Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:51 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने सोचा कि ये तो पंगा हो गया,,,भले ही उसने मुझा रोका नही लेकिन फिर भी वो रोने तो लगी थी मेरी
इस हरकत से ,,,मैं कुछ नही करना चाहता था लेकिन वो मेरे इतने पास थी कि मेरे से खुद पर क़ाबू नही
हुआ,,और ग़लती उसकी है मेरी नही मैने कितनी बार बोला मेरे पास मत आया करो लेकिन वो है कि सुनती ही नही,,,
पर अब तो वो मेरी आँख की वजह से मेरे पास आई थी ताकि मेरा दर्द ठीक कर सके लेकिन मैं ऐसा कमीना
इंसान जो अपना दर्द कम करने वाली सोनिया को ही हर्ट कर दिया था,,वो रोने लगी थी,,सिर्फ़ मेरी वजह से,,,


मुझे पता था वो यहाँ से नही जाएगी इसलिए मैं कविता को फोन करने को सोची ताकि कविता यहाँ आ
जाएगी और उसके होते हुए मैं सोनिया के पास भी नही जाउन्गा और शायद कविता के आने पर मेरा ज़्यादा ध्यान
कविता पर रहेगा ,,,,,और वैसे भी मेरा बड़ा दिल कर रहा था अब कविता से मिलने को,,,सोनिया ने एक आग जो
लगा दी थी पूरे जिस्म मे जिसको कविता ही भुजा सकती थी,,,,,लेकिन कविता ने तो सॉफ सॉफ मना कर दिया था
आने से,,उसने बोला कि सूरज भाई घर पर नही है वो नही आ सकती ,,,,मैने बोला कि मैं उसके घर आ जाता
हूँ तो उसने इस बात से भी मना कर दिया,,,,,,

क्यूकी उसके घर जाके मैं कामिनी भाभी के साथ तो कुछ नही कर सकता था और कविता ने सीधी तरह से बोल
दिया था कि उसकी तबीयत ठीक नही है,,,तो भला मैं उसके घर जाके क्या करता,,,,


मैं करीब 25-30 मिनट ऐसे ही सोचता रहा ,,कभी सोनिया के बारे मे तो कभी कविता का बारे मे,,

फिर सोचा कि क्यूँ ना करण के घर चला जाए,,,,वहाँ से शिखा को या अलका आंटी को लेके बुटीक पर चला
जाउन्गा मस्ती करने के लिए,,,और अगर ना भी मस्ती कर सका तो कम से कम घर से बाहर तो चला जाउन्गा,,और
रात होने से पहले घर वापिस नही आउन्गा,,,और रात को आके खुद को मोम-डॅड के रूम मे बंद कर लूँगा ताकि
रात को सोनिया के साथ कुछ ग़लत हरकत नही कर सकूँ,,,

अभी 3 बजे थे और रात होने मे कम से कम 4-5 अवर्स थे,,,मुझे 4-5 अवर्स कहीं बाहर टाइम पास करना
ही होगा,,,इसलिए रेडी होने के लिए मैं उपर जाने लगा क्यूकी मेरे कपड़े उपर पड़े हुए थे,,,,सोनिया के रूम
मे,,,,,मुझे वहाँ जाने मे डर तो लग रहा था लेकिन वहाँ जाना भी ज़रूरी था क्यूकी मैं इन कपड़ो मे तो
घर से बाहर नही जा सकता था,,,,खैर ''मैं हिम्मत करके उपर की तरफ चलने लगा,,,,,

25-30 मिनट नीचे बैठा रहा और सोचता रहा कि अब क्या किया जाए,,,,

सोनिया ने मेरी आँख का दर्द कम करने की कोशिश की लेकिन मैने उसका ही दर्द बढ़ा दिया था ,,उसको हर्ट किया
था रुला दिया था,,,अब मुझे कैसे भी करके रात तक उस से दूर रहना था क्यूकी वो कविता के घर जाने को
तैयार नही थी,,,,और ना ही अब कविता यहाँ आने को तैयार थी,,,,सब पंगा हो गया था वो भी मेरी वहज से,,,

सोनिया हर्ट हुई मेरी वजह से,,,,कविता की तबीयत ठीक नही थी वो भी मेरी वजह से,,,,,,

अब मैं किसी को हर्ट नही करना चाहता था,,,इसलिए रात तक कहीं बाहर टाइम पास करना चाहता था,,और वैसे
भी जाने अंजाने ही सही मैने सोनिया को हर्ट किया था और जाने अंजाने ही सही उसके करीब होके मैं कुछ गर्म
हो गया था मुझे ये गर्मी निकालनी थी कहीं ना कहीं,,,,और सबसे अच्छा रास्ता था अलका आंटी और शिखा को अपने
साथ बुटीक पर लेके जाना,,,उन्ही के साथ मस्ती कर सकता था मैं,,और इस तरह मैं कुछ देर घर से बाहर
और सोनिया से दूर रह सकता था,,,,,क्यूकी जितना टाइम मैं घर पर रहूँगा उतना टाइम यही डर रहेगा कि कहीं
मैं सोनिया को हर्ट नही कर दूं,,,

मैं सीढ़ियों से उपर चला गया,,,सोनिया को भी उपर आए 25-30 मिनट हो गये थे,,,मेरे कपड़े उसी रूम मे
थे जहाँ सोनिया थी और मुझे उस रूम मे जाने से बहुत डर लग रहा था लेकिन जाना भी ज़रूरी था,,,मुझे पता
था मैं उसका सामना नही कर सकता ,,फिर भी हिम्मत करके मैं उसके रूम मे चला ही गया,,,मैने हिम्मत
करके बड़ी धीरे से दरवाजा खोला और अंदर देखने लगा,,मैने देखा सोनिया अपने बेड पर नही थी ,,मैने
दरवाजा थोड़ा और खोला और रूम मे देखने लगा मैं इतना डरा हुआ था कि मैं खुद न्ही गया अंदर बस
अपने सर को दरवाजे से अंदर किया था और दरवाजा भी इतना ही खोला था जिस से मेरा सर अंदर चला जाए और मैं
अंदर देख सकूँ,,,,


मैने सर को दरवाजे से अंदर किया और रूम मे हर तरफ देखने लगा,सोनिया कहीं नही थी,,,शायद वो बाथरूम
मे होगी या शायद बुक लेके भुआ वाले ड्रॉयिंग रूम मे स्टडी करने चली गई होगी,,,मैं जल्दी से रूम
मे घुस गया और अपने कपड़े निकालने लगा और कपड़े निकालते हुए मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला
हुआ था इसका मतलब सोनिया बाथरूम मे नही थी,,मैने रूम को अंदर से लॉक किया और जल्दी अपने कपड़े निकाले
और बेड पर रखे फिर अपने कपड़े उतार दिए और बाथरूम मे घुस गया नहाने के लिए लेकिन इस बाथरूम की
तो टॅब खराब थी पानी बहुत कम निकलता था,,,इसलिए मैने कपड़े वहीं रहने दिए और शोभा के रूम मे चला
गया क्यूकी उसके रूम का बाथरूम और तब ठीक से काम करती थी,,,मैं जल्दी से नहा धो कर तैयार हो गया और
घर से निकल गया,,,,जब मेन गेट खोलकर बाइक को बाहर निकाल रहा था तभी मैने देखा कि सोनिया भुआ वाले
ड्रॉयिंग रूम की खिड़की पर बैठी हुई थी जिसकी खिड़की घर के फ्रंट गर्दन की तरफ खुलती थी,,,,मैने एक बार
उसकी तरफ देखा तो वो कुछ उदास लग रही थी,,,मैं भी उसको देखकर उदास हो गया लेकिन मैने ज़्यादा ध्यान
नही दिया उसकी तरफ क्यूकी मैं जितना देखता उतना ही उदास होता और उसको भी उदास कर देता,,,,मैने बाइक निकाली
और वहाँ से चला गया,,,

मेरा दिल किया करण के घर जाने को लेकिन मैं करण के घर नही गया बस शिखा दीदी को फोन कर दिया और
बोल दिया भुआ के बुटीक पर आने को ,,मैं घर से जाते टाइम बुटीक की चाबी साथ लेके गया था,,मैं
खुद उपर जाके बैठ गया और शिखा दीदी और अलका आंटी का वेट करने लगा,,,,वो लोग भी कुछ देर मे वहाँ आ
गई ,,,उन्होने नीचे आके बेल बजाई तो मैं नीचे चला गया गेट खोलने क लिए,,

मैने नीचे जाके गेट खोला तो शिखा दीदी और अलका आंटी को देखकर खुश हो गया,,वो दोनो ने बहुत ही ज़्यादा
सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी,,,,शिखा ने एक स्किन कलर का टाइट फिटिंग सूट पहना हुआ था जो उसके बदन से एक दम
चिपका हुआ था वो सूट इतना ज़्यादा टाइट था कि जो भी देखता शिखा दीदी को उसको दीदी के जिस्म का सही सही नाप
मिल जाता ,,,,उसके बड़े बड़े बूब्स जो सूट के उपर से बाहर निकल रहे थे ,,उनका पेट जो एक दम सपाट था
और वो मोटी नही थी लेकिन हल्के भरे बदन की थी इसलिए उनका हल्का सा पेट बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रहा था उस
टाइट फिटिंग सूट मे,,मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया ,,,,मैने सोचा कि ये तो पंगा हो गया,,,भले ही उसने मुझा रोका नही लेकिन फिर भी वो रोने तो लगी थी मेरी
इस हरकत से ,,,मैं कुछ नही करना चाहता था लेकिन वो मेरे इतने पास थी कि मेरे से खुद पर क़ाबू नही
हुआ,,और ग़लती उसकी है मेरी नही मैने कितनी बार बोला मेरे पास मत आया करो लेकिन वो है कि सुनती ही नही,,,
पर अब तो वो मेरी आँख की वजह से मेरे पास आई थी ताकि मेरा दर्द ठीक कर सके लेकिन मैं ऐसा कमीना
इंसान जो अपना दर्द कम करने वाली सोनिया को ही हर्ट कर दिया था,,वो रोने लगी थी,,सिर्फ़ मेरी वजह से,,,


मुझे पता था वो यहाँ से नही जाएगी इसलिए मैं कविता को फोन करने को सोची ताकि कविता यहाँ आ
जाएगी और उसके होते हुए मैं सोनिया के पास भी नही जाउन्गा और शायद कविता के आने पर मेरा ज़्यादा ध्यान
कविता पर रहेगा ,,,,,और वैसे भी मेरा बड़ा दिल कर रहा था अब कविता से मिलने को,,,सोनिया ने एक आग जो
लगा दी थी पूरे जिस्म मे जिसको कविता ही भुजा सकती थी,,,,,लेकिन कविता ने तो सॉफ सॉफ मना कर दिया था
आने से,,उसने बोला कि सूरज भाई घर पर नही है वो नही आ सकती ,,,,मैने बोला कि मैं उसके घर आ जाता
हूँ तो उसने इस बात से भी मना कर दिया,,,,,,

क्यूकी उसके घर जाके मैं कामिनी भाभी के साथ तो कुछ नही कर सकता था और कविता ने सीधी तरह से बोल
दिया था कि उसकी तबीयत ठीक नही है,,,तो भला मैं उसके घर जाके क्या करता,,,,


मैं करीब 25-30 मिनट ऐसे ही सोचता रहा ,,कभी सोनिया के बारे मे तो कभी कविता का बारे मे,,

फिर सोचा कि क्यूँ ना करण के घर चला जाए,,,,वहाँ से शिखा को या अलका आंटी को लेके बुटीक पर चला
जाउन्गा मस्ती करने के लिए,,,और अगर ना भी मस्ती कर सका तो कम से कम घर से बाहर तो चला जाउन्गा,,और
रात होने से पहले घर वापिस नही आउन्गा,,,और रात को आके खुद को मोम-डॅड के रूम मे बंद कर लूँगा ताकि
रात को सोनिया के साथ कुछ ग़लत हरकत नही कर सकूँ,,,

अभी 3 बजे थे और रात होने मे कम से कम 4-5 अवर्स थे,,,मुझे 4-5 अवर्स कहीं बाहर टाइम पास करना
ही होगा,,,इसलिए रेडी होने के लिए मैं उपर जाने लगा क्यूकी मेरे कपड़े उपर पड़े हुए थे,,,,सोनिया के रूम
मे,,,,,मुझे वहाँ जाने मे डर तो लग रहा था लेकिन वहाँ जाना भी ज़रूरी था क्यूकी मैं इन कपड़ो मे तो
घर से बाहर नही जा सकता था,,,,खैर ''मैं हिम्मत करके उपर की तरफ चलने लगा,,,,,

25-30 मिनट नीचे बैठा रहा और सोचता रहा कि अब क्या किया जाए,,,,

सोनिया ने मेरी आँख का दर्द कम करने की कोशिश की लेकिन मैने उसका ही दर्द बढ़ा दिया था ,,उसको हर्ट किया
था रुला दिया था,,,अब मुझे कैसे भी करके रात तक उस से दूर रहना था क्यूकी वो कविता के घर जाने को
तैयार नही थी,,,,और ना ही अब कविता यहाँ आने को तैयार थी,,,,सब पंगा हो गया था वो भी मेरी वहज से,,,

सोनिया हर्ट हुई मेरी वजह से,,,,कविता की तबीयत ठीक नही थी वो भी मेरी वजह से,,,,,,

अब मैं किसी को हर्ट नही करना चाहता था,,,इसलिए रात तक कहीं बाहर टाइम पास करना चाहता था,,और वैसे
भी जाने अंजाने ही सही मैने सोनिया को हर्ट किया था और जाने अंजाने ही सही उसके करीब होके मैं कुछ गर्म
हो गया था मुझे ये गर्मी निकालनी थी कहीं ना कहीं,,,,और सबसे अच्छा रास्ता था अलका आंटी और शिखा को अपने
साथ बुटीक पर लेके जाना,,,उन्ही के साथ मस्ती कर सकता था मैं,,और इस तरह मैं कुछ देर घर से बाहर
और सोनिया से दूर रह सकता था,,,,,क्यूकी जितना टाइम मैं घर पर रहूँगा उतना टाइम यही डर रहेगा कि कहीं
मैं सोनिया को हर्ट नही कर दूं,,,

मैं सीढ़ियों से उपर चला गया,,,सोनिया को भी उपर आए 25-30 मिनट हो गये थे,,,मेरे कपड़े उसी रूम मे
थे जहाँ सोनिया थी और मुझे उस रूम मे जाने से बहुत डर लग रहा था लेकिन जाना भी ज़रूरी था,,,मुझे पता
था मैं उसका सामना नही कर सकता ,,फिर भी हिम्मत करके मैं उसके रूम मे चला ही गया,,,मैने हिम्मत
करके बड़ी धीरे से दरवाजा खोला और अंदर देखने लगा,,मैने देखा सोनिया अपने बेड पर नही थी ,,मैने
दरवाजा थोड़ा और खोला और रूम मे देखने लगा मैं इतना डरा हुआ था कि मैं खुद न्ही गया अंदर बस
अपने सर को दरवाजे से अंदर किया था और दरवाजा भी इतना ही खोला था जिस से मेरा सर अंदर चला जाए और मैं
अंदर देख सकूँ,,,,


मैने सर को दरवाजे से अंदर किया और रूम मे हर तरफ देखने लगा,सोनिया कहीं नही थी,,,शायद वो बाथरूम
मे होगी या शायद बुक लेके भुआ वाले ड्रॉयिंग रूम मे स्टडी करने चली गई होगी,,,मैं जल्दी से रूम
मे घुस गया और अपने कपड़े निकालने लगा और कपड़े निकालते हुए मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला
हुआ था इसका मतलब सोनिया बाथरूम मे नही थी,,मैने रूम को अंदर से लॉक किया और जल्दी अपने कपड़े निकाले
और बेड पर रखे फिर अपने कपड़े उतार दिए और बाथरूम मे घुस गया नहाने के लिए लेकिन इस बाथरूम की
तो टॅब खराब थी पानी बहुत कम निकलता था,,,इसलिए मैने कपड़े वहीं रहने दिए और शोभा के रूम मे चला
गया क्यूकी उसके रूम का बाथरूम और तब ठीक से काम करती थी,,,मैं जल्दी से नहा धो कर तैयार हो गया और
घर से निकल गया,,,,जब मेन गेट खोलकर बाइक को बाहर निकाल रहा था तभी मैने देखा कि सोनिया भुआ वाले
ड्रॉयिंग रूम की खिड़की पर बैठी हुई थी जिसकी खिड़की घर के फ्रंट गर्दन की तरफ खुलती थी,,,,मैने एक बार
उसकी तरफ देखा तो वो कुछ उदास लग रही थी,,,मैं भी उसको देखकर उदास हो गया लेकिन मैने ज़्यादा ध्यान
नही दिया उसकी तरफ क्यूकी मैं जितना देखता उतना ही उदास होता और उसको भी उदास कर देता,,,,मैने बाइक निकाली
और वहाँ से चला गया,,,

मेरा दिल किया करण के घर जाने को लेकिन मैं करण के घर नही गया बस शिखा दीदी को फोन कर दिया और
बोल दिया भुआ के बुटीक पर आने को ,,मैं घर से जाते टाइम बुटीक की चाबी साथ लेके गया था,,मैं
खुद उपर जाके बैठ गया और शिखा दीदी और अलका आंटी का वेट करने लगा,,,,वो लोग भी कुछ देर मे वहाँ आ
गई ,,,उन्होने नीचे आके बेल बजाई तो मैं नीचे चला गया गेट खोलने क लिए,,

मैने नीचे जाके गेट खोला तो शिखा दीदी और अलका आंटी को देखकर खुश हो गया,,वो दोनो ने बहुत ही ज़्यादा
सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी,,,,शिखा ने एक स्किन कलर का टाइट फिटिंग सूट पहना हुआ था जो उसके बदन से एक दम
चिपका हुआ था वो सूट इतना ज़्यादा टाइट था कि जो भी देखता शिखा दीदी को उसको दीदी के जिस्म का सही सही नाप
मिल जाता ,,,,उसके बड़े बड़े बूब्स जो सूट के उपर से बाहर निकल रहे थे ,,उनका पेट जो एक दम सपाट था
और वो मोटी नही थी लेकिन हल्के भरे बदन की थी इसलिए उनका हल्का सा पेट बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रहा था उस
टाइट फिटिंग सूट मे,,मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया ,,,,
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07-16-2019, 11:51 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
ऐसे क्या देख रहे हो सन्नी इतना बोलकर शिखा दीदी अंदर आ गई और आते ही मेरे से चिपक गई,,वो इतनी ज़ोर से
आके मेरे गले लगी थी कि धक्के से मेन गेट से 2-3 कदम पीछे खिसक गया था,,शिखा दीदी ने गले लगते ही
मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रखे और मुझे किस करना शुरू कर दिया और मैं तो वैसे ही सोनिया की वजह से गर्म होके
आया था घर से और अब शिखा दीदी को इस टाइट फिटिंग सूट मे देखकर मूड और भी खराब हो गया था लेकिन शिखा
दीदी को किस करते हुए मैं पीछे अलका आंटी की तरफ देख रहा था जो गेट से अंदर आके गेट बंद कर चुकी
थी और सामने से चलके मेरे और दीदी की तरफ आ रही थी,,,मैने उसको देखा तो जो गर्मी जो आग सोनिया और शिखा
दीदी ने लगाई थी मेरे जिस्म मे अलका आंटी ने उस आग मे अपने हुस्न का आयिल डालके उस आग को और भी ज़्यादा भड़का दिया था,,,,,


सही कहा है किसी ने,,,,जब औरत की उमर हो 16-17 (सोलह-सत्रा) तो वो बन जाती है जवान लंड के लिए ख़तरा ,,

और जब हो उसकी उमर 29-30 (उनतीस-तीस) तो वो बन जाती है एक दम मस्त चीज़

और जब हो उसकी उमर 45-50 (पेंतालीस-पचास) इतनी चुदक्कड हो जाती है नही बुझती है उसकी प्यास,,,,,फिर वो
प्यास चाहे उस औरत की हो या लंड घुसाने वाले मर्द की,,,,,

अभी अलका आंटी भी मुझे बहुत ज़्यादा चुदक्कड लग रही थी,और वही प्यास मुझे अलका आंटी मे नज़र आ रही थी,,,
वो आज इतनी ज़्यादा चुदासी लग रही थी कि गेट बंद करके जिस अंदाज़ से वो मुझे देख रही थी ऐसे लग रहा था
जैसे किस तो मुझे शिखा दीदी कर रही है लेकिन मेरे होंठों मे स्वाद आ रहा था अलका आंटी के होंठों का ,,,
अलका आंटी हम दोनो से दूर खड़ी होके अपने लोवर लिप्स को वापिस पलट कर अपने मुँह मे भरके दाँतों से
काट रही थी,,,

अभी अलका आंटी ने एक ब्लॅक कलर की साड़ी पहनी हुई थी,,वो गेट के पास खड़ी हुई थी और अपने लिप्स को अपने
मुँह मे भरके दाँतों से हल्के हल्के काट रही थी ,,उनकी आँखों मे एक नशा था एक मस्ती थी और उसी मस्ती
मे वो अपने बूब्स को अपने हाथों मे भरके दबा रही थी ,,उनके बूब्स ब्लाउस से आधे से भी ज़्यादा बाहर
निकले हुए थे लेकिन जब वो अपने बूब्स को अपने ही हाथों मे पकड़ कर दबा रही थी तो उनके बूब्स और भी
ज़्यादा बाहर निकलने को मचल रहे थे,,,,,,वो मस्ती मे मुझे देखती हुई अपने बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा
रही थी तभी उन्होने अपने हाथ को अपने पेट की तरफ किया और पेट के आगे से साड़ी को साइड हटा दिया और मैं
उनका हल्का सा मोटा गौरे रंग का मखमली पेट देखकर मस्ती मे शिखा को जबरदस्त किस करने लगा,,शिखा
भी पहले से मुझे पागलो की तरह किस कर रही थी,,,

फिर अलका आंटी ने आगे बढ़ कर शिखा को पकड़ कर साइड कर दिया,,,,,चल पीछे हट बेटी पहले मुझे ज़रा चख
लेने दे इस सन्नी के होंठों का रस तू बाद मे चख लेना,,,,,आंटी ने शिखा को साइड किया और खुद मेरे से
चिपक गई,,

अरे रूको ना आंटी,,,,यहाँ नही उपर चलते है,,,अगर चुदाई का मज़ा लेना ही है तो अच्छी तरह उपर चलके लेते
है ना,,,,,मैने इतना बोला और शिखा जल्दी से उपर की तरफ चलने लगी जबकि अलका आंटी और मैं हाथों मे हाथ
डालके एक साथ उपर की तरफ जाने लगे,,,,मैं और अलका आंटी अभी पीछे थे कि शिखा एक रूम मे घुस गई और
जब तक मैं और अलका आंटी वहाँ पहुँचे तब तक वो अपनी कमीज़ उतार चुकी थी और सलवार खोलने मे लगी
हुई थी,,,,

उसको देखकर अलका आंटी हँसने लगी,,,लगता है इस लड़की की चूत मे कुछ ज़्यादा ही आग लगी हुई है,,,आंटी की
बात सुनके मैं भी हँसने लगा,,,,,हाँ आंटी जी मुझे भी ऐसा ही लगता है और आग तो मुझे भी लगी हुई है
कहो तो भुजा ले आग से आग को,,

अरे बेटा इसलिए तो यहाँ आई हूँ मैं ताकि आग से आग भुजा सकूँ,,,,,इतने दिन से चुदाई नही की आज तो सारी आग
भुजा लूँगी,,,,


पर आंटी जी अभी कल ही तो हम सबने मिलकर इतना मज़ा किया था ,,,,आप थी मैं था ,,करण शिखा और मेरी माँ
भी तो थी साथ मे,,,कितना मज़ा किया था कल भूल गई,,,

नही बेटा कुछ नही भूली,,,लेकिन करण के पापा को बाहर गये कितने महीने हो गये है जबकि तुम लोगो को चुदाई
करते हुए अभी कुछ ही टाइम हुआ है,,,अब तो जब तक 3-4 महीने दिल भरके चुदाई नही करती तब तक नही आग
भुजने वाली मेरी चूत की,,,

सही बोला आंटी जी,,,वैसे भी आप जैसी खूबसूरत औरत को दिन मे 2-3 बार तो चुदाई करवानी ही चाहिए,,,और
सच बोलू तो अगर मैं आपका पति होता तो रोज आपकी चुदाई करता,,,मुझे तो गुस्सा आता है अंकल पर जो आप जैसी
मस्त औरत को छोड़कर दूर चला गया है,,,मैं तो कभी आपसे दूर नही जाता,,,,

हयी मैं मर जावा सन्नी,,,,काश तू ही मेरा पति होता तो मैं भी तेरे को दूर नही जाने देती,,,इतना चुदवाती
तेरे से कि चूत को फाड़ कर रख देती,,,और गान्ड मे तो इतना लंड घुसाती की गान्ड का भोसड़ा बन जाता,,,अलका
आंटी ऐसे बात कर रही थी इसका मतलब था वो आज फुल मस्ती के मूड मे थी,,शिखा भी अपनी माँ की बातों
से मस्त होके नगी होके बेड पर लेट गई थी और चूत पर उंगली करते हुए एक हाथ से अपने बूब्स को मसल्ने
लगी थी,,,,,

अब जल्दी आ जाओ ना आप लोग भी ,देखो मेरी चूत से अमृत रस भी बहने लगा है,,,,,शिखा ने अपनी चूत मे
उंगली घुसा दी और चूत के पानी से गिल्ली हो चुकी उंगली को मेरी और अलका आंटी की तरफ करके दिखाने लगी थी,,
Reply
07-16-2019, 11:51 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
इतनी भी क्यूँ बैसब्रि हो रही हो बेटी ,,थोड़ा आराम से,,,अगर मज़ा लेना ही है तो जल्दबाज़ी क्या करनी,,,अलका ने
अपने ब्लाउस को खोलते हुए ये बात बोली और फिर ब्लाउस को उतार कर साइड मे रख दिया,,

जल्दबाज़ी है मुझे माँ,,,उधर करण की शादी हो गई है हर रात वो सुहागरात मना रहा है और हम दोनो
नकली लंड से काम चला रही है,,,,शिखा थोड़ी चिड़ते हुए बोली,,,

तभी मैने अलका आंटी को अपनी बाहों मे पकड़ा और उनके बूब्स को मसल्ते हुए बोला,,,चलो आंटी इसकी चूत
की आग भुजा ही देते है कितनी तड़प रही है बेचारी,,,इतना बोलकर मैं आंटी के साथ बेड के पास चला गया,,

बेड के पास जाके आंटी मेरी टी-शर्ट उतारने लगी,,,,हां बेटा आग तो भुजानी ही पड़ेगी और इसकी बात भी सही है
करण तो रोज सुहागरात मना रहा है और हम दोनो को नकली लंड से काम चलाना पड़ता है वो भी छुप-छुप
कर,,या रात को हम दोनो साथ सोती है तब,,,,लेकिन तब भी बहुत ध्यान देना पड़ता है,,,,यहाँ हम डरती
रहती है और वहाँ करण रितिका के साथ सुहागरात मनाता रहता है,,,,

मेरी टी-शर्ट उतर चुकी थी और मैं खुद अपने हाथों से अपनी पॅंट को उतार रहा था,,,,वैसे आंटी आप लोगो ने
उसकी सुहागरात का बेड बहुत अच्छा सजाया था,,,मैं तो तभी मस्त हो गया था दिल किया उस बेड पर जाके मैं भी
थोड़ी मस्ती करलूँ,,

तभी शिखा बोल पड़ी,,,,कोई बात नही सन्नी,,,ऐसा ही बेड हम फिर से सज़ा देंगी तेरे लिए और मैं उसी बेड पर
तेरे साथ सुहागरात भी मनाउन्गी तू फ़िक्र मत कर,,,,बस आज इस चूत की प्यास भुजा दे,,,,

मेरी पॅंट निकल चुकी थी और मैं अपने हाथों से अलका आंटी के बूब्स को मसल रहा था और आंटी खुद अपने
अपनी साड़ी को निकाल कर पेटिकोट को खोल रही थी,,,,और पल भर मे पेटिकोट नीचे गिर गया और हम दोनो नंगे
हो गये,,,,शिखा तो पहले से नंगी थी बेड पर,,,,

हां बेटा सही कहा इसने,,,,एक दिन तेरी भी सुहागरात की बेड सज़ा दूँगी मैं ,,,,,,और तेरी सुहागरात की दुल्हन
होगी ये शिखा,,,,पूरी रात मस्ती करना इसके साथ,,,,

ये अकेली क्यूँ आंटी जी,,,,,,अब भी साथ रहना आंटी जी,,,एक रात मे 2-2 दुल्हन से सुहागरात मनाउन्गा मैं,,,
मैने ये बात आंटी के बूब्स दबाते हुए बोली,,,और फिर हम लोग बेड पर शिखा के पास चले गये,,,और फिर
शुरू हुआ चुदाई का खेल जो रात तक चलता रहा,,,

मैने 3-4 अवर्स मे 2 बार चुदाई की थी और एक बार पानी निकाला था शिखा के मुँह मे और एक बार अलका आंटी
के मुँह मे,,,अलका आंटी और शिखा भी 2 बार झड़ी थी और मैने उनकी छूट का पानी पिया था,,फिर हम लोग
वहाँ से अपने अपने घर की तरफ चल पड़े,,,,
Reply
07-16-2019, 11:52 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अलका आंटी मुझे रोकना चाहती थी और शिखा भी,,वैसे मैं भी रुकना चाहता था उन लोगो के साथ बुटीक पर
लेकिन सोनिया घर पर अकेली थी और मुझे उसकी टेन्षन थी,,ये बात अलका आंटी और शिखा को भी पता था कि सोनिया
घर पर अकेली है इसलिए उन लोगो ने मुझे नही रोका और अगर रोकती भी तो भी मैं नही रुकता,,,,

बुटीक पर लॉक लगा कर मैं चला अपने घर की तरफ और शिखा अलका आंटी को लेके चल पड़ी अपने घर की
तरफ,,,,

मैं घर पहुँचा तो काफ़ी लेट हो गया था,,,10 बजे से उपर हो गया था टाइम,,,सर्दिया शुरू हो गई थी इसलिए
रात जल्दी हो गई थी और 10 बजे का मतलब था आधी रात ,,,मैने गेट खोला और बाइक अंदर किया फिर मेन डोर
पर जाके बेल बजाई तो पहली बेल पर ही सोनिया ने आके दरवाजा खोल दिया,,

दरवाजा खोलकर सोनिया ने मेरी तरफ देखा ,,और मैने भी उसकी तरफ देखा,,,,कुछ टाइम हम लोगो की नज़रे मिली
और फिर उसने अपनी नज़रे झुका ली और दरवाजे से एक साइड की तरफ हो गई,,,,उसके साइड होते ही मैं घर के अंदर
चला गया,,,,


मैं मोम के रूम मे जाने लगा तभी सोनिया ने दरवाजा बंद करके मुझे आवाज़ लगा दी,,,,इतनी लेट क्यूँ हो
गये भाई,,,मैं कब्से तुम्हारा वेट कर रही थी,,,इतने फोन किए तुमने फोन भी नही उठाया मेरा,,

मैं उसको इग्नौर करना चाहता था लेकिन ये काम मेरे लिए मुश्किल था,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यूँ वेट कर रही थी
चुप चाप सो नही सकती थी क्या,,,

उसने मायूस होके बोला,,,,,भाई मैं डिन्नर के लिए तेरा वेट कर रही थी,,ताकि तुम आओ और हम भाई बेहन एक
साथ बैठकर डिन्नर करे,,,,मैने तेरी पसंद का सब कुछ बनाया है,,


किसने बोला था मेरी पसंद का बनाने को और किसने कहा था वेट करने को,,,खुद डिन्नर कर लेती,,,मैने थोड़ा
चिड़ते हुए बोला,,,

ऐसे क्यूँ बोल रहा है भाई गुस्से से,,,मैने तो सब कुछ तेरी वजह से किया,,,,इतना बोलकर वो डाइनिंग टेबल के पास
गई और वहाँ से एक कटौरी लेके मेरे पास आ गई,,

देख भाई मैने तेरी पसंद की खीर भी बनाई है,,,,पता है कितना टाइम लगा ये खीर बनाने मे ,,,और तू
है कि गुस्सा कर रहा है,,

मुझे नही खानी कोई खीर-वीर,,,और किसने बोला था ये सब ड्रामा करने को,,,मैने बोला था क्या,,,,,,मुझे
नही खाना कुछ भी ,,मैं बाहर से खाना खाकर आया हूँ और अब मुझे नींद आ रही है,,,,

तभी वो रोने लगी और उसकी आँख से एक आँसू निकला और खीर वाली कटौरी मे गिर गया,,,,उसने खीर वाली कटौरी को
वापिस रखा डाइनिंग टेबल पर और रोते हुए बोनले लगी,,,,

ठीक है मत खाओ सो जाओ जाके,,,,मैं ही पागल हूँ जो इतनी मेहनत से सब कुछ बनाया तेरे लिए और तू है की
गुस्सा कर रहा है,,,खुद ग़लती करता है ,,,खुद बुरे काम करता है और खुद ही गुस्सा भी करता है,,,जाओ सो
जाओ जाके ,,,तुमको नही खाना तो मुझे भी नही खाना,,,,इतना बोलकर वो रोती जा रही थी,,,

मेरा दिल किया उसको चुप करवाने को क्यूकी मुझसे कुछ भी बर्दाश्त होता था लेकिन उसकी आँखों मे आँसू
मेरे से बर्दाश्त नही होते थे,,,लेकिन उसका रोना ज़रूरी था और उसका गुस्से होना भी ज़रूरी था,,क्यूकी वो गुस्सा
रहेगी तभी मेरे से दूर रहेगी,,,,

नही खाना तो मत खा ,,जा दफ़ा हो जा यहाँ से और चली जा उपर अपने कमरे मे,,,,मैने थोड़ा गुस्से से चिड़ते
हुए बोला तो वो फूट-फूट कर रोने लगी और वहाँ से भाग कर उपर चली गई,,,,,


मैं भी आके मोम के रूम मे लेट गया,,,मेरा मूड भी काफ़ी खराब हो गया था मैं बस सो जाना चाहता
था,,इसलिए मैं उठा और डॅड की अलमारी से पयज़ामा निकाल कर पहन लिया और वापिस बेड पर लेट गया,,,लेकिन मुझे
नींद नही आ रही थी,,,,एक तो मैने सोनिया पर गुस्सा करके उसको रुला दिया था इस बात से मुझे खुद पर भी
गुस्सा था पर मेरा ऐसा करना भी ज़रूरी था उस से दूर रहने के लिए,,,और दूसरा मैं भूखा भी था और भूखे
पेट नींद नही आती,,,,इसलिए मैं बाहर डाइनिंग टेबल पर आया जहाँ खाना ऐसे ही पड़ा हुआ था,,और वहीं पड़ी
हुई थी वो खीर वाली कटौरी,,,,

मुझे खीर बहुत अच्छी लगती थी और अब मुझे भूख भी बहुत लगी हुई थी इसलिए मैने खीर वाली कटौरी उठाई
और खीर खाने लगा लेकिन तभी मेरा दिल पसीज गया,,,वो खीर एक दम नमकीन लग रही थी मुझको,,हालाकी
उसमे बहुत मीठा स्वाद होता है लेकिन इस खीर मे एक आँसू गिरा था सोनिया का जिस से खीर नमकीन लगने लगी
थी मुझे,,मुझे खीर ख़ाके खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था,,मैने उस मासूम को क्यूँ रुला दिया,,उसकी क्या
ग़लती थी, जो ग़लती थी सब मेरी थी,,,मैं हवस मे इतना अँधा हो गया था कि अपनी मासूम बेहन पर गुस्सा करने
लगा था उसको हर्ट करने लगा था ,,,,

अपने ज़ज़्बातों मे मैं इतना पागल हो गया था कि उन्ही ज़ज़्बातों की वजह से मेरी ज़ुबान का टेस्ट भी बदल
गया था,,,,मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था,,,उस मासूम के एक आँसू मे इतना खारा-पन था कि खीर भी
नमकीन हो गई थी,,,,

फिर मुझे याद आया कि मुझे भूखे पेट नींद नही आ रही थी तो भला सोनिया को कैसे नींद आएगी,,,उसने
भी तो कुछ नही खाया,,,,इसलिए मैं प्लेट मे खाना लगा कर उपर उसके रूम मे चला गया,,मैं रूम
मे गया तो लाइट जल रही थी और वो पिल्लो को हग करके रो रही थी,,,उसकी पीठ थी दरवाजे की तरफ इसलिए उसने
मुझे रूम मे अंदर आते नही देखा,,,,,मैं रूम मे गया और खाने की प्लेट को हाथ मे लेके उसके बेड के
पास चला गया,,फिर एक हाथ से उसको हिलाने लगा लेकिन मैं उसको हाथ नही लगाना चाहता था इसलिए मैं उसके
हाथ मे पकड़े हुआ पिल्लो को पकड़ कर उसको खींचा तो सोनिया का ध्यान मेरी तरफ आया,,,,वो एक दम से
उठकर बैठ गई ,,,,

मैं भी उसके बेड पर बैठ गया और खाने की प्लेट को हम दोनो के बीच मे रख लिया,,फिर हाथ आगे बढ़ाकर
उसके आँसू पोन्छने लगा,,,,,उसने मेरा हाथ झटक दिया और गुस्सा करने लगी,,,,मेरे से रूठने लगी,,,

अब क्यूँ आया है तू यहाँ,,,जा चला जा यहाँ से मुझे बात नही करनी तेरे से,,तू बहुत बुरा है,,,वो रोते हुए
हल्के गुस्से से बोल रही थी,,,

मत बात कर ,,,लेकिन ये खाना तो खा ले,,,

मुझे नही खाना,,,मुझे भूख नही है,,,,

अच्छा बाबा सौरी,,,,ग़लती हो गई,,इतना बोलकर मैने रोटी का एक नीवाला तोड़ा और उसके मुँह की तरफ ले गया,,,,चल
अब माफ़ कर्दे मुझे और खाना खा ले,,,

उसने मेरा हाथ पीछे कर दिया,,,,मुझे नही खाना,,इतना बोलकर उसने अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,

देख तू नही खाएगी तो मैं भी नही खाउन्गा,,,,,मैने थोड़ा उदास होके बोला,,

लेकिन तू तो बोल रहा था तू बाहर से ख़ाके आया है भाई,,,,झूठ बोल रहा था क्या तू भाई,,,,

हां मैं झूठ बोल रहा था और अब सच बोल रहा हूँ ,,मुझे बहुत भूख लगी है गुस्सा थूक दे मेरी
छुटकी बहना और खाना खा ले वर्ना मुझे भी भूखा रहना पड़ेगा,,,,

उसने अपने हाथों से अपने आँसू पोन्छ दिए और तभी मैने अपने हाथ को आगे किया तो उसने मुँह खोलकर मेरे
हाथ से वो नीवाला खा लिया,,,और खाते हुए बोली,,,,,,तू सच मे बहुत बुरा है भाई,,,कभी कभी बहुत गुस्सा
आता है तुझपे,,,,

जानता हूँ,,,मैं बहुत बुरा हूँ,,,,और तुम बहुत अच्छी हो,,,,चलो अब अच्छी बच्ची बनके खाना खा लो और
सो जाओ,,,,मैं भी चलता हूँ नीचे और खाना ख़ाता हूँ,,,,

यहीं बैठ जाओ भाई हम साथ मिलकर खाना खाते है,,,,उसने बड़े प्यार से बोला,,,

नही पगली,,,मैं यहाँ नही बैठ सकता ,,मुझे नीचे जाना होगा,,तू समझ रही है ना मेरी बात,,,,मैं यहाँ
नही रुक सकता ज़्यादा देर,,,,क्यूकी मैं तुझे और ज़्यादा हर्ट नही करना चाहता ,,,मैने उसको इतना बोला और वो
मेरी बात का मतलब समझ गई,,,,

उसने हां मे सर हिला दिया और बता दिया कि वो मेरी बात समझ गई है,,,

फिर वो खाना खाने लगी और मैं वहाँ से बाहर आने लगा और आते हुए मैं उसके दरवाजे के पास खड़ा हो गया
और पीछे मूड के उस से बोला,,,,

खीर बहुत अच्छी बनी है सोनिया,,,तुम भी खा लेना ,,,,मैने ये बात हंस कर बोली तो उसके फेस पर भी हल्की
स्माइल आ गई,,,

फिर मैं नीचे आ गया और प्लेट मे डिन्नर लगाने लगा,,,लेकिन तभी मेरी नज़र पड़ी उस कटौरी पर जिसमे खीर
थी और सोनिया का एक आँसू गिर गया था,,,,,मैने खाना प्लेट मे लगाने से पहले खीर की कटौरी उठा ली और फिर
से एक स्पून खीर लेके मुँह मे डालके खाने लगा ,,,,अब वही खीर जो कुछ टाइम पहले मुझे नमकीन लगने
'लगी थी वो खीर फिर से मीठी हो गई थी इतनी ज़्यादा मीठी की मुझे लगने लगा जैसे मेरे मुँह मे शक्कर घुल
रही हो,,,,मैं समझ गया कि अगर सोनिया उदास हो तो मुझे कुछ भी अच्छा नही लगना और अब मैं सोनिया को खुश
करके आया था इसलिए मुझे खीर का स्वाद मीठा लगने लगा था,,,


सच कहते है लोग,,ज़ज़्बात सिर्फ़ इंसान का मिजाज़ ही नही ज़ुबान का स्वाद भी बदल देते है कभी कभी,,,,


मैने डिन्नर करके खीर की एक कटौरी भरके अपने साथ मोम डॅड के रूम मे ले गया और आराम से लेट कर खीर
का मज़ा लेने लगा,,,,खीर सच मे बहुत ही ज़्यादा स्वाद बनी थी,,,,चावल का एक एक दाना मुँह मे घुलता ही जा रहा
था,,,और ड्राइ फ्रूट्स तो पूछो मत कितने डाले थे सोनिया ने,,,,चावल के दाने कम और बादाम पिस्ता ज़्यादा मिल
रहे थे मुझे खीर मे,,,,

मैं बेड पर लेटा हुआ बड़े स्वाद से खीर का मज़ा ले रहा था और साथ मे अपने मोबाइल पर फेसबुक ऑन कर लिया था और
टाइम पास करने लगा था,,,तभी मुझे किसी के खांसने की आवाज़ आई तो मैने पीछे मूड कर देखा,,,

दरवाजे के पास सोनिया खड़ी हुई थी,,,,

तुम यहाँ क्या कर रही हो,,तुमको बोला था ना उपर रहने को,,,

भाई मैं तो डिन्नर वाले बर्तन रखने आई थी किचन मे,,,,

रख दिए ना,,,,अब जाओ और सो जाओ उपर जाके,,,,,

मैं तो सो जाउन्गा लेकिन तुम अभी तक क्यूँ नही सोए भाई,,,,,उसने मेरे से सवाल किया वो भी थोड़ा डरते हुए,,

मैं तो खीर खा रहा था ,,सच मे बहुत अच्छी बनी है खीर ,,पेट भर गया लेकिन दिल नही भर रहा खाने
से ,,,,दिल करता है बस ख़ाता जाऊ,,,,

तो खा लो ना किसने रोका है भाई,,,,आपके लिए तो बनाई थी मैने,,,

बहुत बहुत शुक्रिया मेरी छुटकी बहना मेरे लिए खीर बनाने का ,,,,अब जाओ उपर जाके सो जाओ टाइम बहुत हो गया
है,,,,

अभी नही सोना मुझे भाई,,,,कल एग्ज़ॅम है ना अभी तो एग्ज़ॅम की तैयारी करनी है,,,,,सोना तो बहुत देर बाद है मुझे
तभी उसने मेरे हाथ मे पकड़ा हुआ मोबाइल देख लिया,,,,,ये मोबाइल पर क्या कर रहे हो भाई,,,

कुछ नही बस खीर खाते हुए टाइम पास कर रहा था,,,,,

टाइम ही पास करना है तो एग्ज़ॅम की तैयारी मे टाइम पास करो ना ,,,मोबाइल मे क्या रखा है,,,वो थोड़े हल्के गुस्से
मे बोली थी,,,,मुझे पता है वो स्टडी के मामले मे कितनी सीरीयस रहती है हर टाइम,,,,

वैसे भाई तेरी तैयारी हो गई क्या एग्ज़ॅम की,,,उसने ये सवाल भी थोड़े गुस्से से किया था

उसने इतना पूछा तो मेरे से कोई लफ्ज़ नही निकला मुँह से मैं बस सर को झुका कर बैठ गया,,,

मैं पहले ही जानती थी भाई,,,तूने तैयारी नही की होगी,,,,सारा दिन पता नही कहाँ घूमता रहा और घर भी लेट
आया तू,,,,अब भी मोबाइल पर लगा हुआ है,,,,कुछ तो ध्यान दो भाई कल एग्ज़ॅम है तुम्हारा,,,

वो मैं वो ,,,,,मैं बस स्टडी करने ही वाला था खीर ख़तम करके,,,,
Reply
07-16-2019, 11:52 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
वो मेरी बात सुनके हँसने लगी,,,मैं सब जानती हूँ भाई तूने कोई तैयारी नही करनी बस जब मोबाइल से थक जाना था
तो सो जाना था तूने,,,,

उसकी बात से मैं भी हँसने लगा,,,,

चलो मेरे साथ उपर भाई मैं आपको क्वेस्चन्स की एक लिस्ट बना देती हूँ आप उस पर ध्यान देना तो कल पक्का
आपका एग्ज़ॅम बहुत अच्छा होगा,,,,

तभी मैं थोड़ा गुस्से से,,,,मुझे नही जाना उपर ,,जो लिस्ट बना कर देनी है यहीं देदे मुझे,,,

वो थोड़ा सहम गई मेरे गुस्से से,,,,भाई मुझे डर लगता है,,,

डर लगता है ,,,किस से,,,,मेरे से डर लगता है क्या,,,,मैने थोड़ा घबरा कर पूछा उस से,,,,

उसने कुछ नही बोला बस सर को झुका कर ना मे हिला दिया,,,,और बता दिया उसको मेरे से डर नही लगता,,

तो फिर किस से डर लगता है तुझे,,,,

मुझे अकेले उपर रहने से डर लगता है भाई,,,,उपर वाला सारा फ्लोर खाली है ना इसलिए,,,

तो इसमे क्या है,,,पहले भी तो अक्सर तू अकेली ही सोती थी ना उपर कुछ दिनो से,,,


तब कोई ना कोई होता था भाई घर मे उपर,,,, भुआ और शोभा दीदी होती थी ना,,,,,लेकिन आज तो बस मैं हूँ घर
पर और आप हो,,,,और आप नीचे सो रहे हो तू मुझे डर लगता है अकेले उपर रहने मे ,,,,आप चलो ना मेरे साथ
उपर भाई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़

नही मुझे नही जाना उपर तेरे रूम मे मैं यहीं ठीक हूँ,,,,मैं फिर थोड़ा गुस्से मे बोला,,,,

मैं उपर जाने को बोल रही हूँ भाई लेकिन अपने रूम मे नही,,,,उसने इतना बोला और शरमा कर सर को झुका
लिया,,,

मैं उसकी इस बात से थोड़ा शर्मसार हो गया,,,,


आप उपर चलो भाई और शोभा दीदी के रूम मे रहना ,,आपके वहाँ होने से मुझे डर नही लगेगा,,,,,

मैं थोड़ा अजीब फील करने लगा था,,,उसने उपर जाने को बोला लेकिन मुझे लगा वो अपने रूम मे जाने को बोल
रही थी,,,,,लेकिन मैं ग़लत था और मेरी इस बात से वो शरमा गई थी और मैं तो पानी पानी हो गया था शरम से

ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ,,,,

वो उपर चली गई और मैं उसके थोड़ी देर बाद उपर चला गया,,,,,मैं उसके रूम के पास जाके डोर पर नॉक किया
तो उसने दरवाजा खोला ,,,,,मैने देखा रूम की लाइट ऑफ थी बस एक नाइट लॅंप चल रहा था जो सोनिया और मेरे
बेड के बीच मे पड़े हुए टेबल पर पड़ा था,,,,रूम मे हल्की रोशनी थी उस लॅंप की,,,,,

सोनिया ने दरवाजा खोला और मुझे एक पेपर पकड़ा दिया,,,,भाई इसमे कुछ ज़रूरी क्वेस्चन्स लिखे हुआ है आप बस
एक बार ध्यान से इन क्वेस्चन्स को देख लेना ,,,कल के एग्ज़ॅम मे बहुत हेल्प हो जाएगी आपकी,,,,

मैं वहाँ से जाने लगा तो सोनिया बोली,,,,भाई कोई हेल्प की ज़रूरत पड़ी तो पूछ लेना,,,,

मैने वो पेपर पकड़ा और अपनी बुक लेके शोभा के रूम मे चला गया और जाके बेड पर बैठकर स्टडी करने लगा
,,,मैं खुद के ध्यान को पूरी तरह बुक पर लगा रहा था ताकि मेरे दिमाग़ मे सोनिया का ख्याल तक नही आए
और ऐसा ही हुआ,,मैं स्टडी मे इतना खो गया था कि कब रात के 2 बज गये पता ही नही चला,,,और मुझे नींद भी
नही आ रही थी,,,,तभी स्टडी करते हुए मैं एक क्वेस्चन मे थोड़ा उलझ गया,,मुझे उसका जवाब नही मिल रहा
था ,,,,मैने सोचा सोनिया से पूछ लेता हूँ क्यूकी वो भी स्टडी कर रही होगी और अब तक जाग ही रही होगी,,

मैं शोभा के रूम से निकला और सोनिया के रूम मे चला गया,,,,मैने दरवाजे खोला और अंदर देखा तो रूम
मे लॅंप जल रहा था,,,,सोनिया बेड की बॅक से पीठ लगाकर बैठी हुई थी उसकी टाँगें बेड पर बिछि हुई थी और
उसने अपनी बुक को अपनी टाँगों पर रखा हुआ था,,उसका एक हाथ उसी बुक पर था जबकि दूसरा हाथ अपने बेड
पर था,,,मुझे लगा वो स्टडी कर रही है लेकिन जब मैं उसके पास गया तो देखा कि उसका सर झुका हुआ था ,,गर्दन
नीचे की तरफ मूडी हुई थी,,,,वो स्टडी करते करते ऐसी ही हालत मे सो गई थी,,,पहले तो मुझे उस पर हँसी
आने लगी लेकिन फिर मुझे उसकी मासूमियत पर प्यार आने लगा,,,,

मैने देखा कि उसने अपनी टाँगों पर कंबल को घुटनो तक ओढ़ रखा था ,,और घुटनो के पास ही उसकी बुक
पड़ी हुई थी,,,,उसका एक हाथ बुक के उपर पड़ा हुआ था,,,,मैने हिम्मत करके उसके हाथ को पकड़ा और बुक से
उठा दिया फिर बुक को बंद करके साइड के टेबल पर रख दिया,,,,,,मुझे ऐसा करते हुए डर तो लग रहा था लेकिन
फिर भी मैं हिम्मत करके उसको लिटाना चाहता था,,क्यूकी जिस हालत मे वो सो रही थी उस से लग रहा था कि वो कभी
भी बेड पर गिर सकती है,,,इसलिए उसके बेड पर गिरने से पहले ही मैं उसको लेटा देना चाहता था,,,

मैने बुक को बंद करके साइड टेबल पर रखा और फिर हिम्मत करके अपने एक हाथ को उसकी गर्दन के पीछे
रखा और दूसरे हाथ को उसकी टाँगों के नीचे घुटनो के पास रखा और उसको बेड से हल्का सा उपर उठा लिया ,,मेरे
ऐसे करते ही उसकी टाँगों पर जो कंबल था वो नीचे गिर गया और उसकी गोरी मखमली नंगी टाँगें मेरे सामने
आ गई,,,,मेरा कुछ ग़लत इरादा नही था मैं तो जितना हो सके उस से दूर रहने की कोशिश कर रहा था,,,लेकिन
कंबल नीचे होने से उसकी गोरी-गोरी टाँगें देखकर मुझे कुछ होने लगा और फिर मुझे अपने हाथ पर उसकी
टाँग का सपर्श भी मस्त करने लगा,,,,मैने उसको बेड से 2 फीट तक उपर उठा लिया था अब उसका जिस्म मेरी बाहों
मे था,,,,मेरा एक हाथ उसकी नंगी टाँगों पर था क्यूकी उसने एक निक्केर पहनी हुई थी,,लेकिन पहले तो इसने एक
पयज़ामा पहना हुआ था ये निक्केर कब पहन ली,,,हो सकता है मेरे जाने के बाद इसने चेंज किया होगा,,

वो बेड से उपर मेरी बाहों मे थी,,,उसका सर नीचे झुका हुआ था और उसकी सुराही जैसी गर्दन जो हल्की लाइट मे
भी चमक रही थी,,,उसकी मखमली टाँगें जो मेरा दिमाग़ खराब करने लगी थी,,,गोद मे होने की वजह से उसके
बदन की तेज खुश्बू मिलने लगी थी मुझे,,वो मुझे पागल करने लगी थी लेकिन फिर भी ना जाने कैसे मैने खुद
को क़ाबू मे किया हुआ था,,,,मैने खुद पर कंट्रोल करते हुए उसको बेड पर ठीक तरह से लेटा दिया फिर हल्के
से उसके सर को उपर उठा कर उसके सर के नीचे एक पिल्लो रखा और उसके बदन पर गर्दन तक कंबल ओढ़ा दिया
अब बस उसका क्यूट सा फेस ही कम्बल से बाहर था,,,

मैं उसके फेस मे इतना खो गया था कि जितना मैं उसके नंगे जिस्म मे भी नही खो सकता था,,वो सोती हुई किसी
छोटी बच्ची जैसी क्यूट लग रही थी,,,नींद मे भी मासूम फेस पर एक क्यूट सी स्माइल थी,,,,मैं इतना खो गया उसको
देखने मे की अपने बेड पर बैठ गया और उसके खूबसूरत क्यूट फेस को देखने लगा,,,,पता नही कितने टाइम से
मैं उसको देख रहा था ,,शायद मैने पलक भी नही झपकाई थी ,,,तभी सोनिया हल्की सी हिली और उसने आँखें
खोलकर मेरी तरफ देखा,,वो थोड़ा डर गई थी शायद,,,,,लेकिन जब उसने अपने बदन को कंबल मे पाया तो थोड़ी
खुश हो गई,,,,फिर लेटे लेटे ही बोली,,,,



तुम यहाँ क्या कर रहे हो भाई,,,,
Reply
07-16-2019, 11:52 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
उसकी बात से मैं थोड़ा डर गया,,,अब इसको क्या बोलू,,ये पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी,,

क्या हुआ भाई ,,कहाँ खो गये,,,भाई,,,,भाई,,,,

तभी मे ख्यालों से बाहर निकला,,,,,,कुछ नही मैं तो बस कुछ पूछने आया था तेरे से,,,

क्या पूछना है भाई,,,,उसने उठते हुए बोला,,,और उठकर बैठ गई,,,

पता नही,,,,मैं भूल गया,,,तभी मैं उठा और वहाँ से जाने लगा,,,तू सोजा आराम से मैं चलता हूँ

तभी उसने रूम से बाहर जाते हुए मुझे आवाज़ लगाई,,,भाई ये कंबल तूने दिया मुझपर,,,

मैं वहीं खड़ा हो गया और कुछ नही बोला बस ऐसे ही खड़ा रहा उसकी तरफ पीठ करके,,

वो फिर से बोली ,,,भाई बोलो ना,,ये कंबल तुमने दिया मुझपे,,क्यूकी मैं तो स्टडी कर रही थी तो ये कंबल
कैसे आया मुझपे और मैं बेड पर कब लेटी भाई,,


तभी मैं वापिस पलटा और बोला,,,,मैं तेरे से कुछ पूछने आया था ,,यहाँ आके देखा तो तुम बेड पर बैठी
हुई ही सो रही थी,,,शायद स्टडी करते हुए तुम्हारी आँख लग गई थी,,,,सो मैने तुमको लेटा दिया और्र्र्र्ररर
इतना बोलते बोलते मैं चुप हो गया,,और सर को नीचे झुका लिया,,,और वापिस पलट कर जाने लगा,,,,

तभी सुने पीछे से बोला,,,,,,शुक्रिया भाई,,,,,

मैं रुका नही और वहाँ से चलके शोभा के रूम मे आ गया और आके अंदर से कुण्डी लगा ली और बेड पर लेट
गया,,,मैने लाइट भी ऑफ नही की थी,,,,तभी मैं लाइट ऑफ करने क लिए उठा तो देखा कि 4 बज रहे थे,,,ओह्ह
मययी गॉड ,,मैं जब सोनिया के रूम मे गया था तो 2 बजे थे और अब 4 भी बज गये ,,क्या मैं इतना खो गया
था उसके मासूम और क्यूट फेस मे की मुझे टाइम का पता ही नही चला ,,,सच मे उसकी खूबसूरती ने तो मेरी
ज़िंदगी मे टाइम को भी रोक सा दिया था,,,,2 अवर्स कैसे बीत गये उसको देखते हुए मुझे पता ही नही चला ,मुझे
तो ऐसे लगा जैसे अभी वो सोई थी और मैं उसको देख रहा था और तभी पलक झपकाने जितने टाइम मे वो उठ गई
थी,,,,,मेरे 2 अवर्स पलक झपकाने जितने टाइम मे बीत गये थे,,,


मैं फिर से उसके मासूस फेस के बारे मे सोचने लगा हालाकी मुझे वो पल भी याद आ रहे थे जब मैने उसको
गोद मे उठा लिया था कुछ पल के लिए और मदहोश भी होने लगा था उसके जिस्म की खुश्बू से ,,लेकिन उसके क्यूट
फेस ने उसके जिस्म को नज़रअंदाज़ करने पर मजबूर कर दिया था मुझे,,,


हयी अल्लाह ,,,,,,,,,क्या कोई इतना भी खूबसूरत हो सकता है कि कोई उसके संगमरमर जैसे तराशे हुए जिस्म को
भूलकर बस उसके मासूम और भोले भले चेहरे मे ही खो जाए,,,

हां हो सकता है कोई इतना खूबसूरत,,,और मेरी सोनिया ऐसी ही थी,, इतनी खूबसूरत थी कि उसको देखकर जन्नत की
हूर भी जलने लगे उसकी खूबसूरती से,,,अगर कामदेव भी उसको देखे तो अपनी मेनिका को भूल जाए और खो
जाए उसके चेहरे मे,,,,इतनी ज़्यादा खूबसूरत थी मेरी सोनिया,,,मैं भी खो गया था उसके ख़यालो मे और कब
उसके बारे मे सोचता हुआ नींद के आगोश मे चला गया पता ही नही चला ,,,,

पता चला सुबह जब सोनिया बाहर खड़ी होके रूम के दरवाजे पर नॉक करने लगी थी,,,,भाई उठ जल्दी कॉलेज
नही जाना क्या,,,भाई जल्दी उठ बहुत टाइम हो गया है,,,,

वो नॉक करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,,,,

मैं उठा और दरवाजा खोल दिया,,,,,

क्या भाई कब्से नॉक कर रही हूँ ,,,कितनी गहरी नींद सोते हो तुम,,,,अब जल्दी से फ्रेश होके तैयार हो जाओ मैने
नाश्ता बना दिया था,,,,इतना बोलकर वो नीचे चली गई,,,,और जाते जाते फिर से मुझे जल्दी नीचे आने को बोल गई

मैं भी फ्रेश होके तैयार होके नीचे चला गया,,,उसने नाश्ता लगा दिया था ,फिर हम दोनो ने नाश्ता किया और
फिर घर से बाहर चले गये,,,,मैने बाइक स्टार्ट की और तभी वो मेरी बाइक पर बैठने लगी,,,

तू यहाँ क्यूँ बैठ रही है,,,,कविता नही आ रही क्या तुझे लेने के लिए,,,,,,,

नही भाई उसकी तबीयत थी नही वो बोल रही थी वो ऑटो मे चली जाएगी,,,,

तभी मैने बाइक बंद किया और बोला,,,,कैसी दोस्त है तू,,,,वो तुझे घर से लेने आती थी और आज उसकी तबीयत खराब
है तो तुम उसको लेके नही जा सकती अपने साथ,,,,चलो शोभा दीदी की अक्तिवा ले जाओ और कविता को भी अपने साथ ले
जाना,,,,,

मैं उसको अपने साथ नही लेके जाना चाहता था,,,,

वो मेरी बात सुनके थोड़ा उदास हो गई फिर उदास चेहरा से शोभा दीदी की अक्तिवा लेके वहाँ से चली गई और जाते
हुए मुझे गुस्से से देखकर गई,,,,

उसके जाते ही मैने घर लॉक किया और बाइक लेके कॉलेज की तरफ चल पड़ा,,,,

एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन मे बैठ गया कुछ देर क लिए,,,कॅंटीन वाला बहुत इज़्ज़त करता था मेरी इसलिए मेरे
कहने पर उसने कुछ टेबल बाहर खुले मे लगवा दिए ,,,वैसे भी सर्दी हो गई थी और धूप मैं बैठने का
मज़ा ही कुछ और था,,,लेकिन धूप ज़्यादा गर्म लगती थी अभी इसलिए मैने एक टेबल को एक छोटे ट्री के पास लगवा
लिया था जहाँ ज़्यादा धूप नही थी,,,,मैं वहाँ बैठकर कॉफी लेने लगा था ,,वैसे तो करण को भी आना था
लेकिन वो सला अपनी नयी नवेली दुल्हन की वजह से घर भाग गया था,,उसके साथ चिपक कर जो बैठना था उसको,,,

करण तो नही था मेरे साथ देने के लिए लेकिन कोई और आ गया था मेरे साथ देने,,,,सोनिया और कविता दोनो मेरे
पास आ गई थी,,,,

मेरे पास आके कविता शरमा कर मुझसे मिली और मैं भी बड़े प्यार से उसको मिला,,,,वैसे तो मैं अक्सर उसके साथ
हाथ मिलता था लेकिन आज पता नही क्यू मैं उसके गले लग गया,,,,

मैने उसको बाहों मे भरा और बड़े प्यार से बोला,,,मैं उसको मिला तो प्यार से था लेकिन मुझे याद आया कि
सोनिया भी वहीं थी इसलिए मैने थोड़ा मज़ाक मे बात टाल दी,,,,क्या हाल है आपका कविता जी ,,मैने मज़ाक मे
इतना बोला तो कविता हँसने लगी और मेरी इस हरकत पर सोनिया भी खुश हो गई,,,

मुझे लगा था वो शायद गुस्सा करेगी लेकिन वो तो हँसने लगी थी,,शायद उसको पता चल गया था मैं मज़ाक कर
रहा हूँ,,,

कविता मेरे से अलग हुई और शरमा कर पीछे हट गई,,,,,

ओके कविता तू कुछ देर बैठ सन्नी के पास और मैं तब तक लाइब्ररी होके आती हूँ कुछ काम है,,,,,और तू इसको
ज़्यादा तंग नही करना सन्नी,,,उसने उंगली से इशारा करके ऐसा बोला जैसे मुझे धमकी दे रही हो,,,

नही नही सोनिया जी मैं इसको तंग नही करता कभी,,आप खुद ही पूछ लो,,मैं तो बहुत ज़्यादा केर करता हूँ
कविता जी की,,,मैने मज़ाक मे बोला तो कविता फिर से शरमा गई ,,,,

जानती हूँ सन्नी वो तो अभी देख ही लिया है मैने कि तू कितनी केर करता है कविता की,,,,सोनिया ने इतनी बात मज़ाक
मे बोली तो कविता फिर से शरमा गई,,,,

सोनिया वहाँ से चली गई और कविता मेरे पास बैठ गई ,,,,,,सोनिया के जाते ही कविता ने ज़ोर से मेरी कमर पर एक
चिमती काट दी ,,मेरे मुँह से आहह निकल गई,,,

ये क्या कर रही हो,,दुख़्ता है ,,मैने दर्द के मारे कविता से बोला,,,

अच्छा है दुखने दे,,,,तू भी तो हर्ट करता है ना सबको तुझे भी हर्ट होना सीखना होगा,,,

अब मैने क्या कर दिया,,,,जो इतना हर्ट करने लगी हो,,,,

अभी क्या हरकत की थी सोनिया के सामने,,,,उसको शक हो जाता तो,,,,ये तो अच्छा हुआ उसने सब मज़ाक समझ लिया
वर्ना पंगा हो जाता,,,,

मैने उसकी बात सुनी और सर को झुका लिया,,,,सौरी तुझे देखकर मैं इतना खो गया कि भूल गया था सोनिया भी
है साथ मे,,,अब गुस्सा मत कर ना प्ल्ज़्ज़

ओके नही करती,,,बट अगली बार ऐसी ग़लती नही करना ,,,अगर सोनिया को ज़रा भी शक हो गया तो वो जान ले लेगी मेरी,,
कविता ने ये बात डरते हुए बोली थी,,,उसके फेस से सॉफ पता चल रहा था वो कितना डरती है सोनिया से,,,,

तेरी क्या कविता वो मेरी भी जान ले लेगी अगर उसको ज़रा सा भी शक हो गया तो,,,,तुझे तो शायद माफ़ भी कर्दे वो
और आसान मौत देदे लेकिन मुझे तो तडपा तडपा कर मारेगी वो हिट्लर,,,,,मेरी बात से कविता हँसने लगी,,,

अच्छा अगर इतना डरता है तो ऐसे हरकते क्यूँ करता है फिर,,,आगे से ख्याल रखना इस बात का,,

ओक कविता मेडम जी,,,मैं ख्याल रखूँगा इस बात का,,,और आपका भी ,,,,मैने थोड़ा फ्लर्ट किया तो वो फिर से
शरमा गई,,,,,
Reply
07-16-2019, 11:52 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मेरे दिमाग़ मे था कि कविता ने अपने बाप की हरकत के बारे मे सोनिया को बता दिया था क्यूकी सोनिया उसकी
बेस्टफ्रेंड थी तो क्या उसने मेरे बारे मे भी कुछ बता तो नही दिया होगा सोनिया को ,,,लेकिन मैं फालतू मे ही डर
रहा था ,,कविता ने कुछ नही बताया होगा सोनिया को क्यूंकी वो तो खुद बहुत बुरी तरह से डरी हुई थी सोनिया से,इतनी
बुरी तरह से तो शायद मैं भी नही डरता था सोनिया से,,,,,ओह्ह सौररी भूल गया,,,मैं भी बहुत डरता था सोनिया
से,,,,,


अच्छा बता तबीयत कैसी है अब,,,,मैने थोड़े शरारती अंदाज़ मे पूछा था तो कविता भी समझ गई मैं क्या
पूछ रहा हूँ इसलिए वो शरमा गई,,,

बोल ना तबीयत कैसी है,,,,,मैने फिर से पूछा,,,

उसने शरमा कर सर को झुका लिया और बोला,,,,,अब पहले से बेहतर हूँ भाभी की वजह से,,,

भाभी की वजह से,,,,कैसे?????

भाभी ने गर्म पानी से ठीक किया मुझे,,,,कविता ने फिर से शरमाते हुए बोला,,

गर्म पानी से,,,,वो भला कैसे,,,,क्या हुआ था तुझे जो गर्म पानी से ठीक हो गई,,,,मैने फिर से मज़ाक मे बोला

तभी उसने ज़ोर से च्युन्टी काट दी मेरे और इस बार पहले से भी ज़्यादा दर्द हुआ मुझे,,,मेरे मुँह से आहह निकल गई
और वो हँसने लगी,,

मैने फिर से मज़ाक मे बोला ,,,बता ना क्या हुआ था तुझे जो गर्म पानी से आराम मिला,,,मैने इतना बोला तो उसने'
फिर से हाथ आगे करके मुझे चींटी काटने की कोशिश की लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरे ऐसा करते ही
वो डर गई,,,,,,सन्नी प्ल्ज़्ज़ हाथ चूड़ ,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी,,,,,कॉलेज है सब देख रहे है,,,,प्लज़्ज़्ज़ सन्नी

उसको कॉलेज का डर नही था बल्कि उसको इस बात का डर था कहीं मेरे छूने भर से वो क़ाबू से बाहर नही हो
जाए और बहक कर कोई ग़लती नही कर दे,,,

मैने उसको छोड़ दिया और फिर नौरमल बातें करने लगा,,मुझे पता था वो वाली बात करूँगा तो कविता के
साथ-साथ मैं भी बहक जाउन्गा और फिर बहुत मुश्किल हो जाएगी,,,,,

ये क्या हुआ तेरी आँख पर ,,,कविता ने हाथ लगाते हुए पूछा,,,,

तभी मुझे याद आया कि कल जब मैं बुटीक पर गया था शिखा और अलका को लेके तो उन दोनो का ध्यान एक बार
भी नही गया मेरी आँख की चोर्ट पर लेकिन कविता ने आज भी ध्यान दिया था मेरी चोट पर,,,जबकि कल सूजन ज़्यादा
थी आज तो बहुत कम सूजन थी ,,,पास से देखकर ही पता चलता था कि आँख पर चोट लगी है,,,फिर मुझे समझ
आया कि शिखा और अलका तो बस चुदाई के लिए मेरे पास आती है उनका और मेरा रिश्ता बस चुदाई का है,,,लेकिन कविता
के साथ मेरा प्यार का रिश्ता है वो केर करती है मेरी ,,,,प्यार करती है मुझ से इसलिए तो हल्की से हल्की चोट पर भी
ध्यान चला गया था उसका,,,

कुछ नही बस हल्की चोट है,,,,,,मैने कविता को प्यार से बोला,,,,

फिर हम लोगो की बातें होती रही जब तक सोनिया नही आ गई और जब सोनिया आ गई तो कविता उसके साथ चली गई जबकि
मैं वहीं बैठा रहा कुछ देर,,,मैने सोनिया को घर की चाबी देने को कोशिश की लेकिन उसने बोला कि वो कुछ
देर कविता के घर रुकने वाली है और जब घर जाएगी तो मुझे कॉल कर देगी और जब मैं घर जाऊ तो उसको कॉल
कर दूं,,,,,

सोनिया चली गई और कुछ देर टाइम पास करने के बाद मैं भी घर की तरफ चल पड़ा,,,वैसे मेरा दिल नही था
घर जाने को,,क्यूकी मैं सोनिया से दूर रहना चाहता था,,,फिर सोचा कि घर चलता हूँ और सोनिया को कॉल नही
करूँगा ,,,,जब उसका दिल होगा आ जाएगी और जितना लेट आए उतना ही बेहतर है हम दोनो के लिए,,,,,

सोनिया जब जा रही थी कविता को साथ लेके तो कविता बार बार पीछे मूड के देख रही थी,,,वो थोड़ी उदास थी शायद
उसका दिल नही था मेरे से दूर जाने का ,,लेकिन सोनिया की वजह से उसको जाना पड़ा,,,,





मैं कॉलेज से निकला ही था कि थोड़ी दूरी पर मुझे करण सड़क पर खड़ा नज़र आया,,,मैने उसके पास जाके
बाइक रोक दिया,,,,,

आबे तू यहाँ क्या कर रहा है ,,,मैने बाइक करण के पास रोकते ही पूछा,,

कुछ नही सन्नी भाई घर जा रहा था तो बाइक खराब हो गई,,बाइक को ठीक करने के लिए दे दिया है अब घर जाने
के लिए ऑटो की वेट कर रहा था लेकिन अभी तक कोई ऑटो नज़र नही आया,,,,

चल आजा मैं छोड़ देता हूँ,,ऑटो का किराया मुझे दे देना,,,,मैने ये बात हंसते हुए बोली तो करण भी हँसने
लगा और हंसता हुआ बाइक पर आके बैठ गया,,,,

मैने बाइक वहाँ से करण के घर की तरफ मोड़ दिया और कुछ इधर उधर की बातें करते हुए हम लोग करण के
घर पहुँच गये,,,,

बेल बजाने पर शिखा ने आके गेट खोला और मुझे देखकर जल्दी से मेरे से चिपक गई और बिना हेलो बोले ही
मुझे किस करने लगी,,,,

क्या कर रही हो दीदी ,,,,रितिका देख लेगी ,,,,करण ने शिखा को मेरे से दूर करते हुए बोला लेकिन शिखा फिर से
वापिस मुझे चिपक गई और किस करते हुए बोली,,,,,,नही देखती तेरी रितिका वो उपर छत पर है माँ के साथ ,,धूप
सैक रही है,,,

इतना बोलकर रितिका मुझे डीप किस करने लगी ,,फिर कुछ देर हम ऐसे ही किस करते रहे और फिर घर के अंदर
चले गये ,,,,,
Reply
07-16-2019, 11:53 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अंदर जाते ही शिखा सीधा अपने रूम मे ले गई मुझे और उसने करण को भी साथ चलने को बोला लेकिन करण रितिका
से डरता था शायद उसने जाने से सॉफ इनकार कर दिया,,,,लेकिन मैं चला गया शिखा के साथ तो शिखा ने करण को
बाहर पहरेदारी करने को बोल दिया,,,,करण वहीं शिखा के रूम के पास खड़ा हो गया और पहरेदारी करने लगा,,

अंदर रूम मे घुसते ही शिखा ने किस करते हुए मेरे लंड को पॅंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया था ,,,और
कुछ देर किस करने के बाद ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर लंड को मुँह मे भरके चूसने लगी थी,,हयी
रीए सन्नी कितना बड़ा है तेरा ,,,मुँह मे लेती हूँ तो मुँह मे नही घुसता ,,चूत मे लेती हूँ तो वहाँ भी
नही घुसता और जब गान्ड मे लेती हूँ तो फाड़ कर रख देता है गान्ड को,,,,आहह सन्नी मस्ती मे पागल
हो चुकी शिखा पता नही क्या क्या बोले जा रही थी और मेरे लंड को चुस्ती जा रही थी ,,मैं भी उसकी बातों को
अनसुना करके लंड चुसाइ का मज़ा ले रहा था,,,पहले उसका किस करने का अंदाज़ इतना निराला था कि मैं उसको लंड
तक पहुँचने से रोक नही पाया और अब लंड चूसने का अंदाज़ तो जान लेने लगा था मेरी ,,,वो बड़े प्यार से लंड
को मुँह मे लेके चूस रही थी और मुझे मस्त कर रही थी लेकिन मुझे डर था कहीं रितिका नही आ जाए ,,अलका
आंटी आती तो मुझे डर नही था लेकिन रितिका का डर था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी झड़ना चाहता था ,,क्यूकी अगर
इतनी मस्ती के बाद पानी नही निकला लंड का तो मुश्किल होगी इसलिए मैने पानी जल्दी निकालने के लिए अपनी कमर को आगे
पीछे हिलाना शुरू कर दिया ताकि जल्दी से पानी निकाल दूं अपने लंड का,,,,,


इस बात का एहसास शिखा को भी हो गया था इसलिए उसने भी अपने सर को थोड़ी तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर दिया
था,,,,उसने आधे लंड को मुँह मे भर लिया था जबकि आधे लंड पर अपने हाथ से मूठ मारने लगी थी वो भी पूरी
तेज़ी से,,,मैं बस खड़ा खड़ा आह आ करता जा रहा था ,,,शिखा भी मस्ती के लिए अपने एक हाथ से अपनी चूत को
मसल रही थी और उंगली कर रही थी चूत मे,,,करण दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ था और हम दोनो को देखकर
वो भी मस्त हो चुका था लेकिन वो डर रहा था लेकिन मस्ती डर पर हावी हो गई थी इसलिए उसका हाथ पॅंट के उपर
से उसके लंड पर चला गया था और उसने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,

इधर शिखा को लंड चूस्ते काफ़ी देर हो गई थी और अब मुझे और भी ज़्यादा डर लगने लगा था क्यूकी मैं झड़ने के
करीब था इसलिए मैने शिखा के हाथ को लंड से हटा दिया और अपने हाथों से उसको ज़मीन से उठा दिया और पकड़
कर बेड के पास ले गया और फिर उसको बेड के पास ज़मीन पर बिठा दिया और उसके सर को बेड पर रखके उसकी गर्दन
को पीछे बेड की तरफ मोड़ दिया जिस से उसके सर को बेड का सहारा मिल गया और उसकी गर्दन बेड पर टिक गई और मैने
जल्दी से अपने लंड को उसके मुँह मे डाला और आगे बढ़ कर अपने हाथ बेड पर रखे और बेड पर झुक गया और बेड का
सहारा लेके तेज़ी से शिखा के मुँह को चोदने लगा,,,मेरी स्पीड एक दम से बहुत तेज हो गई थी और मेरा धक्का भी
जोरदार था ,,,

मेरा लंड तेज़ी से शिखा मे मुँह मे गले से नीचे तक घुसने लगा था और वो भी पूरा का पूरा ,,मेरी बॉल्स उसके
लिप्स से टकरा रही थी ,,,वो भी मेरी गान्ड पर हाथ रखकर मुझे तेज़ी से उपर नीचे होके उसके मुँह को चोदने
का इशारा कर रही थी,,तभी कोई 4-5 मिनट बाद मेरी सिसकियाँ निकलने लगी थी ,,,मेरा लंड शिखा के गले से नीचे
घुसा हुआ था और 2 इंच लंड बाहर था मैने उसी 2 इंच लंड को अंदर बाहर करते हुए तेज़ी से सिसकियाँ लेते हुए
अपने लंड के पानी को शिखा के गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया और जब मेरे लंड का पानी निकल गया तो मैने
लंड को शिखा के मुँह से बाहर निकाल लिया और सिखा ने जल्दी से मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और जो थोड़ा बहुत
स्पर्म लगा हुआ था उसको भी चाट कर सॉफ कर दिया,,,,तभी उधर से करण की सिसकियाँ शुरू हो गई तो मैने पॅंट
की ज़िप लगाते हुए देखा कि करण अपने लंड को पॅंट से बाहर निकाल कर मूठ मार रहा था और शायद झड़ने वाला
ही था और तभी शिखा उठी और जल्दी से करण की तरफ चली गई और करण भी हल्के कदमो से उस रूम के अंदर आ
गया ,,


शिखा ने करण के पास जाके उसके लंड को मुँह मे भर लिया और जैसे ही लंड उसके मुँह मे घुसा लंड से स्पर्म की
पिचकारी लगनी शुरू हो गई और करण सिसकियाँ लेता हुआ झड गया अपनी बेहन के मुँह मे,,,,जब करण झड रहा था
तब मैं जल्दी से दरवाजे के पास चला गया था क्यूकी अब बाहर पहरेदारी करने वाला कोई नही था,,,

जब करण भी झड गया तो उसने अपने लंड को वापिस अपनी पॅंट मे घुसा लिया और कपड़े ठीक करने बाहर आ गया और
फिर हम तीनो उपर छत की तरफ जाने लगे,,,,मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा था और करण भी लेकिन शिखा
अभी भी थोड़ी मस्ती मे थी क्यूकी वो अभी तक झड़ी नही थी,,,,,वो सीडियों पर जाते हुए फिर से मस्ती से कभी
मुझे तंग कर रही थी तो कभी करण को,,,


बस करो ना शिखा दीदी अब हो गया ना,,करण ने थोड़ा चिड़ते हुए बोला,,असल मे वो चिड नही रहा था उसको डर
था कहीं रितिका कुछ देख नही ले,,,,


हां हां अब तो ऐसा ही बोलोगे तुम लोग,,अपने लंड जो हल्के हो गये और मेरी इस चूत का क्या जो भरी हुई है

शिखा ने ताना मारा था करण को और साथ मे मुझे भी गुस्से से देखा था,,,,

अरे दीदी मुझे क्यूँ ऐसे देख रही हो,,कल का भूल गई क्या ,,कितनी मस्ती की थी बुटीक पर,,,

भूली नही हूँ सब याद है उसी को याद करके तो दोबारा से मस्त हो गई हूँ मैं,,सिखा फिर से मेरी तरफ
लपकी लेकिन करण से उसको टोक दिया,,,,बस करो दीदी ,,,हम लोग उपर आ गये है,,,

हम लोग सीडियों से उपर गये तो देखा कि अलका आंटी और रितिका दोनो धूप मे बैठी हुई थी,,,

अभी करण और हम लोग उपर आए ही थे कि रितिका ने मुझे हेलो बोला और करण को कुछ इशारा किया और नीचे चली
गई और उसके जाते ही करण भी नीचे की तरफ वापिस चला गया,,,,


मैं अलका आंटी के पास गया और उनको हेलो बोला,,,,लेकिन अलका आंटी अपनी चारपाई से खड़ी होके मेरे गले लग्के
मिली,,,,अरे क्या सन्नी बेटा ये दूर दूर से हेलो करते रहते हो,,,पास आके गले लग्के मिला करो तब चैन मिलता है
मेरे कलेजे को,,,,आंटी ने मुझे बाहों मे भर लिया और उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये और तभी
आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और हल्के से दबा दिया,,,,

अरे आराम से आंटी जी दर्द होता है,,,,

अभ कहाँ दर्द होने वाला तुझे सन्नी अभी तो हल्का होके आया है,,,,मैं आंटी की बात से हैरान रह गया इनको
कैसे पता चला मैं हल्का होके आया हूँ,,,

आपको कैसे पता आंटी जी,,मैं ये पूछने ही वाला था कि आंटी बोल पड़ी,,,,,,,ये देख शिखा के चेहरा की मुस्कान
बता रही है की कुछ ना कुछ तो हुआ है,,,,

हां माँ कुछ नही बहुत कुछ हुआ है ,,,,और अभी बहुत कुछ होना बाकी है,,,,,,,,,,इतना बोलकर अलका आंटी और
शिखा हँसने लगी,,लेकिन मैं डर गया ,,,,अब क्या होने वाला है ,,अब कहीं माँ बेटी उपर छत पर कुछ पंगा
तो नही करने वाली मेरे साथ वो भी मुझे नंगा करके,,,

अभी मैं डर ही रहा था कि रितिका उपर आ गई ,,उसने अलका आंटी और शिखा दीदी को हंसते हुए देखा तो बोली,,क्या
हुआ माँ इतना क्यूँ हंस रही हो आप लोग,,,,

रितिका को देखकर शिखा और अलका एक दम से चुप हो गई,,शायद वो थोड़ा डर गई थी,,,,,,,कुछ नही बेटी ये सन्नी
ने बहुत अच्छा जोक सुनाया जिसस से हँसी आने लगी,,,,

हां हां जानती हूँ माँ इसकी तो आदत है जोक सुनाने की और जोक बनाने की,,,इतना बोलकर रितिका ने मुझे गुस्से
से देखा ,,,,

फिर कुछ देर तक सब चुप हो गये ,,मुझे तो समझ आ गया था रितिका क्या बोल रही थी लेकिन शिखा और अलका आंटी
को कुछ समझ नही आया था शायद,,,

तभी अलका आंटी बोली,,,चल आजा सन्नी बैठ यहाँ और संतरे खा ले,,,,आंटी ने चारपाई पर पड़ी हुई प्लेट की
तरफ इशारा किया जिसमे 3-4 संतरे पड़े हुए थे,,

अरे वाह संतरे ,,मुझे बहुत अच्छे लगते है संतरे और सर्दी की धूप मे बैठकर संतरे खाने का मज़ा ही
कुछ और है,,,मैं जल्दी से बैठ गया रो संतरे खाने लगा,,अलका आंटी और शिखा भी बैठ गई लेकिन रितिका खड़ी
रही,,,मुझे तो संतरे वैसे भी बहुत अच्छे लगते थे,,,,वो भी बड़े बड़े 40 के साइज़ वाले,,


अरे भाभी आप भी बैठो ना,,संतरे खाओ बैठकर,,,,शिखा ने रितिका को बैठने को बोला,,,

मैं संतरे नही खाती शिखा दीदी ,,मुझे इनका जूस पीना ज़्यादा अच्छा लगता है,,

रितिका बेटी तुझे बोला था ना जूस निकाल कर पीने को अभी तक पिया या नही,,,ये बात बोली थी अलका आंटी ने

नही माँ अभी नही पिया,,वो जूसर उपर वाली शेल्व पर पड़ा हुआ है ना,,,अभी तक नीचे नही उतारा उसको

तो उतार लो ना बेटी,,कब उतारोगी,,,,

माँ वो बहुत उपर है वहाँ तक मेरा हाथ नही जाता,,,,शिखा दीदी आप उतार दो ना,,,

ना बाबा ना ,,वो बहुत भारी है और वैसे भी मेरा हाथ भी नही जाता उपर वाली शेल्व तक ,,तुम करण को बोलो
ना भाभी,,,,और वैसे भी मैं बहुत थक गई हूँ,,,


करण तो अभी थोड़ा काम से गया है बाहर,,कुछ समान लेने के लिए,,,

तो ये सन्नी कब काम आएगा,,,अलका आंटी ने इतना बोला ,,,,अरे सन्नी बेटा तुम जाओ ना भाभी के साथ और किचन की
शेल्व से वो जूसर उतार दो,,,

मैं मना नही कर सका ,,,वैसे मुझे रितिका के साथ अकेले नीचे नही जाना था लेकिन अलका आंटी ने बोला तो मुझे
जाना पड़ा,,

मैं आगे आगे चलने लगा सीडियों पर और रितिका मेरे पीछे थी,,,

हम लोग किचन मे गये तो रितिका ने सबसे उपर वाली शेल्व की तरफ इशारा किया जहाँ जूसर पड़ा हुआ था,,,मैने
देखा कि वो शेल्व बहुत उपर थी वहाँ तक मेरा हाथ भी नही जाने वाला था तभी रितिका बाहर गई और एक छोटा
टेबल लेके आ गई,,उसने टेबल रखा तो मैं टेबल पर चढ़ गया और जूसर उतार लिया ,,,जैसे ही मैने जूसर को हाथों
मे लिया तो पता चला कि ये तो सच मे बहुत भारी था,,शायद पुराने ज़माने का था इसलिए इतना वजनी था,,मैने
जूसर को हाथों मे पकड़ कर खड़ा हुआ था और फिर जूसर को नीचे किया ताकि भाभी को पकड़ा दूं जूसर लेकिन
फिर सोचा कि ये तो बहुत वजनी है भाभी इसका वजन नही संभाल पाएगी इसलिए मैने भाभी की तरफ देखा ताकि
और इशारा किया टेबल पकड़ने को क्यूकी मुझे डर था इतने वजन से कहीं मैं गिर नही जाउ टेबल से,,
Reply
07-16-2019, 11:53 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
लेकिन जैसे ही मैने भाभी की तरफ देखा तो दंग रह गया,,भाभी ने साड़ी पहनी हुई थी और अब भाभी ने साड़ी
के पल्लू को एक साइड किया हुआ था,उनके छोटे छोटे बूब्स जो कुछ दिन मे करण की मेहनत की वजह से थोड़े बड़े
हो गये थे वो बूब्स ब्लाउस से निकलकर बाहर झाँक रहे थे,,मुझे उपर से उनके बूब्स पूरे नंगे लग रहे
थे ,,,क्यूकी उपर होने की वजह से मुझे बूब्स ब्लाउस के अंदर तक नज़र आ रहे थे और बूब्स के क्लीवेज़ की
पूरी गहराई तक मेरी नज़र जा रही थी ,,मैं अभी कुछ देर पहले हल्का होके आया था लेकिन रितिका के बूब्स देख
कर मेरे लंड ने फिर से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था मुझे डर था कहीं भाभी की नज़र नही पड़ जाए मेरे
लंड पर लेकिन तभी कुछ ऐसा किया भाभी ने की मेरा डर मस्ती मे बदल गया और मेरी गान्ड फॅट गई,,,

भाभी ने अपनी साड़ी के पल्लू को पकड़ा और ज़मीन पर गिरा दिया और बड़े प्यार से मुझे अपने बूब्स के दर्शन
करवाने लगी ,,भाभी ने टेबल को हाथों से पकड़ा था इलसीए उनको थोड़ा झुकना पड़ा वो झुककर और भी ज़्यादा
बूब्स दिखाने लगी थी मुझे,,,,,मैने मन ही मन सोचा सन्नी बेटा अब ये तो पूरी लाइन दे रही है फिर तू क्यूँ
पीछे हट रहा है,,,,पकड़ ले साली को और ठोक दे ,,,,,लेकिन मैं ऐसा नही कर सकता था,,,,क्यूकी ये करण की अमानत
थी,,,अगर करण को सब पता होता और करण खुद कहता तो मुझे एतराज़ नही था लेकिन उसकी पीठ पीछे ऐसा करके
मैं दोस्ती को दाग नही देना चाहता था,,,,वैसे भी रितिका जैसा माल रोज रोज हाथ नही लगता,,,

रितिका टेबल को पकड़ कर झुकी हुई थी और उसने अपने साड़ी के पल्लू को भी ज़मीन पर फैंक दिया था अब उसके'
बूब्स पूरे नंगे थे मेरे सामने ,,मैं मस्ती मे पागल हो राह था मेरा लंड भी ओकात मे आने लगा था और
तभी रितिका ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद तक नही थी,,,उसने टेबल पर झुके हुए अपने चेहरे को मेरे लंड
के करीब कर दिया और अपने होठों से पॅंट एक उपर से मेरे लंड पर हल्की किस करदी,,मुझे लगा कि अब मैं
सच मे टेबल से गिर जाउन्गा और अगर नही गिरा तो भी भाभी गिरा के दम लेगी,,,,मैं जल्दी से टेबल के उपर से कूद
गया और जूसर को भी गिरते गिरते बड़ी मुश्किल से संभाला और फिर जूसर को शेल्व पर रखा और भाभी की तरफ पलटा


ये क्या बेहूदा हरकत थी रितिका,,,,मैने इतना बोला ही था कि रितिका मेरी तरफ बढ़ने लगी उसने मेरी आँखों मे देखा
'और मेरी तरफ बढ़ते हुए अपने हाथ अपने ब्लाउस पर रखे और सामने से अपने ब्लाउस के हुक को खोल दिया ,,,पहले
एक और फिर दूसरा,,,,2 हुक खुलते ही उसके बूब्स आधे से भी ज़्यादा बाहर निकल आए थे और मैं रितिका की इस हरकत
से दंग रह गया,,,लेकिन मुझे डर भी लगने लग था अभी कोई अगर आ जाता वहाँ तो क्या होता,,,,अगर करण आ
जाता तो क्या होता,,,वो सॉफ सॉफ समझ जाता कि क्या हो रहा है,,,,और वो मुझे कभी माफ़ नही करता ,,,

मैं थोड़ा मस्त हो गया था लेकिन फिर भी डर रहा था खुद पर क़ाबू कर रहा था,,,यी क्याअ हारकाट्त हाई
र्रितिक्काा,,,तुउम्मक्कू ष्हररामम न्हीई एयेए र्राहहीी ,,,,,,,,

रितिका मेरे पास आ गई और मेरे लिप्स पर अपनी उंगली रखते हुए बोली,,,,,,,चुप करो,,,बड़े आए शरम वाले,,तब कहाँ
थी तुम्हारी शरम जब टेबल पर खड़े होके इन बूब्स को देख रहे थे,,,,तब शरम नही आई थी क्या,,,और अब
जब मैने इनको आज़ाद कर दिया है तो अब भला कैसा शरमाना,,,रितिका ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने बूब्स पर
रख दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रखके अपने हाथ को दबा दिया जिस से मेरे हाथ मे
पकड़ा हुआ उसका बूब भी दब गया और उसके मुँह से आहह निकल गई,,,,,,,हयी री कितनी गर्मी है तेरे हाथों मे आ
सन्नी एक बार खुद मसल ना मेरे बूब्स को,,,उसने मेरा दूसरा हाथ भी पकड़ा और अपने दूसरे बूब पर रखने
लगी,,,,लेकिन तभी मैने उसको धक्का दिया और वो पीछे हो गई और मैं खुद भी उस से पीछे हो गया,,,

मैने बड़ी मुश्किल से खुद पर क़ाबू किया था,,,,दिल तो कर रहा था अभी पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू
कर दूं उसके बूब्स को लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ मैं डर रहा था,,,,,,,,,,,,,,,,,

तुमको शरम नही आती क्या,,,,ये सब करते हुए,,,,कोई आ गया तो क्या सोचेगा,,,चलो बंद करो अपने ब्लाउस को


कोई नही आएगा सन्नी तू डर मत,,,,माँ और शिखा तो उपर है और करण गया है बाहर,,,,तो कॉन देखेगा हम लोगो
को,,,,

कोई देखे या नही देखे लेकिन तुम बंद करो इसको ,,,,मुझे ये सब अच्छा नही लगता,,,

क्या अच्छा नही लगता,,,,मैं या मेरा ये जिस्म ,,,,बोलो ना सन्नी,,,

तुम ऐसा मत करो प्लज़्ज़्ज़्ज़ रितिका,,,,तुम करण की वाइफ हो वो तुमसे बहुत प्यार करता है तो भला क्यूँ तुम उसको धोखा
दे रही और मुझे भी मजबूर कर रही हो उसको धोखा देने को,,,,मत करो ऐसा प्लज़्ज़्ज़्ज़

प्यार तो मैं भी बहुत करती हूँ करण से और अपनी जान से भी ज़्यादा,,,,मैं कहाँ धोखा दे रही हूँ ,,धोखा
तो तब होगा जब उसको कुछ पता चलेगा,,,,ना तुम उसको कुछ बताने वाले हो और ना मैं,,फिर भला कॉन बताएगा
उसको,,,,


कोई बताए या नही लेकिन मैं फिर भी उसको धोखा नही दूँगा,,,,ना तुमको ऐसा करने दूँगा,,,,,और कैसी लड़की
हो तुम ,,,,,एक तरफ तो करण से प्यार की हवा मे उड़ती हो और उपर से मेरे साथ वासना के समुंदर मे गोते लगाना
चाहती हो,,,कुछ तो शरम करो,,,,


मैं कोई धोखा नही दे रही किसी को,,,बस एक ज़िद्द है तुम्हारे साथ हमबिस्तेर होने की वही ज़िद्द पूरी कर रही हूँ
और मैं अपनी ज़िद्द पूरी करके ही दम लेती हूँ,,,उसने इतना बोला और मेरी तरफ बढ़ कर आ गई,,,,और इस से पहले मैं
कुछ कहता या करता उसने मेरे गले मे बाहें डालके मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे लिप्स पर किस करने लगी
लेकिन मैने खुद को संभाला और उस से दूर हो गया ,,,,

इस से पहले मैं उसको कुछ कहता मेरी नज़र पड़ी किचन से बाहर की तरफ,,,जहाँ करण खड़ा हुआ था,,,मैने
उसकी तरफ देखा तो वो गुस्से से मुझे देखता हुआ वहाँ से चला गया,,,,

मैं उसके पीछे गया और रितिका भी जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुआ मेरे पीछे भाग कर आ गई,,,,मैं करण
के पीछे गया तब तक करण घर के बाहर खड़ी अपनी कार लेके वहाँ से चला गया,,,,मैने उसको आवाज़ भी दी लेकिन
वो नही रुका,,,

मैं वापिस पलटा तब तक रितिका भी वहाँ आ गई थी,,,,,,,,,वो भी थोड़ी परेशान हो गई थी,,,,

अब तो खुश हो तुम,,,,,अब चैन पड़ा तुमको,,,हम दोस्तो मे फुट डलवा कर,,,,वो मेरा दोस्त पता नही क्या सोच
रहा होगा मेरे बारे मे,,,,उसकी नज़रो मे गिर गया हूँ मैं,,,सब तुम्हारी वजह से हुआ है,,,

मैने क्या किया,,,,जो किया तुमने किया,,,,ना तुम ऐसे ज़िद्द करते और ना मैं इतना सब कुछ करती,,,,एक बार मान जाते
मेरी बात तो क्या हो जाता,,,,अब तुम्हारी वजह से करण पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा,,,

सब सही सोच रहा होगा,,,पता नही मेरे बारे मे क्या क्या ग़लत सोच रहा होगा,,,तुझे अगर इतनी ही आग लगी हुई थी'
तो बता देती करण को सब कुछ और फिर आती मेरे पास,,,,,फिर बताता तुझे कि आग कैसे भुज्ती है,,,,फिर बताता तुझे
की चुदाई किसको कहते है,,,,मैं गुस्से मे पता नही क्या क्या बोल गया,,,मुझे ये भी होश नही था कि मैं घर
के बाहर गेट पर खड़ा हुआ हूँ,,,,


लेकिन उसको कोई फ़र्क ही नही पड़ा रहा था,,,,,,

तो अब आ जाओ ना अंदर और बता दो चुदाई क्या होती है,,,मुझे भी तो पता चले कितना दम है तेरे मे,,,उसने
इतनी बात शरमाते हुए बोली लेकिन बिना किसी डर के,,,,

पहले वो परेशान लग रही थी लेकिन अब उसकी बातों से लग रहा था उसको करण से डर नही कोई,,,उसको कोई परेशानी
नही किसी बात की,,,,मुझे इस बात से और भी ज़्यादा डर लगने लगा क्यूकी ये औरत थी और करण की पत्नी भी,,कहीं
इसने करण की नज़रो मे खुद को सही साबित करने के लिए मुझे और भी ज़्यादा गिरा दिया करण की नज़रो मे तो क्या होगा

मुझे बहुत डर लगने लगा,,,

तुमसे तो बात करना ही बेकरार है,,इतना बोलकर मैं वहाँ से चल पड़ा अपनी बाइक की तरफ और मैं अपने मोबाइल से
करण को फोन भी किया लेकिन उसने फोन पिक ही नही किया,,,,,मैने बहुत परेशान हो गया था,,,मैने बार बार
करण का फोन ट्राइ किया लेकिन उसने रेस्पॉन्स ही नही दिया,,,फिर उसका फोन ही स्विच ऑफ हो गया,,,मैं घर आ गया
था ,,मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा था ,,,,बहुत गुस्सा आ रहा था रितिका पर,,,,उसकी वहज से आज अपने दोस्त की नज़रो
मे गिर गया था मैं,,लेकिन फिर मुझे खुद पर भी गुस्सा आने लगा,,,,रितिका की ज़िद्द थी एक बार मेरे साथ चुदाई
करने की तो भला मैने उसकी चुदाई क्यूँ नही की,,,,पहले ही उसकी चुदाई कर देता तो आज ये सब नही होता,,,भला
करने की सोच रहा था और खुद का नुकसान कर लिया,,,,,

वो कहते है ना (खाया पिया कुछ नही ग्लास तोड़ा बारा आना),,,,,,वही हुआ मेरे साथ,,,,पहले रितिका की चुदाई कर
लेता तो चूत भी मिल जाती और किसी को पता भी नही चलता ,,,,ना मैं बताता करण को ना ही रितिका,,,,सब कुछ हो भी
जाता और किसी को कुछ पता भी नही चलता,,,,,आज कुछ हुआ भी नही और शहर मे शोर हो गया था,,,,करण ने ऐसी
हालत मे देख लिया था मुझे और रितिका को कि अब उसको मेरे पर यकीन नही होने वाला था,,,,,उसके कहने पर अगर
मैं उसकी वाइफ से चुदाई करता तो ठीक था क्यूकी मैं उसकी बेहन और माँ को भी तो चोदता था,,लेकिन उसके बारे मे
करण जानता था ,,,,लेकिन आज जो कुछ रितिका के साथ हुआ उसके बारे मे करण अंजान था,,,उसको कुछ पता नही था और
आज पता चला तो सब कुछ ख़तम हो गया,,,

वो बरसो का यकीन तोड़ दिया था मैने ,,,हलकी मेरी कोई ग़लती भी नही थी,,,,,,मैं काफ़ी टाइम से उसका फोन
ट्राइ कर रहा था ताकि उस से बात कर सकूँ लेकिन अब उसका फोन भी स्विच ऑफ हो गया था,,,,,


मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक,,,???
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07-16-2019, 11:53 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने घर का गेट खोला और अंदर चला आया ,,,मैं बहुत परेशान था लेकिन तभी मेरी परेशानी और भी ज़्यादा बढ़
गई थी,,,,घर का गेट तो ठीक था लेकिन घर के मेन डोर का लॉक थोड़ा अजीब लग रहा था ,ऐसे लग रहा था किसी
ने इसको ज़बरदस्ती खोलने की कोशिश की हो ,,,बहुत ज़्यादा निशान पड़े हुए थे इस्पे,,हो ना हो ये उन्ही लोगो का काम
था जो लोग घर के बाहर खड़े हुए थे उस दिन,,,,साला आज नही छोड़ने वाला मैं इन लोगो को,,,मैने गेट खोला
और बाहर जाके देखा तो वो लोग वहाँ नही थे,,,मैने गेट खुला रहने दिया और भाग कर घर के पास वाली पार्क
तक गया,,,मुझे आज रितिका पर बहुत गुस्सा था और जब मुझे करण ने रितिका के साथ देख लिया था उस हालत मे किचन
मे तो मुझे बहुत अजीब लगा था ,,करण को पता था मैं चुदाई के मामले मे बहुत बड़ा कमीना हूँ इसलिए हो
सकता है करण मुझे ही ग़लत समझे और जब मैं करण के घर से निकला था तब रितिका को कुछ ज़्यादा टेन्षन नही
थी इस बात पर कि उसके पति ने उसको किसी गैर मर्द के साथ ऐसी हालत मे देख लिया था ,,शायद उसको करण का डर नही
था या शायद कहीं वो करण से झूठ नही बोल दे कि मैने उसके साथ बदतमीज़ी की थी,,क्यूकी अगर वो ऐसे बोल देती
तो शायद करण उसपे यकीन कर लेता और मैं ज़िंदगी भर के लिए करण की नज़रो मे गिर जाता,,,,मुझे यहीं सब बातों
पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अब घर का बिगड़ा हुआ लॉक देखकर मुझे और भी गुस्सा आने लगा था,,,,मैं उन लोगो
का सर फोड़ देना चाहता था इसलिए घर के गेट को खुला छोड़कर मैं पार्क की तरफ भाग कर गया और फिर पार्क
के अंदर भी देखकर आया लेकिन वो लोग कहीं नही थे,,,,

मैं वापिस घर आ गया लेकिन फिर भी मुझे उन लोगो पर बहुत गुस्सा था क्यूकी मुझे पक्का यकीन था क़ि वो लोग
अमित के बाप के आदमी थे,,,,

मैने घर को अच्छी तरह से हर दरवाजा और खिड़की चेक की कहीं कोई अंदर तो नही घुसा था लेकिन दोनो दरवाजे
ठीक थे,,,,फ्रंट वाला भी और बॅक वाला भी,,,,घर मे 2 ही रास्ते थे अंदर आने के ,,,,एक तो आगे से और एक पीछे से
लेकिन तभी मुझे याद आया कि एक रास्ता उपर छत पर भी है,,,,वहाँ से भी कोई आ सकता है इसलिए मैं घर की
छत पर गया तो वो दरवाजा भी अंदर से बंद था,,,,सब कुछ ठीक था कहीं कुछ गड़बड़ नही हुई थी,,,

हालाकी घर मे कोई गड़बड़ नही हुई थी लेकिन करण के साथ मेरी बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई थी और मुझे इस बात पर
बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था,,,,साले ने फोन भी स्विच ऑफ कर दिया था ,,,अब बात करूँ भी तो कैसे करूँ,,



मैं यही सोचता हुआ नीचे वाले फ्लोर पर ही बैठ गया,,,दिमाग़ टेन्षन से फटा जा रहा था तभी टेन्षन को और
ज़्यादा बढ़ाने के लिए सोनिया घर आ गई,,,,

उसने बेल बजाई और मैने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,

कब घर आया तू भाई,,आके मुझे फोन नही कर सकता था क्या,,तुझे बोला था ना घर आके मुझे फोन करने को
उसने घर मे घुसते ही एक दम से बोलना शुरू कर दिया,,

सौरी मैं भूल गया था,,,,

क्या हुआ भाई तू ठीक तो है ना,,,तबीयत ठीक है ना तेरी,,,

हां मैं ठीक हूँ तबीयत भी एक दम दुर्रुस्त है मेरी,,,,,

फिर तू इतना टेन्षन मे क्यूँ लग रहा है ,,इतना परेशान क्यूँ है तू,,किसी से झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,,सोनिया से कुछ नही
छुपा था आज तक,,,,,वो मेरी शकल देख कर बता देती थी कि मेरा मिज़ाज कैसा है,,


मैं ठीक हूँ सोनिया ,,किसी से कोई झगड़ा नही हुआ,,,बस सर मे हल्का दर्द है,,,

तभी वो चलके मेरे पास आई और मेरे फोरहेड पर हाथ लगा कर चेक करने लगी,,,,,बुखार तो नही है भाई शायद
मौसम चेंज होने की वजह से सर दर्द होने लगा होगा,,,,,बोलो तो सर दबा दूं भाई,,,,


नही मैं ठीक हूँ तुम जाओ उपर अपने कमरे मे,,,मैने उसका हाथ अपने सर से हटाते हुए बोला और थोड़ा गुस्से
से भी,,,,

गुस्सा मत कर भाई तबीयत ज़्यादा खराब हो जाएगी,,,,अगर बोलो तो कॉफी बना देती हूँ आराम मिलेगा,,,,

बोला ना मुझे कुछ नही चाहिए तू बस जा यहाँ से,,,,मैने फिर से गुस्से मे बोला,,,,मैं गुस्सा नही करना चाहता
था उस पर क्यूकी वो तो मेरी केर करती थी और अभी भी कर रही थी लेकिन मुझे वैसे ही बहुत गुस्सा था जो सब भी
आज हुआ था उस पर,,,,

वो मेरे से दूर हट गई लेकिन अपने रूम मे नही गई ,,वो गई किचन मे और मैं गुस्से से सोफे पर आके लेट गया
सच मे अब मेरा सर दर्द करने लगा था टेन्षन से,,,मैं सोफे पर लेटा हुआ पता नही क्या क्या सोच रहा था तभी
कुछ देर बाद सोनिया वहाँ आ गई उसने एक कप कॉफी रखी टेबल पर और साथ ही एक मॅडिसिन भी रख दी,,,,

भाई कॉफी पे लेना अगर फिर भी आराम नही मिला तो ये गोली खा लेना सर दर्द ठीक हो जाएगा,,,,उसने इतना बोला और
वहाँ से चली गई,,,,

उसकी इस हरकत से अब मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा,,,,ये बेचारी मेरी इतनी केर करती है और मैं बात बात पर
इसको हर्ट करता रहता हूँ,,,फिर भी ये मासूम मेरी केर करने से बाज़ नही आती,,,,

खैर मैं बैठकर कॉफी पीने लगा और जो आज हुआ उसके बारे मे सोचने लगा ,,साला दिमाग़ इतना ज़्यादा खराब हो
गया था कि कॉफी भी टी-शर्ट पर गिर गई ,,शूकर है ख़यालो मे खोया हुआ था जिस वजह से कॉफी थोड़ी ठंडी हो
गई थी अगर कहीं गर्म होती तो गान्ड फॅट जाती मेरी,,,,

मुझे इस बात की खुशी भी थी कि सोनिया को लॉक के बारे मे पता नही चला वर्ना वो स्वाल करती लॉक के बारे मे तो
मैं उसको क्या जवाब देता,,,,अच्छा ही हुआ कि उसने लॉक को नही देखा था,,,

कॉफी पीके सोचा क्यूँ ना ख़ान भाई के पास चला जाए और उनसे कुछ बात की जाए,,इस बहाने मैं घर से बाहर
भी चला जाउन्गा सोनिया से दूर और उसको फिर से हर्ट करने का कोई मोका भी नही होगा मेरे पास,,,आज रात से पहले
मैं घर भी नही आउन्गा ,,,,बाहर ही कहीं टाइम पास कर लूँगा,,,

यही सोच कर मैं उपर रूम मे गया ताकि टी-शर्ट चेंज कर लूँ,,,मैं उपर रूम मे गया तो देखा कि सोनिया
वहाँ नही थी,,,,शायद वो भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चली गई होगी स्टडी करने के लिए,,,,मैने जल्दी से टी-शर्ट
उतारी और दूसरी टी-शर्ट पहने लगा तो देखा कि कॉफी से चेस्ट कुछ चिपचिपी हो गई थी,,फिर सोचा चलो हल्का शवर
ले लेता हूँ गर्म पानी से शायद कुछ आराम मिले उस से और थोड़ा बेटर फील होने लगे,,,,यही सोच कर मैं शोभा के
रूम मे जाने लगा क्यूकी सोनिया के रूम का बाथरूम ठीक से काम नही करता था,,,

मैं टी-शर्ट उतार चुका ,,मेरा उपर का बदन नंगा था और मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा के रूम की तरफ जाने
लगा कहीं सोनिया मुझे नही देख ले मुझे इस बात का डर था ,,,इसलिए मैं तेज़ी से चलता हुआ शोभा दीदी के रूम
मे चला गया,,,,

जैसे ही मैं रूम मे घुसा मैने देखा कि सोनिया टवल मे शोभा दीदी के रूम मे खड़ी हुई थी,,,वो शायद अभी
नहा कर बाथरूम से बाहर निकली थी,,

मैने दरवाजा इतनी जल्दी से खोला था और इतनी तेज़ी से रूम मे घुसा था कि सोनिया को पता ही नही चला और जब तक पता
चला तब तक देर हो चुकी थी,,वो र्मिरर मे खुद को देखकर अपनी जुल्फे सवार रही थी ,,,उसका हेर ब्रश उसके हाथ
मे पकड़ा हुआ था ,,वो एक दम से मुझे देखकर इतना ज़्यादा डर गई की उसको कुछ समझ ही नही आ रहा था ,,और सबसे
बड़ा पंगा था कि अभी वो टवल मे थी जबकि मेरा भी उपर का जिस्म नंगा था,,,,


कुछ देर पहले मैं बड़ी टेन्षन मे था ,कितनी उलझन मे था,,,कितने सवाल और कितने जवाब घूम रहे थे मेरे
दिमाग़ मे ,,,कभी करण की टेन्षन तो कभी रितिका की,,तो कभी उन लोगो को जिन लोगो ने घर मे घुसने की कोशिश
की थी,,,लेकिन अब सोनिया को देखकर मैं सब कुछ भूल गया था,,,बस अब दिल और दिमाग़ मे वही छा गई थी,,,

उसको देखा तो देखता ही रह गया,,,,,,,डर के मारे उसका हेर ब्रश वाला हाथ उसके बालों मे ही उलझा रह गया
था,,वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मिरर मे मुझे देख रही थी,,,मैं भी उसको मिरर मे देख
रहा था,,,,कुछ पल के लिए उसको मिरर मे देखते हुए मैने सोचा क्यूँ ना मैं भी उस मिरर मे घुस जाउ
ताकि सोनिया को करीब से महसूस कर सकूँ,,उसको बाहों मे भर सकूँ जब तक दिल करे,,,,क्यूकी वो खुद तो '
मुझे अपने करीब नही आने देती थी लेकिन शायद उसका अक्स उसकी तस्वीर जो अभी मिरर मे थी उसकी परच्छाई जो अभी
मुझे मिरर मे नज़र आ रही थी वो मुझे उसके करीब जाने दे,,,सोनिया को ना सही उसके अक्स को सही उसकी परच्छाई
को सही बस एक बार अपनी बाहों मे भर लूँ मैं तो शायद इस दिल को कुछ राहत मिले कुछ सकून मिले,,,

यही सोचता हुआ मैं एक कदम आगे बढ़ा सोनिया की तरफ,,,,अब तक मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी और शायद सोनिया
की भी,,,उसकी हल्की नंगी पीठ पर मुझे पसीना दिखने लगा था,,वो नहा कर निकली थी और सर्दी का मौसम
था इसलिए उसने अच्छी तरह से अपने बदन को पोंच्छा होगा टवल से ,,उसके बाल भी गीले थे लेकिन पानी नही गिर रहा
था बालों से ,,,उसने बालों को भी अच्छी तरफ से पोंच्छ लिया होगा लेकिन फिर भी उसकी पीठ पर शोल्डर के पास से थोड़ी
गीली लग रही थी मुझे,,,,हो ना हो ये घबराहट का पसीना था,,,,


मैं अभी एक कदम उसकी तरफ बढ़ा था कि उसके हाथ मे पकड़ा हुआ हेर ब्रश उसके हाथ से छूट कर नीचे गिर गया
,,,वो घबराकर एक टक मुझे देखती जा रही थी,,मैं भी हल्के कदमो से उसकी तरफ बढ़ता जा रहा था और उसको मिरर
मे देखता जा रहा था,,,,तभी उसने अपने सर को ना मे हिलाना शुरू कर दिया,,,,शायद वो मुझे पास आने से मना
कर रही थी,,,,लेकिन मेरा ध्यान तो उसकी तरफ नही था मैं तो उसके अक्स को देख रहा था मिरर मे ,,,वो अपने सर
को हिला हिला कर मुझे मना करती जा रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,आगे बढ़ते हुए मैं ये भी सोचने
लगा कि सोनिया का अक्स भी मुझे अपने पास आने से रोकने लगा है,,,वो क्या उसका अक्स भी नही चाहता कि मैं उसके पास जाउ,,,

कुछ पल बाद मैं उसकी पीठ पीछे उसके पास पहुँच गया था,,,वो अभी तक मिरर मे मुझे देखती हुई अपने सर
को ना मे हिलाती जा रही थी ,,,उसके पास जाके मैने अपने राइट हॅंड को उसके राइट शोल्डर के पास उसकी नंगी पीठ
पर रख दिया,,,,,उसकी पीठ को टच करते ही एक अजीब मस्ती भर गई मेरे दिल मे मुझे इतना जोरदार झटका लगा कि
जैसे अभी मेरे लंड से स्पर्म निकल जाएगा,,,और उतना ही तेज झटका लगा था सोनिया को,,,इसलिए वो मेरे से आगे बढ़ गई
थी,,,वो आगे बढ़ कर मिरर के बिल्कुल पास जाके खड़ी हो गई थी,,,,

वो मिरर के इतनी पास चली गई थी की उसकी गर्म साँसे मिरर पर पड़ने लगी थी और मिरर पर हल्का कोहरा छाने लगा
था,,,उस कोहरे मे मुझे उसकी परछाई उसका अक्स ,,उसका फेस नज़र आना बंद हो गया था,,,,अब मुझे हल्का डर
लगने लगा था,,,क्यूकी अब तक मैं उसके अक्स को देखकर आगे बढ़ता जा रहा था जिस से मुझे इतना डर नही लग रहा
था लेकिन अब मैं सोनिया के करीब जाने वाला था इस बात से मुझे डर लगने लगा था,,लेकिन फिर भी उसके जिस्म को
देखकर मेरा डर हवा मे उड़ने लगा था,,मैं हिम्मत करके फिर से एक कदम आगे बढ़ा और फिर से अपने हाथ को
उसकी पीठ पर उसके शोल्डर के पास रख दिया,,,और ऐसा करते ही वो फिर से घबराने लगी,,,उसकी साँसे जो गर्म हो
चुकी थी अब आग उगलने लगी थी,,उसने अपने सर को हल्के से पीछे की तरफ टर्न किया और पीछे मूड कर अपनी पीठ पर
पड़े हुए मेरे हाथ को देखने लगी,,

उसका सर हल्का सा एक तरफ टर्न हो गया था ,,,,वो अपने सर को घुमा कर पीछे देख रही थी ,मेरे हाथ की तरफ देख
रही थी जो उसकी पीठ पर राइट तरफ के शोल्डर के पास था,,,जैसे उसकी मखमली पीठ का एहसास मुझे पागल कर
रहा था उसी तरह मेरे हाथ के एहसास से मस्त होके या मेरे से डर के उसकी भी हालत खराब हो गई थी,,,उसको साँस
लेना भी मुश्किल हो गया था,,,सिर्फ़ नाक से साँस लेने मे उसको मुश्किल हो रही थी इसलिए उसने लिप्स को थोड़ा सा खोल
दिया था और मुँह खोलके साँस लेने की कोशिश कर रही थी,,,,मुँह खुलते ही उसके मुँह से गर्म साँसे मुझे उसकी पीठ
पर पड़े हुए अपने हाथ पर महसूस हो रही थी,,मैने मस्ती मे अपने हाथ को थोड़ा उपर करके उसके शोल्डर की
तरफ बढ़ा दिया और उसके शोल्डर को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,,मेरे ऐसा करते ही उसने अपनी आँख को तिर्छि करके
मेरी तरफ देखा और फिर से अपने सर को ना मे हिला दिया और मुझे रोकने लगी ऐसा करने से,,,,लेकिन मैं कहाँ रुकने
वाला था,,

मैने अपने दूसरे हाथ को भी उसके दूसरी तरफ के शोल्डर पर रख दिया और उसको अपनी तरफ पलट दिया,,जिस से उसका
फेस मेरी तरफ हो गया,,,मेरी तरफ पलट कर वो फिर से पीछे की तरफ खिसक गई और जाके मिरर से पीठ लगा कर
खड़ी हो गई,,,,उसकी हार्ट बीट काफ़ी तेज थी और उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था,,,उसका टवल जो इसकी छाती पर उसके
बूब्स से थोड़ा उपर बँधा हुआ था वो टवल तेज़ी से साँस लेती उसकी छाती के साथ उपर नीचे होने लगा था और उसके
छोटे छोटे बूब्स भी हल्का हल्का उपर नीचे हो रहे थे,,,मैने दूर खड़े रहके उसको उपर से नीचे तक देखा

,,,वो मिरर से चिपक कर खड़ी हुई थी,,उसकी हालत खराब थी,,उसने अपने दोनो हाथों की उंगलियों को बंद करके
मुट्ठी बना ली थी और उस मुट्ठी मे उसने टवल को कस्के पकड़ा हुआ था दोनो तरफ से,,,लेकिन जैसे ही मेरी नज़रे उसके
पैरो से होती हुई उसके बूब्स के पास नंगी छाती पर जाके टिक गई तो इस बात के एहसास से कि मैं उसकी छाती को देख
रहा हूँ वो थोड़ी परेशान हो गई उसने अपने हाथों से अपने टवल को दोनो साइड से छोड़ा और अपने हाथों को
जल्दी से अपनी छाती के पास लेके आ गई और अपने दोनो हाथों से अपनी नंगी छाती को कवर कर लिया,,,मैं फिर भी
उसकी छाती की तरफ ही देख रहा था,,,

तभी मैने सर उठाकर उसके चेहरा की तरफ देखा तो वो सीधी मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,हम दोनो कुछ देर
ऐसे ही खड़े रहे,,,,फिर वो बड़ी धीरे से बोली,,,,,,,,,,,,,सुन्न्ञनी चले जाऊ य्याहहानं ससीई प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़


लेकिन मैने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अपने हाथ को उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया,,,,

रुक्क जाऊ सुउउउन्नयी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,वो फिर से डरती हुई बोली,,,,

मैने उसकी कोई बात नही सुनी और हाथ को आगे ले गया,,,फिर मैने अपने हाथ से उसके एक हाथ को पकड़ा और बड़े प्यार
से उसके हाथ को उसकी छाती से हटा दिया,,,उसका एक हाथ उसकी छाती से हट गया,,,,

फिर मैने उसके दूसरे हाथ को उसकी छाती से हटाने के लिए अपने हाथ को आगे किया और उसकी तरफ देखा तो वो डरी हुई
सहमी हुई मुझे ना मे सर हिला कर मना करती जा रही थी,,,,,
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