Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:59 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी मैने फिर से अपने हाथ से उसकी चिन को पकड़ा और उसका फेस उपर उठा दिया तभी
उसका ध्यान मेरे हाथ की चोट पर गया जो दीवार से रगड़ ख़ाके थोड़ा छिल गया था और
हल्का खून बहने लगा था,,,,,

अरे ये क्या हो गया सन्नी ,,,ये खून कैसे निकलने लगा तेरे हाथ से,,,उसने मेरा हाथ
पकड़ा और देखने लगी,,,,

बात मत पलट मेरी तू सोनिया,,,,मैं जानता हूँ तू मेरे से प्यार करती है लेकिन डरती
है,,,अगर नही करती तो मेरी आँखों मे देख और बोल तुझे मेरे से प्यार नही,,वो कुछ
नही बोली,,,,,,

अच्छा अगर मेरी तरफ देख कर नही बोल सकती तो अपना हाथ रख मेरे सर पर और खा मेरी
कसम कि तुझे मेरे से प्यार नही,,मैने उसका हाथ पकड़ा और अपने सर पर रख दिया,,,

उसका हाथ मेरे सर पर रखा हुआ था और वो नज़रे झुका कर नीचे देख रही थी,,,बोल तुझे
मेरे से प्यार नही देख झूठ नही बोलना वरना मैं मर जाउन्गा,,,,

मैने इतना बोला कि उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,,उसकी आँखें थोड़ी नम हो गयी थी

नही नही सन्नी ऐसे मत बोल प्लज़्ज़्ज़ ऐसी बात दोबारा अपने मुँह पर नही लेके आना कभी,,

मैने उसका हाथ पकड़ा और अपने मुँह से हटा दिया,,,,,अच्छा इतनी फ़िक्र है मेरी तो बोलती क्यूँ
नही कि तू भी मेरे से प्यार करती है,,,,
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07-16-2019, 11:59 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
नही सन्नी मैं वो ,,मैं तुुझहही ,,,मैन्न वूऊ ,,सयन्नीयी

उसको कोई बात नही सूझ रही थी,,,,तभी मैं अपना हाथ उसकी पीठ की तरफ ले गया और
उसको अपने करीब कर लिया,,,,मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था जबकि एक हाथ जिसमे खून
निकल रहा था उस से मैने उसके चेहरे को उपर किया,,,क्यूकी मेरे करीब आते ही उसने अपने
सर को झुका लिया था जल्दी से,,,,,मैने उसके फेस को उपर किया और बोला,,,,,बोल कि तुझे
मेरे से प्यार नही मैं चुप छाप यहाँ से चला जाउन्गा,,,,बोल ना ,,,,बोल तू मेरे से प्यार
नही करती,,,,

वो कुछ नही बोली बस मेरी आँखों मे देखती जा रही थी और साथ साथ अपने हाथ मेरी चेस्ट
पर रखकर खुद को मेरे से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने उसकी पीठ से
उसको कस कर पकड़ा हुआ था,,,,,हम दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे,,,,,


बोल ना बोलती क्यू नही,,,,बोल तुझे मेरे से प्यार नही,,,,


उसकी हार्टबीट तेज हो गयी थी,,,साँसे तो पहले से भारी-भारी थी उसकी,,,दिल की धड़कन
भी उसका साथ नही दे रही थी जो काफ़ी तेज हो चुकी थी,,,,सयन्नीयी छ्छूद म्मूउज़्झहही
यईी सब्ब ठीक्क नाहहीी ,,सुउन्नयी छोड़ ना प्लज़्ज़्ज़ क्कू आ जाईगगा ,,सुउन्नययी
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ छ्छूड्द मुउज़्झहही ककक़कू आ गगयाअ ऊउरर हुउंमी ऐसी दीकखह ल्लीइय्या
तो कय्या हूग्गा,,,मायन्न तूओ मार्र हिी जोऊनगगीइ ष्हररमम सीई ,,,,छोड़ सुउन्नी
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

मैने कुछ नही बोला बस अपने हाथ को उसकी चिन से उठाकर उसके सर के पीछे रखा और उसके
सर को अपने करीब कर दिया जिस से उसके लिप्स मेरे लिप्स के करीब हो गये और मैने कोई देर
नही की और जल्दी से उसके लिप्स को अपने मुँह मे भर लिया वो एक दम से सिहर गयी मेरी इस
हरकत से और ज़ोर लगा कर खुद को मेरे से दूर करने लगी ,,उसके हाथ मेरी चेस्ट पर थे
और वो पूरा ज़ोर लगा रही थी मेरे से दूर होने क लिए लेकिन मेरा हाथ उसके सर पर पूरी
पकड़ बना कर कॅसा हुआ था जिस से उसका सर मेरे से दूर नही हो सकता था ना ही उसके
लिप्स मेरे से दूर हो सकते थे,,,,


उसके सॉफ्ट लिप्स मेरे मुँह मे आते ही मैने उसके लिप्स को चूसना शुरू कर दिया,,मेरा एक हाथ
उसकी पीठ पर और एक हाथ उसके सर पर था,,जो हाथ पीठ पर था मैं उसको हिला नही
रहा था बस पकड़ बना कर उसको खुद से चिपका रहा था,,,

उसका मुँह खुल गया था और मेरी ज़ुबान उसके मुँह मे घुस गयी थी और उसकी ज़ुबान से छेड़खानी
करने लगी थी उसके मुँह मे जाके,,वो अपनी ज़ुबान से मेरी ज़ुबान को उसके मुँह से बाहर करने
की कोशिश कर रही थी ,,मैने अपनी ज़ुबान को उसके मुँह से बाहर करना शुरू कर दिया जिस
से ज़ोर लगाती हुई उसकी ज़ुबान मेरे मुँह की तरफ दबने लगी ,,मेरी ज़ुबान उसके मुँह से पूरी
तरह बाहर निकल गयी लेकिन उसकी ज़ुबान नही रुकी,,,शायद वो अभी भी ज़ोर लगा रही थी
अपनी ज़ुबान से जिस वजह से उसको पता ही नही चला कि उसकी ज़ुबान उसके लिप्स से बाहर
आ गयी थी और मेरे लिप्स को टच करने लगी थी,,,मैने भी मौका देखा और उसकी ज़ुबान को
अपने दाँतों मे पकड़ लिया और अपने मुँह मे खींच लिया,,,वो एक दम से घबरा गयी अपनी
इस ग़लती से और उसके बदन ने झटके खाने शुरू कर दिए,,,,वो खुद को मेरे से दूर
करना चाहती थी,,,,,


मेरे मुँह मे उसकी ज़ुबान घुसते ही मैने उसको अपने दाँतों मे पकड़ लिया और चूसना शुरू
कर दिया,,,,कुछ देर मैं ऐसे ही उसकी ज़ुबान को चूस्ता रहा और तभी मुझे हैरानी हुई
उसने ज़ोर लगाना बंद कर दिया और उसके जो हाथ मेरी चेस्ट पर थे वो मेरी पीठ पर चले
गये,,मैं उसकी इस हरकत से खुश हो गया और फिर ज़्यादा ही मस्ती मे उसकी ज़ुबान को चूस्ता
हुआ उसके लिप्स को भी मुँह मे भरने लगा,,,,उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया,,,,

हम दोनो मस्ती मे ,,छत पर सर्दियों की हल्की मीठी धूप मे एक दूसरे से चिपक कर एक
दूसरे के होंठों का रस्सपान करने मे लगे हुए थे और कम से कम 3-4 मिनिट हो गये थे
हम लोगो को ऐसे ही खड़े हुए किस करते हुए,,,आज तो सोनिया भी मेरा साथ दे रही थी,,वो
भी पूरी मस्ती मे मुझे किस करती हुई मेरे लिप्स को चूसने लगी थी मेरे मुँह मे अपनी ज़ुबान
घुसा कर मेरी ज़ुबान से छेड़खानी करने लगी थी,,शायद वो आज पूरी तरह मस्त हो गयी
थी,,,,


मैं यही सब सोचता हुआ खुश हो रहा था कि वो भी मस्त हो गयी है लेकिन तभी उसने अपने
हाथों को वापिस मेरी चेस्ट पर रखा और ज़ोर से मुझे धक्का दे दिया और खुद से दूर कर
दिया,,,मस्ती मे मैं अपने हाथों की पकड़ को उसके जिस्म पर काफ़ी कमजोर कर चुका था और
उसको इसी बात का इंतजार था शायद इसलिए उसने एक ही झटके मे मुझे खुद से दूर कर
दिया,,,,झटका इतना जोरदार था कि मैं पीछे हटके ज़मीन पर गिर गया,,,,


मैं ज़मीन पर गिरा हुआ उसकी तरफ देख रहा था और अपने लिप्स पर लगे उसके थूक को सॉफ
कर रहा था अपने हाथ से,,,,,वो दीवार से सॅट के खड़ी हुई खुद की हालत को क़ाबू मे
करने की कोशिश कर रही थी ,,उसकी तेज उखड़ती हुई साँसे ,,तेज हो चुकी दिल की धड़कन
जिसपे क़ाबू करने मे उसको काफ़ी मुश्किल हो रही थी,,,,लेकिन फिर भी वो खुद पर क़ाबू
करने की पूरी कोशिश कर रही थी,,,,जब उसकी हालत थोड़ी ठीक हुई तो वो धीरे से थोड़ी
आगे बढ़ के चली गयी फिर रुक कर मेरी तरफ देखा और बोली,,,,,



सन्नी तेरा और मेरा रिश्ता बहुत अजीब है,,,किसी काँच और पत्थर के जैसा,,,भूल मत जब
काँच से पत्थर टकराता है तो काँच टूट कर बिखर जाता है,,ये रिश्ता भी बिल्कुल
वैसा ही है जिसमे मैं काँच हूँ और तू पत्थर है,,,तू मुझसे टकराया तो तुझे तो
कुछ नही होगा शायद लेकिन मैं टूट कर बिखर जाउन्गी ,,प्ल्ज़्ज़ तू मुझसे दूर रहा कर
क्यूकी मैं टूट कर बिखरना नही चाहती,,,प्ल्ज़्ज़ सुउन्नयी तू मुझे टूट कर बिखरने पर
मजबूर मत करना क्यूकी अगर मैं टूट कर बिखर गयी तो मर जाउन्गी,,,प्लज़्ज़्ज़ सुउन्नयी मत
किया कर ऐसी हरकते ,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे टूट कर बिखरने मत देना सन्नी,,प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़


इतना बोलकर वो जल्दी से नीचे भाग गयी और मैं वहीं छत पर बैठा हुआ उसकी बातों
के बारे मे सोचने लगा,,,,

मैं कुछ देर तक छत पर ही बैठा रहा और सब बातों के बारे मे सोचने लगा जो अभी
कुछ देर पहले हुई थी सोनिया का साथ,,,,आज सोनिया ने किस का रेस्पॉन्स दिया था मुझे मैं
खुश भी हो गया था उसकी इस हरकत से लेकिन उसका इरादा मुझे बहका कर अपने जिस्म से मेरी
पकड़ को कमजोर करना था ताकि मैं पकड़ कमजोर कर दूं और वो मुझे खुद से दूर कर
सके,,,वो कामयाब भी हो गयी थी क्यूकी जब उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरी पकड़
सच मे उसके जिस्म पर कमजोर हो गयी और वो मेरे से अलग हो गयी थी,,,,


फिर मुझे याद आई उसकी वो बात,,,,वो ठीक कह रही थी,,,,,मेरा और उसका रिश्ता अजीब
था,,,काँच और पत्थर जैसा,,,हम दोनो टकराते तो उसका टूट कर बिखर जाना मुमकिन था
क्यूकी वो बहुत मासूम और भोली भाली लड़की थी और मैं पत्थर जैसा था,,मुझे कोई फ़र्क़
नही पड़ने वाला था,,,तो क्या मुझे सोनिया से दूर रहना चाहिए,,,क्यूकी मैं नही चाहता
था वो टूट कर बिखर जाए ,,,लेकिन मैं उस से दूर भी नही रह सकता था क्यूकी मैं
उस से बहुत प्यार करता था,,,,लेकिन इसका मतलब ये नही मैं कविता से प्यार नही करता था
मैं कविता से भी उतना ही प्यार करता था जितना सोनिया से,,,,लेकिन क्या ये सही था,,क्या मैं
दोनो से प्यार कर सकता था या सिर्फ़ ये जिस्म का खेल था जो मुझे खेलना था दोनो के साथ


नही नही ये जिस्म का खेल नही मैं दोनो से बहुत प्यार करता था,,,उनके लिए जान भी दे
सकता था,,,


मैं यही सब सोच रहा था कि शाम ढल गयी थी मुझे ठंड लगने लगी,,,मैं उठकर
नीचे चला आया और रूम मे आके लेट गया,,,आँगन मे कोई नही था ,,,,,गाँव की औरतें भी
अपने घर जा चुकी थी और हवेली का गेट भी बंद हो चुका था ,,,बाकी लोग भी अपने रूम्स
मे चले गये थे शायद,,,,


मैं अपने रूम मे आके लेट गया और फिर से सभी बातों क बारे मे सोचने लगा,,,तभी कुछ
देर बाद मेरे रूम मे कोई आया,,,,मैने देखा तो ये भुआ थी जो खाने की प्लेट लेके रूम
मे मेरे पास आके खड़ी हुई थी,,,,


कहाँ था तू सन्नी फिर से घूमने गया था क्या,,,सब लोगो ने खाना खा लिया और तू ही रह
गया खाना खाने के लिए,,,,चल उठ और खाना खा ले,,,,


नही भुआ मुझे भूख नही है,,,आप खाना वापिस ले जाओ,,,,मैने थोड़ा उदास होके बोला


क्या हुआ सन्नी फिर कविता से कोई झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,इतना उदास क्यूँ है,,,,

अरे भुआ कोई झगड़ा नही हुआ मेरा किसी से बस सर मे हल्का दर्द है,,और भूख भी नही
है मेरे को,,,,


देख सन्नी बेटा खाने की बेज़्ज़ती नही करते कभी,,,अगर सर मे दर्द है तो बता मैं दबा
देती हूँ और अगर कोई और बात है तो वो भी बता शायद मैं कुछ हेल्प कर सकूँ तेरी और
तेरी गर्लफ्रेंड की,,,,

अरे भुए कोई बात नही है बोला ना मेरे और कविता की,,,कोई झगड़ा नही हुआ मेरा कविता
के साथ,,,,


अच्छा नही बताना तो मत बता लेकिन खाना खा ले बेटा,,,,

मुझे लगा भुआ की बातों से बचना है तो बेटा खाना खा ले इसी मे तेरी भलाई है


ठीक है भुआ आप खाना रख दो मैं खा लूँगा,,,,,,

भुआ ने खाने की प्लेट मेरे बेड पर रखी और बाहर चली गयी,,,,

मुझे भूख तो नही थी फिर भी मैने खाना खा लिया और प्लेट रखने किचन मे चला
गया,,,,,अंधेरा हो चुका था,,आँगन खाली पड़ा था,,
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07-16-2019, 11:59 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैं बर्तन किचन मे रखकर वापिस अपने रूम मे जा रहा था कि मैने देखा कि रेखा
अपने रूम से निकल कर चोरी चुपके किसी और रूम मे जा रही थी,,,मैने सोचा साली की
नयी नयी शादी हुई है फिर भी किसी और का लंड लेने को कितनी बेचैन है कि अपने पति
से नज़रे बचा के किसी और रूम मे जा रही है ,,,दिल तो किया कि चलो देखते है किसके
रूम मे गयी है लेकिन मुझे वैसे ही बड़ी टेन्षन थी इसलिए मैं अपने रूम मे चला गया
और जाके लेट गया


तभी कुछ 25-30 मिनिट बाद मुझे बाहर से तेज शोर की आवाज़ आई जैसे कोई झगड़ा कर
रहा हो ,,,मैं जल्दी से अपने रूम से निकल कर बाहर गया तो देखा कि उसी रूम के बाहर
जिस मे रेखा गयी थी चोरी चुपके से ,,उस रूम के बाहर डॅड ने सुरेंदर मामा को गले
से पकड़कर दीवार से लगा रखा था और गुस्से मे उनको गालियाँ दे रहे थे,,,,जबकि माँ
भुआ ,,शोभा और विशाल डॅड को मामा को छोड़ने को बोल रहे थे,,,,

लेकिन डॅड मामा को एक हाथ से गर्दन से पकड़कर एक हाथ से मामा को थप्पड़ लगा रहे
थे,,,


भुआ,,,अशोक छोड़ दो इसको ,,मत मारो इसको

सरिता,,,अशोक इसकी बात तो सुन लो ये क्या कहना चाहता है,,

विशाल,,,दाद छोड़ दो मामा को पहले पूरी बात तो सुनलो इनकी


लेकिन डॅड किसी की बात नही सुन रहे थे,,,मैं भी भाग कर उन लोगो के पास चला
गया और उधर मनोहर भी अपने रूम से निकल आया,,,


रेखा ने जब मनोहर को आते देखा तो भाग कर उसके पास चली गयी,,,अरे आप क्यूँ बाहर
आ गये,,,कुछ नही हुआ यहाँ आप चलिए अपने रूम मे

अरे रेखा यहाँ झगड़ा हो रहा है तुम मुझे रूम मे जाने को बोल रही हो,,

कुछ नही हुआ मनोहर वो बस सुरेंदर ने थोड़ी ज़्यादा पी ली थी इसलिए पंगा हुआ और कुछ
बात नही है लेकिन मनोहर फिर भी आगे बढ़ता आ रहा था तभी गीता और विशाल आगे
बढ़ के मनोहर के पास गये और बातें करते हुए उसको रेखा के साथ उसके रूम मे ले गये

तब तक मैं भाग कर डॅड के पास जाके डॅड के हाथों से मामा को च्छुड़वाने की कोशिश
करने लगा,,,,,

डॅड ने मुझे देखा तो एक दम से सुरेंदर को छोड़ दिया लेकिन गालियाँ देनी बंद नही की,,
साले जिस थाली मे ख़ाता है उसी को ठोकर मारता है,,,हमने तुझे अपने घर पर रखा
और तूने इसका ये सिला दिया हम लोगो को,,,तेरे साथ जो कुछ भी हुआ उसकी ग़लती की सज़ा
तूने हम लोगो को क्यूँ दी,,,क्या कमी थी तुझे हमारे घर मे बोल ज़रा,,,क्यूँ किया तूने ऐसा


सुरेंदर कुछ नही बोल रहा था बस सर झुका कर खड़ा हुआ था,,


सरिता=== उसको बोलने का मौका तो दो आप अशोक ,,आप तो उसको मारते ही जा रहे हो,,कुछ तो
बोलने दो इसको,,,

अशोक===मुझे कुछ नही सुन-ना सरिता इसको दफ़ा करदो यहाँ से नही तो मैं इसकी जान ले
लूँगा,,,

तभी डॅड ने एक थप्पड़ और लगा दिया सुरेंदर के फेस पर

तभी मैने देखा कि कविता और सोनिया भी अपने रूम से बाहर निकल आई थी,,जब डॅड ने
मामा को थप्पड़ मारा तो सोनिया बहुत खुश हो गयी थी,,,लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा
उसने नज़रे घुमा ली,,,


तभी विशाल और गीता भी मनोहर और रेखा को उनके रूम मे छोड़कर वापिस आ गये,,


मत मारो डॅड मामा को,,,पहले उनकी बात तो सुनलो,,,गीता भी रोती हुई डॅड से मामा की बात
सुन-ने को बोल रही थी लेकिन डॅड किसी की नही सुन रहे थे,,,,

तभी डॅड ने देखा कि केवल और सीमा भी अपने रूम से निकल कर बाहर आ गये थे

उन लोगो के आते ही डॅड अपने रूम मे चले गये,,,साथ मे शोभा,,माँ और गीता भी,,,जबकि
विशाल मामा को लेके हवेली के बाहर चला गया ,,,

फिर कार स्टार्ट होने की आवाज़ आई ,,शायद विशाल मामा को लेके कहीं चला गया था,,,


केवल सीमा को लेके उसी रूम मे जाने लगा जिस रूम मे डॅड और बाकी लोग गये थे तभी
माँ ने उनको मना कर दिया,,,केवल वापिस अपने रूम मे चला गया और सीमा को भी ले गया

फिर माँ ने कविता और सोनिया की तरफ देखा तो वो लोग भी अपने रूम मे वापिस चली गयी,,,

मैं अभी माँ के पास ही खड़ा हुआ था,,तभी माँ मुझे बोली,,,,तुम जाओ सन्नी और जाके सो
जाओ,,,अभी कोई बात करने का टाइम नही है,,,,


लेकिन माँ विशाल भाई कहाँ गये मामा को लेके,,,,

वो रेखा के पुराने घर मे गया है,,,सुबह आ जाएगा वापिस,,,तुम जाओ और आराम करो अब कोई
बात नही करनी तुमने,,,समझे,,,,मा थोड़ी गुस्से मे बोली तो मैं वापिस आपने रूम मे
चला गया और सोचने लगा कि डॅड ने मामा को क्यूँ मारा,,,कहीं डॅड ने मामा को रेखा के साथ
तो नही देख लिया,,,,लेकिन डॅड को तो पहले से पता है रेखा और मामा के बारे मे ,,उन दोनो
ने तो एक साथ मिलके भी चोदा था रेखा को,,,कहीं उसकी शादी के बाद डॅड ने कुछ दिन
रेखा से दूर रहने को बोला होगा,,ताकि मनोहर को कुछ पता नही चले,,लेकिन रेखा की
चूत मे ज़्यादा ही खुजली हो रही होगी जो मामा का लंड लेने चली गयी और फँसा दिया मामा
को,,,,,,,,,
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07-16-2019, 11:59 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
कल भी टेन्षन के मारे नींद नही आई थी इसलिए कुछ देर टेन्षन भूल कर सो जाना
चाहता था लेकिन कुछ फ़ायदा नही हो रहा था इसलिए सोनिया के बारे मे सोचने लगा जब वो
छत पर मुझे किस करने मे मेरा साथ दे रही थी,,वो किस कुछ पल के लिए मुझे खुशी
दे गयी थी और अब उसके बारे मे सोच-सोच कर भी दिल मे एक मीठा मीठा खुशी का एहसास हो
रहा था और उसी एहसास ने सोने मे मेरी मदद भी कर दी,,,


सुबह उठा तो गाँव की औरतें फिर से आँगन मे ज़मा हो गयी थी,,,ये सला गाँव की शादी
का भी पता नही कितना लंबा टाइम चलती है,,,अब शादी कबकि हो चुकी लेकिन इनका गाना
बजाना और रीति रिवाज ने नाक मे दम किया हुआ है,,लेकिन एक बात तो अच्छी थी कि गाँव की
औरतें आ गयी थी इसलिए घर मे कल रात के झगड़े के बारे मे कोई बात नही कर रहा
था,,,,,,

गीता भुआ और शोभा गाँव की औरतों के साथ बैठी हुई थी जबकि कविता और सोनिया थोड़ी दूर
चेयर पर बैठी हुई थी,,,डॅड केवल के साथ दूर धूप मे बैठ कर बात कर रहे थे
जबकि माँ और सीमा किचन मे थी,,,

विशाल और मामा कहीं नज़र नही आ रहे थे

मेरा दिल कॉफी पीने को कर रहा था इसलिए मैं किचन मे चला गया,,,,

उठ गया मेरा बेटा,,माँ ने किचन मे आते ही मेरा सर चूम लिया और प्यार से सर पर हाथ
फिराते हुए बोला,,,,,तभी माँ ने सीमा की तरफ इशारा करते हुए मुझे चुप रहने को
बोला,,,,माँ को पता था मैं कल रात के बारे मे बात करूँगा लेकिन माँ ने मुझे पहले ही
चुप रहने को बोल दिया था,,,

हां माँ उठा गया ,,फ्रेश भी हो गया ,,अब कुछ कॉफी मिलेगी क्या,,,


अरे बेटा अब तो खाने का टाइम हो रहा है लेकिन कोई बात नही,,पहले तुझे कॉफी बना
देती हूँ इतना बोलकर माँ कॉफी बनानने लगी,,,,

तभी सीमा का ध्यान मेरा तरफ आया और उसने मुझे गुड मोर्निंग बोला,,,,गुड मोर्निंग बेटा

मैने भी उसको गुड मोर्निंग बोल दिया,,,,

तभी सीमा माँ को बोली,,,,,,दीदी चावल कहाँ है नज़र नही आ रहे,,,,

वो देख ना सामने वाले बर्तन मे होंगे,,,,

देख लिया वहाँ दीदी वो बर्तन खाली है,,,,

लगता है ख़तम हो गये,,,,तू ऐसा कर जाके गोदाम से चावल उठा ला ये ले चाबी,,माँ
ने गोदाम की चाबी सीमा की तरफ बढ़ाते हुए बोला,,

सीमा चाबी लेके जाने लगी तभी माँ बोली,,,,तू अकेली इतना वजनी बौरी कैसे उठा लेगी
सीमा,,,ऐसा कर सन्नी को साथ मे ले जा,,,,

मैं कुछ नही बोला और मामी की साथ चल दिया,,,,हवेली मे एक रूम को गोदाम बनाया हुआ
था और किचन का सारा राशन वहाँ रखा हुआ था,,,

मैं मामी के साथ चलने लगा और मामी मुझे मेरे कॉलेज और एग्ज़ॅम्स के बारे मे पूछने लगी
और मैं उनको हंसते हुए जवाब देता गया,,,मैने देखा को सोनिया और कविता दोनो मुझे हल्के
गुस्से से देख रही थी,,,,लेकिन मैने उनकी तरफ ज़्यादा ध्यान नही दिया और मामी के साथ
चलता गया,,

गोदाम मे पहुँचा कर मामी ने एक बौरी की तरफ इशारा किया और मैने वो बौरी उठा ली और
तभी मुझे मज़ाक सूझा ,,,,,

अरे मामी वो देखो कितना बड़ा चूहा,,,,,मैने इतना बोला तो मामी ज़ोर से चिल्लाई,,,,कहाँ
है चूहा ,,,कहाँ है सन्नी ,,,चूहा कहाँ है,,,मामी उछल रही थी और चूहे से
डर रही थी,,तभी मैं हँसने लगा और मामी को पता चल गया मैं मज़ाक कर रहा हूँ

बदमाश सन्नी मार खाएगा तू मेरे से,,जब देखो बदमाशी करता रहता है,,,सरिता दीदी
ठीक ही कहती है,,बहुत तंग करता है तू,,,,

मामी मेरे पास आई और हल्के से मेरा कान मरोड़ दिया,,,,सौररी मामी ग़लती हो गयी अब नही
करता मज़ाक,,,,छोड़ो ना कान मे दर्द हो रहा है,,,

मामी ने हँसके मुझे देखा और कान छोड़ दिया,,,,अब ऐसा मज़ाक किया तो ज़ोर से कान मरोड़
दूँगी,,,पता है कितनी डर गयी थी मैं,,,जान निकल गयी थी मेरी,,,,अब ऐसा मज़ाक नही
करना ,,,समझा,,,,,,

मैने हां मे सर दिया दिया और मामी को बता दिया कि मैं उनकी बात समझ गया,,लेकिन साथ
साथ मैं हंस भी रहा था तो मामी भी हँसने लगी,,,


फिर मैं बौरी उठा कर बाहर आ गया और मामी ने गोदाम को लॉक लगा दिया,,,,हम लोग वही
चूहे वाली बात पर हंसते हुए किचन की तरफ जाने लगे,,,तब भी सोनिया और कविता मुझे
और मामी को देख रही थी,,,,उनको तंग करने के लिए मैं ज़्यादा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा


मैं और मामी किचन मे पहुँच गये और माँ ने मुझे कॉफी देते हुए बोला,,,जाओ अब बाहर
जाके कॉफी पियो जब खाना तैयार हो गया तो बता दूँगी मैं तुमको,,


अरे माँ बाहर बैठकर बोर हो जाउन्गा मैं,,,यहीं रहने दो ना ,,,बोलो तो मैं आप लोगो
की कुछ हेल्प कर देता हूँ,,,,इतना बोलते हुए मैं मामी की तरफ देख रहा था,,

तभी माँ हल्के गुस्से से बोली,,,बोला ना तुझे बाहर जाके बैठ यहाँ किसी को तेरी हेल्प
नही चाहिए,,,,,

तभी मैने देखा कि कविता और सोनिया किचन मे आ गयी,,,,,,ठीक बोला माँ इसकी हेल्प की
ज़रूरत नही आपको क्यूकी अब मैं और कविता आ गयी है आपकी हेल्प के लिए,,,सन्नी को बाहर
भेज दो आप,,सोनिया थोड़ा गुस्से से बोली तो मैं चुप करके वहाँ से बाहर आ गया,,,



ये साला इन लोगो को क्या हो गया,,और भला माँ मुझपे गुस्सा क्यूँ कर रही है,,,अब भला
मैने क्या कर दिया,,,,


खैर मैं कॉफी लेके किचन से बाहर आ गया ,,,,डॅड और केवल धूप मे बैठकर बातें
कर रहे थे तभी मैं भी उनके करीब चला गया,,,

डॅड=== तुम भला सन्नी से इतनी अजीब तरह से क्यूँ पेश आते हो,,,भला इस सब मे उसकी क्या
ग़लती है,,,

केवल=== भाई साहब उसकी कोई ग़लती नही है,,लेकिन जब भी उसको देखता हूँ या सोनिया को
देखता हूँ मुझे उस घटिया इंसान का चेहरा नज़र आने लगता है और खून खौल उठता
है मेरा,,,


डॅड==== यार इन सब मे उन बच्चो की क्या ग़लती है,,,वो बेचारे तो इस सब से अंजान है
अभी,,,तुम एक बार बात तो करके देखो सन्नी और सोनिया से,,देखना कितनी अच्छी बातें करते
है वो दोनो,,,,

तभी केवल कुछ बोलने ही लगा कि डॅड का ध्यान मेरी तरफ आया और उन्होने केवल को चुप
करवा दिया,,,,

अरे आओ आओ सन्नी बेटा,,उठ गये तुम,,,डॅड अंजान बनते हुए मेरे से बात करने लगे,,,

मैं भी अंजान बनता हुआ डॅड के करीब चला गया और उनको ये जता दिया कि मैने कुछ नही
सुना,,,,

हां डॅड उठ गया,,,,,आज थोड़ा लेट हो गया,,,,

कोई बात नही बेटा,,,अब कॉन्सा कॉलेज जाना है जो जल्दी उठना पड़े,,,,

डॅड कॉलेज की बात नही,,,वैसे भी जल्दी उठकर क्या करता,,आप लोग तो धूप मे बैठ
कर बातें करके टाइम पास कर रहे हो,,मेरे पास तो मेरा लप्पी भी नही है जिस पर
गेम खेल कर टाइम पास कर सकता मैं,,,,

तभी डॅड ने केवल को इशारा किया और केवल बोल पड़ा,,,,अरे बेटा पहले क्यूँ नही बताया कि
तुझे लॅपटॉप चाहिए,,,,जा मेरे रूम से लेले जाके,,,,

आपके पास लॅपटॉप है क्या,,,,मैने केवल से पूछा,,,

हां बेटा मेरा काम ही ऐसा है बिना लॅपटॉप कहीं नही जाता मैं,,,,जा जाके मेरे रूम से
लेले और शायद कोई गेम भी मिल जाए तुझे उसमे,,,,वैसे भी कुणाल मेरे लप्पी पर ही गेम
खेलता है,,,,जा देख ले शायद कोई तेरे मतलब की गेम हो उसमे,,,,

मैने केवल को थॅंक्स बोला और उसके रूम मे जाके उसका लॅपटॉप उठा लिया,,,लेकिन मैं थोड़ा
उदास था क्यूकी केवल ने आज तक कभी ढंग से बात नही की थी मेरे साथ लेकिन डॅड के
के बोलने पर आज वो मेरे साथ बड़े प्यार से पेश आया था और अपना लॅपटॉप भी मुझे दे दिया
था,

मैने उसका लॅपटॉप लिया साथ मे चारजर भी उठा लिया,,,क्यूकी एक बार गेम खेलना शुरू
करता हूँ तो जल्दी थकता नही मैं,,,,
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07-16-2019, 11:59 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
लॅपटॉप लेके बाहर आके बैठ गया और लॅपटॉप ऑन कर लिया,,,जैसे ही लॅपटॉप ऑन हुआ उसपे
केवल की फॅमिली का पिक लगा हुआ था,,,जिसमे केवल सीमा और उनका एक बेटा था शायद यही
कुणाल होगा,,,,उमर करीब --- साल थी उसकी,,,,पहले तो मैं इधर उधर लॅपटॉप मे उसकी
फॅमिली पिक्स देखता रहा क्यूकी मेरा ख़ास ध्यान सीमा मामी पर था मैं उन्ही की पिक ज़्यादा
देख रहा था ,,ये बात नही कि मेरे मान मे कोई गंदा विचार था बस सीमा मामी हँसती
हुई बहुत अच्छी लगती थी मुझे,,उनकी मुस्कान पर मेरा ध्यान टिक जाता था,,,,और वैसे ही
उनकी पिक्स पर भी ध्यान टिक गया था मेरा,,,लेकिन आस पास बहुत लोग थे मुझे लगा कोई
कुछ ग़लत नही समझ ले मुझे सीमा मामी की पिक्स देखते हुए इसलिए मैने जल्दी से गेम
ऑन करली और टाइम पास करने लगा,,,गेम मे इतना मस्त हो गया कि दोपेहर खाना भी नही
खाया मैने ,,,,,


गेम खेलते हुए टाइम का पता ही नही चला कि रात हो गयी,,,गाँव की औरतें जा चुकी थी
उनके जाने का भी पता नही चला,,,तभी डॅड मेरे पास आ गये,,,,,अरे बेटा कितना बिज़ी हो
गया तू गेम मे,,चल उठ अब लॅपटॉप केवल को वापिस कर्दे और खाना खा ले ,,सुना है तूने
दोपेहर को भी खाना नही खाया ,,,,चल उठ जल्दी और खाना खा ले,,,,


मेरा दिल तो नही कर रहा था लेकिन मैं डॅड की बात को टाल नही सकता था इसलिए उठा और
लॅपटॉप लेके केवल के रूम मे चला गया,,,,,

केवल रूम मे नही था सीमा थी,,,मैने लॅपटॉप उसको दिया और बाहर जाने लगा तभी उसने
मुझे रोक लिया और हम लोगो की बातें शुरू हो गयी,,,हम लोग बातें कर रहे थे और खूब
हँसी मज़ाक कर रहे थे तभी कविता वहाँ आ गयी,,,

सन्नी सरिता आंटी बुला रही है चलके खाना खा लो,,उसने थोड़ा गुस्से मे बोला और मैं
चुप करके किचन मे चला गया और अपने खाने की प्लेट लेके अपने रूम मे,,,

मुझे साला समझ नही आ रहा था कि ये कविता मेरे से गुस्से मे बात क्यूँ कर रही है
कहीं सोनिया ने उसको कुछ बता तो नही दिया जो भी कल छत पर हुआ था,,,,,मुझे थोड़ी
टेन्षन होने लगी इस बात पर ,,,,खैर मैने खाना खाया और बरतें किचन मे रखने
चला गया

बर्तन रखकर वापिस अपने रूम मे जा रहा था तभी ध्यान गया सीमा की तरफ जो बाथरूम
की तरफ जा रही थी,,,मैं भी बाथरूम की तरफ चला गया,,सीमा ने मुझे देखा तो वहीं
रुक गयी ,,,हम लोग सीडियों के पास खड़े हुए थे और बातें कर रहे थे जबकि कविता
दूर खड़ी होके हमको देख रही थी,,,,,कुछ देर बातें करने के बाद सीमा मामी बाथरूम
की तरफ चली गयी जबकि मैं वहीं खड़ा उनका इंतजार करने लगा,,,,तभी मैने देखा कि
कविता और सोनिया दोनो चलके मेरे पास आ रही थी,,,,

सोनिया मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ लिया इस से पहले मैं कुछ बोलता वो मेरा हाथ पकड़
कर मुझे उपर छत की तरफ ले जाने लगी,,,मैं भी कुछ नही बोला और उसके साथ छत
की तरफ जाने लगा,,,,पीछे पीछे कविता भी आ रही थी,,,,मुझे कुछ डर लगने लगा
था कि दोनो मुझे कहाँ लेके जा रही है,,,


हम लोग छत पर पहुँच गये ,,,,

ये सब क्या कर रहा है तू सन्नी ,,,सोनिया ने हल्के गुस्से मे बोला,,,,

क्या कर रहा हूँ मतलब,,,,मैं कुछ समझा नही तुम क्या कह रही हो सोनिया,,,

मेरा मतलब तुम सीमा मामी के साथ इतना हंस हंस कर बातें क्यूँ कर रहे हो,,,,

अरे तो इसमे क्या बड़ी बात है,,अब क्या उनके साथ बात करने के लिए मुझे तेरी इजाज़त लेनी
होगी क्या,,,,और वैसे भी मैं हँसी मज़ाक कर रहा हूँ उनके साथ कुछ ग़लत तो नही कर
रहा ना,,,,,


जानती हूँ तेरा हँसी मज़ाक मैं सन्नी,,,अच्छी तरह से जानती हूँ,,,उसने फिर थोड़ा गुस्से
मे बोला,,,,

तू कहना क्या चाहती है सीधी तरह बोल सोनिया,,,,,मैं भी हल्के गुस्से मे बोला

मैं ये कह रही हूँ सन्नी कि तेरा हँसी मज़ाक कैसा होता है मैं अच्छी तरह जानती हूँ
तू मुँह से तो हँसी मज़ाक करता है लेकिन तेरी आँखें कुछ और ही बोलती है,,,सीमा के साथ
तू हँसके बात करता है और आँखों ही आँखों मे गंदी नज़र से देखता है उनको

मैं उसकी बात से थोड़ा परेशान हो गया,,,हालाकी सीमा अच्छी लगती थी मुझे लेकिन अभी
तक मैं उसको गंदी नज़र से नही देखा था,,हलकी वो बहुत खूबसूरत थी लेकिन अभी
तक मेरा कोई ग़लत इरादा नही बना था उसके बारे मे,,,हाँ ये बात और है कि उसके जिस्म को
मैं ज़रूर तकता रहता था,,,


तभी उसने कविता की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,,ये लड़की तेरे से बहुत प्यार करती
है सन्नी,,क्या तू अपनी गंदी हरकतों से इसकी चाहत की रुसवाई करना चाहता है,,,बोल सन्नी
क्या तुझे अच्छा लगता है कि तुझसे प्यार करने वाला इंसान तेरे से नाराज़ हो जाए क्यूकी तू
उसके सामने ऐसी गंदी हरकते करता फिरता है,,,,,

मैने कविता की तरफ देखा तो वो नम आँखों से मेरी तरफ देख रही थी,,,

मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया,,मेरी कोई ग़लती नही थी लेकिन ये सोनिया मुझे कविता के सामने
बदनाम किए जा रही थी,,,,,मैं थोड़ा गुस्से मे बोल पड़ा,,,,,तुझे क्या लेना देना ये मेरी
और कविता की आपस की बात है,,,मैं उसको रुसवा भी कर दूँ तो तुझे क्या टेन्षन है

मैं गुस्से मे पता नही क्या बोल गया कि कविता बड़ी हैरत से मुझे देखने लगी,,,,


क्या बोला तूने सन्नी,,,,फिर से बोल ज़रा,,,मुझे क्या लेना देना इस सब से,,,भूल मत वो
मेरी बेस्ट फ्रेंड है,,,मैं नही चाहती तू ऐसी हरकते करके उसको रुसवा करे क्यूकी
अगर वो रुसवा हो गयी तो मैं भी रुसवा हो जाउन्गी,,,,,

क्यूँ तुम क्यू रुसवा होने लगी,,,,मैं थोड़े गुस्से मे बोला फिर से,,,मेरी बात से सोनिया
थोड़ी चिड गयी सो हल्की नमी आ गयी उसकी आँखों मे,,,,

मैं फिर बोल पड़ा,,,,वो मुझसे रुसवा होगी तो मैं मना लूँगा उसको ,,मेरी और उसकी बात से
तुझे कोई लेना देना नही है,,,,वो तेरी फ्रेंड है तो मैं क्या कर सकता हूँ,,वो सिर्फ़
तेरी ही नही मेरी भी अच्छी दोस्त है,,,,और भला उसकी रुसवाई से तुझे क्यूँ रुसवा होगा मेरे
से,,,,,,,मैं थोड़ी गुस्से मे बोला फिर से,,,,


तभी सोनिया रोती हुई मेरे पास आ गयी,,,,,और रोती हुई बोली,,,,क्यूकी मैं भी तेरे से
प्यार करती हूँ पागल इंसान,,,तेरी गंदी हरकतों से सिर्फ़ कविता ही नही मुझे भी गुस्सा
आता है तेरे पर,,मैं तुझे किसी और की तरफ ऐसे देखते हुए नही सह सकती,,मुझे ये
अच्छा नही लगता,,,,,,मैं बहुत प्यार करती हूँ तेरे से सन्नी,,,,बहुत प्यार करती हूँ

उसने इतना बोला और फूट फूट कर रोने लगी,,,,तभी आगे बढ़ के कविता ने उसको अपनी बहहों
मे भर लिया और सोनिया कविता के गले लग्के रोने लगी,,,,कविता उसको चुप करवाने की बड़ी
कोशिश कर रही थी लेकिन सोनिया रोती जा रही थी,,,,

मैं थोड़ा परेशान हो गया था,,,हालाकी मैं भी सोनिया ने प्यार करता था लेकिन अभी जब
उसने मुझसे प्यार का इज़हार किया वो भी कविता के सामने तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा
था कि मैं क्या करूँ,,,,

तभी मैने आगे बढ़ के सोनिया का हाथ पकड़ा और कविता से उसको दूर करके खुद के करीब
खींच लिया और अपने गले से लगा लिया,,,,मेरे ऐसा करने से कविता मेरे और सोनिया से दूर
हटके पीछे की तरफ जाने लगी तभी मैने कविता का हाथ पकड़ लिया और उसको खुद से
दूर नही जाने दिया,,,,,सोनिया मेरे गले से लग्के रो रही थी जबकि कविता को हाथ पकड़
कर खुद के करीब रोक कर रखा हुआ था मैने,,,,,


कुछ देर हम लोग ऐसे ही खड़े रहे ,,,,सोनिया रोती जा रही थी कविता की आँखें भी थोड़ी
नम हो गयी थी,,,,


तूने मुझे कभी बताया क्यूँ नही सोनिया,,,मैं भी जानता था कि तू मुझे प्यार करती है मैं
कयि बार तेरी आँखों मे खुद के लिए प्यार देख चुका हूँ फिर भी तेरी ज़ुबान से एक बार
बस एक बार ये सुन-ने के लिए मेरे कान तरस गये थे ,,,,बोल तूने कभी मुझे बताया क्यूँ
नही,,,,

तभी वो मेरे से थोड़ा पीछे हट गयी,,,,क्या बताती तुझे मैं सन्नी,,,तुझे खुद नही
पता चलता कि कोई लड़की जिसका बचपन से अब तक सिर्फ़ एक की दोस्त है ,जिसके साथ वो
रूम शेयर करती है,,,अपना दुख सुख शेयर करती है,,,हर बात शेयर करती है जो वो
अपने बाय्फ्रेंड से शेयर कर सकती है,,,,,,तेरी वजह से मैने कॉलेज मे कभी किसी लड़के को
अपने नोट्स भी नही दिए कॉपी करने को क्यूकी मैं जानती थी नोट्स के बहाने कोई ना कोई
लड़का हमेशा मेरे करीब आने की कोशिश करेगा और मैं तेरे सिव किसी और को खुद के
करीब नही आने देना चाहती थी,,,,सिर्फ़ मैं ही नही ये कविता भी,,,,हम दोनो का तेरे
सिवा कभी कोई दोस्त नही हुआ आज तक,,,,,मैं जानती हूँ तूने भी कभी किसी लड़की पर
नज़र नही डाली कॉलेज मे ,,,,ये भी जानती हूँ कि तू कविता से बहुत प्यार करता है
और आज से ही नही बचपन से,,,,,,याद है तूने जब पहली बार कविता को देखा था तो
क्या बोला था,,,,तूने बोला था कि सोनिया वो देखो उस लड़की को ऐसे लगता है जैसे आसमान
से कोई परी उतार कर ज़मीन पर आ गयी है,,,तू बचपन से ही लाइक करता रहा है कविता
को ,,,,और जानती हूँ तू मुझे भी बहुत प्यार करता है,,,,लेकिन तेरा मेरा रिश्ता कुछ
अजीब था सन्नी,,,,मैं चाह कर भी तेरे से प्यार का इज़हार नही कर सकती थी,,,


तो अब क्यूँ,,,अब जब मैं कविता से प्यार करने लगा तो अब तूने प्यार का इज़हार क्यूँ किया,
क्या तू चाहती है कि कविता मुझसे दूर चली जाए,,,,
Reply
07-16-2019, 12:10 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
नही नही सन्नी,,,हम दोनो मे से कोई ऐसा नही चाहता ,,,,कविता और मैं दोनो बचपन से
तुझे प्यार करती आई है और इस बात से हम दोनो को कोई परेशानी नही थी,,,अब इसमे हम
दोनो की क्या ग़लती थी कि हम दोनो एक ही लड़के से प्यार करती है ,,लेकिन इस बात से हम
दोनो को कभी परेशानी नही हुई,,,,,लेकिन अब तूने हम दोनो को परेशान कर दिया सन्नी

,,,क्यूँ अब क्या कर दिया मैने जो तुम दोनो परेशान हो गयी,,,,मैने बड़ी हैरत से पूछा


सीमा की वजह से सन्नी,,,,तेरा सीमा के करीब जाना हम दोनो को गंवारा नही था,,,


पहली बात मैं उसके करीब नही जा रहा था तुम दोनो पागल कान खोल कर सुन लो,,,और अगर
हल्का करीब जाके हँसी मज़ाक कर भी लिया तो क्या बुरा किया,,,कुछ ग़लत तो नही किया और
हँसी मज़ाक तो मैं किसी से भी कर लेता हूँ तो भला सीमा की बात पर तुम दोनो को
इतनी परेशानी क्यूँ होने लगी,,,,


तभी सोनिया और कविता दोनो चुप करके एक दूसरे की तरफ देखने लगी,,,सोनिया मेरे पास
खड़ी हुई थी जबकि कविता को मैने हाथ से पकड़ कर खुद के करीब रोका हुआ था


बोलो ना बोलती क्यूँ नही तुम दोनो,,,सीमा मे ऐसी क्या बात है,,मैने कयि बार देखा
है'जब भी मैं सीमा मामी से हँसी माजक करता तुम दोनो मुझे गुस्से से घूर्ने लग जाती
थी,,,,क्या बात है ऐसी सीमा मामी मे जो तुम दोनो इतनी परेशान हो गयी मेरे और सीमा मामी
को लेके,,,,,,


तभी कविता बोल पड़ी,,,,,क्यूकी वो तुम्हारी मामी नही है सन्नी,,,,वो तुम्हारी माँ है,,
सोनिया की माँ है,,,,तुम दोनो की असली माँ है,,,,कविता ने इतना बोला और फिर दोनो हल्के से
'रोने लगी,,,,,

लेकिन मैं तो रो भी नही सका,,,,मुझे तो साँप ही सूंघ गया था,,,एक दम से पूरा बदन
सुन्न हो गया था मेरा,,,,मेरे हाथ से कविता का हाथ भी छूट गया था,,मुझे कुछ समझ
नही आ रहा था ये सब क्या हो गया,,,,सीमा मेरी असली माँ है,,,तो सरिता,,,,मैं अभी
सोच ही रहा था कि सोनिया मेरे करीब आ गयी और मेरे गले लग गयी,,,,,,


सन्नी मैं नही चाहती थी तुझे ये सब पता चले लकिन तुझे ये सब बताना ज़रूरी था
क्यूकी इस से पहले तू कोई ग़लती कर देता अपनी ही माँ के साथ जिसके बारे मे सोच सोच कर
तुझे सारी ज़िंदगी पछताना पड़ता ,,मैं नही चाहती थी तू वो ग़लती करे,,,जो तूने सरिता
,,गीता भुआ और शोभा के साथ की है और अब भी करता आ रहा है,,,,

सोनिया ने इतना बोला तो मेरी गान्ड ही फॅट गयी,,,अभी एक झटका कम था कि सीमा मेरी असली
माँ है जो सोनिया ने दूसरा झटका भी लगा दिया मुझे,,,इसको कैसे पता सरिता गीता और
शोभा के बारे मे,,,,,

मैं कुछ बोल ही नही पाया और बस चुप चाप से खड़ा रहा जबकि सोनिया इतनी बात बोलके छत
से नीचे भाग गयी,,,,,,,शायद वो भी अब मेरी नज़रो का सामना नही करना चाहती थी मुझे
ये सब बताने के बाद,,,,,मैं चुप चाप से खड़ा हुआ था तभी कविता मेरे पास आ गयी


कविता ने पास आके मुझे गले से लगा लिया,,,,ऐसे चुप मत रहो सन्नी,,,थोड़ा रो लो,,
मन हल्का हो जाएगा,,,,मैं जानती हूँ ये सब बहुत अजीब है हम सबके लिए ,,लेकिन अब
सब ठीक हो जाएगा,,,,प्लज़्ज़्ज़ सन्नी रो लो,,,मेरी खातिर,,,मन हल्का कर लो अपना,,,


मैं अब तक तो सुन्न था बिल्कुल लेकिन कविता की बातें सुनके और उसके गले लग्के मेरे
आँसू थम नही सके और मैने फूट फूट कर रोना शुरू कर दिया,,,,


मैं काफ़ी देर तक कविता के गले लग्के रोता रहा,,,उसने भी मुझे चुप नही करवाया बस
मेरे सर पर हल्के हल्के हाथ फिराती रही,,,,जब दिल का दर्द थोड़ा कम हुआ और मेरे आँसू
थमने लगे तो कविता बोलने लगी,,,,,


तेरे और तेरे घर के बारे मे सोनिया सब कुछ जानती है,,,,घर मे जो सब नंगा नाच चल
रहा है उसके बारे मे सोनिया को सब कुछ पता है,,,,और उसने मुझे भी सब कुछ बता दिया
था,,,,घर की ड्यूप्लिकेट चाबी तुम्हारे पास ही नही सोनिया के पास भी है,,लेकिन वो उसका
इस्तेमाल ज़्यादा नही करती थी,,,क्यूकी जब 1-2 बार उसने उस चाबी का इस्तेमाल किया तो उसको
घर पर वो सब कुछ देखने को मिल गया जो वो देखना नही चाहती थी,,,इसलिए तो उसने मुझे
तुम्हारे कारेब आने को बोला ताकि तुम सरिता गीता और शोभा से दूर हो जाओ ,,,लेकिन तेरा तो
हमेशा ध्यान ही उनकी तरफ रहता था,,,मैने बहुत कोशिश की तेरे करीब आने की लेकिन
मेरी भी कुछ परेशानी थी कि मैं तेरे ज़्यादा करीब नही आ सकी,,,सोनिया भी तेरे करीब
आके तुझे उन लोगो से दूर करना चाहती थी लेकिन वो तेरी बेहन थी और इसी रिश्ते ने उसको
बाँध कर रखा हुआ था,,,,,,

सोनिया ने पहले मुझे कुछ नही बताया था लेकिन जब मेरे घर की प्रॉब्लम्स के बारे मे मैने
सोनिया को बता दिया तो सोनिया ने भी मुझे तुम्हारे घर की हर बात बता दी,,,मैने कभी
सोनिया से कुछ नही छुपाया और ना ही उसने मेरे से कुछ छुपाया,,,,


बाकी सब तो सोनिया को घर से पता चल गया था लेकिन सीमा वाली बात उसको तेरी चाची जी
ने बताई थी,,,क्यूकी अब उनके लिए इस राज को अपने दिल मे दबा कर रखा मुश्किल हो
गया था,,इसलिए उन्होने सोनिया को सब बता दिया,,,,,,
Reply
07-16-2019, 12:10 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अब सोनिया की लाइफ मे ऐसी कोई बात नही जो मैं नही जानती और मेरी लाइफ मे एसी कोई बात
नही जो सोनिया नही जानती,,,,,,कामिनी भाभी वाली और सूरज भाई वाली बात भी जानती है वो
लेकिन उसको कोई गुस्सा नही है,,,,,वो कामिनी भाभी और सूरज भाई की हालत को पहले से
जानती थी,,,,,उसको तेरे पर भी गुस्सा नही क्यूकी तूने जो किया कामिनी भाभी की खुशी के
लिए किया था,,,कामिनी भाभी और सूरज से तुझे दूर करने के लिए सोनिया ने मुझे तेरे
करीब आने को बोला और मैने तेरे करीब आके कामिनी भाभी को तेरे से दूर कर दिया,,,


अब अगर तेरे दिल मे कोई सवाल है तो तू मेरे से पूछ सकता है सन्नी,,मैं कोई झूठ
नही बोलूँगी तेरे से,,,,,पूछ क्या पूछना है तूने,,,,,


मुझे पूछना तो बहुत कुछ है कविता लेकिन तेरे से नही किसी और से,,,,,,इतना बोलकर
मैं आँखों से आँसू पोन्छता हुआ छत से नीचे की तरफ आने लगा,,,और कविता भी मेरे
पीछे पीछे नीचे की तरफ आ गयी,,,

नीचे आके कविता चली गयी सोनिया के पास और मैं चला गया केवल और सीमा के रूम की
तरफ,,,,


मैं जैसे ही केवल के रूम मे गया तो देखा रूम मे बस सीमा ही थी,,मेरी माँ,,उसको देख
कर मेरी आँखों मे फिर से आँसू बहने शुरू हो गये,,,,

उसने मेरी तरफ देखा और मेरे करीब आ गयी,,,,,,क्या हुआ सन्नी इतना रो क्यूँ रहे हो,,क्या
परेशानी है बताओ मुझे सन्नी,,,,,

मैं कुछ नही बोला बस उनके गले लग्के रोने लगा,,,,मुझे मेरे आँसू पर कोई कंट्रोल
नही हो रहा था मैं फूट फूट कर रोता जा रहा था,,,

सीमा ने मेरे सर पर हाथ रखा और मेरे सर को बड़े प्यार से सहलाने लगी,,,,बोल ना क्या हुआ
सन्नी बेटा,,,,बता ना अपनी मामी को,,,,क्या परेशानी हो गयी तुझे.,,,,बता ना सन्नी,,,बता
अपनी मामी को,,,,


तभी मैं सीमा से थोड़ा दूर हट गया और रोती हुई आवाज़ मे बोला,,,,,,मामी नही माँ,,,मामी
नही माँ ,,,,मामी नही माँ,,,,,मैं बार बार ऐसे बोलता जा रहा था और रोता जा रहा था
तभी सीमा ने मुझे अपने गले लगा लिया और रोना शुरू कर दिया,,,,

तो उस पागल सोनिया ने तुझे सब बता दिया,,,मैने मना भी किया था उसको,,,वो इतना बोलकर
रोने लगी थी और मैं भी,,,,



आपने मुझे बताया क्यूँ नही माँ,,,और इतने साल से आप मुझे एक बार भी मिलने क्यूँ नही आई माँ
मैने पहली बार उसको माँ बोला तो वो ज़्यादा ही रोने लगी,,,,,


हम दोनो एक दूसरे के गले लग्के रो रहे थे तभी पीछे से आवाज़ आई,,,,,,,

क्या करते तुझे बता कर,,और क्यूँ मिलने आते तुझे,,,,तेरा और हमारा रिश्ता ही क्या है,,,ये
बात बोल रहा था मेरे पीछे खड़ा हुआ केवल,,,,,वो थोड़ा गुस्से मे था


ऐसे मत बोलो प्लज़्ज़्ज़्ज़ ,,ये मेरी माँ है और आप मेरे पापा हो,,,तो भला आप लोगो ने,,मैं
अभी बोल ही रहा था कि केवल गुस्से मे बोला,,,,मैं तेरा बाप नही हूँ,,अगर मैं तेरा
बाप होता तो तुझे सरिता और अशोक के पास नही जाने देता,,,,,,


मैं उसकी बात से थोड़ा परेशान हो गया,,,,,सीमा मेरी माँ है तो उसका पति केवल मेरा
बाप नही तो और कॉन है मेरा बाप,,,,


सीमा ने मेरी आँखों की परेशानी पढ़ ली थी,,,,,मैं जानती हूँ सन्नी तुम क्यूँ परेशान हो
आज मैं तुम्हारी सारी परेशानी दूर कर दूँगी,,,सब कुछ बता दूँगी तुमको,,,,

तभी केवल गुस्से मे ,,,,,,,,नही सीमा इसको कुछ बताने की ज़रूरत नही है,,,बाहर
करो इसको इस रूम से,,,,जिस दर्द को तुम भूल चुकी हो उस दर्द को वापिस मत पलटने दो
अपनी ज़िंदगी मे,,,,,कुछ मत बोलो तुम सीमा,,,,,,


तभी सीमा बोल पड़ी,,,,,,नही केवल आज नही,,,,आज तुमको कुछ नही बोलना,,,आज मैं
अपने बच्चे के गले लग कर अच्छी तरह से मिलूंगी,,,,,तुमको मेरे और मेरे बेटे के बीच बोलने
का कोई हक़ नही है,,,,,,अब थक गयी हूँ मैं सबसे सच छुपा छुपा कर,,,,पहले
तुमसे छुपाया फिर अपने बच्चों से,,,,लेकिन अब नही ,,,,

तभी सीमा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर बिठा लिया और केवल गुस्से मे दूर ही
खड़ा रहा,,,फिर सीमा ने बोलना शुरू किया,,,,,


बेटा जब मेरी केवल से शादी हुई थी शहर मे तो हम लोगो ने केवल के माँ बाप को अपनी
शादी पर नही बुलाया था क्यूकी सब कुछ बड़ी जल्दी जल्दी मे हो गया था,,,,लेकिन शादी के
4-5 दिन बाद हम लोग गाँव आ गये थे ,,,,केवल के माँ-बाप को मिलने,,,,,लेकिन तभी फिर
से शहर से केवल को बुलावा आ गया ऑफीस की तरफ से और वो मुझे गाँव मे छोड़कर वापिस
शहर चला आया,,,इनको ऑफीस मे कुछ ज़रूरी काम आन पड़ा था,,,मैं वहीं गाँव मे रुक
गयी क्यूकी केवल ने काम ख़तम करके वापिस गाँव आ जाना था,,,,मैं बड़ी खुश थी केवल
के माँ बाप को मिलकर ,,,,वो लोग भी खुश थे,,,,,लेकिन केवल का बाप मुझे बड़ी गंदी
नज़र से देखता था,,,,ये बात मेरी सास को भी पता थी लेकिन वो कुछ कर नही पा रही
थी बेचारी,,,,,

केवल का बाप किसी ना किसी बहाने मेरे करीब आने की कोशिश करता था,,,मैं जितना दूर
होती वो उतना करीब आने का बहाना तलाश करता,,,,फिर एक दिन शराब के नशे मे उसने मेरे
साथ,,,इतना बोलकर सीमा ने रोना शुरू कर दिया,,,,,,


मेरी सास भी कुछ नही कर पाई,,,,मैं बस रोती गयी और मेरी सास मुझे दिलासा देती गयी
और बोलती गयी कि केवल को कुछ मत बताना ,,,,मैं खुद भी केवल को कुछ नही बताना चाहती
थी,,,,फिर केवल भी वापिस आ गया और हम लोग 2 दिन बाद शहर वापिस चले गये,,क्यूकी
मैने केवल को बोला कि मेरा दिल नही लगता यहाँ,,,,केवल मुझे वापिस शहर ले गया,,,

शहर जाके भी मैने केवल को कुछ नही बताया,,,,फिर टाइम ऐसे ही बीत-ता गया और मुझे
2 बचे हुए,,,,,,तुम और सोनिया,,,,,मुझे लगता था तुम मेरी और केवल की संतान हो लेकिन
मैं ग़लत थी,,,,,,,फिर कुछ साल बाद मैं दोबारा प्रेगञेन्ट हो गयी ,,,,तब मुझसे रहा
नही गया और मैने केवल को सब सच बता दिया,,,,,

केवल ने किसी तरह से डीयेने टेस्ट करवाया तो पता चला कि तुम मेरी और केवल की नही बल्कि
मेरी और केवल के बाप की संतान हो,,,,केवल को बड़ा गुस्सा आया और वो तुम दोनो को अपने
बाप के पास गाँव छोड़ आया,,,,,मैं ऐसा नही चाहती थी बेटा,,,,,तुम जैसे भी थे
मेरे बच्चे थे,,,,मैं तुम दोनो को खुद से दूर नही करना चाहती थी,,लेकिन मैं अपने
पति के हाथों मजबूर हो गयी थी,,,,

सीमा की बात सुनके मैने केवल की तरफ देखा तो वो बोल पड़ा,,,,,तो क्या करता मैं भी
कैसे रख लेता तुम दोनो बच्चों को अपने पास,,,,जब तक मुझे नही पता था तब तक सब
ठीक रहा लेकिन जब मुझे पता चला कि मेरे बाप ने मेरी बीवी का रेप किया और तुम दोनो
उसी रेप से पैदा हुए हो तो मुझसे रहा नही गया,,,,जब भी तुम दोनो को देखता तो मुझे
मेरा बाप मेरी बीवी का रेप करता हुआ नज़र आता हर जगह,,,,मैं पागल होने लगा
था,,,गुस्से से दिमाग़ खराब होने लगा था मेरा,,,,,

मुझे माफ़ करदो सन्नी बेटा ,,,,मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नही है,,,और ना ही कोई बैर है
हम दोनो मे ,,,लेकिन अगर तुमको अपने पास रखता तो सीमा को हर दिन तुम दोनो को देखकर
उसी रात को याद करना पड़ता उसी दर्द से गुज़रना पड़ता जिस दर्द से ये उभर चुकी थी
और मुझे भी उस दर्द मे इसका हिस्सेदार बन-ना पड़ता,,,,मुझे माफ़ करदो बेटा,,,,लेकिन मैं
तुम दोनो को अपने पास नही रख सकता था,,,और ना अब रख सकता हूँ,,,,,



तभी पीछे से सरिता और सोनिया अंदर आ गये,,,,,,,,तुझे कहा भी किसने है इन दोनो को
अपने पास रखने को,,,,ये मेरे बच्चे है मेरे पास रहेंगे,,,इतना बोलते हुए सरिता रोती
हुई मेरे पास आ गयी और मुझे बेड से उठाकर अपने गले लगा लिया,,,,


मैं जानती हूँ केवल कि तुम दोनो की मजबूरी थी कि तुम इन दोनो बच्चों को अपने पास नही
रख सके लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमे इन दोनो का क्या क़सूुर,,,,क़सूुर तो उस घटिया इंसान
का है जिसको अभी तक अपने किए पर ज़रा भी शरम नही है,,,,

और अब मेरी मजबूरी है कि मैं इन दोनो को तुम्हारे पास नही रहने दे सकती क्यूकी ये दोनो
बच्चे मेरी जान है,,,,मैने कभी इन बच्चों मे कोई फ़र्क नही समझा,,जैसे मेरे लिए
विशाल और शोभा है उसी तरह मेरे लिए ये सन्नी और सोनिया है,,,,मैने इनको अपने सगे
बच्चों जितना प्यार किया है हमेशा,,,,यकीन नही तो पूछ लो इन दोनो से,,,माँ रोती जा
रही थी और मुझे और सोनिया को माथे पर चूमती जा रही थी,,,,


तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,माँ क्यूँ हमे शर्मिंदा कर रही हो,,,अपने तो कभी ज़िक्र भी नही
किया हम लोगो के सामने कि हम आपकी संतान नही है और ना ही आपने कभी हम दोनो को ये
अहसास होने दिया कि हम आपकी नही किसी और की संतान है,,,,आपने तो हमे हमारी माँ
से भी ज़्यादा प्यार किया है,,,,शायद हमारी असली माँ भी हमको इतना प्यार नही कर पाती माँ
जितना प्यार आपसे मिला है मुझे और सन्नी को,,और ये मत सोचना कि हमे पता लग गया कि आप
हमारी असली माँ नही तो हम आपको वो इज़्ज़त और सम्मान नही देंगे जो एक माँ को देना चाहिए
बल्कि हम लोगो की नज़र मे अब आपकी इज़्ज़त और भी ज़्यादा हो गयी है,,,हम तो आपका ये क़र्ज़
कभी नही चुका सकते माँ,,,,


सोनिया ने इतना बोला और माँ के गले लग गयी,,,सरिता भी उसकी बात सुनके रोने लगी,,
Reply
07-16-2019, 12:10 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी सीमा अपने बेड से उठी और हम लोगो के पास आ गयी,,,,मैं जानती हूँ सरिता दीदी
आपने मेरे बच्चों को कभी पराया नही समझा,,,,कभी इनको ये एहसास तक नही होने दिया कि
ये लोग आपकी असली संतान नही है,,,बल्कि आप ने तो इनको ऐसे प्यार किया जैसे इन लोगो ने
आपकी कोख से ही जनम लिया हो कभी आप इनकी सौतेली माँ नही बनी,,,मुझे इस बात की बहुत
खुशी है और मैं चाह कर भी आपके इस अहसान का बदला नही चुका सकती,,,,

मैं तो अगर सारी ज़िंदगी आपकी गुलामी भी करूँ तो ये अहसान नही चुका सकती कि आपने मेरे
बच्चों को अपना बच्चा समझकर प्यार किया,,,इतना बोलकर सीमा ने एक बार प्यार से मेरे और
सोनिया के सर पर हाथ रखा और अपने पति केवल के पास जाके उसके गले लग गयी,,,


वो केवल के गले लग्के रो रही थी और हम लोगो की तरफ देख रही थी तभी मैं और सोनिया
एक बार सीमा से मिलने के लिए आगे बढ़े ही थे कि उसने अपने सर को केवल के शोल्डर से लगा
लिया और फूट फूट कर रोने लगी,,,,उसको रोता देख मैं और सोनिया भी रोने लगे,,हम लोग
जानते थे कि सीमा मजबूर है केवल की वजह से,,,,लेकिन ये कैसी मजबूरी जो एक माँ
अपने बच्चों से नही मिल सकती थी,,हम लोग कब्से अपनी माँ से दूर रह रहे थे लेकिन
अब माँ पास थी तो दूर रहके बेचैनी हो रही थी ,,लेकिन वो माँ अपने पति के हाथों
मजबूर थी,,,इसलिए हम वापिस सरिता के गले लगकर रोने लगे,,,,सरिता ठीक कह रही थी
उसने कभी मुझे और सोनिया को ये अहसास नही होने दिया कि हम उसकी असली संतान नही है
उसने कभी जिकर भी नही किया हम लोगो के सामने कि हम उसकी सौतेली संतान है,,,लेकिन
फिर भी हम दोनो की आँखों मे अपनी असली माँ से मिलने की खुशी और ना मिल पाने का एक
गम और मजबूरी थी जिस को सरिता बखूबी समझ रही थी,,इसलिए वो मुझे और सोनिया को
लेके उस रूम से निकल आई,,,,और सीमा अभी भी केवल के सीने से लग्के रो रही थी वो हम
लोग को बाहर जाते भी नही देख रही थी,,,,

हम लोग वहाँ से बाहर आ गये थे,,,एक रूम के बाहर गीता शोभा और अशोक खड़े हुए थे
जबकि एक रूम के बाहर कविता खड़ी हुई थी,,,,वो लोग हम लोगो की तरफ ही देख रहे
थे,,,,फिर हम लोग मेरे रूम मे आ गये,,,,हम किसी से कोई बात नही करना चाहते थे

मेरे रूम मे आके माँ बेड पर लेट गयी और एक तरफ मुझे लेटने को बोला और एक तरफ सोनिया
को ,,,,हम दोनो माँ की एक-एक तरफ बगल मे जाके लेट गये,,,,सरिता रोती जा रही थी और
सोनिया भी,,मेरी आँखों से भी आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे,,,एक तरफ हम अपनी
माँ से बिछड़ कर आए थे और एक तरफ अपनी माँ के गले लगे हुए थे,,,पता नही चल
रहा था किस माँ का प्यार ज़्यादा है और किस का कम,,,माँ तो माँ होती है,,,भले ही मैने
और सोनिया ने सरिता की कोख से जनम नही लिया था भले ही मैने और सोनिया ने सरिता का
दूध नही पिया था फिर भी उसके प्यार मे ,,,उसके लाड और दुलार मे कोई कमी नही थी


,,आज पता चल रहा था मुझे माँ के असली प्यार का,,,उसके आगोश मे आके मुझे कितनी राहत
मिल रही थी,,,,हम दोनो माँ के आगोश मे आके बड़ी प्यारी नींद सो गये थे और माँ भी हम
दोनो के सर पर हाथ फिराती हुई हम दोनो के माथे को चूमती जा रही थी,,हम दोनो को
चुप करवा रही थी लेकिन खुद रोती जा रही थी,,माँ के आगोश मे हम दोनो बड़ी गहरी नींद
सो गये थे,,,,,,


सुबह जब उठा तो देखा बेड पर मैं अकेला ही था,,,उठकर बाहर गया तो देखा कि सभी
गाड़ियाँ हवेली के अंदर थी और सब लोग गाड़ियों मे समान रख रहे थे,,,मैं भी चलके
बाथरूम मे घुस गया और फ्रेश होके आँगन मे आ गया,,

यहाँ डेड ,,भुआ और सूरज वाली कार तो थी लेकिन केवल की कार नही थी,,,,,तभी सोनिया
मेरे पास आ गयी,,,,,,

वो लोग सुबह जल्दी ही चले गये सन्नी भाई,,,,सोनिया ने इतना बोला और मेरे गले लग गयी,,

तभी गीता भुआ भी हम लोगो के पास आ गयी,,,,,सन्नी बेटा जल्दी नाश्ता कर्लो फिर हम
लोगो को घर के लिए निकलना भी है,,,,सबने नाश्ता कर लिया है एक तुम ही रहते हो बस


भुआ मुझे भूख नही है,,,,मैं तैयार हूँ चलो चलते है यहाँ से,,वैसे भी दम
घुट्टने लगा है मेरा अब यहाँ,,,,,

लेकिन बेटा तूने कुछ खाया पिया नही ,,इतनी दूर तक जाना है कैसे होगा,,,कुछ तो
खा ले मेरे बेटा,,,,,


भुआ प्लज़्ज़्ज़ मत बोलो खाने को,,,,मेरा दिल नही कर रहा,,,,,भुआ ने मेरी आँखों मे देखा
और मेरी हालत समझ गयी और वहाँ से चली गयी,,,,,,


फिर हम लोग रेखा और मनोहर से मिलके वहाँ से चल पड़े,,,,

डॅड अपनी कार मे माँ के साथ,,,भुआ अपनी कार मे शोभा के साथ और मैं सूरज की कार मे
कविता और सोनिया के साथ,,,,,

हम लोग कोई बात नही कर रहे थे,,,हर कोई हल्की नम आँखों से गाँव की सड़को की तरफ
देख रहा था बस,,,,,,


फिर हम लोग रेखा के पुराने घर पर रुके,,,,,डॅड ने कार रेखा के घर से थोड़ी आगे रोकी
थी क्यूकी वो मामा से नही मिलना चाहते थे,,,,,जबकि माँ कार से उतर कर वहाँ आ गयी
थी,,,,फिर मैं भी कार से उतर गया लेकिन कविता और सोनिया नही उतरी कार से,,,

हम लोग चलके रेखा के घर के दरवाजे पर चले गये,,,शोभा और गीता भी आ गयी थी,,

हम लोगो ने दरवाजे पर नॉक किया तो सुरेंदर ने आके दरवाजा खोला और हम लोग घर के
अंदर चले गये,,,,


हम लोगो को देख कर सुरेंदर रोने लगा और रोता हुआ माँ के गले लग गया,,,

मुझे माफ़ करदो सरिता ,,,मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी,,,,,,

अरे तू रो क्यूँ रहा है,,,मैने तो कबका तुझे माफ़ कर दिया,,और हम सब ने भी,,,माँ ने
भुआ और शोभा की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,

चल अब रोना बंद कर और चल घर चलते है,,,,तेरा समान भी कार मे रखा हुआ है,,
तभी माँ ने देखा विशाल नज़र नही आ रहा था,,,,,

ये विशाल कहाँ है सुरेंदर,,,,,

माँ की बात से सुरेंदर ने नज़रे झुका ली,,,,,वो तो चला गया सरिता,,,,बाहर देश,,मैने
उस से माफी भी माँग ली थी,,,उसको रोकने की भी बड़ी कोशिश की लेकिन वो नही रुका,उसने
मुझे माफ़ तो कर दिया था लेकिन फिर भी वो नही रुका,,,,बोल रहा था कि अब इस सब से
दूर जाना चाहता है वो,,,,मैने बड़ी कोशिश की उसको रोकने की सरिता,,,सुरेंदर रोता
जा रहा था और बोलता जा रहा था,,,,मैने बड़ी कोशिश की उसको रोकने की सरिता ,,,वो नही
रुका,,,,मुझे माफ़ करदो सरिता मुझे माफ़ करदो,,,,


अरे रोना बंद कर अब मैने बोला ना हम लोगो ने तुझे माफ़ कर दिया है चल अब घर
चलते है,,,,,

नही मुझे घर नही जाना सरिता,,,,मुझे घर नही जाना,,,,जब तक कि अशोक मुझे माफ़
नही कर देता,,,,,,


अशोक ने भी तुझे माफ़ कर दिया है सुरेंदर ,,,चल अब घर चल,,,

नही सरिता,,,अशोक ने मुझे माफ़ नही किया मैं जानता हूँ,,,अगर उसने माफ़ कर दिया
होता तो अभी वो घर के बाहर नही खड़ा होता,,,,यहाँ अंदर आके मेरे से बात करता,,
मैं जानता हूँ वो जल्दी मुझे माफ़ नही करेगा,,,और कॉन भला मेरी इतनी बड़ी ग़लती के लिए
मुझे माफ़ कर सकता है,,,,मैने अशोक को उसके परिवार को आप लोगो को बहुत बड़ा धोखा
दिया है,,,,जो कुछ भी मेरे परिवार के साथ हुआ उसकी सज़ा मैने आप लोगो को दी आपके
परिवार को दी,,,अशोक मुझे कभी माफ़ नही करेगा इस सब के लिए,,,,


नही नही सुरेंदर ,,तूने जो किया मैं समझ सकती हूँ ,,,तेरे साथ जो हुआ अच्छा नही हुआ
और तूने जो किया वो भी अच्छा नही किया,,,,लेकिन तू मजबूर था,,तू बदले की आग मे पागल
था तुझे कुछ समझ नही आ रहा था तू क्या कर रहा है,,लेकिन अब तूने अपनी ग़लती मान
ली है तो तू सज़ा का हक़दार नही है,,तू माफी का हक़दार है,.,,,हम सबने तुझे माफ़
कर दिया,,,चल अब ज़िद्द मत कर जल्दी घर चल,,,


नही सरिता प्ल्ज़्ज़ तुम ज़िद मत करो,,,आप लोगो ने मुझे माफ़ कर दिया लेकिन अशोक ने नही
किया,,जिस दिन अशोक मुझे माफ़ कर देगा उस दिन मैं वापिस आ जाउन्गा,,,अभी नही प्ल्ज़्ज़
सरिता ,,,मुझे यहीं रहने दो कुछ दिन जब तक कि अशोक का गुस्सा ठंडा नही होता,,जब
सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं वापिस घर आ जाउन्गा,,,,,लेकिन अभी नही,,,,


लेकिन तू यहाँ कैसे रह सकता है,,माँ ने पूछा,,,

मैं रह लूँगा सरिता,,,,यहाँ नही रहूँगा रेखा के घर चला जाउन्गा,,,वहीं कुछ काम
भी कर लूँगा और टाइम भी बिता लूँगा ,,,,और वैसे भी अशोक को भी थोड़ा टाइम चाहिए
मुझे माफ़ करने के लिए और मुझे थोड़ा टाइम चाहिए अशोक के सामने दोबारा जाने के लिए और
कुछ हिम्मत बताने के लिए,,,,


लेकिन सुरेंदर तूमम,,,,,



माँ बोलने ही लगी थी कि मामा ने उसको चुप करवा दिया,,,फिर माँ गीता और शोभा चुप करके
वहाँ से बाहर की तरफ जाने लगे तभी मेरी नज़र पड़ी उस तस्वीर पर जो मैने पहले
भी देखी थी जब रेखा मुझे इस घर मे लेके आई थी मोटर ठीक करवाने के बहाने वो
तस्वीर मुझे कुछ जानी पहचानी लग रही थी,,मैं 3 लोगो को तो पहचान पा रहा था
लेकिन 2 लोगो को नही,,,,
Reply
07-16-2019, 12:10 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मामा हम लोगो के साथ नही चला,,लेकिन हम लोग वहाँ से चल पड़े,,,,पूरे रास्ते मैने
कोई बात नही की और ना ही कविता और सोनिया ने,,,,,बस सबकी आँखों मे हल्की हल्की नमी
थी और दिल मे उदासी थी,,,,किसी को प्यार की तकरार पर उदासी ,,,,किसी को अपने रिश्ते
की पहचान की उदासी,,किसी को माँ से मिलने की उदासी और किसी को माँ से बिछड़ने की उदासी




लेकिन आज एक बात और समझ मे आ गयी थी कि मेरा बाप माँ के चाचा से मेरा मतलब
केवल के बाप से इतनी नफ़रत क्यूँ करता था,,,,क्यूकी उसको केवल के बाप की घटिया हरकतों
के बारे मे पता चल गया था,,,




हम लोग गये थे शादी के महॉल मे एंजाय करने के लिए लेकिन वापिस आए थे रोते हुए दिल
मे उदासी लेके,,,,,,
Reply
07-16-2019, 12:10 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
घर आते आते शाम हो गयी थी,,,,और जैसे ही हम लोग घर पहुँचे तो हमने देखा कि घर
के सामने पोलीस की गाड़ियाँ खड़ी हुई थी,,,कुछ प्रेस रिपोर्टर भी थे वहाँ पर और
कुछ आस पास के लोग भी थे,,,,,

मैने अपनी कार रोकी और मैं भाग कर घर की तरफ गया,,मेरे पीछे पीछे बाकी लोग भी
आ गये,,,,तभी मैने देखा कि घर के अंदर खून ही खूब बिखरा हुआ था ज़मीन पर

माँ और बाकी सब लोग ये देख कर डर गये,,,,,

मैने अंदर जाने की कोशिश की तो एक पोलीस वाले ने मुझे रोक दिया और अंदर नही जाने
दिया,,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी ख़ान भाई पर,,,,मैने उनको आवाज़ लगा दी तो उन्होने उस
पोलीस वाले को मुझे अंदर भेजने को बोला,,,,मैं भाग कर अंदर चला गया,,,,


ख़ान भाई ये सब क्या हुआ,,,कैसे हुआ,,,और ये खून किसका है,,,,मैं बहुत परेशान था

तभी ख़ान भाई बोले,,,मुझे माफ़ कर्दे सन्नी,,,,मैने तेरे घर की हिफ़ाज़त का वादा किया
था लेकिन मैं वो वादा निभा नही सका,,,,


क्या मतलब ख़ान भाई,,,,,क्या हुआ मेरे घर मे,,,,कुछ तो बताओ,,,,

तभी ख़ान भाई ने मुझे उनके साथ अंदर चलने को बोला,,,,मैं घर के अंदर गया तो
अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया ,,घर का सारा समान उथल-पुथल पड़ा हुआ था, सारे
घर मे समान बिखरा हुआ था,,किचन मे बर्तन बिखरे पड़े थे,,,,हर रूम मे यही हाल
था,,,मैं भाग कर उपर गया और ख़ान भाई भी मेरे पीछे पीछे आ गये,,,,उपर के रूम्स
मे भी यही हाल था,,,,

ये सब कैसे हुआ और किसने किया,,,,मैने ये सवाल किया ही था ख़ान भाई से तभी ख़ान भाई
बोल पड़े,,,,,,मुझे माफ़ कर्दे सन्नी मैं अमित और उसके बाप के लोगो से तेरे घर की और
यहाँ के समान की हिफ़ाज़त नही कर सका,,,,,


मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था अमित और उसके बाप पर,,,,और जो कुछ भी इन दिनो मेरे साथ
हो रहा था उस सब से भी मेरे दिल मे एक जनून था एक आग लगी हुई थी,,,,अगर अभी
अमित या उसका बाप मेरे सामने होते तो मैं पलक झपकने से पहले उन लोगो को गोली मार
देता,,


तभी मेरा ध्यान गया मेरी अलमारी पर जो ज़मीन पर गिरी हुई थी,,,उसके दरवाजे तोड़ दिए
गये थे और उसमे से सारे कपड़े और किताबें ज़मीन पर बिखरे हुए थे,,,,लेकिन मुझे कपड़ो
की या किताबों की टेन्षन नही थी मुझे तो टेन्षन थी अपने लॅपटॉप की जो मैं गाँव नही
लेके गया था साथ ,,, घर पर ही भूल गया था,,,उसी मे सारे सबूत थे अमित के खिलाफ


ख़ान भाई मेरी परेशानी समझ गये,,,,,,सन्नी ज़्यादा पारेशान मत हो,,,तेरा लॅपटॉप सुरक्षित
है करण के पास,,,,,,

ख़ान भाई ने इतना बोला तो मैं खुश हो गया लेकिन थोडा हैरान भी,,,,,लॅपटॉप करण के
पास कैसे गया,,,,

ख़ान भाई लॅपटॉप करण के पास लेकिन कैसे,,,,मैने ख़ान भाई से पूछ ही लिया


जिस दिन तू यहाँ से गया था मैं शाम को तेरे घर आया थे देखने के लिए कि सब कुछ
ठीक तो है,,,,जब मैं तेरे घर के बाहर था तो करण भी आ गया था तुझे मिलने,,,
शायद तूने करण को बताया नही होगा कि तू गाँव जा रहा है,,,,

मैं करण के साथ तेरे घर मे आ गया और देखने लगा कि कुछ गड़बड़ तो नही है,,,और जब
हम लोग पूरा घर देखते हुए तेरे कमरे मे पहुँचे तो करण को तेरा कॉलेज बॅग दिख गया
और उसमे तेरा लॅपटॉप भी था,,,,सो करण उसको अपने साथ ले गया,,,,

लेकिन आपके पास तो घर की चाबी नही थी,,आप अंदर कैसे आए,,,,

तभी ख़ान भाई हँसने लगे,,,,सन्नी भूल मत मैं पोलीस वाला हूँ,,,,

ख़ान भाई थोड़ा हँसे तो कुछ पल के लिए मेरी टेन्षन थोड़ी कम हो गयी,,,लेकिन तभी ख़ान
'भाई ने कुछ बोला और मेरी टेन्षन फिर से बढ़ गयी,,,,

लॅपटॉप तो सुरक्षित हो गया है सन्नी लेकिन अभी हम लोग सुरक्षित नही,,,,तेरे घर मे 2-2
पोलीस वालो का खून हुआ है कल रात को,,,ये वहीं पोलीस वाले है जिनको मैने तेरे घर
की निगरानी के लिए यहाँ रखा हुआ था,,,,,कल रात तेरे घर मे कुछ लोग घुस आए थे और
उन्होने पोलीस वालो का क़त्ल कर दिया और तेरे घर की भी ऐसी हालत करदी,,,,,अब तेरे
घर मे पोलीस वाले क्या कर रहे थे ये बात मैं मीडीया से और अपने डिपार्टमेंट से तो
छुपा सकता हूँ लेकिन अमित और उसके बाप से नही,,पहले तो उनको शक़ था लेकिन अब उनको
यकीन हो गया होगा कि तुम पोलीस से मिल गये हो,,,लेकिन अगर उनको शक ना भी हुआ हो तो
भी तुम लोगो का यहाँ रहना ठीक नही है,,,,तुम लोगो को कहीं और रहना होगा,,,,,


वो सब तो ठीक है लेकिन मैं अपने घर वालो को क्या कहूँगा,,,और हम लोग रहेंगे कहाँ
अब,,,,,अभी तो गाँव से वापिस आये है और दोबारा गाँव वापिस नही जा सकते,,,,


रहने की टेन्षन तुम मत लो सन्नी,,,,गंगा नगर मे मेरा एक घर है,,,जिसके बारे मे मेरे
अलावा कोई नही जानता,,,,यहाँ से कोई 2 अवर की ड्राइव है,,तुम चाहो तो वहाँ रह सकते हो
जब तक पंगा सॉल्व नही हो जाता,,,,

वो तो ठीक है ख़ान भाई लेकिन अब घर वालो को क्या बोलूं मैं,,,,कुछ समझ नही आ रहा

जो सच है सन्नी वो बता दो अपने घर वालो को,,,कुछ मत छुपाना उनसे,,,आख़िर घर वालो
के अलावा कोई और इतना करीब नही होता ,,,,,

ख़ान भाई सही बोल रहे थे ,,,उनको बताना ही होगा सब कुछ तभी वो लोग ख़ान भाई के
घर रहने को मानेगे,,,,,,


मैं ख़ान भाई के साथ घर से बाहर निकल आया ,,,,,माँ ने ख़ान भाई को मेरे साथ देखा
तो पहचान लिया,,,क्यूकी वो पहला भी मेरे घर आ चुके थे,,,,,


हम लोग जब घर वालो के पास गये तो सब लोग बहुत परेशान थे,,,,,सबका रंग उड़ा हुआ
था,,,,,फिर मैने सबको सच बता दिया,,,,अमित के बारे मे,,,,अमित के बाप के बारे मे
फिर उन सीडीज़ के बारे मे,,,,,


डॅड बहुत परेशान थे,,,,,,,वो थोड़ा गुस्से मे बोले,,,,,,तुझे इस सब पंगे मे पड़ने की
क्या ज़रूरत थी,,,,देख तेरी वजह से क्या हो गया,,,अब हम लोगो को भी ख़तरा है,तेरी
बेहन को तेरी माँ को तेरी भुआ को,,,सबको ख़तरा है,,,,तूने ऐसा क्यूँ किया सन्नी,,क्या
ज़रूरत थी बता ज़रा,,,,,


डॅड किसी ना किसी को तो ये कदम उठाना ही था,,,,और जब करण की बेहन शिखा के साथ
भी उन लोगो ने ऐसी घटिया हरकत की तो मेरे से रहा नही गया,,,,और उन्ही लोगो की वजह
से कॉलेज की 2 लड़कियों ने ख़ुदकुशी भी की थी,,,,,एक तो ख़ान भाई की बेहन थी,,जो
जंग मैने शुरू की है उसमे ख़ान भाई भी मेरे साथ है,,,,और भला मैं ये जंग क्यूँ
नही लड़ता,,,क्या मैं ऐसे ही बुत बना तमाशा देखता रहता और इंतजार करता किसी और
लड़की के बेबस होके ख़ुदकुशी करने का,,,,अगर उन लड़कियों की जगह शोभा दीदी या सोनिया
होती तो क्या तब भी आप मेरे से इस सब से दूर रहने को बोलते,,,,,


प्ल्ज़्ज़ डॅड आप लोग चले जाओ यहाँ से,,,,बड़ी मुश्किल से मुझे इतना प्यार करने वाला ये
परिवार मिला है मैं किसी भी कीमत पर अपने परिवार को हर्ट नही होने दे सकता,,
प्लज़्ज़्ज़ डॅड मान जाइए मेरी बात,,,,,


मेरी बात सुनके डॅड चुप हो गये,,,,लेकिन वो थोड़े परेशान भी थे,.,,,,लेकिन बेटा अगर
तुझे कुछ हो गया तो,,,,तू जानता है कि वो लोग बहुत ख़तरनाक है,,,जब उन लोगो ने 2-2
पोलीस वालो को मार दिया तो हम क्या चीज़ है,,,तुम क्या चीज़ हो उन लोगो के सामने,,,


डॅड मैं अपनी हिफ़ाज़त कर सकता हूँ और आप लोगो की भी,,,,लेकिन फिर भी मैं कोई ज़्यादा
जोखम नही लेना चाहता ,,,इसलिए प्ल्ज़्ज़ आप लोग गंगा नगर चले जाए,,,,जहाँ ख़ान भाई
का घर है,,,आप लोगो को कुछ दिन वहीं रहना होगा जब तक मैं सब कुछ ठीक नही
कर देता


सब लोग मेरी बात मान गये लेकिन तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,,मुझे नही जाना कहीं,,,2-3 दिन
मे कॉलेज शुरू होने वाला है,,,,मुझे नही जाना इतनी दूर,,,मैं कविता के साथ रह
लूँगी,,,

लेकिन बेटी तुम समझ क्यूँ नही रही सन्नी क्या कह रहा है,,,यहाँ रहना ख़तरे से खाली
नही,,,तुम भी चलो हम लोगो के साथ प्ल्ज़्ज़ ज़िद्द नही करो,,,,,


नही माँ मुझे नही जाना,,,,आप लोग जाओ,,,मैं अपनी रक्षा कर सकती हूँ,,,

माँ सोनिया को बहुत समझा रही थी लेकिन वो जाने को तैयार ही नही हो रही थी,,,,

माँ आप लोग जाओ,,मैं सोनिया को संभाल लूँगा,,,आज से ये मेरी ज़िम्मेदारी है,,,मैने
इतनी बात बोली तो माँ और डॅड मेरी बात समझ गये,,,,


तभी मैने उन लोगो को ख़ान भाई के साथ जाने को बोला और वो लोग चले गये ख़ान भाई के
साथ लेकिन सोनिया नही गयी,,,,वो कविता के साथ जाना चाहती थी,,,,,
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