Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-14-2019, 11:32 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

क्या हुआ मेरी बेटी,,इतना उदास क्यू है मैं तो यही हूँ ऑर तू शोबा को जाने क्यू नही दे रही थी ,,सन्नी भी तो यही है ना


यही तो बात है जो सन्नी यहाँ है माँ,,,माँ आते ही सोनिया एक पास बैठ गई ऑर सोनिया हल्की आवाज़ मे बोलने लगी,,,,इसको यहाँ से भेज दो माँ ,,,मेरे रूम से बाहर निकाल दो इसको,,,,

अभी तबीयत ठीक नही है फिर भी फाइट करना नही भूली तू,,,ये यहाँ रहेगा तो क्या होगा ऑर वैसे भी तेरे को पता है
इसने कितना ख्याल रखा है तेरा,,,रात भर तेरे सर पे ठंडे पानी के टवल रखे है इसने,,,,,

बट माँ रात को तुम ऑर शोबा दीदी भी थी ना यहाँ,,,,,दीदी ने बताया ,,तुम लोगो ने भी तो इतना कुछ किया है अगर इसने भी थोड़ा बहुत कर दिया तो क्या हुआ,,,,,

थोड़ा बहुत,,,,इसने तो बहुत कुछ किया है ,,,,रात को मैं ऑर शोबा भी इसी रूम मे थी ,,,,हम लोग तो थोड़ी थोड़ी देर बाद आराम
करने क लिए लेट जाते थे ऑर सो भी जाते थे लेकिन ये पगला पूरी रात जागता रहा ऑर तेरे पास ही बैठा रहा,,,एक पल के लिए
सोना तो दूर की बात है तेरे से दूर भी नही हुआ,,,पीठ सीधी करने के लिए लेटा भी नही,,,,ऑर तू इसको रूम से बाहर जाने
को बोल रही है,,,,तेरे को तो खुश होना चाहिए कि तेरे को ऐसा भाई मिला है जो तुझे इतना प्यार करता है तेरी इतनी फ़िक्र करता है,,,,,

माँ की बात सुनके सोनिया ने मेरी तरफ देखा तो सही लेकिन अभी भी उसकी आँखों मे गुस्सा था,,,,मैं भी उसकी तरफ देख
रहा था तभी माँ ने मुझे बेड पर आने को बोला,,,,सन्नी तू थोड़ी देर के लिए बैठ जा यहाँ मुझे किचन मे थोड़ा
काम है मैं आती हूँ ,,तब तक तेरी शोबा दीदी भी आ जाएगी नहा धो कर,,,,,इतना बोलकर माँ उठी ऑर वहाँ से जाने लगी,,

अब तू सन्नी से फाइट नही करना सोनिया ऑर आराम से लेट कर ठंडे पानी की पट्टियाँ करवा लेना मैं कुछ देर मे आती हूँ
नाश्ते की तैयारी करके,,इतना बोलकर माँ वहाँ से चली गई ऑर मैं माँ की जगह बैठ गया ऑर टवल को पानी के बर्तन मे
गीला करके सोनिया एक माथे पर रख दिया,,,,

क्या तू सच मे पूरी रात नही सोया सन्नी,,,,सोनिया ने हल्की आवाज़ मे मेरे से पूछा,,,,,

मैं कुछ नही कहा बस अपनी आँखों की तरफ इशारा किया जो ना सोने की वजह से हल्की सूज गई थी,,,,,

बहुत अच्छी बात है तेरे साथ ऐसा ही होना चाहिए सन्नी ,,,भगवान करे तेरी आँखें ऑर सूज जाए तो मज़ा आए,,,,तेरी वजह
'से मेरा ये हाल हुआ है अब तू ये मत सोचना कि तूने रात भर जाग कर मेरी सेवा की है तो मैं तेरी उन सारी ग़लतियों को
माफ़ कर दूँगी जिनकी वजह से मेरा ये हाल हुआ ,,,,मैं तुझे कभी माफ़ नही करूँगी ऑर ना कभी भूल सकती हूँ तेरी
गान्डि हरकतों को,,,,,,तू जितना अच्छा है उस से कहीं ज़्यादा बुरा है,,,,,,

तभी मैने उसके फेस पर अपना हाथ रख दिया,,,,,,,,तेरी सेवा करने का मुझे कोई शॉंक भी नही है लेकिन अगर तू बीमार
रहेगी तो मैं फाइट किसके साथ करूँगा इसलिए तेरे को जल्दी अच्छी करने की कोशिश कर रहा हूँ,,,,,,ऑर जो हरकते मैने तेरे
साथ की है उनको कभी भूलना भी नही ओर कभी माफ़ भी नही करना तू मुझे क्यूकी अगर तू भूल गई या तूने मुझे माफ़
कर दिया तो तेरा गुस्सा ठंडा हो जाना है ऑर तूने फिर से मेरे करीब आने की कोशिश करनी है जो तेरे लिए काफ़ी ख़तरनाक
साबित हो सकती है,,,,तेरा गुस्सा तुझे मेरे से दूर रहने मे हेल्प करेगा ऑर मुझे भी तेरे करीब नही आने देगा,,,इस गुस्से
को कभी कम नही होने देना ,,क्यूकी गुस्सा कम होते ही हम लोगो मे फंसला भी कम होना शुरू हो जाना है जो हम दोनो
के लिए बहुत बड़ी मुसीबत होगी,,,,

तभी उसने मेरा हाथ पकड़ने की ऑर मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन कमज़ोरी की वजह से वो हाथ को ज़्यादा हिला नही पा रही
थी,,,,,,फिर भी उसका हाथ मेरे हाथ पर आ गया ऑर उसने मुझे रोकने की कोशिश की,,,,,मैं उसके हाथ को वापसी बेड पर आराम
से रख दिया,,,,,,,,,,,

अभी गुस्सा मत कर पहले ठीक हो जा बाद मे जितना लड़ना होगा मेरे से जितना गुस्सा करना होगा कर लेना लेकिन पहले ठीक हो
जाओ,,,,ऑर इसलिए तो मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ ताकि तू जल्दी ठीक हो जाए ऑर मेरे से फाइट करना शुरू कर्दे,,,,अब आराम से
लेट जा ऑर मुझे मेरा काम करने दे,,,,,,उसके बाद वो चुप हो गई लेकिन गुस्से से मुझे घुरती रही ऑर मैं प्यार से हल्की
स्माइल करता हुआ अपने काम मे लगा रहा ऑर उसके माथे पर ठंडे टवल रखने लगा,,,,,,,,


आज शोबा भी बुटीक पर नही गई ऑर शिखा को फोन कर के बता दिया था कि सोनिया बीमार है इसलिए वो भी नही आई,,उसका
भी दिल नही था आज आने का क्यूकी आज करण घर पे अकेला था उनकी माँ अलका आंटी उनके नाना जी के पास गई थी ,,आज दोनो भाई
बेहन घर पर रहके मस्ती करने वाले थे,,

मैं सोनिया के पास रहा ओर तब तक माँ ऑर शोबा नाश्ता करने लगी जब उन लोगो का नाश्ता हो गया तो वो उपर आ गई ऑर मैं
नाश्ता करने लगा,,,,मैने देखा कि माँ ने नाश्ते मे कॉफी नही बनाई थी ,,,चाइ बनाई थी ऑर मुझे चाइ पस्संद
नही थी,,चाइ पीती थी शोबा दीदी ऑर मामा भी,,,मामा तो था ही नशेड़ी जिसको चाइ अच्छी लगती थी,,चाइ से चरस का असर जो
ज़्यादा हो जाता है,,,,,,वैसे अब मामा नज़र नही आ रहा था कहीं ,,शायद बाहर गया होगा,,,,,


खैर मैं नाश्ता कर ही रहा था तभी बेल बजी मैने जाके दरवाजा खोला तो सामने कविता थी,,,,


मेरे मूह मे ब्रेड थी जिसको मैं चबा रहा था ,,मेरा भरा हुआ फूला मूह देख कर वो हँसने लगी,,,,,ऑर शरमाने
भी लगी,,,,,वो आज कुछ ज़्यादा ही हसीन लग रही थी मुझे,,,,,मैं उसको देख ही रहा था तभी शोबा बेल की आवाज़ सुनके नीचे
आ गई थी,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,,

हेलो कविता ,,मैं खाना ख़ाता हुए बोला तो मेरा साउंड क्लियर नही था जिसको सुनकर वो हल्का ज़ोर से हँसने लगी,,,,

मैने जल्दी से मूह का खाना चबा कर अंदर निगल लिया ऑर फिर से उसकी हेलो का जवाब दिया,,,,,,

इतना हँस क्यू रही है बंदरिया ,,तू खाना खाते टाइम बोलती नही क्या,,,,,

बोलती हूँ लेकिीन इतना अजीब नही,,,वो फिर हँसने लगी,,,,

तभी शोबा दीदी की आवाज़ आई,,,,,कॉन है सन्नी,,,,,,

पता नही दीदी कोई पागल लड़की है ,,,,मैं इतना बोला ही था कि कविता ने मुझे ज़ोर से घुसा मारा मेरे पेट मे मैं दर्द
से कराह उठा ऑर तभी उसने मुझे धक्का देके दरवाजे से पीछे किया ऑर अंदर आ गई,,,,,

क्यू कैसा लगा पागल लड़की का घुसा सन्नी बेटा,,,शोबा दीदी ऑर कविता दोनो हँसने लगी,,,,,

हेलो दीदी,,,,,,,,,,,हाउ आर यू??

हेलो कविता ,,,,,,मैं ठीक हूँ कविता ,,,,यू टेल,,,,

मैं भी ठीक हूँ दीदी ,,,,आज आप कॉलेज नही गई दीदी,,,,

नही कविता वो सोनिया की तबीयत ठीक नही थी इसलिए मैं नही गई,,,,,

अब कैसी है वो दीदी,,,मैं भी उसी की वजह से आज कॉलेज नही जा रही सोचा सोनिया के पास बैठ कर बातें करूँगी
थोड़ा टाइम पास हो जाएगा उसका भी ओर मेरा भी,,,,,,

तभी मैने दीदी को बोला,,,,दीदी इसको टाइम पास करने दो आप मेरे लिए कॉफी बना दो,,,,माँ ने आज नाश्ते मे कॉफी नही
बनाई मेरे लिए,,,,,

नही सन्नी अभी नही अभी मैं बहुत थक गई हूँ रात को सोई भी नही ठीक से,,,अब बहुत नींद आ रही है मैं माँ को
बोलके आई हूँ कि थोड़ी देर सोने जा रही हूँ,,,,,,ये तो बेल बजी तो देखने आ गई कि कॉन आया है,,,,,

आपकी बेहन बीमार है ऑर आप सोने जा रही हो दीदी ,,मैं मज़ाक मे बोला दीदी को,,मैं भी तो रात भर नही सोया ,,,,तो क्या
मैं भी नाश्ता करके सो जाउ,,,,,

तेरा तो पता नही मैं तो सोने जा रही हूँ ऑर वैसे अब तो मुझे बहाना भी मिल गया है कविता जो आ गई है,,अब ये माँ की
हेल्प करेगी ओर मैं जाके सो जाउन्गी,,,,,बहुत थक गई रात को मैं,,,,,इतना बोलकर दीदी उपर जाने लगी,,,,,

लेकिन मुझे कॉफी तो बना दो दीदी ,,उसके बिना नाश्ता कैसे करूँगा,,,,प्ल्ज़्ज़ दीदी,,,,

तभी दीदी ने उपर जाते हुए पीछे मूड कर कविता की तरफ देखा,,,,तुझे कॉफी बनानी आती है क्या कविता,,,,,,

कविता ने हां मे सर हिला दिया,,,,,,

तो ठीक है पहले तू इस पागल एक लिए कॉफी बना दे फिर उपर आ जाना अपनी फ्रेंड के पास ऑर अगर खुद पीनी है तो अपने
लिए भी बना लेना,,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:33 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
दीदी ने मुझे पागल बोला तो कविता हँसने लगी,,,दीदी आप भी पिओगी क्या,,,,,,,ऑर आंटी जीई,,,,,,,,,

नही मुझे नही पीनी मैं तो सोने लगी हूँ,,,,ऑर माँ भी नही पिएगी क्यूकी माँ ने अभी चाइ पी थी,,,,इसी को आदत है
कॉफी पीने की,,इतना बोलकर दीदी उपर चली गई,,,,,


तू इतना हँस क्यू रही थी जब दीदी ने मुझे पागल बोला था,,,,,,,

मेरी मर्ज़ी मैं जब दिल करे तब हँस सकती हूँ,,,,,,,तुझे क्या लेना देना,,,,

तभी मैं भी ज़ोर से हँसने लगा,,,,,,

अब तुझे क्या हुआ है तू क्यू पागलो की तरह ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा है,,,,,

जब दीदी ने मुझे पागल बोला तो तू हँसी थी मेरे पे ,,अब दीदी ने तुझे नौकरानी बन दिया तो मेरा भी हक़ बनता है हँसने
का,,,,,

दीदी ने मुझे नौकरानी कब बोला,,,,कविता थोड़ा चिढ़ते हुए बोली,,,,,

नौकरानी बोला नही लेकिन बना तो दिया ना ,,तभी तो घर आने वाले मेहमान को खुद कॉफी बनाने एक लिए बोल दिया,,,,खुद
के लिए भी ऑर मेरे लिए भी,,,,,मैं इतना बोलकर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा,,,,,,

कॉफी पीनी है या नही,,,,,,कविता ने मुझे धमकी दी,,,,,अब नौकरानी बोला तो मैं नही बनाउन्गी कॉफी खुद बना लेना,,
ऑर वैसे भी मैं इस घर की मेहमान नही हूँ,,,ये घर मेरा भी है,,,,आंटी मुझे बेटी कहती है,,ऑर तुझे पागल ,,,
कविता भी ज़ोर से हँसने लगी,,

सॉरी कविता जी मैं तो मज़ाक कर रहा था ,आप तो इसी घर की मालकिन हो ऑर मैं पागल हूँ,,,अब तो कॉफी बना दो मुझे
मालकिन,,,,मैं भी मज़ाक की बात का जवाब मज़ाक मे दिया,,,,,

उसने हाथ मे पकड़ा हुआ बॅग सोफे पर रखा ऑर किचन मे चली गई जबकि मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ कर बाकी का नाश्ता
करने लगा जो बस ज़रा सा ही बच रहा था,,फिर मैं बर्तन लेके किचन मे चला गया,,,,,

कविता गॅस के पास खड़ी हुई थी ऑर कॉफी बना रही थी,,,,,,,नौकरानी जी आप गॅस पर कॉफी क्यू बना रही हो ,,मेरे इतना बोलते
ही कविता डर कर पीछे मूडी ऑर मुझे देख शरमाने लगी,,,,

ई ब्लककी नौकरानी किसको बोला,,,,,वो शरमाती हुई लेकिन एक नखरे ऑर अकड़ के साथ बोली,,,,,

तुझे बोला ऑर किसको बोला,,,तुझे कॉफी मेकर मे कॉफी बनानी नही आती क्या जो गॅस पे बना रही है,,,मैने हँसते हुए
मज़ाक मे बोला,,,,

देख ब्लॅकी मुझे नौकरानी मत बोल वर्ना,,,,,कविता हल्के गुस्से मे चिढ़ती हुई बोली,,,,,

तभी माँ किचन मे आ गई,,,,,,अरे तुम दोनो आज भी फाइट कर रहे हो,,,,कब ख़तम होगी तुम लोगो की ये फाइट,,माँ ने
किचन मे आते ही बोला,,,

मैने पीछे मूड कर माँ की तरफ देखा,,,,तभी कविता ने माँ को हेलो बोला


हेलो आंटी,,,,,,

हेलो बेटी,,,,,क्या हुआ अब किस बात पे फाइट हो रही है तुम लोगो की,,,,,,

देखो ना आंटी एक तो मैं इस पगले को कॉफी बना कर दे रही हूँ उपर से ये मुझे नौकरानी बोल रहा है,,,,मैं
कोई नौकरानी हूँ इस घर की,,,

नही कविता जी आप तो मालकिन हो इस घर की,,,क्यू कविता जी मैने ठीक कहा ना,,,,

देखो आंटी फिर से मुझे चिड़ा रहा है,,,कभी नौकरानी बोलता है अभी मालकिन,,,,खुद को पता नही क्या समझता है ये,,

अरे ये क्या बात हुई सन्नी ,,,एक बात बोलो तुम या तो नौकरानी बोलो या मालकिन,,,,माँ ने भी हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,लेकिन
ये नौकरानी वाला तो मसला समझ आया बट ये मालकिन वाली क्या बात है,,,,,

यही बोल रही थी कि ये नौकरानी नही मालकिन है इस घर की,,,,मैं माँ को हँसते हुए बोला,,,,

तो ठीक कह रही है ये,,,ये मेरी बेटी सोनिया की बेस्ट फ्रेंड है ऑर मेरे लिए मेरी बेटी सोनिया की जैसी है,,,अगर सोनिया इस घर
की मालकिन हो सकती है तो ये क्यू नही,,,,,इसका भी उतना हक़ बनता है जितना सोनिया का,,,,,

माँ ने इतनी बात बोली तो कविता माँ के गले लग गई ,,ओह्ह तांख्षकशकश आंटी जी,,,,माँ के गले लग्के वो पीछे हुई ऑर मुझे ज़ुबान
निकाल कर दिखाने लगी ऑर साथ मे एक हाथ का अंगूठा भी दिखा कर मुझे किसी बच्चे की तरह चिडाने लगी,,,,,

तभी माँ ने फ्रिड्ज खोली ऑर आइस निकाला ली,,,,,चलो तुम दोनो फाइट करो मैं चली उपर,,,,माँ वहाँ से जाने लगी,,

सोनिया कैसी है अब आंटी जी,,ऑर आप आइस लेने क्यू आई,,शोबा दीदी कहाँ है,,,,

बेटा शोबा तो सो गई ऑर सोनिया अब ठीक है पहले से,,अभी जाग रही है,,सोने वाली थी की शोबा ने उसको बता दिया कि तुम आ
गई हो तो अब वो नही सोने वाली,,तेरी वेट कर रही है,,,,,जल्दी आजा उपर,,,,

अभी आती हूँ आंटी जी इस ब्लॅकी को कॉफी देके,,,आप कॉफी पिओगी क्या आंटी जी,,,,,

नही बेटी मैने अभी चाइ पी थी कुछ देर पहले,,,,तुम सन्नी को कॉफी पिलाओ,,,

माँ वहाँ से चली गई,,,,,ऑर कविता मुझे फिर से चिडाने लगी,,,,,देखा मैं भी इस घर की मालकिन हूँ अब ज़रा तमीज़
से बात करने मेरे से,,,,समझे ब्लॅकी,,,,कविता एक हल्के नखरे के साथ बोल रही थी,,,

समझ गया नौकरानी जी,,,,अब जल्दी से कॉफी बना ,,

नौकरानी नही मालकिन हूँ मैं समझा ब्लॅकी,,,,,वो फिर नखरे से बोली,,,,

चल चल बड़ी आई मालकिन,,,मेरे लिए तू नौकरानी है बस ,,,,अब जल्दी कॉफी बना ऑर दे मेरे को,,,

देख अब अगर तूने मुझे एक बार भी नौकरानी बोला तो अच्छा नही होगा समझ गया,,,,,

बोलूँगा एक बार नही हज़ार बार बोलूँगा,नौकरानी ,,नौकरानी,,

देख सन्नी बस कर वर्ना मारूँगी मैं तेरे को,,,वो हाथ को हवा मे उठाके मुझे मारने के लिए आगे आई,,,,

मारेगी मुझे ,,,,,,?? इतनी हिम्मत है क्या तेरे मे,,,,,??

हाँ है हिम्मत तू एक बार ऑर बोल बस नौकरानी मुझे फिर देखना,,,,

अच्छा तो ये बात है ,,,चल बोलता हूँ फिर तो ,,,,देखु तो सही कितनी हिम्मत है तेरे मे,,,,,नौकरानी कहीं की,,,,

मैने अभी बोला ही था कि कविता मेरे पास आ गई ऑर अपने हाथ से मुझे हल्के से थप्पड़ मारने लगी,,तभी मैने अपने एक
हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया,,उसने भी दूसरा हाथ उठा कर थप्पड़ मारने की कोशिश की तो मैने उसके दूसरे हाथ को
भी पकड़ लिया ऑर उसको पीछे की तरफ ले गया ऑर उसको गॅस के पास शेल्व के साथ लगा लिया,,,,,,मैने उसके दोनो हाथों को अपने
हाथों मे पकड़ा हुआ था,,,,वो ज़ोर लगा लगा कर अपने हाथ मेरे हाथ से छुड़वाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने भी
अपना ज़ोर लगाया हुआ था ,,,,,,

बस इतना ही ज़ोर है,,,नौकरानी जी,,,,,मैने हँसते हुए बोला,,,,

अब अगर नौकरानी बोला तो मैं तेरा वो हाल करूँगी सन्नी,,,अभी उसने बोलना शुरू किया था कि मैने उसकी बात को बीच मे
रोक दिया,,,,,,,,तूने मेरा क्या हाल करना ये तो मुझे नही पता लेकिन अब मैं तेरा क्या हाल करूँगा ये तू देखती जा बस,,,

मैने उसके दोनो हाथों को पीछे करके उसकी पीठ से लगा दिया जिस से मेरे हाथ भी उसकी पीठ पर चले गये ऑर मेरी छाती
उसकी छाती से टच हो गई,,,,इस तरह मैं उसके बहुद करीब हो गया,,,मेरे चेहरा उसके चेहरा से बस 1 फीट दूर था ,,
उसने मुझे इतने करीब से देखा तो शर्मा कर अपने सर को नीचे झुका लिया ऑर इसके साथ ही उसकी हार्ट बीट भी तेज हो गई,,,

उसकी छोटे छोटे बूब्स मेरी छाती से टच करने लगे,,,मेरे बेक़ाबू होने के लिए तो इतना सब ही बहुत था ,,,मैने आगे
बढ़ कर अपने फेस को उसके ऑर भी ज़्यादा करीब कर दिया जिस से मेरी साँसे उसके माथे पर लगने लगी ऑर उसके बाल मेरी सांसो की हवा के कारण हिलने लगे,,,,तभी मैने उसके हाथों को छोड़ दिया ऑर अपने हाथ उसकी पीठ पर रख दिया,,वो एक दम से सिहर उठी,,,,,

ये क्या कर रही हूँ सन्नी ,,,,

मैं उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,

सन्नी छ्छूड्डू मुउज़्झहही क्कू आ जाएगा,उसकी ये बात सुनके मैं थोड़ा हैरान हो गया,,,ऑर अपने फेस को उसके
ऑर ज़्यादा करीब ले गया ऑर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके झुके हुए चेहरे को उसकी चिन से
पकड़ कर उपर उठा दिया,,,,,,,,क्या बोला तूने,,कोई आ जाएगा,,,,तुझे किसी के आने का डर है मेरे इतने करीब होने से तुझे
कोई डर नही लग रहा क्या मेरे से,,,,

उसने कुछ नही बोला ,,,बस अपने आँखें दूसरी तरफ करली,,,मैने फिर से पूछा ,,तुझे मेरे से डर नही लग रहा क्या,,,,

नही मुझे तेरे से डर नही लगता,,,,,इतना बोलकर उसने अपने हाथ सामने की तरफ किए ओर मुझे हल्का सा धक्का मार कर पीछे
करने की कोशिश की मैं उसकी इस हरकत को पहले से समझ गया था ऑर मैं उसकी पीठ को अपने हाथ से कस्के पकड़ लिया
जिस से वो मेरे ऑर भी ज़्यादा करीब आ गई,,,,

अच्छा सच मे तुझे मेरे से डर नही लगता,,,,,,मैं हल्की आवाज़ मे बोला,,

उसकी साँसे अभी तक फुल गरम हो गई थी फिर भी वो खुद पर क़ाबू करने मे काफ़ी तेज थी,,,,नही मुझे तेरे से डर नही
लगता पागल ब्लॅकी,,,इतना बोलकर वो मुझे देख कर हँसने लगी,,,,
Reply
07-14-2019, 11:33 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मेरा ध्यान उसकी आँखों की तरफ था जिसमे मुझे हल्की शरारत नज़र आ रही थी लेकिन उसकी हँसी उस से भी ज़्यादा नटखट
लग रही थी,,,,उसके लिए ये सब मज़ाक था लेकिन उसकी तेज ऑर गर्म साँसे मुझे बता रही थी कि वो भी कुछ हद तक गर्म हो
चुकी है लेकिन फिर भी खुद पर क़ाबू कर रही है,,,,,,

अच्छा तो मैं पागल हूँ,,,,,तू मुझे पागल समझती है,,,,,मैं भी मज़ाक मे बोला ऑर उसकी चिन को अपने हाथ से अलग करके
अपने हाथ को वापिस उसकी पीठ पर ले गया ऑर दोनो हाथों से उसको अपने से सटा लिया जिसस से उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी
छाती से बुरी तरह से चिपक गये ,,उसके मूह से हल्की अहह निकल गई शायद दर्द की वजह से,,,,,

तुझे पागल क्या समझना तू तो है ही पागल ,,ब्लॅकी,,,,,वो हँसती हुई बोलती जा रही थी लेकिन उसके बोलने का अंदाज़ बता रहा
था कि बोलते टाइम उसकी ज़ुबान उसका साथ नही दे रही थी,,,,लड़खड़ाती सांसो की वजह से उसकी आवाज़ भी लड़खड़ा रही थी,,,,,

ठीक है तो मैं पागल सही ऑर पागल बंदा तो कुछ भी कर सकता है ,,कैसी भी गुस्ताख़ी कर सकता है उसके लिए तो कोई सज़ा
भी नही मिलती उसको,,,,अब मैं भी पागल हूँ तो तेरे से गुस्ताख़ी करने का हक़ है मुझे,,,,इतना बोलकर मैने अपने फेस
को आगे किया तो उसने जल्दी से अपने फेस को टर्न कर लिया ,,मैं भी अपने फेस को उसकी गर्दन की तरफ करके अपने लिप्स उसकी
गर्दन पर रख दिए,,,,,,उसके मूह से एक लंबी अहह के साथ मेरा नाम निकल गया सुउन्न्ञननन्न्नयययययययी,,,,,,,,,,,,,,

मैं उसकी गर्दन पर अपने लिप्स रखे ओर हल्की किस करदी ,,मेरे ऐसा करते ही उसके हाथ जो अभी तक मेरी छाती पर थे वो
जल्दी ही मेरी पीठ पर चले गये ऑर उसने मुझे अपनी बाहों मे जकड लिया ,,,उसके ऐसा करते ही मैं समझ गया कि ये अपने
बस मे नही है,,,गरम हो गई है,,,जवान लड़की के लिए खुद पर क़ाबू करना मुश्किल होता है ऐसी हालत मे,,,मैं उसकी
इस हरकत के बदले मे अपने हाथ उसकी पीठ पर से सहलाते हुए उसकी गान्ड पर ले गया ओर अपने दोनो हाथों से उसको उठाकर
शेल्व पर बिठा दिया,,शेल्व पर बैठते ही उसने मुझे एक बार देखा ओर शरमा कर सर नीचे झुका लिया मैं अपने हाथ
से उसके सर को उपर किया ऑर देखा की उसकी आँखें शरम के मारे बंद थी ,,मैं आगे बढ़ कर अपने लिप्स उसके लिप्स पर रख
दिए,,,वो एक दम से शेल्व पर उछल गई ओर मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया,,,,,मैं तो हैरान ही रह गया,,मुझे अभी
एक पल ही हुआ था उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखे की उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भर लिया ओर किस करने लगी,,,मैने अपने हाथ
उसकी गान्ड के नीचे से हटा कर उसकी पीठ पर रख दिए ऑर इस से पहले मैं उसकी पीठ को सहलाना शुरू करता उसके हाथ
मेरी पीठ पर चलने लगे,,,मेरी तो एक दम से हालत ही खबर हो गई,,,साला ये क्या हो गया एक दम से,,,मैं तो इसको गर्म करने
की कोशिश कर रहा था लेकिन ये तो पहले से ज्वालामुखी की तरह आग उगल रही है,,,,मैने भी उसको किस का रेस्पॉन्स देना
शुरू कर दिया ओर अपने एक हाथ से उसकी पीठ को सहलाते हुए अपने दूसरे हाथ को उसके सामने की तरफ ले आया ऑर उसकी कमर
को सहलाने लगा,,,,उसके हाथ भी मेरी पूरी पीठ को सहला रहे थे,,,,,

वो मुझे इतने बढ़िया तरीके से किस कर रही थी की मुझे यकीन ही नही हो रहा था,,,,वो मेरे लिप्स को अपने मूह मे भरके
कभी चुस्ती तो कभी हल्के से काट देती तो कभी मेरी ज़ुबान को अपने दाँतों मे भरके अपने मूह मे खींच लेती तो
कभी अपनी ज़ुबान को मेरे मूह मे घुसा देती ऑर हर तरफ घुमाने लगती,,,मैं तो इतना ज़्यादा मस्त हो गया था कि पता नही
कब मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया और मैने उसके बूब को हल्के से दबा दिया,,,,तभी एक दम से उसने मुझे धक्का
दिया ऑर मैं जाके ज़मीन पर गिर गया वो जल्दी से शेल्व से जंप करके नीचे उतरी ओर किचन से बाहर की तरफ भाग गई लेकिन
वो दरवाजे के पास जाके रुक गई ऑर वही खड़ी होके मुझे देखने लगी,,,,,

उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी ऑर छोटे छोटे बूब्स उपर नीचे हो रहे थे,,,उसकी आँखों मे एक अजीब सी कशिश थी एक
मस्ती थी जिसकी मदहोशी मे वो खो गई थी ,,,उसकी आँखों मे इतना नशा था कि ऐसा लग रहा था उसने ड्रिंक की है,,इधर
मैं भी ज़मीन पर गिरा हुआ था ऑर मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही थी,,,उसके सॉफ्ट लिप्स का स्वाद अभी तक मेरे मूह मे था उसकी
सांसो को मैं अभी भी अपने फेस पर महसूस कर रहा था ,,इधर मेरा लंड भी मस्ती मे सर उठाने लगा था जिस पर
कविता का ध्यान चला गया था,,उसने कुछ पल मेरे लंड की तरफ देखा,,,,,

अब जल्दी उठ जा पागल ब्लॅकी ऑर कॉफी लेके उपर आ जाना ,,,वो सांसो पर क़ाबू करके इतना बोली ओर हँसती हुई वहाँ से भाग
गई,,,,,मैं तो साला चाकर खाने लगा था ज़मीन पर बैठा बैठा,,,ये साला क्या हो गया एक दम से,,,इसने वो सब कैसे ,,,
मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,,,मैं बस कन्फ्यूज़ सा हो गया था,,,,दिमाग़ खराब कर दिया था उस कविता ने एक
ही पल मे,,,,मैं खुद पर क़ाबू करता हुआ ज़मीन से उठा ऑर खड़ा हो गया,,,,इधर मेरा लंड भी पूरी ओकात मे खड़ा
हुआ था,,,,,,मैं जैसे तैसे कॉफी को कप मे डालके उपर सोनिया के रूम मे लेके गया ,,ऑर मैं उपर तक कैसे पहुँचा
ये मैं ही जानता हूँ,,,,,,ऐसा लग रहा था कि अभी मेरे हाथ से कप नीचे गिर जाने है ओर शायद मैं भी गिर जाउन्गा,,उस
कविता ने मेरी ऐसी हालत करदी थी कि मैं बता नही सकता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं कॉफी के कप लेके सोनिया के रूम मे गया तो सोनिया लेटी हुई थी जबकि माँ ऑर कविता सोनिया के सर पर कोल्ड वॉटर के टवल
रख रही थी,,,,वो भी सोनिया के पास उसी के बेड पर बैठी हुई थी,,,,

मैं अंदर गया तो कविता मुझे देख कर शरमा रही थी लेकिन सोनिया अभी भी गुस्से मे थी,,,,अब तो मुझे ऐसे लगने
लगा था जैसे उसकी आँखें है ही ऐसी,,,हर दम गुस्से से लाल ही रहती है,,,

अरे बेटा तू कॉफी लेके क्यू ले आया,,तेरी मालकिन ने कॉफी नही बना के दी तुझे,,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी साथ मे कविता
भी,,,ऑर हल्की स्माइल सोनिया एक फेस पर भी आ गई ,,लेकिन जब मैं उसकी तरफ देखा तो फिर से मुझे गुस्से से देखने लगी,,,


माँ ये मेरी मालकिन नही नौकरानी है,,,,लेकिन कुछ ज़्यादा ही सर पर चढ़ि हुई है ,,,खुद कोई काम नही करती सब काम मेरे
से करवाती है,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा लेकिन मेरा साथ किसी ने नही दिया तो मैं जल्दी ही चुप हो गया,,,ऑर मेरे चुप
होते सब लोग फिर से हँसने लगे,,,,,

मैं समझ गया भाई लेडीस से तू नही जीत सकता भला इसी मे है कि चुप चाप बैठ जा ऑर कॉफी पी ले,,,,ऑर मैने ऐसा
ही किया ,,,

मैं बैठ गया अपने बेड पर ऑर कॉफी पीने लगा कविता का कप मैने पास के टेबल पर रख दिया,,,,,

माँ सोनिया ऑर कविता अपनी बातों मे लगी हुई थी तो मैने लॅपटॉप ऑन किया ऑर गेम खेलने लगा ,,,सब अपनी मस्ती मे थे

मैने कॉफी ख़तम की ऑर आराम से लेट गया तभी माँ उठी ऑर उठकर रूम से बाहर जाने लगी,,,,अच्छा बेटी अब तुम यही
बैठ कर सोनिया से बात करो मैं थोड़ी देर मे आई,,इतना बोलकर माँ बाहर गई ऑर जाते टाइम सोनिया ऑर कविता की नज़रो से बच
कर मुझे इशारा कर गई नीचे आने का,,,,मैं भी 2 मिनट बाद उठा ऑर नीचे चला गया,,,,,मुझे पता था कविता के आने
से सोनिया के दिल लगा रहेगा ,,शोबा सो चुकी है तो माँ इस मोके का फ़ायदा ज़रूर उठाएगी,,,,ऑर वैसे भी कविता की वजह से
मैं काफ़ी गरम हो गया था या बोलू कि उसने मुझे काफ़ी गर्म कर दिया था,,,,वो मेरी सोच से कुछ तेज निकली,,,,

मैं नीचे गया तो माँ अपने रूम मे थी,,,,,,क्या हुआ माँ मुझे क्यू बुलाया,,,,,माँ अपनी अलमारी से कपड़े निकाल रही थी,,,

कुछ नही बेटा,,मुझे ज़रा मार्केट तक जाना है ये कुछ मेडिसिन लेके आनी है सोनिया के लिए ऑर साथ ही कुछ देर के लिए मुझे
अलका के पास भी जाना है,,,तू भी मेरे साथ चल,,,

लेकिन माँ अलका आंटी तो करण के नाना नानी के पास गई है ,,उसके नाना जी की तबीयत ठीक नही थी,,,,,करण ने बताया था मुझे

गई हुई थी बेटा लेकिन आज ही सुबह कुछ देर पहले वो वापिस आ गई है,,,,अब हमे उसके घर जाना है तेरे लिए एक खुश खबरी
है वहाँ पर,,,,,

क्या खुशख़बरी माँ ,,क्या वो मान गई है मेर साथ मस्ती करने के लिए,,,,,,मैने खुश होके माँ से पूछा,,,,,

मानी तो कब्से हुई है बेटा लेकिन अगर मस्ती करनी ही है तो क्यू ना थोड़ी ज्याद मस्ती के साथ की जाए,,,,थोड़ा तडपाया जाए
थोड़ा तरसाया जाए,,,,मेरे पास एक प्लान है ,,तू बस तैयार होके मेरे साथ चल फिर देख मैं क्या करती हूँ,,,,

मैं तो माँ की बात सुनके खुश ही हो गया,,कविता की वजह से मेरा बुरा हाल था ,,कविता से तो कुछ नही कर सका तो माँ
ने नीचे बुला लिया तो सोचा कि माँ के साथ मस्ती कर लूँगा लेकिन अब माँ ने भी मना कर दिया था,,लेकिन एक अच्छी बात थी कि
अलका आंटी तैयार थी मस्ती करने के लिए,,,मैं तो दिल ही दिल मे सोचने लगा कि जाते ही अलका आंटी को चोदना शुरू कर दूँगा,,
बेड पर नंगी कर लूँगा ऑर घुसा दूँगा अपना मूसल उनकी गान्ड मे,,,,

मैं जल्दी से तैयार हो गया ऑर माँ भी तैयार हो गई,,,,,,माँ उपर जाके कविता को बोल आई कि हम लोग सोनिया के लिए मेडिसिन लेने
जा रहे है ऑर फिर हम दोनो करण के घर की तरफ चल पड़े,,,,,,माँ ने रास्ते मे कुछ नही बताया मैने एक दो बार पूछा
भी कि माँ आपका प्लान क्या है लेकिन माँ कुछ नही बोली,,,,,

कुछ देर बाद हम करण के घर पहुँच गये,,,,मुझे बार बार ऐसा लग रहा था कि अलका आंटी नही आई होगी शायद
माँ का मूड होगा करण ऑर मेरे साथ मिलकर मस्ती करने का ,,ऑर हो सकता है शिखा भी हम लोगो का साथ दे लेकिन जब
हम लोगो के डोर बेल बजने पर अलका आंटी ने गेट खोला तो मैं हैरान हो गया,,,,लेकिन आंटी मुझे देख कर बहुत
खुश हो गई थी,,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:33 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
माँ आगे बढ़ कर अलका आंटी के गले लग गई ऑर दोनो ने एक दूसरे को हाई हेलो बोला,,,,अलका आंटी जब माँ के गले लग्के बात
कर रही थी तब भी उनका ध्यान मेरी तरफ ही था ,,आज वो कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी,,उनकी आँखों मे अजीब चमक
ओर फेस पर एक खुशी थी,,,,माँ के गले से बाहें निकाल कर आंटी मेरी तरफ आई,,,,,

हेलो आंटी जी,,,लेकिन आंटी ने मेरी हाई हेलो का जवाब नही दिया बस सीधा मेरे गले लग गई,,,,,आज आंटी ने नाइटी ही पहनी
हुई थी,,,लेकिन आंटी तो सुबह वापिस आई थी तो नाइटी क्यूँ पहनी हुई थी,,क्या वो रात को वापिस आई थी,,,,मुझे कुछ समझ
नही आ रहा था,,लेकिन आज उनके बर्ताव मुझे कुछ अजीब लग रहा था,,,उन्होने जब मुझे अपनी बाहों मे भरा हुआ था
तब वो मुझे कस्के अपने साथ चिपका रही थी,,,उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा
ज़ोर लगा रही थी,,,,,,मैने भी अपने बाहों को आंटी के जिस्म पर कस दिया ओर आंटी को अपने से चिपका लिया लेकिन तभी माँ
ने मुझे पीछे से हंस कर देखा ऑर ऐसा करने से मना किया तो मैने जल्दी से आंटी को अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया ऑर
पीछे हट गया,,,,तभी आंटी ने मुझे हंस कर देखा ऑर वापिस अंदर की तरफ जाने लगी ऑर जाते हुए माँ का हाथ पकड़ कर उनको
भी अपने साथ ले गई,,,,मैं भी पीछे पीछे अंदर की तरफ जाने लगा ऑर मेरी नज़र पड़ी मेरे सामने मटक मटक कर चल
रही 2 भारी भरकम गान्ड पर जो लटके झटके मारते हुए मेरे सामने चल रही थी,,,,क्या बोलू कोन्सि गान्ड ज़्यादा मस्त थी
माँ की या अलका आंटी की,,,,,मेरा बस चलता तो दोनो को नंगी करने अभी गान्ड मे मूसल घुसा देता,,,,लेकिन माँ ने बोला
था कोई जल्दबाजी नही करनी इसलिए मैं क़ाबू कर रहा था खुद पर वर्ना तभी आंटी की गान्ड पर हाथ फेर देता जब
उनके गले लगा हुआ था ,,,,

मैं अंदर गया तो जाके सोफे पर बैठ गये जबकि माँ ऑर आंटी जी सामने वाले सोफे पर बैठ गई,,,,,,

आज कैसे आना हुआ दीदी,,,,,,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,,

कुछ नही अलका मैं तो तेरे पिता जी का मेरा मतलब करण के नाना जी का हाल चाल पूछने आई थी,,,पता चला था शोबा से कि
तुम उनके पास गई हुई हो,,क्या हुआ है उनको,,,

कुछ नही हुआ दीदी बस ओल्ड एज हो गये है तो कुछ ना कुछ प्रोबलम रहती है,,,,मैं गई थी उका हाल चाल पता करने आज सुबह
ही वापिस आई हूँ,,,,,वो करण ने जाना था ना अपने दोस्तो के साथ घूमने,,,,,

मैं साला सोच मे पड़ गया वो किस दोस्त के साथ घूमने गया है,,,,दोस्त तो बस मैं हूँ उसका ,,,,ऑर मुझे ही नही पता वो
कहाँ गया है,,,,,,मैं इतना परेशान था कि आंटी से पूछने ही लगा था कि तभी माँ आने मुझे चुप रहने को बोला,,,,

कहाँ गया है करण अलका,,,,

आपको तो पता होगा दीदी ,,,सन्नी ने बताया होगा,,,,कॉलेज की तरफ से कुछ दोस्त गोआ घूमने जाने वाले थे ,,

हां मुझे बताया था सन्नी ने मैं भूल गई,,,,,माँ ने ऐसा बोला तो मुझे कुछ समझ नही आया ,,कॉन्सा गोआ कोन्से दोस्त
ये सब क्या हो रहा है,,,,,

सन्नी बेटा तुम क्यूँ नही गये गोआ,,,करण भी उदास था तेरे बिना जाने पर,,,,तू चला जाता तो उसको अच्छा लगता,,,

मैं कुछ बोलता इस से पहले माँ बोलने लगी,,,,,ये भी जाना तो चाहता था लेकिन कुछ दीनो मे इनके टेस्ट शुरू होने वाले है
तो मैने सोचा इसको नही जाने देती,,,,वैसे भी पहले ये कुछ दिन गाओं रहके आया था तो बहुत छुट्टियाँ हो गई थी इसकी,,,माँ
ने ऐसा बोला तो मुझे हल्का हल्का समझ आने लगा कि ये सब माँ की प्लानिंग होगी,,,,लेकिन करण कहाँ गया ऑर शिखा दीदी
कहाँ है वो तो आज बुटीक पर भी नही आई,,शोबा दीदी ने बताया था मुझे,,,,लगता है शोबा दीदी को भी इसके बारे मे
कुछ नही पता होगा,,,,

चलो कोई बात नही ये नही गया तो क्या हुआ,,,,,वैसे चला जाता सन्नी भी तो करण खुश हो जाता,,,,वो भी बोल रहा था कि
टेस्ट से पहले कुछ मस्ती करने का दिल कर रहा है ,,,इसलिए मैने भी नही रोका उसको,,,,,

अच्छा बोलो दीदी आपके लिए चाइ लेके आउ या कॉफी ,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,

मुझे कुछ नही लेना अलका,,,थन्क्ष्क्ष्क्ष,,,मैं तो सोनिया की मेडिसिन लेने आई थी तो सोचा तेरे से भी मिलके चलती हूँ,,,सो
यहाँ आ गई,,,,

सोनिया को क्या हुआ दीदी,,,,,अलका परेशान होके बोली,,,,,

कुछ नही गर्मी की वजह से बुखार हो गया है,,,सारा दिन स्टडी की टेन्षन मे खाना पीना भी भूल जाती है अब पेट मे
गर्मी हो गई तो बुखार हो गया,,,,उसके लिए ही आई थी मैं बाज़ार,,,,,

हयी राम इतनी प्यारी बच्ची को बुखार हो गया,,,,घर तो सुना सुना हो गया होगा उसके बिना,,,,

हाँ सही बोला अलका ,,जबसे वो बीमार हुई है घर सुना सुना हो गया है,,,,,कल से हम लोग एक रूम मे ही बैठे हुए है
रात भर तो ठीक से सोए भी नही,,,डॉक्टर ने ठंडे पानी की पट्टियाँ करने को बोला है,,,,बस उसी मे लगे हुए थे,,,ये तो अब
मेडिसिन लेनी थी ओर सोनिया भी पहले से बेहतर हो गई थी ,,,उपर से उसकी दोस्त कविता आ गई तो दोनो बैठ कर बातें करने
लगी,,मैं सोचा अच्छा हुआ कविता आ गई मुझे घर से बाहर आने का मोका तो मिला ऑर वैसे भी दिल बहल जाएगा सोनिया का
जब कुछ बातें कर लेगी कविता से,,,,

दीदी आपका अच्छा है ,,कुछ तो दिल बहल जाएगा लेकिन मेरा तो दिल उदास हो गया है,,,,इधर करण चला गया दोस्तो के साथ गोआ
उधर शिखा बोल रही थी कुछ दिन घर नही आएगी,,,,शोबा के साथ बुटीक पर ही रहेगी कोई बड़ा ऑर्डर मिला है उनलोगो
को,,,उसी के लिए कुछ दिन बिज़ी रहने वाली है ऑर शोबा के साथ ही रहेगी,,,,

ये तो अच्छा है ना,,,काम करेगी तो दिल लगा रहेगा उसका,,,,,

उसका दिल तो लग जाएगा लेकिन मेरा क्या होगा दीदी,,,,मैं तो अकेली हूँ घर पे,,,,,मुझे अकेले रहने की आदत नही है,,

अकेले रहने मे क्या डरना पगली,,,,अच्छा अगर ज़्यादा ही डर लगता है तो बोलो मैं आ जाती हूँ तेरे साथ रहने को जब तक
करण नही आ जाता,,,,,,,माँ ने हंस कर बोला,,

ये ठीक है दीदी,,,,,,,,आप आ जाओ ,,,दिल भी लगा रहेगा ऑर टाइम भी पास हो जाएगा,,,,अलका आंटी ने भी मज़ाक मे बोला,,,,,

नही रे पगली मैं कहाँ आ आसक्ति हूँ,,,,,घर पे इतना काम जो होता है ,,,तेरे घर पे तो काम वाली आती है लेकिन मैने
तो कोई काम वाली भी नही रखी,,अगर रख लेती तो सारा काम वो कर देती ओर मैं सारा दिन बोर होती रहती,,,,अब घर के काम
करती हूँ तो दिल लगा रहता है,,,,,

मैने मन ही मन सोचा माँ तूने काम वाली को इसलिए नही रखा क्यूकी घर मे हर टाइम चुदाई का प्रोग्राम जो चलता रहता
है ,,अगर काम वाली रख लेती तो प्रोग्राम कैसे करती ,,,मामा ऑर विशाल के साथ,,,,,,,,,,,ऑर अब मेरे साथ भी,,,,



मेरे घर भी कहाँ आती है कोई कामवाली ,,एक आती है जो सुबह 9 से 11 तक रहती है,,,,सॉफ सफाई करती है ऑर कपड़े धो जाती है
बाकी किचन का काम तो मैं खुद ही करती हूँ,,,,,वो भी थोड़ा ही काम है बाकी सारा दिन बोर होती हूँ,,,,आप आ जाओ ना
यहाँ रहने दीदी ,,,,,,बस कुछ दिन की बात है जब तक करण नही आ जाता,,,,मेरा टाइम पास हो जाया करेगा,,ऑर सबसे बड़ी
बात की मुझे रात मे अकेले बहुत डर लगता है,,,मैं तो अपने रूम मे भी सोने से डरती हूँ अकेले मे,,,,वो तो बच्चे घर
होते है तो टेन्षन फ्री होके सो जाती हूँ,,,,,,प्ल्ज़्ज़ दीदी आ जाओ ना आप कुछ दिन की बात है,,,,,करण आएगा तो आप चली जाना,,


नही अलका मैं नही आ सकती लेकिन तेरे डर का एलाज़ ज़रूर कर सकती हूँ,,,,,मैं नही तो क्या हुआ ये सन्नी तो है ना,,इसको
अपने घर पे रखले कुछ दिन,,,,फिर तो ठीक है ना,,,,

अब मैं समझ गया सारी बात ,,ये माँ का प्लान था मुझे अलका आंटी के साथ रखने का,,ताकि मैं अलका आंटी को तडपा
तडपा कर मस्ती कर सकूँ,,,,,,लेकिन करण कहाँ गया था,,,,कहीं वो अपनी रितिका के साथ तो नही गया,,,,,

सन्नी को,,,,,,,,,क्या ये रहेगा मेरे घर पे,,,,आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला,,,,ऑर मैने माँ से पहले ही जवाब दे दिया

हां क्यू नही आंटी जी अगर आपको डर लगता है तो मैं यहाँ रहने को तैयार हूँ,,,,अगर मेरी माँ अकेली होती तो करण भी
मेरी माँ आके साथ रुकने को तैयार हो जाता तो फिर मैं क्यू नही,,,,

मेरी बात सुनके अलका आंटी खुश हो गई लेकिन मेरी माँ मेरी बात से ज़्यादा खुश लग रही थी,,,,,

हां तो सन्नी बेटा तुम कॉन्सा करण से कम हो ऑर अलका आंटी को अपनी ही माँ समझो ऑर इनके साथ रहो,,ताकि इनको कोई डर नही
लगे ना ही दिन को ऑर ना ही रात को,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी बेटा मेरे साथ रहने के लिए,,तुम ना होते तो मैं तो अपने ही घर मे डर डर के रहती ,,,,ऑर शिखा को कभी रात को बुटीक पर नही रहने देती,,,,,,

चलो अब तेरी प्रोबलम दूर हो गई अलका ,,अब मैं चलती हूँ,,,,,माँ उठी ओर अलका आंटी को बाइ बोलके जाने लगी मैं भी
साथ मे बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,,,

अच्छा अब मैं चलती हूँ अलका ,,,ऑर जितना जल्दी हो सके सन्नी को भेज देती हूँ तेरे घर,,,,,

ठीक है दीदी लेकिन जल्दी भेजना ,,मेरे को अकेले मे डर लगता है,,,,

मैं सोचा जब करण कॉलेज जाता है ऑर शिखा बुटीक जाती है तब किसको रखती है घर पे अपना डर दूर करने के
लिए,,,,साली कामिनी कितनी ओवेरक्टिंग कर रही है,,,,,,

मैं घर से बाहर की तरफ जा रहा था तभी मैं वापिस पलट कर देखा तो अलका आंटी ज़रूरत से ज़्यादा ही खुश लग रही
थी,,,,,,


मैने माँ को साथ लिया ओर वहाँ से चल पड़ा,,,,,,,,,,,,

माँ ये सब क्या था,,,,,,,,ऑर करण कहाँ है,,,,,,

करण शिखा के साथ बुटीक पर है ऑर कुछ दिन वहीं रहेगा,, जब तक तेरी भुआ वापिस नही आ जाती,,,,मुझे कल रेखा
का फोन आया था कि गीता ऑर अशोक कुछ दिन वहीं रुकने वाले है कुछ काम है उन लोगो को वहाँ पर,,,,अब जब तक
गीता ऑर अशोक नही आ जाते तब तक शिखा ऑर करण बुटीक पर ऑर तू अलका के साथ घर पर,,,,,जितनी मर्ज़ी मस्ती करना लेकिन
एक दम से नही थोड़ा तडपा तडपा कर,,,,,,वो तैयार है तेरे साथ सोने के लिए बट ज़रा प्यार से सोना तू,,,,जल्दबाज़ी करके नही,,,,

ठीक है माँ समझ गया,,,,,मैं अभी घर जाके कपड़े लेके अलका आंटी के पास आ जाता हूँ,,,,,,,,,,,,

अभी आ जाना लेकिन बोला है तुझे जल्दबाज़ी मत करना,,,,,क्यूकी तरसाने ऑर तडपाने मे जो मज़ा आता है उसकी बात ही अलग होती है

ठीक है माँ,,,,,,समझ गया अब मैं बच्चा नही हूँ जो बार बार बता रही हो,,,,,,

बच्चा तो है तू मेरा तेरे को समझाना तो मेरा फ़र्ज़ है क्यूकी तू कुछ ज़्यादा ही नटखट हो गया है ,,इतना बोलकर माँ ने
मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर हलके से दबा दिया,,,,,

क्या करती हो माँ हम लोग रोड पर जा रहे है कोई देख लेगा,,,,,तभी माँ ने हाथ पीछे कर लिया,,,,,,क्या करूँ बेटा आज बहुत
खुजली हो रही है,,,,,तेरा मामा भी ठीक नई है 1-2 दिन से,,,पता नही क्या हुआ है,,,,अब तू ही कुछ कर सकता है इस खुजली का,,,

ठीक है माँ घर जाके देखता हूँ कि कितनी खुजली हो रही है,,,,,

लेकिन बेटा घर पे तो सोनिया है ऑर साथ मे कविता भी,,,,,तो घर पे मस्ती कैसे होगी,,,,

तो आप ऐसा क्यू नही करती माँ बुटीक पर क्यू नही चली जाती,,,,,वहाँ तो शिखा ऑर करण भी है,,,,,दोनो के साथ मस्ती
कर लेना,,,,,,

हाँ ये ठीक है बेटा,,,,बड़ी अच्छी बात बोली तूने,,,,,अब जल्दी कर मेरे से रहा नही जाता,,,,,मेडिसिन लेते है फिर तू मुझे
बुटीक पर छोड़ देना ऑर खुद घर चला जाना,,,,ऑर सोनिया को बोल देना कि मैं अलका आंटी के घर पर हूँ ऑर जब कविता
ने जाना हुआ तो मुझे फोन कर देना,,,,,

ठीक है माँ,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद हमने मेडिसिन ली ऑर मैने माँ को बुटीक पर छोड़ दिया ऑर खुद घर आ गया,,,,घर
आके मैं बेल बजाई ऑर दरवाजा खुलने की वेट करने लगा,,,,,तभी मेरा ध्यान गया कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी घर पे,,

कविता ने आके दरवाजा खोला,,,अरे ब्लॅकी तू अकेला आ गया आंटी जी कहाँ है,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:33 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मालकिन साहिबा आप आते ही शुरू हो गई अगर मैं भी शुरू हो गया तो रुकना मुश्किल हो जाएगा,,,,,मैने हँसते हुए बोला तो
कविता भी हँसने लगी लेकिन उसने शरमाते हुए चेहरा भी झुका लिया,,,

अच्छा अच्छा सॉरी बाबा,,,,,,,,लेकिन आंटी जी कहाँ है ये तो बता,,,,,,

माँ अलका आंटी के घर पर रुक गई बोल रही थी थोड़ा काम है,,,,,ऑर बोल रही थी जब तूने जाना होगा तब माँ को कॉल कर देना
ताकि माँ घर पर आ जाए सोनिया के पास,,,,,

मुझे अभी नही जाना मैं तो शाम तक हूँ यहाँ,,घर पे बोलकर आई हूँ,,,वैसे जब जाना होगा मैं कॉल कर दूँगी आंटी
जी को,,

मैं घर के अंदर आ गया ,,,,शोबा दीदी कहाँ है ,,,,कहीं गई है क्या,,,,,,,,

दीदी बुटीक पर चली गई,,,,बोल रही थी ज़रूरी काम है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं समझ गया ,,,,,,आज तो सब मिलकर मस्ती करने वाले है,,,,,,,,,,करण ऑर शिखा पहले से वहाँ है अब मैं माँ को
भी वहाँ छोड़कर आया हूँ ऑर अब शोबा भी वहाँ चली गई है,,,,,,,लेकिन मैं कन्फ्यूज़ था,,,अलका आंटी के घर जाउ
मैं या घर पे रुकु क्यूकी शाम तक कविता यहाँ पर है,,,अलका आंटी के साथ तो अभी कुछ नही हो सकता आज लेकिन कोशिश
तो आज से शुरू करनी होगी,,,,,ऑर इधर कविता के साथ कोशिश कर चुका हूँ वो शायद तैयार भी हो जाएगी लेकिन सोनिया घर]पे
है ऑर उसने मुझे कविता के साथ देख लिया तो मेरी मौत पक्की है,,,,,,कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,मैं सोच मे डूब
गया,,,,

क्या हुआ सन्नी क्या सोच रहे हो तुम,,,,

कुछ नही बस कॉफी पीने का दिल कर रहा है ,,,,क्या तू बना देगी कॉफी,,,,

अभी तो पे थी तूने कॉफी कुछ देर पहले अब फिर दिल करने लगा,,,,,

क्या करू पागल इंसान हूँ मैं ,,,,कॉफी नही पीता तो कुछ ना कुछ गुस्ताख़ी करने का दिल करने लगता है,,,,,

कविता हँसने लगी,,,,वो तो कॉफी पीने के बाद भी करता होगा तेरा दिल,,,इतना बोलकर वो वहाँ से उपर की तरफ चली गई,,,,ऑर जाते
जाते एक जगह रुक गई,,,,,,,,,,लेकिन मैं तुझे गुस्ताख़ी नही करने दूँगी,,,,,,,,याद रखना,,,,,,,वो हस्ती हुई उपर भाग
गई,,,,,,,

मैं भी यहाँ नीचे खड़ा हुआ उसकी तरफ देख कर खुश हो गया,,,,ऑर सोचने लगा कि ये तो लाइन पर आ गई शायद,,,लेकिन
थोड़ी मुश्किल है,,,,,,,,कहीं ये सब मेरे साथ मज़ाक तो नही कर रही,,,,क्यूकी दिखने मे तो ये मासूम लगती है लेकिन जब
मुझे किस किया था तो ये काफ़ी तेज लग रही थी मुझे,,,,,,

खैर अभी इसके साथ कुछ नही कर सकता था मैं,,,,क्यूकी वो उपर भाग गई थी सोनिया के रूम मे ऑर वहाँ तो कुछ हो ही
नही सकता था तो मैं अपने कुछ कपड़े लिए बॅग मे ,मैं रूम मे गया ऑर कविता को बोला,,,,,,,,,,,,कविता मैं कुछ दिन अपने दोस्त के घर रहने वाला हूँ,,,माँ को
मैं बता दिया था ,,,,,अब तुझे बता रहा हूँ तुम बाकी लोगो को बता देना,,,,मैं जब बोल रहा था सोनिया मुझे गुस्से से
ही देख रही थी जैसे हमेशा देखती थी,,,,

मैं वहाँ 4-5 दिन रहने वाला हूँ ऑर वैसे भी यहाँ रहके क्या करूँगा,,,बीमार लोगो की सेवा भी करूँगा तो भी गाली
ही मिलेगी खाने को,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता हँसने लगी लेकिन जब सोनिया ने गुस्से से देखा तो वो चुप हो गई,,,

सच मे जा रहे हो सन्नी,,,,,सोनिया ने हल्की आवाज़ मे बोला,,,,लेकिन मैं उसको बात का जवाब नही दिया,,,,,,,,,,

ओके बाइ कविता,फिर मिलते है,,,,,ऑर हां याद से जाने से पहले माँ को कॉल कर देना,,,,,,मैं इतना बोला तो सोनिया गुस्से मे आ
गई क्यूकी मैं कविता से बात की थी ओर उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,,

ओक्क्क्क कविता ,,बयीई,,,,,,,,,,,,,

बयए सन्नी,,,,,,,,,,

कविता ने मुझे बाइ बोला तो मैं सोनिया की तरफ देखा उसकी आँखों मे गुस्सा था लेकिन चेहरे पर उदासी थी,,,लेकिन उस से
भी ज़्यादा उदास लग रही थी मुझे कविता,,,,,,मन तो नही कर रहा था जाने का क्यूकी कविता थी यहाँ लेकिन भुआ ऑर डॅड के
आने से पहले मुझे अलका आंटी के साथ सेट्टिंग करनी थी वर्ना वो लोग आ जाते ऑर करण को बुटीक पर रहना मुश्किल हो जाता,,,
मेरे पास टाइम कम था तो मैं इन दो खूबसूरत लड़कियों को उदास छोड़के वहाँ से चला गया,,,,
उदास लड़कियों को छोड़ कर मैं चला अलका आंटी के पास ,,मेरे पास दिन बहुत काम थे इन्ही दिनो मे मुझे अलका आंटी
को तड़पाना था तरसाना था ऑर बेड तक लेके आना था,,,ऑर साथ मे खुद भी तड़पना था,,,,,,अलका आंटी भी तैयार थी ऑर मैं तो
कब्से तैयार हूँ लेकिन माँ के कहने पर मुझे ये सब करना पड़ रहा था,,,,पता नही माँ ऐसा क्यू कर रही थी,,,,,खैर
मैं अलका आंटी के घर की तरफ चल पड़ा ,,अभी मैं कुछ दूर ही था कि मुझे किसी की कॉल आई ,,,,,,मैं बाइक को साइड पर रोका
ऑर देखा तो कोई अननोन नंबर से कॉल आ रही थी,,,,,,,मैं कॉल पिक की तो आवाज़ से मैं सामने वाले को पहचान गया,,,,

ये कॉल थी सूरज भैया की,,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,,

हेलो भैया,,,,,,हाउ आर यू,,,,,,

मैं ठीक हूँ सन्नी तुम सूनाओ,,,,,,,,ऑर क्या कर रहे हो आज कल,,,,

मैं भी ठीक हूँ भैया ,,,,,,,कुछ खास नही कर रहा बस बोर हो रहा हूँ,,,,,,,,

अरे हमारे होते हुए बोर होने की क्या ज़रूरत,,,,,,आ जाओ मस्ती करते है,,ना तुमको बोर होना पड़ेगा ऑर ना हमको,,,,

नही भैया अभी नही आ सकता थोड़ा काम है,,,,,,,,फिर कभी,,,,,साला मैं मना तो कर दिया लेकिन मेरा दिल बहुत कर रहा
था सूरज की गान्ड मारने को,,,,ऑर साथ मे भाभी की भी,,,,

अच्छा भाई ठीक है मत आओ,,,,,,,,लेकिन एक छोटा काम तो कर सकते हो हमारा,,,,,ताकि हम तुम्हारी तरह बोर ना हो ऑर खुल
कर मस्ती कर सके,,,,,

क्या काम बोलो अभी कर देता हूँ सूरज भाई,,,,,,,,,,,,,

यार वो जो स्ट्रॅप-ऑन देके गया तू कामिनी को वो बहुत अच्छा लगता है ऑर मुझे भी,,,लेकिन वो पतला बहुत है,,हमे एक दूसरा वाला
चाहिए ,थोड़ा छोटा हो लेकिन थोड़ा मोटा भी हो,,,,,समझ रहा है ना,,,,,

हाँ भैया समझ गया,,,,,मैं अभी कुछ देर मे आता हूँ घर पे ऑर दे जाता हूँ,,,,,,,,ठीक है भैया,,,,

नही घर पे नही सन्नी मेरे ऑफीस मे आना अभी मैं वहीं हूँ,,,

ठीक है भैया अभी आता हूँ,थोड़ी देर मे,,,,,

इसके बाद भैया ने फोन कट कर दिया ओर मैं भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,

कुछ देर मे मैं करण के घर पहुँच गया,,,,,

मैं बेल बजाई तो अलका आंटी ने गेट खोला ऑर मुझे देख कर आँखें चमक गई उनकी,,,,वो इतनी ज्याद खुश हो गई कि
पूछो मत,,,,,

आ गये बेटा,,,,,बड़ी जल्दी आ गया तू बेटा,इतना बोलते हुए आंटी ने गेट को ऑर भी ज़्यादा खोल दिया ऑर मैं घर के अंदर जाने
लगा,,,,,,,,,,,,,,

आप बोलो तो मैं वापिस चला जाता हूँ आंटी जी कुछ देर बाद आ जाउन्गा,,,मैं हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,,

अरे नही नही बेटा अच्छा किया तू जल्दी आ गया ,,वैसे तुझे तो ऑर भी जल्दी बुला लेती मैं लेकिन,,,आंटी बोलती हुई चुप कर
गई,,,,

मैं अंदर गया ऑर आंटी भी गेट लॉक करके अंदर आ गई,,,,

कुछ खाने पीने को चाहिए तो बता दे बेटा,,,,ऑर ला ये बॅग मैं करण के रूम मे रख देती हूँ,,,,

आप रहने दीजिए मैं खुद रख देता हूँ आंटी जी,,,,,,आप अपना काम कीजिए ऑर हो सके तो मुझे भी कोई काम बता
दीजिए वर्ना मैं बोर हो जाउन्गा,,,,,,,,,,

अरे तुम तो घर के मेहमान हो ऑर मेहमान से काम नही करवाया जाता बेटा,,,,,,,,,,

ये बता ग़लत है आंटी जी,,,,,,,,,आप मेरी माँ जैसी हो ओर मैं भी तो आपके बेटे जैसा हूँ फिर भला मेहमान क्यू बोल रही
हो आप मुझे,,,क्या आप मुझे अपना बेटा नही समझती,,,,

अरे बेटा गुस्सा क्यू करता है,,,,,,तू तो मेरा रज़ा बेटा है,,,जैसे करण वैसे ही तू,,,,इतना बोलकर आंटी मेरे करीब आ गई ऑर
मुझे बाहों मे भर लिया,,,,,,,,,,मैं भी इसी मोके की तलाश मे था,,,,,,,,,जैसे ही आंटी मे मुझे गले से लगाया मैने भी
आंटी को अपनी बाहों मे जकड लिया लेकिन ज़्यादा ज़ोर नही लगाया क्यूकी माँ ने बोला था जल्दबाज़ी नही करनी,,,,

ऐसा बोल तो दिया था माँ ने लेकिन माँ को क्या पता मेरी इस वक़्त क्या हालत थी ओर मेरे से भी ज़्यादा बुरा हाल तो था अलका आंटी
का,,,,,

अच्छा बता अब मेरा बेटा क्या खाएगा,,,,,,,,,,आंटी ने मेरे से दूर होते हुए पूछा,,,

अभी कुछ नही खाना मुझे आंटी जी,,,,मैं नाश्ता करके आया हूँ घर से,,,,,

अरे बेटा नाश्ता किए तो बहुत टाइम हो गया होगा तुझे,,,,,देख अब तो लंच टाइम हो रहा है,,,,,आंटी ने मुझे वॉल
क्लॉक की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,,

अभी भूख नही है आंटी जी,,,,,

ठीक है बेटा जब भूख लगे तो बता देना ,,,ओर दिल करे तो खुद ही फ्रिड्ज से कुछ निकाल कर खा लेना,,,शरमाना नही
ऑर इसको अपना ही घर समझना,,,,


जी आंटी जी ,,,,,,,,,,,,लेकिन अभी भूख नही है ,जब भूख लगेगी तो बता दूँगा फिलहाल तो मुझे थोड़ा काम से भी जाना है,,,,,,,,

आंटी उदास होके बोली,,,,,,,,,,,कहाँ जाना है तूने अभी,,,,,

कविता के भाई सूरज के ऑफीस जाना है थोड़ा काम है लेकिन उस से पहले माल मे जाना है कुछ समान लेके आना है,,,,,

जाना तो मुझे भी है माल लेकिन मुझे शाम को जाना है,ठीक है अभी तू जा ,,

अगर आपको भी जाना है तो अभी चलते है साथ मे आंटी,,,,,,,,,,,,,,आप भी शॉपिंग कर लेना ऑर मैं भी अपना काम कर लूँगा,,

ये भी ठीक है बेटा,,,,,,,,चल तू रुक मैं अभी तैयार होके आती हूँ,,,,,,,,,,

मैने मन ही मन सोचा कि तैयार होने की क्या ज़रूरत है आप तो अभी भी एक दम मस्त लग रही हो,,,,आंटी मेरे करीब से
गुजर कर अपने रूम की तरफ जाने लगी गान्ड मटकाति हुई,,,,,,,मैं नोट किया कि आज आंटी कुछ ज़्यादा ही मटक मटक
कर चल रही थी,,,,,पक्का माँ ने बोला होगा ऑर आंटी तभी ऐसे चल रही थी मुझे खुश करने के लिए ताकि मेरा ध्यान जाए
उनकी मटकती गान्ड पर,,,,

मैं करण के रूम मे गया ऑर अपना बॅग वहीं रख दिया फिर बाथरूम मे जाके हल्का सा मूह हाथ धो लिया फिर बाहर
आके सोफे पर बैठ गया लेकिन तभी मेरी नाजर पड़ी आंटी के रूम की तरफ जिसका दरवाजा खुला हुआ था,,,,,,मैने सोचा
कि आंटी दरवाजा खोलकर तैयार हो रही है क्या,,इसी उत्सुकता मे मैं आंटी के रूम के पास चला गया ऑर जैसे ही मैं
वहाँ पहुँचा तो अंदर का नजारा देख कर खुश हो गया,,,,,आंटी ने एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनने की तैयारी की थी
लेकिन अभी तक साड़ी पहनी नही थी,,,,सारी से मॅचिंग पेटिकोट पहना हुआ था जो उनके पेट पर बँधा हुआ था नाभि से
हल्का सा नीचे ओर उनका वो पेट देख कर मुझे झटका लगने लगा बहुत तेज मस्ती भरा झटका,,,,आंटी अपने हाथ पीछे
करके ब्लाउस की डोरी बाँध रही थी ,,उनका ब्लाउस पीछे से फुल ओपन था ऑर एक पतली सी डोरी थी जो अभी वो बाँध ही रही थी
उनकी पूरी पीठ नंगी थी जो मेरा दिमाग़ खराब कर रही थी ,,मेरे से क़ाबू नही हो रहा था ओर मैं पता नही कब रूम
के अंदर चला गया,,मेरे कदम खुद-ब-खुद आगे चलने लगे थे,,,,

पता तो मुझे तब चाल जब आंटी की आवाज़ पड़ी मेरे कनों मे,,,,,तुम क्या कर रहे हो यहाँ सन्नी बेटा,,,,

मैं एक दम नींद से जगा,,कुछ नही आंटी जी बस आपको देखने आया था कि आप तैयार होने मे इतना टाइम क्यू लगा रही हो,,

आंटी ने शरमाते हुए नज़रे झुका ली,,,,क्यूकी आंटी अभी भी डोरी को बाँध रही थी,,,उनके हाथ पीठ की तरफ थे,,,

अरे आंटी जी आप शर्मा क्यू रही हो,,भला कोई माँ अपने बेटे से शरमाती है क्या,,,ऑर मैं भी तो आपके लिए करण जैसा
हूँ,,,क्या आप उस से शरमाती हो कभी,,,,

आंटी ने हल्के से शरमाते हुए अपने फेस को उपर किया ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,उनके हाथ अभी भी उनकी पीठ पर
थे,,,,,,

ओहफू आंटी जी एक डोरी बाँधने मे इतना टाइम,,,,दीजिए मैं बाँध देता हूँ,,,,मैं इतना बोलकर आगे बढ़ा ऑर उनके पास
जाके उनकी पीठ की तरफ चला गया,,,

नही बेटा मैं बाँध लूँगी लेकिन मैं नही माना ऑर डोरी को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,तभी आंटी मिरर की तरफ फेस करके
खड़ी हो गई वही हाथ जो अभी उनकी पीठ पर थे वो उनकी छाती पर चले गये ऑर वो छाती को कवर करके मिरर मे खुद
को देख कर शरमाने लगी,,,उनके हाथ छाती पर थे लेकिन फिर भी मुझे उनके बूब्स हल्के हल्के नज़र आ रहे थे
क्यूकी उनके बूब्स थे ही बहुत बड़े बड़े,,,,वो पूरी कोशिश कर रही थी उनको छुपाने की लेकिन इसी कोशिश मे उनके बूब्स
ज्याद उभर कर बाहर निकल रहे थे,,,,,,,आंटी ने मिरर मे पीछे मेरी तरफ देखा तो मैने अपना ध्यान डोरी बाँधने
पर केंद्रित्त कर दिया ऑर अंजान बनके डोरी बाँधने लगा ,,जैसे मेरे मन मे कुछ नही मैं तो बस डोरी बाँध रहा
हूँ लेकिन बीच बीच मे मैं आंटी की तरफ देख लेता था नज़रे बचा कर,,,,जब भी डोरी बाँधते टाइम मेरे हाथ आंटी
की पीठ से लगते तो एक तूफान उठने लगता था मेरे दिल मे,,लेकिन मैं खुद पर क़ाबू करके डोरी बंद रहा था,,लेकिन
आंटी के खुद पर क़ाबू नही हो रहा था ,,,जब भी मेरा हाथ हल्के से उनकी पीठ पर टच करता वो एक दम से सिहर
जाती ऑर शरमाने लगती,,,,मैने जल्दी ही डोरी बाँध दी लेकिन आंटी के लिए वो एक दो पल का टाइम बहुत लंबा था,,,,
Reply
07-14-2019, 11:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
लीजिए डोरी बँध गई,,अब साड़ी तो आप खुध पहन लोगि ना आंटी जी या उसमे भी हेल्प करू,,,,मैने बहुत सीरीयस होके ये
बात बोली थी ताकि आंटी को कोई शक ना हो,,,

लेकिन आंटी फिर भी शर्मा गई,,,,,नही बेटा तुम जाओ मैं खुद पहन लूँगी,,,,

ठीक है आंटी जी लेकिन जल्दी करना मुझे सूरज भाई की कॉल आई थी फिर से,,,,

ठीक है बेटा तुम चलो मैं 2 मिनट मे आई,,,,फिर मैं बाहर चला गया,,,,

मैं बाहर जाके दरवाजे के पास छुप गया ,,मैने देखा कि आंटी खुद अपनी पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी ऑर
वही मस्ती महसूस करने की कोशिश कर रही थी जो अभी कुछ देर पहले मेरे हाथ लगने से मिल रही थी उनको,,,,

तभी मैने थोड़ी दूर जाके फिर आवाज़ लगाई,,,,,,,जल्दी करना आंटी जी सूरज भाई की कॉल आ रही है,,,,मैने साइड होके देखा तो आंटी ने जल्दी से अपने हाथ झटक लिए अपनी पीठ से ऑर बेड पर पड़ी साड़ी उठा कर तैयार होने लगी,,,,,

कुछ देर मे आंटी तैयार होके बाहर आ गई ऑर मैं बस देखता ही रह गया,लेकिन जल्दी ही खुद पर क़ाबू भी कर लिया,,,,

चलो चले बेटा,,,मैं तैयार हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैने दिल ही दिल मे बोला,,,,,,,,कहाँ जाना है आंटी,,,,,बाहर या अंदर बेडरूम मे ,,,,,

तभी आंटी ने अपने हाथ मे पकड़ी हुई चाबी मेरी तरफ की,,,,,,,,,,,,ये क्या आंटी जी,,,,,,,,,ये कार की चाबी है बेटा मेरे से
साड़ी पहन कर बाइक पर नही बैठा जाएगा,,,,,,,,,

शिट यार बाइक पर जो मज़ा आना था वो कार मे कहाँ,,,,,,,,लेकिन फिर भी हम लोग कार मे ही गये,,,,


मैने कार माल की तरफ मोड़ ली ओर कुछ देर मे हम माल पहुँच गये,,,,,,,,,,

मैं आंटी जी को उनकी फवर्ट शॉप पर छोड़ा ओर खुद सेक्स्टाय शॉप पर चला गया,,,,ऑर सूरज भाई के लिए कुछ अलग अलग साइज़ के स्ट्रॅप-ऑन खरीद लिए,,,,फिर वापिस आंटी जी के पास आ गया,,,,,,,,तभी मैं देखा कि आंटी जी ने भी शॉपिंग करली थी,,,

अरे इतनी जल्दी आपकी शॉपिंग हो भी गई,,,,,मैं हैरान हो गया,लॅडीस की शॉपिंग वो भी इतनी जल्दी,,,,

हां बेटा कुछ खास नही लेना था बस थोड़ा ही समान था,,,,तभी आंटी का फोन बजने लगा,,,,,

हेल्ल्लो,,,,

हां वो समान ले लिया,,,,,इतना बोलकर आंटी ने फोन कट कर दिया,,,,,

किसका फोन था आंटी जी,,,,

कुछ नही बेटा मेरी एक फ्रेंड का था उसने कुछ समान मँगवाया था उसी के बारे मे पूछ रही थी ले लिया या नही

ओके आंटी जी,,,,,अब चले या कुछ ऑर भी लेना है,,,,,,,,,,

नही बेटा जो चाहिए था ले लिया अब चलते है,,,,,साला ऐसा क्या लेना था जो कुछ ही देर मे शॉपिंग हो गई आंटी की,,,

खैर हम लोग वहाँ से चले ऑर सूरज भाई के ऑफीस आ गये,,,,,,,,

आप यहीं रूको आंटी जी मैं अभी आया,,,,मैने कार को साइड पे पार्क किया ओर कार स्टार्ट रखके एसी ऑन करके सूरज के पास चला गया ऑर उसका समान भी अपने साथ ले गया,,,,

मैं अंदर गया तो एक लड़की बैठी हुई थी ,मैने उस से सूरज भाई के बारे मे पूछा तो उसने टेलिकॉम से फोन किया ऑर
सूरज भाई को मेरे बारे मे बताया फिर उस लड़के ने मुझे ऑफीस की तरफ इशारा किया ऑर मैं अंदर चला गया,,,

सामने सूरज भाई बैठे हुए थे ऑर उनके साथ एक ऑर बंदा बैठ हुआ था,,,जो मुझे जाना पहचाना लग रहा था

हेलो भैया,,,,,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,,,,

सर ये सन्नी है ,मेरी बेहन कविता के साथ ही कॉलेज मे पढ़ता है,,,,,,,,,,,,,सूरज ने अपने पास बैठे हुए आदमी को
मेरे बारे मे बोला,,,,,मैं उसी आदमी के पास जाके उसको हेलो बोलके उसके साथ वाली चेयर पर बैठ गया,,,,

इस से पहले कोई कुछ बोलता मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,,

एक्सक्यूस मे सर मैने आपको कहीं देखा है,,,,,,,याद नही आ रहा कहाँ देखा है बट देखा ज़रूर है,,,,,

सन्नी ये इनस्पेक्टर वहीद ख़ान है,,,,,मेरे अच्छे दोस्त है,,,,

हां बेटा देखा होगा मुझे ,,मैं तुम्हारे कॉलेज मे बहुत बार आया हूँ,,,,,,,किसी काम के सिलसिले मे ,,,,लेकिन वो काम
कभी नही बना,,,,,,,,


तभी मुझे याद आया कि ये तो वही पोलीस वाला है जो उन लड़कियों की ख़ुदकुशी की इन्वेस्टिगेशन करने आया था हमारे
कॉलेज मे ,,,


कॉन्सा काम सर,,,,,मुझे भी बता दीजिए,,,,,

छोड़ बेटा बहुत पुरानी बात है,,,,,,,अब तो उस केस की फाइल भी बंद हो चुकी है,,,,,लेकिन मैं अभी तक नही भुला उस केस
को अभी भी वो केस मेरे माइंड मे घूम रहा है,,,


किस केस की बात कर रहे हो आप सर,,,,,,,

तभी सूरज बोला,,,सन्नी कुछ टाइम पहले तुम्हारे कॉलेज मे एक ही वीक मे 2 लड़कियों ने कॉलेज की छत से कूद कर अपनी जान दी थी,,,उसी केस की इन्वेसिगेशन ख़ान साहब ही कर रहे थे,,,,लेकिन ना तो कॉलेज की तरफ से कोई सबूत मिला ऑर ना ही कोई ऐसी बात पता चली जिस से साबित हो कि ये शूसाइड थी,क्यूकी वो लड़कियाँ बहुत होनहार थी ऑर अच्छे घर की थी,,,,,,स्टडी या फिर ऐसी वैसी कोई टेन्षन नही थी,,,,

ओह्ह अच्छा उन लड़कियों की बात कर रहे हो आप,,,,,,,,,,तभी मैं बोलू कि आपको पहले भी कहीं देखा है,,कुछ पता चला
कि नही सर उनके बारे मे,,,,,,,,

नही बेटा,,,अभी कुछ पता नही चला,,,,,,,बहुत कोशिश की तो एक गवाह मिला था लेकिन ऐन मोके पर वो भी अपने ब्यान से
पलट गया,,,,,,,,तभी तो केस फाइल बंद हो गई ,,,,

किसका नाम लिया था उसने सर,,,,

छोड़ो बेटा अब क्या फ़ायदा,,,,,,,,,,,

नही सर बोलो शायद मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकूँ,,,,,,,

अच्छा ऐसी बात है तो सुनो,,,,,,,,,लड़कियों ने आत्महत्या नही की थी,,,उनको मजबूर किया गया था,,ऑर जिन लोगो ने मजबूर किया था वो किसी अमीर पॉलिटीशियन के बेटे थे,,,,जब तक मैं उनकी गिरेबान तक जाता एक तो मेरा गवाह मुकर गया ऑर उपर से उनलोगो ने अपना ज़ोर लगा कर मेरा तबदला करवा दिया,,,

क्या नाम थे उन लोगो एक सर,,,,,,,,,,,
Reply
07-14-2019, 11:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अभी तो याद नही लेकिन तुम लोगो के कॉलेज के बिगड़े हुए लड़के थे वो,हर कोई डरता था उन से,,,,,,,,कोई उनका नाम नही
लेता था यहाँ तक कि प्रिन्सिपल भी नही,,,,,

ऐसे तो 2 ही लड़के है सर,,,,,,,,,,,,एक तो अमित ऑर दूसरा सुरेश,,,,,,,,,,,,,,,,

हां बेटा बिल्कुल सही,,,यही नाम था उनका,,,,,,,,,,,मैने देखा कि इनस्पेक्टर ख़ान की आँखों मे खून उतर आया था उनका
नाम सुनके,,,,,,,,,तुम कुछ जानते हो उनके बारे मे या उन लड़कियों के बारे मे,,,,,अगर जतने हो तो बोलो,,,,,,,मैं वापिस इस
सहर मे आ गया हूँ,अगर तुम जानते हो तो बताओ मुझे,,,,,हो सकता है मैं तुम्हारी हेल्प से उन फाइल्स को री-ओपन कर सकूँ,,,

री-ओपन करके क्या होगा ख़ान सर,,,,,,बहुत पोलीस वाले आए ओर गये,कोई कुछ नही कर सका,,,,,,,हर कोई दवाब मे आके या तो नोकरी छोड़ जाता है या शहर छोड़ जाता है,,,,,,,,,,अभी कुछ दिन पहले भी उनलोगो ने एक लड़के को बहुत मारा था,,,,पोलीस भी आई थी ,लेकिन कुछ नही हुआ ,जब प्रिन्सिपल से पता चला कि वो लोग किसके बेटे है तो पोलीस ने कुछ नही किया ऑर चुप चाप वहाँ से चली गई,,,,अगर मैं आपकी हेल्प करूँगा तो क्या गारंटी की आप उन लोगो को उनके किए कि सज़ा दोगे ,,अगर आप फिर से डर कर भाग गये तो,,,,

मेरे ऐसा बोलते ही सूरज मुझे घूर्ने लगा ऑर चुप रहने को बोलने लगा,,,,

लेकिन मैं चुप नही किया क्यूकी मेरी आँखों मे भी खून था गर्मी थी एक जुनून था ,मैं भी उनलोगो को उनके किए की
सज़ा देना चाहता था,,,,,,,,,,,,,,

तुम ठीक कह रह हो सन्नी बेटा,,,,हो सकता है पोलीस उन लोगो से डर जाए उनके दवाब मे आ जाए,,,,,,,लेकिन ये मत भूलो कि मैं एक मुसलमान हूँ अपने वादे का पक्का हूँ,,,,,,,,वादे के लिए जान भी दे सकता हूँ,,,,,ऑर रही बात अपनी बात से
मुकरने की तो एक पोलीस वाला होने की खातिर मैं डर के पीछे हट भी सकता हूँ लेकिन एक भाई होने की खातिर मैं उनलोगो को जब तक उनके किए की सज़ा नही दूँगा तब तक मेरी बेहन की रूह को चैन नही मिलना,,,,,,ये सब बोलते टाइम इनस्पेक्टर ख़ान अपने दाँतों को मसल रहा था ऑर उसकी आँखों मे खून उतर आया था,,,,,,,,,,,,,,

मैं ये सब सुनकर एक दम से खामोश हो गया,,,,,,,,क्या उनमे से एक लड़की आपकी बेहन थी,,,,मैने बड़े उदास स्वर मे
पूछा तो ख़ान साहब की आँखें नम हो गई,,,,,,,,,,

हां सन्नी बेटा,,,इसलिए तो बोल रहा हूँ कि अगर तुम कुछ जानते हो तो मुझे बता दो,,,,,,मैं वादा करता हूँ उनलोगो का
वो हाल करूँगा कि उनकी रूह तक काँप उठेगी ,,,,

ऐसी बात है तो ठीक है ख़ान सर,,,,,मैं आपका साथ हूँ,,,,,,मुझे पता है उन लोगो तक कैसे पहुँचना है,,,,,आप बस
मुझे कुछ दिन की मोहलत दीजिए,,,,मैं उनके खिलाफ पक्के सबूत दे दूँगा आपको,,,,,

मेरी बात सुनके ख़ान साहब खुस हो गये,,,,अगर तूने ऐसा कुछ कर दिया तो ये ख़ान तेरा एहसान जिंदगी भर नही भूलेगा
सन्नी,,,,,,,ख़ान साहब ने मेरा हाथ पकड़ा ऑर चूम कर अपनी आँखों से लगा लिया,,,,,

मैने उनसे वादा किया कि ये पंजाबी भी आपका साथ ज़रूर देगा ख़ान साहब ,,,उन लोगो को उनके किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी,,

मैं वहाँ से उठा ओर सूरज भाई का बॉक्स वही टेबल पर रखा ऑर वहाँ से चला गया,,,मैं बहुत गुस्से मे था ,,,क्यूकी मैं
अभी उस बेहन के भाई से मिला था जिसके साथ अमित ऑर सुरेश ने कुत्तों जैसी हरकत की थी,,,,मेरा खून खौल रहा था


मैं अभी सूरज एक ऑफीस से बाहर ही निकला था कि पीछे से आवाज़ आई,,,,,,रूको सन्नी ,,,,,,,,,

मैने पीछे मूड कर देखा तो ख़ान साहब मेरे पीछे ही आ रहे थे,,,,,,,,,,,,,,ज़रा बात सुनो सन्नी,,,,,,,,

वो मेरे पास आए ऑर मेरे शोल्डर पर हाथ रखके मुझे एक साइड पर ले गये,,,,,,


देखो सन्नी ,,,,,मैं एक पोलीस वाला हूँ लोगो की आँखें रीड कर लेता हूँ,,,,,,मुझे तेरी आँखों मे एक जुनून नज़र
आया है,मुझे लगता है उन लोगो ने तेरे साथ भी ज़रूर कुछ किया है या तेरे किसी चाहने वाले के साथ ऑर जितने विश्वास से तू बोल रहा है मुझे सबूत देने के लिए तो मुझे लगता है तेरे पास कुछ ना कुछ खबर तो है,,,,,सच बोलना सन्नी,,
ख़ान साहब की आँखों मे एक उम्मीद थी,,,,सच की उम्मीद,,,,,,,,,

अपने सही सोचा ख़ान साहब,,,,,,,मेरे पास कुछ ऐसा है कि जो आपको दे दूँगा तो ओं लोगो की फाँसी पकई है,,,,,,,

क्या है सन्नी अभी दो मुझे जल्दी,,,,,,,,,,,,,ख़ान साहब पूरे जोश मे बोले,,,,

नही ख़ान साहब ऐसे नही,,,,,,,,,,ऐसे सब गड़बड़ हो सकता है,,,मेरे पास एक प्लान है,,,,,,,,,,,जो कितना कामयाब होगा ये
डिपेंड करता है सुरेश अमित ऑर उनके एक दोस्त सुमित पर,,,,मैने सारी बात ख़ान साहब को बता दी,,,,सीडीज़ के बारे मे भी

ख़ान साहब की आँखों मे गुस्सा इतना ज़्यादा था कि उनका बस चलता तो अभी अमित ऑर सुरेश को गोली मार देते,,,,

तुम्हारे पास वो सीडीज़ कैसे आई सन्नी,,,,,,,,,,ख़ान साहब ने मेरे से पूछा,,,,

तो मैने शुरू से लेके सारी बात बता दी ख़ान साहब को,,,,,,करण क़ी बेहन शिखा के साथ जो हुआ ऑर कहाँ हुआ,,,ऑर सीडीज़ के बारे मे भी बता दिया,,,,,

मेरे पास एक प्लान है ख़ान साहब जिस से साँप भी मर जाएगा ऑर लाठी भी नही टूटेगी लेकिन वो प्लान कामयाब होगा उन्ही लोगो की वजह से ,,,,अमित ऑर सुरेश की वजह से,,,,,,,,,,,बस तब तक हमे थोड़ा वेट करना होगा,,,,,

मैं समझ सकता हूँ सन्नी,,,,,,,,,इतना टाइम वेट किया तो थोड़ा ऑर सही ,,अब मैं भी तेरे साथ हूँ ,,,कुछ काम हो तो
मुझे याद करना,,,,,ये ख़ान दोस्ती के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है,,,,,इतना बोलकर ख़ान साहब अपने पोलीस वाले
अंदाज़ के साथ वहाँ से चले गये लेकिन उनकी आँखों मे पोलीस वाला गुस्सा नही था एक भाई वाला गुस्सा था,,,
Reply
07-14-2019, 11:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं भी हल्के गुस्से से कार की के पास गया ऑर जाके कार मे बैठ गया,,,

इतना टाइम क्यूँ लग दिया बेटा,,,

कुछ नही आंटी जी अंदर कोई बहुत पुराना दोस्त मिल गया था,,,उसी से बात करने लगा था,,,,,

मैं आंटी की तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नही देया ,,,,,,ख़ान साहब की वजह से अब मुझे कैसे भी करके अमित ऑर सुरेश का
खेल ख़तम करना था,,,,,पहले तो मैं इतना परेशान नही था लेकिन आज ख़ान साहब की वजह से मेरे अंदर की आग कुछ
ज़्यादा ही भड़कने लगी थी,,,,,,मुझे कैसे भी करके कुछ ना कुछ तो करना ही था,,,,,,

घर पहुँच कर मैने कार को घर के अंदर किया ओर सीधा करण एक रूम मे चला गया,,,,मैं आंटी की तरफ कोई
ध्यान नही दिया ओर अपना लॅपटॉप निकाल कर वो वीडियोस देखने लगा,,जिसमे अमित सुरेश ऑर उसके दोस्त एक लड़की से ज़बरदस्ती कर रहे थे,,,,मुझे लगा कि मैं ये वीडियो एक भाई को नही दिखा सकता,,चाहे ये जितना भी बड़ा सबूत क्यू ना हो लेकिन एक भाई तो शर्मसार होके ज़िते-ज़ी ही मर जाएगा,,,,नही मुझे ये वीडियो ख़ान साहब को नही देनी ,,मुझे कुछ ऑर करना होगा,,,,,मैं यही सोच रहा था तभी मुझे याद आया जब कि 1-2 वीडियोस ऑर थी जिनमे अमित ऑर उसके दोस्त बेड पर बैठ कर लड़की से बात कर रहे थे ऑर उसको अपने साथ हमबिस्तर होने को बोल रहे थे ,,,उनकी बात ना मानने पर वो लड़की को दूसरी वीडियो जिसमे लड़की अमित के साथ सेक्स कर चुकी थी वो वीडियो लोगो के मोबाइल पर बाँटने की धमकी दे रहे थे,,,,,,वो लड़की रोती जा रही थी,,,,

हाँ ये वीडियो ठीक है,,,,,,यही वीडियो दे सकता हूँ मैं,,,,,,,,ऑर कोई नही,,,,कोई भाई अपनी बेहन को ऐसी हालत मे नही देख
सकता था,,,,,,,,,,,अब मुझे आगे के प्लान के बारे मे सोचना था,,,,लेकिन दिमाग़ काम नही कर रहा था,,,,सोच सोच कर सर
मे भी दर्द होने लगा था,,,,,,

मैं वहाँ से उठा ऑर बाहर आ गया,,,लॅपटॉप को वापिस बॅग मे रख दिया,,,,,

बाहर आके सोफे पर बैठ तो देखा कि सामने टेबल पर आंटी का मोबाइल बज रहा था,,,,जब तक मैं उठाता वो फोन
बंद हो गया,,,,,,,,,,,मैं देखा तो मेरी माँ की मिस कॉल थी आंटी के मोबाइल पर,,,,ऑर लास्ट कॉल भी उन्ही की थी,,,ये टाइम तो तब था जब हम लोग माल मे थे,,,,,,,शायद तभी माँ का फोन ही आया था आंटी जी को,,,,,लेकिन माँ ने उनको फोन
क्यू किया था,,,,

अभी भूख लगी है क्या सन्नी बेटा,,,,,,,,,,

मैने आंटी की आवाज़ सुनी ऑर मोबाइल को जल्दी टेबल पर रख दिया ऑर आंटी की
तरफ देखने लगा,,,,,,,,,,,,आंटी ने चेंज करके वापिस घर वाले कपड़े पहन लिए ,,लेकिन इन कपड़ो मे भी आंटी बहुत
ज़्यादा सेक्सी लग रही थी,,,,ये एक लाइट स्किन कलर का सूट था जिसकी फिटिंग बहुत टाइट थी ऑर उपर से आंटी का भरा हुआ हल्का
मोटा जिस्म ,,सूट मे से आंटी के हर बॉडी पार्ट का नाप मुझे मिल रहा था,,,,मैं आंटी मे इतना खो गया कि भूल ही गया
अमित ऑर सुरेश के बारे मे,,,जो बात ख़ान साहब से हुई उसके बारे मे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,सही बोला है किसी महापुरुष ने औरत
चीज़ ही ऐसी है की आदमी अपनी ओकात तक भूल जाता है,,,जब कोई महरिषि अपनी भक्ति से ध्यान भटका सकता है किसी
मेनिका की खातिर तो मैं तो एक आम इंसान हूँ वो भी एक नंबर का ठर्की कमीना,,,,,,

मैं आंटी को देख कर खो सा गया ,,,तभी आंटी मेरे पास आई,,,,,,,,,,,कहाँ खो गया बेटा,,,,बोल ना भूख लगी है या
नही,,,,

जी आंटी जी बहुत भूख लगी है ,,,जी तो करता है पेट भरके खा जाउ,,,

क्या खाना है बेटा ,,बता मुझे अभी बना देती हूँ,,,,,

मैने मन ही मन सोचा कि खाना तो आपको है आंटी जी लेकिन फिलहाल अभी किसी ऑर चीज़ से काम चला लेता हूँ,,,

जो भी आप अपने हाथों से बना दो मुझे सब चलेगा आंटी जी,,,,,लेकिन अगर बेगन मिल जाए खाने को तो मज़ा आ जाए,,

बैगन का नाम सुनके आंटी थोड़ा ज़िज़क गई,,,,,वो बैगन तो नही है बेटा ,,अब उनकी ज़रूरत नही पड़ती,,,अब तो
बिल्कुल भी नही पड़ेगी तुम जो आ गये हो,,,,

क्या मतलब आंटी जी,,,,बेगन की ज़रूरत क्यू नही पड़ती अब,,,ऑर मुझे तो बैगन बहुत पसंद है,,,,आइ लव बैगन
का भरता,,,,

अच्छा तेरे को भी बैगन अच्छे लगते है बेटा ,,मुझे नही पता था,,,,मैं तो इसलिए बोला कि ज़रूरत नही पड़ती क्यूकी करण
ही ज़्यादा बैगन ख़ाता था या शिखा ,,मुझे अच्छे नही लगते बैगन,,इसलिए तो नही लेके आई आज ,,,,वर्ना मार्केट से
ज़रूर लेके आती ,,,,


मैं आंटी की बात तो समझ गया था लेकिन अंजान बना रहा,.,,,,,,कोई बात नही आंटी जी आप फिर कुछ भी बना दीजिए,,,
मैं खा लूँगा,,,,,बस जल्दी कीजिए भूख बहुत लगी है,,,,,

ठीक है बेटा बस थोड़ी देर वेट कर अभी बना देती हूँ,,,,,इतना बोलकर आंटी जी किचन मे चली गई,,,,,मैं भी उनके पीछे
चला गया,,,,,

अरे तुम यहाँ क्यू आ गये ,,तुम बाहर बैठो आराम से मैं खाना बना कर बाहर ले आती हूँ,,,,

मैं तो देखने आया था आप क्या बनाने लगी हो,,,,,ओर वैसे अकेला बैठ कर क्या करू बाहर ,,,,,मुझे अकेले बोर नही होना

अभी तो लंच टाइम निकल गया है ईव्निंग हो गई है इसलिए अभी तेरे को पकोडे बना देती हूँ,,,ब्रेड वाले,,,,

ऑर साथ मे ऑनियन वाले भी बना देना आंटी जी मुझे बहुत अच्छे लगते है वो,,,,,,

ठीक है बेटा वो भी बना देती हूँ,,,,ऑर साथ मे कॉफी या चाइ चलेगी,,,,

मुझे चाइ अच्छी नही लगती इसलिए कॉफी ही चलेगी आंटी जी,,,

ठीक है तू रुक मैं अभी बना देती हूँ,,,,,आंटी ने ब्रेड उठाई ऑर साथ मे कुछ ऑनियन फिर शेल्व पर रखकर काटने
लगी,,,,

आप ऐसा करो आंटी जी बैसन मिला लो मैं ऑनियन ऑर ब्रेड काट देता हूँ,,,,,मेरा टाइम भी पास हो जाएगा ऑर आपकी हेल्प भी

अरे नही बेटा तेरे से अब घर का काम थोड़ी कराउन्गी,,,,,तू आराम से खड़ा रह

क्यू आंटी जी ,,,ऐसा बोलकर आप मुझे फिर से घर का मेहमान बना रही हो,,,,,लगता है आप बस बोलती हो दिल से मुझे अपना बेटा नही समझती,,,मैने जान भूज कर हल्का नाटक किया,,,

नही नही बेटा ऐसी बात नही है,तू बार बार ऐसे क्यू बोलता है,,,,,,,,,तू घर का मेहमान नही मेरा बेटा है,,,,,चल ठीक
है तू भी कुछ काम करले,,,,,,,,,,,अब खुश ,इतना बोलकर आंटी ने ब्रेड ऑर ऑनियन वाली प्लेट मुझे दी ऑर खुद बर्तन लेके
बैसन मिक्स करने लगी,,,,

कुछ देर मे ब्रेड ऑर ऑनियन कट गये बैसन भी मिक्स हो गया ऑर हम लोगो ने इधर उधर की बातें करके टाइम पास करते हुए
पकोडे ऑर कॉफी भी बना ली ऑर ऐसे ही टाइम पास करते हुए पकोडे खा भी लिए ऑर कुछ बातें भी करली,,,,लेकिन हर वक़्त
मेरा ध्यान आंटी के जिस्म के किसी ना किसी पार्ट पर टिका रहता ऑर आंटी को भी इस बता का अंदेशा हो जाता ऑर आंटी भी
जान भूज कर मुझे अपने बूब्स दिखाती थी,,,लेकिन जब वो ऐसा करती तो मैं नज़रे घुमा लेता ऑर वो हंस कर शरमा जाती,,,वो
समझती कि मैं उनसे डर रहा हूँ ....

अभी डिन्नर को बस 1-2 अवर्स रहते थे इसलिए आंटी भी अपने रूम मे चली गई ऑर मैं भी करण के रूम मे चला गया


रात को मैं बेड पर लेटा हुआ था तभी आंटी मुझे रूम मे बुलाने आई,,,,बेटा डिन्नर तैयार है आ जाओ,,,,,आंटी अभी
उन्ही कपड़ो मे थी ,,,,

ठीक है आंटी जी आप चलो मैं अभी आया,,,,,

मैं बाहर डाइनिंग टेबल पर आया तो आंटी वहीं बैठ कर मेरी वेट कर रही थी,,,,मैं भी जाके आंटी के सामने वाली चेयर पर
बैठ गया ,,,

आंटी ने मेरे लिए प्लेट तैयार की ऑर मेरी तरफ बढ़ा दी,,,मैने प्लेट मे देखा तो खाना बस थोड़ा सा ही रखा हुआ था,,,थोड़ी
सी दाल थोड़े से चावल,,,थोड़ी सी सब्जी,,,,,मैं प्लेट की तरफ देख कर मन ही मन हँसने लगा,,,,लगता है आंटी ने ग़लती से अपनी
प्लेट मुझे पास करदी थी,,,,क्यूकी मेरी सेहत के हिसाब से मुझे ऐसी 8-10 प्लेट की ज़रूरत थी,,

मैने प्लेट की तरफ ध्यान किया ऑर खाना खाने लगा,,,खाना खाते टाइम मेरा ध्यान आंटी की तरफ था जो खुद खाना खाती
हुई मेरी तरफ ऑर मेरी प्लेट की तरफ देख रही थी,,ऑर हल्के से शरमा ओर मुस्कुरा भी रही थी,,,मेरा प्लेट मे जितनी सब्जी थी वो
तो 2 मिनट मे ही ख़तम हो गई ओर जैसे ही आंटी का ध्यान मेरी प्लेट पर आया तो उन्होने जल्दी से सब्जी वाला बोवल उठाया ऑर
कुछ बोले बिना ही जल्दी से उठकर खड़ी हो गई ऑर मेरी प्लेट मे सब्जी डालने लगी,,,मैने देखा कि आंटी कुछ ज़्यादा ही झुक गई
थी टेबल पर ,,उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे आधे से भी कहीं ज़्यादा नज़र आ रहे थे,,,मेरा ध्यान उनके बूब्स की तरफ
था वो सब्जी डालने मे कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा रही थी लेकिन मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था मैं तो उस हसीन
नज़ारे को देख कर मदहोश हो रहा था,,अब आंटी जितना मर्ज़ी टाइम ले ,,

तभी आंटी सब्जी डालके वापिस चेयर पर बैठ गई,,ऑर मुझे देख कर हँसने लगी,,,उनको भी पता था मैं उनके बूब्स देख रहा
था लेकिन उनको भी इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था,,,

मैं वापिस खाना खाने लगा ऑर तभी 2 पल बाद मेरी दाल वाली कटोरी खाली हो गई ,,इस से पहले मैं आंटी को बोलता आंटी फिर
से उसी अंदाज़ मे उठी ऑर मेरी कटोरी मे दाल डालने लगी,,इस बार आंटी फिर पहले की तरह झुक कर दाल डाल रही थी ऑर मुझे
अपने बड़े बड़े बूब्स के दर्शन करवा रही थी,,,मैं भी बेझिझक उनके बूब्स को घूर रहा था,,खाना खाते टाइम ही मस्ती
मे मेरा लंड उछलने लगा था ,,,,दिल कर रहा था अभी आंटी को पकड़ कर डाइनिंग टेबल पर नंगी करके लेटा दूं ऑर खाने की
जगह इनका स्वाद चखना शुरू कर दूं,,,,लेकिन जल्दबाज़ी से माँ ने रोका हुआ था मुझे,,,,
Reply
07-14-2019, 11:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
आंटी ने दाल डाली ऑर वापिस चेयर पर बैठ गई,,,,मैं नोट किया कि आंटी ने पहले भी दाल ऑर सब्जी थोड़ी थोड़ी डाली थी ऑर अब
दोबारा भी हल्की सी सब्जी ऑर दाल डालके दी थी मुझे,,,,,ये साला इतना कम क्यू खिला रही है मुझे,,,,एक बार ही क्यू नही डाल देती
भरके,,,,,खैर मैं वापिस खाना खाने लगा,,,फिर कुछ देर बाद सब्जी ख़तम हुई तो आंटी उठी ऑर सब्जी डालने के लिए टेबल पर
झुक गई,,,ऑर मुझे खुल कर दर्शन करवाने लगी अपने बूब्स के,,,,,,,मैं समझ गया कि आंटी जान भूज कर मुझे खुश करने
के लिए ऑर ज़्यादा से ज़्यादा अपें बूब्स दिखाने के लिए ऐसी हरकत कर रही थी,,,बार बार हल्की हल्की दाल सब्जी डालने के लिए पूरे टेबल पर झुक जाती थी,,,,

जितना टाइम डिन्नर चलता रहा ये दाल सब्जी का खेल चलता रहा साथ साथ बूब्स का लिवेट्लकास्ट भी ,,,,

डिन्नर ख़तम हुआ तो मैं वापिस करण के रूम मे चला गया ऑर जाते ही लॅपटॉप ऑन करके पॉर्न मूवीस देखने लगा ,,क्यूकी अभी
कुछ देर पहले आंटी एक बूब्स देख देख कर मेरा दीन दयाल पागल हो गया था ,,,इसलिए मैं 1-2 पॉर्न देख कर मूठ मारने
के लिए बाथरूम मे चला गया ऑर आंटी के नाम की मूठ मार कर शवर लेके वापिस बेड पर आके लेट गया,,,,


रात करीब 12 बजे का टाइम हो गया था ,,मुझे नींद नही आ रही थी,,,मूठ मार के सोचा था थक कर सो जाउन्गा लेकिन आंटी के
बड़े बड़े बूब्स अभी भी मेरी नज़रो के सामने घूम रहे थे,,,जब भी आँखें बंद करता तो बूब्स सामने आ जाते ऑर मस्ती
मे नींद उड़ जाती,,मैं अपना लॅपटॉप लेके बाहर हॉल मे आके बैठ गया,मैने देखा कि आंटी के रूम के दरवाजा खुला हुआ था
ऑर अंदर से रोशनी बाहर आ रही थी,,,,शायद आंटी को भी नींद नही आ रही थी उनका भी वही हाल था जो मेरा हाल था,,

खैर मैने लॅपटॉप पर गेम खेलनी शुरू की ऑर सोफे पर लेट गया,,मैं गेम मे पूरी तरह से खो जाना चाहता था ताकि थोड़ा
थक जाउ ऑर आंटी के बड़े बड़े बूब्स का ख्याल मेरे दिमाग़ से निकल जाए ऑर मुझे नींद आ जाए,,,ऑर ऐसा ही हुआ मैं गेम मे
पूरी तरह से खो गया था,,,,,

तभी मेरे सर पर आंटी का हाथ लगा,,,मैं एक दम से डर गया ऑर आंटी की तरफ देखने लगा,,,लेकिन हॉल मे बहुत अंधेरा था
ऑर उपर से मैं काफ़ी टाइम से लॅपटॉप पर गेम खेल रहा था जिस वजह से मेरा पूरा ध्यान लॅपटॉप की तरफ था ,,इसलिए मुझे हॉल मे अंधेरे मे आंटी को देखने मे थोड़ी मुश्किल हो रही थी,,,,

आंटी का हाथ मेरे सर को प्यार से सहला रहा था ,,क्या हुआ बेटा तुम यहाँ क्यू लेटे हुए हो,,नींद नही आ रही क्या,,,

मैं जल्दी से उठकर बैठ गया ओर लॅपटॉप को आंटी की तरफ घुमा दिया जिस से लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़े ऑर मैं आंटी को
देख सकूँ,,,,जैसे ही लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़ी मेरे होश गुम हो गये,,,आंटी एक वाइट कलर की पारदर्शी नाइटी पहेन
कर मेरे सामने खड़ी हुई थी,,,वो नाइटी उनके घुटनो से भी उपर थी ऑर बूब्स की तरफ से काफ़ी डीप थी,,मैं सोफे पर बैठा
हुआ था फिर भी उनका क्लीवेज़ बहुत ज़्यादा नीचे तक नज़र आ रहा था,मैं आंटी को उपर से नीचे तक बिना किसी डर के घूर
रहा था ,,,डर तो मुझे वैसे भी नही था क्यूकी मुझे पता था वो मेरे से चुदने को तैयार बैठी है लेकिन अभी मेरा लॅपटॉप
उनकी तरफ था ऑर उसकी रोशनी आंटी की तरफ थी जिस से आंटी को पता नही चल रहा था कि मैं उनको घूर रहा हूँ,,,,वैसे पता तो होगा उनको क्यूकी इतनी अच्छी औरत ऐसी सेक्सी नाइटी पहन कर किसी जवान लड़के के सामने होगी तो वो देखेगा ही ,,,

क्या हुआ बेटा कहाँ गुम हो गया तू,,,इतना बोलते ही आंटी ने मेरे हाथ से लॅपटॉप पकड़ा ऑर सामने टेबल पर रख दिया ऑर खुद मेरे पास सोफे पर बैठ गई,,,,मैं तो एक दम से सुध्बुध खो बैठा था,,,,इतना हसीन माल मेरे पास बैठा हुआ था कि दिल
बस मे नही था मेरा,,,

कुछ नही आंटी जी नींद नही आ रही थी तो बाहर आके बैठ गया,,,,सोचा गेम खेल लूँगा तो शायद नींद आ जाए,,,

हाँ बेटा अक्सर नई जगह पर नींद नही आती,,,,बट तू तो पहले कई बार करण के रूम मे रुक चुका है फिर भी तुझे नींद
नही आ रही,,,,तेरे लिए तो वो रूम या फिर ये घर नई जगह थोड़ी है,,,,

नही आंटी जी ऐसी बात नही है,,,वो तो मैं वूओ

तभी आंटी ने मेरी बात को बीच मे रोक दिया,,,,,ओह्ह हां याद आया सरिता दीदी ने बोला था कि तुमको अकेले सोने की आदत नही है
शायद इसी वजह से नींद नही आ रही तुमको,,पहले तो करण होता था तेरे साथ रूम मे इसलिए तू सो जाता था वहाँ लेकिन आज
अकेला है तो सोना मुश्किल लग रहा होगा,,,,,

जी आंटी जी,,,सही कहा आपने,,,,शुरू से माँ के साथ सोता था ऑर जब बड़ा हुआ तो सोनिया ऑर मेरा रूम एक था ,,अब काफ़ी टाइम से सोनिया
ऑर मैं एक रूम मे सोते आ रहे है,,,,करण होता आज तो यहाँ मुश्किल नही थी लेकिन अकेले सोने मे बहुत मुश्किल हो रही थी,,,,
सोचा गेम खेल लूँगा तो थोड़ा थक जाउन्गा तो नींद आ जाएगी,,,,

अरे सोने के लिए गेम की क्या ज़रूरत बेटा,,,,जानती हूँ तुमको अकेले सोने मे मुश्किल हो रही है,,अगर तुम चाहो तो मेरे रूम
मे सो सकते हो,,,,,इतना बोलते टाइम आंटी हल्के से शरमा रही थी,,,,

लेकिन आंटी जी मेरे सोने से आपको कोई प्रोबलम तो नही होगी,,,

अरे बेटा प्रोबलम कैसी,,,,चलो उठो ऑर मेरे रूम मे सो जाओ,,,,आंटी ने इतना बोला ऑर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया
ऑर अपने साथ रूम की तरफ ले गई,,,,मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था बस हॉल मे लॅपटॉप की रोशनी थी ऑर आंटी के रूम से आने
वाली टीवी की रोशनी थी,,,,,लेकिन मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता अगर बिल्कुल अंधेरा भी होता,,,मैं तो बस आंटी एक साथ हाथ मे हाथ डालके कहीं भी जाने को तैयार था,,,,,


आंटी मुझे रूम मे ले गई,,,,चलो तुम यहाँ सो जाओ,,,आंटी ने बेड की तरफ इशारा किया,,,,,

आंटी के रूम मे एक ही बेड था,,,,,,मैं थोड़ा डरा हुआ था,,,,,हल्की बेचैनी हो रही थी मुझे,,,,,

मैं यहाँ सोउंगा तो आप कहाँ सोऑगी आंटी जी,,,,मैने मासूम बनके बोला तो आंटी हँसने लगी,,,,

क्या मतलब मैं कहाँ सोउंगी,,,,मैं भी यही सोउंगी ना बेटा,,इसी बेड पर,,,,,क्यू तुमको कोई प्रोबलम है क्या मेरे साथ सोने
मे,,,,तुमको तो अकेले सोने मे मुश्किल होती है ना,,,क्यूकी सोनिया ऑर तुम्हारा रूम एक है ऑर तुम उसके साथ सोते हो,,,,

जी आंटी लेकिन सोनिया ऑर मेरा बेड अलग अलग है ना ओर यहाँ एक ही बेड,,,

तो क्या हुआ बेटा,,,,तू मेरे बेटे करण जैसा है ऑर तू भी तो मुझे अपनी माँ समझता है ना,,,,,तो माँ के साथ सोने मे कैसी
शरम,,,,,बोल मुझे माँ समझता है या नही,,,,,सरिता दीदी के रूम मे भी तो एक ही बेड है ना तू उनके साथ भी तो एक ही बेड पर सो जाता है ,,,तो मेरे साथ सोने मे क्या मुश्किल है,,,,

जी आंटी जी,,,,आप करण की माँ हो तो मेरी भी माँ ही हुई ना,,,,,

तो बस ठीक है,,,,चल जल्दी से सो जाते है रात बहुत हो गई है,,,,,आंटी ने मेरे को हाथ से पकड़ा ऑर बेड की तरफ कर दिया ऑर खुद घूम कर बेड की दूसरी तरफ चली गई,,,,तब तक मैं बेड पर बैठ गया था,,,

आंटी भी बेड पर दूसरी तरफ आके लेट गई ऑर टीवी का रिमोट उठा कर टीवी ऑफ करने लगी,,लेकिन मैं नही लेता ,,मैं ऐसे ही बैठा रहा,,तभी आंटी बोली,,,,,

क्या हुआ तू लेट क्यू नही रहा,,,अभी भी शर्मा रहा है क्या,,,,,

नही आंटी मैं शर्मा नही रहा लेकिन ववूऊ मैं वउूओ ,मैं जानभूज कर डरने ओर हिचकिचाने का नाटक करने लगा

क्या हुआ बेटा,,,बोल शर्मा क्यूँ रहा है क्या बात है,,,,

आंटी जी मैं रात को सिर्फ़ निक्कर पहन कर सोता हूँ ,,उपर टी-शर्ट नही पहनता ऑर ऐसे आपके साथ सोने मे मुझे ,,,,,

अरे तो इसमे क्या बड़ी बात है,,,करण भी तो ऐसे ही सोता है,,,,तेरे ऑर करण मे कोई फ़र्क तो नही बेटा,,,,जैसे करण वैसे तू है मेरे लिए,,,,

चल निकाल दे टी-शर्ट ओर जैसे सोना है सो जा,,,,अब शरमा नही ओर जल्दी कर,,,रात बहुत हो गई है बेटा,,,,

मैने हल्के से धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट निकाली ताकि आंटी को लगे मैं थोड़ा डर रहा हूँ शर्मा रहा हूँ फिर टी-शर्ट निकाल
कर साइड के टेबल पर रख दी ऑर लेट गया,

मेरा ध्यान टीवी पर था आंटी ने अभी तक टीवी ऑफ नही किया था ,,तभी मैने टीवी देखते हुए आंटी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ
देख रही थी,,टीवी का रिमोट अभी भी उनके हाथ मे था,,,,लेकिन उनका ध्यान मेरी तरफ था वो मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे अभी कच्चा चबा जाएगी मेरे को,,,,

आंटी जी टीवी ऑफ कर दीजिए मुझे नींद आ रही है,,,मेरी आवाज़ से आंटी होश मे आ गई ऑर मेरी तरफ हंस कर ऑर शरमाते हुए एक बार देख कर टीवी ऑफ कर दिया,,,,,टीवी ऑफ होते ही रूम मे एक दम से अंधेरा हो गया,,,,
Reply
07-14-2019, 11:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
आंटी बेड के दूसरी साइड लेटी हुई थी मेरे से करीब 2 फीट की दूरी पर ,,काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा मुझे नींद नही आ रही
थी ऑर मैं जानता था आंटी भी सो नही रही होगी,,जो आग मेरे अंदर जल रही थी उस से भी ज़्यादा गर्मी आंटी के जिस्म मे पैदा हो रही
थी ,,,रूम मे इतना सन्नाटा था कि वॉल क्लॉक की टिक टिक का शोर गूँज रहा था या फिर आंटी की तेज सांसो का ऑर दिल की धड़कन का,आंटी
का तो बस मेरे साथ लेटने भर से बुरा हाल था,,,,वैसे मेरा भी यही हाल था मेरा दिल कर रहा था कि आंटी को कस्के अपनी बाहों मे
भर लूँ ऑर चोदना शुरू कर दूँ लेकिन जल्दबाज़ी करने से माँ ने मना किया था,,,,लेकिन अब बर्दाश्त नही हो रहा था मेरे से तो
सोचा कि चोद तो नही सकता लेकिन बाहों मे तो भर ही सकता हूँ ,,लेकिन थोड़ा आराम से ऑर धीरज से काम करना होगा,,,तभी दिमाग़
मे आइडिया आया ऑर मैं हल्की हल्की स्नोरिंग शुरू करदी ताकि आंटी को लगे कि मैं सो गया हूँ ,,मेरा प्लान था कि मैं जल्दी स्नोरिंग शुरू
कर दूँगा ऑर आंटी को लगेगा कि मैं सो रहा हूँ ऑर इसी बात का फ़ायदा उठा कर मैं आंटी के करीब हो जाउन्गा लेकिन इस से पहले मैं
आंटी के करीब होता आंटी खुद मेरे करीब हो गई क्यूकी बेड हल्का सा हिला था,,,,मैं तो लेटा हुआ था तो शायद आंटी ही हिली होगी तभी
तो बेड हिला था,,,,इतने मे आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर आ गया,,,,,ऑर आंटी ने मेरी चेस्ट पर हल्के से हाथ रखा ऑर मुझे आवाज़ दी,,,,

सन्नी ,,,सन्नी बेटा,,,इतना शोर क्यू कर रहे हो सोते हुए,,,स्नोरिंग बंद करो मुझे नींद नही आ रही,,सन्नी बेटा,,,,आंटी बोल रही
थी ऑर हल्के से मेरी चेस्ट पर हाथ मार रही थी,,लेकिन मैं हिला जुला नही बस ऐसे ही लेटा हुआ स्नोरिंग करने लगा,,आंटी काफ़ी देर तक
मेरा नाम लेती रही ओर मेरी चेस्ट पर हाथ मारती रही लेकिन मैं स्नोरिंग करते हुए सोने का नाटक करता रहा,,,

करीब 5-7 मिनट बाद जब आंटी को यकीन हुआ तो आंटी ने खुद को मेरे ऑर भी ज़्यादा करीब कर लिया ऑर मेरे से एक दम चिपक
गई ऑर मेरी चेस्ट पर हल्के से हाथ फेरने लगी,,मेरी तो एक दम से हालत बिगड़ने लगी थी एक दम से मेरी हार्ट बीट तेज होने लगी थी
लेकिन मैने खुद पर क़ाबू किया ऑर ऐसे ही लेटा रहा,,,,आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर घूम रहा था ऑर आंटी हल्के से मेरा नाम भी
ले रही थी ताकि उनको पता रहे कि मैं सो रहा हूँ या जाग रहा हूँलेकिन मैं तो लगातार स्नोरिंग करता रहा ताकि आंटी को लगे कि
मैं पक्की नींद मे हूँ ,,,,आंटी मेरे सोते हुए का फ़ायदा उठा रही थी ऑर मेरी चेस्ट पर हाथ घुमा रही थी तभी मैने भी
हिम्मत की ओर अपने एक हाथ को आंटी के जिस्म पर रख दिया,,,पेट ऑर कमर के पास ऑर फेस आंटी के तरफ टर्न करके आंटी से चिपक गया
,,,मेरी इस हरकत से मैं आंटी के एक दम करीब हो गया था,,,मुझे डर तो लग रहा था लेकिन मेरा सबसे बड़ा हथियार था मेरी
स्नोरिंग जिस से आंटी को लग रहा था कि मैं सोते हुए ये सब कर रहा था,,,,,मेरी चेस्ट आंटी के बूब्स के साथ टच कर रही थी मेरा
फेस आंटी के फेस के बिल्कुल पास था मुझे अपने लिप्स पर आंटी की गर्म ऑर तेज साँसे महसूस हो रही थी जिस वजह से मैं मस्त हो रहा
था ,,मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं आंटी के जिस्म पर हाथ घुमाना शुरू कर दूं लेकिन मेरे ऐसा करते ही आंटी को पता चल जाता
कि मैं सो नही रहा हूँ इसलिए मैं अपने हाथ को ऐसे ही टिका कर सोने की आक्टिंग करने लगा,,,,,लेकिन आंटी एक हाथ मेरी चेस्ट से हटके
मेरी पीठ पर चला गया ऑर आंटी ने मुझे हल्के से अपने करीब कर लिया ऑर मेरे से चिपक गई ऑर हल्के से मेरी पीठ पर हाथ से सहलाने
लगी,,,,,,मेरी तो हालत खराब हो गई थी लेकिन सोने की आक्टिंग करते हुए मैं कुछ नही कर सकता था,,,,बस खुद परक़ाबू करने की कोशिश
कर रहा था,,,,,,


कुछ पर तो क़ाबू कर लिया लेकिन लंड पर नही कर सका,,,आंटी ने हाथ ने मेरी पीठ पर अपना पूरा हुनर दिखा दिया था जिसकी मस्ती
से लंड खड़ा होने लगा था ऑर आंटी को मेरे लंड का एहसास अपने टाँगों पर होने लगा था,,,,आंटी ने जल्दी से अपनी टाँग को मेरे
लंड पर टच करना शुरू कर दिया ऑर जब आंटी को मेरे लंड के हार्ड होने का पता चला तो वो फिर से मेरा नाम लेने लगी,,,,

सन्नी ,,सन्नी बेटा,,,,,,,,,लेकिन मैं नही हिला ऑर स्नोरिंग करता रहा,,,,,,,जब आंटी को लगा कि मैं सो रहा हूँ तो आंटी ने अपने हाथ को
मेरे लंड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया ऑर कुछ देर मे मेरा लंड आंटी एक हाथ मे था,,,,आंटी के हाथ लगते ही लंड ने एक तेज झटका
मारा ऑर आंटी ने अपने हाथ को पीछे कर लिया ऑर फिर से मेरा नाम लेने लगी,,,,,,,लेकिन मैं वही सोने की आक्टिंग करता रहा,,,,,


आंटी ने फिर हिम्मत करके मेरे लंड को हाथ मे लिया अब तक लंड लगभग पूरी ओकात मे आ गया था ऑर आंटी ने उसको हाथ मे लेके
हलके से मुट्ठी मे भर लिया ऑर दबा लिया ऑर आंटी के मूह सी हल्की अहह निकल गई,,,,,आंटी ने फिर से लंड को दबाया ऑर फिर से अह्ह्ह्ह
निकल गई आंटी की ,,तभी मैने खुद के जिस्म को थोड़ा हिला दिया जिस से आंटी ने डर कर हाथ को पीछे कर लिया ,,,,,उसके बाद करीब 10-12
मिनट तक कुछ नही हुआ ,,,फिर आंटी ने मेरे लंड को नही पकड़ा ओर उठकर बाथरूम मे चली गई ऑर अंदर जाके दरवाजा बंद कर
लिया,,,,दरवाजा बंद होते ही मैं भी भाग कर बाथरूम के दरवाजे के पास चला गया ऑर आंटी की आवाज़ सुनने लगा,,,,,मेरा शक सही
निकला आंटी अंदर चूत मे उंगली करने गई थी,,,,,क्यूकी बाहर तक उनकी सिसकियों की आवाज़ आ रही थी,,,,,,,कुछ देर बाद आंटी बाहर निकल
आई ऑर उनके आने से पहले मैं बेड पर चला गया था,,,,,,,उस रात फिर कुछ नही हुआ ,,,,ना तो वो मेरे करीब आई ऑर ना ही मैं उनके
करीब गया,,,,बस दोनो ऐसे ही लेटे रहे ऑर कब सो गये पता नही चला,,,,,,
सुबह मैं उठा तो आंटी बेड पर नही थी,,,मैने उठकर अपनी टी-शर्ट पहनी ऑर करण के रूम
मे चला गया ,,जाते जाते मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी मैं समझ गया कि आंटी किचन
मे है,,,,मैं करण के रूम मे गया ऑर बाथरूम मे घुस कर फ्रेश होने लगा ,,,फ्रेश तो क्या
होना था उल्टा मैं ऑर ज़्यादा थक गया मूठ मार कर,,,रात भर आंटी के साथ एक ही बेड पर सोया
था फिर भी कुछ नही कर राका ,,हालाकी आंटी ने मेरे जिस्म को छू कर अपनी थोड़ी हसरत तो पूरी
करली थी ऑर थोड़ी हसरत मेरे लंड को छूने से पूरी हो गई थी उनकी लेकिन फिर भी काफ़ी हसरते थी
जो अभी तक उनके दिल मे क़ैद थी जिनको वो पूरा करना तो चाहती थी लेकिन डर रही थी,,ऑर इधर
मैं भी अपनी हसरतों को अपनी माँ की वजह से दिल मे दबा कर अंदर ही अंदर घुट रहा था


,,रात जब आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर घूम रहा था तब मैं क़ाबू से बाहर हो रहा था
लेकिन जब उनका हाथ मेरे लंड पर लगा था तब तो मैं पूरी तरह से पागल हो गया था ,,मैं
ही जानता हूँ कि रात मैने खुद पर क़ाबू कैसे किया था,,बस चलता तो एक ही झटके मे पूरा
लंड घुसा देता आंटी की मस्त गान्ड मे ऑर इतनी ज़बरदस्त चुदाई करता कि आंटी अपने पति
यानी करण के बाप को भी भूल जाती,,,,

मूठ मार कर फ्रेश होके मैं रूम से निकला ऑर किचन की तरफ जाने लगा तभी मुझे आंटी
के रूम से आंटी की आवाज़ सुनाई दी,,,, मैं जल्दी से आंटी के रूम के पास चला गया ,,बातों
से पता चल रहा था कि आंटी मेरी माँ से बात कर रही थी,,,मैं रूम के बाहर खड़ा
होके आंटी ओर माँ की बातें सुन-ने लगा,,,,

अलका आंटी,,,,,,,दीदी अपने सच बोला था उसका तो वो बहुत बड़ा है,,,,

माँ,,,,,,>>>>>>>>>>>>

अलका आंटी,,,,,,,,,,,दीदी मुझे शरम आती है उसका नाम लेने मे ,,आप बार बार ऐसे मत
बोलो ना प्लज़्ज़्ज़,,,,

माँ,,,,,,>>>>>>>>>>>.

आंटी,,,,,,जानती हूँ दीदी मैने जल्दबाज़ी करदी रात मे लेकिन क्या करती वो मेरे पास लेटा हुआ
था ,,,उपर कुछ पहना भी नही था जस्ट निक्केर मे था ,,,,उसकी चिकनी छाती देख कर मेरा
दिल बहक गया ऑर मेरा हाथ उसकी छाती पर चला गया ऑर मस्ती मे मैं इतनी पागल हो गई कि
पता ही नही चला कब हाथ उसके उस पर चला गया,,,,मैं तो डर ही गई थी दीदी,,,इतना तेज
झटका लगा मुझे कि पूछो मत,, सच मे कितना बड़ा था उसका ,,,करण के पापा का तो इस
से आधा ही है बस,,,,

माँ,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>.

आंटी,,,,ठीक है दीदी अब जल्दबाज़ी नही करती बस,,,,,,,,आज भी वो मेरे साथ ही सोएगा,,,,,जैसा आपने
बोला था मैं वैसा ही किया लेकिन मुझे शरम आ रही थी उसको अपने साथ सुलाने के लिए बोलने
मे वो तो अच्छा हुआ उसको करण के रूम मे अकेले मे नींद नही आई ऑर वो अपना लॅपटॉप लेके
बाहर सोफे पर बैठ गया ,,,ऑर यहाँ रूम मे मुझे भी नींद नही आ रही थी,,मैने बातों-
बातों मे उसको अपने साथ सोने को बोल दिया,,,,

माँ,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,जी दीदी जैसा अपने कहा था मैं वही नाइटी पहनी थी जो अपने बोला था,,वही जो काफ़ी
पलते कपड़े की थी,,सारा बदन दिखता था उसमे मेरा,,,,पता है कितनी शरम आ रही थी सन्नी
के सामने वो नाइटी पहन कर जाने मे,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,जी दीदी ब्रा ऑर पेंटी भी पहनी थी नीचे,,,,अगर ना पहनती तो नाइटी मे भी बिल्कुल नंगी
होती मैं सन्नी के सामने,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,,,,,नही दीदी खाना परोसते टाइम मैने नाइटी नही सूट पहना हुआ था,,,,,लेकिन खाना
वैसे ही परोसा था जैसा अपने बोला था,,,,थोड़ा थोड़ा करके ऑर बैठी भी सन्नी के सामने वाली
चेयर पर थी ताकि जब भी खाना परोसने के लिए झुकू तो मेरी ब्रेस्ट का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा
देख सके सन्नी,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,नही दीदी मैं खाना परोसते टाइम नाइटी नही पहन सकती मुझे बहुत शरम आएगी
वो तो रात मे सोते टाइम भी नाइटी मे मुझे सन्नी के सामने बहुत शरम आ रही थी,,,,,

माँ,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,जानती हूँ दीदी करण कुछ दिन के लिए गया है ऑर मेरे पास बहुत कम टाइम है लेकिन
मैं क्या करूँ दीदी मुझे डर लगता है,,,शरम भी आती है,,,,ये तो एक आग लगा दी है आपने
दिल मे इसलिए ये सब कर रही हूँ ऑर उपर से कल रात जब सन्नी का वो हाथ मे लिया था तबसे
आग ऑर भी ज़्यादा भड़क गई है,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,ठीक है दीदी जैसा आप बोलॉगी मैं करूँगी,,,,बस थोड़ा डर लगता है,,,,,जानती हूँ
आप इस सब मे काफ़ी एक्षपरट हो मेरी जगह आप होती तो करण को एक दिन मे ही पटा लेती ऑर मज़ा
ले लेती उसके साथ लेकिन क्या करू मैं इतनी तेज नही हूँ दीदी,,कुछ तेज़ी दिखाने की कोशिश करती
हूँ तो दिल मे डर पैदा होने लगता है जो मुझे ऑर भी ज़्यादा स्लो कर देता है,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,,,ठीक है दीदी मैं आज कोशिश करूँगी,,,,,

तभी मैं समझ गया कि माँ ने ही आंटी को सब कुछ करने को बोला था,,,माल से नाइटी लेके
आने को,,बार बार झुक कर डाल सब्जी डालने को,,,ऑर रात को मुझे अपने साथ सुलाने को,,,लेकिन
माँ मुझसे भी तो कुछ बात सकती थी ना,,,,,चलो कोई बात नही अब मैं सब समझ गया हूँ
,,अब मुझे भी कुछ ना कुछ करना ही होगा,,,,,वर्ना दिन ऐसे ही गुजर जाने है ऑर कुछ नही
होना,,,,,,,तभी मैं हल्के कदमो से पीछे गया ऑर वापिस आंटी के रूम की तरफ बढ़ने लगा ऑर
अपने कदमो से हल्का शोर करने लगा ताकि मेरे आने की आहट मिल जाए आंटी को,,,,,
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,541,466 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 548,990 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,249,596 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 944,690 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,677,696 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,100,714 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,985,146 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,168,082 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,074,064 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,830 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)