06-06-2017, 11:24 AM,
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sexstories
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RE: चूतो का समुंदर
सरिता रूम मे नंगी बैठी सोचने लगी...कि ये क्या हो गया...धर्मेश ने तो मना कर दिया...
अब क्या होगा...और अगर धर्मेश ने किसी को ये सब बता दिया तो मेरा क्या होगा....
इस बदले के लिए मैं रंडी की तरह धर्मेश से चुद गई और हाथ मे कुछ भी नही....
मुझे धर्मेश को मनाना होगा...कम से कम इस बात के लिए की वो किसी को कुछ ना कहे...
मैं भी आकाश को भूल जाउन्गी...हाँ, यही करना होगा...मुझे जल्द से जल्द धर्मेश से मिलना ही होगा...वरना...नही-नही...
सरिता अपनी सोच से बाहर आई और उसने धर्मेश को कॉल किए पर कोई रेस्पोन्स नही मिला....
फाइनली, सरिता कुछ और प्लान करके फार्म हाउस से निकल गई......
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आज की रात कई लोग अपनी-अपनी परेशानी मे उलझे हुए थे...
सरिता डर रही थी कि उसका प्लान तो फैल हुआ साथ ही साथ अब ये डर भी था कि कही धर्मेश आकाश को सब ना बता दे...
धर्मेश इस सोच मे डूबा था कि आख़िर क्यो सरिता , आकाश की फॅमिली का बुरा करना चाहती है..क्या वजह हो सकती है...
आज़ाद, रुक्मणी और आरती आकाश की यादो मे खोए हुए थे और सोच रहे थे कि आकाश कैसा होगा...
आमिर इसी कस्मकश मे था कि आरती की तरफ उसका बढ़ता लगाब कही प्यार तो नही है....
वहाँ सहर मे आकाश भी सोच मे डूबा हुआ था...एक तो वो अपनो से दूर था और साथ ही साथ उसने चुदाई से दूरी बना ली थी...
आकाश यही सोच रहा था कि उसने सही किया या ग़लत....???
सभी लोग अपनी सोच मे डूबे हुए सो गये..और रात का सन्नाटा छा गया...हर तरफ शांति छा गई...
पर ये शांति...कही किसी तूफान के आने के पहले की शांति तो नही.....?????????
रात के अंधेरे को सूरज की किरण चीर कर उजाला कर चुकी थी और पन्छियो के शोर ने रात की शांति ख़त्म कर दी थी......
सब लोग अपने- अपने काम पर लग गये...
आरती, रिचा के साथ स्कूल निकल गई....
रुक्मणी घर के कामो मे लग गई...और आज़ाद अपनी फॅक्टरी का काम देखने निकल गया...
( वैसे तो आज़ाद के पास बहुत प्रॉपर्टी थी और साथ मे उसने कई समाज कल्याण के काम भी किए थे...जैसे गाओं मे हॉस्पिटल, पूरे इलाक़े मे पानी की ब्यवस्था एट्सेटरा...
पर इस समय वो अपनी फॅक्टरी को आगे बढ़ाने मे लगा था...ताकि ज़्यादा लोगो का भला हो सके..)
इन सब के अलावा..सरिता भी जाग चुकी थी पर वो अभी भी कल की घटना के बारे मे सोच रही थी....
कि कैसे कल धर्मेश ने उसे रंडी की तरह चोदा और फिर उसका साथ देने की बात पर सॉफ मना कर के निकल गया...
और तो और ..वो धमकी भी दे गया कि अगर सरिता ने आकाश की फॅमिली के खिलाफ कुछ किया तो वो उसे सबके सामने नंगा कर देगा...
सरिता ने काफ़ी सोच समझ कर तय किया था कि आज वो धर्मेश से माफी माँगेगी और ऐसा दिखाएगी कि उससे भूल हुई...तो सयद धर्मेश उसे माफ़ कर दे...और ये बात यही ख़त्म हो जाए....
सरिता ने आज का प्रोग्राम तय किया और बेड से उठकर बाथरूम मे घुस गई...और रेडी हो कर धर्मेश के घर निकल गई....
वहाँ धर्मेश के घर धर्मेश और उसकी मौसी अभी भी अकेले थे....
सुबह उठ कर दोनो फ्रेश हुए और धर्मेश नीचे आ गया और मौसी नहाने चली गई...
धर्मेश किसी काम की वजह से मौसी के रूम मे गया और वहाँ उसकी मौसी टॉवेल मे उसके सामने आ गई...
फिर क्या था..धर्मेश ने टवल निकाल के फेका और खुद नंगा होकर मौसी को बेड पर पटक दिया और चुदाई स्टार्ट हो गई....
थोड़ी देर बाद...
धर्मेश अपनी मौसी की गान्ड मारे जा रहा था....
मौसी- आहह...साले...कितना चोदता है...रंडी बना देगा क्या...ओह्ह...
धर्मेश- क्या करू मौसी..तू चीज़ ही ऐसी है कि देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है...
मौसी- ह्म्म..ये बता ..आहह...कि आकाश का क्या हुआ..
धर्मेश- बस उसे आने दो...और जब तक आप मोम को पटा लो....फिर मेरा काम हो गया समझो...यह..
मौसी- तेरी माँ तो मान जाएगी पर तेरी दीदी का क्या...आहह...
धर्मेश- वो भी रेडी है..बस आकाश मान जाए...
मौसी- ओह्ह..मैं आई..ईईइ..आहह..ज़ोर से मार..आहह..
धर्मेश- ये ले...मेरा भी हो गया...यह..यह..
दोनो झड गये और वैसे ही बेड पर लेटे रहे...धर्मेश का लंड अभी भी उसकी मौसी की गान्ड मे था...
मौसी- तू कितना कमीना है...अपनी मौसी को अपने दोस्त से चुदवा दिया और अब अपनी माँ और दीदी को भी चुदवाने वाला है...
धर्मेश- क्या करूँ मौसी.. दीदी ने सॉफ बोला है कि मैं उन्हे आकाश दूं तभी वो मुझसे चुदेगि...और वो माँ को भी पहले आकाश से चुदते हुए देखना चाहती है...फिर मेरा नंबर.....
मौसी- तो अब क्या प्लान है...आकाश तो गया...
धर्मेश- वोही तो...कुछ समझ नही आ रहा....कैसे मॉम और दीदी को आकाश से चुदवाऊ.....
तभी पीछे से.......
सरिता(तालियाँ बजा कर)- वाह..वाह...क्या बेटा है..क्या भाई है...वाहह..
सरिता की आवाज़ सुनकर धर्मेश और उसकी मौसी की सिट्टी-पिटी गुम हो गई...
धर्मेश का लंड उसकी मौसी की गान्ड से फुस्स हो कर बाहर निकल गया..और उसकी मौसी की बिना लंड के गान्ड फट गई...
धर्मेश ने तुरंत टवल उठाई और लपेट ली...और मौसी ने अपने आपको बेड शीट से ढक लिया....
( सरिता जब धर्मेश को समझाने उसके घर आई तो मैन गेट खुला हुआ था और हॉल खाली था...
सरिता आवाज़ देती...उसके पहले उसे रूम मे से आवाज़े सुनाई दी और वो रूम के गेट पर आ गई...
सरिता ने देखा की धर्मेश अपनी मौसी की गान्ड मार रहा है और उसने उन दोनो की बाते भी सुन ली....)
सरिता- अब छिपाने से क्या होगा...मैं सब देख चुकी हूँ...और सुन भी चुकी हूँ...
धर्मेश(हड़बड़ाहट मे)- त्त्त..तुम यहाँ...कैसे ..क्यो..आई..??
सरिता- मैं क्यो आई ये छोड़ो...ये बताओ कि तुम क्या कर रहे थे...ओह हाँ..अपनी मौसी की गान्ड मारते हुए अपनी माँ और दीदी को चुदवाने का प्लान बना रहे थे...है ना...हहहे...
धर्मेश- चुप रहो...और बताओ..तुम क्यो आई यहाँ...और अंदर कैसे...
सरिता- गेट खुला था समझे...और मैं तो बस मिलने आ गई...सोचा , शायद आज तुम्हारा मूड ठीक हो गया हो और तुम मेरी बात...
धर्मेश(बीच मे)- बस...मैने कहा था ना कि आकाश के खिलाफ कुछ मत सोचना...वरना मैं तुम्हे बर्बाद कर दूँगा...
सरिता- बर्बाद तो अब मैं तुम्हे करूगी...देखते जाओ...
धर्मेश - क्या कर लोगि...हाँ..
सरिता- तुम्हारे पापा को बताउन्गी की कैसे उनका बेटा स्कूल टाइम मे स्कूल ना जा कर अपनी मौसी को चोदता है और कैसे अपनी मौसी के साथ मिल कर अपनी सग़ी माँ और दीदी को अपने खास दोस्त से चुदवाने का प्लान बनता है...
धर्मेश- ओह..अच्छा...जा...जा कर बोल दे...चल जा...
धर्मेश की बात सुनकर सरिता को झटका लगा कि उसकी धमकी से धर्मेश ज़रा भी नही डरा...आख़िर क्यो..??
सरिता- तुझे डर नही...??
धर्मेश- कैसा डर ...देख...स्कूल तो मैं सिर्फ़ एग्ज़ॅम देने जाउन्गा..क्योकि मैं फैल हो गया था..तो क्लास मे मन नही लगता...ये बात मेरे पापा को पता है...समझी...
सरिता- मैं स्कूल की बात नही कर रही...
धर्मेश- ओह..तो तुम चुदाई की बात कर रही हो...है ना...
सरिता- हाँ...तेरे पापा को बताउन्गी कि तू अपनी माँ- दीदी के बारे मे क्या सोचता है...
धर्मेश- हाहहहाहा...जा..बोल देना...हाहाहा...
सरिता- इसमे हँसने वाली क्या बात है...
धर्मेश- बताता हूँ...देख..मेरी दीदी खुद चाहती है कि आकाश उन्हे चोदे..और वो माँ को भी आकाश से चुदवाना चाहती है...तो अब तू ही बता...मुझे डरना चाहिए कि नही...
सरिता- क्या...पर क्यो...??
धर्मेश- इससे तुझे क्या...और सुन ..बात रही मेरी मौसी की तो उसे तो तेरे सामने ही चोद देता हूँ...आ जाओ मौसी...मेरा लंड चूसो...इस रंडी से डरने की ज़रूरत नही...
धर्मेश के कहने पर उसकी मौसी भी रिलॅक्स हो गई और उठ कर धर्मेश का लंड मुँह मे भर लिया...
धर्मेश- आहह...अब बोल रंडी...और क्या कहना चाहती है...
धर्मेश की बाते सुनकर और सामने का नज़ारा देख कर सरिता समझ गई कि धरमर्श को डराना बेकार है..इसलिए उसने कुछ और सोच लिया और बोली...
सरिता- मैं यहाँ तुम्हे डराने नही बल्कि माफी मागने आई थी...
धर्मेश- किस लिए...
सरिता- देखो...आकाश से मेरी कोई दुश्मनी नही...मैं बस उसे पाना चाहती हूँ...
धर्मेश- क्या...कल तो तू कुछ और ही बोल रही थी...
सरिता- हाँ बोला था..और उसकी वजह भी है...
धर्मेश- तो बताओ फिर...
सरिता- तुम कुछ देर के लिए अपना प्रोग्राम रोको तो सब बताती हूँ...
धर्मेश ने मौसी को रोक दिया और फिर से टॉवल लपेट ली...
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