Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-14-2019, 11:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
जब मैं आंटी के रूम मे पहुँचा तो आंटी ने जल्दी से फोन कट किया ऑर बेड पर रख दिया
ओर मेरी तरफ देख कर शरमाने लगी ऑर हल्की स्माइल देने लगी,,,,

उठ गये तुम बेटा,,,,आंटी ने बेड से उठते हुए मेरे करीब आते हुए पूछा,,,,

जी आंटी जी,,,,मैं तो कबका उठा गया ,,अब तो नहा धो कर फ्रेश भी हो गया,,,,कॉलेज जो जाने
का टाइम हो रहा है,,,,,

अभी आंटी मुझे देख कर शर्मा रही थी ,,स्माइल कर रही थी लेकिन मेरे कॉलेज जाने की बात
सुनके वो उदास हो गई ,,,,,,,,,,,,,,तुमको कॉलेज जाना है आज सन्नी,,वो बड़ी उदास होके बोली

जी आंटी जी,,,कुछ दिन बाद टेस्ट शुरू है तो तब तक कॉलेज जाना ही होगा,,,वैसे भी माँ ने आपको
बताया तो था कि गाओं जाने की वजह से मेरी बहुत छुट्टियाँ हो गई थी वर्ना मैं भी अब करण
के साथ घूमने चला जाता,,,,

ओह्ह हां बेटा मैं तो भूल ही गई थी सरिता दीदी ने बोला था,,,लेकिन क्या करू बेटा तू चला
जाएगा तो मैं घर मे बोर हो जाउन्गा,,,,,अकेले रहने को दिल नही करता मेरा,,,,,

जब करण जाता है तब भी आप घर मे अकेली ही होती हो आंटी जी तब बोर नही होती क्या,,,

बेटा तब तेरी शिखा दीदी होती है ना मेरे पास तो हम दोनो का बातें करके टाइम पास हो
जाता है,,,लेकिन अब तो वो भी नही है घर पे इसलिए बोल रही थी बेटा,,,,

दिल तो मेरा भी नही करता जाने का आंटी जी,,,दिल करता है बस घर बैठ कर वीडियोगेम खेलता
रहूं ऑर आपसे बातें करता रहूं लेकिन क्या करूँ मजबूरी है,,,,लेकिन आप फिकर मत करो
मैं 2 अवर्स मे वापिस आ जाउन्गा,,

इतना सुनकर आंटी खुश हो गई,,,,ठीक है बेटा ,,तो चल जल्दी से नाश्ता कर ले फिर कॉलेज जा ऑर
जल्दी वापिस आ फिर बैठ कर बातें करते है,,,तब तक मैं भी घर का काम कर लूँगी,,,,

आंटी जल्दी से रूम से बाहर जाने लगी ऑर जाते हुए अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाने लगी,,
मैं भी उनके पीछे पीछे डाइनिंग टेबल पर चला गया ऑर जाके चेयर पर बैठ गया,,,

आंटी किचन मे गई ऑर नाश्ता लेके आ गई,,,,फिर हम दोनो बैठ कर नाश्ता करने लगे


रात नींद कैसी आई बेटा,,आंटी ने हल्का शरमाते हुए पूछा,,,

जी बहुत अच्छी आंटी नींद आंटी जी,,अकेला सोता करण के रूम मे तो नींद ही नही आती लेकिन आपके
साथ सोया तो पता ही नही चला कब नींद आ गई,,,,,,,,वैसे मुझे तो नींद अच्छी आई थी लेकिन
आपको कोई प्रोबलम तो नही हुई मेरे वहाँ सोने से,,,,

कुछ खास प्रोबलम नही हुई बेटा,,,,बस तुम सोते टाइम स्नोरिंग बहुत करते हो,,,इतना बोलकर आंटी
हँसने लगी,,,

सॉरी आंटी जी ,,,,,,वो जब मैं गहरी नींद मे होता हूँ तो स्नोरिंग शुरू हो जाती है ,,कुछ पता
नही चलता ,,,,,लेकिन क्या मैं सिर्फ़ स्नोरिंग करता हूँ,,,,मेरा मतलब मेरे हाथ पैर तो नही
चल रहे थे क्यूकी माँ अक्सर बोलती है कि सोते टाइम मेरे हाथ पैर भी बहुत चलते है,,

काश तेरे हाथ पैर भी चलते ,,आंटी के हल्के से शरमाते हुए धीरे से बोला

क्या बोला आंटी जी,,,,,

कुछ नही बेटा,,,मैने बोला कि तेरे हाथ पैर नही चल रहे थे जस्ट स्नोरिंग चल रही थी
तेरी,,,,,

शूकर है आंटी जी,,,,,स्नोरिंग ही चल रही थी वर्ना हाथ पैर चलते तो आपका सोना मुश्किल हो
जाता ऑर आज रात मुझे करण के रूम मे सोना पड़ता,,,,,

ऐसे कैसे सोना पड़ता बेटा,,,ऑर तुम चाहे जितने मर्ज़ी हाथ पैर चला सकते हो सोते टाइम मुझे
कुछ प्रोबलम नही है,,,वो क्या है ना मेरी भी नींद बहुत गहरी होती है मुझे भी सोते टाइम
कुछ पता नही चलता,,,,,

अच्छा तो आपको मेरी स्नोरिंग का कैसे पता चला,,,,,,

वो तो मैं रात को पानी पीने के लिए उठी थी तब पता चला,,,पूरे रूम मे तेरी आवाज़ गूँज रही
थी,,,आंटी फिर हँसने लगी ऑर उनको देख कर मैं भी हँसने लगा,,तभी आंटी ने शरमा कर
अपने फेस को झुका लिया,,,,,ऑर उनके इस शरमाने वाले अंदाज़ ने मुझे पागल कर दिया,,,,


खैर ऐसे ही बातें होती रही ओर हम नाश्ता करते रहे फिर नाश्ता करके मैं कॉलेज चला
गया,,,,,


कॉलेज पहुँचा तो देखा कि आज कॉलेज मे ज़्यादा लोग नही थे कॉलेज खाली-खाली लग रहा
था ,,,मेरा भी दिल नही था कॉलेज आने का अब आ गया तो टाइम पास तो करना ही था इसलिए अपनी
फवर्ट जगह पर चला गया,,,,कॅंटीन मे,,,,

कॅंटीन मे गया तो वहाँ सुमित बैठा हुआ था,,मैं भी जाके उसके पास ही बैठ गया,,,आज
कॅंटीन भी खाली ही पड़ी थी ,,हम दोनो के अलावा 2-4 लोग ऑर थे वहाँ पर,,,,,

हेलो सन्नी भाई,,,,मैं सुमित के पास जाके बैठा तो उसने मुझे हेलो बोला ऑर मैने भी उसको
हेलो बोला ऑर उसके पास बैठ गया,,,,,

तू यहाँ क्या कर रहा है सुमित ,,,,

कुछ नही भाई बस बोर हो रहा था तो यहाँ आ गया,,,वैसे भी बाहर क्या करता,,कुछ दिन बाद
टेस्ट शुरू है इसलिए बहुत कम लोग आए है आज कॉलेज ऑर आगे भी कुछ दिन ऐसा ही होगा,,बोर होने
से बचना है तो कॅंटीन का सहारा ही लेना पड़ेगा,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगा ऑर हँसते हुआ
कॅंटीन के छोटू को आवाज़ लगा कर मेरे लिए कॉफी मंगवाने लगा,,,,
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07-14-2019, 11:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

कॅंटीन वाला 2 कप कॉफी लेके आया ऑर हम लोग कॉफी पीने लगे तभी मेरा ध्यान उसके हाथ
पर गया जिसपे प्लास्टर लगा हुआ था ऑर मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया,,,,

ये तेरे हाथ का प्लास्टर कब तक उतरेगा सुमित,,,,मैने ऐसे पूछा जैसे मैं उसकी बहुत फिकर
करता हूँ,,,ऑर फेस भी ऐसे कर लिया जैसे मुझे उसपे बहुत तरस आ रहा था,,,

भाई ये तो अभी रहेगा करीब 20-22 दिन तक,,,,वो बोलते टाइम थोड़ा उदास था

अरे तो उदास होके क्यू बोल रहा है 20-22 दिन तो अब यूँ गुजर जाने है,,,,

भाई मैं 20-22 दिन गुज़रने की बात पर उदास नही हुआ मैं तो इस बात से उदास हूँ कि अभी
तक उन लोगो के हाथ पैर सलामत है जिन लोगो ने मेरा ये हाल किया है,,,अपने बोला था कि जल्दी
ही उनसे बदले लेंगे लेकिन ,,,,

तो इसमे क्या बड़ी बात है ,,बदला तो हम आज ऑर अभी ले सकते है,,,तू बस एक बार बोल मुझे क्या
तू तैयार है बदले के लिए,,,,,

मेरी बात सुनके वो खुश हो गया,,,,मैं तो कब्से तैयार हूँ भाई ,,लेकिन इस टूटे हुए हाथ से
मैं क्या कर सकता हूँ,,,,

तू डरता क्यू है मैं हूँ ना तेरे साथ,,,,बस तू इतना बोल कि उन लोगो का सामना कर लेगा क्या

भाई अगर तुम साथ हो तो मुझे किसी का डर नही,,,,,,वो खुश होके ओर हल्के गुस्से से बोला,,खुश
तो वो मेरी वजह से था ऑर गुस्सा था उसको अमित ऑर सुरेश पर,,,,,

तो ठीक है तू रुक यहाँ मैं कुछ बंदोबस्त करता हूँ,,,,,,,

कैसा बंदोबस्त भाई,,,,????

अबे वो लोग 5-6 होंगे तू ऑर मैं क्या उन लोगो का सामना कर सकते है,,,,कारण भी यहाँ नही
है ,,इसलिए अपने कुछ दोस्तो को बुला के लाता हूँ फिर पंगा करते है मिलकर उन लोगो से,,,,

वो ओर लोगो के आने की बात सुनके खुश हो गया,,,,जल्दी बुलाओ अपने दोस्तो को भाई मेरे से अब
सबर नही होता,,,,सुमित की आँखें गुस्से मे लाल हो रही थी,,,

तभी मैं उठा ऑर कॅंटीन से बाहर आ गया ओर अपने फोन से सूरज भाई को फोन करके ख़ान
सर का नंबर लिया ओर फिर ख़ान सर को कॉल करने लगा

ख़ान सर से बात करके मैने फोन वापिस पॉकेट मे डाला ऑर कॅंटीन मे सुमित के पास चला गया,,,

क्या हुआ सन्नी भाई ,,आपके वो दोस्त आ रहे है या नही,,,,,सुमित ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,

हाँ सुमित भाई वो आ रहे है,,,,बस थोड़ी देर मे पहुँच जाएगे,,,,,

सुमित बड़ा खुश हो गया,,,,,आज तो सालों के हाथ पैर तोड़ दूँगा,,जितना उन लोगो ने मुझे मारा था
आज उस सब का हिसाब बराबर कर दूँगा,,,,


हाँ हाँ जितना तेरा दिल करे उतना मारना उन लोगो को लेकिन याद रखना कोई जान से नही मरने पाए,,,
वैसे उन लोगो को भी मैं समझा दिया है,,,,सिर्फ़ हाथ पैर ही तोड़ना बाकी कुछ नही,,,,

मैं ओर सुमित बातें करने लगे ,,,कुछ देर बाद मेरे सेल पे अन-नोन नंबर से कॉल आया ,,मैने
कॉल पिक की तो सामने वाले ने बोला कि उसको ख़ान सर ने भेजा है,,,उसने मुझे कॉलेज के गेट के पास
आने को बोला लेकिन मैने मना कर दिया ऑर उन लोगो को कॅंटीन मे आने को बोला,,,,

तभी कुछ देर बाद 8-10 लड़के कॅंटीन मे एंटर हुए,,जो दिखने मे गुंडे लग रहे थे,,,काला रंग
लंबा चौड़ा शरीर,,लेकिन उन लोगो ने अच्छे कपड़े पहने हुए थे ऑर साथ मे शोल्डर पर एक बॅग
भी लटकाया हुआ था जिसस से देखने वाले को ऐसा लगता कि वो लोग गुंडे नही बल्कि कॉलेज स्टूडेंट है

उनमे से एक लड़का जो सबसे आगे था उसने अपने सेल से कोई नंबर डाइयल किया ऑर तभी मेरे सेल की बेल
बजने लगी ऑर उस लड़के का ध्यान मेरी तरफ आ गया लेकिन वो मेरे करीब नही आया बल्कि एक बार
सिर हिला कर इशारा करके मेरे पीछे वाले टेबल पर बैठ गया,,,,


अरे भाई कहाँ है वो लोग इतना टाइम हो गया अभी तक आए क्यू नही,,,,

वो लोग आ गये है सुमित,,,,ऑर अभी उन्ही की कॉल आई थी,,,वो लोग अपने कॉलेज मे है अभी,,,बस तुझे उनके
पास नही जाना ऑर ना ही वो लोग हमारे पास आने वाले है,,,,बस तू जाके अमित ऑर सुरेश से पंगा शुरू
कर ऑर तभी वो लोग तेरे पास आ जाएँगे,,,,


कहाँ है वो लोग सन्नी,,,सुमित ने खुश होके पूछा,,,,,

वो यहीं है ,,,,हम लोगो के करीब ,,,बस तू अब जाके अमित से पंगा शुरू कर्दे,,,,

तभी सुमित जल्दी से उठा ऑर किसी हीरो की तरह चलता हुआ बिना किसी डर से अमित से पंगा करने चला
ऑर उसके पीछे पीछे मैं चला गया,,,,,ऑर मेरे से करीब 20-30 फीट की दूरी पर वो लोग भी मेरे पीछे
आ गये जिनको ख़ान सर ने भेजा था,,,,

हम लोग कॅंटीन से कॉलेज पार्क की तरफ गये क्यूकी अमित ऑर उसके चम्चे अक्सर वहीं बैठ कर मस्ती
करते थे ऑर सिगरेट पीते थे,,,,वैसे कॉलेज मे सिगरेट कोई नही पी सकता था लेकिन उन लोगो पर कोई
रोक-टोक नही थी,,,,पार्क मे अमित नही था लेकिन सुरेश ऑर बाकी लोग थे,,,,

सुमित थोड़ा उदास हो गया क्यूकी अमित नही था ,,उसको अमित पर ही सबसे ज़्यादा गुस्सा था,,,

उदास मत हो सुमित भाई,,,अमित नही तो क्या हुआ ये लोग तो है,, इन्ही लोगो ने तुझे पकड़ा हुआ था जब
अमित तेरे को मार रहा था,,,अभी इनकी बरी है अमित का नंबर किसी ऑर दिन लगा देंगे,,,,,अब तू जाके
पंगा शुरू कर ऑर जब मैं तुझे इशारा करूँ तो जल्दी से वहाँ से भाग कर मेरे पास आ जाना,,


अरे भाई आप मेरे साथ नही चलोगे क्या,,,वो थोड़ा डर कर बोल रहा था

नही मैं तेरे साथ नही जाउन्गा,,मेरी एक इज़्ज़त है कॉलेज मे ,,,सब लोग मुझे जानते है,,,ऑर अगर मैने
कोई पंगा किया तो मेरा बाप मुझे जान से मार देगा,,,मैं पंगे मे तेरे साथ हूँ लेकिन मैं
फाइट नही करूँगा,,,इसलिए तो कुछ दोस्तो को साथ लेके आया हूँ,,,,

ठीक है भाई जैसे आपकी मर्ज़ी लेकिन मैं भाग कर आपके पास क्यू आ जाऊ ,,,,मुझे तो उन लोगो को
मारना है,,,,

अबे तू उनको जितना मर्ज़ी मारना लेकिन जब मैं इशारा करूँ तो जल्दी से कॉलेज के गेट की तरफ चले
जाना,,,,,,


उसने हां मे सर हिलाया ऑर डरते हुए सुरेश ऑर उसके दोस्तो एक पास जाने लगा,,,मैं समझ गया था
कि वो अकेले जाने से डर रहा है तभी मैने उसको उनलोगो की तरफ इशारा किया जो लोग ख़ान सिर के कहने
पर आए थे,,,,,उन लोगो को देख कर सुमित खुश हो गया ऑर फिर से हीरो वाले स्टाइल मे उनलोगो के करीब
जाने लगा,,,,

मैं वहाँ से काफ़ी दूर खड़ा हुआ था ताकि किसी को पता नही चले कि मैं भी इस फाइट का हिस्सा हूँ,,

जैसे ही सुमित ने पंगा शुरू किया तभी सुरेश ऑर उसके दोस्तो सुमित को पकड़ लिया ऑर मैने भी जल्दी से
उन लोगो को इशारा किया ऑर जाके सुमित एक हेल्प करने को बोला,,,

उन लोगो ने सुमित के पास जाके सुमित को सुरेश ऑर बाकी लोगो से अलग करके साइड कर दिया ऑर फिर सुरेश
ऑर उसके दोस्तो को बुरी तारह से पीटना शुरू कर दिया,,,,,ये फाइट सीन देख कर मुझे आक्षन मूवीस
की याद आ गई ,,वो लोग फाइट मे बहुत ज़्यादा एक्षपरट थे क्यूकी वो लोग पक्के गुंडे थे,,उन लोगो ने
10 मिनट मे ही सुरेश ऑर उसके दोस्तो को इतना मारा कि शायद उन लोगो के हाथ पैर टूट गये थे,,
कॉलेज मे वैसे तो ज़्यादा रश नही था लेकिन फाइट होते देख लोग इकट्ठा होने लगे तभी मैने
उन लोगो को वहाँ से भागने का इशारा किया ऑर वो लोग भाग कर कॉलेज से बाहर चले गये ,,ऑर तभी
मैने सुमित को इशारा किया ऑर वो भी भाग कर कॉलेज से बाहर की तरफ चला गया,,,,,कुछ ही देर मे
कॉलेज के टीचर्स ऑर प्रिन्सिपल वहाँ पर आ गये ऑर उन लोगो से जल्दी से पोलीस को फोन किया ऑर साथ
ही आंब्युलेन्स को,,

इतने मे मैं भी वहाँ से चलके कॉलेज से बाहर आया ऑर कॉलेज के साथ वाली गली मे चला गया जहाँ
सुमित ऑर बाकी लोग मेरा वेट कर रहे थे,,,,,

सुमित बड़ा खुश था लेकिन बाकी लोग नॉर्मल थे,,उन लोगो के लिए ये कोई बड़ी बात नही थी,,उन लोगो
का तो ये रोज का काम था,,,,,
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07-14-2019, 11:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
ऐसा कर अब तू इन्ही लोगो के साथ चला जा ,,ऑर कुछ दिन तक वहीं छुपके रहना,,,कॉलेज के आस-पास
भी नज़र नही आना वर्ना सुरेश के बाप ने तेरा जीना मुश्किल कर देना है,,,,ऑर साथ ही अमित ने भी

सुरेश एक बाप का नाम सुनके ऑर अमित के बारे मे सुनके सुमित डर गया,,,,,

लेकिन भाई मैं रहूँगा कहाँ,,,,वो डर के बोल रहा था,,,,

तू इसकी टेन्षन मत ले ,,,बस इन लोगो के साथ चला जा ऑर कुछ दिन वहीं चुपके रहना ,,जब तक ये मामला
कुछ ठंडा नही हो जाता,,,,

लेकिन भाई आप क्या करोगे,,,,अब भी कहीं छुपने वाले हो क्या,,,,

अबे में क्यू छुपने लगा,,,मैने कॉन्सा कुछ किया ,,मैं तो फाइट वाली जगह से भी काफ़ी दूर था
अब ज़्यादा बातें नही कर ऑर जा इन लोगो के साथ,,,ये तेरा पूरा ख्याल रखेंगे,,,,

सुमित उन लोगो के साथ चला गया ऑर मैं वापिस कॉलेज मे आ गया,,,,

ये सब मेरा ऑर ख़ान सर का प्लान था,,,हम ऐसा ही चाहते थे,,,सुमित उन लोगो से पंगा करे ऑर कुछ
दिन के लिए कहीं गायब हो जाए,,क्यूकी अगर वो अमित या सुरेश एक बाप एक हाथ लग जाता तो वो लोग उसकी
जान ले लेते,,,,लेकिन हम लोगो के प्लान के लिए अभी सुमित का ज़िंदा रहना ज़रूरी था,,,

कॉलेज मे वापिस गया तो देखा कि फाइट वाली जगह पर बहुत खून गिरा हुआ था सारी जगह खून से लाल
हो गई थी,,,उन लोगो ने बहुत बुरी तरह मारा था सुरेश ऑर उसके दोस्तो को,,कॉलेज का कोई भी स्टूडेंट
उन लोगो की हेल्प करने के लिए आगे नही आया,,,प्रिन्सिपल चिल्लाता रहा लेकिन कोई आगे नही आया,,क्यूकी सारा
कॉलेज चाहता था कि वो लोग मर जाए,,,,

तभी कुछ देर मे 2-3 आंब्युलेन्स वहाँ आ गई ऑर साथ मे पोलीस की कुछ गाड़ियाँ ऑर उन लोगो के साथ
8-10 गाड़ियाँ आई रेड-लाइट वाली,,,,हो ना हो ये सुरेश ऑर अमित के बाप की गाड़ियाँ थी,,,जो पोलीस को अपने
साथ लेके आया था,,,

गाड़ियों मे से कुछ लोग निकल कर सुरेश ऑर बाकी ज़ख्मी लोगो की तरफ भागे ऑर उनको आंब्युलेन्स मे
पहुँचाने लगे,,,मैं भी जल्दी से आगे हो गया ऑर उन लोगो की हेल्प करने लगा,,उन लोगो मे से सब के सब
बेहोश थे ,,किसी को भी होश नही था,,,,

उन लोगो को आंब्युलेन्स मे डालके वो आंब्युलेन्स वहाँ से चली गई जबकि रेड-लाइट वाली कार से एक मोटा
सा बंदा उतरा था जिसने प्रिन्सिपल को उसकी गर्दन से पकड़ा ऑर साइड पर ले गया,,,ऑर गुस्से मे उस से बात
करने लगा ऑर कुछ देर बाद वहाँ से अपनी रेड-लाइट वाली कार मे बैठ कर वहाँ से चला गया ऑर साथ
मे बाकी की गाड़ियाँ ऑर पुलिस की गाड़ियाँ भी चली गई,,,,

हो ना हो वो आदमी सुरेश का बाप था जो प्रिन्सिपल को गर्दन से पकड़ कर बात कर रहा था,,क्यूकी वो
बहुत गुस्से मे था उसके गुस्से से प्रिन्सिपल भी डर गया था,,प्रिन्सिपल की हालत देख कर हँसी आ रही
थी,,ना सिर्फ़ मुझे बल्कि सारे कॉलेज को भी,,,,ऑर प्रिन्सिपल को गुस्सा था सारे कॉलेज पर क्यूकी उसके बुलाने
पर भी कोई उनकी हेल्प करने नही आया था,,,

प्रिन्सिपल गुस्से से सबकी तरफ देखता हुआ ऑर माथे से डर की वजह से आया पसीना सॉफ करता हुआ
वहाँ से अपने ऑफीस की तरफ चला गया,,,,


कुछ देर बाद भीड़ भी अपने अपने रास्ते चली गई ऑर मैं खुश होता हुआ बाइक लेके कॉलेज से
निकल गया,,,,,मैं बहुत खुश था क्यूकी मेरा प्लान काम कर रहा था,,,,,
मैं बाइक चलाता खुशी खुशी से करण के घर की तरफ जाने लगा,,,,मैं आज बहुत खुश था क्यूकी
मेरी दिली तमन्ना थी सुरेश ऑर उसके दोस्तो को मारना,,हालाकी मैने अपने हाथों से नही मारा उन लोगो
को लेकिन उस सब के पीछे मेरा ही हाथ था,,,,,,आज मुझे मेरा प्लान कामयाब होता नज़र आ रहा था,,
क्यूकी आज मैं अपने प्लान के एक कदम करीब पहुँच गया था,,,,मैं बहुत ज़्यादा खुश था लेकिन
करण एक घर पहुँच कर मेरी खुशी डबल हो गई,,,क्यूकी मेरे बेल बजाने पर अलका आंटी ने गेट
खोला था ऑर वो पूरी तरह से पानी से भीगी हुई थी,,,उनका पतला सा सूट पूरा भीग कर उनकी बॉडी से
चिपका हुआ था,,,ऑर उनकी बॉडी के तो क्या कहने ,,,,बड़े बड़े बूब्स डीप कट सूट से तो बाहर निकले हुए
थे लेकिन भीगे हुए सूट की वजह से अब पूरे के पूरे बूब्स नज़र आ रहे थे,,,मैने आंटी की
तरफ देखा तो बस देखता ही रह गया,,,,आंटी को भी पता था मैं क्या देख रहा हूँ इसलिए वो अपने
बूब्स को कवर करने की जगह अपने सूट को अड्जस्ट करके मुझे ऑर भी ज़्यादा अपने बूब्स दिखाने लगी



मैं तो एक दम से खो सा गया था आंटी के बूब्स मे ,,

अब सारा दिन यहीं गेट पर खड़े रहना है क्या सन्नी बेटा,,अंदर नही आना क्या,,,

मेरा ध्यान एक दम से आंटी के फेस की तरफ गया और वो शरमाते हुए मुझे अंदर आने का बोलने लगी
मेरा भी शरम से फेस हल्का लाल हो गया ऑर मैं जल्दी से अंदर चला गया,,,,,मेरे पीछे पीछे आंटी
भी गेट बंद करके अंदर आ गई,,,,

आंटी जी आप इतना भीगी क्यू हुई हो,,,

कुछ नही बेटा,,,आज काम वाली नही आई ऑर उपर से वॉशिंग मशीन भी खराब हो गई,,,सारे कपड़े
हाथ से धोने पड़ रहे है मुझे,,इतना बोलते टाइम भी आंटी अपने डीप कट सूट की कमीज़ को खींच
कर नीचे कर रही थी ताकि उनकी कमीज़ ऑर नीचे हो जाए ऑर मुझे ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स के दर्शन
हो जाए,,,लेकिन मुझे तो उनके सारे के सारे बूब्स वैसे ही नज़र आ रहे थे,,,क्यूकी आंटी का सूट तो
भीगा ही हुआ था साथ मे ब्रा भी भीग गई थी,,,,मुझे उनके बड़े बूब्स नंगे ही लग रहे थे कपड़ो
के होने के बावजूद,,,आंटी सूट को नीचे खींच खींच कर अपने ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स दिखा तो
रही थी लेकिन ऐसी हरकत करते हुए आंटी बहुत ज़्यादा डर रही थी शरमा रही थी शरम से उनके गाल
लाल हो गये थे ,,,,मुझे पता था वो ऐसा इसलिए कर रही है क्यूकी चूत की आग ने उनको मजबूर कर
दिया है ऑर बाकी का काम मेरी माँ ने किया है,,,,,,,

कुछ चाहिए तो बता दे बेटा ,,,फिर मुझे कपड़े धोने है,,,

मैने दिल ही दिल मे बोला कि चाहिए तो बहुत कुछ लेकिन अभी थोड़ा इंतेज़ार करते है,,क्यूकी इंतेज़ार का भी अपना
ही अलग मज़ा होता है,,,,,,,,,जी नही आंटी जी मुझे कुछ नही चाहिए आप अपना काम कर लीजिए,,ऑर अगर
आपको मेरी कोई हेल्प चाहिए तो बता दीजिए,,,,,

अरे कैसी बात करता है,,अब तेरे से कपड़े थोड़ी धुल्वाउँगा मैं,,,आंटी ने हँसते हुए बोला ऑर अपने
सूट की अड्जस्ट करने लगी,,,,,,,,,,,,तो ठीक है बेटा अगर कुछ खाने को दिल किया तो बता देना,,,अब मैं चली
बहुत काम है मुझे,,,,,इतना बोलकर आंटी अपनी मोटी गान्ड मटकाती हुई वहाँ से बाथरूम की तरफ
चली गई ऑर मैं उनके पीछे से उनकी गान्ड को देख कर लंड मसलता रह गया,,,,,

फिर मैं करण के रूम मे गया ऑर जाके कपड़े चेंज करके आराम से लेट गया लेकिन आराम कहाँ था
मुझे ऑर वैसे भी इस उमर मे आराम हराम होता है,,,,,,आंटी के भीगे हुए बदन ने एक आग लगा दी
थी पूरे जिस्म मे ,,,,पल पल उनके बड़े बड़े बूब्स नज़रो के सामने आ रहे थे,,,,खुद पर क़ाबू करना
मुश्किल हो गया था,,,,मैं जल्दी से बेड से उठा ओर आंटी के पास बाथरूम मे चला गया,,,

अंदर जाके देखा तो आंटी ज़मीन पर टाँगे खोल कर बैठी हुई थी ऑर आराम से कपड़े धो रही थी
उनको ये भी नही पता था कि मैं वहाँ आ गया हूँ ऑर मैं इसी बात का फ़ायदा उठा कर उनके बूब्स के
दर्शन करने लगा जो अब भी पूरे के पूरे नंगे नज़र आ रहे थे,,,तभी मेरा हाथ दरवाजे पर
लगा ओर आंटी का ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,

अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो,,आंटी ने अपने सूट को ठीक करते हुए हल्के से मुस्कुरा कर पूछा,,,

कुछ नही आंटी जी,,,,आराम करने को दिल नही किया तो सोचा क्यू ना आपकी हेल्प कर दूं कपड़े धोने मे,,
इतना बोलकर मैं भी ज़मीन पर बैठने लगा,,,,,

नही नही बेटा ,,तुम तो मेहमान हो ऑर महमानों से घर के काम थोड़ी करवाए जाते है,,,,

ये क्या आंटी जी,,पहले मुझे करण के जैसे अपना बेटा बोलती हो ओर कभी मुझे मेहमान बना देती हो,,
मैं क्या मेहमान हूँ इस घर मे,,,मैं हल्के नखरे से गुस्सा करते हुए बोला,,,,

नही बेटा तू मेहमान नही तू तो मेरा बेटा है,,लेकिन तेरे से काम करवाते मुझे अच्छा नही लगता,,,,

काम नही करूँ तो क्या करूँ,,,,आराम करने को दिल नही कर रहा था मेरा,,ऑर कुछ करने के लिए है नही
मेरे पास,,,,तो मैं आपके साथ कपड़े धोने मे आपकी हेल्प करूँगा,,,,

नही कपड़े धोने मे नही तू बस यही खड़ा रह मैं कपड़े खुद धो लूँगी,,,,,

तो मैं क्या करूँगा आंटी जी,,,,,

तुम यहीं खड़े रहो ऑर जब कपड़े धूल जाए तो तुम मेरी हेल्प करना कपड़े निचोड़ने मे,,,

ठीक है आंटी जी,,,,,,,
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07-14-2019, 11:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
फिर आंटी कपड़े धोने लगी ऑर मैं वहीं खड़ा उनके बूब्स के ज़ी भरके दर्शन करने लगा
उनको भी पता था मैं क्या देख रहा हूँ इसलिए वो मेरी तरफ ज़्यादा ध्यान नही दे रही थी क्यूकी
उनको पता था कि अगर वो मेरी तरफ ध्यान करेंगी तो मैं अपना ध्यान उनके बूब्स से हटा लूँगा ऑर
वो ऐसा नही चाहती थी,,वो तो ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स दिखाना चाहती थी मुझे ताकि मैं गर्म होता रहूं
लेकिन उनको क्या पता मेरा जिस्म ज्वालामुखी की तरफ खौलने लगा था,,,,बस चलता तो अपनी उनकी चूत मे
गर्म गर्म लावा भर देता,,,,,

अभी बस थोड़े से कपड़े ही बाकी थे जो आंटी ने 10-15 मिनट मे धो लिए ऑर इतने टाइम मैने ज़ी
भरके उनके बूब्स के दर्शन भी कर लिए,,,ज़ी तो नही भरा था लेकिन इतना टाइम काफ़ी था ,,,फिर मैं आंटी
के साथ मिलकर कपड़े निचोड़ने लगा,,,,एक तरफ से आंटी कपड़ा पकड़ती ऑर एक तरफ से मैं ऑर दोनो अपना
ज़ोर लगा कर कपड़े निचोड़ने लगे,,,,आंटी जब भी ज़ोर लगाती तो हल्का सा नीचे झुक जाती ऑर मेरा ध्यान उनके
बूब्स पर चला जाता तो वो बस शर्माके रह जाती,,,,,,,

अच्छा बेटा अब तू ज़रा ये कपड़े उपर छत पे रखके आजा मैं अभी आई 2 मिनट मे,,,,,

मैने कपड़ों वाली टोकरी उठाई ऑर उपर छत की तरफ जाने लगा,,,,जैसे मैं सीडियों के पास से गुजरने
लगा मेरा ध्यान गया सीडियों के नीचे की जगह पर जहाँ वॉशिंग मशीन पड़ी हुई थी,,मैने हल्के से
कपड़ो वाली टोकरी को नीचे रखा ऑर मशीन का प्लग लगा कर देखा तो मशीन चल रही थी,,,,,मैं समझ
गया कि ये आंटी की चाल थी हाथ से कपड़े धोने की,,,,,

मैं कपड़े लेके उपर छत पे चला गया कुछ देर बाद आंटी भी उपर आ गई,,,सूट अभी तक गीला था
उनका ऑर बूब्स भी पूरे नंगे ही थे लगभग,,,,,,मैं ऑर आंटी मिलकर कपड़े तार पर डालने लगे ऑर
फिर नीचे आ गये,,,,नीचे आते टाइम भी आंटी मेरे आगे चल रही थी ऑर मैं पीछे से उनकी गान्ड को
देखता हुआ उनके पीछे पीछे ऐसे चल रहा था जैसे कुत्ता हड्डी को देख कर चलता है,,,,

बेटा अब मैं नहा लेती हूँ बाद मे तेरे कुछ खाने को बना दूँगी,,,,,अगर अभी भूख लगी है
तो बता दे,,,,

नही आंटी जी मैं ठीक हूँ,आप पहले नहा लो,,,,,,,

आंटी अपने रूम मे चली गई ऑर फिर कुछ कपड़े लेके बाथरूम मे ,,,,मैं पहले तो बाहर खड़ा रहा
फिर कुछ देर बाद मैं आंटी के रूम मे चला गया ऑर बाथरूम से अंदर देखने की कोशिश करने
लगा ,,,लेकिन तभी बाहर बेल बजी ओर मैं बाहर आ गया,,,,,बाहर आके गेट खोला तो सामने एक औरत
खड़ी हुई थी,,,,,,,

जी बोलिए,क्या चाहिए आपको,,,,,,,,,,

आप कॉन हो,,,ऑर अलका मेम्साब कहाँ है,,,,,

मैं मेहमान हूँ ,लेकिन आप कॉन हो ये बताओ,,,,,

जी मैं इस घर मे काम करती हूँ,,,,,,,मैं अपने घर की चाबी यहीं भूल गई,,,

तुम आज काम करने आई थी क्या,,,मैने उस से सवाल किया ,,,,,

हाँ साहब आई थी लेकिन म्मेसाहब ने बोला कि मेहमान आने वाले है घर पे इसलिए आज जल्दी काम करो
ऑर जाओ ,,, मुझे 2-3 दिन काम पर आने को भी मना किया है,,,वो बस हल्का सा झाड़ू पोच्छा करवाया था
कपड़े धोने को बोला तो बोली कि आज कपड़े नही है धोने को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,साहब क्या आप वहीं
मेहमान हो जो आने वाले थे,,,,,,

हाँ मैं वहीं हूँ,,,,,,,अब अपने घर की चाबी लो ऑर जाओ,,,,,,,,,,,,,वो जल्दी से घर के अंदर आई ऑर कुछ
देर मे चाबी लेके वहाँ से चली गई,,,,

अब मैं सब समझ गया,,,,,,आंटी का प्लान क्या था,,,,शायद ये सब भी मेरी माँ ने भी सिखाया होगा
आंटी को,,वर्ना आंटी मे इतनी हिम्मत कहाँ,,,,,

मैं गेट बंद करके अंदर आया ऑर वापिस आंटी एक रूम मे जाके उनको बाथरूम मे नहाते देखने लगा
लेकिन तभी बाहर टेबल पर रखा हुआ मेरा फोन बजने लगा,,,

मैने बाहर जाके फोन उठाया ऑर बात करने लगा,,ये फोन मेरी माँ का था,,,

हेलो माँ,,,,,,,

हेलो सन्नी बेटा,,,क्या हो रहा है,,कपड़े धोते हुए आंटी के बूब्स देख रहा है क्या,,,,इतना बोलकर
माँ हँसने लगी,,,,

माँ आपको तो सब पता ही है फिर क्यू पूछ रही हो,,,,आख़िर सब आपकी कृपा से हो रहा है,,,,सब आपका
प्लान है,,,,,

सही बोला बेटा ,,अब उसको तो प्लान बता दिया अब तेरी बारी है,,ध्यान से मेरी बात सुन,,,जैसा मैं कहती हूँ
वैसा ही करना,,,फिर माँ बोलने लगी ऑर मैं उनकी बात सुनने लगा,,जब तक आंटी नहा कर नही निकली तब
तक मेरी ऑर माँ की बात होती रही,,,,,

कुछ देर बाद आंटी नहा कर निकली ऑर मेरे पास आ गई,,तब तक मैं निक्केर टी-शर्ट मे सोफे पर ही बैठा
हुआ था,,,,,,,,,,,,,,,,

अब भूख लगी है या नही सन्नी बेटा,,,,,आंटी अपने गीले बलों को टवल से सॉफ करती हुई बोली,,उनका
मेरी तरफ देखने का नज़रिया बिल्कुल अलग हो गया था,,,वो नज़रो ही नज़रो मे मुझे खाने की कोशिश कर
रही थी,,,ऑर मैं भी तो ऐसे ही देखता था उनकी तरफ,,,ये बात उनको भी पता थी,,,,

जी आंटी भूख तो लगी है ,,

तो बोलो क्या खाना है अभी बना देती हूँ,,,,,

जो मर्ज़ी बना दीजिए आंटी जी,,,

ठीक है तुम रूको मैं अभी दाल चावल बना देती हूँ ,,,,दाल चावल अच्छे लगते है या कुछ ऑर बना
दूं,,,,,,,

नही आंटी जी मुझे दाल चावल बहुत अच्छे लगते है आप वही बना दीजिए,,,,

फिर आंटी ने दाल चावल तैयार करने चली गई ऑर मैं बाथरूम मे जाके नहा धो कर फ्रेश हो गया

कुछ देर बाद मैने ऑर आंटी ने लंच कर लिया ऑर मैं करण के रूम मे आके लेट गया तभी कुछ देर
बाद माँ का फोन आया ऑर मैं उठकर आंटी के रूम मे चला गया,,,

मैं जब आंटी के रूम मे गया तो आंटी बेड पर लेट कर टीवी देख रही थी,,,,,

आंटी जी क्या मैं अंदर आ सकता हूँ मैने दरवाजे पर नॉक करके पूछा,,,,

हाँ हाँ बेटा आओ अंदर ,,इसमे पूछने की क्या बात है,,,,

आंटी जी आपको मेरे से कोई काम तो नही,,,,

नही बेटा,,,,क्यू ऐसा क्यू पूछा तुमने,,,,,

जी मैं कुछ देर आराम करने लगा था,,बहुत थक गया हूँ आज,,,,सोचा आराम करने से पहले पूछ
लूँ कहीं आपको कुछ चाहिए तो नही,,,या मेरे से कोई काम तो नही,,,,

नही बेटा मुझे कोई काम नही तुम जाके आराम कर सकते हो,,,,

ओके आंटी जी,,,,,लेकिन जब तक मैं खुद ना उठ जाऊ मुझे डिस्टर्ब नही करना प्लज़्ज़्ज़,,,

आंटी ने हंस कर एक नज़र मेरे जिस्म को उपर से नीचे तक देखा ऑर इसी बीच आंटी की नज़रे कुछ पल के
लिए मेरे लंड पर टिक गई,,,,ओके बेटा मैं डिस्टर्ब नही करूँगी तुम जाके जो दिल करे वो करो,,,,

क्या बोला आंटी जी मैं कुछ समझा नही,,,,,,,,

मेरा मतलब था बेटा तुम जाके आराम करो मैं डिस्टर्ब नही करूँगी,,,,,

मैं वापिस रूम से निकल कर करण के रूम मे आ गया ऑर आके रूम को अंदर से लॉक कर लिया,,फिर लॅपटॉप
निकाल कर बेड पर रखा ऑर पॉर्न मूवी प्ले करदी,,फिर मैं रूम के दरवाजे के पास जाके कीहोल से
बाहर देखा तो आंटी जी हल्के कदमो से इसी तरफ आ रही थी,,,मैने जल्दी से अपनी निक्कर उतार दी ऑर नीचे
का हिस्सा नंगा करके एक चेयर को बेड के पास रखा ऑर लॅपटॉप को अपनी तरफ करके चेयर पर बैठ गया ऑर
पॉर्न मूवी देखता हुआ अपने लंड को सहलाने लगा,,,,मैं चेयर पर इसलिए बैठा था ताकि आंटी को मेरा
मूसल सॉफ नज़र आए ऑर बेड पर पड़ा हुआ लॅपटॉप भी जिसमे पॉर्न मूवी चल रही थी,,,मैने जान भूज
कर मूवीस भी वही प्ले की थी जिसमे एक 20 साल का लड़का एक 40-45 साल की औरत की चुदाई करने लगा
था ऑर मूवी का नाम था (माइ फ्रेंड'स हॉट मोम),,,,,,,ये सब मेरी माँ का प्लान था,,,,माँ ने आंटी को भी
ये बता दिया था कि जब मैं आराम करने के लिए रूम मे जाता हूँ ऑर किसी को डिस्टर्ब नही करके को बोल
जाता हूँ तो मैं आराम से अपने रूम मे बैठ कर मूठ मारता हूँ,,,,इसलिए मेरे करण के रूम मे
आने के कुछ देर बाद ही अलका आंटी रूम के दरवाजे पर आ गई थी,,,,

मैं मूवी देखने लगा ऑर पास मे पड़ी एक आयिल की शीशी से लंड पर आयिल लगा कर हल्की हल्की मालिश करने
लगा,,,,वैसे यही मेरा तरीका भी है मैं भी पॉर्न मूवी देखता हुआ लंड की कम से कम 1 अवर तक
मालिश करता हूँ ऑर मूवी ख़तम होने के बाद ही पानी निकालता हूँ,,,,,,,,,,

मैं अंदर मूठ मारते हुए लंड की मालिश कर रहा था ऑर पक्का था मेरा मूसल देख कर आंटी भी
बाहर खड़ी अपनी चूत मे उंगली कर रही होगी,,,,


वो मूवी करीब 48 मिनट्स की थी ऑर इतनी देर तक मैं अपने लंड की मालिश करता रहा ऑर आंटी बाहर
खड़ी मुझे देखती रही,,मूवी ख़तम होने के बाद जब मेरे हाथ की स्पीड तेज हुई ऑर मेरा पानी
निकलने वाला हो गया तो मैं तेज़ी से अपना हाथ चलता हुआ अलका आंटी का नाम लेने लगा,,,,आहह
आंटीयी ज्जििीइ आहह अल्लका औउन्न्त्तयययययी ,,,आंटी का नाम लेते हुए मेरे लंड ने पानी की
पिचकारी मारना शुरू कर दिया ऑर जब तक लंड से पानी निकलता रहा मैं अलका आंटी का नाम लेता रहा,,,

बाहर खड़ी आंटी पक्का मेरी इस हरकत से हैरान हो गई होगी लेकिन ऐसा करके मैं आंटी के एक कदम
करीब चला गया था,,,,,

जब मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैं लॅपटॉप बंद किया ऑर अपने लंड को अच्छी तरफ सॉफ किया फिर ज़मीन
पर गिरा हुआ स्पर्म सॉफ करके बेड पर निढाल होके लेट गया,,,,मेरे लेट जाने के बाद आंटी शायद
वहाँ से चली गई थी इसलिए मैने भी हल्के से अपने रूम का दरवाजा खोला ऑर आंटी के रूम के पास
चला गया ऑर मेरा शक सही निकला आंटी भी अपने बेड पर लेट कर अपनी चूत मे उंगली करने लगी हुई थी
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था आंटी को देख देख कर लेकिन मैं ज़्यादा देर तक नही देख सका क्यूकी
आंटी बहुत जल्दी झड गई थी ,,वैसे भी आंटी ने मेरे रूम के बाहर खड़ी होके चूत मे बहुत उंगली की
थी ऑर बेड पर आके लेटते ही उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था,,,,आंटी के फेस पर राहत नही बल्कि
एक बेचैनी थी ,,जबकि चूत से पानी निकलने के बाद तो उनको राहत महसूस होनी चाहिए थी लेकिन वो
मेरी उस हरकत पर इतना हैरान थी जो मैने करण के रूम मे की थी ,,,लंड से पानी निकलते टाइम उनका नाम
लेके,,,,आंटी शायद बहुत परेशन थी मेरी उस हरकत से,,लेकिन मैं बहुत खुश था अपनी इस हरकत से,,

Reply
07-14-2019, 11:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने एक आग लगा दी थी आंटी के दिल मे जो बहुत ज़्यादा भड़कने लगी थी,,,,अब मुझे रात होने का इंतजार
था बस,,देखना था कि अब रात को क्या होता है,,,,
लंच टाइम से लेके डिन्नर टाइम तक मैं सोता रहा,,क्यूकी एक आग लगा दी थी मैने अलका आंटी की चूत मे
मूठ मारते टाइम उनका नाम लेके,,,,उन्होने कभी ऐसा नही सोचा होगा कि मैं उनके नाम की मूठ मार
सकता हूँ,,,वो खुश तो बहुत होंगी लेकिन उस से कहीं ज़्यादा वो बेचैन होंगी,,,,,उनकी खुशी का या
उनकी बेचैनी का रात को ही पता लगना था इसलिए मैं डिन्नर टाइम तक सोता रहा,,,,एक वजह ऑर थी मैं
थोड़ा डर भी गया था आंटी पता नही मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी,,मैं उनकी नज़रो का सामना
कर भी पाउन्गा या नही ,,इसी बात से डरते डरते मैं सो गया ऑर रात होने का वेट करने लगा,,वैसे भी पता
नही रात को नींद आनी भी थी या नही,,,,,,इसलिए दिन मे ही नींद पूरी करली थी मैने,,,,मैं आज मूठ मारते
हुए अलका आंटी का नाम नही लेना चाहता था क्यूकी मैं जल्दबाज़ी नही करना चाहता था लेकिन 2-3 दिन मे
बुआ वापिस आ रही थी तो करण का बुटीक पर रहना मुश्किल हो जाता इसलिए टाइम की कमी होने की वजह
से माँ ने भी थोड़ी जल्दी करने को बोल दिया था मुझे,,,लेकिन इतनी जल्दी भी नही ,,वैसे मैं भी इतनी जल्दी
नही करना चाहता था क्यूकी मैं एक कदम रखने के बाद ही दूसरा पैर उठाना चाहता था ,,एक साथ दो
कदम उठाने वाला इंसान अक्सर मूह के बल गिरता है,,,,,


डिन्नर टाइम तक मन उठकर फ्रेश होके रूम से बाहर निकल आया,,,,,ऑर बाहर निकल कर तो मैं दंग ही
रह गया,,,,,आंटी किचन मे नाइटी पहन कर खाना बना रही थी,,,,,मैं उनके पास नही गया ,,दिल तो
कर रहा था जाके उनके बूब्स देखने के लिए लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था,,,,पता नही क्या होगा अब

मैं बाहर सोफे पर बैठ गया ऑर टीवी देखने लगा ,,जैसे ही टीवी ऑन किया तो टीवी की आवाज़ सुनके आंटी किचन से
बाहर आ गई,,,,,

उठा गया सन्नी बेटा,,,,आंटी की आवाज़ सुनके मेरा ध्यान टीवी से हटकर किचन की तरफ गया जहाँ आंटी
किचन के दरवाजे के पास खड़ी हुई थी,,,मैने आंटी की तरफ देखा तो आज आंटी की आँखों मे कुछ
ज़्यादा ही मस्ती भरी हुई थी,,,,वो बड़ी नज़ाकत से शरमा कर मुझे देख रही थी,,,

जी आंटी जी,,,,बहुत थक गया था इसलिए इतनी देर तक सोता रहा,,,,

थकना तो था ही तूने बेटा,,इतनी मेहनत जो करता है,,,,आंटी एक शरारती अंदाज मे बोली थी,,,,

क्या करूँ आंटी जी उमर ही ऐसी है ,,,इस उमर मे मेहनत नही करूँगा तो कब करूँगा,,,,,

ये भी ठीक है लेकिन बेटा इतनी ज़्यादा मेहनत भी मत किया कर,,,देख ज़रा कितना थक गया था तू ऑर कितनी
देर अक सोता रहा,,,,थोड़ी कम मेहनत किया कर,,,,अभी बहुत उमर बाकी है तेरी,,जितनी मर्ज़ी मेहनत करते
रहना,,,,इतना बोलकर आंटी शरमाने लगी,,,, अच्छा अब टीवी ऑफ कर ऑर आजा डाइनिंग टेबल पर खाना लगा देती हूँ
जी आंटी जी,मैं सोफे से उठा टीवी ऑफ करके डाइनिंग टेबल पर चला गया,,,,कुछ देर बाद आंटी भी खाना
लेके डाइनिंग टेबल पर आ गई ऑर मेरे सामने बैठ कर खाना परोसने लगी,,,,

आज भी आंटी ने मेरी प्लेट मे थोड़ा सा ही खाना परोसा था,,मैं समझ गया कि बार बार मुझे खाना
परोसते टाइम आंटी मुझे अपने बूब्स दिखना चाहती थी,,,,ऑर वही हुआ जब मेरी प्लेट मे डाल ख़तम
हुई तो आंटी ने आगे बढ़ कर टेबल पर झुक कर मेरी प्लेट मे डाल परोसते टाइम मुझे अपने बूब्स के
दर्शन करवाने शुरू कर दिया,,,,,ऑर आज तो मैं सच मे दर्शन करता हुआ दंग रह गया क्यूकी आंटी
ने आज नाइटी बहुत पतले कपड़े की पहनी हुई थी ऑर आज तो आंटी ने ब्रा भी नही पहनी हुई थी,,जिस वजह
से झुकते टाइम उनके पूरे बूब्स नंगे हो रहे थे,,,नाइटी होने के बावजूद आंटी मुझे नंगी लग
रही थी उनका सारा बदन मुझे सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था,,,आज आंटी के मुस्कुराने का अंदाज भी
पहले से कहीं ज़्यादा शरारती हो गया था,,,जितना टाइम डिन्नर चलता रहा उतना टाइम शरारती मुस्कान के
साथ आंटी मुझे अपने बूब्स दिखाती रही ओर मैं भी आज बिना किसी डर के आंटी के बूब्स देखता रहा


डिन्नर ख़तम होने के बाद आंटी अपने रूम किचन मे काम करने लगी जबकि मैं करण के रूम
मे जाके लॅपटॉप पर मस्ती करने लगा,,,करीब 30-40 मिनट बाद आंटी मेरे रूम मे आई,,,

क्या बात है बेटा आज सोना नही क्या,,,,,मैं आंटी की तरफ देखा तो आंटी दरवाजे से चलती हुई मेरे
बेड के पास आ गई ऑर आके मेरे पास बैठ गई,,

मैं बेड पर लेटा हुआ था ऑर लॅपटॉप मेरे पेट पर पड़ा हुआ था,,,

जी सोना है आंटी जी लेकिन अभी टाइम कहाँ हुआ सोने का अभी तो बहुत टाइम है,,,,

मैने सोचा तू बहुत थक गया था शायद ऑर नींद आई होगी तुझे,,,,काम जो इतनी मेहनत वाले करने
लगा है तू आजकल,,,,इतना बोलकर आंटी ने मेरे सर पर हाथ रख दिया ऑर प्यार से हाथ को मेरे बालों मे
सहलाने लगी,,,,,

जी आंटी जी थक तो बहुत गया था आज,,,,इतनी मेहनत अक्सर नही करता ना,,आज काफ़ी दिन बाद इतनी मेहनत की
है जो ज़्यादा थक गया,,,,,

चल फिर सो जाते है,,,,मैं भी बहुत थक गई आज,,,तू तो कुछ देर सो गया लेकिन मेरी तो नींद आँखों से
कोसों दूर थी,,,,लेकिन अब लगता है आराम से सो सकूँगी,,,,,चल आजा मुझे नींद बहुत आई है,,,

ठीक है आंटी जी आप चलिए मैं अभी आता हूँ 5 मिनट मे लॅपटॉप बंद करके ,,,,,,,,

जब देखो ये लॅपटॉप से चिपका रहता है,,,क्या है इसमे ,,करण भी सारा दिन इसी मे खोया रहता है
ना खाने का टाइम ऑर ना पीने का होश रहता है,,,,

इसमे बहुत कुछ है आंटी जी,,,,,अभी आपको नही पता,,जिस दिन पता चल गया अपने भी पूरा दिन इसी मे गुम
रहना है,,,,,

अच्छा ऐसा क्या है इसमे,,,मुझे भी तो पता चले,,,,,

बहुत कुछ है आंटी जी,,,,गेम्स है,,मूवीस है,,,,ऑर भी बहुत कुछ है इसमे,,,

मूवीस??? कॉन्सी मूवीस,,,,

सभी तरह की मूवीस है आंटी जी,,,,जैसी भी आप देखना चाहो,,,,,आपको कॉन्सी देखनी है,,,,,

जो तुम देखते हो ,,,,,वहीं मुझे भी दिखा दो,,,,,

मैं समझ गया कि आंटी क्या बोल रही है,,,लेकिन अभी उसके लिए टाइम नही आया है,,,,,

मैं तो ज़्यादा हिन्दी मूवीस देखता हूँ,,,,वो भी आमिर ख़ान की,,,,,आपको देखी है तो बोलो अभी लगा देता
हूँ,,,,,,,

नही बेटा मुझे आजकल की मूवीस अच्छी नही लगती,,,,मुझे तो पुरानी ऑर क्लॅसिक मूवीस अच्छी लगती है,,,

मुझे पता था आंटी जी,,माँ भी अक्सर पुरानी मूवीस ही देखती है,,कभी कभी तो मेरा डमएआग खा
जाती है ,,ये मोविए लगा दे तो कभी वो मोविए लगा दे,,,जो दिल करता है वो मोविए बता देती है ,,,,,,,,

अच्छा इसमे जो मोविए देखनी हो वो लग जाती है क्या,,,,,

जी आंटी जी,,,,,,, जो भी आपको देखनी हो वो सब मूवीस यहाँ आ जाती है,,,,,

तो बेटा देख ज़रा इसमे ------------------ वो वाली मूवी है,,,,,

जी आंटी जी अभी देखता हूँ,,,,,,,,,,,,मैने साइट ओपन की ओर मूवी प्ले करदी,,,,,

अरे वाह बेटा,,इतनी जल्दी लग भी गई,,आंटी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए लॅपटॉप पर मूवी देखने
लगी,,,,,लेकिन जल्दी ही बोली,,,,,,बंद करदो इसको बेटा,,,,मेरे से नही देखी जाती लॅपटॉप पर मूवी

यहाँ नही देखी जाती तो कोई बात नही आंटी जी मैं ये मूवी एलसीडी पर प्ले कर देता हूँ वो भी आपके रूम
मे,,

क्या ये मूवी मेरे रूम के टीवी पर चल जाएगी,,,,,,,,,

जी आंटी जी आज कल कुछ भी हो सकता है,,,आप बस हुकम कीजिए ऑर मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ,

कुछ भी कर सकता है मेरे लिए,,,,,सच मे,,,,,इतना बोलते टाइम आंटी का हाथ हल्की शरारत करने लगा
था मेरे बालों मे,,,,,

जी आंटी जी कुछ भी कर सकता हूँ आप बस हुकम करो,,,,,,

तो जल्दी से चल ये मूवी प्ले कर मेरे रूम के टीवी पर ,पहले मूवी देखते है फिर सो जाएँगे,,,,

ठीक है आंटी जी,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
फिर मैं ऑर आंटी जी उनके रूम मे चले गये,,मैने लॅपटॉप को एलसीडी से कनेक्ट किया ऑर आराम से आंटी
के साथ बैठ कर मूवी देखने लगा,,,,,,

आपको ये मूवी अच्छी लगती है आंटी जी,,,,,,

हाँ बेटा ये मेरी फ़ेवरेट मूवी है,,,,जब भी टीवी पर आती है मैं सब कुछ भूल कर इसी मूवी मे खो जाती
हूँ,,,,देखो अभी मुझे कितनी नींद आई थी लेकिन मूवी प्ले होते ही मेरी नींद उड़ गई,,,,

आंटी सच मे मूवी मे इतना खो गई थी कि मेरी तरफ भी ध्यान नही दे रही थी,इसलिए मैं भी आराम
से लेट कर मूवी देखने लगा,,,लेकिन मैं जल्दी ही बोर होने लगा,,,अभी मूवी 15 मिनट की ही गुज़री थी

मैं टीवी से नज़रे हटा ली ऑर आंटी की तरफ पीठ करके लेट गया,,,,

क्या हुआ बेटा तुमको मूवी अच्छी नही लग रही क्या,,,,

ऐसी बात नही है आंटी जी,,,मैं थोड़ा थका हुआ हूँ इसलिए नींद आ रही है लेकिन टीवी की वजह से
मुझसे सोया नही जाएगा ऑर अगर नही सोया तो सर मे दर्द होने लगेगा,,,,,

ठीक है बेटा तो मैं टीवी ऑफ कर देती हूँ मूवी कल देख लूँगी,,,,

अरे नही आंटी जी आप टीवी ऑफ मत कीजिए ,,ये आपकी फ़ेवरेट मूवी है ऑर अगर अपने मेरी वजह से टीवी ऑफ कर
दिया तो मुझे अच्छा नही लगेगा,,,,

लेकिन तुमको तो मूवी अच्छी नही लग रही बेटा,,,ऑर शायद नींद भी आ रही है तुमको,,,,

नही आंटी जी मूवी तो अच्छी है लेकिन आज कुछ ज़्यादा थक गया हूँ इसलिए नींद जल्दी आने लगी है,,,

थकेगा क्यू नही मेहनत जो इतनी करने लगा है,,,आंटी ने ये बात थोड़ा शरमाते हुए बोला,,
ऐसी बात है तो मेरे पास आ जाओ बेटा मैं तुम्हारे सर की हल्की हल्की मालिश कर देती हूँ तुमको आराम
मिलेगा ऑर नींद भी आ जाएगी,,,,

मैं आंटी के करीब होने लगा तभी आंटी बोल पड़ी,,,,अरे बेटा आज क्या टी-शर्ट पहन कर सोने वाले हो,,,,

नही आंटी जी लेकिन क्या करूँ मुझे अजीब लगता है आपके साथ ऐसे सोने मे,,,,,मैने हल्के से झिझकते ऑर
शरमाते हुए बोला,,ताकि आंटी को लगे मैं उनसे थोड़ा डरता हूँ

अरे इसमे शरमाने वाली क्या बात है,,,,तू मेरा बेटा है ऑर जैसे दिल करे वैसे सो सकता है,चल उतार दे
ये टी-शर्ट ऑर आराम से सो जा,,,,


मैने हल्के से शरमाने ऑर डरने का नाटक करते हुए टी-शर्ट निकाली ऑर आंटी के करीब होके लेट गया लेकिन
हल्का सा डरने का नाटक करते हुए मैं आंटी के ज़्यादा करीब नही गया ,,,

जब आंटी ने देखा कि मैं शर्मा रहा हूँ तो आंटी खुद मेरे करीब खिसक कर आ गई ऑर मेरे सर
अपने हाथ से हल्के से सहलाने लगी ऑर मैं आराम से लेट गया,,,


मेरा सर उपर छत की तरफ था जबकि आंटी मेरी तरफ करवट लेके लेटी हुई थी,,आंटी के सर के नीचे पिल्लो
था लेकिन फिर भी आंटी एक हाथ से अपने सर को सहारा देके मेरी तरफ मूह करके लेटी हुई टीवी देख रही थी
ऑर दूसरे हाथ से मेरे सर की हल्के से मालिश कर रही थी,मैं आराम से आँखें बंद करके लेट गया था,,

पहले 8-10 मिनट तो आंटी मेरे सर की मालिश करती रही ऑर मैं भी सोने का नाटक करता रहा फिर मैने
हल्के से खर्राटे मारने शुरू कर दिए ताकि आंटी को लगा कि मैं सो गया हूँ,,,,लेकिन जैसे ही खर्राटे
शुरू हुए आंटी मेरा नाम लेके मुझे चुप रहने को बोलने लगी,,

सन्नी ,,,सन्नी बेटा,,,,आंटी मेरा नाम लेते हुए मेरे गालों पे हल्के से हाथ मारने लगी ऑर मुझे उठाने
लगी या शायद चेक कर रही होगी कि मैं गहरी नींद मे सो गया या नही,,,,

सन्नी बेटा ,,,चुप करो इतना शोर मत करो मुझे मूवी की आवाज़ सुनाई नही दे रही,,,,सन्नी बेटा,,सन्नी
चुप करो ना बेटा,,,,,आंटी कुछ 1-2 मिनट मुझे उठाने की कोशिश करती रही लेकिन मैं कहाँ उठने
वाला था,,,मैं ऐसे ही लेटा हुआ सोने का नाटक करता रहा,,,,फिर आंटी ने कल रात की तरह थोड़ा ज़ोर से
थप्पड़ मारा मेरे मूह पर ये देखने के लिए कि मैं सच मे गहरी नींद मे सो गया हूँ या नही,,ऑर
जब फिर भी मैने कोई हरकत नही की तो आंटी को यकीन हो गया कि मैं सो गया हूँ तो आंटी का वो हाथ
जो अभी मेरे मूह पे हल्के से थप्पड़ लगा रहा था वो हाथ वापिस मेरे सर पे चल गया ऑर आंटी ने
मेरे सर की हल्के से मालिश करनी शुरू करदी लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,जल्दी ही आंटी का वो हाथ मेरी\
चेस्ट पर चला गया ऑर आंटी ने मेरी चेस्ट को उस हाथ से सहलाना शुरू कर दिया,,,मैं हल्के से एक आँख
खोल कर देख रहा था ,,आंटी मेरी चेस्ट को सहला तो रही थी लेकिन साथ ही उनका ध्यान टीवी की तरफ था,,

कुछ देर बाद आंटी ने खुद को अड्जस्ट किया ऑर अपने हाथ को अपने सर के नीचे से साइड करके अपने सर को
पिल्लो पर रख दिया ऑर अब उनका ध्यान टीवी से भी हट गया था ऑर वो मुझे देख रही थी,,,मैने जल्दी से
आँख बंद करली ताकि आंटी को पता नही चल जाए,,,ऑर तभी आंटी के हाथ ने अपनी मस्ती दिखानी शुरू
करदी ऑर मेरी चेस्ट को हल्की शरारत से सहलाना शुरू कर दिया ,,आंटी के हाथ मेरी चेस्ट पर हल्के से उपर
से नीचे पेट तक घुमाना शुरू हो गया ऑर बीच बीच मे वो मेरी छोटी निपल्स को भी हल्के से छू लेती
थी ,,मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था लेकिन मैं बिना हीले जुले आराम से लेटा रहा ऑर खर्राटे मारता रहा ताकि
मेरे सोने का एहसास रहे आंटी को ऑर आंटी मेरे साथ मस्ती करती रहे बिना किसी डर के,,,,जब तभी कुछ
ऐसा हुआ कि मेरी हालत खराब हो गई,,,आंटी ने आगे बढ़ कर मेरी चेस्ट पर हल्के से किस करदी बिल्कुल मेरी
निपल के पास ऑर मैं सहर उठा लेकिन ज़्यादा हिला जुला नही,,,,,आंटी एक हाथ से मेरी चेस्ट को सहलाने लगी
ऑर साथ-साथ हल्की हल्की किस करने लगी मेरी चेस्ट पर,,आंटी ने किस की हल्की बरसात करदी थी मेरी चेस्ट
पर मेरे से ये 2 तरफ़ा हमला बर्दाश्त नही हो रहा था ,,एक तो आंटी का हाथ बड़ी मस्ती से मेरी चेस्ट पर
घूम रहा था ऑर उपर से उनके सॉफ्ट लिप्स का टच मेरी चेस्ट पर मुझे पागल कर रहा था,,मुझे लगा
कि अब मैं कोई ग़लती कर दूँगा इसलिए मैने अपने जिस्म को हल्के से हिला दिया ऑर आंटी डर कर एक दम से पीछे
हो गई ,,,,अपना हाथ भी आंटी ने उठा लिया मेरी चेस्ट से,,,,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने जब अपने जिस्म को हिलाया तो करवट लेके आंटी की तरफ मूह कर लिया जिस से मेरा फेस आंटी के बूब्स
के पास हो गया,,मेरा दिल तो किया आगे बढ़ कर आंटी के बूब को मूह मे भर लूँ लेकिन थोड़ा डर लग रहा
था मुझे,,,ऑर वही हाल आंटी का था,,मेरे एक दम हिलने से आंटी भी बहुत डर गई थी इसलिए उस रात ना तो
आंटी ने कोई हरकत की ऑर ना ही मैने आंटी के साथ कुछ किया,,,बस हुआ इतना कि आंटी ने अपने हाथ को मेरे
उपर रख लिया ऑर मुझे अपने से सटा लिया ऑर फिर हम दोनो ऐसे ही सोते रहे,,,,सुबह कब हुई पता ही नही
चला,,,,,,दिल तो कर रहा था कि सारे पर्दे उठा दूं शरम के ऑर बेशर्म बनके आंटी की चुदाई शुरू
कर दूं लेकिन मैं इतनी भी जल्दबाज़ी नही करना चाहता था,,जैसे मैं खुद तड़प रहा हूँ वैसे ही आंटी
को भी तड़पाना चाहता था,,,,,,कल मूठ मारते टाइम आंटी के नाम लेके मैने आंटी के दिल मे एक आग लगा दी
थी ऑर अब मैं उस आग को ऑर भी ज़्यादा भड़काना चाहता था,,,,मैं चाहता था कि आंटी इतना तड़प जाए
कि खुद ही सब कुछ करे मुझे कुछ करने की ज़रूरत नही पड़े,,क्यूकी अगर मैं कुछ करता तो मेरी ग़लती
निकाल कर आंटी मुझे झूठा ही सही लेकिन डाँट ज़रूर सकती थी,,,,,इसलिए मैं आंटी की तरफ से कदम
बढ़ाने की कोशिश मे लगा हुआ था ऑर आज रात आंटी ने एक कदम बढ़ा भी दिया था,,,,अब ये देखना था
आंटी दूसरा कदम बढ़ाती है या उसके लिए भी मुझे कुछ करना होगा,,,वैसे एक इंतज़ाम मैने कर लिया
था आंटी से दूसरा कदम आगे बढ़वाने के लिए,,देखते है वो इंतेज़ाम मेरी सोच पर खरा उतरता है या
नही,,,,,,,,,,,,,

सुबह उठके नाश्ता करके मैं कॉलेज चला गया ,,,मेरे कॉलेज जाने पर आंटी थोड़ी उदास हो गई थी,मैं
भी कॉलेज जाना तो नही चाहता था लेकिन आंटी को तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ,,वैसे मैं
खुद भी तो तड़प रहा था,,,,,,,

कॉलेज आज भी सुनसान था,,,बाहर पार्क मे तो कोई नही था ,,,शायद जितने भी स्टूडेंट थे वो सब क्लास मे
थे तभी तो पार्क खाली थी ऑर वही हाल था कॅंटीन का भी,,,वहाँ भी सब बोर लोग बैठे थे ,,3-4 लोग
ही थे बस,,,,,मैं भी जाके बोर होते हुए लास्ट वाले टेबल पर बैठ गया ऑर कॉफी ऑर्डर करके बोरियत से
टाइम पास करने लगा,,,

ये लो तुम्हारी कॉफी,,,ये आवाज़ सुनते ही बोरियत कहीं हवा मे गुम हो गई क्यूकी ये आवाज़ थी ही इतनी मीठी
की जिसको सुनके ज़िंदगी मे बोरियत नाम की चीज़ के लिए कोई जगह ही नही रहती थी,,,,मैने नज़रे उठा कर
उपर देखा तो सामने कविता थी जिसके हाथ मे कॉफी का कप था ऑर क्यूट से फेस पर स्वीट सी स्माइल थी,,उसकी
स्माइल इतनी स्वीट थी कि अगर कॉफी बिना शक्कर के होती तो भी टेन्षन नही थी,,,,उसकी स्माइल से ऑर उसके हाथों
के टच से कॉफी मीठी हो गई थी,,,,

अपने कॅंटीन मे कब्से काम करना शुरू कर दिया मालकिन जी,,

मेरी ये बात सुनके कविता खुश हो गई लेकिन अपने लिप्स पर उंगली रखते हुए मुझे चुप रहने को बोलने
लगी ऑर इशारा करने लगी की ऐसा मत बोलो ये कॉलेज है,,,,वो अभी भी कप को हाथ मे लेके खड़ी हुई थी


अरे मालकिन जी कप को टेबल पर रख दीजिए वर्ना आप थक जाओगी,,,ऑर अपने इतनी तकलीफ़ क्यू की कॉफी लेके
आने मे ,,,,हुकम किया होता मैं खुद वहाँ चला आता ,,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा ऑर कविता कॉफी कप
को टेबल पर रख कर सामने वाली चेयर पर बैठ गई,,,

ओई ब्लॅकी मुझे बार बार मालकिन मालकिन मत बोल ये कॉलेज है,,,

तो क्या हुआ मैने कुछ ग़लत थोड़ी बोला ,,मालकिन ही बोला ना,,,,,नोकरानि तो नही,,,,,

ओये ब्लॅकी बोला ना चुप कर,,,,ऑर मैं नोकरानि नही हूँ मालकिन ही हूँ,,,,

तभी तो मालकिन बोल रहा हूँ कविता जी,,वर्ना नौकरानी नही बोलता मैं आपको जब आप कॉफी लेके आई,,,

चल चल अब चुप कर ऑर ये बता आज तू कॉलेज कैसे आ गया,,ऐसे दिनो मे तो तू अक्सर बंक पर रहता है


क्या करूँ मालकिन जी ,,,,बंक पर करण के साथ जाता था लेकिन करण खुद कहीं बाहर गया हुआ है,,ऑर कोई
है नही जिसके साथ मैं बंक पर जा सकूँ,,,,

क्यू तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है क्या उसको ले जाता बंक पर,,,,,

गर्लफ्रेंड होती तो कॉन पागल कॉलेज आता मालकिन जी,,,

बोला ना मालकिन मालकिन मत बोल,,,,जस्ट सीधी तरह बात कर वर्ना मैं चली,,

ओके बाबा नही बोलता ,,तू गुस्सा मत कर,,,,वैसे तू बता कि तू कॅंटीन मे क्या कर रही है,,तू ऑर तेरी वो
हिट्लर दोस्त तो क्लासरूम से कभी बाहर ही नही निकलती ऑर आज कॅंटीन मे कैसे आ गई,,ऑर तेरी हिट्लर दोस्त
कहाँ है,,,,तबीयत कैसी है उसकी बुखार गया या अभी तक है,,,

तेरे पास उसका नंबर है ना खुद कॉल करके नही पूछ सकता ,,,आख़िर तेरी बेहन है वो,,,उसका हाल चाल
तो पूछ ही सकता है तू,,,

पूछ तो सकता हूँ लेकिन नही पूछना चाहता ,,तभी तो तेरे से पूछ रहा हूँ,,तुझे बताना है तो बता
वर्ना तेरी मर्ज़ी,,,,

वो ठीक है अब,,आज कॉलेज भी आई है,,उसी को तलाश करते हुए मैं कॅंटीन मे आई हूँ,,,,पता नही
कहाँ है वो,,,,,

आज कॉलेज आई है वो,,,,लगता है अब तबीयत बिल्कुल थी हो गई होगी तभी माँ ने भेजा होगा उसको कॉलेज
वर्ना कभी नही भेजती,,,,,

हाँ सन्नी सही बोला तूने,,,आज वो बिल्कुल ठीक है,,,,,लेकिन पता नही अभी कहाँ है वो,,,,,,,,,,,,,अच्छा उसको
छोड़ तू बता तू आज कल कहाँ रहता है,,,सुना है किसी दोस्त के घर पर रहता है तू,,,,लेकिन जहाँ तक
मुझे पता है करण के सिवा तेरा कोई दोस्त नही है,,,,,

है कोई दोस्त जिसके पास रहता हूँ तुम नही जानती उसको,वैसे तुझे किसने कहा मेरा करण के सिवा कोई दोस्त
नही ,,तू भी तो मेरी दोस्त है ना,,,,

हाँ मैं तो हूँ,,,,तेरी भी ऑर सोनिया की भी,,,लेकिन तू सिर्फ़ मेरा दोस्त है सोनिया का नही,,तभी तो बात बात
पर फाइट करता रहता है उसके साथ ,,कॉल करके बीमार का हाल चाल भी पता नही करता,,,,,क्या इतना गुस्सा
है तुझे सोनिया पर,,,,

गुस्सा नही है कविता,,,ऑर मैं कभी उसपे गुस्सा कर भी नही सकता,,,,बस मैं बहुत केयर करता हूँ उसकी
तभी तो उस से दूर रहता हूँ,,

ये कैसी केयर है जो तुम उस से दूर रहके करते हो,,,,मुझे तो लगता है उस से कहीं ज़्यादा गुस्सा तेरे मे
है फालतू मे तू उसको हिटलर बोलता है ,,हिट्लर नाम तो तेरा होना चाहिए,,,,

तू मुझे कुछ भी बुला सकती है पगली,,,लेकिन सच मे मैं उसकी बहुत केयर करता हूँ तभी तो दूर रहता
हूँ,,,,,डरता हूँ कहीं उसका हाल चाल पूछने गया तो मेरे पर गुस्सा करके वो फिर से बीमार नही हो
जाए,,तुझे तो पता है गुस्सा उसकी नाक पर रहता है,,,,,बस उसके गुस्से की वजह से मैं उस से दूर रहता
हूँ वैसे केयर बहुत करता हूँ मैं उसकी,,,,

जानती हूँ आंटी ने बताया था कैसे रात भर जाग कर तूने ठंडे पानी के टवल रखे थे उसके सर पर एक
पल के लिए भी नही सोया था तू,,,,,,,,,,,तेरी लाइफ मे दोस्त तो बहुत कम है जिनकी तू केयर करता है लेकिन अपनी
फॅमिली मे तो किसकी केयर करता है सबसे ज़्यादा,,,,

ये कैसा सवाल है,,,,मैं अपने सभी घर वालों की केयर करता हूँ ऑर दोस्तो की भी,,,,

जानती हूँ लेकिन तू अपनी फॅमिली मे सबसे ज़्यादा केयर किसकी करता है,,,माँ-बाप की ? भाई बेहन की ?

ये कैसा अजीब सवाल है कविता ,,,,एक माँ से पूछो कि वो अपने किस बच्चे को सबसे ज़्यादा प्यार करती है तो
इसका जवाब देना उसके लिए बहुत मुश्किल होता है ऑर मेरे लिए भी ये कहना मुश्किल है कि मैं अपनी फॅमिली
मे किसकी सबसे ज़्यादा केयर करता हूँ क्यूकी मेरे लिए सब के सब अज़ीज है सबकी केयर करता हूँ मैं,,,

अरे बुद्धू माँ भी अक्सर किसी एक बच्चे को ज़्यादा लाड़ प्यार करती है,,हर टाइम गोद मे उठा कर रखती है
वो सब बच्चों से एक जैसा प्यार करती है लेकिन किसी एक बच्चे की वो ज़्यादा केयर करती है,,वैसे ही पूछ रही हूँ
कि तू किसकी ज़्यादा केयर करता है,,,,

ओह ऐसी बात है,,,,ऐसे तो फिर तेरी पगली दोस्त ही है,,,क्यूकी बचपन से उसके साथ रहता आया हूँ,,,बचपन
मे साथ स्कूल जाते थे साथ खेलते थे,,फिर रूम भी एक ही मिला दोनो को तो ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड
करते थे दोनो वही है जो मुझे अच्छे से समझती है ऑर मैं भी उसको अच्छे से समझता हूँ ऑर उसके
गुस्से को भी,,,,,हर टाइम हँसती खेलती रहती है कभी उदास नही होती,,कभी रोते नही देखा उसको,,ऑर ना
कभी देख सकता हूँ,,,,एक तो वैसे भी वो रोते हुए अच्छी नही लगती,,अजीब शकल बना लेती है ऑर वैसे भी
मुझे उसकी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते,,हम दोनो भाई बेहन कम ओर अच्छे दोस्त ज़्यादा है,,,एक दूसरे
को समझने वाले ,,,,,

अच्छा इतनी केयर करता है तू उसकी तो फिर बात क्यूँ नही करता उसके साथ,,,,पता है वो कभी उदास नही होती लेकिन
अभी कुछ दीनो से मैं देखा है वो उदास रहने लगी है,,,मेरे जोक्स पर भी नही हँसती कभी,,,,पता नही
क्या हो गया है उसको,,,,,कहीं तूने उसको कुछ कहा तो नही,,,
Reply
07-14-2019, 11:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं थोड़ा डर गया कहीं सोनिया ने इसको मेरे बारे मे कुछ बता तो नही दिया लेकिन फिर मैने बात को मज़ाक
मे बदल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या करे बेचारी तेरे जोक्स होते ही इतने घटिया है कि हँसता हुआ इंसान भी
उदास हो जाता है,,,,

मज़ाक मत कर सन्नी,,,वो सच मे उदास रहती है 2-3 दिन से,,पहले भी उदास रहती थी लेकिन इतना नही,,बहुत
जबसे बीमार हुई है तबसे तो कुछ ज़्यादा ही उदास रहने लगी है,,,,,शायद बीमारी की वजह से हो सकता है
,,लेकिन इतनी उदास तो कभी नही होती वो,,बीमारी मे भी मस्ती करती रहती थी पहले तो,,,,ऑर जब मैं पूछती
हूँ तो बोलती है कुछ नही हुआ मुझे,,,

हाँ हो सकता है कविता वो बीमार होने की वजह से उदास रहने लगी हो,,बाकी मुझे कुछ नही पता तेरी
दोस्त है वो तुझे बेहतर पता होगा,,,,,

मुझे कुछ नही पता सन्नी,ऑर मेरे से कहीं ज़्यादा बेहतर तू उसको समझता है,,,तेरी दोस्त है वो ज़्यादा
मेरे से भी कहीं ज़्यादा,,,,तुझे पता होगा उसके बारे मे कि क्या हुआ है उसको आज कल,,,ऑर अगर नही पता तो
प्ल्ज़्ज़ पता करो सन्नी क्यूकी जैसे तू उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकता मैं भी उसके चेहरे पर उदासी
नही देख सकती ,,,,,

ठीक है मैं पता करूँगा कि उसकी उदासी का चक्कर क्या है,,,,वैसे हो सकता है उसका कोई बाय्फ्रेंड हो
जिसके साथ उसका झगड़ा हो गया हो ऑर उसी की वजह से वो उदास रहती हो,,

मेरी बात सुनके कविता ज़ोर से हँसने लगी,,,बॉय फ्रेंड ऑर सोनिया का,,किसी को उस से बात करके अपना सर फुड़वाना
है क्या,,,,,वैसे भी वो किसी लड़के से बात नही करती,,,,ऑर अगर करती तो मुझे ज़रूर पता होता..

हो सकता है उसने तुझे नही बताया हो ऑर तेरे लिए सर्प्राइज़ हो,,,बाद मे तुझे बताने का इरादा हो उसका,,,

ओह्ह्ह ष्हित्त ,,,सर्प्राइज़ से याद आया तेरे घर पे तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया है,,,मुझे पता है उसके बारे मे
तुझे अभी तक किसी ने नही बताया होगा,,,,पक्का,,,

सर्प्राइज़ ,कैसा सर्प्राइज़,,,,,

अरे बुद्धू सर्पाइस है तो बता कैसे सकती हूँ,,वो तो तुझे खुद देखना पड़ेगा घर जाके,,,मैने बता
दिया तो सर्प्राइज़ कैसा ,,,,

अभी वो बात कर ही रही थी कि एक कड़क सी गुस्से वाली आवाज़ से मैं सिहर उठा ऑर डर भी गया,,,क्यूकी ये
आवाज़ थी हिट्लर की जिस से मैं ज़िंदगी मे सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ ख़ाता था,,,,,

तू यहाँ क्या कर रही है इस बब्लॅकी के साथ,,,,वो थोड़ा गुस्से मे बोली थी,,,पहले तो मैने सर झुका लिया
लेकिन जब मैने सर उठा कर हिम्मत करके उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे इतना ज़्यादा घूर कर देखा कि
मेरी नज़रे मानो ज़मीन मे धसती जा रही थी,,,,,

कुछ नही सोनिया मैं तो बस तुझे तलाश करने आई थी,,तो सन्नी मिल गया तो यहाँ बैठ गई,,,

अब तो मैं मिल गई ना तुझे ऑर तुझे पता है मैं बेकार लोगो की तरह कॅंटीन मे नही लाइब्रेरी मे होती
हूँ,,,,,,,चल अब उठ जल्दी ऑर चल यहाँ से,,,,
Reply
07-14-2019, 11:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
कविता जल्दी से उठी ऑर सोनिया के साथ कॅंटीन से बाहर चली गई,,,मैं हिम्मत करके उनकी तरफ देखा तो
कविता तो हंस कर मुझे देख रही थी लेकिन वो हिट्लर की तो आँखों का रंग ही शायद लाल हो गया था हमेशा
के लिए ,,गुस्सा जो इतना करती रहती थी,,,,,,मैं उसके गुस्से से डर गया था,,,कविता के साथ बातें करते हुए कॉफी
ठंडी हो गई लेकिन सानिया ने कुछ पल क लिए कॅंटीन का माहौल इतना गर्म कर दिया कि कॉफी मुझे गर्म
लगने लगी थी ,,,,,मैं कोफ़ी को फूँक मार मार कर पीने लगा था लेकिन तभी मुझे याद आया कि कविता
किसी सर्प्राइज़ की बात कर रही थी,,,,,मैं थोड़ा खुश हो गया कहीं डॅड ने मेरे लिए न्यू कार तो नही लाके
रखी घर पे,,,,क्यूकी डॅड ने बोला था कि मुझे न्यू कार लेके देंगे,,,,मैं खुशी खुशी कॉफी पीक
कॅंटीन से बाहर जाने लगा तभी देखा कि एक टीचर कॅंटीन मे आया ओर कॅंटीन वाले को गर्दन से पकड़
कर बाहर ले गया,,,,मैं भी जल्दी से उनके पीछे गया तो देखा कि छोटी बस खड़ी हुई थी कॉलेज मे ऑर
कुछ 10-12 लड़के भी उसी बस के पास खड़े हुए थे कॅंटीन वाले को भी उन्ही लोगो एक पास खड़ा कर दिया
ऑर फिर उन लोगो को बस मे बिठा दिया.,,,,,

तभी बस एक पास खड़े हुए प्रिन्सिपल ने मुझे आवाज़ लगाई,,,,,

सन्नी ज़रा इधर आओ,,,,,,

मैं उनके पास चला गया,,,,

अच्छा हुआ तुम भी मिल गये,,,,चलो मेरे साथ थोड़ा काम है,,,,

कहाँ जाना है सर,,,,

--------हॉस्पिटल जाना है,,,चलो मेरे साथ,,,,,

सिर आप चलो मैं अपने बाइक पर आता हूँ,,,,,

ठीक है लेकिन लेट मत होना ऑर अभी निकलो यहाँ से,,,,

ठीक है सर,,,,इतना बोलकर मैं अपनी बाइक के पास गया ऑर जब तक मैं अपना बाइक स्टार्ट करके कॉलेज से बाहर
नही निकला तब तक प्रिन्सिपल ने भी अपनी कार स्टार्ट नही की थी,,,,मैं कॉलेज से निकला ऑर मेरे पास से वो बस
ऑर प्रिन्सिपल की कार गुजर कर मेरे से आगे निकल गई ऑर तभी मैं अपने फोन से ख़ान सर को फोन किया
क्यूकी मुझे लग रहा था कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ है,,,,


मैं ख़ान सर को पूरी बात बताई तो ख़ान सिर ने बोला कि डरने की ज़रूरत नही है वो भी अभी उसी हॉस्पिटल
मे है ,,,ओर उन्होने मुझे बताया कि सुरेश अमित ऑर उसका बाप लोग सब यहाँ है,,तुम आ जाओ कोई फ़िक्र की बात
नही,,,,

ख़ान सर से बात करके मेरा डर कुछ कम हुआ ऑर मैं ------- हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा,,,,


अभी मैं जा ही रहा था कि मेरा फोन बजने लगा,,,,,ये कॉल थी कामिनी भाभी की,,मैं अभी डरा हुआ
था एक तो सोनिया के गुस्से की वजह से ऑर उपर से प्रीसिपल की वजह से लेकिन कामिनी भाभी की कॉल देख कर
दिल थोड़ा खुश हो गया था,,

हेलो सन्नी,,,

हेलो भाभी जी,,,

मैं अभी तोड़ा काम से बाहर आया हूँ भाभी जी,,,,बस कुछ देर मे फ्री हो जाउन्गा,,,,कोई काम था
क्या ,,,,,


काम था तभी तो फ़ोन किया है सन्नी,,,

क्या काम है भाभी जी,,,,


जैसे तेरे को तो कुछ पता ही नही,,,,मुझे तेरे से क्या काम पड़ता है बता ज़रा,,,,



मुझे क्या पता होगा ,,आपको काम है आपको पता होगा,,,,मैं हँसते हुए बोला,,,,


हँस ले ज़ालिम जितना दिल करता है हँसले,,,मैं यहाँ तड़प रही हूँ ऑर तू हँस रहा है,,,कोई बात नही गिन
गिन कर बदला लूँगी तेरे से एक बार हाथ आजा मेरे,,,,,

ठीक है भाभी जी जितना दिल करे बदला लेना लेकिन पहले बताओ तो सही काम क्या है,,,

अभी नही ,,कल सुबह बताउन्गी,,,,कल सुबह घर आना,,,,करीब 10 बजे या उसके थोड़ा बाद,,,,,,,

कल सुबह क्या है,,कोई खास बात है क्या,,,,,

तू कल आना तो सही सब पता चल जाएगा,,,,,

ठीक है भाभी जी मैं कल सुबह आ जाउन्गा ,,मैने इतना बोला था कि भाभी ने बाइ बोलके फोन कट कर
दिया ऑर मैने भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर बाइक चलाने लगा,,,,,कुछ 15-20 मिनट मे मैं
--------- हॉस्पिटल पहुँच गया,,,,,,,,,,,,

मैं हॉस्पिटल पहुँचा तो प्रिन्सिपल की कार ऑर वो बस जो स्कूल से चली थी वो भी हॉस्पिटल पहुँच
गई थी,,बस मे से वो लड़के निकले जो हमारे कॉलेज के थे ऑर साथ मे था कॅंटीन वाला लड़का ,,,तभी
कुछ पोलीस वाले आए ऑर उन लोगो को अपने साथ ले जाने लगे ,,एक पोलीस वाला जो कोई बड़ा ऑफीसर लग रहा
था वो प्रिन्सिपल के पास खड़ा हुआ बातें करने लगा ,,प्रिन्सिपल की नज़र मेरे पर पड़ी तो उन्होने मुझे
भी अपने पास बुला लिया,,मेरे वहाँ जाते हो वो ऑफीसर चुप हो गया,,,

आ गये बेटा तुम,,प्रिन्सिपल बड़े प्यार से बोला,,,

जी सर अभी पहुँचा हूँ,,,,,,,,,,बात क्या है सर अपने मुझे यहाँ क्यू बुलाया ऑर ये अपने कॉलेज के
बाकी लोग यहाँ क्या कर रहे है,,,मैने देखा था कॉलेज से जो बस चली थी वो भी यहाँ पहुँच गई है,,
आख़िर बात क्या है,,,,,,,

तभी वो पोलीस वाला बोला,,,,,,इतनी भी क्या जल्दी है बर्खुरदार थोड़ी देर रूको सब पता चल जाना है,वो
अपने ही अलग पोलीस वाले अंदाज़ मे बोला था,,,,,

कुछ नही बेटा ,,,,बस थोड़ी पूछ ताछ करनी थी तुम लोगो से इसलिए बुलाया था तुमको,,,प्रिन्सिपल अभी
बोलना शुरू ही किया कि वो पोलीस वाला हम लोगो को चलने क लिए बोलने लगा,,,पॉलोसे वाले के पीछे मेरे
प्रिन्सिपल ऑर उनके पीछे पीछे मैं,,,,,हम लोग लिफ्ट मे घुस्स गये ऑर हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर पर चले गये,,,

फिर हम लोग प्राइवेट रूम की तरफ गये जहाँ का नजारा देख कर मैं दन्ग रह गया,,,,

वहाँ कम से कम 10-12 पोलीस वाले,,,,10-12 लड़के हमारे कॉलेज के ,,साथ मे कॅंटीन वाला भी ऑर बाकी
सब लोग वाइट कुर्ते पयज़ामे मे थे जिनको देख कर ही पता चलता था कि ये लोग पोल्टिक्स के बड़े दलाल
है,,सारा कमरा भरा हुआ था उन लोगो से,,,,ये एक बहुत बड़ा हॉल रूम था,,सामने 5-6 बेड लगे हुए
थे जिन पर सुरेश ऑर उसके दोस्त लेटे हुए थे,,सबको प्लास्टर लगा हुआ था,,,कुछ की हालत तो बहुत खराब
थी,,,,,मैं तो दुआ कर रहा था कि वो लोग मर जाए ओर हमारे कॉलेज के भी ज़्यादातर लोग यही दुआ कर
रहे होंगे,,,,

फिर मेरी नज़र पड़ी इंस्पेक्टर ख़ान पर जिसको देख कर मुझे कुछ राहत महसूस हुई,,,,ऑर ख़ान सर
के बिल्कुल पास ही रितिका खड़ी हुई थी,,,उसको एक पल देख कर तो मैं खुश हो गया ,क्यूकी वही 2 लोग
थे जो शायद मेरे साथ थे इस रूम मे बाकी लोगो के लिए तो मैं पराया ही था,,,,

कुछ डॉक्टर भी थे जो अपना काम कर रहे थे,,,,फिर वो सब डॉक्टर मिलकर एक तरफ हो गये मैने
आगे बढ़ कर देखा तो सामने कुछ सोफे लगे हुए थे जिन पर अमित ऑर सुरेश का बाप बैठा हुआ था साथ
मे कुछ लोग ऑर भी थे जो उन लड़को के बाप थे शायद जो बेड पर लेटे हुए थे,,,,,डॉक्टर ने आगे
बढ़ कर कुछ रिपोर्ट दिखाई ओर बात चीत करके रूम से चले गये,,,,

डॉक्टर के बाहर जाते ही रूम बंद हो गया ,,,रूम का दरवाजा पोलितिशियन के साथ मे आए बॉडीगार्ड्स ने
बंद किया था,,,,दरवाजा बंद होते ही अमित सोफे से उठकर मेरे ऑर प्रिन्सिपल के पास आया,,,वो मुझे हल्के
गुस्से से देख रहा था,,,,ऑर साथ ही अमित ऑर सुरेश का बाप भी उठकर हम लोगो के पास आ गया,,,



बोलो प्रिन्सिपल ये सब कैसे हुआ ,,,किसने मारा मेरे बेटे को,,,,ये सुरेश का बाप था,,,,

सर मैने कुछ नही देखा ,,मैं तो जब शोर सुनके बाहर आया सब कुछ ख़तम हो चुका था,,,आपके बेटे
को ऑर उसके दोस्तो को किसने मारा मुझे नही पता,,मैने कुछ नही देखा,,,,,,

तूने नही देखा मगर कॉलेज मे किसी ने तो देखा होगा,,,

जी सर इन लोगो ने देखा था,,,,प्रिन्सिपल ने उन लड़को की तरफ इशारा किया जो लोग बस मे आए थे,,,,

इन लोगो ने देखा था क्या इनको,,,,,

इतना तो पता नही सर लेकिन जब मैं अपने ऑफीस से बाहर आया था तो कॉलेज की भीड़ मे ये लोग भी थे
अब सारा कॉलेज तो यहाँ नही लेके आ सकता था ,,,,जितने लोगो की पहचान हुई उन सबको लेके आया हूँ
मैं,,,,यही लोगो ने देखा होगा उन लड़कों को जिन्होने मारा था सुरेश ऑर बाकी के लड़को को,,,,इन लोगो को
जब मैने सुरेश ऑर बाकी लड़को को आंब्युलेन्स मे डालने को बोला था तो कोई नही आया था आगे हेल्प करने


अच्छा इतनी हिम्मत इन लोगो की,,,,सुरेश की हेल्प करने के लिए आगे नही आए,,,अमित गुस्से से बोला,,,,,फिर पलट
कर मेरी तरफ उंगली करके बोलने लगा,,,,,ये यहाँ क्या कर रहा है सर,,,,,

तभी सुरेश का बाप बोल पड़ा,,,,,,,अमित बेटा ये तो सुरेश का दोस्त है,,,इसी ने पूरे कॉलेज मे आगे
बढ़ कर सुरेश को आंब्युलेन्स तक पहुँचाया था,,,,,

इसने,,,,अमित हैरान होके बोला,,,,,,ये कब्से सुरेश का दोस्त बन गया,,,,,यही तो है जिस से 1-2 बार मेरा
ऑर सुरेश का पंगा हुआ था,,,,,हो न हो इसी ने मारा होगा सुरेश को इस बार भी,,,

नही बेटा तुझे गलतफहमी हो रही है,,,इसने तो सुरेश की हेल्प की थी,,,,,प्रिन्सिपल भी बोला

तभी अमित का बाप मेरे पास आया,,,,,,क्या तूने मारा सुरेश को,,,,क्या पहले भी तेरा कोई पंगा हुआ था
मेरे बेटे ऑर उसके दोस्तो के साथ,,,,

जी सर मेरा पंगा हुआ था,,,,क्यूकी ये लोग एक बेक़सूर लड़के को बुरी तरह पीट रहे थे,,मुझसे देखा
नही गया तो मैं बीच बचाव मे आ गया था,,,,लेकिन पहले शुरुआत मैने नही की मैं तो इनको रोक
रहा था,,जब ये नही रुके तो मैं भी शुरू हो गया,,आख़िर मैं भी जवान ओर गर्म खून हूँ

किसको पीट रहे थे तुम अमित बेटा,,,,

जी डॅड वो है एक हमारे कॉलेज का हरामी,,सुमित,,,,,,,साला मेरे टुकड़ो पे पलता था ऑर मुझी को आँखें
दिखाने लगा था,,,,
Reply
07-14-2019, 11:37 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी सुरेश पीछे से हल्की आवाज़ मे बोला,,,,अमित भाई इस बार भी वहीं सुमित था जिस से पंगा हुआ था,,,,

इतना सुनते ही अमित सुरेश के बेड के पास चला गया,,,,,क्या उस हरामी ने तुम लोगो का ये हाल किया,,,

नही अमित भाई ,,उसके साथ 8-10 लोग ऑर थे,,,,,,,,,,,,,,

अमित मे मेरी तरफ इशारा किया,,,क्या ये सन्नी भी था उन लोगो के साथ,,,,

नही अमित भाई सन्नी नही था,,,,ये तो आस पास भी नही था कहीं,,,वो लोग कोई ऑर ही थे,,,,मुझे तो
हमारे कॉलेज के भी नही लग रहे थे वो लोग,,,,

अमित गुस्से से,तू सच बोल रहा है ये सन्नी नही था उन लोगो के साथ,,,,

नही था अमित भाई सच बोल रहा हूँ,,,,वो लोग कोई ऑर थे दिखने मे तो कॉलेज स्टूडेंट लग रहे थे
लेकिन जिस तरह से हम लोगो को मारा था उस से तो लगता था वो पेशेवर गुंडे थे,,,,,,शायद सुमित
किराए के गुंडे लेके आया होगा बाहर कहीं से,,,,,

उस साले की इतनी हिम्मत,,,एक बार मिल जाए तो जान से मार दूँगा उस हरामी को,,,,,,


अमित की बात ख़तम होते ही अमित का बाप मेरे पास आया,,,,ये लड़का बेक़सूर है एसीपी साहिब,,लेकिन ये
बाकी के कमिने क़सूरवार है ,,,,

लेकिन सर सुरेश ने तो इनको भी देख लिया ,,इनमे से तो कोई नही था जिसस से झगड़ा हुआ था सुरेश का,,,

झगड़ा नही हुआ तो क्या हुआ लेकिन ये लोग कसूरवार तो है,,इन हरामी लोगो ने सुरेश को आंब्युलेन्स मे
डालने की कोशिश भी नही की,,एक भी बंदा आगे नही आया,,,,इन लोगो को कुछ तो सज़ा मिलनी चाहिए,,,

तो क्या करूँ मैं इन लोगो का सर,,,,,

कुछ ख़ास नही बस 1-2 दिन हवालात मे रखो इनको ऑर कुछ खातिरदारी करो ,,सरकारी मेहमान बना कर


सब लोगो के चेहरा का रंग उड़ गया,,कुछ लोग तो रोने की हालत मे हो गये ऑर कॅंटीन वाला तो अमित के
बाप के पैरो मे गिर गया ऑर माफी माँगने लगा लेकिन तभी एक हवलदार ने आगे बढ़ कर उसको उठाकर साइड
कर दिया,,,,,,


इनस्पेक्टर ख़ान इन लोगो को ले जाओ ऑर अच्छे से खातिरदारी करो 2-3 दिन तक,,फिर आज़ाद कर देना,,,,

ख़ान सर आगे आए ऑर कुछ हवलदारो को बोला कि इन लोगो को गाड़ी मे डालो ऑर पोलीस स्टेशन ले जाओ,,,वो
पोलीस वाले उन लड़को को पोलीस स्टेशन ले जाने के लिए नीचे लेके चले गये,,वो कॅंटीन वाला बहुत रो रहा
था उसकी कोई ग़लती नही थी ,,2 हवलदारो ने उसको पकड़ा हुआ था ऑर फिर भी हाथ जोड़ने की कोशिश करता
हुआ अमित ऑर सुरेश के बाप से माफी माँग रहा था,,लेकिन उसके आँसुओ का किसी पर कोई फ़र्क नही पड़
रहा था,,,

तभी ख़ान सर ने अपने सीनियर ओफिसेर से इजाज़त ली ऑर वहाँ से बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,मैने भी अपने
प्रिन्सिपल को पूछा कि सर क्या मैं जा सकता हूँ तो प्रिन्सिपल ने अमित ओर उसके बाप की तरफ देखा तो
उन लोगो ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी,,,,

मैं वहाँ से चला गया,,,ऑर सीधा ख़ान सर के पीछे हो लिया,,,,ख़ान सर एक लिफ्ट मे घुसे ऑर उनके पीछे
ही मैं भी उस लिफ्ट मे घुस गया ,,जैसे ही मैं ख़ान सर से बात करने की कोशिश कि तभी एक खूबसूरत
हाथ लिफ्ट के दोनो बंद होते डोर के बीच मे आ गया ऑर लिफ्ट के डोर वापिस खुल गये,,,,मैने देखा तो
सामने रितिका थी,,जो चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मुझे देख रही थी,,,

मैं सोचा बाल बाल बच गया कहीं इसके सामने मैं ख़ान सर से बात कर लेता तो इसको पता चल जाता कि
मैं ख़ान सर को जानता हूँ ,,,लेकिन उसने लिफ्ट मे आते ही मुझे हैरत मे डाल दिया,,,लिफ्ट मे घुसते ही
वो जल्दी से ख़ान सर के सीने से लग गई,,,,मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई,,,,


ख़ान सर के सीने से लगते ही रितिका की आँखें नम हो गई,,,,,ख़ान भैया ,,,,रितिका के मूह से ख़ान भैया
सुनते ही मैं चौंक गया,,,ये क्या मसला है,,,,

अरे पगली इतने टाइम बाद मिली है तो क्या रो कर मिलेगी मुझे,,,,चल रोना बंद कर ,,,इतना बोलकर ख़ान
सर ने अपने हाथों से रितिका के आँसू पोंछ दिए ,,,,,

मैं आपको मिलकर तो बहुत खुश हुई हूँ ख़ान भैया ऑर ये आँसू खुशी के है ना कि किसी गम के,,,गम
तो तब होता है जब अक़्सा की याद आती है,,,,

अक़्सा नाम कहीं सुना हुआ लग रहा था,,,,,अरे हां अक़्सा तो वही लड़की थी जिसने अमित ऑर उसके दोस्तो की वजह
से अपनी जान दी थी,,,,,तो क्या ख़ान भाई की बेहन का नाम ही अक़्सा था,,क्यूकी उस दिन करण के घर पर जब \
मैने रितिका को अक़्सा की वीडियो दिखाई थी तो इसने बोला था कि वो उसकी फ्रेंड थी,,,,शायद इसी लिए वो ख़ान
सर को भैया बोल रही थी,,,,,

याद तो मुझे भी बहुत आती है अक़्सा की रितिका लेकिन मैं उदास या दुखी नही होता बल्कि गुस्से मे आ जाता
हूँ,,जिन लोगो की वजह से अक़्सा की जान गई मैं उन लोगो को फाँसी पर लटका कर ही दम लूँगा,,,

सही बोला ख़ान भाई अपने ,,जो लोग उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार है उनको सज़ा मिलनी चाहिए ,,चाहे वो कोई
भी हो,,,फाँसी तो होनी ही चाहिए उनको कमिनो को,,,,रितिका हल्के से गुस्से से बोली,,,,,

सॉरी ख़ान भाई अंदर रूम मे मैं डॅडी के डर से आपको मिल नही पाई,,इसलिए तो भाग कर लिफ्ट मे
आपके पीछे आ गई,,,,
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