06-06-2017, 11:30 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
आरती अपने स्कूल और दोस्तो के साथ बिज़ी थी...पिछले दिनो उसे एक नया दोस्त भी मिल गया था...जिसके साथ उसे ज़्यादा मज़ा आता था...
आमिर के दिल मे आरती के लिए प्यार बढ़ता जा रहा था...और वो इंतज़ार कर रहा था कि आरती को अपने दिल की बात बता सके....
ऐसे कुछ महीने निकल गये और फिर एक खूसखबरी आई...ये खूसखबरी सरिता ने दी थी....
सरिता ने खूसखबरी दी कि वो पेट से है...
सतिता के माँ बनने की खबर से सब खुश थे....जिसमे मदन तो फूला नही समा रहा था...
मदन ने अपने बाप बनने की खबर सुनकर सबको दावत दी और अपने दोस्तो के साथ खुशी का जश्न मनाया....
ऐसे ही सब अपनी-2 लाइफ जीते रहे और फिर वो वक़्त भी करीब आ गया जिसका सबको इंतज़ार था...आकृति की शादी का...
आकाश शादी के लिए 15 दिन पहले ही आ गया....
शादी की तैयारियाँ ज़ोर शोर से चल रही थी....
आकाश, अरविंद,धर्मेश,आमिर पूरे जोश के साथ काम मे लगे थे...लोगो को निमंत्रित करना...उनके ठहरने की व्यवस्था करना...सब इनका काम था...
आज़ाद भी अपने दोस्तो के साथ लगा हुआ था...शादी के दहेज से लेकर टेंट और खाने का ज़िम्मा आज़ाद और उसके दोस्तो का था....
रिचा, रागिनी और आरती का काम आकृति का ख़याल रखना था....
रुक्मणी , सरिता धर्मेश की माँ और अली की बीवी शादी मे घर के अंदर के काम संभाल रही थी....
कुछ दिन बाद मेहमानो का आना होने लगा...अब आज़ाद का घर फुल होने लगा था...
शादी की तैयारियों के बीच मे धर्मेश की माँ आकाश से चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी...
धर्मेश की माँ ने रागिनी के साथ मिल कर प्लान बना लिया....
जिस प्लान से एक दिन ऐसा तय हुआ कि धरनेश की मोम के साथ आकाश को धर्मेश के घर रुकना पड़ा...क्योकि रागिनी आकृति के साथ बिज़ी थी...धर्मेश काम से दूसरे गाओं गया हुआ था और धर्मेश के पापा उसकी मौसी को छोड़ने गये हुए थे...
आकाश को धर्मेश के घर रुकने मे कोई प्राब्लम नही थी क्योकि वो धर्मेश की माँ के इरादो से अंजान था.....
फिर क्या था....आकाश धर्मेश के घर पहुच गया...वहाँ धर्मेश की माँ ने साड़ी निकाल कर एक नाइटी पहन ली और आकाश के साथ बैठ कर बातें करने लगी.....
धर्मेस मों(आकाश को देखते हुए मन मे)- आज रात तो मज़ा आएगा...जब से रागिनी ने इसकी चुदाई के बारे मे बताया तब से चूत मे आग लगी हुई है...आज रात तो पूरी आग बुझाउन्गी...)
लेकिन थोड़ी देर मे ही धर्मेश की माँ के अरमानो पर पानी फिर गया...वहाँ पर रागिनी और सूमी आ गई थी...
धर्मेश की माँ रागिनी को देख कर गुस्सा हो गई...पर रागिनी ने अकेले मे जाकर अपनी माँ को समझा दिया कि सूमी उसे लाई है और वो सूमी को मना करती रही बट वो मानी नही...
थोड़ी देर बाद धर्मेश की माँ मान गई और फिर कभी करने का सोच कर चुप हो गई...
फिर रात भर धर्मेश की माँ जलती चूत मे उंगली डाले सोती रही और रागिनी , सूमी के साथ आकाश के लंड का मज़ा लेती रही......
आज आकृति की शादी का दिन था....
आज़ाद के घर पर खुशियों का महॉल था....
कई नामी- गिरामी लोग आ रहे थे....सब लोग काम मे लगे हुए भागा-दौड़ी कर रहे थे.....
शाम को बारात आ गई और फिर वरमाला की घड़ी आ गई....
आकृति शादी के जोड़े मे खॉईबसूरत दिख रही थी...लेकिन उसके साथ चलने वाली आरती तो आज शादी मे अप्सरा लग रही थी..
जहाँ सुभाष सिर्फ़ आकृति को देख रहा था वही आरती को देख कर भी दो लोग पागल हुए जा रहे थे....
आकाश भी अपनी बहनों की खूबसूरती देख कर खुश था....
जहाँ सब शादी की रश्मो मे बिज़ी थे...वही सरोता रात को अपने घर आ गई थी....
पूरी रात खुशी- खुशी शादी की रसमे पूरी हुई और फिर सुबह टाइम आ गया विदाई का....
विदाई के टाइम सब रोने मे बिज़ी थे...घर की बेटी को विदा करना किसी के लिए आसान नही होता.....
जहाँ सब लोग विदाई का सोच कर रोने मे बिज़ी थे....वही सरिता मन ही मन मुस्कुरा रही थी....
आज सरिता का दिन था...आज उसे अपना दाँव खेलना था...
अंदर आज़ाद अली, मदन और एक आदमी के साथ बातें कर रहे थे....
सरिता भी पास मे खड़े हो कर उनकी बातें सुनने लगी....
आदमी- बधाई हो आज़ाद...बेटी की शादी अच्छे से निपट गई...अब आगे बात बढ़ाएँ...
अली- किस बात को आगे बढ़ाने की बात हो रही है आज़ाद ...??
आज़ाद- अरे ..मैने बताया था ना...आकाश के रिश्ते की बात...
मदन- ओह ..हाँ...आकाश की बात कर ही लो..मैं उसे जल्द से जल्द घोड़ी पर बैठा देखना चाहता हूँ...
आज़ाद- बिल्कुल यार...तू ही घोड़ी पर चढ़ाना.....
मदन- बिल्कुल....मेरा बेटा है वो...
आज़ाद- हाँ..बिल्कुल...
अली- हाँ आज़ाद...अब आकाश की शादी कर ही दो....यही सही समय है...
आज़ाद- पर मैं सोच रहा था कि पहले वो पढ़ाई पूरी कर ले और मेरा काम संभाल ले...फिर करता...
मदन- क्या यार...आकाश तेरा बेटा है....होशियारी तो खून मे है उसके...वो तुमसे भी अच्छा है...और वैसे भी सब उसकी तारीफ़ करते है....
अली- सही कहा...आकाश सबका पसंदीदा है....वो बहुत नेक है और होशियार भी....वो बहुत आगे तक जायगा....
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RE: चूतो का समुंदर
मदन ने गुस्से मे कैमरा चालू कर दिया और मदन के साथ अली और आज़ाद भी रेकॉर्डिंग देखने लगे....
जैसे-जैसे रेकॉर्डिंग आगे बढ़ती गई ....वैसे-वैसे तीनो के चेहरे के रंग उड़ने लगे थे....
थोड़ी देर मे मदन ने कैमरा छोड़ दिया और जाकर आकाश को थप्पड़ मार दिया....
मदन- कमीने...तेरी ये हिम्मत...क्यों किया ऐसा...
और मदन ने आकाश पर थप्पड़ों की बरसात कर दी....और फिर घुटनो के बल बैठ कर रोने लगा...
तभी पीछे से आज़ाद आया और आकाश को मारने लगा....रुक्मणी आगे आकर आकाश को बचाने लगी.....
रुक्मणी- रुक जाइए...ऐसे क्यो मार रहे है...ऐसा क्या किया मेरे बेटे ने...
आज़ाद- क्या किया...खुद ही देख लो...इसने हमें कही मुँह दिखाने लायक नही रखा...
सभी लोग सन्न खड़े थे...किसी को समझ मे नही आ रहा था कि अचानक क्या हो गया...
हंगामा होते ही सुभाष, आकृति,अरविंद, आरती और बाकी बच्चे भी वही आ गये...
आकाश को एक साइड रोते हुए देख कर धर्मेश ने उसे उठाया और चुप कराने लगा...
रुक्मणी के पास भी उसकी दोनो बेटियाँ आ गई...और उसे संभालने लगी...
आज़ाद- आज मैं इसे चोदुन्गा नही...
आज़ाद फिर से आकाश को मारने के लिए बड़ा पर रुक्मणी ने उसे रोक लिया...
रुक्मणी- बस कीजिए...आख़िर ऐसा क्या किया मेरे बच्चे ने....
इतने मे सरिता उठी और कॅमरा उठा कर रुक्मणी को दे दिया..
सरिता-ये किया तुम्हारे प्यारे बेटे ने...
सरिता जानती थी कि आकाश को देख कर रुक्मणी को गहरी चोट लगेगी...और वो यही तो चाहती थी...इसलिए उसने खुद ही कॅमरा रुक्मणी को दे दिया...
रुक्मणी के साथ आरती, आकृति , सूमी, सुभाष , आमिर , रागिनी, अली की बीवी, और धर्मेश की माँ भी रेकॉर्डिंग देखने लगी...
और सबकी आँखे बड़ी होने लगी....पर रुक्मणी की हालत बिगड़ने लगी और वो बेहोश हो गई...
आरती- माँ..माँ...माँ को क्या हुआ..माँ
रुक्मणी को बेहोश देख कर आकाश रुक्मणी की तरफ भागा...पर उसके पकड़ने के पहले ही आज़ाद ने उसे रोक दिया...
आज़ाद- दूर रख अपने गंदे हाथ...
आज़ाद ने आकाश को पीछे धकेला और रुक्मणी को अंदर ले गया....
उनके जाते ही सरिता चिल्लाने लगी...
सरिता- अब आप लोग ही बताओ...ऐसे इंसान के साथ क्या करना चाहिए...जो दूसरो को इज़्ज़त लूट लेता है...
अब तक वहाँ पर काफ़ी लोगो को रेकॉर्डिंग का पता चल चुका था..उनमे से कुछ आज़ाद से जलते भी थे...
सरिता के बोलते ही वहाँ जमा भीड़ मे से आवाज़ आई...
आदमी1- इसे तो गाओं से निकाल देना चाहिए..
आदमी2- अरे इसे तो मार डालना चाहिए...नही तो कल के दिन किसी दूसरे की इज़्ज़त लूट लेगा...
आदमी3- सही कहा..मार डालो इसे...
तभी अली ज़ोर से बोला..
अली- कौन मारना चाहता है...सामने आओ...मेरे रहते इसे हाथ भी लगाया तो गाढ दूँगा...
अली की जोरदार आवाज़ से आवाज़े आनी बंद हो गई...
अली ने फिर अपनी बीवी से सरिता को अंदर ले जाने का बोला...और बाकी मेहमानो और गाओं वालो को भी बाहर रुकने का बोला....मदन भी सरिता के साथ चला गया....
अब वहाँ पर सिर्फ़ अली, आमिर, धर्मेश और आकाश रह गये थे...
आकाश ने रोते हुए कॅमरा उठा लिया और रेकॉर्डिंग देख कर शॉक्ड हो गया...
( ये वही रेकॉर्डिंग थी जिस दिन लास्ट टाइम आकाश ने सरिता के साथ चुदाई की थी...
उस दिन सरिता ने रोलप्ले करके चुदने करने को कहा था...और वो रोल प्लाए था रेप का...
उस दिन सरिता ने आकाश से कहा था कि तुम मेरा रेप कर के चोदो और आकाश ने एक बलात्कारी की तरह चुदाई की थी..)
रेकॉर्डिंग देख कर आकाश सब समझ गया कि सरिता ने उसके साथ धोखा किया है....
आकाश ने उठ कर अली को साइड मे बुला कर अपने और सरिता के रिश्ते की पूरी असलियत बता दी..उसे सुनकर अली भी शॉक्ड हो गया...
अली- बेटा..तुमने...आख़िर क्यो...
आकाश- नही पता अंकल..वो सरिता आंटी ने ..(और रोने लगा)
अली- ठीक है...रो मत...चुप हो जाओ...
आकाश- मैने कुछ नही किया अंकल..ये सब झूठ है...
अली ने आकाश को गले लगा कर दिलासा दी....
अली- मैं जानता हूँ बेटा...आज़ाद का खून किसी के साथ जबर्जस्ति नही कर सकता....
तभी आज़ाद वहाँ आ गया...उसके साथ मदन भी था...और आज़ाद ने आकाश का हाथ पकड़ा और उसे खीचते हुए बाहर ले गया...
फिर आज़ाद ने एक छड़ी उठाई और आकाश को मारना शुरू कर दिया....
आज़ाद मारता रहा और आकाश रोता रहा...अली और धर्मेश ने बीच-बचाव किया पर कोई फ़ायदा नही हुआ....
यहाँ रुक्मणी होश मे आते ही बाहर भाग कर आ गई और आकाश को मार खाते देख आज़ाद को रोकने लगी...
पर आज आज़ाद को कोई नही रोक पा रहा था...
रुक्मणी- रुक जाइए ...मार डालेगे क्या...
आज़ाद- तुम दूर हटो...ऐसी औलाद को मारना ही चाहिए....इसने काम ही ऐसा किया है...आज मैं इसे मार डालुगा...
सब लोग बाहर आ कर आकाश को मार खाते देखते रहे और आज़ाद को रोकते रहे...पर आज आज़ाद ने किसी की नही सुनी..
आज़ाद- रुक्मणी...दूर हट जाओ...आज तेरे बेटे ने हमे जीते जी मार डाला...ऐसे संस्कार दिए तुमने...तुम्हारे जैसी माँ ही बच्चे को कमीना बना देती है...
आज़ाद ने आकाश को मारते हुए घर से दूर कर दिया और बोलता गया...
आज़ाद- आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना...निकल जा इस गाओं से ..कभी मत आना यहाँ ..
आकाश(रोते हुए)- पापा मेरी बात..
आज़ाद(बीच मे)- अगर तू मुझे अपना बाप मानता है तो तुझे मेरी कसम...आज के बाद मेरे घर मे कदम मत रखना...जा यहाँ से...
आज़ाद छड़ी फेक कर वापिस आ गया और आकाश वही बैठ कर रोने लगा..
तभी अली पीछे से आ गया और आकाश को अपने साथ अपने घर ले गया....
यहाँ आज़ाद घर आकर रोते हुए बैठा रहा...मदन ने उसे संभालने की कोशिश की....
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