01-13-2019, 11:11 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.फ़िर उसको अपने ह्थेली में ऐसे फ़ैलाया कि उसकी चूत से सटा हुआ भाग एक दम सामने हो गया और फ़िर मैं अपने हाथ को जमील के नाक के सामने कर दिया। जमील हल्के से सुँघा तो मैंने उसको उकसाया, "अबे साले जोर से सुँघ ना, देख तो अभी भी सानिया की बूर की बू, इसमें से आ रही है। एक बार देख तो ले कि कैसी खुश्बू है तुम्हारे जवान बेटी की बूर में। कसम से कहता हूँ यार, इस कुँवारी जुली की बूर से जरा भी कम न है तेरी बेटी की चूत।" अब जमील ने जोर की साँस खींची, आँख बन्द और चेहरे पर मस्ती। आज पहली बार एक बाप को अपनी जवान बेटी की बूर के पानी की ऐसे खुश्बू लेते देख मेरा लन्ड टनटनाने लगा। वो जमील अब पक्का बेटीचोद दिख रहा था मुझे और मैं अब सोचने लगा कि कैसे साले की बेटी को उसी हरामी के सामने चोदुँगा। मेरा लन्ड यह सब सोच ठनक गया और दो-चार ठुनकी भी लगा दिया। जुली सब सुन कर कुछ समझने लगी और वो भी अब जमील के चेहरे के भाव देख रही थी। वो अब पैन्टी को नाक से सटा कर सुँघ रहा था और उसे हल्के से अपने नाक और होठ पर घुमा रहा था। मैंने कहा-"चाट ले यार, टेस्ट कर ले अपनी बेटी की बूर का पानी" और जमील सच में पैन्टी को उसी जगह पर चाटने लगा जहाँ सानिया के बूर की पुत्ती सटी हुई थी उस पैन्टी से। मादरचोद अब हरामीपन की हद कर रहा था और मैंने जुली को कहा कि वो अब प्लीज मेरा लन्ड चुस कर झाड़ दे, मैंने उसको इसके अलग से पैसे का वायदा किया। जुली खुशी-खुशी मेरे पास आ गयी और मेरे लन्ड को बाहर निकाल कर चुसने लगी। मैं सानिया के बदन के बारे मेम सोचने लगा। जमील साला पता नहीं क्या सोच रहा था। मैंने देखा कि वो खुद अपने हाथ में अपना लन्ड पकड़ कर मुठ मार रहा था और पैन्टी से खेल रहा था। मैं समझ गया कि अब साला बेटीचोद अपनी बेटी सानिया के बारे में सोच कर मुठ मार रहा है। मेरे और जमील दोनों के लन्ड से लगभग साथ हीं माल निकला। मेरा सब जुली के हथेली पर फ़ैल गया जबकि जमील ने अपना माल सानिया के पैन्टी के उपर गिराया और फ़िर उसी पैन्टी से अपना लन्ड पोंछा। मैंने अब उससे पूछा-"अब बतओ, कब समय देते हो मुझे?" उसने पूछा-"किसलिए?" मैंने याद कराया कि अब जब वो एक लड़की की सील तोड़ चुका तो शर्त के हिसाब से अब उसको अपनी बेटी को मुझसे चुदाते हुए देखना था।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.यह सुन कर जमील फ़िर संकोच में पर गया, "यार यह मुझसे नहीं होगा, बदले में तुम जो कहो। तुम तो उसके साथ कर हीं रहे हो। जितना चाहो करो, पर मुझे बहुत शर्म आयेगी उसको यह सब करते देखते हुए। वो भी तो शर्माएगी मेरे सामने।" मैंने कहा-"अरे नहीं साले, सानिया तो बेचैन है तुमसे चुदाने के लिए और तू है कि शर्मा रहा है। वो बहुत मस्त लड़की है दोस्त। जब मैंने कहा कि आज तुम फ़िर मेरे घर पर एक लड़की चोद रहे हो तो उसने कहा कि काश कि वो तुमसे चुदा पाती। तब मैंने कहा कि एक बार वो तुम्हारे सामने मुझसे चुदा ले। शायद हम दोनों को देख कर तुम्हें भी उसको चोदने की हिम्मत हो जाए।" पर मेरे कई बार कहने पर भी जमील तैयार नहीं हुआ। तभी जुली की माँ उसको लेने आ गयी। जमील ने जुली को ५००/- बख्शीश के तौर पर दिए और फ़िर आगे मिलने का वायदा भी किया। तभी जमील की बीवी का फ़ोन आ गया। पता चला कि वो अगले दिन आ रही है, दो दिन के लिए। मुझे लग गया कि अब अगले दो दिन तक कुछ नहीं होगा। इसके बाद जमील भी अपने घर की तरफ़ चल दिया। जमील की बीवी दो नहीं बल्कि पाँच दिन रही और फ़िर उसके जाने के दो दिन बाद शनिवार को शाम में मैं जमील के घर पर था। एक बार फ़िर से हमारे साथ एक बोतल था और था दो ग्लास। लगभग ८ बजे थे और सानिया पूछी कि क्या आप लोग को कुछ चाहिए, मैं नहाने जा रही हूँ। वो एक सफ़ेद गाउन पहने थी। जमील ने कहा-"नहीं, तुम जाओ" और मैंने कहा कि वो पास आए। सानिया मुस्कुराते हुए पास आयी तो मैंने उसको कहा कि वो एक पैग अपने हाथ से बना दे हमारे लिए। वो जब हमारे लिए पैग बना दी तो मैंने कहा कि अब एक घुँट अपने हाथ से पिला भी दे। सानिया आराम से मेरे पास आयी और ग्लास आगे बढ़ाया तो मैंने उसकी कमर पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा। मेरा इशारा समझ सानिया मेरे गोदी में बैठ कर ग्लास मेरे होठों से लगायी। मैंने भी अपना एक हाथ गाउन के उपर से हीं उसकी चुची पर रख कर उसके बाप के सामने ही उसकी मस्त गोलाई से खेलने लगा। जमील का चेहरा अजीब हो रहा था। उसने सानिया को वहाँ से जाने को कहा। मैं सब देख रहा था। मैंने सानिया को कहा, "अब जरा मेरे यार को भी अपने हाथ से पिला दो एक बार। साला मेरा सुख देख चिढ़ रहा है।" सानिया उठी और बरे आराम से अपने बाप की गोदी में बैठ गयी और उसका ग्लास उठा कर मुँह से लगा दिया।
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01-13-2019, 11:17 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. जमील अचकचाते हुए पीने लगा तब मैं आगे बढ़ कर जमील की गोद में बैठी सानिया की जाँघ पर हाथ रख दिया। जमील को अंदाजा नहीं था कि उसकी गोद में बैठी उसकी अपनी मस्त जवान बेटी की जाँघ को मैं सहला रहा हूँ। मैं अब हल्के-हल्के उसके गाउन को उपर कर रहा था। जब उसका दाहिना जाँघ पुरा नंगा हो गया तब जमील को पता चला कि मैं उसकी बेटी के साथ क्या कर रहा हूँ। वह तुरन्त गाउन को नीचे कर के सानिया की नंगी जाँघ को ढ़क दिया और सानिया से जोर से कहा कि वो नहाने जाए। सानिया को भी लगा कि जाना चाहिए तो वो चल दी। मैंने अपनी जिस हथेली को उसके जाँघ पर मला था उसे सुँघा-"वाआआअह...."। जमील यह सब देख कहा-"बाबू, अब ये सब नहीं करो।" मैंने कहा-"क्यों? सानिया को तो बहुत मजा आता है। बहुत मस्त हो कर चुदाती है मेरे से। यार इस मस्त माल को मस्ती लेने दो और तुम भी इस मस्त चीज की छेद में गोते लगाओ। लन्ड हरा हो जाएगा, जवानी आ जायेगी ऐसा माल अगर दस दिन चोद लोगे, कसम से।" जमील बोला-"नहीं बाबू, अब ये सब नहीं। अब सानिया किसी के साथ नहीं करेगी यह सब। सोचो यार, जैसी भी है मेरी बेटी है। तुम्हारे बेटी के जैसी है। वो जवानी के जोश में कुछ कर ली, पर हम लोग को तो होश में रहना चाहिए।" मैंने कहा-"अबे अगर वो जवान है, और वो खुद मुझे लाईन दी है तो मैं क्यों ना चोदूँ उसको। और रही बात कि वो तेरी बेटी है, तो बता जरा जिस किसी को मैं चोदुँगा वो किसी न किसी की बेटी तो होगी। तू भी तो साले अब तक जो लड़की को चोदा वो भी तो किसी की बेटी है। यार दुनिया में ऐसा हीं है, सब एक दुसरे की बेटी को चोदते रहते हैं। पर यार बहुत कम लोग होते हैं जिनको अपनी बेटी को चोदने का मौका मिलता है। तुम्हारी तो बेटी ऐसी सुन्दर है, हूर है हूर। और सब से बड़ी बात कि वो खुद तुम से चुदाने को बेचैन है तो चोद लो एक बार फ़िर देखना, साले तेरा लन्ड उसकी बूर में हमेशा के लिए फ़ँस जायेगा।" जमील लगा कि अब रो पड़ेगा, "नहीं बाबू, अब जो तू इस बारे में कुछ भी बोला तो हमारी दोस्ती खत्म।" उसकी इस बात पर मैं चुप हो गया और फ़िर अपना ग्लास खाली कर चुप-चाप चल दिया। अगले दिन रविवार था और सानिया दोपहर में मेरे घर आयी। उसको लग गया था कि रात में कुछ हुआ है, जो अच्छा नहीं है। मैंने सब बात सानिया को बता दिया और बोला कि अब आगे उसे ही कुछ करना होगा जिससे जमील के लन्ड में सानिया के लिए सुरसुरी पैदा हो। सानिया सब सुन कर बोली-"ठीक है, अब मै हीं कोशीश करुँगी कि अब्बू अब कुछ करें। अगर कुछ न हुआ तो उनका बलात्कार कर दुँगी पर अब एक बार उनसे जरुर चुदाउँगी।" फ़िर अचानक उसके शब्द गंभीर से चंचल हो गये और कहा कि अब एक बार जल्दी से मुझे मस्ती का जाम पिलाईए तब जाऊँगी और फ़िर अपना लौंग स्कर्ट उठा कर, पैन्टी नीचे ससार कर अपना चुतड़ मेरी तरफ़ कर के झुक गयी। मैं इशारा समझ पीछे से उसकी चूत चाटने लगा और साथ ही अपने लन्ड को हल्के हल्के हिलाने लगा। लन्ड में जब सुरुर आ गया तो मैंने उसे उसकी चूत में पीचे से पेल दिया और फ़िर उसकी मस्त चुदाई शुरु कर दी। साली हल्के हल्के कराह रही थी मस्ती से, आआह आआआह ओ ओह ओ ओह आआह इइइइस्स्स्स्स्स आह। उसके आवाज मुझे जोश दिला रही थी। मैं अब जोर से उसकी बूर में लन्ड पेलने लगा था। हच हच फ़च फ़च की आवाज होने लगी थी। हम दोनों सब कुछ भूल कर एक दुसरे के शरीर का भोग कर रहे थे। मेरा अब निकलने वाला था, तो मैंने लन्ड बाहर खींच लिया। पर सानिया ने एक बार फ़िर मेरा लन्ड भीतर घुसा लिया और बोली, "आज चाचू अपना सब माल मेरे चूत में निकालो।
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01-13-2019, 11:18 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. तुम्हारा माल अपने चूत में पैक कर के घर ले जाऊँगी।" मैंने कहा-"अगर बच्चा ठहर गया तो"। उसने बेशर्मी से कहा-"तुमसे निकाह कर लुँगी। तुम्हारा बच्चा पैदा करुँगी।" यह सुन कर मैं और मस्त हो गया और अपना सब माल उसकी गोरी-चिट्टी चूत के भीतर उड़ेल दिया। जब लन्ड बाहर निकला तो मेरा लसलसा सफ़ेद माल उसकी चूत से बाहर बह निकला तो वो उसको अपने हाथ से समेट कर वापस अपने चूत के भीतर डाल ली और फ़िर अपनी पैन्टी पहन ली। उसकी पुरी पैन्टी गीली हो गयी पर वो उस गीली पैन्टी के उपर से ही सल्वार पहन ली। फ़िर मेरे होठ चुम कर बाहर निकल गयी।...इसके बाद की कहानी एक बार फ़िर सानिया की जुबानी पेश है...। मैं जब घर आयी तो अब्बू शायद मेरा हीं इंतजार कर रहे थे। उन्होंने पूछा, "कहाँ गयी थी दोपहर में बेटी?" मैंने देखा कि उनका मूड बहुत अच्छा है तो मैंने सच कह दिया-"बाबू चाचा के घर"। एक क्षण रुक कर उन्होंने आगे पूछा-"क्यों?" और मैंने फ़िर सच कह दिया-"आपको पता है अब सब। चाचा ने बताया है आपको।" अब अब्बू प्यार से बोले-"हाँ पता तो है पर देखो बेटी यह सब ऐसे ठीक नहीं है। अभी तुम इस सब के लिए बच्ची हो।" मैंने गौर किया कि अब्बू की नजर मेरे बदन पर उपर से नीचे तक फ़िसल रही है। मुझे यह देख अच्छा लगा और मैंने जवाब दिया-"आप को जो लगता हो अब्बू पर अब मैं बच्ची नहीं हूँ, जवान लड़की हूँ और मुझे यह सब अच्छा लगता है इसीलिए करती हूँ। अब तो सप्ताह में एक बार कम से कम करना जरुरी लगता है वर्ना बेचैनी होने लगती है पुरे बदन में। आपका तो पता होगा कि जब तक यह मजा नहीं मिले तब तक तो फ़िर भी ठीक है पर एक बार अगर जिस्म का सच्चा मजा मिल जाए तो फ़िर उसकी याद बार-बार आती है।" अब्बू फ़िर बोले-"वो सब ठीक है बेटी पर थोड़ा रुक जाओ, तुम्हारी निकाह पढ़ा दुँगा फ़िर करना यह सब कोई कुछ नहीं कहेगा।" मैं हँसते हुए बोली-"वो तो अभी भी कोई कुछ नहीं कहता। बस अब आपको पता है तो आप इतना बोल रहें है। अगर आपको यह सब पता नहीं होता और तब भी मैं यह सब करती तो। वो तो चाचा के साथ मैंने कर लिया कि अगर एक बार उनसे कर ली तो फ़िर बाहर के गैर लड़कों से नहीं करना होगा और तब सीक्रेसी ज्यादा रहेगी। अब्बू आप फ़िक्र ना करें, मैं आपका और आपकी इज्जत का ख्याल रखुँगीं।" अब अब्बू बोले-"जैसी तुम्हारी मर्जी सानिया बेटी, पर मुझे अब भी यह ठीक नहीं लगता कि तुम यह सब किसी के साथ करो।" अब्बू बात तो कर रहे थे पर शब्दों को बहुत संभाल कर बोल रहे थे और मेरे बदन को घुर-घुर कर बातें कर रहे थे तो मैंने सोचा कि एक ट्राई ले लेती हूँ। मैंने कहा-"अब्बू आप भी तो उनके घर पर लड़कियों के साथ सोए हैं। जब आप इतने साल बाद सेक्स का मजा ले सकते हैं तो फ़िर सोचिए कि मैं तो अभी-अभी जवान हुई हूँ, दो महिने से यह सब मजा लेना जाना है तो मेरी क्या हालत होती होगी जब मन करता होगा। और अब्बू आप तो देख रहे हैं मैं बच्ची नहीं हूँ (कहते हुए मैंने एक हल्की अंगराई ली)। आप तो मेरी पैन्टी भी देख चुके।" अब्बू के चेहरे का रंग उड़ने लगा यह सब सुन कर। मुझे यह देख मजा आया और मैंने आगे कहा, "आज फ़िर दिखाऊँ आपको?"। यह कहते हुए मैंने अपना हाथ अपने स्कर्ट की भीतर घुसाया और एक झटके से अपनी पैन्टी उतार दी। मैंने इतनी तेजी से यह किया कि उनको शायद हीं मेरी चूत दिखी होगी। फ़िर मैंने पैन्टी को अब्बू की गोदी में डाल दिया। वो पैन्टी अभी भी मेरी चूत के रस और चाचा के लन्ड के रस से गीली थी। मैंने एक भरपुर नजर अब्बू पर डाली, और फ़िर पैन्टी को देखा जो उनकी गोदी में था, फ़िर अपने चुतड़ को बड़े सेक्सी अंदाज में मतकाते हुई सामने से हट गयी। मैं सोच रही थी कि क्या अब्बू मेरी चूत के बारे में सोच रहे हैं या नहीं? इसके बाद मैं अब्बू के सामने जान-बुझ कर इठला कर चलती ताकि उनको मेरे बदन के उभारों का अहसास हो। दो-तीन दिन बाद मुझे लगने लगा कि अब वो मुझे कुछ अलग नज़र से देखते हैं। फ़िर मेरे पीरियड शुरु हो गये और तब मैं खुद थोड़ा सिकुड़ गयी अपने में हीं, पर मुझे अपना लक्ष्य याद था। चार दिन बाद जब मैं अपने पीरियड से फ़ारिग हुई तब मेरे भीतर एक अलग आग लगी हुई थी। उस दिन शाम को नहाते हुए मुझे आईडिया आया कि अब घर पर मैं अपने अंडर्गार्मेन्ट्स नहीं पहनूँ तो मेरी चुचियों की झलक ज्यादा मिलेगी अब्बू को, और अगर वो कोशिश करें तो मेरे चूत के भी दर्शन होगें और मुझे पता चल जायेगा कि वो मेरी चूत को देखना पसंद करते हैं कि नहीं। अगर मुझे लगा कि वो मेरे चूत को देखने में इच्छुक हैं तब मैं थोड़ा और आगे बढ़ुँगी। उस रात तो खैर कुछ न हुआ पर अगले सुबह मैं पैजामे और कुर्ते में उनके सामने सुबह की चाय ले कर गयी। उनके बिस्तर पर मैं भी बैठ गयी और मैं जब भी हिलती मेरी चुचियाँ कुरते में हिलती और अब्बू के नजर दो-एक बार चुची पर अँटकी।
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01-13-2019, 11:18 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. मै दो बार जान कर उनके सामने झुकी ताकि उनको मेरे चुची की गोरी चमड़ी का कुछ हिस्सा दिखे। पर मुझे पता नहीं चला कि उनके दिल में कुछ हुआ या नहीं। मैं खाली कप को ले कर लौटते हुए तय कर लिया कि शाम में लौन में चाय के वक्त उनके सामने बिना पैन्टी के स्कर्ट में बैठुँगी और थोड़ी झलक दिखाउँगी। अब मुझे शाम का इंतजार था। शाम को अब्बू करीब ५ बजे आराम करके उठे और फ़िर लौन में फ़ूलों को पानी देने के बाद वहीं कुर्सी पर बैठ गये। मैंने उनसे पूछा-"चाय लाउँ।" उनके हाँ कहने के बाद, मैंने एक बार फ़िर आईने के सामने कुर्सी पर बैठ कर सब चेक किया और समझ लिया कि अगर मैं अपना एक पै कुर्सी पर रखूँ तभी उनको सामने से मेरा चूत दिख सकेगा, वर्ना नौर्मल तरीके से बैठने पर भी जाँघ भले दिखे पर चूत नहीं दिखेगा क्योंकि मेरी स्कर्ट लम्बी थी। खैर मैं चाय ले कर गयी और अब्बो के सामने बैठ कर चाय बनायी और उन्हें दिया फ़िर अपना कप ले कर बैठ गयी। स्लीव-लेस टौप बदन पर था थोड़ा टाईट और मेरी नुकीली चुची और नन्हीं सी निप्पल की झलक उन्हें जरुर मिल रही थी। मैंने दो-चार बार अपने चुची और निप्पल को सहलाया भी टौप के उपर से हीं ताकि अब्बू का ध्यान उस तरफ़ जाए और वही हुआ भी। फ़िर ऐसे किया जैसे मेरे पैर में नीचे की तरफ़ मच्छर काटा है। पहले मै हल्का सा झुक कर उसे सहलाई फ़िर मच्छर की बात कहते हुए अपना पैर मोड़ कर कुर्सी पर रख ली और ऎड़ी के पास खुजलाने लगी। स्कर्ट उपर उठा तो पर ऐसे सेट हुआ की मेरी एक जाँघ पुरी नंगी हो गयी पर मेरी चूत पुरी तरह से ढ़्क गयी। मेरे अब्बू की नजर बार-बार मेरे नंगे जाँघ से फ़िसल कर मेरे चूर की तरफ़ जाती पर फ़िर हट जाती। मैंने अपने हाथ से हलके से रगड़ते हुए उसे थोड़ा किनारे किया ऐसे कि अब्बू को न लगे कि मैं जान-बुझ कर ऐसा कर रही हूँ। मुझे उम्मीद है कि ऐसे उनको मेरे चूत का पुरा नजारा तो नहीं मिला होगा पर एक साईड से मेरे चूत के पास की गोरी चमड़ी जरुर दिखी होगी और शायद मेरे चूत पर उग रही काली-काली झाँट भी १२-१५ दिन की दाढ़ी जितनी बड़ी दिखी होगी। अब्बू की नजर बार-बार उसी तरफ़ जा रही थी पर संकोच की वजह से वहाँ टिक नहीं रही थी। करीब २ घंटे बाद सात बजे बाबू चाचा आ गये, मैं खुश हो गयी। चाचू आज कई दिन बाद आए थे और साथ में एक जौनी वाकर व्हिस्की लाए थे। मेरे अब्बा से उन्होंने कहा कि वो तीन दिन के लिए नेपाल गये थे और वहीं से वो व्हीस्की लाएँ हैं। फ़िर उन्होंने मेरे चुतड़ पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और कहा कि जाओ कुछ लाओ खाने वास्ते। मैं जल्दी से सलाद और मिक्स्चर ले कर आयी। दोनों दोस्त घर के भीतर आ गये और तब चाचू ने कहा कि आज सानिया बेटा तुम हमें शराब पिलाओ तो ज्यादा और बेहतर नशा होगा। फ़िर मेरे अब्बा से कहा-"क्यों दोस्त, अगर जवान लड़की पिलाए तो मजा ज्यादा आता है, है ना?" मेरे अब्बू ने कहा-"हाँ, यार और मेरी ओर देखा।" मैं मुस्कुराते हुए उठी और पैग बना दिया फ़िर जब चाचू की तरफ़ बढ़ाया तो वो मुझे गोदी में खींच लिए। मेरे कपड़े के उपर से हीं मेरे छाती को मसला और जब उन्हें लगा कि सिर्फ़ एक कपड़ा है वहाँ तो वो बेशर्मी से बोले, "वाह आज तो तुम तैयार हो मेरे लिए, क्यो?" मैं बिना कुछ कहे उठ गयी और अब्बू की गोदी में खुद बैठ गयी और ग्लास उनके मुँह से लगाया। चाचू बोले-"यार जमील एक बार इसकी चुची तो छु कर देख, कैसी मस्त है और इसने ब्रा भी नहीं पहना है।" अब्बू की नजर मेरे चुची पर थी।
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01-13-2019, 11:18 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैं उम्मीद कर रही थी कि शायद आज अब्बू मेरी छाती छुएँ। पर अब्बू ने मेरे हाथ से ग्लास ले लिया और खुद पीने लगे। मैं उनकी गोदी में बैठ कर हीं खुद से अपनी चुची सहलाई। चाचू यह देख बोले, "क्या जमील, बेटी को तड़पा रहे हो। दो मर्द के रहते इसे खुद से अपनी चुची मसलनी पर रही है", कहते हुए वो मुझे अपनी गोदी में खींच लिए और मेरी चुची को सहलाए। मैं उन्हें पुरा सहयोग दे रही थी। अब्बू के सामने शर्माने की कोई जरुरत थी नहीं, बल्कि मैं तो चाह रही थी कि अब्बू खुद बेशर्मी करने लगें। पर वो तो इधर उधर नजर कर रहे थे, और ऐसे कर रहे थे जैसे उन्हें मुझे देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं अब उन्हें भूल कर चाचू के साथ पर ध्यान लगा कर अपने चेहरे को थोड़ा उपर कर दिया और चाचू मेरे होठ चुमने लगे। फ़िर चाचू ने अपना हाथ मेरे जाँघ पर रखा और धीरे-धीरे मेरा स्कर्ट उपर करने लगे। जैसे हीं मेरा स्कर्ट पुरी तरह उपर हुआ और मेरी चूत नंगी हुई, अब्बू बोल पड़े-"छीः, बहुत गन्दे हो तुम दोनों। मैं यहाँ सामने बैठा हूँ और इस तरह की हरकत कर रहे हो।" मैं चाचू के सीने को सहला रही थी और वो मेरे बूर के आस-पास की चमड़ी छू रहे थे। चाचू बोले-"यार जमील ऐसे भड़को मत मेरे दोस्त। तुम बाजी हारे हुए हो, और शर्त के मुताबिक तो मुझे सानिया को कम से कम एक बार तो तुम्हारे सामने चोदना हीं है। सानिया को सब पता है और जब वो तुम्हारे सामने चुदवाने को तैयार है तो तुम भी आराम से बैठो और देखो आज एक दम लाईव शो। पुरी दुनिया कितने सारे पैसे खर्च करके देखती है चुदाई का लाईव शो, तुम्हें तो हम फ़्री में दिखा रहे हैं।" फ़िर वो मुझसे पुछे-"क्यों सानिया बेटा, तुम्हें कोई प्रोबलेम है जमील के सामने चुदाने में?" मैं तपाक से बोली-"मुझे कोई परेशानी नहीं, मुझे तो अपने खुद के मजे से मतलब है और आपके साथ बहुउउउउउउउउउउउउउत मज्जा आता है चाचा जान...।" मैंने अपनी आवाज में एक सेक्सी टोन पैदा किया और एक सेक्सी उह्ह्ह्ह्ह कर दी। चाचू मुझे गोदी से उतार कर खड़े हो गये और अपने जीन्स पैंट की जिप खोल दिए। मैं इशारा समझ गयी और उनके सामने घुटने पर बैठ कर अपना हाथ पैंट के खुले जिप के भीतर डाल उनके लन्ड को पकड़ कर बाहर खींच ली। मैंने अब्बू के तरफ़ देखा भी नहीं पर जिस ऐंगल से हम दोनो उनके सामने थे, मुझे पता था कि उनको सब एक दम साफ़ दिख रहा होगा। चाचू का लन्ड आधा कड़ा था, और मैं उसको अपनी मुट्ठी से हल्के-हल्के सहलाई तो चाचू बोले कि थोड़ा चुसो सानिया। और मैंने अपने होठों पर जीभ घुमा कर होठ को गीला किया और चाचू के लन्ड को मुँह में भर ली। चाचू मेरे सर को पकड़ कर अपना लन्ड मेरे मुँह में पेलने लगे और तब मैंने अपने अब्बू की तरफ़ तिरछी नजर से देखा। हमारी नजर मिली तो वो अचानक उठ गए-"छीः छीः..., हद हो गयी", उनके मुँह से निकला। वो वहाँ से चले गये। पर हम दोनों अब कहाँ रुकने वाले थे। आज पहली बार अपने घर पर अब्बू की मौजुदगी में मैं चुदाने जा रही थी। यही बात मुझे एक्स्ट्रा मजा दे रही थी। करीब १० मिनट एक-दुसरे को चुमने-चाटने के बाद चाचू ने मुझे जमीन पर ही लिटा दिया और उपर से चढ़ गए। अब तक मैं हल्की सिस्कारी भर रही थी पर अब जब मेरी मस्त चुदाई शुरु हुई तो मैं जोर-जोर से चीखने लगी। मैं बड़े गन्दे शब्द बोल रही थी। मुझे पता था कि अब्बू पास हीं हैं और वो सब सुन सकते हैं। मैं उन्हें सुनाने के लिए खुब मस्त हो कर कराह रही थी और अनाप-शनाप बक रही थी।
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.चाचू भी सब समझ रहे थे और मुझे चोदते हुए खुब सारी गालियाँ बक रहे थे। वैसे तो हम दोनों जब भी चुदाई गेम खेलते, एक-दुसरे को गालियाँ देते रहते, पर आज की बात हीं कुछ और थी। आज हमें पता था कि हम दोनों की आवाज आज कोई और भी सुन रहा है जो बहुत स्पेशल है। हमारी बातें जो हो रहीं थी उसकी एक झलक मैं आपको बताती हूँ। मैं - "आआह्ह चाचा जान मजा आ रहा है, खुद चोदिए मुझे। वाह और जोर से डालिए.." चाचू - "सही बात कह रही हो, बहुत मजा आ रहा है। चुदो आज तुम मस्त हो कर। यह लो एक जोर का धक्का अपनी बूर के भीतर, लुटो मजा अपनी जवानी का।" मैं - "वाआआअह्ह, और जोर से इइइइइइइस्स्स्स्स्स्स्स्स्स, आअह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म" चाचू - "ये लो बेटी, यह लो यह लो एक और लो एक धक्का और लो" मै - "वाह, बहुत अच्छा से चोद रहे हो चाचू, इस्स्स्स्स्स्स्स्स मेरे बूर को खुब चोदो, जम कर चोदो। मेरी बूर तुम्हें मजा दे रही है कि नहीं?" चाचू - "अरे मेरी बुल्बुल, बहुत मजा दे रही है तेरी बूर। एक दम शानदार है, मक्खन बूर है तेरी मेरी जान। चुद आज जम कर साली। मेरी रन्डी बन कर चुद साली आज। मैं - "मुझे तो आप रन्डी बना दिए मेरे जानू, अब जैसे चोदो वैसे चुदुंगी तुमसे मेरे राजा, मेरे चाचा, मेरे हुजूर मेरे मालिक..., इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं तेरी बांदी हूँ, मुझे खुब चोदो, जम कर पेलो मेरे बूर में अपना लन्ड मेरे आका इइइइस्स्स्स्स्स्स आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।" चाचू - "ले साली चुद, साली कुतिया, साली रन्डी साली हराम जादी मेरी बांदी हो तो साली सड़क पर चुदो एक बार गाँड़ खोल कर अपनी गाँड़ मराओ किसी कुत्ते से साली रन्डी। मैं - कुत्ते से क्यों, तुमसे गाँड़ मराऊँगी रे साले भँरवें, साले मादरचोद। अपनी भतीजी को चोद रहे हो और उसको रन्डी बना दिए। साले तुम तो पक्के हरामी हो, बेटी-चोद हो साले। चाचू - "ज्यादा फ़रफ़रा मत साली कुतिया। नहीं तो तेरी इसी बूर से बेटी पैदा करके उसको तुम्हारे सामने चोद दुँगा, जैसे तुम्हें आज तुम्हरे बाप के सामने चोद रहा हूँ।" मैं - मेरा बाप यहाँ नहीं है साले ......... आआआअह्ह्ह्ह इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स" चाचू - "तेरा बाप साला सब सुन रहा है, शर्म से हट गया है, पर सब देख रहा होगा किसी छेद से। साला एक कुँवारी चूत के लिए बेटी को चुदा रहा है। देखना एक दिन वो तुम्हें भी चोदेगा।" मैं - "मैं तो कब से अपने बाप से चुदाने के लिए तैयार हूँ, पर उसे मैं बेटी दिखती हूँ, माल नहीं दिखती जबकि पुरी दुनिया को मैं माल दिखती हूँ। मैं आपको माल दिखती हूँ न?" चाचू - "हाँ रे साली मेरी कुतिया, तू जबर्दस्त माल दिखती हो। दिखती क्या हो, तुम माल हो माल। ऐसा माल जिसको सब चोदना चाहें। चुद साली चुद, और चुद रन्डी साली।" हम दोनों अब सब कुछ साफ़ बोल रहे थे। अब तो अब्बू को निशाना बना कर बोल रहे थे। चाचू भी जम कर मेरी बूर को चोदे थे आज। थोड़ी देर बाद चाचू ने मुझे पलटने को कहा और मैं पलट गयी। अब मैं कुतिया बनी हुई थी और चाचू कुत्ते की तरह मुझे चोद रहे थे और वैसे हीं हाँफ़ रहे थे। उनकी जाँघ मेरे चुतड़ से टकरा टकरा कत थप-थप की आवाज कर रही थी। मैं मजे से मदहोश हुई जा रही थी। तभी चाचू बोले-"आह बेटी अब मेरा निकलेगा, कहाँ लोगी जल्दी बोलो।" मैंने बोली-"मुँह में मुँह में" और चाचा के लन्ड के बाहर निकालते हीं मैं वहीं जमीन पर हल्के से ऊठी की वो अपना लन्ड मेरे मुँह में ठाँस दिए। और मेरे अब्बू को जैसे सुनाते हुए बोले-"मराओ अब मुँह सानिया। तुम पुरा रन्डी हो गयी हो। बाजार में सबसे मंहगी बिकोगी। चुस कर खा जाओ मेरा रस। आह्ह्ह् आआआआह्ह" और वो मेरे मुँह में झड़ गये। मैंने उनका सब माल पी लिया, और ऐसा तो मैं पहले भी कर चुकी हूँ।
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01-13-2019, 11:18 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. जब मैं सानिया के मुँह में झड़ रहा था तभी जमील घर के भीतर से बोला-"अब जल्दी खत्म करो तुम लोग, मुझे जरा बाहर जाना है, एक काम है।" उसके आवाज में अब वैसी नाराजगी नहीं थी जैसी नाराजगी देखा कर वह वहाँ से हटा था। असल में हम बाहर वाले कमरे में ही चुदाई का खेल खेल रहे थे और घर के बाहर जाने के लिए उस रुम में आना ही होता। मैं सानिया की मुँह में पिचकारी छोड़ते हुए कहा, "खत्म हो गया है यार, पिचकारी छुट गयी। जाना चाहते हो तो जाओ, रुम में थोड़ा नजर फ़ेर लेना अगर अधनंगा बदन न देखना हो तो।" सानिया अपना हाथ अपने कपड़े की तरफ़ बढ़ाई, तो मैंने उसका हाथ थाम लिया और इशारे से कहा की वो मेरा लन्ड अपने मुँह से साफ़ करे। सानिया समझ गयी और फ़िर से अपना चेहरा मेरे लन्ड की तरफ़ कर दी। मैं अब खड़ा हो गया था, और अपनी कमर पर हाथ रखे था। सानिया जमीन पर घुटने के बल बैठी थी। दोनों बिल्कुल नंग-धड़ंग थे। तभी जमील कमरे में आया। सानिया अपने दाहिने हाथ से मेरे फ़ुले हुए मर्दाने गोलों को सहला रही थी और अपने जीभ से मेरे लन्ड से लिपसे सफ़ेद माल को चाट रही थी। मैं आराम से कमर पर हाथ रख कर उससे लन्ड चटवा रहा था। अपने अब्बा को सामने देख कर वो लन्ड मुँह के भीतर ले ली, और फ़िर हाथ बढ़ा कर अपने कपड़े से अपने चूत को ढ़क लिया। जमील ने भरपुर नजरों से हमें देखा और हल्के से कहा-"बेहया लड़की..."। मैं हँस दिया और अपना लन्ड सानिया की मुँह से खींच लिया और झुक कर सानिया के होठ पर अपने होठ रख दिए। उसके होठों पर मेरे लन्ड का माल लिपसा हुआ था, पर मुझे इसकी परवाह अब नहीं थी। जमील एक पल सब देखा और फ़िर घर से बाहर निकल गया। सानिया नंगे ही उठी और पानी लाने चली गयी। पानी पीने के बाद हमने कपड़े पहन लिए। फ़िर मैंने मोबाईल पर जमील को फ़ोन किया कि वो कहाँ है। तब उसने कहा की उसका मन बहुत बेचैन हो गया था मेरे और सानिया की करतुत देख कर और इसीलिए वो ऐसे हीं टहलने निकल गया है। मैंने उसको कहा कि अब वो आ जाए, मैं अपने घर जा रहा हूँ। एक और ग्लास पानी पी कर मैं निकल गया। बाद में सानिया ने मुझे बताया कि जमील करीब १५ मिनट बाद आया, वो चुप-चाप था।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.सानिया ने खाना लगाया तो दोनों साथ हीं खाए। उसी डायनिंग टेबुल पर उसने सानिया से पहली बार खुल कर बात की और कहा कि सानिया को ऐसे किसी से नहीं चुदना चाहिए। सानिया को भी अब कोई झिझक रह नहीं गयी थी। उसने खुल कर कह दिया कि अब वो जवान है और जवानी का मजा लुटना चाहती है। उसने आगे कहा कि जब जमील इस उम्र में कुँवारी लड़की को चोदने जा सकता है तो क्या वो अपनी मर्जी से महिने में दो-चार बार नहीं चुदा सकती। उसके शब्द थे, "अब्बू, अब जब मुझे पता चल गया है कि सेक्स में कितना और कैसा मजा है तो अब मैं नहीं रुक सकती इस मजा को लेने से। जब तक नहीं चुदी थी तब कि बात और थी। पर अब जब मैं चुदाने लगी हूँ तो चुदाते समय मिलने वाली मदहोशी का मजा लेना नहीं छोड़ सकती। अब्बू, आप तो मेरे से बड़े हैं, आपको तो पता है कि कैसा मजा है सेक्स में। सच कहूँ तो अब्बू, जैसे आपलोग को अलग-अलग लड़की के बदन से अलग-अलग मजा मिलता है वैसे हीं एक लड़की को भी तो अलग-अलग मर्द के लन्ड से अलग-अलग मजा आता है। दो-एक साल साल में निकाह के बाद पता नहीं कैसा घर मिले, कितना पर्दा करना पड़े, इसीलिए अभी हीं जितना मजा ले सकती हूँ लेना चाहती हूँ।" जमील कई तरह से सानिया को समझा रहा था और सानिया थी कि मान नहीं रही थी कि वो गलत है। सानिया हमेशा जमील को आईना दिखा देती कि कैसे जमील नयी लड़्की से सेक्स करके मजा लेता रहा है इन दिनों। जमील के पास सानिया के ऐसे साफ़ बोल का कोई जवाब नहीं था। वो समझ गया कि अब सानिया नहीं रुकेगी। सानिया भी जोश में कह दी-"देखिए अब्बू, अब जो जैसे हो रहा है होने दीजिए, मैं ध्यान रखुँगी कि कोई गड़बड़ न हो। अगर अब आप मुझे रोकेंगे तो, मैं दो-चार होटल में जा कर अपनी फ़ोटो रख दुँगी कि मैं फ़्री में चुदने को तैयार हूँ। फ़िर देखना कैसे इस घर के दरवाजे पर लाईन लगेगी।" जमील थोड़ा उदास हो चुप हो गया तो सानिया उसको खुश करने के लिए उसकी गोदी में बैठ गयी। जमील अब भी चुप था तो सानिया ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी दाहिनी चुची पर रख दिया और खुद उसके होठ को चुम ली। वो जमील को खुल कर बोली-"अब्बू, अगर आप मुझें चोदना चाहते हों तो चोद लीजिए ना। मैं आपको न नहीं करुँगी, बल्कि मुझे खुशी होगी। मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ। एक बार मुझे मौका दीजिए, दुनिया कि कितनी भी रन्ड़ी आप चोदे हों, मैं उन सब से बीस रहुँगी, आप देख लीजिएगा। क्या मैं जवान नहीं हूँ कि सेक्सी नहीं हूँ या सुन्दर नहीं हूँ? मेरा पुरा नंगा बदन आज आपने देखा, क्या वो किसी से कम है? बोलिए अब्बू।" और उसने एक गहरा चुम्बन जमील के होठ पर जड़ दिया। जमील अब एक बार गौर से सानिया को देखा। सच तो ये था कि जमील को सानिया में माल दिखती तो थी, पर उसके दिल में कुंठा थी कि ये मेरी बेटी है, इसको कैसे चोदुँ, पर अब इतना कुछ होने और देखने के बाद जमील का मन भी डोलने लगा था। उसने एक गहरी नजर से सानिया को देखा और कहा वो सब ठीक है बेटा पर मुझे थोड़ा सोचने का वक्त दो। फ़िर वो खुद इस बार सानिया पर झुका और एक हल्का चुम्बन उसकी गुलाबी होंठ पर जड़ दिया और बेसिन पर हाथ धोने चला गया। सानिया इतने से हीं खुश हो गयी। उसे पक्का यकिन हो गया कि अब उसकी बूर को उसका बाप जरुर चोदेगा।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. अगली सुबह जब सानिया चाय ले कर जमील के कमरे में गयी तब वो बिल्कुल नंग-धड़ंग थी। सुबह-सुबह जमील हुस्न की हसीन मल्लिका का यह रुप देख चकरा गया फ़िर संभल कर बोला, "सानिया बेटा ऐसे मेरे सामने मत आया करो, बड़ा अजीब लगता है। वैसे भी अभी थोड़ी देर में कामवाली बाई आएगी और तुम ऐसे बनी हुई हो।" सानिया ने कहा, "असल मे मैं अपने अब्बू की सुबह हसीन बनाना चाहती थी इसीलिए आपको अपना बदन ऐसे दिखाई। अब कपड़ा पहन लुँगी" कहते हुए उसने जमील का एक शर्ट उसी कमरे के वार्ड्रोब से ले कर पहने ली, जो उसकी आधी जाँघ तक पहुँच कर खड़े रहने पर उसकी चूत को ढ़क रहा था। फ़िर वो जब चाय पीने के लिए जमील के बिस्तर पर उसके सामने पालथी मार कर बैठ रही थी तो उसने देखा की जमील की नजर उसकी दोनों जाँघ के बीच फ़िक्स थी। वह अब अपनी जवान बेटी की बूर के दर्शन करना चाह रहा था। सानिया को खुशी हुई कि उसके अब कामयाबी मिल रही थी। उसका बाप अब उसके जवान बदन में दिलचस्पी लेने लगा था। वह चाय पीते हुए अपने एक पैर को अपने छाती की ओर मोड़ लिया, दुसरा अभी भी बिस्तर पर वैसे हीं था जैसे पालथी मार कर बैठते समय था। इस तरह से जमील को लगातार अपनी बेटी की चूत दिख रही थी। जमील की नजर अपनी चूत पर फ़िक्स देख सानिया बोली, "ऐसे अगर आप दिन की शुरुआत करेंगे हो तो दिन अच्छा गुजरेगा।" जमील अपनी बेटी की बात सुन कर हँसा और कहा, "कब तक, जब तुम्हारी अम्मी आ जाएगी तब कैसे ऐसे दिन की शुरुआत करा पाओगी।" सानिया समझ गयी की अब उसके अब्बू रोज़ अपने दिन की शुरुआत ऐसे हीं करने की चाह रखते हैं। वह बोली, "वही तो, इसीलिए तो कह रहीं हूँ जब तक अम्मी घर पर नहीं हैं तब तक हम दोनों जितना मस्ती कर सकते है, कर लें। वैसे अम्मी के रहने पर भी इतना दर्शन तो मैं अपने बदन का आपको करवा हीं दुँगी रोज़, आप देख लेना। और फ़िर जब मन हो तो के लिए चाचू का घर है ना। वहाँ तो हम दोनों अकेले-अकेले जा कर मजा कर हीं सकते है और अगर आपका मन हो तो हम आपस में भी मजा कर सकते है चाचू कभी भी बुरा नहीं मानेंगे। अच्छा अब्बू एक बात बताईए-क्या आप कभी मुझे चोदेंगे या बस ऐसे ही?"जमील अब सानिया के चेहरे को देखते हुए बोला-"असल में सानिया, कल रात सोने के पहले मैं बहुत सोचा। यह तो बिल्कुल सच है कि तुम बहुत-बहुत ज्यादा हसीन हो और मैं हमेशा हीं अपने को खुश-किस्मत समझता रहा कि तुम्हारे लिए बढ़िया रिश्ता तय करते समय मुझे परेशानी नहीं होगी। मैं तो तुम्हारे ग्रैजुएशन के इंतजार में था, वर्ना कई अच्छे रिश्ते आ रहे है तुम्हारी अम्मी की रिश्तेदारी से, पर अभी तक तुम्हारी अम्मी हीं ना बोल रही हैं। फ़िर पिछले कुछ समय में जो हुआ, मुझे पता चला कि तुम सेक्सुअली ऐक्टीव हो और मैं भी कई लड़्कियों के साथ बाबू के घर पर वह सब किया, तो अब मुझे लगता है कि अगर तुम्हारा निकाह आज तक टला तो इसकी वजह शायद यही थी कि मुझे अपनी बेटी का नंगा जिस्म देखना था। उसको अपने दोस्त से चुदवाते देखना था। अगर अल्लाह की मर्जी इसमें ना होती तो कब का तुम्हारा निकाह हो गया होता १६-१७ की थी तब से तुम्हारे लिए रिश्ते आ रहे है। कल रात यही सोचते सोचते जब मुझे यह लगा कि सब ऊपरवाले की मर्जी से हुआ है तब मुझे नींद आ गयी। सो अब देखो आगे क्या होता है। तुम बताओ, तुम कब से यह सब कर रही हो और हमें कुछ भनक भी ना लगी। जिस तरह से कल तुम बाबू के साथ कर रही थी और जैसे बेलौस बोल रही थी, लगता नहीं कि तुम नई हो इस खेल में। इतनी उमर हो गयी मेरी पर मैं ऐसा नहीं बोल सकता जैसा तुम बोल रही थी और बाबू के एक-एक बात का बड़ी बेहयाई से जवाब दे रही थी। तुम दोनों एक-दुसरे के साथ मजा कर रहे हो यह जान कर भी मैं शायद घर पर रुकता पर तुम दोनों की बात सुनकर मन में अजब सा कुछ होने लगा और घर पर रुकना मुस्किल हो गया।" सानिया मुस्कुरा दी और बोली-"तब फ़िर आप वहीं रुम में आ कर देखे क्यों नहीं हमलोग को वह सब करते, इस तरह से आपने जो चाचू को वादा किया था वो भी पुरा हो जाता। आपको तो एक बार देखना हीं है कि कैसे हम लोग चुदाई का खेल खेलते हैं।" जमील का जवाब था-"हाँ सो तो है, एक बार तो मुझे देखना हीं होगा। पर उसके लिए हिम्मत जुटा रहा हूँ। अपनी बेटी तो उसके शौहर से चुदवाते देखने की तो किसी की हिम्मत नहीं होती, यहाँ तो मुझे अपनी बेटी को एक गैर से चुदवाते देखना होगा।"
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