Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
01-13-2019, 11:18 PM,
#51
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
सानिया खुशी से चहक कर बोली-"अरे कोई मुश्किल नहीं होगी। आप आराम से बैठ जाना, अब तो मुझे आपके सामने पुरी तरह से नंगे होने में कोई हिचक भी नहीं है और कल के सेक्स गेम के बाद तो मुझे बिल्कुल भी झिझक नहीं रह गई है आपसे। बल्कि जैसा कि मैंने कहा भी कि मैं तो आपसे चुदाने को बेचैन हूँ। आप सामने बैठ कर देखना, आपके लिए मैं ऐसे मजे से चुदवाऊँगी कि आपको भी फ़ख्र होगा कि आपने भी कोई लाईव शो देखा है।" जमील मुस्कुरा कर कहा-"हाँ, कल के ट्रेलर को देख कर मुझे भी समझ आ गया कि अगर इस लाईव शो को नहीं देखा तो अब तक का सब बेकार हो जाएगा। बस थोड़ी तैयारी करनी है, बाबू से बात भी करना है।...अच्छा अब तुम जाओ और ठीक से कपड़े-वपड़े पहनो, बाई आनेवाली होगी काम करने और तुम ऐसे मेरे शर्ट में उसके सामने जाओगी, क्या अच्छा लगेगा। ऐसे छोटे लोग दस जगह बात को नमक-मिर्च लगा कर फ़ैला देंगे, काफ़ी बदनामी हो जायेगी।" अब सानिया बोली-"ठीक है, जाती हूँ पर एक बार चुम्मा तो लीजिए प्यार से।" जमील सानिया के होठों पर एक गहरा चुम्बन जड़ दिया। पर सानिया बोली, "और मेरे नीचे वाली होठ का क्या?" जमील हिचका-"क्या बोल रही हो, तुम मेरी बेटी हो ना।" सानिया-"तो क्या हुआ, ऐसा रहा तो आप मुझे किस तरह चोद पाएँगे? चलिए अब हिचक छोड़िए और मेरे बूर को एक प्यार भरा चुम्मा दीजिए, उसको चुभलाईए एक बार तब हटुँगी यहाँ से नहीं तो ऐसे हीं टाँग खोल कर आपने इसी बेड पर लेट जाऊँगी, बाई जो समझे।" सानिया के चेहरे पर एक कुटिल हँसी थी। और जमील को हार मानना पड़ा। वो सानिया की जाँघो की तरफ़ झुका तो सानिया थोड़ा नीचे की ओर पसर कर हल्का सा लेट गयी और अपनी जाँघ खोल दी। जमील की नाक में सानिया के चूत से निकल रही एक हल्की खट्टी महक पहुँच रही थी। जमील बहुत एक्साईटेड था, आज पहली बार सानिया की चूत को इतने पास से देख रहा था। पहली बार देख रहा था, उसकी चूत की हल्के गुलाबी होठ पर भी ८-१० बाल निकल आए थे। उसकी झाँट अब थोड़ी निकल आई थी, वैसे भी सानिया को झाँट साफ़ किए आज नौ दिन हो गया था। जमील के होठ जब सानिया के बूर पर चिपके तो सानिया का बदन थड़थड़ा उठा। सानिया के मुँह से एक आआआहह्ह्ह्ह निकल गया। जमील ने उसके चूत की दोनों होठों को अपने मुँह में भर कर चुभलाने लगा। सानिया सिसकी भर उठी। अभी १०-१५ सेकेण्ड हीं बिता कि बाहर की कौलबेल बज उठी। बाई आ गयी थी। सानिया अपने कमरे की तरफ़ भागी और जमील अपने लुंगी को ठीक करता हुआ दरवाजा खोलने चल पड़ा। मैं तब शहर से बाहर था जब जमील का फ़ोन मुझे आया। वो आमने-सामने बैठ कर बात करने को बेताब था। मैं समझ रहा था कि अब कोई देर नहीं है, सानिया ने अपने बाप को पटा लिया है। खैर मैं तीन दिन बाद शुक्रवार को सुबह लौटा और शाम को जमील के घर पहुँच गया।
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01-13-2019, 11:19 PM,
#52
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
रास्ते में मैंने एक वियाग्रा की गोली खरीद कर खा ली। सानिया मुझे बता चुकी थी कि जमील हम दोनों की चुदाई देखने को रेडी है, और उसने सानिया की चूत पर चुम्मा भी लिया है। आज जब मैं जमील के घर जा रहा था तब तय कर चुका था कि जमील देखे या ना देखे उस हसीन लौन्डिया की चूत का बैन्ड आज देना था। बस अब सोच की दिशा यह थी कि कैसे यह काम हो। फ़िर मैंने अपने दिमाग को एक झटका दिया कि चुदाई के खेल में कोई नियम नहीं होता, बस जो होता है स्वमेव हीं होता है और वही सबसे शानदार सेक्स होता है। मेरा अपना अनुभव तो यही था। और मुझे पता था कि अब वियाग्रा के असर से अब मैं कम से कम तीन घन्टे लगातार बूर में लन्ड की पम्पिंग कर सकता था, चाहे जितनी बार भी झड़ुँ। इतने देर में तो मेरे जैसा अनुभवी कैसी भी औरत को पस्त कर देता, सानिया तो चाहे जितना भी चुदी हो आज तक जिन औरतों का बैन्ड मैंने आज तक बजाया था, उनके सामने तो एक गाय की बछिया की तरह हीं थी और था पुरा जवान साँढ़। मैं वियाग्रा कभी-कभी हीं इस्तेमाल करता था, और आज मुझे लगा कि ऐसा हीं एक दिन है। करीब ८ बजे मैं जमील के घर पहुँचा, तो उसके चेहरे पर रौनक दिखी। सानिया भी मुस्कुराते हुए मिली तो मैंने उसके होठ को चुम कर उसका अभिवादन किया और बोला-"ओ सानिया, पिछले पाँच दिन से तुम मुझे याद आ रही थी। आज मेरा बहुत मन है, तुम तैयार हो ना आज के लिए।" सानिया का जवाब था, "मैं तो हमेशा हीं तैयार हूँ चाचू आपके लिए, अभी खोलुँ कपड़े?" जमील बोला-"अरे आराम से, आज रात यहीं रुक जाओ हमारे साथ और साले आज तो मैं भी देखुँगा और अपना वादा पुरा कर दुँगा।" मैं बोला-"क्या बोला रे साले जमील, तु देखेगा, क्या सच में? सच कह रहा है?" जमील हँस कर बोला-"हाँ साले हरामी, पिछली बार तो सिर्फ़ झलकी देखी और सुना बहुत कुछ पर अबकि बार सब देखुँगा।" मैं चहक कर बोला-"वाह मजा आ जायेगा, बाप के सामने बेटी की चुदाई। वाह पहली बार ऐसा मौका मिलेगा मुझे। देख साले अब तु बीच में भागने मत लगना, जब मैं सानिया की बूर चोद रहा होऊँगा।" अब सानिया बोली-"अब नहीं भागेंगे अब्बू, अब उनको भी सब की तरह मैं एक सेक्सी माल दिखने लगी हूँ", कह कर सानिया ने अपने अब्बू को देखते हुए अपनी एक आँख दबा कर एक मस्त लौन्डिया की तरह आँख मारी। यह सब देख और आगे की बात सोच मेरी बाछें खिल गयी। फ़िर हम सब पास के एक ढ़ाबे में गए और हल्का खाना खाया। वियाग्रा खाए मुझे करीब एक घन्टा हो गया था और मेरा लन्ड टनटनाया हुआ था। घर लौटते समय हीं कार के भीतर हीं मैं सानिया के साथ चुहलबाजी करने लगा था। घर पहुँचते हीं मैं तुरन्त सानिया को दबोच लिया और उसको इधर-उधर चुमते हुए उसके कपड़े खोल्ने शुरु कर दिए। सानिया भी मुझे नंगा करने लगी। एक मिनट से भी कम समय में हम दोनों मादरजात नंगे थे। सानिया के चूत पर हल्की-हल्की झाँट उग आयी थी और उसकी गोरी चूत पर एक कालिमा बिखेर रही थी। साली चुदने को बेताब थी। और मेरे लन्ड को बार बार पकड़ कर अपने चूत से भिरा रही थी, जबकि अभी हम दोनों हीं खड़े थे। मैं जमील के आने के इंतजार में था। तभी जमील कार को गराज में लगा कर आ गया तो हम दोनों को नंगा देखा और मुस्कुराया, "बहुत बेताबी है दोस्त..."। मैं बोला-"साले, एक बार चोद ले तु भी सानिया की चूत फ़िर तु भी ऐसे हीं बेताब हुआ रहेगा अपने लन्ड को इसकी बूर के भीतर पार्क करने के लिए। अब बोलो कहाँ बैठ कर देखोगे अपनी बेटी की चुदाई?" सानिया बोली, "मेरे रुम में चलिए रात को नींद बाद में आप वहीं मेरे साथ सो जाईएगा।" हम सब सानिया के कमरे में आ गये। सानिया ने अपने रीडिंग टेबुल के साथ वाली कुर्सी को बेड के पास खींच दिया और जमील को बैठने का इशारा किया। जमील जब कुर्सी पर आराम से बैठ गया तब वो मेरे से लिपट गयी और बोली-"चाचू आओ और मुझे आज जन्नत की सैर करा दो।
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01-13-2019, 11:19 PM,
#53
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.अब्बू को मैंने वादा किया है कि मैं उनके सामने सबसे ज्यादा मस्त लड़की बन कर दिखाऊँगी। आप मेरे वादे की लाज रखना और मुझे ऐसे चोदना कि मैं घिर्नी की तरह नाच उठूँ।" मैं बोला-"फ़िक्र मत करो सानिया बेटा, आज की चुदाई तू जिन्दगी भर नहीं भुलेगी। पिछले ८ दिन से मैंने मुठ भी नहीं मारी है, सो आज तुम्हें खुब माल मिलेगा, बार-बार मिलेगा। आज तू एक कुत्ते के पिल्ले की तरह किकींया जाओगी।" जमील अब बोला-"साले हरामी, मुझे तू कुत्ता बोल रहा है?" मैं फ़ट से जवाब दिया-"ठीक तो बोला हूँ, जब तुम्हारी बेटी एक कुतिया बन कर मेरे से चुदेगी, तो तू भी तो कुतिया का बाप कहलाएगा, और तब तू क्या रहेगा, सोच?" सानिया ने हल्के से धक्के के साथ मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और बोली, "अभी तो तुम घोड़े बनोगे और मैं तुम्हारी सवारी करुँगी।" अब मेरे कमर पर बैठ गयी थी और मेरे सीने पर गिर कर मुझे चुम रही थी। फ़िर वो सीधी हुई और मेरा कड़ा लन्ड अपने हाथों से पकड़ कर अपने बूर के छेद पर सेट की और फ़िर उपर से धीरे-धीरे अपना वजन डालने लगी। मेरा लन्ड भी धीरे-धीरे सानिया की पनियाई हुई चूत को पुरी तरह से खोलता हुआ भीतर घुसता चला गया। सानिया की आँख बन्द थी, और उसके चेहरे के भाव को मैं देख रहा था और जमील की नजर उस छेद पर थी जिसमें धीरे-धीरे मेरा लन्ड घुस रहा था। जब सानिया मेरा लन्ड जड़ तक घुसा ली तो आँख खोल कर अब्बू को देखा और पूछी-"अब्बू आपको सब साफ़ दिखा, या एक बार और लन्द बाहर निकाल कर फ़िर से भीतर घुसाऊँ?" जमील बोला-"दिखा तो ठीक-ठाक हीं, पर एक बार और दिखा दोगी तो मेहरबानी होगी।" सानिया फ़ट खड़ी हो गयी और मेरा लन्ड एक ’फ़क्क’ की आवाज के साथ उसकी टाईट चूत से निकल गया। सानिया एल बार फ़िर उसको पकड़ी और फ़िर से उसको अपने बूर की छेद से भिरा कर धीरे-धीरे घुसाई और इस बार उसकी नजर अपने बाप पर थी, और जमील की नजर फ़िर से सानिया के गोरी बूर और उसमें घुसते मेरे साँवले लन्ड पर थी। जब पुरा भीतर घुस गया तो सानिया बोली-"अब तो सब देखे ना अब्बू, अब देखिए कैसे मैं इस लन्ड को अपने बूर से मथ देती हूँ, एक मथानी की तरह", और सानिया अपना कमर हल्के-हल्के गोल-गोल घुमाने लगी और मेरा लन्ड लगभग आधा बाहर निकल जाता फ़िर भीतर घुस जाता। आज सानिया बिल्कुल नये जोश में थी। कुछ हीं क्षण में उसके मुँह से सिसकी निकलने लगी। उसकी मस्त आवाज मुझे भी मस्त बना रही थी। करीब ५ मिनट बाद सानिया थक गयी और बोली-"अब चाचू आप चोदो मुझे उपर से थक गयी, मैं अब नीचे लेटुँगी।" सानिया मेरे उपर से हट गयी। उसकी बूर से निकल रहा पानी मेरे लन्ड से लिपटा हुआ था और एक हल्की से धार उसकी बूर से निकल कर उसकी जाँघों पर फ़ैल रही थी। मैंने उसको सीध ठीक से लिटाया और कह-"अभी हीं थक गयी, आज तो मेरा "चुदाई स्पेशल" का प्लान है। क्यों जमील, अब पता चला कि तुम्हारी लाड़ली बेटी कैसा माल है?"
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01-13-2019, 11:19 PM,
#54
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैंने उसकी चुदी हुई बूर पर अपना मुँह रख दिया और आराम से उसकी चूत के मदन रस का पान करने लगा। सानिया अब सनसनी से भर रही थी। मुझे बार-बार उपर आ कर चोदने को बोल रही थी, पर मैं भी पक्का चुदक्कड़ था, ऐसे लड़की की बात कैसे मान लेता वो भी तब जब उसका बाप सामने बैठ कर बेटी की निगरानी कर रहा हो कि बन्दा उसकी बेटी को ठीक से चोद रहा है या नहीं। सानिया की बूर को चुस-चाट कर साफ़ करने के बाद एक दम ताजे जोश के साथ मैंने अपना लन्ड साली की चूत में पेल दिया और लगा उपर से उसकी चुदाई करने। वह अब गले से आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह की आवाज निकाल रही थी। मैं सानिया की सपाट पेट कर अपना हाथ रख कर तेज गति से उसकी बूर चोद रहा था, और देख रहा था कि जामील साला लगातार सानिया के चेहरे और उसकी चुद रही बूर पर नजर गड़ाए हुए है। मैंने पूछा-"ठीक से चोद रहा हूँ न तुम्हारी बेटी जमील कि नहीं?" अब पहली बार हम दोनों की नजर मिली। उसके चेहरे पर अजीब से लाज, और घबड़ाहट और एक्साईट्मेंट के भाव दिख रहे थे। पट्ठा अब यहाँ से भागने वाला नहीं था। मैंने फ़िर पूछा-"कैसी लग रही है बेटी की चुदाई? ठीक है या कमी है कुछ मेरे चुदाई में?" वो बोला-"अब यह तो सानिया हीं बताएगी।" सानिया बोली-"ओह चाचू, चोदो मुझे जोर-जोर से चोदो। मेरी बूर का भोंसड़ा बना दो आज।" मैं बोला-"पहले पापा को बता कि मैं उसकी बेटी को ठीक से चोद रहा हूँ या नहीं?" सानिया-"आह अब्बू, चाचू बहुत अच्छा चोदते हैं, मैंने जिनसे भी चुदाया है आज तक चाचू इज द बेस्ट। आपको देख कर मजा आ रहा है या नहीं?" मैं सानिया को अब पलट रहा था, फ़िर मैंने उसकी चुतड़ को उपर उठा दिया और उसकी गाँड़ की छेद को ऊँगली से सहलाने लगा तो सानिया बोली, "नहीं वो सब नहीं अभी मेरी बूर की खुजली मिटाओ साले भड़ुए।" मैं भी उस पर चढ़ गया। पीछे से उसकी बूर थोड़ा ज्यादा ही सुन्दर दिखती थी तो मैंने जमील को कहा कि वो एक बार थोड़ा नीचे झुक कर देखे कि कैसे उसकी बेटी के बूर को पीछे से मैं चोद रहा हूँ। जमील साला, दुनिया की सारी मर्यादा भूल कर नीचे झुक गया और मैं उसकी बेटी को चोदता जा रहा था लगातार। घच-घच-फ़च-फ़च की आवाज से सारा कमर गुँज रहा था। मेरी जाँघ सानिया की चुतड़ पर थाप दे रही थी और सानिया हर थाप के साथ जैसे एक हलके आआअह्ह का आलाप कर रही थी। जमील साला आराम से नीचे बैठ कर अब अपनी बेटी की चुद रही बूर को मजे से देख रहा था। करीब २० मिनट से मैं सानिया की बूर चोद रहा था लगातार और अब मैं पहली बार झड़ने वाली स्थिति में आ गया था। जब मैंने कहा कि अब कहाँ लोगी तो वो तुरन्त बेझिझक बोली "मुँह में" और झट मेरे लन्ड के लिए मुँह खोल दी। मैं मुँह तक लन्ड पहुँचाऊँ उसके पहले हीं पहली पिचकारी छुट गयी और सब माल उसके चेहरे पर नाक और बाँए गाल कर फ़ैल गया। पर दुसरी और तीसरी पिचकारी जो छूटी वो सही निशाने पर गयी, सानिया की मुँह में। सानिया अब अपने जीभ चाट चाट कर मेरा लन्ड साफ़ की और फ़िर अपनी ऊँगली से अपने गाल पर के माल को भी पोंछ कर चाट लिया। एक-दो बुँद जो उसकी छाती पर गिरा उसे किसी ब्लू-फ़िल्म की हीरोईन की तरह उससे अपने चुची पर मलिश कर ली। मैं तो वियाग्रा की जोश में था और मेरा लन्ड ५% के करीब हीं ढ़ीला हुआ था। मैंने एक बार फ़िर सानिया को लिटा दिया और उस पर चढ़ गया। सानिया को ऐसी उम्मीद नहीं थी। वो जब तक समझे, तब तक तो मैं एक बार फ़िर अपना लौंड़ा उसकी बूर में पेल कर उसकी बूर की चुदाई शुरु कर चुका था। वो बस आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह इइइइस्स्स्स्स्स्स्स जैसे हीं शब्द बोल रही थी।
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01-13-2019, 11:19 PM,
#55
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. जमील भी मेरे इस जोश को देख चकित था। सानिया की बूर कई बार थड़थड़ाई, वो भी चरम सुख पा चुकी है, मुझे पता चल गया पर अभी रुकने का नाम भी नहीं लेने वाला था मैं। सानिया अब थोड़ा शान्त हुई थी, पर जल्द हीं मैं उसको पलटा और घोड़ी बनने को कहा। वो पोजिशन ले ली तो मैं उसकी चूत को चुसना शुरु कर दिया। खुब चुस-चुस कर उसके चूत के नमकीन लिसलिसे पानी को मजा लिया। उसकी बूर की खट्टी महक में अब उसके बदन के पसीने की महक भी थी। पर जब मेरे जैसे मर्द पर चुदासी चढ़ी हो तो ऐसी महक सिर्फ़ और सिर्फ़ खुश्बू हीं लगती है। फ़िर मुझे एक बात सुझी, मैंने जमील को कहा-"आओ एक बार सुँघ कर देखो अपनी बेटी की बूर। कैसी मस्त खुश्बू निकल रही है इस छेद से। अभी-अभी झड़ी है।" जमील बेशर्म हो कर पूछा-"क्या सच में तुम झड़ी हो बेटा?" सानिया हाँफ़ते हुए बोली-"हाँ अब्बू, चाचू बेजोड़ हैं।" जमील पास आया और झुक कर सानिया की बूर सुँघा। मैंने कहा-"साले एक बार टेस्ट को कर", तो वो अपने जीभ को सानिया की खुली हुई बूर पर नीचे से उपर तक दो बार चलाया। मैंने कहा-"अब हट साली घोड़ी बनी हुई है, पहले सवारी करने दे। मैं पीछे से उस पर चढ़ गया और अपना टनटनाया हुआ लन्ड गच्च से उसकी बूर में पेल दिया। मैंने उसके बाल को पकड़ कर पीछे खींचते हुए एक बार फ़िर से उसकी चुदाई शुरु कर दी। बाल खींचने से उसका चेहरा उपर उठ गया और उसका लाल भभुका चेहरा उसके बाप के सामने था। आँख बन्द था, औए मुँह खुला हुआ। साली को हल्का सा दर्द देने के लिए मैंने बाल को जोर से खींच दिया और वोह करह उठी, पर अब तो उसको इन दर्दों की परवाह हीं नहीं थी। जमील को उसका दर्द महसूस हुआ और वो बोल पड़ा-"बाबू धीरे से खींचो, बेचारी को दर्द हो रहा होगा।" मैंने अपनी पकड़ अब तक वैसे भी ढ़ीली कर दी थी। पर सानिया बोल पड़ी-"आह चाचू ऐसे हीं करो, कोई दर्द नहीं हो रहा मेरी चूत में आग लगी हुई है, जल्दी उसको बुझाओ। चोदो खुब चोदो मेरी चूत। आपको मजा दे रही है कि नहीं मेरी चूत। फ़ाड़ दो आज इसको चोद कर, आप भी आज बहुत जोश में हैं। अब्बू के सामने चूत फ़ट भी जाए तो कोई गम नहीं। आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चोद साले मादरचोद साले हरामी, साले हरामजादे, चोद मादरचोद खुब चोद जोर से चोद देखती हूँ कितना दम है साले।" मैं अब उसकी कमर को पकड़ कर तेज धक्के लगाने लगा और दुसरी बार उसकी चूत थड़थड़ाई, वो फ़िर से झड़ी थी और यह सोचते हीं मेरी भी पिचकारी छुट गयी, पर इस बार मैं नहीं रुका। जब मेरा सफ़ेद सा लिसलिसा माल उसकी बूर से हल्का सा बाहर की तरफ़ आया तो जमील उठ खड़ा हो गया-"यह क्या किया यार, इसके भीतर निकाल दिए, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं तो कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहुँगा।" मैं अभी भी वैसे हीं पम्प किए जा रहा था। जोश में बोल उठा-"साले आज जब बाप के सामने बेटी चुदे तो मैं क्यों डरूँ, इतने दिन बाद आज एक बार इस रन्डी की बूर में माल निकालने तो दे। अब इसको भीतर दूर तक पहुँचाना है। चल साली सीधा लेट हरामजादी, अब उपर से पेलुँगा तब यह सब माल तुम्हारी बच्चादानी तक पहुँचेगा।" सानिया तुरन्त पलट गई और अपने अब्बू की तरफ़ चेहरा करके बोली-"आप की बदनामी नहीं होगी अब्बू, आप परेशान नहीं होईए।" जमील हकलाते हुए बोला-"पर अगर बेटी कोई बच्चा रह गया तब क्या होगा। अब तुम बच्ची नहीं हो जान।" मैं उपर से सानिया के बूर के बाहर निकल रहे अपने सफ़ेद वीर्य को अपने लन्ड से समेट कर सब को उसकी बूर के भीतर ठेलते हुए अपना लौंड़ा भीतर घुसा कर उसके चुचियों को मसलते हुए बोला-"हाँ रे जमील तेरी बेटी बच्ची नहीं है। इसीलिए तो इसको चोद रहा हूँ। मस्त लौन्डिया है साली। चुद साली चुद।" और सानिया बोली-"अब्बू आप चिन्ता नहीं कीजिए। अभी एक दिन पहले हीं मेरी पीरियड्स खत्म हुई है, इसीलिए तो मैं आराम से चाचू को अपना माल भीतर गिराने दी। मुझे जब उनका लन्ड धुक-धुकाया था तो पता चल गया था कि अब ये छुटेन्गे। चोदो चाचू, आराम से चोद कर भोगो मेरे चूत को।" मैं ने कहा, "हाँ रे साली, लगातार ४५ मिनट से ठुकाई हो रही है तुम्हारे चूत की पता है तुम्हें।" कहते हुए मैंने उसको बाँए करवट कर दिय और फ़िर उसकी कमर पकड़ कर पम्पिन्ग शुरु कर दी।" थोड़ी देर बाद मैंने कहा, "अब बन कुतिया साली।" सानिया अब थोड़े कातर स्वर में बोली, "चाचू अब आज छोड़ दो, बहुत थक गयी हूँ आज। बहुत दुख रही है मेरी चूत अब।" जमील भी उसका पक्ष लिया। पर मेरे जोश में कोई कमी नहीं थी, सब वियाग्रा का कमाल था। मुझे पता था कि ऐसी मेहनत के बाद अगले दो दिन तक मेरा लन्ड दुखेगा। पर अभी तो मुझे अपना मर्दाना जौहर दिखाना था जमील को उसकी बेटी को पस्त होने तक चोद कर। मैंने सानिया को अपने हाथों से पलटा। वो तकिए के सहारे सिर टिका ली तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत को बिस्तर से थोड़ा उपर उठाया। वो थकी-थकी से मुवमेन्ट के साथ मेरा साथ देने की कोशिश कर रही थी।
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01-13-2019, 11:19 PM,
#56
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसकी बूर को चोदने लगा। उसके मुँह से कराह जैसी सिस्की निकल रही थी। मैं भी सोच रहा था कि अबकि बार इसकी बूर में माल निकाल कर साली को छोड़ दुँगा। मेरे धक्के से साथ उसकी कमर नीचे होती जा रही थी। जल्द हीं वो बिस्तर से लगभग सट गयी और मैं उसके पीठ से चिपक कर तेज झटकों के साथ उसे चोदे जा रहा था। जोर के धक्के के साथ वो सच में एक कुतिया की तरह कींकिया रही थी। मैं बोला-"अब जा कर बनी है तु असल कुतिया रे साली रन्डी। सुन रहे हो जमील, कैसी आवाज निकल रही है इस कुतिया की मुँह से।" सानिया को अब इस सब बात से जैसे मतलब नहीं था। जमील भी चुप-चाप सब देख रहा था कि मैं एक बार फ़िर छुट गया। सानिया के बूर के भीतर हीं मैं फ़िर से अपना माल निकाल था। मैं करीब २० सेकेन्ड तक उसकी पीठ से चिपक कर लेटा रहा फ़िर उसके बदन पर से उठ गया। सानिया अभी भी वैसे ही लेटी हुई थी। मैंने उसको सीधा पलटा और फ़िर उसकी बूर से बह रहे अपने सफ़ेद माल को अपनी ऊँगली से काछ कर फ़िर से उसकी बूर में डाल दिया। सानिया निढ़ाल सी पड़ी थी तो मैंने एक-एक कर के अपनी दो उँगली उसकी ताजा चुदी चूत में घुसा दिया और हल्के हल्के उँगली से उसकी बूर की मासिल शुरु कर दी। वो बिल्कुल निश्चल लेटी हुई थी तो मैंने अपनी उँगली से उसकी जी-स्पौट की तलाश शुरु कर दी। जल्दी हीं सानिया का बदन हरकत में आया तो मैं समझ गया कि मुझे उसका जी-स्पौट मिल गया है। मैं अब जोर-जोर से उसके बूर के भीतर के इस जादुई बिन्दु को अपनी बीच वाली उँगली से कुरेदने लगा। सानिया फ़िर से करह उठी और १० सेकेन्ड के भीतर स्खलित हो गयी। उसके मुँह से सिर्फ़ एक उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकली और उसकी आँख बन्द हो गयी। मैंने सानिया का चेहरा थपथपाया और पूछा-"मजा आया बेटा आज? बोल न मेरी जान, मेरी बुलबुल।" सानिया ने आँख खोली, उठी और मेरे सीने से लिपट गयी। मुझे मेरे सवाल का जवाब मिल गया। मैंने कहा-"अब बेटा, एक बार जमील का लन्ड चुस कर झाड़ दो, साला का लन्ड नहीं तो बहुत दर्द करेगा। क्यों बे जमील, निकाल अपना लन्ड बाहर। मैं अब नहाने जा रहा हूँ, तू चुसवा ले कम से कम आज। फ़िर कभी चोद लेना सानिया। आज इसको छोड़ दो अब।" कह कर हँसते हुए मैं नंगे ही बाथरुम की तरफ़ चल दिया।
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01-13-2019, 11:19 PM,
#57
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
करीब १० मिनट बाद नंगे हीं लौटा तो देखा कि सानिया अपने बूर को जमीन पर बैठ कर अपनी हीं पैन्टी से पोछ रही है और जमील से कुछ बात कर रही है। मुझे ऐसे आते देख जमील बोला, "कपड़ा क्यों नहीं पहने?" मैंने मजाक किया, "अभी तेरी बेटी चोदनी है दो-बार कम से कम और निकालुँगा उसकी चूत के भीतर तब जाकर मेरा लन्ड मानेगा।" सानिया अब सच में डरी हुई आवाज में बोली-"बाप रे, अब नहीं चाचू प्लीज" और हाथ जोड़ दी, "फ़िर कभी दो क्या चार बार निकल लेना मेरी बूर में पर आज प्लीज माफ़ कर दीजिए।" मैंने उसको दिलासा दिया कि मैं तो मजाक कर रहा था। उसे भी राहत महसूस हुई और वो बिस्तर पर एक साफ़ चादर बिछाने लगी। मैं अब आराम से उसी बिस्तर पर नंगे हीं लेट गया तो जमील वहाँ से उठा और अपना एक पैजामा लाकर मुझे दिया। असल में मैं वहाँ रात गुजारने की नीयत से आया नहीं था। मैं जमील का पैजामा ले कर अपनी साईड में रख लिया और उसको गुड-नाईट बोला। वो समझ गया कि अब उसको वहाँ से जाना चाहिए। मैं आज सारी रात सानिया से नंगे चिपक कर सोना चाहता था। जब तक सानिया नहीं आई, मैं अपने शानदार किस्मत के लिए भगवान को धन्यवाद देता रहा कि आज मेरी वर्षों की शाध पूरी हुई थी। आज मैंने सानिया को उसके बाप के सामने चोदा था। मैं तो सानिया के बारे में तरह-तरह की बातें सोच-सोच कर कई सालों से मूठ मारता रहा था, ऐसा तब से मैं करता रहा था जब से सानिया १५ साल के करीब हुई थी और उसकी चूची के उभार उसकी शर्ट में से दिखने लगे थे। पर तब की सोच में भी कभी यह नहीं सोचा था की जमील की बेटी को एक दिन ऐसे चोदुँगा और साला जमील सामने बैठ कर अपनी बेटी को मुझसे चुदाते देख कर ऐसे खुश होगा और मजा लेगा। अब तो मैं सोचने लगा था कि कैसे जमील को अपनी बेटी चोदते हुए देखूँ। करीब १५ मिनट बाद सानिया कमरे में आई। वो एक सफ़ेद साटन की हल्के बेल-बूटे की कढ़ाई वाली नाईटी पहने थी। मुझे नंगा देख कर उसे आश्चर्य हुआ और उसे लगा की कहीं मैं फ़िर से उस पर न चढ़ जाऊँ। वो मुझे ऐसे देख कर थोड़ा ठिठकी तो मैंने उसे कहा कि असल में मैं आज उसके साथ नंगे ही चिपक कर सोना चाहता हूँ। वो मुस्कुरा कर पूछी-"क्यो?" तो मैंने कहा, "असल में आज का दिन स्पेशल है। आज पहली बार जामील के सामने मैं तुम्हें चोदा हूँ। उसकी मर्जी से मैं आज उसकी बेटी के बेडरुम में हूँ और सारी रात उसकी जानकारी में मैं उसकी बेटी के साथ सोऊँगा। तो आज को पुरी तरह से यादगार बनाने के लिए जरुरी है कि हम दोनों हीं सारी रात नंगे रहे। पर तुम डरो मत तुम थक गयी हो, मुझे पता है इसलिए मैं तुम्हें परेशान नहीं करुँगा", कहते हुए मैंने उसकी नाईटी उतार दी। नाईटी के भीतर तो सानिया को कुछ पहनना नहीं था और न वो पहनी थी। मैंने उसको एक भरपुर चुम्मा लिया और फ़िर बाहों में समेट लिया और हम दोनों सो गए।
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01-13-2019, 11:20 PM,
#58
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
अगली सुबह जब जागा तो सानिया का सेक्सी बदन देख मस्ती छा गयी। रात की बात याद आई और मेरा लन्ड उठान लेने लगा। मैनें अपने लन्ड को अपने हाथ से हिला-हिला कर कड़ा किया और फ़िर सानिया को पलट कर सीधा कर दिया। उसके जाँघ खोले और फ़िर तभी सानिया कुनमुनाई और जब तक वो ठीक से जागे मैं अपना लन्ड उसके बूर में घुसाना शुरु कर चुका था। वो शान्त रही और मैं ही अपनी लन्ड की प्यास बुझाता रहा। करीब १४-१५ मिनट तक लगातार धक्के लगाता रहा और उसके होठ चुमता और चुची से खेलता रहा। फ़िर मैं उसकी बूर में अपना माल निकाल दिया। इसके बाद अपना लन्ड बाहर निकाल कर सानिया की नन्हीं झाँटों पर उसको पोछ कर साफ़ किया और सानिया पर से उतर गया। सानिया भी एक अंगराई ली और नंगे बदन उठ कर बाथरुम में चली गयी। मुझे जोर की पेशाब महसूस हुई तो मैं जमील के रुम की तरफ़ गया। वो अभी-अभी सो कर उठा था। मुझे नंगे ही कमरे में आते देख अचकचाया। मैंने उसको आँख मारी और उसके बाथरुम में घुसते हुए बोला-"उस बाथरुम में मेरी बेटी गयी हुई है, अभी तु ५ मिनट सोया रह, तब तक मैं फ़ारिग हो कर आता हूँ।" मैं बाथरुम में जाने के बाद पेशाब-टट्टी वगैरह करके बाहर आया तब जमील सानिया को आवाज लगा कर बोला-"सानिया बेटा चाय यहीं ले आओ, इसी रुम में", फ़िर मुझे बोला-"अब तो कपड़ा पहनो यार।" उसके आवाज में थोड़ी कोफ़्त थी। मैं बोला-’अरे दोस्त मैं तुम्हारा पैजामा नहीं कह्राब किया हूँ कि क्या एक रात सिर्फ़ सोने के लिए तुम्हारे ऐसे साफ़ पैजामे की ऐसी की तैसी करूँ। और दोस्त सोना भी तो सानिया जैसे माल के बगल में था।"
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01-13-2019, 11:20 PM,
#59
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैं कुछ और बोलता कि सानिया चाय ले कर आ गई। हम सब चाय पी रहे थे कि मैंने जमील से पूछा, "तब प्रो० जमील अहमद खान, अब आप बताईए कि आप अपने लन्ड से अपनी बेटी की बूर को कब चोदने का प्लान कर रहे हैं। मुझे पहले से पता रहेगा तो तैयार हो कर बैठुँगा। बेटी को बाप से चुदाते देखने का मौका बार-बार थोड़े न आता है।" सानिया सब सुन मुस्कुरा दी और जमील थोड़ा हिचकते हुए कहा-"सोच रहा हूँ कि जब पहली बार सानिया के साथ करुँ तो ऐसा कुछ हो कि यह यादगार बन जाए। पर यार यह सब तुम्हारे सामने मुझसे नहीं होगा। मैं तो बल्कि पहली बार बत्ती बुझा कर अँधेरे में ही सानिया की छेद में घुसा सकुँगा। सौरी दोस्त, पर किसी के सामने सानिया के साथ मेरे से यह सब नहीं होगा। सामने बैठ कर देखना अलग बात है पर खुद अपनी बेटी की बूर में लन्ड पेलना अलग बात।" सानिया यह सुन कर बोली-"मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मुझे चुदाने में मजा आता है, इसलिए मैं मर्द से चुदवाती हूँ। लन्ड जब तक मेरी बूर की जोरदार मालिश करता रहे मुझे मजा आता है और लन्ड किसी का हो क्या फ़र्क पड़ता है।" ऐसी हीम बातों के बीच तय हुआ कि अगले वीकेन्ड पर हम सब किसी रीसौर्ट पर चलेंगे और वहीं सानिया जमील से चुदेगी। रिसौर्ट बूकिंग का जिम्मा मुझे मिला। मैंने सुरी की मदद से शिमला के पास एक रिसौर्ट बुक किया। दो रुम वाले एक कौटेज को चुना। वहाँ ऐसे ५ कौटेज थे और अक्सर वहाँ विदेशी सैलानी आते रहते थे। पीछे व्यास नदी बहती थी। बह्त हीं शान्त माहौल था वहाँ, एक दम एकान्त। मैंने फ़िर रागिनी से बात की। मुझे लगा कि उसको साथ ले जाने से मेरा मजा पक्का हो जाएगा। मुझे शक था कि वहाँ कहीं जमील अगर सानिया पे फ़िदा हो गया तो मुझे सानिया को चोदने का मौका कम हीं मिलेगा। वैसे भी मेरा इरादा ऐसे शान्त महौल में सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़की चोदने का हीं था। रागिनी को जैसे मेरे कौल का इंतजार था। तुरन्त तैयार हो गयी। रागिनी से मैं वैसे भी करीब एक महिने से मिला नहीं था। खैर मैंने जाने से एक दिन पहले अपने झाँट बिल्कुल साफ़ कर दिए। रागिनी और सानिया दोनों के लिए मेरा बिना झाँट वाला लन्ड बिल्कुल नया दिखने वाला था। सीने के बाल भी साफ़ कर लिए। करीब ७ बजे सुबह हम निकले और रास्ते से हीं रागिनी को पिक-अप कर लिया। उसे मैंने बताया नहीं था कि सानिया और जमील भी साथ हैं, पर गाड़ी में उन दोनों को देख कर वो चकित रह गई। उसे आश्चर्य हो रहा था उस बाप-बेटी को एक साथ देख कर। फ़िर जब मैंने कहा कि यह ट्रीप उन्हीं दोनों के लिए है। दोनों बाप-बेटी पहली बार एक-दुसरे के साथ सेक्स करेंगे वहाँ, तो रागिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी। सच कहूँ तो मुझे या किसी को भी जो जमील को जनता था यकिन नहीं होता कि जमील अपनी बेटी को चोद लेगा। रागिनी के मुँह से कुछ समय के बाद निकला-"दीदी, क्या सच में?" सानिया चहकते हुए बोली-"हाँ रागिनी, आखिर मेरा सेक्सी बदन अब्बू के भीतर आग लगा हीं दिया। खुब मजा आएगा उनके साथ। मैंने इस बात की कल्पना कई बार की है, अब जाकर यह सच होगा। मैं तो अब्बू को बोली एक दिन जब चाचू के साथ सेक्स किया कि वो भी आ जाएँ, पर अब्बू नहीं तैयार थे कि वो चाचू के सामने मेरे साथ करें। अभी-अभी उनका इरादा अकेले में एक बन्द कमरे में मेरे साथ सेक्स करने का है।" जमील सब सुन रहा था पर खिड़की की तरफ़ चेहरा घुमा कर बाहर का नजारा देख रहा था।
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01-13-2019, 11:20 PM,
#60
RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
रागिनी अब थोड़ा मायुस जैसे बोली-"क्या दीदी, क्या हम लोग तुम दोनों को नहीं देखेंगे। मुझे लगा था कि हम दो लड़कियाँ और ये दोनों मर्द एक साथ हीं चुदाई करेंगे। बड़ा मजा आता अगर ऐसे होता।" सानिया बोली-"नहीं ऐसी बात नहीं है, अब्बू को मेरे साथ सेकस करने में थोड़ी हिचक है, पर एक बार करने तो दो, उसके बाद तो वो मेरे बूर की गुलामी करेंगे, देख लेना।" दोनों मस्त माल अब एक साथ हँस पड़ी। एक जगह हम सब ने चाय पी। और उसके बाद दोनों लड़कियाँ पीछे की सीट पर बैठ गई और फ़िर एक दुसरे के बदन से खेलने लगीं। मैं कार ड्राईव कर रहा था और बीच-बीच में उन्के खेल भी देख रहा था। जमील भी कभी-कभी कनखियों से उनकी तरफ़ देख लेता था। जल्दी हीं दोनों नंगी हो गयी और फ़िर चुचियों से खेलते-खेलते कब वो एक दुसरे की बूर में ऊँगली करने लगी, शायद उन्हें भी पता नहीं चला। करीब एक घन्टे बाद दोनों पस्त हो गई। शाम को करीब ४ बजे हम सब रीसोर्ट पहुँचे। वहाँ का मैनेजर हम-सब को देख मुस्कुराया। उसने दो अँधेड़ उम्र के मर्द के साथ को कम्सीन लड़कियाँ देखी तो मुस्कुराया। वैसे भी सुरी के जरिए बूकिंग हुई तो उसको यही लगा की हम दोनों मर्द अपने साथ सुरी की कौलगर्ल हीं साथ लाए हैं। औपचारिकताओं के बाद उसने कहा कि आपका कौटेज रेडी है, आप अभी चाय-वाय लेंगे या फ़िर एक बार रास्ते की थकान उतारने के बाद चाय पीयेंगे। फ़िर उसने सानिया से कहा-"तुम लोग को कुछ चाहिए या सब चीज साथ है?" सानिया को कुछ समझ नहीं आया पर रागिनी अब तक पक्की रंडी बन चुकी थी। वो समझ गई और बोली-"नहीं अभी सब चीज है हमारे साथ" और जब हम लोग अपने कौटेज की तरफ़ जा रहे थे तब उसने सानिया को समझाया कि वो मैनेजर कंडॊम के बारे में पूछ रहा था हम दोनों से। मैंने तब कहा-"मुझे तो कंडोम के साथ लड़की चोदने में मजा हीं नहीं आता है, क्यों जमील तुम बोलो, क्या तुमको सानिया को चोदने के लिए कंडोम चाहिए?" जमील अब शर्मा गया तो सानिया बोल पड़ी-"नहीं आज पहली बार अब्बू से चुदाना है तो पुरा और एक दम असली चुदाई कराऊँगी। अब्बू आप मेरे साथ आज सुहागरात मनाना, मेरी बूर के भीतर ही अपना माल निकालना। आज के चुदाई की तैयारी में पिछले तीन दिन से लगातार मैं अपने झाँट साफ़ कर रही हूँ और अपने बूर की मालिश जैतुन के तेल से कर रही हूँ। आपका लण्ड मेरे ले स्पेशल है। इसी के रस से मेरी पैदाईश है, और आज मैं अपने बीज को अपने अंदर लुँगी, कसम से कह देती हूँ।" साली पुरा गरम थी अपने बाप से चुदाने के लिए। मैं तो रुम मे आने से पहले ही रागिनी की चुतड़ सहलाने लगा और जब वो मैनेजर हमारा कौटेज खोल रहा था तब मैंने बेशर्मी के साथ रागिनी की चुचियाँ मसलनी शुरु कर दी। जमील बोला-"यार, थोड़ा वेट करो, बगल के कौटेज में भी लोग होंगे।"
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