Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:25 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया एक बार पूरे कमरे को गोर से देखती हुई आगे बढ़ती रही कही कोई नहीं था हल्के से सफेद पर्दो से ढका हुआ था पूरा कमरा भीनी भीनी खुशबू आ रही थी हर तरफ शांति थी पर फिर भी घुन घुन की एक मदमस्त आवाज से गूंजा हुआ था वो कमरा खड़ी-खड़ी कामया हर चीज को बड़े ध्यान से देख रही थी 

मनसा- खास आपके लिए बनाया है यह कमरा गुरु जी ने 

कामया एक बार मनसा की ओर देखकर फिर से उस वैभव भरे कमरे को देखती रही इतने में दूर एक बड़ा सा डोर खुला और बहुत सी लगभग 7-8 महिलाए वही सफेद कलर का कपड़ा डाले हाथों कुछ थाली या दोना लिए आगे उसकी ओर बढ़ी थी कामया ने एक बार मनसा की ओर देखा 

मनसा- सब आपके लिए है रानी साहिबा, 

कामया- पर क्यों 
मनसा- आपके स्नान के लिए 

कामया- पर में खुद नहा सकती हूँ 

मनसा- नहीं रानी साहिबा अब से अपना काम खुद करना छोड़ दीजिए यह सब दस दासिया है ना आपके लिए इस आश्रम का हर एक सख्स आपका दास है आइए नहा लीजिए 

और मनसा कामया को लिए आगे उस कुंड की ओर बढ़ी और उसके पास जाकर अपने हाथों से कामया की कमर में बँधे सिल्क के वो रोप को खोलने लगी पर कामया ने झट से अपने हथेली रखकर मनसा को रोक दिया 

कामया- पर इतने लोगों के सामने 

मनसा- आप चिंता मत कीजिए रानी साहिबा दस दसियो से कैसा शरम वो तो है ही इसकाम के लिए और रानी साहिबा आप खुद क्यों करेंगी काम चलिए बहुत कुछ बचा है समय से पूरा होना है 

और धीरे से मनसा ने कामया के कमर में बँधे उस सिल्क रोप को खोलकर साइड में रख दिया और उसका कपड़े को भी धीरे से उसके सिर से निकालने के लिए आगे बढ़ी 

कामया- नहीं प्लीज मुझे शरम आ रही है 

मनसा- शरम कैसी रानी साहिबा सभी तो महिलाए ही है कुछ नया नहीं है सभी एक जैसी ही होती है 
कामया कुछ ना कह सकी और चुपचाप खड़ी रहकर अपना मूक समर्थन दे दिया था और जैसे ही कपड़ा सिर से हटा था कामया एकदम नग्न अवस्था में खड़ी थी दोनों हाथों को इधर-उधर करके अपनी योनि और चूचियां पर रखा था पर कोई फ़ायदा नहीं मनसा उसे लिए आगे बढ़ी थी और धीरे-धीरेएक-एक स्टेप करके उसे उस कुंड में उतार दिया था बहुत सारे हाथों के सहारे वो हो चुकी थी एक साथ और धीरे से उसे खड़ा करके उन महिलयो ने उसे धीरे-धीरे अपने चुल्लू में पानी भरकर उसे गीलाकरने लगी थी पानी में जाते ही कामया का शरीर एक बार फिर से ढँक गया था और गले तक वो बैठने से गीला हो चुका था 
थोड़ा गरम था वो पानी थकान के साथ पूरे दिन का भाग दौड़ का अंत था वो कितना अच्छा लग रहा था उस कुंड में बैठे हुए 7-8 महिलाओ ने अपना काम बाँट लिया था कोई पैरों से लेकर जाँघो तक तो कोई सिर्फ़ हाथों पर तो कोई पीठ पर तो कोई पेट से लेकर उसके चूचियां पर कई हाथों का स्पर्श एक साथ उसके शरीर पर होने लगे थे मनसा जो की अब भी ऊपर थी कुंड से बोली 

मनसा- रानी साहिबा अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दे और इन्हें इनका काम करने दे स्नान के लिए ही है यह अभी जरा भी तनाव में मत रहिएगा नहीं तो नहाने का कोई मतलब नहीं निकलेगा 

कामया नहीं समझ पाई कि क्या कह रही है वो पर अब धीरे-धीरे कामया को मजा आने लगा था गरम-गरम पानी में वो सीधा बैठी थी पर हर एक हाथ उसके शरीर में घूम घूमकर उसके हर एक अंग को छूकर उसे थोड़ा सा रगड़कर साफ करती जा रही थी इतने सारे हाथों ने एक साथ कामया को कभी नहीं छुआ था हर एक हथेली अलग अलग प्रकार का स्पर्श कर रही थी कोई सहलाकर तो कोई रगड़कर तो कोई थोड़ा सा छेड़ कर कामया को नहलाने की कोशिश कर रहा था कोई आवाज नहीं हो रही थी सिर्फ़ और सिर्फ़ कल कल की एक मधुर आवाज जो की पूरे कमरे में गूँज रही थी कामया ने धीरे से अपनी आखें बंद करली थी पास में ऊपर बैठी मनसा उससे कुछ कुछ कहती जा रही थी जैसे उसे डाइरेक्ट कर रही हो 

कामया अब तक थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी जहां तहाँ हाथों का घूमना अब उसे अच्छा लगने लगा था अब तक उसके शरीर ने सिर्फ़ मर्दाना हाथों का स्पर्श ही जाना था पर आज महिलयो के स्पर्श से उसे एक नई बात का पता चला था कि कितना नरम और सुखद स्पर्श था यह कितना जाना पहचाना और बिना किसी जिग्याशा लिए हुए हर कोने को इस तरह से साफ कर रही थी जैसे की तरस रही थी एक अजीब सी उत्तेजना कामया के अंदर जनम लेने लगी थी जाँघो के साथ-साथ जब कोई उंगलियां उसे योनि में टच होती थी तो एक सिसकारी सी उसके मुख से निकल जाती थी पर वहां खड़े किसी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था पानी में बैठी हुई कामया ने अपने दोनों बाहों को फैला रखा था या कहिए उन महिलाओ ने ही उसे ऐसा करने को मजबूर कर दिया था 

बाहों के साथ-साथ उसकी चुचियों तक को अच्छे से धीरे-धीरे सहलाकर साफ करती जा रही थी वो उसके दोनों ओर बैठी महिलाए बिना किसी संकोच के उसके हर अंग को इस तरह से छू रही थी कि जैसे कोई मूर्ति हो या फिर कोई चीज हो कामया जिसे उन्हें सॉफ और सुंदर बनाना था इसी तरह से महिलाओं ने कामया को इस तरह से मसलना और छुना शुरू किया था क़ी कामया पहले तो थोड़ा सा नियंत्रण में थी पर धीरे-धीरे अपने आपको भूलने लगी थी और उन्ही के सुपुर्द अपने शरीर को धीरे-धीरे उनकी हरकतों के अनुरूप और उसके छूने के अनुरूप अपनी उत्तेजना को और भी आगे की ओर ले जाने लगी थी कोई उसके शरीर को इस तरह से छुए तो क्या वो रुक सकती थी वह फिर कंट्रोल कर सकती थी क्या जहां एक नजर के आगे वो झुक जाती थी और एक स्पर्श के आगे वो अपने आपको सुपुर्द कर देती थी वही जब इतने सारे हाथों का स्पर्श उसके शरीर में होने लगा तो वो अपने आपको और संभाल नहीं पाई थी और धीरे-धीरे उसके शरीर में अंगड़ाई भरने लगी थी अब तो उसकी टांगे भी थोड़ा इधर उधर होने लगी थी और जैसे ही उसकी चुचियों को कोई छूता था तो वो खुद थोड़ा सा आगे होकर अपनी चुचियों को उसकी हथेली तक पहुँचाने की कोशिश करने लगी थी 

कामया का शरीर अब उसके नियंत्रण में नहीं था अब उसपर उत्तेजना हावी होती जा रही थी उसके हर अंग में एक अजीब सी कसक और मदभरी और मस्ती का रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा था पर वहां बैठी महिलाए इस बात से अंजान थी शायद किसी को भी कामया का हाल पता नहीं था या कहिए उन्हें सब पता था और वो कर भी इसीलिए रही थी जो भी हो कामया अब जाग सी गई थी आखें खोलकर हर महिला की ओर देखने लगी थी बड़ी-बड़ी आँखों वाली कामया के देखने में भी एक ललक थी जैसे कह रही हो और करो और कामया के साइड में बैठी दोनों महिलाए उसकी बाहों को एक सफेद कपड़े से घिस रही थी और कभी-कभी वही कपड़ा उसके बगल से होता हुआ उसकी चुचियों तक पहुँच जाता था एक लहर सी दौड़ जाती थी उसके अंदर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से वो उस महिला की ओर देखती थी पर वो तो चुपचाप अपने काम को अंजाम दे रही थी कामया की जाँघो के पास बैठी दो महिलाए भी इसी तरह से अपने हाथों में लिए तौलिया के टुकड़े से उसकी जाँघो से लेकर पैरों के नीचे तक घिस घिस कर साफ कर रही थी पर जैसे ही वो ऊपर की ओर उठ-ती थी उसकी उंगलियां उसकी योनि को छूती थी कामया एक बार तो गहरी सांस लेकर चुप हो जाती थी पर अब तो जैसे वो उठकर उन्हें और आग भड़काने को उकसाने लगी थी उसने धीरे-धीरे से अपनी जाँघो को उठा लिया था और अपनी खुली हुई बाहों को भी थोड़ा सा अपने पास तक मोड़कर ले आई थी 
मनसा- अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दे रानी साहिबा 
कामया- हाँ… आआआआआआअ 

मनसा- बिल्कुल कुछ ना सोचे यह सब इसकाम में निपुण है आपको कोई दिक्कत ना होगी रानी साहिबा 

कामया- हमम्म्ममम 
और अपने पास बैठी, हुई महिला के गले में अपनी बाँहे डाल दी थी कामया ने और अपने पास खींचने लगी थी उस महिला ने भी कोई आपत्ति नहीं की और खींचकर कामया से सट कर बैठ गई थी और वही धीरे-धीरे अपने हाथों से कामया की चुचियों के बाद उसके पेट तक गीले कपड़े से साफ करती जा रही थी कामया अपनी दोनों बाहों को खींचने लगी थी और उसके अंदर पास में बैठी हुई महिलाए भी आने लगी थी कामया के खींचने से कोई फरक नहीं पड़ा था उन दोनों को बल्कि खींचकर उसके पास आने पर भी वो अपने काम में ही लगी रही थी बल्कि और ज्यादा ही इन्वॉल्व हो कर लगता था की जैसे रानी साहिबा को उनका काम पसंद आया था इसलिए अपने पास खींचा था पर यहां तो कहानी कुछ और थी कामया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि उसे अब बस कुछ ऐसा चाहिए था कि उसे शांत कर सके पर यहां जो था वो कामया के लिए पर्याप्त नहीं था 


अपनी बाहों में भरे हुए दोनों महिलाओं का चेहरा उसके बहुत पास था और उसकी साँसे एक-एक कर उसके गर्दन घुमाने से उसके ऊपर पड़ रहा था पर वो तो एक कट्पुतली की तरह अपने काम में लगी हुई थी पर पास या कुंड के ऊपर बैठी हुई मनसा यह सब ध्यान से देख रही थी और अब वो धीरे से कामया के पास सरक आई थी और अपने हाथों को जोड़ कर ऊपर से ही कामया के गालों पर रख दिया था और धीरे से सहलाने लगी थी आग में घी का काम करने लगा था यह कामया का चेहरा धीरे से ऊपर उठा था होंठ खुले हुए और आखें बंद थी उसकी पर हर अंग जाग चुका था अपने सामने इस तरह के लोग उसने जीवन में पहली बार देखे थे और उनके हाथों का कमाल भी पहली बार ही एहसास किया था कोमल पर सधे हुए हर स्पर्श में एक जादू सा छा रहा था कामया के अंदर एक अजीब सी कसक को जनम दे रहे थे और एक उत्तेजना को जनम दे रहे थे 

कामया के चहरे पर जो हाथ मनसा का घूम रहा था वो भी सधे हुए तरीके से अपना काम कर रहे थे गालों से लेकर गले तक और फिर थोड़ा सा नीचे की ओर पैरों के पास बैठे हुए दोनों महिलाए टांगों से लेकर जाँघो तक हाथों के फेरते हुए उसके योनि और गुदा द्वार को कभी-कभी छेड़ देते थे योनि के अंदर एक गुदगुदाहट होने लगी थी पानी के अंदर ही पानी की बोछार होने लगी थी कामया अपने को और नहीं रोक पाएगी वो जानती थी वो भूल चुकी थी कि वो अश्राम में है और उसके पास दस दासियाँ उसे नहला रही है एक के बाद एक अजीब तरह की आवाजें उसके होंठों से निकल रही थी उत्तेजना से भरी मादकता से भरी और हर एक आवाज में एक नयापन लिए हुए मंद आखों से कामया अपने चारो ओर बैठी हुई औरतों को देखती भी थी और उन्हे अपने पास खींचती भी थी वो सारी औरते कामया के हर खिचाव के साथ अब कामया से सटी हुई थी और अपने काम में लगी हुई थी कि जाँघो के पास बैठी हुई दोनों औरतों ने बारी बारी से उसकी योनि को छेड़ना शुरू कर दिया था और पास में बैठी हुई दोनों औरतों ने कामया की चुचियों को धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया था कभी-कभी उसके निपल्स को भी दबाकर उन्हें साफ करती जा रही थी कामया के मुख से आवाज जो की थोड़ा सा हल्का था अब तक वो और तेज होने लगी थी हाथ पाँव कसने लगे थे 

कामया- हमम्म्ममम आआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़ 

मनसा- ढीला छोड़ दीजिए रानी साहिबा अपने शरीर को हर अंग को धोना और साफ करना जरूरी है आराम से बैठ जाइए आप और हमें अपना काम करने दीजिए बिल्कुल संकोच ना कीजिए 

कामया- पर अजीब सा लग रहा है हमम्म्मम सस्स्स्स्स्शह, 

मनसा- लगने दीजिए रानी साहिबा सब ठीक हो जाएगा 

कामया- खूब अजीब सा सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स लग रहा, आआआह्ह 

मनसा- कुछ नहीं है रानी साहिबा आपके शरीर के अंदर का ज्वर है ढीला छोड़ दीजिए निकल जाएगा और ढीला छोड़ दीजिए अपने शरीर को 

कामया ने अब अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया था पर उत्तेजना के शिखर पर पहुँचे हुए इंसान को क्या कुछ सूझता है योनि के अंदर तक धीरे-धीरे उन दोनों ने अपनी उंगली पहुँचा दी थी वो भी एक के बाद एक ने और धीरे-धीरे और अंदर तक उसके अंतर मन को छेड़ती हुई सी वो कैसे ढीला छोड़ दे 

पर कामया का कोई बस नहीं था अपने ऊपर वो कुछ नहीं कर सकती थी तभी उसके चेहरे को सहलाती हुई मनसा की उंगलियां उसके होंठों को छूकर जैसे ही आगे बढ़ती कामया ने झट से उसकी उंगली को अपने होंठों से बढ़ा लिया था और अपनी जीब से उसे चूसने लगी थी दोनों बाहों में भरे हुए साथ में बैठे हुए दसियो को भी कस्स कर जकड़ लिया था अपनी बाहों में ताकि वो उसकी सांसो के करीब रहे और जाँघो को और खोलकर दोनों पैरों के पास बैठी हुई दासियों के लिए अपने द्वार को खोल दिया था और थोड़ा सा कमर को उँचा कर लिया था 

किसी को कोई आपत्ति नहीं थी और सभी अपने काम को अंजाम तक पहुँचाने की कोशिश में थे और बहुत जल्दी में भी नहीं थी थी जल्दी तो सिर्फ़ कामया को जल्दी और बहुत जल्दी 

अचानक ही उसने अपनी दोनों बाहों से अपने पास बैठी दासियों को अलग किया और पैर के पास बैठी दासियों की कलाईयों को पकड़ लिया था और होंठों से मनसा की उंगलियों को आजाद करते हुए उन्हें कस कर अपनी जाँघो के पास खींच लिया था और अजीब सी उत्तेजना से भरी आवाजें निकलने लगी थी लगता था कि जैसे अब वो उनकी कलाईयों को पकड़कर अपने तरीके से ही अपने आपको संतुष्ट करना चाहती थी 
पर जैसे ही आगे की ओर हुई 
मनसा- रानी साहिबा आप आराम से बैठिए हमें बताइए और बिल्कुल चिंता मत कीजिए 

कामया- हमम्म्म और प्लेआस्ीईईईई उूुुुउउफफफफफफफफफ्फ़ 
और फिर कामया के कंधों को हल्के से पकड़कर मनसा ने उसे फिर से कुंड के किनारे से सटा लिया था और उसके कानों के पास आके धीमे से बोली 

मनसा- रानी साहिबा निकलने दीजिए अपने अंदर की उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजिए कोई चिंता मत कीजिए यहां सब आपकी दस और दासियाँ है इस कमरे के बाहर कोई बात नहीं जाएगी सिर्फ़ हुकुम कीजिए रानी साहिबा 

कामया- उूउउफफफ्फ़ जोर-जोर से करो उूउउम्म्म्मम 

दोनों पास में बैठी हुई दासिया अपने आप अपने काम में लग गई थी अपने हाथों को एक बार फिर से उसकी जाँघो पर से सहलाते हुए उसकी योनि तक पहुँचते हुए उसके अंदर तक पहुँचने की कोशिश फिर से शुरू हो गई थी अब तो, उसके हाथ उसके नितंबू के नीचे तक जाके लगता था की जैसे उसे उठानेकी कोशिश भी कर रही थी कामया को कोई चिंता नहीं थी पास में बैठी हुई मनसा उसके गालों से लेकर गले तक फिर से सहलाने लगी थी और धीरे-धीरे उसके चेहरे पर अपनी सांसें छोड़ती हुई उसे नसीहत भी देती जा रही थी 

मनसा- छोड़ दीजिए रानी साहिबा सब चिंता छोड़ दीजिए कुछ मत सोचिए कुछ नहीं होगा सबकुछ यही है और सभी कुछ आपके अंदर है उसे निकलने दीजिए इस उत्तेजना को दबाइए नहीं निकलने दीजिए 

कामया- उउउफफफ्फ़ प्लीज और अंदर तक करो और अंदर तक 

और अपने दोनों पास बैठी हुई दासियों को अपनी बाहों में एक बार फिर से भरकर अपनी चुचियों के पास खींचने लगी थी उन्होंने भी कोई देर नहीं की जैसे उन्हें पता था कि क्या करना है दोनों ने कामया की कमर के चारो ओर अपने हाथों को रखकर उसे सहलाते हुए अपने होंठ उसकी चुचियों पर रख दिए और पहले धीरे फिर तेज-तेज अपनी जीब से चुबलने लगी थी कामया का शरीर एक फिर अकड़ गया था और खींचकर पानी के ऊपर की ओर हो गया था नीचे बैठे हुए दोनों दासियों ने उसे उठा लिया था और फिर तो जैसे कामया पागल सी हो गई थी 

पैरों के पास बैठी दासिया एक-एक करके उसके जाँघो के बीच में आ गई थी और उसके दोनों जाँघो को बात कर अपने एक-एक कंधे पर लेकर लटका लिया था नितंब के पास अपने हाथों से कामया को उठा रखा था और अपने होंठों को उसके योनि के पास लाकर उसे धीरे-धीरे चाट्ती हुई उसे शांत करने की कोशिश करने लगी थी कामया छटपटा उठी थी 
कामया- आआआआअह्ह उम्म्म्म जल्दी प्लीज 

और अपना मुख उठाकर मनसा की ओर देखने लगी थी मनसा ने भी देरी नहीं की और झुक कर अपने होंठ को कामया के सुपुर्द कर दिया था कामया पागलो की तरह से उसके होंठों पर टूट पड़ी थी और अपनी जीब को घुमा-घुमाकर उसके होंठों को और फिर उसकी जीब तक को पकड़कर अपने होंठों के अंदर तक खींच लिया था नीचे की ओर लगी हुई दोनों दासिया उसके बूब्स को अच्छे से चूस रहे थे और एक के बाद एक चुचियों को अच्छे से दबाते हुए उनके निपल्स को अपने होंठों में लेकर चुबलते हुए उसकी कमर से लेकर पेट से लेकर पीठ तक सहलाते हुए ऊपर-नीचे हो रहे थे और जाँघो के बीच बैठी दासिया तो अपने काम में निपुण थी ही एक के बाद एक अपनी जीब घुसा घुसाकर कामया की योनि को साफ करते जा रहे थे और कामया के अंदर के ज्वर को शांत करने की कोशिश करती जा रही थी 

कामया छटपताती हुई अपनी जाँघो को और पास खींचती हुई 
कामया- उूुउउम्म्म्म बस और नहीं और अंदर तक चूसो और अंदर, तक जोर-जोर से प्लीज हमम्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह आआआआआआआअह्ह 
और उसका शरीर एकदम से आकड़ कर ढीला पड़ गया था और सिसकारियों से भरे हुए उस कमरे में एकदम से शांति छा गई थी कामया निढाल होकर अपने शरीर का पूरा भार उन दासियों के ऊपर छोड़ दिया था मनसा अब भी कामया के होंठों पर झुकी हुई थी और चारो दासिया अब भी उसकी चूचियां और योनि को अंदर तक साफ करने में अब भी लगी हुई थी पर कामया थक कर निढाल होकर पस्त होकर अपने शरीर को ढीला छोड़ कर उसके ऊपर ही लेटी हुई थी और सभी को खुली छूट दे दी थी की कर लो जो करना है 

थोड़ी देर में ही सभी नार्मल हो गये थे और कामया को छोड़ कर अलग हो गये थे 

मनसा- आइए रानी साहिबा अब तेल से मालिश के लिए तैयार हो जाइए 

कामया- नहाने के बाद तेल से मालिश … … 

मनसा- अभी स्नान कहाँ हुआ है अभी तो सिर्फ़ आपके शरीर को गीला भर किया है अभी तो मालिश होगी फिर उबटन लगेगा फिर उबटान को तेल से छुड़ाया जाएगा फिर स्नान होगा रानी साहिबा 
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06-10-2017, 03:25 PM,
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एक बड़ा सा कपड़ा लिए खड़ी थी मनसा शायद उसे ढकने के लिए कामया अब थोड़ा सा बिंदास होने लगी थी वो भी एक झटके में उठी और नग्न अवस्था में ही से बाहर निकलकर मनसा के पास पहुँच गई थी 

पीछे-पीछे वो दासिया भी बाहर निकल आई थी और सिर झुकाए हुए धीरे-धीरे चलते हुए बाहर की ओर जाने लगी थी मनसा ने कामया को उस बड़े से कपड़े में लपेट लिया था पर कामया की नजर उन जाने वाली दसियो पर थी सभी वही सफेद कपड़ा पहने हुए थी पर पानी से वो कपड़ा उसके शरीर से चिपक गया था और 
उनका पूरा शरीर साफ-साफ दिख रहा था पर एक बात जो उसने देखी थी कि अभी-अभी जो कुछ भी घटा था उसका कोई जिकरा या कोई निशान तक उनके चेहरे पर नहीं था ना मनसा के ही चहरे पर कोई चिन्ह था 


कामया ने भी कुछ ना कहते हुए एक बार मनसा की ओर देखा मनसा ने उसे आगे बढ़ने को कहा एक के बाद एक पर्दे को छोड़ कर वो थोड़ा सा आगे बढ़े थे तो वहाँ कुछ अजीब सा स्मेल था और एक कुंड बना हुआ था और उसपर एक काला ग्रनाइट पत्थर आरपार रखा हुआ था कुछ काला था और उसपर तैरता हुआ जल भी काला था 

साफ था कमरे में कोई नहीं था पर जैसे ही कामया और मनसा उस कमरे में पहुँचे थे एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 5 बोनी सी महिलाए निकलकर कुंड की ओर बढ़ी थी बड़े ही अजीब तरह का ड्रेस था कमर से कसा हुआ था कुछ कुछ जांघीए की तरह से और ऊपर सिर्फ़ एक कपड़ा बड़े ही टाइट तरीके से बँधा हुआ था 

कुछ ना कहते हुए एक बार कामया की ओर नतमस्तक होते हुए धीरे से कुंड में फिसलती हुई सी उतरगई थी सभी जैसे उन्हें सब पता था कि क्या करना है उतरते ही कुछ तेल सा लेकर अपने हाथों पर घिसने लगी थी और सिर झुकाए खड़ी रही 
मनसा- आगे बढ़िए रानी साहिबा 

कामया थोड़ा सा आगे बढ़ी तो मनसा उसके पास आके उसके ऊपर के कपड़े को हटा दिया था एक बार फिर पूरे कमरे में नग्न अवस्था में खड़ी थी नहाने के बाद उसका शरीर चमक रहा था और कही कही पानी की बूँद अब तक रुका हुआ था सुडोल और तराशे हुए शरीर का हर कोना देखने लायक था लंबी-लंबीटाँगें गोल होती हुई जब कमर तक जाती थी और जाकर फेल कर नाभि में उतर जाती थी तो उूउउफफ्फ़ चिपका हुआ सा पेट और फिर उसके ऊपर गोल गोल उभरे 
तने हुए निपल्स के ऊपर होते हुए गले के बाद गाल और फिर आखें तना हुआ सा सिर कयामत था उस समय कोई भी पुरुष उसे इस अवस्था में देखकर रोक नहीं पाता अपने आपको (मे तो नहीं ), थोड़ा सा सकुचा कर एक बार मनसा की ओर देखती हुई कामया आगे बढ़ी थी 

मनसा- किनारे पर बैठ जाइए रानी साहिबा फिर धीरे से नीचे सरक जाइए 

कामया ने यही किया किनारे पर बैठते ही धीरे से उस ग्रनाइट पर से फिसलती हुई और उन बोनी महिलाओं का सहारा लिए वो उस कुंड में धीरे से सरक गई थी अभी भी उसी प्लॅटफार्म पर ही बैठी थी कुछ गरम-गरम सा तेल था उन महिलयो ने उसे घुमाकर वापस उसके पैर को किनारे की ओर कर दिए थे और एक गोल सा तकिया रब्बर का था शायद उसके सिर के नीचे रख दिया था 

मनसा- आराम से लेट जाइए आप और इन्हें अपना काम करने दे बिल्कुल भी चिंता ना करे इन्हें सब आता है और बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपने आपको 

कामया थोड़ा सा सहज हो चुकी थी अब उसे पता था कि उसे क्या करना था बस चुपचाप लेट गई थी और उन बोनी महिलयो को देख रही थी पर वो महिलाए कोई भी शिकन और नहीं कोई उत्सुकता लिए हुए कामया को शून्य की तरह निहार रही थी शायद उसके मन में कोई इच्छा नहीं थी या फिर वो अपने काम में इतना इन्वॉल्व थी की उनके पास समय ही नहीं था यह सब सोचने का 

कामया भी निसचिंत होकर एक बार इसको और एक बार उसको देखती हुई चुपचाप लेटी हुई थी कामया का शरीर का कुछ हिस्सा तेल में डूबा हुआ था और बाकी का हिस्सा ऊपर था वो औरते एक-एक कर अपने हाथों में तेल लगाकर धीरे से कामया के शरीर का स्पर्श किया छोटे छोटे हाथों में छोटी-छोटी उंगलियां और वो भी पत्थर के समान सख्त थे पर अपने काम में निपुण थे छूते ही उसकी उंगलियां कामया के शरीर में घूमने लगी थी जैसे किसी पिनो के टब्स को छेड़ रहे हो कामया के हाथों से लेकर बाहों तक और पैरों की उंगलियों से लेकर उसकी पिंदलियो तक उनकी उंगलियां घूमने लगी थी अभी-अभी कामया ने अनुभव किया था वो एक बार फिर जागने लगा था तेल में कुछ था जो कि उसके शरीर को छूते ही एक गुदगुदाहट पैदा करने लगा था उसके शरीर में और फिर इन हुनर से भरी हुई औरतों की उंगलियां बाकी का कमाल कर रही थी सिर के पास खड़ी हुई महिला उसके बालों को अच्छे से तेल से भिगो रही थी और धीरे धीरे उसके सिर की मालिश करना शुरू कर दिया था उसके हाथों में जादू था एकदम से कामया की आखें बंद होने लगी थी तेल का भारीपन और उस महिला के हाथ का स्पर्श इतना सुखद था की कामया अपने आप ही आखें बंद करती चली गई थी साइड में खड़ी हुई महिलाए एक-एक करके उसकी हाथों की उंगलियों को धीरे-धीरे तेल में डुबो कर उनकी मसलिश करती जा रही थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए, उसकी टांगों का हर हिस्सा उनके सुपुर्द था कामया के मन में एक अजीब तरह की शांति थी कामया को कोई चिंता और कोई भी हिचक नहीं था उसके अंदर अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था उसने उसे अब यह अच्छा लगने लगा था वैसे भी सभी जो भी अब तक उसे मिला था उसे उसके नंगे पन से कोई एतराज नहीं था और नहीं शायद उसके लिए यह कोई नया था इसलिए कामया भी सहज होने में ज्यादा देर नहीं लगी वो लेटी हुई उबकी उंगलियों का स्पर्श अपने शरीर के हर हिस्से में महसूस करती रही और अपने अंदर धीरे धीरे उठ-ते हुए उफान को भी दबाने की कोशिश करती रही पर ज्यादा देर तक नहीं 


उसके मुख से धीरे-धीरे और मध्यम सी सिसकारी निकलने लगी थी एक नई उर्जा उसके अंदर जनम लेती जा रही थी सिसकारी के साथ-साथ हर अंग के अंदर फिर से एक आग भड़कने लगी थी कामया के अंगो के साथ जिस तरह से वो महिलाए खेल रही थी या कहिए मसल रही थी उससे उसके जेहन में उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी कामया के मुख से सिसकारी अब धीरे-धीरे आह्ह्ह में बदलने लगी थी और हाथ पाँव भी चलने लगे थे उसके उठने और गिरने से साथ में मालिश कर रही महिलाए भी थोड़ा सा बिचलित सी दिखाई दी पर शायद उन्हें आदत थी इसकी 


कामया के पूरे शरीर में धीरे-धीरे अकड़न सी भरती जा रही थी सिर पीछे की ओर होने लगा था और हाथ पास खड़ी हुई महिलाओं के शरीर को छूने की कोशिश करने लगी थी अब तो उन महिलाओं के हाथ भी उसके नाजुक अंगो तक पहुँच गये थे पास खड़ी हुई दोनों महिलाए उसके सीने पर उसके गोल गोल चुचो को धीरे से मसलती हुई और पेट तक का हिस्सा अपने कब्ज़े में ले चुकी थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए उसकी जाँघो से लेकर उसकी योनि तक फ्रीली अपने हाथों को घुमा रही थी उंगली छूती जरूर थी पर सख्त थी और कोई नाजूक्ता नहीं थी उनमें योनि की दरार पर उनकी उंगलियां तेल की मालिश करते हुए धीरे से ऊपर की ओर उठ जाती थी और फिर से एक बार घूमकर योनि में धीरे से सहलाकर नीचे की ओर उतर जाती थी 


कामया इस हरकत पर एक सिसकारी छोड़ती हुई अपने शरीर को मोड़कर हर हरकत का जबाब देती जा रही थी 
धीरे-धीरे उन महिलयो के मालिश के तरीके में थोड़ा सा चेंज आने लगा था अब वो कामया के शरीर के अंदूनी पार्ट या कहिए उसके सीक्रेट पार्ट्स को आजादी से छूने लगे थे नीचे की महिलाए तो कुछ ज्यादा ही उनकी उंगलियां योनि के दोनों पार्ट्स को कुछ ज्यादा ही खोलकर उसके अंदर तक तेल लगा रही थी तेल से कामया का पूरा शरीर चमक रहा था एक-एक अंग में तेल ने वो खेल रचा था कि अगर कोई देख लेता तो शायद अपने आपको रोक नहीं पाता उस ब्लैक ग्रनाइट के प्लॅटफार्म में लेटी कामया एक अप्सरा के समान लग रही थी काले रंग के ग्रनाइट पर दूध के समान गोरी और तेल में डूबी हुई कामया सच में किसी आलोकिक सुंदरता का प्रतीक ही लग रही थी और उसपर उत्तेजना की जो लहर उसके अंदर जनम ले रही थी वो उसे कही का नहीं छोड़ रही थी उसके शरीर का मचलना अब भी बरकरार था इधर उधर होते हुए वो अपनी कमर को उठा देती थी तो कभी अपने सिर को कभी साथ में खड़ी हुई महिला को खींच लेती थी तो कभी अपने सिर के पास खड़ी हुई महिला के पेट में सिर टिका लेती थी कुछ ऐसी ही हालत थी उसकी जब भी नीचे खड़ी हुई महिला उसकी योनि के आस-पास भी छूती थी तो एक लंबी सी सिसकारी उस कमरे में फेल जाती थी

कामया के पैर अपने आप खुलते और बंद होने लगे थे जाँघो के खुलने और बंद होने से उन महिलाओं को थोड़ा सा अड़चन होती थी पर फिर तो जैसे उन महिलाओं ने ही अपने हाथों में सबकुछ ले लिया था जो काम अब तक धीरे-धीरे और नजाकत से चल रहा था वो एक अग्रेसिव हो गया था दोनों महिलाए जो की उसके पैरों के पास खड़ी थी अचानक ही उसके ऊपर आगई थीऔर हाथों के साथ-साथ अपने शरीर को भी कामया के शरीर पर घिसने लगी थी बोनी होने के कारण वो कामया की जाँघो से ऊपर तक नहीं आपाती थी और साथ में खड़ी हुई महिलाए भी उसके ऊपर चढ़ गई थी और एक एक कर उसके चूचो पर कब्जा जमा लिया था 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया अब चार महिलाओं को अपने ऊपर लिटाए हुए थी साइड की महिलाए अपनी जाँघो के बीच में उसके हाथों को कस्स कर पकड़े हुए उसके चुचों से लेकर नाभि तक हाथों से और अपने शरीर से मालिस कर रही थी और पैरों के पास की महिलाए उसकी टांगों से लेकर जाँघो तक का सफर तय कर रही थी पर एक बात जो अलग थी वो थी उसकी योनि के अंदर तक वो महिलाए एक के बाद एक करके अपनी उंगलियां डालकर उसकी मालिश कर रही थी और धीरे-धीरे उसके गुदा द्वार को भी छेड़ रही थी कामया के अंदर उठ रहे तूफान को एक नई दिशा दे रही थी कामया की हालत बहुत खराब थी और वो अपने ऊपर की महिलाओं को कभी कस कर पकड़ने की कोशिश करती तो कभी लंबी-लंबीसांसों को छोड़ती हुई नीचे की ओर देखने की कोशिश करती पर उन महिलाओं को इससे कोई फरक नहीं पड़ता था वो अपने काम में लगी हुई थी चम्मचमाती हुई सी कामया उत्तेजित सी और अपने में काबू ना रख पाने वाली कामया के साथ अचानक ही एक साथ दो काम अचानक ही हुए 

नीचे की महिलाओं की उंगलियां जो कि अभी तक उसकी योनि को छेड़ भर रही थी अचानक ही तेल से डूबी उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उसकी योनि के अंदर तक उतरने लगी थी कामया की जाँघो को खोलकर वो महिलाए किसी पक्के खिलाड़ी की तरह अपनी छोटी और आसक्त कलाईयों को धीरे-धीरे उसकी योनि में घुसाने की कोशिस करने लगी थी कामया ने एक लंबी सी सिसकारी ली और जहां तक हो सके अपनी जाँघो को फैलाकर उसे रास्ता दिया था 


पर एक साथ पीछे से भी उसके अंदर तक जाने की कोशिस ने उसे आचरज में डाल दिया था वो कुछ समझती, इससे पहले ही उसके गुदा द्वार पर एक आक्रमण और हो गया था तेल में डूबा उसका शरीर इतना मुलायम और फिसलता हुआ सा था की लगता था कि जहां जो घुसाओ वो वही घुस जाएगा और हुआ भी यही धीरे-धीरे योनि के साथ साथ उन महिलाओ की उंगलियों के साथ-साथ कलाईयों तक का सफर इतना आराम से हो जाएगा इसकी उम्मीद कामया को नहीं थी पर कामया को दर्द का नामो निशान नहीं था पता नहीं क्यों पर उसे यहां काम अच्छा लग रहा था उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपनी उत्तेजना को छुपाने की कोशिश छोड़ दी थी उसने और अपनी दोनों जाँघो को खोलकर पत्थर तक ले आई थी वो ले आई थी नहीं शायद उन महिलाओं ने ही किया होगा और योनि के साथ साथ उसके गुदा द्वार के अंदर तक की मालिश होने लगी थी उत्तेजना के शिखर की ओर भागती हुई सी कामया अपने ऊपर के शरीर पर चिपटी हुई महिलाओं को कस्स कर पकड़ी हुई सी सिसकारी के साथ साथ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह धीरे-धीरे चीत्कार भी लेने लगी थी उसकी चीत्कार में एक अलग ही बात थी जैसे उत्तेजना के और आनंद के असीम सागर डुबकी लगा रही हो पूरा कमरा एक दम से आह्ह और सिसकारी से भर उठा था और महिलाओं का काम चालू था ऊपर की महिला कामया के चहरे को सहारा दिए हुए उसके कानों से लेकर गले तक सहालती हुई और कभी-कभी चूचियां की भी मालिश करती हुई ऊपर की ओर चली जाती थी 
और सीने तक का सफर करती महिलाए उसकी चूचियां को निचोड़ती हुई उसके निपल्स को उमेठ-ती हुई उसके पेट तक का सफर करती रही और नीचे की महिला अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में रखती हुई उसके गुदा द्वार और योनि के अंदर और अंदर तक उतरती जा रही थी एक असहनीय स्थिति बना दी थी उन्होंने कामया के लिए 

कामया- उूउउम्म्म्म उूुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ 
मनसा- आराम से रानी साहिबा बस हो गया है रोकिए नहीं अपने आपको जो हो रहा है उसे होने दीजिए काया कल्प के लिए यह जरूरी है होने दीजिए 

कामया- प्लीज यह क्या उूुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ 

दोनों महिलाए जो कि उसके नीचे की ओर थी अचानक ही उनके हाथों की स्पीड बढ़ने लगी थी योनि के साथ-साथ गुदा द्वार पर भी छोटी-छोटी कलाइयाँ तेल से डूबी हुई थी और आराम से अंदर-बाहर होते हुए कमाया को एक पर लोक की सैर कराने लगी थी कामया को भीमा की याद आ गई थी उसने एक बार उसके वहां पर अपने उंगलियों से कोशिश किया था पर पता नहीं था कि इतना मजा आता है वहाँ कामेश ने आज तक वहां कुछ भी नहीं किया था 


आकड़ी हुई सी कामया चीत्कार करती हुई कब और कैसे चढ़ गई पता भी नहीं चला था पर उन महिलाओ को इससे कोई फरक नहीं पड़ा था वो अब भी कामया के अंदर तक अपनी कलाईयों तक के हाथों को पहुँचा कर उसकी मालिश में लगी हुई थी कामया का पूरा शरीर एक बार फिर सिथिल पड़ गया था पर उन महिलाओं पर जैसे कुछ फरक ही नहीं था वो अब भी लगातार उसके साथ वही क्रिया दुहरा रही थी जो चल रहा था कामया थकि हुई सी लंबी-लंबी सांसें लेती हुई अपने शरीर को ढीला छोड़ कर लेट गई थी हर अंग ढीला पड़ा हुआ था जैसे उसके शरीर में कोई ताकत ही नहीं बचा था ऊपर की महिलाओं को जब लगा की कामया सिथिल पड़ चुकी है वो धीरे से उसके ऊपर से हटी थी और नीचे खड़ी हो कर कामया को फिर से अपने हाथों से घिसने लगी थी 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
नीचे की महिलाए भी अब धीरे से नीचे उतरने लगी थी और अपने हाथों को भी धीरे से निकाल लिया था 
और फिर सबने मिलकर कामया पलट दिया था गोल तकिये पर अब उसका सिर नीचे की और था पर इस बार पीठ के साथ-साथ उसकी कमर तक का सफर फटा फट होने लगा था वही निपुणता और वही कला से भरी हुई उंगलियों का स्पर्श जैसे कोई प्यानो बजा रहा था पर जो चीज अलग था वो था उसके पेट के नीचे की ओर लगता हुआ एक गोल तकिया और आ गया था उससे उसके नितंब एकदम से ऊपर की ओर उछल गये थे नीचे की महिलाओं ने कोई समय वेस्ट नहीं किया और तेल में डूबे हुए हाथों से एक बार फिर से उसकी योनि और गुदा द्वार पर टूट पड़ी थी कोई ओपचारिकता नही थी इस बार कोई पहले जैसा धीरे-धीरे और समय लेकर छेड़ते हुए आगे बढ़ने का अचानक ही दो उंगलियां उसके दोनों द्वारो को खोल कर धीरे-धीरे उंगलियां फिर एक-एक करके दो टीन और फिर पूरा का पूरा हाथ उसकी योनि में और उसके गुदा द्वार के अंदर धीरे से उतरता चला गया था एक बार फिर से कामया मुँह उठा कर सांसें लेने लगी थी तेल में जरूर कुछ था जो की उसे इतना मुलायम और आसानी से इतने बड़े काम को अंजाम देने में मदद कर रहा था वो कुछ नहीं कह पाई थी बस् सिसकारी के साथ-साथ अपने अंदर उठ रहे समंदर के साथ-साथ हिचकोले लेने लगी थी उसके अंदर की शरम हया झिझक सब एक बार में खतम हो गया था वो एक परीलोक की सैर पर निकल पड़ी थी जहां सिर्फ़ और सिर्फ़ आनंद ही आनंद था और कुछ नहीं हर उत्तेजना का अंत था और वो भी अलग तरह का 


कामया ने अपने आपको इस कदर उस खेल में डूबा लिया था कि वो भूल चुकी थी कि वो कामेश की पत्नी है और एक बड़े घर की बहू पर अभी जो कुछ भी हो रहा था वो एक सुखद अनुभूति थी उसका अंत नहीं होना चाहिए कभी भी नहीं वो अपनी कमर को और उँचा उठाने लगी थी और उन महिलाओं को और भी आसानी से अंदर तक जाने का रास्ता देने लगी थी वो महिलाए अपने काम मे निपुण थी उन्हे कोई कठिनाई नही हुई थी कामया के अंदर तक उतरने में उसके हाथ एक मशीन की तरह से कामया की योनि और गुदा द्वार के अंदर-बाहर हो रहे थे, और कामया के अंदर तक हिलाकर रख देते थे कामया जो की अभी-अभी झडी थी एक बार फिर से इस तरह से करने में झड़ने के पास पहुँचने लगी थी उसकी उत्तेजना एक बार फिर शिखर की ओर दौड़ने लगी थी वो एक पागल हिरनी की तरह से अपने आपको रोकने की कोशिस करती जा रही थी 


पर उसके हाथों से एक-एक कर हर चीज को फिसलती हुई वो लेटी लेटी देखती ही रह गई हाथों का करिश्मा एक बार फिर से स्वर्ग ले आया और कामया का शरीर फिर से शीतल हो गया था सांसों को नियंत्रित करती हुई कामया वही वैसे ही रही कब तक पता नहीं पर धीरे से उसे उठाया गया यह उसे पता था और फिर एक सफेद सा बड़ा का कपड़ा उसके चारो ओर लपेट दिया गया था और सामने एक बड़ी सी कुर्सी जिसके कि आगे और पीछे की और दो बड़े से डंडे लगे हुए थे उसके सामने था मनसा की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी 

मनसा- इसमें बैठ जाइए रानी साहिबा अब उबटन लगेगा आपको 

कामया बिना कुछ कहे उस चेयर पर बैठ गई थी और आगे पीछे से दो-दो महिलाओं ने उसे उठा लिया था और पास में मनसा चलती हुई आगे की ओर बढ़ी थी 

कामया का पूरा शरीर नशे की हालत में था तेल की मालिश और ऊपर से योनि और गुदा द्वार में इस तरह का प्रवेश एक अनोखा और आनंदित करने वाला एहसास था कामया की आँखें बोझिल सी हो गई थी और अधखुली आँखों से वो उस चेयर में बैठी आगे होने वाली घटना के बारे में ही सोच रही थी 

थोड़ी ही दूरी पर खाली कमरे के बीचो बीच एक लंबा सा और बड़ा सा मार्बल का टेबल नुमा आकृति उसे दिखाई दी थी चेयर का रुख उसी ओर था और वो लोग कामया को लेकर उस टेबल के पास पहुँचे थे और चेयर को नीचे रखते हुए मनसा ने कामया का हाथ नहीं बाहों को पकड़कर खड़ा कर लिया था 

कामया भी बिना कोई ना-नुकरके खड़ी थी और टेबल की ओर देखती हुई मनसा की ओर देखा जैसे पूछ रही हो अब क्या, … 
मनसा ने मुस्कुराते हुए उसे उस टेबल पर लेटने को कहा कामया आगे बढ़ कर उस टेबल पर बैठी ही थी कि मनसा ने उसके ऊपर ढका हुआ कपड़ा धीरे से खींचकर अलग कर लिया था कामया के लेट-ते ही दो महिलाए वहां आई और अपने हाथों में लिए हुए पतीले से कुछ पेस्ट टाइप का था उसके शरीर पर मलने लगी वो पेस्ट कुछ ग्रीन कलर का था और ठंडा भी 
लगते ही कामया थोड़ा सा ससंसना गई थी पर फिर सब ठीक हो गया था उबटन का लगाने का तरीका भी बड़ा ही अनौखा था लगते ही उसके शरीर का हर रोम रोम कसने लगा था बड़ा ही सख्त सा हो जाता था थोड़ी ही देर में सामने का उबटन लग जाने के बाद उन महिलाओं ने कामया को पलटकर भी उबटन लगाना शुरू किया हर अंग का ध्यान रखा गया था कोई भी जगह ऐसा नहीं था कि छूटा हुआ हो थोड़ी ही देर में वो सूख कर टाइट हो गया था कामया का पूरा शरीर ग्रीन कलर का हो गया था पर एक अजीब सा खिचाव उसके हर अंग में हो रहा था वो उबटन का कमाल था तो ही देर में उन महिलाओं ने कामया को वैसे ही पड़े रहने दिया फिर उसे चार महिलाओ ने पकड़कर उठाकर कही ले चली थे आखें बंद होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया था पर अचानक ही एक गरम और धुध भरे कमरे में लेजाया गया था उसे शायद सन बाथ की तैयारी थी 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
उस कमरे में घुसते ही कामया की सांसें बंद होने लगी थी बड़ी ही मुश्किल से साँसे ले पा रही थी

मनसा- बस रानी साहिबा कुछ देर में ही ठीक हो जाएगा बस उबटन थोड़ा सा गीला हो जाए फिर स्नान को जाएँगे बस थोड़ी ही देर 

कामया के पूरे शरीर में उबटन लगा हुआ था वो अब धीरे-धीरे नरम पड़ रहा था, और थोड़ा सा ढीला भी लगा रहा था मनसा ने आगे बढ़ कर उसकी आखों पर से जो पकिंग था हटा लिया था अब वो देख सकती थी पर धुन्ध से भरे हुए कमरे में उसके और मनसा के सिवा कोई नहीं था वो एक वुडन बेंच पर लेटी हुई थी और भाप से पूरा कमरा भरा हुआ था 

कामया पहली बार स्टीम बाथ ले रही थी स्टीम से पार्लर में चेहरा जरूर साफ किया था पर कंप्लीट बाथ कभी भी नहीं लिया था पर यह एक सुखद एहसास था उसके लिए अब वो अपने शरीर को भी देख सकती थी हर कही ग्रीन कलर का कोट अब धीरे-धीरे गीला हो चुका था एक नजर उठाकर उसने मनसा की ओर देखा तो मनसा बोल उठी 

मनसा- अभी थोड़ी देर में ही यह उबटन निकल जाएगा रानी साहिबा बस थोड़ा सा और इंतजार कीजिए 
कहती हुई वो एक डोर से बाहर निकल गई थी कामया अकेली ही लेटी थी कि मनसा की पदचाप फिर से सुनाई दी थी कामया ने पलटकर उसे देखा तो मनसा हाथों में एक ग्लास लिए खड़ी थी होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए वो कामया की ओर बढ़ी थी कामया की ओर वो ग्लास बढ़ाती हुई वो बोली 
मनसा- इसे पिलीजिए अच्छा लगेगा 

थकि हुई सी कामया ने उस ग्लास को लिया और बिना कुछ कहे ही धीरे से उसे अपने होंठों में लगा किया था कुछ पेय था मीठा सा पर बहुत ही गाढ़ा और शीतल सा मस्त और टेस्टी पीते ही उसके शरीर में एक नई जान भर गई थी पर सांस लेने में अब भी तकलीफ हो रही थी कामया के पेय के पीते ही मनसा ने उसके हाथों से वो ग्लास ले लिया था और साइड में खड़ी हो गई थी और अपने हाथों से उसके शरीर से उबटन को एक छोटे से कपड़े से पोछने लगी थी 

कामया उसकी ओर देखती हुई लेटी रही थी धीरे-धीरे उस पेय ने एक बार फिर से कामया के अंदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी थी कामया एक बार फिर से मनसा के हाथों के साथ-साथ मचलने लगी थी कामया का शरीर एक बार फिर से जीवित हो उठा था हर टच का जबाब अपने शरीर को मोड़कर या फिर अंगड़ाई लेकर देती जा रही थी 





थोड़ी देर में ही कामया के शरीर से उबटन पुछ गया था और वो एक कामुक मुद्रा में लेटी हुई थी चिपका हुआ सा पेट और उसके ऊपर उठी हुई सी चूचियां और मुख को उँचा किए हुए अपनी एडी से जाँघो को उठा रखा था उसने मनसा की आवाज पर वो उठी थी और एक बार मनसा की ओर देखती हुई अपने आपको देखा था वाह क्या निखार आ चुका था उसके शरीर में अनचाहे बाल साफ और इतना साफ की हथेली रखते ही फिसल जाए कितना मेहनत करना पड़ता था पार्लर में वक्सिंग थ्रीडिंग और प्लुगिंग और ना जाने क्या-क्या 

पर यहां तो एक बार में ही सबकुछ इतनी आसानी से हो गया था तेल के कारण त्वचा में जो निखार आया था वो उबटन के बाद और भी निखर गया था मतवाली सी और गोरी सी और कयामत ढाने वाली कामया अब तैयार थी अगले स्नान के लिए कामया की बोझिल सी आखों से अब भी एक प्रश्न उछल कर आ रहा था कि आगे क्या … 

मनसा ने मुस्कुराते हुए एक बड़ा सा कपड़ा फिर से आगे कर दिया कामया जैसे समझ गई थी उसे उठना है उठ-ते ही वही चेयर लिए कुछ महिलाए वापस आ गई थी और कामया को बिठा कर फिर से उसी स्नान घर में ले आई थी पानी बदला हुआ था पर गुलाब की पखुड़िया बहुत सी बिछी हुई थी या कहिए तैरती हुई दिख रही थी पानी में कुछ बूंदे आयिल जैसी भी थी किसी रानी की तरह से आगमन था कामया का परियो की रानी सुंदर और कोमल और मदहोशी का और मदमस्त चाल की मालकिन कामया धीरे से उस चेयर से उतरती हुई ही अपने आप ही उसने अपने कपड़े को हटाकर मनसा की ओर बढ़ा दिया था और मुस्कुराती हुई कुंड में समा गई थी उफ्फ देखना था क्या अदा है क्या नजाकत है और क्या कयामत सी लग रही थी


कामया पर उबटन और तेल का कमाल उसके शरीर में अलग से छलक रहा था मद भरी आखों से देखती हुई और अधखुले होंठो की मालेकिन कामया एक सच मूच की गजब की हुश्न की मल्लिका लग रही थी क्या रंग लाएगा उसका यह हुश्न किसी को नहीं पता था नहीं ही किसी को इस बात का ही पता था कि आगे क्या होगा और क्या होगा सिर्फ़ शायद गुरुजी को ही पता था या शायद उन्हे भी कुछ ज्यादा पता नहीं या चलिए यह बात बाद में अभी तो कुंड में घुसते ही कामया का आधा शरीर पानी में डूब चुका था पानी में बैठ-ते ही उन महिलाओं ने एक-एक करके कामया को बाँट लिया था और अपने काम को अंजाम देने में जुट गई थी आराम से अपने कोमल हाथों से घिसते हुए वही आनंद का एहसास कामया के शरीर में पहुँचा रही थी 


कामया भी अब नार्मल हो चुकी थी एक बार तो हो चुका था और क्या फिर से क्या शरम आखें तक तो मिला नहीं पा रही थी यह महिलाए और सिर्फ़ अपने काम को अंजाम देने में जुटी हुई थी ना कोई जल्दी और नहीं कोई उत्साह और नहीं कोई चिंता थी उन महिलाओं के चेहरे पर 


पर हाँ काम में निपुण थी वो हाथों का खेल उन्हे बड़े ही अच्छे से आता था और किस जगह में हाथ लगाने से कामया पर क्या फरक पड़ेगा वो अच्छे से जानती थी कामया का सिर कुंड के कोने पर टिका हुआ था मनसा अब भी वही बैठी हुई थी कामया की ओर देखती हुई और अपने हाथों से उसके माथे और बालों को सहलाती हुई 

मनसा- बस रानी साहिबा कुछ देर और फिर हो गया बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपने शरीर को और स्नान का मजा ले इस तरह का स्नान अब रोज होगा कल सुबह और शाम को आप घर जाने से पहले भी तैयार रहिएगा और अपने आपको इतना संवार लीजिए की बाहर के लोग आपका देखकर ईर्षा करने लगे और आपको देखने को भीड़ लग जाए देखिएगा एक दिन आपके साथ ऐसा ही होगा बाहर लोगों की भीड़ रहेगी सिर्फ़ आपकी एक झलक पाने को 

कामया सिर्फ़ एक मीठी सी हँसी ही हँस पाई थी और कुछ नहीं सिर को टिकाकर उन महिलाओं के हाथों का आनंद लेने लगी थी सिर और बालों पर घूमते हुए मनसा के हाथों में भी जादू था आखें बंद सी हो जाती थी शरीर का हर कोना जगा हुआ था और हर टच का जबाब देने को आतुर था टाँगो को ठीक से रख पाना एक बार फिर से मुश्किल होता जा रहा था बाहों को भी ठीक से रख नहीं पा रही थी वो सांसों की गति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी सांसो के उतार चढ़ाव के साथ साथ उसके पेट का चिपकना और उतना ही बरकरार था लगता था कि एक बार फिर से वो उत्तेजित होने का खेल रही है और खेले भी क्यों नहीं उसे कौन रोकेगा इस खेल में अब यह महिलाए भी तो उसे उसे तरह से छेड़ रही थी कोई उसके शरीर से खेलेगा और वो कुछ नहीं करेगी 

उसका ही शरीर है उत्तेजना तो होगी ही वो भी एक औरत है और वो भी शादी शुदा उसे सब पता है वो डूबती जा रही थी धीरे से उस खेल में स्नान तो एक साइड में था उसके लिए पर उन हाथों के भेट चढ़े हुए उसे ज्यादा मजा आरहा था उसके हाथों का टच और उससे उठने वाली तरंग जो की उसके शरीर के हर कोने तक जाती थी उसके अंदर की औरत को जगा कर चुपचाप बैठ जाती थी और कामया एक ऐसी आग में धकेल देती थी कि उससे निकलने के लिए वो जी जान से कोशिश करती, और धीरे-धीरे महिलाओं का आक्रमण तेज होने लगा था तेल और उबटन के लगाने के बाद तो जैसे उसका शरीर एक कोमलता का चिकने पन की हद तक वो स्पर्श के साथ ही हर रोम रोम तक उन उंगलियों का एहसास अंदर तक पहुँचा देता था 


कामया की जाँघो पर हाथ फेरती हुई दोनों महिलाए जब उसकी योनि तक जाती थी तो कामया आगे की ओर हो जाती थी ताकि वो और आगे तक बढ़े पर जब वो वापस अपने हाथों को खींचती हुई चलो जाती थी तो कामया परेशान हो उठ-ती थी दोनों और से बैठी हुई महिलाए भी उसकी चूचियां को थोड़ा सा रगड़कर पेट और पीठ तक पहुँच आ जाति थी पर कामया चाहती थी कि उनके हाथ बस उसकी योनि और चुचियों पर ही टीके रहे और कही नहीं जो होना था वो हो चुका पहले वोा करो फिर बाद में यह सब करना पर नहीं वो उन्हें कुछ ना कह सकी हाँ… मनसा की ओर देखती जरूर थी शायद वो समझ जाए


पर मुस्कुराती हुई मनसा ठीक वैसे ही बैठी रही थी अपनी हथेलयो को बस उसके गाल और गले तक पहुँचा भर दिया था इससे क्या होगा जो चाहिए था वो करो कामया का दिल बड़े ही जोर से धड़क रहा था हर अंग एक नई कहानी लिखने को बेकरार था हर एक कोना खिल उठा था हर एक हिस्सा अलग अलग तरह की फरमाइश कर रहा था इतने सारे हाथों के रहते हुए भी कामया का शरीर खाली सा था हर अंग पर हाथों का काफिला था पर खाली सा लग रहा था वो लगभग मचल रही थी जल में रहते हुए भी जल बिन मछली की तरह इतने सारे हाथों के रहते हुए भी अपने शरीर में हाथों की कमी पा रही थी 
और ज्यादा नहीं रुक सकती थी वो उसके अंदर कुछ तो चाहिए ही था दो बार झड़ने के बाद भी उसकी उत्तेजना को देखकर लगता था कि बहुत दिनों की भूखी है और शरीर की उत्तेजना को छुपा नहीं पा रही है जैसे ही पास बैठी हुई महिला का हाथ उसके चूचो पर टकराया था उसने अपना हाथ उसके हाथों पर रख दिया था ताकि वो वापस ना खींच सके और वो वही रहे उन महिलाओं ने भी अपनी रानी की आग्या मानी थी लगता था उसका पूरा ध्यान अब कामया की चुचियों पर टिका हुआ था और कही नहीं हहतो का तरीका भी थोड़ा सा बदला था उनका अभी तक जो धीरे-धीरे सहलाने की प्रक्रिया चल रही थी वो अब धीरे-धीरे मसलने लगे थे वो शायद जानती थी कि रानी साहिबा को क्या चाहिए उनके दबाने का ढंग भी चेंज था और निपल को छेड़ने का तरीका भी नीचे बैठी हुई महिलाओं ने भी अपना तरीका बदल लिया था अब वो भी कामया की टांगों को खोलकर 
जाँघो के साथ-साथ उसके योनि तक पहुँच जाते थे और वही रुक कर उसकी योनि के अंदर तक अपनी उंगलियां पहुँचाने की कोशिश करने लगी थी 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया के मुख से निकलने वाली सिसकारी की जगह अब अया और अया ने ले लिया था हर एक उंगली के अंदर जाते ही वो थोड़ा सा और आगे की ओर होजती थी पर साइड में बैठी हुई महिला के हाथों का भी उसे ध्यान था वो नहीं चाहती थी की उसके हाथ उसकी चूचियां से हटे पर शायद नीचे की ओर महिलाओं को भी कामया की उत्तेजना का ध्यान था नचुरल था अब दूसरी बार कर रहे थे वो स्नान हो गया था सो वो थोड़ा और आगे की ओर होते हुए अपने काम मे लग गये थे अब तो वो कामया के शरीर पर भी रेगञे लगे थे साइड से लेकर नीचे की ओर बैठी हुई महिलायों ने अचानक ही अपना पेन्तरा बदल लिया था एक रोमन आर्जी सा लग रहा था कामया जो कि अपनी बाहों में भरकर साइड की दोनों महिलाओं को कसी हुई थी वही अपनी जाँघो खोलकर नीचे महिलाओ को पूरा अधिकार दे दिया था कि जो करना है करो 


अपनी उंगलियों से कुछ देर तक कामया की योनि को खोलकर एक-एक करके वो अपने होंठों से कामया को ठंडा करने में भी लग गई थी कामया की हालत खराब कर दी थी उन दोनों ने होंठों के साथ-साथ उनकी जीब जब उसकी योनि को छूती थी तो सिसकारी के साथ-साथ एक लंबी सी आह भी निकलती थी उसके मुख से साथ की महिलाए भी उसकी उत्तेजना का हर संभव इलाज करने की कोशिश कर रही थी पर कामया की उत्तेजना इतनी थी कि चारो महिलाए उसे पानी में संभाल नहीं पा रही थी वो तैर रही थी पर एक बात जो थी वो थी कि उन दोनों महिलाओं को वो छोड़ नहीं रही थी और नीचे बैठी हुई महिलाओ को भी अपनी जाँघो के बीच में ले रखा था कहाँ से इतनी ताकत आ गई थी उसमें नहीं पता था पर उसे जो चाहिए था वो उसे अब पूरे जोर से पाना चाहती थी कोई चिंता नहीं थी और नहीं कोई शरम, 

मनसा---आराम से रानी साहिबा आराम से 

कामया- नहीं प्लीज उन्हें कहो और करे जीब और डाले और अंदर तक चूसो और जोर से प्लीज ईईईईईई 
कहाँ से इतना दम आ गया था उसके अंदर इस तरह की बात उसने कभी नहीं की थी पर मजबूर थी उत्तेजना के साथ-साथ उसने अपने पुराने आदर्श और औरतपन को भूल चुकी थी शरम हया और एक घर की मर्यादा को भूल चुकी थी 


कामया- और करो प्लीज अंदर तक करो जोर-जोर से बाबाओ और प्लीज़ अंदर तक करो ना प्लीज उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो जाऊँगी मनसा बोलो इनसे 

मनसा- जी रानी साहिबा आप ढीला छोड़े अपने आपको और लेटी रहे सब ठीक हो जाएगा 
और अपने हाथों को भी वो कामया के बूब्स तक ले आई थी और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया था कामया तो जैसे यही चाहती थी झट से मनसा के होंठों को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगी थी अपने बाँहे भी उसके गले में डालकर उसे खींचने लगी थी पर मनसा वही रही जहां थी हाँ पर थोड़ा सा आगे जरूर हो गई थी होंठों के साथ-साथ कामया लगभग उसपर टूट पड़ी थी अपनी जीब से उसके अंदर तक चूसने की कोशिश करने लगी थी पर शायद उत्तेजना के चलते सांसों की कमी के कारण उसने होंठों को आजाद कर लिया था और नीचे उन महिलाओं की ओर देखती मदहोश सी आखों से देखती हुई अपनी कमर को और उँचा उछाल दिया था जैसे ही उसकी कमर थोड़ी सी ऊपर उठी थी दोनों महिलाओं की हथेलियों ने उसे वही रोक लिया था अब तो जैसे उस कमरे में एक तूफान आ गया था कामया की सिसकारी और आवाज से वो कमरा भर उठा था 

कामया- और करो प्लीज जल्दी-जल्दी करो और अंदर तक जीब डालो प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज ीसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह हाँ और और र्र्र्ररर सस्स्शह 

अब तो वो महिलाए भी निडर होती हुई अपनी जीब के साथ-साथ अपनी उंगलियां भी डालती और एक साथ दो-दो जीब से उसे चोदने की कोशिश करने लगी थी एक जीब बाहर निकलती थी तो दूसरी घुस जाती थी एक उंगली अंदर तक जाती थी की दूसरी जगह बनाने लगती थी जीब के साथ साथ उंगलियों का खेल जो चला था वो एक असहनीय प्रक्रिया को जनम दे चुका था जहां सिर्फ़ आहे और सिसकारी की जगह ही थी और कुछ कहने और सुनने की जगह ही नहीं थी बस चलते रहना चाहिए जो चल रहा था और कुछ सोचने और समझने का वक़्त नहीं था 


कामया- करते रहो ऊऊऊ प्लेआए और जोर से प्लेआस्ीई अंदर तक करूऊ प्लीज धीरे नहीं जल्दी-जल्दी जोर-जोर से चूसो हमम्म्मममममममममम आआआआआआअह्ह 

लंबी सी आह लेते हुए कामया एक बार फिर से झड चुकी थी पर जान बहुत थी अब भी उसके शरीर में अपने साथ में बैठी हुई महिलाओं को अब तक नहीं छोड़ा था उसने अपनी बाहों भरे हुए उनसे सट कर सांसें ले रही थी, वो महिलाए भी अपने काम में अब भी लगी हुई थी उसके शरीर की आखिरी बूँद तक निचोड़ने में लगी थी एक-एक करके अब तक वो महिलाए उसके योनि का रस पान कर रही थी पर जब कामया आखिरमे तक कर कुंड के किनारे पर टिक गई थी और उसका जिश्म थोड़ा सा ढीला पड़ा था वो महिलाए भी अपनी जगह पर वापस हो गई थी और स्नान का दौर फिर चलता रहा हर अंग को फिर से तरास कर धोया गया और साफ किया गया पर ना तो कामया होश था और नहीं उसे कोई चिंता थी तीन तीन बार झडने के बाद भी कामया तरो ताजा थी एकदम बिंदास थी उसकी आखों में एक अजीब तरह का मुस्कुराहट थी उसके होंठों के साथ-साथ उसका हर अंग मुस्कुरा रहा था पानी अंदर 

कामया का शरीर फूल के समान हल्का और खुशबू से भरा हुआ था हर अंग खिल उठा था वो इस बात का एहसास कर रही थी नहाने के बाद जब उसे उसी चेयर पर बिठाकर सिंगार ग्रह में लाया गया था तो उसके सामने और साइड बहुत सी महिलाए खड़ी हो गई थी 


मिरर में उसे कुछ नहीं दिखाई दिया था पर जब वो महिलाए उसके सामने और साइड से हटकर एक साइड मे हुई तो मिरर में उसे देखने का मौका दिया था तो वो दंग रह गई थी अपने आपको देखकर इतनी खूबसूरत और इतनी मस्त लग रही थी और वो भी बिना मेकप के आज तक उसने कभी जुड़ा नहीं बनाया था फैशन ही नहीं था पर आज उन महिलाओं ने जुड़ा बना दिया था गोल गोल बालों को घुमाकर सिर्फ़ तीन लटे उसके सामने और एक पीछे की ओर लटक रही थी और कुछ नहीं जुड़े पर गोल्डन पिन और डायमंड की पिन लगाकर उसे सजाया गया था आखें मस्त बड़ी-बड़ी और मादकता लिए हुए थी और त्वचा तो इतना चमक रही थी कि आज से पहले उसने कभी नहीं देखा था 

निखार आ गया था उसके शरीर में पूरा शरीर दमक रहा था बिना मेकप के मनसा पास खड़ी उसे ही देख रही थी 

मनसा- क्या देख रही है रानी साहिबा ठीक है या 

कामया- नहीं ठीक है हमने आज तक अपने को ऐसा कभी नहीं देखा 

मनसा- अपने अभी देखा ही कहाँ है रानी साहिबा अभी तो शुरूआत है एक स्नान में ही आपका काया कल्प नहीं होगा कम से कम तीन स्नान लगेंगे फिर आप देखना और फिर रोज तेल और उबटन जो गुल खिलाएँगे ना देखती रह जाएँगी 


और कामया के देखते-देखते मनसा ने एक बार कामया की ओर गोर से देखा और दूसरे कमरे की ओर ले जाने लगी थी कामया भी मनसा के पीछे-पीछे दूसरे कमरे में आ गई थी एक बड़े से टेबल के दोनों ओर कुछ महिलाए खड़ी थी और एक बड़ा सा ऊँचा सा चेयर रखा था डाइनिंग रूम जैसा कुछ था टेबल पर कँडल जल रहे थे मनसा ने इशारे से बैठने को कहा और वही खड़ी हो गई थी एक दूर के डोर से कुछ महिलाए एक के बाद एक हाथों में कुछ बोल लेकर धीरे से उस टेबल पर सजाने लगी थी एक भावी सा दिखने वाला डाइनिंग टेबल थोड़ी ही देर में तैयार हो गया था इतना सारा खाना अकेले कामया के लिए उसने एक बार मनसा की ओर देखा और कुछ कहे इससे पहले ही मनसा ने आगे बढ़ कर एक प्लेट को उसकेआगे कर दिया और फिर एक के बाद एक डिश उसे सर्व करने लगी थी इतना स्वादिष्ट और जाएकेदार खाना कामया ने कभी नहीं खाया था 

सभी डिश एक से बढ़ कर एक बनी थी कुछ देर में ही काया थक कर चूर हो गई थी खाते खाते उसका पेट भर गया था 
कामया- बस अब और नहीं इतना नहीं खाती में 

मनसा- हाहाहा अरेरानी साहिबा क्यों चिंता कर रही है खाइए यह खाना ख़ास आपके लिए ही बना है इसे खाने से आपके शरीर में एक नई जान आएगी 

कामया- नहीं नहीं बस और नहीं पेट फट जाएगा 

कामया ने देखा था उसके खाने में ज्यादा तर चीजे नोन वेग थी कुछ और चीजे भी थी कुछ पेयै थे जो की अलग ही तरीके के थे पीने में मजा आता था एक नई सी जान उसके अंदर उठ-ती थी 

खाना खतम करके मनसा उसे उसी कमरे में वापस ले आई थी जहां से वो चली थी बेड बिल्कुल तैयार था इतने बड़े से कमरे में वो आकेली पर उसे चिंता करने की जरूरत नहीं थी वो लगभग इतना खाने के बाद नींद से बोझिल सी हो उठी थी 
कमरे में पहुँचते ही वो बेड की ओर बढ़ी थी पर इतना सज धज कर क्या वो सो पाएगी

कामया- मनसा यह क्लिप बागेरा निकाल दूं सोने से पहले 

मनसा- हाँ… हाँ… क्यों नहीं बिल्कुल आप क्यों में निकाल देती हूँ 
और मनसा ने कामया के जुड़े से क्लिप और पिन निकाल कर वही एक टेबल पर रख दिया था और जो कपड़ा पहना था उसके भी कुछ पिन निकाल दिए थे रात बड़े ही मजे में कटी थी कामया की 

और फिर सुबह से ही वही करवाही चली नहाने का पर आज तेल की मालिश के समय एक नया परिवर्तन उसे दिखा था आज उसकी योनि के साथ-साथ गुदा द्वार के अंदर ज्यादा से ज्यादा तेल डालने की कोशिश हो रही थी वो छोटी-छोटी महिलाए अपने हाथों को कलाईयों तक उसके दोनों द्वारो के अंदर करते समय बहुत सा तेल अपने मुट्ठी में भरकर अंदर तक उसे तेल से नहलाने की कोशिश करती थी हर कही तेल से नहाने के बाद उसे उसी तरह से उबटान लगाया गया था 
और यही बात शाम को भी हुआ था पर थोड़ा सा जल्दी आज शाम को उसे अपने घर जाना था उसे नहीं पता था कि कामेश कहाँ है घर पर उसका इंतजार करता होगा कि नहीं अचानक ही घर की याद आते ही उसका रोम रोम खिल उठा था अभी तक जो सेक्स का खेल वो यहां नहाते समय खेल रही थी वो एक बार फिर जल उठी थी मन में एक नई आशा और तन में एक नई तरह की आग लिए कामया एक फुर्ती लिए हुए शाम को अपने घर जाने के लिए तैयार हो रही थी अभी तक उसे गुरु जी और कोई भी अपने घर के किसी भी सदस्य ने कॉंटक्ट नहीं किया था 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया अपने रूप को निहारती हुई और अपनी नई काया को निहारती हुई तैयार हो चुकी थी वैसा ही कपड़ा बाँधा था उसने जैसा कि यहां अश्राम में कहा गया था पर मनसा ने उसे पिन और क्लिप से इतना तरीके से ढँका था और कमर पर एक मोटी सी गोल्ड की कमरबन्द से कस दिया था कि देखने में वो एक धोती के साथ आँचल लिए हुए दिखती थी पूरा वाइट और गोल्डन कलर से सजा दिया था उन महिलाओ ने उसे और फिर एक सफेद कलर के कपड़े की चप्पल उसके पैरों में पहना दिया था सज कर कामया ने जब अपने आपको आईने में देखा था तो सिर्फ़ देखती ही रह गई थी रूप था की बदल कर सोना हो गया था आखें बड़ी-बड़ी और गहरी हो गई थी मादकता लिए हुए और बोझिल सी देखने में थी शरीर का हर हिस्सा कस गया था और बिना हील के भी उसके नितंब बाहर की ओर निकले हुए थे बिना ब्रा के भी उसके स्तन तने हुए थे यह कमाल सिर्फ़ और सिर्फ़ तेल की मालिश और उबटन का ही था कि आज उसे बिना ब्रा के बाहर जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई थी एक गजब का कान्फिडेन्स डेवेलप हो चुका था उसके अंदर एक पूर्ण विस्वास से खड़ी थी वो 

मनसा- क्या देख रही है रानी साहिबा 

कामया- नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही 

मनसा- देखना भैया जी देखते ही टूट पड़ेंगे आप पर 

कामया- धात कैसी बातें करती हो तुम 

मनसा- क्यों रानी साहिबा शादीशुदा हो पति के साथ भी तो रहोगी ना 

कामया के अंदर वो आग फिर से जल उठी थी एक नयापन जीवंत सा हो गया था और योनि के अंदर तक हलचल मच गया था जाँघो को जोड़ कर किसी तरह से अपने आप को शांत करते हुए मनसा से नजर चुरा लिया था उसने और आगे की ओर बढ़ चली थी मनसा भी मुस्कुराते हुए उसके पीछे-पीछे बाहर किया ओर चल ने लगी थी कामया उसी रास्ते से बाहर की ओर निकल रही थी जहां से कल प्रवेश किया था कुछ भी चेंज नहीं था पर उसका देखने का तरीका बदल गया था वो सब जो वो पहले देखा था तो एक आश्चर्य हुआ था पर अब नहीं बहुत बड़े से हाल को पार करते ही बाहर एक लंबी सी गाड़ी खड़ी थी मनसा ने आगे बढ़ कर उसका डोर खोलकर खड़ी हो गई थी 

मनसा- आइए रानी साहिबा ड्राइवर आपको छोड़ देगा 

कामया- क्यों तुम नहीं चलोगी 

मनसा- नहीं रानी साहिबा आज नहीं आज आप अपने घर जा रही है कल से में जब आप फिर यहां आएँगी में जरूर आपके साथ रहूंगी अभी चलिए नहीं तो गाधुलि बेला से पहले नहीं पहुँच पाएँगी 

कामया को समझ नहीं आया कि क्या कह रही है पर जल्दी से गाड़ी में बैठ गई थी सामने ड्राइवर था कौन था नहीं मालूम पर वही सफेद ड्रेस में सीधे बैठा हुआ और सामने की ओर देखता हुआ नजर पीछे की ओर भी नहीं किया था उसने डोर के बंद होते ही मनसा ने गाड़ी को आगे जाने का इशारा किया था और गाड़ी धीरे से अश्राम के बाहर की ओर सरकने लगी थी 

आज दो दिन बाद वो आश्रम से निकली थी पर लगता था कि सालो बाद वो इस जगह को देख रही है बदला कुछ नहीं था पर कामया की नजर बदल गई थी उसके देखने का तरीका बदल गया था उसे सबकुछ बड़ा गंदा सा लग रहा था देखने में एक अजीब सी बदबू आ रही थी इससे पहले उसे कभी ऐसा नहीं हुआ था इन रस्तो पर वो कई बार निकली थी पर आज कुछ अलग था बदबू से भरी हुई लगती थी उसे यह जगह गाड़ी अपनी रफ़्तार से उसके घर के ओर दौड़ रही थी कोई भी आवाज नहीं थी अंदर सिवा एंजिन के थोड़ा सा शोर और बाहर की कोई आवाज अंदर तक नहीं आ रही थी पर कामया का मन नहीं लग रहा था लगता था कि कितना लंबा सफर है कुछ देर बाद ही उसे अपना घर दिखाई देने लगा था वही घर जहां वो विवाह के बाद आई थी 

वही घर जहां वो इतने सालो तक रही थी वही घर जहां से उसने अपना शादीशुदा जिंदगी का सफर शुरू किया था 

गेट के अंदर गाड़ी घुसते ही वो अपने आपको वापस असल जिंदगी में खींचकर ले आई थी घर के बाहर बहुत सजा हुआ था और मम्मी जी भी हाथों में थाली लिए खड़ी थी गाड़ी के रुकते ही कामया के लिए किसी महिला ने गेट खोला था कामया ने धीरे से अपने घर के आँगन में कदम रखा था बाहर खड़ी महिलाओं में एक उत्सुकता थी कामया को देखने की कामया के बाहर आते ही एक हमम्म्मममममम और वाह की आवाज गूँज उठी थी कामया एक मद मस्त कर देने वाली मुश्कान फैलाती हुई अपनी मम्मी जी के सामने खड़ी थी मम्मी जी भी आखें फाडे हुए उसे देखती ही रह गई थी हाथों में थाली लिए हुए वो मंत्र मुग्ध सी खड़ी हुई कामया को देख रही थी 

कामया- क्या हुआ मम्मी जी 

मम्मी जी ऐसे नींद से जागी थी 
मम्मी जी- नहीं एयेए अंदर आ 

और थाली से आरती कर कामया को सहारा दिए घर के अंदर ले आई थी कामया ने मम्मी जी के साथ-साथड्राइंग रूम में प्रवेश किया था घर बड़ा सजा हुआ लगता था पर वही घर जहां वो इतने दिनों तक रही थी और अपने सपनो को पूरा करने के रह देखती थी वही घर अब उसे अपरिचित सा लग रहा था बहुत छोटा और घुटन भरा लग रहा था फिर भी कामया मुस्कुराती हुई सभी लोगा का मन मोह रही थी और मम्मी जी के साथ बैठी हुई उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी बैठी बैठी कामया को थकन सी होने लगी थी वही चेयर और सोफे पर वो आज से दो दिन पहले बैठती थी तो अच्छा लगता था गद्दे दार लगता था पर अब वही सोफा और चेयर उसे चुभ रहे थे अचानक ही मम्मी जी ने भी 
मम्मी जी- चलो बहुत हो गया चलो बहू तुम्हारा बेग कमरे में रखवा दिया है खाना खा लो और फिर आराम कर लो कामेश और तुम्हारे पापा जी तो गुरु जी के काम से बाहर गये है जो भी जरूरत पड़े बताना और कहती हुई कामया के साथ-साथ सभी खड़े हो गये थे कामया भी क्या करती मुस्कुराती हुई खड़ी हुई और एक नजर हाल के चारो ओर फेर कर मम्मी के साथ उन लोगों को विदा करने लगी थोड़ी देर में ही सब खाली हो गया था सभी लोग चले गये थे और बचे थे सिर्फ़ मम्मी जी और कामया खाली सा कमरा और हाल और डाइनिंग स्पेस से होते हुए कामया वही सीढ़ियो के पास जाकर खड़ी हो गई थी ऊपर की ओर जाते हुए सीढ़ियो को देखती हुई कामया ने एक बार मम्मी की ओर देखा था 

मम्मी जी मुस्कुराती हुई 


मम्मी जी- जा जा कर आराम करले सिर्फ़ आज का दिन ही तुझे इस घर में रहना है फिर तो कल से वही अश्राम में रहना होगा फिकर ना कर हम भी वही आ रहे है कामेश और तेरे पपाजी को आने दे फिर ठीक आई और मुस्कुराती हुई कामया के सिर पर अपने हाथ फेरती हुई कामया की ओर देखती रही कामया ने देखा था मम्मी जी के चहरे पर बहुत प्यार था बहुत सा स्नेह उसके आखों पर से चालक रह आता कामया ने नजर पलटा ली और सीढ़ियो की और बढ़ चली थी धीरे-धीरे वो अपने कमरे में भी पहुँच गई 

वही कमरा जहां वो शादी के बाद से ही अपने पति के साथ रहती आई थी कितना परिचित सा था वो कमरा कामया लिए पर आज कितना पराया सा लग रहा था छोटा सा समान से भरा हुआ किसी कबाड़ खाने से कम नहीं लग रहा था कमरे में हवा और सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी उसे जल्दी से कमरे की विंडो खोलने को गई थी वो पर रुक गई थी एसी ओन था पर फिर भी कमरा अच्छा नहीं लग रहा था खाली सा बिस्तर जमीन से लगा हुआ लग रहा था बेड पर बैठी थी वो सख्त और चुभ सा रहा था उसे दो दिन में ही क्या वो इतना बदल गई थी क्या उसे अश्राम की हवा लग चुकी थी 


उसे यह घर में रहने की बिल्कुल इच्छा नहीं कर रही थी बेड पर उसका बेग रखा था यह बेग उसका है क्या है इस बैग में देखने को उठी थी वो और खोलकर देखा था कुछ खास नहीं एक सोने से पहले पहनने का छोटा सा कपड़ा था और एक बड़ा सा और साथ एक छोटा सा ग्लास की बोतल थी उसमें वही पेय पदार्थ भरा हुआ था जो अब तक वो वहां पीते आई थी बस और कुछ नहीं मनसा ने पॅक कर दिया होगा चलो ठीक है एक बार घूमकर उसने बाथरूम को देखा उबकाई सी आने लगी थी उसे इतना सुंदर बाथरूम भी उसे गंदा सा लग रहा था बहुत ही छोटा और घुटन भरा था वेंटिलेशन होते हुए भी बदबू सी लग रही थी उसे इतने में इंटरकम की घंटी बजी थी 

कामया- जी 

मम्मी जी- आज बहू खाना खा ले फिर आराम करना 

कामया- जी 

और कुछ सोचती हुई वो नीचे की ओर चल दी थी 

मम्मी जी- अरेतूने चेंज नहीं किया 

कामया- जी वो अश्राम में यही कपड़े पहनने पड़ते है बिना सिले हुए इसलिए 

मम्मी जी- पर क्या यही पहनकर सोएगी 

कामया कुछ कहती इतने में भीमा किचेन से नजर झुकाए निकला था हाथों में प्लेट और ट्रे लिए कामया उसकी ओर देखती पर मम्मी जी के रहते वो ऐसा ना कर पाई थी पर एक नजर उसे पता था कि भीमा देख जरूर रहा था एक बिजली सी दौड़ गई थी उसके शरीर में वही नजर थी उनकी जो आज से बहुत दिनों पहले उसने दिखी थी वही आकर्षण वही उत्तेजना कामया के शरीर में फिर से दौड़ गई थी भीमा चाचा का नजर चुरा कर उसे देखना और फिर नजर बचा कर मम्मी जी को देखते हुए उसे फिर देखना कामया के लिए काफी था वो एक उत्तेजित सी और न संभलने वाली स्थिति में पहुँच चुकी थी इतने दिनों तक अपने पति और अपने शरीर को किसी पुरुष के हाथों में ना पाकर जो स्थिति बनी थी आज वो उस स्थिति से लड़ने को बिल्कुल तैयार नहीं थी 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
बहुत दिन हो गये थे बिना मर्द के स्पर्श के और तो और अश्राम में भी उसे सिर्फ़ उत्तेजित कर छोड़ दिया गया था सिर्फ़ और सिर्फ़ महिलाओं ने ही उसकी उत्तेजना को शांत किया था एक शादीशुदा औरत को उत्तेजित करके महिलाए शांत करे ठीक है पर यह तो सिर्फ़ दिखावा है ना की फूल सटिस्फॅक्षन सिर्फ़ और सिर्फ़ दिखावा 

नहीं आज नहीं आज कामेश नहीं है वो आज अपने को कैसे रोके पुराने दिन खाते खाते उसे याद आने लगे थे कैसे भीमा ने उसकी पहले मालिश किया था और फिर कैसे वो खुद भीमा के पास गई थी और कैसे वो रात को भीमा और लाखा के पास गई थी किचेन से लेकर हर बात उसे याद आने लगी थी खाते खाते कामया इतना उत्तेजित हो चुकी थी कि उसे खाते नहीं बना और पता नहीं क्यों यह खाना भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था किसी तरह मम्मी जी का मन रखने के लिए उनका साथ देती रही थी 


किसी तरह खाना खतम होते ही कामया उठकर वाशबेसिन में हाथ धो कर जल्दी से अपने कमरे में पहुँच गई थी और चेंज करने लगी थी वो पेय जो की मनसा ने उसे दिया था उसे पीना जरूर था वो एक आयुर्वेदिक पेय था वो पता नहीं क्या था पर एक नई शक्ति और स्फूर्ति उसके शरीर में जरूर आ जाती थी उसे पीने से सो हाथ मुँह धोकर उसने पहले वो पेय पिया और फिर ड्रेस उतार कर वही एक छोटा सा कपड़ा जो की उसके बैग में था उसे कंधे में डालकर पहन लिया था जोकि घुटनों के ऊपर तक आता था वो कमर में एक मोटी सी गोलडेन कलर का रस्सी से कस्स कर बाँधना था उसे बाँध कर उसने अपने आपको मिर्रर में देखा था गजब जाँघो से लेकर टांगों तक का चमचमाता हुआ एक एक अंग साफ छलक रहा था चुचे बिना ब्रा के भी तने हुए थे आखें मदमस्त और गहरी थी होंठों पर लालिमा बिना लिपीसटिक के ही दिख रही थी बाल जुड़े की शेप में बँधे थे पर कही कही से लंबे से निकले हुए थे कंधा भी खाली था सिर्फ़ वो कपड़े से जितना ढका हुआ था बस उतना ही साइड से उसका शरीर कमर तक साफ-साफ दिख रहा था देखते देखते वो अपने शरीर की रचना में ही खो गई थी कितनी सुंदर और कामुक लग रही थी किसी अप्सरा के जैसी कोई भी सन्यासी और देव पुरुष तक उसके इस शरीर का दीवाना हो सकता था सच में किसी ने सच ही कहा है औरत के पास जो एक हथियार है वो है उसका शरीर आज तक इतिहास गवाह है की इस शरीर के लिए कितनी ही लड़ाइया हुई है और कितने ही कत्ल हुए है आज एक वैसा ही शरीर फिर से इस संसार पर राज्य करने के लिए तैयार हो रहा था 


कामया सोचते सोचते अपने आप में इतना खो गई थी कि उसे टाइम का ध्यान ही नहीं रहा था फिर अचानक ही उसने घड़ी की ओर नजर उठाई तो देखा करीब एक घंटा हो चुका था पता नहीं भीमा कहाँ होगा क्या करू देखूँ क्या उसके कमरे में नहीं नहीं वो खुद आ जाएगा उसे भी तो इच्छा होगी कैसे देख रहा था नजर चुरा कर पर वो तो रुक नहीं पा रही है एक बार धीरे से कामया ने अपनी जाँघो को देखते हुए अपने आपको सहलाया था एक सिसकारी उसके मुख में दब कर रह गई थी नहीं वो नहीं रुक सकती उसे कोई मर्द तो चाहिए ही चाहे वो भीमा ही हो वो जल्दी से अपने कमरे से बाहर की ओर भागी और डोर खोलकर एक बार बाहर की ओर देखा कोई नहीं था सबकुछ शांत था धीरे से उसने नजर ऊपर की ओर जाती हुई सीढ़ियो पर ले गई थी वहां भी शांति थी 

वो बाहर निकलकर सीढ़िया चढ़ने लगी थी भीमा चाचा के कमरे में वो पहले भी आई थी आज उसे कोई दिक्कत नहीं थी घर में कोई नहीं था और उसे जो चाहिए था वो भीमा के पास था और खूब था वो भी एक भूका शेर था जो कि उसकी कल्पना में शायद इतने दिनों तक भूका ही था तभी तो वो इस तरह से चोर नज़रों से मम्मी जी के सामने नहीं हिम्मत करता हाँ… वो भी भूका है पर वो तो कमरे में नहीं है कहाँ है शायद नीचे होगा क्या करे वही वेट करे नहीं नहीं ऐसा नहीं वो जल्दी से अपने कमरे की ओर जाने लगी थी पर थोड़ी दूर जाकर वो रुक गई थी क्या कर रहा है भीमा नीचे अभी तक क्या उसे जल्दी नहीं है चोर नजर से तो ऐसे देख रहा था कि वही निचोड़ कर रख देगा और अभी देखो तो किचेन में ही लगा हुआ है कामया से नहीं रहा गया और वो धीरे-धीरे नीचे की ओर चल दी किचेन में लाइट जल रही थी भीमा वही होगा डाइनिंग स्पेस में आते ही उसे भीमा की पीठ उसकी ओर दिखी थी 


वो प्लॅटफार्म की सफाई कर रहा था उसका ध्यान बिल्कुल भी पीछे की ओर नहीं था पर अचानक ही पीछे की पदचाप से वो पलटा था कामया स्वर्ग से उतरी हुई एक अप्सरा परी सुंदरी और ना जाने क्या-क्या एक साथ उसके दिमाग में चल पड़ा था जाँघो तक एकदम खाली वो सुंदरी उसके लिए ही यहां आई थी 

कामया- क्या आज ही सारा काम खतम करना है 

एक उत्तेजित और हुकुम देने वाली आवाज किचेन ने गूँज उठी थी भीमा की नजर एक बार कामया के चहरे पर गई थी कितना रुआब था उसके चहरे पर कितनी निडर हो गई थी वो पहले तो आवाज ही नहीं निकलती थी सिर्फ़ हाँ हूँ और उऊफ और आह के सिवा कुछ नहीं 

कामया- लाखा कहाँ है … 

भीमा (हलकता हुआ)- जी वो मदिर वाले घर पर चला गया है 

बड़े ही डरे हुए और धीमी आवाज में उसने कहा था 

कामया- पानी दो 
एक कड़क आवाज में आर्डर था 

भीमा डरा हुआ सा जल्दी से ग्लास लिए हुए फ़्रीज खोलकर पानी का ग्लास लिए हुए कामया के पास पहुँचा था कामया तब तक किचेन के अंदर आ गई थी और बीच में पड़े हुए टेबल पर कूल्हे टिकाकर खड़ी थी गोरी गोरी टाँगें एकदम साफ चमक रही थी भीमा नजर झुकाए पानी का ग्लास उसकी ओर बढ़ाकर अपनी नजर उठाने की कोशिश करता पर कामया की दाईं टाँग को उठकर उसकी टांगों के बीच में आता देख रहा था वो थोड़ा दूर खड़ी थी पर उसकी टाँगें उसके पास पहुँच रही थी कामया ने एक हाथ से उसके हाथो से ग्लास ले लिया था और अपनी टाँग को उठा कर उसकी जाँघो के बीच में फँसा लिया था और उसके नितंबों तक पहुँचा कर उसे अपने पैरों से अपने पास खींच रही थी 

भीमा निस्तब्द सा आगे की और हो गया था उसकी हथेलियाँ कामया की जाँघो को छू रही थी गोरी और कोमल जांघे कितनी सुंदर है उउफ्फ… हाथ में आई यह छुई मुई सी औरत कितनी कोमल और नाजुक है उसके दोनों हाथ कामया की उस जाँघ पर एक बार घूम गई थी और उसके चिकने पन के एहसास को अपने दिल में संजोने की कोशिश भी कर रहा था 


भीमा की हालत खराब थी कामया की टाँगें उसके लिंग से टकरा रही थी जो की उसके जाँघो के बीच में थी पर वो तो जैसे एक पत्थर की मूरत की तरह एकटक उसकी ओर ही देखे जा रही थी कामया से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी कामया की कड़कती हुई आवाज उसके कानों में गूँज उठी थी 

कामया- खोलो इसे और याद रहे आज के बाद तुम हर काम सिर्फ़ मेरे लिए करोगे जब में इस घर में रहूं तो ठीक है 

भीमा- जी 
और वो अपने हाथों को आगे बढ़ा कर कामया की कमर में बँधे उस रोप को खोलने लगा था कामया की टाँगें अब नीचे हो गई थी और एक हथेली भीमा के लिंग को टटोलने लगी थी उसके धोती के ऊपर से ही उसकी नाजुक सी उंगलियां भीमा के लिंग को कस्स कर पकड़ती और फिर ढीला छोड़ देती थी भीमा अपनेआपको संभालता और करता क्या डरा हुआ सा भीमा उस परी का दीवाना तो था पर आज जो कुछ वो देख रहा था और झेल रहा था उससे यह तो साफ था की आज वो इस नारी को शांत कर नहीं पाएगा उसका शरीर कब तक उसका साथ देगा उसे नहीं पता पर कोशिश जरूर करेगा यह सोचते हुए जब तक वो कामया की कमर से वो रोप खोलकर अलग करता तक तक तो कामया ने उसके लिंग पर पूरा काबू पा लिया था धोती के ऊपर से ही उसे अपनी पतली पतली उंगलियों से कस्स कर पकड़ी हुई अपने एक हाथ से अपने सामने से उस कपड़े को हटा दिया था 

कामया- उतारो इसे 
और भीमा ने धीरे से कामया के ऊपर से वो कपड़ा हटा दिया था एक स्वप्नसुंदरी उसके सामने खड़ी थी गोरा रंग जैसे दूध में थोड़ा सा लाल रंग मिला दिया हो वैसा रंग था, उसके पर सिर पर बालों के सिवा कही कोई बाल नहीं थे एकदम साफ और चमक दार थी वो अपने आपको नहीं रोक पाया था और कामया की ओर देखते हुए उसके पैर पर अपने हाथ टिकाकर सहलाने लगा था पर एक डर था उसके दिल में कही मालकिन ना आ जाए या कोई देख ना ले किचेन में थे वो लोग बाहर से भी नजर नहीं पड़ जाए पर कामया को कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था हिम्मत जुटा कर भीमा बोल ही उठा 
भीमा- बहू रानी अंदर चलते है 

पर बीच में ही कामया ने उसकी बातें काट दी थी 
कामया- पहले यहां करो फिर अंदर जाएँगे जल्दी करो और खोलो इसे क्या फालतू की चीज को बाँधे खड़े हो 

भीमा कुछ कहता इससे पहले ही कामया ने एक झटके से उसकी कमर से उसकी धोती खींचली थी बड़े से अंडर वेयर में फसी हुई उसकी धोती लटक गई थी और कामया का हाथ फिर से उसके लिंग को कस्स कर पकड़ लिया था और एक हल्की सी आवाज में भीमा के होंठों के पास आते हुए बोली 
कामया- खोलो जल्दी से नहीं तो तोड़ दूँगी 
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06-10-2017, 03:26 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा जल्दी से अपने अंडरवेयर को खोलने लगा था कामया की मजबूत पकड़ उसके लिंग पर और कस गई थी पागल सी हो उठी थी वो लाइट में उसका गोरा शरीर चमक रहा था और भीमा की हालत उसके आपे से बाहर हो रही थी कामया के हाथों में अपने लिंग को छुड़ा नहीं पा रहा था पर अपने आपको रोक भी नहीं पा रहा था वो जानता था कि कामया कुछ देर और उसके साथ यही खेल खेलती रही तो वो बिना कुछ करे ही झड जाएगा सो वो जल्दी से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भरने लगा था उसके होंठ जो की उसके पास ही थे झट से उनपर कब्जा जमा लिया था पर कब्जा भीमा ने नहीं कामया ने जमा लिया था एक जोर दार, तरीके से कामया ने भीमा के होंठों के साथ-साथ उसकी जीब को झट से खींचकर अपने मुख में भर लिया था और बहुत जोर-जोर से चुबलने लगी थी उसके हाथ अब भी भीमा के लिंग को निचोड़ रहे थे ना जाने कैसे और जैसे भीमा की जान पर बन आई थी आज भीमा जिस जिश्म के लिए इतना पागल था वो आज उसकी जान पर बन आई थी वो नहीं जानता था कि कामया को क्या हुआ है पर उसकी दीवानगी के आगे वो झुक गया था वो और ज्यादा देर तक अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाया था और वही कामया के हाथों में ही झड़ गया था कामया ने एक बार, उसे देखा था बहुत ही गुस्से में पर लिंग को छोड़ा नहीं था किसी मेमने की तरह वो कामया के होंठों की बलि चढ़ गया था उसके हाथों की बलि चढ़ गया था और अपने आप को शांत करके कामया की कमर को पकड़े हुए खड़ा उसपर टिका हुआ लंबी-लंबी सांसें छोड़ रहा था कामया एक शेरनी की तरह से उसे देख रही थी जैसे की कह रही हो बस हो गया इतना ही दम है 

कामया- क्या चाचा बस 

भीमा- नहीं बहू रानी डर के मारे निकल गया है आप जिस तरह से कर रही थी वैसा आज तक किसी ने नहीं किया इसलिए संतुलन नहीं रख पाया माफ किर दीजिए 
और नजर झुकर खड़ा हो गया था पर अपने लिंग को कामया के हाथों से छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं किया था कामया की हथेली में उसका लिंग पानी छोड़ने के बाद सिकुड़ने लगा था पर उसके हाथों में उसका वीर्य अब भी चमक रहा था वो नीचे सिर किए हुए कामया के हाथों में अपने लिंग को देख रहा था और उसकी गोरी गोरी जाँघो को धीरे से सहलाते हुए इंतजार कर रहा था कि कब कामया उसके लिंग को छोड़े 

कामया- फिर अब क्या करोगे जाकर सो जाओगे हाँ… 

भीमा- नहीं बहू जब तक आपको मेरी जरूरत है में यही हूँ 

कामया- पर तुम तो गये फिर 

भीमा- नहीं बहू रानी अभी बहुत कुछ है रुकिये और धीरे से अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में ले गया था और अपनी जीब से उसकी योनि को सहलाते हुए कामया को धीरे से उस टेबल पर बिठा लिया था कामया ने भी कुछ नहीं कहा था जैसा भीमा चाहता था वही किया 

अपने आपको उसने टेबल पर रखे ही अपनी कमर को इतना आगे कर चुकी थी कि भीमा चाचा की जीब उसके अंदर तक चली जाए अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो इतने दिनों बाद उसके शारीर को किसी मर्द ने छुआ था एक पहचाना हुआ सा स्पर्श था वो पर एक भूख को और भी बढ़ाता हुआ सा भी अलग अलग तरीके से छूने की दशा में भी कामया अपने आपको हिलाकर और कमर को उँचा करते हुए भीमा चाचा को पूरा समर्थन दे रही थी 


होंठों में दबी हुई आवाज अब तेज होती जा रही थी अंदर का उफान बढ़ता जा रहा था एक चिरपरिचित सी मादकता उसके अंदर तक एक तूफान को जनम दे रही थी कामया चाह कर भी अपने को रोक नहीं पा रही थी उसकी कमर या कहिए योनि अपने आप भीमा के होंठों के सुपुर्द होने को आतुर थी टेबल पर टिके हुए भी वो आगे की ओर होने लगी थी भीमा जो की पूरे तन मन से अपनी बहू के सौंदर्य को चूसने में लगा था एक भड़की हुई आग से खेलने को तैयार था अपने बुढ़ापे को भूलकर जवान बनने की कोशिश कर रहा था तन की शक्ति जबाब दे देने के बाद भी वो उस हसीना को छोड़ने को तैयार नहीं था 


या कहिए अपने मन में छुपी हुई आकांक्षा को दबा नहीं पा रहा था अपने होंठों के साथ-साथ वो अपनी जीब को जितना अंदर तक हो सके और जितना दम उसमें था वो निरंतर प्रयासरत था कामया को खुश करने में हर एक बार जैसे ही उसकी जीब अंदर से बाहर की ओर आती थी कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकलजाति थी उसकी जांघे खुलकर इतना फेल गई थी कि भीमा के माथे के साथ-साथ उसके दोनों हाथ भी उनमें समा गए थे कामया के मुख सी निकलने वाली सिसकारी से भीमा और भी उत्तेजित होता जा रहा था 

कामया- और जोर-जोर से चूसो चाचा और जोर से उंगली भी डालो अंदर तक डालो और अंदर 
कामया लगातार भीमा को उकसा रही थी की वो उसके साथ हर संभव प्रयास करता रहे और भीमा भी पीछे नहीं हट रहा था पर कामया को आज संभालना मुश्किल था उत्तेजना में वो पागल हो चुकी थी उसके हाथ अब धीरे-धीरे भीमा के बालों पर कसने लगे थे उसकी उत्तेजना की हालत यह थी की लगता था कि भीमा के बाल खींचकर अलग कर देगी मुख से निकलने वाली सिसकारी बढ़ती ही जा रही थी और साथ में उसके हाथों का खिचाव भी भीमा अपने बालों को उससे अलग करना चाहता था पर अचानक ही कामया टेबल से उतर पड़ी और अपनी जाँघो को खोलकर लगभग उसके ऊपर बैठ ही जाती पर बीच में ही रुक गई थी थोड़ा सा बैठी हुई वो लगातार भीमा के बालों को खींचकर अपनी योनि से जोड़े रखना चाहती थी 
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06-10-2017, 03:31 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा इस हमले को तैयार नहीं था वह गिर जाता अगर कामया के दोनों हाथों ने उसके बालों को पकड़ ना रखा होता तो वो भी अपने एक हाथ को पीछे लेजाकर अपने आपको सहारा दिए हुए और दूसरे हाथ से कामया की जाँघो को पकड़े हुए लगातार उसकी योनि को चूसे जा रहा था और उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था पर कामया का शरीर इस तरह से आगे पीछे की ओर हो रहा था कि उसे अपना संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो रहा था उसने एक बार जोर लगा के कामया को पीछे की ओर धकेलने की कोशिश की पर कामया तो जैसे उसपर हावी हो चुकी थी लगातार आगे की ओर बढ़ते हुए उसे लिटाने की कोशिश में थी भीमा जानता था की अगर वो लेट गया तो कामया उसके ऊपर बैठी तो उसका सांस लेना दूभर हो जाएगा इसलिए वो भी लगातार कोशिश मे था कि वो किसी तरह से बैठा ही रहे पर कामया के अंदर का शैतान एक बार फिर उसपर हावी हो गया था कामया अपने आपको मोड़ चुकी थी और आगे झुकते हुए भीमा चाचा के सिर को टेबल के किनारे पर टिका दिया था 


अब वो फ्री थी अपने आप ही भीमा का सिर टेबल पर टिके होने से पीछे जाना उसके लिए दूभर हो गया था कामया की कमर की गति बढ़ गई थी और लग रहा था की अब वो भीमा का कचूमर निकाल कर ही दम लेगी भीमा का सिर टेबल के किनारे से टिका हुआ था और कामया की कमर किसी एंजिन की तरह से चलने लगी थी आगे पीछे की ओर टांगों को फैलाकर वो जिस तरह से भीमा को रौंद रही थी उससे उसके अंदर की ज्वाला का अंदाज़ा भर ही लगाया जा सकता था उसकी कमर के हिलने का तरीका किसी प्रोफेशनल से क़म नहीं था एक के बाद एक झटके जो वो लगा रही थी उससे उसके अंदर की आग का अंदाज़ा ही लगाया जा सकता था 


भीमा का सिर कई बार पीछे टेबल के कार्नर पर जम कर लगा था पर मजबूर था कुछ नहीं कर सकता था अपने होंठों को और जीब को हटा नहीं सकता था एक वहशी रूप में वो कामया को देख रहा था कामया निरंतर अपने मुख से आवाज निकाल कर भीमा को और करने को कहे जा रही थी 

कामया- और अंदर तक डालो चाचा उंगली भी डालो होने ही वाला है रूको मत नहीं तो मार डालूंगी करो और करो अंदर तक डालो उंगली उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआआआह्ह 
और सट कर भीमा को टेबल के कार्नर में दबा दिया था कामया ने ताकि वो हिल भी ना सके 

कामया- आआआआह्ह गई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई करते रहो चाचा करते रहे छोड़ूँगी नहीं आज करो और करो 
हान्फते हुए कामया के मुख से ना जाने क्या क्या निकल रहा था भीमा अब भी टेबल पर टिका हुआ अपने आपको कामया की जाँघो के बीच में पा रहा था चेहरा पूरा कामया के कम से भीगा हुआ था सांसें भी नहीं लेते बन रहा था पर हिम्मत नहीं थी कामया को अपने ऊपर से हटाने की सो वो वैसे ही पड़ा हुआ कामया के हटने की राह देखता हुआ अपनी जीब और उंगलियों को और भी तेजी से चलाता रहा 


कामया भी थोड़ी देर तक सहारा लिए खड़ी रही टेबल का और फिर धीरे से हान्फते हुए भीमा के चहरे से अलग हुई और थोड़ा सा ल्ड़खड़ाती हुई सी खड़ी हुई और नीचे पड़े हुए भीमा चाचा की ओर एक नजर डाली उसके सिथिल पड़े हुए लिंग पर भी और अपने पैर के अंगूठे से उसके लिंग को छुआ था और मुस्कुराती हुई पलटकर फ़्रीज के पास पहुँच गई थी 
कामया- क्या हुआ चाचा बस क्या तुम तो कहते थे की मेरी सेवा के लिए हो बस हाँ… 
पानी पीते हुए कामया ने पलटकर भीमा की ओर देखते हुए कहा था भीमा वैसे ही नीचे बैठा हुआ अपने चहरे पर कामया की योनि के निकले पानी से भीगा हुआ अपने आपको साफ करने की कोशिशभी नहीं कर पाया था भीगी बिल्ली की तरह से कामया की ओर देखता हुआ 
भीमा- नहीं बहू वो तो बहुत दिनों बाद था ना इसलिए 
हकालाता हुआ सा जो जबाब सूझा था दे दिया था 


कामया- अच्छा हाँ… तो ठीक है चलो कमरे में देखती हूँ कितना दम है बहुत दम है ना आओ 
और कामया ने बढ़ कर अपना कपड़ा उठा लिया और वो रोप भी और नंगी ही अपने कंधे पर वो सब रखकर आगेकी ओर बढ़ गई थी भीमा झट से अपनी धोती को उठाकर अपना चहरा पोछते हुए अंडरवेर का नाड़ा बाँधते हुए किसी कुत्ते की तरह कामया के पीछे-पीछे लपका था किचेन की लाइट बंद करके अपने आगे चलती हुई कामया की ओर देखता हुआ किसी संगमरर की मूरत की तरह उसका बदन हल्की सी रोशनी में नहाया हुआ था पीछे से उसके गोल गोल चूतड़ और उसपर हल्की दरार को देखते ही भीमा लगभग दौड़ता हुआ सा उस अप्सरा के पीछे-पीछे चल दिया था

सीढ़ियो से चलते हुए उसके कूल्हे जिस तरह से मटक रहे थे वो एक शानदार सींन था भीमा धीरे-धीरे उन नज़रों को देखता हुआ अपने आपको संभलता हुआ कामया के पीछे-पीछे सीढ़िया चढ़ता जा रहा था 

जिस तरह से कामया सीढ़िया चढ़ रही थी और जितना मटक मटक कर अपने जिश्म को लहरा रही थी वो शायद कोई औरत कपड़ों में भी नहीं कर पाएगी पर कामया तो बिना कपड़ों के ही बिल्कुल बिंदास चल रही थी कही भी कभी नहीं लगा था की वो नंगी थी इतना कान्फिडेन्स था उसकी चाल में कि भीमा देखता ही रह गया था अपने घर की बहू को चलते हुए कब कमरे के अंदर आ गये थे भीमा जान भी नहीं पाया था 


कमरे में घुसते ही .............
कामया- डोर बंद कर दो 
और कहते हुए बाथरूम में घुस गई थी भीमा डोर बंद करके खड़ा था अपनी धोती से अपने चहरे को पोछते हुए थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी नज़रें इधर-उधर करते हुए साइड टेबल पर रखे हुए पानी के बोतल पर पड़ी थी जल्दी से टेबल तक पहुँचकर पानी के दो घुट ही मारे थे कि बाथरूम का डोर खुला और कामया वैसे बिना कपड़ों के बाहर आई थी मुस्कुराती हुई 
कामया- प्यास लगी है चाचा हाँ… 

भीमा जल्दी से पानी की बोतल रखकर खड़ा हो गया था धोती अभी तक बाँधी नहीं थी उसने अंडरवेर बाँधा नही था कमर के चारो ओर बस लपेटा हुआ था और बाकी का हाथ में था ऊपर फटुआ पहने हुआ था 

कामया- उधर उस अलमारी के अंदर है तुम्हारी चीज जाओ और जितना पी सको पिलो 

एक ओर अपने हाथों को उठाकर कामया ने इशारा किया था भीमा नहीं जानता था कि क्या है वहाँ पर इशारे की ओर बढ़ा था अलमारी के अंदर तरह तरह की इंग्लीश दारू की बोतल रखी थी एक बार पलटकर कामया की ओर देखा था कामया के इशारे पर ही उसने एक बोतल उठा ली थी और बिना पीछे देखे ही बोतल पर मुँह लगा लिया था एक साथ उसने कई घूँट भरे थे और पलटकर कामया की ओर देखा था 

कामया .. क्यों अच्छी है ना कभी पी है 

भीमा- जी नहीं बहू पहली बार ही इतनी महेंगी पी रहा हूँ 
और फिर एक साथ थोड़ी बहुत और उतार ली थी अपने अंदर एक नई जान अपने अंदर भरते हुए पाया था उसने कामया जो की अभी भी बेड के किनारे पर खड़ी थी भीमा की ओर देखती हुई धीरे-धीरे बेड पर लेट गई थी जैसे उसे निमंत्रण दे रही है लेट-ते ही उसने अपनी एक जाँघ को उठा कर दूसरे जाँघ पर रख लिया था और सिर के नीचे एक हाथ रखकर भीमा की ओर देखती रही थी और अपनी हथेली को धीरे-धीरे जाँघो से लेकर कमर से लेते हुए अपनी चुचियों पर ले आई थी 

और नजर उठाकर फिर से एक बार भीमा की ओर देखा था उूउउफफफ्फ़ क्या नज़ारा था शानदार नरम बेड पर एक हसीना बिल्कुल नंगी और इस तरह का आमंत्रण दो तीन घूँट और अंदर जाते ही भीमा के अंदर एक पुरुष फिर से जाग गया था धोती तो नीचे गिर गया था पर फटुआ और अंडरवेयर अब भी उसके शरीर में था एकटक वो कामया देख रहा था जागा तब जब कामया की आवाज उसके कानों में टकराई थी 
कामया- क्या देख रहे हो चाचा देखते ही रहोगे 

भीमा क्या जबाब देता जल्दी से बेड की ओर बढ़ा था 

कामया- यह ठीक नहीं है चाचा में तो इधर कुछ नहीं पहने हूँ और आप सबकुछ पहेने हुए हो हाँ… 

भीमा जल्दी से बेड के साइड में खड़ा हुआ अपने कपड़ों से लड़ने लगा था एक साथ ही उसने अपने दोनों कपड़ों को शरीर से अलग कर दिया था और लगभग कूदता हुआ सा बेड पर चढ़ गया था कामया वैसे ही उसकी ओर कमर को उँचा करके लेटी रही थी एकटक उसकी ओर देखती हुई भीमा जल्दी से पीछे की ओर से उसके शरीर को अपनी बाहों में लेने की कोशिश करने लगा था उसके उठे हुए नितंब उसे एक अनौखा निमंत्रण दे रहे थे पीछे से देखने में गजब का लग रहा था दोनों जाँघो के जुड़े होने के बाद भी एक गहरी सी गहराई उसे दिख रही थी ना चाहते हुए भी भीमा अपनी हथेली उस जगह में ले गया था और धीरे से कामया को अपनी बाहों मे भर लिया था वो अपनी बाहों को नीचे से लेजाकर उसकी चुचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा था और अपनी एक हथेली से उसके नितंबों को सहलाता हुआ ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था कामया इंतजार में ही थी कि कब भीमा जागे और आगे बढ़े वो अपने आपको पूरा बेड से लगाकर लेट गई थी और भीमा को पूरी आ जादी दे-दी थी भीमा भी अपनी आजादी का पूरा लुफ्त उठाने को तैयार था विदेशी शराब के अंदर जाते ही वो एक बार फिर से जवान हो उठा था 
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