे वैसे ही खड़ी हुई भोला को और अपने पास खींच रही थी कभी-कभी थोड़ा सा नीचे होकर अपनी चूचियां उसके मुख से छुआ देती थी या उसके लिंग को पकड़ने की कोशिस करती थी यह कामया नहीं जान पाई पर वो जो भी करती थी वैसे ही थोड़ी देर रहती थी पर, धीरे से ऋषि ने उसे वापस खींचा और उसके ब्रा के हुक को खोलकर उसे आजाद भी कर दिया जैसे दो पंछी आजाद होकर उड़ने को थे हल्के गुलाबी रंग के निपल्स थे उसके बहुत बड़े नहीं पर हाँ… एकदम टाइट और सामने की ओर तने हुए रीना ने एक बार खुद अपनी हाथों से उन्हें सहलाते हुए ऊपर की ओर उठाया और फिर और आगे बढ़ कर भोला के आगे होकर अपनी एक चुची को उसके होंठों के सामने रख दिया भोला भी एक बार उसकी नजर से नजर मिलाकर उसे देखता रहा और सिर्फ़ अपने होंठों को खोलकर वैसे ही बैठा रहा ऐसा इसलिए लगा क्योंकी रीना जहां खड़ी थी वहां से लगभग उसके ऊपर ही चढ़ि हुई अपनी चुचियों को उसके मुख में घुसा रही थी तभी ऋषि के दोनों हाथों ने रीना दीदी की मदद की और वो इसकाम को अंजाम देने लगा हाँ… अब वो रीना की चुचियों को अपने हाथों से पकड़कर भोला के मुख में डालने किसकोशिश कर रहा था और भोला रीना के पीछे खड़े हुए ऋषि की ओर देखता हुआ रीना की चुचियों से खेल ने लगा था वो उन्हें जोर-जोर से चूसता हुआ शायद बीच बीच में काट भी लेता था क्योंकी रीना की आहें और उसके सिर को झटकने से यह लगता था 
Reply
06-10-2017, 03:19 PM,
#89
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भोला के हाथों ने एक बार फिर से ऋषि के हाथों को कस कर पकड़कर नीचे की ओर ले गया था और पैंटी के पास लाके वापस रीना की चूचियां दबाने लगा था वो लगातार अपना जोर को बढ़ाता जा रहा था और अब तो बदल बदल कर वो रीना की चूचियां चूस रहा था और रीना भी अपने आपको अड्जस्ट करते हुए भोला को ज्यादा मेहनत ना करना पड़े इसलिए अपने आपको ही हिलाकर अपनी चूचियां एक के बाद एक करके उसके होंठों के सामने लाती जा रही थी उसके दोनों हाथों का दबाब एकदम से तब बढ़ गया जब, ऋषि ने उसकी पैंटी उतारी एकदम सॉफ थी वो बिल्कुल चिकनी सी थी गोरा रंग ऊपर से नीचे तक एक जैसा जाँघो के बीच में जो बालों का गुच्छा होता था उसके दाग तक नहीं दिख रहे थे कामया को इतनी सॉफ क्या करती है पर एक लंबी सी चीख कामया को वास्तविकता में ले आई थी वो चीख थी रीना की 


भोला के हाथों से अचानक ही बहुत दबाने से वो एक बार बिचलित सी हो उठी थी और शायद दर्द को सह नहीं पाई थी पर भोला तो जैसे जानवर बन गया था वो रीना को चूमता हुआ धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहा था और अपने एक हाथ से उसकी चूचियां जोर-जोर से दबाता हुआ एक हाथ से रीना को सहारा दिए हुए नीचे की ओर चल दिया उसे किस करने के ढंग से और छूने के ढंग से कही से भी नहीं लगता था कि उसे कोई जल्दी है बड़े ही आराम से जो चाहे वो करता हुआ कभी-कभीजोर लगा देता था पर हाँ… रीना को जल्दी थी बहुत जल्दी वो लगातार भोला को धक्का मारकर उसे लिटाने की कोशिश कर रही थी और लगातार उसके ऊपर सवार होने की कोशिस कर रही थी पर भोला की ताकत के आगे वो हल्की थी और बस कोशिश ही कर रही थी ऋषि भी जहां जगह मिलती या जहां भोला खाली जगह छोड़ता वहाँ वो अपनी बाहें को छुआता जा रहा था और किस करता जा रहा था वो भी अपनी बहन को इस तरह से देखकर उत्तेजित था पर, उसकी उत्तेजना का क्या होगा वो कामया को नहीं पता था पर कुछ कहा था बीच में भोला ने ऋषि एकदम से अलग हो गया और अपने कपड़े खोलकर सेकेंड्स में वापस रीना के पीछे फिर से आ गया था भोला अब तक टी-शर्ट पहने था पर ज्यादा देर नहीं दोनों बाई-बहन ने एक साथ और जल्दी से उसकी टीशर्ट को उतार दिया था अब सब जो भी उस कमरे में थे नंगे ही थे ऋषि स्किनी सा लग रहा था पर जो आश्चर्य करने वाली बात थी वो था उसका लिंग बहुत ही छोटा सा और पतला सा था कोई टेन्शन भी नहीं था और नाही उत्तेजना को दर्शाती हुई कोई बात पर वो लगातार रीना के पीछे से रीना को सहलाता हुआ उसे किस कर रहा था 


भोला वैसे ही बैठा हुआ रीना की पूरी को सहलाता हुआ और चूमता हुआ एक बार ऊपर की ओर देखता है और रीना की कमर को पकड़कर घुमा देता है अब रीना ऋषि के गले लग चुकी थी और उसका पिछला हिस्सा भोला की ओर था गोल गोल नितंब बिल्कुल बेदाग थे सुडोल इतने कि कहीं से भी कोई गलती नहीं निकाल सकते भोला के बड़े-बड़े हाथ उसके नितंबों में घूम रहे थे और बीच बीच में उनको दबा के उनकी नर्मी का या फिर उनके मादकता का एहसास कर रहा था रीना हर बार ऋषि से ज्यादा चिपक जाती जब वो उसको दबाता था रीना को फिर से घुमाकर उसने अपनी ओर किया और दोनों भाई बहन को खींचकर नीचे घुटनों के पास बिठा लिया और कुछ कहता हुआ दोनों के सिर पर हाथ फेरता रहा दोनों भाई बहन ने एक बार तो आपस में देखा और फिर शायद दोनों ने उसके लिंग को कस कर पकड़ भी लिया था क्योंकी इसके बाद कामया को दोनों का सिर एक के बाद एक करके गायब हो जाता था शायद दोनों मिलकर भोला के लिंग को चूस रहे थे और मिल बाँट कर अपना हिस्सा ले रहे थे भोला के हाथ रीना के बूब्स पर थे और जब मन में आता था खूब जोर से दबा देता था रीना की चिहुकने की आवाज और फिर आखें उठाकर भोला की ओर देखने के अंदाज से ही कामया समझ जाती थी पर कोई शिकायत नहीं और नहीं कोई हटाने की कोशिश हाँ… कोशिश थी तो बस उसके लिंग पर कब्जा जमाने की और दोनों जैसे आपस में अब लड़ने लगे थे कि कौन उसे अपनाएगा और भोला बेड पर बैठे हुए दोनों को देख रहा था पर शायद अब वो बिल्कुल तैयार था एक झटके में उसने रीना को खींचकर अपने पास ऊपर खड़ा करलिया और अपनी एक उंगली को रीना के जाँघो के बीच में घुसाकर जोर-जोर से हिलाने लगा था ऋषि का चेहरा एक बार ऊपर उठा पर फिर झुक गया था


रीना अपनी जाँघो को खोलकर भोला के कंधो का सहारा लिए हुए जोर-जोर से सांसें ले रही थी और हर बार जब भोला उसके हाथों को जोर से अंदर डालता था तो वो जरा सा उछल भी पड़ती थी पर कोई ना नुकर सिर्फ़ आहे और उउउफफफ्फ़ और कमरे में भारी हुई सिसकारी की आवाज पर भोला तो मास्टर ही था उसने रीना को अचानक ही बीच में छोड़ कर ऋषि को खींचकर उठाया और रीना को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और ऋषि को इशारा करते हुए रीना की जाँघो के बीच में लेगया रीना ने भी कोई देरी नहीं की झट से अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के लिए जगह बना दी और ऋषि वैसे ही झट से रीना का स्वाद लेने में जुट गया पर भोला जो कि अब भी खड़ा था एक बार भाई बहन को देखता हुआ ऋषि के नंगे शरीर को सहलाता हुआ उसके पीछे की ओर चला गया और देखते ही देखते अपने लिंग को उसकी गुदा भाग में सटाने लगा था कामया का सारा शरीर जैसे जम गया था ये क्या कर रहा था भोला पागल हो गया है क्या ऋषि के वहाँ अपना लिंग डालेगा मर जाएगा वो लेकिन यह क्या ऋषि की कमर को उँचा करके वो एक ही झटके में ऋषि के अंदर हो गया एक बार तो कामया की चीख ही निकल गई थी पर ऋषि को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ा हो वो थोड़ा सचेत हुआ था पर फिर से वो अपने काम में जुट गया था भोला की स्पीड बढ़ता जा रहा था और ऋषि के होंठ अब रीना के जाँघो से दूर हो गया था पर एक अजीब सी संतुष्टि उसके चहरे पर थी जो कि कामया के लिए एक अजीब सा था पर शायद ज्यादा देर ये खेल नहीं चला था एक धक्के में ऋषि को अलग करके वो रीना पर टूट पड़ा था और जो लिंग उसने ऋषि के अंदर वहाँ पर डाला था एक ही झटके में रीना के अंदर उतर चुका था रीना तो जैसे पागल ही हो गई थी एक बार में उतरे उस लिंग को कैसे वो झेल गई थी 

वो एक आश्चर्य था पर हाँ… उसकी जाँघो को भोला की कमर के चारो ओर घेरा बनाते हुए देखकर कामया को समझ में आ गया था कि वो उसे और भी अंदर तक ले जाना चाहती थी और भोला तो जैसे एंजिन के पिस्टन से भी ज्यादा तेजी से काम कर रहा था अपनी दोनों बाहों को कस कर रीना को पकड़कर अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था कोई देरी नहीं और नहीं रीना की चिंता उसे चिंता थी तो बस अपनी अपने शरीर के सुख के लिए वो रीना को आज चीर भी सकता था पर रीना भी जोर दार थी हर धक्के के साथ वो और भी ज्यादा उछलती थी और ज्यादा चिपकती थी भोला से अपने हाथों को उसने भोला की पीठ पर कस्स कर बाँध रखा था और जोर-जोर से आवाजें निकालती हुई शायद अपने शिखर पर पहुँचने वाली थी पर जैसे ही वो शिखर में पहुँची और भोला को कस कर पकड़ी भोला उसके हाथों से फिसल गया और रीना को झट से उल्टा करके कमर को पकड़कर एक बार उसके नितंबो को सहलाता हुआ उसके पीछे घुस गया एक लंबी सी चीख निकली रीना के मुख से जो कि वही उधर ही घूम हो गई थी और झटकों को झेलती हुई रीना एक बार फिर से मस्त सी हो गई थी और ज्यादा देर नहीं बस कुछ ही सेकेंड्स में भोला भी रीना के ऊपर ढेर हो गया था 


कमरे में आया तूफान थम चुका था भोला रीना के ऊपर पीठ पर गिरा हुआ था और अपने हाथों को उसके नीचे लेजाकर उसकी चूचियां जबरदस्त तरीके से दबाता जा रहा था और दो चार धक्के के बाद वो ढेर हो गया एक मुश्कान थी उसके चहरे पर विजयी मुश्कान एक नजर उसकी डोर की ओर भी उठी पर फिर बंद हो गई कामया झट से नीचे उतरी और चेयर को खींचकर वापस डाइनिंग रूम में लाकर रखा और अपने कमरे का डोर बंद करके बेड पर लेट गई उसकी साँसे इतनी तेज चल रही थी कि वो उनको कंट्रोल नहीं कर पा रही थी सांसों के साथ मुख से आवाज भी निकल जाती थी उसकी बिना कुछ कहे और सुने वो झट से अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गई थी बथटब में लेटी हुई कामया जितना हो सके अपने को समेटने की कोशिश करती जा रही थी उसके शरीर में जो आग लगी थी वो उसे किसी तरह से शांत करना चाहती थी पर आग थी जो बढ़ती ही जा रही थी 

पानी भी उसके शरीर में शूल की भाँति लग रहा था जहां भी टच हो रहा था वो चुभ रहा था पानी की ठंडक भी उसे इतना गरम लग रहा था कि वो अपने आपको समेटने के अलावा और कुछ भी नहीं सकती थी पर हाँ… अपने सीधे हाथ को जरूर जाँघो के बीच तक ले गई थी और जैसे ही अपनी योनि को छुआ एक हल्की सी सिसकारी मुख से निकल गई
ना चाहते हुए भी उसे अपनी उंगली को और भी अंदर तक घुसाकर अपने को थोड़ा सा शांत करने की कोशिश करती रही और उसे ज्यादा देर भी नहीं लगी उसके शरीर की आग इतनी भड़क गई थी वो जल्दी ही अपने आपको शांत करके टॅब पर वैसे ही लेटी रही और अपने सांसों को कंट्रोल करती रही आखें बंद और कलाईयों को अपनी जाँघो के बीतचमे डाले वो थोड़ी देर तक तो अपने से लड़ती रही पर फिर वो उस कमरे में हुई घटना के बारे में सोचने लगी 


ऋषि रीना और भोला एक साथ कैसे उस कमरे में पहुँचे क्या भोला और रीना एक दूसरे को जानते थे ऋषि ने तो ऐसा कुछ नहीं बताया था पर कैसे भोला एक बार में ही रीना को अपने साथ कर सकता है जरूर वो जानता होगा नहीं तो हो ही नहीं सकता कि रीना जैसी लड़की एक बार में ही भोला के साथ हमबिस्तर हो जाए जरूर कोई बात है जो वो नहीं जानती 
पर किससे पूछे ऋषि से या रीना से या फिर भोला ही बता देगा पर यह बात उसके दिमाग से नहीं निकली थी अब थोड़ा सा वो नार्मल हुई थी और धीरे-धीरे उठकर बतरोब पहनकर बाहर आ गई थी हेयर ड्रायर से ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी वो अपने बालों को सूखा रही थी पर मन में एक ही बात चल रही थी कि भोला उनके साथ कैसे पहुँचा बैंक से आंते समय बाहर जब गाड़ी से उतरे तो उसने भोला को ऋषिसे कुछ कहते देखा था पर क्या ऋषि भी कैसे मान गया और रीना भी 

जब तक वो बैठी थी तब तक तो भोला भी नहीं था वो अपने कमरे में चला गया था पर उसके आते ही क्या ऋषि ने उसे बुलाया होगा और वो गुंडा उनके बुलाने का ही इंतजार कर रहा था क्या है तो उसका नौकर पर हिम्मत तो देखो उससे बिना पूछे ही जो मन में आ रहा था कर रहा था इतने में डोर पर ऋषि की आवाज आई 
ऋषि-भाभी 
कामया ने डोर खोला और ऋषि की ओर देखा काफी का कप लिए खड़ा था मुस्कुराते हुए जम कर गुस्सा आया था कामया को कितना ढोंगी है अभी थोड़ी देर पहले क्या कर रहा था और अभी देखो कितना बन संवर कर खड़ा है जैसे कोई बात ही नहीं हुई है 

ऋषि काफी का मग आगे बढ़ाता हुआ बोला 
ऋषि- रीना दीदी चली गई है आप सो रही थी ना इसलिए जगाया नहीं वो जीजाजी के साथ 8 बजे तक आ जाएँगी कहा था तैयार रहना 
कामया- ठीक है 
ऋषि- वो भाभी भोला का क्या करना है 
कामया- क्यों 
ऋषि- जी वो भी चलेगा 
कामया- आ एक काम करो जीजाजी और रीना दीदी से कहो कि वो पहुँचे हम अपनी गाड़ी से आते है ठीक है 
ऋषि-ठीक है ओह्ह… भाभी आई अम डाइयिंग तो गेट तो ताज कितने दिनों से सोच रखा था कि आई विल हव डिनर देयर ऊओफ्फ आई लव दट प्लेस 
कामया- हहुह ठीक है तुम जाओ लेट मी ड्रेस अप ओके… 
और ऋषि चला गया कामया को उसपर बहुत गुस्सा आरहा था पर कुछ बोल नहीं पाई कितना नाटक कर सकता था ऐसे खड़ा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं था और उसकी रीना दीदी ती गजब की है काम पूरा हुआ और चली गजब है यार अब अपने पति को लेकर डिनर पर भी जा रही है एक झटके से सबकुछ निकाल कर वो कमरे का डोर बंद करके वापस मिरर के पास आ गई थी और बालों में रोलर लगाने लगी थी एक-एक करके रोलर लगाके फिर ड्रायर लेकर उन्हें ठीक किया और 
सूटकेस से कपड़े निकालने लगी एक-एक करके देखती हुई उसकी नजर शिफॉन के गहरे काले कलर की सितारे वाली साड़ी पर रुक गई थी कामेश को वो बहुत सेक्सी लगती थी उस साड़ी में वो रुकी और उसके साथ के ब्रा और पैंटी के साथ पेटीकोट ब्लाउस निकाल कर बेड पर रख दिया और एक बार खड़ी हो कर उसे देखने लगी स्लेवलेस्स ब्लाउस आगे पीछे से बहुत ही ज्यादा खुला हुआ था पहनने में उसे थोड़ा झिझक होती थी पर कामेश उसे पहनने को हमेशा ही उकसाता था पर आज कामेश तो है नहीं फिर रहने दो यह नहीं कुछ और देखती हूँ पर जाने क्यों सब साड़ी और सूट देखने के बाद भी वो बार-बार उसी साड़ी पर रुक जाती थी एक अजीब सा खिंचाव सा लग रहा था उसे जाने क्यों वो आज अपने आपको रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जाने के लिए बहुत तैयार करना चाहती थी या फिर कहिए एक चिड थी जो वो मिटाना चाहती थी रीना और ऋषि से या कुछ और था या भोला उसे नहीं नहीं छि क्या सोच रही थी वो भोला उसका नौकर था उसे लुभाने की क्या ज़रूरत है और वो है कौन उसके जीवन में एक ड्राइवर उसका बाडी गार्ड वो भी कामेश ने ऐसा क्या देखकर नहीं तो तो अभी भी कॉंप्लेक्स के गेट पर खड़ा हुआ रेत गिट्टी गिन रहा होता और देखो तो उसके घर में ही बिना उससे पूछे ऋषि और रीना के साथ बिस्तर पर क्या कर रहा था गुंडा कही का 

सांड़ कही का जानवर है देखने में ही गुंडा और सांड़ लगता है जाने किस घड़ी में पैदा हुआ था और जाने किस घड़ी में उनके घर में काम के लिए घुसा था और तो और पड़ना भी मेरे गले ही था जानवर कही का जब देखो तब लार टकाए रहता है जैसे कामया कोई मलाई दार आइटम है कैसे कहता है कि आप साड़ी में अच्छी लगती है रुक जा आज दिखाती हूँ कि कैसी लगती हूँ और इतना तड़पाती हूँ कि पागल हो जाएगा बस इतना सोचना था कि कामया के शरीर में एक नई स्फूर्ति आ गई थी जल्दी से पहले गहरा मेकप किया और एक-एक करते हुए पैंटी से लेकर ब्रा को पहनती हुई अपने आपको सवारने लगी थी उसके मिरर को देखने के तरीके से ही लगता था की आज कयामत आने वाली है 
Reply
06-10-2017, 03:19 PM,
#90
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
आखों में एक मस्ती थी और एक नशा था अपनी आखों को खोलकर बंद करने का तरीका चाहे उसे कैसा भी लगा हो पर अगर कोई देखता होता तो निश्चय ही गश खाकर गिर जाता या फिर झट से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भर कर चूमने लगता एक नशीली आखों की मालकिन आज अपने ही नौकर को दिखाना चाहती थी कि वो क्या है और कितनी सुंदर दिखती है ब्लैक कलर की पैंटी पहनते समये एक बार कमर से थोड़ा सा पीछे की ओर भी होकर देखा था उसने नितंबों पर कैसे कसा हुआ था देखने के लिए मस्त सी शटीं कपड़े का बना वो पैंटी में सिर्फ़ पतली सी पट्टी भर थी हर तरफ और सामने से दो पट्टी उठ-ती हुई कमर के ऊपर की ओर जाती थी हड्डी के थोड़ा सा ऊपर एक छोटा सा ट्राइंगल की तरह और पीछे गदराए हुए मास के अंदर गुम हो जाती थी ब्रा भी ठीक वैसा ही सिर्फ़ सपोर्ट के लिए था जो कि नीचे भर से सपोर्ट कर रहा था और सिंथेटिक, रोप से बल्कि कहिए पट्टी से उसे सपोर्ट कर रहा था पीछे से हुक लगते ही एक बार फिर से अपने शरीर पर अपनी हाथों को फेर कर अपने आपको देखा था कामया ने और फिर बड़े ही कान्फिडेन्स के साथ मिरर की ओर देखते हुए पेटीकोट भी उठाया था शटीं का चमकीला पेटीकोट को जैसे ही उसने अपनी टांगों के साथ-साथ ऊपर की ओर उठाया उसका गोरा रंग धीरे-धीरे ढँकता चला गया था और उसकी गोरी गोरी मसल टाँगें भी उसके अंदर कही खो गई थी एक बार फिर से पलटकर और घूमकर अपने आपको देखती हुई आखों से आखें मिलाकर अपने ब्लाउसकी ओर घूमी की फोन बज उठा था 

कामया- हाँ… 

कामेश-क्या हो रहा है 

कामया- कुछ नहीं तैयार हो रही हूँ 

कामेश - हाँ… रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जा रही हो 

कामया- हाँ… तुम्हें कैसे पता 

कामेश- वो धर्मपाल ने बताया था रीना का फोन आया था कह रही थी भाभी बहुत अच्छी है 

कामया- अच्छा और आपका क्या हुआ आज आने वाले थे 

अपने हाथों में ब्लाउसको उठाए हुए कामया बार-बार पलटकर अपने आपको ही देखती जा रही थी उसमे में कही भी कोई खामी तो नही थी या फिर एक दो बार बात करते हुए मिरर के पास जाके अपने बालों को भी ठीक किया था और आखों में भी कुछ आईब्रो में कुछ ठीक किया था 

तभी कामेश का फ़ोन आया
कामेश- यार क्या करू शायद कल निकलूंगा लंच तक पहुँच जाऊँगा ठीक है हाँ… और मंडे को बैंक के पेपर्स साइन करके ही निकलना क्योंकी गुरुवार तक गुरुजी पहुँच रहे है कहते है कि बहू से काम है 

कामया- मुझसे क्या काम है 

कामेश- यार पता नहीं वो तो वही जाने पर तुम किसी भी तरह फ्री हो जाना थर्स्डे तक 

कामया- अरे यार में तो अभी भी फ्री हूँ 

कामेश- हाँ… यार लगता है जबरदस्ती तुम्हें फँसा दिया मैंने घर पर थी ठीक थी है ना 

कामया- अरे छोड़ो में ठीक हूँ आप अपना ध्यान रखिए और सुनिए प्लीज कल आ जाना बहुत बोर लगता है अकेले में 

कामेश- हाँ… यार में भी बोर हो गया हूँ वो साला झल्ला कहाँ है 

कामया- कौन ऋषि कमरे में होगा 

कामेश- क्या कर रहा है फिल्म देख रहा होगा छोड़ो ठीक है रखता हूँ कल फोन करूँगा एंजाय युवर डिनर 

कामया- गुड नाइट 
और फिर कमाया अपने आपको सवारने में लगा गई थी ब्लाउस पहनते समय बड़े ही नजाकत से उसने एक-एक करके हुक लगाए थे और थोड़ा सा अपनी चुचियों को खींचकर बाहर की ओर भी निकाला था ब्लाउस कसा हुआ था और उसके शरीर पर एकदम फिट था साथ में गोरे रंग में वो मखमली सा ब्लाउस कोई कयामत की तरह दिख रहा था अपने आपको देखकर एक बार वो मुस्कुराई थी और नीचे देखती हुई साड़ी भी उठा ली थी उसकी साड़ी ब्लैक कलर की जिसमे सिल्वर कलर के बहुत ही छोटे छोटे डॉट थे और कही कही हल्के सिल्वर कलर के डिजाइन भी थे जो कि पार दर्शी थे शिफॉन की साड़ी हल्की और मखमली सी उसके हाथों में एक सुखद सा एहसास दे रही थी अंदर दबी हुई चिंगारी धीरे-धीरे आग पकड़ती जा रही थी कुछ दिनों से अपने शरीर की आग से लड़ते हुए कामया थक गई थी कोई नहीं मिला था उसे ना कामेश ना ही भीमा और नहीं लाखा काका 


और यह जो जानवर जिसे लिए घूम रही थी बस आग को लगाकर छोड़ देता था आज देखती हूँ क्या कहता है एक ही झटके में साड़ी को खोलकर अपने पेटीकोट पर बाँधने लगी थी नाभि के बहुत नीचे से जब उसने अपनी साड़ी को बढ़ाते हुए ऊपर की ओर उठी तो एक कयामत सी नजर आ रही थी और जब आखिरी वक़्त पर उसने आँचल को हिलाकर अपनी चूचीयों को ढका था और एक नजर मिरर पर डाला था जो सच में गजब का नजारा था उसके सामने जिस तरह का मेकप उस तरह का सजना सवरना और उसी तरह का ड्रेसिंग सेन्स कमाल का दिख रही थी कामया सच में एक कामया का रूप देख कर कोई भी बहक जाता उसे पाने को बड़ी-बड़ी आखें जब किसी पर पड़ जाए तो कोई तीर सा चल जाता था चाहे कोई मरे या घायल हो कामया तो वैसे ही खड़ी है अब सिर्फ़ इंतजार था उसे रीना से मिलने का देखे आज वो क्या पहनती है या कैसी लगती है उसे पता था कि उसके सामने रीना कही नहीं टिकेगी 


पर कब तक इंतजार करना था पता नहीं और हुआ भी ठीक ऐसा ही तैयार होते में उसने टाइम तो देखा नहीं था ऋषि की आवाज आई थी उसे कमरे के बाहर से 

ऋषि- भाभी तैयार हो गई रीना दीदी लोग निकल गये है 

कामया- हाँ हो गई 
और एक बार फिर से एक नजर अपने आप पर डाला और एक बार घूमकर भी देखा पीछे से उसकी पीठ कितनी सुंदर दिख रही थी गोरी गोरी पीठ कितनी साफ और कोमल सी और काले रंग के ब्लाउसपर से दिखता हुआ बिल्कुल कया मत वो मुस्कुराती हुई वो अपने पर्स में मोबाइल डाला और डोर की ओर बढ़ी थी 

ड्राइंग रूम में ऋषि और भोला खड़े हुए उसका ही इंतजार कर रहे थे जैसे ही डोर खुला भोला और ऋषि एक साथ मुड़े और बस दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया था कामया के देखते ही खुले हुए बालों को झटकते हुए हाइ हील को चटकाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी आखों को उन दोनों पर डालती हुई वो थोड़ा सा मचलकर चल रही थी उसकी चाल में एक मादकता थी एक कसक थी एक बला की मदहोश करने वाली अदा थी ऋषि और भोला की नज़रें एक बार जो उठी तो उठी ही रह गई थी ना कुछ ऋषि के मुख से कुछ निकला और नहीं भोला के भोला तो खेर नौकर था उससे उम्मीद भी नहीं करना चाहिए पर ऋषि की तो आँखे फटी की फटी ही रह गई थी तारीफ करने के लिए मुख तो खोला पर कहे क्या सोच नहीं पाया पर भोला की आखें उसके शरीर के हर कोने का जायजा लेती जा रही थी वाकई साड़ी में मेमसाहब गजब की लगती है अगर ऋषि नहीं होता तो शायद वो आज अपनी नौकरी की फिकर नहीं करता और नहीं अपने नौकर होने का और नहीं मेमसाहब के बुलाने का इंतजार 

कामया- चले ऋषि 
कामया अपनी तरफ उठी नज़रों को समझती हुई एक बार उसके पास आते ही बोल उठी थी उसके शरीर से उठने वाली खुशबू तो मदहोश करने के लिए ही थी जलवा और ऊपर से मदहोश करने वाली खुशबू के चलते दोनों ऋषि और भोला की आवाज तो जैसे गले में ही फस कर रह गई थी पर कामया के बोलते ही होश में आए और भोला आगे की ओर बढ़ते हुए डोर खोलकर खड़ा हो गया था और ऋषि कामया के साथ ही बाहर निकल गया था जब तक भोला डोर लॉक करके आया ऋषि और कामया गाड़ी मे बैठ गये थे भोला दौड़ कर आया और सामने की सीट पर बैठ गया था और गाड़ी सड़क पर दौड़ गई थी अंदर सभी चुपचाप थे और एक मदहोश करने वाली खुशबू में डूबे हुए अपने मुकाम की ओर बढ़े चले जा रहे थे होटेल पर पहुँचकर भी कुछ ख़ास नहीं पर हाँ… रीना का पति बड़ा ही मजेदार था थुलथुला मोटा सा खाने पीने का सौकीन था हँसता रहता था उसे कामया बहुत पसंद आई थी इसलिए नहीं की वो सुंदर थी पर इसलिए कि बड़ी ही शालीनता से उससे प्रेज़ेंट हुई थी और उसे वो इज्ज़त दी थी जैसे एक दामाद को मिलना चाहिए सो खाने के बाद जब वो वापस चले तो होटेल के मेन गेट पर 
रीना- भाभी में ऋषि को ले जाऊ एक दिन के लिए 

कामया- हाँ… हाँ… क्यों नहीं 

ऋषि- नहीं दीदी भाभी अकेली रह जाएगी ना 

रीना- अरे घर पर अकेले क्या क्यों भाभी कोई दिक्कत है कल जल्दी आ जाएगा 

कामया- नहीं नहीं कोई परेशानी नहीं भोला है ना कोई दिक्कत नहीं जाओ 

रीना- असल में भाभी ऋषि बहुत दिनों बाद मिला है ना इसलिए बस थोड़ा सा बातें करेंगे और कुछ नहीं 
और यह तय हो गया कि ऋषि रीना के साथ ही चला जाएगा और कामया अपने हुश्न का जलवा बिखेरती हुई वापस गाड़ी में बैठ गई थी और वापस अपने घर की ओर चल दी थी 


गाड़ी में अब सिर्फ़ ड्राइवर था और भोला और कामया एक अजीब सा सन्नाटा था और बाहर की ओर देखने की होड़ थी ड्राइवर तो जैसे गाड़ी चलाने में व्यस्त था पर भोला और कामया शायद एक दूसरे की ओर देखते हुए भी अंजान से बने बैठे थे भोला ने वापस आते समय भी नहीं पूछा था कि ऋषि कहाँ है या कुछ और जब कामया बैठी थी तो खुद भी बैठ गया था कामया ने ही ड्राइवर से कहा था कि गाड़ी घर ले चले ऋषि नहीं आएगा ड्राइवर और भोला ने खाना खाया कि नहीं यह भी पूछा था फिर शांति हो गई थी गाड़ी के अंदर सिर्फ़ बाहर की आवाजें आ रही थी 


गाड़ी जब तक घर पहुँचती एक अजीब तरह का सन्नाटा और एक अजीब तरह का आवेश सा बन उठा था कामया और भोला के अंदर भोला भी जानता था कि ऋषि नहीं है और कामया भी जानती थी कि ऋषि नहीं है और तो और आज तो कामया ने जान लेने वाली साड़ी पहनी थी जो कि भोला के अंदर तक उतरगई थी खाने के बाद का और घर तक का सफ़र तो कट गया पर अब एक अजीब सी कसक जाग गई थी दोनों के अंदर जैसे कि दोनों ही एक दूसरे का इंतजार में थे कि कौन आगे बढ़े भोला अपने को रोके हुए था और कामया उसके आगे बढ़ने का इंतजार करती हुई पीछे बैठी हुई थी 


पर जैसे ही गाड़ी रुकी और भोला जल्दी से उतर कर पीछे का डोर खोलकर खड़ा हुआ उसकी नजर कामया के सीने पर पड़ी बैठी हुई कामया के सीने से आँचल जो ढलका हुआ था उसके अंदर का पूरा हिस्सा जो कि खुला हुआ था उसकी नजर के सामने चमक उठा था वो अपनी नजर नहीं हटा पाया था उस सुंदरी से उसकाम की देवी से उस सुंदरता से जिसे वो कई दिनों से अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था पर आज का माहौल ठीक उसके आनुरूप था घर पर वो अकेली थी और उसे रोकने वाला कोई नहीं था और तो और आज कामया ने जो साड़ी पहनी थी वो शायद उसे ही दिखाने के लिए ही पहनी थी ना जाने क्या-क्या सोचते हुए भोला अपनी नजर को मेमसाहब पर टिकाए हुए उसकी मादकता को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता जा रहा था उसके गोरे गोरे पेट और फिर उसके नीचे उसकी नाभि और टाइट से बँधी हुई साड़ी में उसकी नग्नता को और भी उजागर कर रहे थे 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,553,113 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,273 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,254,614 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 948,599 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,683,753 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,106,064 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,994,461 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,198,980 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,084,486 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,969 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)