Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:48 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
दरवाजा बंद करते टाइम भी वो सर झुका कर नीचे की तरफ देख रही थी,,सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे
से शरमा रही है,,,,

वो बाथरूम मे चली गई और मैं वापिस बेड पर आके लेट गया और खो गया अपने ख़यालो मे,,,आज इतना मज़ा
आया था मुझे कि मैं बहुत ज़्यादा खुश था ,,इतना खुश कि मुझे डर था मैं कहीं खुशी से पागल ही नही
हो जाउ कहीं,,,इतनी खूबसूरत लड़की आ गई थी आज मेरी ज़िंदगी मे जिसके बारे मे मैं सपने मे ही सोचता
रहता था अक्सर,,,सपने मे ना जाने कितनी बार उसकी चुदाई की थी मैने लेकिन आज हक़ीक़त मे उसकी चुदाई करके
जो मज़ा आया था उसको मैं शब्दो मे बयान नही कर सकता ,,,

करण ने तो अपनी सुहागरात मना ली थी रितिका के साथ और तबसे मैं भरा बैठा हुआ था,,,हालाकी कामिनी भाभी
की चुदाई भी करली थी मैने लेकिन फिर भी जो मज़ा मुझे कविता के साथ आया था वो कामिनी भाभी के साथ
नही आ सकता था,,,सही मायने मे ये थी मेरी सुहागरात,,मेरी और मेरी प्यारी कविता की सुहाग रात,,,मैं
अपने ही हसीन सपनो मे खोया हुआ था तभी मुझे बाथरूम के दरवाजा खुलने की आवाज़ आई,,,

मैने बाथरूम की तरफ देखा तो कविता वहाँ से बाहर निकल रही थी,,उसने वही कुर्ता पहना हुआ था,,,उस
कुर्ते के नीचे उसने कुछ नही पहना था,,,तभी वो बाथरूम से बाहर आते आते मेरी तरफ देखकर वापिस बाथरूम
मे भाग गई,,,,मैने सोचा इसको क्या हुआ,,,तभी मुझे याद आया कि मैं नंगा हूँ शायद इसलिए वो शरमा
कर वापिस भाग गई होगी,,,,और ऐसा ही हुआ,,,वो शरमा गई थी मुझे नंगा देखकर इसलिए बाथरूम मे वापिस
भाग गई थी मेरे लिए टवल लेने के लिए,,,,

वो टवल को हाथ मे पकड़कर शरमाते हुए बेड के पास आ रही थी,,,उसकी नज़रे झुकी हुई थी,,,उसने बेड के
पास आके टवल को मेरी तरफ फेंका और खुद पलट कर खड़ी हो गई,,,टवल पकड़कर मैं खड़ा हुआ और
टवल को अपनी कमर पर लपेट लिया और लपेट कर हल्का सा खांसने की आवाज़ करदी ताकि उसको पता चल जाए कि
अब मैं नंगा नही हूँ,,,

मेरे खांसने की आवाज़ सुनके वो मेरी तरफ पलटी और मुझे देखने लगी,,,वो अभी भी शरमा रही थी,,,


अब इतना क्यूँ शरमा रही हो,,,और ये टवल किस लिए,,हम दोनो एक दूसरे को बिना कपड़ो के देख चुके है
और बिना कपड़ो के एक जिस्म जो दूसरे जिस्म के साथ करता है वो सब कर चुके है तो भला अब ये शरम कैसी
अब ये परदा कैसा,,,,इतना बोलकर मैं उसके पास गया तभी वो मेरे से दूर हट गई और बेड के दूसरी तरफ चली
गई,,फिर उसने शरमाते हुए बेड पर पड़ी बेडशीट उठा ली जो बहुत ज़्यादा भीग चुकी थी उसकी चूत के पानी
से,,,,वो बेड शीट उठाने लगी तभी मैं बोल पड़ा,,,

अरे ये क्या हुआ,,,इतना पानी किसने गिरा दिया बेड पर,,पूरी शीट गीली हो गई है,,,,

मैने इतना बोला ही था कि उसने पहले मेरी तरफ गुस्से से देखा ,,,और फिर शरमा कर मुस्कुरा कर अपने फेस को
झुका लिया और अपना काम करने लगी,,,,उसने बेडशीट उठाकर साइड पर रख दी फिर न्यू बेडशीट लेके बेड पर
बिछा दी,,,,पहले वाली बेडशीट लाइट कलर की थी लेकिन ये दूसरी वाली डार्क कलर की थी,,,,इस पर भी मुझे
मज़ाक सूझने लगा,,,


हां ये बेडशीट अच्छी है डार्क कलर की,,,जितना भी पानी गिरे जितनी भी गंदी हो किसी को पता नही चलेगा,
मैने इतना बोला तो वो फिर से मुझे गुस्से से देखने लगी,,,,

उसने गुस्से से मुझे देखा तो मैं चुप करके उसकी हेल्प करने लगा बेडशीट सेट करने मे ,,बेड शीट ठीक
तरह से बिछ गई तो उसने एक कंबल लिया और बेड पर लेट गई कंबल लेके,,,,

मैं थोड़ा परेशान था,,,,इसको क्या हुआ ऐसे क्यूँ बिहेव करने लगी ये,,,जैसे कि कुछ हुआ ही नही था,,या शायद
कुछ ज़्यादा ही शरम आ रही थी उसको मेरा सामना करने मे,,,

वो कंबल लेके लेट गई थी जबकि मैं ऐसे ही टवल लपेट कर बेड पर लेट गया,,,,मुझे ठंडी तो नही लग रही
थी और अगर किसी जवान लड़की के साथ इस उमर मे एक ही बेड पर लेटने मे मुझे ज़रा भी ठंडी का एहसास होता
तो लानत थी मेरी जवानी पर,,,,आख़िर जवान खून था मेरा भी और गरम भी,,,,

हालाकी मुझे ठंड नही लग रही थी फिर भी मैं जानभूज कर नाटक करने लगा,,,,,जैसे मुझे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही हो,,,,

आहह कितनी ठंड है यहाँ,,,कोई इस ग़रीब को एक कंबल दे देता तो,,,क्या कोई नही यहाँ जो इस ग़रीब को
ठंड से बचा सके,,मैं इतना बोलता हुआ जानभूज कर काँपने लगा था ताकि मेरे हिलने से बेड भी हिलने
लगे और कविता का ध्यान मेरी तरफ आ जाए,,,,और ऐसा ही हुआ,,,,उसने मेरी तरफ मुँह किया और अपने कंबल को
चारों तरफ से ठीक करके ढक लिया खुद को,,,मुझे तो लगा था ये मुझे अपने कंबल मे बुला लेगी लेकिन'
इसने तो ऐसा नही किया,,,,,,,

तभी वो बोली,,,,,बहुत बेशरम है तू,,,कितना हर्ट करता है,,ज़रा भी तरस नही ख़ाता किसी पर,,,,तेरी यही
सज़ा है कि ठंडी मे लेटा रह तू,,,उसने इतना बोला और हँसने लगी,,,लेकिन उसके हँसने मे भी एक दर्द था जो सॉफ
सॉफ बता रहा था कि उसको चूत मे दर्द हो रहा है,,,फिर भी वो मेरे से मज़ाक करने मे लगी हुई थी,,

उसकी यही बात मुझे अच्छी लगी,,,इसलिए मैं उसके करीब हो गया,,,अच्छा तो मैं बेशरम हूँ,,,तो ठीक है
इतना बोलकर मैने टवल निकाल दिया और साइड मे फैंक दिया,,,,अब मैं बेशरम हूँ तो इसकी क्या ज़रूरत


उसने जल्दी से अपना फेस को कंबल के अंदर कर लिया,,,,सन्नी टवल लपेट ले प्लज़्ज़्ज़ मुझे शरम आ रही है

अच्छा तो अब शरम आ रही है,,तब कहाँ थी शरम जब बिना कपड़ो की मेरी बाहों मे थी,,,इतना बोलकर
मैं उसके करीब हो गया,,तब शरम नही आ रही थी क्या,,,

उसने अपने सर को कंबल से बाहर किया और आँखें बंद करके अपने सर को ना मे हिला दिया और बता दिया कि
'उस टाइम उसको शरम नही आ रही थी,,,

अच्छा शरम नही आ रही थी,,तो क्या मज़ा आ रहा था,,

उसने अपने सर को शरमाते हुए हां मे हिला दिया और जल्दी से कंबल को वापिस सर पर ले लिया,,,

अच्छा अगर तब मज़ा आ रहा था तो भला अब शरमाना कैसा,,,अब ये शरम का परदा कैसा,,हटा दो अब ये
परदा कि अब तो हम बेपर्दा हो चुके है ,,,,

लेकिन वो कुछ नही बोली ना ही कोई इशारा किया,,,,मैने फिर बोला,,,हटा दो ना परदा,,प्लज़्ज़्ज़्ज़

वो फिर चुप रही और कुछ नही बोली,,,,

अच्छा चलो नही हटाओ परदा लेकिन इतना तो बता दो मज़ा आया था क्या,,,और कितना मज़ा आया था,,,,बता ना कविता
प्लज़्ज़्ज़

तभी उसने कंबल को उतारा और हंस कर मुझे देखा,,,,,,,बहुत मज़ा आया,,,यही सुनना है ना तूने सन्नी,,तो सुन
ले ,,बहुत बहुत बहुत मज़ा आया मुझे,,,,तू मेरी लाइफ का पहला मर्द है जिसने मुझे इतना मज़ा दिया है,,

उसने इतना बोला तो मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,पहला मर्द ,,लेकिन तुम तू वर्जिन नही,,,,,,मैं इतना बोलता बोलता
चुप हो गया,,,


और वो भी हँसते हँसते एक दम से उदास हो गई,,,,,उसकी आँखे नम हो गई,,,,शायद वो रोने लगी थी,,,


अरे तू रो मत प्ल्ज़्ज़ मैं तुझे हर्ट नही करना चाहता था,,,मैं तो बस,,,,

मैं जानती हूँ सन्नी तो क्या बोलना चाह रहा है और तू क्या सोच रहा है मेरे बारे मे,,,,तुझे लगता होगा
मैं अच्छी लड़की नही हूँ,,क्यूकी मैं वर्जिन नही हूँ,,,,तुमको नही पता मेरे साथ,,,,अभी वो बोलने ही
लगी थी कि दरवाजा खुला और कामिनी भाभी अंदर आ गई,,,


भाभी के आते ही कविता ने जल्दी से एक पिल्लो मेरे उपर फैंक दिया क्यूकी मैं नंगा था,,,भाभी ने
अंदर आते हुए मुझे हंस कर देखा और बेड पर कविता के पास जाके बैठ गई,,,,,भाभी के हाथ मे एक नकली लंड
था,,,,भाभी ने वो लंड मेरी तरफ किया और बोलने लगी,,,,सन्नी तू पहला मर्द नही जिसने कविता के साथ मस्ती
की है ये रहा वो पहला मर्द जिसके साथ कविता पहले भी मस्ती कर चुकी है,,,यही वो मर्द है जो कविता की
सील खोल चुका है,,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता थोड़े गुस्से से भाभी की तरफ देखने लगी,,,,

अरे गुस्सा क्यूँ करती है,,चूत को चूत नही तो क्या बोलू बता ज़रा,,,,और मैं क्या ग़लत बोल रही हूँ यहीं
है ना वो मर्द जो तेरी चूत मे घुस चुका है पहले और सील खोल चुका है तेरी,,,

मैं थोड़ा हैरान रह गया,,मुझे याद आया कि कुछ देर पहले भाभी इसी रूम से इस नकली लंड को लेके गई
थी,,,,,,,,,,,,,,,,तो क्या तुम इस नकली लंड के साथ मस्ती करती हो कविता,,,मैने इतना बोला तो कविता चुप करके
मुझे देखने लगी,,,


और नही तो क्या सन्नी,,,यही है वो लंड और तू मुझे वो मर्द समझ सकता है जिसने ये लंड घुसाया था इसकी
कुवारि चूत मे,,,इतना बोलकर भाभी ने कविता की टाँगों पर हाथ रख दिया,,,

तभी कविता गुस्से से बोली,,,भाभी ये क्या कर रही हो,,,,

अरे अब गुस्सा क्यूँ करती है,,,,,ओह्ह अच्छा समझ गई सन्नी के सामने तुझे नही टच करूँ मैं,,,ठीक है
जी अब बचपन का प्यार है तेरे पास तो मुझे क्यूँ छूने देगी तू खुद को,,,

भाभी ने इतना बोला तो कविता फिर से भाभी को गुस्सा होने लगी,,भाभी चुप कर जाओ बॅस,,,

अरे अब मैं बोल भी नही सकती क्या,,,तेरा ये बचपन का प्यार इतना अज़ीज़ हो गया कि अपनी दोस्त जैसी भाभी को
चुप करवाने लगी तू,,,,

क्या बोल रही हो भाभी मैं कुछ समझा नही,,,,,,

तू कुछ समझेगा भी नही सन्नी क्यूकी तेरी उमर के लड़के अक्सर बुद्धू होते है,,,ये कविता बचपन से तुझे
लाइक करती है,,,जब देखो घर मे बस तेरी ही बात करती रहती है,,,सन्नी ऐसा है सन्नी वैसा है ,,,मेरे तो
कान पक जाते थे ये सुन सुन कर,,,,देखा ना अब भी तेरे सामने मुझे खुद को टच नही करने दे रही
जबकि अक्सर मेरे साथ ही मस्ती करती है,,और मेरे से ही चूत की सील भी खुलवाई है इसने,,,

बस बहुत हो गया भाभी ,,,अब आप जाओ यहाँ से,,,,कविता चिल्ला कर गुस्से मे बोली तो भाभी बेड से उठकर
दरवाजे की तरफ चली गई,,,,

अच्छा अच्छा जा रही हूँ मैं,,,अब जितना मर्ज़ी प्यार करो तुम दोनो,,,,जब तक दिल करे ऐसे ही मस्ती करते रहो
बेड पर नंगे लेट कर,,,भाभी ने मेरा नंगा जिस्म देखकर ये बात बोली थी,,,मेरे लंड के उपर एक पिल्लो
पड़ा हुआ था बस ,,,


भाभी के बाहर जाते ही कविता उठी और हल्के कदमो से चलके दरवाजे के पास गई और दरवाजे को अंदर से
लॉक कर दिया,,,,और वापिस बेड पर आके बैठ गई,,,


तू इतना भड़क क्यूँ गई थी भाभी पर,,,,,वो क्या झूठ बोल रही थी,,,

नही सन्नी वो बस मैं,,,,

तो क्या भाभी सब सच बोल रही थी,,,तू मुझे लाइक करती है,,,मुझे चाहती है,,,लेकिन कब्से ,,और कभी मुझे
बताया क्यूँ नही तूने,,,


क्या बोलती,,,तुझे खुद पता नही चलता कि एक लड़की जो अपनी जवानी मे है और उसका अभी तक कोई भी बाय्फ्रेंड
नही है,,,बस एक तू ही दोस्त है उसका,,,तेरे सिवा उसने किसी भी लड़के से दोस्ती नही की कभी,,,क्या इतना सब कुछ
होने के बाद भी तुझे बताना कि मैं तुझे प्यार करती हूँ ये ज़रूरी था क्या,,,

देख मैं ठहरा पागल ,,,और तुझे पता है लड़के होते ही पागल है,,,दिल की बात समझने मे हम लड़को को
अक्सर देर हो जाती है,,,और अगर तू एक बार बता देती तो तेरा क्या घिस जाता ,,,एक बार बस इशारा कर देती तो
मैं समझ जाता ना,,,

कितनी बार इशारा किया मैने पर तूने ध्यान ही नही दिया मेरी तरफ,,,तेरा ध्यान पता नही किस तरफ रहता था,,

मेरा ध्यान तो हमेशा ही तेरी तरफ था कविता,,,बस मुझे बताना नही आया,,

मेरी तरफ ध्यान रहता तो बात ही क्या थी सन्नी,,,मैं तो तेरे ध्यान के लिए तरस गई थी,,,तू कभी ध्यान नही
देता था मेरी तरफ,,,

मैं डरता था कविता कहीं तुम गुस्सा कर गई कहीं तुम मुझे लाइक नही करती हुई तो मेरी तो दोस्ती भी ख़तम
हो जाएगी तेरे से,,,मैं तेरे जैसी अच्छी दोस्त को खोना नही चाहता था,,,,

मैं भी अच्छे दोस्त को खोना नही चाहती सन्नी,,,इसलिए तुझे कुछ नही बता सकी कभी,,,क्यूकी अगर बता देती
तो डर था कहीं कोई दोस्त मेरे से दूर नही हो जाए,,,और अब अगर दोस्त करीब है तो मैं उस से कुछ झूठ
भी नही बोलना चाहती,,,,


झूठ कैसा झूठ,,,

अभी जो कुछ भाभी बोलके गई है सब झूठ है सन्नी,,,,,भाभी ने आज तक मुझे हाथ भी नही लगाया और
ना ही भाभी ने उस नकली वाले खिलोने से मेरे साथ कुछ किया था,,,,और उस खिलोने की ज़रूरत मुझे कभी
महसूस भी नही हुई आज तक,,

क्या मतलब ,,,अगर उस नकली लंड से तुम्हारी चूत की सील नही खुली थी तो कैसे खुली थी ,,कॉन था वो मर्द


वो थोड़ा उदास होके,,,,,,,वो मर्द कोई और नही था सन्नी,,,,वो मेरा बाप था,,,,इतना बोलकर वो रोने लगी,,,


मैं थोड़ा हैरान हो गया था,,,ये क्या बोल रही हो तुम कविता,,,

सच बोल रही हूँ सन्नी,,क्यूकी मैं किसी रिश्ते की शुरुआत झूठ से नही करना चाहती,,,मेरा बाप ही था
वो मर्द जिसने मेरे साथ वो सब किया,,,,मैं अपनी ज़िंदगी का पहला सेक्स उसके साथ करना चाहती थी जिस से प्यार
करती हूँ लेकिन मेरे बाप ने अपनी झूठी शान और झूठी मर्यादा की खातिर मेरे सभी सपनो पर सभी
उम्मीदो पर पानी फेर दिया और बर्बाद कर दिया मुझे

तुमको पता है ना कि मेरे भैया सूरज कैसे है,,,,वो बच्चा पैदा नही कर सकते क्यूकी वो नामर्द है,और
मेरे बाप ने ही भाभी के साथ 2 बार वो घटिया हरकत की ताकि हम लोगो के परिवार को एक लड़का मिल सके
एक वारिस मिल सके लेकिन 2 बार लड़की ही हुई ,,,,मुझे कुछ पता नही था इसके बारे मे क्यूकी मुझे किसी ने पता
लगने ही नही दिया था ,,,और जब तीसरी बार वो सब होने लगा तो भाभी ने मुझे सब बता दिया और मैने अपने
बाप के खलाफ भाभी का साथ दिया,,,,तो मेरे बाप ने मेरे साथ ही मुँह कला कर लिया शराब के नशे मे

ना तो माँ कुछ कर सकी और भाई तो वैसे भी कुछ नही कर सकता था अगर भाई कुछ कर सकता होता तो ये
सब नही होता,,,

मैं जानती हूँ तुम्हारे और भाभी के बारे मे ,,तुम्हारे और भाई के बारे मे भी क्यूकी भाभी ने मुझे
सब बता दिया था ,,भाई और डॅड के बारे मे भी,,,,मैं तो सब से अंजान ही थी,,,और जब सब कुछ जाना तो सबकी
सज़ा भी मिली मुझे,,,,,एक बार तो डॅड ने शराब के नशे मे ऐसे हरकत की थी लेकिन बाद मे उनको ये सब
अच्छा लगने लगा,,,उन्होने 4 बार मेरे साथ वो गंदी हरकत की थी,,,,मैं किसी को बता भी नही सकती थी ना ही
पोलीस मे जा सकती थी क्यूकी इस से मेरे ही घर की बदनामी होती,,,,मैने ये बात सोनिया को बता दी थी इसलिए
जब भी डॅड घर पर आते थे मैं उन दिनो सोनिया को अपने घर पर रख लेती थी अपने साथ,क्यूकी मोम और
भाई ने तो कुछ नही करना था लेकिन सोनिया के होते हुए डॅड मेरे पास भी नही आ सकते थे,,,,

वो रो रही थी और सारी बात बता रही थी,,,,


भले ही मेरे बाप ने मेरे साथ सेक्स किया था सन्नी लेकिन एक आग भी लगा दी थी मेरे जिस्म मे,,,तभी तो तेरे
हल्का सा टच करने भर से मैं बहक जाती थी क्यूकी मैं भी उसी के साथ वो सब करना चाहती थी जिसपर
यकीन करती थी और दुनिया मे सबसे ज़्यादा तेरे पर यकीन करती हूँ मैं तेरे से प्यार करती हूँ मैं,,,


जब भी तू मेरे पास आता मुझे टच करता तो मेरे जिस्म मे एक अजीब सी मस्ती छाने लगती और मैं कुछ
ही पॅलो मे बहक जाती थी,,मेरा खुद पर क़ाबू नही रहता था,,,,मैं जवानी का मज़ा ले चुकी थी भले
ही वो मज़ा मेरे साथ ज़बरदस्ती से हुआ था वो भी मेरे बाप ने किया था लेकिन फिर भी मैं उस जवानी के
मज़े को उस मस्ती को पहचान गई थी,,,मैं अब असली मज़ा तेरे साथ करना चाहती थी क्यूकी मैं तुझे बहुत
प्यार करती हूँ सन्नी और तेरे पर ही सबसे ज़्यादा यकीन करती हूँ,,,

लेकिन जब तू मेरी चूत के पास जाता तो मैं डर जाती कि अगर तुझे पता चल गया कि मैं वर्जिन नही हूँ तो
पता नही तू मेरे बारे मे क्या सोचेगा,,,शायद तू मुझे बाकी लड़कियों की तरह ग़लत लड़की समझ लेगा तो मेरा
तो दिल ही टूट जाएगा,,,क्यूकी मैं ग़लत नही हूँ सन्नी,,,वक़्त ने मेरे साथ बहुत कुछ ग़लत किया था,,,वो
बोलती जा रही थी और रोती जा रही थी,,,,

कुछ देर बाद उसके अल्फ़ाज़ ख़तम हो गये लेकिन आँसू अभी भी बहते जा रहे थे,,,,,,
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07-16-2019, 11:48 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं उसके पास गया और उसको अपने गले से लगा लिया,,,,,,इतना सब हो गया तेरे साथ तो तूने मुझे बताया क्यूँ नही
एक बार बता सकती थी ना,,,,अगर तुझे मेरे भाभी के और सूरज भाई के बारे मे सब पता था तो तू अपने बारे
मे भी मुझे बता ही सकती थी,,,,और भाभी भी तो बता सकती थी,,,,लेकिन नही,,,,आज भी भाभी ने झूठ ही
बोला मेरे साथ,,,,,और मैं जानता हूँ उन्होने ऐसा क्यूँ किया था,,,,ताकि मैं तुझे ग़लत नही समझु और ना
ही तेरे और तेरे बाप के बारे मे मुझे कुछ पता चले,,,,लेकिन इतना सब कुछ हो गया और तू इतना सब सहती
गई,,,


मैं उस से बात करता हुआ दिल मे ये भी सोच रहा था कि मेरा बाप भी तो मेरी बेहन को चोदता है लेकिन
वो सब रज़ामंदी से हुआ था ना कि कोई ज़ोर ज़बरदस्ती से,,,अगर कविता भी अपने बाप से रज़ामंदी मे सेक्स करती
तो कुछ बुरा नही था लेकिन उसके बाप ने तो शराब के नशे मे उसके साथ ज़बरदस्ती की थी जो बहुत बुरी बात
थी,,,,वो बेचारी को कितना कुछ सहना पड़ा था,,,,वो भी अपने ही घर मे वो भी अपनो के साथ,,,,अब मुझे ये
भी पता चल गया था कि ये जब अपनी माँ को मिलने गई थी सूरज भाई के साथ तो सोनिया को क्यूँ लेके गई थी अपने
साथ,,,ताकि वहाँ पर उसका बाप उसके साथ फिर कोई घटिया हरकत नही कर सके,,,लेकिन साथ ही मुझे डर भी
लगने लगा था कि इसने अपने और अपने बाप के बारे मे सोनिया को बता दिया था तो क्या मेरे ,,कामिनी भाभी और
सूरज भाई के बारे मे भी सोनिया को कुछ बता तो नही दिया था,,,,


मैं यही सोचता हुआ उसको बाहों मे भरके बेड पर बैठा हुआ था,,,मैं अभी भी नंगा ही था लेकिन अब
कोई ग़लत इरादा नही था दिल मे ना ही मस्ती का मूड था,,,,तभी मैं आराम से उसको बाहों मे भरके बेड
पर लेट गया और साथ मे उसको भी लेटा लिया और हम दोनो पर कंबल ओढ़ लिया ,,,उसने अपने सर को मेरे शोल्डर
के पास मेरी चेस्ट पर रखा हुआ था और रो रही थी जबकि मैं उसके आँसू पोछता हुआ उसको चुप करवाने की
कोशिश कर रहा था,,,ऐसे ही दुख सुख बाँट-ते हुए हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे भरके सो गये,,कब
आँख लगी पता ही नही चला,,,,,,,,,

सुबह जब उठा तो देखा कि मैं अकेला ही था बेड पर,,,,मैने रूम मे नज़र घुमाई तो कविता वहाँ नही
थी ,,,तभी मैने टेबल पर देखा तो मेरे कपड़े पड़े हुए थे जो शायद प्रेस भी किए हुए थे,,मेरे जूते
भी वहीं पास मे थे,,,,ये सब तो रात को कामिनी भाभी के रूम मे थे,,,,खैर मैं उठा और फ्रेश होके
कपड़े पहन कर बाहर आ गया,,,,देखा तो कविता और कामिनी भाभी नाश्ता तैयार कर रही थी,,,दोनो किचन मे
खड़ी होके बातें भी कर रही थी,,,,


तभी मैं भी किचन मे चला गया,,,अरे ननद भाभी मे क्या बात हो रही है हमे भी तो पता चले,,,

मेरी बात सुनके भाभी और कविता मेरी तरफ पलट गई,,,,

कुछ खास नही सन्नी बस ,,,,,,और वैसे हम ननद और भाभी नही दोस्त है,,,,क्यूकी एक ननद और भाभी से
कहीं ज़्यादा प्यार है हम दोनो मे,,लेकिन अब लगता है कविता को प्यार करने वाला कोई और मिल गया है,,,भाभी
ने ये बात मज़ाक मे बोली थी,,,,,


कविता शरमा गई भाभी की बात सुनके,,,तभी भाभी किचन से बाहर आ गई ,,नाश्ता बन गया था और भाभी
ने कविता के साथ मिलकर नाश्ता टेबल पर लगा दिया,,,मैने भी थोड़ी हेल्प करदी थी,,,,

फिर हम लोग बैठकर नाश्ता करने लगे,,,नाश्ता करते टाइम मैं और कविता पास पास बैठे हुए थे जबकि
भाभी सामने की तरफ थी,,,मैं भाभी की तरफ ध्यान दे रहा था लेकिन भाभी मेरी तरफ बिल्कुल भी ध्यान
नही दे रही थी,,,,नाश्ता ख़तम हो गया और भाभी उठकर अपने रूम मे चली गई,,मैं भाभी को जाते हुए
पीछे से देख रहा था,,,,मेरा ध्यान भाभी की तरफ था तभी कविता ने मुझे भाभी की तरफ देखते हुए
पकड़ लिया ,,,,,


उस रूम की तरफ ध्यान देना छोड़ दो सन्नी,,,,क्यूकी अगर तुम दोबारा उस रूम मे जाओगे तो मेरे पास
कभी वापिस नही आओगे,,,,याद रखना,,,,,कविता ने ये बात ऐसे बोली थी जैसे मुझे ओरडर दिया हो,,अपना फैंसला
सुनाया हो,,,,

मैं कुछ नही बोला बस अपने बर्तन लेके किचन मे चला गया,,,,किचन से बर्तन रखके बाहर आया और
कविता को बाइ बोलके वहाँ से जाने लगा,,,,,

अभी मैं बाहर दरवाजे की तरफ जाने ही लगा था कि भाभी बाहर आ गई,,,,,भाभी ने बाहर आके मुझे
कविता के सामने बाहों मे भर लिया ,,,,,,मैं कविता की तरफ देख रहा था क्यूकी उसके सामने भाभी ने
मुझे बाहों मे भरा था मुझे डर लग रहा था,,,,

ये आख़िरी बार है सन्नी जब तुम और मैं इतने करीब है,,,,आज के बाद तुम मेरे करीब नही आ सकते क्यूकी
अब तुमको कविता के करीब रहना है,,,मुझे तुमसे जो चाहिए था मिल गया है,,भाभी ने अपने पेट पर
हाथ लगाते हुए ये बात बोली,,,,तुम्हारा बीज़ मेरे पेट मे पलने लगा है सन्नी,,,अब मुझे तेरे से और कुछ
नही चाहिए,,अब तू पूरी तरह से कविता का है,,,कविता मेरी ननद कम और दोस्त ज़्यादा है,,इस घर मे वहीं
एक है जिसने हर कदम मेरा साथ दिया है हर मुश्किल मे मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई
थी ये,,,अब तुझे अपने पास रखके मैं इस से दूर नही हो सकती और ना ही तुझे इस से दूर कर सकती हूँ,अब
तक जो हम लोगो मे हुआ वो आज के बाद नही होगा,,,

कल रात जितना मज़ा लेना था तेरे साथ मैने ले लिया है,,,जितनी मस्ती करनी थी करली,,कल की रात हम लोगो की
आख़िरी रात थी और तेरे साथ कविता की एक शुरूवात थी,,आख़िरी रात को भूल जाओ और कविता के साथ एक नई शुरुआत
करो,,,कल की रात मैने तुझे इसी लिए बुलाया था ताकि तेरे साथ आख़िरी रात की मस्ती कर सकूँ और ये कविता
तुझे मेरे साथ मस्ती करते हुए देखना चाहती थी,,जितना टाइम हम लोग रूम मे थे ये रूम के बाहर
से हम लोगो को देख रही थी,,,,,इसका इरादा ये नही था कि ये तेरे साथ वो सब करेगी ये तो बहुत डरती थी इसलिए
तो मैने इसको वो नकली लंड भी दिया था ताकि तेरी और मेरी मस्ती देखकर इसके जिस्म मे जो आग लगी उसको ये नकली लंड
से ठंडा कर सके लेकिन इसको नकली लंड से मस्ती नही करनी थी इसको तो तेरे साथ मस्ती करनी थी,,,जब मैने इसको
बताया कि तू किचिन मे है और वो भी नंगा तो इस से रहा नही गया और ये वहाँ आ गई,,,और फिर जो हुआ तुझे
पता है,,,,मेरा तो मूड था सारी रात तेरे साथ एक लास्ट बारी मस्ती करने का लेकिन कविता की वजह से मुझे पीछे
हटना पड़ा,,,,,और अब मैं कभी आगे बढ़ भी नही सकती ,,,,अब जितना आगे बढ़ना है तुझे कविता के साथ बढ़ना
होगा,,,,,भाभी ने इतना सब बोला और मेरे गले लग के मेरे फोरहेड पर किस की बरसात करदी और नम आखों मे
आँसू लेके वहाँ से अपने रूम मे चली गई,,,,
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07-16-2019, 11:49 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
कविता वहीं खड़ी होके मुझे देख रही थी,,,उसने एक बार हंस कर मुझे देखा और मैं भी वहाँ से चल
पड़ा कविता को बाइ बोलके,,,,,अब मुझे कविता की बात का जवाब भी मिल गया था जो बात उसने बोली थी,,,कि
अगर भाभी के रूम मे जाना है तो मेरे रूम का रास्ता भूल जाना,,,,,,,

मैं बाइक पर घर आ रहा था ,,खुश भी था और परेशान भी,,,एक चूत मिल गई थी और एक चूत हमेशा
के लिए दूर हो गई थी,,,लेकिन जो भी हुआ था अच्छा हुआ था,,,सबकी मर्ज़ी से हुआ था,,,,और सबसे बड़ी बात थी
कि कविता मिल गई थी मुझे जिसके लिए मैं इतना तरस रहा था,,,कब्से उसके साथ सेक्स करना चाहता था लेकिन हम,
दोनो मे सेक्स का नही एक प्यार का रिश्ता भी बन गया था जो सेक्स से कहीं ज़्यादा एहमियत रखता था मेरे
लिए,,,,,,,

कविता के घर से खुशी खुशी मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,जहाँ एक तरफ कविता जैसी लड़की के मिलने'
की खुशी थी वहीं दूसरी तरफ कामिनी जैसी भाभी से दूर होने का गम भी था,,लेकिन कविता के करीब रहने
के लिए कामिनी भाभी से दूर होना ज़रूरी भी था,,यही सोच और ख्याल से परेशान होता हुआ मैं घर पहुँच
गया,,,,,मैं घर के गेट के पास पहुचा तो देखा कि 2 लोग खड़े हुए थे मेरे घर के पास जो मेरे घर
की तरफ घूर रहे थे और जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा तो वो लोग वहाँ से चले गये,,,

मुझे ये लोग ठीक नही लग रहे थे,,,,और जिस अंदाज़ से वो वहाँ से गये थे सॉफ पता चल रहा था वो
मुझे देखकर भाग गये थे,,,,ये लोग कहीं अमित और उसके बाप के लोग तो नही थे,,,,मुझे थोड़ा डर
लगने लगा था,,अपने लिए नही ,,अपनी फॅमिली के लिए,,,,

मैने गेट खोला और घर के अंदर चला गया,,,,अंदर घुसा ही था कि माँ हाथ मे कुछ समान लिए खड़ी
हुई थी,,,,

अरे आ गया तू ,,सही टाइम पर आया,,,तुझे पता होगा कि बुटीक की चाबी कहाँ है,,,माँ ने मेरे पास
आते हुए बोला,,,,

हाँ पता है लेकिन आपको क्या ज़रूरत पड़ गई बुटीक की चाबी की,,,मैने माँ से सवाल किया,,,,


कुछ नही सन्नी बेटा थोड़ा काम था मुझे बुटीक पर,,,,चल जल्दी बता चाबी कहाँ है और मेरे साथ
चल तू भी,,,,

लेकिन कहाँ माँ ,,,,कहाँ जाना है अपने,,,,

मुझे अलका के घर जाना है,,,और फिर शिखा को कुछ काम है बुटीक पर,,,,चल जल्दी चाबी बता कहाँ
है और मेरे साथ चल,,,,


मैने माँ को चाबी दी और माँ के साथ चल पड़ा करण के घर की तरफ,,,,जाने से पहले मैने सोनिया को अच्छी
तरह से गेट बंद करने को बोला,,,,

हम लोग जा रहे है,,,,गेट अच्छी तारह बंद कर लेना,,कोई भी आए तो मत खोलना,,,मैने सोनिया को ऐसा इसलिए
बोला था क्यूकी मुझे डर था कहीं वो लोग फिर से नही आ जाए जो मेरे घर के बाहर खड़े हुए थे,,,

मैं कोई छोटी बच्ची नही हूँ जो ऐसे बात कर रहा है मेरे साथ,,सोनिया ने थोड़ा नखरे से बोला और गेट
बंद करके वहाँ से अंदर चली गई,,,,मैं भी माँ को लेके करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,


माँ ये बुटीक की चाबी का क्या करना है और क्या काम है बुटीक पर शिखा दीदी को,,,

अरे बेटा जबसे करण की शादी हुई है अलका और शिखा तरस गई है मस्ती के लिए,,,आज हम लोगो का प्लान है
बुटीक पर रहके मस्ती करने का,,,,तेरा दिल करे तो तू भी चलना हम लोगो के साथ,,,,

नही माँ मेरा दिल नही है आप लोग ही जाना ,मेरी तबीयत ठीक नही है,,,,

मैं जानती थी तू ऐसा ही बोलेगा इसलिए घर से नकली लंड लेके आई हूँ वो भी बड़े वाला,,,माँ ने इतनी बात
हँसते हुए बोली,,,,,

ऐसे ही मज़ाक करते हुए बातें करते हुए हम लोग करण के घर पहुँच गये,,,,करण के घर जाके कुछ ही
देर बाद माँ अलका आंटी और शिखा घर से शॉपिंग के लिए बोलकर वहाँ से चली गई जबकि मैं वहीं रुक गया
,,मेरा दिल तो नही था रुकने का लेकिन करण ने मुझे रोका तो मुझे रुकना पड़ा,,,,

और सूनाओ सन्नी भाई क्या हाल चाल है आपका,,कहाँ थे ,,,कल भी हम लोगो ने इंतेज़ार किया था आपका,आंटी
तो आई थी लेकिन तुम नही आए थे,,,,

मैं ठीक हूँ करण भाई,,,,कल किसी काम से बिज़ी था इसलिए नही आया,,,,तुम लोग सूनाओ क्या हाल है,,,शादी
करके खुश तो हो ना,,,,और तुम लोगो की शादी से शिखा दीदी और अलका आंटी भी खुश है ना,,,

हाँ सन्नी भहँ लोग बहुत खुश है,,,,ये बात करण ने बोली,

तभी मैने कविता की तरफ देखा,,,,तो वो भी बोली,,,हाँ सन्नी मैं भी बहुत खुश हूँ,,माँ और शिखा दीदी
भी बहुत खुश है और वो दोनो बहुत अच्छी है,,,,

चलो अच्छी बात है,,,,आंटी जी और शिखा दीदी भी खुश है तुम दोनो की शादी से,,अब मेरी दुआ है किसी क़ी
नज़र नही लगे तुम दोनो को,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहो तुम दोनो,,,,


अब किसकी नज़र लगनी है सन्नी भाई,,,,करण ने थोड़ी उत्सुकता से पूछा,,,

भाभी के पिता जी की,,,,लेकिन मुझे नही लगता अब वो कुछ कर सकते है लेकिन अमित और उसका बाप कोई पंगा
कर सकते है,,,,उन लोगो से थोड़ी परेशानी हो सकती है शायद,,,


सही कहाँ तुमने सन्नी,,,,मेरे डॅड कुछ न्ही कर सकते अब,,,,कल वो शगुन लेके आए थे यहाँ पर,,,
ये बात रितिका ने बोली थी बड़े प्यार से खुश होके,,,

क्या,,,,तुम्हारे डॅड आए थे कल यहाँ,,,और वो भी शगुन लेके,,,,

हाँ सन्नी भाई,,,,इसके पिता जी आए थे,,,लेकिन सुरेश नही था उनके साथ वो अकेले आए थे,,,माँ से शिखा
से मेरे से और रितिका से माफी भी माँग कर गये थे जो भी सुरेश ने किया उसके लिए,,,वो अब बहुत शर्मिंदा
थे,,कल हम लोगो के साथ लंच भी किया था उन्होने ,,,आंटी जी भी यहीं थी तब,,,,

ये तो बहुत अच्छी बात है,,चलो कुछ तो अच्छा हुआ इन दिनो मे तुम दोनो की शादी के बाद,,,,अब बस अमित और
उसके बाप का कुछ करना पड़ेगा वर्ना वो लोग पंगा कर सकते है,,,,

उन लोगो का जो करना है वो बाद मे करते है पहले नाश्ता तो करले सन्नी भाई,,,,,

नाश्ता अभी,,,अभी तो लंच टाइम हो गया है करण भाई,,,,

हम लोगो का तो नाश्ता टाइम है सन्नी भाई,,,,अभी तो सोके उठे है कुछ देर पहले हम लोग,,,,करण ने इतना
सब हंस कर बोला लेकिन रितिका मुझे देखकर शरमा गई,,,,और उठकर बाहर चली गई,,,

उसके जाते ही करण हँसने लगा,,,,साथ मे मैं भी,,,,

अच्छा लगा मुझे करण भाई तुम दोनो को इतना खुश देखकर,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहना तुम दोनो,,

ये सब तुम्हारी मेहरबानी है सन्नी भाई,,,,जो कुछ भी किया तुमने ही किया है,,,चलो अब बाहर चलते है
हम लोग नाश्ता करते है और तुम लंच कर लेना,,,,इतना बोलकर करण और मैं हंसते हुए रूम से बाहर आ गये
और बाहर आके देखा कि रितिका किचन मे चली गई थी,,,,

मैं और करण भी वहाँ चले गये,,,,,
Reply
07-16-2019, 11:49 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अरे ये क्या रितिका भाभी,,,,अभी आपके हाथों से शगुन की मेहन्दी भी नही उरती और आप किचन का काम करने
लगी,,,,,,,ये ग़लत बात है करण भाई,,,,रितिका भाभी को किचन के काम नही करना चाहिए,,,,

अच्छा सन्नी अगर मैं नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,रितिका भाभी ने हंसते हुए बोला,,,और वैसे भी माँ और
शिखा ही काम करती है अब वो नही है तो मुझे ही करना होगा ना,,,,,,अच्छा एक बात बताओ कि अगर मैं और
कारण अकेले रहते होते तो भी मुझे ही सारा काम करना पड़ता ना,,,,,,तो भी मैं क्या ये मेहन्दी के उतरने
का इंतजार करती रहती,,,,


ऐसी बात नही है भाभी ये तो परंपरा होती है हर घर की ,,नयी बहू से घर का काम नही करवाया जाता


अच्छा अगर मैं काम नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,और वैसे ही मैं इस घर की बहू नही बेटी बनकर आई
हूँ,,,माँ करण से ज़्यादा मुझे प्यार करने लगी है,,,


करण ने उदास होके मेरी तरफ देखा,,,,हां सन्नी भाई ये ठीक बोल रही है,,,तभी तो मेरी पसंद का
खाना न्ही बनाती माँ,,,, जो भी बनाती है रितिका की पस्संद का ही बनाती है,,,,

मैं करण की बात सुनके हँसने लगा और साथ मे रितिका भी,,, अच्छा जी,,इतना प्यार हो गया है सास बहू मे,,ये
तो बहुत अच्छी बात है,,,वैसे अब किसकी पस्संद का खाना बना रही हो आप भाभी,,,

तुम्हारी पसंद का,,,,रितिका ने हंसते हुए जवाब दिया,,,,

मेरी पसंद का,,,,भला आपको कैसे पता मुझे क्या पसंद है,,,,,

मुझे सब पता है सन्नी,,,,कुछ बातें करण से पता चली कुछ बातें माँ और शिखा दीदी से और कुछ बातें
आपकी माँ से पता चली है मुझे कि आपको क्या पसंद है और क्या नही,,,,,जैसे आपको मटर पनीर,,वाइट
चने और साथ मे भिंडी की सब्जी पसंद है और अभी मैं वही बना रही हूँ,,,,

अरे वाह आपको तो सब पता चल गया मेरे बारे मे ,,लेकिन मुझे तो कुछ भी नही पता आपके बारे,


यही तो फ़र्क है सन्नी तुम मे और मेरे मे,,मैं तुम्हारे बारे मे सब जानती हूँ लेकिन तुम सब जान कर
भी अंजान हो,,,,,मैं भाभी की बात नही समझा लेकिन जिस अंदाज़ से रितिका भाभी मुझे देख रही थी उस से
मैं थोड़ा परेशान हो गया,,,,,

तभी मैने बात को पलटने के लिए बोला,,,,,लाओ भाभी मैं भी कुछ हेल्प कर देता हूँ आपकी,,,,,

अच्छा क्या हेल्प करोगे,,भाभी ने फिर अजीब तरीके से बात की,,,

कुछ कह नही भाभी लेकिन सब्जी अच्छी तरह से काट लेता हूँ मैं,,,मैने इतना बोला और एक तरफ पड़ा हुआ
नाइफ उठा लिया और पास मे पड़ी हुई भिंडी भी उठा ली और भिंडी को काटने लगा,,,

तभी करण का फोन बजने लगा और वो फोन के लिए अपने रूम मे चला गया,,,,,

मैं शेल्व पर चॉपिंग बोर्ड रखके उसके उपर भिंडी काटने लगा जबकि रितिका मेरे से दूर खड़ी होके
आटा गूँथ रही थी,,,,मेरी पीठ थी उसकी तरफ और मैं पूरा ध्यान सब्जी काटने पर दे रहा था,,लेकिन मेरे
कानों मे आटा गूँथति हुई रितिका की चूड़ियों की आवाज़ हल्का मीठा शौर मचाने लगी थी जिस से मैं नज़रे
बचा कर रितिका की तरफ देख लेता था,,,एक बार मैं रितिका की तरफ देख रहा था तो उसने अपने हाथों से
अपने बालों की एक लट को जो उसके चेहरे पर आके उसको परेशान कर रही थी उस लट को अपने हाथ से एक साइड
करने की कोशिश की,,,,बालों की लट तो साइड हो गई थी लेकिन उसके हाथ आटे वाले थे जिस से थोड़ा गुन्था हुआ
आटा उसके फोरफेड पर लग गया था,,,,


तभी मैं उसको देखकर हँसने लगा,,,उसने मुझे उसकी तरफ देखकर हंसते हुए पकड़ लिया और इशारे मे
पूछने लगी,,क्या हुआ सन्नी हंस क्यूँ रहे हो,,

तभी मैने उसको इशारा किया कि उसके फोरहेड पर आटा लगा हुआ है,,,,

वो भी हँसने लगी और हंसते हुए मेरे करीब आ गई,,,,,,,,मुझे देख कर तुझे हँसी आती है ना सन्नी और तुझे
हंसते देखकर मुझे खुशी होती है,,वैसे भी तू शुरू से मुझपे हंसता ही आया है,,जाने अंजाने ही सही हर
बार मेरा मज़ाक ही बनाया है तूने और मैं पगली तेरी खुशी को देखकर खुश हो जाती हूँ,,,

भाभी मैं तो वो मैं ,,,,मुझसे कुछ नही बोला जा रहा था,,हिम्मत ही नही हो रही थी,,,,,रितिका भाभी
मैं तो इसलिए हंस रहा था क्यूकी आपके फोरहेड पर आटा लगा हुआ था,,,

जानती हूँ सन्नी और ये मैने जनभूज कर लगाया है ताकि तेरा ध्यान मेरी तरफ आए और तू खुश हो जाए,,,
मैं तो हमेशा तुझे खुश करना चाहती हूँ खुश देखना चाहती हूँ,,और तू है कि मुझे देखकर
ही खुश होता रहता है,,,,मेरा मज़ाक बना कर खुश होता है,,,

तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा,,,

मुझे और मेरी किसी बात को तूने आज तक कभी समझा भी नही है सन्नी,,,,तू समझ जाता तो ये सब नही होता
ये बात भाभी ने थोड़ी उदास होके बोली थी,,,
Reply
07-16-2019, 11:49 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
क्या नही होता,,,,क्या तुम करण से शादी करके खुश नही हो,,,,क्या ये सब ग़लत हुआ है,,,,

नही सन्नी करण से शादी करवा कर तूने मुझे मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा तोहफा दिया है और तेरी बात मानके
मैने करण से पहला सेक्स करके उसको शादी का सबसे अच्छा तोहफा भी दे दिया है लेकिन जिस चीज़ पर किसी और का हक़ था वो किसी और को मिल गई,,,ये बात खुशी की नही है मेरे लिए,,,,मैने सपना देखा था करण से शादी का जो
तूने पूरा कर दिया हक़ीक़त मे बदल दिया लेकिन साथ ही एक और सपना देखा था मैने जिसको तूने तोड़ दिया

तुम अब ये सब शुरू मत करो प्ल्ज़्ज़ रितिका,,,,,तुम जानती हो जो नही हो सकता कभी नही हो सकता,,,,तुम अब
शादी शुदा हो करण की वाइफ हो,,अब तुमपे करण का हक़ बनता है,,,,,


हक़ तो तुम्हारा भी बनता था ,,और अब भी बनता है,,,,लेकिन तूने मुझे पहले भी ठुकराया और शायद अब भी
ठुकरा रहे हो क्यूकी तुझे शायद मैं खूबसूरत नही लगती ,,अच्छी नही लगती,,,,

ऐसी बात नही है रितिका तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन इस खूबसूरती की वजह से मैं अपने दोस्त को उसकी दोस्ती को
या उसके यकीन को धोखा नही दे सकता,,,

तुम बहुत तेज हो सन्नी,,,,बातें भी खूब बना लेते हो,,,,दोस्ती और यकीन की बात करके तुम मेरे से बचना
चाहते हो,,,,एक औरत की नज़र से तुमको देखु तो तुम पर गुस्सा आता है क्यूकी तुम उसके खूबसूरत जिस्म को
ठुकरा कर बेहूदा दोस्ती की बातें करते हो ,,लेकिन अगर एक दोस्त की नज़र से देखु तो तुम बहुत अच्छा कर रहे
हो जो दोस्ती की वजह से एक कमसिन खूबसूरत और जवान लड़की को ठुकरा रहे हो,,,तुम्हारी यही बात तो अच्छी
लगती है मुझे,,,,,कि तुम यकीन नही तोड़ते किसी का,,,,,यही वजह है कि मैं तुमको लाइक करती हूँ ,इतना
लाइक करती हूँ कि बता नही सकती,,,,

सही कहा ,,मैं करण का यकीन नही तोड़ सकता,,,,वो मेरा दोस्त है,,,,,


जानती हूँ,,लेकिन औरत होने के नाते मुझे तेरे पर गुस्सा आता है,,,,दिल करता है ये नाइफ लेके तेरा खून
कर दूं मैं,,उसने इतना बोला और एक नाइफ उठाकर मेरे गले से लगा दिया,,,बोलो क्या बोलते हो,,क़तल कर दूं
क्या मैं तुम्हारा,,फिर शायद मुझे भी चैन मिले क्यूकी तुमने बार बार मुझे ठुकराया है और हर बार
मेरी बेज़्ज़ती की है,,,,

तुम जो चाहो कर सकती हो रितिका भाभी,,तुम्हारा हक़ बनता है,,,,

उसने नाइफ को मेरे गले पर रखा और खुद आगे की तरफ बढ़ कर मेरे फेस के करीब अपना फेस कर लिया और
अपनी होठों को थोड़ा सा खोलकर मेरे फेस पर हल्की हवा मारने लगी अपने मुँह से ,,उसकी साँसों की गरम
और मदहोश करने वाली खुश्बू से मैं थोड़ा हिल सा गया था,लेकिन फिर भी ना जाने कैसे मैने खुद को
क़ाबू मे किया हुआ था,,और खुद पर क़ाबू करते हुए मैं उस से थोड़ा दूर हट गया,,,

उसने मेरी इस हरकत से मुझे हंस कर बड़े प्यार से देखा,,,,फिर चलके मेरे करीब हो गई,,,मैं अभी उस से
दूर हुआ था कि वो वापिस मेरे पास आ गई थी,,,,,


हक़ तो तुम्हारा भी बनता है सन्नी,,,,मेरी जान लेने का,,,,मैं तो तुम्हारी जान नही ले सकती लेकिन अगर तुम
चाहो तो मेरी जान ले भी सकते हो,,,,उसने मेरा हाथ पकड़ा जिसमे नाइफ पकड़ा हुआ था और उस हाथ को अपने
हाथ मे पकड़ कर अपनी गर्दन पर लगा दिया,,,,बोलो क्या मेरा क़तल कर सकते हो तुम,,तुम्हारे लिए तो ये
आसान काम है,,,,

ये क्या बेहूदा मज़ाक है ,,,,,मैने इतना बोला और अपने हाथ को रितिका के हाथ से छुड़वा लिया और दूर हट गया
तभी करण एक दम से अंदर आ गया,,,,,

ओह्ह माइ गॉड,,,,,सही टाइम पर दूर हो गया रितिका भाभी से वर्ना करण पता नही क्या सोचता,,,मुझे लगा
करण ने कुछ नही देखा लेकिन मैं ग़लत था,,,,,,

उसने किचन मे आते ही बोला,,,,,अरे क्या हो गया भाभी और देवेर मुझे देखकर चुप क्यूँ हो गये,,,

रितिका एक दम से बोल पड़ी,,,,,कुछ नही करण इसको सब्जी काटने मे प्रोबलम हो रही थी मैने बोला मैं सिखा '
देती हूँ तो बोलने लगा रहने दो मैं खुद कर लूँगा,,,,तो मैने भी ज़ोर ज़बरदस्ती नही की,,,,खुद ही काटने
दो पता चल जाएगा,,,,,

तभी करण मेरे पास आ गया और बोला,,,,,अरे तू भी किस काम मे पड़ गया है सन्नी भाई,,रहने दे ये औरत
लोगो का काम है रितिका खुद कर लेगी हम लोग बाहर चलते है,,,,

मुझे भी लगा बाहर जाना ही सही है लेकिन तभी रितिका बोल पड़ी,,,,मैं अकेली कैसे करूँगी इतना काम सन्नी
को रहने दो ना यहाँ,,,मेरी हेल्प के लिए ,,,,तुमको बाहर जाना है तो जाओ करण,,,,

नही करण भाई तुम भी बाहर मत जाओ,,,यही रूको,,,हम लोग यहीं बातें कर लेते है साथ साथ मैं भाभी
की हेल्प भी कर दूँगा,,,,,मैं नही चाहता था कि करण मुझे अकेले को भाभी के साथ छोड़कर बाहर जाए

ठीक है भाई मैं यही रुकता हूँ लेकिन मुझसे कोई काम नही होगा,,मैं बस बातें करके टाइम पास कर
सकता हूँ तुम लोगो का,,

हां हां ठीक है करण भाई ,,,,तू यहीं रह बस ,,कुछ मत कर बातें ही करता रह ,,,बस बाहर नही जाना,

मैने इतना बोला तो रितिका ने मेरी तरफ हंस कर देखा,,,उसको लगा कि मैं उस से डर गया हूँ और शायद मैं
डर भी गया था,,,,बात ये नही कि मैं रितिका से डरता था मैं तो करण के यकीन टूट जाने से डरता था,,
उसके बाद जब तक सब्जी नही कट गई मैं बाहर नही गया और जब हम लोगो का काम ख़तम हो गया तो मैं
करण के साथ बाहर चला गया,,,और फिर हम लोग बाहर बैठकर बातें करने लगे,,,,


मैं और करण बाहर निकलकर सोफे पर बैठने लगे लेकिन तभी करण ने मुझे इशारा किया कि अंदर रूम मे
चलते है,,,मैं उसके साथ उसके रूम मे चला गया,,,

अबे रूम मे क्यूँ लेके आया,,बाहर ही बैठ जाते और बात कर लेते,,बाहर डरता था क्या बात करने से ,,या बोलू
कि रितिका से डरते हो,,मैने हंसते हुए मज़ाक मे ये बात बोली थी

हां भाई रितिका से डरता हूँ ,,तभी तो 2 दिन से ना मोम के पास गया हूँ ना शिखा के पास,,दोनो कुछ
उदास लग रही थी आज भी,,,

अबे तेरे पास इतनी खूबसूरत बीवी आ गई है फिर भी तुझे शिखा और अलका आंटी की पड़ी है,,,अभी तो कुछ दिन
मस्ती कर रितिका के साथ ,,वैसे भी माँ और तेरी बेहन ने कहाँ जाना है,,,अभी नया फूल खिला है बाग मे
पहले उसकी खुश्बू लेले फिर वापिस चला जाना माँ और शिखा के पास,,,


भाई नये फूल की खुुशबू ले चुका हूँ,,बोलू तो सील खोल चुका हूँ रितिका की ,,,2 रातों मे खूब
चुदाई करली है उसकी ,,,,अब उसको भी दर्द होने लगा है आज ही बोल रही थी कुछ दिन दूर रहने को ,,,बोली
पेन हो रहा है 2-3 आराम करने दो,,,और वैसे भी मेरा दिल माँ और शिखा के साथ मस्ती को भी कर रहा है,


अरे वाह क्या बात है,,सील खोल दी तूने भाभी की,,,ये तो अच्छी बात है,,,,जंग जीत गया तू सील खोलकर,,और
दर्द भी दिया ,,,वाह भाई वाह,,,चल कोई ना अब 2 दिन दूर ही रहना ,,सील खुलने के बाद जब नयी नयी चुदाई
होती है तो सूजन आ जाती है इसलिए दर्द होता होगा भाभी को,,,तू कुछ दिन दूर ही रहना उन से और माँ के
साथ मस्ती कर लेना,,और हां शिखा के साथ भी,,

लेकिन कैसे भाई ,,,रितिका घर पे होती है,,दिल तो करता है उसको सब कुछ बता दूं लेकिन डर भी लगता है,,

आबे पागल हो गया है क्या,,,,अभी नयी नयी शादी हुई है अभी से कुछ मत बताना और जब टाइम आएगा तो अपनेआप
पता चल जाएगा उसको,,,वैसे तू कोई जल्दबाज़ी मत करना,,,और रही बात माँ और शिखा के साथ मस्ती करने की
तो वो तू अब भी कर सकता है बुटीक पर जाके,,,

बुटीक पर,,,किसके बुटीक पर भाई,,,,करण हैरान होके बोला,,,

अरे भुआ के बुटीक पर,,,माँ अलका आंटी और शिखा को लेके वहीं गई है मस्ती करने के लिए,,,बोल रही थी
शिखा और अलका आंटी बहुत तरस रही है मस्ती के लिए,,,अब अगर तुझे भी जाना है तो जा उनके पास

करण खुश हो गया,,,,लेकिन भाई रितिका से क्या बोलूँगा,,,,

इसमे क्या प्रोबलम है,,,,उसको बोल देना तू मेरा साथ किसी ज़रूरी काम से जा रहा है ,,,,

ठीक है भाई,,,,चल तू भी साथ चलना मेरे मस्ती करेंगे सब लोग मिलकर वैसे भी काफ़ी दिन हो गये है
साथ मिलकर मस्ती नही की हम लोगो ने ,,


ठीक है,,,लंच करते है फिर चलते है,,,,

फिर हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे,,,कुछ देर बाद रितिका भाभी ने आवाज़ लगाई कि लंच तैयार
हो गया है,,,मैं और करण बाहर चले गये उसके रूम से लंच करने के लिए,,,
Reply
07-16-2019, 11:49 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
लंच करते टाइम भी मैं रितिका भाभी की तरफ ज़्यादा ध्यान नही दे रहा था बस खाने पर ध्यान दे रहा
था,,,,लंच करके मैं वहाँ से निकल पड़ा और करण भी मेरे साथ चल पड़ा,,,उसने भाभी को बोला था कि
वो मेरे साथ किसी ज़रूरी काम से जा रहा है,,,फिर मैं और करण पहुँचे बुटीक पर और वहाँ पहुँच
कर हम लोगो ने शिखा ,,अलका आंटी और मेरी माँ के साथ मिलकर खूब मस्ती की,,फिर रात होने से पहले हम
लोग चल पड़े अपने अपने घर की तरफ,,,,,,

बुटीक से मस्ती करके करण गया अपने घर अपनी माँ और बेहन के साथ जबकि मैं माँ को लेके अपने घर
आ गया,,,,

घर पहुँचा तो सीधा उपर अपने रूम मे चला गया,,,डॅड घर आ चुके थे और नीचे बैठकर टीवी देख
रहे थे,,जबकि सोनिया उपर रूम मे ही बैठकर स्टडी कर रही थी,,,जब मैं रूम मे घुसा तो वो बेड
पर बैठी हुई थी,,,,

कहाँ था तू,,,स्टडी नही करनी थी क्या,,तेरे को तो कोई टेन्षन ही नही है सन्नी ,,याद रख अगर तेरी वजह से
मुझे मेरी अक्तिवा नही मिली तो बहुत बुरा होगा तेरे साथ,,,सोनिया हल्के गुस्से और नखरे का साथ बोली,,

सौरी सोनिया,,मुझे थोड़ा काम था करण के साथ इसलिए लेट हो गया ,,,बस नहा धो कर फ्रेश हो जाउ फिर
करता हूँ स्टडी,,,

हां हां करले बहाने जितने करने है,,,,एक तू है बहानेबाज और एक कविता है,,मेडम की तबीयत ठीक नही
है,,,बोलने लगी भाई के साथ घूम कर आई हूँ तबीयत बिगड़ गई है,,,,झूठी बहानेबाज कहीं की,,,

अरे ऐसे क्यूँ बोल रही हो उसको,,,हो सकता है उसकी तबीयत सच मे खराब हो सकती है,,,,,
वैसे मुझे तो पता ही था कि उसकी तबीयत सच मे खराब है,,,क्यूकी उसकी तबीयत मेरी वजह से ही तो खराब
हुई थी,,,


तो क्यूँ गई अपने भाई के साथ घूमने ,,मैने मना भी किया था मत जाओ ,,,एग्ज़ॅम के दिन चल रहे है,सोनिया
हल्के गुस्से से बोली

वो एग्ज़ॅम से बोर हो गई होगी मन बहलाने के लिए चली गई होगी अपने भाई के साथ,,इसमे क्या बड़ी बात है,,
वैसे तुझे शरम आनी चाहिए ,,जब तू बीमार थी तो वो तेरी इतनी केर करती थी और अब वो बीमार हुई है तो
उसकी खबर लेने की जगह तू उसको बहानेबाज बोल रही है,,क्या यही दोस्ती है तेरी,,,

बस बस तू चुप कर,,तुझे मेरे और कविता के बीच मे बोलने की ज़रूरत नही,,,,जाके जल्दी फ्रेश होज़ा और स्टडी
कर चुप-चाप बैठकर,,,,उसने ये बात ऐसे बोली जैसे ओरडर दे रही हो,,,,वैसे भी इसके सामने बोलना मेरे
बस की बात नही इलसीए मैं चुप करके बाथरूम मे घुस गया,,,

साला एक तो बाथरूम की टॅब ठीक से काम नही कर रही थी,,,,ये तो शूकर है मुँह-हाथ धोना था तो थोड़े
पानी से काम चल गया ,,अगर नहाना होता तो मैं शोभा के रूम मे ही जाता ,,,,,खैर मैं मुँह-हाथ धोके
बाहर आ गया और अपने बेड पर बैठकर स्टडी करने लगा,,,


सोनिया ने डिन्नर करने भी नीचे नही जाने दिया ,,,खाना प्लेट मे लेके उपर ही आ गई ,और डिन्नर करके हम
लोग फिर स्टडी करने लगे,,,पहले तो मैं अपने बेड पर बैठा रहा फिर डिन्नर के बाद मैने दरवाजे को
अंदर से बंद किया और मॅट्रेस को नीचे ज़मीन पर लगा कर सोनिया के बेड से दूर बैठ गया,,,सोनिया मेरी
इस हरकत से मुझे खुश होके देखने लगी थी,,,मैने भी हंस कर उसकी तरफ देखा और फिर ध्यान अपनी बुक
की तरफ कर लिया,,,,



सुबह भी सोनिया ने मुझे उठा दिया था क्यूकी मैं मॅट्रेस को दरवाजे के पास लगा कर लेटा हुआ था,उसने
मुझे उठाया तो मैने मॅट्रेस को बेड पर रखा और वो बाहर चली गई,,,,,उसके जाने के बाद मैं भी फ्रेश
होके नीचे चला गया,,,,,,

नीचे जाके देखा तो मोम और डॅड समान पॅक कर रहे थे,,सोनिया भी मोम की हेल्प करने लगी थी,,,,

अरे मोम ये समान क्यू पॅक कर रही हो,,,मैने मोम के रूम मे जाते ही पूछा,,,,

मुझे पता था तू भूल जाएगा सन्नी,,,,,माँ ने हंसते हुए बोला,,,,रेखा की शादी है ना हम लोगो को गाँव
जाना है,,,,

ओह्ह शिट मैं तो सच मे भूल गया था मोम,,,

तभी सोनिया मज़ाक मे बोल पड़ी,,,,,,हां मोम अक्सर इंटेलिजेंट लोग छोटी छोटी बातें भूल ही जाते है,,,

उसने इतना बोला तो मोम और डॅड हँसने लगे,,,,

माँ मेरा भी बहुत दिल करता है शादी मे जाने का,,,गाँव जाके घूमने का,,,मैने मायूस मुँह बनाते हुए
बोला,,,,

चल चुप कर,,,एग्ज़ॅम से डरने वाले नालयक लड़के,,,,,मुझे पता है तू बहाना बना रहा है गाँव जाने का
सोनिया ने इतनी बात बोली तो सब लोग फिर से हँसने लगे,,,


क्यू तेरा दिल नही करता क्या गाँव जाने का,,मैने चिढ़ते हुए सोनिया की बात का जवाब दिया,,

दिल तो करता है मेरा पर मुझे एग्ज़ॅम की ज़्यादा टेन्षन है,,,एग्ज़ॅम नही होते तो मैं चली जाती,,,

एग्ज़ॅम कब ख़तम हो रहे है तुम लोगो के बेटी,,,,ये बात डॅड ने पूछी,,,,

डॅड एक एग्ज़ॅम कल है और एक एग्ज़ॅम उसके 1 दिन बाद,,,,


ओह नो बेटा,,,,, परसो रात को तो रेखा की शादी है ,,मतलब रात को रेखा की शादी है और अगले दिन सुबह
तुम लोगो का एग्ज़ॅम है,,,,,,अगर तुम लोग शादी पर गये तो रात की शादी अटेंड करके सुबह एग्ज़ॅम टाइम तक
वापिस आना मुश्किल होगा,,,

इट्स ओके डॅड ,,हम शादी के बाद मिल लेंगे रेखा को गाँव जाके,,,वैसे भी शादी से ज़्यादा ज़रूरी है मेरे
एग्ज़ॅम ,,,सोनिया ने इतनी बात मेरी तरफ देखते हुए बोली,,,मैं समझ गया वो मुझे चिड़ा रही है,,,

ये हुई ना बात बेटी,,,अच्छा तो अब हम लोग चलते है,,,


डॅड आप वापिस कब तक आओगे,,,,मैने डॅड का बॅग पकड़ा और बाहर जाते हुए ये बात डॅड से पूछी,,,

बेटा हम लोग शादी के 2 दिन बाद ही वापिस आयंगे,,क्यूकी गाँव मे शादी के बाद भी बहुत रस्मे होती है
पूरी करने वाली,,,हम लोगो को कम से कम 6-7 दिन तो लग ही जाने है,,,,तब तक तुम लोग झगड़ा बिल्कुल मत
करना ,,,अच्छे भाई बेहन की तरह मिलकर रहना,,,,

माँ हम लोगो अब कब लड़ते है,,,अब तो हम दोनो की फाइट कबकि ख़तम हो गई है,,,अब आप बेफ़िक्र होके
जाओ,.,,

मैने मन ही मन सोचा कि मोम डॅड तो चले जाएँगे बेफ़िक्र होके लेकिन अब मुझे थोड़ी फ़िक्र होने लगी थी
क्यूकी 7 दिन मुझे और सोनिया को अकेले रहना था ,,,,अगर कुछ ग़लत हो गया तो ,,और अगर कुछ नही हुआ तो,,,

मोम डॅड चले गये ,,,,मैं और सोनिया गेट बंद करके वापिस अंदर आ गये,,,सोनिया ने नाश्ता लगा दिया टेबल पर
जो मोम बना कर गई थी,,,,उसने प्लेट मे नाश्ता रखा और कॉफी कप मे डालके मेरी तरफ कर दी,,,मैने अपनी
प्लेट और कॉफी कप लिया और उपर चला गया और उपर जाके भुआ की किचन के बाहर लगे डाइनिंग टेबल पर बैठ
कर नाश्ता करने लगा,,,,
Reply
07-16-2019, 11:50 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं सोनिया के पास नही रहना चाहता था जितना हो सके उस से दूर रहना चाहता था,,,ये बात नही कि मैं
उसके साथ सेक्स नही करना चाहता था लेकिन मैं डरता था,,बस उसको हर्ट नही करना चाहता था,,,,,अब घर
मे कोई नही था और ऐसे मोके पर सोनिया के पास होने से मेरे अंदर का जानवर कभी भी उसको हर्ट कर सकता
था लेकिन मैं हर्ट करके नही प्यार से सब कुछ करना चाहता था,,,लेकिन वो मान नही रही थी,,,,और अब मैं
शायद उसको मनाना भी नही चाहता था,,,,मैं यही सब सोचता हुआ नाश्ता कर रहा था,,तभी सोनिया उपर
आ गई,,,

तू यहाँ क्यूँ आ गया भाई,,नीचे बैठकर नाश्ता नही कर सकता था क्या,,,

मेरी मर्ज़ी,,मुझे यहाँ बैठना था,,तुझे कोई प्रोबलम है क्या मेरे यहाँ बैठकर नाश्ता करने से,,मैने
थोड़ा गुस्से मे बोला तो सोनिया थोड़ी मायूस हो गई,,,

फिर उसने मायूसी भरे चेहरा पर नकली मुस्कान लिए मेरे से बोला,,,,कोई नही भाई तू जहाँ मर्ज़ी बैठ
मुझे क्या,,,मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी,,,,

वो ये सब मुस्कुरा कर बोल रही थी लेकिन मैं जानता था वो मायूस है और ये हँसी नकली है जिस से वो मुझे
पागल बनाने की कोशिश कर रही है ,,,लेकिन मैं पागल बनने वाला नही,,उसको बचपन से जानता हूँ
मैं,,

वो अपने रूम मे चली गई और मैं नाश्ता करने लगा,,,लेकिन मुझे नाश्ता निगलने मे थोड़ी मुश्किल हो रही
थी क्यूकी मैने सोनिया को थोड़ा हर्ट कर दिया था जो मुझे अच्छा नही लग रहा था,,

वो रूम मे गई और अपनी बुक्स लेके बाहर आ गई फिर मेरे पास आके फेस पर वहीं नकली मुस्कान लेके मेरे
से बोली,,,,,,,जब नाश्ता ख़तम हो जाए भाई तो डाइनिंग रूम मे आ जाना मिलकर स्टडी करते है,,,कविता का तो
पता नही आएगी या नही

मुझे थोड़ी टेन्षन थी सोनिया के साथ अकेले घर मे रहने पर,,,इसलिए मैने उसको कविता को फोन करने को
बोला,,,

तू कविता को फोन करके बुला ले ना,,सब मिलकर स्टडी कर लेंगे,,,

भाई मैने फोन किया था लेकिन उसने बोला वो नही आएगी,,,शायद अभी भी तबीयत ठीक नही है उसकी,,

तूने उसकी तबीयत के बारे मे पूछा नही क्या उस से,,,,


पूछा था भाई लेकिन वो बोली कि अब वो ठीक है बस ऐसे ही आराम कर रही है,,,,उसका दिल नही था आने को
इसलिए मैने भी ज़्यादा फोर्स नही किया,,,और वैसे भी उसका भाई कहीं गया हुआ है आउट ऑफ टाउन इसलिए भी वो
नही आ रही,,,

उसकी बात से मैं सोच मे पड़ गया,,क्या मैने इतना ज़्यादा ज़ोर लगा दिया था उसकी चुदाई मे कि उसकी तबीयत
इतनी ज़्यादा बिगड़ गई थी,,


मैं अपनी ही सोच मे बैठा हुआ था तभी सोनिया बोली,,,,अब तूने स्टडी करने आना है मेरे साथ या यहीं
बैठकर कविता का इंतजार करना है,,,,

नही तुम जाओ और स्टडी करो,,,मैं नीचे बैठकर खुद स्टडी कर लूँगा,,,,इतना बोलकर मैं बाकी का बचा हुआ
नाश्ता करने लगा,,

वो मेरी बात से थोड़ी उदास हो गई ,,,,ओके भाई ,,इतना बोलकर वो भुआ के ड्रॉयिंगरूम मे चली गई और उसके
जाने के बाद मैं नाश्ता ख़तम करके नीचे चला गया और सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा,,,


मैं टीवी देखते हुए सोच रहा था कि अब कैसे भी करके मोम डॅड के आने तक सोनिया से दूर रहना होगा,,वैसे
तो मैं ऐसा मोका तलाश कर रहा था ऐसे मोके की वेट मे था कि कब मुझे और सोनिया को अकेले रहने का मोका
मिलेगा लेकिन अब जब मुझे मोका मिला था तो मुझे डर लगने लगा था और मैं उस से दूर भागने लगा था

मुझे अभी टीवी देखते हुए कुछ ही टाइम हुआ था कि सोनिया नीचे आ गई,,,,

आइ न्यू इट सन्नी,,,,उसने थोड़ा तेज आवाज़ मे बोला,,,,,मुझे पता था तू स्टडी नही कर रहा होगा टीवी देख रहा
होगा मज़े से,,,,,

उसकी बात सुनके मैं एक दम से पीछे मुड़ा तो वो सीडियों के पास से सोफे की तरफ आते हुए मुझे गुस्से से
देख रही थी,,,

मैना कहा था मेरे साथ बैठकर स्टडी करले लेकिन नही तुझे तो अकेले बैठकर स्टडी करनी है,,,और यहाँ
स्टडी करने की जगह तू आराम से लेट कर टीवी देख रहा है,,,,,सोच ले सन्नी अगर तेरी वजह से मुझे मेरी
अक्तिवा नही मिली तो मेरे से बुरा कोई नही होगा,,,,


तेरे से बुरा वैसे भी कोई नही है,,,,मैने ये बात धीरे और मज़ाक मे बोली ,,,,,

क्या बोला तू फिर से बोलना ज़रा,,,,उसने मेरे पास आके मेरे हाथ से टीवी का रिमोट छीनते हुए गुस्से से बोला,,
छोड़ ये रिमोट और टीवी बंद करके स्टडी कर मेरे साथ उपर चलके,,,,

मेरे हाथ मे रिमोट था और वो मेरे से रिमोट पकड़ने की कोशिश कर रही थी ,,,उसने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया
तो मुझे लगा कि रिमोट मेरे हाथ से निकल जाएगा इसलिए मैने अपने दूसरे हाथ से भी रिमोट पकड़ने की
कोशिश की जिसस वजह से मेरे हाथ उसके हाथ के उपर आ गया और मैने रिमोट पकड़ते हुए उसका हाथ ही पकड़
लिया और ऐसा करते ही मुझे अजीब बेचैनी होने लगी,,,,मेरे अंदर तूफान सा उठने लगा,,लेकिन मैने खुद पर
क़ाबू किया और रिमोट को छोड़ दिया,,,,और उठकर खड़ा हो गया,,,

मुझे नही करनी स्टडी तेरे साथ बैठकर,,,मुझे अकेले रहना है,,,,मैने ये बात गुस्से मे बोली तो शायद वो
समझ गई थी कि मैं उस से दूर रहने की बात क्यूँ कर रहा हूँ,,,

अकेले रहना है तो अकेले रह मुझे क्या,,,,लेकिन मेरे सामने रह तू बस ताकि मुझे पता चलता रहे कि तू
स्टडी कर रहा है,,,,

इतना बोलकर वो उपर चली गई और कुछ देर बाद हाथ मे कुछ बुक्स लेके वापिस नीचे आ गई और आते ही मेरा
हाथ पकड़ कर घर से बाहर सामने वाले गार्डन मे ले गई,,,,

चल बैठ जा यहाँ और स्टडी कर ,,मैं उसकी बात मान कर बैठ गया उसने मुझे बुक दी और अपनी बुक लेके
मेरे से दूर जाके बैठ गई ,,,,


सर्दी की धूप थी इसलिए हम लोग गार्डन मे बैठ गये,,,सोनिया मेरे से करीब 12-15 कदम की दूरी पर जाके
बैठ गई थी,,उसने टाँगों को घास पर फैला दिया और बुक को अपने घुटनो पर रखके स्टडी करने लगी
थी,,,,

उसने अभी ब्लू जीन और साथ मे पिंक टॉप पहना हुआ था,,,उसके हाथ मे एक पेन था जिसको वो बार बार अपने
मुँह से पकड़ रही थी कभी उस पेन से बुक पर कुछ लिखने लगती फिर पेन को वापिस मुँह मे पकड़ लेती ,मैं
अपनी बुक पर ध्यान कम दे रहा था और उसकी तरफ ज़्यादा देख रहा था ,,वैसे मैं उसको इग्नोर करने की
कोशिश तो कर रहा था लेकिन इस टाइम उसका गोरा रंग जो सर्दी की तीखी धूप मे और भी ज्यागा गोरा लगने लगा
था उसका पूरा रूप निखर कर बाहर आने लगा था ,,उसका मासूम चेहरा और चेहरा पर उड़ती झुलफे और मुँह
पे पकड़ा हुआ पेन ,,,मेरी तो हालत खराब होने लगी थी इतनी मासूमियत से मेरे सामने बैठकर पढ़ती सोनिया
को देखकर,,वो भी बीच बीच मे बुक से ध्यान हटा कर मेरी तरफ देख रही थी लेकिन जब भी वो मुझे
देखती मैं नज़रे झुका लेता और ध्यान बुक की तरफ कर लेता,,वो मेरी इस हरकत से हँसने लगती उसको लगता मैं
उस से डर गया हूँ लेकिन उसको क्या पता था कि मैं उस से कम और खुद से ज़्यादा डर रहा हूँ क्यूकी कैसे
इस टाइम मैं खुद पर क़ाबू करके बैठा हुआ था ये बस मैं ही जानता था,,,

कुछ टाइम बाद वो घास पर लेट गई ,,,उसने अपने पेट को नीचे घास की तरफ किया और लेट गई फिर उसने बुक
को अपने सर के सामने रख लिया,,,,उसने अपने एक हाथ को पानी एल्बो से बंद किया और एल्बो को ज़मीन पर
टिका लिया और उसी हाथ की हथेली पर अपनी चिन को रखते हुए अपने सर को हाथ की हथेली पर टिका कर सामने
पड़ी बुक को रीड करने लगी,,,,उसका एक हाथ उसके सर के बोझ को झेल नही पा रहा था इसलिए उसने दूसरे हाथ
को भी एल्बो से बेंड किया और उसको भी ज़मीन पर टिका कर अपने दोनो हाथों पर अपनी चिन को रखा और
बुक रीड करने लगी,,,जब भी उसको पेज टर्न करके नेक्स्ट पेज पर जाना होता वो अपने एक हाथ को ज़मीन से
उठा लेती,,,मैने भी ऐसे ही किया और उसी हालत मे लेट कर बुक रीड करने लगा लेकिन मेरा ध्यान बुक पर
कम और सोनिया की तरफ ज़्यादा था,,,मैं उसके मासूम चेहरा को देख रहा था ,,उसकी पलके झुकी हुई थी और
उसका ध्यान बुक पर था लेकिन जल्दी ही उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया और वो जल्दी से उठकर बैठ गई,,,लेकिन
मैं ऐसे ही लेटा रहा और उसकी तरफ देखता रहा,,,,,

तभी उसने अपने सर को हिलाया और एशारे से मेरे से पूछने लगी,,,,,क्या देख रहे हो सन्नी,,,,

मैं भी सर को ना मे हिला दिया और बता दिया कि मैं कुछ नही देख रहा,,,और मैने अपना ध्यान बुक
पर कर लिया,,,,

कुछ देर बाद मेरा ध्यान उसकी तरफ गया तो वो अपने हाथ से अपने चेहरे को हवा दे रही थी शायद उसको
गर्मी लगने लगी थी और लगती भी क्यू नही,,,अभी सर्दी शुरू हुई थी इसलिए ज़्यादा देर तक धूप मे बैठना
बहुत मुश्किल था ,,,मैं जहाँ बैठा हुआ था वहाँ पेड़ की कुछ छाया थी धूप कम थी इसलिए मुझे
कोई दिक्कत नही हो रही थी,,,उसने देखा कि मेरे पास ज़्यादा धूप नही है और वो जल्दी से उठकर मेरे पास
आके बैठ गई,,,,लेकिन ज़्यादा पास नही 5-6 कदम की दूरी पर,,,क्यूकी ज़्यादा पास आने की ग़लती वो नही करने वाली
थी,,,


कुछ देर वो बैठी रही और बाद मे फिर से लेट गई,,,,इस बार उसने पीठ को ज़मीन से लगा लिया था और बुक
को अपने पेट पर रखके स्टडी करने लगी थी,,,मैं भी लेटा हुआ था लेकिन जल्दी ही मैं उठके बैठ गया था,
क्यूकी मेरा धान उसके जिस्म पर चला गया था,,,उसका टॉप जो थोड़ा छोटा था और लेटने की वजह से उसकी कमर
थोड़ी सी नंगी हो गई थी,और मेरी नज़र उसकी नंगी और दूध जैसी गोरी कमर पर अटक गई थी,,मैं पता नही
कितने टाइम से उसकी कमर को देखता रहा तभी मैं एक दम से डर गया,,,


सोनिया गुस्से से बोली,,,,,,,,,,क्या कर रह हो सन्नी,,,,

उसकी बात से डर कर मैने नज़रे उसकी काम्र से हटा ली और उसके फेस की तरफ देखा,,तो उसकी आँखें गुस्से से लाल
हो गई थी,,,,

कुउछ न्ह्ही म्मैईन्न तो स्टडी कर रहा था,,,,मैने डरते हुए बोला था ,,,,

जानती हूँ क्या स्टडी कर रहे हो तुम,,,,इतना बोलकर वो उठी और अपना टॉप ठीक करते हुए वहाँ से अंदर की
तरफ चली गई,,,,,और जाते जाते मुझे गुस्से से बोल गई,,,,
Reply
07-16-2019, 11:50 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं अंदर जा रही हूँ तुम यहीं बैठकर स्टडी करो,,जब तक मैं लंच नही बना लेती तब तक अंदर नही
आना तुम,,,,इतना बोलके वो अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया,,,,,उसके जाते ही मैं सर पकड़ कर घास
पर लेट गया,,,,

साला ये तो पंगा है,,,,दूर रहना मुश्किल है सोनिया से लेकिन पास जाना और भी ज़्यादा मुश्किल है,,,करूँ भी
तो क्या करूँ मैं,,,,कुछ समझ नही आ रहा था,,,लेकिन एक बात अच्छी हो गई थी,,मैं खुद उस से दूर
होने की या उसको दूर करने की कोशिश कर रहा था और अब वो खुद ही मेरे से दूर चली गई थी,,,,अब
लंच टाइम तक कोई टेन्षन नही थी,,,,क्यूकी तब तक मैं भी बाहर ही बैठने वाला था या बोलो तो सोने
वाला था,,,,मौसम बहुत अच्छा था मैने बुक साइड पर रखी और सोनिया के बारे मे सोचता हुआ ,,उसके मासूम
चेहरे के बारे मे सोचता हुआ नींद के आगोश मे चला गया,,,,,

नींद मे भी मैं सोनिया के सपने देख रहा था
लेकिन जल्दी ही मेरे सपने मे वो रात आ गई जब मैं कविता के साथ था नंगे जिस्म एक ही बेड पर ,,,

तभी कुछ देर बाद मुझे सोनिया की आवाज़ सुनाई दी,,,,

बस यही आता है तुम्हें या टीवी देखना या सोना,,,,और कुछ नही कर सकता तू,,,सोनिया घर के दरवाजे से बाहर
आते हुए गुस्से से मुझे बोल रही थी,,,,


मैं आँखें मल्ता हुआ उठा और बोला,,,,मैं सो नही रहा था बस बुक रीड करते करते आँखें दुखने लगी
थी इसलिए आँखों को आराम देने क लिए कुछ देर आँखें बंद करके लेट गया था,,,,,

हां हां बुक रीड करते ही तेरी आँखें थकती है,,,अभी तुझे तेरा लॅपटॉप लाके दे दूँ तो उसमे 24 अवर्स
बिना थके गेम खेलता रहेगा टाइम पास करता रहेगा ,कभी नही थकेगा तू और ना तेरी ये आँखें ,,


मैं उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाया बस चुप चाप उठके खड़ा हो गया,,,

अब चुप क्यूँ है ,,,,कुछ बोलता क्यूँ नही,,,,वो गुस्से से फिर से बोली,,,,

बोला ना बाबा मैं सो नही रहा था बस थक गया था इसलिए लेट गया,,,,तू बिना वजह क्यूँ गुस्सा करती रहती है


मैं बिना वजह गुस्सा नही करती ,,,तू ही हर बार मुझे गुस्सा दिलवाता है,,,वो फिर से गुस्से से बोली

अब मैने क्या कर दिया,,,,थक गया था तो लेट गया था इसमे तुझे गुस्सा दिवाले वाली क्या बात थी,,,,

तू तो कुछ करता ही नही सन्नी,,,बस गेम खेलता है,,,सोता रहता है,,,टीवी देखता रहता है या अपनी बेहूदा
और घटिया हरकते करता रहता है,,,

मैं सोनिया की बात समझ गया उसका इशारा उस हरकत की तरफ था जब वो मेरे पास घास पर लेटी हुई थी और
उसका टॉप उसकी कमर से उपर उठा हुआ था और मैं उसकी नंगी कमर को देख रहा था,,,,

मुझे कोई बात नही सूझ रही थी इसलिए मैने उसको लंच के बारे मे पूछ लिया,,,,लंच बन गया क्या,,

हां बन गया तभी तुझे बुलाने आई थी,,,,चल आजा अंदर,,,,

मैने सोचा अच्छा हुआ लंच की बात करदी वर्ना पता नही क्या क्या सुनाती रहती ये हिट्लर मुझको,,,,

मैं जल्दी से उसके पास से गुजर कर घर के अंदर चला गया जबकि वो मुझे घुरती रही,,,,

अंदर जाके मैं सीधा माँ के रूम मे गया और मुँह हाथ धो कर बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,तब
तक सोनिया ने खाना लगा दिया था,,,,मैने चुप चाप बैठकर खाना ख़तम किया ,,,मैने उसकी तरफ ध्यान
भी नही दिया क्यूकी मुझे पता था वो गुस्से मे है,,,अगर उसकी तरफ देख लेता तो खाना चबाना भी मुश्किल
होता और उसको गले से नीचे निगलना भी ,,,

खाना ख़तम करके मैं सोफे पर जाके लेट गया,,,,और टीवी देखने लगा,,,,

तू फिर से लेट गया,,,अभी सोके थका नही क्या तू सन्नी,,,सोनिया बर्तन किचन मे रखके मेरे पास आके बोली,

अरे मेरी माँ अभी तो लंच किया और अभी फिर से स्टडी शुरू कर दूं क्या,,,कुछ देर तो आराम से टीवी देखने
दो,,,मैने इतनी बात हाथ जोड़कर बोली थी सोनिया से,,,


सोनिया मेरी तरफ देखकर हँसने लगी,,,ठीक है ठीक है,,,,,कुछ देर आराम कर्लो और टीवी देख लो,,,बाद मे मैं
स्टडी करवाउंगी तुझे,,,,फिर कोई बहाना नही चलना तेरा,,,,कि मैं थक गया हूँ ,,आँखें दुखने लगी
है ,,,,

ओके अम्मा जी ,,,अब तो टीवी देखने दो बाद मे जितनी स्टडी करवानी होगी करवा लेना,,,बस कुछ देर आराम करने
दो,,,

ठीक है,,,इतना बोलकर हंसते हुए वो दूसरे सोफे पर जाके बैठ गई और जाते जाते मेरे हाथ से रिमोट छीन कर
ले गई,,,,और फिर अपनी पसंद का एक बोरिंग सा प्रोग्राम लगा लिया वही सास बहू वाला,,,,मैने सोचा कोई बात
नही इसको टीवी देखने दो और अपुन आराम करता है और वैसे भी ऐसा प्रोग्राम देखकर अक्सर नींद अच्छी आने लगती
है,,,,,,,,,,,,

वो बड़े ध्यान से टीवी देख रही थी जैसे टीवी मे खो ही गई थी,,,और मैं उसको देखने लगा था, जैसे वो टीवी मे खो गई थी मैं भी उस मे खो सा गया था,,,

तभी उसकी ज़ुल्फो की एक लट जो उसके चेहरे पर आ गई थी उसने अपनी ज़ुल्फो की उस लट को अपनी उंगली से अपने कान के पीछे करते हुए मेरी तरफ देख लिया और तभी मेरा ध्यान उसकी तरफ ही था,,,,

क्या देख रहे हो सन्नी,,,,उसकी आवाज़ से मैं एक दम चौंक गया,,,

कुछ नही,,मैं तो ये वो,,,ये बोरिंग शो देख रहा हूँ,,,मैने टीवी की तरफ इशारा करते हुए बोला

आए ब्लॅकी इसको बौरिंग मत बोल ये मेरा सबसे अच्छा शो है,,मुझे बहुत अच्छा लगता है ये शो

तुझे अच्छा लगता है तो क्या ये अच्छा हो जाएगा,,,मुझे तो बौरिंग लगता है ,,,इतना ज़्यादा बौरिंग कि मुझे तो
नींद भी आने लगी है ये शो देखकर,,,

वो थोड़ा चिडते हुए,,,बोला ना इसको बौरिंग मत बोल,,,ये मेरा सबसे पसंदीदा शो है,,,ये बात वो थोड़ी
इतराते हुए बोली,,,

हां हां जानता हूँ जैसी तू बौरिंग वैसे तेरे पसंदीदा शो भी बौरिंग,,,,और वैसा ही था तेरा खाना ,,,
इतना सड़ा हुआ खाना आज तक नही खाया मैने,,,


वो थोड़ा गुस्से से बोली,,,,चल चल चुप कर,,मैं तो बहुत अच्छा खाना बनाती हूँ,,,और आज भी इतना अच्छा बनाया
था कि पेट भरके खाया मैने,,,

अपने खाने की तारीफ तू खुद ही कर सकती है मैं नही,,,मैने तो इतना सड़ा हुआ,,इतना फीका खाना आज तक
नही खाया,,,ना मिर्च थी उसमे ना न्नमक था और ना ही कोई मसाला,,,,तेरी तरह बोरिंग है तेरे शो और तेरी
तरह फीका और बिना स्वाद का है तेरा खाना,,,,

ओई ब्लॅकी बोला ना मेरे शो को बौरिंग मत बोल और मेरा खाना तो बहुत अच्छा था ,,बिल्कुल मेरे जैसा
तीखा ,,,मैं भी तो तीखी मिर्च हूँ और मेरा खाना भी तीखा था एक दम स्पाइसी,,,

अच्छा तू तीखी मिर्च है क्या,,,सच मे,,,

हां हूँ,,तुझे कोई शक है,,,वो फिर से इतराते हुए बोली,,,

अच्छा अगर तू तीखी मिर्च है तो मुझे तीखा खाना बहुत पस्संद है,,,मैने इतना बोला और हँसने लगा,,,

लेकिन वो मेरी बात से शरमा भी गई,,फिर एक दम से बोली,,,,अपनी बकवास बंद करले वर्ना मारूँगी तुझे,,

तू मारेगी मुझे,,मैने हंसते हुए उसको चिड़ाते हुए बोला,,,,

हां मारूँगी,,,,और वो भी इस रिमोट से,,,,उसने रिमोट को हवा मे उठा लिया और मेरी तरफ करके मुझे
दिखाने लगी,,,,

चल चल साइड हो,,,बड़ी आई रिमोट मारने वाली,,,खाना तो ठीक से बनाया नही जाता और रिमोट से मारने चली
है मुझे,,,,मैं उसको जान बूझ कर तंग कर रहा था ताकि वो हर्ट हो जाए अपने खाने की बेज़्ज़ती सुनकर और
गुस्से मे वहाँ से चली जाए,,,

मैं उसको हर्ट करने की कोशिश मे था लेकिन गुस्से मे उसने कुछ ऐसा किया जिस से मैं हर्ट हो गया,,उसने
मज़ाक मज़ाक मे रिमोट को मेरी तरफ फेंका और रिमोट सीधा आके मेरी लेफ्ट आँख के बिल्कुल पास आके लगा,,,

उसने तो मज़ाक मज़ाक मे धीरे से मारा था लेकिन रिमोट की एक कॉर्नर काफ़ी ज़ोर से मेरी लेफ्ट आँख के पास
लगी और मुझे बहुत हर्ट हुआ,,,मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ और दर्द के मारे मेरे मुँह से अह्ह्ह्ह निकल गई और जल्दी
ही मेरा हाथ मेरी लेफ्ट आँख के उपर चला गया,,मैने हाथ से अपनी आँख को दबा लिया,,,,
Reply
07-16-2019, 11:50 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
सोनिया जल्दी से अपने सोफे से उठकर मेरे पास आ गई,,,,ओह्ह शिट्ट ,एम्म्म सूउररयी सुन्नयी मैने जानभूज
कर नही मारा मैने तो मज़ाक मे हल्के से रिमोट को तेरी तरफ फेंका था,,,,आइ म सूउरयी सन्नी

मेरा एक हाथ मेरी आँख पर था और मेरी आँख बंद थी लेकिन मैं दूसरी आँख से सोनिया की तरफ देख रहा था
वो थोड़ा परेशान हो गई थी और डर भी गई थी मेरी चोट की वजह से,,,,,यही तो प्यार था हम भाई बेहन मे
की किसी का दर्द नही देख सकते थे हम दोनो,,,ना वो मुझे हर्ट करके खुश थी ना मैं उसको,,,लेकिन जाने
अंजाने जैसे मैं उसको हर्ट कर देता था वैसे आज उसने भी मुझे हर्ट कर दिया था,,,,वो बस सौरी सौरी बोलती
जा रही थी,,,,और मेरे पास आके सोफे पर थोड़ी सी जगह मे बैठ गई थी,,,

सन्नी ज़ोर से लगा क्या,,,दिखा ज़रा,,,,इतना बोलके उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी आँख से मेरा हाथ हटा दिया
हाथ हट-ते ही उसने मेरी आँख को देखा,,,मेरी आँख के बिल्कुल पास आके लगा था रिमोट जिस से आँख पर हल्की
सूजन आ गई थी,,,,,ओह्ह मयी गॉड ये तो सूज गई है सन्नी,,,,उसकी आँखों मे आँसू आ गये मेरा दर्द
देखकर,,,,

आइम सौरी सन्नी मैने जान भूज कर नही मारा तेरी कसम सन्नी,,,,वो फिर से सौरी बोलती जा रही थी

अरे रो क्यूँ रही है पगली,,मैं जानता हूँ तूने जानभूज कर नही मारा क्यूकी मुझे पता है तू मुझे कभी
हर्ट नही कर सकती जैसे मैं नही कर सकता,,,,चल अब रोना बंद कर ,,,कुछ नही हुआ है मुझे,,,ठीक हूँ
मैं,,,इतना बोलकर मैने उसकी आँखों से निकलने वाले आँसू सॉफ किए अपने हाथ से और उसको चुप करवाने लगा

वो रोती जा रही थी और मैं एक हाथ से उसके आँसू पोंछ रहा था तभी उसने मेरा हाथ साइड कर दिया ,,आँख
खोल अपनी सन्नी दिखा ज़रा अंदर तो चोट नही लगी,,,वो रोती हुई बोल रही थी.,,

अरे कुछ नही हुआ बोला ना,,तू बिन-वजह परेशान हो रही है,,,,

फिर वो रोते हुए अपने ही अंदाज़ मे बोली,,,,बोला ना आँख खोल और दिखा मुझे,,,,

वो रोते हुए भी गुस्सा कर सकती थी यही तो खूबी थी उसकी जिस से मेरी फट-ती थी,,,उसके कहने पर मैने
आँख खोली तो वो ज़्यादा परेशान हो गई,,,

क्या हुआ तू इतनी परेशान क्यूँ हो गई,,,,


सन्नी वो तेरी आँख अंदर से लाल हो गई है,,,,लगता है बहुत ज़ोर से लगा तुझे,,,,दर्द हो रहा होगा ना,,,इतना
बोलकर वो फिर से रोने लगी,,,,

नही नही कुछ नही हुआ तू परेशान मत हो ठीक हूँ मैं,,,इतनी चोट तो लगती ही रहती है,,,अब तू रोना
बंद कर ,,,,


सौरी सन्नी ,,,,सब मेरी वजह से हुआ,,बहुत बुरी हूँ मैं,,,हर वक़्त गुस्सा करती रहती हूँ तेरे पर,,हर
बात पर डाँट देती हूँ,,,,आज तो खाना भी अच्छा नही खिला सकी तुझे और अब चोट भी लगा दी तेरे,,,वो
बहुत ज़्यादा रोने लगी,,,,


अरे पगली बोला ना कुछ नही हुआ मुझे,,,,अब तू मेरी छुटकी बेहन है मुझे डाँटने का तो पूरा हक़ बनता
है तुझे,,,,और तुझे किसने बोला कि खाना अच्छा नही था,,,,खाना बहुत अच्छा बना था,,,मैं तो मज़ाक कर रहा
था,,तूने देखा नही मैने आज 2 रोटी भी ज़्यादा खाई थी,,,,सच मे खाना बहुत अच्छा बना था,,इतना बोलते हुए
मैं उसकी आँखों से आँसू पोंछता जा रहा था,,,

खाने की तारीफ सुनके उसका रोना बंद हो गया लेकिन चेहरे पर मायूसी अभी भी थी उसके,,,,खाना अच्छा बना था
तो झूठ क्यू बोला तूने,,,ना तू झूठ बोलता और ना मैं तुझे मारती,,,सब तेरी वजह से हुआ और मैं पगली
समझ रही थी सब मेरी ग़लती है,,,,बिना वजह रो रही हूँ मैं ,,तेरे साथ ऐसा ही होना चाहिए,,,

अच्छा सौरी बाबा सब मेरी ग़लती है,,अब खुश,,,

तभी उसने हल्के से थप्पड़ मारा मेरे गाल पर जिसस से मेरी आँख के पास हल्का दर्द हुआ,,

अहह ,,,,,,,मेरे मुँह से आहह निकल गई,,,

ओह्ह सौररी सन्नी,,,मैने वो जानभूज कर,,,सौरी ,,,,उस से ग़लती हो गई थी इसलिए उसने अपने दोनो हाथों से
अपने कान पकड़ लिए और सौरी बोलने लगी,,,,वो किसी छोटी बच्ची की तरह कान पकड़ कर बैठी हुई थी और मुझे
सौरी बोल रही थी

इस वक़्त वो किसी मासूस बच्ची जैसी लग रही थी उसको देखकर मैं उसके मासूम चेहरे मे खो सा गया,,भूल गया कि मुझे चोट लगी है भूल गया कि मुझे दर्द हो रहा है,,,,जैसे मैं उसके मासूम चेहरे मे खो गया था वो भी एक टक मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,

तभी उसने अपनी जीन की पॉकेट से एक रुमाल निकाला और मेरी आँख बंद करके उस रुमाल को मेरी आँख पर
रख दिया,,,,

ये क्या कर रही हो,,,,रुमाल क्यू रखा मेरी आँख पर,,,,

कुछ नही भाई,,,,रुमाल रखकर हल्की गरम हवा दूँगी अपने मुँह से तो तेरी आँख का दर्द थोड़ा कम हो
जाएगा,,,,इस से पहले मैं कुछ बोलता या उसको ऐसा करने से मना करता उसने मेरी आँख बंद करके मेरी
आँख पर रुमाल रखा और खुद नीचे झुककर उस रुमाल पर अपने होंठ रखे और मुँह खोलकर अपने मुँह से
गरम हवा मारने लगी रुमाल पर जिसकी गर्मी मुझे अपनी आँख पर महसूस होने लगी और शायद मुझे कुछ
आराम भी मिलने लगा मुझे कुछ रहट महसूस होने लगी,,,,,


मैं सोफे पर लेटा हुआ था,,,,और वो सोफे पर थोड़ी सी जगह पर बैठी हुई थी,,,,मेरी लेफ्ट आँख पर चोट
लगी थी जिस पर रुमाल रखकर वो गर्म हवा मार रही थी,,,,वो मेरे जिस्म पर झुकी हुई थी जिस वजह से
उसका लेफ्ट हॅंड मेरी चेस्ट पर था और उसका राइट हॅंड उस रुमाल पर था,,उसने रुमाल को अपने हाथ से पकड़ा
हुआ था,,

जबकि मेरा लेफ्ट हॅंड सोफे से नीचे लटक रहा था और राइट हॅंड मेरे और सोफे के बीच मे था,,,मेरा लेफ्ट हॅंड
सोफे से नीचे उसकी टाँगों के पास टच हो रहा था लेकिन किसी ग़लत मकसद से नही,,,,लेकिन मेरा राइट हॅंड
पता नही कब मेरे पेट पर आ गया और वहाँ से सोनिया की कमर को टच करने लगा,,,वो मेरी चेस्ट पर झुकी
हुई थी और मेरी आँख पर हवा मार रही थी ,,,उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी चेस्ट पर टच करने लगे थे


जिस से मुझे हल्की मस्ती चढ़ने लगी थी और उसकी गर्म साँसे जो रुमाल से होती हुई मेरी आँख तक गर्मी पहुँचा
रही थी ,,उस गर्मी से मेरा जिस्म भी गर्म होने लगा और पता नही कब मेरा राइट हॅंड उसकी कमर को टच
करता हुआ उसकी पीठ पर चला गया,

वो मेरे उपर झुकी हुई थी जिस वजह से उसका टॉप थोड़ा उपर उठ गया था और मेरा हाथ उसकी जीन और टॉप के
बीच मे नंगी हुई पीठ पर रखा गया था,,,मैने अपने हाथ को हिलाया नही बस ऐसे ही वहाँ पड़ा रहने
दिया मुझे पता था अगर हाथ हिला तो पंगा हो जाना है,,,पंगा तो वैसे भी हो ही रहा था मेरे साथ,,,

किसी ग़लत मकसद से ना सही लेकिन हाथ नंगी पीठ पर टच होते ही मेरी हालत खराब होने लगी और शायद
सोनिया की भी,,,उसकी साँसे पहले से ज़्यादा गर्म हो गई थी और उसकी हार्ट बीट भी तेज हो गई थी,,,तेज तेज धड़कते
दिल के साथ उसकी छाती उपर नीचे होने लगी और उसके छोटे छोटे बूब्स रुक रुक कर मेरी छाती से टच होने
लगे,,,मेरा हाथ जो उसकी नंगी पीठ पर था उसकी उंगलियों ने मस्ती मे अपनी हरकते करना शुरू कर दिया
था,,,सोनिया शायद घबरा गई थी इसलिए मेरे जिस्म से उपर नही उठ रही थी लेकिन जैसे ही मेरे हाथ की हरकते
शुरू हुई वो एक दम से उपर उठ गई,,,उसके उठने की वजह से मेरा हाथ जो उसकी पीठ पर था वो पीठ से गिरता
हुआ मेरे पेट पर उसकी कमर के पास आ गया और अभी भी उसकी कमर को टच कर रहा था
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07-16-2019, 11:51 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
वो उठकर सीधी होके बैठ गई थी,,,उसकी हार्ट बीट तेज थी,,,वो तेज तेज साँसे ले रही थी,,,उसके फेस पर हल्की
मायूसी थी और डर बहुत ज़्यादा था,,,वो बहुत ज़्यादा परेशान भी लग रही थी,,उसकी आँखें जो मदहोश हो चुकी
थी और भारी होती जा रही थी ,,,उसके बदन काँप रहा था ,,,उसका एक हाथ अभी भी मेरी चेस्ट पर रखा हुआ
'था वो भी मेरे दिल के करीब,,,वो इतनी ज़्यादा तेज़ी से साँसे ले रही थी जैसे गर्म होने पर लड़की लेती थी लेकिन
उसकी हालत से पता नही चल रहा था वो मदहोश हो गई थी,,,,या डर रही थी,,,,,लेकिन उसकी आँखों मे एक
अजीब सी उलझन थी जिस से मैं भी उलझ गया था ,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,,


तभी वो धीरे से बोली,,,,,,कुछ आरामम मिला सन्नीई,,,,


मेरी एक आँख पर रुमाल था और मैं एक आँख से उसकी तरफ देख रहा था,,,

उसकी आवाज़ और उसकी ज़ुबान उसका साथ नही दे रही थी ,,,वो बोलते टाइम डरी हुई थी,,,उसकी ज़ुबान लड़खड़ा रही थी
,,,

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,

उसने फिर से पूछा,,,,कुछ आराम मिला य्या नहीइ सन्नी ग्गर्र्म्म ह्हव्वा से,,,

मैने हां मे सर हिला दिया,,,,हां कुछ आराम तो मिला ,,,,कुछ देर और गर्म हवा डू शायद ज़्यादा आराम
मिले,,,,

उसने हां मे सर हिला दिया और नीचे झुकने लगी,,लेकिन तभी मैने अपने लेफ्ट हॅंड से अपनी आँख पर पड़ा हुआ
रुमाल उठा दिया,,,,

उसने मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखा,,,,,रुमाल क्यूँ उठा दिया सन्नी,,,,

कुछ नही,,,,सोचा रुमाल के बिना हवा ज़्यादा गर्म लगेगी तो शायद ज़्यादा आराम भी मिलेगा,,,,तुम बिना रुमाल
के हवा दो मेरी आँख को,,,

उसने डरते हुए मेरी तरफ देखा फिर नज़रे घुमा कर मेरे उस हाथ की तरफ देखा जो मेरे पेट पर पड़ा
हुआ था लेकिन उसकी कमर को टच कर रहा था,,,,उसने डरते हुए उस हाथ की तरफ देखा और फिर वापिस मेरी
तरफ देखा और धीरे धीरे नीचे की तरफ झुकने लगी,,,उसका एक हाथ मेरी चेस्ट पर था जिस से वो मेरी
टी-शर्ट को कसके पकड़ती जा रही थी,,,सॉफ पता चल रहा था वो घबरा रही थी,,,,उसने मेरे हाथ की तरफ देखा
था जो उसकी कमर को टच कर रहा था उसको पता था अगर वो नीचे झुकेगी तो मेरा हाथ वापिस उसकी पीठ
पर चला जाएगा इसलिए वो डरते हुए मेरे हाथ की तरफ देख रही थी,,


हिम्मत करके बड़ी धीरे धीरे वो नीचे की तरफ बढ़ती आ रही थी और उसकी साँसे गर्म होती जा रही थी जो
करीब 1 फीट से ही मेरे चेहरे पर गर्मी का एहसास देने लगी थी,,,उसके दिल की धड़कन भी मुझे इतनी दूर
से सुनाई दे रही थी,,,उसकी साँसे गर्म भी थी और उखड़ भी रही थी,,,वो बड़ी हिम्मत करके नीचे झुकती आ
रही थी और जैसे जैसे वो नीचे झुक रही थी वैसे वैसे मेरा राइट हॅंड जो मेरे पेट पर था और उसकी कमर
को टच कर रहा था वो हाथ उसकी पीठ पर उसी जगह चला गया था जहाँ पहले था,,नीचे झुकने की वजह
से उसका टॉप फिर से पीठ से उठने लगा था और उसकी पीठ नंगी होने लगी थी,,


मेरा हाथ वापिस जीन और टॉप के बीच हल्की से नंगी हुई पीठ पर चला गया,,,,वो मेरी आँख के उपर अपने
लिप्स करके झुकती चली आ रही थी और उसके करीब आते आते उसकी साँसे और ज़्यादा गर्म होने लगी थी,,जैसे ही वो
मेरी आँख के पास पहुँची और अपने मुँह को खोलकर अपने लिप्स मेरी आँख पर रखने लगी मैने खुद को
थोड़ा हिला दिया और अड्जस्ट करते हुए अपने सर को हिला कर अपनी आँख की जगह अपने लिप्स को कर दिया,,,मैने ये
सब इतनी जल्दी किया कि उसको कुछ समझ नही आया और जैसे ही उसने लिप्स मेरी आँख को टच करने वाले थे वही
लिप्स अब मेरे लिप्स पर टच हो गये थे,,,,ऐसा होते ही मेरे जिस्म मे एक मस्ती की लहर दौड़ गई और शायद
उसके जिस्म मे एक डर की ,,,,,



उसका मुँह खुला हुआ था और जैसे ही उसके लिप्स मेरे लिप्स पर आए मैने अपनी ज़ुबान को उसके मुँह मे घुसा
दिया और उसके लोवर लिप्स को अपने लिप्स मे पकड़ लिया,,,मेरे ऐसा करते ही उसका हाथ जो मेरी चेस्ट पर था उस
हाथ से उसने मेरी टी-शर्ट को कस्के अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया और ऐसा करते हुए उसके नाख़ून मेरी चेस्ट पर
घुस गये थे उसने अपने नाखूनो से मेरी चेस्ट को हल्का सा कुरेद दिया था ,,मुझे हल्का दर्द हुआ लेकिन
मज़ा बहुत आया,,,,मैने उसके लोवर लिप्स को अपने लिप्स मे पकड़ा और अपने मुँह मे भरके चूसने लगा और इसी
टाइम मेरी ज़ुबान उसके मुँह मे थी और मैं अपनी ज़ुबान से उसकी ज़ुबान को टच कर रहा था,,मेरा हाथ जो
उसकी नंगी पीठ पर था वो हाथ उसकी पीठ से उपर उठने लगा वो भी उसके टॉप के अंदर से,,


मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर टॉप के अंदर से उपर की तरफ बढ़ने लगा,,मेरे लिप्स उसके लिप्स मे जकड़े हुए
थे जिनको मैं बड़े प्यार से चूस रहा था ,,,उसने अपने सर को उपर करने की कोशिश की लेकिन जल्दी से नही
धीरे धीरे और तभी मैने अपने लेफ्ट हाथ को जो सोफे से नीचे लटक कर उसकी टाँगों को टच कर रहा था
उस हाथ को उसके सर पर रखा और उसके सर को वापिस अपने लिप्स पर दबा दिया और उसको ऐसे ही किस करने लगा
उसने भी अपने दूसरे हाथ को मेरे शोल्डर पर रखा और मेरे शोल्डर पर ज़ोर से अपने नाख़ून घुसा दिया
और जल्दी से मेरे से दूर होने लगी,,,,मैने भी ज़्यादा ज़ोर नही लगाया और उसको उपर उठने दिया ,,,वो धीरे से
उपर उठती गई और मेरा लिप्स से दूर होती गई,,,,उसके उपर होते होते मेरा हाथ भी उसकी पीठ से फिसलता हुआ
नीचे की तरफ आने लगा,,,जब तक वो सीधी हुई तब तक मेरा हाथ वापिस मेरे पेट पर आ गया था और उसकी कमर
को टच करने लगा था,,


वो सीधी होके बैठ गई थी,,,मेरा हाथ उसकी पीठ से नीचे आ गया था मेरे पेट पर ,,दूसरा हाथ उसके सर
से नीचे होके वापिस सोफे से नीचे लटक गया था,,,उसका एक हाथ अभी तक मेरी चेस्ट पर था और उसने अपनी मुट्ठी
मे मेरी टी-शर्ट को कसके पकड़ा हुआ था,,वो उपर तो उठ गई थी लेकिन उसकी आँखें बंद थी,,मैं उसकी तरफ
देख रहा था,,वो आँखें बाद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी,,,,उसका दिल अभी भी बहुत तेज़ी से धड़क रहा था,
उसने अपने दूसरे हाथ को अपने दिल पर रखा और अपने दिल पर क़ाबू करने लगी,,मैं बस लेटा हुआ उसके लिप्स
के बचे खुचे स्वाद का आनंद ले रहा था और उसके मासूम चेहरे की तरफ देख रहा था,,,,

कुछ देर बाद उसने आँखें खोली और मेरी तरफ देखा.,,वो कुछ नही बोली बस तेज़ी से धड़क रहे दिल को
क़ाबू करने मे लगी हुई थी,,,उसने अपने हाथ को मेरी चेस्ट से उठा लिया और उस हाथ से अपने लिप्स पर लगे
हुए मेरे थूक को सॉफ करने लगी थी,,,और ऐसा करते हुए वो सीधा मेरी आँखों मे देख रही थी,,,मैं भी
एक-टक उसकी आँखों मे देख रहा था,,,



मुझे तो आराम मिला ,,क्या तुझे आराम मिला,,,,,मैने इतना हंसते हुए बोला सोनिया से,,,

वो कुछ नही बोली बस जल्दी से वहाँ से उठी और किचन मे भाग गई,,,,मैं सोफे पर लेटा हुआ उसको देखता
रहा,,,,वो किचन मे जाके फ्रिड्ज के पास खड़ी हो गई और फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाल कर पानी पीने लगी,,
वो बहुत तेज़ी से पानी पे रही थी उसने पानी की एक बॉटल को मुँह से लगा लिया और तेज़ी से पानी पीते हुए बॉटल को
तब तक मुँह से अलग नही किया जब तक बॉटल खाली नही हो गई,,,,फिर उसने बॉट्टेल को रखा और किचन से बाहर
आ गई,,,,लेकिन वो मेरे पास नही आई वो सीडियों की तरफ जाने लगी थी और जाते हुए मेरे से नज़रे न्ही मिला रही
थी,,लेकिन फिर भी मैने उसकी नज़रो मे देख ही लिया,,,वो रो रही थी ,,,,,

जैसे वो कदम रखने लगी पहली सीढ़ी पर मैंने उसको आवाज़ दी,,,,,सोनिया,,,,,

मेरी आवाज़ सुनके वो वहीं रुक गई लेकिन मेरी तरफ पलटी नही,,,,,

मुझे लगता है तुमको कविता के घर चले जाना चाहिए,,,एक तो उसकी तबैयत का पता कर लेना और उसके साथ
उसके घर मे बैठकर स्टडी भी कर लेना,,,इसी मे सबका फ़ायदा है,,,यहाँ रहने पर किसी का भी नुकसान
हो सकता है,,,

वो वापिस नही पलटी बस ऐसे ही खड़ी रहके बोलने लगी,,,,,,मुझे कहीं नही जाना सन्नी,,,,यहीं रहना है इस
घर मे,,,इतना बोलकर वो उपर जाने लगी

मैने फिर से उसको आवाज़ दी लेकिन वो नही रुकी,,,और अपनी आँखों से आँसू पोन्छते हुए उपर की तरफ चली गई
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